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घर के औरतों की कामुक वासना
#21
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#22
Super mindblowing
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#23
Ufff ufff soo hott and steamy update
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#24
wow...zabardast chudai
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#25
update bro
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#26
Read my Story 

Adultery -Ammi ke secret 


https://xossipy.com/thread-30460-page-23.html
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#27
और अब 



“और कसके और और और ……………। लगाओाााााााााााााा जितनााााााााााााा जोरररररररररररररररररर है”। ‘अपने कोरे लण्ड से पूराााााााााााााााा सुख लेलोााााााााााााााााााााााााााा। भाभीीीीीीीीीीीीीीीीीीीीीीीीीीीीीीीीीीीीीीीिि िक िचूत से बुझालो इसकी प्यास फिर न कहनााााााााााााााााााााााााााा भाभी ने मजाााााााााााााााााााााााााााााााााा नहींअअअअअअअअअअअअअअअअअ दियाााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााा”। मैने लण्द बाहर निकाल लिया। भाभी चिल्लायी” रोको मत लगा दो कस कस के इसमें” मैं चित लेट गया। मेरा लण्ड सीधा मुॅह बाये खड़ा था। मैने कहा “भाभी अब तुम्हारा नबर ह। तुम लगाओ। मैं कहानी सुनूॅगा”। भाभी इतनी ै गरम हो गयी थी कि छलॉग लगा कर वह मेरे ऊपर बैठ गयी। उन्होंने ापने को उठाया। अपने हाथ से मेरा लण्ड धामा और अपने छेर की तरफ करके वह उस पर बैठती चली गयी जब तक वह पूरा नहीं समा गया। उनके मुॅह से संतोष की आवाज निकली “हॅुऊॅऊॅ”। 



शशि की जुबानी मेरी चूत में आग भरी हुयी थी। पूरा अन्दर घुसते ही मैं सुकान्त के लण्ड को अपने अन्दर पम्प करने लगी। मैं इतने तेजी से उसके लण्ड के ऊपर जम्प कर रही थी कि मुझे होश ही नहीं था। मेरे बाल बिखर गये थे। सुकान्त ने मेरी कमर साध रखी थी। मेरे जोवन गेंद की तरह उछल रहे थे। मैं हवा म्ें उठ कर धप्पसे उसके लण्ड पर बैठ जाती थी। उसी समय सुकान्त नीचे से ऊपर उठ कर और जोर से लण्ड ठोक देता था। मैं “ऊह” कर बैठती थी। मैं बड़े जोरों से मोन कर रही थी “ओह मॉआ ओह अअ‍ेह ओह मॉऑ ओह ओह ओह मॉऑ ऊऊऊहहहह ओह मॉआ ओह अअ‍ेह ओह मॉऑ ओह ओह ओह मॉऑ”।



सुकान्त भी हॉफ रहा था “ऐहैं ऐहैं ऐहैं ऐहैं ऐहैं ऐहैं ऐहैं ऐहैं ऐहैं ऐहैं ऐहैं ऐहैं”। अचानक सुकान्त ने कमर पर जोर लगा कर मुझे रोक लिया। बोला “भाभी अपनी कहानी सुनाओ। सब से पहले किसको दी”। मैने कहना शुरू किया तो वह बोला भाभी आराम से लगाती भी जाओ। मेरी अनिल से सगायी हो गयी थी। मेरी एम ए की पढायी के कारण व्याह नहीं हुआ था। होली के दिन थे। हमारे यहॉ बड़ी रौनक थी। मेरी बड़ी बहिन सुनीता आ गयीं थीं । वह मुझ से काफी बड़ी हैं। उनकी शादी को पॉच छह साल हो गये थे। मेरा खास भाई तो एक ही है। मेरी भाभी कुसुम से तो तुम मिले ही हो। पर उनकी उस समय शादी नहीं हुयी थी। पर मेरे दो चचेरे भाइयों की ललिता और रागिनी भाभियॉ थीं। दोनों मेरी बहिन की उमर की ही थीं। 



सुनीता से उनकी बनती भी खूब थी हम उम्र जो ठहरीं। दोनों खूब मस्त जवान थीं। खूब भरा हुआ वदन था। बड़ी बड़ी छातियॉ थीं। खूब फैले हुये कूल्हे थे। और जबान उस से भी ज्यादा खुली हुयी। खुल कर मजाक करती थीं जो प्रैक्टीकल भी हो जाता था। एक तो होली का सैक्सी माहौल और ऊपर से उनकी मस्त तबियत।और फिर मेरी सुनीता दीदी भी आ गयी थी। दिन भर उनकी सैक्स भरी हरकतें होती रहती। वह मुझे तंग करती रहती थी क्योंकि मेरी सगायी हो गयी थी। मेरे को ले कर अपनी भड़ास निकालती थीं। कोई कहती”सगाई तो करली है अब दबबाने की डलबाने की प्रैक्टिस कर लो”। कोई कहती “चलो मैं सिखाती हूॅ क्या होता है”। कभी कभी दोनों पकड़ कर के मेरे उरोजों को मसलती “इनको खीच खीच कर बड़ा तो करो कि लाला जी के हाथ में तो आ जायें”। यहॉ तक कि चूत पर भी हाथ फेर देती “इसमें उनके लिये कुछ हल चल होती है या नहीं। ना हो तो केला ही डाल लिया करो”। दूसरी कहती “केला क्या कहो तो मैं इन्तजाम कर दूॅ। उनकी बातों से बाकई म्ोरी चूत में कुछ सिहरन सी होने लगी थी। होली के लिये जीजा जी और अनिल को भी निमंत्रण दिया गया। जीजा जी एक दिन पहले ही आ गये। क्योीक शादी नही हुयी थी संकोच या औपचारिकता की बजह से अनिल ठीक होली बाले दिन आने बाले थे और वह भी अपने एक दोस्त के यहॉ ठहरने बाले थे। होली की सुबह थी। दोनों भाभियॉ और मैं तैयारी में लगे थे। सुनीता दीदी देर से नीचे आयीं। 




ललिता भाभी ने बड़ी शरारत से ऑख मार कर उनके चूतड़ पर चिउॅटी काटते हुये कहा “क्या हुआ बन्नो तुम तो बड़ै लॅगडा के टॉगें चौड़ा कर के चल रही हो”। सुनीता दीदी ने शर्माते हुये कहा “भाभी रात भर लगाते रहे। कहते थे जितने दिन बाहर रही हो उतनी बार करूॅगा”। रागिनी भाभी बोली “ओ दइया तो दस बार रगड़ी गयी हो। मैं चाय ले कर जाती हूॅ देखा कर तो आऊॅ कि लालाजी की क्या हालत है”। सुनीता दीदी ने जल्दी से मना करते हुये कहा “भाभी वहॉ मत जाना। वह तो नंगे पड़े हुये हैं। मुश्किल से छुड़ा के भाग के आयी हूॅ। रागिनी भाभी ने मुझ से कहा “छोटी बन्नो अपने जीजा जी को चाय दे आ आओ”। मैं और जीजा जी खूब मजाक करते थे पर ऊपर ऊपर से ही। बात सुन कर मैने मना कर दिया “ंमैं नहीं जाती”। ललिता भाभी बोली “मैं जाती हूॅ। मैं भी तो देखॅ आखिर “। वह एक ट्रे में चाय और नास्ते का सामान रख कर ऊपर गयी। कमरा खुला हुआ था। अन्दर आ कर चाय की ट्रे रखते हुये उन्होने कहा “लालाजी उठो चाय लो बहुत सो लिया अब थोड़ी होली खेलो”। उन्होने एक हाथ से चादर फेक दी। उनका लण्ड फूला हुआ तन्नाया हुआ खड़ा था। सुनीता की चूत के रस और उनके अपने वीये से सना हुआ। उन्होने एक हाथ पकड़ कर ललिता भाभी को पलंग पर गिरा लिया। उनके ऊपर चढ कर बाहों में भरते हुये बोले “आओ ललिता भाभी होली खेल लो”। ललिता भाभी अपने को छुड़ा कर नीचे भागी। उनका चेहरा लाल हो रहा था। हॉफतीं हुयीं बोली “ओ दइया री उनका तो सॉप फन फैलाये हुये डंक मारने को तैयार है”। अनिल आ गये थे। जिन दोस्त के यहॉ ठहरे थे. वह और उनकी बीवी नीलम भी आये थे। हम सब ओरतें अन्दर ऑगन में होली खेल रहीं थीं। आदमी सब बाहर। नीलम भाभी की शादी को ज्यादा समय नहीं हुआ था पर व्ह भी बड़ी रंगीन तबियत की थी। वह सब से खासतौर पर भाभियों से जल्दी ही घुलमिल गयीं। 





अन्दर हम लोग खूब मस्ता रहे थे। भर भर के रंग फेक रहे थे। गुलाल मल रहे थे। दोस्त की बीवी नीलम भाभी ने मुझे पकड़ लिया । उन्होने चेहरे पर तो गुलाल मला ही साथ ही ब्रजियर के अन्दर हाथ डाल कर के मेरी चूचियौ पर मलती हुयी बोली “अनिल के पहले में तो कसर निकाल लूॅ”। फिर एक हाथ मेरी पैण्टी के अन्दर डाल दिया और सीधा बुर के ऊपर मल दिया। मैने कहा “भाभी मैं भी पीछे रहने बाली नहीं”। जोश में आ कर मैने भी गुलाल भरा हाथ उनकी ब्रेजियर के भीतर डाल दिया। उनके शरीर के मुकाबले उनके जोवन बहुत बड़े थे। फिर मैने पैण्टी के भीतर ंभी हाथ घुसेड़ दिया। उनकी बुर भी खूब फूली हुयी थी। उन्होने खुद ही टॉगें फैला दी बोली “लो खूब मलो। कहो तो मैं चडढी उतार दूॅ”। उसके बाद तो दोनों भाभियों ने मेरी हालत खराब कर दी। उन्होने मेरे जोवनोम् को ही नहीं मसला मेरी चूत की मरम्मत की। अपनी उॅगली तक डालने की कोशिश की। मैं गरम हो गयी थी। पहली बार मैने भी उनको पकड़ कर उनकी चूतों को खूब सहलाया। उन्होने ताना मारा “ओ दइया शादी के पहले ही यह हालत है”। रंगौं से भीगे कपड़े सब के शरीर से चिपक गये थो। सबकी चूचियॉ और चूतड़ उजागर हो गये थे। नीलम भाभी तो एकदम महीन साड़ी और मलमल का ब्लाउज पहन कर आयीं थीं। वह दोनो. तो न होने के बराबर थे। उनकी तनी हुयी घुणियॉ चौच सी दिखायी दे रहीं थीं और भरी हुयी रानें साफ नजर आ रहीं थीं। इस बीच जीजा जी अन्दर घुस आये। बोले “मैं अपनी साली से तो होली खेल लूॅ”। भाभियॉ जो किसी को भी अन्दर नहीं आने दे रही थीं हुलक कर बोलीं “हॉ ऐ रही तुम्हारी साली”। उन्होने मुझे पकड़ लिया और मुॅह पर गुलाल मलते हुये मेरे जोवनों को भी मसलते रहे। उनका एक पैर मेरी टॉगों के बीच में मेरी चूत को भी रगड़ रहा था। उनका खड़ा लण्ड भी मुझे गड़ रहा था। मुश्किल से छाुड़ा कर मैं अन्दर भागी। नीलम भाभी जीजा की ओर बढती हुयी बोली “जीजा जी मैं भी तो तुम्हारी साली हूॅ”। उन्होने जीजा जी के मूॅह पर ग्ुालाल मल दिया। जीजा जी ने उनको दबोच कर सब के सामने सब कुछ कर दिया। अपने गाल उनके गालों पर रगड़े फिर उठी हुयी चूचियौ पर और उस समय सामने से ही उनका लण्ड नीलम भाभी की टॉगों के बीच में चिपका हुआ था। रागिनी भाभी ने उन्हें अलग करते हुये कहा “ यहॉ सबके सामने ही कर डालोगे क्या”। उन्होने उनके हाथ पीछै बॉध लिये और कहा “लगाऔ तबियत से रंग जहॉ लगाना हो”। अब तो मैं भी भाग कर आ गयी। मैने उनको रंग मला तो ललिता भाभी बोलीं “नीचे हाथ डाल कर लगाओ देखो आदमी हैं या नहीं या सुनीता बन्नो किसी और से ही लगबाती रहती हैं”। नीलम भाभी बोली “वो तो पजामा खोल कर देखे लेते हैं”। नीलम ने उनका कुर्ता उठा दिया। उनका फूला हुआ लण्ड साफ दिख रहा था। भीग करके पजामा उस पर चिपक गया था। नीलम ने उनके नाड़े पर हाथ डाला। वह छूटने के लिये हाथ पैर मार रहे थे। सुनीता दीदी ने उनको छुड़ा दिया तो वह भाग निकले। जाते जाते रागिनी भाभी से कह गये “भाभी मैं तुम्हें छोड़ूॅगा नहीं। सबने सुनीता दीदी को नंगा ही कर दिया और तबियत से मनमानी की। यहॉ तक कि रागिनी भाभी ने उन्हें मर्द की तरह बाहों में भर लिया और मर्द की तरह धक्के मारने लगीं। अनिल बाहर ही रहे थे। रागिनी भाभी ने दरवाजे पर जा कर उनको इशारे से बुलाया। लिहाज में वह जैसे ही बाहर आये उनको पकड़ कर अन्दर खीच लिया। अब अनिल की बारी थी। नये होने बाले जीजा के लिये उनका उत्साह भी ज्यादा था। रागिनी भाभी ने उनके हाथ भी जकड़े हुये थे। मुझ से उन्होने कहा “बन्नो खोलो अपने पिया के संग होली”। मैं शर्मा रही थी। ललिता भाभी ने कहा “पहले इनको औरत तो बनाओ फिर खेलेंगे इनसे होली”। ललिता भाभी नीलम भाभी औरत सुनीता दीदी अनिल को लिपिस्टिक बिन्दी लगाने में जुट गये। रागिनी भाभी उनको डॉटे थी। मैने भी आगे बढ कर अनिल को खूब रंग मला. नजर बचा कर उनके लण्ड के ऊपर भी मल दिया। नीलम भाभी ने देख लिया। बोली “पजामें में हाथ डाल के डंडे पर लगाओ रंग”। अनिल ने सब को छेड़ा “हॉ हॉ तुम लोगों में दम है तो लगा के देख लो”। नीलम भाभी जबाव देने में नहीं चूकीं “हॉ हॉ मैं डरती हूॅ। उन्होने मुठ्ठी में गुलाल भर कर अपना हाथ अनिल के पजामें में डाल दिया और उसके लण्ड पर मल दिया। ऑखें नचाकर बोलीं “शशि रानी के मजे हैं एकदम मुगदर कै”। ललिता भाभी ने चुटकी ली “तो तुम लेलो मजे”। 




नीलम भाभी सीने पर हाथ रख कर सॉसें भरती हुयी बोली “मेरे भाग्य कहॉ ये तो ननदी का इंतजार कर रहा है”। सब हॅस दिये। होली खेल कर लोग अन्दर आने लगे थे। अनिल उनके दोस्त और उनकी पत्नि नीलम चले गये। यह प्रोग्राम बना कि शाम को हम लोग उनके यहॉ जायेंगे। घर मै ऐसे ही रंगे रंगाये सब लोग होली के लडडू गुझ्यिा पापड़ी खाने लग गये थे। मैं बहुत थी। मैने देखा कि जीजा जी नजर नहीं आ रहे थे। उनको होली के पकवान देने के लिये छलॉक लगाती ऊपर गयी। जैसे ही झट पर कदम रखा तो देखा कि झत की मुड़ेर पर जीजा जी रागिनी भाभी को पकड़े हुये खड़े थे। रागिनी भाभी जो पकवान लायीं थी उसकी तस्तरी मुड़ेर पर ही रखी थी।रागिनी भाभी के ब्लाउज के बटन और ब्रजियर खुली हुयीं थीं। जीजाजी ने उनकी साडी उल्टी हुयी थी। जीजाजी ने अपना पजामा गिराया हुआ था। रागिनी भाभी मुड़ेर पर ही अधलेटी हो गयी थीं। जीजा जी ने अपना लण्ड उनकी चूत में घुसेड़ा हुआ था। वह जोरों से पेले जा रहे थे। रागिनी भाभी मजे ले ले कर उनको उकसा रही थी “हॉ हॉ और डालो। फाड़ डालो होली में। पूरी होली मनालो”। जीजा भी बोले जा रहे थे “ये लो ये और लो और लो लो और लो मुझे छेड़ने का मजा तुम भी याद रखोगी”। मैं नीचे उतर आयी। मेरी चूत पहले से ही खुजला रही थी। उसमें आग भर गयी। नहा धो कर तैयार हो कर अनिल के दोस्त के यहॉ जाना था। 




भाभियों ने तो जाने से मना कर दिया। सुनीता दीदी और जीजा जी सथ जा रहे थे। सब से बाद में मेरा नहाने का नम्बर आया। कपड़े उतार कर नहाने के लिये खड़ी हुयी तो देखा मेरी टॉगें चूत का भाग रंग से रंगा हुआ था। चूत को धोया तो अन्दर से भी रंग बह निकला। भाभियों ने उॅगली करते समय गुलाल भर दिया था। मैने साबुन का झाग बनाया और चूत के अन्दर उॅगली से ठेर सारा भर दिया। उॅगली अन्दर बाहर की तो बहुत ही अच्छा लगा। रागिनी भाभी और जीजा की तस्वीर सामने आ गयी। मुझमें मस्ती भर गयी। होश तब आया जब बाहर से सुनीता दीदी दरवाजा पीट रहीं थी “शशि चलना नहीं है कितनी देर हो गयी है। बाथरूम में ही बनी रहोगी आज”। पता नहीं कब मैने कपड़े डालने बाली दीवाल पर लगी खुटिया को अपनी झाग लगी चूत में घुसेड़ लिया थाऔर आगे पीछे किये जा रही थी। मुझे रोकना बहुत मुश्किल था। पर चूत पर ठंडे पाानी के छीटे दिये और बाहर निकल आयी। खूब सजधज कर तैयार हुयी तो ललिता भाभी ने कहा “सजन से मिलने जा रही हो खूब सिंगार करके”। रागिनी भाभी ने ऑखों में शरारत भर कर कहा “अब सुहागरात मना के ही आना। अगर बिना सील तुड़बाये आयीं तो तुम्हारे जीजा से तुड़बा दूॅगी”। अनिल के दोस्त के यहॉ होली का माहौल था। एक बार सबने एक दूसरे को बाहों में बॉध कर मुबारकबाद दी। सबने मेरे ऊपर हाथ साफ किया। अनिल ने तो अपना हक समझ कर बाकायदा मेरे जोवन मसले चूत पर हाथ फेर ा नीलम भाभी एकदम टाइट द्रैस में थीं उनकी चूचियॉ और चूतड़ बाहर निकलने को आतुर थे। जीजा जी ने दोनों को आराम से दबाया। यहॉ तक कि अनिल उनसे या वह अनिल से ज्यादा चिपकी रहीं। ठंडायी का इंतजाम था जो मैने थोड़ी सी चखी। पकोड़े बहुत स्वादिस्ठ बने थे जो मैम् ठेर सरे खा गयी। नीलम भाभी हॅस हॅस कर देती गयीं। बाद में पता चला कि वह भॉग के पकौड़े थे। मेरे ऊपर भंग का पूरा शुरूर हो गया था। 



होली की सैक्सभरी गारियॉ बज रहीं थीं जिन में देवर भाभी जीजा साली भाभी ननदोई होली में जवानी का सुख ले दे रहे थे। नाचते हुये गाते हुये सभी खुलेआम एक दूसरे को चिपका रहे थे अंंगों को छू रहे थे। जीजा जी मेरी तरफ जिन नजरों से देख रहे थे कि अगर अनिल न होते तो वह मुझे छोड़ते नहीं। मैं अनिल के ऊपर ठेर हुयी जा रही थी। खाने के बाद जोक्स गाने शुरू हुये।
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#28
असली कोहिनूर कोहिनूर..... कोहिनूर.....  यस कोहिनूर 



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#29
Just awesome
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#30
Oh man that's just so awesome update
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#31
simply superb
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#32
सब आदमी गंदे गंदे जोक्स सुना रहे थे। अनिल भी पीछे नहीं था। हर बार चुदायी की बात कहते हुये वह मेरी ओर देख कर ऑख मारता था। नीलम भाभी चुदायी की फागें खुले आम सुना रहीं थीं। मैं कह कुछ नहीं रही थी पर हर जोक पर खूब हॅसे जा रही थी। अनिल मुझे हैरानी से देख रहा था। जीजा जी चुदायी के लिये उताबले हो रहे थे। चोदना चाहते तो वह नीलम भाभी को थे। 



उनकी ऑखें उनको चोदे जा रहीं थी। पर सुनीता दीदी को ही वह पा सकते थे। दोनों में इशारे हो रहे थे। उन्होने जाने का कहा तो नीलम भाभी बोलीं “अभी तो हम लोग बेगमपुल घूमने चलेंगे”। पर सुनीता दीदी पर भी सैक्स हावी था बोली “नहीं हम लोग अब चलेंगे”। नीलम भाभी ने कहा “अच्छा तो शशि को रहने दीजिये हम लोग छोड़ देगें”। उनके जाने के बाद नीलम भाभी ने मुझसे कहा “तुम ऊपर बाले कमरे में फ्रैश होलो”। 



मुझे जरी की साड़ी और जेवर भारी लग रहे थे। मैने कमरे में आते ही उतार दिये। पेटीकोट और ब्लाउज में खिड़की के सामने हवा लेने के लिये खड़ी हो गयी। खिडकी के सामने लगे हुये मकान का किचिन दिखता था। एक थोड़ी भारी सी औरत नीचे बैठी स्टोव पर खाना बना रही थी। सामने से एक आदमी आया और सीधा औरत को लपक लिया। वह औरत हाथ के इशारे से स्टोव पर रखी हुयी पतीली की तरफ इशारा कर के कुछ कह रही थी। 




पर आदमी उसके भारी भारी जोवनों को चूमने लगा था साथ ही हाथ उसकी टॉगों के बीच में फेर रहा था। उस औरत ने कुछ कह कर आगे बढ कर स्टोव बंद कर दिया। आदमी ने वही स्टोव के सामने फर्स पर उसको चित कर के उसकी साड़ी पेटीकोट उलट दिया। औरत ने हाथ डालके अपनी कच्छी टॉगों से सरका ली। आदमी ने पैण्ट उतार कर अपना लण्ड बाहर निकाल लिया। अच्छा तगड़ा लण्ड था। औरत ने टॉगें चौड़ा ली थीं वह टॉगों के बीच में बैठ गया। औरत ने हाथ से उसका लण्ड पकड़ कर अपनी चूत में घुसा लिया। आदमी उसके ऊपर अपने चूतड़ उछालने लगा। मैं देखने में तल्लीन हो गयी थी। मेरा हाथ मेरे पेटी कोट के ऊपर से मेरी बुर को सहला रहा था। तभी किसी ने मुझे पीछे से जकड़ लिया.। मुड़ कर देखा तो अनिल थे। उन्होने पीछे से हाथ ला कर मेरी दोनों पहाड़ियों को दबोच लिया था और पीछे से चिपक गये थे। उनका हथियार में अपने दोनों चूतड़ों के बीच में महसूस कर रही थी। उन्होने सामने देखा तो उनकी सॉस खिंची रह गयी “ओ माई गॉड ये क्या हो रहा है और तुम कितने मगन हो कर देख रही हो”। सामने चुदायी जोरों से होने लगी थी। अनिल ने वही खिड़की पर मुझे दबा लिया था और सामने जो हो रहा था उसको देखते हुये कपड़ों के ऊपर से ही चोटै मारे जा रहे थे। सामने के औरत आदमी खलास हो गये थे। अनिल मुझे सीधा किया और चूमते हुये बैड की तरफ खीचा। मैने कहा “अनिल नीलम भाभी बेगमपुल जाने के लिये इंतजार कर रहे होगे”। अनिल हॅस पड़ा “उन्होने हम लोगों के मिलन के लिये ही यह बहाना बना कर तुम्हारी दीदी और जीजाजी को भेज दिया है”। 




अब तक अनिल मुझे बैड पर ला कर लिटा चुका था। मैने कहा “नीलम भाभी कितनी अच्छी हैं जो हम लोगों के लिये ये किया”। अनिल ने सॉस खीची “इस के लिये मुझे कीमत चुकानी पड़ेगी। बड़ी खुशामद की तो एक शर्त पर मानी कि इसके बाद मुझे उनको भी यही सुख देना पड़ेगा”। मुझ्ो ताज्जुब हुआ “क्यााा पर उनके तो अपने पति हैंं। अनिल बोला “वह उससे ज्यादा चाहती हैं जो उनके पति उनको देते हैं”। अब तक अनिल मेरे ब्लाउज के बटन खोल चुका था। जैसे ही उसने ब्रजियर पर हाथ डाला मैने हाथ पकड़ लिया। अभी तक मैने ब्रा मैने किसी आदमी के सामने नहीं खोली थी। उसने बैसा ही छोड़ दिया। वह मेरे ऊपर लेट गया। अपना मुॅह मेरे उभारों पर रख दिया और अपनी टॉगों में मेरी टॉगें बॉध ली। उसने धीरे धीरे ब्रा के ऊपर से ही निपिल्स होठों में भरी और लण्ड पेटीकोट के ऊपर से ही रगड़ने लगा। मैं पहले से ही गरम हो चुकी थी। अब काबू पाना मुश्किल था। 




मैं अनिल को बुरी तरह से चूम कर बुदबुदाने लगी। साथ ही उसका पैण्ट अण्डरवियर पैरो से सरका कर उसका लण्ड टटोलने लगी थी। उसने कहा “कुछ एक्सपीरियेंस है तुमको? कैसे करोगी?” मैने गुस्से से लाल होते हुये कहा “मुझ से ऐसी बात करोगे तो मैं अभी उठ जाउॅगी”। उसने मुझे चूमते हुये कहा “नाराज क्यों होती हो रानी मैं तो यो ही पूछ रहा था”। फिर उसने पूछा “मैं लगाऊॅ तो तुम्हें इतराज तो नहीं है”। मुझे लगा मैं ज्यादा गुस्सा कर बैठी हूॅ। हॅस कर बोली “मैं तो तुम्हारी ही हूॅ अनिल”। उसने डेर सारी क्रीम अपने लण्ड पर मली। तकिये के नीचे से एक छोटी सी शीशी निकाल कर थोड़ा सा इत्र फाहे से मेरी बुर पर मल दिया। मैं हॅसी “ये क्या थोड़ा सा लगा रहे हो”। वह बोला “बड़ा मॅहगा है। ये शीशी पॉच सौ रूपये की है”। मैने ताना मारा “कंजूस मरी इसके ऊपर भी पाॉच सौ रूपल्ली देख रहे हो”। 



उसने सारी की सारी शीशी मेरी बुर पर उलट दी “मेरी जान इससे बढ कर कोई चीज नहीं हो सकती”। मेरी बुर महक उठी। अनिल ने मेरी दोनों टॉगें खोली। हाथों से दोनों जॉघें जकड़ ली। लण्ड आगे कर के मेरी बुर से सटाया और चूतड़ आगे कर जोर लगाया। नही घ्ुासा तो और जोर लगाया। मुझे बहुत तकलीफ महसूस हुयी और मैं पीछे खिसक गयी। उसका लण्ड पेट पर से निकल गया। अब अनिल ने मेरे कंधे जकड़ कर बैड पर जमा दिया। चूतड़ के नीचे तकिये रखे जिससे बुर का मुॅह ऊपर उठ गया। वह पैर सीधे करके दण्ड लगाने जैसी स्थिति में हो गया और लण्ड बुर में बैठा कर नीचे हो गया जैसे दण्ड पेल रहा हो। बुर में सुपाड़ा भर घुसा होगा। मुझे बेहद तकलीफ हुयी। कम्धे दबे होने के बावजूद भी मैने अपनी बुर का हिस्सा खिसका लिया। मैने अनिल से कहा “सच मानो अनिल मैं चाहती हूॅ। पर मुझे बेहद तकलीफ होती है”। अनिल ने साँॅत्वना देते हुये कहा “कोई बात नहीं रानी। एक बात तो साफ है तुम्हें एक्सपीरियेंस नहीं। तुम्हारी हरकतों से तो लग रहा था कि तुम पकड़ के ही मुझे खा जाओगी”। अनिल ने मेरे दोनों पैर अपने कंधों पर रखे। सुपाड़ा खोल कर क्रीम मली। दोनों हथेलियों में मेरी चोटियॉ दबोचीं। सुपडा ब्ुर के छेद पर फिट किया और चुतड़ दबा के घुसेड़ा। मुझ्ो ऐसा लगा जैसे चाकू मुझे चीर रहा हो। पर कहीं भी मैं नहीं हिल सकती थी। मैने चीखते हुये कहा ‘औ अनिल मुझे छोड़ दो। मैं मर जाउॅगी”। लेकिन वह रूका नहीं। 




उसल लण्ड मेरी बुर को फाडता गया और पूरा समा गया। मेरी ऑखौं में ऑसू भर आये थे। उसने मुझे खूब चूमा “सब ठीक हो जायेगा अब तकलीफ नहीं होगी”। पर जैसे ही उसका लण्ड थोडा. सा सरका मुझे ऐसा लगा कि जैसे चीरे पर किसी ने रगड़ दिया हा। मैं चिल्ला उठी।
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#33
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#34
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#35
अनिल बैसा ही मेरे ऊपर लेट गया। बैसे ही बाहों में बात्धे रखा। मैने झपकी लेली। फिर बड़े आहिस्ता से थोड़ा थोड़ा करके उसने आगे पीछे किया। मुझे तकलीफ तो हो रही थी पर उतनी नहीं। कुछ ही बार आगे पीछे कर के वह छड़ गया। छड़ने के पहले उसने अपना लण्ड बाहर खींच लिया। ठेर साराा गरम गरम सफेद पदार्थ मेरे पेट पर इकठ्ठा हो गया। रागिनी भाभी ने मुझे अकेले में बताया था कि बुर के अन्दर का पहला वीर्य प्रसाद की तरह होता है। मैने उसको थोड़ा सा ले कर चख लिया। अनिल मेरे उभारों पर सिर रख कर ल्ोट गया। उसने मुझे बताया कि इस बार वह मुझे चोदने का प्लान बना के आया था। नीलम भाभी को सामिल कर लिया था। भजियों में भॉग मिला दी गयी थी जो नीलम भाभी उसे लाड़ से खिला रहीं थी जिससे कि वह चुदबाने के लिये तैयार हो जाये”। मैने कहा “पकोड़े में भॉग होती या नहीं मै तो पहले से ही मन बनाके आयी थी कि चूत ब्ी बेचैनी मिटा के ही जाउॅगी”। बातों में आनन्द आ रहा था। 


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अनिल अब हाथ से मेरी दूसरी चूची दबाने लगा था और चूत पर भी फेरने लगा था। मैं भी उसल लण्ड सहलाने लगी थी जो खड़ा हो गया था। उसने उठ कर के मेरी चूत पर इस तरह से चूमा कि मेरी चूत में कॅपकॅपी भर गयी। मेरा वदन तन गया था। मैं फिर से उत्तेजित हो गयी थी पर डर रही थी। अनिल ने तसल्ली दी। उसने मुझे नीचे खड़ा कर के उकडूॅ कर दिया। मेरे जोवन बिस्तर पर दब गये। उसने मेरी टॉगें जितनी खुल सकती थीं खोल दी। नीचे हाथ डाल कर मेरे दोनों गोले थाम लिये और पीछे से लण्ड धीरे धीरे पेलने लगा। थोड़ी देर में मुझे ही बहुत आनन्द आने लगा था। मैं अपने चूतड़ आगे पीछे करके खुद चुदबा रही थी। कण्ट्रोल मेरे हाथ मे था। मैने देखा मैं बहुत तेजी से अपने को उसके लण्ड के ऊपर पेल रही थी।

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 चूत पूरी बाहर खीच ल्ोती फिर पीछे धकेल कर पूरा लण्ड समा ल्ोती। मुझे बेहद मजा आ रहा था। मुजे ऐसा ल्गा कि मेरे अन्दर कुछ होने बाला है। मैने कहा “हाय अनिल मुझे लगा दो”। उसने मेरी कमर पकडी और इतनी जोरों से पिल पड़ा कि मैं आगे पीछे नहीं हो पा रही थी। बिस्तर पर चिपक कर रह गयी थी। मैं बहुत आनन्द में भर कर “हॉ हॉ हॉ हॉ हॉ हॉ हॉ हॉ हॉ” कहे जा रही थी। मैरी चूत ने कॉप कर पानी छोड़ दिया। अनिल झटके लगाये जा रहा था। आखिर उसने लण्ड बाहर खींच कर अपना भी उगलना चालू कर दिया। दूसरी बार की चुदायी में मेरा मन आनन्द से भर गया था। मैने उससे कहा “मैने सब कुछ पा लिया मैं सब तरह से तुम्हारी हो गयी हूॅ”। अनिल ने कहा “हॉ तुम्हें पाने के लिये कितने पापड़ बेलने पड़े हैं। अब नीलम भाभी का कर्ज चुकाने का समय आ गया है। तुम कहो तो उनको भी बुला लें”। मैने पूछा “मेरे सामने किसी और ओरत को चोदोगे”। अनिल बोला”नहीं तुम्हारे साथ ही किसी और औरत को चोदूॅगा। आखिर तुम्हें पाने की कीमत जो है ”। मैं जब घर पहुॅची तो रात के दो बजे थे। 

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बड़े तड़के ही रागिनी भाभी मेरे कमरे में आ गयीं। वह खेली खायीं हुयी थी। देखते ही सब समझ गयीं। बड़ी मक्कारी से हॅसते हुये बोली “बिन्नू भरतपुर लुट गया है”। मैने कहा “हॉ भाभी”। उन्होने पूछा “कितनी बार”। मैने कहा “तीन बार”। मेरी चूत पर हाथ मलते हुये बोली “फिर तो आज तो चलने के काबिल भी नहीं होगी। कहो तो सिकायी कर दूॅ”। कहानी सुनाते सुनाते मैं पूृरे जोश मै आ गयी थी। सुकान्त के ऊपर इतनी तेजी से और इतने ऊपर उठ उठ कर के अपनी चूत उसके लण्ड पर पम्प कर रही थी कि वह “ओ शशि ओ शशि माई गॉड ओ मेरी शशि ओ ओ ओ ओ शशि मेरी शशि ओ माईईईईईइ गॉाााााड” कर रहा था। वह उत्तेजना में भाभी भी नहीं कह रहा था। अचानक वह बोला “ओ मेरी शशि रानी मैं झड़ने बाला हूॅ”। मैने कहा “सुकान्त मुझे झड़ाये बगैर नहीं झड़ना”। सुकान्त एकदम पलटा। मुझे अपने नीचे ले लिया। मेरे ऊपर जारों से पिल पड़ा। मैं उठ नहीं पा रही थी फिर भी चूत के मसल्स हिला हिला कर ले रही थी। धुॅआधार चुदायी हो रही थी। दोनों जोरों जोरों से आवाजें निकाल रहे थै। आखिर झड़ने के पहले उसने मुझे झड़ा दिया। दोनों बैसे ही पड़े रहे। मैं तृप्ति से उसके बालों मैं हाथ फेरने लगी। सुकान्त उठा । मैं बैड पर बैठ कर अपने बाल का जूड़ा बना रही थी जो एकदम बिखर गये थे। सुकान्त ने मेरे गले में हीरे का हार डाल दिया। हार पचास हजार से कम का तो नहीं होगा। वह मेरे नंगे वदन पर चमक रहा था। दोनों उभारों को छू रहा था। मैने कहा”सुकान्त ये तो बेहद कीमती है”। उसने कहा “उसने ज्यादा कीमती तो नहीं जो तुमने मुझे दी है”। मैने कहा “तो कीमत चुका रहे हो”। उसने भाव में भर कर कहा “भाभी मैं जिन्दगी भर भी कीमत नहीं चुका सकता”। कंचन भाभी की ट्रेनिंग कमल कस्वेनुमा शहर के मध्यवर्गीय परिवार से था। पर उसने IIT से शिक्षा समाप्त की तो सब कुछ बदल गया। उसको बड़े शहर में ऊॅची नौकरी मिल गयी.। एक सम्पन्न परिवार में रिस्ता हो गया। उसकी बीवी कंचन काया से भी कंचन थी। गदराया हुआ यौवन. खरबूजे से उभार पतली कमर और कसे फैले नितम्ब और पुष्ट जंघायें। घुॅघराले लम्बे बाल काली ऑखें लम्बा सुर्ख चेहरा सुराहीदार गर्दन। सब मिला के एक खूबसूरत पूरी औरत। दो साल की चुदायी में और तीस वर्ष की उमर में जिस जगह मॉस आ जाना चाहिये था भर गया था। 


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कमल की शादी देर में हुयी थी। वह उससे पॉच साल बढा था। घर में मॉ बाप के अलावा एक बहिन थी कंचन की उम्र की ही और एक भाई था विमल 25 वर्ष के आसपास। सब लोग कमल के साथ शहर आ गये थे। पर उसके मॉ भाप को फ्लेट नुमा मकान में रहना पसंद नहीं आया था और वह बापिस अपने कस्बे के बड़े मकान में चले गये थे। बहिन की शादी हो गयी थी। बस भाई विमल साथ रहता था। उसने ग्रेजुयेशन कर लिया था और पढाने के साथ साथ सिविल सर्विस की तैयारी कर रहा था। विमल और कंचन में खूब पटती थी। कमल में मैनेजर दायित्व की बजह से सीरियस आ गयी थी। पर विमल और कंचन में मस्ती भरी अल्हड़ता थी। दोनों की आदतेत्त् और शौक मिलते थे। शुरू में विमल में भाभी के लिये सैक्स की भावना नहीं थी। मजाक करते थे पर ऊपर ऊपर से। लेकिन कुछ अरसे से विमल की भावना कंचन की ओर बदल गयी थी। शुरूआत हुयी थी उसके दोस्तों से। उसके तीन अच्छे दोस्त थे। एक का तो अपनी भाभी से रिस्ता था। बाकी दो ने अपनी भाभियों के नंगे और चूत के फोटो निकाल लिये थे जिसको देख कर वह मूठ मारते थे। वह विमल को भी उकसाते थे। फिर एक दिन कंचन भाभी की एक सहेली आयी जो एकदम खुली हुयी थी। विमल की तरफ मक्कारी से देखती हुयी बोली “क्यों देवर जी अपनी भाभी का मजा लिया है या ऐसे मस्त माल को सूखा ही छोड़ रखा है?” कंचन उसको धकियाते हुये बोली “चल हट सबको अपना जैसा समझ रखा है” फिर वह और कंचन भाभी फुसफुसा कर बातें करते रहे और उसको देख कर हॅसते रहे। जाते जाते तिरछी नजर से बोली “हाय तेरी भाभी तेरी कदर ही नहीं जानती” और रही सही कसर उस समय पूरी हो गयी जब कंचन भाभी उसको कुछ समझा रहीं थीं। विमल की मैथ कमजोर थी जिसमें कंचन भाभी उसकी सहायता करती थीत्त् कमल भइया च्ल्लिये जा रहे थे “कंचन आओ ना” कंचन ये कहती हुयी उठ गयी ‘आज तेरे भइया ज्यादा उताबले हो रहे हैं” विमल समझ गया कि काहे के लिये उताबले हो रहे हैं। उसका लण्ड खड़ा हो गया। उसका कमरा दूर पड़ता था। पर बगल में गेस्टरूम था। वह उसमें घुस गया। “क्योंजी आज इतने उताबले क्यों हो रहे हो?” “मेरी जान कितने दिनों से तुमने दी ही नहीं” “चलिये मैने कब मना किया है आप को ही अपनी मीटिगों से फुरसत न्हीं मिलती। आते हैं और सो जाते हैं। हफ्ते से ऊपर हो जाता है” “तो तुम्ही याद दिला दिया करो”ऋ “क्या कहूॅ ?” “मुझे अपनी चूत का उदघाटन कराना है” “हाय राम कैसे बोलते हो शरम नहीं आती “इसमें शरम काहे की। अपनी बीवी को ही तो चोद रहा हूॅ। फिर दो साल से ले रही हो या नहीं” “तुम बहुत खराब हो। आह आआ। आाााााााााराम। उई माअअअअअअअआााा” लगता था कि उन्होनें डाल दिया था। “आााााआााााााााआाााााााााााााााााााााााञ्हूहूहू हू “ ‘धीरे करो राज अभी तो सारी रात बाकी है” ‘कंचन याद है जब रोज रात रात भर चोदते थे?” ‘खूब याद है पहली ही रात मूसल ठोक दिया था। मुझ से चलते भी नहीं बनता था। भाभियों ने कितना मजाक बनाया था”। भइया के हॅसने की आवाज आयी। “अब हॅस क्यों रहे हो?” “कुछ नहीं तुम्हारी वो भाभी जो चुदने के लिये तैयार हो गयीं थीं” “आह आह। मर गयी। ऊओह आाा। भाभी के नाम से कैसा जोश आ गया। आह आाााााााााााा” “कंचन अपनी टॉगें और खोलो। तुम्हारी चूत कितनी अच्छी है” “लो हॉ थोड़ा और जोर से। मैं जानती हूॅ आज इसका भुरता बन के रहेगा” “किसका?” “ओह हो तो मेरे मुॅह से गन्दी बात सुनना चाहते हैं न” ‘बोलो ना म्ोरी जान तुम्हारे मुॅह से सुनकर मेरे लण्ड में और जोश भर जाता है” “अच्छा बाबा बोलती हूॅ। मेरी चूत को कूट दो” “आााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााइतनी जोर से नर्र्ईईईईईईईईईईईईङईईईई।ओ मााॉ बहुत अच्च्छा लग रहा है। क्यों इतना इंतजार कराते हो” भाभी की जोर जोर से कराहने की आवाज के साथ फच्च फच्च की आवाज आ रही थी।पहली बार था जब उसने कंचन भाभी का नाम लेते हुये बही खड़े खड़े मूठ मारी। उस रात सारी रात वह भाभी के बारे में सोचता रहा। सारी रात सो ना सका। पहली बार भाभी के नाम पर लण्ड खड़ा हुआ था। बस तब से यह सोच कर कि भाभी कैसी कैसी मुद्रा में चुदती होंगी। नंगी भाभी लण्ड डलबाते समय कैसी लगती होंगीं। यह सोच कर रोज रात में झड जाता। इस बारे में भाभी से अनजाने में उसे मदद मिल रही थी। जब से वह विमल उन्हें वासना की दृष्टि से देखने लगा था उसकी निगाह उनकी चूचियों और टॉगों के बीच में रहती थी। ये नहीं था कि कंचन को विमल की बदली नजर का पता न्हीं चला था या उसके टॉगों के बीच घूरने से अनजान थी। उसको अच्छा ही लगा था। सिहरन सी महसूस हुयी थी। वह विमल के मूठ मारने से भी परिचित हो गयी थी. आखिर वही बिस्तर सॅभालती थी। म्ुासी हुयी चादर और झड़े हुये वीर्य के निशान सब कुछ कह देते थे। और एक दिन जब उसने तकिया हटाया तो अपनी दबी हुयी कच्छी पायी.। उठाया तो सूखा हुआ वीर्य का धब्बा। उसकी टॉगों के बीच में हलचल हो गयी। वह हॅस दी। उसे कच्छी के बारे में विमल से पूछने में झिझक लगी। अब आये दिन उसे तार पर सूखती अपनी एक कच्छी नहीं दिखती और दूसरे दिन सूखती मिल जाती। उस को पहिनने में उसे मजा आता। अब विमल अपना बिस्तर खुद लगाता था। एक दिन चादर बदलते समय गद्दे के नीचे से औरत की फोटो मिली जिसकी चूत खुली हुयी थी। कंचन ने मन बनाया कि जब वह किसी की चूत को देख कर झड़ता है तो क्यों ना उसी की चूत को देख कए झडे। उसने जब तक चुदायी .नहीं करबाती देवर को इतना मजा देने में कोई बुरायी नहीं समझी। उस रात उसको चुदबाने में दुगना मजा आया। झड़ी तो ध्यान में विमल भी था। इसी सिलसिले में उसने अपना निजी एल्बम बाहर छूट जाने के बहाने विमल को अपनी नंगी फोटो ले जाने का मौका दे दिया जिसमें वह टॉगें खोले पड़ी थी पर मुॅह पर हाथ रख छोड़ा था। कंचन की अपनी चुदायी तो रोज हो नहीं पाती थी। लेकिन रोज अपनी फोटो से छेड़छाड जिस पर विमल के वीर्य के दाग पडं गये थे सूखती कच्छी और मुसी चादर को देख कर उसे सैक्स का मजा आ जाता था। वह आनन्द में भरी रहती थी। वह तबियत से चुदबाती थी। 




बगैर गैर से चुदबाये वह दो सैक्स का मजा ले रही थी। वह और आगे बढ गयी थी। विमल ने देखा कि भाभी जब समझाने बैठतीं हैं तो अपनी टॉगों की तरफ से अनजान रहतीं हैं. वह टॉगें खोल कर घुटने मोड़ लेती हैं। उनके अन्दर तक का सब कुछ दिखायी देता है। वह छोटी कच्छी पहनती हैं जो बहुत टाइट होती है। उसमें से उनकी भूली चूत उभर आती है। कच्छी कुछ कुछ पारदर्शी होने से उनकी चूत की झॉई दिखती है। चुदायी की रात के बाद तो उनकी खुली चूत में कच्छी के सामने का कम चौड़ा हिस्सा उनके दराज में घ्ुास जाता है और उसके दोनों तरफ की फॉकें भरे हुये संतरे सी उभर आती हैं। वह मुश्किल में अपना लण्ड दबाये बैठा रहता है। इतना उसके लिये झड़ने के लिये काफी है। उसने कुछ आगे बढने की कोशिश की पर भाभी की तरफ से रिसपौन्स न मिलने से उसकी हिम्मत नहीं पड़ी। 



और एक दिन तो हद हो गयी। रात में उनकी चुदायी हुयी थी। वह अपनी कच्छी पहनन ही भूल गयीं थीं। जब टॉगें मुड़ी तो झन्नत सामने थी। उस समय तो विमल अपने पर काबू नहीं कर पाया बाथरूम का कह कर के और उठ कर के कमरे में चला गया। उसने पहले मूठ मारी फिर पढने बैठा। फिर ऐसा अक्सर होने लगा.। चारों दोस्त सैक्स में पूरी तरह रम गये थे। गंदी मूवी देखते थे। किताबें पढते थे। वह एक दूसरे की भाभियों के बारे में सोच कर और फोटों को अदल बदल कर दो दो तीन तीन बार मूठ मार लिया करते थे। और ड्रग लेना भी चालू कर दिया था। खुशी खुशी कंचन भाभी ने एक दिन उसका बिस्तर झाड़ा तो उनके होश उड़ गये। उन्हें ड्रग का पैकेट मिला। बगैर कमल को बताये उन्होंने विमल को घेरा “मैं तुम्हारी शादी कर रही हूॅ” “नहीं भाभी उसकी क्या जरूरत है? मैं तो अभी कम्पटीशन की तैयारी कर रहा हूॅ” “तुम कैसी तैयारी कर रहे हो मुझे पता है। तुम समझते हो भाभी कुछ नहीं जानती है?” विमल हड़बड़ा गया “भाभी क्या पता है?” “रोज मेरी नंगी फोटो के साथ क्या करते हो? रोज मेरी कच्छी खराब करते हो” “भाभी पर मैं शादी नहीं करना चाहता.। मुझे अपना कैरियर बनाने दीजिये?” “और जो रोज चादर गंदी करते हो। साफ करते करते मेरे हाथ घिस गये हैं” 




वह अपनी हथेलियॉ दिखाती हुयी बोलीं वह हथेलियॉ चूमता हुआ बोला “पर आप हैं फिर शादी की क्या जरूरत है” “जरूरत है। तुमको जो चाहिये मैं नहीं दे सकती” “मुझे तो आपकी ही चाहिये” “क्याााााााााााा मैं तुम्हारे भइया से कहूॅगी कि उनका छोटा भाई भाभी से क्या चाहता है”। विमल सकपका गया “मेरा मतलब है कि मुझे तो आपके जैसी लड़की ही चाहिये” कंचन हॅसती हुयी बोली “हॉ तुम अपनी भाभी के इतने दीवाने हो तो मैं अपनी जैसी ही ढूॅड़ूॅगी” वह उसकी खराब आदत से डर गयीं थी और जल्दी से जल्दी शादी कर देना चाहतीं थीं। उन्होंने अपने ही रिस्ते में एक लड़की ढूॅड़ निकाली। कचनार बिलकुल कचनार की कली की तरह थी। विमल ने उसे देखा तो मना नहीं कर सका। कचनार की कली खिली नहीं कस्बे के मकान में हो कर शादी हुयी। जिसमें औरतों ने खाासकर बड़ी उमर की औरतों ने सैक्स भरी गारियॉ गा कर अपनी मन की भड़ास निकाल ली। फिर आई सुहागरात। ऊपर का कमरा सजाया गया जिसमें कंचन भाभी का ज्यादातर हाथ था। नये र्गद्दे तकिये चादर। फूलों की सेज। विमल को उसके दोस्तों ने सिखा पढा दिया था। वह पहले से कमरे में इंतजार बेचैनी से इंतजार कर रहा था। वह गरमाया हुआ था।



 जितनी दे हो रही थी उतना ही उसका तनाव बढ रहा था। कमरे में आने की आहट आयी तो उठ कर खड़ा हो गया। कंचन भाभी थीं। वह पास आयीं और बोली “देवर जी सब्र रखो। इंतजार का फल मीठा होता है। फिर एक दूध का गिलास और नारियल रखती हुयी बोलती ही गयीं “जब काम हो जाये तो इस नरियल को फोड़ देना और दूध पी लेना ये रीत है” “मैं सुबह आउॅगी और कचनार को ले जाउॅगी जिसस्ो वो औरतों के इकट्टे होने के पहले अपने को ठीक कर ले” ‘और खून भरी चादर भी ले जाउॅगी। बाद में औरतें कमरे में घुस आयेंगी” वह बाहर जाने लगीं फि लौट कर उसकी ऑखों में देखती हुयी बोली “उसकी ऐसी हालत मत कर देना कि उठने लायक भी ना रह पाये जैसी तुम्हारे भइया ने कर दी थी” और हॅसती हुयी बाहर निकल गयीं। उसके बाद काफी समय गुजर गया। 



उसको एक एक पल भारी पड़ रहा था लेकिन औरतें नई बहू को छोड़ती ही नहीं थीं। गयी रात में नाते रिस्ते की भाभियॉ कचनार को कमरे में ढकेल गयीं और खिलखिलाती हुयीं दरवाजा बन्द कर दिया।कुछ बहींबंद कमरे के बाहर खड़ी हो कर बातें सुनने लगीं। कचनार धीरे चल कर पलंग के पास आ कर खड़ी हो गयी। विमल ने उसको बाहों में बॉध लिया और चूमने लग गया। 



वह सकुची हुयी खड़ी रहीं। फिर उसने उसे गिरा लिया और ऊपर चढ़ कर होठों को चूसता रहा। वह मना न्हीं कर रही थी पर अपनी तरफ से कुछ नहीं कर रही थी। विमल गरमाया हुआ था। ऊपर से ही उसका लण्ड कचनार की टॉगों
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#36
[Image: 20210206-105547.jpg]
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#37
Excellent bro
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#38
ऊपर से ही उसका लण्ड कचनार की टॉगों को नहीं रोक सकी। वह जल्दी ही अपनी चूत भरी महसूस करना चाहती थी। उसने उसका ल्ण्ड पकड़ कर खर अपनी चूत पर बैठाया तो बायाग्ररा और उसकी उत्तेजना का असर यह हुआ कि उसका लण्ड हिलने लगा और उसने सफेदी छोड़ दी। कचनार की दायीं हथेली चिपचिपे गाढे तरल पदार्थ से सन गयी। वह चुपचाप पड़ गयी। रात भर बैसी ही नंगी पड़ी रही। 



विलम ने दो बार कोशिश और की। एक बार उसका सुपाड़ा थोड़ा घुसा पर इसके आगे कुछ ना हो स्का।कचनार बड़े सबेरे अपने आप उठ कर नीचे आ गयी। सुबह जब कंचन कमरे में गयी तो विमल सिर पकड़े हुये बैठा था। कंचन ने पलंग के किनारे जा कर अपना हाथ उसके बाजू पर रखा तो व्मिल ने सिर उठा कर देखा। उसकी ऑखों में ऑसू थे। कंचन के हाथ थामने में अपनापन था। व्मिल ने अपना सिर कंचन से चिपका दिया। उसका सिर कंचन की जाघों पर चिपका था ठीक चूत के ऊपर। कंचन ने उसके बालों में हाथ फेरते हुये कहा “कोई बात नहीं। तुम्हारी भाभी तुम्हारे साथ है । तुम घबड़ा कर डाक्टर बाक्टर के चक्कर में मत पड़ जाना। और देखो हथलस मत करना” फिर नीचे आकर अकेले में वह कचनार से मिली। “मुझे पता है क्या हुआ है” कचनार उससे चिपक कर रोने लग गयी “जीजी”। उसका शरीर गरम हो रहा था। “देख सब ठीक हो जायेगा।तू अपने तन और मन को काबू में रखना। किसी और के साथ मत बहक जाना.। जानती हूॅ तेरी भाभियॉ उकसा कर किसी को लगा देंगी” फिर उसने अपने पति कमल से कहा “आप शहर जाइये। मुझे यहॉ काम निपटाना है। मैं बाद में आउॅगी”। सॉप का बिल और सॉप सास ससुर नीचे सोते थे। 




कमल और विमल के कमरे ऊपर थे। ज्यादातर म्ोहमान जा चुके थे। रात में जब सब लोग सो गये तो कंचन व्मिल के कमरे में आयी। हाथ में गरम तेल की कटोरी थी जिसमें कुछ जड़ी बूटियॉ डाल रखी थी। “देवर जी तुम्हारी मालिस करूॅगी। चलो कपड़े उतारो” विमल ने ऊपर बाले कपड़े उतार दिये। उसने उसके पजामा के नाड़े पर हाथ डाला “इसको पहन कर कैसे मालिस होगी” “भाभी तुम भी तो कपड़े पहने हो” “चलो मैं साड़ी उतारे देती हूॅ” उसने अपनी साड़ी खींच कर पलंग के नीचे डाल दी। ब्लाउज और पेटीकोट में वह गजब की सैक्सी लग रही थी। विमल की निगाहें उस पर अटक गयीं। “इसीलिये मैं साड़ी नहीं उताात रही थी। चलो दूसरी तरफ मुॅह रखो” उसने गरम तेल में उॅगलियॉ डुबो कर उसके पैर के पंजे पर हाथ फेरा। 




विमल् को बहुत अच्छा लगा। वह उसकी पिंडलियों पर तेल भरे हाथ फेरती रही। उसके हाथ विमल की रानों तक बढ गये। विमल के लण्ड में सख्ती आ गयी। उसने अपना हाथ लण्द के ऊपर रख लिया। “कोई बात नहीं तुमने तो मेरी नंगी फोटो पर सब कुछ कर लिया है” रानों पर हाथ फेरते फेरते उसका हाथ अण्डरवियर में घुसने लगा और उसके अण्डकोशों को और लण्ड को छूने लगा। उसका लण्ड एकदम कड़क हो गया। 





उसने हथेलियों में ढेर सारा तेल मल कर उसका लण्ड अपनी मुट्टी में जकड़ लिया। अच्छा खासा मोटा तगड़ा लम्बा लण्ड था। कमल से ज्यादा ही बड़ा होगा. उस पर हाथ चलाने लगी. । विमल आनन्द में भर गया। पर दूसरे ही छण लौंकने लगा और सफेदी उगलना चालू कर दी। विमल रूआसा होगया “भाभी मेरे संग यही हो रहा है। मैं किसी काबिल नहीं रह गया हूॅ” “तुमने हाथ का ज्यादा इस्तेमाल कर लिया है। हाथ से और औरत के साथ करने में फरक होता है” “तो भाभी अब क्या होगा?” “कोई बात नहीं है। तुम पूरी तरह ठीक हो। 




तुम ज्यादा उॅत्तेजित हो जाते हो। तुम्हारे भइया का भी कई बार ऐसा हो जाता है जब वे ज्यादा उतााबले हो जाते हैं। उसने बड़े प्यार से तौलिया से उसको साफ कर दिया। फिर हाथों की सीने की मालिस करती रही।दुबारा कड़ा करने की कोशिश नहीं की. दिन का समय मेहमानों के संग निकल गया। रात में कंचन भाभी फिर आयीं। बोलीं ‘तुम चुपचाप ऑख बन्द करके पड़े रहो तो मैं मालिस करूॅगी। तुम्हारे देखने से मैं ठीक से मालिस नहीं कर पाती हूॅ। मालिस करते समय मेरा पेटीकोट अपनी जगह नहीं रहता है। 




मुझे तुम्हारी नीयत पर भरोसा नहीत्त् विमल ऑख को मूॅद कर मालिस कराने में बड़ा आ रहा था। रानों पर मालिस के समय उसे लगा कि उसके अण्डरवियर का नाड़ा खोला जा रहा है। उसने ऑखें खोल कर देखा तो कंचन भाभी ने डपट दिया “ऑखें बन्द रखो” उसको अपने लण्ड पर तेल भरी मुट्टी चलने की सुखद अनुभूति हुयी और उसकी ऑख सी लग गयी। अचानक उसको लगा कि उसके लण्ड पर मॉसपेशियों का दबाव है। उसने ऑखें खोली तो देखा कि उसका लण्ड कंचन भाभी की चूत में पूरा का पूरा घुसा है। पता न्हीं कब कंचन भाभी अपना पेटी कोट उठा कर उसके लण्ड पर बैठ गयीं थीं। 




उसको अपनी ओर देख वह मुस्करा दीं। विमल से रहा नहीं गया। उसने उत्तेजित हो कर अपने चूतड उठा कर नीचे से ऊपर चोटें मारना शुरू कर दीम्। चार पॉच स्टो्रक लगाये होंगे कि उसकी पिचकारी छूट गयी। उसने कंचन भाभी की की गहरायी को अपने वीर्य से भर दिया। “भाभी सारी ए तो आपके अन्दर ही डिसचार्ज हो गया” “चलो कोई बात नहीं अगर बच्चा रह गया तो मैं तुम्हारे भइया को छोड़ कर तुमसे व्याह कर लूॅगी” फिर उसके मुॅह पर हवाइयॉ उड़ती देख कर हॅस पड़ी “मैं पिल्स पर हूॅ तुम्हारे भइया को अभी एक साल और बच्चा नहीं चहिये” विमल ने रोकना चाहा पर कंचन भाभी बोली “कल तक के लिये सब्र रखो। मन मै गलत खयाल ना लाना”। 




अगली रात में मालिस शुरू करते हुये बोली “तुम औखें मूॅद कर रिलैक्स हो जाओ और आज मैं स्पेसल मालिस करूॅगी । ध्यान में कुछ और ही सोचो पर आज कुछ करने के बारें में खयाल ना लाना। विमल के ऑखें बन्द करते ही उन्होंने उसका अण्डरवियर और बनियान उतार दिया। उसने ऑखों की झिरी से देखा कि उन्होंने साड़ी के साथ अपना पेटी कोट भी उतार दिया है। ‘चीटिंग नहीं. ऑखें बन्द रखो”। पैरों के पंजों से मालिस श्ुारू हुयी और अब गरम तेल से भरा उनका हाथ उसके लण्ड के ऊपर चलने लगा था। बोलती जा रहीं थीं “रिलैक्स अपनी पढायी के बारे में सोचो” विमल ने महसूस किया कि उसका लण्ड एक मुलायम सुरंग में घुस रहा है। वह अपनी कच्छी उतार कर उसके लण्ड के ऊपर बैठ गयीं थीं। 



उसके लम्बे तगड़े लण्ड से उतनी चूत भर गयी थी। उनको बड़ा सुकून मिल रहा था। लेकिन वह अपने को भी कंट्रोल में रखे थीं। विमल ने ऑखें खोली। “रिलैक्स। मन में पक्का करो झड़ना नहीं है। तुम को कुछ भी नहीं करना है बस ऐसे ही लेटे रहो. । बस तुमको झड़ना नहीं है। वह उसका लण्ड अन्दर डाले बैठी रहीं और यहॉ बहॉ की बातें करती रहीं। कम्पटीशन की तैयारी कैसी चल रही है। कितना समय लगेगा। आगे क्या बन जायेगा। 



साहब बन जायेगा तो अपनी भाभी को भूल तो नहीं जायेगा। अब वह धीरे धीरे उसको लण्ड के ऊपर उठने बैठने लगी थी साथ ही बातें भी किये जा रहीञ् थी. बीच बीच में “देखो झ्ड़ना नहीं है। इस ओर ध्यान मत दो” अब उनकी स्पीड अच्छी खासी तेज हो गयी थी “देखो जब तक मैं ना कहूॅ झड़ना नहीं है” विमल को रोक रहीं थी “झड़ना नहीं है” पर उनकी अपनी बुदबुदाहट चालू हो गयी। अब विमल ने भी अपने चूतड़ उठा कर उनको जबाव देना शुरू कर दिया था। कंचन भाभी आनन्द में भर कर अपनी चूत को उसके लण्ड के ऊपर घपाघप ठोक रहीं थी.। विमल भी मैचिंग स्ट्रोक नीचे से लगा रहा था। 




झ ड़ ना न हीं झ ड़ ना न हीं झ ड़ ना न हीं “ उनकी उखद.ी सॉसों में बदल गया था। विमल भी ‘भा भी लो लो लो भा भी लो लो लो भा भी लो लो लो “ नीचे से भरपूर चोटें दे रहा था। उन्होंने ब्लाउज भी नहीं उतारा था। एक चोट ऐसी पड़ी कि लण्ड झेल ना सका और उसने पानी छोड़ दिया। कंचन भाभी उसके लंड पर पिल पड़ीं जैसे चक्की चला रहीं हों और उन्होनें भी मंजिल पाली। 



वह विमल के ऊपर ढेर हो गयीं। “तुम तो अच्छी खासी करते हो” विमल को सुन कर अच्छा लगा। उसने खुशामद की ‘भाभी आज की रात मत जाओ” बोलीं “अच्छा अब दुबारा करने की बात मन में नहीं लाना. और नंगे नहीं सोयेंगे उससे मन भटका रहता है और पूरी तरह सॅभल नहीं पाता है। विमल अण्डरवियर और बनियान और कंचन भाभी ब्लाउज और पेटी कोट पहिने एक दीसरे से चिपक कर सो गये। रात में कंचन की ऑख खुली तो उसे टॉगों के बीच में कुछ चुभता महसूस हुआ । सॅबछ गयी कि व्मिल का लण्ड दस्तक दे रहा है. 



उसने अपनी चूत च्पिकायी तो तो वह और बढ गया ाौर फूल गया. उसने हाथ लगाया तो लोहे का सख्त डंडा सामने से अड़ा था। वह जान गयी कि यह घुसने की स्थिति में है। बस डर था कि ज्यादा उत्तेजित हो कर यह उगलना चालू ना कर दे। वह विमल का अण्डरवियर उतारा तो उसने ऑखें खोल दी। वह जगा हुआ था और चाहता भी यही था। जब तक कंचन सॅभले वह उसकी टॉगों के बीच में आ गया। कंचन चॉन्स नहीं लेना चाहती थी। उसने झट से अपना पेटीकोट उलट लिया। उसका लण्ड अपने हाथ में नहीं पकड़ा। अपनी उॅगलियों से चूत की फॉके खोलती हुयी उससे बोली “आहिस्ता से इसको इसमें उतार दो। पूरा घुसा के मेरे ऊपर लेट जाओ। कुछ मत करना। 



कंचन की चूत भर गयी तो पूरा शरीर मस्त हो उठा । बोली “निश्चय कर लो किजब तक मैं ना कहूॅ झड़ना नहीं है” कंचन ज्यादा ही एतिहात बरत रही थी। उनको ज्यादा देर ठहरने की जरूरत नहीं पड़ी। लण्ड ने आगे पीछे होना चालू कर दिया। “आााााआााााााााआाााााााााााााााााााााााउहूहूहूउउउऊऊउ आााााहिस्तााााााााााााा से मेरे राजाााा झड़नान् ाईई है“ कंचन ने उसकी बनियान उतार दी तो विमल मे उसके ब्लाउज और अ‍ॅगिया को उतार फेंका। उसका पेटी कोट सिर की तरफ से उतार डाला। उसने उसके दोनों जोवन मुट्टी में दबोचे और सही माने में चुदायी चालू कर दी। “आााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााााओ मेरीईईईईईइ मॉाॉ।ओ मााॉ बहुत अच्च्छा लग रहा है।लगाते जाओ। झड़ना नई है” “लो ये लो ये लो और लो“ वह और कस के पेलने लगा “ओ मॉाााा । आराम से मेरे राजा धीरे धीरे पेले जाओ। ये भागे थोड़.े जा रही है। जल्दी करोगे तो झड़ जाओगे” “ नई अब नईं झड़ूॅगा। जब तक नहीं कहोगी नहीं झड़ूगा” ‘हॉ हॉ हॉ हॉ लगाये जाओ। साथ ही बातें भी करते जाओ। तुम और तुम्हारे भइया दोनों एक से हैं मूसलचन्द।मैं तो पूरी तरह भर गयी हूॅ” विमल हॅसने लगा । कंचन ने पूछा “हॅस क्यों रहे होऋ “भाभी एक बात बताऊॅऋ “बोलो मेरे देवरराजा” “तुम्हारे मूसल कहने से याद आया। हम लोगों ने नाम रख छोड़े हैं” “काहे के नाम रख छोड़े हैं?” “चारों भाभियों के फोटो के” “क्या भाभियों के अपने नाम नहीं हंै ?” विमल उनके सीने में सिर चिपकाता हुआ बोला “नहीं भाभी फोटो में उनकी चूतों के” “हाय दइया तुम लोग बहुत बदमास हो”। ‘पंकज की भाभी की ओखली. अजय की भाभी की कुऑ. सुरेश की भाभी भट्टी और और तुम्हारी सॉप का बिल। “सॉप का बिल क्योंऋ “देखने में बिल्कुल बिल जैसी लगती है। गोल सकरा मुॅह। 



पंकज की भाभी आपसे छोटी हैं पर ओखली जैसी फैल गयी है।अजय की भाभी का आगे पीछे दोनों तरफ का हिस्सा मोटा गया है। कुयें की तरह गहरी हो गयी है। और सुरेश की भाभी हरदम गरम रहतीं हैं लोहा लेने के लिये। “वे सब अपनी भाभियों से लगे है?” ‘सिबा सुरेश के और कोई नहीं। बस भाभियों के फोटो और अपना हाथ जगन्नाथ। जब मिलते हैं तो बतलाते हैं किसने कुयें में डुबकी लगायी। 



किसने ओखली में मूसल चलाये। किसने बिल में सॉप समाया। सुरेश भट्टी में लोहा तपाने के अलाबा दूसरा मजा भी करता है। एक रात में दो दो बार भी करते है” “
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#39
Bro thank you for yr wonderful story
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#40
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