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गाँव की डॉक्टर साहिबा ( पुरी कहनी )
#81
Bhai teri story padhne ka maja to bahut aa raha par ab hot sexy update do
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#82
update aise he fast dete raho
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#83
thanos bhai khatarnaak update... main to soch soch kar ke aage kya adventure aane wala hai.. pagal ho rha hu.... pls jaldi jaldi update do.
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#84
अब रिक्शा आगे बढ़ रहा था. सत्तू को काव्या से बात करने की काफी इच्छा हो रही थी पर वो सुलेमान के डर से कुछ बोल नहीं पा रहा था. दरसल सत्तू को भी काव्या को चोदना था पर अब वो समय जा चुका था. सत्तू को कहीं ना कहीं सुलेमान से जलन और ईर्ष्या हो रही थी. अब रिक्शा एक पुरानी सी झोपड़ी के पास आकर रुकता है. झोपड़ी के आसपास भी टूटी फूटी झोपड़ियां ही थी. काव्या को वो जगह देख कर पता चल गया था कि यह कोई गरीबों की बस्ती है. फिर काव्या रिक्शा से उतरती है और खड़ी हो जाती है.....

सत्तू - क्या हुआ मैडम आप अन्दर क्यों नहीं जा रही है.

काव्या - तुम भी चलो साथ मे..... मैं जल्दी से सलमा को देख लेती हूं और इलाज कर देती हूं फिर तुम मुझको जल्दी से वापस हवेली छोड़ देना. कहीं दादी जी मेरे कमरे में ना आ जाये.

सत्तू - हाँ मैडम जी आप सही कह रही है पर अभी मुझको मेरे रिक्शा में तेल डलवाने जाना है. क्या करे मैडम जी हम ठहरे गरीब रिक्शा वाला. हमारे पास एक ही बारी में बहुत तेल डलवाने का रुपया होता नहीं है इसलिये हम थोड़ा थोड़ा तेल भरमाते है. पर आप कोई नहीं अन्दर जाइए हम अभी आधे घण्टे में आता हूं.

अब काव्या काफी डर भी लग रहा था कि ये सत्तू कहा जा रहा है मुझको वापस हवेली जाना है किसी ने मेरे कमरे में आकर देख लिया कि मैं नहीं हु और रणधीर अंकल को पता चल गया तो वो काफी नाराज होंगे.

पर अब काव्या कर भी क्या सकती थी उसने कहा ठीक है तुम तेल भरवा कर वापस जल्दी से आ जाओ. और अब सत्तू वहां से जा चुका था. काव्या को थोड़ा अजीब लग रहा था कि सुलेमान जी ना ही लेने आए और अब अपने घर से बाहर आ रहे हें मुझको अन्दर बुलाने. लगता है मुझको ही जाना पड़ेगा अन्दर कोई बात नहीं. शायद हो सकता है सत्तू जो कह रहा था वो सही हो सुलेमान और सलमा के बीच बहस हो रही हो पर यहा बाहर तो कोई आवाज नहीं आ रही चलो अन्दर जाकर ही देख लेते हैं. काव्या अब झोपड़ी के गेट के पास खड़ी थी है और गेट को टक्क यानी हल्का सा बजाती है. पर कोई नहीं आता फिर काव्या देखती है कि कि यह टूटा दरवाजा पहले से ही खुला हुआ है फिर वो अन्दर जाती है. अन्दर जाते ही वो देखती है कि सामने फटी लूँगी यानी धोती में सुलेमान बैठा हुआ था अपने सर पर हाथ रख कर. जैसे उसको अभी बहुत बड़ा सदमा लगा हो.

वेसे आपको बता दे कि सुलेमान को कोई सदमा नहीं लगा था यह तो सब उसकी चाल थी.

अब सुलेमान जैसे ही काव्या को देखता है वह अपने रोने जैसे मुह बनाता है.

काव्या - सुलेमान जी आप रो क्यों रहे है और सलमा कहा है......?

सुलेमान - काव्या क्या बताऊँ तेरे को वो मुझसे लड झगड़ कर कहीं चली गयी शायद अपने मायके ही गयी होगी इसलिये मैं रो रहा हू.

काव्या को यह सुन कर काफी अजीब और बेकार महसूस हो रहा होता है कि सुलेमान जैसा आदमी अब उसको उसके नाम से बुला रहा है. अभी तक तो सुलेमान मैडम जी और डॉक्टर साहिबा करके ही बुला रहा था. हो सकता है सलमा के जाने के कारण गुस्से और सदमे में होंगे इसलिये बोल रहे होंगे. पर अब काव्या भी थोड़ी गुस्से में आती है और सुलेमान से बोलती है......

काव्या - सुलेमान जी जब आपको पता था कि सलमा जा चुकी है तो आपने सत्तू जी को क्यों भेजा रिक्शा ले कर. अब मेरा इतना रिस्क लेकर आने का क्या फायदा.......?

इधर सुलेमान तो अपना नाटक जारी रखते हुए काव्या को ऊपर से लेकर नीचे तक निहार रहा था. बस उसका मजा किरकिरा वो कला जैकेट कर रहा था जो काव्या ने पहन रखा था कैसे भी करके सुलेमान को वो जैकेट निकलवाना था..

काव्या - बोलिए सुलेमान जी क्या फायदा हुआ. अब आप जल्दी से सत्तू जी को कॉल लगाइए और उनको जल्दी से आने का बोले. जल्दी कीजिये..

इधर सुलेमान को इस बात की बिलकुल आशा नहीं थी कि काव्या ऐसे रिएक्ट करेगी. सुलेमान को तो लग रहा था कि काव्या उसको सम्मान देगी सलमा को वापस लाने की बात करेगी पर इधर तो कुछ और ही हो गया काव्या को तो बस वापस ही जाना है कुछ करना पड़ेगा.

सुलेमान - काव्या जी आप यह क्या बोल रही है मेरी बेगम चली गयी है उसका कुछ नहीं आप उल्टा मुझको ही डांट रही हो. और सत्तू मुझको बिना पूछे आपको लेने आ गया था और जब तक आप आयी तब तक सलमा जा चुकी थी इसमे मैं क्या करता.

अब काव्या को भी लगता है कि उसने थोड़ा ज्यादा ही तेज बोल दिया. पर काव्या की भी यहा मजबूरी थी उसको जल्द से जल्द हवेली जाना था.

काव्या - ठीक है सुलेमान जी मैं आपकी बात समझ गयी पर आप भी मेरी मजबूरी समझिये मुझको वापस हवेली जाना है. जल्दी से आप कॉल लगाइए.

सुलेमान - काव्या जी आप पहली बार मेरे इस छोटी झोपड़ी में आयी है थोड़ी देर तो बैठिए अगर आपकी शान को इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता हो तो. मैं कुछ खाने को लेकर आता हूं आपके लिये.

काव्या - सुलेमान जी आप मेरी बात क्यों नहीं समझ रहे मुझको जाना होगा कल रणधीर अंकल भी आ रहे है.

इधर अब सुलेमान को काव्या की बात से कोई ज्यादा फर्क़ नहीं पढ़ रहा था वो तो बस अपने खेल में लगा हुआ था उसको केसे भी करके काव्या को आज रोकना था. वो अपने हाथ में आयी इस हुस्न की परी को छोड़ नहीं सकता था किसी भी कीमत पर. भले ही रणधीर जैसा खतरनाक आदमी भी बीच में क्यों ना आ जाये.
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#85
I love all the updates in your story. You are not just putting sex in all update
[+] 2 users Like Priya Joshi's post
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#86
please give regular big update
[+] 3 users Like Priya Joshi's post
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#87
Bhai gajab update.
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#88
Ab aage kya hoga ? hamari kavya rani suleman naam ke shaitaan se bach payegi ?
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#89
Zabardast bhai..
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#90
Bro next part please
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#91
Very hot erotic suspense thriller. Ab aage aage hotaa hai kyaa?
[+] 1 user Likes doctor101's post
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#92
(30-01-2021, 03:23 PM)doctor101 Wrote: Very hot erotic suspense thriller. Ab aage aage hotaa hai kyaa?

अगला अपडेट आज आयेगा जुड़े रहिये.
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#93
अब इधर सुलेमान काव्या की कोई बात नही सुन रहा था उसने ठान लिया था आज तो वो काव्या की चुदाई करके ही रहेगा. पर यहा समस्या यह थी कि वो काव्या को चोदने के साथ साथ काव्या से निकाह भी करना चाहता था. उसका मकसद तो काव्या को अपनी बेगम बना कर रोज चोदना था और एक तरफ रणधीर का खौफ भी था इसलिये वो जबरदस्ती ज्यादा नहीं कर सकता था. पर काव्या को यहा से जाने भी नहीं देना चाहता था.

सुलेमान - ठीक है काव्या जी मैं सत्तू को फोन लगाता हु और अभी बोलता हु की जल्दी से जल्दी आ जा.

काव्या - बिलकुल सही आप कॉल करिये सत्तू जी को.

यह सुनते ही सुलेमान अपने पैर को जोर जोर से कूट कर फोन पर हैलो बोल कर झोपड़ी से बाहर चला जाता है और फिर कुछ 5 मिनट बाद अन्दर आता है.

सुलेमान - काव्या जी बहुत बड़ी गडबड हो गयी है.

काव्या - क्या गडबड हुई है बोलो सुलेमान जी.......?

सुलेमान - अरे वो सत्तू चुतिये का बेकार रिक्शा खराब हो गया है और अभी इस समय तो कोई कारीगर भी नहीं मिलेगा. इसलिये वो नहीं आ पायेगा.

काव्या - क्या बोल रहे है सुलेमान जी आप..... ऐसा नहीं हो सकता मुझको अभी ने अभी हवेली जाना है. आप कुछ भी कीजिये.

सुलेमान - मैं कुछ नहीं कर सकता काव्या जी आपकी हवेली यहां से काफी दूर है और रास्ते में ज्यादा रोशनी भी नहीं है. एक दम अंधेरा होगा और हो भी सकता है जंगली जानवर भी मिल जाये.

काव्या - मुझको यह सब नहीं पता आप चलो मेरे साथ अभी मुझको घर छोड़ने.

अब सुलेमान थोड़ा गुस्से में आकर बोलता है काव्या यह कोई तेरा शहर नहीं है यह गाँव है गाँव. यहा कोई रिक्शा नहीं मिलने वाला और ना ही पैदल जा सकते हैं.

इधर तो जैसे काव्या को यह सब सुन कर एक बड़ा झटका सा लग गया हो. एक तो यह कि वो यहा से निकलेगी कैसे....? और दूसरा की अब सुलेमान के हाव भाव बदल रहे थे अब सुलेमान सीधे नाम से बुला रहा था. और काफी गुस्सा भी दिखा रहा था.

सुलेमान - देखो काव्या जी आप मेरी बात मानो तो आज की रात यही निकाल दो. सुबह होते ही सत्तू आ जायेगा और आपको हवेली छोड़ देगा. यह आपके लिये बहुत अच्छा होगा.

अब काव्या को काफी गुस्सा भी आता है यह सुन कर की उसको क्या अब रात यहा झोपड़ी मे गुजारनी पड़ेगी वो भी इस सुलेमान के साथ......?

काव्या मन में .... मैं कहा फस गयी. यहां से कैसे निकला जाये. और यहा गर्मी कितनी है यहां कोई कैसे रह सकता है.

अब काव्या थोड़ी देर ऐसे ही पास वाले खटिया पर बैठ कर सोचती है. सुलेमान काव्या को गुरे जा रहा था. अब काव्या भी गर्मी से काफी परेशान हो कर अपना काले कलर का जैकेट निकालती है और जैकेट को एक कोने में रख देती है. और खड़ी हो कर सुलेमान से बोलती है

काव्या - सुलेमान जी अगर मुझको यहा रुकना पड़ा तो आप कहा जायेंगे.

सुलेमान तो मैं तो जैसे कोई जानवर ही जाग गया हो वो काव्या को ऐसे देख रहा था कि अभी उसको खा जाये. सुलेमान का लंड तो उसकी फटी लुंगी में ही तेजी से खड़ा हो रहा था काव्या को देखते हुये. काव्या क्या कमाल लग रही थी जैकेट निकालने के बाद. काव्या के बिना आस्तीन का ब्लाउज में उसका पूरा गौरा बदन चमक रहा था.

अब सुलेमान काव्या के पास जाता है और काव्या के पीछे जाकर काव्या के ब्लाउज पर अपने दोनों काले हाथ रखता है और अपने हाथो को घुमाता है और बोलता है

सुलेमान - बस इतनी सी समस्या है तेरे को काव्या कोई नहीं तु ऊपर खटिया पर सो जाना में नीचे सो जाऊँगा.

सुलेमान की इन हरकतों से जैसे काव्या के शरीर के सभी रोंगटे खडे हो जाते हैं उसको भरी गर्मी की रात में अपने शरीर एक ठंड सी महसूस होती है पर इसके साथ काव्या को अपनी चुत में गर्मी और हल्का सा पानी आता मेहसूस होता है. अब काव्या को थोड़ा थोड़ा मजा भी आ रहा था सुलेमान की इन हरकतों से. पर वो एक शादी शुदा औरत है इसका भी ध्यान था.

अब काव्या सुलेमान को खुद से अलग करती है और पलट कर बोलती है

काव्या - सुलेमान जी आप यह क्या कर रहे.....? मुझको यह सब पसन्द नहीं. और मुझको यहां चार दीवार में आपके साथ कोई रात नहीं गुजारनी है कोई देख लेगा तो गलत समझेगा. वेसे भी मैं शादी शुदा हू आप प्लीज कोई और तरीका निकालिये.

सुलेमान - ( हस्ते हुए ) बस इतनी सी बात काव्या. कोई नहीं तुझको कोई मुसीबत है तो मैं बाहर जा कर अपनी रात गर्मी में काट लेता हूं. मुझको लगा तू रि बड़ी शहर की है तुझको इन सब से कोई फर्क़ नहीं पढ़ता होगा. चलो कोई नहीं मै बाहर चला जाता हूँ.

अब सुलेमान यह बोल कर बाहर वाली खटिया पर चाला जाता है सोने. पर साथ ही खुद की किस्मत को कोसता है और सोचता है कोई नहीं अब मैं मेरा खेल आधी रात को शुरू करूँगा. देखता हूं कैसे बचती है मेरी काव्या रानी. मैं भी सुलेमान हू तेरी चीख तो निकाल के रहूँगा.

पर इस कलूटै को क्या पता कि वो असली गेम तो अभी काव्या के साथ खेल कर जा रहा है.......!
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#94
सुलेमान के जाने के बाद काव्या तुरंत झोपड़ी का टूटा गेट बन्द करती है और खुद को शान्त करने की कोशिश करती है काव्या भी कहीं ना कहीं अंदर से काफी गर्म हो चुकी थी सुलेमान का लंड से बना तंबु देख कर पर कुछ कर नहीं पा रही थी. उसको सुलेमान के सामने अपनी हवस जो छुपानी थी. जो सुलेमान ने उसके अन्दर जगाया था. और काव्या को अपनी इज़्ज़त भी बचानी थी.

पर अब काव्या सोचती है कि सुलेमान का डिक ( लौंडा ) कितना बड़ा होगा उसके पति रमण से.

काव्या अपने मन में ... नहीं नहीं काव्या यह सब क्या सोच रही है रमण सबसे बेस्ट आदमी है इस दुनिया मे मेरा पति जो है. पर अन्दर ही अन्दर पर यार देख ना उस सुलेमान का लौंडा कितना बड़ा है. और बार बार खडा हो जाता है मैं कल से देख रही हूँ. लगता है सुलेमान जी को मुझमे कुछ ज्यादा ही रुचि है. 

अब यही सब सोचते हुए काव्या ने अपनी एक ऊँगली अपनी चूत में गुसा दी और धीरे धीरे उसे अन्दर बाहर करने लगी | धीरे धीरे उसके शरीर में मस्ती चढ़ने लगी उसके मुह से सिसकियाँ निकलने लगी | उसने मन में सुलेमान के लंड के बारे में सोच कर एक और ऊँगली अपनी चूत में घुसा ली | अब उसकी चूत भी हलकी हलकी पनिया गयी थी काव्या के मन में अब सुलेमान का लंड उसकी चूत में घुस चुका था और उसकी अन्दर बाहर होती उंगलियों की जगह अब सुलेमान का लंड उसकी चुदाई कर रहा था | काव्या किसी और ही दुनिया में खो चुकी थी और अपनी उंगलियों को और जोर से अपनी चूत में अंदर बाहर कर रही थी | धीरे धीरे काव्या के शरीर में तरंगे उठने लगी और थोड़ी ही देर में काव्या थोड़ी सी झड गयी | आज बहुत दिन बाद काव्या की चूत ने थोड़ा सा पानी छोड़ा था पर अब उसने ठान लिया था की वो अब उंगलियों की जगह सुलेमान का लंड अपनी चूत में लेगी. भले ही वो शादी शुदा है तो क्या हुआ....! पर रमण ने तो कभी मुझको कभी सन्तुष्ट नहीं किया. हमेशा काम काम में लगे रहते है मैं भी एक डॉक्टर हू मुझको भी बहुत काम होता है पर मैं रमण जैसे काम काम नहीं करती रहती. मुझको भी अपने निर्णय लेने का पूरा हक है. काव्या के मन में अब यहीं सब चल रहा था. और वेसे भी किसी को कहा कुछ पता चलने वाला है काव्या खुद से बात करते हुए. और इधर सुलेमान की रात खाट पे उलथते पलथते बित रही थी | वो सोच रहा था कि कब में अन्दर जाऊँगा वापस और डॉक्टरीया की चुदाई करेगा. सुलेमान का गर्मी और उमस से बुरा हाल हो चुका था | सुलेमान ने अपनी लूँगी उतार दी और लंगोट में ही बिस्तर पे पसर गया | थोड़ी ही देर में उसे नींद आ गयी |
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#95
कुछ समय ऐसे ही सोचने के बाद काव्या ने सोचा की बाहर जा के सुलेमान को उठा दे की वो घर के अन्दर आ जाए | काव्या बाहर निकल कर सुलेमान की खाट के पास पहुची तो सुलेमान को देखते ही उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी | सुलेमान की धोती निकली हुयी थी और उसकी लंगोट भी खुल चुकी थी और उसका लंड एकदम कड़क हो सलामी दे रहा था | काव्या कुछ देर वही खड़ी सुलेमान के लंड को निहारती रही | न जाने कितने दिनों के बाद उसने लंड देखा था सुलेमान का लंड उसके पति से काफी मोटा और लम्बा था और किसी काले भुजंग जैसा दिखता था. काव्या कुछ देर बाद सुलेमान को बिना जगाये वापस घर में आ गयी पर अब उसने दृढ निश्चय किया था की वो सुलेमान का लंड अपनी चूत में लेके रहेगी | सुलेमान की नींद खुलती है तो आधी रात हो चुकी है । सुलेमान बिस्तर से उठता है तो उसे आभास होता है की उसकी लंगोट खुली हुई है और उसका लंड विकराल रूप लिए खड़ा है। सुलेमान जल्दी से इधर उधर देखते हुए अपनी लंगोट बंधता है और लुंगी लपेट के घर की तरफ बढ़ता है । घर के दरवाजे पे पहुँच के उसके पाँव ठिठक जाते हैं उसे घर के अंदर से पानी गिरने की आवाज आती है। सुलेमान हल्का सा दरवाजे को धकेलता है तो दरवाजा थोडा सा खुल जाता है । सुलेमान अंदर झाँक के देखता है तो अंदर का नाज़ारा देख के उसका लंड फट पड़ने को होने लगता है। अंदर काव्या कोने में एकदम नग्न अवस्था में नहा रही होती है खुद की आग को शान्त करने के लिये और गर्मी से बचने के लिये. काव्या को इतनी गर्मी सहन करने की आदत नहीं थी इसलिये वह आधी रात को ही नहा रही थी.


अब काव्या का शरीर सुलेमान के नजरो के सामने था और वो बस उसे देखे ही जा रहा था। उसका गौरा रंग , उसकी उभरी हुई चूचियां , उसके चूत का क्लीन शेव सब सुलेमान को पागल बना रहे थे । तभी उसने सामने पड़ी बाल्टी से एक लोटा पानी लिया और अपने सर के ऊपर से डाल लिया। सुलेमान की नजरें अब काव्या के शरीर के ऊपर से गुजरती हुई पानी की धार का पीछा करने लगी। वो धार पहले उसके चेहरे से होते हुए उसके सुर्ख लबों को चूमते हुए उसके सीने पे पड़ती है जहाँ पे वो दो शाखाओं में बंट जाती है और काव्या के वक्षो के उभारों पे चढ़ती हुई उसके तने हुई चूचियों के निपल से उसके पेट पे गिरती है जहाँ पे वे दोनों वापस मिलकर काव्या की चूत में गुम हो जाती है ।

सुलेमान ये सब देख के अत्यंत ही उत्तेजित हो जाता है और वो अपना लंड धोती के ऊपर से ही मसलने लगता है। अंदर काव्या ने अपने शरीर पर साबुन मलना शुरू कर दिया होता है फिर काव्या बॉडी क्रीम को लेकर अपने दो बड़े वक्षो पे जोर जोर से घिसती है जिससे वो लाल हो जाते हैं फिर वो अपने पेट पे साबुन लगाती हुई अपनी टांगो को फैलाते हुए अपनी चूत पे घिसने लगती है। सुलेमान से रहा नहीं जाता है वो अपने लंड को धोती से बाहर निकाल के हिलाने लगता है । अंदर काव्या के हाथ से साबुन फिसलके नीचे गिर जाता है और वो झुक के साबुन उठाने लगती है जिससे उसकी गांड एकदम से सुलेमान के सामने आ जाती है जिसके बीच से काव्या की चूत झांकते हुये उसे निमंत्रण दे रही होती है। सुलेमान के मष्तिष्क पे हवस सवार हो जाती है और वो काव्या के जात, धर्म और इज्जत की परवाह किये बगैर घर के अंदर घुस जाता है और काव्या को जाके पीछे से पकड़ लेता है। काव्या एकबार के लिए चौंक जाती है और ऊपर उठने की कोशिश करती है पर सुलेमान एक हाथ से उसकी पीठ पे दबाव डालके उसे और झुका देता है। काव्या फिर उसकी पकड़ से छुटने की कोशिश करती है पर सुलेमान उसे वैसे ही दबाये रखता है और अपना लंड उसकी चूत पे सेट करके एक धक्का देता है । काव्या की चूत पे लगे साबुन के कारण सुलेमान का लंड फिसलता हुआ आधा उसकी चूत में घुस जाता है। काव्या की चूत ने बहुत दिन बाद लंड का स्वाद चखा था और उसकी भूख भी बढ़ने लगती है। काव्या हलके हलके अपना लंड रुकसाना की चूत में अंदर बाहर करने लगता है। काव्या की चूत भी धीरे धीरे पनियाने लगती है सुलेमान मौका देख के एक और धक्का मारता है जिससे उसका पूरा लंड काव्या की चूत में समां जाता है । काव्या के मुँह से हलकी सी चीख निकल जाती है। सुलेमान धीरे धीरे काव्या की चूत में अपना लंड अंदर बाहर करने लगता है। काव्या को भी अब मजा आने लगता है उसकी चूत अब और जोर से पानी छोड़ने लगती है। सुलेमान अब अपने दोनों हाथों से काव्या की गांड को पकड़के अपना लंड काव्या की चूत में पेलने लगता है। काव्या असीम आनंद के सागर में गोते लगाने लगती है । सुलेमान को भी अब बहुत मजा आने लगता है और धीरे धीरे वो अपने चरम पे पहुचने लगता है। उधर काव्या को भी लगता है की उसका पानी निकलने वाला है तो वो भी जोर जोर से अपनी कमर आगे पीछे करने लगती है। दोनों के धक्कों की थाप से पूरा घर गूंजने लगता है। सुलेमान को लगता है जैसे किसी ने उसके अंडकोषों में आग लगा दी हो और उसके वीर्य का उबाल उसके लंड से निकालता हुआ काव्या की चूत को भरने लगता है। काव्या को महसूस होता है की खौलता हुआ वीर्य उसकी चूत में भर रहा है तो वो और उत्तेजित हो के झड़ जाती है उसके पैर जवाब दे देते है और वो जमीन पे ही पसर जाती है। सुलेमान को अब होश में आ चुका होता वो भी वहीं बैठ जाता है I


काव्या वापस खुद को सम्भाल कर सुलेमान की जांघो को दबाने लगती है तो सुलेमान के अंदर की इक्षायें फिर जागने लगती है और उसका लंड खड़ा होने लगता है। काव्या सुलेमान के खड़े लंड को देखती है तो उसके मन भी कुछ कुछ होने लगता है। धीरे धीरे सुलेमान का लंड विकराल रूप धर लेता है और उसकी धोती में तम्बू बना देता है। काव्या से रहा नहीं जाता वो ऊपर से ही सुलेमान के लंड को दबा देती है। रामलाल की अब सिसकी निकल जाती है और वो आंखे खोल सुलेमान की तरफ देखता है वो नशीली आँखों से उसकी तरफ देखती है जैसे आगे बढ़ने की इजाजत मांग रही हो सुलेमान भी अब उसको मौन सहमति दे देता है।सुलेमान तो खुद कई बार काव्या कि नाम की मूठ मार चुका था पर उसको यकीन नहीं हो रहा था कि शहर की पढ़ी लिखी समझदार डॉक्टर औरत में भी इतनी ताकत है कि मेरा मूसल लंड पकड़ रही है काव्या झट से सुलेमान की धोती और लंगोट में से उसके लंड को आजाद कर देती है । सुलेमान का कटा काला भुजंग फड़फड़ा के काव्या के सामने आ जाता है काव्या उसे हाथ में लेके सहलाने लगती है सुलेमान की आँखे आनन्द से बंद हो जाती हैं । सुलेमान सौच रहा था कि उसकी मेहनत आज रंग लायी. काव्या जैसी सेक्सी औरत को अपने नीचे ले आया .काव्या सुलेमान के लंड को देख के सम्मोहित सी हो जाती है वो सुलेमान के लंड को अपने मुँह में लेके चूसने लगी सुलेमान को झटका लगता है वो आँखे खोल के देखता है तो काव्या इसका लंड अपने होठों में लेके चूस रही होती है। सुलेमान के साथ ऐसा पहले किसी ने नहीं किया था वी असीम आनंद के सागर में डूबने लगता है। इधर काव्या अपनी चुसाई की रफ़्तार बढ़ा देती है और सुलेमान के अंडकोषों को हाथ में लेके कुरेदने लगती है। सुलेमान को और मजा आने लगता है और वो अपनी कमर उठा के अपना पूरा का पूरा लंड काव्या के मुँह में घुसा देता है । काव्या की साँस ही अटक जाती है और वो सुलेमान का लंड मुँह से निकाल जोर जोर से खांसने लगती है। सुलेमान हक्का बक्का होके उसे देखने लगता है वो कहता है " बहुत ठरक चढ़ गयी है मेरी बेगम को अभी इसे उतारने का इंतेजाम करता हूँ।" सुलेमान की बात सुन कर काव्या फिर अपने सारे कपडे उतार नंगी हो जाती है। सुलेमान उसके शारीर को देखता है जैसा उसने कल्पना भी नहीं कर पाया था उससे कहीं अधिक खूबसूरत थी काव्या । वो पहले ऑटो मैं इतना सही से वो काव्या को देख नहीं पाया था। सुलेमान काव्या के रूप और सौंदर्य में ही खोया हुआ था की काव्या उसके ऊपर आ जाती है और अपनी चूत को सुलेमान के काले मोटे और कटे लंड के मुँह पे रख देती है । काव्या धीरे धीरे अपना भार डालती है तो उसकी थूक से सना सुलेमान का लंड फिसलके उसकी चूत में घुस जाता है। अब काव्या अपनी कमर उठा उठा के सुलेमान के लंड की सवारी करने लगती है। सुलेमान को पहली बार अपने जीवन में बिना कुछ किये चुदाई का ऐसा सुख प्राप्त हो रहा था वो अपने दोनों हाथ काव्या की गांड पे रखके धीरे धीरे उन्हें मसलने लगता है। सुलेमान ने कभी किसी डॉक्टर मैडम या पढ़ी लिखी सेक्स की जानकर लड़की के साथ सेक्स नहीं किया था. उसके लिए ये सब कुछ अलग सा था वर्ना सुलेमान खुद ही औरत की कस के और दबा के चुड़ाई करत था काव्या की चूत सुलेमान के मूसल लंड को अपने में लेके खूब रस छोड़ने लगती है और काव्या भी आनंदविभोर होके सिस्कारिया लेने लगती है। सुलेमान अब अपने ऊपर चढ़ी काव्या के बदन को देखता है और उसकी तनी हुयी चूचियों को हाथ में पकड़कर मसलने लगता है। ऐसा करने से शायद काव्या के जैसे सब्र का बाँध का बाँध टूट जाता है और वो चीखते हुए झड़ जाती है। काव्या का निढाल शरीर सुलेमान के ऊपर पसर जाता है और उसकी तनी हुयी चुचिया उसके सीने में धंस जाती है। काव्या धीरे धीरे अपनी साँसों को संयमित करने लगती हैं इधर सुलेमान मिया का लंड अभी भी खड़ा रहता है। सुलेमान काव्या के चेहरे को अपने चेहरे के सामने लाता है और उसके होठो को चूसने लगता है। फिर सुलेमान काव्या को पलट के नीचे कर देता है और खुद उसके ऊपर आ जाता है। वो पागलो की तरह काव्या को चूमने लगता है धीरे धीरे काव्या भी उसका साथ देने लगती है । सुलेमान अपना लंड काव्या की चूत के मुँह पे लगाता है और धक्का देता है । काव्या की चूत पहले से ही झड़ने के कारण गीली हो चुकी थी सुलेमान का लंड फिसलते हुए उसकी चूत की गहराइयों में उतर जाता है । सुलेमान अब काव्या की चूत में धक्के पे धक्के पेलने लगता है। धीरे धीरे काव्या को फिर मजा आने लगता है वो अपने दोनों पाँव उठा के सुलेमान की कमर पे रख लेती है जिससे सुलेमान का लंड उसकी चूत में और अंदर तक चोट करने लगता है। सुलेमान को आभास होता है की जल्दी ही वो झड़ने वाला है तो वो अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा देता है। काव्या भी नीचे अपनी कमर हिला के उसका साथ देने लगती है । धीरे धीरे दोनों एकसाथ अपने चरम पे पहुँच कर झड़ जाते हैं। सुलेमान काव्या के ऊपर से उतरके उसके बगल में लेट जाता है। जब उसकी साँसे संयमित होती है तो वो काव्या पे नजर डालता है उसकी चूचियां अभी भी ऊपर नीचे हो रही होती हैं । सुलेमान उन्हें हाथ में पकड़के फिर भींच देता है। काव्या चौकते हुये कहती है " क्या हुआ सुलेमान मिया अभी मन नहीं भरा क्या ?" सुलेमान उसे खींच कर सीने से लगा लेता है और कहता है " अभी नहीं।" काव्या बोलती है अब नहीं मैं जा रही हूँ मुझको थोड़ा अजीब लग रहा है शायद सत्तू बाहर आ गया है रिक्शा की आवाज जो आ रही थी. काव्या खुद को ठीक करती है और अपनी साड़ी पहन कर ऊपर काला जैकेट पहन कर झोपड़ी से बाहर निकल जाती हैं. और रिक्शा में बैठ कर हवेली चली जाती हैं.

इधर सुलेमान गुस्से मे बोलता है मादरचोद ये सत्तू हमेशा गलत समय पर ही आता है.
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#96
बहुत अच्छी कहानी पर एक request हैं अगर हो सके तो फोटो add करो
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#97
अब काव्या फटा फट दोड़ कर हवेली के पीछे वाले गेट से सीधा हवेली में घुस कर अपने कमरे में चली गयी. और अपना काला जैकेट निकाल कर साइड में फैकती है और अपने बैड पर लेट जाती है.

अब काव्या की आँखों से आसु निकल रहे थे यह उसने क्या कर दिया खुद ही अफजल से सेक्स कर लिया. वह एक शादी शुदा पढ़ी लिखी औरत है और उसने अफजल जैसे आदमी के साथ छि छि यह क्या कर लिया. रमण को पता चलेगा तो क्या होगा.....? मैंने रमण को धोका दिया. इन्हीं सब बातों के साथ और थोड़ी थकान के साथ काव्या सो जाती है.

अब काव्या उठती है दस बजे और नाश्ता करके सीधा अपने रूम में चली जाती हैं. अब दोपहर हो रही थी कुछ 3 बज रही थी रणधीर आज भी नहीं आया था. अब सुनने में यह आ रहा था कि रणधीर कल आयेगा.

इधर काव्या की दादी की तबीयत भी थोड़ी खराब थी आज सुबह से. काव्या ने दादी को एक गोली देकर रेस्ट करने को बोला था.

काव्या अपने रूम में अपनी रात भर की थकान को दूर करने के लिये बाथरूम में नहाने जाती है. 

करीब आधे घण्टे के बाद जब काव्या बाथरूम से नहा धो कर सिरफ़ एक तौलिया लपेट कर बथरूम से निकली तो उसने देखा कि नजमा सिरफ़ ब्लाऊज और पेटीकोट पहने टांगे फैला कर अपनी कुरसी पर फैली आधी लेटी और आधी बैठी हुई है और उसके ब्लाऊज के बटन सब के सब खुले हुए है रहीम चाचा झुक कर नजमा की एक चूंची अपने हाथों से पकड़ चूस रहा है और दूसरे हाथ से नजमा की दुसरी चूंची को दबा रहा है। काव्या यह देख कर सन्न रह गई और अपनी जगह पर खड़ी कि खड़ी रह गई। तभी नजमा कि नज़र काव्या पर पर गई तो उसने अपनी हाथ हिला कर काव्या को अपने पास बुला लिया. और बोली आरी ओ काव्या चल अब ज्यादा कुछ बोलने और सोचने के बजाय ले चल बैठ जा इधर मुझको सब पता है तेरे और सुलेमान के बारे में. फिर नजमा अपनी एक चूंची रहीम चाचा से छुड़ा कर काव्या की तरफ़ बढा कर बोली, “लो काव्या तुम भी मेरी चूंची चूसो।” रहीम चुपचाप नजमा कि चूंची चूसता रहा और उसने काव्या कि तरफ़ देखा तक नही। रहीम चाचा एक चालाक और मंजे हुए खिलाड़ी थे रहीम चाचा का प्लान तो काव्या को अपनी तीसरी पत्नी या बेगम बनाने का था और उससे बच्चे निकालने का था. रहीम भी चाहता था कि काव्या जैसी बड़े घर की औरत उसकी हो जाये. पर अभी वो सारे कदम सोच समझ कर रख रहा था l रहीम भी अब नजमा से थक गया था नजमा को चोद कर. नजमा ने फिर से काव्या से बोली, “लो काव्या मेरी रानी तुम भी मेरी चूंची चूसो, मुझे चूंची चुसवाने में बहुत मज़ा मिलता है तभी मैं रहीम से अपनी चूंची चुसवा रही हूं।” काव्या अब कुछ नही बोली और नजमा की दुसरी चूंची अपने मुंह में भर कर चूसने लगी। काव्या को समझ ही नहीं आ रहा था की क्या करना है उसको उस समय जो सही लगा वो किया. उसको थोड़ा अजीब लगा कि उसके घर की काली और भद्दी कामवाली उसको अपनी चुची चूसवा रहीं है थोड़ी देर के बाद काव्या ने देखा कि नजमा अपना हाथ आगे कर के रहीम चाचा का लण्ड उसके पैजामे के ऊपर से पकड़ कर अपनी मुट्ठी में लेकर मारोड़ रही है और रहीम चाचा नजमा कि एक चूंची अपने मुंह में भर कर चूस रहा है। अब तक काव्या भी गरम हो गई थी। तभी नजमा ने रहीम चाचा का पैजामे का नाड़ा खींच कर खोल दिया और रहीम का पैजामा सरक कर नीचे गिर गया। पैजामा के नीचे गिरते ही रहीम नंगा हो गया क्योंकि वो पैजामे के नीचे कुछ नही पहन रखा था। जैसे ही रहीम नंगा हो गया वैसे ही नजमा आगे बढ कर रहीम का खड़े लण्ड को पकड़ लिया और उसका सुपारा को खोलने और बंद करने लगी और अपने होठों पर जीभ फेरने लगी। यह देख कर काव्या ने अपने हाथों से पकड़ कर रहीम का लण्ड नजमा के मुंह से लगा दिया और नजमा से बोली, “लो नजमा, मेरे कातिल ठर्की चाचा का लण्ड चूसो। लण्ड चूसने से तुम्हे बहुत मज़ा मिलेगा। नजमा बोली मैं अपनी चूत मारवाने के पहले रहीम का लण्ड चूसती हूं। फिर रहीम भी मेरी चूत को अपने जीभ से चाटता है।” जैसे ही काव्या ने रहीम का लण्ड नजमा के मुंह से लगाया वैसे ही नजमा ने अपनी मुंह खोल कर के रहीम का लण्ड अपने मुख में भर लिया और उसको चूसने लगी। अब रहीम अपनी कमर हिला हिला कर अपना लण्ड नजमा के मुंह के अन्दर बाहर करने लगा और अपने हाथों से नजमा कि दोनो चूंची पकड़ कर मसलने लगा। तब काव्या ने आगे बढ कर नजमा के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। पेटीकोट का नाड़ा खुलते ही नजमा ने अपनी चूतड़ कुरसी पर से थोड़ा सा उठा दिया और काव्या अपने हाथों से नजमा की पेटीकोट को खींच कर नीचे गिरा दिया। नजमा ने पेटीकोट के नीचे पेण्टी नही पहनी थी और इसालीये पेटीकोट खुलते ही नजमा भी रहीम चाचा कि तरह बिलकुल नंगी हो गई।

काव्या ने सबसे पहले नंगी नजमा की काली मोटी जांघो को खोल दिया और उसकी चूत को देखाने लगी। नजमा की चूत पर झांटे बहुत ही थी और इस समय नजमा कि चूत बिलकुल झांटे का जंगल लग रही थी। नजमा कि चूत से चुदाई के पहले निकलने वाला रस रिस रिस कर निकल रहा था। काव्या झुक कर सुमन के सामने बैठ गई और नजमा कि चूत से अपनी मुंह लगा दिया। काव्या का मुंह जैसे ही नजमा कि चूत पर लगा तो नजमा ने अपनी टांगे और फैला दिया और अपने हाथों से अपनी चूत को खोल दिया। अब काव्या ने आगे बढ कर नजमा कि चूत को चाटना शुरु कर दिया। काव्या को यह भी ध्यान नहीं रहा कि वो एक कामवाली देहाती औरत की चूत चाट रही हैं पता नहीं इसको किस किस ने ठोका होगा. काव्या अपनी जीभ को नजमा कि चूत के नीचे से लेकर चूत के ऊपर तक ला रही थी और नजमा मारे गरमी के काव्या का सर अपने हाथों से पकड़ कर अपनी चूत पर दबा रही थी। उधर रहीम ने जैसे ही देखा कि काव्या अपनी जीभ से नजमा कि चूत को चाट रही है तो उसने अपना लण्ड नजमा के मुंह से लगा कर एक हलका सा धक्का दिया और नजमा रहीम कि रंडी ने अपना मुंह खोल कर रहीम का लण्ड अपने मुंह में भर लिया। नीचे काव्या अपनी जीभ से नजमा कि चूत को चाट रही थी और कभी कभी नजमा के दाने को अपने दांतो से पकड़ कर हलके हलके से दबा रही थी।

थोड़ी देर तक काव्या कि चूत को चाटने और चूसने का बाद नजमा उठ कर खड़ी हो गई और रहीम का काला कटा लण्ड पकड़ काव्या के मुंह से निकाल दिया और काव्या से बोली, “काव्या अब बहुत हो गया लण्ड चूसना और चूत चटवाना चलो अब अपने पैर कुरसी के हत्थो के ऊपर रखो और रहीम का लण्ड अपने चूत में पिलवाओ। मुझे मालूम है कि अब तुम्हे रहीम का लण्ड अपने मुंह में नही अपनी चूत के अन्दर चाहिये।” और नजमा ने अपने हाथों से रहीम चाचा का खड़ा हुआ लण्ड काव्या कि गीली चूत कि ऊपर रख दिया। चूत पर लण्ड के रखते ही काव्या ने अपने हाथों से उसको अपनी चूत की छेद से भिड़ा दिया और रहीम कि तरफ़ देख कर मुसकुरा कर बोली, “लो अब तुम्हारी रखेल ने ही तुम्हारा लण्ड को मेरी चूत से भिड़ा दिया। अब देर किस बात का है। चलो चुदाई शुरु कर दो।” इतना सुनते ही रहीम पागल सा हो गया और उसने ने अपना कमर हिला कर अपना तना हुआ लण्ड सुमन कि चूत के अन्दर उतार दिया। चूत के अन्दर लण्ड घुसते ही काव्या ने अपने पैर को कुरसी के हत्थों पर रख कर और फैला दिया और अपने हाथों से रहीम का कमर पकड़ कर उसको अपनी तरफ़ खींच लिया। अब रहीम अपने दोनो हाथों से काव्या कि दोनो चूंचियों को पकड़ कर अपना कमर हिला हिला कर काव्या को बेरहमी से चोदना शुरु कर दिया। नजमा काव्या की चूत में रहीम का लण्ड पिलवा कर बहुत खुश थी और वो मुड़ कर काव्या से बोली, “देख मेरे रहीम का लण्ड बहुत ही शानदार है, बहुत लम्बा और मोटा है। देख रहीम का लण्ड तेरी बच्चेदानी पर ठोकर मार रहा है। मेरी ज़िन्दगी तो रहीम से चुदवा कर बहुत आराम से कट रही हैं ” नजमा तब रहीम का एक हाथ काव्या कि चूंची पर से हटा कर काव्या कि चूंची को मसलते हुए बोली, “हां, मेरे रहीम चाचा का लण्ड बहुत ही शानदार है और मुझे रहीम से चुदवाने में बहुत मज़ा मिलता है। मैं तो हर रोज़ रहीम का लण्ड अपनी चूत में पिलवाती हूं। क्यों, तेरा पती तेरी चूत नही चोदता? कैसा है तेरे पती का लण्ड?” काव्या बोली, “मेरे पती का लण्ड भी अच्छा है और मैं हर रोज तो अपने पती के लण्ड से अपनी चूत नहीं चुदवाती हूं। मेरे पती रोज़ रात को हमको ऐसे रगड़ कर नहीं चोदता है और जब कभी कभी रात कि चुदाई के समय हम नॉर्मल ही सेक्स कर लेते है। लेकिन मेरे पती की बात ही कुछ और है। रहीम चाचा का लण्ड तो मेरे बच्चेदानी पर ठोकर मार रहा है। असल में मुझे अपनी पति के अलावा दूसरे लण्ड से चुदवाने में कोई मज़ा नही आता है मुझको पसन्द नहीं की कोई अनजान आदमी मुझको छुए. पर जब से मैने रहीम को देखा है, तभी से मैं रहीम का लण्ड देखने के लिये लालायित थी। मुझको देखना है कि रहीम चाचा कैसे मुझको चोदता है। मुझे मालूम है कि रहीम चाचा के लण्ड को अपनी चूत से खाकर मै बहुत खुश होगी।” नजमा चुपचाप काव्या कि बात सुनती रही और झुक कर रहीम का लण्ड काव्या की चूत के अन्दर बाहर होना देखती रही। थोड़ी देर के बाद नजमा झुक कर काव्या कि एक चूंची अपने मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगी। अब काव्या काफी थक चुकी थी उसको आदत नहीं थी इसलिये वो खडी हो कर नीचे घुटनों के बल बैठ गयी ये देखते ही नजमा फिर कुर्सी पर बैठ गयी टांग फैला कर और रहीम ने काफी गुस्से में आकर नजमा को चोदाना शुरू कर दिया था पर उसको तो काव्या को चोद कर अपना माल या मलाई यानी स्पर्म काव्या की चुत मैं उतारना था पर काव्या ये बात जानती थी कि अब रहीम झड़ने वाला है और काव्या एक ठर्की मु*स्लि*म बूढे के बच्चे की माँ नहीं बनना चाहती थी और वो वहीं खड़ी नजमा और रहीम को देखती रही ! 

थोड़ी देर के बाद काव्या को अहसास हुआ कि कोई उसके चूतड़ के ऊपर से उसकी तौलिया हटा कर उसकी चूत में अपना लण्ड घुसेड़ने की कोशिश कर रहा है। कोने था वो......?
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#98
काव्या ने चौंक कर पीछे मुड़ कर देखा तो पाया कि उसकी चूत में लण्ड घुसेड़ने वला और कोई नही बल्कि अफजल है। चलो आपको अफजल के बारे में थोड़ा सा बता देते हैं अफजल एक 46 साल का बेहद गंदा दिखने वाला आदमी है. अफजल का पैट आगे और काला मोटा आदमी है. अफजल की निगाह हमेशा बड़े घर की औरतों और बहुओं को चोदने में रहती. सुमन मिश्रा तो मानो अफजल का क्रश यानी सपनों की रानी थी. अफजल ने कई कोशिशे करी पर सुमन ने अफजल को भाव तो देना दूर की बात कभी देखा भी नहीं. अफजल एक कब्रिस्तान में कब्रों के लिये गढ़ा खोदने का काम करता था. आज अफजल के काव्या के रूम में होने का कारण अफजल के कब्रिस्तान में किसी का देहान्त नहीं हुआ था और इसलीये वो सीधा नजमा को चोदने के लिये आ गया. अफजल अब तक काव्या कि बदन से उसकी तौलिया हटा कर अपना तन्नाया हुअ लण्ड काव्या कि चूत में डाल चुका था और काव्या की कमर को पकड़ के काव्या की चूत में अपने लण्ड की ठोकर मारना शुरु हो गया था। अफजल जोर जोर से काव्या कि चूत अपने लण्ड से चोद रहा था और अपने हाथों से काव्या कि चूंची को मसल रहा था। रहीम इस समय नजमा को जोरदार धक्को के साथ चोद रहा था और उसने अपना सिर घुमा कर जब काव्या कि चुदाई अफजल के साथ होते देखा तो और ज्यादा गुस्से में आ गया और अफजल से बोला, “देख मादरचोद देख, तू मेरे ही घर में और मेरे ही समने मेरी काव्या को चोद रहा है। घर यहा काव्या का था पर रहीम की हिम्मत देखो वो खुले आम काव्या के सामने गुस्से में कुछ भी बोल रहा था तु यहां से निकल जा ” यह सुनकर अफजल बोला कि मादरचोद ये हवेली कब से तेरा घर हो गयी भिकारी और तेरा कब निकाह हुआ हमारी डॉक्टर मैडम के साथ, काव्या को तो यकीन ही नहीं हो रहा था यह सब उसके सामने हो रहा है फिर अफजल डरी और ख़यालों में खोई काव्या को चूमते और उसकि चूंची को मलते हुए रहीम से बोला, “अबे मादरचोद रहीम तू क्या नजमा को चोद रहा है। अरे मेरी नजमा तो पुरानी हो गई है उसकि चूत मैं पिछले कई सालों से चोद रहा हूं। नजमा कि चूत तो अब काफ़ी फैल चुकी है। अबे तू देख मैं तेरे सामने डॉक्टर काव्या इस घर की मालकिन और गांव के सेठ की बेटी काव्या रानी को कुतिया कि तरह झुका कर उसकी टाईट चूत में अपना लण्ड डाल कर चोद रहा हूं। अब बोल किसे ज्यादा मज़ा मिल रहा है। सही में यार रहीम, काव्या मैडम कि चूत बहुत ही टाईट है देख देख कैसे काव्या कि चूत ने मेरा लण्ड पकड़ रखा है।” फिर अफजल काव्या कि चूंची को मसालते हुए काव्या से बोला, “ओह! ओह! मुझे काव्या कि चूत चोदने में बहुत मज़ा मिल रहा है। अह! काव्या रानी और जोर से अपनी गाण्ड हिला कर मेरे लण्ड पर धक्का मार। मैं पीछे से तेरी चूत पर धक्का मार रहा हूं। काव्या रानी बोल, बोल कैसा लग रहा मेरे लण्ड से अपनी चूत चुदवना। बोल मज़ा मिल रहा कि नही?” तब काव्या अपनी गाण्ड को जोर जोर से हिला कर अफजल का लण्ड अपनी चूत को खिलाते हुए अफजल से बोली, “चोदो मेरे राजा और जोर से चोदो। मुझे तुम्हारी चुदाई से बहुत मज़ा मिल रहा है। तुम्हारा लण्ड मेरे चूत की आखरी छोर तक घुस रहा है। ऐसा लग रहा कि तुम्हारा लण्ड का धक्का मेरी चूत से होकर मेरी मुंह से निकल पड़ेगा। और जोर से चोदो, और नजमा और रहीम को दिखा दो कि चूत की चुदाई कैसे कि जाती है।” अब काव्या भी काफी मजे ले रही थी अफजल से ! इसके साथ ही काव्या को अफजल के लण्ड से काफी दर्द भी हो रहा था अफजल और काव्या कि चुदाई देखते हुए नजमा काव्या से बोली, “क्यों छिनाल काव्या, अफजल का लण्ड पसन्द आया कि नही? मैं ना बोल रही थी कि अफजल का लण्ड बहुत ही शानदार है और अफजल बहुत अच्छी तरह से चोदता है? अब जी भर मस्त चुदवा ले अपनी चूत अफजल के लण्ड से। मैं भी अपनी चूत रहीम से चुदवा रही हूं।” रहीम जोरदार धक्को के साथ नजमा को चोदते हुए बोला, “यार अफजल, यह दोनो औरत बड़ी चुदासी है, चल आज दिन भर इनकी चूत चोद चोद कर इनकी चूतों को भोसड़ा बना देते हैं। तभी इनकी चूतों कि खुजली मिटेगी।” इतना कह कर रहीम नजमा कि चूत पर पिल पड़ा और दना दन चोदने लगा। 

अफजल भी पीछे नही था, वो अपना हाथों से काव्या कि दोनो चूंची पकड़ कर अपनी कमर के झटकों से काव्या कि चूत चोदना चालू रखा। थोड़ी देर तक ऐसे ही चुदाई चलती रही और दोनो अपने अपने साथियों की जम कर चुदाई चालू रखी और थोड़ी देर के बाद दोनो लोडे साथ ही झड़ गये। जैसे ही रहीम चाचा और अफजल नजमा और काव्या कि चूत के अन्दर झड़ने के बाद अपना अपना लण्ड बाहर निकाला तो दोनो का लण्ड सफ़ेद सफ़ेद पानी से सना हुआ था और उधर नजमा और काव्या कि चूतों से भी सफ़ेद सफ़ेद गाढा पानी निकल रहा था।

झट से नजमा और काव्या उठ कर पहले तो रहीम के पास गयी और रहीम के लण्ड को दोनों ने अपने मुंह में भर कर चूस चूस कर साफ़ किया l यह देख अफजल रह नहीं पाया और वो काव्या और नजमा के बीच में चला गया जहाँ दोनों घुटनों के बल बैठी रहीम का काला लण्ड चाट रही थी फिर अफजल रहीम को हटा कर खुद का लण्ड दोनों के मुँह के होठों पर रख दिया. एक तरफ नजमा थी एक दम काली मोटी साधारण औरत और दूसरी और काव्या थी गोरी सुन्दर लाल होंठ के साथ. जैसे ही दोनों ने अफजल का लण्ड चाटना शुरू किया मानो दोनों में होड़ या प्रतिस्पर्धा सी लग गयी हो कोन पहले साफ़ करती है पर यह नज़ारा ही इतना कामुक था कि अफजल अब एक और बार जड गया. अब अफजल का सारा सफेद गाढ़ा माल काव्या के गोरे सफेद सेक्सी मुह पर गिर जाता है अब नजमा ज्यादा देर ना लगा कर सीधा काव्या का मुह, गाल और होठों को चाटने लगती है और सारा अफजल का सफेद गाढ़ा माल चाट चाट कर अपने मुह में भर लेती है फिर काव्या का मुह पकड़ कर काव्या के गुलाबी लाल होठों से अपने काले होठों को लगा देती हैं और किस करना शुरू कर देती. नजमा अपने मुह में भरा सारा अफजल का सफेद गाढ़ा माल काव्या के होठों से काव्या के मुह के अन्दर तक उतार देती हैं अब सारा अफजल का वीर्य या गाढ़ा माल काव्या के मुह के अन्दर भर गया था और काव्या को कोई शोक नहीं था अफजल का गंदा वीर्य अपने अन्दर गले से पेट में उतारने का. अब काव्या सीधा नजमा के दोनों हाथों को पकड़ती है और नजमा की गोदी में बैठ कर उसके मुह पर अपना मुह रख कर नजमा के काले होठों पर अपने लाल गुलाबी होठों को रखती है और फिर से किस करना शुरु कर देती हैं. अब काव्या और नजमा एक दूसरे को किस करते करते चाट रहे होते है फिर काव्या अपने मुह मै भरा सारा अफजल का वीर्य या सफेद गाढ़े माल को नजमा के मुह में थूक देती है. और अब नजमा भी सारा वीर्य अपने अन्दर यानी पेट में उतार देती हैं फिर काव्या लास्ट टाइम् नजमा को चूमती है और नजमा से अलग होती हैं. अब नजमा काव्या की चूत में मुंह लगा कर अफजल का वीर्य चाट चाट कर साफ़ किया। थोड़ी देर के बाद रहीम और अफजल का सांस नोरमल हुआ और उठ कर एक दूसरे से बोले। “यार ये काव्या को चोदने का मज़ा ही कुछ अलग है। अब जब तक हमलोग एक साथ ही काव्या को अदल बदल करके ही चोदेंगे।” थोड़ी देर के बाद नजमा और काव्या अपनी कुरसी से उठ कर खड़ी हो गई और तौलिया से अपनी चूत और जांघे पोंछ कर नंगी ही किचन कि तरफ़ चल पड़ी। उनको नंगी जाते देख कर रहीम और अफजल का लण्ड खड़े होना शुरु कर दिया। थोड़ी देर के बाद नजमा और काव्या नंगी ही किचन से चाय और नाश्ता ले कर कमरे में आई और कुर्सी पर बैठ गई। रहीम और अफजल भी नंगे ही कुरसी पर बैठ गये। थोड़ी देर के बाद नजमा झुक कर प्याली में चाय पलटने लगी। नजमा के झुकने से उसकि सावली चूंची दोनो हवा ने झूलने लगे। यह देख कर रहीम ने आगे बढ कर नजमा कि चूंचियों को पकड़ लिया और उन्हे दबाने लगा। यह देख कर अफजल ने काव्या को कुछ इशारा किया फिर काव्या अपनी कुरसी से उठ कर खड़ी हो गई और अफजल के नंगे गोद पर जा कर बैठ गई। जैसे ही काव्या गोद में बैठी अफजल ने अपने हाथों से काव्या को जकड़ लिया और उसकी चूंची को दबाने लगा। काव्या झुक कर अफजल के लण्ड को पकड़ कर सहलाने लगे और थोड़ी देर के अफजल के लण्ड को अपने मुंह में भर लिया। यह देख कर नजमा चाय बनना छोड़ कर रहीम के पैरो के पास बैठ गई उसने भी रहीम का लण्ड अपने मुंह में भर लिया। थोड़ी देर के बाद रहीम ने अपने हाथों से नजमा को खड़े किया और उसको टेबल के सहारे झुका कर नजमा कि चूत में पीछे से जाकर अपना लण्ड घुसेड़ दिया। नजमा एक हल्की से सिसकरी भर कर अपने चूतड़ हिला हिला अपनी चूत में रहीम का लण्ड पिलवती रही और वो खुद काव्या और अफजल को देखने लगी। रहीम और नजमा को फिर से चुदाई शुरु करते देख अफजल भी अपने आप को रोक नही पाया और उसने काव्या को अपनी गोद से उठा कर फिर से उसके दोनो पैर अपने दोनो तरफ़ करके बैठा लिया। इस तरीके से काव्या की चिकनी गुलाबी चूत ठीक अफजल के लण्ड के सामने थी। काव्या ने अपने हाथों से अफजल के लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत से भिड़ा कर अफजल के गोद पर झटके के साथ बैठ गई और अफजल का लण्ड काव्या कि चूत के अन्दर चला गया। काव्या अब अफजल के गोद पर बैठ कर अपनी चूतड़ उठा उठा कर अफजल के लण्ड का धक्का अपनी चूत पर लेने लगी। कमरे सिर्फ़ फस्सह, फस्सह का आवाज गूंज रही थी और उसके साथ साथ नजमा और काव्या की सिसकियां। रहीम थोड़ी देर तक नजमा कि चूत पीछे से लण्ड डाल कर चोदता रहा। थोड़ी देर के बाद उसने अपनी एक अंगुली में थूक लग कर नजमा कि गाण्ड में अंगुली करने लगा। अपनी गाण्ड में रहीम कि अंगुली घुसते ही नजमा ओह! ओह! है! कर उठी। उसने रमेश से बोली, “क्या बात है, अब मेरी गाण्ड पर भी तुम्हारी नज़र पड़ गई है। अरे पहले मेरी चूत कि आग को शान्त करो फिर मेरी गाण्ड कि तरफ़ देखना।” लेकिन रहीम चाचा अपनी अंगुली नगमा की गाण्ड के छेद पर रख कर धीरे धीरे घुमाने लगा। थोड़ी देर के बाद रहीम ने अपनी अंगुली नजमा कि गाण्ड में घुसेड़ दिया और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा। अन्दर बाहर करते करते अब रहीम ने अपना लण्ड नजमा की गाण्ड के छेद पर रखा और सीधा घुसा दिया. यह सब देखते हुए अफजल के दिमाग में शैतानी खयाल आने शुरू हो गये काव्या के लिये और ज्यादा देर ना करते हुए काव्या को अपनी गोदी से उठाया और घोड़ी बनने को बोला अब काव्या भी अफजल की बात मानते हुए डॉगी स्टाईल में खड़े होकर काव्या भी अपना हाथ नीचे ले जाकर अपनी चूत कि घुण्डी को सहलाने लगी। जब अपनी थूक और अंगुली से अफजल ने काव्या कि गाण्ड कि छेद काफ़ी गीली कर ली तब अफजल ने अपने लण्ड पर थूक लगाकर काव्या कि गाण्ड की छेद पर रखा। अपनी गाण्ड में अफजल का लण्ड छूते ही काव्या बोल पड़ी, “अरे अरे क्या कर रहे हो। मुझे अपनी ऐस या गाण्ड नही चुदवाना है। मुझे मालूम है कि गाण्ड मरवाने से बहुत तकलीफ़ होती है। हटो, अफजल हटो अपना लण्ड मेरी गाण्ड से हटा लो।” लेकिन तब तक अफजल ने अपना खड़े हुअ लण्ड काव्या कि गाण्ड के छेद पर रख कर दबाने लगा था और थोड़ी से देर के बाद अफजल का लण्ड का सुपारा काव्या कि गाण्ड कि छेद में घुस गया। काव्या चिल्ला पड़ी, “अर्रर्रीईए माआर्रर्र डालाआआ, ओह! ओह! अफजस्सास्सह्हह निकल्लल्लल्ल लूऊ अपनाआ म्मूस्सास्साअर्रर ज्जजाआईस्सास्साअ लण्ड्दद्दद म्ममीर्ररीई गाआनद्दद सीई। मैईई मार्रर्र जौनगीईए।” लेकिन अफजल कहना सुनने वाला था। वो अपना कमर घुमा कर के और अपना लण्ड को हाथ से पकड़ के एक धक्का मारा तो उसका आधा लण्ड काव्या कि गाण्ड में घुस गया। काव्या छटपटाने लगी। थोड़ी देर के बाद अफजल थोड़ा रुक कर एक धक्का और मारा तो उसका पूरा का पूरा लण्ड काव्या कि गाण्ड में घुस गया और वो झुक कर एक हाथ से काव्या की चूंची सहलने लगा और दूसरे हाथ से काव्या की चूत में अंगुली करने लगा। लेकिन काव्या मारे दर्द के छटपटा रही थी. यही देख नजमा बोल रही थी, “अबे साले भड़ुवे रहीम बूढे , देखो तुम्हारे सामने तुम्हारि काव्या कि गाण्ड कैसे तुम्हारा दोस्त जबरदस्ती से मार रहा है। तुम कुछ करते क्यों नही। आज तो लगता है काव्या की गाण्ड आज फट जायेगी। लग रहा है आज इस चोदु काव्या की गाण्ड मार मार कर गाण्ड और बुर एक कर देगा। तुम अफजल दरिन्दे से इसको बचाओ।” तब अफजल अपने अंगुलियों से काव्या की चूत में अंगुली करते हुए काव्या से बोला, “अरे काव्या रानी, बस थोड़ी देर तक सबर करो, फिर देखना आज गाण्ड मरवाने ने तुम्हे कितना मज़ा मिलता है। आज मैं तुम्हारी गाण्ड मार कर तुम्हारी चूत का पानी निकालूगा। बस तुम ऐसे ही झुक कर खड़ी रहो।” अफजल मिया की बात सुन कर रहीम अपना लण्ड से नजमा कि चूत चोदता हुआ काव्या से बोला, “रानी, आज मुझको इस अफजल का मोटा लण्ड तुम्हारी गाण्ड में डला हुआ बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा. तुम्हारी यह कोमल दूध जैसी गोरी गुलाबी गाण्ड मुझको चोदनी थी मुझको इसका उद्घाटन करना था पर ये बीच में आ गया. मैं भी अभी अपना लण्ड नजमा कि गाण्ड में घुसेड़ता हूं और फिर तुम्हारी गाण्ड मारता हूं। मैं तुम्हारी गाण्ड मार कर रणधीर मादरचोद ने जो मेरी बेज्जती करी थी उसका बदला निकलता हूं।” नजमा जैसे ही रहीम की बात सुनी तो बोल पड़ी, “अरे वाह क्या हिसाब है, अफजल आज मौका पा कर काव्या कि गाण्ड मार रहा है और उसकी कीमत मुझे अपनी गाण्ड मारवा कर चुकनी पड़ेगी। नही मैं तो अपनी गाण्ड में लण्ड नही पिलवती। रहीम तुम मेरी गाण्ड के बजाय काव्या कि गाण्ड मार कर अपना बदला निकालो।” रहीम तब नजमा से बोला, “नहीं मेरी चुद्दकड़ रानी, जिस तरह से अफजल ने मेरी काव्या कि गाण्ड में अपना लण्ड घुसेड़ कर मेरी काव्या की गाण्ड मार रहा है, मैं भी उसी तरह से रमेश काव्या की गाण्ड में अपना लण्ड घुसेड़ कर काव्या मेरी जान कि गाण्ड मारुंगा और तभी मेरा बदला पूरा होगा।” इतना कह कर रहीम ने अपना लण्ड नजमा कि चूत से निकाल लिया. अब रहीम ने गुस्से में आकर अफजल को धक्का मार कर काव्या को अफजल से अलग करके. रहीम बोलता है हट मादरचोद अफजल कबसे तू ही मेरी काव्या रानी की गाँड मार रहा है और मैं इस काली बुढ़िया नजमा की मार रहा हू अब मैं काव्या की गाँड मरूंगा. फिर अब रहीम अपने लंड पर थोड़ा थूक लगा कर काव्या कि गाण्ड से भिड़ा दिया। काव्या दर्द से अपनी कमर इधर उधर घुमाने लगी लेकिन रहीम चाचा ने अपने हाथों से काव्या की गोरी कमर पकड़ कर अपना काला लण्ड का आधा सुपारा काव्या कि गाण्ड कि छेद में डाल दिया। काव्या दर्द के मारे छटपटाने लगी। काव्या अपनी गाण्ड से रहीम का लण्ड को निकालने कि कोशिश कर रही थी और रहीम अपने लण्ड को काव्या कि गाण्ड में घुसेड़ने कि कोशिश कर रहा था.

इसी दौरान अफजल ने एक बार काव्या कि कमर को कस कर पकड़ लिया और अपनी कमर हिला करके एक धक्का मारा तो उसके लौड़े का सुपारा काव्या कि गाण्ड कि छेद में घुस गया। फिर रहीम ने जलदी से एक और जोरदार धक्का मारा तो उसका पूरा का पूरा लण्ड काव्या की गाण्ड में घुस गया और रहीम की झांटे काव्या कि चूतड़ को छूने लगी। अपनी गाण्ड में रहीम का लण्ड के घुसते ही काव्या जोर से चीखी और चिल्ला कर बोली, “साले रहीम चाचा, दूसरे कि बीवी कि गाण्ड मुफ़्त में मिल गया तो क्या उसको चोदना जरूरी है? रहीम चाचा आह आह आह निकाल अपना मूसल जैसा लण्ड मेरी गाण्ड से और जा अपना लण्ड अपनी नजमा कि गाण्ड में या उसकी बुर में घुसा दे। अरे अफजल तुमहे दिख नही रहा है, तुम्हारा दोस्त मेरी गाण्ड फाड़ रहा है? अरे कुछ करो भी, रोको रहीम को, नही तो रहीम मेरी गाण्ड मार मार कर मुझे रंडी बना देगा फिर तुम भी मेरी चूत छोड़ कर के मेरी गाण्ड ही मारना।” अब अफजल अपना लण्ड नजमा की गाण्ड के अन्दर बाहर करते काव्या से बोला, “अरे रानी, क्यों चिल्ला रही हो। रहीम तुम्हे अभी छोड़ देगा और एक-दो गाण्ड मारवने से कोइ रंडी नही बन जाता है। देखो ना मैं भी कैसे नजमा कि गाण्ड में अपना लण्ड अन्दर बहर कर रहा हूं। तुमको अभी थोड़ी देर के बाद गाण्ड मारवने में भी बहुत मज़ा मिलेगा। बस चुपचाप अपनी गाण्ड में रहीम का लण्ड पिलवाती जाओ और मज़ा लूटो। इतना सुनते ही रहीम ने अपना हाथ आगे बढा कर काव्या कि एक चूंची पकड़ कर मसलने लगा और अपना कमर हिला हिला कर अपना लण्ड काव्या कि गाण्ड के अन्दर बाहर करने लगा। थोड़ी देर के काव्या को भी मज़ा आने लगा और वो अपनी कमर चला चला कर रहीम का लण्ड अपनी गाण्ड से खाने लगी। थोड़ी देर के बाद अफजल और रहीम दोनो ही नजमा और काव्या कि गाण्ड में अपना लण्ड के पिचकारी से भर दिया और सुस्त हो कर सोफ़ा में लेट गये।
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#99
हैलो दोस्तों आज आप जैसे देख रहे हैं कि स्टोरी काफी तेज चल रही हैं. इसका मतलब यह नहीं कि स्टोरी अब समाप्त हो गयी हैं और यह अपडेट आखरी या अन्तिम अपडेट नहीं है. अभी तो काव्या की गाँव की जर्नी की शुरुआत है काव्या सही मायने में गाँव की डॉक्टर साहिबा बनना बाकी है. अभी तो यह पहला सीजन खत्म हुआ है गाँव की डॉक्टर साहिबा का दूसरा सीजन इससे भी धमाके दार हो सकता है. आपको अगला यह स्टोरी या मेरे किसी भी थ्रेड का अगला अपडेट जून 2021 में मिलेगा या उसके बाद भी मिल सकता है. मेरे आवश्यक कार्य आने की वज़ह से. पर आप स्टोरी के साथ जुड़े रहिएगा अगला अपडेट आने तक. अपना सुझाव नीचे कमेन्ट करके बताते रहिएगा की आप सीजन 2 में  क्या क्या चाहते है......? धन्यवाद......
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Shukriya dost, magar aap CGARACTERS NAMES KO INTERCHANGE MAT KARO. Kabhi Suman aa jaata hai. Aapne puri story ki treatment slowly develop kiya magar Rahim - Afzal men bahot jaldbazi Kavya se karvaya. Achanak Rahim Afzal Kavya ke ghar pe kahan se aa gaye. Anyway it was hot update. But seduction was missing in Rahim Afzal scene.
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