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Adultery Hindi my best stories
#41
पापा ने मौसी को मौका लगते ही चोद दिया
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हेलो दोस्तों, एक दिन अचानक मेरी माँ बीमार हो गयी और उन्हे तुरंत हॉस्पिटल में भर्ति किया गया। फिर घर पर मेरे अलावा मेरे 2 छोटे भाई और एक बहन भी थी.. जो कॉलेज में पढ़ते थे। फिर जब माँ हॉस्पिटल में थी तो बच्चो का खाने बनाने की समस्या थी इसलिए मेरी माँ ने अपनी छोटी बहन यानि कि मेरी मौसी को फोन करके कुछ दिनों के लिए बुला लिया। मौसी को लेने पापा खुद रेलवे स्टेशन गये। फिर मौसी के आने से घर का खाना हम सभी सदस्यों को फिर से नसीब होने लगा था और बच्चे भी बहुत खुश थे। मौसी अपने दो लड़को के साथ आई थी उनके पति सरकारी दफ़्तर में चपरासी है।

फिर कुछ दिन बाद ऐसे ही मेरी माँ की तबीयत बिगड़ती गयी जिसके कारण उन्हें एक महीना और हॉस्पिटल में रहना पड़ा। तभी इन एक महीनों में मौसी हमारे साथ बहुत घुल मिल गयी। फिर वो कहीं पर भी जाती तो पापा के साथ उनकी बाईक पर उनके साथ बैठकर जाती.. जैसे कि वो उनकी पत्नी हो और ये बात मुझे बहुत ख़टकती थी। लेकिन मैं ज्यादा ध्यान नहीं देता था। फिर मैं कॉलेज को सुबह जाता था और शाम को वापस आता था और मेरे भाई बहन भी शाम को कॉलेज से आते। फिर दिन भर मौसी और उनके दो बच्चे घर पर रहते और पापा सुबह ऑफीस चले जाते।
मौसी दिखने में थोड़ी सांवली और थोड़ी मोटी थी। लेकिन उनके बूब्स बहुत बड़े बड़े थे और बड़ी भारी गांड थी और शायद उनका साईंज 36–34-40 होगा और मौसी हमेशा साड़ी पहनती थी और उनका ब्लाउज हमेशा टाईट होता था जिसमे से मौसी की बड़े बड़े बूब्स निकल कर आते थे। मौसी हमेशा लाल कलर की लिपस्टिक लगाती थी और माथे पर बड़ा सा सिंदूर लेकिन मौसी का स्वभाव बहुत ही अच्छा था। वो पापा के साथ एक दोस्त वाला व्यवहार करती थी।

फिर पापा हमेशा किचन में जाकर मौसी का हाथ बांटते लेकिन ये बदलाव उनमे अचानक कैसे आया.. समझ में नहीं आया। वो कभी भी माँ को घर के किसी भी काम में मदद नहीं करते थे। फिर एक दिन मैं कॉलेज से जल्दी घर पर आ गया। तभी मैंने देखा कि पापा की बाईक सामने वाले पार्क में खड़ी थी और मौसी के दोनों बच्चे बाहर आँगन में खेल रहे थे। तभी मैं घर में अंदर गया फ्रेश हुआ लेकिन घर पर कोई भी नहीं था और फिर मैं पानी पीने किचन में जाता.. उससे पहले ही मुझे किचन में से कुछ खुसुर फुसुर आवाज़ आने लगी। फिर मैंने छुपके देखा और फिर जो कुछ मैंने उस वक्त देखा मैं उसे देखकर एकदम से दंग रह गया.. पापा किचन में मौसी की बाहों में थे और फिर वो दोनों एक दूसरे से लिपट कर चुंबन ले रहे थे। तभी मौसी की आवाज़ आ रही थी.. आज के लिये बस करो ना अब बच्चे आ जाएँगे। फिर पापा ने कहा कि मेरी जान आज तुम मुझे मत रोको। फिर यह कहकर पापा ने मौसी को करीब दबा लिया और फिर वो उनकी पीठ को और गांड को पीछे से मसलकर मसाज करने लगे और मौसी हल्की हल्की आवाज़ कर रही थी शह्ह्ह्ह आह्ह्ह। फिर मौसी अपने दोनों हाथ से पापा के बालों को सहलाने में लगी हुई थी। फिर पापा ने मौसी को उठाकर ऊपर बैठा दिया और उनकी साड़ी को ऊपर करके अपना एक हाथ अंदर डाल दिया और मौसी की चूत के अंदर ऊँगली डाल दी।

मौसी के मुहं से सिसकियाँ निकलने लगी.. शायद वो अब गरम हो चुकी थी। फिर पापा ने एक हाथ से उनके बूब्स भी दबाने शुरू किये और एक हाथ से चूत की चुदाई। तभी मौसी ने एकदम से उन्हें धक्का दिया और बोली जानू अब बस हो गया.. बाकी रात में करेंगे हर रोज की तरह। ये सुनकर मैं हैरान हो गया। फिर मुझे पता चल गया कि ये दोनों रोज रात में ऐसे ही हरकतें करते है। फिर मैं कुछ देर टीवी देखता रहा और फिर टीवी की आवाज़ सुनकर पापा बाहर आ गये और फिर बोले तुम कब आए? तभी मैंने कहा कि अभी अभी एक मिनट पहले। तभी पापा इतना सुनकर दूसरे रूम में चले गये लेकिन उनके चहरे से साफ साफ दिख रहा था कि वो मुझसे कुछ छुपा रहे है। फिर मैं सोचने लगा कि मैं अपने रूम में सोता था इसलिए मुझे पता नहीं चलता था कि क्या होता था। हमारा छोटा घर है। एक बेडरूम जहाँ पर मैं अपने भाई बहन के साथ सोता हूँ और एक हॉल में मौसी अपने दोनों बच्चो के साथ सोती थी और पापा बालकनी में सो जाते थे। तभी मैंने ठान लिया था कि आज की रात किसी ना किसी बहाने से इनका सारा कार्यक्रम मुझे देखना ही है।

फिर मैं रात होने का बड़ी बेसब्री से इंतजार करने लगा। फिर रात में सोने के वक़्त मैं अपने रूम में चला गया और मौसी हॉल में सोने के लिए गद्दे बिछा रही थी। मौसी अपने दोनों बच्चो के साथ सोती थी और उस दिन पापा ने बच्चो से कहा कि चलो बच्चो मेरे साथ बालकनी में सोते है आज मैं तुम्हे बहुत सी अच्छी अच्छी कहानियाँ सुनाउंगा।

फिर ये कहकर पापा ने दोनों बच्चो को बालकनी में सुला लिया जो कि कुछ ही देर में सो गये। फिर मुझे उनका पूरा प्लान पता चल गया था। फिर मौसी अकेले हॉल में थी वो भी यही चाहती थी की बच्चे जल्दी सो जाए तो उनका काम शुरू हो। फिर मैंने भी अपना पत्ता खोला और फिर हॉल में जाकर मौसी से बोला कि मौसी मेरे रूम में एक चूहा मरा है जिसकी बदबू आ रही है तो मैं आज सोफे पर सो जाता हूँ। तभी मौसी ने मुहं लटकाकर कहा कि ठीक है तुम चाहो जहाँ सो जाओ। फिर मैं सोफे पर सो गया अब मुझे लगा कि पापा नहीं आएँगे क्योंकि मेरे सामने ये कुछ नहीं करेंगे और फिर मैं ऐसे ही लेटा रहा। तभी कुछ देर बाद आधी रात में मैंने सोने का नाटक करते हुए थोड़ी आँख खोलकर देखा कि तभी पापा मौसी के पास आकर बोले.. उठो ना। तभी मौसी बोली अरे तुम.. आज नहीं देखो रितेश यहीं पर सोफे पर सोया है कुछ 5 मिनट की बहस के बाद पापा बोले देखो वो सो रहा है हम बिना आवाज़ करे सब कुछ करेंगे। तभी मौसी बोली कि अच्छा बाबा और ये कहकर मौसी और पापा ने पप्पी ले ली और फिर मौसी बोली ओह्ह तुम भी ना बदमाश हो बड़े। ये कहकर वो दोनों एक गद्दे पर सो गये और फिर दोनों एक दुसरे को सहलाने लगे। फिर मौसी ने अपने बाल खुले छोड़ दिए और फिर पापा को बोली कि ओह जानू मेरे पास आओ ना। फिर पापा बनियान और लूँगी में थे और मौसी साड़ी में थी। तभी पापा बोले कि अरे रानी क्या ये साड़ी पहनी तुमने तुम्हारे पास मेक्सी या गाउन नहीं है क्या?

तभी मौसी बोली कि नहीं मैं लाना भूल गयी और दीदी की मेक्सी मुझे फिट नहीं होती। तभी पापा बोले कि कोई बात नहीं हम कल शॉपिंग पर चलते है तुम एक अच्छी से देखकर ले लेना। तभी मौसी बोली कि हाँ मुझे ब्रा और पेंटी भी लेनी है। फिर पापा बोले कि क्यों तुम्हारे पास नहीं है क्या? फिर मौसी बोली कि अरे बाबा तुमने मेरे बूब्स दबा दबा कर बड़े कर दिए है अब वो मेरे फिट नहीं हो रहे.. मुझे अब बड़ी साईज़ की ब्रा लेनी पड़ेगी और मेरी पेंटी भी फट गई है। तभी पापा बोले कि हाँ बाबा जो लेना है ले लेना। फिर मैं चुपचाप उन लोगों की बातें सुन रहा था फिर थोड़ी देर में दोनों एक दूसरे को किस करने लगे। फिर मौसी हर बार अपने दोनों पैरो से पापा के पैरो पर रगड़ती रही। फिर कुछ देर बाद मौसी ने अपने पैर से पापा की लूँगी को ऊपर किया और अपना एक हाथ लूँगी के अंदर डाल दिया। तभी पापा ने मौसी के होंठो पर एक चुम्मि दी मुआहह। फिर मौसी ने भी एक चुम्मि दी अहमम्मुहह। फिर मौसी अपनी जीभ पापा के होंठो पर फैरने लगी। तभी पापा ने तुरंत मौसी की जीभ को अपने मुहं में डाल लिया। फिर पापा ने लूँगी पूरी हटा दी अब पापा बनियान और अंडरवियर में थे। फिर मौसी बोली मैं नहीं कपड़े उतारूँगी मुझे बहुत शरम आती है। तभी पापा बोले कि मत शरमाओ मेरी जान.. ये कहकर पापा ने मौसी को फिर चूमना शुरू किया और फिर चूमते चूमते पापा ने मौसी के ब्लाउज का बटन खोल दिया और मौसी चूमने में व्यस्त थी।

फिर उनके पता चलने से पहले ही मौसी ब्रा में थी। तभी मौसी ने अपने ब्लाउज को निकालकर साईड में रख दिया। फिर मौसी ने भी बिना कहे अपनी साड़ी उतार दी। अब मौसी ब्रा और पेंटी में थी और पापा अंडरवियर में थे और फिर पापा उसके बूब्स दबा रहे थे।

तभी मौसी की भी सांसे तेज होती जा रही थी। फिर पापा बूब्स दबा रहे थे लेकिन वो ब्रा पहने हुई थी। फिर पापा ने ब्रा और पेंटी को मौसी से आजाद कर दिया। फिर जैसे ही पापा ने ब्रा उतारी उनके गोर गोर 36 के बूब्स पापा के सामने आ गए। फिर पापा पागल से होने लगे और मौसी को नीचे दबाकर उसके बूब्स पर टूट पड़े। फिर एक हाथ से उनके सीधे बूब्स को और जोर से और फिर दूसरे बूब्स को अपने मुहं में लेकर चूस रहे थे और हल्के हल्के दबा रहे थे। फिर पापा के हर बार दबाने के साथ मौसी का जोश बढ़ता जा रहा था और फिर वो पापा के सर को पकड़कर अपने बूब्स में दबा रही थी। फिर पापा जोर से उनको चूसने और मसलने लगे। फिर मौसी को भी मजा आने लगा और मौसी के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी उम्म हहाहा मरी मैं थोड़ा धीरे चूसो प्लीज..।

क्या मस्त चूचियाँ थी उनकी बहुत गोरी, सॉफ्ट और बहुत ही नाज़ुक पापा बेकाबू हो गये थे। फिर पापा ने मौसी की चूचियों को जी भरकर चूसा और फिर वो चूसते-चूसते एक हाथ को मौसी कीचूत पर ले गये और फिर ऊपर से ही मौसी की चूत को सहलाने लगे। फिर थोड़ा नीचे आकर पापा ने मौसी की चूत पर जीभ फैरने लगे तो मौसी पागल हो उठी।

फिर पापा धीरे-धीरे उनकी चूत को सहलाने लगे। सच में मौसी की चूत बहुत ही सेक्सी और कोमल थी। पापा तो बस मदहोश हो गये थे। फिर पापा धीरे धीरे उनकी चिकनी चूत को सहलाने लगे और उनकी चूत के दाने को उँगलियों से धीरे धीरे मसलने लगे। तभी मौसी की चूत बहुत गीली हो चुकी थी और मौसी अपने पैरो को सिकोड़ने लगी। तभी पापा समझ गये कि अब वो पूरी तरह से गरम हो चुकी है। फिर पापा ने जल्दी से उनकी पेंटी को खोलकर उसे उतार दिया और फिर चूत को चूमने लगे। तभी मौसी पापा के सर को जोर जोर से दबाने लगी और पापा भी जोश में आकर उनकी चूत को चूसने लगे। तभी पापा अपने आपे से बाहर हो रहे थे। फिर पापा ने अब मौका गंवाए बिना मौसी की चूत के पास मुहं लेकर गये और फिर चूत पर चूम लिया। तभी मौसी ने अपने दोनों पैर चौड़े कर दिये। फिर मौसी की चूत को देखकर साफ़ पता लग रहा था कि मौसी ने अपने बाल आज ही साफ़ किये थे मतलब आज वो इसके लिए तैयार थी। फिर पापा चूत के दाने को जीभ से चाट रहे था और जीभ को अंदर भी डाल रहे थे मौसी की चूत में। फिर मौसी बहुत गरम हो गई थी और वो अपनी कमर उठाकर पापा की जीभ को अंदर लेने लगी। फिर मौसी के दोनों हाथ पापा के सर पर थे और वो पापा के सर को दबाकर उनका मुँह अपनी चूत के और पास ले जाने की कोशिश कर रही थी।

तभी पापा उठे और अपनी अंडरवियर जल्दी से उतार दी और फिर पापा जल्दी से नीचे आए और फिर अपने दोनों पैर फैला कर लेट गये और मौसी को अपने ऊपर खींच लिया। तभी मौसी समझ गई और फिर मौसी लंड को हाथ में लेकर ऊपर नीचे करने लगी। फिर जैसे ही मौसी ने हिलाना शुरू किया पापा तो जन्नत का मजा महसूस करने लगे। फिर पापा ने लंड को मुहं में लेने को कहा। तभी मौसी तुरंत ही मान गई। फिर धीरे-धीरे मौसी ने लंड के टोपे को मुँह में ले ही लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। फिर कुछ 15 मिनट तक मौसी ने पापा के लंड को चूसा होगा। तभी मौसी बोली कि अब मुझसे कंट्रोल नहीं होता अब डाल दो। पापा भी अब तैयार थे तभी पापा ने एक तकिया उनकी कमर के नीचे लगाया और फिर मौसी की जाँघें अपनी जाँघों पर चढ़ा लीं। फिर पापा अपने लंड को मौसी की चूत पर फैरने लगे और अब उनकी चूत तन्दूर की तरह गरम थी। फिर पापा अपने लंड को धीरे धीरे मौसी की चूत में घुसाने लगे.. लेकिन उनकी चूत बहुत गीली थी। फिर लंड का सुपाड़ा चूत के अन्दर जाते ही वो जोर से बोली कि मुझे बहुत दर्द हो रहे है। फिर पापा वहीं पर रूक गये और उनकी चूचियों को सहलाने लगे और फिर मौसी के होठों को चूमने लगे। तभी थोड़ी देर में मौसी जोश में आ गई और अपने चूतड़ उठाने लगी। तभी पापा ने ऊपर से थोड़ा जोर लगाया और फिर लंड उनकी चूत में तीन इंच घुस गया। तभी मौसी जोर से चिल्लाने लगी और पापा ने अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिये।

फिर मौसी आँखें बंद किये सिसकियाँ भर रही थी। तभी पापा को सही मौका मिला और अचानक उन्होंने एक जोर का झटका दिया और अपना पूरा लंड उनकी चूत में घुसेड़ दिया। तभी वो बहुत जोर से चीखी और जोर से तड़पने लगी और कहने लगी कि बाहर निकालो शायद बच्चे उठ चुके है। तभी पापा वहीं पर रूक गये और फिर पापा ने मौसी को प्यार से समझाया कि मेरा पूरा लंड चूत में चला गया है। अभी थोड़ा सा दर्द होगा लेकिन बाद में जो मज़ा आएगा वो तुम्हे तुम्हारा पूरा दर्द भुला देगा और बच्चो की तुम चिंता मत करो मैंने आज खाने में नींद की कुछ गोली मिला दी है। तभी मेरे समझ में आया कि पापा ने आज मुझसे खाने के लिये क्यों पूछा था लेकिन मैंने खाना खाया ही नहीं। फिर पापा ने मौसी के लाख कहने पर भी अपना लंड उनकी चूत से बाहर नहीं निकाला। फिर पाँच मिनट तक पापा सिर्फ़ बूब्स को चूसता रहे और मौसी के पूरे शरीर पर हाथ फैरते रहे। तभी धीरे धीरे मौसी का दर्द कम हुआ और फिर पापा को जोश आने लगा और वो पापा से चिपक गई और अपने चूतड़ उठाने लगी। फिर उनकी चूत लंड को कभी जकड़ती और कभी ढीला छोड़ती। फिर पापा इशारा समझ गये और फिर पापा ने धीरे धीरे अपने लंड को उनकी चूत में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया।

तभी थोड़ी देर में मौसी को भी मज़ा आने लगा और फिर मौसी भी गांड को उठाकर चुदाई का मज़ा लेने लगी। फिर करीब 15 मिनट तक पापा ने उसे बिना रुके चोदा और इतनी देर में मौसी की चूत भी गीली हो गई और उनका दर्द कम हो गया और मौसी भी बहुत मज़े लेकर चुदवाने लगी। फिर मौसी भी नीचे से गांड हिलाकर पापा का साथ दे रही थी और बोल रही थी अह्ह्ह ईईइ जोर से तेज और तेज करो.. मुझे चोदते रहो जोर से और जोर से चोदो मुझे। तभी पापा ने पूरे जोश में आकर तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए। फिर कुछ देर बाद मौसी एकदम से अकड़ने लगी और पापा की पीठ और कन्धों पर नाख़ून चुभाने लगी और फिर एकदम से पापा से लिपट गई और झड़ गई..

लेकिन पापा तो अभी भी जोश में थे। तभी मौसी बोली कि रुको मत पता नहीं कब मौका मिले फ़िर उनकी आँखों से आँसू निकल पड़े लेकिन पापा रुके नहीं और फिर पापा अपने लंड को अंदर बाहर करते रहे। कुछ देर बाद मौसी को भी मज़ा आने लगा और मौसी भी पापा का साथ देने लगी। तभी वो अपनी कमर को पापा के साथ साथ आगे पीछे करने लगी। इसलिए मज़ा और ज़्यादा आने लगा ऐसा करते करते कुछ देर बाद मौसी फिर झड़ गयी। उनकी गरम चूत गीली हो गई और वो शांत पड़ गई लेकिन पापा रुके नहीं और फिर से उन्हें चोदते रहे। तभी मौसी ने पापा को रुकने को कहा लेकिन पापा रुके नहीं और अपना काम करते रहे।

फिर लगभग 10 मिनट के बाद पापा भी झड़ने लगे तो पापा ने पूछा कि वीर्य बाहर निकालूँ या अन्दर ?
तभी मौसी बोली कि मैं पुरा मजा लेना चाहती हूँ तुम अंदर ही डाल दो,,
मेरा आपरेशन हो गया है वाच्चा नहि होगा।
। फिर पापा ने जोर जोर से झटके मारे और फिर थोड़ी देर में अपना सारा वीर्य मौसी की चूत में निकाल दिया।

दोस्तों क्या बताऊँ जिस समय उन दोनों की चुदाई चल रही थी मेरा लंड खड़ा होकर कुतुबमीनार बन चुका था। मुझे उनकी चुदाई देखकर मुठ मारने की इच्छा होने लगी। लेकिन वो दोनों मेरी छाती पर मूंग दल रहे थे और मैं लंड को काबू में ले रहा था। उनकी चुदाई से मैं सातवें आसमान में उड़ रहा था ऐसा मजा मुझे आज तक नहीं मिला था।

तभी मौसी बोली कि तुम्हारे गरम गरम वीर्य को मैं अपनी चूत में महसूस करना चाहती थी।
तभी पापा ने पूछा कि तुम्हे मजा आया ना?
फिर मौसी बोली कि अभी तो पूरी रात है तुम तो बिना रुके मजा देते रहो। आज हमे बच्चो की कोई चिंता नहीं।

फिर उस रात पापा ने 3 बार और सेक्स किया और फिर पापा और मौसी दोनों फिर वापस अपनी अपनी जगह पर आकर सो गये। फिर पापा ने सुबह उठकर दिनचर्या का काम पूरा का किया और ऑफिस चले गए। फिर जब कभी भी उन्हें मौका मिलता वो फिर से चुदाई करते थे। फिर जब माँ की तबियत ठीक हुई तब कहीं जाकर मौसी अपने घर गई और वो भी मेरे कई बार ताने मारने पर। लेकिन मुझे अभी भी शक है कि वो दोनों कहीं ना कहीं चुदाई जरुर करते होंगे लेकिन मैंने अभी तक माँ को ये बात नहीं बताई ।
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#42
पड़ोसन चाची की चुदाई उन्हीं के घर पर
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दोस्तो, मेरा नाम देव है.. मैं झारखंड का रहने वाला हूँ।
यह हॉट सेक्स स्टोरी मेरी और मेरी पड़ोसी चाची के बीच की है। मैं चाची को फाँसना चाहता था पर हिम्मत नहीं पड़ती थी। फिर कुछ ऐसा हुआ कि चाची ने खुद ही मुझे फाँसा लिया।
तो कहानी शुरू करते हैं।

नाम मैं बता ही चुका हूँ, मेरी उम्र 24 साल है। मेरा लंड 8 इंच का है और खूब मोटा है।
मेरे बगल में एक परिवार रहता है रामनाथ चाचा का। छोटे शहरों में सभी पड़ोसी चाचा होते हैं और पड़ोसिनें चाची। इसी नाते मैं उन्हें चाचा कहता था। उनकी पत्नी यानि मेरी चाची का नाम रत्ना है। उनकी उम्र करीब 38 साल की होगी, पर देखने में तीस से ज्यादा की नहीं लगतीं। उनकी फीगर बड़ी मस्त है 34-28-36 की। पर उनसे मेरा कोई ऐसा-वैसा संबंध नहीं था। कभी मैंने उन्हें गलत निगाह से नहीं देखा था। बचपन से ही, जब से होश सम्हाला था, मैं उन्हें चाची के रूप में ही देखता चला आ रहा था।
पर अभी कुछ दिन पहले मेरी निगाह में फर्क आ गया।

जबसे में चुदाई की कहानियां पढ़नी शुरू की हैं, तब से मुझे हर लड़की या सुन्दर औरत को चोदने का मन करता है। ऐसे में भला रत्ना चाची के प्रति मेरी निगाह भला शुद्ध-सात्विक कैसे रह सकती थी।
चाची के यहाँ जाना हमेशा से ही मेरे लिये सामान्य बात थी। बचपन में तो सारा-सारा दिन उनके यहाँ खेला करता था। तभी से जब चाची ब्याह कर भी नहीं आयीं थीं। जब चाची ब्याह कर पहले पहल आयीं तब तो मैं घंटों उनके ही आगे-पीछे घूमा करता था। घूंघट काढ़े, बढ़िया-बढ़िया गहने-कपड़ों में सजी चाची मुझे बहुत अच्छी लगती थीं।
पहले कोई बात नहीं थी पर अब मैं हर समय यही जुगाड़ खोजा करता था कि किस तरह चाची की चूत ली जाये। हजार तरकीबें सोच रहा था पर कोई मौका नहीं बन रहा था और हिम्मत भी नहीं पड़ रही थी। अगर मैंने कुछ ऐसा-वैसा कहा या किया और चाची ने पलट के मेरे तमाचा जड़ दिया तो। वे खुद ही तमाचा मार कर संतोष कर लें तो भी कोई बात नहीं, अगर उन्होंने मेरे घर में किसी को बता दिया तब तो बस डूब मरने की ही नौबत आ जायेगी।
पर कुछ भी हो मेरे दिलो-दिमाग पर चाची की सेक्सी फीगर छा गयी थी। रात में भी चाची के ही बारे में सोचता रहता। भगवान से मनाया करता कि कोई जुगाड़ बना दें। लगभग रोज ही बिस्तर पर मैं आँखें बन्द करके सोचता कि चाची मेरे साथ हैं और मैं उनके नाम की मुठ मार कर अपने को किसी हद तक संतुष्ट कर लेता।
शायद भगवान ने मेरी प्रार्थना सुन ली, उन्हें मेरी बेचैनी पर तरस आ गया।
एक दिन चाची को किसी काम से बाहर जाना था, तो चाची मेरी मम्मी को बोली- दीदी मुझे जरा बाजार तक जाना है, देव को साथ भेज दीजिए, बाइक से लिये जायेगा मुझे।
मम्मी ने जवाब दिया- तो ठीक है ले जाइए।
मैंने बाइक निकाली फिर हम लोग बजार चले गए। बाजार में रत्ना चाची एक लेडीज कॉर्नर पर गईं, वहाँ से उन्होंने कुछ ब्रा-पैन्टी लीं।
मुझे लगा कि चाची अभी कुछ और भी खरीदेंगी पर उन्होंने उतनी ही खरीदारी कर वापस लौटने के लिये कहा। मुझे थोड़ा अजीब लगा, औरतें किसी जवान लड़के के साथ ब्रा-पैंटी खरीदने कभी नहीं जातीं। यह काम वे अपने पति या किसी पति जैसे ही करीबी के साथ ही करती हैं। तो क्या चाची के मन में भी मेरे लिए कुछ है?
सोचकर ही मेरे मन में रसगुल्ले फूटने लगे पर अपनी तरफ से कुछ कहने की हिम्मत अभी भी नहीं थी।
फिर हम लोग घर की तरफ चल दिए। तभी चाची मुझसे मेरी गर्लफ्रैंड के बारे में पूछने लगीं।
उनकी बात सुनकर मैं फिर अचकचा गया। चाची के साथ पहले कभी मेरी इस तरह की बात नहीं हुयी थी। पर साथ ही अच्छा भी लगा। उम्मीदें जवान होने लगीं कि शायद यही बातें आगे बढ़ने का रास्ता खोल दें। मैंने सकुचाते हुए उन्हें अपनी गर्ल-फ्रैंड के बारे में बता दिया।
बातों ही बातों में चाची ने आचानक पूछा- कभी सेक्स किए हो उसके साथ?
चाची की बात सुनकर मैं तो बिलकुल ही चिहुँक गया, हड़बड़ाहट में ही मैंने बाइक रोक दी।
चाची मेरी घबराहट समझ गयीं, मुस्कुराकर बोलीं- डरो मत मैं किसी से नही बोलूँगी।

फिर क्या था … हम लोग खुलकर बातें करने लगे। बातों में पता ही नहीं चला कि कब घर पहुँच गए। मैं अभी चाची से बिछड़ना नहीं चाहता था पर सभ्यता का तकाजा था कि मैंने उनसे जाने की इजाजत मांगी।
उन्होंने भी इजाजत दे दी। पर जैसे ही मैं अपने दरवाजे की ओर बढ़ा, उन्होंने पीछे से आवाज दी- थोड़ी देर बाद घर आना कुछ दिखाना है।
मैंने बोला- ठीक है।
और धड़कते दिल के साथ अपने घर आ गया।
माँ का सामना करने का साहस नहीं हो रहा था। मन में लड्डू फूट रहे थे। चेहरा तमतमा रहा था। किसी तरह बेसब्री से मैंने एक घंटा काटा और माँ से बोलकर चाची के घर चल दिया।

जब मैं उनके घर पहुँचा तो देखा कि दरवाजा खुला है। मैंने अंदर जाकर सोफे पर बैठ कर टीवी आन किया और अपना ध्यान उसकी ओर लगाने की कोशिश करने लगा। पर दिमाग उधर लग ही नहीं रहा था वह तो यही सोच रहा था कि चाची कहाँ हैं? वे आयें तो मेरी आँखों को सुकून मिले।
तभी मुझे आभास हुआ कि बाथरूम से कुछ आवाज आ रही है। शायद चाची बाथरूम में नहा रही थीं। अचानक मेरे दिल में चाची को नंगी देखने की लालसा जाग उठी। शायद दरवाजे की किसी झिर्री से देखने का मौका हाथ लग ही जाये।
मैं तुरंत बाथरूम की तरफ गया। आह! बाथरूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था।

मैं झाँकने लगा, मैंने देखा कि रत्ना चाची बिल्कुल नंगी नहा रही थीं, उनकी पीठ मेरी तरफ थी। चाची को उस अवस्था में देखकर मेरे गाल तमतमा गये, पैंट में लंड कड़क होने लगा। मैं भूल गया कि मैं कहाँ हूँ और क्या कर रहा हूँ। मैं तो तब चाची के बदन के तिलिस्म में खो गया था।
अचानक चाची मुड़ीं। उनके मुड़ते ही मुझे होश आया, होश आने के साथ ही बुरी तरह घबरा भी गया, मारे घबराहट कुछ समझ नहीं आया बस वहाँ से निकल आया।
कमरे में आकर मैं सोचने लगा कि कुछ न कुछ बात तो है। अब अपने आप चाची ने बाजार में जो बातें मुझसे की थीं वो सब मुझे याद आने लगीं। मैं सोचने लगा कि मुझे बुला कर फिर बाथरूम का दरवाजा खुला छोड़कर पूरी तरह नंगी होकर नहाने के पीछे कुछ न कुछ मतलब जरूर है। बार-बार वही सीन आँखों के सामने आने लगा, सोचने लगा कि उसे दोबारा जाकर देखूँ परंतु हिम्मत नही हो रही थी।
एक तरफ उम्मीदें बढ़ रही थीं दूसरी तरफ बहाने भी सोच रहा था कि अगर चाची आकर गुस्सा हुयीं तो क्या कहूँगा। देख तो उन्होंने भी मुझे शर्तिया लिया था।
मैं दोबारा चाची के घर चला गया. चाची नहाकर निकलीं तो सिर्फ तौलिया लपेटे हुये थीं। हाय! क्या गजब लग रही थीं। अपना तो पूरी तरह कड़क होकर खड़ा हो गया। बिना सोचे-समझे मुँह से निकल गया- चाची आप बहुत खूबसूरत लग रही हो।
बोलने के साथ ही एक बार डर भी लगा पर वह डर अगले ही क्षण चाची ने दूर भी कर दिया।
बोलीं- तो इतना घबरा क्यों रहे हो?
कहकर वे बड़ी अदा से हँ पड़ीं।
“वो वो वो …” मैं हकलाने लगा।
वो हँसती हुई बोलीं- वैसे तो कितना घूरा करते हो आज कल मुझे … जैसे मुझे खा जाना चाहते हो। पर मौका मिलने पर इतने डरपोक निकलोगे, मैंने नहीं सोचा था।
किसी तरह हिम्मत कर मैंने कहा- वो आपने कुछ दिखाने को बुलाया था।
उन्होंने फिर हँसते हुए कहा- तो देखने लायक हालत में तो आओ पहले।
कहने के साथ ही उन्होंने तौलिया खोल कर बेड पर उछाल दी।
अब चाची बस ब्रा और पैंटी में थीं। मैंने गौर किया कि ये वही ब्रा और पैंटी थीं जो आज उन्होंने मेरे साथ खरीदी थीं। उनका सांचे में ढला जिस्म देख कर मेरा बदन थरथरा उठा। मेरी साँसें तेज हो गयी।
पैंट में लंड तो पहले ही अकड़ रहा था।
वो बोलीं- यही दिखानी थीं। कैसी लग रही हैं?
अब रास्ता साफ था; डरने की कोई जरूरत नहीं थी; चाची भी वही चाहती थीं जो मैं चाहता था।
मैं बोला- गजब की लग रही हो चाची। सच में इतनी हॉट होगी आप मैंने सपने में भी नहीं सोचा था।
मेरी बात सुनकर चाची एक आँख दाब कर बड़ी कुटिलता से मुस्कुरायीं और बोलीं- तो फिर सोच क्या रहे हो?
मैंने जवाब दिया- कुछ नहीं चाची।
कहने के साथ ही मैंने उन्हें अपनी गोद में उठा लिया। उनके मादक शरीर के स्पर्श ने मुझे ऊपर से लेकर नीचे तक सनसना दिया था।
मैंने ले जाकर उन्हें बेड पर पटक दिया और उनके ऊपर चढ़ गया।
वे अब भी मुस्कुरा रही थीं, वैसे ही बोलीं- क्या इन कपड़ों में ही करोगे सब कुछ?
अब मेरी हिम्मत पूरी तरह से खुल चुकी थी, बेझिझक मैं बोला- आप ही आजाद करा दो न मुझे इनसे!
उन्होंने फिर आँख दाबते हुए कहा- आय हाय मेरे राजा! अब की न मर्दों वाली बात।
कहने के साथ ही उनकी उँगलियाँ मेरे कपड़ों के साथ उलझ गयीं। कुछ ही देर में मैं उनके सामने पूरी तरह से नंगा पड़ा था। उन्होंने मेरे कड़क लंड को अपनी मुट्ठी में दबा लिया।
मैंने भी उनको उस ब्रा और पैंटी से आजाद करने में कतई देर नहीं की।

जैसे ही उनके बूब्स खुलकर मेरे सामने आये मेरे से रहा नहीं गया, मैंने अपने दोनों हाथों में उनके खरबूजे जैसे बूब्स भर लिये और मनमाने तरीके से दबाने लगा। सच में बहुत मजा आ रहा था।
वो ‘सीसी! उम्म्ह! अहह! हाय! याह! सीईइ..! करने लगीं।
फिर मैंने उनके एक बूब को अपने मुँह में भर लिया और अपना एक हाथ नीचे सरकाते हुए उनकी चूत पर रख दिया। उनकी चूत पूरी तरह चिकनी थी। ऐसा लग रहा था जैसे थोड़ी देर पहले ही बनाई हो। उन्हें पूरा मजा आ रहा था।

मैं चाची की चूत में उँगली करने लगा तो उनकी सिसकारियाँ और तेज हो गयीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
फिर मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिये और चूसने लगा। वो भी मुझे पूरा सहयोग दे रही थीं। अब मेरे होंठ उनके होठों पर थे, एक हाथ उनके बूब्स के साथ खेल रहा था और दूसरा उनकी चूत में उँगली कर रहा था। मेरी लॉटरी निकल आयी थी।
अचानक वे बोलीं- नीचे वाले होंठ भी तो चूस। देख कितना मजा आता है।
मैं उनके आदेश पर अमल करता हुआ 69 की पोजीशन में आ गया और उनकी चूत चाटने लगा। उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया था और लॉलीपॉप की तरह चूस रही थीं। हम दोनों के ही मुँह से सिसकारियाँ छूट रही थीं। हमारी सांसें हमारी छाती को फाड़ कर बाहर आना चाह रही थीं।
मुझे इस काम का अभ्यास तो था नहीं, आज दूसरी बार ही सेक्स कर रहा था। पहली बार अपनी गर्ल-फ्रैंड के साथ किया था। हाँ, उसके साथ चूमा-चाटी अक्सर कर लिया करता था। बहरहाल चाची के अभ्यस्त होंठों की चुसाई का नतीजा यह हुआ कि जल्दी ही मुझे लगने लगा कि मैं झड़ जाऊँगा।
मैंने चाची को बताया तो वो बेझिझक बोली- छोड़ दे मेरे मुँह में ही।
मेरा शरीर एक बार अकड़ा और फिर मेरी पिचकारी छूट ही गयी। चाची बिना किसी झिझक के मेरा सारा वीर्य गटक गयीं।
मेरा लंड बेचारा मुरझाकर लटक गया। मैं ढीला पड़ने लगा।
तो चाची बोलीं- ढीला मत पड़ राजा। मैंने तुझे जितना मजा दिया है उतना ही मुझे दे।
मैं बोला- पर चाची मेरा तो …
उन्होंने मादक स्वर में मेरी बात बीच ही में काट दी- उसकी चिंता तू मत कर, मुझे करने दे। तू अपना काम कर।
मैं पूरे मन से अपना काम करने लगा। पूरे जोश से उनकी चूत चाटने लगा। फिर मैंने अपनी दो उँगलियाँ उनकी चूत में डाल दीं और उँगलियों से उन्हें चोदने लगा। उनकी सिसकारियाँ तेज हो गयीं। उन्होंने मेरे लंड के साथ खेलना तेज कर दिया। मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा।
थोड़ी ही देर में वे भी झड़ गयीं।
कुछ देर हम वैसे ही लेटे रहे। उन्होंने मुझे फिर सीधा कर लिया और मुझे प्यार करने लगीं। मेरे होठों पर, गालों पर सब जगह उनके होंठ अपने दस्तखत करने लगे।

थोड़ी ही देर में मैं फिर पूरी तरह तैयार था। मुझे रेडी देखकर वो बोलीं- तो फिर असली काम शुरू करें राजा?
मैंने जवाब दिया- नेक काम में देर कैसी रानी।
मैंने पहली बार उन्हें रानी कहा था। आखिर हम मुख मैथुन कर ही चुके थे और असली मैथुन के लिये जा रहे थे, अब इतना तो बनता ही था।
मेरी हामी सुनते ही वो बोलीं- तो राजा वो वैसलीन की डिब्बी उठा जरा।
मैंने सामने टेबल पर रखा वैसलीन की डिब्बी उठाया और उँगली से वैसलीन निकाल कर अपने लंड पर चुपड़ ली।
जब मैंने वैसलीन चुपड़ ली तो वो बोलीं- अब आ जा राजा!
कहने के साथ ही उन्होंने अपने पैर खोल दिये और बोलीं- धीरे से पेलना।
उनकी बात मैंने एक कान से सुनी और दूसरे से निकाल दी।
मैंने बस अपना लंड उनकी चूत पर सेट किया और एक जोर का झटका मारा। लंड उनकी चूत में दूर तक उतरता चला गया। कुछ लंड पर लगी वैसलीन का कमाल था तो कुछ चाची भी कोई नई नवेली तो थीं नहीं, जाने कितनी बार कितनी तरह के लंड झेल चुकी होगी उनकी चूत।
हम दोनों की रेलगाड़ी फुल स्पीड में दौड़ने लगी। मैं पसीना-पसीना होने लगा।

थोड़ी देर बाद में मैं उनकी चूत में ही झड़ गया।
झड़ने से पहले मैंने पूछा- चाची मैं झड़ने वाला हूँ, क्या करूँ ?
मेरा मतलब था कि चूत में ही निकल जाने दूँ या लंड बाहर निकाल लूं?
उन्होंने फिर बेफिक्री से बोला- तु चिंता क्यों करता है बेकार में … चूत में ही झड़ जा मेरा बाच्चा नही होगा ।
मैंने अपना सारा माल उनकी चूत में झड़ जाने दिया।

हम लोग एक बार फिर ढीले पड़ गये। कुछ देर दोनों वैसे ही लेटे एक दूसरे को प्यार करते रहे फिर उठकर बाथरूम गए, साथ नहाए और फिर मैं अपने घर आ गया।
अब जब भी टाइम मिलता है, मैं उनकी चूचियां दबा कर किस कर लेता हूँ। और यह टाइम तो रोज ही एक-दो बार मिल जाता है। अब तो कभी-कभी औरों की मौजूदगी में भी मैं नजर बचा कर उनकी चूचियाँ दबा देता हूँ।
हफ्ते में एक-दो बार उनकी चूत मारने का मौका भी मिल ही जाता है।
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#43
दोस्त के बर्थ-डे पर उसकी माँ को चोदा
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हैल्लो दोस्तों, चोदू राजा का आप सभी को प्यार भरा नमस्कार. इस कहानी के पात्रो से आप सभी का परिचय करवा देता हूँ. दोस्तों अजय मेरा बहुत पुराना दोस्त है और में हमेशा उसके साथ में अपनी हर एक बात करता हूँ और बहुत मौज मस्ती भी करता हूँ. दोस्तों अजय 22 साल का एक हट्टाकट्टा लड़का है और हम दोनों में बहुत बनती है. दूसरी पात्र सीमा वो अजय की माँ है जो कि एक सेक्सी माल है, उनकी उम्र करीब 35 है और वो बला की सुंदर, थोड़ी पुरानी सोच, लेकिन वो बहुत अच्छे व्यहवार और विचारों की औरत है और उनका फिगर 38 -34 -38 है और वो दिखने में दूध जेसी सफेद और आज भी बहुत जवान लगती है.

दोस्तों इस कहानी का तीसरा पात्र जी हाँ वो में हूँ और मुझे चुदाई का बहुत शौक है और यह घटना मेरे साथ करीब एक साल पहले घटित हुई वैसे तो में एक चुड़क्कड़ किस्म का इंसान हूँ तो इसलिए में हमेशा कोई ना कोई चूत ढूंढता रहता हूँ. दोस्तों मेरा अजय के यहाँ पर रोज का आना जाना लगा रहता था, लेकिन उसकी माँ को देखकर हमेशा से ही मेरा लंड उसे चोदने को होता था, लेकिन मुझे कभी कोई ऐसा मौका नहीं मिला जिसका में अच्छी तरह से फायदा उठा सकता? वैसे हम हमेशा थोड़ी बहुत हंसी, मजाक बातें कर लिया करते थे.

दोस्तों अब अजय का जन्मदिन बहुत नज़दीक आ रहा था और उसके पापा किसी जरूरी काम से कुछ दिनों के लिए बाहर गये हुए थे. मैंने उसे एक दिन फोन किया और पेपर होने के कारण हम ज़्यादा घूम नहीं पा रहे थे. अजय हैल्लो..

में : अजय क्यों कहाँ है यार?

अजय : यार में तो अपने घर पर हूँ और टी.वी. देख रहा हूँ.

में : यार चल ना कोई फिल्म देखने चलते है.

अजय : रुक में अभी अपनी माँ से पूछता हूँ.

में : ठीक है थोड़ी देर बाद दोबारा फोन करता हूँ.

अजय : यार मेरी माँ मुझसे जाने के लिए मना कर रही है, वो कह रही है कि घर पर ही रह, यार तू मेरे घर पर आजा हम लोग घर पर ही फिल्म देख लेते है.

में : ठीक है में बीस मिनट में तेरे पास आता हूँ.

अजय : हाँ ठीक है.

फिर में तैयार होने लगा और मन ही मन बहुत खुश भी था कि मुझे आज उसकी सेक्सी माँ को देखने का मौका मिलेगा. में तैयार होकर अजय के घर को निकल गया और उसके घर पर पहुंचकर मैंने घंटी बजाई, अजय ने दरवाजा खोला और मुझसे अंदर आने को कहा.

में : अजय अंकल और आंटी कहाँ है?

अजय : यार पापा एक हफ्ते के लिए काम से बाहर गये है और माँ अभी सो रही है.

में : यार छुट्टियाँ भी है, लेकिन मौज मस्ती नहीं की तो अब तरस रहा हूँ और तू बता तू तो अंजलि को मिलने जा रहा था ना?

अजय : नहीं यार नहीं जा पाया घर में काम बहुत है और माँ नाराज़ हो है इसलिए नहीं गया.

में : कोई बात नहीं यार माँ मान जाएगी.

अजय : चल अब फिल्म देखते है, में कल ही लेकर आया था.

में : हाँ चल बहुत दिन हो गये फिल्म देखे.

दोस्तों अब हम अजय के रूम में जाकर फिल्म देखने लगे और एक घंटे बाद आंटी उठ गई और उस कमरे में आई जिसमें हम बैठे हुए फिल्म देख रहे थे.

आंटी : क्यों क्या देख रहे हो तुम दोनों?

में : नमस्ते आंटी.

अजय : फिल्म देख रहे है माँ.

आंटी : ठीक है, में तुम लोगों के लिए कुछ खाने को लेकर आती हूँ.

फिर इतना बोलकर आंटी किचन में जाने लगी और में उनकी साड़ी में उनकी मटकती हुई गांड को देखने लगा, क्या मस्त लग रही थी? फिर हम फिल्म देखने लगे और बीस मिनट बाद आंटी हमारे लिए चाय और स्नेक्स लेकर आई और वो भी हम लोगों के साथ बैठ गई और मुझसे कहने लगी लो बेटा चाय पियो और अब हम दोनों अपनी अपनी चाय अपने हाथ में लेकर स्नेक्स खाने लगे. फिर आंटी ने मुझसे पूछा कि राजा तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है?

में : जी आंटी बहुत अच्छी चल रही है.

आंटी : क्यों आज कल तुम घर पर आते नहीं हो?

में : आंटी पेपर है तो ज़्यादा समय नहीं निकल पाता इसलिए.

आंटी : हाँ बेटा अच्छी बात है और अपनी पढ़ाई में ज्यादा से ज्यादा मन लगाकर पढ़ाई करो.

में : अरे यार अजय तेरा जन्मदिन भी तीन दिन बाद है क्यों मनाएगा ना?

अजय : यार तू तो अच्छी तरह से जानता है कि इस समय पापा घर पर नहीं है तो बहुत मुश्किल है.

में : देख में कुछ नहीं जानता मुझे तो पार्टी चाहिए.

अजय : यार, लेकिन.

में : में लेकिन वेकिन कुछ नहीं जानता, में तेरे घर आ जाऊंगा और फिर में, आंटी और तू मज़े करेंगे, क्यों आंटी मैंने ठीक कहा ना?

आंटी : हंसते हुए बोली कि हाँ ठीक है में खाना बना लूँगी.

में : क्यों अजय ठीक रहा ना?

अजय : हाँ ठीक है यार.

में : अब यार में चलता हूँ जन्मदिन पर आ जाऊंगा, ठीक है आंटी नमस्ते.

आंटी : ठीक है बेटा नमस्ते.

अब में अपने घर के लिए निकल लिया. मैंने बाहर अजय को बोला कि यार तू बिल्कुल भी फ़िक्र मत कर, में अपने साथ विस्की ले आऊंगा.

अजय : यार माँ के सामने तू क्या मुझे मरवाएगा?

में : यार उसकी फ़िक्र तू मत कर, आंटी को में मना लूँगा, ठीक है बाय.

अजय : ठीक है बाय.

फिर में अपने घर पर चला आया और में अपने घर पर आकर बस उसकी माँ को चोदने के बारे में सोच रहा था कि में उसे कैसे चोदूँ और बहुत सोचने के बाद मुझे उसके जन्मदिन पर वो मौका मिल रहा था और वो सब सोचते सोचते में ना जाने कब सो गया. फिर उसके जन्मदिन के दिन मैंने अजय को फोन करके जन्मदिन की बधाईयाँ दे दी और मैंने उससे पार्टी का समय पूछा तो वो मुझसे बोला कि तुम शाम को 7 बजे आ जाना. फिर में बोला कि ठीक है और मैंने फोन कटकर दिया.

दोस्तों उसकी माँ को सोचकर ही सारा दिन लंड खड़ा होता रहा. में तीन बजे घर से बाजार चला गया और मैंने अजय के लिए एक शर्ट खरीद ली. उसके बाद मैंने एक वाईन शॉप से एक विस्की की फुल बोतल ली और फिर मैंने मेडिकल स्टोर से एक कंडोम का पेकेट भी ले लिया और अब अपने घर पर आकर में तैयार होने लगा, में आज बहुत खुश था और डियो लगाकर में अजय के घर के लिए निकल गया और उसके घर पर ठीक समय पर पहुंच गया. फिर उसकी माँ ने दरवाजा खोल दिया और मैंने उनसे हैल्लो आंटी कहा.

आंटी : हैल्लो बेटा, चलो अंदर आ जाओ.

में : क्या आंटी आप अभी तक तैयार नहीं हुई?

आंटी : तैयार क्या होना बेटा तुम लोग जन्मदिन मना लेना.

में : आंटी जन्मदिन तो जन्मदिन है ना और अब आपको भी हमारे साथ मनाना होगा, प्लीज आप अब तैयार हो लीजिए.

आंटी : ठीक है बेटा तुम बैठो, अजय अपने रूम में है और कहते हो तो में भी अभी तैयार होकर आती हूँ.

दोस्तों अब आंटी अपने रूम में चली गई और में अजय के रूम में.

में : जन्मदिन मुबारक हो अजय.

अजय : मेरे गले लग गया और उसने मुझे धन्यवाद बोला.

में : मैंने उसे गिफ्ट वाली शर्ट दे दी और उससे तैयार होने को बोला और अब वो भी तैयार होने लगा. फिर मैंने उससे कहा कि अजय देख में तेरी पसंद की ब्रांड विस्की लेकर आया हूँ तो वो उसे देखकर बहुत खुश हुआ और अब हम तैयार होकर हॉल में पहुंच गये और आंटी का इंतजार करने लगे.

में : यार अजय जन्मदिन पर तो गाना जरुर होना चाहिए ना.

अजय : हाँ यार रुक में अभी लगाता हूँ.

तभी मेरी नज़र आंटी पर पड़ी, वो क्या लग रही थी उस नीले कलर की जालीदार साड़ी में बहुत हॉट, सेक्सी और उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी तो उनके बूब्स हिलते हुए बहुत मस्त लग रहे थे, उन्हें देखकर मेरा मन कर रहा था, उनसे चिपककर एक किस कर लूँ, लेकिन मैंने मन को कंट्रोल किया और फिर मैंने उनसे कहा कि वाह आंटी आप तो बहुत सुंदर दिख रही हो.

आंटी : थोड़ा शरमाते हुए धन्यवाद बेटा, तुम लोग क्या कर रहे हो?

में : आंटी, गाने लगा रहा हूँ.

आंटी : ठीक है तो में तुम दोनों के लिए कोल्डड्रिंक्स लेकर आती हूँ और आंटी जाने लगी.

दोस्तों उनका ब्लाउज पूरा खुला हुआ था और उसमें से उनकी कमर बहुत सेक्सी लग रही थी और उनकी वो मटकती हुई गांड देखकर में और भी पागल हो रहा था, में बस यही सोच रहा था कि अगर आज रात उसे चोद लूँ तो मज़ा आ जाए. फिर अचानक गाना शुरू हुआ तो में अपनी उस सोच से बाहर आया और हम बातें करने लगे. फिर आंटी कोल्ड ड्रिंक्स लेकर आई और फिर से जाने लगी तो में उन्हें रोकते हुए बोला कि आंटी आप कहाँ जा रही है प्लीज कुछ देर हमारे पास भी बैठिए ना?

आंटी : बेटा तुम दोनों अपना काम करो और में खाना तैयार करती हूँ.

में : आंटी आप भी हमारे साथ पार्टी में शामिल हो तो इसलिए आपको भी बैठना पड़ेगा क्यों अजय?

अजय : हाँ माँ बैठो ना.

आंटी : ठीक है बेटा तुम कहते हो तो में भी बैठ जाती हूँ.

दोस्तों अब आंटी हमारे सामने बैठ गई और मैंने सबको कोल्ड ड्रिंक दे दी और फिर हम तीनों ने चियर्स किया और कोल्ड ड्रिंक पीकर बातें करने लगे. तभी अजय मुझसे बहुत धीरे से बोला कि यार अब माँ को ड्रिंक के लिए कैसे मनाएँगे? दोस्तों वो मुझसे बिल्कुल चिपककर बैठा हुआ था और गाने चलने की वजह से सिर्फ में उसकी वो सभी बातें सुन रहा था.

में : रुक में अभी उनसे बात करता हूँ.

फिर में आंटी से बोला कि आंटी आज जन्मदिन है और आज के दिन अगर हम आपसे कुछ भी मांगे तो आप हमे मना नहीं करोगी.

आंटी : हाँ बेटा बोलो तुम्हें ऐसा क्या चाहिए?

में : आंटी क्या हम ड्रिंक कर सकते है?

आंटी : थोड़ा गुस्सा होते हुए बोली कि ऐसा बिल्कुल नहीं, कुछ हो जाएगा तो और वैसे भी पीना शरीर के लिए बहुत खराब होता है.

में : हाँ आंटी हमे पता है, लेकिन सिर्फ आज के दिन, प्लीज़ आंटी ऐसा कुछ नहीं होगा, बस आज के लिए प्लीज आंटी.

आंटी : नाख़ूशी से बोली ठीक, लेकिन ज़्यादा नहीं पीना और अब में खाना बनाने जा रही हूँ.

अब आंटी किचन में चली गई और इधर हम दोनों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था. फिर मैंने बोतल बाहर निकाली और दो पेग बनाए और चियर्स करके पीने लगे, अजय को विस्की से जल्दी नशा हो जाता था और यह बात मुझे पहले से ही पता थी तो इसलिए मैंने उसे जानबूझ कर पहला भारी पेक दे दी और खुद भी लेने लगा, हम लोग को पीते हुए करीब 45 मिनट हो चुके थे और हम दोनों को शराब का असर शुरू हो चुका था और हमने आधी बोतल ख़त्म कर ली थी.

फिर मैंने अजय से बोला कि चल यार अब थोड़ा डांस करते है और मैंने एक अच्छा सा गाना लगा दिया और हम दोनों डांस करने लगे. तभी आंटी आई और उन्होंने मुझसे कहा कि बेटा खाना बन गया है, में लगा देती हूँ और तुम आकर खा लो.

में : आंटी अभी तो हम नाचने लगे है प्लीज आप भी आ जाईए.

आंटी : नहीं बेटा, में अब अपने कमरे में जा रही हूँ.

में : प्लीज आंटी आइए ना.

अब आंटी मेरे बहुत बार कहने पर बैठ गई और अजय को अब ज़्यादा हो ही रही थी तो वो थोड़ी देर डांस करने के बाद सोफे पर बैठ गया. फिर में आंटी के पास चला गया और मैंने उन्हें डांस करने को कहा, लेकिन आंटी बोली कि नहीं बेटा तुम करो, में यह सब नहीं करूँगी. फिर मैंने उनसे आग्रह किया प्लीज आंटी करिए ना और थोड़ी देर ना के बाद वो अब मान गई.

फिर मैंने उनका हाथ पकड़कर उन्हें खड़ा किया और अब हम दोनों डांस करने लगे और मैंने देखा कि अजय को ज़्यादा नशा होने की वजह से वो अपनी दोनों आखें बंद करके बैठा रहा. अब मैंने एक रोमेंटिक गाना चला दिया और आंटी को डांस करने के लिए कहा, पहले तो वो मना करने लगी, लेकिन बाद में मेरे बहुत बार ज़िद करने पर वो मान गई. मैंने एक हाथ से उनका मुलायम हाथ पकड़ा और अपना एक हाथ उनकी पतली, गरम कमर पर रख दिया और अब हम डांस करने लगे. फिर मैंने महसूस किया कि आंटी थोड़ा शरमा रही थी.

फिर मैंने आंटी से पूछा कि आंटी आप ऐसे घबरा क्यों रही हो? आंटी बोली कि बेटा मैंने कभी ऐसे डांस नहीं किया और अब में समझ गया कि यह चुद जरुर जाएगी, लेकिन आसानी से नहीं और मुझे थोड़ी मेहनत करनी होगी. फिर मैंने उनसे कहा कि आंटी शरमाना कैसा? वैसे भी आप आज इस साड़ी में बहुत हॉट, सेक्सी लग रही हो और में मुस्कुरा दिया. फिर आंटी शरमाते हुए कहने लगी धत बदमाश, में अब खुद को आंटी से और भी सटाने लगा, जिसकी वजह से अब उनके बूब्स मेरी छाती के बिल्कुल पास थे और मेरा लंड भी अब जागने लगा. फिर मैंने आंटी से कहा कि आंटी आप सही में बहुत सुंदर और सेक्सी हो और में आपको बहुत पसंद करता हूँ, लेकिन में आपसे ना जाने क्यों यह बात कहने से डरता हूँ. दोस्तों आंटी मेरे मुहं से यह बात सुनकर एकदम से चुप हो गई और मुझे देखने लगी.

मैंने धीरे से उन्हें और सटाकर बोला कि आंटी में आपसे बहुत प्यार करता हूँ और अब में एक हाथ से उनकी चूतड़ पर सहलाने लगा, आंटी मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी और वो मुझसे कहने लगी कि तुम अभी अपने पूरे होश में नहीं हो राजा प्लीज छोड़ दो मुझे, वरना अजय देख लेगा.

फिर मैंने अपने होंठ उनके होंठो पर रख दिए और चूमने, चूसने लगा, उम्म्म अह्ह्ह्हह्ह्ह उम्म्म अह्ह्ह्ह दोस्तों वाह क्या होंठ थे उनके और वो मुझसे लगातार छूटने की कोशिश करती रही, लेकिन में अब उन्हें ऐसे छोड़ने वाला नहीं था और में उन्हें लगातार किस करता रहा और उनकी गांड को सहलाता रहा. अब उनकी सांसे भी बहुत तेज़ हो गई थी और उन्होंने किसी तरह अपने आपको मुझसे छुड़ाया और फिर दूर हट गई और गुस्से से बोली क्यों तुम अपने होश में हो? फिर में बोला कि आंटी प्लीज मुझे माफ़ करना, लेकिन आपको देखकर में कंट्रोल नहीं कर पाया. तभी अजय भी उठ गया और उसने पूछा कि क्या हुआ? आंटी ने कहा कि कुछ नहीं चलो खाना खा लो. फिर अजय ने कहा कि उसे इस समय भूख नहीं बहुत नींद आ रही है. फिर आंटी और में उसे पकड़कर कमरे तक ले गये और लेटा दिया, कमरे से बाहर आकर आंटी ने कहा कि तुम बैठो में तुम्हारे लिए खाना लेकर आती हूँ.

दोस्तों आंटी उस समय बहुत गुस्से में थी और अब मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था. फिर भी में किचन में चला गया और उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया और मैंने उनसे कहने लगा कि प्लीज आंटी मुझे माफ़ कर दो, लेकिन में आपको दिल से बहुत पसंद करता हूँ और आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो.

अब आंटी कुछ नहीं बोली बस आश्चर्यचकित होकर देखती रही और मैंने इस बात का फायदा उठाते हुए उन्हें पीछे से पकड़कर उनकी कमर को चूमने लगा उम्म्म अह्ह्ह्ह उम्म्म तो आंटी मेरा विरोध करने लगी और मुझसे कहने लगी कि नहीं, प्लीज राजा छोड़ो मुझे, तुम यह क्या कर रहे हो? लेकिन मैंने उनकी एक भी बात ना सुनी और मैंने अपने हाथ उनके बूब्स पर रख दिए और उनके बूब्स दबाते हुए उनकी गर्दन पर किस करने लगा उम्म्म उम्म अह्ह्ह में आपसे बहुत प्यार करता हूँ आंटी उम्म्म में आपको चोदना चाहता हूँ.

दोस्तों बूब्स दबाने से आंटी तेज़ी से सिसकियाँ ले रही थी, अह्ह्ह्ह उह्ह्ह प्लीज राजा छोड़ो मुझे, थोड़ा होश में आओ, एम्म्म आह राजा, अब में बूब्स दबाता रहा और फिर मैंने उन्हें बिल्कुल सीधा किया और उनके होंठो को चूसने लगा उम्म्म एम्म उम्म्म आंटी उम्म्म उम्म्म. अब उनकी धड़कने बहुत तेज़ होती जा रही थी और अब उनका विरोध भी धीरे धीरे कम हो रहा था और में उनके बूब्स के ऊपर किस करने लगा और मैंने उनका पल्लू नीचे गिरा दिया, इसस्सस्स राजा प्लीज छोड़ो उम्म्म्म अह्ह्ह्हह राजा, अजय देख लेगा, उह्ह्ह्ह.

अब वो भी धीरे धीरे गरम होने लगी थी. फिर मैंने किस करते हुए उनके ब्लाउज को खोल दिया और उतारकर फेंक दिया और अब उनके बूब्स को दबाते हुए किस करने लगा, अह्ह्ह्ह राजा प्लीज ऐसा मत करो, अह्ह्ह्हह उईईइ प्लीज राजा छोड़ दो आअहहअया. में बस अब उन्हें चोदना चाहता था और मैंने बिना देर किए उनकी साड़ी और पेटीकोट को नीचे सरका दिया और उनकी गांड और बूब्स को दबाते हुए किस करने लगा, आह्ह राजा बस करो उम्म्म उईईइ अह्ह्ह्ह राजा प्लीज छोड़ो मुझे अह्ह्ह्ह राजा.

अब में अपने होंठो को बूब्स पर रखकर बूब्स चूसने लगा और ज़ोर ज़ोर से निचोड़ने लगा और अब वो पागल होने लगी उम्म्म उम्म्म उहहहह उहह में तेज़ी से बूब्स को दबाकर उन्हें चूस रहा था. दोस्तों वाह क्या मस्त बूब्स थे, उस साली को मज़ा आ गया और वो अब मस्ती में आकर चुसवा रही थी और सिसकियाँ ले रही थी, आह्ह्ह्हह आईईईई राजा दर्द हो रहा है प्लीज अउईईइ बस करो, लेकिन में नहीं रुका और मैंने एक हाथ उसकी कम बालों वाली चूत पर रख दिया और मेरा हाथ लगते ही वो तेज़ से चिल्लाई उफ्फ्फ्फ़ राजा प्लीज अब बस छोड़ दो मुझे अह्ह्ह्ह. फिर मैंने तुरंत अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिए और अब में उसकी चूत को सहलाने लगा, वो अब बहुत गरम हो चुकी थी.

फिर मैंने नीचे जाकर अपनी जीभ उसकी चूत में लगाकर उसकी चूत को चाटने लगा तो वो आह्ह्ह्ह राजा उईईइ बस करो, में अब सह नहीं पा रही हूँ, अह्ह्ह राजा आअउहह. वाह दोस्तों क्या मस्त स्वाद था उसकी चूत का. में अब अपनी पूरी जीभ को चूत के अंदर डालकर चूसने लगा, आह्ह्ह्ह राजा उहह उम्म्म उम्म्म और अब उसका एक हाथ मेरा सर उसकी चूत में दबा रहा था और मैंने ज़्यादा देर करना ठीक ना समझते हुए सारे कपड़े उतार दिए और उसका एक पैर हाथ से उठाकर उसको किस करने लगा, उम्म्म उह्ह्ह्ह अब मैंने महसूस किया कि उसकी सिसकियों की आवाज दब गई है.

फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुहं से सटाकर एक ज़ोर का झटका मारा और मेरा पूरा लंड उसकी गीली चूत में फिसलता हुआ समा गया और उस ज़ोर के धक्के की वजह से उसने तेज़ी से चिल्लाते हुए अपनी दोनों आखों को बंद कर लिया, आह्ह्ह्ह राजा प्लीज बाहर निकालो इसे, मुझे बहुत दर्द हो रहा है ईससस्स अह्ह्ह्हह प्लीज अब बस करो, लेकिन में अब सुनने वाला नहीं था और में उसे तेज़ी से धक्के देकर चोदने लगा और वो आँख बंद किए हुए सिसकियाँ भरती रही, आआअहह आअहह उफ्फ्फ्फ़ राजा बस करो प्लीज आईईईइ अब नहीं.

फिर में उसके होंठ चूसते हुए अपना लंड और स्पीड से लगातार अंदर बाहर करता रहा और वो आँख बंद किए चुदवाती रही. दोस्तों में आपको बता नहीं सकता उसकी चूत में क्या मस्त लंड जा रहा था? में अब उसे गोद में उठाकर तेज़ी से धक्के देकर चोदने लगा और वो मेरे कंधे पकड़कर मस्ती में चुदवाने लगी, उईईइ आआहह राजा बस उम्म्म बहुत दर्द हो रहा है आआहह.

दोस्तों में उसे लगातार धक्के देकर चोद रहा था और फिर मैंने उसे किचन की अलमारी में बैठा दिया और चोदने लगा और हर धक्के से उसके बूब्स ज़ोर से हिल रहे थे और उसकी सिसकियाँ मुझे जानवर बना रही थी, अअयाउहह उम्म्म उम्म इससस्स. अब उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और मेरी पीठ पर नाख़ून गड़ाने लगी तो में तुरंत समझ गया कि यह अब झड़ने वाली है और मैंने भी अपनी स्पीड को तेज़ कर दिया और चोदता रहा, आह्ह्ह्हह राजा अउईईइ माँ में गई, आआहह इससस्स अयाआहह और फिर वो झड़ गई और में भी साथ में झड़ गया और थककर पास में खड़ा हो गया, वो अपने बाल ठीक करते हुए अपना सर नीचे करके बैठी रही.

फिर मैंने उससे कहा कि आंटी मुझे माफ़ करना, लेकिन में आपको बहुत पसंद करता हूँ तो इसलिए में खुद को रोक नहीं पाया. फिर वो मुझसे बिना कुछ बोले अपने कपड़े उठाकर बाथरूम में चली गई और में चुपचाप हॉल में जाकर बैठ गया. फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे अपने रूम से आवाज़ देकर बुलाया तो में उनके रूम के बाहर जाकर खड़ा हो गया और उन्होंने मुझसे अंदर आने को बोला और अब वो दरवाजा बंद करके मुझसे लिपट गई. फिर वो बोली कि तुम बहुत अच्छे हो राजा, आज तुमने मुझे चोदकर बहुत ख़ुशी दी है और में कई दिनों बाद मुझे किसी ने इतना जमकर चोदा है और वो मुझे किस करने लगी. फिर में भी उनको किस करने लगा और उस रात हमने तीन बार चुदाई की और थककर सो गए. सुबह में अपने घर चला आया और अब जब भी समय मिलता है तो हम चुदाई करते है.
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#44
दोस्त की मौसी की लंडखोर चूत
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मेरे ऑफिस के एक दोस्त की बहन की शादी थी. उसने सबको शादी में बुलाया था. शादी में मेरी मुलाकात उसकी मस्त और सेक्सी मौसी से हुई. मौसी ने मेरे साथ क्या किया?

हाय दोस्तो, कैसे हो आप सब!

मेरा नाम सनी शर्मा है और मैं मूल रूप से मध्यप्रदेश के एक शहर खंडवा से हूं. जहां तक मेरी कद-काठी की बात है तो मेरी हाइट पांच फीट और नौ इंच है. मेरा शरीर गठीला है और तंदुरुस्त है. मेरा रंग थोड़ा सा सांवला है लेकिन अपने मजबूत शरीर को बनाये रखने के लिए मैं नियमित रूप से जिम जाता हूं.

पढ़ाई ख़त्म करके मैं नौकरी की तलाश में भोपाल आया था तो मुझे मेरी किस्मत के चलते नौकरी भी लग गयी. वहां पर मेरी सभी से अच्छी दोस्ती हो गयी.

एक बार हमारे ऑफिस के एक दोस्त की बहन की शादी फिक्स हुई. शादी दिसंबर में ही होनी थी. दिसंबर महीने में भोपाल में काफी ठंड होती है.

शादी वाले दिन हम सुबह से ही उसके घर जाकर काम-काज में लगे हुए थे. सभी को कुछ न कुछ काम दिये गये थे. मुझे भी एक काम दिया गया था. मुझे स्टेशन से उसके रिश्तेदारों को घर तक लेकर आना था.

तभी उसकी मौसी भी स्टेशन पर आ पहुंची थी. दोस्त ने मुझे कहा कि मौसी स्टेशन पर आ गई है और मैं उसे जाकर स्टेशन से जाकर ले आऊं.

मैं उसकी मौसी को स्टेशन से लेने के लिए चला गया. रेलवे स्टेशन पर जाकर मैंने कॉल किया तो मैंने मौसी से कहा कि मैं टिकट काउंटर के पास खड़ा हुआ हूं. मौसी ने मुझे वहीं पर रुकने के लिए कहा.

कुछ देर के बाद मुझे किसी ने पीछे से आवाज दी तो मेरे दोस्त की मौसी ही थी. वो एक 47-48 साल की सांवली-सलोनी लेकिन खूबसूरत महिला थी. उनका नाम मधुबाला था. नाम की तरह ही वो काफी सुंदर थी. चेहरा लम्बा, उस पर बड़ी सी बिंदी और आंखें बड़ी-बड़ी. उनके लिप्स बिल्कुल अप्सरा की तरह बड़े और उस पर रेड लिपस्टिक और लिप्स के ऊपर बड़ा सा काला तिल था.

बला की खूबसूरत थी वो. उन्होंने काला सा ब्लाउज पहना हुआ था. ब्लाउज बिल्कुल टाइट था जिससे उनकी दोनों चूचियों के आपस में सट जाने के कारण एक लाइन बन रही थी. उन्होंने गले में बस एक मोटी सी सोने की चेन पहनी हुई थी जो कि उनके उभारों के बीच फंसी हुई थी.

उनकी गांड का साइज 42 के करीब था. उनकी गांड को देख कर लग रहा था कि जैसे पहाड़ उठे हुए हों. चूचियां इतनी बड़ी कि हाथों में ही न आएं. उनको देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता था. उनका जो साड़ी पहनने का तरीका था उसमें भी एक खासियत थी. वो अपनी साड़ी को अपनी नाभि के लगभग तीन इंच नीचे पहनती थी. इस कारण उनकी नाभि बिल्कुल साफ दिखाई देती थी.
उनकी नाभि इतनी बड़ी थी कि उसमें दो उंगलियां आराम से चली जायें.

कुल मिला कर दोस्त की मौसी बिल्कुल कयामत थी. उनको देख कर मेरा लंड भी टाइट हो गया था. मेरे लंड का आकार मेरी पैंट के ऊपर से ही नजर आने लगा था. उन्होंने भी शायद मेरे तने हुए लंड को देख लिया था. मगर उन्होंने इस बारे में कुछ भी महसूस नहीं होने दिया कि उनको भी मेरी उत्तेजना के बारे में पता चल गया है.

मगर जब वो अजीब से ढंग से मुस्कराई तो मुझे इसका अंदाजा हो गया था. मैं भी उनको देख कर मुस्कराने लगा.

मुझे मुस्कराता हुआ देख कर मौसी पूछने लगी- क्या हुआ, क्यों मुस्करा रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं मौसी.

उसके बाद मैंने मौसी की तरफ नहीं देखा क्योंकि मेरी चोरी पकड़ी गई थी. फिर हम दोनों कार में बैठ गये. चलने लगे तो थोड़ी दूर चलने के बाद मौसी ने मुझसे पूछने लगी- तुम्हारी शादी हो गई है क्या?
मैंने कहा- नहीं मौसी.

मौसी बोली- क्यों, तुम तो जवान हो गये हो और स्मार्ट भी हो. फिर शादी क्यों नहीं कर रहे?
मैंने कहा- बस मौसी, अभी तो मैं करियर को लेकर फोकस कर रहा हूं. शादी का समय आने पर शादी भी कर लूंगा.

तब मैंने मौसी से पूछा- आपकी फैमिली में कौन-कौन है?
मौसी बोली- मेरा एक बेटा है अजय. वो दिल्ली में जॉब करता है. मैं देहरादून में अकली रहती हूं.
ऐसे ही आपस में बातें करते हुए हम लोग दोस्त के घर पहुंच गये.

घर जाने के बाद सब लोग इधर-उधर के कामों में बिजी हो गये. शादी के बड़े से बैंक्विट हॉल में थी. वहां पर जाने के लिए सब लोग ही तैयार होने लगे. तभी दोस्त की मां मेरे पास आई कि मौसी को एक बार ब्यूटी पार्लर तक छोड़ आओ.

मैं मौसी को छोड़ने के लिए चला गया. फिर मैं वापस आ गया. उसके बाद मौसी को वापस लेने गया. लेकिन मौसी तब तक तैयार ही नहीं हुई थी. वो कहने लगी कि मेरी साड़ी और ब्लाउज तो घर पर ही रह गया है. फिर हम दोनों वापस घर आये.

जब हम घर वापस आये तो सब लोग घर से जा चुके थे. घर पर कोई भी नहीं था. मौसी अंदर जाकर चेंज करने लगी और मैं बाहर ही मौसी का इंतजार करने लगा. फिर मौसी ने मुझे आवाज लगाई.
मैं रूम में गया तो मौसी के हाथ पीछे उनकी पीठ पर नहीं पहुंच पा रहे थे. मौसी को ब्लाउज के हुक बंद करने में दिक्कत हो रही थी. एक बार तो मैं घबरा सा गया क्योंकि घर पर हम दोनों के अलावा कोई और नहीं था. ऐसी हालत में मैं मौसी के साथ कमरे में अकेला था और उनका ब्लाउज खुला हुआ था.

मगर तुरंत ही मेरे मन में मौसी के प्रति चूत चुदाई की हवस जागने लगी. मैंने मौके का फायदा उठाने की सोची. मैं मौसी के करीब गया और हुक बंद करने में उनकी मदद करने लगा. मौसी की गांड को देख कर मेरा लंड तो पहले से ही तनाव में आना शुरू हो गया था. उस पर उनकी पीठ भी नंगी दिख रही थी. उन्होंने नीचे से रेड कलर की ब्रा पहनी हुई थी और नीचे पेटीकोट पहना हुआ था.

मैं मौसी के करीब पहुंचा तो मेरा तना हुआ लंड मौसी की गांड पर टच होने लगा. उसके बाद जो हुआ मुझे उसकी उम्मीद भी नहीं थी. मौसी ने पीछे हाथ लाकर मेरे तने हुए लंड को मेरी पैंट के ऊपर से ही अपने हाथ में पकड़ लिया. उनकी मुट्ठी मेरे लंड पर कस गई थी.

अब तो जैसे मेरे बदन में आग लग गई और मैंने वहीं पर मौसी को अपनी बांहों में भर कर उनको किस करना शुरू कर दिया.

मौसी फिर मेरी तरफ घूम गई और हम दोनों के होंठों ने एक दूसरे के मुंह का रस पीना शुरू कर दिया. मैंने मौसी के होंठों को कई मिनट तक चूसा. फिर मौसी के हाथों को ऊपर उठा लिया और मौसी की बगलों को चाटने लगा. उनकी बगलों की खुशबू ने मुझे पागल कर दिया. मेरी यह हरकत मौसी को भी काफी पसंद आई.

फिर मैंने मौसी के पेटीकोट के नाड़े को नीचे खींच दिया. नाड़ा खींचते ही पेटीकोट नीचे गिर गया और मौसी नीचे से नंगी हो गई. उन्होंने नीचे पैंटी नहीं पहनी थी. मेरी नजर मौसी की चूत पर गई. उनकी चूत पर बड़े-बड़े बाल थे.
मुझे ऐसी बालों वाली चूत को देखने और चाटने का बहुत मन करता था. मैं कई बार इंटरनेट पर पॉर्न देखते हुए ऐसी बालों वाली चूत देखना ही पसंद करता हूं.

मैंने सीधे उनकी चूत पर अपने होंठ रख दिये. मैंने उनकी चूत में जीभ दे दी. मौसी की सिसकारी निकल गई- आह्ह …
वो मेरे सिर को अपनी चूत में धकेलने लगी.

फिर मौसी ने मुझे कंधों से पकड़ कर ऊपर उठने का इशारा किया. ऊपर उठते ही मौसी ने मेरी शर्ट के बटन खोलना शुरू कर दिये. मौसी ने मेरी शर्ट उतार कर मेरी छाती को नंगी कर दिया और मेरी छाती को चूमने लगी. वो मेरे निप्पलों को काटने लगी.

मुझे अजीब सा नशा होने लगा लेकिन साथ ही हल्की सी गुदगुदी भी हो रही थी. काफी देर तक वो मुझे चूसती काटती रही.

उसके बाद मौसी के हाथ मेरी पैंट की तरफ बढ़े. उन्होंने मेरी पैंट को अपने हाथों से खोला और मेरी पैंट को नीचे सरका दिया. मेरा लंड मेरी चड्डी में तना हुआ था. मौसी तुरंत नीचे बैठ गई और मेरी चड्डी के ऊपर से ही मेरे लंड को चाटने लगी. वो लंड की काफी प्यासी लग रही थी क्योंकि इस तरह की कामुक हरकतें वही महिलाएं करती हैं जिनको महीनों भर से लंड नसीब न हुआ हो.
उन्होंने मेरी चड्डी के ऊपर से मेरे लंड को चाटते हुए मेरे अंडवियर को पूरा गीला कर दिया.

इधर मेरी हालत खराब हो रही थी. लंड की नसें जैसे फटने वाली थीं.

फिर मौसी ने मेरी हालत पर तरस खाकर मेरी चड्डी को नीचे किया और जैसे उनको मेरे लंड के दर्शन हुए वो पहले तो मेरे मोटे लम्बे लंड को हाथ में लेकर उसका मुआइना करने लगी और फिर एक दो बार उसको अपने हाथ में लेकर सहलाया और फिर उसको अगले ही पल मुंह में भर लिया. मौसी पागलों की तरह मेरे लंड को चूसने लगी.

वो जोर-जोर से मेरा लंड चूस रही थी. मैं मौसी को रोक देना चाहता था क्योंकि मैं पहले ही उत्तेजना में था और मौसी की चुसाई इतनी तेज थी कि मेरा वीर्य निकलने वाला था. लेकिन पता नहीं मैं मजा लेता रहा और अचानक ही मेरा वीर्य निकलने को हो गया और मैंने सारा वीर्य मौसी के मुंह में ही छोड़ दिया. मौसी ने मेरे वीर्य को अंदर ही पी लिया. कुछ देर तक मेरा लंड शांत हो गया.

मौसी को काफी तजुरबा था. उनको मेरा वीर्य निकालने का कोई मलाल नहीं था. वो मुझे बेड पर लेकर आराम से लेटी रही और हम दोनों एक दूसरे को चूमते रहे.

कुछ देर के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा. मौसी ने अपने हाथ में लेकर मेरे लंड का तनाव चेक किया. अभी लंड में पूरा तनाव नहीं आया था. फिर मैंने मौसी की गांड चाटने की इच्छा जताई. मौसी तैयार हो गई.

दोस्तो, मुझे आंटियों और लड़कियों की गांड की खुशबू लेना और चाटना बहुत पसंद है. मैं मौसी की गांड को चाटने लगा. मौसी भी गांड चटवाने का आनंद लेने लगी.

जब कई मिनट तक गांड को चाटता रहा तो मौसी ने कहा- ये सब किसी और दिन कर लेना. अभी हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है. जल्दी से चुदाई निपटा लेते हैं. मेरी चूत में लंड को लेने की आग लगी हुई है. जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में डाल कर इसकी आग को शांत कर दो.

मैंने मौसी के पैरों को फैला दिया और उनकी बड़ी सी चूत मेरे सामने थी. मुझे मौसी की चूत के बाल बहुत ही पसंद आ रहे थे. मैंने एक बार मौसी की चूत को किस किया और फिर अपने लंड को मौसी की बालों वाली चूत पर फिराने लगा. स्स्स … मजा आ रहा था. मौसी की चूत गीली हो चुकी थी.

मैंने फिर से मौसी की चूत की पप्पी ली और अपने लंड से उनकी चूत पर थपकी देने लगा.
फिर मौसी जी ने कहा- बस कर सनी … आ अब चोद इसे! चोद-चोद कर सारा पानी निकाल दे! बहुत तंग करती है रे ये! क्या करूँ!

मौसी जी ने अपने पैर ऊपर उठा लिए और मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत में डाल लिया, मेरा लण्ड आसानी से मौसीजी की चूत में चला गया क्योंकि उनकी चूत काफी बड़ी थी.
लंड अंदर गया तो मौसी ने हल्का सा उई किया बस!

मैं अब धक्के लगाने लगा, मौसी भी मेरे हर धक्के का जवाब अपने धक्के से दे रही थी. वो कह रही थी- चोद सनी चोद! उईई … उफ् … उफ्फ … जोर से! मजा आ रहा है और जोर से बेटा …
फच-फच कर रही थी मौसी की चूत चुदाई के वक्त! बहुत मजे से हम दोनों चुदाई कर रहे थे.

काफी देर तक मैंने उनकी चुदाई की और मौसी फिर मेरे ऊपर आकर चुदने लगी. मौसी मेरे लंड पर जोर जोर से कूद रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे पलंग टूट जायेगा. मौसी की लंडखोर चूत की प्यास अच्छे से बुझाने की पूरी कोशिश कर रहा था मैं. मैंने काफी देर तक मौसी की चूत को जोर से धक्के दे देकर चोदा. मौसी भी पूरे रिदम में मेरे लंड पर उछलती रही. पच-पच की आवाजों से कमरा गूंज उठा.

अब मेरा वीर्य निकलने के करीब हो गया था.
उसके बाद मैंने मौसी से कहा- मेरा निकलने वाला है, कहां पर निकालूं? अन्दर या फिर बाहर ????????
तो मौसी बोली कि इसके बारे में तुम्हें चिन्ता करने की जरूरत नहीं है. मैंने पहले से ही ऑपरेशन कराया हुआ है. तुम बेफिक्र होकर मेरी चूत को अपने माल से भर दो! हाय … मेरी चूत आह्ह … मर गयी …
कहते हुए मौसी और जोर से मेरे लंड पर कूदने लगी.

ऐसा लग रहा था कि मौसी मेरे लंड को तोड़ ही डालेगी.

“आह्ह् … मैं तो गई …” कहते हुए मौसी की चूत से पानी बहने लगा.

मौसी बोली- जल्दी निकालो, मैं तुम्हारे गर्म वीर्य को चूत में महसूस करना चाहती हूं.

मैंने भी दो तीन धक्कों के बाद मौसी की चूत में वीर्य छोड़ना शुरू कर दिया. मैंने अपना सारा लावा मौसी की चूत में भर दिया. मौसी की चुदास शांत हो गई थी और मैं भी थक गया था.

मैंने फोन उठा कर देखा तो दोस्त के दस मिल कॉल आये हुए थे. उसके बाद हम दोनों जल्दी से उठे दोनों साथ में ही नहाये. फिर मौसी जी तैयार हुई और हम सीधे होटल जा पहुंचे.

मेरा दोस्त पूछने लगा- तुम लोग इतना लेट कैसे हो गये?
इसी बीच मौसी बोल पड़ी- वो मेरे पैर में मोच सी आ गई थी. तो हम एक बार डॉक्टर के पास चले गये थे.
मेरे दोस्त ने कहा- मौसी का ध्यान रखने के लिए थैंक्स सनी.

उसके बाद मौसी और मैं साथ में खाना खाने लगे. मैंने मौसी का नम्बर ले लिया और मौसी ने मेरा नम्बर ले लिया. उसके बाद मैं अपने घर आ गया.।
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#45
पड़ोसी दोस्त की माँ को चोदा
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इस हिंदी चुदाई कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपने दोस्त की माँ को चोदा. जब पहली बार दोस्त के घर में मैंने उसकी अम्मी को देखा तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.

हैलो फ्रेंड्स, कैसे हैं. मस्त चूत वाली लड़कियों, प्यारी भाभियों और सेक्सी आंटियों को मेरे खड़े लंड का नमस्कार.

मेरा नाम आशीष है और में 25 साल का हूँ और दिखने में स्मार्ट हूँ. मैं इंदौर का रहने वाला हूँ.

मेरी हिंदी चुदाई कहानी मेरे और मेरे दोस्त की मॉम के बीच बने सेक्स संबंध की है कि कैसे मैंने अपने दोस्त की माँ को चोदा.

ये बात करीब 8 महीने पहले की है. मेरी कॉलोनी में क्रिकेट का ग्राउंड है, जहां बहुत से बच्चे क्रिकेट खेलते हैं. मैं भी उधर क्रिकेट खेलता था. इसी खेल खेल में मेरी एक लड़के से अच्छी दोस्ती हो गयी. उसका नाम इमरान (बदला हुआ नाम) है.

उसने मुझे बहुत बार अपने घर बुलाया कि आप आओ. हम लोग मेरी छत पर खेलेंगे.
उसके बहुत बार बोलने पर मैं उसके घर चला गया.

जब मैं उसके घर पहुंचा, तो उसने दरवाजा खोला और मुझे अन्दर बुलाया.

मैं अन्दर चला गया. उसने अपनी अम्मी को आवाज लगाई. जब उसकी अम्मी बाहर आईं … तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.

क्या माल थीं यार वो … उनकी उम्र करीब 42 के आस पास होगी, पर चेहरे पर चमक एकदम 30-32 की उम्र की भाभी जैसी थी. उनका नाम तब्बसुम (बदला हुआ नाम) था. आंटी का फिगर 36-32-40 का था, जो मुझे बाद में उनकी चुदाई के वक्त पता चला था.

वो आकर मेरे सामने ही बैठी थीं. मैं चोर नजरों से उनको देख रहा था. शायद ये उन्होंने देख लिया था, पर कहा कुछ नहीं.

इमरान के पापा बैंक में जॉब करते थे. वो दिन भर घर पर नहीं रहते थे.

फिर मैं थोड़ी देर बातें करके इमरान के साथ छत पर खेलने चला गया. पर खेलने में मेरा मन नहीं लग रहा था. मैं बस चाची के ख्यालों में खो गया था.

एक घंटे बाद मैं अपने घर चला गया, पर चाची का ख्याल मैं अपने दिल और दिमाग से निकाल ही नहीं पा रहा था. मेरा लंड बैठ ही नहीं था.
फिर मैंने अपने रूम में जाकर चाची के नाम की मुठ मारी, तब कहीं आराम आया.

फिर मैं रोज उसके घर जाने लगा और जब भी मैं चाची के सामने या आसपास होता … तो उनको घूरता रहता था.
शायद वो भी समझ रही थी कि मैं उन्हें क्यों घूरता रहता हूँ. पर वो कुछ बोल नहीं रही थीं.

मेरी भी इच्छाएं बढ़ती ही जा रही थीं. मैं हमेशा उनके पास रहने की कोशिश करता रहता था … कभी कभी उनको छूने की भी कोशिश करता था. पर इस तरह से कि उनको लगे कि ये सब गलती से हो गया … पर वो सब समझ रही थीं.

एक दिन मैं इमरान के घर गया और हम दोनों अभी क्रिकेट खेलने की तैयारी ही कर रहे थे कि उसको किसी का फ़ोन आ गया.
वो मुझसे बोला- मैं थोड़ी देर में आता हूँ तुम नीचे रुको.
मैंने भी कहा- ठीक है.
वो चला गया.

मैं भी उसके रूम में चला गया और लैपटॉप चलाने लगा. उस के लैपटॉप में कई ब्लू फ़िल्में थीं मैं एक फिल्म को वॉल्यूम बंद करके देखने लगा. मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया था और लोअर में से अलग से ही दिख रहा था.

फिर मैं चाची को देखने के लिये बाहर गया, तो वो किचन में कुछ काम कर रही थीं. उन्होंने आज एकदम फिट लैगी और कुर्ती पहन रखी थी.
लैगी में उनकी जांघें देख कर मेरा लंड और भी सख्त हो गया, जो शायद चाची ने देख लिया था.

आज ऐसा पहली बार हुआ था कि चाची के साथ मैं अकेला था. मैं उनको देखे जा रहा था.

उन्होंने मुझसे कहा- आशीष, जैसे तुम मुझे घूरते रहते हो, वैसे तुमको नहीं देखना चाहिए.
मैंने बेख़ौफ़ कहा- चाची, आप इतनी सुन्दर हैं कि आपको तो कोई भी देखना चाहेगा. मैं चाहे कितनी भी कोशिश कर लूं … मैं आपको देखने से अपने आपको रोक ही नहीं पाता हूँ.
फिर उन्होंने कहा- हां मुझे पता है इस उम्र में ऐसा होता है, पर फिर भी तुम्हें अपने आप पर कण्ट्रोल करना चाहिए … क्योंकि ये सब गलत है.

चाची की बात सुनकर मैं थोड़ा उदास हो गया.

उन्होंने मुझसे कहा- तुम बाहर हॉल में जाओ, मैं चाय बना कर लाती हूँ.
मैं चला गया.

वो थोड़ी देर में चाय लेकर आईं … जब चाची चाय देने के लिये झुकी … तो मुझे उनके मम्मों की घाटी के अच्छे से दर्शन हो गए.

मैंने सोचा कि थोड़ा चांस तो लेना पड़ेगा … नहीं तो हाथ कुछ नहीं लगेगा.

चाची अपनी चाय लेकर मेरे सामने बैठ गईं और पूछने लगीं- तुम्हारी कोई गर्लफ्रैंड नहीं है क्या?
मैंने कहा- नहीं है.
उन्होंने कहा- क्यों?
मैंने हंस कर कहा- मुझे आप जैसी कोई मिली ही नहीं.
वो भी हंस दीं और बोलीं- चल हट बदमाश … मसखरी करता है.
मैंने आह भरते हुए कहा- चाची सच मैं आप बहुत सुन्दर हो … अगर मैं आपका पति होता!

इतना बोलने के बाद मैं रुक गया.

उन्होंने पूछा- पूरा बोल न … यदि तू मेरा पति होता तो क्या?
मैंने कहा- कुछ नहीं … बस …

तो वो बोलीं- क्या सच में मैं तुझे इतनी पसंद हूँ?
मैंने कहा- हां चाची … सच में आप मुझे बहुत सुन्दर लगती हो.
उन्होंने लम्बी सांस भरते हुए कहा- आह … एक तू ही है … जिसे मैं इतनी सुन्दर लगती हूँ … एक मेरे शौहर हैं, जो मेरी तरफ ध्यान ही नहीं देते हैं.

मैंने पूछा- क्यों?
तो वो बोलीं- पता नहीं … लगता है जैसे अब उन्हें मुझमें कोई इंटरेस्ट ही नहीं है.
मैंने कहा- अगर आप मेरी वाइफ होतीं … तो मैं आपको …

मैं फिर बोलते बोलते रुक गया.
उन्होंने मेरी आंखों में झांकते हुए कहा- रुक क्यों जाता है … पूरा बोल ना … क्या बोलना चाहता है?
मैंने कहा- आप बुरा मान जाओगी.
उन्होंने कहा- बोल ले … नहीं मानूंगी बुरा.

मैंने कहा- तो मैं आपको रोज प्यार करता … जीभर के … आपको कोई कमी नहीं होने देता.
ये बोलते हुए मैं उठ कर उनके पास जाकर बैठ गया. मैंने अपना हाथ उनकी जांघ पर रख दिया.

तो उन्होंने मेरा हाथ हटा दिया और खड़े होते हुए बोलीं- ये गलत है … तू मेरे बेटे का दोस्त है … और उम्र में भी मुझसे बहुत छोटा है.
मैंने कहा- चाची मैं आपको पसंद करता हूं … आपसे प्यार करता हूँ बस … और मैं कुछ नहीं जानता.

यह कह कर मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया. वो मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थीं, पर मैंने नहीं छोड़ा.

फिर वो ढीली पड़ गईं और मुझे बांहों में जकड़े रहने दिया. बल्कि वो खुद भी अपनी जकड़न बढ़ाने लगीं.

जब वो भी मुझे अपनी बांहों में जकड़ने लगीं तो मैंने उनकी गर्दन को पीछे करके उन्हें देखा. तो पाया कि दोस्त की अम्मी की आंखों में थोड़े आंसू आ गए थे.

मैंने चाची के आंसू पौंछे और उनके होंठों को किस करने लगा.

पहले तो वो बस यूं ही खड़ी रहीं, पर थोड़ी देर बाद वो भी मेरे किस का रेस्पोंस देने लगीं. मैं उनको जोर से किस करने लगा. मैंने अपना हाथ उनकी कमर में डाला और जैसे ही मैं चाची के मम्मों पर हाथ ले जाने वाला था कि बाहर से इमरान की गाड़ी रुकने की आवाज आ गई और हम दोनों अलग हो गए.

चाची की आंखों में मुझे साफ साफ मायूसी दिखी … पर मुझे अपने घर जाना पड़ा.

अब हम अगली बार मिलने के मौके का इन्तजार करने लगे.
मैं अब काफी बेचैन रहने लगा था.

दो दिन बाद मैंने चाची को कॉल किया तो उन्होंने कहा- पांच दिन बाद इमरान और उसके पापा दो दिन के लिए बाहर जा रहे हैं, तब तुम आ जाना.
मैं खुशी के मारे एकदम से उछल पड़ा.

फिर वो दिन भी आ गया, जब इमरान और उसके पापा चले गए. मैं चाची के घर पहुंचा, तो उन्होंने मुझे प्यार से गले लगाया और अपने कमरे में ले गईं.
चाची ने मुझसे कहा- बैठो, मैं अभी आती हूँ.

मैं चाची के रूम में बैठ गया और वो चाय बनाने चली गईं.

मैंने देखा उन्होंने सलवार सूट पहन रखा था, जो पिंक कलर का था. चाची के ऊपर ये रंग बड़ा मस्त लग रहा था.

दो मिनट बाद चाची चाय लेकर कमरे में आ गईं और हम दोनों ने चाय पी.

वो मेरी आँखों में देखने लगी थीं. मैं उनके एकदम पास बैठ गया और उनको बांहों में लेकर किस करने लगा.

उनको भी मेरे साथ मजा आ रहा था. वो भी एन्जॉय कर रही थीं और हल्के स्वर में मादक सिसकारियां भी ले रही थीं.

अचानक उन्होंने मुझे हटा दिया और किचन की तरफ चली गईं.

मैं भी उनके पीछे पीछे चला गया और उनको पीछे से पकड़ लिया. मैंने एक हाथ चाची की कमर में डाला और दूसरे हाथ से उनके बड़े मम्मों को दबाने लगा. चाची के मम्मे मेरे हाथ में ही नहीं आ रहे थे. उनकी चूचियों की गोलाई का अहसास मुझे पहली बार हो रहा था.

चाची धीरे-धीरे ‘अह्ह आहह सीईई ईईई उउम्म.’ किए जा रही थीं.

फिर उन्होंने कहा- पिछले एक साल से मेरे शौहर ने मुझे हाथ तक नहीं लगाया है.
मैंने कहा- डोंट वरी आंटी … अब मैं हूँ ना.

फिर मैंने उनको वहीं डाइनिंग टेबल पर लिटाया और उनकी कुर्ती निकाल कर उनके मम्मों को ब्रा के ऊपर से दबाने लगा. उनके सपाट चिकने पेट को किस करने लगा और नाभि को जीभ से चाटने लगा.

चाची लगातार कामुक आवाजों में मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित कर रही थीं ‘अह्ह ह्ह अम्म्म अह्ह्ह सीईई ईईई.’

मैंने अपनी शर्ट निकाल दी और उनकी भी सलवार खोल दी. उनकी नंगी हो चुकी जांघों को मैं जीभ से चाटने लगा. उनको बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था. और वे लगातार मादक आवाज निकाल कर मुझे कुछ ज्यादा ही उकसा रही थीं.

मैंने अपना पैंट खोल दिया और उनको देखा.
उन्होंने मेरे लंड पर अपना हाथ रख कर कहा- आह ये काफी बड़ा है … बड़ा सख्त और मोटा लंड है तेरा आशीष … तू मुझे पहले क्यों नहीं मिला रे … आज काफी मजा आने वाला है.

मैंने चाची की पैंटी भी निकाल दी. उनकी चूत पर छोटे छोटे बाल थे. मैं घुटनों के बल बैठ गया और उनकी चूत को जीभ से चाटने लगा.

उन्होंने मुझे हटाते हुए कहा- क्या कर रहा है तू … हट जा … वो गंदी जगह है. मेरे शौहर कभी ऐसा नहीं करते.
पर उन्हें अच्छा भी लग रहा था, तो मस्त मादक सीत्कार भी करे जा रही थीं ‘अह हह … सीईई … मर गयीईई … रुक जा मत कर.’

आंटी मुझे हटा भी रही थीं और मुझे सर दबा कर अपनी चूत को रगड़वा भी रही थीं.

कुछ देर चूत चूसने के बाद मैंने अपना अंडरवियर निकाला और उठ कर सीधा दोस्त की माँ के हाथ में लंड दे दिया.

वो प्यार से लंड सहलाने लगीं. मेरा लंड और भी सख्त हो गया.
मैंने कहा- चाची लंड मुँह में लो ना.
उन्होंने कहा- उन्ह … मुझसे नहीं होगा … तू सीधे मेरी चूत ही चोद ले.

मैंने भी सोचा कि चलो पहली बार सीधे चूत ही चोदते हैं.

तो मैंने चाची को टेबल पर सीधा लिटा दिया और चूत पर लंड को सैट करके एक धक्का दे मारा. मेरा आधा लंड चूत में घुस गया.

मेरे दोस्त की मम्मी की सिसकारी निकल गई- अह्ह … मर गई … अम्म्म … सीईई. आह आशीष पूरे एक साल के बाद इस चूत ने लंड का स्वाद चखा है. आह तू मेरी प्यास बुझा दे. उन्ह … तू जो बोलेगा वो मैं करूंगी. मुझे कभी छोड़ कर मत जाना प्लीज. आह आशू चोद दे.
मैंने लंड पेलते हुए कहा- हां चाची कभी नहीं जाऊंगा …

मैं जोर जोर से चूत में लंड के धक्के देता रहा. वो भी ‘अहह सीईई … अह्ह … अम्म.’ करती रहीं.

फिर मैंने अपनी स्पीड काफी तेज कर दी और धकापेल चाची की चूत चोदने लगा. उनको काफी मजा आ रहा था. चाची ने अपनी दोनों टांगें हवा में उठा दी थीं और मेरे लंड को पूरा अन्दर तक ले रही थीं.

करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद मुझे लगा कि मेरा काम तमाम होने वाला है.
तो मैंने कहा- चाची मेरा होने वाला है … रस कहां निकालूं?
उन्होंने कहा- अन्दर ही निकाल दे …मेरी सेफ पीरियड है कुछ नही होगा ।और बड़े दिनों बाद ही सही, पर मेरी चूत को शांति मिल जाएगी.

मैंने लगातार धक्के दस लगाकर चाची की चूत में पिचकारी छोड़ दी.

मुझे लगता है कि मैं अपने जीवन में सबसे ज्यादा देर तक इसी टाइम झड़ा था. मैं वैसे ही चाची के मम्मों के बीच सर रख कर ढेर हो गया. वो मेरे सर को सहलाती रहीं.

फिर मैं उठा और उनको भी उठाया. हम दोनों साथ ही नहाये. फिर उन्होंने खाना बनाया और हमने साथ में खाया.

दोस्त की मॉम ने कहा- अब से मैं तुम्हारी हूँ. जब चाहो, तुम आकर मुझे प्यार कर सकते हो. पर ये बात किसी को पता नहीं चलना चाहिए.
मैंने कहा- किसी को भी ये बात पता नहीं चलेगी चाची. आप निश्चिन्त रहिए.

मैंने दोस्त की अम्मी को गले लगाया और किस किया और रात को फिर से घर आने का बोल कर मैं अपने घर आ गया.
इस तरह से मैंने दोस्त की माँ को चोदा.

मैंने घर पर बताया कि मुझे मेरे दोस्त के घर सोने जाना है, उनके मोहल्ले में बहुत चोरियां हो रही है. चाची अकेली ही घर पर हैं.
चाची ने भी मेरी मम्मी से बात करके मुझे भेजने की बात कह दी थी.
तो घर से अनुमति मिल गई.

फिर मैं अगले दो दिन उनके साथ ही रहा और बहुत मजा किया. उनको बहुत कुछ सिखाया भी … सीखा भी और आंटी की चूत की चुदाई का मजा भी किया.
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#46
पड़ोसन आंटी की प्यास बुझाई
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हमारा परिवार मुम्बई के बांद्रा-कुर्ला मे एक बहुमंजिला टावर में रहता है, जिसमें मैं अपनी दादी, पापा-मम्मी और दीदी के साथ रहता हूँ। इसी इमारत में ही मेरे बचपन का दोस्त मीत भी अपने मम्मी, पापा के साथ शानदार घर में रहता है।

यह घटना चार साल पहले की है, मीत उम्र में मुझसे चार साल छोटा था पर कुछ सालों से साथ क्रिकेट खेलने, साथ कॉलेज आने-जाने से हमारी दोस्ती गहरी हो गई थी और इससे दोनों के परिवारों में भी घनिष्ठता हो गई थी। हम रोज़ एक दूसरे के घर आते-जाते थे। मैं अपना होमवर्क भी उसके साथ उसके घर पर ही करता था, वहीं खेलता भी था।
कुल मिलाकर मेरा ज्यादातर समय उसके घर पर ही बीतता था। मीत के पापा शरद अंकल का मुंबई और दुबई में हेण्डीक्राफ्ट के एक्स्पोर्ट का अच्छा बिज़नेस था। इस सिलसिले में वो लगभग हर सप्ताह दुबई आते-जाते थे।

मीत की मम्मी स्वाति आंटी 35-36 साल की पढ़ी लिखी, हाई सोसायटी की समझदार महिला थी। सुगठित शरीर, लम्बी टागें, उन्नत उरोज़ एवं बडे-बडे नितम्बों से सुशोभित स्वाति आंटी इतनी सुन्दर थी कि उनके आगे कोई अप्सरा भी फीकी पड़े।
चाहे वो साड़ी पहनें, सलवार कुर्ता पहनें या कोई मॉडर्न आउटफिट, उन्हें देख कर किसी का भी ईमान डगमगा सकता था, फ़िर मेरी तो उम्र ही बहकने की थी इसलिये मैं कभी-कभी उनकी कल्पना कर के हस्तमैथुन भी करता था।
खैर, उस साल दिसम्बर की छुट्टियों में मीत अपनी सौम्या बुआ के पास दुबई अपने पापा के साथ जाने वाला था।
24 दिसम्बर को जब मैं मीत के घर गया तब अकंल, आँटी ने मुझे कहा- भले मीत यहाँ नहीं हो, तो भी तुम रोज़ हमारे घर आना, अपना होमवर्क भी यहीं करना, वीडियो गेम खेलो और टीवी देखो।
वे दोनों यह चाहते थे कि मैं उनके घर ज्यादा से ज्यादा समय बिताऊँ जिससे स्वाति आंटी का मन भी लगा रहेगा। अंकल ने मुझे घर का ख्याल भी रखने के लिये कहा जिसे मैंने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
अगले दिन अंकल और मीत सुबह जल्दी दुबई के लिये रवाना हो गये। छुट्टियाँ तो थी पर थोड़ा होमवर्क भी मिला था, इसलिये सुबह मैं लगभग 9 बजे जरूरी किताबें बैग में लेकर मीत के घर चला आया। तब स्वाति आंटी नीले गहरे गले वाले प्रिन्टेड गाऊन के ऊपर कशीदे वाले हाउसकोट में गज़ब की सुन्दर लग रही थी।
मुझे मीत के स्टडी रूम में बिठा कर थोड़ी देर मेरे पास बैठकर इधर-उधर की बातें करने के बाद वो अपने काम से रसोई में चली गई और कामवाली बाई को काम समझाकर उन्होंने मुझे आकर कहा- मैं नहाने जा रही हूँ, जब कामवाली अपना काम करके चली जाये तो घर का दरवाज़ा अन्दर से बन्द कर लेना।

थोड़ी देर बाद जब कामवाली बाई अपना काम पूरा करके चली गई, मैंने उठ कर घर का दरवाज़ा बन्द कर दिया। अब मैं और स्वाति आंटी घर में अकेले थे, बाथरूम से आंटी की गुनगुनाने की आवाज़ से माहौल की मादकता बढ़ रही थी। अचानक आंटी के प्रति मेरी वासना बलवती होने लगी।
मीत के कमरे और स्वाति आंटी के बेडरूम के बीच में एक कोमन दरवाज़ा था। मैंने चुपचाप जाकर उसे थोड़ा खोल दिया ताकि मैं आंटी को बिना कपड़ों के देख सकूँ।
थोड़ी बाद स्वाति आंटी कोई गीत गुनगुनाते हुए बाथरूम से निकली और अपने गीले बदन को पौंछने लगी। मैं दबे पांव उस थोड़े खुले दरवाज़े की तरफ गया और वहाँ बैठ कर जन्नत का नज़ारा देखने लगा। स्वाति आंटी जितनी कपड़ों में सुन्दर दिखती थी उससे कहीं ज्यादा कामुक वो बिना कपड़ों के दिख रही थी। गोरे-गोरे मांसल उरोज़ों पर उभरे हुए गुलाबी निप्पल गज़ब लग रहे थे, वहीं पतली कमर के नीचे दोनों जाघों के बीच हल्के बालों वाली गुलाबी योनि तो कयामत ढा रही थी।
तौलिए से बदन पोंछने के बाद उन्होंने अपनी बग़लों और गले पर डेओडोरेंट स्प्रे किया, सफेद रंग की लिन्गरी पहनी और गुलाबी पेटीकोट भी ऊपर से पहना फिर उन्होंने सफेद ब्रा पहनी।

और मैं चुपचाप उठ कर अपनी जगह आकर बैठ गया और मैगज़ीन पढ़ने लगा पर आखों में स्वाति आंटी का मादक बदन ही घूम रहा था।
तभी स्वाति आंटी की आवाज़ आई- प्रीत क्या कर रहे हो? कोई आया तो नहीं था?
मैं बोला- ‘आंटी… मैं मैगज़ीन पढ़ रहा हूँ और बाई के जाने के बाद कोई नहीं आया था… मैंने दरवाजा भी बन्द कर दिया है।
आंटी ने कहा- कुछ नहीं कर रहे हो तो एक बार इधर आओ, मुझे कुछ काम है।
मैं उठ कर उनके बैडरूम में गया, स्वाति आंटी ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी और कंधे के ऊपर रखे तौलिये से ब्रा ढकी हुई थी। वो बोली- सर्दी से मेरी पीठ बहुत ड्राई हो रही है, थोड़ी माईश्चराइज़र क्रीम लगा दोगे?…वहाँ ड्रेसिंग टेबल के ऊपर रखी है।
मैं मन ही मन चहकते हुए बोला- अभी लाया आंटी…!

और ड्रेसिंग टेबल के ऊपर रखी निविया की बोतल ले आया। तब तक स्वाति आंटी बैड पर उल्टी लेट चुकी थी, अब तौलिया उनकी पीठ पर ढका था। सच कहूँ तो उस वक्त मैं अपने आप को बहुत खुशकिस्मत समझ रहा था कि मुझे उनके बदन को छूने का मौका मिलेगा।
उन्होंने मुझे बैड पर उनके बगल में बैठ कर तौलिया हटा कर पीठ पर क्रीम लगाने को कहा।
मैंने तुरन्त तौलिया हटा कर पहले उनकी चिकनी पीठ पर हाथ फिराया फिर क्रीम हाथ में लेकर लगाने लगा।
तभी वो खुद बोलीं- ब्रा का हुक खोल दो, नहीं तो क्रीम से गीली हो जायेगी।
मैंने तुरन्त दोनों हाथों से ब्रा के हुक खोल कर उनकी उरोज़ों को आज़ाद कर दिया और हल्के हाथ से उनकी नर्म चिकनी पीठ पर क्रीम लगाने लगा। मुझे तो स्वर्ग का आनन्द मिल रहा था, शायद उनको भी अच्छा महसूस हो रहा था तभी वो बीच-बीच में ‘आह’ ‘उह’ की दबी आवाज़ें कर रहीं थी। एकाध बार मेरा हाथ गलती से उनके उरोज़ों से छू गया तो मैं सिहर उठा।

कुछ देर में वो माहौल की चुप्पी तोड़ते हुए बोली- प्रीत…जब मैं कपड़े पहन रही थी तब तुम स्टडी रूम से क्या देख रहे थे?
मैं घबराकर बोला- नहीं तो…आंटी मैंने कहाँ कुछ देखा…!
शायद उन्होंने आईने में मुझे अपने आपको देखते हुए देख लिया पर मुझे इसका पता नहीं चला।
स्वाति आंटी मुस्कुराते हुए बोली- झूठ मत बोलो…मैंने तुम्हें मिरर में देख लिया था!
मैं एकदम सकपका गया, मुझसे कुछ बोलते नहीं बन रहा था…मैं सिर नीचे कर बैठा रहा।
वो फिर हंसते हुए बोली- क्या देख रहे थे…ये…?
कहते हुए मेरी तरफ घूम गई।
अब उनके गोरे उरोज़ मेरे ठीक सामने थे और दिल कर रहा था उनको मसल दूं, पर डर रहा था।
आंटी फिर बोली- डरो मत…टच करो…!
मैं फिर भी डर रहा था…तब उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने गर्म उरोज़ों पर रख दिया। मुझे तो जैसे स्वर्ग मिल गया, मैं धीरे-धीरे दोनों हाथों से उनके गोरे-गोरे मांसल उरोज़ों को दबाने लगा।
स्वाति आंटी ने मादक स्वर में कहा- धीरे नहीं…ज़ोर से दबाओ…और मुँह में ले कर चूसो…आहह…वाह…और ज़ोर से…उफ़!

अब मैं भी खुल कर उनके उरोज़ों दबाने लगा और उनके गुलाबी निप्पलों को मुँह में लेकर चूसने लगा था। अचानक मुझे हटा कर वो बैठ गई और मेरी टी-शर्ट पकड़ कर ऊपर कर दी, मैंने भी हाथ उठा कर टी-शर्ट व बनियान उतार फेंकी और उनको सीने से लगा लिया और उनके कन्धों, गर्दन और होठों को चूमने, चाटने लगा।
मुझे अनाड़ीपन से चूमते, चाटते हुए देखकर हंसते हुए स्वाति

आंटी ने पूछा- पहले कभी किया है…?
मैंने शर्माते हुए ज़वाब दिया- नहीं…पर ब्लू फिल्म में बहुत बार देखा है।
यह सुनकर उन्होंने मुझे पकड़ कर बैड पर लिटाया और मेरे घुटनों पर सवार हो कर उन्होंने मेरी पैन्ट के हुक खोले, फिर उसे खोल कर दूर फेंक दी और अपने हाथ मेरे अन्डरवियर के ऊपर मेरे कठोर लिंग पर फिराने लगी।
फिर स्वाति आंटी ने धीरे से मेरा अन्डरवियर खोल कर लिंग को बाहर निकाला और उसे चूमने, चूसने लगी। सचमुच…वो पल मेरे जीवन के सबसे हसीन पल थे। थोड़ी देर चूसने के बाद वो घुटनों के बल बैठी और अपने पेटीकोट की डोरी खोलकर उसे उतार फेंका। अब वो केवल पैन्टी में थी, मैंने उन्हें बाहों में भरकर लिटा दिया और उनकी पैन्टी को चूमने लगा।


आंटी सिसकारते हुए बोली- प्लीज़…प्रीत…पैन्टी खोल कर चूसो ना।”
मैं बिना वक्त गंवाये दोनों हाथों से पैन्टी खोल कर स्वाति आंटी की गुलाबी मखमली योनि में अपनी ज़ीभ डाल दी और होंठों से चूस कर रस पीने लगा।
वो भी दोनों हाथों से मेरे बालों पर हाथ फिराते हुए मेरा सिर अपने अंदर दबाने लगी और उत्तेजना के साथ कराहने लगी- आह्ह…प्रीत…प्लीज़…और ज़ोर से…उफ़…और अन्दर तक डालो…अब तक तुम कहां थे…प्लीज़…क्रश मी हार्ड…!
कहते हुए उन्होंने मुझे अपने ऊपर लेकर मेरे दोनों हाथ पकड़ कर अपने उरोज़ों पर रख लिये और अपनी टांगे चौड़ी कर के कहा- प्लीज़…प्रीत…फक मी…अब नहीं सहा जाता!”

मैंने तुरन्त अपने लिंग को पकड़ कर स्वाति आंटी की योनि के छेद पर रखा और झटके से अन्दर घुसा दिया, फिर धीरे-धीरे कूल्हों से प्रहार करने लगा।
हर झटके के साथ आंटी की मादक चीख से मेरा जोश बढ़ता जा रहा था, आंटी उत्तेजना से चीख रही थी- आह्ह…वाओ…यस…वेरी गुड…और ज़ोर से…करते रहो…तुम सच में बहुत अच्छे हो प्रीत…!

मैं धक्के लगाता रहा पर मैं थोड़ी ही देर में चरम पर था इसलिये आंटी से बोला- आंटी…मैं फिनिश होने वाला हूं…क्या करूं…?

उत्तेजना में स्वाति आंटी बोली- रुको नहीं…प्रीत…करते रहो…प्लीज़…और जोर से…आह…माल अन्दर ही छोड़ देना…रुकना नहीं!
हालांकि मैं कई सालों से हस्तमैथुन करता था पर यह मेरा पहला सैक्स अनुभव था इसलिये उत्तेजना में ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया झटके देते हुए स्खलित हो गया पर स्वाति आंटी अब तक चरम पर नहीं पहुँची थी इसलिये मैंने प्रहार जारी रखे। कुछ समय तक और प्रहारों के बाद मादक सिसकारियों के साथ स्वाति आंटी भी अपने चरम पर पहुँच कर निढाल हो गई और मैं भी उनसे अलग होकर पास में ही लेट गया, आंटी ने अपना सिर मेरे सीने पर रख दिया और लेटी रही।


उन्होंने पास रखी रजाई हमारे ऊपर डाल ली और सैक्स की थकान के कारण हम दोनों कब नींद के आग़ोश में चले गये पता ही नहीं चला।
लगभग डेढ घन्टे सोने के बाद स्वाति आंटी की आवाज से मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि वो हाउसकोट पहने मेरे पास पलंग पर बैठी मुस्कुरा रही थी पास में चाय की ट्रे रखी थी।
वो बोली- जल्दी से उठ कर चाय पी लो।
मैं रजाई में बिना कपड़ों के था और शर्म के मारे उनसे नज़रें नहीं मिला पा रहा था, इसलिये धीरे से बोला- आंटी…मेरे कपड़े…?
स्वाति आंटी खिलखिला कर हंसते हुए बोली- अभी तक शरमा रहे हो…पहले चाय पी लो…फिर शावर लेकर कपड़े भी पहन लेना…ठीक है…?
मैं भी आज्ञाकारी बालक के जैसे तुरन्त उठ कर बैठ गया। वो सामने कुर्सी पर बैठ गई, उन्होंने अपनी और मेरी चाय सर्व की और मादक स्वर में बोलीं- प्रीत…आज बहुत टाईम बाद किसी का साथ इतना एन्जोय किया है…सच में बहुत मजा आया…वरना…!
कह कर स्वाति आंटी रुक गई, फिर खुद ही स्पष्ट करते हुए बोलीं- वैसे तो…मीत के डैडी बैड में अच्छे हैं पर…बिज़नेस टूअर्स के बिज़ी शेड्यूल के कारण कभी तो उनको टाईम ही नहीं मिलता…और कभी वो इतना थके होते हैं कि उनमें सैक्स के लिये ताकत ही नहीं बचती…।
“खैर…अब तुम मिल गये हो, तो मुझे किसी की जरूरत ही नहीं…तुम सचमुच बहुत अच्छे हो…अब उठ कर नहा लो…तब तक मैं खाने को कुछ बना लेती हूँ…बहुत भूख लगी है…तुमको भी भूख लगी होगी।”
ऐसे कह कर उन्होंने एक तौलिया मेरी तरफ उछाल दिया जिसे लपेट कर मैं बाथरूम की ओर बढ़ गया।
बाथरूम में घुसने से पहले मैंने स्वाति आंटी का हाथ पकड़ कर कहा- आप भी आओ ना…साथ में शावर लेंगे।
आंटी ने कहा- यू नोटी बोय…अभी नहीं…अभी तुम शावर ले कर आओ…फिर हम लंच कर लेते हैं और वैसे भी अगले सात दिन मैं और तुम बहुत एन्जोय करने वाले हैं।
कह कर वो हाथ छुड़ा कर रसोई की ओर बढ़ गई और मैं बाथरूम में शावर लेने चला गया। जब लौटा तो बैड पर मेरे कपड़े रखे थे जिन्हें पहन कर मैं ड्राईंग रूम में आकर सोफे पर बैठ गया, तभी स्वाति आंटी सलवार कुर्ते के ऊपर गर्म जैकेट पहने रसोई से लंच की ट्रे लिये बाहर आई और मुझे डाईनिंग टेबल पर आने को कहा।
फिर हम दोनों साथ बैठ कर लंच करने लगे, तब आंटी बोली- प्रीत…मैंने तुम्हारी मम्मी से तुम्हारे रात को मेरे पास रुकने की बात कर ली है…अभी लंच लेकर तुम घर जाकर अपना वहाँ का काम निपटा लो…।


“और हाँ…थोड़ा आराम भी कर लेना…आज सारी रात मैं तुमको सोने नहीं दूँगी!” स्वाति आंटी ने शरारती अंदाज़ में कहा।
लंच लेकर मैं उठा, हाथ धोये और स्वाति आंटी को बाहों में भर कर होंठों से होंठ मिला कर गहरा चुम्बन लिया और रात को मिलने की प्रोमिस के साथ अपने घर चला आया, पर मेरा मन तो रात के इन्तज़ार में अधीर हुआ जा रहा था।
थोड़ी थकान महसूस हुई तो सो गया। दो घन्टे बाद मम्मी ने उठाया तो उठ कर दोस्तों के साथ खेलने चला गया, जब शाम हुई तो घर लौट कर थोड़ी देर टीवी पर मैच देखा तब तक मम्मी शाम के खाने के लिये आवाज़ लगा चुकी थी।

खाना खाते हुए मम्मी ने बताया कि स्वाति आंटी घर पर अकेली है इसलिये आज मुझे आन्टी के घर सोना होगा।
मैंने उन्हें जताया कि मैं वहाँ अपनी इच्छा से नहीं जा रहा, हालांकि मन में मैं कितना खुश था यह तो मैं ही जानता था।
आखिरकार 9 बज ही गए…मैं तुरन्त घर से निकला और लिफ्ट में सवार हो कर जल्दी से शशि आंटी के घर पहुँचा डोरबेल बजाई तो स्वाति आंटी ने दरवाज़ा खोला। आंटी अपनी पारदर्शी नाईटी के ऊपर हाऊसकोट पहने सामने खड़ी थी। मैं अन्दर ड्रांईगरूम में जाकर सोफे पर बैठ गया, आंटी भी दरवाज़ा अन्दर से लॉक कर के मेरे पास आकर बैठ गई और हम बातें करने लगे।
मैंने उन्हें बताया कि कैसे मैं उनके बारे में सोच कर हस्तमैथुन किया करता था।

बातें करते हुए मैं उनके उरोज़ों पर हाथ फिराने लगा और अपने होंठ उनके होंठों पर रख कर चूमने लगा। कुछ देर में वो अलग हुई, अपने हाऊसकोट और नाईटी को उतार फेंका और अपनी पीठ मेरी ओर कर अपने ब्रा के हुक खोलने को कहा।
मैंने तुरन्त उनके ब्रा के हुक खोल उसे तन से अलग कर दिया फिर उनके उरोज़ों को दबाने लगा और उनके गुलाबी निप्पलों को चूसने लगा। वो भी आँखें बन्द किये हुए उत्तेजक आवाजों से माहौल को मादक बना रही थी।

थोड़ी देर चूसने के बाद मैंने उनकी पैन्टी खोल एक तरफ फेंकी और सोफे पर लिटा कर उनकी योनि में अपनी जीभ घुसा कर चूसने, चाटने लगा।
अब उनकी दबी मादक आवाज़ें उत्तेजक सिसकारियों में बदल गई थी- यस…प्रीत…जीभ और अन्दर डालो…वाओ…ये तुम बहुत अच्छा करते हो…प्लीज़ करते रहो…आह…उफ्…ऐसे ही करो…यू आर माई गुड बोय…मुझे छोड़ के कभी मत जाना…!

कुछ देर में मुझे अलग कर वो मुझ पर सवार हो गई जीन्स का बटन खोल अन्डरवियर में से मेरे लिंग को निकाल कर चूसने लगी, मैंने भी अपनी टी-शर्ट और बनियान को उतार फेंका और सोफे पर बैठ आंटी के बालों में हाथ फिराते हुए ज़न्नत की सैर करने लगा।
कुछ देर चूसने के बाद स्वाति आंटी उठ कर बोली- बैडरूम में चलें…?

हम दोनों बैडरूम में गये, मैं बैड पर जा कर लेट गया और आंटी सोफ्ट म्यूज़िक ओन कर के मेरे ऊपर सवार हो गई और मेरे लिंग को फिर हाथ में लेकर उसके साथ खेलने लगी।
कुछ देर चूसने के बाद स्वाति आंटी बैड पर टांगें फैला कर लेट गई और मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किया, मैं भी तुरन्त आंटी की टांगों के बीच बैठा और अपने लिंग को उनकी योनि में घुसा दिया और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा।
स्वाति आंटी तकिया पकड़ कर उत्तेजना से कराहने लगी- वाओ…ओ माई बैबी…यस…कम ओन…प्रीत…यू आर ग्रेट…हां…ऐसे ही…करते रहो…!
मैं धक्के प्रहार बढ़ाता जा रहा था, हर झटके के साथ मुझे भी स्वर्ग का सुख मिल रहा था।
आंटी मेरे सीने पर हाथ फिराते हुए सिसकारियाँ भरने लगी- और ज़ोर से…प्रीत…आह्ह…मज़ा आ गया…प्लीज़…फ़क मी हार्ड…यू आर माई बेबी…उफ़्फ़…तुम पहले क्यूँ नहीं मिले…प्रीत…अब मुझे छोड़ कर कहीं नहीं जाना…आई लव यू…!

कुछ देर में स्वाति आंटी मुझे नीचे लिटा कर मुझ पर सवार हो गई और सैक्स की कमान अपने हाथ में लेते हुए को लिंग को अपनी योनि में घुसाने के बाद उछल-उछल कर अन्दर बाहर करने लगीं, इससे मुझे ज्यादा मज़ा आने लगा।

आंटी हांफते हुए बोली- फ़िनिश होने से डरना नहीं…प्रीत…माल अन्दर ही छोड़ देना…मैं स्टेरेलाईज़ेशन करवा चुकी हूँ…बाच्चा होने का कोई प्रोब्लम नहीं होगी…!
काफी देर बाद मैं चरम पर पहुच कर स्खलित हो गया, और कुछ देर बाद ही स्वाति आंटी भी मादक सीत्कारें करते हुए ओरगेज़्म पर पहुँच गई और शिथिल होकर मेरे पास लेट गई।
थोड़ी देर लेटने के बाद स्वाति आंटी उठी और संगीत बंद कर टायलेट में जाकर अपनी योनि की सफाई कर के मेरे पास आकर चिपक कर लेट गईं और हम दोनों नींद के आगोश में खो गये।
सुबह उठा तो आंटी चाय लिये सामने खड़ी मुस्कुरा रही थी, हमने चाय पी, फिर साथ में शावर लिया और मैं कपड़े पहन कर शाम को मिलने के प्रोमिस और गुडबाय किस के साथ अपने घर की ओर बढ़ गया।
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#47
दादी की मस्त चुदाई खेत में
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नमस्कार दोस्तो, मैं आपका दोस्त राज.. मेरा असली नाम राज नहीं है.. यह तो बस एक राज है। लेकिन दोस्तों मेरी कहानी बिल्कुल सच्ची है, इसमें कोई राज नहीं है।

बात उस समय की है.. जब मैं गांव में रहता था। तब मेरी उम्र 18 साल थी उस समय मैं इण्टरमीडिएट की पढ़ाई कर रहा था। मेरा रंग सांवला है.. लम्बाई 6 फुट है।

यह घटना मेरी दादी के साथ घटी.. वो कैसे.. मैं अभी बता रहा हूँ, एक झलक मेरी दादी की भी देख लीजियेगा।


मेरी दादी बिल्कुल गोरी हैं.. उनकी लम्बाई 5.5 फुट है.. उम्र 55 साल लेकिन लगती 45 साल की हैं। उनका शरीर बहुत ही धांसू है और सबसे धांसू तो उनके उठे हुए चूतड़ और उन चूतड़ों में मटकती गाण्ड है। आप कहेंगे कि कहानी में सब ऐसे ही लिखते हैं लेकिन विश्वास कीजिए.. अगर आप भी मेरी दादी को देखेंगे तो दो-चार बार मुठ तो जरूर मारेंगे।

चलिए हम अपनी असली कहानी पर चलते हैं।

एक दिन की बात है.. जाड़े का मौसम था और मुझे दोपहर को टट्टी लग आई। मेरे घर के सामने थोड़ी दूर पर ईख का खेत था। मैं डिब्बा में पानी लेकर ईख के खेत में टट्टी करने घुस गया और जैसे ही ईख के खेत में घुसा.. तो मैंने जो देखा उससे मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं।
मैंने देखा कि मेरी दादी एक मोटे डंडे में कुछ कपड़े लपेट कर उसके ऊपर एक पोलिथिन की पन्नी लगा कर एक मोटा लण्ड जैसा बना कर उससे अपनी चूत को चोद रही थीं। दादी पूरे जोश में थीं.. जिससे वो केवल अपनी चूत को चोदे जा रही थीं।

करीब 5 मिनट बाद दादी की नजर मेरे ऊपर पड़ी.. तो उन्होंने झट से अपनी खुली हुई चूत और गाण्ड को ढक लिया और मुझे डांटकर बोलीं- तू यहाँ क्या कर रहा है?
मैं डर गया और बोला- दादी मैं तो टट्टी करने आया था।
वो डांटकर बोलीं- ठीक है.. उधर जाकर कर लो।

मैं खड़ा रहा तो बोलीं- जाओ न..
तो मैंने बोला- दादी.. जो अभी मैंने देखा है.. उसको सही से करवा लो.. मैं किसी से नहीं बताऊँगा.

मेरा लण्ड पूरा खड़ा था.. मैं अपने लण्ड को हाथ में लेकर मसलने लगा, जिसे देख कर दादी का भी जोश भड़क उठा।
तब दादी डांट कर बोलीं- किसी को पता नहीं चलना चाहिए।
मैं बोला- किसी को नहीं पता चलेगा।
इतना कहते हुए मैं दादी के पास पहुँच गया।

दादी उठकर खड़ी हो गईं.. मैंने दादी को अपनी बाँहों में पकड़ लिया और उनका चुम्मा लेने लगा।
दादी भी मेरे लण्ड को सहलाने लगीं, मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था, मेरा जी कर रहा था कि दादी ऐसे ही सहलाती रहें।

फिर दादी ने मेरे दोनों हाथों को पकड़ कर एक हाथ अपनी छाती पर रख कर तथा दूसरा हाथ अपनी चूत पर रखवा कर बोलीं- जैसे मैं तेरा सहला रही हूँ.. वैसे ही तुम मेरे ‘पुपु’ और चूत को सहलाओ।
मैं पहली बार सेक्स करने जा रहा था इसलिए मुझे मालूम नहीं था कि क्या-क्या करते हैं।

दोस्तो, आप कहेंगे कि मैं 18 साल का हो गया हूँ और मुझे पेलना नहीं आता.. लेकिन ऐसी ही बात है.. मैं तो बुर में लण्ड डालकर बस हिलाना जानता था। इसलिए दादी को भी यह एहसास हुआ कि मुझे पेलने का तरीका नहीं मालूम है। इसलिए वो मेरा हाथ अपने पुपु और चूत पर रखकर सहलाने के लिए बोलीं।

थोड़ी देर सहलाने और सहलवाने के बाद दादी ने नीचे बैठकर मेरे लण्ड को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगीं।
उनके चूसने से मुझे गुदगुदी होने लगी, मैंने दादी से बोला- दादी मेरे लण्ड में गुदगुदी हो रही है।

तो उन्होंने कुछ जबाब नहीं दिया और चूसती रहीं।
कुछ ही देर में मेरे लण्ड से गर्म पानी दादी के मुँह में गिर गया, दादी पूरा पानी चाटकर पी गईं।

इसके बाद दादी ने अपना पेटीकोट ऊपर सरकाया और मेरे सर को पकड़कर अपनी चूत में धकेल कर बोलीं- जैसे मैंने तेरा लण्ड चूसा है.. ठीक वैसे ही अब तुम मेरी चूत चूसो।

फिर मैं दादी की बुर में अपनी जीभ डालकर चूसने लगा, कुछ देर चूसने के बाद दादी के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं, दादी जोर-जोर से कह रही थी- आह.. आह.. चूस ले.. भोसड़ी के.. अपनी दादी की चूत का रस चाट ले.. आह्ह्ह.. अपनी दादी की बुर का घी.. पी ले..

और मैं चूसता रहा.. कुछ ही देर बाद दादी की बुर से घी के समान कुछ निकला.. जिसको मैंने घी समझ कर चाट डाला, उसका स्वाद कुछ नमकीन जैसा था।


दादी ने अपना सारा पानी मेरे मुँह में गिरा दिया, वे मेरे शरीर से लिपटी रहीं।
थोड़ी देर बाद दादी मेरा लण्ड फिर से अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं, इस बार झड़ जाने के कारण लण्ड बिल्कुल सिकुड़ा हुआ था। जिससे दादी उसे लालीपॅाप की तरह चूस रही थीं।

पांच मिनट में मेरा लौड़ा फिर से मोटा और लम्बा हो गया।
लौड़े के मोटा होते ही दादी लेट गईं और अपनी दोनों टाँगें ऊपर उठाकर चूत में पेलने को कहने लगीं।
मैंने अपना लण्ड दादी की चूत के ऊपर रखकर एक जोर का झटका मारा और मेरा 7 इन्च लम्बा लण्ड एक ही बार में पूरा दादी की चूत में घुस गया।

दादी के मुँह से निकला- हाय मार डाला रे..
अगले ही पल उन्होंने हल्की मुस्कान दी और कहने लगीं- आह्ह मजा आ गया.. जोर से पेल मेरे लाल.. फाड़ दे अपनी दादी की बुर को..
यह सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया मैं और जोर-जोर झटके मारने लगा। मुझे बड़ा मजा आ रहा था।


करीब 10 मिनट के बाद झड़ने ही वाला था..
तो मैंने पूछा- दादी मैं झड़ने वाला हूँ.. कहाँ गिराऊँ?
दादी ने कहा- अन्दर ही गिरा दो।
मैंने कहा- दादी अगर तुन्हें बच्चा हो गया तो?
दादी ने जबाब दिया- अरे पगले मेरी उमर बच्चा देने की नहीं है, मेरी उम्र ज्यादा हो चुकी है।
मैंने कहा- ज्यादा उम्र हो जाने पर बच्चा नहीं होता है?
दादी ने कहा- नहीं..मेरा मासिक धर्म बन्द हो गई हे ।

इतना सुनते ही मैंने एक जोरका झटका मारते हुए दादी की बुर के अन्दर अपना सारा पानी गिरा दिया।
कुछ सेकेण्ड बाद दादी ने मुझे कस कर पकड़ लिया।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
दादी ने कहा- मैं भी झड़ गई हूँ।

हम दोनों एक-दूसरे से 5-6 मिनट तक लिपट कर पड़े रहे।
फिर दादी मेरा लण्ड सहलाने लगीं.. सहलाते-सहलाते मेरा लण्ड एक बार फिर से खड़ा हो गया। मैंने दादी को पेलने तैयार हो गया।
दादी ने मुझे रोका और घोड़ी बन गईं, फिर मुझसे पेलने को कहा.. मैंने दादी की गाण्ड में पेलने के लिए अपना लण्ड घुसाने लगा.. तो दादी ने कहा- गाण्ड में नहीं.. बुर में पेलते हैं।

फिर मैं दादी की बुर में पेलने लगा। दादी अपनी गाण्ड हिला-हिला कर मेरा लौड़ा पिलवा रही थीं। अचानक मेरा लण्ड दादी की बुर से निकल कर उनकी गाण्ड में जाने लगा। दादी की गाण्ड काफी टाइट थी.. जिससे लण्ड सिर्फ हल्का सा अन्दर जा पाया।

मैंने तुरन्त दादी की कमर पकड़ कर एक जोर का झटका मारते हुए अपना आधा लण्ड दादी की गाण्ड में उतार दिया। दादी जोर से कराह उठीं और हमको गाली देने लगीं.. और धकेल कर अपने आपको छुड़ाने लगीं।

मैंने दादी को कस कर पकड़ा और एक जोर का झटका दोबारा मारा और मेरा पूरा लण्ड दादी की गाण्ड में घुस गया।
दादी जोर-जोर से कराहने लगीं और निकालने के लिए कहने लगीं।
मैंने दादी की गाण्ड से लण्ड नहीं निकाला और अपने हाथों से दादी की दोनों जाँघों को सहलाने लगा।

थोड़ी देर बाद दादी ने खुद अपनी गाण्ड को हिला-हिला कर पेलवाने लगीं। पूरे 15 मिनट गाण्ड मारने के बाद मैं झड़ गया।

दादी ने तुरन्त पल्टी मारी और मुझे एक किस किया और अपनी बाँहों में भर कर बोलीं- ऐसी चुदाई तो आज तक किसी ने नहीं की.. तूने मेरी जिन्दगी सुधार दी.. आइ लव यू बेटा..
इसके हम दोनों घर चले गए।


अब जब दादी को चुदाने को जी करता है तो रात में जब सब सो जाते हैं तब अपने बिस्तर पर मुझे बुला कर चुदा लेती हैं और गाण्ड भी मरवा लेती हैं, कहीं बाहर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
मेरी दादी की बुर चौड़ी है.. पर मुझे बहुत अच्छी लगती है।
आई लव यू दादी.. तेरी चुत ओर गाण्ड को मेरे लौड़े का सलाम।
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#48
मस्त कहानियां।
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#49
मौसी पस्त हो गयी
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मेरा नाम डिनो है। मेरी उम्र अभी 23 साल की थी और हाल ही में मेरी नौकरी बंगलौर में एक सोफ्टवेयर कंपनी में लगी थी। थोड़े ही दिनों में मुझे पता चला कि कंपनी में गेटकीपर की बहाली होने वाली है। तभी मुझे अपनी गरीब मौसी पारो की याद आयी। मेरी मौसी की उम्र तीस वर्ष की थी। जब वो सोलह साल की थी तभी उसकी शादी गाँव में ही एक देहाती युवक माखन के साथ कर दी गयी थी। बाद में पता चला कि माखन एक मंद बुद्धि युवक है। गाँव में आय का साधन ना होने के कारण मौसी गरीबी की हालत में जी रही थी। मैंने मौसी के गरीबी पर दया खाते हुए अपने बॉस से अपने मौसा को गेटकीपर की नौकरी देने का अनुरोध किया तो वो मान गया। मैंने मौसी को ख़त लिख डाला और उन दोनों को बंगलौर आने को कहा। वो दोनों तीन दिन बाद बंगलौर आ गए।

उन दोनों को मैंने अपने ही फ्लैट में रहने के लिए एक कमरा दिया। मैंने मौसी को अपने यहाँ इसलिए रखा क्यों कि कम से कम वो खाना, बर्तन चौक तो कर देगी। बाहर का खाना सुपाच्य नहीं होता था। उनके आने के अगले ही दिन मैंने अपने मौसा माखन को अपने कंपनी के बॉस से मिलवाया और बॉस ने माखन को गेटकीपर की नौकरी दे दी। और कल से आने की हिदायत देने के साथ ही मैंने मौसा को सौ का नोट थमाया और मेरे फ्लैट पर जाने वाले बस पर बिठा कर वापस अपने चैंबर में चला आया। शाम में जब मैं वापस अपने फ्लैट पर गया तो देखा कि मौसी ने मेरे फ्लैट को साफ़ सुथरा कर करीने से सजा दिया है। मौसी ने मेरे सारे गंदे कपडे भी धो-सुखा दिए हैं। मेरे जाते ही पारो मौसी ने मुझे बढ़िया सी चाय पिलायी और अपने पति की नौकरी पर काफी खुश होते हुए बोली अब उसे पैसे की दिक्कत नहीं होगी। रात को हम सब ने एक साथ खाना खाया। फिर मैं अपने कमरे में चला गया। और अपने सभी कपडे खोल कर अपने बिस्तर पर लेट गया।

मैं अपने बिस्तर पर लेट कर अपने लंड से खेल रहा था। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। मैंने एक गमछा को कमर से लपेटा और दरवाजा खोल कर देखा तो बाहर मौसी पारो मेरे लिए दूध ले कर खड़ी थी।
वो मेरे कमरे के अन्दर आई और बोली - मुन्ना (वो मुझे प्यार से मुन्ना कह कर बुलाती थी ). ये मैं तेरे लिए दूध लाई हूँ जल्दी से इस दूध को पी ले मैं गिलास ले कर वापस जाउंगी। इतनी रात में मेरे कमरे में मौसी बड़ी ही हसीन लग रही थी। लो कट वाली गाउन पहन कर वो सेक्सी दिख रही थी। शायद उसने ब्रा भी नहीं पहने थे। उसकी चूची की घाटी स्पष्ट नजर आ रही थी। मुझे लगा शायद मौसी को थोड़ी देर कमरे में रोक लूँ तो मौसी के हुस्न के दीदार हो जायेंगे।
मैंने कहा - मौसी , इतनी रात को मैं दूध थोड़े ही ना पीता हूँ?
मौसी ने कहा - तो क्या पीते हो?
मैंने हडबडा कर कहा - शायद तुम्हे बुरा लगेगा। लेकिन मैं सोने से पहले सिगरेट पीता हूँ।
मौसी - इसमें बुरा लगने वाली कौन सी बात है। गाँव में तो बच्चे भी सिगरेट पीते हैं।
मैंने - ओह, चलो अच्छा है, मैं परेशान था कि तुम्हे कैसा लगेगा यदि मैं तुम्हारे सामने सिगरेट पीऊंगा।
मौसी - मुझे कोई परेशानी नहीं है मुन्ना। तू आराम से सिगरेट पी ले। लेकिन मेरी भी एक शर्त है। तुझे दूध भी पीना पड़ेगा।
मैंने - ठीक है, लेकिन पहले सिगरेट पी लेता हूँ, तू तब तक बैठ यहाँ। फिर मैं सिगरेट का डिब्बा निकाला लेकिन माचिस नहीं मिला।
मैंने मौसी को कहा - मौसी , किचन से जरा माचिस की डिब्बी तो लेती आ। मौसी तुरंत किचन गयी और माचिस की डिब्बी लेते आयी। मेरे जिस्म पर कपडे के नाम पर केवल छोटा का गमछा था जो किसी तरह मेरे लंड की इज्ज़त बचा रहा था। लंड तो कुछ खड़ा हो गया था और अन्दर कच्छे नहीं पहनने की वजह से पतले से गमछे के अन्दर से लंड का उभार दिख रहा था। मैंने सोचा - जब मौसी को मेरे इस हाल से कोई प्रॉब्लम ही नहीं है तो भला मैं क्यों शरमाऊं? मैंने सिगरेट सुलगाई और बेड पर लेट गया। मौसी मेरे पैर के पास बैठ कर मेरे पैरों को दबाने लगी। मैंने मना किया तो वो बोली - दिन भर काम करते करते थक गया होगा तू इसलिए पैर दबा देती हूँ।


मैंने कुछ नहीं कहा। शायद वो अपने पति की नौकरी लगवाने का शुक्रिया अदा करना चाहती थी। मैं चुचाप आराम से सिगरेट के कश लगाता रहा। पारो मौसी देहाती थी लेकिन देखने में रवीना टंडन की तरह दिखती थी। अभी तक कोई बाल बच्चा भी नहीं हुआ था। गरीबी के कारण इसका इलाज भी नहीं करवा पा रही थी। रात में बिस्तर पर हर औरत सुन्दर लगने लगती है। जब उसके नरम हाथ मेरे जाँघों पर ससरने लगे तो मेरे अन्दर का मर्द जाग गया। मौसी के हाथ अब जांघ के काफी ऊपर तक आ रहा था। मैं अपने नंगे जांघ पर उसके हाथ के बढ़ते दवाब को महसूस कर रहा था।
मौसी का हाथ मेरे गमछे को और ऊपर करता जा रहा था। शायद उस पर मेरे सिगरेट के धुएं का असर हो रहा था।
तभी बिजली चली गयी और घुप्प अँधेरा हो गया। लेकिन मौसी उस अँधेरे में भी मेरे जांघ की मालिश कर रही थी। मैंने अपना एक हाथ गमछे के ऊपर से अपने लंड पर रखा और दबाने लगा। लंड राजा का मिजाज गरम हो गया था। अब मौसी का हाथ मेरे अंडकोष को छू कर वापस जा रहे थे। मैं अपने लंड पर अपना नियंत्रण कम करता जा रहा था और चाहता था कि काश मौसी का हाथ मेरे लंड तक पहुँच जाये।

मैंने अपना लंड दबाते हुए पूछा - मौसा क्या कर रहे हैं?
मौसी - वो तो सो गए हैं।
मैंने - मौसी, मैंने तो मौसा की नौकरी लगवा दी। तुम खुश तो हो?
मौसी - हां मुन्ना, खुश क्यों नहीं होउंगी?
मौसी का हाथ अब मेरे लंड के बाल तक आ गए थे। अँधेरे में मुझे उनका हाथ का स्पर्श काफी मज़ा दे रहा था। मेरा लंड अब बिलकुल खड़ा था। अब मौसी के हाथ और मेरे लंड के बीच एक सेंटीमीटर की दुरी थी। मैं अपने हाथ से अपने लंड को सहला रहा था। अचानक अँधेरे में मौसी का हाथ मेरे हाथ पर आ गया। मैंने अपना लंड छोड़ मौसी के हाथ पर अपना हाथ रखा और और अपने लंड के बाल सहलवाने लगा।
मौसी की साँसे गरम होने लगी। मैंने मौसी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर ले गया। मौसी ने मेरे लंड को पकड़ लिया। मैंने उनके हाथ को अपने हाथ से दबाया और लंड को सहलाने का इशारा किया। मौसी मेरे लंड पर अपना हाथ फेरने लगी। मेरा लंड पानी पानी हो गया।
अब मेरा मन मौसी पर बहक गया।

मैंने - तुम भी थक गयी होगी। दरवाजा बंद कर के तुम यहाँ मेरे बगल में आ कर लेट जाओ। तुमसे बहुत सी बातें करनी हैं। मौसी ने बिना किसी संकोच के कमरे का दरवाजा बंद किया और वापस मेरे बगल में आ कर लेट गयी। तब तक मैं अपने शरीर पर से गमछे को हटा चूका था और पूरी तरह नंगा बेड पर पडा हुआ था।
मैंने मौसी का हाथ पकड़ा और अपना लंड थमा दिया। मौसी मेरे लंड को फिर से दबाने मसलने लगी। मैं भी हिम्मत करते हुए मौसी की जांघ सहलाने लगा फिर धीरे धीरे उसके गाउन को उसके कमर तक उठा कर उसके जांघ पर हाथ फेरने लगा। थोडा और ऊपर गया तो पाया कि मौसी ने पेंटी पहन रखी है।
मैंने कहा - मौसी , तू भी आराम से लेट जा। अपने कपडे खोल ले। नहीं तो बंद कमरे में गर्मी लगेगी।
मौसी - धत पगले, तेरे सामने बिना कपडे के मैं कैसे हो जाउंगी?
मैंने मौसी के गाउन को इतना ऊपर कर दिया कि मेरे हाथ में उसकी चूची आ गयी।
मैंने - मौसी , 90 फीसदी तो तू बिना कपडे के हो ही गयी है। अब शर्माती क्यों हो?

मौसी - ठीक है बेटा , ले खोल ही लेती हूँ।
कह कर उसने गाउन उतार दिया।
मैंने फिर से एक सिगरेट सुलगाई। माचिस की रौशनी ने मैंने अपने मौसी के बदन का जो दीदार किया तो पाया कि वो मेरे अनुमान से ज्यादा सेक्सी है। छोटे पपीते के स्तन, सपाट पेट, गहरी नाभि, चिकना बदन सब कुछ मिला कर सेक्स की देवी थी वो। माचिस की रौशनी में उसने भी मेरे लंड पर गहरी दृष्टि डाली।मैं सिगरेट सुलगा कर पीने लगा।
मैं अपनी मौसी की बराबरी में लेटते हुए कहा - मौसी, मैं सिगरेट पी रहा हूँ। तुझे कोई दिक्कत तो नहीं?
मौसी - अरे नहीं बेटा। अब तो तू अफसर हो गया है। अब तो तू अपनी मर्जी के सब कुछ कर सकता है।
सिगरेट का कश मैंने मौसी के स्तन पर फेंकते हुए पूछा - मौसी, मैंने तो मौसा की नौकरी लगवा दी। तुम खुश तो हो?
मौसी मेरे छाती पर हाथ फेरते हुए पूछी - हाँ बेटा , खुश क्यों नहीं होउंगी? लेकिन ये नौकरी पक्की तो रहेगी ना।
मैं मौसी की तरफ और अधिक सरक कर आ गया। अब मेरे और मौसी के चेहरे के बीच सिगरेट का फासला था। मैंने सिगरेट का एक गहरा कश लिया और मौसी के मुंह पर धुंआ फेंकते हुए मौसी पर एहसान जताने के लिए झूठ बोलते हुए कहा - मौसी , तू नहीं जानती कि मैंने मौसा की नौकरी के लिए कितनी पैरवी की है और अपने अफसरों को पचास हजार रूपये की रिश्वत दी है तब जा कर मौसा को यह नौकरी मिली है।
मौसी ने कहा - बेटा , तेरा यह अहसान मैं कभी नहीं चूका पाउंगी। मैं तेरे रूपये धीरे धीरे कर के लौटा दूंगी।
मैंने मौसी की बांह पर हाथ रख कर मौसी का हाथ सहलाते हुए कहा - मौसी , तू रूपये की फ़िक्र मत कर। तू देखना , मैं मौसा को एक दिन सुपर वाइजर बनवा दूंगा।
मौसी ने खुश होते हुए कहा - सच बेटे?
अब मैंने मौसी के बदन से सटते हुए अपनी एक टांग मौसी के कमर के दूसरी तरफ कर दिया और मौसी की चूची को अपनी छाती से दबाते हुए कहा - अरे मौसी तू चिंता क्यों करती है। तू देखती जा तेरा बेटा क्या क्या करता है।
मौसी ने आँखे बंद कर कर के कहा - हाँ बेटा, मुझे तुम पर नाज है।
सिगरेट का धुंआ से उत्पन्न नशा मौसी पर हावी होने लगा था।
मैंने - मौसी तू यहाँ है। उधर मौसा की नींद खुल गयी और तुझे बिस्तर पर नहीं पायेगा तो क्या सोचेगा?
मौसी ने भी अपने हाथ से मेरे बदन को सहलाते हुए कहा - वो क्या सोचेगा? वो तो मंद बुद्धि है। अगर मैं कह भी दूँ कि मैं मुन्ने के कमरे में थी तो वो बुरा नहीं मानेगा।
मौसी की सांस गरम होने लगी। उसकी तेज धढ़कन की आवाज मुझे भी सुनाई देने लगी। रात के अँधेरे में बंद कमरे में एक बिस्तर पर एक जवान मर्द और एक जवान औरत हो तो स्थिति की गंभीरता को कोई भी सामन्य इंसान समझ सकता है।

मेरे हाथ अँधेरे में मौसी के जिस्म पर दौड़ने लगे। मौसी की गर्म सांस मेरे इस हरकत को मौन समर्थन दे रही थी। मैंने मौसी के होठों पर अपनी उँगलियाँ दबाने लगा। मौसी मेरे ऊँगली को अपने मुंह में ले कर चूसने लगी। मैं अपने होठो को मौसी के होठ के बिलकुल सटा दिया अपने मुंह में ले कर चूसने लगा मौसी ने भी मेरा पूरा साथ दिया और उसने भी मेरे होठो को चुस चूस कर पानी पानी कर दिया।
मैं 3 मिनट तक मौसी के होठों को चूमता रहा फिर उसके होठो को अपने होठ से अलग किया और फुसफुसाते हुए कहा - मौसी, मौसा की नौकरी की ख़ुशी में तुम मुझे क्या दोगी?
मौसी ने मेरी पीठ पर हाथ दबाते हुए मुझे अपने बाहों में लपेटा और सीधा हो कर लेट गयी जिस से मैं उसके बदन के ऊपर आ गया। मौसी ने मेरी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा - बेटा तुम्हारा यह एहसान मैं कैसे चुका पाउंगी ? मैंने उसके चूची को हाथ से दबाते हुए कहा - मौसी तेरे पास तो सब खजाना है इस एहसान का बदला चुकाने के लिए।
मौसी ने गरम साँस छोड़ते हुए कहा - बेटा, अगर तू मुझे इस काबिल समझता है तो जो मर्जी हो वो तू कर मेरे साथ। मुझे तेरी हर शर्त मंजूर है।
मैंने- तो मुझे अपने चूची चूसने दे।
तू अगर मेरे जिस्म को कुछ लायक समझता है तो तुझे जो मर्जी है वो कर।
मैं मजे ले कर चूची चूसने लगा। मेरा लंड भी काफी खड़ा हो गया था। मैं अपना लंड मौसी के चूत के ऊपर पेंटी पर रगड़ने लगा। मौसी की चूत में भी आग लग गयी थी। उसने बिना देर किये अपने बदन से पेंटी उतार फेंकी और बिलकुल नंगी हो गयी। अब मैं मौसी के चूची को चूस रहा था और अपने लंड को मौसी के चूत पर रगड़ रहा था। मौसी का चूत पानी पानी हो रहा था। मौसी ने मेरे लंड को अपने हाथ में लिया जोर जोर से मसलने लगी। मैं भी मौसी की चूत को सहलाने लगा। मौसी की हालत खराब हो गयी।

मौसी ने कराहते हुए कहा - बेटा, मेरे चूत में अपना ये विशाल लंड डाल दे।
मैंने कहा - मौसी अँधेरे में मुझे कुछ पता ही नहीं चल रहा है कि किधर तेरा चूत का छेद है।
मौसी - कोई बात नहीं बेटा। तेरी मौसी खुद ही डाल लेगी तेरा लैंड अपनी चूत में। यह कह कर मौसी ने अपनी टांगो को फैलाया और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद के पास टिका दिया। फिर बोली - हाँ बेटा अब तेरा लंड मेरे चूत के ठीक मुंह पर है। अब तू अपने लंड से मेरे चूत में धक्के मार।
मैंने कहा - मौसी चोदने के लिए तो मैं जानता हूँ। अब तू देख अपने बेटे के लंड का कमाल। कह कर मैंने अपना लंड मौसी के चूत जोर के झटके के साथ में डाल दिया। मौसी की साँसे फूलने लगी।
वो तड़पते हुए बोली - बेटा , चोद ले अपनी मौसी को।
मैंने बिना देर किये मौसी की चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए। मौसी की चूत एकदम टाईट थी।
मैंने मौसी को चोदते हुए कहा - मौसी तेरी चूत एकदम टाईट है। क्या तेरा पति तुझे चोदता नहीं है?
मौसी ने मेरे लंड से धक्के खाते हुए हांफते हुए कहा - तेरे मौसा का लंड तेरे लंड से बहुत पतला है इसलिए मेरी चूत की चौड़ाई ज्यादा नहीं है।
मैं मौसी के चूत में धक्के मारते हुए पूछा - मौसा एक रात में तुझे कितनी बार चोदता है ?
मौसी - हर रात नहीं चोदता है। एक सफ्ताह में एक बार चोदता है।
मैं - इतनी कम चुदाई में तेरा मन भर जाता है?
मौसी - मन तो नहीं भरता , लेकिन मुठ मार कर काम चला लेती हूँ।
मैं - अब तुझे मुठ नहीं मारनी होगी। मैंने तुझे हर रात जी भर कर चोदुंगा।
मौसी - लेकिन तेरे मौसा को शक हो गया तो?
मैं - उसकी फ़िक्र तू ना कर मौसी। मैं मौसा को रात की ड्यूटी में लगवा दूंगा। यानि मौसा रात भर कंपनी की पहरेदारी करेगा और मैं तेरी चूत की।
मौसी - हाय, मेरे बेटे , तूने तो पहली ही रात कमाल कर दिया। अच्छा होगा कि मेरे निखट्टू पति को रात भर कंपनी की ड्यूटी पर भेज देना। मेरा पति रात भर कंपनी की सेवा करेगा और मैं रात भर तेरी सेवा करुँगी। यहाँ आ कर मेरे तो भाग्य ही खुल गए। एक तो मेरे निखट्टू पति को नौकरी मिल गयी और दूसरी तरफ मुझे तेरे लंड से चुदने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। अब मेरी रफ़्तार तेज हो रही थी। अचानक मौसी की चूत ने लावा उगलना चालू कर दिया। मौसी के उगलते लावे ने मेरे अन्दर की आग को और भड़का दिया और और मैं जंगली जानवर की तरह मौसी के चूत में अपने लंड से ताबरतोड़ वार करने लगा। मौसी इस वार से तड़पने लगी और लगभग चीखने लगी।
मैंने उसे चोदते हुए ही कहा - अरे मेरी प्यारी मौसी , चुप हो जा नहीं तो तेरी चीख सुन कर तेरा पति जग जायेगा।
मौसी ने चीखते हुए कहा - जगता है तो उस को जग जाने दे। तूने उसकी नौकरी लगवा दी है। क्या वो इतनी भी कीमत नहीं चुकाएगा? वैसे भी आज तक मुझे इतना मजा नहीं आया जितना मजा आज तुझसे चुदवाने में आ रहा है।
मैंने - अच्छा, मेरी रानी मौसी, अब चुप हो जा। और चुप चाप चुदवाती रह।
मैंने मौसी को चोदना जारी रखा। मौसी का शरीर फिर अकड़ने लगा। उस की चूत ने दोबारा लावा उगल दिया। अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हुआ जा रहा था। मेरे लंड ने भी लावा उगल दिया। मैंने अपना सारा लावा अपनी मौसी के चूत में ही निकल जाने दिया। मैं निढाल हो कर अपनी मौसी के नंगे बदन पर लेट गया।

पंद्रह मिनट तक उसी पोजीशन में रहने के बाद मेरे लंड ने मौसी के चूत में ही विशाल रूप धारण कर लिया और उसे चोदने के लिए दोबारा तैयार हो गया। मैंने मौसी को कहा - मौसी , मेरा लंड तो दोबारा रेडी हो गया है। तेरे चूत का क्या हाल है?
मौसी - चूत का हाल तो बेहाल है मेरे लाल। लेकिन जब भी तेरा लौड़ा खड़ा हो जाय तू बिना मुझसे पूछे मेरे चूत में अपने लंड को डाल देना। चाहे दिन हो या रात , तू जब चाहे मुझे जहाँ चाहे मुझे पटक कर चोद सकता है। मेरी तरफ से कभी ना नहीं होगी।

अपनी देहाती मौसी के मुंह से इतनी उत्तेजक बात सुनने के बाद मुझे होश ही नहीं रहा। मैं मौसी को जी भर कर चोदता रहा। हर बार मैं झड़ने के बाद पंद्रह - बीस मिनट के रेस्ट के बाद बिना उस से पूछे उसकी चूत में अपना तगड़ा लंड डाल कर उसे चोद डालता था। सुबह के सात बजे तक मैं उसे 20 बार चोद चूका था। इस दौरान वो कमसिन मौसी कम से कम 50 बार अपना लावा उगल चुकी थी। लेकिन पता नहीं क्यों ना मेरा दिल भर रहा था ना ही मेरी मौसी का दिल। जब मैं इक्कीसवीं बार उसे चोद रहा था तो दरवाजे पर दस्तक हुई। मौसा आवाज लगा रहा था। मैं तो थोडा घबरा गया लेकिन मौसी नहीं घबरायी। उसने मुझे चोदते रहने का इशारा किया और चुदवाते हुए ही अपने पति को आवाज देते हुए कहा - मुन्ने की मालिश कर रही हूँ। तब तक तुम बाहर से दूध ले कर आओ। और ज्यादा डिस्टर्ब मत करो।
मंदबुद्धि माखन दरवाजे पर से ही उलटे पाँव लौट गया और बाहर चला गया। फिर मैंने जम के अपनी मौसी की चुदाई की। इस बार मौसी बिना किसी चिंता के जितनी मर्जी हो उतनी जोर जोर से चीखी।
अंत में हम दोनों का लावा निकल गया। मुझे बुरी तरह से थकान हो रही थी। मौसी ने मुझे अपने बदन पर से उतारा और बाथरूम जा कर अपनी चूत की साफ़ सफाई की और वापस आ कर मेरे सामने ही अपने कपडे पहने। तभी दरवाजे पर फिर से हलकी दस्तक हुई और उसके पति ने हलके से आवाज लगाई। मौसी ने मेरे नंगे बदन पर एक चादर डाला और दरवाजा खोल दिया। उसका पति ने उस से कहा - मुन्ने की मालिश हो गयी? बड़ी देर लगा दी मालिश में। जल्दी करो मुझे आज पहली बार नौकरी पर जाना है।
मौसी ने अपने पति से कहा - तुम जा कर नहा धो लो, तब तक मैं चाय-नाश्ता बना देती हूँ।
थोड़ी देर बाद मैं भी नहा-धो कर तैयार हो गया और चाय - नाश्ता कर के मौसा के साथ ही ऑफिस चला गया। वहां जा कर मैंने अपने कंपनी के सुरक्षा अधिकारी से कह कर अपने मौसा को रात की पाली वाली ड्यूटी फिक्स करवा दिया।
उसके बाद हर रात मैं अपनी मौसी का पति बनता और रात भर उसे चोदता था।

एक रात उसे शक हुआ कि उस के अन्दर कुछ परिवर्तन हुआ है। मैंने उसे अभी तक बिना कंडोम के चोदा था। कहीं वो गर्भवती तो नहीं हो गयी है? उसने मुझे ये बात बताया तो मैं उसे डाक्टर के पास ले गया। वहां पता चला की उसके पेट में दस दिन का गर्भ पल रहा है। वो तो ख़ुशी के मारे झुमने लगी। लेकिन मुझे चिंता होने लगी की मौसा क्या कहेगा या मेरे घरवाले क्या कहेंगे?

लेकिन मौसी देहाती होते हुए भी काफी चालक थी। उसने मुझसे कहा कि - इस बच्चे का बाप वास्तव में तुम हो लेकिन मैं तेरे सर पर इसका बोझ नहीं डालूंगी और माखन को ही इस बच्चे का बाप बना दूंगी।
मैंने कहा - लेकिन मौसी , वो मानेगा क्या? वैसे भी तू उसके साथ काफी दिन से चुदवाई हो नहीं। माखन इतना भी मंद बुद्धि नहीं है जो तू माँ बन जाय और उसे तुझ पर शक ना हो जाए।
मौसी - उसकी चिंता तू क्यों करता है? आज रात उसकी नाईट दड्यूटी नहीं है। आज वो घर पर ही रहेगा। देखना मैं क्या गुल खिलाती हूँ? बस तू एक शिलाजीत का डिब्बा लेते आ।
मैंने मौसी को शिलाजीत की एक डिब्बा ला कर दे दिया।
आज रात काफी दिनों के बाद मौसा को रात घर पर गुजारने का अवसर मिला था। मौसी ने मुझसे कहा - आज रात मैं मौसा के साथ चुदवाउंगी।
मैंने कहा - मौसी मैंने तो तुझे कई रात चोदा लेकिन तुझे चुदते हुए कभी नहीं देखा। आज तो तुझे मौसा से चुदते हुए देखना चाहता हूँ।
मौसी ने कहा - ठीक है। तू मेरे कमरे में जा कर परदे के पीछे छिप जाना और मेरी चुदाई देख लेना।
रात दस बजे हम सब ने खाना खाया। उसके बाद मैं हाल में बैठ कर टीवी देखने लगा। मौसी ने मौका देख कर मौसा को बाहर के गेट में ताला लगाने के बहाने भेज दिया। मौसा ज्यों ही बाहर गया मौसी ने झट से मुझे अपने कमरे में ले कर गयी और परदे के पीछे छिपा दिया। दो मिनट में ही मौसा हाल में आ गया। मुझे वहां बैठा न देख कर मौसी से पूछा - मुन्ना जी किधर गए।


मौसी ने कहा - मुन्ना तो अपने कमरे में चला गया है। अब हम दोनों भी अपने कमरे में चलें।
मौसा ने कहा - हाँ चल।
वो दोनों अन्दर कमरे में आ गए।
मौसा का ध्यान परदे के आस पास ना जाय इसलिए मौसी ने कमरे में आते ही दरवाजा बंद किया और अपने कपडे उतार कर नंगी हो गयी।
मौसी मौसा को बेड पर पटकते हुए कहा - मेरे राजा , कितने रात से मेरा चूत तेरे ललंड का प्यासा है? जल्दी से मेरी प्यास बुझा दे।
मौसा ने कहा - हाँ मेरी जान लेकिन यह लाईट तो ऑफ कर दे।
मौसी - नहीं , आज लाईट जला कर ही मैं तुझसे चुदवाउंगी। आज मैं तेरे लिए एक ख़ास स्पेशल दवाई लाई हूँ। अगर तू इस दवाई को खा कर मुझे चोदेगा तो मैं निश्चित ही माँ बन जाउंगी।
मौसा - लेकिन तू यह दवाई लाई कहाँ से?
मौसी - आज जब तू ऑफिस गया था तो मैं एक डाक्टरनी के पास गयी थी। उसने मुझे यह दवाई दी है। बोली थी की अपने मर्द को खिल देना चुदवाने से पहले।
मौसा - यह बात है तो ला वो दवाई।
मौसी - तब तक तू अपने कपडे उतार, मैं दवाई ले कर आती हूँ।
मौसा कपडे उतारने लगा। मौसी दवाई लेने के बहाने परदे के पीछे आ गयी जहाँ मैं खड़ा था। मौसी को देख कर मेरी हालत भी खराब हो गयी थी। मैं अपने पैजामे को खोल कर अपना लैंड मसल रहा था। मौसी ने मुझे देख कर मुस्कुराते हुए मेरे लंड को पकड़ा और मसलने लगी।
मौसा अपने कपडे खोल अपने लंड को मसल रहा था। उसका लंड मात्र २ या 3 इंच लम्बा था। और उसकी मोटाई मेरी ऊँगली के तरह थी। मैं मौसी को फुसफुसा कर कहा - अब समझ में आया कि तू माँ क्यों नहीं बन पा रही थी। देख इस कमीने से कुछ नहीं होनेवाला है . तू इस से चुदवा कर मेरे कमरे में आजाना।
मौसी - देख मेरे बदन में आग लग रही है। मैं चाहती हूँ की इस कमीने के चोदने से पहले तू मुझे चोदे।
मैंने - तो चल मेरे कमरे में।
मौसी - नहीं तू मुझे यहीं चोद। इसी परदे के पीछे।
मैंने - कहा - लेकिन मौसा अगर देख लिया तो?
मौसी - रुक मैं उपाय करती हूँ।
वो परदे के बाहर आयी और मौसा को शिलाजीत देते हुए कहा - देखो मेरे राजा जी, यही है वो दवाई। लेकिन इस दवाई को खाने के बाद आधे घंटे तक तुझे बर्दाश्त करना होगा। तभी तेरे अन्दर वीर्य बनेगा। तू दवाई खा कर आँखे बंद कर के आधे घंटे तक लेटे रह। तब तक मैं खिड़की के पास रहती हूँ. डाक्टर ने कहा है कि - इस आधे घंटे के दौरान मुझे बाहर की ठंडी हवा अपने चूत में लगानीहोगी .
मौसा - लेकिन तू खिड़की के पास रहेगी तो कमरे की रौशनी में लोग बाहर से तुझे देख लेंगे ना।
मौसी - नहीं, मैं लाईट ऑफ कर देती हूँ। और खिड़की के पास खड़ी रहती हूँ। तुम दवाई खा कर आधे घंटे आँखे बंद कर लेट जा।
मौसा ने कहा - ठीक है।
मौसी ने शिलाजीत की दो गोली मौसा को पानी के साथ दिया और मौसा ने वो दवाई खा लिया। दवाई खाते ही मौसी ने लाईट ऑफ किया और परदे के पास चली आयी। मौसी के आते ही मैंने उसे लपक कर पकड़ लिया और अपने मुंह में उसकी चूची को दाब लिया।। मौसी चौंक कर आह कर गयी।
मौसा ने पूछा - क्या हुआ?
मौसी - कुछ नहीं। एक चूहा मेरे चूची से टकरा गया।
मौसा - अरे चूहे। मेरी बीबी की चूची पर सिर्फ मेरा हक़ है तू क्यों चुसना चाहता है।
मौसी - अब चुपचाप लेट जा। बकबक मत करना, नहीं तो दवाई असर नहीं करेगी।
मौसा - अच्छा मेरी जान, जैसा तू कहेगी, वैसा ही करूँगा।
मैं मौसी के जिस्म को अपनी नंगे बदन से सटा लिया। मैं और मौसी एकदम खामोशी से एक दुसरे को चूम रहे थे। मौसी मेरे कान में फुसफुसाई - मुन्ना , अब देर ना कर, जल्दी से लंड डाल दे।
मैंने मौसी को वहीँ जमीन पर लिटाया और उसके चूत में अपना लंड दे मारा। मौसी की चीख निकल गयी। मौसा - क्या हुआ?
मौसी - राजा जी एक बात बताना मैं भूल ही गयी। डाक्टरनी ने कहा था की अपने पति से चुदवाने से पहले तुम अपने चूत का पानी 2 बार निकाल लेना ताकि सभी अशुद्धियाँ बाहर आ जाय और फ्रेश एवं नया पानी तैयार हो सके। इसलिए मैं अपने चूत का मुठ मार रही हूँ।
मौसा - ठीक है मेरी जान, लेकिन ज्यादा मत मार लीजियो, नहीं तो मज़ा खराब हो जायेगा।
मौसी ने फुसफुसाते हुए कहा - हाँ रे हरामी, साला एक बार अपने नुनु से माल निकाल कर पस्त हो जाता है और मैं सारी रात बैगन से मुठ मार मार 15-16 बार पानी निकालती रहती हूँ तब तो मेरा पानी का ख्याल नहीं आया था तुझे।

मैंने अपनी मौसी की बात सुन कर मस्त हो गया। मौसा से 4 फीट की दुरी पर उसके ही कमरे में मैं उसकी बीबी को चोद रहा था और उस मादरचोद को पता ही नहीं चल पा रहा था।
मौसी अब जोर जोर से आवाज कर रही थी। आह आह आह ....मजा आ गया मेरे राजा .... आह ...तेरा भी जवाब नहीं।
मौसा - हाय मेरी जान , मुठ मार रही हो लेकिन लगता है कि तुम चुदवा रही हो।
मौसी करहाते हुए बोली - हाय ...आह ... आज तो तेरे लंड जिस तरह मुझे चोदेगा उसका ख्याल कर कर के मैं मुठ मार रही हूँ और लग रहा है कि तू मुझे चोद रहा है। अब मैंने तुझे बोलने से मना किया है ना। अब चुपचाप मेरी आह उह सुन और तू भी तैयार रह।
मौसा - अच्छा ठीक है मेरी रानी।
मैं मौसी के चालाकी पर फ़िदा था। कैसे यह अपने पति के कमरे में ही चालाकी से उसकी मौजूदगी में मुझसे चुदवा रही थी। खैर मैंने अपना सारा ध्यान मौसी के ऊपर केन्द्रित किया और जोर जोर से चोदने लगा। मौसी जंगली बिल्ली की तरह गुर्राने लगी। मेरी मेहनत रंग लायी। मौसी के चूत ने लावा उगलना शुरू किया। मौसी जोर जोर से आ ह आ ह की आवाज निकालने लगी।
मौसा - तेरा माल निकल गया क्या?
मौसी - हाँ जी।
मौसा - तो अब आ जा।
मौसी - अभी नहीं, अभी काम पूरा नहीं हुआ है। अभी एक बार और झाड़ना है। और तुम चुप चाप नहीं रह सकते हो क्या?
मौसा - ओह हाँ मेरी जान, जल्दी कर अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा।
मैंने अपनी गति काफी तेज कर दी। कमरे में अब चूत और लंड के बीच घर्षण की आवाज तैरने लगी थी। जल्दी ही मेरे लंड ने भी लावा उगल दिया।
उसके बाद मौसी ने मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा - मुन्ना जरा हट तो, आज तेरे लंड से निकला माल तेरे मौसा को चखाती हूँ। मैं मौसी को एक चुम्बन दे कर उसके चूत से अपना लंड निकाल लिया। उसके चूत मेरे लावा और उसका लावा से लबालब भर चूका था। मैं उसके बदन पर से हट कर परदे के पीछे चला गया। मौसी ने लाईट ओन किया। मैंने देखा मौसा अपने 3 इंच खड़े लंड को मसल रहा है। वो लंड कम और किसी बच्चे की नुनु अधिक लग रही थी। मौसी झटाक से बिस्तर पर जा कर खड़ी हो गयी। और बोली - हाय जल्दी करो , मेरा माल निकल रहा है। जल्दी से पी जाओ जी। डाक्टरनी ने कहा था कि चुदवाने से पहले अपने चूत का लावा अपने मर्द को पिला देना इस से तेरे मर्द के अन्दर ताकत आएगी।
मौसा ने कहा - ओये मेरी जान , डाक्टरनी ये बात ना भी कही होती तो भी तो मैं तेरी चूत चाटता ही। हमेशा तो तेरी चूत का माल पीता हूँ।
कह कर वो मौसी के चूत पर अपना मुंह लगाया और उस में से निकल रहे मौसी का माल और मेरे माल को चटखारे ले ले कर पीने लगा। मौसी की आँखे मस्ती में बंद थी।
जब मौसा ने मौसी की पूरी चूत चाट चाट कर साफ़ कर दिया तो उसने कहा - डार्लिंग, आज तेरे चूत का माल का स्वाद कुछ अलग सा लग रहा था।
मौसी - तूने दवाई खाई है ना इस लिए तेरे मुंह का स्वाद बदल गया है। अब और दिमाग मत लगा। जल्दी से मेरी चुदाई शुरू कर मेरे राजा। तेरे लंड के लिए मैं कब से बेकरार थी। मुझे मन ही मन हंसी आ गयी।
मौसी ने मेरी तरफ अपनी चूत कर के बेड पर लेट गयी। दूर से भी मौसी की चूत देखने में मजे दे रही थी। अब मौसा मौसी की चूची को मुंह में लिया और चूसने लगा। मौसी की चूत गीली हो गयी थी। मौसी ने अपनी चूत को सहलाते हुए कहा - अरे हरामी चल डाल अपना नुनु मेरे चूत में।
मौसी के मुंह से मौसा के लिए हरामी शब्द सुन कर मुझे मजा आया कि दिन के उजाले में यही औरत पतिव्रता की तरह अपने पति की पूजा करती है लेकिन रात में बिस्तर पर इसी को किस तरह गाली दे रही है।
लेकिन मौसा ने मज़े लेते हुए कहा - हाँ मेरी कुतिया रानी, आज मैं भी बहुत उत्तेजित हूँ, आज रात भर तुझे चोदुंगा।
ये कह कर उसने अपने 3 इंच के नुनु को मौसी के 7 इंच गहरे चूत में डाल दिया। और चोदने लगा। मौसी की चूत आधी से अधिक खाली थी लेकिन वो इस तरह प्रदर्शित कर रही थी जैसे उसकी छुट फटी जा रही है। वो चीखने लगी। मौसा ने उसके मुंह को दबाते हुए कहा - अरे बावली, यूँ चीख मत, मुन्ना सुन लेवेगा।
मौसी ने चीखते हुए कहा - अरे मैं अपने पति से चुदवा रही हूँ तो मुन्ना को क्या दिक्कत है? अब वो भी तो जवान हो गया है। क्या वो नहीं जानता कि एक पति - पत्नी रात में क्या करते हैं?

मौसा - ठीक है, जैसी तेरी मर्जी।
मौसा ने अपनी स्पीड बढ़ा दी। लगता था कि शिलाजीत ने मौसा पर सचमुच असर किया था। दस बारह मिनट हो गए थे लेकिन मौसा का लंड झड नहीं रहा था। तभी मौसी के चूत ने लावा उगल दिया। वो चीख पड़ी। मौसा समझ गया था की उसकी बीबी झड चुकी है। उसने अपनी पकड़ को और मजबूत किया और मौसी के चूत पर टूट पड़ा। अगले दो मिनट तक घमासान चुदाई के बाद मौसा का लंड भी लावा उगलने लगा, लेकिन मौसा का लंड इतना छोटा था कि मौसा के लंड का अधिकांश माल मौसी के चूत के बाहर ही निकल गया। अब मेरी समझ में आया की मौसी अब तक माँ क्यों नहीं बनी और मौसी की चूत एक कुंवारी लड़की की चूत की तरह संकरी क्यों है? मौसा मौसी के बदन पर निढाल पडा हुआ हांफ रहा था।
मौसी ने कहा - क्यों जी, आप ने तो कहा था की रात भर चुदाई करूंगा अब क्या हुआ? तू तो अभी से ही पस्त हो गया। मौसा ने कहा - मेरी जान अब मेरे में ताकत नहीं है। अब मैं सोऊंगा।
कहते कहते उसकी आँखे बंद हो गयी। दो मिनट में ही वो गहरे खर्राटे लेने लगा। मौसी ने उठ कर परदे हटाये और मुझे अपने बिस्तर पर लेती आई।
मौसी मेरे कान में धीरे से कहा - चल अब तू एक बार फिर से मुझे चोद वो भी इसी बिस्तर पर।
मैंने मौसा की तरफ इशारा किया।
मौसी बोली - अब ये सुबह तक नहीं उठेगा। तू चिंता मत कर। मैंने लाईट की तरफ इशारा किया।
लेकिन मौसी ने फिर बड़े ही आराम से कहा - मैं इस भोंदू की नींद को जानती हूँ, तू फ़िक्र ना कर। आज मेरे पति के बिस्तर पर पति के बगल में ही तू मुझे चोद।
कह कर मौसी अपनी चूत फैला कर लेट गयी। मौसी की चूत पर मौसा का लावा और मौसी का लावा बह रहा था। मेरा लंड भी चिपचिपा गया था। मैंने भी सोचा - जब मौसी को फ़िक्र ही नहीं है तो मुझे क्या फ़िक्र।
मैंने अपना 8 इंच का लंड बिना किसी रुकावट के मौसी के चूत में घूसा दिया और मौसी के चूत को दनादन चोदने लगा। मौसी तो बड़े आराम से चीख रही थी। सारा बिस्तर जोर जोर से हिल रहा था। उसी बिस्तर पर मौसी का पति गहरी नींद में सोया हुआ था। उस साले को पता भी नहीं था कि उसके बगल में ही उसकी बीबी अपने बेटे से चुदवा रही है।
पुरे एक घंटे तक मैंने मौसी को उसी बिस्तर पर चोदा। इस बीच मैंने 3 बार अपना लावा मौसी के चूत में डाला। रात के दो बज चुके थे। जब मैंने चौथी बार अपना माल निकाला तो मौसी पस्त हो गयी थी। बोली - बेटा अब मेरे पर रहम कर। अब मेरी चूत में और पानी नहीं बचा है। अब कल जी भर के चोद लेना मुझे।
मैं वहां से उठा और नंगा ही अपने कमरे में चला आया। और अपने बिस्तर पर लेट गया। लेटते ही मुझे गहरी नींद आ गयी।
फिर उसके 5 दिन के बाद ही मौसा ने बहुत ही ख़ुशी ख़ुशी हो कर मुझे बताया कि तेरी मौसी माँ बनने वाली है।
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#50
मां बनी मौसी को सेक्स का मजा दिया
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दोस्तो, मेरा नाम विजय है और आज मैं अपने जीवन की एक सच्ची घटना आपको बताने जा रहा हूं. मैं उम्मीद करता हूं कि आपको मेरी यह आपबीती Xxx मौसी की चुदाई कहानी पढ़कर जिन्दगी के विषय में कुछ सीखने को मिलेगा.

उस दिन मौसी का जन्मदिन था. मौसी ने पिछले 20 सालों से मेरी देखभाल की है. बचपन में ही मेरी मां की मौत हो जाने के बाद मेरी मौसी मेरी मां बन कर मेरे पिता जी के घर आयी थी.

इतने साल गुजर जाने के बाद भी वो बिल्कुल नहीं बदली. सब कुछ ठीक चल रहा था. मगर हमारी जिन्दगी में दुखों को पहाड़ उस दिन टूटा था जिस दिन मेरे पिताजी ने मेरी मौसी को भी छोड़ दिया.

उन्होंने मौसी को छोड़ कर किसी तीसरी औरत को रख लिया था. 12 साल हो चुके हैं लेकिन वो दिन आज भी याद है मुझे. मुझे मेरी असली मां का तो याद नहीं क्योंकि मैं उस वक्त बहुत ही ज्यादा छोटा था. मगर मौसी ने तो मुझे अपनी कोख की सन्तान की तरह पाला है.

मौसी ने बहुत दुख देखे थे और मैं पूरी कोशिश करता था उनके दुख को कम कर सकूं.

मेरे पिताजी केवल हमारे लिये खर्च उठाने का फर्ज निभा रहे थे. उसके अलावा उनका हमसे कोई लेना देना नहीं था.

खर्च उठाने के नाम पर केवल मौसी के अकाउंट में कुछ पैसे हर महीने डाल दिये जाते थे और उसके बाद पिताजी की जिम्मेदारी हमारी ओर खत्म हो जाती थी. जिन्दगी ऐसे ही चल रही थी.

मेरी मौसी ने मुझे अकेले ही पाला है. अगर वो चाहती तो मुझे मेरे हालात पर छोड़ कर किसी और मर्द के साथ शादी भी कर सकती थी. मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया. उन्होंने अपनी बहन के बेटे को अपनी औलाद समझा और अपनी जिन्दगी मेरे नाम कर दी.

वो मेरी परवरिश को लेकर इतनी ज्यादा फिक्रमंद थी कि उन्हें कभी किसी और के बारे में सोचने का समय ही नहीं मिला. वो मुझसे कई बार कहा करती थी कि मुझमें उन्हें रमेश (मेरे पिता) की छवि दिखती है. मेरी मौसी ने मेरे पिता को दिल से अपनाया था. मगर मेरे पिता कभी किसी एक के नहीं हो सके.

उस दिन मौसी सुबह से ही उदास थी. जन्मदिन पर केक काटने से लेकर, बाहर खाना खाने और गिफ्ट देने तक सब कुछ करके मैंने उनका मूड ठीक करने की पूरी कोशिश की लेकिन उनकी उदासी दूर नहीं कर पा रहा था मैं।

रात में जब मैं बेडरूम में गया तो वो चुपचाप बेड पर लेटी हुई अपने ही ख्यालों में थी. वो छत की ओर टकटकी लगाये देख रही थी. उनकी पलकें तक नहीं झपक रही थीं. मैंने पास जाकर उनका हाथ पकड़ा और उनके मन की बात जानने की कोशिश की.

बहुत कुरेदने पर भी उन्होंने अपने मन के किवाड़ नहीं खोले, मगर आंखें जरूर पानी से भर गयी थीं. पिछले कई सालों से मौसी का अकेलापन दूर करने के मेरे सारे प्रयास विफल हो गये थे. फिर भी मैंने हार नहीं मानी. तमाम तरह की कोशिशें नाकाम होने पर मैंने एक नया फैसला किया.

मैंने नाइट लैम्प ऑफ कर दिया तो बेडरूम में घुप्प अंधेरा छा गया.
मौसी बोली- लाइट क्यों बंद कर दी?
मैं- ऐसे ही मां। (मौसी को मैं मां ही कह कर बुलाता था). दरअसल मुझे तुमसे कुछ बात करनी है और रोशनी में तुम्हारा चेहरा देखते हुए शायद मैं बोल न पाऊं.

मौसी- बताओ, क्या हो गया? क्या बात करनी है?
मैं- दरअसल बात ये है कि धीरे धीरे मुझे तुमसे प्यार हो गया है और मैं तुम्हें अपनी आगोश में लेकर तुम्हारी उदासी दूर करना चाहता हूं.
यह कहते हुए मैंने मौसी का हाथ पकड़ा और चूम लिया.

उन्होंने भी मेरा हाथ चूमा और मेरे बालों में हाथ फेरने लगी. मौसी की ओर करवट लेते हुए मैंने अपनी टांग उसकी जांघों पर रख दी.
अपना हाथ मौसी की चूची पर रखते हुए मैंने कहा- तुमने कई बार कहा कि तुमको मुझमें पापा की छवि दिखती है, लो आज महसूस भी कर लो.

ये कहते हुए मैंने मौसी की चूची को हल्के से दबाया तो आभास हुआ कि उसने अंदर से ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी. लोअर और टीशर्ट में वो नीतू सिंह के जैसी दिखती थी.

टीशर्ट के ऊपर से मैंने उनकी एक चूची अपने मुंह में ले ली. मेरे चूसने से उनकी टीशर्ट के ऊपर से उनकी चूची गीली हो गयी और मौसी की चूचियों के निप्पल टाइट हो गये.

अपनी जांघों से मेरी टांग हटाते हुए मौसी ने मेरी ओर करवट ली और अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख दिया.
मेरे लण्ड पर हाथ फेरते हुए मौसी बोली- तूने मेरी सो चुकी भावनाओं को फिर से जगा दिया है आज विजय. मैंने कई बार सोचा कि अपनी खुशी तुझमें खोज लूँ लेकिन आगे बढ़ नहीं पाई.

मेरा लण्ड लोअर से बाहर निकाल कर मौसी ने हिलाना शुरू किया तो मेरा लण्ड टनटनाने लगा. जिस चूत से मैं पैदा नहीं हो पाया आज उसकी कमी मैं अपने लंड से चोद कर पूरी करने वाला था.

मैं तो इस चूत से नहीं निकला लेकिन मेरा बीज तो इस चूत में मैं डाल ही सकता था. ये सोच कर ही मेरे तन-बदन में मौसी की चुदाई का तूफान उठने लगा था. मेरे मुंह से लम्बी लम्बी आंहें निकल रही थीं और मौसी मेरे लंड को सहलाती जा रही थी.

फिर मौसी ने अपनी टीशर्ट और लोअर उतार दी और मुझे अपनी बांहों में कसते हुए मुझसे लिपट गयी. उनकी भावनाएं अब हवस में तब्दील होती हुई दिखाई दे रही थीं मुझे. उन्होंने मुझे अपनी बांहों में इतनी जोर से जकड़ा हुआ था कि उनके निप्पल मेरे सीने में चुभ रहे थे.

मौसी ने मुझे बेड पर लिटा लिया और मेरे ऊपर आकर मेरे होंठों को पीने लगी. उसकी चूत मेरे लंड पर रगड़ खा रही थी या यूं कहें कि मौसी मेरे लंड को अपनी चूत से घिस रही थी. मुझे भी बहुत मजा आ रहा था. ऐसा लग रहा था कि आज मैं मौसी की चूत को चोद चोद कर फाड़ दूंगा.

फिर मौसी ने मेरी टीशर्ट के बटन खोलना शुरू किया. अब मैंने फोन का फ्लैश लाइट जला दिया जिससे रूम में हल्की रौशनी हो गयी. मैं मौसी के नंगे बदन के दर्शन करना चाह रहा था. लैम्प की रौशनी में मौसी की चूचियां चमकने लगीं. उनके निप्पल गहरे भूरे रंग के थे.

नीचे की ओर मौसी की चूत पर चढ़ी पैंटी दिख रही थी. जिस पर कुछ गीला सा लगा हुआ था. शायद मौसी की चूत ने पानी छोड़ रखा था. वो चुदासी हो रही थी. फिर उसने मेरी टीशर्ट को निकलवा दिया और फिर बनियान को खींचने लगी.

मैं बोला- आराम से मां, बनियान फट जायेगी.
वो बोली- हां फाड़ना ही तो चाहती हूं. आज मेरी प्यास को बुझा दे विजय. अपने बाप की तरह मेरी चूत को चोद चोद कर मेरी प्यास मिटा दे. मैं तेरे लंड को लेकर तेरे बाप को फील करना चाहती हूं.

मेरी बनियान को खींच कर निकालते हुए मौसी ने मुझे ऊपर से नंगा कर दिया. वो बेतहाशा मेरे सीने को चूमने लगी. कभी मेरी गर्दन को चूमती तो कभी मेरे निप्पल्स पर जीभ चलाने लगती. मेरे शरीर में करंट सा दौड़ने लगा था.

मैंने मौसी की चूचियों को जोर जोर से भींचना शुरू कर दिया. फिर उसको अपने ऊपर खींच कर उसकी चूचियों को पीने लगा. नीचे से मेरा हाथ मौसी की चूत पर ढकी पैंटी पर चलने लगा.

फिर मैंने उसकी पैंटी में हाथ ही दे दिया. उसकी चूत को उंगलियों से चला चला कर सहलाने लगा.
वो जोर जोर से सिसकारने लगी- आह्हह … विजय, मेरी चूत … आह्ह … चोद दे इसको बेटा … आह्ह ये चूत बहुत प्यासी है. 12 साल से इसको लंड का स्वाद नहीं मिला है. आज मेरी भूख मिटा दे मेरे बच्चे।

मैंने मौसी की चूत में उंगली दे दी और जोर जोर से अंदर बाहर करने लगा. मौसी ने जोर जोर से मेरे होंठों को चूस चूस कर काटना शुरू कर दिया. वो पागल हो रही थी और मेरी हालत भी खराब होने लगी थी.

फिर मौसी ने मेरे होंठों को छोड़ा और मेरे सीने और पेट पर चूमते हुए मेरी लोअर को खींच कर निकाल दिया. मैं अपने अंडरवियर में रह गया. मेरा 6 इंची लंड मेरे अंडरवियर को फाड़ने को हो रहा था.

मौसी ने मेरे लंड को मेरे अंडरवियर समेत मुंह में पकड़ लिया और उसको कपड़े समेत चूसने लगी. मेरे मुंह से सस्स … आह्ह … ओहह … स्ससस … हये … करके जोर जोर से सिसकारें निकलने लगीं. मैंने मौसी के मुंह को अपने अंडरवियर पर दबाना शुरू कर दिया.

वो भी मेरे मन को भांप कर समझ गयी कि मेरे अंदर क्या आग लगी हुई है. उसने दांतों से मेरे गीले हो चुके अंडरवियर को खींचा और मेरा लंड उछल कर बाहर आ निकला.

पल भर की देर किये बिना मौसी ने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगी. आनंद और उन्माद में मेरी आंखें बंद होने लगीं और मैं मौसी के सिर पर बालों में सहलाता हुआ अपने लंड को चुसवाने लगा.

जब मुझसे रुका न गया तो मैंने उसको नीचे पटका और खुद उसके ऊपर आकर उसकी पैंटी को खींच कर फाड़ दिया. मैंने मौसी की चूत में जीभ से चाटना शुरू कर दिया. जो हालत कुछ देर पहले मेरी थी उससे कहीं ज्यादा बुरी हालत अब मौसी की होने लगी.

वो लंड के लिये इतनी तड़पने लगी कि उसकी जान ही निकल जाती.
वो मेरे सामने हाथ जोड़ने लगी- आह्ह … आई मा … हाह .. स्सस … आहा … विजय चोद दे अब. मैं मर जाऊंगी … प्लीज मुझे चोद दे … मेरी चूत को लंड चाहिए. मैं और बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूं.

मौसी को इस तरह लंड के लिए तड़पते देख कर मुझे भी उन पर दया आ गयी और मैंने उनकी टांगों को फैला कर उनकी चूत पर लंड को सेट कर दिया. फिर धीरे धीरे से चूत पर रगड़ने लगा तो मौसी ने मुझे खुद ही अपने ऊपर खींच लिया और मेरे लंड की ओर चूत को धकेलने लगी. मेरा टोपा उसकी चूत में घुसने लगा.

हम दोनों एक दूसरे से लिपट गये. मैं मौसी की पीठ और चूतड़ों पर हाथ फेर रहा था और वो मेरी पीठ पर नाखून चला रही थी. मेरा लण्ड मौसी की चूत में जाने के लिए उतावला हो रहा था लेकिन मैंने खुद पर नियंत्रण रखा हुआ था.

मौसी की गर्म सांसें मेरी गर्दन के आसपास थीं और चूत की गर्मी मेरे लण्ड के आसपास. अपनी चूत के लबों को मेरे लण्ड पर रगड़ कर मौसी और ज्यादा उत्तेजित हो रही थी.

फिर मेरा लण्ड पकड़कर उसने अपनी चूत के मुंह पर रख दिया. मेरे लण्ड के लिए यह पहला अनुभव था. मुझे अपनी ओर खींचते हुए मौसी मेरा लण्ड अपनी चूत में लेने लगी. मेरे लण्ड का सुपारा मौसी की चूत के लबों में फंसा हुआ था.

तभी वो उठी और अपने ड्रेसिंग टेबल से क्रीम निकाल लाई. बेड पर आकर मौसी ने मेरे लण्ड पर क्रीम लगाई और मेरी जांघों पर आ गई. घुटनों के बल खड़ी होकर उसने अपनी चूत के लब खोलकर मेरे लण्ड के सुपारे पर रख दिये.

फिर उसने धीरे धीरे नीचे दबाव देना शुरू किया तो मेरा लण्ड उसकी चूत में सरकने लगा. मेरे लण्ड को जड़ तक अपनी चूत में समा लेने के बाद मौसी ने अपने हाथ मेरे सीने पर रख दिये और अपने चूतड़ उचकाने लगी. मौसी उचक उचक कर चुदने लगी. मैं भी जन्नत की सैर करने लगा.

मौसी की चूचियों पर हाथ फेरते हुए मैंने पूछा- लाइट ऑन कर दूं क्या जान?
वो बोली- नहीं विजय, ऐसे ही रहने दो, इतना उजाला काफी है. रोशनी में मैं तुमसे नजर नहीं मिला पाऊंगी. अगर तुम्हें लाइट ऑन करनी ही है तो मैं घोड़ी बन जाती हूँ.

इतना कहकर मौसी घोड़ी बन गई. मैंने लाइट ऑन की और घोड़ी बनी हुई मौसी के बदन पर नजर डाली. गोरे गोरे चूतड़ और मांसल जांघों के बीच मौसी की चूत और गांड़ का छेद चमक रहे थे.

फिर उसके पीछे आकर मैंने अपना लण्ड मौसी की चूत में पेल दिया और हाथ बढ़ा कर मौसी की चूचियां दबाने लगा. अपने चूतड़ चला कर वो लण्ड का मजा ले रही थी. मौसी की कमर पकड़कर मौसी को मैंने चोदना शुरू किया तो वो उफ्फ … उफ्फ … करने लगी.

मेरा लंड मौसी की चूत में पूरा जड़ तक जाने लगा था. मैं पूरा जोर लगा कर उसकी चूत में लंड को ठोक रहा था. मेरे लण्ड का सुपारा जब मौसी की बच्चेदानी पर ठोकर मारता तो ‘धीरे … धीरे … आह्ह … धीरे … धीरे …’ कहते हुए मौसी सिसकारी भरने लगती.

मौसी की सिसकारियां सुनकर मेरे लण्ड का जोश और बढ़ जाता. लण्ड को मौसी की चूत में आते जाते देखकर मैं सोचने लगा कि इतने सालों से मौसी बिना चुदे कैसे रही होगी?

इस बीच मौसी ने अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने की रफ्तार बढा़ई तो मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी. अब पूरे रूम में पट पट … फट फट की आवाज गूंजने लगी. मेरी जांघें जोर जोर से मौसी की गांड से टकराने लगीं.

मौसी की सेक्स भरी आंहों में अब दर्द के भाव भी मिल गये थे. वो कभी दर्द में कराह उठती तो कभी फिर से आनंद में आहह … चोद … आह्ह चोद … करने लगती.

15 मिनट की चुदाई के बाद अब मैं भी अपने चरम की ओर बढ़ रहा था. दो मिनट तक मैंने जोर जोर से मौसी की चूत में लंड ठोक ठोक कर पेला और मेरा माल निकलने को हो गया.

मेरे लण्ड से पिचकारी छूटने को हुई तो
मैंने मौसी से पूछा- माल कहां गिराना है? अन्दर या फिर बाहर? ??????
वो बोली- अन्दर ही गिरा दे मेरे लाल. चुदाई का असली मजा तो इसी में है. जब मर्द के लंड से गर्म गर्म माल चूत में छूट कर गिरता है तो वो दुनिया का सबसे सुखद और कामुक अहसास होता है. मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दे मेरे लाल
डर मत बाच्चा नही होगा।

मौसी की बातें इतनी कामुक थीं कि मैं उसके बाद पल भर भी अपने वीर्य के वेग को रोक नहीं पाया और मैंने मौसी की चूचियों को जोर से भींच कर उनके ऊपर लेटते हुए अपने लंड को उसकी चूत में पूरा ठूंस दिया.

उसके बदन से चिपकते ही मेरे लंड से फूट फूट कर वीर्य की पिचकारी मौसी की चूत में लगने लगी. मेरे शरीर में जैसे 1000 वोल्ट के झटके लग रहे थे. झटके दे देकर मैंने सारा माल मौसी की चूत में भर दिया.

मैं निढाल होकर मौसी के ऊपर ही ढेर हो गया. मौसी भी हांफते हुए नीचे लेट गयी और दोनों एक दूसरे में जैसे समा गये. कुछ देर तक हम ऐसे ही बेसुध पड़े रहे.

उसके बाद हम अलग हुए. मौसी के चेहरे पर आज जो आनंद और संतुष्टि मैं देख रहा था वो मैंने इससे पहले कभी नहीं देखा था. कुछ देर के बाद मैंने मौसी की चूचियों को फिर से छेड़ना शुरू कर दिया. मौसी ने मेरे लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी.

पांच मिनट में ही हम दोनों एक बार फिर से गर्म हो गये और एक दूसरे को चूस चूस कर खाने लगे. उसके बाद मैंने फिर से मौसी की चूत पर लंड रखा और पेल दिया. चुदाई का दूसरा राउंड आधे घंटे तक चला और मौसी की चूत को चोद चोद कर मैंने सुजा दिया.

उसके बाद हम दोनों सो गये.
फिर तो मौसी की जिन्दगी में जैसे बहार आ गयी. अब वो हरदम खुश रहने लगी थी और हम दोनों पति पत्नी के जैसे जिन्दगी गुजारने लगे.
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#51
दोस्त की शादी में मेरी सुहागरात
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हाय दोस्तो, आप सभी को मेरा नमस्कार! मैं शिव राज हाजिर हूँ!
आज फिर मैं आप सब चूतों को हेल्लो करता हूँ और सारे लंड को नई नई चूत मिलती रहे… ऐसी कामना करता हूँ.

आज मैं आपके सामने एक सच्ची घटना लेकर आया हूँ, यह कहानी ज्यादा पुरानी नहीं है, सिर्फ छह माह पहले की है. मैं लखनऊ अपने एक दोस्त की शादी में गया था. मेरा बहुत अच्छा दोस्त था इसलिए एक दिन पहले पहुँच गया था. उसने हमारे और उनके स्पेशल गेस्ट का अरेंजमेंट एक होटल में किया था. फरवरी के दिन था, हल्की गुलाबी ठण्ड पड़ रही थी.

मैं दोपहर में उसके घर पहुँच गया, वो बहुत खुश हुआ मुझे देख कर… उसने अपनी फैमली में सबसे मुझे मिलवाया, फिर हमने साथ में लंच किया और हमें खाना उसकी एक रिश्तेदार जो उसकी बुआ की बहू थी, वो खिला रही थी और साथ में मेरे दोस्त को परेशान भी कर रही थी उसकी होने वाली वाइफ का नाम ले लेकर!
और मैं भी भाभी की तरफ से अपने दोस्त परेशान कर रहा था उसकी पुरानी गर्ल फ्रेंड्स का नाम ले ले कर!

भाभी मेरे से और पूछ रही थी कि कितनी लड़कियों को इसने अपने प्यार में फंसाया है, मैं उन सबके नाम उन्हें बता रहा था.
सबकी नजर बचा के भाभी ने मुझसे आंख मार कर पूछा- इसने कुछ किया भी है या बस ऊपर ऊपर ही खेलता रहा?
और हँसने लगी.
मैंने उन्हें बताया- आपका देवर बहुत पुराना खिलाड़ी है, इसने सबके साथ मैच खेले हुए हैं.

इतने में मेरे दोस्त का फ़ोन आ गया तो वो बाहर जाकर बात करने लगा तो भाभी ने मुझसे पूछा- तो आप भी इसी के जैसे ही खिलाड़ी हो या अनाड़ी हो?
तो मैंने कहा- भाभी जी, अब मैं अपनी तारीफ खुद कैसे कर सकता हूँ!
और हम हँसने लगे.

सॉरी, मैंने अभी तक आप सबको भाभी के बारे में तो कुछ बताया ही नहीं… उनका नाम सुमन था, वो करीब 35 साल की होंगी, उनके दो बच्चे हैं, बड़ा 10 साल का और छोटा 7 साल का!
वो अपने छोटे बेटे के साथ आयी थी. वो दिल्ली की रहने वाली थी. उन्होंने अपने आप को इतना मेंटेन कर रखा था कि कोई उन्हें 25 साल से ऊपर तो कह ही नहीं सकता था.

मैंने उनसे पूछा- आप क्यों परेशान कर रही थी मेरे दोस्त को… आपकी भी नई नई शादी हुई है, भैया जो आपको परेशान करते हैं, उसका बदला निकल रही हो?
तो वो बोली- पागल… मेरी शादी को 14 साल हो गये और मेरे दो बेटे हैं.
बाहर एक बच्चे को दिखाते हुए बोली- ये मेरा छोटा बेटा है, बड़ा दिल्ली में है, वो नहीं आया.

मैंने कहा- मैं ही मिला हूँ आपको बकरा बनाने को? मैं भी दिल्ली में 10 साल रहा हूँ, सब जानता हूँ… प्लीज मुझे इस तरह से उल्लू मत बनाइये.
तो वो हँसने लगी और बोली- तुम्हें यकीन नहीं तो अपने दोस्त से पूछ लेना!
मैंने कहा- अरे नहीं भाभी, अगर मैंने उससे आपके बारे में पूछा तो मारेगा, बोलेगा ‘मेरी भाभी पे लाइन मार रहा है साले?’
तो वो हँसने लगी और बोली- अरे अब मुझे कौन लाइन मारेगा? तुम लोगों को तो जवान जवान लड़कियाँ पसंद आएँगी.

मैंने भी मौका देखते हुए कहा- अरे भाभी जी, जो मजा आप में है, वो इन सब से नहीं मिल सकता!
और हँसने लगा.

वो भी शरमा के तिरछी नजर से देखते हुए सिर्फ मुस्करा रही थी और मेरे बारे में पूछने लगी- अपनी वाइफ को क्यों नहीं लाये?
तो मैं बोला- मेरी बेटी तबियत ठीक नहीं थी, इसलिए मैं अकेला ही आया हूँ.

बात बात में उन्होंने मुझसे पूछा- रात में कहाँ रुकोगे?
तो मैं बोला- जहाँ आप सुलाओगी, वहीं सो जाऊंगा.
भाभी हँसने लगी और बोली- यार यहाँ तो बहुत भीड़ है, सुना है कि होटल में भी रूम बुक है. यार मेरे लिए भी उधर ही जुगाड़ करवा दो?
तो मैं बोला- अरे आप अपने देवर से बोल दो कि मैं सो नहीं पाऊँगी, मेरा भी होटल में ही जुगाड़ करवा देना तो वो कर देगा.

फिर मेरा दोस्त आ गया. तभी भाभी ने अरुण से पूछा- कितने रूम बुक हैं होटल में?
तो उसने बताया- 3 रूम हैं, एक में कोई रुक हुआ है, 2 अभी खाली हैं. शायद रात में दो लोग और कोई आने वाले हैं लेकिन अभी उनका कुछ कन्फर्म नहीं है.
भाभी बोली- यार प्लीज, मेरा भी उधर ही कुछ जुगाड़ करवा देना, इधर मैं सो नहीं पाऊँगी, बहुत भीड़ है, रात भर ट्रेन में भी ठीक से नहीं सो पायी और सुबह से तो तुम देख ही रहे हो!
भाभी भी दिल्ली से आज सुबह ही पहुची थी.

मैं बोला- यार, कोई नहीं अगर रात में वो लोग आ भी गए तो मेरे रूम आ जायेंगे, मैं मैनेज कर लूंगा.
तो वो बोला- ठीक है!
और इतने में किसी आवाज दी तो वो बाहर चला गया तो भाभी ने मुझे थैंक्स बोला.
मैंने कहा- कोई बात नहीं, अगर कोई दिक्कत होगी तो मैं आपके रूम में आ जाऊंगा!
और हँसने लगा.


तो वो मेरी तरफ एक अजीब अदा से देखा और मुस्करा कर बोली- आ जाना, मैं दरवाजा खोल के सोऊंगी!
फिर सब लोग अपने अपने काम में व्यस्त हो गए.

रात का खाना खाने के बाद दोस्त ने हमें गाड़ी से होटल छोड़ा जो करीब 2 किलोमीटर दूर था. सुमन भाभी और उनका बेटा अपने रूम में चले गए. मेरे दोस्त ने मुझे सब कुछ समझा दिया और बोला- रात 12 बजे तक शायद वो लोग आ जायेंगे तो तू देख लेना!
मैं बोला- कोई प्रॉब्लम नहीं, तू मस्त काम निपटा, मैं हूँ इधर!

वो भी रुकना चाह रहा था लेकिन रात में कोई पूजा होनी थी तो घर चला गया.
10 बजे थे, उसके जाते ही मैंने भाभी के रूम का दरवाजा खटखटाया तो वो बोली- आ जाओ, दरवाजा खुला है!

लाइट धीमी धीमी जल रही थी, उनका बेटा थक कर सो चुका था.
मैंने अंदर जाकर पूछा- आप सोई नहीं अभी तक?
तो बोली- तुम्हारा वेट कर रही थी!
मैंने कहा- अच्छा जी, तो क्या हुक्म है मेरे आका? आपका गुलाम हाजिर है!

तो वो हँसने लगी और बोली- बियर पी ली तुम लोगों ने?
मैंने कहा- नहीं पी, अरुण कह रहा था कि कोई पूजा होनी है. तो अब मैं क्या अकेले पीता? कोई साथ में हो तो पीने का मजा है, अकेले पीने में मजा नहीं आता.
तो भाभी बोली- ऐसी बात है तो ले आओ, मैं साथ दे दूंगी!

मैंने पूछा- सच बताइये, आप पियेंगी?
तो बोली- आज तुम जो पिलाओगे वो पियूँगी!

मैंने वेटर को फ़ोन किया और उसको 500 का नोट दिया और अपने रूम में 4 बीयर लाने को बोला.
वो चला गया तो भाभी मेरे से बात करने लगी, बोली- तुमने कितनी गर्ल फ्रेंड निपटाई?
मैंने कहा- सच बताऊँ तो शादी से पहले 8 लड़कियों निपटा चुका हूँ.
तो उन्होंने पूछा- और शादी के बाद कितनी को शहीद किया?
मैंने कहा- अब लड़कियों में मजा नहीं आता भाभी… अब तो बस आप जैसी कोई भाभी ही मिलती है.

तो बोली- कितनी भाभियों को पानी पिलाया है अपना?
मैंने कहा- एक मिली थी जब दिल्ली में रहता था, नीलू नाम था उनका, उनके भी दो बच्चे थे, बंगाली थी लेकिन भाभी, सही कह रहा हूँ उनकी जैसी खिलाड़ी मुझे आज तक नहीं मिली. सच में हमने बहुत मजा किया.

तो बोली- जरा डिटेल में बताओ?
और बोली- चेयर में ठण्ड लग रही होगी, रजाई में आ जाओ.

इतने में वेटर ने दरवाजा खटखटाया तो मैंने बाहर आकर बीयर ले ली और बोला- जाओ!
फिर मैं बीयर लेकर भाभी के ही रूम में आ गया, 2 बीयर टेबल में रख कर एक एक बीयर लेकर मैं भी रजाई में बैठ गया.

भाभी आधी लेटी हुई थी, सूट पहन रखा था और मैं उनके पैरों के पास बैठ गया और हम बीयर पीने लगे. भाभी अपने पैर के अंगूठे से मेरे पैर को सहला रही थी और मुझ से नीलू की कहानी पूछने लगी.

तो मैंने झट से मोबाइल पर दिल्ली वाली भाभी की कहानी उनको दे दी कि इसको पढ़िए, ये मैंने ही लिखी है.
भाभी मेरी तरफ अजीब सी नजर से देखने लगी और बोली- तुम तो बड़े खिलाड़ी निकले?
मैंने कहा- यह किसी को नहीं पता कि मैंने ये कहानी लिखी है.

और भाभी मजे से दिल्ली वाली भाभी की कहानी पढ़ने लगी और मैं एक हाथ से उनके पैर को सहलाने लगा. भाभी बीयर पी रही थी और कहानी पढ़ रही थी और मेरी तरफ देख देख कर मुस्करा रही थी.

आधी कहानी पढ़ने के बाद बोली- बहुत मस्त है यार, तुमने ऐसे खुश किया नीलू को… मुझे यकीन नहीं होता!
मैंने कहा- भाभी, आप बोल के तो देखो, उनसे ज्यादा मजा दूंगा आपको!
तो वो हँसने लगी.

अब हमारी बियर भी ख़त्म हो गयी. अब भाभी के ऊपर कहानी का असर होने लगा और बीयर भी अपना रंग दिखने लगी. भाभी टांग के ऊपर टांग चढ़ा कर ‘सी सीई…’ करने लगी, बोली- शिव, बहुत मजा आ रहा है.

अब मेरा हाथ उनकी टांग को सहला रहा था, चूत से बस थोड़ा ही दूर था. तभी भाभी ने एक पैर मेरे सीने पे रख दिया और मेरा हाथ उनकी चूत के ऊपर पहुँच गया और सलवार के ऊपर से मैं भाभी की चूत को सहलाने लगा. उनकी सलवार गीली हो चुकी थी. अब वो पैर से मेरे लंड को दबा रही थी. मैंने हाथ बढ़ा कर सलवार का नाड़ा खोल दिया और हाथ अंदर करके चूत को सहलाने लगा. उनकी चूत बिल्कुल साफ़ थी और उससे रस बह रहा था.

मैंने भाभी से कहा- इसको उतार दो!
तो उन्होंने कमर ऊपर उठा दी मैंने सलवार के साथ पैंटी भी उतार दी.
अब मेरा हाथ उनकी चूत को सहला रहा था और वो आंखें बंद किये पूरा मजा ले रही थी.

फिर मैंने अपना सर रजाई के अंदर डाल दिया और चूत को किस करने लगा, वो मेरा सर अपनी चूत पर दबाने लगी. मैंने रजाई हटा दी और चूत को फैला कर चाटने लगा, वो मजे से चूत चटवाने लगी, उनके मुख से ‘सीईईई… सीईए… सीएस…’ की आवाज आ रही थी.

भाभी बोली- तुम भी पेंट उतार दो!
मैंने जल्दी से पैन्ट और चड्डी उतार दी, मेरा 7 इंच का लंड देख कर बोली- मस्त है तुम्हारा हथियार… आज मजा आएगा!


फिर हम लोग बेड से नीचे आ गए, कालीन बिछी हुई थी तो कोई प्रॉब्लम नहीं हुई.
अब मैंने उनका कुरता और अपनी शर्ट उतार दी. भाभी अब केवल ब्रा में थी.

मैं नीचे लेट गया और भाभी को अपने मुख पर बिठा लिया. अब हम 69 पोजीशन में थे, भाभी चूत से पानी बराबर निकल रहा था, मैं मजे से चूत चाट रहा था और भाभी मेरा लंड चूस रही थी. हम दुनिया से बेखबर एक दूर में खोये हुए थे, मैं अंदर तक जीभ घुसा कर चूत चाट रहा था कि तभी भाभी जी की चूत पानी छोड़ दिया और मैं सारा पानी पी गया.
बड़ा टेस्टी पानी था भाभी की चूत का!

भाभी थक कर बगल में लेट गयी.
मैंने कहा- अब मैं क्या करूँ?
तो बोली- जो मर्जी, वो करो!

मैंने उनकी ब्रा खोल दी और बूब्स को मुख में लेकर चूसने लगा. करीब 5 मिनट में वो फिर से तैयार हो गयी, बोली- अब अपना लंड मेरी चूत में डाल दो, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा, जल्दी से करो प्लीज!

मैंने तकिया उठाया और उनकी गांड के नीचे लगाया और अपना लंड उनकी चूत पे रगड़ने लगा, वो आंखें बंद किये मजे ले रही थी. मैंने एक ही झटके में पूरा लंड उनकी चूत की गहराई में उतार दिया. उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और मैं धीरे धीरे कमर हिलाने लगा.

5 मिनट बाद वो बोली- और तेज तेज करो, उम्म्ह… अहह… हय… याह… बहुत मजा आ रहा है.
अब मैंने भी स्पीड बढ़ा दी और फुच फुच की आवाज के साथ चुदाई करने लगा.

दस मिनट बाद मैंने उन्हें ऊपर बिठाया और मैं नीचे लेट गया, अब मस्त कमर नचा नचा कर मुझे चोद रही थी और मैं दोनों हाथों से उनके बूब्स मसल रहा था.
तभी उन्होंने अपनी रफ़्तार बढ़ दी और आअह्ह हहह हहहह कर के झड़ने लगी- लव यू शिव… लव यू शिव… बोल कर मेरे ऊपर गिर गयी.

मेरा लंड अभी भी पूरा भाभी की चूत में घुसा हुआ था. मैं 5 मिनट तक ऐसे ही लेटा रहा और उनके सर को सहलाता रहा.
फिर उन्होंने आंख खोली और पागलों की तरह मुझे किस करने लगी.

मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- न जाने कितने दिनों बाद आज मैं खुल कर चुदी हूँ, तुमने मुझे बहुत खुशी दी है.
और मेरे होठों को चूसने लगी.

मेरा लंड अभी भी पूरा जड़ तक उनकी चूत में घुसा हुआ था, मैंने कहा- अभी मेरा तो हुआ ही नहीं, मुझे भी तो करने दो!
वो अचानक से उठा कर मेरा लंड मुख में लेकर चूसने लगी, बोली- बहुत मस्त टेस्ट है तुम्हारे लंड का!
मैंने कहा- यह तो आपकी चूत का पानी है, अभी मेरा पानी बाकी है.

फिर मैंने भाभी को घोड़ी बनाया और पीछे से चोदने लगा, थोड़ी देर चोदता, फिर लंड बाहर निकाल कर अपनी उंगलियाँ अंदर डाल कर चोदता और फिर लंड अंदर डाल देता और उंगली उनकी गांड में डाल देता जिससे उनका मजा दुगना हो जाता.

मेरी इस तरह की चुदाई से वो दो बार और झड़ी मैं भी चोदते चोदते थक चुका था तो मैं भी अपना पानी निकलना चाहता था, मैंने पूछा- कहाँ निकालूं ? अन्दर या बाहर ???????
तो वो बोली- अंदर ही गिरा दो, मेरा ऑपरेशन हो चुका है, पेेट से होने का कोई प्रॉब्लम नहीं है.

इस लम्बी घमासान चुदाई के बाद मेरे लंड ने जवाब दे दिया और मैं उनकी चूत में झड़ने लगा, मेरे लंड का पानी पाते ही उनकी चूत फिर से झड़ने लगी.
फिर करीब 10 मिनट तक हम एक दूसरे से चिपके रहे.

तभी मेरे फ्रेंड का फ़ोन आया कि वो गेस्ट होटल पहुँच गए हैं, नीचे हैं, तू उनको देख कर रूम में सुला दे!
मैंने कपड़े पहने और भाभी को ऊपर बेड पर लिटाया और बोला- मैं उनको छोड़ कर वापस आता हूँ! फिर बची हुई एक एक बियर पियेंगे और मस्त चुदाई करेंगे!
तो भाभी बोली- मेरे अंदर अब हिम्मत नहीं बची… अब बस!
मैंने कहा- जानेमन, अभी तो रात जवान हुई है, अभी आपकी गांड भी मारनी है.

फिर वो नंगी बेड पर लेट गयी, मैं बोला- आप सो जाओ, मैं बाहर से लॉक करके जाता हूँ, फिर जल्दी से आता हूँ.

मैंने मेहमानों को रूम में छोड़ा और वापस आकर भाभी को जगाया.

फिर हमने बियर पी, फिर मस्त चुदाई की दो बार… दोनों बार चूत और गांड की चुदाई की. उस रात सुबह 5 बजे तक हमने कई बार चुदाई की.
भाभी बोली- आज तक एक दिन में इतनी बार कभी नहीं चुदी!
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#52
माँ की ग़लती का फायदा
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हेलो दोस्तों.. मेरा नाम राहुल है और मेरी उम्र 23 साल है. दोस्तों.. आज मैं बहुत खुश हूँ क्योंकि मुझे अपनी एक सच्ची घटना आप सभी के सामने लाने का मौका मिला और मैं आप सभी को बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ.. क्योंकि आप सभी इन कहानियों को अपना कीमती समय देकर पढ़ते है. मैं भी आपकी तरह ही इस साईट पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ता हूँ.

दोस्तों अब मैं अपने और अपने घर वालों का परिचय आप सभी से करवा देता हूँ. मैं एक छोटे से गाँव में रहता हूँ और मेरा घर खेतों के बीच में बना हुआ है. मेरे घर में हम तीन लोग मैं, माँ और मेरे पिताजी रहते है. मैं बी. ए. फाईनल के पेपर दे चुका हूँ और अब पढ़ाई पूरी होने की वजह से अपने घर पर ही रहता हूँ. मेरे पिता जी 50 साल के है और वो हमेशा बहुत बीमार रहते है जिस कारण वो बहुत कमजोर है.

मेरी माँ की उम्र 45 साल है और वो दिखने में बहुत सुंदर दिखती है.. मेरी माँ का रंग गोरा है और मेरी माँ का फिगर बहुत कमाल का है. उनके बूब्स बड़े बड़े और गोल आकार के है और मेरी माँ के बूब्स उनकी कमीज़ से बाहर झांकते रहते है.. क्योंकि वो ब्रा में पूरी तरह नहीं समाते. मेरी माँ घर का सारा काम खुद ही करती है जिससे मेरी माँ का बदन गठीला है. मेरे पिता जी के पास बहुत सारी ज़मीन है जिसकी वजह से हमारी आर्थिक हालत बहुत अच्छी है.. हमारा घर बहुत बड़ा है. जिसमे 4 बेडरूम ड्राइंग-रूम और अलग बाथरूम और रसोई है और हम तीनों ही अलग अलग रूम में सोते है.

दोस्तों.. अब मैं आप सभी को अपने साथ हुई एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ.. जो आज से 6 महीने पहले की है. एक दिन अचानक मेरे मामा जी के बड़े लड़के की मौत हो गई.. मेरे मामा जी हमारे गावं से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही रहते है. हम तीनों को वहाँ पर जाना पड़ा.. लेकिन मेरे पिताजी की तबीयत भी थोड़ी ठीक नहीं थी.. इस वजह से मैं और पिता जी उसी दिन शाम को अंतिम संस्कार के बाद अपने घर पर वापस आ गये और मेरी माँ वहाँ पर कुछ दिनों के लिए रुक गयी और फिर मेरी माँ एक महीने बाद घर पर वापस आई. तो सब कुछ पहले जैसा ठीक ठाक हो गया..

फिर कुछ दिनों के बाद माँ मुझसे बोली कि राहुल बेटा मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है.
मैं झट से बोला कि बताओ माँ क्या बात है?
तो माँ मुझसे बोली कि राहुल मैं तुम्हे क्या बताऊँ मुझे बहुत शरम आ रही है? तो मैंने कहा कि माँ मुझसे क्या शरम और मैं यह बात किसी को नहीं बताऊंगा और फिर माँ ने मुझ को अपनी कसम दी कि मैं यह बात किसी को ना बताऊँ. मैंने हाँ कर दी मेरे पिता जी उस समय घर पर नहीं थे वो अपनी दवाई लेने के लिए शहर गये हुए थे.

माँ मुझसे बोली कि राहुल मुझे पिछले दो महीने से माहवारी नहीं आई है. मैं यह बात सुनकर बहुत हैरान रह गया था कि क्या माँ कभी मुझसे ऐसी बात भी कर सकती है? मैं अब बड़ा हो गया था और सेक्स के बारे में सब कुछ जानता था क्योंकि मेरी सेक्स में बहुत रूचि थी.
तो मैंने माँ की बात सुनकर कहा कि माँ अब मैं क्या कर सकता हूँ?
तो माँ बोली कि बेटा मुझे लगता है कि मैं प्रेग्नेंट हो गई हूँ और तुम मेरे लिए शहर से बच्चा गिराने की दवाई ला दो.

मैंने माँ से कहा कि तुम पिता जी को बोल दो वो ले आएगे. माँ मुझसे बोली कि बेटा मुझे तुम्हारे पिता के साथ सेक्स किए हुए 2 साल हो गये है और अगर उन्हे पता चल गया तो वो मुझे घर से निकाल देंगे. फिर माँ की यह बात सुनकर मुझे बहुत बड़ा धक्का लगा और मैं कुछ ना बोल सका और फिर मेरी माँ मेरे पैरों में गिर गई.. तो मैंने उन्हे संभाला और उनसे सारी बात बताने को कहा तो माँ ने मुझे बताया कि मेरे मामा का छोटा लड़का जो 25 साल का है.. उसने मेरी माँ को ज़बरदस्ती चोदा और उसने माँ को तीन रातों तक लगातार चोदा और माँ शरम के मारे किसी को कुछ भी नहीं बता पाई. तो मुझे अपने मामा के लड़के पर बहुत गुस्सा आया.. लेकिन माँ ने मुझसे कहा कि बेटा तुम कुछ मत करना नहीं तो बहुत बदनामी होगी. फिर मैं उस दिन रात को सो भी नहीं पाया और सुबह उठकर माँ के लिए शहर से दवाई ले आया.

फिर उस दवाई को खाने के एक दिन बाद माँ को महावारी आ गयी तो माँ ने मुझसे धन्यवाद कहा और कुछ दिन ऐसे ही गुजर गये और एक दिन मैं अपने रूम में कंप्यूटर पर बैठा था तो माँ मेरे रूम में सफाई के लिए आ गयी और जब वो झुकी तो उसके बूब्स साफ साफ दिखने लगे और माँ के बूब्स देखकर मेरे मन में हलचल मच गई.. माँ झाडू लगाने के बाद चली गयी. मैंने उठकर बाथरूम में जाकर माँ के नाम की मुठ मारी तो मुझे बहुत मज़ा आया और उस दिन से मेरे मन में माँ के प्रति गलत विचार आने लगे और मैं माँ को चोदने के बारे में सोचने लगा.

फिर एक दिन मैं हिम्मत करके रात के 11 बजे माँ के रूम में चला गया.
तो माँ मुझे देखकर उठ गयी और बोली कि राहुल बेटा क्या काम है?
मैं बोला कि माँ मुझे तुम से कुछ जरूरी बात करनी है..
माँ बोली ठीक है बताओ क्या बात है?
मैंने माँ से कहा कि माँ मैं तुम्हे चोदना चाहता हूँ. तभी माँ मेरी यह बात सुनकर बहुत हैरान हो गयी और बोली कि बेटा तुम यह क्या कह रहे हो? मैं तुम्हारी माँ हूँ.. यह कैसे हो सकता है?

मैंने माँ से कहा कि मैंने भी तो तुम्हारी मदद की थी और वो बात किसी को भी नहीं बताई.. तो यह क्यों नहीं हो सकता?

फिर मेरी बात सुनकर माँ बोली कि राहुल ठीक है.. लेकिन यह बात किसी को भी पता नहीं चलनी चाहिए. मैंने हाँ कर दी तो माँ ने मुझे रूम का लॉक लगाने को कहा तो मैंने लॉक लगा दिया. फिर में माँ के करीब आया और उन्हे बाहों में ले लिया और उसके होंठो पर किस करने लगा. मेरा लंड अब तनकर खड़ा हो गया था जिसे माँ ऊपर से अपना एक हाथ रखकर सहला रही थी और फिर थोड़ी ही देर किस करने का बाद मैंने माँ से कपड़े निकालने को कहा. तो उसने झट से अपने पूरे कपड़े निकल दिए और माँ के नंगे बदन को देखकर मेरे तो होश ही उड़ गये.. माँ के बूब्स तने हुए और बहुत बड़े थे और उन पर गुलाबी कलर की निप्पल बड़ी ही सुंदर लग रही थी. फिर मैंने झट से उनके दोनों बूब्स को पकड़ लिया उनको सहलाने और दबाने लगा. माँ के दोनों बूब्स मेरे दोनों हाथों में समा नहीं रहे थे और अब माँ मुझसे लिपट रही थी और आअह्ह्ह्ह ऊहहह की आवाज़े निकाल रही थी. फिर मैंने भी अपने पूरे कपड़े उतार दिए और माँ मेरे शरीर को देखने लगी और कहने लगी कि बेटा तुम तो अब पूरे आदमी बन गये हो और कहकर माँ ने मेरा लंड पकड़ लिया और अपने हाथ को आगे पीछे करने लगी.

उसने मेरे लंड को मुहं में लिया और चूसने लगी और थोड़ी देर ऐसे ही चूसने, चूमने, चाटने के बाद माँ बोली कि बेटा अब और देर मत कर जल्दी से इसे मेरी चूत में डाल दे.. मुझसे अब और रहा नहीं जाता. मैं समझ गया कि माँ अब पूरी तरह से गरम हो चुकी है फिर माँ नीचे लेट गयी और उसने अपनी दोनों टाँगे फैला ली जिससे माँ की चूत मुझे साफ साफ नज़र आने लगी.. जिस पर काली काली झांटे थी.

मैंने अपने एक हाथ को आगे बढ़ाकर चूत को खोलकर देखा तो वो अंदर से बहुत लाल थी और बहुत कामुक लग रही थी.. फिर मैं दोनों पैरों के बीच में आ गया और अपने लंड को माँ की चूत पर रखा जो बहुत गीली थी और मैंने लंड को अपने निशाने पर रखकर एक ज़ोर का झटका मारा तो मेरा पूरा लंड एक बार में ही चूत के अंदर चला गया और माँ के मुहं से हल्की सी चीख निकली.
फिर थोड़ी देर बाद मैंने ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरू किए तो माँ भी अपने चूतड़ उठा उठाकर जबाब देने लगी और हम दोनों के मुहं से आहह उईईइ की आवाज़े आ रही थी. फिर 20 मिनट चोदने के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गये और उस रात मैंने माँ को तीन बार और चोदा और उस दिन के बाद मैं और माँ हर रात चुदाई करते है.

मेरी माँ ने अब {कॉपर-टी} लगवा ली है जिससे मा का बाच्चा होने का ख़तरा नहीं है और अब हम निडर होकर अपनी चुदाई में लगे रहते है ..















गलतफहमी में माँ ने मुझसे चुदाई करवाई
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नमस्ते, मेरा नाम हर्षल है. मेरी उम्र 22 साल है. मैं पुणे महाराष्ट्र का रहने वाला हूँ. मेरी कदकाठी सामान्य है … पर मुझे 8 इंच लम्बे लंड की सौगात मिली है. आजकल मैं अक्सर हर हफ्ते अलग अलग औरतों के साथ सोना पसंद करता हूं.

यह कहानी मेरी सत्य जीवन घटना पर आधारित है. मुझे यह कहानी बताते हुए बहुत शरम महसूस हो रही है. पर मैं करूं भी तो क्या, मुझे अपने दिल का बोझ हल्का करना है.

मेरी माँ एक बहुत ही साधारण महिला हैं. लेकिन वो बहुत ही आकर्षक दिखती हैं. उनकी उम्र 40 साल है. उनका गोरा रंग, तो किसी का भी ध्यान अपनी ओर खींच लेता है.

उनकी फिगर तो इतनी कंटीली है, हे भगवान क्या बताऊं; उनकी मादक देह अच्छे अच्छों का ध्यान भटका देती है. उनकी फिगर 36-30-32 की है. वो हमेशा साड़ी पहनती हैं. कई बार खाना बनाने के वक्त वो अपनी साड़ी पेट के नीचे दबा लेती हैं और उस वक्त उनकी नाभि साफ झलकती है. ऐसी कामुक नाभि देखकर तो किसी का लंड सलामी देने लगे.

जब वो सज-धज कर किसी शादी या फंक्शन आदि में जाती हैं, तो सभी की निगाहें उन पर गड़ जाती हैं.

बात उन दिनों की है, जब मैं 20 साल का था. आपको तो पता ही है कि इस उम्र में जवानी का खुमार चढ़ा हुआ होता है. पर मेरी माँ के बारे में मैंने कभी कोई गलत बात मन में भी आने नहीं दी थी. मैं एक मिडिल क्लास फैमिली से हूं तो अक्सर हम लोग एक ही कमरे में सोते थे.

एक दिन अचानक रात को मुझे कुछ आवाजें सुनाई दीं. मैंने हल्के से पलट कर देखा, तो मुझे दिखा कि मेरे पापा मेरी माँ की जांघों के पास बैठे हैं. मैं बिना आवाज किए वो सब देखता रहा.

मेरे पापा ने अपनी चड्डी उतार कर फेंक दी. बाद में उन्होंने अपना हाथ माँ की साड़ी में डाल दिया और माँ की पेंटी भी उतार कर फेंक दी. इसके बाद पापा जी माँ के ऊपर चढ़ गए. वो नजारा देखकर मेरा बुरा हाल हो गया. पापा ने जोर से धक्के मारना चालू कर दिया. मेरी माँ जोर जोर से सिस्कारियां लेने लगीं. लेकिन कुछ होता, इससे पहले मेरे पापा झड़ गए. उसके बाद वो करवट लेके सो गए.

मुझे तभी पता चल गया था कि मेरे बाप में दम नहीं है. थोड़ी देर बाद मैं हल्का होने के लिए बाथरूम जाने के लिए उठा. मगर उससे पहले मेरी माँ मुझे बाथरूम जाते दिखीं. मैं थोड़ी देर रुका और माँ के आने की राह देखने लगा. पर कुछ ज्यादा समय हो गया, माँ वापस नहीं आईं, तो मैं उनको देखने के लिए गया. अभी जैसे ही मैं बाथरूम में घुसता, मुझे माँ की सिसकारियां सुनाई दीं.

मैंने धीरे से अन्दर झांका, तो मैं दंग रह गया. मेरी माँ ने अपनी साड़ी ऊपर कर ली थी और वो फर्श पर लेटी हुई थीं. उनका हाथ अपनी साड़ी के नीचे अपनी योनि में घुसा हुआ था. उन्होंने अपनी दो उंगलियां योनि में डाल रखी थीं. वो जोर जोर से अपनी योनि को खोद रही थीं.

मैं दरवाजे के बाहर खड़ा होकर ये सब तमाशा देख रहा था. मैंने समय ना गंवाते हुए अपना लंड निकाला और मसलने लगा. माँ अपने मम्मे जोर जोर से मसल रही थीं. मेरी माँ ने उस रात करीब आधा घंटा उंगली की. झड़ने के बाद उन्होंने अपना पूरा रस अपनी उंगली की मदद से चाट लिया. मैं भी झड़ गया था. मैं माँ के पहले बिस्तर पर जा के सो गया.

जब मैं सुबह उठा तो अब मेरा माँ की तरफ देखने का नजरिया बदल गया था.
मेरी माँ अक्सर बाथरूम से निकलने के बाद साड़ी पहनती हैं. वो हमेशा अपनी चूचियों पर पेटीकोट बाँध कर बाहर आती हैं. मैं ये मौका हाथ से नहीं जाने देता और उस कमरे में जाकर बैठ जाता हूं.

जब वो साड़ी पहनती हैं तो उनका पेटीकोट नीचे गिर जाता है और उनके मम्मे उछल कर बाहर आ जाते हैं. कसम से वो बड़े बड़े मम्मे और उनके ऊपर वो काले चूचे देखकर ऐसा लगता है कि बस उनको पकड़ कर चूस लो.

मैं उन्हें उस दिन से इस अवस्था में कैमरा में शूट करने लगा. फिर जब भी मेरा मन करता, मैं उनके मम्मे देखकर मुठ मार लेता था. कई बार तो मैं उनकी जांघों पर सर रख के सोने का बहाना करके उनके मम्मों को दबा भी देता था. मेरा उनके रसीले गुलाबी होंठ देखकर चूसने का मन करता था.

लेकिन मुझे पता नहीं था कि एक दिन मुझे ये सब करने का मौका मिलेगा.

हुआ यूं कि मेरे पापा को तीन दिन के लिए बाहर गांव जाना था. अब तो मुझे पता था मेरी भूखी माँ तो पूरी तरह हवस की शिकार हो जाएगी.

मेरे पापा सुबह काम के लिए निकल गए. दोपहर को मैंने सोने का नाटक किया. जैसे ही मैं सोया, मेरी माँ बाथरूम के और चल पड़ी. फिर क्या, मैं भी उनके पीछे चला गया. लेकिन उस दिन तो उन्होंने कमाल ही कर दिया. उन्होंने उस दिन हाथ में बेलन लिया हुआ था और उन्होंने उस बेलन को अपनी चुत पे सैट कर रखा था. थोड़ी देर बाद वो बेलन का हैंडल उनकी चुत के अन्दर चला गया और और उसी के साथ माँ की सांसें तेज हो गईं. वो जोर जोर से सिसकारियां लेने लगीं. मन तो कर रहा था कि उनकी चुत को अभी अन्दर जाकर चोद दूं.

फिर उन्होंने अपना ब्लाउज निकाल के फेंक दिया. वो अब पूरी तरह नंगी हो चुकी थीं. मैंने झट से अपना मोबाईल निकाला और उनका वीडियो बनाना शुरू कर दिया. थोड़ी देर बाद माँ झड़ गईं. उन्होंने वो बेलन चुत से निकाल कर मुँह में ले लिया. अब जब तक पापा वापस नहीं आए, ऐसा हर रोज होने लगा.

तीन दिनों बाद पापा शाम को घर आए. उस रात हमने खाना बाहर से मंगाया था. खाना खाने के बाद मैं बाथरूम में मोबाईल लेकर चला गया और वीडियो देखने लगा. लेकिन फिर सोचा कि आज तो पापा माँ को चोदेंगे ही … मतलब रात को माँ फिर से लाइव शो दिखाएंगी.

उस रात मेरे पापा मुझे बोले- हर्षल, तू आज नीचे अपनी माँ के साथ सो जा, मेरी पीठ में दर्द है, तो मैं बेड पे सोता हूं.

मैं हमेशा बेड पर सोता हूं. लेकिन उस दिन मैं माँ के साथ सोने को तैयार हो गया. क्योंकि माँ के साथ सोते समय मैं हमेशा उनके पेट पर हाथ फिराता हूं.

मैं और पापा लाइट बंद करके सो गए. पापा तो कुछ ही देर में गहरी नींद में चले गए. कुछ देर बाद माँ सब कुछ घर का काम करके मेरे पास आकर सो गईं.

कमरे में अंधेरा था, इसलिए ये समझ पाना मुश्किल था कि कौन कहां सोया हुआ है.

थोड़ी देर बाद मैंने अपने पैर पर कुछ हरकत महसूस की. मैंने देखा कि मेरी माँ ने अपना एक पैर मेरी टांगों पर डाल दिया था. उनका ये पैर पूरा नंगा था. उन्होंने अपनी साड़ी उतार कर फेंक दी थी और अपना पेटीकोट भी ऊपर तक चढ़ा लिया था.

उन्होंने धीरे से आवाज निकाली और बोली- क्यों जी, आज नहीं चोदोगे क्या?

मेरी तो फटी पड़ी थी, पर मैं कुछ नहीं बोला. फिर माँ ने अपना एक हाथ मेरे चड्डी के ऊपर से फेरा. मेरा लंड तो वैसे भी सलामी दे रहा था.
फिर वो बोलीं- अजी आपका तो आज बड़ा फुदक रहा है, लगता है मेरी फ़ुद्दी की आज खैर नहीं. क्या खा के आये हो बाहर गांव से जो इतने जोश में हो. आज तो प्यास बुझा ही दो, मेरी इस चुलबुली की.

मैं और मेरे पापा हमेशा एक ही टाइप का पजामा पहनते थे तो माँ को वैसे भी समझ नहीं आने वाला था कि वहां पे मैं सोया हूं, पापा नहीं. मुझे कुछ सूझता, उससे पहले माँ ने मेरे पजामा में हाथ डालकर मेरा लंड पकड़ लिया.
मेरे तो शरीर में करन्ट दौड़ गया.

वो लंड हाथ में लेते ही चौंक गईं और बोलीं- तुम्हारा लंड इतना बड़ा कैसे? सच में आज तो मैं इससे रात भर चुदाऊंगी.
फिर मैंने झट से उनका हाथ अपने लंड पे से हटाया.
माँ बोलीं- क्या हुआ, आज नहीं चोदेंगे क्या?

लेकिन मैंने फिर सोचा वैसे भी इनको कहां कुछ दिख रहा है … और मैंने मौके का फायदा उठाने का सोच लिया.

मैं झट से उठा और उनकी जांघों के पास जा के बैठ गया. मैंने धीरे से उनके पैरों पर हाथ फिराना शुरू किया और बाद में तेजी से मसलने लगा. मैंने अपनी माँ के जांघों पर चूमना शुरू किया. पहली बार मैंने किसी औरत के बदन को चूमा था.

मैं पागलों की तरह चूसने लगा. मैंने उनके हाथ उनके सर के पीछे रख दिए ताकि वो मुझे छू ना सकें.

फिर मैं धीरे से उनकी चुत की तरफ हुआ. मैंने उनकी चुत को सूँघा और सच में मैं तो जन्नत में पहुंच गया.

फिर क्या था … मैंने अपनी माँ की पेंटी उतारी और सूंघने लगा. मैंने वो पेंटी माँ की नाक के नीचे रख दी.

उनके लिए ये सब नया था, वो बोलीं- क्यों जी, आज तो कुछ अलग ही रंग दिखा रहे हो.

मैं कुछ नहीं बोला और मैंने झट से अपनी एक उंगली उनकी चुत में डाल दी, जिसकी वजह से वो सिसक उठीं. माँ बोलीं- क्या कर रहे हो … जरा धीरे करो … मेरी आवाज से कहीं हर्षल जग ना जाए.
मैंने ध्यान नहीं दिया और दूसरी उंगली भी डाल दी. वो और जोर से सिसक उठीं. फिर मैंने धीरे धीरे उंगलियों को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
मैं अपनी उंगली अन्दर डालता और बाहर निकाल कर अपने मुँह में ले लेता.

उसके बाद मैंने अपनी जीभ का कमाल दिखाया. मैंने माँ का पेटीकोट उतार लिया अब वो सिर्फ ब्लॉउज में थीं. मैंने अपनी जीभ माँ की चुत पर टिकायी और चूत चाटने लगा.

माँ सिसिया कर बोलीं- आह क्या कर रहे हो … उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआआअ … ये सब कहां से सीखा? उम्म्म … आज तो आपका लंड और जीभ दोनों कमाल कर रहे हैं.

मैंने माँ की चूत चाटना चालू रखा. पागलों की तरह मैं माँ की चुत पर टूट पड़ा. मैंने अपनी दोनों उंगलियां चुत में डाल दीं और चुत की मलाई चाटने लगा. माँ तो पागल हुए जा रही थीं.

एक बात तो मेरे समझ में आ गयी थी कि मेरे बाप से 20 सालों में कुछ नहीं हुआ. उसका लंड तो छोटा था ही, मगर वो कभी माँ को संतुष्ट नहीं कर पाया.

माँ के कंठ से मादक आहें निकल रही थीं- उम्मम्म्म … आह अअअअआ … चाटो इसी तरह से … निकाल दो मेरी चुत का पानी … चूसो मेरी चुलबुली को … आह कब से तड़प रही है … याम्म्म आ..

फिर मैंने जोर से चाटना शुरू किया, तो जल्दी ही माँ झड़ गईं. मैंने उनकी चुत का सारा रस गटक लिया. उसका स्वाद तो आज भी मुँह में है. माँ तो जैसे अचम्भित हो गयी थीं.
वे बोलीं- पति देव, आज तो कमाल कर दिया … अब तो तुझे रोज ऐसे ही चटाऊंगी. अब देर ना करो, मेरी चुत पेल दो. दिखा दो अपने लंड का जलवा मेरे राजा.

लेकिन मुझे उनके साथ बहुत कुछ करना था. मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोले और उसको निकाल दिया और उनके मदमस्त मम्मों को आजाद कर दिया. मैं उनके मम्मे तो देख नहीं पा रहा था, लेकिन मैं उन्हें महसूस कर था. मैंने जोर जोर से उन्हें मसलना चालू किया. फिर मैंने एक स्तन को अपने मुँह में भर लिया. उनका स्तन इतना बड़ा था कि मुँह में नहीं समा रहा था.

मेरी माँ मुझे भरपूर साथ दे रही थीं. मैंने उसके हाथ सर के पीछे रख दिए ताकि वो मुझे छू ना पाएं.
मैं उनके मम्मे मसल रहा था, चूस रहा था. मैंने उनकी चुची को काट लिया. वो चिहुंक उठीं- धीरे रेरेरे … आह आआह म्मम्म्म … चूसो उन्हें … अपने हर्षल के बाद किसी ने नहीं चूसा उन्हें … मसलो और दूध पियो मेरा आज … म्म्म … मेरे राजा आ अअअअ.

उन्हें क्या पता था कि उनका हर्षल ही चूस रहा है. मैंने उनका दूध इतने सालों बाद पिया था. फिर मन किया कि उनके होंठ चूस लूँ, लेकिन मैं अपने होंठ टिका देता, तो शायद वो समझ जातीं. इसलिए मैंने अपना लंड उनके मुँह पे रख दिया.

वो तो पहले समझ नहीं पाईं, बाद में मैंने अपने लंड को उनके मुँह पे घिसना चालू कर दिया.
“म्म्मम्मम … ये क्या आज तो जनाब मुँह में चोदेंगे मुझे … कहीं मुँह में ही ना झड़ जाना!”
मैंने अपना लंड मुँह में ठूंस दिया. उनके कंठ से आवाज निकलने लगी- ग्लोप … ग्लोप … ग्लोप उम म्म्मम्म … वाह क्या टेस्ट है तुम्हारे लंड का … मजा आ गया … उऊओंम्म्म … सृलपपप अअअह.

माँ तो मेरे लंड को ऐसे चूस रही थीं, जैसे छोटे बच्चे को पहले बार चोकोबार मिला हो. मेरी तो जान निकली जा रही थी कि कहीं मैं चुत में पहुंचने से पहले झड़ ना जाऊं.

मैंने अपना लंड निकाला और उनके रसीले होंठों पर अपने होंठ रख दिए. क्या मुलायम होंठ थे एकदम रेशम की तरह.
‘उन्नह … जीभ डालो मेरे मुँह में अपनी … चाटो न मेरी जीभ को …’

एक लंबे किस के बाद माँ बोलीं- राजा … आअअअअ … अब बर्दाश्त नहीं होता … जल्दी से डाल दो अपने लंड को मेरे चूत में प्लीज़ … चोदो इसे आज फाड़ डालो इस निगोड़ी फ़ुद्दी को.
मुझे समझ आ गया कि इस वक्त माँ के ऊपर वासना का भूत सवार है उनको मेरे होंठ चूसने से भी मेरे पापा न होने का अहसास नहीं हुआ.

फिर क्या मेरी तो लॉटरी निकल पड़ी थी. मैंने झट से अपना लंड चुत के मुहाने पर रखा और एक धक्का लगा दिया. मेरा लंड बड़ा होने के कारण आधे से भी कम अन्दर जा पाया था. जैसे ही लंड अन्दर गया, माँ चिल्ला उठीं- क्या कर रहे होओओओ … इतनी टाइट चुत को फाड़ोगे क्याआ … धीरे डालो ना जरा … आअअहह … आज तो मार ही दिया.

मैं थोड़ा सा डर गया. अगर मेरा बाप उठ गया, तो मुसीबत हो जाएगी. मैंने तुरंत अपना हाथ माँ के मुँह पे दबा दिया और एक और झटका मारा. इस बार मेरा लंड आधे से भी ज्यादा अन्दर घुस गया.

माँ के मुँह पे हाथ होने के कारण उनकी आवाज नहीं निकली, मगर आंसू निकल आए, जो मेरे हाथ को छू कर नीचे गिरे. लेकिन मैं डटा रहा.

अब मैंने अपना पूरा लंड बाहर निकाला और चुत पे फिर से सैट किया. फिर एक धक्के में पूरा लंड चुत में घुसेड़ दिया. मेरा लंड सनसनाता हुआ अन्दर चला गया. माँ ने तो हाथ को काट लिया और मेरा हाथ हट गया. मैंने धक्के मारना चालू रखे.

माँ रोते हुए लेकिन चुदासी आवाज में बोलीं- तुम तो हैवान हो … आआह … उम्म्म … इस्स … आह … अब रुको मत … अअअआ … चोदो मेरी कली को … म्म्म … पीस डालो ऐसे ही … यससस्स!

फिर मैंने दस मिनट तक ऊपर से चोदा और बाद में मैंने उनके मम्मों पे चाटें मारना शुरू की. मैंने उन्हें पलट दिया और डॉगी स्टाईल में चोदना शुरू कर दिया. क्योंकि मैं उनकी गांड पे चमाट मारते हुए उनकी चुदाई करना चाहता था. मैंने उनकी गांड पे जोर से चमाट मारना शुरू किया. इसी के साथ में लंड भी पेलता रहा.

“आआअहह … और मारो मेरी गांड पे … चोदो मुझे … इसस्स … म्म्मम्म्म मेरे राजा … ऐसे ही … चोदो अपनी रांड को … म्म्म … अअअआया … मैं झड़ने वाली हूँ … ऊऊऊह … आआ … ओह … ओह!”

मैं भी झड़ने वाला था लेकिन मैंने अपने लंड को निकाल लिया और माँ की छाती के पास लेके गया. मैंने उनके मम्मों पर अपना वीर्य गिरा दिया. वो अपनी उंगली से मेरे वीर्य को चाटने लगीं.
मैंने भी उनकी चुत का पानी पी लिया.

माँ- मेरे राजा ऐसी चुदाई रोज किया करो मेरी … म्म्मम्म्म … तुम्हारा रस भी कितना टेस्टी है … म्म्मम्म्म … चाट लो मेरी चुत को … आह … आह … 20 सालों के बाद आज मैं संतुष्ट हुई हूं.

फिर हम सो गए. सुबह जब मेरी आँख खुली तो मेरी गांड पर हाथ पड़ा. क्योंकि माँ गुस्से में मेरे सामने खड़ी थीं. उन्हें रात के बारे में सब कुछ समझ आ चुका था. लेकिन वो पापा के सामने कुछ बोल भी नहीं सकती थीं. बाद में मेरे पापा के ऑफिस जाने के बाद मैंने अपनी माँ को कैसे मनाया, ये मैं आपको बाद में बताऊंगा.
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#53
चस्का चाची की चूत चुदाई का
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यह कहानी मेरे एक मित्र की सच्ची कहानी है और इसमें थोड़ा सा रोल मेरा भी है।

मैं और पवन दोनों बहुत सालों से दोस्त हैं। आज तो यह भी याद नहीं कि हम दोनों पहली बार कब और कैसे मिले थे। पर दोस्ती पक्की थी तो बस अभी तक हम दोनों एक साथ जिंदगी के मज़े ले रहे थे। बस पवन की एक ही बात मुझे पसंद नहीं थी। वो थोड़ा डरपोक किस्म का लड़का था। ज्यादातर उसने मेरे पटाये हुए माल के साथ ही मज़ा किया था। लड़की से बात करने में भी फटती थी साले की।

यह कहानी तब की है जब वो और मैं उसकी रिश्तेदारी में एक शादी में शामिल होने गए। उसका सारा परिवार शादी में था। शादी लड़की की थी। मैं सच कहूँ तो बहुत बोर हो रहा था। तभी पवन मेरे पास आया और एक अधेड़ लेकिन खूबसूरत औरत की तरफ इशारा करके बोला– यार राज… वो सामने जो औरत है वो मेरी चाची है।

‘तो?’ मैंने पूछा।
‘तो क्या यार… देख ना क्या जालिम औरत है… साली को जब भी देखता हूँ कण्ट्रोल करना मुश्किल हो जाता है।’
‘साले तेरी चाची है वो…’

‘तो क्या हुआ यार… जब तुम अपनी चाची को चोद सकते हो तो मुझे क्यों यह शिक्षा दे रहे हो यार… जरा उसके चुच्चे तो देख, कितने बड़े बड़े हैं और उसके चूतड़ तो देख क्या गोल गोल और उभरे हुए हैं यार!’

उसकी बात सुन कर मेरा भी लण्ड खड़ा हो गया। तभी पवन को किसी ने बुला लिया पर साले ने मुझे काम पर लगा दिया था। वैसे तो मुझे वो पहले भी अच्छी लग रही थी पर पवन से बात होने के बाद तो मेरी नजर ही उस औरत पर टिक गई थी। मैंने उसके बदन के हर अंग को बड़े ध्यान से देखा तो महसूस किया कि वो सच में बेहद मस्त माल थी। उसको देख कर बार बार यही बात मन में आ रही थी कि जवानी में पवन की चाची क्या गजब की कयामत रही होगी।

करीब आधे घंटे बाद पवन मेरे पास आया।
‘आया कोई आईडिया दिमाग में?’
‘नहीं यार अभी तो नहीं।’
‘सोच साले सोच! अगर पट गई तो दोनों मज़ा करेंगे।’
‘साले चाची है तेरी… हा हा हा!’

ऐसे ही मजाक करते करते हम दोनों पवन की चाची की चूत के सपनों में खोये हुए थे। शादी में और जवान जवान लड़कियाँ और भाभियाँ भी थी पर हम दोनों तो बस चाची में ही खोये हुए थे।

पवन ने चाची से मेरा परिचय करवाया। फिर तो मैं चाची से चिपक ही गया, खूब बातें की, बातों बातों में ही समझ में आ गया कि चाची भी कुछ कम नहीं है। चाची के तीन बच्चे है दो बेटी और एक बेटा। चाचा पिछले चार साल से दुबई में है और चार साल में सिर्फ एक बार ही चाची से मिलने आये थे।

समझ में आ गया था कि चाची भी प्यासी हो सकती है बशर्ते चाची ने कोई और पप्पू ना पटा रखा हो।

पर दोस्त के लिए चांस तो लेना ही था। मैं बातों ही बातों में चाची की तारीफ के पूल बांधता रहा और चाची को यह एहसास करवाता रहा की मैं तो हूँ ही पर पवन तो मुझ से भी ज्यादा दीवाना है उसका।

चाची बस बनावटी गुस्सा दिखाती रही पर उसके होंठों की मुस्कान चाची के दिल हाल बयाँ कर रही थी। मैंने बातों ही बातों में बोल दिया कि चाची आप जैसी औरत के तो हर जवान लड़का सपना देखता है।

तो चाची ने तपाक से पूछ लिया- क्या तुम भी…?

मामला पटने के नजदीक लग रहा था पर मुझे तो चाची को पवन के लिए पटाना था।

‘चाची… पवन तो तुम पर दिलोजान से फ़िदा है और तुम्हारा दीवाना बना घूम रहा है।’ मैंने चाची को टटोलने के लिए बोला तो चाची कुछ नहीं बोली पर मुझे चाची की आँखों में कुछ नशा सा महसूस हुआ।

तभी पवन हमारे पास आया तो चाची ने पवन को कहा– पवन… जरा मेरे साथ तो चल जरा… मुझे कपड़े बदल कर आना है…’

‘पर चाची मेरे पास गाड़ी नहीं है।’
‘तो ले ले ना किसी की…’
पवन ने मेरी तरफ देखा तो मैंने आँख मार दी।

पवन ने मेरी तरफ देख कर कहा– राज… तुम ही क्यों नहीं चलते अपनी गाड़ी लेकर?

मैंने भी हाँ करने में देर नहीं की। मैंने गाड़ी निकाली। चाची मेरे साथ अगली सीट पर थी और पवन पीछे बैठा था। रास्ते भर ना चाची ने कुछ कहा और ना ही पवन ने। मैं जरूर बीच बीच में चाची की तरफ देख रहा था। चाची कुछ बेचैन सी महसूस हो रही थी। करीब दस मिनट के बाद चाची का घर आ गया।

चाची और पवन दरवाजा खोल कर घर के अंदर चले गए। मैं भी गाड़ी साइड में लगा कर घर के अंदर गया तो मुझे पवन नजर आया जो दरवाजे की दरार से अंदर झाँक रहा था। मैंने भी जब वहाँ जाकर देखा तो मेरा भी लण्ड खड़ा हो गया। चाची कपड़े बदल रही थी।

मौका सही था। मैंने पवन के कान पर एक चपत लगाईं और उसको अंदर जाने के लिए कहा पर पवन की डर के मारे फट रही थी।

मैंने उसको थोड़ा गुस्से में देखा तो वो डरता डरता अंदर घुस गया। अंदर से चाची के चिल्लाने की आवाज आई। मैंने अंदर झाँक कर देखा तो पवन ने पीछे से चाची की चूचियाँ पकड़ रखी थी, चाची छूटने का प्रयास कर रही थी। चाची पवन से छूटने का प्रयास तो जरूर कर रही थी पर चाची के चेहरे के भाव जरा भी ऐसे नहीं थे कि उसको पवन के ऐसा करने से बुरा लग रहा था।

‘छोड़ पवन… छोड़ दे बेटा… छोड़ मुझे…छोड़…’ चाची गुस्सा दिखाते हुए पवन को अपने से दूर करने का प्रयास कर रही थी।

पवन ने चूचियाँ दबाते दबाते चाची की ब्रा उतार कर एक तरफ फेंक दी। पवन चाची की गर्दन पर किस कर रहा था और चाची की गोल गोल चूचियाँ मसल रहा था। चाची गर्म होने लगी थी और अब चाची धीमी आवाज में पवन को छोड़ देने की प्रार्थना कर रही थी।

‘छोड़ दे बेटा… अपनी चाची के साथ भी कोई ऐसा करता है क्या… छोड़ दे राज आ जाएगा… छोड़ पवन…’

‘राज नहीं आएगा चाची… मैं उसको आने से मना करके आया हूँ… उसको पता है कि मैं तुम्हारे पास हूँ और क्या कर रहा हूँ।’

चाची अवाक् रह गई। तभी पवन ने चाची के पेटीकोट की डोर भी खोल दी और चाची अब सिर्फ पैंटी में पवन की बाहों में लिपटी हुई थी। चाची ने अब छूटने की कोशिश भी बंद कर दी थी। पवन ने चाची को अपनी तरफ किया और चाची के होंठो पर अपने होंठ रख दिए। मैंने देखा चाची भी अब पवन का लण्ड पैंट के ऊपर से ही सहला रही थी।

उन दोनों की रास लीला देख कर बाहर मेरी भी हालत खराब हो रही थी। लण्ड पूरा अकड़ चुका था और बेकाबू होता जा रहा था पर मैं उन दोनों का मज़ा खराब नहीं करना चाहता था।

अंदर देखा तो अब चाची पवन के कपड़े उतार रही थी। पवन भी चाची की बड़ी बड़ी चूचियों को मुँह में ले लेकर चूस रहा था। चाची के मुँह से सिसकारियाँ फ़ूट रही थी। थोड़ी ही देर बाद दोनों के नंगे बदन एक दूसरे से उलझे हुए थे। पवन ने चाची को बेड पर लेटा दिया था और अपना लण्ड चाची के होंठों से रगड़ रहा था पर चाची लण्ड चूसने से मना कर रही थी।

‘प्लीज… चाची चूसो ना बहुत मज़ा आएगा…’

पर चाची मान ही नहीं रही थी। जब नहीं मानी तो पवन चाची की टाँगों के बीच आ गया और चाची की पनियाई हुई चूत पर अपने होंठ रख दिए। जीभ निकाल कर वो चाची की चूत चाटने लगा।

चाची तो मस्ती के मारे लगभग चीखने लगी थी। ‘आह्ह्ह… ओह्ह्ह… उईईई आह…’ इसके सिवा चाची कुछ भी नहीं बोल पा रही थी।

चाची ने पवन का सर अपनी जांघों के बीच में दबा रखा था और खुद मस्ती के मारे अपना सर बेड पर इधर उधर पटक रही थी। पवन ज्यादा देर नहीं रुक सकता था। वो सीधा चाची के ऊपर आया और अपने लण्ड को चाची की चूत के छेद पर रख कर घुसाने लगा।
‘धीरे से डालना बेटा… चार साल से लण्ड नसीब नहीं हुआ है…’

पवन का लण्ड की मोटाई कम थी सो पवन को लण्ड चूत में घुसाने में कोई दिक्कत नहीं हुई और दो धक्को में ही पूरा लण्ड चाची की चूत में था। पवन की तमन्ना पूरी हो गई थी तो वो मस्त होकर चाची की चूत चोद रहा था और चाची भी चार साल बाद लण्ड का मज़ा लेकर मस्त हुई जा रही थी।

वो लोग मस्त हो रहे थे पर अब मुझ से कण्ट्रोल नहीं हो रहा था। अपने आप को बहुत रोका पर अब रुकना मुश्किल हो रहा था। आखिरकार मैं दरवाजा खोल कर कमरे में घुस गया। वो दोनों मस्ती में डूबे हुए थे और उनको तो पता भी नहीं चला की कब मैं आकर उन दोनों के पास खड़ा हो गया था।

मैंने अपना लण्ड जो की पवन के लण्ड से ज्यादा लम्बा और मोटा भी था निकाल कर चाची के मुँह के पास करा दिया। जब मेरा लण्ड चाची के होंठों से टकराया तो चाची ने नजर उठा कर मेरी तरफ देखा और घबरा गई। चाची ने कुछ बोलने के लिए जैसे ही मुँह खोला मैंने तपाक से लण्ड चाची के मुँह में घुसा दिया। चाची घूं-घूं करके रह गई।

उसने हाथ से पकड़ कर मेरा लण्ड अपने मुँह से बाहर निकाल दिया। मेरा लण्ड अब पवन की चाची के हाथों में था। गर्म गर्म लण्ड पकड़ कर चाची कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं थी। पवन ने भी अपना काम रोका नहीं था वो पूरी मस्ती से चाची की चूत में धक्के लगाने में व्यस्त था।

‘चूसो ना चाची जी… प्लीज…’ मैंने चाची की आँखों में देखते हुए दुबारा से लण्ड चाची के होंठों से लगा दिया। चाची हल्के से मुस्कुराई और फिर बिना कुछ बोले मेरा लण्ड चूसने लगी।

‘साली मेरा लण्ड तो चूसने में तेरी गांड में दर्द हो रहा था और राज का लण्ड देख कैसे चूस रही है।’ पवन झल्लाते हुए बोला।

‘चाची-चोद… आज जो तू मेरी चूत मार रहा है वो राज के ही कारण है…आह्ह्ह.. चुपचाप चुदाई कर और थोड़े तेज तेज धक्के लगा… ओह्ह्ह… मैं झड़ने वाली हूँ अब… जल्दी जल्दी चोद… और वीर्य अंदर मत डालना।’

तभी चाची का बदन अकड़ने लगा और वो मेरा लण्ड जोर जोर से चूसने लगी और फिर वो दोनों एक साथ झड़ गए। पवन ने सारा माल चाची की चूत और गांड के ऊपर उड़ेल दिया था।

चाची ठंडी हो गई थी पर अब मेरा लण्ड पूरे शवाब पर था। चाची कुछ देर ऐसे ही लेटी रही और फिर उठ कर अपनी चूत साफ़ करने लगी। पवन भी साइड में थक कर लेटा हुआ था। एक बस मैं ही था जो अब चूत मारने के लिए बेचैन हो रहा था।

मैंने चाची का सर पकड़ा और दुबारा से लण्ड चाची के होंठों से लगा दिया। चाची ने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा और फिर बिना कुछ बोले मेरा लण्ड चूसने लगी। मैं भी चाची की गोल गोल मस्त चूचियों को मसल रहा था।

चाची ने पवन का सर पकड़ा और अपनी जांघों के बीच दबा लिया और पवन को चूत चाटने के लिए कहने लगी। पवन चुदाई करके थक चुका था पर फिर भी वो धीरे धीरे चाची की चूत चाटने लगा।

करीब पाँच मिनट चुसाई का मज़ा लेने के बाद पवन का लण्ड भी खड़ा हो चुका था और चाची भी दूसरी चुदाई के लिए तैयार थी। मैं तो पहले ही चुदाई करने के लिए मरा जा रहा था।

मैंने चाची को सीधा किया और अपना मोटा लण्ड चाची की चूत पर रख कर एक जोरदार धक्का लगा दिया। चाची की चूत धक्का नहीं झेल पाई और चाची की चीख निकल गई। पवन ने अब अपना लण्ड चाची के मुँह में दे दिया था।

दो धक्कों में लण्ड चूत में घुसाने के बाद मैं अब पूरी मस्ती में चाची की चूत का मजा ले रहा था। हर धक्का चाची की बच्चेदानी तक पहुँच रहा था।

कुछ देर की चुदाई के बाद मैंने चाची को अपने ऊपर ले लिया और खुद चाची के नीचे आ गया। चाची उछल उछल कर मेरा लण्ड चूत में ले रही थी और पवन का लण्ड चूस रही थी। मस्ती अपने चरम पर थी। तीनों में से कोई भी कुछ भी नहीं बोल रहा था। बस बेड पर भूचाल आया हुआ था। फिर मैंने चाची को घोड़ी बना कर लण्ड पीछे से चाची की चूत में घुसा दिया।

करीब दस मिनट की जबरदस्त चुदाई चली। चाची बीच में एक बार झड़ चुकी थी और उसके हावभाव बता रहे थे कि वो एक बार फिर झड़ने वाली है।

मैं भी अब झड़ने वाला था। मैंने कहा चाची कहा निकालु? ??????
चाची ने एक बार फिर वीर्य चूत में डालने से मन कर दिया।

आठ दस धक्कों के बाद ही चाची एक बार फिर से झड़ने लगी और मेरा भी छूटने वाला हो गया तो मैंने लण्ड चूत से निकाला और लण्ड चाची के मुँह के आगे कर दिया। पवन और मैं दोनों एक साथ झड़ गए। चाची का पूरा चेहरा मेरे और पवन के वीर्य से लथपथ हो गया। चाची चुदवा कर मस्त हो गई थी।

हमें आये एक घंटे से ज्यादा हो गया था। मूड तो अभी और चुदाई का भी था पर चाची बोली- शादी में चलो, नहीं तो सबको शक हो जाएगा।

सबने कपड़े पहने और फिर से शादी में पहुँच गए पर उस दिन के बाद तो चाची की चुदाई का ऐसा चस्का लगा की पवन और मैं जब भी फ्री होते चाची के पास पहुँच जाते और फिर चाची घंटों हम दोनों के बीच नंगी पड़ी चुदाई का भरपूर आनन्द लेती।

पवन और मैंने भी चाची को हर तरह का मज़ा दिया, चूत-गाण्ड मार मार कर निहाल कर दी थी।

करीब चार महीने बाद चाचा एक महीने की छुट्टी आये तो हमारा चाची के यहाँ आना जाना बंद हो गया। उसके बाद मैंने चाची के यहाँ जाना छोड़ दिया पर पवन आज भी चाची के साथ भरपूर मज़ा ले रहा है। चाची बहुत बार मुझे बुलाती है पर आज मेरी जिन्दगी इतनी व्यस्त हो गई है कि चाची के लिए समय निकालना मेरे लिए संभव नहीं है।








शादीशुदा गर्लफ्रेंड मस्ती से चुदी
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मैरिड गर्ल सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि एक शादीशुदा लड़की से मेरी दोस्ती हो गयी, मैंने उसको पटा लिया. फिर मैंने उसको चुदाई के लिए कैसे तैयार किया?

दोस्तो, कैसे हो आप सभी?
उम्मीद करता हूं कि आप सभी ठीक होंगे और चुदाई का मज़ा ले रहे होंगे।

मैं हरजिंदर सिंह रोपड़ (पंजाब) से हूं ।
आज की यह मैरिड गर्ल सेक्स स्टोरी मेरी और मेरी गर्लफ्रैंड कुलदीप कौर की है। इसलिए अब मैं आपको सीधे स्टोरी की ओर ले चलता हूं.

कुलदीप की उम्र 34 साल है. वो एक शादीशुदा लड़की है.
उसके बूब्स 36, कमर 32 और गांड 36 की है. उसकी गांड पीछे की तरफ पूरी उठी हुई है। कुलदीप का कद 5.3 फीट है। उसका रंग दूध के जैसा सफेद है।

मेरी उससे 6 साल से दोस्ती है। वो मुझे एक शादी के फंक्शन में मिली थी. उस टाइम उसकी उम्र 28 साल थी।
मैं उसको देखकर ही उसका दीवाना हो गया था।

मुझे उसको पटाने में काफी मेहनत करनी पड़ी। आखिरकार वो फ्रेंडशिप के लिए राज़ी हो ही गई।

उसके दो बच्चे हैं- एक लड़का और एक लड़की।
वो दोनों कॉलेज जाते हैं।

उसके सास ससुर उनसे अलग रहते हैं और उसके हस्बैंड विदेश में हैं। उसका पति दो साल में दो महीने के लिए ही आता है.

आप भी समझ गये होंगे कि वो दोपहर तक अकेली रहती होगी क्योंकि उसके बच्चे उस वक्त तक कॉलेज में ही रहते हैं.
इसलिए जब भी मेरा मन होता है मैं उसको चुदाई के लिए बुला लेता हूं।

अब मैं आपको अपनी गर्लफ्रेंड की चुदाई की कहानी बताता हूं कि कैसे मैंने उसकी चूत मारी थी.

हमारी पहली मुलाकात के समय हमने अपने कांटेक्ट नंबर एक्सचेंज कर लिए थे।

हमारी हर रोज़ ही बात होने लगी और व्हाट्सएप्प पर मैसेज का सिलसिला चालू हो गया।
कुछ दिन तक नार्मल बातों के बाद हमारी डबल मीनिंग बातें होने लगीं।

एक दिन मैंने उसको चुदाई के बारे में बोला.
तो वो बोली कि वो सेक्स नहीं करेगी।

उससे मैंने कारण पूछा तो वो कहने लगी कि चुदाई के बाद हमारा रिश्ता फीका पड़ जायेगा. एक बार चूत मिल जाने के बाद मर्द को औरत में रूचि कम होना शुरू हो जाती है.

मैंने उसको विश्वास दिलाया कि ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है.
मगर वो मान ही नहीं रही थी.

फिर मैं उसको मनाता रहा और उसको चुदाई के लिए मनाने में मुझे 15 दिन लग गये.
आखिरकार वो चुदवाने के लिए राजी हुई.

फिर उसने मुझे आने वाले सोमवार मिलने को बोला।
सोमवार को मैंने उसको उसके बताई हुई जगह से 9:30 पर पिक किया।

वो बोली कि मुझे दोपहर दो वजे तक घर वापस आना है क्योंकि बच्चे कॉलेज से 2 बजे आ जाएंगे।
मैं गाड़ी सीधे एक होटल में ले गया और उसको गाड़ी में बैठाकर ही रूम बुक करने चला गया।

कमरा बुक करके मैं वापस गाड़ी के पास आया और हम दोनों रूम में चले गये।

रूम में जाते ही मैंने दरवाजा बंद किया और उसको पकड़ कर उसके लिप्स पर किस करने लगा।
वो भी मेरा साथ देने लगी क्योंकि आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी.
इसलिए हमने बहुत जल्दी एक दूसरे के कपड़े उतार दिये।

कपड़े उतारने के साथ ही हम बेड पर आ गए और मैंने उसके बूब्स को मुंह में भर लिया और उसके बूब्स को हल्के हल्के बाइट्स से काटने लगा.
अब मैंने उसके बूब्स छोड़े और उसके गले पर किस करने लगा.

यह उसके जिस्म की बहुत संवेदनशील जगह है.
वो एकदम से उत्तेजित हो गयी और उसने मुझे पीछे धकेल दिया.
उसका चेहरा एकदम से लाल हो गया था.

उसने मुझे पीछे धकेल दिया और वो कुछ इस तरह से लेट गयी कि हम 69 की पोजीशन में आ गये.
इस पोजीशन में मेरा लंड उसके मुंह के पास आ गया था.

मेरा लन्ड मुंह में डालकर वो लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी और मैं उसकी चूत को हाथों से खोलकर पूरा अंदर तक जीभ से चाटने लगा।
वो पूरी मस्ती में अपनी गांड ऊपर नीचे करने लगी और अपनी चूत चुसवाने का मजा लेने लगी.

उसकी चूत लगातार मेरे मुंह पर धक्के लगा रही थी. उसकी उत्तेजना बहुत ज्यादा हो गयी.
और फिर कुछ देर के बाद उसकी चूत ने एकदम से अमृतरस छोड़ दिया.

मैंने उसकी चूत को चाटकर साफ कर दिया.

वो भी किसी भूखी शेरनी की तरह लंड को पूरी तरह मुंह में ले रही थी.

मैंने उसकी चूत को चाटना जारी रखा।

पांच मिनट बाद मेरे लन्ड का सुपारा फूलने लगा.
मैंने उसका सिर पकड़ा और लन्ड बाहर निकाल लिया.
मगर उसने लन्ड को फिर से मुंह में भर लिया.

मेरे लन्ड से वीर्य की पांच छह पिचकारी निकली और उसका मुंह मेरे वीर्य से भर गया.
वो पूरा वीर्य निगल गई।

मेरे स्खलित होने के बाद भी उसने मेरा लन्ड मुंह से नहीं निकाला और वो और भी मज़े से लन्ड चूसती रही।
वो मेरे अंडकोषों को हाथ में लेकर सहलाने लगी।

मेरे लंड में गुदगुदी होती रही लेकिन उसने लंड नहीं छोड़ा.
मैं तड़प रहा था और उसका साथ देने की कोशिश कर रहा था.

कभी वो मेरी छाती पर हाथ फेरती थी तो कभी मेरे जांघों पर. कभी मेरी निप्पल्स को छेड़ती थी तो कभी अंडकोषों को सहलाने लगती थी.

इस तरह से दस मिनट तक बिना रुके वो मेरे लंड को चूसती रही और एक बार फिर से मेरा लौड़ा तन गया.
मेरा लन्ड पूरा टाइट हो गया था।

मैंने उसको सीधा लेटने को बोला तो वो अपनी टाँगें फैलाकर लेट गई।
मैं उठा और अपना लन्ड उसकी चूत के द्वार पर सेट किया और बहुत आराम से धीरे धीरे पूरा उसकी चूत में उतार दिया।

पूरा लन्ड उसकी चूत में डालने के बाद मैं उसकी चूत की गर्मी महसूस करने लगा।
वो भी मज़े से आंखें बंद करके लन्ड की गर्मी को महसूस करने लगी और आनंद में आ गयी.

मैंने उसके होंठों से अपने होंठ सटा दिए और उसके होंठों का रस पीने लगा।
मैं बहुत आराम आराम से लन्ड अंदर बाहर करने लगा।

मैंने उसके बूब्स पकड़े और उसके गुलाबी निप्पल्स को दबाने लगा।
वो गांड ऊपर नीचे करने लगी मगर मैंने झटकों की स्पीड तेज़ नहीं की। मैं उसी स्पीड से चोदता रहा.

शायद वो जोर से चुदना चाह रही थी लेकिन मैं प्यार से चोदे जा रहा था.

उसने गुस्से से मेरी ओर देखा और बोली- तेज़ तेज़ करो!
मैंने उसको बोला- मैं तो इसी स्पीड से चुदाई करूँगा।
वो बोली- तो हटो फिर, मैं ही ऊपर आती हूं।

यह मेरी पसंदीदा पोजीशन थी. मैं मन ही मन खुश हो गया और मैंने बिना देरी किये खुद नीचे लेटकर उसको ऊपर आने दिया।

वो टांगें फैलाकर लन्ड पर चूत सेट करके बैठ गई और बिना वक्त गंवाये फुल स्पीड में ऊपर नीचे होने लगी।

उसके मुंह से आह … आह … की आवाज़ें आने लगी।
पांच मिनट में ही उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
जब उसकी चूत झड़ने वाली थी तो वो पूरा लन्ड चूत में लेकर मेरे ऊपर लेट गई।

उसकी चूत के होंठ मेरे लन्ड पर कभी कसने और कभी ढीले होने लगे।
मुझे बहुत अच्छा फील हो रहा था।
लगभग 2 से तीन मिनट तक उसने इस अनुभव को महसूस किया.

फिर वो उठी और धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी।
मैंने उसको तेज़ करने को बोला तो वो बोली- अभी मैं इससे ज्यादा तेज नहीं कर सकती हूं, तुम खुद ही कर लो।

अब मैंने उसे नीचे लेटाया और उसके ऊपर आकर फुल स्पीड से उसे चोदने लगा।
वो हर झटके के साथ आह आह … की आवाज़ें निकालने लगी।

उसकी चूत से बहता पानी मेरे अंडकोषों को भिगो रहा था।
चूतरस से भीगा हुआ लन्ड अब पूरी फिसलन के साथ उसकी चूत में जा रहा था।
कमरे में उसकी आह आह … के साथ फच-फच की आवाज़ें भी आ रही थीं।

हम दोनों पसीने से पूरी तरह भीग चुके थे। वो भी कमर उठा उठाकर ताल से ताल मिलाते हुए चुदने लगी।

लगभग 20 मिनट बाद मेरा पानी निकलने वाला था;
मैंने उसको पूछा- कहां निकालूं?
वो बोली- अंदर मत गिराना. मेरे बूब्स पर गिरा दो।

मैंने लन्ड उसकी चूत से निकाला और उसके बूब्स के पास ले गया.
मैं लंड को मुठ मारते हुए तेजी से रगड़ने लगा.

उसके चेहरे पर वीर्य की एक प्यास दिखाई दे रही थी. उसकी नजर मेरे सुपारे पर ही बनी हुई थी.

उसने अपनी चूचियों को दोनों हाथों से दबाकर लंड की ओर उठा रखा था. वो मेरा वीर्य गिरवाने के लिए तैयार थी.

एक मिनट के बाद मेरे लन्ड ने वीर्य की पहली पिचकारी छोड़ी जो उसके मुंह पर गालों के पास होंठों पर गिरी।
उसके बाद एक पिचकारी उसके गले पर गिरी और अंत में पीछे का गाढ़ा वीर्य उसके चूचों पर बूंद बूंद करके गिरा.

पूरा वीर्य निचोड़ कर मैं उसकी बगल में वहीं पर लेट गया.

उसने अपने दोनों बूब्स पर वीर्य को फैला दिया और उसकी मालिश करने लगी.
जब वो बूब्स की मालिश कर रही थी तो उसकी आँखें बंद थीं.

वो वीर्य स्नान का मजा ले रही थी. उसकी जीभ उसके होंठों पर घूम रही थी. होंठों वाला वीर्य उसने जीभ से चाट लिया. फिर उसने कुछ सेकेंड के बाद नीचे थूक दिया.

फिर वो बाथरूम में चली गई और लगभग 10 मिनट बाद वापस आई।
वो आकर मेरे साथ लेट गई।
मैं उसको फिर से किस करने लगा।

थोड़ी देर बाद वो भी मेरा साथ देने लगी।
हमारे होंठ एक दूसरे के होंठों से ऐसे चिपक चुके थे जैसे किसी बहुत ज्यादा प्यासे को पानी मिल गया हो।
लन्ड में भी हल्का कड़कपन आ चुका था।

वो अपना हाथ नीचे ले गई और लन्ड को पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी।
मैंने भी अपना हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत में दो उंगली एक साथ डाल दीं।

मैं उंगली अंदर बाहर करने लगा.
वो भी उसी स्पीड से अपना हाथ चलाने लगी जिस स्पीड से मैं उसको उंगली से चोद रहा था।

जब लन्ड पूरा टाइट हो गया तो मैंने उसको मेरी तरफ गांड करके लेटने को बोला.
वो मेरी तरफ गांड करके लेट गई।

मैंने पीछे से उसकी चूत में लन्ड लगाया और एक झटके में ही उसकी चूत में पूरा लन्ड डाल दिया।

मैं उसको तेज़ तेज़ चोदने लगा।
लगभग पांच मिनट बाद मैंने उसको डॉगी स्टाइल में आने को बोला.

वो इस पोजीशन में आ गई।
मैं उठा और पीछे से उसकी चूत में लन्ड डाल कर उसको चोदने लगा।

उसको मैंने उसकी कमर के पास से पकड़ा और पूरे जोर से झटके लगाने लगा।
वो आह आह … करने लगी।

लगभग दस मिनट तक इस पोजीशन में उसको चोदने के बाद मैंने लन्ड कुलदीप की चूत से बाहर निकाला और उसको ऊपर आने को बोलकर बेड पर लेट गया।

वो उठी और लन्ड पकड़ कर अपनी चूत के मुख पर सेट करके बैठ गई।

पूरा लन्ड चूत में जाने के बाद वो ऊपर नीचे होने लगी।

मैंने उसके झूलते हुए एक बूब्स को हाथ में लेकर उसके निप्पल को जोर से दबा दिया।

उसके मुख से हल्की चीख निकली मगर वो बिना रुके निरंतर ऊपर नीचे होती रही।
मैं कभी उसके लेफ्ट बूब को पकड़ लेता तो कभी राइट वाले चूचे को पकड़ लेता.
मगर वो आंखें बंद करके चुदाई का मज़ा ले रही थी।

लगभग दस मिनट बाद उसके मुख से आने वाली आवाज़ें तेज़ हो गईं और उसके झटके लगाने की स्पीड भी तेज होती गई।

उसकी सांसें उखड़ने लगीं और एक जोरदार झटके के साथ वो निढाल सी होकर मेरे ऊपर लेट गई.

उसका लेटने का अंदाज कुछ इस तरह लग रहा था जैसे किसी तूफान के बाद में सन्नाटा छा जाता है।
बस कमरे में मेरी और उसकी सांसों की आवाज़ ही आ रही थी।

जब उसकी सांसें नार्मल हो गई तो वो उठी और नीचे लेट गई।
मैंने उसकी टांगों को पकड़ कर ऊपर उठाया और उनके नीचे एक तकिया लगा दिया।

मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया और लन्ड को चूत पर सेट किया और जोर से झटका लगा दिया।
मेरा लंड उसकी चूत में जा घुसा और मैं उसे चोदने लगा. मैंने बिना रुके लन्ड अंदर बाहर करना जारी रखा।

लन्ड का सुपारा उसकी बच्चेदानी पर जाकर चोट करने लगा था।
वो अपने नाखून से मेरी पीठ कुरेदने लगी।

हमारी चुदाई को चलते लगभग 25 मिनट हो चुके थे।
लन्ड की नसें भी फूलने लगी थी।

मैंने आठ से दस झटके ज़ोर से लगाये और वीर्य निकलने से ठीक पहले लन्ड उसकी चूत से निकाल लिया और वीर्य उसकी चूत के मुंह पर गिरा दिया।

उसने मुझे पूरी ताकत से बांहों में भर लिया और पागलों की तरह इधर उधर किस करने लगी।

मैंने भी उसके मुंह को पकड़ा और अपने होंठ उसके होंठों से सटा दिये।

लगभग 5 मिनट तक हमारी यह किस चली। फिर हम अलग हो गये.

उसके बाद हम दोनों फ्रेश हुए और होटल से बाहर आ गए। मैंने उसको जहां से सुबह पिक किया था वहीं ड्राप कर दिया।

उसके बाद तो फिर मैंने उसको बहुत बार चोदा.

मेरी और उसकी चुदाई चलते हुए छह साल हो चुके हैं।
ऐसा कोई भी तरीका नहीं है जिससे मैंने कुलदीप को न चोदा हो।
वो भी मेरे साथ इस रिलेशन से बहुत खुश है।
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#54
पहली बार चाची के साथ
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मित्रो, यह मेरी पहली कहानी है जो मैं लिखने जा रहा हूँ। मैं कई सालों से चुदाई का कहानियाँ पढ़ रहा हूँ और उनको पढ़ कर मुठ मारता हूँ। मेरी ज़िंदगी में भी काफ़ी सारी लड़कियाँ आई हैं जिनको मैंने जी भर के चोदा है। मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ पर एक उत्तर भारतीय परिवार से हूँ। बचपन से ही मैं बहुत कामुक किस्म का मर्द हूँ।

मुझे याद है बहुत छोटी उम्र में ही मुझे अपने लंड को मुठ मारने का पता चल गया था। शायद मैं जब दूसरी या तीसरी क्लास में था, तबसे मेरा लंड खड़ा होने लगा था। पूर्ण युवा होने के बाद जब-जब भी किसी की लेने के मौके मिले, मैंने मौका नहीं जाने दिया।

हमारे पड़ोस में एक गुजराती परिवार रहता था, उनके दो लड़के और एक लड़की थी। लड़की मुझसे कुछ छोटी थी। उसको जब मैं छोटा था, तबसे मैं उस लड़की को होंठों पर चुम्बन वग़ैरह करता था लेकिन कभी हिम्मत नहीं हुई कि उसको चोद दूँ।


खैर किशोर-वय तो ऐसे ही बीते जा रही थी, तभी मेरी ज़िंदगी में एक कमाल की घटना घटी। मैं आपसे वही घटना शेयर करना चाहता हूँ। मेरे पिताजी के एक छोटे भाई हैं जो उस वक्त दादा-दादी के साथ एक ‘चाल’ में रहते थे।

चाचा ने दो शादियाँ की थीं। पहली वाली चाची मेरी चचेरी बहन को जन्म दे कर गुजर गई थीं। उसके कुछ साल बाद दादा ने उनके गाँव से दूसरी शादी करवा दी।

दूसरी वाली चाची, चाचा से 10-12 साल छोटी हैं यानी मुझसे 10 साल बड़ी थीं। उनका रंग बहुत गोरा और बदन गदराया हुआ नॉर्थ-इंडियन औरतों की तरह था। दो बच्चे हो गये थे इसीलिए शरीर थोड़ा मोटा हो गया था, पर लगती वो कमाल थीं।

जिस वक़्त की मैं बात कर रहा हूँ तब तक चाचा और चाची के दो लड़के हो चुके थे। अब तक के कुछ सालों में मैंने कभी चाची की तरफ ग़लत नज़र से नहीं देखा था। दरअसल करीब दो साल पहले जब चाची को दूसरा लड़का हुआ, तब उन्होंने बच्चेदानी का ऑपरेशन भी करवा लिया था।

मुझे याद है मैं दादी के साथ उनको देखने अस्पताल गया था। तब ग़लती से खड़े होते हुए उनका पेटीकोट नीचे सरक गया और मुझे उनको चूत दिखाई दी थी। सच बताऊँ तो बहुत घटिया लगी थी ऑपरेशन के बाद। हालाँकि इस घटना को किसी ने भी ज़्यादा तवज्जो नहीं दी और साल बीत गये।

मैंने अभी जवान होना शुरू ही किया था, फिर भी चाची मुझसे काफ़ी हँसी-मज़ाक करती थीं। ज़ुबानी छेड़खानी कभी-कभी हाथों तक पहुँच जातीं। खैर… मैं इन सब बातों पर कोई ख़ास ध्यान नहीं देता था।

एक दिन दोपहर में मैं भी चाची के कमरे में सो रहा था और चाची साथ लेटी थीं। हम बातें कर रहे थे और वो मेरा सर सहला रही थीं। उनसे बातें करते-करते मैंने उनकी तरफ करवट ली और मेरा हाथ उनके कंधे पर लग गया। उन्होंने कुछ नहीं कहा।

फिर मज़ाक करते-करते मैंने अपना सर उनकी गोद में रख दिया। वे बैठ गईं, उन्होंने भी खुश हो कर मेरा सर अपनी गोद में ले लिया और मेरा सर सहलाने लगीं।

यह पहली बार था कि कोई औरत मुझे ऐसे कर रही थी। आप समझ सकते हैं कि मेरे मन पर क्या गुजर रही होगी। खैर मैंने ख्याली पुलाव बनाना शुरू कर दिए कि चाची को कैसे चोदा जाए। मैंने अंजाने में ही अपना हाथ उनके मम्मों पर लगा दिया। वो फिर भी कुछ नहीं बोली। इसके बाद मेरी हिम्मत खुल गई।

मैंने बोला- आप भी लेट जाओ और मैं आपके पेट पर सर रख कर सो जाऊँगा।

वो इस पर भी मान गईं और ज़मीन पर लेट गईं। मैंने भी अपना सर उनके पेट पर रख दिया और धीरे-धीरे सरकने लगा। अब तक मुझे लग रहा था कि मैं अकेला मज़े ले रहा हूँ, पर जब चाची ने मेरे इतना करने पर भी कुछ नहीं कहा तो मैं सोचने लगा कि शायद चाची भी चुदासी हैं।

मैंने बात करने के बहाने अपना सर उनको मम्मों पर रख दिया।
अरे क्या जन्नत महसूस हुई थी!!
मैं आपको बता नहीं सकता। उनके बड़े-बड़े मम्मे इतने सॉफ्ट लग रहे थे जैसे मलाई के ढेर लगे हों।

चाची को हंसता हुआ देख मुझे बहुत खुशी हुई। मेरा तो लंड महाराज खुशी के मारे पैन्ट फाड़ने को तैयार हो गया।

खैर दोपहर का वक़्त था और चाचा कभी भी आ सकते थे इसीलिए मैंने अपने आप पर काबू किया। फिर मुझे यह भी तो देखना था कि चाची किस हद तक मुझे चान्स लेने देंगी। उस दिन तो मैंने सिर्फ़ अपने सर से उनके मम्मों को दबा कर ही खुश रहना सही समझा।

उस दिन के बाद मुझे इसकी आदत लग गई। जब भी मौका मिलता मैं किसी ना किसी बहाने से चाची के बदन को छू लेता। वो भी ज़्यादा ऐतराज नहीं करती थीं।

एक दिन दोपहर के वक़्त मैंने उसके गालों पर चूम लिया, तो वो गुस्सा हो गईं और बोलीं- हमारा रिश्ता माँ-बेटे के बराबर है और यह सब करना ठीक नहीं है।

मैं अन्दर से तो डर गया लेकिन मैंने सोचा कि इतने दिनों से यह मुझे इतना सब करने दे रही है तो यह ज़्यादा कुछ नहीं बोलेगी, थोड़ा प्रेशर करके देखा जाए, यह सोच कर मैंने पीछे हटने की बात छोड़ दी।

और उसको बोला- इतना सब तो किया चाची ! अब क्यूँ मना कर रही हो।

मुझे साफ़ नज़र आ रहा था कि वो भी चाहती है कि मैं आगे बढ़ूँ। मैंने मौका सही समझा और उसके होंठों पर एक चुम्मा रख दिया।

पहली बार मैं एक मैच्योर औरत को चूम रहा था। उसने पहले तो अपने होंठ बंद रखे और मुझे ही उसके होंठों को चूमने दिया। उसके बाद मैंने अपने हाथ उसके मम्मों पर रख दिए और उनको दबा दिया। कसम से कह रहा हूँ कि मेरी तब तक की ज़िंदगी का वो सबसे हसीन लम्हा था।

मैं अपने आप पर और भी खुश था कि बात यहाँ तक पहुँच गई है। उस दिन के बाद धीरे-धीरे हम दोनों और भी ज़्यादा बोल्ड होते गए। मैंने चाची के स्तनों को रोज़ दबाना शुरू कर दिया। अब वो भी मुझे बड़े जोश के साथ चूमने लगी थी। मेरे लंड महाशय भी उम्मीद कर रहे थे कब उनका कुंवारापन जाए।

इसी तरह कुछ और दिन भी बीत गये। मुझे डर लगने लगा कि चाची को चोदने से पहले ही छुट्टियों खत्म ना हो जाएँ। खैर तक़दीर ने साथ दिया। चाचा मिल में काम करते थे और उनकी नाइट-पाली आ गई।

मैं वैसे भी अंदर के कमरे में सोता था। चाचा और मेरी खटिया साथ लगी रहती और हम दोनों रोज़ टीवी देखते हुए सो जाते थे। चाची बाहर वाले रूम में दोनों बच्चो के साथ सोती थीं।

अब आज से मैं अकेला सोने वाला था अंदर के कमरे में। मैं सारा दिन रात के आने का इंतज़ार करता रहा। रात को सब खाना खा कर करीब दस बजे सोने के लिए चले गए। मैं अंदर के कमरे में टीवी देख रहा था और चाची बाहर बच्चों को सुला रही थीं।

करीब साढ़े ग्यारह बजे मुझे लगा कि सब सो गए हैं। तब मैं चुपके से उठ कर चाची के पास गया और उनको हिलाया। चाची भी शायद मेरी राह देख कर जाग रही थीं।

उसने आँखें खोलीं तब मैंने इशारा किया कि अंदर आ जाओ। उसने झूठ-मूठ का बहाना बनाया कि बच्चे हैं यहाँ।

पर मैंने कहा- बच्चे सो रहे हैं और उसका हाथ पकड़ कर हल्के से खींचा।

वो तुरंत उठी, पर्दे वग़ैरह चैक किए और अंदर मेरे कमरे में आ गई। हमने कमरे का दरवाजा आधा बंद किया ताकि अगर बच्चे जाग जाएँ तो पता चले। फिर हम दोनों खटिया पर बैठ गए। मैंने तुरंत ही उसको चूमना शुरू कर दिया और उसने भी मेरा साथ दिया।


आज पहली बार हमें पूरा एकांत मिला था, बिना किसी समय की पाबंदी के। अब तक तो हम कुछ पल के लिए एक-दूसरे के साथ खेल कर अलग हो जाते थे। आज तो सारी रात हमारी थी। मैंने ब्लाउज के ऊपर से ही उसके मम्मों को सहलाना शुरू कर दिया।

फिर मेरा हाथ उसके ब्लाउज अंदर टटोलने लगा। उसने खुद ही ब्लाउज के बटन खोल दिए। मैंने पहली बार ज़िंदगी में किसी औरत की ब्रा को खोला। दोनों स्तन गोरे-गोरे खरगोशों की तरह लग रहे थे। मैं तो उन पर भूखे शेर की तरह टूट पड़ा। वो भी खुश होने लगी।

अब हम दोनों खटिया पर लेट गए। वो नीचे और मैं ऊपर। उसके दोनों मम्मे मैं ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था और उनको चूस भी रहा था। चाची भी गर्म हो गई और उसने मेरे बालों में उंगली फेरना शुरू कर दिया। मैं कभी उसके मम्मों को काटता तो कभी दबाता रहा।

अचानक ही चाची ने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया। मेरा लंड पूरे जोश में था। चाची ने मेरा बरमूडा हटा दिया और इनर भी हटा दिया। फनफनाता हुआ मेरा 7 इंच का लंड बाहर आ गया। आज तक इस लंड ने किसी चूत को नहीं चखा था और आज वो पूरी तरह से तैयार था।

चाची ने अपनी साड़ी और पेटीकोट ऊपर कर दिए, उसने पैन्टी नहीं पहनी थी। मैंने उसकी चूत को छुआ तो जैसे बाढ़ आई हुई थी। उसकी चूत से रस नदी के बहाव की तरह बह रहा था।

मैंने उसको बोला- मैंने आज तक कभी नहीं चोदा।
चाची बोली- आज तू चोदेगा बेटा।

उसने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और बोली- वाह राजा, क्या मस्त कड़क लंड है तेरा !
चाची ने मेरे लंड को अपने चूत के ऊपर रखा। मैंने तुरंत ही एक धक्के में पूरा का पूरा पेल दिया।

वो तकरीबन चीख पड़ी, बोली- धीरे से डाल नालायक !
मैंने कहा- सॉरी, अब आराम से करूँगा।

मेरा लंड तो पहली बार चूत में जाकर पागल हो गया था। मैंने ज़ोर-ज़ोर से अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
चाची बोली- आराम से कर ना !

पर मैं कहाँ रुकने वाला था। ज़िंदगी में पहली बार एक चूत मिली थी। मेरे लंड बाबू ने पूरा दम लगा दिया और ज़ोर-ज़ोर से चाची की चुदाई शुरू कर दी। चाची ने भी अपने चूतड़ उछाल कर मेरा साथ देना शुरू कर दिया। मेरा लंड हर झटने में खुशी की ऐंठन ले रहा था।

चाची ने मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया और अपना मुँह खोल कर मुझे फ्रेंच किस करने लगी। मुझे बड़ा आनन्द आया कि मैं चाची को इतनी खुशी दे पा रहा था। मैंने और जोश लगा कर चुदाई शुरू कर दी। चाची ऐंठने लगी उसने अपने ही बाजू पर काट लिया ताकि चिल्ला ना दे।

करीब 5 मिनट बाद चाची झड़ गई, पर मेरा तो अभी तक खड़ा था, मैं चोदता रहा। पूरे 15 मिनट बाद मैं भी क्लाइमैक्स तक पहुँच गया। मैंने चाची के अन्दर ही अपना सारा माल उड़ेल दिया।
चाची ने ऑपरेशन करवा रखा था इसीलिए गर्भ ठहरने का कोई डर नहीं था।

इतनी देर में चाची तीन बार झड़ चुकी थीं, वो बहुत ही खुश थीं, मुझे बोली- आई लव यू।
मैंने भी कह दिया- आई लव यू टू।

हमने सारी रात चुदाई की।


इसके बाद तो पूरे 20 दिन तक मैं रोज़ चाची को चोदता रहा। मेरी ज़िंदगी का नया पहलू शुरू हो चुका था और इसके बाद मैंने कई सारी लड़कियों को चोदा है। लेकिन आज भी मैं जब भी मौका मिलता है अपनी चाची को ज़रूर चोदता हूँ।






पड़ोसन भाभी ने आधी रात में अपने घर बुलाया
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मेरा नाम राहुल है. मैं छत्तीसगढ़ के दुर्ग सिटी से हूँ. मैं अभी इंजीनियरिंग के दूसरे साल का स्टूडेंट हूँ, मेरी उम्र 20 साल है, देखने में थोड़ा स्लिम हूँ लेकिन गुड लुकिंग हूँ. मेरा कद पांच फीट छह इंच है, रंग और कद काठी सामान्य है.

ये कहानी अभी 4 महीने पहले की है. मैं यहाँ दुर्ग में एक पी जी में किराये पर रहता हूँ. हमारे पी जी के सामने एक सेक्सी सी भाभी रहती हैं, उन का नाम किरण है.
किरण भाभी के 2 बच्चे हैं लेकिन उनको देखने से बिल्कुल नहीं लगता कि वो 2 बच्चों की माँ हैं. क्या बॉडी है उनकी, उम्र भी उनकी 28 करीब होगी. फिगर 36-30-36 का है. कद लगभग 5 फीट 4 इंच होगा. उन के पति एक फैक्ट्री में जॉब करते हैं, उनकी ड्यूटी की शिफ्ट बदलती रहती है, कभी दिन में तो कभी रात को.

मुझे यहाँ रहते हुए 2 साल हो गए थे. जब से मैंने किरण भाभी को देखा था, उनको चोदने की ही सोचता रहता था. बस ऐसे ही टाइम निकलता गया, लेकिन भाभी मुझे कोई भाव नहीं देती थीं क्योंकि उनकी लव मैरिज हुई थी.. फैमिली भी उनकी अच्छी थी. उनसे कोई जुगाड़ ही फिट नहीं हो पा रहा था.. टाइम निकलता गया और मैं बस भाभी के नाम की मुठ मारता रहता, सोचता कब इनके नग्न बदन के दर्शन होंगे.

एक दिन मेरे कुछ फ्रेंड्स आए हुए थे तो हमने पार्टी की… दारू शारू पी, तो मुझे थोड़ा ओवर नशा हो गया. मैं छत पर जाकर वॉक करने लगा. मैंने सामने देखा कि किरण भाभी भी अपनी छत पर हैं. दारू के नशे की वजह से मुझ में हिम्मत आ गई और मैंने भाभी की तरफ देख कर एक स्माइल कर दी.
लेकिन भाभी ने कोई जवाब ना देते हुए गुस्से से मुझे देखा और वहां से चली गईं.

अब मेरी गांड फटने लगी कि कहीं ये अपने पति को मेरी शिकायत ना कर दें क्योंकि भाभी पहले से जानती थीं कि मैं उन को लाइन मारता हूँ.

अगले दिन जब सुबह सो कर उठा और छत पर गया तो देखा कि भाभी गीले कपड़े सुखा रही थीं. मैंने डरते डरते भाभी की तरफ देखा तो पहले उन्होंने कोई रिएक्शन नहीं दिया, पर जाते वक़्त भाभी ने भी प्यारी सी स्माइल दे दी.
मैं तो जैसे ख़ुशी के मारे पागल हो गया था.. जैसे जन्नत मिल गई हो.

फिर ऐसे ही इशारों इशारों में मैंने उन को अपना नम्बर दिया और हमारी बातें शुरू हो गईं फोन पर! कुछ ही दिनों में हम दोनों अब काफ़ी क्लोज़ आ चुके थे, फोन सेक्स चैट भी करते थे. लेकिन मिलना हमारे लिए बहुत ज़्यादा मुश्किल था क्योंकि अगर किसी को पता चलता या कोई हमें बात करते हुए देख भी लेता, तो बहुत समस्या हो जाती. इसलिए हमने कुछ दिन ऐसे ही निकाल दिए.

फिर वो एक रात यानि हम दोनों के मधुर प्रेम मिलन की रात आ ही गई. उनके पति को नाइट ड्यूटी करनी थी और बच्चे तो छोटे थे तो उनका कोई उतना इश्यू नहीं था. हम दोनों फोन पे बात करते रहते थे तो इस मौके का फायदा उठाने की सोच ली थी. उस रात 12 बजे भाभी का फोन पर मैसेज आया- तुम्हारे भैया जा चुके हैं… तुम आ सकते हो!

मैं चुपचाप छुपते छुपाते उन के कमरे तक गया, भाभी ने दरवाज़ा खोला तो मैं तो उन्हें देखता ही रह गया. क्या कमाल का सेक्सी माल लग रही थीं भाभी यारो… भाभी ने मेरून कलर की साड़ी मेरून ब्लाउज.. वाउ.
भाभी ने कहा- यार देखते ही रहोगे कि अन्दर भी आओगे, कोई देख लेगा जल्दी अन्दर आओ.

मैं अन्दर आया तो देखा एक बेड पे बच्चे सोए हैं और एक खाली सेज भी हमारी रास लीला के लिए सजी थी.

जैसे ही भाभी ने दरवाज़ा बंद किया, मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनकी साड़ी के पल्लू के नीचे उनके नंगे पेट पर हाथ रख कर उस को सहलाने लगा, उनके गाल और गले, कानों पर पागलों की तरह किस करने लगा. भाभी तो कामुकता से जैसे पागल सी होने लगीं, उनके मुख से बस ये आवाज़ें निकलने लगीं ‘आमम्म.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्म.. आहह..’

मैं भाभी को अपनी तरफ़ घुमा कर सीधा किया और उनको दीवार से सटा कर उन के होंठ को चूसने लगा. भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं- आअहह.. राहुल… उम्म.. अम्माह मम्मह…

मैंने भाभी को बेड पर लिटा दिया और उनकी साड़ी का पल्लू ऊपर को सरका दिया और उन की गहरी नाभि पर किस करने लगा, उसमें जीभ डाल कर चाटने लगा. ब्लाउज के ऊपर से ही उनके मम्मों को दबाने लगा. भाभी कामुक सिसकारियाँ लेने लगीं- आआहह… आहह… एम्म… उह… ओह…
वो तो चुदास से बस सी पागल होने लगी थीं.

मैंने धीरे धीरे एक के कर के उन के ब्लाउज के हुक खोलने लगा, साथ साथ मैं भाभी की चूची भी दबा रहा था. भाभी का ब्लाउज मैंने पूरा उतार दिया तो मैंने देखा कि भाभी ने अन्दर भी मेरून कलर की ब्रा पहन रखी थी. ये मुझे बहुत अच्छा लगा. उनका गोरा बदन और डार्क कलर की ब्रा.. वाउ.. क्या लग रही थीं.

मैंने भाभी की ब्रा के ऊपर से ही भाभी का एक दूध चूसना शुरू किया और उनकी साड़ी भी मैंने हटा दी थी. वो अब बस ब्रा और पेटीकोट में थीं. मैं उनको लगातार किस करते जा रहा था. भाभी और पागल होती जा रही थीं ‘आह राहुल.. जल्दी करो अब बर्दाश्त नहीं हो रहा.’

मैंने भाभी का पेटीकोट भी निकाल दिया अब वो मेरून ब्रा और ब्लैक पेंटी में थीं. मैं भाभी की फुद्दी को पेंटी के ऊपर से ही उंगली से रब करने लगा, भाभी की चूत पहले ही गीली हो चुकी थी. भाभी के मम्मों को भी मैंने ब्रा से अलग कर दिया और दीवानों की तरह उन्हें चूसने लगा और उनकी चुत को रब करने लगा.

भाभी ने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए थे और एक हाथ से मेरे 8 इंच के लंड से खेलने लगी थीं. मैंने भाभी के मम्मों को खूब चूसा.. लाल कर दिया. फिर किस करते हुए मैं भाभी के नीचे की तरफ आया और भाभी की पेंटी को बड़े प्यार से नीचे किया.
आह.. क्या चुत थी यार.. उनकी.. एकदम पिंक.. क्लीन शेव्ड.. चिकनी चूत…

मैंने भाभी से पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्होंने चुत को मेरे लिए ही साफ की है. मैं खुश होकर पागलों की तरह उनकी चुत चाटने लगा. भाभी की मादक सिसकारियाँ अब तेज़ होने लगी थीं ‘आअम्म्म्मम.. राहुल्ल.. आआहह.. आआहह..’
भाभी मेरा सर पकड़ कर अपनी चुत में दबाने लगीं. मैं भी अपने काम में लगा रहा.
भाभी ‘बस..’ कहने लगीं- प्लीज़.. राहुल और मत तड़पाओ.. जल्दी से करो वरना मैं पागल हो जाऊंगी आअहह..

मैं उठा और अपने फनफनाते लंड को भाभी के मुँह पर ले गया और उन्हें लंड चूसने को कहा, तो भाभी ने मना कर दिया कि ऐसा उन्होंने पहले कभी नहीं किया. पर मेरे बहुत जोर देने पर वो मान गईं और मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगीं.

भाभी कहने लगीं- बाप रे, ये तो कितना बड़ा है.. मेरे मुँह में ही मुश्किल से जा रहा है.. चुत में कैसे जाएगा, मैं तो मर ही जाऊंगी.
मैंने कहा- भाभी आप पहले मिल जाती तो ये नहीं होता.. आपकी याद में मुठ मारते मारते इतना बड़ा हो गया.

भाभी ने स्माइल किया और बस मेरा लंड चूसने में लगी रहीं. दस मिनट लंड चुसाने के बाद मैंने भाभी को बेड पे सीधा लिटाया और उनके ऊपर लेट कर किस करते, उनके मम्मों को दबाते और चूसते हुए हौले से लंड को भाभी की चुत पे रखा कर धक्का लगा दिया. भाभी की तो जैसे आँखें ही बाहर आ गई थीं. इसलिए मैं उनको किस करता रहा ताकि उनकी चीख बाहर ना आए.
भाभी कहने लगीं- आह.. मुझ से नहीं होगा बहुत दर्द हो रहा है.

मैंने भाभी को समझाया कि बस एक दो मिनट ही दर्द होगा, सहन कर लो… और भाभी के रसीले होंठों का चुम्बन करते हुए फिर एक शॉट लगाया. इस बार लंड भाभी की चूत में आधा अन्दर जा चुका था. भाभी को फिर दर्द हुआ और उन की आँखों में से आँसू आने लगे, लेकिन मैं नहीं रुका और तीसरे झटके में अपना पूरा का पूरा लंड भाभी की गीली चिकनी चूत में पेल दिया.

भाभी दर्द के मारे तड़पने सी लगी थीं लेकिन मैंने उन के होंठ अपने होंठों से सटा रखे थे ताकि उन की आवाज़ बाहर ना आए.

थोड़ा देर वेट करने के बाद जब भाभी नॉर्मल हो गईं, तब मैंने फिर से अपना काम चालू किया और भाभी की चूत में लंड के झटके मारने लगा. अब भाभी को भी चुत चुदाई का मजा आने लगा था, वो मेरा पूरा साथ दे रही थीं- आआहह.. जान.. आअहह.. और ज़ोर से प्लीज़.. आअहह.. राहुल.. आआहह..
भाभी की ये कामुक आवाज़ें सुन कर मैं और ज़ोर से उन्हें चोदने लगा.

करीब दस मिनट तक ऐसे ही चोदने के बाद मैंने उन्हें घोड़ी बनने को कहा. भाभी बिस्तर पर अपने घुटने और हाथ टिका कर घोड़ी बन गईं तो अब मेरे सामने उनके गोर चिकने चूतड़ उठे हुए थे, मैंने भाभी के चूतड़ों को चूमा, उन पर हाथ फिराया, सहलाया, चूतड़ों की दरार ने उंगली फिराई. फिर मैं उन को पीछे से लंड लगा कर चोदने लगा. साथ ही आगे हाथ बढ़ा कर उनके मम्मों को दबाने लगा और धपाधप उन्हें चोदने लगा- भाभी.. आहह.. आपको अच्छा लग रहा है ना?
“हाँ मेरी जान, ऐसा लग रहा है.. जैसे जन्नत में हूँ.. इनके पापा ने तो आज तक ऐसे नहीं किया.. मैं कब से तुमसे बात करना चाहती थी लेकिन डरती थी.”
“कोई बात नहीं भाभी.. अब सब ठीक है..”
“भभी मेरा लंड पूरा अंदर तक जा रहा है ना?”
“हां राहुल… पूरा अंदर है! बस तुम मुझे चोदते जाओ!”

कोई दस मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था और इस बीच भाभी भी एक झड़ चुकी थीं.

अब मैं भी चरम सीमा पर था तो मैंने भाभी को पूछा कहा निकालु? ????????
तो उन्होंने बताया कि वो {माला डी} खाती हैं, कोई डर नहीं है, अन्दर ही झड़ने को कहा..
सो मैंने वैसा ही किया. मैं झड़ कर भाभी के ऊपर कुछ पल तो ऐसे ही लेटा रहा.
फिर मैं भाभी के ऊपर से हटा और हम दोनों अगल बगल लेट गए. मेरी आँख लग गई.. और मैं ऐसे ही सो गया.

जब एक घंटे के बाद नींद खुली तो मैंने फिर भाभी को किस करते हुए उन्हें और कई तरह के आसनों में चोदा और देखा तो सुबह का टाइम हो गया था, सो मुझे अपने रूम पर आना पड़ा.

इसी तरह हम कई बार मिले. दिन में कभी मेरे रूम पर, कभी उनके घर में.. यूं ही चुदाई का सिलसिला आज भी चल रहा है.









दिल्ली वाली भाभी की चूत चुदाई
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हाय दोस्तो, कैसे हैं आप सब.. शिव राज का आप सभी हसीन चूत वालियों को मेरा प्यार भरा चुम्मा.. और खड़े लण्ड वालों को जापानी तेल..
मैं अपनी कहानी आप सब लोगों के लिए लेकर आया हूँ जो आज से दो साल पहले की है।

एक दिन मैंने अपने ऑफिस में बैठकर एक नई नेटवर्किंग साईट पर अपनी प्रोफाइल बनाई और इधर-उधर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने लगा।
कुछ ही देर में एक भाभी ने मेरी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली.. तो मैं उनसे चैट करने लगा। कुछ देर तक इधर-उधर की बातें हुई।

उनका नाम नीलू था, वो 33 साल की थी.. उसके दो बच्चे थे और वो दिल्ली में अकेली रहती थी। उसके हसबैंड कोलकता में रहते थे।
फिर मैंने उनको अपना नंबर दिया। दो दिन बाद उनका कॉल आया और हमारी बातें शुरू हो गईं।
उन्होंने बताया- उन्हें ‘वाइल्ड सेक्स’ बहुत पसंद है.. उनके पति का लंड बहुत छोटा है.. और चुदे हुए बहुत दिन हो गए हैं।
इस तरह की बातचीत से हम दोनों बहुत खुल कर एक-दूसरे से अपनी चुदास साझा करने लगे थे।

एक बार मैं उनके ऑफिस गया.. उनसे मिला.. हाय.. क्या मस्त माल लग रही थी वो.. गुलाबी सूट में..
थोड़ी देर उससे बात करने के बाद मैं चला गया.. उनको मैं बहुत पसंद आया।
रात को बात करते हुए उन्होंने मेरे लण्ड का साइज़ पूछा.. तो मैंने उन्हें बताया- मेरा 7.5 इंच का है।
तो वो बोली- मेरे पति का तो 5 इंच का ही है.. तुमसे चुदवाने में मजा आएगा..

यह कह कर वो हँसने लगी.. तो मैंने भी कहा- बोलो तो अभी आ जाऊँ तुम्हारे घर.. रात भर तुम्हें चोद-चोद कर मस्त मजा दूँगा।
तो वो बोली- आज फ़ोन से चोद लो.. कल मैं मिलूँगी.. तब जम कर चोदना।
फिर हमने फ़ोन सेक्स किया और अगले दिन 11 बजे मिलने का फाइनल हुआ।

मैं उनको लेने बाराखम्भा मेट्रो स्टेशन पहुँच गया।
वो सजधज कर आई.. तो मैं देखता ही रह गया। जींस और टॉप में वो एकदम मस्त माल लग रही थी।
उसको देख कर ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया.. फिर मैंने बाइक पर बिठाया और अपने कमरे की तरफ चल पड़ा। रास्ते में वो बोली- कॉन्डोम है या नहीं.. वरना इधर से ही ले लो..

मैंने दस कंडोम वाला बड़ा पैक खरीद लिया और उसे लेकर अपने कमरे पर पहुँच गया।
जैसे ही मैंने दरवाजा अन्दर से बंद किया.. तो देखा कि वो काफी डरी हुई लग रही थी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- अजीब सा लग रहा है.. कहीं तुम मेरे साथ कुछ गलत तो नहीं करोगे?
मैंने कहा- तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है.. ऐसा कुछ भी नहीं है.. अगर तुम्हें कोई प्रॉब्लम है.. तो चलो मैं तुम्हें वापस छोड़ देता हूँ..
यह कह कर मैंने उसे गले से लगा लिया।

मैंने कस कर नीलू को अपनी बांहों में जकड़ लिया.. वो मेरे से 5 साल बड़ी थी फिर भी लग नहीं रही थी कि वो दो बच्चों की माँ है।
मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और चुम्बन करने लगा।
मैं अपनी जीभ से उसकी जीभ को टच करने लगा.. तो वो भी जोश में आ गई और कस कर चुम्बन करने लगी।
दस मिनट तक हम दोनों एक-दूसरे से चिपके हुए चुम्बन करते रहे।

वो थोड़ा सा नार्मल हुई और पैन्ट के ऊपर से मेरा लंड पकड़ने लगी।
मैंने उसका टॉप निकाल दिया। वो अन्दर लाल रंग की ब्रा में क्या मस्त आइटम लग रही थी।

मैं उसे बिस्तर पर ले गया और लिटा दिया और ऊपर चढ़ कर उसकी चूची दबाने लगा और चुम्बन करने लगा।
वो बस ‘इस्स्स्स्स्स्स.. आआईईई..’ की आवाज निकालती रही।
मैं उसको किस करता हुआ जींस के ऊपर से अपना मुँह उसकी चूत पर रगड़ने लगा.. तो वो मेरा सर कस कर चूत में दबाने लगी।

मैंने जींस का बटन खोल दिया.. तो उसने अपनी गाण्ड उठा दी.. जिससे मैंने जींस नीचे खिसका दी.. तथा उसी के साथ उसकी पैन्टी भी उतर गई।
अब वो मेरे सामने अपनी आँखें बंद किए हुए बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी। मैंने थोड़ी टाँगें फैलाईं.. और अपने हाथ से चूत का जायजा लेने लगा।
उसकी चूत बिलकुल चिकनी थी.. शायद आज ही अपनी झांटें साफ़ की होगीं.. चूत पूरी तरह से रस से भरी हुई थी।

मैंने चूत रस पीने के लिए अपनी जीभ जैसे ही चूत से लगाई.. वो मुझे पकड़ने लगी। मैंने उसका हाथ हटा कर चूत को फैला कर चाटने लगा.. उसकी सिसकारी निकल गई।

जब मैं उसकी चूत चाट रहा था.. तब उसने अपनी दोनों टाँगें खोल कर हवा में उठा दीं.. वो मादक सिसकारियां ले रही थी, उसकी आंखें बंद थीं.. मानो वो जन्नत की सैर कर रही हो।
मैं दस मिनट तक उसकी चूत का रस पीता रहा।

फिर वो बोली- शिव.. अब मत तड़पाओ जल्दी अपना लंड मेरी चूत में डाल कर इसको फाड़ दो.. अब सहन नहीं हो रहा..
मैंने कहा- इतनी जल्दी क्या है जानेमन..
तो वो उठ कर बैठ गई और मेरे कपड़े उतारने लगी।
अब मैं अंडरवियर में था.. जिसमें मेरा लंड तम्बू की तरह तना हुआ था। उसने चड्डी नीचे खिसकाई और मेरे लंड को हाथ से पकड़ कर सहलाने लगी।

मैं खड़ा था.. वो बैठी थी और मेरे लंड से खेल रही थी। उसने मेरे लंड पर एक चुम्बन किया और चाटते हुए लौड़े को मुँह के अन्दर ले लिया और चूसने लगी।
ओह्ह.. आह.. क्या मस्त चूस रही थी। मैं अपनी आँखें बंद किए हुए लौड़ा चुसवाने का मजा ले रहा था।
वो मेरा लंड चूस रही थी और एक हाथ से अपनी चूत रगड़ रही थी। तो मैंने उसे लिटाया और 69 की पोजीशन में आ गया।

अब मैं नीचे लेटा था और वो मेरे ऊपर अपनी चूत मेरे मुँह में रख कर मेरा लंड चूसने लगी।

मैं भी उसकी चूत में पूरी जीभ अन्दर डालकर चोदने लगा.. तभी मुझे ऐसा लगा कि उसने ‘सुसू’ कर दी हो.. वो झड़ने लगी थी.. मैंने भी बुर चुसाई चालू रखी।

अब वो बिलुकल शांत हो गई.. पर उसने अपने मुँह से मेरा लंड बाहर नहीं निकाला।
मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और पूछा- कैसा लगा?
तो वो बिना कुछ बोले मुझे चुम्बन करने लगी।

फिर उसकी आंखों में आंसू आ गए, मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- आज चुदाई का सच्चा सुख मिल रहा है मुझे..
मैंने कहा- अभी सुख किधर मिला है.. और मेरा क्या होगा.. मेरा लंड तो अभी भी खड़ा है?
तो वो बोली- आ जाओ.. डाल दो न.. इसे मेरी चूत में.. और जम कर चोदो मुझे..

मैंने लंड उसकी चूत की गहराई में उतार दिया। मेरा लंड एक ही झटके में अन्दर घुस गया था।
वो बोली- ओह्ह.. मेरे राजा.. जरा आराम से चोदो.. मैं तुम्हारी ही हूँ..
मैंने चुदाई की रफ़्तार धीरे-धीरे बढ़ा दी।
उसकी कमर नीचे से लगातार लौड़े की थापों की संगत दे रही थी.. उसकी मस्त नारंगियाँ मेरे होंठों में दबी थीं।

धकापेल चुदाई हुई वो शायद इस चुदाई में झड़ चुकी थी उसके रस की गर्मी पाकर अब मेरा भी निकलने ही वाला था।
मैंने कहा- कंडोम पहनना तो भूल ही गया.. क्या कंडोम लगा लूँ?

वो बोली- मत पहनो.. मेरा ऑपरेशन हो चुका है.. तुम कितना भी चोदो मुझे.. और अपना माल मेरी चूत के अन्दर ही डालना.. कन्डोम तो बीमारी से बचने के लिए कह रही थी।

मैंने बीस मिनट तक जम कर आसन बदल-बदल कर उसकी चूत की चुदाई की फिर मैं उसके अन्दर ही झड़ गया।
वो भी झड़ गई.. हम दोनों इस चुदाई से थक चुके थे.. सो थोड़ी देर आराम करने लगे।

मुझे नींद आने लगी.. मगर नीलू की आँखों में नींद नहीं थी.. वो मेरा लंड मुँह में लेकर फिर से चूसने लगी.. जिससे मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा।
दस मिनट तक वो मेरा लौड़ा चूसती रही। क्या जबरदस्त तरीके से चूसती थी.. मेरा दावा है कि वो अपनी जुबान से अस्सी साल के बुड्डे का भी लण्ड खड़ा कर सकती है।

फिर हमारी चुदाई का दूसरा दौर चला। अब वो मेरे लंड के ऊपर बैठ गई मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर था और मस्त उछल-उछल कर वो मुझे चोद रही थी।
आधा घंटे तक चली चुदाई में वो फिर से दो बार झड़ी..

वो बहुत खुश लग रही थी.. उसने मुझे इस चुदाई के लिए ‘थैंक्स’ कहा और एक हजार रूपये भी दिए.. तो मैंने मना कर दिया।
वो बोली- मेरी तरफ से गिफ्ट है.. प्लीज मना मत करो.. इसे ले लो।
उनका नाम नीलू था।
फिर मैंने उसे मेट्रो स्टेशन छोड़ दिया।
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#55
पड़ोसन आंटी के साथ सेक्स का मजा
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हाय फ्रेंड्स, मैं मोहित मेरी पड़ोसन आंटी के साथ सेक्स की मेरे जीवन की सच्ची कहानी आपके सामने लेकर आया हूँ. जो है. मैं कुचामन का रहने वाला हूँ. मेरे परिवार में हम 4 लोग हैं. मैं, मेरी छोटी बहन और मम्मी पापा.

हमारे घर के पास वाले घर में एक परिवार रहता है. मैं उनको अंकल आंटी ही बोलता हूं. अंकल आंटी की शादी को अभी 7 साल ही हुए थे और उनके एक 3 साल का लड़का भी है।

हमारे घर अगल बगल में ही है, तो हमारा उनसे संबंध घर जैसा ही है. आंटी हमारे घर आती जाती रहती हैं. आंटी एक बहुत ही सुन्दर शरीर की मालकिन है आंटी का फिगर 34-32-36 है आंटी जब चलती है तो उनकी गांड और बोबे हर किसी को अपना दीवाना बना लेती है।

मैं शुरू से ही आंटी को बहुत पसंद करता हूँ आंटी हमारे घर आती जाती रहती थी इस कारण मेरी भी उनसे अच्छी बात-चीत होती थी. आंटी को मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में भी पता था. आंटी बहुत खुले विचारों की थी तो मैं कभी-कभी आंटी के गर्दन और गांड पर हाथ फेर देता था जो मुझे बहुत अच्छा लगता था।

एक दिन आंटी का फोन खराब हो गया था तो वो हमारे घर आ गई और हमारे घर के लैंडलाइन वाले फोन से फोन लगाने लगी. लेकिन आंटी से फोन नहीं लगा तो उन्होंने मेरे को फोन लगाने के लिए बोला. मैं फोन लगाने के बहाने आंटी की गांड से टच होकर फोन मिलाने लग गया और अपने लन्ड को उपर से ही आंटी की गांड पर सेट करके फोन लगाने लग गया। मैंने आंटी को फोन लगा के दे दिया.

जब तक आंटी बात कर रही थी तब तक मैं बाथरूम में जाके आंटी के नाम की मुठ मार के आ गया।

मैं अपने रूम में आके बैठ गया और आंटी भी मेरे पास आके बैठ गई और हम दोनों बातें करने लग गए बातों ही बातों में हम सेक्स की बातें करने लग गए. मैंने आंटी से उनकी सेक्स लाइफ के बारे में पूछ लिया.
तब आंटी ने बताया- तुम्हारे अंकल सेक्स करते ही नहीं हैं, पूरे दिन बस अपने काम में लगे रहते हैं. वे मेरे को साल में बस 10-12 बार ही चोदते हैं. आजकल तो सेक्स करते ही नहीं है.

तभी मैंने मजाक में आंटी को बोल दिया- मैं आपकी हेल्प कर दूँ?
इस बात पर आंटी एक कातिल मुस्कुराहट देकर अपने घर चली गई।

फिर थोड़ी देर बाद जब मैं आंटी के घर गया, तब आंटी का बेबी सो रहा था और आंटी दूसरे रूम में बेडशीट सही कर रही थी. मैंने आंटी के पीछे से जाकर आंटी को पकड़ लिया.
तो आंटी मेरे को बोलने लगी- यह सही नहीं है, कोई आ जायेगा.

इतने में ही आंटी घूम गई और आंटी के घूमते ही मेरे होंठ आंटी के होंठ से मिल गए. मैं तो किस करने लग गया लेकिन आंटी दिखावटी रूप से छुड़ाने की कोशिश करने लग गई।

और जब मैंने नहीं छोड़ा तो आंटी भी मेरा साथ देने लग गई. अब मैं आंटी की कुर्ते के ऊपर से ही बोबे दबाने लग गया और आंटी आह उम्ह की सीत्कार निकालने लग गई. इतने में ही मेरी मम्मी का फोन आ गया तो मेरे को जाना पड़ा और मैं आंटी को किस करके आ गया और उनको बोला- तुम सलवार कुर्ते में बहुत अच्छी लगती हो।

फिर दूसरे दिन वापस आंटी अपने बेबी के साथ फोन करने आयी. तब वो काले रंग के सलवार कुर्ते में आयी थी. उस ड्रेस में वो क्या कयामत लग रही थी कि क्या बताऊं दोस्तो!

उस समय मेरे घर पर कोई नहीं था और आंटी ने मेरे को फोन लगाने के लिए बोला.
तो मैंने फोन लगा दिया और फोन आंटी को दे दिया. और आज मैं भी आंटी के पास ही बैठ गया और आंटी के जिस्म के साथ खेलने लग गया. मैं कभी उनके होंठ पर अपनी उंगली फेरता तो कभी गर्दन पर फिर धीरे धीरे मैंने अपने हाथ को आंटी के कुर्ते के अंदर डाल दिया और उनके बोबे को दबा दिया. उनके बोबे को दबाते-दबाते मैंने आंटी की ब्रा के हुक खोल दिए और अब मैंने कुर्ते के ऊपर से ही आंटी के बोबे को मेरे होंठों से काटने लग गया।

फिर धीरे-धीरे मैं नाभि पर हाथ फेरते हुए नाभि को चाटने लग गया और आंटी भी अब धीरे-धीरे गर्म होने लग गई थी और वो भी मेरी टी-शर्ट में हाथ डालने लग गई थी.
फिर मैंने धीरे से आंटी की सलवार का नाड़ा खोल दिया और आंटी की चूत को पैंटी के ऊपर से ही सहलाने लग गया।

मैंने देखा कि आंटी की चूत पानी-पानी हो गई थी. फिर मैंने धीरे से एक उंगली चूत में डाल के अपने मुंह में ले ली और फिर वही उंगली आंटी के मुंह में दे दी. अब मैंने आंटी की पैंटी भी उतार दी और उनकी चूत को देखने लग गया।

इतने में ही आंटी ने फोन काट दिया और मेरे होंठों को जोर जोर से चूमने लग गई. आंटी मेरा पूरा साथ देने लग गई और धीरे-धीरे मेरे सारे कपड़े उतार दिए.
आंटी मेरे 6 इंच लंबे व 3 इंच मोटे लन्ड को देखते ही रह गई, फिर वो बोली- मेरे पति का बस 4 इंच का ही है.
और वो मेरे लन्ड को हाथ में लेकर सहलाने लग गई।

फिर आंटी को मैं गोदी में लेकर अपने बेड पर ले आया और उनको बेड लेटा कर हम दोनों एक दूसरे को चूमने लग गए.

मगर किस्मत ने हमारा साथ नहीं दिया. इतने में ही आंटी का बेटा रोने लग गया और किसी ने बाहर डोरबेल बजा दी.
तो मैंने जल्दी से कपड़े पहने और मैं बाहर देखने गया तो बाहर पोस्टमैन पोस्ट देने आया था. मैं पोस्ट लेकर वापस आ गया.
पर तब तक भाभी ने भी अपने कपड़े सही कर लिए और वो मेरे को एक किस करके सॉरी बोल के अपने घर चली गई क्योंकि आंटी को अपनी ननद को लेने जाना था तो वो चली गई।

अब उसकी ननद आने के कारण अब मैं उसके घर नहीं जा सकता था।

फिर 2 दिन बाद मेरे परिवार वाले 5 दिन के लिए हमारे गाँव चले गए. वहां किसी की शादी थी. मैं उनके साथ नहीं गया था। तो मम्मी आंटी को मेरा ध्यान रखने के लिए बोल के चली गई।
अंकल भी अपने किसी बिजनेस के काम से बाहर गए हुए थे. इसी कारण आंटी की ननद आंटी के घर आयी हुई थी।

तो मैं घर पर अकेला था तो आंटी ने खाना खाने के लिए मेरे को अपनी घर बुला लिया. मैं चला गया. इस समय आंटी काले रंग के गाउन में क्या मस्त लग रही थी. मन तो कर रहा था कि अभी पकड़ के चोद दूँ … पर आंटी की ननद होने के कारण ऐसा नहीं कर सकता था।

फिर हमने साथ बैठ कर खाना खाया और थोड़ी देर बातें की.
तब आंटी ने बोला- तुम भी यहीं सो जाओ. हम दोनों घर पर अकेली हैं.
इसलिए मैं भी वहीं रुक गया.

तब आंटी और आंटी की ननद व उनका बेबी एक रूम में सो गए और मैं दूसरे रूम में सो गया।

मेरे को नींद आ नहीं रही थी, मैं मोबाइल में अन्तर्वासना की कहानियां पढ़ कर आंटी के नाम की मुठ मार ही रहा था कि तभी आंटी मेरे रूम में आ गई।

तो मैं आंटी को मेरी बांहों में लेकर जोर-जोर से चूमने लग गया. वो भी मेरा साथ दे रही थी. फिर मैं किस करते करते आंटी की गाउन के ऊपर से ही उनके बोबे को दबाने लग गया.

फिर मैंने आंटी की गाउन को उतार दिया और उनके 34″ के मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने और चाटने लग गया. उस समय आंटी काली ब्रा पैंटी में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। फिर मैंने आंटी की ब्रा पैंटी को उतार दिया.
आंटी ने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए और हम एक दूसरे के नंगे बदन को देखने लग गए। अब मैं और आंटी सेक्स के लिए तैयार थे.

और फिर से हम दोनों एक दूसरे को किस करने लग गए. अब मैं आंटी के बोबे को हाथों से मसलने लग गया, एक हाथ से आंटी के बोबे को दबाता तो दूसरे बोबे को मुंह में लेकर चूसता. मैं ऐसे बारी-बारी करने लग गया और आंटी भी जोर जोर से सिसकारियां लेने लेने लग गई।

अब मैंने मेरे एक हाथ से आंटी की चूत को सहलाना शुरू कर दिया. आंटी की चूत पानी पानी हो गई थी. अब मैं आंटी की चूत को चाटने लग गया. वो मेरे बालों में हाथ डाल कर अपनी चूत पर जोर जोर से दबाने लग गई और जोर जोर से आह उहउह की सिसकारियां लेने हुए झड़ गई.
मैंने उनकी चूत को चाट चाट के साफ़ कर दिया।

फिर आंटी भी मेरे लन्ड को मुंह में लेकर चाटने लग गई. वो पोर्न वीडियो की तरह मेरे लन्ड को चाट रही थी, कभी मेरे लन्ड के टॉप पर जीभ चलाती तो कभी पूरे लन्ड को मुंह में ले लेती. आंटी जब मेरा लन्ड चाट रही थीं तब मैं तो जन्नत में ही चला गया था.

थोड़ी ही देर में आंटी के मुंह में ही मेरा वीर्य छोड़ दिया ओर आंटी ने चाट चाट के मेरे लन्ड को साफ़ कर दिया।

फिर हम दोनों ने दोबारा किस करना शुरू कर दिया. अब मैं आंटी के एक बोबे को हाथ से मसलने लगा और दूसरे बोबे को मुंह में लेकर चूसने लग गया.
तभी आंटी बोलने लग गई- अब और नहीं सहन होता. जल्दी से चोद दे!

फिर मैंने आंटी की चूत पर थोड़ा तेल लगाया और थोड़ा तेल मेरे लन्ड पर लगा कर आंटी की चूत में डालने लगा। लेकिन आंटी ने बहुत दिनों से सेक्स नहीं किया था, इस कारण उनकी चूत टाइट थी.
तो मैंने एक हाथ से लन्ड को टाइट पकड़ के जोर से धक्का लगा दिया. मेरे लन्ड का टोपा आंटी की चूत में चला गया और वो जोर जोर से चिल्लाने लग गई उम्म्ह … अहह … हय … ओह … और वो लन्ड बाहर निकालने के लिए बोलने लग गई.

मैंने आंटी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और थोड़ी देर तक किस करने लग गया. जब आंटी नॉर्मल हुई तो वो अपनी गान्ड को आगे पीछे करने लग गई।

फिर मैंने धीरे धीरे धके लगाने चालू किए. फिर एकदम से एक जोर का धक्का लगाया जिससे मेरा लन्ड आंटी की चूत में जड़ तक चला गया और आंटी की आंखों में से आंसू आने लग गए. फिर मैं थोड़ी देर रुका और आंटी को किस करने लगा.

जब वो नॉर्मल हुई तो मैं उन्हें धीरे धीरे चोदने लगा. इसी बीच आंटी जोर जोर की सिसकारियों के साथ एक बार झड़ गई. अब आंटी के झड़ने के कारण चूत में से पच पच की आवाजें आने लग गई जो पूरे कमरे में गूंज रही थी.

और अब मैंने भी धक्कों की स्पीड तेज कर दी जिससे अब मेरा लन्ड सीधा आंटी की बच्चेदानी को ठोकर मार रहा था जिससे आंटी को और मज़ा आने लग गया.
अब मेरा होने वाला था तो मैंने आंटी से पूछा- कहाँ डालूँ अपना रस?
तो वो बोली- मेरी चूत में ही डाल दो, बहुत दिनों से प्यासी है यह!
फिर कुछ मिनट की धकापेल चुदाई के साथ मैं और आंटी दोनों एक साथ ही झड़ गए.

फिर थोड़ी देर मैं आंटी के ऊपर ही लेटा रहा।

मैं आंटी को किस करते हुए साइड में लेट गया और आंटी से बात करने लगा.
फिर मैंने उनको उनकी ननद की चुदाई के लिए बोला तो वो बोली- मैं उससे बात करूंगी.

इतने में ही मेरी नजर गेट पर पड़ी। गेट पर उसकी ननद खड़ी हमें देख रही थी और अपने बोबे दबा रहा थी.

मैंने उनकी ननद को अनदेखा कर दिया और आंटी को ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा. पूरे कमरे में फ़च फ़च की आवाज़ गूँज रही थी. आंटी कराह रही थीं, जब मैं आंटी को चोद रहा था.

आंटी अपनी टांगें खोल कर बोलीं- आह मजा आ रहा है … और चोदो और ज़ोर से चोदो!

जब मेरा वीर्य निकलने वाला हुआ, तो उसी टाइम आंटी ने भी अपना पानी छोड़ दिया. मेरा सारा वीर्य उनकी चुत में ही निकल गया.

अब आंटी को डर लगा कि कहीं वो पेट से ना हो जाएं, तो उन्होंने अगले दिन अपने पति से भी चुदवा लिया था और आंटी प्रेगनेंट हो गईं.
मेरी चुदाई से उनको एक बेटा हुआ, जो बाद में उन्होंने मुझे बताया कि ये मेरा ही बच्चा है. बच्चा पेट में आ जाने के बाद आंटी वहां से चली गई थीं.

खैर वो बाद का किस्सा है, उसे फिर कभी सुनाऊंगा.

अभी तो आंटी ने पहले तो अपनी गांड को पूरे मजे लेकर मस्त तरीके से चुदवाया. फिर जब मैंने उनको बताया कि आपकी ननद भी चुदासी है.
उन्होंने मुझसे पूछा- तुमको कैसे मालूम है?

मैंने उस खिड़की की तरफ आंटी का चेहरा कर दिया, जिधर खड़ी होकर अपने मम्मे मसल रही थी.
आंटी एक पल के लिए तो सकपका गईं, फिर उन्होंने अपनी ननद को कमरे में आने को कहा, वो गर्म लौंडिया कमरे में आ गई.

फिर हम दोनों ने मिल कर आंटी की ननद को सेक्स का मज़ा चखाया. चूंकि उनकी ननद अभी सील पैक माल थी, इसलिए आंटी को लगा कि इसकी चूत की ओपनिंग जरूरी है, वरना ये उनकी बदनामी कर सकती थी.

मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया और उसको चूमने लगा. कुछ ही देर में आंटी ने उसको पूरा नंगी कर दिया. मैंने उसे अपने लंड के नीचे ले लिया.

जैसा कि मैंने लिखा कि उसका ये पहली बार का सेक्स था, तो जैसे ही मैंने लंड पेला, वो बहुत जोर से चिल्लाने लगी थी. आंटी ने उसके मुँह को दबा लिया और मुझे फुल स्पीड से चुदाई करने के लिए कह दिया. कुछ ही देर में उनकी ननद की सील टूट गई और वो भी चुदाई का मजा लेने लगी.

मैंने दो ही दिन में उसकी गांड से लेकर चूत और मुँह सभी छेदों को चोद दिया.

अब हम तीनों मस्ती से चुदाई का मजा ले रहे थे.

पांच दिन बाद मुझे जानकारी हुई कि मम्मी को अभी दो तीन दिन और लगेंगे. बस मस्ती की ये घड़ियां मुझे और कुछ दिन के लिए मिल गई थीं.

आंटी मेरी रखैल जैसी बन गई थीं, उनके साथ मैंने हर तरह की चुदाई के मजे लिए.






चन्दा भाभी का दूध
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मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 25 साल है, घर पर सब मुझे रोहित कह कर बुलाते हैं।

मैं बचपन से ही चोदू किस्म का इन्सान हूँ, गर्म लड़कियाँ और औरतें मेरी कमजोरी हैं। मेरा लण्ड 7 इँच लम्बा और 3 इंच मोटा है, जिसकी प्यास बुझती ही नहीं !

यह मेरी पहली कहानी है, जिसे मैं आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ, मेरा पहला अनुभव आपके सामने हाजिर है ।

बात उस समय की है जब मैं नया नया लखनऊ आया था, मैं मूलत: हरदोई का रहने वाला हूँ, जब मैं लखनऊ आया तो मैंने कटरा, हुसैनगँज में कमरा लिया।

जिस घर में मैं रहता था उसी घर में एक और परिवार रहता था, जिसमें पति पत्नी और उनके 2 बच्चे थे, पति बैंक में चपरासी थे और एक लड़का जो लगभग 2 साल का और लड़की 8 महीने की थी।

उन बच्चों की मम्मी जिनका नाम चन्दा था, मैं उन्हें भाभी कहता था, भाभी की उम्र लगभग 28 साल होगी और उनके पति की उम्र लगभग 36 साल होगी।

वो मुझसे किसी ना किसी बहाने बाते करने की कोशिश किया करती थी।

उन्हें देख कर ऐसा लगता था कि वो जवानी की आग में जल रही हैं और वो आग उनके पतिदेव बुझा नहीं पा रहे हैं, पर एक पतिव्रता नारी होने के कारण वो किसी और से अपने इस दर्द को कह नहीं पा रही हों, पर मैं उनके इस दर्द को महसूस कर रहा था।

मैं अकेला रहता था तो शाम के समय वो मुझे चाय देने आया करती थी और इस तरह से मैं किसी ना किसी बहाने उनके कमरे में भी जाया करता था।

धीरे धीरे उनसे मेरी अच्छी दोस्ती हो गई। मैं भाभी से वो सारी बातें कर लिया करता था जो एक पति पत्नी के बीच होती हैं।

उनके पति बैंक से शाम को देर से आते थे, मेरे पास दिन में पूरा समय होता था भाभी से अकेले में बातें करने का और उनकी तारीफ़ करने का।

वो बहुत सेक्सी लगती थी, वो हमेशा साड़ी पहना करती थी और चोली कट ब्लाउज में क्या लगती थी !

एक दिन भाभी ने लाल रँग की साड़ी और काले रँग का ब्लाउज पहना और मुझे आवाज लगाई।

उनकी आवाज सुन कर मैं तुरन्त उनके पास पहुँच गया।

भाभी बोली- रोहित, मेरा पँखा खराब हो गया है जरा इसे देख लो।

मैंने उनसे स्टूल माँगा और उसे पकड़ने को कहा।

उनकी साड़ी का पल्लू नीचे लटक रहा था और उनकी चूचियाँ उभरी हुई साफ़ दिखाई दे रही थी। मैं उन्हें घूरे जा रहा था पर वो उसे अनदेखा कर रही थी और मुझे देख कर मुस्करा रही थी।

उस दिन मैं पंखा ठीक करके चला आया।

फिर दूसरे दिन दोपहर में मैं टी वी देखने के बहाने उनके कमरे के पास जाकर दरवाजा खोला तो वो अपनी बच्ची को अपनी चूची से दूध पिला रही थी।

श्रुति उनकी बच्ची का नाम था, मैंने मजाक में कहा- भाभी, श्रुति को दूध पिला रही हो?

तो वो हंसते हुए अनजाने में बोल गई- तुम्हें भी पीना है क्या?

मैंने कहा- मेरे भाग्य में यह कहाँ है?

वो बोली- रुको, अभी तुमको मैं भाग्यशाली बनाती हूँ।

थोड़ी देर में श्रुति दूध पीते पीते सो गई, भाभी ने उसे पलंग पे लेटा दिया।

और सोफ़े में मेरे पास उसी हालत में आकर बैठ गई, मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि आज मुझे उनकी गोल गोल दूध से भरी चूचियाँ पीने को मिलेंगी।

फिर उन्होंने मेरा सिर अपने हाथों से पकड़ कर अपनी चूचियों की ओर झुकाया और उन्हें चूसने को कहा। मैं भी उनकी चूचियाँ मुँह में भर कर पीने लगा, अभी भी मीठा मीठा दूध निकल रहा था।

काफ़ी देर तक मैंने उनकी चूचियाँ पी, फिर उन्होंने मुझसे खड़े होने को कहा, मैं खड़ा हो गया। उन्होंने मेरे सारे कपड़े उतार दिये और मुझे पूरा नंगा कर दिया और अपने हाथ से मेरे लण्ड को सहलाने लगी और अचानक उसे मुँह में लेकर चूसने लगी।

काफ़ी देर तक वो मेरे लण्ड को चूसती रही, मुझे बहुत मजा आ रहा था।

तभी वो थोड़ा रुकी और अपने भी सारे कपड़े उतार दिये पर अपनी ब्रा और पैन्टी नहीं उतारी, बोली- रोहित, जानू सब कुछ मैं ही उतार दूँगी तो तू क्या करेगा।

वो काले रंग की ब्रा और पैन्टी पहने हुये थी, क्या सेक्सी माल लग रही थी।

चंदा भाभी ने अपने होठों को मेरे होठों में रख दिया और चूसने लगी। वो जिस तरह से मेरे होठों को चूस रही थी, लग रहा था कि जन्मों की प्यासी थी वो।

फिर मैंने उन्हे नँगी किया उनकी ब्रा और पैन्टी को उतार दिया और उनकी चूचियोँ को हाथो से सहलाने लगा और थोड़ी देर बाद हम 69 अवस्था में लेट गये।

मैं उनकी चूत चाटने लगा और वो मेरे लण्ड को जोर जोर से चूस रही थी, हम दोनों इस तरीके से काफ़ी देर तक करते रहे।

भाभी बोली- जानते हो रोहित, मेरी शादी को सात साल हो गये पर मुझे तेरे भैया के लण्ड में इतना कड़कपन नहीं दिखा, तेरा तो बहुत सख्त है और मोटा भी, मेरे पति से मुझे बच्चे मिले पर सन्तुष्टि नहीं, पर लगता है कि आज मेरी प्यास बुझ जायेगी !

15 से 20 मिनट तक लगातार चूसने के बाद मैं भाभी के मुँह में ही झड़ गया, मेरे वीर्य को भाभी ने पूरा पी लिया और उनकी भी चूत से पानी निकल रहा था जिसे मैंने पिया।

और फिर मैंने उन्हें सीधा किया और अपने लण्ड को उनकी चूत पर रखा और धीरे से अन्दर की ओर धकेला। मेरा लण्ड लगभग 4 इँच चूत में घुस चुका था, उनके मुखसे उफ़्फ़ और सीसी की आवाजें निकल रही थी।

मेरा भी जोश परवान चढ़ रहा था, मैंने भी मौके की नजाकत को समझा, एक जोर का धक्का लगाया और 7 इंच के लण्ड को पूरा पूरा अन्दर घुसेड़ दिया।

भाभी ने भी मेरा साथ दिया और जोर जोर से अपने चूतड़ हिलाने लगी और तेज तेज चोदने को कहने लगी।

मैं भी तेजी से धक्के लगाने लगा।

चन्दा भाभी बोली- ओह ! आह ! नहीं ! मैं तो मेरे पति से चुदवाती हूँ पर उनका इतना बड़ा और मोटा नहीं है।

अब उसे भी मजा आने लगा था तो मैंने अपने गति बढ़ा दी।

फ़िर से चन्दा भाभी आहें भरने लगी और सिसकारियाँ तेज़ होने लगी, वो बोल रही थी- ओ रोहित कमीने… ऊऊह्ह्ह… आअ… ह्ह्ह… अहहहः… स्स्स्स्स… मादरचोद… चोद दे मुझे !

और गालियाँ सुनते ही मैं पूरे जोश में आ गया और जोर जोर से चोदने लगा। अब मैं भी चालू हो गया, मैं बोला- ले मेरी रण्डी… ले मेरा लवड़ा खा जा… ले और जोर से ले… ले तेरी माँ की चूत…

और मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी, पूरे कमरे में सिर्फ गालियों की और फक फक फक और फच फच की आवाजें आ रही थी।

चन्दा भाभी ने अपने दोनों टांगों से मुझे कस कर पकड़ रखा था और भाभी पूरे जोश में थी, बोल रही थी- बहिनचोद और जोर से चोद मुझे… फाड़ दे मेरी चूत को… आआअ… स्स्स अहः… अहहः… ओह होह….. ले… ले माँ के लवडे… भोसड़ा बना दे मेरी चूत को… आज से चन्दा की चूत तुम्हारी है… जब चाहे इसे चोदना तू !

अब भाभी चरमसीमा पर थी, वो अपने चूतड़ जोर जोर से हिला रही थी, चन्दा भाभी बोली- रोहित, पूरी ताकत से चोद मुझे ! मैं आने वाली हूँ !

मैं भी पूरी तेजी से उसे चोदे जा रहा था। भाभी का शरीर अब अकड़ने लगा था, उसने मुझे कस कर पकड़ा और ह्ह्ह्हह…. अहहः …….ह्ह्ह…. अह्हह…. स्सस्सस करते हुए वो झड़ गई।

पर मैं अब तक नहीं झड़ा था, अब मैं कहाँ रुकने वाला था, मैं शॉट पे शॉट मारता गया और लगभग दस मिनट के बाद मैं झड़ने वाला था तो चन्दा भाभी से कहा- मैं आ रहा हूँ, मैं अपना लण्ड बाहर निकाल लूँ?

तो भाभी बोली- नहीं पूरा माल अंदर ही डाल दे !
फ़िर क्या था, मैंने ऐसे जोर के धक्के लगाये कि भाभी भी चरमरा उठी और उसकी चूत मैंने अपने वीर्य से भर दी। फ़िर थोड़ी देर तक मैं उस पर ही लेटा रहा।

बाद में मैंने पूछा- भाभी, आपने मेरा माल अन्दर डलवा लिया? कुछ हो गया तो?

तो भाभी ने बताया- डरो मत मेरा वाच्चा नही होगा मैं माला डी लेती हूँ।
मे वहुत खुश हुआ ।










मेरी सगी मॉम के साथ सेक्स
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दोस्तो, मेरा नाम रोशन है, मैं 21 साल का हो गया हूँ. आज मैं अपने घर की सच्ची कहानी बताने जा रहा हूं.

मेरे घर में मेरी मॉम मीना देवी, मेरी 23 साल की सुमन दीदी, छोटी बहन 19 साल की चांदनी है और पापा हैं, जो अक्सर बिजनेस के सिलसिले में बाहर रहते हैं.

एक दिन की बात है. रात लगभग 12:30 बजे मेरी नींद खुली. मैं पानी पीने के लिए रसोई की ओर गया गया, तो देखा मॉम के कमरे में लाइट जल रही थी. जब मैंने खिड़की से झांक कर देखा, तो अन्दर का नजारा देखकर मैं दंग रह गया.

मॉम ने अपनी नाइटी को कमर तक उठा रखी थी और अपने और अपने एक हाथ से अपनी चूत को सहला रही थीं. वे अपने दूसरे हाथ से मम्मों को दबा रही थीं.

ये नजारा देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं अपने लंड को सहलाने लगा. मैं समझ गया कि पापा को बाहर गए हुए 2 महीना से अधिक हो गए हैं, इसलिए मॉम का यह हाल है.

लंड सहलाते सहलाते मैं यह भूल गया कि मैं मॉम के कमरे के बाहर खड़ा हूं और वो कभी भी मुझे देख सकती हैं. मैंने खिड़की के बाहर लंड का पानी निकाल दिया. झड़ने के बाद मुझे होश आया, तो मैंने देखा मॉम खिड़की से मुझे देख रही थीं. हम दोनों की नजरें मिलीं, फिर मैं वहां से भाग कर अपने रूम में चला गया.

पहले तो मुझे डर लग रहा था; लेकिन फिर दिमाग में आया कि अगर मॉम ने मुझसे कुछ पूछा, तो मैं भी बोल दूंगा कि आप क्या कर रही थीं.
यही सोचते-सोचते मुझे नींद आ गई.

जब मैं सुबह उठा और अपने कमरे से बाहर आया, तो मॉम रसोई में खाना बना रही थीं. सुमन दीदी मॉम के काम में साथ दे रही थीं और चांदनी अपने रूम में पढ़ाई कर रही थी.

मॉम ने मेरी तरफ देखा और हल्की सी मुस्कान दी. आज मॉम मुझे कुछ ज्यादा ही सेक्सी लग रही थीं. मैं रसोई में पानी लेने के लिए गया और दीदी से नजर बचाकर मॉम की कमर पर मैंने एक च्यूंटी काट ली.

मॉम ने कुछ नहीं कहा.

मैं समझ गया कि अगर मैं मॉम को कुछ करूं, तो वह गुस्सा नहीं होगीं, भले ही वह करने नहीं दें.

फिर मैं अपने रोज का काम में लग गया. थोड़ी देर बाद दीदी कॉलेज चली गईं और चांदनी ने भी अपने कॉलेज चली गई. आज मैं घर पर ही रुक गया.

मॉम घर का काम खत्म खत्म करके नहाने चली गईं, बाथरूम से निकल कर जब वो अपने रूम में जा रही थीं, तो मैं भी पीछे पीछे उनके रूम में चला गया.
मैंने मॉम को पीछे से पकड़ लिया. उस समय मॉम ने साड़ी पहनी हुई थी और मेरा हाथ मॉम की नंगी कमर पर था.

इससे पहले कि मॉम कुछ बोलतीं, मैं अपना हाथ उनके मम्मों की ओर बढ़ाने लगा.
मॉम ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलीं- क्या कर रहे हो … यह गलत है.

लेकिन वे मुझे छूटने की कोशिश नहीं कर रही थीं जिससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई, मैंने कहा- मॉम इसमें गलत क्या है? मैं तो इससे बचपन में पहले भी खेल चुका हूं.
मॉम ने कहा- बेटा वो बचपन की बातें थीं, अब तुम बड़े हो गए हो.
मैंने कहा- तो क्या हुआ … हूँ तो मैं तुम्हारा ही बेटा ना.

मेरा हाथ अभी भी मॉम की चूची पर जमा हुआ था और मैं उसे दबा भी रहा था.
इससे मॉम की अन्दर की आग धधक उठी थी. मॉम थोड़ी देर चुप रहीं, फिर बोलीं- मुझे भूख लगी है, चलो पहले चलो खाना खाते हैं.
मैं समझ गया कि मॉम को सोचने के लिए थोड़ा सा वक्त चाहिए. लेकिन मुझे यकीन था कि अगर मॉम मना भी करेंगी, तब मैं उन्हें मना लूंगा.

फिर हम दोनों खाना खाने चले गए. खाना खाने के बाद मॉम अपने रूम में गईं और मैं भी पीछे पीछे उनके रूम में आ गया.
मैंने पूछा- तो मॉम, क्या सोचा है?
तो मॉम ने हल्की सी मुस्कान दी और बोलीं- तो तुम मानोगे नहीं.

मैंने ना में सर हिलाया, तो मॉम ने कहा कर लो बेटा, जो करना है, लेकिन आज भर ही बस … ये सब रोज रोज नहीं होगा.

मॉम का उत्तर सुनते ही मैंने मॉम को जकड़ लिया और उनके होंठों पर जोर से किस करने लगा. मॉम भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं. मेरा एक हाथ मॉम की चूची पर था और दूसरा हाथ उनकी कमर को सहला रहा था.

दस मिनट बाद हम दोनों की चूमाचाटी खत्म हो गई. मैंने मॉम को बेड पर लिटा दिया और गर्दन को चूमते हुए उनकी भरी हुई चूचियों पर आ गया. मैं ब्लाउज के ऊपर से ही उनकी चूची को काटने लगा. मॉम की आंखें बंद थीं और होंठ थोड़े से खुले हुए थे. वह मस्ती में पूरा मजा ले रही थीं.

मॉम के ब्लाउज के बटन मैंने खोल दिए. उन्होंने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थीं. उनकी पहाड़ जैसी बड़ी बड़ी चूचियां मेरे सामने नंगी थीं, जिन्हें देखकर मैं पागल हो रहा था.
मैंने कहा- आपकी चूचियां तो बहुत बड़ी और भारी हैं … इसे कैसे छोटे पिंजरे में बंद करके रखती हो.
मॉम- क्या करूं बेटा … अगर इनको खुला छोड़ दूँ, तो सारा मोहल्ले के लौंडे इनका दूध पीने चले आएंगे.
उनकी इस बात पर हम दोनों हंसने लगे.

फिर मैं मॉम की चुचियों को ऐसे चूसने लगा जैसे कोई छोटा बच्चा दूध पीता है. कभी एक चूची को पीता, तो दूसरी को मसलता और जब दूसरी को पीता, तो पहली को खींचता.
मॉम मेरे सर पर हाथ फेर रही थीं और अपने चूची की ओर मेरे सर को दबा रही थीं. मॉम बोल रही थीं- आह पी जा मेरा सारा का सारा दूध … आह पी जा.

मैं भी जोश में आकर जोर जोर से उनकी चूचियों को चूस रहा था. अब मैं अपना एक हाथ नीचे ले गया और उनकी साड़ी को कमर तक उठा दिया.
मैंने देखा कि मॉम ने तो आज पेंटी भी नहीं पहनी थी.

मैंने पूछा- मॉम आप पेंटी नहीं पहनती हो?
तो मॉम बोलीं- मैं उसी वक्त समझ गई थी कि यह सब होने वाला है, जब तुम बहाना करके कॉलेज नहीं गए थे.
मैंने कहा- तो आप शुरू में मना क्यों कर रही थीं.
उन्होंने जवाब दिया- बेटा एक औरत को मनाने के लिए तुम्हें थोड़ी तो मेहनत करनी ही पड़ेगी, भले हो वो तुम्हारी मॉम ही क्यों ना हो.

मॉम की चूत पर बड़े बड़े बाल थे. मैंने कहा- मॉम आप अपनी बुर को साफ नहीं करती हो क्या?
तो मॉम ने कहा- हां करती हूं, पर अभी कुछ दिनों से नहीं की है.
मैंने कहा- मॉम मैं साफ कर दूँ?
मॉम बोलीं- बेटा आज ऐसे ही कर ले, बुर साफ करने लगेगा … तो देरी होगी और सुमन, चांदनी आ जाएंगी.

फिर मैं अपने काम में लग गया. मैं मॉम की चूची को चूसने लगा और हाथ से उनकी बुर को सहलाने लगा.

मॉम की कामुक सिसकारियां निकलने लगी थीं. मॉम अपनी आंखें बंद किए हुए पड़ी थीं और ‘आह आह …’ कर रही थीं.

थोड़ी देर बाद मैं थोड़ा रुक गया.
मॉम बोलीं- क्या हुआ बेटा … रुक क्यों गया?
मैंने कहा- मॉम … अब तुम नंगी हो ही गई हो … तो शरीर पर पड़े बेकार के कपड़ों को पूरी तरह से हटा दो.

मॉम ने उठकर अपने सारे कपड़े हटा दिए और बिल्कुल नंगी होकर बेड पर लेट गईं.

उन्हें नंगी अवस्था में देख कर मुझे ऐसा लग रहा था मानो कोई जन्नत की परी मेरे सामने लेटी हो.

फिर मैं उनके दोनों टांगों के बीच में आ गया और उनकी चुत को पीने लगा.
मॉम बोलीं- बेटा, सारा मजा तुम ही करोगे कि मुझे भी कुछ करने दोगे.
मैंने कहा- मैंने कब मना किया है.

ये सुनकर मॉम उठ कर बैठ गईं और मुझे अपने पास बुलाया. मैं उनके पास गया, तो उन्होंने मेरे सारे कपड़े खोल कर मुझे नंगा कर दिया. मेरा मोटा लंबा लंड मॉम के सामने खड़ा था.

मॉम ने पहले मेरे लंड को हिलाया, फिर उसे मुँह में लेकर ऐसे चूसने लगीं, जैसे कोई लॉलीपॉप हो.

लंड चूसने के मजे से मेरे आनन्द का कोई ठिकाना नहीं था. मैं जन्नत की सैर कर रहा था. फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए. अब मॉम मेरे लंड को चूस रही थीं और मैं मॉम की बुर को जीभ से चाट रहा था.

थोड़ी देर की चुसाई चटाई के बाद हम दोनों झड़ने वाले थे. पहले मैंने मॉम के मुँह में अपना सारा रस निकाल दिया. मॉम सारा का सारा वीर्य की गईं. फिर मॉम ने भी अपना अमृत रस छोड़ दिया. जिसे मैंने भी बेकार नहीं जाने दिया.

हम दोनों थोड़ी देर के लिए शांत हो गए. फिर मैं उठकर मॉम की बुर को चाटने लगा. जीभ उनकी बुर के अन्दर करने लगा, दाने को काटने लगा. मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था और मॉम भी जोश में आ गई थीं.

वह मेरे सर पकड़ कर अपनी प्यासी बुर में दबा रही थीं और बोल रही थीं- खा जा इसे …
मैं भी जोश में आकर जोर जोर से चुत चाट रहा था. थोड़ी देर बाद मॉम बोलीं- बेटा, अब नहीं रहा जा रहा है … अब तू मुझे चोद डाल दे … अपना लंड मॉम की चुत में पेल दे … और ना तड़पा.
मैं रुक गया और बोला- मॉम पहले एक वादा करो, तुम रोज़ मुझसे चुदवाओगी.

मैं जानता था कि मॉम इस वक्त किसी चीज के लिए मना नहीं करेंगी.
मॉम ने कहा- हां बेटा मैं तुझसे ही चुदवाऊंगी … जब तुम्हारे पापा नहीं रहेंगे, तो मैं तुम्हारी रंडी बनकर रहूंगी. तुम रोज चोदना मुझे.

मैंने मॉम की दोनों टांगों को फैलाकर उनके बीच में आ गया और लंड को उनकी बुर पर सैट कर दिया. फिर एक जोरदार झटका मार दिया, जिससे मेरा आधा लंड मॉम की बुर में चला गया.
मॉम मचल उठीं और उनकी हल्की सी चीख निकल गई उम्म्ह… अहह… हय… याह…

मैंने कहा- मॉम तुम तो इतनी बार चुदवा चुकी हो … फिर तुम्हें क्यों दर्द हो रहा है?
मॉम बोलीं- अभी दो-तीन महीने से नहीं चुदवाई हूं ना … इसलिए.

फिर मैंने दूसरा झटका दिया और मेरा पूरा लंड मॉम की बुर में चला गया.

दोस्तो, यह मेरी पहली चुदाई थी. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि पहली बार में ही मैं अपनी मॉम को चोद दूंगा.

अब मैं तुझे झटके मारने लगा और मॉम भी नीचे से कमर हिला हिला कर मेरा पूरा साथ दे रही थीं. वे सेक्सी सिसकारियां ले रही थीं और धीमी आवाज में बोल रही थीं- चोद दे मादरचोद … अपनी मॉम को चोद दे … और जोर से चोद … साले रंडी बना कर चोद … आह अपनी मॉम की चूत को फाड़ दे … आह मेरी चूत को बना दे भोसड़ा.

मैं भी उन्हें मजे में चोद रहा था और बोल रहा था- हां मॉम … मेरी रंडी
मेरी रंडी मॉम … मैं तुम्हें इसी तरह रोज चोदूंगा, तुझे अपनी रंडी बनाकर रखूंगा.

थोड़ी देर बाद मैं थक गया और मॉम को भी पता लग गया, तो मॉम ने मुझे रुकने का इशारा किया.
फिर मैं नीचे बेड पर लेट गया और मॉम मेरे ऊपर आ गईं, मॉम ने लंड को अपनी बुर में सैट किया और उस पर बैठकर चुदवाने लगीं.

मॉम मेरे लंड पर ऐसे कूद रही थीं, जैसे वह घोड़े की सवारी कर रही हों. इस घुड़सवारी से मुझे मॉम को घोड़ी बना कर चोदने का ख्याल आया. मैंने मॉम को रुकने के लिए कहा और उन्हें घोड़ी बना दिया. मैं उनके पीछे जाकर लंड को बुर में पेल कर चोदने लगा.

दस मिनट बाद मॉम का बदन अकड़ने लगा था. वह बोल रही थीं- आह और जोर से चोदो बेटा … और जोर से चोदो.
थोड़ी देर बाद मॉम ने अपना पानी छोड़ दिया. उनका शरीर ढीला पड़ गया और वो बेड पर लेट गईं.

मैंने मॉम को सीधा करके अपना काम जारी रखा. अब मेरा भी पानी निकलने वाला था, मैंने मॉम से बोला- रस कहां निकालूं?
तो मॉम ने कहा- बेटा अन्दर ही अपना पानी निकाल दो, डारो मत कुछ नही होगा ।

थोड़ी देर बाद मैंने अपना सारा पानी मॉम की चुत में निकाल दिया. हम दोनों थोड़ी थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहे.
फिर मैं बोला- मॉम एक बार और हो जाए.
मॉम हंस कर झिड़की देकर बोलीं- पागल हो गए हो क्या … इतनी चुत चुदाई करने के बाद तुम्हारा मन नहीं भरा.
मैंने प्लीज़ बोला, तो मॉम बोलीं- बेटा तुम्हारी बहनों के आने का समय हो गया है … और मैं कौन सी भागी जा रही हूँ जब समय मिले, चोद लेना मुझे.

मैं मॉम की बात मान गया.

रात को मैंने मॉम के कमरे में जाकर उनकी चूत बजाई.।
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