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Adultery Hindi my best stories
#1
Heart 
welcome


भाभी का दर्द चूत चोदकर मिटाया






यह देसी फुद्दी की चुदाई कहानी मेरी चचेरी भाभी की चुदाई की है. एक दिन भाभी और मैं घर में अकेले थे. भाभी ने मुझे उनके पैर दबाने को कहा तो …

दोस्तो, मेरा नाम सनी है और मैं रायपुर (छत्तीसगढ़) का रहने वाला हूं। मैं अपने बारे में थोड़ा आप लोगों बता देता हूं. मैं दिखने में ठीक ठाक हूं और मैं अभी कॉलेज में पढ़ाई कर रहा हूं.


मुझे सेक्स कहानियां पढ़ना बहुत पसन्द हैं। मेरे साथ भी ऐसी ही कुछ घटना हुई थी तो मैंने सोचा कि उसे आप लोगों को अपनी कहानी के माध्यम से बताऊं.
वही वाकया मैं आपके साथ साझा करने जा रहा हूं.

यह देसी फुद्दी की चुदाई कहानी सत्य घटना पर है जो कि मेरे और मेरी भाभी के बीच हुई थी.

ज्यादा पुरानी बात नहीं है. 6-7 महीने पहले की घटना है.

आगे बढ़ने से पहले मैं आपको भाभी के बारे में थोड़ा बता देता हूं।
उनका नाम रीना है और उम्र 25 साल है. रंग की थोड़ी सांवली है मगर फिगर ऐसा कि किसी भी हालत खराब कर सकता है. गोल गोल चूचियां और बाहर की ओर उठी हुई गांड. चलते हुए जब भाभी के दोनों कूल्हे आपस में रगड़ खाते हैं तो अच्छे अच्छे लंड आहें भरने लगते हैं.

बात तब की है जब मैं रायपुर से गांव गया था बड़े पापा के यहाँ। उनके घर में बड़े पापा, बड़ी मम्मी और भैया-भाभी और उनके 2 बच्चे रहते हैं.

उनकी ननद यानि कि मेरी छोटी बहन पढ़ाई करने के लिए घर से बाहर शहर में रहती है।

घर गया तो भैया और भाभी घर में थे; बड़े पापा और बड़ी मम्मी कहीं काम से बाहर गए हुए थे और उनके बच्चे स्कूल गए हुए थे।

मैं रीना भाभी को बहुत पहले से ही चोदना चाहता था. बहुत बार मैंने भाभी के नाम की मुठ भी मारी हुई थी।
मुझे कभी मुझे ऐसा मौका नहीं मिला था कि मैं भाभी को चुदाई के लिए मना सकूं।

उनकी मेरे साथ अच्छी बनती थी. वो मेरे से बहुत घुल मिल गयी थी. हम दोनों के बीच बहुत मस्ती मजाक होता रहता था। वो मुझसे हमेशा ही खुश रहती थी. मैं भी जैसे भाभी की हंसी का दीवाना था.

फिर वो दिन आ ही गया जिस दिन मैंने भाभी को जमकर चोदा।

उस दिन बड़े पापा और बड़ी मम्मी को किसी जरूरी काम से शहर जाना था।
संयोग से उसी दिन भैया को एक रिश्तेदार के यहां जाना पड़ा.

कहने मतलब कि उस दिन घर में केवल मैं और भाभी ही रहने वाले थे.
मेरे मन में पहले से ही गुदगुदी हो रही थी ये सोचकर कि भाभी पूरा दिन घर में अकेली रहेगी. मैं भाभी की चुदाई के सपने देखने लगा था.

फिर उस दिन दोपहर में स्कूल से आने के बाद उनका बेटा अपने दादा-दादी के साथ चला गया.
उनकी बेटी हमारे साथ ही रह गयी. वो अभी बहुत छोटी थी. उसको दुनियादारी की फिक्र नहीं थी.

तो फिर सबके जाने के बाद घर में मैं, रीना भाभी और उनकी छोटी बेटी ही बच गये थे.

दिन बड़ी मुश्किल से गुजरा और किसी तरह शाम हुई. फिर हमने रात का खाना खाया और रीना भाभी बच्ची को सुलाने के लिए अपने रूम में ले गयी.

अभी रात के 8 ही बजे थे और भाभी सारा काम खत्म करने के बाद टीवी सीरियल जरूर देखा करती थी.
मैं भी टीवी देख रहा था. बच्ची को सुलाने के बाद भाभी भी टीवी देखने आई.

मुझे वो थोड़ी थकी थकी लगी तो मैंने उनसे पूछ ही लिया.
मैं- क्या हुआ भाभी? आप कुछ ठीक नहीं लग रही हो? तबियत तो ठीक है न आपकी?

भाभी- क्या बताऊँ सनी … बहुत थकान हो रही है. घर का काम करते करते बहुत थक जाती हूं. कल से तबियत भी कुछ ज्यादा अच्छी नहीं है.
मैं- तो भईया को बताया क्यों नहीं?

वो बोली- अरे नहीं, वो पहले ही अपने काम में इतना व्यस्त रहते हैं. वैसे मुझे ज्यादा दिक्कत नहीं है लेकिन आज थकान ज्यादा हो रही है.
मैं- भाभी आप दवाई खाकर सो जाओ या आप अच्छे से पैर में मालिश करके सो जाओ, इससे आपको आराम मिलेगा।

भाभी- सनी तुम मेरी एक बात मानोगे?
मैं- हां भाभी, बोलो!
भाभी- क्या तुम मेरी मालिश कर दोगे?

यह बात सुनकर तो मैं अंदर ही अंदर बहुत खुश हो गया. मन कर रहा था कि अभी उन पर टूट पड़ूं.
मगर मैंने कंट्रोल रखा. मैं बोला- हां भाभी, इसमें इतना पूछने की क्या बात है?

भाभी- ठीक है, तो फिर तुम्हारे ही रूम में चलो. मेरे रूम में तो गुड़िया सो रही है. अगर आवाज से उठ गयी तो फिर और मुसीबत हो जायेगी.
मैं बोला- ठीक है. तो फिर मेरे रूम में आ जाओ आप.

इतना बोलकर भाभी उठी और हम मेरे रूम में जाने लगे.
वो बोली- ठीक है सनी, तुम चलो. मैं मालिश वाला तेल लेकर आती हूं.
जल्दी ही वो अपने रूम से तेल लेकर आ गयी.

मैंने भाभी को बेड पर लेटने को कहा.
भाभी बेड पर पेट के बल लेट गयी।

भाभी ने साड़ी पहनी थी तो मैंने उनको साड़ी पैरों पर ऊपर करने को कहा.
मेरे कहने पर उन्होंने साड़ी को घुटनों तक उठा लिया.

भाभी की चिकनी पिंडलियां मेरे सामने थीं.
मैं उनके पास बैठ गया और पैरों की मसाज करने लगा.

मालिश करवाते हुए भाभी को बहुत अच्छा लग रहा था.

दस-पंद्रह मिनट तक मैंने उनके पैरों की मसाज की. मगर वो आगे नहीं बढ़ रही थी.
फिर मैंने मसाज करना बंद कर दिया.

वो बोली- क्या हुआ? रुक क्यों गये?
मैंने कहा- पैरों की तो हो गयी है भाभी. कहीं और की मसाज भी करवानी है क्या?

वो बोली- सनी, मेरा तो पूरा शरीर ही दर्द कर रहा है. मगर तुम केवल कमर व पीठ की और कर दो. उसके बाद मैं सोने चली जाऊंगी.

मैं- ठीक है भाभी लेकिन मैं आपके ब्लाउज के ऊपर से कैसे मालिश कर पाऊंगा?
भाभी- कोई बात नहीं, तू हाथ अंदर डालकर कर देना.

फिर मैं भाभी की कमर व पीठ की मालिश करने लगा. मगर हाथ अंदर नहीं जा पा रहा था.
मैंने बोला- भाभी ऐसे नहीं हो पा रहा है. मैं सही से नहीं बैठ पा रहा हूं. आपकी जांघों पर बैठ कर सही से कर पाऊंगा.

इस पर भी भाभी ने हां में सिर हिला दिया. मैं भाभी की जांघों पर बैठ कर पीठ और कमर की मालिश कर रहा था. साथ में पीठ से नीचे आते समय मैं भाभी की गांड की दरार तक अपना हाथ ला रहा था.

भाभी को मजा सा आ रहा था और वो मुझे रोक भी नहीं रही थी.
उनकी गांड को बार बार छूकर जाने से मेरा लंड खड़ा हो चुका था.
मेरा लौड़ा उनकी गांड से टकरा रहा था. साफ साफ महसूस करने के बाद भी भाभी मुझे रोक नहीं रही थी.

अब मैं आगे बढ़ना चाह रहा था क्योंकि यही सही समय था भाभी को गर्म करने का.
मैंने उनको बोला- भाभी, ब्लाउज खोल लो ताकि पीठ पर पूरी तरह से मालिश हो सके.

भाभी ने अपने ब्लाउज के दो बटन खोल दिये. अब उनकी ब्रा मुझे दिख रही थी. मैं उसको भी उतरवाना चाहता था. फिर मैंने खुद ही उनकी ब्रा के हुक खोल दिये.

वो बोली- ब्रा के हुक क्यों खोल दिये?
मैं बोला- ये हाथ में लग रहा था. इसलिए खोल दिये.
इस पर फिर वो कुछ नहीं बोली.

अब मैं पीठ की मालिश करते करके अपने लंड को भी भाभी की गांड से रगड़ रहा था.
भाभी अब गांड को हल्का सा उठाने लगी थी. मैं जान गया कि भाभी गर्म हो रही है.

मेरा हाथ उसकी गांड के अंदर तक पहुंचने की कोशिश कर रहा था. फिर थोड़ी देर के बाद मैंने भाभी की साड़ी को और ऊपर तक उठा दिया. अब मुझे भाभी की पैंटी भी दिखने लगी थी.

अब मैं जांघों की मालिश करने लगा.

मालिश करते हुए मैंने भाभी की फुद्दी को एक बार हल्के से छू लिया.
मेरे लंड में एक जोर का झटका लगा. भाभी की फुद्दी की गर्मी मुझे अपनी उंगलियों पर महसूस हुई.

फिर मैंने दोबारा भी ऐसा ही किया.
भाभी ने कुछ नहीं कहा.
मैं जान गया कि अब लाइन क्लियर है और भाभी चुदने के लिए आराम से तैयार हो जायेगी.

अब मैं भाभी को चुदाई के लिए उकसान चाहता था ताकि वो खुद ही लंड लेने के लिए कहने लगे.

मैं बोला- भाभी, आपकी बॉडी को और ज्यादा रिलेक्स करने का तरीका भी है मेरे पास.
वो बोली- क्या तरीका है?
मैं बोला- उसके लिए आपको मेरी एक बात माननी होगी.
वो बोली- कहो, क्या करना है?

भाभी से मैंने कहा- आपको अपने कपड़े थोड़े और उतारने होंगे ताकि मैं बॉडी के बाकी हिस्सों की भी मालिश कर सकूं.
वो बोली- ठीक है, तुम खुद ही उतार लो जहां तक उतारने हैं.

ये सुनकर मैं खुश हो गया. भाभी ने कंट्रोल मेरे हाथ में दे दिया था.

अब मैं उनकी साड़ी को खोलने लगा. फिर मैंने पेटीकोट भी उतार दिया. अब भाभी नीचे से केवल पैंटी में थी.

भाभी की गांड पर कसी हुई पैंटी बहुत मस्त लग रही थी. मेरा मन कर रहा था उनकी गांड को जोर से दबा दूं.
मगर मैंने किसी तरह सब्र रखा. फिर मैं उनके ऊपर लेट कर मालिश करने लगा.

मेरा लंड का सुपारा अब लोअर में से ही भाभी की पैंटी में घुसने की कोशिश करने लगा. मेरे हाथ उनकी चूचियों के बगल से उनको दबाने लगे थे.
भाभी कसमसाते हुए हल्के से सिसकारने लगी थी.

फिर मैंने उनको पलटने के लिए कहा.
वो सामने की ओर घूमी तो उनका ब्लाउज और ब्रा भी उतर गये क्योंकि दोनों पहले से ही खुले हुए थे. उनके मोटे बूब्स पूरे तनाव में लग रहे थे. भाभी ने अपने बूब्स को हाथों से ढक लिया.

मेरी नजर पैंटी पर गयी तो देखा कि फुद्दी ने पानी छोड़ छोड़कर पैंटी को फुद्दी के मुंह के आसपास से गीली कर दिया था.

मैं भाभी की जांघों को मालिश देने लगा. मेरे हाथ बार बार भाभी की फुद्दी की बगल में रगड़ कर आ रहे थे.

भाभी मदमस्त हो चुकी थी और जब उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी तो वो बोली- तू भी उतार ले. मेरा तो सब कुछ देख लिया.
मैं ये सुनकर मुस्करा दिया.

अब तो भाभी ने साफ साफ कह दिया था. मैंने झट से अपने टीशर्ट और लोअर को उतार फेंका और मैं भी अंडरवियर में आ गया.

मेरे अंडरवियर को भी मेरे लंड ने गीला कर दिया था.
मैं बोला- अब तो हाथों को हटा लो?
मेरे कहते ही भाभी ने बूब्स पर से हाथ हटा लिये.

अब मेरे हाथ भाभी के पेट से लेकर बूब्स तक की मालिश करने लगे.

मैं भाभी के बूब्स को दबाने लगा. वो सिसकारने लगी. धीरे धीरे करके मैं भाभी के ऊपर लेट ही गया.

हम दोनों के होंठ मिल गये और मुझसे अब रुका न गया.
भाभी ने भी मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया और मेरा हाथ सीधा उसकी पैंटी में चला गया.
मैंने होंठों को चूसते हुए उनकी फुद्दी में उंगली करना शुरू कर दिया.

दो-चार मिनट में ही भाभी पूरी चुदासी हो गयी. वो मेरे होंठों को काटने लगी और फुद्दी को लंड से टकराने लगी.

मैंने नीचे हाथ ले जाकर अपना अंडरवियर निकाल दिया.

भाभी ने तुरंत मेरे लंड को पकड़ लिया और उसको हाथ से आगे पीछे करने लगी.
मैंने भाभी की पैंटी को उतारा और जोर से उसकी फुद्दी को हथेली से रगड़ने लगा.

उसकी फुद्दी ने पानी छोड़ छोड़कर मेरे हाथ को पूरा गीला कर दिया.

अब जब उससे रहा न गया तो बोली- अब देर मत कर सनी, मेरी बॉडी के साथ साथ मेरी फुद्दी का दर्द भी मिटा दे. तूने आग लगा दी है इसमें.

भाभी ने फिर से मुझे अपने ऊपर खींच लिया और लंड को फुद्दी में रगड़ना चालू कर दिया.

मैं और पागल हो गया। जल्दी से मैं नीचे गया और फुद्दी को चाटने लगा.
भाभी मेरे सिर को फुद्दी में दबाने लगी. इस बीच भाभी एकदम से झड़ गयी.

उसके बाद मैंने भाभी के मुंह में लंड दे दिया और उसको चुसवाने लगा.
थोड़ी ही देर में मेरा भी पानी निकल गया. भाभी ने मेरे लंड के माल को अंदर ही गटक लिया.

फिर कुछ देर के लिए दोनों शांत हुए और मैंने एक बार फिर से भाभी के बूब्स के साथ खेलना शुरू कर दिया.
वो भी मेरे सोये हुए लंड को पकड़ कर हिलाने लगी.

उसके बाद हम एक बार फिर से 69 की पोजीशन में आये और दस मिनट बाद फिर से मेरा लौड़ा तन गया.

फिर भाभी ने मेरा सिर पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और मुझे किस करने लगी. वो अपनी जीभ को मेरे मुंह में डाल कर जोर जोर से किस करने लगी।

उसके बाद भाभी ने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा और उसको फुद्दी में सेट किया. फिर कमर से मुझे खींचते हुए लंड को फुद्दी पर दबाने की कोशिश करने लगी.

मैं समझ गया कि अब वो नहीं रुक पायेगी.
मैंने थोड़ा सा धक्का दिया तो पूरा लंड फुद्दी में घुस गया और मैं जोर जोर से भाभी की चुदाई करने लगा.

वो मस्त होकर सिसकारियां लेने लगी- आह्ह … सनी … आह्ह … जोर से … आह्ह … चोद … और चोद … आआ … आहह … आईई …. ओह्ह।

थोड़ी देर बाद मैंने भाभी को मेरे ऊपर आने को कहा. वो भी तुरंत ऊपर आ गयी.
उसने फुद्दी में लंड लिया और उस पर कूदने लगी. मैं उसकी चूचियों दबाते हुए नीचे से धक्के देने लगा.
थोड़ी देर में भाभी का पानी निकल गया और भाभी मेरे से चिपक गयी.

मैंने भाभी को नीचे लेटा लिया और धक्के मरना चालू रखा क्योंकि मेरा नहीं निकला था.

थोड़ी ही देर के बाद मुझे भी लगने लगा कि मेरा निकलने वाला है. उनसे मैंने कहा- मेरा होने वाला है. क्या करूं?

भाभी बोली- अंदर ही निकाल दे. ऑपरेशन करवा रखा है. बाच्चा नेहि होगा ।
फिर मैंने झटके लगाते हुए भाभी की फुद्दी में पुुरा माल गिरा दिया. हांफते हुए मैं भी उनके ऊपर ही लेट गया.

मैं उनसे चिपका रहा और कुछ देर में मेरा लंड सिकुड़ कर फुद्दी से बाहर आ गया.
पता नहीं कब हम दोनों को नींद आ गयी.

फिर रात में जब आंख खुली तो मैंने फिर से उनकी फुद्दी को सहलाना शुरू कर दिया.

उसके बाद रात में चुदाई के तीन राउंड हुए.
बीच बीच में वो उठकर अपनी बेटी को देखकर आ जाती थी और वापस आकर फिर मुझसे लिपट जाती थी.
इस तरह से हमने रात भर मजे लिये.
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#2
चाची की चूत और मेरे लंड की गर्मी
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नमस्कार मित्रो! मैं तानु उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर के एक छोटे गांव का रहने वाला हूं. गाँव का नाम मैं नहीं बता सकता यहां पर!
चूंकि हमारे वहां पर रोजगार के अधिक साधन नहीं है इसलिए मैं दिल्ली जैसे बड़े शहर में रहकर कमाई करता हूं.

मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सारी कहानियां पढ़ी हैं. मैंने कई बार अपनी स्टोरी बताने की सोची लेकिन मुझे समय नहीं मिल पा रहा था.

फिर धीरे धीरे मैंने ये स्टोरी पूरी की और आज आपके सामने अपनी पहली चुदाई की शुरूआत की चाची Xxx कहानी बताऊंगा.

मैं दिल्ली में शुरूआत के समय कुछ दिन अकेले रहा.
मगर कुछ दिन दिल्ली में रहने बाद मैं जॉब छोड़कर घर वापस आ गया.
मुझे वहां का पानी सूट नहीं कर रहा था. इसलिए कुछ दिन मैं घर पर ही रहा.

कुछ दिन घर पर रहने के बाद जब वापस जाने लगा तो मेरे पड़ोसी मनमोहन जी बोले कि मैं उनके साथ ही रहूं.
मनमोहन जी का दिल्ली में अपना मकान था लेकिन वो अक्सर गांव में अपनी जायदाद को संभालने आ जाया करते थे.

मेरे घर वाले भी इस बात पर राजी हो गये क्योंकि दिल्ली जैसे शहर में अकेले रहना कोई समझदारी वाली बात नहीं है. अगर कहीं बीमार वगैरह पड़ गये तो फिर कोई संभालने के लिए भी नहीं मिलता वहां।

मैं अंकल के साथ दिल्ली शिफ्ट होने को राजी हो गया. अंकल पहले ही दिल्ली आ गये. दो दिन बाद मैं भी अपना सामान लेकर पहुंचा. उनके घर पहुंचकर मैंने दरवाजा नॉक किया.

जब दरवाजा खुला तो सामने का नजारा देखकर मेरा मुंह भी हल्का सा खुला ही रह गया.
मनमोहन जी अंकल की बीवी यानि कि मेरी आंटी सामने थी.
वो उम्र में उनसे बहुत छोटी लग रही थीं.
उनका नाम मैं यहां पर नहीं बता सकता हूं.

उन्होंने अपने आप को ऐसे मेंटेन किया था कि पता नहीं लग रहा था कि वो एक आंटी की उम्र की हैं. दो बच्चे, वो भी इतने बड़े हो जाने के बाद भी खुद को इतना मेंटेन करना बहुत मुश्किल होता है.

उनकी उम्र 40 के करीब थी लेकिन देखने वाला उनकी उम्र 30 साल या 32 साल से ज्यादा बता ही नहीं सकता था.
उनके बच्चे मेरे से 7-8 साल छोटे थे. उनकी बेटी 19 साल की थी.

मैं उनके घर में शिफ्ट हो गया और फिर धीरे धीरे उन लोगों के साथ घुल मिल गया. धीरे धीरे मैं उनकी बेटी की ओर आकर्षित होने लगा क्योंकि उसकी जवानी की कली ने अब खिलना शुरू कर दिया था.

इधर चाची को भी मेरी नजरों का निशाना मालूम पड़ गया था. वो जान गयी थी कि उनकी बेटी पर मेरी निगाह है.
इसलिए चाची ने अब मेरे ऊपर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया.
वो अब मुझे रिझाने की कोशिश करने लगी थी ताकि मेरा ध्यान उनकी बेटी से हटकर उन पर आ जाये.

अब मेरा ज्यादा समय चाची के साथ बीतने लगा. सुबह वो दोनों बच्चे कॉलेज चले जाते थे और अंकल काम पर निकल जाते थे. अभी मैंने जॉब करना शुरू नहीं किया था. पहली जॉब छोड़ने के बाद अभी दूसरी नहीं मिली थी.

अब मेरा मन भी चाची की चुदाई करने का कर रहा था. मगर सीधे मुंह कहने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी. इस तरह दो हफ्ते गुजर गये थे.

मैंने नोटिस किया तो पाया कि चाचा शायद अब चाची की चुदाई नहीं कर रहे थे. मैंने कभी उनके बीच में ऐसा खास तालमेल नहीं देखा कि जिससे पता लगे कि इनकी सेक्स लाइफ में अभी भी कुछ बचा हुआ है.

इधर चाची की जवानी उम्र के साथ और ज्यादा नशीली होती जा रही थी.
एक तो उनको चाचा का लंड नहीं मिल रहा था और ऊपर से मेरे जैसा जवान लड़का घर में था.
एक पुरानी चूत जवान लंड के लिए भले कैसे न तड़पती?

धीरे धीरे फिर मैंने चाची के साथ छेड़छाड़ शुरू की.
मैं जानता था कि चाची चुदना चाह रही है लेकिन वो खुद से पहल कभी नहीं करेगी.
शायद वो चाहती थी कि मैं ही पहल करूं ताकि कुसूर उनका न निकले.

एक दिन की बात है कि घर में हम दोनों अकेले ही थे.
उस दिन मुझे चाची के अंदर की जवानी की आग कुछ ज्यादा ही धधकती मालूम पड़ रही थी.
उस दिन उनकी चाल-ढाल बदली हुई थी.

उनके बदन में एक अलग ही लचक आ गयी थी. गांड भी बाकी दिनों से ज्यादा मटक रही थी और साड़ी भी ऐसी बांधी थी कि पतली कमर के मुझे भरपूर दर्शन हो सकें. ऊपर की ओर उनकी चूचियों की घाटी पर उन्होंने पल्लू भी नहीं डाला हुआ था.

सुबह से ही मैं उनके स्तनों के उभार को देखकर गर्म हो रहा था. मन कर रहा था कि आज खुद ही आगे बढ़कर उसको बेड पर लिटा लूं और उसको नंगी करके चोद दूं.

मगर फिर चाची ने खुद ही चुदाई का प्रोग्राम सेट कर दिया.
व दोपहर का खाना बनाकर अपने रूम में जाने लगी और मुझसे बोलीं कि उनके पैर और कमर में बहुत दर्द हो रहा है और रूम में आकर मुझे उनकी मालिश करने के लिए कहा.

अब मैं तो था ही इसी इंतजार में कि कोई मौका फंसे चाची की चूत मारने का. इससे अच्छा मौका मुझे भी नहीं मिलने वाला था. मैं भी तुरंत तैयार हो गया.

जब मैं उनके रूम में पहुंचा तो चाची बेड पर लेटी हुई थीं और मुझे आकर मालिश करने को कहा. मैंने तेल की शीशी ली और बेड पर उनके बगल में बैठकर मालिश करने लगा.

उनकी साड़ी का पल्लू एक तरफ गिरा हुआ था और ब्लाउज के हुक पीठ पर कसे हुए मेरी नजरों के सामने थे. पेट के बल लेटी हुई चाची की गोल गोल उठी हुई गांड देखकर मेरा मन उसके चूतड़ों को भींचने का कर रहा था.

कमर पर मालिश करते हुए मेरे हाथ उसकी पतली कमर पर नीचे तक जाने की कोशिश कर रहे थे. चाची कुछ नहीं बोल रही थी और बस सिर के नीचे हाथ दबाये हुए लेटी हुई थी.

कुछ देर बाद उसने बालो- तानु, मेरे ब्लाउज के हुक खोलकर थोड़ी पीठ की मालिश भी कर दे.
अब मैं एकदम से सकपका गया. वैसे तो मैं खुद ही चाची की चूत मारना चाह रहा था लेकिन उसके ब्लाउज खोलने की बात कहने पर न जाने क्यों मेरे हाथ कांपने लगे.

फिर मैंने धीरे धीरे उसके ब्लाउज के हुक खोल दिये और ब्लाउज के दोनों पल्ले अपनी अपनी साइड में नीचे तक जा खिसके. अब चाची की चूचियों के उभार मुझे नीचे दबे हुए दिख रहे थे.

अब मैंने धीरे धीरे उनकी पीठ की मालिश शुरू की.

दोस्तो, पीठ क्या मखमल का बिछौना थी. जैसे मलाई पर हाथ फिरा रहा था.

कुछ देर में ही मेरी हिम्मत बढ़ने लगी थी. अब मेरे हाथ चाची की चूचियों के उभारों तक नीचे पहुंचने लगे थे.

मेरी उंगलियां उसकी चूचियों की जड़ के हिस्से को छूकर आ रही थीं.

मेरा लंड टनटना चुका था और झटके लग रहे थे.

दोस्तो, जैसे जैसे लंड में रक्त प्रवाह प्रबल होता जाता है वैसे वैसे मर्द की वासना भी बेकाबू होती जाती है.

अब मेरे मन में ख्याल आने लगे थे कि चाची अब चाहे न चाहे मगर अब मैं इसको नंगी करके चोद ही दूंगा. इसकी चूत को रगड़कर चोदूंगा. इसकी सारी चुदास मिटा दूंगा.

मैंने अब चूचियों को जानबूझकर छेड़ना शुरू कर दिया. वो कुछ नहीं बोल रही थी.

अब मैं धीरे धीरे उसकी चूचियों के आधे हिस्से तक हाथ ले जाने लगा. उसके आगे हाथ पहुंच ही नहीं रहे थे क्योंकि बाकी का आधा हिस्सा बेड पर दबा हुआ था.

चूचियों को दबाने लगा तो चाची बोली- क्यों गर्म कर रहा है, फिर तू मुझे संभाल नहीं पायेगा.
मैं वासना भरे स्वर में बोला- हाय चाची … एक बार अपनी सेवा करने का मौका तो दो, ऐसी खातिरदारी करूंगा कि मेरी कायल हो जाओगी.

इस पर वो कुछ न बोली और पलटकर उसने सीधी करवट ले ली.
अब वो पीठ के बल थी. उसका ब्लाउज उसकी चूचियों से आध उठ चुका था. उसने मेरी ओर देखा और अपने दोनों हाथों को दोनों चूचियों पर रखकर अपना ब्लाउज उठा दिया.

उसके दोनों आम अब मेरे सामने नग्न थे.
नंगी चूचियां देखकर मेरा तो मुंह खुला का खुला रह गया. गला सूखने लगा. उसकी गोरी चूचियों पर उसके भूरे रंग के खूबसूरत निप्पल मटर के दाने के समान उठे हुए थे.

एक बार मेरी नजर चूचियों पर जा रही थी और एक बार चाची की आंखों में. वो जैसे कह रही थी- आ जा … पी ले इनका रस.
मुझसे भी रहा न गया और मैंने नीचे झुक कर चाची की एक चूची को मुंह में ले लिया. उसको चूसा और फिर अगले ही पल दूसरी को मुंह में भर लिया.

मेरी हालत ऐसी थी जैसे किसी भूखे को बरसों बाद खाना नसीब हुआ हो. दोनों चूचियों को बहुत तेजी से बारी बारी चूस रहा था.
चाची मेरे बालों को सहलाने लगी थी.

मैं अब उसके स्तनों को दबाते हुए पीने लगा. अब मैंने एक चूची पर फोकस किया और दूसरी को दबाने लगा.
चाची गर्म होने लगी.

फिर मैंने दूसरी को मुंह में लिया और पहली को दबाने लगा.
चाची मेरे सिर को अपने सीने में दबाने लगी.

काफी देर तक उसकी चूचियों को पीने के बाद मैंने चाची के होंठों को चूसना शुरू किया और वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी.

उसने मेरे हाथ को पकड़ कर अपनी नाभि के नीचे साड़ी के ऊपर रखवा दिया और खुलवाने का इशारा करने लगी.
मैं समझ गया और नीचे ही नीचे उसकी साड़ी को पेटीकोट से निकाल दिया.

किस करने के बाद वो उठी और उसने अपनी साड़ी पूरी तरह से खोलकर एक तरफ कर दी. अब वो पेटीकोट में थी.

चाची ने नाड़ा खोला और पेटीकोट भी निकाल दिया.
नीचे चाची ने लाल पैंटी पहनी थी.

चाची की चूत उस पैंटी में अलग ही उभरी और फूली हुई सी दिख रही थी. पैंटी काफी टाइट थी और चूत के दोनों होंठ अपनी शेप दिखा रहे थे.

मैंने फिर से चाची को बेड पर पटक लिया और उसके 34डी के चूचे दबाते हुए उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा और उसके होंठों को खाने लगा.
अब वो अपनी जांघों को भींचने लगी थी. उसकी चूत को मजा आ रहा था.

कुछ देर तक हम होंठों के रसपान में डूबे रहे और फिर मैंने भी अपने कपड़े निकाल दिये. अब मैं पूरा नंगा था. मेरे लंड का हाल कामरस ने बेहाल कर दिया था. नीचे का साजो सामान सब भीग गया था.

अब मैंने चाची की पैंटी पर मुंह रखा और चूत को मुंह में लेकर जैसे खाने लगा.

चाची की चूत से रिस रहा रस इतनी मादक गंध वाला था कि मुझे नशा सा होने लगा.

मैं उसकी पैंटी को ही चूसने लगा. उसकी चूत के रस को पैंटी में से ही चूस कर मुंह में खींच रहा था.

अब चाची से रहा न गया तो उसने अपनी पैंटी उतार दी और अपनी चूत मेरे सामने नंगी कर दी.

उसकी फूली हुई सांवली चूत देखकर मैं उस पर टूट पड़ा और तेज तेज चाटने लगा.
चाची की सिसकारियां निकलने लगीं- आह्हह … तानु … ऊईई … आह्ह … और चूस … आह्ह … बहुत दिनों बाद चूत पर किसी मर्द की जीभ लगी है … आह्ह चूस … और जोर से … आह्ह … मर गयी मैं … उम्म … आह्ह!

चाची के मुंह से निकलते कामुक शब्द मुझे वहशी बना रहे थे.
मैंने उसकी चूत से जीभ निकाली और दो उंगली डालकर चोदने लगा.

चाची उचक गयी और मैंने उसकी चूची को जोर से भींचकर उसकी निप्पल को मसल दिया.
वो जोर से कराह उठी.

अब मैंने उसको उठाया और खुद घुटनों के बल खड़ा होकर उसके मुंह के सामने लंड कर दिया. उसके होंठों पर लंड को रगड़ने लगा और फिर उसको मुंह खोलने के लिए कहा.

चाची ने थोड़ा नखरा किया तो मैंने रिक्वेस्ट की.
फिर उसने मुंह खोला तो मैंने धीरे से पूरा लंड उसके मुंह में दे दिया और उसके मुंह को चोदने लगा.
वो भी मेरा साथ देने लगी. लंड को चूसने लगी.

कुछ देर तक लंड चुसवाने के बाद मुझसे रुकना मुश्किल हो गया और मैंने चाची की टांगों को फैला लिया.

इतने में ही चाची ने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसकी मुठ मारते हुए सिसकार कर बोली- आह्ह … चोद दे ना तानु … जल्दी से चोद दे मुझे … मेरी प्यास मिटा दे … इतना बड़ा लंड है तेरा … मैं तो रोक नहीं पा रही हूं खुद को … तेरे चाचा का तो इसका आधा है.

चाची Xxx की तड़प देखकर मैंने सोचा कि इसका और मजा लिया जाना चाहिए. मैंने उसकी चूत पर लंड को रख दिया और उसके ऊपर लेटकर उसके होंठों को चूसने लगा.

अब चूत पर लंड लगते ही चाची जैसे मेरे होंठों को खाने ही लगी. ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझे अपने अंदर ही डाल लेगी. उसके दांत मेरे होंठों को काटने लगे थे. नीचे से वो खुद अपनी चूत को मेरे लंड पर घिसा रही थी.

जब उससे बर्दाश्त न हुआ तो वो पागलों की तरह चिल्लाने लगी.
मैंने उसके मुंह पर हाथ रख लिया. वो मेरे हाथ को ही चूमने लगी. मैंने उसके मुंह में उंगली दे दी और वो उसको लंड की तरह ही चूसने लगी.

चाची की चुदास देखकर मेरा तो वैसे ही छूटने को हो गया था. मैंने सोचा कि अब देर करना ठीक नहीं है वर्ना चाची का पता नहीं क्या हाल होगा.

फिर मैंने उसकी चूत पर लंड को सेट किया और धीरे से एक धक्का दे दिया.
उसकी गर्म चिकनी चूत तो जैसे इसी पल के इंतजार में थी. उसकी चूत ने मेरे लंड का मुंह खोलकर स्वागत किया और पहले ही धक्के में लगभग आधा लंड चाची की चूत में उतर गया.

एकदम से चाची के मुंह से आह्ह … निकल गयी और उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया.

मैंने दूसरा धक्का दिया और चाची के ऊपर लेट गया. मेरा लंड लगभग पूरा अंदर घुसने को हो गया था.

अब मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू किया और धीरे धीरे उसकी चूत में लंड के धक्के लगाने लगा.

चाची की पकड़ मेरी पीठ पर बढ़ती ही जा रही थी. इतनी Xxx चुदासी औरत मैंने तो पोर्न फिल्मों में भी नहीं देखी थी.

उसने अपनी टांगों को मेरी गांड पर लपेट लिया और चूत को उचका उचका कर चुदने लगी. इतने से भी उसका मन नहीं भरा तो उसने उठकर मुझे नीचे पटका और खुद मेरे ऊपर आ गयी.
मेरे लंड को अपने हाथ से चूत में सेट किया और लंड को अंदर तक घुसवा कर उस पर उछलने लगी.

वो एक हाथ से अपनी चूत के दाने को मसल रही थी और दूसरे से उसने मेरे कंधे को थामा हुआ था.

मैंने उसके स्तनों को भींचना शुरू कर दिया और अब उसको और ज्यादा मजा आने लगा.

मेरे आनंद का भी ठिकाना ही नहीं था. चाची की गांड जब मेरी जांघों पर लगती थी तो पट-पट की आवाज हो रही थी.

अब लंड Xxx चाची की चूत में पूरी गहराई तक उतर रहा था और उसके चेहरे पर आनंद के साथ ही हल्का दर्द भी झलक रहा था. इन भावों के साथ उसको चुदते हुए देखकर मैं धीरे धीरे स्खलन की ओर बढ़ रहा था.

दस बारह मिनट की चुदाई के बाद ही मेरा निकलने को हो गया और मैंने चाची की गांड को हाथों से थामकर तेजी से उसकी चूत में झटके देने शुरू कर दिये.
वो भी और ज्यादा जोर से कूदने लगी.

इस तरह से पूरे जोश में चुदाई की स्पीड बढ़ाते हुए हम जल्दी ही चरम सीमा तक पहुंच गये.

मैने बोला चाची कहा निकालु ????? आन्दर या बाहर? ??????
चाची बोली आन्दर हि निकाल दे,, डार मत बाच्चा नेहि होगा।

फिर मेरे लंड से एकदम वीर्य की धार निकल कर चाची की चूत में जाने लगी. उसी वक्त चाची की चूत ने भी पानी छोड़ दिया और हम दोनों साथ में ही झड़ गये.मेरा सारा लावा चाची की चूत में खाली हो गया. फिर हम ऐसे ही एक दूसरे से चिपक कर लेट गये.

चाची की चूत मारकर मैंने अपनी पहली चुदाई का सुख ले लिया था और वो सुख सच में स्वर्ग जैसा था.

उस दिन के बाद तो फिर चाची की चुदाई करना रोज का ही सिलसिला हो गया था. घर के सब लोग चले जाते थे और मैं और चाची अकेले घर में पति पत्नी की तरह रहते थे.

चाची ने फिर मुझे सेक्स की बारीकियां सिखायीं कि किसी को गर्म कैसे किया जाता है और अधेड़ उम्र की औरतों को परम सुख कैसे दिया जाता है.

हम दोनों चुदाई के खूब मजे ले रहे हे।
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#3
घर में मिला भतीजे का जवान लंड
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नमस्कार मित्रो, मैं रिया आपके लिए अपनी एक दास्तान सेक्सी चाची चुदाई कहानी लेकर आई हूं.
आगे बढ़ने से पहले मैं आपको अपना परिचय दे देती हूँ. मेरी उम्र 38 साल है और मैं एक आम घरेलू औरत हूं.

लेकिन फर्क इतना सा आया है कि मैं एक छोटे शहर से बड़े शहर रहने लगी. तो मेरे पहनावे का ढंग बदल गया. जिससे मैं अपने यहां के लोगों के लिए सेक्स की दुकान लगती हूं.

अभी भी मेरे नाम के तोते शहर में उड़ते हैं. ऐसा इसलिए कि मैं 2 बच्चे की मां होते हुए भी अपने बच्चों की उम्र के लंड का सेवन करती रहती हूं. इससे मैं काफ़ी फिट भी रहती हूं.

आज मैं आपको अपनी जिंदगी में घटी एक असली घटना को सेक्स कहानी के रूप में लिख कर बताने जा रही हूं.
मैं आशा करती हूं कि आपको मेरी कहानी पसंद आएगी.

जैसा कि मैंने बताया कि मैं शादी से पहले एक छोटे शहर में रहती थी, तो शादी के बाद पति के साथ बड़े शहर आ गयी.
मैं औरतों की पसंदीदा जगह ब्यूटीपार्लर जाने लगी, जिधर से मुझे मसाज का शौक लग गया.
लेकिन अब तक मैं सिर्फ औरतों से ही मसाज लेती थी.

मसाज का शौक लगा तो मेरी कामेक्षाएं बढ़ने लगीं और धीरे धीरे मैं पुरुषों से भी मसाज लेने लगी.
मर्दों के हाथों ने मेरे बदन को छुआ, तो अंदरूनी अंगों में हलचल होनी शुरू हो गई और इसकी वजह से मुझे गैर मर्दों में रूचि जागने लगी.

उन्हीं दिनों मुझे एक जवान लंड मिला जिसकी साइज़ पूरे साढ़े सात इंच की थी. उसने मुझे ऐसा मज़ा दिया कि बस कुछ भी बताने के काबिल ही न रही.
उस मर्द ने मेरे साथ चुदाई की और मेरे बदन में एक अलग ही सिरहन पैदा कर दी.

हालांकि ऐसा देसी लड़का हर औरत के घर में होता है … बस मैंने परख लिया और उसे पा लिया.

मैंने अपने जेठ के लड़के यानि अपने भतीजे के साथ पहली बार कैसे सेक्स किया, यही दास्तान आपको इस सेक्स कहानी में आगे पता चलेगी.

मेरे भतीजे का नाम अयान है. उसकी उम्र करीब 25 साल के करीब थी. वो एक मस्त बॉडी वाला लड़का है … जैसा देशी लौंडे होते हैं.
उसके मजबूत हाथ और लंड मेरे पूरे शरीर को रगड़ कर रख देते हैं.

मैंने अयान के लंड को पहली बार यूं लिया कि मेरी सास का निधन हो गया था.
मुझे आनन फानन में अपने उसी छोटे शहर में वापस आना पड़ा.

लेकिन दाह संस्कार के अगले दिन पति देव बच्चों को लेकर निकल गए क्योंकि उनके ऑफिस और बच्चों की पढ़ाई दोनों की हानि हो रही थी.
मुझे यहीं रुकना पड़ा क्योंकि मैं बहुत दिन बाद आई थी और सास के निधन का मामला था तो सभी के सामने वापस चला जाना भी अव्यवहारिक था.

उस वक़्त तक अयान से मेरी मुलाकात बस नॉर्मली ही होती थी. वो मेरे पास आता और ‘नमस्ते चाची’ करके हाल चाल लेता, और चला जाता.

ऐसे ही एक दिन मैं मार्किट चली गयी चचिया सास और भाभी जी साथ में थीं.

वापस आते आते हम सभी को रात हो गयी थी और मुझे काफी थकान भी हो गयी थी. मेरे पैर में बहुत दर्द होने लगा था. इसकी वजह से मैं खाना खाकर अपने रूम में चली आयी और कपड़े बदल कर सोने की तैयारी करने लगी.

तभी भाभी मेरे कमरे में आईं और उन्हें मुझसे बात करके पता चली कि मेरे पैर में दर्द है.
उन्होंने तुरंत अयान को आवाज लगाई और मुझे बताया कि अयान बहुत अच्छा पैर दबाता है.

भाभी की आवाज सुनकर अयान मेरे कमरे में आ गया.
मेरी भाभी ने उससे बोला- अयान, अपनी चाची के पैर दबा दे … फिर चले जाना.

अयान ने अपनी मां के सामने अपना सर हिलाते हुए हां में इशारा किया और आकर मेरे पैर दाबने लगा.
इससे मुझे काफी अच्छा लगने लगा. अयान के हाथ पूरे पैर को अच्छे से दबा रहे थे, जिससे मैं आराम करने की मुद्रा में आ गयी.

भाभी अयान को समझाते हुए जाने लगीं और अयान को पैर दाबने के बाद दूध पीने को बोल कर अपने कमरे में सोने चली गईं.

मैं अपने भतीजे से बड़े आराम से पैर दबवा रही थी कि अचानक से मुझे महसूस हुआ कि उसके नर्म हाथ मेरी जांघों को दबाने लगे हैं.
हालांकि उसके हाथ मेरी मैक्सी के ऊपर से ही मेरी जांघों को मसल रहे थे और मुझे काफी अच्छा भी लग रहा था तो मैंने उसे नहीं रोका.

मुझे मर्दों से मालिश करवाने में जो मजा आता था, वो आज कुछ अलग तरह का मजा आ रहा था.

कुछ ही देर में अयान के हाथों का ये दबाव मुझे ऐसे लगने लगा था कि मेरी पैंटी के अन्दर एक अजीब सी हलचल महसूस होने लगी थी.
ऐसा क्यों होने लगा था, ये मुझे समझ नहीं आ रहा था.

शायद इसकी वजह ये थी कि काफी समय से मेरा अपने पति के साथ सेक्स न करना था और उसके मजबूत हाथों के दबाव से भी कुछ मज़ा आने लगा था.

तभी वो उठ कर जाने लगा.
मैंने तुरन्त उसको रोका और पूछा- रुक क्यों गए?
वो बोलने लगा- आपकी आंखें बंद हो गयी थीं … इसलिये मैंने समझा आप सो गई हैं … इसलिए जाने लगा.

मैंने उसको रुकने के लिए कहा और अयान से बोला- तुम बहुत अच्छी तरह से दबा लेते हो … प्लीज़ मेरी पीठ में बहुत दर्द है क्या तुम मेरी पीठ को भी दबा दोगे?
अयान ने हामी भर दी.

मैं औंधी हो गई और उसके बाद अयान मेरे बदन को अच्छे से दाबने लगा.
उसके मर्दाना हाथों के मजबूत दबाव से मेरे अन्दर की कई दिन की प्यासी औरत मस्त होने लगी.

जवान भतीजे अयान का हाथ भी एक प्यासी औरत को जगाने वाली जगहों के पास से होता हुआ चलने लगा, जिससे मेरी पैन्टी में हलचल होनी शुरू होने लगी.
इसकी वजह मेरे मुँह से कामुक आह निकल गयी.

इस मादक आवाज को अयान ने सुन लिया.

पता नहीं क्यों … उसे इसी आवाज का इंतजार था या वो सच में मासूम था.

लेकिन उसके हाथ अब मेरे चूतड़ों के ऊपर आने लगे और अब उसके हाथों का दबाव कुछ जोर से होने लगा.
इससे मेरी चुत हल्के हल्के आगे पीछे होने लगी और मेरी चुत का पानी निकल गया, जिसको उसने भी महसूस कर लिया.

वो बोला- चाची, आप अपने मैक्सी उतार दो … मैं आपकी मालिश अच्छे से कर दूंगा.

मुझे भी पता नहीं क्या हो गया था. उस वक़्त मैं कैसे एक रिश्ते में चुदने को बेताब होने लगी थी. मुझे कुछ होश ही नहीं रहा और मैंने उसकी बात मानते हुए अपने मैक्सी उतार फेंकी. मैं अपनी काले रंग की ब्रा और पैंटी में आ गयी.

जिसके बाद मैंने देखा अयान के लोवर में एक लंबा उभार आ गया है, इससे मुझे अंदाज हो गया था कि आज मैं अपने भतीजे के तगड़े लंड को अपनी चुत में लेने वाली हूं.

इसके बाद मैंने औंधे लेटे हुए ही उससे कहा- पहले देख कर आओ कि घर में सब सो गए हैं या नहीं … फिर सब कर लेना.
वो देखने चला गया.

उसके बाहर जाते ही मुझे कुछ होश आया और मैं बहुत ही कशमकश में फंस गयी थी.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं. क्योंकि अयान मेरे पति के बड़े भाई का लड़का है और मेरे बेटे से सिर्फ 2 साल बड़ा है. फिर भी आज पहली बार किसी जवान लंड को लेने का मेरा मन होने लगा था.

तब ही अयान आ गया और उसने कमरे का दरवाजा इस तरह लगा दिया कि अगर कोई आये तो पता चल जाएगा.

वो वासना से मेरे बदन को देखने लगा और बोलने लगा- चाची आपका बदन आपकी उम्र से बिल्कुल भी मैच नहीं कर रहा है. क्योंकि जिस उम्र की आप हैं … उस उम्र की इतनी खूबसूरत औरत मैंने अपने पूरे शहर में नहीं देखी.

मैंने तुरंत पूछा- नहीं देखी का क्या मतलब है? तुमने कभी किसी लड़की को अभी तक नहीं चोदा क्या?

अयान ने मेरे मुँह से चोदा शब्द सुना तो वो गनगना उठा.
और उसने भी खुल कर जवाब दिया. उसके जवाब को सुन कर कई लोगों को दुख होगा लेकिन उसने सही बोला था.

उसने बताया- मेरी सेक्सी चाची जी, मैं अभी एक बेरोजगार लड़का हूँ और बहुत ज्यादा पैसे नहीं कमा पाता हूँ. इस वजह से मेरी शादी नहीं हो रही है. आज के वक़्त में कोई भी लड़की बिना पैसे देखे नहीं पटने वाली है. तो मुझको अपना लंड हिला कर शांत करना पड़ता है. मैं लड़कियों और भाभियों को बस अपने सपनों में ही चोद पाता हूँ.

मैं उसकी इस बात से हंस दी. हालांकि उसकी बात में देश की बेरोजगारी की समस्या थी.

इस बीच अयान ने मुझे लेटने का इशारा कर दिया और बातें करते करते मेरी पीठ से नीचे बिंदास जाने लगा.
जिसका अहसाह मुझे गर्म करने लगा और मेरी कामुक आहें निकलने लगीं.

कुछ देर बाद उसने मुझसे सीधा लेटने का बोला.
मैं पीठ के बल ललित गई अब मेरी तनी हुई चूचियां अयान के सामने आ गई थी. साथ ही मेरी टांगों के बीच में मेरी गीली चुत भी उसे मस्त कर रही थी.

उसने पहला हमला मेरी चूचियों पर किया और मेरे मम्मों को अपने हाथों से रगड़ने लगा.
इससे मैं पागल होने लगी और आवाज करने लगी- आह आह धीरे कर … ओइ मां … आह आह जोर से अयान!

मेरे मुँह से खुद ब खुद उसके लिए आवाज निकलने लगी.

आवाज तेज़ होने की वजह से अयान ने मेरे मुँह पर अपना हाथ रख दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया.

अब मुझे उसका मोटा सा लंड अपनी चुत के ऊपर महसूस होने लगा.
मैं झट से उठ गई और लपक कर अयान के लोवर के ऊपर से लंड के उभार को छूने लगी.

ये देख कर अयान ने अपने लोवर से अपने लंड को बाहर निकाल दिया और हिलाने लगा.

उसके खड़े लंड को देख कर मेरे मुँह से लार टपक पड़ी … क्योंकि उसका लंड था ही ऐसा मोटा और लंबा. ये लंड मेरे पति से थोड़ा बड़ा और मोटा था.

मैंने तुरंत उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और लंड चूसने लगी.
मुझे आज पता नहीं क्या हो गया था. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा. बस अब मुझे इस लंड से अपनी चुदाई करवानी थी, ऐसा मैंने सोच लिया था.

अयान भी मेरी चुत पर अपनी उंगली घुमाने लगा और मुझे और गर्म करने लगा.

वो जैसे जैसे मेरे चुत पर अपनी उंगली घुमाता गया, वैसे वैसे मैं उसके लंड को अपने मुँह के अन्दर बाहर करने लगी.

कुछ देर बाद ही उसके लंड ने पानी छोड़ दिया.
क्योंकि उसको अभी सेक्स का ज्ञान नहीं था इसलिए उसका लंड जल्दी निकल गया.

मगर उसके बाद जो उस लौंडे ने कमाल किया … वो मैं शब्दों में बता ही नहीं सकती.

उसके लंड का पानी निकल जाने के बाद वो मेरे पैरों के बीच अपना मुँह डाल कर मेरी चुत पर अपनी दाढ़ी से हल्का हल्का मसाज देने लगा.
इससे मुझे सिहरन होने लगी.

कुछ देर ऐसा करने के बाद उसने अपनी गर्म जीभ को मेरी चुत पर रख दिया.

अपनी लपलप करती जीभ के साथ अपनी लंबी उंगली को मेरी चुत में उतारने लगा, जिससे मैं एक अलग ही दुनिया में जाने लगी.
मेरे मुँह से मादक सिसकारियों की आवाजें आनी शुरू हो गईं.

उसने मेरी आवाजें सुनी तो मेरी चुत को चूसना छोड़ कर मेरे होंठों को चूसने लगा और उसने मेरे मुँह को बंद कर दिया.
उसके इस कदम से मुझे अपनी चुत से निकलते हुए पानी का खारा स्वाद मिलने लगा.

उसने मेरे कान में कहा- चाची, इतनी तेज आवाज करोगी तो बाहर कोई सुन लेगा.
वो मुझे चिल्लाने से मना करने लगा.

मैंने बात की गंभीरता को समझते हुए अपनी आंखों से मौन स्वीकृति दे दी.
उसने भी समझ लिया और अब वो जल्दबाजी दिखाते हुए अपना लंड मेरी चुत पर सैट करने लगा.

मैंने भी चुत खोल कर लंड को अन्दर ले लिया.
उसका एक दो इंच लंड अन्दर घुसा तो मैं मस्त हो गई.

वो इतने लंड से ही धक्के लगाने लगा. वो अपना पूरा लंड मेरी चुत में बिना डाले चुदाई कर रहा था. मेरी चुत एक भट्ठी की तरह जल रही थी. मैंने अपने हाथ से उसका लंड बाहर निकलवाया और फिर से फांकों में सैट करके उसे चोदने के लिए कहा.

अबकी बार अयान का लंड जैसे ही मेरी चुत में सैट हुआ, उसने जोरदार तरीके से अपने लंबे लंड को मेरी चुत में जड़ तक उतार दिया.

इस प्रहार से मैं चिल्लाने ही वाली थी … लेकिन उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से मिला कर मेरी आवाज को रोक दिया.

अब वो धकापेल चुदाई करने लगा और मेरी चुत का भोसड़ा बनाने लगा.
वो लौड़े को चुत की गहराई तक पेल कर मजा देने लगा था.
मेरी गर्म चूत की चुदाई ऐसी हो रही थी … जैसे कोई अनुभवी चोदू करता है.

उसने 10 मिनट तक इसी पोजीशन में अपनी सेक्सी चाची चुदाई की, फिर मुझे उल्टा होने को बोला.

मैं औंधी हो गयी और मेरे भतीजे ने मेरी चुत में पीछे से अपना लंड डाल दिया.

उसी समय मुझे किसी के बाहर होने का अंदाजा हुआ.
लेकिन मुझे चुदाई का नशा ऐसा चढ़ा था कि मुझे कुछ होश ही नहीं था. मुझे तो बस अपनी चुत में एक जवान लंड लेना था.

वो मुझे चोदते हुए लगातार आसन बदल रहा था और चुदाई के बीच बीच वो मेरी चुत को अपनी जीभ से चाट भी लेता था. मुझे बेहद मजा आ रहा था.

इस तरह मेरे भतीजे अयान ने मुझे बहुत देर तक चोदा.
मैं दो बार झड़ चुकी थी.

अयान बोला- चाची मेरा निकलने वाला है. कंहा निकालु? ?????
मैंने बोला- हाय, मेरे अन्दर ही गिरा दे.,,मेरा ऑपरेशन हो गया है. कुछ नेहि होगा ।
मुझे उसके लंड के पानी की गर्मी अन्दर तक महसूस करनी थी.

उसके बाद अचानक से मेरी चुत में एक बाढ़ सी आ गयी और उसका पानी मेरी चुत के पानी के साथ बाहर आने लगा.

इस चुदाई के बाद अयान ने अपने कपड़े पहने और बाहर जाने लगा.

इसके बाद वो मेरी चुदाई रोज करने लगा और मैं भी जितने दिन उधर रही, उसी की बाट जोहती रही.
वो मुझे रोज रात सबके सो जाने के बाद रोज रात में 1 से 2 बार चोदता या मेरी चुत को एक अच्छा मसाज देने के साथ चूस कर उसका पानी निकाल देता.

इस तरह मेरी रिश्तों में पहली चुदाई हुई थी. जिसका अनुभव ऐसा रहा कि मैंने छह महीने तक उसको अपने साथ बड़े शहर में रखा.

अब जब भी मेरे पास आता है, मुझे तसल्ली से चोदता है. उसको अब सेक्सी चाची चुदाई करने को मिलती है तो अपने लंड को हाथ से हिलाने की जरूरत नहीं पड़ती.
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#4
पड़ोसन आंटी की चूत और गांड मारी
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नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम गर्व है और मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ. मैं कॉलेज में पढ़ता हूँ. मेरे घर में मेरी मम्मी और पापा हैं.

ये कहानी मेरी पड़ोस में रहने वाली सेक्सी मौसी की चुदाई कहानी है.
मौसी मेरी मम्मी की सहेली हैं तो को मैं उन्हें मौसी कहता हूँ.

उनका नाम माया है … और वो दिखने में बहुत खूबसूरत हैं. हालांकि वो थोड़ी मोटी हैं, पर उनका फिगर बहुत मस्त है.
उनके मम्मे बहुत बड़े थे और उनकी गांड को लेकर तो क्या बोलूं … आह एकदम मस्त … मानो दो खरबूजे फिट हों.

उनके पति खेती का काम करते हैं और बहुत अच्छी कमाई करते हैं. मेरी मम्मी की और उनकी बहुत अच्छी बनती है … इसलिए वो अक्सर मेरे घर आती जाती हैं.
मौसी को लेकर कभी भी मेरे मन में उनके लिए कोई गलत विचार नहीं आया था.

पर अब मैं बड़ा हो गया था और मेरी जवानी उछल उछल कर बाहर आ रही थी.
मैं रोज मोबाइल पर गंदी फ़िल्म देखता और मुठ मार कर खुद को शांत करने लगा था.
इस दौरान मैं बहुत कुछ सोचता रहता था.

एक दिन मेरी मम्मी को जरूर काम से कुछ दिनों के लिए मेरे मामा के घर जाना पड़ा.
चूंकि मेरे पापा विदेश में रहते हैं, तो मम्मी ने घर पर मुझे छोड़ कर जाने का तय कर लिया क्योंकि घर की सुरक्षा के लिए किसी एक का रहना आवश्यक था.

मम्मी ने मौसी को मेरा ध्यान रखने के लिए और खाना बनाने का बोल दिया.
और फिर मम्मी मामा के घर चली गईं.

अब मैं घर में अकेला था और जो चाहे वो कर सकता था.
इसलिए मैंने टीवी को फ़ोन से कनेक्ट करके ब्लू फ़िल्म लगा दी और पूरा नंगा होकर मुठ मारने लगा.
मैं मुठ मारते मारते कुछ मिनट बाद झड़ गया.

अब शाम हो गयी थी.
इतने में मौसी का फ़ोन आया कि खाना बन गया है, आकर खा ले.

मैंने अपने कपड़े पहने और मौसी के घर चला गया.
मैंने उनके घर जाकर डोर बेल बजाई, तो मौसी ने गेट खोल दिया.

आज मैं मौसी को देख कर दंग रह गया. मौसी ने बहुत ही खूबसूरत साड़ी पहनी थी. उनकी साड़ी नाभि दर्शना थी और उन्होंने बहुत गहरे गले का बिना आस्तीन का ब्लाउज पहना हुआ था. मैं उन्हें देखता ही रह गया.

फिर मौसी ने मुस्कुरा कर कहा- ऐसे क्या देख रहे हो … अन्दर नहीं आना क्या?

मैं उनकी बात सुनकर अचकचा गया और झट से अन्दर आ गया.
मैंने मौसी की तरफ देखना जारी रखा.

उन्होंने मेरी नजरों को पढ़ते हुए मुस्कुराते हुए कहा- मैंने खाना लगा दिया है, चलो साथ में खा लेते हैं.
हम दोनों डाइनिंग टेबल पर खाने बैठ गए.

मुझे मौसा जी कहीं दिख नहीं रहे थे तो मैंने मौसी से पूछा- मौसाजी घर पर नहीं है क्या?
वो बोलीं- हां वो 5 दिन के लिए बाहर गए हैं.

मैंने कहा- अच्छा, मुझे मालूम ही नहीं था.
वो बोलीं- हां वो उन्हें एकदम से जाना पड़ा.

मैंने फिर से मौसी से पूछा कि क्या आप कहीं जाने वाली थीं?
वो बोलीं- क्यों?

मैंने कहा- आप आज एकदम से रेडी दिख रही हैं न.
वो आंख दबा कर बोलीं- मैं तो हमेशा ही रेडी रहती हूँ.

मैं उनकी इस बात को समझ न सका.

मैंने कहा- मेरा मतलब आप आज बड़ी खूबसूरत लग रही हैं न … इसलिए मैंने सोचा कि आप तैयार होकर कहीं बाहर जाने वाली हैं.
मौसी ने फिर हंस कर कहा- अच्छा तुमको आज मैं खूबसूरत लग रही हूँ, इसलिए बाहर खड़े होकर देखने लगे थे.

ये सुनकर मैं झेंप गया और कुछ नहीं बोला.

मगर मुझे कुछ कुछ हैरानी भी हो रही थी कि जब आज मौसा जी घर में नहीं हैं और मौसी को कहीं बाहर भी नहीं जाना हैं तो ये इतनी हॉट सी क्यों सजी धजी हैं.

अब हम दोनों खाना खाने लगे और इधर उधर की बातें करने लगे.

बातों बातों में मेरे हाथ से गलती से एक ऐसा झटका लगा कि मौसी के हाथ से दाल की कटोरी उनकी साड़ी पर गिर गयी.

दाल बहुत गर्म थी, तो मौसी एकदम से हड़बड़ा उठीं. उन्हें गर्म लगने के कारण वो घबरा गईं और उन्होंने वहीं पर अपनी साड़ी निकाल दी.

अब वो मेरे सामने सिर्फ एक छोटे से कसे हुए ब्लाउज और पेटीकोट में थीं. उनके ब्लाउज से उनकी आधे से अधिक चूचियां झांक रही थीं.

ये कामुक नजारा देखकर मेरा तो लंड एकदम से खड़ा हो गया, पर मैंने कंट्रोल किया.

मैं मौसी की तरफ देख कर उन्हें सॉरी बोला, तो उन्होंने कुछ नहीं कहा.

फिर वो अपनी गांड हिलाते हुए दूसरी साड़ी पहनने चली गईं.

इतने में मैंने खाना खत्म किया और मौसी को बोलने गया कि मैं घर जा रहा हूँ.
मुझे मौसी का जवाब नहीं मिला. वो अपने कमरे में थीं, तो मैं वहां गया.

उनके रूम का गेट थोड़ा सा खुला था और मौसी अन्दर कपड़े बदल रही थीं. मैं उन्हें देखने लगा.

मैंने देखा वो ब्रा और पैंटी में थीं, पर उन्हें नहीं पता था कि मैं पीछे से उन्हें देख रहा हूँ. मैं अपना लंड हिलाते हुए उन्हें ब्रा पैन्टी में देखने लगा.

उन्होंने कुछ देर अपनी चूचियां मसलीं और अपनी चुत खुजा कर गांड हिलाई. फिर अपना ब्लाउज और पेटीकोट पहना और साड़ी उठाने लगीं.

फिर मैं रूम से थोड़ा दूर हो गया और उन्हें आवाज दी- मौसी मौसी … आप किधर हैं?
वो बोलीं- मैं कपड़े पहन रही हूँ.

मैंने कहा- ओके … मैं घर जा रहा हूँ.
उन्होंने कहा- अरे जरा रुक जाता.

मैंने कहा- नहीं, मौसी मुझे पढ़ना है.
मौसी बोलीं- ठीक है.

मुझे मुठ मारने की पड़ रही थी. मैं जल्दी घर से आ गया और आने के तुरंत बाद अपने रूम में जाकर मौसी के नाम की मुठ मारी और पूरी रात बस मौसी को चोदने के सपने देखता रहा.

मैंने सोचा कि मौसी जैसी मस्त माल को तो मैं चोद कर ही रहूँगा.

मैंने अगले दिन कॉलेज से आकर मौसी को फोन किया और कहा- आज आप खाना मेरे घर ही दे जाना. मेरी थोड़ी तबियत खराब है.
वो बोलीं- ठीक है.

अब मैं तो उन्हें चोदने के सपने देख रहा था. मुझसे रहा ही नहीं जा रहा था कि मौसी कब आएंगी और कब उन्हें चोदने का मौका मिलेगा.

मेरे मन में बस यही चल रहा था, उन्हें चोदने को लेकर बार बार प्लानिंग बनाता, फिर उनकी चुत नजर आने लगती तो प्लानिंग की मां चुद जाती और लंड खड़ा हो जाता.

मैं यही सब सोचते सोचते कब सोफे पर ही सो गया, पता ही नहीं चला.

जब शाम हुई, तो मेरे घर के मेन गेट की बेल बजी.

घंटी की आवाज सुनकर मैं उठा और मैंने जाकर गेट खोला.
सामने मौसी खड़ी थीं.

मैंने उन्हें अन्दर आने को कहा. मौसी अन्दर आ गईं.

उन्होंने मेरी तबियत के बारे में पूछा.
मैंने उन्हें बताया कि कॉलेज से आते ही सो गया था, तो अब तबियत ठीक है.

मौसी मेरे साथ अपना भी खाना लाई थीं.
हम दोनों ने साथ में खाना खाया और खाते हुए ही मैंने मौसी से उन पर गर्म दाल गिर जाने को लेकर फिर से माफी मांगी.
तो मौसी बोलीं- कोई बात, नहीं हो जाता है. वो तो मुझसे ही गिरी थी. तेरा तो बस हाथ लगा था.

मैंने कुछ नहीं कहा और खाना खाते हुए उन्हें ही देखने लगा.
बीच बीच में मेरी नजरें मौसी की आंखों से टकरा जातीं तो वो हंस देतीं.

कुछ देर में खाना खत्म हुआ, तो मौसी किचन में चली गईं और बर्तन साफ करने लगीं.

मैं भी वहीं चला गया और मैंने मौसी से कहा- आप ये सब क्यों कर रही हो, मैं कर दूँगा न!
उन्होंने कहा- कोई बात नहीं, ये भी मेरा दूसरा घर ही है न.
मैंने कहा- हां वो तो है, मगर मैं इतना तो कर ही सकता हूँ.

फिर मैं भी उनकी मदद करने लगा और मदद करने के बहाने मैं उनके मम्मों को देख रहा था.
मौसी अपने काम में मस्त थीं.

फिर वो वहां से हट गईं और अपने हाथ साफ कर रही थीं.
वो बार बार मेरे हाथ की कोहनी को अपने मम्मों पर टच करवा रही थीं; मैं समझ ही नहीं पा रहा था कि मौसी ये क्यों कर रही हैं.

मगर मैं गर्मा गया और मैंने बर्तन रखने की कोशिश की तो मौसी गिरने लगीं.

मैंने उसी समय उन्हें पीछे से पकड़ लिया.
वो हंस कर बोलने लगीं- अरे मैं ठीक हूँ … अब छोड़ दे मुझे.

मगर मैंने मौसी को नहीं छोड़ा और उन्हें पकड़े ही रहा और उनके मम्मे दबाने लगा.

मौसी बोलीं- अब छोड़ दे ना … ये क्या कर रहा है.

मगर न जाने क्यों मेरे सर पर तो उन्हें चोदने का भूत सवार हो गया था.
मैं जोर जोर से उनके मम्मे दबा रहा था और वो मुझसे छुड़ने की कोशिश कर रही थीं.

पर अब तो मैंने उनकी चूत पर हाथ रख दिया और उसे सहलाने लगा.

इतने में वो मुझसे दूर होकर बोलीं- ये तुम क्या कर रहे थे?
मैंने बोला- आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो.
वो हंस कर बोलीं- पागल हो गया है तू … ठहर मैं तेरा भूत उतारती हूँ.

ऐसा कह के मौसी मुस्कुराती हुई मुझे मारने को हुईं, तो मैंने फिर से उनकी साड़ी पकड़ कर खोल दी.
हम दोनों में जद्दोजहद होने लगी. वो खिलखिला कर छूटने पकड़ने का खेल खेल रही थीं.

मैंने उन्हें जैसे तैसे करके जमीन पर लेटा दिया और उन पर चढ़ गया.

वो ब्लाउज और पेटीकोट में रह गई थीं और मुझे अपने ऊपर से हटाने की कोशिश कर रही थीं.

मैंने जैसे तैसे करके उनके पेटीकोट को खोल दिया और उनकी चूत में उंगली डाल दी.

अब मैं मौसी की चुत में उंगली करते हुए उनके होंठों को चूमने लगा.
अब वो भी धीरे धीरे गर्म होकर मेरा साथ देने लगीं.

ये देख कर मैंने उनका ब्लाउज खोल दिया और उनकी ब्रा उतार कर उनके मम्मे चूसने लगा.
सेक्सी मौसी भी आह आह करते हुए सिसकारियां भरने लगीं.

उनकी चूत में मेरी उंगली तेजी से चल रही थी.

फिर मैंने उनकी पैंटी उतार दी और जोर जोर से उंगली करने लगा.
मैंने देखा कि उनकी चूत बिल्कुल बिना बाल वाली थी.

वो ‘आहहह आहह … करके सिसकारियां भर रही थीं.
मैं सेक्सी मौसी की चूत में जोर से उंगली करता ही जा रहा था और उनकी चुत खुल कर फ़ैल गई थी.

कुछ देर बाद वो बोलीं- बस कर, अभी इतने में ही मैं झड़ गयी … तो बाद में क्या करूंगी.

मगर फिर भी मैं नहीं रुका. इसके बाद भी मौसी की चुत में उंगली करता रहा और उनके मम्मे और होंठों को चूसता रहा.

चूंकि उनका पानी निकल चुका था इसलिए उन्हें मजा नहीं आ रहा था.

उनके बार बार कहने पर मैं खड़ा हो गया और उन्हें देखने लगा.

मौसी बोलीं- साले कब से भरा पड़ा था तू, मैं तेरी नजरों को समझती तो थी और खुद भी तुझसे चुदना चाह रही थी मगर मुझे ये नहीं मालूम था कि तू आज ही मेरी बखिया उधेड़ देगा.
मैंने कहा- मौसी जान … आपने मुझे कोई इशारा ही नहीं दिया, वर्ना अब तक तो कब का चोद चुका होता.

मौसी बोलीं- क्या करूं मुझे लाज आती थी. वर्ना कल ही तुझे पकड़ लिया होता जब तू मुझे कपड़े बदलता देख रहा था.
मैंने कहा- आपको कैसे मालूम था कि मैं देख रहा हूँ.

मौसी बोलीं- मैं सामने रखे शीशे में तुझे लंड हिलाते देख रही थी.
मैंने कहा- अरे वाह मौसी, तो बुला लेतीं.

मौसी बोलीं- तू कह कर जल्दी से चला ही गया, अगर कुछ देर रुक जाता तो कल ही चुदवा लेती.
मैं बोला- अरे मौसी चुदवाने में काहे की शर्म मौसी!

वो हंस दीं.

मैंने उन्हें अपने रूम में ले गया और वहां बेड पर उन्हें लेटा कर उनकी चूत को चाटने लगा.

मौसी बोल रही थीं- आह आज न जाने कितने वर्षों की आस पूरी हुई … मैं न जाने कबसे अपनी चुत चटवाने की सोच रही थी लेकिन तेरे मौसा ने आज तक मेरी चुत कभी चाटी ही नहीं. आह तू मेरी आस पूरी कर दे … आह और जोर से चाट हरामी और कर.

मौसी मेरा सर अपनी चुत पर दबाते हुए मुझे गालियां दे रही थीं और ‘अहहह मादरचोद चूस ले … भैन के लंड चुत चाट ले हरामी.’ की मादक आवाजें भी निकाल रही थीं.

कुछ ही देर बाद मौसी ने मुझे वहां से हटा दिया और झट से मेरे कपड़े निकाल कर मेरा लंड अपने मुँह में लेकर बहुत तबियत से चूसने लगीं.

मैं भी अपने हाथ से उनके मम्मे दबाये जा रहा था. क्या बताऊं दोस्तो, वो भी क्या मजा था.

कुछ देर बाद मौसी चुदासी सी बोलीं- अब देर न कर पहले जल्दी से मेरी चूत में अपना लंड डाल मेरी चूत फाड़ दे.

मैंने उन्हें चुदाई की पोजीशन में लिटाया और अपने लंड को नीचे सेक्सी मौसी की चुत में सैट करके जोर से धक्का दे मारा.

वो ‘आहहहह ..’ करके बोलीं- आह धीरे चोद मां के लौड़े … फ्री की चुत मिली तो रंडी की चुत समझ कर न चोद.

मैंने हंस कर धक्के मारने चालू किए और जोर जोर से चुदाई करने लगा. वो भी अपनी गांड उठा उठा कर चुदवा रही थीं.

अब मैं भी उन्हें गालियां दिए जा रहा था और वो भी मुझे पलट कर गाली दे रही थीं- आह मादरचोद … और जोर जोर से चोद दे … आहह अहहह!

मैं भी गाली देते हुए चुदाई में लगा था- ले भैन की लौड़ी … मादरचोदी ले साली रंडी मेरा लंड खा कमीनी.

इसके बाद दस मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई हुई.
फिर मैंने अपना लंड निकाल कर सेक्सी मौसी को डॉगी स्टाइल में करके चोदने लगा. अब पूरे रूम में छप छप की आवाज आ रही थी.

उन्हें लंड लेने में मजा आ रहा था और मैं भी पहली बार किसी मस्त चुत को चोद रहा था.

अब तक काफी देर हो गई थी. मैं झड़ने वाला था,

मैंने उनसे कहा- मेरा होने वाला है … माल कहां लोगी?
वो बोलीं- अन्दर ही छोड़ दे. मेरा सेफ पिरीयड चल रहा हे।

मैंने तेज तेज धक्के मारे और चुत के अन्दर ही अपना पानी छोड़ दिया और उनके ऊपर लेट गया.

वो लम्बी लम्बी साँसें भरते हुए बोलीं- तुझमें तो बहुत पावर है.
मैंने बोला- हां मेरी परमानेंट रंडी बन जाओ … मैं रोज इस पॉवर का मजा दूँगा.
वो हंस कर बोलीं- ठीक है, आज से मैं तेरी रांड बन गई हूँ.

इतना बोल कर मौसी ने मेरा लंड फिर से अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं.

थोड़ी देर में ही उन्होंने लंड चूस कर उसे खड़ा कर दिया और बोलीं- आज रात मैं तेरी कुतिया हूँ. चोद कमीने.

मैंने हंस कर उन्हें वापस डॉगी स्टाइल में रख कर अपना लंड उनकी गांड में फेरा. तो वो बोलीं- नहीं उधर मत कर. मैंने कभी गांड नहीं मरवाई है.
मैंने बोला- आज तो मैं तेरी गांड जरूर मारूंगा.

मैंने अपने लंड पर थूक लगा कर उनकी गांड के छेद पर लंड पेल दिया.

सेक्सी मौसी आगे को होकर चिल्लाने लगीं- आह निकाल ले … बहुत दर्द हो रहा है.

मगर मैं कहां मानने वाला था. मैं उनकी कमर पकड़ कर जोर जोर से धक्के देने लगा. वो बहुत तेज चीख रही थीं.

मगर थोड़ी देर बाद उन्हें भी मजा आने लगा और अब सेक्सी मौसी की गांड मेरे लंड को मजा देने लगी.

मैं काफी देर तक उनकी चूचियां दबाता हुआ उनकी गांड मारता रहा. बीच बीच में मैं उनकी चुत में भी लंड पेल देता, जिससे उन्हें भी मजा आने लगता. फिर बीस मिनट बाद मैं उनकी गांड में ही झड़ गया.

उस रात मैंने उन्हें पूरी रात कई बार चोदा. वो लस्त पस्त हो गई थीं.

सुबह चार बजे मैंने उन्हें दूध ब्रेड खिलाई और एक पेन किलर दे दी.
वो मेरे साथ नंगी ही चिपक कर सो गई.

अगले दिन दस बजे उनकी नींद खुली तब वो लंगड़ाते हुए अपने घर गयी.

फिर शाम को मौसी ने मेरे घर आकर मुझसे फिर से अपनी चुदाई करवाई.
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#5
मौसेरी भाभी की मस्त चुदाई
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मेरा नाम सुमित कुमार है. मैं मध्यप्रदेश का रहने वाला हूं. मुझे लगा कि मुझे भी अपनी एक सच्ची सेक्स कहानी लिखना चाहिए.

पहले मैं आपको अपने बारे में बता देता हूँ. मैं कोई बॉडीबिल्डर नहीं हूँ, न ही हीरो हूँ … बस एक सिंपल सा जवान लड़का हूँ. मेरी उम्र 23 साल की है. मेरी लंबाई 5 फुट 10 इंच है और मेरे लंड का साइज 6-7 इंच होगा, मापा कभी नहीं है.

ये बात आज से एक साल पहले उस वक्त की है, जब मैं अपने किसी काम से अपनी मौसी के यहां गया था.

मैं बाइक से अपनी मौसी के घर पहुंचा, तो पता चला कि घर के सभी लोग कहीं शादी में बाहर गए हैं और घर पर केवल मेरी भाभी हैं.

भाभी मुझे आया देखकर बहुत खुश हो गईं और बोलीं- आओ भैया … आज कैसे रास्ता भूल गए?
मैंने कहा- अरे मैं आप लोगों से ही मिलने आया था.
भाभी बोलीं- आओ … बैठो, मैं चाय पानी लेकर आती हूँ.

थोड़ी देर में चाय पीते हुए हम दोनों बातें करने लगे.

मैं आपको भाभी के बारे में बता दूँ. भाभी का नाम पार्*ती है पर सब उनको पारो कहते हैं. उनकी उम्र यही कोई 34-35 साल की रही होगी. भाभी एकदम गोरी-चिट्टी हैं उनकी हाईट जरा कम थी, पर बहुत बड़ी माल दिखती हैं. उनके चुचे 34 इंच के थे. पीछे उठी हुई गांड 36 इंच की.

पारो भाभी ने बताया कि उनके रिश्ते के चाचा के यहां शादी है, तो सब वहां गए हैं … अब तो वे सब सुबह ही वापस लौटेंगे.
मैंने कहा- कोई बात नहीं, आप तो हो.

वो हंस दीं और भाभी से बातें करते करते कब शाम हो गयी, कुछ पता ही नहीं चला.

पारो भाभी मुझसे बोलीं- चलिए आप टीवी देखो, मैं खाने की तैयारी करती हूं.
मैंने ओके बोला.

वो अपनी गांड मटकाती हुई अन्दर रसोई में चली गईं.
मैं टीवी देखता रहा.

करीब 8 बजे भाभी बोलीं- सुमित, आओ खाना तैयार है.

मैंने जाकर हाथ धोए और हम दोनों ने साथ में ही खाना खाया. खाना खाते समय मेरी नज़र उनके बूब्स पर टिकी हुई थी, जो कि कयामत लग रहे थे. मेरा तो लंड खड़ा हो गया.

पारो भाभी समझ गयी थीं कि मैं क्या देख रहा हूँ. वैसे भी महिलाएं मर्दों की नजरों की बड़ी पारखी होती हैं.

भाभी ने अपनी साड़ी सही की और खाना खत्म करके वे बर्तन धोने चली गईं.

मैं मोबाइल देखते हुए उनके बारे में ही सोचने लगा. भाभी मुझे पहले से बहुत पसंद थीं. आज बार बार मैं उन्हें याद करते हुए अपना लंड पकड़ रहा था.

तभी मेरी नज़र भाभी पर पड़ी. उन्होंने मुझे ऐसा करते देख लिया था.
पारो भाभी गुस्से से बोलीं- ये क्या कर रहे हो?

मैं घबरा गया और जल्दी से अपने हाथ को लंड से हटा लिया.
पारो भाभी ने फिर बोला- क्या कर रहे थे?
मैं कुछ नहीं बोला.

भाभी बोलीं- और वो खाना खाते टाइम आप क्या देख रहे थे?
अब मैं घबरा गया.

पारो भाभी लगातार मुझे पेरते हुए बोलीं- क्या हुआ … चुप क्यों हो गए?
मैंने धीमे से कहा- कुछ नहीं भाभी.

भाभी अब कुछ बदले से स्वर में बोलीं- तुम्हारी कोई जीएफ नहीं है?
मैं बोला- है.
वो मुस्कुरा कर बोलीं- अच्छा … मतलब वो भी है.

फिर भी मैंने थोड़ी हिम्मत से बोला- पर उसके पास आप जैसे वो नहीं हैं.
ये सुनकर भाभी हंस पड़ीं और बोलीं- चलो हटो … ज्यादा मत बोलो.

मैंने फिर कहा- सच में पारो भाभी, आप बहुत खूबसूरत हो.
भाभी आंख नचाते हुए बोलीं- अच्छा … क्या क्या खूबसूरत दिख रहा है!
मैंने कहा- बहुत कुछ भाभी.
भाभी बोलीं- हम्म … चलो मैं बिस्तर लगा देती हूं. आप आराम करो.

ये कह कर भाभी जाने लगीं, तो मेरा मूड खराब हो गया. मैंने हिम्मत की और उनको पीछे से पकड़ कर उनकी गर्दन पर किस करने लगा.

पारो भाभी मुझसे छुड़ाने की कोशिश करने लगीं. मैंने उन्हें पकड़ कर बेडरूम में ले गया और किस करने लगा.

वो बार बार बोल रही थीं- छोड़ो … ये गलत है … मैं तुम्हारी भाभी हूँ … छोड़ो.
मैंने उनकी बात को नजरअंदाज किया और लगातार उनको किस करता रहा.

थोड़ी देर में भाभी भी मेरा साथ देने लगीं. अब मैं थोड़ा आगे बढ़ते हुए उनकी साड़ी खोलने लगा. दूधिया रोशनी में पीले ब्लाउज और पेटीकोट में भाभी एकदम मस्त माल लग रही थीं.

फिर मैंने धीरे से उनका ब्लाउज के बटन खोलने शुरू कर दिए और देखते देखते मैंने उनके सारे बटन खोल कर ब्लाउज निकाल कर अलग फेंक दिया.

अब वे मेरे सामने सिर्फ पेटीकोट और ब्रा में थीं. मेरा तो लंड जैसे आग उगल रहा था. मैंने धीरे-धीरे भाभी को चूमना शुरू कर दिया और उनके गाल, नाक, कान सबको चाटने लगा.

मैंने उनको गले से लगाया और पीछे हाथ ले जाकर धीरे से उनकी ब्रा का हुक खोलने लगा. मैंने भाभी की ब्रा निकाल कर अलग कर दी. अब उनके 34 के मम्मे मेरे सामने फुदक रहे थे. मैंने एक मम्मे को मुँह में ले लिया और बच्चे के जैसे चूसने लगा.

पारो भाभी ‘आह उम्म्म..’ की आवाज करे जा रही थीं. मेरी वासना बढ़ने लगी और मैंने धीरे से उसके पेटीकोट को खोल कर नीचे गिर जाने दिया.

भाभी भी मेरा साथ देने लगीं. उन्होंने मेरी शर्ट के बटन खोले और मेरी बनियान निकाल दी. अब मैं ऊपर से नंगा हो गया था.

उसी समय मैंने जल्दी से अपने पैन्ट का हुक खोला और पैन्ट को नीचे सरका दिया.

आप हम दोनों सिर्फ नीचे से लंड चुत को ढकने वाले कपड़े ही पहने हुए थे.

मैंने उनको एक धक्का दिया और वो बेड पर गिर गईं. मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया. भाभी की टांगों को चूमते चाटते हुए मैं ऊपर को बढ़ने लगा.

मैं भाभी की पैन्टी के पास पहुंचा, तो वो कामुक सिसकारियां ले रही थीं- आह उह उह … क्या कर रहे हो!
भाभी ना जाने क्या-क्या क्या बोल रही थीं.

मैंने धीरे से उनकी पैन्टी की इलास्टिक में उंगलियां फंसा दीं और उसको खींचते हुए नीचे सरकाया. पारो भाभी ने भी अपनी टांगें हवा में उठा दीं, तो मैंने उनकी पैंटी को पैरों से आजाद कर दिया.

अब भाभी मेरे सामने बिल्कुल नंगी पड़ी थीं. आज मेरी बहुत दिनों की तमन्ना पूरी होने जा रही थी कि जिस चीज को मैं देखने के लिए इतना इंतजार कर रहा था, आज वह मेरे सामने नंगी पड़ी थी.

मैंने भाभी की दोनों टांगों को खोलकर थोड़ा फैलाया तो उनकी चुत पर हल्के हल्के से बाल थे. भाभी की चुत अन्दर से बिल्कुल लाल थी. मैंने धीरे से उनकी चुत पर अपने होंठ रख दिए और जोर जोर से चाटने लगा.

भाभी मेरे सर को पकड़ कर अपनी चुत में धकेल रही थीं और मैं भाभी की रसभरी चुत को मस्ती से चाटे जा रहा था. भाभी गांड उठाते हुए ना जाने क्या क्या बड़बड़ा रही थीं. उनकी आंखें मदहोशी से बंद हो गई थीं.

लगभग यही दो-तीन मिनट तक चुत चाटने के बाद मैं भाभी के होंठों को चाटने लगा. उसी समय भाभी का हाथ मेरे अंडरवियर में घुस गया. भाभी मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगीं.

जब मैंने उनके होंठों को छोड़ा, तो भाभी बोलीं- सुमित अब और मत तड़पाओ … जल्दी से डाल दो.
मैं- आप मेरा नहीं चूसोगी?

भाभी ने ये सुना तो झटके में मेरा अंडरवियर खींच कर अलग किया और मेरे 7 इंच के खड़े लंड को भाभी ने मुँह में भर लिया. अपने मुँह में मेरा लेकर भाभी बड़े प्यार से लंड चूसने लगीं.
मेरे खड़े लंड पर चार पांच चुप्पे देने के बाद भाभी बोलीं- कितना मस्त है तेरा लंड, मजा आ गया चूसने में.

मैं भाभी के मुँह से अपने लंड की तारीफ़ सुनकर मस्त हो गया. कोई 5 मिनट तक लंड चूसने के बाद भाभी रुक गईं.

उनकी आंखों में चुदाई की वासना देख कर मैं बोला- अब खेल चालू करते हैं.
पारो भाभी चुत खोल कर लेट गईं.

मैंने कहा- भाभी कैसे चुदना पसंद है आपको?
भाभी बिना बोले उठीं और मुझे धक्का देकर बिस्तर पर गिराते हुए बोलीं- जब से चुदुर चुदुर कर रहा है … मेरी चुत सुलगी जा रही है.

वो झट से मेरे लंड के ऊपर चढ़ गई और अपने हाथ से मेरे लंड को अपनी चुत पर सैट करने लगीं.

मैंने भाभी का साथ देते हुए अपने लंड को चुत के छेद में में लगाकर एक नीचे से एक जोर का झटका दे दिया. मेरा आधा लंड भाभी की चुत में घुसता चला गया.

भाभी के मुँह से ‘उह मर गई..’ की आवाज निकल गई. फिर एक दो पल बाद भाभी मेरे लौड़े पर सवार हो गईं.
पहले थोड़ी देर तक भाभी ने धीरे-धीरे से लंड चुत में रगड़ा. उसके बाद बड़ी तेजी से भाभी अपनी गांड से उठा उठा कर चुत की चुदाई करवाने लगीं.

मेरी तो आज जन्नत की सैर हो गई थी. पारो भाभी एकदम मस्त खिलाड़ी की तरह मुझे चोद रही थीं.

दस मिनट तक चुत लंड का खेल खेलने के बाद भाभी हांफने लगीं. वो ‘आह उह मां..’ करते हुए रुक गईं.

मैंने पूछा- भाभी क्या हुआ … थक गईं क्या?
भाभी- अब आप ऊपर आ जाओ … मेरे से और नहीं होगा.

मैंने बिना लंड निकाले भाभी को पलट कर सीधा किया और एकदम से उनकी दोनों टांगें खोलकर उनके ऊपर चढ़ गया.

मैंने अपना लंड की चुत की जड़ तक पेल दिया और जोर जोर से झटके मारने लगा. भाभी नीचे से अपने चूतड़ों को उठाते हुए मेरा साथ दे रही थीं.

थोड़ी देर बाद भाभी एकदम से अकड़ गईं और उन्होंने अपने दोनों पैरों को मेरी कमर में बांध दिया. मैं समझ गया कि भाभी का काम फिर से हो गया है.

मैं अब और जोर जोर से धक्के मारने लगा.
मेरा भी छूटने वाला था. मैंने भाभी की चुदाई की स्पीड बढ़ा दी.

जब मेरे लंड का माल गिरने को हो गया … तो मैंने भाभी से पूछा- कहां निकालु ? अन्दर या बाहर? ???????
भाभी बोलीं- आह अन्दर ही छोड़ दो … मेरा ऑपरेशन हो गया है … बाच्चा ठहर जानेका कोई दिक्कत नहीं है.

बस मैंने अपना सारा लावा उनकी चुत में उड़ेल दिया और हांफते हुए उनके ऊपर ही ढेर हो गया.

कुछ 5 मिनट बाद उनके ऊपर से हटा और अपने लंड को उनकी साड़ी से साफ़ किया और हम दोनों चिपक कर बातें करने लगे.

फिर मैं पलंग से उतर कर बाथरूम में चला गया. मैं पेशाब करके आया, तो मुझे थोड़ी थकान महसूस हो रही थी. मैंने बहुत दिनों से चुत चुदाई नहीं की थी. शायद भाभी ने भी नहीं की थी … इसलिए भाभी भी करवट लेकर लेट गई थीं.

मैंने उनको हिलाते हुए बोला- भाभी क्या हुआ?
भाभी- आपने तो मुझे थका दिया यार!

मुझे थोड़ी ठंडी लग रही थी, इसलिए मैंने भाभी से बोला- भाभी, क्या आप मेरे लिए चाय बना कर लाओगी?
भाभी बोलीं- हां अभी 5 मिनट में लाई.

भाभी अपना पेटीकोट उठाकर पहनने लगीं, तो मैंने पेटीकोट पकड़ लिया और बोला- ऐसे ही चली जाओ न … आज यहां देखने वाला कौन है? किससे शर्मा रही हो आप.
पारो भाभी हंस दीं और अपनी गांड मटकाते हुए किचन की ओर जाने लगीं.

भाभी नंगी ही किचन में जाकर चाय बनाने लगी थीं. मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया था और भाभी की चुत की मांग करने लगा था.

मेरे दिमाग में खुराफात सूझी कि क्यों ना भाभी को किचन में ही चोदा जाए. मैं भी जल्दी से किचन की ओर चला गया.

पारो भाभी उस समय चाय छान रही थीं, तो मैंने धीरे से उनके चूतड़ों पर एक थप्पड़ लगा दिया.

वो आंख दिखाते हुए बोलने लगीं- यह क्या कर रहे हो सुमित … चाय छलक जाएगी.
मैंने बोला- आपकी मोटी गांड बहुत मस्त है भाभी.
भाभी जोर से हंसने लगीं- चल पगले … पहले चाय पी लो.

मैंने उनके हाथ से कप लिया और चाय खत्म करके उन्हें देखने लगा. भाभी दूध फ्रिज में रखने लगीं. वो झुक कर काम कर रही थी, तो नंगी भाभी की मोटी गांड का छेद मेरे सामने चौड़ा हो गया. मेरा लौड़ा फिर से तन कर खड़ा हो गया. मेरे दिमाग में अब भाभी की गांड मारने का ख्याल आ गया था.

मैंने भाभी को पकड़ा और उनकी पीठ पर किस करने लगा.
भाभी बोलीं- रूम में चलकर करते हैं.
मैंने कहा- नहीं भाभी, मुझे आपकी गांड मारनी है … और मैं यहीं आपकी गांड मारूंगा.
भाभी ने पलटी मार दी और बोलीं- नहीं मैं गांड नहीं मरवाती हूँ, मुझे दर्द होता है.

मैंने उनकी बात अनसुनी करते हुए उनके होंठों को चूसने लगा और उनके चूचों को दबाते हुए बारी-बारी से चूसने लगा.

पारो भाभी का भी फिर से मूड बन गया और वो मादक स्वर में ‘उफ़ आह उह आह उफ..’ करने लगीं.

मैं नीचे बैठ गया और भाभी की एक टांग को ऊपर उठाकर किचन की स्लिप पर रख दिया और उनकी चुत में मुँह लगाकर चुत चाटने लगा.

कुछ देर चुत चाटने के बाद उनको मैंने वहीं घोड़ी बनने के लिए कहा.
तो भाभी जल्दी से घोड़ी बन गईं.

मैंने अपना लंड की भाभी की चुत में एक झटके में ही पेल दिया और जोर जोर से झटके मारने लगा.

करीब 5 मिनट चोदने के बाद में रुक गया.

पारो भाभी बोलीं- क्या हुआ रुक क्यों गए?
मैं- मुझे थोड़ा तेल चाहिए.
भाभी बोलीं- क्यों?
मैंने बोला- मुझे आपकी गांड मारनी है.
भाभी बोलीं- नहीं यार … मुझे दर्द होता है.

थोड़ी देर नखरे करने के बाद जब मैंने उनसे जिद करते हुए कहा, तो भाभी मान गईं.

उन्होंने मुझे तेल की शीशी दे दी. मैंने थोड़ा तेल अपने लंड पर लगाया और थोड़ा सा उंगली में लेकर नंगी भाभी की मोटी गांड के छेद में उंगली करने लगा.

नंगी भाभी ने अपनी मोटी गांड ढीली कर दी थी और मेरी दो उंगलियां भाभी की गांड में सटासट आने जाने लगी थीं.

मैंने पूछा- कैसा लग रहा है भाभी?
भाभी- पहले कभी ऐसे नहीं करवाया था … बड़ा अच्छा लग रहा है.

मैं हंस दिया और थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मुझे लगा कि अब भाभी की गांड लंड लेने के लिए तैयार है, तो मैंने उनकी कमर पकड़कर अपना लौड़ा के गांड के छेद में सैट कर दिया. भाभी की गांड का छेद टाइट होने के कारण मुझे कुछ दिक्कत हो रही थी.

मैंने झटका मारा तो लंड फिसल कर ऊपर चला गया.
भाभी हंस पड़ीं.

मैंने फिर से लंड को पकड़ा और उनकी गांड के छेद में सैट किया. इस बार मैंने एक जोरदार झटका मारा और मेरा लगभग आधा लंड गांड में चला गया था.

पारो भाभी जोर से चिल्ला दीं- ऊह मां मार डाला … निकाल अपना लंड.
मैंने थोड़ी देर तक भाभी के मम्मों को दबाया और उनकी गांड फैलाने लगा.

कुछ देर बाद मुझे लगा कि उनका दर्द कम हो गया है. भाभी भी थोड़ी सी ऊपर उठने लगी थीं. तो मैंने अपने लंड को और अन्दर ठेला. भाभी ने लंड को लील लिया. मैं भाभी की गांड में लंड अन्दर-बाहर करने लगा.

थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि भाभी आराम से लंड ले रही हैं, तो मैंने एक जोरदार झटका दे मारा, जिससे मेरा पूरा लंड अन्दर चला गया.

भाभी की चीख़ फिर से निकल गयी- उइ मां मार दिया साले ने … फाड़ दी मेरी गांड!
पारो भाभी दर्द से तड़पने लगीं.

मैं थोड़ी देर बिना हिले डुले उनके मम्मों और पीठ को सहलाता रहा. थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि उनका दर्द कम होने लगा है, तो मैंने तेल की शीशी से भाभी की गांड में फंसे अपने लंड पर तेल टपकाया और धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगा. तेल की चिकनाई से लंड बड़े प्यार से अन्दर बाहर होने लगा था. भाभी को भी दर्द नहीं हो रहा था.

अब मैं धीरे-धीरे झटके देने लगा. भाभी मस्ती ने बड़बड़ करने लगीं- आह अब ठीक लग रहा है … और तेज करो!

भाभी का जोश बढ़ता गया और मैंने स्पीड बढ़ा दी. अब मैं अपनी पूरी फुल स्पीड से भाभी की गांड को चोदने लगा. भाभी भी पूरी मस्ती में ‘अह उह अह उह..’ कर रही थीं.
कोई बीस मिनट तक भाभी की गांड मारने के बाद मैं नंगी भाभी की मोटी गांड में ही झड़ गया.

इसके बाद हम दोनों अलग हुए और रूम में आ गए.
मैंने भाभी से बोला- कैसा लगा?
भाभी बोलीं- तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी … तुम गन्दी चुदाई करते हो पर मज़ा बहुत देते हो.

उस रात में भाभी को दो बार और चोदा. फिर मैं सुबह 10 बजे वहां से निकल गया.
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#6
दिल्ली वाली भाभी की तड़पती जवानी
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आप सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार, मैं विकास राणा, अम्बाला का रहने वाला हूँ मेरी उम्र 28 साल है. मैं हेल्थी हूँ. मेरी हाइट 5 फुट 7 इंच है और लंड का साइज़ 6 इंच है. ये चुदाई स्टोरी अभी हाल ही की है, जो मेरे साथ घटी.

मैं अपने काम की वजह से अक्सर दिल्ली एक फैक्ट्री में जाता रहता हूँ. मेरा होलसेल का काम है. इसी दौरान मेरी मुलाक़ात एक भाभी से हुई, जो दिल्ली की उसी फैक्ट्री में जॉब करती थीं जहां मुझे माल खरीदने जाना होता था.

भाभी का नाम रेखा था. उनकी उम्र 30 साल करीब थी और वो काफी सुन्दर थीं. उनका साइज़ 32-28-34 का था. भाभी एक छरहरे बदन की मल्लिका थीं. मैं उनको देखने का एक भी मौका नहीं छोड़ता था. शायद भाभी ने मेरी इस नजर को भांप लिया था, मगर उन्होंने मुझसे कभी कुछ नहीं कहा.

जब भी मैं वहां जाता था, तो उनसे मेरी काफी बातचीत होती रहती थी. मेरे सामान का जितना भी ऑर्डर होता था, सब रेखा भाभी ही रेडी कराती थीं.

जब मैं जून में दिल्ली गया, तो भाभी से मिला. इस बार आर्डर ज्यादा था, तो माल जल्दी पैक नहीं हो पा रहा था. इस वजह से मैंने रेखा भाभी का नम्बर ले लिया ताकि मुझे अपना सामान जल्दी पैक करवाने में उनसे बातचीत में कोई दिक्कत ना हो.

मैं अपने बाकी के काम के लिए दिल्ली की दूसरी जगह चला गया. मेरे आने से पहले ही मुझे मेरा सामान रेडी मिल सके. इसलिए मैंने भाभी से उनका नम्बर ले लिया था. इस नम्बर से मुझे ये सुविधा भी होने वाली थी कि कभी कोई थोड़ा सा माल कम लेना हुआ तो उनको फोन करके बता दिया और मुझे माल की डिलीवरी घर बैठे मिल जाए.

अब रेखा भाभी से मेरी अक्सर फ़ोन पर बात होने लगी. चूंकि व्हाट्सैप का जमाना है सो भाभी से कभी व्हाट्सैप पर बात होने लगी.

एक बार व्हाट्सैप पर बात होना शुरू हुई, तो सुबह शाम की हैलो हाय भी होने लगी. भाभी मुझसे कुछ ज्यादा ही बात करने लगी थीं. मुझे भी भाभी में रस आता था, इसलिए मैं भी रेखा भाभी से लसने लगा. कुछ ही समय में हम दोनों एक दूसरे से काफी खुलने लगे थे.

इसी दरमियान हम दोनों ने एक दूसरे को अपने बारे में काफी कुछ बताना शुरू कर दिया था. रेखा भाभी ने भी मुझे अपनी लाइफ़ के बारे में बताया. भाभी शादीशुदा होने के बावजूद भी अपने पति के ड्रिंक करने की वजह से पांच साल से अलग रहकर दिल्ली में जॉब कर रही थीं.

जब उन्होंने मुझसे अपने पति से अलग रहने की बात कही, तो मुझे उनमें एक प्यासा माल नजर आने लगा. मैंने उनको कुछ इसी तरह की बातों की तरफ मोड़ा, जिससे वो अपने दिल के दर्द को मुझसे शेयर करने लगें.

आग शायद उस तरफ भी लगी हुई थी. इसलिए नतीजा ये हुआ कि भाभी धीरे धीरे मुझसे एकदम खुलकर बात करने लगीं. हम दोनों में एडल्ट जोक्स भी होते रहते थे.

एक दिन जब मैंने उनको बोला- मैं आपको बहुत पसन्द करता हूँ.
उन्होंने भी ‘सेम हियर..’ बोल कर रिप्लाई दे दिया.

मुझे तो मानो अंगूर का चमन नसीब हो गया था. ऐसा ग़दर माल मुझसे पसंदगी जता रहा था, मतलब उसकी चुत में भी लंड की दरकार थी.

मैंने उनसे प्यार मुहब्बत की बातें करनी शुरू कर दीं और भाभी भी मुझसे अपने दिल का हाल सुनाने लगीं. हम दोनों अब वीडियो चैट भी करने लगे थे. रात को देर तक भाभी के साथ बात होने लगी थी. शायद हम दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे थे. इस बीच भाभी ने मुझे अपने शरीर के थोड़े बहुत दर्शन भी करा दिए थे.

एक दिन मैंने उनसे मिलने को बोला, तो वो भी सेक्स के लिए तड़प रही थीं. उन्होंने झट से हामी भर दी.

हम दोनों ने एक होटल में मिलने का तय किया. मैंने ऑनलाइन एक होटल में रूम बुक किया और भाभी को बताया कि मैं 25 जुलाई को आ रहा हूँ.

भाभी की दो दिन की ऑफिस से छुट्टी थी. मैंने उस दिन दिन में बारह बजे दिल्ली पहुंच कर उनको कॉल किया.

उन्होंने बोला कि मैं चार बजे तक आऊंगी. उनको अचानक से कोई काम आ गया था. मैंने हामी भरते हुए उनसे इन्तजार करने की बात कही.

भाभी के चार बजे तक आने की जानकर मैंने होटल के कमरे में रेस्ट किया और उनने आने का वेट करने लगा. भाभी के आने का मुझे बड़ी बेसब्री से इन्तजार था मगर टाइम था कि कट ही नहीं रहा था. उनको चोदने के बारे में सोच सोच कर मेरा लंड भी अकड़ गया था और दर्द करने लगा.

जब रेखा भाभी का कॉल आया कि मैं 15 मिनट में आ जाऊंगी. तो मैं एकदम से बेसब्र हो गया और उनके आने का इन्तज़ार करने लगा.

उन्होंने होटल के बाहर आकर मुझे फोन लगाया. मैंने उनको रूम नम्बर 107 में आने को बोला. जब भाभी ने कमरे के बाहर आकर दरवाजे पर दस्तक दी. तो मैंने उन्हें अन्दर आ जाने का कहा.

भाभी कमरे में आईं और डोर लॉक करके पलटीं, तो मैं उनको देखता ही रह गया. वो आज बहुत ही मस्त और हॉट लग रही थीं. उनको देखते ही मैंने अपनी बांहें फैला दीं और भाभी ने अपनी बांहें भी मेरी तरफ खोल दीं. मैंने उनको बांहों में लेकर ज़ोर से अपने सीने से लगा लिया. उन्होंने भी अपनी बांहें फैलाकर मुझे अपनी बांहों में ले लिया.

काफ़ी देर तक हम एक दूसरे को बस फ़ील करते रहे और एक दूसरे को बांहों में भरे आपस में खोये रहे.

फिर धीरे से मैंने भाभी के माथे को चूमा और उनके गालों पर किस किया. भाभी एकदम से सिहर गईं और लजा गईं.

मैंने उनके फूल से नाज़ुक होंठों को किस किया, तो अबकी बार उन्होंने भी इसमें मेरा पूरा साथ दिया. हम दोनों खड़े खड़े ही एक दूसरे को किस करते रहे. कभी उसके ऊपर वाले होंठ को, तो कभी नीचे वाले होंठ को चूमने लगा और भाभी भी मुझे चूमने में सहयोग करती रहीं.

कभी मैं उनके मुँह में अपनी जीभ डाल देता, जिसको वो दोनों होंठों में लेकर किस करने लगतीं और अपने मुँह में और अन्दर तक लेने की कोशिश करतीं.

उनको किस करते हुए ही मैं उनके गले, गालों और उनके कान की लौ को चूमने लगा. साथ ही अपने एक हाथ से उनके दोनों चूचों को दबाने लगा. इससे रेखा भाभी बहुत ज़्यादा गर्म हो गईं और उनके मुँह से ‘आह आह..’ की आवाज़ आने लगी.

मैंने धीरे धीरे उनके कपड़े निकालने शुरू किए. जैसे ही मैं उनके शर्ट को निकाला … एक रेशमी रेड ब्रा में क़ैद उनके दोनों मस्त कबूतर बाहर आने को तड़पते दिखे. मैंने एक पल उनकी रसभरी चूचियों को देखा और एक हाथ से चूचियों को सहलाते हुए धीरे से उनकी ब्रा को निकाल दिया. आह एकदम से दोनों उरोज मानो मेरे हाथों का धन्यवाद कर रहे थे. बाहर की खुली हवा में भाभी के मम्मे फुदकने लगे.

मैंने उनके दोनों चूचों को बारी बारी से जीभ की नोक से चाटा. भाभी की सीत्कार निकल गई और उन्होंने मुझे अपनी चुचियों में खींच लिया. मैंने एक निप्पल को मुँह में लेकर पीने लगा और दूसरे निप्पल को अपनी दो उंगलियों के बीच दबाते हुए मसलने लगा.

रेखा भाभी का मस्ती में बुरा हाल होने लगा. वो इस समय ऐसे तड़प रही थीं … जैसे बिन पानी के मछली तड़पती है.

उनके मम्मों को पीते हुए जैसे ही मैंने एक हाथ को उनकी सलवार में डालना चाहा, तो भाभी ने झट से मेरा हाथ रोक लिया. मैंने एक हाथ से उनके एक दूध को पकड़ कर ज़ोर से दबाया, तो उनका हाथ सलवार से हट गया. मैं दूसरे मम्मे को चूसता रहा और पहले हाथ से जल्दी से उनकी सलवार के नाड़े को खींच दिया.

भाभी की सलवार ढीली होते ही जैसे ही नीचे गिरी. मानो पूनम के चाँद की रोशनी फ़ैल गई. एकदम दूधिया और संगमरमर जैसी चिकनी जांघें सामने अपना जलवा बिखेरने लगीं.

मैं हाथ को भाभी की चूत पर लगा दिया. उनकी पैंटी के ऊपर से ही चुत से हाथ टच हुआ, तो पाया कि उनकी चूत तो बहुत ही ज़्यादा गीली और रस से बह रही थी. मैंने भाभी को और तड़पाने के लिए अपनी एक उंगली पैंटी के अन्दर ले जाते हुए उनकी चूत में डाल दी.

जैसे ही मेरी उंगली भाभी की चूत में गई … तो उनके मुँह से एक गर्म आह निकल गई. मुझे उनकी चूत काफ़ी टाइट फ़ील हुई. धीरे धीरे उंगली से ही मैंने भाभी की चुदाई शुरू कर दी. इस वक्त मेरे लंड का बुरा हाल हो रहा था. लंड न जाने कब से अकड़ा पड़ा था, पर मैं रेखा भाभी को ख़ुश करने के चक्कर में सब भूल गया और मेरा उनकी टपकती चूत को चूमने को दिल करने लगा.

मैं उनकी नीचे सरकी हुई सलवार और पेंटी को उनकी टांगों से निकाल दिया और भाभी को एकदम नंगी कर दिया.

मैंने उनको अपने सामने थोड़ा दूर किया और उनकी उफनती जवानी के दरिया को मदहोशी से देखने लगा. भाभी ने मेरी आँखों में झांका, तो एकदम से शर्मा उठीं और अपने दोनों हाथों की हथेलियों से अपनी आंखों को छिपाते हुए कहने लगीं- मुझे शर्म आ रही है.

मैं उनकी कमर में हाथ डाला और उन्हें बिस्तर की तरफ ले गया. भाभी बिस्तर पर चित लेट गईं और मैंने उनकी दोनों टांगों को फैला दिया. भाभी की आंखें मुंदी हुई थीं और मैं उनकी चुत पर अपनी नाक लगा कर चुत की महक अपनी सांसों में लेने की कोशिश कर रहा था.
भाभी ने चुत एकदम साफ़ की हुई थी और चुत पर कोई सेंट लगाया हुआ था. उनकी चुत से किसी चॉकलेट फ्लेवर की महक आ रही थी.

मैंने जीभ को नुकीला किया और चुत की फांकों में ऊपर से नीचे तक फेर दिया. भाभी की एक लम्बी आह निकल गई और उन्होंने अपने दोनों हाथों की मुट्ठियों से बिस्तर की चादर को भींच लिया. मैंने फिर से चुत पर जीभ को फेरा तो उनकी टांगें खुलती चली गईं. शायद भाभी को चुत चटवाने में मजा आने लगा था.

उनकी चुत से नमकीन पानी मुझे मस्त मजा दे रहा था. तीसरी बार जीभ को मैंने चुत के अन्दर डाला तो अबकी बार भाभी ने गांड उठा कर मेरा सहयोग किया.

मैंने उनकी क्लीन शेव्ड चूत को जोरदार किस किया और पूरी चुत को मस्ती से चाटने लगा. मैं भाभी की चूत में जीभ अन्दर तक डाल कर चाटने लगा, तो रेखा भाभी मेरे सर को अपनी चूत पर और ज़ोर से दबाने लगीं. उनके शरीर ने साथ छोड़ना शुरू कर दिया था और थोड़ी ही देर में ही उनकी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया. चुत से पानी निकलते ही रेखा भाभी ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और ज़ोरों से किस करने लगीं.

इसी बीच भाभी ने उठ कर अपने एक हाथ से मेरी पैंट और निक्कर को निकाल कर मुझे भी नंगा कर दिया. फिर वो मेरे लंड को हाथ में लेकर ऊपर नीचे करने लगीं और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर किस करने लगीं, चूसने लगीं.

थोड़ी देर तक किस करने पर मुझे लगा कि अगर भाभी थोड़ी देर ऐसे ही मेरा लंड चूसती रहीं, तो मैं उनके मुँह में ही झड़ जाऊंगा. मैं ये नहीं चाहता था.

मैंने रेखा भाभी के मुँह से लंड बाहर निकाला और उनको किस करते हुए लेट जाने इशारा किया. भाभी लेट गईं और मैंने नीचे उनकी दोनों टांगें ऊपर उठा कर उनकी चूत पर लंड सैट कर दिया.

लंड ने भाभी की चुत की फांकों में एक बार अपना मुँह चलाया और एक ज़ोर का धक्का दे मारा. मेरा मोटा लंड रेखा भाभी की चूत को चीरता हुआ सीधा उनकी बच्चेदानी से जा टकराया. भाभी के मुँह से एक दर्द भरी आह निकलने को हुई, जो उन्होंने अपने होंठों में ही दबा ली.

मैंने भाभी की ज़बरदस्त चुदाई शुरू कर दी. मैं भाभी के मम्मों को अपने हाथों में दबाते हुए उनके चुदाई में मस्त था और भाभी भी गांड उठा उठा कर अपनी चुत में लंड ले रही थीं.

ऐसे ही भाभी की चुदाई करते हुए मैंने उनसे पूछा- पोजीशन बदलना चाहोगी?
भाभी ने हामी भरी.
तो मैंने उनको डॉगी स्टाइल में होने का बोला. वो जल्दी से डॉगी बन गईं.

फिर पीछे से मैंने उनकी चूत में लंड डाल कर चुदाई का मजा लेना शुरू किया.

करीब बीस मिनट बाद मैंने भाभी से पूछा कि माल किधर लोगी भाभी? अन्दर या बाहर? ??????
भाभी- अन्दर ही डाल दो. आभि सेफ टाईम हे।
मैंने उनकी चुत को लंड रस से भर दिया.

इस तरह पूरी रात मैंने भाभी को 4 बार चोदा. अगले दो दिन तक हम दोनों ने दिन रात जमकर चुदाई की.

इसके बाद भाभी मेरी लगभग लुगाई बन गईं. मैं हर हफ्ते दिल्ली जाता हूँ और सुबह सुबह उनको चोद कर हम दोनों साथ ही कम्पनी जाते हैं और शाम को भाभी को उनके घर छोड़ कर और चोद कर ही मैं वापस आता हूँ.
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#7
फौजी की बीवी ने मौज करा दी
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दोस्तो, मेरा नाम साहिल है, मेरे पापा एक आर्मी मैन हैं, हम सब एक फौजी कालोनी में रहते हैं।
पापा की जॉब की वजह से हम सब करीब करीब आधे से ज़्यादा हिंदुस्तान घूम चुके हैं। जहाँ भी पापा की ट्रान्सफर होती, पापा हमें अपने साथ ही वहाँ ले जाते।

ऐसे में एक बार पापा की पोस्टिंग पटियाला में हो गई, हम सब वहाँ शिफ्ट हो गए, सरकारी क्वाटर मिल गया।
हमारे पड़ोस में और भी बहुत से परिवार रहते थे, उन्हीं में से हमारे बिल्कुल बगल वाला क्वाटर अरुण अंकल का था। उनके परिवार में सिर्फ तीन लोग थे, अरुण अंकल उनकी पत्नी शालू और उनकी नन्ही बेटी गीतिका।

हमारे वहाँ आने के थोड़े ही दिनों में अरुण अंकल की फॅमिली से हमारी काफी घनिष्ठता हो गई, आंटी अक्सर मुझसे घर बाज़ार के काम करवाती रहती।
करीब डेढ़ साल हमारे परिवार एक दूसरे के साथ रहे, मैंने कभी भी आंटी से कोई गलत बात नहीं की।

आंटी देखने में अच्छी सुंदर थी, गोरी चिट्टी थी, बदन भी अच्छा सुंदर था, मोटी तो नहीं थी, मगर पतली दुबली भी नहीं थी, मैंने कई बार उनके नाम की मुट्ठ भी मारी थी, मगर फिर भी उनके सामने मैं बिल्कुल शरीफ बना रहा। आंटी भी मुझसे बहुत स्नेह करती थी।
जब अंकल की पोस्टिंग बाहर की हो गई, पहले तो लगा कि ये क्वाटर छोड़ कर चले जाएंगे, मगर बाद में अंकल ने मना कर दिया कि गीतिका भी स्कूल जाने लगी थी, तो आंटी वहीं रहेंगी, सिर्फ अंकल ड्यूटी पर जाएंगे।

शुरू शुरू में तो ठीक था, मगर फिर धीरे धीरे मेरे मन में ये विचार आने लगे कि अंकल तो बाहर चले गए, अब आंटी की सेक्स की कमी कैसे पूरी होती होगी।
क्या करती होगी वो जब उसकी चूत में आग लगती होगी।

मैंने यह जानने का फैसला किया और अक्सर शालू आंटी के घर में तांक झांक करने लगा। और रात को जब तक वो बत्ती बंद करके सो न जाती, मैं इसी चक्कर में रहता कि किसी तरह से उनके बेडरूम में होने वाली हर गतिविधि को मैं देख सकूँ।

मगर ऐसा संभव न हो सका। जब कभी उनके घर जाता तो साड़ी या नाईटी में उनके बूब्स और चूतड़ देखता तो दिल करता के पकड़ के दबा दूँ, मगर हिम्मत न कर पाता।

ऐसे ही दिन बीतते गए।

एक दिन मैं उनके घर गया, आंटी घर में नहीं दिखी, मैंने गीतिका से पूछा, वो बोली- मम्मी पोट्टी कर रही हैं।
मैं बैठ कर इंतज़ार करने लगा।

हमारे फौजी क्वाटरों में लेटरीन और बाथरूम अलग अलग होते हैं, बाथरूम बिल्कुल मेरे सामने ही था।
तभी मैंने देखा, लेटरीन का दरवाजा खुला और शालू आंटी बिल्कुल नंगी लेटरीन से बाहर निकली और बाथरूम में घुस गई, उन्होंने मेरी तरफ ध्यान ही नहीं दिया।

उनको एकदम से बिल्कुल नंगी देखने का तो मैंने सोचा ही नहीं था।
मेरी तो हालत खराब हो गई, मैं उठ कर वापिस अपने घर आ गया।

बार बार मेरी आंखों के सामने आंटी का नंगा बदन आ रहा था, गोल गोल दूध से सफ़ेद बोबे, पतली कटीली कमर और गोरे गोरे मोटे चूतड़, और सबसे प्यारी छोटे से झांट के गुच्छे में छिपी उनकी चूत।

मुझे और कुछ नहीं सूझा तो मैं बाथरूम में गया और सबसे पहले आंटी के नाम की मुट्ठ मारी, जब मेरा पानी छूटा तब जाकर चैन आया।

शाम को जब मैं बाहर खड़ा था तो आंटी भी बाहर आई, मुझे देखा तो मुझे बुलाया, मैं उनके घर गया।
आंटी ने मुझे सोफ़े पे बिठाया और पूछा- आज सुबह तुम आए थे?
मैंने कहा- जी!

‘कब?’ आंटी ने पूछा।
‘जी, जब आप टॉइलेट में थी।’
आंटी ने फिर पूछा- तो, उसके बाद?
मैंने कहा- जी उसके बाद आप टॉइलेट से निकल कर बाथरूम में चली गईं।

‘तो तुमने सब देखा?’ आंटी ने पूछा।
‘जी, सब देखा…’ मैंने कहा।
‘देखो, तुम एक अच्छे लड़के हो, किसी को बताना मत!’ आंटी ने कहा।

मैंने सोचा कि यह मौका अच्छा है, बात खुली हुई है, अपना पपलू फिट करके देखता हूँ, अगर बात बन गई, तो चूत चोदने का जुगाड़ हो जाएगा।
मैंने आंटी से कहा- अरे नहीं, ऐसी बातें किसी को बताने वाली थोड़े ही होती हैं, मगर इतना ज़रूर है कि ऐसा नज़ारा मैंने ज़िंदगी में पहली बार देखा है और बार बार देखने की तमन्ना है।

मेरे सर पे काम सवार हो गया था और मैंने अपने दिल की बात साफ साफ आंटी से कह दी।
वो बोली- देखो वो एक घटना थी, मेरी बेख्याली से घट गई, आज तुम उसे फिर से देखने को कह रहे हो, कल को कुछ और कहोगे, ऐसा नहीं हो सकता, चलो जाओ यहाँ से!’ आंटी थोड़ा सख्ती से बोली।

मैं जाने के लिए उठा, मगर पता नहीं क्या हुआ और मैं एकदम आंटी पर टूट पड़ा, उन्हें दीवान पर गिरा कर मैं उनके ऊपर ही लेट गया- ओह शालू, मेरी जान, आई लव यू, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता,
प्लीज़ मान जाओ मेरी बात, मैं तुम्हें बहुत सुख दूँगा, और अंकल भी तो नहीं है, तुम्हें भी ज़रूरत होती होगी, मान जाओ, यार प्लीज़ मान जाओ’!
मैं एक ही सांस में सब कह गया।

आंटी पहले तो मेरा विरोध कर रही थी, फिर नीचे लेटी लेटी बोली- यह संभव नहीं है, मैं तुम्हारे अंकल को क्या जवाब दूँगी।
मतलब आंटी भी चाहती थी।

मैंने कहा- अंकल को बताने की ज़रूरत ही क्या है, जो भी है हम दोनों के ही बीच है।
आंटी बोली- देखो किसी से कहना मत, वरना मैं सब कहीं बदनाम हो जाऊँगी, मुझे बदनामी से बहुत डर लगता है।

मैंने अपने हाथों में आंटी के दोनों बूब्स कस कर पकड़े और उन्हें दबाते हुये बोला- चिंता मत करो डार्लिंग, मैं कभी भी किसी से भी नहीं कहूँगा।
और यह कहते कहते मैंने अपने होंठों से आंटी के होंठों को चूम लिया।

पहले एक चुंबन लिया, फिर दूसरा और तीसरी बार तो आंटी ने अपने हाथों से मेरा सर पकड़ा और खुद अपने होंठों में मेरे होंठ लेकर
चूस गई।
हाँ यह बात अलग है कि मुझे इस बात का यकीन ही नहीं हो रहा था कि आंटी इतनी जल्दी मान जाएगी।

मैंने आंटी को अपनी बाहों में ज़ोर से कस लिया, अपनी जीभ निकाली और आंटी के होंठों पर घुमाई।
आंटी बोली- होंठों पे मत घुमा… मेरे मुँह में दे।

मैंने क्या देनी थी, आंटी ने खुद ही जीभ अपने होंठों में पकड़ी और अंदर को चूस गई, और क्या खींच खींच कर चूसी, सच में मज़ा आ गया, दोनों भुक्खड़ों की तरह एक दूसरे के चेहरे को चूम चाट रहे थे।

मुझे पहले कभी चूत नहीं मिली थी, मैं तो आज तक मुट्ठ मार कर ही काम चला रहा था, आंटी को 2 महीने से लंड की प्यास थी।

एक दूसरे को अच्छी तरह से चूम चाट कर हम थोड़ा संयत हुये। आंटी ने मुझे उठाया, और खुद भी खड़ी हो गई, उसके बाद उसने अपनी नाईटी उतार दी, नाईटी के नीचे से वो बिल्कुल नंगी थी, नंगा गोरा बदन मेरे सामने था, मैंने आंटी को उसकी कमर से पकड़ा और अपने पास खींचा, मैं दीवान पे बैठ गया, और आंटी के दोनों नंगे बोबों को अपने हाथों से पकड़ कर दबाया।

आंटी ने खुद मेरा सर अपनी तरफ खींचा और अपना एक बोबा मेरे मुँह से लगाया- उस दिन यही देखा था न तुमने, लो अब जी भर के पियो इसे!मैंने आंटी का बोबा मुँह में लेकर चूसा, दूध तो नहीं था, मगर बोबा चूसना मर्द को वैसे ही बहुत अच्छा लगता है।

फिर आंटी ने दूसरा बोबा मेरे मुँह से लगाया- इसे भी पियो!
मैंने वो बोबा भी चूसा।

मेरे मन में एक सवाल था, मैंने आंटी से पूछ ही लिया- आंटी ये बताओ, आपको क्या सूझा मेरे साथ ये सब करने का?
वो बोली- क्यों, क्या मैं अंधी हूँ, जब तुम मेरे घर आते हो, मेरे बदन पे यहाँ वहाँ देखते हो, क्या मुझे पता नहीं चलता, तुम्हारे मन में क्या चल रहा है, मुझे सब पता होता था।

‘तो क्या उस दिन जो हुआ, वो भी आपको पता था?’ मैंने पूछा।
‘बिल्कुल, यह कोई इत्तेफाक नहीं था कि मैं नंगी हालत में तुम्हारे सामने लेटरीन से बाथरूम में गई, मैंने जान बूझ कर तुम्हें वो नज़ारा दिखाया था, मगर तुम तो उठ कर ही चले गए, बाद में मैं बाथरूम से भी बाहर आई थी, मगर तुम थे ही नहीं, डरपोक कहीं के भाग ही गए!’ आंटी बोली।

‘तो अगर मैं उस दिन बैठा रहता तो?’ मैंने पूछा।
आंटी बोली- ये जो अब हो रहा है, उस दिन हो जाता!
आंटी बोली- चल अब बातें मत बना और मुझे भी दर्शन करा।

मैंने पहले अपनी टीशर्ट उतारी और फिर जीन्स, मेरी चड्डी आंटी ने खुद ही खींच के उतार दी, पत्थर की तरह तना हुआ मेरा लंड बाहर आ गया।
आंटी ने एकदम से उसे अपने हाथों में पकड़ लिया- अरे वाह, क्या बात है!
आंटी बोली।

पहले उसने लंड की चमड़ी पीछे हटा कर टोपा बाहर निकाला और फिर नीचे आँड से लेकर ऊपर तक अपनी जीभ की नोक से चाटा, मेरे तो सारे बदन में झुंझुनाहट सी हो गई।
मुझे कुछ नहीं करना पड़ा, आंटी ने खुद ही मुँह में मेरा लंड लिया और चूसने लगी।

आँखें बंद करके कितनी देर उसने मेरा लंड चूसा, फिर मुझसे बोली- मेरी चाटेगा?
मैंने कहा- कभी पहले चाटी तो नहीं, पर बड़ी इच्छा है चाटने की, ज़रूर चाटूंगा।
‘तो क्या पहले कभी किया है या नहीं?’ आंटी ने पूछा।

मैंने कहा- कहाँ आंटी, आज तक कभी मौका ही नहीं मिला।
‘कितने साल का हो गया है?’ आंटी ने पूछा।
मैंने कहा- 24 का!

आंटी हंस के बोली- तो अब तक क्या करता रहा?
मैंने कहा- आपके नाम की मुट्ठ मारता रहा।

आंटी ने एक चपत मेरे चूतड़ पर मारी और बोली- धत्त, हाथ से नहीं करते, कमजोरी आती है, इससे बेहतर है के किसी चौड़े मुँह वाली बोतल में कर लो, कमर चलाओ, हाथ मत चलाओ!

कह कर आंटी मेरे ऊपर आ गई और मेरे मुँह के पास अपनी चूत लाकर, अपनी उँगलियों से उसके दोनों होंठ खोल कर बोली- लो चाटो इसे!

मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटा।
‘अरे ऐसे नहीं, अच्छी तरह से जैसे कुल्फी चाटते हो, अभी ऐसा लग रहा है, बाद में बहुत टेस्टी लगेगी, अच्छी तरह से अंदर तक जीभ डाल कर चाटो!’

मैं उसके कहे मुताबिक चाटने लगा।
पहले वो अपनी चूत का चना मेरे होंठों पर रगड़ रही थी, फिर मेरे मुँह के ऊपर ही बैठ गई, मैं अपनी जीभ उसकी चूत के सुराख के अंदर तक डाल कर चाट रहा था, यही नहीं उसने तो अपनी गांड भी चटवाई मुझसे।

उसकी चूत का पानी मेरे मुँह पर लग रहा था और बहुत सारा तो मैं पी भी गया।

जैसे जैसे मैं उसकी चूत चाट रहा रहा, और उसको मज़ा आ रहा था, वैसे वैसे वो अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़ रही थी, अपने दोनों हाथों से अपने बूब्स दबा रही थी और अपनी मुँह से तड़प और सिसकारियाँ निकाल रही थी।

उसे देख कर लग रहा था कि वो आनन्द के सातवे आसमान पर थी। मुझे तो यह भी लगा कि शायद वो मेरी चटाई से ही झड़ जाएगी, मगर नहीं, उसका पूरा कंट्रोल था खुद पर!

उसने अपनी पूरी तसल्ली से चूत चटवाई, फिर नीचे उतर गई।

मेरे मुँह से उतारने के बाद उसने मुझसे पूछा- कैसे करोगे?
मैंने कहा- जैसे तुमको अच्छा लगे।
वो बोली- मुझे तो हर तरह से अच्छा लगता है, पर तुम्हारा पहली बार है इसलिए, सीधे स्टाइल से ही शुरू करते हैं, मैं नीचे तुम ऊपर, बाद में स्टाइल बदल लेंगे!
मैंने कहा- ठीक है।

वो दीवान पे सीधी लेट गई और जब मैं उसके ऊपर आया तो उसने अपनी टाँगें फैला कर मुझे बीच में ले लिया। उसने खुद मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और मुझे धक्का मारने को कहा।
मैंने धक्का मारा मगर लंड अंदर नहीं गया, वो बोली- ऐसे नहीं इसे प्यार से अंदर डालो।

मैंने बड़े आराम से दबाव बनाया और मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया।
सच कहूँ मैने तो अपनी आँखें बंद कर ली, पहली बार किसी की चूत में लंड घुसाने के सुख मिला था मुझे, कितनी खुशी हुई मुझे, शब्दों में ब्यान नहीं कर सकता।

ब्लू फिल्में तो बहुत सी देखी थी, मगर सच में सेक्स करने का मज़ा ही कुछ और होता है।

मैं धीरे धीरे अपनी कमर चलाने लगा, लंड अंदर बाहर होने लगा और पूरा का पूरा लंड मैंने आंटी की चूत में डाल दिया।
‘आह, मज़ा आ गया शालू!’ मैंने कहा।
‘अच्छा, आंटी से सीधा शालू?’ वो बोली।
मैंने कहा- जानेमन, अब तुम मेरी आंटी नहीं, गर्लफ्रेंड बन गई हो, अब जिसे चोद रहे हो, उसे तो आंटी नहीं कह सकते।

आंटी ने अपने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ी और बोली- ओ के, मेरे बॉयफ्रेंड, चल अब अपना ज़ोर दिखा!
आंटी ने कहा और मैं अपनी पूरी ताकत से अपना लंड आंटी के चू’त के अंदर बाहर करने लगा।

आंटी बोली- इस तरह जैसे तुम इतना ज़ोर लगा रहे हो, इस से तुम भी जल्दी थक जाओगे और मुझे भी चोट पहुँचती है, तुम्हारा लंड मेरे अंदर जा कर ज़ोर से लगता है, आराम से धीरे धीरे अपने लंड से मुझे रगड़ते हुये सेक्स करो ताकि हम दोनों को मज़ा भी भरपूर आए, और तुम बिना थके ज़्यादा देर तक मेरे साथ सेक्स कर सको।

मैंने वैसे करने लगा।
आंटी ने मुझे और भी बहुत सी सेक्स की बातें बताई।
फिर मैंने आंटी को घोड़ी बना कर भी चोदा।

उसके बाद आंटी बोली- अब तुम नीचे आओ और मैं ऊपर आऊँगी।
मैं नीचे लेट गया तो आंटी ऊपर आई और मेरा लंड पहले तो उसने चूसा, फिर अपनी चूत में ले लिया।
‘तुम्हें लंड चूसना अच्छा लगता है?’ मैंने पूछा।
तो आंटी बोली- अच्छा लगता है, मेरा बस चले तो चबा के खा जाऊँ इसे, कुदरत ने यह सबसे प्यारी चीज़ बनाई है, बिना चूसे अगर सेक्स करूँ, तो मुझे लगता है कि सेक्स ही नहीं किया।

और आंटी फिर धीरे धीरे मेरे ऊपर उठने बैठने लगी। इस पोज में आंटी की चूत और भी टाइट लग रही थी।

मैंने कहा- शालू, अब तुम्हारी चूत बहुत टाइट लग रही है।
वो बोली- अभी देखना, 2 मिनट में तुम्हारा पानी निकलवा दूँगी।
आंटी मेरे ऊपर झुक गई, उसके दोनों बूब्स मेरे चेहरे के ऊपर झूल रहे थे, मैंने उनसे खेलना शुरू कर दिया, कभी दबाता तो कभी चूसता, आंटी अपनी कमर का ज़ोर दिखा रही थी।

उसने सच ही कहा थी, एक मिनट बाद ही मुझे लगने लगा कि मेरा तो अब पानी निकलने वाला है, मैंने आंटी से कहा- शालू मेरा तो होने वाला है। कहा निकालु? ????????

आंटी ने कहा नेहि रुको अन्दर मत गिराना।
फिर एकदम से मेरा लंड अपनी चूत से निकाला और हाथ में पकड़ के हिलाने लगी।
बहुत सारा माल, आंटी के पेट पर, मेरी जांघों पर और बिस्तर पर गिर गया।

आंटी ने मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया, और जैसे आखरी बूंद तक वो चूस चूस कर पी गई, और उसके बाद मेरी जांघों पे गिरा मेरा माल भी चाट गई।

मैंने कहा- अगर मैं तुम्हारे मुँह में माल छुड़वाता तो क्या सारा पी जाती?
वो बोली- क्यों नहीं, ज़रूर पीती, बल्कि अगली बार मेरे मुँह में ही गिराना।

‘तुम्हारा हो गया था क्या?’ मैंने पूछा।
‘हाँ, मेरा तो तभी हो गया था जब तुम चाट रहे थे।’ वो बोली।
उसके थोड़ी देर बाद हम दोनों साथ साथ नंगे लेटे रहे, फिर मैं उठ कर कपड़े पहन कर अपने घर आ गया और वो वैसे ही नंगी लेटी रही।

उसके बाद तो जो गाड़ी चलाई हमने कि पूछो मत, आज इस बात को 10 महीने से भी ऊपर हो गए हैं, और आज भी हमारा प्यार, मोहब्बत, इश्क या काम वासना जो भी आप कहें, बड़े मज़े से चल रहा है।
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#8
हौली वाले दिन माकन मालकिन को चोदा –
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मेरा नाम मयंक है, मैं 24 साल का लड़का हूँ, मेरी शादी हो चुकी है। मेरा शरीर दुबला है पर एक बड़े लंड का मालिक हूँ। मैं भोपाल में एक प्राइवेट कंपनी में काम करता हूँ, वैसे मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ और यहाँ भोपाल में किराये के घर में रहता हूँ।

मेरी मकान मालकिन बहुत सेक्सी हैं, उनकी आयु करीब 38 साल है। उनका एक बेटा है पर वो लगती बहुत सेक्सी हैं बिल्कुल गुड़िया जैसी। उनके पति बाहर नौकरी करते हैं और दो महीने में एक बार ही घर आते हैं। शायद इसीलिए आंटी मुझे देखती रहती थी क्योंकि उनकी सेक्स कि प्यास बुझ नहीं पाती होगी।

होली की बात है, मेरी बीवी अपने मायके गई हुई थी और मैं भोपाल में ही था। अंकल भी होली पर घर नहीं आये थे।
सुबह सब लोग होली खेल रहे थे पर मैं अकेला था तो अपने कमरे में अकेला बैठा टीवी देख रहा था। आंटी का बेटा अपने दोस्तों के साथ होली खेलने गया हुआ था। आंटी भी मोहल्ले में होली खेल कर थोड़ी देर में वापस आ गई।

वो सीधे मेरे पास आई, मैंने उन्हें होली की शुभकामनाएँ दीं तो वे शरारत से मेरे गाल पर रंग लगा कर हँसने लगी। फिर वो अपने घर चली गईं नहाने के लिए। थोड़ी देर में उनकी आवाज आई, शायद वो मुझे बुला रही थी।
मैं ऊपर गया, वहाँ देखा तो बाथरूम का दरवाजा खुला था, मैं बाहर ही खड़ा रहा तो आंटी ने आवाज देकर कहा- अंदर आ जाओ ! यह नल नहीं खुल रहा है, इसे खोल दो।
मैं अंदर गया, आंटी नंगी थी तो मुझे कुछ झिझक हुई,
आंटी ने कहा- अरे आ जाओ ! नल खोल दो !
तो मैंने कहा- आप तो…….!
आंटी बोली- तो क्या हुआ, आ जाओ ना ! क्या तुम अपनी बीवी के रहते बाथरूम में नहीं जाते क्या? शर्माओ मत और नल खोल दो…..

आंटी बिलकुल नंगी थी और उनका फिगर मेरी बीवी जैसा ही था, बिल्कुल सुडौल ! लग ही नहीं रहा था कि 38 साल की हैं और एक बेटे की माँ हैं !
मैंने जैसे ही नल खोला, उन्होंने मेरे ऊपर पानी डाल दिया और मैं पूरा भीग गया।
मैंने आंटी से कहा- ऐसे मैं कैसे नीचे जाऊँ?
तो वो कहने लगी- तुम भी यहीं नहा कर अपना रंग छुड़ा लो…..

मैंने दूर होते हुए मना किया तो आंटी ने मुझे अपनी बाँहों में भर के कहा- मैं तो तुम्हारे अनुभव का लुत्फ़ उठाना चाहती हूँ, जब तुम अपनी बीवी को चोदते हो तो मुझे ऊपर अपने बेडरूम तक उसकी सिसकारियाँ सुनने को मिलती हैं। बहुत दिनों से मैं तुमसे चुदना चाहती थी। मैं तो तुम्हारी चुदाई की आवाजों से ही समझ गई थी कि तुम चोदने में तेज हो, भले ही दिखते छोटे हो।

और उन्होंने मेरा लोअर और अंडरवियर उतार दिया और बनियान भी उतार फेकीं। अब तक मेरा भी लंड उनकी भरी चूत को देख कर पूरा खड़ा हो चुका था। उनके स्तन तो इतने गोल मटोल थे कि मेरा भी ईमान डोल गया और मैंने भी आंटी को कस कर जकड़ लिया। आखिर मेरी बीवी 15 दिन से बाहर थी तो मेरा लंड भी तबसे सो रहा था।
फिर तो मैंने आंटी को चूमना शुरू कर दिया और उनके स्तन दबाने लगा और वो भी मेरी गांड पर हाथ फेर रही थी। अचानक से उनकी नज़र मेरी छाती पर पड़ी जहाँ चुदाई के समय मेरी बीवी ने काट कर निशान बनाये थे तो कहने लगी- तुम लोग धांसू चुदाई करते हो !

निशान देख कर आंटी को भी मदहोशी छाने लगी और मेरे मुँह को अपने वक्ष पर दबाने लगी। मैंने उनके चुचूक चूसना शुरु किया तो वो काटने को कहने लगी।

मैंने उनके वक्ष पर काटना चालू कर दिया और उनका शरीर अकड़ने लगा और मैं उनकी चूत को सहलाने लगा। फिर तो वो खूब गर्म हो गई- उनके मुँह से आआह्ह्ह……ओह्ह्हह्ह निकलने लगा और उनकी पकड़ मेरे लंड पर और तेज हो गई।
फिर तो उन्होंने मेरे लंड को अपनी चूत पर टिका दिया और कहने लगी- मयंक अब चोद दो मुझे !

मैंने अपने लंड को चूत के मुख पर रख कर धक्का दिया तो वो आराम से अंदर चला गया। इसी समय बस मुझे लगा कि आंटी एक बच्चे की माँ हैं नहीं तो बाकी तो सब इतना सुडौल है कि कोई भी उनके नाम की मुठ मार सकता है।

फिर मैंने आंटी को बाथरूम में ही लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ कर चुदाई करने लगा। मैं उनकी चूत में अपना लंड अंदर-बाहर करता रहा और साथ ही साथ उनके वक्ष पर काटता भी रहा। जब भी मैं उन्हें काटता, वो बस आआआहऽऽऽ मार डाला ! करती रही, कहती- मयंक, आज तो जोर से चोदो और मेरी चूत को ढीला कर दो !

मैं भी उन्हें खूब पेलता रहा, मुझे लग रहा था कि आंटी आपने चुत से मेरे लंड को चुस रहे थे।
मैंने कम से कम ३० मिनट आंटी को चोदा, फ़िर आंटी का शरीर अकड़ने लगा तो उन्होंने मुझे भींच लिया और मैंने भी चुदाई की गति बढ़ा दी।
थोड़ी ही देर में आंटी झड़ गई और मेरा लण्ड उनके लसलसे पदार्थ से नहा गया।

थोड़ी ही देर में जब मैं भी झड़ने वाला था तो मैं अपना लंड बाहर निकलने लगा।
इतने में उन्होंने लंड को पकड़ कर कहा- मेरे अन्दर ही गिरा दो। पूरी चुदाई चूत में ही करो ! बाहर मत निकालो ! जैसे तुम अपनी बीवी को पूरा चोदते हो, वैसे हो चोदो !
मैंने पूछा- आपको कैसे पता?

तो कहने लगी- मैं सुनती रहती थी कि तुम्हारी बीवी कहती थी कि जानू, अन्दर गिरादो पूरा कर दो !

मैंने कहा- लेकिन आंटी उस समय मैं कंडोम लगाये रहता था,
अगर अभी आपकि चूत में पानी छोड़ा तो गड़बड़ हो जायेगी। आप पेट से हो गयी तो क्या होगा? ??????????

आंटी ने कहा-आरे राजा, मेरी नसबंदी हो चुकी है।मेरा बाच्चा नेहि होगा । तुम चिंता मत करो और मजे से चोदो !

बस फिर क्या था, मैं निश्चिंत हो कर उन्हें चोदने लगा और करीब दस मिनट बाद दोनों एक साथ झड़ गए और मैंने अपना सारा घन वीर्य उनकी चूत में भर दिया।
तो दोस्तो, इस तरह मैंने अपनी सेक्सी मकान मालकिन को चोदा और अपनी होली सफल कर ली।
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#9
सेक्सी चाची के साथ सेक्स का मजा
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हैलो फ्रेंड्स, मेरा नाम अरमान है.
मैं महाराष्ट्र के एक छोटे से शहर का रहने वाला हूँ जो लातूर जिले का ही एक गांव है.
मेरी उम्र 21 साल है और मेरी हाईट 178 सेंटीमीटर है. मैं दिखने में स्लिम हूँ और मेरे लंड का साइज़ औसत ही है. ये 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा है.

मैं रोज़ सेक्स कहानी पढ़ता हु।
इन्हीं गर्म सेक्स कहानी को पढ़ कर मेरे मन में अपनी सेक्स कहानी लिखने की चाहत जागी.

मैं चाहता हूँ कि मेरी चाची की चूत चुदाई कहानी को आप सभी के साथ साझा करूं.

ये एक सच्ची घटना है. चूंकि मैं पहली बार सेक्स कहानी लिख रहा हूँ, इसलिए ये तो पक्का है कि मुझे गलती होगी. मगर आपसे इल्तजा है कि यदि आपको कोई ग़लती दिखे तो प्लीज़ नजरअंदाज कर दीजिएगा.

यह घटना आज से 2 साल पुरानी उस वक्त की है, जब मैं 12वीं क्लास में पढ़ता था.

मुझे सेक्स कहानियां पढ़ने से सेक्स के बारे में काफी कुछ पता चल चुका था.
उनकी मस्त चुदाई पर कर मैं अपने लंड को हिलाए बिना रह ही नहीं पाता था और मुठ मार कर खुद को शांत कर लेता था.

एक दिन यूं ही एक सेक्स स्टोरी सामने आ गई.
मैं उस सेक्स कहानी में खो गया.
ये सेक्स कहानी मुझे बेहद पसंद आई और उसी दिन से मुझे सेक्स कहानी पढ़ना ज्यादा अच्छा लगने लगा.

अब मैं रोज सुबह से चाय आदि पीने के बाद अपने कमरे में कहानी साईट को खोल कर अपनी रात भर की गर्मी को शांत करने के लिए लंड हिलाते हुए सोचता रहता था कि कोई चुत चोदने मिल जाए, तो मजा ही आ जाए.

इस सोच का नतीजा ये हुआ कि मेरी निगाहें अपने इर्द गिर्द रहने वाली लड़कियों और महिलाओं पर जाने लगीं.

फिर एक दिन हमारे घर मेरी चाची आईं, ये मेरी अम्मी की छोटी बहन भी थीं. उनका नाम रूही था. मेरी अम्मी की बहन का निकाह मेरे चचाजान से ही हुआ था. इसलिए रूही मेरी चाची भी थीं और खाला भी थीं.

मेरी चाची लातूर में रहती हैं. मेरी चाची के घर में 6 मेंबर हैं. चाची अंकल के साथ उनकी 3 बेटियां और एक बेटा रहते हैं.

रूही चाची दिखनी में बहुत सेक्सी हैं. उनका भरा हुआ बदन एकदम टाइट है. उनके मम्मे और गांड इतनी मस्त है कि जो भी चाची को एक बार देख ले, तो खुश हो जाए.

चाची हमारे घर कुछ दिनों के लिए रहने आई थीं, उनके साथ उनकी 2 बेटियां भी आई थीं.

वो संडे का दिन था इसीलिए स्कूल की छुट्टी थी. मैं घर पर ही था.

दोपहर को दरवाजे पर दस्तक हुई.

जब मैंने दरवाज़ा खोला, तो देखा सामने रूही चाची नकाब पहने खड़ी थीं.

मेरे दरवाजा खोलते ही उन्होंने अपने चांद से मुखड़े से नकाब हटाया, तो मैं उन्हें देख कर खुश हो गया और सलाम बोल कर उनको अन्दर आने के लिए कहा.
साथ ही मैंने आवाज देकर अम्मी को बताया कि रूही चाची आई हैं.

मेरी अम्मी भी जल्दी से आईं और दोनों बहनें गले लग कर मिलीं.

इसके बाद जब चाची ने अपना बुरका निकाला, तो मैं तो उन्हें बस देखता ही रह गया. क्या मस्त माल लग रही थीं.
चाची हरे रंग की शिफोन की साड़ी में बहुत ही सेक्सी कांटा माल दिख रही थीं.

इस पारदर्शी साड़ी में से उनकी गोरी कमर, सीने पर तने हुए बड़े बड़े बूब्स और चुस्त पेटीकोट से एकदम उठे हुए चूतड़ों को देख कर मेरे लंड में तो समझो फुरफुरी आ गई.

चाची मेरी अम्मी से बातें करने में लगी थीं. बुरका उतारते वक्त उनका ध्यान अपने कपड़ों और साड़ी के आंचल पर नहीं था. उनकी इस बेध्यानी में मैं अपनी कामुक निगाहों से उन्हें देखने लगा.
उनकी साड़ी सीने से ढलकी हुई थी और गहरे गले के ब्लाउज से उनके मिल्की वाइट दूध देख कर मुझे बहुत रोमांच हो रहा था.
मुझे लग रहा था कि शायद मेरे लंड के लिए चुत का इंतजाम हो गया है.

तभी चाची की नजर मुझे पर पड़ी और उन्होंने मुझसे भी बात करनी शुरू कर दी. तब तक अम्मी चाची के पानी लेने अन्दर चली गई थीं.

चाची ने मुझसे बातचीत शुरू तो की, मगर उन्होंने अपने ढलके हुए पल्लू को अपने सीने पर ठीक नहीं किया. जिससे मुझे उनके चूचों के दीदार बदस्तूर होते रहे.

शायद अब इस बात को चाची ने भी नोट कर लिया था, मगर इसके बावजूद भी उन्होंने खुद को व्यवस्थित करने की कोई चेष्टा नहीं की.

फिर अम्मी आ गईं और मैं चाची की बेटियों से बात करने लगा.

कुछ देर बाद दिन का खाना आदि हुआ और लगातार बातें हंसी मजाक आदि चलता रहा.

ऐसे ही दिन गुज़र गया और रात हो गई.
हम सबने साथ में खाना खाया.

खाने के बाद सब लोग सोने की तैयारी करने लगे.
मेरी अम्मी अब्बू अपने रूम में चले गए और मैं चाची को लेकर अपने कमरे में आ गया.

चाची सोने के लिए अपनी छोटी लड़की को लेकर मेरे रूम में आ गईं. बड़ी लड़की अम्मी अब्बू के कमरे में सोने चली गई.

मैं अपने कमरे में चाची के साथ पलंग पर लेट गया. हम दोनों एक साथ ही लेटे बात करने लगे और चाची की एक साइड उनकी छोटी लड़की लेट गई थी.

चाची थकी हुई थीं इस कारण थोड़ी देर में ही सो गईं.
मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी.

कमरे की लाइट ऑन थी और मेरा फेस लाइट की तरफ था. मैंने करवट बदल ली, तो अब मेरा चेहरा और चाची का चेहरा आमने सामने ही गया था.

मेरी नज़रें उनके रसीले होंठों पर टिक गई थी.
क्या मस्त रसीले होंठ थे उनके, दिल तो कर रहा था कि बस आगे बढ़ कर इन रसभरे लबों चूस लूं.
मगर मजबूरी थी इसलिए मुझे अपने आप पर कंट्रोल करना पड़ा.

मैं उनकी जवानी को नशीली निगाहों से बाद देख रहा था. होंठों से हट कर मेरी नज़रें चाची की चूचियों पर आ गईं.

उनकी बड़ी बड़ी 36 इंच की चूचियां एक लयबद्ध तरीके से सांसों के साथ उठ बैठ रही थीं. मेरी नजरों के सामने चाची के गहरे गले के ब्लाउज में उनकी चूचियां बहुत ही मस्त लग रही थीं.

जब मुझसे रहा नहीं गया, तो मैंने ‘चाची चाची ..’ कह कर उन्हें आवाज दी.

मैंने चाची को आवाज़ देकर देखना चाहता था कि कहीं वो जाग तो नहीं रही हैं. जब मेरे आवाज़ देने पर भी चाची नहीं उठीं, तो मैं समझ गया कि चाची गहरी नींद में सो रही हैं.

अब मैंने हिम्मत करते हुए अपना एक हाथ उनकी चूची पर रख दिया और हल्के हाथ से चूची के साथ खेलने लगा.

शुरुआत में तो मुझे कुछ डर सा लगा फिर चाची की नर्म नर्म चुचियों को छुआ तो मुझे मजा आ गया.

मैं पहले एक चूची के साथ खेला, फिर दूसरी के साथ मजा लिया.
दो मिनट में ही मुझे बहुत मज़ा आने लगा.

अब मैं पूरी तरह जोश में आ गया था. कुछ पल के बाद मैं रुक गया और आहिस्ता से चाची का ब्लाउज खोलने लगा.

मैंने चाची के चिटकनी वाले बटन को खींचा, तो एक बटन चट से खुल गया और उनकी चूचियों की दरार जन्नत के दीदार होने लगे.

मैंने दूसरे बटन को झटका दिया, तो वो भी खुल गया. इसी तरह से मैंने उनके ब्लाउज को खोल दिया.

आह … चाची की दूधिया चूचियां मस्त लग रही थीं.

चाची मेरे सामने अब पिंक कलर की ब्रा में थीं. उनकी गोरी चूचियों को गुलाबी जालीदार ब्रा में देख कर मैं बिल्कुल पागल सा हो गया था.

एक दो पल रुकने के बाद मैंने उनकी ब्रा के ऊपर से उनकी चूचियों को दबाया और अपना मुँह आगे करके एक चूची के ऊपर जीभ फेर दी.
चाची की नींद गहरी लगी हुई थी, जिस वजह से उनकी तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं हो रही थी.

अब मैंने एक हाथ से उनकी साड़ी ऊपर कर दी और नीचे का नजारा देखने लगा.

कुछ ही देर में मैंने चाची की साड़ी और पेटीकोट को काफी ऊपर कर दिया और उनकी चुत के बहुत पास तक उन्हें नंगी कर दिया.
अब मैंने चाची की चूचियों को छोड़ कर नीचे का मजा लेना शुरू कर दिया.
मगर गांड बहुत ज्यादा फट रही थी.

फिर मैंने उनकी ब्रा निकालने की सोची और ब्रा को खींचा, तो ब्रा का हुक पहले से ही खुला हुआ था.
चाची की ब्रा मेरे हाथ से खिंच कर ढीली हो गई. मैं आराम से उनकी ब्रा निकालने लगा और उनकी चूचियों को नंगी कर दिया.

अब मेरे सामने चाची ऊपर से बिल्कुल नंगी हो गई थीं. मैंने उनके एक बूब के निप्पल को अपनी जीभ से कुरेदना शुरू किया, तो मुझे एकदम से सनसनी होने लगी.

मैं चाची के एक निप्पल को चूसने लगा और दूसरे हाथ से उनकी जांघ को सहलाने लगा.
उनकी जांघें भी बहुत नर्म थीं.

फिर मैं चाची के दूसरे बूब को चूसने लगा.
मैं एक एक करके उनके दोनों मम्मों का मज़ा लेने लगा.

फिर मैंने जब अपना हाथ चाची की चुत पर रखा, तो देखा कि चाची ने तो पैंटी पहनी ही नहीं थी. मैंने नीचे झुक कर देखा, तो चाची की चूत बिल्कुल साफ़ थी और गीली हो चुकी थी. मैं समझ गया कि चाची भी मजा ले रही हैं.

अब मैंने हिम्मत करके अपनी एक उंगली चाची की चुत में डाल दी. उनकी चुत गीली और बड़ी होने की वजह से मेरी उंगली बड़ी आसानी से अन्दर बाहर होने लगी थी.

अचानक से मुझे मेरे लंड कुछ फील होने लगा. जब मैंने देखा, तो चाची अपने हाथ से मेरा लंड सहला रही थीं.
ये देख कर पहले तो मैं डर गया और मैंने अपना हाथ चुत से हटा लिया.

उसी समय चाची ने आहिस्ता से मेरे कान में कहा- क्या हुआ अरमान … मज़ा नहीं आया क्या? प्लीज़ मेरी चुत में उंगली जारी रखो ना!

उनकी यह बात सुनकर मुझमें बड़ी हिम्मत आ गई और मैंने सबसे पहले उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
चाची भी मजा लेने लगीं.

मैं कभी चाची के ऊपर के होंठ को चूस रहा था, तो कभी उनकी जीभ को. ऐसे ही हमारी किसिंग कुछ देर तक चली.

मैंने अपने कपड़े उतारे और चाची ने भी अपने कपड़े निकाल दिए.

अब चाची मेरे सामने बिल्कुल नंगी लेटी हुई थीं और वो मेरा 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा लंड देख कर खुश हो गई थीं.

चाची बोलीं- वाह अरमान तू तो बड़ा हो गया है.
मैंने कहा- चाची मुझे बड़े होने का अहसास तो दिलाओ.

चाची समझ गईं और अगले ही पल वो उठ कर मेरे लंड पर आ गईं. चाची ने मेरे लंड को सीधे अपने होंठों पर रख कर चूमा.
मैंने आह भरी, तो चाची ने झट से लंड को मुँह में भर लिया और चूसने लगीं.

जैसी ही उन्होंने मेरा लंड चूसना चालू किया, मुझे लगा जैसे कि मैं जन्नत में आ गया हूँ. मेरी आंखें बंद हो गईं और मैं बस चाची से अपने लंड को चुसवाते हुए मस्त आवाजें करता रहा.

‘आह चाची मज़ा आ गया … आह कम ऑन चाची … आह क्या मस्त मज़ा आ रहा है.’

चाची काफी देर तक मेरा लंड चूसती रहीं.

अब मैं झड़ने वाला हो गया था तो मैंने एक हाथ से चाची का सिर पकड़ा और लंड को उनके गले तक पेलने लगा.

चाची समझ गई थीं कि मेरा लंड माल छोड़ने ही वाला है. बस कुछ ही देर में मैं झड़ गया और चाची मेरा सारा पानी पी गईं.

मैं निढाल हो गया और सीधा लेट गया.

दो मिनट बाद मैंने चाची को लिटा दिया और उनकी टांगों के बीच में आकर उनकी चुत पर किस करके जीभ फेरने लगा. चाची की सिसकारी छूट गई.

फिर मैं चाची की चुत चाटने लगा. चाची पूरे जोश में अपनी कामुक आवाजें निकाल रही थीं.

चाची- आह अरमान आह कम ऑन सक मी यस आह अया ऊफ़.

कुछ ही मिनट तक चुत चूसने के बाद मेरा लंड फिर से टाइट हो गया और मैंने चाची की चुत चाटना छोड़ दी.

अब मैंने बिना टाइम गंवाए अपने खड़े लंड को चाची की चुत पर सैट कर दिया और सुपारे को घिसने लगा.

चाची कहने लगीं- आह अब मत तड़पा … जल्दी से डाल दे ना प्लीज़.

मैंने कमर को जर्क दिया और एक ही झटके में अपना पूरा लंड उनकी चुत में पेल दिया.

लंड लेते ही चाची चिल्ला उठीं- आह मर गई याखुदा … जान लेगा क्या.. आह आराम से कर कमीने.

उनके मुँह से गाली सुन कर मैं और जोश में आ गया और चाची की चूत में स्पीड से झटके मारने लगा.

मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मुझे जन्नत मिल गई हो.

चाची कामुक आवाजें कर रही थीं- आह यस … और तेज़ कर … आह यस फक मी फक मी हार्डर आह.

मैं भी लगातार शॉट्स लगाता जा रहा था. पूरे बीस मिनट की चुदाई में चाची एक बार झड़ चुकी थीं और अब मेरा भी काम तमाम होने वाला था.

मैंने चाची से कहा कि मैं झड़ने वाला हूँ. कहा निकालु? ?????
चाची ने कहा- अन्दर ही झड़ जाओ. कुछ नही होगा मैने ऑपरेशन करवा रखा है.

मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और ताबड़तोड़ चुत चोदने लगा.
करीबन दस धक्कों के बाद ही एक ज़ोरदार धक्के के साथ मैंने चाची की चूत के अन्दर ही अपना सारा पानी छोड़ दिया.
मेरे साथ ही चाची भी दोबारा झड़ गईं और हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर अपने स्खलन का मजा लेने लगे.
हम दोनों एक दूसरे को किस करते हुए ऐसे ही नंगे सो गए.।

सुबह उठकर चाची ने अपने कपड़े पहने और मुझे जगा कर कपड़े पहनने के लिए कहा.।

मैंने कपड़े पहने और चाची की तरफ देखा.
वो ऐसे बर्ताव करने लगीं, जैसी रात को उनके साथ मेरा कुछ हुआ ही नहीं था.

इसके बाद अगली रात को चाची ने फिर से मेरे साथ सेक्स का मजा लिया. हम दोनों हर तरह से खुल कर चुदाई का मजा लेने लगे.

अब तो दिन में भी जब चान्स मिल जाता है, तो हम दोनों फुल एंजाय कर लेते हैं.

मैं अपनी आगे की पढ़ाई के लिए चाची के पास ही एक कमरा रेंट पर लेकर रहने लगा और उनको गाहे बगाहे चोद कर मजा ले लेता हूँ.।
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#10
सेक्सी औरत की कसी हुई चूत चुदाई का मजा
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आप सभी को मेरा नमस्कार. मेरा नाम जय है. मैं उज्जैन का रहने वाला हूं और एक टेलीकॉम कम्पनी में सेल्स ऑफिसर हूँ.

मेरा चुत चुदाई का पहला अनुभव एक स्कूल टीचर के साथ हुआ था.
इसी अनुभव को आज एक स्कूल टीचर सेक्स कहानी के रूप में लिख रहा हूँ.

अपने काम के सिलसिले से मुझे रतलाम जाना पड़ा. ये कहानी रतलाम शहर की है.

एक दिन में अपने काम से किसी दुकान पर गया, वहीं मेरी मुलाकात एक स्कूल टीचर से हुई. वो बहुत ही सेक्सी औरत थी.
उसको अपने लैपटॉप में कुछ काम था, जिसके लिए उसने सेल्स ऑफिसर का नम्बर उस दुकानदार से लिया.

पर उसे ये नहीं पता था कि वो जिसका नम्बर दुकानदार से ले रही है, मैं वही हूँ. वो दुकानदार से नम्बर लेकर चली गई.

कुछ दिनों के बाद उसने उस दुकानदार से लिए हुए नम्बर पर कॉल किया, जो कि मेरा नम्बर था.

उसने अपना नाम बताया. उसने कहा- हैलो मेरा नाम विनीता है, मैं रतलाम से बात कर रही हूँ.
उसकी इतनी मधुर आवाज सुनकर मैं मस्त हो गया. मैंने मंत्रमुग्ध होते हुए पूछा- जी, बताइए मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ.

वो- मेरी कुछ प्रॉब्लम है … क्या आप उसे ठीक कर सकते हैं.
मैंने हां कह दिया.

उसने कहा- मेरा इंटरनेट पिछले 5 दिनों से नहीं चल पा रहा है. मैंने आपकी कंपनी में शिकायत भी दर्ज की, पर कोई फायदा नहीं हुआ. क्या आप सही कर देंगे.
मैंने कहा- हां मेम मैं ठीक कर दूंगा. मैं अपने काम से फ्री होने के बाद आपको कॉल करता हूं.

अगली दोपहर को लगभग 2 बजे मैंने उस नम्बर पर कॉल किया और उससे पूछा कि मैं फ्री हूँ, तो आपकी प्रॉब्लम सही करने अभी आ जाऊं क्या?
उसने हां कह दिया.

मैं अपनी गाड़ी उठाकर उसके बताए पते पर पहुंच गया.
मैंने उसके फ्लैट की बेल को बजाई, तो मैडम ने गेट खोला.

उसे मैं देखता ही रह गया.
घर में नाईट सूट में क्या क़यामत ढा रही थी वो … उसके मम्मों की साइज भी अभी बहुत अच्छी दिख रही थी.
उसे देखने से ऐसा लग रहा था कि अभी पकड़ कर चोद दूं.

उसने मुझे घर के अन्दर आने को कहा. मैं घर पर जाकर सोफे पर बैठ गया.

वो मेरे लिए पानी लेकर आई. मैं पानी पीते पीते उसके मम्मों को ही देखे जा रहा था.

फिर मैंने उससे पूछा- क्या प्रॉब्लम है बताइए.

वो वहां से उठकर लैपटॉप लेने गई.
लैपटॉप लाने के लिए वो जैसे ही पलटी, मेरी नजर उसकी मचलती गांड पर पड़ी, क्या मस्त माल थी वो.

वो लैपटॉप लेकर आई और मुझे देकर बोली- इसमें 5 दिन से इंटरनेट नहीं चल रहा है.

मैंने उसके हाथ से लैपटॉप ले लिया और उसे ऑन करने लगा.

उसने कहा- आप क्या लेंगे जूस या कॉफी!
मैंने उसको थैंक्स कहते हुए बोला- बस मुझे कुछ नहीं चाहिए.

वो बोली- आप मेरे काम के लिए अपना काम छोड़कर आए हैं, तो आपको कुछ तो लेना ही होगा.

मैंने मन में सोचा कि हां लेनी तो आपकी चुत है मगर कैसे कहूँ.
मगर सामने से मैंने कहा- ठीक है कॉफी चल जाएगी.

उसने कहा- ओके आप लैपटॉप देखिए, मैं आपके लिए कॉफ़ी लेकर आती हूँ.
मैं अपने काम में व्यस्त हो गया.

वो कॉफी लेकर आई और मुझे कॉफी का मग पकड़ा कर सामने बैठ गई. उसने भी कॉफी का एक मग लिया हुआ था.

मैं कॉफी पीते पीते ही काम करने लगा.
तो वो बोल पड़ी- पहले आप कॉफ़ी पी लीजिये … काम तो होता रहेगा.

वो कुछ बातचीत करने में कुछ ज्यादा ही रूचि दिखा रही थी.
तो मैंने भी लैपटॉप एक तरफ रखा और कॉफ़ी पीते हुए उससे बात करना शुरू कर दी.

बात बात में मैंने उससे उसके परिवार के बारे में पूछा, तो उसने बताया कि मेरा एक बेटा है और एक बेटी. मेरे ससुरजी भी हैं.

इतना सुनकर मैंने उससे पूछा- और आपके हजबैंड!
तो वो कहने लगी कि मेरे हस्बैंड भी हैं.. पर वो केवल बेड पर ही रहते हैं.

मैंने पूछ लिया- क्यों!
तो उसने बताया कि एक बार वो मुझे गाड़ी से लेने मेरे स्कूल आ रहे थे तो उनकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया था. तभी से वो कोमा में हैं. चार साल से वो कोमा में ही हैं.

इतना कह कर वो रोने लगी.

उसको ढांढस बंधाते हुए मैंने चुप कराया और दो चार औपचारिक बातें की कि सब कुछ ठीक हो जाएगा.

मैंने उसको चुप करवाया, तो वो उठकर दूसरे रूम में चली गई.

फिर मैंने अपना काम करके उसको आवाज़ दी, पर उसने कोई जवाब नहीं दिया.
मैंने रूम के दरवाजे पर दस्तक देकर पूछा- मेम आपका सिस्टम रेडी हो गया है.

तब जाकर उसने जवाब दिया.
उसने मेरे करीब आकर पूछा- अब कोई प्रॉब्लम तो नहीं है.
मैंने कहा- नहीं अब सब ठीक है, आप उपयोग में लीजिये और बताना.
उसने कुछ नहीं कहा.

चूंकि लैपटॉप गारंटी पीरियड में था तो मैंने उससे एक कागज पर साइन करवाए और मैं वहां से अपने ऑफिस चल दिया.

कुछ दिनों के बाद मेरे मोबाइल किसी का मैसेज आया.

मैंने पूछ लिया- आप कौन?
उसने कहा- शायद आप मुझे भूल गए हैं.

मैंने कहा- हां मैं नहीं पहचान पाया.

फिर उसने अपना नाम बताया कि मैं विनीता बोल रही हूँ.
मैंने भी कहा- अच्छा मेम आप हैं. कहिये अब क्या प्रॉब्लम हो गई आपके लैपटॉप में!

उसने हंस कर कहा- अभी तक कोई प्रॉब्लम नहीं आई … लैपटॉप अच्छा चल रहा है.

ऐसे ही उससे बात चलती रही.
फिर मैंने उससे कहा कि मैं थोड़ा बिजी हूँ … आपसे बाद में बात करूं!
वो बोली- हां हां प्लीज़.

मैंने फोन काटा और अपना काम करने लगा.

फिर उसी रात में तकरीबन 11 बजे में सोने ही जा रहा था, तब उसका मैसेज आया- हैलो!
मैंने भी कहा- हैलो मैडम जी, कहिये क्या बात है?

विनीता ने कहा- आपने खाना खा लिया!
मैंने कहा- हां, अभी थोड़ी देर पहले ही खा कर बेड पर लेटा हूँ.

मैंने भी उनसे पूछ लिया- आपने खाना खा लिया!
तो वो भी हां कहने लगी.

बस हमारी इधर-उधर की बात होने लगी.
मैं समझ गया कि इस औरत को बात करने की कुछ ज्यादा ही आदत है.

फिर उसने मुझसे पूछा- क्या आपकी शादी हो गई?
मैंने भी उसको लाइन मारते हुए कह दिया- आपके जैसी कोई मिली नहीं अभी तक.

मेरी इस बात पर वो हंसने लगी और बोली- ढूंढो मिल जाएगी.
मैंने भी कह दिया- अरे साब, हमारे ऐसे नसीब कहां हैं.

वो कहने लगी- आपको मुझमें क्या ख़ास दिखा?
मैंने कह दिया- एक मस्त सी कशिश है जो मैं शब्दों में नहीं बता सकता हूँ.
वो हंसने लगी और बोली- मुझे आपकी आंखों से पता चल जाता है कि वो कशिश किधर है.

मैं समझ गया कि ये अपने मम्मों को घूरने को ताड़ गई है.

उस दिन मेरी उससे रात को 3 बजे तक ऐसे ही बातें होती रहीं. फिर हम लोग सो गए.

ये सिलसिला लगभग 20 दिन ऐसे ही चलता रहा.

अब हमारी बातें काफी खुली खुली होने लगी थीं. हम दोनों आप की जगह तुम कह कर बात करने लगे थे.

एक दिन विनीता ने पूछा- क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैंने मजाक में हां कह दिया.

मेरी हां सुनकर वो थोड़ी देर तक तो कुछ नहीं बोली.
मैंने कहा- क्या हुआ तुम चुप क्यों हो गईं!
वो बोली- कुछ नहीं.

मैंने विनीता से कहा- सॉरी, मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.
इस पर वो हंस दी.

फिर मैंने पूछा- मगर तुमने ऐसा क्यों पूछा?
विनीता बोली- बस ऐसे ही.

ऐसी ही बात निकली, तो मैंने पूछ लिया कि तुम ऐसे ही अकेली बोर नहीं होती हैं.
वो कहने लगी- होती हूँ … पर क्या करूं.

मैंने विनीता को आई लव यू का मैसेज भेज दिया.
तो कहने लगी कि ऐसा क्यों कहा तुमने!
मैंने कोई जवाब नहीं दिया और मैंने गुड नाईट कह कर फ़ोन रख दिया.

अगले दिन सुबह विनीता ने मैसेज में कहा- तुमने ऐसा क्यों कहा!
मैंने कह दिया- ऐसे ही.

विनीता ने मुझसे कहा कि मैं आज स्कूल नहीं जा रही हूँ. मुझे घर पर कुछ काम है.
मैंने कहा- ठीक है. मुझे तो ऑफिस जाना है.

इतना कहकर मैं नहाने चला गया और चाय पीकर ऑफिस के लिए निकल गया.

दिन में मैं अपना लंच करने बैठा ही था कि विनीता का मैसेज आया- तुम बुरा ना मानो, तो क्या आज का लंच हम साथ में कर सकते हैं!
मैंने थोड़ा सोचा, फिर हां कह दिया.
वो बोली- ठीक है, तुम दो बजे तक मेरे घर आ जाना.

मैं 2 बजे उसके घर पहुंच गया.
आज विनीता ब्लू और रेड साड़ी में मस्त लग रही थी.
उसने मुझे बैठने को कहा और बोली- मैं खाना लगाती हूँ.

विनीता ने टेबल पर खाना लगाकर मुझे बुलाया.
आज विनीता ने मेरे मनपसंद दाल बाफले बनाये थे.
मैंने पूछा- आज ऐसा क्या ख़ास है, जो तुमने दाल बाफले बनाये.

वो कहने लगी- दाल बाफले मेरे भी मनपसंद हैं. शायद तुमको भी दाल बाफले पसंद हैं?
मैंने कहा- हां मुझे भी बहुत पसंद हैं.

फिर मैंने पूछा- तुम्हारे बच्चे कहां हैं?
वो बोली कि वो आज उनके नानाजी के यहां गांव गए हैं. उनकी 5 दिनों की छुट्टियां हो गई थीं, तो वो लोग घूमने चले गए.

फिर हम दोनों खाना खाने लग गए.

मैंने विनीता से कहा- दाल बाफले खाने के बाद मुझे नींद आ जाती है.
वो बोली- कोई बात नहीं थोड़ी देर आराम कर लीजियेगा.

खाना खाने के बाद विनीता बोली- तुम थोड़ी देर आराम कर लो.

मैं आराम करने के लिए रूम में जाकर सो गया. इतनी गहरी नींद लग गई कि पता ही नहीं चला.

फिर मैं उठा, तो विनीता मेरे पास आई और बोली- हाथ मुँह धो लो, मैं तुम्हारे लिए चाय बनाकर लाती हूँ.

चाय पीते पीते विनीता बोली- तुमने रात में आई लव यू क्यों कहा था.
मैं कुछ नहीं बोला.

विनीता ने कहा- क्या मैं एक बात पूछ सकती हूँ … तुम बुरा तो नहीं मानोगे?
मैंने भी कह दिया- पूछो … मैं बुरा नहीं मानूंगा.

वो बोली- तुमने कभी किसी के साथ सेक्स किया है क्या?
मैंने उसकी आंखों में आंखें डालकर कहा- नहीं … आज तक नहीं किया है. क्या तुम्हारा मन है?

वो कुछ नहीं बोली और मेरे पास आकर बैठ गई.
धीरे से वो मेरी जांघ पर अपने हाथ फेरने लगी.

मैं समझ गया कि स्कूल टीचर सेक्स के लिए तैयार है. इससे मुझे कुछ लगने लगा. मेरा लंड पैंट में से ही खड़ा होने लगा.

उसने खड़ा होता लंड देख लिया और बोली- तुम्हारा तो ये तो काफी बड़ा लगता है.
मैंने भी कह दिया कि लेकर देख लो.

वो झट से उठी और मेरे लंड को पैंट में से आजाद करके अपने मुलायम हाथों से सहलाने में लग गई.
मैंने कहा- विनीता इसको मुँह में लेकर चूसो.
वो कहने लगी- नहीं यार, ये सब मुझे गंदा लगता है.

मेरे बार बार कहने के बाद विनीता मेरे लंड को अपने गुलाबी होंठों के बीच में लेकर चूसने लगी.

मैं सोचने लगा कि कहां तो लंड चूसने से मना कर रही थी और कहां रंडी के जैसे चूस रही है.

कुछ देर बाद मैंने कहा कि मेरा निकलने वाला है.
वो रंडी की तरह वासना से बोली कि मेरे मुँह में ही छोड़ दो. मुझे इसका रस पीना है.

मैंने आह करते हुए लंड का सारा वीर्य विनीता के मुँह में डाल दिया.
वो झट से पी गई.

अब मैंने उसके मम्मों को ब्लाउज़ के ऊपर से ही दबाया … तो वो ‘हम्म्म्म हहहहह ..’ करने लगी.

मैंने उसकी साड़ी उतार दी.
वो केवल अब ब्रा और पेंटी में ही मेरे सामने थी.

उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए. उसने जैसे ही मेरा अंडरवियर उतारा, तो मेरा तना हुआ लंड सीधा उसके होंठों पर जाकर टकरा गया.

विनीता मेरा लम्बा लंड देखकर आश्चर्य चकित हो गई; कहने लगी- मेरे पति का लंड तुम्हारे लंड से छोटा भी है … और तुम्हारा ये मोटा भी कुछ ज्यादा है.

फिर हम दोनों बिस्तर पर एक दूसरे की बांहों में खोते चले गए.
बहुत देर तक मैंने उसके होंठों को चूसा.

मेरा एक हाथ उसके बोबे पर था और दूसरा हाथ उसकी चूत पर था.
होंठों को छोड़कर मैं उसकी ब्रा को खोलकर बोबे चूसने लगा.

वो थोड़ी देर बाद गर्म होने लगी और कहने लगी- ऐसे ही चूसते रहोगे या मुझे चोदोगे भी?

विनीता की चूत लंड लेने को बेकाबू हो रही थी.
मैंने उसकी पैंटी उतारी तो देखकर डर गया.

उसकी माहवारी चल रही थी. शायद माहवारी का पहला ही दिन था.

मैंने पूछ लिया- यहां तो तुमने नैपकिन लगा रखी है.
वो कहने लगी- हटा भी सकते हो.

मैंने देर ना करते हुए नैपकिन को निकालकर फेंक दिया.
उसकी बिना बालों की चूत देखकर मज़ा आ गया.

मैंने एक उंगली उसकी चूत में जैसे ही डाली … वो आंखें बंद करके मजे लेने लगी.

उसको मैंने अपना लंड चूस कर चिकना करने को कहा.
तो स्कूल टीचर झट से मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.

जैसे ही मेरा लंड तना, मैं विनीता को बेड के एक कोने पर खींचकर उसकी दोनों टांगें चौड़ी करके उसकी चूत के ऊपर मेरे लंड को घिसने लगा.
वो बिन पानी की मछली की तरह मचल उठी.

मैंने बिना देर किए उसकी चूत में जैसे ही लंड डाला, वो ‘उम्म उम्म आह ..’ करने लगी.

मेरा लगभग आधा ही लंड गया था कि वो कराहते हुए कहने लगी- थोड़ा धीरे करो जान. बहुत दिनों से मैंने चुदाई नहीं करवाई … तो चूत में कसावट आ गई. तुम आज से मेरे पति हो.

कुछ ही देर में लंड चुत की कुश्ती होने लगी. पूरे कमरे में चुदाई की फच फच फच फच की आवाज़ गूँजने लगी.

लगभग बीस मिनट की चुदाई के दौरान वो 4 बार झड़ चुकी थी, पर मेरा नहीं हुआ था.

कमरे का एसी चालू होने के बाद भी हम दोनों पसीने में तर हो गए थे.

जब मेरा होने वाला था, तो मैंने विनीता से पूछा-
मेरा होने वाला है, कहां निकालूं?
वो कहने लगी- मेरी चूत में ही छोड़ दो.

थोड़ी देर बाद मैंने मेरा बहुत सारा वीर्य उसकी चूत में भर दिया और बेड पर एक तरफ जाकर लेट गया.

हम थोड़ी देर बाद में उठे और फिर से चुदाई करना चालू कर दी.

उस रात मैं उसी के घर रुका रहा और सारी रात चुदाई का मजा लिया. उस रात को मैंने विनीता को 5 बार चोदा था.

सुबह विनीता को मैंने उठाया, तो हम दोनों ने एक बार फिर से चुदाई की.

वो उठकर बाथरूम जाने लगी, तो उससे चलते ही नहीं बन रहा था.

फिर मैं उसे सहारा देकर बाथरूम में ले गया. उसकी चूत की सिकाई बर्फ से की, तब जाकर उसको कुछ आराम हुआ.

इसके बाद हम हर दूसरे तीसरे दिन चुदाई कर लेते हैं.।
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#11
मौसी के साथ बिताई कुछ रातें
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दोस्तो, मैं राज सिंह कानपुर के पास के जिले का रहने वाला हूँ ।

बात उन दिनों की है जब मैं 12वीं के इन्तहान देकर कानपुर घूमने चला गया था. जब मैं घूम कर अपने मामा के गांव गया तो वहाँ देखा कि मेरे रिश्ते की मौसी वहाँ मुझे मिलीं. मौसी मेरी बहुत ही सुन्दर थी, गजब का फिगर था उनका… उनका फिगर 32-30-32 है.

मैंने उन्हें देखा तो देखता ही रह गया लेकिन मैंने उन्हें अनदेखा किया. पूरे दिन कोई बातचीत नहीं हुई हमारे बीच। शाम को हम लोगों की थोड़ी बात भी हुई और हंसी मजाक भी हुआ.

लेकिन शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
जब रात को हम दोनों एक ही बिस्तर पर लेटे और वो बिल्कुल मेरे पास लेटी. रात के करीब 12 बजे मेरी नींद खुली तो देखा कि उनकी टांग मेरी टांग के ऊपर रखी है और वो गहरी नींद में थी. मेरी अन्तर्वासना जाग गई.
आपको बता दूँ मैं उन्हें पहले से ही चोदना चाहता था लेकिन वो मुझसे बड़ी थी उम्र में भी और रिश्ते में भी तो इस कारण डरता था. फिर मैंने अपने हाथों से धीरे धीरे उनके दूध को दबाना शुरू किये लेकिन मुझे बहुत डर लग रहा था कि कहीं वो जाग ना जायें!

जैसे ही वो थोड़ा हिली, मैंने तुरन्त हाथ हटा लिया. फिर थोड़ा सोने के बाद फिर उनके स्तनों को दबाने लगा. शायद मौसी जाग गई थी पर सोने का नाटक कर रही थी. दूध दबाते दबाते कब सुबह हो गई, पता ही नहीं चला, सुबह वो उठ कर कमरे से चली गई, मैं सोता रहा.

सुबह करीब 8 बजे आँख खुली, फ्रेश होने के बाद मैं मौसी के पास गया, चाय मांगी पर वो मुझसे नजरें नहीं मिला रही थी. मैं समझ गया कि मौसी रात में सिर्फ सोने का नाटक कर रही थी.
पूरे दिन उन्होंने मुझसे बात नहीं की, मेरी गांड फट रही थी कि वो किसी को रात के बारे में कुछ बता ना दें!

शाम को बहुत गर्मी हो रही थी तो मैं नल से नहा रहा था, मैं जानबूझ कर पानी इधर उधर फैला रहा था ताकि वो मुझसे बोले और मेरी तरकीब काम आई, मौसी मुझसे बोली- पानी मत फैलाओ!
मैं ख़ुश हो गया और मैं जल्दी जल्दी नहाया.
फिर हम लोग नॉर्मल बातें करने लगे.

रात होने लगी तो मैंने सोचा कि आज रात मौसी मुझे अपने पास नहीं लिटायेगी. पर घर में कुछ ऐसा हुआ कि घर में मैं मौसी और दो छोटे बच्चे रह गये मौसी को अकेले डर लगता था तो उन्होंने मुझे अपने पास लेटने को कहा.
बेड पर सबसे पहले मैं, फिर मौसी, फिर दोनों बच्चे लेटे, बच्चे जल्दी ही सो गये, मैं और मौसी ऐसे बातें करने लगे जैसे एक रात पहले हमारे बीच कुछ हुआ ही नहीं था.

बातें करते करते मौसी सो गई और उनके सोते ही मैंने एक रात पहले वाली हरकत शुरू कर दी, मैं उनके दूध धीरे धीरे फिर दबाने लगा. वो थोड़ा हिली… पता नहीं मुझे क्या हुआ, मैं अपने ऊपर कंट्रोल खो बैठा और मैं मौसी के ऊपर चढ़ गया.
मौसी ने भी कोई ज्यादा विरोध नहीं किया,
बस इतना ही बोली- ये सब गलत है।
मैंने कहा- कुछ भी गलत नहीं है!
और उनके होठों पर अपने होंठ रख दिये और उनके होंठ चूसने लगा. वो मेरा पूरा साथ दे रही थी।

पता ही नहीं कब उनकी जीभ मेरे मुंह में और मेरी जीभ मुंह में थी और एक दूसरे के होंठ जीभ चूसने लगे। मैं उनके दूधों को कस कस के दबाने लगा. फिर मैं उनके शर्ट के अंदर हाथ डाल कर ब्रा के ऊपर से दूध दबाने लगा।
फिर मैंने उनका कमीज उतार दिया, उनकी ब्रा भी खोल दी और उनके दूध के निप्पल को मुंह में लेकर चूसने लगा. मौसी मेरे बालों को सहलाने लगी। हम पूरी रात एक दूसरे में इतना खो गये कि पता ही नहीं चला कब सुबह हो गई। पूरी रात मैंने अपनी मौसी के दूधों को चूस-चूस कर लाल कर दिया।

सुबह हुई, दोनों लोग अपने अपने काम में लग गये और रात का इंतजार करने लगे। बड़ी मुश्किल से दिन गुजरा.

खैर रात हुई, हम लोगों ने पास पास लेटने का प्लान बनाया और हम लोग कामयाब भी हुये।
रात को सब लोगों के सोने के बाद मैं मौसी पर टूट पड़ा उनका कमीज उतारा और ब्रा भी खोल दी, नंगे दूध के निप्पल मुंह में लेकर चूसने लगा.
मैंने अपनी भी बनियान उतार दी तो ऊपर से हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे।

फिर मैंने अपना लंड मौसी के हाथ में रख दिया, वो डर गई और मेरा लंड छोड़ दिया फिर मैंने अपना लंड मौसी के हाथ में दे दिया अब वो मेरा लंड सहलाने लगी, मैंने उनकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और पैंटी में हाथ डाल दिया और झांटों से भरी चूत सहलाने लगा। सबसे पहले चूत में एक उंगली डाली फिर दो उंगली डाल कर अंदर बाहर करने लगा। यह सब करते करते कब सुबह हो गई पता ही नहीं चला.

सुबह के 6 बज चुके थे। पूरी रात हम लोग ऊपर से नंगे ही रहे… खैर हम लोग अलग अलग हुए और अपने अपने काम में लग गये।

और फिर रात का फिर इंतजार करने लगे। लेकिन हुआ ऐसा कि मम्मी का फोन आ गया और मुझे वापस घर बुलाया गया। मैंने मौसी को जाकर बताया कि मम्मी का फोन आया मुझे जाना होगा जरूरी काम है।
मौसी उदास हो गई।

मैं भी मौसी को किस कर के गाँव से घर के लिये निकल गया, कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था, बहुत याद आ रही थी मौसी की।

खैर घर पहुंचा रात हो चुकी थी, खाना खाया और अपने कमरे में जाकर फोन लगाया मौसी को… कुछ देर बात की, ज्यादा बात नहीं हो सकी और फोन कट गया।

मैं सोने की कोशिश करने लगा पर नींद ही नहीं आ रही थी। फिर मैंने मौसी के नाम की मुठ्ठ मारी तब जाकर नींद आई।
सुबह उठा कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। मैं नहाया, नाश्ता किया, जिस काम के लिये मम्मी ने मुझे बुलाया था, वो काम किया, काम खत्म होने के बाद घर आया।

फिर मैं सोचने लगा कि कैसे दोबारा गाँव जाने का प्लान बनाया जाये लेकिन कुछ समझ में नहीं आ रहा था। तो मैंने सोचा कि मैं कभी अब मौसी को चोद नहीं पाऊंगा।

लेकिन मेरी किस्मत में मौसी की चुदाई तो थी। कुछ दिन बाद जब पापा घर आये तो उन्होंने मुझे गाँव जाने के लिये बोला, गांव में एक काम है. मैं फ्री था इसलिये मुझे भेजा जा रहा था।

मैं खुशी से पागल हो गया, मैंने फोन करके मौसी को बताया कि मैं कल आ रहा हूँ, तैयार हो जाओ.
वो बोली- पहले आओ तो!
मैं सुबह उठ कर गाँव के लिये निकल लिया। गांव पहुंचा तो मौसी किचन में कुछ काम कर रही थी, मेरी आवाज सुन कर वो खुश हो गई।

बस मैं ये सोच रहा था कि रात में रात में एक साथ लेटने का मौका मिल जाये। और हुआ भी वैसा ही किस्मत ने हम लोगों को एक साथ लेटने का मौका दिया वो भी बिल्कुल अकेले एक कमरे में बाकी लोग दूसरे कमरे में कुछ लोग छत पर सो रहे थे।

आखिर वो रात आ ही गईं जिस रात को मेरा लंड मेरी मौसी की चूत में जाने वाला था। आज की रात मैं किसी भी हालत में मौसी को छोड़ने वाला नहीं था, मैं पूरे मूड़ में था आज कुछ भी हो जाये पर मौसी को चोदना है।
हम लोग लेटे, फिर ऐसे ही कुछ बातें की और सब के सोने की प्रतीक्षा करने लगा.

सबके सोने के बाद हम लोग शुरु हो गये, सबसे पहले एक दूसरे को किस किया, एक दूसरे की जीभ मुंह में डाल कर खूब चूसी, फिर मौसी का शर्ट उतारा, ब्रा के ऊपर से ही दूध दबाने और चूसने लगा. फिर मैंने मौसी की ब्रा भी खोल दी, 32 इंच के दूध उछल कर बाहर आ गये। मैंने मौसी के निप्पल मुंह में लेकर खूब चूसे और चूस चूस के लाल कर दिये. मौसी को बहुत मजा आ रहा था वो मेरे बालों को सहला रही थी।

मैंने मौका देख कर उनकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और नीचे सरका दी। अब मेरी मौसी सिर्फ पैंटी में थी, मैंने उनकी पैंटी भी उतार दी। अब मौसी पूरी नंगी थी और मैं भी पूरा नंगा हो गया।
मैं मौसी के ऊपर आ गया उनके दूध कस कस के दबाने लगा और होठों से होंठ मिला दिया.
दस मिनट किस करने के बाद मैं नीचे मौसी की झांटों से भरी चूत को मुंह में लेकर चाटने लगा। फिर मैंने अपना 6.5 इंच का लंड मौसी के मुंह दिया लेकिन वो मना करने लगी.

मेरे ज़्यादा कहने पर मौसी मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी, मेरा लंड फटा जा रहा था। हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गये, मौसी मेरा लंड चूस रही थी और मैं उनकी चूत चाट रहा था।
उनकी चूत पानी छोड़ रही थी और उनसे अब रहा नहीं जा रहा था, वो बार बार मेरा लंड अपने मुझ से निकाल कर बोल रही थी- मेरी जान, अब और मत तड़पाओ, डाल दो मेरी चूत में अपना लंड… फाड़ दो मेरी चूत… बहुत चुदासी है मेरी चूत!
लेकिन मैं उन्हें और गर्म कर रहा था।

फिर मैंने उनके मुंह से अपना लंड निकाला और उनके ऊपर आ गया, मैंने उनकी टांगें फैला दी और उनकी चूत में लंड डालने की कोशिश करने लगा लेकिन चूत बहुत टाइट थी जिस वजह से लंड अंदर नहीं जा रहा था।
फिर थोड़ा सा सरसों का तेल अपने लंड पर और थोड़ा उनकी चूत में लगाया, फिर कोशिश की इस बार लंड थोड़ा सा गया…मतलब लंड आधा ही गया होगा कि मौसी चिल्लाने लगी- निकलो, बहुत दर्द हो रहा है!
पर मैंने उनकी एक न सुनी, दूसरा झटका मारा, पूरा लंड मौसी की चूत में घुस गया और मौसी के होंठों पर होंठ रख दिये ताकि आवाज बाहर ना निकल पाये।

थोड़ी देर में जब मौसी नॉर्मल हुई तब धीरे धीरे झटके लगाना शुरू किया, अब मौसी का दर्द कम हो गया और उन्हें भी मजा आने लगा, वो नीचे से कमर हिला हिला कर मजे लेने लगी। मैंने भी अपने झटके तेज कर दिये, फिर उन्हें ऊपर आने को कहा.
वो बोली- ठीक है।

मैं उनके ऊपर से हट गया और ऊपर आकर चूत में लंड सेट किया। गीला और चिकना होने के कारण लंड एक बार में ही घुस गया। वो बहुत तेजी से उछल उछल कर चुदवा रही थी। मैं भी नीचे से झटके मार रहा था। कुछ देर मौसी ऐसे ही चुदवाती रही।
इतनी देर चुदाई में वो दो बार झड़ चुकी थी लेकिन मेरा निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था।

कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद मैंने उन्हें घोड़ी बनने को कहा, वो तैयार हो गईं, वो मेरे ऊपर से हटी और घोड़ी बन गई. मैंने पीछे से अपना लंड डाल दिया. लगभग 5 मिनट घोड़ी बनाकर पीछे से उनकी चूत चोदी।

फिर मैंने मौसी को गोद में लिया वो मेरे कंधे में दोनों हाथों से लटक गई और दोनों टांगें मेरी कमर में लपेट ली मैंने नीचे से चूत में लंड लगाया और नीचे से झटके मारने लगा, गोद में लेकर खूब देर तक चोदा और ऊपर किस करता रहा।

काफी देर की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद अब मेरा भी झड़ने वाला था,
मैंने मौसी से पूछा- मौसी जी, **वीर्य कहाँ निकालूं**?अन्दर या बाहर? ????
मौसी डर के बोली- अंदर मत निकालना! पेट से हो गयी तो प्रॉब्लम हो जायेगा ।
मैंने जल्दी जल्दी झटके मारे और जैसे ही मेरा निकलने वाला हुआ, मैं अपना लंड निकाल कर उनके पेट के ऊपर झड़ गया, उनकी नाभि मेरे वीर्य से भर गई।

हम दोनों उठे, कपड़े से सब साफ किया और नंगे ही एक दूसरे चिपक कर सो गये।
उस रात मौसी को तीन बार चोदा।
ऐसे किस्मत से मिली मुझे मेरी मौसी की चूत।
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#12
दोस्त की माँ को चोदा
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हैल्लो दोस्तों, में पिछले एक महीने से सेक्सी कहानियों को पढ़ता आ रहा हूँ, मैंने कुछ अच्छी और मजेदार सेक्सी कहानियाँ पढ़ी जिनको पढकर मुझे बड़ा मज़ा आया वो मुझे सभी अच्छी लगी, इसलिए एक दिन मैंने भी सोच कि में भी आप लोगों को अपनी एक सच्ची सेक्स घटना को लिखकर आप तक पहुंचा दूँ.

दोस्तों यह मेरी लाईफ का पहला सेक्स अनुभव है और दोस्तों मेरा नाम जगजीत है. में पंजाब का रहने वाला हूँ और में अभी तक अकेला हूँ. मैंने अब तक शादी नहीं की और मेरी उम्र 22 साल और में दिखने में अच्छा लगता हूँ.

दोस्तों यह बात एक साल पहले की है, मेरा एक दोस्त है, जिसकी उम्र करीब 22 साल है और उसका नाम करण है और उसकी माँ जिसका नाम बबली है, वो करीब 42 साल की, लेकिन आज भी वो बहुत हॉट सेक्सी लगती है और इस वजह से वो दिखने में अभी भी 30- 32 साल की लगती है. फिर करीब 5.6 इंच लंबी एकदम पतली उनका वजन करीब 55 किलो और उसका फिगर 36-30-38 है.

दोस्तों जब भी में उनके घर पर जाता था तो में उसको देखकर एकदम मदहोश हो जाता और मेरा मन करता कि में उसको उसी समय पकड़कर उसकी जमकर चुदाई कर दूँ उसका पूरा कामुक बदन मुझे हमेशा अपनी तरफ आकर्षित करता और में जब भी बिपाशा बसु की कोई भी फिल्म देखता तो मुझे हमेशा अपने दोस्त की माँ का चेहरा ही याद आता और मेरा उनके घर पर बहुत बार आना जाना लगा रहता है और वो मुझसे हमेशा हंसकर बातें किया करती और उनका मेरे लिए बहुत अच्छा व्यहवार था.

एक दिन में आंटी और मेरा दोस्त करण एक साथ एक शादी में गये हुए थे. यह शादी उनके किसी पास के रिश्तेदार में थी, इसलिए उनको वहां पर जाना जरूरी था और उनके कहने पर मुझे भी उनके साथ जाना पड़ा.

रात को आंटी के सर में अचानक से दर्द होने लगा जो धीरे धीरे बढ़ने लगा था और आंटी ने करण को घर छोड़ने के लिए कहा वो उस समय थोड़ा ज्यादा व्यस्त था और उसके साथ साथ में भी, लेकिन तब भी मैंने करण से कहा कि में अब घर जा रहा हूँ, क्योंकि मुझे कल सुबह कहीं बाहर जाना है. फिर आंटी मुझसे कहने लगी कि बेटा जब तुम जा ही रहे हो तो तुम मुझे भी मेरे घर पर छोड़ देना और मेरा घर उनके घर से बहुत दूर था तो इसलिए करण मुझसे बोला कि तुम भी मेरे घर पर ही सो जाना और कल सुबह में तुझे स्टेशन तक छोड़ आऊंगा.

मैंने उससे कहा कि हाँ ठीक है और में अपनी गाड़ी से आंटी के साथ वापस उनके घर पर आ रहा था और वो मेरे पीछे मुझसे थोड़ा चिपककर बैठी हुई थी. आंटी ने उस समय गुलाबी कलर की साड़ी पहनी हुई थी, जिसमे वो बहुत ही सुंदर लग रही थी और उनके बदन से बहुत ही मस्त मनमोहक खुशबू आ रही थी और जब में किसी भी स्पीड ब्रेकर पर अपनी गाड़ी को ब्रेक लगता तो आंटी के बूब्स मेरी कमर पर छू रहे थे, जिसकी वजह से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मेरा लंड भी अब धीरे धीरे खड़ा होने लगा था कुछ देर बाद रास्ते में अचानक से बारिश शुरू हो गयी और उसके साथ साथ तेज हवा भी चलने लगी.

मैंने कुछ देर बाद महसूस किया कि अब आंटी ने अपना हाथ मेरी कमर पर रखा हुआ था कि तभी कुछ देर बाद अचानक से मेरी गाड़ी के आगे एक कुत्ता आ गया और उसकी वजह से मैंने एकदम से ब्रेक लगा दिया, तो उसकी वजह से आंटी का हाथ मेरी कमर से फिसलकर मेरी जाँघ पर आ गया और उनका हाथ मेरे खड़े लंड पर छू गया और अब वो मुझसे एकदम चिपककर बैठ गयी, हम लोग करीब 12 बजे घर पहुंच गए और हम दोनों उस समय पूरी तरह से भीग चुके थे उस वजह से मुझे अब आंटी के ब्लाउज के अंदर से उनकी डोरी साफ नज़र आ रही थी.

फिर घर के अंदर पहुंचकर आंटी ने मुझे मेरे दोस्त करण का पजामा पहनने के लिए दे दिया और कहा कि तुम अपने कपड़े बदल लो बहुत भीग गये हो. अब में करण के रूम में अपने कपड़े बदलने चला लगा और आंटी ने टीवी को चालू कर लिया और अब वो टीवी देखने लगी. उस समय मुझे अंदर कमरे में लगे हुए कांच से टीवी साफ नज़र आ रही थी.

उस दिन शनिवार का दिन था और रात को टीवी पर एक्शन फिल्म आती है जब आंटी टीवी चेनल को बदलकर देख रही थी तो सेक्सी फिल्म का चेनल आ गया और आंटी वो फिल्म देखने लगी.

मुझे कमरे के अंदर से सब कुछ साफ नज़र आ रहा था इसलिए में करण की बनियान और उसका पजामा पहनकर कमरे से बाहर आ गया, तो आंटी ने मुझे देखकर एकदम से उस चेनल को बदलकर दूसरा लगा दिया और अब वो भी अपने कपड़े बदलने अंदर पास वाले रूम में चली गयी, तो मैंने जानबूझ कर उसी फिल्म को लगा लिया, क्योंकि वो अंदर रूम में उनके कांच में साफ नज़र आ रही थी और आंटी ने मुझे आवाज़ मारी और कहा कि ज़रा टावल देना में बाहर भूल गयी हूँ.

अब में जैसे ही आंटी को टावल देने अंदर गया तो वो एकदम नंगी खड़ी थी और में उनको उस समय उस हालत में नंगी देखकर घबरा गया और वो मुझे देखकर मुस्कुराने लगी और उन्होंने मेरे हाथ से तुरंत वो टावल अंदर खींच लिया और अब में बाहर आकर बैठ सोफे पर जाकर बैठ गया और दोबारा से टीवी देखने लगा तो मुझे पता ही नहीं चला कि आंटी कुछ देर बाद मेरे पीछे आकर खड़ी हो गई.

जब उन्होंने मुझसे कहा कि जगजीत क्या तुम कॉफी लोगे तो में उनकी आवाज उनको अपने पीछे देखकर एकदम घबरा सा गया और मैंने टीवी का चेनल बदल दिया और मैंने उनसे कहा कि नहीं आंटी. फिर वो मुझसे कहने लगी कि में कॉफी बनाकर लाती हूँ तब तक तुम टीवी देखो. दोस्तों मुझसे इतना कहकर वो रसोई की तरफ बढ़ चली और आंटी ने उस समय सफेद रंग की पतली सी मेक्सी पहन रखी थी उस मेक्सी में से मुझे सब कुछ साफ नज़र आ रहा था, जिसको देखकर में बड़ा चकित था और कुछ देर बाद आंटी हम दोनों के लिए कॉफी बनाकर ले आई और वो मेरे साथ बैठ गयी.

आंटी ने टीवी का रिमोट लेकर वही चेनल लगा दिया और अब वो फिल्म देखने लगी, लेकिन मैंने अपना सर नीचे झुका लिया और में चुपचाप कॉफी पीने लगा. तभी आंटी मुझसे पूछने लगी क्यों क्या हुआ तुम्हे यह फिल्म नहीं देखनी क्या? अब तुम बहुत शरीफ बन रहे हो, उस समय आगे पीछे से मेरे बदन को ऐसे घूरते हो जैसे अभी मुझे तुम खा जाओगे और अब मेरे सामने शरीफ बनकर अपना रस झुकाकर बैठ गये, चलो अब फिल्म देख लो, मुझसे किस बात की शरम है और अब में उनकी यह बातें सुनकर थोड़ी हिम्मत करके फिल्म देखने लगा.

दोस्तों उसी समय मेरा लंड एकदम तनकर खड़ा हो गया था, जिसकी वजह से मेरा पजामा उस जगह से तंबू की तरह तन गया था. फिर आंटी ने नीचे मेरे खड़े लंड को देखकर धीरे से अपना हाथ मेरी जाँघ पर रख दिया और में भी थोड़ी सी हिम्मत करके उनके कंधे के ऊपर से घुमाकर अपना एक हाथ आंटी के बूब्स पर ले गया और में उसके बूब्स को सहलाने लगा.

कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि आंटी भी अब मस्त होने लगी थी और वो अब पजामे के ऊपर से मेरे लंड को सहलाने लगी थी. फिर उसी समय मैंने अपने दूसरे हाथ से आंटी की मेक्सी को धीरे धीरे ऊपर उठा दिया और मैंने अपना हाथ उनकी गरम, चिकनी चूत पर रख दिया. फिर तब मैंने अपने हाथ से छूकर महसूस किया कि उन्होंने उस समय पेंटी नहीं पहनी थी और उनकी चूत एकदम साफ थी.

मैंने अपने होंठ आंटी के होंठो पर रख दिए और मैंने अपनी जीभ को आंटी के मुहं में डाल दिया. में उनकी जीभ को चूसने लगा और उस समय हम दोनों बहुत जोश में थे और उसी समय मैंने अपनी ऊँगली को आंटी की चूत में डालकर धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा और में अपने दूसरे हाथ से उनके बूब्स को दबाने, मसलने लगा, जिसकी वजह से आंटी मस्त होने लगी और वो मुझसे कहने लगी आह्ह्ह्हह्ह में कब से तेरे लिए कितनी बेचैन थी ओह्ह्ह्हह्हह् सस्स उउउफफफ्फ़ जगजीत आओ ना.

फिर मैंने तुरंत आंटी का जोश देखकर उनकी मेक्सी को झट से उतार दिया और मैंने उनकी ब्रा को भी उतार दिया. तब में उनके बड़े आकार के एकदम गोरे बूब्स को देखकर पागल हो गया, इसलिए में अब झपटकर उनके बूब्स को अपने दोनों हाथों से ज़ोर ज़ोर से दबाने और उनका रस निचोड़ने लगा. फिर आंटी का हाथ मेरे लंड पर पाजामे के ऊपर से बड़ी तेज़ी से घूम रहा था, लेकिन अब उनसे रहा नहीं गया और आंटी ने मेरे पाजामे का नाड़ा खोल दिया और फिर मैंने अपनी अंडरवियर और बनियान को भी उतार दिया, जिसकी वजह से अब हम दोनों एक दूसरे के सामने एकदम नंगे थे.

आंटी मेरे 6 इंच लंबे और 2 इंच मोटे लंड को देखकर बहुत खुश हो गयी और वो मुझसे कहने लगी कि आज कितने दिनों के बाद में इस सुंदर दमदार लंड से अपनी चूत की प्यास को बुझाने जा रही हूँ. में कितने दिनों से अपनी चुदाई के सपने देख रही थी, जो आज पूरा होने वाला है और मैंने इस चुदाई के लिए कितना इंतजार किया है, इसको तुम क्या समझोगे? और मुझसे यह बात कहकर आंटी ने नीचे झुककर तुरंत मेरे लंड को किस किया और फिर वो उसको अपने मुहं में लेकर वो आईसक्रीम की तरह बड़े मज़े लेकर चूसने लगी.

वो शायद उस समय बहुत जोश में थी और अब में अपने एक हाथ से आंटी के बूब्स को दबा रहा था और मेरा दूसरा हाथ उनकी चूत पर था और मैंने अपनी दो उँगलियों को आंटी की प्यासी, तरसती हुई चूत में डाल दिया था, जिसकी वजह से आंटी की चूत एकदम गीली हो चुकी थी और उनकी चूत ने अपना रस छोड़ना शुरू कर दिया था. हम दोनों करीब 10-15 मिनट तक यह सब कुछ करते रहे और उसके बाद मैंने आंटी को अपनी गोद में उठाकर उनके बेडरूम तक ले गया और उनको ले जाकर बेड पर लेटा दिया.

फिर मैंने आंटी की कमर के नीचे एक तकिया रख दिया और अब में एक बार फिर से आंटी के ऊपर आ गया और उनके होंठो पर होंठ रखकर में उनके होंठो को चूसने लगा और उसी के साथ साथ में बीच बीच में उनके
बूब्स को भी चूसने दबाने लगा था. दोस्तों मेरा लंड आंटी की चूत से जब भी छू जाता तो आंटी एकदम से तिलमिला उठती और वो मुझसे कहने लगती कि अरे अब तो डाल भी दो क्यों मुझे तुम इतना तरसा रहे हो? मुझसे अब और ज्यादा इंतजार नहीं होता, प्लीज अब तुम जल्दी से मेरी चुदाई करके मुझे खुश कर दो.

अब मैंने उनके दोनों पैरों को अपने कंधे पर रख लिया, जिसकी वजह से चूत अब पहले से भी ज्यादा खुल गई और मैंने आगे बढ़कर अपने लंड का टोपा उनकी चूत के खुले मुहं पर रख दिया और फिर ज़ोर से एक धक्का मार दिया, जिसकी वजह से मेरा लंड उनकी चूत में करीब दो इंच अंदर चला गया और आंटी ज़ोर से एकदम चिल्ला गई अरे आह्ह्ह् प्लीज थोड़ा धीरे से करो आईईई मुझे बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन मैंने उनकी कोई भी बात नहीं सुनी क्योंकि में उस समय बहुत जोश में था और मैंने दूसरा धक्का लगा दिया अब मेरा पूरा लंड उनकी चूत के अंदर जा चुका था, तो आंटी चिल्लाई आईईईइ रे उह्ह्ह्हह्ह में मर गई मादरचोद मैंने तुझे कहा था कि धीरे से डाल, लेकिन तूने मेरी बात नहीं मानी, देख तेरे लंड ने मेरी चूत को फाड़ दिया है और मुझे अपनी चूत के अंदर बहुत दर्द के साथ साथ अजीब सी जलन भी हो रही है.

अब में कुछ देर रुककर अपना लंड अंदर बाहर करने लगा और उस समय मेरे दोनों हाथ आंटी के बूब्स के निप्पल को मसल रहे थे. फिर कुछ देर अब आंटी को मज़ा आने लगा था वो भी नीचे से अपनी कमर को उछाल उछालकर मेरा साथ देने और वो कहने लगी कि हाँ उफफ्फ्फ्फ़ और ज़ोर से आह्ह्ह्ह ज़ोर से चोद मेरी चूत को और ज़ोर से ऊऊह्ह्ह्ह इतना मस्त मज़ा मेरी चूत को कभी नहीं आया, मेरे बूब्स को पूरा दम लगाकर दबा दे, ज़ोर से मसल दे, भींचकर फोड़ दे इन गुब्बारों को, आज तू फाड़ दे मेरी इस चूत को, इसको चोद चोदकर भोसड़ा बना दे ऊन्न्ह्हह्ह हाँ ऐसे ही धक्के मारता जा, यह तेरे लंड को लेने के लिए बहुत प्यासी है और तूने आज अपनी आंटी जी को चोदकर अपनी रंडी बना दिया है, हाँ अब तू लगातार चोद मेरी इस चूत को मादरचोद और चोद चोद और ज़ोर से चोद हरामी के पिल्ले, करता जा रुक मत, बस डालता जा तेरा लंड मेरी चूत में.

अब में उनकी इतनी सारी बातें सुनकर जोश में आकर ज़ोर ज़ोर से अपना लंड अंदर बाहर करने लगा था और इतने में आंटी एक बार झड़ चुकी थी और अब में भी झड़ने वाला था, ।

इसलिए मैंने उनसे कहा कि आंटी में झड़ने वाला हूँ क्या में अपना वीर्य बाहर निकाल दूँ?
तो आंटी बोली कि नहीं मेरे लाल तू पुरा वीर्य मेरी चूत के अंदर ही गिरा दे अभी मेरा सेफ पिरीयड हे तो मुझे उसमे कोई भी समस्या नहीं है ।

और मैंने एक ज़ोरदार धक्का लगाया और मैंने आंटी की चूत के अंदर ही झड़कर अपना वीर्य चूत में डाल दिया कुछ दो चार धक्के देने के बाद में आंटी के ऊपर ही थककर लेट गया और उस समय में आंटी के होंठो पर अपने होंठ रखकर उनके मुहं को सक करने लगा.

कुछ देर के बाद हम उठे और तब तक 2:45 बज चुके थे. फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और में अपने दोस्त करण के बेडरूम में जाकर सो गया. फिर सुबह जब करण आया तो उसने मुझे उठाया और आंटी ने हमारे लिए चाय बनाई.।

उस समय मैंने देखा कि आंटी के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी और फिर हमने चाय पी और में नहाकर वहीं पर तैयार हो गया और मैंने करण के पकड़े पहन लिए. फिर उसके बाद करण मुझे स्टेशन पर छोड़कर चला गया और में ट्रेन में बैठकर चला गया.।
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#13
सरपंच की चुदक्कड़ बीवी
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सभी मित्रो को प्रणाम, आज फिर से आपके बीच एक सच्ची घटना पर आधारित सेक्सी हॉट चाची चुदाई कहानी लेकर हाजिर हूँ. ये घटना महाराष्ट्र के एक गांव की है.

मेरा नाम समीर है. मेरी उम्र 23 साल है और दिखने में मैं काफ़ी अच्छा हूँ. सेक्स करने में उससे भी अच्छा हूँ. मुझे जवान लड़कियों से ज्यादा गदराई हुई भाभियां चोदना ज्यादा पसंद हैं और उन्हीं पर मैं डोरे डालता हूँ.

हमारे गांव में एक सरपंच है, जो सिर्फ राजनीति में लगा रहता है. उसके परिवार में उसकी बीवी और एक लड़की है.

बीवी का नाम माधुरी है उनकी उम्र 38 साल है.
माधुरी का रंग एकदम दूध सा गोरा है. उनकी नाजुक पतली कमर गजब मटकती है, जिसकी वजह से उनके चूचे और चूतड़ भी मस्त थिरकते हैं.

वो अक्सर बैकलेस साड़ी पहना करती थीं जो कमर से नीचे बंधी हुई होती थी.
उनकी गहरी नाभि एक अलग ही किस्म का सेक्स पेश करती थी.

माधुरी बहुत चालू किस्म की औरत थी … लेकिन साली किसी के हाथ आसानी से नहीं आती थी.
उसे मर्दों को तड़पाने में मज़ा आता था. खासकर जवान लड़कों को वो बेहद सताती थी.
जिस वजह से वे जवान लौंडे अक्सर उसके सपने देखकर रात रात भर मुठ मारा करते थे.

माधुरी दूर के रिश्ते में मेरी चाची लगती थी. मगर मेरी नज़र उनकी लड़की पर थी.

मैं अक्सर उनके घर के पास के नुक्कड़ पर रुक कर मौक़ा तलाशता रहता था.
वैसे उस नुक्कड़ पर बहुत से लड़के इसी मंशा से रुकते थे. वे सब माधुरी चाची की एक झलक पाने के लिए लालायित रहते थे.

माधुरी भी बीच बीच में बाहर आकर अपनी कमनीय काया से उसकी प्रतीक्षा में खड़े लौंडों को गर्मा कर अन्दर चली जाती थीं.
वैसे वो अक्सर शाम के वक़्त घर के बाहर कुर्सी डालकर बैठा करती थीं और जानबूझ कर साड़ी का पल्लू नीचे गिराकर बैठती थीं … ताकि लोग उनके बड़े बड़े मम्मों को देख सकें.

अब वो सरपंच की बीवी थीं … तो कोई भी उनको सीधे तो नहीं छेड़ पाता था.
उसी का वो फायदा उठाती थीं.

एक मर्तबा सरपंच ने उन्हें स्कूटी खरीद कर दे दी.

अब सरपंच को इतना समय नहीं था कि वो माधुरी चाची को स्कूटी चलाना सिखा सकें.
तब सरपंच ने मुझसे कहा- अपनी चाची को तुम स्कूटी सिखा दो.

चाची का तो मैं भी दीवाना था और चाची तो चालू थी हीं. वो खुद सभी को तड़पाती थीं.

अगले दिन सुबह 6 बजे मैं स्कूटी सिखाने माधुरी चाची के पास आ गया.

मैंने दरवाजा खटखटाया, तो माधुरी चाची ने दरवाजा खोला.

उस समय वो नींद से उठी थीं. उनकी साड़ी का पल्लू एक बाजू था … साड़ी बिखरी हुई थी, जिस वजह से उनके बड़े बड़े चूचे लगभग साफ़ नज़र आ रहे थे.

चाची ने मुझे देखा तो मेरी नजरों को उन्होंने अपने मम्मों पर टिका पाया. उनको पता चल गया था कि मैं उनके मम्मों को देख रहा हूँ.
हालांकि उन्होंने कुछ कहा नहीं. बस मुझे रुकने का कह कर वो फ्रेश होने चली गईं.

कुछ देर बाद हम दोनों गांव के किनारे आ गए. यहां सुबह कोई नहीं रहता था. ये जगह स्कूटी सिखाने के लिए माकूल जगह थी.

अब मैंने चाची से बोला- चाची मैं पीछे बैठकर आपको बताऊंगा, आप बस संभाल कर चलाना.

चाची में बहुत हिम्मत थी. वो आगे हैंडल पकड़ कर बैठ गईं … और मैं उनके पीछे बैठ गया.

स्कूटी को बैलेंस करते हुए चाची धीरे धीरे उसे आगे बढ़ाने लगीं … और मैं चाची के पीछे उनकी गांड से चिपक कर बैठा रहा.
मैंने आगे हाथ करके उनके हाथ पकड़कर हैंडल को सम्भाल लिया.

चाची की गांड से चिपक कर बैठने से मेरी नाईट पैंट में मेरा लौड़ा मस्त होने लगा.

कुछ ही देर में चाची के बदन की गर्मी से लंड पूरा टाइट हो चुका था. मुझे तो अद्भुत अहसास हो रहा था.

चाची की पीठ से सटे होने और अपने हाथ आगे करने की वजह से मेरा चेहरा चाची के गालों को बार बार टच हो रहा था.
मुझे बड़ा मजा आ रहा था.

मैंने एक घंटे तक चाची को अच्छी खासी गाड़ी सिखाई और जानबूझकर अपने खड़े लंड को उनकी गांड से रगड़ा.

वो भी मेरे लंड की सख्ती से सब जान चुकी थीं. लेकिन उन्हें तो बस किसी तरह स्कूटी सीखनी थी, फिर चाहे मैं कुछ भी करूं.

स्कूटी सीखने के बाद हम दोनों घर वापस आ गए.
सरपंच ने मुझे देखा, तो चाची की तरफ देखा.

चाची ने सरपंच से बोला- समीर वाकयी में बहुत अच्छी स्कूटी सिखाता है बड़ा ‘दम’ है लड़के में.
ये ‘दम’ शब्द चाची ने मेरी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा था.

सरपंच ने बोला- बढ़िया है, ये स्कूटी कितने दिनों में सीख जाएगी?
मेरे पहले चाची ही बोल पड़ी- इसकी निपुणता से तो लगता है कि ये मुझे 7-8 दिन में सिखा देगा. मुझे भी इससे सीखना ठीक लग रहा है. रात को भी जाऊंगी … तो कुछ जल्दी सीख जाऊंगी.

सरपंच ने कहा- हां ठीक है.. चली जाना. जल्दी सीख लो.

मैंने भी उन्हें नमस्ते की और बाहर निकल आया. मैं समझ गया था कि चाची को मेरे लंड का दम पसंद आ गया था.

घर पर आकर मैंने माधुरी चाची को याद करके लंड हिलाया और मुठ मार ली.

उसी दिन दोपहर को मैं उनके घर के पास खड़ा था.
तभी वो बाहर आईं और मुझे देख कर बोलीं- तुम बाजार चले जाओ और ये लिस्ट में लिखा कुछ सामान लाकर दे दो.

मैं लिस्ट और पैसे लेकर सामान लेने चला गया और कुछ देर बाद सामान लाकर उन्हें दे दिया.

उन्होंने मुझे देख कर मुस्कुराया और कहा- तुम कितना अच्छा सिखाते हो … मुझे पता ही नहीं था वरना पहले ही तुमसे सीख लेती.
मैंने ज्यादा कुछ नहीं कहा और ‘रात को आता हूँ.’ बोलकर चला आया.

रात को हम दोनों फिर से वहीं स्कूटी सीखने गए.

फिर उसी तरह मैंने चाची की गांड के मजे लिए और इस बार तो चाची ने भी मेरे लंड से अपनी गांड रगड़ कर मज़ा लिया.

अगले दिन सुबह जब मैं चाची के घर गया, तो सरपंच घर पर नहीं था. वो सुबह ही किसी काम से बाहर गया था.

चाची ने मुझे अन्दर बुला लिया. इस समय चाची की साड़ी का पल्लू उनकी कमर से बंधा था. ऊपर मम्मे एक टाईट ब्लाउज में से निकलने को आतुर दिख रहे थे. नीचे चाची की गांड भी बड़ी कयामत लग रही थी.

चाची ने मुझसे चाय के लिए पूछा तो मैं बोला मना करते हुए ‘नहीं ..’ कह दिया.

चाची- अच्छा चाय नहीं … सीधे दूध पीते हो.
मैंने कुछ नहीं कहा.

तो चाची ने अपने मम्मों को ठुमका कर पूछा- बोलो दूध पियोगे?
मैंने उनके दूध देखते हुए हां कह दिया.
जिस पर चाची ने कहा- तुमको दूध ज्यादा पसंद है शायद?

मैं- नहीं चाची … बस कभी कभी ही पीता हूँ.
इस पर चाची ने कहा- हां … रोज रोज दूध पिलाने वाली भी कहां मिलती होगी.

ये कहकर चाची हंस दी और गांड हिलाते हुए मेरे लिए दूध लाने अन्दर चली गईं.

कुछ देर बाद चाची ने एक गिलास दूध लाकर मुझे दिया.
मैं दूध पी रहा था.

तब उन्होंने कहा- दूध को आराम से स्वाद लेकर पियो … दूध को सही तरीके से पीने में ही मज़ा आता है और तभी तो फायदा होता है.

उनकी इस तरह की दो अर्थी बातों से मुझे भी मस्ती सूझने लगी.

मैंने कहा- जी चाची, पर दूध भी तो अच्छी गाय का होना चाहिए … वरना पूरा मज़ा कहां आता है.
चाची मेरी आंखों की शरारत को देख कर हंस दीं.

फिर वो जल्दी से बोलीं- चलो देर हो रही है.

मैं तो रेडी था ही. बाद हम दोनों स्कूटी सीखने निकल गए.

इस बार मैंने चाची के हाथ नहीं पकड़े क्योंकि वो आज अच्छी तरह से स्कूटी चला रही थीं.

इस बार मैंने चाची की कमर पर हाथ रख दिए, जिस पर चाची ने कुछ नहीं कहा. अब मैं बार बार बातों बातों में हाथ कमर पर हाथ फिराने लगा.

फिर मैं जानबूझ हिल कर स्कूटी का बैलेंस बिगाड़ने लगा. इससे चाची घबरा रही थीं.
उस वक्त मैंने बैलेंस करने के बहाने एक हाथ से हैंडल और एक हाथ को लगभग उनके एक बूब पर टिका दिया.

ये मैं बार बार करने लगा.
तो चाची ने मुझसे कहा- शायद तुझे उस गाय का दूध अच्छा लगा.
मैं- क्यों चाची?
चाची- नहीं, तेरा हाथ बहुत भटक रहा है … मुझे लगा दूध तलाश रहा हो.

मैं समझ गया कि चाची सब समझ रही है. मैंने उस वक़्त डरने की बजाए हिम्मत की … और उनका दूध दबा कर एक मूक जवाब दे दिया.
जिसके विरोध में चाची ने कुछ नहीं कहा.

मैं- दूध तो वाकयी अच्छा था चाची, अगर मुझे वो गाय मिल जाए … तो मैं अपने हाथों से उसके थन निचोड़ कर दूध निकाल लूंगा.
चाची- जरूर निकाल लेना, लेकिन अभी तेरा मन भर गया हो तो चलें यहां से?
मैं- जी चाची.

इसके बाद हम दोनों घर आ गए. उस दिन चाची ने मुझे अन्दर बुलाया. मैं अन्दर गया तो चाची ने पानी दिया और मेरे सामने अपने पैरों पर पैर चढ़ा कर बैठ गई.

अब चाची बातें करने लगीं कि आजकल क्या कर रहा है … कैसे टाइम पास करता है वगैरह वगैरह.
मैं बताता रहा.

फिर चाची ने कहा- दूध पियोगे.
इस पर मैंने कहा- किसका चाची?

चाची ने हंसकर कहा- तुम्हें किसका पीना है?
मैं- आपका.

चाची- क्या?
मैं- मतलब आपका का मन है चाची, जिसका चाहे उसका दूध पिला दो.

चाची- अच्छा … मुझे लगा तुमने मेरा कहा.
मैं- अरे चाची तुम कुछ भी सुन लेती हो … मैं तुम्हारा दूध क्यों कहूँगा!

चाची ने कहा- मैं भी तो बुरा कहां मानती हूँ. मेरा दूध भी तो दूध ही है ना?
मैं- आपकी बात तो सही है चाची … लेकिन जो हो नहीं सकता … वो बात ही क्यों करना. अब आपका दूध मैं भला कैसे पी सकता हूँ!

चाची- क्यों नहीं पी सकता! रूक, तेरे लिए अभी मैं दूध निकाल कर लाती हूँ.
मैं- नहीं चाची रहने दो, वो दूध अच्छा नहीं लगता.

चाची बोली- क्यों?
मैंने कहा- वो दूध गिलास में पीने से मजा नहीं आता … वो तो ..

मैं कहते कहते रुक गया कि सीधे आपके मम्मों से दूध चूसने में मजा आएगा.

चाची समझ तो सब गई थी. लेकिन अनजान बनते हुए पूछने लगी- मतलब? कैसे आता मज़ा? बोलो … वैसे लाकर देती हूँ.

मैं- नहीं देंगी आप … रहने दो.
चाची- बोल तो … पक्का दूंगी.

मैंने कह दिया- सोच रहा था कि डायरेक्ट मुँह लगा कर पीने मिल जाता तो ..
चाची- बस … इतनी सी बात, चल आ इधर … पिलाती हूँ.

मैं हिम्मत करके चला गया और चाची की गोद में सर रख दिया. चाची ने सीधे एक दूध मेरे मुँह में डाल दिया. मैं बेशर्म होकर चाची की चूची को चूसने लगा. अब दूध तो उसमें था नहीं … लेकिन फिर भी मैं चूसता रहा.

चाची भी मज़े से मम्मे चुसवा रही थीं.
मैंने हिम्मत करके दूसरे चूचे को हाथ में ले लिया और दबाते हुए मसलने लगा.

चाची मदहोश होने लगी.
मैं हाथ को चाची की कमर पर लाकर सहलाने लगा.

चाची ने मेरा हाथ पकड़ कर बेडरूम में चलने को कहा.

मैं उठ गया और चाची के साथ बेडरूम में आ गया.
उधर चाची ने मुझे वासना से देखा और सेक्सी हॉट चाची पूरी नंगी होकर मेरे करीब आकर मुझे किस करने लगीं.

मैं भी उनके मम्मों को दबाने लगा और एक हाथ से उनकी गीली चुत में उंगली चलाने लगा.
चाची जोरों से मेरे होंठों को चूस रही थीं.

कुछ देर बाद मैंने चाची को लिटा दिया और उनकी चुत को बहुत सहलाया. चाची बेकाबू होने लगीं और गालियां देने लगीं- आह साले गांडू … जल्दी से चुत में लौड़ा डाल जल्दी कर मादरचोद.

मैं भी उनको गाली देने लगा- रुक रंडी साली और कितना तड़पेगी … कितने लंड चुत में ले चुकी भैन की लौड़ी … फिर भी तुझे सब्र नहीं है छिनाल.

चाची- आह … चोद ना बहनचोद बहुत आग है इसमें … इसे बहुत से लंड चाहिए.
मैं उनकी चुत में उंगली चलाते हुए पूछने लगा- अब तक कितने लंड से चुदाई करवा चुकी है … बोल रंडी?

चाची- बहनचोद लंड की गिनती ही नहीं है. मैं 19 साल की उम्र से चुदवाती आ रही हूँ … हर हफ्ते अपनी चुत में नया लौड़ा लेती हूँ. मेरा पति तो चोद पाता नहीं … तो सभी से चुदवाती रहती हूँ. मेरे पति के विरोधियों से भी … और पति के दोस्तों से भी चुदवा लेती हूँ.

मैं- छिनाल … रोज जवान लड़कों के लंड खड़ा करती है. उनसे भी तो चुदवा रंडी.
चाची- सभी ने चोदा है … मादरचोद बोलने की हिम्मत नहीं उनकी … नल्ले हैं साले … लंड चुत में डालते ही पानी छोड़ देते हैं. तू वैसे मत करियो साले गांडू … वरना बेलन से तेरी गांड मार दूंगी.

मैं- वो तो देखना तू साली रंडी … तेरी चुत भी माफ़ी मांगेगी छिनाल … अब ले मजा.

मैंने जोर से हॉट चाची की चुत में लौड़ा डाल दिया. लंड एकदम से घुसता चला गया. चाची को उम्मीद ही नहीं थी कि लौड़ा सीधे बच्चेदानी पर चोट करेगा.

चाची- उई मां … मर गई … आह भड़वे इतना जोर से डालते हैं क्या?

मैं बिना कुछ कहे सुने बस चाची को चोदता रहा. वो जोरों से चिल्लाती रहीं और गालियाँ देती रहीं.

कुछ देर बाद जब लंड की लज्जत मिलना शुरू हुई, तो चाची मस्त हो गईं- आह बहुत मस्त लौड़ा है … आह बड़ा अच्छा चोदता है … चोद साले तेरी इस रंडी की चुत तड़पाती है.

मैं ताबड़तोड़ धक्के देता रहा और वो वासना में चिल्लाती रही.
अब मेरा काम तमाम होने को था.

मैंने पूछा- कहां निकालु ? अन्दर निकालु या बाहर ????
उन्होंने कहा- चुत में ही निकाल दे … बहुत सूखी है ये निगोड़ी … आह इसे गीला कर दे. डर मत कुछ नही होगा ।

फिर मैंने पूरा वीर्य उनकी चुत में निकाल दिया और बाज़ू लेट गया.

चाची-आहह मज़ा आ गया … मेरी चुत को बहुत दिनों बाद मजबूत लौड़ा मिला है. अगर मुझे पहले पता होता, तो तुझसे कब का चुदवा लेती. चल अब से तू मेरा परमानेंट चोदू यार है … जब तेरा मन हो आ कर अपनी चाची की चुत नंगी करके चोद दिया कर. इसका भोसड़ा बना देना.

मैं- और किसी लंड से चुदवाना हो तो?
सेक्सी हॉट चाची- मादरचोद … मैं रंडी नहीं हूँ. मैं खुद चुदवा लेती हूँ … जिससे मन करता है. तू चोदने आया कर बस … लौड़े के बाल … आकर चोद लिया कर अपनी छिनाल चाची को.

मैंने इसके बाद चाची की एक बार सवारी और की और सोचने लगा कि इसकी लौंडिया को कैसे चोदूं.

अब मैं हर दूसरे तीसरे दिन जाकर चाची की चुत चोद लेता. वो भी मुझे खूब खुश कर देतीं. पैसे भी देतीं और चुत भी चुदवा लेतीं.।
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#14
बहन की सहेली घर आकर चुद गयी
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नमस्कार! मेरा नाम राज यादव है. आज मैं पहली बार अपनी कहानी आप सभी के बीच में लाया हूं.
इस गर्म चुदाई की कहानी में मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने अपनी बहन की सहेली को चोदा.

मैं यू.पी. के एक गांव में रहता हूं. मेरी उम्र 23 साल है. शारीरिक बनावट की बात करूं तो मेरी लम्बाई 6 फीट और दो इंच है.
दिखने में अच्छा हूं और लड़की या भाभी को जल्दी ही पसंद आ जाता हूं.

आज जो मैं घटना आपको बताने जा रहा हूं ये गर्म चुदाई की कहानी उस वक्त की बात है जब मैं अपनी बुआ के घर गया हुआ था.

मेरी बुआ की बेटी रंजना 26 साल की है, एक स्कूल टीचर है.
उसी स्कूल में उसकी एक सहेली भी पढ़ाया करती थी.

उसकी सहेली का नाम था रुखसार. वो 25 की हो चुकी थी.
मैंने उसको पहली बार जब देखा जब एक दिन दीदी ने उसको अपने घर चाय पर बुलाया था.

जब वो आई तो मैं ही दरवाजा खोलने के लिए गया था.
मैंने दरवाजा खोला तो वो सामने थी और मैं उसको एकटक देखता ही रह गया.
फिर एकदम से मैंने नजर हटायी और उसको अंदर आने का रास्ता दिया.

दोस्तो, उसका फिगर क्या कहूं … एकदम से सेक्सी बदन की मालकिन थी वो.
उसको जो भी देखे वो पागल ही हो जाये.
32 के स्तन और कमर 30 की. उसकी गांड 34 की थी.

उसने मुझ एक नजर देखा और फिर अंदर आते हुए पूछने लगी- रंजना घर पर है क्या?
मैंने हां में गर्दन हिलायी और तब तक मेरी बहन भी बाहर निकल आयी.

दीदी उसको अंदर लेकर जाने लगी और पीछे से उसकी गांड उसकी पजामी में मटकती हुई दिखाई दे रही थी.

वो दोनों ऊपर वाले कमरे में चली गयीं.

थोड़ी देर के बाद बुआ ने चाय बना दी और मुझे चाय को ऊपर वाले रूम में देने के लिए कहा.
मैं शर्मा रहा था क्योंकि मुझे लड़कियों से बात करने में हिचकिचाहट होती थी.

मैं जब चाय लेकर ऊपर जा रहा था तो मैं दरवाजे के पास पहुंचा तो उनकी बातें सुनने लगा.
रुखसार दीदी से कह रही थी- तूने बताया नहीं कभी कि तेरा भाई भी है?
दीदी बोली- सगा भाई नहीं है, मेरे मामा का बेटा है.

रुखसार- बहुत मस्त बन्दा है यार. अगर ये मिल जाये तो मैं उसे … (कहते हुए रुखसार चुप हो गयी).
दीदी- पागल हो गयी है क्या! उसकी उम्र ही क्या है अभी?

फिर मैं चाय लेकर अंदर चला गया.
मुझे देखते ही वो दोनों चुप हो गयीं.

रुखसार मेरी ओर ही देख रही थी. मैं उससे कभी नजर मिला रहा था तो कभी बचा रहा था.
मैंने कभी इससे पहले किसी लड़की से खुलकर बात भी नहीं की थी.

इतने में ही बुआ ने दीदी को नीचे बुला लिया. रंजना दीदी मुझे वहीं पर बैठने के लिए कह गयी.

फिर रुखसार मुझसे बात करने की कोशिश करने लगी.
वो बोली- आपको पहले मैंने कभी यहां नहीं देखा.
मैं- मैं रंजना दीदी के मामा का लड़का हूं. यहां बुआ के घर आया हुआ हूं.

वो बोली- आपकी पर्सनेलिटी तो बहुत अच्छी है. आप जिम करते हो क्या?
मैं- नहीं, मैं खेत में मेहनत करता हूं. सारा दिन खेत का ही काम रहता है इसलिए शरीर भी फिट रहता है.

फिर ऐसे ही वो मेरी पढ़ाई वैगरह के बारे में बात करती रही.

पांच मिनट के बाद दीदी आ गयी और मैं उन दोनों को वहीं छोड़कर आ गया.

फिर घंटे भर तक वो दोनों साथ रहीं और फिर नीचे आ गयीं.

उसके बाद दीदी ने मुझे रुखसार को छोड़ने के लिए कहा.
मैं उसको बाइक पर बिठाकर उसके घर छोड़ने जाने लगा.

वो पूछने लगी- तुम्हारी गर्लफ्रेंड है क्या?
मैंने उसको मना कर दिया.

फिर कुछ देर के बाद उसने मेरे कंधे पर हाथ रख लिया.
मुझे उसके कोमल हाथ बहुत अच्छे लगे. फिर उसका घर आ गया और मैंने उसको घर के बाहर छोड़ दिया.

उतरने के बाद उसने मुझसे हाथ मिलाया और मुस्कराते हुए मुझे बाय बोला.
ऐसा लग रहा था जैसे कि वो मुझ पर बहुत मेहरबान हो रही हो.

उसके बाद मैं वहां से वापस आ गया.

दो दिन के बाद मेरे फोन पर एक अन्जाने नम्बर से कॉल आया.

फोन उठाकर मैंने हैलो किया तो वहां से आवाज आई कि मैं रुखसार बोल रही हूं.

मैंने पूछा- आपको ये नम्बर कहां से मिला?
वो बोली- रंजना से लिया है. मुझे आपसे बात करनी थी.

फिर मैं बोला- ठीक है, बताओ क्या बात करनी है?
वो बोली- आपको कम्प्यूटर की जानकारी है क्या? शायद मेरे कम्प्यूटर में कुछ खराबी आ गयी है.

मैंने कहा- नहीं, मुझे इसकी जानकारी नहीं है. वैसे क्या खराबी आ गयी है?
वो बोली- बहुत धीरे काम कर रहा है.
मैंने कहा- तो एक बार उसको फॉर्मेट कर लो.

वो बोली- मगर उसमें मेरा कुछ पर्सनल डाटा है जो मैं खोना नहीं चाहती.
मैंने कहा- तो फिर आप किसी कम्प्यूटर रिपेयर सेंटर पर ही दिखा लो तो सही रहेगा.
वो बोली- ठीक है. यही सही रहेगा.

फिर उसने फोन काट दिया.

रात को फिर उसका कॉल आ गया.

इस बार उसने उस कॉल पर काम की कोई बात नहीं की. मगर हम दोनों की काफी देर तक बातें हुईं.

मैं जान गया कि ये चुदना चाह रही है शायद.

फिर हमारी बातें रोज होने लगी.
मैं भी उसके लिए अब तैयार था और उसकी चूत को पेलना चाह रहा था.

एक दिन उसने खुद ही मिलने के लिए बोल दिया.
वो बोली- आप कब मिल सकते हो? मैं एक बार आपसे बात करना चाहती हूं.
मैंने कहा- दो दिन के बाद बुआ और फूफा दवाई लेने आगरा जायेंगे. तुम रंजना से बात कर लेना और घर आ जाना.

अब आगे की कहानी रुखसार की जुबानी …

मैं राज से मिलकर उसके साथ सेक्स मजा लेना चाहती थी.
मैंने राज को अभी तक अपने दिल की बात नहीं बोली थी. मगर मैं उसको बहुत पसंद करने लगी थी.
मैं बस किसी तरह तीसरे दिन के इंतजार में थी.

फिर वो दिन भी आया और उसके बुआ-फूफा दवाई लेने आगरा चले गये.
मैं बहुत उत्साहित थी.

राज जैसा लम्बा चौड़ा तगड़ी कद काठी का बंदा मैंने पहली बार देखा था.

वैसे मेरा फिगर भी किसी का भी लंड खड़ा कर सकता था.
मगर राज को जैसे मुझे देखकर कुछ हो ही नहीं रहा था.

मैं तो उसको जब भी देखती थी तो मेरी चूत में खुजली होने लगती थी.
अब मुझे अपनी चूत में उसका लण्ड चाहिए था. इसके लिए चाहे मुझे कुछ भी करना पडे.

मैंने अपनी सहेली रंजना को फोन किया कि मेरे घर कोई नहीं है. रात को डर भी बहुत लगता है. मैंने उससे मेरे घर आने के लिए कहा.

उधर रंजना भी कहने लगी कि उनके घर भी कोई नहीं है. इसलिए वो मुझे अपने ही घर बुलाने लगी.
मैं तो खुशी खुशी तैयार हो गयी.
मुझे तो राज से अपनी चूत भी चटवानी थी.

शाम को मैं रंजना के घर जा पहुंची. उस वक्त वो खाना बना रही थी. मैं भी रंजना के साथ मिलकर खाना बनवाने में उसकी मदद करने लगी.

राज ऊपर वाले कमरे में था.

खाना बनाने के बाद मैं उसको बुलाने के लिए ऊपर वाले रूम में गयी.

मुझे देखते ही वो उठ खड़ा हुआ और मुस्कराकर बोला- तुम कब आईं?
मैं बोली- काफी टाइम हो गया. खाना बनवा रही थी. चलो नीचे चलकर खाना खा लेते हैं.

उस दिन मैंने नीले रंग का सूट सलवार पहना हुआ था. उसमें मेरी गांड कुछ ज्यादा ही उभरी हुई दिख रही थी.
जब मैं पलट कर जाने लगी तो राज ने मेरी गांड पर हाथ मारकर कहा- बहुत सेक्सी लग रही हो.

मेरी एकदम से आह्ह निकल गयी और वो बोला- अभी तो कुछ किया भी नहीं मैंने जी.
मैं जान गयी कि आज ये मेरी चूत को चोद ही देगा.
जिस दिन का मैं इंतजार कर रही थी वो आ गया था शायद.

इससे पहले भी मैं अपने फुफेरे भाई से चुद चुकी थी.

उसके बाद हम सबने मिलकर खाना खाया. उसके बाद राज ऊपर चला गया और मैं तथा रंजना चाय पीकर नीचे ही सोने लगीं.

मैंने अपनी सहेली के चाय के कप में नींद की गोली मिला दी. जिससे वो जल्दी सो गयी.

रात के 10 बज गये.
मैं रंजना को वहीं सोते हुए छोड़कर उठी और ऊपर वाले रूम में जा पहुंची.

आपको बताना भूल गयी मैं … कि रंजना का कोई और भाई बहन नहीं है. उसके पापा पैट्रोल पंप और ट्रान्सपोर्ट का बिजनेस करते हैं.

जब मैं ऊपर गयी तो वो हिसाब किताब करने में व्यस्त था. वो सफेद कुर्ता-पजामा पहने हुए था.

मैंने पूछा- क्या कर रहे हो?
तो कहने लगा कि फूफा के बिजनेस के हिसाब का काम कर रहा हूं. उनको ज्यादा समय नहीं मिलता.

मैं उसके पास जाकर बैठ गयी.
थोड़ी देर बाद वो फ्री होकर बोला- हाँ जानेमन … आ गयी!
मैं मुस्कराते हुए बोली- जी मेरे आका!

उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी ओर खींचकर होंठों को चूसने लगा.
उसके हाथों से छूटने के अथक प्रयासों के बाद भी मैं नहीं छूट पायी.
फिर मैं भी उसका साथ देने लगी.

उसके बाद राज ने मेरी गर्दन को किस करते हुए मेरे शर्ट की जिप खोल दी और पीठ पर किस करने लगा.

फिर उसने मेरा शर्ट उतार दिया.
मेरी गोरी गोरी चूचियों पर एक गुलाबी जालीदार ब्रा थी.

उसने मेरी ब्रा को एक ही झटके में उतार दिया.
फिर वो मेरी चूचियों को मसलने लगा.
मैं सिहर उठी. मेरी आह्ह … आह्ह … की सिसकारियां कमरे में गूंजने लगीं.

अब उसने मुझे सीधा लेटाया और होंठों पर किस करता हुआ नीचे बढ़ने लगा.
उसने मेरे बूब्स को पीना शुरू कर दिया.

मैं भी गर्म हो रही थी.
मेरे मुंह से बस सिसकारियां निकल रही थीं.
मेरी चूत भी पूरी गीली हो गयी थी.

10 मिनट तक बूब्स चूसने के बाद वो मेरे पेट को चाटते हुए नाभि को पीने लगा.
मेरी चूत को अब लण्ड की जरूरत थी और वो मेरे बदन से खेलता जा रहा था.

राज ने अब तक मेरी चूत को छुआ तक नहीं था.

फिर वो मेरी पजामी का नाड़ा खोलने लगा.
उसने पजामी नीचे की और मेरी गोरी गोरी जांघों पर हाथ फिराने लगा.
मैंने नीचे से गुलाबी जालीदार पैंटी पहनी हुई थी.

अब वो मेरे सामने अपने कपड़े खोलने लगा.
जैसे ही उसने कुर्ता उतारा तो मैं सहम सी गयी.

उसका शरीर एकदम पहलवानों के जैसा कसरती थी. जब उसने पजामा उतारा तो अंदर से लंगोट बांधा हुआ था.

लंगोट में भी उसका लंड पूरा कसा हुआ तना पड़ा था.

फिर उसने मुझे खड़ी कर लिया और मेरी गांड पर किस करते हुए उसको मसलने लगा.
उसके बाद उसने मेरी पैंटी को उतरवा दिया और मेरी चूत को नंगी कर लिया.

फिर उसने भी अपना लंगोट खोल लिया और उसका लंड देखकर मैं चौंक गयी. उसका लंड काफी लम्बा और मोटा था.
मैं जान गयी कि आज मेरी चूत का कोना कोना चुदने वाला है.

अब मुझे बहुत डर लग रहा था इसलिए मैंने उसका लण्ड मुंह में ले लिया ताकि उसको जल्दी ही खाली कर सकूं.

वो मजे से लंड चुसवाने लगा और फिर मेरे बालों को पकड़ कर मेरे मुंह में धक्के देने लगा.
उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था.

फिर उसने लंड को निकाल लिया और मेरी चूत में उंगली करने लगा.
उंगली को फिर बीच में ही निकाल कर वो मेरी चूत को चाटने लगा.

मैं एकदम से मदहोश होने लगी.
वो लगातार मेरी चूत को चाटता ही जा रहा था.

फिर वो मेरी गांड पर थप्पड़ मारने लगा और मुझे घोड़ी बनने को कहा.
उसने अपने लण्ड को मेरी गांड पर सेट किया.

मैं उठ गयी और बोली- पहले चूत मार लो. बाद में कभी फिर गांड मार लेना.
वो बोला- ठीक है.

उसके बाद उसने मेरे एक पैर को सोफे पर रखवा लिया. फिर पीछे से मेरी चूत पर लंड को सेट कर दिया. दूसरे हाथ से उसने मेरी कमर पकड़ ली.
फिर धीरे से मेरी चूत में लंड का सुपारा घुसाने लगा.

मुझे ज्यादा दर्द नहीं हुआ क्योंकि मैं पहले भी कई बार चुद चुकी थी.

फिर उसने एक जोर का झटका दिया और मेरी चूत में आधा लंड उतार दिया.
अब मुझे दर्द हुआ और मैं चिल्लाने को हुई तो उसने मेरे मुंह पर हाथ रख लिया.

मैं उससे छूटना चाह रही थी लेकिन छूट नहीं पाई.
अभी उसका आधा लंड ही गया था.

फिर उसने एक और झटका मारा और पूरा लंड फंसा दिया.

अब मैं दर्द से तड़प गयी और वो मेरे ऊपर लेटकर मेरे बदन को चूमने लगा.

मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था. मैंने उसको लंड बाहर निकालने के लिए बोला.
पर उसने मेरी एक न सुनी और झटके लगाने शुरू कर दिये.

मैं दर्द में कराहने लगी और उसने चुदाई शुरू कर दी.

काफी देर तक वो मुझे ऐसे ही चोदता रहा और फिर धीरे धीरे करके मेरा दर्द कम हो गया.
उसके बाद उसने लंड को निकाल लिया.
मेरी चूत एकदम से जैसे फैल गयी थी.

फिर उसने मेरे दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखकर लंड को मेरी चूत में डाल दिया.
वो दोबारा से मुझे चोदने लगा.
मेरी चूत चोदते हुए वो बोला- साली, बहुत खुजली हो रही थी. पहले दिन से ही मुझे शक था कि तू मेरा लंड लेना चाहती है. अब तो मैं तेरी गांड भी मारूंगा.

मैं भी चुदने का मजा ले रही थी और लगातार सिसकार रही थी- आह्ह राज … और चोदो … ओह्ह … बहुत अच्छा लग रहा है. मैं तुम्हारी रंडी हूं. मुझे रंडी बनाकर चोदो.

इस तरह से उसने अपनी स्पीड और ज्यादा बढ़ा दी.

दो मिनट के बाद ही मैं झड़ने को हो गयी.
फिर एकदम से मेरी चूत का पानी छूटने लगा. मेरी चूत ने बहुत सारा पानी छोड़ दिया.

राज अभी भी मुझे चोदे जा रहा था. उसने झटकों की गति बढ़ा दी.

फिर वो गांड चोदने की बात कहने लगा.
मैं बोली- पहले एक बार चूत का निपटा लो. उसके बाद गांड फिर कभी चोद लेना. अगर रंजना उठ गयी तो हम पकड़े जायेंगे.

फिर वो दोबारा से चोदने लगा और उसका माल निकलने को हो गया.
वो बोला- अन्दर निकालूँ या बाहर ?
मैं डर के बोली- नही अंदर नहीं, मे पेट से हो गयी तो? तुम मेरे मुंह में निकाल दो।

उसके बाद उसने लंड को मेरी चूत से बाहर निकाल लिया.
मैंने मुंह खोल लिया. फिर उसने मेरे मुंह में लंड डाल दिया और चुसवाने लगा.

दो मिनट के बाद उसने मेरे मुंह में अपना माल छोड़ दिया.

हम शांत हो गये और दो तीन मिनट वहीं लेटे रहे.
मैं पूरी नंगी थी. फिर मैंने अपने कपड़े संभाले. मैंने कपड़े पहने और चुपके से नीचे आ गयी.

नीचे रंजना सो रही थी और मैं भी चुपचाप आकर लेट गयी.
बस उस रात राज ने इतना ही किया.।
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#15
आंटी की प्यास बुझाई
******************



यह जो कहानी लिखने जा रहा हूँ वो कल की ही बात है। मेरे पड़ोस में एक आंटी रहती है उसकी कहानी है। मुझे यह आंटी बहुत अच्छी लगती थी। क्या माल था। उसकी फ़ीगर 38-30-38 है। बड़े-2 चूतड़ और इतनी सेक्सी गाँड थी कि मेरा लंड उसको देख कर तन जाता था। गाँड का पूछो मत, मोटी मोटी गाँड ! जब जब वो चलती थी तो गाँड हिलती रहती। जब जब मैंने आंटी की गाँड देखा करता था मेरा लंड जोश में आ जता।

आंटी बहुत ही सेक्सी थी। बेचारी आंटी अंकल के काम की वजह से एंजोय भी नहीं करती थी। उसके पति आर्मी ओफ़िसर थे, अक्सर बाहर ही रहते थे। एक दिन मैं उनके घर गया, सोनिया आंटी अकेली थी।

मैंने आंटी से पूछा कि सब लोग कहाँ है?

आंटी ने जवाब दिया कि अंकल का तो तुमको पता ही है और सभी बच्चे मामा के घर गये हैं। आज रात को नहीं आयेंगे।

फिर मैंने आंटी को कहा- ओके आंटी, मैं चलता हूँ।

आंटी ने मुझे रोक लिया और कहा- अभी रुक जाओ, मुझे नहाना है, तब तक तुम मेरे घर का ख्याल रखना। मैं अभी नहा कर आती हूँ।

आंटी नाइटी में थी, पिंक नाइटी में उनके वक्ष बड़े सेक्सी लग रहे थे…

आंटी बोली- तू मेरा पीसी भी ठीक करके जाना ! खराब है !

मुझे नहीं पता था कि आंटी भी पीसी चलाना जानती हैं। मैं रुक गया आंटी नहाने चली गई। मैं इनके बेडरूम में आंटी का इन्तज़ार कर रहा था कि अचानक मेरी नज़र बेड पर पड़ी, बेड पर तौलिया, पैंटी और ब्रा पड़ा था। ब्रा और पैंटी बहुत बड़ी थी।

तकरीबन 15 मिनट बाद आंटी ने आवाज़ दी और कहा- तौलिया दे दो मुझे।

मैंने आंटी को तौलिया दिया.

फिर आंटी ने कहा- प्लीज़ मेरी पैंटी और ब्रा भी दे दो।

मैंने आंटी को पैंटी और ब्रा भी दे दी। अब आंटी नहा कर निकली। आंटी ने सफ़ेद रंग का सूट पहना हुआ था। आंटी की काली ब्रा नज़र आ रही थी।

अब मैंने आंटी को कहा- आंटी अब मैं चलता हूँ।

आंटी ने कहा- तुम्हें कुछ काम से जाना है क्या?

मैंने जवाब दिया- नहीं !

फिर आंटी ने मुझे कहा- रुक जाओ ! मैं अकेली बोर हो जाऊंगी। कुछ बातें वगैरह करते हैं।

मैं बैठ गया और आंटी अपनी लाइफ़ के बारे में बता रही थी। अब आंटी कुछ खुल कर बातें करने लगी।

मेरे से पूछने लगी- तुम्हारी गर्लफ़्रेंड्स हैं या नहीं, कभी सेक्स किया है या नहीं।

मैं ऐसी बात सुन कर हैरान हो गया। अब मैं भी खुल गया था।

मैंने आंटी से पूछा- आंटी, आप को सेक्स पसंद है?

आंटी ने जवाब दिया- सेक्स हर किसी को पसंद होता है पागल। क्या तुम्हें पसंद नहीं है? आंटी ने कहा…

मैंने जवाब दिया- कभी किया ही नहीं है।

आंटी ने कहा- झूठ मत बोलो, मुझे मालूम है, तुम बहुत बुरे हो ! तुमने अपनी काम वाली को चोदा है और नेहा को भी, मुझे सब पता है और तुमने उन पर कहानी भी लिखी, मैंने भी तुम्हारी कहानी कल रात को पढ़ी थी और मेरी चूत गीली हो गई थी, जी करता था कि तुमको रात को ही अपने घर बुलाकर अपनी प्यास बुझा लूँ, लेकिन बच्चे घर पर थे। झूठ बोलता है, तूने अपना मोबाइल नम्बर भी दे
रखा है, लेकिन मैंने सोचा जब घर आओगे तब ही बात करूंगी तुमसे। तेरी माँ को बोलना पड़ेगा कि तेरा विवाह कर दे।

मैं अचानक डर गया।

आंटी ने कहा- डरो मत, मैं कुछ नहीं कहूँगी ! मैंने तो तुमको नंगा भी देखा है।

मैंने आंटी से पूछा- कब देखा आप ने मुझे नंगा?

आंटी ने जवाब दिया- जब तुम मेरे घर के बाथरूम में पेशाब कर रहे थे।

मैंने कुछ नहीं कहा।

आंटी बोली.. – मेरी भी चूत प्यासी है..क्या अपनी आंटी की प्यास नहीं बुझाओगे? कहानी में तो लिख रखा है गुलाम हाज़िर है, अब चुप क्यों बैठे हो? बोलो, अब तुम्हारा लंड प्यास बुझायेगा मेरी चूत की प्यास को?

मैं सोनिया आंटी की बातों से मन ही मन खुश हो रहा था, सोचा नहीं था कभी कि आंटी खुद तैयार हो जायेगी। मैं उनसे डरता भी था क्योंकि वो बहुत गुस्सेवाली है।

आंटी ने अब अपना हाथ मेरे लंड पर रखा तो मुझे तब बहुत अच्छा लगा। मेरी आंटी बहुत प्यासी थी वो बिल्कुल गोरी थी। उनकी उमर 38 की थी लेकिन अभी भी बिल्कुल जवान लगती थी। ज़िंदगी में आज पहली बार 38 साल की औरत के साथ सेक्स करने जा रहा था।

अब आंटी ने मुझसे कहा- अपनी पैंट उतारो ! मैं भी देखूँ तुम्हारा प्यारा सा लंड।

मैंने अपनी पैंट उतार दी। मैंने उस दन अंडरवियर नहीं पहना हुआ था। मैं अब नीचे से नंगा था।

आंटी मेरे पास आई और मेरी शर्ट भी उतार दी और मुझे पूरा नंगा कर दिया। आंटी को मेरा लंड बहुत अच्छा लगा। आंटी ने मेरा हाथ अपने वक्ष पर रखा और कहा दबाते रहो प्लीज़। मैंने खूब दबाये आंटी के स्तन। आंटी को मज़ा आ रहा था। फिर आंटी ने अपनी कमीज़ उतारी फिर सलवार उतारी।

फिर मेरे लंड को चूसने लगी।

फिर मैं आंटी की ब्रा खोलने की कोशिश कर रहा था तो आंटी मुस्करा कर बोली- बेटा, मैं खोल देती हूँ।

फिर आंटी ने ब्रा खोल दी और पैंटी भी उतार दी। अब आंटी का गोरा गोरा जिस्म मेरे सामने पूरा नंगा था। आंटी ने अपने बड़े बड़े स्तन मेरे लंड पर रख दिये और अपने वक्ष से मुझे चुदाई का मज़ा दे रही थी।

कुछ देर बाद मैं आंटी की चूत को चाटने लगा।

आंटी की सेक्सी सेक्सी आवाज़ें निकल रही थी – आआआआह्हहह्हह्ह ऊऊऊह्ह्हह… बेटा आआआह्हह्हह्हह्हह ज़ोर से बेटा आआआह्हह्हह्हह्ह… तेरी आंटी प्यासी है मेरी प्यास बुझा दे बेटा… आआआअह्हह्हह्ह।

आंटी ने कहा- अब अपना लंड मेरी चूत में डालो ! प्यासी है मेरी चूत, प्यास बुझाओ जल्दी।

मैंने आंटी की दोनों टांगों को अपने हाथों से अपने कंधों पर रखा और चूत पर लंड रखा। आंटी की चूत टाइट हो रही थी ।

मैंने हल्का सा धक्का दिया तो आंटी की चीख निकल गई और आंटी ने कहा- आराम से डालो ! क्या जल्दी है तुमको?

मैंने कहा- आंटी, अब आराम से डालूँगा।

फिर मैंने हल्के हल्के झटके लगाने शुरु कर दिये। मेरे धक्कों से आंटी को मज़ा आ रहा था।

आंटी की आवाज़ें निकल रही थी- ऊओह्हह्ह्ह.. ऊफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ हाआआ। और डालो और डाल आज मेरी चूत को मज़ा दे दो प्लीज़। तेज़ करो।

मैंने तेज़ कर दिया। आंटी ने मुझे बेड पे मुझे सीधा लिटा दिया और मेरे लंड के ऊपर अपनी चूत रख दी और ज़ोर-2 से हिलने लगी और
चिल्लाने लगी- आह्हह्हह्हह्हह.. बेटा बेटा आआआआह्हह्हह्हह्हह्ह मज़ा आ गया तुम्हारा लंड अब मेरी प्यास बुझा देगा !

और ज़ोर-2 से ऊपर नीचे होने लगी, ऐसे में मेरे लंड को भी दर्द हो रहा था। आंटी और मैं दोनों पागल हो गये और मैंने आंटी को उठा लिया और नीचे लिटा कर उनकी टांगें खोल दी और फिर से चुदाई शुरु कर दी, आंटी झड़ने वाली थी। हमको 15-20 मिनट हो गये थे
और मेरा भी वीर्य निकलने वाला था।

मैंने कहा आंटी वीर्य कहा निकालु? अन्दर निकालु या बाहर ???????
आंटी ने कहा- अंदर नहीं निकालना। मे पिल्स नेहि लेती हु,, पेट से हो गयी तो तुम बाहर गिरा दो।

मैंने कहा- ठीक है आंटी।

अब मैंने अपना लंड निकाल लिया और आंटी के स्तनों पर वीर्य निकाल दिया। फिर आंटी ने मेरा लंड चूसा और वीर्य पी गई। 15 मिनट तक हम नंगे ही बेड पर लेटे रहे।

फिर मैंने आंटी से कहा- आंटी। मुझे आप की गाँड मारनी है।

आंटी ने जवाब दिया- आज से सब कुछ तुम्हारा है बेटा ! यह गाँड भी तुम्हारी है ! जब बोलोगे, दे दूंगी।

मैंने कहा- अभी मिल सकती है?

आंटी ने कहा- अभी क्यों नहीं।

आंटी ने फिर मेरे लंड को चूसना शुरु किया, 5 मिनट के बाद मैं आंटी की मोटी मोटी गाँड पर अपनी ज़बान फेरने लगा।

आंटी ने कहा- यह क्या कर रहे हो? आज तक किसी ने मेरी गाँड पर ज़बान नहीं फेरी !

मैंने जवाब दिया- आंटी एक ब्लू मूवी में मैंने देखा था।

आंटी ने कहा- तुमको तो बहुत कुछ पता है सेक्स के बारे में।

अब आंटी कुतिया स्टाइल में थी और मेरा लंड बेचैन था मोटी गोरी गोरी मोटी मोटी गाँड में जाने के लिये।

आंटी ने कहा- आराम आराम से डालना ! यह चूत नहीं है, गाँड है। बहुत दर्द होता है।

मैंने कहा- आंटी, आप फ़िक्र नहीं करें, मैं आराम से करूंगा।

मैंने अब आंटी की गाँड में हल्का सा झटका दिया, आंटी को दर्द हुआ, चीख निकल गई- आआआह्हह्ह हरामी बाहर निकाल ! फट जायेगी ! रहम कर आआआह्हह.. नो बेटा प्लीज़्ज़ अह्हह्ह ऊऊऊईईए माआ .. मम्मी आअह्हह्ह बाहर निकाल।

फिर मैंने अपनी स्पीड हल्की कर दी। अब हल्के हल्के मेरा पूरा लंड आंटी की गाँड में जा चुका था और आंटी को भी मज़ा आ रहा था।
आंटी को भी बहुत मज़ा आया गाँड में लंड ले कर।

मैंने आंटी को कहा- आंटी, वीर्य निकलने वाला है !

आंटी ने कहा-मेरे मुह मे निकाल दो ।
फिर आंटी ने सारा वीर्य पिया और लंड को चूसने लगी।

अब जब भी मौका मिलता है मैं आंटी की प्यास बुझाता हूँ।
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#16
लेडी बॉस की धमाकेदार चुदाई
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सभी पाठकों और पाठिकाओं को मेरा नमस्कार।
इस सेक्स कहानी के द्वारा में अपनी आपबीती आप सभी तक पहुँचाने जा रहा हूँ। ये कोई कहानी नहीं मेरे जीवन की एक घटना है जो अभी 4 महीने पहले ही घटित हुई है।

मेरा नाम अर्पित है और मेरी उम्र अभी 31 साल है मैं भोपाल में एक कंपनी में काम करता हूँ।

आज से 6 महीने पहले मेरे आफिस में एक नई मैडम ने जॉइन किया और बाद में वही मेरी बॉस बन गयी। उन मैडम का नाम दीपा है और उनकी उम्र 45 वर्ष है.
वो देखने में बहुत खूबसूरत तो नहीं पर उसके अंदर एक अलग ही अपील है। उसका फिगर 35-32-40 का है। उसके शरीर में उसकी गांड सबसे अलग ही दिखती है और जब वो चलती है तो गांड ऐसे मटकती है जैसे समुद्र में लहरें उठ रही हों।

वो हमेशा वेस्टर्न ड्रेसेस में ही आफिस आती थी. जीन्स या ट्राउज़र में उसकी गांड बहुत सेक्सी लगती थी. मन करता था कि उनकी गांड पे बहुत तेज स्लैप करूं और उसे खा जाऊँ। बड़ी गांड मेरी कमजोरी है. अगर किसी लेडी की गांड सेक्सी और बड़ी हो तो वो मुझसे सेक्स में कुछ भी करवा सकती है. बस मुझे वो अपनी गांड से जो मैं करना चाहूँ करने दे।
मेरी बातों से आपको अंदाजा तो लग ही गया होगा कि मैं सेक्स में कितना जंगली हूँ।

जब मैडम ने जॉइन किया तो मेरी उनसे ज्यादा बात नहीं हुई. पर बाद में जब वो मेरी बॉस बनकर मेरे डिपार्टमेंट आयीं तो फिर हम दोनों की रेगुलर बात होने लगी।
उनकी बातों से पता चला कि उनके हसबेंड केन्द्रीय सरकार में अभियंता हैं और अभी नार्थ ईस्ट में पोस्टेड हैं। उनका एक लड़का है जो अभी दिल्ली से इंजीनियरिंग कर रहा है और मैडम यहां अकेले ही रहती हैं।

काम के साथ हम लोग अपनी पर्सनल बातें जैसे फैमिली के बारे में, मेरी गर्लफ्रैंड के बारे में शेयर करने लगे।

उनसे बात करके मुझे लगा कि वह बहुत अकेली हैं और उनके अंदर बहुत सी भावनाएं हैं जो वो बताना चाहती हैं पर कोई है नहीं जिसके साथ वो शेयर कर सकें।

कई बार लेट सीटिंग के कारण हम दोनों को रात तक काम करना पड़ता था और फिर मैं उन्हें घर छोड़ते हुए निकल जाता था.

ऐसे ही 1 दिन मैं उन्हें घर छोड़ने जा रहा था तो मैम ने कहा- आओ मिलकर चाय पीते हैं।
मैं उनके घर गया जो कि एक 2 बी एच के फ्लैट था और मैं हॉल में बैठ गया और वो बोली- मैं 1 मिनट में चेंज करके चाय बनाती हूं.

उन्होंने गाउन पहना और चाय बनाने लगी. फिर उन्होंने मुझे अंदर से आवाज दी- यहीं आ जाओ, किचन में बात करते हैं.
मैं किचन में चला गया. किचन में जाकर वहीं स्टैंड के पास खड़े होकर बात करने लगा.

मैंने देखा कि वो रेड गाउन में बहुत सेक्सी लग रही हैं. उनके बूब्स बाहर उभरे हुए दिख रहे थे और उनकी क्लीवेज भी दिख रही थी. नीचे उनकी गांड बाहर की तरफ उठी हुई थी। गाउन रेड कलर का था और उसका गला बहुत बड़ा था। नीचे से टाइट था और उनकी पैंटी की लाइन दिख रही थी।

मेरा तो ये देख के खड़ा ही हो गया जिसे मैं यहां वहां घूम के छिपा रहा था. पर मैडम ने मेरे खड़े लंड को नोटिस कर लिया था। वो बार बार मुझे झुक कर अपने बूब्स दिखा रही थी और मैं पागल हुआ जा रहा था।

बातों बातों में उन्होंने बताया कि वह अपने हस्बैंड को बहुत मिस करती हैं. पर क्या करें हस्बैंड का महीने 2 महीने में एक बार आना हो पाता है. और कभी बीच बीच में उनका लड़का आ जाता है।
फिर जब चाय बन गई तो हम दोनों सोफे पर बैठ कर चाय पीने लगे.
उन्होंने पूछा- खाने का क्या करोगे?
मैंने कहा- अभी जाऊंगा या तो कुछ बना लूंगा या आर्डर करूंगा.

उन्होंने कहा- एक काम करते हैं, यहीं आर्डर कर लेते हैं, तुम खाना खाकर चले जाना।
मैंने कहा- ठीक है.
और हम लोगों ने खाना ऑर्डर कर दिया.

उन्होंने बोला- अभी खाना आने में टाइम लगेगा, तुम थोड़ा फ्रेश हो लो.

मैं उनके बाथरूम में गया फ्रेश होने. वहां देखा मैंने कि मैम के अंडर गारमेंट टंगे हुए हैं. उनकी ब्रा पिंक कलर की थी और पेंटी ब्लैक और कट वाली थी और बहुत ही सेक्सी दिख रही थी. मैंने उनकी पैंटी और ब्रा को चूमा और फिर फ्रेश हो कर बाहर आ गया.

बाहर आकर हम दोनों फिर बात करने लगे. वे थोड़ा मेरी तरफ झुक कर बैठी हुई थी तो मुझे उनके बूब्स दिख रहे थे. उन्होंने देख लिया कि मैं उनके बूब्स देख रहा हूं. वो फिर भी ऐसे ही बैठीं रही.
और बातों बातों में वो मेरे हाथ पकड़ कर उसके साथ खेल रहीं थी. फिर हम दोनों की नजरें मिली और हम दोनों एक दूसरे को खा जाने वाली निगाहों से देखने लगे.

अचानक से क्या हुआ … एक दूसरे को किस करने लगे. मैं उन्हें बहुत देर तक किस करता रहा और वह भी मेरा साथ देती रहीं.

उसके बाद मेरे हाथ उनके बूब्स पर चले गए और मैं उनके बूब्स दबाने लगा. फिर मेरा दूसरा हाथ उनके पीछे उनकी गांड को दबाने लगा. अब वे सिसकारियां भर रही थी. फिर हम दोनों किस करते करते खड़े हुए.

मैंने उनका गाउन उतारना चाहा तो उन्होंने कहा- तुम्हें इससे कोई एतराज तो नहीं है जो हम कर रहे हैं?
तो मैंने उनसे कहा- मुझे बहुत खुशी है कि आज मैं आप जैसी सुंदर लेडी के साथ कुछ प्यार के लम्हे व्यतीत कर पा रहा हूं।

फिर मैंने उनका गाउन उतार दिया. उन्होंने भी मेरे कपड़े उतारना चालू कर दिया. उन्होंने मेरी शर्ट उतारी और फिर मेरा ट्राउजर भी खोल दिया. अब मैं बनियान और अंडरवियर में था और वह सिर्फ ब्रा और पेंटी में।

मैंने उनको बोला- बेडरूम में चलें?
और इतनी देर में खाना आ गया. जैसे ही डोर बेल बजी, हम दोनों घबराए पर फिर उन्होंने गाउन पहना जल्दी से और बोली- मैं खाना लेकर आती हूं, तुम बेडरूम में चलो.

फिर वे खाना लेकर आई बेडरूम में. मैं वही लेटा हुआ था. आते ही उन्होंने अपना गाउन उतार दिया और मेरे ऊपर लेट गई.

मैंने उन्हें फिर किस करना शुरू कर दिया. कुछ देर बाद मैं उनके ऊपर आ गया और मैंने उनकी बॉडी पर किस करना शुरू कर दिया, उन्हें हर जगह चूमने लगा उनके माथे पर, गालों पर, गर्दन पर, कान पर, सीने पर!

और फिर मैंने उनकी ब्रा को उतार दिया और अपनी बनियान को भी!
फिर मैं उनके बूब्स को किस करने लगा और मैम के बूब्स के निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा, काटने लगा, उनको प्यार से और बूब्स दबाता रहा. वो बहुत जोर जोर से आह आह करती रही और मेरे सर को अपने बूब्स में दबाती रही।

मैं उनके पेट पर उनकी नाभि पर किस करने लगा. और फिर उनको मैंने पलट दिया और फिर उनकी पूरी पीठ पर मैं किस करने लगा, काटने लगा. मैं हर जगह चाटने लगा उनकी पीठ को, उनकी बांहों को और उनके पेट के निचले हिस्से पर किस करने लगा.

और फिर मैंने मैम की पेंटी को उतारना स्टार्ट किया. पैंटी को उतारते उतारते मैं अपने होंठ भी साथ में चलाता रहा. नीचे आकर मैं उनके पैरों को किस करने लगा और पैंटी को उतार के फेंक दिया.

मैं दोबारा ऊपर उनके पैरों को किस करते हुए ऊपर जाने लगा और उनकी जांघों को किस करने लगा. जांघों को किस करने के बाद उनके नितंब या फिर मैं कहूं गांड के पाटों को किस करने लगा और काटने लगा अपने दांतों से।

वो बस आह आह आह आह करती रही और कहने लगी- बहुत मजा आ रहा है यार अर्पित … बहुत मजा आ रहा है. अर्पित और करो … और करो.
और मैं उनकी गांड को किस करता रहा, काटता रहा.

और फिर मैंने उनको पलट दिया और उनकी जांघों पर किस करने लगा, चाटने लगा. फिर मैंने दोनों जांघों को फैला दिया और उनकी चूत को देखने लगा. बहुत प्यारी लग रही थी बिल्कुल गुलाबी … छोटे-छोटे बाल थे चूत के आसपास जो बहुत ही प्यारे लग रहे थे.

फिर मैंने एकदम से मैम की चूत पर अटैक कर दिया और उनकी चूत को चाटने लगा किस करने लगा. मेरे होंठ पूरे गीले हो गये उनकी चूत के रस से … और मेरी लार भी उनकी चूत को गीला करने लगी.

मैं उनकी चूत को अपनी उंगलियों से फैला कर जीभ अंदर डालकर चूसने लगा, चाटने लगा. उनकी चूत के दोनों पार्ट को काटने लगा.

मैम एकदम पागल हो गई, चिल्लाने लगी- अर्पित मैं मर जाऊंगी. आह आह आह मेरा निकलने वाला है.
वो बोली- और जोर से अर्पित … और चाटो …खा जाओ मेरी चूत को … इसकी सारी गर्मी निकल दो.
मैं मैम की चूत चाटता रहा।

और फिर मैं उठा, मैंने अपना अंडरवियर उतारा और उनसे कहा- अब आप मेरा लंड चूसो.
अपना लंड मैंने उनके मुंह की तरफ बढ़ा दिया वह मेरा लंड मुंह में लेकर जोर जोर से चूसने लगी. मैं उनके बाल पकड़कर अपना लंड अंदर तक घुसा रहा था।

ऐसे ही चूसते रहने के बाद मैंने कहा- चूत में डाल दूं अंदर?
वे बोली- कब से तो इंतजार कर रही हूं. फाड़ दो मेरी चूत … इसकी खुजली मिटा दो.

और फिर मैंने उनके दोनों पैर फैलाये और अपना लंड एक ही झटके में अंदर डाल दिया। उनके मुख से बहुत तेज आवाज निकली और फिर वो बोली- आराम से करो मेरी जान।
मैंने मैम की चूत से आराम से पूरा लंड बाहर निकाला और फिर पूरा अंदर डाल दिया.

ऐसे ही मैं झटके देता रहा और फिर उनसे बोला- पोजीशन चेंज करो.
और वो मेरे ऊपर आ गई, ऊपर बैठकर लंड अपनी चूत के अंदर लेकर उस पर कूदने लगी, उचक उचक के लंड लेने लगी. उनके बूब्स भी साथ में ऊपर नीचे हो रहे थे. मैम बहुत ही सेक्सी लग रही थी.

मैंने उनको रोककर किस किया और फिर बोला- आप सेक्स में एक्सपर्ट हैं.
तो वो बोली- अर्पित, तुमने भी मुझे खुश कर दिया. मेरी चूत की सारी आग को मिटा दिया।

मैंने कहा- अभी डॉगी स्टाइल में आओ.

और वे कुतिया बन गई. मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड डाला और झटके मारने लगा तेज तेज।

मैम की गांड एकदम एप्पल के जैसी लग रही थी और फैलकर बहुत बड़ी दिख रही थी. मैं तो पागल ही हो गया गांड देखकर। हर झटके के साथ गांड में लहरें उठ रहीं थी.

और फिर मैंने उनकी गांड को पकड़ा अपने दोनों हाथों से और तेज तेज झटके मारने लगा। मैम की गांड के छेद गुलाबी था बिल्कुल … शायद उन्होंने अपने ऐस होल की ब्लीचिंग करवाई थी.

फिर मैम बोली- मेरा दो बार पानी निकल चुका है. अब मुझे दर्द हो रहा है. इतनी देर से कर रहे हो, अब तो निकाल दो.
तो मैंने बोला- ठीक है.
और मैं बहुत तेज तेज झटके मारने लगा.

मैंने कहा- मेरा निकलने वाला है तो कहा निकालु ???? ?
वो बोली- मेरा ऑपरेशन हो चुका है, तुम अंदर ही निकाल दो , प्रेगनेंसी के कोई डर नहीं है.

फिर मैंने अपना पूरा गरम घने वीर्य उनकी चूत के ज्वालामुखी में डाल दिया.

उस रात हम लोग पूरी रात सेक्स करते रहे. मैंने उन्हें 5 बार चोदा, और उनकी चूत पर कभी आइसक्रीम, कभी शहद डाल कर चाटी.

फिर सुबह हम दोनों वहीं से तैयार होकर ऑफिस चले गए।

उसके बाद अब तक मैं उन्हें कई बार चोद चुका हूं. हम लोग कई बार तो ऑफिस में होते हैं तो भी सेक्स कर लेते हैं, वो मेरा लंड चूस लेती है या मैं मैम की चूत चाट लेता हूँ.
वो कहती हैं कि उन्हें मेरे लंड के बिना कुछ अच्छा नहीं लगता और वे चाहती हैं मैं उन्हें हमेशा चोदता रहूं।
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#17
दोस्त की बीवी और उसकी मा कि चुदाई का सफ़र
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आजकल लॉकडाउन चल रहा है तो मैं अपने गांव आया हूं।
मेरा एक दोस्त उस्मान है जो डॉक्टर है उससे हमारा घरेलू व्यवहार है।

उसकी बीवी अफसाना मस्त माल है गोल गोल भरी चूचियां और बाहर निकली मोटी गांड कसम से कामवासना की मूर्ति है।
मेरी उससे दोस्ती हो गई और हम चैट से बात करने लगे।

धीरे धीरे मैंने उससे सैक्सी बातें शुरू कर दी और उसे भी मज़ा आने लगा।
एक दिन हमने रात में फोन सैक्स किया।

अब मैं उसे चोदने का मौका देखने लगा.

एक दिन मैं उसके घर गया तो उसकी सास और वो घर में थी।
हम बात करते रहे.

फिर उसकी सास बोली- राज खाना खाकर जाना. मैं थोड़ी पड़ोस के घर होकर आती हूं, मुझे काम है।

तभी भाभी ने अपनी सास से बोला- मम्मी जी, वहीं से किराने का कुछ सामान ले आना.
और लिस्ट और पैसे दे दिए
आंटी चली गई।

थोड़ी देर बाद भाभी अपने कमरे में चली गई और जब वो वापस आई तो मेरी आंखें खुली रह गई।
भाभी ने पीले रंग की छोटी सी नाईटी पहन रखी थी।

वो आकर मेरे आमने झुक कर खड़ी हो गई.
उसने ब्रा नहीं पहनी थी.
उसे ऐसी हालत में देखकर मेरे लौड़े पर हरक़त होने लगी।

उसने कहा- राज बोलो क्या खाओगे?
उसे झटके से अपनी बांहों में खींच लिया मैंने … और चूमने लगा और बोला- आज मैं तुम्हें खाऊंगा।

मैंने उसे सोफे पर लिटा दिया और उसके होठों को चूसने लगा और उसकी पैन्टी के ऊपर से सहलाने लगा।

उसने भी अपने हाथ को मेरी पैंट मैं घुसा दिया और लंड को पकड़ लिया।
फिर उसने लंड को बाहर निकाल लिया और धीरे धीरे उसको आगे पीछे करने लगी।

वो बोली- राज, चलो बैडरूम में!
मैंने उसे गोद में उठाया और कमरे में ले गया।

उसने मेरे कपड़े उतार कर मुझे नंगा कर दिया और मेरे लंड को गपागप गपागप चूसने लगी।
वो लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे सालों की भूखी हों।

मैंने उसकी नाईटी उतार दी.
अब वो पैंटी में थी।

उसके बड़े बड़े बूब्स मेरे हाथों में नहीं आ रहे थे.
मैं ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था।

वो मस्त होकर लंड को अंदर बाहर करके चूस रही थी।
मैंने बोला- भाभीजान, आप तो मस्त लौड़ा चूसती हो. मज़ा आ गया।

तब मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी पैन्टी उतार दी।

उसकी चूत बिल्कुल चिकनी बिना बालों के गुलाबी थी और चूत के लब आपस में जुड़े हुए थे. मतलब टाइट चूत बिल्कुल चिपकी हुई थी जैसे उसने महीनों से लंड न खाया हो।

मैंने उसकी चूत की फांकों को खोला और एक उंगली घुसा दी.
वो चीख पड़ी- आआआ आह आआ उईई ईईईई सीईई ईईई!

उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया और तड़प उठी।

मैंने कहा- अफसाना भाभी, आप तो बिल्कुल कुंवारी लड़की जैसी हो!
तो वो बोली- तुम्हारे दोस्त को बस ड्यूटी प्यारी है।

मैं बोला- भाभी, आप क्यों परेशान होती हो? मैं हूं ना! आपको खुश रखूंगा।

उसकी टाइट चूत में अपनी जीभ घुसा दी और अंदर-बाहर करने लगा.
भाभी की सिसकारियां निकलने लगी- उईई ईईईई सीईई ईईई … उम्म्ह … आह!

थोड़ी देर बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा।
उसकी चूत में लन्ड रगड़ने लगा और एक झटके में घुसा दिया।

वो झटपटा रही थी और मैं उसके होठों को चूसने लगा।

तभी मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और जोर का धक्का मारा.
उसकी चीख और आंसू एक साथ निकल पड़े।

मैंने लंड को रोक दिया और उसकी चूचियों को दबाने लगा और गले को चूमने लगा।

धीरे धीरे उसकी चूत में दर्द कम हुआ तो मैंने लंड को चलाना शुरू कर दिया।

अब वो भी पूरी गरम हो गई थी.
मैंने लंड से चुदाई की की रफ्तार बढ़ा दी और टाइट चूत के अंदर-बाहर करने लगा.
भाभी की वासना भरी सिसकारियां निकलने लगी- आहह हहह उईईईई सीईईई ईईईई!

मैं लंड को सटासट सटासट अंदर बाहर करने लगा.
मजे और दर्द के मिश्रण से उसकी जान निकली जा रही थी।

वो बोली- राज चोदो … मुझे चिल्लाने दो … तुम रूकना नहीं. मुझे आज अपनी बीवी बनाकर चोदो मेरे राजा!
मैं जोश में आ गया और लन्ड को तुरंत चौथे गियर में डाल दिया और तेज़ तेज़ झटके मारने लगा।

फिर मैं बोला- भाभी जी, आपका राज आज आपको कली से फूल बना देगा!
वो बोली- भाभी नहीं, अफसाना बोलो। आज से तुम मेरे शौहर हो, मैं तुम्हारी रखैल हूं. मेरी चूत और मैं तुम्हारी गुलाम हूं।
मैंने कहा- मेरी जान अफसाना … गुलाम नहीं तुम मेरी रानी हो।

तब मैंने लंड निकाल लिया और उसे घोड़ी बनाया.
फिर पीछे से अपना लौड़ा उसकी मखमली गुलाबी चूत में घुसा दिया और जोर जोर से झटके मारने लगा और उसकी चूचियों को मसलने लगा।

उसकी गान्ड से थप्प थप्प की आवाज आने लगी और झटकों से उसकी सिसकारी तेज़ होने लगी।

वो बोली- राज, तुम तो मस्त चोदते हो! कहां से सीखा?
मैंने कहा- मैंने बहुत भाभी लड़की और आंटी को चोदा है।

वो बोली- राज, तुम मुझे ऐसे चोदो राजा कि मेरी चूत फट जाए। आज मुझे पूरी औरत बना दो मेरी चूत को खोल दो।

अब दोनों गरम हो चुके थे और चुदाई का मज़ा ले रहे थे।

तब मैंने अपने लंड को अफ़साना की टाइट चूत से बाहर निकाल लिया और मैं बिस्तर पर लेट गया और उसको अपने लौड़े पर बैठ जाने को बोला।

उसने लंड को मुंह में लेकर चूसा और फिर लंड पर बैठ गई।

लंड सटृ से अफ़साना की चूत में समा गया और उसकी चीख निकल गई।

मैंने उसकी कमर को पकड़ कर झटके मारने शुरू कर दिया।

अब वो लंड पर उछल उछल कर चुदाई का मज़ा लेने लगी।

हम दोनों की सिसकारियां निकलने लगी और कमरा चुदाई की आवाज से गूंज उठा।

आज वो बहुत खुश थी क्योंकि उसे ऐसा किसी ने नहीं चोदा था।

मेरा मोटा लौड़ा उसकी चूत को मस्त होकर चोद रहा था।

अब उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और फच्च फच्च की आवाज आने लगी।
मैंने उसे उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी चूत में लन्ड घुसा दिया और झटके मारने लगा।

उसने अपनी टांगें फैला दी और लंड को अंदर बाहर लेने लगी। मेरे लौड़े से उसकी सिसकारी तेज़ हो गई और उसने अपनी टांगें कमर पर लपेट दी।

मेरे झटकों की रफ़्तार तेज हो गई और झटके पर झटके मारने लगा.

थोड़ी देर बाद मेरे लौड़े से वीर्य निकल पड़ा.
उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और पुरा वीर्य उसकी चूत में भर गया।

हम दोनों पसीने से लथपथ हो गए थे.
मैं उसके ऊपर लेट गया।

थोड़ी देर बाद मैंने अपना लन्ड बाहर निकाल लिया.
मैं बोला- अफसाना तुमने वीर्य अंदर क्यों लिया? कुछ हो गया तो?
वो बोली- कुछ गलत नहीं होगा. मैं मा बनना चाहती हूं। तुम चिन्ता मत करो मे सब सम्भाल लुंगी ।

थोड़ी देर बाद वो किचन में गई और दूध लेकर आई.
मैंने दूध पी लिया।

उसने अपनी सास को फोन किया- कब तक आओगी?
वो बोली- बाजार में हूं। एक घंटा लग जाएगा.

अफ़साना बोली- राज आपको पूछ रहा है.
आंटी बोली- उसको बोलना शाम तक रूकेगा।

फोन काट कर अफसाना खुश हो गई और मेरी गोद में बैठ गई।
हम दोनों ही नंगे थे। उसकी गान्ड गर्म थी. मेरे लौड़े पर अब उसकी गान्ड की गर्मी महसूस हो रही थी।

वो बोली- राज, एक राउंड और हो जाए?
और मैं उसके गले को चूमने लगा।

मैं उसकी मोटी मोटी जांघों पर हाथ फेरने लगा; उसकी बड़ी बड़ी चूचियां को दबाने लगा।

अब मेरा लौड़ा कड़क हो गया और उसकी गान्ड को चुभने लगा।

मैंने उसे बिस्तर पर बैठा दिया और मुंह में लंड डाल दिया.
वो लोलीपोप के जैसे चूसने लगी।

मैंने उसके सर को पकड़ कर झटके मारने शुरू कर दिए और लंड को अंदर बाहर करने लगा।

थोड़ी देर बाद मैंने उसे बिस्तर पर टिका दिया और पलंग पर लटका कर ही चोदना शुरु कर दिया.
मैं तेज़ तेज़ झटके मारने लगा.

पूरा कमरा हमारी सिसकारियों से गूंजने लगा.

अब मैं जोश में आ गया और लन्ड की रफ्तार बढ़ा दी और अंदर-बाहर करने लगा.
अफसाना की सिसकारियां निकलने लगी- अह आह हहह उईई सीईई अओह ईईई! मार और मार … फाड़ दे मेरी चूत! चोद चोद … मुझे ले लो आज … आह हहह आह हहह आह!

मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया, उसकी दोनों टांगों को फैला दिया और गपागप गपागप अंदर बाहर चोदने लगा।
उसकी चूत टाईट थी तो लंड भी पूरे जोश से भर गया और सटासट सटासट होने लगा।

वो बोली- राज तुम मुझे ऐसे ही चोदा करोगे न?
मैंने कहा- हां मेरी रानी।
वो बोली- तुम्हारा दोस्त तो 5 मिनट में ही झड़ जाता है।

मैंने कहा- ठीक है. लेकिन उसे पता चला तो?
वो बोली- किसी को पता नहीं चलेगा मेरे राजा!

अब मैं उसे जोर जोर से चोद रहा था।

फिर मैंने उसे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया और लन्ड को चिकनी गुलाबी मखमली चूत में घुसा दिया।

हम दोनों मस्ती से चुदाई का मज़ा लेने लगे और एक दूसरे को चूमने लगे।

वो नीचे से गांड उठा उठा कर लंड लेने लगी. मैंने भी झटकों की रफ्तार बढ़ा दी।

दोनों पसीने से लथपथ हो गये और हर झटके से दोनों की सिसकारियां तेज़ हो रही थी।

उसकी टाइट चूत ने पानी छोड़ दिया और फच्च फच्च करके अंदर बाहर लंड को करने लगा।

उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया और पीठ पर नाखून गड़ाने लगी.

मैं और जोश में आ गया और लन्ड को पूरी रफ्तार से तेज़ी से अंदर-बाहर करने लगा।
अब फच्च फच्च सटसट सटसट की आवाज तेज हो गई।

मेरा लौड़ा पूरा अकड़ गया और तेज़ पिचकारी छोड़ दी. उसकी चूत में अंदर तक वीर्य भर गया.

हम दोनों पसीने से लथपथ हो गये और चिपक कर लेट गए।

थोड़ी देर बाद मैंने लंड को बाहर निकाल लिया और उसके होठों पर रख दिया.

वो चूसने लगी और साफ कर दिया।

फिर हम दोनों एक साथ नहाये और कपड़े पहन लिए.

उसने खाना तैयार किया।
तब तक आंटी आ गई.

हम सबने एक साथ खाया और शाम को मैं अपने घर आ गया।

उसके बाद मैं मौका देखकर उसके घर जाता और दोनों खूब चुदाई करते।

फिर एक रात में उसके घर गया और रात को चोदा।

मैंने उसकी सास को नहाते हुए देख लिया था.
वो भी मस्त थी.
मैंने अफसाना से उसकी सास की चुदाई के लिए बोला.



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तो दोस्तो, एक दिन मैं अपने दोस्त के घर गया तो उसकी बीवी रसोई में थी; मैंने पीछे से उसको पकड़ लिया और चूमने लगा।
वो बोली- घर में अम्मी हैं।
मैंने बोला- तुमने मेरे लिए आंटी से बात की?

वो बोली- हां, बात की थी लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
मैंने गुस्से से उसे नीचे बैठा दिया और लंड को जिप खोलकर बाहर निकाल लिया. फिर मैंने उसके होंठों पर लंड फिराया और फिर मुंह में डाल कर चोदने लगा।

इतने में बाथरूम में से आवाज आई- अफसाना!
उसकी सास की आवाज थी. अफसाना ने अपने मुंह से तुरंत लंड को बाहर निकाल लिया और बोली- हां अम्मी … क्या हुआ?

उसकी सास अंदर से ही बोली- मेरी पीठ को रगड़ दे आकर, मेरी आंखों में साबुन चला गया है।
अफसाना बोली- राज तुम चले जाओ अंदर बाथरूम में, उसको पता भी नहीं चलेगा और तुम्हारा काम हो जायेगा.

पहले तो मैंने मना किया.
मुझे थोड़ा डर लग रहा था.

मगर फिर मैंने सोचा यही कि यही मौका है. मेरा लंड खड़ा हुआ था.
अफसाना ने उसको चूस कर और ज्यादा टाइट कर दिया था.

अब खड़े लंड को शांत करना भी जरूरी था. ऐसे में दिमाग ज्यादा काम नहीं करता. उस वक्त इन्सान को बस अपनी हवस शांत करने का एक मार्ग चाहिए होता है.

इसलिए मेरे मन में उसकी सास को चोदने के ख्याल बहुत जोर पकड़ रहे थे. अफसाना के कहने पर मैंने कपड़े उतार दिये और मैं पूरा नंगा हो गया. नंगा होकर मैं धीरे से अंदर चला गया।

उसकी सास अंदर नंगी बैठी थी और उसकी आंखें बंद थीं. मैं पीछे बैठ गया और धीरे धीरे साबुन से पीठ को सहलाने लगा।
वो बोली- अच्छे से कर. मगर तेरे ये हाथ मुझे कुछ सख्त से लग रहे हैं.

मैं इस पर कुछ नहीं बोला. धीरे धीरे मैं साबुन लगा रहा था.
वो बोली- पीठ को थोड़ी रगड़ भी दे.
मुझे उसकी चूचियां बगल से दिखाई दे रही थीं.

फिर मैंने धीरे धीरे हाथों की सख्ती बढ़ाई और मेरा लंड एक बार फिर से पूरा तन गया. उसकी मोटी गांड एकदम से चौड़ी फैली हुई थी और मेरा मन कर रहा था कि नीचे से इसकी चूत और गांड में लौड़ा घुसा दूं और इसे अपने लंड पर उछाल उछाल कर चोदूं.

मैंने उसकी चूचियों पर साबुन लगाना शुरू कर दिया. उसकी आंखें बंद थीं. पीछे से मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा और साबुन लगाने लगा.
वो बोली- क्या कर रही है अफसाना?
फिर उसको थोड़ा शक होने लगा क्योंकि मैं कुछ जवाब नहीं दे रहा था.

अब मैंने सोचा कि देर करना ठीक नहीं है, अगर इसने आंखें खोल दीं तो सारा मामला खराब हो जायेगा.
फिर मैं आगे आ गया. उसके गालों पर हाथ फिराने लगा. उसकी मोटी मोटी चूचियां हवा में झूल रही थीं.

जैसे ही उसको आभास हुआ कि ये मर्द के हाथ हैं तो वो बोली- कौन है?
इतना कहते ही मैंने उसके मुंह में लंड दे दिया और धक्के देने लगा. मैंने उसका सिर पकड़ लिया और वो गूं-गूं … करने लगी.

वो मुझे पीछे हटाने लगी लेकिन मेरी पकड़ ज्यादा तेज थी. फिर उसने हाथ मारकर अपनी आंखों पर थोड़ा पानी मारा और आंखें खोल दीं. मेरा लंड उसके मुंह में ही था.

देखते ही उसने एकदम से मुझे पीछे धकेल दिया.
वो बोली- ये तुम क्या कर रहे हो राज? मैं तुम्हारी आंटी हूं. तुम्हारे दोस्त की अम्मी हूं.

मैंने उसकी बात को जैसे अनसुनी कर दिया. मेरी आंखों में हवस भरी हुई थी. मैंने उसका सिर पकड़ा और फिर से उसके मुंह में लंड को घुसा दिया. वो फिर से गूं … गूं करने लगी.

अब मैं उसकी चूचियों को मसलने लगा. धीरे धीरे अब उसने लंड को चूसना शुरू कर दिया था. शायद उसको मजा आने लगा था.

काफी देर तक मैंने उसको वहीं बाथरूम में लंड चुसवाया.
फिर उसका मुंह दुखने लगा तो उसने लंड निकाल दिया.
वो हांफते हुए बोली- मेरी बहू घर में ही है.

मैंने कहा- आप बहू की टेंशन ना लो. वो कुछ नहीं कहेगी. चलो बेडरूम में, उसी के बिस्तर में आज मैं आपको खुश करूंगा।
ये कहकर मैंने उसे गोद में उठाया और अफसाना के रूम में ले जाकर उसके बेड पर लिटा दिया और उसके होंठों को चूसने लगा.

उसने मेरे खड़े लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी।
वो बोली- राज, तुम्हारा लौड़ा तो मस्त है.
मैंने कहा- आंटी … आज ये आपकी सेवा में है, जैसे चाहो इससे सेवा करवाओ।

आंटी की चूत पर बाल ही बाल थे. उसने महीनों से अपनी चूत के झांट साफ नहीं किए थे।
मैंने जैसे ही उसकी चूत में उंगली डाली तो वो उछल पड़ी- ऊईई … ईईई … ईईई.

वो बोली- 10 साल से बंद है ये गुफा. धीरे धीरे करो।
मैंने तकिया उठा कर आंटी की गांड के नीचे लगा दिया और उसके ऊपर आ गया।

फिर मैंने अपने लंड को थूक से गीला कर दिया और उसकी चूत में घुसा दिया।
वो एकदम से चिल्ला पड़ी- आईई … ऊह्ह … ऊईई … मर गयी कमीने … कहा था कि आराम से करना. आह्ह … आईई … मर गयी.

मैंने अपने लौड़े को रोक दिया और उसकी चूचियों को मसलने लगा।

थोड़ी देर बाद मैं धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा. अब उसका दर्द कम हुआ और चूत में लन्ड ने जगह बना ली।

फिर मैंने एक धक्का और मारा और उसकी फिर से चीख निकल गयी. मगर अब मैं रुका नहीं. मैंने धीरे धीरे धक्के मारते हुए पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया.

वो दर्द से तड़पती रही. फिर मैंने कुछ देर का विराम देकर उसको थोड़ी शांत किया. उसकी चूचियों को सहलाया और उसके होंठों का रस पीया. अब वो शांत हो गयी थी.

फिर मैंने उसकी चूत में लंड को चलाना शुरू किया. धीरे धीरे उसको चूत को चुदाई का आनंद मिलने लगा. उसकी चूत अब मेरे लंड को अपने अंदर पूरा रास्ता दे रही थी.

वो बोली- अगर तुम रोज ही ऐसे चोदने लगे तो मेरी चूत तो चिथड़े हो जायेगी.
मैं बोला- ऐसा कुछ नहीं होगा मेरी जान. तुम्हें अब जिन्दगी का असली मजा आयेगा.

फिर मैंने अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी. वो आह्ह … आह्ह … करके लंड लेने लगी. फिर मेरी स्पीड और तेज हो गयी. उसकी आहें और सिसकारियां दोनों मिक्स हो गयीं.

वो चुदाई के मजे में बड़बड़ाने लगी- आह्ह … राज … आह्ह … कितना मस्त लंड है … आह्ह … चोदो … ओह्ह … कितनी मस्त चुदाई करते हो तुम.

मैं बोला- आंटी … आपकी चूत भी टाईट है. मज़ा आ रहा है।
अब मैं बोला- आंटी, घोड़ी बन जाओ.
वो तुरंत मान गई और मैं उसे पीछे से चोदने लगा.

अब वो गांड चलाने लगी और झटकों का जबाव देने लगी। मेरा लंड उसकी चूत में पूरा घुसकर बाहर आ रहा था. उसकी चूत से निकले पानी में अब पच पच की आवाज होने लगी थी.

वो बोली- राज, तुम मेरी बहू को भी चोदते हो?
मैंने कहा- हां, आपकी बहू की चुदाई भी इसी लंड से होती है और मैं उसे बच्चा भी दूंगा।

मैंने कहा- डॉक्टर के लंड से भाभी खुश नहीं हैं.
वो बोली- राज … तेरा लौड़ा लेने के बाद दूसरे के लौड़े से किसी को मजा नहीं आएगा।

हंसते हुए मैंने कहा- हां … ये तो आप सही कह रही हो.
मैं अब और जोर जोर से झटके मारने लगा. मैंने आंटी को लिटा दिया और चोदने लगा.

उसकी गान्ड देखकर मेरा मन बदल गया और मैंने लन्ड को चूत से बाहर निकाल लिया।
मैंने सामने से तेल की शीशी उठाई और उसकी गान्ड के छेद पर तेल गिराया.

आंटी की गान्ड के छेद को चौड़ा किया और उसमें उंगली से पूरा तेल भर दिया.
वो दर्द में कराहती रही और उसकी गांड पूरी चिकनी हो गयी. फिर मैं उसकी गांड में उंगली करके चोदने लगा.

थोड़ी देर बाद मैंने कटोरी में लन्ड डाल दिया और तेल में डुबोकर उसे गांड में डाल दिया। उसकी चीख निकल गयी और वो जैसे बेहोशी की कगार पर पहुंच गयी.

फिर मैंने लंड को रोका और उसकी पीठ को चूमता रहा. कुछ देर के बाद उसका दर्द कम होने लगा. मैंने उसको पूरी तरह से नॉर्मल होने दिया. फिर धीरे धीरे मैंने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.

अब फच्च … फच्च की आवाज आने लगी और लंड की रफ्तार तेज होने लगी। थोड़ी देर बाद उसे भी मजा आने लगा था और वो गांड चलाने लगी. दोनों चुदाई का मजा लेने लगे.

कुछ देर में दोनों ही पसीने से लथपथ हो गये थे। फिर मैंने उसे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया.
मैंने आंटी की चूत में लन्ड घुसा दिया और उसकी चूचियों को दबाने लगा।

मेरा लंड गपागप … गपागप … अंदर बाहर होने लगा. फच्च फच्च की आवाज से पूरा कमरा गूंजने लगा।

थोड़ी देर बाद आंटी की चूत ने पानी छोड़ दिया और वो शांत हो गई.

मैंने लंड को बाहर निकाल लिया और चूसने के लिए बोला.
वो लॉलीपोप के जैसे मेरे लंड को चूसने लगी।

फिर मैंने उसे उठाकर बिस्तर पर झुका दिया और उसकी गान्ड में लन्ड घुसा दिया और तेज़ तेज़ झटके मारने लगा।

उसकी गान्ड बहुत बड़ी और गहरी थी. वो पक्का जवानी में बहुत गांड मरवा चुकी थी।

अब मैं फुल स्पीड से चोदने लगा और झटके मारने लगा.
थोड़ी देर बाद मैंने उसकी गान्ड में ही वीर्य निकाल दिया और उसके ऊपर चढ़कर लेट गया।

कुछ देर तक मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा.

वो थोड़ी देर बाद उठी और कमरे से बाहर चली गई।

कुछ देर बाद अफसाना रूम में आ गई.
मेरी आंखें बंद थीं.

ऊपर बेड पर आकर उसने मेरे लंड को चूसना शुरु कर दिया।

वो पूरी नंगी थी और लंड को मुंह में लेकर तेजी से चूस रही थी. मेरे लंड को खड़ा करने के बाद वो उसपर बैठ गई और लंड सटृ से अंदर चला गया।

वो उछल उछल कर गांड को लंड पर पटकने लगी. मैं नीचे से झटके मारने लगा।
वो बोली- अम्मी इतनी क्यों चिल्ला रही थी?

मैंने कहा- 10 साल बाद लंड लेगी और वो भी मेरे जैसा मोटा तगड़ा … तो चिल्लाएगी ही!
फिर मैंने अफसाना को बिस्तर पर पटक दिया और उसके ऊपर आ गया.

उसके ऊपर आते ही मैंने लन्ड को तुरंत चूत में घुसा दिया और फुल स्पीड से चोदने लगा।
वो सिसकारियां लेते हुए चुदने लगी और कहती रही- आह्ह … चोदो राजा … आह्ह फाड़ दो इस चूत को … इसकी आग को शांत कर दो … आह्ह चोदो … और चोदो।

मैंने चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी और लंड को तेजी से अंदर-बाहर करने लगा.

कुछ ही देर की चुदाई में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. वो शांत हो गयी. मगर मेरा माल अभी नहीं निकला था.

उसको मैंने करवट के बल लेटाया और पीछे से उसकी चूत में लंड पेल दिया. उसकी चूचियों को दबाते हुए उसकी चूत में लौड़ा अंदर तक घुसाने लगा.

उसकी हालत खराब होने लगी मगर मैं चोदता रहा.

फिर भी मेरा मन नहीं भरा तो मैंने उसकी गांड में भी तेल लगा दिया. फिर उसकी गांड में लंड उतार दिया और उसको दबोच कर चोदने लगा. वो दर्द में चिल्लाती रही और चुदती रही.

कुछ देर के बाद उसको गांड चुदाई में मजा आने लगा और वो खुलकर चुदी. मैंने तेज़ तेज़ झटके मारने शुरू कर दिए और उसकी चीख धीरे धीरे सिसकारियों में बदल गई।

अब वो गांड को मटका मटका कर लंड लेने लगी और मैं जोर जोर से झटके मारने लगा।
मैंने उससे कहा- मेरा निकलने वाला है।
उसने कहा- राज … मेरी चूत में वीर्य निकालना।

मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और लंड चूत में घुसा दिया और जोर जोर से झटके मारने लगा।

अब मेरा लौड़ा अकड़ने लगा और झटके के साथ वीर्य निकल पड़ा।

उसकी चूत में लन्ड डाल कर मैं वैसे ही लेट गया। मेरी प्यास शांत हो गयी थी. दोस्त की बीवी की चूत और गांड के साथ साथ अब मैंने दोस्त की मां की चूत और गांड भी चोद ली थी.

हम दोनों थक गये और हमें नींद आ गयी.

एक घंटे के बाद आंटी आईं और उसने देखा कि हम दोनों बेड पर नंगे पड़े हुए थे.
वो हम दोनों को जगा कर बोली- शर्म करो … मैं भी हूं घर में. कपड़े पहनो और चलो खाना खायें.

मैंने आंटी को खींच लिया और उसके मुंह को अपने लौड़े पर रख दिया और लंड सटृ से उसके मुंह में चला गया.
वो लंड को फिर से चूसने लगी।

अफसाना ये देखकर मुस्कराते हुए उठी और अपनी मैक्सी पहन कर चली गयी.

वो खाना लगाने गयी थी. मैंने आंटी को फिर से ऊपर खींचा और उसकी मैक्सी उठाकर फिर से उसकी चूत में लंड पेल दिया. उसको लंड पर बिठाकर मैं नीचे से धक्के देने लगा.

उसकी चूचियों को दबाते हुए मैं चोदता रहा और वो मेरे लंड पर उछलती रही.

एक बार फिर से दस मिनट चोदने के बाद मेरे लंड ने उसकी चूत में ही वीर्य निकाल दिया.

फिर मैंने अंडरवियर बनियान पहनी. हम दोनों भी खाने के लिए आ गए।
खाने के बाद आंटी मुझे अपने रूम में ले गई और मैंने उन्हें जमकर चोदा।

उसके बाद फिर शाम को मैं अपने घर आ गया। उसके बाद मैंने दोनों को एक साथ कई बार चोदा है। अभी कुछ दिन पहले ही मैं दोनों को चोदकर आया हूं. जब तक लॉकडाउन खत्म नहीं होता मेरी मौज ऐसे ही चलती रहेगी.
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#18
हॉट मामी के जिस्म की वासना-
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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम विक्रांत है. मेरी उम्र 23 साल है और मैं एक इंजीनियर हूँ.
मेरे पिताजी का नाम अनूप है उनकी उम्र 52 साल है, मां उषा हैं उनकी उम्र 46 साल है.

मैं पुणे से हूँ, पर जॉब की वजह से मां पापा के साथ नहीं रहता. वे औरंगाबाद में रहते हैं. यहां मैं अपने मामा मामी के साथ रहता हूं.

यह औरत की वासना की कहानी मेरी मामी की है.

मेरे मामा का नाम किशोर है. उनकी उम्र 48 साल है. मामी का नाम स्याली है. उनकी उम्र 39 साल की है. मेरे मामा टीचर हैं और मामी हाउसवाइफ हैं.

उन दोनों का एक बेटा है, उसका नाम विनय है. वो 19 साल का है. विनय सब विनी के नाम से बुलाते हैं.

वो संडे का दिन था. मैं विनी और मामी घर पर थे.

तभी विनी के फोन पर एक कॉल आया कि मामा का एक्सीडेंट हो गया है और उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया है.
यह खबर सुनकर हम सब घबरा गए और तुरंत ही सब लोग हॉस्पिटल आ गए.

अस्पताल में मालूम हुआ कि मामा को काफी ज्यादा चोट आई थी.
डॉक्टर ने हमें अपने केबिन में बुलाया और बताया कि मामा जी को चोटें काफी गहरी आई हैं.
हो सकता है कि हमें उनका एक पैर कटवाना पड़े.

यह सुनकर मामी की हालत ही खराब हो गई. मैं उन्हें लेकर बाहर गया. वे मेरे गले से लटक कर रो रही थीं.

विनी बाहर आया, तो उसने बताया कि शाम छह बजे मामा जी का ऑपरेशन होना है.

छह बजे ऑपरेशन शुरू हुआ, जो रात को दस बजे तक चला.

हम सभी बार बार जानकारी लेने की कोशिश कर रहे थे कि ऑपरेशन में क्या हुआ. एक वार्डब्वॉय ने हमें बताया कि हम सब सुबह नौ बजे मामाजी से मिल सकेंगे.

विनी ने कहा- मम्मी, आप विकी भैया के साथ घर चली जाओ.

पहले तो मामी ने जाने से मना किया, फिर वो मेरे कहने पर मान गईं.

उस समय रात के बारह बज रहे थे. बाहर हल्की हल्की बारिश हो रही थी. रास्ता सुनसान था. हम दोनों घर की तरफ बढ़े चले जा रहे थे.

उस समय मुझे जोरों से पेशाब लगी थी, जिस कारण से मेरा लंड एकदम सख्त हो गया था.

तभी अचानक रास्ते में एक कुत्ता बीच में आ गया जिससे बचने के लिए मैंने ब्रेक लगा दिए. उस झटके से मेरी मामी का हाथ जो मेरी जांघों पर था, वो मेरे लंड पर आ गया.

चूंकि यह एक अचानक हुई घटना थी तो उनका हाथ आगे आ जाना एक स्वाभाविक घटना था.

मगर मुझे ताज्जुब जब हुआ, जब मामी जी ने मेरे लंड पर से अपना हाथ नहीं हटाया. बल्कि उन्होंने अपने मम्मों को मेरी पीठ पर जोरों से दबा दिया.

मैं कुछ भी रिएक्ट करने की पोजीशन में नहीं था. बस चुपचाप बाइक चलाता रहा.

कोई 5 मिनट बाद हम दोनों घर आ गए.

घर आते ही मैं बाथरूम में घुस गया. मैंने पेशाब की और लंड हाथ में पकड़ कर मामी के बारे में सोचने लगा.

अब तक मैंने मामी के बारे में कभी कोई गलत विचार नहीं सोचे थे.
मगर आज जो कुछ भी हुआ, वो मामी ने क्यों किया होगा … वो भी मामा जी की इस हालत में होने के बावजूद ऐसा हुआ.
ये बात मुझे अन्दर तक आन्दोलित किए जा रही थी.

खैर … मैंने लंड को हिलाया और बाकी बचा मूत्र छिटका कर लंड को अन्दर किया और बाहर आ गया.
मैंने बाहर आकर अपने कपड़े चेंज किए.

अभी मैं कपड़े बदल ही रहा था कि इतने में मामी जी आ गईं.
उन्होंने मुझसे कहा- आज तुम मेरे रूम में ही सो जाओ.
इतना कह कर वे अपने रूम में चली गईं.

मैं कुछ सोचता हुआ दस मिनट बाद उनके कमरे में आ गया. तब मामी ने एक ब्लैक कलर की मिनी नाइटी पहनी हुई थी, जो उनके घुटनों से थोड़ी ही नीचे तक आ रही थी.

मेरे अन्दर आते ही मामी ने कमरे के दरवाजे बंद कर दिए और लाइट ऑफ करके बेड पर आ गईं.
हम दोनों लेट गए.

कोई पांच मिनट बाद मामी ने मेरी टी-शर्ट में हाथ डाला और मेरे कान चाटने लगीं.

मैंने उनका हाथ पकड़ कर कहा- ये क्या अनर्थ कर रही हो आप … आज ही मामा का एक्सीडेंट हुआ है और आप मेरे साथ ये सब कर रही हैं. आपको शर्म आनी चाहिए.

मामी- शर्म … कैसी शर्म विकी! तुम्हें क्या लगता है … तुम्हारे मामा हफ्ते भर में टूर पर जाते हैं! वे कहां जाते हैं, तुम्हें पता भी है. उनके ऑफिस में एक विधवा औरत है कमला … वे उसी के पास जाते हैं. विकी हमारी शादी सिर्फ एक समझौते पर टिकी है. हम सिर्फ विनी की वजह से इस रिश्ते में हैं. उन्होंने मुझे आखिरी बार हाथ लगाया था, उस बात को हुए अब 8 साल हो चुके हैं. विकी आज इतने दिन बाद तुम्हारे लंड ने मेरी प्यास को जगा दिया है.

मामी ने कुछ देर तक मुझे समझाने की कोशिश की कि मैं उनके साथ सेक्स करूं.

मैं आंख बंद करके लेट गया और मैंने मामी जी से कुछ बात करना ठीक नहीं समझा.

मामी की इस गर्म हरकत को लेकर मैं मनन करने लगा था. शायद इसकी वजह कुछ ये थी कि वो मामा जी से काफी अरसे से चुदी नहीं थीं.
हालांकि ये वक्त कुछ ऐसा था, जिसमें सेक्स के लिए मन बना पाना इतनी जल्दी सम्भव नहीं था.
मगर रास्ते में खड़े लंड पर हाथ लग जाने से मामी की दबी हुई आग भड़क उठी थी और उन्होंने उस समय मेरे लंड से इसी वजह से हाथ नहीं हटाया था.
बल्कि उनके इस गर्म मूड ने मेरी पीठ से अपनी चूचियों को रगड़ने के लिए भी उन्हें कामुक कर दिया था.

इस सबको मैं उस वक्त नहीं समझ पाया था.
मगर कमरे में मामी जी ने जो कहा, उसे सुनकर मेरे दिमाग से धुंध छटने लगी थी.
मुझे समझ आ गया था कि स्याली मामी की चुत को मेरे मजबूत लंड की आवश्यकता है.

मामी ने तो अपना मन बना लिया था, मगर मैंने अभी तक अपने मन को नहीं समझा पाया था.
मेरे दिमाग में अभी भी मामा जी की दुर्घटना का सीन घूम रहा था.
फिर मैंने आज तक कभी स्याली मामी को लेकर कभी कोई गलत विचार भी नहीं बनाये थे.

इस सबको लेकर मैंने मामी को झिड़क तो दिया था. मगर मेरा जवान मन अब कुछ सोचने पर मजबूर हो गया था.
मैंने एक बार फिर से आंखें खोल कर मामी की तरफ देखा. वो अब भी मेरी तरफ आशा भरी निगाहों से देख रही थीं.

मैंने मामी से कहा- मामी जी आप मेरी स्थिति को समझने की कोशिश कीजिए. मैं आपका भांजा हूँ.
मामी जी ने कामुकता से कहा- तो क्या तुम नामर्द हो?

मैं उनकी इस बात से बौखला गया कि ये तो मेरी मर्दानगी पर चोट होने वाली बात कर रही हैं.

मैंने भी दबी जुबान से कहा- वो सब मुझे बताने की जरूरत नहीं है.
मेरे चेहरे पर मामी ने अपनी एक उंगली फेरी और कहा- हां … वो मैंने रास्ते में जाना तो था … मगर अब उस जानकारी को चैक करके देखना है कि तुम्हारे अन्दर कितनी ताकत है!

मामी जी लगातार मुझे भड़का रही थीं. औरत की वासना क्या क्या करवा लेती है उससे!

मैंने उनसे साफ़ शब्दों में कहना उचित समझा और कह भी दिया- मामी जी क्या आपको मालूम नहीं है कि मामा जी की तबियत खराब है और वो अस्पताल में भर्ती हैं.
मामी जी विषाद भरे स्वर में बोलीं- तो इससे तुम्हारी मर्दानगी पर कोई असर पड़ गया क्या?

मैंने कहा- आप बार बार मुझसे ये बात क्यों कर रही हैं. अभी मुझे सोने दीजिएगा. हम बाद में इस विषय पर बात करेंगे.
मामी के चेहरे पर एक विजयी सी मुकान आई. वो बोलीं- मतलब अभी मेरी आशाएं ज़िंदा रहेंगी!
मैंने कहा- मुझे नहीं मालूम!

मामी जी एकदम बदले से स्वर में बोलीं- सिगरेट पियोगे?

सिगरेट तो पीता था मैं … तो मैं खुद एकदम से चूतिया सा महसूस करने लगा कि मामी जी सिगरेट की क्यों पूछ रही हैं … क्या इन्हें मेरे सिगरेट पीने के बारे में मालूम है.
मैं कुछ नहीं बोला.

तो मामी जी उठीं और अलमारी से अपने बैग से एक गोलफ्लैक सिगरेट की डिब्बी निकाल कर अपने होंठों में फंसाते हुए मेरी तरफ घूमी.

उन्होंने मेरी तरफ लाइटर उछाला और बिस्तर पर बैठते हुए मुझसे इशारे से सिगरेट जलाने की कहने लगीं.

मैंने बेमन से लाइटर ऑन किया और उसी समय मामी ने आगे बढ़ कर सिगरेट सुलगा ली.
उन्होंने बड़े ही मादक अंदाज में कश खींचा और धुंआ मेरी तरफ उड़ा दिया.
एक दो कश और लेकर मामी ने मेरी तरफ सिगरेट बढ़ा दी.

मेरी तलब भी जाग गई थी, तो मैंने उनके हाथ से सिगरेट ले ली और पीने लगा.
मेरी जांघों पर अपनी कमर टिका कर मामी बैठ गईं और बात करने लगीं.

मामी ने काफी कुछ बातें कीं और सभी में एक ही मतलब था कि क्या मैं उन्हें चोदने के लिए राजी हूँ.
मगर मैंने आज उनकी आग को भड़कने दिया और खुद को भी मानसिक रूप से तैयार करने लगा.

कुछ देर बाद करीब दो बजे मामी जी ने कहा- तुम सोच लेना … मुझे तुम पसंद हो और मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहती हूँ.

ये कह कर मामी लेट गईं और वो मेरी ओर पीठ करके सो गईं. उनकी इस बात से मेरी तो नींद ही उड़ गई. मगर मैं भी सो गया.

सुबह उठ कर मैं जल्दी से बाथरूम में घुसने को हुआ.
उसी समय मेरी नजर मामी पर गई.

मामी जी गहरी नींद में सो रही थीं और उनकी नाइटी उनकी जांघों से काफी ऊपर चढ़ी हुई थी. जिससे उनकी पैंटी साफ़ दिख रही थी.
मैं उनके इस कमनीय स्वरूप को देख कर एक बार तो कामोत्तेजित हुआ, मगर अगले ही पल मैं बाथरूम में घुस गया.

मैं जल्दी से फ्रेश हुआ और तैयार हो गया.
बाहर आकर मैंने मामी को जगाया.
फिर मैंने चाय बना दी.

अब तक मामी अपनी उसी ड्रेस में अंगड़ाई लेते हुए बाहर आ गईं.
हम दोनों ने गुडमॉर्निंग विश की और चाय पीने लगे. मेरी उनसे कोई बात नहीं हुई.

चाय आदि से फुर्सत होकर मामी भी रेडी हो गईं और हम दोनों हॉस्पिटल आ गए. इस दौरान हमारे बीच में कोई बातचीत नहीं हुई.

मामा को होश आ गया था.
हम मामा से मिले.

डॉक्टर ने कहा- इन्हें लगभग एक महीने तक यहां रहना पड़ेगा.

कुछ देर बाद मामा के ऑफिस से कुछ लोग आए, उसमें तीन आदमी और दो औरतें थीं.

मामी ने मेरी ओर देख कर मुझे इशारा किया.
मैं तुरंत समझ गया.

मैंने गौर से देखा कि उन दोनों महिलाओं में से एक लड़की थी, जो कि लगभग 22 साल की थी. दूसरी 35 साल की थी.

मैं समझ गया कि यही वो विधवा औरत कमला है … जो मामा की महबूबा है. वो भी बड़ी मस्त पटाखा माल थी.
मगर मुझे ऐसी कोई ख़ास बात नजर नहीं आई जोकि स्याली मामी की तुलना में उसके पास अलग से हो.
हो सकता है कि मामा जी लंड का टेस्ट बदलने के लिए कमला को पसंद करने लगे हों.

मैंने फिर से अपनी निगाह कमला की तरफ की, तो पाया कि कमला को देख मामा जी को भी काफी खुशी हो रही थी.

कुछ देर बाद सब चले गए. कुछ और परिचित के लोग आए. इसी तरह से दिन गुजर गया.
सुबह हमारे आ जाने के बाद विनी घर चला गया था. वो रात भर का जागा हुआ था.

दोपहर में मामी ने उससे बात की और कहा कि रात को ही आना. अभी घर पर तुम अपनी पढ़ाई करना.
विनी ने हामी भर दी.

रात को हम दोनों वापस घर आ गए. मामी ने टिफिन बना दिया.
मैंने वो विनी को दे दिया और उसे अस्पताल छोड़ आया.

उसे अस्पताल छोड़ने के बाद मैं घर की तरफ चल पड़ा.

रास्ते में मैं एक मेडिकल स्टोर पर रुका, वहां से मैंने 2 कंडोम के पैकेट और शिलाजीत की टेबलेट ले लीं और घर आ गया.
मेरा मूड अब कुछ कुछ बनने लगा था.

घर आकर मैंने शॉवर लिया.

तब तक मामी ने खाने के लिए आवाज दे दी, तो मैंने मामी के साथ खाना खा लिया.

बाद मैं मैंने अपने और मामी के दूध के गिलास में शिलाजीत की टेबलेट को मिला दिया, ये मामी ने नहीं देखा था.

मैं आज रात भर मामी को चोदना चाहता था. मेरे दिमाग में उनका सुबह का वो मादक जिस्म अब तक घूम रहा था.

मामी तो कल ही मुझसे चुदना चाहती थीं मगर मैं अपना मन नहीं बना पाया था.

उनकी सच्चाई मेरे सामने आ चुकी थी. अपने कमीने मामा के असली चेहरे से अब मैं वाकिफ हो चुका था.

मैं अस्पताल से घर आते वक्त मेडिकल से दो कंडोम के पैकेट और शिलाजीत की कुछ टेबलेट लेकर आ गया था.
घर आकर हम दोनों ने साथ में खाना खाया, मैंने टेबलेट दूध में मिलाकर मामी को दे दिया. वे पूरा दूध पी गईं.


इसके बाद मैं उनके कमरे में ही आ गया और बेड पर बैठ गया.

मामी कमरे में आयी और एसी ऑन करके कम्बल ओढ़ कर लेट गईं.

मैंने उसी कम्बल को अपने ऊपर ले लिया और मामी को अपनी तरफ करके उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

मामी जी ने मुझे अपनी बांहों में एक बार तो कस लिया … अगले ही पल उन्होंने मुझे छोड़ दिया.

कोई 5 मिनट तक मैंने मामी को किस किया, पर आज मामी ने मेरा साथ नहीं दिया.

मैंने उनसे कल के लिए माफी मांगी.
पता नहीं कैसे, पर उस टाइम मेरी आंखों में पानी आ गया.

मामी ने मुझे देखा और उसी समय झट से अपने सीने से लगा कर रोने लगीं.

अब मैं आपको अपनी स्याली मामी के बारे में बता देता हूँ. मामी का नाम और उनकी उम्र तो आपको मालूम ही है.

मामी की 39 साल की उम्र के बावजूद भी उनका कसा हुआ बदन काफी सेक्सी था. मामी जी ने अपने आपको बड़े अच्छे से मेंटेन कर रखा था.

जब भी वो अपने बाल खुले रखती थीं, तो सच में कयामत ढाती थीं.

उनकी 36 इंच की तनी हुई चूचियां किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित करने में सक्षम थीं.
नीचे 32 इंच की कमर और 36 इंच की गांड हर किसी को उनकी ओर देखने पर मजबूर कर देती थी.

एक बात यह भी सच थी कि मामा के बाद मैं ही ऐसा बंदा था, जिसे मामी ने अपने इतने करीब आने दिया.

मामी की आंखों से बहते आंसू देख कर मुझे उन पर प्यार आने लगा और मैंने उनके आंसू पौंछे.
मैंने कहा- मत रो मामी, आज से मैं आपको हर वो सुख दूंगा … जो आपको सही मायने में अब तक मिला ही नहीं.

मामी ने मुझे अपने सीने में दबा लिया और मेरे सीने को चूमने लगी.

मैंने उनकी मदमस्त चूचियों की गर्मी को महसूस किया और उन्हें अपने सीने से चिपकाए हुए ही उनके बालों को खोल दिया.

उन्होंने मेरी तरफ देखा और पूछा- बाल क्यों खोले?
मैंने कहा- आप खुले बालों में और भी ज्यादा खूबसूरत लगती हो.

मामी हंस दीं और उन्होंने मेरी टी-शर्ट को उतार दिया.

अब वो मेरे शरीर के हर एक अंग को चूम रही थी.

उनके चूमने का वो अहसास सच में अजीब था. मैं अपने आपको कहीं खोता जा रहा था.

मामी के बालों को एक तरफ करके मैंने उनके एक कान की लौ को चूम रहा था. वो मेरी इस हरकत से एकदम से गरमा गईं.

मामी- अब देर न कर विकी.

ये सुनकर मैंने उनकी नाइटी उतार दी. अन्दर उन्होंने ब्लू कलर की ब्रा पैंटी पहनी थी.

मामी की ब्रा को उतार कर मैंने उनके एक चुचे को चूसने लगा. उनकी एक चुची पर काला तिल था जो बड़ा मस्त लग रहा था.

मैं उनकी खूबसूरती का दीवाना बन गया था. मामी भी मेरे सर पर हाथ फेर कर मुझे अपना निप्पल चुसवा रही थीं.

मैं उनके दूध को चूसते हुए सोच रहा था कि इस एरिया के बच्चे बूढ़े जिस औरत से बात करने से तरसते थे, उसी औरत की जवानी की आग में आज मैं जल रहा हूँ.

पन्द्रह मिनट तक उनके दोनों चुचों को बारी बारी से चूस कर मैंने लाल कर दिए थे.

उन्होंने मेरी शॉर्ट उतारी, तो मैंने उनकी पैंटी निकाल दी. अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे.

मामी ने मेरे लंड को हाथ में ले लिया और नीचे को होने लगीं. शायद वो मेरे लंड को चूमना चाहती थीं.

मैंने खुद को उठाते हुए 69 की पोजिशन में कर लिया. मैंने मामी के दोनों पैरों के बीच अपना मुँह उनकी चूत पर लगा दिया.
अब सैलून में चलनी वाली कैंची की तरह मेरी जुबान मामी की चुत में चल रही थी.
मामी भी मेरे लंड को केला समझ कर चूस रही थीं.

हम दोनों को मानो जीते जी जन्नत नसीब हो गई थी.

कुछ मिनट के इस चुसाई के खेल में हम दोनों ने अपना अपना पानी एक दूसरे के मुँह में भर दिया था और अलग हो गए थे.

मामी मुँह में मेरे वीर्य को भरे हुए थीं. वो उठ कर बाथरूम की तरफ जाने लगीं, मैंने फ़ौरन उनका हाथ पकड़ कर उनके होंठों से अपने होंठों को चिपका दिया.

मैं अपने वीर्य को ही उनके मुँह में पी जाने के लिए कोशिश करने लगा.
मामी जी को मजबूरन मेरे लंड रस को पीना पडा. जब तक आखिरी बूंद गटक नहीं ली गई, तब तक मैं अलग नहीं हुआ.

उन्होंने मुझे धकेल कर बेड पर गिरा दिया- ऐसा कोई करता है भला?
मैं हंस दिया- मामी आपको अच्छा नहीं लगा क्या!
मामी- हम्म … अच्छा तो था.
मैं- सिर्फ अच्छा!

मामी ने उठ कर सिगरेट निकाली और जलाते हुए कश खींचा और बोलीं- सच कहूँ विकी, किशोर के साथ इतने साल तक न जाने मैं क्या कर रही थी. तुम हमेशा मेरा साथ देना … वरना मैं मर जाऊंगी.
मैं- मैं हर वक्त आपकी खुशी का ख्याल रखूँगा.

मामी ने सिगरेट मेरी तरफ बढ़ा दी.
मैंने कश लेना शुरू कर दिए.


हम दोनों प्यार की बातें करने लगे थे.
मामी का हाथ फिर से मेरे लंड को सहलाने लगा था. शिलाजीत का असर काम कर रहा था तो जल्दी ही लंड ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दी.

कुछ देर बाद मेरे लंड ने फिर से खड़ा होना शुरू कर दिया था.

लंड को खड़े होते देख कर मामी ने मेरे ऊपर चढ़ कर अपनी चुत पर लंड टिका लिया- विकी अब रुका नहीं जा रहा … प्लीज डाल दे अन्दर.

मैंने मामी के बाल पकड़ कर एक जोरदार किस किया और एक तेज धक्का लगाकर लंड चुत के अन्दर पेल दिया.

इस पोजीशन में लंड आधा ही अन्दर गया था कि मामी दर्द के मारे तिलमिला उठीं.
एक मिनट रुक कर मैंने गांड उठाते हुए लंड चुत के और अन्दर पेल दिया. इस बार पूरा लौड़ा अन्दर घुस गया था.

मामी की आंख में आंसू आ गए थे.
मैं रुक गया.

मामी ने कहा- आह रुक मत विकी … आज मैं बहुत खुश हूं. तुम रुकना मत और जोर से चोदो … और जोर से आह.
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.

मामी के मस्त दूध हवा में उछल रहे थे. मैंने उन्हें इशारा किया तो वो मेरे सीने पर झुक गईं.

मैंने उनके निप्पल को अपने मुँह में लेने की कोशिश की. तो मामी ने अपने हाथ से मुझे निप्पल चुसवाना शुरू कर दिया.

इस समय मामी मेरे लंड पर थम गई थीं और मैं नीचे से उनकी चुत में लंड चला रहा था.

मामी बोलीं- आह मेरा बेबी भूखा है … ऊ ले ऊ ले … पी ले बुब्बू पी ले … आ ह!

मैंने उनके निप्पल को दांत से दबा कर काटा तो मामी सिसिया उठीं.

मामी- लगती है बेबी … काटो मत चूसो न बस.

दोस्तो, ये आप भी फील करो कि मेरे हर धक्के के साथ मेरी मामी ‘आह आह ओह आह ..’ कर रही थीं. मैं उनके एक दूध को चूस रहा था और दूसरे को मसल रहा था.

मामी की चुदास लगातार बढ़ती ही जा रही थी. उनकी चुत से रिश्ता पानी लंड को मस्ती से सटासट आगे पीछे करे जा रहा था.

दोस्तो, ये चुदाई का एक अलग ही मजा है … आप भी कभी ट्राय करके देखना.

मामी का मुँह, बाल, शरीर का हर एक अंग पसीने से भीग गया था. और मैं उनके दूध चूस रहा था.

कोई दस मिनट की लगातार चुदाई के बाद मामी ने शायद अपना रस छोड़ दिया था.

उन्होंने नीचे आने की मंशा जताई, तो मैंने उन्हें अपने नीचे ले लिया.

कुछ देर तक मस्त चुदाई होती रही. मामी फिर से साथ देने लगी थीं.

करीब दस मिनट और चोदने के बाद मैंने मामी से कहा- मेरा होने वाला है! अन्दर निकालु या बाहर? ????????
मामी ने कहा- अन्दर ही गिरा दे …कोई बात नहीं. अभी मेरा सेफ पिरीयड चल रहा हे ,, विकी एक भी बूंद बाहर मत आने देना.
मैं- जी मामी.

कोई 5 मिनट बाद मैं और मामी एक साथ झड़ गए.।
चुत के अन्दर झड़ने के बाद कुछ मिनट तक किस करके मैं मामी के साथ लेटा रहा.

उसके बाद हम दोनों अलग हुए, तो मैंने कहा- मामी, बड़ी प्यास लग रही है.
मामी ने मुझसे पूछा- अब किस चीज की प्यास है बेबी!

मैंने मजाक में कहा- एकाध पैग मिल जाता.
मामी ने कहा- मिल जाएगा.

मैं हैरान था.

मामी नंगी ही उठ कर अलमारी के पास गईं और व्हिस्की की बोतल निकाल कर ले आईं.

वे बोलीं- मैं गिलास लाती हूँ.

वो एक मिनट में ही गिलास और कुछ सूखे मेवे ले आईं.

हम दोनों ने एक ही गिलास से व्हिस्की का मजा लिया.

हमारे जिस्म अब फिर से जलने लगे थे. जल्दी ही हम दोनों फिर से चुदाई में लग गए.

उस रात हमने 3 बार सेक्स किया.

सुबह मैं उठा, तो मामी ने खाना बना लिया था. उन्होंने इस समय सिर्फ ब्रा पहनी थी. मैंने पीछे से उन्हें हग किया और उनकी गर्दन पर किस किया.

मामी ने बोला- उन्ह बेबी … अभी नहीं, जाने में देरी हो जाएगी.
उनकी बात को समझ कर मैंने कहा- अच्छा चलो साथ में शॉवर लेते हैं.
मामी हंस दीं.

बाथरूम में अन्दर जाते ही लंड एकदम फुल साइज में आ गया था.

मैंने कहा- जान अब और बर्दाश्त नहीं होता … सिर्फ एक बार ले लेने दो.
मामी मुझे चूमते हुए बोलीं- ओके बेबी, पर सिर्फ एक बार.

मैंने फ़ौरन उनकी एक टांग अपने कंधे पर रख कर शॉवर शुरू कर दिया. ऊपर से गिरती बूंदों के बीच मेरे लंड ने मामी की चुत की दमदार चुदाई की.

दस मिनट तक चुदाई चलती रही. मामी ने मेरी पीठ पर अपने नाखूनों से बड़े वार किए, पर फिर भी मुझे अच्छा लगा.

हम दोनों चुदाई के बाद अलग हुए और शॉवर बंद किया तो बाहर फोन की घंटी बज रही थी.

मैं बाहर आ गया- विनी का कॉल आ रहा है मामी, हां विनी बोल ना!

ये कहते हुए मैं फिर से मामी के पास आ गया और वो मेरे लंड को चूसने लगीं.

विनी- कितनी देर है भाई!
मैं- बस अभी निकल ही रहे हैं. मामी खाना पैक कर रही हैं.

मगर सच कहूं तो वो अपने मुँह से मेरे लंड को साफ कर रही थीं.

विनी- अच्छा ठीक है.

इधर मैंने लंड साफ़ करवा के मामी के मुँह से निकाल लिया.

मैं- स्यू अब छोड़ भी दे यार!

मामी- क्यों हटा लिया तुमने … और स्यू?
मैं- क्यों स्यू कहना अच्छा नहीं लगा!
मामी- नहीं बहुत अच्छा लगा, अबसे तुम मुझे स्यू ही कहना बेबी.

मैंने स्माइल की और हम दोनों बाहर आ गए.

फिर तैयार हम दोनों होकर हॉस्पिटल आ गए.।
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#19
दोस्त की बीवी की चुदाई की कहानी-
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हैलो, सभी प्यारे लंडधारी और चुत गांड का छेद खोले हुए लड़कियां, भाभियां और आंटियां आपको लंड उठाकर मेरा नमस्कार.

मेरी प्यासी भाभी सेक्सी कहानी थोड़ी लम्बी है लेकिन मुझे उम्मीद है कि आपको इतना अधिक मजा आएगा कि आप दो बार झड़ जाएंगे या जाएंगी.

मैं अन्तर्वासना जैसी विश्वप्रसिद्ध हिंदी सेक्स कहानी की साईट का पिछले पांच वर्ष से फैन हूँ.

मेरा नाम अनुज जोशी है और मैं गुजरात का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र अभी छब्बीस साल की है.
चूंकि ऊपरवाले ने इतना सेक्सी ढांचा दिया है कि कोई भी लड़की या भाभी मुझे एक बार देख कर तृप्त ही नहीं हो पाती है. उसे मुझे दुबारा देखना ही पड़ता है.

यह बात मैं फैंक नहीं रहा हूँ, बल्कि मैंने खुद भी इस बात को कई बार परखा है.

मेरा लंड भी ख़ासा स्मार्ट है. लम्बा मोटा और मजबूत टिकाऊ टाइप का लंड है, जिसकी चुत में घुस गया, तो समझो एक ही चुदाई में उसका दो-तीन बार पानी निकाले बिना बाहर नहीं निकलता है.

मैंने अपने लंड की इसी टिकाऊ ताकत के दम पर अब तक बाईस छेद चोद लिए हैं. इनमें कई को तो मैं अभी भी चोद रहा हूँ.

जिनको मैंने अब तक चोदा है उनमें शादीशुदा महिलाएं, कमसिन लौंडियाएं भांति भांति की मारवाड़ी आंटियां, ,., चच्चियां और मस्त भाभियों को बड़ी ही बेदर्दी से चोदा है.
उनकी चुत चुसाई की है, उनके दूध चूसे हैं और उनसे अपना लंड चुसवाया है.

मैं आज यहां अपनी पहली सेक्स कहानी लिख रहा हूँ, मुझे उम्मीद है कि आपको पसंद आएगी.

मेरा एक दोस्त है उसका नाम सोहेल है. सोहेल मेरा बचपन का दोस्त है और उसके साथ मेरे खूब बनती रही थी.
बदनसीबी से सोहेल एक गरीब परिवार से था. उसके अब्बू यूपी से गुजरात आए थे, जिस कारण उसके सारे रिश्तेदार यूपी में ही हैं.

सोहेल की अम्मी की तबियत ठीक नहीं रहती थी और वो घर के कामकाज में खुद को बड़ी मजबूर महसूस करने लगी थीं.
इसी सबके चलते सोहेल की शादी हो गई.

उसकी बीवी का नाम शबाना था और वो काफी सेक्सी थी.

शबाना की उम्र चौबीस साल की थी. उसकी खूबसूरत जवानी को मैं चाहे जितने मादक अंदाज में लिखना भी चाहूँ, तब भी शायद पूरा नहीं लिख पाऊंगा.

शबाना बेहद हॉट किस्म की जन्नत की हूर जैसी परी थी. एकदम मक्खन सी चिकनी त्वचा और 34-30-36 के जानलेवा फिगर की मीठी जलेबी सी शोला थी वो!
उसकी 5 फिट 1 इंच की हाईट एकदम गोल चाँद सा मुस्कुरता मुखड़ा, भरा हुआ बदन, गुलाब से रस से भरे हुए होंठ, झील सी गहरी नशीली आंखें, जो किसी को एक ही बार में घायल कर दें.

इसके अलावा लौंडों की जिधर सबसे पहली नजर जाती है, उस इलाके को देखो तो मानो दो नारियल आधे आधे काट कर सीने पर टांक दिए गए हों; जो उसके चुस्त कुर्ती से बाहर निकल भागने को आतुर से दिखते थे.

मुझे शबाना को देख कर बड़ा रश्क होता था कि ये सोहेल को मिल गई है. मगर मेरा नसीब जोरदार निकला.

हुआ यूं कि अचानक एक दिन सोहेल के अब्बू का इंतकाल हो गया और सोहेल के सर पर घर चलाने की जिम्मेदारी आ गई.
वो तो पहले से ही काफी तंगहाल था और ऐसे में उसकी माली हालत उसको और भी बुरी स्थिति में ले आई थी.

अपने अब्बू के जाने के बाद उसने तमाम जगह हाथ पैर मारे, जिससे उसका विदेश जाने का फैसला हो गया.
उधर उसे अकेले ही जाना था. उसके घर पर उसकी बीवी और अम्मी ही रह गई थीं.

जाने से पहले सोहेल मुझसे मिला और उसने मुझसे कहा- तुम ही मेरे परिवार का ध्यान रखने वाले हो. प्लीज़ तुम मेरी अम्मी और शबाना का ध्यान रखना. उनके टच में बने रहना और मैं भी फोन से उनकी बात तुम तक पहुंचाता रहूंगा.

मैं उसे दिलासा दिलाया.

वो कुछ ही दिनों में सऊदी अरब चला गया.

मैं एक दो दिन में जब तक सोहेल की अम्मी को फोन करके उनके हाल चाल जानता रहता था.

सोहेल के जाने के बीस दिन बाद उसकी अम्मी का फोन आया कि उनको कुछ सामान की जरूरत है. तुम सामान दिला जाओ, मेरी हालत बाहर निकलने की नहीं है.

मैं झट से उनके घर गया और अम्मी की दी हुई लिस्ट का सामान बाजार से लाकर उनके घर देने गया.

उधर सामान लेने के लिए शबाना आई थी. उसको देख कर मेरा दिल खुशगवार हो उठा.

मैंने उससे हैलो बोला.
उसने भी मुझसे मुस्कुरा कर हैलो कहा.

उसने चाय के लिए रुकने का कहा, मगर उसी समय मुझे एक जरूरी काम से जाना था, सो मैं रुक ही न सका.

फिर एक दिन सोहेल का फोन आया उसने मुझसे कहा कि उसके घर में शबाना को बुखार चढ़ गया और उसकी हालत बहुत खराब हो गई है. अम्मी की हालत चलने लायक नहीं है, वो बिस्तर पर हैं.

उसका फोन सुनकर मैं तुरंत सोहेल के घर जाना चाहता था. मगर मेरी बदनसीबी थी कि मैं उस समय शहर से बाहर था.

मैंने उससे अपनी पोजीशन बताई और उससे कहा कि मैं शाम तक उधर पहुंच जाऊंगा. तुम भाभी से शाम को रेडी रहने के लिए बोल दो.
उसने हामी भर दी और फोन रख दिया.

मैं शाम को शबाना के घर चला गया.

शबाना मेरे साथ डॉक्टर के पास चलने को तैयार थी. वो इस वक्त कयामत को भी मात दे रही थी.
हालांकि बुखार के चलते उसके चेहरे पर थकान दिख रही थी. मगर उसकी हसीन जवानी अब भी खिली हुई थी.

मैंने उससे पूछा- कैसी हो भाभी? बुखार कैसा है?
भाभी ने कहा- जल्दी से किसी अस्पताल ले चलो.

मैंने पूछा- कौन से अस्पताल?
शबाना- जो भी अच्छा हो. मुझे जानकारी नहीं है.

मैंने ओके कहा और उसे अपने साथ बाइक पर बिठा कर एक सरकारी अस्पताल लिवा ले गया.

उस अस्पताल में मरीजों की काफी भीड़ थी, जिस वजह से हम दोनों को रात के करीब दस बज गए.

जब हमारा नम्बर आया, तो मैं शबाना का हाथ पकड़ कर उसे डॉक्टर के केबिन के अन्दर ले कर गया.

मैंने आज पहली बार शबाना का नाजुक हाथ अपने हाथ में लिया था. मुझे एक सनसनी सी आ गई.

कुछ दवाएं और एक इंजेक्शन लगने के बीस मिनट बाद शबाना मेरे साथ बाहर आ गई और हम लोग घर जाने के लिए निकलने लगे.

अब तक शबाना काफी सामान्य हो चली थी. शायद इंजेक्शन के कारण उसे काफी आराम मिल गया था.

तभी शबाना बोली- मुझे बहुत तेज भूख लगी है.

मैं उसे पास के रेस्तरां में ले गया और उसकी इच्छानुसार कुछ खाना और मुसम्मी का रस पिलाया.

वो काफी खुश नजर आने लगी थी. इसका एक कारण ये भी था कि वो काफी दिन बाद अपने घर बाहर निकली थी.

फिर जैसे ही हम दोनों घर के लिए वापस निकले तो हल्की हल्की बारिश शुरू हो गई.

मैंने शबाना से पूछा- बारिश आने लगी है. रुक जाएं या चलें?
वो बोली- अभी बारिश काफी कम है, घर ही निकल चलते हैं. हमको वैसे भी काफी देर हो गई है. घर पर अम्मी भी अकेली होंगी. उनका खाना वगैरह भी देखना है.

मैंने ओके कहा और उसे बाइक पर बिठा कर घर की तरफ चल दिया.

रास्ते में हल्की बारिश ने भी हम दोनों को पूरी तरह से भीगो दिया था. मैं जल्दी के चक्कर में बाइक को फुल स्पीड से चला रहा था. जिस वजह से शबाना ने मुझे कंधे से पकड़ा हुआ था, ताकि वो गिर न जाए.

उसका यूं मुझे पकड़ कर बैठना मुझे गर्म किये दे रहा था. मेरा लंड भी खड़ा होने लगा था.

कुछ ही देर बाद हम दोनों घर पहुंच गए. मैंने शबाना को घर छोड़ा और अपने घर के लिए बाइक मोड़ने लगा.

शबाना ने मेरा हाथ पकड़ते हुए मुझे रोका और गहरी आवाज में बोली- आप आज यहीं रुक जाओ न … बारिश भी तेज हो रही है और काफी देर भी हो गई है. सुबह चले जाना.

उसकी उस तरह की आवाज ने मुझ पर जैसे जादू कर दिया था.
मैंने एक पल सोचा और सर हिलाते हुए हामी भर दी.

मैंने फोन करके अपने घर पर बोल दिया कि आज मैं बाहर बारिश में फंस गया हूँ इसलिए अपने एक दोस्त के घर ही रुक गया हूँ.

फिर शबाना मेरे लिए अन्दर से एक तौलिया लेकर आ गई और मुझे देते हुए बोली- जब तक आप अपने बदन को पौंछिये, तब तक मैं आपके लिए कपड़े लाती हूँ.

मैंने देखा कि शबाना ने अपने बालों पर भी एक तौलिया रखा हुआ था. वो मुझे तौलिया थमा कर अन्दर चली गई.

मैंने भी अपने सारे कपड़े उतारे और सारे बदन को तौलिये से रगड़ कर सुखाने लगा.

कुछ ही देर बाद शबाना मेरे लिए सोहेल की एक टी-शर्ट और लोअर ले आई थी.

मैंने देखा कि शबाना ने भी अपने कपड़े बदल लिए थे और वो एक बेहद दिलकश नाइटी में मेरे सामने खड़ी थी.

मैं उस वक्त एकदम नंगा था और मैंने कमर से नीचे तौलिया को बांधा हुआ था, जिसमें से मेरा लंड फनफनाने की पोजीशन में खड़ा होने लगा था और तौलिया के ऊपर से ही अपना डीलडौल दिखा रहा था.

मेरे सामने शबाना के तने हुए मम्मे उसकी नाइटी से इतने खतरनाक लग रहे थे कि लंड की तो मां चुदना तय हो गई थी.
मैं बस उसी की तरफ देखने लगा.
वो भी मेरे चौड़े नग्न सीने को देखे जा रही थी.

तभी मैंने उसके हाथ से टी-शर्ट ली और अपने बदन पर पहनने की कोशिश करने लगा.

मैंने देखा इस दौरान उसकी निगाहें मेरे जिस्म पर लगी थीं.
मैं भी जानबूझकर अपना सर टी-शर्ट में फंसाए हुए छिपकर उसकी आंखों को पढ़ने की कोशिश करता रहा.

उसकी मदमस्त चूचियां मुझ पर कामवासना हावी कर रही थीं.

तभी शबाना मुड़ते हुए बोली- मैं अम्मी को देख कर अभी आती हूँ.

मैंने कुछ नहीं कहा और उसकी ठुमकती गांड को देखते हुए उसे आंखों से चोदने का जतन करने लगा.

अगले एक मिनट बाद ही शबाना फिर से मेरे करीब आ गई थी. तब तक मैंने लोअर पहन लिया था. बिना चड्डी के लोअर पहनने से नतीजा ये हुआ कि पहले से ही तन्नाया हुआ लंड चुस्त लोअर में से साफ़ साफ़ औकात दिखाने लगा.

शबाना मेरे लौड़े को देखने लगी और मैं उसके सीने पर उभरे ज्वालामुखी देख रहा था.
मेरी आंखों में वासना के डोरे तैरने लगे थे.

आज से पहले मैंने शबाना को इस रूप में कभी नहीं देखा था.
वो तो पहले से ही मेरे दिल पर छाई हुई थी और अब तो जैसे उसकी जवानी चिल्ला चिल्ला कर मुझसे कह रही थी कि आ जाओ सनम और मुझ प्यासी परी को चोद कर तृप्त कर दो.

मैंने देखा कि शबाना की नजरें भी मेरे लंड को बेताबी से देखे जा रही थी, जो हर पल अपना रौद्र रूप लेता जा रहा था और लोअर को फाड़ कर बाहर आने को बेताब दिख रहा था.

तभी अचानक उसने मुझसे टोकते हुए कहा- क्या हुआ … आप ऐसे क्या देख रहे हो?
मैंने थरथराती आवाज में शबाना से कहा- एक सेक्सी हुस्न को देख रहा हूँ. भाभीजान आप बहुत खूबसूरत हो.

मेरी इस बात पर शबाना कुछ नहीं बोली और उसने अपना सर नीचे झुका लिया.

मैं प्यासी भाभी सेक्सी शबाना की इस खामोशी से कुछ मदहोश सा हो गया था.
इसी मदहोशी के आलम में मैं आगे बढ़ा और शबाना के दोनों गालों को अपने हाथों में लेकर उसके माथे पर एक बोसा ले लिया.

दोस्तो, ये मेरा अनुभव है कि जब भी आप किसी के माथे पर चुम्बन करते हैं, तो आप ये तय मानिए कि वो लड़की पूरी तरह से खुद को आपके हवाले कर देगी.

मैंने शबाना के माथे का बोसा लिया और उसकी आंखों में आखें डालकर उसे देखने लगा.

शबाना- ये गलत है.

मगर मैंने उसकी किसी बात का उत्तर देना उचित नहीं समझा बस उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर उसे चूमने लगा.
उसकी गर्दन पर किस किये फिर उसकी कान की लौ को चूसा और गालों को सहलाते हुए उसे अपने से जकड़े रखा.

इस दौरान उसकी तरफ से न तो सहयोग मिला और न ही विरोध हो रहा था.

बस उसके मुँह से ‘ये गलत है ये गलत है ..’ की आवाज निकलती रही.

अभी बमुश्किल पांच मिनट ही बीते होंगे कि शबाना का जिस्म ढीला पड़ने लगा और वो मेरे मुँह में अपनी जुबान डाल बैठी.
बस समझो सूखी लकड़ियों के ढेर में मानो पैट्रोल पड़ गया था.


शबाना भाभी की जीभ जैसे ही मेरे मुँह में चलने लगी मेरी समझ में आ गया कि माल टूट कर टपक गया है और अब इसकी चुत में लंड की सख्त जरूरत आन पड़ी है.

हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए बेतहाशा चुम्बनों का मजा ले दे रहे थे.
तभी मुझे ख्याल आया कि सोहेल की अम्मी बगल वाले कमरे में हैं और उनको हमारी आवाजों से इस कामलीला का पता चल सकता है.

मैंने शबाना के कान में कहा- बाजू के कमरे में अम्मी हैं न!
शबाना को भी जैसे कुछ याद आया; वो बोली- वे रोज नींद की दवाई लेती हैं, मैंने उन्हें दूध से नींद की गोली दे दी थी मगर तब भी हम दोनों को ऊपर मेरे कमरे में चलना चाहिए.

उसके मुँह से नींद की गोली देने की बात सुनकर मैं समझ गया था कि शबाना भाभी को मेरे लंड का कितनी बेचैनी से इन्तजार था कि उसने सारी व्यवस्था पहले से ही कर रखी थी.
उसी ने मुझे घर रुक जाने के लिए कहा था और उसी ने सेक्सी नाइटी पहन कर मुझे गर्म कर दिया था.

मैंने मुस्कुराते हुए उससे कहा- चलो कमरे में चलते हैं.
वो मेरी बांहों में झूल गई और मादक स्वर में बोली- मुझे उठा कर ले चलो.

आह कितना सेक्स था उसकी आवाज में!

मैंने झट से उसे अपनी गोद में उठाने के लिए हाथ बढ़ाए; तो वो लपक कर मेरी कमर में अपनी दोनों टांगें डालकर मेरे लंड पर अपनी चुत अड़ा कर लटक गई.
उसे इस तरह से अपनी गोद में लेने से मुझे बड़ी ही लज्जत महसूस हुई और मैंने उसके गाल पर एक लव बाईट ले लिया.

वो कराहते हुए बोली- आह … क्या कच्चा ही खा जाओगे जान!
मैंने कहा- हां … आज तुझे सालम ही खाने का दिन है मेरी जान.
वो इठला कर बोली- खा लेना खा लेना … मैं भी कहां छोड़ने वाली हूँ.

कमरे में आते समय उसने खुद से अपनी नाइटी की डोरी खोल दी थी, जिससे उसकी नाइटी के अन्दर से उसकी सुर्ख लाल रंग जालीदार ब्रा में से झांकते सफ़ेद मक्खनी उरोज मुझे पागल किये दे रहे थे.

वो लगातार मुझे छाती पर चूमे जा रही थी.

मैं भी बार बार उसकी चूचियों पर अपना मुँह रगड़ कर उसकी गोलाइयों की नर्मी का मजा ले रहा था.

उसकी गांड के नीचे मेरे दोनों हाथ जमे हुए थे, जिससे उसके मलाईदार चूतड़ों का स्पर्श मुझे लगातार गर्म कर रहा था.
मैं उसकी गांड को सहलाते हुए कोशिश कर रहा था कि उसकी चुत को अपने अंगूठे से कुरेद सकूँ. मगर पोजीशन कुछ ऐसी थी कि मैं वो मजा न ले सका.

एक मिनट बाद हम दोनों सोहेल और शबाना के बेडरूम में आ गए थे.

मैंने शबाना की बिस्तर पर लिटाया और उसी के ऊपर छा गया.
हम दोनों एक बार फिर से नाग नागिन से लिपट कर चूमाचाटी करने लगे.

मैंने अब तक शबाना भाभी की नाइटी को हटा दिया.
और मैं उसकी मादक चूचियों की रसीली आभा को देखकर बहुत ही ज्यादा कामुक हो उठा था.

मैंने उसकी एक चूची को अपने हाथ से पकड़ा तो अहसास हुआ कि वाकयी भाभी की चूचियां बहुत बड़ी और मस्त हैं.

ब्रा के ऊपर से मैंने उसकी एक चूची के निप्पल को अपने होंठों में दबा लिया और दूसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची को मसलने लगा.
इससे शबाना भाभी को मजा आने लगा और वो कामुक आवाजों के साथ मेरे मुँह से अपनी चूची को चुसवाने का मजा लेने लगी.

फिर उसी ने अपने हाथ से ब्रा को नीचे करके मेरे मुँह में अपनी चूची दे दी और सीत्कारते हुए कहने लगी- आह अन्नू … खा जाओ मेरी चूची को आह कितना मजा आ रहा है! आह … चूस लो पूरा निचोड़ लो इसे.

मैं उसकी इन आवाजों को सुनकर और भी ज्यादा कामुक हो गया था और बारी बारी से उसकी दोनों चूचियों को मसलता चूसता हुआ मजा लेने लगा.

कुछ देर तक यूं ही चूचियां चुसवाने के बाद शबाना ने मेरे कान में कहा- पूरा मजा इधर से लेने का इरादा है क्या?

मुझे एकदम से कुछ याद आया और मैं वासना से उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए नीचे की ओर सरकने लगा.

नीचे शबाना भाभी की पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. उसकी गीली हो चुकी पैंटी से एक मस्त मदन रस की महक मुझे मदहोश कर रही थी.
मुझसे रुका ही न गया और मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चुत पर जीभ फेर दी.

‘याल्ला मर गई .. आह आह!’ शबाना की मादक आवाजें निरंतर गूंजने लगी थीं और मेरी जीभ बदस्तूर अपना काम उसकी चुत पर करने में लगी थी.

एक मिनट बाद ही मैंने शबाना भाभी की पैंटी की इलास्टिक में उंगलियां फंसाईं और पैंटी को नीचे खींच दिया.

आह क्या जन्नती नजारा था. एकदम सफाचट चुत मक्खन की तरह गोरी और मासूम कमसिन बुर की मानिंद रो रही थी.
उसकी गुलाबी रंगत पर ओस की बूंदों सी चमक थी, जो प्री-कम की बूंदों के चलते पूरी चुत को अलग ही छटा दे रही थी.

मैंने एक उंगली से भाभी की चुत की चिपकी हुई फांकों को अलग करने का प्रयास किया ही था कि चुत का दाना किलबिलाने लगा और मेरे होंठों ने अपनी जिद छोड़ दी.

उसी पल शबाना भाभी की चुत का दाना मेरे होंठों के बीच दब गया और मैंने सर उठा कर उस दाने के मां चोद दी.


दाना ऊपर को खींचा तो शबाना भाभी की एक मीठी कराह के ससाथ उनकी गांड ने ऊपर उठ कर अपनी चुत के दाने की पैरवी की.

वो सिसिया कर बोली- याल्ला … क्या कर रहे हो … मैं मर जाऊंगी.
मैंने कहा- आज मारने के लिए ही तो पकड़ा ही मेरी शब्बो.

मेरे मुँह से शब्बो सुनकर भाभी मस्त हो गई और खुद ही गांड उठाते हुए मेरे मुँह पर अपनी चुत अड़ा दी- लो मेरे राजा चूस लो इस निगोड़ी को. आह आज मुझे खा ही जाओ.

मैंने भाभी की चुत का पूरा मानमर्दन जीभ और दो उंगलियों से किया और कोई दो ही मिनट में भाभी झड़ गई.

मैं उसकी चुत से निकला ये गर्म और नमकीन पाकशर्बत पीता चला गया.

भाभी भी अपनी चुत की रबड़ी पूरी खाली करने के बाद बिस्तर पर निढाल गिर गई मगर मैं उसकी चुत को चाटने में लगा रहा.
फिर मैं भी शांत होकर लेट गया.

कोई दस मिनट बाद मैं उठ कर खड़ा हुआ और अपने सारे कपड़े निकाल कर सिर्फ एक चड्डी में आ गया.

मैंने शबाना भाभी को बिस्तर से उठाकर खड़ा किया. उसने बोझिल आंखों से मेरी तरफ देखा और मुझसे अपनी पीठ सटा कर चिपक गई.

मैंने अपने हाथ आगे किये और शबाना भाभी की दोनों चूचियों को दबाते हुए उसकी गर्दन पर चूमना चालू कर दिया.

दोस्तो, जब भी आप किसी लड़की की पीठ को अपने सीने से चिपका कर उसकी चूचियों को दबाते और सहलाते हो, तो उस लड़की को इससे बड़ा मजा आता है.

शबाना भी मुझसे इसी तरह का सुख ले रही थी.
मैं उसे यूं ही प्यार कर रहा था और शबाना अपनी गांड की दरार में मेरे लंड को रगड़ कर मजा ले रही थी.

उसका जवान जिस्म फिर से गर्म होने लगा था. वो बार बार अपनी गांड को मेरे लंड पर धक्का दे रही थी.

फिर उसका हाथ पीछे को आया और उसने मेरे लंड को पकड़ लिया. शबाना बोली- याखुदआ … ये क्या बला है?
मैंने कहा- क्या है … नाम लो न मेरी शब्बो.

शबाना- ये आपका वो है.
मैं- क्या वो है साफ़ कहो न जान.

शबाना- ये आपका लंड है और ये इतना बड़ा कैसे है?
मैंने- क्यों सोहेल का नहीं पकड़ा था क्या कभी?
शबाना- अरे यार … तभी तो कह रही हूँ कि उसका तो इतना बड़ा नहीं था.

अब तक वो पलट कर मेरे सामने आ गई थी और मेरे लंड को मुट्ठी में पकड़ कर दबाने लगी.
वो मस्त हो रही थी. मैंने कहा- इसे खोल कर देखो न!

शबाना ने मेरी चड्डी को नीचे खींचा तो लंड एकदम से उसकी नाक पर लगा.
वो आउच कह कर एकदम से घबरा गई.

उसने लंड की लम्बाई देखी, तो उसके मुँह से निकल गया- हाय खुदआ … आज तो मेरी मौत पक्की है.’
मैंने पूछा- क्यों क्या हुआ?

वो लंड हिला कर बोली- ये क्या है?
मैंने कहा- तुम बताओ न!

वो दो मेरे दो बार पूछने के बाद बोली- अन्नू तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है.
मैंने पूछा- सोहेल का कितना बड़ा है?

वो बोली- इससे आधा लम्बा और काफी पतला.
मैंने उससे कहा- अब इसे प्यार तो करो!

उसने खामोशी से घुटनों के बल बैठते हुए मेरे लंड को सहलाया और उसकी चमड़ी को आगे पीछे करके गुलाबी सुपारे को अपने सामने कर लिया.

फिर उसने एक बार मेरी तरफ देखा, तो मैं उसे चूसने के इशारा किया.

शबाना ने अगले ही पल अपनी जीभ मेरे लंड के सुपारे पर फिरा दी और लंड मुँह में भर लिया.

आह … क्या मस्त अहसास था. मेरे दोस्त की बीवी मेरी भाभी मेरा लंड चूस रही थी.

काफी मस्ती से शबाना भाभी मेरे लंड को अपने गले अंतिम छोर तक ले जाकर चूसती रही.

फिर जब मैं झड़ने को हुआ तो मैंने उसे हटने को कहा.
मगर वो बोली- आज मुझे मत रोको. मुझे तुम्हारा अमृत पीना है.

मैं चुप हो गया और शबाना भाभी अपनी पूरी शिद्दत से लंड चुसाई का मजा लेती देती रही.

कुछ देर बाद मेरे लंड ने जबाव दे दिया और वीर्य की तेज पिचकारियां शबाना के हलक में एक के बाद एक उतरती चली गईं.

शबाना भाभी ने भी मेरे लंड के रस को पूरी तरह से चूस लिया था और वीर्य को चटखारे लेकर मजा ले रही थी.

मैंने झड़ने के बाद उसे उठाया और उसे चूमते हुए पूछा- कैसा लगा?
शबाना- बेहद लजीज. बेहद गाढ़ा और नमकीन.

मैं खुश हो गया. सच में दोस्तो … मैं अपने लंड को कई बार चुसवाया था मगर आज जैसा मजा पहले कही नहीं आया था.

अब हम दोनों फिर से एक बार बिस्तर पर आ गए थे. हमारी चूमाचाटी के दस मिनट के बक्फे ने हम दोनों को फिर से गर्म कर दिया था और अब चुदाई की बेला आ गई थी.

शबाना बोली- अन्नू, मेरी जान तुम आज मुझे इतना चोदो कि मेरी जन्मों की प्यास बुझ जाए.

मैंने उसकी बात का सम्मान किया और उसे चुदाई की पोजीशन में लिटा दिया.
मैं उसकी टांगों को फैला कर चुत के मुहाने पर लंड का सुपारा टिका कर बैठ गया.

वो गांड उठाते हुए जल्दी पेलने का इशारा करते हुए कह रही थी- अब देर न करो राजा आज मेरी इस बंजर जमीन को सींच दो .. मैं बहुत प्यासी हूँ.
मैंने कहा- झेल लेना, कुछ दर्द हो सकता है.

वो बोली- पेलो तो … मुझे कोई परवाह नहीं आज चाहे खूना-खच्ची ही क्यों न हो जाए … मगर तुम रुकना मत.

उसका ये कहना था कि मैंने लौड़े को चुत की फांकों को चीरते हुए अन्दर पेल दिया.

‘उईल्ला … मर गईईई … बहुत मोटा है.’

मैं रुक कर उसे देखने लगा. उसकी आंखें बंद हो गई थीं और दांत भिंचे हुए थे. उसने बिस्तर की चादर को अपनी दोनों मुट्ठियों से खींचा हुआ था.

मैं रुका तो उसने बिना आंखें खोले कहा- क्या पूरा चला गया?
मैंने कहा- अभी कहां शब्बो रानी.
शबाना भाभी- तो रुको मत … पूरा पेल दो.

मैंने जरा सा जर्क देकर लंड को बाहर खींचा और एक तेज प्रहार कर दिया.
मेरा पूरा लंड शबाना भाभी की चुत फाड़ता हुआ अन्दर पेवस्त हो गया.

उसकी चीख निकलने ही वाली थी कि उसी पल मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों का ढक्कन लगा दिया.

एक मिनट का दौर यूं ही रुकने का रहा फिर शबाना भाभी का दर्द कुछ कम हुआ तो उसने गांड हिला कर संकेत दिया. बस हम दोनों की चुदाई की दुरंतो एक्सप्रेस अपनी फुल स्पीड से दौड़ पड़ी. कुछ ही पलों बाद मेरे झटके इतनी तेजी से लगने लगे थे कि आप यूं समझिये कि एक सेकंड में तीन धक्के की रफ्तार शबाना की चुत का भोसड़ा बना रही थी.

शबाना भाभी भी नीचे अपनी गांड उठाते हुए चिल्ला रही थी- आह मजा आ रहा है या अल्लाह इतना सुख तो मुझे अब तक कभी नहीं मिला था … आह और तेज चोदो अन्नू तुम्हारा लंड मेरी बच्चेदानी तक चोट कर रहा है. सच में तुम असली मर्द हो आह चोदो.

इसी तरह की मादक और कामुक आवाजों के साथ दस मिनट तक धकापेल चुदाई का मंजर हम दोनों को लस्त पस्त करता रहा. हम दोनों एक दूसरे से मानो होड़ में लगे हुए थे. तभी शबाना झड़ गई और मैं उसकी चुत में लंड पेलता रहा.

कुछ देर बाद मैंने शबाना से कहा- शब्बो घोड़ी बनेगी?

शबाना भाभी तुरंत उठ कर घोड़ी बन गई और मैंने पीछे से उसकी चुत में लंड पेल दिया. मैंने अपने हाथ से उसे झुका दिया और उसकी गांड पकड़ कर उसकी दबादब चुदाई करने लगा.

कमरे में शबाना भाभी की मादक आवाजें गूँज रही थीं और बाहर तेज बारिश हो रही थी.
बरसते पानी में लौंडिया चोदने का मजा ही कुछ और होता है.

शबाना भाभी बहुत तेज चीखते हुए चुद रही थी- आह चोदो मेरे राजा और तेज चोदो साली चुत को फाड़ दो … कुतिया बहुत सताती है! आह तुम एक बड़े चोदू हो! आह … आज से तुम ही मेरी चूत के मालिक हो. तुम ही मेरे शौहर हो अब से मेरी चुत तुम्हारी है मालिक मैं आपकी रंडी हूँ. आह चोद दो!

शबाना की उत्तेजना में उसके मुँह से निकलती ऐसी बातों से मुझे भी बड़ा जोश आ रहा था और मैं पूरी मस्ती से उसकी चुत चुदाई में लगा हुआ था.

कुछ पल बाद मैंने शबाना से कहा- चल मेरी शब्बो रानी, अब पोजिशन बदल ले.

वो मेरी बात समझ गई. मैं बिस्तर पर लेट गया और वो मेरे लंड पर अपनी चुत फंसा कर कूदने लगी.
मेरे दोस्त की बीवी नंगी मेरे लंड पर कूद रही थी.

उसके मुँह से अंटशंट कुछ भी निकला जा रहा था- आह मेरे सरताज आह चोद दो मुझे … आह मैं आपकी दासी बन कर रहूंगी … आह रखैल बन कर रहूँगी आह मेरी चुत फाड़ दो … इतना मोटा तगड़ा लंड मुझे आज तक नहीं मिला. आह अल्लाह मैं तेरा शुक्रिया अदा करती हूँ आह सनम चोद दो मुझे … आह मुझे रोज तुमसे ही चुदवाना है.

इसी तरह की आवाजों के बाद शबाना फिर से झड़ने की कगार पर आ गई थी.

मैं भी अब तक अपने चरम पर आ गया था.

मैंने शबाना से पूछा- वीर्य किधर लोगी? चुत के अन्दर या मुह मे ??
वो बोली- मुँह में तो एकबार ले चुकी हूँ अब तो आप मेरी इस सूखी जमीन की ही सिंचाई कर दो. अभि वाच्चा नही होगा।

मैंने ये सुनते ही बिना लंड निकाले उसे अपने नीचे लिया और ताबड़तोड़ धक्के मारते हुए अपनी धार उसकी चुत में छोड़ना शुरू कर दी.

मेरे वीर्य ने निकलना शुरू किया ही था कि शबाना ने अपनी दोनों टांगों से मुझे जकड़ लिया.
मैंने भी अपना माल छोड़ना शुरू कर दिया था.

हम दोनों को इस समय कोई होश ही नहीं था बस न जाने किस ध्यान में मग्न एक दूसरे से एकाकार हो गए थे.

एक के बाद एक आठ दस पिचकारियों ने शबाना की चुत की इतनी ज्यादा सिंचाई कर दी थी कि वीर्य ने बाहर निकलना शुरू कर दिया था.

शबाना ने अपनी आंखों से मुझे देखा और मुस्कुरा दी.

मैंने पूछा- कैसा लगा जान?
वो- सच में आज तक इतना सुख कभी नहीं मिला.
मैंने पूछा- सबसे ज्यादा किस चीज में मजा आया?

उसकी बात सुनने लायक थी.

शबाना ने कहा- जब तुम्हारे लंड के सुपारे की चमड़ी आगे पीछे होकर मेरी चुत की फांकों से रगड़ती थी तब मुझे जन्नती मजा मिल रहा था. आज से मैं तुम्हारी हुई अन्नू मुझे हमेशा चोदते रहना.

उसकी बात का मर्म ये था कि ओपरेशन किये हुए लंड से इतना सुख कभी नहीं मिलता है. जितना नेचुरल लंड से चुदाई का सुख मिलता है.

मैंने उसे चूम लिया और उसकी चुदाई करते रहने का वायदा कर दिया.

हम दोनों ने उस रात तीन बार चुदाई का सुख लिया.।
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#20
पड़ोसन भाभी को ब्लू फिल्म दिखा कर चोदा-
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दोस्तो, मेरा नाम संजीव शाह है और मैं बिहार के सारण जिला का रहने वाला हूँ.
मेरी हाईट 5 फुट 8 इंच है और उम्र 26 साल की है. लड़कियों को बता दूं कि मेरे लंड का साईज 6 इंच है.

यह मेरे पहले अनुभव पर आधारित एक सेक्स कहानी है और ये आज से एक साल पहले की हॉट सेक्सी भाबी की चुदाई कहानी है.

यह सेक्स कहानी मेरे बगल की भाभी की चुदाई को लेकर है.
इसमें मैंने लिखा है कि कैसे मैंने भाभी को मोबाईल में ब्लू फिल्म दिखा कर उन्हें चुदाई के लिए राजी किया था.

ये उन दिनों की बात है, जब मैं तीन साल के बाद पंजाब से अपने घर आया था.
मैं घर आने पर सबसे पहले अपने नानी और नाना जी से मिलने जाया करता हूं.

मैं नानी और नाना जी से मिलने के बाद मैं अपने कामों में व्यस्त था.

उस दिन मैं अपने पड़ोसी के घर के बगल से गुजर रहा था, तो मेरी नजर एक औरत पर पड़ी.
मैं उसे देख कर दंग रह गया वो बड़ी ही मस्त औरत थी.
मुझे नहीं मालूम था कि वो कौन है, इससे पहले मैंने उसे कभी नहीं देखा था.

मैं अपने घर वापस आ गया.

दो दिन बाद मुकेश भैया मेरे घर आए. मुकेश भैया वही हैं, जिनके घर में मैंने वो मस्त आईटम देखा था.

मैंने भैया से पूछा कि आपके घर में वो महिला कौन हैं?
भैया ने हंसते हुए बताया- अरे संजीव, वो तुम्हारी भाभी हैं.

मैं चौंक गया.

फिर भैया बोले- तुम तो कभी मेरे घर आते ही नहीं हो, तो तुम्हें कैसे पता चलेगा कि मेरे घर में कौन कौन है. अरे भाई … कभी कभी टाइम निकाल कर मेरे घर भी आया करो.

मैंने भैया से सॉरी कहा कि भैया पंजाब से आने के बाद इधर-उधर के चक्कर में टाइम ही नहीं मिलता है, पर अबकी बार जरूर आऊंगा.

तब तक मेरी मां आईं और भैया से बातें करने लगीं.
मैं अपने काम से बाजार चला गया.

शाम को जब मैं मार्किट से वापस आया, तो मेरी मां ने मुझे बोला कि अगले सप्ताह पड़ोस वाले भैया की बहन की शादी है और तुमको उनके कामों में हाथ बंटाना है.

मैंने मां से कहा- ठीक है, मैं उनके घर चला जाऊंगा.

उस समय मुझे मुकेश भैया वाली भाभी की मस्त जवानी ही याद आ रही थी.

अगले दिन मैं उनके घर गया, तो पाया कि उनके घर तो बहुत सारी औरतें आयी हुई थीं.

मैं घर के अन्दर गया, तो भाभी मेरे करीब आकर पूछने लगीं- मैं आपको पहचान नहीं पाई, आप कौन है?
मैं बोला- मैं आपका पड़ोसी हूँ.

ये सुनकर उन्होंने कहा- अरे हां, मुझे आपके भैया ने आपके बारे में बताया था. आप पंजाब में से आए हैं न?
मैंने हामी भरी.

भाभी ने मुझे बैठने के लिए एक स्टूल दिया.
मैं बैठ गया.

भाभी बोलीं- आप बैठिये, आपके भैया अभी आते ही हैं. वो किसी काम से बाजार तक गए हैं.

थोड़ी देर बाद भैया भी आ गए, कहीं गए हुए थे. भैया बोले- अरे संजीव, तू कब आया?
मैंने बोला- बस भैया अभी अभी आया हूँ.

भैया ने भाभी को बुला कर कहा- अरे शशिकला, ये वही संजीव है, अपना पड़ोसी, जिसके बारे में मैंने तुम्हें बताया था.
भाभी ने मेरे पास आकर न पहचान पाने के फिर से एक बार सॉरी कहा.
तो मैंने कहा- कोई बात नहीं भाभी.

थोड़ी देर बाद भैया और मैं सामान खरीदने चले गए.

दोस्तो, जब से मैंने शशिकला भाभी को देखा था, तो मेरे मन में उसी समय से भाभी के संग चुदाई की वासना जाग उठी थी.
भाभी की चूचियां बहुत मस्त थीं.

कसी हुई साड़ी के ऊपर से इतनी अच्छी भरी हुई लग रही थीं, कि बस पूछो मत … मैं सोचने लगा कि ऊपर से इतनी गदर चूचियां हैं, तो बिना कपड़े के कितनी अच्छी लगती होंगी.

बस उस दिन जब घर आया तो मुझसे रुका ही न गया और मैं शशिकला भाभी की चूचियां याद करके दो बार मुठ मार चुका था.

अब मैं रोज ही सुबह से भैया के घर चला जाता था और भाभी की मस्त जवानी को अपनी आंखों से चोद कर मजा लेने लगा था.

उसके बाद धीरे धीरे शादी का दिन भी नजदीक आ रहा था.

शादी के दो दिन पहले भी मैं भाभी के घर में था.
मैं जानता था कि भैया मार्किट गए हैं, फिर भी मैं भाभी से बोला- भाभी, भैया कहां गए हैं?

उन्होंने हंस कर कहा- आपके भैया कुछ लेने मार्केट गए हैं. क्या बिना भैया के आपका मन नहीं लगता है. मैं भी तो आपकी भाभी हूँ … मुझे बताइए न कि आप कैसे हैं क्या चल रहा है … मुझसे बात कीजिए न!

मैंने उनकी तरफ देखते हुए कहा- ऐसी कोई बात नहीं है भाभी, मैं तो आपसे बात करने के लिए हमेशा ही रेडी हूँ, बस आपके मिजाज से जरा परिचित नहीं था इसलिए कम बोलता था.

भाभी ने कहा- हम्म … कोई बात नहीं अब तो बताओ कि आप कैसे हैं?
मैंने- मैं ठीक हूँ भाभी.

भाभी ने कहा- ओके आप बैठो, मैं आपके लिए कुछ खाने को लाती हूँ.
मैंने कहा- वैसे तो जरूरत नहीं है भाभी … मगर आप कहेंगी कि मेरे हाथ कुछ खाने शर्मा रहे हो, तो मैं मना नहीं करूंगा.

भाभी हंस दीं और मेरे लिए वो एक प्लेट में मिठाई ले आईं.

दोस्तो, मैं आपको इधर एक बात बता दूँ कि भैया की शादी को काफी समय हो गया था.

इधर मैंने पंजाब से तीन साल बाद आने के कारण उनकी पत्नी यानि शशिकला भाभी को अब तक नहीं देखा था.

भैया की शादी के तीन साल बाद भी उनको कोई बच्चा नहीं हुआ था.
मैं सोचने लगा कि क्या चक्कर है. भाभी को बच्चा क्यों नहीं हुआ.

खैर … उस दिन भाभी से मेरी काफी देर तक बातचीत हुई और मुझे उनका व्यवहार काफी पसंद आया. मैं उनसे एक ही दिन में मजाक करने लगा था.

फिर भैया की बहन की शादी वाले दिन मैं सुबह से लेकर पूरी रात उन्हीं के घर रहा था.
उस दौरान भाभी से कुछ ज्यादा ही हंसी-मजाक होने लगा था.

रात के समय शादी की पूरी विधि हो रही थी. घर के सभी लोग कुर्सी लगा कर बैठे थे और शादी देख रहे थे.
मैं भी वहीं बैठ कर देख मोबाइल चला रहा था.

तभी भाभी मेरे पास आईं और मेरा मोबाइल छीन कर मेरा मोबाइल चैक करने लगीं.
मैं उनसे अपना मोबाइल लेने की कोशिश करने लगा, मगर भाभी ने नहीं लेने दिया.

कुछ पल बाद भाभी मेरे बगल में आकर मेरे कान में धीरे से बोलीं- बी एफ है क्या मोबाइल में!
मैं तो उनकी बात सुनकर दंग रह गया और मुंडी नीचे किए हुए बोला- मैं ये सब नहीं रखता.

वो ‘हुंह … लो अपना सड़ा सा मोबाइल.’ कह कर मेरा मोबाइल मुझे देकर चली गईं.

कसम से दोस्तो, मैं उस दिन से भाभी को चोदने के लिए बेचैन था कि कब भाभी को चोद दूं.

शादी खत्म हुई और धीरे धीरे सारे रिश्तेदार अपने अपने घर चले गए.

चार दिन बाद मैं उनके घर गया और भैया भाभी से बातें करके वहां से अपने घर आने लगा.

भैया ने कहा- संजीव मैं मार्किट से मटन ले कर आता हूं, तुम थोड़ी देर रुको. फिर चले जाना.
मैं रुक गया.

थोड़ी देर भाभी से हंसी मजाक करने के बाद बातों ही बातों में मैंने भाभी से उनका नंबर मांग लिया.

आधा घंटे बाद भैया वापस आए और मुझसे बोले- तुमको रात को खाना मेरे घर पर खाना है.
मैंने कहा- ठीक है.

उस दिन मैं उनके घर खाना खाया, खाना खाते समय भाभी की चुचियों को खूब गौर से देख रहा था.
मुझे न जाने क्यों ऐसा लगा कि भाभी खुद ही मुझे अपनी चूचियां दिखाने का प्रयास कर रही थीं.

मैं उस दिन भैया के साथ डिनर करने लगा.
भैया ने व्हिस्की की बोतल खोली और दो गिलास बनाने लगे.
मैं कुछ नहीं बोला.

उस दिन मटन के साथ दारू का मजा लेते समय मुझे भाभी की चूचियाँ ही गर्म करती रहीं.

भैया ने जल्दी जल्दी पांच पैग लगा लिए और एकदम से टल्ली हो गए.
जबकि मैंने सिर्फ दो ही पैग लिए थे.

भाभी भैया को नशे में टल्ली देख कर मेरे पास आईं और बड़बड़ाने लगीं- बस इनको तो दारू के नशे में मजा आता है. पीने के बाद इनको मेरी तो जैसे कुछ चिंता ही नहीं रहती है.

मुझे भी हल्का सुरूर था. मैंने उनकी चूचियों को घूरते हुए कहा- क्या हुआ भाभी … भैया आपकी सेवा नहीं करते क्या?
भाभी ने मेरी आंखों में झांका और उदास स्वर में कहा- यही तो दिक्कत है.

मैंने उसी समय देखा कि उनका पल्लू नीचे गिर गया था और वो अपने पल्लू को ठीक करने के लिए कुछ भी जतन नहीं कर रही थीं.

मैं अपने लंड को सहलाते हुए उनके गहरे गले से झांकती चूचियों का मजा लेने लगा.

उस दिन भाभी ने मेरे पास यूं ही बैठ कर अपना पल्लू गिराए हुए ही कहा- आज मुझे भी पीने का मन है.

मैंने देखा कि भाभी ने मेरा गिलास उठाया और एक ही झटके में पूरा पी गईं.

मैं उनके इस रूप को देख कर मस्त हो गया.
कुछ ही देर में भाभी ने दो पैग खींचे और मटन की चाप उठाकर ऐसे चूसने लगीं कि जैसे लंड चूस रही हों.

मैंने पूछा- भाभी चूसने में मजा आ रहा है?
भाभी बोलीं- हां मुझे तो आदत है चूसने की.
मैंने कहा- फिर चूस कर क्या करती हो आप!
भाभी ने चाप को जोर से चूसा और बोलीं- जब चूसने वाली चीज में दम ही नहीं बचेगा, तो मैं क्या उखाड़ लूंगी.

हम दोनों लंड चुसाई की बात को दोअर्थी भाषा में कर रहे थे. मेरा लंड खड़ा होने लगा था.
उधर भाभी की आंखों में नशा और वासना दोनों दिख रहे थे.

तभी भैया कुनमुनाए, तो भाभी उनको सहारा देकर कमरे में ले गईं और मैं उनके घर से चला आया.

दूसरे मेरे मन में अचानक शादी वाली रात कि बात याद आयी कि भाभी ने मुझसे बीएफ के लिए पूछा था.

मैंने उस पर गौर किया और कल भाभी का रूप याद करके मैं कड़ियां जोड़ने लगा तो मुझे भाभी की चुदाई करने की सम्भावना नजर आने लगी.

उसी समय भाभी को फ़ोन किया मैंने कि भाभी भैया कहां हैं?
भाभी ने कहा कि वे दुकान चले गए हैं.

जैसा कि मैंने आपको बताया था कि गांव से दूर उनकी स्टेशनरी की दुकान थी.

मैंने पूछा- अरे इसका मतलब तो वो शायद शाम तक ही वापस आएंगे?
भाभी बोलीं- हां.

मैंने कहा- तो फिर मुझे आपसे ही मिलना पड़ेगा.
भाभी बोलीं- हां हां आ जाओ. मुझे भी तुमसे बात करके अच्छा लगेगा.

मैं ये सुनकर बहुत खुश हुआ और अपने मोबाइल में सनी लियोनी की ढेर सारी ब्लू फिल्म डाउनलोड करके भाभी के घर आ गया.

मैंने देखा कि भाभी नाइटी में चूल्हे के पास खाना बना रही थीं. मैं भाभी के बगल में कुर्सी लगा कर बैठ गया.

भाभी बोलीं- क्या बात है आज बड़े खुश नजर आ रहे हो?
मैं भाभी से बोला- हां भाभी आपको कुछ दिखाने लाया था. क्या आप देखिएगा?
भाभी ने कहा- क्या!

मैंने एक ब्लू-फिल्म लगा कर भाभी के सामने मोबाइल कर दिया. भाभी बड़ी गौर से ब्लू-फिल्म में सनी लियोनी को लंड चूसते हुए देख रही थीं.

थोड़ी देर लंड चुसाई देखने के बाद भाभी की आंखों में वासना दिखने लगी.

उनकी हालत देख कर मेरे लंड ने भी विकराल रूप धारण कर लिया.

मुझसे रहा नहीं जा रहा था, तो मैं भाभी से बोला- भाभी एक बात बोलूं .. आप बुरा तो नहीं मानियेगा!
भाभी ने मेरे फूलते लंड की तरफ देखते हुए कहा कि क्या बोलिए ना.

मैंने पूछा- सनी की चुदाई कैसी लग रही है!
हॉट सेक्सी भाबी चुदासी सी बोलीं- अभी चुदाई किधर शुरू हुई है, अभी तो कुतिया लंड चूस रही है. बड़ी मस्त छिनाल है साली.

ये कह कर भाभी अपनी चुत पर हाथ फेरने लगीं.

मैंने डरते डरते धीरे से कहा- भाभी एक बार मैं भी आपके साथ चुदाई करना चाहता हूँ.

थोड़ी देर तक भाभी ने कुछ नहीं कहा, तो फिर मैंने हिम्मत करके फिर से वही बात कही.
भाभी ने कहा- नहीं, ये सब नहीं करना है .. किसी को मालूम चल जाएगा.

मैं समझ गया कि हॉट सेक्सी भाबी चुदने को राजी तो हैं, मगर कुछ नाटक कर रही हैं.

बहुत देर तक भाभी को मनाने के बाद भाभी मान गईं.


मैंने भाभी को अपनी ओर खींचा, तो वो बोलीं- इधर नहीं … कोई भी आ सकता है.

उनकी बात ठीक थी. गांव के माहौल में किसी को आने जाने से रोका नहीं जा सकता था.

भाभी के घर के बगल में एक उन्हीं का एक टूटा हुआ टपरा टाइप का कमरा था, जिसमें फ़ालतू सामान रखा रहता था.

उधर उनकी एक चारपाई भी पड़ी थी.
उन्होंने उसी टूटे हुए टपरे में मुझे जाकर इन्तजार करने के लिए बोला.
मैं झट से उसमें चला गया.

थोड़ी देर बाद भाभी हाथ में एक बाल्टी लेकर आ गईं. वो इधर उधर देख कर मेरे पास आ गईं.

जैसे ही भाभी आईं, तो मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया और भाभी की चूचियों को अपने हाथों से जोर जोर से दबाने लगा.

भाभी खुद भी गर्म थीं. उन्होंने मेरे पैन्ट के अन्दर हाथ डाल दिया और वो अपने हाथों से मेरे लंड को खूब जोर जोर से दबाने लगीं.
मेरा 6 इंच का लंड बिल्कुल टाइट हो गया.

मैं भाभी से बोला- भाभी, अब मुझसे रहा नहीं जाता है, पहले एक बार जल्दी से ले लूं … बाकी का खेल तसल्ली से करूंगा.
भाभी ने कहा- हां आज मुझे भी कुछ खुटका सा लग रहा है. आज तुम जल्दी से खड़े खड़े ही कर लो. वो भी बिना कपड़े उतारे हुए … क्योंकि न जाने मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि आज तुम्हारे भैया जल्दी घर वापस आ जाएंगे.
मैंने कहा- ठीक है.

मैंने भाभी की नाइटी नीचे से ऊपर अपने हाथों से पकड़ कर एक हाथ से उनकी चड्डी थोड़ी सी नीचे कर दी. फिर अपनी पैंट की चैन खोली और अपना लंड निकाल कर भाभी की चूत पर सैट कर दिया.

भाभी की चूत एकदम चिकनी थी. मुझे कुछ लगा तो मैंने भाभी से पूछा- चूत की झांटें कब साफ़ की थीं, ऊपर से नीचे तक एकदम मखमल की तरह चिकनी लग रही है.
भाभी हंस दीं और बोलीं- चिकनी और खुरदुरी को छोड़ो … जल्दी से धकापेल कर दो.

मैंने भी भाभी की चूत पर अपना लंड सैट करने के बाद धीरे से धक्का दिया, तो भाभी की चूत में मेरे लंड का टोपा अन्दर चला गया.

मेरा लंड जैसे ही थोड़ा सा चुत के अन्दर गया तो भाभी की कराह निकल गई और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे.
मगर भाभी ने अपने होंठ दबा कर लंड का मीता दर्द सहन कर लिया.

मैंने थोड़ा लंड बाहर खींच कर इस बार कुछ जोर से धक्का दे मारा.
मेरा आधा लंड भाभी की चूत में चला गया.

और भाभी दर्द से तड़फ उठीं. वो मुझे धक्का देकर हटाने लगीं.
मगर मैंने उनको कस कर पकड़ लिया और जोर जोर से उनकी बुर में अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा.

भाभी को मैंने झुका दिया था इसलिए मेरा लंड मस्ती से भाभी की चुत में चलने लगा था. कसम से क्या मजा आ रहा था.

मेरे जोर जोर से धक्का मारते हुए ही भाभी एकदम से हांफने लगी थीं.
वो कह रही थीं कि आह … अब रहने दो संजीव … बाकी कल दिन में आराम से करेंगे. अभी मुझे बहुत दर्द हो रहा है प्लीज … अपना निकाल लो.

लेकिन मैं कहां मानने वाला था. मैंने तो चुदाई की स्पीड को और बढ़ा दिया.

अब हालत ये हो गई थी कि भाभी जितना मना करतीं कि छोड़ दो, उतना ही मैं अपना लंड और तेजी से अन्दर बाहर करने लगता.

ऐसे करते करते काफी देर हो गयी थी. भाभी अब तक झड़ चुकी थीं.

अब मेरे लंड का माल गिरने वाला था,
तो मैं भाभी से बोला- मेरा माल गिरने वाला है कहा निकालु ???????
भाभी ने कहा- पूरा अन्दर ही गिरा दो, यही तो मुझे चाहिए.

मैंने दो-तीन झटके तेज तेज मारे और भाभी की चुत के अन्दर ही झड़ गया.

उसके बाद भाभी सीधी हुईं और उनकी नाइटी नीचे को हो गई.

उन्होंने पैंटी को नाइटी के अन्दर डाल कर चुत पौंछी और मुझे उधर ही हांफता छोड़ कर अपने घर के अन्दर चली गईं.

कुछ देर बाद मैंने भी अपनी पैन्ट की चैन लगाई और अपने घर आ गया.

उसके बाद दूसरे दिन भाभी का फोन आया कि आज दोपहर को आ जाना.
मैंने कहा- ठीक है.

फिर उसके बाद मैं भाभी के घर गया, तो देखा भाभी कोई कपड़ा सिलाई कर रही थीं.

मैं अन्दर गया, तो भाभी ने मुझे देखा, तो बिना कुछ बोले तुरंत उठ कर बाहर की बढ़ गईं.

बाहर एक बार उन्होंने इधर उधर देखा और मेन दरवाजा बाहर से बंद करके पीछे से अन्दर आकर अपने रूम में चली गईं.

मैं भी पीछे से उनके कमरे में घुस गया और भाभी को पीछे से पकड़ लिया.

भाभी उस दिन लाल साड़ी पहने हुई थीं. बड़ी कयामत माल लग रही थीं.

मैंने भाभी को अपनी तरफ किया और उनको किस करने लगा.
भाभी भी मुझे किस कर रही थीं.

उसके बाद मैंने भाभी की साड़ी को खोल दिया और उनकी ठोड़ी पाकर कर उन्हें किस करने लगा.

आज भाभी के मुँह से मस्त आवाजें आने लगीं. फिर मैंने उनके ब्लाउज को भी खोल दिया और तब तक भाभी ने खुद अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया.

उनका पेटीकोट नीचे गिर गया और ब्लाउज चूचियों पर झूल गया.

मैंने देखा कि भाभी ऊपर से तो नंगी थीं, पर नीचे चड्डी पहनी हुई थी.

केवल चड्डी में भाभी की मस्त जवानी को देख कर मुझसे रहा ही नहीं गया और मैंने भाभी की पैंटी में अपनी उंगलिया फंसा दीं.
भाभी ने मुझे चूमा और मैंने उनकी चड्डी नीचे कर दी.

तब तक भाभी ने खुद अपनी चूचियों पर लटका ब्लाउज भी हटा कर अलग कर दिया.

अब भाभी मेरे सामने पहली बार बिना किसी कपड़े के एकदम नंगी खड़ी थीं. मैं भाभी को नंगी देख कर पागल हो रहा था.

भाभी ने हंस कर कहा- क्या कभी नंगी लड़की नहीं देखी!
मैंने कहा- भाभी तुम एक शोला हो … तुम्हारे सामने तो जन्नत की हूर भी फेल है.

भाभी हंस पड़ीं और उसके बाद उन्होंने मेरे सारे कपड़े अपने हाथों से उतार दिए.

हम दोनों नंगे हो कर बेड पर लेट गए.

मैं भाभी को ऊपर से लेकर नीचे तक किस करने लगा और भाभी मछली की तरह छटपटाने लगीं.

जैसे ही मैं भाभी की चूत के पास गया, तो मेरा लंड पूरा टाइट हो चुका था और भाभी की चूत में घुस जाने के लिए बेचैन था.

मैंने भाभी की दोनों टांगों को अपने कंधे पर रख कर अपना लंड भाभी की चूत में आधा डाल दिया.
भाभी की चीख निकल गई.

और मैंने बिना रुके तेजी से दूसरा झटका मार दिया और अपना लंड अन्दर डाल दिया.
भाभी ने कहा- संजीव थोड़ा धीरे धीरे चोदो … बहुत दर्द हो रहा है.

मगर मैं अपनी मस्ती में भाभी की चुत चोदे जा रहा था.

थोड़ी देर बाद मैंने भाभी को उठा कर घुटने के बल आगे की तरफ झुका दिया और पीछे जाकर भाभी की गांड पर अपना लंड रगड़ने लगा.

भाभी ने कहा- मेरी हालत खराब हो गई है … तुम गांड के चक्कर में हो … प्लीज आगे के छेद से काम चला लो.

लेकिन मैं नहीं माना. मैंने कहा कि भाभी कल का किसने देखा आज मौक़ा है भाभी, गांड भी खुलवा ही लो. भैया के बस का कुछ नहीं है. यदि होता तो अब तक एकाध पैदा कर देते.

ये कहते हुए मैंने अपना लंड भाभी की गांड में डाल दिया.
लेकिन उनकी गांड बहुत टाइट थी … तो मेरा लंड आधा ही अन्दर गया था.

उधर भाभी जोर जोर से चिल्लाने लगीं- आह मार दिया हरामी … साले निकाल ले … मुझे नहीं खुलवानी.
मैं भाभी से बोला- भाभी चुप रहो, कोई आवाज सुन लेगा … तो दिक्कत हम दोनों को होगी.

मेरी इस बात से भाभी एकदम से शान्त हो गईं और मैं तेजी से भाभी की गांड मारने लगा.

कुछ ही ठोकरों में भाभी का दर्द जाता रहा और वो हूँ हूँ करके लंड लेने लगी.

मुझे भी मजा आने लगा था, तो मैं भाभी की गांड मारते वक्त उनकी दोनों चूचियों को खूब मसल रहा था.

दस मिनट भाभी की गांड मारने के बाद मैंने भाभी को फिर से सीधा लिटा दिया और न्यूड भाभी की दोनों टांगों को उनके सर तक कर दिया.

इस समय भाभी की लपलप करती हुई चुत बड़ी मस्त लग रही थी.
मैंने अगले ही पल अपना लंड भाभी की चुत में पेल दिया और खूब तेजी से उनको चोदने लगा.

चुत में लंड लेने से भाभी को भी राहत मिल गई और वो भी मस्ती भरी आवाजें लेने लगीं.

काफी देर तक चुत चोदने पर मुझे लगा कि अब मेरा माल गिरने वाला है, तो मैंने भाभी से बोला- मेरा माल गिरने वाला है … जल्दी बोलो क्या करूँ?
भाभी ने धीरे से कहा- साले तुझसे किस लिए चुद रही हूँ तुझे मालूम नहीं है क्या … तुम पूरा वीर्य अन्दर ही टपका दो.

मैं उनकी बात सुनकर आश्वस्त हुआ और कुछ तेज झटके मारने के बाद मैं भाभी की चुत के अन्दर ही रस टपका कर उनके ऊपर ही लेट गया.

भाभी भी पूरी तरह से निढाल हो गई थीं.
उनके मुँह से आवाज तक नहीं आ रही थी.
वो बस तेजी से सांसें लिए जा रही थीं.

कुछ मिनट बाद हम दोनों सीधे लेट गए और चिपक कर नंगे ही सो गए.

हम दोनों 2 बजे तक सोते रहे.
शाम को हम दोनों उठे और साथ में नहाने चले गए.
नहाते हुए वहां भी मैंने भाभी की चुदाई की और फिर से कमरे में आ गए.

मैंने बड़े प्रेम से तौलिये से न्यूड भाभी का पूरा बदन पौंछा और भाभी ने मेरा बदन पौंछा.

बिना कपड़े पहने कुछ देर हम दोनों वैसे ही बैठे रहे.
मैं भाभी को किस करने लगा और भाभी ने मेरा लंड को अपने हाथों से हिलाने लगीं.

इससे मेरा लंड चोदने के लिए फिर से तैयार हो गया.

मैंने भाभी को देखा तो उन्होंने आंख दबा कर रजामंदी दे दी. मैंने भाभी को पलंग के सहारे झुका कर घोड़ी बना दिया और पीछे से भाभी की चूत में अपना लंड डाल कर उन्हें चोदने लगा.

अब तक बार बार चुदाई होने से हम दोनों का स्खलन मानो थम सा गया था.

काफी देर तक भाभी की चुत चोदने के बाद मैंने उनकी चूत में ही माल गिरा दिया और पलंग पर बैठ गया.
भाभी भी मेरे बगल में बैठ गईं.

दस मिनट आराम करने के बाद भाभी उठीं और नंगी ही रसोई में चली गईं.

वो चाय बनाने लगीं, तो मैं भी किचन में आ गया और फिर से न्यूड भाभी को पीछे से पकड़ लिया.

भाभी बोलीं- क्या बात है बड़ी जल्दी रेडी हो जाते हो? अब क्या मेरी जान लेकर ही मानोगे.

मैंने हंस कर धीरे से भाभी को बिना कुछ कहे उनकी गांड में अपना लंड डाल दिया.

भाभी आह करके बोलने लगीं- अरे रहने दो … चाय गिर जाएगी.

मैंने बिना हिल-डुल किए वैसे ही भाभी की गांड में अपना लंड फंसा दिया और भाभी को कसके अपने हाथों से पकड़े रहा.

भाभी बोलीं- चलो चाय बन गई.

मैंने उनकी गांड में से अपना लंड बाहर निकाला और हम दोनों पलंग पर बैठ कर चाय पीने लगे.

उसके बाद भाभी और मैंने कपड़े पहन लिए क्योंकि शाम काफी गहरा गई थी और भैया का आने का समय हो गया था.

भाभी बोलीं- तुम्हारे भैया के आने का समय हो गया है.
मैंने उनकी बात समझते हुए उनको एक किस किया और अपने घर आ गया.

उस दिन से आज तक जब भी मैं पंजाब से आता हूं तो भाभी और मेरे बीच चुदाई होती रहती है. मेरी चुदाई से भाभी को एक लड़का भी पैदा हो गया था.




समाप्त
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