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गाँव की डॉक्टर साहिबा ( पुरी कहनी )
#61
THANOS RAJA Lage raho kaafi sahi update hai
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#62
Agla update aise he jaldi dena please. Mujko wait nahi ho raha aage kya hoga mujko pata karna hai jaldi jaldi update do
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#63
waiting for next incredible awesome update
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#64
Update bro
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#65
(21-01-2021, 12:06 AM)PUSSY DESTROYER 69 Wrote: Agla update aise he jaldi dena please. Mujko wait nahi ho raha aage kya hoga mujko pata karna hai jaldi jaldi update do

बिलकुल आप थोड़ा सब्र रखे और स्टोरी के साथ जुड़े रहे.
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#66
Bro Update kaha hai
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#67
Vo bhi regular update ?
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#68
Update
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#69
Bhai congratulations ki aapne phir se shuru kiya. Kavya atom bomb gaon me girayegi. Ab aap likho ki sabse pehele kaun shajid hoga. Line bahot lumbi ho gayee hai. Sabka number aanaa chahiye. Randhir aur uske donon henchmen ka zaroor aana chahiye. Take your time but update regularly.
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#70
thank u very much for restarting the story. waiting for next update
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#71
अब काव्या और नजमा दोनों आगे बढ़ते है पक्के रास्ते से. कुछ घर आगे निकल कर काव्या को कुछ खाना पकने की सुगन्ध आती है काव्या को वो सुगंध इतनी अच्छी लगती है कि काव्या वहीं खडी हो जाती है और देखने लगती है कि यह इतना सुगंधित और खुशबु दार खाना कोन पका रहा है यह सुगंध तो मैंने जब लास्ट टाइम अपने पति के साथ 5 स्टार होटल गयी थी वहां यह सैम खुशबु आयी थीं खाने में से. पर यहां गाँव में कोन है...?


फिर अचानक नजमा को कुछ याद आता है और उसके हाथ पैर फूलने लगते है और वो काव्या से बोलती है मैडम मुझको कुछ जरूरी काम आ गया है यही पास में. मैं बस ये दस मिनट में आती हू काम निपटा कर आप इधर ही पैड के नीचे खड़ी रखियेगा कहीं जाएगा नहीं. फिर वो वहा से चली जाती है काव्या को उधर ही छोड़ कर.


फिर जिस घर से खाने की स्वादिष्ट सुगंध आ रही थी उसी घर की बालकनी मै काव्या एक औरत को खडी हुई देखती है कुछ सेकंड देखने के बाद फिर वो औरत भी देखती है काव्या को और कुछ देर बाद वो अपनी बालकनी से नीचे उतर कर घर के बाहर गेट के पास आती है और बोलती है आप कोन हो मैडम पहले तो कभी नहीं देखा आपको इधर.


काव्या - हा, मैं कल ही आयी हूं गाँव में. मेरी दादी का घर है इधर. पर आप कोन और ये घर पर खाना आप बना रही थी क्या.


औरत - मेरा नाम सुमन मिश्रा है. और ये मेरा ही घर है और ऑफकोर्स यह मेरा घर है तो लंच भी में ही बना रही थी. वेसे तेरा क्या नाम है...?


चलो आपको सुमन के बारे में बता देते है सुमन मिश्रा. इस गाँव के सबसे बड़े किसान के साथ साथ गांव के पंडित जी की इकलौती बहू. सुमन मिश्रा की उमर 31 साल है. रंग गौरा गाँव के गौरा पन के हिसाब से. सुमन को इस गाँव की हीरोइन भी कह दोगे तो भी कोई प्रॉब्लम नही होगी. सुमन काफी सेक्सी दिखती है. गाँव के कितने नौजवान और बूढे उसके लिये पागल है पर सुमन किसी को भाव नहीं देती है. गाँव की सभी औरते और लड़किया सुमन की बात मानती है. सुमन की काफी इज़्ज़त और सम्मान है गाँव की औरतों में. और इस सबके अलावा सुमन जैसा स्वादिष्ट खाना कोई नहीं पकाता पूरे गाँव में. सुमन के पति का नाम दीपक मिश्रा हैं. दीपक अपने पिताजी के खेतों को संभालता है और खेतों में ट्रैक्टर चलाता. दीपक इसके साथ साथ गाँव में हार्डवेयर की शॉप भी चलाता है जहां पर कभी वो या कभी उसका भाई मोहन बैठता है.


अब यहां समस्या यह है कि सुमन को पता नहीं है कि काव्या कोन है उसने तो बस काव्या को नजमा के साथ देखा इसलिये सुमन काव्या के साथ सीधे मुह बात नहीं कर रही थीं. काव्या को सुमन का यह रूढ़ बर्ताव कुछ अजीब लग रहा था. काव्या को यह समझ ही नहीं आ रहा था की उसने कहा कुछ गलत कर दिया या बोल दिया जो सुमन ऐसे बरताव कर रही है. अब काव्या भी थोड़ा डट कर अपना परिचय देती है .


काव्या - माय सेल्फ काव्या अग्रवाल. और मैं डॉक्टर हु. मैं यहां मेरे दादी और मेरे रणधीर अंकल की पोती हू. इधर हवेली में ही रह रही हूँ. दो दिन से.

रणधीर और हवेली का नाम सुनते ही सुमन के तो मानो होश ही उड़ जाते है उसको अपनी गलती का तुरंत एहसास हो जाता है. सुमन तो कबसे काव्या को नजमा के साथ देख कर शहर की कोई वेश्या समझ रही थी. सुमन को भी थोड़ा अजीब तो लग रहा था कि ऐसी पढ़ी लिखी सुन्दर अच्छे घर की दिखने वालीं औरत नजमा के साथ कैसे हो सकती है. पर अब उसको समझ में आया.


सुमन - सॉरी मैडम, मैंने आपको पहचाना नहीं. आपसे ऐसे ही उल्टे-सीधे तरीके से बोला. वो तो मैंने आपको नजमा के साथ देखा इसलिए.... फिर सुमन खुद को आगे बोलने से रोक देती है.


काव्या - नजमा के साथ देखा क्या...? आप कहना क्या चाहती हो.


अब सुमन समझ जाती है कि शायद काव्या को नजमा के बारे में कुछ भी नहीं पता इसलिये वो ऐसे पूछ रही है और शायद ये सही समय भी नहीं है नजमा के बारे में बात करने का. क्योंकि नजमा किसी भी समय आ सकती है वापस.


सुमन - अरे मैडम वो सब छोड़ो आप अन्दर आओ. आप पहली बार हमारे घर आयी है अन्दर तो आओ.

अब काव्या को कुछ अजीब लगता है कि अचानक सुमन का बरताव इतना बदल कैसे गया.

काव्या - अरे नहीं नहीं वो नजमा अभी आती ही होगी. वो मुझको गाँव गुमा रही है. वो कहा मुझको ढूंढती रहेगी.

सुमन - वो तो बाहर खड़ी रहेगी. उसकी चिन्ता मत करो आप अन्दर आओ.

काव्या - ठीक है, पर एक शर्त पर.....

सुमन - क्या मैडम....

काव्या - तुम मुझको बार बार ये मैडम करके नहीं बुलाएगी तो.

सुमन - तो फिर क्या...?

काव्या - सिर्फ काव्या.

सुमन - अरे नहीं आप तो हमारी मैडम ही है और आप ऊपर से डॉक्टर भी है.

काव्या - मैं कुछ नहीं सुनूँगी, तुम सिर्फ काव्या ही बोलो जस्ट ऐ फ्रेंड. मै यह मैडम शब्द सुन सुन कर थक गयी हू यहां इस गाँव में आकर. वरना मैं अन्दर नहीं आएँगी.

सुमन - ठीक है काव्या. अब तो अन्दर आ जाओ. पर काव्या तुम भी मुझको सिर्फ सुमन ही बुलाना जस्ट ऐ फ्रेंड.

काव्या - ओके

अब काव्या घर के अन्दर आ जाती है इस समय घर में सिर्फ सुमन और उसकी सासु ही थी. काव्या को अन्दर आते देख उसकी सासु को कुछ अच्छा नहीं लगता. पर जब सुमन काव्या के बारे में अपनी सासु माँ को सब कुछ बताती है तो वो भी फिर काव्या को काफी इज़्ज़त देती है और सुमन को कुछ बोल कर वहां से चली जाती है. अब काव्या और सुमन काफी देर तक अलग अलग बाते करते है. फिर सुमन रसोई में जाकर काव्या के लिये उसने जो खाना बनाया था वो ले आती है.

सुमन - काव्या लो टेस्ट करो मेरे हाथ का खाना. ना नहीं बोलना तुम फर्स्ट टाइम् आयी हो मेरे घर पर.

काव्या भी खाने की मन मोहक सुगंध के सामने ना नहीं बोल पाती और खाना टेस्ट कर लेती.

काव्या - सुमन मुझको तो यकीन ही नहीं हो रहा कि ऐसा खाना मुझको गाँव में खाने मिल रहा है ये तो एक दम मैंने फाइव स्टार रेस्टोरेंट में खाया था वैसा है एक दम.

काव्या फिर काफी तारीफ करती है खाने की और राज पूछती है इस स्वाद और जायके का.

सुमन - ऐसा कुछ नहीं है काव्या बस नॉर्मल फूड ही तो है. अगर तुम पूछ ही रही हो तो बता देती हूं मैंने मास्टर्स शेफ का कोर्स कर रखा है. अपनी बी. साइंस की स्टडी के साथ साथ. मेरे पापा के से. शादी से पहले. मैं शादी से पहले शहर में रहती थी. इसलिये बस.

काव्या - क्या बात कर रही हो ये तो वहीं कोर्स है जो सभी बड़ी होटल के खाना पकाने वाले करते है. और तुम इतनी पढ़ी लिखी हो. मुझको तुमारी बातों से लगा ही था.

फिर काव्या और सुमन ऐसे ही बात करती रहती है कभी अपने अपने पति की तो कभी अपनी स्टूडेंट लाइफ की. कभी अपनी सासु की और दोनों काफी अच्छी सहेलियाँ बन जाती हैं. काव्या को तो मानो आज काफी अच्छा लग रहा था. उसको अपना कोई दोस्त मिल गया हो ऐसा लग रहा था. काव्या को तो सुमन को छोड़ कर जाने का मन ही नहीं हो रहा था पर वो दादी के दिये समय से पहले घर पहुंचाना चाहती थी.


फिर दोनों बात करती करती घर के गेट के पास आ जाती है.

काव्या - यार सुमन देख ना ये नजमा आयी भी नहीं पता नहीं कहाँ चली गयी. कितनी लापरवाह लेडि है. और मुझको पूरा गाँव घुमाने कि बात कर रही थी. अब पता नहीं उसका कब तक मुझको उसका इन्तेज़ार करना पड़ेगा.

सुमन - नाम मत ले उसका तू भी बार बार. और वेसे काव्या मै तुझको उससे कहीं ज्यादा अच्छी तरह से गाँव घुमा दूंगी. तू बोलेगी तब. और तुझको उसका इन्तेज़ार करने की कोई जरूरत नहीं है उस पागल गंदी वैश्या की.

काव्या - क्या..........वैश्या.....? क्या मतलब...

सुमन - मेरा मतलब कामवाली की.

काव्या - नहीं नहीं सुमन तू मुझको पूरी बात बता. मुझको जानना है कि नजमा से तू इतना क्यों चिढ़ती है तू क्या मेरी दादी भी बहुत चिढ़ती है. मुझको अभी बता. और वैश्या का क्या मतलब है.....?

सुमन - देख काव्या अभी यह सही जगह नहीं है इन सब बातों के लिये. मेरी सासु माँ ने सुना तो काफी डाटेंगी मुझको. और वेसे भी हम दोनों कल मिलेगी तो बात करेगे ना. गाँव घूमते घूमते. तू टेंशन मत ले. बस तू नजमा से थोड़ा दूर रहना. उसकी बातों में मत आना. और उसके साथ कहीं भी नहीं जाना.

काव्या - यार पर मुझको जानना था. कोई नहीं कल पक्का है ना....?

सुमन - हाँ यार

काव्या - लेकिन अब मैं घर कैसे जाऊँ.

सुमन - इतनी सी बात रुक मैं अपनी स्कूटी से तुझको छोड आती हु. पर मुझको अपनी सासु माँ से पूछना पड़ेगा क्योंकि मुझको भी घर से ज्यादा बाहर जाने की परमिशन नहीं है रुक में पूछ कर और स्कूटी की चाभी लेकर आती हू.

काव्या - अरे कहा परेशान हो रही हो मैं चली जाऊँगी.

सुमन - पागल है क्या गाँव का माहौल तुझको पता नहीं है रुक इधर में आती हू...

तभी घर के गेट के पास एक रिक्शा आ कर रुकता है जिसे देख कर काव्या के पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाती है.

आप लोगों ने अनुमान तो लगा ही दिया होगा ये रिक्शा किसका है........?


हाँ यह रिक्शा में और कोई नहीं सत्तू और सुलेमान थे. सत्तू जैसे ही रिक्शा को रोकता है घर के पास वेसे ही सुलेमान रिक्शा में से अपना मुह बाहर निकाल कर बोलता है नमस्ते मैडम पहचाना हमको. हम वहीं जो आपको गाँव लेकर आये थे अपनी रिक्शा में इस सत्तू और हमारी बेगम सलमा के साथ. पहचाना के नाही...

काव्या को मानो एक झटके में कल के दिन की पूरी घटना आँखों के सामने से निकल जाती है.

काव्या - हाँ हाँ आपको पहचान लिया.

काव्या सुमन के सामने अब खुद को काफी बेबस मेहसूस कर रही थी. उसको लग रहा था कि ये सुलेमान सुमन के सामने पता नहीं और क्या क्या बोल देगा. कहीं सुमन कुछ गलत नहीं समझ लें.

सुलेमान - मैडम कहीं जाना है क्या आपको. हम छोड देते है.

तभी सुमन काव्या के पास आती है

सुमन - नहीं नहीं मै काव्या को हवेली छोड दूँगी तुम जाओ.

काव्या और सुमन को एक साथ खड़ी देख कर तो सुलेमान और सत्तू का लंड ही खड़ा हो जाता है उनके पैंट और पाजामे में. सुलेमान का तो मन कर रहा था कि यही अभी के अभी सुमन और काव्या को नंगा करके उनकी साड़ी उतार कर चोदना शुरू कर दें. यही दोनों का बाजा बजा दे. दोनों को चलने लायक भी स्थिति में नहीं छोड़े. पर वो ऐसा कर नहीं सकता था. उसकी इतनी हिम्मत और औकात नहीं थी. सोचता हर कोई करने की हिम्मत और ताकत किसी में नहीं होती.

सत्तू - क्यों मैडम आपको हम पर भरोसा नहीं है क्या. कल के दिन तो आपको इतना दूर से लाकर छोड़ा था आपको हवेली आज क्या हुआ. हमारा काम है रिक्शा चला कर छोड़ना.

अब काव्या भी काफी घबरा गयी थी उसको डर था कि कहीं ये दोनों कल की पूरी घटना को बोलने नहीं बैठ जाये. काव्या सुमन की दोस्ती को बिलकुल नहीं खोना चाहती थी. अब काव्या ने सुमन की और देखा और बोला

काव्या - सुमन तुम इतनी टेंशन मत लो मैं चली जाऊँगी. हवेली यही तो है पास में. वेसे तुम इतना कहा परेशान होगी.

सुमन को तो बिलकुल भी यकीन नहीं हो रहा था कि काव्या क्या बोल रही है और वो इनके साथ जायेगी. पर अब सुमन की भी यह मुसीबत थी कि कोई देख ना ले इन दोनों को यहा उसके और काव्या के साथ. क्योंकि उसके ससुर के आने का समय भी हो गया है पर

सुमन - पर क्यों काव्या.....?

पर क्यों काव्या यह शब्द ही बता रहे थे कि सुमन की बिलकुल भी इच्छा नहीं थी कि काव्या इनके साथ जाये. पर अब काव्या भी सुमन को फटा फट बाय बोल कर रिक्शा में बैठ जाती हैं और सत्तू भी फट से रिक्शा शुरू करके वहां से निकल जाता है.

इधर सुमन अपने मन में घर के अंदर जाते जाते सोचती है कि कल मुझको काव्या को बहुत कुछ बताना पड़ेगा गाँव के बारे में, नजमा और ये दो कलूटे रिक्शा वालो के बारे में. काव्या के लिये यह सब जानना काफी आवश्यक है......
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#72
Bahut Sahi Update. Bhai Next Update please sex wala
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#73
Mujko ro suman ka character kuch jyada he interesting lag raha hai.
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#74
Nest update jaldi do
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#75
आप स्टोरी जुड़े रहिये. मैं यह स्टोरी को पूरा करके ही समाप्त करूगा. धन्यवाद.
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#76
(26-01-2021, 08:53 PM)THANOS RAJA Wrote: आप स्टोरी जुड़े रहिये. मैं यह स्टोरी को पूरा करके ही समाप्त करूगा. धन्यवाद.

आप का बहुत बहुत धन्यबाद
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#77
अब रिक्शा हवेली की और बढ़ रहा था. काव्या सुलेमान से काफी दूरी बना कर बैठी थी. इधर सुलेमान भी जानता था कि दस मिनट में हवेली आ जायेगी. इसलिये उसने अपना खेल खेलना शुरू कर दिया. अब वह पहले की तरह काव्या से चिपकने की कोशिश नहीं कर रहा था. सुलेमान रिक्शा के एक कोने में चुपचाप बैठा हुआ काव्या को देख कर रोने की कोशिश करता है और अजीब से मुह बनाता है. काव्या अब समझ गयी थी कि सुलेमान कुछ कहना चाहता है पर बोल नहीं पा रहा...

काव्या - सुलेमान जी क्या आपकी हेल्थ कुछ अच्छी नहीं लग रही. आपको कुछ हुआ है क्या आपकी पत्नी ठीक तो है क्या नाम है अपनी वाइफ का यानी पत्नी का.

सुलेमान - ( मगरमच्छ के आसु निकालते हुए ) सलमा नाम है मैडम ! का बताये आपको कल वो अपने मायके जा रही है शायद हमेशा के लिये.

काव्या - क्यों ऐसा क्या हुआ.......?

सुलेमान - मैडम उसको लगता है कि मैं उसकी बीमारी का इलाज नहीं करवा सकता. क्योंकि मैं गरीब हू हमको कोण देखेगा कोण डॉक्टर इलाज करेगा.

काव्या - अरे इतनी सी बात आप को मैंने बोला तो था कि मैं अपनी पत्नी का इलाज कर दूंगी तो फिर इतना बड़ा फैसला क्यों ले रही है सलमा. देख लीजिये आप मैं तो तैयार हु.

सुलेमान - क्या मैडम जी सही मै. मुझको तो यकीन नहीं हो रहा आप करेगी ईलाज वो भी मुफ्त में.

काव्या - हाँ आपको यह बात मैंने कल भी बोली थी और आज भी बोल रही हूँ.

तभी सुलेमान सत्तू को बोलता है अबे ओये सत्तू सुना नहीं क्या तूने मैडम ने क्या बोला वो मेरी बेगम का इलाज करने को तैयार है तू चल ऑटो अपनी झोपड़ी की तरफ गुमा ले. चल जल्दी कर

यह सुनते ही काव्या को तो जैसे कोई शौक लग गया हो.

काव्या - नहीं नहीं सुलेमान जी मेरे कहने का मतलब यह नहीं था कि मैं अभी के अभी ही आपकी पत्नी का इलाज करुँगी. अभी तो मुझको घर पहुंचना है जल्दी से जल्दी.

सुलेमान - मैडम नहीं आपको अभी ही चलना होगा मेरे साथ वरना कल तक तो मेरी बेगम जोरु निकल जायेगी.

काव्या - सुलेमान जी आप समझ क्यों नहीं रहे है कि मुझको अभी हवेली पहुंचना पड़ेगा. मेरी दादी ने मुझको एक निश्चित समय दिया हुआ है उस पर अगर मैं नहीं पहुंची तो समस्या खड़ी हो सकती है. दादी रणधीर अंकल को बोल सकती है.

रणधीर का नाम सुनते ही सुलेमान और सत्तू का मुह उतर जाता है. सुलेमान की तो सारी गर्मी ही निकल जाती है.

अब सुलेमान थोड़ा ज्यादा रोने का नाटक करता हुआ काव्या के थोड़ा पास जाकर उसका एक हाथ पकड़ लेता है. यह देख काव्या को बहुत अजीब लगता है पर वो एक डॉक्टर भी थी इसलिये उसने इसका विरोध नहीं किया.

सुलेमान - मैडम अगर आज आप नहीं आयेगी तो कल सुबह तक तो मेरी जोरु उसके मायके हमेशा के लिये चली जायेगी.

अब सुलेमान काव्या के बिना आस्तीन वाले ब्लाउज पर अपने काले हाथ को फेरता हुआ एक अलग सी आवाज में बोला आप समझ रही है मैं क्या बोल रहा हू.

अब तो जैसे काव्या के शरीर के सारे रोंगटे खड़े हो जाते है सुलेमान के ऐसा करते हुए. काव्या के पूरे शरीर में आग सी दोड़ जाती है यह आग क्या थी वो उसको नहीं मालूम पर अब काव्या खुद को शांत करती है और सुलेमान को अपने पास से थोड़ा अलग करती है और एक दम कोने में चली जाती है.

काव्या - देखो सुलेमान जी आप एक काम करो अपनी पत्नी को आप शाम को हवेली ले आओ. मैं वहां उसका ईलाज कर लुंगी.

सुलेमान - नहीं मैडम जी हमरा और गाँव के किसी भी आदमी का हवेली में आना मना है. और मेरी बेगम इतनी समस्या में कहीं बाहर जा भी नहीं सकती. आप ही को घर आना पड़ेगा.

काव्या अब सुलेमान की चिकनी छुपाती बातों को कुछ कुछ समझ रही थी पहले सलमा का उसके मायके जाना कल के कल. और आज कहीं घर से बाहर निकलने जैसी स्थिति भी नहीं होना. अब काव्या को लगता है जरूर कुछ ना कुछ गडबड है. सुलेमान जी कुछ छुपा रहे है शायद. पर काव्या एक डॉक्टर है उसको हमेशा खुद से ज्यादा अपने पेशेंट यानी मरीजों की चिन्ता रहती है इसलिये अब काव्या किसी भी बात का विरोध नहीं कर रही थी.

काव्या - सुलेमान जी अब आप ही देख लीजिये मैं क्या कर सकती हूं आपके लिये. आप ही कोई तरीका बता दीजिये.

अब सुलेमान तो जैसे किसी पागल की तरह खुश हो जाता है उसको लगता है कि उसने काव्या को अपनी बातों में रख लिया. अब सुलेमान काव्या के सामने एक प्रस्ताव रखता है पर इस बार वह पहले से भी ज्यादा काव्या के पास जाकर उसके गोरे और कोमल हाथो को कस के पकड़ कर बोलता है

सुलेमान - मैडम मेरे पास एक तरीका है मेरी समस्या का अगर आप बुरा नहीं माने और ना नहीं बोले तो आपको बताउ...?

काव्या को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि सुलेमान बार बार उसका हाथ क्यों पकड़ रहा. इस बार तो कुछ ज्यादा ही जोर से पकड़ कर रखा था. इसलिए काव्या ने जल्दी से बोला हा बताओ में बुरा नहीं मानूगी. आप बोलो.

अब सुलेमान गंदी हसी निकालते हुए बोलता है

सुलेमान - मैडम एक तरीका है आप क्यों ना आज रात को मेरी खोली में आ जाओ मेरी बेगम को देखने और इलाज करने के वास्ते.....

सुलेमान के पजामे में टेंट बनता देख और उसकी रात में आने वाली बात सुनते अब काव्या की गर्मी और बढ़ जाती है उसको अब अपनी चुत मैं कुछ पानी जैसा महसूस हो रहा था. और साथ ही सुलेमान के काले हाथो को अपने गोरे कलाई और भुजा पर घूमते देख कर तो हालत अब बिगड़ रही थी. उसको आज तक किसी पराये या दूसरे मर्द ने ऐसे नहीं सहलाया था. पर अब काव्या खुद को होश में लाती है ईन सब वाक्यों के बीच कहीं ना कहीं अब काव्या को भी हल्का हल्का मजा आ रहा था. पर साथ ही काव्या को गिल्टी भी फिल् हो रहा था.

पर अब काव्या यह सब छोड़ सुलेमान की बात का जवाब देती है

काव्या - क्या सुलेमान जी आप क्या बोल रहे हो यह असंभव है मैं रात को नहीं आ सकती. दादी जी नहीं मानेगी और वेसे भी मुझको रात को हवेली छोड़ने की इजाजत नहीं मिलेगी. मुझको रात को नहीं आना.

सुलेमान - मैडम जी सिर्फ मेरी बेगम के वास्ते आधे घण्टे के लिये आप आ जाओ. ये सत्तू आपको लेने आ जायेगा और छोड़ भी देगा.

काव्या - सुलेमान जी आप समझ नहीं रहे है मुझको रात को कहीं भी जाने की इजाजत नहीं मिलेगी दादी से. मैं नहीं आ सकती. प्लीज समझिये.

सुलेमान - फिर तो एक ही तरीका है कि मै सलमा को हमेशा के लिये जाने दु. और मेरा घर परिवार उजड़ जाये. आप को तो काफी खुशी मिलेगी यह देख कर. मुझको सब पता है आप अमीर घर की हो कहा मेरे जैसे गरीब की झोपड़ी मैं आएगी. वो भी एक गैर धर्मी के यहा.

काव्या - देखो सुलेमान जी आप जो बोल रहे है वैसी कोई बात नहीं है मैं आपकी सिर्फ मदद ही करना चाहती हूं. पर मैं मजबूर हू आपको समझना पड़ेगा.

सुलेमान अब थोड़ा गुस्से में आता है अपना खेल बिगाड़ते देख कर. और थोड़ी तेज आवाज में बोलता है क्या मजबूरी है आपकी आप आधा घंटा नहीं निकाल सकती मेरे लिये..... मैं पराया हू क्या......?

सुलेमान - आप एक काम करो अगर आप सही में मेरी मदद करना चाहती हो तो आप रात को 9 बजे जब सब सो जाएंगे तब आप आपकी हवेली के पीछे वाले गेट से बाहर आ जाना किसी को भी बिना बताये. मैं सत्तू के साथ रिक्शा ले कर खड़ा रहूँगा. आप जल्दी से मेरी बेगम को देख लेना इलाज कर देना और मैं आपको वापस छोड़ दूँगा हवेली में. किसी को भी नहीं पता चलेगा और आपकी दादी भी कुछ नहीं बोलेगी.

काव्या को अब बहुत कुछ समझ में आ रहा था कि सुलेमान आज ही इतना जोर क्यों दे रहा है. पर हो सकता है सुलेमान जी सच भी बोल रहे हो. और यह तरीका भी सही है किसी को पता भी नहीं चलेगा और मुझको सुलेमान जी से छुटकारा भी मिल जायेगा. साथ ही सलमा का इलाज भी हो जायेगा.

अब काव्या काफी कुछ सोच कर और एक डर के साथ सुलेमान को हाँ बोल देती है पर एक शर्त के साथ की सुलेमान इसके बारे में किसी को नहीं बतायेगा. सुलेमान भी हाँ बोल देता है. फिर हवेली आ जाती है और काव्या तुरंत ही रिक्शा से उतर कर सत्तू को कुछ रुपये दे कर हवेली में चली जाती है.

अब सुलेमान और सत्तू काव्या को हवेली जाने देख पीछे से देखते है और काव्या की गांड को देख कर सत्तू अपने लण्ड में हाथ डालकर हिलाने लगता है और बोलता है वाह सुलेमान भाईजान मान गए आपको क्या फंसाया है आपने इस डॉक्टरीया को.

सुलेमान - देख मादरचोद मेरी किस्मत कैसे चमकने वाला है तू देखता जा बस. पहले तू यहा से निकल कोई देख लेगा तो सब गडबड हो जायेगा.

और दोनों कलूटै वहां से निकल जाते है.
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#78
अगला अपडेट आज शाम को आयेगा.
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#79
Fantastic update
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#80
अब काव्या सीधे हवेली के अन्दर जाती है. दादी को मैं आ गयी बोल कर सीधा अपने कमरे में जाती है और कमरा अन्दर से बन्द कर देती है काव्या का दिल काफी तेजी से धधक रहा था. उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या करे वो. बहुत सारे सवालों के जवाब को खोजने का प्रयास कर रही थी. आज रिक्शा का सारा सफर उसको बहुत भारी सा लग रहा था. पर उसको सुमन से मिलने की खुशी भी हो रही थी. इन्हीं सभी सोच के बीच काव्या को काफी दुःख भी होता है कि कैसे वो सुलेमान को देख कर बहक गयी थी. सुलेमान की गंदी हरकतों से उसको भी मजा आ रहा था. वो कबसे ऐसी होने लगी. उसकी चुत आज इतनी गरम कैसे हो गयी. अब काव्या को थोड़ी थकान भी महसूस हो रही थी. काव्या अपने कपड़े बदल कर एक टी शर्ट और केपरी पहन कर जैसे ही बेड पर जाती है थोड़ी देर आराम करने वेसे ही उसके रूम के दरवाजे पर कोई खट खट करता है. काव्या तुरन्त खड़ी होकर गेट खोलती है. उसके सामने नजमा और रफीक दोनों खड़े थे. नजमा के चेहरे पर हल्का गुस्सा दिख रहा था और रफीक तो काव्या को बस एक टूक देख रहा था.

नजमा - मैडम मैं अन्दर आ सकती है क्या...?

नजमा की बोली थोड़ी कठोर लग रही थी.

काव्या - हाँ नजमा ताई आओ अन्दर.

नजमा और रफीक दोनों अन्दर आते है. रफीक की तो आंखे ही फटी की फटी रह जाती है काव्या को देख कर. रफीक ने अपनी पूरी जिन्दगी में कभी किसी लड़की या औरत को टी शर्ट में और इतने छोटे कपड़ों में नहीं देखा था. और इधर नजमा का भी यही हाल था उसने भी कभी किसी औरत या लड़की को इतने छोटे कपड़ों में नहीं देखा था. टी शर्ट के अन्दर काव्या के निप्पल के बीच का क्लीवेज साफ़ दिख रहा था.

नजमा - मैडम आप तो कमाल ही करती हो मैंने बोला था मैं दस मिनट में आ रही हूँ फिर भी आप कहीं चली गयी.

काव्या - क्या बोल रही हो नजमा मैं वहीं तो थी तुमने शायद ध्यान से नहीं देखा होगा.

नजमा - कहा थी आप मैं आयी थी वापस पर आप नहीं दिखी.

काव्या - मैं वहीं तो थी सुमन के घर पर.

सुमन का नाम सुनते ही जैसे नजमा को थोड़ा गुस्सा सा आ जाता है अब नजमा को लगता है ये सुमन साली शहर की कुतिया ने मेरे बारे कहीं सब तो नहीं बता दिया. ये सुमन मुझको लगता है कहीं का नहीं छोड़ेगी. अब नजमा ज्यादा काव्या को बोल भी नहीं सकती थी क्योंकि वो है तो एक नौकरानी ही. और नजमा काव्या से शाम के खाने के बारे में पूछती है और दूसरी फालतू बातें करती है जिसमें काव्या कोई इंटरेस्ट भी नहीं आ रहा था पर इधर काव्या नजमा से बात करते करते रफीक को देखती है. रफीक की निगाहें अभी तक काव्या के क्लीवेज को देखने में ही लगी हुई थी. रफीक को क्या बात चल रही है इसका कुछ ध्यान नहीं था पर अब रफीक के यू देखते हुए काव्या कभी काफी मजा आ रहा था. अब काव्या थोड़ा टी शर्ट को हल्का सा नीचे करते हुए अपना निप्पल के क्लीवेज को और थोड़ा अच्छे से दिखाती है रफीक को. यह शायद सुलेमान के द्वारा करी हुई इन्हीं हरकतों का नतीज़ा था कि काव्या इतनी बोल्ड और गरम हो रही थी. रफीक तो अभी तक अपनी आँखों से काव्या को कहीं बार नंगा कर चुका था पर वो ऐसा कुछ असलियत मैं नहीं कर सकता था. अब काव्या अपने दोनों हाथो को अपने निप्पल पर रख देती है जिससे रफीक को अब होश आता है. रफीक फिर काव्या को देखता है और काव्या भी रफीक की आँखों में आंखे डाल कर एक स्टाइल में आँख मार देती है और उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है. इधर तो रफीक को यकीन ही नहीं हो रहा था कि अभी उसने क्या देख लिया. काव्या ने उसको भाव दिया. अब तो मानो रफीक अपने सपनों में काव्या को अपनी बेगम बना चुका था. फिर काव्या काव्या नजमा को बोलती है ठीक है नजमा ताई तुम जाओ. हम बाकी बात शाम को करते है. मुझको अभी आराम करना है. और नजमा रफीक को लेकर जाने लगती है पर रफीक को तो काव्या के कमरे से जाना ही नहीं था. पर उसको जाना पड़ा.

अब काव्या बिना कुछ सोचे सो जाती है और एक अच्छी नीन्द लेकर सीधा शाम को उठती है. उठते ही काव्या को आराम करने से पहले उसने क्या गलती करी इसका एहसास होता है उसने रफीक के साथ ये क्या किया. सुलेमान जी यह आपने क्या करवा दिया. अगर रफीक ने कही कुछ बोल दिया तो....? कहीं उसने कुछ गलत समझ लिया तो....? क्या सोचेगा मेरे बारे में. मैं एक शादी शुदा औरत हु. एक अच्छे घर की बहू हु. नहीं नहीं रफीक के साथ बात करके यह मज़ाक को क्लीन करना पड़ेगा.

अब काव्या एक बाथ लेती है और फ्रेश होकर बाहर आती है वह अपने दिमाग को शान्त रखती है. और अब नीचे दादी के साथ डिनर के लिये बैठती है. काव्या को हर बार की तरह इस बार भी नजमा के हाथ का खाना बिलकुल अच्छा नहीं लगा. पर उसने बिना कुछ बोले खाने लगी और सोचने लगी कहा सुबह का सुमन के हाथ का बना खाना था और कहा ये नजमा के हाथ बेस्वाद और बकवास खाना. फिर काव्या दादी को नजमा के सामने सुमन के बारे में सब बताती है.

दादी - अच्छा तुम्हारी दोस्ती सुमन से हुई है वो पंडित जी की बहू.

काव्या - हाँ दादी वहीं.

दादी - हाँ बेटा वो बहुत अच्छी लड़की है. उसका गाँव में काफी नाम है गाँव की महिलाओं के बीच. सुमन भी तुम्हारी तरह ही शहर की ही है.

एक कोने में नजमा खड़ी हो कर यह सब सुन रही थी उसको सुमन की तारीफ बिलकुल अच्छी नहीं लग रही थी. अब काव्या नजमा को सुनाने के लिये दादी से बोलती है

काव्या - हाँ दादी आपको पता है सुमन खाना काफी टेस्टी बनती है उसके हाथ का खाना किसी भी फाइव स्टार होटल के खाने से कम नहीं है.

दादी - हाँ बेटी सही कहा, मैंने तो टेस्टी और स्वादिष्ट खाना खाये सालो हो गये है.

दादी यह सब नजमा की और देखते हुए बोलती है नजमा समझ जाती है ये सारा तंज उसी पर कसा जा रहा है. पर नजमा कुछ बोल नहीं पाती. ऐसी ही कुछ बातों के साथ काव्या का डिनर खत्म हो जाता है और वो दादी को इंग्लिश में शुभ रात्री बोल कर अपने कमरे में चली जाती है. काव्या का यू जल्दी से कमरे में जाना नजमा को थोड़ा अजीब लगता है पर वो अब रसोई की साफ़ सफाई में लग जाती है.

अब जैसे जैसे समय जा रहा था वेसे वेसे काव्या की भी सांसे तेज हो रही थी वो उसको पता नहीं चल रहा था कि अब आगे क्या करना चाहिये. उसको सलमा के इलाज के लिये इस समय जाना चाहिये या नहीं. काव्या का मन तो बिलकुल नहीं हो रहा था जाने का सुलेमान की बातों से... पर वो एक डॉक्टर भी थी उसको किसी भी हालत में किसी भी मरीज का खयाल रखना था अगर वो बीमार है तो.

इन्हीं सब विचारो के साथ काव्या निर्णय लेती है कि वह जायेगी और आधे घण्टे में वापस किसी भी हालत में आ जायेगी. पर अब समस्या यह थी कि वो कपड़े क्या पहने साड़ी पहन ले या सलवार सूट. पर काव्या के अन्दर कहीं ना कहीं कुछ आग तो थी. उसको भी आज सुलेमान की हरकतों से मजा आ रहा था. इसलिये काव्या भी एक सेक्सी सी काले और सफेद रंग की साड़ी पहन लेती है और साथ में बिना आस्तीन का ब्लाउज जिसमें काव्या के गोरे हाथ और सेक्सी आकृति वालीं कमर काफी अच्छे से दिख रही थी. पर काव्या ने खुद को तैयार करने के बाद एक जैकेट पहन लिया काले कलर का. जिसमें उसने अन्दर क्या पहन रखा किसी को नहीं दिखे. काव्या अब तैयार हो चुकी थी एक साहस और अन्दर एक डर के साथ.

अब घड़ी में 9 बज चुके थे यह गाँव का वह समय था जब पूरा गाँव सो गया था हवेली में भी सब सो गये थे. गाँव में लोग जल्दी सो जाते है. काव्या अब दबे पाँव हवेली के पीछे वाले गेट से बाहर निकलती है और जैसा कि उसने सोचा था वैसा ही हुआ उसके सामने हवेली से थोड़ा दूर सत्तू अपना रिक्शा ले कर खड़ा था. वो काव्या का इन्तेज़ार ही कर रहा था. काव्या को आता देख तो जैसे सत्तू के मुह से पानी ही आ गया. पर वो कुछ कर नहीं सकता था.

अब काव्या आकर सीधा रिक्शा में बैठ जाती है और सत्तू रिक्शा शुरू कर सुलेमान की झोपड़ी की तरफ ले लेता है. जैसे ही रिक्शा चलता है वेसे ही काव्या सत्तू से पूछती है

काव्या - सत्तू जी ये सुलेमान जी नहीं आये क्या उन्होंने तो बोला था कि वो आयेंगे क्या हुआ.....?

सत्तू - मैडम जी वो सुलेमान मिया और सलमा के बीच काफी बड़ा झगड़ा हो रहा है इसलिये सुलेमान भाई आ नहीं पाये.

काव्या को ये सुनते काफी अजीब लगता है कि सलमा और सुलेमान के बीच झगड़ा हो रहा है. पर मुझको जहां तक लगता है कि सलमा की इतनी औकात नहीं है और ना ही इतनी हिम्मत है कि को वो सुलेमान जैसे आदमी से लड़ या झगड़ा कर पाये........? वो कुछ बोल तो पाती है नहीं सुलेमान के सामने......? क्या पता अब वहा जाकर ही पता चलेगा......?
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