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मकान मालकिन के जिस्म की प्यास
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नमस्कार दोस्तो,
मेरी मकान मालकिन मुझसे बड़ा हंस हंस कर बातें किया करती थी ।
मकान मालिक तो किसी ऑफिस में जॉब करते थे। सुबह ही ऑफिस टाइम पर निकल लेते थे। उनकी एक बेटी थी वो भी कॉलेज चली जाती थी तो मेरा रास्ता साफ था।
दिखने में वो भी मस्त माल थी. पर मकान मालकिन है सोच कर अब तक नजर खराब नहीं की थी. पर अब तो लण्ड को नई चूत में जाना था इसलिए मैंने भी अब मकान मालकिन के पास जाना शुरू कर दिया।
वो भी मुझ से खूब बातें किया करती थी। मकान मालिक तो अपने ऑफिस गया तो दिन में उन्हें पटाने के चान्स बहुत थे।
मैंने एक दिन कहा- भाभी जी, कभी मेरे रूम में भी आकर चाय पी लिया करो ताकि हिसाब बराबर रह सके. वरना आप बोलोगी कि आप ही चाय पिलाती रहती हो मुझे!
“अरे ऐसे कोई बात नहीं है. तुम्हारे आने से मेरा तो अच्छा टाइम कट जाता है, आते रहा करो। तुम्हें कहाँ चाय बनाना आता होगा।”
“भाभी, बिना पिये ही बोल दिया? चलो आज ऊपर ही चलो, फिर बताता हूँ कि मुझे क्या क्या बनाना आता है। शायद आपको मालूम ही नहीं कि मैं अपने लिए खाना घर पर ही बनाता हूँ।”
“अच्छा ये बात है? तो चलो मैं आती हूं. तब तक तुम चाय बनाओ।”
उस दिन मैंने उन्हें चाय के साथ पकोड़े भी बना कर खिलाएं।
फिर तो ये सफर चल ही निकला। कभी वो कभी मैं एक दूसरे को कुछ न कुछ बना कर खिलाते ही रहते।
अब हम दोनों काफी खुल गए थे तब तक अब ठंड का मौसम आ गया था।
ऊपर वाली भाभी से मेरी चुदाई तो चालू ही थी, अब मकान मालकिन से भी मैं खुल कर मजाक कर लेता था। कभी कभी मैं बहाने से उनके इधर उधर हाथ मार भी देता था तो वो बुरा नहीं मानती थी। उन्होंने कभी आंखें दिखाई तो मुस्कुरा कर बोल देता गलती से हाथ लग गया।
उनकी लाइफ सही चल रही थी और मेरी भी!
उन्होंने एक दिन बातों बातों में बता दिया कि भाई साहब भी चोदने में ठीक ठाक हैं. हफ्ते में तीन दिन तो वो लोग चुदाई करते ही थे।
मेरे बारे में पूछने पर मैंने बता दिया- पहले गर्लफ्रैंड थी, जिसके साथ मजे करता था अब कोई नहीं है।
अब हम जब बहुत खुल ही चुके थे तो मुझे आगे की कार्यवाही शुरू करनी थी ताकि वो मेरे भी लण्ड के नीचे आ सके।
एक दिन बाहर बड़ी ठंडी हवा चल रही थी, मैं कम्बल में घुस कर टीवी देख रहा था. वो नीचे से ही चाय व चिप्स लेकर ऊपर आ गयी और बोली- आ जाओ राज, साथ में चाय पीते हैं।
“भाभी मैं कम्बल से बाहर नहीं आने वाला। टेबल यहीं खिसका लो और आप भी कम्बल के अंदर आ जाओ. इसी में घुस कर टीवी भी देखेंगे और चाय भी पियेंगे।”
वो मेरे से तो खुल ही गयी थी तो उसे आने में कोई दिक्कत नहीं थी।
“भाभी आने से पहले कमरे का दरवाजा बंद कर दो; बड़ी ठंडी हवा चल रही है. बाहर व दरवाजा बार बार आवाज कर रहा है, टीवी देखने में भी मजा नहीं आ रहा है।”
दरवाजा बंद कर भाभी मेरे पास ही आकर बैठ गयी और हम दोनों चाय पीने लगे.
टीवी में क्राइम पेट्रोल चल रहा था उसमें दिखा रहे थे कि कैसे मकान मालकिन के किराएदार से संबंध बन गए. मैं तो गर्म हो गया था शायद भाभी भी गर्म हो गयी थी सीन देख कर।
मैंने भाभी का हाथ पकड़ लिया और सहलाने लगा। उन्हें भी शायद अच्छा लगा उन्होंने कुछ नहीं कहा।
थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ उनकी जांघ पर रख दिया और इंतजार करने लगा कि वो क्या करती हैं।
पर टीवी पर चल रहे गर्म सीन को देखकर उन्होंने कुछ नहीं कहा तो मैं उनकी जांघ को सहलाने लगा।
जब मैं हाथ जरा अंदर ले गया और उनकी चूत तक पहुँचा तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया- राज, बस हो गया. कहाँ तक हाथ ले जा रहे हो? मैंने तुम्हें रोका नहीं तो तुम तो नो एंट्री में भी हाथ पहुँचाने लगे।
मैंने मुस्कुराते हुए कहा- भाभी नो एंट्री है तो जुर्माना ले लो। मैं देने को तैयार हूं।
“कहाँ है तुम्हारा जुर्माना? देखूँ तो सही कि नो एंट्री में जाने का क्या जुर्माना दे रहे हो?”
मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया।
उन्होंने पहले तो हाथ हटाना चाहा पर मैंने उसी के ऊपर उनका हाथ दबा दिया- ये है भाभी वहाँ तक जाने का जुर्माना। पसन्द आया तो जाने भी दो अब प्लीज।
गर्म तो वो थी ही … खड़े लण्ड पर हाथ जाते ही उनकी आँखों में चमक आ गयी।
“जुर्माना तो बहुत बढ़िया है। तो ठीक है चलो बढ़ा दो गाड़ी को आगे तक।” यह कहकर उन्होंने मेरा लण्ड सहला दिया।
परमिशन मिलते ही मैंने हाथ को उनकी चूत के ऊपर ले जाकर सहलाना शुरू किया चूत तो पानी छोड़ने लगी थी।
“भाभी जी, सड़क गीली हो चुकी है. आप बोलो तो अपनी गाड़ी उतार दूँ इस गीली सड़क पर। बहुत आराम से बहुत दूर तक हम दोनों सैर करके वापस आ जाएंगे।”
“जो करना है अब कर लो राजा. मैं तो कब से ऐसा चाहती थी पर अब जाकर तुम इतना खुल पाए।”
“भाभी क्या तुम भी मुझसे चुदने आयी थी? ये तो कभी मैंने सोचा ही नहीं था।”
“क्या तुम ही चोदने की सोच सकते हो। तुम्हारे जैसे चिकने को देखकर भी तो किसी की चूत गीली हो सकती है। मैंने तो कमरा ही तुम्हे इसलिये दिया था ताकि मैं तुमसे चुदवा सकूं।”
लो यहाँ तो साला मामला पहले से ही फिट हो गया था। खाली मैं ही लेट हुआ था तो मैंने भी अब देर करना सही नहीं समझा।
मैंने भाभी से कहा- भाभी जब मजा ही लेना है तो अब देर करने का कोई फायदा नहीं। तो पास आ जाओ, तुम्हें अब जो मैंने नो एंट्री में घुसने का चालान देना ही है क्यों ना अब थोड़ा देर आप की इस सड़क पर अपनी गाड़ी को दौड़ा लिया जाए।
मैंने उन्हें अपने पास खींच लिया और उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. क्या मस्त होंठ थे. धीरे-धीरे चूसने पर वह भी गर्म होने लगी.
मैंने अपना हाथ उनके ब्लाउज के अंदर डाला. वाह क्या मस्त चूचियां थी उनकी! मैं उन्हें धीरे धीरे दबाने लगा और उनके होठों को चूसने लगा.
थोड़ी देर बाद मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में डाल दी वह भी मेरी जीभ को चूसने लगी।
मैंने उनका ब्लाउज उतार डाला भाभी ने ब्रा नहीं पहनी थी। मैं उनके चूचियों को चूसने लगा और एक हाथ से दबाने लगा और दूसरा हाथ से उनकी जांघें सहलाने लगा. भाभी भी सिसकारियां ले रही थी।
वो बोली- जरा जोर से दबा मेरे राजा … दम नहीं है क्या? गाड़ी की स्पीड बढ़ा!
मैंने उनकी चूचियों को जोर जोर से मसलना शुरू किया और बीच-बीच में उनकी चूची को काट भी लेता था। मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट भी उतार दिया। भाभी ने काले रंग की ब्रा पैंटी पहन रखी थी उसमें और भी सुंदर लग रही थी।
भाभी की चूत को मैंने ऊपर से दबाना शुरू कर दिया और वह सिसकारियां लेने लगी तो मैंने उनकी पैंटी भी उतार दी।
वाह मस्त चूत थी भाभी की! मैं उनके दोनों टांगों के बीच में आ गया और जैसे ही मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ लगाई तो वो तो सिसकारने लगी। मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। भाभी की चूत पानी छोड़ने लगी।
थोड़ी देर चूत चूसने के बाद वह मेरा सर अपनी चूत के अंदर दबाने लगी।
अब मेरे लंड का भी बुरा हाल था तो मैंने अपनी पैंट और अंडरवियर निकाल के साइड में रख दी और उनके सामने जाकर खड़ा हो गया।
मैंने भाभी को बोला- भाभी, जरा मेरे हथियार को चूस कर चिकना तो कर दो।
थोड़ी देर के ना नुकुर के बाद उन्होंने लंड को मुंह में ले लिया और गपागप चूसने लगी।
फिर हम 69 की अवस्था में आ गए। वह मेरे लंड को गपागप गपागप चूस रही थी और मैं अपनी जीभ से उनकी चूत की सफाई कर रहा था। वो जल्दी गर्म हो गई और मुझे कस कर पकड़ लिया। थोड़ी देर बाद वो झड़ गई तो मैंने उनका सारा पानी चाट लिया।
वो बोली- राजा, तुमने तो मुझे ऐसे ही झड़वा दिया. चलो अब असली काम भी तो शुरू करो। अब मुझे मत तड़पाओ और चोद डालो मुझे तुम!
मैंने थोड़ी देर उनकी चूत को और सहलाया उनकी चूचियों को थोड़ी देर मसला. मैंने सही मौका देखते हुए उनकी टांगों को चौड़ा किया और चूत पर लंड को सही जगह पर लगाकर अपना पूरा भार उनके ऊपर रख दिया. एक ही झटके में मेरा पूरा का पूरा लंड उनकी चूत की गहराई में घुसा डाला।
उनके मुंह से आह निकल आई। मैं उन्हें चूमता रहा उसकी चूची को चूसता रहा थोड़ी देर बाद वो मैं कमर हिला कर पूरे मजे ले गई।
अब उनकी चूत में मेरा लंड अंदर बाहर अंदर बाहर हो रहा था और वो सिसकारी ले रही थी। वह बोली- तुमने तो आज मेरी फाड़ी डाली। यह बीते साल से ही तुमसे चुदने को मचल रही थी। बजा दे मेरे राजा … अब मेरी चूत का बाजा। कब से इस जवान लंड को अपने चूत के अंदर लेना चाह रही थी मैं। आह और अंदर तक डाल इसे।
“भाभी, तो आज मैं तुम्हें ऐसा चोदूँगा कि तुम बार-बार मेरे से चुदने के लिए आओगी।”
कुछ देर बाद ही भाभी का काम तमाम होने लगा। कुछ जोरदार झटके और पढ़ते ही भाभी बोलने लगी- राजा, मैं तो गई रे।
मेरा लंड भी अब खलास होने वाला था तो मैंने झटके देते हुए पूछा- मैं भी आने वाला हूं बोलो कहाँ निकालूँ ? अन्दर निकालु या बाहर? ????
“राजा, मेरी इस झाँटों से भरी चूत में ही भर दे अपना वीर्य . तभी तो इसकी प्यास बुझेगी।”
मैंने उन्हें कस कर पकड़ लिया और जोर जोर से झटके लगाने लगा. कुछ ही झटकों के बाद मैंने सारा माल भाभी की चूत में भर दिया. वो भी मेरे साथ में ही झर गई।
कुछ देर हम ऐसे ही पड़े रहे और फिर उनसे पूछा- भाभी, मजा आया चुदवाकर?
“हाँ … बहुत ज्यादा मजा आया। तुम्हारे लण्ड में बहुत जान है, तू बहुत अच्छा चोदता है। अब जाकर शांति मिली है इस चूत को।”
“भाभी, भाई साहब तो आपको चोदते ही हैं. फिर मुझ से चुदवाने का कैसे सोच लिया? मन नहीं भरता क्या आपका इतना चुदने के बाद भी?”
“अरे चुदाई से भी किसी का मन भरता है क्या? शादी से पहले मेरे बहुत बॉयफ्रेंड थे. खूब चुदती थी उनसे! पर शादी के बाद तो एक ही लण्ड से गुजारा करना पड़ रहा था। जब तुम रूम मांगने आये तो तुमसे चुदने की उसी दिन सोच के बैठी थी. पर थोड़ा झिझक भी थी तुम मेरे बारे में क्या सोचोगे।”
भाभी आगे बोली- जब तुम्हीं मुझे पटाने की सोचने लगे को मेरा भी काम आसान हो गया और आज तुमसे चुद ही गयी। अब जब भी चूत में ज्यादा खुजली मचेगी तुमसे मिटवाने आ जाऊंगी। मिटाओगे न मेरी इस चूत की खुजली?
“ये भी कोई कहने की बात है भाभी जी? जब मन करे आ जाना मेरे लण्ड की सवारी करने। चलो एक बार फिर से करते हैं।”
एक बार फिर मैंने उनकी आसन बदल बदल कर चुदाई करी फिर से उनकी चूत अपने माल से भर दी।
“भाभी, (अंदर ही गिराया है कोई दिक्कत तो नहीं?)”
“नहीं जितना मर्जी चोदो और जहां मर्जी अपना माल गिराओ. कोई दिक्कत नहीं है. मैंने ऑपरेशन कराया हुआ है। मुझे तो माल पीना भी अच्छा लगता है जब मन करे मुंह में भी माल गिरा सकते हो।”
“भाभी ये हुई न बात … अगली बार आपको मैं अपना माल पिलाऊंगा।”
फिर हमने अपने कपड़े पहने और वो मुझे एक किस देकर अपने रूम में चली गयी।
अब मैं बिस्तर में लेटे लेटे यह सोच रहा था कि मैंने इसे चोदा या इसने मुझ से चुदवा लिया? चाहे जो भी हुआ हो … लण्ड को नई चूत की सवारी तो मिल ही गई।
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झारखंड की मस्त भाभी की चुत चुदाई
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मैं दिल्ली में अस्पताल में डॉक्टर हूँ. अविवाहित हूँ. मेरी दोस्ती फेसबुक पर एक लेडी से हुई. फोन पर बातें होने के बाद विडियो कॉल भी हुई. उसके बाद हमने क्या क्या किया, कैसे किया?
सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार. मेरा नाम डॉक्टर ऋषि है प्यार से मुझे रिशु कहते हैं. मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ. मेरे लिंग की साइज 8 इंच से कुछ ज्यादा है. मैं हॉस्पिटल में जॉब करता हूँ. मैं रोज हॉस्पिटल से घर आ कर सो जाता हूँ.
ये बात आज से 10 दिन पहले की है. एक दिन में हॉस्पिटल में काम कर रहा था, तब मुझे फेसबुक पर रिया नाम से एक रिक्वेस्ट आई. उस टाइम तो मैं बिजी था, तो मैंने उस पर गौर नहीं किया. फिर मैंने हॉस्पिटल से घर आकर उसको मैसेज किया, तो उसने भी मैसेज का जबाव दिया.
हम दोनों बात करने लगे. वो कुछ देर बाद काम है कह कर ऑफलाइन हो गई.
मैं उसकी प्रोफाइल चैक करने लगा. आप सभी को पहले मैं रिया के बारे में बता दूं. रिया की उम्र 39 साल थी, वो एक मस्त भाभी थी. उसके दो बच्चे थे. लेकिन जैसा फोटो में मैंने उसको देखा था उसका फिगर 36-32-38 का था. उस की आंखें बड़ी ही नशीली थीं. वो झारखंड से थी.
मेरी उससे बात होने लगी. कुछ ही दिनों में एक दूसरे से काफी खुल गए थे और काफी देर देर तक चैट करने लगे थे.
हम दोनों की समस्या ये थी कि मैं कभी ऑनलाइन रहता, तो वो नहीं. और जब वो ऑनलाइन रहती, तो मैं नहीं.
एक दिन मैंने रिया को मैसेज किया, तो उसका काफी देर तक कोई जवाब नहीं आया. मैंने उसे फिर से मैसेज किया लेकिन तब भी उसका कोई जवाब नहीं आया.
इस बात को एक हफ्ता हो गया. उसकी तरफ से कोई भी मैसेज नहीं आया. मैं बस फेसबुक खोलता और उसके मैसेज के लिए इनबॉक्स देखकर मन मसोस कर रह जाता.
ऐसे ही 10 दिन बाद उसका मैसेज आया- हैलो.
नोटिफिकेशन की बेल बजी तो मैंने झट से उसे मैसेज किया- हाय.
फिर हमारी बात होने लगी. तब पता चला कि उसके पति सीबीआई में हैं और घर आए हुए थे. इस वजह से वो फेसबुक नहीं चला रही थी.
अब हम दोनों धीरे धीरे एक दूसरे के बारे में जानने लगे. हम दोनों में से किसी ने अभी तक सेक्स की बात नहीं की थी.
एक दिन मैंने उससे पूछा- आप तो बहुत लकी हो.
उसने पूछा- क्यों?
मैंने कहा- आपके इतने अच्छे पति हैं आप इतनी किस्मत वाली हो. वो बढ़िया जॉब भी करते हैं.
मेरी बात सुनकर वो उदास हो गई. उसने एक दुखी वाला इमोजी भेज दिया.
मैंने पूछा- क्या हुआ … आप दुखी क्यों हो गईं.
उसने बोला- क्या ख़ाक लकी हूँ … मेरी तो लाइफ ही बर्बाद हो गई है.
मैंने पूछा- कैसे?
उसने बताया कि उसका पति 3 महीनों में एक बार घर आता है.
मैं उसकी बात से अन्दर ही अन्दर खुश हो गया मगर मैंने उसकी इस बात से दुःख जताया.
फिर वो बोली- ये बातें आप छोड़ो यार.
मैंने एक स्माइल वाला इमोजी भेज दिया.
उसने कहा- और सुनाओ … आपकी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने लिखा- नहीं है.
उसने लिखा- क्यों?
मैं- आप जैसी मिली ही नहीं.
इस पर वो हंसने लगी और बोली- मैं तो बुड्ढी हो गई हूँ.
मैं- तुम पागल हो … असली मजा तो आप जैसी में ही है.
ये सुनकर वो हंसने लगी.
कुछ देर बाद उसने खुद ही अपने फोन नंबर मैसेज किए और मुझसे मेरा नम्बर मांगा.
मैंने भी अपने दोनों नम्बर उसे मैसेज कर दिए.
उसने पूछा- फोन पर बात करें?
मैंने कहा- मैं लगाता हूँ.
बस मैं रिया से कॉल पर बात करने लगा. उसकी आवाज काफी सुरीली थी. वो हंसती तो अन्दर तक झनझनाहट फ़ैल जाती.
काफी देर तक बात करने के बाद हमारी फोन चैट खत्म हो गई.
इसके बाद हम दोनों कभी भी बात कर लेते थे. वो मुझे मिस कॉल देती और मैं फ्री होते ही उससे फोन पर बात करने लगता. हम दोनों खुलते चले गए. पहले साधारण जोक्स फिर सेक्सी जोक्स भी चलने लगे. उसको भी मेरे साथ बात करने में मजा आने लगा.
एक दिन मैंने ऐसे ही मजाक में उससे कहा- आप जैसी कोई मिल जाए तो लाइफ बन जाए.
उसने बोला- अच्छा जी … अगर मेरी जैसी मिल जाएगी, तो उसके साथ क्या करोगे?
मैंने बोला- एन्जॉय … प्यार!
वो बोली- मैं बुरी हूँ क्या?
मैंने बोला- नहीं यार मैंने ऐसी बात कहां कही है.
मेरी बात पर उसने कहा- आपने मेरी जैसी मिलने की बात कही न, तो मैंने कहा कि क्या मैं बुरी हूँ.
उसकी इस बात पर मैंने उससे कहा कि आप तो बहुत अच्छी हो यार भाभी जी … आप ही मुझे मिल जाती ना … तो मेरी तो लाइफ बन जाती.
इस पर वो हंस पड़ी. उसने धीरे से कहा- ट्राय कर सकते हो तो कर लो.
मैंने भी हंस कर दिया- जरूर.
धीरे-धीरे हम लोग बात करते करते एक दूसरे से सेक्सी बातें करने लगे.
उसने मेरी लाइफ के बारे में पूछना शुरू कर दिया … और मैं धीरे धीरे उसको मेरी लाइफ के बारे में सब कुछ बताने लगा.
कुछ देर की खुली सेक्सी बातें करने के बाद मैंने पूछा- आपका साइज क्या है?
उन्होंने बताया कि उसका साइज क्या है. हम लोग काफी सेक्सी बातें करने लगे. उसके नशे में मैं धीरे-धीरे चूर होने लगा. था और वो भी मेरी बातों से काफी मस्त होने लगी थी.
उसने पूछा- आपका छोटू कितना बड़ा है?
मैंने कहा- वो इंची टेप से नापने से ज्यादा तब ठीक रहेगा, जब खुद ही टेलर को अपना नाप ट्रायल रूम में जाकर देगा.
भाभी मेरी बात से हंस पड़ी और बोली- ट्रायल रूम का मतलब आपका छोटू अन्दर जाकर ही नाप बताएगा?
मैंने कहा- भाभी जी सही पकड़े हो.
वो खिलखिला कर हंस पड़ी.
इसी तरह से हम दोनों रात भर सेक्सी बातें करने लगे थे. वो मुझे प्यार से गालियां देती थी, मैं भी उसको फोन पर चोद देता था.
इसके बाद उसने खुद से वीडियो कॉलिंग पर बात करने की कही. मैं तो इसी इन्तजार में था. मैंने वीडियो कॉलिंग की. भाभी एक मस्त सी नाईटड्रेस में थी. उसने बिना आस्तीन की एक फ्रॉकनुमा मैक्सी पहनी थी. ये मैक्सी एकदम झीनी थी. उसने अन्दर ब्रा भी नहीं पहनी थी. नीचे उसकी मैक्सी में से उसकी लाल रंग की पैंटी साफ दिख रही थी.
कुछ देर मैंने उसकी खूबसूरती की तारीफ़ की उसने भी मेरी तारीफ़ की.
फिर वो बोली- छोटू दिखाओ.
मैंने कहा- वो अभी सो रहा है.
भाभी बोली- मैं उसको जगा दूंगी.
मैंने अपने कपड़े उतारे और सिर्फ एक फ्रेंची में आ गया. ये देख कर उसने अपनी मैक्सी की डोरी को ढीला कर दिया जिससे उसके मदमस्त दूध दिखने लगे. मेरा लंड उसके मम्मे देख कर अंगड़ाई लेने लगा. मेरी फ्रेंची फूलने लगी.
ये देख कर भाभी बोली- छोटू जाग रहा है. वो भूखा होगा उसे दूध पिलाना पड़ेगा.
मैंने देखा कि भाभी ने अपनी मैक्सी को सामने से पूरा खोल दिया. उसके मस्त मम्मे नंगे हो गए. आह क्या मस्त कड़क चॉकलेटी निप्पल थे. मेरे लंड एकदम से फनफना उठा और मैंने अपनी फ्रेंची उतार दी.
खड़ा लंड देख कर भाभी की सीत्कार निकल गई- ओ माय गॉड … इतना बड़ा तो मेरी फाड़ ही देगा.
मैंने कहा- मोबाइल से निकल आपकी चुत में कैसे घुस सकता है भाभी.
कुछ देर तक हम दोनों इसी तरह से वीडियो सेक्स करते रहे. भाभी ने अपनी चुत खोल कर दिखाई. हम दोनों पूरे नंगे होकर एक दूसरे की आग बुझाते रहे.
हम दोनों अब एक दूसरे के लिए पागल हुए जा रहे थे.
इसी तरफ से चार दिन तक चला.
फिर पांचवें दिन उसने बोला कि आप मेरे से मिलने के लिए झारखंड आ सकते हो क्या?
मैंने बोला- हां बिल्कुल आ सकता हूँ.
हम दोनों के मिलने का प्रोग्राम तय हो गया.
उसने मेरे लिए होटल में कमरा बुक किया और मैं उससे मिलने के लिए वहां पहुंच गया.
मुझे लेने के लिए भाभी खुद स्टेशन आई थी. मैं उसके साथ उनके गाड़ी में बैठ कर होटल आ गया. हम दोनों होटल के कमरे में आ गए. हम दोनों से रुका ही नहीं जा रहा था. मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया और उसे किस करने लगा.
उसने भी मुझे किस करते हुए कहा- इतनी जल्दी क्या है. आज हम दोनों हर तरह से एक दूसरे से मिलेंगे.
कुछ देर बैठने के बाद कब हम दोनों फिर से एक दूसरे से लिपट गए कुछ मालूम ही नहीं चला.
मैं उसे फिर से किस करने लगा. अब मैं भाभी को चोदने के लिए पागल हो रहा था. मैं उसके बोबे दबाने लगा और वह भी मेरा साथ दे रही थी.
उसने धीरे से कहा- मेरे पास यही कपड़े हैं … मुझे घर भी जाना है.
ये सुनते ही मैं समझ गया कि भाभी को नंगी होना है.
मैंने उसकी साड़ी खोली और अलग रख दी. ब्लाउज पेटीकोट की कोई चिंता नहीं थी. मैं उसके बालों में हाथ डाल कर उसे सहलाने लगा और धीरे-धीरे उसकी कमर पर हाथ फेरने लगा.
वो मेरे हाथों की हरकत से पागल हुई जा रही थी. कोई 20 मिनट किस करने के बाद मैं उसके मम्मों को बेतहाशा दबाने लगा.
उसने कहा- क्या ऊपर से सब कर लोगे?
मैंने उसके ब्लाउज को खोलकर नीचे गिरा दिया और उसकी ब्रा के ऊपर से ही भाभी के चूचुकों को चूसने लगा.
भाभी मस्त होकर खुद अपने हाथ से दूध मेरे मुँह में देने लगी थी. कुछ पल मैं उसकी नाभि को चूसने लगा. मैं नाभि को चूसते चूसते में उसके और नीचे हो गया. वो लेट गई और मैं उसके पेट को चूमने लगा. इसके बाद मैंने उसकी ब्रा को निकालकर साइड में डाल दिया.
भाभी के रसीले मम्मे मेरे जोश को बढ़ाने लगे. मैं एक निप्पल को चूसने लगा.
फिर मैंने धीरे से भाभी के उस निप्पल को दांत से दबा कर काट लिया.
भाभी एकदम से चीख पड़ी- उई माँ … क्या कर रहे हो … काटो मत.
मैं उसके सेक्सी जिस्म के नशे में चूर होता जा रहा था. फिर मैं उसकी पीठ पर, गर्दन पर किस करने लगा.
वो बेहद गरमा गई थी. उसके मुँह से मदहोशी से भरी सीत्कारें निकलने लगी थी.
ये देख कर मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया. पेटीकोट को खींच कर अलग कर दिया. भाभी अब सिर्फ एक पैंटी में मेरी बांहों में मचल रही थी.
मैं उसकी मक्खन सी जांघों पर किस करने लगा. भाभी ने खुद अपनी पैंटी नीचे कर दी, तो मैं समझ गया. मैंने भाभी की पैंटी को निकाल दिया. अब वो मादरजात नंगी मेरे सामने पड़ी थी.
मैंने उसको पलट दिया और उसकी गांड चूसने लगा. उसकी गांड चूसते चूसते मैंने फिर से भाभी को पलट दिया और उसकी चिकनी चुत मेरे सामने थी.
मैं उसकी चूत चाटने लगा.
तो भाभी एकदम से सिहर गई और बोली- आह ये क्या कर रहे हो … सच में मजा आ गया.
मैं चुत चाटता चला गया और भाभी एक गरम आग का शोला बन गई.
अब वो चिल्लाने लगी थी और ‘आह आह..’ की आवाजें निकालने लगी. मैं ऐसे ही कुछ मिनट तक उसकी चुत को चाटता चला गया.
चुत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया और कुछ पलों बाद भाभी ने शरीर को अकड़ा कर अपनी चुत से काबू छोड़ दिया.
भाभी की चूत से भलभला कर पानी निकलने लगा. मैं सारा चुतरस पी गया.
दो मिनट के बाद भाभी बोली- तुम तो बहुत एक्सप्रेस लगते हो.
मैंने नशीली आंखों से भाभी को देखा और कहा- हां तुम्हारे लिए फिल्म देख कर आया था.
अब उसकी बारी थी.
उसने मेरी जींस को खोलकर मेरे लंड को सहलाया और लंड चूसने लगी. मेरे लंड का साइज 8 इंच का देख कर भाभी बोली- वाह मजा आ गया.
भाभी लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
जब भाभी मेरे लंड को चूस रही थी, तो मैं सातवें आसमान पर था. मैं आपको बता नहीं सकता कि लंड चुसवाने में कितना मज़ा आ रहा था. मैं भाभी के बालों को पकड़ कर उसे आगे पीछे करने लगा था. भाभी के मुँह को ही चुत समझ कर चोदने लगा.
कुछ मिनट तक लंड चुसवाने के बाद मैंने भाभी से कहा- मेरा होने वाला है.
उसने हाथ के इशारे से कहा- कोई बात नहीं … मेरे मुँह में ही रस निकाल दो.
मैंने उसका इशारा पाते ही लंड को गति दे दी और मेरा वीर्य उसके मुँह में निकलने लगा. वो मेरे लंड को अपने मुँह में ही लिए रही और मेरा सारा रस पी गई.
उसके बाद फिर हम दोनों किस करने लगे. कुछ देर किस करने के बाद भाभी बोली- चलो अब खेल शुरू करते हैं.
मैं उसको गर्म करने लगा. मैं उसके पेट में नाभि पर, फिर चुत पर किस करने लगा.
भाभी गरमा गई और बोली कि बस अब करो यार … प्लीज अब नहीं रहा जा रहा है … तुम अपना 8 इंच का लंड मेरी चुत में पेल कर इसे फाड़ दो.
मैंने चुत को चूसना नहीं छोड़ा, तो वो मुझे गालियां देने लगी- मादरचोद क्यों तड़फा रहा है … चोदता क्यों नहीं.
उसके मुँह से गाली सुनकर मैंने उसे चुदाई की पोजीशन में लिटा दिया और उसकी चुत में अपना लंड पेल दिया.
जैसे ही मैंने अपना लंड एकदम से भाभी की चुत में लंड डाला, तो वो एकदम से चिल्ला पड़ी- ओ माँ मर गई … बहुत बड़ा है … आह निकाल लो प्लीज … दर्द हो रहा है … साले मूसल घुसेड़ दिया … आह मेरे पति का तो छोटा सा था … तुम्हारा बहुत बड़ा है … आह प्लीज इसे बाहर निकालो.
मगर मैं नहीं माना और मैं झटके पर झटके देता रहा. दो मिनट के बाद वह मेरा साथ देने लगी. धीरे-धीरे चुदाई का मजा आने लगा.
कुछ देर बाद मैंने उसको घोड़ी बना कर चोदना शुरू किया. फिर अलग-अलग आसनों में मैंने भाभी को 15 मिनट तक चोदा. वो इस चुदाई के दौरान दो बार झड़ चुकी थी.
मैं अभी भी उसे चोद रहा था. वो बार बार गर्म हो जाती.
वो तीसरी बार के समय बोली- आह और तेज … और तेज प्लीज बाबू और तेज और तेज बाबू चोदते रहो … मुझे चोदते रहो … आह मुझे अपनी रंडी बना लो. मादरचोद कितना मस्त चोदता है … आह.
वो मुझे गालियां देने लगी. मैं भी उसे गाली दे रहा था.
मैं- चुद साली रंडी में … तेरी मां को चोदूं माँ की लौड़ी …
हम दोनों एकदम से चरम पर आ गए थे.
फिर 5 मिनट के बाद मैंने बोला कि मेरा होने वाला है.
उसने बोला- मेरे अन्दर ही छोड़ दो …
मेरी बच्चेदानी निकली हुई है. बाच्चा नेहि होगा।
मैं उसे दमादम चोदने लगा.
उसके बाद मेरा भी हो गया और मैं उसके ऊपर ही गिर गया.
उस रात मैंने उसको अलग अलग पोज़शनों में चार बार चोदा और उसने मेरी भी हालत खराब कर दी थी. पता नहीं कितने दिनों की प्यासी थी.
चुदाई के बाद हम दोनों सो गए. सुबह मैंने जाने की तैयारी कर ली. वो रोने लगी थी.
मगर जाना तो था ही. उसने मुझको पैसे भी दिए.
मैंने मना किया, तो भाभी ने मेरे कान पकड़ कर कहा- रख लो मेरी जान … अपने लिए कुछ खरीद लेना.
मैं उससे विदा लेकर वापस आ गया.
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प्यासी मकान-मालकिन भाभी की चूत की फड़कन
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मेरा नाम श्याम है, मैं जूनागढ़ डिस्ट्रिक्ट में रहने वाला लड़का हूँ। मेरी हाइट 6 फीट है और मेरे लण्ड की साइज़ 7 इन्च है। मैं दिखने में हैण्डसम और गोरा हूँ मैं आप सबको मेरी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।
राजकोट में डिप्लोमा कम्प्लीट करने के बाद मुझे अमदाबाद में एक कंपनी में जॉब मिली तो मैं यहीं अमदाबाद में सैट हो गया। पहले तो मैंने कुछ दिन होटल में बिताए बाद में मुझे एक पति-पत्नी के घर पर पेइंग-गेस्ट के तौर पर रहने को मिल गया।
भाई साहब रोहित एक बिजनेस में थे और भाभी श्रेया हाउसवाइफ थीं।
भाभी क्या माल लगती थीं। उनका 38-26-38 का फिगर किसी को भी कामुक कर दे.. पर मुझे उसके बारे में पहले कभी ऐसा ख्याल नहीं आया था, मैं उन्हें अच्छी निगाहों से ही देखता था।
रोहित को हमेशा बिजनेस के सिलसिले में अक्सर बाहर जाना पड़ता था।
उनकी शादी को अभी 2 साल हुए थे। उनकी अभी तक कोई औलाद नहीं थी।
मैं पहले तो बाहर खाना ख़ाता था.. लेकिन कुछ दिन बाद भाभी ने बोला- श्याम तुम यहीं खाना खाया करो।
तो मुझे अब कहीं बाहर जाने की भी ज़रूरत नहीं पड़ती थी।
शाम को मैं भाई और भाभी अक्सर कुछ बिजनेस की बातें करते और कुछ नई बातें भी होती रहती थीं। इस प्रकार हम लोग काफ़ी अच्छी तरह से घुलमिल गए थे।
अब तो हमारे बीच कभी-कभी हंसी मजाक और सेक्स की बातें भी होने लगी थीं। भाभी कई बार बात करते-करते मुझ पर कमेन्ट कर देतीं और बोलतीं- तेरी कोई गर्लफ्रेण्ड है या नहीं?
तो मैं शर्मा जाता और बोल देता- कॉलेज में फ्रेंड्स थे.. पर कोई गर्लफ्रेंड नहीं रही।
अब भला मैं क्यों सच बोलूँ.. कि मैंने दो-तीन बार कॉलेज की एक लड़की के साथ सेक्स किया है।
अब तो भाभी मेरे कमरे में आने-जाने लगी थीं और मेरी सब चीजों को भी देख लेती थीं।
जब भाई नहीं होते थे.. तब वो हमेशा तब मेरे कमरे में चली आती थीं और मुझसे कोई ना कोई बात करने के बहाने मुझको छू लेती थीं। मुझे भी अब अच्छा लगने लगा था.. तो मैं भी कभी उन्हें छूने से मना नहीं करता और इस तरह हम दोनों काफ़ी खुल गए थे।
एक दिन.. रविवार का दिन, मेरी छुट्टी थी.. मैं सुबह देर से उठा और फ्रेश होकर भाभी के पास गया.. तो पता चला कि भाई आज कोई बिजनेस के काम से बाहर गए हुए हैं।ि
मैंने देखा कि भाभी ने आज ब्लैक कलर की नाईटी पहन रखी थी.. वो इस नाईटी में क्या गदर माल लग रही थीं। मेरा तो देखते ही खड़ा हो गया था.. जो भाभी ने भी महसूस कर लिया था.. पर वो उसके बारे में कुछ बोली नहीं।
हम थोड़ी देर बैठे.. और कुछ हँसी-मज़ाक किया.. तो भाभी बोलीं- श्याम तुमने सच में अब तक कोई लड़की के साथ सेक्स नहीं किया?
तो मैंने कहा- जी नहीं भाभी.. अभी तक में कुँवारा हूँ.. कोई लड़की मुझे घास ही नहीं डालती।
तो भाभी मुझ पर हँसी और बोलीं- तुम पर तो कोई भी लड़की मर सकती है.. तुम हो ही ऐसे..
तब मैं समझ गया कि भाभी आज कुछ अलग ही मूड में हैं।
मैं भी कहाँ दूध से धुला हुआ था.. अब लंच का टाइम हो रहा था.. तो भाभी ने कहा- मैं तुम्हारे लिए लंच बनाती हूँ। बाद मैं हम दोनों ने साथ में बैठ कर लंच किया और सोफे पर बैठ कर टीवी देखने लगे।
उस पर एक इंग्लिश मूवी चल रही थी तो उसमें किस का सीन आया.. तब भाभी ने मेरे पैर को हल्के से छुआ।
तब मैं समझ गया कि कुछ तो है..
तो मैंने भाभी से पूछा- आपकी सेक्स लाइफ कैसी चल रही है।
तो वो आह भर कर बोलीं- कुछ खास नहीं है.. वो तो ऑफिस से आकर थके हुए होते हैं तो सोने से पहले मुझे जल्दी जल्दी पेल कर दो-तीन मिनट में अपना रस निकाल कर सो जाते हैं और बाद में मुझे अपनी प्यास उंगली से बुझानी पड़ती है।
जब मैंने उन्हें इतना खुल कर बोलते हुए देखा तो मैंने कहा- अगर आप चाहें.. तो मैं आप की कुछ हेल्प कर सकता हूँ।
भाभी बोलीं- पराए मर्द के साथ आज तक मैंने किया नहीं है.. पर मुझे अपनी प्यास बुझाने की इच्छा बहुत होती है..
मैंने तुरन्त भाभी को अपनी तरफ खींचा और एक लिप किस कर दिया।
वो थोड़ी हड़बड़ाईं.. पर कुछ बोली नहीं।
मैंने उनको कमर से उठा कर अपनी गोद में बिठा लिया और करीब 10 मिनट तक हम किस करते रहे।
कभी वो अपनी जीभ को मेरे मुँह में डालतीं.. तो कभी मैं चूसने अगता।
कभी-कभी मैं उनके होंठों को काट लेता तो वो चिल्ला उठतीं और मैं ऊपर से ही उनके मम्मों को दबा रहा था।
बाद में भाभी बोलीं- तुम मुझे सिर्फ़ श्रेया कहो.. मुझे अच्छा लगेगा।
वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने बेडरूम में ले गईं।
वहाँ मैंने एक ही झटके में श्रेया की नाईटी उतार दी.. आह्ह क्या मस्त चूचे थे उनके.. गोल-गोल और मस्त थिरक रहे थे।
मैं उनको ब्रा के ऊपर से चूसने लगा और उनके कान के नीचे.. गर्दन.. गाल.. सब जगह चूमने लगा।
वो भी आहें भर रही थीं- आआआ आआहह.. मम.. आज मेरी बरसों की प्यास को बुझा दे उफफ्फ़..
उन्होंने मेरी टी-शर्ट को निकाला.. मेरे सीने को पागलों की तरह चूमने लगीं और मुझे धक्का देकर बिस्तर पर लिटा दिया।
ब्रा-पैन्टी को निकाल कर और मेरी पैन्ट से मेरे 7 इन्च के लौड़े को आज़ाद कर दिया।
उसे देख कर ऐसा महसूस हुआ कि शायद श्रेया ने कभी इतना बड़ा लण्ड देखा ही ना था,वो हैरत से बोलीं- मेरे इनका तो इससे बहुत छोटा है..
मैंने लौड़े को झटका दिया और जरा सा इशारा किया और उन्होंने लौड़े को चूमा और लॉलीपॉप की तरह अपने मुँह में अन्दर भर कर चूसने लगीं।
थोड़ी देर बाद मैंने उनको 69 अवस्था में आने को कहा।
अब वो मेरे किंग को चूस रही थीं और कभी-कभी उस पर थूके जा रही थीं और फिर से चाट रही थीं, वो बिल्कुल पॉर्न मूवी की तरह मेरे लवड़े से खेल रही थीं।
मैं उनकी मस्त लाल और शेव की हुई चूत को चाट रहा था।
वो अपनी गाण्ड को हिला रही थीं.. जिससे मेरी जीभ उनके होल में ज़्यादा अन्दर तक जा सके।
वो कामुक आहें भर रही थीं।
अब वो अकड़ सी गईं और बोलीं- श्याम मैं झड़ने वाली हूँ.. तो मैंने उनकी कमर को जोर से पकड़ी और ज़ोर-ज़ोर से जीभ को अन्दर बाहर करने लगा।
तभी वो झड़ गईं.. मैंने उनका सारा नमकीन पानी पी लिया।
वाह.. क्या टेस्ट था उस रस का..
वो थोड़ी देर के लिए अकड़ गईं और बोलीं- अब रहा नहीं जा रहा है श्याम मुझे चोद दे..
तो मैंने उन्हें बेड पर लिटाया तो उन्होंने अपने टाँगें खोल दीं और मैंने अपने लौड़े के सुपारे को उनकी चूत के दाने पर थोड़ी देर रगड़ा.. वो आहें ले रही थीं।
पूरा रूम उनकी आवाज़ से मादक हो गया था।
वो बोलीं- भैन दे टके.. ऐसे ही तरसाएगा कि अब डालेगा भी..
तो मैं समझ गया कि अब ये ज़्यादा चुदासी हो गई हैं.. तो मैंने एक ही झटके में पूरा लण्ड उनकी चूत में डाल दिया।
वो चीख पड़ीं- आआअहह.. म्म्म्मज.. ममअर गई.. धीरे कर हरामखोर.. फाड़ देगा क्या..
उनकी आँखों में पानी आ गया.. पर मैं कहाँ रुकने वाला था। मैंने उनके गोलगोल चूचों को मसलते हुए और काटते हुए धक्के लगाने जारी रखे..। कुछ देर बाद वो भी अपनी गाण्ड को उँचा कर करके मेरा साथ देने लगीं और ज़ोर-ज़ोर से आहें भरने लगीं- चोद मुझे.. मेरी बरसों की प्यास बुझा दे.. आज्जज.. आआअहह.. उफफ्फ़.. मर गई रे!
वो मुझे किस करने के लिए ऊपर होती और हम किस करते-करते चुदाई किए जा रहे थे।
इस तरह की चुदाई 5-6 मिनट तक करते रहे और अब मैंने उन्हें घोड़ी बनने को कहा.. तो वो जल्दी से घोड़ी बन गईं।
मैंने देखा कि उनकी चूत बिल्कुल लाल हो गई है.. और मैंने अपने लौड़े को फिर से उनकी चूत में डाल दिया।
उस दौरान वो एक बार झड़ चुकी थीं लेकिन उनकी प्यास अभी भी नहीं बुझी थी.. बुझती भी कैसे.. वो इतने दिनों से प्यासी जो थीं।
मैं उन्हें घोड़ी बनाकर चोद रहा था और उनके मम्मों को ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था।
अब मैं भी झड़ने वाला था..
तो मैंने उनसे बोला- भाभी मैं झड़ने वाला हूँ।
तो वो बोलीं- अन्दर मत झड़ना.. मुझे तुम्हारे रस का स्वाद लेना है।
वो तुरंत सीधी हुईं और मैंने सारा कामरस उनके मुँह में डाल दिया। वो मेरा सारा कामरस पी गईं और मेरे महाराजा को चाट कर साफ़ कर दिया।
हम करीब 10 मिनट तक यूँ ही किस करते रहे और वो मेरे लौड़े पर लेट गईं।
बाद में हम दोनों नहाने गए.. वहाँ भी मैंने नहाते-नहाते उन्हें एक बार और चोदा।
हम दोनों साथ में नहाने गए तो उनका भीगा बदन देख कर मेरा फिर से टाइट हो गया.. तो नहाते-नहाते मैं उन्हें किस करने लगा और मेरी जीभ को उनके मुँह में अन्दर-बाहर करने लगा।
उनके मम्मों को दबाने लगा और थोड़ी देर बाद वो नीचे बैठ गईं और मेरे महाराजा को पहले से भी ज़्यादा ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगीं।
फिर से वही तरीका चल रहा था.. वे उस पर थूक कर.. वही थूक फिर से पीने लगीं।
थोड़ी देर बाद बोलीं- तुम रूको..
वो बाहर जाकर तेल लेकर आईं और मेरी बॉडी पर तेल लगा दिया।
मैंने उनके जिस्म पर तेल मल दिया।
हम दोनों एक-दूसरे को चिपक कर 69 की दशा में चूसने लगे।
उन्होंने मुझे बाथरूम में लिटा दिया और मेरे 7 इन्च के लण्ड पर बैठ गईं और घुड़सवारी करते हुए मुझे चोदने लगीं.. और आहें भरने लगीं।
मैं उनके मम्मों को मसल रहा था और उनके निपल्स को कभी-कभी अपने नाख़ून से काट लेता तो वो चीख पड़ती थीं। ज़्यादा मम्मों मसलने के कारण उनके मम्मे लाल हो गए थे.. पर उन्हें परवाह कहाँ था.. उन्हें तो अपनी प्यास बुझानी थी।
तेल मालिश की वजह से और पानी की वजह से हम दोनों चिकने हो गए थे जिस वजह से हम दोनों को मज़ा आ रहा था।
हम इस तरह 7-8 मिनट तक चोदते रहे बाद में मैंने उसे खड़ा किया और उनका एक पाँव नल पर रखने को बोला और मुँह मेरी तरफ रखने को कहा।
उन्होंने मेरे कहे मुताबिक किया.. तो मैंने नीचे से अपने महाराजा को उसकी चूत के अन्दर डाल दिया.. और उन्हें किस करते-करते चोदने लगा।
वो थोड़ी देर बाद झड़ गईं.. बाद में उनके झड़ने के कारण लौड़े के चूत से टकराने की मादक आवाजें ‘फचक.. फचक..’ आने लगीं.. जिससे मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था।
वो भी आहें भर रही थीं- आआहह.. चोद मेरे राजाआअ.. चोद मुझे.. फाड़ दे मेरी इस चूत को.. और बुझा मेरी प्यास बुझा.. आआहह.. म्म्म्म मम.. ईईईई.. गईई..
थोड़ी देर बाद मैं भी झड़ने वाला था,
मैंने कहा- मेरा कामरस पीना चाहोगी या अन्दर लेना चाहोगी?
तो उन्होंने बोला- मेरे राजा तेरा कामरस मैंने टेस्ट तो किया है.. अब इस गरम कामरस को मेरे चुत के अन्दर ही छोड़ कर इसे भी तृप्त कर दे..
तो मैं अन्दर ही झड़ गया और वो काफ़ी खुश हुई और ज़ोर से मेरे होंठों को चूम करके मुझे थैंक्स किया।
वो बोलीं- तुमने मुझे आज बहुत मज़ा दिया है.. तुमने मेरी दो बरसों की प्यास को आज अच्छी तरह से बुझा दिया है श्याम आई लव यू वेरी मच.. अब जब भी तेरे भाई नहीं होंगे.. मैं तुम्हें मेरी इस प्यास को बुझाने के लिए बुला सकती हूँ?
तो मैंने कहा- क्यों नहीं मेरी रानी..
मुझे भी आज पहली बार की चुदाई में बहुत मज़ा आया। हम दोनों नहा कर बाहर निकल कर अपने-अपने कपड़े पहन कर फिर से टीवी देखने लगे।
मुझे ऐसा अहसास पहली बार हुआ था कि मुझे वास्तव में बहुत मज़ा आया था।
शाम को साथ ही खाना खाया।
श्रेया ने कहा- आज रात यहीं मेरे कमरे में सो जाना।
तब मैंने श्रेया को रात में तीन बार चोदा।
उस रात मैंने श्रेया को कहा- मैं पीछे वाले होल का मज़ा लेना चाहता हूँ।
तो वो बोलीं- दर्द होगा और वो गंदी बात है.. ऐसा नहीं करते।
तो मैंने भी मन में कहा कि आज नहीं तो किसी और दिन तेरी गाण्ड मार कर ही मानूँगा।
फिर थोड़े दिन बाद मैंने उसकी गाण्ड भी मारी.. वो आपको मैं अपनी अगली कहानी में सुनाऊँगा।
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विधवा नौकरानी संग चूत-चुदाई का खेल
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दोस्तो, आज मैं आप लोगों को ये बताऊँगा कि कैसे मैंने अपनी सेक्सी नौकरानी को चोद दिया।
बात उस समय की है.. जब मैं अपने शहर से बहुत दूर दिल्ली में पढ़ाई करने आया था।
लगभग एक साल बाद मैं अपने घर होली की छुट्टियों में वापस गया। रात को तीन बजे मैं घर पहुँचा और थके होने के कारण सो गया।
सुबह सात बजे मुझे लगा कि कोई मेरे कमरे में है तो मैंने कंबल के अन्दर से झाँक कर देखा कि हमारी नौकरानी झुक कर झाड़ू लगा रही थी और उसके स्तन दिख रहे थे।
मैं उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को छुप कर देखने लगा।
आपको अपनी नौकरानी के बारे में बता दूँ उसका नाम रामा था उसकी उमर 34 साल होगी.. थोड़ी सांवली थी.. पर उसका 36-30-38 का फिगर गजब का था।
मैं जब भी घर जाता था.. तो उसके लाजवाब जिस्म को देख कर अपने हाथ से अपना माल निकाल देता था।
तो दोस्तो, मैंने उठने का बहाना किया और ऐसा नाटक किया कि जैसे मैंने उसको देखा ही नहीं है और मैं कम्बल हटा कर बिस्तर से नीचे खड़ा हो गया।
मैंने सिर्फ़ बॉक्सर पहने था और उसकी मस्त चूचियाँ देख कर मेरा लण्ड पहले से ही खड़ा हो गया था। मैंने उसको देख कर चौंकने का नाटक किया और बोला- अरे तुम यहाँ?
पर वो कुछ नहीं बोली.. उसकी नज़र मेरे लण्ड पर थी।
मैंने अपने लण्ड को जिसने मेरे बॉक्सर को तंबू बना दिया था.. अपने हाथ से छुपाने का नाटक किया.. तो वो हल्के से मुस्कुरा दी और मैं भी मुस्कुरा कर बाथरूम में चला गया।
जब मैं बाथरूम से वापस आया तो वो मेरे कमरे में पोंछा लगा रही थी, मैंने उससे बात करना शुरू कर दिया, मैं बोला- और रामा कैसी हो?
वो बोली- ठीक हूँ बाबू.. आप अपनी पढ़ाई ख़त्म करके आ गए या अभी फिर वापस जाओगे?
मैं बोला- नहीं रामा मैं तो बस दो हफ्ते की छुट्टी ले कर आया हूँ।
वो थोड़ा निराश होकर बोली- तो फिर आप 2 हफ्ते बाद वापस चले जाओगे?
मैंने कहा- हाँ..
फिर मैंने उससे पूछा- घर में सब ठीक है.. पति की ठेकेदारी कैसी चल रही है?
तो उसकी आँखों में आँसू आ गए और वो रोने लगी।
वो बोली- मेरे पति को पीलिया हो गया था और सही इलाज ना होने की वजह से 8 महीने पहले उसकी मौत हो गई।
मैंने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसको चुप कराया और उसके आँसू पोंछे।
ऐसे ही दो-तीन दिन निकल गए और हमारी बातों का सिलसिला चलता रहा।
एक दिन मेरे घर वालों को होली की शॉपिंग के लिए मार्केट जाना था.. तो उन्होंने मुझसे बोला- हम बाजार जा रहे हैं.. काम वाली आएगी तो दरवाजा खोल देना और घर का काम करा लेना।
मैं तो कब से इस मौके की तलाश में था कि कब मुझे काम वाली के साथ अकेले में समय बिताने को मिले।
मैंने घर वालों के जाते ही दरवाजा बंद कर दिया और कुण्डी नहीं लगाई और अपने कमरे में आ कर चड्डी उतार कर सिर्फ़ तौलिया लपेट कर लेट गया और उसके आने का इंतज़ार करने लगा।
दस-बारह मिनट बाद मुझे दरवाजा खुलने की आवाज़ आई.. तो मैंने सोने का नाटक कर लिया।
वो आ कर मेरे कमरे में सफाई करने लगी और जब वो मेरे बिस्तर के पास आए तो मैंने करवट बदल दी.. जिससे मेरी चादर हट गई और तौलिए के अन्दर से मेरा लंड दिखने लगा।
जब उसकी नज़र मेरे लंड पर पड़ी.. तो वो उसे घूर कर देखने लगी।
दो-तीन मिनट मेरे लंड को देखने के बाद उसने मुझे आवाज़ लगाई.. पर जब मैं नहीं जगा.. तो उसको यकीन हो गया कि मैं सो रहा हूँ।
उसने मेरे लंड को हाथ में ले कर सहलाना शुरू कर दिया। मेरा मन तो कर रहा था कि इसको अभी बिस्तर पर पटक कर इसकी जबरदस्त चुदाई कर दूँ.. पर मैं उसको और तड़पाना चाहता था ।
कुछ मिनट तक लण्ड हिलाने के बाद जब मुझे लगा कि मेरा माल निकल जाएगा.. तो मैंने करवट बदल ली.. जिससे मेरा लंड उसके हाथ से छूट गया और वो जल्दी से बिस्तर से हट कर अपने काम में लग गई।
थोड़ी देर बाद मैं उठा और फ्रेश हो कर बाहर गया।
रामा रसोई में काम कर रही थी.. तो मैंने उसको देखते हुए बोला- अरे तुम कब आईं?
तो वो बोली- मैं तो आधे घंटे पहले आ गई थी.. पर आप सो रहे थे.. तो मैंने आपको नहीं उठाया।
तो मैंने बोला- ओके.. मेरे लिए कॉफ़ी बना दो।
मैं बैठक में जा कर न्यूज़ पेपर पढ़ने लगा।
थोड़ी देर में वो कॉफ़ी ले कर आ गई। कॉफ़ी देकर वो जाने लगी.. तो मैं बोला- यहीं बैठ जाओ.. आज ज़्यादा काम नहीं है.. सब लोग शाम तक ही आएँगे।
तो वो मेरे पास बैठ गई और बात करने लगी।
वो बोली- दिल्ली कैसा शहर है?
मैंने कहा- हमारे शहर से बहुत बड़ा है।
वो बोली- यहाँ आप किस चीज़ की पढ़ाई कर रहे हो?
मैंने कहा- मैं यहाँ से MBA कर रहा हूँ।
वो चुप हो गई..
मैंने उससे पूछा- तुम्हारे बच्चे कॉलेज जाते हैं?
रामा- नहीं बाबू.. पति के मरने के बाद बड़ी बेटी का कॉलेज छुड़ा दिया और उसको भी घरों में काम पर लगवा दिया। छोटी बेटी कॉलेज जाती है.. पर सोच रही हूँ उसको भी कहीं काम पर लगवा दूँ..
मैं- क्यूँ रामा.. बड़ी बेटी का भी कॉलेज छुड़ा दिया.. अब छोटी का भी छुड़ाना चाहती हो?
रामा- हाँ बाबू.. कॉलेज का खर्चा बहुत हो जाता है।
मैं- कोई बात नहीं रामा.. छोटी बेटी को कॉलेज भेजना चालू रखो.. मैं घर पर बात करके तुम्हारी पगार बढ़वा दूँगा।
रामा- अगर ऐसा हो जाए.. तो मैं आपका एहसान कभी नहीं भूलूंगी बाबू..
मैं- इसमे एहसान कैसा रामा.. ये बताओ पति की याद तो आती ही होगी?
रामा- क्या बताऊँ बाबू.. पति की कमी तो महसूस होती ही है..
और इतना बोलते ही वो रोने लगी।
मैंने उठ कर उसको कंधे से पकड़ कर खड़ा कर दिया और चुप कराने के बहाने उसकी पीठ और कमर पर हाथ फेरने लगा।
जब उसने कोई विरोध नहीं किया.. तो मैं अपना एक हाथ उसके चूतड़ों पर ले गया और एक हाथ से चूतड़ और दूसरे से उसकी पीठ सहलाने लगा।
वो बोली- बाबू आप आप बहुत भले हो.. आप मेरी पगार भी बढ़वा रहे हो।
मैंने सोचा कि अब ये जाल में फंस गई है.. और मैंने उसके चूतड़ दबा कर कहा- तुम भी बहुत अच्छी हो।
वो बोली- बाबू आप वहाँ से हाथ हटा लो.. मुझे अच्छा नहीं लग रहा।
मैंने कहा- मुझे तो अच्छा लग रहा है।
वो बोली- आप भी ना.. बड़े बदमाश हो।
मैंने अपना हाथ पीठ से हटा कर उसकी बाईं चूची पर रख दिया और चूची को दबा दिया.. तो वो अचानक से सिसकार उठी।
बोली- रहने दो बाबू.. कोई आ जाएगा।
मैंने बोला- आज शाम तक कोई नहीं आएगा.. और वैसे भी तुमने सुबह जो किया.. उसके बाद मैं कैसे रहने दूँ?
वो थोड़ा घबड़ा गई और बोली- सुबह.. क्या किया मैंने?
मैंने कहा- वही.. मेरे कमरे में जो किया था।
वो बोली- बहुत दिनों बाद वो देखा था.. तो मुझसे रुका नहीं गया।
मैंने कहा- वो क्या देखा था.. उसका कुछ नाम तो होगा।
तब वो बोली- आपका लंड..
मैंने पूछा- कैसा लगा?
रामा बोली- बहुत बड़ा और अच्छा है।
मैं- दुबारा देखना है क्या?
रामा शर्मा कर कहा- हाँ.. पर कोई आ गया तो..
मैं- शाम तक कोई नहीं आएगा।
रामा- सच में कोई नहीं आएगा?
मैं- हाँ कोई नहीं आएगा.. तुम चाहो तो शाम तक यहीं रुक जाओ?
रामा- मुझे दूसरे घर में भी काम करने जाना है।
मैं- वहाँ बोल दो कि तुम्हारी तबीयत खराब है।
रामा- हाँ ठीक है।
रामा ने वहाँ फोन करके बोल दिया कि आज वो काम पर नहीं आएगी.. उसकी तबीयत ठीक नहीं है और मैं और रामा मेरे कमरे में आ गए। कमरे में आते ही मैंने रामा को अपने गले लगा लिया और उसकी चूचियाँ कुर्ते के ऊपर से ही दबाने लगा।
उसने अपना सर मेरी छाती पर रख लिया और सिसकारियाँ लेने लगी- ओफ.. उह.. सीसी..
वो मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरा लंड सहलाने लगी। मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया, उसने अन्दर चड्डी नहीं पहनी थी।
नाड़ा खुलते ही उसकी सलवार उसके घुटने पर जा कर अटक गई और मैंने अपना हाथ उसकी बुर पर रख दिया।
उसने ‘सीसीई..’ करके एक लंबी आह भरी और मेरे से लिपट गई।
मैंने उसे गोद में उठा लिया और बिस्तर पर लिटा दिया और उसका कुर्ता उतार दिया.. अब वो मेरे सामने पूरी नंगी थी। मैंने उसके दाएं मम्मे को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा।
वो तड़पने लगी और मेरा सर अपनी छातियों पर दबा दिया।
मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी और दुबारा उसके मम्मे चूसने लगा और एक हाथ से उसकी बुर सहलाने लगा।
कुछ देर बाद उसने मुझे अपने ऊपर से हटा दिया और सीधे मेरी पैंट खोलने लगी।
मैंने चड्डी नहीं पहनी थी.. पैंट खुलते ही मेरा लंबा लंड उसके सामने आ गया और मेरे बिना कुछ बोले ही रामा ने मेरे लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
रामा मेरा लंड ऐसे चूस रही थी.. जैसे कब से लंड की प्यासी हो।
उसकी कुछ मिनट की जबरदस्त चुसाई ने मेरे लण्ड का पानी निकाल दिया और वो सारा पानी पी गई।
अब मेरी बारी थी तो मैंने उसकी टाँगें फैला दीं और अपना मुँह उसकी बुर पर रख दिया और अपनी जीभ उसकी बुर के अन्दर सरका दी।
आह्ह.. गजब का स्वाद था उसकी बुर का..
उसने ‘सीई.. सीई ओह्ह..’ करना चालू कर दिया और कुछ ही देर बाद मेरे मुँह को अपने नमकीन पानी से भर दिया।
इस बीच मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था.. मैंने सोचा कि अब इसको चोद देता हूँ.. पर शायद उसको शायद मुझसे ज़्यादा जल्दी थी।
उसने मुझे बिस्तर पर धक्का दिया और मेरे लंड को अपनी बुर पर सैट करके उसे अन्दर लेने की कोशिश करने लगी।
इस बीच मैंने नीचे से धक्का मारा और लंड ‘पुउच..’ की आवाज़ के साथ उसकी बुर में घुस गया और उसकी चीख निकल गई।
वो मेरी सवारी करने लगी.. सच में बहुत अच्छी तरहे से मेरे लंड के मज़े ले रही थी।
अब मैंने उसको नीचे लिटा दिया और उसकी टांगें अपने कंधे में रख कर लंड उसकी चूत की गहराइयों में उतार दिया और पागलों की तरह उसको चोदने लगा। वो भी नीचे से गाण्ड उठा-उठा कर चुदवा रही थी।
बहुत कमाल की चुदक्कड़ थी वो। लम्बी चुदाई के बाद वो झड़ने लगी और उसने झड़ते-झड़ते मेरी गर्दन पर दाँत से काट लिया।
कुछ मिनट बाद मेरा भी माल निकलने को हुआ..
मैंने उससे कहा अन्दर निकालु या बाहर? ????????
वो बोली- मेरे अन्दर ही निकाल दो कुछ नही होगा मैंने ऑपरेशन करवा रखा है ।
मे उसकी चूत के अन्दर पुरा वीर्य गीरा दिया ।
और फिर हम दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे।
रामा बोली- सच्ची.. ऐसी चुदाई तो आज तक मेरे पति ने भी कभी नहीं की मेरे साथ।
उसने मुझे बताया कि आज पहली बार वो इतनी देर तक चुदी है और पहली बार ही उसकी चूत ने इतना पानी छोड़ा है।
उस दिन मैंने उसे 3 बार और चोदा।
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मौसी की बेटी की चूत चुदाई का मजा
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दोस्तो, मेरा नाम रोहन है और मैं कल्याण का रहने वाला हूं. मैं यहां पर अपने परिवार के साथ ही रहता हूं ।
मैं अपनी सेक्स कहानी आप लोगों को बताना चाह रहा था. मुझे ये कहानी लिखने में काफी समय लग गया. इसलिए मैं आपका ज्यादा समय नहीं लेते हुए कहानी पर आता हूं.
दोस्तो, मेरी उम्र 30 साल है. मेरी शादी भी हो चुकी है. शादी के दो साल बाद ही मेरी पत्नी के साथ मेरा झगड़ा होना शुरू हो गया था. हम दोनों ने अलग होने का फैसला कर लिया और अब फिलहाल मामला कोर्ट में चल रहा है.
मेरे जीवन में सेक्स का बहुत महत्व है. मैं सेक्स का पूरा मजा लेता हूं. मेरी पत्नी के जाने के बाद मेरी कामेच्छा और ज्यादा बढ़ गयी थी. मेरी कई महिला मित्र भी हैं जिनके साथ मेरी सेटिंग है. मौका देख कर मैं चौका भी लगा देता हूं.
अन्तर्वासना की कहानियां पढ़कर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है. फिर मेरा मन पोर्न सेक्स वीडियो देखने के लिए करता है और फिर मेरे लंड को चूत की तलब उठ जाती है. उसको शांत करने के लिए मुझे चूत चाहिए ही होती है. इसलिए सेक्स किये बिना मैं रह नहीं पाता हूं.
मेरी पत्नी के साथ जब से मेरा केस कोर्ट में गया था तब से ही मैं थोड़ा परेशान रहने लगा था. जिस एरिया में मैं रहता था वहां से थोड़ी ही दूरी पर मेरी मौसी की लड़की का घर भी है. उसका नाम कोमल है. उसकी भी शादी हो चुकी है, कहने का मतलब है कि वह एक चुदी हुई चूत है.
उम्र में कोमल मुझसे 4 साल बड़ी है. उसके पास दो लड़कियां हैं. उसकी सेक्स लाइफ में कोई कमी नहीं थी. मेरे जीजा उसको अच्छे से चोदते थे. वह काफी खुश रहती थी. हम दोनों की उसकी शादी से पहले से ही आपस में काफी बनती थी इसलिए वो हर बात मुझसे शेयर कर लेती थी. उसने मुझे कई मामलों में सपोर्ट भी किया है.
एक दिन की बात है कि मैं काम से घर लौटा था. खाना खाने के बाद मैं बेड पर सोने के लिए गया. मैंने फोन उठा लिया, जैसा कि मेरी रोज की आदत थी. मैं मोबाइल फोन में पोर्न वीडियो और सेक्स कहानी पढ़कर टाइम पास किया करता था. साथ ही कुछ सोशल साइट्स पर चैट भी करता था.
रात के 10 बज रहे थे कि अचानक कोमल का फोन आ गया. मैंने फोन उठाया और उससे बात होने लगी. कुछ देर हम दोनों में यहां वहां की बातें हुईं. उसके बाद बात सेक्स संतुष्टि तक पहुंच गयी. कोमल ने पूछ लिया कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड बनी या नहीं?
मैंने उसको मना कर दिया ये कह कर कि मुझे कोर्ट के चक्कर में इन सब बातों के लिए टाइम ही नहीं मिल पाता है. वैसे अब सबको पता था कि मेरी शादी हो चुकी है इसलिए मेरी गर्लफ्रेंड बनना बहुत मुश्किल था.
कोमल कहने लगी- ऐसा नहीं है, ये जो तुम सोच रहे हो ये तुम्हारे मन का वहम है. शादी के बाद भी गर्लफ्रेंड बन सकती है. तुम देखने में भी इतने अच्छे हो. अच्छा खासा कमा भी लेते हो. अगर तुम्हें पत्नी के रूप में एक अच्छी लड़की नहीं मिली तो इसे केवल किस्मत का खेल ही कहा जायेगा.
मैंने कहा- लेकिन अब तो कोई भी लड़की मेरी ओर ध्यान नहीं देती है.
वो बोली- ऐसा नहीं है. तुम्हें लड़की तो आसानी से मिल जायेगी. अपने ऑफिस में ही ट्राई कर लिया करो.
मैंने कहा- जहां पर मैं काम करता हूं, वहां पर कोई लड़की नहीं है. सब लड़के ही हैं.
वो बोली- कोई बात नहीं लेकिन ऐसे निराश होने से कुछ नहीं होगा.
काफी देर तक हम दोनों के बीच में इसी तरह की बातें होती रहीं. वो मुझे समझाती रही. आखिर में तो उसने यहां तक कह दिया कि अगर मैं और वो भाई बहन नहीं होते तो वो भी मुझे कभी ना नहीं करती.
उसकी बात सुनकर एक बार तो मुझे हैरानी सी हुई. मगर फिर मैंने बात को खींचते हुए कहा- तो क्या हुआ, अगर हम भाई-बहन हैं तो इससे क्या फर्क पड़ता है? मुझे तो इसमें कुछ गलत नहीं लगता है.
मैंने कहा- कोमल, अगर सच्ची में मैं तुम्हें अच्छा लगता हूं और तुम मेरी परेशानी को समझ रही हो तो तुम मेरी मदद कर सकती हो.
वो ना-ना करती रही.
मैंने उसको मनाने की कोशिश की लेकिन वो न … न की रट लगाये हुए थी, जबकि मेरे मन में उसके लिए सेक्स का शैतान जाग चुका था.
कोमल से मैंने कहा- ठीक है, कल मैं तुम्हारे घर आ रहा हूं. वहीं पर आमने सामने बात करेंगे.
इतना बोल कर मैंने फोन रख दिया.
उसके बारे में सोच कर मेरा लंड भी खड़ा हो गया. मैंने कभी कोमल की चूत चुदाई के बारे में ध्यान ही नहीं दिया था.
लंड तो खड़ा था इसलिए मुझे मुठ मारनी ही पड़ी. मुठ मार कर मैं सो गया. मैं मन ही मन खुश हो रहा था जैसे कि मेरी लॉटरी लग गयी हो. अपनी मौसेरी बहन की चूचियों और उसकी चूत के बारे में सोच कर अलग ही रोमांच पैदा हो गया था मेरे मन के अंदर।
अगले दिन मैं उसके घर जाने के लिए तैयार था. मुझे पता था कि वो दोपहर के समय में घर पर अकेली ही होती है. रास्ते में जाते हुए मैंने मेडिकल शॉप से एक कॉन्डम का पैकेट भी खरीद लिया. मैं उसकी चुदाई का पूरा मन बना चुका था.
मैं उसके घर पहुंचा और बेल बजाई. उसने दरवाजा खोला तो हैरानी से उसने अपने सिर पर हाथ रख लिया. उसको यकीन नहीं हो रहा था कि मैं सच में उसके घर पहुंच जाऊंगा. फिर मैं भी बेशर्मों की तरह हंसते हुए अंदर चला गया.
दरवाजा बंद करते ही उसने कहा- तू पागल है क्या यार? तू तो सच में ही आ गया! मैं तो सोच रही थी कि तू फोन पर मजाक कर रहा था.
फिर वो बोली- देख, तू मेरा भाई है, अगर तू उस (सेक्स के) इरादे से आया है तो वो नहीं हो सकता है. यदि तुझे वो सब करना है तो अभी वापस चला जा.
मगर मैं तो अपनी मौसेरी बहन की चुदाई का पूरा मन बना चुका था. मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचा और उसके गालों को सहलाने लगा.
वो मेरा हल्का सा विरोध करने लगी. जब मुझे लगा कि ये मान जाएगी तो मैंने उसको उठाया और बेडरूम की ओर ले गया.
अंदर जाकर मैंने उसे बेड पर पटक दिया. उसके कोमल बदन को छूने से ही मेरा लंड तन गया था.
वो बोली- यार, ऐसा नहीं हो सकता है, ये सब गलत है.
मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके होंठों पर उंगली रखते हुए कहा- श्श्श … क्या सही है और क्या गलत है, ये तू भी जानती है और मैं भी। हम दोनों भाई-बहन से ज्यादा एक दूसरे के लिए अच्छे दोस्त भी हैं.
मैंने उसकी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया. मैंने कहा- आह्ह … कोमल एक बार करने दे बस… बहुत दिन हो गये हैं यार… जब से तेरी भाभी गयी है तब से ही मैं सेक्स के लिए तरस गया हूं.
ये बोलकर मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया. वो मुझे हटाने का ज़रा मरा प्रयास करती रही लेकिन उसका विरोध ज्यादा प्रबल नहीं था. वो केवल बात को टालने की कोशिश कर रही थी. दो मिनट में ही उसने मुझे अपनी बांहों के घेरे में घेर लिया और मेरे होंठों को चूसने लगी.
किस करते हुए मेरे हाथ उसके चूचों की ओर बढ़ गये थे. मैं उसकी चूचियों को दबा रहा था और साथ में ही उसके होंठों को भी चूस रहा था. धीरे धीरे उसकी मैक्सी के अंदर से ही उसकी चूचियों को दबाने में बहुत मजा आ रहा था. काफी दिनों के बाद मुझे स्त्री का ऐसा कोमल स्पर्श मिला था.
अन्दर से कोमल ने कुछ भी नहीं पहना हुआ था. उसकी चूचियां नंगी थीं बिना ब्रा के. उसकी चूचियों को छूकर बहुत ही मखमली सा मजा मिल रहा था. उसकी चूचियों को धीरे धीरे दबाते हुए मैं उसके कोमल से जिस्म का पूरा आनंद लेने में डूब सा गया था.
फिर मैंने कोमल की मैक्सी को धीरे धीरे ऊपर करना शुरू किया. मैक्सी को मैं अब उसके कमर के ऊपर तक ले आया और उसकी चूत नीचे से नंगी हो गयी थी. मेरी उंगलियां उसकी चूत को छू रही थीं.
मौसी की बेटी की नंगी चूत पर अपनी उंगलियां फेरते हुए अलग ही मजा मिल रहा था. उसकी चूत काफी रेशमी सी थी. चूत से जैसे भांप निकल रही थीं. मैंने उसकी कोमल जांघों को भी सहलाना शुरू कर दिया. मैं जब उसकी कोमल जांघों पर अपनी उंगलियों से सहला रहा था तो ऐसा लग रहा था जैसे उसके बदन से सेक्स की गर्मी निकल रही हो.
मैंने उसकी मैक्सी हटा दी और उसको पूरी नंगी कर दिया. उसकी चूचियों पर मैं टूट पड़ा. मैं उसकी चूचियों को मुंह में लेकर पीने लगा. कभी एक चूची तो कभी दूसरी चूची. एक चूची को चूसते हुए दूसरी की निप्पल को मसल रहा था. फिर दूसरी चूची को चूसते हुए पहली वाली की निप्पल को उंगलियों के बीच में लेकर काट रहा था.
जब उससे बर्दाश्त न हुआ तो उसने मुझे पीछे धकेला और अपने नंगे बदन पर चादर डाल ली. मैंने घुटनों के बल होकर अपनी शर्ट खोल दी. उसने मेरी छाती को देखा और जब मेरे हाथ मेरी पैंट को खोलने के लिए चले तो उसने अपने चेहरे को चादर में छुपा लिया.
मैंने अपने कपड़े निकाले और अंडरवियर निकाल कर पूरा का पूरा नंगा हो गया. मैंने चादर को उठाया और अंदर घुस गया. मेरा जिस्म अब कोमल के नंगे और गर्म जिस्म से रगड़ रहा था. मैं उसके जिस्म के हर हिस्से को किस कर रहा था. मेरा लंड उसकी चूत के आसपास रेंग रहा था.
उसके बाद मैंने उसको उल्टा कर दिया और उसकी पीठ से लेकर उसकी जांघों तक किस करने लगा. कोमल की गांड को मैंने पहली बार नंगी देखा था. उसकी गांड बहुत ही सेक्सी लग रही थी. मैं उसकी पीठ को चूमते हुए उसके ऊपर लेट गया.
मेरा लंड अब उसकी गांड में टकरा रहा था. आह्ह … लंड जब उसकी कोमल गांड में रगड़ खा रहा था तो ऐसा मन करता कि उसके जिस्म के हर छेद को चोद कर चौड़ा कर दूं. लंड के द्वारा गांड पर सहलाने से कोमल भी चुदासी हो गयी थी. मैं भी पूरे जोश में आ चुका था.
उसकी गांड से टकरा टकरा कर मेरा लंड काफी सख्त हो गया था. जब मुझसे रहा न गया तो मैंने उसको सीधी कर दिया. उसको पीठ के बल लिटा कर मैं उसके होंठों को जोर से चूसने लगा. मैंने उसके हाथों को पकड़ कर उसकी जांघों के पास दबा लिया और मेरा लंड उसकी चूत पर जा लगा.
फिर मैंने अपने लंड को अपनी मौसेरी बहन की चूत पर सेट कर लिया. कोमल ने खुद ही मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत के छेद पर अच्छी तरह से लगवा दिया. उसका मन अब खुद ही मेरे लंड से चुदने के लिए ललायित हो गया था.
चूत पर लंड को सेट करके मैंने एक जोर का धक्का मारा तो कोमल की चूत में लंड गच्च से उतर गया. उसकी चूत अंदर से बहुत ही ज्यादा गर्म थी. मुझे मजा आ गया. बहुत दिनों के बाद चूत चोदने के लिए मिली थी, वो भी मेरी मौसी की लड़की की चूत!
मैं जोश में उसके ऊपर चढ़ गया और जोर जोर से उसकी चूत में धक्के लगाने लगा. कोमल की चूत की चुदाई करते हुए मैं उसके चेहरे की ओर देख रहा था. मुझे चुदती हुई लड़की के हाव भाव को देखने में बहुत मजा आता है.
उसके चेहरे पर आनंद और दर्द के मिले जुले से भाव थे. उनको देख कर मुझे और ज्यादा जोश चढ़ रहा था और मैं उसकी चूत को जोर जोर से ठोक रहा था. दस मिनट तक मैंने उसकी चूत चोदी और उन दस मिनटों में वो एक बार झड़ गयी थी.
कोमल की चूत से निकलने वाले रस से मेरा लंड पूरा सराबोर हो चुका था. अब लंड और चूत के इस युद्ध में पच-पच… पचापच … फच-फच … गच-गच … का संगीत भी शामिल हो गया था. उसकी चूत को चोदते हुए ऐसा आनंद मिला कि कुछ ही देर के बाद मैं झड़ने के करीब पहुंच गया.
पंद्रह मिनट की चुदाई के बाद मेरी वीर्य भी बाहर आने को हो गया. मेरा मन उसकी चूत में ही झड़ने का था लेकिन फिर भी मैंने उससे पूछ ही लिया.
मैंने कहा- मेरा निकलने वाला है, कहां निकालूं?
वो बोली- अंदर नहीं, वीर्य अंदर नहीं जाना चाहिए बरना मे पेट से हो गयी तो गड़बड़ हो जायेगा ।
उसके कहने पर मैंने लंड को चुत से बाहर खींच लिया. उसको उल्टा किया. उल्टा करने के बाद अपने फटने को हो रहे लंड को उसकी गांड पर घिसने लगा.
अपने दोनों हाथों से मैंने उसकी अगल बगलों से उसकी चूचियों को पकड़ लिया और उसके ऊपर लेट कर उसकी गांड पर लंड को घिसने लगा. आह्ह … दोस्तो, इस क्रिया में भी गजब का मजा आ रहा था. बस कमी इतनी थी कि मैं चूत के अंदर माल नहीं गिरा सकता था.
पीछे से उसकी गर्दन पर किस करते हुए मैं लंड को घिसता रहा. उसकी चूचियों को अब मैं दोगुनी ताकत से दबा रहा था. वो चिल्लाने को हो गयी थी. एक बार तो लंड उसकी गांड में घुसाने का मन कर गया था लेकिन उसकी इजाजत के बिना ऐसा मैं करना नहीं चाह रहा था.
कुछ ही सेकेण्ड्स के बाद मेरे लंड ने संयम खो दिया और मेरे लंड से वीर्य निकल कर उसकी गांड पर पिचकारी मारने लगा. मैं कोमल की कोमल सी गांड पर झड़ गया. थोड़ी देर तक हम दोनों ऐसे ही हांफते रहे और पड़े रहे.
उसके बाद कोमल ने मुझे अपने ऊपर से हटाया और अपनी मैक्सी लेकर बाथरूम की ओर गयी. कुछ देर के बाद वो फ्रेश होकर आ गयी. मैंने अपने कॉन्डम के पैकेट को देख कर सोचा कि इसका तो इस्तेमाल हुआ ही नहीं.
इतने में ही कोमल ने कहा- ये पहली और आखिरी बार था. इसके बाद हम ये सब नहीं करेंगे. आज के बाद तुम ऐसा कभी सोचना भी मत.
मैंने मन ही मन कहा- अभी तो केवल शुरूआत हुई है बहन, आगे आगे देखो क्या होता है.
मैंने मुस्कराते हुए उससे बोला- हां, ठीक है, बाद की बाद में देख लेंगे.
मुझे उसके घर आये हुए काफी समय हो गया था. अब मैंने वहां रुकना ठीक नहीं समझा और मैं भी फ्रेश होकर वहां से निकल लिया. उसके बाद मैंने कोमल को कई बार गर्म करके चोदा. उसकी चूत मारी और उसके जिस्म के खूब मजे लूटे.।
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मेरी सैक्सी अम्मी को चाचा ने चोदा
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हाय दोस्तो, कैसे हो! मरा नाम मलाज है। मैं आपको एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ।
यह बात उस समय की है जब मैं करीब 10-12 साल का था मैं अक्सर अपने चाचाजान के साथ ही रहता था। चाचा मुझे अपने साथ ही सुलाते थे। फिर अम्मी मुझे देर रात चाचा के पास से लेकर अपने पास सुलाती थी।
मैं अक्सर महसूस करता था कि जब अम्मी मुझे लेने आती थी तो कभी कभार मैं जाग जाता था तो लगता था कि चारपाई हिल रही है लेकिन मेरी समझ में कुछ भी नहीं आता था और कुछ देर बाद ही अम्मी मुझे लेकर अपने बिस्तर पर आ जाती थी।
खैर यह सब चलता रहा।
मैं कभी कभार दिन में भी देखता था कि चचाजान अम्मी की ओर कुछ इशारा करते तो कभी तो वो चाचा के साथ भूसे वाले छप्पर में चली जाती थी और काफी देर बाद निकल कर आती थी।
मैं कभी अम्मी से पूछता कि आप वहाँ क्या करने गई थी तो वो कहती- कुछ नहीं बेटा, तेरे चाचा बैलों के लिये तूड़ी लेकर खेत में जा रहे हैं उन्हें तूड़ी बंधवाने गई थी।
लेकिन धीरे धीरे मुझे उन पर कुछ शक हो रहा था कि आखिर चाचाजान और मेरी अम्मी एक साथ करते क्या हैं।
एक दिन मुझे कुछ देखने का हल्का सा मौका मिला।
चाचा उन दिनों भैंसों के बाड़े में सोते थे, जब मैं एक रात को चुपके से अपने घर की छत पर जाकर अम्मी का इंतजार करने लगा कि कब अम्मी चाचा के पास जाती है। बाहर ठण्ड भी थी, फिर भी मैं वहीं पर जमा रहा कि कब ये लोग अपना खेल शुरु करते हैं।
और मेरी मेहनत रंग लाई, रात के करीब 10 बज रहे थे, अम्मी ने घर का दरवाजा खोला और उसे धीरे से बंद करके चाचा जहाँ सो रहे थे उस बाड़े में चली गई।
अंदर काफी अंधेरा था और बाहर दरवाजे पर एक फूस का बना टाटा लगा था इस वजह से मुझे अंदर कुछ भी नहीं दिख रहा था।
मैं चुपके से छप्पर के पीछे के आले जहाँ गोबर के बने कण्डे से उन्हें बंद किया गया था ताकि अंदर सर्दी ना जाए, उनके पास गया तो केवल अंदर की खुसर फुसर की आवाज सुन रहा था।
कभी चाचा तो कभी अम्मी की हल्की-हल्की सिसकारी निकल रही थी।
मैं किसी भी तरह अन्दर का नजारा देखना चाहता था लेकिन मुझे आज वो नसीब नहीं हुआ।लेकिन एक बात तो मेर दिमाग में घर कर बई कि चाचा अम्मी कुछ ऐसा वैसा करतें जरूर हैं। बस मेरे दिमाग में हमेशा उनका ही ख्याल रहने लगा।
आगे की कहानी बताने से पहले मैं आपको अपने बारे में बता देता हूँ कि मेरे परिवर में चाचा, अम्मी-अब्बू, मैं एवं मेरी दादी हैं। अब्बाजान शहर में काम करते हैं।
गांव में खेतीबाड़ी का काम है जो चाचा और अम्मी संभालते हैं।
तब अब्बू-अम्मी की शादी हुए करीब 13 साल हुए थे जिनके मैं इककौती औलाद हूँ।
उन दिनों मैं कक्षा 6 में पढ़ने पास के ही एक गाँव में जाता था।
चाचा की उम्र करीब 32 साल हो चुकी थी लेकिन शादी तब तक नहीं हुई थी।
अम्मी दसवीं तक पढ़ी हैं, चाचा एकदम अनपढ़ गंवार आदमी है। अम्मी गौरी पतली है, पतली कमर, गोरे-गोरे गाल, गोरा रंग! चाचा उल्टे तवे जैसे काले रंग के, चौड़ी छाती उस पर काले-काले घुंघराले बाल।
दादी अक्सर घर पर ही रहती थी।
उस दिन के बाद तो मेरा मन पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लगता था, मन करता था कि हमेशा अम्मी के साथ ही रहूँ। मैं किसी भी तरह उनका खेल देखना चाहता था और हर संम्भव प्रयास कर रहा था कि उनका खेल देखूँ।
आखिर मैंने एक दिन कॉलेज ना जाकर उनका खेल देखने का फ़ैसला किया क्योंकि मैं जानता था कि अम्मी-चाचा का खाना लेकर खेत पर जाती हैं, अब तो सरसों भी बड़ी हो रही है इसलिये ये दोनों पक्का वहाँ कुछ करते होंगे, यही सोच कर मैं कॉलेज ना जाकर चुपके से खेत पर पहुँच गया जहाँ सरसों के खेत के बीच एक बड़ा भारी पेड़ है, उसके नीचे काफी दूर तक सरसों नहीं थी।
मैं उस पर चढ़ कर बैठ गया।
लेकिन मेरे काफी इंतजार के बाद भी उन्होंने कुछ नहीं किया और अम्मी घर वापस आ गई। मैं आज फिर निराश ही लौटने वाला था। इस तरह तीन-चार दिन बीत गये और उन्होंने कुछ भी नहीं किया। मैं सोच रहा था कि यह शायद मेरी गलत फहमी है।
करीब चार दिन बाद मैंने चाचा को अम्मी से कुछ कहते देखा, अम्मी कह रही थी- ठीक है, आज रात को मैं खेत पर ही आ रही हूँ।
मेरे दिमाग में फिर से कीड़ा कुलबुलाने लगा।
शाम को अम्मी ने खाना बनाकर हमें खिलाया और दादी से कहने लगी- सासूजी, आज रात को देवर जी का खाना खेत पर ही जायेगा क्योंकि रात को बिजली का नम्बर है।
दादी बोली- ठीक है बहू, मलाज को मेरे पास ही छोड़ जाना, बच्चा इतनी दूर क्या करेगा।
अम्मी चाचा का खाना लेकर खेत पर चली गई, इधर मैं भी वहाँ जाना चाहता था लेकिन दादी मुझे अकेले वहाँ नहीं भेजती तो मैंने एक बहाना बनाया और कहा- अम्मा, हमारे पेपर आने वाले हैं आप कहो तो मैं मेरे दोस्त के यहाँ पढ़ने चला जाऊँ?
पहले तो दादी नहीं मानी लेकिन काफी मनुहार करने के बाद उन्होंने जाने की अनुमति दे दी। मैं जल्दी-जल्दी अपने खेत की ओर चल दिया जो गांव से काफी दूरी पर थे।
मुझे रास्ते में डर भी लग रहा था पर मैं किसी धुन में उधर खिंचा चला जा रहा था।
बाहर काफी अंधेरा व सर्दी थी। मैं जैसे तैसे करके हमारे ट्यूबवैल के पास पहुँच गया तो सोचने लगा कि शायद अम्मी चाचा खेत में पानी मोड़ रहे होंगे।
मैं जैसे ही टयूबवैल के पास पहुँचा तो देखा कि मोटर तो बंद है और कोठरी भी बंद है, कोठरी में अन्दर बल्ब जल रहा है।
मैं धीरे-धीरे कोठरी के पास पहुँचा तो लगा कि अम्मी चाचा अंदर ही हैं।
मैं अंदर देखना चाहता था कि वे दोनों क्या कर रहे हैं। यही सोच कर मैं टयूबवैल की तरफ एक छोटी सी खिड़की जहाँ से मोटर को देखते थे, उसके पास जाकर अन्दर देखा तो मेरा शक यकीन में बदल गया।
चाचा और अम्मी तख्त पर आपस में एक दूसरे से लिपटे पड़े हैं।
कोठरी ज्यादा बड़ी नहीं थी, केवल 8X8 फीट की ही थी, उसमें एक छोटा तख्त डाल रखा था जिस पर चाचा अम्मी लिपटे पड़े थे।
चाचा अम्मी के गालों पर अपना मुंह टिका कर चूम रहे थे। अम्मी ने भी चाचा को कसके जकड़ रखा था।
यह सब देख कर एक बार तो दिल में आया कि इन दोनों को मार डालूँ लेकिन मैं तो यह सब कई दिनों से देखना चाहता था और आज वह मौका मिल ही गया।
दोनों काफी देर तक इसी अवस्था में पड़े रहे, फिर चाचा ने अम्मी को छोड़ा और बोले- भाभी, कितने दिनों से तुम्हारी चूत मारने को मन कर रहा है, एक तुम हो कि अपने देवर का जरा भी ख्याल नहीं रखती हो।
अम्मी- देवर जी, मैं भी क्या करुँ, यह साला पीरियड भी तो आ जाता है।
चाचा- भाभी, अब जल्दी से कपड़े उतार डालो।
अम्मी तो जैसे चाचा के कहने का ही इंतजार कर रही थी, झट उठी और एक एक कर सारे कपरे उतार कर एकदम नंगी हो गई।
मैं पहली बार अम्मी को नंगी देख रहा था। क्या गजब का बदन था मेरी अम्मी का! एकदम गोरी छाती पर गोलगोल चूचियाँ, उनके ऊपर गुलाबी रंग की निप्पल तो मैंने पहले भी कई बार देखी है। लेकिन उससे नीचे का भाग पहली बार देख रहा था।
कोठरी काफी छोटी होने की वजह से और उसमें 200 वाट का बल्ब जलने के कारण अन्दर काफी रोशनी ओर गर्मी थी।
चाचा ने अम्मी को पकड़ कर तख्त पर डाल लिया और अम्मी की चूचियाँ मसलने लगे। अचानक ही अम्मी के मुँह से सिसकारी निकल गई- सीइइ अई इइइ क्या कर रहे हो देवर जी, जरा धीरे भींचो ना! कितना दर्द कर रहे हो।
चाचा- अरे भाभी, मेरी जान, आज कितने दिनों बाद मौका मिला है तुम्हे चोदने का।
अम्मी- हाँ देवर जी, मैं भी तो तुम्हारे लण्ड की दिवानी कई सालों से हूँ।
मैंने अम्मी को पहली बार नंगी देखा था, अम्मी की पतली कमर के नीचे दोनों जांघों के बीच में हल्के-हल्के काले बाल दिखाई दे रहे थे। जहाँ चाचा का हाथ बार बार फिसल रहा था। अम्मी तो मस्त होती जा रही थी।
फिर चाचा उठे ओर अपने कपड़े उतारने लगे। जैसे ही चाचा ने अपना लंगोट खोला।
चाचा लंगोट पहनते थे क्योंकि वो पहले पहलवानी करते थे, तो मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गई, चाचा का क्या गजब लण्ड था। करीब 11 इंच लम्बा और करीब 4 इंच मोटा, काला खूसट उस पर लाल रंग का सुपारा जो बिल्कुल आलू के आकार का था।
उसे चाचा ने अम्मी के हाथ में पकड़ा दिया, बोले- भाभी, लो तुम्हारा दीवाना।
अम्मी उसे हाथ में पकड़ कर हिलाने लगी।
कुछ देर बाद चाचा ने अम्मी को तख्त पर चित लिटा दिया और बोले- भाभी, चलो चुदाई करते हैं, अब और सहन नहीं हो रहा है।
अम्मी- हाँ देवर जी, मैं भी तो कब से तडप रही हूँ इसे लेने को।
तभी चाचा ने अम्मी को चित लिटा कर दोनों टांगों को चौड़ा किया तो मैंने देखा कि उनके बीच काले बालों के बीच में एक लाल रंग की दरार है जिसे मैं अब स्पष्ट देख रहा था।
तभी चाचा ने अपने लण्ड का सुपारा अम्मी की चूत के मुँह पर रगड़ा तो अम्मी गनगना उठी।
चाचा लगातार उसे रगड़ते रहे।
थोड़ी देर बाद अम्मी की चूत से चिपचिपा पानी दिखने लगा।
अम्मी- हाय देवर जी, क्यों तडपा रहे हो, इसे जल्दी से अन्दर डाल दो ना।
चाचा- ठीक है मेरी जान, अभी इसे तुम्हारे अन्दर करता हूँ।
मुझे बिल्कुल विश्वास नहीं हो रहा था कि अम्मी इतने विशाल लण्ड को अपने अन्दर ले जायेगी और अगर चाचा ने जबरदस्ती अंदर डाल भी दिया तो क्या अम्मी इसे सम्भाल पायेगी।
तभी चाचा ने अम्मी की टाँगों को थोड़ा ऊपर करके लण्ड का सुपारा अम्मी की चूत के मुंह पर रखा तो अम्मी ने अपने दोनों हाथों से चूत के होंठ फ़ैला दिये, अब चाचा ने नीचे खड़े होकर अम्मी के चूतड़ों को तख्त के किनारे पर रखा और अपनी कमर का दबाव बढ़ाया तो लण्ड आधा अन्दर सरक गया और अम्मी के मुँह से एक मस्ती भरी सिसकारी निकली- सी ईइइ इइइ… उउउइइइ!
तभी चाचा ने दूसरे झटके में तो पूरा का पूरा लण्ड ही अंदर घुसेड़ दिया।
अब लण्ड जड़ तक अम्मी की चूत की गहराई में समा चुका था। अम्मी के मुँह से फिर से सिसकारियाँ निकलने लगी- आहह हहह… सीइइइ उइई!
चाचा ने अब दोनों हाथों से अम्मी की कमर पकड़ी और लगे लण्ड को अन्दर बाहर करने! पहले चाचा लण्ड को धीरे से बाहर खींचते फिर एक ही झटके में पूरा अन्दर कर देते।
फिर चाचा ने अपनी स्पीड बढ़ाई और लगे ठाप पर ठाप मारने। अम्मी चूतड़ उचका-उचका कर हर ठाप का स्वागत कर रही थी।
अम्मी रह रह कर हाय यय उईइ इइ सीइ मर गई रे! देवररर जजजी मजा आरहा है पेलो और जोर से पेलो मेरे रररेरे रा जा हाय ययय!
चाचा भी ठाप मारने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे। लण्ड चूत की फांकों तक आता, आकर एक ही झटके में अंदर चला जाता।
अचानक अम्मी के मुँह से जोरदार सिसकारियाँ निकलने लगी, अम्मी ने अपने दोनों पैर चाचा की कमर पर लपेट लिये और चाचा से लिपट कर सीइ इइ सीइइइ हायय उईइ करने लगी।
मैंने देखा कि चूत से फचाफच की आवाज निकलने लगी। चाचा के साण्ड जैसे अण्डकोष अम्मी की गाण्ड पर टकरा रहे थे। फिर थोड़ी देर में ही अम्मी शांत हो गई, कहने लगी- देवर जी, थोड़ा आराम करने दो, मैं तो कई बार झड़ गई हूँ।
लेकिन चाचा कहाँ मानने वाले थे, चाचा ने एक बार अम्मी को छोड़ा और उसको तख्त पर ही सीधा करके खुद भी ऊपर ही आ गये।
मैंने देखा कि चाचा का विशाल लण्ड अम्मी की चूत का पानी पीकर तो ओर भी ज्यादा भंयकर लग रहा था। दोनों इतनी सर्दी में भी पसीने से नहा रहे थे। फिर चाचा अम्मी के ऊपर सवार होकर पेलने लगे।
अब चूत एक छल्ले की तरह लण्ड पर कस रही थी। चाचा अम्मी की दोनों टाँगों को अपने हाथों में लेकर धक्के मारने लगे। अम्मी के मुँह से फिर सिसकारियाँ निकलने लगी।
चाचा इसी तरह करीब आधा घंटा तक अम्मी को पेलते रहे।
तभी चाचा ने अपनी स्पीड और तेज कर दी तो
अम्मी बोली- देवर जी, मेरे अंदर वीर्य मत डालना प्लीज! देवर जी अंदर मत डालना! प्लीज बाहर निकाल लो ।
और चाचा 10-12 जोरदार ठाप मारकर अम्मी और चाचा एक दूसरे से लिपट गये।
कुछ देर बाद अम्मी बोली ‘हाय देवरजी, आपने यह क्या कर दिया? मैंने मना किया था ना वीर्य अन्दर डालने के लिये।’
दोनों बुरी तरह हाँफ रहे थे जिसमें अम्मी की तो हालात ही खराब हो रही थी। करीब 5 मिनट बाद चाचा अम्मी के ऊपर से उतरे तो मैंने देखा कि अब उनका विशाल लण्ड थोड़ा नरम हो गया था।
चाचा ने जैसे ही चूत से लण्ड बाहर निकाला तो पूरा का पूरा एक लिसलिसे पदार्थ से लथपथ हो रहा था।
अम्मी की चूत मेरी तरफ होने से मैं स्पष्ट देख रहा था कि जो छेद थोड़ी देर पहले काफी छोटा दिख रहा था, वही अब काफी चौड़ा हो गया था, उसमें से सफेद रंग का पदार्थ रिस रहा था जो काफी गाढ़ा था।
चाचा अम्मी के बगल में ही निढाल होकर लेट गये। चाचा सांड की तरह हाँफ रहे थे।
अम्मी- देवरजी, तुमने ये क्या किया? अपना वीर्य अंदर क्यों डाला? अगर मेरे बच्चा ठहर गया तो?
चाचा- भाभी, क्या करता मुझसे तो रुका ही नहीं गया। तुम्हारी चूत ही इतनी मजेदार है।
अम्मी- देखो तुम्ही ने तो मेरे मना करने के बाद भी मलाज को पैदा कर दिया और अब दूसरा भी शायद तुम ही करोगे। तुम्हें पता है ना मेरा कल ही पीरीयड खत्म हुआ है।
चाचा- भाभी, तुमने भी क्या गजब चूत पाई है। जी तो चाहता है कि अपना लण्ड इसी में फंसा कर पडा रहूँ। तुम चिन्ता मत करो काल एक पिल खा लेना तो बाच्चा ठेहर ने का कोई डर नहि रहेगा।
अम्मी- ठीक है मेरे राजा, और तुम्हारा लण्ड भी तो कोई मामूली नहीं है। पता है ना जब तुमने पहली बार सरसों में चोदा था तो इसकी क्या हालत बनाई थी?
ऐसे ही बातें करते-करते चाचा का लण्ड फिर से तन कर खम्बा बन गया और फिर चाचा अम्मी के ऊपर सवार हो गये।
इसी तरह उस रात को चाचा ने अम्मी को 4 बार चोदा। अब तो मैं देख रहा था कि अम्मी की चूत का कचूमर निकल गया था। फिर दोनों ने अपने कपड़े पहने।
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मौसी की आग बुझाई
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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम राहुल है और मेरा घर भुवनेश्वर का नयापल्ली में है और इस स्टोरी की हिरोइन मेरी मौसी है। मेरी उम्र 30 साल है और में शादीशुदा हूँ, मेरी हाईट 5 फुट 6 इंच और स्लिम फिट बॉडी है, मेरे लंड का साईज़ 5 इंच लम्बा है। ये बात 8 नवम्बर 2015 की है, जब में अपने घर में अकेला था और बोर हो रहा था तो मैंने सोचा कि कुछ घर की सफाई कर ली जाए तो में घर की सफाई कर रहा था क्योंकि दीवाली जो आने वाली थी।
तभी मेरी मौसी मेरे घर आई तो मैंने जैसे ही उन्हें देखा तो बस देखता ही रह गया। उसने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी, उस पर उसका गोरा चिट्ठा सा रंग निखर रहा था। फिर मैंने उनसे कहा कि आइए आपका स्वागत है, तो वो अंदर आ गई और सोफे पर बैठ गई। अब में आपको थोड़ा मौसी के बारे में बता दूँ, उनका जून 2013 में तलाक हो चुका है और उनके एक 10 साल का लड़का भी है, लेकिन क्या बताऊँ? वो आज भी क़यामत है। जब वो चलती है तो उनकी गांड में अजीब सी लचक आती है और फिगर साईज तो मानो 36-30-34 है। फिर उसने पूछा कि घर पर कोई नहीं है क्या? तो मैंने कहा कि सब बाज़ार गये हुए है, थोड़ी देर में आ जाएगें। अब में सफाई कर रहा था तो में थोड़ा ऊपर था और वो मेरे ठीक नीचे आकर बैठ गई, जिससे मुझे उसकी दूध भरी चूची की गहराई साफ़-साफ़ नज़र आ रही थी।
फिर मैंने जानबूझ कर रंग की कुछ बूंदे उनके स्तन पर गिरा दी, ताकि वो जाकर कपड़े साफ करे और मुझे उनकी चूची देखने को मिले। फिर वो थोड़ा सा चिल्लाते हुए बोली कि क्या करता है? थोड़ा देखकर रंग लगा तो मैंने उनसे कहा कि आप बैठे ही ऐसी जगह पर है जहाँ पर रंग तो गिरेगा ही, वैसे आपको एक बात बताऊँ ये रंग गिरने से आप बहुत सुंदर दिख रही हो। तो उसने हट कहा और हँसते हुए बाथरूम की और जाने लगी। फिर वो थोड़ी देर में वापस आई। अब उसने अपनी ड्रेस भी चेंज कर ली थी और कहने लगी कि लाओ में भी तुम्हारा हाथ बटा दूँ। फिर मैंने कहा कि रहने दीजिए, लेकिन वो जिद करने लगी और मैंने उनसे कहा कि जैसी आपकी मर्ज़ी। अब वो भी काम कर रही थी, फिर लगभग 1 घंटे के बाद वो थक गई तो वो आराम करने के लिए बेड पर चली गई। फिर मैंने भी आराम करने के लिए काम करना छोड़ दिया। फिर मैंने मौसी से कहा कि चाय पीओगी, तो वो बोली कि ठीक है। फिर मैंने जल्दी ही चाय बना दी, अब जब वो चाय पी रही थी तो उनका आँचल बार-बार नीचे गिर रहा था।
फिर मैंने कहा कि आँचल तो ठीक रखो, तो वो उठकर ठीक करने लगी, लेकिन उनका पल्लू नीचे गिर गया और मेरे मुँह से अचानक निकल गया कि क्या चूची है? तो वो हट कहते हुए कहने लगी कि हाँ तेरे मौसा जी भी ऐसे ही कहते थे, लेकिन अब तो बस। फिर मैंने उन्हें बीच में टोकते हुए कहा कि क्या अब आपको उनकी याद नहीं आती? तो वो मुझसे लिपट गई, जिससे उनका स्तन मेरे सीने में रगड़ रहा था। फिर मैंने भी उन्हें अपनी बाँहो में ले लिया और उनके गले पर किस कर दिया। अब वो भी अपने आपको फ्री करते हुए मुझे किस करने लगी थी। फिर मैंने कहा कि मौसी क्या आपको मौसा जी के बिना रात अच्छी लगती है? तो वो नहीं का जवाब देते हुए कहने लगी कि आज तूने एक औरत को जगाया है। तो मैंने उन्हें अपनी बाँहो में उठाकर बेड पर प्यार से रखा और कहा कि क्या आपको अपनी इच्छा का कोई ख्याल नहीं है? तो वो बस रोने लगी।
फिर मैंने उन्हें शांत किया और धीरे से उनकी टांगो को सहलाना शुरू कर दिया और उनकी साड़ी को ऊपर करने लगा। अब वो भी कुछ समझ गई थी कि लड़का बड़ा हो गया है और औरत मर्द के रिश्ते को समझता है, तो वो कुछ नहीं बोली और फिर मेरे हौसले बढ़ते गये। फिर मैंने धीरे-धीरे उनकी पूरी साड़ी उतार दी, फिर मैंने उनकी चूची को मसलते हुए उनका ब्लाउज भी उतार दिया। अब उनकी चूची देखकर तो में किस करने लगा, अब उनका निप्पल सख्त हो गया था। फिर मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और अब में उनकी पेंटी को उतारने लगा था और वो गर्म होने लगी और मैंने धीरे से अपना हाथ उनकी चूत पर रख दिया। अब मेरा लंड तो खड़ा हो गया था, अब मौसी ने मेरे लंड को पकड़ लिया था। फिर मैंने उनकी दोनों टांगो को फैलाते हुए अपना मुँह उनकी चूत पर रख दिया और चाटने लगा। अब उनकी चूत पर मेरी जीभ लगते ही वो पागल सी हो उठी और कहने लगी कि आईईइ प्लीज़ और ज़ोर से किस कर। अब में अपने एक हाथ से उनकी चूची मसल रहा था और अपनी जीभ से उनकी चूत को चाट रहा था।
फिर लगभग 5 मिनट के बाद मैंने उनकी दोनों टांगो को अपने कंधे पर रख लिया। अब मेरे लंड को देखकर मौसी ने कहा कि इतना तो तेरे मौसा का भी नहीं था, अब मत रुक, प्लीज़ मुझे कुछ कर।
फिर मैंने अपना लंड उनकी चूत के ऊपर रखा और एक हल्का सा धक्का दिया तो मेरा सुपाड़ा उनकी चूत में घुस गया और उसके मुँह से आआहाआ असशह अशसस्स्स्स की आवाज़ आने लगी, क्योंकि उनकी चुदाई पिछले 2 सालों से नहीं हुई थी और उनकी चूत थोड़ी टाईट हो गई थी। अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, फिर मैंने अपना लंड बाहर निकालकर एक ज़ोर का झटका मारा तो मेरा आधा लंड उनकी चूत के अंदर चला गया और फिर हम दोनों मस्ती में डूब गये। फिर वो उनके हाथ से मेरे कूल्हों को पकड़कर अपनी और खींचने लगी और मेरा लंड पूरा ही उनकी चूत में घुस गया।
अब पूरे कमरे में पच-पच की आवाजे आने लगी थी और अब हम दोनों पूरी मस्ती में आ गये थे। अब मुझे ज़ोर से चोद, आज में बड़े दिनों के बाद चुदी हूँ ऐसी आवाजे आने लगी थी।
फिर थोड़ी देर के बाद में झड़ने वाला था, लेकिन मौसी अभी झड़ने वाली नहीं थी तो में उनकी चुदाई रोककर उन्हें किस करने लगा और फिर उनका पानी आने को हो गया। फिर मैंने एक बार में जोरदार धक्का मारकर अपना लंड उनकी चूत में अंदर डाल दिया।
अब पच-पच की आवाज के साथ में भी झड़ने वाला था तो मैंने पूछा कि क्या आपका पीरियड टाईम ख़त्म हो गया है?
तो वो बोली कि नहीं।
फिर मैंने कहा कि माल अंदर गिरा दूँ या बाहर ???
तो उन्होंने कहा कि अन्दर हि गिरा दे मेरा सेफ पिरीयड हे कुछ नहि होगा।
और मैंने पूरे जोश में पच-पच की आवाज के साथ उनकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया। अब हम दोनों बहुत मज़े ले रहे थे, फिर में उनके ही ऊपर ही लेट गया और उन्हें किस पे किस करता रहा।
फिर मौसी ने कहा कि सचमुच तुम बहुत अच्छा चोदते हो और में तुझसे चुदकर धन्य हो गई ।।
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लंड के पानी से बुझाई मौसी की चुदाई की आग
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सरला मौसी के कमनीय देह की कामना जाने कब से मेरे मन में थी. एक फिल्म में सुना था कि अगर सच्चे मन से किसी चीज की कामना करो तो पूरी कायनात तुम्हें उससे मिलाने में जुट आती है. कुछ ऐसा की हुआ. जिस परी जैसी मौसी की चुदाई के मैं सपने देखा करता था….वो वास्तविकता में मेरा लंड मांग रही थी………
मेरा नाम सोनू (जोगिन्दर) है. मैं राजस्थान हनुमान गढ़ का रहने वाला हूँ. मै एम. कॉम अंतिम वर्ष का छात्र हूँ. मेरी उम्र 24 वर्ष और मेरी हाईट 5.5’ है. मेरा लंड 7.5 इंच लम्बा और 3.5 इंच मोटा है. हमारे घर में सिर्फ 4 लोग हैं, माँ-पापा, मैं और मेरी बहन संजू.
एक मेरी माँ-पापा और मेरी बहन को चाचा की लड़की की शादी में जाना पड़ा. शादी में अभी काफी दिन बचे थे इसलिए मुझे घर पे ही रुकना पड़ा. मुझे खाना बनाना नहीं आता तो इसके लिए मेरी मौसी जिनका कि काफी पहले ही तलाक हो चुका था, उन्हें मेरे पास छोड़ गए. वो मेरी सगी मौसी नहीं थीं बल्कि मेरी माँ की मुह बोली माँ की बेटी थी.
मौसी से मेरी बहुत अच्छी बनती भी थी. मौसी दिखने में बहुत सुन्दर हैं. उनका नाम सरला है. गोरा रंग, भूरी आखें, शराबी होंठ, देखने का अंदाज सब होश उड़ाने वाला था. क्यूट सी स्माइल वाली मौसी परी से भी ज्यादा सुन्दर लगती थी. उनकी उम्र अभी 32 वर्ष थी. फिगर का तो पूछो मत! 34-28-36 वाली उनकी फिगर जब बुड्ढे भी देख लेते तो उनके मुँह में भी पानी आ जाता.
उस दिन जब मैं कॉलेज से घर आया तो मौसी ने मुझे फ्रेश होने के लिए कहा और खुद नीचे चली गयी. मैं भी थोड़ी देर बाद फ्रेश होकर नीचे आ गया. हम दोनों ने साथ में ही खाना खाया और फिर मैं पढाई करने में लग गया. शाम बीत जाने के बाद मैं ड्राइंग रूम में आकर टीवी देखने लगा. मौसी भी वहाँ चाय लेकर आ गयी. हम दोनों ने साथ में चाय पी और बैठकर बातें करने लगे.
मैंने कहा- मौसी! यहाँ मन नहीं लग रहा है क्या?
मौसी ने कहा- नहीं! शरीर दर्द कर करा है. सोचती हूँ! थोड़ा आराम कर लूं.
मैंने कहा- ठीक है मौसी! आप आराम करो. मैं जरा बाहर से घूम कर आता हूँ.
मौसी ने कहा- बैठो न यहीं! कुछ देर बातें करते हैं.
मैं वहीँ बैठ गया. मौसी ने कहा- अब तुम हमारे यहाँ नहीं आते. हमारी याद नहीं आती क्या?
मैं- ऐसी बात नहीं है. बस थोड़ा समय नहीं मिल पाया. वो मैं अपनी पढाई में बिजी था न!
मौसी- बस कर पता है मुझे, कितना बिजी था? वैसे तेरी गर्लफ्रेंड का क्या हुआ?
मैं- ब्रेक अप हो गया.
मेरे और मौसी के बीच का रिश्ता काफी दोस्ताना था. हम आपस में काफी खुल कर बातें करते है. इसलिए मैंने बिंदास होके बोला- अब दूसरी बनाने की तैयारी है.
मौसी- अच्छा!! कौन है?
मैं- मेरी बुआ की बेटी पूजा, मुझे बहुत पसन्द है.
मौसी- अच्छा बच्चू! अब घर की लड़कियों पे नजर है तेरी? वैसे पटने वाली नह्हीं है तुझसे.
मैं- क्यों? कोई पहले से ही है क्या?
मौसी- पता नहीं! लेकिन वो प्यार के खिलाफ है. उसे प्यार में ट्रस्ट नहीं है.
मैं- ओह! अब तो अकेला रहना पड़ेगा. वैसे मौसी, आप बताओ, आपकी प्रेम की नैया आपके ब्वायफ्रेंड के साथ कैसी चल रही है? आपको तो बहुत प्यार करता होगा?
मौसी उदास हो गयी. मुझे लगा कुछ गड़बड़ा है.
मैंने पूछा- क्या हुआ मौसी? कोई समस्या है क्या? जो भी है मुझे खुल के बताइए. हम दोनों तो दोस्त हैं न?
मौसी ने कहा- कहीं कोई समस्या नहीं है. घर वाले भी खुश रखते हैं और मेरा ब्वायफ्रेंड भी. लेकिन वो चुदाई करके मेरी प्यास नहीं बुझा पाता.
मैं तो उनके मुँह से ये सब सुनकर चौंक ही गया. मैंने कहा-आप लोगों ने तो कई बार सेक्स भी किया होगा. डॉक्टर को दिखाया कभी?
मौसी- समस्या मुझे नहीं है. लेकिन तुम तो जानते हो एक बार जिस लड़की की शादी हो जाती है उसे चुदाई की आदत लग जाती है. लेकिन वो मेरी प्यास नहीं बुझा पता.
फिर उन्होंने कहा- तुम बुझाओगे मेरी प्यास?
मैं- मैं कैसे मौसी? मैं नहीं.
इतना कहकर मैं चुप हो गया. लेकिन मुझे तो खुद मौसी की चूत मारने का मन था फिर भी जानबूझ कर चुप था.
थोड़ी देर बाद मैं और मौसी कमरे में सोने चले गए, सोने के लिए और आराम करने लगे. दोनों ही खामोश थे. फिर मैं अचानक से उठा और डायरेक्ट मौसी के होठों पे अपने होंठ चिपका दिए. हम दोनों एक दूसरे को जम कर किस करने लगे. काफी देर तक किस करते-करते हम दोनों ने एक दुसरे को नंगा कर दिया.
फिर मैं मौसी के बूब्स को चूसने लगा. मौसी के मुह से अआह….उफ्फ्फ्फ़… की आवाजें निकलने लगी.
मैंने कहा- मौसी! आज तो ऐसी चुदाई करूंगा कि किसी और से चुदने के लिए तैयार नहीं होगी.
तब तक वो मेरे लंड से खेलने लगीं. साफ़ पता चल रहा था कि उनके अन्दर चुदाई की जबरदस्त आग लगी हुयी है. मैं भी जल्दी से मौसी के ऊपर आकर 69 की अवस्था में आ गया. उनकी टांगों को फैलाकर उनकी चूत के दाने को अपनी जीभ से छेड़ने लगा. मेरा लंड उनके मुँह में घुसा हुआ था और उसे चूस रही थी. मैं कभी-कभी उनके चूत के दाने को हल्का सा काट लेता. वो सीईईईइ….कर के सिहर उठतीं. फिर उनकी चूत को खोलकर अपनी जीब से चोदने लगा.
मौसी ने कहा- तुम तो बहुत अच्छे से चूत चाट लेते हो. और तुम्हारा लंड भी मेरे ब्वायफ्रेंड से ज्यादा बड़ा है. तुम्हारा लंड तो मेरी चूत को फाड़ ही डालेगा.
इतना सुनते ही मुझमे और जोश भर गया. मैंने थोड़ा जोर से उनकी चूत को काट लिया. वो चिल्ला उठीं- हाय!!….सोनू…जरा आराम से चूस. लेकिन मैंने उनकी चूत के छेद को अपनी लम्बी जीभ से चोदना शुरू कर दिया. मौसी उह्ह्हह्ह….आआह्ह…और जोर से…कहते हुए साथ में मेरे लंड को भी चूसे जा रही थी. इतना मजा आ रहा था कि बस पूछो मत. थोड़ी देर के बाद मौसी झड़ गयी और मैंने भी अपने लंड का माल मौसी को पिला दिया.
फिर हम दोनों वाशरूम गए और खुद को साफ़ किया. मैंने उन्हें बाथरूम में ही किस करना शुरू कर दिया और साथ में बूब्स दबाने लगा. मौसी मेरे लंड को सहलाते हुए बोली- सोनू! अब और मत तडपाओ! चोद दो मुझे.
इतना सुनकर मैं मौसी को गोद में उठाकर लाया और बिस्तर पे लिटा दिया. फिर उनकी दोनों टांगों को अपने कन्धों पे रखकर अपने लंड को उनकी चूत की छेद पे घिसने लगा. वो सिसकारियाँ भर रही थी कि मैंने अचानक से एक जोर का धक्का मार के अपना आधे से ज्यादा लंड उनकी चूत में पेल दिया. मौसी छटपटाने लगी.
मौसी बोली- अरे सोनू! धीरे कर….तेरा बहुत बड़ा है.
लेकिन मैंने अगले धक्के में पूरा लंड उनकी चूत में समा दिया. थोड़ी देर रुक कर मैं धीरे-धीरे पूरे रिदम में उनको चोदने लगा.
मौसी को मजा आ रहा था. वो कहने लगी- चोद सोनू….आज जी भर के चोद…..मेरी चूत का इतने सालों बाद आज चुदने का मजा आ रहा है. बस चोदता रह.
मैं 15-20 मिनट तक लगातार उन्हें चोदता रहा. मौसी ने दो बार अपना पानी भी झाड़ लिया था. अब जब मुझे लगा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ तो
मैंने पूछा- कहाँ निकालूँ ???????
मौसी ने कहा- अन्दर ही डाल दे. बुझा दे मेरी चूत की प्यास.
मे बोला - मोसी आप पेट से हो गयी तो ??????
मोसी ने कहा - तु चिंता मत कर! मैं गर्भनिरोधक गोली खा लूंगी. कुछ नही होगा ।
फिर मैंने 15-20 झटके मार कर कर अपने लंड के अमृत से उनकी चूत को भर दिया. कुछ देर बाद हम फिर बाथरूम में जाकर एक दुसरे को साफ़ करने लगे.
अब जब भी हमें मौका मिलता है, जम कर चुदाई करते हैं. ।
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भाभी माँ का देवर … नादान
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दोस्तो, आज सुबह मैं रेडियो पर एक गाना सुना।
‘हाय बड़ा नटखट है, बड़ा शैतान
भाभी माँ का देवर नादान।’
जब मैंने ये लाइन सुनी, भाभी माँ का देवर नादान तो मुझे एक वाकया याद आ गया, जो मैं आज आपके साथ सांझा करने जा रहा हूँ, तो लीजिये बड़े प्यार से पढ़िये।
दोस्तो, मेरा नाम प्रदीप है और मैं इस वक्त 20 साल का हूँ। मै कहानियाँ पढ़ता हूँ, पॉर्न भी देखता हूँ और अपनी बड़ी भाभी की चुदाई भी करता हूँ।
अब मर्दों के लंड तो ये इतना सा पढ़ कर ही खड़े हो गए होंगे, सोचने लगे होंगे कि मेरी भाभी दिखने में कैसी है, कैसे मैंने उसे पटाया और कैसे चोदा।
और भाभियों की चूत में भी सुरसुराहट हुई होगी कि हाय … अपने छोटे देवर से चुदवाती है, कैसा मज़ा आता होगा।
चिंता मत कीजिये, मैं अभी आप सब को अपनी सारी कहानी खोल कर सुना देता हूँ।
बात यूं है कि हमारे घर में हम सिर्फ चार लोग थे, माँ पिताजी और हम दो भाई। मगर हम दोनों भाइयों में उम्र का 12 साल का फर्क था। बड़े भैया से मैं बहुत डरता था।
मैं बहुत छोटा था, जब मेरे माँ और पिताजी गुज़र गए। उसके बाद मेरे बड़े भैया ने ही मुझे पाल पोस कर बड़ा किया, मुझे पढ़ाया लिखाया भी।
भाई तब 22 साल के थे जब उन्होंने शादी करी। हमारे घर में मुक्ता, उनकी बीवी, मेरी बड़ी भाभी बन कर आई।
शुरू से ही भाभी ने मुझे अपने बच्चों की तरह ही प्यार दिया। शादी के पाँच छह साल तक सब ठीक चला, मगर न जाने क्यों भाभी के कभी औलाद नहीं हुई। मतलब वो गर्भवती तो होती थी मगर हर बार उनका गर्भपात हो जाता।
वो बहुत रोती बिलखती. मगर भगवान को न जाने क्या मंजूर था।
मैं अपने बड़े भैया को बाबूजी और भाभी को भाभी माँ कहता था। दोनों मुझे अपने बेटे की तरह ही प्यार करते थे और मैं भी दोनों को ही अपने माँ बाप की तरह ही सम्मान देता हूँ, आज भी।
मगर कभी कभी किस्मत आपके लिए बहुत सख्त इम्तिहान लेकर आती है।
शादी के 6 साल बाद ही भैया का एक एक्सीडेंट में इंतकाल हो गया। मैं और भाभी तो बुरी तरह से टूट गए।
खैर भैया एक सरकारी महकमे में काम करते थे, तो भैया की जगह भाभी को नौकरी की ऑफर हुई, तो भाभी ने ले ली।
अब हमारे घर सिर्फ हम दोनों रह गए थे। पहले मैं भाभी माँ कहता था, मगर जब से भैया हमें छोड़ कर चले गए तो उसके बाद मैंने भाभी माँ को सिर्फ माँ कहना शुरू कर दिया क्योंकि वो मुझे अपने बेटे की ही तरह प्यार करती थी. कभी कभी गलती करने पर डांट भी देती थी, मार भी देती थी।
मगर मैं अपनी भाभी माँ की इतनी इज्ज़त करता हूँ, उनसे इतना प्यार करता हूँ कि मैंने कभी उनकी मार का या डांट का बुरा नहीं माना।
हम दोनों माँ बेटे की ज़िंदगी बड़े अच्छे से चल रही थी।
हालांकि कभी कभी मेरे कॉलेज के दोस्त मुझे मज़ाक में छेड़ देते थे कि तेरी भाभी तो बड़ी सेक्सी है, या भाभी के साथ क्या क्या करते हो। मगर मैंने उनकी बातों हमेशा सख्ती से काट दिया, तो कुछ समय बाद मेरे दोस्त भी समझ गए कि वो मेरी भाभी नहीं माँ हैं।
मगर उन दोस्तों के साथ मुझे ब्लू फिल्म देखने और हाथ से मुट्ठ मारने की आदत पड़ गई।
बेशक मैंने बहुत सी औरतों और लड़कियों के बारे में सोच कर मुट्ठ मारी थी, मगर मेरी सोच में मेरी भाभी माँ कभी नहीं आई। मैं उनकी इज्ज़त ही इतनी करता था कि कभी सोचा ही नहीं था कि भाभी माँ भी हैं तो एक औरत ही।
फिर एक दिन मेरे जीवन में एक बहुत बड़ी उठा पटक हो गई।
हुआ यूं कि मेरे एक दोस्त ने मुझे एक सेक्सी किताब दी, जिसमे अंग्रेज़ और हब्शी लड़के लड़कियां ग्रुप में एक दूसरे के साथ सेक्स कर रहे थे। उसमें बहुत सी तस्वीरें थी, किसी में कोई लड़की लंड चूस रही है, कोई चुद रही है। कोई लड़का किसी लड़की के मम्मे चूस रहा है, कोई चूत मार रहा है, कोई गांड मार रहा है।
मै उस किताब को अपने घर के ऊपर बने कमरे में ले गया, और अकेला वहाँ बैठ कर उस किताब को देखने लगा। देखते देखते मेरा तो लंड तन गया और मैंने अपना बरमूडा और चड्डी नीचे खिसकाई और लंड निकाल कर हाथ से मुट्ठ मारने लगा।
भाभी नीचे दोपहर का खाना बना रही थी।
एक के बाद एक बढ़िया बढ़िया और सेक्सी पिक्स आ रही थी। मेरा मन बेहद बेताब था, मैं मन ही मन सोच रहा था कि ऐसी ही कोई लड़की या औरत मेरे पास आ जाए जिसे मैं चोद कर अपनी काम वासना की पूर्ति कर लूँ।
मगर औरत मुझे कहाँ मिलती! इसलिए अपने हाथ से मुट्ठ मारना ही मेरा एक मात्र सहारा था। 18 साल का लौंडा, साढ़े 6 इंच का कड़क लंड। मुट्ठ मार कर अपने लंड की चमड़ी के टांके तो मैंने पहले ही तोड़ लिए थे।
कभी उस किताब में नंगी तस्वीरों को देखता, तो कभी आँख बंद करके उन लड़कियों से सेक्स करने के सपने देखता।
दीन दुनिया से बेखबर मैं अपने आप में ही मस्त हुआ मुट्ठ मरने के मज़े ले रहा था कि तभी सामने से आवाज़ आई- प्रदीप, ये क्या कर रहा है?
मैं एकदम से डर के काँप गया।
देखा तो सामने भाभी माँ खड़ी थी।
मेरे तो होश फाख्ता हो गए, क्या करूँ कुछ समझ ही नहीं आया।
इतने भाभी माँ चल कर मेरे पास आई और मेरे हाथ से वो किताब छीन ली- ये कहाँ से लाया?
उन्होंने पूछा।
मैं चुप।
उन्होंने किताब के एक दो पन्ने पलट कर देखे.
मैंने धीरे से अपना तना हुआ लंड छुपाने के लिए अपना बरमुडा और चड्डी ऊपर को खींची तो भाभी ने किताब फेंक कर झट से से मेरा बरमूडा मेरी कमर से पकड़ लिया.
फिर भाभी बोली- अब क्या छुपा रहा है, अब शर्म आ रही है, और ये गंद मंद देखते हुये शर्म नहीं आई? अपने हाथों से अपने जिस्म का नाश करते हुये शर्म नहीं आई?
मेरे बच्चे, ये सब करना ठीक नहीं है। इससे आदमी की ताकत खत्म हो जाती है. कल को तेरी शादी होगी तो कमजोरी की वजह से बीवी के सामने शर्मिंदा होना पड़ेगा। तुझे ऐसी गंदी आदत किसने लगा दी? कौन है वो हरामज़ादा, उसको तो मैं ज़िंदा नहीं छोड़ूँगी।
मैंने अपना बरमूडा थोड़ा ऊपर को सरकाना चाहा तो भाभी माँ ने फिर से बड़ी मजबूती से मुझे रोक दिया।
“क्या ऊपर को खींच रहा है, इतनी देर से मैं सामने खड़ी देख रही थी, तब तो नहीं छुपाया, अब छुपा रहा है। बहुत शर्मिला बन रहा है, हट, छोड़ हाथ!” कहते हुये भाभी माँ ने मेरा बरमूडा और चड्डी फिर से नीचे तक सरका दिया।
मेरा अधखड़ा सा लंड उनके सामने था। भाभी माँ ने बड़ी हसरत से मेरे लंड को देखा और फिर अपने हाथ में पकड़ लिया- कितने साल बाद देखने को मिला.
और ये कहते कहते उन्होंने मेरे लंड का टोपा अपने मुँह में ले लिया।
मैं एकदम से दूर छिटका- भाभी माँ, ये आप क्या कर रही हो?
वो उठ कर खड़ी हुई, और मेरे पास आ कर बोली- अच्छा, तू गंदी किताब देख कर हाथ से करे तो ठीक और मैं अगर कुछ करना चाहूँ तो गलत?
मैंने कहा- भाभी माँ ये सब गंदी औरतें हैं, इनका कोई दीन धर्म नहीं होता। आपको मैंने हमेशा अपनी माँ माना है, मैं अपनी माँ के साथ ऐसा नहीं कर सकता।
भाभी बोली- अच्छा, तू नहीं कर सकता, और अगर तेरी भाभी माँ कल को किसी गैर मर्द के साथ ऐसा करती है तो तब तू क्या कहेगा?
मैंने कहा- आप ऐसा क्यों करोगी?
वो बोली- क्यों … मैं क्या इंसान नहीं हूँ, मेरा दिल नहीं, मुझे इस सब की इच्छा नहीं होती। और तू तो मेरे घर का है। मेरे पति के वंश का, उनका ही लहू तेरी रगों में भी दौड़ता है। तुम में ही तो मैं तुम्हारे भैया को देखती हूँ। फिर तुम्हारे साथ ये सब गलत कैसे है?
मैंने कहा- नहीं, मैं इसे सही नहीं मानता, जो गलत है सो गलत है।
भाभी बोली- तो ठीक है, मैं तुम्हें ये सब करते देख चुकी, हूँ, और मेरा भी मन चाह रहा है, तो कल को अगर मैं किसी और के साथ ये सब करने लगूँ तो बुरा मत मानना।
मैं तैश में आ गया- आप ऐसा कुछ नहीं करेंगी, आप हमारे घर की इज्ज़त को इस तरह से नहीं लुटा सकती।
वो बोली- अब जब घर वाले ही अपने घर की इज्ज़त को नहीं संभाल सकते, तो कोई न कोई तो बाहर वाला लूट ही लेगा।
असमंजस में फंस गया मैं तो! भाभी माँ तो मन बना चुकी थी, मैं क्या करूँ, अपनी ही माँ समान भाभी के साथ सेक्स करूँ, या फिर उस दिन का इंतज़ार करूँ जिस दिन कोई हरामज़ादा मुझे मज़ाक में बताए कि तेरी भाभी माँ फलां फलां से चुदवा रही है।
मैं बहुत पशोपेश में था।
भाभी माँ बोली- देख, तू मेरा बेटा है, अगर तू ही मेरा ख्याल नहीं रखेगा, तो कौन रखेगा?
मैं इस असमंजस की स्थिति को बर्दाश्त नहीं कर पाया और रो पड़ा- नहीं माँ, मैंने आपको हमेशा अपनी माँ ही माना है, मैं ऐसा कभी सोच भी नहीं सकता।
भाभी आगे आई और उसने मुझे अपने सीने से लगा लिया- न मेरा बेटा, रो मत, रो मत, मैं तेरे साथ हूँ न, क्यों रोता है। अरे पगले इस से पहले दुनिया तेरी भाभी माँ को किसी न किसी तरीके से से फंसा कर खराब करे, अगर तू उसे संभाल ले तो इसमें क्या दिक्कत है। रहेगा तो फिर भी तू मेरा बेटा ही! इसमें कोई बुराई नहीं बेटा, बहुत से देवर भाभी में ऐसा होना आम बात है। अगर सच कहूँ, तो मैंने पहले भी कई बार ऐसा सोचा था, मगर तुमने कभी मेरी तरफ देखा ही नहीं, तो मेरी भी हिम्मत नहीं हुई। आज तुमको इस हालत में देखा तो मुझे सच में बहुत बुरा लगा कि मेरा
बेटा अपने हाथ से अपनी जवानी को क्यों खराब कर रहा है। तुम्हें एक सही मार्गदर्शन की ज़रूरत है। मैं तुम्हें समझाऊँगी के कैसे अपनी जवानी को बचा कर रखा जा सकता है। बस जो मैं कहती हूँ, तो वो करता जा।
अपनी ज़िंदगी के सबसे बड़े चक्रव्यूह में फंसा खड़ा रहा.
और भाभी माँ ने एक छोटा सा स्टूल खींचा और मेरे सामने उस पर बैठ गई. मेरा बरमूडा और चड्डी दोनों खींच कर बिल्कुल ही उतार दिये भाभी ने … मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा और फिर पहले तो उस उसके टोपे पर चूमा और उसके बाद अपने मुँह में ले लिया.
और ऐसा चूसा कि साला 5 सेकंड में ही मेरे लंड का लोहा बना दिया। पूरा अकड़ कर मेरा लंड जब खड़ा हुआ तो भाभी बोली- वाह क्या शानदार लंड है, ऐसा लंड तो मैं कब से चाहती थी! कब से … आह!
भाभी फिर से मेरा लंड चूसने लगी। उनके मुँह से तो जैसे लार की धार बह रही हो, मेरा लंड मेरे आँड वो सब चाट गई, चूस गई।
फिर वो स्टूल से उतर के नीचे फर्श पर ही बैठ गई और मेरी कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया.
और अब मेरा लंड अपने मुँह में लिया तो मेरी कमर को अपने हाथों से आगे पीछे हिलाने लगी.
तो उनका इशारा समझ कर मैंने भी अपनी कमर चालानी शुरू कर दी. और फिर तो मुझे मज़ा ही आ गया, भाभी का मुँह भी किसी चूत से कम नहीं था।
क्या मज़ा आया भाभी का मुँह चोद कर।
मैंने भी भाभी का सर पकड़ लिया और खुद से ही उनके मुँह को चोदने लगा। भाभी ने भी बड़े मज़े मज़े ले ले कर अपने गले तक मेरा लंड लेकर अपना मुँह चुदवाया।
फिर वो उठ कर खड़ी हुई और उन्होंने अपनी टी शर्ट और लोअर उतार दिया। पहली बार मैंने अपनी भाभी माँ को अपने सामने बिल्कुल नंगी देखा।
दूध जैसे गोरे, मोटे बड़े बड़े मम्मे, थोड़े ढलके हुये, मगर हल्के भूरे रंग के निप्पल … छोटे छोटे निप्पल।
मैंने आज तक भाभी माँ को ऐसे देखना तो क्या, कभी उनके बारे में ऐसा सोचा भी नहीं था. मगर आज वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी और मैं उनके सामने।
भाभी माँ ने जब मुझे उनके मम्मों को घूरते हुये देखा तो मेरे बिल्कुल पास आई और उनके निप्पल मेरे सीने को छू गए।
वो बोली- क्या देख रहा है मेरा बाबू? मम्मा का दुदु पियेगा? हाँ … भूखू लगी मेरे बाबू को? लो पियो!
और भाभी ने अपना एक मम्मा अपने हाथ में उठा कर मेरी तरफ बढ़ाया और दूसरे हाथ से मेरा सर नीचे को झुकाया.
फिर मैंने भी सारी शर्म लिहाज उतार फेंकी। मैंने भी आगे बढ़ कर भाभी का एक मम्म अपने मुँह से चूसना शुरू कर दिया और दूसरे मम्मे को अपने हाथ से दबाया।
मखमल जैसे नर्म मम्मे।
जितना दबाओ, दिल न भरे! और हल्के नमकीन स्वाद वाले उनके निप्पल, जितना भी चूसो मन न भरे।
मैं तो जैसे अपने होशो हवास ही खो बैठा।
भाभी ने मेरे लंड को सहलाया और बोली- अगर मेरा बाबू मेरा दुदु पिएगा तो बाबू को इसका दुदु अपनी मम्मा को पिलाना पड़ेगा.
और भाभी ने मेरे लंड को खींच कर इशारा किया।
मैंने कहा- भाभी माँ, मैं तो आज से आपका गुलाम! आप जो कहोगी मैं वो करूंगा।
भाभी बोली- तो ठीक है, यहाँ जगह ठीक नहीं है, नीचे चलते हैं, बेडरूम में बिस्तर पर आराम से सब करेंगे।
और भाभी ने अपना लोअर और टी शर्ट फिर से पहनी। मैंने सिर्फ अपना बरमूडा पहना और हम दोनों नीचे बेडरूम में आ गए।
अंदर आते ही भाभी ने अपनी लोअर टी शर्ट एकदम से उतार फेंके और मैं भी नंगा हो गया।
भाभी बिस्तर पर लेट गई और अपने हाथ के इशारे से मुझे बुलाया- आओ मेरे बालम, अपनी प्रियतमा के तन की प्यास बुझाओ।
मैं जा कर भाभी के ऊपर लेट गया।
भाभी ने मुझे कस कर अपने बदन से चिपका लिया और वो मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगी।
मैंने भी भाभी के होंठ, गाल, ठुड्डी सब चूसे। भाभी को उसकी गर्दन के आस पास चूमने चाटने से बड़ी गुदगुदी होती थी। जब भी मैंने ऐसा किया, वो बहुत खिलखिला कर हंसी।
तो मैंने कहा- भाभी माँ आगे करें?
भाभी बोली- अगर मैं करूँ तो?
मैंने कहा- आपकी मर्ज़ी … आप कर लो।
भाभी ने मुझे मुझे नीचे लेटाया और खुद मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गई। पहले अपने बाल बांधे, मैंने उनके दोनों मम्मो को अपने हाथों से पकड़ कर दबाया।
और फिर भाभी ने अपने मुँह से काफी सारा थूक लेकर मेरे लंड के टोपे पर लगाया. फिर मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर सेट किया. और जैसे ही भाभी थोड़ा सा नीचे को बैठी, मेरे लंड का टोपा उनकी गुलाबी फुद्दी में घुस गया.
मेरे मुंह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ निकल गया.
2-4 बार अंदर बाहर करने से ही मेरा सारा लंड भाभी माँ की फुद्दी में समा गया। भाभी माँ मेरा पूरा लंड अपनी फुद्दी में लेकर मेरी कमर पर ही बैठ गई। हम दोनों एक दूसरे को देख रहे थे।
वो क्या सोच रही थी, मुझे नहीं पता। मगर मैं ये सोच रहा था कि इंसानी रिश्ते कैसे होते हैं, कब इन रिश्तों का क्या रूप बदल जाए कोई कुछ नहीं कह सकता।
अभी सुबह तक जो मेरी भाभी माँ थी, जिसे मैं अपनी पालने वाली माँ मानता था। अब वो मेरी महबूबा थी और मेरा लंड अपनी चूत में लिए बैठी है।
मैं भाभी माँ के मम्मो से खेलता रहा।
भाभी थोड़ा सा आगे को झुकी और फिर वो अपनी कमर आगे पीछे को हिलाने लगी।
सच में इस चुदाई में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। हाथ से मुट्ठ मारना तो इसका 1 प्रतिशत भी नहीं नहीं है।
एक गोरी छिट्टी भरपूर औरत मेरे ऊपर नंगी बैठी मुझे एक उत्तम आनंद दे रही थी।
काफी देर भाभी खुद ऊपर चढ़ कर चुदवाती रही और मैं नीचे लेटा कभी उनको मम्मों से खेलता, कभी उनको चूसता। बीच बीच में भाभी नीचे को झुक कर मेरे होंठ चूसती, अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल देती।
साला कोई फर्क ही नहीं रह गया था, उनका थूक मेरे मुँह में, मेरा थूक उनके मुँह में।
भाभी की चूत जितना पानी छोड़ रही थी, उनके मुँह से भी उतनी ही लार टपक रही थी। कई बार उनके मुँह से लार मेरे मुँह पर मेरे सीने पर गिरी मगर मुझे कोई ग्लानि महसूस नहीं हुई।
बल्कि मैं तो उनकी टपकती हुई लार को चाट रहा था। उनको होंठों को चूस रहा था, उनके मम्मों पर अपने दाँतों से काट रहा था।
भाभी तड़पती, लरजती, मगर उन्होंने मुझे रोका नहीं।
फिर वो उठी और बोली- चल ऊपर आ!
वो नीचे लेट गई। उन्होंने अपनी टाँगें पूरी तरह से खोली।
हल्की झांट के बीच उनकी साँवली सी चूत, मगर चूत के दोनों होंठों के बीच में से झाँकता गुलाबी रंग का दाना।
मैंने भाभी की चूत के दाने को अपनी उंगली से छूआ।
भाभी ने ‘सी…’ करके सिसकी भरी। मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा, तो भाभी ने अपने हाथ से पकड़ कर सेट किया, और अगले हल्के से धक्के से मेरा लंड भाभी माँ की चूत में समा गया।
फिर मैंने अपने हिसाब से चुदाई शुरू की, जैसे के मैंने ब्लू फिल्मों में लोगों को करते देखा था। कितनी देर मैं भाभी को बिना रुके बिना झड़े चोदता रहा।
इस दौरान भाभी एक बार बहुत तड़पी थी।
मैंने पूछा- आपका हो गया?
वो मुस्कुरा कर बोली- हाँ, मेरे यार ने मेरी तसल्ली करवा दी।
उसके कुछ देर बाद मैंने कहा- भाभी मेरा होने वाला है कहा निकालु ????????????
भाभी बोली- रुक, अंदर मत गिराना पेट मे बाच्चा ठेहर जायेगा । मेरे मुँह में गिरादे, मुझे तेरा टेस्टी गाढ़ा माल पीना है।
मैंने अपना लंड भाभी की चूत से बाहर निकाला तो भाभी अपने हाथ से मेरे लंड को फेंटने लगी और 2 मिनट में ही जब मेरे लंड से माल गिरने को हुआ, मैंने अपना लंड भाभी के मुँह में घुसा दिया और मेरा सारा माल भाभी माँ के मुँह में झड़ा।
जैसे जैसे एक के बाद एक वीर्य की पिचकारी भाभी माँ के मुँह में छूटी, वैसे वैसे वो उसे पीती गई।
मैं देख रहा था कि कैसे मेरा माल भाभी माँ के गले से नीचे उतर रहा था।
वो हाथ से मेरे लंड को हिलाती भी रही और जीभ से मेरे लंड को चाटती भी गई, पूरा माल पी गई, और उसके कितनी देर बाद तक मेरे लंड को अपने मुँह में लिए रही।
आखिरी बूंद तक वो पी गई।
जब मेरा लंड ढीला पड़ गया तब उन्होंने अपने मुँह से अपने देवर का लंड निकाला। चूस चूस के मेरे लंड को भाभी ने लाल कर दिया था।
मैंने पूछा- भाभी माँ, कैसा लगा?
वो बड़ी खुश होकर बोली- यार मज़ा आ गया।
मैंने कहा- और मज़ा करोगी?
वो बोली- क्यों नहीं?
मैंने कहा- तो इस बार सारी चुदाई मैं अपने ढंग से करूंगा।
वो बोली- अरे मेरी जान, तेरी रांड हूँ, अब तो मैं! जैसे चाहे चोद ले।
मैं अगली चुदाई के लिए अपने लंड को हिलाने लगा और सोचने लगा, इस बार साली भाभी रांड को घोड़ी बना के नहीं कुतिया बना के चोदूँगा।
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बेटे की टीचर की चूत चुदाई
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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अविनाश मिश्रा है,
मैं एक शादीशुदा आदमी हूँ, मेरी शादी को 12 साल हो चुके है और मेरा 10 साल का बेटा है।
मेरी पत्नी और मैं हम दोनों ही जॉब करते हैं मेरा बेटा विवेक जो 5th क्लास में पढ़ता है, उसके कॉलेज से हमेशा ही शिकायतें आती थी कि वो ठीक से पढ़ाई नहीं करता है।
एक दिन मेरे बेटे के कॉलेज से फ़ोन आया और हम दोनों (मेरी पत्नी और मुझे) कॉलेज बुलाया गया।
जब हम कॉलेज गए तो मेरे बेटे की टीचर हमें मिली, वो हम से बेटे की शिकायतें करने लगी कि विवेक पढ़ाई में बहुत कमजोर है, आप लोगों को उसे पढ़ाना चाहिए, वो होमवर्क भी नहीं करता है।
काफी कुछ सुनने के बाद जब हम घर आए तो मेरी पत्नी ने मुझसे कहा- क्यों न हम अपने बेटे विवेक को पढ़ने के लिए एक ट्यूटर रख लें?
तो मेरी पत्नी की सहेली ने हमें एक ट्यूटर का पता दिया, उसका नाम था नन्दिनी!
मैं उसके घर गया और अपनी सारी हालत बताई तो वो मेरे बेटे को पढ़ाने के लिए तैयार हो गई, उसने अपनी टाईमिंग हमें शाम 6 से 7 की दी थी।
नन्दिनी को मैं जब भी देखता था, मेरे अंदर एक अजीब सी हलचल मच जाती थी, वो थी ही इतनी खूबसूरत…
उसकी उम्र 27-28 लगभग होगी उसका फिगर 36-32-36 था। वो साड़ी पहन कर आती थी और साड़ी को नाभि के नीचे से बांधती थी।
नन्दिनी को देख कर मेरे मन उसे चोदने को करता था, मैं सपने देखा करता था कि काश एक बार नन्दिनी को चोदने का मौका मिले!
मुझे नहीं पता था कि एक दिन मेरा यह सपना सच हो जायेगा।
एक बार की बात है, मैंने और मेरी बीवी, हम दोनों ने अपने अपने ऑफिस से छुट्टी ले रखी थी किसी काम के कारण…
दिन के टाइम हमने अपना काम पूरा कर लिया फिर शाम को मेरी पत्नी बेटे को लेकर शॉपिंग के लिए चली गई और मुझसे कहा- मैंने नन्दिनी को फ़ोन लगाया था, उसका फ़ोन नहीं लगा रहा था। शाम को वो आये तो उसे बता देना कि मैं विवेक को लेकर शॉपिंग पर गई हूँ और हम आने में लेट हो जायेंगे।
अब मेरी बीवी तो जा चुकी थी और घर में मैं अकेला ही था तो मैं टीवी देखने लगा।
कुछ ही देर बाद जोरदार बारिश होने लगी।
शाम के छः बज चुके थे, तभी डोरबेल बजी मैंने दरवाजा खोल तो नन्दिनी ही थी, वह बारिश में बुरी तरह भीग चुकी थी।
मैंने उसे अंदर आने को कहा, वो अंदर आकर सोफे पर बैठ गई।
तब मैंने उसे बताया- मेरी वाइफ और विवेक दोनों शॉपिंग लिए गए हैं, मेरी वाइफ ने आपको फ़ोन भी लगाया था यह बताने के लिए पर आपका फ़ोन नहीं लगा।
कुछ देर तो वो कुछ भी नहीं बोली, फिर कहा- ठीक है, तो मैं चलती हूँ!
तो मैंने नन्दिनी से कहा- कुछ देर रुक जाओ, बारिश बहुत तेज हो रही है और आप भीग भी चुकी हैं। इस तरह तो आप बीमार हो जाओगी।
मैंने नन्दिनी से कहा- आप अंदर जाकर मेरी वाइफ के कपड़े पहन लीजिये, तब तक मैं आपके लिए कॉफी बना देता हूँ। आपको कॉफ़ी पीकर अच्छा लगेगा।
नन्दिनी मेरे रूम में चली गई।
मैं जब कॉफी लेकर रूम में गया तो नन्दिनी को देख कर दंग रह गया, वो एकदम नंगी थी और कपड़े ढूंढ रही थी पहनने के लिए!
मुझे देखते ही उसने अपने एक हाथ से बूब्स को और एक हाथ से अपनी चूत को छुपा लिया।
कुछ देर तो मैं उसे ऐसे ही देखता रहा, फिर नन्दिनी ने ही मुझसे कहा- मुझे कपड़े नहीं मिल रहे हैं, आप देख कर दे दो!
नन्दिनी को इस हालत में देख कर मेरे लण्ड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और मेरे मन में नन्दिनी को चोदने के ख्याल आने लगे, मेरा मन बेकाबू होने लगा, मैंने किसी तरह अपनी वाइफ की एक साड़ी, ब्लाउज, पेटिकोट निकाला और नन्दिनी की तरफ उसे देने के लिए बढ़ा।
वह साड़ी लेने के लिए जब मेरी तरफ आई तो उसका पैर ज़मीन पर बिछे कार्पेट में फंसा और वो गिरने लगी तो मैंने उसे संभाला।
नन्दिनी के दोनों हाथ उसकी चूत और बूब्स पर से हट चुके थे, उसके नंगे बूब्स तो अब बिल्कुल मेरी नजरों के सामने थे।
मैंने मन में सोचा कि यही सही मौका है और मैंने अपना मुँह नन्दिनी के बूब्स पर लगा दिया।
नन्दिनी के एक उरोज को मैंने अपने मुख में ले लिया और उसे चूसने लगा।
तब नन्दिनी जोर से चिल्लाई- यह क्या कर रहे हो? छोड़ो मुझे!
और वो मुझे धक्का देकर मेरी बाहों में से छूटने की कोशिश करने लगी।
पर मेरी मजबूत बाहों से वो कहाँ छूटने वाली थी।
नन्दिनी चिल्लाये जा रही थी- छोड़ दो मुझे… यह क्या कर रहे हो?
पर मेरे ऊपर तो जैसे उसे चोदने का भूत सवार था।
फिर मैंने अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में डाल दी और उनको अंदर बाहर करने लगा। मेरे ऐसा करने से नन्दिनी का चिल्लाना कम हो गया और उसके चिल्लाने की आवाज अब सिसकारियों में बदल गई क्योंकि अब वो भी गर्म हो गई थी।
अब उसने अपने आपको मेरी मजबूत बांहों से छुड़ाने की कोशिश भी बंद कर दी और मेरी इन हरकतों का मजा लेने लगी।
मैंने नन्दिनी को बेड पर लिटा दिया तब वो मुझ से बोली- ये सब गलत है आप छोड़ो, मुझे जाने दो!
उसकी बात सुन कर मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उन्हें चूसने लगा।
नन्दिनी भी अब पूरा साथ देने लगी थी।
कुछ देर तक तो हम दोनों एक दूसरे को इसी तरह चूमते रहे।
नन्दिनी तो पूरी तरह नंगी थी पर मैंने अभी कपड़े पहने हुए थे तो फिर मैंने बेड से नीचे उतर कर अपने सारे कपड़े उतार दिए।
मेरा लण्ड एकदम तना हुआ था, मेरे लण्ड को देख कर नन्दिनी के मुँह में भी पानी आ गया तो उसने मेरे लण्ड को अपने हाथ में लिया और उसे सहलाने लगी।
फिर धीरे से लण्ड को चूमते हुए उसने पूरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपोप की तरह चूसने लगी।
कुछ देर के बाद मैंने मेरा सारा पानी उसके मुँह में छोड़ दिया और वो मेरा सारा पानी पी गई।
अब मैंने उसको बेड पर लेटाया और उसकी क्लीन शेव चूत को चाटने लगा।
क्या कहूँ दोस्तो… क्लीन शेव चिकनी चूत का अलग ही मज़ा है।
मैं उसको अपनी जीभ से चोद रहा था और फिर वो थोड़ी देर के बाद झड़ गई।
फिर मैं उठकर उसकी बगल में लेट गया और उसके बूब्स से खेलने लगा, वो भी मेरे लंड से खेलने लगी।
अब मेरा लंड फिर से टाईट हो गया और उसको बुलाने लगा तो वो देखकर उठ गई और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत में घुसाने लगी।
वो मेरे ऊपर थी और उसके बाल खुले हुए थे, वो क्या खूबसूरत लग रही थी।!
उसके बूब्स मेरे चेहरे के सामने हिल रहे थे, मैं उसके हिलते हुए बूब्स को पकड़कर चूसने लगा और अब वो ऊपर नीचे हिल रही थी और चिल्ला रही थी- पूरा चोदो!
अब मेरा लंड पूरा उसकी चूत के अंदर घुसता जा रहा था और मेरा लंड उसकी चूत की गर्मी भी महसूस कर रहा था।
नन्दिनी मेरे लंड की दीवानी हो चुकी थी और वो बहुत गर्म भी हो गई थी, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी।
फिर मैं उसको बाहों में लेकर बैठ गया और अब भी मेरा लंड अंदर ही था। मैं बैठे बैठे ही उसे चोदने लगा।
तभी उसने मुझे ज़ोर से अपनी बाहों में भर लिया, अब वो अपने अंतिम चरण में यानि परम आनन्द प्राप्त करने की स्थिति में पहुँच गई थी।
फिर हमने अपने स्टाईल को चेंज किया और डॉगी पोज़िशन में आ गये।
अब मेरा लंड थोड़ा नीचे की ओर झुका तो डॉगी पोज़िशन में उसके प्यूबिक एरिया में वो घिस रहा था।
इससे उसको बहुत मज़े आ रहे थे और अब मैं साथ साथ उसके चूत के दाने को भी अपनी उंगली से रगड़ रहा था।
फिर कुछ देर के बाद नन्दिनी फिर से झड़ गई और यह उसका दूसरी बार था।
नन्दिनी ने कहा कि आज जितना मज़ा उसको आ रहा है, इतना मज़ा उसको उसके 5 साल के शादीशुदा जीवन में कभी नहीं आया।
मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी और उसको ज़ोर-ज़ोर से झटके मारने लगा और तभी मैं भी झड़ने वाला था तो मैंने कहा- मेरा निकलने वाला है कहा निकालु ।
उसने कहा- अंदर ही डाल दो, कुछ नहि होगा मेरा अभी सेफ पीरियड है ।
तभी एकदम से मैं झड़ गया और उसको पकड़कर बेड पर ही लेट गया।
फिर मैंने नन्दिनी से पूछा- कैसा लगा?
तो उसने मुझे बहुत सारे चुम्बन दिए और बोली कि उसको उसके पति के साथ भी इतना मज़ा नहीं आया, जितना आज आया है।
फिर मैं उठा, अपने आपको साफ किया और कपड़े पहनने लगा।
वो अपने बेड पर ऐसे ही नंगी लेटी थी और मुझे बड़े प्यार से देख रही थी।
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गर्लफ्रेंड की देसी माँ की चूत चुदाई
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दोस्तो मैंने एकबार गांव की ही एक लड़की को पटा कर चुदाई की और अब चुदने की बारी उसकी माँ की थी।
उसकी माँ भी अपनी बेटी की तरह ही मस्त माल थी। सैंतीस साल के लगभग होगी उसकी मां की उम्र। गांव की औरतें तो काम धंधा करने की वजह से वैसे ही फिट रहती हैं। इसका पति फौजी था तो साल में 2 बार ही घर आता था। मुझे वैसे भी उसे पटाने में ज्यादा दिक्कत नहीं होनी थी। बस मौके की तलाश करनी थी बाकी चुदने को तो वो भी मरी जा रही थी।
कुछ दिन मैंने उसकी बेटी को अपने कमरे या जंगल में ही चोदा। उसकी माँ जब भी मुझे गांव में मिलती तो मुझे देख कर मुस्कुरा देती. मैं भी मुस्कुरा कर निकल लेता।
एक दिन जब हमारे आस-पास कोई नहीं था वो मेरे सामने ही साड़ी के ऊपर से ही अपनी चूत खुजलाने लगी।
यह मेरे लिए साफ इशारा था कि उसकी चूत अब लण्ड मांग रही है.
मैंने भी ऊपर से ही उसे लण्ड सहला कर दिखाया।
वो आज भी मुस्कुरा कर निकल गयी। हम दोनों को पता था गांव में खुलेआम कुछ भी नहीं हो पायेगा और उसके लिए तो कमरा ही चाहिये।
एक दिन वो फिर मुझे अकेले में मिली और बोली- राज सुनो, जब से मैंने तुम्हें अपनी बेटी को ठोकते हुए देखा है तब से ही तुम्हारा लण्ड मुझे भी अपनी चूत में लेने की इच्छा है। बोलो कब चोदोगे मुझे?
“आंटी जी, मैं तो अभी चोद दूं मगर आप की बेटी को पता चल गया तो ये ठीक नहीं होगा। अभी कुछ दिनों बाद ही कॉलेज की छुट्टियां होने वाली हैं. आप अपने बच्चों को उनके ननिहाल भेज देना तब मैं आपकी सारी खुजली मिटा दूंगा। अगर ज्यादा ही जल्दी है मेरा लण्ड लेने की तो रात में मेरे कमरे में आ जाओ वहीं आपकी खुजली मिटाने का जुगाड़ कर देता हूँ।”
“ना बाबा ना … अगर किसी को भनक भी लग गयी तो मेरा तो गांव में रहना मुश्किल हो जाएगा। जहां इतना इंतजार किया है मैं कुछ दिन और रह लूंगी पर चुदाई तो मैं अपने ही बिस्तर पर करवाऊंगी।”
“तो ठीक है आंटी, और थोड़े दिन इंतजार करो, फिर मिलते हैं।”
कुछ दिनों बाद ही कॉलेज की सर्दियों की छुट्टियां पड़ने वाली थी. उससे पहले एक बार मौका निकाल कर मैंने उसकी बेटी को जम कर चोदा। फिर तो छुट्टियां भी हो गयीं और आंटी ने अपने दोनों बच्चों को नानी के घर भेज दिया। दिन में दोनों बच्चे मेरे ही सामने निकले। दोनों भाई-बहन को मैंने बाय कहा। दोनों मुस्कराते हुए निकल गए। उनकी माँ भी उन्हें छोड़ने सड़क तक आयी थी।
दोनों के जाते ही आंटी बोली- राज अब रास्ता पूरा साफ है। आज से लेकर और अगले 15 दिन तक मैं घर में अकेली हूं। आज रात को ही टाइम पर आ जाना. मैं तुम्हारा इंतजार करुंगी।
“आंटी घर में सबके सोने के बाद ही मैं आपके पास आऊंगा। दरवाजे में कुंडी मत लगाना, सिर्फ भेड़ कर छोड़ देना ताकि मैं बिना आवाज के अंदर आ सकूं और तुम्हारे भी पड़ोस में किसी को पता ना चल सके।”
“ठीक है.” कहकर आंटी भी अपने घर चली गयी।
अब बस रात होने का इंतजार करना था. जब मुझे बेटी के बाद उसकी मां की चूत मारने का मौका भी मिलने वाला था. वो भी पूरे 15 दिन तक। मैंने दिन में ही अपनी पूरी साफ सफाई कर ली। लण्ड को तेल लगा लगा कर चमकाया। उसके चारों ओर उगे झांट के बालों को रेजर से साफ कर लिया। अब मेरा लण्ड आंटी की चूत में जाने की पूरी तैयारी कर चुका था।
गांव में तो रात को खाना सभी जल्दी खा कर सो जाते हैं ताकि सुबह जल्दी उठा जा सकें। रात को घर में सबके खाना खाने के बाद सभी अपने अपने कमरों में सोने चले गए। एक घंटे बाद ही सभी जगह सन्नाटा पसर गया।
मैंने कुछ देर और इंतजार किया और बाहर आकर देखा तो चारों ओर शांति छायी हुई थी। वैसे भी मैं अकेला ही नीचे सोता था बाकी सभी पहली मंजिल में सोते थे तो किसी बात का तो डर था नहीं। वैसे भी घर वालों को कौन सा पता होना था कि मैं आज रात किसी की माँ चोदने जा रहा हूँ।
मैंने अपना दरवाजा बाहर से बंद किया लेकिन कुंडी नहीं लगाई ताकि कोई नीचे आ भी गया तो उसे यही लगे कि दरवाजा अंदर से ही बंद है। दरवाजा जल्दी न खुल पाए इसके लिए मैंने नीचे से उसमें गत्ता फंसा दिया ताकि वो हवा के जोर से खुल न पाये। मैंने पूरे कपड़े काले पहने थे और सर में भी काली टोपी डाल ली ताकि रात में कोई गली में बाहर भी देखे तो मुझे देख ही न पाये।
पूरी तैयारी के साथ मैं 11 बजे आंटी के घर पहुंच ही गया।
उनके आंगन में जाने से पहले वहां भी मैंने आस-पास देखा. सब ठीक था। आंटी ने भी घर के बाहर की सारी लाइटें बंद कर रखी थीं जो मेरे लिए काफी फायदेमंद था.
मैं झट से उनके घर के अंदर घुस गया. दरवाजा तो बस धकेलना ही था. थोड़ी ही देर में मैं उनके कमरे के अंदर था।
जैसे ही मैंने लाईट जलाई तो आंटी बोली- राज आज के लिए लाइट बंद कर दो कल से चाहे तुम्हारी जो मर्जी हो। आज पहली बार मुझे शर्म भी बहुत आ रही है।
मैंने भी सोचा कि एक बार ऐसे ही चोद लेता हूँ। चुदने के बाद तो वैसे ही इसकी सारी शर्म हवा हो जाएगी। मैंने दुबारा से लाइट बंद कर दी और दरवाजे पर कुंडी लगाकर अपनी टोपी और जूते उतार कर उनके बिस्तर में उनकी बगल में लेट गया।
जैसे ही मैं उनके बिस्तर में पहुँचा वो भी मुझ से सट गयी। बाहर मौसम ठंडा था तो मैंने अपना एक हाथ उनकी कमर में रख लिया।
फिर आंटी ने मुझ से कहा- राजा मुझे ज़ोर से पकड़ो. अगर तुम्हें बहुत ठंड लग रही है तो अब सारी ठंड भाग जाएगी तुम्हारी।
मैंने उनसे कहा- आप घूम कर लेट जाओ.
आंटी के सिर को मैंने अपने एक हाथ के नीचे रखा और दूसरा उनके पेट पर रखा। अब हम दोनों की पोजिशन कुछ इस तरह थी कि उनकी गांड मेरे लंड पर पूरी तरह से चिपकी हुई थी और मैं पूरी तरह से उसे दोनों हाथों से पकड़े हुआ था।
मेरा लंड आंटी की गांड की दरार के बीच में घुस कर टाइट होने लगा था। मैं अपनी कमर को और आगे ले जाने लगा और अपनी पकड़ को भी टाइट करने लगा। आंटी ने भी अपनी कमर और पीछे खिसका ली. कुछ ही देर में मेरी ठंड गायब थी और मेरा लंड अब मेरे बस में नहीं था। मेरा लंड अब बेकाबू हो रहा था और वो पूरी तरह से आंटी की चूत में घुसने को तैयार था।
आंटी शायद शर्म की वजह से ज्यादा आगे नहीं बढ़ पा रही थी। सभी औरतों का यही हाल होता है. वो किसी और से चुदना तो चाहती हैं पर अपनी शर्म को छोड़ना भी नहीं चाहती। सोचती हैं कि सामने वाला मुझे चोद जाये पर मैं ना-ना करती रहूं या कुछ भी न करूं।
यही हाल यहाँ आंटी का भी था।
तभी मैंने अपने हाथ को उनके ब्लाउज के नीचे घुसा कर उनके पेट पर रख दिया. उनका पेट तो गर्म हो रहा था। मेरा ठंडा हाथ रखने से मुझे भी काफ़ी अच्छा लग रहा था।
मैं अपने हाथ को आंटी के पेट पर और ज़ोर से रगड़ने लगा। मैं धीरे-धीरे उसके पेट को सहलाने लगा। सहलाने के कारण कई बार मेरा हाथ उनकी चूचियों से टकराया लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा।
अब मैं आंटी के एक दूध को पकड़ कर सहलाने लगा। उनकी दूध का निप्पल बिल्कुल टाइट हो कर बाहर निकल गया था। मैं उनके निप्पल को उंगलियों के बीच रख कर धीरे-धीरे घुमाने लगा। अब उनके मुंह से सिसकारियां निकलनी शुरू हो गयी थी।
फिर मैंने उनके ब्लाऊज के सारे बटन आगे हाथ ले जाकर खोल दिये और पीछे से पूरी उठा कर उसको गर्दन तक कर दिया और उसकी ब्रा के हुक भी खोल दिये. फिर मैंने भी अपनी टी-शर्ट और बनियान उतार कर अपने पेट और सीने को उसकी नंगी पीठ पर सटा कर पूरी तरह से खुद को आंटी से चिपका लिया.
आंटी को भी मेरे जिस्म की गर्मी अच्छी लग रही थी. वो भी मुझसे पूरी तरह से चिपक गयी थी। अब मेरे लंड को और रोक पाना मेरे लिये मुश्किल हो रहा था। मैं उसके पेटिकोट का नाड़ा खोलकर उसके पेटिकोट को धीरे धीरे नीचे करने लगा तो वो थोड़ी-थोड़ी कमर उठाने लगी। मैं समझ गया कि आंटी को अब लंड की गरमी की ज़रूरत है. वो अब पूरी तरह से तैयार थी।
मैंने अब अपने बाकी कपड़े भी उतार फैंके और उन्हें भी पूरी नंगी करने के लिए पहले उनका ब्लाउज और ब्रा उतारी और फिर उनके पेटिकोट को पूरा उतार दिया। अन्दर से और कुछ पहना नहीं था उन्होंने, जो मेरे हाथों से उनके चूतड़ सहलाने पर मुझे मालूम हुआ।
जैसे ही मैंने उनकी चूत को छुआ उनकी आह … निकल गयी। वो मुझ से अभी भी कुछ नहीं बोल रही थी. शायद शर्म का पर्दा भी बिना चूत में मेरे लण्ड के गए हुए फटता नहीं दिखाई दे रहा था मुझे। उनकी चूत पूरी गीली थी. मेरा भी बुरा हाल था.
मैंने अपने लण्ड पर थोड़ा थूक लगाया और उनके पीछे पहले की तरह लेट गया। लण्ड को उनकी चूत के मुहाने पर थोड़ी देर घिसा, उन्होंने भी अपनी कमर पीछे को करके लण्ड का स्वागत किया. फिर मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रख कर धीरे से एक धक्का मारा और लंड पूरा का पूरा चूत में घुस गया।
मैं अब उसकी चूचियों को अपने हाथों से ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था। अब मैंने धीरे-धीरे पीछे से उनकी चूत में धक्के लगाने शुरु किये।
वो भी आह-आह के साथ ही इस चुदाई का मजा ले रही थी।
चूत में लण्ड जाने के अब कुछ देर बाद ही उनकी शर्म का पर्दा भी हट ही गया। थोड़ी देर के बाद वो मेरी तरफ़ घूम गयी। मैं अब उनके दोनों पैरों को खोल कर बीच में बैठ गया और उसकी चूचियों को मुंह से चूसने लगा।
तभी आंटी मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत की तरफ़ खींचने लगी। मैं समझ गया कि उसकी चूत चुदवाने के लिये बेताब हो रही है।
मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत के छेद पर रख कर एक जोर का झटका मारा और पूरा का पूरा लण्ड उसकी पनियाई देसी चूत में घुस गया। वो पूरी मस्ती में आ चुकी थी। उसके मुंह से ऊह-आह की आवाज़ निकल रही थी। मैं पूरी स्पीड में अपने लण्ड को पूरा बाहर करके अंदर डाल रहा था। लण्ड और आंटी की चूत के टकराने से थप-थप की आवाज़ आ रही थी। आंटी भी अपनी कमर को उठा-उठा कर पूरा साथ दे रही थी।
फिर अचानक वो मेरी कमर को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से खींचने लगी. मैं भी ज़ोर-ज़ोर से उसे चोदने लगा और फिर अचानक मेरे लण्ड ने 8-10 झटकों में पिचकारी की तरह पूरी गर्मी को आंटी की चूत में भर दिया। आंटी भी पूरी ताकत से मेरे सीने से चिपक गयी। हम दोनों आधे घंटे तक वैसे ही पड़े रहे।
“तो आंटी … कैसी रही चुदाई, मजा आया या नहीं?” मैंने पूछा.
“हुम राजा, बहुत मजा आया. बहुत दिनों बाद लण्ड लिया।”
“लेकिन आंटी मैं आपसे खुश नहीं हूं. आपने बिल्कुल भी मेरा साथ नहीं दिया. पहले सब कुछ मुझे ही करना पड़ा।”
“अरे मेरे राजा, पहले मुझे बहुत शर्म आ रही थी. कहा मैं इतनी बड़ी, कहाँ तुम मेरे से उम्र में इतने छोटे! कैसे मैं तुम्हारा लण्ड लूंगी यही समझ में नहीं आ रहा था। मगर इस चूत को तो तुम्हारा लण्ड अपने अन्दर लेना ही था तो अब मैं क्या करती, कुछ समझ नहीं आ रहा था।”
“आंटी जी, लण्ड और चूत में उम्र नहीं देखी जाती है। बस मजे देखे जाते हैं. यदि आपको मजा लेना है तो आपको मुझे अपना पति ही समझना पड़ेगा। आपने देखा नहीं कैसे आपकी बेटी अपनी टांगें उठा-उठा कर मेरा लण्ड अन्दर तक ले रही थी। वैसे ही आप भी जब करेंगीं तभी इस लण्ड का पूरा मजा ले पायेंगी। वैसे एक बात कहूं ‘आपकी चूत आपकी बेटी की चूत से बहुत मस्त है.’ मैंने उन्हें मस्का लगाते हुए कहा।
वो मेरे लण्ड को हाथ में लेते हुये बोली- ना रे मेरे राजा, इस लण्ड के लिए तो मैं कुछ भी कर सकती हूं. आज से मैं तुम्हें खुलकर मजा दूंगी। लेकिन मेरी बेटी के चक्कर में मेरी चूत को न भूल जाना।
“आंटी आप चिन्ता ना करो. एक दिन आपको और आपकी बेटी को इसी बिस्तर में एक साथ चोदूंगा।”
“अरे ऐसा सोचना भी मत! मेरी चुदाई की बात मेरी बेटी को कभी पता नहीं चलनी चाहिये वरना वो मुझे रण्डी समझेगी और मेरी बेटी की भी जिंदगी बर्बाद मत कर देना उससे बाद में शादी कर लेना. शादी के बाद भी मुझे ये सुख देते रहना।”
“ठीक है आंटी, जैसा आप ठीक समझें।”
आधे घंटे के बाद मेरे लंड में फिर से जोश आने लगा। मैंने आंटी को उल्टी लिटा दिया और पीछे से उसकी चूत को चोदने लगा। पीछे से चोदने में मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी कुंवारी लड़की की चुदाई कर रहा हूं। उसकी गोल-गोल गांड मेरे लंड के दोनों तरफ़ इस तरह से फ़िट हो रही थी मानो मेरे लिये ही वो गांड बनी हो।
मैं फ़ुल स्पीड में उसकी चुदाई करने लगा और इस बार भी लंड ने सब गर्मी बाहर निकाली तो उसकी चूत मेरे वीर्य से भर गयी। अब उनकी चूत की खुजली कुछ हद तक तो मिट ही चुकी थी।
उस रात मैंने आंटी को दो बार और चोदा. रात के 3 बजे मैं अपने रूम में वापस आकर सो गया।
अब तो 15 दिन मेरा यही काम था. रात में जाकर मैं आंटी चूत और गांड की ठुकाई करके आता। दिन में मैं उनके घर के आस-पास भी नहीं फटकता था ताकि हमारे बीच में पक रही खिचड़ी का किसी को पता न चले।
अब तो हम दोनों ने भी दिल भर के चुदाई कर डाली थी. मैंने उनके सभी छेदों को अपने पानी से भर दिया था। (आंटी पेट से होने का कोई दिक्कत तो थी नहीं. उनका पहले ही ऑपरेशन कर रखा था।)
बस बेटी को चोदने कि वक्त ही कॉन्डोम लगा के चोदता था।
बस ध्यान देना था कि कहीं वो प्रेंग्नेंट न हो जाये। इस तरह मैंने 2 साल तक दोनों मां-बेटी की अलग-अलग खूब चुदाई की। फिर मैं जॉब के लिए दिल्ली आ गया और कुछ सालों बाद ही लड़की की कहीं और शादी हो गयी और मां को तो कभी गांव जाने पर मौका लगते ही चोद ही लेता हूँ।
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किरायेदार भाभी की कामुकता
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दोस्तो, कैसे हो आप सब, उम्मीद है कि आप सब खैरियत से हैं. मैं विक्की चंडीगढ़ से एक बार फिर से आपके पास हाजिर हूँ. आप सब मेरे बारे में जानते हैं, जो नहीं जानते, उन्हें बता देता हूँ. मैं 6 फुट का स्मार्ट गबरू जवान हूँ. आप जानते हैं. जब सिटी स्मार्ट हो, तो वहां के लोग भी स्मार्ट ही होते हैं. मैं पढ़ाई के साथ कैब भी चला रहा हूँ और कॉलब्वॉय भी बन चुका हूं. मुझे लिखने गाने का शौक है. मैं जीवन के बहुत मजे ले रहा हूँ.
दिल्ली वाली जवान लड़की निशा के साथ मुझे हमारी
किरायेदार भाभी ने नग्न अवस्था में देख लिया था और मैं उन्हें ये बात किसी से ना कहने के लिए उनके पास गया. उन्होंने इस बात को छुपाने के लिए एक शर्त रखी और मैं उनकी शर्त पूछ ही रहा था, तभी निशा का कॉल आ गया. उसने बताया कि उसकी सहेली आ गई है. उसने मुझे फिर से आई लव यू बोला और किस करके बाद में बात करते हैं, कहकर फोन कट कर दिया.
मैं फिर भाभी के पास पहुंचा तो भाभी ने मुझे बैठने को कहा, पर डर के मारे मेरी तो जान निकलने वाली थी. भाभी इस बात को जान गई थीं. वह मेरे लिए पानी लाईं और मेरे पास बैठ गईं.
भाभी पूछने लगीं कि वो लड़की कौन है. सब सच बताना.. वर्ना तुम्हारी मम्मी को बता दूँगी कि तुम उनके पीछे से घर पर क्या क्या करते हो.
मैं फिर से डर गया और उन्हें बताने लगा कि वो निशा है, दिल्ली से है.
भाभी बोलीं- कब से चल रहा है यह सब?
मैंने बताया कि ये कल ही मिली थी उसकी बुकिंग आई थी और रात 11-30 बजे उसे 17 सैक्टर छोड़ कर घर आ रहा था तो उसका दोबारा फोन आया कि उसने खाना नहीं खाया था और होटल में 11 बजे के बाद डिनर नहीं देते हैं.. तो मैं उसे डिनर के लिए घर ले आया.
भाभी बोलीं- घर लाने की क्या जरूरत थी? और भी बहुत जगह हैं, जहां पूरी रात खाना मिलता है. नुक्कड़ ढाबे या एन एफ एस पे भी ले जा सकता था.. या तेरा पहले से प्लान था?
मैंने भाभी से कहा- ऐसा कुछ करने का नहीं सोचा था, वो तो पता नहीं कब हो गया.
मैं भाभी के पैर पकड़ के बैठ गया- प्लीज मॉम को मत बताना भाभी!
भाभी ने मुझे सोफे पर बिठाया और कहा- अगर तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारे इस राज को राज ही रखूँ तो तुमको मेरा एक काम करना होगा.
मैंने कहा- आप जो कहेंगी, मैं करूंगा भाभी!
भाभी ने फिर से कन्फर्म किया- देख लो, बाद में अपने वादे से पलट न जाना?
मैं इस समय डरा हुआ था, सो घिघयाने लगा- भाभी, मैं वो सब करूँगा जो आप मुझसे कहेंगी.. मेरा वादा है.
भाभी ने कहा- ठीक है … तो जो उस निशा के साथ किया था, वही सब मेरे साथ करना होगा.
मैंने अचकचा कर भाभी की तरफ देखा और फिर मुंडी न में हिलाते हुए कहा- नहीं भाभी.. मैं ये नहीं कर सकता.
तो भाभी गुस्सा हो गईं और बोलीं कि उस निशा को एक दिन में मिलकर ही इतने मजे दे दिये.. मैं 6 महीने से तेरे घर पर हूं, मुझे मजे क्यों नहीं दे सकता? मैं तो जब भी तुम्हें देखती हूँ मेरा दिल करता है कि तुम्हें खा जाऊं.
मैं अभी भी असमंस में था. मुझे लग रहा था कि शायद भाभी मुझे और भी ज्यादा फंसाने के मूड में हैं.
भाभी झुक कर अपने दूध दिखाते हुए कहने लगीं- डरो मत.. मैं आपकी मम्मी को नहीं बताऊंगी.. बस तू मुझे खुश कर दे.
अब भाभी की जुबान में मिठास घुल गई थी और उनकी आवाज चुदासी सी हो गई थी.
हम दोनों को यूं ही बातें करते करते 10-30 से 11-30 हो गए थे.
दो बजे भाभी के बच्चे कॉलेज से वापस आते हैं. मैंने सब बातों पर गौर किया और मन पक्का कर लिया कि आज इनकी चुत को भी चोद लेने में कोई हर्ज नहीं है. मैं कमरे में चारों तरफ चोर निगाह से देखा कि कहीं कोई कैमरा तो नहीं लगा है.. और भाभी की चूत चोदने के लिए मन पक्का कर लिया.
मुझे ढीला पड़ते देख कर भाभी खड़ी हुईं और मुझे खड़ा करके किस करने लगीं. आज भाभी 32 की होकर भी 22 की लग रही थीं. उनके 34 के मम्मे और 36 के चूतड़ मुझे और गर्म कर रहे थे.
मैंने भाभी की लोवर और टॉप में हाथ डाला तो पता चला कि भाभी ने ब्रा पैटी नहीं पहनी थी.
मैंने भाभी से कहा- आप तो पूरी तैयारी में हैं.
भाभी ने बताया- मैं तो सुबह ही तुम्हारे साथ चुदाई करने के लिए गयी थी, पर तुम पहले ही किसी के साथ नंगे पड़े थे.
मैंने भाभी को गोद में उठाया और बेडरूम में ले जाकर नंगी कर दिया और उनके चूचों पर किस करने लगा. अब भाभी पागलों की तरह मुझे चूमने लगीं और मेरे कपड़े निकालने लगीं.
जब उन्होंने मेरा खड़ा लंड देखा, तो उनके चेहरे पर एक अलग ही खुशी झलक आई थी. उन्होंने मुझे बेड पे लिटाया और 69 की पोजीशन में आ गईं.
मैंने देखा कि भाभी ने चूत की दिवाली मना रखी थी.. क्या मस्त फूली हुई सफाचट चुत सामने थी. मैंने पूछा तो भाभी ने बताया कि सुबह ही तेरे लिए साफ की है.
मैं मस्त हो कर भाभी की चुत के मजे ले रहा था और जीभ को नुकीली करके भाभी की चूत को टंग-फक करना यानि जीभ से चोदना चालू कर दिया.
भाभी पहले से ही चुदासी थीं, सो वे मेरे सामने ज्यादा देर टिक ना पाईं और उन्होंने अपनी चूत से भलभला कर पानी छोड़ दिया. कुछ पल के लिए भाभी शिथिल हो गईं उनकी आँखें तृप्ति के नशे से बंद हो गईं. मैं उनकी चूत को लगातार चाटता ही रहा जिससे एक बार फिर से भाभी गरमा गईं.
अब भाभी मेरे ऊपर बैठने लगीं और मेरा लंड अपनी चुत में खा लिया. जैसे ही मेरा लंड भाभी की चूत के अन्दर गया, वो एकदम से ही खड़ी हो गईं.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो भाभी बोलीं- दर्द हो रहा है.. इतना बड़ा लंड एक बार में लेना मुश्किल है.
मैंने हंस दिया- कोशिश करने वालों की हार नहीं होती.. धीरे धीरे ले लो.
वो फिर से मेरे लंड पर आहिस्ता आहिस्ता बैठने लगीं और किसी तरह उन्होंने मेरा पूरा लंड अन्दर ले लिया. भाभी दर्द से कराहते हुए लंड पर बैठी रहीं. उनको दर्द हो रहा था, इसलिए वे 5 मिनट तक हिली ही नहीं. इस दौरान मैं उनके मम्मों को सहलाता रहा.
उनको इससे मजा आना शुरू हुआ, तो भाभी मेरे लंड पर हल्का हल्का जर्क देने लगी. मैंने भी नीचे से पुश करना शुरू किया, तो खेल चालू हो गया. हम दोनों की चुदाई एक्सप्रेस अपनी गति पर दौड़ने लगी.
भाभी 15 मिनट तक मेरे लौड़े की सवारी करती रहीं और मैं उनकी चूचियों को दबा दबा कर पीता रहा. भाभी इतनी देर में दूसरी बार पानी छोड़ चुकी थीं.
पानी निकला तो वे मेरे ऊपर लेटकर मुझे किस करने लगीं. अब बारी थी मेरी उनकी चुदाई करने की, मैं भाभी के ऊपर आया और उनकी चुदाई में लग गया. मैं पूरी स्पीड से भाभी की चुत में धक्के लगाने लगा. मेरे हर धक्के के साथ भाभी की चीख निकलती थी, वो ऐसे रिएक्ट कर रही थीं, जैसे पहली बार चुदाई करवा रही हों. दस मिनट धकापेल चुदाई के बाद अब मेरा भी छूटने वाला था.
मैंने पूछा भाभी अन्दर निकालु या बाहर? ??????
तो भाभी कहने लगीं- अन्दर ही निकाल दो, मैंने ऑपरेशन करवा रखा है बाच्चा नही होगा ।
मैंने 10-12 और जोर के धक्के लगाये और भाभी को जोर से हग कर लिया. जैसे ही मेरा वीर्य भाभी की चुत में गिरा, भाभी ने मुझे कस के हग कर लिया. मैं अंतिम धक्के लगाता रहा. भाभी भी मेरे साथ तीसरी बार झड़ चुकी थीं.
हम दोनों 10 मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे. तभी मेरा फोन बजा, मैंने टाईम देखा तो 1-40 हो गए थे.
मैंने फोन पिक किया तो निशा का फोन था. उसने मुझे मिलने को बोला और आई पिल लेकर आने को कहा क्योंकि मैंने तीनों बार उसके अन्दर पानी छोड़ा था.
मैंने उसको एक घंटे का टाइम दिया और भाभी के ऊपर से उठ गया.
मैं कपड़े पहन कर नीचे जाने लगा, तो भाभी ने मुझे किस किया और थैंक्यू बोला.
मैं नीचे आकर नहाकर तैयार होकर निकल गया. रास्ते में केमिस्ट से आईपिल ली और निशा को कॉल कर दिया कि होटल के बाहर आ जाओ. मैं पहुंचा तो निशा एक खूबसूरत लड़की के साथ बाहर आ रही थी. निशा आगे बैठी और दूसरी लड़की पिछली सीट पर बैठ गई. निशा ने बताया कि यह मेरी फ्रेंड दिव्या है.
मैंने उसको हैलो बोला.
निशा ने उससे कहा कि ये विक्की जी हैं, मेरा लव.. ये जितना अच्छा गाते हैं उतना ही अच्छा लिखते भी हैं.
इसके बाद हम लोग होटल अरोमा में गए और लंच किया. उन्होंने बताया कि वो 4 बजे वापस जा रही हैं.
तभी मैंने दिव्या से छुपाकर निशा को दवा दे दी और होटल से उनका सामान पिक करके बस स्टैंड पर आ गये. उनके बस में बैठाने के बाद मैं घर पहुंचा तो 4-25 हो गए थे.
मैंने भाभी को बोला कि मैं सो रहा हूँ, मुझे 8 बजे उठा देना.
मैं नीचे आकर फोन को साइलेंट करके सो गया और थकान के कारण मुझे जल्द ही नींद आ गई. रात को भाभी ने मुझे किस करके उठाया. जब मैंने टाइम देखा तो 10 बज रहे थे.
मैंने भाभी को कहा कि मैंने आपको 8 बजे उठाने को कहा था, तो भाभी मेरे ऊपर लेट गईं.
मैंने उन्हें उठाया और कहा- ये क्या कर रही हो.. आपके पति आ सकते हैं.
तो भाभी बोली- वो जींद गए हैं.
मैंने पूछा- और बच्चे?
तो भाभी बोलीं- वो सो गए हैं और सुबह से पहले नहीं उठने वाले हैं.
फिर मैं उठकर फ्रेश हुआ तो भाभी ने मुझे अपने हाथों से खाना खिलाया और उस रात मैंने भाभी को सुबह 4 बजे तक 3 बार हर ऐंगल में चोदा.
भाभी चुदाई से तृप्त होकर ऊपर चली गईं और मैं भी सो गया.
सुबह 9 बजे भाभी ने दूध लेकर किचन में रखा और फिर से चुदाई करवाई. उसके बाद हम साथ साथ नहाये और मैं कॉलेज चला गया.
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किरायेदार आंटी को ब्लू फिल्म दिखाई
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हैल्लो दोस्तों, में पंजाब का रहने वाला हूँ और मुझे सेक्सी कहानियों को पढ़ना बहुत अच्छा लगता है और आज में भी अपनी एक सच्ची कहानी को आप लोगों के लिए लेकर आया हूँ. मुझे उम्मीद है कि यह आप सभी को जरुर पसंद आएगी.
दोस्तों यह बात आज से करीब दो साल पहले की है जब हमारे घर में एक नये किरायेदार रहने आए थे. उस अंकल का नाम राजेश आंटी का नाम सुनीता और उनके एक लड़का था उसका नाम विक्की था, जो उस समय 6 क्लास में पढ़ता था. दोस्तों मेरी वो आंटी दिखने में बहुत ही सेक्सी थी और उनका रंग गोरा बदन भरा हुआ गठीला था और देखने पर वो अपने शरीर से लगती नहीं थी कि वो शादीशुदा है, वो किसी कुंवारी लड़की की तरह दिखती थी और मेरे मन में पहले दिन ही अपनी आंटी को देखकर कुछ कुछ होने लगा था और में हमेशा किसी अच्छे मौके की तलाश में रहता था.
दोस्तों हमारे घर में मेरी माँ और में बस हम दोनों ही रहते है और शुरू से ही मैंने आंटी की तरफ अपना पूरा ध्यान दिया, क्योंकि वो मुझे बहुत अच्छी लगती थी और उनका व्यहवार हंसकर बात करने का तरीका मुझे बड़ा पसंद था या सीधे सीधे कहूँ तो वो मुझे मन ही मन भा गई थी. दोस्तों करीब दो महीने के बाद एक दिन मेरे जीवन में ऐसा ही मोड़ आया जब मेरी अच्छी किस्मत से उस दिन मेरी माँ घर में नहीं थी और उस दिन गरमी भी बहुत तेज थी.
दोपहर के समय में अपने कॉलेज से वापस घर आ गया और फिर में अपनी हॉट सेक्सी आंटी के पास अपने घर की चाबी लेने चला गया, क्योंकि मुझे मेरी मम्मी ने पहले से ही कह दिया था कि में चाबी तेरी आंटी के पास छोड़ दूंगी तो तू उनसे ले लेना.
फिर जब में अपने घर पहुंचकर आंटी के पास गया तो उस समय वो अपने कमरे की साफ सफाई कर रही थी और मेरी तरह उस समय वो भी पूरे घर में बिल्कुल अकेली थी. उन्होंने उस समय सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट पहना हुआ था और उस ब्लाउज के अंदर उन्होंने ब्रा भी नहीं पहनी थी. दोस्तों मैंने जो देखा वो सब देखकर में बड़ा चकित हुआ, क्योंकि काम करने से पसीना आने की वजह से उनका पूरा ब्लाउज गीला हो गया, इसलिए उनके बूब्स मुझे साफ साफ दिखाई दे रहे थे और गोरे गोरे बड़े आकार के बूब्स पर हल्के भूरे रंग की निप्पल दिखने में बड़ी मस्त आकर्षक लग रही थी और जब में उनके कमरे में गया तो यह द्रश्य देखकर एकदम दंग रह गया और मेरी नज़र उनके बूब्स पर ही जाकर टिक गयी.
में लगातार अपनी ललचाई हुई नजर से आंटी के गोलमटोल बूब्स को बड़ा चकित होकर देख रहा था, क्योंकि पसीने से गीले पतले कपड़े वाले ब्लाउज बूब्स को अपने अंदर छुपा ना सके, लेकिन उन्होंने शायद अब मेरी नज़र को पकड़ लिया था कि में उनके बूब्स को घूर रहा हूँ इसलिए जल्दी से उन्होंने मुझे मेरे घर की चाबी दे दी. फिर में चाबी को लेकर चला आया, लेकिन उस दिन की उस घटना के बाद से में अब मन ही मन में सोचने लगा था कि कब मुझे मेरी आंटी के बूब्स को छूने उनके निप्पल को चूसने दबाने और उनकी चुदाई करने का मौका मिलेगा, जिसका फायदा उठाकर में अपने इस सपने को पूरा करूंगा.
अब में आंटी से पहले से ज़्यादा घुल मिलकर रहने लगा था और मैंने उनके बीच अपनी दूरियों को धीरे धीरे करके कम कर दिया था और वो भी मुझसे अब पहले से ज्यादा हंस हसंकर बातें मजाक करने लगी थी और फिर कुछ दिनों के बाद एक दिन दोबारा मेरी मम्मी को किसी काम की वजह से मेरी बुआ जी के पास जाना पड़ा. उनके चले जाने के बाद में बड़ा खुश था इसलिए में उस दिन जानबूझ कर अपने कॉलेज नहीं गया.
एक घंटे के बाद मेरे अंकल भी अपने काम पर चले गये और उसके बाद उनका बेटा भी कॉलेज चला गया और अब हमारे घर में बस हम दोनों ही बचे थे. दोस्तों मुझे बहुत अच्छी तरह से पता था कि आंटी अब क्या काम करने वाली है, इसलिए मैंने चुपके से छत पर जाकर उनके बाथरूम का पानी बंद कर दिया और जब आंटी अपने सभी कामो को खत्म करके नहाने के लिए बाथरूम में गयी तो पानी ना होने की वजह से वो नीचे आकर मुझसे पानी ना आने की बात को कहकर हमारे वाले बाथरूम में नहाने लगी. तब मैंने देखा था कि उनके हाथ में सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज ही था और वो अपने कपड़े लेकर अंदर जा चुकी थी.
हमारे बाथरूम के दरवाजे में एक छोटा सा छेद था जिसका मुझे अब फायदा उठाना था और फिर कुछ देर के बाद मैंने उस छेद से अंदर झांककर देखा तो उस समय आंटी बिल्कुल नंगी थी और वो अपनी चूत से बालों को साफ कर रही थी. फिर कुछ देर तक चूत के बाल साफ करने के बाद उन्होंने अपने गोरे गदराए हुए पूरे बदन पर पहले पानी डाला और उसके बाद वो साबुन लगाने लगी.
दोस्तों उन्होंने अपने पूरे बदन को हर एक अंग को अच्छी तरह रगड़कर नहाने का मज़ा लिया और में भी उनको देखकर मज़े लेने लगा था. अब मेरा लंड अब अपना आकार बदलकर तनकर खड़ा हो चुका था.
मेरा मन उसी समय आंटी को पकड़कर उनकी चुदाई करना का हो रहा था, लेकिन में शांत रहा. फिर उसके बाद उन्होंने बिना ब्रा और बिना पेंटी के अपना ब्लाउज, पेटीकोट पहन लिया अब उनके बाहर आने का समय हो चुका था, इसलिए में पहले से ही यह देखकर समझकर उस छेद से दूर हट गया और मेरे उस छेद से पीछे हटते ही बाथरूम में उस छेद की वजह से अंदर रोशनी चली गयी, तो शायद उन्हे मेरे ऊपर शक हो गया था, इसलिए जब वो बाथरूम से बाहर आई तो उन्होंने दरवाजा बड़े ध्यान से देखा और फिर मेरी तरफ देखकर वो हल्का सा मुस्कुराकर चली गयी. अब आंटी के ऊपर चले जाने के बाद मैंने तुरंत ही टीवी को चालू किया और उसमे एक ब्लूफिल्म की सीडी को लगाकर में उसमे चुदाई देखने लगा.
मैंने देखते समय अपने लंड को एक हाथ से पकड़कर सहलाना भी शुरू किया और में उस काम में इतना व्यस्त था कि मुझे कुछ भी पता नहीं चला और कुछ देर बाद ऊपर पानी ना होने की वजह से आंटी अचानक से नीचे अपने बर्तन धोने के लिए आ गयी, लेकिन में तब भी फिल्म देखने में बहुत मस्त था और उसी समय आंटी रूम में आ गयी और उन्होंने उस फिल्म को चलते हुए उसमे चुदाई के द्रश्य को अपनी आखों से देखकर वो बिल्कुल हैरान रह गई.
फिर जब मुझे इस बात का थोड़ा सा अहसास हुआ तो मैंने जल्दी से टीवी को बंद कर दिया. अब आंटी मुझसे कहने लगी कि तुम कितने गंदे हो जो इस तरह की फ़िल्मे देखते हो. तो मैंने उनसे कहा कि में क्या करूं आंटी? इसके बिना मेरा गुजारा नहीं होता और वो उसके बाद अपने बर्तन को धोकर वापस ऊपर अपने कमरे में चली गयी और उनके चले जाने के बाद में दोबारा से फिल्म को देखने लगा.
कुछ देर के बाद आंटी मेरे लिए चाय बनाकर ले आई और इस बार भी उन्होंने दोबारा से मुझे फिल्म चलाते हुए देख लिया, लेकिन इस बार मैंने टीवी को बंद नहीं किया और उस समय फिल्म में एक लड़की एक लड़के के लंड को अपने मुहं में लेकर चूस रही थी.
आंटी ने वो द्रश्य देखकर कहा कि छि: कितना गंदा सीन है, तुम्हे क्या बिल्कुल भी शरम नहीं आती? अब मैंने उनसे कहा कि शरम की इसमे कौन सी बात है? आप भी तो अंकल के साथ ऐसा ही कुछ जरुर करती होगी? अब आंटी ने कहा कि नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है, हम ऐसा कुछ भी गंदा नहीं करते और वैसे भी पूरे दो महीने हो गये में और तुम्हारे अंकल ने अब तक कुछ भी नहीं किया. फिर मुझे उनकी बातें सुनकर लगा कि शायद अब आंटी मुझसे अपनी चुदाई करवाना चाहती है इसलिए मैंने आंटी से इसी विषय पर कुछ और बातें की, लेकिन आंटी ज़्यादा कुछ ना बोलती हुई उठकर वहां से बाहर चली गयी.
फिर करीब पांच मिनट के बाद मैंने मन ही मन में सोचा कि अब हिम्मत करके में भी ऊपर जाकर आंटी को पकड़ लेता हूँ आज जो भी होगा देखा जाएगा. फिर यह बात सोचकर मैंने ऊपर उनके कमरे में जाकर देखा उस समय आंटी बेड पर लेटी हुई थी और उनका हाथ उनके पेटीकोट के अंदर था. शायद वो अपनी चूत में ऊँगली कर रही थी और जब में अचानक से उनके कमरे के अंदर गया तो आंटी ने एकदम से अपने हाथ को बाहर निकाल लिया और वो तुरंत उठकर बैठी हो गयी.
फिर में आंटी के पास जाकर बैठ गया और उसके बाद एकदम से मैंने उनके बूब्स को झटके के साथ पकड़कर दबा दिए, लेकिन आंटी ने इतना भी विरोध नहीं किया, जितना उनको करना चाहिए था और वो अपने ऊपर के मन से कहने लगी कि तुम यह क्या कर रहे हो?
मैंने उसी समय उनसे कहा कि आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो और उन्हे मैंने अपनी बाहों में लेते हुए बेड पर लेटा लिया वो दिखाने के लिए थोड़ा सा विरोध भी कर रही थी और मेरा साथ भी दे रही थी. अब में उनके ऊपर लेट गया और उनके होंठो पर किस करने लगा. फिर देखते ही देखते वो भी अब मेरा साथ देने लगी थी और उसी समय मैंने उनके ब्लाउज के हुक को खोला और उनके बूब्स को आज़ाद कर दिया.
कुछ देर तक किस करने के बाद में उनके मुलायम बड़े आकार के बूब्स को चूसने सहलाने लगा, जिसकी वजह से आंटी अब गरम होने लगी थी और उनके मुहं से सिसकियाँ निकलने लगी थी और तभी मैंने जोश में आकर उनके बूब्स को चूसते समय ही निप्पल पर थोड़ा ज़ोर से काट लिया. उस दर्द की वजह से वो तिलमिला उठी और उन्होंने मुझसे कहा कि ऐसे मत काटो मुझे दर्द होता है.
फिर बूब्स को चूसते हुए मैंने उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और तुरंत ही में अपने एक हाथ को उनकी गरम चिकनी चूत पर ले गया. में आंटी की चूत को धीरे से सहलाने लगा. फिर मैंने महसूस किया कि आंटी अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थी इसलिए मैंने मौके का फायदा उठाते हुए आंटी के पूरे कपड़े झट से उतार दिए, जिसकी वजह से अब आंटी मेरे सामने बिल्कुल नंगी हो चुकी थी और मुझे उनकी आखों में जोश मस्ती नजर आ रही थी, जिसको देखकर में समझ चुका था कि वो अब चुदाई के लिए एकदम तैयार है.
मैंने भी अब बिना देर किए अपने कपड़े उतार लिए और फिर उनसे मेरा लंड अपने मुहं में लेकर चूसने के लिए कहा, लेकिन तभी आंटी ने पहले साफ मना किया वो बोली छी: में ऐसा गंदा काम नहीं कर सकती, मैंने ऐसा कभी नहीं किया मुझे नहीं करना. फिर मैंने उनको बड़े प्यार से समझाते हुए कहा कि आपको ऐसा करने में बड़ा मस्त मज़ा आएगा. आपने कुछ देर पहले उस फिल्म में जो द्रश्य देखा था बस वैसे ही करना होगा. फिर आंटी ने मेरे समझाने पर मेरे लंड को पकड़ा और वो उसके बाद उसको अपने मुहं के अंदर लेकर धीरे धीरे चूसने लगी और जब उनको मज़ा आने लगा तो वो अपने आप ही तेज़ हो गयी और वो मेरा पूरा लंड अब अपने मुहं में लेने लगी थी. उनके ऐसा करने से में अब पागल हो रहा था.
फिर मैंने आंटी को बेड पर लेटा दिया और उसके बाद उनके कूल्हों के नीचे एक तकिया रखकर चूत को ऊपर उठा दिया, जिसकी वजह से चूत उठकर पूरी तरह से खुल और अब में उनकी गीली चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा, जिसकी वजह से कुछ देर बाद आंटी भी पागल होने लगी थी. उन्होंने जोश में आकर मेरे सर को पकड़कर ज़ोर से अपनी चूत के मुहं पर दबा दिया. फिर में कुछ देर अपनी जीभ से उनकी चूत की चुदाई करता रहा.
हम उसके बाद 69 की पोजीशन में हो गये और वो मेरा लंड चूस रही थी और में उनकी चूत को चाट रहा था, लेकिन कुछ देर के बाद मैंने उनके ऊपर से हटकर आंटी को अब सीधा लेटा दिया.
अब में अपने लंड को एक हाथ से पकड़कर उनकी चूत के दाने पर रगड़ने लगा था. फिर कुछ देर ऐसा करने के बाद आंटी सिसकियाँ लेते हुए मुझसे कहने लगी आह्ह्ह्ह ऊफ्फ्फ्फ़ अब मुझसे ज्यादा देर बर्दाशत नहीं होता. तुम अब जल्दी से डाल दो.
तो में अपना लंड आंटी की चूत के मुहं पर रखा और एक धक्का लगाया तो मेरा लंड थोड़ा सा सरककर अंदर चला गया और आंटी के मुहं से हल्की सी एक चीख निकल गई तो मैंने अपना दूसरा धक्का लगा दिया और इस बार अपना पूरा का पूरा लंड अपनी आंटी की चूत के अंदर डाल दिया और अब आंटी पहले से ज्यादा ज़ोर से चीख पड़ी और वो मुझसे कहने लगी कि अब तुम इसको बाहर निकालो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, देखो तुम्हारा तो बहुत मोटा और लंबा है, लेकिन मैंने आंटी की एक भी बात ना सुनी और सीधा उनके होंठो पर क़ब्ज़ा कर लिया.
फिर करीब दो तीन मिनट के बाद में अपने लंड को उनकी चूत में धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा था, जिसकी वजह से आंटी का दर्द खत्म हो जाने की वजह से उनको भी मज़ा आने लगा था और फिर मैंने यह सब देखकर अपने धक्को को धीरे धीरे तेज़ कर दिया.
उस समय आंटी भी नीचे से अपने कूल्हों को उठा उठाकर मेरे साथ देने लगी थी और कुछ ही देर में मेरा साथ देने के बाद आंटी झड़ गयी, जिसकी वजह से वो धीरे धीरे शांत होकर लेट गई, लेकिन में अब भी उसी तरह जोश में अपने काम पर लगा रहा.
फिर करीब बीस मिनट धक्के देने के बाद में भी अब झड़ने वाला था.
तो इसलिए मैंने अपनी आंटी से पूछा कि में अब क्या करूं, वीर्य का कहाँ निकालूं आह्ह्ह जल्दी बताओ वरना यह निकल जाएगा?
तब वो खुश होते हुए बोली कि इसको तुम मेरे अंदर ही गिरादो, में इसको अपने अंदर लेकर महसूस करना चाहती हूँ तुम्हारा जोश तो देख ही लिया अब इसका भी असर देख लूँ, पता नहीं दोबारा कब मुझे यह मौका मिले.
फिर मैंने उनकी बातें सुनकर खुश होते हुए अपने वीर्य को आंटी की चूत के अंदर ही हल्के धक्के देते हुए छोड़ दिया और इन बीस मिनट में हम दोनों ने कई आसन बदलकर चुदाई के जमकर मज़े लिए और झड़ने के बाद कुछ देर हम एक दूसरे के साथ वैसे ही लेटे रहे.
फिर करीब दस मिनट के बाद में एक बार फिर से आंटी को किस करने लगा उसके बूब्स को सहलाने लगा. उनके गोरे नंगे जिस्म से खेलने लगा था, जिसकी वजह से वो भी एक बार फिर से गरम होने लगी और इस बार उन्होंने उठकर मेरे कहे बिना ही पूरा लंड अपने मुहं में लेकर बहुत जमकर चूसा. वो अब किसी अनुभवी रंडी की तरह लंड को कभी अंदर कभी बाहर उसके बाद टोपे पर अपनी जीभ को घुमाकर लोलीपोप की तरह चूसने लगी थी और जब लंड पूरी तरह से चुदाई के लिए तैयार होकर तनकर खड़ा हो गया तो मैंने भी पहले उनकी चूत को चाटना शुरू किया.
उसके बाद हम दोनों ने एक बार फिर से दोबारा जमकर चुदाई के पूरे पूरे मज़े लिए जिसमे उन्होंने मेरा पूरा पूरा साथ दिया. दोस्तों उस दिन मैंने आंटी के साथ तीन बार चुदाई के मज़े लिए जिसकी वजह से आंटी पूरी तरह से संतुष्ट नजर आ रही थी और तब उन्होंने मुझसे कहा कि तुम्हारा लंड बहुत ज़बरदस्त बड़ा दमदार है, इतना मज़ा तो मुझे अपने पति के साथ भी कभी चुदाई में नहीं आया जो आज तुमने मुझे दिया है में बहुत खुश हूँ.
दोस्तों उस दिन की पहली चुदाई के बाद आज तक भी में आंटी को हर कभी मौका मिलते ही चोद रहा हूँ और वो मेरी चुदाई से संतुष्ट भी है, इसलिए वो अपने पति से कम मुझसे अपनी चुदाई ज्यादा करवाती है और ऐसा उन्होंने खुद मुझसे एक बार कहा था और हमारे घरवालों को हम दोनों पर शक ना हो इसलिए हम किसी के सामने बहुत कम बातें करते है, लेकिन जब भी घर पर कोई नहीं होता तब हम पूरे नंगे एक दूसरे से चिपके पड़े रहते है और में भी उनकी चुदाई करके पहले से ज्यादा खुश रहने लगा हूँ.
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कड़ाके की ठंड में सगी मौसी ने अपनी गर्म तड़पती चुत चुदवाई
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पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार | मेरा नाम सचिन है | मैं गाँव का रहने वाला हूँ । लेकिन मैं एक बड़े शहर में रह कर पढ़ाई कर रहा हूँ । उसी शहर में मेरी मौसी की लड़की यानी मेरी बहन और उसके पति रहते है । अब मैं सीधे अपनी सच्ची कहानी पर आता हूँ । यह बात 25 दिन पहले की है । मेरी मौसी अपने बेटी से मिलने आयी थी । तो मौसी मुझे भी कॉल करके बुलायी । बोली आ जाओ सचिन बेटा तुमसे से भी मिलना है बहुत दिन हो गया है मिले हुए । हम बोले ठीक है क्लास के बाद आता हूँ । मैं 7 बजे शाम में अपनी बहन के घर गया । वहाँ पहुँचे तो मौसी मुझे देख कर बहुत खुश हो गयी । बोली बाप रे कितना बड़ा हो गया मेरा बेटा । ऐशे मौसी हमको बचपन से बहुत मानती है ।
हम बोले मौसी आप भी बहुत अच्छी लग रही है । मौसी बोली कुछ भी बेटा | हम बोले नही मौसी जी सच में । मेरी मौसी की उम्र 40 साल है | लेकिन देखने मे अभी भी 26 की ही लगती है । अपने फिगर को मेंटेन रखी है । लेकिन ज्यादा मॉडर्न नही है गाँव जैसा ही रहती है । वो साड़ी पहनती है । क्योकि गाँव मे सब लोग यही पहनती है । मौसेरी बहन और जीजू भी बहुत खुश थे । उस सब से बहुत बात किये । ऐशे तो दीदी जीजू से मिलते ही रहता हूँ । फिर खाना बना सब कोई बैठ कर खाना खाया । फिर सोने की बारी आया |
हम दीदी से बोले हम कहाँ सोयेंगे तो मौसी बोली तुम मेरे ही साथ सो लेना क्योकि ज्यादा बेड नही है और ठंड भी काफी है । हम बोले ठीक है । दीदी और जीजू एक रूम में सोने चले गए । फिर हम भी सोने चले गए | उस दिन काफी ठंड थी । हम कंबल ओढ़ कर सोने लगा । फिर कुछ देर बाद मेरी मौसी आ गई सोने वो भी कंबल के अंदर घुस गई । हम किनारा हो कर सो रहे थे तो मौसी बोली बेटा सट कर सोवो ना नही तो ठंड लग जायेगा और गिर भी जाएगा ।
हम बोले हाँ मौसी ठीक है । मौसी मुझे पकड़ कर अपनी ओर खिंच ली और मेरे शरीर से चिपक गयी । मुझे अजीब लग रहा था । और मुझे कुछ होने लगा था । मेरा लंड खड़ा हो गया । हम ऐशे ही चुपचाप रहा कुछ देर बाद मौसी अपना पैर मेरे ऊपर चढ़ा दिया और हाथ से मुझे जकड़ कर पकड़ लिया । जिससे मौसी की बड़े बड़े चुच्ची मेरे मुह से सट गया । मेरा तो हालत खराब हो रहा था । मैं सोच रहा था मौसी को क्या हो गया । ऐशे मुझे मज़ा आ रहा था । लेकिन मुझे कुछ करने का हिम्मत नही हो रहा था । और कुछ बोलने का भी हिम्मत नही हो रहा था ।
कुछ देर बाद मौसी मेरे अंदर वियर में डाल कर लंड पकड़ लिया । तो हम हिम्मत करके मौसी से बोले ये क्या कर रहे है ।
तो मौसी बोली बेटा मेरा प्यास बुझा दो तेरे मौसा को जब से चीनी रोग हुआ है तब से वो कुछ नही कर पाता है । बेटा मेरा बरसों की प्यास बुझा दो मैं यहाँ तेरे लिए ही आयी हूँ । ऐशे ये सुन के मैं बहुत खुश था |
मुझे भी चुदाई करने का बहुत मन था क्योकि कभी नही किया था बस पोर्न वीडियो देखता था और मुठ मरता था । मैं थोड़ा नाटक करते हुए बोला मौसी आप मेरे माँ की तरह है आप के साथ मैं ये सब कैसे कर सकता हूँ ।
तो मौसी बोली प्लीज बेटा आज मेरी प्यास बुझा दो नही तो मैं मर जाऊँगी । और बोली क्या तुम चाहते हो की तेरी मौसी किसी गैर से चुदाये |
हम बोले नही और हम बोले ठीक है मौसी जी आप की जैसी मरजी ।
तो मौसी बोली सुक्रिया मेरा अच्छा बेटा । मौसी बहुत खुश हो गयी । मौसी मुझे पूछी कभी चुदाई किया है?
मैं बोला नही तो मौसी जी ।
बोली फिर अच्छा है ।
आज मैं कुँवारा लंड से चुदूँगी । फिर मौसी मेरे ऊपर आ गयी और मुझे चूमने लगा | मैं भी अपनी मौसी को चूमने लगा । कुछ देर बाद मैं मौसी के ऊपर आ गया और कंबल को हटा दिया और मौसी की साड़ी उतार दिया | अब मौसी ब्लाउज और पेटीकोट में हो गयी । मौसी की चुची बहुत बड़ा बड़ा है । मैं मौसी के गर्दन को चुमने लगा । और हाथ से चुची दबाने लगा ।
मौसी मदहोश होने लगी । फिर मैं मौसी की ब्लाउज और पेटीकोट उतार दिया अब मौसी बिल्कुल नंगी मेरे सामने थी पहली बार किसी औरत को नंगी देख रहा था वो भो अपनी मौसी को जिसके गोद मे खेल के बड़ा हुआ था । मौसी क्या लग रही थी एकदम शिल्पा शेट्टी जैसी | पतली कमर और सब कुछ उसके जैसी ही | हुस्न की परी | मौसी ब्रा पेन्टी नही पहनती है |
क्योंकि गाँव के बहुत कम ही लोग ब्रा पेन्टी पहनती है । इसीलिए मौसी भी नही पहनी थी । मौसी का पूरा शरीर दूध जैसा गोरी है । बड़े बड़े ममे थी । मौसी की मस्त गुलाबी चुत पर बहुत बड़ा बड़ा बाल था । लेकिन चुत बहुत गोरा है । मन कर रहा था चुत चूस ले लेकिन बड़ा बाल देख कर मन नही किया और मौसी भी क्या सोचेगी क्योकि वो उतना मॉडर्न नही है |
फिर मैं चुत पर अपना हाथ फेरते ही मौसी की शरीर मे करंट दौर गया और मुँह से हल्की सी आह निकल गयी ।
फिर मैं मौसी की चुची को चुसने लगा । और एक हाथ से झांट वाली चुत सहलाने लगा थोड़ी देर में मौसी सिसकियाँ लेने लगी | उनके मुह से आ आ आ उ ऊऊ… आह उ ऊऊ करने लगी मौसी अपने मुह से धीरे धीरे आवाज निकाल रही थी क्योंकि बगल वाली रूम में बेटी दामाद था ।
यानी दीदी और जीजू । बहुत मज़ा आ रहा था चुची चुसने में । फिर मैं अपने एक ऊँगली चुत में डाल कर अंदर बाहर करने लगा । मौसी आँखे बंद कर मजे लेने लगी । फिर दो और अंगुली डाल कर अंगुली से चुत चोदने लगा । मौसी कमर हिला हिला के अंगुली से चुत चुदवा रही थी । और चुची भी मैं चूस रहा था । मेरा लंड भी बहुत टाइट हो गया था और मैं अपने चड्डी में ही झड़ गया और सिकुड़ कर छोटा हो गया ।
कुछ देर बाद मौसी का शरीर अकड़ने लगा और झड़ गयी उसके चुत से बहुत सारा पानी निकला । मेरा पूरा हाथ मे लग गया | मौसी एक दम निढ़ाल हो कर शांत हो गयी । कुछ देर ऐशे ही रहे फिर मैं कपड़े से मौसी का चुत और अपना लंड पोछ लिया । फिर से मैं मौसी का चुची चुसने लगा और बुर में उंगली करने लगा थोड़े देर में मौसी फिर गर्म हो गयी |
मेरा भी लंड टाइट हो गया । मौसी फिर से सिसकिया लेने लगी । और बोली बेटा अब मत तड़पाओ अपनी मौसी को चोद कर प्यास बुझा दो | हम बोले ठीक है मौसी फिर मैं अपना पूरा कपड़ा उतार कर नंगा हो गया फिर मैं अपने मौसी की दोनों टांगे को अपने कांधे पर रख दिया और कमर के नीचे तकिया लगा दिया । और लंड को चुत पर रगड़ने लगा | मौसी तो और तड़पने लगी जैसी बिना पानी की मछली । चुत पूरा पानी छोड़ रहा था | और गुलाबी चुत का छेद खुल बंद हो रहा था । मौसी बोली बेटा जल्दी डालो लंड मेरे बुर में |
मौसी अपने से मेरे लंड को पकड़ कर चुत के छेद में सेट कर लिया । फिर मैं एक जोर का धक्का दिया गीली चुत होने की वजह से आधा लंड बुर में घुस गया | एक और धक्का दिया तो पूरा लंड चुत में घुस गया ।
मौसी की मुह से चीख निकल गयी बोली आराम से बेटा । बहुत दिन बाद मेरे बुर में लोरा गया । दर्द हो रहा । कुछ देर बाद हम धक्के लगाने लगे । मौसी कमर उछालने लगी । और आ आ आ आ आ आ ……………..उ उ उ ऊऊ करने लगी | और बोलने लगी बेटा और ज़ोर जोर से आज अपनी मौसी माँ की बुर का भोसड़ा बना दो । चोद बेटा अपनी मौसी को तेरा मौसा अब नही चोद पता है । आज से मेरे चुत पर तेरा पहला हक और आज से अपनी रखेल बना ले बेटा । ये सुन के मुझे और जोश आ रहा था । मैं और पूरी ताकत से मौसी की बुर चोदने लगा चुत पर बाल होने की वजह से पूरा बुर पर झाग हो गया था ।
20 मिनट से जम के चोदाई हो रहा था और मैं चुची भी चूस रहा था । इस बीच मौसी 2 बार झड़ चुकी थी | फिर से मौसी का शरीर अकड़ने लगा हम समझ गये फिर से झड़ने वाली है ।
अब मैं भी झड़ने वाला था तो मैं मौसी से पूछा
मौसी मैं झड़ने वाला हूँ कहाँ गिराये अन्दर या फिर बाहर ?????
तो मौसी बोली मेरे बुर में गिरा दो बेटे इस सुखार में हरियाली ला दो ।
हम पूछे मौसी कुछ होगा तो नही ।
तो मौसी बोली बेटा कुछ नही होगा मेरे बच्चा नही होने वाला ऑपरेशन बहुत पहले ही तेरा मौसा करवा दिया है ।
हम बोले ठीक है ।
मैं अपने धक्के की स्पीड और बढ़ा दिया । और कुछ देर बाद हम दोनों साथ मे ही झड़ गया । मौसी की चुत को अपने वीर्य से भर दिया । मौसी पूरी संतुष्ट हो गयी थी । और बहुत खुश थी । और मैं अपना लंड को चुत से निकला तो चुत से वीर्य और चुत का पानी निकाल रहा था । फिर मौसी कपड़ा से चुत पोछि और मेरा लंड भी साफ किया । फिर मौसी ऊपर से कंबल ओढ़ दिया और हमको जकड़ कर पकड़ ली ।
फिर हम मौसी से पूछे कैसा लगा???
मौसी बोली बहुत मज़ा आया बेटा इतना मज़ा कभी नही आया था । बेटा तेरे मौसा भी इतना मजा नही दिया था । फिर मौसी बोली बेटा अब तुम हमको सब दिन चोदेगा ना ?????
हम बोले हाँ मौसी आपको जब मन होगा हमको बोल दीजिएगा ।
ये सुन के मौसी बहुत खुश हो गयी बोली मेरा प्यारा बेटा । फिर ऐशे ही हमदोनो माँ बेटा बात करने लगे | इस बीच मेरा फिर से लंड खड़ा हो गया । मैं मौसी से बोला मौसी फिर से चोदने का मन कर रहा है तो मौसी बोली ये पूछने की बात है आज से ये तुम्हरी है जितना चाहो उतना चोदो बेटा । मैं मौसी के ऊपर चढ़ गया |
फिर से मौसी को किस करने लगा और थोड़ी देर में मौसी गर्म हो गयी और लंड को चुत में फिर से डाल दिया और चोदने लगा । । इस बार कंबल के अंदर ही अपनी मौसी माँ को चोद रहा था । उस रात मौसी को चार बार चोदा । मेरा लंड सूज गया था । सारी रात हमदोनों नंगा ही रहे । फिर सुबह हम सोये थे तो मौसी बोली उठो बेटा 8 बज गया है । फिर हम उठे मौसी अभी भी नंगी थी । हम उठते ही मौसी को चूमने लगा । आरे क्या कर रहे हो हम बोले मौसी हमको अब रूम जाना है |
क्लास है 11 बजे | इसीलिए मौसी एक बार और चोदने दो । मौसी बोली हम मना कहाँ कर रहे है बेटा चोदो जीतना मन करता है तुमको जो मन है । करो फिर हम मौसी से बोले मौसी एक बात बोलू तो मौसी बोली बोलो फिर हम मौसी से बोले कि हमको मम्मी को चोदना है किसी तरह से जुगाड़ लगा दो तो मौसी बोली नही तुम सिर्फ हमको चोदेगा |
मौसी मना कर दी लेकिन बहुत कहने पर मान गयी । फिर हम मौसी के चुत में लंड डाल दिया और चोदने लगा । मौसी धीरे धीरे सिकियाँ ले रही थी । दोनो को बहुत मज़ा आ रहा था । कुछ देर बाद दीदी दरवाजा खटखटाने लगी बोली उठने के लिए तो मौसी बोली हाँ आ रही हूं । फिर हम और तेजी से चोदने लगा और जल्दी से हम दोनों माँ बेटा झड़ गए ।
उसके बाद मौसी से बोला अगली बार चुत का बाल साफ कर लीजिएगा मौसी बोली ठीक है बेटा । और बोली जल्दी से कपड़ा पहन लो फिर हम दोनों कपड़ा पहन लिए । हम फिर से लेट गए मौसी उठ के चले गयी । थोरे देर बाद हम उठे और फ्रेस हो गए |
दीदी चाय बनाई पिये फिर नास्ता कर के वहाँ से चले आते । आते समय मौसी दीदी बोली आते रहना हम बोले ठीक हैं ।
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अनजानी भाभी से उनके घर में प्यार किया –
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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम आर्यन है और में नॉएडा सेक्टर 11 में रहता हूँ, में शादीशुदा हूँ और नॉएडा में ही जॉब करता हूँ। आप सब को तो आजकल का जॉब कल्चर पता ही होगा। 9 घंटे तक बैठे बैठे आदमी का सब पुर्जा ढीला हो जाता है, इसलिए मैंने एक जिम जॉइन किया। में रोजाना जिम जाता था और वो एक यूनिसेक्स जिम था, वहाँ खूबसुरत लड़कियाँ, आंटियां आती थी। में थोड़ा शर्मीला टाईप का हूँ तो में जिम जाकर अपना एक्सरसाईज करता और घर आ जाता। एक दिन में जब जिम गया तो मैंने देखा कि एक बहुत ही खूबसूरत लेडी एक्सरसाईज़ कर रही थी। मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया और अपनी एक्सरसाईज़ में लग गया। फिर वो भी मेरे बगल में आकर एक्सरसाईज करने लग गई और ऐसे ही कुछ दिन बीत गये। फिर करीब 1 हफ्ते के बाद में जिम में लेटकर एक्सरसाईज कर रहा था और वो मेरे बगल में आकर मेट बिछाकर लेट गयी और मुझे पूछने लगी कि अप्पर एबेस का एक्सरसाईज़ कैसे करना है? तो मैंने उसको बता दिया और ट्रेनर को बुलाकर उसको हेल्प करने को कहा। अब में एक्सरसाईज़ ख़त्म करके घर जा रहा था, तभी पीछे से मेरा नाम कोई बुला रहा था तो फिर में अचानक से मुड़ा, तो मैंने देखा कि पीछे वो लेडी थी।
में : फिर मैंने पूछा कि आप मेरा नाम कैसे जानती है?
लेडी : उसने कहा कि जिम की एंट्री बुक से देखा है।
में : मैंने पूछा बोलो, में आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?
लेडी : क्या में घर तक आपके साथ चल सकती हूँ?
में : फिर में अचानक से बोला, आप जानती है कि में कहाँ रहता हूँ?
लेडी : हाँ, में जानती हूँ।
में : कैसे?
लेडी : में आपके एक घर छोड़कर रहती हूँ और मैंने आपको ऑफिस जाते हुए, अपने बच्चे के साथ बाहर ठहलते हुए अक्सर देखा है।
में : तुम बहुत स्मार्ट लेडी हो।
फिर हम आगे बढ़े और मैंने उनका नाम पूछा और उसने अपना नाम शिल्पा बताया।
में : आपके पति क्या करते है?
शिल्पा : बिज़नेस करते है।
में : आपके कोई बच्चा है?
शिल्पा : हाँ, एक 5 साल की गुड़िया है।
में : अच्छा, तो कॉलेज जाती होगी।
शिल्पा : हाँ, वो अपने पापा के साथ जाती है।
में : पापा के साथ?
शिल्पा : हाँ, उसके पापा उसे कॉलेज ड्रॉप करते है और फिर अपनी शॉप पर जाते है।
में : घर आ गया है और अब में चलता हूँ।
शिल्पा : ओके, क्या हम रोज़ साथ जिम चले?
में : ठीक है।
शिल्पा : आपका फोन नंबर दे जाओ।
अब मुझे थोड़ा अजीब लगा कि एकदम से कैसे फोन नंबर दे दूँ? और में बोला कि में जिम के लिए 8 बजे निकलता हूँ आप मुझे नीचे मिलना, क्योंकि में जिम में मोबाईल नहीं लाता हूँ। फिर हम अपने अपने घर गये और रोज के अपने अपने कामों में व्यस्त हो गये। फिर अगले दिन जब में 8 बजे जिम के लिए निकला तो वो मुझे नीचे मिली और मुझे देखकर एक प्यारी सी स्माईल दी। उस दिन शनिवार का दिन था, तो जिम में बहुत भीड़ थी। फिर मैंने जल्दी-जल्दी से अपनी एक्सरसाईज़ को ख़त्म किया और बाहर आ गया, वो भी मेरे साथ बाहर आ गई और हम साथ ही घर की तरफ रवाना हो गये।
शिल्पा : आज का क्या प्लान है?
में : कुछ ख़ास नहीं, थोड़ा घर का काम है वो करना है।
शिल्पा : मेरे घर आइये दोपहर में, मुझे अच्छा लगेगा और खूब मज़ा करेंगे।
में : देखता हूँ।
शिल्पा : ये मेरा फोन नंबर है, अगर मूड बने तो आइयेगा।
अब में थोड़ा हैरान था कि शिल्पा मुझमें इतनी रूचि क्यों ले रही है? वो तो शादीशुदा है। फिर सोचा कि चलो बोला है तो मिल लेंगे। फिर मैंने अपनी पत्नी से कहा कि में एक दोस्त के वहाँ जा रहा हूँ और 1 या 2 घंटे में आ जाऊंगा। फिर में बिना फोन किए उसके घर 4 बजे पहुँचा और दरवाजे की घंटी बजाई तो शिल्पा ने दरवाजा खोला और सर्प्राइज़ लुक देने लगी। फिर मैंने कहा कि आपने बुलाया और हम आ गये तो शिल्पा ने बड़े प्यार से मुझे अंदर बुलाया और मेरे गले लग गई। फिर में बोला कि ये कुछ ज्यादा ही गर्म वेलकम हो गया है। फिर वो बोली कि ये तो कुछ भी नहीं है, अगर आप चाहों तो बहुत कुछ हो सकता है। वो जब एक सेक्सी सा गाऊन पहने थी, जिससे उसका पूरा फिगर मालूम पड़ रहा था, क्या कहूँ यारो? वो क्या क़यामत लग रही थी।
फिर वो अंदर गयी और मेरे लिए जूस लेकर आई। फिर मैंने कहा कि ये सब किस लिए। फिर उसने कहा कि आज आप पहली बार मेरे घर आए हो तो कुछ तो देना पड़ेगा तो मैंने कहा वो तो आप दे चुकी हो, तो वो शर्मा कर बोली कि वो तो ट्रेलर था पिक्चर तो अभी बाकी है। फिर मैंने पूछा कि घर में कोई नहीं है क्या? तो शिल्पा ने कहा कि मे हूँ वो काफ़ी नहीं है क्या? तो मैंने कहा कि वो तो काफ़ी है, लेकिन में आपकी बेटी और पति की बात कर रहा था।
फिर शिल्पा ने कहा कि कल शाम तक वो एकदम अकेली है और अब हमें टाईम बर्बाद नहीं करना चाहिए। अब में थोड़ा शॉक हो गया कि ये क्या बोल रही है? फिर में कुछ कहता उससे पहले शिल्पा आकर मेरी गोदी में बैठ गयी और मुझे किस करने लगी। अब में कुछ देर तक हैरान था कि ये अचानक से इसको क्या हो गया है? फिर में भी उसका साथ देने लगा। दोस्तों अगर कोई तरबूज खुद ही कटना चाहता हो तो चाकू बेचारा क्या करे?
अब उसके बूब्स मेरी छाती पर दब रहे थे, शिल्पा का बहुत ही बढ़िया बूब्स है। अब वो पागल सी हो चुकी थी, अब किस करते-करते उसने मेरे कपड़े उतारना चालू किया। अब में भी वो ही करने लगा था, वो तो सिर्फ गाउन पहने थी और उसके नीचे कुछ भी नहीं था। फिर मैंने उससे पूछा कि अंडरगार्मेंट्स क्या पहले से निकाल दिए थे? फिर उसने कहा कि वो घर पर सिर्फ गाउन पहनती है। फिर वो खड़ी हो गई और मुझे भी बेडरूम में जाने के लिए खींचने लगी। फिर मैंने उसको पीछे से बाहों में लिया और उसके बूब्स दबाने लगा। अब उसकी पीठ मेरे सीने से लग रही थी और मेरा लंड उसकी गांड के अन्दर जाकर फिट हो गया। फिर हम ऐसे ही धीरे-धीरे बेडरूम की तरफ बढ़े और अब में उसकी गर्दन को किस कर रहा था और साथ ही बूब्स दबा रहा था और अब वो एकदम मदहोश हो चुकी थी।
अब बेडरूम में अन्दर आते ही उसने मुझे बेड पर धक्का दिया और मेरे लंड को लॉलीपोप के जैसे चूसने लगी। फिर कुछ देर के बाद मैंने मेरा सारा पानी उसके मुँह पर छोड़ दिया और वो मेरा सारा पानी पी गई। फिर मैंने उसको बेड पर लेटाया और उसकी क्लीन शेव चूत को चाटने लगा, क्या कहूँ दोस्तों? क्लीन शेव चूत का अलग ही मज़ा है। अब में उसको अपनी जीभ से चोद रहा था और फिर वो थोड़ी देर के बाद झड़ गई।
फिर में उठकर उसके बगल में सो गया और उसके बूब्स से खेलने लगा और वो भी मेरे लंड से खेलने लगी। अब मेरा लंड फिर से टाईट हो गया और उसको बुलाने लगा तो वो देखकर उठ गई और मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत में घुसाने लगी। अब वो मेरे ऊपर थी और उसके बाल खुले हुए थे, वो क्या खूबसूरत लग रही थी? अब उसके बूब्स मेरे मुँह के सामने हिल रहे थे। अब में उसके हिलते हुए बूब्स को पकड़कर चूसने लगा और अब वो ऊपर नीचे हिल रही थी और चिल्ला रही थी कि इस लंड के लिए में कब से तरस रही थी, आअज्जज अब मिला है, मुझे पूरा चोदो, अब मेरा लंड पूरा उसकी चूत के अंदर घुसता जा रहा था और मेरा लंड उसकी चूत की गर्मी भी महसूस कर रहा था।
अब शिल्पा मेरे लंड की दीवानी हो चुकी थी और वो बहुत गर्म भी हो गई थी, अब वो मुझे ज़ोर-ज़ोर से किस भी कर रही थी। फिर में उसको बाहों में लेकर बैठ गया और अब भी मेरा लंड अंदर ही था। फिर हम बैठकर चोदने लगे, तभी उसने मुझे ज़ोर से अपनी बाहों में भर लिया। अब वो अपने अंतिम चरण में पहुँच गयी थी। फिर हमने अपनी स्टाईल को चेंज किया और डॉगी पोज़िशन में आ गये, अब मेरा लंड थोड़ा नीचे की और झुका तो डॉगी पोज़िशन में उसके प्यूबिक एरिया में वो घिस रहा था। अब उसको बहुत मज़े आ रहे थे और अब में साथ साथ उसके चूत के दाने को भी अपनी उंगली से रगड़ रहा था। फिर कुछ देर के बाद शिल्पा फिर से झड़ गई और ये उसका दूसरी बार था।
फिर शिल्पा ने कहा कि आज जितना मज़ा उसको आ रहा है, इतना मज़ा उसको उसकी 7 साल की शादी में कभी नहीं आया था।
फिर मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी और उसको ज़ोर-ज़ोर से झटके मारने लगा और तभी में भी झड़ने वाला था तो मैंने कहा कि मेरा निकलने वाला है कहा निकालु ???
फिर उसने कहा कि अंदर ही डाल दो, मेरा अभी सेफ पीरियड है।
फिर में एकदम से झड़ गया और उसको पकड़कर सो गया। फिर मैंने शिल्पा से पूछा कि कैसा लगा? तो उसने मुझे बहुत सारे किस दिए और बोली कि उसको उसके पति के साथ भी इतना मज़ा नहीं आया, जितना आज आया है। फिर मैंने उससे पूछा कि ऐसा क्यों? तो उसने कहा कि उसके पति सेक्स को उनकी ड्यूटी समझते है और ना ही इन्जॉय करते है और ना कभी सक करते और जल्दी झड़ जाते है। उसने मुझे ये भी बताया कि जब भी वो कुछ करना चाहे तो उसके पति उसको नकारते है, जिससे उसको बुरा महसूस होता है। फिर में उठा और अपने आपको साफ किया और कपड़े पहनने लगा, वो अपने बेड पर ऐसे ही नंगी सोई थी और मुझे बड़े प्यार से देख रही थी।
फिर मैंने कहा कि मुझे बहुत ग़लत लग रहा है कि में अपनी पत्नी को धोखा दे रहा हूँ और वो अपने पति को धोखा दे रही है। फिर शिल्पा बोली कि इसमें कोई ग़लती नहीं लगती, क्योंकि वो अपने पति से खुश नहीं है और उसने जब मुझे देखा तो उसको में बहुत पसंद आया और उसका प्यार तब बढ़ा, जब वो मुझसे बातें करने लगी और उसको सब सही लगा, क्योंकि वो ऐसे ही किसी को अपना बदन नहीं दे सकती। फिर शिल्पा ने कहा कि आपने मेरी मदद की है, इसलिए में आपकी शुक्रगुजार हूँ और उसने कहा कि आपकी पत्नी तो लकी है, जो उनको इतना लविंग पति मिला है। अब में उसके घर से निकलने लगा तो वो फिर से गाउन पहनकर दरवाजे तक आ गयी और पीछे से लिपट गयी और बोली कि थोड़ा रुक जाओ। फिर मैंने कहा कि में कल सुबह जिम के टाईम पर तुम्हारे घर आऊंगा और सुबह एक्सरसाईज़ घर पर ही करेंगे।
अब वो खुश हो गयी और बोली कि अब तो आपका मोबाईल नंबर दे दो। फिर मैंने उसे अपना मोबाईल नंबर दे दिया। अब में दरवाजा खोलने ही वाला था कि उसने पूछा कि पहली बार नंबर क्यों नहीं दिया? तो मैंने कहा कि ऐसे किसी को भी में मेरा नम्बर कैसे दे दूँ? फिर उसने कहा कि यही बात उसको सबसे अच्छी लगी और उसने डिसाईड किया कि वो मेरे साथ संबंध बढ़ायेंगी। फिर उसने कहा कि आजकल तो बिना माँगे ही लोग अपना मोबाईल नंबर दे देते है और आपसे तो एक औरत ने मोबाईल नंबर माँगा था और आपने नहीं दिए थे। फिर मैंने उसको बाय किया और घर आ गया ।।
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मैं अपनी सती सावित्री माँ को चुदते हुए देखा
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मेरा नाम दीपक है , आज मैं आप लोगो को एक घटना बताने जा रहा हूँ. मेरे घर मे मा पापा ओर भैया भाई रहते है, दीदी भी अपने ससुराल मे रहती है. हम सब पंचकुला के पास एक छोटे गाँव मे रहते है. पापा की उम्र 52 साल है ओर उनका खुद का बिज़्नेस है , भैया भी पापा का बिज़्नेस संभालते है. भैया की शादी 5साल पहले हुई थी. ओर दीदी की 3साल पहले. मा की उमर 48 साल है ओर बो एक बड़ी ही सीधी सादी भारतीय महिला पर बड़ी ही हॉट है अंदर से.
आज जो मैं आपके सामने कहानी पेश कर रहा हु वो किसी की नहीं मेरी मा की ही है जो एक सतीसावित्री होने के बावजूद किसी गैर मर्द से चुद जाती है या तो ये कहिये की नाजायज सम्बन्ध बना लेती है. ओर बो गैर मर्द ओर कोई नहीं मेरे दीदी के ससुर है और मेरी माँ के समधी.
बात पिछले साल की है, एक रत जब हम सब खाना खा रहे थे तब पापा ने कहा क्यूँ ना इस होली पे समधी जी को बुलाया जाए. मैं हाँ इस बार होली मे अंकल आंटी हमारे घर होली खेल लेगे. भाभी भी बोली हाँ पपाजी बुला लीजिए.
मा- हाँ बुला लीजिए. यानि की सबने हां में जवाब दिया.
दूसरे दिन पापा ने अंकल को फ़ोन कर बुला लिए. भैया ओर भाभी भी चले गये भाभी के मायके मे. 3-४ दिन बाद ही अंकल ओर आंटी ओर दीदी जीजू हमारे घर आ गये, हम सब ने उनका स्वागत किया. दीदी बहुत खुस दिख रही थी. हमारे मे औरते घुँगत निकलती है. होली के दिन हम सब ने होली खेली. दीदी-भैया ओर भाभी कहा गये. मा- तेरी भाभी के गाँव होली मानने.मा ओर दीदी अलग अलग पकवान बना रही थी. रात को पापा ओर अंकल पीने बैठे थे. पापा ने अंडर से बोतल ओर पानी लाने बोला.
मैं सब उनको लाकर दे दिया. कुछ देर पीने के बाद पापा ने आंटी को देने कहा मैने बो पेग जाकर आंटी को दे दिया. बाद मे मां ने मुझे बाहर से कुछ समान माँगया बो लाने मैं चला गया. थोड़ी देर बाद पापा ने फिर से बोतल मंगाई. मैं घर पर नहीं था इसीलिए मा बोतल देने चली गयी. मा ब्राउन कलर की साड़ी पहनी थी. मा जैसे ही बोतल रखने लगी वैसे ही अंकल ने हाथ बढ़ा कर बोतल पकड़ ली जिससे बो मा के हाथो को छू लिए. मा बोतल रख जाने लगी. तभी अंकल -रुकिये ज़रा संधान जी जी. मा वही खड़ी हो गयी. फिर अंकल ने भी एक पेग बनाया ओर मा को देने लगे. पहले तो मा ने माना किया.
फिर बाद मे ले ली. पेग देते वक्त अंकल ने मम्मी की उंगलिया सहला दी. मा कुछ नहीं बोली ओर पेग पी ली. मा को बहुत कड़वा लगा. पापा भी बहुत फुल हो चुके थे. फिर मा ग्लास रखने लगी तभी अंकल ने फिर से हाथ आगे कर मा के हाथो पर हाथ रख ग्लास पकड़ लिए ओर साथ ही मा के हाथो को सहलते हुए मा को देखने लगे. मा शर्मा कर अंदर चली गयी. रात को सब खाना खाने के बाद सब सोने चले गये पापा अंकल एक कमरे मे ओर मा, आंटी, दीदी एक कमरे मे , ओर मैं ओर जीजू एक कमरे मे. सुबह पापा जल्दी ही ऑफीस चले गये. मा ओर दीदी काम कर रही थी ओर आंटी नहाने चली गयी.
दीदी- मा वो (मैं) तो अबतक उठा ही नहीं तो चाय कौन देगा पपाजी को.
मा- बो तो सो रहा है. ला दे मैं ही देके आती हूँ. मा चाय लाकर पापा के कमरे मे गयी.
मा जैसे ही अंदर गयी वैसे ही उनकी आँखे फटी फटी रह गयी. अंदर अंकल सिर्फ़ अंडरवियर मे सो रहे थे. पहले तो मा सोची की वापस चली जाऊं, लेकिन फिर रुक गयी. मा ने कप रखा ओर अपने एक हाथ आगे कर अंकल को उठाने लगी. समधी जी उठिए उठिए. अंकल थोड़ा इधर उधर हुए फिर नींद मे ही मा का हाथ पकड़ अपने उपर खींच लिए.मा सीधे जाकर अंकल की बाँहो मे गिर पड़ी. अंकल मा को अपनी बाँहो मे भिचने लगे. मा बहुत डर गयी थी.
मा-ये आप क्या कर रहे है समधी जी चोदिये मुझे. मा उठने की बार बार कोसिस कर रही थी. फिर अचानक अंकल की नींद खुली.और उन्होंने माँ को छोड़ दिया, माँ उठ कर खड़ी हो गई.
मा पूरी पसीने पसीने हो गयी थी. ओर साड़ी भी खराब हो चुकी. मा रोने लगी.अंकल डरते हुए -मुझसे ग़लती हो गयी मुझे माफ़ कर दीजिए. मा कुछ नहीं बोली ओर चली गयी. मा बहुत घबरा चुकी थी. ओर रोने भी लगी. रात मे पापा भी आ गये. अंकल ओर पापा ओर मैं जीजू भी खाना खाने लगे. मा अंदर ही थी.तभी पापा ने आवाज दी मा सब्जी लेकर आई. माँ थोड़ी सरमे हुई घूँघट में थी.
मा सब्जी डालने लगी. अंकल मा को घूर रहे थे. शायद मम्मी को भी ये पता था.मा चोरी से अंकल की ओर देखी जो मुस्कुरा रहे थे जिसे देख मा भी मन ही मन मुस्कुरई.फिर मम्मी अंदर चली गयी. वहा भी मा चोरी चोरी मस्कुरा रही थी. दूसरे दिन सुबह फिर आंटी नहाने चली गयी.ओर पापा भी उठ कर मंदिर चले गये.मा दीदी से -बेटी चाय डाल दे मैं देके आती हूँ तेरे ससुर को.
फिर मा चाय लेकर उनके के कमरे मे गयी. जहा अंकल कल की तरह सिर्फ़ अंडरवेर मे थे. मा उन्हे देख शरमाई फिर कप रख अंकल को उठाने लगी.मा-प्यार से समधी जी उठिए. शायद अंकल पहले से जाग रहे थे , अंकल ने मा का हाथ पकड़ अपने उपर खिच लिए. मा भी तपाक से उनकी बाहों मे गिर पड़ी. अंकल मा को अपनी बाहों मे भिचने लगे.मा मायूस आवाज़ मे- छोड़िये ना ये आप क्या कर रहे है.अंकल मा को नीचे कर खुद मा के उपर आ गये. मा कसमसा रही थी.
अंकल मा की आँखो मे देख अंकल ने कहा जो आप और मैं दोनों चाहते है. मा ये सुन शर्मा गई. जिससे अंकल खुश हो गये. अंकल मा को किस करने जा रहे थे तभी मा ने उन्हे धक्का देकर हटा दिया ओर उठ कर खड़ी हो गयी. मम्मी शरमाते हुए – ये रही आप की चाय . ओर वहा से चली गयी. मा बहुत खुस नज़र आ रही थी. दोपहर मे खाना खाते समय
अंकल- अच्छा समधी जी तो आज जाना है हमें, पापा-समधी जी 1-२ दिन ओर रुक जाओ. कुछ ही देर मे बड़ा बेटा ओर बहू भी आने बाले है उनसे भी मिल लेना. ओर कहीं घूमने भी चले जाना.फिर थोड़े समय बाद ही भैया भाभी आ गये. पापा-बेटा इनको भी कही घुमा लाओ. भैया हाँ क्यूँ नहीं हम सब चलेगे. मम्मी-आप सभी चले जाओ मैं यही रहूंगी. घर पे भी तो कोई रहना चाहिए.आंटी-इनको भी चलने मे प्रॉब्लम होती है तो ये भी नहीं आ पायांगे. अंकल -हाँ बेटा मैं नहीं चल सकता. अंकल मुस्कुराते हूँ मा की तरफ देखे.मा भी उन्हे देख शरमाई.आंटी-हाँ इनको पसंद नहीं.जीजू-तो पापा को रहने दो हम सब चलते.
पापा- मुझे भी काम के सिलसिले मे बाहर जाना है. मैं-तो ठीक है आप सब चले जाओ मैं यही रुक जाता हूँ.एक घंटे बाद ही पापा चले गये. ओर बाकी सब भी रेडी होने लगे. शाम को सब चले गये घूमने. घर पे सिर्फ़ मैं मा ओर अंकल ही रह गये थे. अंकल भी बाहर मार्केट चले गये. मैं अपने कमरे मे पढ़ाई करने लगा ओर मा खाना बनाने लगी. कुछ ही देर मे अंकल आ गये. अंकल टीवी देखने लगे. मैं भी अंकल के साथ टीवी देखने लगा.अंकल मेरी पढ़ाई के बारे मे पूछ रहे थे.
थोड़ी देर तक हम बाते करते रहे मा बाहर आई माँ-खाना परोस दू .मैं- हाँ मा बहुत भूख लग रही है मैं ओर अंकल साथ मे खा लेगे. अंकल-बेटा तुम खा लो मैं बाद मैं खा लुगा. ओर तुम्हे पढ़ाई का कम भी तो करना है. माँ-हाँ बेटा तुम खा लो तुम्हे पढ़ाई भी तो करणी है. मैं खाना खा कर अपने कमरे मे चला गया. ओर दरवाजे की छेद से बाहर देखने लगा. मा रसोई मे थी. मा रसोई से एक दारू की बोतल ओर पानी की बोतल, कुछ चखने लाकर टेबल पे रखने लगी मा-कुछ और चाहिए तो बुला लीजिए गा.
अंकल -आप नहीं बैठेंगे हुमारे साथ. मा कुछ नहीं बोली ओर अंकल के पास ही बैठ गयी. अंकल: यहाँ तो कोई नहीं है भीर फिर आप घूँघट में है. मा- मैं.आपके सामने कैसे बिना घूँघट के बैठ सकती हूँ. अंकल-मुझे कोई एतराज नहीं है आप अपना घूँघट हटा सकते है. मा-दीपक तो है,अंकल-बो अंदर पढ़ाई कर रहा है.फिर मा ने अपना घूँघट हटा दिया.उनकके मुस्कुराते हुए मा को देख रहे थे मा ने अपनी आँखे नीचे कर ली.अंकल -सच आप इस उमर मे भी बहुत सुंदर लग रही है. मा थोड़ा शरमाई.
अंकल ने बोतल खोलते हुए मा से कहा-लीजिए पेग बनाए. मा–नहीं नहीं आप ही बनाए.
अंकल – आज आपके हाथो से बनाया पेग पीना चाहते है. मा एक पेग बनाने लगी.
अंकल –एक ही क्यूँ?
मा—मैं नहीं पीती.अंकल–थोड़ा हमारेलिए भी नहीं. मा थोड़ा सा अपने लिए भी पेग बना ली. फिर अंकल पिने लगे. मा ने भी एक घुट पिया. अंकल– संधानजी आज जो सुबह मे हुआ आप नाराज़ तो नहीं है ना.
मा कुछ नहीं बोली.फिर थोड़ी देर बातचीत हुई. मा को थोड़ा नशा हो गया.
मा–अब परोस दू खाना.
अंकल–हां . फिर मा खाना डालने लग गई .मम्मी ओर अंकल ने साथ मे खाना खाया. खाने के बाद मा सफाई करने लगी. अंकल मा को घूर रहे थे. काम करने के बाद मा ने मेरा दरवाजा खटखटाया लकिन मैने कोई रेस्पोन्स नहीं दिया तो मा को लगा की मैं सो गया हूँ. मा अंकल का विस्तर लगाने लगी. तभी अंकल अंदर आए.ओर पीछे से मा को अपनी बहो मे भर लिए.
मा–ये आप क्या कर रहे है, छोड़िये मुझे.
समधन जी ५ साल हो गये.इन ५ सालो मे मुझे बो सुख नहीं मिला.
मा–देखिए मैं आपकी भावना समझ सकती हूँ. लकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती .
अंकल–समधन जी मैं भी समझ सकता हूं लकिन आप भी बो सुख पाना चाहती है जो हर औरत चाहती है, मुझे पता है समधी जी का जब ऑपरेशन हुआ तब से बो आप को सुख नहीं दे पा रहे है.
मा–हाँ लकिन ये ग़लत है मैं ऐसा नहीं कर सकती
अंकल मा का हाथ पकड़ते हुए- प्लीज मैं आप को नीरस नहीं करूँगा , मान जाइए कहकर अंकल मा को गले लगा लिए. मा भी अंकल की बाहों मे सिमट सी गयी.
अंकल–भगवान की भी यही मर्ज़ी है इसीलिए आज हम मिले है
मा– लेकिन दीपक?
अंकल-बो सो चुका है अंकल ने मा को एक गजरा दिया.
अंकल-ये आप के लिए. मैं चाहता हूँ की आज रात ये गजरा आप लगाए. मा गजरा लेकर अंदर चली गयी. ओर तैयार होने लगी. मा ने एक न्यू रेड कलर की सारी पहनी. हाथो मे चूड़िया ओर गले मे मंगल सूत्र पहनी. बिल्कुल एक नयी नवेली दुल्हन की तरह लग रही थी. मा ने सिंगार भी किया ओर अंकल का दिया हुआ गजरा भी लगाया. फिर मा एक ग्लास दूध ओर घूँघट निकल कर अंकल के कमरे मैं गयी , अंकल मा को देख खुस हो गए.अंकल ने मा से दूध का ग्लास लिया ओर उसे टेबल पे रख दिए. फिर मा को पलंग पे बैठ गयी. मा एक दुल्हन की तरह बैठी थी.अंकल-समधनजी आज मैं बहुत खुस हूँ कहते हुए अंकल ने मा का घूँघट उपर किया. अंकल–सच्ची आज आप अप्सरा लग रही है मा शर्मा गयी.
मा ने ग्लास उठाया ओर अंकल की ओर करने लगी. अंकल ने मा के हाथो को पकड़ लिया.मा अंकल को दूध पिलाने लगी.अंकल मा को सेक्सी निगाहो से देख रहे थे.ओर मा के चेहरे पे एक मुस्कान दिख रही थी. पीने के बाद अंकल ने ग्लास रख दिया. ओर मा के कंधो मे रख मा को बिस्तेर पे लेटने लगे. मम्मी शरमाती हुई–पहले लाइट तो बंद कर लीजिए. अंकल–लाइट बंद कर दूँगा तो तुम्हरी खूबसूरती कैसे देख पाउँगा. मा–नहीं मुझे शरम आ रही है.
फिर अंकल ने लाइट बंद कर एक.बल्ब जला दिया. मा बिस्तर पे लेटी हुई थी.अंकल गये ओर मा के ऊपर लेट कर मा को अपनी बाहों मे भर लिए. मम्मी भी उनकी बाहणो मे सिमट गयी.अंकल ने मा के सिर पे किस किया. फिर मा के गालो को किस करने लगे. मा के मुह से इस इस इस इस की अबाज निकल रही थी. मा के हाथ अंकल के कंधो पे थे. अंकल ने मा के हाथो को अपने हाथो मे कस लिए.ओर मा के होठ पे अपने होठ रख दिए. मा को सिहरन सी हुई ओर उसने अपनी आँखे बंद कर ली. अंकल मा के होतो को चूस रहे थे.
मा भी उनके होठ चूसने मे उनका साथ दे रही थी. अंकल ने एक हाथ से मा के साड़ी का पल्लू हटा दिया ओर मा के बड़े बड़े बूब्स को ब्लाउज के उपर से ही सहला रहे थे. मां के मूह से सिसकारिया निकल रही थी.अंकल मा की चूचियों को धीरे धीरे मसल रहे थे.मा आअहह कर रही थी.
अंकल मा को किस करते हुए दोनो हाथो से मा की दोनो चुचिया मसल रहे थे.अंकल ने मा की मंगलसूत्रा निकल दिया ओर मा की गर्दन पे किस करने लगे. मा भी अंकल की पीठ पे अपने हाथ फेर रही थी. अंकल ओर मेरी माँ दोनो एक दूसरे के पैर से पैर मसल रहे थे.अंकल ने अपनी कुरता ओर बनियान निकल दी ओर अपनी पजामा भी निकाल दी.
मा उन्हे कपड़े निकलते हुए प्यार से देख रही थी. अब अंकल सिर्फ़ अंडरवियर मे ही थे. अंकल मा को बाहणो मे भर लिए ओर बेहतासा चूमने लगे. अंकल का लंड मा की चूत पे चुभ रह था जिसे मा ओर उतेज़ित हो गयी थी.अंकल मा के बूब्स ब्लाउज के उपर से ही चूम रहे थे.
अंकल अपने हाथ मा की छोड़ी कमर ओर पेट पे फेर रहे थे. अंकल —आहह सुरुचि जी सच मे अंदर बहुत आग है.
मा – हां समधी जी इस आग को आप बुझा दीजिए,
अंकल-आपकी आग बुझाने के लिए मैं कब से बेताब हूँ.
अंकल– अब यहाँ तो कोई नहीं है आप मुझे अब भी समधी कहेंगे.
मा मुस्कुराते हुए–तो फिर क्या कहु.
अंकल–बही जो आप अपने पति को कहती है.
मा शरमाती हुए —आप भी ना!
फिर दोनो एक दूसरे को चूमने चाटने लगे. कभी मा अंकल के उपर तो कभी अंकल मा के ऊपर. इन सब मे मा की सारी पूरी निकल गयी अंकल मा के ब्लाउज के बटन खोलने लगे मा अपने हाथो से अपने बूब्स छुपाने लगी अंकल मा के हाथ हटा दिए ओर ब्रा भी निकल दी.
अब मा सिर्फ़ पेटीकोट मे थी. अंकल मा के बूब्स मसलने लगे.
मा-आहहहहह. अहहहू करने लगी.
अंकल मा के एक बूब्स को मूह मे लेकर चूसने लगे.ओर दूसरे को मसलने लगे.
अंकल दूसरे बूब्स को भी चूसने लगे.ओर निपल को काट रहे थे.मम्मी को देख लगता नहीं की वो बड़ी ही सीधी सादी और सती सावित्री होकर किसी.गैर मर्द से समन्ध बना लेगी.अंकल मा के पेट ओर नाभि को चूम रहे थे ओर हाथ से पेटीकोट उपर कर मा की जांघ सहला रहे थे मा अंकल का हाथ हटाने की कोसिस कर रही थी. अंकल ने पेटीकोत का नाड़ा खोल दिया ओर उसे हाथो से सरकाने लगे. मा ने खुद ही अपना पेटीकोट अपने पैरो से निकल दिया.
अब मा सिर्फ़ एक पेंटी मे थी.ओर दोनो एक दूसरे की हहों मे सिमट रहे थे. मा भी अंकल की बालो से भरी छाती सहला रही थी. अंकल अपने हाथ मा के गरम जिस्म प सहला रहे थे. दोनो.की गरम साँसे एक दूसरे महसूस कर रहे थे.अंकल बार बार मम्मी का हाथ पकड़ अपने लंड पर रख रहे थे, लकिन मम्मी अपना हाथ हटा रही थी.अंकल मा की पेंटी नीचे कर रहे थे. मा माना कर रही थी. अंकल ने फिर मा का हाथ पकड़ अपने लंड पे रख दिया. इस बार मा ने भी उनका लंड पकड़ लिया.
ओर अंकल को देख शरमाने लगी,अंकल मा की चुचिया मसल रहे थे.मैं कभी सोच नहीं सकता था की मेरी मा ऐसा कर सकती है. मा अंकल का लंड हाथ मे लेली.अंकल का लंड बहुत बड़ा लग रह था. अंकल ने मा की पेंटी नीचे करने लगे. ओर मा की गोरी चौड़ी गांड पे हाथ फैरने लगे. अंकल ने अपना अंडरवियर भी उतार दिया.अब दोनो नंगे हो चुके थे.अंकल का काला लॅंड मा सेक्सी निगाह से देख रही थी. दोनो फिर एक दूसरे की बाहो मे सिमट गये.
अंकल का लंड मा की चूत मैं चुभ रह था. अंकल ने अपने हाथ से मा की बालो से भारी. चूत मे उंगली करने लगे. ओर मा अंकल का लंड हाथ मे लकर् आगे पीछे करने लगी.अंकल– आप कैसे निकाल लिए इतनी राते बिना चुदाई के. मा तो कर भी क्या सकती मैं अंकल- मैं भी बहुत तड़पा हूँ. मैं आप का सुकरगुजार हूँ की आपने मुझे अपने काबिल समझा.
मा– मैं जानती थी की आप भी इतने सालो.से खुस नहीं है. पर मुझे डर लगता था की कही बदनामी.ना हो जाए.अंकल–आप फिकर ना करे मैं आप को कोई परेशानी नहीं आना दूँगा. दोनो अपने अपने जिस्म से एक दूसरे को गर्मी दे रहे थे.अंकल उठे ओर मा को सीधा कर मा की टाँगे चौड़ी कर दिए. जिसे मा की फुल्ली. हुई चूत दिख रही थी. मा की चूत से पानी टपक रहा था.अंकल मा की टॅंगो के बीच बैठ गये.
ओर अंकल–तो लगा दी अपने प्यार की मुहर. मा शायद उन्हे आँखो से इशारा की अंकल ने लंड का टोपा मा कि चूत पे रखे. जिसे मा के पूरे सरीर मे आग लग गयी. माँ ने अपने पैर अंकल की कमर पे बाँध ली. अंकल ने एक ज़ोर का धक्का दे मारा.
मा—–उूुउउ उूउउ ईईइ ईयी ईईईई,एम्म एमेम माआ आआ सस्शह हह हह हह हह.अंकल का टॉप्स अंडर चला गया अंकल मा के होठो को चूसने लगे अंकल ने एक झटका ओर मारा.
मम्मी–आहह. अंकल का आधा लंड चला गया. अंकल मा के निपल चुस्स रहे थे ओर कमर हाथ फेर रहे थे.जिससे मा का दर्द कुछ कम हुआ अंकल–कैसा लग रहा है.मा कुछ नहीं बोली सिर्फ़ हंस दी.
अंकल ने मा की कमर पकड़ी ओर धीरे धीरे धक्के मारने लगे मा आअहह सहहहह कर रही अंकल अपनी कमर हिला कर मा को चोद रहे थे. मा की चूत से बहुत पानी गिर रह था.अंकल ने अपनी स्पीड थोड़ी तेज कर ली. लंड पानी की बजह से आबाज आ रही थी फुच्छ फूच फुच्च फच्छ.
मा भी– आअहह म्मर्र गयी मैं आअहह अंकल मा को जोर जोर से चोद रहे थे माँ भी अब अंकल को अपनी बहो मे भर अपनी गांड आगे पीछे कर अंकल का साथ दे रही थी. ३० मिनट तक दोनो की चुदाई चलती रही
अंकल– क्या कहती है आप मैं माल सारा चूत के अंदर डाल दू. फिर अंकल चोदते चोदते अचानक से रुक गये ओर मा को अपनी बहो मे कसने लगे माँ भी अंकल से लिपटरहीथी अंकल का सफ़ेद वीर्य मा के चूत मैं जाने लगा. जिसे मा महसूस कर रही थी कुछ देर दोनो ऐसे ही बाहों मे लेते रहे. जब अंकल का लंड पूरा मुरझा गया तब माँ के साइड मे लुढक गये. मा की अब भी साँसे उपर नीचे हो रही थी. मा की चूत से अंकल का वीर्य निकल रहा था.उसके बाद मैं अपने कमरे मैं आके सो गया.
सुबह 6बजे जब मैं उठा तो.बाहर कोई नहीं दिखा. मैं अंकल के कमरे की तरफ गया तो देखा मा ओर अंकल अब तक नंगे ही एक दूसरे की बाहणो मे सो रहे है. मैं वापस आके सो गया. आधे घंटे बाद मा दरवाजा खटखटाई , मैने दरवाजा खोला. सामने मा खड़ी थी.
माँ :– उठो कॉलेज नहीं जाना मा बहुत थकी सी लग रही थी ओर मा के बाल भी खुले हुए थे. फेस पे दाँतों के निशान दिख रहे थे. साड़ी भी जल्द जल्द मे बँधी हुई लग रही थी. मैं –हाँ मा आ रह हूँ.
फिर मा किचन मे चली गयी.ओर मैं नहाने. वहा ड्रा मे से मैंने कोलगेट निकाली तभी मेरी नज़र नीचे के ड्रॉ मे पड़ी. उसमे कुछ कपड़े.मैने बो कपड़े देखे बो अंकल के थे ओर उसमे मा की ब्रा ओर पेंटी भी थी. जो अंकल के वीर्य से भरी हुई थी. मैने कभी नहीं सोचा था की मेरी मा ऐसा कर सकती है. खैर जो किया अच्छा किया उसे भी तो लंड चाहिए.
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सेक्सी पड़ोसन भाभी की चुदाई का मजा
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नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम अभि है, यह मेरी पहली हिंदी सेक्स कहानी है भाभी की चुदाई की. मुझसे कोई गलती हो जाए, तो प्लीज़ मुझे माफ कर देना.
भाभी की चुदाई की यह हिंदी सेक्स कहानी दो साल पहले की है, उस वक्त मैं बी.कॉम. की पढ़ाई कर रहा था.
मेरे फ्लैट में के पड़ोस में एक भैया भाभी और उनके दो बच्चे रहते थे. उनके एक लड़की और एक लड़का था. भाभी की फैमिली से हमारे घर के अच्छे रिश्ते थे. कभी भी एक दूसरे के घर आना जाना बना रहता था.
मुझे वो भाभी शुरू से ही बहुत अच्छी लगती थीं, मैं हमेशा उनको घूरता रहता था और कुछ ना कुछ करके उनको छूने की कोशिश करता रहता था.
फिर एक दिन भाभी की फैमिली किसी निजी कारणों से हमारे फ्लैट से एक दूर के मकान में शिफ्ट हो गए. भाभी के शिफ्ट हो जाने से मैं पूरी तरह से उदास हो गया था. लेकिन मेरी उदासी ज्यादा दिन नहीं रही. वो लोग फिर से मेरी कॉलोनी में रहने आ गए. पर इस बार उनका फ्लैट मेरे फ्लैट से थोड़ा दूर था.
तब भी भाभी के आ जाने से मैं पूरी तरह से खुश हो गया. भाभी के दोनों बच्चे कॉलेज से आने के बाद हमारे ही घर में रहने आ जाते थे. वे तब तक हमारे घर में बने रहते थे, जब तक उनकी मम्मी यानि भाभी जी ऑफिस से नहीं आ जाती थीं. भाभी ऑफिस से शाम को आने के वक्त मेरे घर अपने बच्चों को ले जाने के लिए आती थीं. मुझे भाभी के आने का बड़ा इन्तजार रहता था.
ऐसे ही कुछ वक़्त बीत गया, सब कुछ ठीक चल रहा था. मैं रोज उन भाभी को देखकर खुश होता था. उनके साथ थोड़ी बहुत मस्ती कर लेता था.
भाभी भी मुझे पसंद करती थीं इसलिए वो मुझे खूब बातें करती थीं. मेरा उनसे मजाक भी होता रहता था. इसी हंसी मजाक के चलते मैं उनको कभी कभी टच भी कर लेता था, जिसका वो कभी बुरा नहीं मानती थीं.
फिर एक दिन जब मैं उनके घर गया, तो उन्होंने मुझसे कहा- मेरे फोन में कुछ दिक्कत हो गयी है, तुम जरा ठीक कर दो.
मैं उनका फोन खोल कर चैक करने लगा था. भाभी के फोन में उनके एक फ्रेंड के कुछ मैसेज और फोटो दिखे, जिनको देखकर मैं एकदम से चौंक गया. जिस तरह के मैसेज और फोटो मैंने देखे, उनसे साफ़ पता चल रहा था कि भाभी का उस फ्रेंड के साथ चक्कर चल रहा था.
मैंने जल्दी से उसमें से कुछ फोटो और मैसेज अपने फोन में फॉरवर्ड कर दिए. अब मैंने उन फोटो से उन्हें सैट करके चोदने का प्लान सोचने लगा.
एक दिन मैंने मेरी योजना को इस्तेमाल किया और बातों ही बातों में उनसे उनके उसी फ्रेंड के बारे में पूछ लिया.
वो मेरी बात सुनकर पूरी तरह से झटका खा गईं और मुझसे पूछने लगीं- तुमको उसके बारे में कहां से पता लगा?
मैंने उन्हें वो मैसेज और फोटो दिखा दीं, जो मैंने उनके फोन से ले ली थीं.
वो मुझ पर गुस्सा होने लगीं कि किसी और कि निजी सामग्री तुम्हें नहीं देखनी और लेनी चाहिए.
मैं कुछ नहीं बोला, बस उनकी तड़फ को देखता रहा.
भाभी बोलने लगीं- मैं ये बात तेरी मम्मी को और सबको बता दूंगी कि तुम मेरे मैसेज और फोटो वगैरह देखते हो.
मैंने भाभी को बोला- ठीक है आप बता दो, मैं भी आपके पति को आपके और आपके फ्रेंड के मैसेज और फोटो दिखा दूंगा.
मेरी बात सुनकर भाभी थोड़ा डर गईं और बोलीं- प्लीज़ ऐसा मत करना … मेरी ज़िन्दगी बर्बाद हो जाएगी.
मैंने बोला- ठीक है नहीं बोलूँगा, पर उससे मुझे क्या फायदा होगा?
वो बोलीं- तू जो बोलेगा, मैं करूंगी, बस तू ये बात किसी से मत बोलना. ठीक है, बोल तुझे क्या चाहिए?
मैंने बोला- ठीक है, मुझे जो चाहिए मैं सोचकर आपसे बाद में माँग लूंगा.
भाभी बोलीं- ठीक है.
फिर कुछ दिन बाद भाभी शाम को बच्चों को लेने मेरे घर पर आई थीं, तो मैंने भाभी से पूछा- आपने मुझे कुछ देने का वादा किया था ना … क्या हुआ उसका?
भाभी ने हंस कर पूछा- हां बोलो न … क्या चाहिये?
मैंने बोला कि मुझे आपको चोदना है.
भाभी एकदम से बोलीं- यह तुम क्या बोल रहे हो, होश में तो हो ना?
मैं बोला- आपने ही तो बोला था, जो तू बोलेगा … मैं करूंगी, तो अब क्या हुआ?
वो बोलीं- तू और कुछ मांग ले … मैं यह नहीं कर सकती … ये गलत है.
मैंने बोला- मुझे तो यही चाहिए … नहीं तो मैं सबको आपके फोटोज और मैसेज सब आपके पति को दिखा दूंगा.
वो थोड़ी देर कुछ सोचती रहीं, फिर बोलीं- ठीक है, मैं राजी हूँ.
मैं उनकी तरफ अपना हाथ बढ़ाया तो इस पर भाभी बोलीं- यहां नहीं … छत पर चलते हैं.
हमारे बिल्डिंग की छत पर एक कमरा बना है, हम दोनों वहां पहुंच गए.
फिर भाभी बोलीं- तुमको जो करना है चल जल्दी कर लो, नहीं तो कोई आ जाएगा.
मैं बोला- ठीक है.
मैं भाभी के पास हो गया. मैं उनको ऊपर से नीचे तक बड़े प्यार से देख रहा था.
भाभी बोलीं- ऐसे क्या देख रहा है … क्या पहली बार देख रहा है?
मैं बोला- आपकी खूबसूरती देख रहा हूँ, रोज तो छुप छुप कर देखता था ना … आज खुलकर देख रहा हूँ.
तो वो बोलीं- हां मुझे मालूम है कि तू मुझ पर अपनी सेक्सी नजर रखता है. पर वो सब बाद में देख लेना, अभी कोई के आने से पहले कुछ करना हो, तो कर ले … नहीं तो मैं जा रही हूँ.
यह बोल कर वो जाने लगीं.
मैंने जल्दी से उनके हाथ को पकड़ लिया और उन्हें अपनी ओर खींच लिया. भाभी झूलते हुए मेरे गले से लग गईं.
उनके मम्मों के पहाड़ मेरी छाती से आ टकराए. आह … कितने नर्म थे … मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
उन्होंने मुझे धक्का देकर पीछे किया, तो मैंने पूछा- क्या हुआ?
भाभी बोलीं- मुझे थोड़ा अजीब लग रहा है.
मैंने अपने लंड को सहला कर कहा- कुछ देर अजीब लगेगा. फिर मेरा लंड ही पसंद आएगा.
वो मेरी पैंट में फूलते लंड के उभार को देखती रहीं. फिर थोड़ी देर बाद बोलीं- ठीक है, जल्दी कर ले.
मैंने बोला- मुझे तो आपकी गांड बहुत अच्छी लगती है … उसको लेना है.
भाभी ने अचरज से मेरी ओर देखा और पीछे मुड़ गईं और बोलीं- जो करना है जल्दी कर ले.
मैंने बड़े प्यार से उनकी गांड पर हाथ रखा और उनके चूतड़ों को दबाया. एकदम मक्खन माल लग रहे थे. मुझे बहुत मजा आ रहा था.
मैंने भाभी के चूतड़ों को जोर से दबा दिया, तो उनके मुँह से एक मादक सीत्कार आह … की आवाज निकल गई. भाभी की मदभरी आह को सुनकर मैं और भी ज्यादा खुश हो गया. मैं और जोर से भाभी की गांड को दबाने लगा.
भाभी बोलीं- जरा धीरे कर … मुझे दर्द हो रहा है.
फिर मैंने उनसे बोला- मुझे आपके मम्मे दबाने हैं.
भाभी अब गर्म होने लगी थीं. वो घूमने लगीं, तो मैं बोला- नहीं … ऐसे ही पीछे से दबाना है.
वो फिर से मेरी ओर पीठ करके खड़ी हो गईं और अपने दोनों हाथ थोड़े ऊपर कर लिए.
मैंने धीरे से पीछे से हाथ डालकर उनके दोनों मम्मों को दबा दिया, उनके मुँह से हल्की से सिसकारी निकली.
मैं बड़े प्यार से भाभी के शर्ट और चुन्नी के ऊपर से उनके मम्मों को दबा रहा था. भाभी के दूध बहुत मुलायम लग रहे थे. मुझे भाभी के दूध मसलने में बहुत मजा आ रहा था.
मैंने धीरे से भाभी के कान में बोला- जरा अपना दुपट्टा हटा दो.
भाभी बोलीं- नहीं … ऐसे ही कर लो.
मैं ऐसे ही दूध दबाए जा रहा था कि हमें किसी के आने की आवाज सुनाई दी.
भाभी झट से मुझसे अलग हो गईं और वहां से नीचे चली गईं. भाभी अपने बच्चों को लेकर घर चली गईं.
मैं बहुत खुश था कि मेरा पहला प्रयास सफल रहा. मैं रात भर बस वो ही सोचते हुए सो गया.
फिर अगले दिन मैं शाम होने का इंतज़ार करने लगा. शाम को जब भाभी बच्चों को लेने आईं, तो मैंने उन्हें छत पर आने का इशारा किया.
आज वो मना करने लगीं, तो मैंने उनके पास जाकर उनके कान में बोला- मैं छत पर जा रहा हूँ, दो मिनट में आप आ जाना.
भाभी से ये बोल कर मैं छत पर चला गया.
दो मिनट में भाभी भी छत पर आ गईं और बोलीं- तू ये सब ठीक नहीं कर रहा है, तूने बस एक बार का बोला था, ऐसे रोज रोज नहीं चलेगा.
मैं थोड़ा गुस्से से बोला- ऐसा रोज रोज होगा और जब मेरा मन करेगा, तब मैं आपके साथ मजा करूं
भाभी मंद मंद मुस्कुरा रही थीं. मगर वो अपनी खुशी जाहिर नहीं होने दे रही थीं.
मैंने उनका हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींचा. वो मेरे पास आ गईं और खड़ी हो गईं.
मैं बोला- कल जहां अधूरा छोड़ा था, आज वहीं से आगे चलेंगे.
तो भाभी बिना कुछ बोले मेरी ओर पीठ देकर खड़ी हो गईं.
मैं उनके मम्मों को दबाने लगा, आज मैंने उनसे फिर से दुपट्टा हटाने का बोला, तो उन्होंने फिर से मना कर दिया.
मैं बड़े प्यार से उनके मम्मों को दबा रहा था. फिर मैंने उनकी गर्दन पर पीछे से किस करना चालू कर दिया. उनको वासना का नशा चढ़ने लगा, कुछ ही देर में उन्होंने खुद अपना दुपट्टा निकाल दिया और अपना हाथ मेरे हाथ पर रख कर अपने मम्मों को दबवाने लगीं.
मैंने धीरे से उनके कान में बोला- भाभी आपका पेट बहुत मस्त है.
उन्होंने ‘हम्म..’ बोला और खुद मेरा हाथ लेकर अपने पेट पर रख कर पेट को सहलवाने लगीं.
मैं बोला- ऐसे नहीं … शर्ट के अन्दर से हाथ डालो ना.
वो बोलीं- नहीं … आज नहीं … आज इतना ही.
मैंने बोला- ओके जैसा आप चाहो.
मैंने उन्हें किस किया और उनसे अलग हो गया. वो अपना दुपट्टा लेकर जाने लगीं, तो मैंने उन्हें थैंक्स बोला. उन्होंने मुड़ कर एक सेक्सी सी मुस्कान दी और चली गईं.
अब ये रोज होने लगा, वो शाम को बच्चों को लेने आतीं, तो मैं उन्हें इशारा कर देता, वो छत पर आ जातीं. हम दोनों थोड़ी देर मस्ती करते, फिर वो चली जातीं. अब वो मेरा पूरी तरह से साथ दे रही थीं. शायद उनको मेरा साथ पसंद आने लगा था.
फिर एक मैंने उनसे बोला- मुझे आपको ड्रेस बदलते हुए देखना है.
उन्होंने ज्यादा मना ना करते हुए बोला- ठीक है कल ऑफिस से घर आकर मैं तुझे कॉल करती हूं, तब तू घर आ जाना.
मैंने भी ‘ठीक है..’ बोला.
वो रोज 5 बजे ऑफिस से निकलती थीं. मैं प्लान करके 4:45 तक उनके ऑफिस के नीचे बाइक लेकर पहुंच गया.
जब वो ऑफिस से निकलीं, तो उन्होंने मुझे देखा और पूछा- तू यहां क्या कर रहा है?
मैंने बोला- मैं अपने दोस्त से मिलने आया था, इधर आपको आते देखा, तो रुक गया.
वो हंस कर बोलीं- सच में?
मैं बोला- हां मुच में … आओ साथ चलते हैं.
मैंने ये बोलकर एक स्माइल पास कर दी.
वो मेरी स्माइल देखकर मेरी बाइक में बैठ गईं और मेरी कमर में हाथ रखकर मुझे पकड़ कर बोलीं- चलो.
मैंने भी बाइक स्टार्ट की और चलाने लगा. मैं बीच बीच में ब्रेक दबाता रहा और हर बार ब्रेक दबते ही भाभी मुझसे चिपक जाती रहीं.
वो भी ये सब खेल समझ गई थीं. शायद पुरानी खेली खाई भाभी को इस सबमें मजा आ रहा था.
जब मैं हमारी कॉलोनी के नजदीक पहुंचा, तो मैंने जानबूझ कर बाइक को अपने फ्लैट की ओर ले लिया.
भाभी बोलीं- पहले मेरे फ्लैट चल, फिर बच्चों को लेने जाएंगे.
मैं खुश हो गया और बाइक को उनके फ्लैट के पास ले गया. वो बाइक से उतरीं, तो मैं वापस जाने का नाटक करने लगा.
भाभी बोलीं- कहां जा रहा है … ऊपर नहीं आ रहा क्या?
मैंने बाइक स्टैंड पर लगाई और उनके साथ ऊपर आ गया. भाभी फ्लैट में आकर मुझसे हॉल में बैठने का बोल कर अन्दर चली गईं.
थोड़ी देर बाद उन्होंने आवाज देकर मुझे अन्दर आने के लिए कहा.
जब मैं अन्दर गया, तो वो वहां मेरा इन्तजार कर रही थीं. भाभी ने मुझे वहां एक कुर्सी पर बैठने का बोला.
उन्होंने मुझसे कहा- तूने कल बोला था ना … मुझे कपड़े बदलते हुए देखना है, तो ठीक है … आज मैं तेरे सामने ही कपड़े बदलती हूँ, पर तू बस वहां बैठ कर देखेगा … बोल रेडी है?
मैंने बोला- नेकी और पूछ पूछ … ठीक है, मैं सिर्फ देखने के लिए राजी हूँ.
उन्होंने लाल और काले रंग की मैचिंग का सूट पहना हुआ था.
इसके बाद उन्होंने अपना कुर्ता उतारा, फिर पजामा उतारा. अब वो मेरे सामने एक काले रंग की ब्रा और पजामा में थीं. भाभी क्या मस्त लग रही थीं.
फिर वो पास में रखे दूसरे शर्ट को पहनने लगीं.
तभी मैं बोला- अभी नहीं, पहले पजामा भी तो उतारो.
उन्होंने मेरी ओर देखा और हंस कर और बोलीं- बड़ा बदमाश है तू.
यह बोलकर उन्होंने अपना पजामा भी उतार दिया. अब तो सच में वो बहुत ही सुन्दर और मस्त माल लग रही थीं. उन्होंने काली ब्रा और काले रंग की ही पैंटी का सैट पहना हुआ था.
मुझसे रहा नहीं गया और मैं कुर्सी से उठ कर उनके पास आ गया.
वो मुझे रोकते हुए बोलीं- आज नहीं फिर किसी दिन प्लीज़.
वो यह कह कर ड्रेस पहनने लगीं, तो मैंने बोला- थोड़ी देर ऐसे ही रहो ना … बहुत मस्त लग रही हो.
वो हंस कर बोलीं- ठीक है … जैसा तू बोले. अच्छा तू बैठ, मैं तेरे लिए चाय बना कर लाती हूँ.
ऐसा बोल कर वो वैसे ही टू पीस में किचन में चाय बनाने चली गईं. मैं भी उनके पीछे पीछे किचन में चला गया. वो एकदम मादक अंदाज में अपनी गांड मटका कर चल रही थीं.
जब वो चाय बना रही थीं, तो मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया.
वो फिर से बोलीं- आज नहीं.
मैं बोला- बस थोड़ा सा … मुझसे रहा नहीं जा रहा है.
वो बोलीं- ठीक है.
मैंने उन्हें उनकी गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया.
बस फिर क्या था उनका संयम भी साथ छोड़ बैठा … मैं ये जानता था. भाभी की गर्दन पर किस करने से उनको मस्ती चढ़ने लगी.
वो अब रह ही नहीं सकती थीं. उन्होंने गैस को बंद किया और मेरी ओर घूम गईं. भाभी ने मुझे कसके पकड़ लिया और मुझे किस करना शुरू कर दिया.
हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरे से लिपट कर चूमाचाटी करने लगे. भाभी ने खुद ही मेरी टी-शर्ट उतार दी और मुझे बेतहाशा किस करने लगीं.
मुझे उनकी चुदास देख कर लग रहा था जैसे उन पर जैसे चुदाई का नशा सा चढ़ गया था. मैंने भी अपने हाथ उनके मम्मों पर रख दिए और उन्हें मसलने लगा. मैंने उन्हें अपनी बांहों में एक तरह से जकड़ लिया था. वो मेरी कमर पर अपनी टांगें लपेट कर मुझसे लटक गईं. मैं समझ गया और भाभी को उठा कर उन्हें उनके बेडरूम में ले गया.
मैंने बेडरूम का दरवाजा बंद नहीं किया, यूं ही खुले में उनकी चुदाई का मूड बना लिया था.
पहले तो मैंने उनको बिस्तर पर लिटाया. भाभी अभी भी सिर्फ ब्रा और पैंटी में थीं … इसलिए वो पैर खोल कर अपनी चूत पसार कर लेट गईं. मैंने पैंटी के ऊपर से ही भाभी की चूत पर हाथ फेरा.
भाभी एक पल के लिए सिहर गईं और उनके मुँह से मस्त आवाज निकल आई- अहहहह हहहह.
मैं उनके ऊपर आकर उनको किस करने लगा.
उम्म्म … उम्म्म … अहह..
भाभी भी मेरा साथ दे रही थीं. उन्होंने नीचे हाथ ले जाकर मेरा लंड पकड़ लिया, जो कि एकदम खड़ा था.
मैंने बेल्ट खोला, पैंट नीचे किया और चड्डी हटा दी. उन्होंने तुरंत मेरा लंड पकड़ा और आगे पीछे करने लगीं.
मैं अब सातवें आसमान में था. भाभी की चुदाई अब निश्चित थी, मुझे एक चूत मिलना पक्की हो गई थी.
मैंने भाभी से पूछा- चूसोगी?
वो बोलीं- नहीं.
मैं बोला- मुझे चूत चाटने दोगी?
बोलीं- ये सब गंदा लगता है.
मैं उनके ऊपर लेट कर चाटने चूसने और किस करने लगा.
कमरे में चूमाचाटी की आवाज आने लगीं- उम्म्ह … अहह … हय … ओह …
अब मैं बहुत उत्तेजित हो चुका था और वो भी गर्मा गई थीं. भाभी- यार अब चोद दो मुझे.
मैं- बहुत प्यासी लग रही हो?
भाभी- हां प्लीज चोद दो मुझे … अब बर्दाश्त नहीं हो रहा.
भाभी अपने पैर फैला कर मेरा लौड़ा अपनी चूत के छेद में रख कर दबाने लगीं. मैंने एक शॉट मार कर लंड का टोपा अन्दर किया.
उनकी चीख निकल गई- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मर गई.
मैं बोला- क्या हुआ?
उन्होंने आंखें बंद रखी थीं. मैं रुक कर उनके एक दूध को पीने और चूसने लगा.
उनको भी अब मजा आने लगा और उन्होंने अपनी गांड उठाकर मुझे इशारा कर दिया.
मैंने भी बिना देर किए अपना पूरा लंड भाभी की चूत में डाल दिया. वो ‘आहाहाहा अहहह..’ करके चुदवाने लगीं. मैं भी मन लगा कर भाभी की चुदाई किये जा रहा था.
करीब दो मिनट बाद वो बोलीं- और तेज़ … तेज़ … करो … बहुत मजा आ रहा है. मैं उनको चोदे जा रहा था, वो भी ‘अहहह … अहहह …’ कर रही थीं.
कुछ ही पलों में वो शांत हो गईं.
मैं बोला- क्या हुआ?
भाभी बोलीं- बड़ा मजा आया … मेरा पानी निकल गया.
मैं बोला- मेरा पानी भी निकल जाने दो.
भाभी बोलीं- हां कर लो … जितना चोदना है … चोद लो.
मैं उनके दूध को दबाते हुए चोदे जा रहा था. वो भी मस्त होकर चुदवा रही थीं. मैं भी मस्ती में भाभी की चुदाई कर रहा था.
अब मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है तो मैंने इशारा किया.
भाभी बोलीं- वीर्य अन्दर ही गिराना मेरा सेफ पीरियड है कुछ नही होगा ।
मैंने तेज ‘आहाह …’ करते लंड का पूरा पानी उनकी चूत में छोड़ दिया. लंड झाड़ने के बाद मैं उनके ऊपर ही लेट गया.
उन्होंने मेरे पीठ में हाथ फेरा और मुझे माथे में किस किया. मैंने लंड बाहर निकाला, तो मेरा वीर्य उनकी चूत से टपक रहा था. वो भी मेरे साथ उठीं और उन्होंने मेरे लंड और अपनी चूत को कपड़े से साफ किया.
भाभी की चुदाई के बाद मैं अपने कपड़े पहनकर बाहर आया और सोफे पर बैठ गया. वो भी सिर्फ मैक्सी पहन कर बाहर आकर मेरे पास बैठ गईं.
मैंने पूछा- कैसा लगा?
भाभी हंस कर बोलीं- मैं बता नहीं सकती … कितना अच्छा लगा.
फिर हमने समय देखा, तो बहुत देर हो गई थी. वो जल्दी जाकर रेडी होकर आई और हम मेरे बाइक पर मेरे घर चले गए. भाभी अपने बच्चों को लेकर घर चली गईं.
फिर जब भी मौका मिलता, मैं उन्हें चोद लेता था. मैंने बाद में उनकी गांड भी मारी और उनसे अपना लंड भी चुसवाया.
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मैंने दोस्त की माँ को सेक्स के लिए मनाया
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दोस्तों ये सेक्स कहानी आज से करीब 6 साल पहले की है। मेरा एक बहुत अच्छा दोस्त था.. जिसका नाम टिंटू था। उसके घर पर उसकी माँ 2 बहने और एक छोटा भाई था। टिंटू अपने घर पर सबसे बड़ा था। मैं और टिंटू एक साथ ही एक कॉलेज में पढ़ाई करते थे और साथ ही हमने कंप्यूटर क्लास भी शुरू कर रखी थी। अक्सर मेरा उसके घर पर आना जाना था.. लेकिन मैं कभी भी बुरी नज़र से उसकी माँ और बहन को नहीं देखता था। टिंटू के पापा एक सरकारी नौकरी करते थे और उसके भाई बहन कॉलेज जाते थे।
फिर कॉलेज के बाद टिंटू सरकारी नौकरी की तैयारी में लग गया.. लेकिन मुझे सरकारी नौकरी में कोई रूचि नहीं थी। सरकारी नौकरी पाने के चक्कर में टिंटू सुबह से लेकर रात तक पढ़ाई करता था और जिसका नतीज़ा ये हुआ कि उसको एक बहुत अच्छी सरकारी नौकरी मिल भी गई और उसकी पोस्टिंग दिल्ली से बाहर हो गई.. लेकिन मेरा टिंटू के घर आना जाना था तो फिर मैं महीने में एक या दो बार उसके घर पर चला जाता था। टिंटू की मम्मी को जब भी कोई बाजार से कोई सामान लाना होता था तो वो मुझे फोन करती थी.. कि रवि ये सामान ला दो या वो सामान ला दो.. क्योंकि मार्केट उनके घर से बहुत दूर था.. इसलिए वो मुझे बोलती थी सामान लाने के लिए। फिर ऐसे करते करते दो साल गुजर गए और फिर एक दिन टिंटू की मम्मी का फोन आया और वो बोली कि मुझे एक सामान मंगवाना है.. तो मैं बोला कि बताओ आंटी क्या लाना है लेकिन टिंटू की माँ थोड़ा खुलकर नहीं बोल रही थी।
तभी मैंने बोला कि आंटी बोलो ना क्या लाना है? तो आंटी थोड़ा हिचकिचा रही थी। तभी मेरे ज्यादा दबाव देने पर आंटी बोली कि.. क्या तुम मुझे एक ब्रा ला दोगे? क्योंकि मेरी सभी पुरानी ब्रा फट गयी है और मुझे मार्केट जाने का टाईम नहीं मिल रहा है। तभी ये सुनते ही मैं एक मिनट के लिए हिल गया.. लेकिन फिर मैंने थोड़ी हिम्मत करके बोला कि आंटी किस साईज़ की ब्रा लानी है?
तो आंटी बोली कि 42 नम्बर की। तभी मैंने हाँ कर दी और कहा कि हाँ मैं ला दूंगा। फिर आंटी बोली कि रवि तुम क़िसी को बताना नहीं कि मैंने तुम से ये चीज़ मँगवाई है। फिर मैं समझ गया था और हिम्मत करके बोल दिया कि आंटी एक शर्त पर लाऊंगा.. आप अगर मुझे पहन कर दिखाओगी तो.. तो आंटी बोली कि पहले ला तो दो।
फिर मैंने उस दिन शाम को ब्रा खरीदी और रात भर सोचता रहा कि क्या मैं सच में कल आंटी को ब्रा में देख पाउँगा। फिर जैसे तैसे रात गुज़री और अगले दिन में 9 बजे तैयार हो गया क्योंकि आंटी का फोन जो आना था। तभी उसके आधे घंटे बाद 9.30 बजे आंटी का फोन आया और वो बोली कि कब आओगे?
फिर मैं बोला कि आंटी मैं तो तैयार हूँ आप बोलो कब आना है और अंकल ऑफिस गए क्या?
तभी बोली हाँ वो तो सुबह ही गये और टिंटू की बहने भी गई.. वो 1 बजे आएगी कॉलेज से। तभी मैं बोला कि ठीक है मैं अभी आ रहा हूँ और मैंने जल्दी से बाईक निकाली और 10 बजे आंटी के घर पहुंच गया।
फिर जैसे ही मैं घर के अंदर घुसा आंटी नाईट गाउन में थी और आंटी के फिगर एकदम साफ साफ नज़र आ रहे थे.. मोटे मोटे बूब्स और उनकी उभरी हुई गांड भी मुझे दिख रही थी और उस दिन मैंने पहली बार आंटी को इस नज़र से गौर से देखा था। फिर आंटी किचन में गई और पानी ले आई तो मैंने पानी पिया और कहा कि आंटी आपका सामान ले लो, आंटी ने अपना सामान पकड़ा और चली गई। तभी आंटी थोड़ी देर बाद आकर मेरे सामने बैठ गई। फिर मैं बोला कि आंटी पहन कर चेक तो कर लो.. तो वो बोली कि कोई बात नहीं मैं बाद में चेक कर लूँगी। तभी मैंने बोला कि लेकिन आंटी अपने तो बोला था कि पहन कर दिखाउंगी.. तो आंटी बोली कि नहीं मैंने तो ऐसा नहीं बोला था।
फिर मैं चुप होकर बैठ गया और आंटी को लगा शायद मैं उनसे नाराज़ हो गया हूँ। तो आंटी बोली कि क्या हुआ? लेकिन मैं कुछ भी नहीं बोला और मेरा मूड खराब हो गया तो फिर वो बोली कि क्यों क्या हुआ? तभी मैंने बोला कि मैंने कितने ख्वाब देखे थे कि आप ब्रा पहन कर दिखाओगी। तभी आंटी बोली कि चल मैं अभी आती हूँ.. तू टीवी देख। फिर 5 मिनट बाद आंटी आई और मेरे सामने नाईट गाउन में आ गई और बोली कि ले देख ले.. इतने में आंटी ने अपना गाउन ऊपर कर दिया और जल्दी से नीचे भी गिरा दिया। फिर मैं 1 मिनट के लिए देखता रह गया.. आंटी क्या सेक्सी लग रही थी। फिर मैं बोला कि आंटी आपने तो जल्दी से गिरा दिया.. कम से कम अच्छे से देखने तो दो। तो आंटी मना करने लगी तभी मैं हिम्मत करके उठा और आंटी के पास चला गया और बोला कि देखूं तो।
फिर आंटी बोली कि दिखा तो दिया और अब कितना दिखाऊँ। फिर मैं बोला कि आंटी मुझे पास से देखना है तो आंटी मना करने लगी.. लेकिन मैं हिम्मत करके आंटी के गाउन को ऊपर की तरफ उठाने लगा। तभी आंटी बोली कि रवि मत करो प्लीज़.. लेकिन मैं नहीं माना और मैंने आंटी को बेड पर लेटा दिया और आंटी का गाउन पूरा ऊपर कर दिया.. लेकिन आंटी फिर भी मना करती रही और मैं आंटी का गाउन ऊपर करता रहा और धीरे धीरे मैंने आंटी का पूरा गाउन ऊपर कर दिया अब आंटी मेरे सामने सफेद कलर की ब्रा में थी.. जो मैं खरीद कर लाया था और भूरे कलर की पेंटी में थी और आंटी ने अपनी आँखें बंद कर ली और अपना गाउन नीचे करने के कोशिश करती रही।
तभी मैंने हिम्मत करके आंटी के बूब्स पर हाथ रख दिया और आंटी के दूसरे बूब्स पर किस करने लगा.. आंटी मना करने लगी लेकिन मैं बोला कि आंटी आज मना मत करो। फिर धीरे धीरे आंटी ने अपने आपको ढीला छोड़ दिया और मैंने एक हाथ आंटी की चूत पर रख दिया और पेंटी के ऊपर से ही चूत को सहलाने लगा। फिर आंटी कुछ नहीं बोल रही थी शायद वो गरम हो रही थी और मैं भी कामुक हो गया था और मेरा लंड तनकर खड़ा था। फिर मैंने जल्दी से अपनी शर्ट, पेंट और बनियान उतारकर अंडरवियर में आंटी के ऊपर लेट गया और आंटी के बूब्स सक करने लगा और आंटी की चूत पर अपने लंड की सेटिंग बैठाकर हल्के हल्के लंड को चूत पर रगड़ने लगा।
मैंने उसके गाउन को पूरा निकाल दिया और आंटी की ब्रा खोल दी और गोरे गोरे बूब्स देख कर मैं पागल सा हो गया और ज़ोर ज़ोर से सक करने लगा। आंटी बोली कि रवि आराम से करो प्लीज.. फिर मैं आंटी के होंठो पर किस करने लगा। 10 मिनट किस करने के बाद मैं वापस बूब्स सक करने लगा और सकिंग करते करते मैं आंटी के पेट की नाभि पर जीभ फेरने लगा तो आंटी मचलने लगी। फिर धीरे धीरे मैं नीचे की तरफ बड़ा और आंटी की चूत को पेंटी के ऊपर से चाटने लगा। फिर मैंने आंटी को उल्टा लेटा दिया और आंटी की बड़ी गांड को देखकर मैं रुक ना सका और आंटी की कमर पर किस करता करता उनके कूल्हों तक पहुंच गया और कूल्हों पर मैंने हल्का सा काट दिया। फिर मैंने अपनी अंडरवियर उतार दी और पेंटी के अंदर से कूल्हों पर रगड़ने लगा। फिर मैंने आंटी को सीधा किया और उनकी पेंटी को खोल दिया.. उनकी चूत एकदम साफ थी।
फिर मैं उनकी चूत को चाटने लगा और साथ साथ अपनी एक ऊँगली चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगा.. आंटी तो एकदम मदहोश हो चुकी थी और शायद पहली बार क़िसी ने उनकी चूत चाटी होगी। फिर मैं उनकी छाती पर बैठकर अपने लंड से उनके बूब्स को रगड़ने लगा तो मेरा लंड आंटी के कूल्हों को छू रहा था। तो आंटी अपना मुहं इधर उधर कर रही थी। फिर मैंने आंटी को बोला कि आंटी चूसो प्लीज.. तो आंटी ने मना कर दिया.. लेकिन मैं बोला कि सिर्फ़ एक मिनट प्लीज। तभी वो मान गई और उन्होंने अपना मुहं खोला तो मैंने जल्दी से अपना लंड उनके मुहं के अंदर डाल दिया। तभी थोड़ी देर चुसवाने के बाद मैं उठकर उनकी चूत के पास आ गया और दोबारा चूसने लगा तो आंटी बोली कि रवि अब डालो और मत तड़पाओ प्लीज।
तभी मैंने आंटी के दोनों पैर अपने कंधों पर रख लिए और अपना लंड आंटी के चूत के छेद पर रखा और ज़ोर से झटका दिया तो आंटी थोड़ा सा हिली फिर एक झटका दिया और लंड पूरा एक बार में अंदर चला गया और फिर मैं आंटी को चोदने लगा। फिर मैं आंटी के ऊपर पूरा लेट कर चोदने लगा.. मेरा और आंटी का एक एक अंग आपस में मिल रह था जिससे मुझे बड़ा आनंद आ रहा था।
15 मिनट बाद जब मैं झड़ने लगा तो आंटी से पूछा कि कहाँ पर गिराऊ? तभी आंटी बोली कि अन्दर मत गिराना,, बाहर करना..
तो फिर जैसे ही मेरा वीर्य निकलने ही वाला था तो मैंने जल्दी से अपना सारा वीर्य आंटी के पेट और चूत के ऊपर छोड़ दिया और वापस लेट गया और फिर थोड़ी देर बाद मैं ऊपर से उठा और मैंने अपना लंडा साफ किया तो आंटी मुझसे बोली कि ये बात क़िसी को पता नहीं लगनी चाहिए और अब मुझे भूल तो नहीं जाओगे?
तभी मैंने आंटी को बोला कि नहीं आंटी अब तो मैं रोज़ आया करूँगा और आपसे बिना पूछे आपकी चुदाई करूंगा। फिर आंटी उठी और बोली कि मेरी ब्रा और पेंटी पकड़ा दो। तो मैंने बोला कि रुको मैं आपको पहना भी देता हूँ। फिर मैंने आंटी को ब्रा और पेंटी पहनाई। फिर आंटी ने गाउन पहना और किचन में चली गई चाय बनाने के लिए और मैं टीवी देखता रहा। तभी थोड़ी देर बाद मैं फिर से तैयार हो गया तो मैं भी किचन में चला गया और फिर आंटी का गाउन ऊपर करके अपना लंड आंटी की गांड में रगड़ता रहा। तभी आंटी बोली कि अब नहीं रवि मैं थक गई हूँ.. लेकिन मैंने उनकी एक भी नहीं सुनी और गाउन ऊपर करके आंटी की पेंटी नीचे करके मैं किचन में ही मैंने आंटी को थोड़ा झुका दिया और एक बार फिर से चुदाई करने लगा और दूसरा राउंड होने की वजह से इस बार मैं 30 मिनट तक आंटी को चोदता रहा.
लेकिन इस बीच आंटी 2 बार झड़ गई थी और इस बार मैंने बिना बोले अपना वीर्य आंटी की चूत में छोड़ दिया और आंटी अपने आपको छुड़ाने लगी.. लेकिन मैंने उनको और कसकर पकड़ लिया और अपना सारा वीर्य आंटी की चूत में डाल दिया।
फिर जब मैंने अपनी पकड़ ढीली की तो आंटी बोली कि तुमने वीर्य अंदर क्यों डाल दिया? और अगर मैं गर्भवती हो गई तो ????
तभी मैंने कहा कि आंटी आप खुद ही समझदार हो और गर्भवती कैसे होते है आपको ये बात अच्छी तरह से पता है।
फिर आंटी बोली कि तुम तो बड़े बदमाश निकले.. फिर हमने चाय पी और मैं वापस आने लगा तो आंटी बोली कि आते रहना। फिर मैं बोला कि.. जी आंटी अब तो रोज़ आना पड़ेगा। आप बस फोन कर दिया करो कि घर पर कोई भी नहीं है। दोस्तों उस दिन से लेकर आज तक मैं आंटी को चोद रहा हूँ ।
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नंगी मम्मी पापा की चुदाई देखी
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हम सभी एक रूम में सोते थे. एक रात मेरी आंख खुली तो देखा कि अंधेरे में मेरी मां पापा का लंड चूस रही थी. उस दिन से मेरा नजरिया बदल गया. अब मैं भी अपनी मां के बदन के मजे …
दोस्तो, मेरा नाम पवन है और मैं आपको एक कहानी बताना चाहता हूं जो मेरे और मेरी मां शीला (बदला हुआ नाम) के बारे में है. यह एक रीयल स्टोरी है. मैंने मां-बेटे की चुदाई की कहानियों को कई बार पढ़ा था. मुझे पहले इस तरह की घटनाओं पर यकीन नहीं होता था जब तक कि इस तरह की घटना मेरे साथ नहीं हुई थी.
कहानी आगे बढ़ाने से पहले मैं आपको अपने बारे में बता देता हूं. मैं अभी 36 साल का हूं. ये कहानी तब की है जब मैं केवल 20 साल का था. उस वक्त मैंने अपने कॉलेज में एडमिशन लिया था. मेरे घर पर हम लोग 4 सदस्य थे.
मेरे पापा 50 साल के थे और मां 42 साल की थी. मेरी बड़ी दीदी थी जो 22 साल की थी. मेरी दीदी भी कॉलेज में पढ़ रही थी. उस वक्त मेरे पिता जी एक कंपनी में काम करते थे. मेरी मां घर का काम देखा करती थी.
हम लोग उस वक्त औरंगाबाद में एक किराये के मकान में रहा करते थे. मकान दो कमरे का छोटा सा घर था. एक रूम में हम सब लोग रहते थे और दूसरे में हम रसोई का काम कर लेते थे. छोटा सा बाथरूम था लेकिन काम चल जाता था.
अब मैं आपको अपनी मां के बारे में बताता हूं. मेरी मां ने केवल चौथी कक्षा तक पढ़ाई की थी. आप यूं कह सकते हैं कि मेरी मां को पढ़ना लिखना नहीं आता था. वह एक गांव की सीधी सादी महिला थी जो घर के काम के अलावा किसी चीज के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती थी.
मेरी मां का रंग सांवला है. उसके नैन नक्श बहुत ही तीखे हैं. उनकी हाइट 4 फीट और 10 इंच की है. उसका बदन औसत सा है. मगर मेरी मां की चूचियां काफी मोटी और मांसल हैं.
हमारा घर छोटा था तो हम लोग सब एक ही रूम में सो जाते थे. पलंग पर मां और दीदी सोती थी. उनके बाजू में ही बिछौना लगा कर मैं और पापा सो जाते थे. मेरे पापा को शराब पीने की आदत थी. वो अक्सर मेरी मां के साथ मारपीट भी करते थे.
हम दोनों भाई बहन और यहां तक कि मेरी मां भी मेरे पापा से बहुत डरती थी. उनके सामने सब चुप ही रहते थे. मां भी चुपचाप मार खा लेती थी लेकिन कुछ बोल नहीं पाती थी.
एक रात की बात है कि हम लोग रोज की तरह सोये हुए थे. रात को अचानक ही मेरी आंख खुल गयी. मैंने बिना हिला डुले हुए देखा तो सामने का नजारा देख कर मेरे होश ही उड़ गये.
मेरे पापा पलंग के साथ में नंगे होकर खड़े हुए थे. मेरी मां मेरे पापा का लंड चूस रही थी. मेरे पापा मेरी दीदी के बोबे पर हल्की हल्की मसाज दे रहे थे. मगर दीदी गहरी नींद में थी और उसको कुछ पता नहीं चल रहा था.
मां मेरे पापा के हाथ को दीदी की चूचियों से बार बार हटा रही थी. पापा फिर से दीदी की चूचियों को छेड़ने लगते थे. ये नजारा देख कर मेरा लंड भी एकदम से टाइट हो गया और उछलने लगा.
उस समय रूम में ज्यादा रोशनी नहीं थी. बाहर से हल्की रोशनी आ रही थी जिसमें उन दोनों की हरकत का साफ साफ पता लग रहा था. मैं मां के बदन को देखने लगा. अंधेरा होने के कारण कुछ ज्यादा दिखाई नहीं पड़ रहा था लेकिन मां की चूचियां लटकती हुई दिख गयी थीं. उनकी चूची सच में ही बहुत मोटी थी जो किसी बड़ी फुटबाल के जैसे झूलती हुई दिख रही थीं.
उस रात के बाद से ही मां की ओर से मेरा देखने का नजरिया बदल गया था. अब मैं अपनी मां को नंगी देखने की कोशिश करने लगा था. जब भी मां बाथरूम में नहाने के लिए जाती थी तो मैं उन पर नजर जमाये रहता था. उनकी चूचियों को घूरता रहता था.
कई बार मैंने मां की चूचियों की घाटी को देखा था. मैं कई बार घर में अकेला होने पर मुठ मारने लगा था. अपनी मां की मोटी चूचियों और उनके नंगे बदन के बारे में सोच कर लंड को रगड़ता था और फिर वीर्य छोड़ कर सुकून मिलता था. मुझे सेक्स को लेकर आकर्षण तो था लेकिन अब ये आकर्षण मेरा जुनून बन गया था.
हर रात में अपने बिस्तर पर लेटा हुआ सोने का नाटक करने लगा था. मुझे हर रात इसी बात का इंतजार रहता था कि पापा और मां का सेक्स देखने का मौका मिलेगा. हर रात में इसी उम्मीद में गुजार देता था.
कई बार मैंने कोशिश की कि पापा और मां की पूरी चुदाई देखने का मौका मिल जाये लेकिन ऐसा अभी नहीं हो रहा था. शायद अभी सही वक्त नहीं आया था. एक दो बार मैंने पापा को मेरी मां के मुंह में लंड देकर चुसवाते हुए देखा लेकिन चुदाई नहीं देख पाया था.
ऐसे ही दिन बीतते गये और 6 महीने गुजर गये. उसके बाद हम लोगों अपना मकान बदलने का विचार किया. हमने एक दूसरा मकान किराये पर ले लिया. उस मकान में तीन कमरे थे.
नये मकान के तीनों ही कमरे एक सीधी लाइन में थे. पहले एक हॉल था और उसके बाद एक रसोई बनी हुई थी और तीसरा फिर एक रूम था अंदर की ओर.
इस मकान में आने के बाद हम लोगों के सोने की जगह भी बदल गयी थी. यहां पर रसोई अलग से थी. बाहर वाला हॉल भी काफी बड़ा था जिसमें काफी जगह थी. यहां पर आने के बाद मैं और मेरी बहन हॉल में सोते थे जबकि मां और पापा अंदर वाले बेडरूम में सोते थे.
घर बदलने के बाद अब एक और समस्या हो गयी थी. अब तो मुझे रात में उन दोनों की चुदाई देखने का मौका भी नहीं मिलने वाला था. मैं यही सोच कर परेशान रहने लगा था कि यहां तो कुछ देखने का चान्स ही नहीं मिल रहा है.
मैं सोच रहा था कि इससे अच्छा तो पुराना ही मकान था. वहां पर एक साथ सोते थे तो कुछ देख ही लिया करता था. कई दिनों तक मैं इसी ताक में रहा कि उन दोनों की चुदाई देखने को मिल जाये.
एक दिन मैंने पाया कि उनके रूम का दरवाजा खुला हुआ था. मैंने वहीं पर झांक कर देखा. मगर अंदर तो सब शांत था. मैंने थोड़ा इंतजार करने की सोची. मैं आधे घंटे तक वहीं खड़ा रहा लेकिन मां और पापा दोनों गहरी नींद में सो रहे थे.
कई दिन मैंने ऐसे ही चुदाई देखने की उम्मीद में कई रातें बर्बाद कर दीं. मैंने पाया कि रात में पापा और मां चुदाई नहीं कर रहे हैं. मेरे पापा नशे में पड़े रहते थे और मां सोई रहती थी.
फिर मैंने ठान लिया कि मैं पता करके रहूंगा कि ये दोनों सेक्स कब करते हैं. फिर मुझे पता चला कि पापा रात में नहीं बल्कि दिन में चुदाई करते हैं. रात को तो वो दारू पीकर नशे में पड़े रहते हैं. दिन में जब मैं और दीदी बाहर होते थे तो वो उस समय में चुदाई करते होंगे ऐसा मुझे लगने लगा था.
4 बजे मैं ट्यूशन पर चला जाता था. पापा दो बजे घर में आ जाते थे. घर में रहते हुए तो मैंने कभी उनको मां के साथ नहीं देखा था. जब 4 बजे मैं चला जाता था तो उसके बाद का मुझे पता नहीं था. मेरी बहन शाम को 5 बजे के आस पास आ जाती थी.
फिर 5.30 बजे तक मैं भी आ जाता था. मैंने अंदाजा लगा लिया कि पापा मेरी मां की चुदाई 2 से 3 के बीच में ही करते होंगे. फिर मैंने सोचा कि इन दोनों की चुदाई के बीच में सबसे बड़ा रोड़ा तो मैं ही हूं.
मेरे रहते तो मैं कभी इन दोनों का सेक्स नहीं देख पाऊंगा. इसलिए मैंने एक एक्सट्रा क्लास का बहाना कर लिया. मैंने मां को कह दिया कि मैंने पढ़ाई के लिए एक और क्लास ले ली है.
मैं अब हर रोज 2 बजे ही क्लास के लिए बाहर निकल जाता था. उस वक्त पापा घर पर आ रहे होते थे और मैं घर से जा रहा होता था. मैं उनको एक माहौल देना चाहता था.
एक दिन ऐसे ही मैंने बीच में आकर देखा कि हमारे घर के सारे खिड़की दरवाजे बंद थे. मुझे समझते देर नहीं लगी कि अंदर अवश्य ही मां और पापा की चुदाई चालू है. मगर मैं कुछ भी देख नहीं पाता था.
फिर मैंने मौका पाकर घर के सभी खिड़की और दरवाजों में एक-एक छेद कर दिया ताकि मैं किसी तरह से पापा और मां की चुदाई का मजा ले सकूं. अब वो दिन आ गया जब मुझे मेरी मां के नंगे बदन का मजा मिलने वाला था और उनको सेक्स करते हुए देखने का मजा मिलना था.
उस दिन जब मैं बीच में ही चुपके से वापस आया तो वैसे ही पहले की तरह घर के सभी खिड़की और दरवाजे बंद थे. मैंने घर के दूसरी ओर जाकर खिड़की में बने छेद से अंदर झांका तो देखा कि मेरी मां नंगी होकर अपने घुटनों के बल बैठी हुई थी.
मेरे पापा भी बिल्कुल नंगे थे और मेरी मां ने मेरे पापा के मोटे लंड को मुंह में भर रखा था. वो मेरे पापा का लंड मजा लेकर चूस रही थी. जब पापा ने लंड को मां के मुंह से बाहर निकाला तो मैंने देखा कि पापा का लंड 7 या 8 इंच लम्बा था.
यहां पर मैं ये देख कर हैरान हुआ कि मेरे पापा के लंड में पूरा तनाव नहीं था. वो ढीला सा लग रहा था और पूरी तरह से खड़ा नहीं हो रहा था. इतनी देर तक मां मेरे पापा के लंड को चूसती रही लेकिन उनका लंड वैसा का वैसा रहा. उसमें कड़ापन नहीं आ रहा था.
मेरी मां के बड़े बड़े गुब्बारे आपस में टकरा रहे थे. वो मेरे पापा के लंड को खड़ा करने की कोशिश कर रही थी. वो बार बार उनके लंड को हाथ में लेकर हिला रही थी. कभी मुंह से झटके मारती और कभी फिर से जोर जोर से हिलाने लगती.
बड़ी मुश्किल से जाकर लगभग 15 मिनट के बाद मेरे पापा का लंड खड़ा हुआ. लंड को टाइट होता देख कर मेरी मां फुर्ती से पापा की ओर झुक कर अपनी चूत को दिखाने लगी. मेरे पापा ने मेरी मां की गांड पर हाथ रख कर उनकी गांड के छेद के नीचे मेरी मां की गदराई हुई सी काली चूत को हाथ से फैला दिया.
चूत को हाथ से फैला कर उन्होंने अपने लंड को मेरी मां की चूत के मुख पर टिका दिया. फिर मेरी मां की पीठ के ऊपर झुक कर उनकी चूचियों को जोर जोर से दबाने और मसलने लगे.
मेरी मां भी मेरे पापा के लंड की ओर अपनी गांड को धकेलने लगी. मां की चूत भी पापा का लंड अंदर लेने के लिए उतावली हो रही थी. पापा मेरी मां की पीठ पर पीछे से चूम रहे थे और उसकी चूचियों को दबाते हुए उसकी चूत पर लंड को घिस रहे थे.
फिर उन्होंने दोबारा से लंड को चूत पर रखा और एक झटके से लंड को अंदर घुसा दिया. मेरी मां के मुंह से ऊंह ऊंह की आवाज होने लगी. पापा ने मां की चूत को चोदना शुरू कर दिया. पापा उनकी चूत में लंड देकर आगे पीछे हिलने लगे. मगर पापा से ज्यादा तो मां हिल रही थी.
मैं इस चुदाई का पूरा मजा लेना चाहता था. इसलिए मैं हर एक एंगल से उनकी चुदाई का मजा लेने के लिए दूसरी खिड़की पर गया और वहां से देखा. आगे से मैंने मां की चूचियों को हिलते हुए देखा. उसकी मोटी मोटी चूची फुटबाल के जैसे आगे पीछे डोल रही थी.
उसके बाद मैं तीसरी खिड़की पर वापस आया. वहां से देखा तो पापा की काली गांड दिख रही थी. वो मेरी मां के ऊपर झुके हुए थे और अपने चूतड़ों को जोर जोर से मां की चूत की ओर धकेल कर उनकी चुदाई कर रहे थे.
इस वक्त मां भी पूरी गर्म हो गयी थी. वो मेरे पापा की गांड पर हाथ से दबाते हुए उनको अपनी चूत की ओर खींच रही थी. उसके मुंह से मस्त सेक्सी आवाजें आ रही थी- आह्ह … आह्ह … अम्म … ओह्ह .. और करो … आह्ह … मजा आ रहा है.
ऐसे ही लगभग 10 मिनट तक उनकी चुदाई चली होगी, इस दौरान मैं अलग अलग खिड़की से जाकर उनकी चुदाई का मजा लेता रहा. फिर पापा एकदम से रुकते चले गये. उनका वीर्य छूट कर मां की चूत में ही निकल गया था. वो दो मिनट मां को पकड़े रहे और फिर लंड को निकाल कर एक ओर बेड पर लेट गये.
अब मां उठी और बाथरूम में चली गयी. पापा भी उठ गये और उन्होंने अपने कपड़े उठा कर अपने कपड़े पहनना शुरू किया और फिर दरवाजे की ओर जाने लगे. मैं भी वहां से निकल लिया. कुछ देर के बाद मैं दोबारा उस तरफ आया तो वहां पर कोई नहीं था.
फिर मैं थोड़ी देर के बाद घर आ गया. मैंने बेल बजाई तो मां ने दरवाजा खोला. उसके बाद वो अंदर चली गयी. उनके रूम का दरवाजा खुला हुआ था. मां की गांड देख कर मेरा मन कर रहा था उनको अभी नंगी कर लूं.
मगर अभी यह सब नहीं हो सकता था. अंदर रूम में पापा भी थे और मैं अभी ये नहीं सोच पा रहा था कि मां के साथ शुरूआत कैसे करूं. उस दिन के बाद से मैंने मां को गर्म करने की प्लानिंग शुरू कर दी.
बार बार मेरी आंखों के सामने वही नजारा आ जाता था जब पापा मेरी मां को पीछे से चोद रहे थे और मेरी मां की मोटी मोटी चूचियां हवा में झूल रही थीं. उनके चेहरे पर वो उत्तेजना वाले भाव बहुत मस्त लग रहे थे.
मैं भी इसी तरह अपनी मां की चुदाई करने के सपने देखने लगा था. मैं सही मौके की तलाश में था. मैं अपनी मां के दूधों का दीवाना हो गया था. अब किसी भी तरह मैं मां के नंगे बदन के मजे लेना चाहता था.
में मैंने आपको बताया था कि एक रात में मैंने अपनी मां को अपने पापा का लंड चूसते हुए देख लिया था. उस दिन के बाद से मेरा आकर्षण मेरी मां के नंगे बदन के लिए बढ़ गया था.
उनकी चुदाई देखने के लिए मैंने बहुत कोशिश की लेकिन मैं सफल नहीं हो पाया. उसके बाद हम लोग एक दूसरे घर में शिफ्ट हो गये थे. वहां पर जाने के बाद भी मुझे मौका नहीं मिला और मैंने एक तरकीब निकाली.
मैंने अपने घर के सारे खिड़की दरवाजे में छेद कर लिया. एक दिन दोपहर के समय में मैंने अपनी मां और पापा को चुदाई करते हुए देख लिया. उस दिन के बाद से मैं अपनी मां की चुदाई वैसे ही करने के सपने देखने लगा.
दिन बीत रहे थे और इसी बीच मेरे पापा की अकाल मृत्यु हो गयी. उनका एक्सीडेंट हुआ था जिसके बाद सिर में चोट लगने के बाद वो बच नहीं पाये. पापा की मौत के बाद अब घर की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर आ गयी थी. मुझसे बड़ी मेरी बहन थी लेकिन घर तो मुझे ही चलाना था.
अब मुझे घर चलाने के लिए पैसा भी कमाना था. मैंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और अब मैं नौकरी करने लग गया. अब तो घर का सारा माहौल बदल गया था. घर में आमदनी तो कम थी लेकिन पापा का डर अब खत्म हो गया था.
घर की जिम्मेदारी मेरे ऊपर आने के बाद अब घर के सारे छोटे बड़े फैसले मुझसे पूछ कर ही किये जाते थे. मेरी मां अब मेरे साथ ऐसे रहती थी जैसे मैं उनका पति हूं. वो हर बात में मुझसे ही पूछा करती थी.
अब पैसे की कमी थी तो हम बड़े घर का किराया नहीं दे सकते थे इसलिए हम तीनों लोगों ने फिर से एक सस्ता और छोटा घर किराये पर लेने का सोचा. उस बड़े मकान का खर्च हम अब और नहीं उठा सकते थे.
जल्दी हमने एक छोटा घर तलाश लिया. वह घर बहुत ही छोटा था जिसमें केवल एक ही रूम था. छोटे घर में शिफ्ट होने के बाद हम तीनों एक ही रूम में सोते थे. मैं पलंग पर सोता था. मेरी बगल में मां सो जाती थी और दीदी नीचे सो जाती थी.
चूंकि मां अब मेरी बगल में ही सोती थी तो मैं अब अपनी मां के बदन के मजे आसानी से ले सकते था. मैं उनके बदन को देखता रहता था. एक रात की बात है कि मैं लेटा हुआ था. अभी मुझे गहरी नींद नहीं आई थी.
कुछ देर के बाद मुझे कुछ हलचल सी होती हुई दिखाई दी. मैंने मुंडी घुमा कर देखा तो मां का हाथ हिलता हुआ दिखाई दिया. मैंने ध्यान से देखा तो मां का हाथ सामने की ओर था.
उनकी पीठ मेरी तरफ थी और उनका हाथ लगातार चल रहा था. मुझे पता चल गया कि मां अपनी चूत में उंगली कर रही है. ये देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो गया. मां को पता नहीं चल रहा था कि मैं ये सब देख रहा हूं क्योंकि उनका मुंह दूसरी ओर था.
मैंने भी अपना लंड अपने कच्छे से बाहर निकाल लिया और अपने लंड को हिलाते हुए उसकी मुठ मारने लगा. मां की हरकत देख कर मेरा लंड पूरे जोश में आ गया था. मैं सोच रहा था कि आज तो मां की चूत चोदने का बहुत ही अच्छा मौका मेरे हाथ लग गया है.
मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था और मन कर रहा था की मां की चूत में लंड दे दूं. मैंने अपने हाथ से मां का वह हाथ पकड़ लिया जिससे वह अपनी चूत को सहला रही थी.
जैसे ही मैंने उनके हाथ को पकड़ा तो वो एकदम से चौंक गयी. उन्होंने मेरे हाथ को एकदम से झटक दिया. उन्होंने झटके से अपनी साड़ी को नीचे किया और मेरी तरफ घूमी तो उनका हाथ गलती से मेरे खड़े हुए लंड पर जा लगा.
गलती से मेरे लंड को उन्होंने पकड़ लिया था. जब उनको ये अहसास हुआ कि मेरा लंड उनके हाथ में आ गया है तो उन्होंने उसे एकदम से ऐसे छोड़ा जैसे कि उनके हाथ में सांप आ गया हो.
उन्होंने धीमी आवाज में मुझसे पूछा- ये क्या है, क्या कर रहा था तू?
मैंने कहा- जो आप कर रही हो, मैं भी वही कर रहा हूं.
उन्होंने नीचे की ओर देखा तो मेरा लंड झटके दे रहा था.
वो बोली- इसको ढक ले हरामी.
मगर मैंने उनकी बात नहीं सुनी और लंड को हिलाता रहा. आज तो मुझे मां के सामने मुठ मारने में मजा आ रहा था. मैं उनको गर्म कर देना चाह रहा था लेकिन उत्तेजना में मेरे लंड से वीर्य छूट गया.
मेरा मुंह मां की ओर था. जैसे मेरे लंड से वीर्य का फव्वारा छूटा तो पिचकारी सीधे मां के पेट और हाथ पर जाकर गिरी.
वो गुस्से से बोली- हो गया नालायक? मैं तेरी मां हूं. जरा भी शर्म नहीं रही तेरे अंदर.
उत्तेजना में मैंने वीर्य तो निकाल दिया था लेकिन मुझे अब अपने आप पर शर्म भी आ रही थी. मैं अपनी पैंट को ऊपर करने लगा.
मां ने बाथरूम की ओर इशारा किया और धीमे से कहा- जा, जाकर धो ले.
मैं वैसे ही बिना पैंट पहने हुए उठ कर बाथरूम की ओर भागा. मुझे अब काफी सॉरी फील हो रहा था. समझ नहीं आ रहा था कि मां का सामना कैसे करूं. अंदर जाकर मैंने लंड को धोया और सोचने लगा कि मां के सामने कैसे जाऊं.
किसी तरह मैं बाहर आया और मुंह नीचे करके चुपचाप आकर बेड पर लेट गया. मां ने भी अपना पेट और हाथ साफ कर लिया था.
उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोली- कोई बात नहीं, तुम्हारी उम्र में ये सब हो जाता है.
फिर उन्होंने मेरे सिर को अपनी गोद में रख लिया और मेरे बालों में हाथ फिराने लगी.
वो बोली- देख बेटा, ये सब अभी ठीक नहीं है तेरे लिये. हम लोगों के पास अभी और भी कई परेशानियां हैं. मैं तो तेरे पापा के साथ ये सब करती थी. तेरे पापा ने ही मुझे ये आदत लगाई थी. मैं तेरी मां हूं, मां के साथ ये सब करना ठीक नहीं है. पाप लगता है. अभी तो मैं तुझे माफ कर दे रही हूं, मगर आगे से तू ये ध्यान रखना. चल अब सो जा.
मैंने उनकी गोद में सिर रखा हुआ था जिसके कारण मुझे उनकी धड़कन भी सुनाई दे रही थी. उनके मांसल बूब्स मेरे चेहरे से टकरा रहे थे. ये सब की फीलिंग लेकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था. शायद मां को भी इस बात की भनक लग गयी थी कि मेरा लंड खड़ा हो गया है. मगर वो कुछ नहीं बोली और सो गयी.
अगले दिन से सब बदल गया था. मां अब मुझसे दूर दूर रहने लगी थी. रात को सोने वाली जगह भी बदल गयी थी. अब मैं अकेला ही पलंग पर सोने लगा था. नीचे मां और उनके बाजू में दीदी सोती थी. मैं रोज रात को मां को देख कर मुठ मारता था.
मां के बदन को देखते हुए मुठ मारने में मुझे बहुत मजा आता था. एक रात को मां काफी गहरी नींद में सो रही थी. नींद गहरी होने के कारण उनकी साड़ी का ख्याल भी उनको नहीं था. उनकी साड़ी घुटनों तक ऊपर सरक आयी थी.
मां की साड़ी उठी हुई देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने ऐसे ही लेटे हुए अपने एक हाथ को नीचे लटका लिया. मैं एक हाथ से अपने लंड की मुठ मार रहा था. मैंने नीचे वाले हाथ से उनकी साड़ी को धीरे धीरे करके और ऊपर तक उठा दिया.
जैसे जैसे साड़ी उठ रही थी मेरी उत्तेजना और बढ़ रही थी. एक पल आया जब मां की साड़ी उनके पेट पर पहुंच गयी और मां की चूत मुझे दिख गयी. पहली बार मैंने अपनी मां की चूत को इतने करीब से देखा था.
मैंने तेजी से मुठ मारना शुरू कर दिया. फिर लगने लगा कि मेरी वीर्य छूट जायेगा. मैं अभी और मजा लेना चाहता था अपनी मां के मस्त बदन का. मैंने मुठ मारना बंद कर दिया. मैंने धीरे धीरे से उनकी चूत को छूकर देखा, उनकी चूत बहुत ही मुलायम सी थी.
हल्के हाथ से मैंने मां की चूत को सहलाना शुरू कर दिया. साथ में मैं इस बात का ध्यान भी रख रहा था कि कहीं मां की नींद न टूट जाये और सारा मजा बेकार हो जाये. मैं आहिस्ता से उनकी चूत को धीरे धीरे छेड़ता रहा. मेरा लंड पूरा फटने को हो रहा था.
अब मुझसे रुका न जा रहा था. मैंने हाथ फेरते हुए अपनी बड़ी उंगली को उनकी चूत में सरकाने की कोशिश की. धीरे धीरे बहुत ही आराम से मैंने मां की चूत में उंगली दे दी.
मैं अब और ज्यादा हिम्मत के साथ उनकी चूत में उंगली को चलाने भी लगा. बहुत मजा आ रहा था चूत में उंगली चलाते हुए. ऐसा लग रहा था कि मैं किसी मक्खन से भरी कटोरी में उंगली चला रहा हूं. एक-दो मिनट तक मैं ऐसे ही उनकी चूत में उंगली करता रहा.
फिर मैंने देखा कि उसकी चूत से गीला सा पदार्थ निकलने लगा. ये देख कर मेरा जोश और बढ़ गया. मैंने अपनी दूसरी उंगली भी धीरे उसकी चूत में डाल दी. मैंने बड़ी ही सावधानी के साथ उनकी चूत में उंगली चलाना शुरू किया.
इस वक्त मां की सांसें बहुत ही तेजी के साथ चलना शुरू हो गयी थीं. मुझे पक्का यकीन हो गया था कि शायद मां कोई सपना देख रही है. सपने में शायद वो किसी से अपनी चूत चुदवा रही होगी. इसीलिये वो चूत में दो दो उंगली डाले जाने पर भी नहीं जाग रही थी. मेरी हिम्मत अब काफी बढ़ गयी थी.
अब मैंने बहुत ही सावधानी से मां के पैरों को फैलाना चालू किया. मैं धीरे से नीचे उतर आया. मैंने उनके पैरों को फैला कर अपने लंड को हाथ में लेकर उनकी चूत पर लगा कर देखा.
जैसे ही चूत पर लंड लगा तो मैं पागल सा हो गया. मुझे इतना मजा आया कि मैं आप लोगों को बता नहीं सकता हूं. मैंने अपने फनफनाते लंड को उनकी चूत पर थोड़ा और दबाया. मुझे और मजा आया. ऐसे ही मैं उनकी चूत पर लंड को रगड़ कर आनंद लेता रहा.
मां की चूत का चिपचिपा पानी मेरे लंड पर लगने से मेरा लंड भी चिकना हो गया था. अब मैं अपनी मां की चूत में लंड डालने के लिए और ज्यादा नहीं रुक सकता था. मैं किसी भी कीमत पर उनकी चूत में अपने लंड को अंदर डाल देना चाह रहा था. हिम्मत करके मैंने लंड को अंदर दे दिया.
लंड जैसे ही अंदर गया मुझे ऐसा मजा मिला कि मैं जैसे हवा में उड़ने लगा. उनकी चूत अंदर से बहुत गर्म थी. मुझे उस वक्त बहुत खुशी मिल रही थी जैसे मैं कोई लड़ाई जीत गया हूं.
जिस चूत से मैं दुनिया में आया था उसी चूत में लंड डाल कर मजा लेने का अहसास निराला लग रहा था मुझे. इस तरह बड़े ही आराम से अब मैं धीरे धीरे अपने लंड को अपनी मां की चूत के अंदर चलाने लगा. लंड को अंदर बाहर करते हुए मुझे इतना मजा आ रहा था जिसको लिखने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं.
यह मेरी जिन्दगी का पहला सेक्स था, वो भी मेरी सगी मां के साथ. अब मेरी स्पीड बढ़ने लगी थी. अब मैं और ज्यादा देर नहीं टिक सकता था. मैं झड़ने के करीब पहुंच गया क्योंकि उत्तेजना बहुत ज्यादा हो गयी थी.
फनफनाते हुए मेरे लंड ने इतनी जोर से पिचकारी छोड़ी कि मां की चूत में वीर्य की धार अंदर तक जा लगी होगी. हाथ से मुठ मारते हुए मेरे लंड से 1-2 पिचकारी ही जोर से निकलती थी. जब मां की चूत में वीर्य निकला तो लंड ने 5-6 पिचकारी जोर जोर से मारी. मुझे बहुत आनंद मिल रहा था.
मैंने अपना सारा माल अपनी मां की चूत के अंदर ही निकाल दिया. उनका चेहरा देखते हुए मुझे बहुत मजा मिल रहा था और मेरे लंड में झटके लग रहे थे और मैंने पूरा माल बूंद बूंद तक निचोड़ कर अपनी मां की चूत में पूरा का पूरा खाली कर दिया था.
मां का चेहरा देखने में बहुत प्यारा लग रहा था. मेरा मन कर रहा था कि उनके होंठों को चूस लूं. मगर उस वक्त मैं ऐसा करता तो वह जाग जाती. दीदी भी बगल में ही सो रही थी. इसलिए मैंने ऐसा करना ठीक नहीं जाना.
उसके बाद मैं उठ गया और ऊपर बेड पर आकर लेट गया. मैंने नीचे झांक कर देखा तो मेरी मां की चूत से मेरा वीर्य रिस कर नीचे टपक रहा था. मुझे ये देख कर बहुत खुशी हुई.
उसके बाद मैं लेट गया और अपनी कामयाबी पर मन ही मन खुश होता रहा. मैंने मां के चेहरे की ओर देखा तो उनके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गयी थी. फिर मैं भी सोचते सोचते सो गया.
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बिटिया की पेंटी से मां की चूत चुदाई
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दोस्तो, मेरा नाम जगदीश चंद है, मैं संगरूर, पंजाब में रहता हूँ, उम्र 59 साल है, पत्नी का स्वर्गवास हो चुका है। एक नंबर का कंजूस आदमी हूँ और इसी तरह पैसे बचा बचा कर मैंने 4 मकान बना लिए हैं।
पैसा कमाने के लिए अपने सभी मकान मैंने किराए पे दे रखे हैं। अपने ही एक मकान में सिर्फ एक कमरे में रहता हूँ। बच्चे सभी विदेश में सेट हैं।
पैसे की कोई कमी नहीं है, मगर फिर भी मैं एक पाई भी फिजूल खर्च नहीं करता। बहुत से यार दोस्त कहते हैं, अकेला है, 1000 रुपया खर्च और रंडी ला कर चोद ले मगर 1000 रुपये खर्चे कौन?
इसलिए ऐसी चूत की तलाश में हूँ जो फ्री में ही मिल जाए!
कहते हैं हर कुत्ते का दिन आता है, ऐसे ही मेरा भी दिन आया।
मेरी एक किरायेदारनी है, विधवा है, 40-42 साल की होगी, पुष्पा नाम है उसका! सरकारी दफ्तर में काम करती है।
उसकी एक बेटी है आंचल, 18-20 साल की होगी, बहुत सुंदर है, मुझे बहुत प्यारी लगती है। सच कहूँ तो मेरी उस लड़की पर बुरी नज़र है। मगर कभी उस से कह नहीं पाया, बस आशीर्वाद के नाम पर उसका सर या पीठ सहला लेता हूँ, जब उसकी पीठ पर हाथ फेरता हूँ, तो उसके मांसल कंधों, और पीठ पर ब्रा के स्ट्रैप पर हाथ लगते ही मजा आ जाता है।
अक्सर सोचता हूँ, कभी मौका मिले और इसकी नंगी पीठ को सहला कर देखूँ तो ज़िंदगी का मजा आ जाए, अब उसके भरे हुये गोल गोल बोबों को तो छू नहीं सकता न। फिर कभी कभी ये भी खयाल आता, अगर ये न माने और इसकी माँ पुष्पा ही मान जाए, तो भी मजा आ जाए।
पुष्पा भी बहुत भरे बदन की मालकिन है मगर सिर्फ देख कर ही संतोष कर लेता हूँ।
एक दिन मैं पुष्पा के घर किराया लेने गया तो देखा कि बाहर तार पर पुष्पा और उसकी बेटी के धुले हुये कपड़े सूख रहे थे जिनमें और कपड़ों के साथ साथ पुष्पा और उसकी बेटी के अन्तः वस्त्र यानि के अंडर गारमेंट्स भी थे। ब्रा तो दोनों माँ बेटी के एक ही साइज़ के थे, मगर चड्डियों का फर्क था।
जहाँ पुष्पा की पेंटी बड़ी साधारण और बड़ी बड़ी थी, वहीं आँचल की पेंटी छोटी और बहुत ही सुंदर डिजाइन वाली थी। किराया लेते वक़्त मैंने पुष्पा से इधर उधर की बातचीत की, मगर मेरी निगाह उसके बदन, कंधे, बाजू, बोबों पर फिसल रही थी।
पुष्पा जानती थी कि मेरी नज़र ठीक नहीं है, मगर उसने कभी इस बात का बुरा नहीं माना, पता नहीं क्यों।
ठर्क मिटाने के लिए मैंने पुष्पा को उपदेश में अपनी बात कहने की सोची- देखो पुष्पा, अभी मैं बाहर से आया, तो मैंने देखा कि कुछ मनचले से लड़के बाहर तुम्हारे सूखने के लिए डाले कपड़े घूर रहे थे। उन कपड़ों में तुम्हारे कपड़े भी थे और बिटिया की चड्डियाँ भी सूखने के लिए डाली हुई हैं। मेरी सलाह है कि तुम बिटिया के ब्रा पेंटी अंदर ही सुखाया करो, मेरी बात समझ रही हो न तुम?
मैंने आँखों आँखों में उसे बहुत कुछ समझाने की कोशिश की।
जब मैं वापिस आने लगा तो पुष्पा अंदर चली गई, तब मैंने आस पास देखा, उधर कोई नहीं था, तो मैंने लपक कर आँचल की एक चड्डी उतार ली, अपनी जेब में डाली आस पास फिर से देखा और घर चला आया।
रात को सोने से पहले मैंने वो चड्डी अपनी जेब से निकाली, उसे अपनी नाक से लगा कर सूंघा, यहाँ मेरी जान की चूत लगती होगी, मैंने उस जगह को अपनी जीभ से चाट लिया, यहाँ मेरी जान की गांड का छेद लगता होगा, उस जगह को भी मैं चाट गया, कितनी देर मैं उसकी चड्डी को चूमता चाटता रहा।
फिर अपना पाजामा खोला और अपने लंड पे उस पेंटी को घिसना शुरू किया, लंड भी तन गया मगर क्या करूँ, हाथ से मैं करता नहीं, चूत मिलती नहीं, बड़ी मुश्किल थी।
अगली बार फिर मौका लगा तो मैं आँचल की एक ब्रा और एक चड्डी उठा लाया। आते जाते मैं अक्सर पुष्पा के घर हो आता।
एक दिन पुष्पा ने मुझसे कहा- आपसे एक बात करनी है?
मैंने बड़े बुजुर्ग की तरह पूछा- बोलो, मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूँ?
वो बोली- आपने जो बात उस दिन कही थी, मुझे लगता है वो सच थी, आँचल के कुछ कपड़े चोरी हो गए हैं।
मैं समझ गया कि यह क्या कहना चाहती है, मैंने कहा- देखो अगर तुम कहो तो मैं तुम्हें कुछ और कपड़े दिलवा सकता हूँ, मगर अपनी चीज़ का ख्याल रखो, इतना बड़ा घर है, कितने लोग रहते हैं, क्या पता कौन चोर है, किस पर इल्ज़ाम लगाएँ।
वो सोचने लगी- हाँ, ये बात भी है।
मैंने कहा- मैंने अभी एक दो घरों में और जाना है, वापसी पर अगर तुम चाहो, तो मेरे साथ चल कर तुम और कपड़े ले सकती हो।
वो सोचने लगी तो मैंने उसके कंधे पर हल्के से हाथ लगा कर कहा- चिंता मत करो, मैं आता हूँ।
मैं उठ कर चला आया।
थोड़ी देर इधर उधर घूम कर वापिस आया, पुष्पा के घर चला गया- क्या सोचा पुष्पा, चलोगी बाज़ार?
मैंने पूछा।
वो भी तैयार हो गई, अपने स्कूटर के पीछे बैठा कर मैं उसे बाज़ार ले गया। बाज़ार में उसने मेरे सामने ही अपनी और अपनी बेटी के साइज़ की ब्रा पेंटी खरीदी।
बल्कि मैंने भी हाथ में पकड़ कर दुकानदार को और अच्छी क्वालिटी के ब्रा पेंटी दिखाने को कहा।
मुश्किल से 600 का बिल बना, मैंने दे दिया।
वापसी में मैंने सोचा कि थोड़ा इसी को लाइन पे लाने की कोशिश करके देखूँ। बातों बातों में मैंने पुष्पा को शादी करने की बात करी और यह भी बताया कि अब मुझे भी बीवी न होने के कारण कितनी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
एक दो बार स्कूटर की ब्रेक लगाने पर पुष्पा के बोबे मेरी पीठ पर लगे तो मुझे बड़ा आनन्द आया। मुझे कभी कभी लगता था कि पुष्पा भी चाहती है, मगर मुझे यह भी डर था कि अगर मैंने सामने से उसे प्रोपोज कर दिया कहीं बुरा ही न मान जाये।
अगली बार जब मैं अपने मकान का किराया लेने गया तो अपने लंड पे आंचल की चड्डी लपेट कर गया। जब पुष्पा के घर गया तो वहाँ आँचल भी आई और मुझे नमस्ते करी।
मैंने भी उसके सर पे हाथ फेरा और फिर कंधे पे हाथ रख कर उस से उसकी पढ़ाई के बारे में पूछने लगा और मन ही मन सोचने लगा ‘जानती हो आँचल मेरी जान, तुम्हारी एक मरून रंग की चड्डी, जिसमें तुम्हारी कुँवारी चूत और अनचुदी गांड घिसती होगी, वो इस वक़्त मेरे लंड से चिपकी है, किसी दिन ऐसा मौका बने के तुम्हारी चूत सच में मेरे लंड पे घिसे, तुम चाहे न चुदो, चाहे तुम्हारी माँ चुद जाए, मगर इतनी इच्छा ज़रूर है कि तुम माँ बेटी में से किसी एक को ज़रूर चोदूँ।’
थोड़ी देर बाद आँचल उठ कर चली गई, तो मैं उसकी जीन्स में कैद ठुमक ठुमक हिलती चूतड़ियाँ देख रहा था।
तभी पुष्पा चाय ले कर आ गई।
जब वो चाय नीचे टेबल पर रखने लगी तो उसकी साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया, एकदम से उसका भरा हुआ सीना मेरे सामने खुल गया।
हरे रंग के ब्लाउज़ में गोरी भरपूर छातियाँ… ना चाहते हुये भी मेरे मुँह से ओह निकल गया।
पुष्पा ने मेरा ओह सुन लिया, थोड़ा शरमाई मगर बैठ गई।
कुछ देर इधर उधर की बातें करके मैंने सोचा कि कुछ काम की बात भी कर लूँ। मैंने उसके सामने अपने अकेलेपन का दुखड़ा भी रोया। पर आज कुछ बात अलग हुई, पुष्पा ने भी अपने अकेलेपन का अफसोस किया।
मैंने मौका देख कर उसे बोल दिया- तभी तो मैं तुम्हारे पास अपना दुख दर्द रो लेता हूँ, एक अकेले का दर्द एक अकेली ही समझ सकती है।
पुष्पा ने मेरी तरफ देखा, तो मैं उठ कर उसके पास जा बैठा, मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा, इससे पहले मैं कुछ कहता, वो बोल पड़ी-
आँचल आ जाएगी।
मतलब अगर आँचल का डर न होता तो क्या ये मुझे छूने देती।
मैं उठ खड़ा हुआ, बोला- अच्छा मैं चलता हूँ, मेरे कमरे के बाहर गली वाला दरवाजा हमेशा खुला ही होता है।
वो चुप रही और मैं चला आया।
मुझे कोई उम्मीद नहीं थी कि पुष्पा मेरी बात का मतलब समझेगी, या मुझसे मिलने आएगी। मगर फिर भी मैंने सुपर एक्ट 99 गोल्ड का एक कैप्सूल खा ही लिया क्योंकि किस्मत खुलने का कोई पता नहीं चलता, कम से कम मैं तो अपनी तैयारी पूरी रखूँ।
खाना खा कर मैंने 11 बजे सो गया।
रात का करीब 1 बजा था, जब बाहर वाले दरवाजे पर दस्तक हुई। मैंने उठ कर दरवाजा खोला, एकदम से पुष्पा अंदर घुस आई। मैंने दरवाजा बंद किया और पुष्पा की तरफ देखा, हल्के गुलाबी रंग की साड़ी में वो बहुत प्यारी लग रही थी।
मेरे कुछ कहने से पहले ही वो बोली- आप तो कह रहे थे, बाहर वाला दरवाजा हमेशा खुला रहता है, मगर यह तो बंद था।
मैंने उसे लेजा कर बेड पे बैठाया- तो तुम मेरी बात का मतलब समझ गई थी।
‘मैं तो कब से समझती थी, मगर आप ही बुद्धू हो, आज आपको दूरदर्शन दिखाया तो आपकी समझ में आया।’
‘तो क्या तुम भी यही चाहती थी? मैंने पूछा।
वो बोली- अब क्या रात में भी मुझसे बातें ही करोगे?
मैंने उसका हाथ पकड़ा, अपनी ओर खींचा, तो वो खुद ही आ कर लिपट गई।
‘ओह पुष्पा, मुझे तुम बहुत प्यारी लगती हो!’ मैंने कहा।
‘चल झूठे, अगर मैं प्यारी लगती हूँ तो आँचल की पेंटी क्यों चुरा कर लाये?’ वो बोली।
मेरे तो होश फाख्ता हो गए, मैंने कहा- वो मुझे पता नहीं था, किसकी हैं, जो दिखी चुरा लाया, अभी भी एक मेरे पास है कह कर मैंने अपनी बनियान और पायजामा उतार दिया, और फिर अपना कच्छा उतारा तो आँचल की एक चड्डी मेरे लंड के आसपास लिपटी हुई थी।
‘तो उस बच्ची पर भी आपकी बुरी नज़र है?’ पुष्पा बोली।
मैंने कहा- जब इंसान चूत का भूखा होता है, तो उसे रंग रूप उम्र जात पात कुछ नहीं दिखता, दिखती है तो सिर्फ चूत!’
और आंचल की पेंटी अपने लंड से खोली, इतने में मेरा लंड भी अपना पूरा आकार ले चुका था।
‘अरे वाह अंकल, आपने तो बड़ी शेव वगैरा कर रखी है?’ पुष्पा उठी और अपनी साड़ी खोलते हुये बोली।मैंने कहा- हाँ, मुझे दिल में एक जगह लगता था कि तुम आओगी।
कह कर मैंने खुद उसके ब्लाउज़, ब्रा और पेटीकोट खोला, पेंटी उसने पहनी नहीं थी।
हम दोनों नंगे हो गए तो वो मुझसे लिपट गई। मैंने उसके गाल, होंठ, माथा, गला, कंधे और यहाँ वहाँ बहुत जगह चूमा। चूमते चूमते नीचे आया और उसके दोनों भरपूर स्तन अपने हाथों में पकड़ कर दबाये और मुँह में लेकर चूसे।
पुष्पा ने सिसकारियाँ भरनी शुरू कर दी।
मैंने पूछा- मजा आया?
वो बोली- अरे बहुत… चूचे चुसवा कर तो मुझे बहुत मजा आता है।
मैं उसके चूचे चूसता रहा और उसे पूछा- तुमने मुझसे सेक्स करने का कैसे सोचा?
वो बोली- एक तो आपको उम्र, मुझे पता था कि इस उम्र में आप न तो धोखा दोगे, न शोर मचाओगे, और अगर कोई कमी पेशी हुई भी, मानो अगर आपका खड़ा न हो हुआ तो दवा मुझे पता थी, एक कैप्सूल आपको ला देती, खिलाओ और लंड टनाटन!
मैंने कहा- अच्छा, क्या मैं तुम्हारी चूत चाट लूँ?
वो बोली- 69 करते हैं, दोनों को मजा आएगा।
मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था, इतने सालों से मैं इस दिन की आस लगाए बैठा था कि किसी दिन पुष्पा की चूत मारने का मौका मिले, और आज जब वो मेरे सामने नंगी लेटी थी, तो मुझे अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था।
वो नीचे बेड पर सीधा लेट गई तो मैं उसके ऊपर उल्टा हो कर लेट गया। मैंने उसकी चूत के होंठों को चूमा, अच्छी तरह से शेव की हुई, किसी खुशबूदार साबुन से धोई हुई, बिलकुल फ्रेश और सूखी चूत!
बस मैं और सब्र नहीं कर सकता था, मैंने उसकी चूत के दोनों होंठ अपने होंठों में ले लिए और अपनी जीभ उसकी चूत की दरार में डाल दी।
उसने मौज में आकर मेरे दोनों चूतड़ अपने हाथों से दबा दिया- उम्म्ह… अहह… हय… याह… अंकल, आप तो बहुत अच्छा चाटते हो।
मैंने भी कहा- अच्छा तो तुम भी तो मुझे बताओ कि तुम कितना अच्छा लंड चूसती हो।
उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपने मुँह में ले लिया।
आह… 12 साल बाद मेरे लंड को किसी के होंठ नसीब हुये थे। बहुत अच्छे से मजा ले ले कर वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसकी चूत चाट रहा था।
अब उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी और मैं भी मजा ले लेकर उसकी चूत का नमकीन पानी पी रहा था।
कोई 3-4 मिनट तक ये चूसा चासी का खेल चला, फिर वो बोली- अंकल, मैं झड़ने वाली हूँ, आप बुरा तो नहीं मानोगे, अगर आप चाट चाट कर ही मेरा काम कर दो, मैं भी चूस चूस कर आपका पानी गिरवा दूँगी।
मैंने कहा- अरे कोई दिक्कत नहीं, पर मैं अपना पानी तेरी चूत में गिराना चाहूँगा।
वो बोली- ठीक है!
और फिर से मेरा लंड चूसने लगी।
मैंने उसकी टाँगें पूरी तरह से चौड़ी कर दी, अपना पूरा मुँह उसकी चूत पर रगड़ दिया और अपने हाथ का एक अंगूठा, उसकी गांड में डाल दिया।
अगले ही सेकंड उसने अपनी टाँगें सीधी कर ली और मेरा मुँह अपनी जांघों में जकड़ लिया, शायद मेरा पूरा लंड उसने अपने मुँह में खींच लिया, अपने दोनों हाथों के नाखून मेरे चूतड़ों में गड़ा दिया।
मुझे बहुत ही मजा आया।
तकरीब 10 सेकंड तक वो तड़पी, अपने बदन को झटके दिये और मेरे लंड को दाँतों से काट भी लिया, मगर मुझे बहुत मजा आया।
जब वो शांत हुई अपनी जांघों की गिरफ्त से मेरा सर आज़ाद किया, तो मुझे खुल कर सांस आई।
मैं उठ कर अब उसके ऊपर सीधा हो कर लेटा, उसने अपनी टाँगें मेरे लिए खोल दी, खुद मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत पर रख लिया।
‘पुष्पा जानेमन, मुझे तो अपनी किस्मत पर यकीन ही नहीं हो रहा, कितने सालों से मैं तुम्हें चोदना चाहता था, आज मेरी इच्छा पूरी हुई है।’ मैंने पुष्पा से कहा।
वो बोली- ये सब तो आप आँचल के साथ भी करना चाहते हो।
मैंने कहा- अब क्या करूँ, वो है ही इतनी सेक्सी!
कह कर मैंने अपनी कमर आगे को धकेली तो मेरे लंड का टोपा उसकी चूत पर लगा और फिर अंदर को घुस गया।
‘मगर वो अभी बच्ची है!’ पुष्पा बोली।
‘अब जब तुमसे ये संबंध बन गए हैं, तो अब तो वो मेरी बेटी हुई!’ मैंने कहा।
उसके चेहरे पर मुस्कान आई।
मैंने अपना लंड और उसकी चूत में घुसेड़ा मगर मन में सोचा ‘जैसे मैं तुझे चोद रहा हूँ, ऐसे ही एक दिन तेरी बेटी की भी चूत फाड़ दूँगा, साली माँ बेटी दोनों आग है आग!’
मगर अपने मन के भाव मैंने अपने चेहरे पर नहीं आने दिये।
धीरे धीरे मैं उसे चोदने लगा मगर जल्द ही मुझे सांस चढ़ गया।
पुष्पा बोली- अंकल आप तो बूढ़े हो गए, आपकी सांस फूल रही है, मैं ऊपर आ जाऊँ?
मैंने भी कहा- हाँ बेटी, 60 को हाथ लगा दिया, अब वो दम खम कहाँ रहा!
कह कर मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और बेड पे दूसरी तरफ लेट गया।
पुष्पा मेरे ऊपर आई, मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और नीचे को बैठी तो मेरा लंड उसकी मक्खन जैसी चूत में घुसता ही चला गया।
उसके बाद वो ऊपर बैठ कर उछलने लगी, कभी आगे पीछे, कभी ऊपर नीचे। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ, इधर उधर झूल रही थी, कभी मैं उसके चूचे चूसता कभी दबाता, कभी उनसे खेलता।
फिर मैंने कहा- पुष्पा डार्लिंग, मेरा भी होने वाला है, बस बाहर मत निकालना, अंदर ही झड़ने दो।
वो बोली- अरे आप डरो मत, मैंने अपना आपरेशन करवा रखा है, कुछ नहीं होगा, आराम से अंदर गिराओ माल अपना!
और फिर अगले ही मिनट मेरा 60 साल के लंड ने अपना रस उसकी चिकनी चूत में बहा दिया।
बहुत बरसों बाद एक अच्छी चुदाई का मजा आया मुझे। बेशक मेरा वीर्यपात हो गया था मगर जब तक मेरा लंड ढीला नहीं पड़ गया वो अपनी चूत से मेरे लंड को चूसती रही।
मेरे वीर्य की आखरी बूंद तक उसकी चूत पी गई।
मैं ढीला पड़ गया, तो वो मेरे ऊपर ही लेट गई, मेरा ढीला लंड अपने आप उसकी चूत से फिसल कर निकल गया।
फिर उसने पूछा- और करोगे अंकल?
मैंने कहा- नहीं यार, अब इतना दम नहीं, अब तो अगले हफ्ते तक की तसल्ली हो गई है।
‘तो मैं जाऊँ, घर में आँचल अकेली होगी।’ वो बोली।
मैंने कहा- ठीक है, जाओ।
उसने अपने कपड़े पहने और जैसे आई थी, वैसे ही चली गई।
मैंने फिर से आँचल की चड्डी उठाई और अपने लंड पे लपेट ली ‘तेरी माँ तो चोद दी आँचल, अब तेरी बारी है।’
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