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मौसी की चुदाई,मौसी से चुदाई
#61
ये बात 1 साल पहले की है जब अभिजीत अपनी इंजिनियरिंग की पढाई के लिए हमारे घर शिफ्ट हुआ था. अभिजीत बहुत ही सुंदर, सेक्सी और हैप्पी लड़का था और वो हमेशा से मेरे बहुत करीब था. उसके लुक की वजह से में अपने मन को संभाल नहीं पाई और हमेशा उसके करीब रहने की कोशिश करती थी. जब भी वो आस-पास होता तो में उसे अपनी क्लीवेज ज़रूर दिखाया करती थी. कई बार में अपनी साड़ी का पल्लू गिरा देती और उससे सिड्यूस करने की कोशिश करती. अब उसकी आँखों में भी मुझे वही तड़प दिखाई देती थी. अब वो भी मेरे पास रहता और मुझे टच करने का एक भी चान्स नहीं छोड़ता था. वो कभी मेरे बूब्स तो कभी गांड पर हाथ फेर देता तो में उसे एक स्माइल देती और कुछ नहीं बोलती थी.

एक दिन घर पर मेरे और अभिजीत के अलावा कोई नहीं था और हम दोनों यू ही बातें कर रहे थे और वो मेरे बूब्स को घूरे जा रहा था, उसने शॉर्ट्स पहनी थी और मेरे बूब्स के कारण उसका मोटा लंड खड़ा हो गया था. में हंसी और वहां से अंदर कमरे में चली आई. अब अभिजीत का चेहरा शर्म से लाल हो गया और वो मेरे बेडरूम में मुझसे माफी माँगने आया. अब मैंने यही सही मौका देखकर उसे माफ़ कर दिया और पूछा कि क्या तुम्हें में पसंद हूँ?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#62
उसने भी हाँ में अपना सिर हिलाया. फिर क्या था? अब मेरे अंदर का सेक्स जाग उठा और मैंने उसे अपनी तरफ खींच एक लंबा किस किया तो शुरू में वो थोड़ा घबराया, लेकिन बाद में अच्छे से मेरा साथ देने लगा. फिर 10-15 मिनट तक स्मूच करने के बाद वो मेरे बूब्स पर अपने हाथ फैरने लगा और में भी अपने हाथों से उसके लंड को जीन्स के ऊपर से सहलाने लगी. अब में अपने आपको रोक नहीं पाई और उसकी जीन्स उतार कर एक छिनाल की तरह उसके लंड को चूसने लगी तो वो भी या आह्ह्ह्ह मामी करके मज़े लेते रहा.

फिर मैंने उसके लंड को अपने मुँह में से निकाला और उसे समझाया कि वो मुझे मामी ना कहे, वो मुझे चाहे जो बुलाए वो चलेगा, लेकिन वाइल्ड रहना चाहिए. अब वो समझ गया था कि मुझे वाइल्ड सेक्स पसंद है और मुझे अपनी रंडी बुलाने लगा. अब उसके मुँह से ये सुनकर में बहुत ज़्यादा खुश हो गई और तेज़ी से उसका लंड चूसने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#63
र उसने मेरे बूब्स को इतना मस्त चूसा कि में तो बस पागल ही गयी और अब वो मेरे बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा. फिर उसने मुझे उठाकर बेड पर लेटाया और मेरी पेंटी को अपने दातं में लेकर नीचे कर दिया, वो तभी वाइल्ड हो गया और मेरी चूत चाटने लगा. अब में पूरी तरह से गर्म थी और उसके सिर को अपनी चूत की तरफ खींचने लगी. उसे चूत चाटना बहुत पसंद था और तो उसने लगभग 25 मिनट तक मेरी चूत चाटी. अब वो इतना मस्त होकर चूत चाट रहा था, जैसे कि वो कोई एक्सपीरियंस लड़का हो जो कई सारी आंटीयों को चोद चुका हूँ.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#64
अब में अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पा रही थी और उससे मुझे चोदने की रिक्वेस्ट करने लगी तो उसने अपना मोटा सा लंड अचानक से मेरी चूत में डाल दिया. में चिल्लाने लगी आअहह हह्ह्ह्हह्ह हम्मम्मम आअहह और वो तेज़ी से धक्के मारते रहा. में इतने लंडो से चुद चुकी थी, लेकिन उसके चोदने के तरीके से में बिल्कुल मदहोश गयी थी और इतनी अच्छी चुदाई मेरी आज तक किसी ने नहीं की थी. उसका जोश इतना ज़्यादा था कि वो मुझे आधे घंटे से भी ज़्यादा समय से वो मुझे अलग-अलग स्टाइल में लेकर चोद रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#65
मौसी की चोद डाला
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#66
जब में banghead: 18 साल का था और मेरे घर में बहुत बड़ा प्रोग्राम था और उस प्रोग्राम में सभी आए हुए थे. मेरी मौसी दिखने में बहुत सेक्सी है, उनका नाम कविता है, वो सभी औरतों की तरह साड़ी पहनती है और उनका साड़ी पहनने का तरीका दिखने में सबसे जुदा होता है. वो अपनी साड़ी को अपनी मोटी कमर के नीचे पहनती है, वो बहुत ज़्यादा भी मोटी नहीं है, लेकिन साड़ी में उनका सभी मोटापा छुप जाता है, क्योंकि लोगों की नजर उनके बूब्स पर रहती है, उनकी नाभि भी बहुत नाज़ुक है और उसे देखोगे तो उसे चाटने का मन करेगा, वो पेशे से वकील है और उनकी शादी हो चुकी है, उनके 3 बेटे है, लेकिन फिर भी उनकी जवानी में कमी नहीं है, उनके बूब्स तो जैसे एक-एक तरबूज हो ऐसे है, उन्हें मेरा अपने मुँह में लेकर चूसने का मन करता है और वो साड़ी के ब्लाउज बहुत टाईट पहनती है, जिससे उनके बूब्स और भी तने हुए लगते है.




अब वो प्रोग्राम में स्लीवलेस ब्लाउज पहनकर आई हुई थी और उनकी साड़ी हमेशा की तरह उनकी नाभि के नीचे थी. अब मुझे ऐसा लग रहा था कि वहीं सबके सामने उन्हें चोद डालूँ. फिर में उनके पास गया और उनसे बातें करने लगा.

वो बोली कि अरे कितना बड़ा हो गया है? बहुत ही अच्छा लग रहा है. तो में मन ही मन में शरमाया और कहा कि मौसी क्या आप कल घर पर है? में आपके यहाँ आना चाहता हूँ. फिर तभी मौसी बोली कि कभी भी आजा और अभी में जब घर जाऊंगी तभी चलना. फिर में राज़ी हो गया और वहीं सोने का प्लान भी बना लिया.
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#67
अब प्रोग्राम ख़त्म हो चुका था और अब में और मौसी मेरी स्कूटी पर देर रात को 1 बजे सड़क से जा रहे थे. अब में जब-जब ब्रेक दबा रहा था, तो तब-तब मौसी के बूब्स मेरी पीठ पर लग रहे थे. अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. अब में जानबूझकर ज़ोर-जोर से ब्रेक दबाने लगा था. अब मौसी को धीरे-धीरे सब समझ में आ रहा था. फिर मौसी ने अचानक से अपना एक हाथ मेरी कमर पर रख दिया, तो तभी मेरे शरीर में अजीब सा करंट दौड़ा. अब में मौसी को चोदने के लिए और भी पागल हुए जा था.
अब हम घर पहुँच चुके थे, अब हमने खाना तो खा लिया था और अब हमें सिर्फ़ सोने जाना था. अब किस्मत से मौसा जी घर से बाहर ट्रिप पर गये हुए थे और बच्चे भी सो चुके थे. फिर मौसी चेंज करके आ गई, उन्होंने एक नाइटी पहनी थी, जो जामुनी कलर की थी.
मौसी उसमें बहुत सुंदर लग रही थी. मौसी ने गलती से अपनी नाइटी के ऊपर के बटन खुले छोड़ दिए थे फिर मैंने मौसी से कहा कि मौसी आपके स्तनों के ऊपर के दो बटन खुले है, जो कि मुझे अंदर का सभी नज़ारा बता रहे थे. मौसी ने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी और ऐसा लगता था कि जानबूझकर नहीं पहनी थी. अब मौसी को ऐसा बोलते वक़्त मुझे शर्म भी नहीं आई थी.
फिर मौसी ने मेरी तरफ देखकर एक सेक्सी सी स्माइल दी. फिर मौसी ने मुझसे कहा कि तुम भी अब लुंगी पहन लो और मौसी ने तुरंत मुझे मौसा जी की लुंगी लाकर दी. अब मेरा लंड खड़ा ही था, तो मौसी ने उसकी तरफ देखा और अपनी आँखे दूसरी तरफ फैर ली. फिर मैंने अपना एक हाथ अंदर डालकर उसे सुला दिया तो मैंने फिर से देखा तो वो फिर से खड़ा दिख रहा था. फिर तभी मौसी बोली कि अरे ये क्या बार-बार अंदर हाथ डाल रहे हो?
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#68
मैंने कहा कि कुछ नहीं खुजली हो रही है. फिर मौसी तुरंत मेरे पास आकर बोली कि बताओ में देखती हूँ और फिर मौसी ने एक झटके में मेरी लुंगी निकाल दी. अब मेरा लंड अंडरवियर के नीचे से और बड़ा दिख रहा था और आस पास के बाल भी दिख रहे थे. फिर मौसी बोली अरे तेरे वहाँ पर बाल भी उग आए, तो में बोला कि हाँ और लंड भी बड़ा हो गया है. फिर मौसी बोली कि अच्छा तो तू समझ गया कि में तुझे यहाँ क्यों लेकर आई हूँ? अब पता चल ही गया है तो डर क्यों कर रहा है? चल चोद डाल अपनी माँ की बहन को, जो तुझे बचपन में अपनी गोद में खिला चुकी है और तब से तेरा बड़े होने का इंतज़ार कर रही है.

अब मौसी मेरे करीब थी और मुझे चूमने लगी थी. अब मौसी ने मुझे चूम-चूमकर पूरा गीला कर दिया था. अब में भी बहुत मज़ा ले रहा था. अब मौसी मेरे लंड को अपने हाथों से मसल रही थी. अब में पूरा नंगा हो चुका था, लेकिन मौसी अभी तक कपड़ो में ही थी.
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#69
फिर मैंने मौसी से कहा कि चलो अब में तुम्हारे कपड़े उतारूँगा. फिर मौसी हँसते हुए बोली कि उतार दे, चोद डाल मुझे, मेरे बूब्स को मसलकर उन्हें अपने मुँह में लेकर पी जा, मेरा सारा दूध. फिर में मौसी की नाइटी पीछे से धीरे-धीरे उतारने लगा. अब मौसी की आँखें हवस से भरी हुई थी.

अब मैंने मौसी के पूरे कपड़े उतार दिए थे और उनके बूब्स को चूसने लगा था और उसमें से आता थोड़ा-थोड़ा दूध भी पीने लगा था. अब में बहुत पागल हो चुका था. अब में मौसी के बूब्स को एक तरबूज की तरह काट और चूस रहा था. अब मौसी भी हवस से पूरी लथपथ थी.
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#70
फिर मैंने मौसी के मुँह में अपना लंड दे दिया, तो वो पहले तो हिचकिचाने लगी, क्योंकि उन्होंने शायद पहले अपने मुँह में नहीं लिया था इसलिए. फिर मैंने मौसी से कहा कि एक बार लेकर देखो बहुत मज़ा आएगा. फिर मौसी मेरे लंड को अपने मुँह में लेने लगी और केले की तरह चूसने लगी थी. अब में नाहह, हुउऊउउ करने लगा था.

अब मौसी के मुँह में मेरा सारा पानी भरने लगा था और वो उसे मज़े से पीने लगी थी. फिर मैंने मौसी को रुकाया और अब अपने लंड को उनके चूतड़ में घुसा दिया और ज़ोर-ज़ोर से डालने लगा. अब मौसी आआहह करने लगी थी. अब में मौसी को चोदते-चोदते उनके बूब्स का दूध भी पी रहा था.

फिर 10 मिनट के बाद मैंने अपना वीर्य मौसी की चूत में ही छोड़ दिया और फिर हम दोनों वैसे ही अपने बिस्तर पर सो गये. फिर जब हम सुबह उठे तो मौसा जी सामने बैठकर जूस पी रहे थे, तो मैंने चौंककर मौसी की तरफ देखा, तो वो काफ़ी सामान्य लग रही थी.
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#71
मामा के घर में चुदाई
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#72
मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ, 20 साल का हूँ। कॉलेज में पढ़ता हूँ। पिछले साल गर्मियों की छुट्टियों में मैं अपने ननिहाल अमृतसर घूमने गया हुआ था। मेरे मामा का छोटा सा परिवार है। मेरे मामाजी रुस्तम सेठ 45 साल के हैं और मामी सविता 42 के अलावा उनकी एक बेटी है कणिका 18 साल की। मस्त क़यामत बन गई है वो ! अब तो अच्छे-अच्छों का पानी निकल जाता है उसे देख कर। वो भी अब मोहल्ले के लौंडे लपाड़ों को देख कर नैन-मट्टका करने लगी है।

एक बात खास तौर पर बताना चाहूँगा कि मेरे नानाजी का परिवार लाहौर से अमृतसर 1947 में आया था और यहाँ आकर बस गया। पहले तो सब्जी की छोटी सी दुकान ही थी पर अब तो काम कर लिए हैं। कॉलेज के सामने एक जनरल स्टोर है जिसमें पब्लिक टेलीफ़ोन, कम्प्यूटर और नेट आदि की सुविधा भी है। साथ में जूस बार और फलों की दुकान भी है। अपना दो मंजिला मकान है और घर में सब आराम है। किसी चीज की कोई कमी नहीं है। आदमी को और क्या चाहिए। रोटी कपड़ा और मकान के अलावा तो बस सेक्स की जरुरत रह जाती है।

मैं बचपन से ही बहुत शर्मीला रहा हूँ मुझे अभी तक सेक्स का ज्यादा अनुभव नहीं था। बस एक बार बहुत पहले मेरे चाचा ने मेरी गांड मारी थी। जब से जवान हुआ था अपने लंड को हाथ में लिए ही घूम रहा था। कभी कभार नेट पर अन्तरवासना पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ लेता था और ब्लू फ़िल्म भी देख लेता था।
सच पूछो तो मैं किसी लड़की या औरत को चोदने के लिए मरा ही जा रहा था।
मामाजी और मामी को कई बार रात में चुदाई करते देखा था। वहीं 42 साल की उम्र में भी मेरी मामी सविता एकदम जवान पट्ठी ही लगती है। लयबद्ध तरीके से हिलते मोटे मोटे नितम्ब और गोल गोल स्तन तो देखने वालों पर बिजलियाँ ही गिरा देते हैं। ज्यादातर वो सलवार और कुर्ता ही पहनती है पर कभी कभार जब काली साड़ी और कसा हुआ ब्लाउज पहनती है तो उसकी लचकती कमर और गहरी नाभि देखकर तो कई मनचले सीटी बजाने लगते हैं। लेकिन दो दो चूतों के होते हुए भी मैं अब तक प्यासा ही था।
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#73
न का महीना था। सभी लोग छत पर सोया करते थे। रात के कोई दो बजे होंगे, मेरी अचानक आँख खुली तो मैंने देखा मामा और मामी दोनों ही नहीं हैं। कणिका बगल में लेटी हुई है। मैं नीचे पेशाब करने चला गया। पेशाब करने के बाद जब मैं वापस आने लगा तो मैंने देखा मामा और मामी के कमरे की लाईट जल रही है। मैं पहले तो कुछ समझा नहीं पर ‘हाई.. ई.. ओह.. या.. उईई..’ की हल्की हल्की आवाज ने मुझे खिड़की से झांकने को मजबूर कर दिया।

खिड़की का पर्दा थोड़ा सा हटा हुआ था, अन्दर का नजारा देख कर तो मैं जड़ ही हो गया। मामा और मामी दोनों नंगे बेड पर अपनी रात रंगीन कर रहे थे। मामा नीचे लेटे थे और मामी उनके ऊपर बैठी थी।
मामा का लंड मामी की चूत में घुसा हुआ था और वो मामा के सीने पर हाथ रख कर धीरे धीरे धक्के लगा रही थी और.. आह.. उन्ह.. या.. की आवाजें निकाल रही थी।

उसके मोटे मोटे नितम्ब तो ऊपर नीचे होते ऐसे लग रहे थे जैसे कोई फ़ुटबाल को किक मार रहा हो। उनकी चूत पर उगी काली काली झांटों का झुरमुट तो किसी मधुमक्खी के छत्ते जैसा था।
वो दोनों ही चुदाई में मग्न थे। कोई 8-10 मिनट तक तो इसी तरह चुदाई चली होगी। पता नहीं कब से लगे थे।

फ़िर मामी की रफ्तार तेज होती चली गई और एक जोर की सीत्कार करते हुए वो ढीली पड़ गई और मामा पर ही पसर गई। मामा ने उसे कस कर बाहों में जकड़ लिया और जोर से मामी के होंठ चूम लिए
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#74
सविता डार्लिंग ! एक बात बोलूँ?’
‘क्या?’
‘तुम्हारी चूत अब बहुत ढीली हो गई है बिल्कुल मजा नहीं आता !’

‘तुम गांड भी तो मार लेते हो, वो तो अभी भी टाइट है ना?’
‘ओह तुम नहीं समझी?’
‘बताओ ना?’

‘वो तुम्हारी बहन बबिता की चूत और गांड दोनों ही बड़ी मस्त थी ! और तुम्हारी भाभी जया तो तुम्हारी ही उम्र की है पर क्या टाइट चूत है साली की? मज़ा ही आ जाता है चोद कर !’

‘तो यह कहो ना कि मुझ से जी भर गया है तुम्हारा !’
‘अरे नहीं सविता रानी, ऐसी बात नहीं है दरअसल मैं सोच रहा था कि तुम्हारे छोटे वाले भाई की बीवी बड़ी मस्त है। उसे चोदने को जी करता है !’

‘पर उसकी तो अभी नई नई शादी हुई है वो भला कैसे तैयार होगी?’
‘तुम चाहो तो सब हो सकता है !’
‘वो कैसे?’

‘तुम अपने बड़े भाई से तो पता नहीं कितनी बार चुदवा चुकी हो अब छोटे से भी चुदवा लो और मैं भी उस क़यामत को एक बार चोद कर निहाल हो जाऊँ !’
‘बात तो तुम ठीक कह रहे हो, पर अविनाश नहीं मानेगा !’
‘क्यों?’
‘उसे मेरी इस चुदी चुदाई भोसड़ी में भला क्या मज़ा आएगा?’
‘ओह तुम भी एक नंबर की फुद्दू हो ! उसे कणिका का लालच दे दो ना?’
‘कणिका? अरे नहीं, वो अभी बच्ची है !’

‘अरे बच्ची कहाँ है ! पूरे अट्ठारह साल की तो हो गई है? तुम्हें अपनी याद नहीं है क्या? तुम तो दो साल कम की ही थी जब हमारी शादी हुई थी और मैंने तो सुहागरात में ही तुम्हारी गांड भी मार ली थी !’

‘हाँ, यह तो सच है पर !’
‘पर क्या?’

‘मुझे भी तो जवान लंड चाहिए ना? तुम तो बस नई नई चूतों के पीछे पड़े रहते हो, मेरा तो जरा भी ख़याल नहीं है तुम्हें?’
‘अरे तुमने भी तो अपने जीजा और भाई से चुदवाया था ना और गांड भी तो मरवाई थी ना?’
‘पर वो नए कहाँ थे मुझे भी नया और ताजा लंड चाहिए बस ! कह दिया?’

‘ओह ! तुम तरुण को क्यों नहीं तैयार कर लेती? तुम उसके मज़े लो ! मैं कणिका की सील तोड़ने का मजा ले लूँगा !’
‘पर वो मेरे सगे भाई की औलाद है, क्या यह ठीक रहेगा?’
‘क्यों इसमें क्या बुराई है?’

‘पर वो नहीं.. मुझे ऐसा करना अच्छा नहीं लगता !’

‘अच्छा चलो एक बात बताओ, जिस माली ने पेड़ लगाया है क्या उसे उस पेड़ के फल खाने का हक नहीं होना चाहिए? या जिस किसान ने इतने प्यार से फसल तैयार की है उसे उस फसल के अनाज को खाने का हक नहीं मिलना चाहिए? अब अगर मैं अपनी इस बेटी को चोदना चाहता हूँ तो इसमें क्या गलत है?’
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#75
‘ओह तुम भी एक नंबर के ठरकी हो। अच्छा ठीक है बाद में सोचेंगे?’

और फ़िर मामी ने मामा का मुरझाया लंड अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगी।

मैं उनकी बातें सुनकर इतना उत्तेजित हो गया था कि मुट्ठ मारने के अलावा मेरे पास अब कोई और रास्ता नहीं बचा था। मैं अपना सात इंच का लंड हाथ में लिए बाथ रूम की ओर बढ़ गया। फ़िर मुझे ख़याल आया कणिका ऊपर अकेली है। कणिका की ओर ध्यान जाते ही मेरा लंड तो जैसे छलांगें ही लगाने लगा। मैं दौड़ कर छत पर चला आया।
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#76
कणिका बेसुध हुई सोई थी। उसने पीले रंग की स्कर्ट पहन रखी थी और अपनी एक टांग मोड़े करवट लिए सोई थी, इससे उसकी स्कर्ट थोड़ी सी ऊपर उठी थी। उसकी पतली सी पेंटी में फ़ंसी उसकी चूत का चीरा तो साफ़ नजर आ रहा था। पेंटी उसकी चूत की दरार में घुसी हुई थी और चूत के छेद वाली जगह गीली हुई थी। उसकी गोरी गोरी मोटी जांघें देख कर तो मेरा जी करने लगा कि अभी उसकी कुलबुलाती चूत में अपना लंड डाल ही दूँ।
मैं उसके पास बैठ गया और उसकी जाँघों पर हाथ फेरने लगा।

वाह.. क्या मस्त मुलायम संग-ए-मरमर सी नाज़ुक जांघें थी। मैंने धीरे से पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर अंगुली फ़िराई। वो तो पहले से ही गीली थी। आह.. मेरी अंगुली भी भीग सी गई। मैंने उस अंगुली को पहले अपनी नाक से सूंघा। वाह.. क्या मादक महक थी।

कच्चे नारियल जैसी जवान चूत के रस की मादक महक तो मुझे अन्दर तक मस्त कर गई। मैंने अंगुली को अपने मुँह में ले लिया। कुछ खट्टा और नमकीन सा लिजलिजा सा वो रस तो बड़ा ही मजेदार था।

मैं अपने आप को कैसे रोक पाता। मैंने एक चुम्बन उसकी जाँघों पर ले ही लिया, फ़िर यौनोत्तेजना वश मैंने उसकी जांघें चाटी। वो थोड़ा सा कुनमुनाई पर जगी नहीं।
अब मैंने उसके उरोज देखे। वह क्या गोल गोल अमरुद थे। मैंने कई बार उसे नहाते हुए नंगी देखा था। पहले तो इनका आकार नींबू

जितना ही था पर अब तो संतरे नहीं तो अमरुद तो जरूर बन गए हैं। गोरे गोरे गाल चाँद की रोशनी में चमक रहे थे। मैंने एक चुम्बन उन पर भी ले लिया।
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#77
मेरे होंठों का स्पर्श पाते ही कणिका जग गई और अपनी आँखों को मलते हुए उठ बैठी।

‘क्या कर रहे हो भाई?’ उसने उनीन्दी आँखों से मुझे घूरा।
‘वो.. वो.. मैं तो प्यार कर रहा था !’
‘पर ऐसे कोई रात को प्यार करता है क्या?’

‘प्यार तो रात को ही किया जाता है !’ मैंने हिम्मत करके कह ही दिया।
उसके समझ में पता नहीं आया या नहीं ! फ़िर मैंने कहा- कणिका एक मजेदार खेल देखोगी?’
‘क्या?’ उसने हैरानी से मेरी ओर देखा।

‘आओ मेरे साथ !’ मैंने उसका बाजू पकड़ा और सीढ़ियों से नीचे ले आया और हम बिना कोई आवाज किये उसी खिड़की के पास आ गए। अन्दर का दृश्य देख कर तो कणिका की आँखें फटी की फटी ही रह गई। अगर मैंने जल्दी से उसका मुँह अपनी हथेली से नहीं ढक दिया होता तो उसकी चीख ही निकल जाती।

मैंने उसे इशारे से चुप रहने को कहा।
वो हैरान हुई अन्दर देखने लगी।

मामी घोड़ी बनी फ़र्श पर खड़ी थी और अपने हाथ बेड पर रखे थी, उनका सिर बेड पर था और नितम्ब हवा में थे। मामा उसके पीछे उसकी कमर पकड़ कर धक्के लगा रहे थे। उनका 8 इंच का लंड मामी की गांड में ऐसे जा रहा था जैसे कोई पिस्टन अन्दर बाहर आ जा रहा हो। मामा उनके नितम्बों पर थपकी लगा रहे थे। जैसे ही वो थपकी लगाते तो नितम्ब हिलने लगते और उसके साथ ही मामी की सीत्कार निकलती- हाईई… और जोर से मेरे राजा ! और जोर से ! आज सारी कसर निकाल लो ! और जोर से मारो ! मेरी गांड बहुत प्यासी है ये हाईई…’

‘ले मेरी रानी और जोर से ले… या… सऽ विऽ ता… आ.. आ…’ मामा के धक्के तेज होने लगे और वो भी जोर जोर से चिल्लाने लगे।

पता नहीं मामा कितनी देर से मामी की गांड मार रहे थे। फ़िर मामा मामी से जोर से चिपक गए। मामी थोड़ी सी ऊपर उठी। उनके पपीते जैसे स्तन नीचे लटके झूल रहे थे। उनकी आँखें बंद थी और वह सीत्कार किये जा रही थी- जियो मेरे राजा मज़ा आ गया !’
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#78
मैंने धीरे धीरे कणिका के वक्ष मसलने शुरू कर दिए। वो तो अपने मम्मी पापा की इस अनोखी रासलीला देख कर मस्त ही हो गई थी। मैंने एक हाथ उसकी पेंटी में भी डाल दिया।

उफ़… छोटी छोटी झांटों से ढकी उसकी बुर तो कमाल की थी, नीम गीली।

मैंने धीरे से एक अंगुली से उसके नर्म नाज़ुक छेद को टटोला। वो तो चुदाई देखने में इतनी मस्त थी कि उसे तो तब ध्यान आया जब मैंने गच्च से अपनी अंगुली उसकी बुर के छेद में पूरी घुसा दी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

‘उईई माँ…!!’ उसके मुँह से हौले से निकला- ओह… भाई यह क्या कर रहे हो?’
उसने मेरी ओर देखा। उसकी आँखें बोझिल सी थी और उनमें लाल डोरे तैर रहे थे।
मैंने उसे बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूम लिया।

हम दोनों ने देखा कि एक पुच्क्क की आवाज के साथ मामा का लंड फ़िसल कर बाहर आ गया और मामी बेड पर लुढ़क गई।

अब वहाँ रुकने का कोई मतलब नहीं रह गया था। हम एक दूसरे की बाहों में सिमटे वापस छत पर आ गए।
‘कणिका?’
‘हाँ भाई?’

कणिका के होंठ और जबान कांप रही थी। उसकी आँखों में एक नई चमक थी। आज से पहले मैंने कभी उसकी आँखों में ऐसी चमक नहीं देखी थी। मैंने फ़िर उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगा। उसने भी बेतहाशा मुझे चूमना शुरू कर दिया।

मैंने धीरे धीरे उसके स्तन भी मसलने चालू कर दिए। जब मैंने उसकी पेंटी पर हाथ फ़िराया तो उसने मेरा हाथ पकड़ते कहा- नहीं भाई, इससे आगे नहीं !’
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#79
क्यों क्या हुआ?’

‘मैं रिश्ते में तुम्हारी बहन लगती हूँ, भले ही ममेरी ही हूँ पर हूँ तो बहन ही ना? और भाई और बहन में ऐसा नहीं होना चाहिए !’

‘अरे तुम किस ज़माने की बात कर रही हो? लंड और चूत का रिश्ता तो कुदरत ने बनाया है। लंड और चूत का सिर्फ़ एक ही रिश्ता होता है और वो है चुदाई का। यह तो केवल तथाकथित सभ्य कहे जाने वाले समाज और धर्म के ठेकेदारों का बनाया हुआ ढकोसला है। असल में देखा जाए तो ये सारी कायनात ही इस कामरस में डूबी है जिसे लोग चुदाई कहते हैं।’ मैं एक ही सांस में कह गया।

‘पर फ़िर भी इंसान और जानवरों में फर्क तो होता है ना?’

‘जब चूत की किस्मत में चुदना ही लिखा है तो फ़िर लंड किसका है इससे क्या फर्क पड़ता है? तुम नहीं जानती कणिका, तुम्हारा यह जो बाप है ना यह अपनी बहन, भाभी, साली और सलहज सभी को चोद चुका है और यह तुम्हारी मम्मी भी कम नहीं है। अपने देवर, जेठ, ससुर, भाई और जीजा से ना जाने कितनी बार चुद चुकी है और गांड भी मरवा चुकी है !’

कणिका मेरी ओर मुँह बाए देखे जा रही थी। उसे यह सब सुनकर बड़ी हैरानी हो रही थी- नहीं भाई तुम झूठ बोल रहे हो?’

‘देखो मेरी बहना, तुम चाहे कुछ भी समझो, यह जो तुम्हारा बाप है ना ! वो तो तुम्हें भी भोगने चोदने के चक्कर में है ! मैंने अपने कानों से सुना है !’

‘क… क्या…?’ उसे तो जैसे मेरी बातों पर यकीन ही नहीं हुआ। मैंने उसे सारी बातें बता दी जो आज मामा मामी से कह रहे थे।
उसके मुँह से तो बस इतना ही निकला- ओह नोऽऽ?’
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#80
‘बोलो… तुम क्या चाहती हो? अपनी मर्जी से, प्यार से तुम अपना सब कुछ मुझे सौंप देना चाहोगी या फ़िर उस 45 साल के अपने खडूस और ठरकी बाप से अपनी चूत और गांड की सील तुड़वाना चाहती हो…? बोलो !’

‘मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा है !’
‘अच्छा एक बात बताओ?’
‘क्या?’

‘क्या तुम शादी के बाद नहीं चुदवाओगी? या सारी उम्र अपनी चूत नहीं मरवाओगी?’
‘नहीं, पर ये सब तो शादी के बाद की बात होती है?’

‘अरे मेरी भोली बहना ! ये तो खाली लाइसेंस लेने वाली बात है। शादी विवाह तो चुदाई जैसे महान काम को शुरू करने का उत्सव है। असल में शादी का मतलब तो बस चुदाई ही होता है !’

‘पर मैंने सुना है कि पहली बार में बहुत दर्द होता है और खनू भी निकलता है?’
‘अरे तुम उसकी चिंता मत करो ! मैं बड़े आराम से करूँगा ! देखना तुम्हें बड़ा मज़ा आएगा !’
‘पर तुम गांड तो नहीं मारोगे ना? पापा की तरह?’

‘अरे मेरी जान पहले चूत तो मरवा लो ! गांड का बाद में सोचेंगे !’ और मैंने फ़िर उसे बाहों में भर लिया।

उसने भी मेरे होंठों को अपने मुँह में भर लिया। वह क्या मुलायम होंठ थे, जैसे संतरे की नर्म नाज़कु फांकें हों। कितनी ही देर हम आपस में गुंथे एक दूसरे को चूमते रहे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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