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12-03-2019, 08:22 PM
(This post was last modified: 08-03-2021, 04:15 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
तभी ,
![[Image: Guddi-skirt-80767112.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/Guddi-skirt-80767112.jpg)
तभी कहीं से राकी आकर मेरे पास बैठ आया और मेरे पैर चाटने लगा।
मेरे मन में वही सब बातें घूमने लगीं जो मुझे चिढ़ाते हुए, चम्पा भाभी कहतीं थीं…
उस दिन चन्दा कह रह थी, भाभी की माँ की बात…
और सबसे बढ़ कर भाभी की बात ,
यहां आने के बात मुझे छेड़ने चिढ़ाने की जिम्मेदारी उन्होंने अपनी भौजाइयों और बहनों पे छोड़ दी थी ,
लेकिन वो भी बीच बीच में , और कल रात जिस तरह वो मुस्कराकर अपनी माँ और चंपा भाभी के सामने मुझसे बोल रही थीं ,
![[Image: Teej-Nayantara-Backless-Blouse-Images.jpg]](https://i.ibb.co/FB67m0C/Teej-Nayantara-Backless-Blouse-Images.jpg)
" ये तो बहुत उदास हो गयी थी , कह रही थी , भाभी , कातिक तो अभी बहुत दूर है ,आने को तो मैं आ जाउंगी लेकिन , इतना लम्बा इन्तजार , मैंने बहुत समझाया , अरे तब तक गाँव में इतने लड़के हैं , अजय , सुनील ,रवी दिनेश , और भी तब तक उनके साथ काम चलाओ , दो तीन महीने की बात है लेकिन , माँ आप ने तो इसके मन की बात समझ ली , और परेशानी दूर कर दी। "
मैंने ऐसा कुछ भी नहीं बोला था लेकिन भाभी और चम्पा भाभी जब साथ साथ हो जाएँ ,
तो फिर मेरी क्या औकात , और ऊपर से कल तो भाभी की माँ भी , टॉप के अंदर हाथ डाल के मेरी पीठ सहलाते बोलीं ,
" तुम दोनों न , मेरी बेटी को समझती क्या हो , बहुत अच्छी है ये सबका मन रखेगी। गाँव के लड़को से तो चुदवायेगी ही , गाँव के मर्दों से भी. आखिर चम्पा के खाली देवर थोड़ी जेठ लोगों का भी तो मन करता है शहरी माल का मजा लेने का. हैं न बेटी , और रॉकी तो इसी घर का मर्द है ,तुम लोग जबरदस्ती बिचारी को चिढ़ाती हो ,
खुद ही उसका बहुत मन करता है रॉकी के साथ और रॉकी भी कितना चूम चाट रहा था था , जाने के पहले , बेटी चुदवा के जाना।
माना गाँठ बनेगी तो बहुत दर्द होगा लेकिन उसी दर्द में तो मजा है ,
चंपा जाओ बिटिया के साथ एक दो दिन परका दो , उसके बाद रॉकी की जिम्मेदारी तो ये खुद ही ले लेगी ,क्यों बेटी है न ,"
मैं आँखे बंद किये कल की छेड़छाड़ सोच कर मजा ले रही थी , ठंडी ठंडी पुरवाई चल रही थी।
घर में मैं एकदम अकेली थी , आँगन से बाहर का दरवाजा भी अंदर से बंद था। सोच सोच कर मेरी किशोर चूंचियां पथरा रही थीं।
और तब तक रॉकी ने मेरे तलवे चाटने शुरू किया ,
मेरी पूरी देह गिनगिना उठी , जबरदस्त टिंगलिंग उठी मेरी देह में , पैरों से लेकर सीधे 'वहां तक' ,
लेकिन न मैंने पैर हटाये , न रॉकी को मना किया , बस जोर से आँखे भींच ली, अपने आप मेरी टाँगे थोड़ी खुल गयीं , …
और मेरी बंद आँखों के सामने कल रात के आँगन कसीं नाच रहा था ,
जब चम्पा भाभी मुझे लेकर घुप्प अँधेरे में आँगन में गयी थी और ,
जैसे उसने मुझे पहचान लिया हो और उसका भौंकना एकदम बंद हो गया।
मेरी निगाह फिर रॉकी के ' वहां ' पड़ गयी , वो , .... वो, … बाहर निकला था ,
एकदम किसी आदमी के जैसा , लाल गुलाबी करीब तीन चार इंच ,
और ,… मेरी साँस रुक गयी ,… वो थोड़ा मोटा होता जा रहा था , और बाहर निकल रहा था।
मैंने थूक घोंटा , सांस आलमोस्ट रुक गयी।
मुझे भाभी की माँ की बात याद आ गयी।
' बेटी कातिक -वातिक की सिर्फ कुतिया के लिए है, कुतिया कातिक में गरमाती हैं ,
रॉकी तो बारहो महीना तैयार रहता है , अगर उसे महक लग जाय ,…लौंडिया "
पैंटी तो मैं पहनती नहीं थी , और नीचे अब कुछ लसलसा सा लग रहा था।
मेरी टाँगे अब पिघल रही थीं , और मैं समझ रही थी , की अगर इस अँधेरे में रॉकी ने कुछ ,… तो कोई आएगा भी नहीं।
धीरे धीरे मेरा डर कुछ कम हो रहा था , मैंने उसका ध्यान बंटाने के लिए , उसे खाने का तसला दिखाया।
मुझे लगा खाने को देख कर शायद कर उसका मन बदल जाय ,
लेकिन शायद उसके सामने ज्यादा मजेदार रसीला भोजन था , और अब रॉकी के नथुने मेरे स्कर्ट में घुस गए थे , वो जांघ के ऊपरी हिस्से को चाट रहा था , लपलप लपलप,
मेरी जांघे अब अपने आप पूरी फैल गयी थीं , 'वो 'खूब पानी फ़ेंक रही थी ,
मेरे पैर लग रहा था अब गए , तब गए , … मैं रॉकी को खूब प्यार से सहला रही थी , रॉकी रॉकी बुला रही थी ,
और तभी मेरी निगाह नीचे की ओर मुड़ी ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह , मेरी चीख निकलते निकलते बची , …
कम से कम ८ इंच ,लाल गुस्सैल , एकदम तना ,कड़ा गुस्सैल , और मोटा ,
मेरी तो जान सूख गयी ,
मतलब ,मतलब वो ,… पूरे जोश में है , एकदम तन्नाया। और अब कहीं वो मेरे ऊपर चढ़ बैठा ,....
और जिस तरह से अब उसकी जीभ , मैं गनगना रही थी ,
चार पांच मिनट अगर वो इसी तरह चाटता रहां तो मैं खुद किसी हालत में नहीं रहूंगी कुछ ,....
मेरी जांघे पूरी तरह अपने आप फैल गयी थीं,
बड़ी मुश्किल से मैं उसके बगल में घुटने मोड़ के उँकड़ू बैठी और उसकी गरदन ,
उसकी पीठ सहलाती रही , मैं लाख कोशिश कर रही थी की मेरी निगाह उधर न जाय लेकिन अपने आप ,
'वो ' उसी तरह से खड़ा ,तना मोटा और अब तो आठ इंच से भी मोटा उसकी नोक लिपस्टिक की तरह से निकली।
और तभी मैंने देखा की चंपा भाभी भी मेरे बगल में बैठी है , मुस्कराती , लालटेन की लौ उन्होंने खूब हलकी कर दी थी।
' पसंद आया न " मेरे गाल पे जोर से चिकोटी काट के वो बोलीं , और जब तक मैं जवाब देती
उनका हाथ सीधे मेरी जाँघों के बीच और मेरी बुलबुल को दबोच लिया उन्होंने जोर से।
खूब गीली ,लिसलिसी हो रही थी। और चंपा भाभी की गदोरी उसे जोर जोर से रगड़ रही थी।
" मेरी छिनार बिन्नो , जब देख के इतनी गीली हो रही तो जो ये सटा के रगडेगा तो क्या होगा , इसका मतलब अब तू तो राजी है और रॉकी की तो हालत देख के लग रहा है , तुझे पहला मौका पाते ही पेल देगा। "
मेरे कान में फुसफुसा के वो बोलीं।
और मैं कल रात से वापस आई
सोच सोच के मेरी गीली हो रही थी।
नीचे वाला मुंह एकदम लिसलिसा हो गया था।
मेरी आँखे अभी भी बंद थी , फिर धीरे धीरे मैंने आँखे खोली ,
लगता है, राकी भी वही कुछ सोच रहा था, मेरे पैर चाटते चाटते, अब उसकी जीभ मेरे गोरे-गोरे घुटनों तक पहुँच गयी थी।
मैं वही टाप और स्कर्ट पहने हुए थी जो दिनेश के आने पे मैंने पहन रखा था।
कुछ सोचकर मैं मुश्कुरायी। राकी को प्यार से सहलाते, पुचकारते, मैंने अपनी, जांघें थोड़ी फैलायीं और स्कर्ट थोड़ी ऊपर की,
जैसे मैंने दिनेश को सिड्यूस करने के लिये किया था।
उसका असर भी वैसे ही हुआ, बल्की उससे भी ज्यादा, मेरी निगाहें जब नीचे आयीं तो… मैं विश्वास नहीं कर सकती…
उसका लाल उत्तेजित शिश्न काफी बाहर निकल अया था।
और अब वह मेरी जांघों को चाट रहा था।
मेरी शरारत बढ़ती ही जा रही थी। मैंने हिम्मत करके स्कर्ट काफी ऊपर कर ली और जांघें भी पूरी फैला दीं।
अब तो राकी… जैसे मेरी चूत को घूर रहा हो।
मेरे निपल भी कड़े हो रहे थे लेकीन मैं चाय, दोनों जांघें फैला के आराम से पी रही थी।
मेरी छोटी सी स्कर्ट , अब बस कमर में एक छल्ले की तरह फँसी थी.
मैंने अपने भारी भारी चूतड़ बस सीढ़ी के कोने से जस्ट टिका रखा था ,और जांघे अब एकदम खुल गयी थी , जिससे न सिर्फ मेरी कच्ची गीली चूत एकदम खुली थी ,बल्कि चूतड़ भी।
दरवाजा बंद था , घर में मैं अकेली और धीरे धीरे एक बार फिर घने काले बादल आसमान को ढकने लगे थे। हवा के ठन्डे ठन्डे झोंके तेज हो गए थे।
कुछ हवा और बादलों का असर और कुछ , …
मैंने चाय का प्याला बगल में रख दिया था , मैं अपना आपा खो रही थी ,
और मेरी आँखे धीरे धीरे एक बार फिर मूँद गयीं। मैं हाथों के सहारे पीछे की ओर मुड़ गयी और ,
अब मुझे सिर्फ एक चीज का अहसास था , रॉकी की जीभ का।
![[Image: nips-11.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/nips-11.md.jpg)
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(This post was last modified: 10-03-2021, 05:47 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
![[Image: diya-topless7.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/diya-topless7.jpg)
लेकिन तड़पाने में रॉकी भी कम नहीं था , बस उसकी जीभ , मेरी खुली गोरी गोरी चिकनी मखमली जाँघों के एकदम ऊपरी हिस्से में , लपड़ लपड़, सपड़ सपड ,चाट रहा था। लेकिन वहां से इंच दो इंच दूर , मुझे लग रहां था उसकी जीभ अब वहां पहुंचेगी , अब पहुंचेगी , … लेकिन नहीं। मैं तड़प रही थी , सिसक रही थी , जोर से आँखे भींचे , बस दोनों हाथों से फर्श को दबाये , जांघे पूरी तरह खोले…
और जब उसकी जीभ वहां पहुंची , तो बस , मैं बेहोश नहीं हुयी और सब होगया।
![[Image: guddi-pussy-rGYWN8obMl.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/guddi-pussy-rGYWN8obMl.jpg)
क्या चाट रहा था वो , मैंने रवि से भी चटवाया था। चंदा उसकी बहुत तारीफ़ करती थी , नंबरी चूत चटोरा , और वो क्या गाँव की सभी लडकियां , मैं भी , .... लेकिन आज … मैंने आपा खो दिया था। बस उस की ताल पे नीचे से बहुत हलके हलके चूतड़ उचका रही थी।
![[Image: Guddi-nips-tumblr_msgh1aGQU21sdwziuo1_250.md.gif]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/Guddi-nips-tumblr_msgh1aGQU21sdwziuo1_250.md.gif)
मस्ती से मेरी चूंचियां पत्थर की हो गयीं थी , निपल एकदम खड़े और अपने आप मेरा एक हाथ मेरे निपल्स पे, कभी उसे फ्लिक करता , कभी गोल गोल रोल करता।
![[Image: Guddi-nip-77163383f5bf87e5d022082a1977a5d8.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/Guddi-nip-77163383f5bf87e5d022082a1977a5d8.md.jpg)
जीभ भी तो उसकी खूब लम्बी थी , और खुरदुरी जैसे हजारों डॉट्स हों , और जब वो ऊपर से नीचे मेरी गुलाबी चिकनी चूत पे रगड़ती , क्लिट ,लेबिया और यहां तक की आलमोस्ट पिछवाड़े के छेद तक , …जान नहीं निकल रही थी बस , .... कभी मन करता था रुक जाय , और नहीं ,थोड़ी सांस लेने दे , तो कभी मन करता और चाटे , और चाटे ,रुके नहीं ,चाटता रहे ,चाटता रहे ,…
चूत मेरी लसलसी तो पहले ही हो गयी थी अब तो जैसे कीचड़ हो उसमें , धीरे धीरे पानी छोड़ना शुरू कर रही थी।
![[Image: pussy-wet.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/pussy-wet.md.jpg)
मैंने बहुत कोशीश करके , आँखे खोलीं और मेरी निगाह सीधे 'वहीँ ' पड़ी।
कल रात भी जब मैं चंपा भाभी के साथ गयी थी उसे खिलाने , और वो मेरी पिंडलियाँ चाटने लगा था , उसका एकदम टनटना गया था।
देख के मैं डर गयी , लाल लिपस्टिक की नोक सा जो बाहर निकला था वो बढ़ कर एकदम मूसल चंद हो गया था।
लेकिन आज तो , दिन में दिनेश का ८ इंच का घोंट के मेरी हिम्मत अचानक बढ़ गयी थी ,मुझे लगा रहा था भले मैं खूब चीखी चिल्लायी , दर्द भी बहुत हुआ , लेकिन आखिर जड़ तक उसका घोंट तो लिया ही और सारा रस भी पीया ,
लेकिन जब ' वहां ' मेरी निगाह पड़ी , दिनेश से २० नहीं , २५-२६ रहा होगा उसका।
रात में शायद अँधेरे में ठीक से नहीं देख पायी मैं या फिर शायद चम्पा भाभी साथ थीं तो मैं थोड़ा शंर्मा रही थी ,
या इस समय अब वो अपने असली रूप में आया है , जिसकी तारीफ़ चम्पा भाभी , मेरी भाभी और भाभी की माँ तक कर रही थीं।
मेरी चाट चाट के एकदम टनटना गया है।
लम्बा भी और मोटा भी ,…
और शायद मुझे वहां देखते उसने अपनी चाटने की रफ़्तार बढ़ा दी , और मैं झड़ने लगी ,
उह्ह्ह्ह्ह आह्ह नहीं रुक रुक जाओ , प्लीज आह्ह्हह्ह नहीईईईईईईई ,
लेकिन उस पे कोई असर नहीं हुआ और थोड़ी देर में मैं फिर गरमा गयी और अबकी तो बस पांच छः मिनट में ही दूसरी बार झड़ गयी।
लेकिन वो चाटता रहा ,चाटता रहा , जब मेरा झड़ना बंद हुआ तो हटा।
धीमे धीमे मेरे सांस लौटी।
और अब उसको देख के मुस्कराई। आखिर उसको इस मेहनत का इनाम तो मिलना चाहिए थे। और एक तरह से भाभी का भाई ही तो लगेगा
![[Image: pussy-fingering-15880638.gif]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/pussy-fingering-15880638.gif)
मेरी चूत ने जो कटोरी भर शहद उंडेला था , वो अच्छी तरह से मैंने अपनी हथेली में लपेटा , फिर उसको दिखा के दो ऊँगली से अपनी चूत का छेद मुश्किल से खोला और उसमें ऊँगली डाल के जोर जोर से गोल गोल घुमा के , अच्छीखटखट तरह रस निकाला , और सीधे उसके नथुने पे।
ये मेरी बारी थी या मेरा थैंक्स कहने का तरीका ,
जैसे उसके ऊपर दो बोतल शराब का नशा हो गया हो और वहीँ आँगन में नीम के नीचे एकदम लेट गया।
![[Image: college-Girl-J-actress_akanksha_hot_nave...irt-t2.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/college-Girl-J-actress_akanksha_hot_navel_in_mini_skirt-t2.jpg)
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15-03-2019, 03:26 PM
(This post was last modified: 15-03-2021, 08:46 AM by komaalrani. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
भाभी
![[Image: Sixteen-MythriyaatNamasteIndiaAudioRelease_9_.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/Sixteen-MythriyaatNamasteIndiaAudioRelease_9_.md.jpg)
मुझे भी पांच दस मिनट लगा नार्मल होने में , और वह वहीँ पेड़ के नीचे से मुझे देख रहा था।
तभी सांकल बजी और झट से घबड़ाकर मैंने अपनी स्कर्ट ठीक की और जाकर दरवाजा खोला।
चम्पा भाभी थीं अकेले।
“क्यों भाभी नहीं आयीं कहां रह गयीं। वो…”
“अपने भैया से चुदवा रही हैं…” अपने अंदाज में हँसकर चम्पा भाभी बोली।
![[Image: sixreen-DubeyBhabhi.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/sixreen-DubeyBhabhi.md.jpg)
पता चला की रास्ते में चमेली भाभी और उनके पति मिल गये थे तो भाभी वहीं चली गयीं।
" अरे इतने दिन तोहरे भैया से बिना नागा चोदवावत रहिन , ता कुछ दिन अपने भइयों क मजा लूट लें ,पुरानी बचपन की याद ताजा हो जायेगी। हमारी ननद छिनार सब , बचपन की चूतमरानो , चुदवासी, भाईचोद हैं। "
खिलखिलाती हुयी चम्पा भाभी बोलीं और , थोड़ा और सरक के मुझसे सट के ,एकदम चिपक के बैठ गयीं , उनका एक हाथ मेरे कंधे पे था , जो सरक के सीधे मेरे टिकोरे पे पहुँच गया।
घर में हमीं दोनों तो थे।
" उ तो ठीक है , लेकिन चमेली भाभी क्या करेंगी , उनका तो उपवास हो जाएगा। "
![[Image: guddi-bw-73e492741112d0319bf5e71b10476c20.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/guddi-bw-73e492741112d0319bf5e71b10476c20.md.jpg)
उसी अंदाज में खिलखिलाती मैं भी बोली और चम्पा भाभी से थोड़ा और चिपक गयी।
" नहीं नहीं , चमेली भाभी क पांच दिन वाली छुट्टी चल रही है , एह लिए तोहार भौजी क एवजी में ड्यूटी लगी है। "
मुस्करा के चम्पा भाभी बोलीं , फिर जो हाथ उनका मेरे टिकोरे पे था , उससे मेरे निपल को हलके से फ्लिक करते बोलीं ,
" आज तोहरी भौजी क नंबर लगा है न ,तो कल तुम्हारा नंबर लगवा देंगे , और चमेली भाभी क छुट्टी का तो आज पहिला दिन है अबहीं चार दिन बाकी है।
अरे लड़कन के साथ मर्दों का मजा लो तब असली मजा आएगा।
खूब रगड़ रगड़ के चोदीहैं। मर्द और लड़कन में इहै फरक है।
मर्द मजा देना और लेना दोनों जानते हैं और ओन्हे कौनो जल्दी बाजी ना होत , समझलु। फिर तोहरे जोबन का जलवा खाली गांव के लड़कन प नहीं , गाँव के के मरदन पे भी है। "
और इसी के साथ शाथ चम्पा भाभी की उंगलियां , एक बार मेरे टिकोरे से हट के सीधे मेरे रसीले होंठों पे पहुंच गयीं
![[Image: Lips-2244534089ea254bf1416fefaa4194aae1e2f61e.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/Lips-2244534089ea254bf1416fefaa4194aae1e2f61e.md.jpg)
और जैसे कोई तितली पल भर के लिए किसी फूल पे बैठ के उड़ जाय बस उसी तरह ,
और कुछ देर में वो उंगलिया उनका हाथ मेरे कंधे पे था ,
मेरे कंधे की गोलाइयाँ सहला रहा था , मेरे साँसे लम्बी हो रही थीं और , .... और , सरकते हुए उनका हाथ एक बार फिर मेरे टिकोरे पे ,
लेकिन अबकी टॉप के अंदर ( गांव आने के बाद तो मैंने ब्रा और पैंटी पहनना छोड़ दिया था ) सीधे निपल पे ,
![[Image: Guddi-nips-5297684e9a75ffbf0e960cedf4eb22b8.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/Guddi-nips-5297684e9a75ffbf0e960cedf4eb22b8.md.jpg)
मैं गिनगिना गयी।
" बहुत मजा आएगा मर्दन के साथ और एक बात कहूँ ,कामिनी भाभी क मर्द मेले में तुमको देखे थे तबसे रोज एक्के गुहार लगाते हैं ,
कम से कम एक बार , कामिनी भाभी हमसे भी बोल चुकी है "
निपल रोल करते हुए अचानक उन्होंने बात बदल दी और मुड के मेरे चेहरे की ओर देखते हुए , पूछ बैठीं ,
![[Image: Guddi-nips-11700239.gif]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/Guddi-nips-11700239.gif)
"तोहार पांच दिन वाली छुट्टी कब थी। "
" भाभी , जिस दिन यहाँ आई उस के एक दिन पहले खत्म हुयी थी ,इसलिए अभी चिंता की बात नहीं "
उनका मतलब समझ मुस्कराते मैं बोली।
'" सही है , तो पूरा प्लानिंग कर के आई थी तुम , फिर क्या, … "
फिर चम्पा भाभी भी चौखट पर बैठ गयीं थी और मैं भी।
चाय के गिलास को अपने होंठों से लगाकर सेक्सी अंदाज में भाभी ने पूछा- “ले लूं…”
![[Image: glass-tea-sssss-5e2597f6dd48e6eaeeaa06448129469a.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/glass-tea-sssss-5e2597f6dd48e6eaeeaa06448129469a.md.jpg)
मेरे चेहरे को मुश्कुराहट दौड़ गयी और मैंने कहा- “एकदम…”
तभी उनकी निगाह, नीचे बैठे राकी पर और उसके खड़े शिश्न पर पड़ गयी-
“अच्छा, तो इससे नैन मटक्का हो रहा था…”
चम्पा भाभी ने मुझे छेड़ा।
मैं लाज से गुलाल हो उठी , जैसे मेरी चोरी पकड़ी गयी हो।
उनका जो हाथ , टॉप के अंदर ,मेरे अभी नए नए आ रहे उभार पे था ,
उन्होंने इस तरह रगड़ना मसलना शुरू किया की क्या कोई मर्द मसलेगा।
![[Image: boobs-massage-G.gif]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/boobs-massage-G.gif)
और उनका दूसरा हाथ मेरी गोरी जांघ पर था। उन्होंने जैसे उसे सहलाना शुरू किया, मुझे लगा मैं पिघल जाऊँगी, मेरी जांघें अपने आप फैल गयीं।
उन्होंने सहलाते-सहलाते मेरी स्कर्ट को पूरी कमर तक उठा दिया और जैसे, राकी को दिखाकर मेरी रसीली चूत एक झपट्टे में पकड़ लिया।
पहले तो वह उसे सहलाती रहीं फिर उनकी दो उंगलियां मेरे भगोष्ठों को बाहर से प्यार से रगड़ने लगीं।
मेरी चूत अच्छी तरह गीली हो रही थी।
![[Image: fingering-a-16977090.gif]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/fingering-a-16977090.gif)
भाभी ने एक उंगली धीरे से मेरी चूत में घुसा दी और आगे पीछे करने लगी।
जैसे वो राकी से बोल रहीं हों, उसे दिखाकर, भाभी कह रह थीं-
“क्यों, देख ले ठीक से, पसंद आया माल, मुझे मालूम है… जैसे तू जीभ निकाल रहा है, ठीक है…
दिलवाऊँगीं तुझे अबकी कातिक में। बल्कि कातिक में क्यों , अरे ई तो बारहों महीने गरमाने वाला माल है , बस जल्द ही ,
बिना तुम्हारा घोंटे इसे जाने नहीं देना है अब सासू माँ का हुकुम है . और मन तो इस का भी बहुत कर रहा है.
हां एक बार ये लेगा न… तो बाकी सब कुतिया भूल जायेगा, देशी, बिलायती सभी… हां हां सिर्फ एक बार नहीं रोज, चाहे जितनी बार… अपना माल है…”
भाभी की उंगली अब खूब तेजी से मेरी बुर में जा रही थी।
![[Image: fingering-9.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/30/fingering-9.md.jpg)
और राकी भी… वह इतना नजदीक आ गया था कि उसकी सांस मुझे अपनी बुर पे महसूस हो रही थी और इससे मैं और उत्तेजित हो रही थी।
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15-03-2019, 03:28 PM
(This post was last modified: 14-03-2021, 12:56 PM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
चंपा भाभी ,ट्रेनिंग
मेरी निगाह, ये जानते हुये भी कि भाभी मुझे ध्यान से देख रही हैं, बड़ी बेशरमी से, राकी के अब खूब मोटे, लंबे, पूरी तरह बाहर निकले शिश्न पर गड़ी थी।
“पर भाभी… इतना बड़ा… मोटा… कैसे जायेगा…” मैंने सहमते हुये पूछा।
“अरे पगली, ये जो मुन्ना हुआ है तेरी भाभी के कहां से हुआ है, उसकी बुर से, या मुँह से… या कान से…”
भाभी ने हड़काते हुये पूछा।
“मैं क्या जानू, मेरा मतलब है, मैंने देखा थोड़े ही… ठीक है भाभी उनकी बुर से ही निकला है…”
मैंने सहमते हुए बोला।
“और कितना बड़ा है… कितना वजन था कितना लंबा रहा होगा तू तो थी ना वहां…”
भाभी ने दूसरा सवाल दागा।
“हां भाभी, 4 किलो से थोड़ा ज्यादा और एक डेढ फीट का तो होगा ही…”
मैंने स्वीकार किया।
“तो मेरी प्यारी गुड्डी रानी, जिस बुर से 4 किलो और डेढ फीट का बच्चा निकल सकता है तो उसमें एक फीट का लण्ड भी जा सकता है,
तू चूत रानी की महिमा जानती नहीं…” और फिर मेरे कान में बोलीं-
“अरे कुत्ता क्या, अगर तू हिम्मत करे तो गदहे का भी लण्ड अंदर ले सकती है और मैं मजाक नहीं कर रही,
बस ट्रेनिंग चाहिये और हिम्मत, ट्रेनिंग मैं करवा दूंगी, और हिम्मत तो तेरे अंदर है ही…”
अपनी बात जैसे सिद्ध करने के लिये, अब उन्होंने दो उंगलियां मेरी बुर में डाल दी थीं और फुल स्पीड में चुदाई कर रहीं थीं।
पर मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था।
भाभी से मैंने खुलकर पूछ लिया-
“पर भाभी… लड़की की बात और है… और वो कैसे… कर सकता है…”
“अरे, घबड़ा क्यों रही है, बड़ी आसानी से करवा दूंगी पर इसका मतलब है कि मन तेरा भी कर रहा है…
अरे इसमें क्या है, बस चारों पैरों पर, कुतिया की तरह खड़ी हो जाना, (मुझे याद आया, दिनेश ने मुझे इसी तरह चोदा था),
टांगें अच्छी तरह फैला लो, फिर ये, (राकी की ओर उन्होंने इशारा किया) पास आकर तेरी बुर चाटेगा,
और अगर एक बार इसने चाट लिया तो तुम बिना चुदे रह नहीं सकती, एकदम गीली हो जाओगी। जब अपनी मोटी खुरदुरी जीभ से चाटेगा ना… उतना मजा तो किसी भी मर्द से चुदाई में नहीं आता जित्ता चटवाने में आता है,
( मुझसे ज्यादा उसके चाटने का असर कौन बता सकता अभी थोड़े देर पहले ही तो , और, अभी तक मेरी चूत अंदर तक लसलसी थी। )
मैं मस्ती से अब उसे ही देख रही थी और चम्पा भाभी मुझे समझाने में लगी थीं ,
“और फिर जैसे कोई मर्द चोदता है, तुम्हारी पीठ पर चढ़कर ये अपना लण्ड डाल देगा। इसका पहला धक्का ही इतना तगड़ा होता है…
इसलिये आंगन में वह चुल्ला देख रही हो ना, गले की चेन को हम लोग उसी में बांध देते हैं जिससे कोई छुड़ा ना सके।
बस एक बार जब तुमने पहला धक्का सह लिया ना, और उसका लण्ड थोड़ा भी अंदर घुस गया ना, तो फिर क्या…
आगे सब राकी करेगा, तुम्हें कुछ नहीं करना। तुम लाख चूतड़ पटको, लण्ड बाहर नहीं निकलने वाला…
काफी देर चोदने के बाद उसका लण्ड फूलकर, गांठ बन जायेगा, तुमने देखा होगा कितनी बिचारी कुतियों को… जब वह फँस जाता है ना…
बस असली मजा वही है… कोई मर्द कितनी देर तक करेगा 15 मिनट, 20 मिनट।
पर राकी तो गांठ बनने के बाद कम से कम एक घंटे के पहले नहीं छोड़ता… तो तुम्हें कुछ नहीं करना… बस …”
भाभी की इस बात से अब मुझे लगा गया था कि ये सिर्फ मज़ाक नहीं है।
उनकी उंगली अब पूरी तेजी से सटासट-सटासट, मेरी बुर में आ जा रही थी और राकी के लण्ड की टिप पे मैं कुछ गीला देख रही थी।
भाभी ने फिर कैंची ऐसी अपनी उंगली फैला दी और मैं उचक गयी, मेरी चूत पूरी तरह खुल गयी थी।
उसे राकी को दिखाते हुये, वो बोलीं-
“देख कैसी मस्त गुलाबी चूत है, इस माल का पूरी ताकत से चोदना तेरी गुलाम हो जायेगी…”
और उचकने से भाभी ने अपनी हथेली मेरे चूतड़ के नीचे कर दी। थोड़ी देर के लिये उन्होंने उंगली निकालकर मेरा गीला पानी मेरे पीछे के छेद पे लगाना शुरू कर दिया।
“नहीं भाभी उधर नहीं…” मैं चिहुंक गयी।
“क्यों… इतने मस्त चूतड़ हैं तेरे, तू क्या सोचती है तेरी गाण्ड बची रहेगी…”
उन्होंने उंगलियां तो वापस मेरी चूत में डाल दीं पर अब उन्होंने अपना अंगूठा मेरी गाण्ड के छेद पर रगड़ना शुरू कर दिया। और फिर एक झटके में अपना अंगूठा, मेरी कोरी गाण्ड में डाल दिया। उनके इस दोहरे हमले को मैं नहीं झेल सकी और जोर से झड़ गयी पर उनका अंगूठा, गाण्ड में और उंगलियां बुर का मंथन करती रहीं।
जब मैं झड़ कर शांत हो गयी तो उन्होंने, अपनी उंगलियों में लगा मेरी चूत का सारा रस,
राकी के नथुनों पर खूब अच्छी तरह पोत दिया। उसे लगा कि, दो बोतल शराब का नशा हो आया हो।
मैंने स्कर्ट को ठीक करने की कोशिश की पर भाभी ने मुझे मना कर दिया।
और थोड़ी देर में उनकी उँगलियाँ फिर चालू हो गयीं.
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15-03-2019, 03:29 PM
(This post was last modified: 14-03-2021, 02:09 PM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
नया स्वाद
और थोड़ी देर में उनकी उँगलियाँ फिर चालू हो गयीं.
" अरे गुड्डी रानी ई उमर न ढंकने की है ,न छुपाने की। ऐसी मस्त मखमली जांघ है ,चिक्कन चिक्कन , तू बंद भी करना चाहोगी न टी ई त्त ई गाँव का लड़िकन ,मरद कौनो बंद न करने देंगे, इतने दिन बाद तो इतना मस्त माखन मलाई माल एह गाँव में आया है। "
अब यहां तोहार मर्जी न चली , खाली लौंडन क मर्जी चली समझलु। "
चम्पा भाभी को कौन समझाये की अब मेरी मर्जी भी वही थी ,जो उन लड़कों की थी चार दिनों में अजय ,सुनील ,रवी ,दिनेश सभी तो
और ऊपर से उन्होंने आज ये हाल भी खुलासा कर दिया की मेरे इस नए नए जुबना के गाँव के मरद भी दीवाने है , कामिनी भाभी के पति ,और भी ,.... "
तब तक चम्पा भाभी की उँगलियाँ कहीं और पहुँच गयी , मेरी सहेली को छेड़ती , पुचकारती , और उन्होंने एक और दरवाजा खोल दिया ,
" और तोहार भौजाई सब भी बौराई हैं एक रूप का मजा लेय खातिर , ... "
मेरे कानो की लर को चूमती , हलके से हँसतीं वो बोलीं।
लेकिन उनकी उंगली ने अब जो बदमाशी शुरू कर दी थी उसका कोई भी जवाब मेरे पास नहीं थी ,
बस देह गिनगिना रही थी ,आँखे बंद हो रहीं थी जाँधे पिघल रही थी।
उनकी इस बात से और मेरा मन
तब तक उनकी ऊँगली ने जो हरकत की बस , मेरी हालत खराब हो गयी।
उनकी तरजनी के टिप ने मेरे 'यूरेथ्रा ( मूत्र छिद्र ) ' को छेड़ना शुरू कर दिया था , और उसके पहले से ही मुझे जोर से लगी थी ,
( परेशानी ये थी की भाभी के घर में एक चार पांच साल पहले बना बाथरूम तो था , लेकिन वो 'पक्की खंद' या घर के दूसरे हिस्से में था ,और जिधर मेरे हिस्सा था और औरतों वाला इलाका ,उधर बस आँगन था , जो आधा कच्चा था , और चारों ओर खूब ऊँची दीवारे थीं , बरामदे थे , दो तीन कुठारिया थी , और एक छोटा सा किचेन। जब मैं लौटी नदी से तो चंपा भाभी और मेरी भाभी निकल गयी थीं ,इसलिए पक्की वाले हिस्से में उन्होंने ताला बंद कर दिया था और कच्ची वाले हिस्से में बसंती थी मेरा इन्तजार करती। )
मैंने अब चम्पा भाभी को कुछ प्यार से कुछ झिडकते हुए मुंह बना के बोला ,
" भाभी हाथ हटाइये न प्लीज , वरना मुझे बहुत जोर से आ रही है , कहीं आपके हाथ में हो जायेगी तो ,... "
भाभी तो एकदम निहाल , पहले तो उन्होंने मेरे गाल को हलके से चूमा , फिर डिम्पल पे जोर से काट के बोलीं ,
" अरे मेरी बिन्नो हो जाने दे न , अब तो मैं तभी रुकूँगी जब हो जायेगी। "
मेरी हालत खराब हो रही थी अचानक मेरी चमकी ,
" भाभी , आप चाभी लायी हैं क्या उधर की। "पक्की खंद ' की ओर इशारा करके मैंने पूछा।
" नहीं वो तो तोहरे भौजी के पास है उ लौटहैं तो मिली " और इसके साथ उन्होंने उस जगह जोर जोर से रगड़ना शुरू कर दिया ,...
मैं आलमोस्ट अब गिड़गिड़ा रही ,
" भाभी ,छोड़ दीजिये , बहुत जोर से , ... "
वास्तव में अब मुझे कंट्रोल नहीं हो रहा था।
बजाय ऊँगली के उन्होंने वहां अपने नाख़ून से खुरदना शुरू कर दिया और बोलीं ,
" अरे यार , आ तो मुझे भी बहुत जोर से रही है , लेकिन इसमें परेशानी की क्या बात है चल आँगन में नाली में, ... "
उनके लिए तो नहीं लेकिन मेरे लिए तो नयी बात थी और परेशानी की भी , हाँ यहाँ औरतों को कितनी बार मैंने देखा था ,
यहीं आँगन में ,बस साडी उठाया और , ... आधे से ज्यादा गाँव में तो अभी भी सभी खेत में औरते ,लड़कियां सब , और अक्सर साथ साथ ,
मेरे पास रास्ता भी क्या था , नाली के मुहाने पे , और अभी ऊपर से कुछ देर पहले बंद हुयी बरसात का पानी परनाले की तरह नाली में तेजी से गिर रहा था।
थोड़ी देर तो मैं हिचकिचाई , लेकिन चम्पा भाभी तो एकदम से ,...
और वो मुझे देख के मुस्कराईं , फिर मैं भी ,....
देर तक ,...
बहुत जोर की सांस आई , और फिर हम दोनों एक साथ वहीँ बैठ गए जहाँ बैठे थे
हम दोनों के बीच एक दीवार और ढह गयी।
थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे बिन बोले , चुपचाप।
अचानक चम्पा भाभी मुस्करा के बोलीं ,
" गुड्डी यार तू बोलेगी की भाभी ने मेरा तो देख भी लिया , छू भी लिया ,मजे भी ले लिए और अपना नहीं दिखाया , तो चल मेरी बी देख ले पट्टा पट्टी हो जाय।
और जब तक मैं समझू उन्होंने अपने बड़े बड़े चूतड़ उचकाए और , साडी सीधे कमर के ऊपर।
मोती मोटी मांसल जांघे भी खूब फैला लीं और मुझे अच्छी तरह अपनी ओर खींच लिया और मेरा सर पकड़ के झुका के बोलीं ,
" अरे छिनरों जरा पास से देख न "
" झान्टो से भरी , लेकिन चूत के दोनों दरवाजे , मांसल पपोटे ,पुतीयां खूब गद्देदार , भरी भरी थी , छेद एक दम बंद था हाँ बस थोड़ा सा बहुत छोटा सा हलका सा सुराख दिख रहा था।
गोरी गुलाबी , गुलाब के पंखुड़ी ऐसी मखमली लेकिन बस जहाँ 'आने जाने ' का रास्ता था, वहां रगड़ खा खा कर,घिस घिस कर थोड़ी 'सांवली सलोनी ' हो गयी थी।
लेकिन थी बहुत मस्त।
" अरी ननद रानी , तनी नजदीक से देखा न , अरे छुवा सहलावा , तब तो ,... "
चम्पा भाभी बोलीं। और साथ साथ अपनी केले के तने ऐसी चिकनी जांघो को और फैला दिया।
अब उनकी बुरिया एकदम खुलकर दिख रही थी ,थोड़ी फैल भी गयी थी।
मैंने सर और झुकाया , आलमोस्ट दोनों जाँघों के बीच लेकिन तभी चम्पा भाभी ने अपने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़ के सीधे अपनी जांघो के बीच ,
लोग कहते हैं की चंपा भाभी के हाथों में दस मर्दों की ताकत है और आज मैंने महसूस भी कर लिया , मैं सोच भी नहीं सकती थी सर छुड़ाने को।
" अरे चूतमरानो , कुत्ता चोदी , तेरे सारे खानदान की गांड मारूं , तानी चाट के तो देख क्या स्वाद है ,"
अपनी स्टाइल में चंपा भाभी बोलीं ,
लेकिन चाटने के पहले महक ,....
एक तेज भभका , बहुत तेज तीखा , मुश्किल से बर्दास्त करने वाला ,
अगर मेरा सर चंपा भाभी के कब्जे में नहीं होता तो मैं कब का सर हटा चुकी होती। लेकिन न नाकबंद कर सकती थी न सर हटा सकती थी , और चम्पा भाभी दबाव तेजी से बढ़ता जा रहा था ,
उनकी काली काली घनी झांटे , थोड़ी सी गीली , और ,.... वो भभका और तेज होगया ,
लेकिन तब तक कुछ भी दिखना बंद हो गया क्योंकि मेरा सर अब सीधे उनकी बुर पे .
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15-03-2019, 03:30 PM
(This post was last modified: 14-03-2021, 02:28 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
लेकिन तब तक कुछ भी दिखना बंद हो गया क्योंकि मेरा सर अब सीधे उनकी बुर पे ,
और उनके हाथों से भी तगड़ी पकड़ उनकी रसीली मोटी मोटी जाँघों की थी , मेरा सर अब उनकी जाँघों के बीच दबा था।
" चाट चूत मरानो , भाईचोद , छिनार चाट , हमार बुरिया , चाट ,... "
और अब मेरा सर सेफली उनकी जाँघों के बीच में था इसलिए एक हाथ से उन्होंने जोर से मेरे नथुने दबा दिए ,
और पल भर में सांस लेने के लिए बेचैन मेरे होंठ जैसे खुले चूतड़ उचका कर उन्होंने ,अपनी बुर के मोटे मोटे पपोटे सीधे मेरे किशोर होंठो के बीच ,
अब उस भभके के साथ , एक अजब सा खारा कसैला स्वाद भी मेरे होंठों पे लग रहा था , चंपा भाभी का एक हाथ मेरे नथुने दबाये था
और दूसरा जोर जोर से सर अपनी बुर पे रगड़ रहा था।
वो भभका और स्वाद ,
पहले तो मैंने अपने होंठ कस के भींच लिए थे , लेकिन जब चंपा भाभी की उँगलियों ने नथुनों को दबोच लिया , फिर कोई रास्ता नहीं था ,
मुझे अपनी सहेली चंदा की बात याद आई , एक दिन उसे 'जोर से लगी थी ' और जैसे ही खेत से 'कर के ' उठी ,
रवी ने उसे वहीँ पटक दिया , और जोर जबरदस्ती , चंदा की चाटने लगा , चंदा लाख कह रही थी ,'छोड़ छोड़ , लगी है वहां '
लेकिन रवी चाटता चूसता रहा , और चंदा को झाड़ के ही अलग हुआ , बोला आज अलग स्वाद मिला।
मैं कौन रवी से कम थी और कौन पहली बार चूत चाट रही थी। चन्दा की तो मैंने कितनी बार और आज सुबह ही जब नदी नहाने गयी थी , तो पूरबी की कितनी जम के ,
चम्पा भाभी के दोनों मांसल पुत्तियाँ मेर मुंह में थी और मैंने जोर जोर से उनकी बुर चूसनी शुरू कर दी।
बहुत ही अलग ढंग का खारा ,कसैला सा स्वाद था , ऐसा वैसा ,
लेकिन कुछ देर बाद जब भाभी की बुर का रस उस स्वाद से मिलकर जाने लगा तो फिर तो ,
कुछ ही देर में मैं जोर जोर से , चुसुक चुसुक कर ,झान्टो भरी बुर चूसने लगी। मुझे भी मजा आने लगा ,
चम्पा भाभी ने मेरे बंद नथुनो को छोड़ दिया था , और अब वह तेज भभका के बार फिर मेरे नथुनों में घुस रहा था , लेकिन अब तो वो एक अलग ढंग का तेज नशा मेरे तन मन में जगा रहा था , मुझे पागल कर रहा था , मन मथ रहा था , बस मैं पागल नहीं हुयी थी मस्ती से ,
लेकिन अब जिस तरह से मैं बूर चूस रही थी , चाट रही थी , चंपा भाभी जरूर पागल हो रही थीं।
चूतड़ पटक रही थीं , एक से एक मस्त गालियां और कब उनके हाथों ने मेरे सर को छोड़ दिया था ,न उन्हें पता चला न मुझे।
उनके हाथ का पता मुझे तब चला , जब वो मेरे भारी भारी किशोर चूतड़ों को सहला रहा था , मसल रहा था , और साथ साथ चंपा भाभी बोल रही थी ,
' तुझे निहुरा के लेने में मर्दों को कितना मजा अायेगा। "
जवाब में मैंने उनकी बुर की पुत्तियों को फैलाके , अपनी मांसल जीभ अंदर ठेल दी। रस छलक रहा था और मेरी जीभ भाभी की बुर का रसपान कर रही थी। और दोनों होंठ उनकी मोटी मोटी पुत्तियों को चूसने में लगे थे।
और अब गोल गोल चूतड़ों के कटाव से ,एक ऊँगली गांड की दरार के बीच सरक गयी और कसी सील बंद गांड के छेद को सहलाते उन्होंने ऊँगली की टिप अंदर ठेलने की कोशिश की पर वह तो एकदम बंद ,
" क्या मस्त गांड है , एकदम कोरी लड़कन से भले बचाय लो , लेकिन गाँव क मर्द बिना गांड मारे न छोड़िहें। "
और उधर जो चीज मेरे होंठ ढूंढ रहे थे ,मिल गयी , उनकी झांटों में छुपी क्लिट और हलके से होंठो के बीच दबा के जो मैंने जोर से चूसा तो बस मारे मस्ती के ,
चम्पा भाभी के मुंह से गालियों की झड़ी बरसानी शुरू हो गयी और साथ में मस्ती भरी सिसकियाँ भी ,
" अरी छिनार गदहा चोदी क्या मस्त चूसती है , हरामी। हाँ और जोर से चूस और , लगा अपनी गांड की पूरी ताकत , पूरे गाँव के मरदन से तुम्हारी गांड मरवाउंगी। अरे ऐसा ट्रेंड कर के भेजूंगी सब रंडी मात , तोहरे शहर की। हाँ हाँ , चूस साल्ली , मजा आ रहा है नए स्वाद में। "
मैं भी चूसने में मगन थी।
बीच बीच में चम्पा भाभी बुदबुदा रही थीं ,
बसंती , खारा शर्बत और न जाने क्या क्या ,
फिर अचानक गांड सहलाती उनकी ऊँगली मेरी चूत में घुस गयी और अब सिसकने की बारी मेरी थी
और कुछ ही देर मेरे होंठ और उनकी ऊँगली एक सुर ताल में
ऊँगली गचागच अंदर
और मेरी जीभ होंठ भी कभी चूसते कभी चाटते ,
१०- १२ मिनट तक ऐसे ही चला और हम दोनों साथ साथ झड़े।
कुछ देर तक हम ऐसे ही पड़े रहे फिर उठ के बैठे , मैंने अपनी स्कर्ट ठीक की और भाभी ने साडी।
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15-03-2019, 03:30 PM
(This post was last modified: 17-03-2021, 12:10 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
रवीन्द्र
कुछ देर तक हम ऐसे ही पड़े रहे फिर उठ के बैठे , मैंने अपनी स्कर्ट ठीक की और भाभी ने साडी।
थोड़ी देर तक हम चुपचाप बैठे रहे फिर चम्पा भाभी ने मेरे टाप को थोड़ा ऊपर उठाकर मेरे एक उभार को खोल दिया और उसे सहलाने लगीं। उनसे बोले बिना नहीं रहा गया- “अरे गुड्डी तेरी चूंचियां तो बड़ी रसीली हैं…”
मैंने मुश्कुरा कर कहा- “भाभी आपको पसंद हैं…”
उन्होंने अब टाप पूरा उठाकर दोनों जोबन आजाद कर दिये थे-
“एकदम…”
और इसे बताने के लिये उन्होंने दोनों को खूब प्यार से पकड़ लिया। उसे सहलाते हुये बोलीं-
“यार तू मुझे बहुत अच्छी लगती है। तुझे एक ट्रिक बताती हूँ कोई भी लड़का तेरा गुलाम हो जायेगा, चाहे जितना भी शर्मीला क्यों ना हो…
रवीन्द्र क्या बहुत शर्मीला और सीधा है…”
“हां भाभी, एकदम शर्मीला लड़कियों से भी ज्यादा, जरा भी लिफ्ट नहीं देता…”
मैंने अपनी परेशानी साफ-साफ बतायी।
“तो सुन… उसके लिये तो एकदम सही है… तू कोई भी खाने वाली चीज ले-ले, आम की फांक, गाजर, जो भी उसे पसंद हो और उसे अपनी चूत में रख ले,
और हां कम से कम 6-7 इंच लंबी तो होनी ही चाहिये, उसे कम से कम एक घंटे तक चूत में रखे रह, और उसके बाद चूत से निकालने के तीन चार घंटे के अंदर,
उसे रवीन्द्र को खिला दे, तेरे आगे पीछे जैसे राकी फिरता है ना, दुम हिलाता ना फिरे तो मेरा नाम बदल देना…”
मेरे कड़े किशोर चूचुक मसलते भाभी ने मुश्कुराकर हल बताया।
“पर भाभी उसकी तो दुम है ही नहीं…” आँख नचाकर, हँसते हुए मैंने पूछा।
“अरे आगे वाली दुम तो है ना…” भाभी भी मेरी हंसी में शामिल हो गयीं थी।
बाहर बसंती और भाभी की आवाज सुनाई पड़ रही थी।
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मेरी कहानी फागुन के दिन चार , पी डी ऍफ़ में ,...लिंक नीचे है ,
कृपया गुमनाम जी को इस बड़े उपन्यास का लिंक पोस्ट करने के लिए धन्यवाद जरूर दें , क्योंकि बहुत लोगों ने इस की मांग की थी
https://xossipy.com/thread-4434-page-4.html
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Mohe Range de is my new story
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19-03-2019, 10:24 AM
(This post was last modified: 17-03-2021, 12:49 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
२२ वीं फुहार
गुड्डी : रात अकेली है
अजय और सुनील, चन्दा के यहां जो मेहमान आये थे, उनको छोड़ने शहर गये थे, और भाभी की माँ भी उनके साथ शहर गयी थीं ,(फिर शहर था भी कितना दूर , मुश्किल से घंटे डेढ़ का रास्ता) ,इसलिये रात में… वैसे भी आज मैं बुरी तरह थकी थी। और फिर सुबह ही दोनों को लौट आना था , सात आठ बजे तक और भाभी की माँ भी साथ में लौट आतीं।
इसलिए आज सोने का इंतजाम चेंज हो गया। मैं जहाँ भाभी की माँ सोती थीं ,चम्पा भाभी के बगल वाले कमरे में , वहां शिफ्ट कर दी गयी।
आज नींद भी जबरदस्त आ रही थी , कितने दिन हो गए थे रात में ठीक से सोये हुए। और फिर जगने का कोई फायदा भी नहीं था , जगाने वाले तो खुद शहर गए थे।
जब मैं सोने गयी तो भाभी ने मुन्ने को मेरे पास लिटा दिया और बोलीं-
“आज मुन्ना, अपनी बुआ के पास सोयेगा…”
“और मुन्ने की अम्मा, क्या मुन्ने के मामा के पास सोयेंगी…”
हँसकर मैंने पूछा।
मुश्कुराकर भाभी बोलीं- “नहीं मुन्ने की मामी के पास…”
चम्पा भाभी के पति कुछ दिन के लिये शहर गये थे, इसलिये वो अकेली थीं।
चम्पा भाभी का कमरा मेरे कमरे के बगल में ही था। थोड़ी ही देर में, कपड़ों की सरसराहट के बीच भाभी की फुसफुसाहट सुनायी दी-
“थोड़ी देर रुक जाओ भाभी, गुड्डी जाग रही होगी…”
“अरे तो क्या हुआ वह भी यह खेल अच्छी तरह से सीख जायेगी…”
चम्पा भाभी बेसबर हो रहीं थी।
“ठीक कहती हो भाभी आप ऐसा गुरू कहां मिलेगा, इस खेल का… अच्छी तरह सिखा दीजियेगा, मेरी ननद को…”
मुझे कसकर नींद आ रही थी पर नींद के बीच-बीच में, चूड़ियों और पायल की आवाज, सिसकियां, चीख,
मुझे सब कुछ साफ-साफ बता दे रही थी कि दोनों भाभी के बीच रात भर क्या खेल हो रहा है।
और आज दिन भर और कल रात में जो चक्की चली थी ,वो सब सीन आँख के सामने गुजर रहे थे।
आज मेरी पांचवी रात थी भाभी के गाँव में और पहली बार मैं अकेली थी,
कल इस समय तो अजय अब तक , मैं सोच भी नहीं सकती थी की ,.... एक रात में चार बार।
इस समय कल अजय मेरे ऊपर चढ़ा हुआ था और हचक के धक्के मार रहा था
और मैं भी खुल के उस के साथ चूतड़ उठा उठा के मजे ले रही थी।
यहां आने के पहले कोई मजाक में भी कहता तो मैं बुरा मुंह बना लेती , मैं सपने में भी सोच नहीं सकती थी की ,
पांच दिन में मैं , अजय ,सुनील,रवी ,दिनेश सब से , और कल तो रात भर अजय के साथ।
फिर मुझे कुछ याद आया और मैं मुस्करा उठी , कल जो मैंने अजय को चैलेन्ज दिया था जाने के पहले
उसका नंबर डका के जाउंगी।
वो दुष्ट कह रहा था की उसने १८ लड़कियों के साथ ,चंदा , पूरबी , और कितनी काम वालियों , भाभियों के साथ ,
तो मैंने बोल दिया था चल यार मैं भी कम से कम २० के साथ , और उसने बजाय बुरा मानने के और चढ़ाया मुझे , ...
लेकिन कुछ और याद गया मुझे और मेरा दिल धक् से रह गया।
अब चार ही दिन तो बचे थे और।
दसवे दिन हम लोगों को लौट जाना था ,मेरा कॉलेज खुल रहा था।
पहले तो मैं सिर्फ दो तीन दिन के लिए ही आने को मान रही थी लेकिन भाभी ने बहुत कहा ,बहुत दिनों बाद वो अपने मायके आ रही थीं और मुन्ने के होने के बाद पहली बार इसलिए , बहुत ना नुकुर कर के मैं मानी थी ,
लेकिन अब वो दस दिन भी कम लग रहे थे।
इतना मन लग रहा था , चंदा और उसकी सहेलियां , गाँव का खुलापन न कोई टोका टोकी ,न कोई मना करने वाला ,न पूछने वाला।
और चार दिन बाद जब घर लौट आउंगी तो वहां तो बस , सुबह कॉलेज जाओ ,शाम को कभी कोचिंग कभी कुछ ,
और घर आओ तो फिर पढ़ाई और किचेन का काम।
न कोई छेड़ने वाला , न मस्ती की बाते करने वाला।
लड़कों का तो सवाल ही नहीं था , गली के बाहर कुछ जरूर रहते थे , लेकिन सीटी बजाने ,
कमेंट पास करने से ज्यादा कुछ नहीं , और डर भी रहता था , कुछ भी बोल दो तो तुरंत घर बात पहुँच जाती थी।
सहेलियों के साथ पिक्चर भी जाओ तो बता के , किस हाल में ,कौन पिक्चर ,टाइम पे लौट आना।
मन कर रहा था कुछ जादू हो जाय और वो चार दिन कम से कम एक हफ्ते में तो बदल जायँ ,
तब तक बगल के कमरे से एक चीख गूंजी , भाभी की थी।
और मैं कान पार के सुनने लगी ,
चीख भाभी की थी , और फिर उनकी आवाज
" नहीं भाभी नहीं तीन उंगली नहीं , लगता है "
" अरे बिन्नो , जउन बुरिया से एतना बड़ा मुन्ना निकाल दिया ,और हम तो पूरी मुट्ठी पेलने वाले थे ,
लेकिन कामिनी भाभी ने बोला था की हम दोनों मिल के तुम्हे मुट्ठी का मजा देंगे इसी लिए आज तीन ऊँगली पे बख्स दे रही हूँ। "
चंपा भाभी की आवाज रात के सन्नाटे में साफ़ साफ़ आ रही थी।
फिर मेरी भाभी ने कुछ हलके से मेरा नाम लिया और चम्पा भाभी की जोर से खिलखिलाने की आवाज आई ,
"तो तुम क्या सोच रही छोड़ दूंगी उसको , अरे सीधे से नहीं मानेगी तो हाथ पैर बाँध के ,
बसंती तो कब से पीछे पड़ी थी मैंने ही समझाया। "
और अब मेरी भाभी की खुल के हंसने की आवाज आ रही थी , बोलीं , एक दम सही भाभी , लेकिन अब बसंती को मत रोकिएगा , ...
मैं ध्यान से सुनने की कोशिश कर रही थी लेकिन अब उन दोनों की आवाजें धीमी हो गयी थी।
बहुत ध्यान से सुनने पर भी , मुझे दो तीन बार अपना नाम सुनाई पड़ा और ,...
खारा शरबत ,...
मुझे कुछ ख़ास समझ में नहीं आ रहा था , नींद भी बहुत जोर से आ रही थी और कुछ ही देर में नींद ने आ घेरा।
सुबह बसंती ने ही आके जगाया ,और वो भी अपने तरीके से ,
सीधे स्कर्ट में हाथ डाल के मेरी चुनमुनिया को दबोच के बोली ,
" अरे रात भर केकरे साथ कुश्ती लड़ी हो जो इतनी देर तक सो रही हो मेरी बिन्नो। "
मैंने जब निगाह खोली तो सच में धूप चढ़ आई थी।
मुश्किल से बसंती से छुड़ाते मैं बोली , बस अभी तैयार हो के आ रही हूँ।
लेकिन बंसती आज पीछे पड़ गयी थी ,
" अरे चलो आज हम ही तैयार करा देते हैं तुमको। :"
मुझे मालूम था की तैयार करने के नाम पे वो क्या क्या करती। चंपा भाभी से भी भी पांच हाथ आगे थी वो ,
" नहीं बस पांच मिनट। " और मुश्किल से वो गयी।
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22-03-2019, 10:25 PM
(This post was last modified: 18-03-2021, 10:32 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
बसंती
थोड़ी देर बार जब मैं नाश्ते के लिये रसोई में पहुँची तो वहां बसंती, चम्पा भाभी और मेरी भाभी सभी थीं।
बसंती ने मुझे खूब मलाई पड़ा हुआ, दूध का बड़ा गिलास दिया। दूध, घी, मक्खन खा-खाकर मेरा वजन खास कर कुछ “खास जगहों” पर ज्यादा बढ़ गया था
और मेरे सारे कपड़े तंग हो गये थे।
मैंने नखड़ा दिखाया- “नहीं भाभी, दूध पी-पीकर मैं एकदम पहलवान बन जाऊँगी…”
“तो ठीक तो है, वहां चलकर मेरे देवर से कुश्ती लड़ना…”
भाभी ने मुझे चिढ़ाया और मुझे पूरा ग्लास डकारना पड़ा।
तब तक बसंती खूब ढेर सारा मक्खन लगी हुई, रोटियां ले गयी और छेड़ते हुये बोली-
“अरे मक्खन खा लो खूब चिकनी भी हो जाओगी और नमकीन भी…”
मेरे चिकने गाल सहलाते हुये भाभी ने फिर छेड़ा-
“अरे मेरा देवर खूब स्वाद ले-लेकर तुम्हारे इन चिकने गालों को चाटेगा…”
चम्पा भाभी क्यों चुप रहती-
“अरे सिर्फ गालों को ही क्यों, इसकी तो हर जगह मक्खन मलाई है, सब जगह रस ले-लेकर चाटेगा। और नमकीन तो ये इतनी हो जायेगी की पूरे शहर में इसी का जलवा होगा, लौंडिया नंबर वन…”
तब तक दूध उबलने लगा था और भाभी उधर चली गयीं।
बसंती मुझे घूरते हुये बोली-
“अरे ननद रानी तुम्हें अगर सच में नमकीन बनना है ना तो सबसे सही है की तुम…
खारा नमकीन शरबत पी लो, इतना नमक हो जायेगा ना कि फिर…”
मैंने देखा कि चम्पा भाभी उसे आँखों सें चुप रहने का इशारा कर रही हैं।
पर मैं बोल पड़ी- “बसंती भाभी, कहां मिलेगा वह शरबत…”
बसंती ने मेरे मस्त गालों को सहलाते हुये कहा-
“अरे मैं पिलाऊँगी अपनी प्यारी ननद को, दोनों टाइम सुबह शाम। सबसे नमकीन माल हो जाओगी…”
मैंने देखा कि चम्पा भाभी मंद-मंद मुश्कुरा रही थीं-
“पियोगी ना… और अगर तुमने एक बार हां कह दिया और फिर मना किया ना तो हाथ पैर बांध कर जबरन पिलाऊँगी…”
बिना समझे मैंने हामी भरते हुए धीरे से सर हिला दिया।
मैं भी अब मस्ती में आगयी थी , बड़ी अदा से , अपनी बड़ी बड़ी आँखे मटकाते मैं भाभियों को छेड़ते बोली ,
" ठीक है अगर मै मुकर जाऊं तो , "
बसंती ने चंपा भाभी से मुस्कराकर पूछा ," क्यों बता दूँ इसको क्या करुँगी मैं। "
एकदम चंपा भाभी ने उसी तरह जवाब दिया।
एक हाथ से मेरे मुलायम मुलायम गालों पर ठीक मेरे गहरे डिम्पल को दबा के दूसरे हाथ को नाक पे रखा और अपना इरादा जाहिर किया ,
" एक हाथ से तेरी नाक दबाउंगी और दूसरे से ई कचौड़ी अस गाल , फच से मुंह खोल दोगी न , फिर तो सीधे कुप्पी से , घलघल घलघल, आपन सुनहरा शरबत , "
" थोड़ा तो बहुत स्वाद तो कल चखी लिया होगा कल शाम को तूने तो अब काहें बिदक रही है "
चंपा भाभी मुझसे बोलीं।
और तब मुझे याद आया कल शाम , जब मैंने और चम्पा भाभी ने साथ साथ आँगन में ,नाली पर ,...
और उसके ठीक बाद चम्पा भाभी ने जबरन मेरे होंठ अपनी जाँघों के बच सीधे वहीँ, एक तेज भभक मेरी नाक में लेकिन , ...और मुझे चटवा के मानी , थोड़ा खारा कसैला , ,...
कहीं बसंती। ..
और बसंती ने अपनी बात पूरी की,
" अरे एकदम भिन्सारे निहारे मुंह ,आपन झाँटन क छन्ने से छान के , सुनहरा ,
और एक बूँद भी बर्बाद किया न तुमने के बाहर बताउंगी तुमको ."
" अरे काहें बर्बाद करेगी ,एक दो बार पिला दो फिर तो खुदै , अरे दो चार दिन पी लेगी
तो जोबन एकदम गददर, लौंडों की मुट्ठी में नहीं आपायेगा , और उ मस्ती छायेगी न की
पूरे शहर के लौंडे , बस तोहरे दीवाने , बसंती अरे हमारी ननद हमारे देवरों को नहीं मना करती तो अपनी प्यारी प्यारी भौजी को काहें मना करेगी। "
चम्पा भाभी ने और घी डाला आग में.
" अरे ई मना भी करेगी तो हम कौन माने वाले हैं , सीधे अपन जांघंन के बीच दबाय के अपनी कुप्पी से ऐनकर मुंह सटाय के , देखत जा , "
बंसती हंस के बोली।
और फिर जोड़ा , " इसके जोबन तो अबहियें अस गदराये हैं की कुल गाँव क लौंडन बउरा गए हैं। "
कहने की जरूरत नहीं है की यह कहते हुए बसंती के हाथ सीधे मेरे उभारों पे थे।
तब तक मेरी भाभी आ आयीं और पूछने लगीं- “ये आप दोनों लोग मिलकर मेरी ननद के साथ क्या कर रही हैं…”
“हम लोग इसे अपने शहर की सबसे नमकीन लौंडिया बनाने की बात कर रहे थे…” चम्पा भाभी हँसकर बोलीं।
“एकदम भाभी, मेरी ओर से पूरी छूट है, और अगर ये कुछ ना नुकुर करे ना तो आप दोनों जबर्दस्ती भी कर सकती हैं…”
“तो बसंती ठीक है, चालू हो जाओ, और जब ये लौट कर जायेगी ना तो फिर इसके शहर के जितने लड़के हैं सब मुट्ठ मारें
तो गुड्डी का नाम लेकर और रात में झडें तो सपने में इसी छिनार को देखकर और तेरे देवर को तो ये बहनचोद बना ही देगी…”
चम्पा भाभी अब पूरे मूड में थीं।
भाभी ने हामी भरी। बसंती भी आज मेरे साथ खुलकर रस ले रही थी, वह बोली-
“अरे तुम्हारा देवर रवींद्र सिर्फ बहनचोद थोड़ी ही है…”
“फिर… और… क्या-क्या है…” मजा लेते हुए भाभी ने बसंती से पूछा।
“अरे गंडुआ तो शकल से ही और बचपन से ही है, जब शादी में आया था तभी लगा रहा था
और अब अपनी इस ननद रानी के चक्कर में… भंड़ुआ भी हो जायेगा… जब ये रंडी बनकर कालीनगंज में पेठे पे बैठेगी तो… मोल भाव तो वही करेगा…”
और सब लोग खुलकर हँसने लगी।
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23-03-2019, 01:36 PM
(This post was last modified: 18-03-2021, 11:55 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
बसंती : मेंहदी
आज कहीं जाना नहीं था इसलिये मैं सलवार सूट पहनकर बैठी थी।
बसंती ने खूब रच-रच कर मुझे मेंहदी लगायी थी और महावर भी, आज सुबह से वह ज्यादा मेहरबान थी
और चम्पा भाभी के साथ मिलकर खूब गंदे मजाक कर रही थी।
भाभी मुन्ने को तैयार कर रही थीं ,इसलिए सिर्फ मैं ,बसंती और चंपा भाभी थे। भाभी की माँ अभी शहर से लौटी नहीं थी।
बसंती आज मजाक करने में सिर्फ जुबान से नहीं बल्कि ,हाथों से भी , ... खुल के वो फिजिकल हो रही थी।
चंपा भाभी भी उसे खूब चढ़ा रही थीं। और आज हाथ में उसने जो मेहंदी लगायी , वो रोज की तरह नहीं , बल्कि उसमें ढेर सारी चुदाई के पोज बने थे, किसी में लड़की की खुली जाँघों के बीच में लड़का , तो किसी में कुतिया की पोज में तो किसी में लड़की खुद लंड के ऊपर चढ़ के , ...
और साथ में चंपा भाभी पूछ रही थीं , ' हे इसमें से कौन सा ट्राई किया है , "
बसंती की उंगलियां तो मेरी हथेली पे थीं लेकिन कभी उसकी कुहनी ,कभी उसका हाथ जाने अनजाने मेरे कच्चे टिकोरों को दबा दे रहां था।
चंपा भाभी के सवाल से मैं तो गुलाल हो गयी लेकिन जवाब बसंती ने दिया ,
" अरे कौन नहीं , सब ट्राई किया होगा हमारी बिन्नो ने , लेकिन ई बोलो ई वाले स्टाइल में कैसा लगा , "
( वो उस समय अब बाएं हाथ पे कुतिया वाला पोज बना रही थी ) और खुद ही जवाब दिया , खूब रगड़ रगड़ के दरेर के जाता होगा उसमें न ,जान निकल जाती है लेकिन मजा भी खूब आता है।
बात बसंती की सोलहो आने सही थी। दिनेश ,अजय ,सुनील तीनो ने ही तो कुतिया बना के कैसे रगड़ रगड़ के , दर्द के मारे जान निकल गयी थी ,लेकिन मजा भी उतना ही आया था।
" पहले लड़कों से चुदवाओ फिर एक बार प्रैक्टिस हो जायेगी तो रॉकी से वैसे ही निहुर के डलवाना। " चंपा भाभी अपने फेवरिट टॉपिक पे आ गयी थीं।
मेरे दोनों हाथों में तो मेहंदी रच रच के लग गयी थी ,बल्कि कुहनी तक और अब मैं हाथ हिला भी नहीं सकती थी।
लेकिन आज बसंती एकदम पूरे मूड में थी , उसकी निगाहें मेरे नए आये उभारों को सहला रही थीं।
आँखों आँखों में दोनों ने बातें की चंपा भाभी ने हामी भरी , और बसंती उनसे मुस्कराकर बोली ,
" क्यों और भी जगह मेंहदी लगा दूँ न "
" एकदम " चंपा भाभी बोलीं और जब तक मैं समझूँ समझूँ दोनों ने मिल के मुझे वहीँ धक्का दे के गिरा दिया और अगले ही पल दूध के दोनों कटोरे बाहर
( ब्रा तो मेरा वैसे ही गाँव में आने के बाद पहनना बंद हो गया था )
गोरे गोरे,कड़े कड़े ,नयी आती जवानी के फूल ,जिन्होंने सारे गाँव के लड़कों की नींद हराम कर रखी थी ,
बसंती कुछ देर तक तो देखती रही , फिर उसने न जाना क्या देखा और फिर चंपा भाभी की ओर देखा ,
और दोनों मुस्कराने लगी।
पल भरा लगा मुझे समझने में , जैसे ही लेकिन मेरे समझ में आया ,... बस मारे शर्म के मैंने आँखे बंद कर ली।
गाल मेरे लाज से गुलाब हो गए।
अजय दुष्ट।
कैसे जोर से कचकचा के काटा था उसने , मैं लाख मना करती रही फिर भी , और ऊपर से मेरे जोबन के ऊपर के हिस्सों पे तो , ....
पहले हलके से काटता , फिर वहां जोर जोर से चूमता ,चूसता और फिर जब दर्द थोड़ा सा कम होता तो
पहले से भी दस गुना जोर से हचक के काट लेता।
मेरी चीख से जैसे उसका जोश दस गुना हो जाता और उसी जगह पे चार पांच बार , ... फिर निपल के चारों और दांत से जैसे माला का उसने निशान बना दिया था , फिर नाखून के भी कितने निशान थे ,... दिनेश ने भी जो कीचड़ में मेरी चूंचियां रगड़ी थी , जगह जगह लाल हो गयी थी , ...
अब तो राज खुल ही गया था , छिपाने से क्या फायदा।
चम्पा भाभी ने तो कल ही आँगन में न टॉप खोल के मेरे उभार सहलाये दुलराये थे , बल्कि चूसे भी थे , इसलिए , और आज बसंती ने भी , ...
मैंने आँख खोलीं थी बसंती ने जहाँ दांत के निशान थे वहीँ ऊँगली से छुआ ,सहलाया और फिर हलके से अपने नाखून गड़ाते छेड़ा ,
" थोड़ी सी मेंहदी यहां पे , ... "
मैं बस मुस्करा दी ,और बंसती की शरारती उँगलियों का असर हुआ , मेरी चूंचियां पथराने लगीं , निपल्स कड़े होने लगे।
चंपा भाभी ने अपनी शैतान आँखों से बसंती को इशारा किया , फिर तो बसंती ने अंगूठे और तर्जनी के बीच पकड़ के जिस तरह से मेरे निपल्स रोल किये , मैं मान गयी चंपा भाभी से भी दस हाथ आगे थी। मस्ती से मेरी आँखे मूंदने लगी , निपल खड़े होने लगे। कुछ ही देर में मैं सिसकियाँ भरने लगी। मेरी चुनमुनिया भी फड़कने लगी ,गीली होने लगी।
एक निपल बंसती की उँगलियों के बीच था और दूसरा जोबन उसकी मुट्ठी में , पहले हलके हलके सहलाती रही फिर कस कस के रगड़ना मसलना चालू कर दिया।
और जब कुछ देर बाद मुझे कुछ निपल्स पर ठंडा लगा मैंने आँखे खोल दी ,
मेंहदी बसंती ने मेरे खड़े निपल पे अच्छी तरह थोप दी थी , पूरा खड़ा कड़ा निपल मेहंदी से ढका था , और फिर मेंहदी से मेरे उरोज पे खूब बारीक डिजाइन ,
उसका बस चलता तो मेरी चनमुनिया को भी वो नहीं छोड़ती , लेकिन गनीमत थी की भाभी ने उसे अंदर बुला लिया लेकिन उसके पहले मेरी नाभी पे एक छोटा सा टैटू की तरह,
गनीमत था उभारों पे उसने बस हलकी सी मेंहदी लगायी थी जो जल्दी सूख गयीऔर छूट भी गयी लेकिन रची अच्छी तरह थी।
चन्दा के इंतेजार में देर हो गयी थी। कामिनी भाभी भी आयीं थी। मेहंदी सूख गयी थी और बसंती उसे छुड़ा रही थी।
कामिनी भाभी ने बसंती से कहा- “मेहंदी तो खूब रच रही है, ननद रानी के हाथ में, बहुत अच्छी लगायी है तुमने…”
वो हँसकर बोली- “इसलिये कि जब ये गांव के लड़कों का पकड़ें तो उन्हें अच्छा लगे…”
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23-03-2019, 01:54 PM
(This post was last modified: 18-03-2021, 12:49 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
पकड़ कर देख लो
कामिनी भाभी ने बसंती से कहा- “मेहंदी तो खूब रच रही है, ननद रानी के हाथ में, बहुत अच्छी लगायी है तुमने…”
वो हँसकर बोली- “इसलिये कि जब ये गांव के लड़कों का पकड़ें तो उन्हें अच्छा लगे…”
“हे अच्छा बताओ, तुमने अब तक किसका-किसका पकड़ा है…” चम्पा भाभी चालू हो गयीं।
मैं चुप थी।
“अच्छा चलो, नाम न सही नंबर ही बता दो, 4, 5, 6 मेरे कितने देवरों का पकड़ा है, अबतक…”
“अरे भाभी यहां आपके देवरों का पकड़ रही है और घर चलकर मेरे देवर का पकड़ेगी…”
मेरी भाभी क्यों मौका चूकतीं।
“धत्त भाभी, आप भी…”
शर्म से मेरे गाल गुलाबी हो रहे थे।
कामिनी भाभी हँसकर बोलीं
- “अरे इसमें धत्त की क्या बात, तुम्हारी भाभी पकड़ने का ही तो कह रहीं हैं लेने का तो नहीं…
पकड़कर देख लेना, कितना लंबा है, कितना मोटा है, दबाकर देख लेना कित्ता कड़ा है,
और न हो तो टोपी हटाकर सुपाड़ा भी देख लेना, पसंद हो तो ले-लेना…”
“अरे भाभी, ये सिर्फ यहीं नखड़ा दिखा रही है, वहां पहुँचकर
तो ये सोचेगी कि जब मैंने भाभी के सारे भाईयों का पकड़ा, किसी को भी नहीं मना किया
तो बेचारे अपने भाई का क्यों ना पकड़ूं और फिर अपने मेंहदी रचे हाथों में गप्प से पकड़ लेगी…”
भाभी ने मुझे छेड़ा।
पर मेरे मन में तो रवीन्द्र की…
जो चन्दा ने कहा था कि उसका इत्ता मोटा है, कि मेरे हाथ में नहीं आयेगा। घूम रही थी।
“और क्या पहले हाथ में, फिर अपने इन दोनों कबूतरों के बीच पकड़ेगी…”
कामिनी भाभी ने मेरे उभारों पर चिकोटी काटते हुये कहा।
“और फिर ऊपर वाले होंठों के बीच…” चम्पा भाभी बोलीं।
“और फिर नीचे वाले होंठों के बीच…”
अब मेरी भाभी का नंबर था।
“अरे, जब रवीन्द्र बोलेगा, बहन एक बार पकड़ लो मेरा तो ये कैसे मना करेगी, बोलेगी लाओ भैया…”
भाभी आज चालू थीं।
उन्होंने मुझे चिढ़ाते हुए गाना शुरू किया और सब भाभियां उनका साथ दे रहीं थीं-
हो प्यारी ननदी, पकड़कर देख लो, बांकी ननदी, पकड़कर देख लो।
ना ये आधा, ना ये पौना, पूरा फुट है, पकड़कर देख लो, बांकी ननदी, पकड़कर देख लो।
ना ये छोटा, ना ये पतला, पूरा अंदर है, पकड़कर देख लो।
हो, बांकी ननदी, पकड़कर देख लो, गुड्डी रानी, पकड़कर देख लो।
हो प्यारी ननदी, पकड़कर देख लो, बांकी ननदी, पकड़कर देख लो।
काहे का रुकना, क्या झिझकना, तुम्हारा धन है, पकड़कर देख लो, हो बांकी ननदी पकड़कर देख लो।
हो प्यारी ननदी, पकड़कर देख लो, गुड्डी रानी, पकड़कर देख लो।
नीचे लकड़ी ऊपर छतरी, रूप ग़जब का, पकड़कर देख लो। हो बांकी ननदी पकड़कर देख लो।
हो प्यारी ननदी, पकड़कर देख लो, बांकी ननदी, पकड़कर देख लो।
तभी चमेली भाभी आयीं और उन्होंने बताया कि चन्दा को बुखार हो गया है
इस लिये वो नहीं आ पायी है और उसने मुझे वहीं बुलाया है।
मैं तुरंत जाने के लिये तैयार हो गयी और चम्पा भाभी की ओर देखा।
उन्होंने तुरंत हां कह दी।
पर बसंती भाभी ने बोला-
“अरे एक हाथ की मेंहदी तो छुड़वा लो…”
पर मैंने कहा कि मैं रास्ते में खुद छुड़ा लूंगी।
सलवार और कुर्ता दोनों टाइट हो गये थे और मेरे जोबन के उभार और चूतड़ एकदम साफ-साफ दिख रहे थे।
पीछे से कामिनी भाभी ने छेड़ा-
“अरे ऐसे चूतड़ मटका के ना चलो, कोई छैला मिल जायेगा तो बिना गाण्ड मारे नहीं छोड़ेंगा…”
“अरे भाभी, इसको भी तो गाण्ड मरवाने का मजा चखने दीजिये…”
मैंने पीछे मुड़कर देखा तो बसंती हँसकर बोल रही थी।
तब तक पीछे से किसी ने जोर से मेरे उछलते कूदते मचलते चूतड़ों पर जोर से चिकोटी काटी
और साथ में एक मस्त रसीली गाली भी ,
"अरे ये मस्त मोटे मोटे चूतड़ मटकाकर कहाँ चली,, छिनाल ,... "
और फिर एक हलकी सी चपत भी चूतड़ पे ,
मैं पहचान गयी।
भाभी की माँ ,वो अभी अभी शहर से आई थीं।
इसका मतलब अजय और सुनील भी लौट आये होंगे।
मैं कुछ बोलती उसके पहले मुस्करा के वो बोलीं,
" मैं तुम्हारे घर भी गयी थी , तेरे लिए एक खतरनाक खबर है ,"
मेरे तो कान खड़े गए होगे , कहीं कॉलेज की बची हुयी चार दिन की छुट्टियां तो नहीं कैंसल हो गयी
और हम लोगों को आज कल में जाना पड़ेगा।
भाभी भी ध्यान से सुन रही थीं ,
कुछ देर तक सस्पेंस रखने के बाद वो बोलीं ,
"वहां कुछ टेंशन था शहर में ,इस लिए अब छुट्टी सात दिन के लिए बढ़ा दी गयी है। हमने तुम्हारे घर भी बात कर ली है
तो अब तुम छुट्टी खत्म होने के बाद,...."
![[Image: Teej-baundole-22.jpg]](https://i.ibb.co/7VgmWHL/Teej-baundole-22.jpg)
भाभी की ख़ुशी तो छलक रही थीं , मायके में इतने दिन और रहने का मौका ,
और मैंने भी मुश्किल से अपनी ख़ुशी दबाई।
लेकिन मेरे मुंह से निकल ही गया ,
' मतलब सात दिन और "
मैं बोल पड़ी।
" नहीं नहीं सात दिन नहीं ,जो तेरी छुट्टियां खत्म हो रही थीं उसके बाद सात दिन और। "
उन्होंने हाल खुलासा किया।
भाभी ऊँगली पे कुछ जोड़ घटाना कर रही थीं , तुरंत बोलीं ,
अरे हम लोगों को पांच दिन बाद जाना था ,मतलब १२ दिन और।
बसंती ने टुकड़ा लगाया ,
" ई तो बहुत निक खबर है , गाँव के लड़कन और मरदन के लिए हाँ बुरी खबर ,बुर के लिए है एकरे बुर की बुरी हालत हो जायेगी ,"
लेकिन मेरा बचाव किया ,भाभी की माँ ने हमेशा की तरह
" अरे तू लोग न हरदम हमरी बिटिया के पीछे पड़ी रहती हो ,
अरे इसकी बुर के लिए बुरी खबर काहें को है , ई केहु को मना की है कभी , अपने देवरों को बोलो न। "
( ये कहने की जरूरत नहीं की उनकी एक हथेली इस समय मेरी टाइट शलवार के ऊपर से ठीक दोनों रेशमी मखमली जाँघों के बीच ,)
मैं समझ गयी की मैं और रुकी तो मजाक की चक्की में मैं ही पिसुंगी और दूसरे मैं इतनी खुश थी की बता नहीं सकती थी ,
पूरे १२ दिन , अब तो बस , ...
मैं चंदा के घर की ओर चल पड़ी लेकिन कान मेंरे घर में हो रही बाते से चिपके थे।
" भाई इस ख़ुशी में कुछ मीठा होना चाहिए , " कामिनी भाभी ने मेरी भाभी के गाल पे चिकोटी काटते हुए बोला ,.
" मीठा नहीं खारा ,नमकीन , .... " खिलखिलाते हुए बसंती बोली , फिर जोड़ा ,
"अरे बिन्नो की उ छिनार ननद को खारा शरबत पिला ही देना चाहिए। "
" अरे बसंती तो क्या अभी तक नहीं पिलाया तूने कैसी भौजाई हो "
भाभी की माँ ने जोर से घुड़का।
तब तक मैं उन आवाजों से दूर घने गन्ने के खेतों के बीच मेंड़ पर आ चुकी थी , चंदा के घर का शार्ट कट।
उसे भी ये खुशखबरी देनी थी ,
१२ दिन और।
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saawan ke din masti bhare hote hain aur isme 12 din aur jud gaye.
muuaaah..
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(23-03-2019, 03:41 PM)chodumahan Wrote: saawan ke din masti bhare hote hain aur isme 12 din aur jud gaye.
muuaaah..
ekdam sahi kaha aaone ....
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28-03-2019, 07:43 PM
(This post was last modified: 21-03-2021, 09:31 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
२३ वीं फुहार
पिछवाड़े पर खतरा
सलवार और कुर्ता दोनों टाइट हो गये थे और मेरे जोबन के उभार और चूतड़ एकदम साफ-साफ दिख रहे थे।
पीछे से कामिनी भाभी ने छेड़ा- “अरे ऐसे चूतड़ मटका के ना चलो, कोई छैला मिल जायेगा तो बिना गाण्ड मारे नहीं छोड़ेंगा…”
“अरे भाभी, इसको भी तो गाण्ड मरवाने का मजा चखने दीजिये…” मैंने पीछे मुड़कर देखा तो बसंती हँसकर बोल रही थी।
तब तक पीछे से किसी ने जोर से मेरे उछलते कूदते मचलते चूतड़ों पर जोर से चिकोटी काटी और साथ में एक मस्त रसीली गाली भी ,
"अरे ये मस्त मोटे मोटे चूतड़ मटकाकर कहाँ चली,, छिनाल ,... "
और फिर एक हलकी सी चपत भी चूतड़ पे ,
मैं पहचान गयी। भाभी की माँ ,वो अभी अभी शहर से आई थीं।
इसका मतलब अजय और सुनील भी लौट आये होंगे।
मैं कुछ बोलती उसके पहले मुस्करा के वो बोलीं,
" मैं तुम्हारे घर भी गयी थी , तेरे लिए एक खतरनाक खबर है ,"
[i]कुछ देर तक सस्पेंस रखने के बाद वो बोलीं , वहां कुछ टेंशन था शहर में ,इस लिए अब छुट्टी सात दिन के लिए बढ़ा दी गयी है। हमने तुम्हारे घर भी बात कर ली है तो अब तुम छुट्टी खत्म होने के बाद,
भाभी की ख़ुशी तो छलक रही थीं , मायके में इतने दिन और रहने का मौका ,
और मैंने भी मुश्किल से अपनी ख़ुशी दबाई। लेकिन मेरे मुंह से निकल ही गया ,
' मतलब सात दिन और " मैं बोल पड़ी।
" नहीं नहीं सात दिन नहीं ,जो तेरी छुट्टियां खत्म हो रही थीं उसके बाद सात दिन और। " उन्होंने हाल खुलासा किया।
भाभी ऊँगली पे कुछ जोड़ घटाना कर रही थीं , तुरंत बोलीं , अरे हम लोगों को पांच दिन बाद जाना था ,मतलब १२ दिन और।
बसंती ने टुकड़ा लगाया , " ई तो बहुत निक खबर है , गाँव के लड़कन और मरदन के लिए हाँ बुरी खबर ,बुर के लिए है एकरे बुर की बुरी हालत हो जायेगी ,"
लेकिन मेरा बचाव किया ,भाभी की माँ ने हमेशा की तरह
" अरे तू लोग न हरदम हमरी बिटिया के पीछे पड़ी रहती हो , अरे इसकी बुर के लिए बुरी खबर काहें को है , ई केहु को मना की है कभी , अपने देवरों को बोलो न। "
( ये कहने की जरूरत नहीं की उनकी एक हथेली इस समय मेरी टाइट शलवार के ऊपर से ठीक दोनों रेशमी मखमली जाँघों के बीच ,) [/i]
मैं चंदा के घर की ओर चल पड़ी लेकिन कान मेंरे घर में हो रही बाते से चिपके थे।
...
मैं उन आवाजों से दूर घने गन्ने के खेतों के बीच मेंड़ पर आ चुकी थी , चंदा के घर का शार्ट कट।
उसे भी ये खुशखबरी देनी थी , १२ दिन और।
…………………………………
अब तक गांव की गली, पगडंडियों का मुझे अच्छी तरह पता चल गया था इसलिये, हरी धानी चुनरी की तरह फैले खेतों के बीच,
पगडंडियों पर, आम से लदे अमराईयों से होकर,
हिरणी की तरह उछलती, कुलांचे भरती, जल्द ही मैं चन्दा के घर पहुँच गयी।
चंदा
चन्दा बिस्तर पे ओढ़ के लेटी थी। माथे पे हल्की सी हरारत लग रही थी।
मैंने उससे कहा- “जोबान दिखाओ…”
और उसने शरारत से अपनी चोली पर से आंचल हटा दिया।
मैं क्यों चूकती, मैंने चोली के दो बटन खोले और अंदर हाथ डालकर, धड़कन देखने के बहाने, उसके जोबन दबाने लगी। मैं समझ गयी थी कि मेरी सहेली पे किस चीज का बुखार है।
उसका सीना सहलाते, मसलते मैं बोली-
“हां धड़कन तो बहुत तेज चल रही है, डाक्टर बुलाना पड़ेगा और इंजेक्शन भी लगेगा…”
“हां नर्स, तुम तो मेरे डाक्टर को अच्छी तरह जानती हो पर जब तक वह नहीं आते, तुम्हीं मेरे सीने पर मालिश कर दो ना…” मेरे हाथ को अपने सीने पर कस के दबाते वह बोली।
“डाक्टर, हाजिर है…” मैंने नजर उठायी तो अजय और सुनील दोनों एक साथ बोल रहे थे।
सुनील को पकड़ के, मैं सामने ले गयी और बोली- “मुझे मालूम है की तुम्हारा फेवरिट डाक्टर कौन है…”
सुनील मेरी टाइट सलवार में मेरे कसे भरे-भरे नितंबों को देख रहा था। उसका तम्बू तना हुआ था।
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28-03-2019, 07:46 PM
(This post was last modified: 21-03-2021, 11:08 AM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
डाक्टर नर्स
सुनील को पकड़ के, मैं सामने ले गयी और बोली- “मुझे मालूम है की तुम्हारा फेवरिट डाक्टर कौन है…”
सुनील मेरी टाइट सलवार में मेरे कसे भरे-भरे नितंबों को देख रहा था। उसका तम्बू तना हुआ था।
अपनी ओर से ध्यान खींचती मैं बोली-
“अरे डाक्टर साहब, बीमार ये है, मैं नहीं, पहले इसके मुँह में अपना थर्मामीटर लगाकर इसका बुखार तो लीजिये…”
“अरे कैसी नर्स है, थर्मामीटर निकालकर लगाना तो तुम्हारा काम है…” सुनील बोला।
“हां… हां अभी लगती हूँ डाक्टर साहब…”
और मैंने उसका लण्ड निकालकर चन्दा के होंठों के बीच लगा दिया।
मैंने एक हाथ से चन्दा का सर पकड़ रखा था और दूसरे से सुनील का तन्नाया लण्ड। उसे मैंने चन्दा के प्यासे होंठों के बीच घुसा दिया।
चन्दा भी जैसे जाने कब की भूखी रही हो, झट गप्प कर गयी।
मैंने चन्दा से शरारत से कहा-
“अरे सम्हाल कर काटना नहीं, अगर पारा बाहर निकल गया तो डाक्टर साहब बहुत गुस्सा होंगे…”
सुनील से अब नहीं रहा जा रहा था और उसका हाथ कस-कस के मेरे नितंबों को दबा रहा था। कुछ देर बाद, उसने मेरे चूतड़ कस के भींचं लिये और मेरी गाण्ड में अपनी एक उंगली चलाने लगा।
“अरे डाक्टर साहब मरीज का ध्यान करिये… नर्स का नहीं…”
अब उसने सीधे मेरी गाण्ड के छेद में सलवार के ऊपर से उंगली घुसाते हुए कहा-
“अरे जब नर्स इतनी सेक्सी हो उसके चूतड़ इतने मस्त हों तो उसका भी ख्याल करना पड़ता है ना…”
“तो मेरे पीछे, मेरी गाण्ड में उंगली क्यों कर रहे हैं…” मैंने बनावटी शिकायत के अंदाज में कहा।
अपने मुँह से सुनील का लण्ड निकालकर चन्दा बोली- “इसलिये गुड्डी रानी कि वह तुम्हारी सेक्सी गाण्ड मारना चाहते हैं…”
मैंने फिर पकड़कर सुनील का लण्ड चन्दा के मुँह में ढकेला और बोली- “हे थर्मामीटर क्यों बाहर करती हो…”
तब तक मुझे अजय की आवाज सुनायी दी-
“हे सिस्टर, जरा इन डाक्टर साहब के पास भी तो आओ…”
वह बगल के ही पलंग पे बैठा था और उसने खींच के मुझे अपनी गोद में बैठा लिया। उसका तन्नाया मोटा लण्ड जैसे मेरी सलवार फाड़कर मेरी गाण्ड में घुस जायेगा।
कुर्ते के ऊपर से मेरे मम्मे भी खूब तने लगा रहे थे।
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28-03-2019, 07:49 PM
(This post was last modified: 21-03-2021, 11:06 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
उसने उस कस के पकड़ लिया अर दबाते हुए बोला- नर्स, इस डाक्टर के थर्मांमीटर का भी तो ख्याल करो।
“अभी लीजिये…”
मैं बोली और जिप खोलकर उसके तने लण्ड को मैंने बाहर कर दिया। मेरे गोरे-गोरे हाथों में बसंती ने जो मेंहदी लगायी थी खूब चटख चढ़ी थी।
अजय भी खूब प्यार से उन्हें निहार रहा था। उसने गुजारिश की-
“हे, रानी जरा अपने इन प्यारे-प्यारे हाथों से पकड़ो ना इसे, सहलाओ, रगड़ो…”
“अभी लो मेरे जानम…”
और मेंहदी लगे अपने हाथों से मैंने पहले तो उसे धीरे से पकड़ा, और फिर हलके-हलके सहलाने लगी।
अजय अब खूब कस के मेरे सूट के ऊपर से ही मेरे मम्मों को दबा, मसल रहा था-
“हे तुम्हारा ये सूट बहुत सेक्सी है, इसमें तुम्हारे सेक्सी मम्मे और चूतड़ और सेक्सी लगते हैं…”
उसने मेरे सूट की तारीफ की।
मैं हँस दी।
उसने पूछा- “क्यों क्या हुआ…”
मैंने बताया कि-
“जल्दी में मैं सूट में आ गयी। जब मैं साड़ी पहनकर आती थी, तो बस तुम लोग साड़ी उठाकर काम चला लेते थे। मैंने सोचा की आज सलवार सूट में मेरी बचत होगी पर… आज तुम दोनों लगता है…”
मेरी बात काट कर अजय ने सीधे, मेरी सलवार का नाड़ा खोलते हुये कहा-
“ऐसा कुछ नहीं है, बिचारी चूत को चुदना ही है, आखिर लण्ड को इतना तड़पाती है…”
और उसने मेरी सलवार घुटने तक सरका दी और मेरी चूत को कस के दबोच लिया।
मैंने चन्दा की ओर निगाह डाला तो वह कस-कस के सुनील का लण्ड चूस रही थी
उसकी साड़ी भी जांघों के ऊपर उठ चुकी थी और सुनील अपनी दो उंगलियों से उसको चोद रहा था।
अजय ने तब तक मुझे घुटने और कोहनियों के बल कर दिया और कहने लगा-
“चलो, तुम्हें सिखाता हूँ कि सलवार सूट पहने-पहने कैसे चुदवाते हैं…”
मेरे पीछे आकर उसने मेरी टांगें फैलायीं पर सलवार पैरों में फंसी होने के कारण वह ज्यादा नहीं फैला पाया और मेरी जांघें कसी-कसी थीं। उसने एक उंगली मेरी चूत में कस-कस के अंदर-बाहर करनी शुरू कर दी और मैं जल्द ही गीली हो गयी। मेरी कमर पकड़कर अब उसने चूत फैलाकर अपना लण्ड एक करारे धक्के में अंदर धकेल दिया।
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सुनील -अजय
अजय ने सीधे, मेरी सलवार का नाड़ा खोलते हुये कहा-
“ऐसा कुछ नहीं है, बिचारी चूत को चुदना ही है, आखिर लण्ड को इतना तड़पाती है…” और उसने मेरी सलवार घुटने तक सरका दी और मेरी चूत को कस के दबोच लिया।
मैंने चन्दा की ओर निगाह डाला तो वह कस-कस के सुनील का लण्ड चूस रही थी। उसकी साड़ी भी जांघों के ऊपर उठ चुकी थी और सुनील अपनी दो उंगलियों से उसको चोद रहा था।
अजय ने तब तक मुझे घुटने और कोहनियों के बल कर दिया और कहने लगा-
“चलो, तुम्हें सिखाता हूँ कि सलवार सूट पहने-पहने कैसे चुदवाते हैं…”
मेरे पीछे आकर उसने मेरी टांगें फैलायीं पर सलवार पैरों में फंसी होने के कारण वह ज्यादा नहीं फैला पाया और मेरी जांघें कसी-कसी थीं। उसने एक उंगली मेरी चूत में कस-कस के अंदर-बाहर करनी शुरू कर दी और मैं जल्द ही गीली हो गयी।
मेरी कमर पकड़कर अब उसने चूत फैलाकर अपना लण्ड एक करारे धक्के में अंदर धकेल दिया।
मेरी जांघें सटी होने के कारण मेरी चूत भी खूब कसी थी और लण्ड चूत की दीवारें को कस-कस के रगड़ता घिसता जा रहा था।
मुझे एक नये किस्म का मजा मिल रहा था।
थोड़ी देर इसी तरह चोद के अब अजय ने मेरे रसभरे झुके हुए मम्मों को कुर्ते के ऊपर से ही पकड़ लिया था
और उन्हें दबा-दबा के कस के चोदने लगा।
हमारी देखा देखी, सुनील ने भी अब अपना लण्ड चन्दा के मुँह से निकाल लिया था और उसकी जांघों के बीच आकर चुदाई करने लगा।
अजय ने मेरा कुरता ऊपर सरका दिया था और अब मेरी खुली लटकी चूचियां कस-कस के निचोड़ रहा था। पर थोड़ी ही देर में अजय ने मेरे सारे कपड़े उतार दिये और मुझे लिटाकर, मेरी टांगें अपने कंधे को रखकै कस-कस के चोद रहा था।
यही हाल बगल के पलंग पे चन्दा की भी थी जिसको सुनील ने पूरी तरह निर्वस्त्र कर दिया था और उसके मोटे-मोटे चूतड़ पकड़ के कस-कस के चोद रहा था।
पहली बार था कि हम और चन्दा अगल बगल इस तरह दिन में, पलंग पर अगल बगल लेटकर,
अजय और सुनील से खुल्लमखुल्ला चुदा रहे थे। सुनील की निगाह अभी भी मेरे चूतड़ों पर थी।
चन्दा ने उसकी चोरी पकड़ ली, वह बोली-
“क्यों आज उसकी बहुत गाण्ड मारने का मन कर रहा है क्या, जो चोद मुझे रहा है पर चूतड़ उसके घूर रहा है…”
और मुझसे कहा-
“हे गुड्डी, मरवा ले ना गाण्ड आज, रख दे मन मेरे यार का…”
“ना बाबा ना, मुझे नहीं मरवानी गाण्ड, इतना बोल रही है तो तू ही मरवा ले ना…”
अजय और सुनील दोनों मुश्कुरा रहे थे-
“यार आज साथ-साथ चुदाई कर रहे हैं। तो कुछ बद कर करें ना…”
कुछ देर बाद सुनील बोला-
“मुझे मंजूर है…”
मेरी चूची पकड़कर कसके चोदते हुये, अजय ने कहा-
“तो ठीक है, जिसका यार पहले झड़ेगा, उसके माल की गाण्ड मारी जायेगी…”
सुनील ने शर्त रखी।
अजय और चन्दा दोनों एक साथ बोले-
“हमें मंजूर है…”
पर मैं बोली-
“हे गड़बड़ तुम लोग करो पर, गाण्ड हमारी मारी जाय…”
पर हमारी सुनने वाला कौन था।
अजय मेरी चूची रगड़ते, गाल काटते, कसकर चोद रहा था और सुनील भी चन्दा की बुर में सटासट अपना लण्ड पेल रहा था।
पर तभी मैंने ध्यान दिया कि चन्दा ने कुछ इशारा किया और सुनील ने अपना टेमपो धीमे कर दिया
बल्की कुछ देर रुक गया।
मैं कुछ बोलने ही वाली थी की अजय ने मेरी क्लिट पिंच कर ली और मैं झड़ने लगी।
मैं अपनी चूत में कस के अजय का लण्ड भींच रही थी, अपने चूतड़ कस-कस के ऊपर उठा रही थी, और अपने हाथों से कस के उसकी पीठ जकड़ ली।
और जल्द ही अजय भी मेरे साथ झड़ रहा था।
जब हम दोनों झड़ चुके तो मुझे अहसास हुआ कि… पर साथ-साथ झड़ने का जो मजा था…
मैंने जब बगल में देखा तो अब चन्दा भी खूब कस-कस के चूतड़ उछाल रही थी और वह और सुनील साथ-साथ झड़ रहे थे।
मैं शांत बैठी थी तो अजय और सुनील एक साथ दोनों मेरे बगल में आ गये और गुदगुदी करने लगे।
अजय बोला- “हे… यार… चलता है…” और उसने मेरे गाल को चूम लिया।
मेरे दूसरे गाल को सुनील ने और कस के चूम लिया। अजय ने मेरी एक चूची पकड़ के दबा दिया। सुनील ने मेरी दूसरी चूची पकड़ के मसल दिया।
“हे… एक साथ… ध-दो…” चन्दा बोली।
“अरे जलती है क्या… अपनी-अपनी किश्मत है…” अब मैं भी हँसकर बोली और
मैंने अपने मेंहदी लगे हाथों में दोनों के आधे-खड़े लण्ड पकड़ लिये, और आगे पीछे करने लगी।
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