Poll: Kya main iss kahani ko shuru karu?
You do not have permission to vote in this poll.
Yes
100.00%
4 100.00%
NO
0%
0 0%
Total 4 vote(s) 100%
* You voted for this item. [Show Results]

Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery लवली फ़ोन सेक्स चैट
#41
कार के चलते ही पीछे बैठी हुई कनिष्का की चंचल अकाज गूंजी : "वाव दीदी...आपने तो कमाल कर दिया..आई एम् इम्प्रेस..."

मैं: कुछ समझा नहीं की वो क्या बोल रही है?

और फिर कनिष्का मेरी तरफ सर घुमा कर बोली : यु नो विशाल, दीदी ने मुझे चेलेंज किया था की वो आज तुम्हारे कमरे में जाकर दिखाएगी...और वो भी पहली बार में ही..और इन्होने वो कर दिया..
ओहो..अब समझा, तो ये सब पहले से तय था और इसलिए वो इतनी दिलेरी दिखा रही थी..

मैं (कनिष्का की तरफ देखते हुए): तो इसमें कौनसी बड़ी बात है..किसी के कमरे में जाना तो बहुत आसान है..कोई भी कर सकता है.
कनिष्का : नहीं, मेरी दीदी नहीं कर सकती ये सब, ये ऐसी है ही नहीं, तभी तो मैंने इन्हें ये चेलेंज दिया था, यहाँ आते वक़्त...
मैं (अंशिका की आँखों में देखकर मुस्कुराते हुए): मुझे मालुम है की तुम्हारी दीदी ऐसी नहीं है, पर अब हो गयी है, मेरी संगत में आकर..

अंशिका ने शरमाकर अपना चहरा दूसरी तरफ घुमा लिया और बाहर की और देखने लगी. कनिष्का थोडा आगे खिसक आई और हम दोनों के बीच अपनी गर्दन लाकर बोली : वैसे क्या मैं पूछ सकती हूँ की आप दोनों इतनी देर तक कर क्या रहे थे अन्दर..?? उसकी बात सुनकर अंशिका के चेहरे की लालिमा और गहरी हो गयी..

मैं: तुम्हे इतनी फिकर हो रही थी अपनी दीदी की तो अन्दर ही आकर देख लेती की हम क्या कर रहे थे..

अब शर्माने की बारी कनिष्का की थी, मैंने इतने करीब से उसके चेहरे पर आते शर्म के भाव देखे की मेरा तो मन किया की उसे वहीँ चूम लू..उसमे से आती भीनी खुशबू पूरी कार में भरी हुई थी..और बड़ी मदहोश सी करने वाली थी..

अंशिका (अपनी बहन से): तू अपने काम से काम रख कन्नू...अभी इतनी बड़ी नहीं हुई है तू जो इन सबमे इतना इंटरेस्ट ले रही है तू..
कनिका : ओहो दीदी..आप भी न, मुझे तो आप बच्ची ही समझते रहना, आई एम् यंग नाव..कॉलेज में आ गयी हूँ अब तो..

मैं उन दोनों बहनों की बातें सुनता रहा और मजे लेता रहा.

मैं: अच्छा अब मुझे ये बताओ की मुझे क्यों साथ लेकर आई हो तुम, और चलना कहाँ है..
अंशिका: वो तुम कल नाराज हो गए थे न, इसलिए मैंने सोचा की तुम्हे भी आज साथ ले चलू और तुम थोड़ी हेल्प भी करा देना हमारी , ठीक है न..

मैं क्या कहता, बस मुस्कुरा दिया और हम पहले कॉलेज में जा पहुंचे.

वहां बड़ी भीड़ थी, लम्बी-लम्बी लाईन लगी हुई थी फार्म लेने के लिए.. पर मेरा एक दोस्त था उसी कॉलेज में, मैंने उसे फोन किया और सब बताया, उसने सिर्फ पांच मिनट में ही मुझे अन्दर जाकर फॉर्म लाकर दे दिया..इतनी जल्दी काम होते देखकर वो दोनों बहने बड़ी खुश हुई. उसके बाद हम दो -तीन कॉलेज में और गए और हर बार मैंने किसी न किसी तरह की तिकड़म लगा कर उनका काम जल्दी करवा दिया..ये सब देखकर कनिष्का बड़ी खुश हुई..

कनिष्का : वाव विशाल, तुमने हमारा ये दो दिनों का काम एक ही दिन में करवा दिया, मुझे तो लगा था की इन पांच कॉलेजेस के फार्म लेने में ही दो दिन लग जायेंगे..
अंशिका: आखिर दोस्त किसका है..
कनिष्का : सिर्फ दोस्त..या..
अंशिका: सिर्फ दोस्त..और तू अपना दिमाग बेकार की बातों में मत चला..समझी.

उन दोनों बहनों की नोक-झोंक देखने में बड़ा मजा आ रहा था. उसके बाद हम सभी खाना खाने के लिए एक अच्छे से रेस्तरो में गए, और फिर वापिस चल दिए. रास्ते में कनिष्का अपनी आदत के अनुसार चबर-चबर बोलती रही..और हम दोनों मजे ले लेकर उसकी बातें सुनते रहे..मैंने नोट किया की अंशिका कुछ चुप-चाप सी बैठी है..

मैं: क्या हुआ अंशिका..कोई प्रोब्लम है क्या?
अंशिका (धीरे से): वो..वो..मुझे प्रेशर आया है..काफी तेज..

मैं समझ गया की उसे मूतना है..पर यहाँ कैसे, हम उस वक़्त हाईवे पर थे..दूर-दूर तक कुछ भी नहीं था..

मैं: अभी थोडा आगे जाकर देखते हैं, कोई पेट्रोल पम्प या ढाभा हुआ तो वहां कर लेना..
अंशिका (बुरा सा मुंह बनाते हुए): वहां तक के लिए रोक पाना मुश्किल है...प्लीस..कुछ करो.

कनिष्का : दीदी आप भी न, अभी जहाँ खाना खाया था वहीँ कर लेती..
अंशिका कुछ न बोली, वो बोलने की हालत में लग ही नहीं रही थी..

मैंने कार एक तरफ रोक दी, रोड के थोड़ी दुरी पर एक पेड़ था..

मैं: जाओ जल्दी से, वहां कर लो.
अंशिका मेरी तरफ देखकर बोली: यहाँ, खुले में..?

मैं: फिर बैठी रहो, आगे कोई होटल आएगा न तब आप कर लेना..

कनिष्का मेरी बात सुनकर हंसने लगी..

अंशिका: ठीक है ..ठीक है..जाती हूँ..

और वो कार से उतर गयी कर पेड़ की तरफ चल दी.

उसके उतरते ही कनिष्का फिर से अपना चेहरा आगे करके मेरे पास आकर बोली : वैसे विशाल, दीदी तो मना कर रही है, पर मुझे मालुम है की तुम दोनों में कुछ न कुछ खिचड़ी तो बन ही रही थी अन्दर कमरे में. मैंने भी मजे लेने के मूड में उससे कहा : अच्छा जी, तब तो बता ही दो की क्या चल रहा था मेरे कमरे में.

कनिष्का : तुम ही क्यों नहीं बता देते..
मैं: तो सुनो, जब अंशिका मेरे कमरे में आई तो मैं टावल में खड़ा हुआ था, और वो आकर मुझसे लिपट गयी और फिर उसने मुझे चूमा और मैंने भी उसके होंठो को अच्छी तरह से किस किया..और फिर मेरा टावल खुल गया...और उसके बाद...
कनिष्का : बस बस...मुझे और नहीं सुनना

उसका चेहरा देखने लायक था..शर्म से लाल सुर्ख. मैं मुडकर उसे शर्माते हुए देखने लगा की तभी मेरी नजर पेड़ के पीछे छुप कर सुसु करती हुई अंशिका पर गयी..उसके मोटे कुल्हे दूर से साफ़ दिखाई दे रहे थे, उसका चेहरा दूसरी तरफ था और वो पेड़ के पीछे थी पर पूरी तरह से छुप नहीं पा रही थी..उसकी गांड देखकर तो मेरे मुंह में पानी आ गया. तभी कनिष्का की आवाज आई : विशाल, क्या तुम मुझे अपना नंबर दे सकते हो?

मैं: क्यों ?
कनिष्का : वो..वो..अगर कोई प्रोब्लम हुई तो तुम्हारी हेल्प ले लिया करुँगी..
मैं: ठीक है, लिख लो.

और मैंने उसे अपना मोबाइल नंबर दे दिया. तभी अंशिका उठ कड़ी हुई और अपने कपडे ठीक करने के बाद वापिस आने लगी.

मैं: वैसे हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं हुआ था जैसा मैंने कहा या फिर जैसा तुमने सोचा..

कनिष्का हैरानी से मेरी तरफ देखने लगी. वो कुछ कहना चाहती थी पर तभी उसकी बहन अन्दर आ गयी.

अंशिका: अब ठीक है..चलो अब.
कनिष्का :नहीं ..अभी नहीं...वो क्या है की...मुझे भी..जाना है.
अंशिका: अब क्या हुआ...तू तो मुझे लेक्चर दे रही थी अभी..चल जा जल्दी से..

वो उतर कर चल दी उसी पेड़ के पीछे. मुझे नहीं मालुम की उसे भी सुसु आया था या नहीं..कहीं वो जान बुझकर , मुझे अपनी गांड के जलवे दिखने के लिए तो वहां नहीं उतरी थी. मैंने अपना चेहरा घुमा कर दूसरी तरफ कर लिया..ताकि अंशिका को ना लगे की मैं उसकी बहन को सुसु करते हुए देख रहा हूँ.

अंशिका: क्या बोल रही थी कन्नू...कुछ बताया तो नहीं तुमना..

मैंने सर घुमा कर उसकी तरफ देखा : तुम भी बच्चो जैसी बात करती हो..मैं कैसे उसे बता देता की तुमने आज सुबह मेरा लंड चूसकर मेरा सारा रस पी लिया..

मेरी बात सुनते ही उसने अपना सर शर्म से झुका लिया, बस इतना ही समय काफी था मुझे कनिष्का की तरफ देखने के लिए. जो अपने जींस उतार कर बैठी हुई आराम से अपनी गांड दर्शन मुझे करवा रही थी..पहले अंशिका और अब कनिष्का..दोनों बहनों की नंगी गांड देखकर तो मेरा बुरा हाल हो चूका था..वो उठी और अपनी जींस को ऊपर किया और अपने ग्लोबस को वापिस अन्दर छुपा लिया..और फिर हमारी तरफ आ गयी..

अन्दर आते ही कनिष्का बोली : दीदी, आपने कभी सोचा भी था की हम दोनों इस तरह से खुले में जाकर सुसु करेंगी..हे हे ..पर टाईम कुछ भी करा सकता है...है न..

अंशिका: हाँ मेरी माँ...अब चुप हो जा..

और उसके बाद हम तीनो हँसते हुए वापिस चल दिए. शाम काफी हो चुकी थी ,मुझे स्नेहा के पास भी जाना था. पुरे दिन बाहर रहने की वजह से मेरे सेल की बेटरी भी ख़तम हो चुकी थी.. मैं आधा घंटा देर से पोहचुंगा वहां. मैंने अंशिका को कहा की वो मुझे किटी मैम के घर छोड़ दे, ताकि मैं स्नेहा को पड़ा सकूँ. उसने कहा ठीक है और मुझे किटी में के घर के बाहर छोड़कर वो दोनों वापिस चली गयी..

मैं ऊपर गया और बेल बजायी...किटी में ने दरवाजा खोला : अरे विशाल तुम, आओ अन्दर आओ...

अन्दर आकर मैं सोफे पर बैठ गया, उसी जगह जहाँ कल शाम को स्नेहा मेरी बाँहों में नंगी थी और मैंने स्नेहा की चूत चाटी थी..मैं हाथ लगा कर सोफे पर लगे स्नेहा की चूत से निकले रस के निशान को रगड़ने लगा..

मैं: वो स्नेहा ..स्नेहा कहाँ है मैम?
किटी मैम:  उसने तुम्हे बताया नहीं, मैंने कहा था की फोन कर दे तुम्हे, वो तो आज अपनी सहेली के घर गयी है, उसका बर्थडे है..कॉलेज से सीधा चली गयी थी वो, साथ में अपनी ड्रेस भी ले गयी.
मैं: ओहो...एक्चुयल्ली मेरा फ़ोन डेड हो गया था आज, शायद इसलिए ...बात नहीं हो पायी उससे..ठीक है , कोई बात नहीं, मैं चलता हूँ..
किटी मैम:  रुको..बैठो थोड़ी देर..मुझे तुमसे बात करनी है..
मैं: उनकी बात सुनकर डर सा गया..कहीं उन्हें मेरे और स्नेहा के बारे में तो कुछ मालुम नहीं हो गया है..

किटी मैम अन्दर चली गयी, और मेरे लिए पानी लेकर आई. मेरी नजर तो उनके तरबूजों पर ही थी..आज बिना चुन्नी के उनकी छाती पर लटके उन रसीले फलों को देखकर तो मेरा लंड जींस में से टाईट होने लगा. पानी देने के बाद वो मेरे सामने बैठ गयी. वो मुझे घूरे जा रही थी..मानो मन में सोच रही हो की बात कहाँ से शुरू की जाए..

किटी मैम:  तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या..?
मैं: उनकी बात सुनकर घबरा गया..आज इनको क्या हो गया है जो मुझसे मेरी गर्ल फ्रेंड के बारे में पूछ रही है..अगर कोई और होता तो उसे शायद आज मैं अंशिका या स्नेहा के बारे में बता भी देता पर इनको तो येही मालुम है की अंशिका मेरी कजन है और स्नेहा तो इनकी सगी बेटी है..
मैं: जी...जी नहीं...
किटी मैम (हँसते हुए): घबराओ मत...मैं किसी से नहीं कहूँगी..
मैं: नहीं मैम, ऐसी कोई बात नहीं है...मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.
किटी मैम (मेरी आँखों में देखकर बोलते हुए): तभी..तभी तुम ऐसे हो..
मैं: फिर से घबरा गया, ये क्या कह रही है..
मैं: जी..मैं ..मैं कुछ समझा नहीं..
किटी मैम:  मेरे कॉलेज में मेरा पाला हर रोज तुम्हारी उम्र के लडको से पड़ता है..और उनकी नजरे देखकर ही मुझे पता चल जाता है की उनके दिमाग में क्या चल रहा है..

मेरा तो सर भन्ना गया..साली मेरे दिमाग का तो एक्सरे करने में नहीं लगी हुई...मेरे माथे पर पसीना आने लगा, मैंने दोबारा से पानी का गिलास उठाया और पूरा खाली कर दिया..

मेरी हालत देखकर वो मुस्कुराने लगी..

किटी: तुम क्यों घबरा रहे हो..मैंने तो अभी कुछ कहा भी नहीं..

मैं नजरे इधर उधर करके उन्हें अवोइड करने की कोशिश करने लगा.

मैं: आप क्या कह रही हैं, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा मैम..
किटी: अच्छा तो फिर सुनो, मैंने तुम्हे कई बार अपने यहाँ घूर कर देखते हुए पाया है...इसका क्या मतलब है.

उन्होंने अपनी भरी पूरी छातियों की तरफ इशारा किया..

मैं: जी..जी...मैं... मैं...नहीं.तो..मैंने तो...नहीं...

मेरी हालत देखकर वो फिर से हंसने लगी..

किटी:  हे हे...घबराओ मत...मैं समझ सकती हूँ, मैं कॉलेज में हयूमन साईंस पढ़ाती हूँ...और आज कल के लडको की साईकोलोजी मैं अच्छी तरह से समझती हूँ..जो चीज तुम्हे मिल नहीं सकती उसे देखकर ही मन भर लेते हो...है न..!!

मेरी समझ में नहीं आ रहा था की आज इन्हें हो क्या गया है...चाहता तो मैं भी कब से था की मैं उनके साथ इस तरह की बाते करूँ पर मुझे नहीं मालुम था की वो भी शायद ऐसा ही चाहती हैं..मैंने मन में सोचा की बेटा विशाल, आज ही मोका है, चांस लेकर देख ले..क्या पता किटी मैम की खीर खाने को मिल जाए. मैंने अब घबराना छोड़ दिया था..मैंने भी हँसते हुए उनकी बातों का जवाब देना शुरू कर दिया.

मैं: वो..वो क्या है न मैम...मेरी कोई गर्लफ्रेंड तो है नहीं..और मेरे सभी दोस्त मुझे हमेशा चिड़ाते रहते हैं...और अपने किस्से सुना सुनाकर मुझे जलाते हैं..इसलिए मेरी नजर अक्सर हर सुन्दर लड़की या औरत पर चली जाती है...इसलिए...इसलिए शायद आपको भी बुरा लगा होगा...मेरे ऐसे देखने से..

मेरे मुंह से सुन्दर औरत वाली बात सुनकर वो थोडा और चोडी हो गयी..

किटी:  तो क्या मैं तुम्हे सुन्दर लगती हूँ..
मैं: जी...जी .आप बुरा तो नहीं मानेगी..
किटी:  नहीं विशाल...बोलो..जो तुम्हारे मन मैं है बोलो..
मैं (शर्माते हुए): मैम...सुन्दर तो आप है ही...और आपकी ये ...ये ...ब्रेस्ट..और भी शानदार है...इसे कोई भी देख ले तो उसकी नजर ही न हटे इसपर से..प्लीस आप बुरा मत मानना ...और ये सब अंशिका को मत बताना...प्लीस...
किटी:  नहीं...मैं बुरा नहीं मान रही...और न ही मैं: ये सब अंशिका को बताउंगी...मुझे मालुम है की वो तुम्हारे ऊपर कैसा रोब चलाती है...पर एक बात बताओ...क्या तुमने आज तक किसी भी लड़की या औरत की ब्रेस्ट को हाथ में लेकर या उन्हें...उन्हें..नंगा नहीं देखा..

उनकी आखिरी बात सुनकर जो हरकत मेरे लंड में हुई, मैं बता नहीं सकता...साली मेरे सामने अपने दोनों बर्तनों को भरकर बैठी हुई मुझसे इस तरह की बात करेगी तो मेरा तो क्या...आप पड़ने वालो का भी लंड पेंट फाड़ कर बाहर आ जाएगा...

मैं: जी...जी नहीं मैम...ऐसा कोई मौका ही नहीं आया आजतक..

मेरी बात सुनकर वो फिर से मुझे घूरने लगी..मानो कुछ तय करने की कोशिश कर रही हो...

किटी:  देखो...तुम अगर किसी से कुछ न कहो..तो मैं..तुम्हे आज अपने ब्रेस्ट दिखा सकती हूँ..
मैं (चोंकते हुए): क्या...आप..आप अपनी...अपनी ब्रेस्ट मुझे....वाव...आई मीन...कैसे...और मुझे क्यों...आप दिखाएगी..
किटी:  देखो विशाल...तुमने स्नेहा के पापा को तो देखा ही है....उनकी उम्र नहीं रही अब ये सब करने की...मेरी भी कुछ तमन्नाये है...जो उनकी ढलती उम्र की वजह से अधूरी रह गयी है...और इसलिए मुझे जब भी मौका मिलता है...मैं तुम जैसे लडको के साथ कुछ मजे लेकर अपने अरमान पुरे कर लेती हूँ...बस इसलिए...और वैसे भी तुम मेरी बेटी की पढाई में मदद कर रहे हो...इसलिए मुझे भी तो तुम्हे थेंक्स कहने का मौका मिलना चाहिए न..

और वो उठकर मेरी बगल में आकर बैठ गयी...ठीक उसी जगह पर जहाँ उनकी बेटी कल नंगी मेरे साथ बैठी थी..

किटी मैम के शरीर से निकलती आग को मैं साफ़ महसूस कर पा रहा था...पर बात वहीँ पर आकर अटक जानी थी जहाँ कल अटकी थी...मैं अंशिका की चूत मारे बिना इनकी भी नहीं मार पाउँगा...जब मेरे इस फेसले को वो कुंवारी स्नेहा की चूत ना बदल सकी तो ये चालीस साल की आंटी क्या बदल पाएगी...पर मजे लेने में तो कोई पाबंदी नहीं है ना..और वैसे भी इनके रसीले फलों का तो मैं शुरू से दीवाना रहा हूँ..इसलिए मैंने भी सोच लिया की उनके साथ किस हद तक मुझे मजे लेने है या....देने है.

मैं: तो क्या आप..आप अपने स्टुडेंट्स के साथ भी...ये सब करती है...
किटी:  नहीं...सभी के साथ नहीं..सिर्फ उनके साथ जो कॉलेज में नहीं है अब..और जो मुझे पसंद होते हैं..मैं हमेशा थर्ड ईयर स्टुडेंट्स को चूस करती हूँ...क्योंकि कॉलेज में पड़ने वाले अपने दोस्तों से कुछ ना कुछ बोल ही देते हैं...और फिर उसी कॉलेज में पढाना काफी मुश्किल हो जाता है..यु नो..
मैं: उनकी बात समझ गया..पर हमारे कॉलेज में ऐसी कोई टीचर क्यों नहीं है...मैं भी तो अब थर्ड ईयर में हूँ...मुझे तो किसी टीचर ने आजतक कभी भी ऐसा प्रोपोसल नहीं दिया..

किटी मैम आज मुझे अपने सारे राज बताती जा रही थी, थर्ड इयर के कई स्टुडेंट्स से चुदवा चुकी थी वो..तभी तो उनके एवरेस्ट इतने ऊँचे थे..और गांड भी क्या क़यामत ढाने वाली थी...मेरा तो लंड ना जाने कितनी बार खड़ा हो चूका था उनकी मचलती हुई गांड देखकर..

किटी:  तुम्हारी तो कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं है ना...यानी तुम अभी तक वर्जिन हो...

मेरी दुखती रग पर हाथ रख दिया था किटी मैम ने अब. अब मैं उन्हें क्या बताऊँ, कल इसी सोफे पर उनकी लाडली बेटी स्नेहा की चूत मारने का अच्छा मौका था, पर अंशिका को दिए वाडे की वजह से वो नहीं कर पाया, वर्ना आज ये उनकी वर्जिन वाली बात मेरे दिल पर तीर की तरह नहीं लगती...और अंशिका के साथ भी मैंने लगभग सब कुछ कर लिया था..पर सही जगह की कमी की वजह से उसकी चूत को मारने का मौका भी नहीं मिल पा रहा था. मुझे सोचते हुए देखकर किटी मैम ने अपना हाथ मेरी जांघ पर रख दिया..मेरे लंड से कुछ ही दुरी पर. मेरे तो पुरे शरीर में उनके हाथ से निकलती गर्मी की वजह से सुरसुराहट सी होने लगी..

उन्होंने अपने हाथ को वहां धीरे-२ मलते हुए कहा : तो क्या सोचा तुमने...तैयार हो..पहली बार किसी औरत की ब्रेस्ट देखने के लिए..बोलो. अब इतना भी मैं मारा नहीं जा रहा उनकी ब्रेस्ट देखने के लिए...उनकी चाहे जितनी बड़ी और भरी हुई क्यों ना हो..पर अंशिका की ब्रेस्ट से उनका कोई मुकाबला नहीं है...और दुसरे नंबर पर मैं स्नेहा को रखूँगा...क्योंकि उसके छोटे-२ संतरे और उनपर लगे अंगूर जैसे निप्पल मुझे काफी पसंद आये थे...अब इन्हें कौन समझाए की मैं लंड से कुंवारा हूँ ...चूत मारने के अलावा मैं: सब कुछ कर चूका हूँ..पर इनसे ये सब छुपा कर रखना पड़ेगा..तभी तो वो मुझे अच्छी टीचर की तरह से ये सेक्स का चेप्टर पढ़ाएंगी ..

मैं: जी...हां...क्यों नहीं...

मेरा इतना कहने की देर थी की उन्होंने अपने ब्लाउस के हूक खोलने शुरू कर दिए...मैं फटी आँखों से उन बड़े- २ देत्यकार तरबूजों को बेपर्दा होते हुए देख रहा था. सारे हूक खुलने के बाद उन्होंने गहरी सांस ली..और अब उनकी व्हाईट कलर की लेंस वाली ब्रा में केद दो बड़े से जानवर मुझे हिलते हुए नजर आने लगे..ब्लाउस में होने की वजह से वो काफी तंग महसूस कर रहे थे..खुली जगह मिलते ही उन्होंने अपने आप को थोडा और फेला लिया..पर अभी भी एक और बाधा थी जो उन्हें पूरी तरह से सांस नहीं लेने दे रही थी..और वो थी उनकी सेक्सी ब्रा. अपना ब्लाउस उतार कर उन्होंने मेरी तरफ उछाल दिया..मैं उसमे से आती उनके पसीने की महक को सूंघकर मदहोश सा होने लगा.

किटी:  केसे लगे..ये तुम्हे..?
मैं: इतने करीब से पहली बार इतने बड़े मुम्मे देख रहा था..मेरी आँखों के सामने सिर्फ वोही थे, और कुछ भी मेरी आँखों के एंगल में आ ही नहीं पा रहा था..
मैं: वाव..मैम...दे आर बियुटिफुल...कैन ..कैन आई टच देम..
किटी:  या या...श्योर..

और वो आगे होकर मुझसे सट कर बैठ गयी... मैंने कांपते हाथों से अपने हाथ ऊपर करके उनके दोनों मुम्मो पर रख दिए...ऊऊओ कितने सोफ्ट थे...वो दोनों. 
अह्ह्ह्हह्ह , किटी मैम ने एक जोरदार सिसकारी मारी और मेरा मुंह पकड़कर अपने मुम्मो पर दबा दिया. ऊओह्ह्ह्ह विशाल्ल्ल्ल .....म्मम्मम......येस्स्स्स.....म्मम्म.....

मेरा तो दम हो घुटने लगा उनकी दोनों ब्रेस्ट के बीच में फंसकर. पर मजा भी बड़ा आ रहा था...इतने गद्देदार मुम्मे तो मैंने पहली बार देखे थे, और किटी मैम पर तो जैसे कोई भूतनी चढ़ गयी थी...मुझे किसी बच्चे की तरह से अपने शरीर से दबा कर ऐसे रगड़ रही थी की मुझे उनकी ब्रा के कपडे की रगड़ की वजह से मेरे चेहरे पर जलन सी होने लगी थी..

मैं पीछे हो गया..

किटी: क्या हुआ...आओ ना...
मैं: वो मैम...ये ..आपकी ब्रा ..मेरे चेहरे पर..चुभ रही है..
किटी मैम:  ओह...ये..

और इस बार उन्होंने हूक खोलने की जेहमत भी नहीं उठाई और खींच कर अपनी ब्रा को अपने शरीर से अलग कर दिया और अपनी दिसायीनर ब्रा को बर्बाद कर दिया...पर इसकी उन्हें कोई फिकर नहीं थी..क्योंकि सेक्स की आग जो उनके शरीर में जल रही थी उसके सामने ऐसी ब्रा की कोई कीमत नहीं होती और उनकी ब्रा के हटते ही उनके दोनों मस्ताने, रसीले, मोटे-ताजे, तरबूज मेरी आँखों के सामने झूल गए...

मैं: वाव...आई कांट बिलीव ईट ...दे आर सो लोव्ली...
किटी (गहरी सांस लेते हुए): देन...सक देम...

और उन्होंने फिर से मेरे सर को पकड़ कर अपनी छाती पर दे पारा और मेरा मुंह सीधा उनके दांये मुम्मे के निप्पल पर जा लगा ...और मैं उसे चूसने लगा...

अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह......विशाल्ल्ल्ल....यु आर सकिंग वैरी वेल्ल....या.....कीप ईट....लाईक दिस....या.....ऊऊऊ माय गोड...म्मम्मम


उन्होंने मेरे मुंह को खींचकर अपने स्तन से अलग किया...मेरा उन्हें छोड़ने का मन भी नहीं था...क्योंकि वो बड़े टेस्टी से लग रहे थे...खींचने की वजह से उनका निप्पल मेरे दांतों के बीच फंसकर रह गया...और उनके एक तेज झटके की वजह से वो पक की आवाज के साथ बाहर निकल गया...

अह्ह्ह्ह......शायद उन्हें दर्द हुआ होगा..

उन्होंने मेरे चेहरे को अलग किया और मेरी तरफ ऐसी भूखी नजरों से देखा तो मुझे लगा की कहीं मैंने उन्हें ज्यादा तेज तो नहीं चूस लिया...पर मेरा अंदाजा गलत निकला, मेरे चूसने की वजह से उनके अन्दर की आग और भड़क गयी थी...और अगले ही पल कुछ देर तक घूरने के बाद, उन्होंने मेरे होंठों को किसी भूखी लोमड़ी की तरह से चुसना शुरू कर दिया...

अह्ह्हह्ह ....पुच....पुच.....ऊऊओ विशाल.....म्मम्मम.....यु....आर वैरी टेस्टी.....अह्ह्हह्ह.....पुच ...पुच.....

वो अपने गीले मुंह से मुझे चूमती जा रही थी और मेरी सकिंग की तारीफ करती जा रही थी...

मैंने भी उनके रसीले और गीले होंठों को चुसना और चबाना शुरू कर दिया..और मेरे दोनों हाथ अब उनके दोनों मुम्मो पर थे...उनके दोनों चोकलेट कलर के निप्पल मेरे हाथों में किसी शूल की तरह से चुभ रहे थे..मैंने उन्हें अपनी दोनों हाथों की उँगलियों से मसलना शुरू कर दिया..जिसकी वजह से होने वाली सुरसुराहट की वजह से किटी मैम ने मुझे और तेजी से चुसना चालू कर दिया...

अब उनका एक हाथ सीधा मेरे लंड के ऊपर आकर टिक गया...मेरी तो जान ही निकल गयी जब उन्होंने उसे अपनी मुट्ठी में दबाकर भींच दिया...क्योंकि साथ में मेरी बाल्स भी आ गयी थी उनके हाथ में..

अह्ह्ह्हह्ह....धीरे मैम....

किटी:  निकालो...इसे निकालो विशाल...जल्दी...मैं इसे देखना चाहती हूँ.....जल्दी करो...
मैं: किसी आज्ञाकारी स्टुडेंट की तरह से उठ खड़ा हुआ ...और उन्होंने मेरी जींस की बेल्ट खोल कर उसे नीचे कर दिया...मेरे जोक्की के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी...और अगले ही पल उसे भी नीचे कर दिया..

मेरा लंड उन्हें सलामी देने लगा..

किटी:  इट्स लवली....एंड बिग्ग...

उसे देखकर उन्होंने अपने होंठों पर जीभ फेरी और फिर मेरे लंड के सिरे से निकलते रस को चाटकर चटखारा मारा और फिर पूरा अन्दर डाल लिया...

मैंने उनके मुंह को पकड़कर धक्के मारना शुरू कर दिया...उनके चूसने में और अंशिका और स्नेहा के चूसने में जमीन आसमान का अंतर था...वो अपने पुरे एक्सपेरिएंस से चूस रही थी...जिसकी वजह से मैं जल्दी ही झड़ने के करीब पहुँच गया...और अगले ही पल मेरा रस निकल कर उनके मुंह में जाने लगा....

आआआआअह्ह ऊऊऊओ ,.......म्मम्म......ऊऊऊ....मैम.......आआअह्ह्ह........... वो पूरा रस पी गयी..

मेरी टाँगे कमजोरी के कारण कांपने लगी और मैं वहीँ सोफे पर लुडक गया...

तभी बाहर दरवाजे की घंटी बज उठी. हम दोनों के चेहरे पर भय के भाव आ गए..

किटी:  इस समय कौन आ गया...

उन्होंने जल्दी से अपने कपडे पहने और बाहर की और गयी...."आई बाबा...कौन है..."

बाहर उनके पति थे. वो अन्दर आये और मुझे घूर कर देखने लगे..

किटी: ये स्नेहा का इन्तजार कर रहा है...

वो बिना कुछ बोले अन्दर चले गए...वो जानते तो थे की मैं स्नेहा को पड़ाने आता हूँ..पर पता नहीं क्यों, मुझे लगा की शायद उन्हें कुछ शक सा हो गया है...

जो भी हो...मैंने जल्दी से किटी मैम को बाय बोला और बाहर की और चल दिया...
भगवान् का शुक्र किया की आज उनके पति की वजह से मेरी वर्जिनिटी बच गयी...वर्ना आज मेरा ये किटी मैम क्या हाल करती...पता नहीं ..
[+] 1 user Likes sanskari_shikha's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#42
बाहर निकलकर मेरे दिमाग में बस एक ही बात घूम रही थी की अब किसी भी तरह से मुझे अंशिका की चूत मारनी ही पड़ेगी...क्योंकि मैं हर बार तो अपने पर कण्ट्रोल नहीं कर सकता न..आखिर हूँ तो मैं एक इंसान ही न. एक तरफ अंशिका है और दूसरी तरफ स्नेहा, किटी मैम और अगर मैं कुछ कोशिश करूँ तो कनिष्का भी शायद कुछ करवाने को तैयार हो जाए..मुझे जल्दी ही कुछ करना होगा. मैंने जल्दी से अंशिका को फ़ोन मिलाया पर उसका फ़ोन भी बंद था...शायद उसने अभी तक चार्ज नहीं किया होगा..

मैं सोच ही रहा था की क्या करूँ की तभी स्नेह का फोन आया मेरे सेल पर..मैं कुछ देर तक सोचता रहा और फिर फोन उठा लिया..

मैं: हाय...डार्लिंग ... कैसी हो ?

उधर से स्नेहा का गुस्से से भरा स्वर आया : भाड़ में गयी डार्लिंग...तुम्हारा फोन दोपहर से बंद आ रहा था..पता है, मैंने कितनी बार ट्राई किया..तुम्हे बताना था की मैं आज घर पर नहीं हूँ...

मैं: मालुम है...मैं अभी तुम्हारे घर से ही बाहर आ रहा हूँ...दरअसल मेरे सेल की बेटरी ख़त्म हो गयी थी...इसलिए तुमसे बात नहीं हो पायी...तुम्हारे घर गया तो किटी मैम से पता चला की तुम तो आज कॉलेज से ही अपनी फ्रेंड के घर चली गयी हो...उसके बर्थडे पर..और किटी मैम ने ही बताया की तुम मेरा फोन शायद काफी देर तक ट्राई कर रही थी..

स्नेहा मेरी बात सुनकर कुछ शांत हुई..

स्नेहा: और नहीं तो क्या...पता है, मुझे कितनी फ़िक्र हो रही थी तुम्हारी...तुम चाहे एक और सेल ले लो पर आगे से तुम्हारा सेल बंद नहीं होना चाहिए...समझे न..

उसकी प्यार से भरी बात सुनकर मैं भी मुस्कुरा दिया..

मैं: ठीक है जी...जैसा आप कहो ...तुम कहाँ पर हो..कैसी चल रही है पार्टी...
स्नेहा: यार क्या बताऊँ...मेरी बेस्ट फ्रेंड के पापा दुबई में काम करते हैं, और कल ही वो आये और अपनी बेटी के लिए आज पार्टी अर्रंज कर दी..फार्म हॉउस पर...अभी तो मैं उसके ही घर पर हूँ, थोड़ी ही देर में निकलेंगे वहां..पर दोपहर से मेरा ध्यान तुम्हारी तरफ ही था...जानते हो..मुझे बार-बार वही सब बातें याद आने लग गयी थी...कल वाली...आज कॉलेज में भी, पढाई करते हुए भी..बुक्स में भी मुझे वोही तस्वीरे दिखाई दे रही थी...और मैंने फिर कॉलेज की टॉयलेट में जाकर...पहली बार...वहां...मास्टरबेट किया...यु नो...

उसकी बातें सुनते हुए मेरे लंड महाराज ने भी उठना शुरू कर दिया था....जिसे अभी कुछ देर पहले ही उसकी मम्मी ने ही शांत किया था...

मैं: वाव....फिर..अब क्या?
स्नेहा (बड़े ही धीमे स्वर में): अब सबर नहीं होता विशाल...आई एम् डाईंग टु फक बाय यु...प्लीस...कुछ करो...मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा...

उसकी तेज साँसों की आवाज मुझे साफ़ सुनाई पड़ रही थी...

हाल तो मेरा भी बुरा हो चला था..आज तक अंशिका ने भी इतनी रिकुएस्त नहीं की थी अपनी मरवाने के लिए..उसकी हालत देखकर मुझे अपने आप पर ही गुस्सा आ रहा था..अगर मैंने अंशिका की चूत मार ली होती तो कल ये भी चुद चुकी होती...पर अंशिका को दिए वादे की वजह से मैं स्नेहा की चूत नहीं मार पाया...और अब आलम ये है की उसकी चूत की आग काफी भड़क चुकी थी...इसे अगर मैंने शांत नहीं किया तो वो किसी और से करवा लेगी....नहीं..नहीं..मुझे जल्दी ही कुछ सोचना होगा..जब तक उसकी चूत ना मार लूँ मुझे उसकी आग को थोडा बहुत शांत तो करना ही होगा..

मैं: ऊओह स्नेहा...मैं भी तो यही चाहता हूँ...बस सही समय का वेट करो..फिर देखना मैं तुम्हारी चूत के अन्दर अपना लंड डालकर तुम्हे ऐसे मजे दूंगा की तुम पूरी जिन्दगी अपनी पहली चुदाई को भूल नहीं पाओगी..
स्नेहा: ऊओह्ह्ह विशाल्ल्ल....तुम ऐसी बातें न करो प्लीस...मुझे कुछ हो रहा है....
मैं: तुम कहाँ हो अभी..
स्नेहा: मैं: अभी तैयार हो रही हूँ...बाथरूम में हूँ...अभी नहाकर हटी हूँ.
मैं (शरारती लहजे में): मतलब..तुम पूरी नंगी हो...
स्नेहा: हाँ..हूँ...आ जाओ फिर..हुंह..बात करते हो...
मैं: सच बताना...अभी मुझसे बात करते हुए तुम फिंगरिंग कर रही थी न...
स्नेहा: तुम्हे...तुम्हे कैसे पता चला..

अब मैं उसे क्या बताता..अंशिका से फ़ोन पर इतनी बार सेक्स भरी बातें हो चुकी हैं की दूसरी तरफ वो क्या कर रही है या क्या फील कर रही है..इन सबमे तो मैं पूरा उस्ताद हो चूका हूँ..

मैं: वो...वो तुम्हारी आवाज सुनकर मुझे लगा...
स्नेहा: ओह्ह्ह विशाल...मैं मर जाउंगी...काश तुम अभी यहाँ होते तो मैं यहीं तुमसे..तुमसे...
मैं: हाँ ..हाँ...बोलो..मुझसे क्या ?
स्नेहा: तुमसे चूत मरवा लेती...
मैं: अरे वाह..तुम भी लडको वाली भाषा बोलने लगी हो...
स्नेहा: ये सब तो हमारी क्लास में आम बात है...सभी लड़के-लड़कियां ऐसे वर्ड्स युस करते हैं...
मैं: तो ठीक है..तुम मेरे साथ भी ऐसे ही बात किया करो...
स्नेहा: वो तो ठीक है...पर अब मैं क्या करूँ...तुमने मेरा बुरा हाल कर दिया है..जानते हो मेरा कितना डिस्चार्ज हो रहा है नीचे से...तुम्हारी बातें सुनकर..
मैं: मेरा भी यही हाल है...पर तुम फिकर मत करो..मैं जल्दी ही कुछ करता हूँ...अच्छा सुनो..तुम्हारी ये पार्टी तो फार्म हॉउस पर है न...
स्नेहा: हाँ...तो..
मैं: क्या मैं भी वहां आ सकता हूँ...तुम्हारा फ्रेंड बनकर..

स्नेहा ख़ुशी के मारे चिल्ला उठी..

स्नेहा: वाव..ये तो मेरे दिमाग में आया ही नहीं था...क्या तुम यहाँ आ सकते हो..आई मीन...तुम्हे बुरा तो नहीं लगेगा न...मैं अपनी फ्रेंड को समझा दूंगी...और वैसे भी उसको मैंने तुम्हारे बारे में कुछ-कुछ बताया भी है...वाव....तुम यहाँ आओगे और पूरी शाम मेरे साथ रहोगे...मजा आएगा...प्लीस..प्लीस...आ जाओ न...मेरे लिए...प्लीस...

वो बाथरूम में नंगी खड़ी हुई चिल्लाती जा रही थी...

मैं: ओके..ओके...मैं आ सकता हूँ, तभी तुमसे ये पूछा...कुछ कर न पाए तो क्या..थोडा टाइम साथ तो रह ही लेंगे न...
स्नेहा: तुम आओ तो सही..कुछ करने का जुगाड़ मैं कर लुंगी...

उसकी बात सुनते ही मेरे लंड ने एक और तेज झटका मारा ..

मैं: मतलब...
स्नेहा: वो तुम मुझपर छोड़ दो...तुम बस जल्दी से यहाँ आ जाओ..

और उसने मुझे वहां का एड्रेस समझा दिया. अभी 6 :45 बजे थे..मैंने उसे कह दिया की मैं: 7 :30 तक सीधा वहां पहुँच जाऊंगा. मैंने जल्दी से घर गया और एक पार्टी ड्रेस निकाल कर पहन ली...और घर पर मम्मी को बोल दिया की एक दोस्त की बर्थडे पार्टी में जा रहा हूँ. मैं पुरे 7 :25 पर फार्म हॉउस में पहुँच गया..बड़े ही शानदार तरीके से सजाया गया था पूरा फार्म हॉउस ..अभी ज्यादा लोग आये नहीं थे..मैं एक कोने में जाकर बैठ गया और कोल्ड ड्रिंक पीने लगा. लगभर 8 बजे तक ज्यादातर लोग आ चुके थे.....मैं स्नेहा को तीन-चार बार फ़ोन कर चूका था...वो अपनी फ्रेंड के साथ ब्यूटी पार्लर में बैठी हुई थी..ये आजकल की लड़कियां भी न...अभी जवानी की देहलीज पर पैर रखा नहीं की ब्यूटी पार्लर में जाकर तैयार होने लगती है..किसी भी फंक्शन के लिए...अरे भाई इनको जरा बताओ की इस उम्र में जवानी को सादगी में देखने में जो मजा है वो ऊपर की तड़क भड़क में नहीं...उनका हुस्न ही काफी है हम जैसो का होश उड़ाने के लिए. उसके मम्मी पापा सभी मेहमानों का ध्यान रख रहे थे...मैंने उसके फ्रेंड अंकित को भी देखा, जो उस दिन छत्त पर स्नेहा के साथ किस्सिंग कर रहा था.., वो भी आया था अपने कुछ और दोस्तों के साथ पार्टी में...शायद स्नेहा की क्लास के ही होंगे वो भी और कुछ ही देर में स्नेहा अपनी फ्रेंड के साथ अन्दर आई...अन्दर आते ही उसकी फ्रेंड को सभी ने विश करना शुरू कर दिया...स्नेहा भाग कर मेरी तरफ आई..और मुझसे लगभग लिपट सी गयी आकर..उसके पुरे शरीर से भीनी सी खुशबू आ रही थी...उसने बड़ा ही सुन्दर सा फ्रोक्क स्टाईल का सूट पहना हुआ था. मैंने भी उसे गले से लगाकर भींच सा लिया..मेरी नजर सामने गयी तो उसकी क्लास का वो फ्रेंड अंकित हमें ही घूर रहा था...मैं उसकी हालत देखकर हंस दिया.

स्नेहा: आई एम् सो हैप्पी ....अगर तुम नहीं आते तो मैं आज पूरी शाम बोर हो जाती यहाँ पर...
मैं: अब तो मैं आ गया हूँ न...अब तुम्हे बोर नहीं होने दूंगा.

तभी मेरा फोन बज उठा..ये अंशिका का फोन था. मैंने स्नेहा को एक्स्कुस मी कहा और एक कोने में जाकर उससे बात करने लगा.

अंशिका: हाय...कहाँ हो...बड़ा शोर आ रहा है...
मैं: वो..वो एक पार्टी में आया था...एक दोस्त के बर्थडे पर ..
अंशिका: अच्छा जी..पहले तो तुमने ये बात बताई ही नहीं मुझे...अब एकदम से पार्टी में पहुँच गए..कहीं ये वैसी पार्टी तो नहीं है न..जैसी पार्टी में जाना बोलकर तुम मेरे साथ गए थे..

ये लडकिया भी न..कई बार मजाक में ही सही..पर सही बात कह जाती है..जिससे हम जैसो की गांड फट जाती है..

मैं: अरे नहीं बाबा...तुम भी न..
अंशिका (हँसते हुए): अरे मैं तो मजाक कर रही थी...वैसे मैंने फ़ोन इसलिए किया था की तुम्हे थेंक्स बोलना था...आज पूरा दिन तुमने हमारे साथ कॉलेजेस में जाकर जो हेल्प की है ..उसके लिए थेंक्स..कन्नू भी बड़ा इम्प्रेस हुई तुमसे...ये लो..वो भी तुमसे बात करना चाहती है..

मैं: कुछ कह पाता इससे पहले ही अंशिका ने फोन अपनी बहन कनिष्का को दे दिया...

कनिष्का: हाय....कैसे हो..
मैं: मैं ठीक हूँ...बस अभी एक पार्टी में आया था..
कनिष्का: ओह्ह..तब तो तुम्हे ज्यादा परेशान नहीं करना चाहिए...तुम एन्जॉय करो..और मेरी और दीदी की तरफ से बहुत-बहुत थेंक्स..आज के लिए..और..और.
मैं: और क्या ?
कनिष्का (बड़ी ही धीमी आवाज में): कभी मौका मिला तो मिलकर थेंक्स बोल दूंगी..
मैं: उसकी बात का मतलब समझ कर मस्ती में अपने लंड को रगड़ने लगा..
कनिष्का (फिर से तेज आवाज में): अच्छा लो...दीदी से बात करो...

अंशिका शायद थोडा दूर खड़ी थी उससे..उसने फोन जाकर अंशिका को दे दिया..

अंशिका: हाँ जी...अब बोलो...तो ये किसकी पार्टी है...
मैं: वो..मेरा एक फ्रेंड है..निखिल, उसकी बर्थडे पार्टी है...

अंशिका: चलो फिर ..तुम एन्जॉय करो...मैं रात को फोन करुँगी..
मैं: ठीक है.

और मैं फोन रखकर वापिस स्नेहा के पास आ गया.

स्नेहा: कौन थी...
मैं: वो..वो ..मेरी मम्मी..
स्नेहा: ओहो..मुझे लगा ..तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है...जिससे बात करने के लिए तुम कोने में जा रहे हो..
मैं: तुम भी न...मैंने तुम्हे कहा था न की मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है...
स्नेहा (मेरे होंठों पर अपनी नर्म ऊँगली रखते हुए): अब ये बात मत बोलो...अब है..

वो अपनी बात कर रही थी. मैं भी उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया और उसकी ऊँगली को चूम लिया..उसने शर्माते हुए अपना हाथ खींच लिया. तभी माईक पर उसकी फ्रेंड के पापा ने सभी मेहमानों को वहां आने के लिए थेंक्स कहा और फिर उन्होंने केक मंगवाया ..वेटर एक बड़ा सा केक ट्रोली में लेकर आये और फिर उन सभी ने मिलकर केक काटा...स्नेहा मेरा हाथ पकड़कर मुझे सबसे आगे ले गयी...उसकी फ्रेंड ने केक काटा और अपने मम्मी पापा को खिलाने के बाद उसने एक बड़ा सा टुकड़ा स्नेहा को दिया..स्नेहा ने थोडा सा केक खाकर वही टुकड़ा मेरी तरफ बड़ा दिया...अब वहां के लोगो को क्या मालुम की मैं स्नेहा का क्या लगता हूँ...वो शायद मुझे उसका भाई या कोई करीबी समझ रहे होंगे...पर उसकी फ्रेंड ने जब स्नेहा को मुझे केक खिलते देखा तो उसने स्नेहा से आँखों ही आँखों में मेरी तारीफ कर दी...

उसके बाद सभी लोग खाना खाने लगे..
[+] 2 users Like sanskari_shikha's post
Like Reply
#43
मैं और स्नेहा एक कोने में जाकर टेबल पर बैठ गए और कुछ स्नेक्स खाने लगे. तभी उसकी फ्रेंड वहां आई - हाय...आई एम् हिनल...स्नेहा ने बताया था कल तुम्हारे बारे में.

मैं: हाय हिनल..एंड हैप्पी बर्थडे...यु आरे लूकिंग रेअल्ली गुड एंड सॉरी मैं बिन बुलाये यहाँ आ गया...
हिनल: अरे कोई बात नहीं. ..तुम मेरी सबसे अच्छी फ्रेंड के फ्रेंड हो...और इसने बुलाया या मैंने बुलाया एक ही बात है..एंड थैंक्स फॉर यूर विश एंड कॉम्प्लीमेंट...

हिनल अब मेरे सामने खड़ी थी, इसलिए उसका पूरा ढांचा मैं अच्छी तरह से देख पा रहा था. उसने लम्बी गाउन वाली व्हाईट कलर की ड्रेस पहनी हुई थी..जिसपर चमकीले सितारे लगे थे...और ऊपर से उसने लम्बा सा जुड़ा पार्लर से बनवाया था और कुछ मेकअप भी करवाया था. उसकी ब्रेस्ट का साईज काफी बड़ा था...अंशिका के जितना होगा शायद...ये मुझे क्या हो गया है..आजकल हर लड़की को अपनी आँखों से तोलकर देखने लगा हूँ. मैंने स्नेहा की तरफ देखा, वो मुझे ही घूर रही थी. 

स्नेहा: ये ज्यादा पसंद आ रही है...बात करवा दूँ इसके साथ तुम्हारी...बोलो..

उसकी बात सुनकर हिनल हंस पड़ी...

मैं: क्या...क्या कह रही हो?
स्नेहा: घूर तो ऐसे रहे हो इसे...वैसे हमारी क्लास में भी उसके बड़े दीवाने है...और कुछ तो यहीं घूम रहे हैं..हे हे..

ये कहते हुए स्नेहा और हिनल ने अपने हाथ एक दुसरे की तरफ बड़ा दिए...और ताड़ी मारी..

हिनल : और स्नेहा के पीछे भी काफी भँवरे हैं...पर आज तुम्हे यहाँ देखकर ना जाने कितनो के दिल टूट गए होंगे...हा हा...

और फिर से उन दोनों ने एक दुसरे की तरफ हाई फाईव वाले स्टाईल में ताड़ी मारी. उन दोनों की दोस्ती देखकर मैं भी मजे लेने लगा. तभी हिनल को उसकी मम्मी ने बुलाया और वो चली गयी..

स्नेहा: वैसे..तुम हो तो बड़े चालु...
मैं: कैसे...
स्नेहा: हर लड़की का एक्स्सरे करने लग जाते हो तुम तो...वैसे एक बात बताऊँ...ये हिनल ने आज ब्रा नहीं पहनी हुई अन्दर...हे हे..
मैं: उसकी बात सुनकर चोंक गया.
स्नेहा: वो इसकी ड्रेस ही ऐसी थी...पीछे से स्ट्रेप्स दिखाई दे रहे थे..तुमने उसका गला नहीं देखा क्या..पीछे से..

मैंने नजर घुमा कर हिनल की तरफ देखा...माय गोड...उसके पीछे का गला पीठ तक जा रहा था...और उसके साथ ब्रा पहनने का तो कोई सवाल ही नहीं था. काश इसने ये बात पहले बताई होती जब वो मेरे सामने खड़ी थी...तो शायद मैं उसकी ड्रेस में से उसके निप्पल ढूँढने की कोशिश करता..

मैं: और तुमने पहनी हुई है क्या ब्रा...?
स्नेहा (मेरी आँखों में देखते हुए): तुम ही बताओ...

मैंने उसकी छाती पर नजरें जमा दी...वो हलके से मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखती रही...मुझे सच में पता नहीं चल पा रहा था की उसने अन्दर ब्रा पहनी है या नहीं...

मैं: मुझे इस तरह से पाता नहीं चल पायेगा...हाथ से चेक करना पड़ेगा...
स्नेहा (उसी अंदाज में ): तो कर लो...मैंने कहाँ मना किया है..
मैं: चेक कर लूँ....पर कैसे?
स्नेहा: वो तो तुम जानो...एक काम करो तुम जरा सोचो, तब तक मैं अपनी दूसरी फ्रेंड्स से मिलकर आती हूँ..

वो चली गयी और मैं सोचने लगा...

स्नेहा चलती जा रही थी और उसकी मटकती हुई गांड देखकर मेरा लंड तेजी से उछलने लगा था.. मैं मन ही मन सोच रहा था की एक तरफ ये मुझे देने को तैयार है और दूसरी तरफ मेरी किस्मत मेरा साथ नहीं दे रही है, पर अभी के लिए तो जितना मिले उसे समेट लो. स्नेहा जाकर अपनी सहेलियों के बीच खड़ी हो गयी..उसकी क्लास की सारी लड़कियां बड़ी ही सेक्सी ड्रेस्सेस में वहां आई हुई थी, एक ने तो मिनी स्कर्ट और टॉप पहना हुआ था और उसके शरीर का हर कसाव उसमे से साफ़ दिखाई दे रहा था, नीचे मोटी-मोटी टाँगे और ऊपर लटकते हुए रसीले आम. पर मुझे तो सबसे पहले स्नेहा के साथ मजे लेने के लिए कोई जगह देखनी थी..मैं  उठकर फार्म हॉउस के पीछे की तरफ चल दिया, खाने की टेबल्स के पीछे वाली जगह पर अँधेरा था, और उसके पीछे काफी ऊँची दिवार थी, ये जगह सही है...मैं जल्दी से वापिस आया और स्नेहा को ढून्ढने लगा, वो बर्थडे गर्ल हिनल के साथ खड़ी थी और उनके साथ स्नेहा का वो पुराने वाला बॉय फ्रेंड भी था...मैं उनके पास गया.

स्नेहा: कहाँ चले गए थे तुम...मैं कब से तुम्हे ढूंढ रही थी..
मैं: वो मैं... जरा लू गया था..

अंकित ने मेरी तरफ हाथ बड़ा दिया...

अंकित: हाय...आई एम् अंकित...
मैं: हाय..आई एम् विशाल..हाउ आर यु..

स्नेहा: तुम अंकित से मिल ही चुके हो न, मेरे बर्थडे पर...
मैं: हाँ...तुम्हारे घर की छत्त पर..

अंकित सकपका गया...और उसका चेहरा देखकर हिनल और स्नेहा ने फिर से एक दुसरे के हाथ पर ताड़ी मारी और हंसने लगी..

स्नेहा: विशाल...मैंने तुमसे कुछ नहीं छुपाया...ये मेरा एक्स बॉय फ्रेंड है...और मालुम है इसको लेकर मुझमे और हिनल में कितनी लडाई होती थी...हिनल का ये पहला क्रुष था...पर इसे मैंने पहले हथिया लिया...पर अब जबसे तुम मेरी जिन्दगी में आये हो, सो..यु नो..मैंने इसे डंप कर दिया...और आज जब मैंने ये बात हिनल को बताई तो इसने मुझे अंकित के साथ......फ्रेंड शिप करने के लिए कहा, इसलिए मैंने अभी अंकित को बुलाया था और मैं इन्हें एक दुसरे से मिलवा रही थी...सो...हिनल, ये रहा मेरी तरफ से तुम्हारा बर्थडे गिफ्ट...एन्जॉय...

और ये कहते हुए स्नेहा ने अंकित का हाथ पकड़कर हिनल के हाथ में दे दिया. अंकित तो बेचारा भोला सा चेहरा बना कर खड़ा हुआ था, मानो उसे बकरी की तरह बाजार में बेचा जा रहा हो...पर हिनल उसका हाथ पकड़कर फूली न समायी...और वो अंकित के साथ लगभग चिपक कर खड़ी हो गयी..इतना गर्म माल पाकर कोई पागल ही होगा जो खुश न हो...हिनल के शरीर की गर्मी मिलते ही अंकित का मूड भी चेंज होने लगा...और वो हिनल से हंस कर बाते करने लगा. पर मेरा ध्यान तो हिनल की ड्रेस में से उसके निप्पलस ढून्ढ रहा था..और आखिर मेरी तेज नजरों ने उन्हें पा ही लिया, सफ़ेद ड्रेस जो उसकी ब्रेस्ट से चिपक कर नीचे की और आ रही थी और जिसपर हलके फुल्के सितारे लगे हुए थे, उसके निप्पल वाली जगह पर आकर एक स्पीड ब्रेकर जैसी हालत में उसके निप्पल्स तन कर खड़े हुए थे, शायद अंकित को अपने इतने पास पाकर वो गरमा रही थी...

स्नेहा मुझे लेकर थोडा दूर चली गयी..

स्नेहा: तुम्हे बुरा तो नहीं लगा न...दरअसल, हमारे फ्रेंड सर्कल में ये सब चलता है, एक दुसरे के बॉय फ्रेंड को हम सभी आपस में युस कर लेते हैं...तभी तो मजा बना रहता है...ये अंकित काफी बड़े घर का लड़का है..इसे सबसे पहले मैंने अपना बॉय फ्रेंड बनाया..ये मुझे छोड़ना तो नहीं चाहता था, पर तुम्हारे आगे मुझे ये कुछ भी नहीं लगता...पर मैंने इसके साथ हद से ज्यादा कुछ नहीं किया..वैसे हमारे ग्रुप की कई लड़कियों ने तो सब तरह के मजे कर लिए है...पर अभी भी कई हैं जो वर्जिन है..जिनमे से मैं और हिनल भी हैं..पर हमने दुसरे मजे बहुत लिए हैं...

उसके खुले विचार सुनकर मुझे बड़ी ख़ुशी हो रही थी, एक वजह तो ये थी की अगर उसे मेरे दुसरे संबंधो के बारे में पता चला तो वो शायद उतना बुरा नहीं मानेगी और दूसरी वजह ये की शायद मुझे उसकी दूसरी सहेलियों के साथ कुछ मजे करने को मिल जाए...खासकर हिनल के साथ..

मैं: नहीं, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है...वैसे मैंने एक जगह देखी है, जहाँ मैं ये चेक कर सकता हूँ की तुमने ब्रा पहनी हुई है या नहीं...

स्नेहा का चेहरा मेरी बात सुनकर मानो आग की तरह जलने लगा...

स्नेहा: क्या...सच...कहाँ है...चले क्या...?

मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे टेंट के पीछे की तरफ ले जाने लगा. वो बार-बार मुड़कर पीछे देख रही थी, की कोई हमें देख तो नहीं रहा है न. पीछे जाकर जब मैंने एक अँधेरे वाली जगह पर उसे खड़ा किया तो मुझे सिर्फ उसकी आँखें ही चमकती हुई दिखाई दे रही थी. मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ लिए, इतना करने की देर थी की उसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरे सीने से लग गयी..

स्नेहा: ओह्ह्ह...विशाल...तुमने तो मुझे पागल कर दिया है....हर समय मैं तुम्हारे बारे में ही सोचती रहती हूँ...

उसने मुंह ऊपर किया और मेरे तपते हुए होंठो को अपने मुंह में लेकर उन्हें चूसने लगी. उसके मुंह का गीलापन देखकर मुझे उसके अन्दर जल रही आग का अनुमान हो रहा था. मैंने उसके दोनों मुम्मो पर हाथ रख दिए और उन्हें दबाने लगा...हाथ पीछे लेजाकर मैंने उसके सूट के पीछे लगी जिप खोल दी और उसके सूट को कंधे से खिसका कर नीचे कर दिया...मेरे सामने उसकी नंगी चूचियां थी...

मैं: तो तुमने भी ब्रा नहीं पहनी...हूँ..
स्नेहा: वो क्या है न, आज मैंने और हिनल ने डीसाइड किया था की हम दोनों ब्रा नहीं पहनेगी..उस पागल की वजह से मुझे भी अपनी ब्रा उतारनी पड़ी आज...
मैं: अच्छा है ना...हम दीवानों का काम आसान हो गया...
स्नेहा: मेरा बस चलता तो मैं तुम्हारे सामने कुछ भी न पहनू...

उसकी इतनी गर्म बात सुनकर मैंने उसे किसी जंगली की तरह से बालों से पकड़ा और अपने होंठो पर दे मारा...

स्नेहा: अह्ह्ह्ह.....जंगली....

उसकी इस बात ने आग में घी जैसा काम किया...फिर तो मैंने उसे जंगली की तरह से चूमना और चाटना शुरू कर दिया. उसने मेरा चेहरा पकड़कर नीचे किया और अपनी एक ब्रेस्ट पकड़कर मेरे मुंह में ठूस दिया...और जब मैंने उसी जंगलीपन में उसके निप्पल पर दांत से काटा तो उसने अपना सर पीछे करके एक तेज आवाज निकाली. अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह........उफफ्फ्फ्फ़......विशाल्लल्ल्ल......म्मम्मम्म.. मैंने एक एक करके उसके दोनों चुचे चूसने शुरू कर दिए...उसका सूट ऊपर से नीचे की और आकर कमर में अटका हुआ था. मैंने हाथ नीचे लेजाकर उसकी चूत के ऊपर रखा, वहां तो मानो बाड़ सी आई हुई थी..पूरी तरह से गीली हो चुकी थी उसकी पेंटी और पय्जामी...मैंने हाथ वापिस ऊपर लाकर अपने मुंह में डाला और उसके रस का स्वाद लेने लगा. उसने भी मेरे लंड के ऊपर हाथ मारने शुरू कर दिए थे. वो अचानक मेरे सामने नीचे बैठ गयी और मेरी पेंट की जिप खोलने लगी. अब अँधेरे में काफी देर तक रहने की वजह से मुझे वो साफ़ दिखाई दे रही थी...ऊपर से नंगी होकर वो मेरी आँखों में देखती हुई मेरी पेंट को नीचे कर रही थी..और फिर मेरे जोकी को भी नीचे करने के बाद उसने मेरे खड़े हुए लंड को जब चुसना शुरू किया तो मेरी टांगो में एक कंपकंपी सी छूट गयी...और मेरे मुंह से एक लम्बी सी हुंकार निकल गयी....

ऊऊऊऊऊऊऊऊह्ह्ह्ह ........ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह.......स्नेहा.......म्मम्म....यस बेबी......सक मी.....सक मी हार्ड.....वो तो मेरे लंड की पहले से ही दीवानी थी, उसने उसे अपने मुंह के अन्दर लेजाकर चूसना शुरू कर दिया...

तभी हमें अपनी तरफ कोई आता हुआ दिखाई दिया. मैंने जल्दी से अपना लंड स्नेहा के मुंह से निकाला और एक झाडी की आड़ में हो गया...ताकि जो भी आ रहा है उसे हम दिखाई न दे. थोडा पास आने पर पता चला की ये तो एक और जोड़ा है...और गोर से देखा तो पाया की ये तो हिनल और अंकित हैं...
वो दोनों एक दुसरे को बुरी तरह से चूमने चाटने में लगे हुए थे...अंकित ने तो पीछे आते ही हिनल की ब्रालेस ड्रेस को साईड में खिसका कर उसे टोपलेस कर दिया था...और उसके दोनों रसीले आमो को हाथों से दबाकर उसके होंठ चूसने में लगा हुआ था. उन्हें देखते ही स्नेहा उठ खड़ी हुई और उनकी तरफ जाने लगी...मैं उसे रोकने के लिए हाथ आगे किया पर तब तक वो उनके सामने आ चुकी थी. उसने अपने सूट को ऊपर करके, बिना पहने, अपनी ब्रेस्ट को छुपा लिया था. स्नेहा को देखते ही अंकित चोंक गया और उसने हिनल को छोड़ दिया...पर हिनल स्नेहा को देखकर हैरान नहीं हुई और वो अंकित से चिपक कर खड़ी हो गयी...

हिनल : ओहो...तो तुम यहाँ पर हो...तुम्हे भी यही जगह मिली थी...

उसने मुझे पीछे खड़े हुए देख लिया, अब मेरा भी छुपना बेकार था...मैंने अपने लंड अन्दर किया और उनकी तरफ आ गया...और स्नेहा की कमर में हाथ डालकर खड़ा हो गया..

स्नेहा: क्या यार...इतने बड़े फार्म हॉउस में तुझे भी यही जगह मिली थी क्या...और अंकित , तुम्हे तो मानना पड़ेगा,...मेरे बर्थडे पर मेरे साथ और अब हिनल के बर्थडे पर इसके साथ...मजे हैं तुम्हारे...
अंकित: तुम अगर मुझे न छोडती तो मैं अभी भी तुम्हारे पास होता...वहां...

उसका इशारा मेरी तरफ था. पर मेरा सारा ध्यान तो हिनल की खुली हुई ब्रेस्ट के ऊपर था...क्या माल था यार...उसकी ब्रेस्ट तो अंशिका से भी बड़ी थी...और उसके निप्पल स्नेहा से काफी बड़े थे. हिनल ने अपनी ब्रेस्ट पर मेरी नज़रों के तीर चलते पाकर मुझसे कहा : डू यु लाईक वाट यु सी...

मैं: उसकी बात सुनकर सकपका गया...और वो दोनों सहेलियां फिर से एक दुसरे के हाथ पर ताली पारकर हंसने लगी...
स्नेहा: यार हिनल...ये गलत है...मैंने तुझे अपना एक्स दिया न...तू उसके साथ मजे ले, मेरे वाले को क्यों अपनी तरफ खींच रही है..
हिनल :मैंने क्या किया, वो ही मुझे घूर रहा है, तुने अपने तो छिपा रखे हैं, वो बेचारा तभी तो मेरे देख रहा है...

हिनल की बात सुनकर स्नेहा ने अपने सूट को वापिस नीचे कर दिया...मानो वो कम्पीटीशन में उतर आई हो..

स्नेहा: विशाल...लुक हियर.....एंड सक देम ....
मैं: किस रोबोट की तरह उसकी बात को मानकर अपने मुंह को उसकी ब्रेस्ट तक ले गया ....और हिनल की आँखों में देखते हुए ही उसके निप्पल को चूसने लगा...

हिनल की नजरे भी मेरी आँखों से अलग नहीं हो रही थी...उसने भी अंकित को किसी बेजान चीज की तरह अपनी तरफ खींचा और अपनी ब्रेस्ट पर उसका मुंह लगाकर उसे अपने आम चुस्वाने लगी...और वो बेचारा भी स्नेहा के नंगे स्तनों को देखकर अपनी आँखे सकने में लगा हुआ था...शायद वो पहली बार ही देख रहा था उन्हें. वो दोनों सहेलियां एक दुसरे के सामने मजे लेने में लगी हुई थी. दोनों सहेलियों की सिस्कारियां गूँज रही थी मेरे कानो में. फिर स्नेहा ने मेरे लंड पर हाथ रखकर उसे फिर से बाहर निकाल लिया...और नीचे बैठकर उसे फिर से चूसने लगी. हिनल भी अंकित की पेंट से उसके लंड को बाहर निकाल कर उसके सामने बैठ गयी...वो अब अंकित के लंड को अपने हाथ में लेकर उसकी लम्बाई तय करने में लगी हुई थी..और फिर मेरे लंड की तरफ देखकर वो स्नेहा से बोली

हिनल : अब मालुम चला की तुने इस बेचारे को क्यों छोड़ दिया...

पर स्नेहा ने कोई जवाब नहीं दिया और मेरे लंड को चूसने में लगी रही...अंकित ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया...मेरे लंड के सामने उसका लगभग 2 इंच छोटा था. फिर भी हिनल अपने हाथ आई चीज को छोड़ना नहीं चाहती थी...उसने भी अपने जीभ निकाल कर उसके पांच इंच ले लंड को चुसना और चाटना शुरू कर दिया. अंकित की नजर मेरे सामने बैठी हुई स्नेहा पर थी और मेरी नजरे हिनल के हिलते हुए मुम्मो पर. जल्दी ही अंकित के चेहरे के भाव बदलने लगे और अगले ही पल उसके लंड ने हिनल के मुंह में पानी छोड़ दिया. हिनल ने सारा रस पिया और अपने होंठ साफ़ करती हुई उठ खड़ी हुई. मेरा लंड तो झड़ने के काफी दूर था अभी...

हिनल ने अंकित को घूर कर देखा मानो उसके जल्दी झड़ने पर गुस्सा दिखा रही हो. फिर उसने अपनी ड्रेस को ऊपर की तरफ करना शुरू कर दिया...और उसकी नंगी टाँगे मेरे और अंकित के सामने आने लगी...उसने उस ड्रेस को पूरा ऊपर करने के बाद अपनी पेंटी से भी ऊपर उठा लिया और फिर उसने अपनी पेंटी को नीचे की और खिसका दिया. मेरी तो हवा ही टाईट हो गयी उसकी सफाचट चूत को देखकर...और उसमे से निकलता पानी देखकर. उसने मेरी तरफ ही देखते हुए अंकित को नीचे की और जाने का इशारा किया...और वो किसी पालतू कुत्ते की तरह नीचे घांस पर उसकी टांगो के बीच बैठ गया. हिनल ने अपनी एक टांग उठा कर उसके कंधे पर रखी और उसकी रस टपकाती चूत अब सीधा अंकित के मुंह के ऊपर ही थी...और फिर हिनल अंकित के मुंह के ऊपर बैठ गयी...

अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह .......ऊऊऊ माय गोड.......सक मी......सक मी.अंकित.........संक मीईईईई...........अह्ह्हह्ह ... अंकित ने उसकी चूत को चुसना शुरू कर दिया था.... 

स्नेहा भी बैठी हुई थक सी गयी थी....मेरे लंड से पानी निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था....मुझे आज अपने लंड पर बड़ा नाज हो रहा था...

अंकित के मुंह के ऊपर एक पैर नीचे जमीन पर और दूसरा हवा में उठाकर बैठी हुई हिनल का बेलेंस अचानक बिगड़ा और उसने मेरी तरफ हाथ बढाकर मुझे पकड़ लिया....मेरे कंधे का सहारा पाकर वो गिरने से बची. उसके दोनों चुचे मेरी बाजुओं से टक्कर खा रहे थे....और वो मेरी तरफ देखती हुई अपनी चूत को अंकित से चुसवा रही थी...

अह्ह्ह्ह.....ओह्ह्हह्ह......ओह्ह्हह्ह....येस्स.......म्मम्मम... उसकी आँहो के साथ निकल रही तेज साँसे मेरे चेहरे पर पड़ रही थी... 

स्नेहा ने जब ऊपर मुंह करके हिनल को मुझसे चिपक कर खड़े देखा तो उसने मेरा लंड अपने मुंह से बाहर निकाल दिया और उससे बोली

स्नेहा: ऐ हिनल...थोडा दूर तो हो जा....इतने पास आकर खड़ी होगी तो इसका ईमान तो डोल ही जाएगा न....
हिनल : मैं....अह्ह्ह.....मैं तो....तेरी हेल्प कर रही हूँ....अह्ह्ह....
स्नेहा: मेरी हेल्प....कैसे...
हिनल : अरे...तुने सुना नहीं....एक से भले दो.....तू इतनी देर से इसके पेनिस को चूस रही है....पर इसका निकल ही नहीं रहा.....क्या पता, मुझे इतने पास देखकर ये जल्दी डाउन हो जाए....है के नहीं....

बेचारी स्नेहा उसकी चालाक सी बातों में आ गयी...

स्नेहा: वाव....थेंक्स यार...जल्दी कर फिर तो....मैं भी थक गयी हूँ..इतनी देर से इसके पेनिस को सक करते हुए....मुझे भी यहाँ कुछ हो रहा है....

वो अपनी चूत को मसलती हुई बोली

हिनल : तू एक काम कर....जल्दी से अपने पय्जामी उतार दे...

उसकी बात सुनकर स्नेहा उठी और एक ही बार में अपनी पय्जामी उतार कर झाडी के ऊपर रख दी...और फिर से बैठ कर मेरे लंड को चूसने लगी...

हिनल : अंकित....तुम क्या अपनी पुरानी फ्रेंड की हेल्प नहीं करोगे....

अंकित उसकी बात सुनकर थोड़ी देर तक चूत चुसना भूल गया...उसे शायद अपने कानो पर विशवास नहीं हो रहा था की हिनल उसे क्या करने को कह रही है...फिर मुझे और स्नेहा को देखकर...धीरे से अपना हाथ आगे करके, स्नेहा की चूत के ऊपर लगा दिया. स्नेहा की चूत तो पहले से ही टंकी की तरह से बह रही थी....उसे भी शायद झड़ने की जल्दी थी और मेरे लंड को झाड़ने की भी...और इसके लिए कौन क्या कर रहा है इसके बारे में सोचने का अब वक़्त नहीं था....उसने भी अपनी टाँगे चोडी करके अंकित के हाथो पर अपनी चूत को रगडा और जब अंकित ने उसकी रसीली चूत के अन्दर उँगलियाँ दाल कर हिलाना शुरू किया तो उसके मुंह से अजीब तरह की आवाजें निकलने लगी...

ओग्गग्ग्ग्ग ...ओह्ह्ह्ह.....म्मम्मम....मूऊउ ......

उधर हिनल भी स्नेहा की हाँ पाकर और भी ज्यादा उत्तेजित हो गयी और अपनी चूत को अंकित के मुंह पर और तेजी से रगडती हुई वो मेरे से और जोर से चिपक कर खड़ी हो गयी ....और अगले ही पल मेरे हाथ अपने आप उसकी गोल गोल छातियों पर जाकर चिपक गए...और उसने भी बिना किसी बात की देरी किये बिना आने होंठ मेरे होंठों से चिपका दिए और मुझे बुरी तरह से चूसने लगी. वहां खड़े-खड़े ही मुझे लगा की जैसे ग्रुप सेक्स हो रहा है. मेरी छाती से चिपकी हुई हिनल मुझे किसी कुल्फी की तरह से चूस रही थी और नीचे बैठी हुई स्नेहा मेरे लंड को लोलोपोप की तरह. हिनल अपनी चूत को अंकित के मुंह पर रगड़ रही थी और अंकित अपनी उँगलियों का कमाल स्नेहा की चूत के अन्दर दिखा रहा था और फिर जल्दी ही मेरे मुंह को चूसते हुए हिनल ने झड़ना शुरू कर दिया...

अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह.......आई .....एम्....कमिंग.......अह्ह्ह्हह्ह.......

मुझे उसके होंठों के नमपन से उसकी चूत से निकलते रस का पता चल गया. उसके होंठों की मिठास को महसूस करते हुए मेरे लंड ने भी जवाब दे दिया और जल्दी ही मेरे लंड की पिचकारियाँ स्नेहा के मुंह के अन्दर जाने लगी. अपने मुंह में मेरे रस को पाकर वो जल्दी से अपनी चूत को अंकित के हाथों पर और तेजी से रगड़ने लगी और मेरे लंड की आखिरी बूँद चूसते हुए उसकी चूत ने भी अपना प्यार बाहर की और फेंकना शुरू कर दिया...जिसे अंकित ने हाथों में समेत कर चाटना शुरू कर दिया....

स्नेहा तो निढाल सी होकर वहीँ पसर गयी. अंकित भी अपने कपडे ठीक करता हुआ उठ खड़ा हुआ. हिनल अभी भी ऊपर और नीचे से नंगी सी होअर मुझसे चिपकी खड़ी थी....

स्नेहा और अंकित हैरानी भरी नजरों से मुझे और हिनल को देख रहे थे...मानो कह रहे हो, भाई अब तो छोड़ दो एक दुसरे को. सच में...ऐसा बर्थडे किसी-किसी को ही नसीब होता है..

मैं: हैप्पी बर्थडे हिनल..
हिनल (खुश होते हुए): थैंक्स..एंड ये सब ...इसके लिए भी..

और फिर उसने स्नेहा के सामने ही मेरे लंड को पकड़ा और उसे निचोड़ सा दिया...मेरे मुंह से आह सी निकल गयी. पर आश्चर्य की बात ये थी की स्नेहा ने कुछ नहीं कहा..शायद इस वजह से की उसने भी तो अपने पुराने यार अंकित से मजे लिए थे अभी मेरे सामने. अब काफी देर हो चुकी थी, बर्थडे गर्ल हमारे साथ थी, शायद उसे लोग ढूंढ भी रहे होंगे..

हिनल : स्नेहा, तू बाहर निकल और जाकर देखा जरा मम्मी कहीं मुझे न ढूंढ रही हो..अगर मेरे बारे में पूछे तो कहना की मैं तेरे साथ ही थी, बाथरूम गयी थी..

हिनल की बात सुनकर वो बाहर निकल गयी.

हिनल (अंकित को देखते हुए): अब तुम भी जाओ..एक साथ सबका बाहर निकलना ठीक नहीं है.

और अंकित भी निकल गया.

अंकित के बाहर जाते ही हिनल ने मेरी तरफ मुंह किया और मुझसे बुरी तरह से लिपट गयी...मुझे लगा की उसने जान बुझकर दोनों को पहले भेज दिया है और अब ये मेरा "बलात्कार" करेगी..पर वो चाहकर भी कुछ और नहीं कर सकती थी, क्योंकि उसकी ही पार्टी थी इसलिए उसका जल्दी बाहर निकलना जरुरी था.

हिनल : तुम्हारा ये बर्थडे गिफ्ट मुझे हमेशा याद रहेगा..स्नेहा बड़ी लक्की है, जिसे तुम जैसा बीऍफ़ मिला..

और ये कहते हुए उसने मेरे होंठो पर एक और गीली वाली पप्पी कर दी और मेरे लंड को भी पकड़कर मसल दिया.

मैं: तुम अपनी बेस्ट फ्रेंड के बॉय फ्रेंड के साथ जो कर रही हो...स्नेहा क्या सोचेगी?
हिनल (हँसते हुए): हा हा...स्नेहा...अरे उसके और मेरे बीच कोई फर्क नहीं है...पता है, पहली बार स्नेहा को मैंने अपने फ्रेंड का पेनिस सक करने को दिया था...मैंने और स्नेहा ने एक साथ काफी मजे लिए हैं...वो कुछ नहीं कहेगी..
मैं: पर इसका मतलब ये नहीं की मैं भी कुछ नहीं कहूँगा...
हिनल (कामुक अंदाज में, अपनी जीभ से मेरे होंठो को चाटते हुए): अच्छा जी...तुम मुझे ना कह सकते हो क्या...

अब मैं क्या करूँ, अगर कोई लड़की इस तरह से पेश आये तो अपने पर तो काबू पाना मुश्किल है,पर लंड महाराज को कौन समझाए..सो उसके खड़े होते ही मेरी बात का वजन अपने आप हल्का हो गया और वो मुस्कुराने लगी...

हिनल : जल्दी ही मिलेंगे...दोबारा...जब टाईम ही टाईम होगा..

और ये कहकर वो मुझे अँधेरे में खड़े लंड के साथ अकेला छोड़कर बाहर निकल गयी. मैं कभी उसकी मटकती हुई गांड को और कभी अपने फुफकारते हुए लंड को देख रहा था.

मैं भी अपने कपडे ठीक करके बाहर निकल गया. मैंने बाहर जाकर देखा की अंकित अपने दोस्तों के साथ कोने में जाकर बैठा हुआ है और खाना खा रहा है और हिनल अपने मम्मी पापा के साथ खड़ी हुई है..मुझे स्नेहा कही दिखाई नहीं दी.

मैं: हिनल के पास गया : एक्स्कुस मी हिनल...वो, स्नेहा कहा है?
हिनल : अरे विशाल...आओ..मोम डेड..ये विशाल है, इसके बारे में ही बता रही थी मैं अभी.

हिनल की मम्मी : अच्छा...तो तुम भी इनके ग्रुप में ही हो..और बेटा..कहाँ रहते हो..कौन-कौन है तुम्हारे घर पर.. वगेरह-वगेरह

मैं हैरान था की हिनल ने क्या बोला है अपने मम्मी पापा को और वो ऐसे क्यों ये सब मुझसे पूछ रहे हैं...शादी करनी है क्या इसकी मेरे साथ. खेर मैंने उनकी बातों का जवाब दिया और फिर मैं अलग होकर खड़ा हो गया और स्नेहा का इन्तजार करने लगा. हिनल अपने मम्मी पापा से अलग होकर मेरे पास आई.

हिनल : क्यों घबरा रहे थे तुम?

वो शायद अपने मम्मी पापा के सामने मेरी पतली हालत को देखकर बोल रही थी.

मैं: वो तुमने क्या कहा अपने मम्मी पापा को मेरे बारे में जो वो इतना कुछ पूछ रहे थे..
हिनल : दरअसल मेरी मम्मी, पापा के साथ दो महीने के लिए दुबई जा रही है, अगले महीने..और स्नेहा को तो वो जानते ही हैं..सो मुझसे पूछ रहे थे की स्नेहा के साथ ये कौन लड़का आया है, मैंने कह दिया की हमारे ग्रुप में ही है, और स्नेहा का अच्छा दोस्त है, स्नेहा अक्सर मेरे साथ मेरे घर पर भी रहती है..और मम्मी पापा के जाने के बाद भी वो कभी मेरे घर या फिर मैं उसके घर जाकर रहूंगी..और तुम तो जानते ही हो की जवान लड़की के मम्मी पापा कितने फिकरमंद होते हैं, तभी वो तुम्हारे बारे में पूछ रहे थे..की कहीं उनके जाने के बाद तुम भी किसी दिन हमारे घर न आ जाओ, स्नेहा के साथ...समझे..
मैं: समझा..पर तुम फिकर मत करो...नहीं आऊंगा..मैं.
हिनल (मेरे और पास आते हुए): उन्हें एक बार जाने तो दो तुम...फिर मैं देखती हूँ की तुम अपने घर से जाते कैसे हो ..समझ गए न..
मैं: उसकी प्लानिंग सुनकर ही सुन्न सा हो गया..मेरे जहाँ में वाईल्ड इमेजेस आने लगी, जिसमे मैं, स्नेहा और हिनल नंगे एक ही बिस्तर में, चुदाई करने में लगे हुए हैं...और भाग भागकर एक दुसरे को पकड़ रहे हैं...हिनल के मोटे मुम्मे भागने की वजह से हवा में उचल रहे हैं...और और...
हिनल : ऐ मिस्टर...कहाँ खो गए...अगले महीने की प्लानिंग बनानी शुरू कर दी है क्या...हे हे..

तभी स्नेहा आ गयी -  किस बात की प्लानिंग बन रही है भाई..हमें भी तो बताओ. हिनल कड़ी हुई मुस्कुराती रही और मेरा लाल चेहरा देखकर स्नेहा बोली : हे हिनल...देख तू मेरे विशाल को ज्यादा तंग मत कर...तुझे अब अंकित मिल गया है न..तू उसके साथ मजे कर...जा, वो तुझे ही देख रहा है. हम सबने देखा, अंकित हमें ही बैठा हुआ देख रहा था. हिनल ने हंस कर उसकी तरफ इशारा किया..और उसे थोडा वेट करने का इशारा किया,

हिनल :यार, तू कबसे इतनी पोसेसिव हो गयी, खेर, मैं विशाल से कह रही थी की अगले महीने मम्मी और पापा दुबई जा रहे हैं..और उसकी ही प्लानिंग करने की बात कह रही थी मैं..
स्नेहा: वाव...तब तो मजा आ जाएगा, तू अंकित को बुला लेना और मैं: विशाल के साथ आ जाउंगी...पूरी ऐश करेंगे...वैसे कितने दिन के लिए जा रही है आंटी..
हिनल : पुरे दस दिनों के लिए.
स्नेहा: वाव...मजा आएगा...है न विशाल..

मैंने भी हंस कर उसकी ख़ुशी में इजहार किया...मैं तो पहले से ही आने वाले दिनों की तस्वीर अपने दिमाग में बना चूका था. उसके बाद स्नेहा और मैंने खाना खाया और वापिस चल दिए. किटी मैम का दो बार फोन आ चूका था..पर स्नेहा ने बताया नहीं की मैं भी उसके साथ हूँ.

स्नेहा को मैंने घर छोड़ा..वो पुरे रास्ते मुझसे चिपक कर बैठी रही. स्नेहा का घर आने वाला था तो वो बोली : विशाल, वो मेरी बिल्डिंग से पहले वो पेड़ है न..उसके पीछे रोक लेना. मैंने वैसा ही किया. वो मेरी बाईक के पीछे से उतरी और आगे आकर वो उचक कर मेरी तरफ मुंह करके, बाईक के पेट्रोल टेंक के ऊपर बैठ गयी, दोनों तरफ पैर करके और अगले ही पल मैं और स्नेहा एक दुसरे को बुरी तरह से चूमने और चूसने में लगे हुए थे..मेरा खड़ा हुआ लंड सीधा उसकी चूत पर ठोकर मार रहा था..

स्नेहा: ओह्ह्ह्ह..विशाल.....आज तो तुम मेरी जान लेकर रहोगे...कितना सताते हो तुम...पूच पूच...

उसने तो मेरे चेहरे पर अपने होंठो के निशान छोड़ने शुरू कर दिए..

तभी स्नेहा का फोन बज उठा , उसने झल्लाते हुए फोन उठाया : या मोम...क्या है...आ गयी बस...बोला न...नीचे ही हूँ मैं...आ रही हूँ ऊपर...ओके..बाय...

उसके चेहरे पर गुस्सा साफ़ दिखाई दे रहा था..

मैं: स्नेहा , कोई बात नहीं , तुम जाओ...ये सब तो होता ही रहेगा अब..
स्नेहा: यस ...ठीक है...गुड नाईट...स्वीट ड्रीम...और वो हिनल से ज्यादा मेल जोल बढाने की जरुरत नहीं है...समझे न...चल बाय...घर जाकर फोन करना.

और वो मुझे एक और बार चूम कर अपने घर की तरफ निकल गयी.
मैंने भी बाईक जल्दी से चलायी और अपने घर पहुँच गया.
[+] 1 user Likes sanskari_shikha's post
Like Reply
#44
मम्मी: आजकल बड़ी पार्टियाँ शार्तियाँ हो रही है...
मैं: मोम...आपका बेटा जवान हो गया है...ये सब तो चलता ही रहेगा अब...
मम्मी: ठहर बदमाश...अभी बताती हूँ तुझे...

पर उनके पकड़ने से पहले ही मैं अपने कमरे में घुस गया और दरवाजा बंद कर लिया. मैंने शायद थोडा ज्यादा खा लिया था..मैं सीधा टॉयलेट में गया...और पेंट उतार कर कमोड पर बैठ गया.

मेरा फोन बजने लगा. मैंने फ़ोन उठाया, वो अंशिका का था..

अंशिका: ये क्या हो रहा है आजकल...तुम्हे फोन करने की भी फुर्सत नहीं है...तुम्हारा फोन अनरीचएबल आ रहा था..पता है, एक घंटे से ट्राई कर रही हूँ...
मैं: सॉरी बाबा...वो इसमें आजकल सिग्नल की प्रोब्लम है..

अंशिका: ठीक है, ठीक है...वैसे क्या कर रहे हो अभी.
मैं: उसे क्या बोलता...

मैं: कुछ नहीं...बस नहाने की सोच रहा था...गर्मी लग रही थी...बाथरूम में आया ही था बस.
अंशिका: ओहो...मैं भी आ जाऊ क्या..

मैं: नेकी और पूछ पूछ...आ जाओ तुम..
अंशिका: पर मुझे तुमपर भरोसा नहीं है, तुम नहाओगे नहीं , कुछ और करने लग जाओगे.

मैं: तो तुम नहीं चाहती की मैं कुछ और करूँ.

वो कुछ न बोली

मैं: बोलो न...चुप क्यों हो गयी तुम...
अंशिका: मैं क्या बोलू...तुम नहीं जानते विशाल, मेरी क्या हालत है आजकल..रात दिन बस तुम्हारे बारे में ही सोचती रहती हूँ..और तुम्हारे साथ कैसे क्या करुँगी, बस यही सब चलता रहता है मेरे दिमाग में...तुम जल्दी कुछ करो विशाल..नहीं तो मैं मर जाउंगी...

मैं: तुम मेरे लंड को लिए बिना नहीं मर सकती...समझी न..
अंशिका (हँसते हुए): मैं तो तुम्हारा लंड लेते हुए ही मरना चाहती हूँ..

मैं: इतना भी लम्बा नहीं है मेरा लंड...सिर्फ सात इंच का है, और इसे लेने से तुम मरोगी नहीं, बल्कि मजे ले लेकर जिन्दा रहोगी..समझी न.
अंशिका: तो कब मुझे जिन्दा कर रहे हो तुम, क्योंकि तुम्हारा लिए बिना तो मेरा शरीर मरे के समान है... 

उसकी बात मेरे दिल को छु गयी.

मैं: तुम फिकर मत करो..जल्दी ही मैं कुछ करता हूँ..

उसके बाद कुछ और बाते करने के बाद उसने फोन रख दिया. अब मेरे सामने अपनी जिन्दगी का सबसे बड़ा चेलेंज था...अंशिका की चुदाई करना..और वो भी जल्दी ही...क्योंकि उसकी वजह से कितनी और चुते भी मेरे लंड का इन्तजार कर रही थी..

मैं बाहर निकला तो बाहर से मम्मी और पापा की आवाजे आ रही थी, मम्मी की आवाज कुछ ज्यादा ही तेज थी, शायद उनमे किसी बात पर बहस हो रही थी. मैंने दरवाजा थोडा सा खोला और उनकी बात सुनने लगा

मम्मी: पर तुमने तो कहा था की कोई ना भी जाए तो चलेगा न...और अब कह रहे हो की सभी को जाना है..
पापा: अरे बाबा, कहा तो मैंने, मामाजी का खुद फोन आया था, वो कह रहे थे की बहु और विशाल दोनों को साथ लेकर ही आना.
मम्मी: पर विशाल कैसे जाएगा, उसके कॉलेज भी खुलने वाले हैं, उनका क्या है, वो कहेंगे तो हम सभी उठकर चल देंगे, बच्चे की पढाई तो हमें ही देखनी पड़ेगी न.

मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो बात किसलिए कर रहे हैं. मैं बाहर निकल आया.

मैं: क्या हुआ मोम..
मम्मी: देख विशाल...तेरे पापा क्या कह रहे हैं..
पापा: बेटा, मैं बताता हु, वो मेरे मामाजी है न , जो गाँव में रहते है, उनके पोते के बारे में तो तू जानता ही है..

दरअसल मामाजी के इकलोते बेटे का बड़ा बेटा, जिसकी पिछले साल ही शादी हुई थी पर एक दुर्घटना में उनके पोते की मौत हो गयी और अब पापा के मामाजी, अपने पोते की पत्नी को अपनी बेटी की तरह मानकर, उसकी दूसरी शादी कर रहे हैं.और इसलिए मामाजी चाहते हैं की हम सभी शादी में गाँव आये. मम्मी को इसलिए भी गुस्सा था क्योंकि मामाजी ने एक बार बातो ही बातो में उसकी शादी मुझसे करने की बात की थी पापा से, जिसे सुनकर मम्मी को बड़ा गुस्सा आया था, इसलिए शायद वो गाँव जाने से कतरा रही थी. मैंने मम्मी को समझाया - देखो मम्मी, पहले जो हो गया , सो हो गया, अब जब मामाजी उसकी दूसरी शादी कर रहे हैं तो आप लोगो का जाना तो बनता ही है, वो इतना नेक काम कर रहे हैं, जाना तो मैं भी चाहता हु, पर मेरे कॉलेज खुल रहे है, पर आप फिकर मत करो, मैं मेनेज कर लूँगा. मेरे साथ-साथ पापा भी मम्मी को समझाते रहे और आखिर में मम्मी गाँव जाने को तैयार हो ही गयी.

मैं: तो ठीक है, कब जाना है, मैं आज ही जाकर टिकेट बुक करवा आता हु.
पापा: अगले हफ्ते बुधवार की शादी है, तुम सन्डे की जाने की और फ्राईडे की आने की टिकेट करवा लाओ.

यानी लगभग एक हफ्ता...मेरे दिमाग में तो अंशिका को चोदने के ख्याल आने लगे. मैंने सीधा अपने फ्रेंड के सायेबर केफे गया, जो टिकेटिंग का भी काम करता है, और उससे टिकेट बुक करवा लाया. आज फ्राईडे है,यानी परसों तक मम्मी पापा चले जायेंगे. मैंने घर जाकर टिकेट पापा को दी और अंशिका को फोन मिलाया

मैं: हाय...क्या कर रही थी?
अंशिका: बस, अभी बैठी ही थी लेप्पी पर अपने, कुछ प्रोजेक्ट बनाना है कॉलेज का.

मैं: अच्छा सुनो, एक गुड न्यूज़ है..
अंशिका: क्या ??

मैं: सन्डे को मम्मी-पापा बाहर जा रहे हैं..एक हफ्ते के लिए

अंशिका मेरी बात सुनकर चुप सी हो गयी. फिर वो धीरे से बोली 

अंशिका: तो...तो क्या??
मैं: तो ..ये मेरी जान की तुम्हे चोदने का टाईम आ गया है अब घर पर एक हफ्ते तक कोई नहीं होगा..हम जो चाहे कर सकते हैं..

उसकी गहरी साँसों की आवाजे मुझे साफ़ सुनाई दे रही थी..शायद वो आने वाले दिनों की कल्पना करके ही गर्म हो रही थी.

मैं: तुम्हे...तुम्हे ख़ुशी नहीं हुई क्या?
अंशिका: विशाल.......तुम जानते नहीं, इस समय मेरी हालत क्या हो रही है...यु नो...तुम मुझे बता रहे हो की दो दिनों के बाद तुम मेरे साथ सब कुछ करोगे...वो सब, जिसके बारे में हमने ना जाने क्या क्या प्लान बनाये हैं...और अब सिर्फ दो ही दिनों के बाद वो टाईम आ रहा है...आई एम् फीलिंग...फीलिंग..वेट डाउन देयर... 

मैं: मेरा भी यही हाल है अंशिका...तुम नहीं जानती की तुम्हारी चूत मारने का मुझे कितना इन्तजार है...अच्छा सुनो, कल तुम्हे कॉलेज के बाद मैं पिक कर लूँगा और फिर हम सन्डे का प्लान बनायेगे..
अंशिका: पर कल तो सेटरडे है, कॉलेज की छुट्टी.

मैं: वह, तब तो और भी अच्छा है, कल हम दोपहर को मिलते हैं ..और मूवी देखेंगे..
अंशिका: वो दरअसल, मैंने और कनिष्का ने कल मार्केट जाने का प्रोग्राम बनाया है..उसे कॉलेज के लिए कुछ ड्रेसेस लेनी है..

मैं: तो ठीक है, उसे भी ले आना...हम सब मिलकर शोपिंग करेंगे, मूवी देखेंगे और हम आपस में प्रोग्राम भी बना लेंगे..
अंशिका: वाव...ठीक है...फिर कल मिलते हैं..बाय ..
मैं: बाय ....

और मैंने फोन रख दिया..मेरी हालत क्या हो रही थी, ये तो आप सब लोग समझ ही सकते हैं. अगले दिन सुबह उठकर मैं तैयार हो गया और नाश्ता करने लगा.

मम्मी: देख बेटा, तू अपना ध्यान तो रख लेगा न, पहली बार तुझे अकेला छोड़कर जा रही हु, कहो तो तुम्हारी मास्सी को बोल देती हु, वो आकर रह लेगी कुछ दिनों तक..
मैं: मोम...इतना भी बच्चा नहीं हु मैं, कभी मुझे छोड़ोगे, तभी तो पता चलेगा न की मुझे कोई प्रोब्लम होती भी है या नहीं...और वैसे भी कॉलेज के बाद मैंने एम्बीऐ करने के लिए पूना जाना है, वहां तो अकेले ही रहना पड़ेगा न..
मम्मी: ठीक है..ठीक है..पर अपना ध्यान रखना..

उसके बाद वो बैठ कर मुझे , ये करना, वो मत करना , ना जाने क्या क्या बताती रही. मैंने जल्दी से नाश्ता ख़त्म किया और बाहर निकल गया. अंशिका का फोन पहले ही आ चूका था, वो अपने पापा की कार लेकर आ रही थी, और मुझे मेनरोड पर मिलने को कहा था दस बजे. मैं बाहर आकर उनका इन्तजार करने लगा, थोड़ी ही देर में वो आई, कार अंशिका चला रही थी और उसके साथ ही कनिष्का बैठी थी.

अंशिका ने कार रोकी और बाहर निकल आई, और मुझे चाबी देकर बोली..: चलो जी..कहाँ ले जा रहे हो..
मैंने चाबी लेते हुए कहा : आज तो मार्केट ही ले जा रहा हु, कल का प्रोग्राम कुछ और है.
वो मेरी बात सुनकर शर्मा गयी.. और दूसरी तरफ जाकर कनिष्का का दरवाजा खोलकर खड़ी हो गयी..तब तक मैं ड्राईविंग सीट पर बैठ चूका था.

कनिष्का : हाय विशाल...कैसे हो??
मैं: हाय कनिष्का..मैं तो मस्त हु..तुम सुनाओ...वैसे आज बड़ी मस्त लग रही हो तुम..

वो भी मेरी बात सुनकर शर्मा गयी..इन दोनों बहनों का चेहरा शरमाते हुए लगभग एक जैसा ही लगता था. अंशिका शायद मेरे साथ आगे बैठना चाहती थी. वो अभी तक दरवाजा खोलकर खड़ी थी.

अंशिका: तुम्हारी बाते हो चुकी हो तो कृपया करके बाहर निकलोगी क्या..
कनिष्का: दीदी..आप प्लीस पीछे ही बैठ जाओ न..मुझे आगे बैठना है आज.
अंशिका: कन्नू....चुपचाप पीछे चलो...मेरी बात एक ही बार में मान लिया करो...
अंशिका ने थोड़े गुस्से में कहा था इस बार. वो भी बुड-बुड करती हुई बाहर निकल गयी, दोनों बहने मेरे साथ आगे बैठना चाहती थी..

मैंने कार चलायी और सबको लेकर एक माल में गया..वहां दो-तीन शो रूम में जाकर कनिष्का अपने लिए कपडे देखती रही, और कुछ लेती भी रही. जब वो चेंजिंग रूम में जाकर कपडे पहन कर देख रही थी तो मैंने अंशिका से कहा : सो...कल के लिए रेडी हो न..
अंशिका: तुमसे कही ज्यादा...पर कोई प्रोब्लम तो नहीं होगी न...
मैं: अब घर में कैसी प्रोब्लम...वहां कोई नहीं होगा और ना ही कोई आएगा...
अंशिका: और एक बात, कल के लिए कुछ प्रिकार्शन ले लेना..समझ गए न..

मेरी पॉकेट में वैसे तो हमेशा से ही कंडोम रहता था, आज से पहले अगर कोई मौका मिलता तो मैं उसको पहन कर ही अंशिका की चूत मारता पर जब अंशिका ने मुझे प्रिकॉशन लेने की बात कही तो मेरे मन में एक ख़याल आया, मैंने सोचा चलो ट्राई करके देखते हैं..क्या पता बात बन जाए.

मैं: नहीं...मैं चाहता हु की पहली बार मैं बिना किसी प्रिकॉशन के करू..तुम कोई टेबलेट ले लेना बाद में..
अंशिका: यार तुम मरवाओगे..टेबलेट्स हमेशा सक्सेसफुल नहीं होती...तुम प्लीस...कंडोम ले लेना..वैसे वो तुम्हारी पॉकेट में ही तो रहता है हर समय..
मैं: नहीं...मैं अपनी वर्जिनिटी किसी रबड़ में लपेट कर नहीं खोना चाहता...अगर करना है तो बिना कंडोम के करना पड़ेगा...वर्ना नहीं..

मैंने कह तो दी थी ये बात पर मुझे डर लग रहा था की अगर अंशिका ने मना कर दिया तो मुझे कंडोम में ही करना पड़ेगा और मेरी बात कच्ची हो जायेगी..मेरा क्या है, मुझे तो चूत से मतलब है, अगर बिना कंडोम के मान गयी तो सही है वर्ना कंडोम के साथ कर लूँगा..

मैंने अंशिका की तरफ देखा. उसकी आँखे लाल हो चुकी थी ये सब बाते करते हुए. उसकी मोटी-मोटी आँखों के सफ़ेद वाले हिस्से पर लाल रंग की पतली नसे मुझे साफ़ दिखाई दे रही थी..

अंशिका: तो...तो.तुम नहीं मानोगे..
मैं: नहीं..
अंशिका: तुम शुरू से ही बड़े जिद्दी हो...अपनी सारी बाते मनवा लेते हो..पर मेक स्योर कोई गड़बड़ न हो..

मेरा दिल तो उछल ही पड़ा उसकी रजामंदी सुनकर...मैंने झट से आगे बढकर उसके गाल को चूम लिया..वहां आस पास खड़े लोग मुझे देखते ही रह गए. तभी अंशिका के पीछे से आवाज आई...: अहेम...अहेम....
वो कनिष्का थी, शायद उसने भी मुझे उसकी बहन को चुमते हुए देख लिया था और गला खनकार कर वो अपने खड़े होने का एहसास करा रही थी. अंशिका ने मुझे आँखों से तरेर कर देखा और पीछे खड़ी हुई कनिष्का की तरफ मुड़ी..वो नया टॉप और जींस पहन कर आई थी बाहर , हमें दिखाने के लिए..उसकी जींस और टॉप के बीच में लगभग दो इंच का गेप था..जिसमे से उसका सफ़ेद रंग का सपाट पेट साफ़ दिखाई दे रहा था..

कनिष्का : दीदी...कैसी है ये ड्रेस???

अंशिका ने उसे गोर से देखना शुरू किया..और मुड़कर उसके पीछे गयी और पीछे से भी देखने लगी...कनिष्का ने मेरी तरफ मुंह करके अपनी दोनों आईब्रो को ऊपर करके मुझसे इशारे से पूछा की ड्रेस कैसी है..मैंने अपनी गर्दन हाँ के इशारे में हिलाई होंठ हिला कर , बिना आवाज निकले उससे कहा "सेक्सी". वो मेरी तारीफ सुनकर शर्मा गयी..

अंशिका: कन्नू...ये शोर्ट टी-शर्ट बड़ी अजीब लगती है..तू लॉन्ग वाली ले ले..हमारे कॉलेज में भी कई लड़कियाँ पहनती है ऐसी..सब यहीं देखते रहते है..
कनिष्का : दीदी..आप भी न..ओर्थोडोक्स वाली बाते करती हो..ये फेशन है आजकल का..मुझे तो ये बहुत पसंद है..आई एम् फीलिंग सेक्सी..इन दिस टॉप..

अंशिका उसकी बात सुनकर कुछ न बोली..वो जानती थी की एक बार अगर कनिष्का ने डिसाईड कर लिया है तो उसे समझाना बेकार है..कनिष्का ने वैसे दो टॉप और एक जींस ली वहां से..उसके बाद उसने एक सूट और दो कुरते भी लिए...कुल मिलकर उसे आज शोपिंग करने का मजा आ रहा था. हमने खाना खाया और उसी माल में लगी हुई मूवी "एजेंट विनोद" देखने चल दिए. हाल खाली था, आगे अंशिका चल रही थी, इसलिए वो जाकर सबसे पहले सीट पर बैठ गयी..मैं उसके साथ ही बैठ गया, मेरे पीछे से आ रही कनिष्का मेरे दांये आकर बैठ गयी...यानी अब मैं उन दोनों बहनों के बीच में था.

अंशिका: अरे कन्नू...तू वहां कहाँ बैठ गयी, वो हमारी सीट नहीं है..तू यहाँ आ, मेरे पास.
कनिष्का : अरे दीदी, कुछ नहीं होता, देखो न, हॉल खाली है, कोई नहीं आएगा यहाँ..

फिल्म शुरू हो चुकी थी, इसलिए अंशिका ने उससे ज्यादा बहस करना उचित नहीं समझा. एक्शन मूवी थी और मेरे आजू बाजू दो मस्त लडकिया बैठी थी. हमारे आगे वाली सीट पर एक जोड़ा बैठा था.जो एक दुसरे से पूरी तरह से चिपक कर बैठा था और मूवी देख रहा था..उन्हें देखकर अंशिका ने भी मेरी बाजू पकड़ी, मेरी कोहनी को अपनी बांयी ब्रेस्ट के ऊपर लगाया और अपना सर मेरे कंधे पर टिका दिया..और मेरे कंधे को चूम लिया.

दूसरी तरफ कनिष्का वैसे तो मुझसे दूर बैठी थी, पर उसकी टाँगे मेरी टांगो से टच हो रही थी. वो उन्हें हिला रही थी, जिसकी वजह से हम दोनों की टाँगे एक दुसरे पर घिसाई कर रही थी. मुझे अभी तक ये पता नहीं चल पाया था की कनिष्का के मन में मेरे लिए क्या है..वो अच्छी तरह से जानती थी की मैं उसकी बहन का बॉयफ्रेंड हु, पर फिर भी उसके हाव भाव से लगता था की वो मेरी तरफ एट्रेक्ट हो चुकी है..मैंने सोच लिया की आज मैं इसका पता लगा कर रहूँगा की मेरा सोचना सही है या गलत. मैंने भी अपनी टांग हिलानी शुरू कर दी..उसने अचानक मेरी तरफ घूम कर देखा..और मुस्कुरा दी..अँधेरे में मुझे सिर्फ उसकी चमकती हुई आँखे और सफ़ेद दांत ही दिखाई दिए.उसने सर आगे करके अपनी बहन को देखा, जो दीन दुनिया से बेखबर, मेरे कंधे पर सर टीकाकार, मूवी देख रही थी और फिर कनिष्का ने मेरी बाजू को अपनी तरफ खींचा, जो सीधा उसकी दांयी ब्रेस्ट से जा टकराई और अपनी बहन की ही तरह, उसने भी मेरे कंधे पर अपना सर टिका दिया और मूवी देखने लगी. अगर उस समय कोई मेरे सामने आकर खड़ा होकर देखता तो मेरे दोनों बाजुओं से लिपटी हुई दो लड़कियाँ जो मेरे कंधे पर सर टीकाकार मूवी देख रही है, पता नहीं क्या सोचता? मैं भी अपने आप को भाग्यशाली समझ रहा था..पर एक प्रोब्लम थी..

उन दोनों ने जिस मदहोशी से मेरी बाजू पकड़ी हुई थी और अपनी गर्म साँसे मेरी गर्दन पर छोड़ रही थी, मेरा लंड खड़ा होने लगा था..मेरी टाईट जींस की वजह से उसे अपना फन उठाने में मुश्किल हो रही थी..उसे एडजस्ट करना बहुत जरुरी था, पर दोनों बहनों ने मेरी बाजुए पकड़ी हुई थी, मैं अगर अपना कोई भी हाथ हिलाता तो उस हाथ वाली को जरुर पता चल जाता..मैं कनिष्का को पहली ही बार में ये नहीं दर्शाना चाहता था की उसके पकड़ने की वजह से मेरा लंड खड़ा हुआ है..इसलिए मैंने अंशिका के कान में धीरे से कहा.

मैं: सुनो...तुम्हारे शरीर की गर्मी से मेरा सिपाही खड़ा हो गया है..पर उसे जगह नहीं मिल पा रही है...एक मिनट मेरा हाथ छोड़ो प्लीस..
अंशिका: उन्...नहीं न...इतना मजा आ रहा है..

मैं: समझा करो...प्लीस..मुझे प्रोब्लम हो रही है..
अंशिका: तो मैं तुम्हारी प्रोब्लम दूर कर देती हु.

और इतना कहकर उसने अपना हाथ मेरे लंड की तरफ खिसका दिया. मैंने देखा की मेरे लंड वाले हिस्से पर घुप्प अँधेरा है, यहाँ तक की मैं भी अंशिका के हाथ हो नहीं देख पा रहा था. उसने मेरे नीचे की तरफ फंसे हुए लंड को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ खिसकाना शुरू किया..पर ये लड़कियाँ क्या जाने की हमारे लंड कितने नाजुक होते हैं..उन्हें किस अंदाज से ऊपर करना चाहिए. मेरा लंड का सुपाड़ा मेरे अन्डरवेअर से टकरा रहा था और उसमे दर्द होने लगा, जिसकी वजह से मेरे मुंह से आह्ह सी निकल गयी..जिसे दोनों बहनों ने साफ़-साफ़ सुना.

कनिष्का ने अपना मुंह ऊपर किया और मेरे कान में फुसफुसाई : क्या हुआ..मैंने थोडा तेज पकड़ा हुआ है क्या?? 
अब उसे क्या बताऊ, उसने नहीं उसकी बहन ने तेज पकड़ा हुआ है, और वो भी मेरा कन्धा नहीं, मेरा लंड.
मैंने भी फुसफुसाकर कहा : नहीं...ठीक है और वो और घुस कर मुझसे लिपट कर मूवी देखने लगी. और दूसरी तरफ, अंशिका को भी शायद समझ आ चूका था की मेरे लंड को अडजस्ट करना थोडा मुश्किल है, उसने डेयरिंग दिखाते हुए, मेरी जिप खोल दी और अपना हाथ सीधा अन्डर डाल दिया. मेरी तो साँसे ही अटक गयी, वैसे कोई प्रोब्लम नहीं थी, पर उससे ज्यादा मुझे डर लग रहा था, कही कनिष्का ने देख लिया तो क्या होगा..पर अँधेरा इतना था की नीचे कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था. अंशिका ने बड़ी सफाई से अपनी लम्बी उंगलियों का इस्तेमाल करते हुए, मेरे अन्डरवेअर के अन्डर हाथ डाला और मेरा गरमा गरम लंड पकड़ लिया. उसके हाथ लगते ही मेरे शरीर के सारे रोंगटे खड़े हो गए. मुझे सांस लेने में तकलीफ सी होने लगी, मेरा गला सुख सा गया...और यही हाल शायद अंशिका का भी था..उसके दिल की तेज धड़कन मेरी बाजुओं पर साफ़ महसूस हो रही थी. अंशिका ने मेरे लंड को धीरे-धीरे ऊपर की और खिसकाना शुरू किया..और जल्दी ही मेरा शेर ऊपर की और मुंह करके गुर्राने लगा.

मैंने उसके कानो की तरफ मुंह करके धीरे से कहा : थेंक्स..
उसने अपना चेहरा ऊपर उठाया, और मेरा लंड पकडे-पकडे ही मेरे होंठो पर अपने नर्म और मुलायम होंठ रख दिए. मेरे लंड की तो मानो फटने वाली हालत हो चुकी थी. अंशिका ने अब मेरा लंड बाहर की और निकाल लिया था और उसे ऊपर नीचे करने लगी थी.
अंशिका: क्या यार....ये कन्नू न होती तो अब तक कितने मजे ले लिए होते...
वो अंदर ही अंदर अपनी बहन को गालियाँ निकाल रही थी शायद..
मैं: तुम उसकी चिंता मत करो..वो मस्ती में मूवी देख रही है..तुम जो चाहो वो कर लो..

अंशिका मेरे होंठो को दोबारा चूसते हुए : मन तो कर रहा है की अभी तुम्हारे ऊपर बैठ जाऊ..पर कोई बात नहीं, मैं कल का वेट कर लुंगी..पर ये मौका भी हाथ से नहीं जाने दूंगी..तुम बस कन्नू को इधर मत देखने देना और ये कहकर उसने हमारी सीट के बीच वाली आर्म को ऊपर की और मोड़ दिया..और अपना मुंह नीचे करके मेरे लंड के ऊपर ले गयी..और मेरा लंड सीधा अपने मुंह में डालकर चूसने लगी. मैं तो उसकी हिम्मत देखकर हैरान रह गया, वैसे तो हमारे पीछे और बगल में कोई नहीं बैठा था जिसे अंशिका मेरा लंड चूसते हुए दिखाई दे..पर फिर भी अगर कनिष्का ने एकदम से आगे होकर अपनी बहन को देखा तो उसे सब पता चल जाएगा.
पर ऐसे हालात में लंड चुस्वाने का जो मजा मिल रहा था उसके भी क्या कहने..मैंने अपनी कोहनी को कनिष्का के मुम्मे पर जोर से दबा दिया, मुझे अपनी कोहनी के ऊपर कनिष्का के कठोर निप्पल का एहसास साफ़ तरीके से हो रहा था..मैंने अपनी कोहनी को उसी जगह पर घुमाना शुरू कर दिया, उसके निप्पल्स मेरे हाथो पर किसी कील की तरह से चुभ रहे थे. वो भी मस्ती में आने लगी थी..उसने अपना सर मेरे कंधे से ऊपर उठाया, मैंने भी अपना चेहरा उसकी तरफ किया, शायद कुछ कहना चाहती थी, पर कहने से पहले वो देखना चाहती थी शायद की उसकी बहन तो नहीं देख रही उसे..जैसे ही उसने अपना सर आगे की और करना चाहा , मैंने जल्दी से अपने मुंह उसकी तरफ बड़ा दिया..और उसके होंठो को चूम लिया.
वो एकदम से सकपका गयी और मेरी आँखों में झांककर देखने लगी...मुझे लगा की शायद उसे मेरा चूमना अच्छा नहीं लगा..पर मैं गलत था. अगले ही पल उसने अपनी चूची को मेरे हाथो के ऊपर दबाते हुए, मेरे होंठो पर हमला सा कर दिया और उन्हें बुरी तरह से चूसने लगी. वाह...क्या स्वाद था उसके होंठो का...किसी मिश्री की तरह मीठे थे उसके अनछुए होंठ..

नीचे उसकी बहन मेरा लंड चूस रही थी, उसे क्या मालुम था की ऊपर मैं उसकी छोटी बहन के होंठ चूस रहा हु. मेरे लंड का बुरा हाल तो पहले से ही था, अब दोनों तरफ से चुसाई पाकर मेरा जल्दी ही निकलने वाला था और फिर जब मेरे लंड से रस निकलकर अंशिका के मुंह में जाने लगा...तो मेरे होंठो की पकड़ और भी तेज हो गयी कनिष्का के होंठो पर...उसे अभी तक मालुम नहीं चल पाया था की उसकी बहन मेरा लंड चूस रही है या उसने ये जानने की भी कोशिश नहीं की थी की मैं जब उसके साथ किस कर रहा हु तो उसकी बहन को क्यों पता नहीं चल पा रहा है. पर जो भी हो..मजा तो मुझे दोनों तरफ से मिल रहा था.

जैसे ही अंशिका ने चूसने के बाद मेरा लंड बाहर निकला, मैंने कनिष्का को पीछे कर दिया, ताकि अंशिका को पता न चले. उसके बाद अंशिका ने मेरे लंड को वापिस अंदर कर दिया और अपने बेग से रुमाल निकाल कर अपना मुंह साफ़ करने लगी. दूसरी तरफ कनिष्का बार-बार अपना चेहरा ऊपर करके मेरी तरफ प्यासी नजरो से देख रही थी..शायद वो और भी किस करना चाहती थी...पर अब अंशिका का चेहरा ऊपर था, इसलिए ये मुमकिन नहीं था. मैंने भी कनिष्का को कोई रेस्पोंस नहीं दिया. वो भी मेरी बाजू पर एक दो मुक्के मारकर मुझसे रूठने का नाटक करती हुई पीछे हो गयी और हम सभी आराम से मूवी देखने लगे. मूवी ख़तम होने के बाद, उन दोनों ने मुझे घर के पास छोड़ा..अंशिका का चेहरा खिला हुआ था, पर कनिष्का बुझी हुई सी लग रही थी..शायद मुझसे नाराज हो गयी थी वो.

उन्होंने मुझे बाहर मेन रोड पर उतारा और घर चली गयी. घर पहुंचकर मैं सीधा कमरे में गया और सो गया, पूरा दिन बाहर घूमकर थक गया था. 
रात को लगभग 1 बजे मेरे सेल पर कॉल आया, मैंने टाइम देखा और अधखुली आँखों से फोन उठाया.

मैं: हेल्लो...कौन.

दूसरी तरफ कनिष्का थी.

कनिष्का : सो गए थे क्या..
मैं: हाँ , ठनक गया था..इसलिए....इतनी लेट फोन किया..क्या हुआ..सोयी नहीं क्या अभी तक??
कनिष्का : उन..हु...अभी तक नींद ही नहीं आई..
मैं: दीदी कहाँ है तुम्हारी..
कनिष्का : वो तो खर्राटे भर रही है..
मैं: समझ गया की उसने अपनी बहन से छुप कर फोन किया है..

मेरी नींद भी अब खुल चुकी थी.

मैं: तुम्हारी दीदी को अगर पता चल गया न की तुम मुझे रात के एक बजे फोन कर रही हो तो उन्हें बुरा नहीं लगेगा क्या??
कनिष्का : नहीं...पर उन्हें अगर ये पता चला की तुमने मुझे किस्स किया था तो शायद ज्यादा बुरा लगेगा..
मैं: वो..वो दरअसल....मैं करना नहीं चाहता था..तुम्हे तो मालुम ही है..अंशिका और मेरे बीच..क्या चल रहा है..
कनिष्का : हाँ...मालुम तो है..ये तो आम बात है, इस उम्र में..
मैं: पर तुम्हे इतनी देर से अपने साथ बैठा हुआ देखकर और तुम जिस तरह से मुझे पकड़कर बैठी थी..इसलिए मैंने तुम्हे किस्स कर दिया..
कनिष्का : विशाल....मैं इतनी छोटी बच्ची भी नहीं हु...जो कुछ न समझू...दीदी उस समय तुम्हारा पेनिस सक कर रही थी और तुमने मुझे इसलिए किस्स किया ताकि मैं उनकी तरफ ना देख सकू...

ओह्ह... तेरी भेन की..इसको तो सब पता है..मैं चुप रहा और उसकी बाते सुनता रहा..

कनिष्का : पर जब तुम मुझे किस कर रहे थे तो तुम्हारी आँखे तो बंद थी पर मुझे दीदी किस्स करते हुए ना देख ले, इसलिए मैंने आँखे खुली रखी हुई थी..जिसकी वजह से मैंने दीदी को तुम्हारे पेनिस को साफ़ तरीके से सक करते हुए देखा..मालुम तो मुझे पहले से ही था की तुम दोनों काफी आगे बढ चुके हो, पर मुझे ये नहीं मालुम था की दीदी इतनी खुल चुकी है की मूवी हॉल में ही, और वो भी जब मैं साथ हु, तुम्हारे साथ इस तरीके से शुरू हो जायेगी..
मैं: कनिष्का...वो..वो दरअसल..
कनिष्का : सफाई देने की कोई जरुरत नहीं है...मुझे इस बात का कुछ बुरा नहीं लगा की तुम दीदी के साथ किस तरह के मजे लेते हो और ना ही मुझे कोई फर्क पड़ता है..ये तो आम बात है, सभी बॉय एंड गर्ल करते है....पर मैं हैरान जरुर हुई थी जब तुमने मुझे किस्स किया..वैसे सच कहू, मुझे मजा बहुत आया था, मेरा एक बॉय फ्रेंड था होस्टल में..पर वो भी इतना अच्छा किस्सर नहीं था, जितने की तुम हो..बिलकुल इमरान हाशमी की तरह से चूस रहे थे तुम मेरे लिप्स. लगता है, दीदी के साथ काफी प्रेक्टिस की है तुमने..हिहिहि....
मैं: तुम्हे...तुम्हे बुरा नहीं लगा, की तुम्हारी दीदी के बॉयफ्रेंड ने तुम्हे किस्स किया..
कनिष्का : अरे बोला तो सही नहीं लगा....अब लिख कर दू क्या. वैसे मुझे अपनी दीदी के बॉय फ्रेंड को शेयर करने में कोई प्रोब्लम नहीं है..हा हा..
मैं: पर तुम्हारी दीदी को है..वो तुम्हारे लिए कितनी प्रोटेक्टिव है, मुझे सब पता है, इसलिए तुमसे मिलने भी नहीं दे रही थी मुझे शुरू में तो..
कनिष्का : दीदी की छोड़ो..क्या तुम्हे प्रोब्लम है..अपने आप को मेरे और दीदी के साथ शेयर करने में..
मैं: ये..ये तुम क्या कह रही हो...तुम्हारा तो वैसे भी बॉयफ्रेंड है न..फिर तुम ऐसे क्यों???
कनिष्का : मैंने कहा, वो होस्टल में था, उसे साथ लेकर नहीं घूम रही अभी तक मैं..वहां की बात वहीँ रह गयी...नाव आई एम् सिंगल..एंड रेडी टू मिन्गल..हिहिहि...

होस्टल के खुले माहोल में जाकर उसकी सोच अंशिका से कितनी अलग हो चुकी थी, इसे मैं अब समझ रहा था..वो अपनी बहन के बॉय फ्रेंड पर डाका डाल रही थी, उसे शेयर करने की बात कर रही थी, अंशिका और मेरे बीच क्या चल रहा है, सब पता है इसे, पर फिर भी वो मेरे पीछे पड़ी हुई थी..ऐसा न हो की इसकी वजह से अंशिका भी मेरे हाथ से निकल जाए.

मैं: देखो कनिष्का..ये सब तो ठीक है...पर अगर अंशिका को पता चल गया तो वो मुझसे कभी बात नहीं करेगी..
कनिष्का : अरे तो घबराते क्यों हो..मैं हु न..तुम्हे मैं संभाल लुंगी..और फिर देखना, दीदी से भी ज्यादा मजे ना दिए तो बात है..

मैं उसकी बात सुनकर हैरान रह गया, कहाँ तो अंशिका अपनी इस छोटी बहन को इतने प्रोटेक्टिव तरीके से रखती है और दूसरी तरफ उसकी बहन चालू किस्म की लडकियों की तरह बाते कर रही है.

मैं: पर तुम ये सब क्यों कर रही हो, और भी तो लड़के है, अगर तुम कहो तो मैं अपने एक दोस्त से तुम्हे मिलवा दू.
कनिष्का (गुस्से में): देखो, अब कुछ ज्यादा ही हो रहा है...एक लड़की तुमसे खुले तरीके से मजे लेने के लिए कह रही है और तुम हो की ना नुकुर कर रहे हो..मुझे कोई प्रोब्लम नहीं है की तुम दुनिया में किसी के भी साथ मजे लो, चाहे मेरी बहन या फिर कोई और, पर जो कुछ भी हम करेंगे वो तुम्हारे और मेरे बीच की बात रहेगी, अगर तुम्हे ये मंजूर है तो बोलो, वर्ना आज के बाद मैं न तो तुमसे इस बारे में बात करुँगी और ना ही कुछ और
मैं: उसकी बात सुनकर घबरा गया, मेरे दिल के अन्दर तो वैसे भी अंशिका के बाद इसको भी चोदने के प्लान बनने लगे थे और अगर मैंने ज्यादा नखरे दिखाए तो ये मेरे हाथ से निकल न जाए, वैसे भी अंशिका ने कहा था की उसे चोदने के बाद मैं किसी को भी चोद सकता हु. 
मैं: अरे यार, तुम और अंशिका एक जैसी हो, दोनों को जल्दी ही गुस्सा आ जाता है..ठीक है..पर ध्यान रहे, अंशिका को कुछ पता न चल पाए..
कनिष्का : अब आये न रास्ते पर..वैसे मैं तुम्हे देखते ही समझ गयी थी की तुम चालू किस्म के लड़के हो..
मैं: फिर क्यों इस चालू लड़के के पीछे पड़ी हो..
कनिष्का : क्योंकि मैंने ये भी नोट किया की तुम बेड पर एक जंगली की तरह से पेश आओगे..

मैं उसकी बात सुनते ही उठकर बैठ गया.

मैं: तुमने...तुमने ये कैसे पता किया..मैंने तो..
[+] 2 users Like sanskari_shikha's post
Like Reply
#45
Wow..Maja aa raha hai
Like Reply
#46
कनिष्का: अरे, तुम हम लडकियों के फिफ्थ सेन्स को नहीं जानते, हमें सब पता चल जाता है, तुम्हारी बॉडी लेंगुएज , स्टाईल, फिसिक. सब कुछ यही बता रहे है की यु विल रोक द बेड ..है न..
मैं: पता नहीं..वैसे क्या तुमने पहले कभी ..मेरा मतलब है..किसी के..
कनिष्का: अरे साफ़-साफ़ पूछो न..सेक्स किया है... तुम तो लडकियों की तरह से शर्माते हो..हां..किया है..अपने उसी बॉय फ्रेंड के साथ और एक टीचर के साथ भी..और कुछ.

यार..ये तो हम सबकी माँ निकली...है तो इतनी छोटी और तेवर देखो..सबसे आगे निकल चुकी है ये तो और अंशिका इसे अभी भी बच्ची ही समझती है.

कनिष्का: क्या हुआ...क्या सोचने लगे..
मैं: कुछ नहीं..
कनिष्का: तो बात पक्की..
मैं: हाँ..पक्की..
कनिष्का: तो इसी बात पर एक और किस्स तो दे दो..
मैं: ये लो..पुच..पुच..
कनिष्का: अब ये भी तो बता दो की कहाँ दी है ये दोनों किस्स.

मेरा लंड तन कर खड़ा होने लगा..रात के 1:30 बज रहे थे..और ये लड़की मुझे उठाने के बाद अब मेरे लंड को भी उठाने में लगी हुई थी.

मैं: ये..एक तो तुम्हारे..गालो पर..और दूसरी तुम्हारे लिप्स पर..
कनिष्का: वैसे सच बताना...वो हॉल में तुम्हे मुझे किस्स करते हुए कैसा लगा..
मैं: बहूँत अच्छा..तुम्हारे लिप्स इतने स्वीट है..जैसे तुमने इन पर लिपस्टिक की जगह शहद लगा रखा हो..
कनिष्का: ओह्ह...विशाल..यु आर ..मेकिंग मी वेट, आई वांट मोर... मोर किस्सेस..
मैं: ये लो फिर...पुच पुच पुच पुच....
कनिष्का (गहरी साँसे लेते हूँए): अब ये कहाँ दी है..बोलो..बोलो न..

मैंने अपना लंड पायजामे से बाहर निकाल लिया और उसे हिलाने लगा.

मैं: ये पहली है तुम्हारी पतली गर्दन पर...
कनिष्का: ओह्ह्ह्ह....विशाल....मम्म
मैं: और दूसरी है तुम्हारी सोफ्ट सी..पिंक सी...ब्रेस्ट पर...
कनिष्का: उम्म्मम्म......और.....
मैं: और तीसरी है...तुम्हारी दूसरी ब्रेस्ट के निप्पल पर...
कनिष्का: ओह्ह्हह्ह....विशाल्ल्ल...........एंड....
मैं: एंड लास्ट इस....इट्स ओन...यूर ..स्वीट..पुसी...
कनिष्का: ओह्ह्हह्ह.......आई एम् फीलिंग...ईट ...तुम अगर मेरे सामने होते न...तुम्हे तो मैं अब तक कच्चा चबा जाती..
मैं: तो समझ लो...की मैं: तुम्हारे सामने ही हूँ...और वो भी बिलकुल नंगा...
कनिष्का: उम्म्म......आई केन इमेजिन.....युवर पेनिस इस इरेक्ट....आई विल...सक यु ऑफ...ओफ्फ्फ...विशाल....ये क्या कर दिया...तुमने...पता है मेरी..मेरी चूत से कितना पानी निकल रहा है..
मैं: वो पानी तो मैं पी जाऊंगा...देख लेना..

कनिष्का शायद मेरी ही तरह मास्टरबेट कर रही थी...उसकी गहरी साँसों की आवाज के साथ साथ हाथ की चुडिया हिलने की भी आवाज आ रही थी..

कनिष्का: कैसे पीयोगे...तुम मेरा...सारा रसीला पानी...बोलो...
मैं: तुम्हे अपने ऊपर लिटा लूँगा...तुम मेरा लंड चुसना....और मैं तुम्हारी चूत..
कनिष्का:ओह्ह्हह्ह्ह्ह.....विशाल्ल्ल......सक मी...सक मी...येस..येस...येस...ओह्ह्ह.....माय.....गोड

वो शायद झड़ने लगी थी. मैंने भी अपने हाथो को लंड पर तेजी से मसला और जल्दी ही उसमे से भी सफ़ेद रंग का गाड़ा रस निकलने लगा. मैंने जल्दी से अपने पिल्लो के कवर को उतारा और उसमे सारा रस समेट लिया..वर्ना रात के समय, कौन सी पिचकारी कहाँ जा रही है, पता ही नहीं चलता. कुछ देर तक हम दोनों कुछ ना बोले...मैंने अंशिका के साथ भी कई बार फोन सेक्स किया था...पर कनिष्का के साथ करने में कुछ और ही मजा आया था..पता नहीं चुदाई के टाइम ये क्या हाल करेगी..

कनिष्का: विशाल....थेंक्स...
मैं: किसलिए..
कनिष्का: फॉर एवेरीथिंग...मेरी कॉलेज एडमिशन में हेल्प के लिए...कल वाली किस्स के लिए...एंड फॉर मेकिंग मी कम..इतना एरोटिक तो मैंने कभी फील नहीं किया...आई एम् लोविंग इट..
मैं: मी..आल्सो... चलो अब सो जाओ..
कनिष्का: उन्...नहीं न...प्लीस..थोड़ी और देर तक बाते करो न...
मैं: नहीं..कल मम्मी पापा ने एक हफ्ते के लिए बाहर जाना है...उन्हें स्टेशन पर छोड़ने भी जाना है..मुझे जल्दी उठाना है कल..समझा करो.
कनिष्का: वाव...एक हफ्ते के लिए..सुपर..यानी एक हफ्ते तक तुम घर पर अकेले..मैं तो सोच रही थी की कैसे और कहाँ तुमसे मिलूंगी..पर तुमने तो सारी मुश्किल आसान कर दी..मजा आएगा.

हे भगवान्...ये मैंने क्या कर दिया...मैंने बिना सोचे इसे बोल तो दिया..पर अंशिका के साथ तो पहले से ही मेरी प्लानिंग चल रही है..और कभी अगर ये दोनों बहने एक साथ ही पहुँच गयी मेरे घर तो गड़बड़ हो जाएगी...पर अब जो होना था सो हो गया..

मैं: हां..वो तो है...चलो कल बात करते हैं फिर...
कनिष्का: ठीक है, तुम सो जाओ..कल मिलते हैं फिर..बाय ..गुड नाईट.
मैं: ओके...बाय...गुड नाईट..

मैंने मोबाइल रखा और अपने मुरझाये हूँए लंड को देखा...और मेरे सामने एकदम से किसी पिक्चर की तरह , अंशिका और कनिष्का मेरे ही कमरे में पूरी नंगी दिखाई देने लगी...मैं जानता था की ये मुमकिन नहीं है, पर मेरी इच्छाशक्ति पर मेरा बस नहीं चल रहा था और ये सोचते हूँए मेरे लंड ने फिर से अंगडाई लेनी शुरू कर दी...और मैंने उसी पिल्लो कवर में दो बार और अपने लंड के रस को निकाल कर, उसे लगभग गीला सा कर दिया और फिर मुझे कब नींद आ गयी, मुझे पता ही नहीं चला.

सुबह मम्मी ने आकर मुझे उठाया, वो जल्दबाजी में थी, उन्हें जाने की काफी तय्यारी करनी थी, मुझे उठने को कहकर वो वापिस चली गयी. मैं नहा-धो कर नीचे आया, पापा ने मुझे हफ्ते भर के खर्चे के लिए पैसे दिए और ये करना और वो न करना जैसी कई बाते बताते हूँए पेकिंग करते रहे. उनकी ट्रेन 5 बजे की थी, नाश्ता करने के बाद मैंने भी उनकी पेकिंग में मदद की और लगभग २ बजे तक सब कुछ पेक हो चूका था. मम्मी-पापा ने हल्का-फुल्का लंच किया और बाकी साथ के लिए बाँध लिया, मैंने टेक्सी बुला ली और उनके साथ ही मैं भी स्टेशन की और चल दिया. चार बजे तक हम स्टेशन पहुँच गए, ट्रेन आधे घंटे बाद आई और फिर लगभग 5 बजे वो चल दी, मैंने उन्हें बाय कहा और वापिस चल दिया. जिन्दगी में आज पहली बार मुझे अजीब सी आजादी का एहसास हो रहा था. मन कर रहा था की सभी दोस्तों को बुलाऊ और घर पर पार्टी दू, खूब मौज मस्ती करू पर उस मौज मस्ती से पहले मुझे अपनी वर्जिनिटी की फिकर थी, जिसे अब मुझे हर हाल में खोना हो था. मैंने अंशिका को फोन मिलाया.

मैं: हाय..
अंशिका: हाय..कहाँ हो..मम्मी पापा गए क्या??

मैं: हाँ...बस अभी उन्हें छोड़ कर आ रहा हूँ, तुम कहाँ हो.?
अंशिका: मैं: तो घर पर ही हूँ..

मैं: कब तक आओगी फिर..
अंशिका: आज नहीं आ पाऊँगी..अभी पांच बज गए हैं, ज्यादा देर तक नहीं रह पाऊँगी इसलिए आज आने का ओई फायेदा नहीं है..पर कल आउंगी, सोच रही हूँ की कल की छुट्टी ले लेती हूँ, घर पर तो कॉलेज के लिए ही निकलूंगी पर वहां जाउंगी नहीं.

मैं उसकी बात सुनकर थोडा मायूस हो गया, मुझे लगा था की आज ही हो जाएगा सब, पर वो भी अपनी जगह पर सही थी.

मैं: कोई बात नहीं, जहाँ इतने टाईम तक इन्तजार किया है, एक दिन और सही..

अंशिका मेरी बात सुनकर चुप सी हो गयी.

अंशिका: जानते हो..आई एम् डाईंग टू मीट यु... सुबह से तुम्हारे फ़ोन का वेट कर रही थी, पर चार बजे तक नहीं आया तो मैं समझ गयी की ट्रेन शायद शाम की है और इसलिए आज का तो सीन पोसिबल ही नहीं है..
मैं: मैं समझ सकता हूँ...पर कल ज्यादा इन्तजार मत कराना ..समझी न..

अंशिका: नहीं करवाउंगी ...रात को फोन करती हूँ अब..बाय..
मैं: घर चल दिया, रास्ते से मैंने बियर के केन की पेटी ले ली..क्योंकि अब मैं पूरा एक हफ्ता मस्ती से गुजारना चाहता था.

कल मुझे कनिष्का ने भी मिलने को कहा था..मुझे लग रहा था की कहीं वो न आ धमके आज शाम को. मैं घर पहुंचा और बेडरूम में बैठ कर मैंने कनिष्का को फोन मिलाया..

कनिष्का: हाय...कैसे हो..आज तो पूरा दिन तुमने फोन ही नहीं किया..मम्मी-पापा गए क्या..?
मैं: हाँ चले गए..बस अभी घर आया हूँ..तुम कहाँ हो..?
कनिष्का: ओहो..बड़ी जल्दी हो रही है मुझसे मिलने की..दरवाजा खोलो, अभी मिल लेती हूँ.

जिस बात का मुझे डर लग रहा था, वही हुआ, मैंने भाग कर दरवाजा खोला , वो बाहर ही खड़ी थी, उसके हाथ में काफी सामान था. मैंने उसे अन्दर बुलाया और दरवाजा बंद कर दिया.

मैं: अरे, बता तो देती, की आ रही हो, अगर मैं घर पर ना मिलता तो..
कनिष्का: नहीं मिलते तो मैं इन्तजार कर लेती...वैसे मैं पिछले एक घंटे से तुम्हारे घर के सामने वाली मार्केट में ही घूम रही थी..
मैं: एम् ब्लोक मार्केट में...क्यों..?
कनिष्का: मैं घर से 3 बजे निकली थी की अपनी फ्रेंड के साथ मार्केट जाना है, ताकि दीदी मेरे साथ ना चल दे, वैसे वो भी शायद सुबह से तुम्हारे फोन का वेट कर रही थी..उनका मूड थोडा खराब सा था..लगता है दीदी के साथ प्रोग्राम था आपका..है न..

मैं कुछ न बोला.

कनिष्का: वैसे एक बात बताओ...कितनी बार फक कर चुके हो अभी तक तुम दीदी को..
मैं: एक बार भी नहीं..दुसरे सभी मजे लिए है , पर फकिंग नहीं..

कनिष्का मेरी बात सुनकर हेरान रह गयी..पर फिर मैंने उसे बताया की किस तरह से वो और मैं मिले और कभी टाईम की तो कभी सही जगह की कमी की वजह से हम दोनों कुछ न कर पाए..मैंने उसे अपने वर्जिन होने वाली बात भी बता दी और ये भी की मैं अपनी वर्जिनिटी अंशिका के साथ ही खोना चाहता हूँ और हमने आज घर पर प्रोग्राम भी बनाया था..

कनिष्का: ओहो..तभी शायद वो आज इतना अपसेट थी...पर कोई बात नहीं, अब तो पूरा हफ्ता है, कभी भी मस्ती कर सकते हो तुम दोनों..पर उनके चक्कर में मुझे मत भूल जाना..दीदी को तुम अपनी वर्जिनिटी दे दो, फिर तुम्हे भी मैं अपनी एक दूसरी वर्जिनिटी दूंगी...जिसे मैंने आज तक किसी और को नहीं दिया..

उसने अपनी कमर पर हाथ रखकर बड़े कामुक अंदाज में मुझसे कहा. उसका इशारा अपनी गांड की तरफ था..मेरा तो लंड उसकी बात सुनकर फुफकारने सा लगा. मैंने उसे अपनी तरफ खींचा, वो सीधा मेरी गोद में आ बैठी और अपनी बाहे मेरी गर्दन से लपेट दी..

मैं: तुम्हे कैसे भूल जायेंगे. पर मेरी एक रेकुएस्ट है तुमसे, मैंने तुम्हारी दीदी से वायदा किया है की पहले मैं उसके साथ और फिर किसी और के साथ करूँगा..सो...प्लीस...तुम समझ रही हो न ...की मैं क्या कहना चाहता हूँ.
कनिष्का (मुस्कुराते हूँए): समझ गयी मेरे भोंदू राजा..एक बात बताओ..क्या तुम मेरी दीदी से प्यार करते हो..
मैं: नहीं तो..बस ऐसे ही मयूचुअल अट्रेक्शन है बस...और कुछ नहीं..क्यों तुम्हे ऐसा क्यों लगा..
कनिष्का: नहीं बस ऐसे ही...वर्ना इस तरह की बाते तो कोई भोंदू ही करेगा, जब उसकी गोद में एक गर्म और जवान लड़की बैठी हो...हूँ...

और मेरी आँखों में देखते हूँए उसने मेरे होंठो पर अपने गर्म होंठ रख दिए. मेरा हाथ अपने आप उसकी ब्रेस्ट पर जा पहुंचा और उसके निप्पल्स को ढूंडने लगा..जो जल्दी ही मेरी उँगलियों के बीच आ गया..जिसके दबाते ही उसने अपनी रसीली गांड को मेरे उठते हूँए लंड के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया. तभी मेरे दिमाग में फिर से अंशिका की तस्वीर कोंध गयी और मैंने उसके होंठो और ब्रेस्ट से अपनी पकड़ हटा ली.

मैं: ओह्ह...कनिष्का...तुम इतनी हॉट हो यार, पर तुम तो मेरी सिचुएशन जानती हो...मैं इससे आगे गया तो मैं शायद अपने आप पर कण्ट्रोल नहीं कर पाउँगा..
कनिष्का (मेरे चेहरे को पकड़कर): मैं जानती हूँ....मुझसे पहले दीदी का हक है तुमपर...चलो कोई बात नहीं..आज नहीं तो कल सही..जब तुम कहोगे अब तभी आउंगी तुम्हारे पास..

और ये कहते हूँए वो उठ गयी..और अपना सामान लेकर, मुझे एक और बार गुड बाय किस करके, घर चली गयी..

रात को मैं बीयर पीकर, अंशिका से देर तक बाते करता रहा और रात को लगभग एक बजे मैं सो गया.
Like Reply
#47
Bhai sex gaya bhaad me, mujhe to ye story waise hi padhne me maza a raha h.
Like Reply
#48
अगली सुबह मेरे घर की बेल बजी. मैं आँखे मलता हुआ बाहर गया. बाहर अंशिका खड़ी थी. उसे देखते ही मैं अपनी पलके झपकाना भूल गया. वो ब्लू कलर की साडी में आई थी. चेहरा खिला हुआ सा, कंधे पर बेग और चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान.

 
अंशिका: मैं जानती थी...तुम अभी तक सो रहे होगे...टाईम देखो. आठ बजने वाले हैं. चलो अन्दर.
 
वो मुझे धकेल कर अन्दर आ गयी. मैंने दरवाजा बंद किया और उसे देखने की वजह से खड़े हुए लंड को अपने पायजामे में लेकर उसके पीछे चल दिया. वो सीधा किचन में गयी और फ्रिज से पानी निकाल कर पीने लगी..उसकी सुनहरी गर्दन पर हलके पसीने की बूंदे चमक रही थी, बड़ी प्यास लगी हुई थी उसे, थोडा पानी बाहर निकल कर गर्दन से होता हुआ उसकी छाती पर बनी गहरी घाटियों के अन्दर जा पहुंचा.
 
मैं उसके पीछे गया और उसके नंगे पेट पर अपने हाथ लपेट कर उसकी गर्दन को चूमने लगा...
 
अंशिका: उन् ...मत करो न...चलो पहले नहा कर, ब्रश करलो...उसके बाद पूरा दिन है...मैं नाश्ता बनाती हूँ...
 
मैंने उसकी बात मानकर जल्दी से अपने कपडे लेकर बाथरूम गया और शेव करने के बाद, नहा कर, बाहर आ गया. वो मेरे बेडरूम की चादर को सही कर रही थी. मैंने पीछे से जाकर उसे पकड़ लिया और फिर से उसकी गर्दन को चूमने लगा.
 
अंशिका: ओह्ह्ह...विशाल..पहले नाश्ता तो कर लो..उसके बाद..
मैं: मेरा नाश्ता, लंच और डिनर तो तुम हो आज...तुम्हे ही खाऊंगा मैं आज....
 
मेरी बात सुनकर वो मेरी तरफ पलटी और मुझसे जोर से लिपट गयी. ओह्ह्ह्ह विशाल्ल्ल्ल....तभी तो आई हूँ मैं. खा जाओ तुम, आज अपनी अंशिका को. मैं पूरी तरह से तैयार हूँ, तुम्हारे सामने हूँ. जैसे मर्जी, वैसे खाओ, पर आज मुझे इतना प्यार करो की मेरे अन्दर की सारी कसक मिट जाए...
 
मैंने उसकी साडी के पल्लू को नीचे गिरा दिया और ब्लाउस के अन्दर कसमसा रहे उसके दोनों कबूतरों को पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचा.
 
मैं: आज तो बस तुम देखना, तुम्हे ऐसे खाऊंगा की तुम्हारी भूख और भी बड़ जायेगी और तुम मेरे लंड की गुलाम हो जाओगी
अंशिका: अच्छा जी...देखते हैं...कौन किसका गुलाम होता है आज...मैं तुम्हारे लंड की या तुम्हारा लंड मेरी चूत के रस का...
 
उसने मुझे बेड पर धक्का दिया और मेरी गोद में आ बैठी...
 
मैं उसके मुंह से पहले भी लंड और चूत जैसे शब्द सुन चूका था..पर मेरे सामने बैठ कर उसके गुलाबी होंठ जब अपनी चूत से निकलते रस की बात कर रहे थे तो बड़ा मजा आ रहा था, मैंने एक हाथ सीधा उसकी चूत पर और दुसरे हाथ से उसका चेहरा अपनी तरफ खींच कर अपने होंठो पर टिका दिया और उन्हें चूसने लगा..मैंने हाथ नीचे करके उसकी साडी को खींचा और उसे उतार दिया और फिर उसकी पेटीकोट को भी खींच कर उसे भी घुटने तक खींच कर उतार दिया. उसके ठन्डे चुतड मुझे अपने गर्म लंड पर साफ़ महसूस हो रहे थे. उसने भी मेरे होंठ चूसते हुए ही मेरे पायजामे को खोला और उसे मेरे जोकि समेत नीचे उतार दिया और अपनी जांघो के बीच से मेरे उफान खाते लंड को भींच दिया.
 
मेरे मुंह से एक मादक सी सिसकारी निकल गयी. उसकी मुलायम गांड मेरी टांगो के ऊपर थी और उसकी टांगो के बीच से होता हुआ मेरा लंड उसकी चूत से टक्कर मारता हुआ ऊपर तक आ रहा था, जिसे वो बड़े प्यार से सहला रही थी. मैंने ब्लाउस के हूक खोले और उसे भी उतार दिया और एक झटके से उसकी ब्रा के दोनों स्ट्रेप भी खींच कर नीचे कर दिए और उसके दोनों मुम्मे बाहर की और आते ही मैंने उनपर हमला सा बोल दिया.
 
वो चीख रही थी. हम दोनों लगभग नंगे होकर एक दुसरे से चुपके हुए से, चूमा चाटी करने में लगे हुए थे. मैंने अपने मुंह की लार से उसकी ब्रेस्ट को पूरा गीला कर दिया था, उसके स्तनों को पीने में बड़ा मजा आ रहा था. अपने मुंह को उनपर रगड़ने से ऐसा लग रहा था की किसी रबड़ के गुब्बारे पर मुंह रगड़ रहा हूँ. उसे इतना मजा आ रहा था की अपनी आँखे बंद किये हुए वो मेरे मुंह को अपनी पूरी ब्रेस्ट पर रगड़े जा रही थी.
 
अह्ह्हह्ह विशाल्ल्ल.....सक.....सक...मी......अह्ह्हह्ह.....
 
मैंने उसके दोनों निप्पल अपने हाथो से पकडे और उनपर चुंटी काटकर उन्हें अपने दांतों के बीच चुभलाने लगा. जैसे कोई सुपारी चूसता है. मेरा टावल भी निकल चूका था, और अब मैं पूरा नंगा था. उसकी चूत से बड़ा पानी निकल रहा था, जिसे उसने अपने हाथो में समेटा और मेरे लंड के ऊपर वही हाथ लगाकर उसे ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया. मैंने उसे अपने बेड के ऊपर पटक दिया. अंशिका अपने एक हाथ को अपनी चूत के अन्दर और दुसरे को अपने मुंह में डालकर, पूरी नंगी होकर मेरे बेड के ऊपर पड़ी हुई, किसी पोर्न मूवी की एक्ट्रेस जैसी लग रही थी.
 
वो मेरे लंड को देखकर अजीब से चेहरे बना रही थी...मानो अपने आप को तैयार कर रही हो, मेरा लंड लेने के लिए. अंशिका ने अपनी दोनों टाँगे फेला कर अलग- अलग दिशा में फेला ली और अपनी चूत के अन्दर तक की झलक मुझे दिखाई. वो शायद चाह रही थी की मैं सीधा उसकी चूत मारना शुरू कर दू. पर मैं आज कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था. मैंने उसकी फेली हुई टांगो के ऊपर अपने हाथ रखे और अपना मुंह सीधा उसकी चूत के ऊपर लगा दिया. वो आनंद के मारे किलकारियां मारने लगी...
 
अह्ह्ह्हह्ह......विशाल्ल्ल......ये क्या....अह्ह्ह्ह......मम्म......म......ओह्ह्ह्हह्ह.....येस्स्स्स......अह्ह्हह्ह......... म्म्म्मम्म्म्मम्म....
 
मैंने उसकी क्लीन शेव पुस्सी को अपनी पेनी जीभ से चाटना शुरू किया और ये सब करते हुए मेरी नाक, ठोडी और आधे से ज्यादा चेहरा उसकी चूत की चाशनी में भीगकर गीला हो गया...
 
ओह्ह्ह्ह विशाल्ल्ल्ल....मत तरसाओ न....प्लीस्स्स....कम एंड टेक मी.....
 
वो मेरा लंड लेने के लिए मरी जा रही थी और इसलिए उसने एकदम से मुझे घुमा कर बेड पर पीठ के बल लिटा दिया. मेरा मुंह अभी तक उसकी चूत के अन्दर फंसा हुआ था. जिसे उसने छुड़ाया और उस रस टपकाती हुई चूत को मेरी छाती और पेट से रगड़ते हुए. मेरे लंड के ऊपर जाकर टिका दिया...
 
अंशिका: उम्म्मम्म....बड़ा मजा आता है ना...तड़पाने में...हूँ...
 
उसके दोनों हाथ मेरे हाथो को बेद के ऊपर दबाये हुए थे और उसके दोनों रसीले फल मेरे चेहरे पर टक्कर मार रहे थे. मेरा लंड नीचे से उसकी चूत के दरवाजे पर खड़ा होकर अन्दर जाने का इन्तजार कर रहा था.
 
अंशिका: जानते हो की मैं कितना तड्पी हूँ. पिछले चार महीने में उसके बाद भी चूसने में वक़्त गँवा रहे हो. कल रात से इस वक़्त का इन्तजार कर रही थी. पता है और तुम हो की...
 
मैंने एक झटका दिया ताकि मैं अपने हाथ छुड़ा कर उसकी कमर पकड़ लू और लंड डाल दू अन्दर, पर उसकी पकड़ काफी मजबूत थी...
 
मैं: देखो...अब तुम तडपा रही हो मुझे...
अंशिका: मैं तो खुद तड्पी हूँ इस पल के लिए. मैं कैसे तडपा सकती हूँ तुम्हे. तुमने अपनी वर्जिनिटी इतने टाईम तक मेरे लिए संभाल कर रखी उसके लिए थेंक्स और आज मुझे इतने मजे देना की मेरी सारी ख्वाहिशे पूरी हो जाए और याद है...तुमने एक बार मुझे कहा था की तुम मुझे प्रेग्नेंट करना चाहते हो...तो मेरा भी आज वादा है तुमसे..मेरी चाहे किसी से भी शादी हो, मेरे पेट में आने वाला पहला बच्चा तुम्हारा ही होगा और फिर तुम्हे में अपनी छाती का दूध भी पिलाउगी...
 
वो जज्बात में आकर ना जाने क्या- क्या बोले जा रही थी. शायद मेरी वर्जिनिटी के बदले ही उसने ये इनाम देने की सोची थी मुझे. ये वो सब बाते थी जो मैंने उसे पहले बताई थी और उसने उन्हें टाल दिया था... 
 
पर अब ये बाते करने का वक़्त नहीं था .उसकी चूत से निकलता रस सीधा मेरे लंड के ऊपर गिर रहा था और किसी मक्खन की तरह से उसे चिकना बनाने में लगा हुआ था. मैंने ऊपर होकर उसके होंठो को फिर से चूम लिया और उसने मेरे हाथ छोड़कर मेरे चेहरे को पकड़कर अपने होंठो को मेरे होंठो पर स्मेश करते हुए जोर से सिसकना चालू कर दिया. मेरे हाथ सीधा उसकी गांड के ऊपर गए और उन्हें हल्का सा धक्का देते हुए नीचे की तरफ लाने लगे. अंशिका की चूत मेरे लंड के ऊपर आकर धंस सी गयी. उसका पूरा शरीर अकड़ गया. शायद उसे दर्द हो रहा था. पर मैं जानता था की ये दर्द तो होगा ही. मैंने उसे थोडा और अपनी तरफ खींचा और मेरा लंड उसकी चूत की सुरंग में जगह बनता हुआ थोडा और अन्दर तक आ गया.
 
अंशिका: अह्ह्ह्ह......विशाल्ल्ल.....दर्द हो रहा है....
मैं: ओह्ह बेबी....इतना तो होगा ही ....बस हो गया....
 
और इतना कहकर मैंने उसकी कमर पर हाथ रखकर अपनी छाती से भींचा और नीचे से एक करार झटका मारा. मेरा लंड अब आधे से ज्यादा उसकी चूत के अन्दर घुस गया. अंशिका ने अपना चेहरा मेरी गर्दन के अन्दर घुसा लिया. उसकी गर्म साने और आँखों से निकलते गर्म आंसू मुझे साफ़ महसूस हो रहे थे. पर वो मुझे रोक नहीं रही थी. मैंने उसकी कमर को खींचा और अपना लंड थोडा बाहर निकाला ताकि अगला धक्का मार सकू. पर मुझसे पहले अंशिका ने अपना चेहरा ऊपर उठाया और मेरे झटका देने से पहले ही उसने ऊपर उठकर, अपना पूरा भार मेरे लंड पर डालते हुए, उसे अपनी चूत के अन्दर ले लिया...
 
अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह[b]ह्ह्ह्हह्ह[b]ह्ह्ह्हह्ह[/b] विशाल्ल्ल......ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह.....माय गोड....... म्मम्म......[/b]
 
उसकी कमर कमान की तरह से पीछे की तरफ मुड गयी, उसके बाल मेरे पैरो के ऊपर आकर उनपर गुदगुदी से करने लगे. मैंने एक हाथ ऊपर लेजाकर उसकी ब्रेस्ट को पकड़ा और उन्हें मसलने लगा. अंशिका ने अपने दोनों हाथ मेरे हाथो को ऊपर रख दिए और उन्हें मसलने लगी और फिर मेरी तरफ देखकर. मेरे लंड के ऊपर उछलने लगी…
ओह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह उम्म्म्म .विशाल...ओह्ह्हू.. फक... अह्ह्ह फक मी...अह्ह्ह्ह ...ऑफ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ्फ़....
 
मेरा लंड तो मानो किसी वेलवेट जैसी जगह में था, अन्दर से निकलती गर्मी और रसीला पानी, दोनों को मैं साफ़ तरीके से महसूस कर पा रहा था अपने लंड पर. मैंने अचानक से अंशिका को अपनी गोद में उठा लिया और बेड के किनारे पर खड़ा हो गया और उसे लेकर में बाहर की तरफ चल दिया..
 
वो कुछ समझ नहीं पा रही थी. पर वो कुछ ना बोली. अपनी कमर हिला कर वो मेरे लंड से चिपकी रही, और अपनी बाहे मेरी गर्दन से लपेट कर लम्बी- लम्बी सिस्कारियां लेती रही...
 
मैं: उसे लेकर बाहर आया और डाईनिंग टेबल के ऊपर लेजाकर लिटा दिया. अब उसकी चूत सीधा मेरी कमर के बराबर थी, मैंने एक टांग उठा कर चेयर के ऊपर रख दी और इस तरह के एंगल से मेरा पूरा लंड अब अंशिका की चूत के अन्दर तक जा रहा था.
 
मैंने धक्के मारने शुरू किये, मेरे सामने उसके हिलते हुए मुम्मे बड़े ही सेक्सी लग रहे थे. मेरे हर धक्के से वो ऊपर की तरफ जाते और फिर नीचे आते. मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और उसकी चूत के बाहर की तरफ ही रगड़ने लगा. अब तक अंशिका की चूत पूरी तरह से जलने लगी थी. मेरे लंड को उसने हाथ से पकड़कर वापिस छेद पर टिकाया और उसे फिर से निगल गयी....
 
अंशिका: अह्ह्ह्ह......ऐसा मत करो.....बाहर मत निकालो.....इसे....इतना मजा आ रहा है...इतना तड़पाने के बाद तो आज आया है ये मेरे अन्दर. अब नहीं निकालना. कभी नहीं निकालना...कभी नहीं...कभी नहीं.....
 
वो ये बोलती गयी और नीचे से धक्के मारकर मेरे लंड को अन्दर निगलती गयी. मैं तो बस अब खड़ा हुआ था, सारा काम नीचे लेटी हुई अंशिका कर रही थी. पर उसकी चूत की पकड़ भी अब तेज थी मेरे लंड पर...जिसकी वजह से मुझे लगने लगा था की जल्दी ही मेरा लंड पानी छोड़ देगा...वो भी शायद समझ गयी थी और वो और तेजी से मेरे साथ झटके खाकर चुदाई करने लगी..
 
अह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह म्मम्मम ओह्ह्ह्ह ....... म्मम्मम....... अह्ह्ह्हह्ह..... याआअ... हाआअ.....अह्ह्ह्ह.....
 
वो इतनी तेजी से झटके मार रही थी की मुझे लगा की टेबल ही ना टूट जाए...मैंने उसे फिर से उठा लिया. और उसने मेरी गर्दन में हाथ डालकर अपने नर्म और गीले होंठ फिर से मुझपर रख दिए और मेरी गोड में ही उछल उछल कर चुदवाने लगी....
 
मैं: बस यही चाहता था की अंशिका से पहले मैं न झड जाऊ. अपनी पहली चुदाई में ही मैं उससे पीछे नहीं रहना चाहता था...
 
पर जिस तरह से वो मेरी गोद में उछल रही थी मुझे लगने लगा की शायद वो भी झड़ने वाली है. मैंने उसे टाईल वाली ठंडी दिवार से सटा दिया और उसके कंधे पर हाथ रखकर नीचे से ऊपर की तरफ अपने लंड के झटके देने लगा.
 
अचानक उसका चेहरा ओ के अकार में खुला का खुला रह गया. मैं समझ गया की वो झड़ने लगी है. मैंने उसके खुले हुए मुंह में अपने होंठ डाल दिए और उन्हें चाटने लगा और ऐसा करते ही मेरे लंड से भी एक साथ कई पिचकारियाँ निकल कर सीधा उसकी चूत के अन्दर जाने लगी. जिसे उसने साफ़ महसूस किया और अपनी थकी हुई चूत को वो फिर से मेरे लंड के ऊपर और तेजी से रगडती हुई, सिसकती हुई झड़ने लगी.
 
अह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल......ओह्ह्ह्हह्ह......म्मम्मम....
 
और जब तूफ़ान थमा तो उसके पसीने से भीगा हुआ बदन और रस से भीगी हुई चूत मेरे सामने थी. उसने मेरी तरफ बड़े प्यार से देखा और मुझे चूम लिया..
 
अंशिका: आज तो तुम मुझे खा ही गए...कैसा लगा ये नाश्ता...हूँ...
मैं: अभी पेट भरा है...मन नहीं और भी खाने को मन कर रहा है अभी तो...
अंशिका: तो खा लो ना बेबी...मैं आज पूरा दिन तुम्हारे पास ही हूँ...
 
मैंने उसे फिर से चूम लिया...मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर से फिसल कर बाहर आ गया और उसके पीछे- पीछे हम दोनों का रस भी..
 
हम बाथरूम की तरफ चल दिए...एक साथ नहाने के लिए.
 
[+] 1 user Likes sanskari_shikha's post
Like Reply
#49
i havent read the story, but for the efforts of the author ill definitely read and give my comments. but the presetation of the story is awesome.
Like Reply
#50
अंशिका अपनी गांड मटका कर मेरे आगे चल रही थी, बड़ी ही सेक्सी लग रही थी वो पीछे से तभी उसका फ़ोन बजने लगा. उसने बेग से अपना सेल निकाला और देखा, मेरी तरफ देखकर बोली : कनिष्का का फ़ोन है और फिर फ़ोन उठा कर बोली : हाँ...कन्नू बोल..हां..अच्छा...ठीक है...हाँ बस ऐसे ही...घूम रहे है अभी तो...हां हां...अच्छा...ले..ले बात कर ले फिर..
उसने सेल मुझे दे दिया और फुसफुसा कर बोली : कन्नू है, तुमसे बात करना चाहती है, वैसे मैंने इसे रात को बता दिया था की मैं तुम्हारे साथ आज घुमने जाउंगी..लो बात करो..

मैं: हेलो...
कनिष्का: हूँ...कैसे हो...क्या कर रहे हो??
मैं: शर्मा कर रह गया, उसे अच्छी तरह से मालुम था की हम घूम नहीं रहे बल्कि घर पर ही चुदाई कर रहे हैं...
मैं: बस ऐसे ही...तुम बताओ..कैसे फ़ोन किया??
कनिष्का: अच्छा जी, लगता है, दीदी पास ही खड़ी है..बोलो न..एक सेशन तो हो ही चूका होगा अब तक फकिंग का...है न...बोलो..अच्छा, हां या ना ही बोल दो..
मैं: हाँ...
कनिष्का: वाव...मेरा तो मन कर रहा है की अभी वहां आ जाऊ और तुम्हे दीदी के साथ सेक्स करते हुए देखू, पर ये अभी मुमकिन नहीं है..
उसकी बात सुनकर मेरे दिमाग ने इमेजिन करना शुरू कर दिया की मैं अंशिका की चुदाई कर रहा हूँ और कनिष्का सामने नंगी बैठ कर हमें देख रही है और अपनी चूत में ऊँगली डाल रही है. मैंने ये सोचते हुए अपने लंड के ऊपर हाथ रखा और मसलना शुरू कर दिया. पर तभी मैंने देखा की अंशिका मुझे ही देख रही है, अपनी बहन से बात करते हुए और मुझे लंड हिलाते हुए. मैंने जल्दी से टोपिक बदला
मैं: अरे हाँ बिलकुल, मैं करवा दूंगा... आज नहीं, कल...अभी तो हम बाहर है, मूवी देखने का प्रोग्राम है..चलो बाद में बात करते हैं

और फिर मैं अंशिका की तरफ मूढ़ कर बोला : ये तुम्हारी बहन भी न, कह रही थी की एक और कोलेज में फार्म भरना है, उसी के बारे में पूछ रही थी की मेरी कोई जान पहचान है या नहीं. अंशिका कुछ देर तक मुझे घूरती रही और फिर बाथरूम की तरफ चल दी. मैंने चेन की सांस ली.

अन्दर जाते ही मैंने शावर चला दिया और उसे लेकर नीचे खड़ा हो गया. पानी थोडा ठंडा था. अंशिका मुझसे चिपक सी गयी...हम दोनों के शरीर से निकल रही गर्मी की वजह से पानी अब ज्यादा ठंडा नहीं लग रहा था. मैंने अंशिका का चेहरा ऊपर उठाया, और उसे शावर के बिलकुल नीचे कर दिया, चेहरे पर पड़ रही पानी की तेज बोछार की वजह से उसकी आँखे बंद हो गयी. बड़ी ही प्यारी लग रही थी वो मैंने उसके फड़कते हुए गुलाबी होंठो के ऊपर अपनी जीभ फेराई..मेरे दोनों हाथ उसके भीगे हुए बदन पर फिसल रहे थे और मेरे होंठ उसके भीगे चेहरे पर. उसने घूम कर शावर बंद कर दिया और अपनी आँखे खोलकर मुझे बड़े प्यार से देखा. उसके चेहरे पर और पुरे बदन पर पानी की बुँदे ऐसी लग रही थी मानो गुलाब के फूल पर ओस की बुँदे. मैंने एक एक करके उन्हें चाटना शुरू कर दिया. उसने भी अपनी जीभ निकाल कर मेरे पानी भरे चेहरे को अपनी लार से ढक दिया.
फिर वो मुझसे एकदम से अलग हुई और बोली : एक मिनट...मैं अभी आई और ये कहकर वो बाहर निकल गयी.

मैं: सोचने लगा की ये इस वक़्त कहाँ गयी है...

थोड़ी ही देर में वो आई, उसके हाथ में चार बीयर के केन का पेक थे. शायद उसने तब देखे होंगे जब वो फ्रिज से पानी पी रही थी..

मैं: ये क्या...बीयर पीने का इरादा है क्या?
अंशिका: नहीं...तुम्हे पिलाने का इरादा है और वो भी मेरे थ्रू.

मैं: मैं कुछ समझा नहीं..
अंशिका: अभी बताती हूँ..

और उसने एक केन को खोला और बीयर को ऊपर करके अपने चेहरे पर गिराया...वो इतनी ठंडी थी की उसके शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गयी...पर मैं समझ गया की वो क्या चाहती है. मैं झट से आगे आया और उसके चेहरे से बह कर नीचे आ रही बीयर को गर्दन पर मुंह लगा कर चाटने लगा...वाव....क्या टेस्ट था. अंशिका के शराबी बदन के साथ बीयर का टेस्ट और भी मजेदार लग रहा था..या ये कह लो की बीयर का नशा और भी बढ़ गया था.

मैं: ये...कहाँ से आया तुम्हारे दिमाग में...
अंशिका: एक मूवी में देखा था और जब से तुम्हारे फ्रिज में बीयर देखी है, मैंने तभी से सोच लिया था की मैं भी ट्राई करुँगी..अब तुम टाईम वेस्ट मत करो..जल्दी से चाटो...एक बूँद भी नीचे नहीं गिरनी चाहिए. समझे.

वो अपने चेहरे पर धीरे-धीरे बीयर की बूंदे टपका रही थी और मैं उन्हें चाटने में लगा हुआ था. मैंने उसके हाथ से केन लिया और सीधा उसके मुंह के ऊपर बीयर टपकाई...

अंशिका: उन्...मुझे इसका टेस्ट अच्छा नहीं लगता...
मैं: अच्छा लगेगा...थोडा मुंह तो खोलो...

पर उसने नहीं खोला..मैंने केन को मुंह लगा कर एक बड़ा सा घूँट भरा और सीधा उसके होंठो पर अपना मुंह लगा दिया और उन्हें खोलकर अपने मुंह के बीयर उसके मुंह में डालने लगा..ठीक उसी अंदाज में जैसे बोंटे पार्क में मैंने उसे पानी पिलाया था. मेरे मुंह से बीयर सीधा उसके गले में जाने लगी...वो कसमसाई पर फिर जब एक-दो घूंट नीचे उतरे तो शायद उसे भी मजा आने लगा...मैंने अपना मुंह हटाया और फिर ऊपर की तरफ से केन से सीधा उसके मुंह पर बीयर टपकाई...इस बार उसने मुंह खुला ही रखा. जितनी उसके मुंह के अन्दर गयी. वो पी गयी और बाकी उसकी गर्दन से नीचे होती हुई आई जिसे मैंने अपनी जीभ से चाटकर पी लिया. सच में, बड़ा ही मजा आ रहा था.
थोड़ी ही देर में वो केन खाली हो गयी. मैंने अंशिका को नीचे लिटाया और दूसरी केन खोलकर उसके मोटे मुम्मो पर बीयर गिराई और फिर उन्हें चाटने लगा. 

अंशिका: आआआह्ह्ह स्सस्सस्सस.....म्मम्मम्मम.....अह्ह्हह्ह...

ठंडी बीयर के बाद मेरी गर्म जीभ के एहसास से वो बाथरूम के फर्श पर किसी मछली की तरह से तड़प रही थी. मैंने उसके दोनों मुम्मो पर बीयर गिराई और उन्हें चाटा, फिर थोडा नीचे लेजाकर नाभि वाले हिस्से में भी बीयर डाल दी, उसकी गहरी नाभि के अन्दर बीयर डालने से जब वो भर गयी तो मैंने वहां भी अपना मुंह लगा कर उसे पी लिया. अंशिका ने मेरे सर के पीछे हाथ रखकर मुझे अपनी नाभि के ऊपर रगड़ सा दिया.

अंशिका: ऊऊओह्ह्ह्ह.....विशाल.....म्मम्मम्मम.....यु आर किलिंग मी......अह्ह्हह्ह.....

उसकी दोनों टाँगे मेरी पीठ के ऊपर आ चुकी थी, शायद वो भी जान चुकी थी की अब उसकी चूत के अन्दर बीयर डालूँगा मैं और जब मैंने अपना चेहरा उसकी नाभि से हटा कर उसकी चूत के ऊपर किया...तो वहां से निकल रही गर्मी के थपेड़ो को मैं अपने चेहरे पर साफ़ महसूस कर पा रहा था. वो भी अपनी कोहनियों के बल आधी लेती हुई मुझे ही अपनी चूत को निहारते हुए देख रही थी. मैंने बीयर का केन उसकी चूत के ऊपर लेजाकर थोडा टेड़ा किया और जैसे ही ठंडी बीयर की बूंदे उसकी गरमा गरम चूत के अन्दर गयी, उसके मुंह से एक तेज चीख निकल गयी.

आआआआआह्ह्ह्ह....ओह्ह्ह्हह्ह गोड..... म्मम्म.....

मैंने अपनी एक ऊँगली से उसकी चूत को फैलाया और फिर से बीयर अन्दर डाली. इस बार ठंडी बीयर और भी अन्दर गयी और फिर मैंने उसकी आँखों में देखते हुए, अपना चेहरा उसकी चूत के ऊपर झुका दिया और अन्दर से वापिस बाहर आती हुई बीयर को गटागट पीने लगा.

ओह्ह्ह....माय....बेबी....सक....मी....आआअह्ह्ह ....ओह्ह्ह ...गोश......अह्ह्ह्ह......

मैं उसकी चूत के अन्दर बीयर डालता जा रहा था और बाहर निकलने से पहले ही उसे पी जाता था. मेरे दिमाग में अब बीयर का सरुर चड़ने लगा था..जिसमे अंशिका की चूत का रस भी मिल चूका था..यानी अल्कोहोल की मात्रा भी बड़ गयी थी. मेरी जीभ उसकी शराबी चूत के अन्दर जाकर धमाल मचा रही थी. मेरा एक हाथ ऊपर की तरफ था, जो उसके मोटे मुम्मे मसलने में लगा हुआ था. उसने एक और केन खोला और अपने मोटे-मोटे पर्वतो पर ठंडी बीयर गिराने लगी. मेरे हाथो में उसके बीयर से भीगे स्तन आ रहे थे, जिन्हें मैं अच्छी तरह से मालिश करने में लगा हुआ था..
वैसे किसी ने मुझे बताया भी था की बीयर से नहाने के कई फायदे हैं और कई लड़कियां बीयर ने नहा कर अपनी स्किन पर ग्लो बनाये रखती है. शायद अंशिका भी ये बात जानती थी. उसे भी बीयर का स्वाद चढ़ चूका था. वो बीच-बीच में अपने चेहरे पर केन लेजाती और एक-दो घूँट पीकर वापिस नीचे अपने बदन के ऊपर बीयर गिराने लगती..मेरा केन भी खाली हो चूका था.
मैं उठकर बैठ गया..अंशिका ने मेरे उफान खाते हुए लंड को देखा और घूमकर मेरे सामने अपनी ब्रेस्ट के बल पर लेट गयी...मैंने दिवार से कमर लगा कर अपना लंड उसके चेहरे के सामने कर दिया और अपनी दोनों टाँगे उसके दोनों तरफ फेला दी. अब उसने अपने हाथ मे पकडे हुए केन से मेरे लंड के ऊपर बीयर डाली..ठंडी बीयर का एहसास जब मुझे अपने लंड पर हुआ तब मुझे पता चला की उसकी क्या हालत हुई थी जब मैंने उसकी चूत में बीयर डाली थी. वो थोड़ी सी बीयर मेरे लंड के ऊपर टपकाती और झटके से उसे मुंह में लेकर चूसने लगती..फिर टपकाती और फिर चूसने लगती...इसी तरह से करते हुए उसने अपना केन भी खाली कर दिया. अब सिर्फ एक और केन बचा हुआ था..
अब हम दोनों की हालत काफी खराब होने लगी थी. वो उठी और मेरे सामने खड़ी होकर अपनी दोनों टाँगे मेरे दोनों तरफ कर ली, अब उसकी रसीली चूत, जिसमे से अभी भी बीयर की बुँदे बाहर निकल रही थी. मेरे सामने थी. नीचे मेरा खड़ा हुआ लंड था. उसने आखिरी केन भी खोला और अपनी छाती पर उसे उडेलना शुरू कर दिया. उसके नशीले बदन से बहकर नीचे आती हुई बीयर किसी झरने की तरह मेरे ऊपर गिर रही थी. हम दोनों का शरीर पूरा चिपचिपा सा हो चूका था. वो धीरे-धीरे नीचे की और आने लगी, और मेरे लंड के ऊपर आकर उसने अपनी चूत को टिका दिया और ऊपर से केन से निकलती हुई धार को सीधा हम दोनों के लंड और चूत के मिलन वाले हिस्से पर गिराते हुए उसने मेरे लंड को अन्दर लेना शुरू कर दिया.

अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ....ओग्गग्ग्ग्ग.....फक्क्क्क........म्मम्मम.......
बीयर के रस से भीगा हुआ मेरा लंड उसकी गर्म चूत के अन्दर घुसता चला गया और जब वो पूरी तरह से अन्दर घुस गया तो उसने खली केन एक तरफ फेंका और अपनी बाहे मेरी गर्दन के चारो तरफ लपेट दी और अपनी छाती से लटके हुए मोटे मुम्मे मुझे चुभाते हुए, मेरे कानो को अपने मुंह में डालकर, चुसना शुरू कर दिया और फिर उसने धीरे-धीरे ऊपर नीचे होना शुरू किया..बीयर का सरुर हम दोनों पर हावी हो चूका था. हलके नशे की खुमारी में उसने और मैंने दोनों तरफ से धक्के मारने शरू किये...

अह्ह्ह्ह ....ओह्ह्ह...विशाल....आई एम्...फीलिंग...होट .....अह्ह्ह्ह....ऊऊ.....ओग्गग्ग्ग्ग.... म्मम्म.....फक मीई. फक मी...हार्ड...बेबी.....
मैं अब नीचे की और पूरा लेट गया और अंशिका को अपने ऊपर पूरा लिटा लिया, उसने अभी भी मेरी गर्दन पर अपने हाथ लपेट रखे थे, मैंने सामने वाली दिवार पर अपने पंजे गाड़कर उसकी गांड के ऊपर हाथ रखा, और नीचे से जानदार झटके मारने लगा. मेरे हर झटके से उसके मोटे मुम्मे ऊपर उछलते और मेरे मुंह पर लगते और उसके मुंह से अलग किस्म की आह सी निकल जाती.
अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह....
और जल्दी ही मेरे लंड से माल निकल कर उसकी चूत में शिफ्ट होने लगा. और मैंने उसके दांये निप्पल को अपने मुंह में डालकर जोर से चुसना शुरू कर दिया और मेरे ऐसा करते ही उसने एक दहाड़ मारकर अपना रस भी निकाल दिया और जोर से हांफती हुई मेरे ऊपर ही झड़ने लगी...
अह्ह्हह्ह्ह्ह ह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल्लल्ल्ल....अह्ह्ह्हह्ह आई..... एम्म्मम्म.... कम्म्मम्म.... इन्न्न्गग्ग..... अह्ह्ह्हह्....
उसने अपनी ब्रेस्ट को मेरे मुंह से छुड़ाने की बहुत कोशिश की पर जब तक मेरे लंड से रस निकलता रहा , मैं उसकी ब्रेस्ट को अपने मुंह में डालकर चूसता रहा और जब हम दोनों सामान्य हुए तो उसने हँसते हुए मेरी तरफ देखा.

अंशिका: यु आर बेड बॉय...यु नो देट...

और मेरे होंठो को जोर-जोर से चूसने लगी. बाथरूम में जिस काम के लिए गए थे, वो हमने सबसे बाद में किया, एक साथ नहा कर हम बाहर निकल आये, अन्दर आते ही अंशिका ने अपने कपडे पहनने चाहे पर मैंने उसके कपडे छीन लिए.

मैं: आज तुम पूरा दिन मेरे साथ नंगी ही रहोगी..
अंशिका: नहीं न...मुझे शर्म आती है...प्लीस मेरे कपडे दे दो..अच्छा चलो, सिर्फ ब्रा-पेंटी ही दे दो.

मैं: मैंने कहा न, नहीं तो नहीं... क्या पता तुम्हे नंगा देखकर मेरा फिर से मन कर जाए तुम्हारी चुदाई करने का.
अंशिका मेरे पास आई और मेरे गले में अपनी बाहें डालकर बोली : वो तो तुम कुछ भी करो आज मैं तुम्हे नहीं रोकूंगी. पर मेरे कपडे तो दे दो न..

मैं: नहीं.
अंशिका: तुम बड़े जिद्दी हो..

और वो मेरे सीने पर हलके-हलके मुक्के मारने लगी

मैं: अच्छा एक बात तो बताओ...वो जो तुमने कहा था की मैं तुम्हे प्रेग्नेंट कर सकता हूँ...क्या सच में तुम ये चाहती हो??
अंशिका (शरमाते हुए अपना सर मेरी गर्दन में घुसाते हुए): यार, तुम उस समय की बातो को याद करके मुझे परेशान मत करो.

मैं: अच्छा जी...पर बताओ तो सही...क्या सच में तुम ये चाहती हो और ये भी की मैं तुम्हारी ब्रेस्ट का मिल्क पीऊ.
अंशिका: ये दोनों चीजे तो तुमने ही कही थी...मैंने तो सिर्फ तुम्हारी बात मान ली..तुम खुश तो मैं भी खुश.

मैं: मतलब , अगर मैं जो भी कहूँ तो तुम उसे मना नहीं करोगी..
अंशिका: हूँ..नहीं करुँगी...ट्राई कर के देख लो.

मैं: तो मैं चाहता हूँ की तुम मेरे दोस्त के साथ भी ये सब करो जो तुमने मेरे साथ किया है..
अंशिका एक झटके से मेरे से अलग हो गयी और मुझे घूरकर देखने लगी..

मैं: अरे..क्या हुआ? अभी तो तुमने कहा की तुम कुछ भी करोगी, जो मैं करने को कहूँगा..
अंशिका: इसका मतलब ये तो नहीं की तुम मुझे रंडी बना दो.

मैं: इसमें रंडी बनने वाली क्या बात है. मैंने तो वोही कहा जो मेरे मन में था..वैसे अगर ये बात तुम कहती की तुम मुझे अपनी किसी सहेली से शेयर करना चाहती हो तो मैं भी मान लेता.
अंशिका: लड़के और लड़की में फर्क होता है..तुम लड़के तो किसी के साथ भी शुरू हो सकते हो, पर ये हम लडकियों के लिए पोसिबल नहीं है...वैसे भी, मुझे पता है की तुम मजाक कर रहे हो.

मैं: नहीं, मैं मजाक नहीं कर रहा..मैं सच में चाहता हूँ की तुम मेरे दोस्त के लम्बे लंड को अपनी चूत में डालकर बहुत मजे लो.

मैंने ये बात उसकी आँखों में देखकर बोली थी...उसकी फेली हुई आँखे एकदम से गुलाबीपन में डूब गयी. उसकी साँसे तेज होने लगी, इतनी तेज की मुझे उनकी आवाज साफ़ सुनाई दे रही थी..लगता था मानो वो अपने 
जहन में वो सब सोचकर उत्तेजित हो रही थी. उसने अपनी छाती के ऊपर टावल लपेट रखा था, जो उसकी जांघो तक आ रहा था, पर मोटी ब्रेस्ट की वजह से आगे की तरफ से उस छोटे से टावल में गाँठ नहीं लग पा रही थी, इसलिए उसने अपने हाथो से उसे सामने की तरफ से पकड़ा हुआ था. मेरी बाते सुनकर वो अपनी सुध-बुध खोकर बस मुझे घूरे जा रही थी और इस बेहोशी के आलम में उसके हाथ से कब टावल छुट कर नीचे गिर गया, उसे भी पता नहीं चला. वो अपने दांये हाथ को अपनी छाती के ऊपर दबाये खड़ी थी अब..उसे क्या मालुम था की टावल तो कब का उसका साथ छोड़ गया है और उसका हूँस्न अब बेपर्दा होकर मेरे सामने अपने पुरे जलवे बिखेर रहा है.

मैंने झुक कर अपना मुंह उसके ठन्डे से मुम्मे के ऊपर रख दिया और उसे चूसने लगा. मेरे दांतों की चुभन महसूस करते ही वो जैसे नींद से जागी.

अंशिका: अह्ह्ह्ह.....ये क्या कर रहे हो??? बदमाश अभी तो किया है. थोडा तो वेट करो न. प्लीस अह्ह्ह्ह

पर मैंने उसके निप्पल्स को चुसना चालु रखा और जल्दी ही उसने भी अपनी तरफ से रिस्पोंस देना शुरू कर दिया.

अंशिका: अह्ह्ह्हह्ह......तुम न....बड़े गंदे हो.....मेरी बात ही नहीं मानते...ओह्ह्ह...येस्सस्सस्स....
मैं: अंशिका के सामने ही नीचे जमीं पर बैठ गया. और अपना चेहरा ऊपर करके उसकी चिकनी चूत को निहारने लगा.

वो मेरी मंशा समझ गयी, उसने अपना एक पैर ऊपर उठाया और मेरे कंधे पर रख दिया और मेरे सर के पीछे हाथ लगाकर, मेरे मुंह के ऊपर अपनी चूत को लगा दिया.
ऊओयीईई.......माय.......गोड....अह्ह्हह्ह....स्सस्सस्स... उसने अपना दूसरा पैर पंजो के बल उठा रखा था, मेरे दोनों हाथ उसके मोटे ताजे कुल्हो के ऊपर थे और मैं उसकी चूत को स्ट्राबेरी आइसक्रीम की तरह से चाटने में लगा हुआ था.

अंशिका: ओह्ह.....गंदे बच्चे....मुझे अपने दोस्त से चुदवाओगे....हूँ....यु बेड ब़ोय...तुम्हारे दोस्त मेरे अन्दर अपना...अपना...लंड डालेंगे और तुम्हे मजा आएगा क्या...बोलो...बोलो न..

मैंने तो वो बात उसे गरम करने के लिए कही थी, मुझे क्या मालुम था की उसकी सुई अभी तक वहीँ अटकी हुई है. पर उसकी बातो से तो यही लग रहा था की उसे मेरी बात काफी पसंद आई थी. मैंने उसकी रसीली चूत से मुंह हटाया और उसकी तरफ देखकर कहा.

मैं: हाँ मुझे बड़ा मजा आएगा...मुझे मालुम है की मेरी अंशिका कितनी गरम है. उसकी चूत की आग मेरे लंड से नहीं बुझेगी. उसके लिए और भी लंड मंगवाने पड़ेंगे, जो तुम्हारी चूत के अन्दर अपना पानी निकाल कर अन्दर की आग को बुझा देंगे.

मैंने अब खुल कर चूत-लंड की बाते उसके सामने करनी शुरू कर दी थी.

अंशिका: ओह्ह्ह्ह.....माय स्वीटहार्ट .....मेरा कितना ख्याल है तुम्हे....ओह्ह्ह्ह....डलवा देना...मरवा देना... चुदवा देना... अपनी अंशिका को फिर अपने दोस्तों से. सब के लंड का रस अपनी चूत में समेत कर मैं तुम्हे खुश कर दूंगी. पर अभी तो तुम मुझे खुश करो. मेरी चूत के अन्दर की आग जो तुमने भड़काई है... उसे शांत करो.

मुझे किसी दुसरे इनविटेशन की जरुरत नहीं थी. अंशिका की चूत की आग पूरी तरह से फेल चुकी थी और उसके पुरे जिस्म को झुलसा रही थी.

मैं उठा और उसे उठाकर अन्दर की तरफ ले जाने लगा...पर अंशिका ने मुझे चुमते हुए कहा : नहीं....अन्दर नहीं...बाहर सीढ़ियों के ऊपर.

मैंने कोई विरोध नहीं किया, मैं उसे उठाकर अपने कमरे से बाहर निकला और कमरे से नीचे की और जाती सीडियो के बीचो बीच लेजाकर उसे लिटा दिया...उसने सीडियो के साईड की रेलिंग पकड़ ली और अपनी दोनों टाँगे ऊपर की और उठाकर मेरे लंड को सादर आमंत्रित किया. मैं भी उसके निमंत्रण लंड से स्वीकारकर उसके ऊपर झुका और जैसे ही मेरे लंड ने उसकी चूत के गेट के अन्दर एंट्री मारी, वहां पर मोजूद फिसलन और टपकते हुए पानी की वजह से मेरा लंड अन्दर तक फिसलता हुआ चला गया. सीढ़ियों वाला एंगल भी ऐसा मस्त था की मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर तक जा रहा था...

अंशिका: ओह्ह्हह्ह.....विशाल....फक में...हार्ड...मेक मी युअर होर..अह्ह्हह्ह......
मैं (उसकी चूत मी धक्के मारते हुए): होर तो मैं तुम्हे बनाऊंगा ही...मेरे लंड से चुदोगी तुम और फिर मेरे दोस्त तुम्हे पूरा नंगा करके चोदेंगे...अपने लम्बे और मोटे लंड डालेंगे तुम्हारी चूत मी और मैं तुम्हारी गांड मारूंगा...

अंशिका को तो जैसे गांड मारने वाली बात सुनकर झटका सा लगा. उसने मुझे एक ही बार मी ऊपर से नीचे की और लिटाते हुए. खुद मेरे ऊपर लेट गयी. सीडियो के ऊपर अब मेरी पीठ थी और अंशिका मेरे ऊपर झुकी हुई थी, अब उसने मेरे ऊपर उछलना शुरू कर दिया.

अंशिका: अह्ह्हह्ह..... चदुंगी.... तुमसे... तुम्हारे दोस्तों से. किसी से भी. जिसे तुम लेकर आओगे. उसका लंड डालूंगी अपनी चूत में तुम्हारे लिए. सिर्फ तुम्हारे लिए और मेरी कुंवारी गांड भी तुम मारना. डाल देना अपना ये मोटा लंड मेरी गांड में. यहाँ. 

और ये कहते हुए उसने मेरी एक ऊँगली पकड़कर अपनी गांड के छेद पर टिका दी. उसकी हिप्स पर मांस की इतनी मोटी परत थी की मेरी ऊँगली को अन्दर जाने मे भी काफी मुश्किल हो रही थी. मैंने उसकी गांड के रिंग के अन्दर अपनी ऊँगली फंसाई और अंशिका ने उसे पकड़कर अन्दर की तरफ धकेल दिया. उसे मालुम था की तकलीफ तो उसे ही होनी थी..पर फिर भी अपनी चूत और गांड के अन्दर एक साथ भराव महसूस करने का लालच वो छोड़ नहीं पायी...पर पीछे के छेद मे हुए दर्द की वजह से वो चिल्ला पड़ी...

अंशिका: अझ्ह्ह्हह्ह ......म्मम्मम्म .......मर गयी...अह्ह्हह्ह....

और अगले ही पल उसने अपनी चूत से ढेर सारा रस मेरे लंड के ऊपर छोड़ दिया. मेरा लंड उसकी चूत मे और ऊँगली गांड मे फंसी हुई थी. वो झड़ने के बाद मेरे ऊपर लेट गयी और अपने बेजान शरीर को मुझपर बिछा दिया. मैंने नीचे से धक्के मारने शुरू किये और उसके एक मुम्मे को मुंह में भरकर चूसने लगा और जल्दी ही आज की डेट मे, तीसरी बार, मैं झड़ने लगा और अपना सारा दूध उसकी चूत के बर्तन में डाल दिया.

सीढ़ियों पर मेरी पीठ पर चुभ रही थी. इसलिए मैंने अंशिका को अपनी गोद में ही उठा कर, ऊपर की तरफ चल दिया और उसे अपने बेड के ऊपर लिटा कर, साथ ही लुडक गया. उसकी आँखे अभी भी बंद थी. पर वो मंद-मंद मुस्कुरा रही थी. मुझे नहीं मालुम था की वो मेरी चुदाई से संतुष्ट होकर मुस्कुरा रही है या मेरी कही हुई बातो को सोचकर.
मैंने टाइम देखा 4 बजने वाले थे. मैंने नीचे गया और हम दोनों के लिए ब्रेड टोस्ट और चाय बनाकर टेबल पर रख दिया..
[+] 1 user Likes sanskari_shikha's post
Like Reply
#51
मैंने नीचे से ही अंशिका को आवाज लगायी: अंशिका...नीचे आओ...मैंने चाय बना दी है और टेबल पर बैठकर उसका वेट करने लगा. थोड़ी ही देर में वो बाहर निकली और वो भी पूरी नंगी और अपनी कमर मटकाती हुई वो नीचे की तरफ आने लगी. उसकी नजरे नीचे ही झुकी हुई थी, उसके पैर जब भी नीचे पड़ते तो उसके दोनों उभार झटके खाते. मैं तो बस यही सोचकर खुश हो रहा था की अंशिका मेरी बातो को कितना मानती है. तभी तो उसने अभी तक कोई कपडा नहीं पहना. यानी की मैंने जो भी उसे उत्तेजित करने के लिए कहा था, अपने दोस्त से चुदवाने वाली बात, उसे भी वो मना नहीं करेगी. ये सोचते हुए ही मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा और मैं सोचने लगा की अपने किस दोस्त को अंशिका की चूत मारने के लिए बोलू.
मन तो कर रहा था की अभी उसे फिर से चोद डालू पर सुबह से तीन बार उसकी बुरी तरह से मारने के बाद अब हिम्मत नहीं हो रही थी. पर ये लंड था की मान ही नहीं रहा था, उसके गोरे चिट्टे और मोटे-ताजे शरीर को देखकर मेरा शेर फिर से शिकार करने को उठ बैठा. वो मटकती हुई आई और टेबल से चाय का मग उठा कर सीधा मेरी गोद में आकर बैठ गयी और मेरी गर्दन से हाथ घुमा कर मुझे अपनी गर्दन की तरफ भींच लिया.. और खुद चाय पीने लगी. अंशिका के दोनों कबूतर मेरी आँखों के सामने उड़ने का प्रयास कर रहे थे..मैंने भी अपनी चाय का एक घूँट भरा और उसके बाद अपना मुंह उसके निप्पल्स पर लगा दिया..चाय की वजह से मेरी गर्म जीभ का स्पर्श उसके पुरे शरीर में रोंगटे खड़े करता चला गया..उसने तन कर अपनी छाती और बाहर निकाली और मेरे मुंह के अन्दर घुसाने का प्रयास करने लगी.

मैं: चाय पी लो पहले. उसके बाद अपना दूध पिलाना मुझे..
अंशिका: हट..बड़े गंदे हो तुम वैसे..इतनी गन्दी बाते कहाँ से सीखी तुमने..

मैं: बस आ गयी..
अंशिका: वैसे क्या सोच रहे थे अभी तुम..

मैं: सच कहू...वो तुमने ऊपर कहा था न अभी की मैं तुम्हे किसी से भी..मेरा मतलब, मेरे किसी भी दोस्त या..किसी और से चुदवा सकता हूँ..तो बस सोच रहा था की किसे कहू...
अंशिका (मेरी आँखों में देखते हुए ): मैंने कह दिया और तुम कर दोगे क्या? अपनी अंशिका को किसी के साथ भी शेयर कर लोगे तुम..बोलो..बोलो न.

मैं थोड़ी देर तक चुप रहा. बात तो वो सही कह रही थी. मैं चाहकर भी अंशिका को किसी और के साथ शेयर नहीं कर सकता था.

मैं: तुम सही कहती हो जान. मैं ऐसा नहीं कर सकता...पर हम इस तरह की बात तो कर ही सकते हैं ना. मैंने नोट किया था की तुम ये बात सुनकर काफी गर्म हो गयी थी और तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी लास्ट वाले सेशन में..
अंशिका (हँसते हुए): तुम्हे धीरे-धीरे ही पता चलेगा न की मेरे वीक पॉइंट्स कौन से है. जिसके बारे में बात करके या जिन्हें छेड़ कर मैं तुम्हे ज्यादा मजे दे सकती हूँ.

मैं: तुम्हारी बॉडी के ज्यादातर तो मुझे पता ही हैं....
अंशिका: अच्छा जी..बताओ फिर..

मैं: और अशिका तब तक चाय पी चुके थे. मैंने उसके कानो के ऊपर जीभ फिरते हुए कहा: एक तो ये है...तुम्हारे सेंसेटिव कान. जिनपर मैं अगर अपनी नंगी जीभ फिरू तो तुम जल बिन मछली की तरह मचलने लगती हो...
अंशिका: अह्ह्ह्ह आउच...... ह्म्म्मम्म . और ...

मैंने उसके एक हाथ को ऊपर उठाया और उसकी बगलों को सूंघते हुए अपनी जीभ वहां घुमाने लगा. अंशिका सीत्कार उठी...: अह्ह्ह्हह्ह......ओह्ह्ह...मम्म..ठीक कहा. और...

मैं: और तीसरी है ये...तुम्हारे निप्पल

ये कहते हुए मैंने उसके निप्पल्स को सिर्फ अपने दांतों तले दबा लिया..बिना अपने होंठ या जीभ लगाये..वो अपनी गद्देदार गांड को मेरी गोद में घिसने सी लग गयी..

अंशिका: आयीईई....स्सस्सस्सस.....मरररर....गयी.....अह्ह्ह.. और. और कहाँ....

मैंने उसे उठा कर सामने डायनिंग टेबल पर लिटा दिया..वो उखड़ी हुई सी साँसों से मेरी तरफ देख रही थी...मानो वो जानती हो की अगला पॉइंट मैं कौनसा बताने वाला हूँ और मैंने जैसे ही अगले पॉइंट यानी उसकी नाभि के ऊपर अपनी तपती हुई जीभ रखी, उसने मेरे सर को अपने पेट के ऊपर जोर से दबा दिया..मेरी जीभ उसकी नाभि की गहरायी में उतर गयी और उसने मेरी गर्दन के चारों तरफ अपनी टाँगे लपेट कर मुझे अपना बंधक बना लिया..

अंशिका: हाय......स्स्स्स......चुसो.....यहाँ....अह्ह्ह्हह्ह......म्मम्मम्म

वो जैसे मुझे अपने पेट में समाना चाहती थी. इतनी जोर से भींच रही थी वो मुझे अपने अन्दर. मैंने किसी तरह से उस पागल के चुंगल से अपना सर छुड़ाया और गहरी साँसे लेते हुए, उसकी आँखों में देखते हुए. नीचे की तरफ खिसकने लगा क्योंकि सबसे मैं पॉइंट तो वहीँ पर था. मैंने उसकी शेव की हुई चूत के ऊपर अपनी जीभ फेराई और फिर अपने हाथो से उसकी चूत के होंठो को अलग-अलग किया. अन्दर का नजारा बड़ा रसीला सा था. गुलाबी रंग की दीवारों से छन कर मीठा पानी बाहर आ रहा था और चूत के सबसे ऊपर की तरफ थी उसकी क्लिट. मैंने अपनी ऊँगली और अंगूठे से उसकी क्लिट के चारो तरफ दबाव डाला तो वो थोड़ी सी उभर कर बाहर की तरफ निकल आई. वो इस तरह से लग रही थी मानो एकदम छोटा सा लंड. मैंने अपने होंठ गोल किये और सीधा उसकी क्लिट के ऊपर जाकर चिपका दिए और उसकी क्लिट को किसी आइसक्रीम की तरह से चूसने लगा...

अंशिका: आआआह्ह्ह ......विशाल्लल्ल्ल्ल......यु आर किलिंग मीई.......... उफ्फ्फ्फफ्फ़....

उसकी एक इंच की क्लिट मेरे मुंह के अन्दर जाकर अपने रस की फुहार कर रही थी...मैंने अपने बीच वाली ऊँगली नीचे की तरफ करके उसकी चूत के अन्दर डाल दी और उसे अन्दर बाहर करने लगा...ऊपर से क्लिट को चूसता रहा और नीचे से उसकी रसीली चूत के अन्दर ऊँगली डालता रहा. अंशिका की तो हालत इतनी खराब हो गयी थी की उसकी चीख भी नहीं निकल पा रही थी अब....सिर्फ मुंह खोले हलके-२ घू-घू की आवाज ही निकाल पा रही थी वो...उसका हाथ मेरे सर के ऊपर था..अपने हिसाब से वो मुझे कण्ट्रोल कर रही थी..मैं जब ज्यादा चूसने लगता तो मेरे बाल खींच कर मुझे ऊपर कर देती और जब और ज्यादा इच्छा होती तो मेरे सर को और तेजी से अपनी चूत के अन्दर घिसने लगती..

उसकी क्लिट बड़ी नाजुक सी थी..मेरे दांतों की वजह से उसे तकलीफ भी हो रही थी...इसलिए मैंने उसे छोड़ दिया और उसकी चूत के दोनों होंठो के ऊपर अपने होंठ लगा कर फ्रेंच किस करने लगा...वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी..अपनी चूत के जरिये धक्के मारकर वो मेरे होंठो को चूसने का प्रयास करती जा रही थी..मेरे मुंह से लार निकल रही थी तो उसकी चूत के मुंह से गरम पानी. मेरा मुंह, नाक, ठोडी सब पूरी तरह से गीले हो चुके थे..

अंशिका (चिल्लाते हुए): आआअह्ह्ह्ह.....विशाल्ल्ल्ल.....ओह्ह्ह बेबी....यु आर सो स्वीट....अह्ह्हह्ह......फक में नाव...फक मीईईईई.......

और वो उठी और मेरे सीने से अपनी चूत को रगडती हुई नीचे तक आई और मेरे खड़े हुए लंड के ऊपर आकर बैठ गयी और फिर सी सी करती हुई वो मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर उतारने लगी. और अंत में जब मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर घुस गया तो उसने मेरी कुर्सी के पीछे वाला हिस्सा पकड़ा और अपनी छाती को मेरे मुंह के ऊपर दबाते हुए..अपनी चूत को मेरे लंड के चरों तरफ घुमाते हुए...ऊपर नीचे करती हुई...मुझे चोदने लगी...हाँ...सही कहा मैंने..मुझे चोदने लगी...क्योंकि मैं तो किसी राजा की तरह कुर्सी पर बैठा हुआ था..सारा काम तो वो ही कर रही थी...

अंशिका: ओह्ह्ह्ह विशाल्ल्ल.....यु नो आल सेंसेटिव पॉइंट्स ऑफ़ माय बोडी......अह्ह्हह्ह्ह्ह.......आई एम् इम्प्रेस.....ओह्ह्ह्ह.....फक मी. नॉव....फक मी..हार्ड....हार्डर....हार्डर....ओह्ह्ह्हह्ह........ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ्फ़...

वो अपने पंजो के बल मेरे लंड के ऊपर बैठी हुई तक धिना धिन करती जा रही थी और अंत में हम दोनों का एक साथ रस निकलने लगा...मेरे लंड के प्रेशर से तो वो थोडा सा उछल सी गयी थी और उसकी चूत से मेरा लंड बाहर निकल आया और मेरे लंड से निकलते रोकेट जैसे वीर्य की पिचकारियाँ सीधी ऊपर तक आकर उसके मुंह से टकराई और कुछ उसके मुम्मो से...हम दोनों के बीच पूरा चिपचिपा रस फेल चूका था..कहने की जरुरत नहीं थी..हमें दोबारा नहाना पड़ा उसके बाद. मैंने टोवल लपेट कर जैसे ही बाहर आया..मेरा फ़ोन फिर से बजने लगा..अंशिका अभी तक अन्दर ही थी..

वो फ़ोन स्नेह का था

स्नेहा: हाय...क्या कर रहे हो..
मैं: कुछ नहीं...तुम बताओ.
स्नेहा: आज पड़ाने का इरादा नहीं है क्या..
मैं: नहीं यार...आज नहीं आ पाउँगा...बस अभी आया था किसी जरुरी काम से..आज हिम्मत नहीं है..
स्नेहा: वैसे अब तो तुम्हारे मम्मी-पापा भी नहीं है. कहो तो मैं ही आ जाऊ वहां..अच्छी तरह से पढ़ाई हो जायेगी..
मैं: ठीक है...पर आज नहीं..कल.
स्नेहा: ठीक है, मैं तुम्हे कल फोन कर लुंगी और फिर हम प्रोग्राम सेट करके मिल लेंगे...तुम्हारे घर पर..बाय..
मैं: बाय..

इतनी देर में अंशिका भी बाहर आ गयी और उसने बाहर आते ही अपने कपडे पहनने शुरू कर दिए..शाम होने लगी थी..उसे घर भी जाना था.

अंशिका: विशाल..आज जो सुख...जो प्यार तुमने मुझे दिया है...मैं कभी नहीं भूल पाऊँगी...तुम ही मेरे सच्चे दोस्त हो जो मेरी इच्छाए और जज्बात अच्छी तरह से समझते हो...आई एम् प्राउड ऑफ़ यु...थेंक्स फॉर टुडे...थेंक्स फॉर एवरीथिंग...

और मुझे एक जोरदार किस करके, दोबारा जल्दी ही मिलने का वादा करके वो चल दी.

शाम को कनिष्का का फ़ोन लगातार आता रहा, पर मैंने उठाया नहीं...मुझे मालुम था की वो मेरे और अंशिका के बारे में ही पूछेगी और शायद अगले दिन आने का भी प्रोग्राम न बना ले..वैसे भी मैंने कल स्नेहा को आने के लिए बोल दिया है.

रात को मैं बाहर चला गया खाना खाने. मैं एक दुसरे ब्लोक में स्थित ढाबे पर गया और वहां बैठ गया..था तो वो एक ढाबा पर वहां के खाने की तारीफ मैंने कई लोगो से सुनी थी, मैंने सोचा आज ट्राई कर ही लेते हैं. मैं बैठा ही था की मुझे पीछे से किसी ने बुलाया: विशाल....तुम क्या कर रहे हो यहाँ?? मैंने पीछे मुड़ा तो देखा वो पारुल थी...मेरी कॉलेज वाली दोस्त, जिसका ब्रेकअप हो चूका था..

मैं: हाय..पारुल...तुम यहाँ क्या कर रही हो..
पारुल: यार, वो मम्मी पापा कही गए हैं बाहर...एक हफ्ते के लिए. रोज पिज्जा बर्गर खा खाकर बोर हो गयी थी...खाना बनाना आता नहीं अभी..इसलिए सोचा की आज कुछ चटपटा खाया जाए, इस ढाबे की काफी तारीफ सुनी है मैंने, इसलिए यहाँ आई थी, पेक करवाकर घर ले जाउंगी, पर तुम क्या कर रहे हो.अकेले बैठ कर खा रहे हो, कोई दोस्त नहीं...क्या .
मैं: यार, मेरा हाल भी तेरे जैसा है, मम्मी-पापा गाँव गए हैं, किसी की शादी में, अगले हफ्ते तक आयेंगे...तो मैंने सोचा की यहाँ आकर खाना खा लेता हूँ.
पारुल: हम्म्म्म... पर अकेले खाने में तुम्हे अजीब नहीं लगेगा...चलो एक काम करो, तुम्हारा खाना भी पेक करवा लेती हूँ मैं, साथ मिलकर खायेंगे, मेरे घर.

उसके घर मैं पहले भी कई बार जा चूका था, पर उसके मम्मी पापा आज घर नहीं थे..इसलिए मुझे थोडा अजीब सा लग रहा था, वैसे भी चुदाई करने के बाद मुझे हर लड़की में सिर्फ एक ही तरह का इंटरस्त आ रहा था. आजकल पर अपनी कॉलेज की फ्रेंड पारुल के बारे में मैंने पहले भी कुछ गन्दा नहीं सोचा था और ना ही मुझे सोचना था..वैसे भी आजकल मेरे पास काफी सारे आप्शन है.

मैं: नहीं यार..रहने दे..तेरे मामी पापा भी नहीं है...ऐसे अच्छा नहीं लगता..
पारुल: ओये...तू कब से इतनी बाते सोचने लगा...तुने क्या मेरे साथ कुछ करना है घर में जो नहीं चल सकता...चल सही तरह से..वर्ना..
मैं: अच्छा बाबा...चलो...तुमसे कौन मुंह लगाये..

मुझे उसका गुस्सा मालुम था, गुस्से में उसके मुंह से गालियाँ निकलने लगती थी, जिससे मुझे काफी चिड थी. पारुल ने अपने साथ-साथ मेरा खाना भी पेक करवा लिया. पर मैंने उसे पैसे नहीं देने दिए और उसने भी ज्यादा जिद्द नहीं की सबके सामने. पारुल का फ्लेट थोड़ी ही दूर पर था..वो पैदल ही आई थी वहां तक, मैंने उसे बाईक पर बिठाया और उसके फ्लेट की पार्किंग में मैंने बाईक लगा दी और लिफ्ट से ऊपर आ गए..लाइफ में एक आंटी भी चड़ी, जो मुझे और पारुल को घूर-घूर कर देख रही थी. पारुल ने मुझे बाद में बताया की वो उसी फ्लोर पर रहती है और शायद सोच रही होगी की मम्मी-पापा के घर पर न होने का फायदा उठा रही हूँ मैं...अपने बॉय फ्रेंड को घर लाकर.

मैं: देखा, मैंने कहा था न, ऐसे अच्छा नहीं लगता, अब लोग क्या बोलेंगे..
पारुल: मुझे लोगो की परवाह नहीं है...समझे और रही बात तुम्हारी, तो तुम्हे तो मम्मी-पापा अच्छी तरह से जानते ही हैं..

तभी उसका मोबाईल बजने लगा.

पारुल: लो जी...मम्मी का नाम लिया और उनका फोन आ गया.

फ़ोन उठा कर : हाँ मम्मी...बोलो...हाँ जी, बस खा रही हूँ...वो जगत ढाबे से लायी थी खाना...हाँ और वहां विशाल भी मिल गया...खाना खाने आया था..मैं उसे भी ले आई साथ में..हाँ अभी यहीं है...ठीक है मम्मी...अच्छा...बाय..गुड नाईट ...

पारुल: देखा...मम्मी कितनी समझदार है...बोल रही थी..अच्छा किया..तू भी अकेले खाने में बोर नहीं होगी अब...
मैं: चल अब जल्दी कर...खाना लगा...बड़ी भूख लगी है..

पारुल ने खाना लगा दिया. खाना खाते हुए : यार विशाल ...एक बात तो बता...तेरा किसी से चक्कर चल रहा है क्या आजकल. मैं हडबडा गया उसकी बात सुनकर: मेरा...नहीं...नहीं तो...

पारुल: छुपा मत..मुझसे...मैंने देखा था तुझे एक दिन...तेरी बाईक पर एक लड़की बैठी थी...थोड़ी मोटी थी ..मेरे जैसी...पर सुन्दर थी..चिपक कर बैठी थी...मैं पापा के साथ कार में जा रही थी...तब देखा था..बोल अब..
मैं: यार...मैंने ये बात किसी को नहीं बताई...इसलिए...तू समझ रही है न...पर अब तुझसे छुपाने का कोई फायदा नहीं है...हाँ..चल रहा है मेरा चक्कर उसके साथ..पर प्यार व्यार जैसी कोई बात नहीं है..
पारुल: प्यार करना भी मत किसी से...बड़ी चोट लगती है जब दिल टूटता है..

और वो गुमसुम सी हो गयी...शायद अपने एक्स को याद करके..

पारुल: पर तू सही है...प्यार नहीं है...फिर भी वो तुझसे इतना चिपक कर बैठी थी...कुछ करा वरा भी है या...अभी तक वोही हाल है तेरा...फट्टू..हिहिहि...

वो सही कह रही थी...जब हम कॉलेज में थे तब मेरी किसी भी लड़की से बात करने की हिम्मत ही नहीं होती थी...यहाँ तक की कॉलेज में भी मेरा वाही हाल था...वो तो अच्छा हुआ की मैंने हिम्मत करके अंशिका का नंबर लिया और फिर ये सब शुरू हुआ...वर्ना मैं अभी भी वोही रहता..फट्टू...

मैं: अरे पारुल..तू नहीं जानती मुझे...अब मैं वो विशाल नहीं रहा...मुझे सब पता है...कैसे मजे दिए जाते है और कैसे लिए जाते हैं...

और ये कहते हुए मैंने उसे आँख मार दी..

पारुल: ओये होए..लुक हूँ इस टाकिंग...मेरा शेर...शाबाश...

और उसने मुझे हाई फाईव दिया. हम खाना खाते रहे.

मैं: तू सुना...तेरा क्या चल रहा है आजकल...
पारुल: यार ..तू तो जानता है न...उस इंसिडेंट के बाद तो मेरा मन प्यार व्यार से उठ गया है...मन करता है की सभी लडको को गोली मार दू...सभी एक जैसे होते हैं...सबको बस एक ही चीज चाहिए...बस चूमना चाटना और लड़की की टांगो के बीच घुसकर साले ......सॉरी मुझे ऐसी लेंगुएज में नहीं बोलना चाहिए...
मैं: नो प्रोब्लम पारुल....पर एक बात कहूँ...तुम भी न कुछ ज्यादा ही सिरिअस हो गयी थी उस उल्लू के पट्ठे के साथ...देखा न...निकल गया मजे लेकर और तुम्हे जो मैं ये लड़की के बारे में बता रहा हूँ...ये काफी प्रेक्टिकल लड़की है...उसने शुरू से ही मुझे कह दिया है की प्यार व्यार या शादी की उम्मीद मत रखना...सिर्फ फिसिकल मजे लो..फ्रेंड बनकर रहो. और कुछ नहीं...
पारुल: वह यार...तेरे तो मजे हैं फिर...कितनी बार मजे ले लिए फिर तुने ...बोल..बोल न...शर्मा क्यों रहा है..
मैं: यार...टोपिक चेंज....
पारुल: हाय....शर्मा रहा है....मतलब पुरे मजे ले चूका है तू...सही है बॉस....यानी अब हमारा फट्टू असल में मर्द बन चूका है... हा हा ...
मैं: हाँ जी...अब आपकी पूछताछ ख़तम हो चुकी हो तो खाना खा ले क्या...
पारुल: ठीक है जी...

उसके बाद हमने खाना ख़तम किया...पारुल बर्तन उठाकर किचन में ले गयी और सिंक में धोने लगी. मैं ड्राईंग रूम में बैठा रहा ..

मैं: पारुल....मैं कुछ हेल्प करू क्या...

पारुल कुछ न बोली...वो घिस घिसकर बर्तन धोती रही...वो उन्हें पटक सी रही थी...मानो किसी बात का गुस्सा उतार रही हो. मैं उसके पास गया तो मुझे उसके सुबकने की आवाज सुनाई दी...वो रो भी रही थी..

मैं: हे...पारुल...क्या हुआ बेबी....रो क्यों रही है...पागल...बोल...बोल न...
पारुल: कुछ नहीं यार...बस कुछ याद आ गया...
मैं: देख..मैंने तुझे उस दिन भी कहा था न की उस कुत्ते को भूल जा अब...तू नहीं मानती...वैसे ऐसा क्या हुआ की तुझे वो याद आने लगा..
पारुल (रोते हुए हंसने लगी): वो ..वो तुने...अपनी फ्रेंड के साथ मजे लेने वाली बात कही न...बस...वोही सुनकर...विशाल ..तू तो जानता है...आई वास फिसिकल विद हिम....एंड...एंड...आजकल.......मुझे वो सब बहुत याद आता है....यु नो व्हाट आई मीन. मैं समझ गया की उसे पहले की चुदाई आजकल काफी याद आ रही है...
मैं: हम्म.....तुम किसी और के साथ...आई मीन...किसी के साथ...फ्रेंडशिप कर लो फिर से...ऐसे कब तक रहोगी...
पारुल (चिल्लाते हुए): क्या करू मैं ...शहर में जाकर चिल्लू क्या...की आओ जी...मुझे कोई चाहिए....जो प्यार व्यार के चक्कर में न पड़े....बस शारीरिक मजे ले और दे....ये बोलू क्या मैं बाहर जाकर....स्टुपिड..
मैं: यार...ये मैंने कब बोला...
पारुल: लुक विशाल....ये हम लडकियों के लिए उतना आसान नहीं है....जितना तुम लडको के लिए है...आई एम् डिप्रेस ...बिकोस ऑफ़ दिस ...

और वो फूट फूटकर फिर से रोने लगी. मैं उसके पीछे गया और उसके पेट में हाथ डाल कर पीछे से खड़ा हो गया और उसके सर को पीछे से चूम लिया.

मैं: चुप कर पारुल....चुप कर...प्लीस...

मैंने आज पहली बार पारुल को छुआ था...मतलब इस तरह से, इससे पहले सिर्फ हाथ ही मिलाया करता था बस...पर उसकी कम हाईट की वजह से मेरे हाथ उसके मोटे मुम्मो के थोडा ही नीचे थे और उसके थुलथुले से पेट के ऊपर थिरक से रहे थे और ऊपर की तरफ से लटकते हुए चुचे मेरे हाथो के ऊपर टच भी हो रहे थे..सच कहूँ...आज से पहले मैंने पारुल के बारे में कुछ भी गलत नहीं सोचा था...वो मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी...थोड़ी सी मोटी थी पर उसका चेहरा काफी अट्रेक्टिव था और उसके सीने से बंधे हुए दोनों मुम्मे तो कमाल के थे..अंशिका से भी बड़े...पर अंशिका की हाईट उससे थोड़ी ज्यादा थी, इसलिए वो ज्यादा मोटी नहीं लगती थी...पर पारुल थोड़ी बहुत लगती है. और आज जब मैंने उसे इस तरह से पकड़ा तो मेरे लैंड ने मेरी बात सुने बिना उठाना शुरू कर दिया...सुबह से चार बार उलटी कर चूका था वो...पर फिर भी नयी छुट देखते ही वो फिफ्कारने लगा...उसने मेरी ये बात भी ना मानी की 'भाई ये तो दोस्त है'. और उठता चला गया. पारुल का रोना एकदम से बंद सा हो गया...उसे शायद अपनी कमर पर मेरे खड़े होते सांप का एहसास हो गया था...उसने अपने हाथ सिंक के ऊपर जोर से गाड़ दिए और तेज सांस लेने लगी...

मैं: पारुल....आर यु आलराईट...तुम ठीक हो अब..

पारुल ने सिर्फ सर हिला दिया...कुछ न बोली वो. जहाँ मैं खड़ा हुआ था, मुझे पारुल के आगे का हिस्सा भी दिखाई दे रहा था...उसकी लूस टी शर्ट का गला इतना बड़ा था की जब वो सांस लेती तो वो खुल सा जाता और उसके गले के अन्दर की घाटी मुझे दिखाई देने लगती और वहां से देखने से ये भी पता नहीं चल पा रहा था की उसने ब्रा भी पहनी हुई है या नहीं...मैं उसके साथ कुछ करना नहीं चाहता था...पर मेरा शारीर मुझसे सब करवाता चला गया. मैंने ये जान्ने के लिए की उसने ब्रा पहनी हुई है या नहीं, अपना एक हाथ उसके कंधे पर रख दिया..

मैं: बोलो पारुल...तुम ठीक हो ...अब.

और मैंने अपनी उँगलियाँ उसके नर्म और मुलायम से कंधे के ऊपर जमा दी...मेरी उंगलियों के ठीक नीचे ब्रा स्ट्रेप मिल गए. मैंने उसका कन्धा अपनी उंगलियों में दबा दिया और उसकी ब्रा के स्ट्रेप को थोडा खींच कर वापिस छोड़ दिया. वो कुछ न बोली...मेरी हिम्मत कुछ और बड़ गयी. मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया और अपनी से सटा कर कहा: तुम फिकर मत करो पारुल...सब ठीक हो जाएगा. उसने अपना एक हाथ मेरी कमर में डालकर आगे से दुसरे हाथ से अपना पीछे वाला हाथ पकड़ लिया और मेरे पेट के चारो तरफ घेरा बनाकर मेरे सीने पर सर रख दिया.

मैंने उसके सर के ऊपर एक और किस करी और कहा: देखना...तुम्हे एक से बढकर एक लड़के मिलेंगे...जल्दी ही...
मेरा हाथ उसकी मोटी पीठ के ऊपर नीचे चल रहा था...पतली सी कॉटन की टी शर्ट के नीचे उसके ब्रा स्ट्रेप बम्पर का काम कर रहे थे. मेरी उँगलियाँ ऊपर से नीचे जाती और स्ट्रेप के पास जाकर रुक जाती. फिर नीचे तक जाती और फिर ऊपर. मेरा लैंड अब पूरी तरह से उठ कर उसके पेट वाले हिस्से को गर्मी दे रहा था...पता नहीं वो उसे महसूस कर पा रही थी या नहीं.

पारुल: पर इस बार मैं कोई इमोशनल अटेचमेंट नहीं करुँगी...किसी के साथ भी...जब दिल टूटता है तो बहुत दर्द होता है...

मैं उसे सहलाता रहा.

पारुल:वैसे तुमने ...अगर बुरा न मानो तो ....तुमने किस हद तक उस फ्रेंड के साथ...मेरा मतलब है...
मैं: फक किया है...या नहीं..ये जानना है तुम्हे...है न...
पारुल: साले...इतना भाव क्यों खा रहा है....फट्टू कहीं का...हाँ येही पूछना है मुझे...बता ...कितनी बार पेला है तुने उसे...
मैं: चार बार. और वो भी आज ही..
पारुल (हैरान होकर): साले रेबिट...एक दिन में चार बार...क्या खाता है तू और अभी भी देख...फिर से तैयार है ये तो...

और उसने अपनी आँखों से मेरे लैंड की तरफ इशारा किया और हंसने लगी.

मैं: चलो हंसी तो आई न तुम्हे...चाहे मेरे सिपाही को देखकर ही सही..

कुछ देर तक हम दोनों चुप रहे...

पारुल: यार...मुझे गलत मत समझना....पर क्या ...क्या तू मुझे...मुझे ..एक किस कर सकता..

उसके कहने से पहले ही मैंने उसके चेहरे को ऊपर किया और उसके गोल गप्पे जैसे चेहरे को पकड़ा और उसके होंठो को चूसने लगा किसी पागल की तरह. यार....क्या मीठे होंठ थे उसके...आज तक इन्हें बोलते हुए ही देखा था बस...आज पहली बार चूमने को मिले थे. मैं लगभग दो मिनट तक उसके होंठो को चूसता रहा. उसने मेरी कमर के चारो तरफ अपने हाथ और जोर से लपेट दिए. मेरा दूसरा हाथ सीधा उसके उभार पर गया और मैं उसे दबाने लगा. उसने एक जोर से झटका दिया और मुझे अपने आप से अलग कर दिया. मैं हैरान था की एकदम से उसे क्या हुआ..
[+] 1 user Likes sanskari_shikha's post
Like Reply
#52
पारुल: बस...बस. और नहीं...जाओ तुम अब....अभी जाओ तुम...

मुझे गुस्सा तो इतना आया की मन किया इ उसके चेहरे पर एक जोरदार थप्पड़ मार दू. पर मैंने उससे बहस करनी उचित नहीं समझी और बाहर निकल गया...बाईक उठाई और सीधा घर आ गया. घर आने तक मेरे सेल पर उसके 7 मिस कॉल आ चुके थे...उसका फ़ोन फिर बजा...पर मैंने फोन बंद कर दिया. साली समझती क्या है अपने आप को...मैंने उसे एक दो गाली दी और सो गया.
मैं गहरी नींद में था , और मेरे घर की बेल लगातार बजती जा रही थी. मुझे लगा कोई सपना है..पर जब अगली बार बजी तो मैं फ़ौरन उठ बैठा, आँख मली और टाइम देखा, बारह बजने वाले थे, यानी मुझे सोये हुए अभी आधा घंटा ही हुआ था. तभी फिर से बेल बजी..मैं फ़ौरन भागा की इतनी रात को कौन आ मरा. मैंने भागकर दरवाजा खोला और सामने पारुल खड़ी थी. टी शर्ट और जींस में और सर पर हेलमेट लगा हुआ था अभी तक..यानी वो स्कूटी से आई थी. मैं उसे देखकर हैरान रह गया.

मैं: पारुल.....तू....इस वक़्त...सब ठीक तो है..

पारुल मुझे धक्का देते हुए अन्दर आई : तुझे कितने फोने किये मैंने , देखा नहीं क्या और उसके बाद बंद कर दिया फोन भी और इतनी देर से बेल बजा रही हूँ. सुनाई नहीं देता...

वो अभी भी गुस्से में लग रही थी...पर गुस्सा तो मुझे होना चाहिए था.

मैं: ठीक है..ठीक है..अब बोल, क्या काम था, इतनी रात को आने की क्या जरुरत पड़ी..

अन्दर ही अन्दर तो जैसे मुझे पता चल चूका था की शायद आज पारुल मुझसे चुदवाने आई है..पर मैं उसके मुंह से सुनना चाहता था. पारुल थोड़ी देर तक चुप रही, उसने अपना हेलमेट उतार कर सोफे पर रख दिया और खुद भी वहां बैठ गयी. उसका चेहरा रोने जैसी हालत में हो गया. मैंने दरवाजा बंद किया और उसके सामने आकर पंजो के बल बैठ गया.

मैं: हे पारुल...देख...मैं जानता हूँ की तू इस समय कैसी सिचुएशन से निकल रही है और जब तुने किस करने को कहा तो...तो...यु नो...मैं अपने आप पर कण्ट्रोल नहीं कर पाया...इसलिए मैंने...मैंने..तुझे टच किया...वहां..आई एम् सॉरी...

पारुल ने अपना चेहरा ऊपर उठाया, उसकी आँखों में अभी भी आंसू थे..आँखें लाल थी..लगता था काफी रोई थी वो..

पारुल: नहीं विशाल...सॉरी बोलने तो मैं आई हूँ...तुने तो वोही किया जो मैंने कहा था और किस के साथ तो ये सब भी चलता है...पर मेरा ही दिमाग खराब था की मैंने तुझे धक्का दिया और भला बुरा बोला..आई एम् सॉरी...मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था...

और उसने मेरे गले में बाहें डालकर सुबकना शुरू कर दिया..

मैं: तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था...तो कैसा करना चाहिए था..

मेरी शरारत भरी बात सुनकर वो भी रोते-रोते हंसने लगी...

पारुल: बता दू क्या...
मैं: हूँ...बता न...

पारुल ने सीधा अपना हाथ मेरे पेट से फिसलाते हुए लंड के ऊपर लाकर उसे कस कर पकड़ लिया.

पारुल: मुझे ऐसा करना चाहिए था उस वक़्त...

मेरी तो सोचने समझने की शक्ति ही चली गयी जैसे. पारुल की आँखों में अजीब सी चमक आ गयी मेरे टूल को पकड़ने के बाद..

पारुल: ओह माय माय...यु आर बिग...

मैं कुछ न बोला...उसने मुझे कुछ बोलने के काबिल ही नहीं छोड़ा था..उसने मेरे लंड को एक झटका दिया और मैं उसकी तरफ खींचता चला गया और मेरा मुंह सीधा उसके मुंह से जा टकराया...दोनों की आंके बंद हो गयी और हम एक दुसरे को फिर से किस्स करने लगे. पारुल ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी छाती पर रख दिया और मेरी आँखों में देखकर बोली: प्रेस देम...दबाओ इन्हें...जो तुम्हारे मन में है...वो करो. मैंने अपने दोनों हाथ ऊपर किये और पारुल के मोटे ताजे मुम्मो पर रख दिए...उसका गुदाजपन महसूस करते ही मेरे पुरे शरीर में चींटिया सी रेंगने लगी...मैंने दोनों हाथो का इस्तमाल किया और उसके मुम्मो को जोरो शोरो से दबाने लगा. हम दोनों के होंठ एक दुसरे से उलझे हुए से, कुश्ती कर रहे थे...उसने अपना हाथ मेरे पायजामे में डाल दिया, अन्दर मैंने और कुछ भी नहीं पहना हुआ था..उसका सीधा हाथ मेरे लंड के ऊपर गया और उसे मसलने लगा...

पारुल: आई वांट टू सी दिस...शो मी...प्लीस..शो मी...

उसने मुझे ऊपर खड़ा किया और मेरा पायजामा नीचे की तरफ खींच दिया...मेरा लंड लहराकर उसके सामने झूलने लगा...

पारुल: वाव...इट्स ब्यूटीफूल .....

और उसने आगे बढकर मेरे लंड को चूम लिया. मेरे मुंह से सिसकारी निकली और मैंने अपना पायजामा अपने पेरो से निकाल दिया और नीचे से नंगा होकर उसके सामने खड़ा हो गया. वो कुछ देर तक मेरे लंड को निहारती रही और फिर मेरी आँखों में देखते हुए उसने अपने मुंह को गोल किया और मेरे लंड को धीरे-धीरे निगलने लगी. उसे जैसे कई दिनों की प्यास थी लंड की...उसके मुंह में जाता हुआ मेरा लंड ऐसा लग रहा था मानो किसी मशीन में जा रहा हो...उसने मेरी आँखों में देखते हुए मेरे लंड को ऐसा चूसा की मुझे उसमे दर्द सा होने लगा...अपनी जीभ, होंठ और दांतों का इतना अच्छा इस्तेमाल कर रही थी वो की उससे साफ़ पता चलता था की उसने पहले कई बार चूसा है लंड. मेरा तो बस निकलने ही वाला था...पर मैं अभी निकालना नहीं चाहता था...मैंने उसके मुंह से अपना लंड खींच लिया...मेरे लंड और उसके मुंह के बीच लार की एक रस्सी सी खींचती चली गयी....जो लटक कर टूट गयी..

उसने मुझे सोफे के ऊपर गिरा दिया और खुद खड़ी हो गयी और फिर शुरू हुआ स्ट्रिप डांस. उसने अपने हिप्स धीरे-धीरे हिलाते हुए, मेरी आँखों में देखते हुए...अपने कपडे उतारने शुरू किये. अपनी टी शर्ट को उसने लहराते हुए उतारा और मेरी तरफ फेंका..उसमे से डीयो की स्मेल आ रही थी..उसकी ब्रा में केद मोटे मुम्मे देखकर तो मैं पागल सा हो गया और उसने उसके बाद अपनी जींस भी उतारी और मेरी तरफ पीठ करके, अपने हिप्स हिलाते हुए, उसे नीचे की तरफ कर दिया..उसकी ब्रा और पेंटी बड़ी ही डिजाईन वाली थी, हलकी जाली भी थी...लगता था मेरे लिए ही अन्दर से सज कर आई थी वो..

मैंने अपना लंड धीरे-धीरे हिलाना शुरू कर दिया...मुझे भी उसका स्ट्रिप शो देखने में काफी मजा आ रहा था. वो अब मेरे सामने सिर्फ पेंटी और ब्रा में खड़ी थी. उसका शरीर काफी भरा पूरा था. मोटे-मोटे मुम्मे, थुलथुला सा पेट और नीचे मोटी जांघो के ऊपर विराजमान मोटे-मोटे चूतड...थोड़ी काली भी थी वो..पर कुल मिलकर बड़ी ही अट्रेक्टिव लग रही थी वो. उसके बाद उसने मेरी तरफ मुंह किया और हाथ पीछे लेजाकर अपनी ब्रा के हूक खोल दिए और नीचे गिरते हुए कपो के ऊपर हाथ रख कर उन्हें अपनी जिस्म से जुदा कर दिया और ब्रा को भी मेरी तरफ फेंक दिया. उसके दोनों मुम्मे मेरी आँखों के सामने अब नंगे थे और उनपर लगे थे दो काले रंग के जामुन..जो इतने बड़े थे की मुझे लगा की शायद सूजे हुए हैं...वर्ना इतने बड़े निप्पल तो मैंने आज तक किसी के नहीं देखे...

पारुल: क्या देख रहे हो...विशाल....पसंद आये ये...बोलो..

उसने हिलना अभी तक नहीं छोड़ा था...पता नहीं बिना मयूसिक के वो कैसे कमर मटका रही थी..

मैं: वो...वो...तुम्हारे निप्पल.....दे आर ब्यूटीफूल ...कैन आई....कैन आई...किस्स देम...
पारुल: या....स्योर ...

और उसने मेरे कंधे पर दोनों हाथ रखे और मेरी आँखों के सामने उसके दोनों मुम्मे झूलने लगे और मैंने जीभ निकाल कर सीधा उसके सूजे हुए निप्पल को अपने मुंह में भरा और उन्हें चूसने लगा..

पारुल: अह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल्ल्ल.....आई वास मिस्सिंग आल दिस...म्मम्मम्म....सक मी.....सक मी हार्ड......विशाल्ल्ल.....

उसने मेरे सर के पीछे हाथ रखा और मुझे अपनी छाती से चिपका लिया. मेरे दोनों हाथ उसके पुरे शरीर पर घुमने लगे. जैसे ही मैंने उसकी पेंटी को पकड़ा वो मुझसे अलग हो गयी..

पारुल: नो..नो...इतनी जल्दी नहीं...वेट...जस्त वेट ....

और वो मुझसे थोडा दूर होकर फिर से अपने शरीर को लहराने लगी. उसने फिर से मेरी तरफ पीठ करी और अपनी मोटी गांड को झुककर मेरे चेहरे पर दे मारा और हंसने लगी. मुझे भी उसकी स्पंज जैसी गांड की मार अपने चेहरे पर बड़ी मजेदार लगी. उसने अपने हाथ अपनी पेंटी में डाले और उसे धीरे-धीरे नीचे करना शुरू कर दिया...जैसे -२ उसकी गांड मेरे सामने आती जा रही थी, मेरे हाथ लंड के ऊपर उतनी ही तेजी से चलते जा रहे थे और फिर उसने एक ही झटके में अपनी पेंटी उतार कर बाहर कर दी. अब वो सिर्फ और सिर्फ एक गोल्ड चेन और नीचे हाई हील की सेंडल में खड़ी थी..बड़ी ही सेक्सी लग रही थी वो...उसकी गांड पर इतनी चर्बी चड़ी हुई थी की मेरा मन कर रहा था की मैं अपना मुंह उसपर रगड़ डालू और उसके मुलायामपन को अपने चेहरे पर महसूस करू. वो जैसे मेरे दिल की बात समझ गयी...वो उल्टे पैर चलते हुए मेरे पास आई और मेरे चेहरे पर अपनी गांड को रगड़ने लगी. मैंने दोनों हाथो से उसकी कमर पकड़ी और अपना मुंह डाल दिया उन पर्वतों के ऊपर और घिसने लगा. मैंने हाथ आगे लेजाकर उसकी चूत के ऊपर रख दिया...जो इतनी गीली थी मानो उसने अभी सुसु किया हो...पर थी बिलकुल चिकनी...

पारुल: ओह्ह्ह बेबी.....य़ा.....या.....प्लीस...ईट मी.....यीट माय एस .....ईट मी.....

और मेरे दिमाग में ना जाने क्या आया की मैंने उसके एस चिक्स को फेलाया और उसकी गांड के छेद पर अपनी जीभ रख दी...

पारुल: आआआआअह्ह्ह .....विशाल्ल्ल्ल.......अह्ह्हह्ह्ह्ह .....अआस माआय गोड .......य़ा....ईट मी....अह्ह्हह्ह

बड़ी अजीब सी स्मेल आ रही थी...पर उसकी चीखे सुनकर पता चल रहा था की उसे मजा आ रहा है...मुझपर भी अब किसी स्मेल या गंदेपन का असर नहीं हो रहा था...मैंने अपने होंठो से उसकी गांड के छेद को चुसना शुरू कर दिया....वो तो पगला गयी मेरी इस हरकत से. और अगले ही पल मेरे हाथ पर, जो की उसकी चूत के ऊपर था, उसकी चूत से निकलता हुआ गरमा गरम रस निकलकर टपकने लगा...

"अह्ह्ह्हह्ह विशाल्ल्ल.........मैं तो गयी....अह्ह्ह......यु आर ग्रेट .....यु आर सिम्पली ग्रेट....विशाल...."

वो मेरी तरफ घूमी...मेरे चेहरे पर भी उसके चूत से निकला पानी लगा हुआ था...वो नीचे झुकी और मेरे चेहरे को किसी कुतिया की तरह, लम्बी जीभ करके , चाटने लगी.

पारुल: नाव...माय टर्न.....

और उसने मुझे सोफे पर फिर से लिटा दिया और मेरी टांगो के बीच बैठकर, मेरे लंड को फिर से अपने मुंह में डालकर चूसने लगी. फिर उसने मेरे लंड को बाहर निकाला  और चाटते हुए मेरी बाल्स की तरफ गयी....अपने हाथ से मेरे लंड को हिला हिलाकर...मेरी बाल्स को अपने मुंह में भरकर उन्हें केन्डी की तरह से चुसना शुरू कर दिया. आज पहली बार किसी ने मेरी बाल्स को अपने मुंह में भरा था....बड़ा ही ग़जब का एहसास था और फिर उसने मेरी बाल्स भी निकाल दी और थोडा और नीचे जाकर अपनी जीभ से मेरी गांड के छेद को कुरेदने लगी....

लगता था की वो मेरा एहसान चूका रही थी...जैसा मैंने उसके साथ किया था और उसे मजे दिए थे, वैसा ही वो मेरे साथ करके मुझे भी मजे देने की कोशिश कर रही थी और उसकी जीभ का सेंसेशन इतना उत्तेजना से भरपूर था की मेरे लंड की हालत बड़ी पतली सी हो गयी....तब मुझे एहसास हुआ की उसे भी शायद यही एहसास हुआ होगा और उसने जैसे ही अपने गीले होंठ मेरी गांड के छेद पर टिकाये, मेरे लंड से सफ़ेद रंग की पिचकारियाँ निकलने लगी और ऊपर तक जाकर वापिस उसके मुंह के ऊपर गिरने लगी....

पारुल आ आ करती हुई मेरे लंड को चाटे जा रही थी और मेरी बूंदों को हवा में केच करती जा रही थी. मेरी तो आँखे बंद सी होने लगी थी. उसने मेरे लंड के आस पास का पूरा इलाका अपनी जीभ से चाटकर साफ़ कर दिया और ऊपर आकर मेरे ऊपर लेट गयी...उसके दोनों फल मेरी छाती से चिपककर पिचक गए और उसने मेरे होंठो को जोरो से चुसना शुरू कर दिया और अपना सर ऊपर करके बोली: बेडरूम में चले. मैंने सर हिलाकर हां कहा...वो उठी और मेरे आगे अपनी गांड मटका कर चलती हुई मेरे कमरे की तरफ जाने लगी...उसकी गांड को मचलता देखकर मेरे लंड ने फिर से सर उठाना शुरू कर दिया. बेडरूम में पहुँचते ही वो मेरे बेड के ऊपर चढ़ गयी और बच्चो की तरह उछलने लगी और वो भी पूरी नंगी. पर वो शायद ये भूल गयी थी की वो अब बच्ची नहीं रही है..पर उसके मोटे-२ चुचे ऊपर नीचे उछलने की वजह से बड़े सेक्सी लग रहे थे...वो वैसे भी थोड़ी सी थुलथुली सी थी...इसलिए उसका पूरा शरीर ऊपर नीचे उछलता हुआ किसी बाल जैसा लग रहा था...पर देखने में मुझे काफी मजा आ रहा था.

उसने मेरी तरफ देखा और मुझसे बोली: आओ न ऊपर...देखो कितना मजा आता है ऐसा करने में...

था तो मैं भी नंगा पर उसकी इस बचकानी हरकत में शामिल होने से मुझे कोई नहीं रोक सका, उसका गुस्सा तो मालुम ही है आपको. मैं भी ऊपर चढ़ गया और उसका हाथ पकड़ कर ऊपर नीचे कूदने लगा...किसी बच्चे की तरह. मेरी आँखों के सामने उसकी छातियाँ ऊपर नीचे हो रही थी...मैंने हाथ आगे करके उन्हें पकड़ने की कोशिश की पर हर बार हाथ गलत जगह पर जाता था जिसे देखकर पारुल हंसने लगी....अचानक उसने मेरे कंधे पकडे और उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी और अपनी टाँगे मेरी कमर के चारो तरफ बाँध दी..उसका वेट ज्यादा था पर मैंने किसी तरह से अपने आप को गिरने से बचाया...

मैं: पागल है क्या पारुल....बता तो देती की ऊपर आ रही है...अभी मैं गिर जाता तो..
पारुल (मुझे प्यार से देखते हुए): अब मुझे क्या करना है और क्या नहीं..तुझसे पूछना पड़ेगा ...क्या ..मिस्टर...

मेरा लंड उसके और मेरे बीच में खड़ा होकर पिचक सा गया था और उसकी रंगीली चूत मेरे लंड की दीवारों को रंग रही थी अपने रंग से..मैंने उसकी फेली हुई सी गांड को अपने पंजो में समेट कर उठा रखा था..ऐसा लग रहा था की मैंने अपने हाथ में गुंधा हुआ आटा पकड़ा हुआ है..इतना मुलायम एहसास था उसकी गांड का. पारुल कुछ देर तक मुझे देखती रही और फिर मेरे होंठो को चूसने लगी. अपने हाथो से मेरे सर के बालों को सहलाने लगी और अपनी ब्रेस्ट को मेरी चेस्ट पर रगड़ने लगी. जैसे-जैसे वो मेरे लबों को चुस्ती जाती, उसके मुंह से निकलती हुई लार ज्यादा होती जाती और जल्दी ही वो हम दोनों के बीच में गिरने लगी. उसके मुंह से निकली पहली लार की बूँद उसकी मुम्मो की घाटी के बीच से होती हुई सीधा मेरे लंड के ऊपर जा गिरी और उसका राज्याभिषेक कर दिया..

उसने अपनी कमर को ऊपर करना शुरू कर दिया और मेरे होंठ चूसते-[b]चूसते ही उसकी चूत मेरे लंड के ऊपर तक आ गयी और उसने एक हाथ बीच में डालकर मेरे गीले लंड को थोडा नीचे एडजस्ट किया और अपनी चूत के मुहाने पर रखकर अपना सारा भार फिर से नीचे की तरफ खिसका दिया....[/b]

मेरे लंड के ऊपर गिरी लार और प्री-कम की बूंदों ने मेरे लंड को उसकी चूत के अन्दर तक ले जाने का काम बखूबी किया और बाकी उसकी चूत में मोजूद रंगीले रस ने कर दिया..

पारुल: अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्हह्ह विशाल्ल्ल्ल......म्मम्मम्मम ......यु आर सो स्ट्रोंग...एंड बिग ....

मैंने उसे इतनी देर से उठा रखा था इसलिए वो मुझे स्ट्रोंग कह रही थी और मेरा लंड उसकी चूत में शायद काफी अन्दर तक चला गया था...इसलिए बिग.
उसने अपनी कमर को मेरे लंड के ऊपर नचाना शुरू कर दिया..मैंने भी उसकी कोमल सी गांड को हवा में उठाकर चोदना शुरू कर दिया...

पारुल:अह्ह्ह्ह विशाल्ल्ल.....डोंट कम इनसाईड मी .....आई एम् नोट ओन पिल्स .....ओके....ओके....
मैं: या....ओके...

मैंने फिर से उसकी चूत हवा में मारना शुरू कर दिया. और जल्दी ही मुझे लगा की मेरा निकलने वाला है...मतलब अगले एक-दो मिनट में ही...पर मैं उसकी चूत में ज्यादा देर तक रहकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था...इसलिए मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया. वो मेरी तरफ हेरत भरी नजरों से देखने लगी..पर मेरा लाल चेहरा देखकर वो समझ गयी की मैं ऐसा क्यों किया. वो मेरी गोद से उतर गयी और मेरे कंधे को दबाते हुए मुझे नीचे करने लगी..मैं उसकी आँखों में देखता हुआ नीचे बेड पर बैठ गया..पर वो खड़ी रही...उसने मेरे सर के ऊपर हाथ फेरते हुए अपनी एक टांग मेरे कंधे से घुमा कर पीछे की तरफ लटका दी..उसकी ताजा चुदी हुई चूत मेरी आँखों के सामने थी..मुझे पता चल गया की वो क्या चाहती है...मैंने उसकी गांड को प्रेस किया और उसकी चूत चूसने लगा..

पारुल: ओह्ह्ह्हह्ह.....म्मम्मम.......येस्सस्सस्स.......अह्ह्ह्हह्ह.....

उसके रस का बाँध भी शायद टूटने ही वाला था...मेरी जीभ के अन्दर जाते ही मुझे अन्दर से जैसे बाड़ सी आती महसूस हुई...मैंने मुंह के आगे उसकी चूत से निकलते जूस का तेज बहाव टकराया और मेरे चेहरे को भिगोता हुआ मेरी गर्दन और पेट से नीचे की तरफ आने लगा. पारुल तो बेहोश सी हो गयी..मेरे सर के ऊपर उसने अपने दोनों नारियल टिका दिए और मेरी गर्दन के पीछे वाले हिस्से को चूमती चली गयी...

पारुल: थैंक्स......थेंक्स विशाल्ल्ल....आई नेवर कम लाईक दिस..बीफोर....यु आर बेस्ट....थेंक्स....पुच पुच...

पर मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ था...जिसे वो ऊपर से देख पा रही थी...वो थोड़ी देर बाड़ नीचे उतरी और बेड के किनारे पर उलटी होकर अपनी गांड को हवा में उठा कर लेट गयी...मैं फर्श पर खड़ा होकर अपने लंड को उसके पीछे ले गया और सीधा उसकी गांड के ऊपर लंड रख दिया...

पारुल: अह्ह्ह्हह्ह ......विशाल...डोंट बी स्टुपिड...वहां नहीं....मैंने आज तक पीछे से नहीं करवाया....
मैं: तो अब करवा लो...पारुल.......ये कभी न कभी तो होगा ही....
पारुल: नहीईईईईईईईई ईईईईईईईईईई अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह साआले कुत्तेय्य्य्यय्य्यय्य .......अह्ह्हह्ह्ह्ह निकाआआआआअल अपना .....गधे....जैसा लंड......अह्ह्ह्हह्ह ....

वो मना करती रही पर मैं तो जैसे पागल ही हो चूका था उसकी गांड के छेद में अपना लंड डालकर....मुझे ऐसा लग रहा था की मैं किसी तंग सी जगह में अपना लंड डाल रहा हूँ, जिसके चारों तरफ मखन लगा हुआ है और मैं आखिर उसकी तंग सी गांड के अन्दर पूरा घुसकर ही माना. उसने भी राहत की सांस ली. मैंने नीचे से उसके लटकते हुए मोटे मुम्मो को पकड़ा और उन्हें दबाने लगा..

पारुल: फिनिश ईट ....मेरी गांड में बम्बू डालकर तुम्हे मजे लेने की पड़ी हुई है..
मैं: उसका दर्द समझ गया, पहली बार था आखिर कुड़ी दा यार...

मैंने अपने हाथ हटा लिए और आगे पीछे होकर कोरो से उसकी गांड मारने लगा. आज सुबह चूत और अब आधी रात को गांड भी...वाह यार..क्या किस्मत है मेरे लंड की. मैं मुस्कुराता जा रहा था और धक्के मारता जा रहा था..

मैं: अह्ह्ह....ओह्ह्ह पारुल.....यु आर सो टाईट अह्ह्ह्ह....यहाँ तो निकाल सकता हूँ न....अपना रस...
पारुल: उन्नन उन् ओग्ग्ग ओफ्फ्फ ....अह्ह्ह्ह हां.....डाल दे यहाँ.....यहाँ कुछ प्रोब्लम नहीं है....

और जैसे ही उसने हां कहा था, उसके अन्दर मेरे लंड से निकलने वाली पिचकारिया अपना भराव करने लगी और मैं उसके ऊपर हांफता हुआ गिर गया. पारुल ने अपनी गांड से मेरा लंड खींच कर बाहर किया और मेरी तरफ घूम कर मुझे चूमने लगी.

पारुल: विशाल...मजा आया तुम्हे...मेरी एस में अपना पेनिस डालकर ...
मैं: इतनी सोफेस्टीकेडिट कैसे बन रही है अब तू....अपनी मरवाते वक़्त तो लंड चूत ही निकल रहा था...
पारुल (शरमाते हुए): वो वक़्त होता ही ऐसा है...की गन्दी बाते करने में मजा आता है...पर रीयल में शर्म आती है...यु नो...

मैं हाँ हां समझ गया...बड़ी आई एस पेनिस करने वाली हा हा. उसने मेरी छाती पर एक मुक्का मारा और अपना सर वहां रखकर, उस जगह को चूमकर मुझसे लिपट गयी..

पारुल: विशाल...वादा करो की ये सब बाते हमारे बीच ही रहेंगी...तुम जानते हो पिछले दो महीने से मैं कितनी डिप्रेस थी...आज कुछ हल्का महसूस कर रही हूँ...मुझे आज महसूस हुआ है की वो डिप्रेशन फकिंग का था...आई इंजॉय फकिंग विशाल. और वही सब मैं मिस कर रही थी इतने समय से...पर अब तुम हो न..आई होप तुम मुझे इसके लिए कभी मना नहीं करोगे....
मैं: नहीं करूँगा पारुल...पर तुम्हे भी मेरे हिसाब से ही चलना होगा..जो भी मैं कहूँगा तुम्हे मानना होगा...कोई प्रश्न नहीं करोगी तुम और जब मैं तैयार हूँगा तभी करेंगे...समझी न...
पारुल: येस माय मास्टर ...

और वो हंसती हुई मुझे फिर से चूमने लगी. उस रात मैं और पारुल पुरे नंगे सोये, एक दुसरे में घुसकर..
सुबह मेरा फोन बजने लगा...टाईम देखा तो नो बज रहे थे. मैंने फोन उठाया वो स्नेहा का था.
Like Reply
#53
Maje aa gaye
Like Reply
#54
(15-09-2020, 04:20 PM)usaiha2 Wrote: Link to full story in word format...


https://drive.google.com/file/d/1mCSUgak...sp=sharing
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#55
मैं: हाय स्नेहा. बोलो.
स्नेहा: क्या यार अभी तक सो रहे हो घोड़े की तरह. दरवाजा खोलो. इतनी देर से घंटी बजा रही हूँ मैं.

उसकी बात सुनते ही मेरी नींद हवा हो गयी. मैं हडबडा कर उठ बैठा. मेरा लंड पहले से ही उठा हुआ था. साली ने मुझे तो उठाया नहीं. खुद उठ कर बैठ गया. पर सिचुएशन ऐसी थी की वो फिर से बैठने लगा. बेड पर पारुल नंगी-पुंगी पड़ी हुई थी. अपने हाथ पैर पसारे और बाहर स्नेहा खड़ी हुई थी. फोन से दुबारा आवाज आई : सुना के नहीं. दरवाजा खोलो, मैं बाहर खड़ी हूँ. जल्दी.

मैं: हाँ हाँ अभी आया.

मैंने फ़ोन काटा और सोचने लगा की अब क्या करूँ. मैंने जल्दी से पारुल को उठाया: पारुल... ऐ पारुल... उठ न.

पारुल: उन्नन क्या है. सोने दो न.

ये कहते हुए उसने अपनी नंगी टाँगे मेरी कमर के ऊपर फेंक दी.

मैं: पारुल, उठो प्लीस. बाहर कोई आया है.

मेरी बात सुनते ही वो झट से उठ बैठी.

पारुल: क्या? कौन? कौन आया है?
मैं: वो... वो... मेरी... मेरी एक फ्रेंड है. 
पारुल: अच्छा... वोही वाली क्या? जिसके बारे में तुमने कल बताया था. आज फिर आ गयी, इतनी सुबह.

वो स्नेहा को अंशिका समझ रही थी, जिसके बारे में मैंने पारुल को कल बताया था. मैं अब स्नेहा या किसी और लड़की के बारे में बताकर उसे और कनफयूस नहीं करना चाहता था.

मैं: हाँ... वोही... अब जल्दी उठो न. उसने तुम्हे यहाँ मेरे साथ इस हालत में देख लिया तो गड़बड़ हो जायेगी. प्लीस उठो न.
पारुल: ठीक है ठीक है. ज्यादा भाव मत खा. उठ रही हूँ. पर मैं जाऊ कहाँ. बाहर तो वो है न.
मैं: तुम... तुम ऐसा करो, अभी जाकर मोम के कमरे में छुप जाओ. उनकी अलमारी में. जब वो यहाँ मेरे कमरे में आ जायेगी तो चुपके से बाहर निकल जाना. प्लीस.

मैंने अपने दोनों हाथ जोड़कर उससे भीख मांगी. उसने अपनी नाक टेडी की और अपने बिखरे हुए कपडे समेट कर मम्मी के कमरे में चली गयी. 

मैंने भी जल्दी से चादर लपेटी और बाहर भागा. दरवाजा खोलते ही मुझे स्नेहा गुस्से में, अपनी कमर पर हाथ रखे हुए खड़ी दिखाई दी.

स्नेहा: इतना टाईम लगता है क्या?

और ये कहते हुए वो अन्दर आ गयी. मैंने दरवाजा बंद किया, और अन्दर आया. स्नेहा ने हाल्टर टॉप पहना हुआ था, और नीचे जींस थी. बड़ी ही मस्त लग रही थी वो. हलकी सी पिंक कलर की लिपस्टिक भी लगा राखी थी उसने. मैं उसके पास आकर, सोफे पर बैठ गया. उसकी नजर मेरी बॉडी के ऊपर फिसल रही थी और नीचे से चादर में लिपटा देखकर वो हंस दी.

स्नेहा: लगता है, फ्री होकर सो रहे थे. कोई है नहीं न घर में, शायद इसलिए.

मैंने शरमाकर अपना चेहरा नीचे कर लिया. मुझे उससे बात करने से ज्यादा पारुल की चिंता थी जो दुसरे कमरे में थी, शायद उसने अब तक कपडे पहन लिए होंगे.

मैं: चलो न अन्दर. मेरे रूम में चलते है.
स्नेहा: क्या बात है सीधा रूम में. सुबह-सुबह मूड ठीक नहीं लग रहा है जनाब का.
मैं: चलो न. दिखाता हूँ की मेरा मूड कैसा है.
स्नेहा: वो तो दिख ही रहा है की कैसा है तुम्हारा मूड.

उसने अपनी आँखों से मेरी चादर की तरफ इशारा किया. मैंने नीचे देखा तो मेरा लंड बाहर निकल कर, खड़ा होकर, उसे हाय कह रहा था. साला इतनी टेंशन में भी कैसे खड़ा हो गया ये फिर से. मैंने अपने लंड को वापिस अन्दर छिपाया और झेंपते हुए उसे लेकर अपने कमरे की तरफ चल दिया. कमरे में पहुँचते ही उसने अपनी नाक पर हाथ रख दिया.

स्नेहा: ईईए ये क्या, इतनी स्मेल, लगता है दो दिनों से सफाई नहीं की है तुमने और ये बेड का क्या हाल किया हुआ है. माय गोड, तुम लड़के भी न, सही ढंग से रह ही नहीं पाते हो, मेरा भाई सचिन भी ऐसा ही है, उसके कमरे से भी हमेशा स्मेल आती रहती है. चलो बाहर, मैं नहीं बैठ पाउंगी यहाँ.

वो कह तो सही रही थी, मम्मी-पापा के जाने के बाद मैंने काम वाली को वैसे भी छुट्टी दे दी थी ताकि मुझे डिस्टर्ब न हो चुदाई में और कल दिन भर अंशिका की और रात भर पारुल की मारने के बाद पुरे कमरे से लसिली सी स्मेल आ रही थी, कोई भी बता सकता था उसे सूंघकर की यहाँ क्या चल रहा था पिछले दो दिनों से.

वो वापिस नीचे उतर गयी और बाहर जाकर सोफे पर बैठ गयी. पारुल अभी तक नहीं निकली थी वहां से. मुझे घबराहट सी होने लगी.

[b]स्नेहा: इतने नर्वस क्यों हो? आओ न. यहाँ बैठो[/b]

उसने सोफे की तरफ इशारा किया. मैं उसके पास जाकर बैठ गया. वो झटके से उठी और मेरी गोद में आकर बैठ गयी, अपनी बाहे मेरी गर्दन पर लपेट दी और मेरी आँखों में देखकर बोली: आई वास वेटिंग फॉर दिस मोमेंट और ये कहते हुए उसने मेरे होंठो पर अपने ताजा तरीन होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगी. मेरा लंड खड़ा होने लगा, जो उसकी गांड के नीचे दबा हुआ था, मैंने जोर लगा कर अपने लंड को एक जोरदार झटका दिया. वो उछल सी गयी, मानो स्प्रिंग पर बैठी हुई थी वो.

स्नेहा: वोहोऊ... इतना गुस्सा. अभी बताती हूँ तुझे.

वो मेरे लंड से बात कर रही थी, उसकी तरफ देखकर. उसने मेरी चादर को पकड़ा और उसे खींच दिया और जैसे ही मेरा लंड उसकी आँखों के सामने आया,

मैं: नहीं स्नेहा. अभी नहीं.

स्नेहा ने आँखे तरेर कर मुझे देखा और मेरे लंड को पकड़ कर मसलने लगी : अभी नहीं मतलब. कोई महूरत निक्ल्वाओगे क्या? अभी थोड़ी देर पहले तो मुझे बेडरूम में लेजा रहे थे सीधा, अब क्या हुआ, घर तो पूरा खाली है, फिर डर क्यों रहे हो तुम?

मैं: नहीं. वो ऐसी कोई बात नहीं है. मैं सोच रहा था की कुछ खाने के बाद. नहाने के बाद. अभी तो पूरा दिन पड़ा है न. चलो ऊपर चलते है, मेरे रूम में, एकसाथ नहायेंगे.
स्नेहा: नो. तुम्हारे रूम में तो बिलकुल नहीं. इतनी स्मेल है वहां, चलो दुसरे रूम में चलते है, वहां.

उसने मम्मी-पापा के रूम की तरफ इशारा किया, मेरी तो फटने लगी.

मैं: नहीं. वहां कैसे, मोम-डैड क्या कहेंगे.
स्नेहा: तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे उन्हें पता चलेगा. चलो उठो अब.

उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे खींचकर उस कमरे में ले गयी.

स्नेहा: वाव. इतना सुन्दर रूम, और क्या बेड है. वाव और वो अपने शूस उतार कर बेड के ऊपर चढ़ गयी और उसपर उछालने कूदने लगी. ठीक वैसे ही जैसे कल पारुल नंगी खड़ी होकर उछल रही थी मेरे कमरे में.

पर मुझे तो पारुल की फिकर हो रही थी, मैं किसी भी कीमत पर नहीं चाहता था की स्नेहा को पारुल के होने का आभास हो, नहीं तो हो सकता है की वो मुझे अपनी दे ही न और चली जाए.

स्नेहा ने मुझे ऊपर खींचा और मुझसे लिपट कर मुझे किस करने लगी. मेरी आँखे खुल्ली हुई थी, मैं बार-[b]बार बेड के नीचे की तरफ, बाथरूम के दरवाजे की तरफ और अलमारियो की तरफ देख रहा था की कहीं से शायद पारुल दिखाई दे जाए, पर उसका कोई भी आभास नहीं हुआ मुझे, फिर मुझे लगा की शायद मैं जब ऊपर गया था तो वो इस कमरे से निकल कर बाहर के स्टोर रूम में न चली गयी हो, ये सोचते ही मेरी जान में जान आई, और फिर मैंने भी उसे चूमना चाटना शुरू कर दिया. [/b]

स्नेहा ने मेरे लंड को पकड़ा और उसे मसलते हुए, मेरे सामने बैठ गयी, और ऊपर मेरी तरफ देखते हुए, उसे चुसना शुरू कर दिया, मैं अभी भी बेड के ऊपर खड़ा हुआ था, ऊपर से देखने पर मुझे उसका चेहरा बड़ा ही दिलकश लग रहा था, मासूम सी थी वो बिलकुल, मैंने नीचे झुककर उसके टॉप को पकड़ा और उसे ऊपर खींच कर उतार दिया, नीचे उसने स्ट्रेपलेस ब्रा पहनी हुई थी, उसकी ब्रेस्ट तो वैसे भी नाम मात्र की थी, पर उसके निप्पलस मुझे अभी तक याद थे, मैंने उसकी ब्रा को भी खींच कर उतार दिया और मेरे सामने फिर से उसकी कोमल सी ब्रेस्ट और उनपर चमकते हुए मोटे-मोटे निप्पलस आ गए. उसने अपने मुंह से मेरा लंड बाहर निकाला और मेरी आँखों में देखते हुए, मेरे गीले लंड को अपने कठोर से निप्पल के ऊपर मसलने लगी.

मेरे मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गयी. फिर उसने मेरे लंड के चारो तरफ अपनी ब्रेस्ट लपेट कर मुझे टिट फकिंग करने की कोशिश की, पर छोटी होने की वजह से वो कर न पायी. वो अपनी ब्रेस्ट वाले हिस्से पर दबाव डालकर उठी और मेरे हाथो को अपनी मोटी गांड के ऊपर रख कर मुझे बड़े ही प्यार से देखने लगी.

मैंने उसकी जींस के बटन खोले और उसके सामने बैठ कर मैंने उसे नीचे खींच दिया, उसकी ब्लेक कलर की पेंटी, जो पूरी गीली थी मेरी आँखों के सामने थी, मैंने उसे भी नीचे किया और उसने पैर ऊपर करके अपनी जींस और पेंटी एक ही बार में बाहर की, और मुझे देखते हुए, शर्माते हुए, मुझे नीचे लिटाकर, मेरे ऊपर ही लेट गयी.

उसकी चूत से मेरे लंड के ऊपर बरसात सी हो रही थी, अपनी चूत को वो मेरे लंड के ऊपर बुरी तरह से घिसने में लगी हुई थी. अब वो मौका आ ही गया था, जिसका हर लड़की को इन्तजार रहता है, अपनी चूत में पहली बार लंड डलवाने का और शायद ये बात स्नेहा भी जान चुकी थी, क्योंकि उसके चेहरे पर एक अजीब सी लालिमा आ गयी थी. मैंने उसके चेहरे को पकड़ा और कहा : तुम तैयार हो आज? कलि से फूल बनने के लिए.

स्नेहा: मैं तो कब से तैयार हूँ विशाल. आज जैसे भी करो, पर मुझे कलि से फूल बना ही दो. आई एम् डाईंग टू बीकम कम्प्लीट वूमन. मेक मी वूमन . प्लीस.

मुझे उसकी प्लीस को कोई जरुरत नहीं थी आज, मैं तो वैसे भी उसे चोदने ही वाला था. मैंने उसे नीचे लिटाया, उसकी दोनों टाँगे ऊपर हवा में उठाई, उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगाया, अपने लंड के ऊपर थूक लगायी और उसे हाथ से पकड़ कर, उसकी छोटी सी दिख रही चूत के मुहाने पर लगा दिया.

अचानक मुझे सामने की अलमारी का पल्ला हिलता हुआ सा महसूस हुआ, और अगले ही पल पारुल वहां से झांकती हुई दिखी. स्नेहा के पीछे थी वो अलमारी, इसलिए वो देख नहीं पा रही थी. पर पारुल को उसी कमरे में पाकर मेरी हलक सूखने लगी. पारुल बड़े मजे से मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी, वो अभी तक नंगी ही थी. उसने आधे से ज्यादा पल्ला खोल रखा था, अगर स्नेहा एकदम से पीछे देखेगी तो उसे पारुल नंगी खड़ी हुई दिखाई दे जायेगी. उस स्थिति में फंसकर अचानक मेरे खड़े हुए लंड ने मुरझाना शुरू कर दिया. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की मैं क्या करूँ.

स्नेहा को जब एहसास हुआ की मेरा लंड मुरझाकर उसकी चूत के ऊपर लटक सा गया है तो वो बोली: क्या हुआ बेबी. करो ना प्लीस. डाल दो. पर मैं कुछ न बोला.

स्नेहा: ओह. लगता है तुम नर्वस हो गए हो. मेरी तरह तुम्हारा भी तो ये पहली बार है न. आई केन अंडरस्टेंड. कम... कम हेयर.

उसने मुझे ऊपर की तरफ खींचा. और मेरा लंड जब उसके मुंह के पास पहुंचा तो उसने उसे मुंह में लेकर चुसना शुरू कर दिया. मेरी आँखे बंद सी होने लगी, उसके निप्पल मेरी गांड के अंदर चुभ रहे थे, मैंने भी अपने चुतड हिला - हिलाकर उन्हें मसलना शुरू कर दिया. जल्दी ही मेरा लंड फिर से फुफकारने लगा.

मैंने अपनी आँखे खोली, सामने पारुल पूरी अलमारी खोलकर, अपनी चूत को बुरी तरह से घिस रही थी, उसके सामने किसी लड़की की पहली बार चुदाई जो हो रही थी, जिसे देखकर उसे उत्तेजना सी होने लगी, और शायद स्नेहा की बात सुनकर उसे भी पता चल गया था की ये वो लड़की नहीं है जिसकी मैंने कल पूरा दिन मारी थी, पर मौके की नजाकत को देखते हुए उसने छुपे रहना ही बेहतर समझा और छुपकर वो अपनी चूत मसलकर मुझे देखते हुए मजे भी ले रही थी.

मैं फिर से नीचे गया, फिर से अपने लंड पर थूक लगायी और उसकी ताजा सफा हुई चूत के ऊपर लंड टीकाकार धीरे से धक्का दिया, मेरा लंड तो चिकना था ही, उसकी चूत में से भी मीठा रस निकल कर उसे और भी चिकना बना रहा था, एक दो बार तो लंड फिसला पर फिर एक बार जोर लगाकर मैंने जब धक्का दिया तो सुपाड़ा अंदर घुस ही गया.

स्नेहा की आँखे फटने को हो गयी, मुंह ओ की शेप में खुल गया, निप्पल तनकर फटने जैसे हो गए. मैंने उसके दोनों हाथो को सर के ऊपर किया, उन्हें दबोचा और एक और झटका मारा और एक के बाद एक कई झटके मारकर, लंड को इंच बाय इंच अंदर धकेलता चला गया और स्नेहा की हालत ऐसी थी की उससे चीखा भी नहीं जा रहा था. आँखों के किनारे से आंसू निकल कर नीचे गिर रहे थे. मैंने नीचे झुककर उसके होंठो को चूसा पर उसकी तरफ से कोई रिस्पोंस नहीं आया, शायद दर्द की वजह से वो कुछ भी मजे लेने की हालत में नहीं थी.

मेरा लंड जब उसकी चूत में अंदर तक उतर गया तो मैंने उसकी आँखों में देखा और कहा : मुबारक हो. तुम कलि से फूल बन चुकी हो.

उसने रोते हुए मेरी पीठ पर मुक्का मारा. मैंने फिर अपने लंड को वापिस खींचा, मेरे साथ-साथ वो भी नीचे देखते हुए अपनी चूत से मेरे लंड को निकलता हुआ देख रही थी, वो उसके खून से सना हुआ था और सफ़ेद रंग के द्रव्य से भी, शायद उसकी चूत से ही निकला था वो भी.

जब पूरा लंड बाहर निकल आया तो स्नेहा बोली: निकाला क्यों. डालो इसे अंदर... अब ठीक है. मजा आ रहा था अब तो.

मैंने उसकी तरफ मुस्कुरा कर देखा और अपना लंड उसी अवस्था में वापिस डालना शुरू कर दिया. इस बार उसे कम दर्द हुआ. उसने मेरे चूतडो पर अपने पैर की एडिया रख कर मुझे अपनी तरफ खींचना शुरू किया और फिर तो जब मोशन बन गया तो उसके मुंह से लम्बी-लम्बी सिस्कारिया निकलने लगी.

अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्मम येस्सस्सस्स. श्ह्ह्हह्ह्ह्ह... फक मी... अह्ह्ह्हह्ह. ओह्ह्ह विशाल्ल्ल.. फक मी... य़ा... येस्स. ऐसे ही... अह्ह्हह्ह्ह्ह... ओह्ह्ह्ह... म्मम्म...

वो उठ कर बैठ गयी और मेरी गोद में चढ़ कर अपनी टाँगे मेरे चारो तरफ लपेट दी और खुद ऊपर नीचे होने लगी. मैं थोडा आगे हुआ और अपने पैर नीचे लटका कर बेड के किनारे पर बैठ गया, स्नेहा मेरी गोद में थी और उसकी पीठ पारुल की तरफ थी, जो बुरे-बुरे मुंह बना कर हमें देखते हुए, अपनी चूत के अंदर अपनी सारी उंगलिया डालकर मास्टरबेट करने में लगी हुई थी. मैंने नीचे सर करके उसके निप्पल को मुंह में भरा और उसका शहद पीने लगा. वो मेरे सर को अपनी छाती पर मसलते हुए बुरी तरह से करहा रही थी. पर मादक अंदाज में.

ओह्ह्हह्ह य़ा. विशाल्लल्ल्ल. यु आर ग्रेट. अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह... सक मी... फक मी... ओह... ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्हह्ह गोड. अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह

और उसने चीखते हुए, मेरे होंठो को चुसना शुरू कर दिया, मेरे लंड के ऊपर उसकी चूत से निकली हुई गरमा गरम चाशनी गिरने लगी. चाशनी की गर्मी पाकर मेरे लंड ने भी अपने मुंह से सफ़ेद झाग उगलनी शुरू कर दी. और जैसे ही उसने मेरे लंड की हलचल अपने अंदर महसूस की वो चीखने लगी. अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्मम .

सामने देखा तो पाया की पारुल भी निढाल सी होकर खड़ी हुई है. उसने धीरे से अलमारी का पल्ला बंद कर लिया ताकि स्नेहा उसे न देख पाए.

वो मेरे लंड से उतरी और उसके उतारते ही उसकी चूत से टपटप करके मेरा रस और उसकी चाशनी बाहर निकलने लगी. मैंने उसे बाथरूम में जाकर साफ़ करने को कहा, वो झट से अंदर भाग गयी.
उसके भागते ही मैंने अलमारी खोली, अंदर पारुल ने अपने कपडे पहन लिए थे, वो मुझसे धीरे से बोली: अच्छा बच्चू, मुझे झूठ बोला की ये लड़की कल वाली ही है. और कितनी है तेरे पास.


मैं: देख पारुल, तुने ही कहा था न की अब हम फक बडी है, इसलिए तू भी मजे कर और मुझे भी करने दे, तू और किसके साथ क्या करती है, या मैं किसी और के साथ क्या करता हूँ, ये सब मायने नहीं रखता. समझी... चल अब जल्दी से जा.


वो समझ गयी और उसने भी ज्यादा बहस नहीं की, बाथरूम से स्नेहा कभी भी आ सकती थी, उसने फिर से मिलने का वादा किया और चली गयी, हमारा बाहर का दरवाजा नोब वाला है, उसे उसने खोला, अंदर से लोक किया और बंद करके बाहर निकल गयी , मैंने भी चैन की सांस ली.

मैं बाथरूम के अंदर चल दिया. अंदर स्नेहा नीचे झुक कर अपनी चूत का डेमेज एक्सामिन कर रही थी. मैं उसके पीछे गया और उसे भींच कर खड़ा हो गया.

स्नेहा: देखो न विशाल. तुमने क्या कर दिया. मेरी पुस्सी का कितना बुरा हाल किया है तुमने.
मैं: अरे ये तो अभी शुरुवात है. ये कहते हुए मैंने शावर चला दिया.


एकदम से ठंडा पानी अपने ऊपर पड़ते ही वो पलट कर मुझसे लिपट गयी. ओफ्फफ्फ्फ़. बंद करो इसे. ठंडा है पानी. उन्हूऊ . पर मैंने पानी बंद नहीं किया और उससे लिपट कर खड़ा ही रहा. मैंने उसके पुरे शरीर पर हाथ फेरने शुरू कर दिए और जल्दी ही उसकी तरफ से भी री एक्शन होने लगे. मैंने उसे वहीँ गीले फर्श पर लिटाया और चूमना शुरू कर दिया. उसने मुझे नीचे किया और मेरे ऊपर सवार हो गयी. ऊपर से शावर का पानी बारिश की तरह हमारे ऊपर गिर रहा था. उसका भीगा हुआ बदन मेरे ऊपर था. वो झुकी और मेरे लंड को अपनी चूत के ऊपर लगा कर, उसके ऊपर बैठने लगी. पानी की वजह से और शायद उसकी चूत से निकलते लुब्रिकेंट की वजह से इस बार ज्यादा तकलीफ नहीं हुई उसे. फिर तो वो कावगर्ल वाले स्टाईल में मेरे घोड़े के ऊपर उछल-उछल कर मजे लेने लगी. 


अह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ्फ़ ओन्न्न्न ओम्म्म्मम्म म्मम्मम्म एस. अह्ह्ह्हह्ह . विशाल्ल्ल्ल. . जोर से. अह्ह्हह्ह. . मजा आ गया. आह्ह्ह्ह. म्मम्मम.


और फिर वो धप्प से मेरे ऊपर गिर गयी. उसके शूल जैसे निप्पल मेरे चेहरे पर चुभने लगे. मैंने भी उसकी गांड के ऊपर हाथ रखा और उसकी चूत के अंदर अपना लंड पेलना शुरू कर दिया. और जल्दी ही मेरा भी निकलने लगा. मैंने उसे और तेजी से भींच लिया अपनी तरफ. उसने मुंह ऊपर किया. मुझे किस किया और खड़ी होकर नहाने लगी और फिर हम अंदर आ गए.

स्नेहा: तुम तैयार होकर बाहर आओ, मैं नाश्ता बनाती हूँ तुम्हारे लिए कुछ.

मैं ऊपर अपने कमरे में गया. वहां मेरा फोन लगातार बज रहा था. मैंने जाकर देखा तो अंशिका का फोन था.
[+] 1 user Likes sanskari_shikha's post
Like Reply
#56
मैं: हाय...
अंशिका: क्या यार...इतनी देर से फोन कर रही थी...कहाँ थे?

मैं: वो...मैं ..नहा रहा था...
अंशिका: ठीक है...अच्छा बोलो...आज का क्या प्रोग्राम है...

मैं: आज का...क्या मतलब?
अंशिका (धीरे से): मुझे कल वाली बाते याद आ रही है सुबह से...समझे..अब बोलो, आज का क्या प्रोग्राम है..

मैं: समझ गया की अंशिका की चूत में खुजली हो रही है अब...
मैं: ओके....तुम कहाँ हो अभी....

अंशिका: मैं कॉलेज में हूँ...दो बजे तक फ्री हो जाउंगी...आ जाऊ क्या फिर...तुम्हारे घर...
मैं: ओके...ओके...आ जाना...

अंशिका: ओह्ह....वाव....थेंक्स....ठीक है फिर मिलते हैं...तीन बजे तक...लंच एक साथ करेंगे. और फिर...
मैं: और फिर क्या...

अंशिका: बदमाश...मैं आकर बताती हूँ तुम्हे तो...ओके..बाय...

मैंने फ़ोन रख दिया और नीचे चल दिया नाश्ता करने. मैंने अपने पुरे कपडे पहन लिए, ताकि मुझे आधा या पूरा नंगा देखकर स्नेहा का मन फिर से न कर पड़े, मैं अब सीधा अंशिका को ही चोदना चाहता था, स्नेहा के साथ और मजे लेकर और एनर्जी खर्च नहीं करना चाहता था अब मैं.

स्नेहा नीचे किचन में खड़ी हुई ब्रेड ओम्लेट बना रही थी, उसने सिर्फ पेंटी और ब्रा पहनी हुई थी. मुझे पुरे कपड़ो में देखकर उसने कहा : बड़ी जल्दी कपडे पहन लिए..मुझे तो लगा की आज पूरा दिन तुम ऐसे ही रहोगे..

मैं: वो दरअसल मुझे कहीं जाना है अभी..

मेरी बात सुनते ही वो रुक सी गयी.

स्नेहा: क्या यार...मैंने आज तुम्हारी वजह से कॉलेज से बंक मारा है. मैंने सोचा था की पूरा दिन तुम्हारे साथ रहूंगी..

ये कहते हुए वो मेरी तरफ आ गयी, उसका चहरा उतर सा गया था. अभी तो सिर्फ ग्यारह ही बजे थे, उसके कॉलेज से घर जाने में भी अभी 2 घंटे का टाइम था और अंशिका ने तो दो बजे के बाद ही आना था. मैंने स्नेहा को अपनी गोद में बिठाया और उसके गाल पर एक किस्स कर दी.

मैं: ओह्ह माय बेबी... नाराज क्यों होती हो... मैं कौनसा तुम्हे जाने को कह रहा हूँ, तुम्हे तो घर वैसे भी एक बजे ही जाना है न... ठीक है फिर, मैं तुम्हारे घर जाने के बाद ही जाऊंगा..

मेरी बात सुनते ही वो खुश हो गयी और मुझसे लिपट गयी..मैं उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेरने लगा. तभी कुछ जलने की स्मेल आई और वो चीखती हुई भाग खड़ी हुई..: हे भगवान्....मेरा अंडा...

उसका अंडा...मतलब, तवे पर रखा हुआ आमलेट जल चूका था. उसका चेहरा रुआंसा सा हो गया. जिसे देखकर मेरी हंसी निकल गयी. मुझे हँसता हुआ देखकर वो मुझे मारने को दौड़ी और बोली: अभी मजा चखाती हूँ..अब तो तुम्हारे अंडे भी गए समझो...

उसकी बात का मतलब समझते ही मैं सर पर पैर रखकर भागने लगा. वो ब्रा पेंटी में मेरे पीछे भागकर मुझे पकड़ने की कोशिश करने लगी और अंत में मुझे उसने मेरे कमरे में घेर ही लिया. मेरे पीछे सिर्फ मेरा बेड था, कोई और रास्ता नहीं था निकलने का..

मैं: ओके...बाबा...सोरी...गलती हो गयी...अब नहीं हंसुगा..

पर वो बड़े ही अजीब तरीके से मुझे घूरते हुए मेरी तरफ आती जा रही थी और जैसे ही मैं बेड से टकरा कर उसपर गिरा, वो उछलकर मेरी टांगो के बीच आ बैठी और अपना हाथ सीधा मेरे लंड वाले हिस्से पर रख दिया..उसके नन्हे हाथ अपने बुलडोजर के ऊपर पाते ही मेरा लंड उसकी चूत को रोंदने के लिए फिर से व्याकुल हो उठा..

अभी थोड़ी ही देर पहले मैंने उसकी दो बार मारी थी और अंशिका के लिए भी मुझे अपनी स्ट्रेंथ बचा कर रखनी थी. पर अभी वो इस तरह से मेरे लंड को सहला रही थी की मुझे बाद में क्या करना है और किसके लिए करना है, उसका कोई होश नहीं रहा और मैंने भी उसकी ब्रा को नीचे करके उसके तने हुए निप्पल से खेलना शुरू कर दिया...

स्नेहा: कितना आसान है तुम लडको को सेक्स के लिए मनाना....

बात तो वो सही कह रही थी और आता भी क्या है हम लंड वालो को...

स्नेहा ने झटके से मेरा बोक्स्सर नीचे खींच दीया और जब उसके सामने मेरा लहराता हुआ सांप आया तो उसने उसे अपने हाथो में समेट कर ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया...पर अपना मुंह नहीं लगाया और फिर जब उसने अपनी जीभ बाहर निकाली तो मेरे लंड को छोड़ कर मेरी बाल्स को चाटने लगी. मुझे ये बड़ा अजीब सा लगा...पर मजा भी आ रहा था और फिर उसने झुक कर अपने रसभरी जैसे होंठ मेरी बाल्स के ऊपर रख दिए और उन्हें चूसने लगी, जैसे वो मेरे होंठ हो और उनमे से कोई जूस निकल रहा हो...उसकी नाक मेरे लंड से टकरा रही थी और उसका हाथ मेरे लंड को ऊपर नीचे करने में लगा हुआ था और फिर उसने अपना मुंह पूरा खोला और एक ही बार में मेरी दोनों बाल्स को अन्दर निगल लिया और उन्हें आम की तरह से चूसने लगी..मेरे आनंद की तो सीमा ही नहीं रही...मैंने उसके द्वारा ऐसा ट्रीटमेंट एक्स्पेक्ट ही नहीं किया था..

फिर उसने मेरी बाल्स को बाहर निकाला और मुझसे कहा : अब बोलो...खा जाऊ क्या तुम्हारे ये अंडे... उड़ाओगे मेरा मजाक आज के बाद... बोलो....

मैंने हँसते हुए कहा : अगर तुम मेरी बात से नाराज होकर इसी तरह की सजा देती रहोगी तो हर बार उड़ाऊंगा तुम्हारा मजाक....

मेरी बात सुनते ही, उसने हँसते हुए मेरे अन्डो को फिर से अपने मुंह में डाला और उन्हें अपनी जीभ और दांतों से मसाज देने लगी..उसका पूरा मुंह मेरे अन्डो से भर चूका था..वो साथ-२ मेरे लंड को भी ऊपर नीचे लारती जा रही थी...आज जैसा उत्तेजित तो मैंने कभी भी फील नहीं किया था. उसके मुंह में जाकर आज मेरी बाल्स कुछ ज्यादा ही बड़ी हो चुकी थी और उसे अब अपनी जीभ घुमाने में भी मुश्किल हो रही थी..पर फिर भी उसने अपने मुंह से उन्हें बाहर नहीं निकाला और ऊपर मुंह करे, मेरे लंड को मसलते हुए, वो लगी रही और जल्दी ही मेरे लंड से आनंद की वर्षा होने लगी और उसके फूल से चेहरे के ऊपर उछल-उछल कर गिरने लगी. स्नेहा का पूरा चेहरा मेरे लंड से निकली बर्फ से ढक कर सफ़ेद हो चूका था और जैसे ही मेरे अन्डो का साईज कम हुआ वो अपने आप उसके मुंह से फिसल कर बाहर निकल आये. उसने अपने हाथो की उँगलियों से अपने चेहरे को ऐसे पोंचा जैसे पसीना आया हो उसके चेहरे पर और फिर उन उँगलियों को वो चाट चाटकर साफ़ करने लगी...

मैं धम्म से बेड के ऊपर गिर पड़ा..

फिर उसने पास ही पड़े हुए टावल से अपना मुंह साफ़ किया और कहा : अब कभी पंगा मत लेना मुझसे... समझे और फिर से नीचे की तरफ चल दी. मैं भी उठा और नीचे जाकर बैठ गया, उसने फिर से आमलेट ब्रेड बनाया और हमने मिलकर ब्रेक फास्ट किया. उसके बाद वो सब कुछ समेटने लगी और मैं सोफे पर आकर अखबार पड़ने लगा.

वो कुछ देर में ही मेरे साथ आकर बैठ गयी और मेरे कंधे पर सर रखकर बोली: तुम बड़े गंदे हो...

मैं: मैं...गन्दा...कैसे??
स्नेहा: तुम्हारे अंडे खाने के बाद भी मैं भूखी ही रह गयी. तुम्हे तो मेरी कोई फ़िक्र ही नहीं है...

और अपनी लेफ्ट ब्रेस्ट को मेरी बाजू से घुसने लगी. साली...फिर से मुझे उकसा रही है..

मैं: यार...तुम भी न...समझा करो...मैं इंसान हूँ, कोई मशीन नहीं...थोडा तो टाइम दो मुझे रिचार्ज के लिए..
स्नेहा: और भी तो तरीके होते है...भूख मिटाने के...

और वो मेरे होंठो पर अपनी उंगलिया फिराने लगी..यानी वो कहना चाहती थी की जैसे उसने चूसकर मेरा जूस निकाला वैसे ही मैं भी उसे मजे दू...मुंह से..

मैंने टाइम देखा, एक बजने में अभी आधा घंटा था..मैंने सोचा ये मानेगी तो है नहीं, इसलिए जल्दी से इसे फारिग कर देना चाहिए और मैंने उसकी लम्बी और नंगी टांगो को ऊपर किया, उसकी पेंटी को नीचे खींचा , जो पूरी गीली हो चुकी थी अपने ही रस में डूब कर...जैसे ही मैंने उसकी गीली कच्छी उसकी चूत से जुदा की , उसके मुंह से एक तीखी सिसकारी निकल गयी....आआआआह्ह्ह्ह ......विशालल्लल्लल .....म्मम्म.. और अगले ही पल उसकी चूत से उतनी ही तीखी स्मेल निकल कर मेरे नथुनों से टकराई और मैंने अपना मुंह उसकी शहद से लबालब चूत में दे मारा... अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ .........म्मम्म..

शहद के बारे में सोचते ही मेरे दिमाग में एक आईडिया आया, मैं भागकर फ्रिज तक गया और उसमे से शहद की शीशी निकाल लाया...स्नेहा समझ गयी की मैं क्या करने वाला हूँ. मैंने ढक्कन खोलकर ठंडा शहद जैसे ही उसकी चूत के ऊपर डाला...

अग्ग्ग्गहह ह्ह्हह्ह्ह्ह ...........ओफ्फफ्फ्फ़ ..............मर्र्र्रर्र्र गयी............अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ....

वो इतनी जोर से चीखी की मुझे भी डर लग गया की कहीं बाहर कोई ये न सोचे की अन्दर रेप हो रहा है...

मैंने अपनी जीभ से ठंडा शहद इकठ्ठा किया और उसी ठंडी जीभ को उसकी गर्म चूत की गहराईयों में उतार दिया. अन्दर से ठंडक का एहसास पाते ही उसकी कंपकपी सी छूट गयी और अगले ही पल उसकी चूत से गर्म रस की फुहार आकर मेरे चेहरे को भिगोने लगी. कमीनी ने मेरा सोफा पूरा गिला कर दिया.

मैंने जितना हो सका उसके रस को चाटकर साफ़ किया और फिर उठ कर बाथरूम मे अपना मुंह साफ़ किया और जींस और टी शर्ट पहन कर बाहर आ गया...वो भी अपने कपडे पहन चुकी थी और वापिस जाने के लिए तैयार थी...

स्नेहा: अब कब मिलेंगे...हम इस तरह...
मैं: जल्दी ही...अभी चलो, मुझे बेंक का काम निपटाना है और तुम्हे भी देर हो रही होगी...

स्नेहा ने मुझे आखिरी बार जोरदार किस किया और हम बाहर निकल आये...

मैंने उसे स्टेंड पर उतारा और मैं सीधा डोमिनोस के स्टोर में गया और अपने और अंशिका के लिए पिज्जा पेक करवाकर वापिस चल दिया...

अभी उसे आने में आधा घंटा और लगेगा, ये सोचते हुए मैंने जल्दी से घर की सफाई करनी शुरू कर दी, ताकि उसे कोई सबूत न मिल जाए की कल या आज सुबह यहाँ कोई आया था...मैंने पुरे घर में रूम फ्रेशनर डाल कर सेक्स की गंध को भी हटा दिया और मैं बैठकर अंशिका का वेट करने लगा..

सवा दो बजे मेरे घर की बेल बजी और मैं भागकर बाहर आया...दरवाजा खोला तो मैं हैरान रह गया. अंशिका के साथ कनिष्का भी थी.

एक बार तो मैं घबरा गया, क्योंकि मुझे ये बिलकुल भी आशा नहीं थी की अंशिका के साथ कनिष्का भी आ जायेगी, पर फिर मैंने अपने आप को संभाला और दोनों को अन्दर आने को कहा. अंशिका ने हमेशा की तरह कॉलेज की मेडम वाली साडी पहनी हुई थी और कनिष्का ने एक बिंदास सी केप्री और टी शर्ट.

अंशिका ने मेरे चेहरे पर आये सवाल शायद पढ़ लिए थे, की वो अंशिका को क्यों साथ में लेकर आ गयी?

अंशिका: विशाल, आज तो इतफ्फाक हो गया, मैं जिस बस से घर जा रही थी, वो बाहर सड़क पर ही खराब हो गयी, मैंने सोचा की तुमसे कह दूंगी की तुम अपनी बाईक पर मुझे घर छोड़ देना, और जब मैं यहाँ आ रही थी तो मुझे कनिष्का भी यहीं मिल गयी, वो अपनी इसी सहेली के घर आई थी, वो सामने वाली गली में रहती है शायद, तो मैं इसे भी ले आई...मुझे मालुम है की हम दोनों को एक साथ बाईक पर बिठाना थोडा मुश्किल होगा..पर कोई प्रोब्लम है तो हम ऑटो कर लेंगे...
मैं: अरे नहीं , कैसी बात करती हो अंशिका...इसमें मुश्किल की क्या बात है, मैंने इससे तो एक बार पांच लड़कियों को एक साथ बिठाया था अपनी बाईक पर...

इस बार अंशिका हैरान होकर बोली: पांच-पांच लडकिया, और तुम्हारी बाईक पर एक साथ....वाव....कैसे किया तुमने ये कारनामा...

मैं: दो आगे बैठ गयी, दो पीछे और एक मेरे सर के ऊपर....हा हा...
कनिष्का: हा हा..वैरी फन्नी ..

अंशिका भी मेरी मसखरी सुनकर मुस्कुराने लगी..

मैं: अरे बैठो तो सही, मैं कुछ लाता हूँ तुम दोनों के लिए..

और मैंने उन्हें सोफे पर बिठा दिया और भाग कर किचन में गया और कोल्ड ड्रिंक की बोतल निकाल कर उसे ग्लास में डालने लगा. तभी पीछे से कनिष्का अन्दर आ गयी..

कनिष्का: कोई हेल्प चाहिए क्या??

मैंने उसे देखा और उसका हाथ पकड़कर मैंने उसे फ्रिज के पीछे खींच लिया ताकि बाहर बैठी हुई अंशिका हमें न देख पाए

मैं: ये क्या पागलपन है, मुझे बता तो देती की तुम भी आ रही हो..
कनिष्का: मैं तो तुम्हे सरप्राईज देना चाहती थी..मुझे क्या पता था की आज फिर तुम्हारा प्रोग्राम है दीदी के साथ..मैं तो सीधा तुम्हारे घर आ रही थी, तभी सामने से एकदम दीदी आ गयी, मुझे मालुम की वो तुमसे ही मिलने आ रही थी, बस खराब होने का तो उन्होंने बहाना बनाया मुझे देखकर और मैंने भी कह दिया की मैं अपनी सहेली से मिलने आई थी और घर जा रही हूँ, तब दीदी ने कहा की विशाल के घर चलते है, वो अपनी बाईक से छोड़ देगा..
मैं: जो भी हो...पर तुम्हारे चक्कर में अब आज का दिन खराब जाएगा मेरा.

कनिष्का ने आगे बढकर मेरे गले में बाहे दाल दी : वाह जी वाह...तुम्हे तो अपनी ही फिकर है, हमारी क्या हालत है उसका कुछ अंदाजा भी है तुम्हे...अब तो तुमने दीदी के साथ सब कुछ कर ही लिया है, और वादे के मुताबिक अब तुम्हे मुझे प्यार करना है और ये तुम सोचो की कैसे करोगे..दीदी को भगा कर या उनके सामने ही...

उसके चेहरे पर एक इरोटिक एक्सप्रेशन आ गए ये सब कहते हुए..उसकी टी शर्ट के अन्दर कैद ब्रेस्ट के निप्पल्स भी साफ़ दिखाई देने लगे..

मेरा लंड तो उसकी बाते सुनकर पागलो की तरह पायजामे में ठोकरे मारने लगा और उसकी बाते सुनकर तो मुझे यही महसूस हो रहा था की वो अपनी बहन के सामने भी चुदने को तैयार है.

मैंने अपने हाथ उसकी कमर के ऊपर रखे और अपना चेहरा आगे करके उसे चूमने ही वाला था की तभी अंशिका की आवाज आई: कनिष्का...विशाल.....ये ...ये क्या कर रहे हो तुम दोनों...

ओह...फक्क्क ...अंशिका ने अन्दर आकर सब देख लिया था. मेरी तो हालत ही खराब हो गयी..पर कनिष्का के चेहरे को देखकर लगा की उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ा..

अंशिका अपने मुंह पर हाथ रखे हुए कभी मुझे और कभी अपनी छोटी बहन को देखे जा रही थी और सोचने-समझने की कोशिश कर रही थी की ये कब से चल रहा है..

कनिष्का ने मोर्चा संभाला.

कनिष्का: इसमें विशाल की कोई गलती नहीं है दीदी...दरअसल ये मुझे शुरू से ही अच्छा लगता है..पर इसने सच्चाई से मुझे पहले ही बता दिया था की तुम दोनों के बीच क्या चल रहा है..मैंने तो विशाल को कई बार सब कुछ करने को कहा..पर इसने मना कर दिया..दो दिन पहले भी मैं आई थी इसके पास, पर इसने बताया की इसने आपसे वादा किया है की पहले ये आपके साथ सेक्स करेगा...फिर किसी और के साथ..

अंशिका मुंह फाड़े अपनी बहन की बाते सुन रही थी, उसे शायद ये विशवास नहीं हो पा रहा था की उसकी छोटी बहन के जिस्म में भी जवानी की आग भड़कने लगी है..जिसका उसे आज तक अंदाजा भी नहीं था.

अंशिका ने आगे कहा : दीदी, मुझे गलत मत समझना, पर होस्टल में मेरा एक बॉय फ्रेंड था, जिसके साथ मैंने..मैंने..सब कुछ किया है..एंड आई एम् नो मोर वर्जिन ......

अंशिका जिसे अपनी मासूम बहन समझकर आज तक उसे प्यार करती आई थी उसने इस बात की कल्पना भी नहीं की थी और शायद इस बात की भी नहीं की वो आज मेरे सामने खड़ी होकर ये बात काबुल करेगी..

कनिष्का: और दीदी...यहाँ आने के बाद मुझे अपने होस्टल वाले दिन बहुत याद आते हैं...आई होप यु अन्डरस्टेंड .. और एकदम से तो कोई मिल नहीं जाता, कॉलेज खुलने में भी टाईम है अभी जहाँ नए लड़के मिलेंगे... इसलिए... इसलिए विशाल को देखकर मेरे मन में ये सब आया...पर जैसा उसने कहा था की पहले वो आपके साथ और फिर किसी और के साथ...इसलिए मैं आई थी आज..क्योंकि मैं जानती हूँ की आप कल पूरा दिन यहाँ थी इसके साथ और आप दोनों ने..
अंशिका: चुप कर कन्नू....हमारे बीच जो भी चल रहा है, उससे तेरा कोई मतलब नहीं है...मैंने सोचा भी नहीं था की तू इतना आगे निकल चुकी है...मुझे तो अपने कानो पर विशवास ही नहीं हो रहा है...

अंशिका की आँखों से आंसू निकलने लगे थे. कनिष्का भाग कर अपनी बहन के पास गयी और उसके आंसू पोछने लगी : नहीं दीदी...आप प्लीस रोना मत....आप कहती हो तो मैं चली जाती हूँ अभी और कभी भी विशाल के पास नहीं आउंगी...आपकी कसम दीदी...पर आप रोना मत..मैं आपको दुखी नहीं देख सकती...गलती मेरी ही है, मैंने ही आपके फ्रेंड के ऊपर गलत नजर रखी, ये भी नहीं सोचा की आपके ऊपर क्या गुजरेगी...आप बैठो यहाँ, मैं चलती हूँ ..

और वो मुढ़कर जाने लगी.

मैं उन दोनों बहनों का प्यार देखकर भावुक सा हो उठा..

अंशिका: रुक जा...

अंशिका ने उसे रोका और उसका हाथ पकड़कर बाहर ले गयी, और सोफे पर बैठ गयी.

मैं: भी उनके पीछे-पीछे बाहर निकला.

अंशिका ने आगे बढकर अपनी बहन को गले से लगा लिया और अपने आंसू पोछकर बोली: तुझे जाने की कोई जरुरत नहीं है और जैसा विशाल ने तुझे बताया था, सब कुछ ठीक है, हम दोनों में एक ऐसी अन्डर स्टेंडिंग है जो शायद ही किसी में देखने को मिले, ये मेरी बातो और जज्बातों का पूरा ध्यान रखता है...इसके जैसा अन्डर स्टेंडिंग फ्रेंड मुझे कोई मिल ही नहीं सकता और जो ख़ुशी इसने मुझे दी है, उसका एहसास ही मुझे आज दोबारा खींच लाया है इसके पास आज यहाँ...पर तेरे दिल में भी इसके लिए कुछ है ये मैं नहीं जानती थी. जानती है, मैंने तुझे दुनिया की हर बुरी नजर से बचा कर रखा है, यहाँ तक की शुरू में जब विशाल भी तेरे बारे में कोई बात करता था तो मैं इसे भी डांट देती थी, पर मुझे क्या मालुम था की मेरी छोटी बहन अब बड़ी हो चुकी है. उसने भी अपनी जवानी की हर देहलीज पार कर ली है और मर्यादा के वो सारे बंधन भी वो तोड़ चुकी है जिसे सिर्फ शादी के बाद सही माना जाता है...पर इसमें तेरा भी कोई दोष नहीं है, मैं भी तेरी तरह इसी उम्र से गुजरी हूँ और मैंने भी वो सब किया है...पर ये जो उम्र का पड़ाव है, जहाँ शादी अभी काफी दूर है और आस पास के किसी भी इंसान पर किसी तरह का भरोसा करके अपने आप को उसे सोंपना काफी जोखिम भरा है..तब मैंने विशाल पर विशवास करके उसे अपना जिस्म सोंपा और इसने मेरे विशवास का सही तरह से पालन भी किया. हमारे बीच में कोई बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड जैसा या शादी करने जैसा कोई कमिटमेंट नहीं है. बस सच्चे दिल से एक दुसरे को मनचाही खुशिया देने का जज्बा है और तुझे भी ऐसा लड़का और कोई नहीं मिलेगा...इसलिए..इसलिए..तू यहाँ रुक और मैं चलती हूँ..

ओ तेरे की....यानी अंशिका अपनी बहन को मुझे सोंपकर जाने की बात कर रही थी...ताकि मैं उसे चोद सकू..वाव..

अंशिका की बात सुनकर कनिष्का ने अपनी बहन को गले से लगा लिया : मैं जानती थी दीदी, की तुम ऐसा ही करोगी, पर मैं नहीं चाहती की तुम मेरे लिए अपनी खुशियों की बलि दो...अगर..अगर आपको बुरा न लगे तो...हम दोनों..एक साथ..विशाल के साथ.....

बस कर यार...मार डालेगी क्या...साले मेरे लंड का तो बुरा हाल हो गया, कनिष्का की ये बात सुनकर, अभी दो दिन पहले ही मैं सपना देख रहा था दोनों बहनों को एक साथ नंगा करके चोदने का...मुझे क्या मालुम था की मेरा सपना इतनी जल्दी साकार होता दिखाई देगा...

कनिष्का की बात सुनकर अंशिका का चेहरा शर्म से लाल हो उठा : पागल है क्या...हम कैसे एक साथ...तू एक काम कर, आज तू रह जा इसके साथ, मैं कल आ जाउंगी...पर मुझसे नहीं होगा..तेरे सामने ही...समझा कर पगली, मुझे शर्म आती है...

उसकी साँसे ये कहते हुए तेजी से चल रही थी, चेहरा लाल हो चूका था और साडी के नीचे ब्लाउस और उसके नीचे छुपे निप्पल तन कर साफ़ दिखाई देने लगे थे...जिसे मेरे साथ-साथ कनिष्का ने भी महसूस किया था..वो समझ चुकी थी की अपनी दीदी को थ्रीसम के लिए मनाना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा अब...

कनिष्का: ओहो...दीदी...आप भी न...आप तो ऐसे कह रही हो जैसे आपने मुझे या मैंने आपको नंगा नहीं देखा कभी..
अंशिका: वो बात और है..घर पर चेंज करते हुए या नहाते हुए कभी-कभार एक दुसरे को देखना अलग बात है...पर किसी और के सामने और वो भे सेक्स करते हुए...नहीं ..नहीं...मैं नहीं कर पाउंगी..

और वो उठ कर जाने लगी. कनिष्का ने भाग कर उसे दुबारा पकड़ लिया..

कनिष्का: पर दीदी...आज तो आपको रुकना ही पड़ेगा...मुझे तो आज पहले से ही डर लग रहा है..
अंशिका: इसमें डरने वाली क्या बात है, तुने ही तो कहा था अभी की तू पहले भी कर चुकी है...
कनिष्का: हाँ दीदी...पर यहाँ से नहीं...(उसने अपनी गांड की तरफ इशारा किया), और मैंने परसों ही विशाल को कह दिया था की आई विल गिव माय दिस वर्जिनिटी टू हिम टुडे ....

अपनी छोटी बहन की बेशर्मी भरी बात सुनकर अंशिका फिर से हैरान होकर उसके चेहरे को देखने लगी..उसने शायद सोचा भी नहीं था की आज उसकी बहन यहाँ चूत नहीं गांड मरवाने के लिए आई है..

अंशिका: हे भगवान्....कन्न्नु...मैंने तो सोचा भी नहीं था की तू इतनी आगे निकल चुकी है इन सब मामलो में...
कनिष्का: प्लीस दीदी...ट्राई तो अन्डर स्टेंड ..मुझे याद है, पहली बार जब मैंने अपने बॉय फ्रेंड के साथ किया था तो कितनी तकलीफ हुई थी और गांड मरवाने में तो और भी ज्यादा दर्द होगा न. मैं चाहती हूँ की आप मेरे पास रहो उस वक़्त...आप ये तो नहीं चाहती न की मुझे कोई तकलीफ हो ये सब करवाने में...प्लीस...
अंशिका: अगर इतना ही डर लग रहा है तो क्यों गांड मरवाने चली है तू...चूत मरवा और खुश रह...

उन दोनों बहनों के मुंह से गांड-चूत की बाते सुनकर मुझे बड़ा मजा आ रहा था...

कनिष्का: नहीं दीदी...आज मैंने सोच रखा है, अपनी गांड मरवाकर रहूंगी...सहेलियों ने बताया है की कितना मजा आता है बाद में..पर पहली बार तकलीफ होती है बस और अगर आप मेरे सामने रहोगी तो मुहे इस तकलीफ का एहसास कम होगा..

अंशिका ने आखिरी बार अपना तर्क दिया : पर कन्नू...मेरे बिना भी तो तू ये सब करवाने के लिए आई ही थी न यहाँ...वो तो इतफ्फाक से हम दोनों एक साथ पहुँच गए, वर्ना तू तो तैयार थी न ये सब अकेले में करवाने के लिए...बस तू येही समझ की मैं यहाँ आई ही नहीं थी..
[+] 1 user Likes sanskari_shikha's post
Like Reply
#57
कनिष्का: पर दीदी...अब तो आप यहाँ पर हो न...प्लीस...मैंने आज तक आपसे किसी चीज के लिए भी इतनी मिन्नत नहीं की...आप तो एक ही बार में मेरी हर बात मान लेती हो..फिर आज क्यों इतनी देर लगा रही हो...

अंशिका ने एक गहरी सांस ली और उसके गालो को अपने हाथो में पकड़कर बोली: देख कन्नू...जो तू कह रही है और जो तू चाहती है, वो बड़ा ही मुश्किल काम है, हम दोनों एक दुसरे के सामने एक लड़के के सामने अपना सब कुछ परोस कर बैठ जाए, मुझे विशाल पर पूरा विशवास है की वो इस बात को किसी और से कभी नहीं करेगा... (उसने मेरी तरफ आशा पूर्ण नजरो से देखा, मैंने भी अपनी पलके झुका कर उसे आश्वासन दिया)

वो आगे बोली: और तेरी हर बार की जिद्द की तरह आज भी मैं तेरे सामने हार गयी...

अंशिका ने अपनी स्वीकृति दे डाली अपनी छोटी बहन को.

कनिष्का ने ख़ुशी के मारे अंशिका को जोर से गले लगा लिया...: ओह...दीदी...आई लव यु और अगले ही पल उसने जो किया उसे देखकर मेरे साथ-साथ अंशिका भी दंग रह गयी....

कनिष्का ने अंशिका के चेहरे को पकड़ा और उसके होंठो पर अपने होंठ लगा दिए और उन्हें जोर-जोर से चूसने लगी...

मुझे पक्का विशवास था की इस तरह की किस इन दोनों बहनों में पहली बार हो रही है....क्योंकि अंशिका अपनी फटी हुई आँखों से , अंशिका के होंठो से छुटने की कोशिश कर रही थी. और कभी मुझे और कभी उसे देख रही थी....

और फिर कनिष्का ने अंशिका के दांये मुम्मे के ऊपर अपना हाथ रखा और उसे जोर से दबा दिया...अंशिका के निप्पल तो पहले से ही खड़े होकर आने वाले पलों के बारे में सोचकर पुलकित हो रहे थे, अपनी बहन के हाथो का स्पर्श पाते ही उनमे करंट सा दौड़ गया. और आनंद के मारे अंशिका की आँखे भी कनिष्का की तरह से बंद होती चली गयी.....

इतना इरोटिक सीन देखकर तो मैं पागल सा हो गया...दुनिया की सबसे सेक्सी बहने एक दुसरे को चूसने चाटने में लगी हुई थी और मुझे और मेरे लंड को मालुम था की आज का पूरा दिन कैसे बीतने वाला है....मैंने अपना पायजामा एक झटके में उतार फेंका और ऊपर से टी शर्ट भी. और घुस गया नंगा होकर उन दोनों बहनों के बीच और अपने होंठ भी घुसा दिए उन दोनों के थूक से भीगे हुए लबो के दरम्यान.......

अंशिका पर ना जाने किस बात का खुमार चड़ा हुआ था की आज वो पहले से ज्यादा उत्तेजित लग रही थी, शायद आने वाले पलों की कल्पना करके उसके हाव-भाव अलग ही लग रहे थे.

मेरे होंठो में जैसे ही अंशिका के होंठ आये वो उन्हें कच्चे चिकन की तरह चबाने में लग गयी और उनका जूस निकाल कर पीने लगी, आज तक उसने इतनी तेजी से मेरे होंठो को नहीं चबाया था, कनिष्का ने मेरी कमर के ऊपर हाथ रखा और मेरे गालों के ऊपर जोरदार चुम्मा दे दिया, और फिर मुझे और अपनी बहन को आराम से देखते हुए वो अपनी लेफ्ट ब्रेस्ट को मसलती हुई बड़ी ही कामुक नजरों से हम दोनों को देखने लगी.

मैंने अंशिका के नंगे पेट वाले हिस्से पर हाथ रखे और उसकी नाभि वाले भाग पर अपनी उँगलियाँ रगड़ने लगा, और धीरे-धीरे अपनी उँगलियाँ नीचे की तरफ खिसकाने लगा, अपनी चूत की तरफ बड़ते हुए मेरे लम्बे हाथो के एहसास ने अंशिका की साँसों की गति और भी तेज कर डाली, और उसने एक गहरी सांस लेकर अपना पेट और भी अन्दर कर लिया, मेरी उँगलियों को रास्ता मिल गया गुफा में जाने का और मैंने अपना पंजा उसके पेट से सटा कर अन्दर की तरफ धकेल दिया..

और मेरे हाथों का दबाव इतना तेज था की वो सीधा उसकी चूत के ऊपर जाकर ठहर गया, और अब मेरे हाथों के नीचे थी उसकी गीली कच्छी...मैंने अपना पूरा पंजा जोर से उसकी भीनी खुशबु छोडती हुई चूत के ऊपर जमा दिया. और ऐसा करते हुए मुझे लगा की मैंने किसी संतरे को जोर से दबा कर निचोड़ दिया है, क्योंकि उसकी चूत से इतना रस निकल कर नीचे गिरने लगा मानो कोई गुब्बारा फटा हो वहां..

अंशिका: आआआअह्ह्ह्ह .........ओग्गग्ग्ग्ग.....

अपनी बहन को कामुकता की चादर में लिप्त देखकर कनिष्का तो पागल ही हो गयी...उसने अंशिका की साडी के पल्लू को पकड़ा और घूम घूमकर उसे उतारना शुरू कर दिया.

जैसे-जैसे साडी निकलती जा रही थी, उसकी साँसे तेज होती जा रही थी..मेरे हाथ लगाने भर से ही वो एक बार तो झड ही चुकी थी..आज और क्या होगा उसके साथ, ये शायद सोच-सोचकर वो आँखे बंद किये हुए मंद-मंद मुस्कुराने लगी थी और जब अंशिका की साडी पूरी तरह से उतर गयी तो मैंने पेटीकोट के नाड़े को अपने हाथो से पकड़ा और उसे जोर से खींच दिया, अन्दर का नजारा पर्दा गिरते ही हम दोनों के सामने आ गया, अंशिका की आँखे अभी तक बंद थी, वो शायद शर्मा रही थी, अपनी बहन के सामने..

कनिष्का और मैं उसके एरोटिक रूप को देखकर अपनी जीभ होंठो पर फिर रहे थे.

अंशिका का गोरा और भरा हुआ बदन अब सिर्फ ब्लाउस और पेंटी में हम दोनों के सामने था, नीचे उसने हाई हील की सेंडल पहनी हुई थी..

कनिष्का ने अपनी केप्री और टॉप को उतार कर एक कोने में उछाल दिया, और जैसे ही उसकी ब्रा में कैद मुम्मे मेरी नजरों के सामने आये , मैं अंशिका को भूल कर उसकी तरफ देखने लगा, मैंने अपने हाथ का दबाव उसकी चूत के ऊपर से हटा लिया. मेरा हाथ की पकड़ चूत के ऊपर से हटते ही उसने अपनी आँखे खोल दी और मुझे अपनी बहन की तरफ घूरते हुए देखा और जब उसने मेरी आँखों का पीछा करते हुए कनिष्का को देखा तो वो झुक कर अपनी पेंटी को अपनी जांघो से नीचे खिसका रही थी..मेरा हाथ अभी भी अंशिका की गीली कच्छी में था पर मेरा पूरा ध्यान कनिष्का की तरफ था..

कनिष्का ने जैसे ही अपनी पेंटी उतार कर बाहर की, मेरे और अंशिका के सामने उसकी गुलाबी रंग की, ताजा तरीन, बिना बालों वाली चूत आ गयी, लगता था की मेरे लिए ही तैयार होकर आई थी वो और फिर मेरी तरफ देखते हुए उसने अपने हाथ पीछे किये और अपनी ब्रा को भी अपने बदन से जुदा करते हुए मेरी तरफ उछाल दिया और अब वो पूरी तरह से नंगी होकर खड़ी थी...उसकी ब्रेस्ट का साईज अंशिका के मुकाबले काफी छोटा था, पर लाजवाब थी वो भी, एकदम सामने देख रहे थे उसके निप्पल, इतना कसाव था उसके मुम्मो में..चूत की शेप भी काफी लुभावनी थी, मानो कोई नंगी पहाड़ी, जिसपर जंगली घान्स्फूंस का नामो निशान भी नहीं है, सिर्फ चिकने और बड़े-बड़े पत्थर है.

मैंने आगे बढकर उसके गले में हाथ डाला और उसे अपनी तरफ खींच लिया, मैंने जैसे ही अपना दूसरा हाथ अंशिका की चूत से खींचना चाह, उसने उसे रोक लिया...मैंने एकदम से घूम कर उसकी तरफ देखा, पर उसकी नशीली आँखों में देखर मैं कुछ समझ न पाया, शायद वो मेरे हाथ की गर्मी और कुछ देर तक लेना चाहती थी, अभी थोड़ी देर पहले तो वो अपनी बहन को मेरे पास छोड़कर जाने की बात कर रही थी और अब मेरे हाथ को अपनी चूत से बाहर ही नहीं निकाल रही है, थोडा बहुत लालच तो हर इंसान के मन में आ ही जाता है ऐसे मौके पर, फिर चाहे दूसरी तरफ अपना कोई सगा क्यों न हो...

पर मुझे कोई प्रोब्लम नहीं थी, मैंने भी कोई जबरदस्ती नहीं की और अपना हाथ वहीँ रहने दिया और अपना दूसरा हाथ खिसका कर मैंने कनिष्का की चूत के ऊपर रख दिया और मैंने अपने होंठ कनिष्का के होंठो पर रख दिए...

नंगी कनिष्का मेरे हाथो का स्पर्श पाते ही किसी बेल की भाँती मुझसे लिपट गयी. अब मेरे एक हाथ में अंशिका और दुसरे में कनिष्का की चूत थी और दोनों से इतना पानी निकल रहा था की मेरे दोनों हाथो में चिपचिपापन होने लगा था...

कनिष्का मेरे होंठो को चूसने में अपना पूरा जोर लगा रही थी और दूसरी तरफ अंशिका ने भी मौका पाकर अपना ब्लाउस और ब्रा उतार डाले. और हाथ नीचे करके अपनी पेंटी भी...

वो अजंता की मूरत बन गयी और कनिष्का अलोरा की और दोनों नंगी बहनों को थामे हुए मेरा क्या हाल हो रहा होगा, आप दोस्त लोग तो समझ ही सकते हैं..

मैं खड़े हुए थक चूका था, मैं जाकर सोफे पर बैठ गया और उन दोनों बहनों को देखते हुए अपने लंड के ऊपर उनकी चूत का रस रगड़ने लगा...

क्या सीन था यारो, एक तरफ थोड़ी भरी पूरी अंशिका थी और दूसरी तरफ ताजा-ताजा जवान हुई कनिष्का...पर दोनों थी ग़जब का माल.

मैंने अंशिका को अपनी तरफ आने का इशारा किया और वो बेसब्री से आगे बड़ी और सीधा मेरी गोद में आकर बैठ गयी, अपने हाथ मेरी गर्दन में लपेटे और मुझे पागलो की तरह से चूसने लगी और अपनी मोटी गांड को मेरे खड़े हुए लंड के ऊपर मसलने लगी और एक बार तो मेरा लंड उसकी चूत के मुंहाने पर फंस ही गया...उसके मुंह से एक तेज आवाज निकली. जिसे सुनकर मेरे साथ-साथ कनिष्का भी अपनी बड़ी बहन की तरफ देखने लगी..

वो शायद भूल गयी थी की पहले कनिष्का की गांड मारनी है मुझे और फिर बाद में अगर मौका मिला तो अंशिका का नंबर आएगा..

पर अपनी चूत में आया मेरा लंड शायद अंशिका खोना नहीं चाहती थी...इसलिए इधर-उधर फिसल कर उसने मेरे लंड रूपी सांप को अपनी चूत में निगलना शुरू कर दिया...

मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आपको और अपने लंड को उसकी चूत में जाने से बचा रखा था...पर अचानक अंशिका ने अपनी टांग उठा कर मेरी दोनों जांघो के ऊपर रख दी और मेरी तरफ मुंह करते हुए उसने मेरा लंड एक ही बार में अपनी चूत में उतार लिया...

आआआआआअह्ह्ह म्मम्मम्मम......विश्लल्ल्ल.........अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ....म्मम्मम्म....

मैं उसके इस रूप के देखकर हैरान था और शायद कनिष्का भी अपनी बहन के तेवर देखकर ज्यादा खुश नहीं थी...वो सोच रही थी की अभी तो कुछ देर पहले त्याग की मूरत बन रही थी और जैसे ही लंड देखा अपनी चूत के अन्दर डाल लिया और मुझे यहाँ तड़पता हुआ छोड़ दिया. पर हम दोनों गलत थे..

अपनी चूत में मेरा पूरा लंड लेने के बाद उसने एक दो झटके दिए, और फिर एकदम से उठ गयी मेरे ऊपर से...

मुझे अभी तो उसकी मखमली चूत के एहसास से मजे आने शुरू हुए थे , एकदम से उसने जब वो मख्मलिपन हटा लिया तो मैं भी हैरान रह गया.

अंशिका ने अपनी बहन को देखा और उसे लेकर सोफे पर घोड़ी वाले आसन में आधा लिटा दिया और मेरी तरफ देखकर बोली. : चलो अब डालो इसकी गांड में अपना घोडा...चिकना कर दिया है इसे मैंने अपने रस से..

अंशिका ने मेरे लंड को अपनी चूत में डुबोकर अपना रस लगा दिया था ताकि उसकी बहन कनिष्का की गांड में घुसाने में मुझे ज्यादा जोर न लगाना पड़े. कोई और होता तो लंड का रस निचोड़ने के बाद ही उठता...पर बड़ी बहन का ऐसा प्यार और लगाव हर जगह देखने को नहीं मिलता. पर ये समय भावुक होने का नहीं था...मैंने कनिष्का की गांड के छेद को अपनी ऊँगली से फेला कर देखा..मेरा लंड तो अंशिका की चूत के रस में नहाकर पूरा लुब्रिकेट हो चूका था..

अचानक अंशिका आगे आई और अपनी चूत में हाथ डालकर थोडा और तेल निकाला और कनिष्का की गांड के छेद के ऊपर मलने लगी और अपनी दो और फिर तीन उँगलियाँ उसने एक के बाद एक उसकी गांड के छेद में घुसा डाली.

फिर मेरी तरफ देखकर अंशिका बोली: अब डालो विशाल... पर धीरे से करना, मेरी कन्नू का पहली बार है यहाँ से.
और फिर बड़ी बहन वाला प्यार दिखाते हुए, अंशिका ने उसके नितम्ब पर एक जोरदार चुम्मा दे दिया. मेरे लंड को उसने अपने हाथो से पकड़कर बोर्डर तक छोड़ा और फिर मुझे धक्का मारने का इशारा किया.

कनिष्का की गांड फटने वाली थी, ये सोचकर उसकी गांड ऐसे ही फटे जा रही थी.

कनिष्का ने डरी हुई आँखों से अपनी बहन को देखा और उसके एक हाथ को पकड़कर अपनी मुंह के ऊपर भींच लिया, ताकि जब वो चीखे तो उसकी बहन का हाथ उसके पास हो.

मैंने अपने गीले लंड का धक्का एक जोरदार शोट के जरिये उसकी गांड में लगाया. निशाना बिलकुल सही था, लंड का सुपाड़ा सरहद को तोड़ता हुआ उसकी गांड के छेद के रिंग में जा फंसा .

आआआआआअह्ह्ह .......मर्र्र्रर्र्र गयी.......दीदी ......

उसकी आँखों से आंसू निकल आये थे...कनिष्का ने अपनी बहन का हाथ इतनी तेजी से अपनी तरफ खींचा की वो लुडक कर उसके मुंह पर जा गिरी .

अंशिका के मोटे-मोटे चुचे कनिष्का के चेहरे पर जा लगे. कनिष्का का मुंह तो वैसे ही चीखने की वजह से खुला हुआ था, सो अंशिका ने उसे चुप करवाने के लिए अपना एक मुम्म उसके मुंह के अन्दर डाल दिया और अगले ही पल कनिष्का के पेने दांत अपनी बहन के मुम्मे को चूसने और काटने में लग गए...

मैंने एक और तेज धक्का मारकर अपना लंड आधे से ज्यादा उसकी गांड में उतार दिया. कनिष्का की गांड फट चुकी थी...उसे बड़ा ही तेज दर्द हो रहा था.

उसके मुंह में अंशिका का स्तन था और वो गूं गूं की आवाजे निकाल रही थी और सोफे पर छटपटा रही थी.

अंशिका: धीरे करो विशाल... कन्नू को दर्द हो रहा है...
मैं: ओके ...

और फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला और आधे लंड से ही उसकी गांड मारने लगा.

कनिष्का ने चूस चूसकर अंशिका के मुम्मे को लाल सुर्ख कर दिया था और उसे भी शायद दर्द होने लगा था वहां , पर कनिष्का के दर्द के आगे ये अंशिका का दर्द कुछ भी नहीं था...

मैंने एक दो मिनट रुकने के बाद फिर से अपने लंड को और अन्दर धकेलना शुरू कर दिया. कनिष्का ने ब्रेस्ट चुसना छोड़कर फिर से रोना शुरू कर दिया.

अंशिका ने कनिष्का को डांटते हुए कहा : चुप कर कन्नू, जब पता था की इतना दर्द होगा तो अब बच्चो की तरह से क्यों रो रही है, चुप नहीं होगी तो मैं विशाल से कह देती हूँ की अपना लंड निकाल ले...बोल

कनिष्का: नहीं दीदी...ऐसा मत करना... मैं कोशिश तो कर रही हूँ. पर इसका लंड है ही इतना मोटा की अगर ये मेरी चूत में भी जाता तो शायद मुझे दर्द होता, क्योंकि मेरे बॉय फ्रेंड के मुकाबले ये काफी मोटा और लम्बा है...पर कोई बात नहीं मैं कोशिश करती हूँ की चुप रहू...

अब ओखली में सर दे ही दिया है तो मुसल से क्या डरना..ये सोचते हुए उसने दुबकते हुए अपने रोने पर कण्ट्रोल करना शुरू कर दिया.

पर उसके मुंह से अभी भी दर्द भरी आंहे फुट रही थी और मेरा तो ये हाल था की जैसे मैंने अपना लंड गन्ने पिसने वाली मशीन में डाल दिया है, और उसके दोनों पाट मेरे लंड को पीसने में लगे हुए हैं.

इतना कसाव मैंने आज तक अपने लंड के चारो तरफ महसूस नहीं किया था, पर मजा भी आने लगा था अब. कनिष्का को अभी भी सुबकता हुआ देखकर अंशिका के मन में एक विचार आया..

वो अंशिका के नीचे घुस कर उसके चेहरे की तरफ अपनी चूत करके लेट गयी. कनिष्का कुछ समझ पाती, इससे पहले ही अंशिका ने अपनी छोटी बहन का मुंह अपनी चूत के ऊपर दबा दिया और जैसा उसने सोचा था वैसा ही हुआ, अंशिका की चूत के रसीले रस पर मुंह लगाते ही कनिष्का का रोना तो बंद हो ही गया, उसके मीठे रस को चाटते हुए उसके मुंह से आंहे भी निकलने लगी.

मैंने भी मौका देखकर एक करार शोट मारा और अपना पूरा का पूरा लंड उसकी गांड के छेद में उतार दिया.

कनिष्का की गांड के रिंग ने मेरे लंड को पूरी तरह से जकड़ा हुआ था, मानो उसे फांसी दे रही हो. पर मैंने भी अपना पूरा जोर लगाकर, उसके कुल्हे पकड़कर, लंड बाहर खींचा और फिर पूरी जान लगाकर फिर से उसे अन्दर धकेल दिया...ऐसा दस पंद्रह बार करने के बाद अब मेरा लंड गांड में किसी पिस्टन की तरह बिना रोक टोक के आ जा रहा था.

मैंने सामने लेटी हुई अंशिका की आँखों में देखा, जो आधी खुली और आधी बंद थी, उसकी बहन चाट ही इस तरीके से रही थी उसकी चूत की वो अपना मुंह खोले अपनी सिस्कारियों से उसके काम की तारीफ करती जा रही थी.

आआआआआआअह्ह्ह .....म्मम्म....ओह्ह्ह्ह....कन्नू......अह्ह्हह्ह......सक.....मीईईईईई.......अह्ह्हह्ह्ह्ह .....हाआर्दर......जोर से......... मम.........म्न्म्मम्म्म्म ........येस्स्सस्स्स्सस्स्स.....ओह एस.....ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ.....

मेरे लंड और अंशिका के बीच में कनिष्का का शरीर था, कनिष्का की गांड मारते हुए मुझे ऐसा लग रहा था की मेरा लंड कनिष्का के शरीर को पार करता हुआ उसकी चूत के अन्दर तक जा रहा है और उसकी चीके मेरे लंड की वजह से निकल रही है, ना की कनिष्का के चाटने की वजह से..वैसे ये बात थी भी सही, क्योंकि मैं जितना तेज शोट उसकी गांड में मारता, कनिष्का अपना मुंह उतनी ही तेजी से अपनी बहन की चूत के अन्दर तक ले जाती और फिर अंशिका ने अपनी चूत को कनिष्का के मुंह के ऊपर रगड़ते हुए जोर जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया और अगले ही पल उसकी चूत से सतरंगी फुव्वारा निकलने लगा और कनिष्का के चेहरे को भिगोता हुआ नीचे की और बहने लगा....

मैंने भी आज तक अंशिका के चेहरे पर इतने कामुक एक्सप्रेशन नहीं देखे थे....उसके चेहरे की तरफ देखते हुए, मैंने कनिष्का की गांड मारने की गति और भी तेज कर दी और अगले ही पर मेरे लंड से सफ़ेद रंग का गाड़ा माल निकल कर उसकी गांड में जाने लगा. और यही काफी था कनिष्का की चूत से एक और बार रस का झरना निकालने के लिए......

वो भी लोमड़ी की तरह ऊपर मुंह करके जोर-जोर से सिस्कारियां लेने लगी...

आआआअह्ह्ह्ह .....विशाल्ल्ल.......म्मम्मम्म......आई एम् कमिंग.......आआआअह्ह्ह्ह .....

और फिर जब तूफ़ान थमा तो तीन-तीन निढाल शरीर एक गीले सोफे पर पड़े हुए गहरी साँसे ले रहे थे.
मेरा लंड सिकुड़कर फिर से छोटा हो गया पर गांड इतनी टाईट थी की अभी भी वो अपने आप बाहर निकल पाने में असमर्थ था, मैंने धीरे से उसे बाहर निकाला और उसके पीछे-पीछे मेरे रस का झरना बाहर निकल कर उसकी गांडनुमा पहाड़ियों से बहने लगा.

कनिष्का थोडा आगे होकर अपनी बहन के ऊपर गिर पड़ी. दोनों के चिपचिपे शरीर एक दुसरे के ऊपर गिरकर पसीने के गीलेपन की वजह से फिसल रहे थे.

अंशिका ने कनिष्का के चेहरे को ऊपर उठाया और पूछा : कन्नू...ऐ कन्नू...तू ठीक तो है न...

और ये कहते हुए उसका एक हाथ घूमकर उसकी गांड के छेद को टटोलने लगा, अंशिका को अपनी बहन से कुछ ज्यादा ही लगाव था, इसलिए उसकी पहली गांड मरवाई के बाद वो उसका हाल चाल पूछ रही थी.

कनिष्का ने आँखे बंद राखी और बुदबुदाई : हूँ,.....ठीक हूँ दीदी....अह्ह्हह्ह

और अचानक वो धीरे से चीखी, क्योंकि अंशिका की उँगलियाँ कनिष्का की गांड में घुसकर वहां के नुक्सान का जाएजा ले रही थी..
[+] 1 user Likes sanskari_shikha's post
Like Reply
#58
अंशिका: क्या अभी भी दर्द हो रहा है कन्नू...
कनिष्का: हाँ दीदी...जब तक लंड अन्दर था तो मजा आ रहा था, पर अब दुखने लगा है..
अंशिका: मैंने तो तुझे मना किया ही था पर तुझे ही करवाना था पीछे से. अब एक-दो दिन तो दर्द होगा ही..
कनिष्का: आपको कैसे पता दीदी...आपने तो कभी नहीं करवाया पीछे से.

अंशिका का चेहरा शर्म से लाल होने लगा

अंशिका: वो...वो है न...मेरे कॉलेज में...किटी मैम...वो बताती रहती है...अपनी बाते और उन्होंने ही बताया था की पहली बार करवाने के एक-दो दिनों तक काफी दर्द रहा था...पर उसके बाद..

अंशिका ये कहते हुए फिर से शर्मा गयी.

कनिष्का: क्या दीदी...उसके बाद क्या..
अंशिका: उसके बाद...मजा भी सिर्फ इसमें ही आता है...

किटी मैम का नाम सुनते ही मेरे लंड ने फिर से करवट लेनी शुरू कर दी. मैंने पास ही पड़े हुए कपडे से अपने लंड को साफ़ किया और उसके दोबारा उठने का वेट करने लगा.

कनिष्का: देखा...मैंने भी तो यही कहा था दीदी मेरी सहेलियों ने कई बार मरवाई है अपनी गांड अपने बॉयफ्रेंड्स से, वो तो बस जब भी मौका मिलता तो गांड ही मरवाती थी, चूत को तो उनके बॉयफ्रेंड मुंह से चाटकर मजे दे देते थे और पीछे से अपने लंड को डालकर...

अंशिका भी बड़ी मासूमियत से और आराम से अपनी बहन की बाते सुन रही थी. जैसे कोई स्वामी जी जीवन के अंदरूनी रहस्य उजागर कर रहे हो.

अंशिका: मैं नहीं मानती...जो मजा आगे से लंड लेने में है वो पीछे से कम नहीं हो सकता और देखा न पीछे से करवाने में दर्द भी कितना होता है.
कनिष्का: वो तो दीदी एक-दो दिन ही होगा न...आपने ही तो अभी कहा...पर फिर तो मजे ही मजे है.. ही ही...

और वो दर्द के बावजूद हंसने लगी. मैं आराम से कोने में बैठकर दोनों बहनों की कामुकता से भरी चूत और गांड से भरी बाते सुन रहा था और अपने लंड को हलके-हलके मसल कर फिर से उठाने की कोशिश कर रहा था.

अंशिका ने अपना पैर लम्बा करके कनिष्का की कमर के ऊपर रख दिया..

अंशिका: पर कन्नू...आज मुझे तेरे बारे में जानकार सच में काफी अच्चम्भा हुआ. मैं नहीं जानती थी की तू ये सब भी कर चुकी है.
कनिष्का: ओहो...दीदी...आप अभी भी वहीँ पर अटके हो आप को पूरा भरोसा हो जाए तभी तो मैंने आपके सामने ही ये सब करवाने का मन बनाया...वैसे दीदी, एक बात तो माननी पड़ेगी....आपने अपने आप को काफी अट्रेक्टिव बना कर रखा हुआ है और आपकी ये ब्रेस्ट तो कमाल की हैं. काश मेरी भी इतनी बड़ी होती...तो मेरे पीछे भी लडको को लाईन लगी रहती क्योंकि लडको को रिझाने के लिए और कुछ हो न हो, लड़की की ब्रेस्ट ही काफी है...अगर ये बड़ी है तो बाकी के सारे काम आसान हो जाते हैं.

कनिष्का ने बड़ी चतुराई से बात बदलते हुए अंशिका की तारीफ करनी शुरू कर दी थी...

अंशिका: बड़ी रिसर्च की हुई है तुने लडको पर...बड़ी बदमाश हो गयी है तू..

कनिष्का अपनी बहन की बात सुनकर मुस्कुराने लगी.

कनिष्का: दीदी...ये दुनिया सब सिखा देती है...हर किसी को सिर्फ सेक्स की ही पड़ी है आजकल...कोई सच्चा प्यार करने वाला नहीं मिलता...अंत में जाकर सबकी सुई सिर्फ यही आकर अटक जाती है..

उसने अपनी ब्रेस्ट और फिर चूत की तरफ इशारा किया.

उनकी बाते रोचक होती जा रही थी.

अंशिका: नहीं पगली...ऐसा नहीं है...अगर सच्चे मन से ढूँढोगी तो सच्चा प्यार भी मिलेगा और सच्चा प्यार करने वाला भी..

और ये कहते हुए वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी. ओये...ये साली ये कहते हुए मुझे क्यों देख रही है. कहीं इसे मुझसे प्यार तो नहीं हो गया है. नहीं नहीं...ऐसा नहीं हो सकता...उसने कई बार कहा है की हम सिर्फ एक दुसरे को समझने वाले अच्छे दोस्त है. चुदाई के अलावा कोई और रिश्ता नहीं हो सकता हमारे बीच और अगर ऐसा होता तो क्या वो मुझसे अपनी बहन की गांड मारने को कहती...नहीं....ऐसा नहीं है. मैं अपने आप ही सवाल जवाब करने लगा.

कनिष्का: और एक बात दीदी...आपका टेस्ट काफी अच्छा है...

उसका इशारा अंशिका की चूत के रस की तरफ था...जिसका तो मैं भी दीवाना था.

अंशिका (शर्माते हुए): हूँ....मालुम है...विशाल को भी काफी पसंद है.

ओये होए....विशाल को तो तेरी हर चीज पसंद है जाने मन....यहाँ तक की तेरी बहन भी...

कनिष्का: विशाल की तो आप बात ही न करो ..वो तो अच्छा हुआ की आपकी पुस्सी में मेरा मुंह था, वर्ना इसके मोटे लंड को लेते हुए मैं आज इतना चीखती की बाहर के लोग अन्दर आ जाते. तभी तो मैंने आपको रोका था...थेंक्स... आपकी मदद के लिए.

वो अपना झूठा गुस्सा दिखा रही थी मुझपर...ये कहते हुए उसने मेरी तरफ देखा और अपनी नाक को टेड़ा करके मुझे चिढ़ाया. अंशिका कुछ न बोली...बस अपनी बहन को ख़ुशी से बोलते हुए देखती रही. कनिष्का खड़ी हुई और बाथरूम में जाकर अपनी फटी हुई गांड को धोने लगी.

उसके जाने के बाद

मैं: अंशिका....तुम्हे बुरा तो नहीं लगा न...की मैंने कनिष्का की...मेरा मतलब है...उसके साथ और वो भी तुम्हारे सामने..
अंशिका: डोंट बी स्टूपिड....ये सब मेरी मर्जी से ही हुआ न और मैं तुमसे नाराज हो नहीं सकती विशाल...क्योंकि मुझे मालुम है की तुम मेरे साथ या कन्नू के साथ कुछ भी बुरा कर ही नहीं सकते. और आज फिर एक बार तुमने उसका सबूत दे दिया है...देखा, कन्नू कितनी खुश है...वो सब करवाने के बाद..

मैं: और तुम...
अंशिका: मैं भी और. और सच कहूँतो....सच कहूँतो मुझे इसमें आज काफी मजा आया....ये मेरी एक फ़ंतासी थी....थ्री सम की...मतलब...दो लड़के और मैं ....समझ गए न....पर आज यहाँ दो लडकिय थी और लड़का सिर्फ एक...पर मजा इसमें भी बहुत आया..सच में..

मैं: अगर तुम कहो तो तुम्हारे टाईप का भी थ्री सम करवा दू. तुम मैं और एक और लड़का. फिर सभी तरह के मजे ले लेना...

अंशिका ये सुनते ही थोड़ी सी सीरियस हो गयी...

अंशिका: ये बात हम पहले भी कर चुके हैं विशाल....आज तुम्हे किसी और लड़की के साथ शेयर करके मेरे दिल पर क्या बीतती है ये तुम नहीं जानते...पर कन्नू के कहने पर और आज सिचुएशन ऐसी बन गयी थी की मैंने ये सब किया....पर क्या तुम ऐसा कर पाओगे..मुझे किसी और के साथ... फैंटसी बनाना एक अलग बात है...पर हर चीज पूरी नहीं होती न...
मैं: ओके...ओके...मैं समझ गया मेडम....वो तो तुमने ही ये टोपिक छेड़ा था इसलिए मैंने ये सब फिर से कहा...वर्ना तुम्हे तो सिर्फ मैं ही चोदना चाहता हूँ...किसी और से तुम्हे शेयर क्यों करू...तुम जैसे गर्म माल पर सिर्फ मेरा हक है....किसी और का नहीं. और देख लेना...तुम्हे एक बार प्रेग्नेंट तो कर के ही रहूँगा मैं ...

अंशिका: बदमाश हो तुम एक नंबर के....जब देखो येही बात करते रहते हो...

तभी कनिष्का भी बाहर निकल आई, नंगी और उसने शायद प्रेग्नेंट वाली बात सुन ली थी.

कनिष्का: वाव विशाल...तुम तो काफी आगे का सोच कर बैठे हो...अगर दीदी को प्रेग्नेंट ही करना चाहते हो तो इनसे शादी क्यों नहीं कर लेते..
मैं: मैं तो तैयार हूँ...पर तुम्हारी दीदी ही हर बार कहती रहती है की उम्र का डिफ़रेंस है....ये है...वो है और अब तो मुझे साथ में तुम्हारे जैसी सेक्सी साली भी मिलेगी...जब बीबी से बोर हो जाऊंगा तो तुम मेरी सेवा कर देना...ठीक है न..

कनिष्का नंगी ही मेरी गोद में आकर बैठ गयी और बोली: ठीक है मेरे प्यारे जीजाजी... पहले शादी तो करो...फिर ये सब रिश्ते नाते बनाना....अभी तो तुम्हे बिना शादी के ही दोनों चीजे मिल रही है और ये कहते हुए उसने मेरे होंठो पर अपने होंठ रखकर चुसना शुरू कर दिया.

अंशिका कोने में बैठी हुई अपनी बहन के रंग ढंग देख रही थी.
मुझे अच्छी तरह से चूसने के बाद कनिष्का अलग हुई और बोली: विशाल....तुमने तो आज मेरा बुरा हाल कर दिया है पर मजा भी बहुत आया...मन तो फिर से कुछ करने को कर रहा है पर अभी तो भूख लगी है पहले. मुझे पिज्जा का ध्यान आया...मैं नंगा भागता हुआ गया और पिज्जा लेकर आ गया...मेरे हाथ में पिज्जा के डब्बे थे और नीचे मेरा लटकता हुआ लंड..

कनिष्का: वाव...पिज्जा...मजा आएगा...तुमने तो आज पार्टी की पूरी तेयारी कर रखी थी दीदी के साथ....

मैं और अंशिका एक दुसरे को देखकर मुस्कुराने लगे...

मैंने पिज्जा बीच में रख दिया और डब्बा खोलकर अंशिका को अपने पास बुलाया...अंशिका उठकर आई और मेरी गोद में आकर बैठ गयी...अब वो भी अपनी बहन के सामने काफी खुल चुकी थी. मैंने उसकी कमर में हाथ रखा और उसके चेहरे को अपनी तरफ करके चूमने लगा. अंशिका भी दुगने जोश के साथ मेरे होंठो को चूसने लगी..

मेरा लंड एक दम से तनकर फिर से खड़ा हो गया.


कनिष्का: वाह जी...जब मैं बैठी थी और चूम रही थी तुम्हे तब तो ये महाशय खड़े नहीं हुए.. और दीदी के आते ही फिर से तैयार होकर सलामी देने लगे...कमाल है..
मैं: तुम्हारी दीदी है ही ऐसी...इन्हें देखकर तो मुर्दे का भी लंड खड़ा हो जाए...
कनिष्का: अच्छा जी...
मैं: हाँ जी....

और हँसते हुए मैंने फिर से उसके होंठो को चुसना शुरू कर दिया और दुसरे हाथ से अंशिका की ब्रेस्ट को दबाने लगा. अंशिका का एक हाथ मेरे लंड के ऊपर फिसलकर आया और वो उसे ऊपर नीचे करते हुए अपनी चूत में जाने के लिए तैयार करने लगी..

कनिष्का: वेट वेट वेट......अभी पूरा दिन है दीदी...पहले कुछ खा लो...विशाल को भी थोड़ी एनर्जी चाहिए....फिर कर लेना...जो भी चाहिए...ओके...

उसके टोकने पर अंशिका को गुस्सा तो बड़ा आया था...पर बात तो उसकी सही थी. उसने बेमन से उठकर पिज्जा के बॉक्स को उठाया और उसे खोलने लगी...

कनिष्का: दीदी....एक आईडिया आया है....मैंने एक इंग्लिश पोर्न में देखा था ऐसे...तभी से करने का काफी मन है...
अंशिका: क्या...??

कनिष्का ने मुझे सोफे पर बिठाया और एक डिब्बा लेकर किचन में चली गयी. और थोड़ी देर में ही वो वापिस आई...उसने तेज चाक़ू से पिज्जा और डिब्बे के बीचो बीच एक बड़ा सा छेद कर दिया था और उस छेद को मेरे लंड के ऊपर लाकर उसने मेरे लंड को पिज्जे और डब्बे के आर पार कर दिया...मुझे भी याद आया की इस तरह की एक दो सेक्स सीन मैंने भी कहीं देखे है पोर्न में ..

मेरे लंड के चारो तरफ अब डोमिनोस का पिज्जा था और बीचो बीच मेरा लम्बा लंड.

कनिष्का: दीदी...आप यहाँ आओ और विशाल के लंड को चुसो और बीच-बीच में जब भूख लगे तो पिज्जा भी खा लेना...
अंशिका: पागल है क्या...बच्चो वाला खेल करने की क्या जरुरत है....
कनिष्का: प्लीस दीदी...मजा आएगा...वो पोर्न मूवी वाले कुछ सोचकर ही तो ऐसा करते है मूवी में...करो न....फिर मुझे भी करना है ये सब फील...प्लीस..दीदी...

उसने प्यारा सा मुंह बनाया....जिसे देखकर कोई भी उसे किसी भी बात के लिए मन नहीं कर सकता था. मैंने भी कनिष्का का साथ दिया : आओ न अंशिका...मजा आएगा....इट्स डिफरेंट और मैंने पिज्जा की चीज में ऊँगली डालकर उसे चूसा और एक जोरदार चटखारा लिया. जिसे देखकर कनिष्का के साथ-साथ अंशिका की भी हंसी छूट गयी...

अंशिका: तुम दोनों बड़े जिद्दी हो....चलो ठीक है...जैसा तुम कहो..

और ये कहते हुए उसने मेरी आँखों में देखा और फिर मुस्कुराते हुए मेरे सामने आ बैठी और फिर उसने अपनी जीभ को पिज्जा की चीज में डुबाया और चीज से भीगी हुई जीभ को मेरे लंड के ऊपर फिराने लगी. मेरी तो सिसकारी ही निकल गयी...शुक्र है मैंने चीज पिज्जा मंगाया था. अगर स्पाईस वाला होता तो मेरे लंड के ऊपर आग लग चुकी होती. पर अभी तो हलकी गर्म चीज और ठंडी जीभ का मजा मिल रहा था मुझे....

कनिष्का मेरे पीछे आकर खड़ी हो गयी और झुककर मेरे कंधो पर अपने बूब्स रखकर अपनी बहन को मेरा लंड चूसते हुए निहारने लगी. अंशिका तो लंड चूसने में महारत हासिल कर चुकी थी अब तक, वो मेरे लंड को अपनी चीज से भीगी हुई जीभ से सहला कर, चाट रही थी. चीज लगने की वजह से मेरा लंड सफ़ेद रंग की चादर में लिपट चूका था..जिसे देखकर कनिष्क ने पीछे से कहा : वाव दीदी..आज तक चीज बर्गर और चीज सेंडविच तो देखा था. पर आज चीज लंड भी देख लिया..ही ही...वैसे कैसा है इसका टेस्ट. अंशिका ने अपना मुंह ऊपर उठाया और बोली: इट्स डिफरेंट..

ये सुनकर हम सब हंसने लगे.

अंशिका के दोनों निप्पल खड़े हो चुके थे और मेरी जांघो पर किसी तीर की तरह से चुभ रहे थे..मैंने उसकी ब्रेस्ट के ऊपर हाथ रखकर अपने आपको उसके तीरों से बचाया और होले-होले उसके दोनों दूध दोहने लगा. अंशिका कसमसा कर रह गयी. वो भी अपने एक हाथ को अपनी चूत के ऊपर ले गयी और उसे रगड़ते हुए लम्बी सिस्कारियां लेने लगी.

पीछे बैठी हुई कनिष्क ने आगे बढकर एक पिज्जा का पीस उठाया और खाने लगी. अंशिका ने मेरे चीज से सने हुए लंड को पूरा मुंह में डाला और उसे किसी केन्डी की तरह से चूसने लगी.

तभी कनिष्का का फोन बजने लगा. वो भागकर गयी और फ़ोन उठाकर वापिस वहीँ आ गयी और अंशिका से बोली: मम्मी का फोन है. और फिर फ़ोन को स्पीकर मोड पर डालकर उसने फोन उठाया.

कनिष्का: या मम्मा...
मम्मी: या की बच्ची...कहाँ है तू....तुने तो कहा था की 2 घंटे में आ जायेगी..कहाँ रह गयी .
कनिष्का: वो..वो मम्मा ..मैं दीदी के साथ हूँ..

उसके ये कहते ही अंशिका ने अपना चेहरा ऊपर किया और गुस्से से कनिष्का को देखा..

मम्मी: अंशिका तुझे कहाँ मिल गयी...
कनिष्का: वो क्या है न मम्मा...मैं तो अपनी फ्रेंड के घर से निकल ही चुकी थी...मैंने दीदी को फोन किया और उनके साथ पिज्जा खाने के लिए डोमिनोस आ गयी...

मैं उसकी बात सुनकर हंसने लगा.

मम्मी: कमाल है...पर बेटा बता तो देते न और ये अंशिका भी इतनी लापरवाह कब से हो गयी है...दे जरा उसे फ़ोन.

कनिष्का ने अपनी हंसी छुपाते हुए अंशिका के सामने फोन कर दिया. अंशिका तो लंड चूसने में बिजी थी. पर बात तो करनी ही थी न. उसने अनमने मन से लंड बाहर निकाला और बोली: हूँ....मम्मी...बोलो... उसके मुंह में लंड से लिपटी चीज जम सी गयी थी...वो ढंग से बोल भी नहीं पा रही थी.

मम्मी: ये क्या है अंशु...फोन तो कर देती न की कन्नू तेरे साथ है...आजकल ज़माना कितना खराब है. पता है न. मुझे तो चिंता हो रही थी. तू तो अक्सर कॉलेज से लेट हो जाती है पर फ़ोन भी कर देती है न. पर आज तुने किया भी नहीं और कन्नू तेरे साथ है उसके बारे में भी नहीं बताया...चलो कोई बात नहीं..अभी क्या कर रही है.
अंशिका: मम्मी...अभी तो पिज्जा आया है...खाने में भी टाईम लगता है न..

और ये कहते हुए उसने मेरी तरफ देखकर आँख मार दी.

मम्मी: ठीक है..ठीक है...जो भी है...जल्दी आ जाना. ओके...बाय...

और ये कहकर उसकी मम्मी ने फोन रख दिया. फ़ोन रखते ही दोनों बहने जोर-जोर से हंसने लगी और जब हंसी थमी तो अंशिका ने फिर से लम्बी जीभ निकाली और मेरे लंड को चाटना शुरू कर दिया...

फिर वो थोडा पीछे हुई और एक पिज्जा का टुकड़ा उठा कर खाने लगी. मैंने भी जल्दी-जल्दी दो पीस खा लिए. बाकी बचा हुआ एक-एक पीस दोनों बहनों ने खा लिया. फिर डब्बा साईड में फेंककर अंशिका मुझे लंड से पकड़कर अन्दर बेड की तरफ ले जाने लगी. मैं भी उसके गुलाम की तरह अपने हथियार को उसके हवाले करके उसके पीछे चल दिया. अन्दर जाते ही अंशिका ने मुझे बेड पर धक्का दिया.

कनिष्का भागकर बेड के ऊपर आकर बैठ गयी और अपनी बहन को मुझे डोमिनेट करते हुए देखने लगी.

अंशिका अपनी मतवाली चाल चलती हुई बेड के किनारे तक आई और अपनी एक टांग उठाकर बेड के ऊपर रखने के बाद वो अपनी ऊँगली से अपनी चूत की परते खोलकर मुझे और कनिष्का को दिखाने लगी. अन्दर का गुलाबीपन साफ़ दिखाई दे रहा था. आज अंशिका बड़ा ही अजीब बिहेव कर रही थी और वो भी अपनी छोटी बहन के सामने और फिर वो ऊपर चढ़ गयी और मेरे सीने के दोनों तरफ अपनी टाँगे करके खड़ी हो गयी. मेरा चेहरा ऊपर की तरफ था और उसकी चूत के अन्दर तक का नजारा साफ़ दिखाई दे रहा था मुझे. मैंने उसकी दोनों पिंडलियाँ पकड़ी और उसे नीचे की तरफ खींचने लगा. उसने जैसे ही अपनी गद्देदार गांड मेरे सीने पर लेंड की मैंने उसकी गर्दन के पीछे हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींचा और बेतहाशा चूमने लगा...उसकी चूत का गीलापन मैं अपनी छाती और पेट वाले हिस्से पर साफ़ महसूस कर पा रहा था...एक अजीब सी ठंडक का एहसास मिल रहा था उसके जूस से...मेरे मुंह में उसे पीने की त्रीव इच्छा हुई और मैंने उसे जांघो से पकड़कर अपने मुंह की तरफ घसीटा...उसकी चूत से निकले जूस की वजह से मेरी छाती इतनी फिसलन भरी हो चुकी थी की मेरे जरा सा जोर लगाने भर से वो मेरे मुंह की तरफ ऐसे फिसलती चली आई मानो नीचे स्केट लगा रखे हो और धम्म से आकर उसकी चूत मेरे मुंह से आ टकराई...

उसके मुंह से एक जोरदार आवाज निकली : आआआआअह्ह्ह..... म्मम्मम्म.... ओह्ह्ह्हह्ह... माय... गोड... या... म्मम्मम....

मेरे सर के बिलकुल पीछे कनिष्का बैठी हुई अपनी बहन का उत्तेजक रूप देख रही थी. अंशिका का मुंह खुला हुआ था. और उसके मुंह से रसीली लार टपक कर नीचे गिर रही थी...कनिष्का आगे बड़ी और अपनी बहन के गीले होंठो को चूमने लगी...

मेरे मुंह के ऊपर अंशिका की चूत थी. जिसे मैंने जोर जोर से चुसना शुरू कर दिया. आज जितना रस उसकी चूत से आजतक नहीं निकला था...मेरी गर्दन और गाल उसके जूस से पूरी तरह से गीले हो चुके थे और कनिष्का के आगे होने की वजह से उसकी चूत भी अब मेरी आँखों के बिलकुल ऊपर थी और उसमे से भी रस टपक बूँद-बूँद करके मेरे माथे पर गिर रहा था. मुझे केरल की वो मसाज याद आ गयी जिसमे तेल की धार को माथे के ऊपर लाकर नीचे गिराया जाता है. खेर...जैसे ही कनिष्का की चूत अंशिका के पास आई, अंशिका ने उसकी गांड के ऊपर हाथ रखकर अपनी चूत की तरफ खींच लिया. उसकी चूत तो पहले से ही मेरे मुंह के अन्दर थी. पर दोनों बहनों की चूत के मिलन के लिए मैंने उसे बाहर निकाल दिया और अगले ही पल उन दोनों ने अपनी चूत के एक दुसरे से रगड़ना शुरू कर दिया और उनकी रगड़न से पैदा हुआ रस मेरे मुंह को भिगोने लगा..

अह्ह्हह्ह्ह्ह......दीदी.....म्मम्मम.....सक...मी.....अह्ह्ह.....येस्स्स्सस्स्स्स......अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह.....ऊऊओ वाव.........

कनिष्का ने नीचे झुककर अपनी बहन के मुम्मे को चुसना चालू किया .मैंने भी अपने दोनों हाथ ऊपर करके उन दोनों के मिले-जुले मुम्मे दबाने शुरू कर दिए. जिसका हाथ में आया उसे दबाने लगा. आज सचमुच मुझे काफी मजा आ रहा था.

अंशिका पीछे की तरफ जाने लगी और फिर से फिसलते हुए उसकी गांड मेरे लंड से जा टकराई और मेरा लंड जो किसी रोकेट की तरह से खड़ा हुआ था. उसने जैसे ही अंशिका की चूत को अपने इतने पास देखा वो लौन्चिंग की तैयारी करने लगा और अगले ही पल मैंने उसकी जांघो को पकड़ा और अपने लंड को उसकी चूत के ऊपर सेट करके एक धक्का मारा...

अंशिका: आआआअह्ह्ह्ह .........म्मम्म.....येस्स्स्स.......फक मीई..........अह्ह्ह्ह....

मैंने दो चार धक्के मारे ही थे की उसने मेरा लंड एकदम से बाहर निकाल दिया और गहरी-गहरी साँसे लेती हुई मुझे देखने लगी. कनिष्का भी हैरान थी. वो बोली: क्या हुआ दीदी...आप ठीक तो हो..

अंशिका ने मुझे घूर कर देखा और बोली: फक इन माय एस....मेरी भी गांड मारो विशाल. मुझे तो अपने कानो पर विशवास भी नहीं हुआ...मेरे साथ-साथ कनिष्का भी अपना मुंह खोले और फिर हँसते हुए अंशिका को देखने लगी....

कनिष्का: दीदी.....आर यु स्योर...अभी तो आप मुझे भी मना कर रही थी और खुद तो इतना डर रही थी...फिर ये एकदम से...क्या हुआ...
अंशिका: कुछ नहीं....पर अब मुझे भी पीछे से करवाना है....जल्दी करो विशाल....डू इट नाव.....

और फिर उसने मेरे चूत से भीगे लंड को पकड़ा और अपनी गांड के छेद पर लगाया और एक दो बार तेज सांस लेकर अपनी आँखे बंद की और एक दम से अपना पूरा भार मेरे लंड के ऊपर छोड़ दिया. उसकी चीख सुनने लायक थी. आआआआआह्ह्ह्ह .....ओह माय गोड........ मरररर गयी......अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ....ओह फक ....ओह फक........अह्ह्ह्ह... मेरा लैंड उसकी गांड के फीते खोलता हुआ अन्दर तक जा धंसा..

कनिष्का अपनी बहन का दर्द बांटने के लिए उसकी पास गयी और उससे लिपट कर खड़ी हो गयी....

उसने जिस तरह से मेरे लंड को अपनी गांड में लिया था. एक ही बार में वो अन्दर तक जा घुसा था. शायद वो धीरे-धीरे दर्द के बदले एक ही बार में दर्द लेने पर विशवास करती थी.

थोड़ी ही देर में वो थोडा नोर्मल हुई और फिर एकदम से मेरे ऊपर झुक गयी और धीरे से बोली: हैप्पी ...

मैंने हाँ में सर हिलाया...साला कौन हेप्पी नहीं होगा..एक ही दिन में दोनों बहनों की गांड मारकर और फिर मैंने उसके गुलाबी होंठो को चूसते हुए, उसकी गांड के ऊपर हाथ रखकर, नीचे से धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किये...मेरे हर धक्के से उसके अन्दर एक अजीब सा कम्पन हो रहा था और फिर वोही कम्पन एक तूफ़ान बनकर बरस पड़ा मेरे ऊपर. और वो पागलो की तरह मेरे लंड के ऊपर कूदने लगी...

अह्ह्ह्हह्ह...अह्ह्ह... विशाल..... आई एम् लोविंग इट......या......फक माय एस..... फक्क्क मी हार्ड एर्र्र्रर्र्र्र.... अह्ह्हह्ह और फिर वो जोरो से हांफती हुई मेरे ऊपर गिर गयी...गांड के घर्षण की वजह से उसकी चूत से आज पानी की नहर निकली थी. जिसने मुझे और मेरे बेड को पूरा भिगो दिया था. वो बेहोशी जैसी हालत में मेरे ऊपर पड़ी हुई थी. मैंने उसे धीरे से नीचे किया और खुद ऊपर की तरफ आ गया और ऐसा करते हुए मेरा लंड उसकी गांड से फिसल कर बाहर आ गया. वो अभी भी गहरी साँसे लेती हुई आँखे बंद किये पड़ी थी. मेरा लंड अभी भी स्टील जैसे खड़ा हुआ था. पर अंशिका की हालत देखकर लगता नहीं था की वो अब मेरे लंड को ले पाएगी. मेरी परेशानी देखकर कनिष्का बोली: हे विशाल...कम हेयर.... और वो भी अपनी बहन के बाजू में लेट गयी और अपनी टाँगे ऊपर हवा में फल दी...

मैंने हँसते हुए अपने लंड का रुख उसकी चूत की तरफ किया और लंड को उसकी चूत में डालकर उसके ऊपर लेट सा गया. उसने भी मुझे अपनी बाँहों में लपेट कर अपनी टांगो को मेरी कमर में बाँध कर, मेरे लंड को पूरी तरह से अपने में समां लिया और फिर जो धक्के मैंने मारे उससे पूरा बेड हिल गया और इतना हिला की अंशिका की हलकी बेहोशी भी टूट गयी. और वो प्यार से मुझे अपनी बहन को चोदते हुए देखने लगी और जल्दी ही मेरे लंड की पिचकारियाँ उसकी चूत के अन्दर चलने लगी. वो तो दो बार झड चुकी थी मेरे लंड के घमासान को देखकर. उसे पूरी तरह से चोदने के बाद मैं उसके ऊपर से अलग हुआ और दोनों बहनों के बीच में लेट गया और उन्होंने अपना सर मेरे दोनों कंधो पर रख दिया और मेरे ऊपर अपनी टाँगे फेलाकर मुझे अच्छी तरह से कैद सा कर लिया..

आज इन दोनों बहनों की गांड मारकर मुझे काफी मजा आया था. ये दिन मैं अपनी जिदगी में कभी भी नहीं भूल पाउँगा.

उन दोनों के जाने के बाद मैंने पूरा घर साफ़ किया, रात के आठ बज गए सब साफ़ सफाई करते-करते, मैंने बचा हुआ पिज्जा खाया और सो गया, बाहर जाने की या कुछ और माँगा कर खाने की हिम्मत नहीं हो रही थी.
Like Reply
#59
रात को नो बजे के आस पास कनिष्का का फोन आया.

मैं: हाय... कैसी हो?
कनिष्का: मैं ठीक हूँ..बस पीछे हल्का सा दर्द है अभी भी...
मैं: हंसने लगा.
कनिष्का: हंस लो...अगले जनम में लड़की बनकर पैदा होना, तब पता चलेगा हम लडकियों का दर्द.
मैं: नहीं जी, मैं तो लड़का बनकर ही खुश हूँ..वैसे भी हम उनमे से है जो दर्द देना जानते है, लेना नहीं..हिहिहि...
कनिष्का: पता है, दीदी की हालत तो मुझसे भी ज्यादा खराब है, बेचारी से सीड़ियों से ऊपर भी नहीं चड़ा जा रहा था. मम्मी ने भी पुछा की ऐसे लंगड़ा कर क्यों चल रही है तो उन्होंने झूठ बोल दिया की पैर में मोच आ गयी है. बेचारी मैंने ही उनके कपडे उतारे, चेंज करने के लिए, पर उनमे इतनी भी हिम्मत नहीं थी की नाईट सूट या गाउन पहन ले, ऐसे ही पेंटी-ब्रा में सो गयी.

उसकी बात सुनकर मेरे लंड में हरकत होने लगी.

मैं: मतलब ...वो नंगी ही सो गयी...वाव ...
कनिष्का: नहीं बाबा...कहा ना ब्रा और पेंटी में सो रही है और इसमें वाव कहने वाली क्या बात है...आज पूरा दिन वो तुम्हारे सामने नंगी थी तब भी मन नहीं भरा क्या..जो अभी दीदी को ब्रा-पेंटी में सोचकर मजे आ रहे है. तुम लड़के सच में बड़े ठरकी होते है...जरा सा मसाला मिलना चाहिए तुम्हे, और लंड खड़ा हो जाता है तुम्हारा...हा हा...
मैं: अरे नहीं...तुम समझी नहीं...मैंने वाव इसलिए कहा की वो तुम्हारे सामने ही ब्रा-पेंटी में सो गयी...मतलब आज तक शायद उसने ऐसा नहीं किया है, जहाँ तक मैं जानता हूँ.
कनिष्का: हाँ...वो तो है...पर आज पूरा दिन, एक दुसरे के सामने बिना कपड़ो के रहना और साथ ही चुदाई भी करवाना..ये सब उसी का असर है और याद है, दीदी ने कैसे मुझे अपनी पुस्सी के ऊपर दबा दिया था और मुझे लिप टू लिप किस भी किया था..इसलिए शायद अब हमारे बीच वो फोर्मलिटी वाली बात नहीं रही है और ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है..मैं तो होस्टल में भी अपनी रूममेट के साथ ज्यादातर ब्रा-पेंटी में रहती थी और रात को तो हम बिना कपड़ो के ही सोते थे..अब वोही सब बाते याद आ रही है, दीदी के साथ भी अब मैं अपनी फ्रेंड की ही तरह रह सकती हूँ...बिना कोई फोर्मलिटी के..
मैं: और क्या करती थी तुम अपनी रूममेट के साथ...
कनिष्का: मैंने मजे तो हर तरह के लिए है..लड़की के साथ भी और लड़के के साथ भी..
मैं: ज्यादा मजा किसमे आता है, लड़के में या लड़की में..
कनिष्का: ऑफकोर्स ...लड़के में..उनका लंड जब अन्दर जाता है..तो बाई गोड...मजा आ जाता है...पर अभी तो ये आलम है की कुछ भी मिल जाए...चलेगा..बस यही सोचकर मैंने भी अपने कपडे उतार दिए और पुरानी यादों को याद करते हुए मैंने तुम्हे फोन किया..
मैं: मतलब...तुमने भी..
कनिष्का (हँसते हुए): मैंने तो सिर्फ पेंटी पहनी हुई है...ब्रा नहीं..

मेरा पप्पू हम दोनों की सारी बाते सुन रहा था. चाहे आज सारा दिन वो दोनों मेरे घर पर थी और मैंने उन दोनों को जी भर कर चोदा भी और गांड भी मारी ..पर वो अब अपने कमरे में लगभग नंगी है, ये सोचकर मेरा लंड गुस्से में आकर अपना सर मेरे पेट पर मारने लगा. कनिष्का सच ही कह रही थी, की हम लड़के ठरकी होते हैं.

कनिष्का: क्या सोच रहे हो विशाल..?
मैं: नहीं ..कुछ नहीं...अच्छा एक बात बताओ, अभी अंशिका कहाँ है..
कनिष्का: दीदी को काफी दर्द हो रहा था पीछे, तो मैंने उन्हें पेन किलर दे कर सुला दिया है..
मैं: और तुम्हे दर्द नहीं हो रहा क्या..
कनिष्का: हो तो रहा है...पर मीठा-मीठा..तभी तो तुम्हे फोन किया है..
मैं: उसकी बात सुनकर खुश हो गया..
मैं: तो अब मुझसे क्या चाहती हो??
कनिष्का: जिसने दर्द दिया है, वोही दवा भी देगा. जिसने लगायी है ये आग, वोही बुझा भी देगा..
मैं: वाह...क्या शायरी की है...पर अभी तो मैं आग बुझाने के लिए नहीं आ सकता..लेकिन अगर तुम मेरा साथ दो तो मैं तुम्हारी आग बुझाने का काम यहीं बैठे-बैठे कर सकता हूँ..
कनिष्का (चहकते हुए): अच्छा...कैसे..
मैं: अंशिका कहाँ सो रही है अभी..
कनिष्का: वो बाहर है, अपने रूम में..
मैं: तुम उसके पास जाओ और जैसा मैं कहूँवैसा करती है और क्या तुम्हारे मोबाइल का ब्लू टूथ है..
कनिष्का: हाँ है..
मैं: तुम अपना फ़ोन उसके साथ कनेक्ट करो और ब्लू टूथ को कान पर लगा लो और इसे अपने बालो के पीछे छुपा लेना, और फ़ोन को अंशिका के बेड की साईड टेबल पर रख देना.

उसने थोड़ी देर में ही सब कर लिया और फ़ोन को टेबल पर रखने के बाद मुझसे बोली: अब..

मैं: अंशिका के पास जाकर उसके कानो के ऊपर अपनी जीभ फिराओ..धीरे-धीरे ..

मैं जानता था की अंशिका के कान काफी सेंसेटिव है... वो अगर गहरी नींद में भी होगी तो उठ जायेगी. कनिष्का ने भी बिना कोई और सवाल किये वैसा ही किया जैसा मैंने कहा था, अब तक तो वो भी जान चुकी थी की मैं उसे उसकी बहन के साथ मजे दिलाने वाला हूँ, ये काम वो खुद भी कर सकती थी, पर मेरे कहे अनुसार करने में जो रोमांच मिलेगा, वो अलग ही होगा. इसलिए उसने बिना कोई सवाल किये मेरी बाते मानना शुरू कर दिया और जैसा मैंने सोचा था, वैसा ही हुआ, अंशिका कुन्कुनाती हुई उठ गयी. मेरे कानो में उसकी नींद के नशे में डूबी हुई सी आवाज आई.

अंशिका: उम्म्म्म....कन्नू....क्या कर रही है...सोने दे न...

मैंने फोन पर कनिष्का से कहा: अब अपनी जीभ से उसे चाटते हुए गर्दन तक आओ. कनिष्का ने वैसा ही किया..

अंशिका की आवाज फिर से आई: उम्म्मम्म.....क्या है...कन्नू...ये क्या हो गया है तुझे आज और तेरे कपडे कहाँ है...

वो अब उठ चुकी थी. पर लेटी हुई थी अब तक आंखे बंद किये.

कनिष्का: दीदी...आज सुबह, जब से आपको देखा है...बड़ा प्यार आ रहा है आप पर...
अंशिका: तो तू ये काम भी करती है ...लेस्बो है क्या तू??
कनिष्का: दीदी... आपको देखकर तो कोई भी लेस्बियन बन जाए...

अंशिका ने उसे डांटते हुए कहा: चुप कर तू. आज जो मजे विशाल के साथ आये, तू बस उसे ही याद कर और किसी तरह के मजे के बारे में सोचने की जरुरत नहीं है तुझे...

मैंने कनिष्का को धीरे से कहा: तुम इसकी बात मत सुनो कनिष्का, उसे एक लिप किस्स करने के लिए या अपनी ब्रेस्ट सक करने के लिए उकसाओ बस...

कनिष्का: क्या दीदी...आप भी न, कभी-कभी ये सब भी चलता है. वैसे आज सुबह आपने ही तो मेरा मुंह पकड़कर मुझे जोर से चूमा था और मुझे कैसे अपनी पुस्सी के ऊपर दबाकर मुझे अपनी चूत चूसने पर मजबूर कर दिया था. बोलो..तब क्या हुआ था आपको..मैंने तो नहीं कहा था आपको ये सब करने के लिए..

अंशिका कुछ देर तक चुप रही...फिर बोली: देख कन्नू...जो कुछ भी उस समय हुआ, वो सब एक तरह के नशे में हुआ. हम सभी पर ही उस समय सेक्स का नशा चड़ा हुआ था और जो जिसे अच्छा लग रहा था, वैसा ही करता गया..

कनिष्का: अब मुझपर वही नशा फिर से चड़ा हुआ है दीदी...मैं क्या करू...?

कनिष्का ने ये कहते हुए अपनी ब्रेस्ट को दबाना शुरू कर दिया और फिर अंशिका से बोली: अच्छा दीदी...एक बार प्लीस...मेरे कहने पर...मेरी ब्रेस्ट को चूस लो न...मुझे कुछ हो रहा है यहाँ. वो अपने निप्पल को अपनी उंगलियों के बीच दबा कर अपनी बहन को दिखाने लगी. निप्पल के बदलते हुए गुलाबीपन और अकड़ को देखकर अंशिका के मुंह में भी पानी आ गया था.

अंशिका: ठीक है...सिर्फ एक बार...ओके...फिर मुझे सोने देना तू.

और फिर थोडा हिलने की आवाज आई मुझे, शायद कनिष्का को अपनी तरफ खींचा था अंशिका ने और अगले ही पल एक तेज सिसकारी की आवाज, जो कनिष्का के मुंह से निकली थी, अंशिका के निप्पल चूसने की वजह से.
आआआअह्ह्ह्ह.....दीदी......म्मम्मम.....अह्ह्ह....जोर से....दीदी......ये भी....इस वाले को भी चुसो न.....

कनिष्का ने अपना दूसरा स्तन भी अपनी बहन के मुंह में डाल दिया और वो दुगनी आवाज के साथ चीख पड़ी. ओह्ह्हह्ह दीदी....यु आर वैरी स्वीट.......अह्ह्हह्ह्ह्ह.......

उन्हें वहां मजा आ रहा था और मुझे यहाँ, एक हाथ में मेरा फ़ोन था और दुसरे में मेरा लंड.

अंशिका ने पुरे दो मिनट तक उसके दोनों निप्पल्स को चूसा और फिर बोली: बस...

कनिष्का: दीदी....एक बार मैं भी...आपकी ब्रेस्ट चुसना चाहती हूँ....प्लीस....

अंशिका कुछ बोल पाती, इससे पहले ही कनिष्का ने अंशिका की ब्रा के स्ट्रेप को नीचे किया और उसके मोटे चुचे उछल कर सामने आ गए और उनपर लगे हुए मोटे-मोटे निप्पल्स भी और कनिष्का ने नीचे झुककर अपना मुंह उसकी ब्रेस्ट पर लगा दिया और किसी नन्हे बच्चे की तरह उसे चूसने लगी. अब चीखने की बारी अंशिका की थी. अह्ह्ह्ह... नहीं... कन्नू...क्या...मम्म...कर...रही है... पगली... अह्ह्ह्ह... मम्म...ओह्ह्ह्हह्ह..

कनिष्का ने तेजी से अपनी जीभ उसके निप्पल्स पर फिरानी शुरू कर दी और मुझे पता था की अब अंशिका को आगे के लिए मनाना ज्यादा मुश्किल नहीं है. मैंने कनिष्का को धीरे से कहा: कन्नू...अंशिका की पेंटी में हाथ डाल दो और हो सके तो एक-दो ऊँगली उसकी गर्म चूत में भी डाल दो और उसकी आँखों में देखकर अपनी उंगलियों से उसका रस चूस लेना.

कन्नू ने वैसा ही किया..जैसे ही उसने अंशिका की पेंटी में हाथ डाला, वो सिहर सी गयी: अह्ह्ह्हह्ह....बेबी.....क्या हो गया है तुझे....हूँ......क्यों सता रही है अपनी दीदी को.....बोल....म्मम्म.....बोल ना.....अह्ह्ह्ह....

वो अब पूरी तरह से बोतल में उतर चुकी थी....वो मना तो करती जा रही थी हर बार कनिष्का को... पर उसे रोकने का कोई प्रयास नहीं कर रही थी और फिर जब कनिष्का की ऊँगली अंशिका की चूत में उतरी तो वहां के जल को समेट कर ही वापिस बाहर आई और मेरे कहे अनुसार कनिष्का ने अपनी बहन के आमने अपनी रस से भीगी हुई उंगलियों को लहराया और उन्हें एक-एक करके चुप्पा मारकर चूसने लगी....

कनिष्का: म्मम्मम्मम... क्या टेस्ट है दीदी... आपका... सच में... मैं तो आपकी दीवानी हो गयी हूँ... मतलब आपके जूस की....हिहिहि...

अंशिका की साँसे इतनी तेज थी की मुझे भी साफ़ सुनाई दे रही थी...

कनिष्का: दीदी...प्लीस...एक किस्स.....

वो ये बात पूरी भी नहीं कह पायी थी की अंशिका के अन्दर की एनीमल इंस्टिक्ट जाग उठी और उसने कनिष्का के बालो को बुरी तरह से पकड़कर अपनी तरफ घसीटा और उसे बेतहाशा चूसने और चाटने लगी. अह्ह्ह्ह.....दीदी.....धीरे....ओह्ह्ह्ह......फक्क.,.......क्या कर रही हो......दीदी.... म्मम्मम....पुच...पुच....अह्ह्ह....मम्म.....धीरे करो न....अह्ह्हह्ह दर्द होता है.....दीदी......म्मम्मम्म...पुच पुच...पुच...

दोनों बहनों के बीच युद्ध सा होने लगा था, एक दुसरे के होंठो और चुचों को वो बुरी तरह से काट खा रही थी....

कनिष्का: दीदी....उतारो इसे....सब उतर डालो.....

और फिर अंशिका के बचे हुए कपडे भी नोच फेंके मेरी शेरनी ने....

मैं: कनिष्का...अब बेड के किनारे खड़ी हो जाओ... अभी तो अंशिका को तडपाना है तुम्हे... तभी मजा आएगा... समझी.

उसे मजा तो बड़ा आ रहा था उस वक़्त...पर मेरी बात को मना भी नहीं कर सकती थी वो. इसलिए वो बेड से उठ खड़ी हुई.

मैं: अब धीरे-धीरे अपनी पेंटी को उतारो और उसे अंशिका की तरफ फेंक देना...देखना वो तुम्हारी पेंटी को कैसे चाटने लगेगी..

कनिष्का ने वैसा ही किया...जैसे ही वो अंशिका को दूर करके उठी, अंशिका बेचैन सी होकर उसे देखने लगी...वो सोच रही थी की मेरी चूत में आग लगाकर इसे एकदम से क्या हुआ और फिर कनिष्का ने अपनी पेंटी को धीरे से उतरा और उसे अंशिका की तरफ उछाल दिया, और अंशिका ने भी उसे किसी भूखी कुतिया की तरह हवा में ही लपक कर उसे चाटना शुरू कर दिया और फिर मेरे कहे अनुसार कनिष्का अपनी बहन से बोली: दीदी...उसमे से क्या चाट रही हो...यहाँ देखो...असली माल तो यहाँ है और फिर कनिष्का ने अपनी एक टांग बेड के ऊपर रखकर, अपनी चूत को फेलाकर, अन्दर का गीलापन जैसे ही अंशिका को दिखाया, वो भूखी कुतिया कनिष्का की पेंटी को छोड़कर उसकी तरफ आई और अपनी बहन की एक टांग को अपने कंधे के ऊपर रखकर, सामने लटकती हुई रसीली चूत को देखा और फिर अगले ही पल अपना गरमा गरम मुंह उसकी आग लगी चूत के ऊपर लगा दिया...

कनिष्का: अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह.....उफफ्फ्फ्फ़ दीदी.....मार दोगी तुम तो आज.....म्मम्मम्म....

वहां के नज़ारे को सोचकर मैंने भी अपने लंड के ऊपर तेजी से हाथ चलाना शुरू कर दिया...काश मैं भी होता इस वक़्त उनके कमरे में. कनिष्का चिल्लाने लगी: ओह्ह्ह्ह दीदी....हन्न्न्न.....जोर से....येस्स्स्स....यही पर.....अह्ह्हह्ह अह्ह्ह्ह.... अह्ह्ह्ह... ओफ्फ्फ... फक्क्क्क..... आई एम् कमिंग दीदी.... और फिर ऊपर खड़ी हुई कनिष्का ने अपने मीठे रस का झरना अपनी बहन के मुंह के ऊपर निकालना शुरू कर दिया. म्मम्मम्मम....दीदी.....मजा आ गया....सच में....अब तुम लेट जाओ...हाँ...ऐसे...ही और अपनी ये पेंटी को बाय बाय बोलो....हाँ ऐसे....वाव...दीदी...कितनी टेम्पटिंग सी लग रही है आपकी चूत....सच में..

अंशिका: ज्यादा बाते मत कर अभी तू...चल जल्दी से चूस इसे...मुझसे सहन नहीं हो रहा है अभी...

और ये कहते हुए उसने कनिष्का की गर्दन पकड़ी और उसे अपनी चूत के ऊपर दबा दिया और जैसे ही कनिष्का ने उसकी रसभरी चूत के ऊपर अपना मुंह लगाया, अंशिका तड़प उठी...

अह्ह्ह्ह......कन्नू....म्मम्मम.....विशाल की याद दिला दी तुने तो....उसे भी मेरी चूत चूसने में बड़ा मजा आता है...शाबाश...चूस ऐसे ही...म्मम्म...

अपना नाम और तारीफ सुनकर मुझे बड़ा मजा आया...

अंशिका: देख कन्नू....ये है...मेरी क्लिट...हाँ...ये ही...इसे अपने होंठो के अन्दर लेकर चूस....अह्ह्ह्हह्ह....हाँ ....ऐसे ही....उफ्फ्फ...पागल...दांत नहीं...सिर्फ होंठ और जीभ से...हाँ...अब ठीक है.....येस्सस्सस्स.....ओह्ह्ह्ह येस्स......म्मम्मम....ओह्ह्ह्ह कन्नू......माय बेबी......सक्क्क मीईईई......अह्ह्ह्ह .....ओह माय गोड......ओह्ह्ह फक्क्क्क.....आई एम्म्म.मम्म............कम......ईई.......नग.............अह्ह्हह्ह.....कन्न्न्नूऊऊ..........

और उसकी आवाज इतनी तेज थी की नीचे उनकी मम्मी तक जा पहुंची...नीचे से मम्मी ने पुकारा: क्या हुआ अंशु....तू ठीक तो है न. अंशिका ने अपने आप को संभाला और चिल्ला कर बोली: हाँ मोम....मैं ठीक हूँ...कन्नू को बुला रही थी बस...आप सो जाओ और फिर सब शांत होने के बाद दोनों बहने बच्चो की तरह से हंसने लगी....

अंशिका: यार...आज तो मरवा ही दिया था तुने...मुझे अपने आप पर काबू ही नहीं रहा...इतना तेज चीखी थी मैं ... मम्मी तो मम्मी...शायद विशाल तक मेरी आवाज पहुँच गयी होगी आह.....
कनिष्का: वो तो पहुँच ही गयी है....

और ये कहते हुए उसने अपने बाल हटा कर ब्लू टूथ दिखाया और उसे निकाल कर अंशिका के सामने लहराने लगी...

अंशिका अपने मुंह पर हाथ रखकर हेरानी से अपनी बहन को देखती रही...: मतलब...तुम दोनों ने मिलकर ...मेरे साथ ये सब किया....कितने गंदे हो तुम दोनों....इधर लाओ ये और ये कहते हुए उसने ब्लू टूथ को लिया और अपने कानो में लगा लिया..

अंशिका: विशाल....विशाल....तुम हो वहां पर...
मैं: हाँ मेडम जी...बंदा अभी भी यहीं पर है....हिहिहि....

अंशिका: बदमाश हो तुम एक नंबर के...तभी मैं कहूँ, इसमें इतनी हिम्मत कहाँ से आ गयी... अब पता चला, इसके पीछे तुम्हारा ही हाथ है...बैठे वहां हो और तुम्हारी शेतानी की वजह से यहाँ...
मैं: हाँ हाँ बोलो...यहाँ तुम्हारी चुद गयी....है न....

अंशिका: पर विशाल....जो भी हो....मजा बहुत आया आज....
मैं: तुम्हे मजा आया...मुझे इसमें ही ख़ुशी है...पर मेरे पप्पू का क्या...वो तो अभी तक खड़ा हुआ है...तुम दोनों बहनों ने तो एक दुसरे के रस से अपनी प्यास बुझा ली...इसका क्या होगा अब...

अंशिका (लाड वाली आवाज में): ओले ओले...मेरा बेबी....तुम्हारा अभी तक खड़ा हुआ है....काश मैं अभी वहां होती तो तुम ये शिकायत न कर रहे होते अभी...

मैं: अच्छा जी...क्या करती तुम??
अंशिका: मैं उसे चुस्ती...चाटती. और उसे अपनी चूत में...नहीं नहीं...गांड में लेकर जोर से तुम्हारे ऊपर उछलती...

मैं: वाव....अब दर्द नहीं हो रहा तुम्हारी गांड में...
अंशिका: ये दर्द तो जाते - जाते जाएगा...पर सच कहू...अभी तो दुबारा मन कर रहा है तुम्हारा लेने का सच... तुम्हारी कसम....

मैं: अभी तो तुम इसे वहीँ बैठ कर चूम लो...वही मेरे लिए काफी है
अंशिका: ये लो फिर....उम्म्म्ममा....तुम्हारे लम्बे....मोटे....लंड के ऊपर....मेरे गुलाबी...गीले होंठो का चुम्मा....उम्म्म्ममा.. और साथ में कन्नू भी चूमेगी....तुम्हे....हम दोनों एक साथ.....उम्म्मम्म्म्मा....

ये कहते हुए अंशिका ने कन्नू को भी अपने पास बुलाया और फिर दोनों बहने बेतहाशा चूमने लगी, मेरे लंड को, फ़ोन पर ही... उम्म्म्ममा.....उम्म्म्ममा.....उम्म्म्मम्म्म्मा ...........उम्म्म्ममा......

उन दोनों बहनों के गरमा गरम चुम्मे और किलकारियों की आवाज सुकर मेरे लंड से रोकेट निकल-निकल कर पुरे कमरे में उड़ने लगे....

अह्ह्हह्ह.....अंशिका......कनिष्का .........अह्ह्हह्ह....ओफ्फ्फ्फ़......म्मम्मम्म.....फक्क्कक्क्क

अंशिका (धीरे से): हो गया न....
मैं: अपने चारो तरफ फेले रस को देखकर बोला: हाँ...हो गया और कुछ ज्यादा ही...चल बाय ...सफाई करनी पड़ेगी...अब...कल बात करते है...

अंशिका: ओके...बाय...टेक केयर...स्वीट ड्रीम्स....मूऊऊअआआआअ...

और एक जोरदार चुम्मा देकर उसने फोन कट कर दिया. मैंने अपना फेलाया हुआ कीचड साफ़ किया और फिर आराम से सो गया.

अगले दिन कुछ ख़ास काम नहीं था, मम्मी-पापा को गए हुए भी 2-3 दिन हो चुके थे, यानी अब इतने ही दिन और बचे है मेरे पास, मेरी आजादी के. मैंने नाश्ता किया और टीवी देखने लगा, ग्यारह बज चुके थे ये सब करते-करते..

तब मुझे अंशिका का फोन आया.

अंशिका: हाय ..गुड मोर्निंग..
मैं: गुड मोर्निंग जी...आज इस समय कैसे मेरी याद आ गयी.

अंशिका (हँसते हुए): तुम्हे याद करने के लिए आजकल टाइम नहीं देखना पड़ता...वो तो हर समय आती रहती है...अच्छा सुनो..मैंने तुम्हे कुछ बताने के लिए फोन किया है..
मैं: क्या प्रेग्नेंट हो गयी हो...मेरी चुदाई से..

अंशिका: चुप रहो..जब देखो, वोही बात..
मैं: अच्छा बाबा...नाराज क्यों होती हो...बोलो..क्या बात बतानी थी.

अंशिका: आज प्रिंसिपल मैम ने बुलाया था मुझे, अगले वीक एक टूर ओर्गेनायीस हो रहा है कॉलेज की तरफ से, नेनीताल के लिए, और मुझे टूर को ओर्गेनायीस करने की जिम्मेदारी दे डाली...कह रही थी की पिछला अनुअल फंक्शन काफी अच्छे तरीके से करवाया था मैंने..ये काम भी तुम करो..
मैं: ये तो अच्छी बात है...तुम्हारे काम की तारीफ हो रही है और नयी रिस्पोंस्बिलिटी भी मिल रही है..

अंशिका: हाँ..वो तो है..पर मैंने कुछ और कहने के लिए फोन किया है..दरअसल ..ये फेमिली टूर है..मतलब हम स्टाफ में से हर कोई अपने एक फॅमिली मेम्बर को ले जा सकता है...तो मैं सोच रही थी..की मैं तुम्हे अपने साथ ..
मैं: अरे वाह...मजा आ जाएगा तब तो...पर ऐसे कैसे हो सकता है..मैं तुम्हारा फेमिली मेम्बर तो नहीं हूँ न..

मैंने मायूसी भरे लहजे में अपनी बात ख़त्म की.

अंशिका: हो नहीं...पर हो भी..
मैं: मतलब...

अंशिका: याद है..मैंने तुम्हे किट्टी मैम से और अपने दुसरे कलिगस से अपना कजिन कहकर मिलवाया था...
मैं: हाँ...वो तो है..यानी तुम मुझे अपना कजिन कहकर ले जा सकती हो....वाह...मजा आ जायेगा तब तो...पर तुम अपनी सगी बहन को छोड़कर मुझे क्यों ले जाना चाहती हो...

अंशिका (धीरे से.): सब कुछ अभी बता दू क्या..हूँ..

मेरे दिल की धड़कन काफी तेजी से चलने लगी और उससे भी तेज चलने लगी मेरी कल्पना शक्ति...मैंने आँखे बंद करी और मैं सीधा नेनीताल पहुँच गया, होटल के कमरे, कॉलेज की लडकियों से भरे हुए और मेरे साथ अंशिका... वाव... मजा आ गया...

अंशिका: क्या हुआ...कहाँ खो गए...अभी से सपने देख रहे हो क्या..
मैं: हूँ...हाँ...सोरी...पर अगर किसी को पता चल गया तो...मतलब...तुम्हारे घर पर किसी ने बता दिया की तुम्हारे साथ मैं भी जा रहा हूँ तो..

अंशिका: तुम उसकी फ़िक्र मत करो...जब मुझे डर नहीं लग रहा तो तुम्हे क्या हो रहा है...मैं तो बस जानना चाहती थी की तुम्हे तो कोई प्रोब्लम नहीं है न 3 दिनों के लिए बाहर जाने में...
मैं: मुझे...मुझे क्या प्रोब्लम हो सकती है...संडे तक मम्मी-पापा भी आ जायेंगे और अगले हफ्ते मैं तुम्हारे साथ चल दूंगा...घर पर कह दूंगा की कॉलेज के फ्रेंड्स के साथ नेनीताल जा रहा हूँ..बस..

अंशिका (खुश होते हुए) वाव...तब ठीक है...तो फिर मैं तुम्हारा नाम लिखवा देती हूँ...ट्रेन बुकिंग के लिए...
मैं: अच्छा सुनो...कनिष्का भी चल सकती है क्या?

अंशिका: नहीं यार...सिर्फ एक ही फेमिली मेम्बर को ले जा सकते हैं...भाई या बहन..वैसे कजिन अलाव नहीं था..पर हमारी किटी मैम है न...उन्हें जब मैंने बताया की मैं तुम्हे ले जाना चाहती हूँ तो उन्होंने हाँ कर दी..आखिर वो हमारी एडमिन हेड भी तो हैं न...

मुझे पता था की किटी मैम ने मेरे लिए हाँ क्यों बोली है...

मैं: चलो कोई बात नहीं...कनिष्का नहीं चल सकती तो कोई बात नहीं...
अंशिका: हम दोनों बहनों को एक साथ करने में ज्यादा मजा आने लगा है शायद...हूँ..

मैं: हाँ और तुम दोनों बहनों जैसी हॉट जोड़ी तो और कोई हो ही नहीं सकती...
अंशिका: वैसे इतनी ही याद आ रही है उसकी तो बुला लो उसे...अपने घर..आज तो वो फ्री है..

मैं उसकी बात सुनकर हैरान रह गया... अंशिका अपनी बहन को मुझसे चुदवाने के लिए खुद ही बोल रही थी आज और कहाँ वो अपनी बहन के बारे में मेरे मुंह से कोई गन्दी बात सुनने को भी राजी नहीं होती थी. उन दोनों की एकसाथ चुदाई करने का ही नतीजा है ये सब.

मैं: अच्छा....फ्री है वो...ठीक है...अभी फोन करता हूँ उसे..वैसे..कॉलेज के बाद, तुम भी आ जाओ न..मेरे घर.
अंशिका: नहीं विशाल...आज नहीं आ पाऊँगी..घर पर कुछ काम है...आज तुम कन्नू से मजे लो..

मैंने उससे उस समय ज्यादा बहस करनी उचित नहीं समझी. और थोड़ी देर और बात करने के बाद फोन रख दिया.
[+] 2 users Like sanskari_shikha's post
Like Reply
#60
aagey bhi likho bhai
Like Reply




Users browsing this thread: 2 Guest(s)