28-08-2020, 07:54 AM
Nice story
गाँव की डॉक्टर साहिबा ( पुरी कहनी )
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28-08-2020, 07:54 AM
Nice story
29-08-2020, 02:11 AM
अपनी कहाँनी संबंधित राय व सुजाव देने के लिये धन्यवाद
30-08-2020, 04:38 AM
Great going...
16-09-2020, 03:42 AM
Good start kiya aapne. Yeh story aap complete karoge toh sone pe suhaagaa. Good story and your pickuo from there.
01-10-2020, 08:05 AM
Great job.. thanks for picking this story.. waiting for new update..
01-10-2020, 12:06 PM
Thanos pleeeaase update boss.... We are missing you man.
15-01-2021, 09:30 PM
Any Waiting For Update
16-01-2021, 09:34 AM
अधूरी कहानी में और अपनी एवं पाठकों की सोच में तारतम्य बैठाना कोई आसान काम नहीं होता। आपने अपडेट लिखना शुरु किया यह एक अच्छी बात है, किन्तु इसको जारी रखना उतनी ही कठिन चुनोती।
कृपया अपडेट देना जारी रखिये।
16-01-2021, 04:16 PM
20-01-2021, 03:18 PM
अब काव्या भी थोड़ा सही महसुस नहीं कर रही थी बीजू और रफीक के बीच में, उसको इन दोनों की बकवास के बीच में कुछ भी मजा नहीं आ रहा था I उसको बस सुबह की सुलेमान की गंदी हरकते और रफीक की बात याद आ रही थी कि वो मेरे रूम में आखिर कर क्या रहा था ? किसकी परमिशन से वो मेरे कमरे में आया था अगर मैंने रणधीर अंकल को बता दिया तो क्या हाल करेगे रफीक का. आपको हम रणधीर अग्रवाल के बारे में बता देते है रणधीर काव्या के पिता जी का सगा छोटा भाई था l रणधीर के पिताजी यानी काव्या के दादाजी के गुजरने के बाद रणधीर ने ही पूरे गाँव की जमीदार का काम सम्भाल रखा था l रणधीर अग्रवाल की उम्र 48 साल होगी l रणधीर भी काफी बलिष्ठ था. रणधीर की शादी उषा अग्रवाल से हुई थी पर किसी कारणों से उषा शहर में ही रहती थी उषा को गाँव में रहना पसन्द भी नहीं था और वेसे भी उसकी सरकारी नौकरी होने की वज़ह से उसको शहर में ही रहना होता था. रणधीर हर सप्ताह उषा से मिलने जाता था. अभी भी उषा के पास है इसलिए वो काव्या को लेने नहीं आ पाया था. रणधीर का खौफ था पूरे गाँव में एक तो वो सरपंच था गांव का ऊपर से उसने गाँव के अधिकतर किसानो और गरीबों को ब्याज पर रूपया दे रखा था. इसलिए गांव का कोई भी आदमी रणधीर से नहीं उलझता और ना ही बहस करता था. रणधीर को गाँव के कुछ लोगों से काफी नफरत थी उनमे से एक रहीम चाचा भी थे जो उसके हवेली के पास ही रहता था. जब भी रणधीर घर पर होता तो रहीम की हिम्मत नहीं होती कि वो नजमा को चोदने हवेली आ जाये या हवेली के आसपास भी दिखे और अपनी गंध फैलाये. रणधीर को कोई औलाद नहीं थी ऐसा नहीं कि वो नहीं कर सकता था पर उषा और रणधीर ने मिलकर कोई औलाद नहीं करने का निर्णय लिया था शायद कुछ कारण ही रहा होगा या कोई ऐसा राज जो अभी तक कोई नहीं जानता होगा. पर कुछ भी बोलो रणधीर ने काव्या को बचपन से खिलाया था रणधीर काव्या को अपनी बेटी ही मानता था यहां तक उसने अपनी सारी प्रॉपर्टी भी वसीयत में काव्या के नाम कर दी थी उसके मरने के बाद सारी प्रॉपर्टी काव्या की ही होगी. रणधीर काफी समझदारी था वो गाँव के बाकी लोगों के मुकाबले थोड़ा ज्यादा पढ़ा लिखा था. रणधीर के साथ उसके बाउंसर, नौकर या वसुली करने वाले दो और लोग थे गोतम यादव और रमेश सिंह जो रणधीर के पीछे ही घूमते थे रणधीर के सभी आदेश मानते थे सभी जगह वसूली भी वहीं करने जाते थे. गोतम यादव इसकी बॉडी ठीक थी ये हर जगह अपना दिमाग लगाता था गोतम को मार से ज्यादा प्यार से काम निकालने में भरोसा रखता था वहीं रमेश सिंह मानो चलता फिरता सांड या बॉडी बिल्डर था. रमेश को गुस्सा काफी आता था बात-बात पर गालियां देता था. रमेश अपने सारे काम मार कर और डरा धमका कर ही करवाता था पर इन दोनों की हवेली में कोई एंट्री या हवेली आने की इजाजत नहीं थी इनकी क्या पूरे गाँव मैं किसी भी आदमी या औरत को हवेली में आने की इजाजत नहीं थी. चलो अब आते है वापस काव्या के पास.... काव्या सोच ही रही थी कि तभी रफीक बीजू को लेकर वहाँ से निकल जाता है बीजू को जाने की तो कोई इच्छा नहीं थी पर रफीक की जलन और ऊपर रणधीर का डर यही सोच के बीजू को लेकर निकल गया. अब काव्या काफी सही महसूस कर रही है उसको घुटन से राहत मिल गयी थी.
नजमा - क्या हुआ मैडम क्या सोच में खो गयी हमारा गाँव आपको अच्छा नहीं लगा क्या ? काव्या - नहीं ऐसा कुछ नहीं है मैं तो बस के सफर से काफी थक गयी थी वहीं सोच रही थी और वेसे भी ये गाँव मेरा भी है मुझको क्यों नहीं अच्छा लगेगा. काव्या मन में क्या में नजमा से पूछ लू की रफीक मेरे कमरे में कैसे आया था क्यों आया था ? और ये सुलेमान कैसा इन्सान है ? सही में उसकी बीवी को कोई मुसीबत है या नहीं. तभी काव्या को ध्यान आता है कि नजमा क्या सोचेंगी मेरे बारे में की मैं उसके बेटे के बारे क्या पूछ रही हू कहीं उसे कुछ गलत लग गया तो. चलो बाद में खुद ही पता लगा लुंगी. नजमा - क्या मैडम आप भी इतना सफर करके थक गयी. चलो आपका मूड फ्रेस करने के लिए कल में आपको गाँव घूमती हू आप भी देखना की हमारा गाँव कितना सुन्दर है. काव्या यह सुन कर काफी खुश भी हुई और उसको अच्छा भी लगा पर काव्या - नहीं नहीं तुम कहां परेशान होगी नजमा मेरे रणधीर अंकल घुमा देगे उन्होंने मुझे मेरे लास्ट जन्म दिन पर बोला था तुम आओ मैं तुमको पूरा गाँव और खेतों में घुमाता हु. नजमा - हाँ पर खुली जीप में घूमने से ज्यादा मजा आयेगा पर मेरे साथ भी मजा आयेगा वो तुम्हें सारी जगह नहीं ले जा पायेगे और तुम बाकी औरतों से भी कैसे मिल पाओगी सेठ जी के साथ और वेसे भी सेठ जी कल कहा आने वाले है वो तो परसों आयेगे फिर भी मैडम जी आपकी मर्जी...! नजमा की गाँव में कोई इज्जत या सम्मान नहीं करता था सभी गाँव की औरते उसको अपने पास भी नहीं भटकने देती थी. नजमा तो काव्या के दादाजी की वज़ह से अभी तक इस गाँव में थी वो भी हवेली की नौकरानी बन के वरना गाँव वाले तो कबसे निकाल देते. नजमा चाहती थी कि काव्या के साथ गाँव घूम कर वो गाँव के औरतों के बीच थोड़ी इज़्ज़त बना सके. पर काव्या को भी एक कामवाली के साथ गाँव घुमना अजीब लग रहा था पर वो नजमा को ना नहीं बोल पायी उसकी शक्ल देख कर फिर भी उसने हामी भर दी और वहा से उठ कर अपने कमरे में चली गयी. काव्या को ये भी अजीब लगा कि उसके रणधीर अंकल ना ही उसको लेने आये ना ही उसको अब तुरंत मिलने आ रहे है फिर उसने सोचा होगा कुछ जरूरी काम इसलिए नहीं आ पाये होगे. यही सब आज के दिन की बाते सोच कर काव्या सो गयी.
20-01-2021, 07:15 PM
Bhai wait for big update. Vese ye update bhi Badiya hai.
20-01-2021, 07:17 PM
Mujko randhir ka character kuch special lag raha hai. Ho skta hai koi mistry ho
20-01-2021, 07:48 PM
Bro sex kaha hai. Sex chudai kaha hai............???????
20-01-2021, 08:19 PM
excellent update
20-01-2021, 10:13 PM
एक चमकीली धूप की सुबह की किरणों के साथ काव्या की नीन्द खुली. काव्या को काफी फ्रेश महसूस हो रहा था एक दम तरो ताजा. शहर की ट्रैफ़िक के शोर गुल से दूर गाँव में पक्षियों की चह चह की आवाज के साथ काव्या को लगा कि उसका दिन काफी शानदार जाने वाला है. अब काव्या के फ्रेश और नहाने के बाद काव्या एक फुल बिना आस्तीन का यानी बिना बाजू की ब्लाउज काले रंग की और डार्क ओरेंज रंग की साड़ी पहन कर काव्या डाइनिंग टेबल पर बैठ गयी. काव्या की दादी भी पास में ही बैठी थी. नजमा ने तुरंत नाश्ता लगा दिया. जैसे ही नजमा ने काव्या को देखा मानो उसके तो होश ही उड़ गये. कि काव्या ने इतना सेक्सी सी साड़ी पहनी है मानो नजमा के अन्दर एक आग सी लग गयी काव्या की बिना बाजू वाले ब्लाउज को देख कर और उसका गौरा बदन से आती सेक्सी सी महक से पर नजमा ने खुद को शान्त किया और कोने में खड़ी हो गयी उसकी जहा औकात थी इस हवेली में. काव्या और उसकी दादी दोनों नाश्ता कर रहे थे और कुछ नयी पुरानी बाते कर रहे थे तभी उसकी दादी ने पूछा काव्या बेटी आज का प्लान है आज क्या करोगी अपनी कोई नॉवेल या बुक लायी हो.
काव्या - नहीं दादी आज तो प्लान नजमा के साथ गाँव घूमने का है नजमा ने ही मुझको बोला था कि वो यहा की औरतों के साथ जान पहचान भी करवाएगी. क्यों नजमा...नजमा फिर हा में सर हिलाती है. दादी - बेटी तेरे चाचा आपको गाँव घुमा देगे इसके साथ घुमना कहा जरूरी है..... अब दादी की आवाज में कठोर पन था और लग रहा था मानो कि वो नहीं चाहती हो की काव्या कही हवेली के बाहर जाये वो भी इस नजमा के साथ तो बिलकुल नहीं. दादी - क्या हुआ काव्या तुमको कोई खास काम है क्या गाँव में. जरूरी हो तो बोल दो. काव्या - नजमा को देखते हुए नहीं दादी ऐसा कुछ नहीं है पर मेरे पास गाँव में रहने के लिये दिन कम है फिर हॉस्पिटल भी जॉइन करना है वापस और रणधीर अंकल का भी पता नही कब आयेगे वो भी. इसलिये सोचा कि थोड़ा गाँव ही घूम लू. दादी काव्या की किसी भी बात को दादी ना नहीं बोलना चाहती थी पर दादी ने दिल पर पत्थर रख कर सिर्फ काव्या की खुशी के लिये हाँ बोल दिया पर एक शर्त रखी कि तुम वापस 2 घण्टे में वापस आ जाना. मुझको कुछ काम है काव्या बेटी तुमसे और अपना ध्याना रखना. दादी जानती थी कि अगर रणधीर को पता चल गया कि काव्या पैदल गाँव घुमने गयी है वो भी इस घटिया औरत नजमा के साथ तो वो बहुत बहस करेगा आ कर. अब काव्या दादी की 2 घण्टे वालीं बात सुन कर काफी आश्चर्य में आ गयी पर वो एक डॉक्टर थी उसको अपनी दादी के हाव भाव कुछ कुछ समझ आ रहे थे इसलिये उसने कोई भी कारण या क्यों नही पूछा और हाँ बोल कर बाहर आ गयी पिछे पिछे नजमा भी आ गयी सारे बर्तन जमा कर रसोई में. नजमा - मैडम चलो आपको सबसे पहले तो गाँव की नदी दिखाने ले जाती हूँ आपको देख कर बहुत सुकून मिलेगा. काव्या - देख लो नजमा ताई तुम ही जानों सबसे बढिया क्या है मेरे पास तो सिर्फ 2 घण्टे है उसमें ही अधिकतर कवर करना है. हाँ चलो मैडम, नजमा को ताई शब्द सुन कर मानो एक अलग सी ताकत आ गयी हो. नजमा को कोई इज़्ज़त नहीं देता था उसको लोग नाम से बुला ले वो ही बड़ी बात थी. पर वो काफी खुश हो गयी. काव्या को गाँव के कुछ लोग ऐसे गुर रहे थे मानो अभी उसका बिना बाहों वाला ब्लाउज और साड़ी निकाल कर उसका यही रोड के बीचो बीच उसका बलात्कार कर दे. साली को मसल के रख दे. पर किसी में इतनी हिम्मत नहीं होती कि वो ऐसा कुछ कर पाये. थोड़ा आगे चलते चलते दो रास्ते आ गये. एक रास्ता बिलकुल कच्चा था और एक बिलकुल सही था. नजमा - मैडम ये दोनों रास्ते नदी की तरफ जा रहे है बोलो आप कौनसा रास्ते से जाना पसन्द करोगी. काव्या - मैं क्या कोई भी यह सही वाले रास्ते से जाना पसन्द करेगा. पर यह सुन कर नजमा को थोड़ा गुस्सा सा आ गया वो बोली नहीं मैडम रास्ते में क्या रखा है हम तो ये कच्चे वाले रास्ते से जाते है. यह सुन कर काव्या को काफी अजीब लगा वो अब तो यह सही वाले रास्ते से जाना चाहती थी. पर नजमा को ये कच्चे रास्ते से जाना था. चलो अब आपको बताते है कि राज क्या है इन दोनों पक्के और कच्चे रास्ते का दरसल जो पक्का वाला रास्ता था वहां गाँव के ऊंची हि*दू जाति के पढ़े लिखे धनवान लोग रहते थे. जिनके घर भी काफी बड़े थे और गाँव मैं बहुत मान सम्मान और इज्जत थी. और जहां इज़्ज़त है वहां नजमा जैसी औरतों का क्या काम. उसको वहां की कोई भी औरत बोलती भी नहीं है ना ही उसको उस कॉलोनी में ज्यादा घुसने भी नही दिया जाता था. घर में तो बहुत दूर की बात. और जो कच्चा वाला रास्ता था वहां पर गाँव के लेबर क्लास लोग, नीची जाति के लोग रहते है और उसके आगे मुस्ल*म एरिया था. वेसे तो वहां पर भी नजमा की कोई सम्मान नहीं करता था सिर्फ चार-पाँच लोगों को छोड़ कर. पर वह एरिया नजमा को पसन्द था. काव्या - नहीं नजमा ताई मैं तो यही से जाऊँगी. मुझको रास्ता भी सही लग रहा है और यहा से आते जाते लोग भी. नजमा - ठीक है मैडम आप जैसा कहे..... आखिर कार नजमा थी तो नौकरानी ही और वो काव्या को बताती भी कैसे की जहां उसको रोड की कुतिया जितनी भी इज़्ज़त नहीं मिलती उसको वहां जाना पड़ रहा है....
20-01-2021, 10:18 PM
गाँव की डॉक्टर साहिबा के आगे के भी अपडेट तैयार या रेडी है. आप स्टोरी के साथ जुड़े रहिएगा. धन्यवाद......
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