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Adultery लवली फ़ोन सेक्स चैट
#21
10 मीं बाद वो मुझे ढूंढते हुए बाहर आई, मैने बाईक पंडाल के साइड मैं लगा रखी थी और मैं वहीं पर खड़ा था और वो उसी पंडाल से बाहर आई अपनी सीनियर के साथ और मुहे इधर उधर देखने लगी. मैने दोनो को देखा, मेरी आंशिका तो साली मस्त ही लग रही थी, पूरी पिंकिंश बनके आई हुई थी, उसको देखते ही दिल मैं ठंडक पड़ी, फिर मैने उसकी सीनियर को देखा तो मुँह से निकला – ओह भेन्चोद ! ये क्या चीज़ है. साली लंबी चौड़ी, एकद्ूम गोरी, चुचियाँ बड़ी बड़ी चूतड़ों ने तो अपनी धाक जमा रखी थी उसके शरीर पर, मेरा तो उसे देखते ही एकदम टन हो गया, मन करा आंशिका के साथ साथ इसे भी बजा दूं आज. 

मैं होश मैं आया आंशिका को बुलाने लगा, पर एकद्ूम से रुक गया की क्या कह कर बुलाऊ उसकी सीनियर के सामने, उसने मुझे अपना कजन बताया हुआ है अपनी सीनियर को, पहले मैंसे सोचा की आंशिका दीदी कह कर पुकारूँ फिर मैने सोचा की नहीं दीदी नहीं बोलता नाम से ही बुलाता हूँ. मैने उसे आवाज़ लगाई – "आंशिका, अंशिका में यहाँ हूँ,.."

उसने और उसकी सीनियर ने पलट कर देखा एकदम से. साली दोनो एक दम माल लग रही थी, मुझे तो दोनो नंगी दिख रही थी एकदम , उसकी सीनियर के सामने मेरी फट रही थी पता नहीं क्यूँ, ऐसा ल्ग रहा था की वो आकर के मेरी गांड मार देगी. 

उसकी सीनियर का जब मैने फेस देखा तो देखता ही रह गया, साली के एकद्ूम ब्राइट फीचर्स थे, लिप्स एक दम मस्त, चूसने लायक, गाल गोल मटोल , आँखें शराबी और उपर से ये मेकउप करके आई हुई थी, कातिल लग रही थी, दोनो ही आंशिका और उसकी सीनियर पसीने मैं डूबे हुए थे जिससे उनकी छाती लाइट्स मैं चमक रही ही. जैसे जैसे दोनो मेरे पास आ रही थी मेर्को डर भी लग रहा था और बेचैनी भी हो रही थी, सालियों की गांड का जवाब नहीं, सबको पीछे छोड़ दिया रेस मैं. मेरे पास आई आंशिका और हँसते हुए बोली

आंशिका: आ गये, तुम परेशानी तो नहीं हुई?
मैं नहीं.
सीनियर: अनु ये है तुम्हारा कजन ?

आंशिका: हाँ मेम, विशाल, विशाल ये हैं मेरी सीनियर मेम , बताया था न ...वोही है.
मैं हेलो मेम 
सीनियर: ही, कितने छोटे हो तुम अनु से?

(मुझसे ये सवाल क्यूँ पूछने लगी साली?)

मैं 8 या 9 साल छोटा हूँ, क्यूँ?
सीनियर: इतनी बड़ी है अनु तुम से फिर भी नाम लेकर पुकारते हुए.

मैं (हंसते हुए) वो बचपन से ही आदत है

आंशिका: (बीच मैं बोली) माँ ये ऐसा ही है बदतमीज़, लाख बार समझा चुकी हूँ की थोड़ी इज़्ज़त दे लिया कर मुझे, बट सुनता ही नहीं.

हम साथ मैं हंस पड़े

( मैं इसकी इज़्ज़त लेने मैं लगा हूँ और ये देने की बात कर रही है)

सीनियर: अनु तूने इस बेचारे को ड्राइवर बना दिया, अपने साथ मॅरेज मैं ही ले आती.
आंशिका: मैं इसे बोल रही थी की चल साथ मेरे, बट कह रहा था मैं नहीं जाऊंगा . मैने तो बहुत समझाया 

( झूठी साली)

सीनियर: कैसे जाओगे अब?
मैं मैं बाईक लाया हूँ.

सीनियर: ओक, गुड. ध्यान से जाना, रात का समय है.
मैं हाँ ज़रूर.

सीनियर: चल अनु मैं भी चलती हूँ, घर पर बच्चे याद कर रहे होंगे मुझे.
आंशिका: ओक मेम , देन चलते हैं, बाइ

सीनियर: बाइ अनु.
मैं गुड नाइट मेम 

उसने मुझे स्माइल पास करी और बोली

सीनियर: बाइ, गुड नाइट. ध्यान से जाना दोनो, अगर कहो तो मैं कार में ड्रॉप कर दूं .
अँहसिका: नो थॅंक्स मेम , हम चले जाएँगे बाइ.

मैं अपनी बाईक पर आकर बैठ गया, उसकी सीनियर भी अपनी कार मैं जाकर बैठ गयी और कार स्टार्ट करके जाने लागी, मैं जान भुज कर आराम से खड़ा रहा उसके जाने का वेट करने लगा. उसने अपनी कार निकाली. जब वो चली गयी मैने अनु से कहा – चल बैठ अब.

वो बैठी मैने बाईक स्टार्ट करी और हम वहाँ से निकल पड़ी पर आगे मोड़ पर उसकी सीनियर की कार खड़ी मिली और उसने हूमें हाथ देकर रोका.

सीनियर: विशाल किस रास्ते से जा रहे हो तुम?

( मैने मन मैं कहा ये भेंन का लोडा क्या नया ड्रामा है अब,)

उसे 5 मीं बताया, उसे रास्ता क्लियर नहीं था वहाँ का उसे समझाया और वहाँ से भेजा. और फिर मैने बाईक स्टार्ट करी और दूसरे रास्ते पर निकल पड़ा अनु को लेकर. वो आज बिल्कुल सट कर बैठी थी मेरे साथ, जब वो साँस से ले रही थी मुझे उसके बूब्स पूरे महसूस हो रहे थे अपनी बेक पर, वो मुझसे एकद्ूम वाइफ की तरह चिपक कर बैठी थी, बहुत मज़ा आ रहा था. पर मैं इन सब बातों मैं ये भूल गया की इससे मज़े कहाँ लूँगा, ये तो मैं डिसाइड करना ही भूल गया. 

मैं अपना दिमाग़ चला रहा था रास्ते मैं की कोई जगह याद आ जाए की कोई ना हो इस वक़्त वहाँ, वैसे भी रात के 11 बाज रहे थे. आगे रास्ते पर एक पंडाल के बाहर कुछ लोग क्रॅकर्स जला रहे थे, उसी के पास 2 – 3 पंडाल और भी थे, वहाँ रोड पर ही कार पार्क थी, उसके पीछे एक बहुत बड़ा पार्क था, मैने सोचा की यहाँ ट्राइ करके देखत हूँ क्या पता की कोई जगह मिल जाए, मेने बाईक मोड़ ली उस तरफ, आंशिका बोली….

आंशिका: ये किसकी शादी मैं जा रहे हो?
मे; किसी की भी नहीं, पीछे पार्किंग मैं जा रहा हूँ उसके पीछे पार्क है.

वो समझ गयी...थोडा दरी और बोली..
आंशिका: पार्क मैं? कोई हुआ तो?
मैं हुआ तो वापस आ जाएँगे, पहले जाने तो दे.

मैने उस पार्किंग मैं बाईक खड़ी करी और आंशिका को लेकर उस पंडाल के पीछे चला गया, पंडाल के ठीक पीछे सेंटर मैं केटरिंग वाले बैठे थे, पीछे एक बहुत लंबी दीवार थी जो पार्क की बौंड्री थी, कॉर्नर से वो दीवार टूटी हुई थी जिससे आसानी से पार्क मैं जाया जा सकता था. मैने आंशिका का हाथ पकड़ा और उसे उस दीवार के पीछे ले गया, पीछे जाके देखा तो गांड फट गयी. पूरा पार्क सुनसान पड़ा था और कोई ऐसी जगह नहीं थी की जहाँ छिप के आराम से हम कुछ कर सकें, मैने पार्क मैं नज़र दौड़ाई, तभी मुझे अपने एक्सट्रीम लेफ्ट पर एक बाथरूम दिखा, मैने आंशिका को लेकर उस तरफ जाने लगा, वो डरे जा रही थी और कह रही थी – वहाँ कोई हुआ तो? रात को पार्क मैं अफ़ीमची घूमते रहते हैं, प्लीज़ कहीं और चलो. पर मेरे कानों मैं तो लंड घुसा हुआ था, मैं उसी तरफ जाने लगा, वहाँ पहुंचकर मैने देखा की बाथरूम के पास काफ़ी गंदगी थी और वहाँ पर किसी के आने का डर भी था, पर उस बाथरूम के ठीक पीछे एक काफ़ी उँची दीवार थी जिसके पीछे घर थे और स्ट्रीट लाइट जली हुई थी. मैं उस बाथरूम के पीछे गया, वहाँ पीछे काफ़ी स्पेस था और सुनसान भी था अगर कोई उस तरफ आता भी तो वो बाथरूम करके वापस चला जाता उसके पीछे नहीं आता, और लकिली पीछे काफ़ी लाइट भी थी उस स्ट्रीट लाइट की वजह से. मैं और आंशिका बाथरूम के पीछे और उस उँची दीवार की बीच मैं थे. वो चुपचाप खड़ी थी, उसके होंठ काँप रहे थे शायद डर के मारे, मैने उसे उपर से नीचे देखा, साली मस्त लग रही थी, मेरा लंड टन के टाईट हो गया एकद्ूम. उसना अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया नाराज़गी से, मैने कहा क्या हुआ?

आंशिका: रहने दो तुम
मैं आओ न प्लीज़

आंशिका: जब से मिले हो तब से फूटे मुंह तारीफ़ भी नहीं करी गयी की कैसी लग रही हूँ.
मैं ओह सॉरी जान, यार मैं तब से सोच रहा हूँ की कौनसा वर्ड सही रहेगा तुम्हारे लिए, सेक्सी, ब’फूल वगेरह वगेरह तो काफ़ी छोटे हैं तुम्हारे सामने.

ये सुनते ही उसके फेस पर वोही कातिल स्माइल आ गयी, और वो मेरे से गले लग गये, मैने अपने हाथ उसकी मोटी कमर पर रखे और फिर नीचे ले गया उसकी गांड पर, क्या मस्त गांड थी, उसकी गांड पर मैं हाथ फिरने लगा, और धीरे धीरे दबाने लगा. वो मुझसे पीछे हटी, मेरी आँखों मैं आँखें डाली और उपर होकर मेरे होठों से अपने होंठ मिला दिए, मैने वहीं उसकी कमर पकड़ ली कस के और अपने लिप्स से उसके लिप्स पकड़ लिए और उसे ज़ोर से किस करने लगा, मैंने अपनी टंग बाहर निकाली और उसके लिप्स को चाटने लगा. मैने उसे धक्का देते हुए, बाथरूम की दीवार से लगा दिया और उसे चिपक कर फिर से उसको किस करने लगा, वो आहं, अह्ह्ह , आ,एम्म्म की आवाज़ें निकल रही थी. 5मीं तक मैने उसे किस करता रहा, हुमारे लिप्स पूरे गीले हो गये एक दूसरे के सलाइवा से. मैं अपने हाथ से उसके चीक्स को भींचा जिससे उसका मुँह खुल गया और उका मुँह अपने मुँह के नीचे कर के उसमें थूक दिया, उसने अपनी आँखें बंद कर ली. फिर मैं उसके मुँह मैं जीभ डाल डाल कर चाटने लगा.

आंशिका: विशाल प्लीज़ आराम से, कपड़े खराब हो जाएँगे.

मैने उसके पूरे लिप्स को और उसके मुंह को अच्छी तरह सक और लीक कर चूका था, वो दीवार से चिपकी हुई और ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रही थी, उसकी छाती उपर नीचे हो रही थी, मैने आगे बढ़कर उसकी दोनो चुचियों पर हाथ रखा और उन्हे धीरे से दबाया. और अपने हाथों की पोज़िशन बदल बदल कर उसकी दोनो चुचियों को धीरे धीरे दबाने लगा, मैने उसकी सारी का पल्लू हटाया एक दम से 
आंशिका: विशाल प्लीज़, आराम से, कपड़े मत खराब करो, रूको मैं खोलती हूँ

और वो अपने ब्लाउस के बटन खोलने लगी, तभी मैने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक दिया और उसके ब्लाउस के उपर ही दोनो चुचियों को पकड़ कर फिर से फील करने लगा धीरे धीरे, वो ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रही थी. मैने अपने हाथ उसकी चुचियों पर ही रहने दिए जिससे वो भी उनके साथ उपर नीचे होने लगे.

आंशिका: विशाल प्लीज़ दबाओ ना इन्हे
मैं खोल ब्लाउस

अंशिका ने आराम से अपने ब्लोसे के बटन खोले और ब्लाउस को थोडा पीछे कर दिया, उसने नेट वाली ब्रा पहनी हुई जैसा मैने उसे कहा था. उसकी चुचियाँ देख कर मैं पागल हो गया, मुझे समझ मैं नहीं आया मैं क्या करूँ. मैने उसकी ब्रेस्ट को पकड़ा ब्रा के उपर से ही, और ज़ोर से दबाने लगा. मैने उसके निप्पल को आगे से पकड़ा और अपनी तरफ खींचने लगा. मैं नीचे झुका और उसके निपल को ब्रा समेत मुँह मैं भर ज़ोर से काटने लगा

आंशिका: अया, पागल हो गये हो क्याअ???/// एयेए, अरे आराम से करो प्लीज़

आंशिका: विशाल प्लीज़, जानवर मत बनो, आआअहह, आउच, छोड़ूऊऊऊओ, प्लीज़ विशाल दर्द हो रहा है . अहह

मैं काटता रहा .... आहा, उसने पूरे ज़ोर से मुझे पीछे की तरफ धक्का दिया और मैं भी हट गया...वो बोली... आराम से. 
उसके निपल्स मैं दर्द हो रहा था बहुत,उसकी आँखों मैं आंसू आ गये थे, वो अपने निपल्स पर आराम से हाथ फिरते हुए बोली

आंशिका: पागल हो क्या? आराम से नहीं कर सकते, जान निकल दी. दर्द हो रहा है बहुत.
मैं अच्छा ब्रा खोल, अभी चूस के दर्द कम कर देता हूँ.

उसने अपना मुँह बातरूम की दीवार की तरफ कर लिया

आंशिका: लो खोलो, और ब्लाउस मत निकालना प्लीज़.

मैंने आगे बढ़ कर उसका ब्लाउस उपर करा और उसकी ब्रा के हुक्स ढूंड कर उन्हे खोल दिया. और मैने ब्रा उतारकर नीचे गिरा दी.. मैने पीछे से साइड से हाथ निकल कर उसकी दोनो चुचियाँ पकड़ ली. 
अहाआ ............मज़ा आ गया, इतनी सॉफ्ट चीज़ आज तक हाथों मैं नहीं आई, मैने दोंनो चुचियों को कस कर पकड़ लिया और लंड उसकी गांड पर सेट करके उसे दीवार से भींच दिया और ऐसे ही धक्के मारने लगा उसकी गांड पर और उसकी चुचियों को दबाने लगा

आंशिका: आ आ एयेए एयेए, आहह आराम से.

मैने एक मिनट रुका और अपना लंड बाहर निकल लिया और उसे अपनी तरफ घुमाया उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया.

आंशिका: इसे क्यूँ बाहर निकाला?
मैं चूत के लिए मना करा था , लंड के लिए नहीं, इसे सहला अब चल
और वो मेरा लंड सहलाने लगी.
मैने उसकी दोनो चुचियों को हाथ मैं पकड़ लिया, दोनो इतनी बड़ी थी की हाथ मैं आ ही नहीं रही थी. मैं नीचे हुए और उसको ब्रेस्ट पर किस करा धीरे से दोनो पर, फिर मैने उसके निपल्स पर किस करा, और अपनी जीभ निकल कर उसकी पूरी ब्रेस्ट पर फेराई . और जीभ से उसके निपल चाटे , फिर मैने उसका निपल मुँह मैं भर लिया और उसे सक करने लगा. उसका निप्पल एक दम लंड की तरह टाईट हो गया था और ब्रेस्ट भी हार्ड हो गयी थी. मैं बारी बारी दोनो निपल सक करने लगा. वो मेरा लंड सहला रही थी धीरे धीरे, उसके नरम हाथ मेरे लंड पर, और उसके निपल मेरे मुँह मैं मेरे से रहा नहीं गया और मैं झड गया एक दम से. उसकी साडी पर मेरा सारा लेस गिरा,

आंशिका: ये क्या करा, दाग ना पद जाए कोई.

मेर्को इतना मज़ा कभी नहीं आया था. मेरी नशे से आँखें बंद थी, मैने फिर से उसकी ब्रेस्ट सक करनी शुरू करी और मेरा लंड फिर टन गया. और वो फिर सहलाने लगी.. मैने अब उसकी ब्रेस्ट को सक करना बंद करा और उसको अपना लंड चूसने को कहा.

आंशिका: नहीं विशाल, प्लीज़, आज नहीं ये सब. फिर कभी.

मैं उसकी एक ना सुनते हुए, उसके कंधो पर ज़ोर लगा कर उसे नीचे की तरफ धक्का देता रहा. वो नीचे बैठ ही गयी और ठीक मेरे लंड के सामने उसका मुँह आ गया, उसकी गरम गरम साँसे मेरे लंड पर पढ़ रही थी, उसने मेरे लंड पर धीरे धीरे किस करना स्टार्ट कर, उसके नरम नरम होंठ मेरे टाइट लंड पर मुझे पागल बना रहे थे. उसने मेरी बॉल्स पर भी किस करा, मेरा प्री कम आ गया था, उसने उसे जीभ से छठा और साफ़ किया और मुझसे हंसते हुए बोली,

आंशिका: टेस्टी हो तुम बहुत.

ये बोलते ही उसने मेरा लंड अपने मुँह मैं ले लिया

मैं आहह, साली क्या कर रही है, मर जाऊंगा . अहह. चूस इसे अच्छी तरह.
आंशिका: एम्म्म म्*म्म्मम आहह, काफ़ी टाइट है और टेस्टी भी. मज़ा आ रहा है तुम्हे?

मैं पूछ मत बस, चुस्ती रह.
आंशिका: एम्म्म एम्म्म एम्म म म

वो मेरे लंड को धीरे धीरे चूस रही थी, और बीच बीच मैं मेरा लंड अपने मुंह मैं रख कर उसे अंदर ही जीभ से चाट रही थी. उसकी ये हरकत मुझे पागल कर रही थी, मेरे से खड़ा भी नहीं हो जाया रहा था, मेरी लेग्स बहुत वीक हो रही थी. पर लेटता भी तो कहाँ, वो मेरे लंड को धीरे धीरे चूसे जा रही थी और मैं अपना मुँह दीवार पर हाथ के सहारे रख कर मज़े ले रहा. उसने बस 5 मिनट और ही चूसा होगा की मैं फिर झड़ गया उसके मुँह मैं और वो गटक गटक कर सारा लेस पी गयी, मैं तो कुछ होश मैं ही नहीं था की वो कब पी गयी , हम 5 मीं शांत रहे उसकी भी साँस फूल रही थी, वो खड़ी हुई और अपना मुंह सॉफ करने लगी, जिस पर थोडा सा लेस लगा था और थूक भी, मैने उसकी सारी के उपर से उसकी चूत पर हाथ रखा, उसने मेरा हाथ हटा दिया, मैने फिर रखा और अंदर की तरफ दबा दिया,

आंशिका: एयेए, विशाल नहीं, आज नहीं. प्लीज़
मैं बस 5 मीं, मुझे देखनी है और एक किस करूँगा बस, प्लीज़.

मैं उसकी सारी मैं हाथ डाल कर उसकी सारी उपर उठाने लगा, तभी उसका सेल बजा

आंशिका: हेलो, हाँ मम्मी

आंशिका: हाँ निकल चुके हैं, रास्ते मैं हूँ आ गयी बस 10 मीं.

(फोन कट)

आंशिका: विशाल चलो, अब बहुत देर हो गयी है, 12:15 हो गये हैं, मुझे कल कॉलेज भी जाना है, प्लीज़ चलो

मैने टाइम देखा, सच मैं बहुत लेट हो गये थे, मेरा मन तो नहीं था जाने का अभी, पर मजबूरी थी तो मैने मन मार कर कहा – चलो.

उसने कपड़े ठीक करे और मैने भी, मेरा लंड अभी साला खड़े होने की फिराक में था, पर मैने जैसे तैसे कंट्रोल करा और उसे खड़ा नहीं होने दिया, आंशिका ने अपने कपड़े ठीक कर लिए और मैने भी. वो मेर्को देखने लगी और सेक्सी स्माइल पास करने लगी, मुझसे रहा नहीं गया और मैने आगे बढ़ कर फिर से किस कर लिया उसे. वो भी मुझे ज़ोर ज़ोर से किस कर रही थी. फिर हम अलग हुए और चलने की तय्यरी करने लगी. जैसे ही हम बाथरूम की दीवार के पीछे से आए, हमने सामने 2 – 3 लड़कों को आता देखा, वो शायद किसी शादी मैं आए हुए थे यहीं कहीं, वो हमारी तरफ ही आ रहे थे, उन्हे देख कर आंशिका डर गयी और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, मुझे भी थोडा डर लग रहा था. वो धीरे धीरे हमारे करीब आ रहे थे, आंशिका सिर झुका कर और मेरे हाथ कस कर पकड़ कर चल रही थी, जैसे ही वो हुमारे करीब आए, उनमे से एक बंदा मुझसे बोला..

गाइ: बॉस, बाथरूम खुला है क्या?

मैं एक दम से डर गया था उसके बोलते ही

मैं हाँ, खुला है.
गाइ: थॅंक्स

मेरी जान मैं जान आई, हम सही वक़्त पर वहाँ से आ गये, अगर हम वहीं होते और उनमें से कोई पीछे आ जाता बाथरूम के तो फिर आंशिका का **** तो पक्का था, उनसे सबके हाथों या फिर कोई पंगा हो जाता, बात लकिली हम सही टाइम पर आ गये वहाँ से.

मैने बाईक स्टार्ट करी और हम वहाँ से चल पड़े, आंशिका मेरे से एकदम लवर्स की तरह चिपके हुई थी, मेरी तो खुशी का ठिकाना ही नहीं था.

आंशिका: तुम बहुत टेस्टी हो
मैं थॅंक्स, तुम्हे अछा लगा टेस्ट?

आंशिका: बहुत.मैं यही सोच रही थी की तुम्हारा टेस्ट कैसा होगा.
मैं ओह तो पहले से ही मन था टेस्ट करने का तो वहाँ नाटक क्यूँ कर रही थी की मैं नहीं चुसुंगी .

आंशिका: ऐसे ही, डाइरेक्ट कभी हाँ नहीं कहनी चाहिए ना इसीलिए.
मैं मतलब हमेशा नखरे करेगी तू.

आंशिका: नहीं अब नहीं करूँगी, कसम से.
मैं पर मैने तो तेरेको टेस्ट नहीं करा अभी तक.

आंशिका: आई नो, नेक्स्ट टाइम मिलेंगे फ़ुर्सत से तब कर लेना, कुछ नहीं कहूँगी तब, पक्का.
मैं तू फिर भी नखरे करेगी, देख लिओ
आंशिका: आब्वियस्ली, वो तो करूँगी ही, शरम औरत का गहना होता है यार. हहेहेहहे
मैं सारे गहने चुरा लूँगा तेरे और बैच दूँगा.

आंशिका: अछा जी.
मैं हाँ


मैने बाईक उसके घर के पास वाले बस स्टॅंड पर रोकी, वो उतर गयी

आंशिका: थॅंक्स
मैं किसलिए?

आंशिका: ड्रॉप करने के लिए.
मैं कोई ज़रूरत नहीं थॅंक्स की.

आंशिका: मज़ा आया आज तुम्हे?
मैं बहुत, और तेर्को?

आंशिका: हाँ
मैं फिर करे क्या?

आंशिका: धात, ठरकी... मेरे बूब्स अच्छे लगे तेर्को?
मैं अच्छे ? साले गांड फाडू थे, इतनी सॉफ्ट चीज़ कभी नहीं पकड़ी मैने.

(वो इतरा कर बोली)
आंशिका: आई नो, और ना ही कभी पकड़ोगे , माईन आर बेस्ट यु नो.
मैं तेरी सीनियर के भी मस्त लग रहे थे यार, साली माल थी.

अंशिका : अभी सिर्फ़ मेरे बूब्स पर नज़र ओके , बाद मैं और कोई.
मैं तो मैने कौनसा उसके दबा दिए यार, बस बता ही रहा हूँ.अच्छा तेर्को मेरा लंड कैसा लगा?

(उससे बातें करते हुए मेरा लड फिर टाइट हो गया)आ

आंशिका: काफ़ी अच्छा है, स्मार्ट है तुम्हारी तरह और टेस्टी भी है. बट मेरे 1st बी एफ से थोडा सा छोटा है.
मैं छोटे बड़े से कुछ नहीं होता मेम , करना आना चाहिए ढंग से बस.

आंशिका: हहेहेः, बहुत ज्ञान है तुम्हे सेक्स के बारे मैं.
मैं बन जाओ मेरी स्टूडेंट, सारा ज्ञान दे दूँगा.

आंशिका: डोंट वरी ले लुंगी एक दिन सारा ज्ञान तुमसे, अछा अब कोई देख लेगा, ऐसे अछा नहीं लगता मैं जा रही हूँ, बाइ
मैं अछा एक किस तो देती जा , गुड नाइट किस.

आंशिका: मुआआ (ओंन चीक्स) बाइ गुड नाइट
मैं ठरकी आंशिका

आंशिका: तू ठरकी .हहेहेहेः. बाइ गुड नाइट.
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#22
उस दिन रात को घर पहुँचकर उसका 1 बजे कॉल आया.

आंशिका: हेलो
मैं: ओह हेलो, क्या हुआ?

आंशिका: कुछ नहीं, नींद नहीं आ रही.
मैं: मेर्को तो कई दिनों से नहीं आ रही.

आंशिका: पता है मेरी पूरी पेंटी गीली हो चुकी है.
मैं: क्यूँ तुमने उसमें टाय्लेट कर दिया? हहेहेः

आंशिका: मज़ाक मत करो ना, आई एम् सीरीयस.
मैं: मेरा भी लंड टाइट है बिल्कुल

आंशिका: फिर से? बाबा, 2 बार तो वहाँ मैने ही तुम्हे शांत करा था वहाँ, फिर से कैसे?
मैं: देख लो अब, तुम्हारा ही असर है.

आंशिका: बहुत मूठ मरते हो ना तुम उसका असर है. आगे जाके प्राब्लम ना बन जाए ये.
मैं: कैसी प्राब्लम

आंशिका: तुम्हारा ऐसे कभी शांत ही नहीं होगा, और जब तुम उस हालत मैं घर से बाहर जाओगे तो सब हँसेंगे तुम पर.
मैं: हहेहेहेहेहहे, मेरी जान तुम हो तो सही इसे शांत करने के लिए, सो आई हेव नो प्राब्लम.

आंशिका: हाँ ये भी है, मैं तो भूल ही गयी थी.
मैं: तुम्हे कल कॉलेज जाना है?

आंशिका: मन नहीं है पर सॅटर्डे को फेस्ट है, तुम्हे बताया था, तो जाना ही पड़ेगा.
मैं: ओक,

आंशिका: सुनो हूमें वहाँ किसी ने देखा तो नहीं होगा ना?
मैं: नहीं यार, कोई नहीं था वहाँ. और होता भी तो मैं संभाल लेता

आंशिका: मुझे बस यही डर लग रहा था की कोई बस देख ना ले.
मैं: अनु यार तेरी चुचियाँ बहुत मस्त है, मज़ा आ गया उन्हे दबा कर और चूस कर और निपल्स तो साले बड़े मस्त हैं.

आंशिका: रहने दो, तुमने मेरी जान निकल दी थी, इतनी ज़ोर से निपल काटे, पता है मैं पागल हो गयी थी दर्द से.ब्रा मैं भी एक छोटा सा छेड़ भी हो गया है तुम्हारे दाँतों की वजह से, पहले ही ये नेट वाली ब्रा है.
मैं: मैं क्या करूँ यार, तुम नेट वाली ब्रा मैं एकद्ूम सेक्सी लग रही थी, मेरे से रुका ही नहीं गया इसीलिए मैने काट दिया.

आंशिका: वो तो अछा हुआ जब ब्रा उतारी तब नहीं काटा दुबारा, वरना तो मैं वहीं दर्द के मारे बेहोश हो जाती.
मैं: अरे यार पहले बताना था ना, की तुम बेहोश हो जाती अगर और काटता.

आंशिका: क्या मतलब.
मैं: यार तुम्हारे निपल और काटता, तुम बेहोश हो जाती, फिर तो तुम पूरी मेरी, तुम्हारी चूत भी आज ले लेता मैं. अच्छी तरह.

आंशिका: हूऊऊऊ, हहेहहे, बदतमीज़ विशाल. केयर नहीं करता अपनी फ्रेंड की.
मैं: यार करता हूँ, तभी तो तेरी चूत को खुश देखना चाहता हूँ.

आंशिका: मैं भी तुम्हारे उसको खुश देखना चाहती हूँ, बट वेट करो यार.
मैं: उसको किसे ?

आंशिका: ओहो तुम्हे पता है.
मैं: हाँ पर तुम अपने मुँह से नाम लो.

आंशिका: पेनिस को
मैं: हिन्दी मैं

आंशिका: मैने कहा था की तुम बोलो कोई प्राब्लम नहीं, बट मैं नहीं बोलती.
मैं: मेरे लिए भी नहीं?

आंशिका: क्या यार, ये अच्छी बात नहीं है.
मैं: आई एम् वेटिंग.

आंशिका: तुम्हारे लंड को बदमाश.
मैं: हाँ, अब मज़ा आया कुछ, यार ऐसे ही बोला करो मस्त होकर, मुझसे क्या शरमाना, हमारे बीच कोई शरम की जगह बची है क्या?

आंशिका: ओक, आई वोंट फ्रॉम नाउ ऑन्वर्ड्स. ओक?
मैं: गुड, और अगर शरमाई तो मैं गालियाँ दूँगा.

आंशिका: अछा जी, कौनसी देगो?
मैं: तुझे कौनसी पसंद है?

आंशिका: गालियाँ भी पसंद करी जाती है क्या?
मैं: कुतिया चलेगी?

आंशिका: जी नहीं कोई भी नहीं चलेगी.
मैं: एक दो सिर्फ़ यार प्लीज़, मज़ा आता है चोदते हुए या सेक्स की बातें करते हुए गालियाँ देना, प्लीज़.

आंशिका: मुझे मत देना.
मैं: तो क्या अपने आप को दूं?

आंशिका: हेहहहे, हाँ दे लो.
मैं: नो, तू मेर्को दिया कर सेक्स की बाते करते हुए.

आंशिका: नो मैं नहीं दूँगी.
मैं: क्यूँ नहीं देगी साली कुत्ती

आंशिका: मना करा है ना,
मैं: साली नहीं देगी तो मैं तेर्को गंदी गंदी गालिया दूँगा, कुतिया .

आंशिका: कुत्ते साले , कम गालियाँ दे ले. हरामी.
मैं: गुड, ये हुई ना बात. मेरी कुतिया .

आंशिका:यार विशाल मैं चुदना चाहती हूँ तुमसे बुरी तरह, मेरा मन है की हम ऐसी जगह चले जाएँ, जहाँ हूमें कोई ना रोके टोक और तुम मेरे साथ दिन भर सेक्स करो, हर वो चीज़ करो जो तुम्हरारा मन हो, मैं तुम्हे हर वक़्त खुश रखूं.
मैं: साली मेरे बारे मैं सोच रही है या अपनी चूत के बारे मैं?

आंशिका: दोनो के बारे मैं ही, तुम नहीं चाहते क्या?
मैं: मेरा बस चले तो तेर्को यहीं पर बिना रुके चोदता रहू .

आंशिका: तेरी जी ऍफ़ होगी ना बड़ी खुशनासीद होगी जो तुझ जैसा प्यार करने वाला मिलेगा उसे. तू तो उसे दिन रात खुश रखेगा, है ना?
मैं: तेरा बंदा भी तो साला नसीब वाला होगा, जो तेरे जैसी चुड़दकड़ मिलेगी उसे.

आंशिका: अगर उसे सेक्स इतना पसंद नहीं हुआ जितना हम दोनो को है, तो मैं क्या करूँगी?
मैं: मैं मर थोड़ी ना जाऊंगा , तेर्को ज़िंदगी भर चोदता रहूँगा.

आंशिका: सच मैं, कहीं बाद मैं छोड़ के तो नहीं चले जाओगे, अगर कोई और सेक्सी लड़की मिल गयी तो
मैं: अगर मुझसे अयीशा टाकिया भी चुदवायेगी ना तो मैं पहले तेर्को ही चोदुंगा , यु डोंट वरी

आंशिका: सो स्वीट ऑफ यु . मैं भी तुम्हे कभी मना नहीं करूँगी मेरी चूत लेने से, आई स्वेर, मेरे चूत तुम्हारे लिए हमेशा रेडी है.
मैं: अछा है जो ये बोल दिया, वरना मुझे ख़ामखा तुम्हारा **** करना पड़ता.

आंशिका: तुम मेरा **** करोगे.
मैं: कर सकता हूँ, अगर तू नखरे करेगी आगे जाकर.

आंशिका: नहीं करूँगी, पक्का.
मैं: शादी के बाद भी.

आंशिका: बहुत आगे की सोच रहे हो तुम अभी से. अभी की बात करो
मैं: मुझे तेरी शादी के बाद भी चोदना है तेर्को, जब तक तू एक बार प्रेग्नेंट नहीं हो जाती, मुझे तेरा दूध पीना है.

आंशिका: ओक. पीला दूँगी, बस. बट तुम ये सब किसी से शेयर मत करना प्लीज़, बड़ी मुश्किल से मैने तुम्हे पाया है, जो मुझे समझत है और और मेरी ज़रूरतों को भी, वरना और सब तो उल्टा मतलब निकल लेते हैं.
मैं: और साले बस मज़े लेना जानते हैं, देना नहीं जानते, खुद करे तो अच्छे और कोई करे तो वो गंदे, ऐसी मेंटालिटी नहीं है मेरी. गर्ल्स की भी नीड होती है आई नो.

आंशिका: थॅंक्स, आई एम् सो लकी टू हेव ऐ फ्रेंड लाईक यु .
मैं: मी टू जान, जल्दी से लंड पर क़िस्सी करो .

आंशिका: मुआााआअहह.
मैं: आह्ह्ह मज़ा आ गया. लो तुम्हारी चूत पर करता हूँ मुआहह

आंशिका: पूरी गीली पड़ी है आज मेरी चूत , तुमने बुरा हाल कर दिया ऐसे ही, पता नहीं जब मेरी लोगे तो क्या हालत करोगे.
मैं: तेर्को अपने लंड का दीवाना नहीं बनाया तो देख लिओ

अँहसिका: वो तो मैं अभी से हो गयी हूँ, है ही इतना क्यूट और टेस्टी भी है.
मैं: ओक

आंशिका: और हाँ तुम अबसे ये मूठ मत मारा करो, बहुत मारते हो तुम , बेकार मैं अपना स्पर्म वेस्ट करते हो.
मैं: तो क्या करूँ?

आंशिका: मैं हूँ, उसको उसे करने के लिए, फिर मूठ क्यूँ मारते हो?
मैं: यार तुम दिमाग़ मैं घूमती रहती हो हर वक़्त तो इसीलिए कंट्रोल नहीं होता और मारना पढ़ जाता है.

आंशिका: तो कंट्रोल करा करो, बट नो वेस्ट ऑफ स्पर्म अब से.
मैं: ओक ट्राइ करूँगा.

आंशिका: नो ट्राइ, नहीं तो नहीं बस, जब भी मारने का मन करे मेरे से बात कर लिया करो, बट नो मास्टरबेशन.
मैं: यार तुम मरवावगी मेर्को, ऐसा लग रहा है की बिना मारे ही मैं झड़ जाऊंगा .

आंशिका: कोई ज़रूरत नहीं झड़ने की, तुम सिर्फ़ मेरे सामने ही झडोगे .
मैं: यार मेरा मन तुम्हे प्रेग्नेंट करने का भी है, मैं चाहता हूँ की तुम मेरे बच्चे की माँ बनो और मैं तुम्हारा दूध पिऊन.

आंशिका: तुम पागल हो गये हो क्या? इसके लिए तुम्हे मुझसे शादी करनी पड़ेगी.
मैं: यार अभी कहाँ हो पाएगी मेरी शादी. तुम कब कर रही हो शादी?

आंशिका: मेबी नेक्स्ट इयर .
मैं: मतलब नेक्स्ट इयर मैं तुमको प्रेग्नेंट कर सकता हूँ.

आंशिका: क्या मतलब?
मैं: तुम्हारी जब मॅरेज हो जाएगा तो मैं तुम्हे प्रेग्नेंट कर दूँगा, किसी को शक़ भी नहीं होगा.

आंशिका: जी नहीं, मुझे नहीं होना ऐसे प्रेग्नेंट, सिर्फ़ मेरा हब्बी ही मेर्को प्रेग्नेंट करेगा.
मैं: हमारे बीच वो कहाँ से आ गया अब?

अँहसिका: नो विशाल, तुम मेरे साथ सेक्स कर सकते हो बट नो प्रेग्नेन्सी सॉरी..
मैं: यार किसको क्या पता चलेगा.

आंशिका: अछा अभी ये बात छोड़ो, तब की तब देखी जाएगी.
मैं: मैं तो ज़रूर करूँगा प्रेग्नेंट. और अगर तूने नखरे करे तो **** कर दूँगा, फिर बोल्*िओ कुछ.

आंशिका: अछा ना जो मन है कर लेना बस, अभी से कुछ मत बोलो, टाइम आने पर देखेंगे.
मैं: देखेंगे नहीं, करेंगे.

अँहसिका: अछा बाबा कर लेना बस, अब रात के 2 बज रहे हैं सोने दो अब.
मैं: ठीक है सो जाओ, और सपनों मैं मेरे लंड से चुदियो ओके ?

आंशिका: हाँ ज़रूर, हहेहा और तुम भी मेरी चूत से मज़े लेना, ऑल युवर्ज़
मैं: आयी नो.

आंशिका: बाइ गुड नाइट, मुआहह
मैं: गुड नाइट, मुआहह
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#23
मैं: हाय , कहाँ हो जानेमन?
आंशिका: कॉलेज और कहाँ, तुम बताओ क्या कर रहे हो?

मैं: कुछ नहीं बस बोर हो रहा था, इसीलिए तुम्हे मेसेज कर दिया
आंशिका: मतलब जब बोर होते हो तभी याद आती है मेरी, यही बात है, है ना?

मैं: अरे नहीं यार, सिर्फ़ तब नहीं आती, जब जब लंड खड़ा होता है तभी आती है.
आंशिका: तुम रहने दो बस, दिल दुखाते हो मेरा.

मैं: मैं तो तुम्हे किसी बहाने याद भी कर लेता हूँ तुम्हे, तुम तो याद भी नहीं करती.
आंशिका: अछा कब याद नहीं करती, बताना ज़रा. लड़ने के मूड में हो? क्यूँ मूड ऑफ कर रहे हो मेरा?

मैं: ओह सॉरी जान, मैं तो ऐसे ही पंगे ले रहा था.
आंशिका: तुम्हे अछा लगता है मुझे सताना .

मैं: तुम्हे नहीं सताऊंगा तो और किसे सताऊंगा मेरी जान.
आंशिका: अछा जी, चलो कुछ तो अच्छी बात करी. और बताओ

मैं: कुछ नहीं, तुम्हारी चूत मारने का दिल कर रहा है.
आंशिका: कब नहीं करता?

मैं: हहेही, तुम बताओ, तुम्हारा क्या मन है?
आंशिका: फिलहाल तो मेरा मन है की इस साले डीन को जाके पीटूं .

मैं: क्यूँ क्या हुआ?
आंशिका: साले ने इतनी बड़ी स्पीच पकड़ा दी, कल फेस्ट मैं बोलनी है मेर्को. सबके सामने स्टेज पर, डर लग रहा है अभी से बहुत.

मैं: अरे फट गयी इतनी सी बात से.
आंशिका: अछा तुम बोलके दिखाओ ज़रा सबके सामने स्टेज पर, फिर पूछूंगी.

मैं: मैं तो बोल दूँगा अगर तुम वादा करो की ठीक उसके बाद तुम अपनी चूत दोगी मुझे.
आंशिका: मेरी चूत क्या ओक्शन के लिए है? या फ़ि कोई प्रॉपर्टी है जो दांव पे लगाऊ .

मैं: अरे यार तुम डरो मत, स्टेज पर चड जाना छाती चोडी करके और सुना कर आ जाना बस, वैसे भी सब तुम्हारी चूची को ही देखेंगे कोई स्पीच नहीं सुनने वाला तुम्हारी. माईक को लंड समझ कर पकड़ लेना, बस उसे स्टेज पर चूसना स्टार्ट मत कर देना.
आंशिका: बस रहने दो, मैं स्पीच देने जा रही हूँ ना की स्ट्रीप शो करने.

मैं: कसम से यार, तुम जब स्ट्रीप शो करोगी तो बिपाशा से भी ज़्यादा अर्न करोगी.
आंशिका: क्यूँ बिपाशा स्ट्रीप शो करती है क्या?

मैं: उसे छोड़ो, अपनी बात करो.
आंशिका: तुम ना ये बातें बोल बोल कर मेरी पेंटी फिर से गीली कारवाओगे.

मैं: फिर से गीली? पहले कब करवाई अभी.
आंशिका: अभी जब मैं बस मैं आ रही थी अभी.

मैं: पर तब तो तुमसे बात नहीं हुई.
आंशिका: तो क्या, तुम्हारे बारे मैं सोच रही थी, कल रात के बारे में , हो गयी गीली फिर से.

मैं: तो जान फोन कर लेती, बस मैं ही बातों बातों में झड़वा देता.
आंशिका: तभी तो नहीं करा, मुझे पता था की तुम बस मैं भी शुरू हो जाओगे, बदमाश.

मैं: यार ऐसी प्लेसस मैं तो मज़ा आता है, पब्लिक प्लेसस में
आंशिका: हाँ तुम तो मेरे नंगे पोस्टर लगवा दो हर जगह.

मैं: जैसा तुम कहो जान, तुम्हारी ब्लू फिल्म भी बना लूँगा.
आंशिका: बकवास मत करो, मुझे ना ये सब नहीं पसद, ओन्ली एंजाय्मेंट नो वुल्गेरिटी.

मैं: अरे तो मैं कौन सा कुछ कर रहा हूँ, सिर्फ़ बात ही तो कर रहा हूँ.
आंशिका: नो, आज बात कर रहे हो, कल फिर करने को भी बोलॉगे, इसीलिए अभी से क्लियर कर लो, नो वुल्गेरिटी एंड ऑल, मुझे ये सब नहीं पसंद.

मैं: ओक बाबा, नहीं करूँगा बात भी बस ?
आंशिका: गुड.

मैं: जान मुझे भी तुम्हारी स्पीच सुननी है.
आंशिका: कैसे?

मैं: मैं भी आ जाऊ कल फेस्ट मैं ?
आंशिका: नो.

मैं: क्यूँ?
आंशिका: मना करा है ना.

मैं: यार तुम शादी मैं भी नहीं लेकर गयी और अब यहाँ भी मना कर रही हो, लगता है तुम्हे शरम आती है मुझे अपने साथ कहीं ले जाने मैं , ठीक है मैं अब से कभी नहीं मिलूँगा तुमसे अगर तुम्हे नहीं पसंद.
आंशिका: प्लीज़ यार ऐसे मत कहो, यु आर माय स्वीट आंड बेस्ट फ्रेंड, ऐसी कोई बात नहीं है, बस मुझे डर लगता है.

मैं: कैसा डर ?
आंशिका: किसी को कुछ भी पता चल गया तो.
मैं: अरे यार मैं वहाँ फेस्ट मैं तुम्हारी चूत थोड़ी ना मारूँगा, बस मिलने ही तो आऊंगा , औरों की तरह.
आंशिका: अच्छा अभी थोड़ी देर में बताती हूँ ओके .

मैं: रहने दो, आई नो उर आंसर – नो
आंशिका: नो बाबा, ऐसी कोई बात नहीं है, अच्छा देन प्रॉमिस मी की यहाँ कुछ उल्टा सीधा नहीं करोगे.

मैं: अरे पागल हो क्या, जो वहाँ पूरे कॉलेज के सामने तुम्हारी ब्रेस्ट सक करूँगा या चूत मारूँगा, मुझे भी फिकर है हुमारी, समझी.
अँहसिका: गुड, डेट्स लाईक माय बेस्ट फ्रेंड. ठीक है कल 10 बजे स्टार्ट होगा आ जाना टाइम पर, मेरी स्पीच 10:30 पर है, मिस मत करना, बताना की कैसी थी. ओके ?

मैं: ओक शुवर, जरुर आऊंगा , मैं तो 9:30 बजे ही तुम्हारे पास आ जाऊंगा .
आंशिका: तुम एक काम क्यूँ नहीं करते, सुबह मेर्को लेने आ जाओ ना मेरे घर के पास.

मैं: वाउ, दिस इस ग्रेट आइडिया. ठीक है आ जाऊंगा .
आंशिका: बट मिस्टर., बीच मैं नो स्टॉपेज, कहीं भी बाईक रोकने की ज़रूरत नहीं है बीच मैं, सीधा कॉलेज ओक?

मैं: आई नो यार, मैं भी कोई इतना पागल नहीं हूँ. और मैं ही तुम्हे ड्रॉप करूँगा.
आंशिका: वो वहीं देख लेंगे, फिर कल सुबह 7:30 तक आ जाना.

मैं: 7:30? यार मैं तो सोकर भी नहीं उठता तब.
आंशिका: तो फिर रहने दो, मैं खुद ही चली जौंगी.

मैं: नो नो, कल उठ जाऊंगा , सिर्फ़ तुम्हारे लिए जान.
अंशिका : हाँ गुड, मैं तुम्हारा वेट करूँगी, अछा अभी मैं स्पीच की प्रॅक्टीस कर रही हूँ, बाद में बात करते हैं.

मैं:ओक बाइ, बेस्ट ऑफ लक कल के लिए,
आंशिका: अभी से क्यूँ बोल रहे हो? कल नहीं आ रहे क्या?

मैं: आ रहा हूँ, ऐसे ही बोल दिया
आंशिका: ओक, थॅंक जान, यु आर वेरी स्वीट.

मैं: यु टू. मुआहह.
आंशिका: मुआहह

मैं: क्या पहना है जान?
आंशिका: सूट एस युसुअल

मैं: किस कलर का?
आंशिका: ऑरेंज,.

मैं: हाय जान, संतरे कैसे हैं तेरे?
आंशिका: तुम्हे नहीं पता कैसे हैं? नागपुरी संतरे... मोटे मोटे, जूसी , चूसने लायक एकदम , हहेहे

मैं: यार फिर खड़ा हो गया साला.
आंशिका: कोई ज़रूरत नहीं है मूठ मारने की, बिठा लो उसे चुप चाप , मैं जा रही हूँ अभी बाइ.

मैं: जान बड़ा मुश्किल है इसे बिठाना वो भी बिना मूठ मारे, सिर्फ़ तुम ही कर सकती हो ये काम, बट मैं ट्राइ करूँगा की मूठ ना मारू 
आंशिका: जाओ, अभी मेर्को काम करने दो प्लीज़.

मैं: ओक सॉरी बाइ.



देन उसका दिन मैं 1 बजे कॉल आया……..

आंशिका: हेलो
मैं: हाय जान, बस तुम्हारा ही वेट कर रहा था.

आंशिका: क्यूँ मूठ मार रहे थे?
मैं: नहीं, बस याद आ रही थी तुम्हारी.

आंशिका: पहले मूठ मारा तुमने?
मैं: नहीं, तुमने मना कर दिया था न, इसीलिए नहीं मारा.

आंशिका: गुड, इसका मतलब यु केंन कंट्रोल युवरसेल्फ, आई लाईक इट.
मैं: तुम्हारे लिए कुछ भी जान. तुमने लंच कर लिया?

आंशिका: हाँ बस अभी करा, अब केम्पस का राउंड लगा रही हूँ.
मैं: क्यूँ? कोई रेस है क्या?

अँहसिका: नहीं यार, मोटी होती जा रही हूँ मैं, इसीलिए खाना खा कर थोड़ी घूमती हूँ. वरना थोड़े टाइम में प्रेग्नेंट वूमन लगूंगी.
मैं: वो तो मैं तुम्हे कर ही दूँगा प्रेग्नेंट एक ना एक दिन.

आंशिका: क्या कहा?
मैं: कुछ नहीं.

आंशिका: बेकार मैं सपने मत देखा करो, ज़्यादा ही बाप बनने का शौक है तो मुझसे शादी कर लो ख्वाइश पूरी हो जाएगी.
मैं: यार तुम्हारे साथ का होता तो अब तक तो हनिमून भी बना लिया होता, बट वोही एज प्राब्लम यार, तुम कहाँ मैं कहाँ.

आंशिका: हाँ जब सब पता है, तो भूल जाओ मुझे प्रेग्नेंट करने वाली बात.
मैं: इतनी आसानी से नहीं भूलूंगा, चलो तब की तब देखेंगे अभी रहने दो

आंशिका: हाँ , गुड फॉर अस .
मैं: स्पीच हो गयी रेडी?

आंशिका: हाँ ऑलमोस्ट, डर लग रहा है यार फिर भी, प्रॅक्टीस भी कर चुकी हूँ कई बार. तुम्हे सुनाऊ एक बार?
मैं: हाँ सुनाओ .

आंशिका: ओक, हियर आई स्टार्ट.
गुड मॉर्निंग माय डियर स्टूडेंट्स, रेस्पेक्टेड टीचर्स एंड ओउर ह’बल चीफ गेस्ट मिस्टर.………………………………………………………………………………
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#24
मैं: वाउ यार, मस्त बोलती हो तुम, मुझे तो बहुत अच्छी लगी. मस्त बोलती हो एकदम, यु गोयिंग टू राक यार.

आंशिका: सच? मेरा मन रखने के लिए तो नहीं बोल रहे ऐसा?
मैं: अरे नहीं यार, सच में बहुत अच्छी लगी. तुम चिंता मत करो, आई नो यु आर ग्रेट

आंशिका: थॅंक्स यार, फॉर गिविंग मी कॉन्फिडेन्स.
मैं: मेन्षन नोट, अछा ये बताओ कल क्या पहन रही हो?

आंशिका: साडी ही पहननी है हम टीचर्स को.
मैं: ओक, किस कलर की पहन रही हो इस बार.

आंशिका: अभी डिसाइड नहीं करा, तीन हैं – एक ब्लू है, एक रेड है और एक ब्लॅक, कौनसी पहनूं इनमे से?
मैं: यार तुम सारी पहनो या ना पहनो मुझे तो मस्त लगती हो, वैसे गो फॉर ब्लॅक.

आंशिका: ब्लॅक ना? मेरा भी यही मन था, हम सेम थिंक करते है , है ना?
मैं: तभी तो इतने अच्छे फ्रेंड्स हैं.

आंशिका: हाँ ये भी है, मुझे आज तक इतना अंडरस्टॅंड एंड केरिंग फ्रेंड नहीं मिला.
मैं: केरिंग किस बात के लिए?

आंशिका: अछा केरिंग नहीं हो? मेरे लिए कल सुबह जल्दी उठोगे , कौन करता है किसी फ्रेंड के लिए.
मैं: सच कहूँ तो, अगर कोई और फ्रेंड होता या होती तो मैं उसे मना कर देता बट तुमसे ना नहीं करी जाती.

आंशिका: आई नो तभी तो केरिंग कहा.
मैं: तुम भी तो बहुत केरिंग हो.

आंशिका: मैं कैसे?
मैं: मैने तुम्हे इतना परेशन करा है, इतनी ज़िद मनवाई हैं, पर तुम बिना कुछ कहे आराम से सब करा लेती हो.

आंशिका: मुझे भी तो तुम्हे ना नहीं कहा जाता ना, क्या करूँ.
मैं: आई नो, तभी तो जान बुझकर ज़िद करता हूँ.

आंशिका: बदमाश तो तुम हो ही. अछा अब लंच ब्रेक ओवर, वर्क टाइम स्टार्ट, बाद में बात करते हैं ओक?
मैं: ओक जान, केरी ओन . बाइ और स्पीच सच में बहुत अच्छी थी, चाहे किसी को भी सुना कर पूछ लेना.

आंशिका: तुमसे पूछ लिया बस अब किसी और की ज़रूरत नहीं मुझे, थॅंक्स, बाइ
मैं: बाइ

नेक्स्ट डे सुबह मैं जल्दी उठ गया और तैयार होकर मैने अंशिका को कॉल करा.

मैं: हेलो, गुड मॉर्निंग मेम
अंशिका: ओह हाय , गुड मॉर्निंग, ई एम् इंप्रेस्ड, तुम तो सच में जल्दी उठ गये, मुझे यकीन नहीं हो रहा है.

मैं: कोई नहीं जब थोड़ी देर में तुम्हारे पास आऊंगा तो छूकर यकीन कर लेना.
आंशिका: तुम रेडी हो?

मैं: हाँ रेडी हूँ, और तुम?
आंशिका: हाँ बस साडी पहनने लगी थी, तुम्हारी कॉल आ गयी.

मैं: इसका मतलब ब्लाउस पेटिकोट में हो अभी?
आंशिका: हाँ

मैं: हाय यार, क्या मस्त लग रही होगी, ऐसे ही चलो ना.
आंशिका: सुबह सुबह शुरू हो गये.

मैं: मैं तो कभी ख़तम ही ना हूँ अगर तू मेरे साथ हो हमेशा.
आंशिका: ये सब छोड़ो, ये बताओ कितनी देर में आ रहे हो यहाँ.?

मैं: मैं तो रेडी हूँ, तुम बताओ कितनी देर में निकलूं?
आंशिका: तुम्हे कितना टाइम लगता है पहुँचने में मेरे यहाँ?

मैं: 15 मिनट मेक्स
आंशिका: ठीक है निकल जाओ घर से.

मैं: ओके जान, निकल रहा हूँ, और जब मैं आऊं तो पेटीकोट ब्लाउस में मत मिलना, वरना मैं फिर बिना चोदे नहीं मानूँगा.
आंशिका: अरे बाबा, ई एम् ऑलमोस्ट रेडी, अब फोन रखो और जल्दी आओ.

मैं: ओके मिलता हूँ. बाइ
आंशिका: हाँ बाइ.

थोड़ी देर बाद में उसके घर के पास वाले बस स्टॉप पर पहुँच गया और उसे कॉल करके बुला लिया. वो मुझे सामने से दिखी, ब्लेक साडी में थी, सबकी नज़र उसी पर थी रोड पर, दूधवाला, हॉकर, बेगर्स, कॉलेज चिल्ड्रन्स, सब उसे ही घूर रहे थे, ब्लेक साडी मैं: वो बहुत मस्त लग रही थी, ब्राउन कलर की लिपस्टिक, मॅचिंग ब्लाउस, सुबह सुबह लंड टन गया देख कर और उसकी छाती के तो कहने ही क्या. उसने मुझे दूर से देख लिया था पर वो मेरी नज़रों में ना देखकर नीचे देख कर चलती हुई मेरे पास आ रही थी, ऐसा आग रहा था की मैं दूल्हा हूँ और वो मेरी दुल्हन, वो मेरे पास आकर खड़ी हुई और बोली –

आंशिका: ऐसे क्यूँ घूर रहे थे दूर से, शरम नहीं आती.
मैं: अच्छा अब घूर भी नहीं सकता, लंड को तुमने पहले ही पिंजरे में डाल दिया है.

आंशिका: अछा ये बताओ की मैं कैसी लग रही हूँ.
मैं: मोस्ट ब’फूल वुमन , ब्लॅक कलर लुकिंग आसम ओन यु यार. मेरा मन भी काला हो गया तुम्हरे ऐसे देख कर. कितनों की जान लेने का इरादा है आज?

आंशिका: तुम्ही दे देना अपनी जान बस, आई विल बी हेप्पी , तुम भी बहुत स्मार्ट लग रहे हो आज.
मैं: थॅंक यु , सब आपका ही कमाल है.

आंशिका: अब आपका मन हो तो चलें?
मैं: हाँ क्यूँ नहीं, चलो.

आंशिका: थोड़ी तेज़ चलना बाईक.
मैं: जितना चिपक कर बेठोगी उतनी तेज़ चलाऊंगा .

उसने स्माइल पास करी और मेरी बाईक पर पीछे बैठ गयी, वो थोड़े डिस्टेन्स पर बैठी थी शायद घर के पास होने की वजह से, पर मैने भी बाईक को धीरे ही चलाया, थोड़ी आगे जाकर वो मेरे से चिपक गयी, जैसी एक वाइफ अपने हज़्बेंड के साथ जाती है बाईक पर, उसने अपनी ब्रेस्ट मेरी बेक पर लगा दी अच्छी तरह और बोली –

आंशिका: अब सही है मेरे राजा? अब तो कम से कम तेज़ चला लो.
मैं: हाँ क्यूँ नहीं मेरी जान.

आंशिका: बिना रिश्वत लिए कोई काम नहीं करते तुम.
मैं: जब रिश्वत में तुम मिल रही हो तो क्यूँ ना लूँ.

थोड़ी देर में हम उसके कॉलेज पहुँच गये. वहाँ मैने पार्किंग में बाईक पार्क करी की तभी उसकी सीनियर जो मॅरेज में थी उसके साथ वो भी तभी आई थी अपनी कार पार्क कर के उतर रही थी. आंशिका को देख कर वो मुस्कुरई और बोली…….

आंशिका: हाय मेम ,
सीनियर : हाय अनु, सही टाइम पर आ गयी.

आंशिका: हाँ इसकी वजह से (मेरी तरफ इशारा करते हुए बोली)

मैने हेल्मेट पहना हुआ था, तो हू मुझे पहचान नहीं पाई, मैने हेल्मेट उतरा तभी वो बोली

सीनियर: ओक ओक, तुम्हारा कसीन राईट ? शादी में भी आया था तुम्हे लेने.
आंशिका: हाँ मेम .

मैं: गुड मॉर्निंग मेम .
सीनियर: हाय डियर,

उसने हाथ आगे बड़ा कर मुझसे शेक हॅंड करा, मैं ये एक्सपेक्ट नहीं कर रहा था. वो मुझसे हंसकर बोली.

सीनियर: तो बेचारी आंशिका ने तुम्हे ड्राइवर बना दिया है. चलो आओ उंड़र आओ, फर्स्ट टाइम आए हो ना शायद हुमारे कॉलेज, देखो और बताओ कैसा है हमारा कॉलेज और आज का इवेंट भी. आंशिका आज मत भेज दियो , पूरा इवेंट अटेंड करवाना इससे भी.
आंशिका: नो मेम , आज तो मेरे साथ ही रहेगा ये ड्राइवर, हहहे

वो दोनो इस बात पर हँसने लगी तो मैं भी थोडा सा मुस्कुरा दिया.

उसकी सीनियर ने अपने बच्चो को आवाज़ लगाई जो कार में बैठे थे,

सीनियर: स्नेहा, सचिन चलो बाहर आओ, अन्दर चलो

कार का गेट खुला और उसके दोनो बच्चे सामने आए.

मुझे याद है आंशिका ने मुझे पहले बताया था की इसकी एक लड़की 15 साल की है और एक लड़का 11 साल का. दोनो कार में से उतरे, मैं तो उसकी लड़की को ही देखने में लगा था. बहुत स्वीट लग रही थी, स्कर्ट पहन रखी थी उसने, और उपर टॉप, जिस पर से उसकी छोटी छोटी चुचियाँ उबर रही थी और उसकी स्वीट सी स्माइल उसके फेस के ग्लो को और बड़ा रही थी. सीनियर ने उनसे कहा…

सीनियर : से गुड मॉर्निंग टू देम.

स्नेहा & सचिन : गुड मॉर्निंग सर , गुड मॉर्निंग मेम .

आंशिका & मैं मॉर्निंग.

सीनियर: चलो अन्दर चलते हैं, और हाँ आंशिका डाइरेक्टर सर के रूम में चली जाओ, तेरी स्पीच रेडी है ना.
आंशिका: हाँ, सुबह सुबह बुड्ढा क्यूँ बुला रहा है?

सीनियर: पागल है हू, चली जा वरना जान खा जाएगा. चलो अन्दर चलते हैं

हम चलने लगी, आगे आगे सीनियर और उसके बच्चे जा रहे थे, मैं और आंशिका उनके पीछे थे. उसकी सीनियर की गांड बड़ी मस्त थी, ऐसा लग रहा था की जितनी भी लौड़ों से चुदी है सब गांद में ही भर लिए हैं इसने, आंशिका के बूब्स और उसकी सीनियर की गांद, दोनो ही लाजवाद हैं, मन कर रहा था पीछे से पकड़ लूँ. मैने आंशिका से कहा…

मैं: तुम्हारी सीनियर का नाम क्या है?
आंशिका: हम इन्हे कॉलेज में किटी मेम बुलाते हैं.

मैं: तो बाहर कुछ और बुलाते हो क्या?
आंशिका: हाँ, सिर्फ़ किटी, उन्हे नहीं पसंद ये मेम कॉलेज के बाहर, शी इस वेरी कूल टाइप ऑफ पर्सन, देखा नहीं तुमसे अभी हॅंड शेक करा.

मैं: हाँ ये तो है, मेरे शरीर में करंट दौड़ गया था तब.

अंशिका कुछ नहीं बोली और मुझे टेडी निगाहों से देखनी लगी..

मैं: क्या करूँ लंड है की मानता नहीं.
आंशिका: उसकी चिंता मत करो, उसकी तो अच्छी खबर लूँगी एक दिन मैं , अच्छा तुम चलो हॉल में जाओ मैं अभी आती हूँ.

मैं: कहाँ जा रही हो?
आंशिका: अभी बोला तो किटी मेम ने की डाइरेक्टर ने बुलाया है.

मैं: क्यूँ बुलाया है?
आंशिका: मुझे क्या पता, वहीं जाकर पता चलेगा.

मैं: चूत चाहिए उसे तुम्हारी ?
आंशिका: पागल हो क्या? कुछ भी बोलते हो. तुम जाओ हॉल में वेट करो मैं अभी आती हूँ. रास्ता हॉल का यहाँ से है.

इस वक़्त सिर्फ़ 8 बजे थे, तो वहाँ स्टूडेंट्स बहुत कम थे, सिर्फ़ वोही थे जो वॉलंटियर्स थे, मैं  तो लड़की देखने की चाह में इधर उधर घूम रहा था. थोड़ी देर में आंशिका आ गयी.

आंशिका: हा अब बोलो, बोर तो नहीं हो रहे?
मैं: हो रहा हूँ, किसलिए बुलाया था बुड्ढे ने?

आंशिका: कुछ इंपॉर्टेंट इन्स्ट्रक्षन्स दे रहा था बस,
मैं: पक्का ना? अगर इससे कुछ और ज़्यादा बात हुई तो गांड मार लूँगा उसकी.

आंशिका: ना बाबा, बस मेरी छाती घूर रहा था वो तुम्हारी तरह
मैं: अब इसमें उसका कसूर नहीं.

आंशिका: अच्छा तुमने कॉलेज देखा?
मैं: नो

आंशिका: तो देख लेते अब तक यूँही बोर हो रहे थे.
मैं: तुमने ही तो कहा की हॉल में जाकर वेट करो, यहाँ तो अभी कोई ढंग की लड़की भी नहीं है.

आंशिका: चलो मैं फ्री हूँ थोड़ी देर, तुम्हे कॉलेज दिखाती हूँ चलो.
मैं: ओके

हम कॉलेज घूमने लगे, सारी क्लासेस खाली थी आज फेस्ट की वजह से, मन कर रहा था एक क्लास में ले जा कर यहीं बजा दूं इसे, पर नहीं कर सकता था. घूमते घूमते उसने बोला तुम यहीं वेट करो मैं अभी लू होकर आती हूँ.

मैं: क्यूँ जा रही हो?
आंशिका: क्यूँ नहीं जाऊ ?

मैं: नहीं जाओ पर किसलिए जा रही हो?
आंशिका: मेर्को जाना है अब स्टेज पर , तो कपड़े ठीक कर लूँ एक बार.

मैं: तो मेरे सामने क्या प्राब्लम है?
आंशिका: फिर शुरू हो गये तुम?

मैं: प्राब्लम तो बताओ क्या है?
आंशिका: तुम हो प्राब्लम, छोड़ोगे नहीं मुझे एक बार देख लिया तो.

मैं: अछा इतनी देर से कंट्रोल नहीं कर रखा क्या, अगर इतना बेकाबू होता तो तुम अभी किसी झाड़ियों में पड़ी हुई होती बुरी तरह चुदी हुई,
आंशिका: मैं इसीलिए नहीं लाना चाह रही थी तुम्हे, हर जगह शुरू हो जाते हो.

मैं: क्लासरूम में चलते हैं लॉक कर लेते हैं, तुम वहीं अपने क्लोथ्स सही कर लेना.
आंशिका: बिल्कुल नहीं, मैं नहीं आ रही किसी रूम में तुम्हारे साथ वो भी कॉलेज में, कोई आ गया न बस, तुम्हारा तो कुछ नहीं होगा बट मैं मारी जाउंगी , एवेरिबडी नोस मी हेयर .

मैं: पूरी बिल्डिंग में कोई नहीं है और हम टॉप फ्लोर के लास्ट रूम के पास हैं, कौन पागल आएगा.
आंशिका: मना कर दिया ना मेने एक बार, बस अब कुछ मत बोलना.

ये बोलकर वो लेडीस टाय्लेट में चली गयी, और मैं बाहर खड़ा रहा, पर मैं ये चान्स मिस नहीं करना चाहता था, मैने सोचा क्यूँ ना लेडिस टाय्लेट के अंदर ही चला जाऊ , कम से कम वहाँ से तो नहीं भागेगी वो , पर मेर्को भी डर लग रहा थी की ग़लती से कोई आ गया तो, वैसे कोई नहीं आता, पूरे कॉलेज में कोई नहीं था, मैने हिम्मत करी और अंदर घुस गया. जैसे अन्दर घुसा मैने देखा की आंशिका मिरर के सामने खड़ी है और उसका पल्लू हटा हुआ है और सेफ्टी क्लिप उसके मुँह में है. उसने मुझे मिरर में देखा और डर गयी…
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#25
आंशिका:  तुम? अंदर कैसे आ गये? शरम नहीं आती तुम्हे? बाहर जाओ अभी के अभी.
मैं: क्यूँ तुम्हे क्या प्राब्लम है, तुम्हे जो करना है तुम करो, तुम्हारा कुछ ले रहा हूँ क्या मैं.

आंशिका:  यार प्लीज़ चले जाओ, कोई आ गया तो मेरी वाट लग जाएगी बुरी तरह.
मैं: चिंता मत करो मैं कुछ नहीं कर रहा, बस देखूँगा.

आंशिका:  तुम बड़े ज़िद्दी हो यार, आई डोंट लाईक इट.

ये बोलकर वो वापिस मिरर के सामने खड़ी होकर अपना मेकअप सही करने लगी. मैं: उसके पास मिरर की तरफ बेक करके स्लेब से सपोर्ट लेकर खड़ा हो गया और उसको निहारने लगा. उसने पल्लू हटाया हुआ था, उसके ब्लाउस में से उसकी क्लीवेज दिख रही थी, मैं उसे ही घूर रहा था. वो टेडी निगाहें करते हुए मेर्को देख कर मुस्करा रही थी.

आंशिका: तुम जैसा पागल इंसान कहीं नहीं देखा.
मैं: एक पागल और है मेरी टांगो के बीच.

आंशिका:  उसे तो मैं जानती हूँ.
मैं: अछा वो हू तुम्हे पूरी अच्छी तरह नहीं जानता.

आंशिका:  कोई नहीं, जान जाएगा एक दिन.
मैं: देखते हैं.

आंशिका:  बड़े गट्स हैं तुममे जो लॅडीस टाय्लेट में आ गये, आई एम् इंप्रेस्ड.
मैं: तुम्हारे लिए कहीं भी घुस सकता हूँ, जिससे तुम मे घुसा सकूँ.

आंशिका:  अछा, कोई ज़रूरा नहीं है ऐसी वैसी जगहों पर जाने की, ऐसे ही घुसा लेना, वैसे भी तुमने आज मेरा दिल जीत लिया इतना बड़ा काम करके.
मैं: दिल का क्या करूँ मुझे चूत चाहिए.

आंशिका:  हाँ , मिल जाएगी वो भी. वैसे तुमने इतना डेरिंग काम करा मेरे लिए, तुम्हारा इनाम तो बनता है.
मैं: क्या चूत दे रही हो?

आंशिका:  नहीं.

उसने मेरी तरफ फेस करा और अपना ब्लाउस ओपन करने लगी,

आंशिका:  सिर्फ़ दूर से ही देख लो, नो टचिंग नो सकिंग. तुम्हे नेट वाली ब्रा पसंद है ना? वही पहनकर आई हूँ.

उसने अपना ब्लाउस खोला और उसकी नेट वाली ब्रा में से झांकते उसके सफ़ेद मोटे मुम्मे देखकर मैं तो दांग रह गया.

मैं: माय गोड , उस रात तो अंधेरे में ढंग से देख नहीं पाया था, आज तो मस्त लग रही है यार तू एकदम, मस्त ब्रा है तेरी और चुचियाँ तो बस… यार प्लीस ब्रा ओपन कर, उस रात देख नहीं पाया था ब्रेस्ट ढंग से .

आंशिका:  नो, तुम फिर शुरू हो जाओगे,
मैं: पक्का नहीं, बस देखूँगा. प्लीज़

आंशिका:  ओक,

वो अपनी ब्रा भी ओपन करने लगी, मेरी साँसें तेज़ हो रही थी, दिल घोड़े से भी तेज़ दौड़ रहा था और लंड पूरा चूत की तरफ मुँह करे हुए था..उसने अपनी ब्रा ओपन करी और लेफ्ट चुचि बाहर निकाली ब्रा और ब्लाउस की साइड से.

मैं: देख कर दंग रह गया, इतनी सॉफ्ट ब्रेस्ट, इतने बड़े निप्पल , और ब्रेस्ट के उपर तिल. मेरे से रुका नहीं गया और मैने आगे बढ़कर उसकी ब्रेस्ट को ज़ोर से पकड़ लिया….

आंशिका:  हाआआअ , आराम से नहीं कर सकते... जंगल कहीं के. जल्दी सक करो नीचे जाना है फिर.
मैं: क्या बता है मेरी जान बड़ी जल्दी मान गयी .

आंशिका:  तुमसे रिक्वेस्ट करना तो बेकार है, करनी अपने मन की है तुम्हे, जल्दी करो अब.

मैने उसकी ब्रेस्ट दबाई ज़ोर से, उसकी निप्पल को मसला अपने अंगूठो से, मैं तो ऐसे में ही झड़ने वाला था, मैं जल्दी से उसकी निप्पल को मुँह में भरा और सक करने लगा, निपल मुँह से निकल गया, मैने फिर से उसे मुँह में भरा और चूसने लगा, फिर निकल गया, मैने इस बार निपल को दाँतों से पकड़ लिया और काट दिया.

आंशिका:  आ , पागल हो क्या, जानवर कहीं के, आराम से करो .
मैं: बार बार तंग कर रहा था भोसड़ी का. सो काट लिया.

आंशिका : अछा अब बस करो.
मैं: दूसरी चुचि भी एक बार सिर्फ़.

मैने साइड उसका ब्लाउस साइड करके उसकी राईट चुचि को भी बाहर निकाला ओर उस पर किस करने लगा.

आंशिका:  जल्दी करो, ये मज़े लेने का टाइम नहीं है इतना, जल्दी सक करो यार.

मैने उसका निपल मुँह में भरा और सक करने लगा, सच में इतना मज़ा लाइफ में कभी नहीं आया, जितना अभी रोशनी में चूसने करने में मज़ा आ रहा था उतना उस रात नहीं आया था, मैने उसके निपल को पूरा मुँह में भरा हुआ था और उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थी, तभी उसने अपनी चुचि पकड़ कर खींची जिससे की उसका निपल मेरे मुँह से बाहर आ गया और पक की आवाज़ आई…

आंशिका:  बस बहुत हो गया अभी के लिए, मुझे जाना है, चल बाहर जाओ मुझे कपड़े ठीक करने दो.
मैं: अछा सिर्फ़ एक किस तो देदे.

आंशिका:  नहीं, लिपस्टिक खराब हो जाएगी, चलो बाहर जाओ अब
मैं: कुछ नहीं बोला और बाहर चला गया और उसका बाहर आने का इंतेज़ार करने लगा.

वो 5 मीं में बाहर आई और मुझे देख कर मुस्कुराने लगी.

मैं: बड़ा मुस्कुरा रही हो.
आंशिका:  तुम्हारे अन्दर के जानवर को शांत देख कर हँसी आ रही है.

मैं: अभी शांत कहाँ हुआ है, सिर्फ़ चूसने से शांति थोड़ी ना मिलती है. बल्कि और आग लग गयी है अब तो.
आंशिका:  फिर भी कुछ तो प्यास बुझी ना.

मैं: मेरी छोड़ो, अपनी बताओ, बड़े मज़े से चुस्वा रही थी. पहले तो बड़े ड्रामे कर रही थी की टच तक नहीं करना, ये वो..
अंशिका : तुम बातें ही ऐसी करते हो, सीधा टाय्लेट में ही आ गये, अब कोई मेरा इतना दीवाना हो उसे मैं कैसे खाली हाथ जाने दूं. तुम वैसे खुश तो हो ना? मज़ा आया ना?

मैं: बहुत आया मेरी जान, पर तूने करवा केसे लिया कॉलेज में.
आंशिका:  मन था देखने का कैसा फील होता है ऐसी जगह पर ये सब करने से.

मैं: तो दुबारा अंदर चलें, और फील कर लेना.
आंशिका:  तुम नीचे चलो अब, बदमाश लड़के.

हम नीचे ग्राउंड फ्लोर पर आ गये.

आंशिका:  अछा सुनो , मैं अब स्टेज के पीछे जा रही हूँ, काफ़ी कुछ मेनेज करना है, तुम अब अपने आप घूम लो, और हाँ मेरी स्पीच के टाइम हॉल में रहना ज़रूर, सुनना पूरी स्पीच मेरी.
मैं: यार मैं अकेला क्या करूँगा इतनी देर?

आंशिका:  हाँ , ये भी है, अछा रूको मेरी साथ आओ.

वो मुझे स्टाफ रूम की तरफ ले जाने लगी.

धीरे धीरे कॉलेज के स्टूडेंट्स आने स्टार्ट हुए, सेक्सी सेक्सी गर्ल्स आई, कोई मिनी ड्रेस में, कोई सूट में, कोई साडी में, तो कोई लो वेस्ट जीन्स में, कोई मोटे चुचियों के साथ, कोई फ्लॅट चेस्ट के साथ, कोई लंबी टाँगों के साथ तो कोई लंबी चोटी के साथ, किसी की थाइस बड़ी मस्त तो किसी की गांड, कोई सेक्सी आवाज़ में बोलती तो कोई रंडी की तरह हंसती, कोई घुरती तो कोई शर्मा के नज़रे ही नहीं मिला पाती. इतनी सारी लड़कियों को देख कर तो मेरी आँखें ठरक से भर गयी, पर साथ में ये दो बच्चे भी थे जिनकी वजह से किसी पर चान्स भी नहीं मार सकता था.

फिर हम सब ने हॉल में एंटर करा जहाँ फंक्शन होना था, हॉल काफ़ी बड़ा था हम सब सीट्स पर बैठ गये, अभी स्टूडेंट्स की स्ट्रेंथ थोड़ी कम थी तो अभी हॉल थोडा खाली था. हम तीनो मैं, स्नेहा और सचिन सीट्स पर बैठ गये आगे से तीसरी रो में जहाँ मोस्ट्ली टीचर्स और स्टाफ की फेमेलीस बैठी थी तो वहाँ तो ज़्यादातर भाभियाँ ही बैठी थी पर अनलकिली अभी तक कोई ढंग की नहीं बैठी थी और मैं वैसे भी स्नेहा और सचिन के बीच में बैठा था. थोड़ी देर में फंक्षन स्टार्ट हुआ, एक सेक्सी सी टीचर पिंक कलर की सारी में स्टेज पर आई हाथ में लंड जैसा माईक लेकर और उस लंड मतलब माईक को अपने मुंह के पास रख कर
बोली –

“स्टूडेंस प्लीज़ मेनटेन साइलेन्स, वी आर अबौट टू बिगिन ”

जैसे अभी साली की लाईव चुदाई होनी हो. फिर उस टीचर के जाने के बाद एक लड़का और लड़की स्टेज पर आए एंकरिंग के लिए, 5 मीं बोलने के बाद उन्होने आंशिका को बुलाया स्पीच केलिए, बस आंशिका का तो नाम सुनते ही मेरा लंड खड़ा हो गया. आंशिका स्टेज पर आई ब्लॅक सारी में बूब्स बाहर निकाल कर, हाथ में लंड जेसा माईक लेकर और अपनी छाती निकाल कर स्टेज पर खड़ी हो गयी और बोलना स्टार्ट करने लगी. सब लड़कों की वहाँ हॉल में उसकी छाती देख कर क्या हालत हो रही होगी हू बस मुझे ही पता है. फिर उसके बाद धीरे धीरे प्रोग्रॅम्स स्टार्ट होने लगे, लड़कियाँ आती अपनी मस्त मस्त गांद और चुचियाँ मटका के एक एक करके जाती. जैसे तैसे मेरा सब्र ख़तम हुआ, 5 घंटे उस फेस्ट में पकना पड़ा सिर्फ़ अंशिका के लिए, सब बाहर जाने लगे. सब के जाने के बाद, कॉलेज का स्टाफ भी घर जाने लगा और फिर सामने ने से मेरी जान आंशिका नज़र आई मुस्कुराते हुए आ रही थी वो मेरी तरफ और उसके पीछे किटी मेम भी आ रही थी मटक मटक के. आंशिका मेरे पास आते ही एक दम से बोली –

आंशिका:  तो बताओ कैसी थी मेरी स्पीच
मैं: (मैं बोलने वाला था गांड फाडू पर रुक गया) गेया… ग.ग.ग. गुड.

आंशिका:  इतना सोच कर क्यूँ बोल रहे हो? अच्छी नहीं थी ना?
मैं: अरे नहीं बाबा बहुत अच्छी थी, चाहे इन दोनों से पूछ लो (स्नेहा और सचिन)

स्नेहा & सचिन : हम मेम आपकी स्पीच बहुत अच्छी थी, आप बहुत अच्छी लग रही थी स्टेज पर.
मैं: देखा मैने कहा था ना.
आंशिका: (मुस्कुराने लगी)

किटी मेम : सो विशाल, कैसा लगा हुमारा फेस्ट? मज़े आए?
मैं: हाँ मेम , बहुत अछा था, हमने खूब एन्जॉय करा.
आंशिका:  किटी मेम मुझे पता है इसने क्या एंजाय्मेंट करी होगी

किटी मेम : हहेही, क्या मतलब तुम्हारा.
आंशिका:  लड़कियों को ही देखे जा रहा होगा बस हर टाइम
मैं: लो अब जो स्टेज पर पर्फॉर्म करने आएं तो उन्हे भी ना देखूं?

किटी मेम: हहेहहे, आंशिका तो क्या हुआ, यही तो उमर है बाद में तो एक से ही काम चलना पड़ेगा हमारी तरह…हहेहहे
आंशिका:  मेम आपको पता नहीं है, ये उनमें से नहीं है.
मैं: मैं कुछ बोल नहीं रहा हूँ इसका मतलब ये नहीं की तुम कुछ भी बोलती जाओगी.

किटी मेम: हे भगवान, तुम दोनो की लड़ाई फिर शुरू हो गयी, चलो बंद करो, अछा विशाल इन दोनो ने परेशान तो नहीं करा?
मैं: मेम इन दोनो ने तो बिल्कुल नहीं करा, आप इनसे पूछ लीजिए की कहीं मैने इन्हे परेशान तो नहीं करा?

किटी मेम: अरे नहीं नहीं, तुम थे तो इन्होने तुम्हारे साथ अटेंड भी कर लिया, वरना ये बोर ही हो जाते हैं… थॅंक्स यु वेरी मच इनका ध्यान रखने के लिए
आंशिका:  मेम इस के साथ कोई बोर नहीं हो सकता, इसकी तो पूरी गॅरेंटी है.
मैं: ओह थॅंक्स, तारीफ़ के लिए.

किटी: सो गाइस, अब चला जाए?
आंशिका:  हाँ मेर्को तो भूख भी लगी है बड़े ज़ोरो से मैं तो घर जा रही हूँ.
मैं: हाँ चलते हैं.

फिर हम एक दूसरे को बाइ करके वहाँ से निकल गये.
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#26
रास्ते में बाईक पर मेरी और आंशिका के बातें -

मैं: कम मुँह खोल लिया कर औरों के सामने (मेरा मतलब किटी मेम से था)
आंशिका: अरे चिल यार, वो मस्त बंदी है, वो कुछ नहीं कहती ना ही बुरा मानती है.

मैं: तो कुछ भी बकवास करेगी मेरे बारे में?
आंशिका: बकवास क्या करी? सब सच ही तो बोला.

मैं: अछा, बड़ा सच पता है तेर्को मेरे बारे में.
आंशिका: जो पता था वो बोल दिया, बेकार मैं आटिट्यूड क्यूँ दिखा रहा है?

मैं: ज़्यादा बकवास ना कर, वरना बीच सड़क में मुँह में लंड डाल दूँगा.
आंशिका: और कुछ आता भी है इसके आलावा तुम्हे?

मैं: तेर्को इसके अलावा और कुछ चाहिए भी?

ये बात बोलकर हम दोनो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे.

जब उसके घर के पास वाला स्टॅंड आया तो मैने बाईक वहाँ रोक दी.

आंशिका: बाईक मत रोको , अन्दर लेकर चलो.
मैं: अन्दर कहाँ? घर पर?

आंशिका: हाँ
मैं: क्यूँ? घर पर कोई है नहीं क्या?

आंशिका: नहीं, मों हैं
मैं: तो फिर घर क्यूँ?

आंशिका: लंच करके जाना अब
मैं: लंच? पहले तो नहीं बताया? और सिर्फ़ लंच ही और कुछ नहीं?

आंशिका: तुम बस चुप रहो और अन्दर चलो.
मैं: खुशी खुशी बाईक उसके घर के अन्दर ले गया यही सोचकर शायद आज ये अपनी चूत दे दे, कॉंडम तो अब हर वक़्त वॉलेट में रहता ही है.

हम अब उसके घर के डोर पर खड़े थे, उसने डोर बेल बजाई. अन्दर से एक नौकरानी आई डोर ओपन करने. हम फिर अन्दर चले गए.

आंशिका: कैसा लगा घर?
मैं: बहुत अछा है, तेरा बेडरूम कहाँ पर है?

आंशिका: ज़्यादा उछलो मत अभी सब दिखाउंगी .
मैं: सब?

आंशिका: हाँ सब

तभी पीछे से आंशिका की माँ आगयी

आंटी: अनु आ गयी?
आंशिका: हाँ मा, ये मेरा स्टूडेंट है विशाल

मैं: नमस्ते
आंटी: नमस्ते बेटा, अनु तू स्टूडेंट्स कब से घर लाने लगी?
आंशिका: अरे मा, ये आजकल के स्टूडेंट्स भी ना, पूरे साल भर कॉलेज तो आते नहीं फिर एंड में परेशान करते हैं, सो इसकी हेल्प करने के लिए लाई हूँ.

मैं: ये सुनकर आंशिका को घूरने लगा उसने मेर्को देखा और हंस कर आँख मार दी उसने.
आंशिका: मा इसको कोई फॅमिली प्राब्लम थी तो ये स्टडीस नहीं कर पाया सो इसीलिए सोचा थोड़ी हेल्प कर दूँगी.
आंटी: हाँ ठीक है.., कुछ खाया तुम दोनो ने?

आंशिका: कुछ नहीं खाया सुबह से बहुत ज़ोर से भूख लग रही है
आंटी: चलो बैठो तुम दोनो मैं खाना लगती हूँ, कांटीईईईईईई खाना गरम होने रख दे गेन्स पर.

कांति (नौकरानी) : जी माँ जी.

आंशिका: चलो मैं: तुम्हे तब तक घर दिखाती हूँ.
मैं: जी चलिए मेडम, करिए मेरी हेल्प

ये सुनकर आंशिका हंसने लगी और बोलने लगी – चलता है यार.

वो मुझे 1st फ्लोर पर ले गयी, और अपना बेड रूम दिखाने लगी, मन कर रहा था वहीं दबोच लूँ पर डर था कहीं आंटी ना टपक जाये , एक एक कर के उसने मुझे सारे रूम दिखाए, फिर वो मुझे टेरेस पर ले गयी और एक टंकी के पास जाकर बोलती है

आंशिका: यही वो टंकी है जिसके पीछे मैने बैठ कर मैंने अपने बूब्स बाहर निकाले थे जब तुम फोन पर बात कर रहे थे.
मैं: तो चलो अब तो मैं भी हूँ साथ फिर से चलते हैं टंकी के पीछे.

आंशिका: चुप चाप नीचे चलो, ठरकी नंबर 1
मैं: अछा तू नहीं है ठरकी ?

आंशिका: (मुस्कुराते हुए) तुम ना बस चुप रहो
मैं: नहीं बता ना तू नहीं है ठरकी ?

आंशिका: (नज़रे ना मिलते हुए हंसते ऊए) नीचे चलो खाना लग गया होगा ठंडा हो जाएगा चल कर खा लो.
मैं: नहीं पहले बता, मैं भी सुनना चाहता हूँ तेरे मुँह से, तू ठरकी है या नहीं?

आंशिका: (शरामते हुए और हंसते हुए) तुम्हारी जितनी नहीं हूँ पर.
मैं: अच्छा मेरी जितनी? तेरी आँखें बता रही है कितनी ठरक है तेरे में.

आंशिका: (शर्मा कर हंसते हुए) हाँ है तो, मैं भी तो इंसान हूँ.
मैं: हाँ तो शर्मा क्यूँ रही है, शरम आती है ये कबूलने में की मेरी चूत हमेशा गीली रहती है और निपल्स टाइट.

आंशिका: (शरमाते हुए) तुम ना बहुत बोलते हो, अब चुप-चाप नीचे जाकर टेबल पर बैठो मैं अभी चेंज करके आती हूँ
मैं: नहीं मैं भी साथ चलूँगा चेंज करने.

आंशिका: ये घर है कॉलेज नहीं है, मा ने देख लिया ना तो बस फिर मत कहना मुझे कुछ.
मैं: कुछ नहीं होगा तुम चलो

आंशिका; नो,तुम जाओ नीचे
मैं: अछा ना बाबा.

हम टेरेस से नीचे जाने लगे, आंशिका का रूम 1st फ्लोर पर है, 1st फ्लोर पर पहुँच कर आंशिका अपने रूम के तरफ जाने लगी, मैं भी उसके पीछे हो लिया, हू मुझे देखकर धक्का देने लगी और कहने लगी..

आंशिका: जाओ ना, क्यूँ तंग करते हो हर जगह?
मैं: तंग मैं नहीं तू कर रही है, चल अन्दर चलकर चुप चाप कपड़े बदल कोई नहीं आ रहा, आंटी उपर नहीं आ रही देखने तेर्को. चुप चाप चल.

और मैं उसे ज़बरदस्ती उसको उसके बेडरूम में ले गया.

आंशिका मेरी इस हरकत पर गुस्सा होने लगी, मैंने उसके गुस्से की परवाह ना करते हुए, उसके बेडरूम का डोर लॉक कर दिया, वो मुझे आँख दिखा कर बोली….

आंशिका: तुम ना एकदम पागल हो, मरवाओगे मुझे एक दिन.
मैं: ओहो मेरी जान क्या हुआ?

आंशिका: हुआ नहीं होगा
मैं: हाँ वो तो है, अभी तो होगा

आंशिका: मैं ना बिल्कुल मज़ाक के मूड में नहीं हूँ समझे, अभी के अभी दरवाज़ा खोलकर नीचे जाओ
मैं: नहीं जाता, बोल क्या करेगी? चीख कर अपनी मों को बुलाएगी या नौकरानी को?

आंशिका: ग़लती कर दी मैने तुम्हे इतनी छूट देकर, दूरी ही बनाई रखती औरों की तरह तो सही रहता, एकदम आवारा कुत्ते हो.
मैं: तेर्को आवारा कुत्ते पसंद है, आई नो.

आंशिका: (ठंडे गुस्से से) प्लीज़ जाओ ना, क्यूँ मेरी फाड़ते रहते हो जगह जगह.
मैं: मैं नहीं फाड़ता तू मेरा खड़ा करवाती है बार बार

आंशिका: निकाल के फेंक दे उसे फिर
मैं: कुछ नहीं करूँगा, तेर्को फेंकना है हाथ डाल और फेंक दे.

आंशिका: हरामी हो तुम पूरे, कोई नहीं जीत सकता तुमसे
मैं: चल तू हार गयी तो अपनी चूत दे अब.

आंशिका: बकवास ना करो, कुछ नहीं मिल रहा तुझे.
मैं: अछा मत दे, जल्दी से कपडे बदल ले और नीचे चल वरना आंटी को शक हो जाएगा

आंशिका: हाँ तो तुम जाओ, मैं आती हूँ

मैं: ये सुन कर उसके बेड पर बैठ गया और उससे निहारने लग गया, हू समझ गयी की मैं उसकी नहीं सुनने वाला, उसने लूसर वाले एक्सप्रेशन दिए और बोली…

आंशिका: अह्हं अह्हं , तुम ना बहुत गंदे हो
मैं: तभी तो तेरे पास गंदगी सॉफ करवाने आया हूँ मेरी जान, चल जल्दी चेंज कर कपड़े.

आंशिका अब हार मान चुकी थी, उसे पता था की मैं नहीं मानूँगा उसकी बात इसीलिए वो चुप चाप अपनी अलमीरा की तरफ गयी और एक पिंक कलर की सेक्सी सी नायेटी निकाल कर बेड पर मेरे पास रख दी, मैं उस नायेटी को छूने लगा, बड़ी कोमल थी, नायेटी को छूटे ही लंड टन गया आंशिका को छूता तो शायद झड़ ही जाता. आंशिका मिरर के सामने बैठ कर अपना मेकउप लाइट करने लगी, फिर वो उठकर मेरे पास आई और अपनी नायेटी उठा कर बाथरूम की तरफ जाने लगी, मैने उसके हाथ से नायेटी खींच ली और कहा की मेरे सामने यहीं बदल कपड़े, उसने कुछ देर मेरी आँखों में घूरा उसे पता था की बहस करके कोई फ़ायदा नहीं फिर चुप चाप मेरी तरफ मुँह करके उसने अपने सीने से साडी हटा दी उसकी फूली हुई छाती ब्लाउस के साथ नज़र आने लगी, मेरी नज़र उसकी छाती पर थी और उसकी मेरी आँखों पर, फिर उसने सारी पूरे शरीर से अलग करके बेड पर फेंक दी, मैने साडी उठाई और उसे सूंघने लगा, वो बोली

आंशिका: सूंघ क्या रहे हो? कुत्ते हो क्या? कुत्ते सूंघते हैं.
मैं: हाँ तो कुतिया की ही तो सूंघते हैं, सूंघने से पता चल जाता है की कुतिया चुदवाने के मूड में है या नहीं.

आंशिका: अछा
मैं: और नहीं तो क्या, देख तेरी चूत की कितनी तेज़ स्मेल आ रही है इसमें,पूरी गीली है ना चूत ?

आंशिका ये सुनकर कुछ नहीं बोली और उसने अपना ब्लाउस खोल दिया, ये देख कर मैं खड़ा हो गया और उसके पास चला गया, उसे पता था अब क्या होने वाला है इसीलिए उसने खुद ही कह दिया

आंशिका: जल्दी से करना जो करना है, ज़्यादा टाइम नहीं है, माँ को शक ना हो जाए.

बस यही सुनने की देर थी, ये सुनते ही मैने आंशिका को कस कर उसकी मोटी कमर से पकड़ लिया और अपने लिप्स से उसके लिप्स लगा दिए उसने भी अपने हाथ मेरे सिर पर रखे और मेरे साथ मिलकर ज़ोर से किस करने लगी. 5 मीं बाद हम अलग हुए हुमारी साँस फूल गयी थी, वो खड़ी होकर ज़ोर ज़ोर से साँस ले रही थी और उसकी मोटी मोटी चुचियाँ उपर नीचे हो रही थी, उसकी नज़र मेरे उपर थी और मेरी उसकी चुचियों पर, सीने से साड़ी नीचे गिरी हुई और ब्लाउस में से उपर नीचे होते हुई चुचियों की देखकर मैं: पागल हो रहा था, मैने दोनो हाथों से उसकी चुचियों को पकड़ लिया ब्लाउस के उपर से और धीरे धीरे से दबाने लगा, आंशिका बोली – इतनी आराम से करने से कुछ नहीं होगा, अपना जुंगलिपन दिखाओ थोडा . मैने ये सुनकर उसकी दोनो चुचियों को ज़ोर से भीच लिया अपनी मुट्ठी में, पर चुचियाँ इतनी बड़ी थी की एक हाथ में ही नहीं आ रही थी और उपर से ब्लाउस और था, मेरी ये मुशकिल देख कर उसने अपना ब्लाउस ओपन कर दिया और सिर्फ़ नेट वाली ब्रा में खड़ी हो गयी. मैं नीचे झुका और उसका नाइट निपल को ब्रा के उपर से ही मुँह में लेकर ज़ोर से चूसने और काटने लगा और लेफ्ट ब्रेस्ट को ज़ोर से दबाने लगा. फिर मैने उसकी लेफ्ट ब्रेस्ट को निपल को मुँह में लिया और काटने लगा, मैने एकदम से ज़ोर से काट दिया वो सिसक पड़ी –

आंशिका: आआआआह , पागल कहीं के, तद्पाते रहते हो, हटो अब, कपड़े बदलने दो
मैं: तू कौनसा कम तडपाती है, चूसने दे ना और.

आंशिका: नहीं अब नहीं , नीचे चलो अब.
मैं: नीचे कहाँ चूत पर?

आंशिका: खांआआआनाआअ खाने,
मैं: तेरी चूत गीली है ना?

आंशिका: हाँ है तो
मैं: मुझे सुखाने दे उसे अपनी जीभ से.

आंशिका: तुम जा रहे हो या नहीं जा रहे नीचे? मुझे अब कपड़े बदलने दो, तुम नीचे जाओ
मैं: तो बदल ले, मैं कौनसा तेर्को चोद रहा हूँ.

आंशिका: नहीं पूरे नहीं बदलूँगी तुम्हारे सामने, तुम भूखे शेर की तरह टूट पड़ोगे
मैं: तेरा भी तो यही मन है की मैं तेरे उपर बस टूट पड़ून, है ना? सच सच बताएओ

आंशिका : सिर्फ़ मन होने से कुछ नहीं होता, सही जगह और समय भी होना चाहिए
मैं: मेरी जान जब लंड खड़ा हो और जब चूत गीली हो तो वही सही जगह और टाइम है.

आंशिका: अछा, तुम्हारा क्या है, तुम्हारा तो हर वक़्त खड़ा रहता है
मैं: तू इसके बारे में हर वक़्त सोचती है तभी खड़ा रहता है

आंशिका: ओहो, अब नीचे जाओ ना प्लीस , मुझे कपड़े बदलने दो, अगर ऐसे परेशन करते रहे ना तो देख लेना अछा नहीं होगा, मुझे खो दोगे तुम.
मैं: अछा तेर्को लगता है की तू मेरे से अलग हो पाएगी? तेरे अन्दर की हवस को तो मैने एग्ज़ॅमिनेशन सेंटर में ही देख लिया था, तभी तो तेरा नंबर माँगा था क्यूंकी मुझे पता था तू देगी ज़रूर, तेरी आँखों से तेरी चूत का हाल पता चल रहा था.

आंशिका: हाँ तुम तो बहुत ज्ञानी हो (ब्लाउस बंद करते हुए) अब नीचे जाओ प्लीस इट’स ऐ हंबल रिक्वेस्ट
मैं: अछा जाता हूँ ना, और सुन, ब्रा मत पहनीओ नायेटी के नीचे

आंशिका: हाँ ठीक है बाबा, अब जाओ प्लीस

मैने फिर आंशिका की बात मान ली और चुप चाप रूम से बाहर चला गया और नीचे डाइनिंग टेबल पर जाकर बैठ गया, तभी उसकी मों अन्दर किचन में से आई और मुझसे पूछा –

आंटी: बेटा आंशिका कहाँ है?
मैं: आंटी मेम ने कहा था की वो अभी आ रही है क्लोथ्स चेंज कर के और में नीचे आकर बैठ जाऊ

आंटी: हे भगवान, इस लड़की ने अभी तक कपड़े भी नहीं बदले, कोई काम समय से करती ही नहीं, यहाँ खाना ठंडा हो रहा है
मैं: (मैने मन में कहा – और वहाँ हम गरम हो रहे थे.) आंटी मेम कह रही थी की वो बस 5 मीं में आ रही हैं.

आंटी: चलो बेटा तब तक तुम खाना स्टार्ट करो, वरना तुम्हारा भी कहाँ ठंडा हो जाएगा.
मैं: कोई बात नहीं आंटी,साथ में ही स्टार्ट करेंगे, आप भी अपना लगा लीजिए ना.

आंटी: बेटा मैं तो खा चुकी, आंशिका ने बोला था की उसका और तुम्हारा खाना बनके रखे तो बस तुम लोगों का ही वेट था.
मैं: ओक

मुझे नहीं पता था की आंशिका ने पहले से ही घर बुलाने का प्रोग्राम सोच रखा था, वो तो मुझे आंटी के मुँह से पता चला, मैं मन ही मन खुश हो गया की कहीं इसने आज अपनी चूत देने का भी तो प्लान नहीं बना रखा, कॉंडम तो था ही मेरे वॉलेट में. अब तो इसके घर भी आसानी से आ जाया करूँगा क्यूंकी अब तो इसकी मों ने भी मुझे देख लिया है आंड शी नोस देट आई एम् हर स्टूडेंट. तभी आंशिका उपर से नीचे उतर तक आई.

आंटी: कहाँ रह गयी थी तू, इस बेचारे का खाना भी ठंडा करवा दिया तूने,.
आंशिका: अरे मा कपड़े बदल रही थी और हाथ मुँह धो रही थी इसी में टाइम लग गया.

आंटी: इतना टाइम लगता है
आंशिका: (मेरी तरफ देखते हुए) इसे घर भी तो दिखा रही थी ना.

आंटी: बैठ अब, दुबारा खाना गरम करना पड़ेगा.
आंशिका: हाँ हम बैठे हैं आप गरम कर लो

आंटी: ले तू तब तक खीरा काट ले
आंशिका: दो.

आंशिका मेरी साथ वाली सीट पर बैठ गयी, उसके हाथ में खीरा और नाइफ था. मेरी तरफ नाइफ करके बोली

आंशिका: तुम्हारा ना खून करने का मन कर रहा है मेरा, बेकार में डांट पड़वा दी.
मैं: अछा एक बात बताओ , इस डांट के आगे वो मज़ा ज़्यादा अछा नहीं था, सच सच बताएओ.

आंशिका: (सोचते हुए) ह..हा…..हाँ तो कभी और भी कर सकते थे.
मैं: तू कभी सही जगह मिलती ही नहीं

आंशिका: (मेरी तरफ से एकदम से मुँह हटाते हुए) रहने दो तुम.

उसके यह बोलते ही मैने झटके से साइड से उसकी राईट चुचि नाईटी के उपर से दबा दी ज़ोर से. मेरी इस हरकत पर वो मुझे घूर के देखने लगी और कहने लगी –

आंशिका: तुम ना कभी बाज़ नहीं आओगे.
मैं: मैने तेर्को कहा था की ब्रा मत पहनीओ, फिर क्यूँ पहनी.

आंशिका: हाँ तुम्हारा बस चले तो कुछ भी ना पहनने दो घर में, घर में मा है अगर बिना ब्रा के घूमूंगी ना तो डांट पड़ जाएगी की कोई आया है घर में और मैं ऐसे घूम रही हूँ, दुबारा डांट नहीं खानी मुझे.
मैं: क्या यार, खुद तो मोटा सा खीरा हाथ मे ले लिया और मुझे संतरे भी नहीं दबाने दे रही.

आशिका: मेरे क्या तुम्हे बस संतरे दिख रहे हैं?
मैं: अछा बड़े बड़े आम बस

आंशिका: रहने दो, अब से हाथ तक मत लगा देना इन्हे.
मैं: (उसकी चुचि पर साइड से प्यार से हाथ रखते हुए) ओहो नाराज़ क्यूँ होती है, ये तो बड़े बड़े वॉटरमेलन्स है.

आंशिका: (अपने सीधे हाथ की कोनी से मेरा हाथ हटते हुए) मुझे ना बिल्कुल भी नहीं पसंद जब मेरी ब्रेस्ट को कोई कुछ भी उल्टा सीधा कहे, आई एम् वेरी पोज़ेसिव फॉर देम. लड़कियाँ मरती है ऐसी ब्रेस्ट्स के लिए, औरों के पास होते हैं छोटे छोटे नींबू और संतरे समझे, आइन्दा से इन्हे कभी मत बल्ना छोटा
मैं: ओहो, इतना प्यार अपने वॉटरमेलन्स से, बुत इनका कस्टमर तो मैं ही हूँ, मैं ही ले जाऊंगा

आंशिका: (तिरछी निगाहों से मेरी तरफ देख कर हँसते हुए) लकी हो तुम बहुत, अब चुप रहो अगर मा ने कुछ सुन लिया ना तो बस सपने देखते रह जाओगे वॉटरमेलन्स के.
मैं: तेरी हवस मुझे फिर खींच लाएगी तेरी तरफ सो नो टेंशन .

आंशिका : अछा
मैं: हाँ

आंटी : लो अब खाना गरम हो गया है, अब बिना देरी करे चुप चाप खाना खा लो दोनो, वरना दोनो को डांट पड़ेगी इस बार

हूमें खाना देकर आंशिका की मोंम अपने रूम में चली गयी जो की ग्राउंड फ्लोर पर ही था, मैं खाना खाते हुए आंशिका को घूर्ने लगा, मेर्को घूरते देख आंशिका बोली –

आंशिका: मुझे ज्या घूर रहे हो, खाने को घूरो .
मैं: तू ही तो मेरा खाना है, तेर्को ही खाना है.

आंशिका : अछा, खाना खाते हुए ज़्यादा बोलते नहीं चुप चाप खाओ.
मैं: अछा बोलते नहीं तो कुछ कर तो सकते है ना ( ये बोलकर मैने फिर से साइड से उसकी राईट चुचि दबा दी)

वो अपनी एंकल से मेरे हाथ को भीचते हुए बोली –

आंशिका: ज़्यादा ना हाथ ना चलाया करो.
मैं: मुँह लगा लूँ?

आंशिका: चुप चाप खाना नहीं खा सकते?
मैं: चुप चाप ही खा रहा था तू ही बोल पड़ी.

आंशिका: अच्छा सॉरी बाबा, अब नहीं बोलूँगी
मैं: ठीक है गुड, (और मैने फिर से उसकी चुचि दबाने लग गया आराम से)

आंशिका: मा ने देख लिया ना, तो ये खाना भी चीन लेगी और भूखे रह जाओगे.
मैं: तेरे होते हुए मैं भूखा कैसे रह सकता हूँ.

फिर अगले 10 मीं में हमने खाना खाया आराम से और फिर खाना खा कर मैने उससे पूछा अब क्या करना है मेरी जान?

आंशिका: उपर चलो रूम में, तुम्हे खाना खाने की तमीज़ सिखानी है.
मैं: कपड़े पहेंकर सिखाएगी या उतार कर?

आंशिका: तुम्हारे कपड़े फाड़ कर, अब उपर चलो, माँ ने सुन लिया ना तो बस मुँह ताकते रह जाओगे.
मैं: एक दिन तो तेरा पेट देख कर पता चलना ही है उन्हे की किसने करा यह.

आंशिका: ज़्यादा ना बकवास ना करा करो, कुछ ज़्यादा ही दूर की सोचने लग जाते हो.
मैं: ज़्यादा दूर की कहाँ सोची, सिर्फ़ तेरी चूत से पेट तक की ही तो सोची

आंशिका: तुम्हे उपर रूम में चलना है या अपने घर जाना है?
मैं: ये सुनकर चुप चाप स्टेयर्स पर चढ़ गया और वो मेरे पीछे पीछे आने लगी.

उसके रूम में पहुँच कर मैने कुण्डी लगा ली, वो बोली –

आंशिका : तुम पागल हो गये हो क्या, जो बात बात पर कुण्डी लगा लेते हो, मैने तुम्हे इसलिए नहीं बुलाया रूम में समझे, माँ को शक हो जाएगा कुण्डी खोलो.
मैं: कुछ नहीं होगा, और वैसे भी कुण्डी खोलने में कितना टाइम लगता है.

आंशिका: नहीं हुमारे घर में मोस्ट्ली डोर्स ओपन रहते हैं, सिर्फ़ सोते समय बंद करते हैं या फिर जब ज़रूरी हो, मा को नहीं पसंद बंद दरवाज़े प्लीस ओपन इट.
मैं: क्या यार, एक दरवाज़ी के लिए इतनी चीक चीक, लो खोल देता हूँ बस.

और मैं: उसके रूम का डोर खोल दिया, वैसे भी उस फ्लोर पर कोई नहीं था, उसकी मों भी ग्राउंड फ्लोर पर थी और उसकी सिस जिसका साथ वाला रूम था वो भी घर पर नहीं थी, सो दरवाज़ा खुला हो या बंद की फरक पैंदा है?

आंशिका: पहली बार तुमने ज़िद नहीं करी, थॅंक गोड. मुझे तो लगा की मैं आज गयी.
मैं: उकसा मत वरना आंटी तेरी चीखें सुन कर ही उपर आ जाएँगी.

आंशिका: अछा बड़ा गुरूर है अपने उपर.
मैं: नहीं तेरी हवस पर पूरा भरोसा है मुझ पर, तेरी चूत लेते हुए तूने पूरा मोहल्ला ना खड़ा कर लिया चीख चीख कर तो मेरा नाम बदल दियो .

आंशिका: तुम इतना कॉन्फिडेंट्ली कैसे बोलते हो मेरे लिए, मैं क्या तुम्हे इतनी भूखी लगती हूँ.

मैने ये सुनकर कुछ नहीं बोला और उसके पास जाकर बैठ गया और उसको पकड़ कर किस करदी ज़ोर से. वो भी मुझे किस करने लगी, मैने उसको पीछे धकेला और उसका सिर पीछे बेड के सपोर्ट पे लगा दिया और उसे ज़ोर ज़ोर से किस करने लगा, किस करते हुए मैं अपना हाथ नीचे ले गया और उसकी चुचियाँ दबाने लगा, फिर उसकी चुचियों को छोड़ कर मैं अपना हाथ और नीचे ले गया और उसकी ठीक चूत के उपर रख कर ज़ोर से दबा दिया, उसने एकदम से टाँगें भीच ली और मेरा हाथ वहीं उसकी टाँगों के बीच में फँस गया और मेरे लिप्स से अपने लिप्स हटाकर ज़ोर ज़ोर के साँस लेने लगी……..

आंशिका: प्लीज़ वहाँ से अपना हाथ हटाओ, आज नहीं फिर कभी.
मैं: फिर कभी क्यूँ? हाथ ही तो रखा है कौनसा लंड डाल दिया.

आंशिका: तुम ना (ज़ोर ज़ोर से साँस लेने लगी)

मैं: भी चुप चाप बैठा हुआ अपनी साँसें भर रहा था और मेरा राईट हेंड अभी भी उसकी जाँघो के बीच में फँसा हुआ था, ना मैं हाथ हिला रहा था और ना ही वो अपनी पकड़ ढीली कर रही थी.

आंशिका : तुम से मिलकर ना मेरी हवस और बढ़ गयी है
मैं: अच्छी बात है ना, कम नहीं होनी चाहिए बस. वैसे तू पहले भी ऐसे ही भूखी रहती थी?

आंशिका: हाँ बहुत , कभी कभी तो आँखों मैं: पानी आ जाता था भूख के मारे, टांगो मैं वीक्नेस्स सी लगती थी.
मैं: तो अब सब ठीक है.

आंशिका: हाँ थोडा बहुत, तुम थोड़ी सी तो मिटा ही देते हो फोरप्ले से
मैं: तू अभी बोले तो पूरी भूख मिटा दूं तेरी.

आंशिका: नहीं, मैं हर पल एंजाय करना चाहती हूँ तुम्हारे साथ, बड़ी मुश्किल से तुम्हारे जैसा समझदार पार्ट्नर मिला है जो मेरी ज़रूरतों को समझता है.
मैं: क्यूँ? और कोई नहीं समझा.

आंशिका: पता नहीं दर लगता है हमेशा से औरों से, मेरी फ्रेंड्स ने बताया है जब वो कभी अपने बॉय फ्रेंड्स से सेक्स के लिए कहती थी खुद तो वो उनकी गंदी इमेज बना लेते थे की वो स्लट है, जिन्हे सेक्स चाहिए बस, गाइस नेवेर अंडरस्टॅंड्स गर्ल्स नीड्स, दे जस्ट नो हाउ तो सॅटिस्फाइ देम्सेल्व्ज़.
मैं: ह्म्*म्म्मममम ये तो है.

आंशिका: तुम भी सोचते तो होंगे की कैसी लड़की है ये आंशिका, एकदम से सेक्स के लिए रेडी हो जाती है.
मैं: इसमें सोचना क्या है तू गंदी है तो गंदी है, मैं भी गंदा हूँ, हर कोई जो सेक्स करता है सब गंदे हैं, अगर कोई ह्यूमन नीड्स को सॅटिस्फाइ करने को गंदा कहता है तो खाना खाना भी गंदा काम है, सोना भी गंदा काम है, हर वो काम ग़लत है जिसससे हूमें शांति मिलती है, मैं तो ये सोचता हूँ.

आंशिका: तभी तुम मुझे बहुत पसंद हो, आई लाईक युअर आटिट्यूड टुवर्ड्स गर्ल्स एंड ह्यूमन नेचर.
मैं: थॅंक्स जानू.

आंशिका: अगर तुम मेरे साथ के होते ना तो शादी कर लेती तुमसे.
मैं: कोई बात नहीं पर सुहग्रात तो मनाएगी ना?

आंशिका: (टीज़ करते हुए) सोचेंगे
मैं: तू सोचती रहियो मैं तो सब कुछ कर के निकल भी जाऊंगा .

आंशिका: तुम मुझे छोड़ दोगे ना जब मेरे से बोर हो जाओगे और मेरी बॉडी से भी.
मैं: तेरे से कभी बोर नहीं हुंगा डोंट वरी, तू है ही इतनी कमाल की और मेरी लाइफ की पहली गर्ल.

आंशिका: तुम्हारी लाइफ मैं: पहले कभी कोई गर्ल नहीं आई ?
मैं: ना

आंशिका: विश्वास नहीं होता.
मैं: लो अब किसी की फूटी किस्मत पर भी किसी को विश्वास नहीं होता.

आंशिका: हहेहेः, नहीं ऐसी बात नहीं है, तुम जिस तरह से बोलते हो, अपनी बातों में फंसाते हो और तुम्हारा ज़िद्दीपंन, कोई भी लड़की फँस जाए तुम्हारे जाल में तो.
मैं: जिसे जाल में फँसना था फँसा लिया, औरों की बाद में सोचेंगे.

आंशिका: तुम कभी मुझे धोखा तो नहीं दोगे ना?
मैं: धोखा कैसा? मैं कोई तुझसे शादी थोड़ी ना कर रहा हूँ की मैं किसी और के साथ नहीं सो सकता.

आंशिका: नहीं, आई मीन टू से की तुम कभी मेर्को बदनाम तो नहीं करोगे ना? मेरे ट्रस्ट को तो नहीं तोड़ोगे ना?
मैं: पागल है क्या? मैं क्यूँ तेरा ट्रस्ट तोड़ूँगा, मुझे भी तेरे जैसी अंडरस्टॅंडिंग पार्ट्नर कहाँ मिलेगी.

आंशिका: तुम्हारा मन क्या करता है सबसे ज़्यादा करने का मेरे साथ?
मैं: की बस पूरे दिन भर तेरी चूत मारता रहूं, तेरे बूब्स चूस्ता रहूं, तेरी हवस मिटाता रहूं. तू बता तेरा क्या मन करता है?

आंशिका: बहुत कुछ, फिलहाल अभी तो मुझे तुम्हारा चूसने का मन कर रहा है ज़ोर से.
मैं: सच बता

आंशिका: हाँ बाबा सच मैं:.
मैं: अभी तो तू ड्रामे कर रही थी की डोर बंद मत करो ये वो..

आंशिका: तो डोर बंद करने को कौन कह रहा है?
मैं: तो क्या ओपन डोर में ही?

आंशिका: हाँ, मा उपर नहीं होती, उनकी नीस में पेन रहता है
मैं: और अगर तेरी बहन आ गयी तो .

आंशिका: वो तो आउट ऑफ स्टेशन रहती है वो कहाँ से आएगी और डेड भी रात को आते हैं, सो डोर ओपन हो या क्लोज़ इट्स सेम.
मैं: वैसे तेरी बहन की पिक तो दिखा

आंशिका: एक शर्त पर दिखाउंगी .
मैं: कैसी शर्त?

आंशिका: की तुम उसके लिए कुछ भी उल्टा सीधा नहीं बोलॉगे और ना ही सोचोगे.
मैं: क्यूँ भाई?

आंशिका: नहीं तो रहने दो, मैं उसे अपनी जान से ज़्यादा प्यार करती हूँ एंड आई वांट तो सी हर हॅपी, आई कांत सी हर इन पेन ओर हर्ट बाइ सम्वन एल्स, शी इस वेरी सिंपल एंड माय बेस्ट सिस इन द वर्ल्ड, सो उसके लिए कुछ भी उल्टा सीधा नहीं
मैं: अगर ऐसी बात है तो आई प्रॉमिस की कभी उसके लिए कुछ नहीं बोलूँगा उल्टा और ना ही सोचूँगा.
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#27
आंशिका: थॅंक्स फॉर अंडरस्टॅंडिंग मी .

फिर आंशिका ने मुझे उसकी और उसकी सिस की फोटो दिखाई एक, उसकी सिस जिसका नाम कनिष्का है दिखने में एकदम आंशिका के ऑपोसिट – वो एकदम स्लिम ट्रिम थी, आंशिका की तरह नहीं हेल्ती. (सॉरी गाइस नो मोर वर्ड्स फॉर हर , एस आई प्रॉमिस्ड टू आंशिका).

फिर मैं आंशिका से बोला…….

मैं: सच बता, की तू मेरा लंड अभी चुसेगी या नहीं?
आंशिका: कह तो रही हूँ की चूसना है, बड़ा मन है, तुम मान ही नहीं रहे .

उसके मुँह से ये सुनकर मेरा लंड टाइट हो गया एकदम से.

आंशिका: पर एक शर्त पर चुसुंगी
मैं: ले फिर से तेरी शर्त आ गयी, बोल कैसी शर्त?

आंशिका: की तुम चुप चाप लेटे रहोगे, ज़्यादा कुछ नहीं करना, क्यूंकी हम घर में हैं और मा भी है अगर शक हो गया ना तो गड़बड़ हो जाएगी, इसीलिए एक एक करके करेंगे.
मैं: ओक, जैसा तू बोले चुप चाप पड़ा रहूँगा, पर तू लंड ढंग से चुसियो .

आंशिका: तुम उसकी चिंता मत करो, वो मेरा काम है करना, तुम्हे ना लाइफ का मज़ा दिया तो बस देख लेना, चलो अब लेट जाओ और उसको बाहर निकालो.
मैं: तूने कहा है मैं कुछ नहीं करूँगा, तो मैं लेट रहा हूँ, तू खुद बाहर निकल मेरा लंड और जो करना है कर.

मैं बेड पर लेट गया, मेरा लंड बेड के एज पर था और टांगे बेड से बाहर, आंशिका मेरी टॅंगो के बीच में आकर बैठ गयी और मेरी बेल्ट को लूस करने लगी, फिर उसने मेरे टाइट लंड को जीन्स के उपर से सहलाया और मेरी तरफ देख कर बचों की तरह स्माइल करने लगी, फिर उसने मेरी जीन्स का बटन ओपन करा और मेरी ज़िप को नीचे करा, फिर उसने अपना हाथ मेरी जीन्स की उपर से मेरे अंडरवेर में डाला, उसका हाथ जैसे ही मेरे लंड पर लगा मेरी बोडी में करेंट दौड़ गया, उसने लंड पकड़ कर बाहर निकाल लिया. उसना मेरा टाइट लंड अपने सॉफ्ट हॅंड से जकड़ लिया, और उससे धीरे से अपने हाथों से उपर से लेकर नीचे तक अब्ज़र्व करने लगी, फिर उसने मेरा अंडरवेर और जीन्स और नीचे कर दिए और मेरी बॉल्स को हाथ में लेकर देखने लगी, फिर उसने नीचे झुक कर मेरी दोनो बॉल्स पर बारी बारी किस करा फिर ठीक मेरे लंड के जॉइंट और बॉल्स के जॉइंट के बीच में किस करा और उपर की तरफ किस करते करते मेरे ठीक लंड के टोपे के नीचे किस करा.

उसने फिर प्यार से अपने हाथ से (जिससे उसने मेरा लंड पकड़ा हुआ था) मेरे लंड की स्किन को उपर की तरफ करा जिसे की मेरे लंड के छेद पर प्री-कम की एक ड्रॉप आ गयी, आंशिका ने अपनी जीभ निकली और उस ड्रॉप को चाट लिया और फिर मुँह खोलकर मेरा लंड का टोपा मुँह में भर लिया, उसे मुँह में भर कर आंशिका मेरी आँखों में देखने लगी और इशारों में पूछने लगी की कैसा लग रहा है? मैं कुछ नहीं बोला और अपनी आँखें बंद कर ली. उसने लंड का टोपा मूह में ही रखा और अपने मुँह में उस के उपर अपनी जीभ फेरने लगी, मेरी हालत खराब हो गयी, वो बहुत ज़ोर से लंड के टोपे पर जीभ फेर रही थी और जो भी प्री-कम की ड्रॉप्स आ रही थी बाहर उसने टेस्ट कर रही थी. मैने बड़े दिनों से मूठ नहीं मारी थी तो मेरी वैसे ही हालत खराब थी 5 मीं के अन्दर मैं उसके मुँह में झड़ गया और जैसे ही झाडा आंशिका चौंक गयी क्यूंकी वो एक्सपेक्ट नहीं कर रही थी अभी और उसके मुँह से निकला – म्मम्मम. मैं झाडे जा रहा था, रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था, जब मैं उसके मुँह में पूरा झड़ गया उसना मेरा लंड मुँह से निकाला और सारा पानी पी गयी और मेर्को देख कर हँसने लगी और चटकारा लेकर बोली –

आंशिका : बहुत टेस्टी हो तुम.
मैं: तेर्को पसंद आया?

आंशिका: हाँ बहुत, पर तुम इतनी जल्दी क्यूँ आए?
मैं: यार तूने मूठ मारने के लिए मना कर रखा है तो हालत खराब थी इतने दिन से और तेरे हाथ और मुँह लगते ही लंड की तो जान ही निकल गयी. पर डोंट वरी देख अभी भी खड़ा है.

आंशिका मेरे लंड को देख कर बोली

आंशिका: वाउ हाँ, ये तुमने कैसे करा?
मैं: जान ये सब तेरा कमाल है, मैं तो बस मज़े ले रहा हूँ.

आंशिका: अब मुझे ढंग से प्यार कर लेने देना इससे जी भर के, जल्दी मत आना और जब आओ तो एटलिस्ट इनफॉर्म तो कर दिया करो, एकदम से आ जाते हो.
मैं: ओक बाबा जैसा तू कहे

मैं: फिर बेड पर आराम से लेता और आंशिका मेरे लंड को सहलाने लगी और उससे कड़क बनाने लगी, उसके नरम नरम हाथ में ऐसा जादू था की मेरा लंड फटने की हालत में हो जाता. लंड सहलाते सहलाते उसने मेरी बॉल्स को भी छुआ, मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी, वो बॉल्स को आराम आराम से दबाने लगी, अपने हाथ में भरकर उसे फील करने लगी जैसे कोई बचा नये खिलोने के साथ करता है. बॉल्स के साथ खेलते हुए मुझसे बोली –

आंशिका: तुम्हारा सारा पानी इसी में है ना?
मैं: हाँ क्यूँ?

आंशिका: डाइरेक्ट नहीं मिल सकता मुझे सारा?
मैं: चूस कर देख ले उन्हे क्या पता मिल जाए

ये सुनते ही आंशिका झुकी और मेरी बॉल्स को चाटने लगी और फिर एक एक करके दोनो को मुँह में भरकर चूसने लगी और मैं आँखें बंद करे आराज़ से मज़े ले रहा था. उसकी हरकतों से ऐसा लग रहा था की जैसे बहुत एक्सपीरियेन्स्ड हो, मैने फिर पूछ ही लिया………

मैं: तू कितने लंड चूस चुकी है?
आंशिका: क्यूँ?

मैं: बता ना
आंशिका: यु नो एवेरितिंग अबौट मी, फिर क्यूँ पूछ रहे हो?

मैं: नहीं, तू एकदम र्ररर……..
आंशिका: क्या? बोलो बोलो

मैं: तू एक दम प्रोस्टीटयुट की तरह चुस्ती है
आंशिका: थॅंक्स फॉर दे कॉंप्लिमेंट बट मैं प्रोस्टीटयुट नहीं हूँ एंड यु आर द फर्स्ट पर्सन जिसका मैं चूस रही हूँ.

मैं: फिर ये स्किल्स कहाँ से आए.
आंशिका: पॉर्न देख कर.

मैं: कुतिया साली
आंशिका: तुम्हे अछा लग रहा है जो मैं कर रही हूँ?

मैं: बहुत पूछ मत
आंशिका: तुम कितनी प्रोस्टीटयुट से अपना चुस्वा चुके हो?

मैं: किसी से भी नहीं
आंशिका: देन तुम्हे कैसे पता चला की प्रोस्टीटयुट ऐसे चुस्ती हैं.

मैं: तू चूस तो रही है मेरी प्रोस्टीटयुट
आंशिका: अछा…….

वो फिर चुप हो गयी और मेरे लंड को चाटने लगी और उसके टोपे पर जीभ फैरने लगी. 5 – 10 मीं तक हू ऐसे ही करती रही.

मैं: अंडर ले ना इसे मुँह के
आंशिका: नहीं तुम फिर जल्दी से आ जाओगे.

मैं: नहीं आऊंगा अब
आंशिका: पक्का ना,

ये बोलती ही उसने मेरा लंड मुँह में भर लिया और उसको अपने लिप्स से जकड़ लिया, उसका ढेर सारा थूक मेरे लंड पर गिर गया जो की बड़ा अछा लग रहा था. मेरा पूरा लंड उसके थूक से सना हुआ था, वो जितना उसे सुखाती उतना ही थूक मेरे लंड पर लग जाता. थोड़ी देर बाद उसने मेरा लंड अपने मुँह से निकाला और साँस लेने लगी. मुझे देख कर हँसने लगी.....

मैं: क्या हुआ कुतिया ? रुक क्यूँ गयी?
आंशिका: थक गयी हूँ.

मैं: इतनी जल्दी, अभी तो मैं झड़ा भी नहीं
आंशिका: हाँ, क्या हुआ तुम्हे अब झडे क्यूँ नहीं.

मैं: बोला था तेर्को अब आसानी से नहीं झदुँगा .
आंशिका: मैं थक जाउंगी ऐसे

मैं: कुतिया फिर अपने बूब्स चुस्वा और मेरा मूठ मार, फिर जल्दी झड़ जाऊंगा मैं:
आंशिका: अछा सारे ट्रिक्स पता है तुम्हे तो झड़ने के, कितनी बार करवा चुके हो पहले?

मैं: बकवास ना कर, मेरे पास आकर लेट जा

वो उठी और बेड पर मेरे साइड में आकर लेट गयी, मेरी नज़र उसकी चुचियों पर ही थी, जो की नाईटी में बड़ी मस्त लग रही थी. वो मेरी साइड मुँह करके लेट गयी और अपने राईट हेंड से मेरा लंड सहलाने लगी, मैने भी अपना लेफ्ट हेंड उसकी नाईटी के उपर राईट चुचि पर रख दिया और धीरे धीरे दबाने लगा. मैं आराम आराम से उसकी चुचि दबा रहा था और नाईटी के उपर से ही निपल को निचोड़ रहा था और उसका ध्यान पूरा मेरे लंड पर था. मैं थोडा सा उठा और नाईटी के उपर से ही उसकी चुचि को काट लिया, वो सिसक उठी और बोली…..

आंशिका: जंगली, नाइट मत फाड़ देना.
मैं: तो चुचि बाहर क्यूँ नहीं निकल के देती मुझे

आंशिका: तुमने बोला?
मैं: मुझे तेरी चूत चाहिए बोल देगी अब?

आंशिका: चुप रहो, उपर के मज़े लो अभी बस.


फिर उसने अपने राईट साइड के शोल्डर से अपनी नाईटी और ब्रा का स्ट्रॅप हटाया और राईट चुचि को मेरे लिए बाहर निकल कर बोली…

आंशिका: ये लो, प्लीज़ आराम से करना, मेरी चीख मत निकलवाना हम घर मैं हैं.

मैने उसकी बात को उनसुना करते हुए उसकी चुक्की को चाटने लग गया पूरी और उसके निपल पर जीभ फिराने लगा और वो अभी तक मेरे लंड का मूठ मार रही थी. मैने उसके निपल को मुँह में भर कर ज़ोर से चूसने लगा और उसने आँखें बंद कर ली और चुप चाप लेट गयी. अब मैं उसके उपर आ गया था और मेरा लंड बाहर निकला हुआ था और उसकी एक चुचि नाइट से बाहर थी जिसका निपल मेरे मुँह में पिस रहा था बुरी तरह. वो आराम से लेटी लेटी मस्ती में आवाज़ें निकल रही थी धीरे से और मेरे सिर में हाथ फेर रही थी. मैने एकदम से उसके निपल को जोर से काटा और उसने अपनी चीख दबाते हुए मेरे सिर को अपने चुचि से अलग करने की कोशिश करने लगी पर मैने अपने दाँतों से उसके निपल को पकड़ा हुआ था और उसे काट रहा था. उसकी साँस एक दम से फूल गयी थी और उसकी छाती तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी.

आंशिका: तुम बहुत गंदे हो, बहुत तड़पाते हो मुझे
मैं: म्*म्म्मममममम (निपल चूस्ते हुए)

आंशिका: आआहह, विशाल जान प्लीस मान जाओ ना... मत काटो इतनी ज़ोर से उन्हे.


मैने दोनो हाथों से उसकी दोनो चुचियाँ दबाई और उसके लेफ्ट शोल्डर से भी उसकी नाईटी और ब्रा का स्ट्रॅप निकल कर उसकी दोनो चुचियों को नंगा कर दिया और उन दोनो को भीच कर अपना मुँह उनमे घुसेड दिया, ऐसा लग रहा था जैसे किसी गद्देदार तकिये में अपना मुँह दे रहा हूँ. मैने बारी बारी से उसके निपल्स के उपर थूका और फिर उन्हे चाटा अच्छी तरह और अपने लंड से उसकी चूत के उपर ज़ोर लगा रहा था नाईटी के उपर से ही पर जिसका कोई फ़ायदा नहीं हो रहा था. मैं फिर उपर होकर उसे किस करने लगा, उसके थूंक से भरे होंठ चूस्ता रहा जिस पर मेरे लंड का टेस्ट भी था, मैने अपने थूक उसके मुँह में और लिप्स पर अच्छी तरह लगा दिया था और चाट रहा था, लगातार  किस्सिंग, लिकिंग करने के वजह से हमारी साँस फूल गयी थी और हम 1 मिनट के लिए रुके….

आंशिका: विशाल तुम मुझे पहले क्यूँ नहीं मिले?
मैं: अछा हुआ पहले नहीं मिला, तू पहले इतनी भूखी नहीं होगी.

आंशिका: नहीं, मैं हमेशा से ही ऐसी हूँ, जब से मुझे सेक्स की नालेज हुई मेरा तब से मन था ये सब करने का, जो मैं आज तुमसे कर रही हूँ.
मैं: तो चूत क्यूँ नहीं मरवाई किसी से अभी तक?

आंशिका: अब तुम मिल गये हो , तो सारे अधूरे सपने पूरे हो जाएँगे.
मैं: हाँ , तेरी चूत के सपने.

आंशिका ये सब बाते करते हुए फिर से मेरे लंड को पकड़ कर मूठ मारने लगी

मैं: जान, मैं झड़ने वाला हूँ अब दुबारा
आंशिका: मुझे पानी पीना है सारा.

मैं: अपना लंड आंशिका के मुँह के पास ले आया और उसकी छाती के उपर बैठ गया. आंशिका पहले मेरे लंड के छेद को जीभ से चाटती रही देन उसके सूपदे को चाटा और फिर पूरा मुँह में ले लिया. वो बेड पर लेटे लेटे ही थोड़ी सी उठकर मेरे लंड पर मुँह चलाने लगी और मैं मज़े से उसकी चुचि को अपने नीचे महसूस कर रहा था और उसका मुँह अपने लंड पर.

थोड़ी देर बाद मैं बुरी तरह आंशिका के मुँह में झड़ गया और उसने सारा पानी अपने मुँह में भर कर निगल लिया और मुझे मस्तानी आदाओं से देखने लगी.

मैं: स्लट्स की तरह क्यूँ देख रही है?
आंशिका: क्यूँ मैं क्या तुम्हारी स्लट नहीं हूँ?

मैं: कुतिया साली.
अंशिका: तू कुत्ता साले...

मैं: देखो, अब तुम भी गाली दे रही हो
अंशिका: तुमने ही सिखाया है, मैं तो एक सीधी साधी सी लड़की थी.

मैं: हाँ, देख रहा हूँ, कितनी सीधी साधी है, तेरी माँ नीचे है और ऊपर तू मेरा लंड चूस रही है, साली रंडी.
अंशिका: ऐ, रंडी मत बोलो...

मैं: क्यों नहीं, पहले भी तो बोला था, पर अंग्रेजी में, प्रोस्टीटयुट बोला था, तब तो बुरा नहीं माना
अंशिका : अंग्रेजी में इतना बुरा नहीं लगता, जितना हिंदी में

मैं: मैं तो ऐसे ही बोलूँगा, तू है ही मेरी पर्सनल रंडी.
अंशिका: तुम्हारा बस चले तो सभी की रंडी बना डालो, जाओ मैं नहीं करती कुछ.

मेरा लंड दो बार झड चूका था, पर आज ना जाने क्यों इसमें कड़कपन जाने का नाम नहीं ले रहा था, थोडा दर्द जरुर करने लगा था नसों में.

मैं: अरे मेरी जान, तुम तो बुरा मान गयी, खुद ही बोल लेती हो और गुस्सा भी मान जाती हो, तुम्हे सिर्फ मेरी रंडी बनकर रहना है, मैं तुम्हे किसी और से क्यों बांटूं..

मेरी बात सुनकर उसके चेहरे पर फिर से मुस्कराहट आ गयी, साली के रस से भीगे होंठ बड़े सेक्सी लग रहे थे, में तो दो बार झड चूका था, पर मैं जानता था की उसकी चूत में से नदियाँ बह रही होंगी इस समय, मैंने अपना हाथ नीचे लेजाकर उसकी चूत पर रखा ही था की उसने फिर से अपनी जांघे भींच ली, उसकी आँखें बंद सी होने लगी..

मैंने दुसरे हाथ से उसकी नाईटी को ऊपर खिसकाना शुरू ही किया था की उसने मेरी आँखों में देखकर कहा.."प्लीस आज नहीं...ऊपर से ही कर लो, नीचे मम्मी है, फिर कभी कर लेना, आज मत करो प्लीस..." पर मैं नहीं माना और उसे ऊपर करता ही गया, उसकी दूध जैसी टाँगे नंगी होती चली गयी मेरी आँखों के सामने, मैंने इतना गोरा रंग किसी का भी नहीं देखा था, उसकी कसी हुई पिंडलियाँ देखकर और उसके ऊपर मोती जांघे पकड़कर तो मेरा बुरा हाल हो गया.

अंशिका बुरी तरह से साँसे ले रही थी, वो मना भी कर रही थी और मुझे करने भी दे रही थी. आज तो मैं उसकी चूत भी मार लूं तो वो मना नहीं करेगी, इतनी गरम हो चुकी थी वो. पर एक प्रोब्लम थी, मैं पहले से ही दो बार झड चूका था, अब कोई पोर्नस्टार तो था नहीं जो तीसरी बार भी खड़ा करके शुरू हो जाऊ, दोबारा खड़ा करने में, और वो भी चूत मारने के लिए, कम से कम दो घंटे तो लगेंगे ही, और इतनी देर तक अगर मैं ऊपर रहा, अंशिका के कमरे में, तो उसकी माँ को शक हो जाएगा, इसलिए मैंने अपनी अक्ल का इस्तेमाल करते हुए कहा "ठीक है, मैं तुम्हारी चूत नहीं मार रहा... पर क्या मैं इसे देख भी नहीं सकता "

अंशिका को विशवास नहीं हुआ की मैंने उसकी चूत ना मारने की बात इतनी जल्दी मान ली है... उसने अपनी नाईटी को ढीला छोड़ दिया और मैंने उसे उसकी कमर से ऊपर कर दिया अब वो मेरे आधी नंगी लेटी हुई थी, उसने ब्लेक कलर की पेंटी पहनी हुई थी..जो बुरी तरह से भीग चुकी थी उसके रस से. मैंने अपनी एक ऊँगली से उसकी पेंटी के बीचो बीच एक लकीर सी खींची, जो उसकी चूत के दोनों पाटों को फेलाते हुए अन्दर की और जाने लगी...

आआआआआआह्ह्ह्ह विशाल.......मत तडपाओ....न.....

मेरी ऊँगली के दोनों तरफ उसकी चूत से निकलते रस का गीलापन आ चूका था, मैंने ऊँगली को ऊपर करके चूस लिया, थोडा खट्टा सा स्वाद था, पर मुझे अच्छा लगा, एक दो बार और चूसने पर थोडा मीठापन भी आने लगा, मैंने जिन्दगी में पहली बार किसी लड़की की चूत का रस चखा था... वैसे मैंने जो भी अंशिका के साथ किया था वो सब भी पहली बार ही किया था.

अंशिका: कैसा लगा
मैं: क्या

अंशिका: मेरा जूस और क्या, कैसा लगा
मैं: टेस्टी है, खट्टा मीठा सा, तुम्हारी तरह

अंशिका: मैं खट्टी मीठी हूँ, कैसे
मैं: कब मना कर दो, कब मान लो, तुम्हारा पता नहीं चलता, तुम्हारा जूस भी तुमपर गया है

अंशिका: हेहेहेहेहे...
मैं: तुम भी चखोगी... अपना जूस

अंशिका: मैंने चखा है, मुझे मालुम है मेरे जूस का स्वाद कैसा है
मैं: तो तुम्हे मेरा जूस ज्यादा अच्छा लगा या अपना

अंशिका: तुम्हारा.
मैं: और मुझे तुम्हारा..

ये कहते हुए मैंने उसकी पेंटी को नीचे की तरफ खिसका दिया..

उसकी चूत पर बालों की हलकी सी परत थी, चूत पूरी फूली हुई और बीच से रस की धरा ऐसे बह रही थी मानो गर्म पानी का झरना हो, जो उसकी चूत के बीच से होता हुआ नीचे की और जा रहा था. मैं तो एकटक उसे देखता ही रह गया.

तभी नीचे से उसकी मम्मी की आवाज आई "अन्नू....ओ अन्नू....तेरे मोबाइल पर फ़ोन आ रहा है...नीचे आ..."

धत्त तेरे की, साला जब खजाना खुला तो सिक्युरिटी आ गयी, मैं तो उसे सही तरह से देख भी नहीं पाया था.

अंशिका ने जल्दी से अपनी पेंटी ऊपर की और नाईटी को ठीक करके, अपने मुम्मे अन्दर ठूंस के, नीचे की और भागी, मैं भी बाहर जाकर उसके ऊपर आने का वेट करने लगा, उसने थोड़ी देर फ़ोन पर बात की और फिर उसकी मम्मी ने उससे पुचा "और कितनी देर लगेगी तुम्हे, वो कब तक रहेगा ऊपर.." उसकी माँ को अपनी जवान बेटी की फ़िक्र हो रही थी, पर वो ये नहीं जानती थी की उसकी जवान बेटी की चूत को अभी पुरे मजे नहीं मिले हैं

अंशिका: बस हो गया मम्मी, दस मिनट में चला जाएगा.

और ये कहकर वो ऊपर आ गयी.

ऊपर आते ही मैंने उसे पकड़ा और गले से लगा लिया. उसकी आँखों में गुलाबी डोरे तेर रहे थे, वो मुझसे चिपक सी गयी और बोली - आज के लिए इतना ही, फिर कभी करेंगे बाकी...

मैं: ठीक है जान, जैसा तुम कहो, मैं समझता हूँ, तुम्हारी सिचुएशन
अंशिका: मुझे तो विशवास ही नहीं हो रहा है, तुम मेरी चूत देखने के बाद भी ऐसी बात कह रहे हो, बड़ा कण्ट्रोल है तुम्हे अपने ऊपर

मैं: ये कंट्रोल हर बार नहीं रहेगा, सिर्फ आज छोड़ रहा हूँ, अगली बार नहीं छोड़उंगा
अंशिका (हँसते हुए): तब की तब देखि जायेगी. पर एक बात कहूँ, आज मैं कुछ भी कर सकती थी, पर तुमने जो समझदारी दिखाई है, उसके लिए थेंक्स.

मैं: अरे थेंक्स कैसा, मैं तुम्हारी फ़िक्र नहीं करूँगा तो और कोन करेगा, और अगर आज मैं अपनी मन मर्जी करके कुछ और देर रुका तो तुम्हारी मम्मी को शक हो जाएगा और मैं नहीं चाहता की तुम्हारे घर पर मेरा आना आगे के लिए रुक जाए.
अंशिका : थेंक्स फॉर अंडरस्टेंडिंग माय सिचुएशन

मैं: यु आर वेल्कम
अंशिका: चलो अब जल्दी से नीचे चलो, मैं तुम्हे चाय पिलाती हूँ फिर तुम जाना

मैं: ठीक है, पर पहले एक पारी तो दे दो जाने से पहले.

और वो हंसती हुई मेरे सीने से लग गयी और मैंने उसके गुलाबी होंठ चूसने शुरू कर दिए. मेरे हाथ अपने आप ही उसके उभारों पर जा चिपके, लगभग पांच मिनट तक हमने एक दुसरे को चूसा और फिर हम अलग हुए. नीचे आकर मैं डायनिंग टेबल पर बैठ गया और वो चाय बना कर लायी, उसकी मम्मी भी बाहर आई और हमने एक साथ चाय पी और फिर मैं उन दोनों को बाय बोल कर चल दिया.
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#28
घर पहुंचकर मैं सीधा अपने कमरे में गया और सो गया, शाम को उठा तो उसके 2 मेसेज आये हुए थे.

1 - "फ्री हो क्या"
2 - "कैन वी टॉक "

मैंने उसे जल्दी से फ़ोन किया

अंशिका: हाय... कहाँ थे, मैं कितनी देर से तुम्हारे फ़ोन का इन्तजार कर रही थी
मैं: मैं आकर सो गया था, सुबह जल्दी उठा था न इसलिए, सॉरी...

अंशिका: कोई बात नहीं, मैं तो बस ऐसे ही...
मैं: किसका फ़ोन आया था उस समय, जिसने मेरी के.एल.पी.डी. कर दी थी...

अंशिका: के.एल.पी.डी.? ये क्या होता है
मैं: मतलब, खड़े लंड पर धोखा...

अंशिका: हे हे....क्या बात है, कहाँ से सीखा ये सब.
मैं: ये सब तो बचपन की बातें हैं, अब तो कुछ नया सिखने का मन है.

अंशिका: अच्छा जी, क्या सीखना चाहते हो.
मैं: फकिंग... चुदाई... करना सीखना चाहता हूँ.

अंशिका (हँसते हुए ): तुम्हे क्या सिखने की जरुरत है, तुम तो सब जानते हो.
मैं: मैंने तुम्हे बताया था न की मैं वर्जिन हूँ... इस मामले में तो तुम मेरी उस्ताद हो, जो एक बार तो फकिंग कर ही चुकी हो.

अंशिका (गंभीर होते हुए): तुम मुझे ताना दे रहे हो... जो भी था, मैंने तुम्हे सच सच बता दिया था.
मैं: अरे स्वीटी, तुम सीरिअस क्यों हो गयी, मैं तो बस ये कह रहा था की तुम मुझे सिखाओ की फकिंग कैसे की जाती है, मैम बी माय टीचर

अंशिका: देखेंगे...
मैं: समझ गया की उसे मेरा ये कहना बुरा लगा है, इसलिए मैंने फिर से बात बदली और उससे पूछा

मैं: तुमने ये तो बताया नहीं की किसका फ़ोन था.
अंशिका: वो किटी मेम का था, उनकी बेटी का बर्थडे है सन्डे को, बुलाया है मुझे अपने घर पर.

किटी मेम और उसकी बेटी के बारे में सुनते ही मेरा लंड टन से ऊपर उठ गया, मैंने उससे पूछा क्या मैं भी चल सकता हूँ वहां

अंशिका: तुम, तुम क्या करोगे वहां
मैं: वोही, तुम्हे घर से वहां और वहां से घर तक ड्रॉप कर दूंगा, और बीच में बर्थडे पार्टी अटेंड कर लूँगा.

अंशिका: पता नहीं, मैं एक बार किटी मेम से पूछूँगी, फिर तुम्हे बताती हूँ.
मैं: ठीक है, एक और बात बताऊँ तुम्हे

अंशिका: क्या ?
मैं: तुम्हारी चूत सच में बड़ी मस्त है..

अंशिका (इठलाते हुए): अच्छा, तुम्हे पसंद आई.
मैं: हाँ, खाने को या मारने को भी मिल जाती तो मजा आ जाता, पर वो तुम्हारे किटी मैम के फ़ोन ने सब गड़बड़ कर दिया.

अंशिका: थेंक्स... पर मुझे काफी अच्छा लगा की तुमने मेरी बात मानकर आज कुछ ज्यादा नहीं किया.

अब उस चुतिया की पट्ठी को कोन समझाए की मैंने वो किस वजह से किया था, वर्ना आज तो चाहे उसकी माँ ऊपर ही आ जाती, मैं उसकी चूत मारकर ही रहता.

अंशिका: मुझे समय नहीं मिल पाया था कुछ दिनों से, वर्ना मैं हमेशा वहां की शेव करके रखती हूँ.
मैं: वाव क्लीन शेव, मुझे भी चूसने में बड़ा मजा आएगा, बिना बालों वाली चूत को.

अंशिका: अब बस करो, तुम ऐसी बातें करते हो तो मुझे कुछ होता है.
मैं: क्या होता है ?

अंशिका: जैसे तुम कुछ समझते नहीं हो, बड़े गंदे हो तुम, ऐसी बातें करते हो की... आई एम् फीलिंग वेट डाउन देयर.
मैं: वाव कहो तो आ जाऊ वापिस वहां मुझे भी बड़ी प्यास लगी हुई है.

अंशिका कुछ ना बोली, उसकी साँसे तेजी से चल रही थी, मैं जानता था की वो अपनी चूत को मसल रही होगी इस समय.

मैं: डार्लिंग... पिलाओगी न तुम मुझे अपनी चूत का रस... बोलो... बोलो न प्लीस...
अंशिका (गहरी साँसे लेते हुए): ओह्ह्ह्ह विशाल... तुम कितने गंदे हो... मेरी हालत कितनी खराब है इस समय... तुम यहाँ होते तो पता चलता.

मैं: तुम कहाँ हो इस समय?
अंशिका:अपने बेड पर लेटी हूँ... और मैंने अपना हाथ वहां... डाला हुआ है.

मैं: कहाँ-कहाँ डाला हुआ है
अंशिका: अपनी...च..चू...चूत में...

मेरा अंदाजा सही था, एक तो बेचारी झड़ी नहीं थी उस समय और ऊपर से मैंने उसकी चूत को देखकर आगे कुछ नहीं किया था..

मैं: अपने दोनों मुम्मो को भी बाहर निकालो और उनपर मेरी तरफ से एक एक पप्पी दो.

उसके कपड़ो की आवाजें आई और फिर दो लम्बी सी किस की आवाजें...पुच...पुच...

अंशिका: काश तुम अभी यहाँ होते विशाल... मेरी हालत बड़ी खराब है इस समय...
मैं: तुम अपनी उँगलियों को मेरे होंठ समझो और उन्हें अपनी चूत के ऊपर रगडो...मैं वहां का सारा रस पी जाना चाहता हूँ, तुम्हारा खट्टा मीठा रस, जो तुम्हारी चूत के अंदर से निकल रहा है, और बेड के ऊपर गिर रहा है, मैं वो सारा रस पीकर अपनी प्यार बुझाना चाहता हूँ... क्या तुम पिलाओगी मुझे अपना रस... बोलो...बोलो न....

पर दूसरी तरफ से कोई आवाज नहीं आई, मेरी बातें सुनकर उसने अपनी चूत पर तेजी से अपनी उँगलियाँ घिसनी शुरू कर दी और जल्दी ही उसके अंदर से ढेर सारा पानी बाहर आने लगा..वो गहरी साँसे लेति हुई बडबडा रही थी...ओह्ह्ह विशाल....मम्म ओ माय डार्लिंग.....

फिर फ़ोन कट हो गया.

मैं: समझ गया की वहां उसके बेड पर जो गीलापन बरसा होगा, वो अब उसे साफ़ करने में लगी होगी. रात ने 9 बज चुके थे, मैंने खाना खाया और वापिस आकर एक घंटा कंप्यूटर पर बैठा, कुछ पोर्न साईट देखि और फिर सो गया.

उस रात उसका और कोई फ़ोन नहीं आया.
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#29
सुबह 6 बजे मेरा फ़ोन बजा, इतनी सुबह कोन परेशान कर रहा है, मैंने फ़ोन उठाया तो अंशिका का था, मैं हैरान था क्योंकि उसने इतनी सुबह कभी फ़ोन नहीं किया था.

मैं: हेल्लो...गुड मोर्निंग
अंशिका:  (हँसते हुए) गुड मोर्निंग मेरी जान, उठ गए

मैं: तुम्हारे फ़ोन ने उठाया है, वर्ना तुम जानती हो की मैं किस समय उठता हूँ.
अंशिका:  हाँ...मुझे मालुम है..पर क्या करूँ, तुम्हारी याद ही ऐसे टाइम पर आई की मैंने सोचा फ़ोन कर ही लेना चाहिए

मैं: क्यों ...ऐसा क्या हुआ सुबह-सुबह, की मेरी याद आ गयी
अंशिका:  मैं बाथरूम में हूँ, और नहा रही हूँ और मैंने सोचा की मैं नीचे की शेव कर लूं. तुम्हे पसंद है न क्लीन शेव.

मेरा तो लंड खड़ा हो गया उसकी बात सुनकर... साली कितना तडपाती है, इस तरह की बाते सुनाकर..

मैं: वाव...मतलब तुम अपनी चूत के बाल साफ़ कर रही हो....
अंशिका (शरारती हंसी में): हाँ बाबा हाँ... सिर्फ तुम्हारे लिए.

मैं: काश मैं भी वहां होता...अच्छा सुनो क्या पहना हुआ है तुमने इस समय.
अंशिका (हलके गुस्से में): क्या पहना है का क्या मतलब... अभी बोला न, नहा रही हूँ, तो क्या कुछ पहनकर नहाउंगी.

मैं: ओ तेरी... मतलब पूरी नंगी हो..

अंशिका कुछ न बोली

मैं: अच्छा तो काट लिए क्या... तुमने अपनी चूत के बाल
अंशिका:  नहीं, पहले ट्रिमिंग करी और अब हेयर रेमोविंग क्रीम लगायी है वहां... पांच मिनट बाद अपने आप साफ़ हो जायेंगे.

मैं: म्मम्मम मेरे तो मुंह में पानी आ रहा है तुम्हारी चिकनी चूत के बारे में सोचकर
अंशिका: ज्यादा पानी लाने की जरुरत नहीं है, तुम अपने घर हो और मैं अपने, कुछ होने वाला तो है नहीं.

मैं: तो फिर फ़ोन क्यों किया, मेरी सुलगाने के लिए क्या?
अंशिका:  अरे तुम तो बुरा मान गए..मैंने सोचा तुम्हे अच्छा लगेगा ये जानकार..इसलिए किया इतनी सुबह फ़ोन, जानते हो, जब मैंने क्रीम लगा ली तो मैंने सोचा की तुम्हे फ़ोन करा जाए, और मैं बिना कपड़ो के बाहर गयी अपने कमरे में और फ़ोन उठा कर वापिस आई.

मैं: अच्छा, बड़ा बहादुरी का काम किया है तुमने तो..
अंशिका: अच्छा चलो, अब मैं रखती हूँ, पांच मिनट हो चुके हैं, मुझे नहाना भी है और कॉलेज भी जाना है, तुम सो जाओ.

मैं: नहीं... पहले नीचे साफ़ करो और मुझे बताओ की कैसी लग रही है तुम्हारी चूत इस समय.
अंशिका: तुम सुबह-सुबह अपनी जिद करनी शुरू कर देते हो...रुको, अभी बताती हूँ.

थोड़ी देर तक सिर्फ पानी की आवाज आई और उसके बाद अंशिका की

अंशिका: हाँ हो गयी, एकदम साफ़, अब कोई भी बाल नहीं है, लाल हो रही है अभी तो, क्रीम लगाने की वजह से.
मैं: यानी मेरे चूसने के लिए बिलकुल तैयार है तुम्हारी चूत, कब आऊ मैं.

अंशिका: ज्यादा उड़ने की जरुरत नहीं है. जब मौका मिलेगा तब देखेंगे. अब मैं रखु क्या?
मैं: नहीं, अब तुमने सुबह-सुबह मेरा लंड खड़ा कर दिया है, मुझे मास्टरबेट करना होगा और तुम भी करो मेरे साथ

अंशिका: क्या....इतनी सुबह, मुझे कॉलेज में जाने में देर हो जायेगी.
मैं: तुम उसकी फिकर मत करो, अब तुमने मुझे उठा ही दिया है तो मैं ही तुम्हे कॉलेज छोड़ आऊंगा, बाईक पर, जितनी देर में तुम तैयार होगी, मैं वहां आ जाऊंगा.

अंशिका: तुम न...अच्छा बोलो, क्या करूँ मैं.
मैं: एक मिनट, मैं अपने लंड को तो बाहर निकाल लूँ... हाँ... अब मेरे लंड पर एक किस्स करो.

अंशिका: लो..पुच..
मैं: गुस्से में नहीं मेरी जान...प्यार से..

अंशिका: ओके बाबा...पुच पुच..अब ठीक है
मैं: हाँ, अब शावर चलाओ नहाना शुरू करो, अपना सर बचाकर और मोबाइल भी, ताकि मुझसे बात भी करती रहो साथ ही साथ..

शावर चलने की आवाज आई

अंशिका: ठीक है, अब बोलो..
मैं: अब साबुन उठाओ और अपने शारीर पर लगाओ..और ये समझो की मैं लगा रहा हूँ, और खासकर अपनी ब्रेस्ट को अच्छी तरह से साबुन लगाना, वो मुझे सबसे प्यारी लगती हैं...तुम्हे मालुम है न.

अंशिका: हाँ बाबा...मालुम है, मेरी तो कोई वेल्यु ही नहीं है.
मैं: अब अपनी चूत पर भी काफी सारा झाग लगाओ और उसे अच्छी तरह से साफ़ करो.

अंशिका: ये तो मैं रोज ही करती हूँ, इसमें नया क्या है.
मैं: आज मैं: ये सब कर रहा हूँ, भूल गयी क्या..

अंशिका: ओह..हाँ..लो कर लिया, अब..
मैं: अब अपनी दो उँगलियाँ अन्दर डालो..

अंशिका: डाल ली..अब..
मैं: अब धीरे-धीरे अपनी क्लिट की मसाज करो..

अंशिका: उफ्फ्फ्फ़ .... क्या करवा रहे हो सुबह-२
मैं: अब एक और ऊँगली डालो अन्दर

अंशिका: नहीं जायेगी...दर्द होगा..
मैं: डालो न...कुछ नहीं होगा..

उसने ऊँगली अन्दर डाली.

अंशिका: अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ...थोडा दर्द हो रहा है..
मैं: तीन उँगलियाँ नहीं डाली जा रही, जब मेरा लंड जाएगा अन्दर तो क्या करोगी.

अंशिका:  मुझे उसका ही डर लग रहा है..पता नहीं तब क्या होगा.
मैं: अच्छा वहां कोई हेयर ब्रुश रखा है क्या.

अंशिका: हाँ...है, क्यों.
मैं: उसे उठाओ और उसके पीछे वाले हिस्से को अपनी चूत के अन्दर डालो.

अंशिका: तुम न मुझे मरवाओगे..वो कहाँ जाएगा अन्दर, काफी मोटा है..
मैं: अरे बाबा , पूरा मत डालना, सिर्फ आगे का हिस्सा डालो.

अंशिका: रुको...हाँ..डाल लिया..ओह्ह्ह्ह ये तो बड़ा हो मोटा है.
मैं: अब उसे धीरे-धीरे अन्दर बाहर करो, और सोचो की ये मेरा लंड है जो तुम्हारी चूत के अन्दर जा रहा है, अन्दर का गीलापन समेट कर बाहर निकाल रहा है..और अपने अन्दर से ढेर सारा रस जब ये तुम्हारी चिकनी चूत के अन्दर निकलेगा तो वो अन्दर जाकर तुम्हे प्रेग्नेंट कर देगा...

अंशिका: ओफ्फ्फ्फ़ विशाल्ल्ल.....क्या कर रहे हो...अह्ह्हह्ह ....मुझे कुछ हो रहा है...अह्ह्ह्हह्ह ....ओह्ह्ह विशाल्ल्ल...आई एम् कमिंग...अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह 

उसके ये कहते ही मेरे लंड ने भी पिचकारियाँ मारनी शुरू कर दी, हम दोनों कुछ देर तक हाँफते रहे और फिर अंशिका की आवाज आई

अंशिका: सात बजे स्टेंड पर आ जाना.

और उसने फ़ोन कट कर दिया.

मैंने थोड़ी देर लेटा रहा, और फिर उठा और नहाने चल दिया, नहाकर आया तो देखा की सात बजने में दस मिनट है, मैंने बाईक उठाई और सीधा स्टेंड पर पहुंचा, अंशिका आई और मैंने उसे कॉलेज के पास उतारा. पुरे रास्ते वो मुझे कस कर पकडे रही और कुछ न बोली.

वो उतरी और अन्दर चली गयी, उसके जाते ही मेरे पास एक कार आकर रुकी. वो किटी मैम की थी.

किटी: हेल्लो विशाल, कैसे हो.
मैं: आई एम् फाईन मेम... थेंक्स.
किटी: तो आज भी तुम अंशिका को छोड़ने आये हो, हूँ..
मैं: हाँ मेम..वो दरअसल उसे लेट हो रहा था, इसलिए..
किटी: मैं देख रही हूँ की वो तुम्हे कितना परेशान करती है, अच्छा सुनो, मेरी बेटी का बर्थडे है कल सन्डे को, तुम भी आ जाना अंशिका के साथ..मुझे अच्छा लगेगा.
मैं: स्योर मैम... मैं आ जाऊंगा... पर वो अंशिका को...
किटी: उसे मैं बोल दूंगी, वैसे भी वो तुम्हे ही बोलेगी मेरे घर पर छोड़ने के लिए और वापिस ले जाने के लिए, तो क्यों न तुम भी पार्टी के मजे लो.. ठीक है.. आना जरुर.

और ये कहकर वो चली गयी कॉलेज के अन्दर

मेरी तो मन मांगी मुराद पूरी हो गयी.

दोपहर को अंशिका का फ़ोन आया

मैं: हाय...क्या कर रही हो..
अंशिका: वाल्क..खाना खाने के बाद वाली...अच्छा सुनो, आज तुम्हे किटी मेम मिली थी क्या सुबह.

मैं: हाँ...और उन्होंने मुझे अपने घर पर भी बुलाया है...बर्थडे पर.
अंशिका: और तुमने हां कर दी..

मैं: और क्या करता, इतने प्यार से जो बुला रही थी वो..तुम्हे क्यों जलन हो रही है. तुमने भी तो कहा था की तुम बात करोगी उनसे, मेरे वहां आने के लिए, और अब जब उन्होंने सीधा मुझे कह दिया है तो ये तो और भी अच्छी बात है न.
अंशिका: नहीं मेरा मतलब वो नहीं था...खेर..अब उन्होंने बोल ही दिया है तो..ठीक है..कल आ जाना मेरे घर, वहीँ से चलेंगे एक साथ.

मैं: ठीक है, और सुनाओ, आज सुबह मजा आया के नहीं..
अंशिका: तुम न उसके बारे में मुझसे बात न ही करो तो अच्छा है, सुबह-सुबह मुझसे पता नहीं क्या-क्या करवा दिया, मैंने इतनी सुबह आज तक फिंगरिंग नहीं की अपनी लाईफ में और तुमने तो नाजाने क्या क्या...वो ब्रुश भी... कहाँ से आते हैं ये सब खयालात तुम्हारे दिमाग में..

मैं: अरे, मेरा दिमाग तो तरह-तरह से सेक्स करने के लिए तरीके बनाने वाली फेक्टरी है, तुम देखना अभी और क्या-तरह निकलता है इस सेक्स के कारखाने से..
अंशिका: हाँ, और कुछ तो आता है नहीं तुम्हे, इतना ध्यान पढाई में भी लगा लिया करो...

मैं: तुम फिर टीचर की तरह शुरू हो गयी..
अंशिका: टीचर हूँ , तभी ऐसा कह रही हूँ.. अच्छा रखती हूँ अभी, लंच टाइम ओवर, शाम को बात करती हूँ. बाय..

मैं: बाय..

अब तो मैं कल का इन्तजार कर रहा था, कल उसने मुझे अपने घर पर दोबारा बुलाया है, और फिर किटी मेम के घर जाना और वापिस आना, यानि इस सबमे कुछ तो मौका मिलेगा ही, क्या पता चूत मारने को भी मिल जाए और मेरी जेब में पड़े हुए कंडोम की बारी भी आ जाए... मैं फिर से अपने ख्याली पुलाव बनाने लगा.
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#30
रात को अंशिका का फ़ोन आया

अंशिका: हाय... क्या कर रहे हो.
मैं: मुठ मार रहा हूँ

अंशिका (गुस्से में): तुम फिर शुरू हो गए... मैंने कहा था न की ये काम सिर्फ मेरे साथ करना, या सिर्फ मेरे सामने
मैं: यार, तुम्हारे सामने जो किया था उसे ही याद करके मेरा लंड तो अब पूरा दिन खड़ा रहता है, वो तुम्हारे फ़ोन ने सब गड़बड़ कर दिया

अंशिका:  जो होता है अच्छे के लिए ही होता है
मैं: अच्छा सच बताना, उस दिन मैं अगर तुम्हे चोदने की जिद्द करता तो क्या तुम मुझे अपनी चूत मारने देती ?

अंशिका: ओहो...तुम्हारी सुई उसी दिन पर अटकी पड़ी है..मैंने तुमसे कल भी कहा था की सही समय और जगह मिलते ही मैं तुम्हे खुश कर दूंगी. और वो दिन और समय सही नहीं था
मैं: पर मैंने जो तुम्हारी आँखों में देखा था और जैसा तुम बीहेव कर रही थी मुझे लगा शायद तुम पूरी तैयार थी चुदने के लिए

अंशिका:  तुम अपने ताने बुनते रहा करो..अच्छा सुनो, कल मैं क्या पहनू बर्थडे पार्टी में ?
मैं: कुछ नहीं...

अंशिका: बताओ न..प्लीस..तुम जानते हो जब से तुम मिले हो, मैंने तुमसे पूछे बिना कुछ नहीं पहना है बाहर ..

मैं ये सुनकर खुश हो गया, बात तो सही कह रही थी वो, हमेशा मुझसे पूछती है और वोही पहनती भी है.

मैं: अच्छा, तुम्हारे पास कोई वेस्टर्न ड्रेस है क्या
अंशिका: है तो पर मेरी ब्रेस्ट काफी हेवी है न, इसलिए मैं वेस्टर्न ड्रेस अवोइड करती हूँ... वैसे मेरे पास टी शर्ट और जींस है, और दो शर्ट भी हैं.

मैं: वंडरफुल ..तो एक काम करो, तुम शर्ट और जींस पहनो, साथ में हाई हील्स के सेंडिल ..
अंशिका:  ये कोई ऑफिस पार्टी नहीं है, जिसमे इतने फोर्मल से होकर जाओ..प्लीस कुछ और बोलो न..

मैं: नहीं..मैंने जो कह दिया, वर्ना तुम्हारी मर्जी.
अंशिका: तुम न हमेशा अपनी जिद्द मनवाते हो..ठीक है..मेरे पास दो शर्ट हैं, सफ़ेद और दूसरी प्रिंट वाली..कोनसी पहनू,

मैं: सफ़ेद पहनो, ब्लेक जींस के ऊपर और नीचे व्हाईट सेंडल
अंशिका:  ओके बॉस....और कुछ

मैं: और नीचे, ब्लेक ब्रा..
अंशिका:  पागल हो क्या, व्हाईट शर्ट के नीचे ब्लेक कलर की ब्रा साफ़ दिखेगी.

मैं: हाँ, तभी कह रहा हूँ..सेक्सी भी तो लगोगी न..
अंशिका: मेरी मम्मी नहीं पहनने देगी, ऐसे कपडे.

मैं: तुम ऊपर जेकेट पहन लेना, बाद में उतार देना वहां जाकर.
अंशिका: उस्ताद हो तुम पुरे..ठीक है..जैसा आप कहो.

मैं: अच्छा, अब इस पप्पू का क्या करूँ, ये तो कब से खड़ा है तुम्हारे नाम की मुठ मारने के लिए.
अंशिका: उसे कहो की कल तक का वेट करे, मैं उसे संभाल लुंगी.

मैं: पक्का..
अंशिका: हाँ, बाबा हाँ..पक्का., अच्छा अब तुम सो जाओ, मुझे भी नींद आ रही है, पुच..बाय..

मैं: पुच..पुच...बाय जान...

और फिर मैं सो गया. अगले दिन, हमेशा की तरह उसने सुबह मेसेज किया, दोपहर को लंच के समय बात की और शाम को सात बजे घर आने को कहा. मैं सफ़ेद शर्ट और ब्लेक जींस पहन कर उसके घर गया, मैंने जान बुझकर उसके जैसे कपडे पहने थे. मैंने बेल बजायी और उसकी नौकरानी ने दरवाजा खोला , मैं अन्दर जाकर सोफे पर बैठ गया. उसकी माँ अन्दर से आई, मैंने उठकर उनके पाँव छुए ... वो खुश हो गयी मेरे संस्कार देखकर, और नौकरानी को चाय बनाने को कहा

मम्मी : वो ऊपर तैयार हो रही है, अच्छा किया बेटा जो तुम अंशिका के साथ जा रहे हो, वर्ना मैं तो इसे रात को बाहर भेजने में हमेशा डरती रहती हूँ, पता नहीं कैसे जायेगी और वापिस आएगी, जब इसने कहा की किटी मेडम ने तुम्हे भी बुलाया है और तुम इसे लेकर और वापिस छोड़कर जाओगे तो मुझे थोड़ी राहत मिली..

मैंने मन ही मन सोचा , अरे आंटी, आप फिकर मत करो, मेरे साथ ही रहेगी ये, इसकी और इसके शरीर की पूरी रक्षा करूँगा मैं...

मैं: अरे आंटी, आप तो मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं, मुझे भी मेम की चिंता रहती है, आप फिकर मत करो.

उसके बाद वो मेरे घर के बारे में, कोन -२ है, क्या करते है, वगेरह-२ पूछने लगी, जैसे मुझे अपना जंवाई बनाएगी...
मैंने चाय पी, और तब तक ऊपर से अंशिका भी आ गयी, यार...क्या माल लग रही थी साली. ब्लेक जींस के ऊपर क्रीम कलर की जेकेट, नीचे उसकी शर्ट के कोलोर भी दिख रहे थे. उसने मेरे कपडे देखे और मुस्कुरा दी, पर कुछ न बोली, मैंने भी आँखों ही आँखों में उसकी तारीफ की और फिर हम चल दिए.

बाहर आते ही उसने अपनी जेकेट उतारी और मुझे दे दी, मैंने उसे डिक्की में दाल दिया, मैंने बाईक स्टार्ट की और वो मेरे पीछे बैठ गयी, दोनों तरफ टाँगे करके और थोडा दूर जाने पर उसने अपने दोनों हाथ मेरी बगलों में डाले और अपने पंजो से मेरे कंधे पकड़ लिए, आगे की तरफ से, और इसकी वजह से उसके दोनों गद्देदार मुम्मे, मेरी पीठ पर पिस कर आमलेट जैसी हालत में हो गए, उसने मेरी गर्दन पर पीछे से किस किया और बोली

अंशिका: आज मैं बहुत खुश हूँ, मैंने सुबह मम्मी को जब कहा की मैं तुम्हारे साथ जा रही हूँ, जो बताने में मुझे बड़ा डर लग रहा था, पर उनके रीअक्शन से मुझे बड़ा ताज्जुब हुआ, वो बड़ी खुश हो गयी थी, उन्होंने ये भी कहा था की ये लड़का भले घर का है..
मैं: देखा, मेरा इम्प्रेशन...अब तो मैं कभी भी तुम्हारे घर पर आ सकता हूँ, और ऊपर तुम्हारे कमरे में भी, मम्मी ने तो पास कर दिया है मुझे..

अंशिका: ज्यादा खुश मत हो... जितनी छूट मिली है, उतने में ही रहो

मैंने उससे ज्यादा बहस करना उचित नहीं समझा उस समय, वैसे भी उसके मुम्मे जो मेरी कमर में चुभ रहे थे, उसकी वजह से मेरी जींस में फंसा हुआ मेरा लंड ठीक से सांस भी नहीं ले पा रहा था, मुझे उसका कुछ करना होगा, मैं सोचने लगा, फिर आगे जाकर मैंने देखा की हमारे इलाके का बिजली घर आया है , जिसके पीछे की तरफ काफी बड़े-२ ट्रांसफार्मर लगे हैं, रात के समय वो बिजली घर बिलकुल सुनसान सा था, मैं कई बार बिल जमा करने यहाँ आया था, यहाँ की पार्किंग ऑफिस और उस ट्रांसफार्मर वाली जगह के बीच है, और अन्दर जाने के लिए कोई गेट भी नहीं है, मैंने बाईक अन्दर की तरफ मोड़ ली, वो समझ तो गयी थी की मैं वहां क्यों जा रहा हूँ, पर उसने कुछ कहा नहीं, शायद वो भी मेरी तरह जल सी रही थी, मैंने वहां पीछे पार्किंग वाली जगह पर जाकर बाईक रोकी, ऑफिस तो बंद था, वहां घुप्प अँधेरा था, और पीछे वाली जगह, जहाँ ट्रांसफार्मर लगे थे, वहां थोड़ी रौशनी थी, वहां अन्दर जाने के लिए जाली का दरवाजा था जिसपर ताला लगा था, ऑफिस वाली दिवार की तरफ एक टेबल और कुर्सी रखी थी, जो शायद पार्किंग वाले के लिए थी, वहां भी हल्का सा अँधेरा था.

अंशिका: ये कहाँ ले आये, कोई आ ना जाए यहाँ, चलो न, पार्टी के लिए देर हो रही है..
मैं: ये बिजली घर है, यहाँ रात को कोई नहीं आएगा, तुम इसकी चिंता मत करो..आओ वहां उस कोने में चलते हैं. 

मैं उसे लेकर कोने में गया, और उसे टेबल के पास लेजाकर खड़ा कर दिया. जैसे ही मैं उसकी तरफ मुड़ा उसने मुझे एक दम से गले से लगा लिया. उसका उतावलापन देखकर मुझे भी ताज्जुब हुआ, जो काम मुझे करना था वो आज खुद कर रही थी.

मैं: क्या बात है, बड़ा प्यार आ रहा है आज..
अंशिका: मैंने कहा था न की मैं आज बड़ी खुश हूँ, और तुमने आज मेरे जैसे कपडे भी पहने हैं, मुझे अच्छा लगा.

मैं: अच्छा लगने से क्या होता है, इनाम भी तो मिलना चाहिए न..

मेरे कहने की देर थी, उसके लरजते हुए होंठ मेरे होंठों से आ टकराए..वो इतने गीले थे की मुझे उसके मुंह से निकलती लार को अपने मुंह में भरकर अन्दर तक ले जाने में काफी मुश्किल हुई, उसकी लिपस्टिक का स्वाद बड़ा मीठा सा था शायद किसी फ्रूट जैसा, मैंने उसके दोनों मुम्मे पकडे और उन्हें दबाना शुरू कर दिया, शर्ट के ऊपर से दबाने में उसकी छातियाँ बड़ी कड़क सी लग रही थी, मैंने उसके बटन खोलने शुरू किये, मुझे लगा की वो मना करेगी, पर उसने कोई विरोध नहीं किया, मैंने उसकी शर्ट को जींस से बाहर निकल दिया और उसके सारे बटन भी खोल दिए, नीचे उसकी ब्लेक कलर की ब्रा देखकर मेरे मुंह में और भी ज्यादा पानी आ गया, मैंने अपना मुंह उसकी दोनों छातियों के बीच झोंक दिया और उसके शरीर से निकलने वाली भीनी सी खुशबू को सूंघते हुए वह पर अपनी जीभ से चाटने लगा.

अंशिका के मुंह से आआआह्ह ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ की आवाजें निकल रही थी. मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके मुम्मे दबाने और काटने शुरू कर दिए, उसने अपनी शर्ट को उतारा और मेरी बाईक के ऊपर टांग दिया और  बोली ये ख़राब न हो जाए. मैंने उसकी ब्रा के हूक भी खोल दिए और उसे भी उतार दिया और कहा ये भी उतारो, इसके भी खराब होने का डर है. उसने मुस्कुराते हुए अपनी ब्रा भी उतार दी. मैंने ये नोट किया की आज वो कुछ कम डर रही है उस दिन पार्क वाली जगह के मुकाबले.

उसकी ब्रा के उतरते ही उसका हुस्न जब बेपर्दा हुआ तो मैं उसकी सुन्दरता देखता रह गया, ऊपर से नंगी, टोपलेस, वो सिर्फ अपनी जींस और हाई हील में खड़ी हुई बड़ी ही सेक्सी लग रही थी, उसने अपने बाल खुले रखे हुए थे, उसके बालों का स्टाईल बिलकुल आयेशा टाकिया जैसा है, स्ट्रेट बाल है उसके नीचे की और आते हुए और लम्बे भी..वो खड़ी हुई मुस्कुरा रही थी,

अंशिका: अब देखते ही रहोगे क्या...

मैंने जल्दी से अपने होंठ लगा दिए उसकी मदर डायरी के बूथ पर और दूध पीने लगा. वो मेरे सर पर हाथ फेरती हुई हलके-हलके से बुदबुदाने लगी

अह्ह्ह्हह्ह मेरा बच्चा....पी ले...सारा तेरा...सारा तेरा...अह्ह्हह्ह्ह्ह म्मम्मम्म ओह्ह्ह्हह्ह धीरे काटो न प्लीस...

मैंने आँखें खोलकर उसकी तरफ देखा, उसका दांया निप्पल मेरे मुंह में था, वो बड़े प्यार से मेरी आँखों में देख रही थी... उसने मुझे कहा

अंशिका: क्या मेरी बात मानोगे..
मैं: क्या ?

अंशिका: वो...क्या तुम मेरे यहाँ एक निशान बना सकते हो अपने दांतों से..

उसने अपने निप्पल के थोडा ऊपर ऊँगली लगा कर कहा.

मैं: या..श्योर..

और मैंने अपने दांतों से उसके निप्पल के ऊपर का हिस्सा अन्दर की तरफ भींचा और उसे जोर से सक करते हुए , अपनी जीभ से उस जगह को कुदेरते हुए,अपने प्यार का "टैटू" बनाने में जूट गया..

अह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल्ल्ल....अह्ह्ह्हह्ह दर्द हो रहा है....अह्ह्ह्हह्ह धीरे बाबा...ओह्ह्हह्ह......

मुझे मालुम था की उसे दर्द हो रहा होगा, पर दर्द के बिना तो वो मार्क नहीं बन सकता था, इसलिए मैंने उसे सक करना चालु रखा..और थोड़ी देर बाद जब मैंने उसे छोड़ा तो उसकी आँखों में हलके से आंसू थे, मैंने उसके मुम्मे को पकड़ कर ऊपर उठाया और उसे दिखाया

मैं: ये लो, बना दिया... ठीक बना है... नहीं तो दूसरा बनाऊ.
अंशिका: अरे...नहीं..ये बिलकुल ठीक है...दरअसल, आज सुबह जब मैं और किटी मेम बाथरूम में थे और वो साडी ठीक कर रही थी तब मैंने उनके ब्लाउस के ऊपर वाले हिस्से में एक निशान देखा, और तब उन्होंने मुस्कुरा कर कहा की ये तो उनके शरारती पति की मेहरबानी है..लव बाईट और भी हैं, जो वो दिखा नहीं सकती उसे... बस, तभी से मुझे भी वैसा ही निशान बनवाना था, वो कह रही थी की जब भी वो नहाते हुए या कपडे पहनते हुए वो निशान देखती है तो उन्हें अपनी पति की शरारते याद आती है, मन भी येही चाहती हूँ की मैं जब भी ये निशान देखूं तो तुम मुझे याद आओ और ये पल जो मैं तुम्हारे साथ बिता रही हूँ...

उसकी बात सुनकर मुझे उसपर बड़ा प्यार आया

मैं: अगर कहो तो तुम्हारे पुरे शरीर पर ऐसे ही निशान बना दूं, फिर उन्हें देखकर खुश होती रहना और मुझे याद करती रहना.
अंशिका: नहीं बाबा...ये ही ठीक है, पता है कितना दर्द हुआ , पर जो भी था, मीठा दर्द था.

मैंने हँसते हुए उसके दोनों मुम्मो को थामा और उसके होंठो को चुसना शुरू कर दिया. उसने मेरी जींस की जिप पर हाथ लगाया और मेरे लंड को ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया. मैंने घडी देखी, साड़े सात बज चुके थे, आठ बजे का टाइम था केक काटने का, अभी थोडा टाइम था हमारे पास. वो मेरे सामने नीचे जमीं पर बैठ गयी और मेरी जिप खोलने लगी. उसने मेरी जींस नीचे करी और अब मेरा लंड, जो फ्रेंची में फंसा हुआ फुंफकार रहा था, उसके सामने था. उसने दोनों तरफ हाथ फंसा कर मेरी फ्रेंची नीचे करनी शुरू की, धीरे-२ उसे नीचे किया और मेरा लंड उछल कर उसकी आँखों के सामने आ गया.

अंशिका: म्मम्मम....कितना गुस्से में है ये आज...
मैं: तुम जानती हो की मेरा पप्पू गुस्से में क्यों है, तुमने इसे अभी तक अपनी पिंकी से नहीं मिलवाया न इसलिए...

अंशिका (हँसते हुए) :ओले ओले...मेरा बच्चा...पिंकी से मिलना है...जल्दी ही मिलेगी पप्पू को उसकी पिंकी...

और फिर उसने मेरे लंड के सिरे से निकलते प्रीकम को अपनी जीभ से चाट लिया..और चटखारा लेकर अगले ही पल मेरे पुरे लंड को निगल लिया अपने गरमा गरम मुंह में..

अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्हह्ह अंशु....अह्ह्ह्हह्ह मेरी जान.......क्या चुस्ती हो....अह्ह्ह्हह्ह ......तभी तो कहता हूँ...तू मेरी रंडी है....मेरी पर्सनल रंडी....अह्ह्ह्हह्ह.....चूस इसे....और जोर से.....

और उसने आवाजें निकलते हुए मेरे लंड को चुसना और निगलना शुरू कर दिया. उसे नीचे जमीन पर अपने सेंडल के बल पर बैठने में बड़ी तकलीफ हो रही थी, वो ऊपर उठी और घोड़ी बनकर नीचे झुककर, मेरे लंड को चूसने लगी... मैं समझ गया, मैंने उसे कुर्सी पर बैठने को कहा और खुद उसके सामने पड़े टेबल के ऊपर बैठ गया,अब वो बड़े आराम से मेरे लंड को सामने पड़े खाने की तरह, खाने में मशगुल हो गयी, अपने एक हाथ से वो मेरी गोटियाँ मसल रही थी और दुसरे हाथ से अपने माथे पर आये बालों को ठीक कर रही थी. मैंने अपने हाथ पीछे लेजाकर, टेबल पर टिका दिए और अपने लंड को चुस्वाने के मजे लेने लगा. तभी उसका मोबाइल बजने लगा. उसने अपनी जींस की पॉकेट से मोबाइल निकला और मुझे दिखाया, वो किटी मेम का था, फिर उसने मेरा लंड अपने मुंह से बाहर निकाला और फ़ोन उठाया

अंशिका: येस मेम...कहिये..
किटी: अरे भाई..कहाँ रह गयी, सब तुम्हारा ही इन्तजार कर रहे हैं.

अंशिका मेरा लंड अब अपने हाथ से ऊपर नीचे कर रही थी और फ़ोन पर बात भी कर रही थी.

अंशिका: वो मेम..दरअसल..रास्ते में, मैं और विशाल रुक गए और आइसक्रीम खाने लगे, बस आ रहे हैं..

और फिर उसने जीभ निकाल कर मेरे लंड पर ऐसे फेराई जैसे वो उसकी आइसक्रीम हो. मैं उसकी बात सुनकर और हरकत देखकर मुस्कुराने लगा.

किटी: तुम भी न, बच्चो जैसी हरकत करती हो, आइसक्रीम तो यहाँ भी खा सकती थी न, चलो अब जल्दी आओ, आई एम् वेटिंग.
अंशिका: ओ मेम...वी आर कमिंग...

और फिर उसने फ़ोन वापिस अपनी जेब में ठूस लिया और मेरे लंड को अपने मुंह में ठूस कर उसे फिर से आइसक्रीम की तरह चूसने लगी. मुझे मालुम था की यहाँ अभी चुदाई संभव नहीं है, इसलिए मैंने उसे कुछ नहीं कहा और जो कुछ मिल रहा था, उसी में संतुष्ट रहना ही उचित समझा. वो जिस तरह से अपने दांतों और जीभ का इस्तेमाल करते हुए मेरा लंड चूस रही थी, और दुसरे हाथ से मेरी बाल्स को भी मसल हलके से सहला रही थी, मुझे बड़ा मजा आ रहा था..जल्दी ही मेरे अन्दर ओर्गास्म बनने लगा, मैंने उसके सर को पकड़ा और अपनी तरफ से भी धक्के मारने शुरू कर दिए, मैं अब नीचे खड़ा होकर उसके मुंह में धक्के मार रहा था..मेरे हर झटके से उसके खुले हुए मुम्मे बुरी तरह से हिल रहे थे..और मेरी जांघो से टकरा रहे थे..जल्दी ही मेरे लंड ने झाड़ना शुरू कर दिया.

अह्ह्हह्ह्ह्ह अंशी....अह्ह्हह्ह मैं: आया.....आयी एम् कमिंग.....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्हह्ह उफ्फ्फ्फ़ .......

और उसके मुंह में जैसे कोई मशीन लगी थी, सारा रस उसने जल्दी से अपने गले के नीचे उतार लिया, और अंत में एक लम्बा सा चुपा मारकर मेरे लंड को अपने मुंह से बाहर निकाला और फिर अपनी उँगलियों से , होंठों के चारों तरफ जमा हुए, रस की कुछ बूंदों को भी इकठ्ठा किया और उन्हें भी चाट लिया..और एक चटखारा मारकर बोली "टेस्टी.....म्मम्मम "

मैंने नीचे मुंह करके उसके होंठो को चूम लिया, उसके मुंह से मेरे रस की खुशबू आ रही थी..मैं पीछे होने लगा तो उसने एक दम से मुझे फ्रेंच किस करना शुरू कर दिया, मुझे मजबूरन उसका साथ देते हुए, उसके मुंह से निकलता अपने रस का स्वाद चखना पड़ा. थोड़ी देर बाद हम अलग हुए और मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर लगाया, वो जगह बिलकुल गीली सी थी, पर ब्लेक जींस की वजह से गीलापन दिखाई नहीं दे रहा था. उसने मेरा हाथ हटाया और बोली

अंशिका: अभी और टाइम नहीं है, हमें जल्दी वहां जाना चाहिए..वो लोग हमारा ही वेट कर रहे हैं..

मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया, और अपने कपडे ठीक करने लगा उसने भी जल्दी से अपनी ब्लेक ब्रा पहनी और फिर मेरी तरफ मुड़ी

अंशिका: एंड ...थेंक्स फॉर दिस.....

और उसने अपनी ब्रा को हटा कर नीचे से वो निशान दिखाया. अब वो बिलकुल लाल सुर्ख हो चूका था.शायद अगले एक हफ्ते तक वो वहां रहे...

मैं: यु आर वेल्कम, वैसे जब ये मिट जाए तो बता देना, एक और बना दूंगा और वैसे भी तुमने ये थोडा नीचे बनवाया है, अगली बार ऊपर बनाऊंगा ताकि सूट या ब्लाउस के गले से भी दिखाई देता रहे..
अंशिका: वेरी फन्नी और मैं लोगो को क्या बोलूंगी, की ये किसने बनाया है,मेरी शादी थोडा न हुई है, किटी मेम की तरह, यहीं ठीक है, जो सिर्फ मैं देख सकू ना की कोई और.

और फिर उसने अपनी शर्ट पहनी, कपडे ठीक किये, और अपनी जींस की जेब से लिपस्टिक निकाल कर लगाने लगी मेरी बाईक के शीशे में देखकर, पूरी तय्यारी के साथ आई थी, जैसे उसे मालुम था की मैं उसे चूमुंगा जरुर. फिर हम चल दिए, लगभग दस मिनट में हम किटी मेम के घर पहुँच गए, वो एक सोसाइटी फ्लेट में रहती थी, उनके फ्लेट के बाहर काफी चहलकदमी थी, हम अन्दर गए.
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#31
अन्दर जाकर मैंने और अंशिका ने किटी मेम को विश किया, उन्होंने गोल्डन कलर की साडी पहनी हुई थी, जो नेट वाली थी, जिसके अन्दर से उनका सिल्वर कलर का लो कट ब्लाउस साफ़ दिखाई दे रहा था और उसमे कैद मोटे-मोटे मुम्मे और जैसा अंशिका ने कहा था, उनके ऊपर चमकता हुआ लाल निशान भी साफ़ दिखाई दे रहा था, वैसे वो बताती ना तो मैं ज्यादा ध्यान नहीं देता, पर उसके बताने के बाद उसे देखने में बड़ी उत्तेजना फील हो रही थी, खेर उन्होंने अपने पति से मिलवाया, जो किसी सरकारी ऑफिस में काम करते थे, वो बिलकुल बुड्ढे थे, मुझे लगा की शायद वो किटी मेम के ससुर हैं, क्योंकि उनके बाल बिलकुल सफ़ेद थे. घर पर सभी लोग एक दुसरे से बाते करने में लगे थे. उनके कई करीबी रिश्तेदार और उनके बच्चे ही थे पार्टी में, किटी मेम ने अंशिका के कपड़ो की तारीफ की और फिर वो उसे लेकर किचन में चली गयी.

मैंने किटी मेम से स्नेहा, जिसका बर्थडे था, के बारे में पूछा, उन्होंने कहा की शायद ऊपर टेरिस पर गयी है, अपने दोस्तों के साथ, मैं भी ऊपर चल दिया, इतनी दोस्ती तो हो ही चुकी थी उसके साथ, कॉलेज फेस्ट के दोरान, इसलिए मैं भी उसके लिए अपनी पॉकेट में एक छोटा सा गिफ्ट लाया था, ईअर रिंग, पर ये बात मैंने अंशिका को नहीं बताई थी, वो मेरे बारे में बड़ी पोसेसिव है, ये मैं जानता था, इसलिए..

मैं सीडियों से ऊपर गया, ऊपर से दो तीन दोस्त नीचे आते दिखाई दिए, पर स्नेहा उनमे नहीं थी, मैं ऊपर गया, पर वहां कोई नहीं था, घुप्प अँधेरा था, पर वहां की ऊँचाई से पूरा शहर साफ़ दिखाई दे रहा था, बड़ा ही सुन्दर दृश्य था, मैंने सोचा चलो एक चक्कर मार लेता हूँ, मैं आगे गया तो मुझे लगा की कोने में कोई खड़ा हुआ है. मैं झट से एक बड़ी सी टंकी के पीछे छुप गया और धीरे-धीरे उस तरफ गया, मेरा अंदाजा सही निकला, वहां स्नेहा खड़ी थी शायद अपने बॉय फ्रेंड के साथ, और वो दोनों किस कर रहे थे

स्नेहा: अह्ह्ह्ह पुच पुच...बस करो अंकित...नीचे सब इन्तजार कर रहे होंगे...चलो न..
अंकित: पुच पुच...बस थोड़ी देर और...आज तुम कितनी सुन्दर लग रही हो...बर्थडे किस तो करने दो, पुच पुच...मेरा तो मन ही नहीं कर रहा तुम्हे छोड़ने का...पुच पुच..

स्नेहा: अह्ह्ह्ह मन तो मेरा भी नहीं कर रहा....पर जाना पड़ेगा न नीचे, मम्मी इन्तजार कर रही होनी, केक भी काटना है...चलो न...
अंकित :अच्छा, एक बार इन्हें बाहर निकालो न, प्लीस...मुझे इनपर भी किस करनी है..

स्नेहा : पागल हो क्या, ये पोसिबल नहीं है.. तुम नीचे चलो न...प्लीस...
अंकित :ओके बाबा...जैसा तुम कहो...

स्नेहा :तुम पहले जाओ, मैं बाद में आती हूँ, कोई हमें एक साथ नीचे जाते ना देख ले..

हे भगवान्, इन कॉलेज जाने वाले बच्चो को भी पर लगे है, किस करने में लगे हैं. और फिर अंकित उसे एक बार और जोर से चूम कर नीचे की और चल दिया, स्नेहा ने जल्दी से अपने बाल और कपडे ठीक किये और नीचे जाने लगी, मैंने पीछे से उसे आवाज लगायी 

मैं: हे स्नेहा, हैप्पी बर्थडे...

स्नेहा मेरी आवाज सुनकर एकदम से पीछे मुड़ी और मुझे देखकर चोंक गयी,

स्नेहा: तुम्म....विशाल, तुम कब ऊपर आये....
मैं: जब अंकित तुम्हे बर्थडे विश कर रहा था..

स्नेहा मेरी बात सुनकर डर गयी, और मेरे पास आकर बोली प्लीस विशाल, किसी को कुछ मत बताना, मेरी मम्मी मेरा घर से निकलना बंद करा देगी...प्लीस...

मैं: ओह्ह..चिल्ल यार, परेशान मत हो, ये सब तो होता है, सभी करते हैं, मैंने भी किया है और करता हूँ, टेक ईट इसी ...डोंट वोरी... मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा..वो तो तुम्हारी मम्मी ने कहा की तुम शायद ऊपर हो, इसलिए मैं आया और तुम्हे देखा और मैं तुम्हे ये गिफ्ट भी देना चाहता था, सभी से छुपा कर, इसलिए 

और फिर मैंने उसे अपनी जेब से उसका गिफ्ट निकल कर दिया, उसने मुस्कुराते हुए वो लिया और मेरे से हाथ मिला कर थेंक यू कहा. मैंने भी मौके का फायदा उठा कर उसके हाथ को पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया और गले से लगा लिया,...बॉस....क्या नरम शरीर था उसका, और उसके छोटे-छोटे बूब्स जो मेरी छाती से टकराए तो मेरा लंड फिर से अंगडाई लेने लगा, मैंने उसे थोड़ी देर तक गले से लगाये रखा और फिर उसकी कमर पर हाथ फेरते हुए उसे अलग किया, उसका चेहरा देखने लायक था, उसने शायद सोचा नहीं होगा की मैं उसे गले लगा लूँगा..

मैं: चले नीचे...
स्नेहा: हमम...हाँ...चलो...चलो नीचे चलते हैं, केक भी काटना है.

और वो नीचे की तरफ चल दी.

मैं और स्नेहा जब वापिस अन्दर गए तो उसकी मम्मी केक को फ्रिज में से निकाल कर टेबल पर लगा रही थी, अंशिका ने मुझे स्नेहा के साथ अन्दर आते देखा तो मुझे एक कोने में लेजाकर बोली कहाँ थे तुम, और क्या कर रहे थे स्नेहा के साथ?

मैं: अरे तुम तो ऐसे नाराज हो रही हो, जैसे मैं उसके साथ डेट पर गया था, उसकी मम्मी ने बताया की वो ऊपर है तो मैं उसे बुला लाया और उसे विश भी तो करना था न.
अंशिका (आँखे निकलते हुए): शर्म नहीं आती, उस छोटी सी बच्ची के साथ डेट पर जाने की बात करते हो,

मैं: वो बच्ची अब उतनी छोटी भी नहीं रही..
अंशिका: क्या मतलब..?

मैं: मतलब, आज उसका बर्थडे है न, यानी वो एक साल और बड़ी हो गयी..
अंशिका: हाँ ठीक है, पर तुमसे कई साल छोटी है, उसपर नजरे मत लगाओ..

मैं: वैसे, मैं भी तो तुमसे कई साल छोटा हूँ, फिर तुम क्यों मुझपर नजर रखती हो..
अंशिका: हमारी बात कुछ और है, खेर मैं तुमसे इस बारे में ज्यादा बहस नहीं करना चाहती, चलो वहां केक कट रहा है.

उसके बाद स्नेहा ने केक काटा, अपने मम्मी और पापा को खिलाया, फिर एक दो रिश्तेदारों को भी और फिर अपने बॉय फ्रेंड अंकित को भी, वो दोनों मंद मंद मुस्कुरा रहे थे, और फिर वो मेरे और अंशिका के पास आई और एक ही टुकड़े से दोनों को खिलाया, मुहे खिलते हुए भी वो मंद ही मंद मुस्कुरा रही थी, मैंने गोर से देखा तो पता चला की उसने मेरे दिए हुए इअर रिंग पहने हुए हैं, नीचे आकर उसने ये कब किया, मुझे भी नहीं मालुम, उसके बाद सभी ने उसे गिफ्ट दिए और अंत में उसकी मम्मी ने एक डब्बा, जिसे उसने जल्दी से खोला, उसमे मोबाइल था, वो ख़ुशी से चिल्लाई और किटी मेम के गले लग गयी. बाद में थोडा बहुत डांस हुआ, मैं एक बहुत अच्छा डांसर हूँ, मैंने जब एक गाने पर डांस करना शुरू किया तो सबने ताड़ी मारकर खूब तारीफ की, मैंने नाचते हुए, बर्थडे गर्ल को भी अपने साथ नचाया , वो भी झूम कर नाची मेरे साथ, बाद में सबने खाना खाया और हम वापिस जाने लगे.

किटी मेम: थेंक यू अंशिका एंड विशाल, तुम दोनों आये मुझे बड़ा अच्छा लगा

वो दोनों कुछ बातें करने लगे, मैंने पीछे देखा तो पाया की स्नेहा बार-बार मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा रही है, मैं उसके पास गया और उसे बाय बोला, उसने धीरे से कहा प्लीस अपना नंबर दो. मैंने बिना कोई सवाल पूछे उसे अपना नंबर बता दिया, उसने उसे अपने मोबाइल में सेव करा और फिर मैं वापिस नीचे चल दिया. वापसी में काफी ठण्ड हो रही थी, अंशिका मुझसे चिपक कर बैठी थी, उसे जैसे घर पहुँचने की कोई जल्दी नहीं थी आज.

मैं: क्या सोच रही हो..
अंशिका: कुछ नहीं, पता है, किटी मेम तुम्हारे बारे में पूछ रही थी आज, मुझे तो लगा की शायद उन्हें शक हो गया है की तुम मेरे कसन हो या नहीं, पर मैंने बात संभाल ली.

फिर हमने इधर उधर की बाते की और मैंने उसे पूछा जल्दी तो नहीं है ना आज..

अंशिका: क्यों ?
मैं: तुम्हे आइसक्रीम खिलानी है...और मुझे भी कुल्फी खाने का मन है.

अंशिका मेरा इशारा समझ गयी, वो कुछ न बोली... दरअसल आज उसे जल्दी जाने की कोई चिंता नहीं थी, अभी दस बजे थे, और उसकी मम्मी भी जानती थी की मैं उसे वापिस घर छोड़कर जाऊंगा, इसलिए मम्मी के फ़ोन आने का भी सवाल नहीं था, चिंता थी तो सिर्फ, जगह की, मैंने सोचा की उसी जगह पर जाकर दोबारा ट्राई करना चाहिए... मैंने बाईक वहीँ मोड़ दी,
अंशिका: इतनी रात को वहां कोई और ना आ जाए, चोकीदार भी हो सकता है न..
मैं: नहीं होगा..देखते हैं.

मैं बाईक अन्दर ले गया. वहां कोई भी नहीं था, मैंने चैन की सांस ली.

बाईक वहीँ खड़ी की और फिर उसे लेकर उसी कोने में जाकर खड़ा हो गया. मेरा लंड फिर से टाईट हो चूका था, पर मै अब पहले अंशिका को मजे देना चाहता था.मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और उसे गले लगाकर उसे चूमने लगा. मैंने अपने हाथ उसकी फेली हुई गांड पर टिकाये और उन्हें मसलने लगा, जींस में कैद उसके चुतड बड़े गजब के लग रहे थे. मैंने हाथ अन्दर करके अपनी उँगलियाँ उसके नंगे नितम्बो पर टिका दी और उन्हें मसलने लगा. अंशिका मेरे मुंह को किसी भूखी शेरनी की तरह से चूसने में लगी थी, उसे भी मालुम था की ऐसे मौके बार-बार नहीं मिलेंगे.मैंने हाथ नीचे करके उसकी जींस के बटन खोले, और उसे नीचे खिसका दिया, शर्ट के बटन उसने खुद ही खोल दिए, मैंने उसे टेबल पर बिठाया और उसकी जींस उसके घुटनों तक नीचे उतार दी, नीचे उसने ब्लेक कलर की पेंटी पहनी हुई थी, मैंने उसपर हाथ लगाया, वो पूरी गीली थी..

अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल.....मैं जल रही हूँ....प्लीस कुछ करो..

मैंने उसकी पेंटी भी उतार दी, और फिर धीमी रौशनी में उसकी चिकनी चूत उजागर हो गयी, उसने कल ही अपने बाल साफ़ किये थे, इसलिए उसकी चूत से निकलते रस की वजह से उसकी चिकनी चूत बड़ी ही कमाल की लग रही थी.मैंने उसकी पेंटी भी घुटनों से नीचे कर दी, पुरे कपडे उतरना वहां मुश्किल था, किसी के आने का भी डर था. उसकी ब्रा से झांकते हुए उसके मुम्मे देखकर तो मैं पागल ही हो गया, मैंने उसकी ब्रा को ऊपर किया और उसके खरबूजे नीचे से निकल कर मेरी आँखों के सामने आ गए, अब मैंने उसे मुम्मो से लेकर चूत तक देखा, मलाई जैसी त्वचा देखकर मैंने अपनी जीभ निकली और उसके मुम्मो से लेकर नीचे तक उसे चाटना शुरू कर दिया. उसके निप्पल, पेट, नाभि और फिर जैसे ही उसकी चूत मेरे मुंह के सामने आई, उसने मेरे सर को पकड़कर अपनी चूत पर दबा सा दिया..

अह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल....चाटो न...प्लीस....सक मी ...सक मी....विशाल...सक्क माय कंट...विशाल....इट्स बर्निंग ...प्लीस....

मैंने उसे तद्पाने के लिए, अपनी जीभ निकली और उसकी चूत के चारों तरफ फेले गीलेपन पर फिराने लगा, उसकी चूत से बड़ी तीखी सी स्मेल आ रही थी, जो मुझे मदहोश सा कर रही थी, ये मेरा पहला अवसर था की मैं किसी की चूत चाट रहा था, पर मुझे बड़ा मजा आ रहा था, मैंने अपनी जीभ निकाली और उसे अंशिका की चूत के बीचो बीच लगा दिया.

अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल.....स्स्स्सस्स्स्स....

उसने मेरे सर को अपनी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया, उसे भी काफी मजा आ रहा था, मैंने हाथ उसकी जांघो के नीचे रखे और उसकी चूत को थोडा और ऊपर किया, वो टेडी होकर लेट सी गयी टेबल पर, अब मैंने अपने हाथो से उसकी चूत के फेलाया और उसपर दांतों से, होंठो से और जीभ से हमले करने शुरू कर दिए...वो मेरे हर हमले से सिसकारी मारती और मेरे बालों को पकड़कर उन्हें अपनी चूत पर घिसने लगती. जल्दी ही उसकी चूत के अन्दर से लावा निकलने का टाइम आ गया, वो चिल्लाने लगी..

ओह्ह्ह विशाल...ओम्म्म्म ...ओह्ह्ह मायय,.....गाद...अह्ह्ह्ह आई एम् कमिंग......अह्ह्हह्ह या.....अह्ह्हह्ह्ह्ह और अगले ही पल उसकी चूत में से हलकी सी गर्म पानी की बाड़ आई और मेरे मुंह से आ टकराई , मेरा पूरा मुंह भीग गया, मैंने सपद-२ करके उसका सारा पानी पी डाला. मैं अब जल्दी से उठा और अपनी पेंट से पर्स में से कंडोम निकाला, वो समझ गयी की मैं क्या करने वाला हूँ, उसने मुझे कहा 

अंशिका: सुनो, विशाल... प्लीस मेरी बात मानो, मैं भी ये सब करना चाहती हूँ, पर मैं चाहती हूँ की जब पहली बार तुम मुझे प्यार करो तो ऐसी जगह नहीं, प्रोपर बिस्तर पर, आराम से, बिना किसी डर के..

मैंने उसकी बात सुनी, बात तो वो सही कह रही थी, मैं ही था जो अपना उतावलापन दिखाकर उसकी चूत मारने के चक्कर में ये भी नहीं देख पा रहा था की हम एक बिजली घर की पार्किंग में खड़े हैं, और मैं उसे एक टूटे हुए से टेबल पर चोदने की सच रहा हूँ, मैंने उसकी बात मान ली और अपना कंडोम वापिस पर्स में रख लिया..

मैं: पर इसका क्या करूँ...

मैंने लंड की तरफ इशारा किया.

अंशिका: ये तुम मुझपर छोड़ दो...

उसने लेटे हुए ही मेरे लंड को पकड़ा और अपनी तरफ खींच कर अपनी चूत के ऊपर लगाया, उसकी चूत का एहसास मेरे लंड पर होते ही मेरे लंड ने एक दो बार जर्क किया...उसकी चूत से निकलता रस उसने मेरे लंड पर अच्छी तरह से मल दिया,और फिर वो उठी और मुझे टेबल पर बैठने को कहा, और खुद मेरे सामने खड़ी होकर , अपने मुम्मो को मेरे लंड पर रगड़ने लगी, उसका तरीका पड़ा ही कामुक था, उसके निप्पल खड़े होकर मेरे लंड पर तीर की तरह चुभ रहे थे, मैंने उसके चेहरे पर आते बालों को हटाया और उसने मेरी आँखों में देखते हुए नीचे झुककर मेरे लंड को निगल लिया, और जोरों से चूसने लगी..

अह्ह्हह्ह अंशिका.....अह्ह्हह्ह क्या चुस्ती हो यार.....अह्ह्ह्हह्ह हां और जोर से चुसो....म्मम्मम्म मेरी बातें सुनकर उसने मेरे लंड पर चूसने की गति थोड़ी बड़ा दी, और जल्दी ही मेरे लंड से निकलने वाली पिचकारियाँ उसके गले को गीला करने में लग गयी, और हर बार की तरह उसने सारा रस पी लिया. उसके बाद वो ऊपर आई और पिछली बार की तरह ही इस बार भी मेरे मुंह पर अपने होंठ लगा कर मुझे फ्रेंच किस किया और अपने शरीर को मेरे शरीर से रगड़ने लगी. अब रात काफी हो चुकी थी, मैंने घडी देखी तो साड़े दस बज रहे थे, वो भी जल्दी से उठी, कपडे ठीक किये, लिपस्टिक लगायी और फिर हम वापिस चल दिए, मैंने उसके घर पर उसे ड्रॉप किया, उसकी मम्मी ने दरवाजा खोला, मुझे अन्दर आने को कहा, पर मैंने ये कहकर की अभी रात काफी हो चुकी है, फिर कभी आऊंगा और मैं अपने घर वापिस आ गया.

वापिस आकर मैंने अपने मोबाइल पर उसका मेसेज देखा..

गुड नाईट स्वीट हार्ट. थेंक्स फॉर टुडे.
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#32
Such a erotic story..
Do add some pic..as you already mentioned this is copy paste... try adding spice by atleast adding some situational pictures
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#33
मैं रात को सोते समय शाम को हुई सारी बातों को सोचता रहा, एक एक करके सभी चीजे दोबारा से मेरी आँखों के सामने आने लगी, कैसे मैंने जाते हुए अंशिका को चूमा, उसने मेरा लंड चूसा, और फिर वापिस आते हुए भी उसने मेरा लंड चूसा और मैंने पहली बार उसकी चूत भी चाटी, कितने मजे आये, काश आज कोई अच्छी सी जगह होती तो मैं जरुर अंशिका की चूत मार लेता, अब मुझे जल्दी ही किसी जगह का इंतजाम करना होगा और आज किटी मेडम भी कितनी धांसू लग रही थी, और ख़ास कर उनका वो लाल निशान, वैसे निशान तो मैंने भी बनाया था अंशिका की ब्रेस्ट पर, कल उससे पूछुंगा की कैसा है वो निशान, और स्नेहा की बात को याद करके मेरे लंड ने एक-दो बार जोर से जर्क किया, कैसे वो सफ़ेद ड्रेस में किसी परी जैसी लग रही थी, और उसके छोटे-छोटे नागपुरी संतरे कितने मजेदार लग रहे थे, वैसे थी तो वो चालु ही, क्योंकि वो अपने दोस्त के साथ अपने ही टेरिस पर चुम्मा चाटी जो कर रही थी और कैसे उसने सबके सामने मेरा नंबर मांग लिया, काश मैं भी उसका नंबर ले पाता, उससे बात करके ये जानने की कोशिश करता की मेरा गिफ्ट उसे कैसा लगा, पर मुझे विशवास था की जल्दी ही उसका फ़ोन आएगा. मैं ये सब बातें सोचते हुए कब सो गया, मुझे पता ही नहीं चला..

सुबह सात बजे मेरा फ़ोन बजने लगा, मैं समझ गया की ये अंशिका का फ़ोन है, मैंने सोते-सोते फ़ोन उठाया और अपने कानो से लगाया

मैं: हेल्लो...जान...गुड मोर्निंग..
"जान...?? क्या बात है...किसी और के फ़ोन का इन्तजार कर रहे हो क्या...मैं स्नेहा बोल रही हूँ..."

धत्त तेरे की, मैंने बिना ये देखे की किसका फ़ोन है, उठा लिया, और "जान" भी बोल दिया, मैंने जल्दी से सिचुएशन को संभाला और कहा

मैं: ओह्ह...स्नेहा...मैं तुम्हारे फोन का ही इन्तजार कर रहा था..
स्नेहा: और ये "जान" कौन है... तुम्हारी?

उसकी आवाज में बचपना और शरारत साफ़ झलक रही थी..

मैं: ये तो मैंने तुम्हे ही कहा, तुम्हे बुरा लगा क्या..
स्नेहा: नहीं...बुरा तो नहीं..पर पहली बार में ही तुम मुझे ऐसे...
मैं: मैं तो अपने सभी फ्रेंड्स को जान कहता हूँ...
स्नेहा (हँसते हुए): फिर ठीक है...तुम्हे पता था की मेरा फोन होगा इतनी सुबह
मैं: हाँ, दरअसल मैं तो कल रात को घर आने के बाद ही तुम्हारे फ़ोन का इन्तजार कर रहा था, कल नहीं आया तो मुझे पूरा यकीन था की आज सुबह तो जरुर आएगा..
स्नेहा: ओके....वैसे मैंने तुम्हे थेंक्स कहने को फोन किया है, मुझे तुम्हारा गिफ्ट बहुत पसंद आया, थेंक्स अ लोट..
मैं: यु आर वेल्कम
स्नेहा : अच्छा, तुम ये मेरा नंबर सेव कर लो, बाद में बात करुँगी, अभी तो कॉलेज जा रही हूँ...तुमने भी तो कॉलेज जाना होगा न..
मैं: हाँ, मैं सेव कर लूँगा, पर मेरे अभी एक्साम्स ख़त्म हुए हैं, इसलिए छुट्टी है आजकल, अगले महीने से जाऊंगा..तुम किस समय फ्री हो जाओगी, तब फ़ोन करूँगा.
स्नेहा : मैं तो २ बजे वापिस आउंगी, कॉलेज से, वहां फ़ोन ले जाना मना है, इसलिए फ़ोन तो घर पर ही रहेगा... दोपहर को बात करुँगी..जैसे ही आउंगी, मैं ही कर लुंगी तुम्हे..
मैं: ठीक है...बाय जान...
स्नेहा (हँसते हुए): या..बाय..

और उसने फोन रख दिया..

ओ तेरे की....ये तो खुद ही फंसने को तैयार है...वैसे मैंने उसी दिन, जब अंशिका के कॉलेज में जब फेस्ट था, देख लिया था की वो मुझे बड़ी अजीब से नजरों से देख रही है, पर तब मैंने सोचा की बच्ची है , इसलिए ज्यादा ध्यान नहीं दिया उस दिन, पर जब से उसे छत्त पर किस्स करते हुए देखा और अब मुझे सुबह-सुबह थेंक्स के बहाने से फ़ोन करा तो मैं समझ गया की उसके टीनएज दिल में मेरे लिए कुछ-कुछ होने लगा है. फ़ोन रखने के बाद मैंने देखा की मेरे मोबाइल पर दो मिस काल थी, अंशिका की, मैंने जल्दी से उसे नंबर मिलाया ही था की दोबारा उसका फ़ोन आ गया

अंशिका: हाय...गुड मोर्निंग...
मैं: हाय...

अंशिका: किससे बात कर रहे थे इतनी सुबह... (उसकी आवाज में थोड़ी जलन की भावना साफ़ झलक रही थी)
मैं: वो..मेरे एक फ्रेंड का फोन था, आज मूवी देखने का प्रोग्राम है, इसलिए इतनी सुबह फोने करके कन्फर्म कर रहा था..

अंशिका: और वो तुम्हारी दोस्त, पारुल भी जा रही है क्या ?

मैंने मजे लेने के लिए कहा हाँ...वो भी जा रही है, मैंने कहा था न की हमारे ग्रुप में ही है वो..

अंशिका: तुम नहीं जाओगे वहां..
मैं: क्यों भाई तुम तो मुझपर ऐसे हुक्म चला रही हो जैसे तुम मेरी बीबी हो...

अंशिका: बीबी नहीं हूँ तो क्या, उससे कम भी नहीं हूँ...

मुझे उसकी बात सुनकर काफी अच्छा लगा..

मैं: अरे बाबा, मैं तो मजाक कर रहा था, वो नहीं जा रही, सिर्फ मेरा दोस्त, निशांत और मैं ही जा रहे हैं..
अंशिका (रुआंसी सी होकर): तो तुम मुझे सुबह-सुबह सता रहे थे...हूँ..

वो शायद रो रही थी...मुझे बड़ा बुरा फील हुआ उसे सुबह-सुबह रुला कर..


मैं: सॉरी जान...मैं तो मजाक कर रहा था...अच्छा मुझे माफ़ कर दो, बोलो मैं क्या करूँ अपनी इस भूल को सुधारने के लिए..
अंशिका: मुझे किस्स करो.

मैं: मुआअह...ये लिप्स पर ....मुआः, ये तुम्हारी ब्रेस्ट पर. ठीक है..और वैसे ये तो बताओ, वो निशान अभी भी है क्या वहां...
अंशिका (हँसते हुए): हाँ है...और बड़ा क्यूट सा लग रहा है...आज नहाते हुए मैंने देखा शीशे में, व्हाईट कलर की ब्रेस्ट पर लाल सुर्ख निशान... है भगवान...मुझे तुमसे ये बाते करते हुए फिर से कुछ होने लगा है...ओके...बाय, मैं चलती हूँ, मुझे देर हो रही है..

और फिर उसने फ़ोन रख दिया..

ओ गोड...आज तो बाल बाल बचा...वो कितनी पोसेसिव है मेरे लिए, अगर उसे पता भी चल गया की मैं स्नेहा के साथ बात कर रहा हूँ तो मेरा उसकी चूत मारने का सपना सिर्फ सपना ही रह जाएगा, मैंने जल्दी से स्नेहा के नंबर को निकाला और उसे "संजय" के नाम से सेव कर दिया, जो की मेरा एक और दोस्त है, अगर कभी उसके सामने ही स्नेहा का फ़ोन आ गया तो कम से कम मैं बच तो जाऊंगा. मैं फिर सो गया, नो बजे मम्मी ने आकर उठाया और मैं नहाने गया, फिर अपने दोस्त निशांत को फ़ोन किया, उसे मूवी चलने को कहा पर उसने मना कर दिया.. वो अपने पापा के साथ कहीं जा रहा था.. मैं फिर घर के एक - दो काम करने के बाद कंप्यूटर पर बैठा और फेसबुक खोला, थोडा अपडेट किया और फिर एक दो पोर्न साईट देखी, स्टोरी पड़ी और फिर टीवी चला कर मूवी देखने लगा. तब तक दो बज गए, मैंने लंच किया ही था की मेरा फ़ोन बज उठा, देखा तो उसपर "संजय" लिखा था..यानी स्नेहा का फ़ोन था, मैं उसी का इन्तजार कर रहा था.

मैं: हाय..जान...कैसी हो..
स्नेहा (मंद ही मंद मुस्कुराते हुए): ठीक हूँ...डिस्टर्ब तो नहीं किया न मैंने..
मैं: नहीं रे..मैं तो वैसे ही बोर हो रहा था...
स्नेहा: तब ठीक है, जानते हो, आज मेरी सारी सहेलियां मुझसे कल के मिले गिफ्ट्स के बारे में पूछ रही थी, और जब मैंने उन्हें तुम्हारे बारे में और तुम्हारे दिए गिफ्ट के बारे में बताया तो वो मुझे टीस करने लगी और ना जाने क्या क्या कहने लगी..
मैं: अच्छा, क्या बोल रही थी वो..मेरे बारे में..बोलो न..
स्नेहा: नहीं...वो तो वैसे ही, उन्हें तो कोई टोपिक मिलना चाहिए...छोड़ो उसे..
मैं: नहीं मैं सुनना चाहता हूँ...क्या कह रही थी वो मेरे बारे में
स्नेहा (शर्माते हुए): वो...वो...कह रही थी...की...पूछ रही थी...की...तुम कैसे दिखते हो...क्या करते हो...वगेरह-वगेरह 
मैं: तो तुमने क्या कहा..?
स्नेहा :मैंने कह दिया, स्मार्ट है..गुड लूकिंग..कॉलेज में है...वोही सब जो मैं जानती हूँ तुम्हारे बारे में..
मैं: बस इतना ही...
स्नेहा :और क्या..तुमने मुझे अपने बारे में और कुछ बताया ही कहाँ है..
मैं: तुमने कभी मौका ही नहीं दिया..
स्नेहा :ठीक है, अब बता दो..
मैं: ऐसे नहीं...फ़ोन पर ये सब नहीं बताया जाता...
स्नेहा : पर मैं बाहर नहीं मिल सकती तुमसे..शाम तक मम्मी पापा आ जाते हैं, उसके बाद मेरे एक सर हैं, उनके घर जाना होता है, टूशन के लिए..पापा ही मुझे लेने और छोड़ने आते हैं, और फिर खाना वगेरह, बाद में होमवर्क और फिर सोना..बस इसी में सारा दिन निकल जाता है,
मैं: टूशन के लिए तुम बाहर क्यों जाती हो, घर पर ही किसी को बुला लिया करो..
स्नेहा : अरे..बहुत ट्राई किया...पर सभी बहुत पैसे मांगते हैं...
मैं: अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हे पड़ा सकता हूँ, घर आकर...
स्नेहा (खुश होते हुए) :क्या सच...वाव...तुम क्या प्रायवेट टूशन देते हो..
मैं: हाँ (मैंने झूठ बोला)
स्नेहा : फिर तो बड़ा अच्छा होगा...हम रोज मिल भी सकते हैं और खूब बातें भी कर सकते हैं..
मैं (शरारती लहजे में): सिर्फ बातें ही करोगी क्या? 
स्नेहा (सहमते हुए):क्या मतलब...?
मैं: मतलब, तुम इतनी नासमझ भी नहीं हो की मुझे तुम्हे हर बात बतानी पड़े..तुम क्या-क्या करती हो, वो तो मैंने उस दिन छत्त पर देख ही लिया था...
स्नेहा : वो....वो तो बस ऐसे ही...अंकित मेरा अच्छा फ्रेंड है, मेरी क्लास में ही है वो, हमारी क्लास में सभी ने कोई न कोई बॉय फ्रेंड बना रखा है, जिसका नहीं है, उसे सब चिड़ाते हैं...तुम समझ रहे हो न...पर मैंने उसे कभी भी किस्स के आलावा कुछ और नहीं करने दिया..अगर तुम्हे ये सब पसंद नहीं है तो मैं उसे छोड़ दूंगी...ठीक है..

मैं उसकी सिचुएशन समझ रहा था...और मुझे उसके बचपने पर हंसी भी आ रही थी..मैं तो बस उससे मजे ले रहा था..

मैं: वो तुम जानो...मुझे कोनसा तुम्हारा बॉय फ्रेंड बनना है...और तुम्हे किस्स करना है..

वो मेरी बात सुनकर कुछ न बोली

मैं: पर सच बोलू तो अभी तुम्हारी उम्र नहीं है ये सब करने की...
स्नेहा :तुम मेरे पापा की तरह ना बात करो, यु नो...वो मैंने जब अपने बर्थडे पर फ़ोन माँगा तो उन्होंने साफ़ मना कर दिया, और कहा की अभी मेरी फ़ोन रखने की उम्र नहीं है, वो तो मम्मी, जो मेरी सारी बात मानती है और मुझे सबसे ज्यादा प्यार करती है, उन्होंने ही पापा की बात ना मानते हुए, मुझे फ़ोन लाकर दिया..
मैं: यानी, तुम मम्मा'स बेबी हो...
हाँ :और मेरी मोम सबसे ज्यादा प्यारी है, इस दुनिया की बेस्ट मोम है वो...
मैं: तो तुम अपनी बेस्ट मोम से कहो की तुम्हे टूशन जाने में परेशानी होती है, घर पर ही टीचर का इंतजाम करो..
स्नेहा :वो तो मैं रोज कहती हूँ...पर मैं अब अपने मुंह से तो तुम्हारे बारे में उनसे नहीं कह सकती न..
मैं: उसकी फ़िक्र तुम ना करो...मैं कुछ करता हूँ...
स्नेहा :ठीक है...अच्छा अब मैं रखती हूँ...मुझे कपडे भी चेंज करने हैं...
मैं: ओह...अभी तक कपडे भी नहीं बदले...बड़ी जल्दी थी तुम्हे मुझसे बात करने की...हूँ...वैसे क्या पहना हुआ है तुमने...जिसे उतारने की इतनी जल्दी है..
स्नेहा :बदमाश...चुप करो...ऐसी बाते नहीं करते...ओके..बाय...मैं रखती हूँ..

और उसने हँसते हुए फोन रख दिया...
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#34
मैं: सोच रहा था की अभी तो अंशिका की चूत मिली नहीं है और मैं: स्नेहा के चक्कर में पड़ गया, कहीं ऐसा ना हो की मैं: न यहाँ का रहूँ और न वहां का.पर यारों ये उम्र ही ऐसी है, वैसे भी अंशिका के साथ अपनी सेटिंग ऐसी है की मैं: अगर बाद में स्नेहा के साथ भी चक्कर चला लूं तो वो मुझे मना नहीं करेगी...पर जैसा की वो चाहती है की पहली बार मैं: सेक्स उसके साथ ही करूँ फिर किसी और के साथ, यानी अंशिका की चूत मारने के बाद मैं: आराम से स्नेहा की भी मार सकता हूँ..पर अभी उसके बारे में मुझे अपनी तरफ से बताने की कोई जरुरत नहीं है, क्योंकि वैसे भी वो मेरे बारे में काफी पोसेसिव है..ये तो पारुल वाले मामले में मैं: देख ही चूका था..मुझे हर कदम सोच समझ कर रखना होगा..

पर सबसे पहले तो मेरे सामने ये सवाल था की मैं: स्नेहा को उसके घर पर टयूशन पड़ाने के लिए कैसे जाऊ . मेरे दिमाग में एक आईडिया आया. मैंने झट से अंशिका को फोन मिलाया.

अंशिका: हाय...कैसे हो...इस समय कैसे फोन किया
मैं: हाय..मैं: ठीक हूँ..दरअसल तुम्हे एक न्यूज़ देनी थी..मैंने टयूशन देना शुरू कर दिया है, सुबह के टाइम , मैंने सोचा की इससे मेरी पॉकेट मनी भी निकल जायेगी और कुछ टाइम भी कट जाएगा..
अंशिका: वाव..आई एम् इम्प्रेस ..तुम ऐसा सोचते हो, मुझे अच्छा लगा, वैसे भी तुम्हे अब अपने घर वालो पर ज्यादा भार नहीं डालना चाहिए..इस तरह से पार्ट टाइम जॉब करके या टयूशन देकर तुम अपनी पॉकेट मनी निकाल सको तो उन्हें भी अच्छा लगेगा..
मैं: थेंक्स..मुझे मालुम था तुम्हे ये सुनकर अच्छा लगेगा, इसलिए मैंने तुम्हे फोन किया..
अंशिका: कोन सी क्लास के स्टुडेंट है..
मैं: 10th और 12 th के..दो भाई बहन है, उनके घर जाकर पढाना है, सुबह सात बजे, राज नगर में..
अंशिका: राज नगर, वो तो मेरे कॉलेज के बिलकुल पीछे ही है..
मैं: हाँ मैं: जानता हूँ.. ..वैसे तब तो हम एक काम कर सकते हैं,तुम रोज कॉलेज बस से सात बजे ही जाती हो, मैं: रोज सुबह तुम्हे कॉलेज छोड़ता हुआ टयूशन पड़ाने चला जाऊंगा..ठीक है न..
अंशिका: हाँ...ठीक तो है..पर तुम्हे ज्यादा मुश्किल न हो..
मैं: अरे..मुश्किल कैसी, तुम्हे रोज छोड़ने के लिए तो मैं: वैसे भी आ सकता हूँ, और अब तो ये बहाना भी है..
अंशिका: चलो ठीक है, तुम कल सुबह आ जाना, मेरे घर.
मैं: ठीक है..और सुनाओ, अभी क्या कर रही हो.
अंशिका: कुछ ख़ास नहीं, स्टुडेंट्स को पड़ा रही थी..मालुम है आज क्या हुआ, मैं: जब अपनी क्लास में गयी तो ब्लेक बोर्ड पर किसी ने पेनिस जैसी चीज बना रखी थी, मुझे तो बड़ी शर्म आई
मैं: तुमने पूछा नहीं की किसने किया वो..
अंशिका: हाँ..मैंने पूछा तो एक स्टुडेंट ने कहा की पिछली क्लास में हयूमन सायेंस के टीचर ने बनायीं होगी..
मैं: फिर ठीक है..
अंशिका: नहीं ठीक नहीं है, वो पिक्चर जिस तरह से बनी हुई थी, साफ़ पता चल रहा था की किसी स्टुडेंट ने ही बनायीं है, मुझे परेशां करने के लिए, वो बिलकुल खड़ा हुआ पेनिस था, और उसके दोनों तरफ गोल गोल....

वो आगे न बोल पायी, उसे शायद शर्म आ रही थी , बताने में..

मैं: ओहो...तो कोई स्टुडेंट है जो तुम्हे शर्माते हुए देखकर मजे ले रहा है...तुम भी मजे लो फिर..प्रोब्लम क्या है..
अंशिका: तुम भी न...मैं: वहां टीचर हूँ..मैं: ये सब नहीं कर सकती कॉलेज में...मैंने ब्लेक बोर्ड साफ़ किया और फिर अपनी क्लास ली और जल्दी से स्टाफ रूम में आ गयी..बस तभी से बैठी हूँ, अगली क्लास दस मिनट बाद है...
मैं: अच्छा ..तुम ज्यादा परेशान मत हो..
अंशिका: ठीक है...अच्छा मैं: रखती हूँ, कोई और टीचर भी हैं यहाँ..रात को बात करुँगी..

उसके बाद उसने रात को बात की, थोड़ी बहुत किस्सेस और नोर्मल बात हुई फोन पर, और फिर अगले दिन सुबह टाइम से आने का वादा लेकर उसने फोन रख दिया.

मैं: सुबह 7 बजे उसके घर आ गया, वो थोड़ी देर में बाहर आई और मेरे पीछे बैठ गयी, मैं: उसे लेकर चल दिया, वो हमेशा की तरह मुझसे लिपट कर बैठी थी

मैंने उसे कॉलेज के पास उतारा और चल दिया, वापिस घर...उसे क्या मालुम था की मैं: तो अपनी भूमिका बाँध रहा हूँ...

अगले दिन भी मैंने उसे कॉलेज छोड़ा..और इस तरह से लगातार तीन दिन हो गए...पर जो मैं: चाहता था वो अभी तक नहीं हुआ था..और आखिर चोथे दिन वही हुआ जो मैं: चाहता था.

मैं: अंशिका को लेकर जैसे ही कॉलेज पहुंचा, किटी मेम की कार हमारे पास आकर रुकी, मैंने और अंशिका ने उन्हें देखा और उन्हें विश किया

किटी :गुड मोर्निंग...और विशाल, कैसे हो...कैसी चल रही है तुम्हारी जॉब..
मैं: मेरी जॉब...? कोन सी..
किटी मेम :येही, अंशिका को अपनी बाईक पर छोड़ने की...तुम तो इसके ड्राईवर ही बन गए हो...हा हा...
अंशिका: नहीं मेम ऐसा कुछ नहीं है....वो तो आजकल ये रोज सुबह यहीं राज नगर में टयूशन पड़ाने आता हूँ, और मैं: भी इसके साथ आ जाती हूँ...वर्ना ये इतनी सुबह उठने वालों में से नहीं है..

किटी मेम अंशिका की बात सुनकर कुछ सोचने लगी..और फिर मुझसे बोली

किटी : तुम टयूशन भी पदाते हो, कोन सी क्लास को..
मैं: जी..वो..कोई भी हो..वैसे अभी तो 10 th और 12th के बच्चो को पड़ा रहा हूँ..
किटी मेम : अच्छा...मैं: भी स्नेहा के लिए कोई होम टयूटर ढूंढ रही थी...अगर तुम उसे भी पड़ा सको तो बड़ा अच्छा होगा, अभी तो उसे काफी दूर जाना पड़ता है और आजकल आना जाना कितना मुश्किल है,वो तो तुम जानते ही हो...प्लीस विशाल...पड़ा दोगे क्या उसे ..

मैंने अंशिका की तरफ देखा, वो भी कुछ सोच रही थी, जैसे उसे मेरा ये सब करना अच्छा नहीं लगेगा, पर बात किटी मेम की बेटी की थी, वो बीच में पड़कर बुरी भी नहीं बनना चाहती थी..उसने मुझे आँखों ही आँखों में हाँ कहा..

मैं: ठीक है मेम...मुझे कोई प्रोब्लम नहीं है...क्या टाइम सूट करेगा स्नेहा को
किटी :देखो...वो कॉलेज से दो ढाई बजे के आस पास आती है, और फिर थोड़ी देर खाना और सोना..शाम को पांच बजे ठीक रहेगा..
मैं: ठीक है मेम...मैं: आ जाऊंगा..कल से.
किटी मेम :कल से क्यों..आज से क्यों नहीं..मुझे आज कॉलेज में मीटिंग अटेंड करनी है, इसलिए मैं: तो लेट हो जाउंगी..तुम चले जाना, घर तो तुमने देख ही रखा है.मैं: स्नेहा को फ़ोन कर दूंगी..ठीक है न.
मैं: ठीक है मेम...मैं: आज ही चला जाऊंगा.

और फिर उन दोनों को बाय करने के बाद मैं: वापिस चल दिया..अपने प्लान को कामयाब होते देखकर मुझे काफी ख़ुशी हो रही थी.

शाम को ठीक पांच बजे मैं: स्नेहा के घर पहुँच गया, और बेल बजायी, दरवाजा स्नेहा ने ही खोला, वो मंद ही मंद मुस्कुरा रही थी, उसकी कातिल मुस्कान देखकर मेरा मन करा की अभी उसे दबोच लूं और उसके पिंक लिप्स को चबा जाऊ ..

उसने सफ़ेद चेक वाला पायजामा और पिंक टी शर्ट पहनी हुई थी, बड़ी ही क्यूट सी लग रही थी वो , उसने मुझे अन्दर आने को कहा, मैं: उसके पीछे चल दिया, आगे चलते हुए उसके मांसल चूतड़ों की उठा पटक देखकर मैं: मन ही मन सोच रहा था की इतनी कितने सेक्सी हो गए हैं उसके हिप्स इतनी छोटी सी उम्र में..

उसने मुझे सोफे पर लेजाकर बिठाया और पानी लेकर आई, पानी देते हुए जब वो नीचे झुकी तो उसकी टी शर्ट का गला नीचे लटक गया, जिसके अन्दर उसके सफ़ेद ब्रा में कैद छोटे-२ कबूतर देखकर मेरा लंड टन से खड़ा हो गया, मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी टांगो को इधर उधर करके उसे एडजस्ट किया..

वो मेरे सामने आकर बैठ गयी.

स्नेहा: मुझे तो विशवास ही नहीं हो रहा है की तुमने ये कर दिया..आई एम् सो हेप्पी..
मैं: अच्छा...तुम्हे मेरा यहाँ आना ज्यादा अच्छा लगा या मुझसे पडोगी, वो ज्यादा अच्छा है..
स्नेहा शरमाते हुए ) दोनों..अच्छा, यहीं पदाओगे या अन्दर...मेरे कमरे में..
मैं: बेडरूम में ही चलते हैं तुम्हारे..वहीँ ठीक रहेगा..

मेरी बात सुनकर उसका चेहरा एकदम से लाल सुर्ख हो गया..जैसे मैं: उसे चोदने की बात कर रहा हूँ..

मैं: तुम्हारा भाई कहाँ है..
स्नेहा: वो...वो तो क्रिकेट खेलने जाता है, चार से छे बजे तक...आज तो मम्मी भी लेट ही आएँगी, और पापा शाम को कभी 6 बजे आ जाते हैं और कभी ज्यादा काम हो तो 8 बजे तक..

मैं: यानी अभी हम तुम अकेले हैं..

स्नेहा मेरी बात का मतलब समझ कर फिर से उसी कातिलाना अंदाज में मुस्कुराने लगी..पर कुछ बोली नहीं..

वो उठकर अन्दर की और चल दी.

मैं: भी उसके पीछे-२ उसके बेडरूम में आ गया.

उसका कमरा बिलकुल साफ़ सुथरा सा था, अटेच बाथरूम और बालकोनी..कंप्यूटर टेबल और कोने में सुन्दर सा बेड..

मैं: उसकी बालकोनी में जाकर खड़ा हो गया, वो भी मेरे साथ सटकर खड़ी हो गयी, उनका फ्लेट टॉप फ्लोर पर था, इसलिए वहां से नीचे का नजारा बहुत सुन्दर दिखाई दे रहा था..

स्नेहा: यहाँ से रात के समय पूरा शहर दिखाई देता है..
मैं: जानता हूँ, उस दिन मैंने देखा था ऊपर..तुम्हारे टेरेस से..मैं: वहां से पुरे शहर को ही देखने गया था...पर कुछ और ही दिखाई दे गया..
स्नेहा (झेंपते हुए) विशाल....मैंने तुमसे कहा न..वो बात मत करो...वैसे भी मैंने अंकित से बात करनी छोड़ दी है चार दिनों से..
मैं: क्यों ? कोई और बॉय फ्रेंड मिल गया है क्या...
स्नेहा: नहीं!!! फ्रेंड मिल गया है....तुम...अब खुश हो...यही सुनना चाहते थे न..

उसने ये बात इतने भोलेपन से की थी की मैंने आगे बड़ कर उसके गाल पर चूम लिया..

वो मेरी इस हरकत से हैरान रह गयी..

मैं: क्या हुआ...वो तुम्हारा बॉय फ्रेंड तुम्हे लिप्स पर किस कर सकता है तो मैं: तुम्हारा फ्रेंड होने के नाते तुम्हारे गाल तो चूम ही सकता हूँ न..

मेरी बात सुनकर वो दूसरी तरफ मुंह करके मुस्कुराने लगी..और बोली :बहुत बदमाश हो तुम, बचकर रहना पड़ेगा तुमसे तो..वैसे जैसे दीखते हो, वैसे हो नहीं..

मैं: मतलब ??

स्नेहा: उस दिन , मम्मी के कॉलेज में, तुम चार घंटे तक मेरे साथ रहे, पर तुमने मुझे नोटिस ही नहीं किया..मैं: बार-२ तुम्हारी तरफ देख रही थी..पर तुम कहीं और ही खोये हुए थे, तब मुझे लगा था की शायद तुम और लडको की तरह नहीं हो..पर अब लगता है की शायद हो..
मैं: मैं: जैसा हूँ, वेसा ही दिखाई देता हूँ...आज और उस दिन में काफी फर्क है, वो पहली बार था जब मैं: तुमसे मिला था, और पहले दिन ही किसी लड़की पर बुरा इम्प्रेशन नहीं डालना चाहिए..

स्नेहा (मेरी आँखों में आँखें डालकर) : अच्छा जी...

मैं: हाँ जी.

और हम दोनों हंसने लगे..हँसते-२ उसका हाथ कब मेरे हाथ के ऊपर आ गया, शायद उसे भी पता नहीं चला.

स्नेहा: उस दिन , मम्मी के कॉलेज में, तुम चार घंटे तक मेरे साथ रहे, पर तुमने मुझे नोटिस ही नहीं किया..मैं: बार-२ तुम्हारी तरफ देख रही थी..पर तुम कहीं और ही खोये हुए थे, तब मुझे लगा था की शायद तुम और लडको की तरह नहीं हो..पर अब लगता है की शायद हो..
मैं: मैं: जैसा हूँ, वेसा ही दिखाई देता हूँ...आज और उस दिन में काफी फर्क है, वो पहली बार था जब मैं: तुमसे मिला था, और पहले दिन ही किसी लड़की पर बुरा इम्प्रेशन नहीं डालना चाहिए..

स्नेहा (मेरी आँखों में आँखें डालकर) : अच्छा जी...

मैं: हाँ जी.

और हम दोनों हंसने लगे..हँसते-२ उसका हाथ कब मेरे हाथ के ऊपर आ गया, शायद उसे भी पता नहीं चला.
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#35
Heart 
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https://drive.google.com/file/d/1mCSUgak...sp=sharing
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#36
स्नेहा: वैसे एक बात बोलू, तुम्हारी वो कजन है न...अंशिका, तुम उसके साथ कुछ ज्यादा ही चिपके रहते हो..कहीं दिल तो नहीं आ गया तुम्हारा अपनी कजन पर...हूँ...

मैं तो एकदम से सकपका गया उसकी बात सुनकर, साली ये लड़कियां कितनी चालू होती है, झट से ताड़ लेती है की कौन किसके साथ कैसे पेश आ रहा है, जरुर इसने मुझे और अंशिका को एक दुसरे के साथ कुछ ख़ास करते देख लिया होगा, तभी ये ऐसा कह रही है..

मैं: ये कैसी बात कर रही हो...तुमने मुझे अभी तक हमेशा उसके ही साथ देखा है शायद इसलिए ऐसा कह रही हो, मैं तो बस उसे अपनी बाईक पर लिफ्ट दे देता हूँ, जब भी उसे मेरी जरुरत होती है...तुम बेकार का सोच रही हो..वो मेरी कजन है, मैं उसके बारे में ऐसा कुछ नहीं सोच सकता..अब अगर तुम्हारी एन्कुयारी ख़त्म हो गयी हो तो थोड़ी सी पढाई कर ले...अपनी मम्मी को क्या बोलोगी की आज क्या पढ़ाया मैंने..

मैंने उसका ध्यान बांटने के लिए पढाई की बात कही थी, वर्ना इस खुबसूरत कबूतरी से गुटर गू करने में काफी मजा आ रहा था. उसने भी बुरा सा मुंह बनाते हुए अन्दर चलने को कहा, जैसे उसे मेरी ये बात बिलकुल भी अच्छी नहीं लगी, वो बेड के ऊपर एक टांग करके बैठ गयी और उसने अपना बेग खोलकर बुक्स निकाल ली और मुझे दिखने लगी. पर मेरा सारा ध्यान तो उसकी नंगी टांगो पर था , वो अपनी एक टांग को बेड पर लेकर बैठी थी और दूसरी नीचे लटक रही थी, ऊपर वाली टांग की नंगी पिंडलियाँ देखकर मेरा मन कर रहा था की उसे वहीँ से चाटना शुरू कर दूं और मेरा मन ना जाने क्यों ऐसा कह रहा था की वो भी मुझे नहीं रोकेगी. पर इन लड़कियों के मन में क्या है ये तो वोही जाने, अगर मेरा अंदाजा गलत हुआ तो लेने के देने पढ़ जायेंगे, पहले इसके दिल की बात जान लू या फिर वो ही अपनी तरफ से पहल करे, तभी सही रहेगा. मैंने बुक्स को उठाया और इंग्लिश की बुक लेकर उसे पढ़ाना शुरू कर दिया. अगले आधे घंटे तक मैं पुरे मन से उसे पढाता रहा. मैंने उसे लिखने के लिए एक एक्स्सर्सयीज़ दी, वो नीचे झुक कर लिखने लगी तो उसका गला लटक गया, और मैंने पहली बार उसके अन्दर का नजारा देखा, वहां उसने स्पोर्ट्स ब्रा पहनी हुई थी, जो सफ़ेद रंग की थी, और उसके छोटे-छोटे चूजे उनमे कैद थे, छोटे होने की वजह से सिर्फ उनकी बनावट ही दिख पा रही थी, कुछ ख़ास तो नहीं था पर मुझे बड़ी उत्तेजना फील हो रही थी. मेरा ध्यान एकदम से बुक्स के ऊपर से हट गया, स्नेहा ने जब काम करके मुझे दिखाया तो मुझे ये तक पता नहीं चल रहा था की मैंने उसे क्या करने को कहा था. मैं तो बस उसकी छाती को एकटक देखे जा रहा था. मेरा लंड बिलकुल टाईट हो चूका था जिसे एडजस्ट करने में बड़ी मुश्किल हो रही थी. मेरी हालत देखकर वो भी शायद समझ गयी थी की मेरा ध्यान किधर है, वो मेरी हालत देखकर मंद-मंद मुस्कुराने लगी.

स्नेहा: क्या हुआ विशाल..."सर"...आपका ध्यान किधर है..
मैं: वो...वो..दरअसल...मैं सोच रहा था की थोड़ी देर का ब्रेक लेना चाहिए..

और ये कहकर मैं बाथरूम में चला गया. अपना लंड निकाला, जो स्टील जैसा हुआ खड़ा था, पेशाब की लम्बी धार मारी, और फिर मैंने स्नेहा के बारे में और उसके चूजों के बारे में सोचते हुए मुठ मारना शुरू कर दिया.

मैंने दरवाजे के पीछे लटके कपड़ों में पेंटी देखी, जिसे झट से मैंने उठाया, वो स्नेहा की थी, क्रीम कलर की, जिसपर ब्लेक धारियां थी, मैंने उसे अपने मुंह से लगाकर सुंघा, बड़ी मादक सी महक आ रही थी, और फिर उसे अपने लंड पर लपेटा और फिर से मुठ मारना शुरू कर दिया..अपनी आँखें बंद की और जल्दी ही मेरे लंड से गाड़े रस की फुहारे निकलने लगी..जिसे मैंने उसकी कच्छी में समेट लिया, और फिर कुछ सोचकर मैंने उसे वहीँ कोने में फेंक दिया, वो पूरी तरह से मेरे रस से भीग चुकी थी, और फिर मैं बाहर आया, थोड़ी देर तक उसे पढाया और तभी उसकी माँ आ गयी..

किटी मैम: और विशाल, कैसा रहा पहला दिन , स्नेहा ने तंग तो नहीं किया न...
मैं: अरे नहीं मैम, ये तो मन लगाकर पढाई कर रही थी, बड़ी ही होशियार है ये तो..
किटी मैम: अरे रहने दो, इतनी ही होशियार होती तो टयूशन न लगानी पड़ती इसकी...चलो छोड़ो ..तुम बैठो मैं चेंज करके आती हूँ..

और फिर वो अपने कमरे में चली गयी..मैंने भी उसे थोडा देर और पढाया और वापिस आ गया, स्नेहा ने आते हुए कहा की वो रात को फोन करेगी

मैं वापिस सात बजे पहुंचा, और मैंने अंशिका को फ़ोन किया..

अंशिका: तो टाइम मिल गया जनाब को...कैसा रहा पहला दिन.
मैं: ठीक था, तुम सुनाओ कैसी हो.

अंशिका: मैं तो ठीक हूँ..क्या तुम अभी फ्री हो.
मैं: हाँ...बोलो

अंशिका:  दरअसल, मैं मार्केट जा रही थी, तुम भी वहीँ आ जाओ, साथ में शोपिंग करेंगे.
मैं: कोई ख़ास बात, एकदम से मार्केट जाने की क्या सूझी

अंशिका: यार, मुझे एक जींस लेनी है, बड़े दिनों से सोच रही थी, और आज जब सेलेरी आ गयी है तो मुझसे रहा नहीं जा रहा..
मैं: ठीक है, मैं आधे घंटे में तुम्हे एम् ब्लाक मार्केट में मिलता हूँ.

और फिर मैं बाईक लेकर चल दिया अपनी अंशिका से मिलने. बाईक चलाते हुए मैं सोच रहा था की शाम को स्नेहा और रात को अंशिका, पर दोनों को एक दुसरे के बारे में पता नहीं चलना चाहिए, मतलब एक के साथ रहते हुए दूसरी को पता न चले..ये मुझे देखना होगा. मैं मार्केट पहुंचा, वो मेरा ही इन्तजार कर रही थी, उसने टी शर्ट और कार्गो पहनी हुई थी, बड़ी स्वीट लग रही थी वो, हम एक दूकान में चले गए, वहां कस्टमर काफी कम थे, अंशिका ने एक दो जींस देखी और उन्हें ट्रायल रूम में लेकर चली गयी. मैं वहीँ खड़ा होकर उसका वेट करने लगा.

तभी अंशिका की आवाज आई, सुनो विशाल, एक मिनट यहाँ आओ. मैंने सेल्स गर्ल की तरफ देखा, वो मुस्कुरा रही थी, मैं ट्रायल रूम की तरफ गया, पर्दा हटाकर गेलरी सी थी वहां जिसमे दो केबिन बने हुए थे, उसने दरवाजा खोला और अन्दर खड़े होकर चारों तरफ से मुझे अपनी जींस की फिटिंग दिखाने लगी..वो घूमी और पीछे से दिखाया, उसकी बैक बड़ी सोलिड लग रही थी. मैंने आगे बढ़ कर उनपर हाथ रख दिया, वो एकदम से घबरा गयी और बोली ये क्या कर रहे हो...कोई आ जाएगा..

मैं: कोई नहीं आएगा..

और ये कहते हुए मैं अन्दर घुस गया और दरवाजा बंद कर दिया. वो मेरी आँखों में देखती रही और एकदम से मेरे गले लग गयी.

अंशिका: तुम्हारी यही बातें तो मुझे अच्छी लगती है, तुम दबंग हो एकदम...आई लाईक इट..

मैंने उसे अपनी तरफ किया और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए, मुझे मालुम था की ये जगह इन सबके लिए ठीक नहीं है, बाहर सेल्स गर्ल हमारे निकलने का वेट कर रही होगी..

अंशिका: सुनो...तुम्हे कोई याद कर रहा है..
मैं: कौन ??

अंशिका: ये...

और उसने अपनी टी-शर्ट को एकदम से ऊपर उठाया और साथ ही साथ अपनी ब्रा को भी, और उसके दोनों मुम्मे उछल कर बाहर निकल आये. मैं उसकी हिम्मत देखकर दंग रह गया

मैं: दबंग तो तुम हो, तुममे इतनी हिम्मत कैसे आ गयी...ये सब ऐसी जगह करने की..
अंशिका: तुम्हारे साथ रहते हुए ही ऐसा हुआ है...अब देख क्या रहे हो...जल्दी प्यार करो इन्हें...

मुझे कुछ और कहने की जरुरत नहीं थी. मैंने झट से उसके दोनों कबूतर पकडे और उनके गले दबा दिए...मतलब उन्हें मसलने लगा और उसके निप्पल पकड़कर अपने मुंह में डाले और उन्हें चूसने लगा...

अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल......स्स्स्सस्स्स्स मैं मर जाउंगी.....अह्ह्हह्ह्ह्ह

उसने मेरे लंड पर हाथ रख दिया..मुझे लगा पूरी दुनिया वहीँ रुक गयी है, मैंने अपना सर ऊपर उठाया और उसने अगले ही पल अपने गीले होंठो से मुझे फिर से चूमना और चुसना शुरू कर दिया, वो बड़ी बेकरार सी लग रही थी, मैंने उसके लटकते हुए फलों के ऊपर अपने मुंह से बनाये निशान को देखा वो थोडा हल्का हो गया था, मैंने अपना मुंह वहीँ पर लगाया और फिर से अपने दांतों और जीभ से उस जगह को चुसना शुरू कर दिया...

अह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल......म्मम्मम ह्ह्ह्हह्ह दर्द हो रहा है.....धीरे....अह्ह्हह्ह

मुझे लगा की शायद उसकी आवाज बाहर न चली जाए इसलिए मैंने उसे छोड़ दिया, और उसकी छाती पर फिर से वही लाल निशान अपने पुरे शबाब पर चमकने लगा. उसने मुझे एक बार और किस किया और बोली चलो अब बाहर, कहीं वो शॉप वाले अन्दर ही न आ जाए और उसने मेरे लंड पर एक बार और हाथ फेरा और कहा इसे फिर कभी देखेंगे और फिर मैं जल्दी से बाहर निकल आया, वहां गेलरी में कोई नहीं था, मैं बेकार में निकल आया, पर तब तक अंशिका भी निकली और उसने वहीँ जींस पहने हुए ही सेल्स गर्ल को कहा "आई विल टेक दिस". सेल्स गर्ल भी हलके से मुस्कुराते हुए उसका बिल बनाने लगी, जैसे उसे मालुम था की हम क्या करके आये हैं अन्दर से. अंशिका ने अपनी कार्गो पेक करवाई और हम बाहर निकल आये. रास्ते में वो मुझसे चिपक कर बैठी रही और अपनी गोलाइयों से मेरी पीठ की मालिश करती रही. मैंने उसके घर के पास उसे छोड़ा और वापिस चला आया. 

घर पहुँचते ही मेरा मोबाइल बजने लगा, मैं जानता था की अंशिका ने मुझसे स्टोर में हुई घटना के बारे में बात करने के लिए फोन किया है. पर ये तो स्नेहा का था. मैंने फोन उठाया.

स्नेहा: हाय...क्या कर रहे हो.
मैं: बस तुम्हारे ही फोन का इन्तजार कर रहा था.
स्नेहा: अच्छा जी..मेरे फोन का इन्तजार कर रहे थे तो तुम ही फोन कर लेते..
मैं: चुप रहा.
स्नेहा: वैसे मैंने तुमसे शिकायत करने के लिए फोन किया है ..पता है तुम्हारी वजह से मेरा काम बढ़ गया आज..
मैं: मेरी वजह से...कैसे ?
स्नेहा: वो तुमने बाथरूम में मेरी....पेंटी के साथ....क्या किया..बोलो..मुझे कितना टाइम लगा उसे धोने में...पता है..
मैं: कुछ ना बोल पाया, मुझे लगा था की शायद वो शर्म के मारे मुझे कुछ नहीं बोल पाएगी...पर शायद ये उसका बचपना था की वो मुझसे अपनी पेंटी की हालत के बारे में बात कर रही थी...या फिर वो जरुरत से ज्यादा चालू थी...मुझे इसका पता लगाना ही था.

मैंने अनजान बनने का नाटक किया

मैं: तुम क्या कह रही हो, मुझे कुछ नहीं मालुम...
स्नेहा: अच्छा जी..मैं सब जानती हूँ , तुम मेरे मुंह से साफ़-साफ़ सुनना चाहते हो, इसलिए ये सब कह रहे हो..
मैं: तो ठीक है न..साफ़ साफ़ बोलो, बात को क्यों घुमा रही हो.
स्नेहा (थोड़ी देर तक चुप रही, फिर धीमी आवाज में बोली): तुमने मेरी पेंटी के साथ मास्टरबेट किया था न..?
मैं: हाँ...
स्नेहा: मैं पूछ सकती हूँ क्यों ?
मैं: सच बोलू या झूठ.
स्नेहा: सच बोलो..

उसने तीखी आवाज में कहा..

मैं: तो सुनो, मैंने जब से तुम्हे देखा है,मुझे अजीब सा एहसास होता है, सच कहूँ तो तुम मुझे काफी सेक्सी लगती हो, और अब जब मैं तुम्हारे इतने पास हूँ, जहाँ से तुम्हारे जिस्म की खुशबू और तुम्हारा सुन्दर सा चेहरा और तुम्हारी बॉडी खासकर तुम्हारे बूब्स जो मुझे बड़े क्यूट से लगे, जब तुम नीचे झुक कर मुझे पानी दे रही थी और मैं जब तक तुम्हारे पास रहा, मैं वही सोचता रहा और जब मुझसे कण्ट्रोल नहीं हुआ तो मैंने बाथरूम में जाकर मास्टरबेट करने की सोची और जब मैं कर रहा था तो मुझे तुम्हारी पेंटी नजर आई , मैं और भी ज्यादा एक्स्कायटिड हो गया और मैंने उसे अपने पेनिस पर लपेट कर मास्टरबेट किया.

मैंने उसे साफ़ साफ़ बोल दिया, यही एक तरीका था उसके मन की बात जानने का, मैं जानता था की वो ये सब किसी और से नहीं कहेगी, क्योंकि मेरे पास भी उसका एक राज (छत्त पर अंकित को किस्स करने वाला) था.
स्नेहा कुछ न बोली, पर मुझे उसकी तेज साँसों की आवाज साफ़ सुने दे रही थी फोन पर..
मैं समझ गया की मेरे मुंह से मुठ मारने की बात सुनकर और शायद पेनिस वर्ड सुनकर उसकी चूत में से भी पानी निकलने लगा होगा..
उसके जिस्म में जो आग सुलग रही थी मुझे वो और भड्कानी होगी..

मैं: और जानती हो, मैंने तो तुम्हारी पेंटी को अपने मुंह पर रगडा और उसे चूमा भी था...

ऊऊ ह्म्म्मम्म ..... दूसरी तरफ से उसके मोन की आवाज आई..

मैं: उसमे से अजीब तरह की स्मेल आ रही थी, पर मुझे वो बहुत अच्छी लगी, मैंने अपनी जीभ से तुम्हारी पेंटी के अन्दर वाला हिस्सा चाटा तो मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उसे अपने लंड पर लपेटा और तुम्हारी चूत और ब्रेस्ट को इमेजिन करके मैंने मुठ मारनी शरू कर दी...
स्नेहा: ओह्ह्ह्हह्ह विशाल्ल्ल.......

अब उसकी नशे में डूबी आवाजें निकलने लगी थी..शायद वो फिंगरिंग कर रही थी, मुझसे बात करते हुए..

मैं: मेरी आँखों के सामने तुम्हारा क्यूट सा चेहरा था और उतने ही क्यूट तुम्हारे बूब्स भी हैं, जिन्हें मैं आँखें बंद करे चूस रहा था, तुम मेरा सर अपने बूब्स पर दबा रही थी...बस यही सोचकर मैं तुम्हारी पेंटी को अपने लंड पर लपेट कर मुठ मार रहा था और फिर मेरे लंड से निकला सारा रस मैंने तुम्हारी पेंटी में छोड़ दिया...मैंने सोचा की शायद तुम्हे अच्छा लगे...पर तुम तो नाराज हो रही हो..."

दूसरी तरफ से आवाज आनी बंद हो गयी थी..मैंने दो तीन बार हेलो हेलो किया...पर फोन कट चूका था.
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#37
मैं सोच रहा था की उसकी क्या हालत हो रही होगी, ये तो पक्की बात थी की वो अपनी चूत में उँगलियाँ डाल कर मास्टरबेट कर रही होगी अभी... काश मैं भी उसके पास होता, मैं भी देख सकता उसे. यही सोचते हुए मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया, अब अंशिका के रोकने पर मैं कब तक रुकूँ..उसकी चूत पता नहीं कब मिले या वो अगली बार पता नहीं कब और कहाँ मिलेगी, और अब इन दोनों यानी स्नेहा और अंशिका के चक्कर में मेरा लंड दिन में दस बार खड़ा होता है,इसकी हवा तो निकालनी ही पड़ेगी ना. मैंने लंड निकला और पास ही पड़ी क्रीम को उसपर लगाया और मुठ मारने लगा, क्रीम की चिकनाई की वजह से मुझे तो ऐसा लग रहा था की मेरा लंड अंशिका के मुंह में है...पर अभी तो मैं स्नेहा के नाम की मुठ मार रहा था, इसलिए मैंने उसे अपने दिमाग से निकाला और आँखे बंद करके स्नेहा को सोचने लगा, की वो मेरे सामने बैठी है और उसने अपना मुंह खोलकर मेरा लंड अपने मुंह में भर लिया है...और तेजी से उसे निगलते हुए, मेरी आँखों में देखकर, उसे चूस रही है...मेरा निकलने वाला था, मैंने उसे कहा...स्नेहा ...मैं आया...और ये सुनकर वो और तेजी से उसे चूसने लगी. तभी मेरे फोन की घंटी बज उठी..अब की बार अंशिका का फोन था..पर मैं झड़ने के काफी करीब था, फिर भी मैंने फोन उठाया और अपने लंड को आगे पीछे करते हुए, स्नेहा को याद करते हुए, मुठ मारना जारी रखा

मैं: हेल्लो....स्नेहा ..बोलो..
अंशिका: स्नेहा ?????? अरे मैं अंशिका हूँ...

ओ तेरी माँ की...साली गड़बड़ हो ही गयी....मुठ मारने के चक्कर में , मैंने फोन उठा कर अंशिका को स्नेहा बोल दिया...अब तो तू गया विशाल...और तभी मेरे लंड ने पिचकारियाँ मारनी शुरू कर दी...

मैं: अह्ह्हह्ह ....अह्ह्ह्ह....
अंशिका: क्या कर रहे हो.....विशाल....मैं तुम से पूछ रही हूँ....क्या कर रहे हो....और ये स्नेहा का क्या चक्कर है....तुम उसे पढ़ाने जाते हो और उससे फोन पर भी बात करते हो...मेरी तरह...है न...तुम कहीं उसके चक्कर में तो नहीं हो...बोलो विशाल....मैं कुछ पूछ रही हूँ..

मेरे लंड से पिचकारियाँ निकलती जा रही थी और दूसरी तरफ से अंशिका के मुंह से आग...उसकी हालत मैं समझ सकता था..मुझे जल्दी ही कुछ करना होगा...

मैं: अरे अंशिका...तुम भी न...मैंने ही स्नेहा को बोला था की वो मुझे फोन करे, आज मैं जब उसे पढ़ा रहा था तो एक कुएस्चन पर अटक गए थे और उसके सब्जेक्ट की एक गाईड मेरे पास भी है, मैंने उसे कहा था की शाम को फोन करके मुझसे उसका जवाब पूछ लेना. बस मैंने सोचा की उसी का फोन है..
अंशिका: पर तुमने बिना देखे फोन कैसे उठा लिया...तुम क्या कर रहे थे...और कैसी आवाजें निकाल रहे थे...तुम मास्टरबेट कर रहे थे न... बोलो?

मैं: सच कहूँ ...हाँ...मैं आज तुमसे दोपहर को बात नहीं कर पाया, इसलिए मैं तुम्हारे बारे में सोचकर मुठ मार रहा था, मेरी आँखें बंद थी, इसलिए मैं फोन किसका है , ये भी नहीं देख पाया, मुझे लगा, स्नेहा ही होगी, क्योंकि इस समय तुम तो फोन करती नहीं हो..और तुम मुझपर शक करना छोड़ दो, मेरा और स्नेहा का कोई चक्कर नहीं चल रहा है...तुम बेकार में सोचती रहती हो..मैंने कहा था न की पहले तुम, फिर कोई और.
अंशिका: हाँ हाँ ठीक है..पर जब तुमने उसका नाम लिया तो मुझे बड़ा बुरा लगा..और ये टयूशन की बातें वहीँ छोड़ कर आया करो...कोई जरुरत नहीं है फ़ोन-वोन करने की एक दुसरे को...वैसे भी वो काफी छोटी है तुमसे समझे.

मैं: हाँ मेडम...समझ गया...कुछ और..
अंशिका (हँसते हुए): नहीं जी..कुछ नहीं.. 

मैं: तुम्हारा दिन कैसा रहा आज ?
अंशिका: ठीक था..फॅमिली डे आने वाला है, उसी के लिए मुझे सब सँभालने के लिए दिया है...पता है, मेरा डीन मुझे कहता है की मैं इस तरह के फंक्शन ज्यादा अच्छी तरह से मेनेज कर कर सकती हूँ...जैसे मैंने पहले किया था.

मैं: वो तो है...चलो अच्छा है, तुम्हारी कदर बढेगी तभी तो तुम्हारी सेलेरी भी बढेगी.
अंशिका:  हाँ सही कह रहे हो...

मैं: अच्छा , मैं तुम्हे एक बात बताना तो भूल ही गया, वो मेरी सुबह वाली टयूशन अब नहीं होगी, वो लोग कहीं और शिफ्ट कर रहे हैं, जो काफी दूर है, मैं वहां नहीं जा पाउँगा उन्हें पढाने, पर तुम फिकर मत करो, मैं तुम्हे रोज छोड़ने आ जाया करूँगा.

ये सब तो करना ही था...आप समझ ही सकते हैं.

अंशिका: नहीं , सिर्फ मेरी वजह से इतनी सुबह उठने की कोई जरुरत नहीं है, मैंने तो सिर्फ इसलिए की तुम वहीँ जाते हो, तुम्हारे साथ जाना शुरू किया था, पर अब अगर तुम ही नहीं जा रहे तो मैं पहले की तरह मेनेज कर लुंगी और रही बात मिलने की तो उसके बारे में भी सोचते हैं..
मैं: (खुश होते हुए): अच्छा, कब मिल रही हो फिर...तुम्हारी चूत मारने का बड़ा मन कर रहा है..

अंशिका: अभी मास्टरबेट किया , उसके बावजूद भी..?
मैं: तुम अगर मेरे सामने आ जाओ न, फिर देखना, एक घंटे में तीन बार तो चोद ही दूंगा तुम्हे..

अंशिका: वो तो जब होगा, तब देखेंगे..अच्छा सुनो, मेरी बहन कनिष्का आ रही है कल, उसके 12th तो पूरी हो ही चुकी है, अब वो यही कॉलेज में पड़ेगी..
मैं: तुम्हारे कॉलेज में ?

अंशिका: नहीं, वो नहीं चाहती मेरे कॉलेज में आना, मैंने भी उसे जोर नहीं दिया..उसका एडमिशन जीसस एंड मेरी कॉलेज में हुआ है..
मैं: अब तो तुम मुझसे रात को बात भी नहीं कर पाया करोगी.. 

अंशिका: नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है...वो मेरी प्रायवेसी का पूरा ध्यान रखती है, और मैं किस से बात कर रही हूँ, कभी नहीं पूछती..
मैं: फिर तो मैं भी अगर तुम्हारे कमरे में आ गया तो तुम्हे उसके सामने चूम भी सकता हूँ और चोद भी...वो कुछ नहीं कहेगी ना..

अंशिका: ऐसा भी नहीं है...वो इतनी नासमझ भी नहीं है.
मैं: ओहो...यानी ये जवानी के खेल वो भी समझती है.

अंशिका (थोडा गुस्से में): मैंने तुमसे कहा था न की उसके बारे में मैं इस तरह की बातें नहीं सुनना चाहती..
मैं: ओह्ह..सॉरी..मैं तो बस ऐसे ही, मैं तो बस ये कह रहा था की अब रहा नहीं जाता, जल्दी ही कुछ करो, वर्ना मैं किसी दिन, सबके सामने ही तुम्हे चोदना शुरू कर दूंगा.

अंशिका:  ठीक है...चोद लेना.
मैं (हैरानी से): मतलब, तुम्हे कोई फर्क नहीं पड़ता.

अंशिका: जब से तुमसे मिली हूँ, मेरे दिल से इस तरह का डर ख़त्म सा हो गया है, और सच कहूँ तो अब मुझे बड़ी एक्साय्मेंट होती है, तुम्हारे साथ उस दिन पार्क में, फिर मेरे कमरे में, रात को उस दिन बिजली घर में और फिर आज चेंजिंग रूम में.. जहाँ कभी भी कोई भी आ सकता था, मैंने खुल कर चूमा-चाटी, सकिंग और ना जाने क्या क्या कर दिया..ये सब करने में जो रोमांच मिलता है, वो मैं तुम्हे बता नहीं सकती...इसलिए तो कह रही हूँ, ऐसे पब्लिक प्लेस में या जहाँ किसी के आने का डर हो, वहां करने में जो मजा है, वो बंद कमरे में कहाँ..
मैं: समझ गया...तुमपर अब सेक्स का भूत चढ़ गया है...और वो भूत तुम्हे पब्लिक प्लेस में अपना जलवा दिखाने को कहता है...है न..

अंशिका (हँसते हुए): हाँ...ऐसा ही समझ लो.
मैं: तो ठीक है, कल ही तुम्हे एक ऐसी जगह ले जाता हूँ, जहाँ जाकर प्यार करने में तुम्हे मजा आएगा..

अंशिका: कौन सी जगह ?
मैं: वो तो मैं कल ही बताऊंगा..तुम घर पर बोल देना की तुम लेट आओगी..मैं तुम्हे कॉलेज से पिक कर लूँगा..

अंशिका: देखो...कोई मुसीबत ना आ जाए, मेरा मतलब वो भी नहीं था...जैसा तुम समझे....
मैं: अब तो मैंने सोच लिया है...तुम्हे उस जगह लेकर ही जाऊंगा..कोई अगर मगर नहीं..समझी.

अंशिका:  ठीक है...तुम दो बजे आ जाना कॉलेज.वहीँ से चलेंगे..
मैं: ठीक है..अब एक पप्पी तो दे दो..

अंशिका (इठलाते हुए): कल ही दे दूंगी...जहाँ कहोगे..
मैं: वो तो मैं ले ही लूँगा..पर अभी के लिए तो कुछ करो..मेरे लंड पर एक किस करो ना..

अंशिका: आज मैं: तुम्हे लंड पर नहीं, उसके नीचे वाली जगह यानी तुम्हारी बाल्स पर किस दूंगी..ऊऊउम्म्म्माअ ...और उसपर किस ...कल ही मिलेगी..हे हे...
मैं: ठीक है...हंस लो...कल देख लूँगा.

अंशिका:  देख लेना..जो चाहे..जैसे चाहे.

साली बड़ी दिलदार बन रही है...कल बताऊंगा इसे तो.

आज पता नहीं अंशिका से बात करने के बाद मुझे एक अजीब तरह की ख़ुशी मिल रही थी, जिस तरह से वो बात करने लगी है आजकल, मैं उसका श्रेय खुद को दे रहा था, कहाँ वो कॉलेज की सिंपल सी मेडम और कहाँ अब ये लंड और चूत की बातें करने वाली, और पब्लिक प्लेस में प्यार का खेल खेलने को तेयार गर्म और रसीली जलेबी. मैंने अंशिका के बारे में सोचते हुए सो गया. अगले दिन मैंने स्नेहा को फोन करके बोल दिया की मैं आज नहीं आ पाउँगा, वो थोड़ी निराश तो हुई पर उसने जाहिर नहीं होने दिया..वैसे भी जब से मैंने उसके साथ फोन सेक्स किया था उसके बाद मेरा और उसका सामना आज ही होना था और शायद खेल उसके आगे बढ़ सकता था, जहाँ पर हमने उसे छोड़ा था...पर अभी तो मुझे अंशिका की प्यास पहले बुझानी थी.

ठीक २ बजे मैं उसके कॉलेज के पास पहुँच गया, आज मौसम बड़ा अजीब सा था, बादल थे लाल से रंग के, शायद बारिश हो जाए.

मैं किटी मैम से बच रहा था, कहीं उन्होंने मुझे आज यहाँ देख लिया तो गड़बड़ हो जायेगी, वो पूछेंगी, की आज मैं उनकी बेटी को पढ़ाने क्यों नहीं गया..मैंने अंशिका को पहले से ही ये बात बता दी थी. वो थोड़ी देर बाद मुझे आती हुई दिखाई दी. उसने आज पिंक कलर का सूट पहना हुआ था, और सफ़ेद रंग की पायजामी. बाल खुले और चुन्नी से ढके उसके विशाल पर्वत. वो मेरे पास आई और मुझे एक क्यूट सी स्माईल करी और मेरी बाईक पर बैठ गयी..थोड़ी ही दूर जाकर उसने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया. अब उसकी ब्रेस्ट की हलचल में अपनी पीठ पर महसूस कर पा रहा था.

अंशिका: हां जी...अब बोलो, कहाँ ले जा रहे हो.
मैं: यूनीवर्सिटी में एक बहुत बड़ा गार्डेन है...कमला नेहरु रिड्ज पार्क ...वहीँ पर.

अंशिका: बोंटे पार्क...पागल हो क्या...तुम मरवाओगे...हमारे कॉलेज के कई लड़के लड़कियां वहां जाते हैं...कहीं किसी ने देख लिया तो मर जाउंगी मैं , ना बाबा ना. कहीं और चलो..नहीं तो मुझे घर छोड़ दो.
मैं: देखो, तुम अब पलट रही हो...तुमने ही कहा था की तुम्हे ऐसी जगह प्यार करवाने में मजा आता है, जहाँ किसी के आने का डर हो..और वैसे भी, हमने अभी तक जहाँ भी प्यार किया है, वहां भी तो कोई जान पहचान वाला आ सकता था..तुम फिकर मत करो, वहां इतनी झाड़ियाँ है की कोई किसी को नहीं देख पाता..

वो कुछ देर तक और बोलती रही पर मैंने उसकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया..और लगभग आधे घंटे में हम वहां पहुँच गए. मैं बाईक से उतरा और हम अन्दर चल दिए, अंशिका ने थोड़ी समझदारी दिखाई और अपनी चुन्नी से अपने चेहरे को पूरी तरह से ढक लिया, सिर्फ उसकी आँखें ही दिखाई दे रही थी..पर ऐसा करने से उसके मोटे-मोटे चुच्चे साफ़ दिखाई देने लग गए थे. मैंने एक हाथ आगे करके उसके दांये चुच्चे को दबा दिया..उसने अपनी आँखें फेला कर मुझे घुर.

अंशिका:  ये क्या कर रहे हो...कोई देख लेगा.
मैं: अंशिका को लेकर अन्दर तक चला गया, वहां काफी हरियाली थी, और आज मौसम भी थोडा सुहाना था, इसलिए आशिको की भीड़ भी थी..पर अभी तक अंशिका ने मुझे ये नहीं कहा की वो देखो, वो है मेरे कॉलेज के लड़के/लड़कियां...

वहां जो भी छुप कर बैठने की जगह थी, वहां पहले से ही कोई न कोई बैठा हुआ था..हर जोड़ा एक दुसरे को चूसने और चाटने में लगा हुआ था, किसी को दिन दुनिया की कोई खबर नहीं थी, मेरी जींस में मेरे लंड ने अंगडाई लेनी शुरू कर दी थी, अंशिका मेरा हाथ पकड़ कर चल रही थी, जिसकी वजह से उसका मुम्मा मेरी बाजू से रगड़ खा रहा था. अंत में मुझे अपनी मनचाही जगह मिल ही गयी, वो एक बड़ी सी झाडी थी और उसके नीचे घांस में बैठने की जगह थी, ऊपर से वो झाडी किसी छतरी की तरह से थी, उसके नीचे हम दोनों घुस गए..अब अगर कोई सामने से निकले भी तो उसे नीचे बैठकर देखना होगा की अन्दर कौन है और क्या कर रहा है. बैठते के साथ ही अंशिका ने अपने पर्स से पानी की बोतल निकाली और उसका ढक्कन खोला. मैंने उसके हाथों से पानी छीन लिया.

अंशिका: दो न प्लीस....मुझे बड़ी प्यास लगी है..

मैंने बोतल को अपने मुंह से लगा कर पानी अपने मुंह में भर लिया और अपना चेहरा उसके आगे किया और आँखों से इशारा करके उसे कहा लो पी लो फिर. उसने मेरा इरादा समझ लिया और अपने चेहरे पर कातिल मुस्कान बिखेरते हुए अपने बालों को एक तरफ किया और अपने हाथों की उँगलियाँ मेरे चेहरे पर फिराते हुए उसने अपने पिंक लिपस्टिक वाले होंठ मेरे मुंह से लगा दिए और मैंने अपने होंठ उसके दोनों होंठों के चारों तरफ लपेट दिए और अगले ही पल ठंडा पानी मेरे मुंह से झरने की तरह दूसरी तरफ जाने लगा, मैं धीरे-धीरे पानी छोड़ रहा था और हर घूँट के साथ उसके होंठ चूस रहा था, गीले-गीले होंठ चूसने में आज बड़ा मजा आ रहा था..अचानक उसका एक हाथ मेरे लंड के ऊपर आ गया. मैंने भी उसकी ब्रेस्ट को अपने हाथों से नापना शुरू कर दिया. जल्दी ही मेरे मुंह से सारा पानी ख़त्म हो गया, पर हमने एक दुसरे को चुसना नहीं छोड़ा..थोडा पानी निकल कर अंशिका की चिन से होता हुआ, उसकी गर्दन को भिगोता हुआ, अन्दर की और चल दिया...मैंने अपनी जीभ से उस पानी की लकीर का पीछा करना शुरू कर दिया और जैसे ही मेरे गर्म होंठ उसकी लम्बी गर्दन के ऊपर आये, उसने मेरे सर को अपने हाथों से जोर से दबा कर अपनी छाती में समां लिया. मेरे मुंह में उसकी नर्म ब्रेस्ट आ गयी और मैंने उसे सूट के ऊपर से ही उसे चुसना शुरू कर दिया..

आह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल्लल्ल्ल ....सक में.....सक में हार्ड... और ये कहते हुए उसने अपने सूट के गले से अपना एक मुम्मा बाहर निकाल दिया. उसका निप्पल तन कर खड़ा हुआ था, मैंने ठंडी जीभ उसके ऊपर फेराई तो वो तड़प सी उठी...उसने मेरे बालों में ऊँगली फेरते हुए मेरे मुंह को अपनी ब्रेस्ट पर दबा दिया...

अंशिका: क्यों तड़पा रहे हो....चुसो न...सक इट....बाईट मी...

मैंने उसके निप्पल को मुंह में भरा और उसपर दांत गडा दिए. उसका निप्पल तन कर खड़ा हुआ था, मैंने ठंडी जीभ उसके ऊपर फेराई तो वो तड़प सी उठी...उसने मेरे बालों में ऊँगली फेरते हुए मेरे मुंह को अपनी ब्रेस्ट पर दबा दिया...
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#38
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल्लल्ल्ल्ल ......म्मम्मम्म.......ओह्ह्ह्हह्ह गोड..... अह्ह्हह्ह

मैं: धीरे बोलो अंशिका......इतना तेज बोलोगी तो पुरे पार्क वाले लोग यहाँ आकर तुम्हे चोद देंगे..

अंशिका की आँखें गुलाबी सी हो गयी थी, वो समझ नहीं पा रही थी की मैंने जो कहा वो मैं चाहता हूँ या फिर ऐसे ही, पर शायद वो इमेजिन करने की कोशिश कर रही थी की अगर वहां सब लोग इकठ्ठा हो जाएँ और उसके साथ....ये सोचते ही उसने थूक से भीगे होंठ मेरे होंठों पर रगड़ने शुरू कर दिए...मैंने इतना गरम अंशिका को कभी नहीं देखा था..उसकी एक ब्रेस्ट बहार निकली हुई थी और वो बुरी तरह से मुझसे लिपट कर मुझे किस कर रही थी...और एक हाथ से वो मेरी जींस के ऊपर से ही मेरे लंड को रगड़ रही थी. मैंने उसे सीधा किया और उसकी दूसरी ब्रेस्ट को भी बाहर निकलने की कोशिश करने लगा, पर वो दोनों एक साथ बाहर नहीं आ पा रही थी, मैं उसका सूट ऊपर से उतारना नहीं चाहता था. पर मेरी सोच और अंशिका की सोच में अंतर निकला, उसने एक ही झटके में सूट को नीचे से पकड़ा और सर से घुमा कर उतार दिया और मेरी मुश्किल आसान कर दी. मैं उसकी हिम्मत देखकर अवाक रह गया, दिन के 3 बजे, अंशिका जैसी कॉलेज में पड़ाने वाली टीचर , मेरे सामने एक पार्क में टोपलेस हो गयी , अपने आप सच में उसकी अन्दर से जो हालत हो रही होगी, मैं ये सोचकर ही उत्तेजित सा होने लगा. अब मेरे सामने ब्लेक ब्रा के अन्दर सिमटी उसकी जवानी थी, एक बाहर और एक अन्दर...उसने मेरी आँखों में देखते हुए अपनी ब्रा के दोनों स्ट्रेप कंधे से नीचे खिसका दिए और अगले ही पल उसकी दोनों बाल्स मेरे चेहरे के सामने नंगी होकर नाच रही थी..मुझसे और सब्र नहीं हुआ...मैंने अपना मुंह खोला और उनपर टूट सा पड़ा..मैंने उसे नीचे घांस पर लिटा दिया और उसके दोनों ब्रेस्ट के रस को एक एक करके निचोड़ने लगा अपने मुंह में..

अह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल......लव मी ....अह्ह्हह्ह .....अह.....ओह्ह्हह्ह्ह्ह.......म्मम्म.......सक ईट...सक हार्ड.....और जोर से...चुसो...इन्हें....अह्ह्हह्ह......म्मम्मम्म.....बाईट मी हेयर.......ओ येस ...ओ येस........गोड.......म्मम्मम........ वो मेरे सामने लेटी हुई ऊपर से नंगी होकर तड़प रही थी और मैं उसके ताजा फलो का रस पीकर मजे ले रहा था. उसके दोनों निप्पल इतने बड़े हो चुके थे की मैं उसपर अपनी शर्ट टांग सकता था. मेरे दांतों से बनाया हुआ निशान अभी तक उसकी ब्रेस्ट के ऊपर था....मैंने उसपर फिर जीभ और दांत लगा दिए और चूस चूसकर उसे फिर से रीचार्ज कर दिया...वो भी हलकी-हलकी मुस्कुराते हुए मुझे अपनी ब्रेस्ट पर वो ख़ास टाटू बनाते हुए देख रही थी और मेरे बालों में अपनी उँगलियाँ फेरा रही थी. मैं जब ऊपर उठा तो अंशिका बोली - इसे ऐसे ही हमेशा मेरी ब्रेस्ट पर बनाये रखना...जैसे ही हल्का होने लगे, दोबारा बना दिया करो...समझे..

मैं: समझ गया मेडम.

अंशिका ने मुझे पीछे किया और झुक कर मेरी जींस के बटन खोलने लगी और फिर हाथ अन्दर डालकर उसने मेरा लंड बाहर निकाल लिया. जो इतना गर्म हो चूका था की मुझे लगा उसका मुंह ही ना जल जाए आज..लंड के ऊपर मेरी नसे चमक रही थी, जिन्हें वो बड़े गोर से देख रही थी...फिर उसने अपनी जीभ बाहर निकली और मेरे लंड के ऊपर से जाती हुई हरे रंग की नस के ऊपर फिराने लगी...और उसका पीछा करते-करते वो नीचे मेरी बाल्स तक पहुँच गयी.

अंशिका: ये मेरी वो किस, जो मैंने तुम्हे कल फोन पर दी थी.

और ये कहर उसने एक गीली सी किस्स मेरी बाल्स के ऊपर कर दी..

अंशिका: अब हिसाब साफ़ हो गया सब..

बड़ी हिसाब वाली है ये तो, मैं मन ही मन सोचने लगा और फिर उसी नस का पीछा करते हुए उसकी जीभ ऊपर तक आई और मेरे लंड के टॉप तक आकर रुक गयी और बड़ी ही नजाकत के साथ उसकी गुलाबी जीभ ने लंड से निकलते प्रीकम को समेटा और उसे निगल गयी...रस का स्वाद मिलते ही वो जैसे पागल सी हो गयी और अगले ही पल उसने अपना पूरा मुंह खोला और मेरे लंड को एक ही बार में अपने मुंह के अन्दर भर लिया.

अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह अंशी........का.......अह्ह्ह्हह्ह.........आई लव....द वे यु सक......अह्ह्ह्हह्ह....सक मी बेबी....सक में हार्ड......अह्ह्ह.... अब चूसने का काम अंशिका का था. वो मेरे लंड का पूरा स्वाद लेते हुए, उसे ऊपर से नीचे तक चूस रही थी. तभी मेरा मोबाइल बज उठा..मैंने देखा तो वो स्नेहा का फोन था...मैं सोच रहा था की उसे उठाऊ या नहीं..तभी अंशिका बोल पड़ी.."उठाते क्यों नहीं...किसका है.."

मैं: "दोस्त का है..."
अंशिका (शरारती लहजे में): तो फोन उठाओ और उसे बताओ की तुम क्या कर रहे हो...

मैं: पागल हो गयी हो क्या..
अंशिका: अरे मजा आएगा...उठाओ न प्लीस..

मैं: उसे नहीं मालूम की मेरी कोई गर्लफ्रेंड है...तुमने ही तो मन किया था न किसी को भी बताने के लिए..
अंशिका: ओह हां...कोई बात नहीं, उसे कहो की तुम अपनी टीचर को सोचकर मास्टरबेट कर रहे हो...प्लीस...मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकते क्या..

और उसने ललचाने के लिए अपने दोनों मुम्मे मेरे लंड के चरों तरफ लपेट दिए..और उनमे फंसा कर वो मेरे लंड को अजीब सा मजा देने लगी..

मैंने फोन उठा लिया

अंशिका ने मेरा लंड अपने मुंह में डाला और उसे फिर से चुसना शुरू कर दिया.

मैं: हाय...क्या हाल है.
स्नेहा: कितनी देर से फोन कर रही हूँ...इतनी देर क्यों लग गयी...
मैं: मैं कुछ कर रहा था.
स्नेहा: क्या ??

अचानक अंशिका ने मेरे लंड पर हलके से बाईट किया और मेरे मुंह से आह निकल गयी..

स्नेहा: आर यू मास्टरबेटिंग...??
मैं: येस....आई एम् मास्टरबेटिंग ...
स्नेहा: वाव...किसे सोचकर कर रहे हो.. (उसने धीमी आवाज और तेज साँसों के बीच कहा.)

मैं अब सोच में पड़ गया की क्या बोलू, मैंने अंशिका को देखा , वो अपनी आँखें बंद करे लंड चूसने में लगी हुई थी..मैंने रिस्क ले ही लिया 

मैं: यु...

मैंने ये "यु" इतना जल्दी और धीरे से कहा की अंशिका को सुनाई न दे...और ऐसा हुआ भी, अंशिका ने उस बात को नोट नहीं किया...और ऐसा करने में मुझे इतना अडवेंचर मिला की मैं आपको बता नहीं सकता...एक तरफ अंशिका मेरा लंड चूस रही थी और दूसरी तरफ वो स्नेहा ये सुनकर की मैं उसके बारे में सोचकर मुठ मार रहा हूँ....थोड़ी देर तक तो बात करना ही भूल गयी...सिर्फ उसकी साँसों की आवाज आ रही थी फोन पर. अंशिका भी मेरे लंड को आज ऐसे चूस रही थी..जैसे आज वो उसे कच्चा खा जायेगी. मेरे मुंह सी हलकी-२ सिस्कारियां सी निकलने लगी - अह्ह्ह्हह्ह......मम्म...

मैं: तुम भी मेरे साथ मास्टरबेट करो, मजा आएगा..

अब यहाँ अंशिका को क्या मालुम था की मैं ये बात अपने दोस्त संजय को नहीं बल्कि किटी मैम की बेटी स्नेहा को कह रहा हूँ...

स्नेहा: .....ह..हाँ....ठीक....है...

और फिर उसकी जींस के उतरने की आवाज और फिर उसने जब अपनी एक ऊँगली अपनी चूत में डाली तो एक लम्बा सा मोन उसके मुंह से निकल गया - अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ......म्मम्मम्मम ....ऊऊऊऊ...........

मैंने फ़ोन का वोल्यूम थोडा कम कर दिया, ताकि अंशिका को दूसरी तरफ से लड़की की आवाज न सुनाई दे जाए. अंशिका के दोनों मुम्मे मेरी झांघो के ऊपर धपक धपक पड़ रहे थे...उसके पुरे बाल खुल कर उसका चेहरा ढक चुके थे. मैंने उसकी जुल्फों को ऊपर किया और उसके होंठो में फंसे अपने लंड को छटपटाते हुए देखने लगा. दूसरी तरफ तो स्नेहा की हालत कुछ ज्यादा ही बुरी हो चुकी थी..

स्नेहा: ऊऊऊ विशाल......म्मम्मम्म.......ई एम् फीलिंग....हॉट.....कम टू मी....प्लीस.....अह्ह्ह्हह्ह........आई वांट टू सक यौर पेनिस....अह्ह्हह्ह.......विशाल्लल्ल्ल......आई एम् कमिंग.....अह्ह्हह्ह.....ओह्ह्ह्ह विशाल्ल्ल्ल....ओ ओह्ह ओह्ह्ह ओह्ह्ह....... 

और फिर अपनी तेज साँसों के बीच जब वो झड़ने लगी तो उससे फ़ोन पकड़ा नहीं गया और वो बेड पर गिर गया, अब उसकी मद्धम सी सिस्कारियां मुझे सुनाई दे रही थी.. मैं भी अपना रस निकलने ही वाला था....ये जानकार अंशिका ने उसे और तेजी से चुसना शुरू कर दिया. दूसरी तरफ से स्नेहा का फोन कट चूका था. मैंने भी फोन उठा कर साईड मैं रख दिया और अंशिका के सर के ऊपर हाथ रखकर उसे और तेजी से लंड चूसने को उकसाने लगा और फिर मेरे मुंह से आग के गोले निकल कर उसके मुंह में जाने लगे..

अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह आंशिक...आआ.......अह्ह्ह्हह्ह......म्मम्म.....या..बेबी......ऊऊ येस...अह्ह्ह्ह..... और फिर अपने उसी अंदाज में उसने अपने चेहरा ऊपर उठाया और अपनी ठोडी पर लगे सफ़ेद वीर्य को मुंह में समेटते हुए जोर से एक चटखारा लिया...और बोली...यम्मी.... और वो ऊपर आई और मेरे मुंह को चूसने लगी...मुझे फिर से अपने ही रस की खुशबू उसके मुंह से सुंघनी पड़ी...पर अब मुझे भी इसमें मजा आने लगा था. तभी बाहर से किसी लड़के की आवाज आई : "आओ...डार्लिंग...यहाँ बैठते हैं...ये सबसे सेफ जगह है यहाँ की...कोई भी बाहर से नहीं देख सकता की अन्दर क्या हो रहा है..." ये कहते हुए वो अपना सर झुका कर नीचे झाडी के अन्दर घुस गया और अगले ही पल उसका चेहरा मेरे और अंशिका से थोडी ही दूर पर था...हम सभी एक दुसरे को आँखे फाड़े देख रहे थे, वो इतनी तेजी से अन्दर आया था की मुझे उसे रोकने का मौका भी नहीं मिला, और जब उसकी नजरे अंशिका की खुली हुई छाती पर पड़ी..तो वो हडबडा कर सॉरी कहता हुआ बाहर निकल गया...और थोडी ही देर बाद उसके और उसकी गर्ल फ्रेंड के हंसने की आवाज आई और वो कहीं और चले गए. उनके हंसने की आवाज सुनकर मुझे और अंशिका को भी हंसी आ गयी. मेरा तो मन कर रहा था की अंशिका को अपने लंड के ऊपर बिठा कर आज उसकी चूत मार ही लूँ...पर यहाँ काफी रिस्क था..कोई भी आ सकता था...मैं तो झड ही चूका था, मैंने अपनी पेंट के अन्दर लंड ठुंसा और अंशिका को भी ब्रा ठीक करके अपना सूट पहनने को कहा..और फिर मैंने उसे नीचे लिटा दिया और उसकी पयजामी का नाड़ा खोल दिया..उसने भी बिना कोई विरोध करे मेरी सब बाते मानते हुए अपनी पेंटी नीचे खिसका दी...और अब मेरे सामने अंशिका की रस से भीगी हुई गीली चूत थी...जिसे मैंने जैसे ही अपनी जीभ से साफ़ करना शुरू किया उसकी सिस्कारियां बड़ी तेजी से निकलने लगी..

अह्ह्ह्हह्ह .....ओह्ह्ह्हह्ह....विशाल्ल्ल्ल.....मार डालोगे तुम तो मुझे....अह्ह्ह......आई एम् डाईंग तो टेक यूर कोक्क.....सक माय पुसी...हार्ड...ओ य़ा.....हा....ऐसे ही......गुड....एस ऐसे ही.....और तेज.....अह्ह्हह्ह्ह्ह....मम्म.......और फिर उसकी चूत का झरना मेरे मुंह के अन्दर फूट पड़ा..मैंने सारा गरमागरम पानी पी लिया..और उसी अंदाज में उसे देखकर कहा...यम्मी... उसने मुस्कुराते हुए मुझे ऊपर खींच लिया और मेरे गीले होंठों को चूसने लगी...अब मेरे मुंह से उसके रस का स्वाद अंशिका के मुंह में जा रहा था. अब काफी देर हो चुकी थी....

हम अलग हुए ही थे की बाहर से फिर से एक और तेज आवाज आई...ओ रे छोरे...चल बाहर निकल...जल्दी से...और डंडा खडकाने की आवाज आई... मर गया, ये तो कोई हवलदार है...पोलिस को देखते ही अंशिका की तो हवा ही खिसक गयी...मैंने उसे आश्वासन दिया की कुछ नहीं होगा...और मैं बाहर आ गया..अंशिका अभी भी अन्दर थी, नीचे से नंगी. बाहर खड़े हवलदार ने मुझे देखा और पूछा : क्यों भाई...कहाँ से आया है...और क्या कर रहा है अन्दर...निकाल अपनी मेडम को भी बाहर, चलो थाने.

मैं: अरे सर...क्यों गुस्सा हो रहे हो...बस थोडा मस्ती कर रहे थे....समझा करो...
हवलदार: हमें भी करा दे फिर थोडी मस्ती...जाऊ के , मैं भी अन्दर..बोल..साला....सीधी तरह से थाने चल..
मैं: समझ गया की बात ऐसे नहीं बनेगी...और मैंने जेब में हाथ डालकर 100 रूपए उसके हाथ में रख दिए..
हवलदार: ये क्या हे रे...भिखारी समझा है क्या? मैं कह रहा हूँ...जल्दी निकल मेडम को बाहर और थाने चलो.

मैंने एक और नोट निकला और उसे दिया.

हवलदार: खेल मत खेल...500 रूपए दे और बात ख़तम कर.

मैंने बहस करनी उचित नहीं समझी और उसे 500 निकल कर दे दिए. वो खुश होकर चला गया. उसके जाते ही अंशिका भी बाहर आ गयी, वो अपने कपडे पूरी तरह से पहन चुकी थी...और वो थोडी डरी हुई सी लग रही थी.

अंशिका: जल्दी चलो यहाँ से...मुझे बड़ा डर लग रहा है.
मैं: अरे तुम भी न..मेरे होते हुए तुम घबराया मत करो...चलो अन्दर...अब तो मैंने यहाँ का किराया भी दे दिया है..

और मैं हंसने लगा..पर अंशिका काफी डर चुकी थी...और हारकर हम वापिस चल दिए. वापिस पहुंचकर मैंने अंशिका को उसके घर पर उतारा और वापिस चल दिया, मैंने टाईम देखा तो अभी 4 ही बजे थे....मैंने जल्दी से स्नेहा को फ़ोन किया...

स्नेहा: हेल्लो...
मैं: क्या कर रही हो...
स्नेहा: कुछ नहीं...तुम.?
मैं: आज मजा आया...
स्नेहा: हूँ..तुम्हे..?
मैं: मुझे भी....सुनो, मैं आ रहा हूँ शाम को तुम्हे "पड़ाने" ..मेरा वो दूसरा प्रोग्राम केंसल हो गया.
स्नेहा (ख़ुशी से चिल्लाते हुए): मैं आज भगवान् से कुछ और भी मांगती तो मिल जाता, तुम्हारे फ़ोन के आते ही मैं सोच रही थी की काश ये आने के लिए ही कह रहा हो..
मैं: तो तुम तैयार रहना ...आज..
स्नेहा (ख़ुशी को दबाते हुए): किस लिए ...?
मैं: वो तुम जानती हो..

और ये कहते हुए मैंने फ़ोन रख दिया.
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#39
मैं जल्दी से बाईक उठा कर स्नेहा के घर पहुंचा, बेल बजायी तो उसने ही दरवाजा खोला. उसने अपनी कॉलेज की युनिफोर्म अभी तक पहनी हुई थी, ग्रे कलर की शोर्ट स्कर्ट पहनी हुई थी और ऊपर कसी हुई सी व्हाईट शर्ट..बड़ी ही सेक्सी लग रही थी वो..

मैं: ये क्या, तुमने अभी तक चेंज नहीं किया..
स्नेहा: मन नहीं कर रहा था, तुमने आज आने को मना कर दिया था, इसलिए मन उदास था, ऐसे ही लेटी हुई थी कॉलेज से आकर..
मैं: अब तो मैं आ गया हूँ, अब तो उतार दो अपनी कॉलेज की ड्रेस...

और मैंने उसे एक आँख मार दी. उसका चेहरा शर्म से लाल सुर्ख हो गया..

स्नेहा: तुम बहुत बदमाश हो...चलो अन्दर आओ..
मैं: अन्दर आ गया..स्नेहा ने दरवाजा बंद किया और एकदम से आकर पीछे से मुझसे लिपट गयी...

ओह्ह्ह्ह विशाल.....आई मिस्स्ड यु सो मच.... उसकी ब्रेस्ट मेरी पीठ से पिस कर दबी जा रही थी...और उसके दोनों हाथ मेरी छाती से चिपके हुए थे. वो मुझसे ऐसे लिपटी हुई थी मानो मुझसे बरसों के बाद मिली हो..ये सब दोपहर में हुए फोन सेक्स का नतीजा था...उसकी चूत शायद मुझे देखकर फिर से गीली हो गयी थी..सच में बड़ी आग है इस लड़की में, अभी तो हमने सही तरह से एक दुसरे से बात भी नहीं की और ये चुदने को तैयार सी लग रही है. घर पर कोई भी नहीं था, उसकी मम्मी भी नहीं और शायद नौकरानी को उसने पहले ही भगा दिया था, मेरे आने की खबर सुनकर..

मैं पलटा और उसकी तरफ मुंह घुमा कर खड़ा हो गया, मेरी जींस में से मेरा लंड खड़ा होकर उसकी स्कर्ट में छुपी चूत को ठोकरे मार रहा था.. वो मुझसे लिपटी रही, मैंने उसका चेहरा ऊपर किया, उसकी आँखें बंद थी, हाथ मेरी कमर से लिपटे हुए और गहरी साँसे लेने की वजह से उसकी ऊपर नीचे होती छाती की गुद्दुदाहत मुझे मदहोश सा कर रही थी..

मैं: आँखे खोलो...स्नेहा

और मैंने उसके चेहरे पर होंठ गोल करके फूंक मारनी शुरू कर दी..

स्नेहा: उन....हूँ...नहीं...ऐसे ही खड़े रहो...अच्छा लग रहा है...

ये कहकर वो और जोर से मुझसे लिपट गयी..

मैंने भी अपने हाथ उसकी पीठ पर लगा दिए और उसे एक जोर से हग किया..उसके दोनों कलश मेरी छाती से लगकर मानो चटक से गए..

स्नेहा: उम्म्म्म ...धीरे...तुम तो मार ही डालोगे मुझे..
मैं: तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे आई एम् ट्राईंग टु फक यु....

स्नेहा के चेहरे पर फिर से लालिमा सी तेर गयी...

स्नेहा: बड़ी आगे की सोचने लगे हो मिस्टर....ह्म्म्म..
मैं: और मैं कभी गलत नहीं सोचता..

और ये कहते हुए मैंने उसके लरजते हुए होंठों पर अपने गर्म होंठ रख दिए. ओफ्फ्फ क्या नर्म होंठ थे साली के....मजा आ गया, मैंने अंशिका को भी किस किया था पर जो नर्मपन स्नेहा के होंठों में था वो अंकिता के नहीं...मैंने उन्हें अपने मुंह में लेकर चुसना शुरू किया, स्नेहा भी अपने आपको मेरे हवाले करके आराम से फ्रेंच किस करने में लग गयी, मैंने उसके मुंह में अपनी जीभ डाली तो उसके पैने दांतों ने उसपर काट लिया...मैंने झटके से उसके मुंह से अपनी जीभ बाहर निकाल ली..

वो हंसने लगी..

मैं: यु बिच ...
स्नेहा (अपने चेहरे पर अलग किस्म के भाव लाते हुए): यु काल्ल्ड मी बिच...नाव आई विल शो यु ..हाउ बिच बाईट...

और अगले ही पल उसने अपने मुंह से मेरे होंठों को ऐसी बुरी तरह से चुसना और काटना शुरू किया मानो वो उनमे से खून निकलना चाहती हो..पूरी जंगली लग रही थी...मैंने मौके का फायेदा उठाते हुए उसके दोनों मुम्मो को दबाना शुरू कर दिया, पता नहीं क्यों पर मैं उसकी हर बात को अंशिका से कम्पेयर कर रहा था..पहले किस और अब उसकी ब्रेस्ट भी..पर यहाँ स्नेहा मात खा गयी..उसकी छोटे संतरे जैसी चूचियां, अंशिका के रसीले आमों के आगे कुछ भी नहीं थे. पर उन्हें दबाने में काफी मजा आ रहा था..खाने में कितना आएगा वो तो वक़्त ही बताएगा. मेरे हाथ उसकी ब्रेस्ट को दबा रहे थे और होंठ उसके होंठों को चूस रहे थे, वो खड़ी-2 बडबडाने लगी. उम्म्मम्म उह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ्फ़.....अह्ह्हह्ह .विशाल......येस....हियर.....प्रेस.....प्रेस...हार्डर...ओ या.....

उसकी सिस्कारियों को सुनकर मुझे उसके बर्थडे वाला दिन याद आ गया जब वो अपने "फ्रेंड" के साथ ऊपर छत्त पर किस करने में लगी हुई थी...उस समय भी ऐसी ही सिस्कारियां निकल रही थी उसके मुंह से. थोड़ी देर तक एक दुसरे को चूसने के बाद हम अलग हुए..उसकी पोनिटेल खुल चुकी थी और उसके लाल चेहरे पर बिखरी जुल्फे उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगा रहे थे..मैं थोडा पीछे हुआ और सोफे पर जाकर बैठ गया..वो धीरे-धीरे चलती हुई मेरे पास आई, नंगे पैर, बदहवास सी, सुबह से अपनी कॉलेज ड्रेस में लिपटी हुई, जिसकी शर्ट अब उसकी शोर्ट स्कर्ट से आधी बाहर निकली हुई थी..और उसके गले में अभी तक उसकी टाई भी लटक रही थी. वो मेरे सामने आकर खड़ी हो गयी. मैं अपने हाथ सोफे के दोनों तरफ ऊपर रखकर किसी राजा की तरह बैठ गया..और उससे कहा : अनड्रेस फॉर मी..

स्नेहा मेरी बात सुनकर भोचक्की रह गयी...पर कुछ बोली नहीं..मैंने थोडा और रोबीली आवाज में उससे कहा : सुना नहीं...अनड्रेस फॉर मी..

वो कुछ देर तक ऐसी ही खड़ी रही और फिर उसके चेहरे पर नशीले भाव आये और उसके हाथ ने हरकत की और उसने अपने गले में लिपटी हुई टाई उतार कर मेरी तरफ फेंक दी..जो सीधा मेरे लंड के ऊपर आकर गिरी और फिर उसने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू किये..और इस बीच उसकी निगाहें मेरी नजरों से मिली रही..मैं कभी उसकी नशीली आँखों को देखता और कभी उसके नंगे होते शरीर को. जल्दी ही उसने सारे बटन खोल दिए..और उसके अन्दर से मुझे व्हाईट कलर की स्पोर्ट्स ब्रा दिखाई देने लगी. मेरे लंड का तो बुरा हाल था, जींस की वजह से उसे अडजस्ट करने में काफी मुश्किल हो रही थी...मन तो कर रहा था की लंड को निकाल दूँ जींस से...पर ये काम मैं स्नेहा से करवाना चाहता था. उसने सारे बटन खोल दिए और दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी शर्ट को उतार दिया...

ओह्ह गोड...क्या सीन था और फिर उसने अपनी स्कर्ट के साईड में लगे हूक को खोला और उसके नीचे लगी हुई चैन को खींच कर नीचे किया...और फिर उसे छोड़ दिया..और अगले ही पल उसकी स्कर्ट भी नीचे आ गिरी. माय गोड......साली ने डिसाईनर पेंटी पहनी हुई थी...फ्रिल वाली..डार्क ब्राउन कलर की..जो आगे से काफी गीली सी लग रही थी..और उसके नीचे उसकी मोटी-मोटी टाँगे, जिनपर एक भी बाल नहीं था...पता नहीं वो आये नहीं थे या उसने साफ़ किये हैं..

उसने थोड़ी देर रुक कर मुझे देखा, मानो पूछ रही हो की और भी उतारूँ क्या ?

मैंने सर हिला कर उसे बाकी के दोनों कपडे भी उतारने को कहा. बड़ा ही रोमांटिक सा माहोल बना हुआ था...पुरे कमरे में हलकी सी रोशनी आ रही थी...कोने में AC चल रहा था..पर हम दोनों के जिस्म अभी भी जल रहे थे. मेरा इशारा पाकर उसने अपनी कमर को हलके-२ मटकाना शुरू कर दिया, मानो कमरे में कोई मयूसिक चल रहा हो, और वो मेरे सामने केबरे कर रही हो..उसने अपने दोनों हाथ अपनी सपोर्ट ब्रा के ऊपर रखे और उसे सर से घुमा कर उतार दिया और अगले ही पल उसके रसीले से गुलाबी रंग के संतरे मेरी आँखों के सामने नंगे थे..बिलकुल तने हुए और उसके ऊपर लगे हुए निप्पल का साईज देखकर तो मैं हेरान रह गया..इतने बड़े भी निप्पल हो सकते हैं किसी के, मैंने कप्लाना भी नहीं की थी, और उसके चारों तरफ का एरोहोल भी काफी फुला हुआ और लाल सुर्ख था..उसकी चूचियां तन कर किसी स्टेनगन की तरह मेरी तरफ ऐसे देख रही थी मानो मुझे भून ही डालेंगी और वो मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी और उसकी मटकती हुई गांड मेरी आँखों के सामने हिलने लगी फिर उसने अपनी पेंटी के अन्दर ऊँगली फंसाई और उसे नीचे खिसकाना शुरू कर दिया, साथ ही साथ वो अपने हिप्स को हिलाती भी जा रही थी..जैसे-जैसे उसके नंगे हिप्स मेरी आँखों के सामने आ रहे थे, मेरी साँसे तेज होती जा रही थी...और जब उसकी पेंटी नीचे तक पहुँच गयी तो मेरे सामने दिल के आकार में उसके हिप्स थे, जो इतने गद्देदार थे की मेरा मन कर रहा था की उनमे अपना मुंह घुसेड कर जोर से दबा दूँ और उसकी नरमी को अपने चेहरे पर महसूस करूँ.

उसके बाद स्नेहा मेरी तरफ मुड़ी और उसकी चूत को देखकर मेरा और भी बुरा हाल हो गया, जिसपर हलके-२ बाल थे, पर फिर भी उसकी बनावट साफ़ दिखाई दे रही थी, अपने रस में नहाकर उसकी चूत काफी चमक रही थी..इतनी छोटी सी उम्र में उसकी चूत काफी रसीली लग रही थी, मन कर रहा था की साली को यहीं सोफे पर पटकूं और चोद दूँ..

स्नेहा: अब क्या करूँ...बॉस..

वो मेरे सामने अब पूरी तरह से नंगी खड़ी थी और मेरी आज्ञाकारी सेक्रेटरी की तरह मुझसे आगे के काम के बारे में पूछ रही थी...

मैंने ऊँगली का इशारा करके उसे अपनी तरफ बुलाया, वो पास आई तो मैंने उसकी हिप पर हाथ रखे और उसकी चूत की खुशबु ली, लगा जैसे उसने वहां कोई पर्फयुम लगा रखा है, इतनी भीनी सी खुशबु आ रही थी वहां से..मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और वो मेरे ऊपर गिरती सी चली गयी, और उसकी चूचियां सीधा मेरे मुंह से आ टकराई, मैंने उसकी बेक को दबाते हुए उसकी एक चूची अपने मुंह में ली और उसे चुसना शुरू कर दिया. इतना मोटा निप्पल मेरे मुंह में था जिसका एहसास अलग सा ही था. वो मेरी गोद में आधी लेटी हुई कसमसा रही थी और हलकी-२ सिस्कारियां ले रही थी..

अह्ह्ह्हह्ह विशाल्ल्ल....आई एम् लोविंग ईट ...

साली कह तो ऐसे रही है जैसे मेक डी का बर्गर है. पर उसके बर्गर जैसे चुचे मेरे मुंह में आकर मुझे अलग सा एहसास दे रहे थे..इससे पहले सिर्फ अंशिका के ही चुसे थे मैंने, और अब इसके, दोनों का अलग स्वाद और मजा था.

ओह्ह्ह्ह विशाल....म्मम्मम पुचsssssssss... पुचssssssssss ....

उसने तो फिर मेरे चेहरे पर गीली-२ किस्सेस की झड़ी सी लगा दी...और अंत में अपनी जीभ मेरे मुंह में डालकर उसे बुरी तरह से चूसने लगी.. इन सभी के बीच उसकी चूत से निकलता रस मेरी पेंट को गीला कर रहा था...मैंने उसे पेंट को उतारने को कहा. उसने मेरे सामने अपने पंजो के बल बैठकर मेरी बेल्ट और फिर चेन को खींच कर मेरी जींस को नीचे उतार दिया..उसके सामने मेरा रेड कलर का ज़ोकी आया और उसने अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए उसे भी नीचे उतार दिया, वो इतने पास से मेरे लंड को देख रही थी की जैसे ही मेरा लंड आजाद हुआ उसके चेहरे के नीचे की तरफ किसी डंडे की तरह पड़ा..और फिर पीछे होकर उसने मेरे लंड को अपनी आँखों के सामने अच्छी तरह से देखा और बोली : इट्स बीयुटीफुल ....

मैं उसे कहना चाहता था की उसकी चूत से सुन्दर नहीं पर इससे पहले ही उसने मेरे लंड को अपने मुंह में भरा और उसे चुसना शुरू कर दिया..

उसके मुंह के अन्दर कोई सकिंग मशीन लगी हुई थी जैसे, मेरा लंड उसके मुंह के अन्दर खींचता चला जा रहा था. मैंने उसके खुले हुए बाल पकडे और उसे अपने लंड के ऊपर दबाना शुरू कर दिया...उसे नंगा देखकर और अब मेरा लंड चूसते देखकर मेरा तो बुरा हाल हो चूका था...जल्दी ही मुझे पता चल गया की मेरा निकलने वाला है..

मैं: ऊऊओह्ह्ह्ह स्नेहा...अह्ह्ह्हह्ह .....आई एम् ....कमिंग......अह्ह्हह्ह......

वो और तेजी से मुझे चूसने लगी. मैं समझ गया की वो लंड चूसने में माहिर है, और लंड से निकलने वाले रस का क्या करना है ये वो अच्छी तरह से जानती है, और उसे पीना भी चाहती है.. मैंने उसके मुंह के अन्दर ही झड़ना शुरू कर दिया. अह्ह्हह्ह्ह्ह स्नेहा....अह्ह्हह्ह...ऊऊओ......डीयर.......म्मम्म..... मैं गहरी साँसे लेता रहा और वहीँ सोफे पर लेटा रहा. वो ऊपर उठी और सेम अंशिका वाले अंदाज में मुझसे बोली....यम्मी......यु आर टेस्टी...

मैं: थेंक्स...

पर मुझे मालुम था की उसका थेंक्स से काम नहीं चलेगा, मैंने उसे ऊपर खींचा और सोफे पर लिटा दिया...और उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया, और अब उसकी गीली सी चूत मेरी आँखों के बिलकुल सामने थी. वो मेरी तरफ बड़ी अजीब सी नजरों से देख रही थी...मैंने उसकी दोनों जाँघों को पकड़ा और अपना मुंह डाल दिया बीच में..

आआआअह्ह्ह्ह विशाल्लल्ल्ल.....अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह.......ओह्ह्ह्ह ...ऊओय ओऊ या.....म्मम्मम.....वो इतनी तेज चीख रही थी की मुझे लगा कहीं उसके पडोसी ही ना आ जाए वहां पर. उसकी चूत की नरमी को महसूस करके मुझे लगा की मैं किसी बच्चे के गाल को चूम रहा हूँ...जिनपर हलके -२ बाल हैं...मैंने उसकी चूत के दोनों हिस्सों को अलग किया और उसके अन्दर से निकलता नेक्टर पीने लगा...अपनी जीभ से उसकी क्लिट को कुरेदने लगा..मेरी हर हरकत को महसूस करके वो पागल सी हो रही थी...मैंने एक दो बार उसकी चूत पर दांत भी मार दिए..वो चिल्ला उठी..

आआआअह्ह्ह्ह विशाल्लल्ल्ल.....यु अआर किलिंग मी.....अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह.......ओह्ह्ह्ह

मैं एक तरह से अपने सामने परोसी हुई स्नेहा की चूत को खा रहा था..और स्नेहा भी अपनी गांड उठा-उठाकर अपनी चूत मेरे मुंह में ठूसकर मेरी भूख अच्छी तरह से मिटा रही थी और जल्दी ही उसकी स्पीड देखकर मुझे अंदाजा हो गया की अब तूफ़ान आने ही वाला है...मैं कुछ सोच पाता इससे पहले ही उसकी चूत में से गर्म पानी का सेलाब सा निकला और मेरे मुंह को पूरी तरह से भिगो दिया..मैं भी उसकी चूत के अमृत को पीने मं लग गया. ऊऊह्ह्ह्ह....विशाल.....यु आर रियली गुड....आई लोव ईट ... और तब तक मेरा लंड फिर से तैयार हो चूका था...मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा..अपनी पहली चुदाई के इतने पास पहुंचकर. मेरा हाथ अपनी जींस की पॉकेट में रखे कंडोम तक गया..स्नेहा भी शायद समझ चुकी थी की मैं: उसे चोदने वाला हूँ...पता नहीं उसने पहले कभी चुदाई करवाई है या नहीं..कोई बात नहीं, अभी थोड़ी ही देर में जब मेरा लंड जाएगा उसकी चूत में तो पता चल ही जाएगा. मैंने कंडोम निकाला...स्नेहा का चेहरा आग की तरह से जलने लगा अपनी चुदाई के बारे में सोचकर..पर उसने मुझे रोका नहीं. मैं कंडोम खोलने ही वाला था की उझे अंशिका को दिया हुआ वादा याद आ गया की मैं सबसे पहले उसे चोदुंगा..बाद में इसी और को..पर अगले ही पल मेरे दिमाग में बैठे डेविल ने कहा की अंशिका को कैसे पता चलेगा इस चुदाई के बारे में, तू चोद इसे...ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा.. पर ना जाने क्यों मेरा दिल नहीं मान रहा था...मुझे मालुम था की अंशिका को ये बात नहीं मालुम चलेगी की मैंने स्नेहा की चूत उससे पहले मार ली है पर ना जाने क्यों अपने सामने लेटी हुई नंगी स्नेहा को देखकर भी मेरे मन में अंशिका को दिए हुए वादे को निभाने का जनून सा सवार हो गया..और मैंने वो कंडोम वापिस अपनी पॉकेट में रख दिया..

मेरी इस हरकत से स्नेहा भी हैरान रह गयी.

स्नेहा: क्या हुआ...तुम रुक क्यों गए विशाल...कम ऑन...फक मी..टेक माय चेरी......आई वांट टू लूस माय वर्जिनिटी टुडे...कम ऑन...

यानी वो वर्जिन है...बिलकुल मेरी तरह... पर मैं अपना मन बना चूका था, की अंशिका से पहले मैं उसकी चूत नहीं मारूंगा..

मैं: सोरी...स्नेहा...पर मैं ऐसा नहीं कर सकता...ट्राई टू अंडरस्टेंड ...ये हमारा पहला मौका है....और पहले ही दिन मैं तुम्हारी...तुम्हारी..चूत मारकर ये नहीं दिखाना चाहता की मैं सिर्फ इसके पीछे तुमसे ये सब...ये सब कर रहा हूँ.

वो मेरी बात समझ नहीं पा रही थी, बस फटी हुई आँखों से मुझे घूरे जा रही थी, शायद सोच रही होगी की जब मैं चूत देने को तैयार हूँ तो तुम्हे क्या प्रोब्लम है..पर उसने कुछ नहीं कहा..और अपने कपडे पहनने लगी, मैंने भी अपने कपडे ठीक किये और वहीँ सोफे पर बैठ गया..वो बाथरूम गयी और थोड़ी देर बाद चेंज करके वापिस आ गयी, अपना चेहरा भी धो लिया था और बाल भी सही कर लिए थे..

वापिस आकर वो सीधा मेरी गोद में आकर बैठ गयी और मेरे गले से लिपट कर रोने लगी.. मेरी समझ में कुछ नहीं आया की ये रो क्यों रही है...इसकी चूत नहीं मारी इसलिए क्या ? फिर थोड़ी देर बाद उसने रोना बंद किया और सुबकते हुए मेरी तरफ देखकर बोली : थेंक्स...थेंक्स विशाल...तुम चाहते तो आज मेरे साथ सब कुछ कर सकते थे, पर तुमने ऐसा किया नहीं, अभी मेरी उम्र नहीं है ये सब करने की..इसलिए तुमने ये सब किया न...बोलो. मैं तो बस उसकी बचकानी बातों को सुनता रहा, उसे क्या मालुम की मैंने उसे क्यों नहीं चोदा..

मैं: हाँ...स्नेहा..मैं तुम्हे इतनी तकलीफ नहीं देना चाहता था..पहले ही दिन...अभी तो और भी मौके मिलेंगे...और तब तक शायद तुम इन सबके लिए तैयार भी हो जोगी...और फिर जो मजा आएगा, उसका कहना ही क्या..
स्नेहा: कह तो ऐसे रहे हो की जैसे तुमने कई लड़कियों को फक किया है..बोलो, किया है क्या?
मैं: नहीं यार, मैंने आज तक किसी को फक नहीं किया....

स्नेहा ये सुनते ही मुझे फिर से चूमने लगी और अपनी जीभ से मुझे चाट चाटकर पूरा गीला कर दिया..और फिर बोली : आई प्रोमिस ..मैं ही तुम्हारी वर्जिनिटी लुंगी एक दिन...देख लेना. मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया और फिर से उसे चूमने लगा और उसकी छोटी-छोटी बाल्स को दबाने लगा. उसकी मम्मी के आने का टाईम हो रहा था, मैंने उसे अपना बेग लाने को कहा और हम वहीँ ड्राईंग रूम में ही बैठकर थोडा बहुत पढाई करने लगे. उसकी मम्मी जैसे ही आई, और मुझे अंदर बैठे देखा तो बोली : अरे विशाल तुम, आज तो स्नेहा कह रही थी की तुम आओगे नहीं..

मैं: नहीं मैम..मैं: दरअसल किसी काम से गया था और वो जल्दी निपट गया, इसलिए यहाँ आ गया.
किटी मैम: ओके...तुम बैठो..मैं चेंज करके आती हूँ.

और वो अंदर चली गयी.. उनके जाते ही स्नेहा भागकर मेरी गोद में आकर बैठ गयी और मुझे एक झक्कास वाला किस किया..और बोली : बाद में तो मम्मी के सामने गुड बाय किस कर नहीं पाऊँगी...इसलिए..

मैं भी उसकी इस बात पर मुस्कुरा दिया.

मैंने उसे दस मिनट और पढाया और फिर मैं लगभग सात बजे वापिस आ गया.
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#40
रात को खाना खाकर मैं ऊपर छत्त पर जाकर टहलने लगा, मुझे सारे दिन की बातें याद आ रही थी, आज अंशिका ने मेरा लंड चूसा और अपनी चूत चुस्वयी और शाम को स्नेहा के साथ भी कितना मजा आया.. खासकर वो लम्हा जब स्नेहा मेरे सामने नंगी लेटी हुई थी और मैंने उसकी चूत नहीं मारी, सिर्फ अंशिका को दिए वादे की वजह से..

मैंने अंशिका को फोन मिलाया

मैं: हाय...क्या कर रही हो?
अंशिका: कुछ ख़ास नहीं, बताया था न की छोटी बहन कनिष्का आई हुई है, बस उसी के साथ बैठी हुई गप्पे मार रही थी..

मैं: अच्छा जी, क्या बातें हो रही हैं दोनों बहनों में.
अंशिका: ये समझ लो की तुम्हारी ही बात कर रहे थे.

मैं: मेरी बात?? तो तुमने उसे मेरे बारे में सब बता दिया..
अंशिका (हँसते हुए): अरे नहीं, ऐसे ही बात हो रही थी की कोई बॉय फ्रेंड है या नहीं..वो अपनी बता रही थी और मैं अपनी..

मैं: तो क्या उसका भी बॉय फ्रेंड है ?
अंशिका: हाँ है...पर हमारी तरह उनमे कुछ नहीं हुआ है..वही सब बता रही थी वो की कैसे उसका बॉय फ्रेंड हर समय उसे छुने के लिए और चूमने के लिए मिन्नतें करता रहता है..पर कनिष्का उसे मना करती रहती है. उसे इन सब बातों से बड़ा डर लगता है, मैंने ही उसे ये सब ना करने के लिए कहा हुआ है..

मैं: यार, क्यों उसके आशिक को तरसा रही हो अपनी हुकुमत अपनी बहन के ऊपर चलाकर, मजे लेने दो न दोनों को..प्रोब्लम क्या है..
अंशिका: प्रोब्लम ये है की कन्नू अभी नासमझ है, और उसकी उम्र भी कम है, उसे अच्छे बुरे की पहचान नहीं है, कोई उसका फायदा उठा कर निकल जाए, मैं ऐसा हरगिज नहीं चाहती..आई लव माय सिस्टर वैरी मच....और हर कोई तुम्हारी तरह नहीं होता..जो अपनी फ्रेंड का इतना ध्यान रखे..

मैं: अगर कहो तो तुम्हारे साथ-साथ मैं उसका भी ध्यान रख लेता हूँ..
अंशिका (थोडा गुस्से में): मैंने तुम्हे पहले भी कहा है न, मेरी बहन के बारे में गलत मत सोचना..

मैं: यार तुम भी अजीब हो, मान लो उसके फ्रेंड की जगह अगर मैं होता, तब भी क्या तुम अपनी बहन को मुझसे दूर रहने के लिए कहती..
अंशिका: नहीं, क्योंकि मैं तुम्हारा नेचर जानती हूँ, तुम उसका गलत फायेदा नहीं उठाओगे..

मैं: येही तो मैं कह रहा हूँ, मैं उसका गलत फायेदा नहीं उठाऊंगा, सिर्फ दोस्ती और कुछ नहीं..
अंशिका (खीजते हुए): अब तुम यहाँ मुझे छोड़कर मेरी बहन से फ्रेंडशिप करने की सोच रहे हो क्या ?

मैं समझ गया की बात तो बन सकती है पर अभी अंशिका से ये सब बातें करने का कोई फायदा नहीं है, कही वो भी हाथ से ना निकल जाए..

मैं: अरे यार , तुम तो बुरा मान गयी, ऐसा कुछ नहीं है..चलो छोड़ो इन सब बातों को, ये बताओ की तुम उसे मेरे बारे में क्या कह रही थी..
अंशिका (शर्माते हुए): यही की बड़ा प्यारा दोस्त है, मिलते भी हैं हम, और कभी-कभी किस्स वगेरह भी कर लेते हैं..

मैंने मन ही मन सोचा की सत्यानाश, ये सब बताने की क्या जरुरत थी, वो तो अब मुझे लाईन देगी ही नहीं..चलो कोई बात नहीं..

मैं: और वो क्या बोली...
अंशिका: बोलना क्या है, बस मुस्कुराती रही..और कुछ नहीं..

मैं: और तुमने आज दोपहर वाली बात भी बताई उसे, बोंटे पार्क वाली..
अंशिका: पागल हो गए हो क्या, मैंने उसे सिर्फ ये कहा है की कभी कभार किस्सेस और हग्स करते हैं, और कुछ नहीं...तुम भी कैसी बाते करते हो, मैं उसे अपने बारे में इतनी अन्दर की बातें क्यों बताउंगी भला..

मैं: अरे उसे भी तो पता चले की उसकी बहन कितनी बड़ी ठरकी है...जिसे आजकल पब्लिक प्लेस में भी नंगा होने में शर्म नहीं आती...और उसकी चूत में रोज आग लगी होती है, जिसे मैं ही बुझा सकता हूँ, पर मौका नहीं मिलता...बोल देती ये सब भी.
अंशिका (शर्माते हुए): तुम न..सच में पागल हो..वैसे भी मुझे दोपहर से कुछ हो रहा है, मेरी चूत पर तुम्हारे होंठो का एहसास अभी तक है, सच में, आज जितना मजा कभी नहीं आया, कहाँ से सीखा इतना मजा देना तुमने..

मैं: जब सामने तुम्हारी जैसी हसीन चूत हो तो ये सब अपने आप आ जाता है, वैसे एक बात बताओ, अगर वो हवलदार ना आता तो क्या तुम मुझसे वहीँ पार्क में चुदवा भी लेती क्या..?
अंशिका: शायद...

मैं (हैरानी से) : पर तुमने तो कहा था की सही मौका और सही जगह का इन्तजार करना होगा..
अंशिका: हम लड़कियों की हर बात का ऐतबार मत किया करो, हम तो ऐसी ही होती है, आज कुछ और कल कुछ और..हे हे..

मैं: समझ गया, अब देखना, अगली बार जहाँ भी मौका मिलेगा, चोद दूंगा तुम्हे..
अंशिका: चोद लेना, मैं तो आज भी तैयार थी, पर तुम्हारी किस्मत में शायद थोडा और इन्तजार लिखा है..

मैं: इन्तजार की माँ की चूत, कल ही लो, कल दोबारा चलेंगे उसी पार्क में, और मैं हवलदार को भी पहले से ही पैसे देकर बोल दूंगा की उस तरफ ना आये, ठीक है न..
अंशिका: तुम बड़ी जल्दी एक्साइटेड हो जाते हो, पूरी बात तो सुनते नहीं मेरी...मैंने कहा था न की कनिष्का के एडमिशन के लिए जाना है दुसरे कॉलेज में, तो कल से मैं तीन दिनों की छुट्टी पर हूँ, उसके साथ चार पांच कॉलेज जाना है, और फार्मस भरने है.

मैं: यार , तुम भी न...वो अकेली नहीं जा सकती क्या..
अंशिका: नहीं..बिलकुल नहीं, अगर वो जाना भी चाहती तो नहीं जाने देती..उसे यहाँ के रास्ते सही ढंग से नहीं मालुम..

मैं: और जब वो कॉलेज जायेगी तो उसे रोज छोड़ने और लेने भी जाया करोगी क्या..
अंशिका: तुम मेरी हर बात को मजाक में क्यों लेते हो...मैं ज्यादा से ज्यादा , उसकी मदद करना चाहती हूँ...

मैं: ठीक है फिर, जब फुर्सत मिल जाए तो मुहे फोन भी कर लेना..

और मैंने गुस्से में फोन रख दिया. उसने उसके बाद मुझे कई बार फ़ोन किया पर मैंने जान बुझकर उठाया नहीं, मुझे मालुम था की उसे थोडा बहुत सबक सिखाना ही पड़ेगा, नहीं तो वो समझेगी की उसकी कही हुई हर बात को मैं इसलिए मान लेता हूँ की मैं उसकी चूत मारना चाहता हूँ, लड़कियों को कभी-कभी थोड़ी बहुत डोस देनी पड़ती है. मैंने फोन सायलेंट मोड पर रख दिया और सो गया.

अगली सुबह जब उठा तो मेरे सेल पर 27 मिस काल्स थी अंशिका की, आखिरी कॉल रात के २ बजे की थी. मैं समझ गया की मेरा पासा सही पड़ा है. मैं नहाने के लिए अन्दर चला गया, पापा ऑफिस जा चुके थे, मम्मी नाश्ता बना रही थी. मैं नहा कर निकला तो बेल बजी, मैंने टावल पहना हुआ था, इसलिए मैंने वहीँ से चिल्ला कर मम्मी को दरवाजा खोलने को कहा. मैं अलमारी से अपने कपडे निकाल कर प्रेस करने लगा, तभी पीछे से आवाज आई "गुड मोर्निंग..." मैंने पीछे मुड कर देखा तो हैरान रह गया, मेरे सामने अंशिका खड़ी थी. मैं अंशिका को अपने सामने देखकर हैरान रह गया..मैंने सिर्फ एक बार ही उसे अपना घर बाहर से ही दिखाया था, और वो आज मेरे घर आ भी गयी और मेरे कमरे में भी...मम्मी ने उसे अन्दर कैसे आने दिया..

मैं: अंशिका......!!!! तुम..तुम यहाँ कैसे..?
अंशिका (कातिल मुस्कान फेंककर से मेरी तरफ आते हुए) : पहले मुझे ये बताओ, तुमने मेरा फ़ोन क्यों नहीं उठाया...मेरी कल वाली बात से इतने नाराज हो गए क्या..हूँ...बोलो...बोलो न..

वो कहती हुई बिलकुल मेरे पास आकर खड़ी हो गयी, मैं तो सिर्फ टावल लपेट कर खड़ा हुआ अपनी शर्ट प्रेस कर रहा था, मुझे क्या मालुम था की वो इस तरह से मेरे कमरे में आ जायेगी, मेरे कमरे में आने के लिए तो मम्मी भी बाहर से आवाज लगा कर अन्दर आती है, ये तो धड़ल्ले से अंदर चली आई. वो मेरे बिलकुल सामने आकर खड़ी हो गयी, उसकी साँसे मेरी साँसों से टकरा रही थी, उसके शरीर से निकलती गर्मी मुझे साफ़ महसूस हो रही थी, और मेरे पीछे खड़ी हुई प्रेस से निकलती गर्मी मुझे अपनी पीठ के ऊपर महसूस होने लगी...मैंने झट से पलट कर प्रेस को बंद कर दिया..

मैं: वो...वो. तुमने बात ही ऐसी करी थी की मुझे बुरा लगा...और उसके बाद मैंने सेल को सायलेंट मोड पर कर दिया..
अंशिका (मेरी गर्दन के दोनों तरफ अपने पंजे जमाते हुए , मेरी आँखों में देखते हुए) : लव मी...हेट मी....बट नेवर इग्नोर मी...अंडरस्टेंड ...

मुझे उसकी आवाज में एक तरह कठोरता थी...पर अगले ही पल उसके होंठो पर मुस्कान तेर गयी...और बोली " आई एम् सॉरी फॉर येस्टरडे ..प्लीस मुझे माफ़ कर दो...और ये कहते हुए उसने अपने होंठ मुझपर जमा दिए और उन्हें किसी पागल बिल्ली की तरह से चूसने लगी. मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था...मुझे सबसे ज्यादा चिंता तो मम्मी की हो रही थी, जो बाहर थी, अगर उन्होंने अंशिका को अंदर आने दिया है तो वो भी कभी भी अंदर आ सकती है...मैंने उसकी किस को तोड़ते हुए उसे पीछे किया...उसकी आँखों में हेरत के भाव थे, मैंने पहली बार ऐसा किया था..

मैं: अंशिका....अंशिका...प्लीस..ये क्या कर रही हो...मम्मी बाहर ही है...वो अंदर आ जाएँगी..क्यों मुझे मरवाने के काम कर रही हो...

अंशिका के चूमने की वजह से मेरा लंड तन कर खड़ा हो चूका था, मैंने टावल के नीचे कुछ नहीं पहना हुआ था..इसलिए मेरे टावल के सामने की तरफ एक टेंट सा बना हुआ था, जिसे देखकर अंशिका होले-होले मुस्कुराने लगी. मैंने भी उसकी नजरों का पीछा करते हुए जब नीचे देखा तो तब मुझे पता चला की कमीना लंड खड़ा हो चूका है...

अंशिका: तुम अपनी मम्मी की चिंता मत करो, वो बाहर बैठकर मेरी बहन कनिष्का के साथ गप्पे मार रही है.

मैं उसकी बात सुनकर हैरान रह गया, वो अपनी बहन को लेकर आई थी मेरे घर..

मैं: क्या !! तुम्हारी बहन भी आई है...तुमने क्या कहा उससे?
अंशिका: मैंने उसे तुम्हारे बारे में तो कल ही बता दिया था, और जब उसने मेरा मायूस चेहरा देखा तो वो मुझसे बोली की चलो पहले तुम्हारे घर ही चलते हैं..तुमसे मिलने, और जब हम यहाँ आये तो तुम्हारी मम्मी ने कहा की तुम अभी अंदर ही हो, मैंने उनसे पूछा की क्या मैं अंदर जाकर तुमसे मिल सकती हूँ तो उन्होंने मना नहीं किया, मैंने कनिष्का को इशारा करके कहा की तुम्हारी मम्मी को बातों में लगाये रखे..तो इसलिए तुम अपनी मम्मी की चिंता मत करो...सिर्फ अपने नीचे खड़े इस लंड की चिंता करो..जो तुम्हारे बस में नहीं है, और मुझे देखते ही खड़ा हो गया है..

मैं उसकी बात सुनकर हैरान रह गया, वो बड़े आराम से ये सब बोले जा रही थी, और उसे मेरी मम्मी के अंदर आने का भी डर नहीं था, उसे पक्का विशवास था की उसकी बहन बाहर सब संभाल लेगी, पर ये करना क्या चाहती है..वो पिछले कई दिनों से पब्लिक प्लेसेस में आधे अधूरे सेक्स कर रही थी, जिसकी वजह से उसकी झिझक ख़त्म सी हो गयी थी, पर ये कोई पब्लिक प्लेस नहीं है, ये मेरा घर है, बाहर ये सब करने में मुझे कोई डर नहीं लगता था, पर अपने ही घर में मेरी गांड फट रही थी...और दूसरी तरफ अंशिका को तो जैसे इन सबमे एक अनोखा मजा आ रहा था. मैं आज उसकी ये हिम्मत देखकर सच में उसकी जवानी की आग का कायल हो गया.

मैं: तुम समझा करो अंशिका..ये सब यहाँ करना ठीक नहीं है... मैं अब तुमसे गुस्सा नहीं हूँ...चलो बाहर चलते हैं..

ये कहकर मैंने अपनी शर्ट उठाई और पहनने लगा..पर अंशिका ने झपटकर उसे छीन लिया..

अंशिका: तुम डर क्यों रहे हो, तुमने भी तो मेरे साथ कई बार ऐसी सिचुअशन में मजे लिए हैं...आज मैं भी तो वोही कर रही हूँ..

और ये कहते हुए उसने आगे बढकर मेरे टावल के ऊपर से ही मेरे लंड को पकड़ लिया..

अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह अंशिका......म्मम्म.....

अंशिका: और मैंने सोचा की अगर मैं पर्सनली आकर तुमसे "सॉरी" बोलूंगी तो तुम मुझे जरुर माफ़ कर दोगे...बोलो..करोगे न..

और उसने मेरे लंड को धीरे-धीरे दबाना शुरू कर दिया. मेरी तो हालत ही खराब हो गयी, गीले टावल के ऊपर से उसके हाथ मेरे लंड को पकडे हुए थे, और मेरा लंड एकदम स्टील जैसा कठोर हो चूका था, मुझमे सोचने समझने की हिम्मत ही नहीं थी...एक मन तो कर रहा था की इसे अपने बिस्तर पर पटकू और नंगा करके यहीं पेल दूँ, पर अगले ही पल बाहर बैठी उसकी बहन और अपनी मम्मी के बारे में सोचकर मुझे पसीना आने लगा..

मैं: रुको...एक मिनट...मुझे बाहर तो देखने दो की वो दोनों क्या कर रहे हैं..

अंशिका ने मुस्कुराते हुए मुझे जाने का रास्ता दे दिया. मैं लगभग भागते हुए दरवाजे के पास गया और उसे थोडा सा खोलकर बाहर की और देखा..मेरे कमरे और ड्राईंग रूम के बीच एक स्टोर रूम और बाथरूम है, और उसके बाड़ बीच में में सोफे के ऊपर बैठी हुई कनिष्का को जब मैंने देखा तो देखता ही रह गया..एकदम परी जैसी थी वो, पिंक कलर के सूट में वो बार्बी की गुडिया जैसी लग रही थी...एकदम गोरी, छाती भी पूरी भरी हुई, और बाल कंधे से थोडा नीचे तक थे..मैं उसे निहार रहा था की तभी मेरे पीछे से अंशिका के हाथ आगे की तरफ आकर मुझसे लिपट गए और उसके सोफ्ट सी ब्रेस्ट मेरी नंगी कमर के ऊपर रगड़ खाने लगी..अंशिका ने मेरे दोनों निप्पल पकड़कर उन्हें मसलना शुरू कर दिया, मुझे थोड़ी गुदगुदी सी हो रही थी, और साथ ही साथ उसने अपने गीले होंठो से मेरी पीठ पर अनगिनत किस्सेस करनी शुरू कर दी.

ड्राईंग रूम के दूसरी तरफ किचन थी..मम्मी वहां खड़ी हुई चाय बना रही थी..और साथ ही साथ कनिष्का से कुछ बाते भी कर रही थी, कनिष्का का ध्यान मेरे कमरे की तरफ ही था, उसकी बहन जो अंदर थी, पर वो अपना काम अच्छी तरह से कर रही थी, मम्मी से गप्पे लगाकर उन्हें उलझाये रखने का..वो क्या बात कर रहे थे, मुझे सुनाई तो नहीं दे रहा था, पर बीच-बीच में दोनों के हंसने की आवाजें जरुर सुनाई दे रही थी..कनिष्का जब भी मेरे कमरे की तरफ देखती तो मुझे डर लगने लगता की कहीं उसे मैं खड़ा हुआ तो दिखाई नहीं दे रहा, पर वो काफी दूर थी, और इतनी दुरी से दरवाजें में थोड़ी सी दरार को देखना लगभग नामुमकिन था..मुझे भी अब इस नए अड्वेंचर में मजा आने लगा था..खासकर अंशिका के "सॉरी" बोलने के तरीके पर. 

अब अंशिका का हाथ मेरी छाती से फिसलता हुआ नीचे की और आने लगा..और उसने फिर से मेरा लंड पकड़ लिया..और अगले ही पल दुसरे हाथ से उसने मेरा टावल खोल दिया..टावल मेरी टांगो के बीच आकर गिर गया और मेरा लंड अंशिका के हाथ में आ गया. 

मैं अपने कमरे के दरवाजे में अब नंगा खड़ा हुआ था, और बाहर मेरी मम्मी और उसकी बहन थी, पर उसे इन बातों से जैसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था...वो तो बस "सॉरी" बोलने में लगी हुई थी..मैं तो नंगा था पर मुझे मालुम था की वो यहाँ नंगी नहीं हो सकती थी..पर अब मेरे जिस्म में भी अजीब सी तरंगे उठने लगी थी, मैं एकदम से उसकी तरफ घुमा और उसके होंठों को अपने होंठों से जकड कर जोरों से चूसने लगा...उसके गीले मुंह से निकलता सारा रस मेरे मुंह में जाने लगा, उसके होंठों का नमपन आज कुछ ज्यादा ही मीठा लग रहा था..मेरे दोनों हाथ उसकी छाती पर जम गए और उन्हें मसलने लगे, सूट और ब्रा पहनने के बावजूद उसके खड़े हुए निप्पल मुझे साफ़ महसूस हो रहे थे.

अंशिका भी हलकी-हलकी आवाजें निकलती हुई अपने शरीर को मेरे नंगे बदन से रगड़ रही थी..उसके दोनों हाथ मेरे लंड के ऊपर जमे हुए थे..और वो उन्हें काफी तेजी से आगे-पीछे कर रही थी. मुझे लगा की अगर उसने एक-दो और झटके दिए तो मैं तो गया काम से...मैंने झट से उसके कंधे पर दबाव डाला और उसे नीचे बिठा दिया...और अगले ही पल मेरा पूरा लंड उसके मुंह के अंदर था..

अह्ह्ह्हह्ह .... यस बेबी ...सक मी....सक मी....हार्ड.... मैंने दिवार से टेक लगाकर नीचे पंजो के बल बैठी अंशिका के मुंह में अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया..और सर घुमाकर बाहर की और देखा कहीं कोई आ तो नहीं रहा..

मम्मी चाय बनाकर ले आई थी..और उन्होंने मुझे बाहर से ही आवाज लगायी..."विशाल्ल्ल....ओ विशाल...बेटा बाहर आओ, चाय बन चुकी है.."

मेरे लंड से एकदम से में ऐसा प्रेशर बन गया की किसी भी पल बाड़ आ सकती थी.....मैं वहीँ दरवाजे में खड़ा हुआ चिल्लाया..."कमिंग...आई एम् कमिंग....." और अगले ही पल मेरे लंड से पिचकारियाँ निकल-निकल कर अंशिका के मुंह में जाने लगी. अब बेचारी कनिष्का और मम्मी को थोड़े ही मालुम था की मैंने "कमिंग" किसलिए बोला था. अंशिका ने मेरा सारा माल चूस-चूसकर पी लिया..और ऊपर की तरफ देखकर अपने उसी अंदाज में बोली...यम्मी...

मैंने उसे जल्दी से बाहर जाने को कहा, वो अपने रुमाल से चेहरा साफ़ करती हुई बाहर की और चली गयी. बाहर जाकर उसकी आवाज मुझे सुनाई दी "आंटी...विशाल आ रहा है बस..."

और वो बैठकर अपनी बहन से खुसर फुसर करने लगी. मैंने बिजली की तेजी से कपडे पहने और एक मिनट के अंदर ही मैं भी बाहर आ गया. कनिष्का ने जब मुझे देखा तो वो मंत्रमुग्ध सी मुझे देखती हुई उठ खड़ी हुई..

अंशिका: विशाल, ये है मेरी सिस्टर..कनिष्का, इसी के एडमिशन के लिए मैंने तुमसे बात करी थी..
मैं: भी कनिष्का की सुन्दरता देखकर अपनी सुध बुध खो सा बैठा..अंशिका की बात सुनकर मैं थोडा मुस्कुराया और कनिष्का की तरफ हाथ बढाकर कहा "हाय..कनिष्का, हाव आर यु...?"

कनिष्का ने भी अपना हाथ मुझे थमा दिया, बिलकुल रुई जैसा था उसका एहसास.....मैंने उसे छुआ तो मेरे पुरे बदन में करंट सा लग गया, जिसे शायद कनिष्का ने भी महसूस किया होगा.

मैंने उन दोनों को चाय ऑफर की और मैं किचन में खड़ी हुई मम्मी के पास गया, जो अजीब सी नजरों से मुझे घूरे जा रही थी..

मम्मी: तेरी फ्रेंड्स भी है, तुने तो कभी बताया भी नहीं..
मैं: मम्मी, ये क्या बताने की बातें होती हैं...ये तो बस ऐसे ही..

मम्मी से मेरी काफी अच्छी बनती है, वो अक्सर मुझसे मेरे कॉलेज के बारे में और मेरी गर्ल फ्रेंड्स के बारे में पूछती रहती है..पर मैं उनसे शर्म की वजह से कुछ नहीं बोल पाता..और वैसे भी आजकल के हर माँ बाप जानते है की उनके बच्चे अब ये सब नहीं करेंगे तो क्या उनकी उम्र में जाकर करेंगे..

मम्मी: वैसे दोनों बहने हैं काफी सुन्दर..तुझे कौनसी पसंद है..
मैं: मोम...आप भी ना...ऐसा कुछ नहीं है..
मम्मी : कुछ तो है बेटा, मैंने भी पूरी दुनिया देखी है, कोई लड़की पहली ही बार में लड़के के बेडरूम में नहीं चली जाती...खासकर जब उसकी मम्मी बैठि हो..
मैं: मोम..आजकल ये सब चलता है, आपके ज़माने में ऐसा नहीं होता होगा, और आपको ये सब अच्छा नहीं लगता इसलिए मेरी फ्रेंड्स घर नहीं आती, और ये आई तो अंदर भी चली गयी, इसमें कौनसी बड़ी बात है...वैसे भी ये अंशिका अपनी बहन के एडमिशन को लेकर काफी परेशान है, और मेरी एक-दो कॉलेज में अच्छी पहचान है, बस तभी ये उसे लेकर आई है, और आप है की पाता नहीं क्या-क्या सोच रही हो..
मम्मी : ठीक है..ठीक है, नाराज क्यों होता है, मैं तो बस तेरी टांग खींच रही थी..हा हा .. चल बाहर चल, नहीं तो वो दोनों समझेंगी की मैं उन दोनों में से किसी को अपनी बहु बनाने के लिए तुझसे लडाई कर रही हूँ..

मैं और मम्मी हँसते हुए बाहर आ गए..

फिर सबने चाय पी, मैंने हल्का सा नाश्ता किया और मैं उन दोनों के साथ बाहर आ गया.

अंशिका आज अपने पापा की कार लेकर आई थी, मारुती स्विफ्ट. उसने चाभी मेरी तरफ फेंकी और खुद आगे जाकर बैठ गयी, कनिष्का पीछे जाकर बेठी और मैंने कार चलानी शुरू कर दी.
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