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Adultery रीमा की दबी वासना
रीमा अपनी एक और फंतासी पूरी कर रही थी | वो जिसके बारे में सोचा करती थी अब वो कर रही थी | हर स्ट्रोक के साथ उसकी हाथ की उंगलिया उसके चूत दाने को बुरी तरह रगड़ने लगी | तेज सांसो के साथ उसके मुहँ से आअहाआअहाआह्ह ऊऊऊऊउह्ह्ह्हह भी निकलने लगा | केले को जड़ से कसकर पकडे थी और ऊपर छिले हुए हिस्से को उसने हलके हाथो से उंगलियों का छल्ला बनाकर जकड लिया और चूसते समय उसके चारों ओर उंगलियो का छल्ला  फिराने लगी जैसे लंड चूसते समय एक हाथ से लंड को जड़ से पकड़ लेते  है और दुसरे हाथ की उंगलियों का छल्ला बनाकर नीचे से लेकर लंड के सुपाडे तक रगड़ते है और लंड को मुहँ के अन्दर लेकर चूसते चले जाते है | रीमा जैसी औरत ने भले ही बहुत ज्यादा सेक्स एडवेंचर न किये हो लेकिन उसने सेक्स वीडियो में देखा सब था और उसे क्या कैसे करना होता है ये भी अच्छे से पता था | पति के देहांत के बाद सेक्स वीडियो ही थे जिन्हें देखकर वो खुद को थोड़ा शांत रखती थी | अभी इसलिए बिलकुल वैसे ही अंदाज में रीमा केले को चूस रही थी, जैसा उसने एक वीडियो में देखा था | रीमा को केले को लंड समझकर चूसते और अपने चूत दाने को रगड़ते समय हो गया था | सख्त केले की ऊपर परत लार से गीले तो पहले ही थी अब नरम होने लगी थी, केला लंड जैसे सख्त तो होता है लेकिन लंड नहीं होता, केले की सख्ती रीमा के हाथो की सख्त पकड़ और उसके रसीले गुलाबी ओंठो की कसी चुसाई से कम होने लगी थी |  रीमा की गीली चूत में तरंगे उठ रही थी |  रीमा ने केला किनारे रखकर अपनी पैंटी उतार दी | उसने दुसरे साबुत केले को दुसरे हाथ से उठाया और अपनी चिकनी जांघो के चूत त्रिकोण पर फिराने लगी | जबकि दुसरे केले को मुहँ में लेकर फिर से चूसने लगी | दोनों जांघो के बीच स्थित रीमा की गुलाबी गरम चूत पूरी तरह से बंद थी | उसके गुलाबी ओंठ पूरी तरह आपस में चिपके हुए थे और रीमा चूत के आपस में सटे गुलाबी ओंठो को दुसरे केले से सहलाने लगी | केले में लंड जैसी गरमी तो  थी लेकिन फिर भी उसे वो लंड से कम नहीं लग रहा था |  हालाँकि केले का साइज़ रोहित के लंड के बराबर नहीं था फिर भी रीमा कल्पनाओं में देख रही थी की ये रोहित का ही लंड है  |


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उसने चूत की दरार पर रगड़ते केले पर दबाव बढ़ा दिया, चूत के ओंठ खुलने लगे, ऊपर उसके मुहँ में लगातार नरम हो रहा लार से सना छिला केला मुहँ में अन्दर बाहर हो रहा था | रीमा ने चूत को खोलना शुरू कर दिया और अपने साबुत केले का एक सिरा चूत में घुसाने की कोशिश करने लगी | मुहँ से मादक कराहे निकल रही थी छिले केले का चुसना जारी था | नीचे साबुत केले को पूरी कोशिश से चूत में घुसाने में लगी थी लेकिन सफल नहीं हो पा रही थी, सुखा केला के लिए चूत अपना मुहँ खोलने को तैयार ही नहीं थी | चूत गीली थी लेकिन उसमे इतना गीलापन नहीं था की सूखे साबुत केले को आराम से अन्दर ले ले | रीमा के छिले केले को अलग रख दिया और एक हाथ से  अपनी गुलाबी गरम चूत के ओंठ फैला दिए और केले को हैंडल की तरफ से अच्छे से पकड़कर चूत दाने पर रगड़ने लगी | और कुछ देर तक बिना रुके रगड़ती रही, रगड़ती रही जब तक उसकी जांघे नहीं कांपने लगी |
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उस पर पसीने की बुँदे नहीं छलक आई, उसकी चूत गीली होकर पानी बहाने लगी और मौका देखकर रीमा ने केले की निचली टिप अपनी गीली गरम गुलाबी चूत में घुसा दी | उसके मुहँ से आह निकल गयी | फिर से केले को अच्छे से पकड़कर चूत दाना रगड़ने लगी | उसे पता था मोटा साबुत केला  अन्दर चूत में लेना है तो उसे चूत को पूरी तरह से गरम करना होगा, तभी चूत की गरम गीली दीवारे उसके केले को अन्दर लेंगी और चूत दाने को मसलने से बेहतर कोई औजार नहीं था चूत को आग की भट्ठी बनाने का  | 

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चूत दाने के साथ साथ अब वो नीचे गुलाबी छेद के छोर तक चूत को केले से रगड़ रही थी | उंगलियों से उसने चूत के गुलाबी ओंठो को पूरी तरह खोल रखा था, चूत रस से सराबोर उसकी गुलाबी चूत पूरी तरह खुली हुई थी जिसमे ऊपर की तरफ चूत दाना साफ़ साफ़ दिख रहा था और नीचे की तरफ रीमा की मखमली गरम चूत के अन्दर जाने के रास्ते का छेद उसके गुलाबी मांस से ढका हुआ था | प्रियम को रीमा की गुलाबी चूत के बमुश्किल ही दर्शन हो पा रहे थे लेकिन उसकी गोरी जांघे और भरे भरे भारी से गोल गोल सुडौल मांसल चूतड़ देखकर प्रियम से रहा नहीं गया | उसने लंड को बाहर निकल लिया और मुठीयाने लगा | अब उसका भी अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं था, आया था रीमा के राज पता करने लेकिन उसके बेपर्दा हुस्न के सामने सारे तिकड़म फ़ैल थे, जैसे ही उसके नंगे जिस्म के दर्शन हुआ, प्रियम का लंड लोहे की गरम राड बन गया | अब एक बार लंड खड़ा हो गया फिर तो उसे बिना झाड़े बैठाना, किसी सिद्ध पुरुष के बस का ही है | प्रियम की मुट्ठी में जकड़ा लंड पर और तेज हाथ हिलाने शुरू कर दिए | 
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जैसा रीमा का हुस्न था वैसे ही कमाल उसकी  छोटी सी लेकिन जादुई तिलिस्मी गुलाबी थी, जो भी देखे दीवाना हो जाये | बार बार देखे और बस देखता ही रहे | ऐसी चूत देखकर किसी का भी मन करेगा की उस पर ढेर सारा मक्खन लगाकर दिन भर चूसता रहे |

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रीमा ने आइस्ते से केले का सिरा अपनी चूत में घुसा दिया | केले का सिरा अभी भी सुखा था, लेकिन गीली चूत ने उसे भिगो दिया | रीमा के मुहँ से फिर आह निकल गयी | चूत कितनी भी गीली हो, चुदाई के बाद उसकी दीवारे कितनी भी  नरम हो लेकिन वो कुछ भी आसानी से बिना औरत की आहे कराहे निकाले बिना अपने अन्दर नहीं लेती | रीमा को भी अपनी चूत में केला पेलने के लिए जोर लागना पड़ रहा था | अब तक बेहद सावधानी और नाजुकता से वो अपनी चूत से खेल रही थी लेकिन अब सख्ती से चूत में केला ठेलने का समय आ गया था |
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रीमा किसी तरह की जल्दबाजी नहीं करना चाहती थी वो आराम आराम से चूत में पूरा केला घुसेड़ कर अपनी चूत चोदना चाहती थी | लेकिन छुईमुई बनकर भी तो चूत नहीं चोदी जा सकती थी थोड़ी मेहनत तो करनी पड़ेगी और थोड़ा सा मीठा दर्द भी झेलना पड़ेगा | रीमा ने खुद को मजबूत किया और केले के निचले सिरे को दो इंच ठेलकर अपनी चूत की दीवारों का रिएक्शन महसूस करने लगी | उसे पता था की अब उसकी चूत का मुहँ खुल गया है अब केले के चूत के मुहँ पर फिसलने का कोई चांस नहीं है एक हाथ से भी वो केला अपनी चूत में ठेल सकती है | इसलिए उसने अपना छिला केला उठा लिया और उसे फिर से मुहँ में ले लिया |

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अब एक साबुत केला उसकी चूत में था और छिला केला उसके मुहँ में | ये बिलकुल वैसा था जैसे दो लंड किसी औरत को एक साथ चोद रहे हो | एक लंड मुहँ में ठेला जा रहा हो और दूसरा चूत रौंद रहा हो | रीमा शायद यही फंतासी केले की जरिये पूरी कर रही थी | शायद उसकी दो लंड एक साथ लेने की कोई दबी कामना हो, शायद वो मुहँ में प्रियम का चिकना लंड और चूत में रोहित का मुसल मोटा लंड सोच के इस समय केलो को अपने अन्दर ले रही हो | किसी को नहीं पता था की रीमा के दिमाग में क्या है, कई बार तो रीमा को भी नहीं पता होता की उसके इस छिपे चरित्र के हिस्से में क्या क्या छिपा है क्या क्या दबा है | फिलहाल रीमा के दोनों हाथ और उसका सर, अपनी अपनी जगह हिल रहे थे और बीच में मादक कराह उसके मुहँ से निकल रही थी | ऊऊऊह्ह्ह आआआह्ह्ह की आवाजे किचन में गूंज रही थी | आवाजे बेडरूम तक भी जा रही होंगे लेकिन इससे बेखबर रीमा खुद को दो सख्त मोटे केलो से चोदने में लगी थी |

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उसने चिली केले को और ज्यादा नीचे तक छील दिया | अब केले का 80 प्रतिशत हिस्सा खुल गया था और पूरा का पूरा छिला केला रीमा मुहँ में घोंट जा रही थी | रोहित का लंड गले के नीचे तक उतारने के बाद रीमा को केले को गले के नीचे तक लेने में कोई बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं  हो रही थी | प्रियम के लंड से बड़ा केला पलक झपकते ही रीमा में मुहँ में गायब हो जाता और फिर बाहर आ जाता | केले को मुहँ में तेजी से ले रही थी, जैसे लंड को चरम की तरफ बढ़ते देख औरते उसे जोर जोर से चूसने लगती है, पूरा का पूरा मुहँ के अन्दर घोंट लेती है वैसे ही रीमा भी कर रही थी |

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 उधर प्रियम के लंड ने जवाब दे दिया और इतनी देर से मुठियाते हुए अब उसका काम तमाम हो गया था | प्रियम ने एक हल्की कराह के साथ अपनी चकारी छोड़ दी | और हांफता हुआ अपनी सांसे काबू करने लगा |  प्रियम के सफ़ेद गाढे रस से उसका सुपाडा सन गया था |
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(06-03-2019, 03:25 PM)Silverstone93 Wrote: Welcome back bro. As expected, this is nice update.

thanks
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कहानी जारी रहेगी, कभी जल्दी अपडेट आयेगें कभी लेट
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किसी erotic किताब से कम नहीं है आपकी ये story। हर अपडेट अगले वाले अपडेट की प्रतीक्षा बढा देता हैं, यही आपकी उत्कृष्ठ लेखनशैली का प्रमाण हैं
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पिचकारी छुटते ही प्रियम की वासना का बुखार उतार गया उसके लिए ज्यादा देर रुकना खतरनाक था क्योंकि अगर पडोसी ने पीछे का गेट अन्दर से बंद कर लिया तो उसका फिर घर पंहुचना नामुनकिन हो जायेगा | उसके अपने लंड से टपकती लंड रस की बुँदे निचोड़ी और  अपने मुरझाते लंड को अपनी पेंट में घुसेड़ा | अभी उसका और मन था रुकने का लेकिन मजबूर था उसने वहां से न चाहते हुए भी निकलने में भलाई समझी | उसने बेमन एक बार जी भर के किचन बैठी, अपने आस पास से बेपरवाह, अपनी चूत में धकाधक केला ठेल अपनी चूत को मसल रही चोद रही नंगी रीमा को देखकर, आइस्ते से खिड़की बंदकर वहां से छिपते छिपाते निकल गया |  हालाँकि रास्ते में जाते समय उसके दिलो दिमाग में रीमा की उभरी छाती के  दूध जैसे सफ़ेद गोरे गोरे  स्तन, चिकनी जांघे और मांस से भरे नरम नरम चूतड़ ही घूम रहे थे |  प्रियम का खेल खतम हो चूका था लेकिन रीमा का गेम तो अभी जारी था | अभी तो उसे काफी देर तक अपनी चूत केले से चोदने थी | यहाँ सबसे अच्छी बात यह थी की रीमा का हर चीज पर पूरा नियंत्रण था और वो खुद की चूत की प्यार बुझाने को किसी मर्द के लंड की मोहताज नहीं थी, न ही लंड से चुदाई करते समय मर्द की हवस पूरी करने की जिम्मेदारी | रीमा की केला चुदाई जारी थी, 
साबुत केले ने रीमा की चूत में अच्छी खासी गहराई तक जगह बना ली थी, वहां भी रीमा का हाथ तेजी से हिल रहा था, रीमा का शरीर गरम था, चूत गीली थी, सांसे तेज थी और मुहँ से रुक रुक कर कराहे निकल रही थी |  केला भी रीमा के चूत रस से सना था , रीमा को अपनी गुलाबी चूत  की दीवारों के बीच साबुत केले का छिलका अगल ही अनुभव दे रहा था | कई बार उसे सख्त छिलके की चुभन महसूस होती जो किसी भी तरह से आनंददायी नहीं थी लेकिन जब तक चूत में चुभन न हो, रगड़न न हो मीठा मीठा हल्का हल्का दर्द न हो, उस दर्द की सिसकारियां न हो तब तक वो चुदाई ही कैसी | मसलना रगड़ना कुचलना और चुदना ही एक औरत के जिस्म और चूत की  किस्मत होती है या यूं काहे हसरत भी होती है, कोई उन्हें मसले रगड़े कुचले और चोदे भी लेकिन सब कुछ प्यार से हौले हौले जमकर करे, जब जरुरत हो तब सख्ती भी दिखाए और बेदर्दी भी | रीमा का जिस्म गरम था और चूत भी इसलिए वो  बेहरमी से साबुत केले को सख्ती से पकड़कर अपनी गीली गुलाबी चूत में गहराई तक ठेल रही थी | 
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हर औरत की तमन्ना होती है जब वो चुदे तो अच्छे से चुदे | चूत जब तक अन्दर गहराई तक नहीं रगड़ी जाती, पेली नहीं जाती, तब तक चूत की खुजली मिटती नहीं, फिर चाहे उसे लंड से चुदे या केले से | रीमा को पता था जितना अन्दर तक एक ही झटके में वो केले को अन्दर ठेलेगी, उतना ही उसे मीठे दर्द के साथ मजा भी आएगा, चूत की दीवारों में सनसनाहट होगी, उसकी कमर ने तरंगे उठेगी और कम्पन होगा  | तभी उसकी केला से चुदाई से उसकी हवस शांत होगी, झड़ने को तो वो  चूत दाना रगड़ कर मसल कर भी झड सकती थी, लेकिन चूत के अन्दर की खुजली मिटाने को तो चूत चोदनी ही पड़ेगी |  चूत की गहराई तक मोटा मुसल लेकर चुदने से चूत, कमर , पिंडलियों और जांघो  में जो झंकार होती है, उस कम्पन का अनुभव ही अलग होता है | रीमा को वही झंकार महसूस करनी थी वही कम्पन महसूस करना था | वही कम्पन जो उसने रोहित के मुसल लंड के अपने अन्दर जाने पर महसूस किया था | सोचने को आओ तो रीमा के लिए इससे ज्यादा अजीब कुछ नहीं होना चाहिये था, क्योंकि जो रीमा का स्वाभाव था उससे ये बिलकुल विपरीत था लेकिन सच ये भी था की ये वो रीमा भी नहीं थी, कामुकता को सोचने और जीने में जो फर्क है वही फर्क उस और इस रीमा में था | ये रीमा हर सामाजिक मानसिक बंधन से मुक्त कामुकता से भरी, मादकता से मस्त, दुनिया से बेपरवाह खुद के अरमानो को पूरा कर रही थी  इसलिए उसके पास ये सब सोचने का वक्त नहीं था | फिलहाल वो किसी तरह के नए रिस्की एडवेंचर की जगह सॉफ्ट प्लेज़र की तलाश में थी |  तभी उसके दिमाग में एक और ख्याल आया | उसने अपनी चूत से साबुत केला निकाल लिया | साबुत सख्त केले से रीमा की चूत का गुलाबी छेद पूरी तरह खुल गया था और बाहर से ही अन्दर तक रीमा की चूत रस से सरोबार मखमली गुलाबी सुरंग, और उसकी नाजुक दीवारों की गुलाबी सलवटे साफ़ नजर आ रही थी |
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 उसने मुहँ से  छिला केला निकाल कर अपनी गरम चूत के गीले मुहाने पर टिका दिया | बिना छिले और छिले केले के कड़ेपन में जमीन आसमान का अंतर है | छिला केला आसानी से टूट सकता है अलग हो सकता है, इसलिए रीमा से अपनी चूत के गुलाबी ओंठ  थाम लिए और चूत को फैला दिया ताकि केले को सीधे चूत के छेद के मुहँ में सेट करके अन्दर पेला जा सके | चूत अच्छे से गीली थी इसलिए रीमा को लार से सना केला लेने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए |

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रीमा ने केले को उसके छिलके सहित थामा और चूत में ठेल दिया | चिकना केला आराम से रीमा की चूत में घुसता चला गया | रीमा ने एक हाथ की उंगलियों से अपने चूत के ओंठो को फैलाये रखा और दूसरे हाथ से केला अपनी गीली चूत में ठेलती चली गयी | धीरे धीरे करके आइस्ते से रीमा ने आधा केला अपनी चूत में सरका दिया | ये केला उससे नरम था इसलिए चूत की दीवारों ने अच्छे से इस पर पकड़ बनायीं और अच्छे से उसको जकड़ लिया |
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रीमा छिले चिकने केले को चूत में अन्दर बाहर करने लगी | जैसे चिकना लंड चूत में जाता है ऐसे ही चिकना केला चूत में जा रहा था | ये रीमा का मुहँ नहीं चूत थी और केले के चारो ओर रीमा की चूत की नरम गुलाबी दीवारों का घेरा भी था इसलिए केला गलने लगा था | उसका नरम मास पिघलने लगा था | उस पर लगातार पड़ते दबाव से उसके गलने के निशान दिखने लगे थे | रीमा कभी इस हाथ से पकड़कर कभी उस हाथ से पकड़कर चिकने केले को चूत में ठेले जा रही थी | और बेदर्दी से अपने चूत दाने को भी रगड़ रही थी आखिर उसके कांपने का वक्त आ ही गया |

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केले की हालत हर झटके के साथ ख़राब होती जा रही थी, रीमा की चूत रस से केला पूरी तरह भीग गया था,

तभी रीमा के मुहँ से एक लम्बी सिसकारी निकली - येस्स्स्सस्सस्स्स आआह्ह्हह्हहहहहह येस्स्स्सस्स्सस आआह्ह्हह्हहहहहह ऊओह्ह्ह्ह् ओह गॉड येस्स्स्सस्स्सस | उसका शरीर कांपने लगा, उसके नितम्ब अपने आप ऊपर उठने नीचे उठने गिरने लगे, पुरे शरीर में एक हल्की सी कंपकपी आ गयी | कुछ देर तक ऐसे ही हिलती रही फिर शांत हो गयी |

 रीमा ने केला अपनी चूत से निकाल कर मुहँ में ले लिया और अपने चूत रस को चटाने  लगी | केले के नरम मांस और रीमा के गरम चूत रस से मिलकर एक गाढे शेक की तरह क्रीम की परत केले पर जम गयी थी जिस रीमा अपनी खुदुरी जीभ के नुकीले हिस्से से चाट चाट कर साफ़ कर रही थी |

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अच्छे से पूरा केला चाटने के बाद रीमा ने केला मुहँ में ले लिया और लेती चली गयी | 15 बीस बार मुहँ में ठेलने के बाद रीमा ने केले की टिप हलके से काटकर खा गयी | केला काफी ज्यादा गल चूका था इसलिए उसमे अब कड़ापन नहीं बचा था | अपने गुलाबी ओंठो के बीच सख्ती से जकड़े केले के मांस के साथ अपनी गीली चूत पर उंगलियाँ फिराने लगी |  धीरे धीरे केला अन्दर तक ले जाते हुए आधा केला दांतों से काटकर अलग कर दिया | और एक ही झटके में निगल गयी |
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केला निगलने के बाद उसने एक लम्बी साँस ली और उसके चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी जैसे उसने लंड को मुहँ के जरिये निगल लिया हो | उसे चूत में गए केले को खाकर किस तरह की झुरझुरी हुई इसका अंदाजा लगाना मुस्किल है | रीमा के लिए ये अनुभव एकदम नया था, उसे नहीं पता था वो क्या कर रही है लेकिन उसे ये पता था जो कर रही है वही उसका दिलो दिमाग भी करना चाहता है |  उसके बाद टुकडो में वो पूरा केला काट काट खा गयी | 

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एक केला ख़त्म होने के बाद भी उसके लिए आराम हराम थी उसने दूसरा केला उठाया और अपनी चूत में घुसेड़ कर कुछ देर के रुक गयी | केला उसकी जांघो के बीच चूत की दीवारों की सख्त जकड़न से चूत में ही अटक कर रह गया | हमेशा जो भी चूत में घुसाओ उसे चूत बाहर की तरफ ठेल कर निकालने की कोशिश करती है लेकिन जब चूत रस और लार से सना केला की बाहरी परत सूख कर चिपचिपी हो जाती है और चूत की दीवारे चूत रस छोड़ना बंद कर दे तो ये स्वाभाविक है कोई भी चीज चूत में जाकर अटक जाएगी | रीमा का दूध जैसा गोरा गुलाबी जिस्म और उसके ऊपर जांघो के बीच में स्थित गुलाबी दरार के  बीच में धंसा मोटा बड़ा केला | क्या नजारा था, कोई भी मर्द देखे तो एक पल में उसका लंड खाद हो जाये | एक पल को रीमा सोच में पड़ गयी, क्या सचमुच में मै इतनी हसीन और कामुक हूँ | मुझे चुदने के लिए  क्यों किसी के लंड का मुहँ ताकना चाहिए | मै खुद को दुसरे तरीके में संतुष्ट कर सकती हूँ खुद को चोद सकती हूँ, अपनी प्यास बुझा सकती हूँ | वो बात अलग है इसमें लंड की गरमी नहीं है मर्द के सख्त जिस्म का स्पर्श नहीं है उसकी मादक गंध की खुसबू नहीं है | लेकिन अपने लिए दुसरे का मुहँ  ताकने की मजबूरी भी नहीं है | 

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उसने अलग अलग पोज से खुद की चूत में धंसा केला देखा और अन्दर ही अन्दर खुश होने लगी | उसके अन्दर ये विस्वास आ गया था की वो कुछ भी कर सकती है और ये विस्वास उसे रोहित के साथ चुदकर ही मिला | रोहित से चुदने के बाद, उसका मुसल चूसने और पानी चूत में लेने के बाद  उसके अन्दर की औरत का आत्मविश्वास वापस आया, ये आत्मविस्वास उसे खुद के खूबसूरत बदन ने दिलाया जब उसने खुद को एक ही दिन में कई बार नंगा देखा, अपनी गुलाबी चिकनी चूत देखि, सबसे बड़ी बात उस चूत के लिए किसी अनुभवी लंड की अथाह प्यास देखि , जो बार बार झड़ने की बावजूद उसकी चूत में जाने को मचल रहा था | किसी आदमी की और उसके लंड की औरत के जिस्म को पाने की ये लालसा किसी भी औरत का आत्मविश्वास बढ़ाएगी | खूबसूरत औरत अगर अपने बदन को हफ्ते में एक बार 15 मिनट बारीकी से नंगा देखे, तो उसका खुद पर आत्मविश्वास बढता है उसका इतराना स्वाभाविक है, क्योंकि अगर खूबसूरत औरत को कोई मर्द नहीं देखता है तो उसे लगता है मेरे में कोई कमी है और उसका कुंठा और हीनता से भरना भी सामान्य बात है | रीमा उस दौर से उबर चुकी थी | 

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रीमा ने हाथ से पकड़कर जोर लगाया और केले को आधा चूत में ठेल दिया फिर रुक गयी | उसकी गुलाबी चूत की फलके मोटे केले के चारो ओर फैलकर उससे चिपकी हुई थी | रीमा कुछ देर तक अपने हाथ को थामे रही फिर हिलाना शुरू कर दिया | रीमा की चूत में फिर से मोटा केला अन्दर बाहर होने लगा | रीमा खुद को चोद रही थी, मोटे लंड की गरमी न सही लेकिन उसका कड़ापन, मोटाई उसकी मखमली चूत को चीर कर रखे दे रही थी | रीमा जितनी तेज जीतनी गहराई तक चाहती, तेज धीमे जैसे चाहती खुद को चोद सकती थी, यहाँ वो किसी के भरोसे नहीं थी, किसी पर निर्भर नहीं थी | उसका पूरा नियंत्रण उसके हाथ में था, वो पानी चूत को बुरी तरह कुचल कर जमकर भी चोद सकती थी या फिर सॉफ्ट तरीके से आइस्ते आइस्ते हौले हौले आराम से चोद सकती थी | यहाँ ना कोई उसे रोकने वाला था न कोई टोकने वाला | रीमा पूरी तरह वो आजाद मस्त चूत थी जिसकी जो मर्जी हो वो करे |      
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रीमा अब खुद पर थोड़ी सख्ती दिखाना चाहती थी, वो खुद को थोड़ा बेदर्दी से चोदना चाहती थी और रीमा के लिए अब कुछ भी नामुनकिन नहीं था | उसने अपनी चूत से केला निकाला और अपनी चूत के गीलेपन का जायजा लेने लगी | उसे पता था चूत का पानी काफी नहीं है अन्दर तक जोर जोर से गुलाबी चूत चोदने के लिए | जल्दी ही पानी सुख जायेगा और सुखा केला उसकी चूत की दीवारों पर रगड़ने से दर्द होगा | उसने अपने मुहँ से ढेर सारी थूक निकल कर अपनी चूत के मुहाने पर मल दी और फिर केले को चिकना करने लगी |  

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उसके बाद पूरा जोर लगाकर तीन चौथाई केला चूत में पेल दिया रीमा के मुहँ से तेज कराह निकल गयी केला रीमा की चूत की अंतिम गहराई तक पहुच गया इस दर्द और आनंद के मिश्रण से रीमा को एक अलग ही तरह का मजा आया उसकी जांघो का कम्पन इसकी बानगी थी | मोटे केले से चूत पूरी तरह एयरटाइट हो गयी और रीमा के मुहँ से सिकरियां फूटने लगी | रीमा चूत पर हुए इस हमले  के बाद कुछ देर थमना चाहती थी लेकिन दूसरी तरफ उसे चैन कहाँ था, उसे लगा रहा था अब रुक गयी तो कभी खुद को वैसे नहीं चोद पाऊँगी जैसे रोहित ने चोदा था | वो भी बिलकुल उसी अंदाज में खुद को चोदकर अपनी चूत का खुद ही कचूमर निकाल देना चाहती थी |   उसने दर्द बर्दाश्त करने के लिए खुद को पूरी तरह तैयार कर लिया | 
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 रीमा न केवल खुद को चोद रही थी बल्कि एक एक पल को खुद में संजो रही थी | वो बार खुद को पोज बदल बदल कर सामने लगे आईने में देखने लगती | वो देखना चाहती थी खुद को चोदते हुए उसका शरीर कैसा दिखता है उसकी चूत कैसी दिखाती है उसके चूतड़ कैसे दिखते है उसकी चूत के ओंठ कहाँ तक फैलते है | उसकी जांघे और पिंडलिया कैसे कांपती है | वो अपने शरीर में होने वाली हर हरकत और बदलाव न केवल महसूस करना चाहती थी बल्कि देखना भी चाहती थी | अपने खूबसूरत जिस्म को निहारना और बार बार निहारना भी औरत को एक अलग तरह का सुख देता है | रीमा की चूत में मोटा केला आधे से ज्यादा धंसा हुआ था, उसके मांसल गोर गोर उभरे हुए भारी चूतड़, उसकी गोरी गोरी टेली के तने की तरह चिकनी सुडौल नरम मांसल जांघे और उनके बीच में ऊपर गांड का उलाबी छेद  और नीचे गुलाबी चूत के संकरे छेद में मोटे केले को चारो तरफ से जकड़े रीमा के गुलाबी पतले ओंठ, ऐसा लग रहा था रीमा की पूरी चूत केले से ही भर गयी है उसकी चूत के बाहरी ओंठ जांघो और केले के बीच पिसे जा रहे थे |

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आधे से ज्यादा केला रीमा की चूत को अन्दर तक भरे हुए था फिर भी लगभग ४ इंच केला बाहर लटक रहा था, जबकि ये केला रोहित के लंड के मुकाबले छोटा था | सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है रीमा की गुलाबी चूत  रोहित का कितना बड़ा मोटा मुसल लंड घोंट गयी | रीमा ने केले को और ज्यादा अन्दर तक ठेल दिया और पोज बदलकर खुद को देखने लगी | अपने रूप पर इतरा ही रही थी की उसका ध्यान केले पर गया | इतनी देर से वो चूत में केला ठेल रही है लेकिन केला तो अभी भी बाहर था, जबकि होना तो ये चाहिए था की केला डंठल सहित पूरा का पूरा रीमा की रबड़ की तरह फैलने वाली मखमली चूत के अन्दर होना चहिये था |  


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अब रीमा को थोड़ा सा खुन्नस भी आ रही थी | उसने  पूरा जोर लगा कर केले को अन्दर ठेल दिया, केला ज्यादा अन्दर तक गया नहीं क्योंकि  चूत के अन्दर भी जगह नहीं थी | केले पर जरुरत से ज्यादा जोर भी नहीं डाल सकते थे वो खड़ा सख्त  लंड नहीं था, जरुरत से ज्यादा जरा सा जोर और केले का छिलका चिटकना शुरू कर देता | रीमा लगभग पूरा का पूरा केला ही अन्दर अपनी चूत में ले चुकी थी, अब और गुजाइश का मतलब था खुद की चूत को और केले को दोनों को नुकसान पंहुचाना | रीमा को अच्छी  तरह पता था की ये मांसल मुसल लंड नहीं है | 

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फिर भी उसने तेजी से केले को अपनी चूत में गहराई तक ठेलना शुरू कर दिया, केला इतना भी नहीं पका था की एक दो झटके में ही शहीद हो जाये | रीमा ने एक मजबूत केला चुना था जिसने रीमा की कसी चूत कुछ देर पहले ही खोली थी | केला रीमा की गुलाबी मखमली सुरंग में सरपट दौड़ने लगा, अपने अन्दर आते जाते केले की रगड़न से चूत की दीवारों में अलग तरह का स्पंदन होने लगा | रीमा एक हाथ की मुट्ठी भीचे जोर लगाकर केले को पूरा अन्दर बाहर ठेल रही थी | लेकिन केला तो केला है लंड नहीं, कितनी देर तक चीर सकता था रीमा की गुलाबी चूत | उस पर लगातार पड़ रहे दबाव से उसका छिलका, उसके अन्दर के मांस का साथ छोड़ने लगा और जब रीमा ने एक ही झटके में पूरा केला पेल कर अपनी चूत की बच्चेदानी पर ले जाकर सटा दिया और बच्चेदानी को भी ऊपर की तरफ ठेलने लगी तो केले ने हाथ खड़े कर दिए | उसके छिलके की दीवारे चटक गयी | रीमा को भी पता चल गया की छिलके की दीवारे खुल गयी है अब केला ज्यादा देर टिक नहीं पायेगा | इससे पहले केले का छिलका और ज्यादा चिटकता रीमा ने उसकी परत खोल दी | जिस तरह से लंड की खाल खोलते ही सुपाडा नंगा हो जाता है वैसे ही केले का छिलका उतरने से केला नंगा हो गया | रीमा ने नंगे केले को चूत के मुहाने पर टिकाया 

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उसे पता था ये अधनंगा केला उसकी चूत की कसावट नहीं झेल पायेगा इसलिए उसे चूत में घुसाने से पहले ही ढेर सारी लार मुहँ से निकालकर उस पर लपेट दी | फिर एक हाथ से अपनी चूत को थामकर आराम से केले को चूत में घुसाने लगी | 
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लार से सना चिकना केला आराम से गुलाबी मखमली चूत में पैबस्त होता चला गया | लेकिन केला तो केला ही था जैसे ही लार सुखने लगी केला की सख्ती दम तोड़ने लगी लेकिन रीमा मानने को तैयार ही नहीं वो अपनी चूत बेरोकटोक चोदे जा रही | आखिर कब तक, अब रीमा को भी लगने लगा केला पूरी तरह बेदम हो चला है, इसलिए अब इसका अंत निकट है लेकिन रीमा भी रीमा थी, उसने केले को उलटा कर चूत में घुसेड़ दिया और अपनी चूत का मुआयना करने लगी | छिले केले की हालत बिलकुल झड़े  लंड जैसी हो चुकी थी | 

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रीमा ने एक बार फिर केले के छिलके को जड़ तक खोला और अपनी चूत में आइस्ते से घुसाती चली गयी | चूत का छेद भी खुला हुआ था इसलिए केला सरपट घुसता चला गया | रीमा ने सावधानी से १०-१२ बार केला अंदर बाहर करके अपनी चूत चोदी |  

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इसके बाद उसने केले का छिलका पूरी तरह उतार दिया और नंगा केला अपनी चूत में ले लिया | नंगा केला लेकर चूत चोदने लगी, केला अब जगह जगह से टूटने लगा था, लगातार हो रहे घर्षण और रगड़न से गलने लगा था | इधर रीमा थी की थमने का नाम ही नहीं ले रही | उसे केले के आखिरी दम तक उसे अपनी चूत चोदनी थी, लेकिन ये संभव नहीं था, केला चूत में ठोकर मारते मारते उसी में गलने लगा, उसके गला हिस्सा चूत के गुलाबी ओंठो को और चूत की दरार पर इकठ्ठा होने लगा | 
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 नीचे से केले को सख्ती से पकड़ने के कारन उसके टुकड़े उंगलियों और चूत के ऊपर छितराने लगे थे | केले के मास से रीमा की चूत का पूरा इलाका सन गया था फिर भी रीमा अपनी चूत चोदना नहीं छोड़ रही थी | 
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सायद उसको केले को उसकी अंतिम दुगर्ति तक पंहुचाने के बाद ही शांति मिलेगी | ज्यादा जोर जोर से धक्के मारने के कारन केला बीच से टूट गया |
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 रीमा इसके बाद भी नहीं रुकी वो टूटे केले से ही खुद को चोदने में लगी रही, बल्कि पहले से जयादा तेज चोदने लगी और फिर ....... आखिरकार ...............रीमा की जांघे कांप गयी, कमर हिलने लगी, चूत की दीवारे कांप कर शांत हो गयी | रीमा झड गयी , रीमा ने आखिर चरम हासिल कर ही लिया |  इसी के साथ रीमा की चुदाई भी रुक गयी, काफी देर टुटा केला लिए रीमा वैसे वही लुढ़क गयी फिर कुछ देर बाद रीमा ने केले को मुहँ में ले लिया और गप गप कर खा गयी |
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जरूर उस केले ने पीछले जनम मे कोई बडा पुण्य किया होगा जो उसके नसीब मे ये दिन आया.. अगर हर केले को रीमा जैसी मालकीण मिले तो इंसान अगला जनम केले का ही मांगेगा?
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(10-03-2019, 03:24 PM)Silverstone93 Wrote: जरूर उस केले ने पीछले जनम मे कोई बडा पुण्य किया होगा जो उसके नसीब मे ये दिन आया.. अगर हर केले को रीमा जैसी मालकीण मिले तो इंसान अगला जनम केले का ही मांगेगा?
;) ;) ;) ;) ;) ;)
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जब से प्रियम रीमा को किचन में केले के साथ नंगा देखकर आया था फिर से उसके सर पर रीमा का भूत सवार हो गया | ऊपर से उसके दोनों दोस्त गाहे बगाहे उसे छेड़ते रहते थे, प्रियम भी लगातार किसी न किसी जुगत में लगा रहता लेकिन ज्यादा कुछ कर नहीं पाया | उस दिन से आज तक सिर्फ एक बार उसे मौका मिला रीमा के घर तक जाने का और उस दिन रीमा बाजार चली गयी थी | वो कहावत है न कभी न कभी भगवान् सुन ही लेता है | प्रियम ने मैंन गेट के कैमरे का कनेक्शन गड़बड़ कर दिया | इससे उसे अब निकलने में दिक्कत नहीं हो रही थी लेकिन रोहित ने उसका रूटीन पहले ही बना रखा था तो उससे हटकर उसके लिए कुछ भी करना नामुनकिन था बशर्ते रोहित आस पास न हो | रोहित के ऑफिस में काम करने वाले एक लड़के का एक्सीडेंट हो गया था और वो लड़का किसी और शहर का रहने वाला था | यहाँ अकेला ही रहता था और जब तक उसके घर वाले आ नहीं जाते रोहित को ही उसका ध्यान रखना था | रोहित इसीलिए आज घर भी नहीं आया | उसने रीमा को फ़ोन कर दिया  साथ ही प्रियम को फ़ोन कर दिया, लेकिन प्रियम ने दोस्त के यहाँ रुकने का बहाना मार दिया | रोहित ने भी कुछ पुछा नहीं क्योंकि उसका ध्यान कही और था | प्रियम को लगा ये मौका अच्छा है, उस दिन का एक भी सीन नहीं भूला था वो | वो चाहता तो रोहित के अनुसार आज जाकर रीमा के घर रूक सकता था लेकिन उसके दिमाग में कुछ और ही चल रहा था | उसके पास मोबाइल था लेकिन उसमे जीपीएस परमानेंट ऑन था इसलिए वो भागकर राजू के घर गया और उसका फ़ोन मांग कर लाया | पूछने पर सिर्फ इतना बताया कि उसका फ़ोन ख़राब है | राजू के पास दो फ़ोन थे इसलिए एक दे दिया | प्रियम ने आज तय कर लिया था कि आज वो अपनी रीमा चाची के घर में घुसकर उनकी नंगी विडिओ बनाएगा ताकि आगे के लिए उसको आसानी हो | उन्ही विडिओ की दम पर फिर वो रीमा चाची को अपने ईशारों पर नचाएगा और उसका रुतबा दोस्तों में भी बढ़ जायेगा |


रीमा अपनी रूटीन लाइफ के अनुसार ऑफिस से आई और कुछ देर आराम किया | रीमा को भूख लगी थी लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था क्या खाए | उसने सोचा चलो पहले नूडल्स फटाफट बनाकर खा लिए जाये फिर कुछ बनाती हूँ | रीमा ने नूडल्स का डिब्बा निकाला, पैन में नूडल्स डाले और पानी डालकर गैस पर चढ़ा दिया | किचन में आने से पहले सोचकर आई थी कुछ बनाउंगी, लेकिन यहाँ आते ही उसे कुछ याद आ गया, एक हफ्ते पहले की गयी केला चुदाई, रोहित के साथ की चुदाई, प्रियम की लंड चुसाई, सब एक चलते हुए कैनवास की तरह से उसकी आँखों के सामने से तैर गया | फिर क्या था रीमा के दिमाग में ऐसे खयालो की झड़ी लग गयी | पता नहीं क्या क्या सोचते हुए कहाँ तक पंहुच गयी, उसकी कामुक कल्पनाओं ने उसके शरीर में उत्तेजना भरना शुरू कर दिया, उसका बदन उसकी कामुक सोच से गरम होने लगा | इससे पहले वो कुछ सोच पाती, उसने अपने बदन के कपडे उतारने शुरू कर दिए |
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वही किचन के पत्थर पर बैठकर पहले टॉप की डोरी पीछे से खोली और धीरे से अपने गोरे बदन से उसको अलग कर दिया | फिर उसे मोड़कर एक गेद की तरह बनाकर फ्लोर् पर फेंक दिया |
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अब बारी थी बदन पर कपडे के नाम बची सिर्फ पैंटी की | बदन पर कुल जमा हथेली भर का एरिया ही कवर कर रही होगी लेकिन वो रीमा के जिस्म का सबसे प्राइवेट खुफिया इलाका था | जहाँ रीमा की इजाजत के बगैर उसके हाथो की उंगलियाँ भी नहीं जाती थी | जाहिर सी बात है इसलिए हर औरत के जिस्म पर सभी कपड़ो में पैंटी की जगह सबसे अलग है | पैंटी अपने आप में औरत का रस गंध सब समेत लेती है, जिस गंध को पाने को दुनिया का हर आदमी लालायित रहता है वो गंध पैंटी को सहज ही उपलब्ध है लेकिन अब तो वो भी रीमा को अपने जिस्म पर  बोझ लगने लगी, वो उसे भी उतारने को लालायित हो गयी | जैसे बाकि कपड़े केले के छिलके के भांति उतार फेंके वैसे ही उसने पैंटी भी उतार फेंकी |

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 उसने फ्लोर पर उतर कर थोड़ा नीचे झुकी और बिना किसी संदेह के पैंटी नीचे घुटनों तक खिसका दी और फिर एक एक करके दोनों पैरो से निकालकर हाथ में थम ली | रीमा का गुलाबो गोरा बदन बिलकुल प्राकृतिक अवस्था में आ गया | रीमा पूरी तरह से नंगी हो गयी | उसके जिस्म का गोरापन   दमकने लगा, वो एक हाथ टिकाकर खुद को किचन में लगे फुल लेंग्थ शीशे में देखने लगी | गोरा बदन, रसीले ओठ, रेशमी बाल,  पतली सुराही की तरह दुधिया  गर्दन, नन्ही नन्ही पहाड़ियों की उठे हुए मांसल सुडौल पुष्ट स्तन और उनके ऊपर शीर्ष पर विराजमान चूचिया | सपाट गोरा पेट और उसमे बिलकुल बीचो बीच स्थित गोल नाभि और उसके नीचे से रीमा का  पूरी तरह बाल रहित त्रिकोण इलाका दिख रहा था जो इस रौशनी में अलग ही दमक रहा था | केले के तने जैसी चिकनी मांसल गोरी जांघे और ऊपर से कातिलाना मुस्कान |
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 ऊपर से नीचे तक रीमा पूरी की पूरी अप्सरा लग रही थी | एक बारगी अपने ही हुस्न को देखकर शर्मा गयी इसलिए ध्यान हटाने को पोज बदल ली | सर के अलावा शरीर पर बालो का कही कोई नामोनिशान नहीं |
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हाथ में पकडे पैंटी फेंककर तनकर सीधी सामने की तरफ खडी हो गयी | एक हाथ ऊपर पीछे सर में लगा लिया, जिससे उसकी सुडौल छातियाँ उभरकर सामने की तरफ तन गयी | उसकी नजर सीधे नाभि के नीचे की ढलान पर अपनी क्लीन सेव बाल रहित त्रिकोण घाटी पर जाकर टिक गयी | त्रिकोण घाटी को चमकाने दमकाने में उस पर की गयी उसकी मेहनत साफ़ झलक रही थी | रीमा अपने बेमिशाल हुस्न पर इतरा ही रही थी की उसके मसाला नूडल्स रेडी हो गए | रीमा पलट कर नूडल्स देखने लगी | उसने गैस चूल्हा बंद किया और नूडल्स लेकर किचन के खाने वाले एरिया में आकर बैठ गयी |
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फूंक फूंक कर नूडल्स को ठंडा करके खाने की कोशिश करने लगी लेकिन उसके दिमाग नूडल्स पर था ही नहीं वो इधर उधर भटक रहा था | खुद को बार बार किचन में लगे बड़े शीशे में देखकर नूडल्स खाती और मुस्कुराती |
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तभी उसके दिमाग में आया क्यों न कप केक्स बनाये जाये | उनका सारा समान किचन में मौजूद था | इस तरह से नंगे होकर किचन में घूमना रीमा के लिए आम बात नहीं थी, पहले वो सिर्फ सोते समय कपड़े उतार देती थी लेकिन पैंटी ब्रा तो तब भी पहने रहती थी लेकिन अब तो उसे हर दिन एक से दो घंटा या ऑफिस से आने के बाद सोने तक  घर के अन्दर पूरी तरह नंगे होकर घूमना ही है | और किचन में चूँकि थोड़ी ज्यादा गर्मी होती है इसलिए किचन  खासकर वो बिना कपड़ो के नंग धडंग ही रहती थी |
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नूडल्स खाने के बाद रीमा कप केक बनाने का सामान निकलाने लगी | बेकिंग पाउडर,कोको पाउडर, आता, बटर, अंडे और वैनिला फ्लेवर का एक्सट्रेक्ट इकठठा कर लिया | रीमा के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था तभी किसी ने डोर बेल बजाई | रीमा चौक गयी, इस वक्त कौन होगा | उस दिन की घटना याद गयी जब रोहित और प्रियम साथ आये थे | उसने भागकर फटाफट अपनी पैंटी और टॉप पहना ऊपर से एक लॉन्ग गाउन डालकर देखने चली गयी | दरवाजा खोलकर देखा तो कोई नहीं था, उसने इधर उधर झांककर देखा कोई नहीं था, अच्छे से चेक करने के लिए घर के आगे बने गार्डन के गेट तक चली गयी | वहां उसने लकड़ी का गेट देखा वो भी  बंद था | उसे समझ नहीं आया, वो कुछ देर तक इधर उधर टैंक झांक करती रही, जब कोई नहीं दिखा तो वो वापस लौट आई, उसने दरवाजा लॉक किया और छिलके की तरह अपना गाउन उतार कर फेंक दिया | टॉप उतार कर एक टाइट ब्रा पहन ली |  फिर से किचन में आ गयी | उसने एक बर्तन में गरम होने के लिए पानी चढ़ा दिया | जब पानी गरम हो गया तो एक बाउल में गरम पानी डालकर उसमे कोको पाउडर अच्छे से मिलाने लगी और तब तक मिलाती रही जब तक गरम पानी में कोको पाउडर अच्छे से घुल नहीं गया |
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 उसे एक तरफ ठंडा होने के लिए रख दिया | दुसरे बाउल में  आटा, बेकिंग पाउडर और नमक वाला बटर अच्छे से रगड़ कर गूथने लगी |   तीनो को अच्छे से मिलाने के लिए रीमा ने इलेक्ट्रॉनिक मिक्सर ऑन किया और तब तक मिलाती रही, जब तक अच्छे से मिल नहीं गए , फिर एक एक करके सारे अंडे उसमे मिलाती गयी | एक बार में एक अंडा डालती और उसे शेक करती | फिर जब वो अच्छे से घुलकर मिल जाता तो फिर दूसरा अंडा डालती, इस तरह से उसने पांच अंडे उसमे मिलाये | आखिरी में वनिला एक्सट्रेक्ट डाला और जब तक वो अच्छे से मिलकर सब कुछ एक कलर में और स्मूथ नहीं हो गया, मिक्स्टर से उसे मिलाती रही | 
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 जब बाउल का सारा मटेरियल स्मूथ हो गया | तब उसने कोको पाउडर वाले बाउल को उस बाउल पर उलट दिया, अनजाने में ही उससे कोको पाउडर ज्यादा बन गया था, हालाँकि तब उसने सोचा नहीं था की इसका क्या करना है | उसने जरुरत भर का कोको पाउडर दूसरे बाउल में मिलाया बाकि का अलग रख दिया | कोको पाउडर को फिर मिक्स्टर से तब तक आटे में मिलाती रही जब तक वो अच्छी तरह से मिल नहीं गए | 
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उसके बाद उस मटेरियल को दो तिहाई मफिन्स में भरकर रख दिया और 15 से 20 मिनट तक ओवन में पकने दिया | 
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कप केक के ऊपर की क्रीम उसे तैयार करनी  नहीं आती थी इसलिए वो रेडीमेड ही उसे करती थी | उसके चाको कप केक्स तैयार थे और उस पर क्रीम लगानी रही गयी थी | उसे घर में किसी के होने का आभास हुआ उसने इधर उधर झांक कर तसल्ली करनी चाही लेकिन ये सोचकर बंद घर में कौन होगा उसने इगनोरे कर दिया | उसके मफिन्स रेडी थे अब उस पर बस क्रीम लगनी रह गयी थी |
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 रीमा को लगा क्यों न कुछ देर अपने जिस्म से खेला जाये फिर इन पर क्रीम चढ़ा दूँगी | रीमा को कसी ब्रा पैंटी में पसीना आ रहा था , रीमा ने पैंटी ब्रा उतार दी, फिर से वो उसी पूर्ण नग्न अवस्था में आ गयी जिसमे थोड़ी देर पहले थी | चूँकि वो किचन में काम भी कर रही थी इसलिए उसका दमकता गोरा बदन कही गन्दा न हो जाये तो उसने एक अप्रोन पहन लिया | 
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अब उसके सामने सबसे बड़ी समस्या ये थी की वो इस कोको लिक्विड का क्या करे | वो किचन के पत्थर के सहारे टिककर उसका स्वाद लेने लगी | उसके गोरे गोरे सुडौल चूतड़ साफ़ साफ़ अलग ही नजारा दिखा रहे थे | तभी उसे फिर लगा की कोई तो है, वो सतर्क हो गयी उसने घर की छानबीन शुरू कर दी, पुरे घर की लाइट्स जल रही थी और परदे पड़े हुए थे | बेड रूम, डाइनिंग रूम, हाल, दुसरे बेड रूम, स्टोर रूम, स्टडी रूम, गेस्ट रूम हर जगह झांक कर देख आई | उसे कुछ नहीं दिखा, तो वो निश्चिंत हो गयी | सिर्फ मफिन्स बनाने में ही किचन अस्त व्यस्त हो गयी थी | रीमा एक एक करके सारा सामान अपनी अपनी जगह पर रखने लगी | उसे फिर भूख लग आई थी उसने अपने लिए एक ओम्लेट बनाने की सोची और फ्राई पैन गैस पर चढ़ा दिया | उसके उभरे हुए सुडौल मांसल चूतड़ इस पोजीशन में देखते ही बनते थे | रीमा अप्रोन पहने थी लेकिन उसकी पूरी पीठ नंगी थी और उसके चूतड़ पूरी तरह से नुमाया हो रहे थे | रीमा जिस तरह से थोडा सा आगे को झुककर खडी थी उससे उसकी कमर का हिस्सा पीछे की तरह उभर गया था और उसके सुडौल मांसल चुताड़ो के उभार अपने हाहाकारी रूप में ऊपर को उठे हुए थे | जैसे ही आयल गरम होना शुरू हुआ, रीमा ने फ्रिज से अंडे निकालने के लिए फ्रिज खोला, लेकिन वहां तो सिर्फ एक अंडा बचा था और रीमा को ये बिलकुल भी याद नहीं रहा | उसने पांच अंडे तो मफिन्स में डाल दिए थे | अब क्या करे, आखिर मायूस होकर उसने गैस बंद कर दी और ऑमलेट खाने का प्लान पोस्टफ़ोन कर दिया |
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किचन में मिक्सिंग करते समय पत्थर पर काफी आटा फ़ैल गया था, रीमा उसे समेटने लगी लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कहाँ से शुरू करे | इसी चक्कर में उसे अपने चुतड, पीठ सब आंटे से शान लिए | वो जमीन का फ्लोर गन्दा नहीं करना चाहती थी इसलिए कभी इस तरफ अपने हाथ पोंछ ले कभी उस तरफ अपने हाथ पोंछ ले | धीरे धीरे ही सही उसने सब कुछ अच्छे से साफ़ कर दिया लेकिन खुद गन्दी हो गयी | जैसे वो अपने बदन को साफ़ सुथरा और चमचमाता रखती थी वैसे ही वो अपने घर को भी साफ़ सुथरा रखती थी | उसे खाना भी बनाना था इसलिए उसकी भी तैयारी करनी थी  |


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 वो जल्दी से बाथरूम में गयी, खुस को साफ़ किया और फिर से किचन में आ गयी | अप्रोन गन्दा हो चूका था इसलिए उसे वो बाथरूम में जाने से पहले ही उतार कर फेंक चुकी थी | वो पूरी तरह से नंगी होकर बाथरूम में घुसी थी और वैसे ही निकली और किचन में आ गयी | उसने गैस पर कुछ उबलने के लिए चढ़ाया | उसका गोरा बदन , बलखाती कमर, मटकते कुल्हे, हिलते चूतड़ और तने हुए सुडौल स्तन सब कुछ नुमाया हो रहा था |  


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उसने जो चीज उबलने को चढ़ाई थी वो उबल गयी थी शायद कॉर्न थे, रीमा बार बार उसे चेक कर रही थी और स्पून से हिला चला रही थी | उसका दूसरा हाथ अपने ही गोरे गुलाबी बदन को सहला रहा था | उसे नंगे रहने में कोई हया शर्म नहीं थी | घर में पहले भी अकेले ही रहती थी लेकिन मजाल है जो कभी ब्रा में कसी उसकी छातियों की दरारे भी झलकी हो | उसके अन्दर बहुत अपने बदन को लेकर  ज्यादा शर्म हया थी या यू कहे डर था | अपनी ही नजरो में गिरने का डर, खोखली नैतिकता का पहाड़ उसने खुद ही खुद के दिमाग में भर रखा था | और उसके बोझ तले दबकर  कुंठा में जी रही थी | आज हालत ये थे की इस समय कोई बाहरी भी आ जाये तो रीमा को एक पल के लिए लाज न आएगी | और क्यों आये, उसका बदन है उसकी खूबसूरती है और उसे वो बिना कपड़ो के ज्यादा महसूस करती है |

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कॉर्न बनने के बाद वो कोको लिक्विड को भी फ्रिज में रखने वाली थी, तभी उसने ऐसा कुछ देखा की उसके होश उड़ गए | 
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पहले वाली रीमा होती तो अब तक बेहोश हो गयी थी | उसने खुद को सयंत किया, उसे लग रहा था की कुछ तो है जिसे वो इतनी देर से पकड़ नहीं पाई थी | उसके दमकते नंगे बदन, के हर बनावट और उभार ने आखिर वो रहस्य सुलझा ही दिया, अब वो निश्चिन्त थी  | वो मन ही मन अपने खूबसूरत बेमिशाल जिस्म औए उसके आकर्षण पर मुस्कुरायी | बाउल उठाते ही उसके दिमाग में शैतानी विचार आया | क्या न वो कुछ देर अपने जिस्म से खेले | 
यहाँ तो कोई भी नहीं है, यही सोचकर उसने अपने कमर थोड़ी सी झुकाई और उसके भारी भरकम सुडौल मांसल चूतड़ पीछे की ओर उठ गए | वो कोको पावडर को अच्छे से मिलाने लगी और बार बार अपनी बायीं जांघ उठाकर किचन टॉप के पत्थर पर रखने लगती, लेकिन फिर वो फिसल नीचे ही चली जाती | ऐसा उसने सात आठ बार किया | कोको पाउडर अच्छी तरह से मिल गया था | 

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कोको पाउडर को लेकर वो डाइनिंग टेबल के पत्थर पर आकर बैठ गयी और एक कप केक में कोको पाउडर भर दिया | फिर बारी बारी से अपने दोनों उभरे सुडौल छातियों के शीर्ष पर विराजमान चुचियों को कोको पाउडर वाले कप में डुबो दिया | जैसे ही चुचियो को बाहर निकाला दोनों गुलाबी चुचियाँ भूरे रंग की हो गयी और उनसे नीचे की तरफ कोको पाउडर टपकने लगा | रीमा ने दोनों स्तन अपने दोनों हाथो में थामकर ऊपर की तरफ मुहँ में लेकर चूसने लगी चाटने लगी | रीमा खुद ही अपनी चूचियां चूस रही थी | रीमा को बड़ी मसक्कत करनी पड़ रही थी क्योंकि ये बिलकुल भी आसान नहीं था | रीमा के स्तन सुडौल ठोस और उठे हुए थे, उनमे लटकन नहीं थी इसलिए रीमा को गर्दन से जोर लगाना पड़ रहा था | चूमने चटाने के बीच रीमा बुदबुदाई - काश कोई तो इन्हें चूसने वाला होता तो मुझे खुद नहीं चूसने पड़ते |
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उसने फिर से यही बात दोहराई, शायद किसी को सुनाना चाह रही थी | उसकी टैप से पानी टपक रहा था और ये उसे सुनाई पड़ रहा था | वो अपने स्तन का सारा कोको चूस कर उठी और टैप बंद करने लगी | जिस अंदाज में टैप बंद करते समय दूसरी तरफ देख रही थी और अपने सुडौल चूतड़ हिला रही थी ऐसा लग रहा है जैसे वो शायद वहां मौजूद किसी भूत को अपने बेमिशाल जिस्म की नुमाइश कर रही हो | उसकी नंगी चिकनी गोरी पीठ और पतली कमर, भारी भरकम सुडौल मांसल चूतड़, हवस से भरी मादक आँखे, शायद किसी को तलाश रही थी |  
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 सिंक की टोटी बंद करने के बाद उसने केबिन से शहद का डिब्बा निकाला और वो फिर से आकर उसी पत्थर पर बैठ गयी | उसने एक स्पून से शहद निकाला और अपनी गुलाबी जीभ फैला दी | स्पून को तिरछा करते ही मीठे शहद की एक पतली धार नीचे की तरफ गिरने लगी | गाढ़ा गाढ़ा मीठा शहद रीमा की गुलाबी खुरदुरी जीभ के बनाये गड्ढे में इक्कठा होने लगा | चूँकि शहद बहुत ही पतली धार से गिर रहा था, इसलिए उसे इकठ्ठा होने में टाइम लगा | उसी शहद से रीमा ने अपने ओंठो को सान दिया और बाकि का शहद गटक गयी फिर ओंठो पर जुबान फिराने लगी | चाट चाट कर ओंठो से चिपके शहद को साफ़ करने लगी | रीमा फिर से बुदबुदाई - काश कोई होता जो इन ओंठो का रस और मिठास पीता | काश कोई इन रसीले ओंठो को कसकर चूमता चूसता, तो मुझे इनमे शहद लगाकर खुद ही नहीं चाटना पड़ता | 
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उसके बाद उसने अपने स्तनों पर शहद फैलाना शुरू कर दिया | असल में वो सिर्फ निप्पल ही शहद से भिगोना चाहती थी लेकिन वो स्पून के बजाय सीधे बोतल से शहद गिरा रही थी इसलिए मात्रा का नियंत्रण नहीं रख पायी | और स्तनों पर ज्यादा शहद गिर गया और नीचे की तरफ बह चला | रीमा ने हाथ से पोछने की कोशिश की लेकिन असफल रही | 
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रीमा झुंझलाने लगी, उसने देखा हाल का परदा हिल रहा है | उसका गुस्सा और बढ़ गया | 
दांत पीस कर गुस्से की फर्जी एक्टिंग करती हुई तेज आवाज में बोली - प्रियम बाहर आ जावो वरना मुझसे ज्यादा कोई बुरा नहीं  होगा | रोहित को सब बता दूँगी, इस बार तुमारी हड्डी पसली एक कर देगा वो | 
पर्दा हिलना बंद हो गया | 

रीमा चिल्लाई - इस हालत में अगर मुझे आना पड़ा तो सोच लेना, बाहर निकालो प्रियम | मैंने तुम्हे उसी वक्त पकड़ लिया जब मुझे किसी के होने की आहट हुई थी | बाहर निकलते हो या मिलाऊ रोहित को फ़ोन |

प्रियम अपनी पेंट की जिप बंद करने की असफल कोशिश करता  हुआ पकडे जाने की शर्मिंदगी से सर झुकाए बाहर निकला | उसने बहुत कोशिश की लंड को अन्दर घुसाने की लेकिन उसका लंड पूरी तरह से तना हुआ था | एक हाथ से वो उसी को मुठिया रहा था और दुसरे हाथ में फ़ोन था और उसका कैमरा ऑन था, वही हाल में ही सर झुका कर खड़ा हो गया | किचन तक आने की उसकी हिम्मत न हुई | असल में रोहित ने सच जानने के बाद प्रियम की काउंसिलिंग करी और धमकाया भी | प्रियम की अपने बाप से बहुत फटती थी, उसने साफ़ कह रखा था अगर उसने रीमा के घर की तरफ मुड़कर भी देखा तो उसकी हडडी पसली वो एक कर देगा | लेकिन प्रियम रीमा के हुस्न के आगे बेबस हो चूका था उससे बर्दास्त नहीं हुआ, वो बस न केवल रीमा के नंगे जिस्म को देखने आया था बल्कि विडिओ भी बना रहा था | जिससे जब उसे जरुरत हो रीमा चाची के बेमिशाल हुस्न और जिस्म का दीदार कर सके |  उसकी रीमा चाची अकेले में क्या करती है ये तो उसे पता ही चल गया था, इसलिए उसने आज ज्यादा हिम्मत करके एक रिस्क लिया था |   प्रियम की रोहित से इतनी फटती थी की अगर गलती से भी उसको पता चल गया तो उसकी तो खैर नहीं और ऊपर से बोर्डिंग भेजने की धमकी सो अलग | यहाँ आकर उसने सोचा था चुपचाप विडिओ बनाएगा और निकल जायेगा, लेकिन रीमा के नंगे बदन को देखते ही प्रियम की वासना बेकाबू हो जाती, और फिर काफी देर रोकने के बाद भी जब रहा न गया तो परदे के पीछे से ही लंड मुठीयाने लगा था | रीमा भी लुका छिपी का गेम खेलना चाहती थी लेकिन हाथ में  मोबाइल की झलक पाते ही उसका पारा सातवे आसमान पर पंहुच गया | प्रियम उसको देखकर लंड मुठिया रहा था इसको लेकर शायद ही वो गुस्स्सा होती लेकिन हाथ में मोबाइल वो भी ऑन कैमरे के साथ | उसका गुस्सा ऐसा था कि पूछो ही मत | तभी उसे डायरी में लिखी एक बात याद गयी, गूसे और डर के समय सिर्फ दिमाग से ही काम लेना चाहिए, बाकि सब इगनोर करना चाहिए |

गुस्से से लाल पीली रीमा कुछ देर प्रियम को घूरती रही फिर अपने दुसरे स्तन से शहद पोंछते हुए - मुझे तो तभी पता चल गया था जब मुझे किसी के होने की आहट हुई थी | परदे के पीछे छुपते हो तो जुते भी तो छिपा लिया करो मेरे पूत | तुमारी माँ की चूत, इधर आ | भोसड़ी के मेरा विडिओ बनाता है, क्या करेगा इसका ? दिखा इधर | इतना कहकर प्रियम के हाथ से मोबाइल छीन लिया |  प्रियम सर झुकाए जड़वत बस खड़ा था, उसकी हालात ऐसी की काटो तो खून नहीं | सारा ज्ञान तिकड़म, ठरक गांड में घुस गयी | हाथ पैर ठन्डे हो गए थे, दिमाग ने काम करना बंद दिया था, इस समय बस सर झुकाए खड़े रहने में ही भलाई समझी |
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रीमा ने अपना ही विडिओ फ़ास्ट फरवोर्ड करके देखा | अब तो रीमा के अंदर एक ठंडी सी दहसत भर गयी, वो बस प्रियम के प्लान का अंदाजा लगाने लगी | रीमा - दोस्तों  को बांटेगा, सोशल मीडिया पर शेअर करेगा | क्यों बना रहा था मेरा विडिओ........| प्रियम चुप रहा |
रीमा गरजी - बोलता क्यों नहीं मादरचोद, क्या करने वाला था इस विडिओ का | 
 
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Bhai, aap to break ke baad story ko damdar tarike se badha rahe ho.. Sunday to funday ban gaya mera.. Aise hi update dete rehna ... All d best and great update as always.
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Mast update dost next more
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Sandar hot
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Next more pleases
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(10-03-2019, 11:58 PM)Silverstone93 Wrote: Bhai, aap to break ke baad story ko damdar tarike se badha rahe ho.. Sunday to funday ban gaya mera.. Aise hi update dete rehna ... All d best and great update as always.

welcome welcome welcome thanks thanks
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(11-03-2019, 06:54 AM)Pk8566 Wrote: Mast update dost next more
 thanks thanks
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(11-03-2019, 11:25 AM)Pk8566 Wrote: Next more pleases

अभी तो रीमा के नए फ्लेवर की बस एक झलक ही मिली है, आगे बहुत कुछ बाकि है जल्दी ही कोशिश करूगां अगला अपडेट देने की, आज या कल में
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लिखने से ज्यादा रिलेटिव pic ढूढ़ने में मेहनत लगती है, उम्मीद है कहानी के साथ pic और gif का कॉम्बो आप लोगो को पसंद आता होगा |  इस कहानी को 6०००० + तक पंहुचाने के लिए सभी का ह्रदय तल से धन्यवाद, उम्मीद है जल्द ही १ लाख view के पार होगी  party2.gif
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