28-02-2019, 09:55 AM
My new HOLI story ....JIja Saali aur HOLI today
Misc. Erotica मजा पहली होली का ससुराल में ,
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28-02-2019, 09:55 AM
My new HOLI story ....JIja Saali aur HOLI today
28-02-2019, 07:30 PM
छुटकी
![]() अब तक [i]थोड़ी देर में उन्होंने मेरे भाई को जोश दिला के मेरे ऊपर चढ़ा दिया। सुबह की तरह। सुबह धोके में हुआ था अबकी नशे में। और सुबह की ही तरह जैसे नंदोई जी पीछे से उसके ऊपर चढ़ गए थे , वो उसके ऊपर चढ़ गए , और हचक हचक कर ली। जब वो उतरे तो बस सुबह होने वाली थी और मेरे मायके का स्टेशन आने वाला था। हम लोग जल्दी जल्दी तैयार हुए। गाडी वो धीमी हो रही थी , वो फ्रेश होने बाथरूम गए तो मैंने , अपने ममेरे भाई से आँखा नचाकर पुछा , " हे बोल , ज्यादा मजा किसके साथ आया , मेरे साथ या जीजू के साथ। " वो हंसने लगा और बोला , " दी बुरा मत मानना , जीजू के साथ। " मेरे कजिन का घर स्टेशन के पास ही था , इसलिए वो जाने लगा , और हम लोगो ने रिक्शा पकडा। जाने के पहले वो इनसे गले मिला , तो ये बोले , साले ये सिर्फ सुहागरात थी. गर्मियों कि छुट्टी में आना तो पूरा हनीमून होगा। " "एकदम जीजा जी ये कोई कहने कि पन्द्रह दिन के लिए आउंगा कम से कम। " वो बोला। मुझसे मिलते हुए कान में बोला , " दी तेरी ससुराल में तेरी छोटी नन्द बहुत मस्त है , लेकिन सबसे मस्त हैं तुम्हारी सासु , क्या रसीला भोंसड़ा है उनका , एकदम शहद। आना तो पड़ेगा ही। " ५ मिनट में ही मैं अपने मायके में पहुँच गयी और दरवाजे पे छुटकी मिली मेरी सबसे छोटी बहन, जो ९ वें में पढ़ती थी। [/i] आगे ![]() छुटकी , मेरी सबसे छोटी बहन। सबसे छोटी हम तीन बहनो में , लेकिन सबसे नटखट। मुझसे ४ साल छोटी और मंझली से डेढ़ साल। नौंवी में थी ( उमर का अंदाजा आप लगा लें , वैसे ही लड़कियों औरतों से उम्र पूछी नहीं जाती ). एक छोटी सी पुरानी फ्राक में ( होली के दिन वैसे ही पुराने कपडे पहने जाते हैं , लेकिन उसका असर कई बार खतरनाक हो जाता है ), जो कई जगहो पे घिस भी गयी थी और टाइट भी। उसको देख के तो उसके जीजा को जैसे मूठ मार गयी। एक दम ठिठक गए। और बात भी तो थी। लड़कियों पे जब जवानी आती है न तो झट से आ जाती है , बस वही छुटकी के साथ हो रहा था। चेहरा , आँखे उनमें तो भोलापन और शरारत थी लेकि देह जवानी ने दस्तक कब की दे दी है , उसकी चुगली कर रहीथी। और उसके जीजा कि निगाहें बस वहीँ चिपकी थी। उसके कच्चे टिकोरे , अब बड़े हो गए थे , कच्ची हरी अमिया की तरह और टाइट फ्राक से उछल , छलक रहे थे। कमर तो उसकी पतली थी ही , लेकिन अब हिप्स भरे भरे , पर तब भी छोटे , ब्वायिश। ![]() लेकिन वो तो थे ही इस तरह के चूतड़ के शौक़ीन। मुझे उनकी और उनके नंदोई से हुयी बात याद आगयी , जब उन्होंने बोला था कि वो छुटकी को ले आयेंगे और फिर दोनों मिल के लेंगे। ![]() और अब उसके बड़े बड़े टिकोरों को देख के उनके इरादे पक्के हो गए थे। "कच्चे टिकोरों को दबाने , नोचने , मसलने का मजा ही अलग है। एकदम खटमिठवा स्वाद ,… और दूसरे , जो लौंडिया , इस उम्र में , चूंचिया उठान में दबवाने मिंजवाने लगती है , उसे के एक तो जोबन बहुत जल्दी खूब गद्दर हो जाते हैं और दूसरे , वो कभी को मसलने मिसवाने से मना नहीं करती , चाहे गाँव का मेला हो या शहर की बस हो। और फिर सारे लौंडो के बीच सबसे पापुलर हो जाती है। और अगर इसी उमर में उसे दो तीन बार रगड़ के चोद दो न , भले बहुत परपराएगी उसकी , बिलबिलाएगी , चीखेगी , लेकिन एक बार जो लंड की आदत लग गयी न , तो फिर पूरी जिंदगी बुर में चींटे काटेंगे , वो भी लाल वाले। कभी , किसी को मना नहीं करेगी। खुद टांग खोल देगी। " ये बात इन्होने ही मुझे एक दिन समझायी थी। ![]() उनकी निगाह अभी भी छुटकी के खटमिठवा टिकोरों पे ही अटकी थीं , की छुटकी ही आगे बढ़ी और उनके आँख के आगे चुटकी बजाते बोली , " क्या हो गया , जीजा जी , मैं वहीँ हूँ , आपकी सबसे छोटी साली , छुटकी। पहचान नहीं रहे हैं " ![]() और छुटकी ने उन्हें खुद अंकवार में भीच लिया। उन्होंने भी उसे खूब कस के अपनी बाहों में भीचते हुए , पहले तो गाल सहलाये , और फिर हथेली वहीँ पहुँच गयी , जहाँ थोड़ी देर पहले नदीदी निगाहें चिपकी थी। और बोले , " अरे तू बड़ी हो गयी है , बल्कि बड़ा हो गया है " और हलके से फ्राक फाड़ते टिकोरों को दबा दिया। मैं एक पल के लिए डर गयी। कहीं वो बिचक ना जाए , या कुछ उल्टा सीधा बोल न दे , होली की शुरुआत ही गड़बड़ हो जायेगी। लेकिन छुटकी बिना उनका हाथ हटाये , बस बोली , " धत्त , जीजू " उसके गोरे गुलाबी गाल शर्म से लाल हो रहे थे। ![]() उठते उभारों को उन्होंने जोर से दबाया और उसके कान में होंठ लगा के पुछा , " हे सच बता , इन टिकोरों का स्वाद तो किसी ने चखा तो नहीं। " " धत्त जीजू , उम्हह , हटिये ,… नहीं , आप भी न , छुआ भी नहीं " और छुटकी ने खुद उनके हाथो के ऊपर अपने हाथ रख दिए। " मैं चख लूँ , मुझे तो मना नहीं करेगी " और उनके होंठ फ्राक के ऊपर से ही सीधे टिकोरों के नोक पे , और हलके से कचाक से उन्होंने काट लिया। जीजा साली की होली शुरू हो गयी थी। बिना छुड़ाने की कोशिश किये , छुटकी ने हलकी से सी सिसकारी भरी और बोली , " आप तो मेरे जीजा हैं , इकलौते जीजा। आप का इत्ता इंतज़ार कर रही थी मैं। " तब तक अंदर से माँ की आवाज आयी , ![]() " अरे जीजा को अंदर भी घुसने देगी या बाहर ही खड़ा रखेगी। " " अरे किसकी हिम्मत है जो मुझे अंदर घुसने से रोके, वो भी ससुराल में " . द्विअर्थी डायलाग बोलने में तो ये सबसे आगे थे। छुटकी ने अटैची पकड़ी , और हम तीनो अंदर आँगन में। और ये फिर कैच कर लिए गए स्लिप में। उनकी मझली साली के द्वारा। ![]()
28-02-2019, 07:40 PM
(This post was last modified: 28-02-2019, 07:44 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मंझली
![]() मझली का कुछ दिनों में हाईकॉलेज बोर्ड का इम्तहान शुरू होने वाला था। लम्बी हो गयी थी। ५ फिट तो डांक ही रही थी। गोरी गुलाबी देह तो हम तीनो बहनो की थी , लेकिन जहां छुटकी पे जवानी बस आ रही थी , मंझली पे उसका कब्ज़ा पूरा था। उभार 30 -31 सी के बीच रहे होंगे और पिछवाड़ा भी भरा भरा था। उसने भी एक पुराना टॉप पहना था , जिसकी ऊपर की बटन पहले से टूटी थी। और टीन ब्रा साफ दिख रही थी। और इस बार भी बिना इस बात कि परवाह किये कि मम्मी भी खड़ी हैं , उन्होंने साली के गदराते जोबन की नाप जोख शुरू कर दी। और मम्मी ने मुझे अंकवार में भर लिया , जोर से भींच लिया। ![]() मम्मी मेरे लिए माँ से ज्यादा , बहन की तरह , एक सहेली की तरह थीं। ये पहली बार था कि होली की तैयारियों में मैं उनके साथ नहीं थी। शादी के बाद मैं पहली बार मायके आयी थी। कुछ देर हम दोनों एक दूसरे को ऐसे ही भिंचे खड़े रहे। फिर वो मेरे कान में बोली , " सुन , समधन ने शरबत पिलाया की नहीं। " मैं खिलखिला उठी। मम्मी भी ना ,… " हाँ पिलाया था , लेकिन ग्लास में। और सिर्फ उन्होंने ही नहीं , ननद , और जेठानी ने भी " मैं बोली। ![]() " तुम बेवकूफ हो और मेरी समधन , सीधी संकोची। सीधे कुप्पी से पिलाना चाहिए था ' वो बोलीं। हँसते हुए मैंने पुछा ," मम्मी , और आप अपने दामाद को ," " एकदम पिलाऊंगी , और सीधे कुप्पी से " मेरी बात काट के वो बोली और जोड़ा बल्कि चटनी भी चखाऊंगी। ' मम्मी ने हँसते हुए कहा। उधर आँगन में में जीजा साली में धींगामस्ती चल रही थी। इनका हाथ मंझली के उभारो पे था और दूसरी छुटकी के टिकोरों के मजे ले रहा था। ![]() ![]() मम्मी ने छेड़ा। " अरे नए माल के आगे , … जरा इधर भी तो आओ। " वो आये और मम्मी के पैर छूने को झुके तो मम्मी ने उन्हें पकड़ के उठा लिया और खुद गले लगाती बोलीं , "हमारे यहाँ सास दामाद गले मिलते हैं और होली में तो ,… " जैसे उन्होंने मम्मी की बात समझ कर तुरंत मम्मी को गले लगा के भींच लिया। मैंने उन्हें चिढ़ाया , " मम्मी , आप कि कुछ चीजें बहुत पसंद है " और जैसे इशारा पा के अपने सीने से मम्मी के भारी भारी बूब्स ( 38 डी डी ) जोर से दबाये और हाथ , मम्मी के चूतड़ सहलाने लगे। " आनी भी चाहिए " ![]() मम्मी ने भी इन्ही का साथ लेते हुय मुझे झिड़का। और जोर से अपना 'सेण्टर ' उनके ' सेंटर ' पे दबाया। फिर इन्हे चिढाते बोलीं , " क्यों मेरा जोरदार है या मेरी समधन का " " मम्मी , आप दोनों के जोरदार है। दोनों का एक दूसरे से बढ़कर है " वो जोर से दबाते बोले। " तूझे तो पॉलिटिक्स में होना चाहिए था " मम्मी ने जोर से उनके गाल पिंच कर के बोला बहनो फिर मेरी छोटी को डांटा। " हे तेरे जीजा खड़े हैं बैठने को तो ,… " बात काट के मैंने बहनो का साथ दिया , डबल मीनिंग डायलाग में " अरे मम्मी ससुराल में नहीं खड़े होंगे तो फिर कहाँ होंगे " मम्मी तो पूरी दलबदलू निकली और बोली " तेरी बात आधी सही है , खड़े होने का काम तो मेरे दामाद का है ,लेकिन बैठाने का काम तो तेरी बहनो का है ". हम तीनो बहने हँसते हँसते लोट पोट हो गए। छुटकी उनका सामान ले के , मेरे कमरे में गयी। मैं मम्मी के साथ किचेन में और मंझली उन्हें बिठाने में लग गयी। ![]()
02-03-2019, 12:25 PM
(This post was last modified: 02-03-2019, 12:31 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
छुटकी
![]() औरतों का प्राइवेट रूम बेड रूम के अलावा कोई होता है तो वो उनका किचेन , जहाँ वो मन की बातें कर सकती हैं। के मम्मी ने एक एक बात कुरेद के पूछी। फिर मैंने मम्मी से अपने मन की बात पूछी , ![]() "मम्मी मैं सोच रही हूँ छुटकी को ,… " " क्या हुआ छुटकी को। ।" मम्मी ने इनके लिए नाश्ता निकालते पुछा। " मैं सोच रही थी , .... " मेरे समझ में नहीं आ रहा था की कैसे कहूं कि मम्मी हाँ कर दें और इनके मन कि मुराद और नंदोई जी से किया इनका वायदा पूरा हो जाया। फिर मम्मी बोली , " कहानी मत बना बोल न " " मैं सोच रही थी कि जब हम लौटेंगे तो छुटकी को भी अपने साथ ले चलूँ , आखिर अभी तो उस कि छुट्टियां ही हैं और वहाँ मेरा भी मन लगा रहेगा। " ![]() मैंने रुकते रुकते बोला / " अरे यही तो मैं भी सोच रही थी लेकिन सोच नहीं पा रही थी कैसे कहूं तेरी नयी नयी ससुराल , और फिर दामाद जी जाने क्या सोचें। बात ये है की , मंझली के बोर्ड के इम्तहान है और छुटकी है चुलबुली। उसको तंग करती रहेगी। और अगर मंझली या मैंने कुछ बोल दिया तो मुंह फुला के बैठ जायेगी। और मैं भी अपने काम में बीजी रहती हूँ , इसलिए " ![]() " अरे मम्मी , आप भी न , मैं बोल दूंगी न इनसे। मेरी आज तक कोई बात टाली है इन्होने , और फिर उनकी सबसे छोटी साली है , १५-२० दिन के बाद मंझली के इम्तहान ख़तम हो जायेंगे तो वापस भेज दूंगी। " अपनी खुशी छिपाते मैं बोली। " अरे तेरी छोटी बहन है जब चाहे तब भेजना। इसका कॉलेज तो एक महीने के बाद ही खुलेगा। " ![]() मम्मी बोली। तब तक बाहर से जीजा सालियों की छेड़खानी , होली की शुरुआत की आवाज आ रही थी। और मेरे लिए बुलावा भी। वो दोनों चाह रही थी की मैं भी होली के खेल में उनके साथ शामिल हो जाऊं। मैंने साफ बरज दिया। ![]()
02-03-2019, 12:52 PM
होली का मजा साली संग
![]() वो दोनों चाह रही थी की मैं भी होली के खेल में उनके साथ शामिल हो जाऊं। मैंने साफ बरज दिया। बोला।
" तुम दोनों , किस्मत वाली हो तेरे जीजा जी हैं , मेरे तो कोई जीजा थे नहीं। तो मैं क्यों खेलूं , हाँ चल अम्पायर का काम कर देती हूँ। " और फिर उनको नियम बताये , " हे ये मेरी प्यारी बहने , तुमसे छोटी है , इसलिए पहले ये रंग डालेंगी और तुम चुपचाप बिना ना नुकुर किये डलवा लेना। " ![]() " और जब मैं डालूंगा , और इन दोनों ने न डलवाया तो , " उन्होंने सवाल उठाया। " वाह जीजू आप इत्ते भोले हैं ना , हमारे मना करना पे बिना डाले छोड़ देंगे " आँख नचाकर , पूरी बाल्टी गाढ़ा लाल रंग उन पे डालते हुए मंझली बोली। ![]() छुटकी तो पहले ही अपनी छोटी सी हथेली पे पक्के लाल काही रंगो का कॉकटेल लगा के तैयार खड़ी थी। उसके जीजू के गाल अगले पल उसके हाथों में थे।
![]() यही तो हर जीजा का सपना होता है , कुँवारी रस से पगी , सालियों की हथेलियां उसके गालों पे और उसके हाथ साली के शरमाते , कपोलों पे। छुटकी अपने हाथों का इस्तेमाल कर रही थी तो मंझली , कभी रंग भरी पिचकारी का तो कभी सीधे बाल्टी का और साथ में उसके आँखों की , जोबन कि पिचकारियाँ जो चल रही थी सो अलग। लेकिन कुछ ही देर में उनका नंबर आ गया , तो सबसे पहले पकड़ी गयी मंझली। उन्होंने अपने हाथों में छुटकी गाढ़े रंग लगा लिए थे। शुरुआत साली के मालपुआ मीठे और नरम गालों से हुयी। गलती गालों की थी , वो इतने चिाकने जो थे। ![]() हाथ सरक के टॉप पे , और टॉप का एक बटन पहले ही टूटा था , इसलिए आसानी से एक लाल रंगा लगा हाथ अंदर , जोबन मर्दन में। ![]() ऊईईईईईईइ जीजू , मंझली ने सिसकी भरी , जब जोबन रस लेने के साथ , उन्होंने उसके निपल पिंच कर लिए। पहले उन्होंने हलके से सहलाया , दबाया , और फिर जब देखा साली , बहुत नहीं उचक रही है , तो जोर जोर से रगड़ने मसलने लगे। नतीजा ये हुआ की टॉप के दो और बटन टूट गए और दूसरा हाथ भी अंदर। " नहीं , जीजू यहाँ नहीं , प्लीज हाथ बाहर निकालो न , " मंझली मजे से सिसकी लेते बोली। साली , वो भी एक हाईकॉलेज में पढ़ने वाली किशोरी के उठते उभारों से , होली में किसी जीजा ने हाथ हटाया है कि वही हटाते। उन्होंने उसकी चूंची और जोर से दबाई और चिढ़ाया , ![]() ""अरे साल्ली जी , ई का मेरे साले के लिए बचा के रखी हो "\\
और अब दोनों हाथ चूंची मर्दन में लग गए और लगे हाथ बीच बीच में निपल भी पिंच कर रहे थे। " मंझली जोर जोर से सिसकारी भर रही थी ,उचक रही थी। और कुछ जीजू का हाथ स्कर्ट के अंदर , गोरी किशोर जांघो को रगड़ने मलने में लग गया। और जब तक मंझली की चड्ढी के ऊपर से , उन्होंने उसकी चुन्मुनिया दबा दी और रस लेंने लगे। मझली का तन और मन दोनों गिनगिना रहा था. और उसके जीजू , उसको आज छोड़ने वाले भी नहीं थे। उंगली तो सिर्फ ट्रेलर था। अभी तो प्यारी साली जी की कुँवारी , किशोर चुन्मुनिया में बहुत कुछ जाना था। उनकी ऊँगली की टिप अब गुलाबी परी के अंदर घुस गयी थी और गोल गोल घूम रही थी ![]() और ऊपर दूसरा हाथ उभरते जोबन की घुंडियों को गोल गोल घुमा रहा था। क्या मस्त चूंचिया हैं साली की , वो सोच रहे थे। साथ में अपना मोटा खड़ा खूंटा , उसके उठी स्कर्ट के अंदर , बार बार रगड़ रहे थे।
मंझली ने अब सारे रेस्जिस्टेन्स छोड़ दिए थे , बहाने के तौर पे भी। इतने दिनों से यही तो ये सोच रही थी , जब से उसने जीजू को देखा था , कोहबर में घुसते समय जब जीजू उसे रगड़ते हुए घुसे थे, और उस के कान में बोला था , होली में बचोगी नहीं और उस ने भी मुस्करा के जवाब दिया था ,
बचन कौन साल्ली चाहती है। जीजू बड़े रसीले थे , एकदम कलाकार। ऊँगली अंदर बाहर हो रही थी , साथ में उनकी हथेलियां भी उसकी रामपियारी को रगड़ रही थीं , मसल रही थीं।
छुटकी पीछे से जीजा की शर्ट उठा के उनके पीठ में रंग पोत रही थी , तो कभी बाल्टी से रंग उठा के सीधे उन्हें नहला देती। ![]() मंझली झड़ने के कगार पे थी , और बस एक मिनट का बहाना बना के , वो चंगुल से छूटी और सीधे स्टोर में , रंगो की सप्लाई लेने, बस आँगन में छुटकी बची , और उसके जीजू। छुटकी छोटी थी लेकिन अब बच्ची नहीं थी , और वो देख रही थी की जीजू के हाथ मझली के साथ कहाँ सैर सपाटा कर रहे थे। और अगले ही पल उसके किशोर गाल जीजू के हाथ में थे। छुटकी कुछ रंग से लाल हो रही थी , कुछ लाज से। लेकिन लालची हाथ जो एक साली का जोबन रस ले चुके , दूसरी को क्यों छोड़ते। और उन्होंने छोड़ा भी नहीं। लेकिन गलती छुटकी की थी , बल्कि उसकी पुरानी घिसी हुयी टाइट फ्राक की , जैसे उनका हाथ घुसा ,… चररररर चरररररर,.... फ्राक का ऊपरी हिस्सा फट गया। और छुटकी के टिकोरे , … एक टिकोरा आलमोस्ट बाहर , ![]()
02-03-2019, 01:00 PM
छुटकी के टिकोरे
![]() चररररर चरररररर,.... फ्राक का ऊपरी हिस्सा फट गया। और छुटकी के टिकोरे , … एक टिकोरा आलमोस्ट बाहर , इसी के लिए तो वो तड़प रहे थे ,और सिर्फ वही क्यों , मेरे नंदोई भी. भोर की लालिमा की तरह , ललछौहाँ , बस एक गुलाबी सी आभा। ![]() लेकिन उभार आ चुके थे , अच्छे खासे , वही चूंचिया उठान के दिलकश उभार जिसके लिए लोग कुछ भी करने को तैयार रहते है। और उठती चूंचियो की घुन्डियाँ भी, एक पल तो उन्हें लगा की कही छुटकी नाराज न हो जाय , लेकिन फिर सामने एक किशोरी की जवानी के दस्तक दे रहे जोबन दिख जायं तो फिर तो सब डर निकल जाता है। और वहीँ आंगन में , उन्होंने उन मस्त टिकोरों का रस लेना शुरु कर दिया। पहले ओ झिझक के हलके हलके सहलाया , दबाया फिर जोर जोर से मसलने रगड़ने लगे। ![]() छुटकी कुछ सिसकी , कुछ चीखी , कुछ हाथ पैर चलाये , लेकिन उनके पकड़ के आगे मैं नहीं बची , मेरा भाई नहीं बचा , मझली नहीं बची , तो उस कि क्या बिसात थी। उनकी शैतान उँगलियों ने अब उसके छोटे छोटे निपल्स से खेलना शुरू कर दिया और दूसरा हाथ फ्राक उठा के सीधे , उस कच्ची कली के भरते हुए नितम्बो पे मसलने , मजे लेने लगा. और आगे से जैसे ही हाथ दोनों जांघो के बीच में पहुंचा , छुटकी कि सिसकियाँ तेज हो गयीं। ![]() और मंझली भी दोनों हाथों में पेंट पोते, अपनी स्कर्ट में रंगो के पाउच लटकाये , फिर से रंग स्थल पे पहुँच गयी थी। लेकिन जीजू तो छुटकी के साथ , उसने मुड़ के मेरी ओर देखा , मैं चौखट पे बैठ के अपने 'उन की ' सालियों के साथ होली का नजारा ले रही थी। मैंने मंझली को उसके जीजू के कमर के नीचे की ओर इशारा किया , उसने हामी में सर हिलाया , मुस्करायी और चालु हो गयी। " इनके 'दोनों हाथ तो फंसे थे ही , एक छुटकी के टिकोरों पे और दूसरा उसकी रेशमी जाँघों के बीच। बस मंझली को मौका मिल गया। उसके दोनों हाथ जीजू के पिछवाड़े , पैंट में घुस गए। आखिर थी तो मेरी ही बहन। उसे कौन सिखाने की जरूरत थी। थोड़ी देर तक तो उसने नितम्बो पे हाथ रगड़ा , रनग लगाया और फिर एक ऊँगली , पिछवाड़े के सेंटर में। अब दोनों सालियाँ आगे पीछे और वो सैंडविच बने , छुटकी को भी मौका मिला गया और उसने अपने छोटे छोटे हाथो से उनके हाथों को अपने उरोजों और जांघो के बीच दबोच लिया। बस। अब वो मंझली के हाथ हटा भी नहीं सकते थे। मंझली के दोनों हाथ उनके पैंट के अंदर थे। आखिर थोड़ी ही देर पहले तो उसकी जीजू पैंटी के अंदर हाथ डाल के उसकी चुनमुनिया रगड़ रहे थे , कच्ची चूत में ऊँगली कर रहे थे , वो भला क्यों मौका छोड़ देती। बस उसका एक हाथ जीजा के गोल मटोल नितम्बो की हाल ले रहा था तो दूसरे ने आगे खूंटे को रंगना रगड़ना शुरू किया। खूंटा तो पहले ही तना था , छुटकी के छोटे छोटे चूतड़ो पे रगड़ते हुए ,और अब जब साली का हाथ पड़ा तो एकदम फुंफकारने लगा। पूरे बित्ते भर का हो गया। मंझली ने एक और शरारत की , आखिर शरारत पे सिर्फ उसके जीजू कि ही मोनोपोली तो थी नही। उसने एक झटके से चमड़ा पकड़ के खीच दिया और , सुपाड़ा बाहर। पता नहीं जिपर उन्होंने खोला , छुटकी से खुलवाया या मंझली ने मस्ती की। रंग पेंट में लीपा पुता चरम दंड बाहर था और मंझली अब खुल के उसके बेस पे पकड़ के रंग लगा रही थी , कभी मुठिया रही थी। उन्होंने छुटकी का हाथ पकड़ के उसपे लगाया , थोड़ी देर तक वो झिझकती रही , न न करती रही , फिर उसने भी अपने जीजू के लंड को , आब आगे से छुटकी हलके सुपाड़े को दबा रही थी अपनी नाजुक उँगलियों से और पीछे से मंझली। किसी भी जीजा के औजार को होली के दिन उसकी दो किशोर सालियाँ मिल के एक साथ रंग लगाएं तो कैसा लगेगा ? उनकी तो होली हो गयी , लेकिन टिकोरे का मजा लेना उन्होंने अभी भी नहीं छोड़ा। पर रंग में भंग पड़ा , या कहूं मंझली ने नाटक का दूसरा अंक शुरू कर दिया देह की होली का।
02-03-2019, 06:43 PM
WoW What A Fantastic Update.
Aisi holi ki icha toh sabhi ke dil mein hoti hai. But pata nahi kisi kisi naseeb waalo ko hi Aisi hoti milti hogi
Love You Guys
LOLO
03-03-2019, 05:48 PM
04-03-2019, 03:21 PM
Great story..
05-03-2019, 08:58 AM
06-03-2019, 02:23 PM
वेटिंग फ़ॉर नेक्स्ट अपडेट....
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html [b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b] https://xossipy.com/thread-2651.html Hawas ka ghulam https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
06-03-2019, 02:54 PM
https://xossipy.com/thread-4421.html Pure desi gujarati erotic and sexy story with daily new updates
06-03-2019, 08:34 PM
08-03-2019, 06:56 PM
Ab to update kar do aur apni aur story ka link bhi shear karo..
09-03-2019, 09:00 AM
09-03-2019, 09:30 AM
मजा पहली होली का, ससुराल में
![]() देह की होली तन रंग लो जी आज मन रँग लो ![]() अब तक पता नहीं जिपर उन्होंने खोला , छुटकी से खुलवाया या मंझली ने मस्ती की। रंग पेंट में लीपा पुता चरम दंड बाहर था और मंझली अब खुल के उसके बेस पे पकड़ के रंग लगा रही थी , कभी मुठिया रही थी। उन्होंने छुटकी का हाथ पकड़ के उसपे लगाया , थोड़ी देर तक वो झिझकती रही , न न करती रही , फिर उसने भी अपने जीजू के लंड को , आब आगे से छुटकी हलके सुपाड़े को दबा रही थी अपनी नाजुक उँगलियों से और पीछे से मंझली। ![]() किसी भी जीजा के औजार को होली के दिन उसकी दो किशोर सालियाँ मिल के एक साथ रंग लगाएं तो कैसा लगेगा ? उनकी तो होली हो गयी , ले किन टिकोरे का मजा लेना उन्होंने अभी भी नहीं छोड़ा। पर रंग में भंग पड़ा , या कहूं मंझली ने नाटक का दूसरा अंक शुरू कर दिया देह की होली का। ![]() आगे मंझली ने नाटक का दूसरा अंक शुरू कर दिया देह की होली का। ![]() बाहर से भाभियों के गाने की होली के हुड़दंग की जोर जोर से आवाज आ रही थी। बस लग रहा था वो हम लोगो के घर की और आ रही हैं। उसने जल्दी से जीजू के पैंट से हाथ निकाला , और बोला , "अरे जीजू भाभियाँ कालोनी वाली " और , दुछत्ती की ओर भागी। उसके जीजू उसके पीछे पीछे , लेकिन वो उनके पहले छत पे पहुँच गयी। इस बीच अब ये लग रहा था , वो बजाय हमारे यहाँ आने के सामने वाले घर में पहुंचगयी है और अब १०-१५ मिनट में हम लोगों के यहाँ आ धमकेगी। और वो भाभियाँ थी तो पहला हमला उनके नए नंदोई होते , लेकिन हम ननदे भी कहाँ बचती। ![]() और मैं तो ससुराल से आयी ही इसलिए थी वहाँ ननदो को रगड़ा यहाँ भाभियों को। मैंने और छुटकी ने जल्दी जल्दी बाल्टियों में रंग भरा , अबीर गुलाल , रंग पेंट रखा और भांग वाली गुझिया और दहीबड़े निकाले। छुटकी ने अपनी फटी फ्राक की ओर इशारा किया। मैंने पहली बार इतनी नजदीक से देखा , वास्तव में एकदम चुन्चिया उठान। इनकी निगाह एकदम सही थी। " दीदी , क्या करूँ। " वो निगाह उठा के बोली। ![]() " अरे यार जीजा साली की होली में होता है , रुक " और मैंने एक सेफ्टी पिन लगा दी। मैं मन ही मन सोच रही थी , मेरी बहन अभी तो तेरी बहुत कुछ फटनी बाकी है। ऊपर जीजा साली की होली चालु हो गयी थी। देह की होली। दुछत्ती ऐसी जगह पे थी , जहाँ से आंगन दिखता था , लेकिन वो आँगन क्या कही से भी नहीं दिखता था। मंझली के पीछे पीछे जो वो पहुंचे तो पहला काम उन्होंने ये किया कि सीढ़ी का दरवाजा बंद कर दिया। ![]()
09-03-2019, 09:50 AM
सट गया , फंस गया , धंस गया ,.... होली में
![]() ऊपर जीजा साली की होली चालु हो गयी थी। देह की होली। दुछत्ती ऐसी जगह पे थी , जहाँ से आंगन दिखता था , लेकिन वो आँगन क्या कही से भी नहीं दिखता था। मंझली के पीछे पीछे जो वो पहुंचे तो पहला काम उन्होंने ये किया कि सीढ़ी का दरवाजा बंद कर दिया। रंगो में डूबी , भीगी , गीली मंझली छत पे दुबक के बैठी थी , लेकिन साली होली के दिन जीजू से बच जाए , ![]() वो अगले ही पल उनकी बांहो में थी , उनके नीचे दबी और उसका टॉप कंधे तक उठा , ब्रा के हुक तो उन्होंने नीचे ही खोल दिए थे। हाँ साली की ये जिद उन्होंने मान ली थी की टॉप और स्कर्ट न उतारे , उन्होंने नहीं उतारा , लेकिन टॉप कंधे तक और स्कर्ट कमर पे चिपकी मुड़ी। थोडा मान , नखड़ा तो करना ही था तो वो कर रही थी , " जीजू छोड़ो न , प्लीज " " अरे साली , छोड़ तो रहा ही हूँ , तेरे ये साले हाईकॉलेज के इम्तहान न होते न तो तुझे अपने साथ ले जाता " वो बोले और कस कस के उसकी खुली छोटी छोटी चूंचिया दबाने लगे। ![]() उसने भी जीजू को बांहो में भर लिया और हामी भरी " सच में जीजू ये इम्तहान भी न , ये इम्तहान न होते तो मैं आपको एक दिन में जाने न देती " वो बोली। ' चल लेकिन ये प्रामिस कर अपनी गर्मी की पूरी छूट्टी तू मेरे साथ बिताना , गाँव में असली मजा आता है , हमारी खूब बड़ी आम कि बाग़ है " ![]() वो बोले। " एकदम जीजू , जिस दिन इक्जाम ख़तम होंगे न बस उस के दिन दीदी के गाँव , आप के पास , लेकिन आप वहाँ भी इसी तरह तंग तो नहीं करेंगे " ![]() खिलखिलाते हुए मंझली बोली। " नहीं ,एकदम नहीं , इतना तंग नहीं करेंगे , इससे बहुत ज्यादा तंग करेंगे ' ![]() उसकी परी में एक साथ ऊँगली ठूंसते वो बोले। मंझली उन्हें नखड़े में छाती पे मुक्के मार रही थी , लेकिन उसका दूसरा हाथ अपने जीजू के चर्मदण्ड को आगे पीछे कर रहा था। भले ही वो पहली बार पकड़ रही थी लेकिन सहेलियों और उससे बढ़कर भाभियों ने तो उसे सब बता ही रखा था। ![]() उनसे भी नहीं रहा जा रहा था , उन्होंने साली की लम्बी गोरी टाँगे , अपने कंधे पे रखीं लंड को चूत पे सेट किया और दोनों निचले होंठो को फैलाया। ![]() " जीजू , दर्द ,.... " उससे आगे वो बोल नहीं पायी। उन्होंने अपने होंठो के बीच ,मंझली के कुंवारे होंठो को जोर से दबा दिया और साली के खुले मुंह में अपनी जुबान डाल के सील कर दी। और फिर जोर से करारा धक्का मारा। बिचारी मंझली दर्द से सिहर रही थी , लेकिन बिना रुके उन्होंने एक हाथ चुन्ची और दूसरा चूतड़ पे , पकड़ के और जोर से धक्का मारा। अब सुपाड़ा घुस गया था। ![]() वो लाख चूतड़ पटके अब बिना चुदे नहीं बच सकती थी। ![]()
09-03-2019, 10:03 AM
टूट गयी साल्ली की ,… सील
![]() अब सुपाड़ा घुस गया था। वो लाख चूतड़ पटके अब बिना चुदे नहीं बच सकती थी। अंगूठे से थोड़ी देर तक उन्होंने चूत के दाने को सहलाया , थोडा दम लिया , टांग फिर सेट की और और अबतक का सबसे जोर दार धक्का , ![]() मंझली , पानी के बाहर मछली की तरह तड़प रही थी , दर्द से मचल रही थी। उसकी आँखों में दर्द से आंसू भर आये थे। चूत फट गयी थी। खून की कुछ बूंदे बाहर भी निकल आयी थी। उन्होंने अभी भी उसके होंठो को आजाद नहीं किया ![]() और चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी। थोड़ी देर में लंड दरेरता , घिसटता साली की चूत में जा रहा था , और कुछ देर में उसे भी लंड की आदत पड़ गयी। ![]() दर्द ख़तम तो नहीं हुआ लेकिन कम हो गया। और उन्होंने उसके होंठो को आजाद कर दिया , उसी समय नीचे कालोनी की भाभियाँ घुसीं और उन के हंगामें में तो मंझली जोर जोर से भी चिल्लाती तो सुनायी नहीं देता। उन्होंने उसे होंठ पे ऊँगली रख के चुप रहने का इशारा किया और अब उनके होंठ , साली की रसीली चूचियों का मजा लेने लगे , निपल चूसने लगे। ![]() लंड आधे से ज्यादा घुसा हुआ था। थोड़ी देर में मस्ती से चूर मंझली भी नीचे से अपने चूतड़ हिलाने लगी , फिरक्या था उन्होंने धका पेल चुदाई शूरु कर दी। ![]() दो बार वो झड़ने के कगार पे पहुंची तो वो रुक गए। अब लंड वो एकदम सुपाड़े तक बाहर निकाल कर , एक झटके में पूरा पेल देते। चूंची और क्लिट दोनोकी रगड़ाई साथ साथ करते। ![]() मंझली ने जब झड़ना शुरू किया तो उसके साथ ही वो भी ,… उन्होंने उसको दुहरा कर रखा था और सारी मलायी अंदर। ![]() कुछ देर तक वो दोनों ऐसे ही पड़े रहे , और ऊपर से आंगन में चल रही होली का नजारा देखते रहे। उन्हें नहीं पता चला , लेकिन मंझली ने सुन लिया , " जीजू उन्हें शायद शक हो गया है , आप यहाँ है , हम दोनों ,...." जल्दी से दोनों ने कपडे पहने और पहले वो नीचे आये और जब तक भाभियों का झुण्ड उन्हें घेरे था , चुपके से मंझली भी छत से उतर आयी। बिना किसी के देखे. …. और दरवाजा खुलते ही भाभियों का हुजूम अंदर , कम से कम दर्जन भर , और सबसे आगे रीतू भाभी , उम्र में सबसे कम लेकिन बदमाशी में अव्वल। मुझसे सिर्फ दो साल बड़ी , अभी २१ वां लगा ह ![]() रीतू भाभी
09-03-2019, 02:07 PM
होली की मेरी और कहानियां -
१ होली , जीजा और साली - https://xossipy.com/thread-5300.html होली हो और साली न हो, बहुत ना इंसाफी है। ![]() होली हो, साली हो और उसकी चोली न खुले, बहुत ना इंसाफी है। ![]() चोली में हाथ घुसे, और साली की गाली न हो, बहुत ना इंसाफी है। जीजा और साली की होली, नंदोई और सलहज की होली, ![]() ननद और भाभी की होली। ससुराल में मची पहली होली का धमाल, एक साली की जुबानी, कैसे खेली जीजा ने होली? कैसे खोली जीजा ने चोली? और फिर क्या-क्या खुला? २ , लला फिर अइयो खेलन होरी https://xossipy.com/thread-5476.html लला ! फिर खेलन आइयो होरी ॥ ______________________________ ये कहानी ' नेह गाथा ' है , गाँव गंवई की एक किशोरी के मन की , रोमांटिक ज्यादा इरोटिक थोड़ी कम , फागु के भीर अभीरन तें गहि, गोविंदै लै गई भीतर गोरी । भाय करी मन की पदमाकर, ऊपर नाय अबीर की झोरी ॥ ![]() छीन पितंबर कंमर तें, सु बिदा दई मोड़ि कपोलन रोरी । नैन नचाई, कह्यौ मुसक्याइ, लला ! फिर खेलन आइयो होरी ॥ ![]()
10-03-2019, 07:12 PM
साली सलहज संग , होली के रंग
![]() और दरवाजा खुलते ही भाभियों का हुजूम अंदर , कम से कम दर्जन भर , और सबसे आगे रीतू भाभी , उम्र में सबसे कम लेकिन बदमाशी में अव्वल। मुझसे सिर्फ दो साल बड़ी , अभी २१ वां लगा है। ![]() ( गद्दर जोबन रीतू भाभी के ) रीतू भाभी , पे गजब का का जोबन था। गोरी चिट्टी , भरे भरे देह की , लम्बी तडंगी , छरहरी लेकिन 'उन ' जगहों पे कुछ ज्यादा ही कटाव , भराव था और ऊपर से जोबन उनका चोली से छलकता ही रहता था , 36 डी डी साइज , और उनकी २८ की पतली कमर पे जोबन और गद्दर लगता था। चोली भी हमेशा लो कट , खूब टाइट और आलमोस्ट बैकलेस लेकिन उससे भी खतरनाक थे उनके हिप्स , ![]() कसर मसर कसर मसर करते , और बाजार में चलती तो और चूतड़ मटकाती , लौंडो का दिल लूटती। साइज भी 38 से ऊपर ही रही होगी। और साडी भी इतनी कस के, नाभी से कम से कम एक बालिश्त नीचे बाँध के पहनती की हिप्स का कटाव तो दिखता ही , पिछवाड़े की दरार भी दिख जाती। पर रीतू भाभी का जो अंदाज था , असली चीज वो थी। मेरी भाभी होने के साथ ही मेरी पक्की सहेली भी थी। जब मेरी शादी तय हुयी तो मम्मी ने उनके हवाले कर दिया , " तेरी छोटी ननद है , तू जरा उसको सब बात खोल के सिखा दे वरना कही शादी के बाद ,… " और रीतू भाभी ने क्या क्या नहीं सिखाया , सिर्फ बता के या किताब में दिखा के नहीं , बल्कि कई बार तो प्रैक्टिस भी करा के ( वो कन्या प्रेमी भी गजब की थी ). इसलिए शादी के बाद इतनी जबरदस्त ससुराल होने पे भी मुझे कोई 'परेशानी ' नहीं हुयी। ऐन शादी वाले दिन 'सब कुछ ' खोल के उन्होंने ने सिर्फ चेक किया , ![]() बल्कि अपने हाथ से 'वहाँ के ' सब बाल साफ किये और ये भी बोला कि सुहाग रात के पहले मैं खुद थोड़ी सी वैसलीन अपने अंदर लगा लूँ , की कई बार मर्द इतने जल्दी में होते हैं ,… और सिर्फ मुझसे ही नहीं , वो छुटकी और मझली से भी उतनी ही खुली हुयी थीं। लेकिन भाभियों की इस मंडली की कप्तान थीं , मिश्राइन भौजी। ![]() करीब ३३-३४ की होंगी , मम्मी से एक ही दो साल छोटी। उनकी लड़की भी छुटकी के साथ पढ़ती थी। लेकिन ननद भाभी के रिश्ते में , वो रीतू भाभी से एक कदम पीछे नहीं थी और चाहे कुँवारी हो या शादी शुदा सब उन से पनाह मांगती थी। और मुझे सबसे पहले पकड़ा रीतू भाभी ने। जोर से अंकवार में भरा, आँचल मेरा हटाया और हाथ सीधे ब्लाउज पे , " देखूं इतने दिन में ससुराल में ननदोई से दबवा दबवा के चूंचिया कितनी और बड़ी हो गयी है " ![]() भाभियो का हमला कभी अकेले नहीं होता। रानू भाभी ( जो मेर्रे घर के सामने रहती थीं ) ने पीछे से पकड़ा और बोलीं , " अरे ननद के जोबन की नाप जोख क्या सिर्फ ब्लाउज के उपर से करोगी " और पल में सारे बटन खुल गए। ![]() और एक जोबन रीतू भाभी के और दूसरा रानू भाभी के कब्जे में , फिर वो रगड़ाई मसलाई हुयी की,… और साथ में रंग पेंट भी , लेकिन मैं क्यों पीछे रहती , आखिर रीतू भाभी की ही सिखायी पढ़ाई ननद थी। मैंने भी रीतू भाभी के ब्लाउज पे झपट्टा मारा और उनके बड़े बड़े गदराये उभार मेरे हाथ में , और थोड़ी देर में हाथ अलग हो गए. सीधे चूंचियों से चूंचियां होली खेल रही , रंग लगा रही थीं। मैं अपने जोबन में लगा रंग , रीतू भाभी के जोबन पे जोर जोर से रगड़ रही थी और वो भी जैसे कोई मर्द अपने चौड़े चकले सीने से नयी बहुरिया के उभार कुचले मसले , बस उसी तरह। ![]() एक दो और भाभियाँ मेरे पीछे पड़ गयीं एक ने साया , उठा के कमर तक कर दिया और दूसरे ने सीधे चूतड़ो पे रंग लगाने शुरू कर दिए। ![]() मैं क्यों पीछे रहती मैंने रीतू भाभी का साया उठा दिया और अब चूंची के बाद हम दोनों कि बुर ,… चूत पे घिस्सा देना मैंने उन्ही से सिखा था। जोर जोर से हम दोनों एक दूसरे की चूत पे चूत रगड़ रहे थे। एकदम फ्री फार आल हो रहा था। रीतू भाभी साथ में मेरे चूतड़ पे अब रंग लगा रही थी और दोनों तरबूज की फांको को फैला के पूछ रही थीं , " क्यों बिन्नो , पिछवाड़े का बाजा बजा " मैंने बोला " भाभी , आपके नंदोई इत्ते सीधे नहीं है जो छोड़ देंगे " तो मिश्राइन भाभी ने और आग लगायी , "रीतू , कैसी भौजाई हो जो पूछ रही हो। अरे ननद ससुराल से पहली बार आयी है , भौजाई को सब चीज चेक करके देखना चाहिए।' बस फिर क्या था , मेरे गांड तो उन्होंने पहले से ही फैला रही थी ,बस गचाक से दो ऊँगली एक साथ घुसेड़ दी और अपना फैसला भी सूना दिया दिया सारी भौजाइयों को , ![]() " हचक के मारी गयी है गांड , वहाँ ननदोई से बिना नागा मरवाती थी , और यहाँ हम भाभियों की ऊँगली पे नखड़ा दिखा रही हो " रीतू भाभी की दो एक्सपर्ट उंगलिया मेरी गांड में गोल गोल घूम रही थीं और एक दूसरी भाभी ने चूत में सेंध लगा दी। आगे भी दो ऊँगली घुस गयी और साथ साथ सटासट गांड और बुर दोनों भाभियों की उंगलियो से चुद रही थी। लेकिन तभी एक गड़बड़ हो गयी। मुझे बचाने मेरी छोटी बहन छुटकी आ गयी और वो पकड़ ली गयी। |
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