05-08-2020, 02:53 PM
जिस समय मैंने अपने कपडे उतारे अमृता पलट गयी, मगर मैंने उसे दुबारा उल्टा करके दिवार के सहारे लगा दिया और फिर से उसकी चूत में उंगली डाल कर उसे दुबारा गरम किया |एक बार फिर से अमृता बेकाबू होने लगी और खड़े खड़े अपनी टाँगे फ़ैलाने लगी |
बस मैंने उसी समय अपना लंड अडजस्ट करते हुए उसकी चूत में डाल दिया |
अमृता की चीख निकल गयी |वो दो साल से मुझे चूत तो दे रही थी मगर अभी तक उसकी चूत इतनी नहीं खुली थी कि खड़े खड़े लंड उसमे चला जाता इसलिए मेरे झटके से उसकी चीख निकल गयी |
मेरे लिए भी खड़े हो कर चूत मारना मुश्किल हो रहा था | एक तो मुझे भी खड़े हो कर चूत मारने का तजुर्बा नहीं था और दुसरे मेरी बहन की चूत भी बहुत टाईट लग रही थी इसलिए लंड ठीक से चल नहीं पा रहा था |यूँ तो मुझे भी खड़े हो कर उसकी चूत मारने में बहुत दिक्कत आ रही थी मगर अमृता के मुह से चीख और सिसकियाँ सुनकर मजा बहुत आ रहा था |इसलिए मै भी खड़े खड़े ही उसकी चूत की ले रहा था |मैंने जोर जोर से झटके मारे और अंत में पूरे मजे लेते हुए मैंने अपना लंड एक बार फिर से अपनी बहन की चूत में झाड दिया था |
जब अमृता की चूत मारने के बाद मैंने उसे छोड़ा तो मैंने देखा उसका चेहरा लाल हो रहा था | चेहरे पर दर्द के भाव थे , साँसे फूल रही थी और ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसका रेप कर दिया हो| मगर मेरे छोड़ने के बाद अमृता पलटी और मुस्कुराते हुए बोली-" भईया आज के बाद कभी आपको खड़े हो कर नहीं दूंगी |"
उसकी मुस्कराहट बता रही थी कि उसे भी उतना ही मजा आया था जितना मुझे आया था |हाँ ! ये बात अलग है कि उसे दर्द कुछ ज्यादा हुआ होगा |मगर फिर भी उसके चेहरे के भाव बता रहे थे कि मजा उसे भी पूरा मिला है |
अमृता ने नीचे गिरे हुए अपने कपडे हाथ में उठाये और कमरे की तरफ जाने लगी |मैंने भी अपने कपडे उठाये और उसके पीछे चल पड़ा | मैंने देखा अमृता ठीक से चल भी नहीं पा रही थी- वो टांग खोल कर चल रही थी |शायद दर्द से उसका बुरा हाल था |मगर उसे ऐसे चलते हुए देख कर मुझे बहुत मानसिक सुख मिल रहा था |मुझे ऐसा लगा कि मै अमृता को वो सब दे पा रहा हूँ जिसकी इच्छा एक औरत एक मर्द से करती है |
अमृता ने कमरे में आ कर अपने कपडे एक तरफ फैंक दिए और पलंग पर चादर ओड़कर लेट गयी| मै भी उसके बराबर में लेट गया और उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसे प्यार जताने लगा |
अमृता ने मेरी तरफ करवट बदली और शिकायत भरे स्वर में बोली-
"भईया...........बहुत मजा आता है ना आपको मुझे तडपाने| सगी बहन पे तरस भी नहीं आता ?
इतनी जोर-जोर से झटके मारे हैं कि जलन हो रही है |ऐसा लग रहा है किसी ने लाल मिर्च लगा दी हो वहां पे | जिस दिन फट जाएगी ना मेरी उस दिन पता चलेगा आपको | फिर बैठे रहना अपना हाथ में लेकर |"
मैंने उसे छेड़ते हुए कहा -
"फाड़ना थोड़ी ही चाहता हूँ.............मै तो बस खोलना चाहता हूँ तेरी |मै चाहता हूँ मम्मी के आने से पहले पहले तेरी इतनी खोल दूँ कि जब मम्मी वापिस आ जाये और मैं तेरी लूँ तो तुझे बिलकुल भी दर्द न हो |"
उसके बाद हम दोनों बाते करने लगे और थकावट बहुत ज्यादा हो जाने के कारण बिना कपडे पहने ही एक दुसरे की बाँहों में नंगे ही सो गए |
शाम के लगभग सात बजे, अमृता ने मुझे जगाया |मैंने आँख खोली तो देखा - वो सलवार कमीज पहन कर मेरे पलंग के बराबर में खड़ी थी और मुझे जगा रही थी |लेकिन मैंने उठने से मन कर दिया और उससे कहा ऐसे नहीं- बीबी कि तरह से जगाएगी तो जागूँगा | अमृता झुकी और झुककर मेरे होंठों पे अपने होंठ रख कर किस्स करने लगी मैंने भी अपने हाथ उसके पूरे बदन पे फेरते हुए (उसकी कमर, कुल्ल्हे, चूचियां ) उसके पूरे बदन का मजा लिया और उसके बाद उठकर बैठ गया |
बस मैंने उसी समय अपना लंड अडजस्ट करते हुए उसकी चूत में डाल दिया |
अमृता की चीख निकल गयी |वो दो साल से मुझे चूत तो दे रही थी मगर अभी तक उसकी चूत इतनी नहीं खुली थी कि खड़े खड़े लंड उसमे चला जाता इसलिए मेरे झटके से उसकी चीख निकल गयी |
मेरे लिए भी खड़े हो कर चूत मारना मुश्किल हो रहा था | एक तो मुझे भी खड़े हो कर चूत मारने का तजुर्बा नहीं था और दुसरे मेरी बहन की चूत भी बहुत टाईट लग रही थी इसलिए लंड ठीक से चल नहीं पा रहा था |यूँ तो मुझे भी खड़े हो कर उसकी चूत मारने में बहुत दिक्कत आ रही थी मगर अमृता के मुह से चीख और सिसकियाँ सुनकर मजा बहुत आ रहा था |इसलिए मै भी खड़े खड़े ही उसकी चूत की ले रहा था |मैंने जोर जोर से झटके मारे और अंत में पूरे मजे लेते हुए मैंने अपना लंड एक बार फिर से अपनी बहन की चूत में झाड दिया था |
जब अमृता की चूत मारने के बाद मैंने उसे छोड़ा तो मैंने देखा उसका चेहरा लाल हो रहा था | चेहरे पर दर्द के भाव थे , साँसे फूल रही थी और ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसका रेप कर दिया हो| मगर मेरे छोड़ने के बाद अमृता पलटी और मुस्कुराते हुए बोली-" भईया आज के बाद कभी आपको खड़े हो कर नहीं दूंगी |"
उसकी मुस्कराहट बता रही थी कि उसे भी उतना ही मजा आया था जितना मुझे आया था |हाँ ! ये बात अलग है कि उसे दर्द कुछ ज्यादा हुआ होगा |मगर फिर भी उसके चेहरे के भाव बता रहे थे कि मजा उसे भी पूरा मिला है |
अमृता ने नीचे गिरे हुए अपने कपडे हाथ में उठाये और कमरे की तरफ जाने लगी |मैंने भी अपने कपडे उठाये और उसके पीछे चल पड़ा | मैंने देखा अमृता ठीक से चल भी नहीं पा रही थी- वो टांग खोल कर चल रही थी |शायद दर्द से उसका बुरा हाल था |मगर उसे ऐसे चलते हुए देख कर मुझे बहुत मानसिक सुख मिल रहा था |मुझे ऐसा लगा कि मै अमृता को वो सब दे पा रहा हूँ जिसकी इच्छा एक औरत एक मर्द से करती है |
अमृता ने कमरे में आ कर अपने कपडे एक तरफ फैंक दिए और पलंग पर चादर ओड़कर लेट गयी| मै भी उसके बराबर में लेट गया और उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसे प्यार जताने लगा |
अमृता ने मेरी तरफ करवट बदली और शिकायत भरे स्वर में बोली-
"भईया...........बहुत मजा आता है ना आपको मुझे तडपाने| सगी बहन पे तरस भी नहीं आता ?
इतनी जोर-जोर से झटके मारे हैं कि जलन हो रही है |ऐसा लग रहा है किसी ने लाल मिर्च लगा दी हो वहां पे | जिस दिन फट जाएगी ना मेरी उस दिन पता चलेगा आपको | फिर बैठे रहना अपना हाथ में लेकर |"
मैंने उसे छेड़ते हुए कहा -
"फाड़ना थोड़ी ही चाहता हूँ.............मै तो बस खोलना चाहता हूँ तेरी |मै चाहता हूँ मम्मी के आने से पहले पहले तेरी इतनी खोल दूँ कि जब मम्मी वापिस आ जाये और मैं तेरी लूँ तो तुझे बिलकुल भी दर्द न हो |"
उसके बाद हम दोनों बाते करने लगे और थकावट बहुत ज्यादा हो जाने के कारण बिना कपडे पहने ही एक दुसरे की बाँहों में नंगे ही सो गए |
शाम के लगभग सात बजे, अमृता ने मुझे जगाया |मैंने आँख खोली तो देखा - वो सलवार कमीज पहन कर मेरे पलंग के बराबर में खड़ी थी और मुझे जगा रही थी |लेकिन मैंने उठने से मन कर दिया और उससे कहा ऐसे नहीं- बीबी कि तरह से जगाएगी तो जागूँगा | अमृता झुकी और झुककर मेरे होंठों पे अपने होंठ रख कर किस्स करने लगी मैंने भी अपने हाथ उसके पूरे बदन पे फेरते हुए (उसकी कमर, कुल्ल्हे, चूचियां ) उसके पूरे बदन का मजा लिया और उसके बाद उठकर बैठ गया |
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.