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Incest मेरी बहन-मेरी पत्नी
#1
मेरी बहन-















मेरी पत्नी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मेरा नाम अमित है और मै दिल्ली का रहने वाला हूँ | आज मै आपको वह बात बताने जा रहा हूँ जिसे सुनकर शायद आप यही सोचेंगे की ये सिर्फ एक कहानी है | मगर सच मानिये ये कोई सेक्सी कहानी नहीं है बल्कि मेरे साथ घटी एक सच्ची घटना है |

ये बात तब की है जब मै लगभग १९ वर्ष का था और मेरी बहन अमृता लगभग १७ वर्ष की थी | जो भी कुछ हमारे बीच हुआ- वह हुआ तो गलती से था मगर बाद में हम दोनों को ये एहसास हुआ की जो हुआ वह अच्छा हुआ और हम दोनों धीरे धीरे उससके आदि हो गए थे |

मै शुरू से ही बहुत सेक्सी वि चारो वाला लड़का रहा हूँ और अपने से बड़ी उम्र के लडको के साथ रहता था इसलिए लगभग १४-१५ वर्ष की आयु से ही मै सेक्सी फिल्मे देखने लगा था और तभी से मुठ भी मरने लगा था | लेकिन अभी तक मेरी ये आदत किसी एक साधारण जवान लड़के के जैसे सिर्फ मुठ मरने तक ही सीमित थी | इसका मेरी बहिन के साथ कोई सम्बन्ध नहीं था | मै भी एक साधारण भाई की तरह ही अपनी बहिन को साधारण वाला प्यार करता था |
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
लेकिन एक दिन (ये बात उस समय कि है जब मै लगभग 19 वर्ष का था और अमृता लगभग १7 वर्ष कि थी |)मै अपने दोस्तों के साथ वी सी आर पर एक बहुत ही सेक्सी फिल्म देख कर आया था और मौका न मिल पाने के कारन उस दिन मुठ नहीं मार सका था | इसलिए पूरा दिन परेशान रहा |मगर पूरा दिन मुझे मुठ मारने का मौका मिला ही नहीं और मुझे रात को बिना मुठ मरे ही सोना पड़ा |
उसी रात मेरे साथ वह हुआ जो शायद इस समाज की नजरो में गलत होगा मगर अब मेरी नजरो में गलत नहीं है | मुझे कामुकता के कारण नींद नहीं आ रही थी और मै करवटे बदल रहा था कि अचानक मेरी नजर मेरे बराबर में सोती हुई मेरी छोटी बहिन पर पड़ी | (यहाँ मै आपको बता दूँ की शुरू से ही हम दोनों भाई बहिन एक कमरे में सोते थे और हमारे मम्मी-पापा दुसरे कमरे में सोते थे |)नींद में बेफिक्र हो कर सो रही मेरी बहन बहुत-बहुत सुंदर लग रही थी | और सबसे बड़ी बात तो ये थी कि नींद में सोती हुई मेरी बहिन के बूब्स बाहर आ रहे थे |पहले तो उसके बूब्स देखते ही मेरे अंदर हवस जाग उठी मगर दुसरे ही पल मेरे अंदर का भाई भी जाग गया और मैंने खुद पर कण्ट्रोल करते हुए अपनी करवट बदल ली |
मगर बहुत जयादा देर तक मेरे अंदर का भाई जागा न रह सका और मेरे अंदर का मर्द जाग गया | मै दिन भर से तो परेशां था ही, अब जयादा देर खुद पर कण्ट्रोल न कर सका और वापिस करवट बदल कर अपनी ही छोटी बहन के बूब्स देखने लगा | सच कहता हूँ उस समय मेरे अंदर मिले जुले विचार आ रहे थे | कभी तो मै अपनी ही बहन के बूब्स देख कर उत्तेजित हो रहा था और कभी खुद पर ग्लानी महसूस करता था |
मगर फिर भी उसके बूब्स देखने का मौका मै खोना नहीं चाहता था इसलिए उस रात मै जी भरकर अपनी बहिन के बूब्स देखता रहा मगर उसे छूने कि हिम्मत नहीं कर सका | लेकिन उसके गोरे-चिट्टे छोटे-छोटे बूब्स ने मेरे लैंड का हाल बुरा कर दिया था इसलिए मै लेटे-लेटे ही बिना पजामा खोले ही मुठ मारने लगा और अपनी बहन के बूब्स को निहारने लगा | इस तरह मैंने उस दिन पहली बार अपनी बहिन के नाम से मुठ मरी थी और वह भी उसके नंगे बूब्स को देखते हुए- उसी के सामने | सच कहता हूँ मुठ तो मै कई सालो से मार रहा था मगर उस दिन मुठ मारने से जो संतुष्टि मुझे मिली थी वो उस दिन से पहले कभी नहीं मिली थी |
बस उस दिन के बाद से ही मै अपनी बहन को ही उस नजर से देखने लगा था जिसे ये समाज तो सेक्स कहता है लेकिंन मै उससे प्यार कहूँगा | उस रात के बाद से मै जाग-जाग कर अपनी बहन के सो जाने का इन्तजार करने लगा | और साथ ही इन्तजार करता उसके सोते समय बूब्स के बहार निकल जाने का | कभी कभी तो मै पूरी पूरी रात जगता रह जाता मगर अमृता के बूब्स बहार ना निकलते और मै डर के कारण उसे छू नहीं सकता था | अब तो दिन रात मेरे ऊपर मेरी ही सगी बहन के प्यार का भूत स्वर हो चूका था | मै सेक्सी फिल्म देखता तो मुझे अमृता नजर आती और अमृता को देखता तो सेक्सी फिल्म कि हिरोइन नजर आती | ये सिलसिला लगभग एक साल तक चलता रहा और मै ऐसे ही अमृता के नाम कि मुठ मारने लगा मगर कुछ करने कि हिम्मत नहीं कर सका |बस रात रात भर जाग कर अपनी बहन के बूब्स बाहर आने का इन्तजार करता |
लेकिन दिन-ब-दिन मेरे अंदर अमृता को पाने कि चाहत बढती जा रही थी | अब मेरी नजर सिर्फ और सिर्फ अमृता के बूब्स पर ही रूकने लगी थी | मै जाने अनजाने में सबके सामने भी अमृता के बूब्स ही निहारता रहता था और इस बात के लिए एक-दो बार मेरे दोस्तों ने मजाक मजाक में टोक भी दिया था, मगर मैंने उन्हें नाराजगी जताते हुए इस बात के लिए डांट दिया था | लेकिन सच तो यही था कि अब मै अमृता के प्यार मे पागल हो चूका था और उसको पाने कि चाहत में अपनी सभी हदे पार करने लगा था |
इसलिए अब रात को जब अमृता के बूब्स बहार नहीं निकलते थे तो मे खुद अपने हाथ से उन्हें बहार निकालने लगा था | लेकिन बूब्स को बहार निकालते समय मै इस बात का विशेष ध्यान रखता था कि कही अमृता कि नींद न टूट जाये |
धीरे धीरे मेरी हिम्मत भी बढती जा रही थी और मै रोज ही अमृता के बूब्स निकल कर धीरे धीरे उन्हें सहलाने लगा , कभी कभी हलके से किस्स कर देता तो कभी कभी अपना लैंड ही उसके हाथ में दे देता |

ये सब सिलसिला भी लगभग एक-डेड़ साल तक चलता रहा और मेरी उम्र लगभग १९ वर्ष कि हो गयी थी और अमृता भी लगभग १७ वर्ष कि हो गयी थी | उम्र के साथ साथ अमृता के बूब्स भी भारी होते जा रहे थे और मुझे पहले से भी ज्यादा पागल करने लगे थे |मै अपनी ही सगी बहन के बूब्स के लिए पागल हुए जा रहा था और रोज रात को उसके बूब्स बहार निकालकर चूसता, सहलाता और उसके हाथ में अपना लंड रख कर अपनी सोती हुई बहन से मुठ मरवाता |

एक रात (जब मै १९ वर्ष का हो चूका था ) मेरा पागलपन कुछ ज्यादा ही बढ गया और मै रोज कि तरह अमृता के बूब्स से खेलने लगा| साथ ही साथ अपना लंड अमृता के हाथ में दे कर मुठ मरवा रहा था कि अचानक मै अपना कण्ट्रोल खो बैठा और उत्तेजना में बहुत जोर जोर से अमृता के बूब्स चूसने लगा | अपनी उत्तेजना में मै ये भूल गया कि मै अपनी ही छोटी बहन को सोते समय प्यार कर रहा हूँ और अपना लैंड उसके हाथ में दे कर जोर जोर से मुठ मरवाते हुए, बहुत जोर जोर से उसके बूब्स अपने हाथ से दबाते हुए मै उससे लिप्स टू लिप्स किस्स करने लगा (और ये सब बहुत जोर जोर से करने लगा था ) कि अचानक अमृता कि नींद खुल गयी | लेकिन जिस टाइम अमृता कि नींद खुली उस टाइम मेरे होठ उसके होठो को चूस रहे थे इसलिए वो चिल्ला तो न सकी मगर डर बहुत गयी | मेरे ऊपर उस समय जैसे शैतान सावार था | मै उस समाया अपनी चरम सीमा के समीप था | मैंने अमृता के जग जाने कि परवाह नहीं कि और पागलो कि तरह उससे किस्स करता रहा , जोर जोर से उसके बूब्स दबाता रहा और उसके हाथ में अपना लंड दे कर जोर जोर से मुठ मरवाता रहा |अमृता इतनी डर चुकी थी कि वो निष्क्रिय सी मेरे नीचे चुपचाप पड़ी रही | कभी कभी उसके चेहरे पर दर्द के भाव जरुर आ रहे थे मगर होठों पर मेरे होंठ होने के कारण वो कुछ बोल नहीं सकती थी | थोड़ी ही देर में (सिर्फ चंद ही मिनटों में )मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और मेरा सारा वीर्य अमृता के हाथ में था | मगर जैसे ही मेरे लंड ने पानी छोड़ा और मेरा पागलपन खत्म हुआ - मेरे हाल ख़राब हो गया | मुझे होश आया तो विचार आया कि अब अमृता मम्मी-पापा को सब बता देगी और अब मेरी खैर नहीं | बस यही सोच कर मेरी हालत ख़राब हुए जा रही थी | लेकिन अमृता चुपचाप गुमसुम और सहमी से अपने बिस्तर पर पड़ी हुई थी |
यहाँ तक कि न तो अमृता ने अपना हाथ ही साफ किया था और न ही उसने अपने बूब्स अंदर करे थे , वो तो जैसे गुमसुम सी हो गयी थी और मै उससे कही जयादा डर रहा था कि अभी अमृता चीखेगी और मम्मी-पापा को सब बता देगी | मै एक दम से अमृता के हाथ-पैर जोड़ने लगा और उससे मानाने लगा कि वो मम्मी-पापा से कुछ न कहे | मै बार बार उससे माफ़ी मांग रहा था कि जो हुआ वो गलती से हो गया मगर अमृता कि कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही थी | वो बस चुप चाप सी उसी हालत में पड़ी हुई थी | अंत में मैंने ही उसके बूब्स को ढँक दिया और उसे सुलाने लगा | जब बहुत देर तक अमृता ने कोई शोर नहीं मचाया तो मेरे दिल को थोडा सा चैन मिला कि कम से कम आज रात तो वो मम्मी-पापा को कुछ कहने वाली नहीं है लेकिन सुबह कि सोच का मुझे चिंता हुए जा रही थी | थोड़ी देर के बाद अमृता के रोने कि आवाज आने लगी | तब मैंने बार बार उससे माफ़ी मांगी और उससे वादा लिया कि वो मम्मी को कुछ नहीं कहेगी |जब अमृता ने मुझे वादा किया कि वो किसी को कुछ नहीं कहेगी तब कही जा कर मेरी जान में जान आई |
यूं तो अमृता ने मुझे वादा किया था कि वो किसी से कुछ नहीं कहेगी मगर सच तो ये है कि फिर भी मेरी गांड फट रही थी | मगर अगला पूरा दिन शांति से गुजर गया ,हाँ इतना जरुर था कि पूरे दिन मैं अमृता का विशेष ख्याल रख रहा था |अगली रात मैंने पूरी शांति के साथ गुजारी और बिना मुठ मरे या बिना अमृता के बूब्स देखे ही मै सो गया | ये पिछले दो सालो में पहली ऐसी रात थी की मै बिना अमृता के बूब्स चूसे या बिना उसके हाथ में अपना लंड रखे सो रहा था |[Image: 85542989_031_0d6f.jpg]

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#4
उसके अगले दिन कुछ कुछ सामान्य सा लगने लगा | अमृता ने अभी तक किसी से मेरी शिकायत नहीं करी थी इस लिए अब डर कुछ कम हो गया था |उस रात मेरे दिल में फिर से अपनी छोटी बहन के बूब्स देखने कि इच्छा होने लगी |पिछले दो सालो में केवल एक ही दिन ऐसा गया था जब मै अमृता के बूब्स देखे बिना सो गया था | इसलिए मुझे उसके बूब्स देखकर सोते समय मुठ मारने कि इतनी आदत पड चुकी थी कि मुझे आज नींद ही नहीं आ रही थी | एक बार फिर से मेरा दिल अमृता के बूब्स को देखने के लिएय बेचैन हो गया था और मै रोज कि तरह अमृता के सोने का इन्तजार करने लगा था |लेकिन मैंने सोच रखा था कि इस बार मैं कोई गलती नहीं करूँगा |
रात के लगभग एक बजे जब मुझे लगा कि अब अमृता सो चुकी है तो मैंने फिर से उसके बूब्स को बाहर निकालें कि कोशिश करी | मगर जैसे ही मैंने अमृता के बूब्स को हाथ लगाया अमृता जाग गयी और बोली भईया क्या कर रहे हो? एक बार फिर से मुझे अमृता ने रंगे हाथ पकड़ लिया था | मै एक दम से सक-पका गया और कोई उत्तर देते न बना | मै कुछ न बोल सका और अपना हाथ अमृता के बूब्स पर से हटाने लगा |तभी अमृता ने मेरा हाथ पकड़ लिया और वापिस अपने बूब्स पर रख दिया | इस बार अमृता बहुत शांत दिख रही थी | मुझे कुछ समझ में ना आ रहा था कि अब क्या होने वाला है ? कमरे में पूरा सन्नाटा छा चूका था कि तभी अमृता ने सन्नाटा तोड़ते हुए बहुत प्यार से कहा -
"भईया मुझे पता है आप क्या करने वाले थे ? आप मेरे बूब्स के साथ हमेशा कि तरह खेलना चाहते हो न ?"
उसकी ये बात सुन कर मै सन्न रह गया | मुझसे कोई बोल न बन पड़ा और मै हैरानी से अमृता को देखने लगा| अमृता फिर बोली- भईया आपको क्या लगता है आप जो रोज रात को मेरे बूब्स के साथ खेलते हो या मेरे हाथ में अपना वो (अमृता ने लंड न खेते हुए "वो" कहा था ) दे कर जो करते हो, मुझे उसका पता नहीं है?
भईया लड़की चाहे कोई भी हो इतनी गहरी नींद कभी नहीं सोती है कि कोई उसके बूब्स दबाये और उससे पता नहीं चल सके |मै हैरानी से अमृता कि बाते सुन रहा था और शर्म से पानी पानी हो रहा था | लेकिन जब अमृता ने ये सब बाते कही तो मै पूछ ही बैठा कि जब उसे ये सब पता था तो उसने आज तक मेरा विरोध क्यों नहीं किया? मेरी बात सुनकर अमृता मुस्कुराई और बोली भईया जैसे आपको ये सब अच्छा लगता है मुझे भी तो अच्छा लगता था | वरना आप ही सोचो जिस नजर से आप मेरे बूब्स देखते थे , क्या मुझे नहीं पता था कि आपकी निगाह कहा पड रही है ? ये सब कहते कहते अमृता मुस्कुरा रही थी और मेरे हाथ से धीरे धीरे अपने बूब्स को दबा भी रही थी |
अमृता कि बाते सुन कर मेरे होश उड़ रहे थे मगर साथ ही साथ उत्तेजना से मेरा लंड भी खड़ा होता जा रहा था | लेकिन तभी मेरे दिमाग में परसों रात वाली बात याद आ गयी जब मेरी अत्यधिक उत्तेजना के कारण अमृता कि नींद खुल गयी थी| मेरे पूछने पर अमृता ने बताया कि सच तो ये है इस उस रात वो भी डर गयी थी क्योकि अभी तक मै उसके साथ सभ्यता से पेश आता रहा था और उस रात मै अचानक पागलो के जैसे उससे प्यार कर रहा था | अमृता ने बताया कि उसे डर इस बात से लग रहा था कि कही मै उसका रेप न कर दूँ |
बाद में अमृता ने कहा कि भईया हम दोनों भाई बहन है इसलिए हम दोनों के बीच में पति पत्नी वाला सम्बन्ध तो कभी बन नहीं सकता , मगर हाँ हम दोनों एक दुसरे कि जरूरते तो पूरी कर ही सकते है |
सच कहता हूँ दोस्तों शायद आप इस बात का विश्वास करे या नहीं मगर मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था | न ही मै खुद इस बात पर विश्वास कर पा रहा था कि मेरी छोटी बहन (जो मेरी सगी बहन है ) मेरी शारीरिक जरूरते पूरी करने कि बात कर रही थी | मेरा लंड ये सोच सोच कर मचल रहा था कि अब उसे अमृता अपने हाथ से सहलाया करेगी और मै ये सोच सोच कर पागल हुए जा रहा था कि पिछले दो सालो सो जिन बूब्स के लिए मै पागल था और छुप छुप का उन्हें देखता था , अब उन्ही बूब्स को मै बेझिझक हो कर मै छू सकूँगा, दबा सकूँगा और चूस सकूँगा |और जब जब मेरे दिमाग में ये बात आती कि ये सब मै किसी और लड़की के साथ नहीं बल्कि अपनी सगी बहन अमृता के साथ करूँगा...................मेरी उत्तेजन और भी बढ जाती |और अपनी इसी उत्तेजना मे मै एक बार फिर से पागलो कि तरह अपनी बहन पर टूट पड़ा | अब मै परसों से भी जयादा जोर से अपनी बहन के बूब्स दबाने लगा, परसों से भी जयादा जोर से उसके होंठ पीने लगा और बिना किसी डर या शर्म के उसका हाथ पकड़ कर पजामे के ऊपर ही अपने लंड पर रगड़ने लगा |
उस पल का एहसास तो सिर्फ महसूस किया जा सकता है, शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है | यूँ तो उसके बाद से हर रात हम दोनों भाई बहन प्यार करते हुए बिताते है मगर पता नहीं क्यों उस पहली रात में जो बात थी वो कुछ अलग ही थी | ये भी सच है कि उस पहली रात में अपनी अत्याधिक उत्तेजना के कारण मै कुछ ही पालो में झड गया था और अमृता मेरे नंगे लंड को अपने हाथ में ले कर सहला पाती इससे पहले ही मै पजामे में ही झड गया था और अमृता बहुत जोर जोर से हंसने लगी थी मगर फिर भी उस रात कि बात ही कुछ और थी |यूँ तो हम दोनों भाई- बहन ने ये तय किया था कि हम दोनों के बीच कभी पति पत्नी वाले सम्बन्ध नहीं बनेगे और हम दोनों एक दुसरे कि जरुरतो का ख्याल अपनी मर्यादा में रहते हुए ही करेंगे , मगर जब एक मर्यादा टूट ही चुकी थी तो भला दूसरी मर्यादा कितने दिन तक रहती ?
समय मिलने पर मै आपको बताऊंगा कि किस तरह हम दोनों भाई बहन के बीच में वो सब भी हो गया जो एक पति और पत्नी के बीच होता है |
हो सकता है कि आपमें से कुछ लोगों को ये घटना एक कहानी भर लगे - सिर्फ एक सेक्सी कहानी मगर ये मेरी जिंदगी कि सच्चाई है और सबसे हसीन सच्चाई |
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#5
जैसा की मैंने आपको अपने पहले लेख में बताया था की एक दिन मैंने एक सेक्सी फिल्म देखी थी और उत्तेजना में अमृता से मुठ मारने की जिद करने लगा था मगर अमृता ने मम्मी के डर से मेरी मुठ नहीं मारी थी और मै नाराज हो गया था | लेकिन उसी रात अमृता ने मेरी नाराजगी को दूर करने के लिए अपने सारे कपडे उतरकर अपना नंगा बदन मुझे सौंप दिया था और मै अपनी नंगी बहन को अपने बिस्तर पर बिछा देखकर बेकाबू होते हुए उस पर टूट पड़ा था | यहाँ तक की मै उसके कपडे फाड़ने लगा था | मगर उस रात मै उसकी चूत नहीं मार सका था और सिर्फ उसकी चूत को चूस चूस कर ही मैंने उसे झाड दिया था |
शायद आप सोच रहे होंगे कि आखिर मैंने उस रात को अपनी बहन को बक्श कैसे दिया और उस रात को ही उसकी चूत मार क्यों नहीं ली? लेकिन इसका कारण मै आपको बताता हूँ- उस रात मैं उसकी चूत इसलिए नहीं मार सका था क्योकि उस दिन- सबसे पहले तो मैंने टॉयलेट में मुठ मारी थी, उसके बाद दूसरी मुठ मुझे अमृता ने मार कर दी थी जब मै उस से नाराज था और तीसरी बार की मुठ अमृता ने तब मार दी थी जब हम दोनों नंगे बदन अपने बिस्तर पर थे और मैंने चूत चूस चूस कर अमृता को झाडा था | उस दिन मै तीन बार झड चूका था इसलिए मेरे लंड में हल्का हल्का दर्द भी होने लगा था और मै थक भी गया था | यही वजह थी की उस रात अमृता के नंगे बदन को जी भर के प्यार करने के बावजूद भी मै उसकी चूत नहीं मार सका और थक कर सो गया था | लेकिन कहते है जो होता है वो अच्छे के लिए ही होता है | उसके अगली सुबह मुझे जो सुकून मिला उसका एक अलग ही मानसिक एहसास था | शारीरिक सुख तो मुझे मेरी बहन से अनेकों बार मिल चुका है लेकिन जो मानसिक सुख मुझे अगली सुबह मिला था वो एक अलग ही एहसास था |
सुबह होने पर सबसे पहले तो मेरी बहन के चेहरे पर एक अलग ही संतुष्टि के भाव थे | उस रात हम दोनों ने सुहागरात तो नहीं मनायी थी मगर अमृता को देख कर ऐसा लग रहा था मनो कोई लड़की सुहागरात के बाद अपने पति के बिस्तर से उठ रही हो और उसे अपनी सुहागरात से वो सब मिला हो जो उसने कभी सपने में सोचा हो या उससे भी कही ज्यादा | सच तो ये था कि चाहे मैंने उस रात अमृता कि चूत नहीं मारी थी मगर मैंने उसको संतुष्ट करने में कोई कसर भी नहीं छोड़ी थी | उस रात जब मै उसकी चूत को चूस रहा था तो अमृता का हाल बहुत बुरा था - वो कभी तो उत्तेजना के कारण मेरे सिर को जोर जोर से अपनी चूत पर दबाती ताकि मै और भी जोर से उसकी चूत को चूसूं और कभी बालों से पकड़ कर मेरा सिर पीछे खीचती थी ताकि मै उसकी चूत को और न चूस सकूँ |उसको इस तरह से तड़पता देख कर मेरे अंदर के पुरुष को बहुत संतुष्टि मिल रही थी | इसलिए मै भी उसकी चूत को बुरी तरह चूसता ही रहा | वो जितना तड़पती थी, जितना उछलती थी, मेरे अंदर के पुरुष तो उतनी ही संतुष्टि मिलती थी | इसलिए उस रात मैंने अमृता को इस हद तक तडपाया था और उसको इतनी संतुष्टि मिली थी कि वो रात उसके लिए सुहागरात न होते हुए भी किसी सुहागरात से कम नहीं थी | दुसरे शब्दों में कहूँ तो मैंने उस रात उसे अपनी जीभ से चोद दिया था | इसलिए अगली सुबह जब अमृता ने बिस्तर छोड़ा तो ऐसा ही लग रहा था कि मानो कोई लड़की अपनी सुहागरात के बाद अपने पति के बिस्तर से उठ रही हो |
उस रात तो जो होना था वो हो चुका था लेकिन उस रात का असर दिखना अभी बाकी था -
सुबह नाश्ते की मेज पर अमृता ने मम्मी से नजर बचा कर मुझे किस्स दिया (हवा में )| मै हैरान था क्योकि आज तक मै ये सब हरकतें किया करता था और अमृता हमेशा मेरी ऐसी हरकतों से नाराज हो जाती थी क्योकि उसे मम्मी से बहुत डर लगता था | लेकिन आज सुबह सुबह खुद अमृता ने मम्मी से नजर बचा कर मुझे किस्स किया था | उस दिन अमृता ने कॉलेज की छुट्टी कर ली और इस लिए मै भी कॉलेज नहीं गया |

उस दिन तो अमृता जैसे पहले वाली अमृता ही नहीं रही | उस दिन से पहले तक मै अमृता को अकेला देख कर दबोचने की कोशिश करता था - मौका मिलते ही उसको कोने में ले कर किस्स कर देता था, कभी उसकी चूची दबा देता था, या फिर अपने लंड पर उसका हाथ रगड़ देता था मगर वो हमेशा इस बात पर गुस्सा हो जाती थी और डरती थी कि कही मम्मी न देख लें | मगर मुझे ऐसा करने में बहुत मजा आता था | लेकिन उस दिन खुद अमृता बार बार मौका देख कर मुझे किस्स कर रही थी, कभी मेरे लंड को रगड़ देती थी और खुद मेरे हाथ को अपनी चुचियो पे रख कर दबवा रही थी और जैसे ही मम्मी के आने का डर होता एक दम से अलग हो जाती थी | बल्कि एक बार तो उसने कमाल ही कर दिया - मम्मी रसोई में थीं और अमृता मेरे साथ कमरे में अकेली थी उसने मौके का फायदा उठाते हुए मेरी पेंट की चैन खोलकर मेरा लंड निकला और दो-तीन बार मुह में भी ले लिया | अभी तक तो मै अमृता की फाड़ता था मगर उस दिन वो मेरी फाड़ रही थी और मुझे बार बार मम्मी का डर सता रहा था | लेकिन फिर भी मुझे बहुत मजा आ रहा था | आज तक मुझे अपनी बहन से शारीरिक सुख तो बहुत बार मिला था मगर आज पहली बार मानसिक सुख भी मिल रहा था | आज पहली बार मुझे अमृता के एक पूर्ण स्त्री होने का या सच सच कहूँ तो - अपनी बीबी होने का एहसास हो रहा था |
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#6
वो पूरा दिन मस्ती में गुजर गया और वो पल आ गए जिसका हम दोनों को बेसब्री से इन्तजार था.............अब रात हो चुकी थी |हम दोनों भाई-बहनों ने खाना खाया और जल्दी से सोने की तैयारी करने लगे | मै जानता था कि जब दिन इतना हसीन था तो रात का आलम क्या होगा ? मुझे पूरा एहसास था कि आज कि रात मेरी जिंदगी कि सबसे यादगार रात साबित होने वाली है और आज रात मुझे अमृता मेरी बहन कि जगह मेरी बीबी के रूप में मिलने वाली है | इसलिए खाना खाते ही हम दोनों भाई बहन बिना मम्मी-पापा के सोने का इन्तजार करे ही अपने कमरे में सोने चले गए | (हमारे सभी कमरों में एसी होने के कारण हम अपने दरवाजे बंद करके ही सोते थे |)
कमरे में जाते ही हम दोनों भाई-बहन एक दुसरे कि बाँहों में समाकर बिस्तर पर गिर पड़े |हम जानते थे कि अभी मम्मी पापा जाग रहे है इसलिए अभी हम दोनों ने एक दुसरे के कपड़ो के साथ कोई छेड़-छाड़ नहीं करी और कपड़ों में ही एक दुसरे को किस्स करते हुए बिस्तर पर गिर गए | उस रात अमृता मुझ पर भारी पड़ रही थी | वो मुझे पागलों कि तरह किस्स किये जा रही थी और मेरे होंठ चूसे जा रही थी | हम दोनों का पलंग तो जैसे जंग का मैदान बन गया था- कभी अमृता मेरे ऊपर होती तो कभी मै अमृता के ऊपर |हम दोनों में तो जैसे किस्स करने और होंठ चूसने कि प्रतिस्प्रधा चल रही थी | थोड़ी देर के बाद जब हमे लगा कि अब मम्मी-पापा सो गए होंगे, अमृता मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गयी |मेरे लंड के ऊपर बैठ कर उसने मेरे दोनों हाथ फैला कर अपने हाथो से ऐसे पकड़ लिए जैसे वो मेरा बलत्कार करने वाली हो |
उसके बाद धीरे धीरे अपना चेहरा मेरे चेहरे के करीब ले कर आयी और पूछने लगी-
अमृता -"कुछ चाहिए क्या ?"
मै - "हाँ "
अमृता -क्या ?
मै- चूत (मैंने बिना कोई संकोच किये और बिना कोई पल गवाए साफ़ साफ़ शब्दों में कहा )
अमृता- कल तो दी थी | जी भर के चूसी आपने | अब क्या करोगे?
मै- मारूँगा (अमृता ने पूरे दिन जो मेरा हाल किया था, उसके बाद मुझे ये सब कहने में न तो कोई संकोच हो रहा था और न ही शर्म आ रही थी )
अमृता -क्या? चूत मारोगे ? अपनी सगी बहन की?
मै- (गाली देते हुए) बहन की लोड़ी अब भी कुछ बाकी बचा है क्या ?

अमृता की आँखों में चमक साफ़ दिखाई दे रही थी | ऐसा लग रहा था की वो खुद भी यही सब सुनना चाहती है और सिर्फ मुझे परेशान करने के लिए नाटक कर रही है |
मगर अमृता अभी और शरारत के मूड में थी, इसलिए बड़ी अदा के साथ बोली -
अमृता- अगर ना दूँ तो ?

मेरे अंदर की हवस बुरी तरह भड़क चुकी थी |अमृता के मुहं से ना सुनकर मै हिंसक हो गया और उसे धक्का देते हुए उसके ऊपर चढ़ कर बैठ गया और उसी अंदाज में उसके हाथ पकड़ डाले जिस अंदाज में उसने मेरे हाथ पकडे हुए थे |

मै अमृता को गाली देते हुए बोला- बहन की लोड़ी नहीं देगी तो जबरदस्ती ले लूँगा | इस समय मै मन ही मन यही सोच रहा था की अगर आज ये कुतिया मुझे इनकार करेगी तो इसका रेप कर डालूँगा मगर आज इसको नहीं छोडूंगा |

मगर अमृता तो खुद आज किसी और ही मोड़ में थी | वो तो सिर्फ मुझे छेड़ने और उकसाने के लिए ये सब कह रही थी |मुझे परेशान देखा कर उसे मजा आ रहा था | फिर वो मेरे लंड को अपने हाथ से रगड़ते हुए मुस्कुराकर बोली- और अगर खुद ही दे दूँ तो ?

मै ख़ुशी और वासना से पागल होते हुए बोला - जिन्दगी भर तेरी गुलामी करूँगा .......................बस एक बार अपनी चूत दे दे |
अमृता फिर से मुस्कुरायी और मेरे लंड को रगदते हुए ही मेरे होंठों को अपने होंठो से चूसते हुए बोली -
तो ले लो ना रोका किसने है ?

बस फिर क्या था ? मेरे ऊपर तो वासना का भूत सवार हो गया था |
अपनी बहन के मुहं से ये सुनने के बाद कि ले लो न तुम्हे चूत मरने से कौन रोक रहा है ? मेरा अपने ऊपर से पूरी तरह से नियंत्रण खत्म हो चुका था और मै किसी बलात्कारी की तरह अपनी बहन के ऊपर टूट पड़ा | यूँ तो अमृता ने खुद ही मुझे चूत मरने की इजाजत दे दी थी , मगर मै अपने होश-ओ-हवास खो चुका था | मै किसी बलात्कारी की तरह उसके कपडें नोचने लगा | आज फिर से मै उसके कपडे उतरने का सब्र नहीं कर पा रहा था | मै कल की ही तरह उसके कपडे उतार कम रहा था और फाड़ ज्यादा रहा था | मगर आज अमृता ने मुझे ऐसा करने से भी नहीं रोका | बल्कि आज तो वो खुद भी मेरे कपडे लगभग फाड़ ही रही थी | उस समय न तो मुझे ही कपडे फट जाने पर मम्मी का डर सता रहा था और न ही अमृता को | बस हम दोनों भाई-बहन एक दुसरे को नंगा देखने के लिए इतने उतावले हो रहे थे की सब्र नहीं कर पा रहे थे | और होते भी क्यों नहीं............आखिर सालों के प्यार के बाद आज हम पूरी तरह से एक दुसरे के होने वाले थे |
केवल कुछ ही पलों में मैंने अपनी बहन के बदन से एक-एक करके सारे कपडे नोच डाले और नोच नोच कर पलंग से नीचे फैंक दिए थे (क्योकि आधे से ज्यादा तो कपडे मैंने फाड़ ही डाले थे )| हमारे पलंग के दोनों तरफ हम दोनों के फटे हुए कपडे पड़े थे | अगर कोई उस द्रश्य को देखता तो यही सोचता की यहाँ रेप हुआ होगा, क्योकि जो हाल हमारे कमरे का उस समय हो रहा था उसे देख कर तो ऐसा ही लगता |लेकिन ये रेप नहीं था | जो कुछ भी हो रहा था वो मेरी बहन की मर्जी से ही हो रहा था | मेरी बहन एक बार फिर से मेरे बिस्तर पर पूरी तरह नंगी बिछी हुई थी और वो भी मेरे लिए


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#7
उसको पूरी तरह से नंगा देख कर एक बार फिर से मै अपने होश-ओ-हवास खो बैठा | बीती रात की तरह एक बार फिर से मै इस सोच में पड़ गया कि बिस्तर पर पूरी तरह से नंगी पड़ी हुई अपनी बहन के बूब्स देखूं या बालों में छिपी हुई उसकी चूत| मै स्तब्ध सा अपनी नंगी बहन को निहारने लगा | इस समय मुझे वो इस दुनिया तो क्या सारी कायनात कि सबसे सुंदर लड़की लग रही थी | उसका गोरा-गोरा बदन किसी को भी मदहोश कर देने के लिए काफी था | लगभग ३० साइज के उसके बूब्स थे उस समय, कमर लगभग २८ और नीचे का साईज लगभग ३४ रहा होगा | ऐसा लग रहा था मनो कोई तराशा हुआ हीरा मेरे बिस्तर पर चमक रहा हो | उस समय मुझे अमृता इतनी सुंदर लग रही थी कि अगर स्वर्ग से कोई अप्सरा भी उतर कर आ जाती और अमृता के बराबर में नंगी हो कर लेट जाती तो भी मै अमृता को ही निहारता, उस अप्सरा को नहीं | बात सिर्फ ये नहीं होती है कि एक नंगी लड़की आपके बिस्तर पर नंगी पड़ी है, बात तो ये होती है कि आपकी अपनी बहन आपके बिस्तर पर खुद आपके लिए बिछी हुई है और आपका इन्तजार कर रही है | अगर किसी भाई कि काली-कलूटी बहन भी उसके बिस्तर पर इस तरह बिछी हुई होगी तो भी वो उसे किसी अप्सरा से बेहतर ही लगेगी , फिर अमृता तो रूप का खजाना थी |[Image: 70049818_005_eda4.jpg]

मै एक तक उसे निहार रहा था-कभी मै उसके बूब्स को देखता और कभी उसकी चूत को मगर अभी तक मैंने उसे छुआ नहीं था , बस स्तब्ध सा खड़ा हुआ निहारे जा रहा था | लेकिन आज अमृता में पूरी तरह से बदलाव आ चूका था | वो कल कि तरह शर्मा नहीं रही थी- उसने ना तो अपने बूब्स को अपनी बाजुओं से छिपाना चाह और ना ही अपनी टांगो से अपनी चूत को छिपाया |आज वो सब कुछ खोल कर लेती हुई थी और आराम से मुझे सब कुछ दिखा रही थी | उसकी आँखों में आज एक अलग सी चमक थी | आज वो खुद भी मेरे लिए उतनी ही बेकरार थी जितना मै हमेशा उसके लिए रहता था |
आखिर कार अमृता ने चुप्पी तोड़ते हुए अब्दे प्यार से पूछा-
क्या देख रहे हो भईया?
मैंने कहा -जानती है अमृता, तेरे साथ रिलेशन में आने से पहले मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मै तुझे इस तरह का प्यार करूँगा | फिर एक दिन तेरे बूब्स देखे और तेरे बारे में सपने देखने लगा | उसके बाद तू खुद मेरी जिंदगी में आ गयी, मुझे प्यार देने लगी और मै तेरे प्यार में खो गया | लेकिन फिर भी मैंने कभी ये नहीं सोचा था कि एक दिन मै तुझे इस रूप में देख सकूँगा | बस इस लिए जी भर कर देख रहा हूँ |
अमृता ने ठंडी सांस भरते हुए कहा- भईया सोचा तो मैंने भी कभी नहीं था कि एक दिन मै इस तरह से आपके सामने होउंगी , मगर अब आपके बिना रहा नहीं जाता | और जब मै आपके बिना रह ही नहीं सकती तो क्यों ना आपको पूरी तरह से ही पा लूँ | और ये कहते हुए अमृता ने अपनी टाँगे फैला दीं |
उसके टाँगे फ़ैलाने के अंदाज से साफ़ था कि वो अब और इन्तजार नहीं करना चाहती है और मुझे अपनी चूत का निमंतरण दे रही है |
लेकिन मैने उसके माथे को किस्स किया और उसे सिर से लेकर पाँव तक चूमना शुरू कर दिया | मैंने उसके बदन के हर इंच पर अपने किस्स कि मोहर लगा दी |इस बीच वो मौका देख कर स्थिति के अनुसार मेरा लंड अपने हाथ में ले कर सहला देती थी |उसे किस्स करते करते मै उसके पैर तक पहुँच गया | मैंने उसके पैरों कि उंगलियों को चूस कर उनपर भी अपने नाम कि मोहर लगा दी | अब अमृता के पूरे बदन पर मेरी ही मोहर थी और आज से अमृता मेरी निजी संपत्ति थी ,उसके बदन के एक-एक इंच पर अब मेरा ही अधिकार हो गया था |
अमृता के पैरों को चूम कर मै फिर से ऊपर कि तरफ बड़ा और उसकी चूत को चाटने लगा | अमृता बार बार सिर उठा कर मुझे चूत चाटते हुए देखती और फिर बेसुध हो कर वापिस लेट जाती |
मै ठीक कल जैसा ही उसे सुख देना चाहता था क्योकि मै जनता था कि आज जो कुछ भी हुआ वो कल कि घटना का ही फल था |इस लिए मै पूरी शिददत से उसकी चूत चाट रहा था और वो भी कल ही कि तरह उछल उछल कर मदहोश हुए जा रही थी |
मैंने सोचा था कि मै आज भी अपनी बहन को चूत चूस चूस कर झाड दूंगा , मगर अमृता ने ऐसा होने नहीं दिया | सिर्फ थोड़ी से चूत चुसवा का अमृता ने मेरे बालों को पकड़ कर मुझे बलपूर्वक खीचते हुए ऊपर कि तरफ खींच लिया | अब अमृता मेरे नीचे अपनी टंगे फैला कर लेती हुई थी और मै उसके ऊपर लेता हुआ था | मेरा चेहरा अमृता के चेहरे के सामने था, होंठ होंठो के पास थे, साँसों से साँसे टकरा रही थी और मेरा लंड उसकी चूत के पास टक्कर दे रहा था |
मै अमृता कि आँखों में आँखे डालकर देंखे लगा और ये जानने कि कोशिश करने लगा कि आखिर अमृता क्या चाहती है ? अमृता कि आँखों में बहुत चमक थी चेहरे पर अजीब सी संतुष्टि एवं ख़ुशी के मिले जुले भाव थे | उसकी आँखों कि चमक बता रही थी कि उसे अपने ऊपर गर्व हो रहा है -मनो उसने वो पा लिया हो जो वो पाना चाहती थी |मेरे होंठों पर अपने होंठ रखते हुए (किस्स किये बिना ) और मेरे बालों में अपनी उंगलियाँ फैहराते हुए वो बोली भईया आज मुझे “ये” चाहिए (और ये कहते हुए अमृता ने मेरा लंड अपने हाथ में ले कर अपनी चूत के ठीक ऊपर लगा दिया) |

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#8
उस पल के लिए किन शब्दों का प्रयोग करूँ मुझे समझ में नहीं आ रहा है | मेरी बहन मुझे पहली बार अपनी चूत दे रही थी और वो भी अपने ही हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर लगा भी रही थी | मै तो अपनी सुध-बुध खोता जा रहा था |मेरी साँसे बहुत तेज हो गयी थी , दिल कि धड़कन बाद चुकी थी, ऑंखें आनंद से बंद हुए जा रही थी, होठों को अमृता के होंठ चूस रहे थे और मेरा लंड खुद मेरी बहन के हाथ में हो कर उसकी ही चूत के ऊपर था | उस समय मै ऐसा बेसुध हो रहा था, जैसे किसी ने मुझे ड्रग्स का नशा करवा दिया हो | लेकिन सच तो ये है कि वो नशा तो ड्रग्स के नशे से भी बाद कर होता है |

उधर अमृता का भी कुछ कुछ ऐसा ही हाल था |वो भी मेरे लंड को अपनी चूत पर रखते ही मदहोश हो रही थी |उसकी भी ऑंखें नशे से बंद हो रही थी |वो धीरे धीरे मेरे होंठ पी रही थी और मुझे लंड अंदर डालने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी |
मैंने जोश में आकर एक जोर का झटका मारा और अपने लंड को सीधा अपनी बहन कि चूत में ठोंक देना चाहा|लेकिन ऐसा हुआ नहीं | मेरे झटका मारते ही अमृता के मुहं से चीख निकलने लगी जिसे हम दोनों भाई-बहन ने दबा दिया (कुछ तो अमृता ने अपनी छेख रोकने कि कोशिश की और कुछ मैंने उसके होंठो पे अपने होंठ लगा दिए )| अमृता के चेहरे पे दर्द साफ़ उभर रहा था उसने झटके के साथ मेरा लंड अपनी चूत पे से हटा दिया था |
अमृता की आँखों में दर्द के कारन पानी आ गया था| मुझे लगा कि अब अमृताको गुस्सा आ जायेगा और मुझे आगे कुछ करने कि इजाजत नहीं देगी | मुझे लगने लगा कि अब तो मै उसकी चूत मानने का मौका खो बैठा हूँ | मगर हुआ इसका उल्टा, दर्द कम होते ही अपने आप को सँभालते हुए और अपने चेहरे पर मुस्कराहट लाते हुए अमृता ने बहुत प्यार से कहा- भईया आराम से करो आपकी सगी बहन कि चूत है किसी दुश्मन कि बेटी की नहीं |
अमृता के मुहं से ऐसी बाते सुनकर मुझे बहुत तसल्ली हुई कि कम से कम अमृता छूट देने से तो इनकार नहीं कर रही है |मैंने अमृता से अपनी गलती के लिए माफ़ी मांगी और दुबारा से अपना लंड उसकी छूट पर रखने लगा | एक बार फिर से अमृता ने खुद मेरा लंड अपने हाथ में लिया और हलके हलके सहलाते हुए बहुत मस्ती में बोली- बहन के लंड ये है तेरी बहन कि चूत |मुझे अमृता के साथ दो साल हो चुके थे प्यार करते हुए मगर इन दो सालों में मैंने कभी उसको इतनी मस्ती में नहीं देखा था जितना मै आज देख रहा था | मै बहुत बहुत खुश था उसका ये रूप देख कर | एक अलग ही मानसिक सुख मिल रहा था मुझे |
उसके बाद मैंने अमृता के निर्देशानुसार धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत के अंदर डाला | अमृता बार बार मेरा लंड पकड़ कर सेट करती थी | कभी वो मुझे जोर लगाने जो कहती और कभी वापिस बहार निकलने को कहती | जब भी मै थोडा ज्यादा जोर लगा देता वो गुस्सा होते हुए कहती बिलकुल भी तरस नहीं आ रहा अपनी सगी बहन पे ? आराम से करो न प्लीज |
थोड़ी सी तकलीफ के बाद आखिरकार मेरा लंड अमृता कि चूत के अंदर था | हम दोनों कि सांसे बहुत तेज तेज चल रही थी , आनंद का तो शब्दों में बयान करना मुमकिन ही नही है | अमृता ने अपना हाथ मेरे लंड से हटा कर मेरी कमर पर रख लिया था और आंखे बंद करके मेरे नीचे लेती हुई थी | मै अपना लंड पूरी तरह से अपनी बहन कि चूत में डालकर उसके ऊपर ही लेता हुआ था और उसके मदमस्त हो चुके चेहरे को निहार रहा था |
अमृता ने धीरे से आंखे खोली और हलके से पूछने लगी- भईया कैसा लग रहा है ?
मैंने उसे बताया- अमृता मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे मेरा लंड गरम गरम रूई में डाल दिया गया हो | ये तो बहुत सोफ्ट है | अमृता के चेहरे के भाव बता रहे थे कि उसे मेरे जवाब बहुत अच्छा लगा और मेरा जवाब सुनकर उसे मजा आया |
मैंने भी अमृता से पूछा तुझे कैसा लग रहा है?
वो बोली भईया ऐसा लग रहा है जैसे कोई गरम गरम लोहे कि रोड मेरे अंदर डाल दी गयी हो |
मैंने कहा लेकिन मुझे तो तेरी चूत गरम गरम लग रही है मगर वो बोली कि उसे मेरा लंड गरम गरम लग रहा था |जो भी हो हम दोनों के लिए ये एक नया अनुभव था और हम दोनों ही इस अनुभव में खो जाना चाहते थे |

मेरा गला सूखने लगा और मुझे बहुत तेज प्यास का अनुभव हो रहा था इसलिए मैंने अमृता के होंठ पीने कि कोशिश करी |मगर अमृता ने अपना मुहं घुमा लिया और मुझे किस्स नहीं दी |मैंने दुबारा-तिबारा कोशिश की मगर हर बार उसने मुहं घुमा लिया |
तब मैंने उसका चेहरा अपने हाथो से पकड़ कर उससे रेकुएस्ट करते हुए कहा- बहन प्लीज किस्स दे दे मेरा गला सूख रहा है |
वो बोली -नहीं भईया होंठ नहीं, पीने है तो बूब्स पियो |
मैंने उसके बूब्स पीने कि कोशिश भी कि मगर लंड चूत में होने के कारन कर नहीं सका क्योकि बूब्स पीने के लिए मुझेझुकना पड़ता और उससे मेरे लंड का चूत से बहार निकल जाने का डर था | पहले ही बहुत मुश्किल से लंड चूत में गया था मै दुबारा रिस्क लेना नहीं चाहता था | इसलिए मैंने उसके बूब्स को पीने कि ज्यादा कोशिश नहीं की और दुबारा से उससे रेकुएस्ट करते हुए कहा - बहन प्लीज दे दे न मेरा गला बहुत सूख रहा है, बहुत जोर से प्यास लगी है और तेरी चुचिया नहीं चूसी जा रही , प्लिज्ज्ज्जज्ज्ज्ज बहन दे दे न |

मेरी इतनी रेकुएस्ट सुनकर अमृता के चेहरे पर गर्व के भाव उभर आये और ऐसा लगा जैसे उसको कोई अत्मियिक संतुष्टि मिली हो कि आज एक पुरुष उसके आगे गिडगिडा रहा है इसलिए अमृता ने बिना कोई विरोध किये अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिए और मुझे पीने के लिए अपने होंठ सौंप दिए | मै अमृता के होंठ पीने लगा और अपने दायें हाथ से उसकी चूची को दबाते हुए उसकी चूत भी मारने लगा |

इस समय मै अपनी बहन के होंठ भी पी रहा था, उसकी चूची भी दबा रहा था और चूत भी मार रहा था |
अमृता किसी नशेडी के सामान अपने होश खो चुकी थी और आज वो खुद मुझे बहुत गन्दी गन्दी गालियाँ दे रही थी (जबकि हमेशा मै ही उसको ऐसी गलियां दिया करता था )| अमृता के मुहं से गालिया सुनकर मेरा जोश और भी बाद जाता था और उसकी हर गाली के साथ ही मै उसको और भी जोर से झटका मार देता था | उस दिन शायद अमृता मेरे से कही ज्यादा आनंद का अनुभव कर रही थी इसलिए वो मुझसे पहले ही झड गयी थी | जिस पल अमृता झड़ी उसके दोनों हाथ मेरी कमर पर ही थे और उसने अपने नाखुनो से मेरी पूरी कमर छील दी थी | मुझे दर्द तो बहुत हुआ था मगर ये संतुष्टि भी थी कि कम से कम अपनी बहन के साथ मनी इस सुहागरात में मै उसे पूर्ण संतुष्टि दे सका |






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#9
मै जनता था कि अमृता झड चुकी है लेकिन मेरा लंड अभी झाडा नहीं था इसलिए मै रूक गया ये सोच कर कि शायद अमृता अब इसे चूत में से बहार निकलना चाहे मगर एक अच्छे साथी कि तरह अमृता ने ऐसा नहीं किया |उसने खुद कहा- क्या हुआ भईया ? रूक क्यों गए? आप अपना पूरा करो मै दे रही हूँ आपका साथ | जब तक आपका नहीं झडेगा मै साथ देती रहूंगी ............आप करो |

अमृता के इतना कहते ही मैंने दुगनी स्पीड से झटके मारने शुरू कर दिए और थोड़ी ही देर में मेरा लंड भी झड गया |जैसे ही मेरा लंड झाडा, मैंने अपने लंड को अपनी बहन कि चूत से बहार निकलना चाह ताकि मेरा वीर्य उसकी चूत के अंदर न झड जाए मगर अमृता ने बलपूर्वक मुझे ऐसा करने से रोक दिया और इससे पहले कि मै उसके बल का जवाब अपने बल से दे पता मेरा लंड मेरी बहन कि चूत में ही झड गया और मै उसे इस गलती के लिए गाली देने लगा | गाली सुनकर अमृता हंसने लगी और बोली भईया जब सब कुछ करना ही है तो डरना कैसा ? जो असली मजा है अगर वाही न लिया तो ये सब करना बेकार है | आज मै पूरी तरह से आपकी हो जाना चाहती थी और कोई भी दूरी बाकी रखना नहीं चाहती थी इसलिए जो होगा देखा जायेगा | अगर कुछ हो भी गया तो हम दवाई ले लेंगे मगर अब से मै आपकी दूरी बर्दाश्त नहीं कर सकती हूँ और अब मुझे बहन का ये लोडा (फिर से मेरे लंड को हाथ में लेते हुए ) चाहिए ही चाहिए |

मै भी जनता था कि जो होना था वो तो हो ही चूका है और अब उस बात को सोच कर कुछ हासिल नहीं होगा इसलिए जो आन्नद आज मिला है उसे याद करना चाहिए न कि जो गलत हो गया उसे |मैंने अमृता को आखिरी लिप्स तो लिप्स किया और उसके ऊपर से उतर कर उसके बराबर में लेट गया |
अमृता बिस्तर से उठी और सबसे पहले पलंग के दोनों तरफ गिरे हुए कपड़ों को समेटने लगी (जिन्हें मै तो भूल ही चूका था ) और पूर्ण संतुष्टि के भाव के साथ किसी अच्छी पत्नी कि तरह कमरा साफ़ करने लगी |
उसके बाद अमृता ने अलमारी से अपने कपडे भी निकले और मेरे भी | हम दोनों भाई बहन नए कपडे पहन कर सो गए और अगले दिन फटे हुए कपडे मम्मी कि नजरों से बचा कर फैंक आये |

उस रात के बाद हम दोनों भाई बहन लगभग रोज (उसके मासिक दिनों को छोड़ कर, वैसे तो कभी कभार उन दिनों में भी एक दो बार ) एक दुसरे कि बाहों में समां जाते है | आज भी (उस घटना के लगभग ११ वर्ष बाद भी ) मुझे मेरी बहन उतनी ही सुंदर लगती है जितनी कि तब लगती थी |और आज भी मै उसकी चूत को देख कर उतना ही पागल हो जाता हूँ जितना उस दिन हुआ था | बस अंतर इतना है कि अब हमें एक दुसरे के कपडे फाड़ने कि जरुरत नहीं पड़ती क्योकि हम जानते है कि अब हम दोनों ही एक दुसरे से प्यार किये बिना रह ही नहीं सकते |

दोस्तों मै आपको पहले भी अपनी और अपनी बहन अमृता के बारे में बहुत कुछ बता चूका हूँ | आज मै आपको अपनी जिंदगी के कुछ ऐसे किस्से बताने जा रहा हूँ जो मेरी जिंदगी की हसीन यादों में से एक है | यूँ तो मै लगभग डेढ़ या दो साल से अपनी बहन की चूत मार रहा था और इन दो सालों में मैंने अपनी बहन के साथ हर तरह का मजा लिया था- उसे बिस्तर पे बिछा के चूत मारना, उसे लंड के ऊपर बैठा कर कुदाना, कुतिया बना कर लेना..............और भी बहुत तरह के मगर ये सब रात में बंद कमरे तक ही सीमित था | लेकिन दिन में या खुले में मुझे ये सब करने की छूट नहीं थी | अमृता मम्मी से बहुत डरती थी इसलिए दिन में या खुले में ये सब करने नहीं देती थी |यूँ तो हम दोनों भाई बहन पति-पत्नी की तरह तो लगभग दो साल से साथ रह रहे थे मगर हमने कभी हनीमून नहीं मनाया था |
लेकिन ये बात आज से लगभग नो साल पुरानी है - हमारे पापा का ट्रान्सफर इलहाबाद हो गया था और पापा की तबियत कुछ दिनों से खराब चल रही थी (उन्हें बुखार चल रहा था ) मगर उन्हें छुट्टियाँ नहीं मिल पा रही थी, इसलिए मम्मी पंद्रह दिनों के लिए पापा के पास रहने जा रही थी और हम दोनों भाई बहन अब घर में पंद्रह दिनों के लिए अकेले रहने वाले थे |[Image: 94316652_006_c699.jpg]


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sssssssssssss


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#10
मैंने तो सोच रखा था की इन पूरे पन्द्रह दिनों तमें मै अपनी बहन के साथ इतनी मस्ती करूँगा की ये पंद्रह दिन हमारे आने वल्र पंद्रह सालों के लिए यादगार दिन रहें | इन पंद्रह दिनों को मै अपनी बहन के साथ हनीमून की तरह मानाने की सोच रहा था |

ऐसा नहीं की ये सपने सिर्फ मेरे ही थे या मम्मी के जाने से केवल मै ही उत्साहित था, मेरी बहन अमृता का भी कुछ ऐसा ही हाल था |वो भी मम्मी के जान से उतनी ही उत्साहित थी, जितना कि मै था |

आखिर वो दिन आ ही गया जब मम्मी ने पापा के पास जाना था | हम दोनों भाई बहन मम्मी को छोड़ने के लिए रेलवे स्टेशन गए थे |उस समय मेरे पास मारुती १००० कार हुआ करती थी | हम दोनों ने मम्मी को इलाहबाद की ट्रेन पकड़वाई और उसके बाद हम दोनों घर के लिए वापिस चल पड़े |
अभी हम दोनों थोड़ी ही दूर चले थे की मेरे दिल में बहुत तरह की उमंगें और शरारते उठने लगीं | इसलिए मैंने शरारत में आ कर चलती कार में ही अपना बायाँ (लेफ्ट हैण्ड ) हाथ अपनी बगल में बैठी बहन की जांघ पर रख दिया |मेरी शरारत से मेरी बहन शरमा गयी और हलके हलके मुस्कुराने लगी |मुझे उसकी मुस्कान से हिम्मत मिली और मैंने उसकी जांघ को सहलाने लगा |अभी मैंने अमृता की जांघ थोड़ी सी ही सहलाई थी कि उसने मेरा हाथ पकड़ कर रोकना चाहा और बोली-
अमृता- क्या कर रहे हो भईया, कोई देख लेगा |
मै- देखेगा कैसे? शीशे तो काले है..........कुछ नहीं दिखेगा | (उस समय दिल्ली में कार के काले शीशों को लेकर बहुत जयादा सख्ती नहीं थी) |
अमृता- मत करो न भईया, मुझे शरम आती है |अब घर ही तो जा रहे है, घर जा कर कर लेना जो करना हो............मै रोकूंगी थोड़े ही |
मै- तू कबसे मुझसे शरमाने लगी? और रही बात घर जा कर करने की तो, घर जा कर मै तेरी जांघ थोड़े ही न सह्लाऊंगा ? घर जा कर तो मै तुझे सह्लऊंगा (मैंने मुस्कुराते हुए कहा )|

मेरी बात सुनकर अमृता एक बार फिर से शरमा गयी और चुप-चाप बैठ गयी और मै उसकी जांघ सहलाने लगा |

अमृता कि जांघ सहलाते सहलाते मेरे दिल के अंदर शरारते बढती जा रही थी और मेरी हिम्मत भी |अब मैंने उसकी स्कर्ट उठा कर उसकी जांघ सहलानी शुरू कर दी थी और उसकी नंगी जांघ पर हाथ जाते ही मेरा लंड भी बेकाबू होता जा रहा था | उधर अमृता मेरी इस हरकत से परेशान होने लगी थी |उसे डर लग रहा था कि कही किसी ने देख लिया तो क्या होगा? मगर मुझे मजा आ रहा था और मेरे अंदर शरारत करने कि उमंग बढती जा रही थी | अमृता बार बार मेरा हाथ पकड़ कर रोकती और मै बार बार जबरदस्ती उसके हाथ से अपना हाथ छुड़ा कर दुबारा उसकी नंगी जांघ पे रख कर सहलाने लगता |यूँ तो इन दो सालों में मैने ना जाने कितनी बार अमृता को नंगा देखा भी था और किया भी था मगर उस दिन चलती कार में सिर्फ उसकी नंगी जांघ को देख कर जो मस्ती चढ़ रही थी उसका कोई जवाब नहीं था और शायद इसकी वजह उसकी जांघ नहीं थी, बल्कि एक विचार था - मेरा लंड ये सोच-सोच कर मचल रहा था कि मै दिन-दहाड़े, चलती कार में- बीच सड़क पर अपनी बहन की नंगी जांघ सहला रहा हूँ | मेरे लंड को बेकाबू करने के लिए सिर्फ ये विचार ही बहुत था |
अंत में आकर अमृता को समझ में आ गया कि वो जितना मुझे रोकना चाहेगी मै उतना ही जिद्दी होता जाऊँगा और उतनी ही जबरदस्ती से उसकी जांघ सह्लाऊंगा | इसलिए अमृता ने खुद को पूरी तरह से मेरे हवाले कर दिया और मै उसकी जांघ को सहलाने लगा |अब अमृता अपनी आँखे बंद करके आराम से बैठ गयी और खुद भी मेरे सहलाने का मजा लेने लगी |

मै भी बेकाबू होता जा रहा था, इसलिए मैंने अपना हाथ अब धीरे धीरे उसकी जांघ से ऊपर करते हुए उसकी चूत की तरफ बढ़ा दिए और उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा (साथ साथ कार चलता रहा )| अब अमृता भी गरम हो चुकी थी अब उसका स्वर , गुस्से से बदलकर शिकायत वाले सुर में आ गया था-
अमृता- भईया क्या कर रहे हो? मान जाओ न प्लीज |
मै - क्या कर रहा हूँ? अपनी बहन को प्यार कर रहा हूँ और क्या कर रहा हूँ?
अमृता- ऐसे प्यार करते है क्या बहन को?
मै- (शरारत से मुस्कुराते हुए ) तो कैसे प्यार करते है अपनी बहन को?
अमृता- घर जा कर आराम से करते है, ऐसे सड़क पर नहीं |
मै- घर जा कर भी करूँगा मगर जिसकी बहन तेरे जैसी प्यारी हो, वो बेचारा घर पहुँचने तक का इन्त्जार कैसे करे ?
अमृता- भईया, आप ना बहुत शरारती होते जा रहे हो दिन-ब-दिन |पता नहीं कहाँ-कहाँ से सीखते हो ये सब?
मै- तुझे देख कर खुद-बी-खुद आ जाता है सब कुछ |
ये सब बातें करते करते मैंने उसकी चूत में बहुत अंदर तक ऊँगली दाल दी थी और उसने जोर से सिसकी लेते हुए मुझे एक गन्दी से गाली दी |
मै- क्या हुआ?


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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#11
अमृता-लाओ मेरे हाथ में दो अपना लंड तो मै बताती हूँ क्या हुआ? इतनी देर से तडपा रहे हो | बार बार कह रही हूँ घर जा कर कर लेना जो करना है, मानते ही नहीं |लाओ निकालो, मै बताती हूँ क्या हुआ?

मै तो पहले ही से बेकाबू हो रहा था और अब तो खुद अमृता मेरा लंड चलती कार में अपने हाथ में ले कर सहलाने वाली थी| मैंने मौका खोना उचित नहीं समझा और तुरंत अपनी पेंट की चेन खोल कर अपना लंड बहन निकल लिया |

अमृता ने अपने आप मेरा लंड अपने हाथ में ले कर सहलाना शुरू कर दिया और मै उसकी चूत सहलाने लगा (पेंटी के ऊपर से ही ) और पहले से भी धीरे धीरे कार चलने लगा

मेरी मदहोशी बढती जा रही थी |मजा इस बात से नहीं था कि कोई लड़की मेरा लंड सहला रही है, बल्कि मुझे तो ये सोच-सोच कर नशा हो रहा था कि मेरी बहन मेरा लंड अपने हाथ में लेकर बैठी हुई है और मै उसकी चूत से खेल रहा हूँ और वो भी -चलती कार में |

मैंने उससे लंड को मुह में लेकर चूसने को कहा मगर अमृता ने मना कर दिया | लेकिन मै उस दिन पूरे मूड में आ चूका था |इसलिए मैंने भी ये जिद्द पकड़ ली थी कि आज तो मै अमृता से कार में ही लंड चुसवाकर ही रहूँगा, चाहे वो एक या दो चुसके ही ले |लेकिन अमृता ने ये सब करने से साफ़-साफ़ और सख्त शब्दों में मना कर दिया था | वो इस बात पर अड़ी हुई थी कि वो जो भी करेगी अब घर जा कर ही करेगी |लेकिन मै अपनी जिद्द पर कायम था कि चाहे दो बार ही सही वो मेरा लंड कार के अंदर ही चूसे |
मैंने गुस्से में आ कर कार सड़क के किनारे ही रोक दी और गुस्से में बोला-
“नहीं जा रहा मै घर |मै तब तक घर नहीं जाऊंगा जब तक तू मुह में ले कर नहीं चूसेगी |चाहे एक या दो बार चूस ले, मगर जब तक तू चूसेगी नहीं मै अब घर नहीं जाऊँगा, तुने जाना है तो तू चली जा |”

अमृता मेरा गुस्सा और मेरी जिद्द जानती थी |उसने मुझे समझाने कि बहुत कोशिश करी मगर उस समय मेरे ऊपर जिद्द सवार थी |आखिरकार अमृता ने हार मानी और ये शर्त रखी कि इसके बाद मै अमृता के साथ कोई छेड़-छाड़ नहीं करूँगा और सिर्फ दो बार वो मेरा लंड चूसेगी |मै सहमत हो गया और मैंने वादा किया कि इसके बाद मै अमृता को सड़क पर हाथ नहीं लगाऊँगा |उसके बाद अमृता ने चलती कार में मेरा लंड पहले तो थोड़ी देर तक अपने हाथ से सहलाकर खड़ा किया और उसके बाद मुह में लेकर चूसना शुरू कर दिया |
उसने कहा तो ये था कि वो सिर्फ दो बार चूसेगी मगर एक बार मुह में लेकर बहुत देर तक उसने मेरा लंड चूसा, क्योकि वो जानती थी कि मुझे उससे लंड चुस्वाना बहुत पसंद है |[Image: 45689044_015_f263.jpg]



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#12
अमृता चलती कार में मेरे लंड पे झुकरकर उसे चूस रही थी| पहले तो मुझे लगा कि वो सिर्फ दो बार चूस कर मेरा लंड छोड़ देगी मगर जब वो लगातार मेरा लंड चूसने लगी तो मैंने भी उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिए | उधर वो मेरा लंड चूसने लगी और इधर मै उसके बूब्स दबाने लगा | थोड़ी देर चूसने के बाद अमृता मुस्कुराते हुए उठी और बोली- "बस भईया अब तो खुश ? अब तो नाराज नहीं हो न मुझसे? "
मैंने भी खुश होते हुए कहा- तुझसे नाराज हो कर जी सकता हूँ? तू तो जान है मेरी |


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उसके बाद मै बिना अमृता को छोड़ कर कार चलाने लगा |मगर मैंने कार घर कि तरफ लेने कि बजाये एक रेस्टुरेंट में रोक दी | मै अमृता को ले कर उस रेस्टुरेंट में गया और हम दोनों किसी बॉय फ्रेंड- गर्ल फ्रेंड कि तरह वहां बहुत देर तक बैठे रहे |वहां हम दोनों ने कोल्ड-ड्रिंक पी और बीच बीच में एक दुसरे का हाथ पकड़ते तो कभी किसी प्रेमी जोड़े कि तरह एक दुसरे कि आँखों में आँखे डाल कर देखते रहते |
वहां बैठ कर जब हम दोनों प्यार कि बाते कर रहे थे, तब अमृता ने कहा कि उसने आज तक कोई भी अडल्ट फिल्म नहीं देखि है, इसलिए मम्मी कि गैर-मौजूदगी में वो ये फिल्म मेरे साथ देखना चाहती है |और मैंने अमृता को कुछ पैसे देते हुए कहा कि मै उसे काले रंग कि सेक्सी ब्रा-पेंटी में देखना चाहता हूँ, इसलिए वो २-३ सेक्सी सी ब्रा-पेंटी खरीद कर ऑटो से घर पहुँच जाए (क्योकि हमारी उम्र उस समय बहुत कम थी इसलिए हम लोग पति-पत्नी नहीं लगते थे | इसलिए अमृता को अकेले ही ये खरीददारी करनी थी ) और मै उसके लिए अडल्ट फिल्म कि कैसेट (उस समय मेरे घर में वी सी आर था ) खरीदने चला गया |

रस्ते में आते समय मैंने लगभग दस बीयर कि बोतले भी खरीद लीं क्योकि मै इन पंद्रह दिनों में वो सब कर लेना चाहता था जो अगले पंद्रह सालों के लिए एक याद बन कर रहे |
जब मै घर पहुंचा तो अमृता मुझसे पहले ही घर आ चुकी थी | अमृता ने दरवाजा खोला तो अमृता को देखते ही (सिर्फ ये सोच कर कि अब पंद्रह दिनों के लिए मै दिन रात इसकी चूत मारने वाला हूँ) मेरा लंड खड़ा हो गया |अमृता की नजर भी हमेशा की तरह मेरे लंड पर गयी और मेरी फूली हुई पेंट को देखकर मुस्कुराते हुए उसने मेरे होंठों पे किस्स करते हुए मेरा स्वागत किया | मेरे हाथ में बीयर कि बोतले और कैसेट होने के कारण मै अमृता को बाहों में नहीं भर सकता था जिसका अमृता ने खूब फायदा उठाया और दरवाजे पर ही घुटनों के बल बैठ कर मेरे लंड को पेंट के ऊपर से ही सहलाने लगी | ये मेरी जिंदगी का पहला एहसास था कि मेरी बहन दरवाजा खोलते ही मेरे लंड से खेल रही थी मगर मै सामान हाथ में होने के कारण उसे बाहों में भी नहीं भर पा रहा था | अमृता इस मौके का फायदा उठा रही थी और कार में जो मैंने उसे सताया था उसका बदला ले रही थी |मै बेबस सा खड़ा हुआ सिर्फ उसे गाली दे रहा था और बार बार अनुरोध कर रहा था कि मुझे एक बार अंदर आ जाने दे और सामान रख लेने दे | मगर अमृता ने तो मेरा लंड ही बहार निकल लिया और मुह में ले कर चूसना शुरू कर दिया |मेरी सिसकियाँ निकलने लगी, मै जोर जोर से उसे गलियां देने लगा |लेकिन मै उतना ही बेबस था जितना एक लड़की रेप के समय होती है और अमृत मेरे लंड से खेलती रही |[Image: 99725093_059_d81b.jpg]


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#13
थोड़ी देर के बाद वो उठी और शरारतभरी मुस्कुराहट के साथ मेरी आँखों में आँखें डाल कर बोली- "क्या हाल चाल है भईया? कैसा लगा? मजा आया?"
मैंने कहा- "मजा तो मै तुझे अभी चखाता हूँ | मुझे जरा सामान रखने दे फिर देख मजा क्या होता है? अभी बिस्तर पर डालता हूँ तुझे और बताता हूँ मजा क्या होता है ? "

अमृता ने फिर से शरारत भरे अंदाज में (लिप्स-टू-लिप्स करते हुए और हाथ से लंड सहलाते हुए ) कहा- "अच्छा...................सच में? ”और मै बिना उसे बाहों में भरे ही लिप्स-टू-लिप्स करने लगा |
मैंने सारा सामान रखने के बाद अमृता को बाहों में भरा और एक बहुत जोर से लिप्स-टू-लिप्स करते हुए कहा-
"अपनी जिंदगी का पहला हनीमून मुबारक हो मेरी जान"
अमृता ने भी मेरे लंड को हाथ से सहलाते हुए मुझे लिप्स-टू-लिप्स किया और कहा-
"आपको भी भईया "
अमृता जानती थी कि मुझे सबसे ज्यादा पागलपन तब चड़ता है जब वो मेरा लंड हाथ ले लेकर (या सेक्स करते समय) बहुत प्यार से मुझे भईया बुलाती है |
अमृता के मुहे से इस समय भईया सुनकर (जब वो मेरा लंड हाथ में लेकर सहला रही थी) मै उतावला हो गया और उसी समय उसे नंगा करके उसकी चूत मारने के लिए उसके ऊपर भूखे भेडिये कि तरह टूट पड़ा |मगर अमृता ने मुझे रूक दिया और कहा-
"भईया हमे पंद्रह दिन साथ रहना है और मै चाहती हूँ कि ये पंद्रह दिन हमारे जीवन के सबसे ज्यादा यादगार दिन रहे | हम दोनों इंटरकोर्से (अथार्त सम्भोग ) तो रोज ही करते है, इन पन्दरह दिनों में ज्यादा से ज्यादा प्यार करे | इसलिए अपने पर थोडा सा नियंत्रण रखो और अभी से उतावलापन मत दिखाओ | मै तो आपकी ही हूँ जब चाहो टांग उठा लेना (और ये कहते हुए थोडा सा शरमा भी गयी) मगर मै चाहती हूँ कि हम दोनों ज्यादा से ज्यादा समय तक एक दुसरे को किस्स करें, एक दुसरे के बदन के साथ खेलें, एक दुसरे को बाहों में भर के प्यार करें और ज्यादा से ज्यादा समय एक दुसरे की बाहों में बिताएं | इसलिए अभी से मुझे बिस्तर पर मत ले जाना | "
मुझे भी अमृता का सुझाव अच्छा लगा और मैंने भी अमृता से कहा तो फिर तुझे भी मेरी एक शर्त माननी पड़ेगी- तू भी मेरे लंड से इतनी छेड़-छाड़ नहीं करेगी कि मै झड जाऊं | तू मेरे लंड से खेल ले मगर इसे इतना मत सह्लाइयो कि ये पानी छोड़ दे | तभी मै मेरे बदन से सारा दिन खेल सकूँगा (वैसे तो रात होने में सिर्फ कुछ ही घंटे बाकी थे)|
अमृता ने भी वादा किया कि वो भी मेरे लंड को सिर्फ इतना ही सहलाएगी कि सिर्फ सुरूर बना रहे , इतना नहीं कि मै झड जाऊं |
मैंने अमृता को फिर से बाहों में भर कर किस्स करना शुरू कर दिया | कभी मै उसके होंठ पीता तो कभी उसके बूब्स दबाता | कभी मै अमृता के गालों को चूमता तो कभी उसकी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाल कर उसकी नंगी कमर का एहसास लेता|
अमृता भी मेरे बदन के साथ खेल रही थी- वो भी कभी मेरे होंठ पीती तो कभी मेरा लंड सहलाने लगती और कभी मेरे ऊपर आ जाती तो कभी मेरे नीचे |

मैंने अमृता को नंगा करना चाहा मगर अमृता ने कपडे उतरवाने से मन कर दिया और बोली कि अगर मैंने उसके कपडे उतर दिए तो मै फिर से बेकाबू हो जाऊंगा और उसकी चूत मार कर ठंडा हो कर लेट जाऊँगा जबकि वो अभी और प्यार करना चाहती है |

अमृता कि चूत मारते हुए तो मुझे दो साल होने वाले थे इसलिए मुझे भी उसकी चूत मारने की कोई जल्दी नहीं थी और साथ ही मुझे पता था कि अब पंद्रह दिनों तक तो और कुछ होना भी नहीं है सिवाए चूत मारने के| इसलिए मैंने भी सोचा कि आज थोडा सा मजा सिर्फ किस्स करने का और उसे सहलाने का ही ले लिया जाए |इस तरह से अमृता भी खुश हो जायेगी और मुझे भी मजा तो मिल ही रहा था |
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#14
उन तीन या चार घंटों में, (जब तक रात होती और हम दोनों बिस्तर पर जाते ) मैंने अमृता के साथ सारे मजे लिए- कभी तो मै उसे सोफे पर लेटा कर किस्स करता, कभी नीचे जमीन पर ही लेटाकर उसपे चढ़ जाता, कभी खड़े-खड़े ही बाहों में ले कर चूसने लगता तो कभी उसकी स्कर्ट उठा कर उसके कुल्ल्हे सहलाने लगता |
अमृता भी पूरे मूड में थी- कभी तो वो मेरा लंड पेंट के ऊपर से ही सहलाने लगती, कभी किस्स करने लग जाती , कभी लिप्स टू लिप्स करती तो कभी लंड पेंट में से बहार निकल कर दो-तीन चुसके मार लेती और वापिस अंदर कर देती |
इस तरह पूरी शाम हम दोनों भाई बहन ने मस्ती करते हुए गुजारी मगर दोनों ने इस बात का पूरा-पूरा ख़याल रखा कि न तो हम दोनों में से कोई झड सके और न ही सुरूर ख़तम हो सके |इसलिए हम दोनों एक दुसरे के साथ बातें भी करते रहते और बीच बीच में उतेजित हो कर प्रेम भी करने लगते |
रात का टाइम हुआ तो अमृता रसोई में खाना बनाने गयी | रसोई में अमृता को काम करता देख कर मेरा दिल बार बार कर रहा था कि काश मेरी अमृता से ही शादी हो सकती होती और अमृता जीवन भर मेरे लिए ऐसे ही खाना बनती और मै उसे ऐसे ही निहारता रहता |
मैंने अमृता से अपने दिल की बात कही जिसे सुनकर उसका भी मन मेरी तरह अशांत हो गया और माहोल कुछ ग़मगीन सा होने लगा | माहोल को बदलने के लिए मैंने अमृता से कहा-
अमृता आज तक मैंने तुझे सिर्फ अपने ही कमरे में प्यार किया है, आज मै तुझे यही रसोई में ही प्यार कर लूँ? मगर अमृता ने उसके लिए भी मन कर दिया और कहा कल कर लेना (शादी की बात से अमृता का मूड अभी भी ख़राब हो रहा था) |

मैंने कहा -अच्छा चूत मत दे मगर मजा तो ले लेने दे- ये कहते हुए मै अमृता को पीछे से बाहों में भर कर उसके बूब्स दबाने लगा |और इस तरह मै अमृता का मूड बदलने की कोशिश करने लगा |अमृता भी मेरा सहयोग करने लगी और पीछे मुड़कर बीच बीच में किस्स देने लगी | मै भी खाना बनती हुई अमृता को कभी तो किस्स करने लगता, कभी उसकी चुचिया दबाने लगता तो कभी उसकी गांड से अपना लंड रगड़ने लगता |इस तरह मैंने अमृता के साथ रसोई में वो मजा ले लिया जो एक पति अपनी नयी नवेली दुल्हन के साथ लेता है |खाना बनाने के बाद अमृता ने अपने हाथों से मुझे खाना खिलाया और मैंने उसे अपने हाथों से |
रात हो चुकी थी अब समय बिस्तर पर जाने का था | अमृता ने कहा कि वो सोने से पहले अडल्ट फिल्म देखना चाहती है मेरे साथ इसलिए मैंने फिल्म चला दी और मै बीयर कि बोतल लेकर उसके बराबर में लेट गया |
मैंने अमृता से कहा कि उसने जो ब्रा और पेंटी खरीदीं है वो उन्हें पहन ले और फिर मेरे साथ बैठ कर फिल्म देखे |मगर अमृता ने हँसते हुए कहा-
“भईया आप मेरे बदन पे अब कोई कपडा छोड़ोगे भी ये फिल्म देखने के बाद ? जितना समय मुझे कपडे बदलने में लगेगा उतने समय से पहले तो आप मेरे बदन से सारे कपडे उतर कर शुरू हो जाओगे |”
मुझे भी अमृता की बात सही लगी और मै जानता था कि पूरे दिन बरदाश्त करने के बाद मै अब और बरदाश्त नहीं कर सकूँगा | मुझे भी पता था कि बीयर पीने के बाद और अडल्ट फिल्म देखने के साथ साथ मै अमृता के बदन पर एक भी कपडा बरदाश्त नहीं कर सकूँगा और चाहे चूत मारने में जल्दबाजी करूँ या न करूँ मगर उसे नंगा करने के लिए तो उतावला ही रहूँगा | और हुआ भी ठीक ऐसा ही |

अभी मैंने फिल्म लगायी ही थी मुश्किल से दो-तीन मिनट हुए थे कि मैंने अमृता को नंगा करना शुरू कर दिया था | अमृता भी जानती थी कि इस समय मुझे रोकना बेकार होगा इसलिए वो भी चुप-चाप मेरा सहयोग कर रही थी | मै बीयर पीता जा रहा था और एक एक करके उसके कपडे नोचता जा रहा था |उधर अमृता भी मेरे कपडे उतरती जा रही थी |कुछ ही पलों में हम दोनों भाई बहन बिस्तर पर हमेशा की तरह नंगे थे | अमृता का नंगा बदन मुझे हमेशा बेसुध कर देता है | उसकी खुली हुई गोल-गोल चूचियां, गोल-गोल चुचियों पे हलके से ब्राउन रंग के निप्पल,गोरा-गोरा बदन, चूत पर थोड़े-थोड़े बाल सब कुछ पागल बना देता है | सबसे बड़ी बात ये है कि अमृता को पता है कि मुझे उसकी चूत पर बाल अच्छे लगते है, इसलिए वो कभी भी उन्हें साफ़ नहीं करती है बस कैंची से काटती रहती है |मुझे ना तो बहुत ज्यादा बालों वाली चूत पसंद है और न ही चिकनी चूत | मुझे बस ऐसी ही चूत पसंद है जैसी मेरी बहन अमृता की है |
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#15
अमृता को नंगा करके मेरे दिल को तस्सली हो गयी और मै उसके बराबर में लेट गया |अब अमृता अडल्ट फिल्म देख-देख कर हैरान हो रही थी कि कैसे ये लड़कियां कैमरे पर ये सब कर लेती है और साथ ही साथ फिल्म देख कर गरम भी होती जा रही थी | अमृता मेरा लंड लेकर सहला रही थी और मै बीयर पीते पीते उसकी चुचियों से खेल रहा था |
मैंने थोड़ी सी बीयर उसकी चूची पर पलट कर पीनी शुरू कर दी | अमृता भी गरम होती जा रही थी उसे भी मेरा ये सब करना अच्छा लग रहा था |
अमृता ने कहा कि वो भी थोड़ी सी बीयर पीना चाहती है | मेरी पहली बोतल तो ख़तम हो चुकी थी मैंने फ्रिज में से दूसरी बोतल निकली और अमृता के साथ बाँट कर पीने लगा | थोड़ी दे के बाद अमृता भी मेरी नक़ल करते हुए मेरे लंड पर बीयर पलट कर पीने लगी और मेरा लंड चूसने लगी | मुझे भी अगल ही मजा आ रहा था |
अमृता मुश्किल से पांच या सात मिनट कि फिल्म ही देख सकी होगी और इतनी गरम हो गयी कि खुद ही मेरे साथ फिल्म बनाने लगी | अब कमरे में टीवी पर फिल्म चल जरुर रही थी मगर हम दोनों अब अपनी ही फिल्म की शूटिंग में मस्त थे |

अमृता पलंग की ओट के सहारे टेक लगा कर बैठ गयी और मै उसके सामने खड़ा हो गया |मेरा लैंड अमृता के चेहरे के ठीक सामने था और अमृता बीयर पलट-पलट कर मेरे लंड से बीयर पी रही थी |वैसे तो अमृता रोज ही मेरा लंड चूसती है मगर उस दिन उसे के स्थान पर बीयर का स्वाद आ रहा था, इसलिए अमृता और अंदर तक ले कर मेरा लंड पी रही थी |मुझे भी रोज के मुकाबले ज्यादा मजा आ रहा था इसलिए मै खुद ऊपर से बीयर अपने लंड पे गिराता और फिर रूक कर अमृता के लंड चूसने का मजा लेता |जब लंड पे से बीयर का मजा खत्म हो जाता अमृता मेरी तरफ देखती और मै दुबारा से बीयर गिरा देता |
अमृता आज पहली बार ही बीयर पी रही थी, मगर मजे मजे में उसने आधी बोतल बीयर पी डाली थी |इसलिए मैंने उसे और बीयर पिलाने से मन कर दिया क्योकि मै नहीं चाहता था की वो बेहोश हो जाए और मेरी रात काली हो जाए |
बीयर खत्म होने के बाद मैंने अपना लंड उसके मुहं में डाला और जोर-जोर से झटके देने लगा | मै अमृता के मुहं में लंड डालकर झटके भी दे रहा था और जोर जोर से उसकी चुचियो को भी दबा रहा था |और वो भी आज पूरे दिल से मेरा लंड पी रही थी | रोज तो वो थोड़ी ही देर तक लंड चूस कर छोड़ देती थी कि कही मेरा लंड उसके मुहं में पानी न छोड़ दे, मगर आज उसे इस बात का भी दर नहीं था (अमृता को वीर्य पीना पसंद नहीं है, वो मेरी ख़ुशी के लिए लंड मुहं में तो ले लेती है मगर ज्यादा देर तक चूसती नहीं है) | आज तो वो मेरा लंड ऐसे चूस रही थी जैसे मुहं में ही झाड देगी |

थोड़ी देर मेरा लंड चूसने के बाद अमृता रूक गयी शायद उसे लगा कि अब मै ज्यादा ही जोश में आ गया हूँ तो झड़ने वाला हूँ | अमृता के रुकते ही मै उसकी चूत की तरफ लपका |मैंने उसकी टांगो से उसे खीचते हुए, उसे बिस्तर पे लेटा लिया और उसकी टाँगे खोलकर उसकी चूत को चूसने लगा |हमेशा की तरह अमृता मेरे बालों में हाथ फेरने लगी और जब जब मै उसकी चूत के अंदर तक अपनी जीभ घुमाता वो सिसकी लेते हुए बोलती- भईया आराम से करो, बहन हूँ आपकी-वो भी सगी | कुछ तो तरस खाया करो | आप तो ऐसे चूसते हो जैसे फाड़ ही डालोगे |
उस दिन भी यही हो रहा था मै उसकी चूत का मजा ले रहा था और वो बार बार- "भईया कुछ तो तरस खाओ अपनी सगी बहन पे".............."भईया बस करो अब और मत चूसो प्लीज"......................."
भईया मै पागल हो जाउंगी, बस करो प्लीज" .................."भईया अपनी ही बहन की फाड़ डालोगे क्या?" ये सब बोले जा रही थी | जितना वो तड़प रही थी, उतना ही मुझे मजा आ रहा था | आखिरकार अमृता उठकर बैठ गयी
उसकी इस बात से तो मुझे और भी नशा चढ़ गया और मै और भी जोर-जोर से उसकी चूत को चूसने लगा |मुझे अमृता कि चूत मारने से भी ज्यादा मजा उसकी चूत को चूसने का आता है क्योकि इस समय मुझे उसका पूरा बदन साफ़-साफ़ दिखता है और साथ ही साथ अमृता के मुहं से निकलने वाली सिसकियों के साथ उसका बार बार "बस करो भईया " या "आराम से करो न भईया", बहुत मजा देता है |जब जब वो सेक्स करते समय मुझे "भईया" बुलाती है, मेरा नशा दुगना हो जाता है और मै और भी ज्यादा जोश में आ जाता हूँ |
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#16
आखिरकार अमृता उठ कर बैठ गयी और बहुत ज्यादा अनुरोध करते हुए बोली-
"भईया , बस अब और बर्दाश्त नहीं होता अब इसे डाल दो (और ये लहते हुए उसने मेरा लंड पकड़ लिया ) मुझे भी लग रहा था कि अब मई भी बहुत ज्यादा देर तक रुका नहीं रह सकता |अगर और ज्यादा इन्तजार करूँगा तो शायद मै भी बिना चूत मारे ही झड जाऊँगा इसलिए मै अमृता को किस्स करते हुए उसकी टांग फैलाकर (अपने पसंदीदा पोज़ में ) उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लैंड उसकी चूत में डालकर मजे लेने लगा | हमेशा कि तरह मै अमृता के ऊपर चढ़ा हुआ उसकी चूत मार रहा था और साथ साथ उसके होंठ पीते हुए, अपने दाए (राईट हैण्ड से ) उसकी चूचियां दबा रहा था |
लेकिन जितना लम्बा समय मैंने उस दिन अमृता के बदन के साथ खेलने में लगाया था वो आज तक का सबसे लम्बा समय था | यूँ तो मै बहुत ज्यादा देर तक उसकी चूत का मजा नहीं ले सका और जल्दी ही झड गया (क्योकि अमृता बहुत देर तक मेरा लंड पी चुकी थी, इसलिए मेरा आधा काम तो पहले ही हो चूका था | थोड़ी देर अमृता की चूत का मजा लेने के बाद मै झड गया और हमेशा की तरह मैंने अपने लंड का पानी उसकी चूत में ही छोड़ दिया |

वैसे तो मैंने उस दिन अमृता के साथ पूरा दिन मजे लिए और वो सब किया जो मै मम्मी की मजुदगी में नहीं कर सकता था | मैंने उस दिन अमृता के जिस्म का जितना मजा लूटा उतना तो इन दो सालों में भी नहीं लूटा था लेकिन एक बात की कमी रह गयी थी-
मैंने सोचा था की मै आज किसी नए अंदाज में उसकी चूत मारूंगा मगर जोश में आ कर रोज की तरह अमृता को नीचे डाल कर उसपे चढ़ गया| और जैसे ही मै उसकी चूत में झड गया , मैंने उसे कहा-

उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ यार मैंने तो सोचा था आज कुछ नया ट्राई करूंगा मगर फिर वैसे ही चढ़ गया मै तेरे पे |
अमृता ने मेरे बालों में हाथ फेरते हुए ऐसे प्यार से कहा जैसे कोई किसी बच्चे को बहलाते हुए कहता है-
तो क्या हुआ दुबारा कर लेना, मै कौनसा कही जा रही हूँ, यही तो हूँ- आपके पास, आपकी बाहों में | जब दिल करे दुबारा ले लेना |

मैंने अमृता से कहा मै अभी एक ट्रिप और लूँगा उसकी, इसलिए वो कपडे नहीं पहने और मेरे बराबर में लेटी रहे- सोये नहीं |

वैसे तो जब भी हमें दूसरी ट्रिप लेनी होती है हम लोग पहली ट्रिप के बाद कपडे पहन कर ही सोते है और दुबारा मन करने पर दुबारा कपडे उतर कर प्यार करते है (ताकि कोई रिस्क न रहे) मगर आज तो घर पर हम दोनों अकेले थे, इसलिए मैंने अमृता को कपडे नहीं पहनने दिए ये सोच कर कि मै थोड़ी देर में नए अंदाज में दूसरी ट्रिप लूँगा | मगर बातें करते करते कब हम दोनों की आँख लग गयी., पता ही नहीं चला | जब मै सुबह उठा तो दस बजने वाले थे |और मेरी बहन मेरे बिस्तर पर बिलकुल नंगी सो रही थी | उसकी टंगे भी खुली हुई थी , जिसके कारण उसकी चूत साफ़ दिखाई दे रही थी | मैंने आज तक अमृता को रात के अँधेरे ये सिर्फ कम रोशनी में ही नंगा देखा था मगर आज दिन की रोशनी में उसके नंगे बदन को निहारने का मौका मिला था | मेरे दिन की शुरुआत बहुत अच्छी थी- सुबह सुबह ही अमृता मेरे बिस्तर पे नंगी थी और वो भी टाँगे खोलकर |
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#17
मैंने पहली बार देखा कि अमृता की चूत के बाल सुनहरे रंग के जैसे थे, जबकि रात की कम रोशनी में तो मुझे उसकी चूत पर बाल काले रंग के दीखते थे |मुझे अमृता के बदन को तस्सल्ली से निहारना बहुत अच्छा लग रहा था और मै जी भर के बहुत देर तक अपनी बहन के नंगे बदन को निहारता रहा |

रात तो बीयर का नशा था या पूरे दिन की शरारत का असर ये तो मुझे नहीं पता, मगर रात अपनी बहन की दूसरी ट्रिप लेने से पहले ही मेरी आंख लग गयी और मै सो गया था |
मगर जब मै सुबह उठा तो मैंने पहली बार दिन की रोशनी में अपनी बहन को नंगा देखा था (वैसे तो मै उसे दो साल से नंगा देख रहा था, मगर मैंने उसे सिर्फ रात की कम रोशनी में ही देखा था )|
अमृता मेरे बराबर में गहरी नींद सो रही थी |शायद वो भी कल की बीयर और दिन भर की मस्ती के कारण थक गयी थी , वरना वो तो सुबह मुझसे पहले उठ जाती है | मगर उस दिन दस बजने वाले थे और अमृता अभी तक सो रही थी | मुझे भी सोती हुई अमृता इतनी प्यारी लग रही थी की मैंने भी उसे उठाना उचित नहीं समझा और सोती हुई अपनी नंगी बहन को निहारने लगा |

उसका बदन बहुत नशीला लग रहा था |सोते समय उसकी चूचियां फैली हुई थीं और टाँगे खुली हुई थी, जिसके कारण उसकी चूत भी साफ़ दिखाई दे रही थी | उस दिन पहली बार मैंने ध्यान से देखा तो मुझे पता चला की उसकी चूत पर जो बाल थे वो सुनहरापन लिए हुए थे वरना रात के अँधेरे में तो चूत के बाल काले ही दीखते थे |उसकी गोरी-गोरी चूचियों पर हल्से से ब्राउन रंग के निप्पल क़यामत ढा रहे थे |कुल मिला कर कहूँ तो मेरी सुबह बहुत हसीन हो गयी थी | मेरी बहुत सी रातें तो हसीन रही थी, मगर वो पहली सुबह थी जो इतनी हसीन थी |

अपनी सोती हुई बहन को जी भर के निहारने के बाद मेरे दिल में शरारत सूझी और मैंने सोचा क्यों न मै उसकी सुबह की शुरुआत भी मस्ती के साथ करवाऊं | इसलिए मै उसकी खुली हुई टांगों के बीच में आ कर बैठ गया और उसकी चूत को देख कर अपने हाथ से सहलाते हुए अपने लंड को अच्छे से खड़ा करने लगा (वैसे तो मेरा लंड खड़ा ही था मगर मै उसे और सख्त करना चाहता था )| अपने लंड को और सख्त करने के बाद मै धीरे धीरे अपनी बहन के ऊपर इस तरह लेट गया की मेरा लंड उसकी चूत से टकरा जाए और अपने एक हाथ से उसकी चूची को पकड़ कर अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए (ये सब मैंने बहुत धीरे धीरे किया ताकि उसके किस्स करने से पहले उसकी नींद ना टूट जाए )|

अमृता के ऊपर लेटकर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगडा, उसकी लेफ्ट वाली चूची को अपने राईट वाले हाथ से दबाया और उसके होंठो पर किस्स कर दिया | जैसे ही अमृता ने आँख खोली मैंने उसे कहा -
"हमारे प्यार की पहली सुबह मुबाकर हो मेरी जान "
उसने भी बदन में अंगडाई लेते हुए अपनी बाहे मेरे गले में डाली और मेरे होंठो पे किस्स करते हुए बोली-
"आपको भी जानू "
उसके बाद हम दोनों किस्स करने लगे |किस्स करते करते कभी मै अपने लंड को उसकी चूत पे रगड़ देता (मगर अंदर नहीं डालता था ) तो कभी वो अपनी कमर उठा कर मेरे लंड पे अपनी चूत की रगड़ मार देती थी | बहुत मजा आ रहा था |
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#18
जब मै ज्यादा देर तक अमृता को किस्स करता रहा तो अमृता को लगा कि मै उसकी चूत मारना चाहता हूँ इसलिए उसने अपनी दोनों टंगे फैला कर अपने पैर मेरी कमर पे लगा दिए ताकि उसकी चूत पूरी तरह खुल जाए और मेरा लंड आराम से अंदर जा सके | उसे शायद लगा कि मै रात वाली दूसरी ट्रिप अब पूरी करना चाहता हूँ या अपने दिन की शुरुआत उसकी चूत मार कर करना चाहता हूँ|

मगर मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था |मै उसे उसी पुराने अंदाज में चोदना नहीं चाहता था |मुझे तो अब कुछ नया करना था |इस पोज में तो मै उसकी रोज लेता था फिर भला मम्मी के जाने और हमारे हनीमून का अर्थ ही क्या रह जाता अगर हमें वही सब करना था जो हम रोज करते है?
इसलिए मैंने उसकी चूत में अपना लंड नहीं डाला और उसे जगा कर उसके बराबर में लेट गया |

जब अमृता ने देखा कि दस से ज्यादा बज चुके है, वो तुरंत उठ गयी और बोली की जल्दी से कमरा संभाल लो क्योकि थोड़ी देर में कामवाली आने वाली है |अमृता उठी और उठ कर सबसे पहले अपनी ब्रा और पेंटी उठा कर पहने लगी मगर मैंने उसके हाथ से ब्रा और पेंटी छीन ली |मैंने उसे कहा की आज वो सारा काम नंगी ही करे और मैं उसे देखूंगा |मगर अमृता ने ये कह कर मना कर दिया कि उसे ये सब करने में शर्म आती है |मेरे बहुत कहने पर भी अमृता नहीं मानी तो मैंने कहा कि वो अगर चाहे तो एक तोलिया लपेट ले मगर मै उसे कपडे नहीं पहनने दूंगा |अमृता ने एक तोलिया लपेटा (और मैंने भी तोलिया लपेट लिया ) और वो कमरा सँभालने लगी -बीयर की खली बोतले और हमारे उतरे हुए कपडे बिखरी हुई चादर आदि सब उठाकर कमरा साफ़ करने लगी (ताकि कमरे को देखकर कोई हमारी रात की कहानी ना पकड़ ले) |
मुझे लगता था की अमृता नंगी ज्यादा सेक्सी लगेगी मगर तोलिया लपेट कर तो वो कयामत ढा रही थी | तोलिये में तो वो पहले से भी ज्यादा सेक्सी लगने लगी |उसके उभरे हुए बूब्स के कारण तोलिया भी फूल कर खड़ा हो रहा था |मेरे लंड का तो हाल बुरा होने लगा था और मैंने बेकाबू होते हुए उसके पकड़ा ही लिया | मैंने उसे पीछे से पकड़ कर दिवार के सहारे लगा दिया और गाली देते हुए बोला-
"बहनचोद..........तूने मेरा जीना मुश्किल कर दिया है |साली तुझे नंगा रखूं तो मुश्किल, कपडे से ढक दूँ तो मुश्किल |बहन की लोडी क्या करके मानेगी ? इतना तो कोई अपनी बीबी को भी नहीं रगड़ता होगा जितना मैंने तुझे रगडा है, फिर भी दिल नहीं भरता |"
जोश में होश खोते हुए मैंने उसका तोलिया उठाया और -अपना लंड उसकी गांड के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया |खुद मुझे ये होश नहीं था की मै अपनी बहन को क्या अनाप-शनाप बक रहा था |मै तो उसे तोलिये में देख कर पागल सा हो गया था |

अमृता ने मुझे धक्का सा देते हुए पीछे धकेला और पलट कर दिवार के सहारे खड़ी हो गयी (मेरी तरफ मुह करके )| मै दुबारा उसकी तरफ लपका और उससे चिपक गया |मुझे अपनी बाहों में लेती हुई बोली-
"भईया, क्या आप चाहते हो आपका दिल मुझसे भर जाए? आज तो आपने ये बात कह दी मगर आज के बाद ये बात कभी मत कहना | मै आपके बिना अब जी नहीं सकती हूँ | रही बात बीबी की तरह रगड़ने की तो आप जितना चाहो मुझे उतना रगड़ लेना, जैसे चाहो मुझे वैसे रगड़ लेना, मै उफ़ तक नहीं करुँगी ...............मगर मुझे कभी छोड़ना नहीं |"
ये कहते हुए वो भी मुझे पागलो की तरह लिप्स तो लिप्स करने लगी |
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#19
ने अपना लड़ उसकी चूत पे लगाया और अंदर धकेलने लगा |अमृता ने जोर से सिसकी ले और बोली-
"भईया क्या कर रहे हो? इस टाइम लोगे क्या ? ?"
मैंने कहा- "हाँ"
बोली - "चाहिए तो ले लो मै रोकूंगी नहीं | मगर अभी काम वाली आने वाली है | ज्यादा टाइम नहीं है अगर अभी लेनी है तो जल्दी जल्दी लेनी पड़ेगी, मजा नहीं आएगा .............सब खेल पांच-सात मिनट में ख़तम हो जायेगा | मुझे किसी बच्चे की तरह समझाते हुए बोली- अगर सब्र कर सको तो थोड़ी देर रुक जाओ ............कामवाली को हो कर जाने दो फिर अच्छे से लेना |आपको भी मजा आएगा और मुझे भी |"
अमृता की यही अदा मुझे दीवाना बना देती है और मै उसकी बात टाल नहीं पाटा हूँ |
मैंने भी बच्चों की तरह कहा- ठीक है.......बाद में ले लूँगा | मगर लूँगा ऐसे ही खड़े करके -दिवार के सहारे |"

वो भी लाड प्यार वाले अंदाज में बोली- " ओह्ह्हह्ह मेरा बच्चा..........ठीक है दिवार के सहारे ले लेना मगर अभी तो छोडो|"
मैंने अमृता को छोड़ दिया और वो अलमारी से कपडे निकलने लगी |उसने सलवार कमीज और साथ में वही ब्रा-पेंटी निकली (जो जो काले रंग की सेक्सी वाली मैंने उसे खरीदने के लिए कही थी) |
कपडे ले कर वो बाथरूम में जाने लगी तो मै भी उसके पीछे बाथरूम में जाने लगा |मगर अमृता ने फिर से मुझे समय की कमी के कारण मना कर दिया |मैंने कहा कि मै उसके साथ नहाना चाहता हूँ मगर अमृता ने एक बार फिर से मुझे वही सब कह कर बहला दिया जो उसने पहले कहा था -समय की कमी के कारण मजा नहीं आएगा और वो मुझे कल अपने साथ नहलाएगी |
मैंने उसकी बात मान ली और कहा कि ठीक है मै उसके साथ नहीं नाहूँगा मगर उसे मेरी एक शर्त माननी पड़ेगी - उसे दरवाजा खोलकर नहाना पड़ेगा ताकि मै उसे नाहाते हुए देख सकूँ |अमृता ने कहा वो दरवाजा खोलकर नहा लेगी मगर उसकी भी एक शर्त है कि मै उसे नाहते हुए न तो छूऊंगा और न ही छेडूंगा ,बस देख सकूँगा | मैंने भी अमृता की ये शर्त मान ली |
अमृता बाथरूम में नहाने के लिए चली गयी (ये बाथरूम हमारे कमरे के अंदर ही बना हुआ है ) और मैंने उसके सारे कपडे (सलवार-कमीज,ब्रा-पेंटी और उसका तोलिया ) अपने बिस्तर पर ही रखवा लिए तथा मै खुद बाथरूम के बहार कुर्सी डाल कर बैठ गया | अमृता ने शोवर (फुव्वारा ) खोला और नहाना शुरू कर दिया |
मै बहुत गौर से उसे नाहते हुए देखने लगा |उसके बदन पे गिरता हुआ पानी मेरे दिल में आग लगाने लगा |उसकी गोल-गोल चुचियों से बह कर गिरता हुआ पानी ऐसा लग रहा था जैसे पहाड़ की छोटी से झरना बह रहा हो |पानी से भीगा हुआ उसका बदन क़यामत ढा रहा था | ख़ास तौर से उसकी चुचियों पर गिरने वाला पानी मोती के सामान लग रहा था | उसकी गोल-गोल गोरी-गोरी चुचियों पर गिरता हुआ पानी किसी को भी मदहोश कर देने के लिए काफी था | मै अमृता को नहाता हुआ देख कर उत्तेजित होने लगा और धीरे धीरे अपने लंड को (हलके से ) सहलाने लगा | मै उसे देख कर बीच-बीच में अपने लंड को हलके से झटका दे देता और फिर रूक जाता | अमृता मुझे ये सब करता हुआ देख कर मुस्कुराने लगी |वो जानती थी कि इस समय मेरी क्या हालत हो रही है | शायद उसे अपनी जवानी का एहसास था, और अपने नशीले बदन पे इतराते हुए वो मुझे तडपाना चाहती थी |
लेकिन असली क़यामत तो तब आई जब अमृता ने अपने बदन पे साबुन लगाया |उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ क्या लग रही थी उस समय वो...........आज भी याद करता हूँ तो लंड खड़ा हो जाता है |जब अमृता ने अपने बूब्स पर साबुन लगाया था और साथ में अपनी चूत को साबुन लगा कर साफ़ किया था ................मेरे बरदाश्त से बहार हो गया था एक बार तो दिल में आया कि उससे किया हुआ वादा तोड़ दूँ और अभी इसी वक्त पेल दूँ साली को |मगर फिर लगा कि अगर बीच में ही सुनीता (हमारी कामवाली ) आ गयी तो सारा मजा खराब हो जायेगा | इसलिए मैंने अमृता को देखते हुए मुठ मारनी शुरू कर दी थी | उधर अमृता नहा रही थी और इधर मै उसे देख कर मुठ मारने लगा |
जब अमृता ने मुझे मुठ मारते हुए देखा तो वो नाराज हो कर बोली-
"भईया ये क्या कर रहे हो? मैंने कहा था न आपको सुनीता (हमारी कामवाली ) को जाने दो, मै करवा दूंगी आपका काम |थोडा सा तो सब्र किया करो भईया |"
लेकिन मैंने कहा- "देख अमृता , तुने मुझे कहा था कि मै तुझे छुऊँ नहीं | इसलिए मैंने तुझे छुआ नहीं है |मगर मै तुझे नहाते हुए देख कर और कण्ट्रोल नहीं कर सकता हूँ | शायद तू खुद नहीं जानती कि तू इस समय क्या चीज लग रही है?
अमृता भी मुस्कुराते हुए बाथरूम से बहार निकल कर आ गयी और घुटनों के बल बैठ कर मेरे लंड को मुह में ले कर चूसने लगी और बोली- मेरे रहते हुए आपको मुठ मारनी पड़े तो लानत है मेरे पे |उसके बाद अमृता ने मेरा लंड चूस चूस कर झाड डाला |मै कुर्सी पर बैठे बैठे उसकी चूची सहलाता रहा और अपने हनीमून के मजे लेता रहा |
मेरा लंड झाड़ने के बाद अमृता वापिस बाथरूम में गयी और नहा कर बहार आ गयी |
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#20
सच कहता हूँ दोस्तों जो मजा अपनी बहन को नंगा नहाते हुए देखने का है उसका बयान शब्दों में नहीं किया जा सकता है |
उसने अपना तोलिया उठाया और मेरे हाथ में दे कर अपना बदन साफ़ करवाने लगी |मैंने अच्छे से उसका बदन तोलिये से साफ़ किया-खास तौर से उसकी चूचियां और चूत को |उसके बाद मुझे पेंटी पहनाने को कहा जो मैंने उसे पहना दी |बाद में उसने मुझे ब्रा दी और पहनाने के लिए कहा |
सच कहता हूँ दोस्तों मैंने बहुत कोशिश की मगर मै उसे ब्रा नहीं पहना सका |मै जितनी बार भी उसे ब्रा पहनाने की कोशिश करता ,उसकी चूचियां ब्रा में से निकल जाती थीं |मैंने बहुत कोशिश की-आगे से-पीछे से, मगर मै उसे ब्रा नहीं पहना सका | आखिरकार अमृता नाराज होते हुए बोली- "भईया, आपको तो सिर्फ ब्रा खोलनी आती है पहननी नहीं| खोलने में तो एक सेकंड भी नहीं लगता है आपको ?पहनाते हुए क्या हो रहा है ?"
मैंने भी अपनी इज्जत बचने के लिए कहा-" देख बहन , जो काम जिसका हो उसे ही करना चाहिए |मेरा काम तो इसे उतरने का है, मै उतर लेता हूँ, तेरा काम पहनने का है-तू पहन ले |"

काले रंग की ब्रा और सेक्सी पेंटी में उसका गोरा बदन बहुत सुंदर लग रहा था, अगर अभी अभी चूस-चूस कर झाडा न होता तो एक ट्रिप लगा लेता मै उसके ऊपर |
अमृता ने अपनी ब्रा खुद पहनी और उसके बाद मैंने उसे सलवार पहनाई | मगर जैसे ही मै उसे कमीज पहनने लगा था कि कामवाली ने दरवाजा खटखटा दिया |अमृता ने जल्दी से अपनी कमीज खुद पहनी |मगर मेरी नजर उसकी चुचियों पे टिकी हुई थी |कमीज पहनने के बाद भी उसकी चुचियों की गोलाई साफ़ दिखाई दे रही थी- ये शायद नयी ब्रा का कमाल था | उस ब्रा की फिटइंग इतनी अच्छी थी कि कमीज के अंदर भी उसकी चूचियां गोल-गोल और सुंदर लग रही थी | दुसरे शब्दों में कहूँ तो मैंने जो पैसे अपनी बहन को ब्रा खरीदने के लिए दिए थे वो उसकी चुचियों की गोलाई देख कर वसूल हो गए थे |
कामवाली -सुनीता लगभग डेढ़ घंटे तक काम करती रही और इन डेढ़ घंटों में मै अमृता के गोल-गोल बूब्स को देख देख कर समय बिताता रहा | ये तो अच्छा हुआ था कि अमृता ने नहाते हुए मुझे चूस कर झाड दिया था वरना उस दिन डेढ़ घंटा बिता पाना मेरे लिए बहुत मुश्किल हो जाता |
जब तक सुनीता काम कर रही थी मै नहा कर तैयार हो गया था |सुनीता का काम खत्म होने वाला था | मैंने अमृता पर पूरी नजर रखनी शुरू कर दी थी |जैसे ही सुनीता घर से बहार निकली और अमृता ने उसके जाने के बाद दरवाजा बंद किया, मै उसे पीछे से पकड़ कर बाहों में भर लिया और दरवाजे के सहारे ही टिका दिया |मैंने उसके हाथ फैला कर पकड रखे थे और मेरा लंड उसकी गांड पे था और चेहरा उसके कंधे पे |अमृता बार बार कह रही थी- "छोडो .......छोडो न भईया ..........अब क्या दरवाजे पर करोगे? कोई आ गया तो आवाज बहार चली जायेगी .............अन्दर चल कर कर लो जो कुछ करना है |"
मगर मैंने उसकी बात को अनसुना कर दिया और वहीँ उसकी गर्दन के पास, उसकी कमर पर किस्स करने लग गया | थोड़ी देर किस्स करने के बाद ही अमृता भी गरम होने लगी थी |अब उसने विरोध करना छोड़ दिया था और उसके मुह से सिसकियाँ निकलने लगी थी | वो खुद मदहोश हो कर- "भईया ...........उंह भईया .........." बोलने लगी थी |
मैंने उसकी कमीज उठा कर उसकी कमर पे किस्स करना शुरू कर दिया |अमृता ने झटके लेने शुरू कर दिया |जब मै उसे बिस्तर पे लेटाकर चूमता हूँ तो वो उछल-उछल कर सिसकियाँ लेती है मगर इस समय अमृता खड़े खड़े झटके ले रही थी |मेरा भी लंड बेकाबू हो रहा था |मैंने अपना लंड बहार निकला और उसके हाथ में दे दिया |अमृता बिना मुड़े ही मेरा लंड हिलाने लगी |मुझे सुरूर चड़ने लगा था, मैंने उसका कुर्ता उतर दिया और उसकी नंगी कमर पे ब्रा के स्टेप के पास किस्स करने लगा | अमृता को सबसे ज्यादा झटके या तो ब्रा के स्टेप के पास आ रहे थे या फिर जब मै उसकी बगल के नीचे से होते हुए उसके बूब्स पर किस्स करता था, तब आते थे |इसलिए मै इन्ही दोनों जगहों पर बार बार किस्स कर रहा था | थोड़ी देर के बाद मैंने उसकी सलवार भी खोल दी और अब अमृता सिर्फ ब्रा-पेंटी में रह गयी |अमृता ने फिर से मुझे कमरे में चलने के लिए कहा मगर मैंने कहा कि मै उसकी यही दिवार के सहारे लगा कर लेना चाहता हूँ| अमृता मुझसे वादा कर चुकी थी कि सुनीता के जाने के बाद मै जैसे चहुँ उसकी ले सकता हूँ इसलिए अब वो बेबस थी |अब उसके पास मेरी बात मानने के अलावा कोई रास्ता नहीं था | मैंने अपना एक हाथ उसकी पेंटी के अंदर डाला और दुसरे हाथ से उसके बूब्स मसलने लगा | अमृता अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थी |अब वो खड़े खड़े अपनी टाँगे खोलती जा रही थी |मुझे समझ में आ गया कि अब अमृता पूरी तरह से तैयार हो चुकी है अब मुझे देर नहीं करनी चाहिए और अपना लंड अब उसकी चूत में डाल ही देना चाहिए |मैंने फटाफट उसकी ब्रा-पेंटी उतारी और उसे पूरी तरह से नंगा करके खुद भी नंगा हो गया |
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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