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ये वही मुम्मे थे जिन्हे बेपर्दा देखने की उसमें ना जाने कब से इच्छा थी ....राहुल को अपनी सोसायटी में फ्लेट दिलवाना और जुए के खेल में शामिल करने के पीछे इन्ही निगोडे मुम्मो का हाथ था, जिन्हे पहली बार में ही देखकर शशांक का लंड 3 दिन तक अकड़ कर खड़ा रहा था...जैसे छोटा बच्चा ज़िद पकड़ लेता है किसी चीज़ की, उसी तरह से शशांक के छोटे सिपाही ने उससे ये सब करवा लिया....और आज उसका फल जब सबा ने इस तरह से दिया तो उसके लंड की खुशी का ठिकाना नही रहा..वो सुमन के पीछे गया और उसकी चूत में लंड डाल दिया और उसे चोदते हुए बोला : "हर औरत में एक रंडी छिपी होती है, बस उसे बाहर निकालने वाला चाहिए...''
सुमन मुस्कुरा दी....क्योंकि वो भी जानती थी की उसके पति की बात बिल्कुल सही है.
नीचे से डिंपल सरदारनी की भी एक मदमस्त भरी सिसकारी गूँज उठी....सरदारजी ने उसे भी घोड़ी बना कर बाल्कनी पर टीका दिया था...अब तीनों बाल्कनी में चुदाई का नंगा खेल चल रही थी...
अचानक गुरपाल ने धीमी पर सुनने लायक आवाज़ में शशांक को पुकारा...
''ये लो पाजी, असी वी आ गये इस खेल विच.....''
गुरपाल की आवाज़ सुनते ही राहुल को झटका सा लगा...वो राहुल के बॉस से बात कर रहा था...उसकी नज़र सीधा अपने बॉस की तरफ गयी, और सुमन के साथ शशांक को भी वहां पाकर वो सकते में आ गया.
उसने तो सोचा था की सिर्फ़ सुमन ही आएगी, लेकिन ये तो अपने पति को भी साथ ले आई...राहुल ने लंड पेलना बंद कर दिया...और जैसे ही अपने लंड को बाहर निकालने लगा,सबा ने उसे रोक दिया और बोली : "क्या हुआ....निकल क्यो रहे हो...करते रहो ना...अभी तो मज़ा आना शुरू हुआ है...''
राहुल : "वो...वो ......बॉस और उनकी वाइफ भी वहां खड़े है....और मैं नही चाहता की....की ...मेरे बॉस तुम्हे ....इस तरह से.....देखे....''
ये सुनते ही सबा को गुस्सा आ गया, उसने खुद उसके लंड को बाहर निकाल दिया और वो राहुल की तरफ पलटी और बोली : "तुम मर्दों की यही प्राब्लम है....दूसरे की बीबी देखकर तुम्हे मज़ा आता है और तुम्हारी बीबी को कोई देखे तो प्राब्लम है...अभी तुम डिंपल भाभी को भी वो सब करते हुए देख ही रहे थे ना...मैने तो कुछ नही कहा...और वहां भी तो सुमन भाभी नंगी खड़ी है, उन्हे भी तुमने देख ही लिया है...पर तुम्हारे बॉस को मैं इस हालत में दिख रही हू तो तुम्हे मिर्ची लग रही है...''
सबा का ये रूप देखकर राहुल हैरान रह गया....आज से पहले उसने ना तो इस तरह की कोई हरकत की थी और ना ही उसके साथ इतनी तेज आवाज़ में बात की थी...उसकी समझ में नही आ रहा था की वो क्या बोले..
राहुल : "पर....वो .....अलग बात है....कोई तुम्हे देखे ....ये देखकर मुझे शायद यही करना चाहिए...नही करूँगा तो तुम मुझे पता नही क्या समझोगी...''
सबा एकदम से शांत हो गयी और उसकी टोन भी बदल गयी...शायद उसे एहसास हो गया था की उसने कुछ ज़्यादा ही रिएक्ट कर दिया है..
वो राहुल के पास आई और बड़े ही प्यार से उसके गालो पर हाथ रखकर बोली : "तुम ऐसा इसलिए कर रहे हो राहुल क्योंकि शुरू से ही तुम्हे इस माहौल में रखा गया है...और मुझे भी...लेकिन आज मुझे ये सब ओपन में करते हुए ऐसा लग रहा है जैसे मैने बरसो पुरानी जंजीरो को तोड़ दिया है...और तुम मानो या ना मानो, पर मुझे इसमे बहुत मज़ा आ रहा है...''
राहुल अपनी आँखे फाड़े उसे देखता रह गया.
सबा : "हाँ , ये बात सही है की मुझे सेक्स पसंद है, और तुमने शादी के बाद मुझे जिस तरह के एहसास दिए है,उनका कोई मुकाबला नही है...पर ...अब शायद मेरा दिल हर तरह के एक्सपीरिएंस करना चाहता है...जो मेरे मन में चलता रहता था वो सब सही में होते हुए देखना चाहता है....और इसमे मुझे तुम्हारा साथ चाहिए...''
बेचारा राहुल अभी तक बुत्त बना खड़ा था..
सबा : "देखो राहुल, मैं तुम्हारी मर्ज़ी के बिना तो कुछ करूँगी नही...लेकिन तुम अगर मुझे ये खुशी दे सकते हो तो मेरे लिए इससे बढ़कर और कुछ नही होगा...और मैं भी तुम्हारी किसी भी बात के लिए मना नही करूँगी और ना ही तुम्हे कुछ भी करने से रोकूंगी ...''
ये सुनते ही राहुल की आँखे चमक उठी...
आख़िर यही लाइफ तो वो भी चाहता था....और अपनी बीबी से छुपकर वो भी तो ये सब कर ही रहा था...उसे तो खुद ही डर था की सबा को ये सब पसंद नही आएगा, उसे पता चला तो वो क्या सोचेगी...लेकिन उसके मन में भी ये सब चल रहा है, ये सुनकर वो अंदर ही अंदर बहुत खुश हुआ...और उपर से सबा ने लास्ट में ये बात बोलकर उसे वो खुशी दे डाली थी, जिसकी उसे पिछले 6 महीनो से तलाश थी..
जी हाँ दोस्तो, वो खुशी थी सबा की गांड .
वो कब से उसे गांड मरवाने के लिए बोल रहा था, एक-दो बार ट्राइ भी किया था, पर उसे इतना दर्द हुआ था की उसने कभी भी गांड ना मरवाने की कसम खा ली थी.
बस राहुल को एक ही बात खटक रही थी की उसके बॉस अब उसकी बीबी को इस तरह से देखेगा, जैसे वो इस वक़्त सरदारनी को देख रहे थे...वो खुद भी जानता था की उसकी बीबी की सुंदरता और सेक्स का मुकाबला तो सोसायटी की कोई भी औरत नही कर सकती, और अगर वो इन भूखे भेड़ियो के सामने इस तरह से अपने शरीर की नुमाइश करेगी तो वो दिन भी दूर नही जब वो सब मिलकर उसके नाज़ुक जिस्म को नोच खाएँगे...लेकिन जब सबा को खुद ही इन सबमे मज़ा आ रहा है तो वो कौन होता है मना करने वाला, उसे भी तो खुलकर सभी भाभियों की चूत की मलाई खाने को मिलेगी ..
उसने सबा के हाथ को पकड़कर वापिस अपने लंड पर रख दिया और मुस्कुरा कर बोला : "डार्लिंग, अगर तुम्हे इन सबमे खुशी मिलती है तो मुझे भी कोई प्राब्लम नही है...''
राहुल का इतना कहना था की खुशी के मारे सबा ने उसके लंड को पकड़कर मरोड़ डाला...और उछलकर उसके गले लग गयी...
दूर अपनी बाल्कनी में खड़े शशांक और सुमन उनकी इतनी देर से हो रही बहस को देखकर परेशान हो रहे थे की कही उनका प्लान बिगड़ तो नही गया..लेकिन फिर इस मिलन को देखकर वो समझ गये की सबा ने सब संभाल लिया है...
शशांक ने देखा की अब राहुल उनकी ही तरफ देखकर मुस्कुरा भी रहा है..मतलब सॉफ था, उसे अब अपनी बीबी को सरेआम नंगा दिखाने में कोई दिक्कत नही थी...शशांक ने अपना अंगूठा उपर करके उसे ऑल द बेस्ट कहा और एक बार फिर से अपनी बीबी की चुदाई में लग गया...
शशांक को इशारा करते देखकर नीचे वाली बाल्कनी में खड़ा गुरपाल सिंह भी समझ गया की उपर वाले पोरशन में राहुल और सबा भी चुदाई चल रही है...वो बोला : "ओ राहुल भाई....तू भी लगा हुआ है उपर...और वहां शशांक और सुमन भाभी भी....और इत्थे मैं वि ...ऐसा महॉल बड़ी मुश्किल से बनता है हा हा...''
सबा ने मुस्कुराते हुए नीचे देखा और बोली : "ऐसा महॉल अब अक्सर बना करेगा सिंह साहब ...''
सबा के सेक्सी चेहरे को देखकर, उसके मुंह से अपना नाम सुनकर और उसकी आँखो को अपने लंड की तरफ घूरते पाकर, सरदारजी की ठरक आसमान छू गयी और उन्होने अपने लंड पर ढेर सारा थूक मलकर बुरी तरह से एक बार फिर डिंपल की चूत में पेल दिया...
राहुल उसके कंधे पर झुका और फुसफुसाया.. : "तुम्हे ये सब पसंद है ना...तो आज से तुम मेरी सैक्स स्लेव हो....और जो मैं कहूँगा वही तुम करोगी...समझी....''
सबा : "यस मास्टर...''
राहुल ने उसकी गांड के छेद को टटोला और अपनी उंगली उसमे घुसा दी और बोला.. : "मुझे तुम्हारी गांड मारनी है....''
सबा का शरीर उपर से नीचे तक काँप उठा...शायद वो जानती थी की वो यही बोलेगा, लेकिन राहुल को वो अब किसी भी बात के लिए मना नही कर सकती थी...इसलिए धीमी सी आवाज़ में वो बोली : "यस मास्टर....आप मेरी गांड भी मार सकते हो....लेकिन ....यहाँ नही....अंदर जाने के बाद...अभी के लिए तो आप मेरी चूत मारो....देखो....जैसे सरदारजी मार रहे है अपने लंबे लंड से....डिंपल भाभी की....और उधर आपके बॉस भी किसी मशीन की तरह सुमन भाभी को चोद रहे है....मुझे भी ऐसे ही चोदो ...ज़ोर-2 से....दम लगा के....''
डिंपल की जबरदस्त चुदाई देखकर तो राहुल भी उत्तेजना के शिखर पर पहुँच चुका था...सुमन तो अपने मुम्मे भी बाहर की तरफ लटकाकर अच्छे से चुद रही थी...और उपर से सबा की गांड मरवाने की रज़ामंदी ने भी राहुल के लंड को एक अलग ही उँचाई पर पहुँचा दिया था...ऐसे में सबा की लरच रही चूत ने जब उसके लंड को अपनी तरफ बुलाया तो वो किसी पालतू कुत्ते की तरह उसकी तरफ खींचता चला गया...और एक बार फिर से घपप की तेज आवाज़ के साथ वो उसके अंदर दाखिल हो गया.
''उम्म्म्मममममममममममममममममममम...... ओह .....एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....''
इस बार की सिसकारी पहले से काफ़ी तेज थी.....जिसे सरदरजी और डिंपल ने भी सुना...और मुस्कुरा दिए..
सबा ने शशांक की तरफ देखते हुए अपनी एक उंगली को मुँह में रखा और जोरों से चूसने लगी....शशांक को तो ऐसा लगा जैसे वो उसके लंड को चूसने का इशारा कर रही हो...
और फिर सबा ने वो किया जिसकी शायद इस वक़्त राहुल को भी आशा नही थी....उसने अपना टॉप एक ही झटके में उतार फेंका और वो पूरी नंगी होकर अपने मोटे-2 मुम्मे चाँद की तेज रोशनी में सभी को दिखाने लगी...
शशांक तो उसके सफेद तरबूजों को देखकर बेहोश होते-2 बचा....सच में कमाल के थे उसके मुम्मे ....जितने बड़े थे उतने ही कठोरता लिए तनकर खड़े थे वो...
उसकी योजना अब सफल होती दिख रही थी.
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शशांक थोड़ा सा झुका और उसने अपनी वाइफ सुमन के कान में कुछ कहा..जिसे सुनकर वो मुस्कुरा दी.
और फिर राहुल को देखकर बोली : "राहुल...क्यो ना तुम लोग यहीं आ जाओ...लेट्स हेव पार्टी हेयर ...''
उसका इतना टेंप्टिंग सा ऑफर सुनकर तो राहुल का दिल खुशी से पागल हो उठा...काफ़ी देर से सुमन भाभी की चुदाई देखकर और उनके हिलते हुए मुम्मे देखकर उसके मुँह में भी पानी आ रहा था...उसने सबा की तरफ देखा..शायद राहुल को डर था की वो मना ना कर दे...क्योंकि इस तरह दूर रहकर अपनी सेक्स की फिल्म दिखाना दूसरी बात थी और वहां जाकर एक दूसरे के सामने सब कुछ करना दूसरी बात..
राहुल : "बोलो सबा...क्या कहती हो...चला जाए क्या वहां ...''
वो उसका मन टटोल रहा था..लेकिन वो ये नही जानता था की राहुल से ज़्यादा एक्साइटिमेंट तो सबा को हुई थी ये बात सुनकर...
वो बोली : "जैसा मेरे मास्टर कहेंगे...मैं वैसा ही करूँगी...''
ओ तेरी ....ये मास्टर-स्लेव वाली बात तो राहुल भूल ही गया था....सबा की ये बात सुनकर उसका चेहरा खिल उठा.
उसने तुरंत अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया और बोला : "चलो फिर...चलते है....एक और पार्टी में ...आफ्टर पार्टी में ..''
वो भी मुस्कुरा दी और अपने मालिक की आज्ञा का पालन करती हुई बाहर की तरफ चल दी.
शशांक ने गुरपाल और डिंपल को भी अपने घर बुला लिया...दोनो ने कुछ देर तक ख़ुसर फुसर की और फिर वो दोनो भी शशांक और सुमन के घर की तरफ चल दिए...
आज राहुल और गुरपाल ने अपनी लाइफ का ऐसा डिसीज़न लिया था जिसके बाद उनकी सेक्स लाइफ हमेशा के लिए बदलने वाली थी.
सबा ने अपनी वही नाईटी पहने रखी, जिसमें उसका आधे से ज़्यादा नंगा बदन सॉफ दिख रहा था...और वो भी बिना ब्रा और पेंटी के..राहुल ने अपने शॉर्ट्स के उपर एक टी शर्ट डाल ली और वो दोनों शशांक के घर की तरफ चल दिए..
उधर डिंपल ने भी सिर्फ़ एक लंबी सी नाईटी पहनी हुई थी, उसके अंदर कुछ भी नही...वो एकदम ट्रांसपेरेंट थी, जिसके अंदर उसका रसीला बदन सॉफ चमक रहा था.
गुरपाल ने तो अपने बदन पर सिर्फ़ लुंगी और बनियान ही पहन ली और चल दिया उनके घर...
आज राहुल और गुरपाल के मन में एक बात तो काफ़ी क्लियर थी की उनकी बीबी को दूसरे मर्द आज खुलकर देखेंगे...लेकिन इस बात की खुशी भी थी की वो दूसरे की बिबियों को जी भरकर देख भी सकेंगे...
पूरी कॉलोनी में सन्नाटा था...इसलिए ऐसे कपड़ो में उन्हे बाहर निकलते हुए डर भी नही लगा..वो नंगे भी चले जाते तो कोई देखने वाला नहीं था उन्हें।
सबसे पहले सबा और राहुल वहां पहुँचे...दरवाजा सुमन ने खोला, उसने सिर्फ़ ब्रा और पेंटी पहन रखी थी...राहुल की आँखे उसके इस सेक्सी बदन को देखकर चमक उठी.
वो दोनो अंदर आ गये....अंदर आते हुए राहुल ने उसकी गांड पर अपने हाथ फेर दिए,जिसे महसूस करके सुमन भी मुस्कुरा दी...सबा ने भी अपने पति की ये हरकत कनखियो से देख ली थी, पर वो कुछ बोली नही...और ना जाने एकदम से उसके दिमाग़ में ये बात आ गयी की हो ना हो, सुमन भाभी उसके पति से पहले भी चुदवा चुकी है..
दोनो अंदर आकर बैठ गये...और अगले ही पल गुरपाल और डिंपल भी वहां पहुँच गये...सभी ड्रॉयिंग रूम के सोफे पर बैठ गये..
राहुल और गुरपाल अपनी-2 वाइफ को लेकर थोड़ा चिंतित से हो रहे थे...और उनकी ये परेशानी शशांक ने उनके चेहरे पर पड़ ली.
शशांक : "देखो दोस्तो...आजकल की लाइफ में ये सब चलता है....मीन्स इस तरह से ओपन रिलेशनशिप ...मुझे तो अपनी वाइफ के किसी भी अफेयर से कोई प्राब्लम नही है...और यही छूट उसने भी मुझे दे रखी है...और अभी कुछ देर पहले जो हम सब बाल्कनी में कर रहे थे, उसके बाद मुझे लगा की शायद तुम लोगो के विचार भी हम से मिलते है...इसलिए तुम्हे यहाँ बुला लिया...''
इतनी देर मे सुमन सबके लिए ड्रिंक्स ले आई....ये वोड्का के शॉट्स थे...सभी ने छोटे-2 ग्लास उठाए और एक साथ चियर्स बोलकर बॉटम अप कर दिया और नमक चाट कर हाथ में पकड़ा नींबू चूस डाला...और उस शॉट ने एकदम से सभी के दिमाग़ से वो तनाव दूर फेंक दिया...और सभी हल्के मूड में आ गये...
शशांक जानता था की एकदम से तो कोई भी ग्रूप सेक्स या वाइफ स्वेपिंग के लिए राज़ी नही होगा, इसलिए शुरूवात तो अपनी-2 बीबी से ही करनी पड़ेगी.
उसने सुमन को इशारा किया और वो किसी पालतू कुतिया की तरह उसके कदमो में आकर बैठ गयी...और फिर शशांक ने बड़ी ही बेशर्मी से अपनी शॉर्ट्स को नीचे करके अपना लंबा और मोटा लंड बाहर निकाल लिया...सबा और डिंपल ने अपने होंठों पर जीभ फेरी उसे देखकर...शायद वो भी उसे मुँह में लेने के सपने देख रही थी..लेकिन अभी के लिए तो वो मज़ा सिर्फ़ सुमन के हिस्से में था....
गुरपाल ने भी डिंपल के गाउन को पकड़कर उपर खींचना शुरू कर दिया...और धीरे-2 उसके सिर से घूमकर निकल फेंका...और अब वो पूरी नंगी होकर बड़ी ही बेशर्मी से किसी और के घर बैठकर, अपने पति का लंड चूस रही थी...और वो इस बात से अंजान नही थी की उसकी मोरनी की तरह उभरी हुई नंगी गांड को इस वक़्त शशांक और राहुल सॉफ-2 देख पा रहे है...
राहुल भी अब इस खेल में पीछे नही रहना चाहता था...उसने सबा को अपना लंड चूसने से रोका और उसे भी कपड़े उतारने के लिए कहा...
सबा के लिए ये पल ऐसा था जिसमे वो अपनी लाइफ के उन पलों को जी लेना चाहती थी जिसमे वो इस तरह के एग्ज़ोटिक आइडियास सोचा करती थी...वो अपने बदन को मटकाती हुई खड़ी हुई और धीरे-2 अपने शरीर को किसी क़ेबरे डाँसर की तरह लहराते हुए उसने अपनी टॉप को उतार दिया...
उसे इतने करीब से टॉपलेस देखकर एक बार फिर से शशांक कराह उठा...उसका मन तो कर रहा था की अपना लंड इसी वक़्त उसकी चूत में दे मारे...पर उसने बड़ी मुश्किल से कंट्रोल किया हुआ था...उसके बाद सबा ने अपनी नन्ही सी शॉर्ट भी नीचे गिरा दी...और इस वक़्त वो अपने दमकते हुए नंगे शरीर की नुमाइश बड़ी ही बेशर्मी से करके बड़ी ही शान से खड़ी थी.
गुरपाल ने भी इतनी गोरी और सेक्सी औरत अपनी लाइफ में नही देखी थी....सबा को देखकर अक्सर उसके लंड में भी उम्मीदे जागा करती थी, और उसे अब इतने करीब से नंगा देखकर अंदर ही अंदर उसे चोदने की इच्छा भी बलवंत होने लगी...चाहे इसके लिए उसे अपनी बीबी को राहुल से चुदवाना ही क्यो ना पड़े..
बस उसे डर था की ऐसी अदला बदली उसकी बीबी को पसंद आएगी या नही...और अगर आ भी गयी तो राहुल और सबा भी इसके लिए राज़ी होंगे या नही...
इस तरह से खुलकर सेक्स करने के लिए और वाइफ स्वेपिंग के लिए शशांक ने उसे करीब 6-7 महीने पहले बातों ही बातों में बोला था...उस वक़्त तो गुरपाल ने उसे ये कहकर चुप करवा दिया था की वो इन बातों से दूर ही रहता है..लेकिन आज उसी शशांक के घर बैठकर ये सब करते हुए वो समझ चुका था की शशांक की वो बात कितनी सही थी की इन सबमे बहुत मजा आता है, मियां को भी और बीबी को भी ...और उन दोनो मियाँ बीबी की पहल से ही वो सब वहां इस वक़्त इकट्ठा थे...और उसे इस बात का भी पूरा विश्वास था की शशांक अपनी बीबी की अदला बदली बड़े आराम से कर लेगा..और वैसे भी,सुमन भाभी जैसी सेक्सी लेडी पूरी कॉलोनी में कोई नही थी...
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शशांक ने सुमन की पेंटी उतार दी और उसे भी पूरा नंगा कर दिया...और उसे सोफे पर लिटा कर खुद उसके कदमो में आ बैठा...अब मज़ा लेने की बारी सुमन की थी, उसने अपनी दोनो टांगे शशांक के कंधे पर रख दी और वो अपनी जीभ लपलपाटा हुआ उसकी चूत में मुँह मारने लगा...और अगले ही पल सुमन की गर्म सिसकारियों से पूरा कमरा गूँज उठा..
''आआआआआआआआआआआहह मेरे राजा.............. एसस्स्स्स्स्स्स्सस्स ... चूसो .... मेरी चूत को ....... अहह साअले...............भेन चोद ............... चाट मेरी चूत को पूरा.............. चाट इसको .........''
अपने बॉस को इस तरह से गली का कुत्ता बनकर अपनी बीबी से गाली ख़ाता देखकर राहुल भी हंस दिया.ऑफीस में सभी के उपर हुकूमत चलाने वाला उसका ये बॉस इस वक़्त किसी गली के कुत्ते की तरह अपनी बीबी की चूत भी चाट रहा था और उसकी गालियां भी खा रहा था....सच में , चूत में बड़ी ताक़त होती है..
उसने भी देर करनी उचित नही समझी, और सबा को पकड़कर अपनी गोद में बिठा लिया...और एक बार फिर से अपना लंड उसकी चूत में डालकर उसे चोदने लगा..
गुरपाल ने भी डिंपल को घोड़ी बनाया और खड़ा होकर उसके पीछे से अपना लंड उसके अंदर डाल दिया...
सुमन को भी लंड लेने की ललक उठ खड़ी हुई और वो भी उछलकर सोफे से उतर गयी...और शशांक को बिठाकर खुद अपनी गांड उसकी तरफ करके उसके लंड को अपनी चूत में ले लिया...ऐसा करते हुए उसका चेहरा बाकी की चुदाइयों की तरफ भी था, जिसे वो मिस नही करना चाहती थी.
और इस तरहा से उस कमरे में चुदाई का नंगा नाच शुरू हो गया.
राहुल ने सबा के दोनो मुम्मे पकड़कर उन्हे एक-2 करके चूस डाला....उसे ऐसा करते देखकर शशांक का मन कर रहा था की काश इस वक़्त वो सबा के मुम्मे चूस रहा होता.
सबा भी उसे अपने बच्चे की तरह मुम्मा चुस्वा रही थी, कभी एक निप्पल उसके मुँह में ठूंसती और कभी दूसरा...
गुरपाल तो अपनी धन्नो की गांड को पेलते हुए उसपर चांटे भी बरसा रहा था, क्योंकि वो जानता था की ऐसा करने से डिंपल सरदारनी बहुत उत्तेजित हो जाया करती है..वो तो पहले से ही हो रही थी, राहुल के साथ तो वो चुदाई कर ही चुकी थी, शशांक के साथ चुदाई का सीन बनता देखकर वो घोड़ी की तरह हिनहिनाते हुए अपनी चूत में सरदारजी का लंड पिलवा रही थी...
घचाघच और फका फक की आवाज़ों से पूरा कमरा गूँज रहा था.
और जल्द ही सभी के मुँह से ओर्गास्म की किलकारियाँ निकलने लगी...और एक एक करते हुए सभी एक दूसरे के लंडों और चूतों पर ढेर होने लगे...
सबसे पहले डिंपल सरदारनी झड़ी...
''आआआआआआअहह .......... ओह पााआआआजी........................ उम्म्म्मममममममममम मज़ा आ गया.............''
और फिर सबा की बारी आई...
''आआआआआआआआआआआआअहह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ..... ओह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स .... माय डार्लिंग ...................... आई एम कमिंग...................''
और वो अपना गाढ़ापन उसके लंड पर छोड़कर ढीली पड़ गयी..
शशांक और सुमन तो एक साथ बरसे...
''आआआआआआआआआआआआआआआअहह ....... एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... डार्लिंग ................. मजाआाआअ आआआआआआ गय्ाआआआआआआआआ''
और उनके पीछे-2 राहुल और सरदारजी ने भी अपने-2 गन्ने का रस अपनी बिबीयों की चूतों में निकाल दिया...
और पूरे कमरे में गहरी सांसो के साथ -2 सेक्स की ताज़ा खुश्बू तैर गयी..
शशांक का मन अब इस खेल को अगले मुकाम पर ले जाने का था..
रात के 2 बज रहे थे...और शशांक के घर इस वक़्त सभी लोग नंगे लेटकर अपनी-2 साँसे संयम में लाने का प्रयत्न कर रहे थे...
करीब 10 मिनट के बाद शशांक उठा और अंदर से ताश की गड्डी ले आया..
गुरपाल : "ओये शशांक पाजी, ये कोई वक़्त है पत्ते खेलने का....ऐसे नशीले प्रोग्राम के बाद ये खेल तो बोरिंग सा लगेगा...''
राहुल भी बोला : "यस बॉस, मेरा भी इस वक़्त ये खेलने का कोई मन नही है....और वैसे भी हम इस हिसाब से नही आए थे,मेरी जेब में तो पैसे ही नही है...''
गुरपाल : "हांजी भाई, मेरा भी यही हाल है...''
उसने भी अपनी लूँगी उठा कर लहरा दी...
शशांक (मुस्कुराते हुए) : "फ़िक्र मत करो दोस्तो,आज हम पैसो के बदले नही बल्कि किसी और चीज़ के बदले खेलेंगे..''
उसके कहने का तरीका ही ऐसा था की उस कमरे में बैठे सभी लोगो को समझते देर नही लगी की वो क्या कहना चाहता है...आख़िरकार इस वक़्त सभी के दिमाग़ में सैक्स ही तो दौड़ रहा था.
शशांक ने पत्ते फेंटे हुए सभी के चेहरे देखे...सभी के मन में उथल पुथल चल रही थी...लेकिन कोई कुछ बोल नही रहा था.
शशांक : "अरे यारों ...सिंपल सी गेम है...जो जीतेगा, उसकी बात सभी को माननी होगी...अब आप लोग इसे खेलना चाहते हो या नही,ये आपके उपर है...मैं तो पत्ते बाँट रहा हूँ ..''
राहुल ने सबा की तरफ और गुरपाल ने डिंपल की तरफ देखा...सभी ये दाँव खेलना चाहते थे,पर अपनी तरफ से बोलकर कोई भी पहल नही कर रहा था.
अचानक सबा की तेज आवाज़ आई : "मैं तो खेलूँगी...''
और वो उठी और अपनी चिकनी गांड और मोटे मुम्मे मटकाती हुई नंगी ही जाकर शशांक के सामने बैठ गयी..
शशांक की नज़र सीधा उसकी चूत पर गयी,जिसमें से अभी भी राहुल के लंड का सफेद पानी रिस रहा था...और साथ ही साथ उसने उसके गोरे मुम्मे भी ताड़ लिए,जिसके निप्पल ना जाने क्यो शशांक की नज़र पड़ते ही फेलकर अपनी औकात में आकर बड़े हो गये...
सबा की देखा देखी डिंपल भी उठकर आ गयी और सुमन की बगल में बैठ गयी...राहुल और गुरपाल भी अपने-2 ठुल्लु लटकाते हुए सामने आ गये..
शशांक ने बिना कोई भूमिका बाँधे सभी के सामने पत्ते फेंक दिए...
और बोला : "इस गेम में कोई चाल नही चलेगा...क्योंकि उसका कोई फायदा नही है...जिसके पत्ते बड़े होंगे वो जीत जाएगा..और जो जीतेगा,वो अपनी मर्ज़ी करेगा..''
इतना कहकर उसने अपने पत्ते उठाकर सभी के सामने रख दिए..उसके पास बादशाह के साथ 3,7 नंबर आए थे.
राहुल ने अपने पत्ते पलट दिए, उसके पास इकके के साथ 9,10 आया था.
यानी अभी तक राहुल जीत रहा था, उसके इकके को देखकर और राहुल के लटक रहे लंड को देखकर डिंपल के मन से बस यही दुआ निकल रही थी की या तो राहुल जीते या फिर वो खुद,ताकि वो उसके लंड को चूसकर अपनी प्यास बुझा सके.
लेकिन उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया जब सबा ने अपने पत्ते सबके सामने पलटे , उसके पास 9 का पेयर आया था, जिसे देखकर वो खुशी से उछल पड़ी...और साथ ही उछले उसके मुम्मे भी,जिन्हे देखकर गुरपाल और शशांक के लंड धीरे-2 खड़े होने लगे..
अगला नंबर गुरपाल का था, उसके पत्तों की शायद दुश्मनी थी उसके साथ, अभी भी उसके पास सबसे बड़ा पत्ता 10 ही आया था..लेकिन इस वक़्त उसे उतना गुस्सा नही आया जितना सुबह आ रहा था, क्योंकि यहाँ जो भी जीते,उसे उम्मीद थी की जीतने वाली अगर लड़की हुई तो उसके लंड को नजरअंदाज नही कर पाएगी...इसलिए उसने अपने पत्ते साइड में रखकर अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया...और वो भी इतनी बेशरमी से की सबा की नज़रें जब उसपर पड़ी तो वो भी हँसे बिना नही रह सकी...लेकिन जब उसके खुंखार लंड को देखा तो वो हँसी एक सिसकारी में बदल गयी, जो उसके होंठों से होती हुई उसकी चूत तक पहुँचकर उसे गीला कर गयी.
डिंपल का नंबर आया, उसने भी अपने पत्ते देखे, उसके पास भी पेयर आया था, लेकिन सबा से छोटा, 7 का पेयर...यानी अभी तक तो सबा ही जीत रही थी...और किसी को नही पता था की जीतने के बाद वो किसके उपर मेहरबान होगी.
सुमन ने पत्ते देखे, और सभी को ये देखकर आश्चर्या हुआ की उसके पास भी पेयर आया था, लेकिन 4 का, यानी तीनों लेडीज़ के पास पेयर आए थे,और सबसे बड़े पत्ते लेकर सबा ये गेम जीत चुकी थी.
शशांक ने सबा की तरफ हाथ बढ़ाया और उसके नर्म हाथों को पीसता हुआ उसे बधाई देता हुआ बोला : "मुबारक हो सबा...तुम जीत गयी...अब तुम अपनी मर्ज़ी से कुछ भी कर सकती हो...''
सभी को मालूम था की यहाँ 'कुछ भी' का मतलब सिर्फ और सिर्फ सेक्स ही है
सबा कुछ देर तक चुप रही और फिर बोली : "वैसे देखा जाए तो हम तीनों के पास पेयर आया था और हम तीनो ही जीते हुए माने जाएँगे...''
उसका मतलब समझकर शशांक तपाक से बोला : "हाँ , तो ठीक है ना, आप तीनों ही जीते हुए माने जाओगे, तुम तीनो एक-2 करके अपनी-2 विश बोलो...''
सुमन और डिंपल ने मुस्कुराते हुए सबा को देखा और उसे आँखो ही आँखो में थेंक्स कहा.
सबा (सुमन की तरफ देखकर) : "सुमन भाभी, आप ही शुरू करिए ना...''
उसे शायद थोड़ी झिझक सी हो रही थी...सुमन ने भी मना नही किया, वो तो इस मौके पर झपट ही पड़ी, और बोली : "मैं चाहती हूँ की गुरपाल जी मुझे उपर से नीचे तक सक्क करे...''
सक्क तो सिर्फ कहने की बात थी, असल में उसका मतलब फक्क से था
डिंपल का दिल धक्क से रह गया...आज उसे अपने पति को किसी और के साथ शेयर करना था...ये उसके लिए किसी बड़े धक्के से कम नही था..लेकिन वो भी तो किसी और के साथ मज़े लेगी, ये सोचकर उसने अपनी दिल को थोड़ी तसल्ली दी.
गुरपाल ने डिंपल की तरफ देखा और सबा ने आँखो ही आँखो में उसे इशारा करके सुमन के पास जाने की इजाजत दे दी...
अब सबा का नंबर था, आख़िरकार वो जीती हुई थी,सबसे आख़िर में मौका लेकर वो बचा हुआ माल नही लेना चाहती थी.
और वैसे भी अब चाय्स तो सॉफ ही थी,सामने राहुल और शशांक ही बचे थे, अपने पति से तो वो मज़े ले ही चुकी थी,और अब वो बाहर का मज़ा लेना चाहती थी,उसने शशांक की तरफ देखते हुए कहा : "मैं चाहती हूँ की राहुल के बॉस, यानी शशांक मेरे सामने बैठकर ,एक डॉग की तरह, मेरी पुस्सी को चाटें ...जैसे वो सुमन भाभी की चाट रहे थे...''
अपनी पत्नी के मुँह से ऐसे शब्द सुनकर राहुल की आँखे भी फैल गयी...आज उसकी बीबी उसके बॉस के साथ सैक्स परफॉर्म करेगी , और उसे वो कुत्ता बनाकर अपनी मीठी चूत चूसने के लिए बोल रही थी..कही शशांक को सबा का ये रवेय्या बुरा लग गया तो उसकी नौकरी पर मुसीबत आ जाएगी...
लेकिन शशांक तो सच में कुत्ता बन गया, क्योंकि सबा की बात पूरी होते ही शशांक अपने घुटनो और हाथों के बल चलता हुआ, भौ-भौ की आवाज करता हुआ, किसी कुत्ते की तरह सबा के पास आया और उसके पैरों को चाटने लगा..
ये देखकर सभी की हँसी निकल गयी...
और आख़िर में डिंपल के हिस्से में आया राहुल, और डिंपल को अगर पहला मौका भी मिलता, तब भी वो राहुल का ही नाम लेती...इसलिए वो राहुल के पास खुद ही चल दी और सीधा जाकर उसकी गोद में बैठ गयी
और बोली : "और मैं चाहती हूँ की राहुल मेरे बूब्स को किसी नन्हे बच्चे की तरह पी डाले, इसमें से निकले या ना निकले, लेकिन दूध निकालने की पूरी कोशिश करे''
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राहुल के हाथ सीधा उसके मुम्मों पर आए और उन्हे दबोच कर उसने निचोड़ डाला और डिंपल उसके इस हमले से किसी घायल शेरनी की तरह चीख पड़ी
''आआआआआआआआआआआआआआहह.... राहुल.................... उम्म्म्ममममममममम.... सककककक मिईिइ....''
और उसने अपना बड़ा वाला मुम्मा पकड़कर राहुल के मुँह में ठूस दिया..
राहुल ने जब उसके मुम्मे को पकड़कर पीना शुरू किया तो उसकी नज़रें सबा से जा मिली, जो बड़े ही गौर से उन दोनो को देख रही थी...लेकिन उन्हे देखते-2 अचानक उसके मुँह से एक जोरदार चीख निकल गयी..क्योंकि कुत्ते की तरह उसके पैर चाटने के बाद शशांक ने अपनी गर्म जीभ से सबा की चूत पर हमला बोल दिया था ...मीठी और रसीली चूत की दुकान में जैसे आग सी लग गयी...सबा ने अपने गोल होंठों से लार टपकाते हुए नीचे देखा और शशांक के बालों को पकड़कर उसे अपनी चूत पर उपर से नीचे तक किसी पोछे की तरह इस्तेमाल कर डाला...शशांक भी अपनी जीभ से उसकी चूत और आस पास के हिस्से को चाटते हुए अपने आप को बड़ा खुशनसीब समझ रहा था...भले ही काम कुत्ते वाला कर रहा था वो लेकिन मज़ा उसे किसी राजा की तरह मिल रहा था.
सबा की चूत में से निकल रही खुश्बू ने तो शशांक को मदहोश सा कर दिया था, ऐसी खुश्बू उसने आज से करीब 10 साल पहले ऐसी ही एक स्वेपिंग वाली महफ़िल में सूँघी थी, उस वक़्त उसके हिस्से में एक नयी नवेली दुल्हन आई थी, जिसकी शादी को सिर्फ़ एक महीना ही हुआ था, उसके पति ने किसी तरह से उसे स्वेपिंग के लिए राज़ी कर लिया था और तब उसने उस हूर परी की चूत चूसी थी, उसके बाद वो 10 सालों तक वैसी ही खुश्बू सूंघने के लिए तरसता सा रह गया था, और जब से उसने सबा को देखा था उसे ना जाने ये विश्वास सा हो गया था की हो ना हो,उसकी चूत की खुश्बू भी वैसी ही होगी जैसी उसने 10 साल पहले सूँघी थी, और उसका अंदाज़ा सही निकला था, उस खुश्बू ने उसके उपर कोई नशा सा कर दिया था, उसकी आँखे बोझिल सी हो रही थी उसे सूँघकर...और वो बस अपनी लंबी जीभ निकाल कर उसे पागलों की तरह चूसे जा रहा था....चूसे जा रहा था.
गुरपाल भी सुमन के पैरों से शुरू होकर धीरे-२ अपनी लार से उसे नहलाता हुआ ऊपर जा रहा था, रास्ते में उसकी चूत की घाटी आई, जिसमे से नरम बर्फ समेत कर वो ऊपर आया, गहरी नाभि को भी उसने करीब पांच मिनट तक चुभलाया, और फिर सपाट पेट पर जीभ रगड़ता हुआ जब वो उसके पर्वतों पर चढ़ा तो अपनी उत्तेजना के परवान में मचलकर चीख ही पड़ी, और उसने एक ही झटके में उसे ऊपर खींचकर इतने जोर से चूमा की सरदारजी भी उसके जोश के कायल हो उठे, और समझ गए की आज की रात जो चुदाई होने वाली है उसमे बहुत मजा आने वाला है.
गुरपाल इस वक़्त पूरा का पूरा सुमन के कोमल शरीर के उपर था, गुरपाल के पहाड़ जैसे शरीर के नीचे दबकर सुमन तो दिखाई ही नही दे रही थी...लेकिन उसकी सिसकारिया सबसे तेज थी जो उसकी उपस्थितती का एहसास दिला रही थी.
और फिर उसने कुछ ऐसा किया की उसके बदले गुरपाल की सिसकारिया निकलने लगी...सुमन ने मच्छी की तरह मचलते हुए गुरपाल की छाती पर चमक रहे निप्पल को मुँह में लेकर उसे पीना शुरू कर दिया, जैसे मर्द चूसते है वो भी वैसे ही चूसने की कोशिश करने आगी, और उसकी इस कोशिश की वजह से गुरपाल की हालत खराब हो गयी..वो बुरी तरह से सिसकार उठा.
''आआआआआआआआआआआहह सुमन भाभी....................... उम्म्म्ममममममममम मज़ा आ गया............ ज़ोर से चूसो....''
दूसरी तरफ राहुल से अपना मुम्मा चुस्वा रही डिंपल ने जब अपने पति की ये बात सुनी तो उसने सुमन की तरफ देखा की ऐसा वो क्या कर रही है जो अपनी ही मस्ती में चुदाई करने वाला गुरपाल इस तरह से सिसकारियां मार रहा है..और सुमन को उसके निप्पल चूसता देखकर वो समझ गयी की अगली बार उसे गुरपाल को इतना उत्तेजित करने के लिए क्या करना है.
राहुल ने अपने दाँतों से उसके निप्पल को पकड़ा और ज़ोर से काट लिया..
''उफफफफफफफफफफफफ्फ़.... बदमाश राहुल..... धीरे करो..... काट कर निकाल लोगे क्या इन्हे..... धीरे-2 चूसो.... आराम से.....''
इतना कहकर उसने अपना दूसरा मुम्मा पकड़ कर उसके मुँह में दे दिया..वो दोनों मुम्मों को सामान अधिकार देना चाहती थी, सिर्फ एक ही को चुस्वाकर दूसरे के साथ भेदभाव नहीं करना चाहती थी
उधर सबा अपनी जिंदगी का सबसे हसीन पल जी रही थी, उसके पति का बॉस इस वक़्त किसी कुत्ते की तरह उसके सामने बैठकर अपनी लंबी और गर्म जीभ से उसकी चूत को चाट रहा था, ऐसे मजे और गुरूर की भावना उसने आज तक महसूस नही की थी, वो शशांक के बालों को पकड़कर अपनी चूत में दबाती हुई ज़ोर से चिल्लाई : "चूस साले.... और ज़ोर से चूस.... जीभ डाल अंदर.....गांड भी चूस..... चाट वहां से......आआआआआआअहह येसस्स्स्स्स्स्सस्स....''
राहुल जो थोड़ी ही दूर बैठकर सरदारनी के मुम्मे चूस रहा था,अपनी बीबी की ये बात सुनकर शर्मिंदा सा हो गया, क्योंकि ना तो उसने और ना ही किसी और ने आज तक सबा का ये रूप देखा था...एक दम बाजारू औरत की तरह बिहेव कर रही थी वो...लेकिन मौका ही ऐसा था..ये वो हमाम था जिसमे आज सब नंगे थे और अपनी मर्ज़ी का कुछ भी कर सकते थे.
गुरपाल ने मचलते हुए अपना लंड सुमन की चूत के उपर रख दिया और वो कब सरककर अंदर घुस गया उनमे से किसी को भी पता नही चला.
और अगले ही पल दोनो किसी मशीन की तरह एक जबरदस्त चुदाई में व्यस्त हो गये..
गुरपाल ने सुमन की दोनो टांगे उठा कर जोरो से उसकी चूत मारनी शुरू कर दी...और वो भी उसकी घने बालों वाली छाती में उंगलियाँ फेरती हुई उसे ज़ोर-2 से चोदने के लिए उत्साहित कर रही थी...आख़िरकार वो उनकी सोसायटी का सबसे तगड़ा आदमी जो था.
''आआआआआआहह गुरपाल.................ज़ोर से आआआआआ...... सस्स्स्स्स्स्स्सस्स... ओह्ह माय .....गॉड .......... उम्म्म्मम....... सस्सस्स..... ज़ोर से..... अहह अहह''
शशांक ने अपनी बीबी को इस तरह से चूड़ते देखा और उसके चेहरे पर एक स्माइल सी आ गयी, और सबा ने जब उसे ऐसे हंसते हुए देखा तो वो धीरे से बोली : "ऐसे ही हंसते रहोगे या कुछ करोगे भी...''
उसकी चूत में अब बुरी तरह से खुजली होने लगी थी जो अब जीभ की चुस्वाई से मिटने वाली नही थी.
शशांक भी बड़ा घाग किस्म का बंदा था, वो उसकी चूत में उंगली डालकर उसे हिलाता हुआ बोला : "ये लो...कर तो रहा हू...और क्या करू...''
सबा समझ गयी की शशांक उसे कुत्ता बनाने का बदला ले रहा है , इस तरह उसे सताकर.
सबा ने शशांक की उंगली अपनी चूत से निकाली और अपने मुँह मे लेजाकर चूस डाली और बड़े ही सेक्सी स्वर में बोली : "इस उंगली से इसका कुछ नही होने वाला....अपना लंड डालो इसमें ...लंड .''
वो बहुत धीरे-2 ये सब बोल रही थी, उसकी आवाज़ में वो तेज़ी नही थी जो अभी कुछ देर पहले तक थी.
शशांक : "बोलो तो सही...क्या डालू , किसमें डालू ...''
इस बात ने तो जैसे सबा के अंदर की चुदक्कड़ को जगा सा दिया...उसने शशांक के बालों को एक तेज झटके में पकड़ा और ज़ोर से चिल्लाई : "चूत में डाल साले , अपना मोटा लंड मेरी चूत में डाल और चोद मुझे...अब समझा मादरचोद ...''
उसके कहने का तरीका ही इतना क्यूट सा था की कमरे मे मोजूद सभी लोग हंस पड़े...और शशांक भी हंसता हुआ उसकी बाजू पकड़ कर उसे पलंग तक ले गया और उसपर लिटाता हुआ बोला : "चल आजा फिर...आज मैं तुझे दिखाता हू की असली चुदाई क्या होती है...''
सबा भी अपनी चूत फेला कर उसकी सामने लेट गयी...लेकिन शशांक उसमे लंड डालने से पहले अपनी अलमारी तक गया और एक तेल की शीशी निकाल कर उसने वो तेल अपने लंड पर रगड़ लिया.
ये देखकर अपनी चूत में सरदारजी का लंड लेती हुई सुमन मुस्कुराइ और हाँफती हुई सी आवाज़ में बोली : "आज तो तू गयी सबा...''
सबा की समझ में भी नही आ रहा था की ये आख़िर क्या लगाया है शशांक ने अपने लिंग पर...क्या कोई जादुई तेल है...किसी बंगाली बाबा से लाया है क्या...पर ये सब विचार उसके जहन में ही रह गये क्योंकि शशांक ने उसकी चूत पर अपना लंड लगा दिया था...और बोला : "आर यू रेडी फॉर द राइड...''
सबा ने कुछ नही कहा बल्कि उसकी गांड पर अपनी टांगे लपेट कर उसे अंदर खींच लिया...और उसके लंड का टोपा उसकी चूत में फँस गया...जैसे ही शशांक के लंड ने उसके अंदर 1 इंच के करीब प्रवेश किया, उसे अपनी चूत में जलन का एहसास हुआ...ऐसा लगा जैसे अंदरुनी दीवारों पर कोई चिंटी रेंग रही है...जो अब लंड की रगड़ से ही दूर होगी...इसलिए उसने बाकी के बचे हुए लंड को अंदर लेने के लिए और ज़ोर लगाया और अगले झटके में उसने आधे से ज़्यादा लंड ले लिया..उसका राहुल से थोड़ा मोटा भी था, इसलिए कुछ ज़्यादा ही खिंचाव के साथ वो अंदर जा रहा था, और अंदर जाते हुए एक अजीब सा सेंसेशन भी मिल रहा था उसे...
सबा ज़ोर से कसमसाई : "उम्म्म्ममममममममममममम...... शशांक....... उफफफफफफफ्फ़.... क्या लंड है...... ऐसा मज़ा तो आज तक नही मिला मुझे''
एक पति के लिए ये सुनना बहुत बड़े धक्के के समान होता है, शादी से लेकर आज तक राहुल ने उसकी चूत लगभग रोज बजाई थी, और हर बार उसे इतना संतुष्ट किया था की राहुल को खुद पर गर्व होता था की इतनी गर्म औरत को अपने लंड से ठंडा करने का साहस है उसके और उसके छोटे सिपाही में ..लेकिन आज उसी सबा ने भरी सभा में ये एलान कर डाला था की आज से पहले उसे इतना मज़ा नही मिला है, ये एक खुददार पति के लिए मर जाने लायक बात थी...
लेकिन राहुल को अच्छी तरह से पता था की इस वक़्त सबा पर सैक्स का भूत सवार है, ऐसे मे वो कुछ भी बड़बड़ाएगी ...इसलिए उसने उसे इग्नोर किया...लेकिन जो गुस्सा उसके अंदर आ रहा था उसने उसे सरदारनी के उपर निकालने की सोची, और एक ही झटके में उसे घोड़ी बना दिया, और उसकी तरबूज जैसी गांड पर हाथ फेरने लगा..
सरदारनी भी अपना मुँह तकिये मे घुसा कर चिल्लाई : "येसस्स्स्स्स्स्स्सस्स... राहुल....डाल दे अपना मूसल आज मेरी गांड में ....मार ले मेरी पीछे से मेरी गांड ....''
अब चौंकने की बारी सबा और राहुल की थी...सबा तो अच्छी तरह से जानती थी की राहुल को गांड मारने की कब से इच्छा है, और आज ही सबा ने उसे प्रोमिस किया था की वो उसकी गांड मार सकता है, लेकिन इसी बीच ये सब हो गया तो उन्हे गांड मारने का मौका ही नही मिला...लेकिन अब राहुल के सामने अपनी गांड फेला कर लेटी हुई सरदारनी ने जब ये कहा तो राहुल के मुँह में पानी आ गया....वो अपने आपको रोक नही पाया...उसने सोचा : "कल तो सबा की गांड मारनी ही है, आज सरदारनी की मारकर उसकी प्रैक्टिस ही कर लेता हूँ ...''
इतना सोचकर उसने अपने लंड पर ढेर सारी थूक लगाई और उसे डिंपल के पिछले छेद में टीका दिया..और फिर तरबूज के दोनो हिस्सों को फेला कर उसने थोड़ा और चोडा किया और एक ज़ोरदार झटके के साथ उसकी गांड में दाखिल हो गया..
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जितना उसने सोचा था उतना ज़ोर नही लगा, शायद इसलिए की वो पहले से अपनी सरदारजी से मरवाती आ रही थी..
लेकिन उसकी गांड के छेद में लंड डालकर राहुल को ऐसा लगा जैसे वो किसी और ही दुनिया में आ चुका है...उसके लंड पर माँस के एक छल्ले ने जोरदार जकड़न के साथ मखमली एहसास दे रखा था.
सरदारनी ने तकिये को ज़ोर से पकड़कर मसल डाला और अपनी गांड की गाड़ी को आगे पीछे धक्का देने लगी, राहुल का लंड उसके पिछवाड़े में अटका पड़ा था जो उसके हिलने से अंदर बाहर हो रहा था....राहुल तो बस उसकी गांड पर हाथ रखकर उसके मखमली एहसास का मज़ा ले रहा था, बाकी का काम तो डिंपल कर रही थी...सच में बड़ी गर्म औरत थी वो..ऐसी सरदारनी की दिन मे चूत और अब गांड मारकर राहुल भी फूला नही समा रहा था.
उधर गुरपाल को नीचे लिटा कर सुमन उसके उपर सवार हो चुकी थी, और अपने घने बालों को और उपर करके वो मस्ती मे उछल रही थी उसके लंड पर...गुरपाल भी थोड़ा उपर की तरफ मुड़कर उसके मुम्मो को दोहता हुआ ज़ोर-2 से अपना लंड उसकी चूत में पेल रहा था..दोनो की चीखों से सॉफ जाहिर था की किसी भी वक़्त दोनो झड़ सकते है..
''आआआआआआअहह सुमन भाभी.....आपके ये मुम्मे कितने मजेदार है.....इन्हे हर रोज दबाने का मन करेगा अब तो....आआआआआआआआआहह''
सुमन भी चिल्लाई : "तो दबा लेना......जब मर्ज़ी हो....... आ जाना...... कोई भी ....... दबा लो.... मार लो.... कुछ भी करो...... सब खुला है....''
सुमन ने तो खुल्ला ऑफर दे डाला सभी को.... वैसे भी कमरे में मोजूद सभी लोग जानते थे की ऐसी महफ़िल तो अब रोज लगा करेगी...सुमन ने तो बस इस बात पर मोहर लगाई थी..
और सुमन ने जब अपने आख़िरी शब्द बोले तो उसके अंदर का लावा फुट पड़ा और उसने भरभराकर अपना ऱज गुरपाल के लंड के उपर छोड़ दिया..
गुरपाल भी उसके गरमा गरम तेल में नहाकार उत्तेजना के शिखर पर जा पहुँचा और अपने लंबे लंड का झंडा वहां गाड़ कर उसने भी सफेद लावा बिखेरना शुरू कर दिया...उसकी चूत की घाटी में ..जो धीरे-2 बहता हुआ अपने आप ही बाहर निकल आया...
सुमन भी निढाल सी होकर नीचे लुडक गयी, और गुरपाल ने बचा हुआ माल उसके चिकने पेट के ऊपर बरसाकर उसे अपने रंग से नहला दिया
राहुल का तो आज बुरा हाल था...उसकी जिंदगी की ये पहली गांड मराई थी, इसलिए कुछ ज़्यादा ही एक्साइटेड होकर वो ज़्यादा स्पीड से सरदारनी की गांड पेल रहा था...और चुदाई का तो नियम है, जितनी तेज़ी से आप अपनी गाड़ी चलाओगे, उतनी जल्दी आपका चालान कटेगा...राहुल के साथ भी यही हुआ...हद से ज़्यादा स्पीड, गांड मारने की एक्ससाइटमेंट और गांड के छल्ले की जोरदार ग्रिप ने उसके लंड की स्पीड को हद से आगे पहुँचा दिया और उसके लंड ने भी दे दना दन सरदारनी की गांड में गोलियाँ बरसानी शुरू कर दी....वो उसकी फेली हुई गाण्ड को पकड़कर ऐसे झटके मारने लगा जैसे उसके अंदर का सारा माल निकलकर हमेशा के लिए बाहर जा रहा है...और अंत में वो निढाल सा होकर उसकी पीठ पर गिर पड़ा...
डिंपल की चूत की आग अभी तक नही बुझी थी, इसलिए वो पलटकर सीधी हुई और राहुल को नीचे लिटा कर खुद उसके मुँह पर जाकर बैठ गयी...और वो भी बड़े अधिकार से, जैसे उसके बाप प्लॉट हो ...राहुल ने भी मना नही किया, क्योंकि उसकी चूत से निकल रही भीनी खुश्बू उसे बहुत पसंद आई थी,वो अपनी जीभ निकाल अकर उसकी चूत को चोदने लगा..डिंपल के लिए इतना ही बहुत था...वो भी मचलती हुई उसके होंठों और मुँह पर अपनी चूत को रगड़कर अपने ओर्गेज़म के करीब पहुँचने लगी..
और सबा की तो बात ही ना पूछो, शशांक ने पता नही कैसा तिलस्मी तेल लगाया था अपने लंड पर की वो ना तो झड़ने का नाम ले रहा था और ना ही उसकी स्पीड कम हो रही थी...सबा बेचारी ढंग से साँस भी नही ले पाती थी की 3-4 झटके मारकर शशांक उसे और ज़्यादा तडपा देता था...आज जैसी चुदाई सच में सबा की पहले नही हुई थी...वो अपने उपर नीचे हिलते हुए मुम्मो को पकड़ने का असफल प्रयास करती हुई चिल्लाए जा रही थी....
''याआआआआ अल्लाआाआआहह ..........मार डाला आज इसने................ ऐसा मज़ा आज तक नही मिलाआाआअ.... आआआआआआआहह ऐसे ही मारो मेरी....... सब माआआआअरो...... रंडी बना डालो मुझे इस सोसायटी की............ चोदो मुझे............ ज़ोर-2 से चोदो ................ आआआआआआआआहहयययययययययययययीीईईईईईईईई''
और ना जाने क्या-2 बुदबुदाती हुई वो झड़ती चली गयी....पर शशांक था की रुकने का नाम ही नही ले रहा था...निढाल सी हो चुकी सबा को उसने उल्टा किया और बेड पर चित्त लिटा दिया, और उसकी चूत की पंखुड़ी को फेला कर अपना लंड एक बार फिर से अंदर डाल दिया...इस बार सबा ने अपना मुँह बेड के अंदर घुसा कर अपनी चीख रोकी, क्योंकि पीछे से लॅंड डलवाने में ज़्यादा दर्द का एहसास हो रहा था...उपर हाथ करके उसने चादर को पकड़ लिया और पीछे से मिल रहे झटको को महसूस करती हुई सिसकारियाँ मारती हुई अपनी चूत मरवाने लगी..
ऐसी गोल मटोल गांड को मारने में कितना मज़ा आएगा,इसका शशांक को अच्छी तरह से अंदाज़ा था, लेकिन उसके छेद को देखकर वो जान चुका था की वो पीछे से अभी तक कुँवारी है, इसलिए उसने भी गांड मारने की कोशिश नही की,शायद जल्द ही उसे मौका मिल जाए...
उसकी गांड के गुलाबी छेद को देखते हुए शशांक के लंड ने आग उगलनी शुरू कर दी...और वो भी किसी सियार की तरह उपर मुँह करके चिल्लाता हुआ झड़ने लगा...
''आआआआआआआअहह ओह सबाआआआआअ.... मेरी ज़ाआाआआआआअन्णन्न् ...कितने महीनो का सपना आज पूरा हुआ है..... तेरी चूत में अपना माल निकालने का............ आआआआआआहह ले मेरी रानी..... मेरा माल अपनी चूत में .....''
राहुल भी अपने बॉस को इतनी चीप भाषा का इस्तेमाल करते देखकर हैरान था....अंदर से जानता तो वो शुरू से ही था की उसकी बीबी को सभी लोग दूसरी नज़रों से देखते है,पर आज शशांक के मुँह से ये बात उजागर होती देखकर उसे सब समझ मे आ गया की सबा को चोदने के लिए ही उसके बॉस ने ये सारा जाल बिछाया था..
लेकिन अब तो कुछ हो नही सकता था...वैसे भी वो और सबा इस जाल में फंसकर काफ़ी खुश थे...और शायद आगे भी ऐसे ही फंसकर रहना चाहते थे.
राहुल के मुँह पर चूत के बल डांस करती हुई सरदारनी को भी अपनी मंज़िल मिल गई...और उसने भी अपना पानी राहुल के मुँह में निकाल कर चैन की साँस ली...
अब पूरे कमरे में एक अजीब सी गंध तैर रही थी...ठंडी -2 सी.... चूत और लंड से निकले पानी की गंध थी ये...
करीब आधे घंटे तक ऐसे ही पड़े रहने के बाद सभी ने एक-2 करके अपने कपड़े पहनने शुरू किए...सभी के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे...और वो एक अलग ही खुशी में डूबकर चमक भी रहे थे...और साथ ही सबकी आँखो मे एक प्रश्न भी था की ऐसी महफ़िल फिर कब लगेगी...
शशांक ने उनकी आँखो और मन की बात पड़ ली थी शायद...इसलिए जब सभी लोग कपड़े पहन चुके थे तो वो बोला : "आज की रात मुझे हमेशा याद रहेगी...और शायद आप सभी को भी...और आप सभी ने चाहा तो ये सब ऐसे ही चलता रहेगा...पार्टनर्स बदल-2 कर हम सभी ये मज़ा लगभग रोज ले सकते है..''
सभी ने एक दूसरे की तरफ देखा और फिर मुस्कुरा कर अपना सिर हिलाकर सहमति जताई.
शशांक और सुमन ये देखकर खुश हो गये की उनकी मेहनत सफल हुई.उनके ग्रुप का निर्माण हो चूका था ।
शशांक : "कल हम सभी आराम करेंगे...परसों दीवाली है...इसलिए सभी लोग अपना-2 काम निपटा कर यहाँ मेरे घर करीब 11 बजे पहुँच जाना..फिर हम एक बार फिर से ये 3 पत्ती गेम खेलेंगे ..''
सभी खुश हो गये..
तभी गुरपाल बोला : "यार शशांक...हम तीनों के अलावा कपूर साहब और गुप्ता जी भी तो है....वो भी तो आएँगे...उनके सामने ये सब कैसे हो पाएगा..''
शशांक ने सुमन की तरफ शरारती नज़रों से देखा और बोला : "ये काम तुम मुझपर और सुमन पर छोड़ दो...और आप सब भी मेरे अनुसार चलना ,फिर देखना, कैसे वो लोग भी अपने-2 पार्टनर्स के साथ इस खेल में शामिल हो जाएँगे...अब बस आप दीवाली के दिन होने वाले खेल की तैयारी करो, उस दिन धमाका होगा...एक ऐसा धमाका जो सभी के लंड और चूतों में आग लगा देगा...''
शशांक की बात सुनकर सभी हंस पड़े..और फिर रात के करीब 3 बजे सब एक-2 करके अपने घर चले गये.
अब सभी को इंतजार था तो बस दवाली के दिन का.
दीवाली के जुए का.
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दीवाली वाले दिन पूरी सोसायटी में चहल पहल थी, शशांक और राहुल के ऑफीस में भी दीवाली की पूजा की गयी, सबको गिफ्ट भी दिये गए , दोनो करीब 4 बजे तक वापिस घर भी आ गये..राहुल जब घर पहुँचा तो सबा ने दरवाजा खोलने में काफ़ी देर लगाई.. और जब खोला तो उसके चेहरे पर एक शरारती स्माइल थी..
रोजाना की तरह राहुल ने अंदर घुसते ही उसे पकड़ लिया और उसे ज़ोर से हग कर लिया...राहुल ने नोट किया की इस वक़्त सबा ने सिर्फ़ एक बाथींग रॉब ही पहना हुआ है, उसके शरीर पर हाथ फेरकर ये भी अंदाज़ा हो गया था की अंदर से वो पूरी नंगी है, राहुल का तो एकदम से एक क्वीकी का मन बन गया, और उसने उसके चेहरे को पकड़कर एक किस्स की तैयारी भी कर ली, वो कसमसाती रह गयी और राहुल के होंठ उसके होंठों पर जा लगे...लेकिन अगले ही पल उसने चौंकते हुए किस्स तोड़ी और बोला : "ये....ये कैसा स्वाद आ रहा है तुम्हारे लिप्स में से....''
जवाब में सबा मुस्कुरा दी...और इठलाती हुई सी, अपने मुँह में अंगूठा रखकर उसे दांतो से दबाती हुई बेडरूम की तरफ चल दी..राहुल भी उसके पीछे -2 चल दिया.
और अंदर का नज़ारा देखकर सारा खेल उसकी समझ में आ गया.
अंदर बेड पर सुमन भाभी लेटी हुई थी
और वो भी जन्मजात नंगी.
राहुल को देखकर उसने अपने शरीर को ढकने का कोई प्रयत्न नही किया..बल्कि उसे देखकर वो भी ठीक वैसी ही हँसी हंसने लगी जैसी सबा हँसी थी. वो अपनी गीली चूत में उंगलियाँ डाल कर अपनी चूत को कुरेद रही थी...राहुल समझ गया की उसके आने से पहले वहाँ क्या चल रहा था..सबा उसकी चूत को चूस रही थी, इसलिए उसे चूमते हुए राहुल को चूत का स्वाद महसूस हुआ था.
सबा : "डार्लिंग...तुम ज़रा बैठो, मैं अपना अधूरा काम निपटा लेती हूँ तब तक..''
सबा ने सिर्फ़ एक बाथींग रोब डाली हुई थी, जिसे खोलने के बाद एक तरफ फेंककर वो बेड पर कूद पड़ी और अपनी चूत मसल रही सुमन की चूत से उसका हाथ हटाकर अपना मुँह लगा दिया.
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... म्*म्म्ममममममममममममम.... अहह .... ओह सबाआाआअ....''
राहुल ने शायद इस सीन की कल्पना कभी नही की थी की उसकी कंज़र्वेटिव वाइफ उसके बॉस की चूत को चूसती हुई पाई जाएगी...कल रात के वाकये के बाद तो सब खुल ही चुके थे..लेकिन राहुल को ये अंदाज़ा नही था की सबा से रात का सब्र नही होगा, वो तो लेस्बियन सेक्स पर उतार आई थी, शायद उसकी चूत कुछ ज्यादा ही कुलबुला रही थी
वैसे लेस्बियन सेक्स होता बहुत मजेदार है, ख़ासकर उस मर्द के लिए जिसकी बीबी उसके सामने ही दूसरी औरत के साथ वो कर रही हो..राहुल आराम से बेड के पास पड़ी आराम चेयर पर बैठ गया और उनका हॉट एंड सेक्सी खेल देखने लगा.
सबा तो सुमन की चूत चाटने में व्यस्त थी...पर सुमन का चेहरा राहुल की तरफ था और अपनी चूत से मिल रहे मज़े को महसूस करते हुए उसके सेक्सी से चेहरे पर जो एक्शप्रेशन आ रहे थे उन्हे देखकर राहुल का लंड एक मिनट में ही स्टील जैसा हो गया...उसने धीरे-2 अपनी टाई उतार दी...शूज़ और सॉक्स भी उतार कर साइड में रख दिए...जैसे उनके खेल के बीच कूदने की तैयारी कर रहा हो..पर उसने ऐसा नही किया, वो उनके इस खेल के ख़त्म होने का इंतजार कर रहा था..ताकि उसके बाद अपना नंबर लगा सके.
वैसे भी जिस लगन और मज़े के साथ सबा चूत चूस रही थी, राहुल का मन ही नही किया की उसको इस काम से हटाया जाए..उसने सुमन भाभी की दोनो जांघों को अपने कंधे पर रखा हुआ था और अपनी नुकीली जीभ से उनकी चूत की पंखुड़ियों को दोनो तरफ फेला कर अंदर के दाने के साथ खेल रही थी...अपने निचले होंठों से वो कभी उसे नीचे से उपर तक चाट जाती, कभी अपनी जीभ को किसी लंड की तरह चूत के अंदर पेलकर सुमन भाभी को सिसकने के लिए विवश कर देती और कभी पूरी की पूरी चूत को अपने मुँह में लेकर ज़ोर-2 से तब तक सक्क करती जब तक सुमन भाभी खुद उसके सिर पर हाथ रखकर उसे पीछे की तरफ नही धकेल देती..
और इन सबमें सुमन भाभी का बुरा हाल था...वो बुरी तरह से चिल्ला रही थी, कसमसा रही थी...सिसक रही थी..
''आआआआआआआआआआआआआआअहह ऊऊऊऊऊहह सबाआआआआआआअ.... मेरी ज़ाआआआन्णन्न् ... कहां से सीखा ये सब ................ उम्म्म्मममममममममम.... ऐसा मज़ा तो आज तक मुझे किसी ने नही दिया......सकक्क मिईीईईईईईईईई हार्ड.....सबा....सक्क मी हाआआाआरडर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर...''
और इतना कहकर उसने अपनी गांड को किसी पुलिया की तरह हवा में उठा दिया...और भरभराकर सबा के मुँह पर झड़ने लगी... सबा भी काफ़ी जिद्दी टाइप की लड़की निकली, उसने सुमन की चूत से मुँह नही हटाया, जब तक उसका शरीर झटके मारकर झड़ता रहा,वो उसकी चूत पर होंठ लगाकर उसके रस को किसी ड्रेकूला की तरह पीती रही...और अंत में वो अपनी आँखे बंद करके उसके सिर पर हाथ फेरती हुई बहुत ही धीमी आवाज़ में बोली : "बस कर सबा....अब बस कर....और सहन नही कर पाऊँगी ..''
सबा भी मुस्कुराती हुई उठ बैठी...उसका चेहरा देखने लायक था, पूरे चेहरे पर सुमन भाभी की चूत का रस लगा हुआ था, जैसे देसी घी उसके चेहरे पर रगड़ दिया हो...सबा बड़े मज़े से उस रस को अपनी उंगलियो पर इकट्ठा करके चूस रही थी..
राहुल की हालत बहुत खराब थी, उसका लंड अब उसकी पेंट में नही रह पा रहा था, उसने अपनी बेल्ट खोलकर अपनी पेंट को ढीला किया , उसे नीचे खिसका दिया, और लंड को बाहर निकाल कर उसे उपर से नीचे तक मसलने लगा.
तब तक सबा बिस्तर पर लेट गयी...और सुमन उठ खड़ी हुई..राहुल को इसी पल का इंतजार था, वो देखना चाहता था की एक औरत किस तरह से उसकी बीबी की चूत चूसती है, ताकि उसे देखकर वो अगली बार अपनी चूत चुसाई में कुछ सुधार कर सके..लेकिन वो ये भी जानता था की एक औरत की चूत को सिर्फ़ एक औरत ही अच्छी तरह से चूस सकती है.
सुमन ने सबा की गांड के नीचे एक तकिया रख दिया,जिसकी वजह से सबा की चूत उभर कर और बाहर आ गयी,
उसकी चूत पर एक भी बाल नही था, वो हमेशा से अपनी चूत को चिकना रखती थी...शायद इसलिए क्योंकि राहुल को यही पसंद था...और अब शायद इसलिए भी क्योंकि सभी के सामने चिकनी चूत परोसकर वो ज़्यादा वाह-वाही बटोरना चाहती थी..
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सुमन ने बहुत प्यार से अपनी जीभ निकाल कर उसकी चूत पर लगाई और उसे नीचे से उपर तक किसी आइस्क्रीम की तरह चाट डाला..सबा ने अपने पंजो के बल अपना पूरा शरीर हवा में उठा लिया और ज़ोर से सिसकारी मारकर अपने मज़े की पुष्टि की..
''आआआआआआआआहह ..... भाभी......................... उम्म्म्मममममममममममममम.... मज़ा आ गया...''
लेकिन असली मज़ा आना तो अभी बाकी था, सुमन ने उसकी चूत में उंगली डालकर उसे दोनो तरफ फेलाया और अपनी जीभ के अंदर जाने का रास्ता बनाया, रास्ता बनते ही सुमन ने अपनी जीभ और दोनो होंठ अंदर डाल दिए और दोनो तरफ पकड़े चूत के दरवाजे एकदम से छोड़ दिए, परिणामस्वरूप सुमन की जीभ और होंठ सबा की टाइट सी चूत के अंदर फँस गये...वो करीब २ मिनट तक अपनी जीभ और होंठों से उसकी चूत के अंदरुनी हिस्से को चूसती रही, उसकी चूत की पकड़ इतनी टाइट थी की थोड़ा ज़ोर लगाने के बाद ही वो बाहर निकल सके..सच में , नयी चूत की कसावट को महसूस करने का मज़ा अलग ही होता है..
पर सुमन के होंठ और जीभ के बाहर निकलने से सबा एकदम से तड़प उठी और उसने खुद ही अपनी चूत की फांके फेला कर सुमन के होंठों को अपनी चूत पर दे मारा...और एक बार फिर से कमरे में सिसकारियों की बारिश होने लगी..
अब तक राहुल ने अपनी शर्ट और पेंट को पूरा उतार दिया था, अंडरवीयर भी घुटनों तक गिराकर वो अपने लंड को मसलता हुआ उनके बुलावे का वेट कर रहा था...उसने सोच लिया की अगर उन्होने अगले पाँच मिनट में नही बुलाया तो वो खुद ही सुमन के पीछे जाकर उसकी चूत में लंड पेल देगा.
लेकिन सुमन और सबा के दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था...जिसका राहुल को अंदाज़ा नही था.
सबा की चूत को अच्छी तरह से चाटने के बाद अचानक सुमन की जीभ थोड़ा नीचे की तरफ चली गयी, यानी उसकी गांड के छेद पर
ये एक ऐसा पल था जिसे महसूस करके सबा तो चीखी ही , साथ ही उसे देखकर राहुल के मुंह से भी सिसकारी निकल गयी
ये सबा की गांड का वही छेद था, जिसे चोदने के लिए वो कब से मरा जा रहा था,
सुमन भाभी की जीभ ने अपनी लार का इस्तेमाल करके और चूत में से निकल रहे चिकने तेल की मदद से उस छेद को अच्छी तरह से तर-बतर कर दिया, और फिर अपनी १ ऊँगली उसके अंदर डाल दी, सबा दम साधे उसकी उस ऊँगली को महसूस करती रही, और फिर सुमन ने अपनी दूसरी ऊँगली भी अंदर डाल दी, और इस बार सबा के चेहरे पर दर्द के भाव उभरे
राहुल सोचने लगा की जब ये २ उँगलियाँ नहीं ले पा रही है तो उसके पांच ऊँगली जितने मोटे लंड को कैसे घुसवा पायेगी
और फिर सुमन ने धीरे-२ अपनी तीसरी ऊँगली भी अंदर पेल दी, अब तो सबा के मुंह से आवाजें निकल पड़ी
''आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह भाभी ,,,,,,, दर्द हो रहा है। .......... ,प्लीज निकाल लो ''
सुमन : "पहली बार में तो चूत के अंदर लंड जाने पर भी दर्द होता है, ऐसे ही मना करेगी तो लंड कैसे ले पायेगी इसके अंदर ''
राहुल की तो समझ में कुछ नहीं आ रहा था की वो क्या बोल रही है, सबा की गांड को तो उसे चोदना था, ये सुमन भाभी किसलिए उसकी गांड में ऊँगली कर रही है
लेकिन अगले ही पल वो भी साफ़ हो गया, जब सुमन ने मुस्कुराते हुए राहुल की तरफ देखा और बोली : "आइये राहुल जी, और डालिये अपना लंड इसकी कुँवारी गांड में, ये तैयार है ''
राहुल की तो आँखे चमक उठी, अब उसकी समझ में आया की ये सुमन और सबा का प्लान था, सबा की गाण्ड के छेद को तैयार करना सुमन का काम था और अपनी गांड मरवाकर सबा अपना वादा भी पूरा करना चाहती थी, जो उसने राहुल से किया था
बस , फिर क्या था, राहुल उठा और उसने अपने बचे-खुचे कपडे भी उतार फेंके,और अपने मोटे लंड को रगड़ता हुआ सबा की तरफ चल दिया
सबा के चेहरे पर डर था...राहुल ने आज तक अपनी बीबी को हर्ट नही किया था...इसलिए आज भी वो उसके साथ बड़े आराम से पेश आना चाहता था..उसे याद था की कैसे शादी के 2 दिनों बाद तक उसने सबा की चूत नही मारी थी, क्योंकि उसके अंदर डर था की उसे बहुत दर्द होगा..बाद में जब वो चुदी तो ऐसी बन गयी की जिस दिन उसे लंड ना मिले तो उसे नींद ही नही आती थी...और अब तो वो सोसायटी के लोगो के साथ भी मज़े लेने लगी है..
राहुल ने झुककर उसकी गद्देदार गांड को पकड़ा और अपने दाँतों और होंठों से ज़ोर-२ से उसे सक्क और किस्स करने लगा, वो उसकी गांड मारने से पहले उसे अपने प्यार का एहसास देना चाहता था
राहुल सोचने लगा की एक बार अगर उसकी गांड का ये छेद खुल गया तो क्या वो एक साथ 2 लोगो से अपनी मरवाएगी...क्या राहुल देख पाएगा की उसकी चूत में उसके बॉस का लंड है और पीछे से सरदारजी उसकी गांड मार रहे है..ये सोचने मात्र से ही उत्तेजना का जोरदार झटका लगा उसके शरीर में और उसने आगे बड़कर घोड़ी बनी सबा की फेली हुई गांड को थाम लिया...
राहुल का लंड उसके कुल्हों से टकराया, उसने अपने लंड पर ढेर सारी थूक मली...राहुल देख पा रहा था की उसकी गाण्ड का छेद डर और उत्तेजना के मारे खुल और सिकुड रहा है...इतने छोटे से छल्ले में उसका मोटा लंड जाएगा तो सब तहस नहस हो जाना है...लेकिन एक ना एक दिन तो ये करना ही पड़ेगा...इसलिए उसने भी मन कड़ा करके अपने लंड को उसकी गाण्ड के छेद पर लगा दिया...और उसकी गांड जो उसने स्टेयरिंग जैसे पकड़ कर रखी हुई थी, उसे अपनी तरफ खींचा और उसी वक़्त अपना लंड भी धक्का देकर आगे कर दिया...
''आआआआआआआआआआययययययययययययययययीीईईई ओफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ राहुल...............''
राहुल ने 4 -5 धक्के मारकर अपना लंड अंदर फंसा दिया
राहुल को जब लगा की सबा को ज्यादा दर्द हो रहा है तो वो रुक गया, पर जब वो अपना लंड वापिस निकालने लगा तो वो निकला ही नही , वो तो उसके छेद में ऐसे फँस गया था जैसे ताले के अंदर ग़लत चाबी डाल दी हो और वो निकल ही नही रही हो.
सुमन ने ऐसा करने से मना किया, वो बोली : "नही राहुल, अभी मत खीँचो इसे...थोड़ी देर अंदर रहने दो..फिर धक्के मारना...''
सुमन का ये ज्ञान काम आया, और कुछ देर बाद सबा ने खुद ही कहा : "अब ठीक है....शुरू करो...पर अब धीरे-2 करना प्लीज़...''
इसी बीच सुमन ने एक तेल की शीशी निकाली और उसकी पतली सी घार बनाकर उस पॉइंट पर डाल दी जहाँ दोनो का मिलन हो रहा था..एक दो धक्को के बाद जब तेल अंदर गया तो वो छेद चिकना हो गया और अब बिना किसी रोक टोक के लंड अंदर जा रहा था..
और राहुल ने नोट किया की अब सबा भी अपनी गांड मटका कर पीछे की तरफ धक्का दे रही थी...यानी उसका दर्द जा चुका था, मज़ा आ रहा था या नही ये उसे नही पता था...लेकिन उन दोनो के साझे प्रयास से राहुल का लंड अगले एक मिनट में पूरा अंदर घुस गया..
राहुल के लंड को ऐसी कोज़ी फीलिंग आज तक नही हुई थी...भले ही कल भी उसने डिंपल सरदारनी की गांड मारी थी पर उसमे भी ऐसा एहसास नही था..अब पहली बार की चूत मराई और गांड मराई का मुकाबला हर कोई तो कर नही सकता ना..
सुमन भी घोड़ी बनकर नीचे झुकी हुई थी और वो सबा के होंठों को चूस रही थी...राहुल की आँखो के सामने सुमन की गांड भी मचल रही थी...उसने एक हाथ उसकी गांद पर रखा और एक सबा की...और सबा की गांड मारते हुए वो दोनो हाथों से उनकी गांड पर जमा आटा गूंदने लगा..
सबा को अब मज़ा मिलना शुरू हो गया था...भले ही चुदाई वाली फीलिंग नही आ रही थी उसमे पर पीछे के छेद से जो सेंसेशन उसकी चूत तक पहुँच रहा था वो एहसास उसे पहली बार हो रहा था...उस सेंसेशन को और बढ़ाने के लिए उसने सुमन के हाथ को पकड़ कर अपनी चूत पर लगा दिया, यानी वो उसकी उंगलियों से अपनी चूत की खुजली को मिटाना चाहती थी..
पर सुमन के पास इससे भी बाड़िया आइडिया था...वो सामने की तरफ से उल्टी होकर , पीठ के बल घोड़ी बनी सबा के नीचे घुस गयी...और अब उसका चेहरा सीधा सबा की चूत के नीचे था..वो 69 की पोजीशन में आ चुकी थी, उसने थोड़ा उपर मुँह किया और उसकी चूत के फेले हुए होंठों को पकड़ कर चूस डाला..जवाब में सबा ने भी एक जोरदार सिसकारी मारते हुए नीचे झुककर उसकी चूत पर मुँह दे मारा..
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21-06-2020, 12:53 PM
(This post was last modified: 27-06-2020, 02:36 PM by badmaster122. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
''आआआआआआआआआअहह ओह... सुमन....भाभी............... बहुत मजाआाआआ.... आ रहा है.............. ज़ोर से सकककककक करूऊऊऊऊओ''
अब दोनो एक दूसरे की चूतें चूसने लगी...और पीछे से राहुल तो अपने हिस्से के मज़े ले ही रहा था..अपनी वाइफ की गाण्डमराई करते हुए उसे लेस्बियन सेक्स का भी मज़ा मिलेगा, ये उसने सोचा नही था.
राहुल के लंड ने फूलना शुरू कर दिया...अब वो किसी भी पल फट सकता था....इसलिए उसने और ज़ोर से सबा की गांड में उंगलियाँ गाड़कर अपनी गाड़ी की स्पीड तेज कर दी...
नीचे लेटी हुई सुमन भी उसकी इस स्पीड को देखकर हैरान रह गयी...अब वो उसकी चूत पर मुँह नही रख पा रही थी...उसे झटके ही इतनी तेज मिल रहे थे की सुमन के होंठों से उसकी चूत फिसल-2 कर कहीं जा रही थी...लेकिन उपर से टपक रहे रस को पीकर और अपनी चूत के उपर लगे सबा के मुँह की वजह से उसको मिल रहे मज़े में कोई कमी नही आई थी...इसलिए वो नीचे लेटकर मिल रहे मज़े को लेती हुई आने वाली बारिश का वेट करने लगी...
और वो बारिश जल्द ही हो गई...राहुल ने आख़िर के 4-5 झटके लगाए और जोरों से काँपते हुए वो बुरी तरह से झड़ने लगा...
गर्म माल का एहसास पहली बार हो रहा था सबा को अपनी गांड के अंदर...और ये एहसास उसे बहुत पसंद आया...वो भी बुरी तरह झड़ते हुए सिसकारियाँ मारने लगी.. उसे अपनी गांड मरवाई में बहुत आनंद मिला था..राहुल ने ज़ोर-2 से झटके मारकर अपना सारा माल उसके अंदर खाली कर दिया...और धीरे-2 अपने सिकुड रहे लंड को बाहर खींच कर निकाल लिया.
और इसी पल की प्रतीक्षा नीचे लेटी हुई सुमन कर रही थी...जैसे ही राहुल का लंड बाहर निकला, सबा की गांड से रिसकर माल बाहर गिरने लगा..और नीचे लेटी हुई सुमन ने अपना मुँह खोल दिया और बूँद-2 करके वहां से बरसी सारी बारिश वो पी गयी..
राहुल एक साइड में लुडक गया और गहरी साँसे लेने लगा...सबा की हालत भी काफ़ी खराब थी..सुमन ने उसकी चूत चूस्कर उसे करीब 2-3 बार झाड़ दिया था...और अंत में सबसे जोरदार तरीके से वो तब झड़ी जब राहुल के माल का गर्म एहसास उसे मिला..
थोड़ी देर में सबा हमेशा की तरह उसके कंधे पर सर रखकर नंगी ही उससे लिपट कर लेट गयी...दोनो की आँखे बंद थी...और तभी राहुल के दूसरे कंधे पर सुमन ने अपना सिर रख दिया और दूसरी तरफ से वो भी उससे लिपट कर लेट गयी..राहुल ने एक नज़र सुमन पर डाली और दूसरी सबा पर...दोनो उसे ही देख रही थी...और फिर अचानक तीनों ज़ोर-2 से हँसने लगे..और सबा के साथ सुमन भी काफ़ी देर तक अपने-2 नंगे जिस्म लिए राहुल को पकड़कर लेते रहे..
शाम हो चुकी थी..कॉलोनी में बच्चो ने पटाखे छुड़ाने शुरू कर दिए थे...उन्हे तैयार भी होना था और रात की पार्टी की तैयारी भी करनी थी..इसलिए तीनों उठे और एक साथ ही बाथरूम में जाकर नहाने लगे..वहां उन्होने कुछ नही किया, क्योंकि वो जानते थे की आज की रात के लिए उन्हे काफ़ी एनर्जी चाहिए..
सुमन नहा धोकर बाहर आई और कपड़े पहन कर अपने घर चली गयी.
राहुल और सबा कपड़े पहन कर तैयार हो गये और एक-2 करके उन्होने सभी के घर जाकर उन्हे मिठाई दी और वो लोग भी उन्हे मिठाई देकर गये...सभी ने अपने-२ घर पर पूजा की और बाहर निकलकर सबके साथ मिलकर बम पटाखे भी जलाए..
पर ये तो वो काम थे जो हर दीवाली पर हुआ करते है..आज तो सभी को इंतजार था उस पल का जब जुए के साथ-2 सेक्स का नंगा नाच होने वाला था..
राहुल और सबा सबसे ज़्यादा एक्साइटिड थे, राहुल तो सुमन और डिंपल के बाद अब मिसेज़ कपूर और मिसेज़ गुप्ता के बारे में सोच रहा था...दोनो ही मस्त माल थे...अगर वो मान गये तो आज की रात और आने वाले दिनों में हर रात जानदार और शानदार बन सकती थी..
और उन्हे तो मानना ही था, आख़िर शशांक ने योजना ही इस तरह की बनाई थी.
रात को सभी शशांक के घर पहुँच गये...उसके दिए गये निर्देश अनुसार कपड़े पहन कर.
राहुल और सबा जब शशांक के घर पहुँचे तो वहां कपूर साहब अपनी वाइफ के साथ पहले से ही मोजूद थे, सबा ने लौ-नेक के ब्लाउस के साथ नेट वाली साड़ी पहनी हुई थी, जिसका कपड़ा इतना पतला था की अंदर का पेटीकोट तक सॉफ नज़र आ रहा था, ब्लाउस भी डिज़ाइनर था, जिसके पीछे का हिस्सा था ही नही, सिर्फ डोरियों से दोनों किनारे बंधे थे ...और उसकी नंगी पीठ को देखकर कोई भी अंदाज़ा लगा सकता था की उसने अंदर ब्रा नही पहनी हुई है.
सुमन ने भी लगभग वैसी ही साड़ी पहनी हुई थी, और उसके ब्लाउस का गला तो इतना गहरा था की उसकी क्लीव्वेज देखकर कपूर साहब का ध्यान बार-2 उसी तरफ जा रहा था...वो जब स्नैक्स की प्लेट्स लगाने के लिए वो नीचे झुकी तो उसकी मोटी छातियाँ लगभग बाहर ही आ गयी थी...सिर्फ़ उस नन्हे दाने को छोड़कर कपूर साहब को अपना सब कुछ दिखा दिया था सुमन ने...
कपूर साहब की तो समझ में नही आ रहा था की आज इन दोनो को हुआ क्या है, इतने सैक्सी कपड़े पहने हुए है और वो भी त्योहार के दिन....बेचारे कपूर साहब ये नही जानते थे की अगर कल रात वो अगर उनके ग्रूप में होते तो इन कपड़ो के बिना भी वो उन्हे देख चुके होते..उनकी मिसेस, नीरू, तो प्रॉपर पंजाबी सूट पहन कर आई हुई थी...भले ही वो काफ़ी महँगा सूट था,पर उनके शरीर को पूरी तरह से ढका हुआ था वो..
थोड़ी देर मे सरदारजी और डिंपल के साथ-2 गुप्ता जी भी अपनी बीबी काजल को लेकर पहुँच गये..
एक तरफ गुप्ता जी की बीबी काजल थी,जो भारी साड़ी को संभाले चली आ रही थी और दूसरी तरफ डिंपल सरदारनी थी जिसने सिर्फ़ साटन के कपड़े की लुन्गी और उपर शॉर्ट कुर्ती पहनी हुई थी...और उसके मोटे मुम्मो के उपर चमक रही टिक्कियां देखकर सॉफ कहा जा सकता था की उसने भी अंदर ब्रा नही पहनी हुई है..
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There should have been a gangbang of Saba which the original story missed out on
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कपूर की तरह गुप्ता जी भी वहां के जलवे देखकर हैरान रह गये...वैसे तो दोनो ही अंदर ही अंदर खुश हो रहे थे की उनकी सोसायटी की ये सैक्सी भाभीयां उन्हे अपना यौवन दिखा रही है, पर अंदर ही अंदर उन दोनो को अपनी-2 बीबियों का डर भी सता रहा था की कही उन्होने ऐसा करते हुए देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी..
पर उनकी बिबियों के पास इतना वक़्त ही कहाँ था की वो अपने पतियों के उपर नज़र रखे, नीरू और काजल , दोनो ही अपनी सहेलियों के ऐसे सैक्सी कपड़े देखकर सड़ रहीं थी, ख़ासकर त्योहार पर तो उन्हे इतने सैक्सी कपड़े नही पहनने चाहिए, और अगर ऐसा करना ही था तो उन्हे क्यो नही बताया , वो भी ऐसे सैक्सी कपड़े पहन कर आ जाती..अब मन ही मन वो दोनो सबसे जल रही थी...और ये जलन जल्द ही उन्हे करीब ले आई और दोनो ने आपस में कुछ बात की और फिर अपने-2 पतियों के पास जाकर बोली की जब बाकी सभी इतने सैक्सी कपड़ो में बैठी है तो वो क्यो संस्कारी बनकर घूम रही है...वो भी घर जाकर कपड़े बदल कर आएँगी...
कपूर और गुप्ता तो अपनी बिबियों के चमचे थे, उन्होने एक ही बार में उन्हे जाने की इजाज़त दे डाली..
उन सभी की हर बात पर शशांक नज़र रख रहा था...उसकी योजना सफल हो गयी थी...वो जानता था की औरतों में एक दूसरे से ज़्यादा सैक्सी दिखने की होड़ हमेशा से होती है, और यही होड़ अब आगे का सारा काम अपने आप करवाएगी.
लेकिन इस बीच उनके पतियों को भी तो संभालना था, कपूर के बारे में तो शशांक जानता था की वो आसानी से मान जाएगा, प्राब्लम थी तो गुप्ता की, वो पहले भी इस तरह के सुझाव को मना कर चुका था, इसलिए शशांक अपनी तरफ से हर कदम फूँक-2 कर रखना चाहता था...और इसके लिए उसने अपनी बीबी को पहले से ही समझा कर रख दिया था...
सुमन की चूत में तो वैसे भी सूअर का बाल था, जो हमेशा खुजली करता रहता था ... अपने पति की इस प्लानिंग में तो उसे और भी मज़ा मिलने वाला था, इसलिए मिसेस कपूर और मिसेस गुप्ता के जाते ही वो अपने काम पर लग गयी...उन्हे कपड़े बदल कर आने में करीब 10-15 मिनट तो लगने ही वाले थे...इतना टाइम बहुत था उसके लिए.
राहुल और सबा, शशांक के साथ बैठे थे, और दूसरी तरफ गुप्ता और कपूर, गुरपाल के साथ...साथ में डिंपल भी थी..जो अपनी टाँग पर टाँग रखकर कुछ ऐसे बैठी थी की उसकी नंगी पिंडलियाँ सभी को नज़र आ रही थी..लुंगी का एक हिस्सा फिसल कर नीचे जा चुका था और इस बात से ना तो उसे कोई फ़र्क पड़ रहा था और ना ही उसके पति गुरपाल को...फर्क पड़ रहा था तो सिर्फ़ कपूर और गुप्ता को, जिन्होने अपनी जिंदगी में पहली बार इतनी गोरी और सुडोल पिंडलियाँ देखी थी...ऐसा लग रहा था जैसे सफेद मक्खन की बनी है वो..कपूर का बस चलता तो कुत्ता बनकर उसके कदमों में बैठ जाता और अपनी गीली जीभ से उसकी टाँगे उपर से नीचे तक चाट लेता.
शशांक ने सबके लिए पेग बनाए और सुमन को बर्फ लाने के लिए कहा..सुमन आइस बॉक्स लेकर आई और पहले की तरह झुककर सभी के ग्लास में बर्फ डालने लगी..कपूर साहब का तो हाथ कांप गया जब उन्होने इतने करीब से एक बार फिर उसके मोटे-2 मुम्मे देखे...और इस बार तो उन्हे निप्पल का भी थोड़ा सा लाल वाला हिस्सा नज़र आ गया...जिसे देखकर वो सिहर उठे , जिसकी वजह से जो बर्फ उनके ग्लास में गिरनी थी, वो सीधा उनके लंड पर जा गिरी..
सुमन : "ओहो.....आई एम वेरी सॉरी कपूर साहब...आई एम सॉरी...''
और उसने एक ही पल में वो बर्फ वहां से उठा ली और नंगे हाथों से ही उनके लंड वाले हिस्से को झाड़ने लगी...
कपूर तो पागल सा हो गया सुमन की इस हरकत से...उसने चारों तरफ देखा तो सभी अपने में मस्त थे...किसी का भी ध्यान उनकी तरफ नही था...सिर्फ़ एक आदमी था जो सुमन की इस हरकत को देखकर सदमे में चला गया..और वो था गुप्ता.
गुप्ता जी तो ये सोचकर परेशान हुवे जा रहे थे की ये हुआ क्या है...और अंदर ही अंदर सोच रहे थे की काश ये हादसा उनके साथ हुआ होता..
सुमन : "सॉरी कपूर साहब...आपकी पेंट खराब हो गयी...आप अंदर चलिए, वहां टावल है..''
उसे भला क्या प्राब्लम हो सकती थी...वैसे भी अपने खड़े हो रहे लंड को वो सभी को दिखाना नही चाहता था, इसलिए खुद ही उठकर अंदर चल दिया.
सुमन भी शशांक की तरफ देखकर सेक्सी हँसी हँसती हुई, अंदर चल दी..अपना शिकार करने..
अंदर जाकर कपूर साहब सीधा बाथरूम में गए और शीशे में अपना चेहरा देखकर हंस दिए..वो पूरा लाल हुआ पड़ा था...उत्तेजना के मारे उनके चेहरे की रंगत ही बदल चुकी थी...वो सोच ही रहे थे की अपने ही घर में, अपने पति के सामने ही सुमन भाभी ने वो हरकत क्यों की..उन्होने सॉफ महसूस किया था की जब सुमन ने वो आइस क्यूब उठाई थी तो उसके लंड को भी पकड़कर उपर खींचा था उसने..जैसे आइस नही,उसके लंड को पकड़ना चाहती हो..
वो ये सोच ही रहा था की बाथरूम में सुमन आ गयी...
वो एक बार फिर से घबरा गया.
सुमन (बड़ी ही सेक्सी आवाज़ मे) : "क्या हुआ कपूर साहब ...आप कुछ परेशान लग रहे है...''
कपूर : "न....ना...नही तो....ऐसा कुछ नही है...''
सुमन : "तो मेरे छुने से आपकी रंगत क्यो बदल गयी...''
कहते-2 सुमन ने अपनी उंगली कपूर साहब की छाती पर रख दी...उसके लंबे नेल्स कठोर माँस में धँस गये...
कपूर : "ना...नही तो....मेरी रंगत क्यो बदलेगी भला....नही....''
सुमन ने एक सेक्सी स्माइल दी और धीरे-2 अपनी उंगली को नीचे ले जाने लगी...कपूर ने भी नही रोका, वो भी देखना चाहता था की आख़िर ये चाहती क्या है..सुमन की वो लंबी उंगली चलती-2 एक बार फिर से उसके लंड के उपर पहुँच गयी..और उसके चेहरे पर फिर से पसीना चमक उठा
सुमन : "ये देखो...एक बार फिर से आपकी रंगत बदलने लगी है..''
कपूर अब समझ चुका था की उसने जो भी किया, सब जानबूझकर किया...अब इतना चूतिया तो वो भी नही था...उसे बस अभी तक अपने दोस्त शशांक का डर था, लेकिन इस वक़्त तो वो भी यहा नही था, इसलिए वो भी थोड़ा निश्चिंत हो गया..और उसने अपने लंड को थोड़ा आगे की तरफ करते हुए सुमन की जाँघ से टच करवा दिया..
और बोला : "अब तुम ऐसी जगह वार करोगी तो चेहरे की रंगत तो बदलेगी ही ना...सबके सामने ऐसा करके आपने तो मुझे मुसीबत में ही डाल दिया था...''
सुमन : "कैसी मुसीबत ...?''
जवाब में कपूर साहब ने बड़ी ही बेशर्मी से सुमन का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया...और कहा : "ये मुसीबत...इसे टच करके आपने मेरे सोए हुए अरमानो को खड़ा कर दिया...''
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सुमन ने उसके फुफ्कार रहे लंड को पकड़कर बुरी तरह निचोड़ डाला और बोली : "जब आपके अरमान इतने ख़तरनाक है तो उन्हे दबा क्यों रखा है...निकल जाने दो...''
दोनो ने आँखो ही आँखो में एक दूसरे को देखा और अगले ही पल भूखे भेड़ियों की तरह एक दूसरे के होंठों पर टूट पड़े...
ऐसी ख़तरनाक स्मूच शायद दोनो ने आज तक नही ली थी...उत्तेजना का पारा उपर पहुँच चुका था और फटने के बाद जो हालत होती है, वो हो रही थी दोनो की इस वक़्त...
सुमन को कपूर साहब शुरू से ही पसंद थे, गोरे चिट्टे पंजाबी बन्दे थे वो, सोसायटी में जब वो वाइट कलर की शॉर्ट्स और टी शर्ट पहन कर बेडमींटन खेलते थे तो उनके कसरती शरीर को देखकर वो अक्सर सोचा करती थी की ऐसे एथलीट जैसी बॉडी के मालिक के नीचे आकर चुदने में कितना मज़ा आएगा..
लेकिन अभी वो अपनी प्लानिंग के तहत कुछ ज़्यादा नही करना चाहती थी....सिर्फ़ उतना करना चाहती थी जिसके बाद कपूर साहब उसके हुस्न के गुलाम बन जाए और कुछ भी करने से ना घबराए..
सुमन ने अपना ब्लाउस नीचे करते हुए अपना एक मुम्मा निकाल कर बाहर किया और उसे कपूर साहब के आगे लहरा दिया, आज तक जिस मुम्मे को देखकर उनका लंड करवट लिया करता था, वो नके सामने था , कपूर तो एक नंबर का हरामी था, उसे पता था की ऐसी डिश के साथ क्या किया जाता है,वो अपना पूरा मुँह खोलकर उसके मुम्मे को निगल गया और एक जोरदार चुप्पा दे डाला..
आअअहह.....इतना मीठा मुम्मा था उसका...जैसे शहद लगाकर आई हो..
वैसे ये सच भी था...आज शाम को तैयार होते हुए शशांक ने उसके निप्पल्स पर मज़ाक-2 में थोड़ा सा शहद लगा दिया था, ताकि उसके मीठेपन में डूबकर उसका शिकार पागल हो जाए...और ये योजना काम भी कर गयी...उसके मुम्मे को चखने के बाद तो कपूर पागल सा हो गया और उसके दूसरे मुममे को भी निकालने लगा...और तभी सुमन ने उसे मना करते हुए अपना वो नंगा मुम्मा वापिस अंदर डाल लिया.
कपूर को तो ऐसा लगा जैसे उसके मुँह से कोई स्वादिष्ट पकवान वापिस खींच लिया गया हो...वो अपने खड़े लंड के साथ उसे टुकूर-2 देखने लगा.
सुमन बोली : "इतनी भी क्या जल्दी है कपूर साहब...अभी तो पूरी रात पड़ी है...और ये जगह सही भी नही है इस काम के लिए...''
कपूर (हकलाते हुए) : "पर...पर...बाहर तो सब लोग होंगे...उनके सामने कैसे...शशांक भी होगा...और मेरी वाइफ भी...''
वो बेचारा असमंजस में था की ये सब कैसे हो पाएगा..
सुमन (सेक्सी अंदाज में बोली) : "तुम्हारी बीबी की तो तुम जानो, मेरा पति मुझे कुछ नही कहेगा...इन्फेक्ट बाहर बैठा हर पति अब इन सबमे टोका टाकी नही बल्कि मज़ा करते है...''
इतना कहकर सुमन ने कल रात वाली पूरी कहानी उसे सुना दी...
कपूर को तो यकीन ही नही हुआ की इतना कुछ हो गया...एक बार पहले भी शशांक ने उसे इस तरह के खेल में शामिल होने की बात कही थी, पर अपनी बीबी की वजह से वो उससे दूर ही रहा था...वो खुद तो करना चाहता था पर अपनी बीबी को वो अच्छी तरह से जानता था की वो इसके लिए कभी नही मानेगी...अपने पति को किसी और की चुदाई करते देखकर वो तो उसका खून ही कर देगी...और वो खुद भी काफ़ी पत्निव्रता टाइप की औरत थी...शादी के बाद से आज तक उसने किसी और मर्द के बारे में ना तो बात की थी और ना ही उसे कोई और पसंद था...अपने पति में उसे पूरे जहान की खुशिया दिखाई देती थी.
उसे सोच में पड़ता देखकर सुमन बोली : "तुम बस अपनी फ़िक्र करो...भाभी को मनाना मेरा काम है...''
ये सुनकर कपूर की आँखे चमक उठी...वो झट्ट से बोल उठा : "ठीक है फिर, अगर तुम उसके मुँह से इस बात की रज़ामंदी करवा दो तो मुझे भी कोई प्राब्लम नही है...''
और दोनो एक बार फिर एक गहरी स्मूच करके बाहर की तरफ चल दिए.
इसी बीच, कपूर साहब और सुमन के अंदर जाने के बाद, शशांक ने इशारा करके सबा और डिंपल को उनके शिकार की तरफ जाने को कहा..और वो दोनो आँखो ही आँखो में इशारा करके अपनी सीट से उठी और गुप्ता जी की तरफ चल दी. गुप्ता जी के लिए शशांक ने उन दोनों को इसलिए कहा था क्योंकि दोनों एक से बढ़कर सैक्सी थी, एक साथ 2 हुस्न परियों के जाल से बचना नामुमकिन ही था
सरदरजी और राहुल शशांक के पास जाकर बैठ गये और बातों मे ऐसे मशगूल हो गये जैसे उन्हे उस कमरे में और क्या चल रहा है, उससे कोई फ़र्क हि नही पड़ता..
गुप्ता जी ने जब देखा की सबा और डिंपल उसके अगल बगल आकर बैठ गयी है तो वो घबरा सा गया...एक पंजाबन सरदारनी और दूसरी ,., हूरपरी, दोनो उसके सपनो में ना जाने कितनी बार आकर चुदवा चुकी थी...और आज वो अपने सेक्सी कपड़े पहन कर उसके दोनो तरफ ऐसे बैठ गयी थी जैसे अपनी हर उस सपने वाली चुदाई का बदला लेने आई हो..
डिंपल ने गुप्ता जी से कहा : "क्या हुआ गुप्ता जी...काजल भाभी एकदम से कहाँ चली गयी...''
वो बेचारे क्या बोलते, सबा बीच में बोल पड़ी : "लगता है उन्हे हमारे सैक्सी कपड़े देखकर जेलीसी हो गयी है, वही बदलने गयी है...है ना गुप्ता जी..''
गुप्ता बेचारा परेशान सा उन दोनो परियों के बीच फँसा बैठा था...सबा को इस तरह से बाते करता देखकर उसे मज़ा तो आ रहा था पर साथ ही उनके पतियों का डर भी सता रहा था...
डिंपल : "पर तुम कैसे कह सकती हो की हमारे कपड़े सैक्सी है...ये तो नॉर्मल से है...ऐसे तो मैं अक्सर घर पर पहना करती हूँ ...''
सबा : "डिंपल भाभी, आपके लिए ये नॉर्मल है, पर इन मर्दों के लिए नही...अभी थोड़ी देर पहले मैने देखा था की राहुल कैसे आपकी नंगी टाँगो को देखकर अपनी एक्साईटमेंट दबा रहे थे...''
डिंपल : "अर्रे....उसे अगर मेरी टांगे इतनी ही पसंद आ रही है तो उसे बोल ना की आकर छू ले इन्हे...मैं बुरा नही मानूँगी...हा हा...''
वो दोनो एक दूसरे से ऐसे बाते कर रहे थे जैसे गुप्ता बीच में बैठा ही नही है..
और उनकी बाते सुनकर वो बेचारा बड़ी मुश्किल से अपने लंड को खड़ा होने से रोक रहा था.
उसकी टांगे देखकर तो वो भी काफ़ी एक्साइटेड हो गया था...तो क्या डिंपल उसे भी अपनी टांगे छूने देगी...तो क्या इसलिए वो उसके पास बैठकर वो बात कर रही है...यानी...यानी डिंपल चाहती है की वो उसकी टाँगो को छुवे...
पर कैसे...वहां तो सब लोग मोजूद थे...और उसका पति भी...ऐसे में वो कैसे उसकी टाँगो को छू पाएगा..
डिंपल ने गुप्ता जी को देखा और बोली : "मैने तो गुप्ता जी को भी ऐसा करते देखा था...''
गुप्ता जी कुछ बोल पाते, इससे पहले ही सबा बोल पड़ी : "तो इनको छुवा दो..इन्हे भी मज़ा मिल जाएगा और आपकी वो कई दिनों की दबी हुई इक्चा पूरी हो जाएगी, जिसमे आप किसी और मर्द से, अपने ही पति के सामने मज़े लेना चाहती थी..''
गुप्ता का सिर चकरा गया, ये कैसी बातें कर रही थी दोनो...अपने ही पति के सामने डिंपल भला किसी और से मज़े क्यों लेगी...लेकिन वो सोचता ही रह गया और डिंपल ने उसके हाथ को पकड़कर अपनी जाँघ पर रखा और धीरे से बोली : "गुप्ता जी...मन को मत मारिए...कर लीजिए अपने मन की...और मेरी इच्छा भी पूरी करिए...''
गुप्ता जी को लगा की शायद ये उन औरतों में से है, जिसे घर तो खाने को भरपूर मिलता है, पर फिर भी बाहर के खाने की भूख हमेशा रहती है...जैसे आजकल के मर्दों में होता है..
गुप्ता ने देखा की शशांक , राहुल और गुरपाल तो आपस में बाते करने में व्यस्त है, उसने तुरंत मौके का फायदा उठाते हुए डिंपल की जाँघ को अपने कठोर हाथों से मसल दिया...
उफफफफफफफफ्फ़ इतनी मुलायम जाँघ थी उसकी....अभी तो सेटन के कपड़े की लुंगी पहनी हुई थी...जब नंगी टाँगो को दबाएगा तो कैसा लगेगा...
डिंपल ने उसकी ये इच्छा भी पूरी कर दी...उसने गुप्ता का हाथ पकड़ कर अपनी लुंगी के उस हिस्से में रख दिया,जहाँ से उसकी टाँगों का नंगापन नज़र आ रहा था...और अपनी नंगी जाँघ पर उसका हाथ रखकर ज़ोर से दबा दिया..
अब तो गुप्ता एकदम बावला सा हो गया...उसके लंड ने भी पेंट में डंडा गाड़कर तंबू बना दिया..दूसरी तरफ से सबा ने उसका दूसरा हाथ पकड़कर अपनी जाँघ पर रख दिया...ये तो गुप्ता के लिए किसी सपने जैसा था...जिस सबा की चर्चा पूरे केम्पस में थी,वो खुद उसके हाथ को पकड़कर अपनी नर्म और गर्म जाँघ पर रख रही थी..और दूसरी तरफ उनकी सोसायटी की सबसे सेक्सी और मस्त मुम्मो वाली भाभी डिंपल, उसके हाथ को पकड़कर खुद अपनी जांघों पर मसल रही थी..मतलब सॉफ था,उन दोनो की चूतों में आग लगी हुई थी...और उसे बुझाने के लिए वो गुप्ता की मदद माँग रही थी...
गुप्ता जी ने एक नज़र फिर से शशांक ,राहुल और गुरपाल की तरफ देखा...और इस बार वो सकपका सा गया...वो तीनों उसी को देख रहे थे...गुप्ता जी के दोनो हाथ उनकी बिबियो की जांघों पर थे..कमरे में एकदम सन्नाटा सा छा गया..
और तभी गुरपाल ने हंसते हुए कहा : "ओये...हैप्पी दीवाली गुप्ता जी...कर लो एंजाय...हा हा...''
और सभी लोग ठहाका लगाकर हंस दिए...गुप्ता ने देखा की राहुल भी अपनी बीबी सबा को नही रोक रहा...यानी उन्हे कोई प्राब्लम नही थी...उसकी तो खुशी का कोई ठिकाना ही नही रहा...और उसकी इस खुशी को डिंपल ने दुगना कर दिया जब उसने एक झटके से गुप्ता जी के चेहरे को अपनी तरफ किया और उनके होंठों से अपने होंठ लगा कर जोरदार किस्स करने लगी...
वो किस्स करीब एक मिनट तक चली, और इस किस्स ने गुप्ताजी के शरीर के सारे बाल और अंग खड़े कर दिए थे...वो साँस लेने के लिए हटा,और उसके पति की तरफ देखा,वो अपने में ही मस्त था,दारु पी रहा था, दोस्तों से बाते कर रहा था ...जैसे उसे अपनी बीबी की इस हरकत से कोई फ़र्क ही नही पड़ता..राहुल का भी यही हाल था
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कपूर साहब और सुमन अभी तक अंदर ही थे...गुप्ता समझ गया की ये इन सभी की चाल है...अपनी बिबियो से वो उनका शिकार कर रहे है...हो ना हो,अंदर कपूर के साथ भी शायद सुमन यही सब कर रही होगी..डिंपल ने अपना हाथ आगे करके गुप्ता जी के लंड को उपर से पकड़ लिया...उन्होने सबा की तरफ देखा और वो भी आगे होकर गुप्ता जी के होंठों पर टूट पड़ी..पहले डिंपल और अब उसके सपनो की रानी,सबसे जवान और सेक्सी,सबा उसे चूस रही थी...अब तो गुप्ता जी से सब्र नही हुआ और उन्होने अपने हाथ उपर करके सबा के मुम्मे पकड़ कर ज़ोर से दबा डाले...
सबा ने कराहते हुए अपने आप को उनके चुंगल से छुड़वाया और दूर हो गयी...गुप्ता जी डिंपल की तरफ पलटे तो वो भी वहां से उठकर अपने पति के पास जा चुकी थी..
उन्हे समझ नही आया की एकदम से इन दोनो को क्या हुआ, उसे अपने होंठों का रस चखा कर अब दूर क्यो हो रही है..
वो सोच ही रहा था की अंदर से कपूर साहब और सुमन बाहर निकल आए..
कपूर के लाल चेहरे और उसकी पेंट मे खड़े हुए लंड को देखकर सॉफ पता चल रहा था की उसके साथ भी वही हुआ है जो बाहर गुप्ता के साथ हो रहा था..
कपूर साहब बाहर आकर गुप्ता के पास बैठ गये...दोनो ने एक दूसरे को देखा...और फिर एकसाथ शशांक की तरफ.
शशांक किसी गैंग लीडर की तरह अपनी जगह से उठा और बीच में आकर खड़ा हो गया...और उसने वो सारी बाते उनके सामने कर दी जो कल से लेकर अब तक हुई थी...और ये भी बताया की वो और सुमन कब से इस बात के लिए ट्राइ कर रहे थे की उन्हे आपस में ऐसा स्वेपिंग क्लब बना लेना चाहिए जिसमे हर किसी को एक दूसरे की बीबी और पति के साथ मज़े लेने की आज़ादी हो...
राहुल और गुरपाल तो अपनी बिबियो के साथ इस ग्रूप का हिस्सा बन ही चुके थे.
सब बाते सुनने के बाद और इस खेल में मिलने वाले अनगिनत मजे में सोचकर , गुप्ता जी और कपूर साहब ने हाँ कर दी..
अब बस उनकी बिबियो की रज़ामंदी लेने की देर थी..
और वो ज़्यादा मुश्किल काम नही था..
शशांक ने सभी को समझा दिया की उसके लिए क्या करना है.
और तभी बाहर की बेल बज गयी..सुमन दरवाजा खोलने चल दी और सभी ने अपनी-2 पोज़िशन ले ली.
सुमन ने जब दरवाजा खोला तो उसे एक झटका सा लगा...जो अभी कुछ देर पहले तक भारतीय लिबास में लिपटकर बैठी थी वही अब भड़कीले कपड़े पहनकर बाजारू औरतों से कम नही लग रही थी...पर जो भी लग रही थी, कमाल की लग रही थी...और आज की रात के लिए तो ऐसे ही कपड़ो की ज़रूरत थी.
काजल ने बहुत ही खूबसूरत पार्टी स्टाइल ईव्निंग गाउन पहना हुआ था...जो फ्रंट से,टांगो वाले हिस्से से ओपन था...इसलिए उसकी मलाईदार टांगे सॉफ दिखाई दे रही थी...वो आकर कुर्सी पर बैठ गयी और उसने अपनी मोटी टांगे एक के उपर एक रख ली..सभी की नज़रें उसकी नंगी टाँगो पर थी..
और मिसेस कपूर यानी नीरू ने तो और भी ज़्यादा कयामत ढाई हुई थी..वो तो ऐसी छोटी सी फ्रॉक टाइप की ड्रेस पहन कर आई थी जैसे वो अभी भी कॉलेज मे जाने वाली बच्ची हो...कपूर साहब उसे देखकर खुद भी चोंक गये थे, क्योंकि ये उसकी नाइट ड्रेस थी जो वो अक्सर रात को ही पहना करती थी...जब उसका खुद का चुदने का मन करता था तब...क्योंकि वो अच्छी तरह से जानती थी की उस ड्रेस को देखकर कपूर साहब का लंड अपने आपे में नही रहता.जब उनका ऐसा हाल होता होगा तो सोचिए दूसरो का क्या होगा..
राहुल तो काजल को ऐसे घूर रहा था जैसे उसकी टाँगो पर लगा मक्खन चाट जाएगा...और शशांक और सरदारजी अपनी आँखो से नीरू को चोदने में लगे थे...अभी कुछ देर पहले तक जो कयामत डिंपल,सबा और सुमन बरपा रही थी वो अब नीरू और काजल बरपा रही थी..
सुमन ने उन्हे ड्रिंक्स दी...और इस बार वोड्का कुछ ज़्यादा ही डाल दिया सभी के ग्लासस में, क्योंकि वो चाहती थी की अब जो खेल शुरू हो,उसमे किसी को भी सोचने और समझने का मौका ना मिले.
सभी मर्दों ने भी अपनी ड्रिंक्स ले ली...और शशांक ने अपनी ताश की गड्डी निकाल ली.
सभी लेडीज़ अपने-2 हज़्बेंड्स के साथ आकर बैठ गयी...क्योंकि आज वो अलग बैठकर या खेलकर इस फाइनल खेल का मज़ा नही खोना चाहती थी.
सबा, डिंपल और सुमन के चेहरे पर तो रहस्यमयी मुस्कान थी, और नीरू व काजल के चेहरे पर थोड़ी गुरूर वाली स्माइल, क्योंकि वो दोनो जानती थी की इस वक़्त वो दोनो ज़्यादा सैक्सी लग रही है...इस बात से अंजान की दूसरे लोग किस बात की वजह से उनके जिस्मो को देख रहे है..
खेल शुरू हुआ..शशांक ने कहा की ये नॉर्मल गेम है..कोई वेरीएशन नही है...और गेम में चाल नही चली जाएगी, जो पत्ते मिलेंगे, उसी में फेसला कर दिया जाएगा..
काजल और नीरू के अलावा सबी जानते थे की इस खेल में क्या होने वाला है.
शशांक ने सभी को पत्ते बाँटे
सबसे पहले गुरपाल सिंह की बारी थी,इसलिए वो बोला : "मेरी तरफ से डिंपल के होंठों की 2 किस्स दाँव पर...''
उसके ये कहने की देर थी की काजल और नीरू अपनी जगह से लगभग ही उछल पड़ी...उन्हे विश्वास ही नही हुआ की सिंह साहब ने ऐसा कुछ कहा है..वो दोनो हैरानी से कभी सिंह साहब को और कभी अपने-2 पतियों को देखने लगी...जैसे पूछना चाहती हो की ये हो क्या रहा है.
तब तक राहुल का नंबर आ गया, उसने चाल चलते हुए कहा : "मेरी तरफ से भी सबा के होंठों की 2 किस्सेस दाँव पर...''
अब तो जैसे हद हो गयी....मिसेज़ कपूर यानी नीरू अपनी सीट से उठ खड़ी हुई और बोल पड़ी : "ये हो क्या रहा है...ये कैसा खेल है....अभी तक जिस तरह से खेल खेलते आए है, वैसे क्यों नहीं खेल रहे.....''
कपूर ने उसका हाथ पकड़ कर अपने पास बिठाया और धीरे से कहा : "डार्लिंग ,क्यों माहौल खराब कर रही हो...पहले देख तो लो की क्या होने वाला है...''
बेचारी अपने पति की बात सुनकर, कुन्मूनाती हुई सी, चुप होकर बैठ गयी..
दूसरी तरफ काजल के मन में गुदगुदी शुरू हो चुकी थी, शायद ये जानकार की ये कैसा खेल खेला जा रहा है...उसे अपने कॉलेज टाइम की बातें याद आ गयी...कॉलेज के दिनों में उसका एक बाय्फ्रेंड हुआ करता था, जिसके साथ उसके शारीरिक संबंध भी थे...दोनो लगभग रोज चुदाई किया करते थे...एक दिन उसके बाय्फ्रेंड ने उसे अपने रूम पर बुलाया,जहाँ पर उसका एक दोस्त भी अपनी जी एफ को लेकर आया हुआ था, तब दोनो ने इस तरह की ताश का खेल खेला था, जिसमें दोनो ने अपनी-2 जी एफ को दाँव पर लगाया था...और अंत में वो खेल एक ग्रूप सेक्स में बदल गया था...उसे अच्छी तरह से याद है की उस दिन उसके बाय्फ्रेंड और उसके दोस्त ने उसे और दूसरी लड़की को मिलकर बुरी तरहा से चोदा था...वो सीन याद करके एकदम से उसकी चूत गीली हो गयी...और रोमांच मे भरकर वो सोचने लगी की क्या आज भी कुछ ऐसा ही होने वाला है...
अगला नंबर उसके पति का ही था...गुप्ता जी ने काजल की तरफ देखा,वो मुस्कुरा दी,और ये देखकर उन्हे थोड़ी हिम्मत मिली, उन्होने कहा : "मेरी तरफ से भी 2 किस्सस दाँव पर....क...काजल की...''
गुरपाल मजाकिया लहजे में बोल पड़ा : "ओये पाजी, ये तो बता दो की कौनसे लिप्स की...उपर वाले या नीचे वाले ...हा हा हा...''
उसकी ये बात सुनकर काजल तो शर्म के मारे काँप सी गयी...नीरू का भी यही हाल था...पर दूसरे सभी लोग ठहाका लगा कर हंस रहे थे...
सुमन बोली : "गुरपाल जी, आपने भी तो नही बताया की कौनसे लिप्स की किस्स कारवाओगे आप डिंपल भाभी के...''
गुरपाल : "आए लो जी, जब बोल दिया है तो इसमें बताने वाली क्या बात है...जोनसे लिप्स पसंद हो, उनपर कर लेना...हा हा ..''
नीरू ने देखा की अपने पति की इस बात पर डिंपल भी सिर हिला कर अपनी सहमति जता रही है...और खुलकर हंस भी रही है...और उस हँसी में तो अब काजल भी शामिल हो चुकी थी...यानी उसके अलावा सभी इस खेल का हिस्सा बन चुके थे..वो बीच मे इस तरह का एतराज जताती हुई बुरी नही बनना चाहती थी, इसलिए वो भी अपने चेहरे पर थोड़ी सी स्माइल लाई और उस खेल में उन सभी का साथ देने लगी.
अगला नंबर उसके पति का ही था..
कपूर साहब ने होले से कहा : "जी...मेरी तरफ से भी 2 किस्सेस दाँव पर...नीरू के होंठों की...''
वो कुछ ना बोली, बस चुपचाप बैठी रही....ये देखकर कपूर भी खुश हो गया...
अब शशांक की बारी थी...उसने जो दाँव पर लगाया उसकी कल्पना शायद किसी ने नही की थी...
वो बोला : "मेरी तरफ से सुमन के बूब्स को चूसने का मौका दाँव पर...''
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WHERE ARE YOU BRO?
PLEASE UPDATE
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सभी मर्दों के मुँह से लार निकलने लगी...ख़ासकर कपूर और गुप्ता के....उन्हे तो अपनी इस बंबो भाभी के मोटे मुम्मे हमेशा से ही पसंद थे...
अब शशांक उठ खड़ा हुआ और बोला : "खेल का अगला नियम मैं बताता हूँ ....सभी अपने-2 पत्ते खोलेंगे...जिसके पत्ते सबसे छोटे हुए, उससे शुरूवात की जाएगी...उसने जो भी दाँव पर लगाया था, उसका बाकी के सभी लोग मज़ा लेंगे...एक-एक करके...और उसके बाद उससे नेक्स्ट जिसके पत्ते बड़े थे, उसका नंबर आएगा...ऐसे ही ये आखरी तक चलेगा, यानी जिसके सबसे बड़े पत्ते होंगे, उसका नंबर सबसे लास्ट में आएगा...''
कहने का मतलब ये था की इस खेल में किसी की भी हार या जीत नही होगी, हर कोई इस खेल मे हारेगा और हर कोई इस खेल मे जीतेगा...
सभी शशांक की ये बात सुनकर काफ़ी खुश हुए...पर नीरू के मन में अभी तक भय बना हुआ था...वो सोच रही थी की कैसे वो किसी और को किस्स कर पाएगी...या कैसे अपने पति को किसी और के होंठों को चूसते देख सकेगी...पर महफ़िल का माहौल ही ऐसा बन चुका था की कुछ कहने या करने का सवाल ही नही उठता था...सुमन ने जब उसे इस तरह से सोचते हुए देखा तो एक ग्लास वोड्का और उसके हाथ में थमा दिया, जिसे वो एक ही झटके में गटक गयी....
खेर, सबने अपने-2 पत्ते एक साथ टेबल पर सीधे कर दिए...
गुरपाल के पास, कलर आया था, 2,4,9 के साथ
राहुल के पास बहुत घटिया पत्ते आए थे, 3,7, 10
गुप्ताजी के पास 4 का पेयर आया था.
कपूर साहब के पास सीक़वेंस आई थी, और वो भी 1,2,3 की
शशांक के पास 2,9 और बादशाह आया था...
यानी सबसे छोटे पत्ते राहुल के ही थे...शुरूवात उसी से होनी थी..
शशांक और सुमन का दिल भी इस वक़्त जोरो से धड़क रहा था...वो दोनो जानते थे की खेल का ये पड़ाव बहुत अहम है, इस वक़्त अगर कोई पीछे हट गया तो उन दोनो की सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा...और अगर ये पड़ाव पार हो गया तो सभी के दिल से झिझक दूर हो जाएगी और अगली बार सब बढ़ चड़कर इस खेल में हिस्सा लेंगे...
पहला नंबर सबा का था..और दाँव के मुताबिक, सबा को 2 किस्सेस सभी को देनी थी...
सबा अपनी सीट से उठी और अपनी गांड मटकाती हुई बीच में आकर खड़ी हो गयी...सबसे पहला नंबर गुरपाल का ही था...वो किसी शेर की तरह उठा और उसने सबा को अपनी बाहों में पकड़कर अपने सीने से लगा लिया और उसके चेहरे को पकड़कर उसके होंठों को चूसने लगा...सबा भी उसका साथ दे रही थी...
सभी दम साधे उनकी इस किस्स को देख रहे थे...
नीरू और काजल को तो विश्वास ही नही हो रहा था की अभी तक जो वो सोच रही थी वो सही में हो रहा था...यानी हर कोई एक दूसरे की बिबियों को किस्स करेगा...और उनका नंबर भी आएगा...
गुरपाल साँस लेने के लिए रुका और एक बार फिर से उसके रस भरे होंठों पर टूट पड़ा...सबा को उसकी दाढ़ी और मूँछ के बाल अपने चेहरे और होंठों पर चुभ रहे थे और वो उनकी चुभन से और ज़्यादा उत्तेजित हो रही थी...वो तो उसकी घनी मूँछो तक को अपने मुँह में लेकर चूस रही थी...और सबा की इस हरकत पर गुरपाल को भी बहुत मज़ा आ रहा था और उत्तेजना में आकर उसने उसके दोनो मुम्मों पर हाथ रख दिया और उन्हे इतने ज़ोर से दबाया की सबा की चीख हि निकल गयी...और दोनो की दूसरी किस्स टूट गयी..
सुमन ने मज़ाक में कहा : "गुरपाल जी, बात तो किस्स की हुई थी, आपने तो सबा की ब्रेस्ट को ही निचोड़ दिया...देखो ना, बेचारी को कितना दर्द हो रहा है...हा हा..''
डिंपल ने उसका जवाब दिया : "मेरे सरदारजी को संभालना हर किसी के बस की बात नही है....इन्हे संभालने के लिए बड़ा जिगर चाहिए...''
उसकी बात पर भी सब हंस दिए..
उसके बाद सबा ने सभी को अपने गुलाबी होंठों की शराब पिलाई...जब कपूर का नंबर आया तो उसे तो विश्वास हि नहीं हुआ की ये वही सबा है जिसे देखने भर से उनका लंड खड़ा हो जाता था, आज वही उन्हें खुद किस्स करने के लिए तैयार खड़ी है ...इसलिए जैसे ही सबा उनकी बाहों में आई, कपूर उसपर भूखे भेड़िए की तरह टूट पड़ा, और तब तक उसे चूसता रहा, जब तक उसकी साँस नही उखड गयी...
अपनी बीबी को दूसरे मर्दों के साथ किस्स करते देखकर राहुल का लंड बुरी तरह से खड़ा हो चुका था, उसे तो बस अपनी बारी का इन्तजार था.
गुप्ता ने भी सबा के होंठों को पीकर अपनी प्यास बुझाई और इस तरह से उसका रोल अभी के लिए ख़त्म हो गया, और वो अपनी सीट पर जाकर बैठ गयी, उसकी चूत इस वक़्त बुरी तरह से पनिया रही थी
शशांक ये सारा खेल बड़े इत्मिनान से देख रहा था...उसे सबा के उठते-गिरते सीने को देखकर ही ये अंदाज़ा हो गया था की उसकी चूत में इस वक़्त किस तरह का कोहराम मचा हुआ है...
अब किस्स करवाने का अगला नंबर सुमन का था...क्योंकि शशांक के पास 2,9 और बादशाह आए थे...जो राहुल से बड़े थे.
सुमन तो जैसे इसी पल का इंतजार कर रही थी...एक सच्ची रंडी बनने के सभी गुण मोजूद थे उसके अंदर, वो खुद ही अपने ग्राहक के पास, यानी पहले दावेदार गुरपाल के पास गयी और उससे लिपट कर बुरी तरह से चूमने लगी...कुछ देर पहले तक जो जादू सबा ने सभी के उपर बिखेर रखा था, वही अब सुमन फेला रही थी..
सुमन ने अपने नशीले बदन को मटकाते हुए उस कमरे में सभी को सम्मोहित सा करके अपनी जवानी का नशा सबमें भरना शुरू कर दिया, अपने होंठों के थ्रू...सभी ने एक-2 करके उसके होंठों का शहद पिया और मस्ती में झूम गये...कपूर और गुप्ता की झिझक पिछली बार से थोड़ी कम सी हो चुकी थी, इसलिए उन्होने सबा से ज़्यादा सुमन को चूस डाला..
खेर, सुमन के होंठों की चुसाई करने के बाद सभी के लंड में तंबू बन चुका था...दारू और वोड्का का एक और दौर चला, जिसकी वजह से माहौल में थोड़ा और सुरूर बिखर गया, सभी के दिमाग़ थोड़े और हल्के हो गये और उनके लंड और चूत की नमी भी थोड़ी और बड़ गयी..
महफ़िल गर्म होती जा रही थी ...शशांक बस ये अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा था की इस गेम के बाद भी अगली गेम खेलने की ज़रूरत पड़ेगी या इसी में सब अपनी लाज-शर्म छोड़कर चुदाई के खेल में शामिल हो जाएँगे...पर उसकी सोच बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करती थी की मिसेस कपूर और मिसेस गुप्ता कैसे किस्स करवाएँगी...यानी नीरू और काजल ने अगर बिना ना नुकुर के अपने होंठों की चुसाई करवा ली तो ठीक है ,वरना अगली गेम में क्या दाँव पर लगवाना है, ये एक बार फिर से सोचना पड़ेगा.
वैसे ज़्यादा सोचने की ज़रूरत नही थी उसे, अगला नंबर मिसेस गुप्ता यानी काजल का था..
अब काजल तो पिछले आधे घंटे से अपनी कॉलेज के दिनों की यादो में खोई हुई थी, और सबा के बाद सुमन ने जिस अंदाज में सभी को चूमा था, उसके बाद तो उसकी चूत ऐसे फड़क रही थी जैसे पिंजरे में बंद चिड़िया...पर उसे अपने पति की चिंता भी हो रही थी....और वैसे भी, एकदम से उठकर वो अपनी छुपी हुई बेशर्मी का परिचय नही देना चाहती थी.
सुमन ने जब उसका नाम पुकारकर उसे उठने के लिए कहा तो उसके दिल की धड़कन बहुत तेज हो गयी, सभी की नज़रें उसपर थी...पर शशांक की नज़र उसके पति यानी गुप्ता पर थी, जिसके मन में कब से अंतर्द्वंद चल रहा था, अभी कुछ देर पहले तक उसने सबा और सुमन को तो अच्छी तरह से चूमा, चूसा..पर जब अपनी पत्नी का नंबर आया तो उसे समझ नही आ रहा था की उसे कैसे रिएक्ट करना चाहिए...वैसे उसे कोई आपत्ति तो नही थी, उसे डर था तो सिर्फ़ काजल की तरफ से ना बोलने का, क्योंकि उसके हिसाब से तो काजल एक आदर्श और पतिव्रता स्त्री थी, लेकिन वो उसकी पिछली जिंदगी की वो बाते जानता या इस वक़्त काजल के मन में क्या चल रहा है, ये जानता तो शायद ऐसा ना सोचता और खुद ही उसे उठाकर दूसरों के सामने फेंक देता..पर अपनी मर्यादा वो भी जानता था, इसलिए अपने पैर के नाखुनो से ज़मीन कुरेदता हुआ काजल के कुछ बोलने का इंतजार करने लगा..
सुमन : "अब उठ भी जाओ काजल भाभी...आप इस मजेदार खेल को इस तरह बीच में रोककर इसका मज़ा ना खराब करो...प्लीज़ उठो ना...''
पर वो चोर नज़रों से अपने पति यानी गुप्ता जी को ही देखे जा रही थी...
सुमन भी समझ गयी की जब तक गुप्ता जी खुद उसे उठने के लिए नही कहेंगे वो नही उठेगी, इसलिए सुमन अपनी मोटी गांड मटकाती हुई गुप्ता जी के पास आई और उनके घुटने पर हाथ रखकर वो अपने पंजों पर उनके सामने ऐसे बैठ गयी जैसे उनका लंड चूसने आई हो...गुप्ता जी भी आँखे फाड़ कर उसकी साड़ी के पल्लू गिरने के बाद का नज़ारा देखकर अपनी जीभ निकाले उसके अर्धनग्न मुम्मो को देखे जा रहे थे...
सुमन (बड़े ही सेक्सी अंदाज में, उनकी जाँघ रगड़ते हुए बोली) : "गुप्ता जी...कहिए ना काजल से की वो ऐसे सबका मूड स्पायिल ना करे...मैने और सबा ने भी तो किया ना...अब वो देखो ना कैसे नखरे कर रही है...आप बोलिए ना इन्हे...''
कहते-2 सुमन का हाथ गुप्ता जी के कुर्ते के नीचे से खिसकता हुआ उनके लंड तक पहुँच गया...सिर्फ़ काजल की नज़रें ज़मीन की तरफ थी, उसके अलावा सभी देख पा रहे थे की सुमन किस अंदाज में गुप्ता जी को कनविंस कर रही है...
और गुप्ता जी की तो हालत खराब थी, सुमन ने सीधा उनके लंड पर अटैक कर दिया था...और वो भी खड़े लंड पर...
कहते है मर्द का लंड सहलाकर औरत उससे कोई भी बात मनवा सकती है....यहाँ भी यही होने जा रहा था...उन्होने उखड़ते स्वर में अपनी बीबी को कहा : "उः....उम्म....का..काजल....अगर सब इतना कह रहे है तो कर लो....आई एम ओके विद दिस...''
उनके इतना कहने की देर थी की काजल का सिर एक झटके में उनकी तरफ घूम गया...अपने पति की आँखो में देखकर उसने स्वीकृति ली...और एक बार फिर से शरमाने का नाटक करते हुए वो धीरे-2 उठकर गुरपाल की तरफ चल दी...
गुरपाल के तो आज मज़े थे...उसका नंबर पहला था इस वजह से हर लड़की को चखने का पहला मौका भी उसे ही मिल रहा था...
गुरपाल भी जानता था की काजल का ये पहला मौका है, इसलिए उसे ज़्यादा ज़ोर से चूमकर वो उसे डराना नही चाहता था...वो उसके करीब गया और बड़े ही प्यार से उसने काजल को बाहों में लेकर चूम लिया...काजल भी अपनी तरफ से कोई हरकत करके अपना उतावलापन सभी को पहली ही बार में दिखाना नही चाहती थी...इसलिए चुपचाप गुरपाल के होंठों द्वारा अपने होंठ चुसवाती रही..
लेकिन जब राहुल का नंबर आया तो काजल से रहा नही गया, राहुल उसे हमेशा से ही पसंद था इसलिए उससे लिपटकर एक जोरदार सिसकारी उसके मुँह से निकल ही गयी...और उसने उसके गले में बाहें डालकर उसे अपनी तरफ खींचा और ज़ोर से चूम लिया...
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गुप्ता जी भी समझ गये की अब काजल पर सेक्स का भूत चड चुका है..वो उसकी सिसकारी का मतलब अच्छी तरह से जानते थे...वो ऐसी गर्म सिसकारी तभी लेती थी जब वो चुदाई के लिए किसी कुतिया की तरह बिलबिलाने लगती है...उसके बाद तो एक रात में 2 बार भी चुदवाकर उसकी भूख नही मिटती थी..
पर अभी तो किस्स का खेल चल रहा था...उसने काजल और राहुल को जब एक दूसरे को किस्स करते देखा तो अपनी पत्नी को किसी दूसरे मर्द की बाहों में देखकर उसे उतनी जलन नही हुई जितनी वो सोच रहा था...वो शायद इसलिए की वहां का माहौल ही ऐसा बन चुका था...
उसके बाद तो एक-2 करके काजल ने सभी को चूमा...और अंत में अपने पति को भी...
इस तरह से एक हर्डल तो पार कर ही लिया था शशांक ने..
पर दूसरा नही कर पाया...
क्योंकि डिंपल के बाद जब नीरू का नंबर आया तो उसने सॉफ लफ़्ज़ों में बोल दिया की वो किसी को भी स्मूच नही करेगी....लेकिन सुमन और सबा के ज़ोर देने पर...और कपूर साहब के कहने पर उसने सभी के गाल पर एक-2 पप्पी देना स्वीकार कर लिया...
शशांक को अब अगली गेम की प्लानिंग करनी ही थी...
कुछ देर तक अपनी ड्रिंक्स पीने के बाद अगली गेम शुरू हुई..
और इस बार भी पिछला वाला रूल ही था...यानी सबसे छोटे पत्ते वाले की वाइफ शुरूवात करेगी..लेकिन वो क्या करेगी इसका निर्णय सिर्फ़ वही मर्द करेगा जिसका नंबर होगा...यानी सामने वाला उससे कुछ भी करवा सकता है...
सभी लोग समझ चुके थे की इस खेल में अब क्या होने वाला है, अपने-२ मन में सभी ये सोचने लगे की अब क्या करवाया जाए
इस बार शशांक इस गेम को उस पार लेकर जाना चाहता था...और उसकी इस गेम की प्लानिंग ही ऐसी थी की उस पार जाने से उसे कोई भी रोक नही सकता था.
शशांक का शैतानी दिमाग़ अब ये बात तो अच्छी तरह से जानता था की यही वो गेम है जिसके बाद सब पाबंदिया हट जाएँगी, उसके बाद जो वासना का नंगा नाच होगा वहां पर, उसी को देखने और महसूस करने के लिए उसने कई सालों तक मेहनत की थी...और उसकी मेहनत का फल अब जल्द ही मिलने वाला था...
सबा के बाद काजल ने भी उसे काफ़ी इंप्रेस किया था...उसने जैसा सोचा था ना तो सबा ही वैसी निकली और ना ही काजल...एक बार उनकी शर्म का परदा जो हटा था, उसके बाद तो दोनो ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे बरसों से ये सब करती आई हो...
शशांक ने सुमन को एक कोने में लेजाकर अगली गेम कैसे खेलनी है ये समझा दिया...सुमन ने सबा और डिंपल को बाद में वही बात समझा दी...वैसे उनके लिए तो शशांक ने सिर्फ़ इतना ही कहलवाया था की अब जो जैसे बोलते जाए, उन्हे बिना किसी झिझक के वैसे ही करते चले जाना है...दोनो समझ गयी की अब वो घमासान चुदाई ज़्यादा दूर नही रह गयी जिसके बारे में उन दोनो ने सोच रखा था..
शशांक जानता था की उस कमरे में बैठे मर्दों में इतनी तो अक्ल है ही की जीतने के बाद कैसे इस खेल का मज़ा लेना है...
बस अगली गेम जल्द ही शुरू हो गयी..
राहुल ने पत्ते बाँटे.
सभी ने अपने-2 पत्ते उठा कर देखे..
शशांक के पास 1,2,3 का सीक़वेंस आया था....जाहिर था की वही सबसे बड़े पत्ते होंगे...और उसके हिसाब से उसका नंबर सबसे लास्ट में आना था...
गुरपाल के पास 2,4,6 आए थे...जो वाकई में काफ़ी छोटे थे...
राहुल के पास 2 का पेयर और बादशाह
गुप्ता जी के पास इक्का,बादशाह और 6 नंबर..
और कपूर साहब के पास बेगम , गुलाम और 8 नंबर..
यानी इस बार भी सबसे पहले गुरपाल से शुरूवात होनी थी...वो अपनी मर्ज़ी से, किसी की भी बीबी से, कुछ भी करवा सकता था...
गुरपाल जानता था की जो वो करवाना चाहता है उसके लिए शायद काजल और नीरू एकदम से तैयार ना हो...इसलिए उसने सबा को बुलाया...उसे भी इसलिए क्योंकि उस कमरे में बैठे सभी ठरकियों को सबा ही सबसे ज़्यादा पसंद है...वो जब अपने हुस्न का दीदार करवाएगी तो सभी की झिझक दूर हो जाएगी...
वो बोला : "मैं चाहता हूँ की सबा भाभी मुझे टिट फकिंग का मज़ा दे...''
अब बोलने को तो वो उसे चोदने की बात भी बोल सकता था, पर पहली ही बार में वो ऐसा करके नीरू को वहां से डराकर भगाना नही चाहता था....
सबा की तो चूत गीली हो गयी ये सुनकर...उसे पता था की गुरपाल का लण्ड काफ़ी बड़ा है, और काला भी, अपने मोटे और सफ़ेद मुम्मो के बीच उसके काले लण्ड को फंसाकर उसे मसलने के नाम से ही सिहर उठी...
वो मटकती हुई आगे आई, उसने अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिराया तो आधे से ज़्यादा मम्मे झाँकते हुए दिखाई दिए...वो गुरपाल के कदमो में बैठ गयी और उसने धीरे-2 अपने ब्लाउस की डोरियाँ खोल दी...
ब्लाउस के नीचे उसने ब्रा तो पहनी ही नही हुई थी...इसलिए डोरी खुलते ही उसके सफेद कबूतर फड़फड़ाते हुए बाहर निकल आए...गुरपाल तब तक अपनी पेंट को खोलकर नीचे खिसका चुका था और अपने हाथ में लंबे और काले लण्ड को मसलकर वो सबा के मुम्मे देख रहा था..
दूर बैठी नीरू और काजल तो सरदारजी के चमकते हथियार को देखकर बेहोश होते-2 बची...अभी तक जो खेल स्मूच तक सीमित था वो नंगेपन पर उतर आया था...सरदारजी को आजतक उन्होने एक अच्छे पड़ोसी की तरह देखा था, हमेशा उसे और इस कमरे में मौजूद हर आदमी को सिर्फ़ भाई साहब बोलकर ही सम्बोधित किया करते थे...लेकिन आज जब उनके लंड को देखा तो दोनो के चेहरे के रंग बदल गये...काजल तो बैठी-2 पनिया गयी...ऐसा लगा उसका सूसू निकल गया है...और नीरू तो उसके काले लंड को देखकर बस यही सोच रही थी की 'क्या इतना लंबा भी होता है किसी का...ये डिंपल का क्या हाल करता होगा..'
पर अभी तो हाल सबा का खराब हो रहा था...इतने करीब से जब कोई गुलाब जामुन और मोटा केला देख ले तो मुँह में पानी आना स्वाभाविक ही है...
सरदरजी के मुँह में भी पानी आ रहा था जब उन्होने लाल निप्पल वाले गोरे मुम्मे देखे सबा के..
सबा ने अपना ब्लाउस पूरा निकाल कर सोफे पर फेंक दिया...अब वो उपर से नंगी होकर अपना यौवन सभी को दिखा रही थी...नीरू अब भी सोच रही थी की क्या वो ऐसा कुछ कर पाएगी...वो भी उन लोगो के सामने जिनके साथ उसका रोज का उतना - बैठना है...पर जब उसने सबा के चेहरे के भाव देखे...और उस कमरे में मोजूद हर औरत और मर्द के चेहरे को देखा तो वो समझ गयी की ऐसा करने में सबा के साथ-2 उन सभी को भी मज़ा आ रहा है...पर वो ये कर पाएगी या नही, वो अभी तक डिसाईड नही कर पा रही थी...पर हाँ , अपनी चूत से निकल रहे गर्म पानी को वो रोकने में असमर्थ हुए जा रही थी...
सबा ने काले नाग को हाथ मे पकड़ा और धीरे-2 उसे पकड़ कर अपने मम्मों के बीच फँसा लिया...और गुरपाल की आँखो में देखकर मुस्कराते हुए उसने उसके लंड को मुम्मो के बीच की दीवारों में मसलते हुए उपर नीचे होना शुरू कर दिया...
वो ऐसा करते हुए अपनी गांड को भी हिरनी की तरह हिला रही थी जिसकी वजह से उसके बिल्कुल पीछे बैठे कपूर साहब का बुरा हाल हो गया...वो तो हमेशा से उसकी चौड़ी गांड के दीवाने रहे थे...काश वो पूरी नंगी होकर ये काम कर रही होती तो उसके लचकते कूल्हे देखकर वो अपना लंड रगड़ लेते...पर उन्हे अब ये आभास हो चुका था की यही हाल चलता रहा तो वो वक़्त भी दूर नही जब उसकी नंगी गांड भी सभी को देखने को मिलेगी...
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गुरपाल के लंड को मम्मों के बीच दबाकर उसने उसे मुँह में भी ले लिया....हालाँकि ऐसा करने के लिए गुरपाल ने नही कहा था पर उसके चॉकलेटी लंड को देखकर सबा के मुँह में पानी आ चुका था इसलिए उसका खुद पर कंट्रोल नही रहा और उसने लंड को मुँह में ले ही लिया....और जब लिया तो उसके बाद उसे छोड़ने का नाम ही नही लिया...वो अपने दोनो हाथों से उसकी गोटियों को मसलती हुई पूरी लगन से गुरपाल का लंड चूसने लगी...
गुरपाल के हाथ भी उसके मुम्मो पर आ टिके और वो उन्हे नींबू की तरह मसलने लगा...
जल्द ही गुरपाल की सिसकारियाँ गूँज उठी...कमरे में मोजूद हर शख्स उससे जल रहा था...औरतें ये सोचकर की काश वो क्यों नहीं है सबा की जगह और मर्द ये सोचकर की काश वो होते गुरपाल के बदले वहां पर...
लेकिन हर किसी का नंबर आना था, इसलिए सभी तसल्ली के साथ उनका ये शो देखते रहे..
और जल्द ही वो वक़्त आ गया जिसके लिए इतनी मेहनत की जा रही थी...गुरपाल के लंड ने भरभराते हुए अपना माल निकालना शुरू कर दिया...जो सीधा सबा के चेहरे पर गया...सबा ने उसके हिनहिनाते घोड़े को मुँह में लेकर बाकी का बचा हुआ वीर्य सीधा अपनी हलक में उतार लिया...ऐसा पंजाबी खाना वो वेस्ट नही करना चाहती थी...
उसके लंड को पूरा खाली करने के बाद वो उसे चमकाकर वहां से उठ गयी....कमरे में मोजूद सभी लोगो ने उसके लिए तालियाँ बजाई...और उन्हे सुनकर वो ऐसे खुश हो रही थी मानो वर्ड कप जीतकर आई हो...उसने अपना ब्लाउस उठाया और उसे बिना पहने ही टॉपलेस होकर वो अपनी सीट पर जाकर बैठ गयी...सारे ठरकी अभी भी उसके गोरे मुम्मे देखकर अपना-2 लंड मसल रहे थे...ये एहसास सबा को अंदर तक उत्तेजित कर रहा था..
अगला नंबर केपर साहब का था...
वो चाहते तो सबा के साथ कुछ करना थे पर वो अभी लॅंड चूस्कर उठी थी, इसलिए दोबारा उसे परेशान नही करना चाहते थे....वो कमरे में मोजूद हर औरत को देख रहे थे....बिल्कुल वैसे ही जैसे कोठे पर जाकर चुदाई से पहले रंडियों को देखा जाता है...अभी कुछ देर पहले जिस अंदाज में सुमन भाभी ने उनके लंड को छूकर उसमे हवा भरी थी, उसे ही दिमाग़ में रखकर उन्होने सुमन की तरफ इशारा कर दिया..
वो तो पहले से ही तैयार थी की कब उसका नंबर आए और कब वो सबके सामने कुछ नया पेश करे...
कपूर : "मैं चाहता हूँ ...की .... की ...''
वो थोड़ा झिझक रहे थे...शायद जो करवाना चाहते थे उसकी वजह से या फिर कमरे में मोजूद अपनी बीबी की वजह से...
सुमन : "अब बोलिए भी कपूर साहब....आप अगर ऐसा करेंगे तो गेम आगे कैसे बढ़ेगी ....आप बेझिझक कहिए क्या करवाना है मुझसे...आई प्रोमिस आपको निराश नहीं करूँगी...''
उसने ये बात उनके इतने करीब आकर कही थी की उसके मोटे मुम्मो की महक उनके नथुनों में भरी जा रही थी...
उन्होने एक ही झटके में बोल डाला : "मैं चाहता हूँ की आपके नंगे बदन को मैं उपर से नीचे तक चूमूं...''
कहना तो वो ''चाटना'' चाहता था,पर अपनी बीबी के डर से ''चूमू'' ही निकल सका उसके मुँह से...
सभी ये सुनकर हैरान रह गये की कैसे कपूर साहब एकदम से इस गेम को दूसरे सिरे तक पहुँचा रहे है...एक तरफ तो उनकी बीबी थी जिसने स्मूच करने से मना कर दिया था, और दूसरी तरफ उनके ये पति जो अपनी सारी हदें पार करने में कोई कसर नही छोड़ रहे थे...
पर सुमन ने कुछ ऐसा कहा जिसे सुनकर वहां मौजूद सभी लोग सकते में आ गये..वो बोली : "मुझे कोई प्राब्लम नही है...पर मेरी भी एक शर्त है, आपको भी मेरी तरह न्यूड होना पड़ेगा....''
अब बॉल कपूर साहब के कोर्ट में थी...नीरू के दिमाग़ से ये बात अभी उतर नही पाई थी की उसका पति कैसे नंगी सुमन को चूमेगा, उपर से सुमन ने ये कहकर तो हद ही कर दी थी...अब वो देखना चाहती थी की क्या उसके पति भी वैसा करने की हिम्मत रखते है जैसा सुमन करने को तैयार थी...
अब खेल काफ़ी रोमांचक हो चुका था...
लेकिन एक बात पक्की थी,मज़ा सभी को मिल रहा था.
सुमन बीच मैदान में खड़ी होकर कपूर साहब के आने का इंतजार कर रही थी...वो बेचारे अभी तक सकुचा रहे थे...सुमन ने शशांक की तरफ़ देखा तो शशांक ने उसे अपना काम करने को कहा...यानी अपने कपड़े उतारने को..
सुमन ने अपनी साड़ी खोलनी शुरू कर दी...नीचे उसने डिसाइनर ब्लाउज़ पहना हुआ था...और बहुत ही हल्के कपड़े का पेटीकोट ...जिसके अंदर उसकी टांगे सॉफ चमक रही थी...उसकी मोटी जाँघो को देखकर सभी के मुँह में पानी आ रहा था...
सुमन ने अपना पेटीकोट भी खोलकर नीचे गिरा दिया...ब्लाउज खोला तो एक पतली सी ब्रा ही रह गयी ...जिसे पकड़ कर उसने नीचे खिसका दिया...उसके गोरे-2 चाँद जैसे कटोरे सबके सामने उजागर हो गये...
उसने कपूर साहब की तरफ देखा...यानी वो उन्हे लालच दे रही थी की जल्दी अपने भी कपड़े उतारो ताकि वो भी अपने ये बचे हुए कपड़े उतार कर शर्त को पूरा कर सके...
कपूर साहब की तो हालत खराब हो चुकी थी....
अब उन्हे एहसास हो रहा था की भरी महफ़िल में एक औरत को नंगा करना कितना आसान है और खुद कपड़े उतारना कितना मुश्किल...
लेकिन सुमन का नंगा बदन उन्हे हिम्मत प्रदान कर रहा था..उसके अर्धनग्न बदन को देखकर उन्हे ऐसा लग रहा था की मानों उनकी धड़कन ही रुक जाएगी...ऐसा सेक्सी नज़ारा उन्होने आज तक नही देखा था जहाँ ऐसी सेक्स से भरी औरत धीरे-2 अपने कपड़े उतार रही है जो उनकी सोसायटी की सेक्स सिंबल कहलाती है...
उसकी चिकनी जाँघो और गोरे मुम्मो को देखकर उनके मुँह में पानी आ गया...क्योंकि उसे ही चूमने और चूसने वाले थे वो कुछ ही देर में ...लेकिन उसके लिए उन्हे अपने कपड़े भी तो उतारने पड़ेंगे...उन्होने अपनी पत्नी नीरू की तरफ देखा की कही वो गुस्सा करके तो नही बैठी है...पर वो ये देखकर हैरान रह गये की उसका सारा ध्यान तो सुमन के आधे नंगे बदन की तरफ था...
वो उसके उभारों और कच्छी में फंसी चूत को देखकर ऐसे गहरी साँसे ले रही थी जैसे वो कोई मर्द हो...
यानी कमरे में मोजूद दूसरे मर्दों की तरह वो सुमन के नंगे होते बदन को देखकर उत्तेजित हो रही थी...
ये बात शशांक ने भी नोट कर ली...
वो समझ गया की नीरू को कैसे लाइन पर लाना है...
जब कपूर साहब ने देखा की उनकी बीबी तो खुद इस खेल का मज़ा ले रही है तो उन्होने झट से अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए..
उन्होने आनन-फानन में अपनी पेंट उतार दी...अपनी शर्ट भी खोल दी...और सुमन के करीब आकर खड़े हो गये...
उत्तेजना की वजह से उनके लंड का इतना बुरा हाल था की उसका सुपाड़ा उनके अंडरवीयर से बाहर झाँक रहा था...
सुमन ने जब उनके लंड के टोपे को बाहर निकलकर चमकते देखा तो उसके मुँह में पानी आ गया...और वो झट से उनके कदमो में बैठ गयी और एक ही झटके में उसने उनके अंडरवीयर को पकड़ कर नीचे खिसका दिया...
उनका फुंफकारता हुआ लंड एक ही झटके में सबके सामने प्रकट हो गया...सभी की चुतो में नमी फैल गयी और ना चाहते हुए भी सब औरतों के मुँह से एक सिसकारी निकल गयी...कपूर साहब के लंड को देखकर सभी ने एक बार फिर से तालियाँ बजाई...अपने लॅंड की ऐसी आवभगत होती देखकर कपूर को भी थोड़ा होसला मिला और वो मुस्कुराते हुए अपने लंड को पकड़कर मसलने लगे...
कपूर साहब अब पूरी तरह से नंगे होकर बीच बाजार खड़े थे..
उनके कसरती बदन को देखकर सभी औरतों के मुंह से आह सी निकल गयी
उन्होने सुमन को भी इशारा करके अपने बचे हुए कपड़े उतारने को कहा...
सुमन ने अपनी ब्रा खोल दी और उसे नीचे फेंक कर अपने मोटे मुम्मे हिलाती हुई उठ खड़ी हुई
कपूर साहब से सब्र नही हुआ और उन्होने सुमन की ब्रैस्ट पकड़ कर उन्हे चूम लिया...
सुमन ने भी उनके सिर के पीछे हाथ रखकर उन्हे छोटे बच्चे की तरह अपनी छाती से चिपका लिया और अपना सिर उपर करके अपना दूध उसके मुँह में अर्पित कर दिया.
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कपूर साहब ने अपना काम शुरू कर दिया...अपनी गीली जीभ निकाल कर वो किसी कुत्ते की तरह सुमन के शरीर को चाटने लगे...उसे चूमने लगे...अपने दोनो हाथों में उसके मुम्मो को भी दबा रहे थे...अपने हाथ नीचे लेजाकर उन्होने सुमन की कच्छी भी फाड़ डाली जैसे आज के बाद उसका इस्तेमाल ही नही होगा...कच्छी फटते ही सुमन भी उपर से नीचे तक पूरी नंगी हो गयी....
आज कपूर साहब और दूर बैठे गुप्ता जी ने पहली बार सुमन भाभी को नंगा देखा था...राहुल और सरदारजी तो कल रात उसका रसपान भी कर चुके थे
जैसा कटीला बदन उनका सूट या साड़ी में दिखता था, नंगा होने के बाद उससे कही ज़्यादा आकर्षक लग रहा था वही बदन...
कपूर तो अपना लंड उनके पूरे बदन पर ऐसे रगड़ रहा था जैसे लंड की खुजली दूर करने का यही एकमात्र तरीका है...
सुमन के हाथ भी कपूर के पूरे बदन और ख़ासकर उसके लंड पर फिसल रहे थे....उसके लंड को पकड़ कर उसकी प्यास और भी ज़्यादा बढ़ती जा रही थी...और जब उसके होंठों से लार टपक कर बाहर गिरने लगी तो वो नीचे झुकी और अपने लार टपकाते मुँह के अंदर उसने कपूर साहब का पंजाबी लंड ले लिया और उसे अपनी थूक से तर बतर करने के बाद जोरों से चूसने लगी...
ऐसा उत्तेजना से भरा दृशय देखकर कमरे में मोजूद हर शख्स अपनी सीट से उठ खड़ा हुआ...अपनी गीली चूत और खड़े हुए लंड के साथ बैठना उन लोगो के लिए बड़ा मुश्किल हो रहा था.
राहुल के बिल्कुल करीब डिंपल सरदारनी खड़ी थी...राहुल ने उसकी कमर पर हाथ रखकर उसे अपने आगे खड़ा कर लिया...वो भी बिना कुछ बोले उसके खड़े लंड के आगे आकर खड़ी हो गयी और अपनी गद्देदार गांद को उसने राहुल के लंड पर जोरों से दबा दिया...
दोनो ने कपड़े पहने हुए थे वरना राहुल का खड़ा हुआ लंड एक ही बार में उसकी चूत के अंदर जा घुसता...उनके करीब खड़े सरदारजी ने अपनी बीबी को ऐसा करते देखा और मुस्कुरा दिए...वो समझ गये की आज वो सबसे पहले राहुल का ही लंड लेगी अपनी चूत में ..
नीरू भी अपनी सीट से उठकर उनका खेल देख रही थी...अपने पति के इस लंबे और मोटे लंड को उसने अपने बेडरूम के अंधेरे कमरे में ना जाने कितनी बार चूसा था...ना जाने कितनी बार उसे अपनी चूत में डलवाया था...और आज वही लंड उसकी फ्रेंड ऐसे चूस रही थी मानो वो उसी का पति हो....
अपने पति को इस तरह किसी दूसरी औरत से शेयर करना थोड़ा अजीब था मगर ऐसे माहौल में , जहाँ कोई भी अपने पति या बीबी को शेयर करने में कंजूसी नही कर रहा था, उसकी वजह से वो भी कुछ नही बोली...
सबा जो काफ़ी देर से टॉपलेस होकर बैठी थी, अपने बूब्स को अपनी ही उंगलियो से मसलने लगी...ऐसा करते हुए उसके मुँह से मस्ती भरी सिसकारियाँ भी निकल रही थी...उसके बिल्कुल करीब बैठे गुप्ता जी कभी उसे देखते और कभी सामने लंड चूस रही सुमन को...उनके लंड का प्रेशर दोनो हुस्न परियों को देखकर बढ़ता जा रहा था.
कपूर साहब के लंड ने जल्द ही जवाब दे दिया और उनकी गन से धड़ाधड़ गोलियाँ निकलनी शुरू हो गयी...जिसे सुमन ने अपने मुँह में लेकर पी लिया...
सभी ने दोनों के लिए जोरदार तालियाँ बजाई...
कपूर साहब ने अपनी बीबी की तरफ देखा...दोनो ने आँखो ही आँखो में कुछ बात की और फिर मुस्कुरा दिए...अब सब कुछ नॉर्मल था...
उन दोनो की हँसी को शशांक ने भी नोट किया...वो समझ तो गया था की नीरू अब लाइन पर आ गयी है..लेकिन उसको नंगा करना अब भी इतना आसान नही था...पर उसके लिए अब शशांक के पास एक फुलप्रूफ आइडिया था..
अब अगला नंबर गुप्ता जी का था..क्योंकि कपूर साहब से थोड़े बड़े पत्ते उनके आए थे...इक्का बादशाह और 6 नंबर..
गुप्ता जी के मन में तो अजीब सी खलबली मची हुई थी...कुछ देर पहले उनकी बीबी काजल ने जिस अंदाज में स्मूच की थी उसके बाद उनका वो डर तो दूर हो चुका था की वो क्या सोचेगी...पर सुमन और सबा की तरह क्या वो सब कुछ कर पाएगी जो यहाँ बैठा हर इंसान सोच रहा है...ये उनकी समझ में नही आ रहा था...
आज तक वो अपने दोस्तो के साथ बैठकर सिर्फ़ सबा के हुस्न और उसे चोदने की बातें किया करते थे...लेकिन ये माहौल ऐसा बन चुका था की हर किसी की बीबी ने खेल में शामिल होकर उसे एक नया आयाम दे दिया था... पर गुप्ता का लंड अभी भी सबा का ही नाम लिए जा रहा था
गुप्ता जी की नज़रों में सबा के मोटे मुम्मे चमक रहे थे....थोड़ी देर पहले सुमन और कपूर को देखकर जिस अंदाज में वो अपनी ब्रेस्ट दबा रही थी,उसने तो गुप्ता को और भी ज़्यादा उत्तेजित कर दिया था...इसलिए उनके निशाने पर सिर्फ़ और सिर्फ़ सबा ही थी...
सभी लोग गुप्ता जी को देख रहे थे की कब वो अपनी इच्छा बताए ताकि गेम आगे बढ़ सके...
गुप्ता जी ने धीरे से कहा : "मैं चाहता हूँ की स.....सबा अपने सारे कपड़े उतारकर सभी के सामने मास्टरबेट करे और बाद में मेरे लंड को तब तक चूसे जब तक उसमे से माल नही निकल जाता....और उसे बिना नीचे गिराए पीना भी होगा...''
सभी की कसक भरी सिसकी निकल गयी ये सुनकर....
ऐसा तो वो लोग तब सोचा करते थे जब सबा के बारे में बाते करते हुए वो दारू पिया करते थे...
उन्ही बातों में से एक ये भी थी की उसे नंगा करके अपने लंड का पानी उसकी हलक में उतारना है...और उसको मास्टरबेट करते देखने की बात शायद इसलिए कही थी ताकि वो उसके नंगे बदन को अच्छी तरह से देखना चाहते थे
और वो भी बीच चौराहे पर...
अब ये बीच चौराहा तो नही था पर उससे कम भी नही था...
सोसायटी की 5 फैमिली के बीच नंगा होकर किसी दूसरे मर्द का लंड चूसना..और वो भी एक नयी ब्याही हुई औरत के लिए थोड़ा मुश्किल ज़रूर है...पर सबा के लिए तो ये मज़ा देने वाला खेल था...वो तो कब से अपनी गीली चूत लिए कुलबुला रही थी की दोबारा उसका नंबर कब आएगा....
राहुल ने सबा को देखा और पूछा : "सबा...क्या तुम ये करना चाहती हो....''
उसे भला क्या प्राब्लम होनी थी...वो तपाक से बोली : "बिल्कुल......हद से ज़्यादा ....''
और इतना कहते हुए वो अपने नंगे मुम्मे हिलाती हुई उठ खड़ी हुई और गुप्ता जी के सामने आकर खड़ी हो गयी...
अब सभी को उसके कपड़े उतारने का इंतजार था...आज वो लोग पहली बार उस गोरी हिरनी को पूरा नंगा जो देखने वाले थे..
सबा बढ़ी मादकता से चलती हुई गुप्ता जी के पास आई और उनका हाथ पकड़कर उन्हे बीच मैदान तक ले गयी... गुप्ता तो किसी रोबोट की तरह चलता हुआ सबा के साथ आकर खड़ा हो गया...उनका लंड भी खड़ा था नीचे पर वो अभी के लिए किसी को दिखाई नही दे रहा था..बस उसका एहसास हो रहा था.
सबा के मोटे और गोरे मुम्मों को इतने करीब से देखकर गुप्ता से सब्र नही हो रहा था...उसका मन तो कर रहा था की उन्हे पकड़कर जोरों से मसल दे..निचोड़ डाले उन मुम्मो को... काट कर लाल कर दे... तब तक उन्हे चूसे जब तक वो लाल सुर्ख ना हो जाए..गुप्ता जी ने ये बात भी नोट की कि अपने मुम्मो पर गुप्ता की नज़रें पाकर वो भी कसमसा रही है और परिणामस्वरूप उसके निप्पल पहले से ज़्यादा कड़े होकर बाहर निकल आए.
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सबा ने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोला और उसे नीचे गिरा दिया...उसका पेटीकोट क्या गिरा, कमरे में मोजूद हर आदमी ब्लॅड प्रेशर गिर गया ..
उसकी गोरी और चिकनी टाँगो को देखकर हर किसी के मुँह में पानी आ गया...इतनी मोटी जाँघे थी उसकी की हर किसी का मन कर रहा था की उसपर शहद लगाकर अपनी जीभ से चाट डाले..उसके माँस को अपने दांतो तले दबाकर उसका रस निचोड़कर पी जाए..वो मचलती रहे पर उसपर बिना दया किए सब उसे चूसते चले जाए...
पर अभी के लिए तो वो सिर्फ़ सोच ही सकते थे...पर गुप्ता तो वो काम कुछ देर में करने ही वाला था जो सब सोच रहे थे...
अब वो सिर्फ़ एक नन्ही सी ब्लेक कच्छी में सबके सामने खड़ी थी..
उसने अपने दोनो मम्मों को पकड़कर ज़ोर से दबाया और हाथ उपर करके अपनी कमर को लहरा कर अपना मांसल शरीर सभी को दिखाया.
उसके शरीर की लचक देखकर सब समझ गये की इसकी चुदाई करने में बहुत मज़ा आने वाला है..चुदाई के दौरान इसे जितना भी तोडो-मरोड़ो , ये सहन कर लेगी...आख़िर शरीर था ही उसका इतना लचीला..
और फिर उसने अपनी कच्छी में हाथ फँसा कर उसे भी नीचे खिसकाना शुरू कर दिया..
दीवानो के तो दिलों में छुरिया चल गयी जब उसके गांड के चाँद जैसे गोरे-2 कटोरे उस काले बदल से बाहर निकले.और अगले ही पल वो पूरी नंगी होकर सभी के सामने खड़ी थी.
उसकी गाँड , जिसके बारे में सोचकर गुप्ता और कपूर समेत सभी ठर्कियों ने ना जाने कितनी बार अपनी बिबीयों की चूत बजाई थी, वो अब सभी के सामने नग्न अवस्था में थी..
गुप्ता जो उसके बिल्कुल करीब खड़ा था , उससे तो सब्र ही नही हुआ, उसने अपने हाथ में पकड़ा शराब का ग्लास उसकी गांड पर उडेल दिया..
शराब में नहाकार सबा का शबाब और भी कातिलाना हो गया..
उसने अपनी मोटी और भरी हुई गांड पर हाथ रखकर उसे थिरकाया...और उसपर जमी हुई शराब की बूंदे झर-2 करके नीचे गिरने लगी..
ऐसी मस्त गांड आज तक किसी ने नही देखी थी...
कमरे में मोजूद औरतों ने भी उसकी उभरी हुई गांड की दिल से तारीफ की...पर साथ ही साथ वो उससे जल भी रही थी
एक तो पहले से ही सबा सबसे ज़्यादा खूबसूरत थी...सबसे छोटी उम्र भी उसी की थी...और शादी को कुछ टाइम ही हुआ था,इसकी वजह से जो उसके शरीर मे मादकता भरी थी, उसका तो जवाब ही नही था किसी के पास...
इसलिए उसके नंगे शरीर को देखकर मर्द तो मर्द, औरतें भी अपने होंठों पर जीभ फिरा रही थी..
पर सबसे ज़्यादा तो उसके नंगे शरीर और गीली गांड को देखकर मिसेस कपूर यानी नीरू सम्मोहित हुई थी...
वो एकटक उसके सुंदर और नंगे शरीर को देखे जा रही थी मानो आँखो ही आँखो में उसे खा जाएगी..
गुप्ता ने आख़िर वो कर दिया जो उसके मन में ना जाने कब से था...
वो आगे बड़ा और नीचे बैठकर उसने अपना मुँह सबा की गीली गांड के अंदर घुसा दिया...और उसके शरीर से टपक रही शराब की बूँदों को अपनी गर्म जीभ से चाट कर सॉफ करने लगा...
सबा तो खड़ी-2 पनिया गयी.
और उसकी पनियाई चूत से ढेर सारी देसी दारू निकलकर उस विदेशी शराब में घुल गयी, और नीचे कुत्ते की तरह अपनी जीभ निकाले उसकी जांघे चूस रहे गुप्ता ने वो भी पी डाली..
सबा को ऑर्गॅज़म बड़ी जल्दी-2 आते थे, इसलिए गुप्ता की गर्म जीभ की चुभन से ही वो झड़ गयी थी...
और झड़ने के बाद वो निढाल सी होकर वहीं ज़मीन पर बैठ गयी..
अपने बालों को उपर करके जब बढ़े ही कातिलाना अंदाज से उसने सभी को देखा तो पंटरों के लंड पूरी अकड़ के साथ उसको सलामी देने लगे..
उसके हुस्न ने उस कमरे में चार चाँद लगा दिए थे..असली दिवाली की जगमग तो अब हुई थी
गुप्ता भी उसके रसीले बदन को घूरता हुआ , धीरे-2 अपने कपड़े निकालने लगा..
और कुछ ही देर में वो सिर्फ़ अपने अंडरवीयर में खड़ा था.
सबा ने जब उसके कच्छे में खड़े सिपाही का आकार देखा तो वो सिसक उठी...और उसने मन ही मन सोच लिया की आज वो सबसे पहले इसी गुप्ता का बनियोटा लंड लेगी अपनी गर्म चूत में.
पर गुप्ता जी की विश के हिसाब से तो अभी उसे गेम की हद में रहते हुए सिर्फ़ मास्टरबेट ही करना था...
इसलिए उसने अपनी गोरी-2 उंगलियों को अपनी गीली-2 चूत के दरवाजे में रखकर ज़ोर से दबाया
और वो गोरी-2 उंगलिया,किचकिचाती हुई सी,उसके अंदर घुसती चली गयी..
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सामने बैठे दर्शकों ने सॉफ देखा की उसकी चूत के गुलाबी होंठों ने किस बुरी तरह से उसकी उंगलियों को जकड़ रखा था..ऐसा लग रहा था जैसे कोई पिंक लिप्स वाली मछली उसकी उंगलियों को चबा रही है..
सबा ने अपनी बीच वाली उंगली को अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया..
गुप्ता ने भी अपने अंडरवीयर को नीचे गिराकर अपने शेर को सभी के सामने पेश कर दिया.
उसका लंड एकदम काला था पर साथ ही मोटा और जानदार भी.... उसे देखकर सबा का एक छोटा सा ऑर्गॅज़म झट से हो गया...
वो लालसा भरी नज़रों से उसके खड़े हुए लंबे लंड को देख रही थी...वैसे कुछ ही देर में वो उसे चूसने भी वाली थी, पर चूत में कब जाएगा ये निगोडा, ये सोचकर वो अपनी चूत में उंगलियाँ और तेज़ी से पेलने लगी..
और पेलते -2 उसके अंदर एक जबरदस्त ओर्गास्म का निर्माण हो गया...
वो अपनी सोच में गुप्ता के लंड के ठीक उपर खड़ी थी...
वो कांपती हुई सी उठी और आँखे बंद करके उसके लंड के बारे में सोचती हुई दीवार से जा सटी..
और अपनी आँखे बंद किये, छोटे से सपने में डूबकर उसने गुप्ता के लंड को अंदर ले भी लिया...
और ऐसा महसूस करते हुए उसने अपनी चूत में दो उंगलियाँ और डाल दी, ताकि गुप्ता के लंड जैसी फील आ सके..
अब वो अपनी एक ब्रेस्ट को पकड़कर बड़ी ही लगन से अपनी 3 उंगलियों को चूत में डालकर सिसकारी मार रही थी..
ऐसा उत्तेजना से भरा सम्मोहित कर देने वाला दृष्य देखकर सभी ने अपने-2 लंड मसलने शुरू कर दिए..
राहुल भी अपनी बीबी के इस रंडीपन को देखकर हैरान था...
हालाँकि वो उसकी बीबी थी और आज तक लगभग रोज वो उसकी चूत मारता चला आया था, पर उसका ऐसा तमाशा देखकर वो भी उसके प्रति एक बार फिर से आकर्षित हो गया...और उसे चोदने के बारे में सोचने लगा..
पर आज के लिए तो उसकी प्लेट में काफ़ी व्यंजन थे, इसलिए अपनी बीबी को उसने दूसरो के लिए और अपने आप को हर किसी के लिए छोड़ दिया.
डिंपल सरदारनी उसके लंड से गांड सटा कर खड़ी थी, वो भी उसके लंड के बढ़ते हुए तापमान को महसूस कर पा रही थी...उसने हाथ पीछे करके उसके लंड को पेंट के उपर से ही पकड़कर सहला दिया और फिर बड़ी ही बेशर्मी से उसकी जीप खोलकर अपना हाथ अंदर डाल दिया...
राहुल तो अपने पंजों पर खड़ा हो गया...डिंपल ने अपने जादुई हाथ की मदद से उसके शेर को पिंजरे से बाहर निकाल लिया...और उसके नंगे लंड को अपनी गांड पर दबा कर अपनी आँखे बंद कर ली...
अब वो उसके लंड को थोड़ा और करीब से महसूस कर पा रही थी.
पर उनकी तरफ तो किसी का ध्यान था ही नही...सभी की नज़रें सबा के नंगे शरीर पर थी...वो बड़ी ही लगन से अपनी चूत में उंगलियाँ डालकर मास्टरबेट कर रही थी..उसकी साँसे और सिसकारियाँ तेज होने लगी..
गुप्ता जी समझ चुके थे की वो अब कभी भी झड़ सकती है...इसलिए वो नंगे ही चलते हुए आगे आए और उसकी टाँगो के बीच बैठ गये...वो उसकी देसी शराब को एक बार निकलता हुआ देखना चाहते थे.
सबा, जो अभी तक बंद आँखो के पीछे से गुप्ता का लंड अपनी चूत में पिलवा रही थी, उनको एकदम से सामने देखकर सिहर उठी...और जब उसकी नज़रें उनके लंड पर गयी तो रही सही कसर भी पूरी हो गयी....और वो बड़ी ही ज़ोर से चिल्लाती हुई, गरजती हुई, गुप्ता के उपर बरस गयी...
''ऊऊऊऊऊऊऊऊऊहह गुप्ता जी........ मैं तो गयी...''
और इतना कहकर उसने अपनी छोटी सी टोंटी चला दी उनकी छाती पर...
उसकी चूत से गर्म पानी की बौछार निकलकर सीधा गुप्ता के ऊपर गिरी
वो गर्म पानी उसकी चूत का था, जो किसी मर्द के माल की तरह उछल कर बाहर निकल आया था ...
ऐसा दृश्य वहां बैठे मर्दों और औरतों ने पहली बार देखा था..
सभी ने एक साथ तालियाँ बजाकर उसके झड़ने की तारीफ की..
पर पिक्चर अभी बाकी थी...
उसकी छोटी सी पिचकारी के बाद सबा की चूत और भी ज़्यादा फूल गयी....ऐसा लगा उसकी चूत में किसी ने हवा भर दी हो जो कभी भी किसी गुब्बारे की तरह फट सकती थी...
और कोई कुछ सोच पता, उससे पहले ही उसकी चूत से एक पीले रंग की तेज धार निकलकर गुप्ता को भिगोने लगी..
वो उसकी चूत से निकल रहे गोल्डन पेशाब का झरना था...
और उसके उस गोल्डन पानी के नीचे बैठे गुप्ता को ऐसा लग रहा था जैसे वो कुल्लू मनाली में किसी पहाड़ी के नीचे खड़े होकर नहा रहा है...उपर से झरना झना-झन गिर रहा है और उसका शरीर उसके नीचे गीला हो रहा है...
ऐसा तो आज तक गुप्ता की सात पुश्तों ने सपने में नही सोचा था जो उसके साथ हो गया था...
और गुप्ता इससे बहुत ज़्यादा उत्तेजित भी हो उठा...
किसी औरत की चूत से निकले झरने के नीचे नहाने का उसका पहला अवसर था...जिसे उसने हदद से ज़्यादा एंजाय किया...
और अपनी चूत से आख़िरी बूँद तक गुप्ता के उपर टपकाकर सबा निढाल सी होकर उनके उपर ही गिर पड़ी...
गुप्ता ने उसके बेजान हो चुके शरीर को अपनी बाहों में भरा और उसे बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया...
और कुछ ही देर में सबा ने भी उसकी चुम्मियों का जवाब देना शुरू कर दिया...भले ही वो 2-3 बार झड़ चुकी थी,पर उसकी चूत की आग अभी तक बरकरार थी..
पर वो अभी तक उस गेम के रूल्स में बँधी हुई थी...वरना अभी के अभी गुप्ता के लंड के उपर बैठ कर उसे निगल लेती...
पर अभी के लिए तो उसे उसके लंड को चूसना था...
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Bahut badhiya. Ab aage thoda sharaab aur drugs aur bondage bhi ho jaye
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