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Adultery दिवाली का जुआ Part 2 (With Pictures)
#1
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#2
CONGRATULATIONS!!

IS IT A STORY ??

OR

NICOLE ANISTON KO COURT ME RASHMI SAABIT KARNE WALE HO (रश्मि एक सेक्स मशीन) ;)
नशीली आँखें
वो प्यार क्या जो लफ्ज़ो में बयाँ हो 
प्यार वो है जो आँखों में नज़र आए!!
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#3
ये कहानी है राहुल की. जिसकी उम्र करीब 25 साल है.

कहानी शुरू करने से पहले राहुल की लाइफ का बॅकग्राउंड बता दूँ .. जिससे आपको इसकी आगे की कहानी समझने में मदद मिलेगी.

राहुल पुणे में एक मल्टिनॅशनल कंपनी में काम करता था.. और उसे अपने ऑफीस में काम करने वाली एक लड़की से प्यार हो गया, और दोनो ने एक दूसरे के साथ जीने मरने की कसमें भी खा डाली.. बात शादी तक पहुँच गयी.. लेकिन राहुल के घर वालो को उसका ये फ़ैसला मंजूर नही था...कारण था वो लड़की...क्योंकि वो * थी, नाम था सबा

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आज से पहले राहुल के खानदान में किसी ने भी इंटरकास्ट मैरिज नही की थी...राहुल के घर वालो ने उसे बहुत समझाया लेकिन वो किसी की भी बात समझने को राज़ी नही हुआ...आख़िरकार उसके पापा ने गुस्से में आकर उसे घर से निकल जाने की बात कह दी...जवान खून था और प्यार का भूत सवार था, इसलिए राहुल ने भी बिना कोई देरी किए उसी वक़्त अपना सामान पैक किया और घर छोड़ दिया...उसकी माँ और बहन ने काफ़ी रोका, रोई, पर उन बाप-बेटे ने अपने फैसले नही बदले..

वहां से निकलकर राहुल सीधा सबा के घर पहुँचा.. उसके पिता का देहांत कई साल पहले हो चुका था...उसकी माँ एक सरकारी कॉलेज में टीचर थी और सबा की एक छोटी बहन कॉलेज में पढ़ रही थी...उसकी माँ को राहुल के घर वालो की तरह उनकी शादी से कोई आपत्ति नहीं थी ..वो अपनी बेटी की खुशी में ही खुश थी... इसलिए उसने उन दोनो को एक साथ रहकर अपनी जिंदगी जीने की इजाज़त दे दी ..

राहुल और सबा की शादी आनन-फानन में एक आर्यसमाज मंदिर में हुई...और शादी के बाद राहुल सीधा मुंबई के लिए निकल गया..जहाँ उसके दोस्त ने एक अच्छी सी जॉब का पहले से प्रबंध कर रखा था.

नौकरी तो उसे मिल गयी पर घर आसानी से नही मिल सका.. राहुल कुछ दिन के लिए अपने दोस्त के घर पर ही रुक गया.. उसका भी छोटा सा घर था, इसलिए राहुल जल्द से जल्द वहां से निकलना चाहता था..

मुंबई मे घर मिलना आसान काम नही था... वो शुरू से ही सॉफ सुथरे माहौल में रहता आया था.. इसलिए अब भी ढंग की जगह पर ही रहना चाहता था...और जो ढंग की जगह उसे पसंद आती वहां का किराया काफ़ी था जो राहुल की सैलेरी का लगभग आधा था...आधे से ज़्यादा पैसे अगर किराए में दे दिए तो बाकी के खर्चे कैसे चलाएगा.. यही सोचकर राहुल अक्सर परेशान रहता था.

उसकी परेशानी देखकर सबा ने भी जॉब करने की बात कही...आख़िरकार पहले भी तो वो जॉब कर ही रही थी..राहुल भी उसकी बात मान गया और सबा ने जॉब ढुढ़नी शुरू कर दी| राहुल के बॉस को जब ये बात पता चली तो उसने उसी ऑफीस में सबा को जॉब करने की सलाह दी.. इंटरव्यू हुआ और सिलेक्शन भी हो गया| अब उन दोनो की सॅलरी से वो आसानी से एक अच्छा सा घर ले सकते थे.

और यहाँ भी राहुल के बॉस ने ही उसकी मदद की, उन्होने अपनी ही सोसायटी में उसे एक फ्लॅट किराए पर दिलवा दिया, जो ऑफीस के काफ़ी करीब था...सोसायटी भी अच्छी थी और रेंट भी वाजिब था...और धीरे-2 राहुल और सबा की जिंदगी सेट्ल होने लगी.

और अब आप सभी को ज़्यादा बोर ना करते हुए असली कहानी पर आती हूँ.
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#4
तो दोस्तो..ये था राहुल की जिंदगी का पहला भाग...और दूसरा भाग शुरू हुआ कुछ महीने बाद...जब दीवाली करीब थी..

राहुल और सबा की जिंदगी में ये दीवाली कैसे-2 रंग लाने वाली थी और क्या-2 धमाके करने वाली थी, इसका अंदाज़ा दोनो को ही नही था.

दशहरे वाले दिन पूरी कॉलोनी में काफ़ी रौनक थी...सबने मिलकर वहां एक हाउसिंग वैलफेयर कमेटी बनाई हुई थी जो ऐसे कार्यकर्म आयोजित करती थी जिसमें ज़्यादातर हर त्योहार को मिल जुलकर मनाया जाता था...दशहरे वाले दिन भी एक छोटा सा रावण बना कर उसका दहन किया गया..और बाद में सभी ने मिल जुलकर डिनर भी किया.

राहुल का बॉस शशांक सिन्हा इस सोसायटी की वेलफेयर कमेटी का प्रेसीडेंट था...इसलिए ऐसे सभी कार्यकर्म की ज़िम्मेदारी उसी के कंधो पर रहती थी.

डिनर के टाइम भी माहौल काफ़ी खुशनुमा था...

सोसायटी की सारी महिलाए अपने-२ ग्रुप बनाकर टेबल पर बैठी गप्पे मार रही थी...बच्चे पास ही बने पार्क में खेल रहे थे...और सभी मर्द अपने -२ ग्रुप में बैठकर खाना खा रहे थे या दारू पी रहे थे..

ऐसे ही एक टेबल पर राहुल अपने बॉस शशांक के साथ बैठा था, साथ में थे सोसायटी के ३ लोग और

बियर पीते हुए इधर - उधर की बाते होने, कुछ देर बाद वहीं बैठे गुप्ता जी ने एक टॉपिक छेड़ा, जिसे सुनकर सभी के कान खड़े हो गये..

गुप्तजी : "अरे भाई...दीवाली आने वाली है...कुछ सोचा है अब की बार कैसे मैनेज करेंगे...''

राहुल का बॉस शशांक बोला : "सोचना क्या है...हमेशा की तरह वही पुराना तरीका...बारी-2 से सभी के घर पर...ऐसा करने से किसी पर बर्डन भी नही पड़ता और एंजाय भी हो जाता है...''

गुप्तजी : "वो तो मुझे भी पता है...पर मैं जिस बारे में बात कर रहा हू वो तो समझो सिन्हा साहब...इस बार कैसे करेंगे...हमारे मेंबर्स तो काफ़ी कम है...ऐसे मज़ा नही आएगा...''

उनकी बात सुनकर शशांक बोला : "गुप्ताजी ...सब हो जाएगा....आप बस देखते रहिए...मेंबर्स की कमी थोड़े ही है....ये है ना राहुल...ये जॉइन करेगा इस बार....''

राहुल जो अभी तक चुपचाप बैठकर अपनी बियर के सीप लगा रहा था, एकदम से अपना नाम सुनकर चोंक गया...उसे तो पता भी नही था की किस बारे में बात चल रही है...वो बेचारा अवाक सा होकर कभी गुप्ताजी और कभी अपने बॉस शशांक को देखने लगा..जैसे उनसे पूछना चाहता हो की किसमें उसे जॉइन करवा रहे है...

उसके चेहरे को देखकर शशांक बोला : "अरे राहुल, घबराओ मत...सिर्फ़ खेलने की बात चल रही है...वो क्या है ना, हमारी सोसायटी में हर साल दीवाली पर ताश खेलते है...दशहरे के बाद तकरीबन रोजाना ये खेल खेलकर हम अपना टाइम पास करते है...वैसे तो हमने जो सोसायटी का क्लब बनाया हुआ है उसमे अक्सर हम ताश खेलते है , पर दिवाली के दिनों में हम पैसो से खेलते है, और इन दिनों जुआ खेलना शुभ माना जाता है....इसलिए धीरे-2 हम सभी ने अपना एक ग्रुप बना लिया है, जिसमे हम सभी ताश खेलते है...''

राहुल ने सिर हिला कर अपनी सहमति जताई...और बोला : "ओह्ह्ह ..तो ये बात है...ताश तो हमारे यहाँ भी खेलते है...दिवाली के दिनों में ..और मुझे तो शादी से पहले इसका बहुत ज़्यादा शोंक था...पर पैसो से खेलना थोड़ा मुश्किल होगा ....''

राहुल को ऐसे अटकता देखकर उसका बॉस समझ गया की वो क्या कहना चाहता है.... वो बोला : "अरे राहुल...तू पैसो की चिंता मत कर...इस साल दीवाली का बोनस मिलेगा...और मैने तेरा नाम एस ए स्पेशल केस रिकमेंड कर दिया है...इसलिए अगले 10 दिनों में तुम्हारे खाते में बोनस की रकम ट्रान्स्फर कर दी जाएगी...''

वैसे तो बोनस उन्ही को मिलता है जो कंपनी में एक साल पूरा कर चुके है...पर उसके बॉस की वजह से राहुल को वो बोनस सिर्फ़ 6 महीने की सर्विस के बाद ही मिल रहा था...ये राहुल के लिए बहुत खुशी की बात थी...और करीब 50 हज़ार रुपय एकदम से बिना माँगे मिल जाए तो थोड़ा बहुत इस तरह से जुए में लगा देने से उसे कोई परेशानी नही होने वाली थी...बल्कि राहुल को तो यकीन था की वो जीतेगा ही...क्योंकि उसके बॉस और सोसायटी में रहने वाले दूसरे लोग ये नहीं जानते थे की वो अपने दोस्तो में ताश खेलने का चैम्पियन था...वो तो समय के साथ-2 उसकी ताश खेलने की आदत छूट गयी वरना इस खेल में उसने काफी पैसे भी कमाए थे.

उसने खुशी-2 हाँ कर दी..

शशांक ने बताया की उनके ताश खेलने वाले क्लब में सिर्फ़ 4 दंपति है जो ये खेल हर साल खेलते है, पहले 5 थे, जो अब सोसायटी छोड़कर जा चुका है ..ये सुनकर राहुल को थोड़ा आश्चर्य ज़रूर हुआ की जिस सोसायटी में करीब 200 फॅमिलीस रहती है,उनमें से सिर्फ़ 4 लोग ही इस ताश खेलने वाले ग्रुप के मेंबर है...वो ये बात अपने बॉस से क्लेरिफाई करना चाहता था पर उसकी हिम्मत नही हुई पूछने की ...वैसे भी इस खेल में जितने ज़्यादा मेंबर होंगे उतना ही कम मज़ा मिलेगा..इसलिए उसने कुछ पूछा ही नही.

राहुल ने अपना पेग ख़त्म किया और उन्हे अगले दिन मिलने को कहकर वहां से चला गया.

उसके जाते ही वहां बैठे गुप्ताजी और शशांक के साथ -2 उनके दोस्त मनोहर कपूर और सरदारजी (गुरपाल सिंह) के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गयी...

दरअसल ये चारों एक ही थाली के चट्टे -बट्टे थे...और इन सभी ने मिलकर राहुल को अपने जाल में फँसाने का ये तरीका निकाला था..

और इन सभी का निशाना था उसकी खूबसूरत बीबी....सबा.
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#5
जिस दिन से शशांक ने राहुल की बीबी को ऑफिस की पार्टी में देखा था, उसके मन मे उसे चोदने के ख़याल आने लगे...इसलिए वो अपनी तरफ से बढ़ - चड़कर उसकी मदद करने लगा..उसकी वाइफ को अपने ही ऑफीस में जॉब भी दिलवा दी...अच्छी सैलरी के साथ...और अपनी सोसायटी में ही उसे फ्लैट भी दिलवा दिया...और उसका कारण था उसकी जैसी मानसिकता वाले उसके ये तीनों दोस्त..

वैसे तो ये सभी अच्छे बिज़नेसमॅन या ऑफिस में उँची पोस्ट पर थे...पर रात को एक साथ बैठकर ये दारू पीते तो पूरी सोसायटी में रहने वाली औरतों की माँ-बेटी एक कर देते थे...चारो एक नंबर के ठरकी थे...सभी की उम्र 40-50 के बीच थी..कई सालों से पड़ोसी रहने की वजह से सभी में काफ़ी गहरी दोस्ती हो चुकी थी...कई बार मिलकर इन्होने रंडिया भी चोदी थी...जब भी किसी की बीबी किसी काम से बाहर या मायके जाती तो उसके खाली घर में ये चारों मिलकर हवस का नंगा खेल खेलते...हर उम्र की और खासकर कच्ची कलियों को चोदना ही इनका मकसद रहा करता था...इसलिए सोसायटी में रहने वाली औरतों के साथ-2 उनकी जवान हो रही लड़कियों को भी ये नही छोड़ते थे...

इन सभी की ऐसी हरकतों की वजह से ही सोसायटी के ज़्यादातर मर्द इनसे दूर रहते थे...पर इनकी बेबाक शरारतों की वजह से इन्होने अपनी कॉलोनी की कई औरतों को चोद भी डाला था...क्योंकि वहां रहने वाली कई औरतों की चूत भी काफ़ी खुजलाती थी...लेकिन फिर भी हर बार नए माल की तलाश में इनकी भूखी नजरें लगी रहती थी

बस ऐसे ही इन सभी की जिंदगी चल रही थी जब एक रात दारू पीते हुए शशांक ने अपने ऑफीस में काम करने वाले राहुल की जवान बीबी सबा का ज़िक्र छेड़ दिया...एक तो नाम इतना सेक्सी...उपर ने नयी ब्याही हुई लड़की...उन सभी के लंड तन कर खड़े हो गये...और उसकी बीबी को फ़साने और चोदने के अलग-2 तरीके वो शशांक को बताने लगे...उन्ही तरीक़ो पर अमल करते-2 उसने उसकी बीबी को जॉब दे डाली...अपनी सोसायटी में कम रेंट पर फ्लेट भी दिलवा दिया..लेकिन इस बीच शशांक या उसके इन दोस्तों ने कभी भी अपने गंदे इरादो की भनक राहुल या सबा को नही लगने दी...वो सभी उन दोनो के सामने बड़े ही सभ्य तरीके से पेश आते थे....और ये भी उन्ही का प्लान था...जिसके अनुसार वो सही मौके की तलाश कर रहे थे...

और इन 4-5 महीनो में वो जब भी एकसाथ मिलकर बैठते तो उनकी चर्चा का विषय सबा ही होती..

शशांक अक्सर बोलता : "यार.....आज तो ऑफीस में साली टाइट स्लेक्स पहन कर आई थी....और उसमें से उस रंडी की मोटी जांघे ऐसे दिख रही थी जैसे एक बड़ा सा चबा जाने लायक लेग पीस....बस स्लेक्स उतारो और चबा जाओ उसकी टंगड़ी को....''

उपर से गुप्ता जी अपने लंड को मसलते हुए कहते : "भेन की लौड़ी के मुम्मे तो देखो...कल सुबह जब सीडियों से उतर रही थी तो ऐसा लग रहा था जैसे दो छोटी-2 फुटबॉल उछल रही है...मुझे दुनियादारी की परवाह ना होती तो इस रंडी को वहीं नंगा करके पेल देता...''
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सरदारजी बोले : "आज सुबह मेरी वाइफ अपने घर की चाबी इनके घर छोड़ गयी थी...शाम को जब मैं वापिस आया तो इसे लगा की राहुल आया है...मदारचोद ऐसी ही भागती चली आई दरवाजा खोलने ....छोटी सी निक्कर और टी शर्ट में ..ऐसी मलाई जैसी टांगे थी यारो...बस चाटते रहो...लंड रगड़ते रहो उसपर....''

कपूर साहब भी कहाँ पीछे रहने वाले थे...वो भी बोलते : "ऐसी खूबसूरत रंडी को चोदकर ही मेरे लंड को सकून मिलेगा...संडे को मेरी मिसेज के साथ मेरे ही बैडरूम में बैठकर बाते कर रही थी , बस उसी बेड पर चोदना है मुझे तो उसे , दोस्तों अब हमे जल्द से जल्द कुछ करना होगा...''

उन्हे जो भी करना था, तरीके से करना था...जैसे अभी तक योजना बनाकर वो करते आए थे...सबा को अपने जाल में फँसाकर चोदना तो बस एक ज़रिया था अपनी लाइफ का मज़ा लेने का...वरना चारों की पत्निया एक से बढ़कर एक खूबसूरत थी...वो भी अपने पतियों की तरह आपस में घुल मिलकर रहती थी और उनके रंगीन मिज़ाज से वो सब भी वाकिफ़ थी...लेकिन वो अपने रंगीन मिज़ाज के लिए क्या-2 करते है, ये उनमे से कोई भी नही जानता था...और उन्हे ज़रूरत भी नही थी उनकी जिंदगी में दखल देने की...सभी को ऐश की जिंदगी जीने को मिली हुई थी...ऐसे में अपने पतियों के उपर लगाम लगाकर उन्हे कुछ मिलने वाला तो नही था...और वैसे भी, जो आग इन मर्दों को जलाती थी, वो क्या इन गर्म औरतों को कम जलाती थी ..

बिल्कुल जलाती थी जनाब.

सभी की उम्र 30 - 4 0 के बीच थी, ये सब भी आपस में इतनी घुल मिल चुकी थी की अपने-2 पुराने बॉयफ्रेंडस और चुदाई के किस्से एक दूसरे से आसानी से शेयर कर लेती थी....हर जवान मर्द को ये सब भी ऐसे देखती थी जैसे आजकल के मर्द कमसिन लड़कियों को देखकर लंड सहलाते है...फ़र्क सिर्फ़ इतना होता था की इनके हाथ अपनी चूत की लकीरों पर चलते थे...यानी देखा जाए तो ये पूरा गैंग सेक्स के मामले में काफ़ी खुला हुआ सा था...बस थोड़ा बहुत परदा था आपस में ..और वो कितनी देर तक रहने वाला था ये वो भी नही जानते थे..

राहुल के आने के बाद अक्सर ये चारों औरतें उसी के बारे में बाते करती रहती थी....क्योंकि राहुल देखने में बिल्कुल मॉडल जैसा था...और एकदम जवान भी ...इसलिए उन्होने सबा को अपनी सहेली बना लिया था ताकि उसके और राहुल के अतरंग पलों को सुन सके...पर सबा थी की अपनी प्राइवेट बातों को छुपा लेती थी...वो काफ़ी उगलवाने की कोशिश करती पर उसके शर्म से लाल हुए चेहरे से कुछ निकलता ही नही था..

ऐसे ही दशहरे वाले दिन भी हो रहा था...जब उनके हस्बेंड्स एक टेबल पर बैठे थे और सबा इस गेंग के साथ एक बड़ी सी टेबल पर...सभी के हाथ में वोडका के ग्लास थे, वो सभी मिलकर आज भी सबा को छेड़ रहे थे ...

शशांक की बीबी, सुमन सिन्हा, जो इस ग्रूप में सबसे शरारती थी ,वो बोली : "सबा...बता ना...कल राहुल ने कितने राउंड लिए....वो तेरी एस्स फकिंग भी करता है क्या...तेरी बेक देखकर तो लगता है की वो इसके बहुत मज़े ले रहा है आजकल ...बोल ना...''
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मिसेज काजल गुप्ता बोली : "यार...मुझे तो लगता है की राहुल इसके बूब्स ही चूसता रहता है...देख ना, कितने बड़े हो गये है पिछले 2 महीने में ...मेरा साइज़ भी ऐसे ही बढ़ता था, जब मेरी नयी-2 शादी हुई थी...अह्ह्हहह इसे देखकर तो मुझे अपने पुराने दिन याद आ गये...''

मिसेज नीरू कपूर बोली : "लेकिन जो भी है, इसकी चुप्पी देखकर तो लग रहा है की जो भी हम बोल रहे है वो सब सच है...काश हमारे पति भी ऐसे ही रोजाना हमारी अंदर की आग बुझा सकते....''

उनकी बात सुनकर सबा का चेहरा हमेशा की तरहा लाल हो उठा...उसे सेक्स बहुत पसंद था, इतना की राहुल उसे जितना भी चोदता था उसे कम ही लगता था ...लेकिन सेक्स के बारे में बात करना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था उसे ...इसलिए आज भी वो अपना चेहरा झुका कर बस इतना ही बोल पाई : "नही...ऐसा कुछ भी नही है....''

और इस बार सोहनी सरदारनी डिंपल बोली : "क्या ऐसा कुछ नही है.....तेन्नु राहुल मज़े नही देंदा की .....दस मैन्नू ....मेरे सरदारजी तो मुझे सोने भी नही देते थे....रात को कपड़े भी नही पहने मैने तो शादी के 1 साल बाद तक...समझी....''

वो सब अपनी बाते सुनाकर उसे उकसा रही थी ,पर वो अपने बैडरूम के राज खोलने को राजी ही नहीं हो रही थी

वो बाते कर ही रही थी की राहुल वहां आया और सबा से बोला : "सबा....अब हमे चलना चाहिए....''

सबा भी वहां से भागने की फिराक में थी...वो जल्दी से उठी....उन दोनो ने सभी को गुड नाइट बोला और अपने फ्लैट में चल दिए...पीछे से डिंपल ने आवाज़ लगाकर सबा से कहा : "गुड नाइट जी....एंजाय करो...''

जवाब मे सबा ने मुड़कर उन्हे देखा और मुस्कुरा दी...राहुल कुछ ना समझ सका..वैसे भी वो राहुल को इन सभी की बातें बताती नहीं थी, उसे लगता था की राहुल को ये सब पसंद नहीं आएगा और वो उसका उनके साथ उठना-बैठना बंद करवा देगा, जो वो हरगिज नहीं चाहती थी, वो भले ही अपनी अतरंग बाते सोसायटी की इन औरतों के साथ शेयर नहीं करती थी, पर उनकी बाते सुनना उसे बहुत पसंद था, जिसे सुनकर वो एक्साइटिड हो जाया करती थी

दीवाली के दिनों में सोसायटी में ऐसी मस्ती आम बात थी...लेकिन इन सभी दंपतियो में सबसे ख़ास दिवाली का समय रहता था शशांक और सुमन के लिए.

दरअसल उन्हे शुरू से ही ऐसी मस्ती भरी दिवाली मनाने की आदत थी.

इन्हे मुंबई में आए हुए करीब 5 साल हो चुके थे...यहाँ आने से पहले शशांक बेंगलोर में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था...शशांक और सुमन शुरू से ही सेक्स के मामले में एकदम खुले विचारो के थे..शशांक ने अपने ऑफीस की सेक्रेटरी को कई बार घर लाकर चोदा था...सुमन के भी कई अफेयर्स थे...दोनो एक दूसरे की सेक्स लाइफ में दखल नही देते थे...दोनो ने एक क्लब भी ज्वाइन किया हुआ था...जिसमें वीकेंड पर होने वाली पार्टीस में सभी मर्द अपनी-2 गाड़ी की चाबियाँ एक टेबल पर रख देते और जिसके हाथ जो चाबी आती वो उसी गाड़ी में जाकर वहां पहले से वेट कर रही उस गाड़ी के मालिक की बीबी को वहीं चोद देता था...इस खेल में सभी को हर बार नयी-2 चूतें चोदने को मिला करती थी...उस क्लब में शशांक और सुमन ने करीब 1 साल तक जमकर मज़े किए.

पर जब उसे नयी नौकरी मिली तो उसे मुंबई आना पड़ा..यहां भी उसने ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की पर उस तरह के खुल्ले विचारो वाले लोग उसे मिल नही पाए...फिर उसने अपना ये सोसायटी वाला ग्रुप बना लिया जिसमें वो एक दूसरे की बीबी के साथ तो नही पर दूसरे तरीके से मज़े ले सकता था...वाइफ स्वेपिंग करने की जब भी वो बात छेड़ता तो कोई उसमे इंटरेस्ट ही नहीं लेता, वहीं दूसरी तरफ सुमन ने भी कई बार अपनी सहेलियो के मन टटोलने की कोशिश की पर अपनी एक दूसरे के पतियों के साथ सेक्स करने की बात वो सिर्फ़ हँसी मज़ाक में ही टाल दिया करती थी...

और इस बार की दीवाली पर राहुल और सबा को शामिल करके, शशांक अपने दिल की वो आरजू भी पूरी करना चाहता था जो उसके मन मे कई सालों से थी...यानी अपने दोस्तो की बीबियों को चोदने की....उसकी खुद की बीबी तो हमेशा से उसके साथ थी...बस वो बाकी सभी को अपनी संगत में लेकर एक साथ मज़ा लेना चाहता था...थोड़ा मुश्किल था,लेकिन उसे पूरा भरोसा था की इस बार वो ज़रूर कामयाब होगा.

अगले दिन से जुए का प्रोग्राम शुरू होना था...यानी मौज मस्ती से भरी रातें जो दिवाली तक चलने वाली थी..

और शशांक ने जाने से पहले सभी को एक ख़ास बात कही...इस बार की ताश की पार्टीस में सभी सिर्फ़ नाइट सूट्स में ही आएँगे...उसकी इस बात पर किसी ने भी आपत्ति नही की,क्योंकि तैयार होकर 2-3 घंटे तक बैठना काफ़ी मुश्किल होता था..

पर उसकी इस बात के पीछे उसका उद्देश्य वो नही समझ पाए...जो आने वाले दिनों में काफ़ी मददगार होने वाला था.
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#6
अपने फ्लैट में पहुँचते ही सबा ने राहुल को पीछे से पकड़ लिया और अपनी नुकीली छातियाँ उसकी कमर में धंसा कर उससे बुरी तरह से लिपट गयी...

राहुल समझ गया की सबा इस वक़्त काफ़ी गर्म है....

और वो हो भी क्यों नही...अभी कुछ देर पहले जिस तरह से सोसायटी की लेडीज़ उसके और राहुल की चुदाई के बारे में उससे पूछ रही थी उन्हे सुनने के बाद जो आग उसके अंदर सुलगनी शुरू हुई थी, वो अब पूरी तरह से भड़क चुकी थी...वो गहरी -2 साँसे लेती हुई अपने बूब्स को उसकी पीठ पर रगड़ रही थी..

राहुल को हमेशा से सबा का सेक्स के बारे में पहल करना पसंद आता था...आज भी वो ऐसा ही कर रही थी...लेकिन आज वो और दिनों से कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित लग रही थी...और उसे पता था की जब भी ऐसा होता है तो उसे मिलने वाला मज़ा काफ़ी बढ़ जाता है...और ऐसे में वो अपने आप को उसके हाथो में छोड़कर निश्चिन्त हो जाता था...जो भी करती थी, सबा ही करती..उसे तो अपने आप मज़े मिल जाया करते थे..

राहुल अपनी मस्ती में मस्त था और सबा के जहन में उसकी सहेलियो की बातें घूम रही थी...

'राहुल तेरी एस फकिंग करता होगा न......देख न इसकी गांड कैसे फ़ैल गयी है '

वैसे तो आज तक सबा ने अपनी गांड नहीं मरवाई थी, लेकिन उनकी बाते सुनकर वो भी मरवाने का मन करता था
'राहुल तेरे बूब्स काफ़ी चूसता है ना...देख तो कितने बड़े हो गये है...'

बस ये याद आते ही सबा ने राहुल को अपनी तरफ घुमाया और एक ही झटके में अपना टॉप उतार कर नीचे फेंक दिया.. .नीचे उसने डिज़ायनर ब्रा पहनी हुई थी...जो उसने बड़ी बेरहमी से नोच फेंकी...और एक ही पल के अंदर वो राहुल के सामने टॉपलेस होकर खड़ी थी...उसके गोरे-2 बूब्स देखकर राहुल की आँखे चुंधिया गयी...
[Image: 48814303_014_0961.jpg]


सबा ने उसके सिर को पकड़कर अपनी छाती की तरफ धकेला और चिल्लाई : "चूसो इन्हे राहुल.....सक्क माय बूब्स नाउsssssssss ....''

राहुल तो उसके इस रवैय्ये को देखकर हैरान रह गया...पर उसे क्या फ़र्क पड़ रहा था...उसे तो दूध पीने से मतलब था..बस फिर क्या था...वो भी अपने पैने दाँतों और गर्म जीभ के साथ टूट पड़ा उसके नर्म मुलायम बूब्स पर...और ऐसे चूसने लगा जैसे वैक्यूम क्लीनर किसी चीज़ को अपनी तरफ खींचता है..

सबा भी उसकी सकिंग पावर से उसके मुँह की तरफ खींचती चली गयी...और अपने पंजों पर खड़ी होकर अपना पूरा का पूरा मुम्मा उसने मुँह में घुसेड़ दिया...और साथ ही साथ एक सुरीली और सेक्सी आवाज़ में कराह भी उठी...
''उफफफफफफफफफ्फ़........माआआआआआआआयययय डार्लिंग.................उम्म्म्ममममममम.........ज़ोर से........ऐसे ही.........आआआआआआआआआअहह .............. हाआआआआआआअ.....''
[Image: 50566644_009_eb79.jpg]


राहुल की उंगलियाँ उसकी गद्देदार गांड के अंदर धँस गयी....और उसने उसे उपर हवा में उठा लिया...और अपने लंड के उपर उसकी चूत को रगड़ते हुए उसके बूब्स को चूसने लगा...दोनो के कपड़े बीच में ना आए होते तो एक ही झटके में राहुल ने उसकी चूत में दाखिला ले लेना था...

सबा के पैरों के नीचे से ज़मीन क्या गायब हुई वो हवा में फड़फड़ाती हुई अपने दर्द भरे मज़े बयां करने लगी..

''ओह राहुल........मार डालो मुझे आज.....आआअहह चबा जाओ.....इन्हे.........ज़ोर से चूसो.......काटो.....मेरे निप्पल्स को.....उम्म्म्मममममममममम.....''

राहुल को वो ये सब ना भी कहती तो वो यही करता...और कर भ रहा था...अपने तेज दांतो से वो उसके बर्फ़ी जैसे नर्म मुम्मों की मिठास को अपने मुँह में लेकर मज़े ले रहा था....उसके निप्पल्स के चारों तरफ जो घेरा था,उनमे भी नन्हे दाने चमक उठे...उनको भी राहुल के निर्दयी दाँतों ने नही छोड़ा और उन्हे ज़ोर -2 से चबा कर पहले से ज़्यादा लाल कर दिया...

सबा : "बाइट मी राहुल......बाइट मीइइइइइइइइइ ........मार्क बनाओ इनपर......अपने प्यार के टैटू छाप दो इनपर.....''

ये सबा हमेशा करवाती थी....उसे अपने गोरे-2 बूब्स पर राहुल के दांतो के निशान काफ़ी पसंद आते थे...वो सुबह उठकर जब बाथरूम में नहाने जाती तो उन मार्क्स को देखकर उसे काफ़ी मज़ा आता था...और अपनी चूत सहलाकर वो अक्सर वहीं झड़ जाया करती थी..

आज भी वो अपने बूब्स पर राहुल की कला का नमूना बनवाना चाहती थी...जिससे वो अगले दिन की मूठ का इंतज़ाम कर रही थी...

राहुल ने उसके मुममे चूसते -2 उसकी जीन्स भी उतार दी...साथ में उसकी कच्छी भी लिपट कर उतर गयी...अब वो पूरी तरह से नंगी थी...

उसका नंगा हुस्न देखते ही बनता था..
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सबा ने भी राहुल की टी शर्ट उतारने में मदद की और उसके बाद उसकी पेंट भी...

और फिर उसने राहुल को बेड पर खींच लिया ..और खुद उसकी टाँगो के बीच लेट गयी...उसकी नज़र अब राहुल के लंड पर थी...जो कुतुब मीनार की तरह एकदम सीधा खड़ा हुआ था..

उनकी सोसायटी की मेंबर, डिंपल सरदारनी उसे हमेशा लंड चूसने के बारे में ही पूछा करती थी...आज शाम भी उसने एक-दो बार उसके लिए पूछा था...बस उसी के बारे में सोचते -2 सबा ने राहुल के लंड को पकड़ा और मुँह में लेकर चूसने लगी..
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ऐसा नही था की ये सबा का पहली बार था...आज से पहले भी वो हमेशा चुदाई से पहले राहुल के लंड की पूजा मुँह में लेकर करती थी...बाद मे उसके गीले लंड को अपनी भीगी हुई चूत में लेकर मज़े किया करती थी..

पर किसी के उकसाने के बाद जो चूसने का मज़ा उसे आज मिल रहा था वो थोड़ा अलग ही था...जो राहुल को बहुत ज़्यादा ज्यादा मजे के रूप में महसूस हो रहा था....उसके चूसने की गति उतनी ही तेज थी जितनी ज़ोर से राहुल ने उसके बूब्स चूसे थे...

सबा तो उसके लंबे लंड को मुँह में लेकर ऐसे सक्क कर रही थी जैसे नारियल पानी पीते हुए स्ट्रा को मुँह में लेकर चूसते है...फर्क बस इतना था की ये स्ट्रॉ थोड़ी मोटी थी...और यम्मी भी...और इसका पानी निकलने में भी अभी टाइम था , लेकिन बूँद-२ करके जो मलाई उसमे से बाहर आ रही थी वो उसे बड़े मजे से निगलती जा रही थी

सबा के होंठों के साथ-2 उसकी जीभ भी उसके लंड पर फिसलकर उसका मज़ा ले रही थी..
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#7
Great hot story bro....keep update
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#8
सबा को लंड चूसना सबसे ज़्यादा पसंद था....या ये कह लो की ये उसकी कमज़ोरी थी....वो जब अपने हनिमून पर शिमला गयी थी तो घंटो तक राहुल के लंड से खेलती रहती थी...उसे चूमती...सहलाती...चूसती ....और जब वो झड़ जाता तो अगली बार के लिए फिर से उसी तरह से उसे तैयार करती...आज तक उसकी लगन में कोई कमी नही आई थी..वो अब भी राहुल के लंड पर अपनी जान न्योछावर करती रहती थी...

और राहुल को भी उसकी चूत की चुसाई सबसे ज़्यादा पसंद थी...कारण था उसकी खुश्बू...जिसे सूँघकर राहुल किसी दूसरी दुनिया में पहुँच जाय करता था...सबा को हमेशा से मीठा खाने का शोंक था...खट्टी चीज़े उसे पसंद ही नही थी...इसलिए उसकी चूत से भी मीठापन बरसता था...

राहुल का लंड पूरी तरह से खड़ा था अब.....उसने सबा को बेड पर लेटने को कहा...अब उसकी नज़रें उसकी चिकनी चूत पर थी....जिसकी गुलाबी फूल जैसी पंखुड़ियों में शहद जैसा रस चमक रहा था

उसने धीरे-2 अपना सिर उसकी चूत पर झुकाया.....थोड़ी देर तक उसकी भीनी खुश्बू को सूँघा...और फिर धीरे-2 अपनी जीभ से उसके निचले होंठ कुरेदने लगा...
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सबा तो सिसक उठी.....उसके मुँह से ऐसी आवाज निकली जैसे गर्म तवे पर पानी के छींटे मार दिए हो...

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......आआआआआआआअहह.........उम्म्म्मममममममम राहुल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल.....''

सबा की पीठ तीर जैसी तिरछी होकर उपर उठ गयी....और राहुल को उसकी चूत और सॉफ तरीके से चूसने को मिल गयी....वो उसकी फांको को फेला कर अंदर तक चूस पा रहा था....या ये कह लो की वो अपनी जीभ से उसकी चूत की चुदाई कर रहा था...

सबा के लिए ये भी चुदाई के एहसास जैसा ही था....लेकिन असली लंड का एहसास अलग ही होता है...इसलिए वो सिसकती हुई बोली...

''ओह राहुल...प्लीज़......अब ना तरसाओ ......जल्दी से डालो......अपना ...........लंड ......मेरी चूत में .....''

सिर्फ़ सेक्स के दौरान ही सबा ऐसे शब्दो का प्रयोग करती थी....इसके अलावा जब भी वो इन्हे सुनती, बस शरमा कर रह जाती थी.

राहुल से भी अब रुका नही जा रहा था....उसने उसकी टाँगो को दोनो दिशाओं में फेलाया....उसकी शरबती नज़रों को देखा...और अपने लंड को उसकी जाँघो के बीच पहुँचा दिया....

बेसब्री सबा ने जल्दी से अपना हाथ नीचे करते हुए उसके लंड को अपनी चूत पर लगाया और अपनी टांगो से उसकी कमर को लपेट कर उसे अपने उपर खींच लिया....राहुल का लंड दनदनाता हुआ सा एक ही वार में उसकी चूत की दीवारें रगड़ता हुआ अंदर तक जा धंसा....और दोनो के मुँह से मादकता भरी चीखे निकल पड़ी...

''उम्म्म्मममममममममममममममममम........ओह..............सबाआाआआ.......मेरी ज़ाआआअन्*नन् ...... आआआआआआआआआआअहह''
[Image: 48676139_074_0949.jpg]

राहुल का लंड जब पूरा अंदर तक डूब गया तो उसने उसे धीरे-2 बाहर खींचा....सबा की नज़रें सीधा अपनी चूत की तरफ चली गयी...उसे अपनी चूत में लंड जाते और निकलते हुए बड़ा अच्छा लगता था...राहुल ने धक्के लगाने शुरू किए और वो उसे पिस्टन की तरह अंदर बाहर होते हुए देखकर सिसकारियाँ मारने लगी....

''अह्ह्हह्ह्ह्ह राहुल्ल्ल......फककक मी राहुल..............आअहह ....उूुउउम्म्म्ममममम..... यसस्स्स्स्स्स्स्सस्स...... अहह''

दोनो को पता था की अंदर का तूफान जल्द ही निकल सकता है....इसलिए दोनो अपनी तरफ से झटके और ज़ोर से लगाने लगे...

और करीब 5 मिनट तक की चुदाई के बाद सबा की आँखे उपर की तरफ घूम कर बंद हो गयी...और वो आनंद सागर मे गोते लगाती हुई अपने ऑर्गॅज़म को महसूस करने लगी...

''उम्म्म्मममममममममम....राहुल..................... आई लव यू .......''

राहुल को भी अपने प्यार का एहसास उसे दिलाना था...इसलिए उसे झड़ता देखकर वो और तेज़ी से धक्के मारने लगा...और जैसे ही उसके लंड से प्रेशर के साथ पिचकारी निकली....उसका शरीर झनझना उठा....जिसे सबा ने भी महसूस किया.....और आख़िरी के 4-5 झटके रुक-रुककर मारने के बाद वो उसके उपर लुडक गया...और उसके कानों में उसने भी बोल दिया....''आई लव यू टू सबा......''

और फिर दोनो एक दूसरे की बाहों में नंगे ही सो गये..

अगला दिन नॉर्मल ही रहा .....राहुल ऑफीस गया...शशांक ने इधर-उधर की बातों में उसे रात के ताश के प्रोग्राम के बारे मे फिर से याद दिलवाया...राहुल ने उसे आश्वस्त किया की वो और सब रात को 8 बजे उनके घर पर पहुँच जाएँगे..

रात को 8 बजते ही सभी अपनी-2 बीबियों के साथ शशांक के घर की तरफ चल दिए...और जैसा की सबने डिसाइड किया था,सभी ने नाइट सूट्स ही पहने हुए थे..ज़्यादातर पुरुष टी शर्ट और पायजामे में थे...सिर्फ़ गुरपाल सिंह ने ट्रेक सूट पहना हुआ था...शायद वो उसी में सोता था...

लेडीज़ भी अपने-2 नाईट गाउन में ही थी....सिर्फ़ सबा ही थी जिसने ज़ारा का पयज़ामा और जीपर पहना हुआ था...उसमे उसके तने हुए बूब्स बड़े ही कातिल लग रहे थे...
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और सबसे बड़ा सरप्राइज तो उन्हे शशांक के घर पर मिला...जैसे ही सब मिलकर उनके घर पहुँचे,शशांक की बीबी सुमन ने दरवाजा खोला....और उसके नाइट सूट को देखकर तो सभी की नज़रें फटी की फटी रह गयी...

औरतें तो उसकी हिम्मत की दाद दे रही थी...और मर्द अपनी लार टपकाए उसके शरीर को अपनी आँखो से पीने मे लगे थे..
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#9
उसने नेट वाली रेड और ब्लेक कलर की शॉर्ट नाईटी पहन रखी थी...जो उसकी जाँघो को भी सही से कवर नही कर पा रही थी...और इस वजह से उसकी मोटी और चिकनी टांगे सभी को दिखाई दे रही थी....यहाँ तक की अंदर पहनी पेंटी की भी झलक दिख रही थी...उपर से वो काफ़ी टाइट था...और सबसे बड़ी बात की उसने ब्रा नही पहन रखी थी...भले ही छाती वाले हिस्से पर नेट नही बल्कि कॉटन का कपड़ा था...लेकिन उसके बड़े-2 बूब्स,जिनके निप्पल्स सॉफ उजागर थे, उसमे देखे जा सकते थे....इसलिए सभी को एक नज़र में ये एहसास हो रहा था की उसने ब्रा नही पहनी हुई...
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आज की रात एक नया चैप्टर शुरू होने वाला था सभी की जिंदगी में ....

शशांक ने पहले से ही सब इंतज़ाम कर रखा था....एक कोने मे स्टैंडिंग बार बना रखी थी, जिसमे सभी मर्द जाकर खड़े हो गये और शशांक उन्हे सर्व करने लगा...लेडीज़ के लिए सुमन ने डाइनिंग टेबल पर वोड्का और ब्रीज़र की बॉटल्स रखी हुई थी...वो सब भी एक साथ शुरू हो गयी...सबा ने आज तक शराब को मुँह तक नही लगाया था...सब उसे पीने के लिए बोलने लगी तो उसने बेचारगी भरी नज़रों से राहुल की तरफ देखा...उसने आँखो ही आँखो में उसे पीने के लिए बोला..वैसे तो वो हमेशा से चाहता था की सबा भी पीने में उसका साथ दिया करे लेकिन जिस माहौल में वो पली-बड़ी थी, उसमें ऐसा करना पाप माना जाता था...इसलिए उसे थोड़ी बहुत हिचकिचाहट हो रही थी..

राहुल की स्वीकृति मिलने से और अपनी फ्रेंड्स के बार-2 कहने से उसने वोड्का का एक ग्लास ले ही लिया...और सुमन ने जान बूझकर उसे स्ट्रॉंग पेग बना कर दिया..पांचो ने हाथ में ग्लास लेकर चियर्स किया और एक ही घूंठ में आधे से ज्यादा ग्लास पी गए

1-2 पेग पीने के बाद सभी मर्द टेबल पर पहुँच गये, जहाँ पर ताश की गड्डी लगी हुई थी.

जिस घड़ी का सभी को इंतजार था, वो आ चुकी थी

तीन पत्ती का खेल शुरू हो चुका था

शशांक ने पत्ते बाँटने शुरू किए..पहली बाजी नॉर्मल थी ..यानी जिसके पत्ते बड़े ,वो बाजी ले जाएगा...

ब्लाइंड की रकम 500 रुपय थी...और चाल या शो डबल की ..

सभी ने 2-2 ब्लाइंड चली और उसके बाद एक-2 करके सभी ने अपने पत्ते उठा कर देखे..

इसी बीच सभी औरतें अपने-2 पतियों की बगल में आकर बैठ गयी...

सभी की नज़रें या तो शशांक की बीबी सुमन पर थी या सबा पर...क्योंकि इस वक़्त यही दोनो एक दूसरे को टक्कर दे रही थी...एक हुस्न के मामले में और एक सैक्सी दिखने के मामले में ..
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सुमन तो जिस अंदाज से शशांक की बगल में बैठी थी वो देखते ही बनता था...उसकी नाईटी तो टांगे ढकने में बिल्कुल असमर्थ थी...और उपर से वो जान बूझकर अपने मखमली कपड़े को ऐसे खिसका रही थी जिसकी वजह से बार-2 उसकी नंगी टांगे सबके सामने उजागर हो रही थी...

और सभी मर्दों की नज़रें उसकी चिकनी टाँगो और उसके झांकते हुए बूब्स को को अपनी आँखो से चूस रही थी.

ये बात उनकी बीबियां भी नोट कर रही थी...लेकिन वो भी जानती थी की ऐसे में अच्छा भला मर्द भी देखे बिना नही रह सकता...वैसे भी उन सबमे इतनी टोका-टाकी चलती नहीं थी.

राहुल भी अपने बॉस की बीबी सुमन की नंगी टाँगो को देखकर थोड़ा बहुत विचलित हो रहा था...जबकि उसकी बीबी सबसे सुंदर थी...लेकिन दूसरी औरत ही ऐसी बेशर्मी से अपना बदन दिखाए तो वो भी भला क्या करे..

सबके मन में कुछ ना कुछ चल रहा था..लेकिन कोई भी बोल नही रहा था...बस गेम के बारे में ही बाते चल रही थी...गुप्ताजी तो बड़ी मुश्किल से अपने खड़े हो रहे लंड को संभालने की असफल कोशिश कर रहे थे...ऐसे में उनके पत्ते भी बेकार से आए...सिर्फ़ 3,4 और 8 नंबर...और वो भी अलग-2 कलर के..उन्होने एकदम से पेक कर दिया...

कपूर साहब का भी यही हाल था...उनकी नज़रे तो कभी सबा और कभी सुमन पर घूम रही थी..ऐसे में जब उन्होने पत्ते देखे तो वो ज़्यादा कमाल के नही थे...9, K और इक्का था इनके पास....काफ़ी सोचने के बाद उन्होने इकके और बादशाह के बल पर एक हज़ार की चाल चल दी..

और अपने सरदारजी गुरपाल सिंह ने दरियादिली दिखाते हुए बिना पत्ते देखे ही एक और ब्लाइंड चल दी..वो ऐसा हमेशा करता था.....और ब्लाइंड चलने के बाद उसने बड़ी ही बेबाकी से अपनी बगल में बैठी सरदारन की जाँघ पर हाथ रखा और उसे सहलाने लगा...और उसका सहलाना ऐसा था की हर कोई देख पा रहा था की वो क्या कर रहा है..पर वो सेक्स के मामले में औरों से थोड़ा अलग ही था...वो दिन दुनिया की परवाह किए बिना अपने काम में मग्न रहता था..ठीक शशांक की तरह...

क्योंकि वो भी अपनी बीबी सुमन की नंगी टाँगे इस वक़्त बड़े ही कामुक तरीके से सहला रहा था...और वहां बैठे दूसरे मर्द बस यही सोच रहे थे की काश सुमन की नंगी टांगो पर इस वक़्त उनके हाथ होते..

राहुल ने अपने पत्ते देखे और हज़ार का नोट फेंककर तुरंत चाल चल दी...उसके चेहरे को देखकर सॉफ पता चल रहा था की उसके पास जानदार पत्ते आए है..

शशांक ने सुमन की टांगे सहलाते-2 अपने पत्ते देखे और उसने भी हज़ार का नोट फेंककर एक चाल चल दी...

कपूर साहब तो इकके और बादशाह के बल पर चाल चल बैठे थे...सामने से 2-2 चालें आती देखकर उन्होने चुपचाप पैक कर दिया..

अब सरदरजी ने भी अपने पत्ते उठा कर देखे...कुछ ख़ास नही आया था उनके पास...इसलिए मन मसोसकर उन्होने भी पैक कर दिया...

अब सिर्फ़ राहुल और शशांक ही बचे थे..

राहुल को अपने बॉस के सामने चाल चलने में झिझक हो रही थी..पर ये तो खेल था...इसलिए उसने थोड़ा रुककर अपनी तरफ से हज़ार की चाल और चल दी...

जवाब मे शशांक ने डबल करते हुए 2 हज़ार की चाल चल दी..

अब तो राहुल को चिंता होने लगी....उसके पास पान के पत्तो का कलर आया था...2,5 और बेगम के साथ...

उसकी ये पहली गेम थी...इसलिए वो ज़्यादा रिस्क भी नही लेना चाहता था...क्योंकि जिस अंदाज में शशांक ने 2 हज़ार की चाल चली थी, राहुल को लग गया की उसके पास बड़े पत्ते होंगे...इसलिए राहुल ने तुरंत 2 हज़ार बीच में फेंककर शो माँग लिया...

शशांक ने अपने पत्ते दिखाए तो राहुल ने अपना माथा पीट लिया...शशांक के पास सिर्फ़ 3 का पेयर था...जिसके बल पर वो इतना खुलकर खेल रहा था जैसे सीक्वेन्स आ गया हो....

पर फिर भी...राहुल को पहली ही गेम में करीब 10 हज़ार मिल गये...उससे ज़्यादा तो सबा खुश थी...ऐसे एकदम से 10 हज़ार सिर्फ़ 5 मिनट में ही आ जाने से उसका चेहरा गुलाब सा खिल चुका था...राहुल ने सारे पैसे अपनी तरफ खिसका लिए और उन्हे उठा कर सबा को दे दिया...वो चमकती हुई आँखो से उन नोटों को सही ढंग से इकठ्ठा करने लगी...बाकी के सारे मर्द उसे ऐसा करते देखकर अपनी-2 जीभ होंठों पर फेर रहे थे.

जहाँ एक तरफ राहुल अपनी पहली ही बाजी में मिली जीत से खुश था वही शशांक मन ही मन अपनी चालाकी पर खुश हो रहा था...वो खुद जानता था की उसके पास छोटे पत्तो का पेयर है...और राहुल के चेहरे को देखकर ही वो समझ गया था की उसके पास काफ़ी अच्छे पत्ते आए है...लेकिन वो जान बूझकर ज्यादा पैसों से हारना चाहता था..ताकि राहुल को थोड़ा कॉन्फिडेन्स मिले...और वो मिल भी चुका था...

अगली गेम शुरू होने से पहले शशांक ने सुमन को सभी के लिए पेग बनाने को कहा...ये सबके लिए एक झटके जैसा था...क्योंकि आज तक उनके ग्रुप की किसी भी औरत ने पेग नही बनाए थे...लेकिन सुमन जैसी रसीली भाभी के हाथ से पेग बनवाकर पीने की बात सोचकर किसी ने कुछ नही कहा ..ये भी शशांक और सुमन का पहले से सोचा हुआ आईडिया था
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#10
सुमन भी बड़े कॉन्फिडेन्स के साथ उठकर बार तक गयी और सभी के लिए पेग बना दिए...डिंपल और काजल तो उसे ऐसा करते देखकर हैरान हुई जा रही थी......मिसेस गुप्ता और सबा का भी यही हाल था, लेकिन उसे एक मॉडर्न लेडी की तरह इस तरह के काम करते देखकर उन्हें भी अच्छा लग रहा था .......उन्होने तो आज तक घर मे कभी भी ऐसा नही किया था...सुमन को देखकर उनके मन में भी ऐसा ही कुछ करने की इच्छा जन्म ले चुकी थी

और इससे पहले उन सभी के मन में एक और इच्छा भी जन्म ले चुकी थी....और वो थी सुमन की तरह सेक्सी कपड़े पहनने की
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डिंपल सरदारनी के पास तो ऐसे सेक्सी कपड़ो की भरमार थी...वो तो बस उसे खुद ऐसे कपड़े पहनकर किसी के सामने आने मे शर्म आती थी, वरना उसका पति तो हमेशा उसे प्रोत्साहित करता था की सेक्सी शरीर है तो ऐसे कपड़े पहनकर उसे दिखाने मे भला क्या हर्ज है...वो एकदम खुल्ले विचारों वाला पंजाबी बंदा था...

सबा को भी एक से बढ़कर एक बड़िया कपड़े पहनने का शॉंक था...वैसे वो तो हर औरत को होता है पर सबा को कुछ ज़्यादा ही था...वो जो भी पहन लेती थी वो उसके उपर जंच जाता था...एक तो बला की खूबसूरत और उपर से एकदम गोरी चिट्टी ...और शादी के बाद उसके हुस्न में जो निखार आना शुरू हुआ था, उसके बाद तो उसका बदन ऐसा गदरा गया था की हर कपड़े में वो सैक्स की देवी लगती थी...पर उसके पास ऐसे अंग प्रदर्शन वाले कपड़े कम ही थे...1-2 नाइटीज थी बस...पर उन्हे किसी और के सामने पहनने की बात तो उसने सपने में भी नही सोची थी...लेकिन जो नाईटी आज सुमन ने पहन रखी थी वो कुछ ज़्यादा ही एक्सपोज़ कर रही थी उसके बदन को...और सबा के मन में बस यही चल रहा था की जब सुमन भाभी ऐसी नाईटी पहन सकती है तो उसकी तो थोड़ा कवर की हुई ही है...वो भी ट्राइ करेगी..
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और नीरू तो ये सोच चुकी थी की कल ही लिंगरी शॉप में जाकर सुमन से भी ज़्यादा सेक्सी दिखने वाली नाईटी लेकर आएगी... मिसेज़ गुप्ता के मन में भी कुछ-2 ऐसा ही चल रहा था..

मर्दो ने अपने-2 पेग पिए और सुमन ने अपने लेडिस गेंग के लिए वोड्का के शॉट्स बना लिए...सबा के लिए तो ये सब नया था...उसने तो आज से पहले आल्कोहॉल पिया तक नही था...वैसे भी पहले पेग की वजह से उसका सर अभी तक चकरा रहा था, इसलिए उसने शॉट पीने से मना कर दिया...सुमन ने भी ज्यादा जोर नहीं दिया

वैसे भी शॉट कैसे पिया जाता है,ये उसे पता नहीं था, वो उन्हें ऐसा करते हुए देखने लगी

चारों लेडीज़ ने हाथ पर नमक रखा...नींबू पकड़ा और शॉट्स उठा लिए...और एक जोरदार चियर्स के साथ सभी ने अपने-2 पेग्स एक ही बार में पी डाले...फिर नमक चाटकर मुंह में नींबू निचोड़कर एक साथ चिल्ला पड़ी...

ऐसा पागलपन सबा ने पहली बार देखा था....लेकिन उनके मस्ती से भरे चेहरों को देखकर उसे सॉफ लग रहा था की सभी को काफ़ी मज़ा मिल रहा है....अपनी-2 बिबियो को ऐसा करते देखकर उनके पति भी मस्ती में आकर अपने-2 पेग्स एक ही बार में पी गये...पूरे माहौल में मस्ती और मदहोशी का आलम था..
अपने-2 पेग पीने के बाद टेबल पर एक बार फिर से सभी ने बाजी शुरू कर दी...

शशांक ने इस बार सभी को खेल के रूल्स फिर से समझा दिए....तीन पत्ती का ये खेल हर बार नये तरीके से खेला जाने वाला था...जिसमे नॉर्मल गेम के अलावा मुफ़लिस, हाइयेस्ट जोकर और लोवेस्ट जोकर, AK47, और जोकर के वेरिएशन थे....राहुल को इन सबके बारे में मालूम नही था, वो तो आज तक नार्मल गेम ही खेलता आया था...शशांक ने उसे बोल दिया की जैसे-2 ये वॅरीयेशन आते रहेंगे वो उसे पहले से समझा दिया करेगा...जो इतने मुश्किल नही है...उसके बाद खेलने का मज़ा और भी बड़ जाएगा..जीतने वाले को ऐसे वेरिएशन चुनने का अधिकार था..इसलिए राहुल ने AK47 को चुना...क्योंकि वो नाम से ही इतना बड़िया लग रहा था..

राहुल ने पत्ते बाँटे...शशांक ने राहुल को समझाया की ये एक ऐसा वैरीएशन है जिसमें किसी के पास भी अगर A ,K , 4 और 7 में से कोई भी पत्ता आ गया तो वो जोकर का काम करेगा ...और उन्हे दूसरे पत्तों के साथ मिलाकर अपनी गेम खेली जा सकती है...राहुल समझ गया और खेल शुरू हो गया.

सभी ने ब्लाइंड चली...और पिछली बार से बढ़कर इस बार सबने 3-3 ब्लाइंड चली..

और इस बार सबसे पहले पत्ते उठाए कपूर साहब ने...उनके पास 8,9 और K आया था...यानी K को वो जोकर मानकर उसे 10 बनाकर गेम खेल सकते थे...इस तरह से उन्होने 8,9,10 की सीक्वेंस बनाकर अपनी चाल चल दी..

गुप्ता जी ने अपने पत्ते देखे...कुछ भी नही था उनके पास...ना तो ढंग के पत्ते और ना ही A,K,4,7 में से कुछ...उन्होने पैक कर दिया..

सरदारजी ने एक बार फिर से ब्लाइंड खेल ली...

राहुल ने पत्ते देखे...उसके पास J , 7 और 3 आए थे...यानी उन चार जोकरों में से एक जोकर आया था उसके पास...जिसके बल पर वो J का पेयर बना सकता था...लेकिन गुप्ता जी की चाल आ चुकी थी...ऐसे में उसे ये J का पेयर चाल चलने लायक नही लग रहा था...इसलिए वो सोच में पड़ गया...सोचते-2 उसकी नज़र अचानक सुमन के उपर गयी...हालाँकि वो उसके बॉस की बीबी थी लेकिन आज जिस अंदाज में वो अपने हुस्न को सभी के सामने उजागर कर रही थी, उसकी वजह से ना चाहते हुए भी राहुल की नज़रें बार-2 उसी तरफ जा रही थी..

उसने देखा की सुमन भी उसकी तरफ देख रही है...दोनो की नज़रें 4 हुई..और अचानक सुमन ने उसे आँख मार दी..

एक पल के लिए तो राहुल के दिल की धड़कन तेज हो गयी...लेकिन फिर उसे लगा की ये शायद उसका वहम होगा... क्योंकि उन्होने अभी-2 वोड्का का शॉट लगाया था...शायद उनकी आँख ग़लती से झपक गयी होगी...पर उसके इस वहम को अगले ही पल सुमन ने झूठा साबित कर दिया जब उसने बड़ी ही बेशर्मी से अपना दाँया हाथ अपनी नाईटी के अंदर डालकर अपने बूब्स पर खुजली की....उसने अपना पूरा का पूरा मुम्मा अपने हाथ में पकड़कर ऐसे मसला की वो आधे से ज्यादा बाहर की तरफ निकलकर अपना गुदाजपन दिखाने लगा...ये सिर्फ़ एक पल के लिए ही हुआ... और ऐसा करने से पहले सुमन ने देख लिया था की राहुल के अलावा किसी और की नज़र उसके उपर नही है...सभी की नज़रें तो इस वक़्त टेबल पर थी...ऐसे में राहुल ने जब सुमन के हाथों को उसके खुद के बूब्स को पकड़कर जोरों से मसलते देखा तो उसके लंड का तापमान उपर तक जा चढ़ा ..
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किसी ने भी नही, सिर्फ़ राहुल ने ऐसा होते हुए देखा...पहले आँख मारी और फिर ये किया....अब तो राहुल को विश्वास हो रहा था की सुमन जी अपनी तरफ से उसे लाइन दे रही है..

अपनी खूबसूरत बीबी के होते हुए उसके मन में गंदे विचार आने लगे...और ऐसा होना स्वाभाविक ही था...हर मर्द ऐसा ही होता है...अपनी खुद की बीबी या गर्लफ्रेंड चाहे जितनी भी सुंदर हो, ऐसा खुला न्योता मिलने से कुछ अलग पाने की चाहत अपने आप जन्म ले लेती है..

राहुल का ध्यान अब गेम में नही बल्कि सुमन में लग चुका था...इसलिए उसने तुरंत पैक कर दिया.

अब शशांक की बारी थी....उसने पत्ते उठाए...और मुस्कुराते हुए 1 हज़ार की चाल चल दी...कपूर साहब ने भी एक और चाल चल दी..

अब गुरपाल सिंह ने भी अपने पत्ते उठा लिए....उसके पास भी एक जोकर आया था...लेकिन उसे इस्तेमाल करके सिर्फ़ 9 का पेयर ही बन पा रहा था...उसने भी पेक कर दिया..

शशांक ने इस बार की चाल 2 हज़ार कर दी.

गुप्ता जी के दिमाग में शशांक की पिछली गेम की बात चल रही थी...उनके अनुसार तो शशांक सिर्फ़ 3 के पेयर पर भी ऐसी डबल चाल चल रहा था...ऐसे में गुप्ता जी को अब यही लग रहा था की इस बार भी शायद ऐसा ही कोई पेयर बन रहा होगा उसके पास....अगर कलर भी होगा तो भी गुप्ता जी के सीक्वेंस के सामने वो छोटे होंगे...यही सोचकर उन्होने भी 2 हज़ार की चाल चल दी.

खेल अब गर्म हो चुका था..सभी की नज़रें टेबल पर थी...सबा, काजल और नीरू एक कोने में बैठकर शायद सुमन के कपड़ों के बारे में बात कर रहे थे...और सुमन थी की अभी भी सेक्सी इशारे करके राहुल को परेशान कर रही थी..

राहुल के लंड ने स्टील जैसा रूप अख्तियार कर लिया...उसे बिठाना ज़रूरी सा हो गया था...उसने तुरंत एक्सक्यूस मी कहते हुए बाथरूम का रुख़ कर दिया...

किसी को भी उसके जाने से कुछ फ़र्क नही पड़ा ...सबा को तो पता भी नही चला की राहुल अपनी सीट से उठकर अंदर चला गया है...क्योंकि उसकी पीठ थी उसकी तरफ...और वैसे भी इस वक़्त वो गप्पे मारने में बिज़ी थी..

शशांक ने सुमन की तरफ देखा और उसे आँखो ही आँखो से कुछ इशारा किया....और वो भी चुपचाप उठकर अंदर चल दी... राहुल के पीछे-2

इस वक़्त उसके दिमाग़ में क्या चल रहा था ये तो कोई नही जानता था...लेकिन एक बात पक्की थी की आज राहुल के साथ ऐसा कुछ होने वाला था की उसके और उसके बॉस की बीबी के बीच के रिश्ते के मायने बदलने वाले थे..

राहुल सीधा वॉशरूम की तरफ गया ...काफ़ी बड़े वॉशरूम के अंदर ही अलग से दरवाजा लगा कर टाय्लेट बनवाया हुआ था...राहुल अंदर जाकर कमोड पर अपने लंड को निकाल कर खड़ा हो गया और मूतने लगा.
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#11
राहुल अभी अपने लंड को हाथ में लेकर कुछ सोच ही रहा था की उसे बाहर किसी के आने की आहट सुनाई दी..और वो कुछ समझ पाता इतने में उसे सुमन के गुनगुनाने की आवाज़ सुनाई दी...राहुल के लटक रहे लंड में जैसे फिर से जान आ गयी..उसने अभी तक दरवाजा भी बंद नही किया हुआ था, इसलिए वो बंद दरवाजे की लकीर से बाहर खड़ी सुमन को देखने लगा..

और इस वक़्त शायद वो बाहर बैठी अपनी बीबी सबा को भी भूल चुका था.

वो तो उसे ऐसे देख रहा था जैसे सुमन को ये पता ही नही था की वो भी बाथरूम में ही है..वो तो बस मंद-2 मुस्कुराती हुई शीशे के सामने खड़ी होकर अपने आप को निहार रही थी ...सुमन इस वक़्त सिर्फ़ 2 गज की दूरी पर खड़ी होकर बड़ी ही बेबाकी से अपने कपड़े ठीक करने में लगी थी...और अचानक एक बार फिर से सुमन ने अपना दाँया हाथ अंदर डाल कर फिर से अपने बूब को मसल दिया...ठीक वैसे ही जैसे कुछ देर पहले बाहर मसला था...राहुल को उसके बड़े से बूब के उपर चमकता हुआ निप्पल सॉफ दिख रहा था...उसकी तो साँसे तेज हो गयी...वो अपने खड़े हुए लंड को जोरों से मसलने लगा...और ना चाहते हुए भी उसके मुँह से एक आह्ह्ह निकल गयी..

और उसकी ये आवाज़ सुनकर सुमन ने एकदम से टाय्लेट का दरवाजा खोल दिया...और राहुल अपने खड़े हुए लंड को मसलते हुए रंगे हाथो पकड़ा गया...उसकी तो समझ में नही आ रहा था की ये एकदम से क्या हो गया..पर तब तक सुमन की शरारती नज़रें अपना काम कर चुकी थी...उसने राहुल के खड़े हुए लंड को जी भरकर देख डाला.

राहुल ने हड़बड़ी में अपने लंड को अंदर ठूसना चाहा पर उसे सुमन ने रोक दिया..

सुमन के हाथ सीधा उसके लंड पर थे और वो उसके थरथराते हुए लंड को सॉफ महसूस कर पा रही थी.

दोनो ने एक दूसरे को देखा और सुमन ने पहल करते हुए बिना किसी वॉर्निंग के आगे बढ़कर उसे चूम लिया..
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राहुल तो बुत्त सा बनकर खड़ा रह गया..और सुमन उसे पागलो की तरह चूमने में लग गयी...वो ऐसे चूम रही थी मानो उसे वो खजाना मिल गया हो जिसके लिए वो बरसो से इंतजार कर रही थी..साथ ही साथ वो राहुल के लंड को भी मसल रही थी.

राहुल के अंदर एक युद्ध सा चल रहा था की वो इस वक़्त क्या करे...अपनी बीबी को धोखा देने के बारे में उसने सपने मे भी नही सोचा था...और सोचे भी किसलिए, उसकी बीबी इतनी सुंदर जो थी...और उपर से वो उसे सैक्स के पूरे मज़े देती थी...और उन्होने तो लव मेरीज की थी, इसलिए एक दूसरे को धोखा देने की बात तो वो सोच भी नही सकते थे..

लेकिन उसके बॉस की बीबी भी कम सेक्सी नही थी...और ये पहली औरत थी जिसने उसकी बीबी के अलावा उसके शरीर को इस तरह से छुआ था...उसे चूमा था...उसके लंड को इस तरह पकड़ा था..और वो चाह कर भी उसे मना नही कर पा रहा था...

अचानक सुमन नीचे बैठ गयी और उसने राहुल के लंड को अपने मुँह में लेकर चूस डाला...अब तो राहुल की रही सही झिझक भी जाती रही और उसने एक जोरदार सिसकारी मारते हुए सुमन के सिर पर हाथ रखकर अपना पूरा का पूरा लंड उसकी हलक में उतार दिया...
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सुमन तो पुरानी खिलाड़ी थी लंड चूसने में .कॉलेज टाइम से ही उसे ये क्रिया सबसे ज़्यादा पसंद थी...ये और बात थी की आजकल सेक्स के मामले में उसकी फ़ेवरेट गांड मरवाने की क्रिया थी..लेकिन इसका ये मतलब नही था की वो लंड चूसने में पीछे रह जाती..

वो किसी सकिंग मशीन की तरह राहुल के लंड को अपने मुँह की मशीन से चूस रही थी...राहुल को तो ऐसा लग रहा था जैसे वो मर ही जाएगा...क्योंकि सिर्फ़ एक मिनट के अंदर ही अंदर सुमन ने उसे झड़ने के बिल्कुल करीब पहुँचा दिया था...

वो अपनी आँखे बंद किए अपने माल के निकलने का इंतजार कर ही रहा था की उसे किसी के क़दमों की आहट सुनाई दी...और वो शायद कोई औरत थी, क्योंकि सेंडल की तेज आवाज़ से वुडन फ्लोरिंग पर काफ़ी तेज आवाज़ आ रही थी...राहुल ने फ़ौरन अपना लंड उसके मुंह से बाहर खींच कर वापिस पेंट में डाल लिया...सुमन ने भी मौके की नज़ाकत को समझा और तुरंत अंदर वाले टाय्लेट में घुस कर दरवाजा बंद कर लिया...

राहुल वाश्बेसन के आगे खड़ा होकर अपने चेहरे को धोने लग गया...और तभी वॉशरूम में सबा दाखिल हो गयी.

राहुल की तो फट कर हाथ में आ गयी...सिर्फ़ एक मिनट की देरी और हो जाती तो उसकी तो बेंड बज जानी थी.

सबा : "अरे....तुम इतनी देर से यहाँ क्या कर रहे हो...मुझे तो तुम्हारी फ़िक्र होने लगी थी....सब ठीक है ना...''

राहुल ने भी थोड़ी सी एक्टिंग करते हुआ बोला : "हाँ ....बस थोड़ी नींद सी आ रही थी...इसलिए फेस वॉश करने चला आया...''

सबा इधर उधर मुँह करके देख रही थी...वो शायद सुमन को ढूंड रही थी...क्योंकि वो भी तो अंदर से गायब थी.

सबा ने दबी आवाज़ मे पूछा : "वो सुमन भाभी अंदर है क्या...''

राहुल ने कंधे उचकाते हुए कहा : "मुझे क्या पता...शायद हो भी...''

इतना कहकर राहुल बाहर निकल आया...सबा भी उसके पीछे-2 बाहर आ गयी.

बाहर की बाजी शशांक हार चुका था...और जब उसने सबा को राहुल की फ़िक्र में अंदर जाते देखा तो एक पल के लिए तो उसे लगा की कही उसकी बीबी पकड़ी ना जाए...पर ऐसा कुछ नही हुआ..इसलिए उसने चैन की साँस ली.

थोड़ी देर में सुमन भी बाहर आ गयी..

और अब राहुल और सुमन एक दूसरे को ऐसे देख रहे थे जैसे एक दूसरे को खा ही जाएँगे...और ये मौका उन्हे जल्द से जल्द निकालना था.

लेकिंग अभी तो अगली बाजी का टाइम आ चुका था.

राहुल ने अपने हिस्से के पैसे बीच मे रखे और पत्तो का इंतजार करने लगा.

एक शातिर खिलाड़ी की तरह अब उसका दिमाग़ ताश के पत्तो से ज़्यादा अपने बॉस की बीबी को चोदने के बारे मे लग चुका था...और जहाँ तक वो अपने शातिर दिमाग़ को जानता था, वो जल्द ही कुछ ना कुछ उपाय निकालने वाला था.
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#12
गुप्ताजी ने पिछली बाजी शशांक से जीती थी...इसलिए उन्होने ही इस बार का वेरीएशन सिलेक्ट किया था.

इस बार का वेरीएशन था मुफ़लिस.

इसके अनुसार जिसके पास सबसे छोटे पत्ते होंगे, वो बाजी जीत जाएगा.

उन्होने पत्ते बाँटे और सबने बूट के 500 रूपए डालने के बाद 2-2 ब्लाइंड चल दी..

सरदारजी की बारी थी...उन्होने तीसरी ब्लाइंड चल दी.

कपूर साहब को भी ना जाने क्या सूझा, उन्होंने भी ब्लाइंड चल दी.

राहुल का नंबर आया तो उसने रिस्क लेना सही नही समझा...उसने पत्ते उठा ही लिए.

और इस बार फिर से अपने पत्ते देखकर उसकी आँखे चमक गयी...उसने तुरंत एक हज़ार का नोट फेंकते हुए चाल चल दी.

अपने पति को इतने उत्साह के साथ चाल चलता देखकर सबा खुश हो गयी...वो तो पिछली जीत के पैसो के मिलने के बाद से ही काफ़ी उत्साहित थी...और जानती थी की राहुल ने चाल चली है, तो उसके पास ज़रूर अच्छे पत्ते आए होंगे.

शशांक ने भी सरदारजी और कपूर की तरह एक और ब्लाइंड चल दी...और वो भी एक हज़ार की...ये जानते हुए भी की राहुल की चाल आ चुकी है.

अब जो भी पत्ते देखकर चाल चलता तो उसे डबल यानी 2 हज़ार की चाल चलनी पड़ेगी.

गुप्ताजी ने पत्ते उठा लिए.

पिछली गेम जीतने के बाद उनके पास करीब 20 हज़ार रूपए आए थे...और इस बार के पत्ते भी खेलने लायक तो थे...उनके पास 3,7 और 10 नंबर आए थे...उन्होने 2 हज़ार की चाल चल दी.

सरदारजी ने अपने पत्ते उठाए...उन्हे चूमा और इस बार अपने पत्ते देखकर उनका चेहरा खिल गया...उन्होने तुरंत चाल को बढ़ाते हुए 3 हज़ार कर दिया...और अपनी मूँछो पर ताव देने लगे...

कपूर साहब की तो किस्मत ही खराब थी....उन्होने अपने पत्ते उठाए..और सबके सामने फेंकते हुए पेक कर दिया...उनके पास इकके के साथ हुक्म का कलर आया था...मुफ़लिस में ऐसे पत्ते आने पर कितना दुखा होता है, ये आज उन्हे समझ आ रहा था| नॉर्मल गेम में अगर ये पत्ते आए होते तो वो सब की खाट खड़ी कर देते.

राहुल ने बड़े ही आराम से 3 हज़ार की चाल चल दी.

शशांक समझ गया की ये गेम लंबी जाने वाली है..उसने पत्ते उठा कर देखे तो उसके पास 2 का पेयर आया था...उसने भी तुरंत पेक कर दिया.

गुप्ताजी तो सोच में पड़ गये...लेकिन उन्होने पिछली गेम जीती थी, इसलिए उन्होने एक और चाल खेलना सही समझा...और काफ़ी देर तक सोचने के बाद उन्होने भी 3 हज़ार की चाल चल दी.

सरदारजी तो अपने पत्तो को चूम-2 कर खुश हुए जा रहे थे....उन्होने इस बार 4 हज़ार की चाल चली.

राहुल ने बिना किसी रिएक्शन के 4 हज़ार चल दिए.

गुप्ताजी समझ गये की उनका अब इस गेम में कोई काम नही है..उन्होने पेक कर दिया.

अब सरदारजी और राहुल बचे थे, सरदारजी ने फिर से 4 हज़ार की चाल चली.

राहुल ने भी उसका जवाब चाल से ही दिया, कमरे में बैठे सभी लोगो का ध्यान इन दोनो पर ही था.

लेकिन सुमन का टेबल के पत्तो से ज़्यादा ध्यान राहुल पर था...और उसे अपनी तरफ ताकते हुए सिर्फ़ राहुल ही देख पा रहा था, दोनों की आँखों में एक दूसरे के लिए बढ़ती चाहत साफ़ देखी जा सकती थी ।

सबा मन ही मन कोई कलमा पढ़कर अपने पति के जीतने की दुआ माँग रह थी..डिंपल सरदारनी का भ कुछ-2 ऐसा ही हाल था...वो भी मन ही मन कुछ बुदबुदा रही थी.

राहुल को इतने आराम से चाल चलते देखकर गुरपाल भी सोच में पड़ गया...ये पत्तो के खेल में कुछ भी हो सकता है...वैसे भी उसके पास सबसे छोटे पत्ते तो आए नही थे...3,4 और 6 नंबर थे उसके पास..

वैसे भी वो अपने लाए हुए 20 हज़ार तो आज की रात उड़ा ही चुका था...उसका मन बोल रहा था की चाल चलता रह..लेकिन दिमाग़ कह रहा था की शो माँग लेना चाहिए..

उसने राहुल से कहा : "देख राहुल भ्रा...पत्ते तो मेरे पास अच्छे है...लेकिन आज मैं और रिस्क लेने की कंडीशन में नही हू...इसलिए तू शो दे दे मुझे...''

उसने गुप्ताजी से 8 हज़ार रुपय लिए और उन्हे बीच में फेंक कर शो माँग लिया.

राहुल ने बड़े ही आराम से अपने पत्ते एक-2 करके दिखाने शुरू किए...

वो बोला : "ये रहा मेरा सबसे बड़ा पत्ता...''

और उसने 6 बीच मे फेंक दिया...

सरदरजी की आँखे चमक उठी ...उन्होने भी अपना 6 का पत्ता बीच मे फेंक दिया.

राहुल ने अगला पत्ता फेंका...वो 4 था..

सरदारजी ने भी बड़ी मुश्किल से अपनी खुशी को कंट्रोल करते हुए 4 बीच में फेंका.

सभी लोग समझ चुके थे की गेम फँसने वाली है....क्या दोनो के पास एक जैसे पत्ते आए है...

अगर हाँ तो उसके अनुसार तो सरदारजी अभी तक जीत रहे थे...उनके पास पान का 6 था...जबकि राहुल ने हुक्म का 6 फेंका था.

लेकिन ऐसा हुआ नही...
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#13
राहुल ने अपना आख़िरी पत्ता नीचे फेंका..वो 2 था.

सरदारजी ने शिट,शिट,शिट कहते हुए अपना आखिरी पत्ता बीच में दे मारा....उनके पास 3 था...वो गेम हार चुके थे...इतने करीबी मामले से हारने का दुख उनके चेहरे पर सॉफ देखा जा सकता था.

सबा और राहुल खुशी के मारे उछल पड़े...राहुल को भी शायद ये अंदाज़ा नही था की सरदारजी के पत्ते उसकी टक्कर के निकलेंगे..लेकिन आख़िर में मिली जीत के बाद उसका चेहरा देखने लायक था...सबा दूसरी तरफ से भागती हुई सी आई और झुक कर राहुल के गले से लग गयी...ऐसा उसने आज तक नही किया था...शायद थोड़ी बहुत बहक सी गयी थी..

और उसकी इस हरकत ने बाकी के ठर्कियों के लिए रात का इंतज़ाम कर दिया...वो जैसे ही झुकी, उसके फूले हुए कूल्हे सभी की नज़रों के सामने फेल कर ऐसे दिखे जैसे कमरे में कमल का फूल खिल गया हो.
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कपूर ने तो बड़ी मुश्किल से अपने हाथों को उनपर जाने से रोका...

सरदारजी तो इस खिले हुए कमल को देखकर अपनी हार का गम भी भुला चुके थे...

और शशांक की पेनी नज़रों ने ये तक जान लिया की सबा ने गाउन के नीचे डॉट वाली चड्डी पहनी हुई है...

एक पल के लिए तो शशांक को ऐसा लगा की सबा अपनी गांड झुकाये उसके सामने एकदम नंगी बैठी है…जैसे कह रही हो 'देख क्या रहे हो सर,आओ न, चाट लो मेरी चूत को..'

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उसने अपने मुंह में आये पानी से अपने अपने सूख रहे होंठों को गीला किया और बुदबुदाया 'जरूर चाटूंगा मेरी जान , एक दिन जरूर चाटूंगा तेरी चूत को '

सबा ने राहुल को गले से लगाया और फिर वहीं बैठकर जीते हुए नोट समेटने में उसकी मदद करने लगी..

अब काफ़ी देर हो चुकी थी...सभी ने अपना-2 आख़िरी पेग लिया और डिनर टेबल पर जा बैठे...आज का खेल ख़त्म हो चुका था.

खाना खाने के बाद सभी एक-2 करके अपने घर चले गये.

आख़िर में राहुल और सबा गये...राहुल ने अपने बॉस को तहे दिल से धन्यवाद दिया..और दीवाली तक ऐसे ही खेलते रहने की बात भी कही, सबा ने भी इसमें पूरा साथ दिया.

जाते -२ एक अजीब सा वाक्या हुआ सबा के साथ..राहुल तो अपने बॉस को बाय बोलकर फ़्लैट से बाहर निकल गया, और बाद में सबा ने भी सुमन को गले से लगाकर बाय बोला और दोनो ने एक दूसरे के गालो पर एक छोटी सी पप्पी भी दी.. जो अक्सर वो लोग किया करते थे, और फिर जैसे ही सबा शशांक को बाय बोलकर बाहर जाने लगी, शशांक ने एकदम से उसे अपनी बाहों में भरकर ठीक अपनी बीबी की तरह उसे बाय बोला और उसके गालो पर एक पप्पी कर दी, ना चाहते हुए भी सबा को भी किस्स करनी पड़ी, ये बहुत जल्दी हुआ, सबा को तो रिएक्ट करने का मौका ही नही मिल सका, और सुमन तो ऐसे बिहेव कर रही थी की जैसे ये बहुत मामूली सी बात है..लेकिन सबा को छोड़ने से पहले शशांक ने उसके भरे हुए कुल्हो को जिस अंदाज में मसला था, उसे महसूस करके सबा के शरीर के सारे रोँये खड़े हो चुके थे, राहुल के अलावा उसके शरीर को इस तरह से किसी और मर्द ने पहली बार छुआ था, लेकिन नशे की खुमारी, जुए में जीते पैसो की खुशी और राहुल के बॉस होने की वजह से वो कुछ ना बोल पाई, और वो बिना कुछ कहे बाहर निकल आई.

अगले दिन की गेम सरदारजी के घर थी...वहां भी ऐसे ही जीतने की उम्मीद लिए राहुल अपने घर आ गया.

लेकिन वो अपनी जीत की खुशी में ये बात भूल चुका था की उसने सुमन और शशांक के द्वारा फेंका गया चारा निगल लिया है...और वो अब उनके अनुसार ही नाचेगा...शशांक ने तो अपनी अगली चाल भी तैयार कर ली थी...जिसमें उसे अपनी बीबी का भरपूर इस्तेमाल करके राहुल को पूरी तरह अपने जाल मे फंसाना था.

और वो काम उन्होने अगली सुबह करना था.

रात को काफ़ी देर बाद नींद आई थी राहुल को...इसलिए सुबह ऑफीस के लिए भी उसकी नींद नही खुल रही थी.

वो अभी नहा धोकर कपड़े पहन ही रहा था की उसके सेल पर शशांक का फोन आया...और उसने राहुल को एक ज़रूरी काम दिया, जिसमे वो शशांक के घर से एक फाइल लेता हुआ दफ़्तर पहुँचेगा...और वो फाइल 11 बजे तक शशांक के घर पहुँचनी थी..

ऑफीस की फाइल का घर पे क्या काम..ये पूछने की हिम्मत राहुल मे नही हुई...उसने बस यस बॉस कहकर उनकी बात सुनी और फाइल लेकर 12 बजे तक ऑफीस पहुँचने की बात बोली.

राहुल ने उसके बाद आराम से कपड़े पहने और बिना किसी जल्दी के नाश्ता भी किया...अभी तो सिर्फ़ 8 ही बजे थे...3 घंटे और थे उसके पास...वो आराम से बैठकर सबा से बात करने लगा , सबा ने बताया की आज वो और डिंपल मार्किट जाएंगे, उन्हें कुछ नए कपडे लेने थे,

डिंपल अब किसी भी कीमत पर सुमन से भी ज्यादा सेक्सी कपडे पहनना चाहती थी ,

कल की गेम के बाद वो एक बात तो समझ ही चुकी थी की ये सिर्फ़ एक गेम नही रह गयी है बल्कि एक दूसरे को अपने जलवे, सेक्सी शरीर और नये-2 कपड़े दिखाने का ज़रिया बन चुका है..कल की बाजी तो सुमन ने मार ली थी..आज वो बाजी मार लेना चाहती थी.

सबा को उसने इसलिए बोला क्योंकि उसकी सबा से काफ़ी अच्छी तरह से बनती थी...और लेटेस्ट फैशन के बारे में सबा का टेस्ट भी काफ़ी अच्छा था.

दोनो को करीब 1 बजे मार्केट के लिए निकलना था..राहुल ने सबा को भी अपने लिए कुछ शॉपिंग करने के लिए कहा...वैसे भी पैसों की कमी तो थी ही नही अब उसके पास...

करीब 10 बजे राहुल के मोबाइल पर सुमन का फोन आया...उसकी आवाज़ सुनकर एक पल के लिए तो राहुल का दिल धक्क से रह गया...उसे कल रात वाली बात याद आ गयी...लेकिन अब वो अपनी तरफ से कोई भी पहल नही करना चाहता था...उसे लग रहा था की शायद हो सकता है की सुमन कल नशे की हालत में वो सब कर गयी हो...लेकिन सबा को बाय बोलकर , सुमन के फ्लेट की तरफ जाते हुए वो मन ही मन दुआ मांग रहा था कि काश कल रात जो भी हुआ था, वो उसने नशे में नही बल्कि होश में किया हो...

उसे क्या मालूम था की उसकी ये दुआ कितनी बुरी तरह से कबूल होने वाली थी.

अपने बॉस के फ्लॅट के सामने पहुँचकर उसने देखा की दरवाजा तो पहले से ही खुला हुआ है...वो उसे धकेलकर अंदर घुस आया...ड्रॉयिंगरूम में कोई नही था..उसने सुमन को आवाज़ लगाई तो उसे बेडरूम से उसकी आवाज़ सुनाई दी.

''राहुल...मैं यहाँ हूँ ...बेडरूम में ....''

राहुल के तो पसीने छूट गये....उसे समझ नही आया की सुमन भाभी उसे ये बात बता रही है या उसे बेडरूम में आने का न्योता दे रही है..

सीधा बेडरूम....वाहह....वो धीरे-2 उसी तरफ चल दिया...उसके दिमाग़ में सुमन भाभी का नंगा जिस्म नाचने लगा...जो अपने बेड पर नंगी लेटी हुई उसकी तरफ बाहें फेला कर उसे बुला रही है...

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लेकिन ऐसा कुछ नही होने वाला था...वो भी जानता था....लेकिन जो भी हुआ ,वो भी कम नहीं था.

उसने देखा की सुमन भाभी अपने नाइट गाउन में है....और बेड के नीचे झुक कर कोई चीज़ ढूंड रही है..

वो जिस अंदाज में झुकी हुई थी,राहुल को उसकी गांड पूरी तरह से फैली हुई दिखाई दे रही थी...ऐसा लग रहा था जैसे कोई मोरनी अपने पंख फेला कर बैठी है...इतनी गोल मटोल गांड के पीछे चिपकने का सुख क्या होता है, वो अच्छी तरह से जानता था.

उसके क़दमों की आहट सुनकर वो पलटी और बोली : "देखो ना राहुल ....मैं नहाने जा रही थी तो मेरा समाज नीचे गिर गया....निकल ही नही रहा...प्लीज़ मेरी हैल्प कर दो ना...''

राहुल बेचारा अपने बॉस की बीबी को कैसे मना कर सकता था...वो झट से नीचे झुक गया...झुकते हुए वो भी सोचने लगा की भला ऐसा क्या समान है जो वो नहाते हुए साथ लेकर जा रही थी , लेकिन जब उसकी नज़र उस ''सामान'' पर पड़ी तो उसके तो होश ही उढ़ गये, उसने देखा की बेड के नीचे की तरफ सुमन की ब्लॅक पेंटी पड़ी है...उसके तो लंड में उफान सा आ गया उसे देखकर...वो झिझकते हुए सुमन की तरफ पलटा...और झुकी हुई सुमन के बाहर की तरफ लटकते मुम्मे देखकर कुछ बोल ही नही पाया.

सुमन : "क्या हुआ....निकालो ना जल्दी...मुझे नहाने जाना है...''

राहुल : "जी....जी भाभी.....''

इतना कहकर उसने अपना लंबा हाथ आगे बढ़ाकर उसकी पेंटी को उठा लिया..

लेकिन ये क्या....उसकी पेंटी का बीच वाला हिस्सा गीला सा क्यो था...उसने गोर से देखा तो उसे वहां कुछ चिपचिपा सा दिखाई दिया...वो समझ गया की ये पेंटी सुमन ने अभी -2 उतार कर फेंकी है...शायद राहुल से अपनी पेंटी निकलवाने के लिए ही उसने ऐसा किया है.

राहुल को अपनी पेंटी का ऐसे मुआयना करते देखकर वो बोली : "तुम क्या इसकी जासूसी करने लगे...पहली बार देखी है क्या...सबा भी तो पहनती होगी ये सब....या उसे तुम पहनने का मौका ही नही देते...हा हा...''

बेचारा कुछ बोल ही नही पाया...

वैसे ये बात तो सुमन भी समझ ही चुकी थी की राहुल को ये बात पता चल चुकी है की उसने जान बूझकर अपनी पहनी हुई पेंटी नीचे फेंकी थी...इसलिए वो उसके करीब आई और बोली : "वैसे एक बात बताऊ ...ये मैने अभी 1 मिनट पहले ही उतार कर रखी थी...तुम्हे दिखाने के लिए...''

राहुल बेचारा सकपका सा गया...वो बोला : "मु...मु...मुझे दिखाने के लिए....भला क्यो...''

सुमन बड़े आराम से बोली : "ताकि तुम्हे मेरा साइज़ पता चल जाए...ताकि तुम मेरे लिए ऐसा कोई गिफ्ट लाने की सोचो तो तुम्हे मेरा साइज़ तो पता होना चाहिए ना....इसलिए....''

राहुल बेचारे की समझ में ये बिल्कुल नही आ रहा था की सुमन उसके साथ ऐसे पंगे क्यो ले रही है...

राहुल : "मैं ....मैं लाऊ गिफ्ट ...किस ...किसलिए...''

सुमन (मुस्कुराते हुए) : "क्यो ? नही ला सकते क्या...सबा के लिए भी तो लाए थे ना लास्ट वीक....उसने बताया था कल मुझे....''

राहुल की तो हालत खराब हो गयी....ये सबा की बच्ची ने अपने इनरवेयर वाली बात भी इन्हे बता दी है...

सुंना : "देखो ना...तुम्हारे बॉस को तो कोई शॉंक है ही नही...और मुझे मार्केट जाने का टाइम ही नही मिलता...अब तुम इसे देखकर इसी साइज़ की पेंटी लेकर आना मेरे लिए...''

राहुल बेचारा बेवकूफो की तरह उसकी पेंटी के पीछे लगा टेग देखने लगा...जिसे देखकर सुमन मंद-2 मुस्कुरा रही थी..

वो बोली : "और ...ये उपर वाली भी तो लानी होगी ना....''

इतना कहकर उसने दनदनाते हुए अपने गाउन के आगे लगी चैन को खोल दिया...और गाउन को अपने कंधे से सरका कर नीचे लटका दिया...उसने अपनी दोनो बाजू बाहर निकाल कर गाउन को हाथ से पकड़ लिया...एक दम से सुमन के पके हुए मुम्मे ब्रा में देखकर राहुल का मुँह सूख सा गया...

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सुमन ने घूम कर अपनी पीठ राहुल की तरफ कर दी, और बोली : देखो तो ज़रा...क्या साइज़ लिखा है इसपर...''

वो ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे उसे खुद का साइज़ पता ही नही था...

लेकिन राहुल को उसके इस खेल में भी मज़ा आ रहा था...अब तक वो भी समझ चुका था की आज यहाँ क्या होने वाला है...लेकिन अपने बॉस की बीबी को एकदम से कुछ कर भी तो नही सकता ना...इसलिए बड़ी मुश्किल से अपने हाथो को उसके मुम्मो पर जाने से रोका हुआ था..
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#14
लेकिन सुमन के कहने पर जब अपने काँपते हुए हाथ उसने उसकी ब्रा के स्ट्रेप्स पर रखे तो उसका हाथ सुमन के चिकने बदन से छू गया और उसे ऐसा महसूस हुआ की बर्फ के उपर गर्म सरिया रख दिया हो...उसने ब्रा के स्ट्रेप्स को घुमाकर उसके पीछे लिखे नंबर देखने चाहे तो वो खुल ही गयी...और एकदम से छिटककर वो ब्रा भी गाउन के साथ लटक गयी..

सुमन उसकी तरफ घूम गयी और ब्रा के स्त्रेप्स को देखते हुए बोली : "ओहो....तुमने तो इसे उतार ही दिया...कोई बात नही..मैं देखकर बताती हूँ ..''

सुमन तो अपना साइज़ देख रही थी...और राहुल अपनी आँखे फाड़े उसके विशालकाए पर्वतों को देख रहा था...इतनी करीब से उसे अपने बॉस की बीबी के मुम्मे देखने को मिल रहे थे और वो उसका पूरा लुत्फ़ उठा रहा था..
[Image: 431821_09big.jpg]

सुमन : "यहाँ देखो ना....वहां क्या देख रहे हो....सबा के भी तो देखते हो ना...वैसे ही तो है...''

और इस बार हिम्मत करके राहुल ने बोल ही दिया : "हा....हाँ .....प...पर ...थोड़े बड़े है ये....''

इतना सुनकर सुमन मुस्कुरा दी...और अपनी ब्रा एक साइड में फेंकती हुई अपनी नंगी छातियाँ अपने हाथ में लेकर उसे दिखाती हुई बोली : "अच्छा जी....तो बताओ...कैसे है ये...सबा से अच्छे ....या उनसे खराब..''

राहुल तुरंत बोला : "नही...नही....खराब क्यो...बहुत अच्छे है....इनफॅक्ट सबा के तो इनके सामने कुछ भी नही....मुझे तो बड़े ही अच्छे लगते है...''

सुमन : "आ...हान .....ओके .....तो बताओ.....अगर ये तुम्हे मिल जाए....तो क्या करोगे....''

राहुल भी बेचारा पजल हो गया 'मिल जाए क्या मतलब....अभी मिलने में वक़्त है क्या...'

पर बेचारा ये बात सोच कर ही रह गया...बोल ना पाया..

सुमन : "बोलो....ये अगर तुम्हे मिल जाए तो क्या -2 करोगे...''

राहुल भी समझ चुका था की सुमन उसे तरसाने के लिए ही ये सब कर रही है...वरना किसी पराए मर्द के सामने इस तरह से नंगी खड़ी होकर भला कोई ऐसी बात करता है क्या...वो भी उसके इस खेल में उतर आया...और उसी तरीके से जवाब देने लगा जिसमे वो पूछ रही थी...

राहुल : "वो तो मैं तब बता पाउँगा जब ये मिलेंगे...''

सुमन भी उसके चालाकी भरे जवाब को सुनकर मुस्कुरा दी...

वो बोली : "अच्छा ...सोच लो....अगर ये तुम्हे मिल चुके है...अब बताओ...क्या करोगे..''

राहुल : "सोचने और मिलने में काफ़ी अंतर होता है भाभी....मैं तो काफ़ी देर से सोच रहा था की ये मिल ही चुके है...लेकिन वो तो सिर्फ़ मेरी सोच थी...ये अभी तक मिले कहाँ है....''

उसकी आँखों में छुपी शरारत अब सुमन ने भी पड़ ली थी और इस बार सुमन ने अपनी हार मान ही ली...वो उसके करीब आकर खड़ी हो गयी...इतने करीब की उसकी छाती के उभरे हुए निप्पल राहुल के दिल के करीब चुभने लगे..

और बोली : "अच्छा बाबा....लो...ले लो इन्हे...और बताओ की क्या करोगे अब...''

राहुल के लिए इतना बहुत था...उसने आव देखा ना ताव और अपने दोनो हाथो से उसके मुम्मो को मसल डाला...

सुमन ने भी उसके सिर को पकड़कर अपनी छाती में दे मारा और ज़ोर से चिल्लाई...

''दिखाओ...मुझे.....क्या कर सकते हो तुम.....''

राहुल ने अपने दांतो से उसके मुम्मो को पकड़ा और ज़ोर-2 से सक्क करके उसका दूध पीने लगा...उसका गाउन भी नीचे गिर चुका था और वो पूरी तरह से नंगी होकर उसकी बाहों में मचल रही थी...राहुल ने बिना कोई देरी किए उसे वही बिस्तर पर लिटाया और उसके पुर जिस्म को बुरी तरह से चूमने लगा...और धीरे-2 करके वो जब उसकी चूत तक पहुँचा तो सुमन ने तड़पकर अपनी टांगे उसकी गर्दन के चारों तरफ लपेट दी और उसे अपनी गुफा के अंदर घुसा लिया...

''आआआआआआअहह ओह माय गॉड .....चूसो इसे.............ज़ोर से...........आआआआअहह....''

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राहुल ने अपने बॉस की बीबी की चिकनी चूत से निकल रहे पानी की एक-2 बूँद पी डाली...ऐसा गज़ब का स्वाद तो उसे सबा भी नहीं दे पाई थी..वो भी पागल हुए जा रही थी...राहुल के चूसने के बाद जब वो झड़ी तो उसने राहुल को अपनी जगह लिटाकर उसकी पेंट उसके घुटनो तक खींच ली.

राहुल के लंड को बाहर निकालकर वो उसे किसी सॉफ्टी की तरह चूसने लगी...उसमे से निकल रही आइस्क्रीम अपनी जीभ से चाट-चाटकार खाने लगी...यहाँ तक की उसकी बॉल्स को भी वो अपनी जीभ से किसी बिल्ली की तरह चाट रही थी...आज तक सबा ने भी उसकी बॉल्स को नही चूमा था...

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जब से ये सब शुरू हुआ था, तब से वो सुमन की हर बात को सबा से कंपेयर करके देख रहा था...सबा वैसा करती है और सुमन ऐसा करती है...और हर बार वो सुमन को सबा से उपर ही आंक रहा था...ये शायद इसलिए भी क्योंकि सबा के लिए चुदाई एक रुटीन जैसा कार्य बन चुका था...हालाँकि उनकी शादी की ज़्यादा टाइम नही हुआ था..और वो अपनी चुदाई को एन्जॉय भी करते थे लेकिन दिन ब दिन कुछ कम सा महसूस हो रहा था राहुल को...

और दूसरी तरफ, सुमन का उसके साथ पहली बार था...और शायद इसलिए वो अपनी पूरी ताक़त से उसे खुश करने में लगी हुई थी...और शायद इसलिए भी राहुल को हर बात में सुमन सबा से उपर ही दिख रही थी.

राहुल से अब और बर्दाश्त नही हो रहा था...उसने सुमन को बेड पर धक्का दिया और अपने लंड को सीधा लेजाकर उसकी चूत पर गाड़ दिया...बाकी का काम सुमन ने खुद कर दिया...उसकी कमर के चारों तरफ अपनी टांगे लपेट कर उसने ऐसे अपने शिकंजे में लिया की राहुल का लंबा लंड एक ही बार में दनदनाता हुआ सा उसकी गद्देदार चूत में घुसता चला गया...

इतनी अंदर तक तो आज तक नही भरी थी वो...अपने पति से भी उसे इतनी गहरी चुदाई का सुख आज तक नही मिल पाया था...और ना ही अपने किसी और यार से, लंबे लंड के अपने ही मज़े होते है...और आज ये मज़ा वो जी भरकर लेना चाहती थी.

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इसलिए वो राहुल के धक्के के साथ -2 अपनी कमर भी उसी टाइम उचका कर उसके लंड पर अपनी चूत की करारी चोट कर रही थी...ठप्प-2 की आवाज़ों के साथ पूरा घर गूँज रहा था...और आख़िरकार ज़ोर-2 से चिल्लाते हुए दोनो एक दूसरे को चूमते हुए झड़ने लगे..

''आआआआआआआआआआहह.............ओह गॉड .....आई एम कमिंग...........''

राहुल भी चिल्लाया : "आआआआआआआहह भाभी................... मैं भी आया............''

सुमन ने उसे उसका लॅंड बाहर निकालने का मौका ही नही दिया....और उसके लॅंड के गर्म पानी से अपनी चूत की अंदरूनी दीवारों की सिंचाई करवा ली.

राहुल भी हांफ्ते-2 उसके ऊपर ढेर हो गया..

अचानक उसका मोबाइल बज उठा...उसने साइड में पड़े मोबाइल को उठाकर देखा तो उसके बॉस का फोन था...शशांक का नाम देखकर सुमन भी मुस्कुरा दी, उसने उसे फोन उठाने के लिए कहा

शशांक उससे पूछ रहा था की इतनी देर कहा लगा दी और राहुल उसे समझा रहा था की फाइल ही लेट आई....और इस बीच शरारती सुमन राहुल को चूमे जां रही थी...उसकी गर्दन पर जीभ फेराकार उसे गुदगुदी कर रही थी...राहुल ने बड़ी मुश्किल से अपनी आवाज़ को बदलने से रोका..उसे डर लग रहा था कि कही बॉस को शक़ ना हो जाए

पर वो बेचारा ये नही जानता था की उसके बॉस ने ही ये सब प्लान किया है...और उसे सब मालूम है.

राहुल जल्दी से वहाँ से निकल कर ऑफीस चला गया.
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#15
शाम को वो जब घर आया तो सबा ने उसे शॉपिंग में लाई हुई चीज़े दिखाई...और आँख मारकर ये भी बताया की कुछ समान ऐसा है जो रात को सोते वक़्त दिखाएगी..

राहुल समझ गया की आज उसने अपने लिए अंडरगार्मेंट्स लिए है.

8 बजने वाले थे...डिंपल सरदारनी का फोन 2 बार आ चुका था सबा के पास...सभी लोग पहुँच चुके थे...वो सभी सबा और राहुल का वेट कर रहे थे.
आज सबा ने कल से कुछ ज़्यादा बड़िया कपड़े पहने हुए थे...कल तो वो नाइट सूट में ही चली गयी थी...आज उसने एक नयी और सेक्सी सी टी शर्ट पहनी हुई थी जो वो आज ही लेकर आई थी...जिसपर बड़े-2 शब्दो मे लिखा था ''सेक्सी'' और एक अंग्रेज लड़की आँख मारते हुए बनाई गयी थी...राहुल को वो थोड़ी अजीब सी लगी, पर कपड़ो के लिए वो सबा को कुछ कहकर पिछड़ा हुआ नही कहलाना चाहता था..
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वो दोनो सरदारजी के घर की तरफ चल दिए..वो जैसे ही पहुँचे, तीन पत्ति की गेम स्टार्ट हो गयी.

राहुल ने तो नोट ही नही किया की आज किस-किसने कैसे कपड़े पहने है...

पत्ते बाँट जाने के बाद उसकी नज़र सबसे पहले सुमन पर पड़ी, जिसने आज एक ब्लैक ड्रेस पहनी हुई थी , और वो शॉर्ट ड्रेस इतनी सेक्सी थी की उसमे से सुमन की ब्रा के स्ट्रेप्स तक साफ़ चमक रहे थे, और उसका गला खुल्ला था कि उसके दोनों मुम्मे, जिन्हे आज सुबह ही राहुल भरकर चूसा था, बाहर निकलने के लिए मचल से रहे थे
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राहुल ने आज सुबह ही उसे चोदा था इसलिए उसके गद्राये गदराये हुए बदन को देखकर उसका लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया...ये सोचकर की वो इन सेक्सी कपड़ो में जिस जिस्म को छुपा रही है, वो उसने आज सुबह ही नंगा देखा है.

अब उसका खेल में मन नही लग रहा था...उसने 2 ब्लाइंड के बाद ही अपने पत्ते देख लिए...गेम नॉर्मल वाली थी...और उसने पास सिर्फ़ इकके को छोड़कर कुछ ख़ास नही आया था...इसलिए उसने पेक कर दिया....और ये पेक उसने इसलिए भी किया ताकि वो आराम से कमरे में मोजूद हर हसीना को देख सके...

शशांक की नज़र भी खेल से ज़्यादा राहुल की नज़रों पर थी...वो देख पा रहा था की किस अंदाज से राहुल उसकी बीबी को देख रहा है...वैसे तो सुमन ने उसे दोपहर को फोन करके सब कुछ बता दिया था की आज राहुल के साथ उसने क्या-2 किया, लेकिन जिस अंदाज से वो अभी सुमन को देख रहा था,उसे अपनी आगे की योजना सही से बनती हुई दिखाई दे रही थी.

राहुल अभी सुमन को देखने मे बिज़ी था ही की उसकी नज़र डिंपल सरदारनी पर गयी....और उसकी तो आँखे फटी की फटी रह गयी..

उसकी तो समझ में नहीं आ रहा था की ये एक ही दिन में सब लेडीज़ को हो क्या गया है, अब तक तो वो सुमन को ही ऐसी समझ रहा था जो अपने बदन की नुमाईश करके खुश होती है, लेकिन आज तो महफ़िल की रंगत ही बदली हुई सी लग रही थी

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डिंपल सरदारनी ने जिस तरह की ड्रेस पहनी हुई थी,वैसी तो फ़िल्मो की हीरोइन्स भी पहनने से कतराए...ऐसी जिस्म की नुमाइश करने वाली ड्रेस पहन कर वो घर वाली पार्टी में खड़ी थी जैसे ये नॉर्मल सी बात हो...

उसने पिंक कलर की ड्रेस पहनी हुई थी...जो उसकी जांघो तक ही आ रही थी, जिसमे साइड से और आगे-पीछे से उसका बदन कपड़े के कटे हुए डिज़ाइन में से सॉफ झलक रहा था...और उसके बदन के उन हिस्सो को देखकर सॉफ पता चल रहा था की उसने अंदर ना तो पेंटी पहन रखी है और ना ही ब्रा...



राहुल तो उसके कूल्हे के साइड के नंगे हिस्से को देखकर उसमे डूब सा गया..

हालाँकि पहले वो सुमन को देख रहा था, लेकिन जब से उसकी नज़र डिंपल पर पड़ी,उसने उसकी तरफ देखा ही नही..और ये बात सुमन को बिल्कुल भी अच्छी नही लगी...एक तो उसका पहले से ही डिंपल के साथ 36 का आँकड़ा था..वो दोनो एक दूसरे से ज़्यादा सेक्सी दिखने की होढ़ में कुछ ना कुछ करती ही रहती थी...हालाँकि दोनो एक दूसरे से काफ़ी अच्छी तरह से बाते करती थी..सबके सामने भी वो यही दिखाती थी की दोनों में अच्छी ख़ासी दोस्ती है...लेकिन दोनो अंदर ही अंदर अपनी ख़ास 'दुश्मनी' निभाने से कभी भी पीछे नही हटती थी..और यही कारण था की कल रात को सुमन की वो सेक्सी रेड ड्रेस देखने के बाद आज डिंपल मार्केट से उससे भी ज्यादा सेक्सी दिखने वाली ऐसी ड्रेस लेकर आई थी...सबा ने जब उसे उस ड्रेस में देखा तो उसे मना करना भी चाहा, लेकिन उसके मामले में वो ऐसे दखल नही देना चाहती थी..इसलिए कुछ ना बोल सकी.

डिंपल जब किचन से कुछ कोल्ड ड्रिंक्स लेने गयी तो सुमन भी उसके पीछे-2 चली गयी.

सुमन : "हाय ...कहना पड़ेगा डिंपल...आज तुम कमाल की लग रही हो...''

डिंपल (मुस्कुराते हुए) : ''थॅंक्स...तुम भी काफ़ी अच्छी लग रही हो...वैसे ये ड्रेस तुम्हारी कल वाली ड्रेस के सामने कुछ नही है...है ना...''

वो शायद अपनी और तारीफ सुनना चाहती थी..

सुमन ने उसके रसीले बदन से झाँक रहे माँस को देखा और मुस्कुरा कर बोली : "नही...ऐसा नही है...शायद पेंटी ब्रा ना पहनने की वजह से कुछ ज़्यादा ही हो गया....लेकिन इसका भी अपना मज़ा है...सभी लोग तुम्हे ही देख रहे है...''

डिंपल : "अच्छा जी...कौन देख रहा है मुझे...जरा मैन्नू वि तो दस्सो ''

सुमन : "वैसे तो सभी...लेकिन ख़ासकर राहुल...वो तो तुम्हे देखकर अपनी नज़र ही नही हटा रहा...''

राहुल का नाम सुनकर डिंपल के चेहरे के एक्सप्रेशन्स ही बदल गये...सोसायटी के सबसे सेक्सी मर्द पर तो सभी की नज़रे थी...शायद डिंपल की भी थी...और इसलिए उसका नाम सुनते ही उसके चेहरे पर अलग ही तरह का गुलाबीपन आ गया...सुमन को समझते देर नही लगी की सरदारनी के दिल में भी राहुल के लिए कैसी भावनाए है..

डिंपल : "अच्छा ...सच में ...वो देख रहा था...आज तक तो उसने देखा नही....अपनी बीबी के पीछे ही लगा रहता है...लल्लू कही का ''

अब तो सुमन पक्का समझ गयी की असली माजरा क्या है....वो राहुल के पीछे पड़ी थी....और इसलिए उसने सबा से ज़्यादा दोस्ती बड़ा रखी थी...ताकि राहुल को पता सके...लेकिन उसकी खुद की बीबी इतनी सुन्दर थी की वो डिंपल को भाव ही नही देता था...शायद इसलिए वो उसे मन ही मन कोसकर कुछ बुदबुदा रही थी , उसे लल्लू बोल रही थी जो उसके दिल की बाते नहीं समझ रहा था

और डिंपल ये बात नही जानती थी की जिस राहुल के पीछे वो पड़ी है, सुमन तो उसके साथ ऑलरेडी मज़े ले चुकी है..और बीबी के प्रति वफ़ादार पति को कैसे अपने जाल मे फँसाया जाता है, यही बताने के लिए शायद सुमन वहां आई थी..

और वैसे भी सुमन जानती थी की जिस महामज़े के बारे में वो और उसके पति प्लान बना रहे है ,उसके लिए डिंपल जैसे खिलाड़ी का बीच में कूदना बहुत ज़रूरी है...एक-2 करके ही वो आख़िर में जाकर सभी को अपने खेल में शामिल कर पाएँगे...और इसके लिए अभी कुछ करना पड़ेगा..

डिंपल : "अगर तुम चाहो तो वो तुम्हारे पीछे भी लग सकता है....इन्फेक्ट तुम उसके साथ वो सब मज़े ले सकती हो जिसके बारे में आजकल सोचा करती हो...मैं उसको बोलूँगी तो वो मेरी बात बिल्कुल नही टालेगा ...''
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#16
सुमन वो सब बाते जैसे उसका दिमाग़ पढ़ते हुए बोल रही थी....सुमन की बात सुनकर आश्चर्य के साथ डिंपल का मुँह खुलता चला गया...वो भी समझ चुकी थी की डिंपल ने ये बात ताड़ ली है की उसके दिल में राहुल के लिए क्या है...इसलिए अब छुपाने का कोई फायदा नही है..

डिंपल : "लेकिन तुम ये कैसे करोगी...वो भला तुम्हारी बात क्यो मानेगा...''

सुमन : "वो तुम मुझपर छोड़ दो...लेकिन उसके बाद तुम्हे वो करना पड़ेगा जो मैं चाहती हूँ ...''

डिंपल ने बिना सोचे समझे बोल दिया : "मंजूर है...''

उसके बाद सुमन ने डिंपल को कुछ समझाकर वापिस बाहर भेज दिया और तभी अंदर आने को कहा जब राहुल अंदर की तरफ आ जाए..और इस बीच उसने सभी लेडीज़ को वोड्का के डबल ग्लास सर्व करवा दिए...ताकि वो पीकर मस्त हो जाए...सुमन ने भी बाहर निकल कर अपने पति को साइड में लेजाकर अपनी योजना समझाई......वो भी अपनी बीबी के दिमाग़ की दाद दिए बिना नही रह सका...

अब खेल ऐसा होने वाला था की वहां बैठे ठर्कियों का भी भला होने वाला था और राहुल के प्यार में सुलग रही डिंपल का भी...सुमन ने तो आज सिर्फ़ सूत्रधार का काम करना था बस..

डिंपल जब सभी को वोड्का सर्व कर रही थी तो सुमन उठकर अंदर की तरफ चल दी...और पीछे मुड़कर उसने राहुल को इशारे से अंदर आने के लिए कहा...

राहुल तो पहले से ही काफ़ी उत्तेजित था....डिंपल के कपड़े देखकर उसका लंड बैठने का नाम ही नही ले रहा था...ऐसे में सुमन ने जिस अंदाज में उसे अंदर आने का इशारा किया था तो उससे रहा नही गया...वो उठकर जाने लगा तो शशांक ने उसे टोक दिया : "अरे भाई ....कहाँ चल दिए....अगली गेम शुरू होने वाली है...''

राहुल : "मेरे पेट में कुछ गड़बड़ सी लग रही है...मैं वॉशरूम होकर आता हूँ ...आप खेलिए...''

शशांक : "नही दोस्त...ऐसे नही चलेगा...या तो तुम्हारे आने तक का वेट करेंगे या फिर अपनी जगह सबा को खेलने के लिए बिठाकर जाओ...''

वैसे तो ऐसा ज़रूरी नही था की वो तीन पत्ती का खेल खेले ही...लेकिन सबा का नाम सुनकर वहां बैठे सभी के लंड में एकदम कड़कपन सा आ गया...कपूर साहब भी बोल पड़े : "हाँ भाई....ऐसे तो खेल बीच में ही रुक जाएगा...इससे अच्छा अपनी वाइफ को बोलो की आकर बैठ जाए...जब तुम वापिस आओ तो वहां से आगे तुम खेल लेना ...''

राहुल के साथ सबा अक्सर घर पर भी ये खेल खेला करती थी...इसलिए राहुल को खेल की चिंता नही थी...उसे बस ये डर था की कही इन सब मर्दो के बीच बैठने से वो मना ना कर दे...उसने सबा की तरफ देखा जो उनकी बाते बड़े गौर से सुन रही थी, उसने सर हिलाकर झट से हाँ कर दी ...राहुल को तो विश्वास ही नही हुआ की वो इतनी जल्दी मान जाएगी...

पिछले दो दिनों से इतने पैसे जीतने के बाद उसकी भी इस खेल में रूचि बड़ चुकी थी...और थोड़ा बहुत नशे का असर भी था जो उसे खुलकर खेल खेलने के लिए भी उकसा रहा था...इसलिए उसने खुद ही हाँ कर दी और उठकर उन मर्दों के बीच आकर बैठ गयी.

राहुल भागकर अंदर चल दिया...सुमन पहले से ही अंदर जा चुकी थी...लेडीज़ ने भी तंबोला की गेम खेलनी शुरू कर दी..और साथ में दारू भी चल रही थी...इसलिए सुमन की अनुपस्थिति का किसी को भी एहसास नही हो रहा था.

अंदर पहुँचते ही राहुल ने सुमन को बुरी तरह से दबोच लिया और उसके मुम्मो को जोर-२ से दबाने लगा...सुमन ने भी अपनी टॉप को ऊपर उठाकर अपने बूब्स उसके सामने परोस दिए और वो उन्हे अपने तेज दांतो से नोचने लगा..

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सुमन : "अहह......मेरी जान.......क्या बात है.....इतने एक्साइटिड तो सुबह भी नही थे....लगता है डिंपल को देखकर तुम्हारा ये हाल है...''

डिंपल का नाम सुनते ही राहुल ने भी ठीक उसी तरह से चोंक कर उसे देखा जैसे डिंपल ने राहुल का नाम सुनकर उसे देखा था...

सुमन : ''घबराओ मत...ये सब चलता है....इनफेक्ट वो भी तुम्हारे लिए ही वो ड्रेस पहन कर अपने जलवे दिखा रही है...''

राहुल : "मेरे लिए....??''

सुमन : "हाँ ....तुम्हारे लिए.....यकीन नही होता तो पीछे मुड़कर देख लो...''

राहुल पीछे मुड़ा तो उसके चेहरे से पसीने निकलने लग गए ...पीछे डिंपल खड़ी थी...

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राहुल के हाथ अभी तक सुमन के मुम्मो पर थे...राहुल की तो हालत पतली हो गयी...उसकी समझ में कुछ भी नही आ रहा था..

अचानक डिंपल उसकी तरफ चलती हुई आई और करीब आकर धीरे से फुसफुसाई : "ओह राहुल............ इधर आओ.....''

इतना कहकर उसने राहुल को अपनी बाहों में क़ैद करके इतनी बुरी तरह से दबोचा की उसकी साँसे एक पल के लिए बंद सी हो गयी....सुमन ने अपने कपड़े ठीक किए और बाहर की तरफ चल दी और बोली : "तुम लोग एंजाय करो...मैं बाहर देखती हूँ ....और हां ...जो भी करना है जल्दी -2 करना....एंजाय....''

इतना कहकर वो बाहर निकल गयी....राहुल समझ गया की ये दोनो की मिलीभगत है...लेकिन जो भी था उस मिलीभगत की वजह से उसके हाथों में आज की सबसे सेक्सी दिखने वाली औरत थी...जो उसकी बाहों में जल बिन मछली की तरह मचल रही थी....और राहुल को अच्छी तरह से पता था की उसकी इस तड़प को कैसे मिटाना है...

डिंपल की तड़प के सामने राहुल का उतावलापन 19 ही था...क्योंकि जैसे ही डिंपल ने राहुल को अपने करीब किया, वो उसके होंठों पर टूट पड़ी...और ऐसे टूटी जैसे जोंबिस अपने शिकार पर टूट पड़ते है...वो उसके होंठों से लेकर उसकी गर्दन तक को बुरी तरह से चूस रही थी....राहुल के हाथ अपने आप उसके मुम्मो पर जा टिके ..और उनके मुलायंपन को महसूस करके वो पहले से ज़्यादा उत्तेजित हो उठा...बिना ब्रा की ड्रेस में जहा-2 पर खाली जगह थी, वो उनमे से अपने हाथ अंदर डालकर उसके नर्म मुलायम जिस्म को स्पर्श करने लगा..डिंपल ने उसका उतावलापन देखा और खुद ही अपनी ड्रेस को कंधे से सरका कर नीचे कर दिया...और फिर जो मुम्मो की शेप राहुल ने देखी, उसे देखकर तो वो भी चकित रह गया...शादी के इतने सालो बाद भी उसकी छातियाँ किसी पर्वत की तरह तनकर खड़ी थी..


राहुल बेचारा अपनी जीभ लपलपाता रह गया और डिंपल ने उसके सिर को पकड़कर अपनी छाती पर दे मारा...और अपना मुम्मा खुद ही उसके मुँह के हवाले करके मस्ती में दबी सिसकारिया मारने लगी...

भले ही राहुल के प्रहार काफ़ी आक्रामक थे, पर डिंपल को तो सरदारजी के हमले की आदत थी...वो तो उसे निचोड़ ही डालते थे...पर राहुल का अंदाज भी काफ़ी निराला था...वो उसे काट भी रहा था और चुभला भी रहा था...

डिंपल जानती थी की अभी उसके पास टाइम कम है...उसने दरवाजा बंद किया और वापिस आकर राहुल के सामने बैठ गयी...राहुल के लंड को मुँह में लेने की तमन्ना उसे ना जाने कब से थी...उसने सबा से कई बार सुना था की उसके लंड को मुँह में लेकर वो घंटो तक खेलती रहती है...पूरी सोसायटी में सिर्फ़ सरदारनी को ही सबा ने ऐसे राज बता रखे थे जिन्हे सुनकर आज सरदारनी का ये हाल हो रहा था ... सबा बेचारी ने खुद ही अपने पति की ऐसी तारीफ कर करके डिंपल को उसके सपने देखने के लिए मजबूर कर दिया था...और तभी से डिंपल अपनी ही सहेली के पति के लिए ऐसी भावनाए रखने लगी थी..

और आज उसका सपना सच होने जा रहा था...उसने तुरंत उसकी पेंट को नीचे किया और राहुल के लंबे और मोटे लंड को बाहर निकाल लिया..

और सच में , जैसी सबा ने तारीफ की थी, ठीक वैसा ही था राहुल का लंड ...

एक दम चिकना...चॉकलेटी कलर का..और तन कर खड़ा हुआ...

उसने बिना एक पल भी गँवाए अपना मुँह आगे किया और उस छोटे सिपाही को अपने मुँह में भर लिया...और जोरों से चूसने लगी...
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#17
राहुल भी अपने पंजो पर खड़ा हो गया, क्योंकि उसके चूसने की शक्ति ही इतनी ज़्यादा थी की उसे तो ऐसा लग रहा था की वो बरसों से प्यासी है..

कुछ देर तक चूसने के बाद उसने राहुल के लंड को बाहर निकाला और खड़ी हो गयी...वो एक-2 पल को पूरी तरह से इस्तेमाल करना चाहते थे...लेकिन अब जो डिंपल ने करने के लिए कहा, उसे सुनकर तो एक पल के लिए राहुल भी सोच में पड़ गया..

वो जल्दी से एक साइड टेबल पर झुकी और अपनी ड्रेस को पीछे से उपर उठा कर अपना पिछवाड़ा नंगा करके बोली : "राहुल...जल्दी आओ...प्लीज़....जल्दी अंदर डालो...''

वो बेचारा क्या बोलता...उसकी तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था...डिंपल ऐसा सोच भी कैसे सकती है...बाहर सब बैठे हुए है...ये चूमा चाटी तो ठीक था, लेकिन उन सभी के बाहर रहते हुए वहां चुदाई करना उसे थोड़ा रिस्की सा लगा...उसकी खुद की बीबी बाहर थी...और तो और सरदारनी का पति भी बाहर था...और साथ में कॉलोनी के दूसरे लोग भी....ऐसे में डिंपल उससे चुदने के लिए बोल रही थी...वो मना तो करना चाहता था लेकिन तभी उसकी नज़र डिंपल की रस टपकाती हुई चूत पर गयी....उसमे से शहद की तरह छूट का रस बूँद - २ करके टपक रहा था , और एक बूँद अभी भी उसकी चूत पर ओस की बूँद जैसी लटकी हुई थी , ऐसी चिकनाई देखकर वो उसकी चूत में लंड डालने से खुद को रोक ही नही सका..

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वो आगे बड़ा और उसने उसकी फेली हुई गांड को पकड़ा और ढप्प से अपना लंड एक ही बार में उसकी चूत में सरक दिया...

ये सरदारनियो का पिछवाड़ा कितना सेक्सी होता है...उसे देखकर वो पहले भी कई बार उसकी पीछे से मारने के बारे में सोच चुका था...वो भला क्या जानता था की उसकी मन की आस इस तरह से पूरी होगी..

और जैसे ही उसका कसरती लंड डिंपल की चूत के अंदर घुसा, वो पीछे की तरफ सिर करके हिनहीना उठी...और बाँये हाथ से उसने राहुल के सिर को पकड़कर अपने करीब किया और एक गहरी स्मूच दे डाली.

...दोनो एक गीली वाली किस्स में डूब गये...राहुल ने कुछ पल तक उसके होंठ चूमे और फिर उसने अपना पूरा ध्यान उसकी चुदाई में लगा दिया..

वो उसकी कमर को पकड़कर उसे बुरी तरह से चोद रहा था..
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और ऐसा करते हुए उन दोनो ने अपने मुँह बड़ी मुश्किल से बंद करके अपनी चीखे दबा रखी थी...लेकिन इस क़्वीकी में उन दोनो को काफ़ी मज़ा आ रहा था...सिर्फ़ 5 मिनट ही हुए थे अभी तक डिंपल को अंदर आए हुए...और इतनी देर में उसकी चूत में राहुल का लंड था...

लेकिन ज़्यादा देर तक रुककर वो किसी के मन में शक़ नही पैदा करना चाहते थे....इसलिए डिंपल ने खुद ही अपनी चूत के दाने को आगे की तरफ से रगड़ना शुरू कर दिया...दूसरे हाथ से वो अपने स्तन मसल रही थी...राहुल भी अपने घोड़े को पूरी गति से उसकी चूत के हाइवे पर दौड़ा रहा था....और अगले 2 मिनट के अंदर दोनो के मुँह से टूटी - फूटी सिसकारियाँ निकलने लगी....और आख़िर में एक जोरदार शॉट के साथ राहुल ने भरभराकर अपना सारा माल उसकी चूत में उडेल दिया....

राहुल के गर्म पानी को महसूस करके वो भी झड़ने लगी...और दोनो का मिला जुला रस उसकी चूत से बाहर की तरफ बहते हुए उसकी जांघों को गीला करने लगा..

डिंपल ने साइड मे रखा एक टावल उठाया और अपनी चूत को सॉफ किया...और राहुल की तरफ पलटकर बोली : "अब तुम बाहर जाओ... वरना किसी को शक हो जाएगा...आज के लिए इतना काफी है, लेकिन याद रखना , कल तुम्हे नहीं छोडूंगी ''

राहुल ने भी अपने लंड को सॉफ किया... सिर्फ़ 10 मिनट के अंदर उसने अपनी पड़ोसन को चोद डाला था...ऐसी जल्दबाज़ी वाली चुदाई तो उसने आज तक नही की थी... लेकिन इसका भी अपना अलग मज़ा मिला...एक अलग तरहा की एक्साइटमेंट का एहसास हुआ था उसे आज...

और इन दस मिनटों में बाहर क्या हुआ, ये भी देखते है ।

जब राहुल ने सबा को अपनी जगह पर बैठने को कहा था तो उसे अपने बीच बिठाकर सभी ठर्कियों की तो मौज ही हो गयी थी...कारण था उसकी ड्रेस.... आज सबा ने जो ड्रेस पहनी हुई थी , उसका गला काफ़ी खुला था...और बिना दुपट्टे वाला था.. इसलिए जब वो उन हरामियों के बीच बैठी तो उसके आधी से ज़्यादा नंगी छातियों की सफेदी देखकर पत्तो पर तो किसी की नज़र ही नही गयी.... सब उसके मुम्मो को अपनी-2 आँखो से चोदने में लगे थे...

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उनमे से सिर्फ़ शशांक को छोड़कर किसी को भी ये अंदाज़ा नही था की राहुल अंदर क्या कर रहा है... सब अपने-2 मन में बस यही दुआ माँग रहे थे की जल्दी बाहर ना निकले... और इन सबसे अंजान, अपनी पहली गेम खेल रही सबा थोड़ा नर्वस सी होकर अपना पूरा ध्यान सिर्फ़ पत्तो पर लगाकर बैठी थी... उसे तो ये भी पता नहीं था की आज की ये गेम उसकी जिंदगी में कितना बड़ा बदलाव लाने वाली है... और ना चाहते हुए भी वो उन सभी ठर्कियों की उस चाल में फँसने वाली थी जो काफ़ी पहले से शशांक ने उसके बारे में सोचकर रखी हुई थी.

पहली बाजी शुरू हुई और सबके सामने पत्ते आ गये...इस बार का वैरीएशन था मुफ़लिस...यानी सबसे छोटे पत्ते वाला जीतेगा..

सबकी देखा-देखी सबा ने भी 500 की 2 ब्लाइंड चल दी... घर पर राहुल के साथ तो वो फ्री में खेल लेती थी (वो अलग बात थी की जीतने वाला अपनी मर्ज़ी से चुदाई करता था) लेकिन आज करारे नोटों के साथ खेलते हुए सबा को एक अलग ही रोमांच का अनुभव हो रहा था...आज वो खुद पैसे जीतकर राहुल को दिखा देना चाहती थी की वो भी कुछ कर सकती है इस खेल में ...

सबसे पहले कपूर साहब ने अपने पत्ते उठाए...उन्होने कुछ देर तक पत्तो को घूरा और फिर 1 हज़ार की चाल चल दी..

गुप्ता जी ने भी पत्ते देखकर 1 हज़ार की चाल चल दी..सरदारजी ने हर बार की तरह एक और ब्लाइंड चली..और शशांक जो कब से अपने पत्ते उठा कर बैठा था, उसने भी एक चाल चल दी..

यानी सबा का नंबर आते-आते 3 चाल आ चुकी थी...उसने धड़कते दिल से अपने पत्ते उठाए...उसके पास 2,5 और 9 आया था...उसकी समझ में नही आ रहा था की वो क्या करे...उसे तो खुद के पत्ते छोटे ही लग रहे थे...क्योंकि एक बार घर पर भी ऐसी मुफ़लिस वाली गेम खेलते हुए राहुल ने बताया था की 10 के अंदर जो भी पत्ते आते है उनसे ये गेम खेली जा सकती है...लेकिन सबा को थोड़ा डाउट हो रहा था की जब सामने से 3 चालें आ जाए तो क्या तब भी गेम आगे खेलनी चाहिए या नही..

उसने कुछ देर सोचने के बाद चाल चल ही दी...ये सोचते हुए की जो होगा देखा जाएगा , अपनी पहली ही गेम में वो डरपोक नहीं कहलाना चाहती थी

सरदरजी ने भी अपने पत्ते उठा लिए और उन्हे देखकर बड़े ही जोश के साथ 1 के बदले 2 हज़ार की चाल चल दी..

अब आलम ये था की टेबल पर 5 लोग थे और सभी की चाल आ चुकी थी...ऐसा शायद पहली बार हो रहा था...

इसी बीच दूसरे टेबल पर सुमन ने सभी का ध्यान बाँट रखा था...उसने सभी के सामने वोड्का के बड़े-2 ग्लास फिर से भरकर रखवा दिए थे...और साथ ही तंबोला की गेम को भी काफ़ी रोचक मुकाम तक पहुँचा दिया था... इसलिए किसी को भी दूसरे टेबल पर देखने की जरुरत ही महसूस नही हो रही थी.. और ना ही डिंपल सरदारनी और राहुल की अनुपस्थिति का एहसास हो रहा था..जो इस वक़्त अंदर जबरदस्त चुदाई में व्यस्त थे..

सबा ने देखा की सभी की चाल आ चुकी है और वो सोच रही थी की ये अभी ही होना था...काश राहुल वहां होता...लेकिन अब उसे राहुल से ज़्यादा गेम की चिंता थी...

सबने सरदारजी के बाद, उनकी देखा देखी 2-2 हज़ार की चाल चल दी...सबा ने भी सोचा की अब इस गेम में पैर फँसा ही दिया है तो देखी जाएगी...क्योंकि कल के जीते हुए पैसो के बाद कुछ रिस्क तो लिया ही जा सकता था...उसने भी 2 हज़ार की चाल चल दी..

वो जानती थी की जीतना तो किसी एक को ही है...और वो अगर कॉन्फिडेंस से खेलती रही तो शायद वो भी जीत सकती है...

उसने जब 2 हज़ार फेंके तो कपूर साहब बोल पड़े : "आज तो सबा भाभी बड़े तैश मैं है...ये सबको झाड़ कर मानेगी...''

उसने जब 'झाड़ कर' बोला तो सबा की आँखे गोल होती चली गयी...झाड़ने का मतलब तो सेक्स में होता है...लेकिन जिस तरीके से उन्होने वो शब्द बोला था, ऐसा लग रहा था की वो नॉर्मल सी बात है...वो बोलकर हँसे भी नही...इन्फेक्ट कोई भी नही हंसा...इसलिए सबा ने भी कोई रिएक्शन नही दिया...वो समझ गयी की इस शब्द का मतलब ''पैसे झाड़ना'' है...वो सेक्स वाला झाड़ना नही...अपनी गंदी सोच पर वो खुद ही मुस्कुरा दी.

उसकी इस मुस्कुराहट को हर ठरकी तिरछी नज़रों से देख रहा था...उन सभी के बीच ,आँखो-2 में ही, बिना बोले ही, इस बात पर सहमति हो चुकी थी की इस गेम में वो सबा से हर तरह का मज़ा लेंगे...चाहे उसे बुरा ही लगे जाए...क्योंकि आज जैसा मौका वो हाथ से नही जाने देना चाहते थे.

कपूर साहब ने पैसे फेंककर गेम को आगे बढ़ाया ..

गुप्ता जी ने भी 2 हज़ार निकाले और नीचे फेंकते हुए बोले : "लो जी....मेरे कड़क खंबे जैसे कड़क नोट मेरी तरफ से...''
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#18
इस बार सबा का माथा ठनका ....क्योंकि गुप्ता जी ने जिस अंदाज से खड़े खंबे की उपमा दी थी, वो लंड के सिवा कुछ और हो ही नही सकता था... और ना चाहते हुए भी उसकी नज़र गुप्ता जी के लंड की तरफ चली गयी जो उनकी पेंट में मे किसी खंबे जैसा ही खड़ा हुआ था..पराए मर्दों के बीच बैठी हुई सबा अचानक डर सी गयी... वो सोचने लगी की ये कहा फँस गयी वो... लेकिन फिर उसे अंदर ही अंदर एक अलग से रोमांच का अनुभव भी हुआ... ये वो अनुभव था जो वो कॉलेज या कॉलेज टाइम में महसूस किया करती थी..

वो हमेशा से ही पढ़ने में अव्वल रही थी, इसलिए उसकी दोस्ती भी ऐसे लोगो से ही होती थी जो उसकी तरह पड़ने में तेज थे.. लेकिन वो जब भी दूसरे बदमाश टाइप के लड़को का ग्रुप देखती तो उसे अंदर ही अंदर ना जाने क्या हो जाता था की वो उनकी तरफ आकर्षित सी हो जाती थी... उन बदमाश लड़को के बोलने के स्टाइल, गाली गलोच के साथ बात करने का तरीका, हर बात में सेक्स से रिलेटेड टॉपिक को बीच में लेकर आ जाना, ये सब उसे अंदर से रोमांचित सा कर देता था...लेकिन समाज के डर से, अपने दोस्तों में अच्छी इमेज को बनाए रखने की वजह से और अपने माँ-बाप का नाम ना खराब हो जाए, इस डर से वो उन सबसे दूर ही रहा करती थी...

इसलिए उसको प्यार भी अपने ग्रुप के सबसे शरीफ लड़के राहुल से हुआ और शादी भी उसने उससे ही की ... और धीरे-2 वो उन सब एहसासों को भूलती चली गयी... लेकिन आज जिस अंदाज से ये सोसायटी के मर्द उसके सामने बैठकर उसी अंदाज में बाते कर रहे थे, जो उसे ना जाने कब से पसंद थी तो उसका शरीर काँप सा उठा...और उसका अंग-2 कड़क सा हो उठा..और धीरे-2 उसके अंदर दबे हुए वो एहसास फिर से कुलबुलाने लगे..

शशांक का पूरा ध्यान सबा के उपर था...वो सामने से बोली जा रही हर बात पर सबा का रिएक्शन बड़ी बारीकी से नोट कर रहा था... और जब उसने देखा की वो बाते सुनकर सबा का सीना तेज गति से उठ-बैठ रहा है, वो बार -2 अपने होंठों पर जीभ फेर रही है...उसका शरीर काँप सा रहा है , तो उसे समझते देर नही लगी की वो सब सुनकर वो एक्ससाइटिड हो रही है...और ये उसने उसके निप्पल देखकर भी जाना, जो उसकी टी शर्ट पर बुरी तरह से उभरकर बाहर झाँक रहे थे..
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शशांक समझ गया की अगर वो लोग ऐसी ही बाते करते रहे तो शायद काम बन सकता है....वो अपने तरीके से सोच रहा था, इस बात से अंजान की सबा पर ऐसी बातों का ये असर किसलिए हो रहा है, वो तो बस ये समझ रहा था की एक मर्द के साथ बँधे रहने के बाद,आज इतने मर्द जब सेक्सी बाते कर रहे है तो वो उत्तेजित हो रही है...इसलिए उसने आँखो ही आँखो में सभी को ऐसी ही बाते करते रहने के लिए जारी रहने को कहा...

अगला नंबर शशांक का था...उसने पत्ते फिर से देखे और बोला : "आज तो मेरे पत्तो की माँ चुद कर रहेगी...लेकिन मैं भी हार मानने वाला नहीं हूँ ...ये लो मेरे भी 2 हज़ार...आज सबा ही लेकर रहेगी हम सबकी....''

इतना कहते हुए शशांक ने पैसे बीच में फेंक दिए..

अपने पति के बॉस शशांक के मुँह से ऐसी गाली सुनकर एक पल के लिए तो सबा सकपका सी गयी...वो तो एकदम जेंटलमेन टाइप का बंदा था...आज से पहले तो उन्होने ऐसी कोई बात नही की थी जिसमे वो चीप भाषा का इस्तेमाल करे... लेकिन आज जिस तरीके से उसने ये बात इतनी आसानी से बोल दी, वो सबा ने एक्सपेक्ट नही किया था...किया तो उसके दोस्तों ने भी नही था..वो भी सबा के सामने शशांक को ऐसी गंदी भाषा का इस्तेमाल करते देखकर हैरान रह गये...लेकिन अंदर ही अंदर ये भी समझ गये की जब उनके ग्रुप के बॉस ने ऐसा कह दिया है तो उन्हे तो और भी आगे निकलना पड़ेगा इस मामले में ..और इसके साथ-2 सभी सबा के चेहरे को पढ़ने की कोशिश भी कर रहे थे..

अब चाल चलने की बारी सबा की थी...उसने फिर से 2 हज़ार रुपय निकाले और नीचे फेंक दिए...और साथ ही बड़ी ही धीमी आवाज़ में बोली : "मैं कैसे मारूँगी शशांक जी...वो काम तो मर्दों का होता है...यहाँ तो मेरे पत्ते मारेंगे आप सभी को ...''

शशांक को इसकी उम्मीद बिल्कुल भी नही थी...लेकिन उसकी तरफ से जवाब आता देखकर वो समझ गया की वो भी उनके रंग में रंगना चाहती है...शशांक के साथ-2 सभी उसकी बात सुनकर खुश हो गये...ये सोचकर की चलो इसी बहाने अब वो खुलकर उसके साथ बात तो कर सकते है...यानी अपने-2 दिल की बातें वो खुल कर उसे सुना सकते है..

अगला नंबर सरदारजी का था...वो पैसे फेंकते हुए बोले : "अरे भाभिजी...आप चाहो तो सब कर सकते हो...मारने के लिए मर्द होना ज़रूरी थोड़े ही होता है...हे हे...''

उसकी बात पर सब हंस दिए...और सबा भी....वो साफ़ -2 समझ रही थी की इन शब्दों का मतलब क्या है...और उनकी ये बातचीत किस दिशा में जा रही है....लेकिन ये सब समझने के बावजूद वो कुछ नही बोल रही थी...बल्कि एंजाय कर रही थी...और अब तो वो मन ही मन ये प्रार्थना भी कर रही थी की राहुल जल्दी ना आए...क्योंकि उसके आने के बाद तो कोई भी कुछ नही बोलेगा...और वो अभी ये नहीं चाहती थी की ये बातचीत बंद हो

सुमन भी बीच-2 में उनके टेबल पर देखकर वहां का जायजा ले रही थी...और अपने पति शशांक की आँखो में देखकर मंद-2 मुस्कुरा भी रही थी...

कपूर साहब को तो जैसे खजाने की चाबी मिल गयी थी...सभी को इतने खुले तरीके से बाते करता देखकर, और सबा को भी वैसी ही बातो में जवाब देते देखकर वो घोड़े की तरह हिनहीना उठे , और बोले : "आज तो सबा भाभी मूड में है...काश ये टेबल के बदले बेड होता तो इनके मूड का अच्छे से फायदा उठा लेते हम सभी.... हा हा...''

एक तरह से उसने सबा को सामूहिक रूप से चोदने की बात कह डाली थी....सभी के लंड ये सोचकर ही हिनहीना उठे की सबा उन सबसे चुदवायेगी ...और सबा भी ये सोचकर काँप सी गयी जैसे ये सब असली में होने जा रहा हो... एक बड़े से बेड पर वो बैठी है और उसके चारों तरफ ये सारे मर्द अपने हाथ में लंड लिए उसे ही घूर रहे है और अपने-2 लंड को मसल रहे है... ये सोचते हुए उसकी आँखे एकदम गुलाबी सी हो गयी.... उसकी चूत में अजीब सी खुजली होने लगी...जिसे उसने बड़ी मुश्किल से अपनी जांघे रगड़कर शांत किया....

लेकिन इन सबके बीच जो रोमांच का एहसास वो अपने शरीर पर महसूस कर पा रही थी, ये उन सभी एहसासों से कही ज़्यादा था जो उसने आज तक अपनी जिंदगी में महसूस किये थे..

सरदारजी बोले : "यार, मेरा तो एकदम से मूड कर गया है ये सुनकर, काश ऐसा हो सकता , मई तो सबसे पहले कूद पड़ता बेड पर ... ''

शशांक बीच में बोला : "यार गुरपाल, तुझसे अपनी बीबी की तो ली नही जाती, और तू सबा की लेने में लगा है...''

शशांक की बात सुनकर सरदारजी बोले : "तू तो ऐसे बोल रहा है जैसे डिंपल ने तुझे आकर बोला है की सरदारजी मेरी ले नही रहे है....मेरा छोटा सिपाही हमेशा तैयार है, चाहे तो अभी कन्फर्म करवा देता हू डिंपल से...''

ये सब मज़ाक में चल रहा था...

शशांक : "भाई, मुझे तो सुमन ने बताया था की कल रात को , घर जाने के बाद उसका बहुत मन था लेकिन तूने ही मना कर दी....''

गुरपाल ये सुनकर झेंप सा गया....बात तो सच थी...कल रात को जुए की पार्टी के बाद वो काफ़ी थक सा गया था...डिंपल के कहने के बाद भी उसका चुदाई का मन नही किया था....

गुरपाल : "साली , इस सरदारनी के पेट में कोई भी बात पचती नहीं है ''

बेचारा खिसियानी हंसी हँसता हुआ ये बोल रहा था

और दूसरी तरफ सबा का चेहरा लाल हो चूका था, क्योंकि उसने भी वाली चुदाई की बात सुमन को बता दी थी , और जब सुमन ये डिंपल की बात उनकी बताई होगी , बेचारी किसी से नजरें भी नहीं मिला पा रही थी

लेकिन शशांक समझ चूका था की उसके दिमाग में क्या चल रहा है

अब इस खेल को दूसरे मुकाम टाइम आ चुका था

शशांक ने बड़ी ही बेशर्मी से अपने लंड को मसलते हुए कहा : "वैसे एक बात और भी है...जिसे सुनकर आप सभी को काफ़ी मज़ा आएगा...''
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#19
शशांक ने बड़ी ही बेशर्मी से अपने लंड को मसलते हुए कहा : "वैसे एक बात और भी है...जिसे सुनकर आप सभी को काफ़ी मज़ा आएगा...''

सबा का दिल जोरों से धड़क उठा...ऐसा लग रहा था की उसका दिल शरीर से निकलकर टेबल पर ही गिर पड़ेगा...वो सोचने लगी की उसके पति के बॉस ने अगर कल रात वाली इन सबके सामने बता दी तो वो क्या करेगी...इन सभी से वो कभी मुँह उठा कर बात भी नही कर सकेगी...ये सही था की अभी तक की बातों को वो काफ़ी अच्छे से एंजाय कर रही थी...गंदी बाते जब तक दूसरो के बारे में हो तब तक उसे पसंद थी...लेकिन उसके खुद के बारे में और वो भी सेक्स वाली बाते, ये उसके लिए बहुत ज्यादा था...उसे खुद पता नही था की अगर शशांक ने वो सब बोल दिया तो वो कैसे रिएक्ट करेगी..

शशांक ने शरारती हँसी से सबा की आँखो मे झाँका, दोनो की नज़रे मिली और आँखो ही आँखो मे सबा ने उसे ऐसा ना करने को कहा...लेकिन उसके मना करने के बाद भी शशांक ने बात शुरू कर ही दी..

शशांक : "कल रात एक और जगह ब्लास्ट हुआ था...और ऐसा ब्लास्ट जो आज से पहले कभी नही हुआ...''

सबा का शरीर काँप सा गया...उसने अपने पैरों से ज़मीन कुरेदनी शुरू कर दी...

कपूर साहब भी बड़े मज़े लेकर बोले : "तो सूनाओ भी यार....इतना भाव क्यो खा रहे हो...''

शशांक : "कल रात सुमन ने वो किया, जिसके लिए मैं कब से उसे तैयार कर रहा था...''

सबा का चेहरा हैरानी से शशांक की तरफ उठता चला गया...यानी वो उसकी नही बल्कि खुद की कहानी बता रहा था...शायद ये सबा की रीक़ुएस्ट का असर था....सबा ने एक बार फिर से आँखो ही आँखो मे उसे थेंक्स कहा....

शशांक ने धीरे से उसके करीब खिसक कर कहा : "वैसे मुझे तुम्हारी वाली स्टोरी भी पता थी जो तुमने सुमन को बताई थी ...लेकिन वो फिर कभी...लेकिन अभी के लिए इसे छुपाने का टैक्स देना होगा तुम्हे....''

टैक्स देने की बात सुनकर सबा मुस्कुरा दी....वो तो ऐसे बात कर रहे थे जैसे कोई बीएफ अपनी जीएफ को छेड़ते हुए कहता है...ये सोचकर उसकी चूत का पानी एक बार फिर से उभर आया...और वो सोचने लगी की ऐसा हो जाए तो वो क्या करेगी...अपने ही पति के बॉस के साथ....कैसे...

वो ये सोचने मे लगी हुई थी और गुप्ता जी की आवाज़ ने उसे फिर से वापिस खींच लिया, वो बोले : "अब बता भी दो भाई, ऐसा क्या काम था जो सुमन भाभी भी नही कर पा रही थी...वो तो हर काम में माहिर है, ही ही.ही...... ''

गुप्ता के दिमाग में बस यही विचार कोंध रहा था की शायद सुमन ने अपने दूसरे छेद में लंड डालने की इजाजत दे दी है कल शशांक को, तभी उसकी गांड मारकर वो इतना खुश है, लेकिन वो ऐसी बात तो सभी के सामने बताने से रहा, यही सोचकर गुप्ता जी की उत्सुक्तता बढ़ती जा रही थी.

वो लोग शायद समझ रहे थे की आज शशांक को कुछ ज़्यादा ही चढ़ गयी है, इसलिए वो अपनी कहानी इस तरह से सबके सामने सुना रहा है...पर शशांक अच्छी तरह से जानता था की वो ये सब किसलिए कर रहा है.

शशांक ने सुमन की तरफ देखा, जो उन्ही की बाते कान लगाकर सुन रही थी...और बोला : "ओपन में सैक्स ....कल हमने ओपन में सैक्स किया....बाल्कनी में ...''

ये सुनते ही सभी की आँखे बाहर निकल आई....यानी कल शशांक ने अपनी बीबी को बाल्कनी में खड़े करके चोदा ...बिल्कुल नंगा करके....और ये बात वो सभी को इस तरह बता भी रहा है , सैक्स के बारे में सभी के सामने अपने एक्सपेरिएंस शेयर करने का ये पहला वाक्या था

सरदारजी बोल पड़े : "ओह्ह्ह तेरी.....क्या बात है शशांक भ्रा....मेरा फ्लेट तो तेरी बिल्डिंग के बिल्कुल सामने है...काश मुझे पता होता तो मैं भी आकर दर्शन कर लेता भाभी जी के...हा हा ''

इतना कहते हुए गुरपाल की नज़र सुमन की तरफ चली गयी, जो उसे ही देखकर मुस्कुरा रही थी....
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सुमन को अपनी तरफ देखते पाकर सरदारजी सकपका से गये और धीरे से बोले : "ओये मॅर गया....भाभिजी तो मेरी तरफ ही देख रही है...कही इन्होने सुन तो नही लिया...''

शशांक : "सुन भी लिया तो कोई बात नही....वो इन बातों का बुरा नही मानती....हम दोनो इस मामले में काफ़ी ओपन है....''

कपूर साहब बोले : "तभी तो आपने कल भाभी जी को खुल्ले में ही....चोद डाला.... हा हा...''

सभी उनकी बात सुनकर हंस दिए....सबा भी.... चुदाई बातें इतने ओपन तरीके से शायद पहली बार हो रही थी

सबा तो शशांक और सुमन की हिम्मत देखकर हैरान हुए जा रही थी....की कैसे उन दोनो ने इतनी बड़ी बाल्कनी में नंगे खड़े होकर सैक्स किया...उसकी कल रात वाली चुदाई की बात तो इसके सामने कुछ भी नही है...

अचानक उसके मन में आया की वो भी ट्राइ करेगी...आज ही करेगी....राहुल के साथ...रात को...अपनी बालकनी में.
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और ये सोचकर वो मंद मंद मुस्कुराने लगी....तभी एक बार फिर से शशांक उसके कान के पास आकर बोला : "मुझे पता है तुम क्या सोच रही हो....मुझे थॅंक्स कहने का यही तरीका है की आज तुम बाल्कनी में वो सब करना...और मैं भी सुमन के साथ वो करूंगा ..''

और इतना कहकर वो पीछे हो गया....सबा तो उसे देखती ही रह गयी की कितनी आसानी से इतनी बड़ी बात उसके पति के बॉस ने बोल डाली...उनका फ्लॅट भी गुरपाल वाली बिल्डिंग में ही था...यानी शशांक की बिल्डिंग के बिल्कुल सामने.

गुप्ता जी बोल पड़े : "अर्रे सरजी, सबा भाभी के कान में ही बताते रहोगे...हमे भी तो बताओ...कौनसी पोजीशन में किया सब...''

गुप्ता सोच रहा था की अभी तो इसे चढ़ी हुई है, शायद उकसाने पर और भी बातें उगल डाले

तभी पीछे से आवाज़ आई : "स्टेंडिंग ...डुग्गी स्टाइल "

ये सुमन की आवाज़ थी....जो कुछ ज़्यादा ही खुलकर बोल पड़ी थी अचानक...अपनी मंडली में एक और भाभी की इस तरह से एंट्री होती देखकर सभी बहुत खुश हुए....सबा भी उसकी हिम्मत देखकर हैरान रह गयी...

अचानक सुमन ने सबा की तरफ देखा और बोली : "ये तो तुम्हारी भी फ़ेवरेट पोज़िशन है ना...क्यों सबा''

बेचारी का चेहरा शर्म से लाल हो उठा....हाँ के अलावा वो कुछ बोल ही नही सकी...

सभी खुली आँखों से सुमन और सबा को डुग्गी स्टाइल में चुदते हुए देखने की कल्पना करने लगे
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गेम तो जैसे रुक सी गयी थी....वो भी आगे बढ़ानी ज़रूरी थी...

कपूर साहब ने पत्ते पैक करते हुए कहा : "लो जी....मैं तो पेक होता हू.....मुझे नही लगता की इन पत्तो के साथ मैं जीत सकता हूँ ..वैसे भी माहोल इतना गर्म हो चुका है की गेम में तो कोई इंटेरेस्ट ही नही रह गया अब...''

सबने उसके पत्ते देखे...उनके पास 2,3 और बादशाह था....सबा की हिम्मत अब बढ़ चुकी थी...उसके पत्ते तो इनसे काफ़ी बेहतर थे.

2 पत्ते तो उसके भी छोटे थे...पर बादशाह की वजह से मारा गया था बेचारा....

गुप्ता जी ने फिर से चाल चल दी....बीच मे अब करीब 20 हज़ार आ चुके थे...

शशांक के दिमाग़ में जैसे कुछ प्लानिंग चल रही थी...उसका नंबर आया तो उसने एक पल के लिए सबा को देखा और उसे आँख मारते हुए पैक कर दिया..उसके ऐसा करने से पता नही सबा को ये क्यों लगा की उसने ऐसा जान बूझकर किया है और उसके पत्ते सबा से छोटे है...

सबा का नंबर आया तो उसने भी चाल चल दी..

इस बार गुरपाल चाल चलते हुए सोच रहा था...शायद उसके मन में भी दुविधा थी की वो चाल चले या पैक कर दे...

वो सोच ही रहा था की शशांक बोला : "सरदारजी ...आज तो आप पैक कर ही दो...सबा के काफ़ी बड़े और जानदार है...इनसे ना जीत पाओगे आप...''

ये बोलते हुए वो सबा के मुम्मों को घूर कर देख रहा था
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एक बार फिर से द्विअर्थी संवाद सुनकर सबा मुस्कुरा दी...ऐसे शब्द उसे अंदर तक झंझोड़ जाते थे..

और इस बार, पता नही क्या जादू था शशांक की आवाज़ में , सरदारजी ने उसकी बात मानकर पैक कर दिया..

सबा का दिल अब जोरो से धड़कने लगा...अब सिर्फ़ वो और गुप्ता जी ही बचे थे....तीन लोग टेबल से पैक कर चुके थे...

गुप्ता जी ने इस बार चाल डबल करते हुए 4 हज़ार की कर दी..

अब तो सबा के माथे पर पसीना आ गया....उसे पक्का विश्वास हो रहा था की गुप्ता जी के पत्ते उससे छोटे ही होंगे...तभी वो इतने कॉन्फिडेंस से चाल को डबल कर रहे है...

वो भी सोचने लगी की चाल चले या पैक कर दे...और तभी राहुल बाहर आ गया... (चुदाई करके)....और उसे देखकर सबा की जान में जान आई...वो सीधा आकर सबा की बगल में बैठ गया...थोड़ी देर में डिंपल भी बाहर निकल आई... दोनो के चेहरे पर ताज़ा चुदाई की लाली सॉफ झलक रही थी ...उस लाली का राज शशांक और सुमन को तो अच्छी तरह से पता था ... लेकिन बाकी के सब लोग अंजान थे..

सबसे पहले तो राहुल ने माहौल का जायजा लिया, किसी को भी उसके उपर शक नही हुआ था...फिर उसने गेम के बारे में पूछा तो सबा ने सब बता दिया...बीच में पड़े पैसों का ढेर देखकर राहुल समझ गया की गेम काफ़ी आगे निकल चुकी है...इस गेम को जीत लिया तो उसके तो मज़े ही हो जाएँगे...लेकिन सामने गुप्ता जी बैठे थे, जो इस खेल के काफ़ी माहिर खिलाड़ी थे...

सबा ने राहुल को अपने पत्ते दिखाए और पूछा की अब वो क्या करे....राहुल ने उसे यही कहा की वो अपने दिल से खेले...पैसों की चिंता ना करे...क्योंकि अभी भी उनके पास काफ़ी पैसे थे, जो उन्होने कल जीते थे...

लेकिन अंदर से सबा को डर सा लग रहा था....एक मन कह रहा था की पैक कर दे और शो ना माँगे, कही ऐसा ना हो की शो माँगने के बाद वो पैसे भी जाए...लेकिन राहुल की बात से उसे थोड़ी हिम्मत मिली, उसने भी हिसाब लगाया कि शो माँगने के बाद भी उनके पास काफ़ी पैसे बचेंगे...इसलिए उसने भारी दिल से पैसे बीच में फेंकते हुए शो माँग लिया...

गुप्ता जी के चेहरे पर हँसी आ गयी...उन्होने अपने पत्ते बीच में फेंकने शुरू किए...

पहला पत्ता था 2

दूसरा था 3

इतने छोटे पत्तो के बाद तो कोई भी पत्ता आ जाए, 10 के अंदर का, वो ही जीतेंगे..

सभी की नज़रें गुप्ता जी पर थी...सबा भी मन ही मन कलमा पड़कर अपनी जीत की दुआ माँगने में लगी हुई थी...

और आख़िरकार थोड़ा सस्पेंस रखने के बाद गुप्ता जी ने अपना आख़िरी पत्ता भी नीचे फेंक दिया..

ये था इक्का...
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#20
यानी की उनके पास 1,2,3 का सीक़वेंस आया था..और वो भी मुफ़लिस वाली गेम में ..यानी वो ब्लफ खेल रहे थे.

उनके पत्ते देखकर राहुल ने खुशी के मारे सबा को गले से लगा लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा...

''ओह सबा.....माय डार्लिंग ....तुम जीत गयी....तुम जीत गयी ....''

सरदारजी ने सबा के पत्ते देखे और बोले : "अच्छा हुआ, मैने पैक कर दिया, वरना बेकार में मारा जाता...''

उन्होने बताया की उनके पास सबसे बड़ा पत्ता J था.

सभी लेडीज़ भी वहीं आ गयी...सभी सबा को उसकी पहली गेम जीतने की बधाई दे रही थी...

पर सबा का सारा ध्यान शशांक के उपर था...जो बड़ी रहस्यमयी मुस्कान के साथ अपने पेग के सीप लगा रहा था...

अब कल की गेम की डिस्कशन होने लगी...डिंपल ने खाना लगा दिया था...सभी खाना खाते हुए अगले दिन की गेम के बारे में बाते करने लगे...जो कपूर साहब के घर पर थी.

सबा के मन में काफ़ी देर से जो सवाल था, उसके लिए वो वापिस टेबल पर गयी और शशांक के पत्ते पलट कर देखे...और उन्हे देखकर वो चकित रह गयी...वो सच में उससे छोटे थे...सबसे बड़ा पत्ता उनके पास 8 आया था...यानी वो चाहते तो आगे खेलकर जीत सकते थे...सिर्फ़ सबा को जिताने के लिए उन्होने पैक कर दिया...वो मन ही मन उन्हे फिर से थेंक्स बोलने लगी..

फिर उसके मन में आया की अब तो उन्हे उनके तरीके से ही थेंक्स बोलेगी, जैसा उन्होने बोला था...पर क्या राहुल इसके लिए तैयार होगा...

सबा को इसके लिए काफ़ी मेहनत करनी थी.

लेकिन वो ये नही जानती थी की शशांक ने उसका भी हल ढूँढ लिया है..उसने पहले से ही अपनी वाइफ सुमन को इस काम पर लगा दिया...इसलिए, जब सभी लोग खाना खा रहे थे तो सुमन चुपचाप उठकर राहुल की तरफ गयी, जो अपनी खाने की प्लेट में कुछ डाल रहा था.

सुमन : "सो, मिस्टर. राहुल, कैसा लगा....मज़ा आया ना एक ही दिन में अपनी सोसायटी की 2-2 भाभियों की चुदाई करने में ...''

राहुल उसे इतने खुले तरीके से बोलता देखकर शरमा सा गया.

सुमन : "मेरे साथ रहना है तो ये शरमाना तो छोड़ ही दो...मुझ जैसे बेशरम बनकर रहोगे तो फ़ायदे में रहोगे...''

राहुल : "कैसा फ़ायदा ...''

सुमन : "अभी तो शुरूवात हुई है राहुल...अभी तो और भी भाभीयां और कुँवारी लड़कियाँ है इस सोसाइटी की, जो तुम्हारे इस लंबे लंड को अपने अंदर लेने के लिए तैयार हो सकती है...बस मेरी तरह बेशरम बन जाओ...''

राहुल तो सोसायटी की दूसरी भाभियो और कुँवारी लड़कियों के बारे में सोचकर ही उत्तेजित हो उठा..

सुमन आगे बोली : "अब काम की बात सुनो...आज रात को तुम अपनी वाइफ के साथ बाल्कनी में आना...''

राहुल : "बाल्कनी में ....वो क्यों ..''

सुमन : "तुम्हे कुछ दिखाना है...11 बजे आ जाना...पता चल जाएगा...''

और वो उसके मन में जिज्ञासा जगा कर वापिस चली गयी...राहुल बेचारा मुँह खोले वहीं खड़ा होकर सोचता रह गया की ऐसा क्या दिखाने को कह रही है सुमन भाभी...

खैर, कुछ ही देर में सभी ने खाना ख़त्म किया और अपने-2 घर चल दिए...

सरदारजी ने तो आज सोच ही लिया था की बाल्कनी में ही चुदाई करेंगे...वो इस मामले में शशांक से पीछे नही रहना चाहता था...

सबा को भी पता था की आज बाल्कनी में क्या होने वाला है...लेकिन वो राहुल को समझाने के लिए परेशान हुए जा रही थी...वो ये नही जानती थी की वो काम सुमन ने पहले ही कर दिया है..

रात को जब कपड़े बदल कर सबा बाथरूम से आई तो उसने फिर से अपनी फ़ेवरेट गुलाबी नाईटी पहन रखी थी...वो ये नाईटी अक्सर तभी पहनती थी जब वो खुद पहले से चुदने की तैयारी करके आई हो...
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राहुल भी उसकी दिन ब दिन बाद रही सेक्स की भूख देखकर हैरान हो रहा था....उसके दोस्तो ने बताया तो था की शादी के कुछ टाइम बाद लड़की में चुदासी पूरी तरह से जाग जाती है और वो खुलकर इस खेल में उतर जाती है...यही हाल आजकल सबा का हो रहा था...दिन ब दिन उसका रूप और शरीर निखर रहा था और सेक्स की भूख भी बड़ रही थी...राहुल को इससे कोई परेशानी नही थी..बल्कि उसे तो इसमें बहुत मज़ा आ रहा था...बस उसे इस बात का अंदाज़ा नही था की उसकी बीबी की ये भूख उसे कहां तक ले जाएगी..

राहुल बेड पर बैठकर उसे शीशे के सामने क्रीम लगाते हुए देखने लगा.....11 भी बज चुके थे...सुमन भाभी ने उसे बाल्कनी में बुलाया था और यहाँ सबा चुदने के मूड में थी...राहुल तो दुविधा में पड़ गया...

वो सोच ही रहा था की बालकनी में जाने का क्या बहाना बनाए की तभी सबा बोल पड़ी : "राहुल...चलो ना...बाहर चलते है...बाल्कनी में ...काफ़ी अच्छी हवा चल रही है..''

राहुल तो एकदम खुशी से उछल पड़ा....जो बात वो करने से हिचकिचा रहा था, वो सबा ने खुद ही कर दी...वो तुरंत खड़ा हो गया और सबा के साथ बाहर निकल आया..

बाहर आते ही राहुल की नज़रें सबसे पहले सुमन भाभी के फ्लेट की तरफ गयी...पर वहां तो कोई भी नही था..

सबा ने भी तिरछी नज़रों से देख लिया था...शशांक अभी तक नही पहुँचा था वहां ..

लेकिन अंदर ही अंदर राहुल और सबा तो सैक्स के लिए तैयार ही थे...इसलिए दोनो एक दूसरे से चिपक कर खड़े हो गये ...और बाते करने लगे..राहुल ने सबा को पीछे से पकड़ रखा था...और दोनो नीचे देख रहे थे...पूरे कॉंप्लेक्स में सन्नाटा था...सब सो चुके थे...राहुल के हाथ सबा के उरोजों पर फिसल रहे थे और उसके लंड ने उसकी गांड की घिसाई शुरू कर दी.

सबा: "राहुल...ये दीवाली के जुए की वजह से हमारी फाइनेंशल कंडीशन कितनी अच्छी हो गयी है....इतने पैसे तो पूरा महीना जॉब करके भी नही मिलते तुम्हे, जितना आज हमने जीत लिया..''

राहुल (उसके निप्पल्स को मसलते हुए) : "हमने नही...ये तो तुमने जीते है....अब हम दोनो वर्किंग कपल बन चुके है...''
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दोनो इस बात पर हंस दिए.

राहुल : "लेकिन एक बात तो है...तुम्हारा लॅक काफ़ी अच्छा है...मैं तो कहता हूँ कल भी तुम ही खेलना...मुझे नही लगता की कोई मना करेगा....''

सबा ने मन में सोचा 'वो साले तो मरे जा रहे है मेरे साथ खेलने के लिए...मना करने का तो सवाल ही नही है..'

पर वो बस मुस्कुरा कर रह गयी...वो भी जानती थी की उसके लॅक से ज़्यादा उसे जिताने में शशांक का हाथ है...और उसी के एहसान का बदला चुकाने के लिए तो वो यहाँ खड़ी थी इस वक़्त..लेकिन वो अभी तक आए क्यो नही...

सबा ने एक बार फिर से उनकी बाल्कनी की तरफ देखा..वो अभी तक नहीं आये थे .

लेकिन तभी उन दोनो को गुरपाल सिंह की आवाज़ सुनाई दी...वो उनके नीचे वाले फ्लेट में ही रहते थे...इसलिए वो जब बालकनी में आए तो उनकी बातों की आवाज़ें उन्हे सुनाई देने लगी...राहुल और सबा ने नीचे देखा तो डिंपल भी वहीं थी...और दोनो एक दूसरे से कुछ देर तक बाते करने के बाद एक गहरी स्मूच में डूब गये..

राहुल और सबा ने अपनी हँसी दबाते हुए एक दूसरे को देखा और फिर छुपकर नीचे देखने लगे..

सभी की बाल्कनी में काफ़ी अंधेरा था...लेकिन गौर से देखने पर सब कुछ सॉफ देखा जा सकता था....और वैसे भी ये तो उनके नीचे वाली बाल्कनी में थे...राहुल को ऐसा लग रहा था जैसे वो सिनेमा हॉल में बाल्कनी की टिकट लेकर बैठे है और उन दोनो की चुदाई की फिल्म देखने आए है.

सरदारजी ने एक मिनट के अंदर ही डिंपल का गाउन उतार फेंका और उसे नंगा कर दिया...और अपना पायजामा नीचे करके उसे अपना लंड चूसने बिठा दिया.
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सबा ने जब डिंपल को नंगा होते देखा तो उसने मज़ाक में राहुल की आँखे ढकनी चाही , और उसके कान में फुसफुसाई ''गंदे बच्चे ...बंद करो अपनी आँखे...डिंपल भाभी को ऐसे मत देखो तुम....''

राहुल ने अपने होंठ दांतो के नीचे दबाते हुए कहा : "तुम भी तो देख रही हो...सरदारजी को ऐसे ... नंगा ......मैने मना किया क्या...''

उसकी बात सही थी...सबा ने जब सरदारजी के खूंखार लंड को देखा तो एक पल के लिए तो वो साँस लेना ही भूल गयी...कुछ ज़्यादा ही मोटा और लंबा था उनका लंड ...और एकदम काला...जिसे डिंपल सरदारनी बड़े मज़े ले-लेकर चॉकलेट आइस्क्रीम की तरह चूस रही थी..

राहुल का लंड भी एकदम कड़क हो चुका था...वो सरदारनी के लंड चुसाई के तरीके को देखकर अच्छी तरह से अंदाज़ा लगा सकता था की इस वक़्त गुरपाल को कितना मज़ा आ रहा होगा...क्योंकि कुछ समय पहले वही सरदारनी उसके लंड को भी ऐसे ही चूस चुकी थी...

राहुल ने अपना खड़ा हुआ लंड सबा की गांड पर टिका दिया...उसे लग रहा था की सबा उसे मना करेगी..लेकिन उसके आश्चर्य का ठिकाना नही रहा जब सबा ने अपनी शॉर्ट नाइटी को अपनी गांड वाले हिस्से से उपर कर दिया और अपने नंगे कूल्हे राहुल के लंड वाली जगह पर रगड़ने लगी..

मतलब सॉफ था, सबा की चूत में भी वही आग लगी हुई थी जो इस वक़्त राहुल के लंड में थी...राहुल ने भी बिना कोई देरी किए अपना पायज़ामा नीचे खिसका दिया और अपने नंगे लंड को उसकी डनलप गद्दे जैसी गांड के उपर रखकर रगड़ने लगा...

सबा के मुँह से सिसकारी निकल गयी...

आज गुरपाल के साथ-2 उनकी बाल्कनी में भी एक तूफान आने वाला था...और शायद उन दोनो के साथ-2 शशांक और सुमन की बाल्कनी में भी...क्योंकि वो भी अब बाहर आ चुके थे..और वो भी नंगे।

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राहुल ने अपने लंड पर थूक लगाई और उसे सबा की चूत पर रखकर धीरे से धक्का दिया...कुछ धक्का सबा ने भी लगाया ..और दोनो की मेहनत पहले शॉट में ही रंग लाई और वो लंड एक ही बार में सनसनाता हुआ अंदर घुसता चला गया...

''आआआआआआआआहह...........सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स......म्*म्म्मममममम....''

मादकता में डूबकर सबा की आँखे बंद होती चली गयी....और जब वो खुली तो उसकी नज़र सबसे पहले शशांक की बाल्कनी में गयी...और वहां शशांक अपनी बीबी के सुमन के साथ बड़े ही मज़े से उन्हे देख रहा था...और सबसे बड़ी बात, वो दोनो भी नंगे थे इस वक़्त और एक दूसरे से चिपककर उन दोनो का खेल देख रहे थे...

ये वो पल था जब सबा अपने आप को किसी वाइल्ड क्वीन से कम नही समझ रही थी....ऐसा ही कुछ करने की ना जाने कब से तमन्ना थी उसके दिल में ..कुछ घरवालों के संस्कार, कुछ लोगो का डर , और बाकी अपनी इज़्ज़त खोने का ख़तरा...

पर इस वक़्त खुले में अपनी चुदाई करवाते हुए उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो सभ्य समाज में नही बल्कि आदिवासी जिंदगी का हिस्सा है...जहाँ सब लोग नंगे होते है, किसी को नंगा होने में या खुले में चुदाई करवाने में शर्म नही आती....

सबा ने राहुल के लंड को अपनी चूत की ओखली में जकड़कर एक जोरदार ढंग से अंगड़ाई ली और अपना टॉप उपर की तरफ खिसका दिया...और इतना खिसकाया की उसके मुम्मे एक पल के लिए नंगे होकर शशांक की आँखो में चमक गये...
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