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Adultery मेहमान बेईमान
अगर तुम्हे मेरी चुचिया देखनी है तो मुझे वो सब बाते बताओ जो तुमने मेरे और पीनू के बीच मे छत पर देखी थी.”
“तुम्हे वो सब सुनना है तो सुनो” कह कर उसने बड़ी चालाकी से अपने लौदे से अपना हाथ हटा लिया और मुझे पीनू ने जो मेरे साथ किया था वो बताने लग गया.
“पीनू ने जब तुम से कहा था कि एक बार दे दो ना. और तुम्हारे होंटो से अचानक निकल गया, क्या ? और तुम ना चाहते हुवे भी शर्मा गयी थी. जिस पर पीनू ने तुमसे बेशर्मी से हंसते हुवे कहा, वही दे दो जहा मनीष भैया तुम्हारी लेते है, सच जब से तुम्हारी ली है रात मे मेरा लंड मेरे को कोस्ता रहता है कि मनीष ने क्या किशमत पाई है.”
ये सुन कर एक पल को मेरे होश उड़ गये. मेरे मन का एक कोना भी तो ऐसा ही चाहता था पीनू का जब से लिंग देखा था मेरी आँखो के आगे तो बस वही सब घूम रहा था. पर ये बुढहा आधी बात अपने मन की और आधी सही बोल रहा था शायद इस समय इसके उपर शराब के नशे का असर हो रखा था. जो वो ये सब बोल रहा था पर इस नशे की हालत मे भी ये गनीमत थी कि वो ज़्यादा तेज जैसा की आम तौर पर और नशेड़ी करते है जो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लग जाते है वैसा कुछ नही कर रहा था.
पर फिर मैने खुद को संभाला और कहा “चुप करो, मैं ऐसा नही कर सकती, पीनू और उसके साथ तुमने जिसे भी देखा हो पर वो मैं नही थी और अब ये अपनी झूठी कहानी सुनाना बंद करो.” मैने मुकेश को घुस्से से डाँटते हुए कहा.
मुकेश ने कहा “सच बताना क्या दुबारा तुझे लंड लेने की इच्छा नही हो रही है मेरा लॉडा देख कर ? क्या तुझे इस समय वो पल याद नही आया जब पीनू ने तेरी गांद मारी थी ? मेरे लॉड को देख कर सच सच बता”
ये सब सुन कर मैं फिर से अपने होश खो बैठी, मेरी आँखो में फिर से वो पल घूम गया जब पीनू बहुत तेज-तेज मेरे नितंबो में धक्के लगा रहा था और मैं उसके हर धक्के का मज़ा सिसकारिया भर कर ले रही थी.
उसने फिर पूछा, बता ना शर्मा मत क्या सच मे तूने पीनू को अपनी गांद मारने दी थी. मैने तो छत पर देखा भी था कि छत पर उस तरफ साइड मे जहाँ पर उस दिन कंडे रखे हुए थे उसने तेरी गांद मे पूरा लॉडा घुसेड दिया था जिस से तेरी बुरी तरह से चीख निकल गयी थी. जब से पीनू और तेरी चुदाई देखी है तब से उपर वाले से यही दुआ माँग रहा हू कि मुझे भी पीनू की तरह एक बार तेरी गांद की सेवा करने का मौका मिल जाए. मैं भी तेरी गांद का एक बार मज़ा ले सकु देखु तो सही की तेरी मस्तानी गांद का कैसा मज़ा आता है.
वो ऐसी बाते कर रहा था कि कोई भी सुन कर बहक जाता, मैं भी थोड़ा सा बहक गयी, पर फिर मैने कहा, “नही मुझे कुछ याद नही आया, तुम अब चुप चाप अपना हिलाओ, और मेरा पीछा छोड़ दो और मुझे मेरे परिवार में खुश रहने दो. मैं एक शादी शुदा औरत हू और तुमने ये सोच भी कैसे लिया कि मैं तुम्हारे या उस हरामी पीनू के साथ ऐसा कुछ कर भी सकती हू”
वो बोला, “तू तो खुश ही है मैं ही दीवानो की तरह यहा तेरी गांद के चक्कर मे भटक रहा हू, देख तेरे सन्तरो की एक झलक पाए बिना मेरे लंड ने भी पानी निकालना बंद कर दिया है.. ये भी तेरे सन्तरो की एक झलक का दीदार करना चाहता है..”
मैने उसकी हालत देख कर उसको और ज़्यादा चिढ़ाते हुए कहा “तो मैं क्या करूँ मैने तो तुम्हे अपने पीछे नही लगाया ना और ना मैने तुम्हे मेरे पीछे यहाँ पर आने को कहा था?”

वो बोला, “ठीक है ग़लती मेरी ही है, जो सब कुछ छोड़ कर तेरे पीछे पड़ा हूँ, मैं चला जाउन्गा पर एक बार अपने संतरे तो दिखा दो”
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उसकी बात सुन कर मैं कुछ नही कह पाई और खामोशी से उसकी बेबसी देखती रही मुझे उसको यूँ तड़प्ता हुआ देख कर बड़ा अच्छा लग रहा था. मुझे ये बात अच्छे से समझ मे आ गयी थी कि ये इस तरह चुप नही रहेगा. क्या मुझे इसको को-ऑपरेट करना सही होगा.? मेरे मन मे एक सवाल उठा और जल्दी ही उसका जवाब भी मिल गया. हां अगर मैं इसको को-ऑपरेट करू तो ये सब सुन कर ये उत्तेजित हो जाएगा और इसका पानी निकल जाएगा. एक बार ये झाड़ गया तो फिर सब कुछ नॉर्मल हो जाएगा.
“हां तुम सही कह रहे हो पीनू ने मेरे साथ बोहोत अच्छे से किया. मुझे नही लगता कि तुम उस तरह से कर भी पाओगे. तुम अपनी हालत तो देखो. तुम्हारे इस बुढहे दुबले पतले शरीर मे इतनी जान है कि तुम पीनू की तरह मुझे खुश कर सको” कह कर हल्के हल्के हँसने लग गयी.
मुकेश मेरी बात सुन कर उत्तेजित हो जाता है और कहता है “क्या किया था ऐसा पीनू ने जो मैं नही कर सकता मेरा लंड भी तो पीनू के बराबर ही बड़ा है और जो मेरे लंड से एक बार चुद ले तो फिर वो मेरी गुलाम हो कर रह जाती है.”
“मुझे नही लग रहा तो मैं क्या करू” मैने उसे और ज़्यादा चिढ़ाते हुए कहा.
मुकेश मेरी बात सुन कर बोहोत ज़्यादा उत्तेजित हो जाता है और अपने लंड को हाथ मे पकड़ कर हिलाते हुए कहता है “मेरे लंड को देखो और पीनू के लंड का साइज़ याद करो पीनू का लंड मेरे से छ्होटा है. जब मेरा लंड तुम्हारी चूत मे जाएगा तो तुम्हे इतना मज़ा आएगा जितना तुम्हे पीनू के साथ भी नही आया था.”
जब मेरी नज़र बुढहे के लंड पर जमती है तो सच मे इस बुढहे मुकेश का लंड पीनू से बड़ा था और मोटा भी पीनू के लंड को थोड़ी देर यूँ एक तक देखने से मेरी चूत ने भी जवाब दे दिया था मैं भी पूरी तरह से गरम हो चुकी थी. पर मैं इस बुढहे के साथ उस तरह का कुछ भी नही करना चाहती थी इसलिए मैने सोचा कि इसको सिर्फ़ बाते करते हुए झाड़वाना ठीक होगा.
“तुम्हे पता है पीनू का सूपड़ा कितना मोटा है. पीनू ने तू मुझे अपना लंड चुस्वाया था उनके लंड का स्वाद भी एक दम बढ़िया था. मैने मज़े मज़े मे दो बार पीनू के लंड की चुसाइ की थी और पीनू ने भी मेरी चूत को जम कर चॅटा था उसकी पूरी जीभ मेरी चूत को चाट चाट कर सॉफ कर रही थी. अभी भी मुझे पीनू की जीभ अपनी चूत पर सॉफ महसूस होती है.” मैने उसको और ज़्यादा उत्तेजित करने के लिए कहा. ताकि उसका ये सब बाते सुन कर पानी निकल जाए.
मुकेश अपना लंड अपने हाथ से हिलाते हुए काफ़ी थक जाता है और कहता है कि “अरे मेरी जान मेरी मदद करो ना मेरा हाथ थक गया है लंड हिलाते हिलाते पर पानी नही निकल रहा है” मुकेश ने एक नज़र मेरी तरफ देखा जो ठीक उसके लंड को ललचाई हुई नज़रो से देख रही थी इसी बात को समझ कर “तुम अपने हाथ से हिलाओ ना तुम्हारे हाथ का स्पर्श पा कर शायद मेरा पानी निकल जाए और मैं झाड़ जाउ.”
“खबर दार जो मुझे जान कहा तो अपनी शकल देखी है कभी आयने मे. और तुमने सोच भी कैसे लिया कि मैं तुम्हारे जैसे आदमी का लंड अपने हाथ मे लेकर हिलाउन्गि” मैने उसे बुरी तरह से हड़काते हुए कहा, मेरे इस तरह हड़काने से वो बुरी तरह झेंप गया. बाहर से आने वाली आवाज़ भी अब आना कम हो गयी थी इसलिए मैने उस से कहा “मैं जा रही बाहर सब चले गये है इस से पहले कि कोई छत पर वापस आ जाए मैं जा रही हू.” ये कहते हुए जैसे ही मैं मूड कर दरवाजे तक आई तो मेरा दिल बुरी तरह से धड़क उठा बाहर छत पर मनीष खड़े हुए थे. और अगर मैं मनीष के सामने इस तरह से बाहर निकलती तो मेरी क्या इज़्ज़त रह जाती. यही सोच कर डर के कारण मैं वापस पीछे की तरफ हो गयी. मेरे वापस पीछे होते ही मुकेश मेरे कदमो मे गिर गया और मेरे पैर पकड़ कर बोला “एक बार दिखा दे ना अपने संतरे मेरे से अब बर्दाश्त नही हो रहा है” वो नशे मे होने के कारण थोड़ा तेज़ी से बोल रहा था जिस से मेरे प्राण और हलक मे आ कर अटक गये, कही मनीष ना कुछ सुन ले. इस समय मेरी उपर की साँस उपर और नीचे की नीचे बीच मे पेट खाली वाली स्थिति हो गयी थी.
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“दिखा दे ना एक बार मेरा निकल जाएगा” मुकेश ने फिर से मेरे पैरो मे गिरते हुए कहा.

मैं अजीब इस्थिति मे फँस गयी थी की क्या करू क्या ना करू कुछ भी समझ मे नही आ रहा था एक तरफ बाहर मनीष खड़े हुए थे और दूसरी तरफ ये मुकेश मेरे पीछे पड़ा हुआ था. पर उसका यूँ मेरे पैरो मे गिड़गिदते हुए भीक माँगना मुझे बोहोत अच्छा लग रहा था. अभी मैं उसकी तरफ गौर करती इस से पहले ही मनीष की आवाज़ मेरे कानो मे आई वो नीचे जा रहे थे इस बात को सुन कर मेरे दिल ने राहत की साँस ली पर उनके जाने का जो फ़ायदा हुआ उसके बदले छत पर और लोग आ गये. मैं तो यहाँ इस छत पर आ कर बुरी तरह से फँस गयी थी.

छत से जब मैने अपना ध्यान हटाया तो इधर मुकेश लगातार मेरे पैरो मे गिर कर मुझसे एक बार दिखा देने की भीख माँग रहा था. उसको यूँ गिड-गिडता हुआ देख कर मेरे मन मे उसके लिए दया आ गयी. और मैने उस से कहा “अच्छा ठीक है मैं तुम्हारा अपने हाथो से हिला देती हू ताकि तुम्हारा पानी निकल जाए और तुम आसानी से झाड़ जाओ” मेरी बात सुन कर वो ख़ुसी से पागल हो गया.
वो जल्दी से मेरे पैरो से उठ कर खड़ा हो गया और मैं उसके पास ही खड़े हो कर उसका लॉडा हाथ मे पकड़ लिया हिलाने के लिए. पर जैसे ही उसका लंड मैने अपने हाथ मे लिया मेरे पूरे शरीर मे एक सनसनी सी दौड़ गयी. मेरी योनि बुरी तरह से गीली होना शुरू हो गयी. मुकेश के लंड को हाथ मे पकड़ कर मैने सोचा अगर मैं इस से थोड़ी गंदी बाते करू तो इसको जल्दी पानी निकल जाएगा.
मैने उसके लंड को पकड़ कर उसकी खाल को जैसे ही पीछे किया उसके लंड का सूपड़ा निकल आया “अरे वाह मुकेश तुम्हारे लंड का सूपड़ा तो बोहोत चिकना और एक दम लाल रखा हुआ है इस उमर मे भी तुम्हारा लंड एक दम लोहे की रोड की जैसे सख़्त हो जाता है कैसे क्या करते हो तुम और ये तुम्हारा लंड इतना बड़ा कैसे हो गया.” मैं मुकेश का लंड हिलाते हुए उस से इस तरह की बात करना शुरू कर दिया ताकि उसका पानी जल्दी से निकल जाए और वो झाड़ कर शांत हो जाए और मैं वापस आराम से नीचे जा सकु.
मुकेश मेरी बात सुन कर मुस्कुरा देता है और कहता है “अरे अब क्या बताऊ बस बचपन से ही मेरा ऐसा है”
“वैसे मुकेश अब तक कितनी चूत और गांद चोद चुका है तुम्हारा ये मोटा घोड़े जैसा लंड?” मैं भी अब खुल कर उसके साथ चूत लंड गांद बोल रही थी.
“कितनी चूते चोदि है ये तो नही पता पर तुम्हारी एक बार चूत मिल जाए तो मैं जिंदगी भर तुम्हारी गुलामी करता रहुगा. तुम्हारी गांद देख कर तो ऐसा लगता है कि बस सीधा लंड पकड़ कर तुम्हारी गांद मे पेल दू.” कह कर उसने फिर अपनी गंदी सी हँसी हंस दी पर अब मुझे उसकी हँसी गंदी नही लग रही थी. क्यूकी वो मेरी इतनी तारीफ करता जा रहा था. हर औरत की इच्छा होती है कि कोई हो जो उसके हर अंग की तारीफ करे की वो कैसी दिखती है जब वो चलती है तो उसकी बाल खाती हुई लचक मारती हुई कमर लोगो की नींद उड़ा देती है. उसके गांद के दोनो गुंबद जैसे तरबूज जब किसी तराजू की तरह उपर नीचे को होते है तो अच्छे अच्छे आदमियो के ईमान डोल जाते है. छाती के दोनो मस्त गोल उभारो को देख कर तो ऐसा लगता है की बस अभी खोल कर इन्पे अपना मुँह लगा लू और दोनो हाथो से कस कर रगड़ दू. हर औरत ये सब सुनने को बेकार होती है पर होती तो एक औरत ही है इसलिए अपने मन की बात को मन मे रखती है. पर मुकेश और पीनू दोनो ने मेरे पूरे शरीर की इतनी तारीफ की थी कि मैं अपने आप ही बहक गयी. जो तारीफ मैं मनीष के मुँह से अपने लिए सुनना चाहती थी वो आज यहाँ इस कोठरी मे इस बुढहे मुकेश के मुँह से सुनने को मिल रही थी.
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उसके मुँह से अपने लिए तारीफ सुन कर मैं और भी ज़्यादा मस्त हो गयी और मस्ती मे आने के कारण मैने उसके दोनो बॉल्स को भी अपने हाथ से सहलाना शुरू कर दिया. मुझे लग रहा था कि मुकेश का पानी अब निकल जाएगा पर मुकेश बोहोत चालक था उसने बड़ी चालाकी से जैसे ही पानी निकलने वाला होता था वो मेरे हाथ को रोक देने को कहता और थोड़ा पीछे को खिसक जाता था. इस तरह बीच मे रुक जाने से सारा किया धारा बेकार हो जाता और उसका पानी नही निकल पाता. मेरे हाथ मुकेश की गांद पर भी चल रहे थे. मैने मज़े लेने के लिए अपनी एक उंगली मुकेश की गांद मे घुसा दी. मेरे यूँ अचानक गांद मे उंगली घुसा देने से मुकेश बुरी तरह उछल गया. और मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखते हुए बोला “बोहोत शरारती हो तुम” कह कर मुस्कुरा दिया.
उसको मुस्कुराता हुआ देख कर मैं भी मुस्कुरा दी और बोली “मज़ा आ रहा है या नही ?”
“कसम से आज तक इतना मज़ा नही मिला जितना अब आ रहा है. तुम्हारे हाथो मे तो जादू है” कहते हुए वो एक बार फिर से मुस्कुरा दिया. “फूलो से भी नाज़ुक है तुम्हारे ये हाथ. मन तो कर रहा है कि इन हाथो को चूम लू. पर तुम नाराज़ हो जाओगी. हहहे”
अपने बारे मे मुकेश के मुँह से तारीफ सुन सुन कर मैं और भी ज़्यादा उसकी तरफ होती जा रही थी. जिस से मेरा हाथ मुकेश के लंड पर और भी तेज़ी के साथ चल रहा था. और दूसरे हाथ से दो उंगली भी उसकी गांद मे घुस देती थी बीच बीच मे. लेकिन काफ़ी देर तक मुकेश का लंड हिलाने के बाद भी जब मुकेश का पानी नही निकलता है तो मैं बुरी तरह से मुकेश पर फ्रस्टरेट हो जाती हू और उस को झल्लाते हुए कहतू हू कि “तुम गाँव वाले साले सब के सब बीमार हो.. तुम लोगो मे तो वीर्य है ही नही निकलेगा तो जब, जब होगा” कह कर ना जाने क्यू मेरी अपने आप हँसी निकल जाती है.
“मैने तुम्हे बताया ना कि मेरा ऐसे नही निकलता है. जब तक मैं तुम्हारी चूत ना देखु लू तब तक मेरा पानी नही निकलेगा. तुम मेरी तकलीफ़ को समझो ना जब तुम पीनू को दे सकती हो तो मुझे दिखाने मे तुम्हारा क्या घिस जाएगा ? केवल एक बार दिखा दो मेरा अपने आप देख कर आसानी से निकल जाएगा जब तुम इतनी गरम हो तो तुम्हारी चूत तो तुम से भी ज़्यादा गरम होगी और तुम्हारी चूत की गरमी को देख कर मैं महसूस करते हुए अपने आप झाड़ जाउन्गा” कहते हुए वो फिर से एक बार मेरे कदमो मे गिर कर भीख माँगने लग गया. “दिखा दो ना एक बार” वो फिर से एक बार गिड-गिदाया. ज़बरदस्ती वो कर नही सकता था क्यूकी मैने आते ही उसके गाल पर रसीद काट दी थी इस लिए वो केवल मुझसे रिक्वेस्ट कर सकता था और वही वो कर रहा था
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छत पर भी अब लोगो की आवाज़े आना कम हो गया था और मुझे यहाँ पर आए हुए भी काफ़ी वक़्त हो गया था. इस लिए मैं वहाँ से जल्दी से जल्दी निकल लेना चाहती थी. पर ये मुकेश बार-बार मेरे कदमो मे गिर कर मुझसे इस तरह गिड-गीडा कर भीख माँग रहा था और मैं भी पूरी तरह से गरम हो चुकी थी इस लिए मैने मुकेश के लंड को ब्लो जॉब देने की सोची ताकि उसका आसानी से निकल जाए. मैं मुकेश को दीवार के सहारे से खड़ा कर दिया और वही उसके कदमो मे बैठ कर उसके लंड को हाथ मे पकड़ लिया और एक नज़र मुकेश की तरफ देखा वो अब भी मेरी तरफ रहम भरी नज़रो से देख रहा था. उसकी आँखो मे भीख देख कर मैं बोहोत खुस थी.
मैने मुकेश के लंड की खाल को एक झटके से पूरा का पूरा पीछे कर दिया जिस से मुकेश के मुँह से एक दर्द भरी आआआहह निकल गयी “आराम से करो ना” मुकेश के मुँह से जैसे ही ये शब्द निकले मैं मुकेश की तरफ देख कर मुस्कुरा दी और बोली “क्यू मज़ा नही आ रहा है ?”
“मज़ा तो आ रहा है पर थोड़ा आराम से करो ना तो और मज़ा आएगा” मुकेश ने मेरे सर पर अपना हाथ फिराते हुए कहा
“ठीक है आराम से करती हू” कह कर मैने मुकेश के लिंग पर अपनी जीभ फिरा दी.
मेरे झीभ फिरते ही मुकेश के पूरे शरीर मे एक सनसनी की सी लहर फैल गयी. “आहह क्या कर रही हो” मुकेश ने मज़े से अपनी आँखे बंद करे हुए ही कहा.
मैं भी मज़े से मुकेश के लंड को अपने मुँह मे ले कर चुस्ती रही कभी उसके सूपदे पर जीभ घुमाती तो कभी उसके लंड को मुँह मे लेकर चुस्ती. उसका लंड चूसने मे मुझे भी बड़ा मज़ा आ रहा था. मुकेश ने भी अब मेरे सर को पकड़ कर अपने लंड पर कसना शुरू कर दिया जिस से उसका लंड मेरे गले तक आ कर अटक जाता. यूँ ही काफ़ी देर तक मुकेश का लंड चूसने के बाद भी जब मुकेश का पानी नही निकला तो मैं बोहोत बुरी तरह से उस पर खिस्या गयी “तुम्हारे अंदर वीर्य है भी या नही इतनी देर हो गयी मुझे तुम्हारा पानी अभी तक नही निकला. हाथ से भी हिला दिया. ब्लो जॉब भी दे दी फिर भी तुम्हारा पानी नही निकल रहा है.” मैने बुरी तरह से उस पर खिस्याते हुए कहा पर फिर मेरे दिमाग़ मे ना जाने क्या आया कि इस से और मज़े लिए जाए “मैं अब यहाँ नही रुक सकती मैं जा रही हू.” बोल कर मैं खड़ी हो गयी और दरवाजे की तरफ देखने लगी.
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मुकेश ये सुन कर बुरी तरह से चोव्न्क गया. “क्या हुआ जानू अभी तो तुम इतने अच्छे से लंड चूस रही थी फिर यूँ अचानक जाने की बात क्यू कर रही हो ? मैने तुम्हे बताया ना कि मेरे लंड से पानी तभी निकलेगा जब वो तुम्हारी चूत देख लेगा जब तक चूत नही देख लेता ये पानी नही छ्चोड़ता है.” मुकेश ने अपने लंड पर हाथ फिराते हुए कहा.

“अब तुम्हरा पानी निकले या ना निकले मुझे इस से कोई लेना देना नही है. मैं जा रही हू यहाँ से बस.” कह कर मैं वहाँ से वापस मूड गयी. उसने बैठे बैठे मेरे नितंबो को थाम लिया और साड़ी के उपर से ही मेरी योनि पर मूह रगड़ने लगा.



मैं उसकी इस हरकत से हड़बड़ा कर पीछे हट गयी. और उस से बोली “छ्चोड़ो मुझे ये क्या कर रहे हो”

उसने कहा “अब कम से कम च्छू कर उपर से महसूस ही कर लेने दो दिखा तो तुम रही हो नही उपर से ही महसूस कर के मैं तुम्हारी चूत को महसूस कर लू”

मैने उसे कोई जवाब नही दिया उस वक़्त ना जाने मुझे क्या हो गया था कि मैं उसे रोक ही नही पा रही थी. ओर मैं वही किसी पत्थर की मूर्ति के जैसे जम गयी थी. और वो साड़ी के उपर से ही मेरी योनि को चाटने मे लगा रहा. मैं इस समय चाह कर भी खुद से उसको रोक नही पा रही थी जब की मुझे अच्छे से पता था कि अगर मैं बहक गयी तो मेरा खुद का थमना मुश्किल नही ना मुमकिन हो जाएगा. पर ना जाने क्यू मैं उसे नही रोक पा रही थी और वो बराबर मेरी साड़ी के उपर से ही मेरी योनि पर अपना मुँह लगा रहा था.

वक्त जैसे खुद को दोहरा रहा था, जैसा कल हुआ था, वैसा ही आज भी हो रहा था. फ़र्क सिर्फ़ इतना था कि कल पीनू था और आज ये मुकेश. मैं चुपचाप वहाँ खड़ी रही और वो मेरी योनि को कपड़ो के उपर से ही चूमता रहा, मैने खुद को थामने की बहुत कॉसिश की पर मैं मदहोश होती चली गयी. उसके दोनो हाथ मेरे नितंबो को आटे की तरह घूथे जा रहे थे. जिस कारण मेरी मदहोशी और भी बढ़ती जा रही थी. मैं कयि दिनो से चाहती थी कि मनीष मेरे नितंबो को इसी तरह जैसे आज ये बुढहा मुकेश मसल मसल कर दबा रहा है ऐसे ही दबाए.. पर वो ना हो सका और आज हुआ भी तो इस मरियल बुढहे के हाथो से.


थोड़ी देर बाद यूँ ही साड़ी के उपर से योनि को चूमने के बाद वो बोला “जान मज़ा नही आ रहा अपनी साड़ी खोल दो ना.”

पीनू के साथ एक्सपीरियेन्स के कारण मैं खुद ऐसा ही चाहती थी, पर मैं खुद उसके लिए अपनी साडी नही खोल सकती थी. उसकी बात सुन कर भी मैने अनसुनी कर दी.

जिस पर उसने फिर से गिड-गिदाते हुए कहा “प्लीज़ जानेमन खोल दो ना, मज़ा नही आ रहा.”

मेरी साँसे तेज हो गयी, मुझे समझ नही आ रहा था कि क्या करूँ क्या नही. बाहर से लोगो की आवाज़ आनी भी लगभग अब ना के बराबर रह गयी थी एक बार को तो मन मे आया कि अब बाहर निकल जाउ पर मेरे सरीर ने मेरा साथ छ्चोड़ दिया वो इस समय पूरी तरह से बहक गया था.
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मुकेश अपने दोनो हातो से मेरे नितंबो को लगातार मसल रहा था और मेरी योनि पर यहाँ वहाँ मूह रगड़ रहा था. उसकी इस हरकत से मेरी हालत और भी ज़्यादा कराब होती जा रही थी.

मुकेश ने फिर से कहा “थोड़ा खोल दो ना तुम्हे और ज़्यादा मज़ा आएगा कल जो मज़ा पीनू ने तुम्हे दिया था उस से भी ज़्यादा मज़ा आएगा तुमको”

मैने झीज़कते हुए मुकेश से कहा “तुम खुद ही खोल लो ना “

मुकेश समझ गया था वो पक्का खिलाड़ी था इन सब मामलो मे उसने मेरी तरफ सर उठा कर मुस्कुराते हुए देखा और बोला “ना बाबा ना, तुम खुद ही खोलो. मैं खोलूँगा तो ऐसा लगेगा कि मैं तुम्हारे साथ ज़बरदस्ती कर रहा हू. और अगर कल को तुमने मुझे रॅप केस मे अंदर करा दिया तो. इस लिए तुम खुद ही अपनी मर्ज़ी से अपने आप अपनी साड़ी खोलो” मुकेश के हाथ अब भी बराबर मेरे दोनो नितंबो को आटे की तरह से मसले जा रहे थे.

मैं ना चाहते हुए भी बहकति चली गयी. उसका मुँह अब भी बराबर साडी के उपर से मेरी योनि पर अपना जादू डाल रहा था.उसने फिर से अपने सर को उपर उठा कर कहा “प्ल्ज़ खोल दो ना अपनी साडी”

मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा था कि क्या करू क्या ना करू मैं इस समय बोहोत बुरी तरह से फँस चुकी थी बाहर जाने का रास्ता एक दम सॉफ हो गया था पर मेरा सरीर इस समय मेरे काबू मे नही था. मैने अपनी दोनो आँखे बंद कर ली और अपने हाथो से अपनी साडी को खोल दिया. उस समय मैं अंदर ही अंदर थोड़ा घबरा भी रही थी कि कही कोई आ गया तो क्या होगा पर उस से ज़्यादा मैं मदहोश हो गयी थी और यही सब सोचते हुए मेरी साडी मेरे सरीर से अलग हो चुकी थी अब मैं सिर्फ़ पेटिकोट और ब्लाउस मे रह गयी थी.

साडी के हटते ही उसने कहा “ये हुई ना बात अब आएगा असली मज़ा. आज मैं तुम्हे जवानी का असली मज़ा दुगा जो पीनू ने भी तुम्हे नही दिया होगा. आज उस से भी ज़्यादा मज़ा आएगा तुम्हे” मैने अपनी आँखे खोल कर देखा तो वो मुस्कुरा रहा था और मेरी योनि की तरफ ही देखे जा रहा था. “जवानी का असली मज़ा लेने के लिए तुम्हे एक काम और करना पड़ेगा बस अपने पेटिकोट का ये नाडा और खोल दो”

मुकेश के हाथ अब भी बराबर मेरे नितंबो को मसले जा रहे थे. नितंबो को मसल्ते मसलते ही उसने अपनी एक उंगली मेरी गांद के छेद पर रख कर पेटिकोट के उपर से ही अंदर कर दी. मेरे मुँह से एक हल्की मस्ती भरी आआहह निकल गयी.

मैं पूरी तरह से मदहोश हो कर अपनी दोनो आँखे बंद किए हुए उसके द्वारा मसले जा रहे नितंबो का मज़ा ले रही थी.

वो फिर से बोला “जानेमन अपने पेटिकोट का नाडा और खोल दो ताकि तुम्हे जवानी का असली मज़ा दे सकु”

उसकी बात सुन कर मैं बुरी तरह से उस पर झल्ला गयी. “तुम अपने आप नही खोल सकते हो क्या ?” पर हक़ीकत मे मैं यही तो चाहती थी की वो मुझसे खुद मेरे एक एक कपड़े उतारने की भीख माँगे जैसे वो अभी माँग रहा है
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उसके यूँ बराबर मेरी योनि को चूमने से मैं और भी ज़्यादा बेचैन होती जा रही थी. पता नही मुझ पर उसके चूमने का क्या असर हुआ कि मैं खुद को नही रोक पाई और एक ही पल मे मैने अपने पेटिकोट का नाडा खोल दिया. नाडा खुलते ही मेरा पेटिकोट उतर कर सीधा मेरे पैरो मे जा गिरा.
मेरा पेटिकोट उतरते ही मैं उसके सामने नीचे से पूरी नंगी हो गयी. मैने उस वक़्त पॅंटी नही पहनी हुई थी. ”तू सच मे बोहोत अच्छी है” उसने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए कहा.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और अपनी आँखे बंद कर ली. मुकेश ने मेरी योनि की दोनो पंखुड़ियो को फैलाया और फैला कर मेरी योनि को कुत्ते की तरह चाटने लगा. उसके थूक से मेरी योनि जो पहले से ही पूरी गीली थी और भी ज़्यादा गीली हो गयी. मैं मन ही मन सोच रही थी कि ये सब मुकेश ने कहाँ से सीखा इतने अच्छे से तो मनीषने भी नही चाती थी मेरी पर इसने तो कमाल ही कर दिया.
मुकेश नीचे मेरी योनि की पंखुड़ियो को अपने होंठो मे दबा कर चूस रहा था कभी वो एक तरफ की तो कभी दूसरी तरफ की… उसके ऐसे चूसने से मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं सब भूल गयी थी कि मैं कहाँ हू और क्या हू. बस दिमाग़ मे जो चल रहा था वो था मुकेश का मेरी योनि को चूसना. मज़े मैं होने के कारण मैने अपने दोनो हाथ मुकेश के सर पर टिका दिए.
थोड़ी देर योनि चूसने के बाद उसने अपना सर वहाँ से हटा कर मुझसे पूछा कि “मज़ा आ रहा है ?”
मज़ा तो मुझे इतना आ रहा था कि मैं बता नही सकती पर मैं उसे इस बात का एहसास नही होने देना चाहती थी. “मुझे नही पता और तुम जल्दी से अपना पानी निकालो और मुझे जाने दो यहाँ से”
“तुम कैसी बात करती हो.. अभी तो शुरुआत की है और तुम कहती हो कि जल्दी से अपना पानी निकाल लो.. मेरे लंड का क्या होगा जो कब से तेरी चूत मे घुस कर पानी निकालने के लिए बेताब हुआ बैठा है.” मुकेश ने अपनी उंगली से मेरी योनि के भज्नसे को मसलते हुए कहा. उसे अच्छे से पता था कि उस को मसलने से औरत अपने काबू मे नही रहती है इस लिए वो बार बार कभी अपने जीब से तो कभी होंठो से तो कभी हाथ से मेरे उस दाने को छेड़े जा रहा था.
मुकेश की इस हरकत से मेरी साँसे और भी ज़्यादा तेज़ी के साथ चलने लग गयी.. बाहर से आती हुई खत-पट की आवाज़ से मेरे दिल की धड़कने और बढ़ गयी थी. “मुकेश कोई आ नही जाए यहा पर मुझे बोहोत डर लग रहा है” मैने अपने दिल की बात मुकेश को बता दी.
“अरे कोई नही आता मेरी रानी यहा पर तू तो बेकार मे डर रही है.” मुकेश भी अब खुल कर बोल रहा था मेरी योनि को चाटने के बाद उनमे जैसे हिम्मत आ गयी हो. ये कह कर वो फिर से मेरी पर मुँह लगा कर उसे चूसने लग गया. उसकी जीब मेरी योनि पर हर जगह घूम रही थी और उस जगह को इस तरह से चाट रही थी कि मुझे मेरे शरीर मे एक अजीब सी बेचैनी होने लग जाती थी. मुकेश के योनि चूसने मे मुझे पीनू और मनीष से भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था. मेरा मन कर रहा था की अपनी पूरी योनि उसके मुँह मे घुसा दू. और मैं ऐसा ही करती कि उस से पहले ही उसने अपना मुँह योनि से हटा लिया..
उसकी इस हरकत से मैं अपनी आँखे खोल कर देखी तो वो वहाँ से हट कर खड़ा हो गया था और अपना लंड पकड़ कर हाथ मे ले कर मुस्कुरा रहा था. मुझे अपनी तरफ यूँ एक तक देख कर बोला “मुझसे अब रुका नही जा रहा है देख मेरा लंड भी कैसे खड़ा हो कर तेरी चूत मे जाने के लिए बेकरार हो रहा है,, बता डाल दू अंदर तेरी चूत मे ?”
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मैं चुप चाप खड़ी सोच ही रही थी कि क्या जवाब दू उसको समझ ही नही आ रहा था कि क्या कहु क्या ना कहु. अभी मैं उसको कुछ कहती उस से पहले ही वो मेरे एक दम करीब आ गया जिस वजह से उसका मोटा काला लंड मेरी योनि से टकरा गया. उसके लंड को अपनी योनि पर महसूस करते है मुझे मेरे शरीर मे बिजली का एक झटका सा लगा और मैं अपने आप पीछे की तरफ हट गयी.
मुझे पीछे की तरफ हट ता हुआ देख कर वो बोला “रानी मेरे लंड को भी तेरी चूत को चूम लेने दे इसका भी मन बहाल जाएगा कब से तेरी चूत को चूमने के लिए बेकरार है.”
उसकी बात सुन कर मेरे चेहरे पर अपने आप एक मुस्कान सी आ गयी उसको यूँ अपने आगे भीख माँगता हुआ देख कर मुझे अच्छा लग रहा था. पर मैने मज़े लेने के लिए उस से कहा कि तुम्हे शर्म नही आती अपनी बेटी/बहू जैसी उमर की लड़की से इस तरह की गंदी गंदी बात करते हुए”
“शर्म कैसी और तुम से अगर शर्म करता आज तुम्हारी रसीली चूत का स्वाद कैसे चखता सच मे आज तक इतनी रस भरी चूत नही चखि” कह कर वो फिर से मेरे करीब आ गया जिस से उसका लिंग दोबारा से मेरी चूत से टकरा रहा था.
मैं दोबारा से उसका लंड छूते ही पीछे को हट कर उस से बोली “देखो मुकेश या ठीक नही है मैं एक शादी शुदा औरत हू और मेरा इस तरह से तुम्हारे साथ ये सब करना ठीक नही है… मैं मनीष को धोका नही दे सकती हू.”
“ये अजीब बात है मतलब तू उस लौंदे पीनू को दे सकती है.. उस से अपनी चूत और गांद मरवा सकती है और मुझे देने मे तुम्हे परेशानी हो रही है” कहते हुए मुकेश फिर से मेरे करीब आ गया.
उसकी बात सुन कर मैं उसे कुछ नही कह पाई. वो सही कह रहा था जब मैने पीनू को दे दी तो इसे देने मे क्या हर्ज है और वैसे भी इसका पीनू जितना बड़ा भी है और अच्छे से भी चुसाइ करता है.
वो फिर से मेरे एक दम नज़दीक आ गया था. मेरे शरीर पर कपड़ो के नाम पर केवल एक ब्लाउस था बाकी मेरी साड़ी और पेटिकोट ज़मीन पर पड़े हुए थे. मुकेश के साथ चुदाई का ख़याल आते ही मुझे पूरे शरीर मे रोमांच की एक लहर दौड़ती हुई महसूस होने लग गयी. पर मैं चाहती थी कि मुकेश अभी थोड़ा और तडपे और मुझसे ब्लाउस को भी उतारने को कहे. और हुआ भी बिल्कुल ऐसा ही
“अपना ब्लाउस उतार ना मुझे तेरे संतरे देखने है कब से तेरे संतरे देखने को बेचैन हू और तूने अभी तक संतरे नही दिखाए है. दिखा दे ना जल्दी से संतरे अपने फिर असली खेल शुरू करू तेरे साथ” मुकेश ने मुझसे फिर से रिक्वेस्ट करते हुए कहा.
“अरे इन संतरो को बाद मे देख लेना और पहले अपना जल्दी से हिला कर पानी निकाल लो मुझे अब जाना है यहाँ से” मैने फिर से उसे और तड़पाते हुए कहा.
तभी बाहर से फिर लोगो के जमा होने की आवाज़े आने लगी. बाहर से जैसे जैसे अंदर आवाज़े आ रही थी मेरे दिल की धड़कने भी बढ़ती जा रही थी. मेरा दिल बुरी तरह से ये सोच कर काँप रहा था कि अगर कोई इस समय यहाँ पर आ गया तो मैं बुरी तरह से फँस जाउन्गि और मनीष…. क्या सोचेगे मेरे बारे मे..? यही सब मेरे दिमाग़ मे चल रहा था कि तभी मुकेश फिर से बोला “दिखा दे ना अपने संतरे एक बार”
मैने भी सोचा कि इस से पहले की कोई यहा अंदर आ जाए इसे दिखा कर शांत कर देना ही अच्छा है. मैने उसे थोड़ा दूर खड़ा होने को कहा और एक अदा के साथ धीरे धीरे अपने ब्लाउस के बटन खोलने लगी.. मुकेश किसी ललचाए हुए कुत्ते की तरह मुँह फाडे मेरे सीने पर ही अपनी नज़ारे जमाए हुए खड़ा था.
जैसे जैसे मेरे ब्लाउस का एक एक बटन खुलता मुकेश का मुँह भी उतना बड़ा खुलता जा रहा था. थोड़ी ही देर मैं मैने अपने ब्लाउस को भी अपने शरीर से अलग कर दिया. मेरे शरीर पर अब केवल एक ब्रा ही बची थी. जिसे देख कर मुकेश बोला “अरे रानी इसे को भी उतार दो देखु तो सही इन संतरो मे कितना रस भरा हुआ है हहहे” मुकेश की बात सुन कर मैं बुरी तरह से शर्मा गयी. मैने मुकेश से कहा “तुम खुद ही उतार कर देख लो”
“सच कहु तो गाँव मे ये इस तरह की बनियान कोई ना पहने है इस लिए इसे कैसे उतारे है मुझे पता ही नही है तुम ही अपने आप उतारो” उसकी बात सुन कर मुझे थोड़ा सा गुस्सा आ गया “तुम्हे वैसे सब आता है कि कैसे क्या करना है और ब्रा उतारना नही आता है.. एक नो के हरामी कामीने इंसान हो तुम”
मेरे मुँह से अपने लिए गाली सुन कर वो फिर से मुस्कुरा दिया और बोला “अब जैसा भी हू मैं और मेरा लॅंड तेरा देवाना है अब जल्दी से उतार दो इस बनियान को और इन मस्त से संतरो के रस का मज़ा लेने दो पता तो चले कि तेरी चूत से ज़्यादा टेस्टी है या ऐसे ही
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.मैने फिर से बड़ा इठलाते हुए उसे जलाते हुए अपनी ब्रा भी उतार दी. और अपनी दोनो चुचियो को अपने हाथ मे ले कर खुद ही दबा दबा कर उसे चिढ़ाने लग गयी.
वो बला की फुर्ती के साथ एक दम से मेरे पास आ गया और मेरे हाथ के उपर से ही उसने अपने दोनो हाथ रख कर मेरे उरोजो को मसलना शुरू कर दिया. वो इतनी बुरी तरह मसल रहा था कि मेरे हाथ मे भी दर्द होने लग गया तो मैने अपने हाथ हटा लिए और अब वो मेरे दोनो उभारो को मसलने मे लग गया.
यूँ तो मेरे उभारो को मनीष भी खूब मसलते है और पीनू ने भी खूब मसला था पर मुकेश के हाथो मे जैसे जादू है उसे पता है की औरत के उभारो को कैसे और कितने ज़ोर से मसलना चाहिए जिसे उसे मज़ा आने लगे. अचानक उसने मेरे उरोजो को इतनी ज़ोर से दबा दिया कि मेरे मुँह से चीख निकलते निकलते रह गयी… “आअहह…. आरामम्म से दबाओ “ मेरे मुँह से केवल कितना ही निकला और मैने मज़े के कारण फिर से अपनी आँखे बंद कर ली.
“आराम से तो कुछ नही होगा मेरी जान तुझे मज़े लेने है तो थोड़ा ज़ोर से तेरे चुचियो को दबाना पढ़ेगा बड़ी टाइट चुचिया है तेरी, आज तक मैने ऐसी चुचिया नही दबाए है अपनी जिंदगी मे” उसने बेशर्मी से हस्ते हुए कहा.
“मुझे कोई मज़े नही लेने हट जाओ, और जाने दो मुझे यहाँ से” मैने गुस्से मे उस से कहा मुझे डर लग रहा था कि कही कोई हमारी आवाज़ सुन कर यहाँ आ ना जाए. “अरे रुक ना चल अच्छे से दबाता हू” कह कर वो अलग अलग तरह से बेदर्दी के साथ मेरे दोनो उरोजो को मसलता रहा. उसके इस तरह अलग-अलग तरह से उरोज को दबाने से मुझे सच मे एक अलग ही मज़ा आ रहा था. मुझे मेरे उभारो मे एक अजीब तरह की बेचैनी हो रही थी, जो मुझे आज तक कभी महसूस नही हुई थी… ऐसा लग रहा था जैसे मेरे दोनो उरोज उसके हाथो के लिए ही बने है और उन हाथो को आज पा कर उनकी ख़ुसी का ठिकाना ही नही रहा था.
उरोज दबाते दबाते ही उसने एक उभार के निपल को अपने मुँह मे ले लिया… उसके निपल मुँह मे लेते ही इतनी देर से जो आअहही मैने रोक कर रखी थी. वो निकलने लग गयी.जिसे सुन कर वो अपने मुँह से निपल निकाल कर वो बोला “ये हुई ना बात तुझे ऐसे ही आवाज़ करते हुए मज़े लेने चाहिए कोई बात नही अभी तो शुरुआत है..हहहे”
उसकी बात सुन कर मैने फॉरन उसके सर से हाथ हटा लिया और खुद पर काबू पाने की कोसिस करने लगी… “अरे हाथ क्यू हटा लिया रख ले आराम से रख ले मुझे भी अच्छा लगा रहा है तेरे हाथ अपने सर पर घूमते हुए” पर मैने वापस उसके सर पर हाथ नही रखा,,,, क्यूकी मैं उसे फिर से खुद पर हंसते हुए नही देखना चाहती थी.
वो बारी बारी से मेरे दोनो निपल को अपने मुँह मे ले कर चूस्ता रहा और मैं चुप-चाप उसके चुसाइ करने से मदहोश हो कर मज़े लेने लगी. “तेरे अंगूर बोहोत मीठे है शहद भर रखा है तूने इसमे. मज़ा आ गया आज तक इतने मीठे अंगूर नही चखे मैने” उसकी बात सुन कर मैं शर्म से लाल हो गयी.
थोड़ी देर और मेरे उभारो को दबा कर चूसने के बाद वो वहाँ से हट गया और मेरी टाँगो के नीचे आकर बैठ गया. उसने अपना एक हाथ मेरी योनि पर फिराया और अपना मुँह मेरी योनि पर वापस लगा कर उसे चूसने लग गया. मैं फिर से बोहोत बुरी तरह से मदहोश होने लग गयी और इसी मदहोशी मे होने के कारण मैने अपने हाथ उसके सर पर रख कर उसके सर को सहलाने लग गयी. थोड़ी देर तक योनि चूसने के बाद वो हट गया. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि अब वो क्या करना चाहता है.
हम दोनो ही उस कमरे मे एक दम नंगे थे उसका लिंग मेरी आँखो के सामने झूल रहा था जिसके नीचे उसके टटटे भी लटक रहे थे. मैं उसके लिंग को सहमी सहमी नज़रो से देख रही थी. पीनू का लिंग अंदर ले कर दर्द हुआ था आज भी क्या वैसा ही दर्द होगा यही सोच सोच कर मेरी हालत खराब होती जा रही थी.
मुकेश ने मुझे मेरी सदी को ज़मीन पर बिछा कर उस पर लिटा दिया और खुद मेरी दोनो टाँगो के बीच मे आ गया. उस समय मैं एक दम डर गयी थी पता नही आगे क्या होने वाला है सोच कर ही मेरी आँखे अपने आप बंद हो गयी. उसने अपने लिंग को हाथ मे लिया और बोला “आज तो मेरे लंड को गाँव की सबसे हसीन चूत मिलेगी.. आज तो मेरे लंड के नसीब खुल गये जो इतनी प्यारी हसीना की हसीन चूत मे जा रहा है.” उसके मुँह से ऐसी बाते सुन कर मैने शरम से अपने चेहरे को अपने हाथो मे ले कर छुपा लिया.
“अरे रानी ऐसे शरमाने से काम नही चलेगा अरे देखो तो सही मेरा लंड तुम्हारी चूत को देख कर कैसे लार टपका रहा है” मैने अपनी आँखे खोल कर देखा तो उसके लंड से सच मे कुछ पानी की बूँद निकल रही थी. मैं इसके बारे मे जानती थी मनीष के साथ साथ पीनू ने भी मुझे अपने लिंग से ऐसे ही पानी की बूँद निकलते हुए दिखाई थी, उसी समय मुझे पता चला था कि लंड से पानी की ऐसी बूँद भी निकलती है
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“एक बात पुछू सच सच बताना” उसने मेरी तरफ गौर से देखते हुए कहा. मैने भी हां मे सर हिला कर उसे पूछने की सहमति दी..”तेरा मन तो है ना मेरा लंड लेने का ?” उसकी बात सुन कर मैं बुरी तारह हैरान रह गयी उस से मुझे इस सवाल की ज़रा भी उम्मीद नही थी. शुरू से आख़िर तक वो खुद ही मेरे पीछे पड़ा हुआ था अब मुझसे पूछ रहा है. मेरी कुछ समझ नही आ रहा था कि उसको क्या कहु.. वो बराबर अपने लंड को हाथ मे लेकर चूत को देख कर हिलाए जा रहा था.
मुझे इस तरह खामोश देख कर वो फिर से बोला “बता ना रानी तेरा मन है ना मेरे लंड से चुदने का… तुझे अपनी चूत मे मेरा लंड चाहिए ना तेरी चूत भी मेरे लंड को खा जाने के लिए बेताब हो रही है.?” उसकी इस तरह की बात सुन कर मैं बोहोत गुस्से मे आ गयी एक तो बाहर लोगो का शोर बढ़ता जा रहा था और वो था कि नोटॅंकी कर रहा था. “मैं कुछ नही करना चाहती हू और तुम अपना काम करो”
मेरी बात सुन कर वो मुस्कुराते हुए बोला “तू झूट बोल रही है रानी.. मुझे पता है तू मेरे लंड को अपनी चूत मे लेना चाहती है. देख कैसे तेरी चूत भी मेरे लंड को देख कर लार बहाए जा रही है उसे खा जाने के लिए”
“जब तुझे सब पता ही चल रहा है तो तू मुझसे क्यू पूछ रहा है” मैने गुस्से मे उसकी तरफ देखते हुए कहा.
“बस तेरे मुँह से सुन कर पक्का करना चाहता था कि तेरा मन भी सच मे मेरे लंड को अपनी चूत मे लेने के लिए बेताब हो रहा है.” उसने फिर से गंदी हँसी हस्ते हुए कहा. मैने उसे देख कर बुरा सा मुँह बना लिया जिस पर वो बोला “अब जब तेरा इतना मन हो रहा है मेरा लंड लेने का तो तेरी चूत मार ही लेता हू..हहहे”
“ऐसा है मुझ पर ये बेकार के इल्ज़ाम लगाने की कोई ज़रूरत नही है मेरा कोई मन नही है तेरा लंड लेना का बुढहे समझा कि नही” मैने उसे गुस्से मे बुरी तरह से डाँट ते हुए कहा.
“अच्छा ऐसी बात है तो अभी देख लेते है कि तेरा मन है कि नही” कहते हुए उसने अपनी एक उंगली अचानक से मेरी योनि के अंदर घुसा दी. मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गयी उसकी उंगली यूँ अचानक से योनि मे जाते ही. और मेरे मुँह से दर्द भरी हल्की सी आह निकल गयी जिसका साफ मतलब था कि मैं बुरी तरह से गर्म हो चुकी हू.
“ये देख तेरी चूत क्या कह रही है” उसने अपनी उंगली योनि से निकाल कर मुझे दिखाई और बोला “अब बता की तेरा मन है कि नही”
उसकी बात को सुन कर मैं एक दम असहाय हो गयी “क्या तुम्हारा मन नही है ?” मैं उसी आवाज़ मे उस से कहा.
“अरे मेरी रानी मेरा तो इतना मन है कि बस पूछे मत… सारा दिन सारी रात बस तुझे ही चोदता रहू. बस तेरे मुँह से सुनने मे अच्छा लगता है या ये समझ ले कि मुझे चुदाई करते हुए झिझक ज़रा भी पसंद नही है. इसलिए तेरी झिझक खोल रहा था. अगर तुझे मेरी बात का बुरा लगा हो तो मैं तुझसे माफी माँगता हू.” कह कर वो मुस्कुरा दिया.
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मैं उसकी तरफ हैरान हो कर देखे जा रही थी… “ऐसे क्या देख रही है अरे जब तक तू नही कहेगी तब तक तेरी चूत मे नही डालुगा.” उसकी बात सुन कर मैं शर्मा गयी. मैं अच्छे से जानती थी कि वो लंड घुसाने के लिए बेताब बैठा हुआ है पर जान बुझ कर ऐसी बाते कर रहा था. मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया. मैं देखना चाहती थी कि वो क्या कहता है और क्या करता है.
“अरे बोल ना क्या करू ? जब तक तू नही बोलेगी मैं यूँ ही बैठा रहुगा.” उसकी बात सुन कर मैने मन ही मन उसे हज़ारो गालिया दे डाली.. मैं समझ नही पा रही थी कि वो ऐसे क्यू कर रहा है अभी तो उसका बोहोत मन कर रहा था मरा जा रहा था और अब एका एक यूँ नोटॅंकी शुरू कर रहा है..
इधर मेरे अंदर आग लगी हुई थी और दूसरा बाहर से आ रही आवाज़े मुझे लगातार परेशान कर रही थी.मैने झिझकते हुए उस से कहा “जैसा तुम चाहते हो जल्दी कर लो बार बार मुझ से क्यू पूछते हो.. जल्दी से करो जो भी करना है कोई आ गया तो मेरी बात को समझो”
“हहे मैं तो तेरी चूत और गांद मारना चाहता हू मार लू ?” मैने गुस्से से कहा “तो मार ले ना फिर बार बार क्यू पूछ रहा है” मैने ये कह तो दिया और ये कहने के बाद मुझे ध्यान आया कि मैने क्या कह दिया है. मैने उसे अपने आप अपना पूरा शरीर सोन्प दिया..
“हहे.. अब तुम इतना ज़ोर देकर मुझे अपनी चूत मारने को मजबूर कर रही हो तो मैं मार ही लेता हू तुम्हारी चूत को..” बुढहा अपनी गंदी हँसी हस्ते हुए बोला “पर एक वादा करो कि तुम चुदाई करते समय मेरे साथ खुल कर मज़ा लोगि भी और दोगि भी, बिना किसी बात की चिंता फिकर करते हुए”
“तुमको मेरे मज़े से क्या लेना देना तुम अपना काम करो जल्दी से इस से पहले की कोई यहाँ पर आ जाए” मैने उसे जल्दी से करने को कहा.
“कितनी चुदाई की है तुमने ? तुम्हे पीनू ने नही बताया कि चुदाई करते हुए अपने से ज़्यादा लुगाई का ख़याल रखना पड़ता है चोद्ते हुए” मुकेश ने मुझे किसी सेक्स टीचर के जैसे समझाते हुए कहा. पर जो भी उसकी ये बात मुझे दिल पर लग गयी. मुझसे अब बर्दाश्त करना मुश्किल होता जा रहा था मेरी योनि बुरी तरह से लंड के लिए बिलख रही थी. इस लिए मैने खुद ही बोल दिया..”तुम शुरू करो मैं खुद बा खुद तुम्हारा साथ देना शुरू कर दुगी.” अब उसे क्या मालूम था कि मैं जब पूरे जोश मे आ जाती हू तो खुद को काबू करना बोहोत मुश्किल हो जाता है.
उसने अपनी लंड को मेरी योनि के छेद पर रख दिया और बोला “देख रानी कितने प्यार से दोनो एक दूसरे को चूम रहे है” मुकेश के लंड को अपने छेद पर महसूस करके मेरे पूरे सरीर मे एक सनसनी की सी लहर दौड़ गयी. मैने इस को महसूस करते ही अपनी आँखे बंद कर ली और उसके गरम गरम लंड को योनि के छेद पर महसूस करने लगी. जिस कारण मेरे मुँह से हल्की हल्की मादक सिसकारिया निकलने लग गयी
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“अरे वाह तू तो अभी से मज़े लेने लग गयी. हहहे तेरा यूँ मज़े लेना मुझे बोहोत अच्छा लग रहा है आज तो तुझे खुल कर मज़े करवाता हू.”

“ये सब तुम्हारे कारण हो रहा है जो मैं इस हालत मे आ गयी हू” मैने उसके गले मे हाथ डाल कर उसे अपनी तरफ खींचते हुए कहा.
“मैं तो तेरे हुस्न का दीवाना हो गया हू जब से तुझे देखा है तब से कुछ और चीज़ दिखाई ही नही दे रही थी बार बार आँखो के आगे तेरे मद मस्त संतरे और तेरी मटकती लचकति बलखाती हुई गांद आँखो के आगे घूम जाती थी. बस एक बार तेरे को दिल भर के चोदना चाहता हू.”
मैं मुकेश से कहना चाहती थी कि आराम से करे ताकि मुझे दर्द ना हो. वरना दर्द के कारण अगर मेरी आवाज़ बाहर चली गयी और किसी ने सुन ली तो बोहोत दिक्कत हो जाएगी. पर मुझे मुकेश से कुछ भी कहने की ज़रूरत नही पड़ी. मुकेश ने बोहोत धीरे धीरे से अपना लंड अंदर डालना शुरू किया. मुकेश का लंड भी थोड़ा मोटा और लंबा था जिस कारण मुझ दर्द तो हो रहा था पर वो इतने प्यार से अंदर कर रहा था कि वो दर्द मैं आराम से सहन कर सकती थी. जबकि पीनू तो बिना मेरे दर्द की चिंता किए ही अपना मोटा लिंग घुसा देता है.
अपना आधा लिंग अंदर करने के बाद मुक्केश बोला “जानेमन दर्द तो नही हो रहा है ना तुम्हे.”

मुझे ना जाने क्या हो गया था, मैने उसकी तरफ प्यार से देख कर कहा, “नही, तुम अपना लिंग पूरा डाल दो, मैं दर्द झेल लूँगी.”

ये सुनते ही उसने एक झटके में पूरा लिंग मेरी योनि में घुसा दिया.

मैं अब दर्द से चीन्ख पड़ी आआआआययययययययीीईईईईईईईईईईईईइमाआआआआआआ पर उतना तेज नही जिस से कोई मेरी आवाज़ बाहर से सुन कर अंदर आ जाए.. मैने मुकेश से तरफ दर्द भरी आवाज़ मे कहा “मैने एक साथ तो पूरा अंदर घुसाने को नही कहा था.”

वो बेशर्मी से अपने दाँत दिखाता हुआ बोला ”तुमने ही तो कहा था कि मैं झेल लूँगी.”

मैं उसकी बात सुन मारे शरम के ज़मीन मे गढ़ गयी. पता नही मुझ पर उस समय कैसा खुमार च्छा गया था कि बजाए उसको कुछ बोलने को मैने उसकी तरफ मुस्कुराते हुए बोली.. “तुम बहुत बदमाश हो.”
वो भी अपने दाँत दिखाते हुए बोला “वो तो मैं हू, तुम्हारी चाची भी यही कहती है पर मैं जैसा भी हू तेरा देवाना हू.”
मुकेश पूरा मेरे उपर झुक गया, और अपने होंठो को मेरे होंठो पर रख दिया. उसके मुँह से शूकर था कि कोई बदबू नही आ रही थी इस लिए मैने भी उसको मना नही किया और वो मेरे होंटो को किस करने लग गया.
इस समय उसका लिंग पूरा का पूरा मेरे अंदर समाया हुआ था. और वो उसी तरह अपने लिंग को अंदर किए हुए ही मेरे होंठो को किस कर रहा था ये एहसास मुझे और भी ज़्यादा पागल कर रहा था. जिसका नतीजा ये हुआ कि मुझे खुद पर काबू पाना मुश्किल हो गया और मैं भी उसके किस का जवाब उसके होंठो को किस करके देने लग गयी. ये पल ऐसा था कि मैं सब कुछ भूल चुकी थी की मैं कहाँ पर हू और क्या हालत है. वहाँ की स्थिति से पूरी तरह बेख़बर हो कर मैं उस बूढ़े मुकेश के साथ सेक्स का मज़ा ले रही थी
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थोड़ी देर बाद मुकेश मेरे होंठो को किस करना छोड़ कर अपना सर उठा कर मेरी तरफ देखते हुए बोला.. “तो जानेमन अब चुदाई का खेल शुरू किया जाए”.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और उसकी तरफ देख कर सिर्फ़ एक अदा के साथ मुस्कुरा दी..
मुकेश अच्छी तरह से जानता था कि किस तरह औरत को पूरी तरह से तडपाया जा सकता है.. इसी लिए वो बेशर्मी से मेरे चेहरे को अपने हाथ मे लेते हुए बोला कि, “ जाने मन बताओ ना, चुदाई का खेल शुरू किया जाए ?”
मैं भी अब बुरी तरह से तड़प रही थी इस लिए मैने उस से शरमाते हुए कहा “अब जल्दी करो जो करना है, कोई आ गया तो हम मुशिबत में फँस जाएँगे. बाहर लोगो की चहल पहल भी बढ़ती जा रही है.”
वो मुस्कुराते हुए बोला, “ठीक है जानेमन जैसा तुम चाहो” ये कह कर उसने अपना पूरा लिंग बाहर खींच लिया.केवल उसके लिंग का उपर का भाग ही अंदर रह गया था.
उसके इस तरह से लिंग को बाहर निकालने से मैं बुरी तरह से चोव्न्क गयी “अब क्या हुआ निकाल क्यू लिया ?”
वो मेरी हालत देख कर मुस्कुराते हुए बोला “कुछ नही ये एक बोहोत ही मजेदार प्यारा खेल है, थोड़ी ही देर मे तुम अपने आप समझ जाओगी”
“मुझे कोई खेल नही खेलना है… तुम जल्दी से करो ओर मुझे फ्री करो इस से पहले की छत पर भीड़ बढ़े” मैं बुरी तरह से तड़प रही थी सेक्स के लिए और उसे खेलने की पड़ी हुई थी इसलिए मैने उसपर झल्लाते हुए कहा.
“अरे मेरी जान तुम तो बेकार मे नाराज़ हो रही हो मैने कब मना किया कि मैं तुम्हारी चुदाई नही करूगा… हम दोनो के बीच मे चुदाई होगी पर एक अलग तरह से देखो मैं अपना पूरा लंड निकाल कर वापस जब तेरी चूत मे घुसाउन्गा तो तुझे बोहोत मज़ा आएगा”
उसने एक झटके में पूरा लिंग मेरी योनि में घुस्सा दिया मई फिर से छींख उठी, आआआयययययययीीईईईई…अहह ज़रा धीरे से मुकेश, मुझे दर्द हो रहा है.
वो उसी तरह अपनी बत्तीसी निकालते हुए बोला “सॉरी-सॉरी जाने मन मुझे ध्यान ही नही रहा. कि तुम्हारी चूत को अभी मोटे और लंबे लिंग झेलने की आदत कम है”
उसने फिर से लिंग बाहर निकाल कर धीरे से मेरे अंदर घुस्साया और अपने चेहरे को मेरे चेहरे के एक दम नज़दीक लाते हुए बोला.. “अब बताओ जाने मन इस तरह तो तुम्हे दर्द नही हो रहा है ये तरीका ठीक है.”
सच मे उसने जिस तरह से इस बार अपने लिंग को अंदर किया मुझे ज़रा भी दर्द नही हुआ पर मैने उसे ना तो हां मे जवाब दिया और ना ही ना मैं बस अपनी आँखे बंद करके उसके लिंग को अपने अंदर महसूस करने लग गयी.
उसने मेरे चेहरे एक दम नज़दीक आते हुए मेरे गले को चूमते हुए फिर से पूछा “बताओ ना जानेमन ये तरीका तो ठीक है ना अब तो तुम्हे कोई दर्द नही हो रहा है ना ?”
मैने शरमाते हुए अपना सिर हां मे हिला दिया.
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थोड़ी देर तक मुकेश यूँ ही करता रहा और मेरी बेचनि बढ़ती चली गयी. हम दोनो की साँसे इस समय बोहोत तेज़ी के साथ चल रही थी.. एक तो गर्मी का मौसम और उपर से इस दोपहरी मे सेक्स से हम दोनो का शरीर पूरी तरह से पसीने से नहा चुक्का था.
फिर अचानक मुकेश अपना लिंग पूरा मेरे अंदर घुस्सा कर रुक गया और बोला “ सच मे अपनी पूरी जिंदगी मे मैने आज तक इतनी हसीन और प्यारी मजेदार चूत नही मारी कितनी मजेदार है तेरी चूत कि बस मज़ा आ रहा है, तुम्हे कैसा लग रहा है मज़ा तो आ रहा है ना तुम्हे.?”
मैं तो पूरी तरह से सेक्स के खेल मे खो गयी थी पर उसके इस तरह बीच मे रुक जाने से मुझे कुछ अच्छा नही लगा इस लिए मैने अपनी आँखे खोल के उसकी तरफ घूर कर देखा तो वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दिया. मेरे चेहरे पर आए गुस्से के भाव को देख कर वो समझ गया था कि मुझे मज़ा आ रहा है इस लिए उसने वापस धक्के लगाना शुरू कर दिया.
अचानक ही मुकेश ने तेज़ी के साथ लग रहे धक्को को अचानक हल्के हल्के धक्को मे बदल दिया उसके ऐसा करने से मेरी साँसे और भी तेज़ी के साथ फूलने लगी. आज तक सेक्स मे मुझे इतना मज़ा नही आया था जितना कि इस समय आ रहा था. मैं तो पूरी तरह से अपनी आँखे बंद करके उन पॅलो मे खो गयी.
“अब कैसा लग रहा है ?” उसने धीरे धीरे धक्का लगाते हुए ही मेरे कान के पास अपना मुँह लाते हुए कहा.
उसके इस तरह से मेरे कान के पास आने से उसकी निकलती हुई साँस जैसे ही मेरे कान से टकराई मेरे पूरी शरीर मे एक अजीब सी सनसनी की लहर दौड़ गयी. उसका यूँ बार मुझसे पूछना मुझे अच्छा भी लग रहा था कि वो सेक्स के दौरान कितना ख़याल रखता है पर दूसरी तरफ मुझे शरम भी आ रही थी..
वो मेरे जवाब ना देने से बीच मे ही रुक गया जिस वजह से मैने अपनी आँखे खोल ली वो मेरी तरफ देखते हुए बोला “जानेमन अगर तुम मुझे बतओगि नही तो मुझे पता कैसे चलेगा कि तुम्हे मज़ा आ रहा है या नही.
मैने उसकी तरफ अपनी दोनो आँखे बड़ी करते हुए कहा कि “तुम्हारी इतनी उमर हो गयी और तुमने पता नही कितनी बार सेक्स किया है तुम्हे मेरी हालत से पता नही चलता है कि मुझे मज़ा आ रहा है या नही.. तुम्हे क्या लगता है मुझे मज़ा आ रहा है या नही ?”
वो मुस्कुराते हुए बोला “वो तो ठीक है पर चुदाई करते हुए आपस मे इस तरह बात करने का अपना ही मज़ा होता है इस लिए. तुम्हारे मुँह से सुनना ज़रूरी है. और वैसे भी अगर तुम बोल कर बता देगी तो तुम्हारा कुछ घिस तो नही जाएगा.”
मैने बस उसके धक्के लगाने का इंतजार कर रही थी क्यूकी जब जब मैं अपने मंज़िल के करीब होती थी वो इसी तरह बीच मे रुक जाता था. मैने चिड के कारण उसको कोई जवाब नही दिया.वो मेरे चेहरे के भाव समझ कर फिर से धक्के लगाने लगा, पर इस बार उसकी स्पीड थोड़ी बढ़ गयी थी.
थोड़ा झुक कर उसने मेरे एक निपल को मूह में दबा लिया और फिर उसे चूस्ते हुए मेरी योनि में तेज़ी से धक्के मारने लगा.मेरा मज़ा बढ़ता ही जा रहा था, अब मेरी योनि और मेरे उभार दोनो एक साथ मुकेश के हाथो का खिलोना बने हुए थे. उसके इस तरह से करने से मैं मज़े की एक अलग दुनिया मे खोती जा रही थी. ऐसा मज़ा की मुझे इस समय किसी की परवाह नही थी.

वो जिस तरह से सेक्स कर रहा था मानो ऐसा लग रहा था जैसे की उसके अंदर खुद कामदेव उतर आए है, मैं इस कदर मदहोश हो रही थी. थी बस कुछ ही देर मे मुझे मेरी मंज़िल नज़दीक आते हुए दिखाई देने लगी.
अचानक मुकेश मेरे उभारो से हट गया और मेरी योनि से भी लिंग बाहर निकाल लिया.
मैने धीरे से पूछा क्या हुवा ?
वो बोला, कुछ नही, थोड़ा घूम जाओ तेरी पीछे से डाल कर मारूँगा.
मैने बाहर से आती हुई आवाज़ जो बिल्कुल ख़तम हो गयी थी. कहा कि “देखो तुम्हे जो करना है ऐसे ही कर लो वरना मैं अब जा रही हू.” पर सच्चाई तो ये थी कि मुझे उसके आगे वो पोज़िशन लेने में झीजक हो रही थी. क्यूकी जिस तरह से अमित ने मेरे पीछे तीन बार लिंग घुसाया था मारे दर्द के मुझसे ढंग से लेटा तक नही गया था. इस लिए मैने उसकी बात को सॉफ इग्नोर कर दिया.
वो बोला “अरे सोच क्या रही हो, चलो घुमो ना, तुम्हे और ज़्यादा मज़ा आएगा, तुम्हे पता है ना डॉगी स्टाइल इंशान की सेक्स करने की सबसे नॅचुरल पोज़िशन है”.
उसकी बात सुन कर मुझे हँसी भी आ रही थी और उस पर गुस्सा भी मैने उस से कहा “तुम क्या मुझे काम्सुत्र पढ़ा रहे हो ?”
वो बेशर्मी से बोला, “नही जानेमन तुम्हे चूत देने की सबसे सेक्सी पोज़िशन बता रहा हू…. हहे”
मैं और ज़्यादा समय बर्बाद नही करना चाहती थी इस लिए अपनी साड़ी पर ही मैं घुटनो के बल डॉगी स्टाइल मे हो गयी.. उसने पीछे से मेरे नितंबो को थाम लिया और एक झटके में अपना पूरा लिंग मेरी योनि में घुस्सा दिया.. मेरे मूह से हल्की सी आआहह निकल गयी.
“क्या हुआ जानेमन मज़ा नही आया क्या ?”
“अब तुम मेरे मज़े की छ्चोड़ो और जल्दी से करो.
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मेरे उभार इस पोज़ीशन में मुकेश के धक्को के कारण हवा में झूल रहे थे.
उसने फिर से पूछा “कैसा लग रहा है ?”
मैने उसके सवाल का कोई जवाब नही दिया. उसने मेरे कानो के पास आ कर कहा “तुम्हारी गांद बोहोत प्यारी है कहो तो तुम्हारी गांद भी मार लू.”
गांद मारने की बात सुन कर मेरी हालत खराब हो गयी.. इस लिए मैने उस से झीज़कते हुए कहा… “नही आज नही, तुम जल्दी से, जो कर रहे हो, वो ख़तम करो ना. मुझे नीचे शादी मे भी जाना है”
वो मेरी बात सुन कर बोला “ठीक है, तुम्हे जल्दी का मज़ा चाहिए ना, तो अब तैयार हो जाओ और ये लो सम्भालो फिर.” ये कह कर उसने बहुत तेज तेज मेरी योनि में अपना लिंग अंदर बाहर धकैल्ना शुरू कर दिया. मैं इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नही थी. मेरा पूरा शरीर ज़मीन पर बुरी तरह से हिले जा रहा था.
थोड़ी ही देर में मुझे इतना मज़ा आने लगा कि मेरा मन और तेज़ी की चाहत करने लगा. पर मैने मुकेश से कुछ नही कहा. मेरी साँसे और मेरी धड़कन मुकेश के धक्को की तेज़ी के साथ कदम मिलाने की कोशिश कर रही थी.. उसका लिंग मेरी योनि में इतनी तेज़ी से रगडे खा रहा था कि मुझ से होश संभालना मुस्किल हुआ जा रहा था..
मुकेश बिना रुके थोड़ी देर तक यू ही उसी स्पीड में धक्के लगाता रहा. मुकेश का लिंग मेरी योनि की गहराई तक जा कर मेरी बच्चेदानी से रगड़ खा रहा था और मैं उसके हर धक्के का मज़ा ले रही थी.

उसने वैसे ही धक्के लगाते हुए कहा..”बताओ जानेमन कब तक ये चुदाई का खेल खेलना चाहोगी ?”
मैने धक्को की वजह से हड़बड़ाते हुए कहा “अब जल्दी ख़तम करो, मुझे घर का काम भी करना है. पता नही कोई मुझे यहाँ पर ढूंढता हुआ ना आ जाए इस लिए इस खेल को जल्दी ख़तम करो अब.
मुकेश ने मेरी बात सुन कर अपनी स्पीड और ज़्यादा बढ़ा दी. जिस कारण मेरी साँसे भी और ज़्यादा रफ़्तार पकड़ने लगी. मुकेश के हर धक्के के साथ मैं अपनी मंज़िल के और भी नज़दीक आती जा रही थी. मेरे आनंद की कोई सीमा नही रही, इतना मज़ा आ रहा था कि मुझ से बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था. मैं अपनी मंज़िल के इतना नज़दीक आ चुकी थी कि किसी भी वक़्त मैं झाड़ सकती थी. और मुकेश के एक दो तीन और पड़ते धक्को के साथ मेरा पूरा शरीर अकड़ने लग गया और मेरे शरीर ने झटके खाना शुरू कर दिया और मेरी योनि ने पानी छोड़ दिया.
योनि के पानी छ्चोड़ते ही मैने हड़बड़ाते हुए मुकेश से कहा की “प्लीज़ मुकेश अब रुक जाओ अब मुझसे नही सहा जा रहा है.”
वो भी अपनी फूलती हुई सांसो के साथ धक्के लगाता हुआ बोला “बस जानेमन थोड़ी देर और सहन कर लो मेरा भी अब निकलने वाला है”.
“ठीक है पर जल्दी करो. मैं अब और ज़्यादा देर यहा नही रुक सकती हू.” मैने डॉगी स्टाइल मे पोज़िशन बनाए हुए ही कहा.
मुकेश बहुत तेज़ी के साथ मेरी योनि पर धक्के लगा रहा था और थोड़ी ही देर मे उसका भी शरीर अकड़ने लग गया.. और उसके लिंग ने मेरी योनि के अंदर ही झटके खाते हुए मेरी पूरी योनि को अपनी पानी से भर दिया.. मेरी योनि से धीरे धीरे करके पानी रिस-रिस कर बाहर आ रहा था वो उसी हालत में मेरे उपर गिर गया. मैं भी इतनी लंबी चुदाई के कारण बुरी तरफ से थक गयी थी जिस वजह से मैं भी लड़खड़ा कर नीचे लेट गयी. उसका लिंग अभी भी मेरी योनि में घुस्सा हुवा था.

थोड़ी देर बाद जब हमारी हालत कुछ नॉर्मल हुई तो मैने फॉरन उसे अपने से दूर किया उसका लिंग मेरी योनि से छ्होटा हो कर अपने आप ही बाहर निकल आया था उसका लिंग बाहर आ जाने से जो वीर्य अब तक योनि मे भरा हुआ थॉ वो भी बाहर आ कर ज़मीन पर बिछि हुई मेरी साडी पर गिरने लग गया था. मैं फॉरन खड़ी हुई और अपने कपड़े जो इधर उधर बिखर गये थे उनको जल्दी जल्दी पहनना शुरू कर दिया. मैने वापस उसकी तरफ पलट कर भी नही देखा कि वो क्या कर रहा है वो अब भी मेरी साड़ी पर वैसे ही लेटा हुआ था
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मैने जल्दी से अपने सब कपड़े पहने और जैसे ही पेटिकोट पहनने जा रही थी वो ज़मीन से उठ कर बैठ गया और मेरी दोनो टाँगो के बीच मे आ कर बैठ गया.
:”अब क्या है ?” मैने उसके इस तरह वापस अपनी टाँगो के बीच आ जाने के कारण उस पर गुस्सा करते हुए कहा
“एक चुम्मा तो ले लेने दो” इतना कह कर उसने अपना मुँह मेरी योनि के उपर लगा कर उसे चाटने लग गया.
मैने उसे अपने से दूर किया और जल्दी से अपने कपड़े पहन कर दरवाजे से बाहर झाँकते देखा कि कोई देख तो नही रहा. किसीको ना पा कर मैं फॉरन वहाँ से बाहर निकल आई


.जैसे ही मैं स्टोर रूम से निकली तो मैने देखा कि हमारे घर के सामने जो घर था उसकी छत पर संजय और रामकुमार खड़े थे. हमारे परिवार की इन सामने वालो से बिल्कुल नही बनती थी. इसीलिए हमने उन्हे शादी मे भी इन्वाइट नही किया था. मेरी और मनीष की जब नयी नयी शादी हुई थी तब मैं और मनीष मार्केट मे घूम रहे थे तो मनीष का झगड़ा हो गया था इन दोनो के साथ. बात सिर्फ़ इतनी सी थी कि मनीष की बाइक टकरा गयी थी पार्क करते वक्त इन दोनो की बाइक से. बस लड़ने लगे दोनो. मैं मनीष को मना कर रही थी कि इन लोगो के मुँह लगने से कोई फ़ायदा नही है. पर वो दोनो तो जैसे जान भुज कर मेरे और मनीष के उपर गंदे कॉमेंट पास किए जा रहे थे.. ये सब मुझ पर देखा नही गया इसलिए मैने भी खूब खरी खोटी सुनाई थी दोनो को उसी दिन विकास को जब पता चला कि उन दोनो ने हमारे साथ बदतमीज़ी की है विकास ने उन दोनो लड़को की जम कर पिटाई कर दी.
उसी दिन के बाद से हमरे परिवार की इन दोनो के परिवार से बोल चाल बंद हो गयी. संज़ज दुबला पतला था और रामकुमार थोड़ा हेल्ती था. दोनो 12थ स्टॅंडर्ड मे पढ़ते थे. पढ़ते क्या थे बस सारा दिन आवारा गार्दी करते थे. संजय और रामकुमार चचेरे भाई थे और दोनो का घर पास पास ही था. दोनो एक दम काले रंग के थे जैसे कि कोयला होता है. पता नही आज क्या कर रहे थे ये अपनी छत पर. और ना जाने क्यों टकटकी लगा कर हमारी छत पर ही देख रहे थे. मुझे कुछ घबराहट हो रही थी. हे भगवान कही इन दोनो ने मुझे और इस सुवर को स्टोर रूम मे जाते हुवे तो नही देखा था. स्टोर रूम मे घुसते वक्त मैने सामने वाले घर की तरफ नही देखा था. कही ये दोनो तब भी तो वहाँ नही थे जब मैं और मुकेश कमरे मे घुस्से थे.
अचानक दोनो के चेहरों पर एक घिनोनी सी मुस्कान देखी मैने. शायद सच मे उन दोनो ने हम दोनो को अंदर जाते देखा था. एक मन तो हुआ की स्टोर रूम मे वापिस जाकर मुकेश को रुकने को बोलूं. मगर तभी कुछ लोग फिर से छत पर आ गये और मैं कोई चारा ना देख कर सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आ गयी. मेरा दिल किसी अंजाने डर से बुरी तरह से धक धक कर रहा था. मुकेश के साथ जो स्टोर रूम मे मज़े किए थे मैने अब उसका नशा उतर चुका था. और मेरे लिए एक नयी मुसीबत पैदा हो गयी थी.. नही नही उन दोनो ने कुछ नही देखा होगा. और अगर देखा भी होगा हमे कमरे मे जाते हुवे तो भी वो ये नही जान पाएँगे की हमने अंदर क्या किया. हम दोनो वहाँ कुछ काम भी तो कर सकते हैं. मेरे दिमाग़ मे इसी तरह के बोहोत सारे सवाल उठ रहे थे और खुद ही मैं अपने आप को समझाने के लिए उनके जवाब दिए जा रही थी.
नीचे आ कर मैं मेहमानो के साथ घुल मिल कर अपने दीमाग से सभी उलझने दूर रखने की कोशिस कर रही थी. अचानक रेणु आई मेरे पास और मेरे हाथ मे एक फोल्ड हुआ काग़ज़ थमा दिया. रेणु हमारे पड़ोस मे मधुबाला भाभी की लड़की थी, वो छ्टी कक्षा मे पढ़ती थी. मैने हैरानी से काग़ज़ पकड़ लिया. काग़ज़ दे कर वो चली गयी. मैने काग़ज़ को खोला. उस पर लिखा था “1 घंटे तक क्या कर रही थी स्टोर रूम मे तुम. हमे सब पता है. अभी तुरंत मेरे घर आ जाओ वरना ये खबर तेरे पति को पहुँच जाएगी. संजय” मेरे तो पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गयी. जिस बात का डर था वही हुआ दोनो सुवरो ने मुझे मुकेश के साथ स्टोर रूम मे जाते हुए देख लिया.
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hope end mein heroine ka accident kara use maar nahi doge
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सुपर स्टोरी।
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बहुत अद्भुत। आपके अद्वितीय लेखन के हम कायल हो गए।
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