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Adultery मेहमान बेईमान
#1
अपने कमरे मे आ कर मैं बिस्तर पर लेट गयी.. मेरे हाथ मे वो डायरी ऑर चैन लगी हुई थी.. थोड़ी देर तक मैने उस चैन, जिस पर एन का लॉकेट लगा हुआ था देखती रही.. ऑर उसे उठा कर एक तरफ रख दिया.. 

मेरे दूसरे हाथ मे वो डायरी लगी हुई थी.. पता नही क्या लिखा होगा.. ये डायरी उसकी पर्सनल डायरी थी.. केयी बार मैने उसे इस डायरी मे कुछ लिखते हुए देखा था.. क्या उसकी डायरी खोल कर पढ़ना सही होगा..? घर के सभी काम निपटा ही लिए थे.. ऑर वैसे भी मनीष आज लेट आने वाले थे टीवी पर भी कुछ ऐसा खास प्रोग्राम नही आ रहा था.. डायरी पढ़ कर ही टाइम पास करते है.. यही सोच कर मैने डायरी को खोल कर पढ़ना शुरू कर दिया.. 

डायरी खोल कर जैसे ही मैने पहला पेज पढ़ना स्टार्ट किया मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी.. उस डायरी मे उसने मेरे बारे मे लिख रखा था.. 

निशा बहुत खूबसूरत है.. इतनी सुंदर लड़की मैने आज तक नही देखी.. उपरवाले ने बहुत फ़ुर्सत से बनाया है.. मैं तो निशा की सूरत देखते ही उस पर फिदा हो गया था. इतना सुंदर चेहरा हर किसी को नही मिलता. उसकी आँखो की चंचलता उनके मटकने का अंदाज उफ़फ्फ़.. 

उसके होंठ तो बस.. एक दम गुलाब गुलाबी.. जब दोनो पंखुड़िया खिलती है तो देख कर ऐसा लगा कि हर वक्त कामुक रस टपकता रहता है उसके होंटो से.. ख़ुसनसीब है मनीष भैया जो कि उसे इतने रसीले होन्ट चूसने को मिलते हैं.. 

ऑर निशा के दोनो उरोज.. उनकी तो बात हिनिराली है.. दोनो उरोज हिमालय पर्वत के जैसे तने हुए उसकी छाती से चिपके हुए है.. जब वो चलती है तो दोनो उरोज उसके चलने से कामुक अंदाज़ में उपर नीचे हिलते हुए हाअय्यी.. दिल बैठ जाता है मेरा उन्हे यू हिलते देख कर. दोनो उरोज की मोटाई और गोलाई एक दम गजब है.. उपर वाले ने एक दम अलग ही सांचा तैयार करा होगा उसके स्तनो को ढालने के लिए.. जो भी उन्हे देखता होगा उसके मूह में पानी आ जाता होगा.. जैसे मेरे मूह में आ जाता है.. (ऑर बाकी सब दोस्तो के भी) 

इतनी सब खूबिया होने के बाद भी उसमे जो सबसे ज़्यादा आकर्षक चीज़ थी उसकी गांद..निशा की गांद के बारे में क्या लिखूं कुछ समझ नही आ रहा.. कातिल गांद है निशा की.. मेरे दिल का कतल कर दिया निशा की गांद ने.. इतनी मस्त गांद मैने आज तक नही देखी.. जब वो चलती है तो गांद के दोनो गोल गोल तरबूज बहुत कामुक अंदाज में हिलते हैं.. उनका फूला हुआ पिछला हिस्सा उसके दोनो भागो को ओर भी ज़्यादा आकर्षित बनाता है.. नपुंसक का लंड भी खड़ा हो कर झटके मारते हुए सलामी देने लग जाए.. मेरा तो निशा की गांद के बारे में सोच कर ही बुरा हाल हो जाता है.. लंड बिठाए नही बैठता.. बार बार खड़ा हो कर उसकी गांद को सलामी देना शुरू कर देता है.. 

मुझे पूरा यकीन है कि इस अप्सरा की चूत भी कम कातिल नही होगी.. बल्कि वो तो सबसे ज़्यादा कयामत ढाती होगी.. कैसी दिखती होगी निशा की चूत.. झाते होगी उस पर या एक चिकनी होगी.. जैसी भी होगी.. कमाल होगी.. 

एक बार निशा को जी भर कर चोदना चाहता हू.. हर उस तरह से जैसा उसे देख कर मन मे ख़याल आता है.. कभी तो मन कर करता है कि उसे घोड़ी बना कर उसकी चूत मारू कभी गांद मारू.. कभी ख़याल आता है उसकी दोनो चिकनी चिकनी टांगे अपने कंधे पर रख कर उसकी चूत मारू.. लेकिन जानता हूँ कि ये मुमकिन नही है.. ये मेरे दिल का केवल ख़याल है एक सपना है.. निशा मनीष भैया की बीवी है और मेरी भाभी के समान है.. इसलिए उसको चोदने का ख्वाब हमेशा ख्वाब ही रहेगा.. पर मुझे ख़ुसी है कि ऐसी सुन्दर अप्सरा के साथ मुझे एक ही घर की छत के नीचे रहने का मोका मिला है.. अगर निशा को च्छू नही सकता कम से कम देख तो सकता हू.. मैं उस उपर वाले का शूकर गुज़ार हू जिसने मुझे इतनी हसीन खूबसूरत अप्सरा को देखने का सोभाग्य दिया.. 


डाइयरी पढ़ने के बाद मुझे समझ में नही आ रहा था कि कैसे रिक्ट करूँ. मेरे बारे में बहुत गंदी गंदी बाते लिख रखी थी उसने डाइयरी में. 
"इसका मतलब वो हर वक़्त मुझे घूरता रहता था. कितना बेशरम था शुरू से.. तभी उसकी निगाहे मुझे अपने उपर हमेशा महसूस होती रहती थी.. 

अपने बारे मे इतना गंदा लिखा हुआ पढ़ने के बाद मैं शरम से पानी पानी हो गयी.. मनीष ने आज तक कभी मेरे से ऐसे वर्ड यूज़ नही करे थे.. वो मुझे इसी तरह की भाषा मे बात करता था पर मुझे विश्वास नही हो रहा कि वो मेरे बारे मे ऐसा अपनी डायरी मे भी लिखेगा.. उस डायरी मे लिखी हुई बाते पढ़ने के बाद उसके आने से लेकर जाने तक की सारी घटना मेरी आँखो के आगे घूमने लग गयी..
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#2
ये एक हफ्ते पहले की बात है..उस दिन सनडे का दिन था मनीष के ऑफीस का ऑफ था.. हम दोनो ही आराम से बिस्तर मे एक दूसरे की बाहो मे बाहे डाल कर लेटे हुए पड़े थे.. तभी दरवाजे की डोरबेल बजी.. मैं सोच मे पड़ गयी की सुबह सुबह कॉन आ गया.. 

सुबह मे मनीष काफ़ी रोमॅंटिक अंदाज मे मुझसे बाते कर रहे थे ऑर उन बातो के बीच मे कॉन कबाब की हड्डी बन कर आ गया.. मैं जल्दी से बिस्तर से उठी ओर ब्रा ऑर पॅंटी पहन ने लगी.. पर मनीष ने मुझे पकड़ लिया ओर मेरे योनि पर किस करने लगे.. 

छ्चोड़िए ना क्या कर रहे है.. कोई दरवाजे पर बेल बजा रहा है.. मैने शरमाते हुए मनीस से कहा.. 

गूडमॉरिंग बोल रहा हू अपनी जान को.. मनीष ने अपने दोनो हाथो से मेरे नितंब को कस कर पकड़े हुए एक ऑर किस करते हुए कहा.. 

ये मनीष का रोज का स्टाइल था वो मेरे बिस्तर से उठने के साथ ही मेरी योनि पर किस करते थे.. ओर फिर मेरे होंठो पर.. पर आज कोई दरवाजे पर था.. मुझे जल्दी पड़ी हुई थी.. मनीष ने मेरे नितंब से हाथ हटा कर मेरी कमर मे डाल कर मुझे अपने उपर झुका लिया ओर अपने होंठो के बीच मे मेरे होंठ दबा कर किस करने लगे जैसे ही किस ख़तम हुआ मैने जल्दी से अपनी पॅंटी पहनी ओर मेक्सी पहन कर दरवाजे पर आ गयी.. तब से अब तक 4-5 बार वो बेल बज चुकी थी.. मैने अपने बालो को जो बिखरे हुए थे ठीक करते हुए दरवाजा खोला.. सामने एक लड़का खड़ा हुआ कोई 22-23 साल का.. उसके हाथ मे एक बॅग लगा हुआ था.. वो मेरी तरफ एक तक घूर के देखे जा रहा था.. 

उसका बॅग देख कर मुझे लगा कि वो कोई सेल्स मॅन है.. मैं उस से कुछ पूछती इस से पहले ही बोल उठा.. 

नमस्ते भाभी जी.. मनीष भैया है..? 

मैं उसकी सूरत देखती रही.. उसकी नज़रे मेरे पूरे जिस्म पर मुझे चुभती हुई महसूस हो रही थी.. कभी वो मेरे चेहरे को तो कभी मेरी छाती को एक तक घूरे जा रहा था.. 

माफ़ कीजिए मैने आप को पहचाना नही.. मैने उसकी तरफ हेरनी भरी निगाह से देखते हुए कहा.. 

मैं अमित.. वो अभी इस से आगे कुछ बोलता उस से पहले ही.. 

अरे पीनू.. वॉट ए सर्प्राइज़.. अरे बाहर क्यू खड़े हो अंदर आओ.. मनीष अंदर बेडरूम से बाहर आ गये थे.. 

उस लड़के ने आगे बढ़ कर मनीष के पैर छुए फिर मेरे भी.. 

अरे निशा ये पीनू है.. अपनी गाँव वाली मौसी है ना उनका लड़का.. आओ बैठो पीनू.. अरे निशा पीनू के लिए चाइ नाश्ते का इंतज़ाम करो.. 

उस लड़के की सूरत ऑर उसके मुझे यूँ घूर्ने से पहले ही नफ़रत सी हो गयी थी उस पर मनीष ने मुझे उसके लिए चाइ नाश्ता बनाने को कहा तो मेरे सीने पे जैसे साँप लॉट गये.. पर फिर यही सोच कर कि गाँव से आया है शायद इसे अकल नही होगी कि किसी के यहा जाने पर कैसे बिहेव करते है.. 

मैं वाहा से सीधा किचन मे आ गयी ओर मनीष ओर वो लड़का आपस मे बात कर के अपनी यादे ताज़ा करने लगे.. 

मैं नाश्ता ले कर बाहर आ गयी.. तो वो मुझे देख कर मनीष से बोला की भैया आप बोहोत किस्मत वाले हो जो आप को भाभी जैसी सुंदर बीवी मिली है.. उसकी निगाहे दोबारा से मुझे मेरे शरीर पर चुभती हुई महसूस होने लगी.. 

चिंता मत कर तेरे लिए भी ऐसी ही सुंदर बहू लाएगे.. मनीष ने मेरी तरफ मुस्करा कहा.. 

मुझे बड़ा अजीब सा महसूस हो रहा था.. मनीष ने मेरे हाथ से नाश्ता ले कर टेबल पर रख दिया ऑर अपने बराबर मे ही बैठने को कहा.. 

मुझे मेक्सी मे इस तरह से किसी अजनबी के आगे बैठने मे बड़ा अजीब सा फील हो रहा था.. पर मैं मनीष के साथ ही बैठी रही.. 

वो लड़का मेरे सामने ही बैठा हुआ था ऑर मुझे देख कर मुकुराए जा रहा था.. मैं जब उसे चाइ देने के लिए टेबल पर झुकी तो उसकी निगाहे मेरे मेक्सी के अंदर झाँकति हुई लगने लगी.. मैं तुरंत एक हाथ अपने छाती पर लगा कर उसको चाइ पकड़ा दी.
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#3
aagey bhi likho bhai
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#4
(27-12-2019, 10:15 AM)vat69addict Wrote: aagey bhi likho bhai

Jarur bhai. Keep reading
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#5
तो पीनू कैसे आना हुआ ? मनीष ने उस से उसके आने के बारे मे पूछा..


वो भैया थोड़ा काम था यहा पर बाबू जी ने भेज दिया.. बोले आप यहा रहते ही हो अगर कोई मदद की ज़रूरत हुई तो आप कर दोगे.. पहले सोचा कि किसी धर्मशाला मे रुक जाउ पर फिर सोचा सीधा आप के पास ही चलु.. आप की शादी मे नही आ पाया था.. इसी बहाने भाभी जी से भी मुलाकात हो जाएगी.. यही सोच कर.. वो बात मनीष से रहा था पर देखे मेरी तरफ जा रहा था.. उसके देखने मे हवस सॉफ नज़र आ रही थी..

अरे पीनू बोहोत बढ़िया किया.. मनीष की बात सुन कर मेरे दिमाग़ मे यही ख़याल आया क्या खाक बढ़िया किया.. आज सोचा था सनडे है आज अपने लिए शॉपिंग करने जाउन्गी.. पर.. वो मेरी तरफ बराबर घूरे जा रहा था था उसकी मुस्कुराहट एक दम घिनूनी थी.. मैं वाहा से उठ कर बेडरूम मे आ गयी..

मनीष ने उसके रहने का इंतज़ाम दूसरे कमरे मे कर दिया..

भैया बोहोत थक गया हूँ सफ़र मे नहा कर आराम करना चाहता हू..

अरे बिल्कुल पीनू.. तुम आराम से नहा कर आराम करो..

मैं अपने बेडरूम मे गुस्से एक दम तिलमिलाई हुई लेटी थी.. अरे क्या हुआ जानू..? इतनी नाराज़ क्यू हो..? मनीष ने मेरे बगल मे आ कर मेरे चेहरे पर हाथ फेरते हुए कहा..

क्या ज़रूरत थी आप को उसे यहा पर रोकने की..हा..?

क्या जानू तुम भी.. अरे वो हमारे गाँव से आया है ओर मौसी का लड़का है.. पता है मैं जब गाँव मे था तो मौसी ने कभी कोई फरक नही किया अपने लड़के ओर मुझमे.. बल्कि अपने से ज़्यादा ही मुझे माना है.. और फिर दो हफ्ते बाद बिल्लू(प्रेम मनीष का छ्होटा भाई जिसे गाँव मे सब प्यार से बिल्लू बुलाते है) की शादी है.. सोचो अगर ये गाँव मे जा कर बताता कि हमने इसे यहा रखने से मना कर दिया.. तुम गाँव के लोगो को जानती नही हो वो ज़रा सी बात को दिल पर लगा लेते है.. ऑर अगर पापा को पता चलता कि उनकी बहू ने दो रोटी ज़्यादा बनाने की वजह से घर आए मेहमान को वापस लौटा दिया.. उनकी नज़र मे जो तुम्हारी इज़्ज़त है.. अगर तुम्हे लगता है मैने उसे रोक कर ग़लत किया तो तुम बोलो मैं उसे अभी यहा से जाने को बोल देता हू..

ठीक है ठीक है अब ज़्यादा इमोशनल ब्लॅकमेल करने की ज़रूरत नही है.. मनीष ने मुझे गले से लगा लिया.. ऑर फिर मेरे होंठो को किस करने लगे.. किस करते हुए ही जब मेरी नज़र दरवाजे की तरफ गयी तो मैं गुस्से ओर शरम से लाल हो गयी.. वो वही दरवाजे पर खड़े हो कर हमे किस करते हुए देख रहा था.. उसके चेहरे की हँसी देख कर मेरा खून खोले जा रहा था.. मैं जल्दी से मनीष से अलग हुई ओर अपने कपड़े सही करने लग गयी.. वो वाहा से हट कर वापिस अपने कमरे की तरफ चल दिया..

मेरा पूरा दिमाग़ खराब हो गया था उस देहाती की इस हरकत को देख कर.. मेरी समझ मे नही आ रहा था की इस बारे मे मनीष को कुछ बताऊ या नही.. वो जब से यहा पर आया था तब से मुझे उसकी नीयत ठीक नही लग रही थी.. वो जिस तरह से मुझे देखता था मन तो ऐसा कर रहता कि अभी इसका खून कर दू.. पर यही सोच कर कि गाँव से आया है.. पिता जी क्या सोचेगे ओर फिर 2 हफ्ते बाद बिल्लू की शादी भी है.. मैं खून का घूँट पी कर रह गयी..
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#6
mast start.......
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#7
(28-12-2019, 12:47 PM)duttluka Wrote: mast start.......

Thanks buddy
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#8
मैं मनीष से कह कर कि मैं बाथरूम मे नहाने जा रही हू.. अलमारी से अपने कपड़े निकाल कर बाथरूम मे आ गयी.. बाथरूम के अंदर कदम रखते ही मेरा पूरा दिमाग़ खराब हो गया उस देहाती ने पूरा का पूरा फर्श गीला कर दिया था.. ऑर साबुन भी वही बीच फर्श मे ही छ्चोड़ दिया था.. एक जगह बैठ कर नही नहा सकता था.. चारो तरफ गीला कर दिया ओर साबुन भी यही छ्चोड़ दिया अगर किसी का पैर पड़ जाता ऑर वो गिर जाता तो.. मैने वो साबुन उठा कर वापस साबुन दानी मे रखते हुए बड़बड़ा रही थी.. 

नहा कर मैं चुप चाप अपने बेडरूम मे वापस आ गयी ओर शीशे के आगे बैठ कर अपने बाल सही करने लग गयी.. मेरे आते ही मनीष बाथरूम के अंदर चले गये. शीशे के आगे बैठने के बाद उसकी हेवानियत भरी हसी बार बार मेरे आँखो के आगे दिखाई देने लगी जब वो मुझे ऑर मनीष को देख कर मुस्कुरा रहा था.. 

बाल ठीक करने के बाद दोफर का खाना बनाने के लिए मैं किचन मे आ गयी.. अगर आज ये देहाती नही आता तो मैं मनीष के साथ बाहर खाना खाती ऑर ढेर सारी शॉपिंग करती यही ख़याल खाना बनाते हुए मेरे दिमाग़ मे चल रहा था. पर उसके आने की वजह से मुझे गर्मी मे किचन मे खड़े हो कर खाना बनाना पड़ रहा था.. दोपहर तक मैने सब खाना बना लिया था. ओर मनीष से खाना खाने के लिए बोल दिया.. 

मनीष खाना खाने के लिए उस अमित को जगा कर अपने साथ ले आए.. मैं वही ड्रॉयिंग रूम मे बैठी हुई खाने की टेबल पर मनीष का इंतजार कर रही थी. वो अपनी उसी गंदी सी हसी के साथ मुस्कुराता हुआ मुझे घूरे जा रहा था.. 

मुझे खाना सर्व करते हुए वो लगतार देख कर घूरे जा रहा था. उसकी नज़र देख कर सॉफ पता चल रहा था कि वो मेरे बारे मे कुछ ना कुछ ग़लत सोच रहा था.. उसकी नज़रे मेरे पूरे जिस्म पर किसी तलवार की तरह से चल रही थी.. 

जब मैने दोनो को खाना सर्व कर दिया तो मनीष ने आवाज़ लगा कर मुझसे कहा.. अरे निशा आओ तुम भी हमारे साथ ही बैठ कर खाना खा लो.. अभी मनीष अपनी बात ख़तम नही कर पाए थे उस से पहले ही वो अमित बोल उठा हां.. हां.. भाभी जी आप भी साथ मे ही खाना खा लो.. 

एक तो मेरा मूड पहले से ही खराब था उस पर उसकी गंदी सी हसी.. नही आप खा लो मैं बाद मे खा लूँगी.. मैने मनीष से कहा.. 

पर मनीष नही माने ऑर ज़बरदस्ती मुझे खाना खाने बैठना पड़ा.. मनीष ऑर अमित एक साथ मेरे सामने बैठे हुए थे.. वो मुझे अब भी लगातार घूरे जा रहा था. उसकी नज़र कभी मेरे चेहरे पर कभी मेरी छाती पर होती थी.. वो खाना इस तरह से खा रहा था जैसे की बरसो बाद खाना मिला हो ऑर अब कभी उसे खाना नही मिलेगा मैने जल्दी जल्दी अपना खाना ख़तम किया ऑर उठ कर हाथ धोने चली गयी तभी वो भी मेरे पीछे ही वाहा से उठ कर चला आया.. मैं हाथ धो ही रही थी थी मुझे मेरे नितंब पर किसी ने हाथ फेरा हो ऐसा महसूस हुआ.. मैने पलट कर देखा तो मेरे पीछे वो देहाती खड़ा हुआ था ऑर मुझे देख कर अजीब तरह से मुस्कुराए जा रहा था.. 

भाभी जी आप के हाथो मे तो सच मे जादू है.. खाना तो एक दम बोहोत बढ़िया बनाया है आप ने.. तबीयत हरी हो गयी खाना खा कर.. उसने मुझे देख कर अपना एक हाथ अपने पेंट की ज़िप के उपर फिराने लग गया.. 

उसे वाहा अपने पीछे देख कर मेरा खून खौल गया.. मैं उसकी तरफ नफ़रत भरी निगाह से देखती हुई वाहा से अपने बेडरूम मे आ गयी.. ज़रा सी भी शरम नही है मेरे सामने ही इस तरह की गंदी हरकत कर रहा है.. मैं उसकी किसी भी बात का जवाब दिए बिना ही वाहा से सीधे अपने बेडरूम मे चली आई.. 

मनीष उसके साथ उसके कमरे मे चले गये ओर मैं अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी.. खाना खा कर ऑर दोपहर का खाना बनाने की वजह से थकान हो रही थी ऑर लेटने के बाद कब मेरी आँख लग गयी मुझे पता ही नही चला.. जब मेरी आँख खुली तो शाम हो गयी थी ओर मनीष ऑर अमित अब अभी बैठ कर बात कर रहे थे ऑर ज़ोर ज़ोर से हंस रहे थे.. 

मैं अपने बेडरूम से निकल कर जब मैं उस कमरे की तरफ गयी तो वो देहाती मुझे देखते ही बोला कि अरे वाह भाभी जी अभी आप की ही बात चल रही थी.. आइए बैठिए..
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#9
मनीष ने मुझे देखा तो बोले अरे निशा तुम उठ गयी.. अपनी उसी प्यार भारी मुस्कुराहट के साथ देखते हुए कहा.. मैने भी मनीष की तरफ देख कर मुस्कुरा दिया.. पर जब मेरी नज़र उस अमित पर गयी तो मेरा खून खूल उठा उसके चेहरे पर वही घिनूनी मुस्कुराहट कायम थी.. उस पर नज़र पड़ते ही मेरे चेहरे से सारी हसी गायब हो गयी.. मैं वाहा से वापस किचिन की तरफ हो ली रात के खाने की तैयारी करने के लिए..

किचन मे आकर मैं खाना बनाया ओर मनीष को खाने के लिए आवाज़ लगा दी.. थोड़ी ही देर मे हम सबने खाना खा लिया.. उसके देखने ऑर घूर्ने का सिलसिला बदस्तूर जारी था.. खाना खा कर मैं जब हाथ सॉफ करने गयी तो वही दोपहर वाला एहसास की जैसे किसी ने मेरे नितंब पर हाथ फिराया हो.. अबकी बार मुझे पहले से ज़्यादा अच्छी तरह हाथ अपने नितंब पर महसूस हुआ..

मैने पलट कर देखा तो मनीष ऑर वो पीनू दोनो ही मेरे पीछे खड़े हुए थे मेरी समझ मे नही आया कि किसने हाथ लगाया था.. लेकिन आगे की तरफ वो पीनू ही खड़ा हुआ था मुझे उसकी ही हरकत मालूम पड़ रही थी.. मेरे से ये सब ओर बर्दाश्त नही हो रहा था.. मैने मन ही मन फ़ैसला कर लिया था कि मैं इस बारे मे मनीष से बात करूगी.. चाहे जो भी हो.. अब मुझे ये लड़का एक पल भी बर्दाश्त नही है..

मैं वाहा से हाथ सॉफ कर के अपने बेडरूम मे आ गयी.. अपने नितंब पर हाथ महसूस करके बोहोत गुस्से मे थी.. थोड़ी ही देर मे मनीष भी कमरे मे आ गये थे..

क्या बात है बड़ी परेशान सी दिख रही हो ? मनीष ने मेरे चेहरे पर आ रही परेशानियो की लकीरो को देख कर कहा..

ये लड़का यहा से कब जाएगा ? मैने वैसे ही गुस्से भरे हुए अंदाज मे कहा

क्या हुआ जान इतना नाराज़ क्यू हो रही हो ?

मुझे बिल्कुल भी पसंद नही है कि मैं किसी ऐरे गैरे के लिए गरमी मे अपना पसीना बहाऊ.. मुझे वो लड़का बिल्कुल भी पसंद नही है.. उसकी नज़र ठीक नही है.. जब भी देखती हू मुझे देख कर अजीब तरह से मुस्कुराते रहता है.. मैने सॉफ सॉफ कह दिया मनीष से..

अरे निशा ऐसी कोई बात नही है.. वो बचपन से ही ऐसा है.. ऑर तुम्हे देख कर मुस्कुराते ही तो है.. तो इसमे बुरा मानने वाली क्या बात है..? कहते हुए मनीष मेरे बगल मे आ कर लेट गये ऑर मुझे पीछे से अपनी बाहो मे भरने लगे.. मैने गुस्से के मारे अपने आप को उनसे दूर करने लग गयी..

क्या निशा तुम भी अरे दो दिन के लिए आया है यहा पर उसे एग्ज़ॅम देने है एग्ज़ॅम ख़तम होते ही चला जाएगा ऑर पापा ने ही उसे यहा का अड्रेस दे कर भेजा है.. ताकि उसे कोई तकलीफ़ ना हो.. मनीष ने मुझे पकड़ कर मेरे चेहरे को अपने चेहरे की तरफ घुमा कर मेरी आँखो मे आँखे डाल प्यार से कहा..

पक्का दो दिन बाद चला जाएगा ना ? मैने मनीष की आँखो मे देखते हुए कहा..

मनीष ने अब अपने दोनो हाथ मेरे कंधे से हटा कर मेरे नितंब पर फिराना शुरू कर दिया था.. हां उसने दो दिन के लिए ही बोला है..

मनीष के हाथ अब तेज़ी के साथ मेरे नितंबो पर चलने लग गये थे.. थोड़ी ही देर मे मैं मदहोश होने लग गयी.. मनीष का अब एक हाथ मेरे कुर्ते के उपर से ही मेरे मम्मो पर चल रहा था.. अपने मम्मो पर मनीष का हाथ पड़ते ही मैं ऑर भी ज़्यादा मदहोश होने लग गयी.. नीचे उनका एक हाथ बारी बारी से मेरे नितंबो के गुंबदो को मसल रहा था.. मनीष को मेरे दोनो गुंबदो के साथ खेलने मे बड़ा मज़ा आता था..

क्या कर रहे हो.. छ्चोड़ो भी.. मैने मनीष से मदहोशी भरे अंदाज मे कहा..

कोई भला चूतिया ही होगा जो अपनी इतनी हसीन बीवी को यूँ छ्चोड़ दे.. मनीष ने मेरे बाए मम्मे को छ्चोड़ मेरे दाए मम्मे को मसलना शुरू कर दिया..

दरवाजा तो ठीक से बंद कर लिया है.. मैं जानती थी कि अब मनीष को रोकना मुश्किल है इस लिए मैने दरवाजे के बारे मे पूछा..
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#10
वो तो मैने अंदर आते ही बंद कर लिया था.. अब जल्दी से मुझे इन दोनो को चूमने दो.. उतार दो इस कुर्ते को.. अब इसका हमारे बीच मे क्या काम.. 

मनीष की बात सुन कर मुझे हल्की सी हँसी आ गयी.. मैने सीधे हो कर जब तक अपना कुर्ता उतारा तब तक मनीष ने मेरी सलवार का नाडा खोल दिया ओर उसे हल्का सा नीचे सरका कर अपने पैरो से पूरा नीचे कर दिया.. गर्मी की वजह से मैने अंदर ब्रा ऑर पॅंटी नही पहनी थी.. वैसे भी घर मे मैं ओर मनीष ही रहते है.. मनीष के चक्कर मे मेरी ब्रा ऑर पॅंटी की आदत कम हो गयी थी.. जब कभी हम बाहर जाते थे तभी मैं पहनती थी.. 

कुर्ते के हट’ते ही मनीष ने छ्होटे बच्चे की तरह अपना मुँह मेरे एक उरोज पर जमा दिया.. मैं बिस्तर पर एक दम सीधी लेटी हुई थी.. मनीष एक हाथ से मेरी दूसरी उरोज दबा रहे थे ओर उनका एक हाथ मेरी योनि मे अंदर बाहर चल रहा था.. 

मनीष के साथ मे पूरी तरह से खूल कर आवाज़ करते हुए सेक्स का मज़ा लेती थी पर घर पर उस गाँव वाले अमित के आजाने से.. मैं खुल कर आवाज़ नही निकल पा रही थी जिस कारण मेरी उत्तेजना ऑर भी ज़्यादा बढ़ती जा रही थी.. ऑर इसी उत्तेजना के कारण मैं एक बार झाड़ चुकी थी.. मनीष की उंगलिया बराबर मेरी योनि मे अंदर बाहर हो रही थी.. थोड़ी ही देर मे मनीष ने मेरी दोनो टाँगो को घुटने से मोड़ कर दोनो टांगे हवा मे कर दी जिस से मेरी योनि खुल कर उनके सामने आ गयी थी.. मनीष ने अपना लिंग मेरी योनी की लकीर पर उपर से नीचे, नीचे से उपर फिराना शुरू कर दिया.. अब मैं अपना आपा पूरी तरह से खो चुकी थी ओर मेरे मुँह से ज़ोर ज़ोर से सिसकारिया निकालने लग गयी थी.. पूरा बदन पसीने मे तर बदर हो गया था.. 

आआआआआआअहह……. आआअहह… कम ऑन मनीष कम ऑन… मेरे मुँह से तेज तेज आवाज़ सुन कर मनीष ने मेरे मुँह पर हाथ लगा लिया ओर अपने लिंग को योनि के छेद पा टीका कर धीरे धीरे पूरा लिंग अंदर कर दिया.. ओर आगे पीछे होने लगे.. थोड़ी देर यही सिलसिला चलता रहा.. ओर फिर हम दोनो एक साथ खाली हो कर एक दूसरे से चिपक कर नंगे ही सो गये.. 

रात को करीब 12.30 बजे मेरी आँख खुल गयी.. मनीष मेरे बगल मे ही सो रहे थे ऑर ज़ोर ज़ोर से खर्राटे ले रहे थे.. मुझे बोहोत ज़ोर से प्रेशर लगा हुआ था मैने अपने कपड़े पहने ऑर बेडरूम से बाहर आ कर दबे पाँव(ताकि वो पीनू का बच्चा ना जाग जाए) से टाय्लेट की तरफ चल कर टाय्लेट मे आ गयी.. 

जब मैं टाय्लेट से बाहर निकली तो मेरे होश उड़ गये.. टाय्लेट के दरवाजे पर वो पीनू का बच्चा खड़ा हुआ था.. उसे वाहा दरवाजे पर खड़ा देख कर मैं बुरी तारह हड़बड़ा गयी.. 

तूमम्म्म……. तुम यहा क्या कर रहे हो ?? मैने उसको देख कर गुस्से से कहा.. 

माफ़ करना भाभी जी.. मुझे बोहोत ज़ोर से पेशाब लगी हुई थी.. उसने अपना एक हाथ अपने लिंग पर लगा रखा था.. उसने नाडे वाला अंडरवेर पहन रखा था उसके अंडरवेर मे उसका लिंग तन कर टेंट बना रहा था.. उसके चेहरे पर मुस्कुराहट बनी हुई थी ओर उसका एक हाथ बराबर उसके लिंग के उपर चल रहा था.. 

उसकी इस हरकत से मैं बुरी तरह से तिलमिला गयी ओर नाक-मुँह सिकोड कर वाहा से अपने कमरे के लिए चल दी..


आआहह….आआहह.. कम ऑन… कम ऑन…. हहे हहे… उसने हस्ते हुए कहा ओर टाय्लेट के अंदर घुस गया.. 

मैने जब पीछे पलट कर देखा तो मुझे टाय्लेट का दरवाजा बंद मिला.. 

हे भगवान… मेरा मुँह खुला का खुला रहा गया.. मतलब कि इसने सब सुन लिया.. मैं शर्म से पानी पानी हो गयी उसकी बात सुन कर.. पर मेरे दिमाग़ मे उसके लिए नफ़रत ऑर बढ़ गयी थी.. बेशर्मी तो देखो मेरे सामने ही मेरा मज़ाक उड़ा रहा है.. मुझे अब इस बारे मे मनीष से बात करनी होगी.. मैने मन ही मन सोचा ऑर वापस अपने कमरे मे आ कर मनीष की बगल मे लेट गयी..
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#11
Bahut achi kahani h continue
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#12
Please continue my dear
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#13
bahut sahi shuruaat
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#14
Bahut achha bhai mast kahani.
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#15
अगली सुबह मेरी मनीष से कोई बात नही हो पाई क्यूकी मनीष को सुबह जल्दी ऑफीस जाना था ओर मैं थोड़ा लेट सो कर उठी थी.. इस लिए उठ ते के साथ ही मैं किचन के अंदर चली आई मनीष के ऑफीस जाने के लिए खाना तैयार करने के लिए.. 

अरे पीनू तुम्हे कही आना जाना तो नही है ? मनीष ने जाते हुए उस से पूछा.. 

नही भैया जी मुझे कही नही जाना आज मैं यही पर रह कर एक्षाँ की तैयारी करूगा.. कल जाना है एग्ज़ॅम देने के लिए..

उसकी बात सुन कर मैं अपने दाँत भींच कर रह गयी.. मेरा पूरा खून खूल गया था.. मनीष के जाते ही मैं वापस अपने कमरे मे आ गयी ऑर कपड़े वगेरह सही करने लग गयी.. सुबह के 10 बज रहे थे.. हमारे घर मे एक काम वाली आती थी घर का काम करने के लिए.. वो रोज सुबह 10 बजे तक आती थी ऑर 11 बजे तक घर की सॉफ सफाई का काम करके चली जाती थी.. 

काम वाली के जाने के बाद करीब 12 बजे मैने दोफर का खाना बनाने के लिए किचन मे गयी.. उस देहाती की पसंद पूछना मैने ज़रूरी नही समझा.. मनीष सुबह ही लंच ले कर चले गये थे इस लिए मुझे उनके लिए खाना बनाने की कोई ज़रूरत नही थी.. दो जानो का खाना बनाना था इसलिए मुझे ज़्यादा टाइम नही लगा खाना बना ने मे.. मेरे दिमाग़ मे यही चल रहा था कि इसे जितना कम भाव दिया जाए उतना ही अच्छा है.. वैसे भी मुझे इसकी हरकत ज़रा भी पसंद नही है.. हर समय मुझे ही घूरता रहता है.. ओर रात को तो मुझे चिढ़ा रहा था.. सोच कर ही मेरा पूरा दिमाग़ खराब हो गया था.. 

खाना बनाने के बाद जब मैं किचन से निकली तो वो मेरे पीछे ही कुछ दूरी पर खड़े हो कर मुझे देख रहा था.. उसे देख कर मेरा खून खौल गया था.. मैं वाहा से पैर पटक कर टाय्लेट के अंदर चली गयी.. गर्मी मे खड़े हो कर खाना बना ने की वजह से मुझे बोहोत ज़ोर से प्रेशर आ रहा था.. मेरा पूरा चेहरा पसीने से भीग गया था.. 

जब मैं टाय्लेट के बाहर आई तो फिर से टाय्लेट के बाहर अपने लिंग पर हाथ फिराते हुए खड़ा था.. 

उसकी इस हरकत को देख कर मैं बुरी तरह से उस पर झल्ला पड़ी.. 

ये क्या बदतमीज़ी है ? मैने गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा.. 

क्या हुआ भाभी जी ? क्या बदतमीज़ी कर दी मैने ? उसने अपने लिंग पर हाथ को ऑर भी तेज़ी से जैसे वो उसे मरोड़ रहा हो, करना शुरू कर दिया.. 

उसकी ये बात ओर हरकत देख कर मुझसे बर्दाश्त नही हुआ.. मैं उस से कहने ही वाली कि थी कि तुम मुझे देख कर तुम अपने लिंग पर हाथ क्यू लगाते हो ? पर अगले ही पल मैने खुद पर काबू पाया ऑर वाहा पर पैर पटकते हुए वापस अपने कमरे मे आ गयी.. 

उसकी इस हरकत ओर जवाब को सुन कर मेरा पूरा सर दर्द करने लग गया था समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू.. मनीष को उसकी इस हरकत के बारे मे बताऊ या नही.. 

मैं अपने कमरे मे आई ही थी कि वो पीछे से आ गया.. मैने दरवाजा बंद नही किया था इस लिए वो सीधा अंदर घुसा चला आया.. जब मेरी नज़र उस पर पढ़ी तो मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गयी.. 

तुउउउम्म्म्म… तुम.. यहा क्या कर रहे हो ? मैं जल्दी से उठ कर बैठ गयी ओर अपने कपड़े सही करने लगी.. 

वो भाभी भूक लगी थी.. उसका हाथ बराबर उसके लिंग पर चल रहा था. 

मेरा मन तो ऐसा किया कि खींच कर एक लात उसके लिंग पर मार दू.. पर कर नही सकी.. ठीक है तुम बाहर चलो मैं आती हू
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#16
Nice update yaar
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#17
Thanks
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#18
थोड़ी ही देर मे मैं अपने ठीक करके बाहर आ गयी.. वो बाहर खाने की टेबल पर बैठा हुआ था ऑर मुझे ही देखे जा रहा था.. वो जिस तरह से मुझे घूरता था मेरे अंदर एक आग लग जाती थी.. कुछ कह भी नही सकती थी.. मनीष के गाँव से जो आया था.. शादी के बाद मैं गाँव मे ज़्यादा नही रही थी इस लिए मुझे वाहा के लोगो के बारे मे कोई जानकारी नही थी… 

मैने किचन मे जा कर खाना ले कर उसको सर्व कर दिया.. अभी मैं वाहा से हट कर थोड़ी दूर ही चली थी.. की.. 

आआहह… आआअहह… उसने आवाज़ निकालना शुरू कर दिया. उसके मुँह से आवाज़ सुन कर मैं वापस उसकी तरफ पलटी.. 

इस तरह की हरकत करके तुम क्या दिखना चाहते हो कि तुम बोहोत स्मार्ट हो ? मैने उसकी तरफ गुस्से से देखते हुए बोला.. खुद पर काबू करना अब मुश्किल होता जा रहा था.. 

मेरी बात सुन कर वो कुछ नही बोला ऑर मुझे देख कर मुस्कुराने लग गया.. 

मुझे पता है कि तुमने कल मनीष ऑर हमारी बात सुन ली थी.. पर तुम्हारी भलाई इसीमे है कि तुम अपने काम से काम रखो एग्ज़ॅम देने आए हो एग्ज़ॅम दो ऑर यहा से चलते बनो.. मैने खुले खुले सॉफ सॉफ शब्दो मे उसे कह दिया.. 

आप क्या कह रहे हो भाभी जी मेरी कुछ समझ मे नही आ रहा है.. उसने बनने का नाटक किया जैसे उसे कुछ पता ही नही हो.. 

देखो मिस्टर. अमित ज़्यादा स्मार्ट बनने की ज़रूरत नही है.. ओर जिस तरह की तुम हरकत कर रहे हो यहा पर मुझे देख कर इस बारे मे मैं मनीष से बात करूगी.. तब तुम्हे पता चलेगा.. अगर तुम चाहते हो कि मैं मनीष से कुछ ना कहु तो चुप चाप अपने काम से काम रखो ओर मुझसे दूर रहो.. मैने एक ही साँस मे उसे बुरी तरह से हड़का दिया था.. 

भाभी आप आवाज़े बोहोत बढ़िया करती हो.. उसने फिर से मुस्कुराते हुए कहा.. 

उसकी बात सुन कर मैं बुरी तरह से चौंक पड़ी.. शर्म के मारे मेरे मुँह से अब शब्द नही निकल रहे थे.. 

वैसे कितनी बार किया था भैया ने ? ऑर आप के वाहा जो तिल है कसम से भाभी जी एक कातिल है.. उसने मेरे कुछ कहने से पहले ही अपनी बात कह दी.. 

मुझे तो लग रहा था कि इसने केवल आवाज़ ही सुनी है पर जब तिल की बात की तो मैं बुरी तरह से घबरा गयी.. 

वैसे भाभी जी मैने वो तिल अपने मोबाइल मे ले लिया है गाँव मे जा कर जब आप की याद आएगी तब आराम से देखा करूगा.. 

मेरे दोनो हाथ मेरे मुँह पर आ गये.. मैं उस से कुछ कहती तब तक मेरे मोबाइल की बेल बज गयी.. फ़ोन मनीष का था.. 

हेलो… जान.. मुझे ऑफीस के काम से 2 दिनो के लिए बाहर जाना पड़ रहा है.. मेरा वेट ना करना ऑर पीनू को खाना खिला देना ऑर खुद भी खा लेना.. ओकक बाइ कह कर मनीष ने फ़ोन कट कर दिया.. 

मैं उन्हे इस पीनू की हरकत के बारे मे बताना चाहती थी पर जब उन्होने बाहर जाने का नाम लिया तो फिर मैने अपने आप को रोक लिया.. क्यू की मैं अपनी वजह से उन्हे डिस्टर्ब नही करना चाहती थी.. इस लिए उन्हे कुछ नही कहा.. 


मैं वापस अपने कमरे मे जाने लगी क्यूकी उस से बात करने का कोई मतलब नही समझ मे आ रहा था.. समझ नही आ रहा था कि क्या कहु उस से उसने मेरी तस्वीरे अपने मोबाइल मे ले ली.. 

तभी मेरे दिमाग़ मे एक आइडिया आया कि कोई बात नही है रात को जब सो जाएगा तब उसके कमरे मे जाकर उसके मोबाइल से अपने तस्वीरे डिलीट कर दुगी..
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#19
मैं वाहा से फिर अपने कमरे के लिए जाने को हुई तो वो फिर से वही आआआआअहह… आआहह… की आवाज़ निकाल कर मुझे चिढ़ाने लग गया..

मैं अपने कमरे मे वापस आ गयी ऑर अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया.. दिमाग़ पूरी तरह से खराब हो गया था जिसकी वजह से हेडएक हो गया था.. दर्द से नीजात पाने के लिए मैने सर दर्द की गोली ले ली ऑर काम वाली बाई रूपा को शाम को आने के लिए फ़ोन करके सो गयी..

शाम को काफ़ी देर तक मेरी आँख नही खुली.. सो कर उठने के बाद मैं काफ़ी हल्का हल्का सा महसूस कर रही थी..

मैं भूल गयी थी कि काम करने के लिए मैने रूपा को बुला लिया था.. उठ कर मैं कमरे से बाहर आई तो बाहर देख कर लग रहा था कि काफ़ी ज़्यादा टाइम हो गया था मुझे सोए हुए.. मैं अपने बालो को सही करते हुए किचन के अंदर आ गयी जहा सारे बर्तन वगेरह एक दम सॉफ रखे हुए थे.. सॉफ बर्तनो को देख कर मुझे याद आया कि मैं शाम को रूपा को बुला लिया था ताकि उस अमित के बच्चे के आगे ना जाना पड़े मुझे रूपा से ही उसके खाने पीने का इंतज़ाम करवा दूँगी..

रूपा ने काम ख़तम कर दिया ऑर मुझे बिना बताए वो चली भी गयी ऐसा कैसे हो सकता है.. वो मुझे बिना बताए ही चली गयी.. ओह्ह.. शायद उसने मुझे आवाज़ लगाई हो ऑर मैं गहरी नींद मे सो रही थी इस लिए मुझे पता नही चला.. मैने अपने सर पर हाथ मारते हुए खुद को जवाब दिया..

अपने लिए किचन मे चाइ बना कर पीने के बाद कोई काम तो था नही सोचा जा कर इस देहाती को देखा जाए कि क्या कर रहा है.. मैने चाइ का कप वही किचन मे रख कर उसके कमरे की तरफ चल दी..

उसके कमरे की तरफ बढ़ते हुए मेरे दिमाग़ मे कयि सवाल उठ रहे थे क्या इस तरह उसके कमरे की तरफ जाना सही है.. क्या मैं इस तरह उस पर नज़र रख कर सही कर रही हू.. अभी मैं ये सब सोच ही रही थी कि अंदर कमरे से आती हुई आवाज़ ने मेरे होश ही उड़ा कर रख दिया..

आआहह… उूउउइ…म्माआ….. धीरीईई… ध्ीएररररीई…. आऐईयईईईईई….. मररररर…. गयी….

ईीई… ये आवाज़ तो रूपा की है… यही रूपा इस अमित के साथ अंदर है.. अंदर से आ रही आवाज़े सुन कर मेरे दिल की धड़कने बढ़ गयी.. मेरे चेहरे पर बुरी तरह से पसीना आ गया था.. समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू क्या नही..

पहले सोचा कि ज़ोर से आवाज़ लगा कर रूपा को आवाज़ दू.. पर फिर पता नही मेरे दिल मे आया कि देखु तो सही ये कर क्या रहा है..

दरवाजे के पास आ कर मैं कान लगा कर उनके सिसकारिया लेने की आवाज़ सुन ने लगी..

आअहह.. उम्म्म… स्ाआहाआब्ब्ब… धीरीई… धीरीए.. करो आप का बोहोत बड़ा है आह..

क्यू भोसड़ी की तेरे पति का क्या छ्होटा है… ?

हां साहब आप के लंड का आधा भी नही है..

तभी तेरी चूत एक दम मक्खन मलाई है.. तेरा पति कितनी दफ़ा लेता है तेरी..

वो साले का तो अब खड़ा भी नही होता.. वो क्या चोदेगा मुझे.. आहह…. आप के जैसा लंड अपनी चूत मे लेकर मुझे इतनी ख़ुसी हो रही है जिसे मैं बता नही सकती..

छीईईई कैसी गंदी गंदी बाते कर रहे है..

आआहह… तेजज़्ज़्ज… र तेजज्ज़ अब मैं झड़ने वाली हू रुकना मत साहब रुकना मत ओर तेजज़्ज़्ज्ज….

अंदर की आवाज़ सुन कर मेरी पूरा दिमाग़ खराब हो चुका था.. उन आवाज़ो को सुन कर मेरा पूरा गला सुख सा गया था..
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#20
अंदर से आ रही आवाज़े मुझे बेचैन करने लगी.. उन आवाज़ो को सुन कर मेरे दोनो पैर कप कपाने लगे.. समझ नही आरहा था कि यहा पर रुक कर ये सब सुनू या आवाज़ लगा कर उन को रोकू.. या फिर बिना कुछ कहे अपने कमरे मे वापस आ जाउ.. एक अजीब सी बेचैन कर देने वाली इस्थिति ने मुझको घेर लिया था.. कुछ भी समझना बोहोत मुस्किल होता जा रहा था..

मैं अभी अपनी ही सोच मे डूबी थी कि अंदर से आ रही आवाज़ ने मेरा ध्यान तोड़ दिया..

रूपा तेरी मेम्साब एक दम मस्त माल है.. मनीष भैया तो जम कर मज़े लेते होंगे..? अमित ने रूपा से पूछा..

आऐईयइ…. धीरे धीरे दबाओ ना साहिब दर्द होता है.. हां ये बात तो है.. मेम्साब बोहोत सुन्दर है.. एक दो बार मैने उनके कमरे की सफाई करते हुए जब उनके बेड की चादर देखी तो समझ गयी थी कि रात को साहिब ने मेम्साब की जम कर चुदाई की है.. पूरी की पूरी चादर पर लंड चूत के पानी के निशान थे.. ऑर कयि बार तो सफाई करते हुए मुझे वो रबर के गुब्बारे क्या बोलते है उन्हे कॉंडम भी मिले थे.. बड़ा गिल-गीला सा होता है.. आअहह…. इसको भी चूसो ना… एक ही चुचि को कितनी देर तक चुसोगे.. उउईइ….माआ….

तूने कभी देखा है उनको चुदाई करते हुए ?

नही ऐसा मौका कभी नही मिला.. हां पर जब साहिब की छुट्टी होती है तो साहिब मेम्साब को एक दूसरे से लिपट’ते हुए ज़रूर देखा है..

अच्छा तुझे क्या लगता है मनीष भैया भाभी की चूत ही चूत मारते होंगे या गांद भी..?

हे भगवान ये क्या हो रहा है.. ये लड़का मेरे बारे मे सब पूछता जा रहा है.. ऑर ये हरम्खोर रूपा भी उसे मज़े ले कर सब कुछ बताए जा रही है.. उन दोनो की बाते सुन कर मेरा खून खोले जा रहा था.. एक काम करती हू.. मनीष को दिखाने के लिए की ये लड़का कितना गंदा है ऑर हमारे बारे मे कितनी गंदी गंदी बाते कर रहा है.. मोबाइल मे इसकी वीडियो बना लेती हू ऑर म्‍मस बना कर मनीष को सेंड कर देती हू.. तब पता चलेगा इसको.. लेकिन उस से पहले ये तो देख लूँ कि ये दोनो दिखाई किस जगह से दे रहे है..

यही सोच कर मैं इधर उधर जगह देखने लगी ताकि अंदर का जो कुछ चल रहा है दिख जाए.. इधर उधर देखते हुए मैं एक दम खिड़की के पास आ गयी.. जो किस्मत से खुली हुई थी.. मैने खिड़की का दरवाजा हल्का सा खोल कर अंदर झाँक कर देखा तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी..

रूपा एक दम नंगी बिस्तर पर लेटी हुई थी.. ऑर वो अमित का बच्चा उसके उपर चढ़ कर उसके एक उरोज को अपने मुँह मे ले कर चूस रहा था ओर दूसरे को अपने एक हाथ से दबा रहा था उसका एक हाथ नीचे की तरफ रूपा की योनि के उपर था..

रूपा की उमर करीब 27-28 साल के आस-पास होगी.. उसकी हाइट करीब 5’6”.. रंग हल्का सांवला था.. बिस्तर पर लेटी रूपा को नंगा देख कर पहली बार मैने किसी औरत को एक दम नंगा देखा था.. कुछ पल के लिए तो मेरी निगाहे रूपा के नंगे जिस्म पर जम गयी.. उसके दोनो उरोज बिल्कुल मेरे जैसे ही बड़े बड़े थे.. जिनके साथ इस वक़्त अमित खेल रहा था.. अमित के खेलने से उसके दोनो उरोज एक दम तन कर हिमालय पर्वत की तरह खड़े हो गये थे.. उसके निपल जो ब्राउन कलर के जिनका साइज़ लगभग 1cम के बराबर होगा.. पेन्सिल की नोक के जैसे एक दम शख्त हो गये थे..

पता नही पर मेम्साब अपनी गांद मे शायद ही साहिब का लंड लेती हो.. रूपा ने अमित की बात का जवाब देते हुए कहा..

ये लड़का एक दम पागल हो गया है.. अनल सेक्स भी कोई करने की चीज़ है.. मैने मन ही मन मे सोचा.. उन दोनो को इस तरह देख कर ओर उनकी बाते सुन कर मेरी खुद की हालत खराब होने लग गयी थी.. मेरी योनि ने कब रिसना शुरू कर दिया पता ही नही चला..
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