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Adultery मेहमान बेईमान
कोई बात नहीं अगर राइटर की मर्जी है बंद करने का तो बंद कर दें ऐसा थोड़े इसके बिना जिंदगी भी खत्म हो जाएगी कोई और पढ़ेंगे दूसरे राइटर का
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भाई बंद करने का पहले इसका ओरिजिनल स्टोरी का लिंक भेज डाल देना बस
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(22-01-2020, 09:42 PM)rekha6625 Wrote: हमेशा ही ये क्यो होता है कि लेखक हमेशा नेगेटिव कमेंट को तवज्जो देता है, नाकि पॉजिटिव को, हमारा क्या कसूर ह,लेखक महोदय जी कहानी से वंचित रख रहे हो, प्लीज अपडेट दीजिये।

Dear aisa nahi hai ye same log aakar bar bar yabi cheezen kar rahe bai. Or credits leke mujhe koi personal
Fayde to mil nahi rhe
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आप कहानी जारी रखिये। ये मर्द जात गान में अंगुली किये बिना कहाँ मानते है। मस्त कहानी को यूं बन्द किया तो बहुत पाप लगेगा बहना।
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Thanks for the constant support I'll continue kal update nikega and teach me how to block people
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आप मेरी बेगम को बताना मत. वो मेरी बहुत इज़्ज़त करती है. पहली बार मेरे साथ ऐसा हुवा है. मुझे माफ़ कर दीजिए"

"ठीक ठीक है... पर आपको ऐसी बाते सोभा नही देती. जब की आप की तो बीवी भी है”

“मुझे पता है मेरी बीवी है.. पर उसका होना ना होना एक बराबर ही है.. आज पूरे 5 साल हो गये है और 5 साल से मैं उसके जितना नज़दीक जाने की कोसिस करता हू वो मुझसे उतना ही दूर भागती है. जब से किसी बाबा ने कहा है कि तुम्हारे पति की लंबी उमर के लिए तुम्हे अपने पति से दूर रहना होगा. तब से वो मेरे साथ हो कर भी मेरे साथ नही है और जब आज तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत को देखा तो मैं बहक गया समझ मे ही नही आया कि क्या सही है और क्या ग़लत..”

उसकी बात सुन कर मैं हैरान रह गयी क्यूकी अभी थोड़ी देर पहले उसकी बीवी ने कुछ कहा और अब वो कुछ और ही कह रहा है.. पर मुझे ना जाने क्यू उसकी बातो मे सच्चाई सी महसूस होने लगी..”चलिए छ्चोड़िए इन सब बातो को.. मैं आप की बेटी की उमर की हू आप ने ये तो सोचा होता”

“इतना जॅलील ना करो कि मैं शर्म से मर जाउ.. इंसान हू और इंसान से ग़लती हो जाती है.”

बूढ़ा सही कह रहा है इंसान से ही ग़लती होती है.. इस बात के जहाँ मे आते ही मुझे अमित और अपने बीच वाली घटना याद आ गयी.

“वैसे एक बात कहु बुरा तो नही मानोगी ?” बूढ़े ने बोला और खामोश हो गया.. मैं सोच ही रही थी कि अब पता नही ये क्या कहने वाला है “आप की तारीफ मे ही कहुगा”

“हां बोलो” मैने भी अपनी तारीफ सुनने के लालच मे उस से कह दिया. बोलने को.

वो मेरे पास मे ही था और अब भी उसका इंची टेप मेरे नितंबो पर ही टिका हुआ था. “उपर वाले ने बोहोत खूबसूरत बनाया है तुम्हारे शरीर को.. कोई भी बहक सकता है तुम्हारी इस कमसिन जवानी को देख कर.. आज तक मैने तुम जैसी गदराई भरी जवानी वाली औरत को पास से नही देखा था.. पूरे शरीर का एक एक हिस्सा उपर वाले ने बोहोत महनत से बनाए है.. कहाँ पर कितना कटान होना चाहिए सब कुछ एक दम नपा तुला है.. वैसे इस गाँव की तो तुम हो नही शहर की लगती हो” उसने अपने इंचिटपे को मेरे नितंबो पर थोड़ा सा और ज़्यादा टाइट करते हुए कहा.

“हां मैं शहर से ही हू पर तुम फिर से शुरू हो गये.. अभी माफी माँगी थी तुमने..” मैने उस टेलर पर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.

“आप तो बुरा मान गयी मेरी बात का मैं तो केवल आप की तारीफ कर रहा था.”

“तारीफ करने से कोई फ़ायडा नही है.. जो तुम सोच रहे हो वो सब ग़लत है.” मैने भी थोड़ा मज़े लेने वाले अंदाज मे उसकी बात का जवाब देते हुए कहा.

“मुझे पता है कि कोई फ़ायडा नही है पर जो सच है वो कह दिया.” उसने भी फिर से मक्खन लगाने वाले अंदाज मे कहा. उसका इंचिटपे अब भी मेरे नितंबो पर टिका हुआ था.

“अब अगर तुम्हारा नाप लेना हो गया हो तो इस इंचिटपे को हटा लो..” मैने थोड़ा सा मुस्कुराते हुए कहा.

“नाप तो हो गया पर…..” वो बोलते बोलते रह गया.

“पर… क्या अब क्या बचा है ?” मैने थोड़ा हैरान होते हुए कहा.

“अगर तुम बुरा ना मानो तो क्या मैं तुम्हारे तरबूजो को छू कर देख सकता हू.. बड़ा मन कर रहा है.. बस एक बार… मैं तुम्हारा ये एहसान जिंदगी भर नही भूलुगा”

मैं कुछ कहते या समझती उसने अपने दोनो हाथो को मेरे नितंबो पर कस कर जमा दिया और जिस तरह से कल अमित ने इन्हे मसला था ठीक वैसे ही उसने मसलना शुरू कर दिया. उसके हाथो की कठोरता अपने नितंबो पर महसूस करते ही मेरे पूरे शरीर मे एक अजीब सी सनसनी की लहर दौड़ गयी. मैं उसे मना करने ही वाली थी कि उसने अपने बदन को मेरे बदन से बिल्कुल चिपका दिया.

उसका इस तरह से खुद के शरीर को मेरे शरीर के साथ चिपकने से उसका तना हुआ लिंग मुझे मेरे नितंबो की दरार मे महसूस होने लग गया. बूढ़े के लिंग का एहसास होते ही मैने अपने आप को उस से अलग करने की कोसिस की पर उसने अपने दोनो हाथो की पकड़ मेरे नितंब पर बोहोत मजबूत बना रखी थी जिस वजह से मैं चाह कर भी खुद को उस से अलग नही कर पाई.

पता नही मुझे अचानक क्या हुआ.. खुद को उस से दूर करने की जगह मैं अपने दिमाग़ मे उसके लिंग को महसूस करके इस बात का अंदाज लगाने लगी कि उसका लिंग कितना मोटा है…

वो पूरी मस्ती के साथ अपने दोनो हाथो से मेरे नितंबो को मसले जा रहा था और मैं अपनी आँखे बंद किए हुए उसके हाथो का और उसके मोटे लिंग का एहसास महसूस कर रही थी. उसके हाथो की छुवन और उसके मोटे लिंग का एहसास मुझे एक अजीब सी खुमारी मे डूबा जा रहा था. उसके हाथो की मजबूत पकड़ से मेरे मुँह से अपने आप कामुक सिसकारिया निकलने लग गयी. अभी मुश्किल से दो मिनट भी नही हुए थे कि मुझे अचानक से ख्याल आया कि मैं ये जो कुछ भी कर रही हू वो सब ग़लत है. मैं एक शादी शुदा औरत हू मुझे इस तरह का कोई भी काम शोभा नही देता. अपने शादी शुदा होने की बात का ख़याल आते ही मनीष का चेहरा मेरी आँखो के आगे घूमने लागा
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और मैने एक झटके के साथ ही उसे अपने से दूर कर दिया

“क्या हुआ” उसने बड़ी उदासी भरा चेहरे बनाते हुए कहा.

“तुम से ज़रा हंस कर बात क्या कर ली बुड्ढे तुम तो अपनी औकात ही भूल गये” मैने उस पर गुस्सा करते हुए कहा.

“ये अचानक तुम्हे क्या हो गया ? अभी तो कितने अच्छे से बात कर रही थी?” उसने अपने बुरे से चेहरे को रोनी सूरत मे और भी बुरा बनाते हुए कहा

“अच्छे से ही बात करती अगर तुम अच्छे से बात करने लायक होते” मैने अपनी आवाज़ मे और भी ज़्यादा गुस्सा और कठोरता लाते हुए कहा.

“पर मैने तूऊ..” वो अपनी पूरी बात कह पता इस से पहले ही उसकी बीवी दरवाजा खोल कर अंदर की तरफ आ गयी.

उसकी बीवी के आते ही मुझे अनिता का ख़याल आया उसे काफ़ी देर हो चुकी थी गये हुए और वो अभी तक वापस नही आई थी मेरा दिल जोरो से धड़कने लग गया. मुझे अंदर ही अंदर एक अंजाना डर सताने लग गया. क्यूकी जिस तरह के लोग यहा इस देहात मे मिल रहे थे मुझे अनिता को लेकर और भी ज़्यादा चिंता होने लग गयी थी. एक तो कुवारि लड़की उपर से अकेले यही सब सोच सोच कर मेरा दिल बैठा जा रहा था. मेरी नज़रे बार बार दरवाजे पर जा कर टिक जा रही थी.

“क्या हुआ नाप हो गया ?” जावेद की बीवी ने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देख कर कहा.

मैने उनके सवाल के जवाब मे गर्दन हां मे हिलाई और वापस दरवाजे की तरफ देखने लग गयी.

“क्या हुआ तुम बार बार दरवाजा की तरफ क्या देख रही हो ?” जावेद की बीवी ने मुझसे कहा तो जावेद भी मेरी तरफ असमजस भरी नज़रो से देखने लग गया.

“अनिता को देख रही हू, उसे गये हुए काफ़ी टाइम हो गया है वापस नही आई है अभी तक घर पर सब परेशान हो रहे होगे..” कह कर मैं अपने कपड़े वही पर छ्चोड़ कर बाहर जाने लगी

“अरे मोहतार्मा आप अपने विकास भैया के यहा से हो ?” जावेद ने एक दम बुरी तरह से हैरान होते हुए कहा, उसे तो चेहरे की एक दम हवैया सी ही उड़ गयी थी.

“अरे.. जुंमन के अब्बू आप ने इन्हे पहचाना नही ये मनीष की बेगम है” जावेद की बीवी ने जावेद को मुस्कुराते हुए बताया.

“अरे तो ये मनीष की बेगम साहिबा है, आप ने पहले बताया ही नही कि आप विकास भैया की भाभी हो,,” कह कर वो मेरी तरफ देख कर एक पल को मुस्कुराया पर फिर से उसके चेहरे के भाव उड़े उड़े नज़र आ रहे थे, मुझे अच्छे से पता था कि उसके चेहरे के भाव क्यू उड़े हुए है. उसे डर था कि कही मैं उसकी शिकायत घर पर ना कर दू.

ये सब बाते अभी सब सोचने का नही था मुझे अनिता को देखना था. इस लिए मैं वहाँ से जाने को हुई ही थी कि जावेद की बीवी मेरे से बोल पड़ी “अरे बेटी धूप मे कहाँ बेकार मे परेशान होगी थोड़ी देर और इंतजार कर लो अनिता बेटी आ जाएगी”

“नही मैं वैसे भी काफ़ी लेट हो चुकी हू. अब और इस इंतजार करना…” मेरी बात को बीच मे काट ते हुए वो बोली

“अरे बेटी तुम चिंता ना करो अनिता बिटिया यहाँ की एक एक गली को अच्छे से जानती है, तुम उसकी चिंता मत करो”

जावेद की बीवी ने मुझे तसाल्लि देते हुए कहा
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पर मुझे उस वक़्त तसल्ली से ज़्यादा अनिता की फिकर हो रही थी इस लिए मैं उन दोनो के लाख रोकने पर भी नही रुकी और वहाँ से बाहर निकल आई और उस तरफ़ जिस तरफ अनिता गयी थी उस दिशा मे चल दी. पूरे रास्ते चलते हुए मेरे कई उल्टे सीधे ख्यालात आ रहे थे समझ मे नही आ रहा था कि वो उस रिक्शे वाले को ढूँढने कहाँ पर गयी होगी.. धूप इतनी तेज पड़ रही थी कि थोड़े दूर चलते ही मेरा सर तेज धूप से चकराने लगा मुझे चक्कर से आने लग गये थे. थोड़ी छाँव की तलाश करते हुए मैं इधर उधर देखने लगी पर कही कोई छायादार जगह दिखाई ही नही दे रही थी हर तरफ बस खेत ही खेत और सर के उपर सूरज से निकलती हुई आग… गर्मी के कारण मेरा पूरा गला सुख गया था मुझे बोहोत जोरो की प्यास लगी हुई थी.

मैं मन ही मन अनिता को और फिर अपने आप को कोसने लग गयी. की मैं अनिता के साथ आई ही क्यू यहाँ ?

पर अब किया भी क्या जा सकता था चलते चलते थोड़ी ही दूरी पर एक झोपड़ी सी नज़र आने लगी जो एक खेत मे बनी हुई थी. उसके छप्पर मे थोड़ी छाया सी दिखाई दी और साथ ही एक हॅंड-पंप भी प्यास तो बोहोत ज़ोर से लगी हुई थी हॅंड-पंप देख कर मुझसे रहा नही गया और मैं सीधा उस झोपड़ी की तरफ चल दी.

झूपड़ी के पास आते ही मुझे झूपड़ी के अंदर से आपस मे बात करने की आवाज़े आती हुई सुनाई दी.. अंदर से जो आवाज़े आ रही थी ऐसा लग रहा था जैसे मैने वो आवाज़ पहले भी कही सुनी है. उन आवाज़ो को सोचने के चक्कर मे मे अपनी प्यास को भूल गयी और मेरे कदम खुद-ब-खुद उस झोपड़ी के दरवाजे की तरफ हो लिए.

जैसे ही मैं झोपड़ी के थोड़े और पास आई और जब आवाज़ दोबारा से आई तो मेरा मुँह खुला का खुला रह गया. अंदर से आती हुई आवाज़े किसी और की नही बल्कि अनिता की थी. और दूसरे आवाज़ उस लड़के की जो कल रात अमित के साथ था.

“दीपक मुझे बोहोत डर लग रहा है” अनिता की आवाज़ मे कुछ ऐसा था जो जिस कारण उसकी आवाज़ बोहोत डरी हुई सी लग रही थी या तो वो… अंदर वो सब कुछ चुकी थी या करने के लिए डर रही थी.

“मैने कहा ना कुछ नही होगा, तुम तो बेकार मे डर रही हो. अगर कुछ हुआ भी तो मैं हू ना.” उस लड़के की आवाज़ आती है..

“मुझे बोहोत डर लग रहा है दीपक” अनिता की आवाज़ मे एक डर सॉफ झलक रहा था.

“डरने वाली कोई बात नही है. ये तो हर लड़की के साथ होता है जब पहली बार करते है तो ऐसा ही होता है. अगर तुम्हे मेरी बात पर भरोसा ना हो तो अपनी किसी सहेली से पूछ लेना. इस खून को देख कर तुम्हे डरने की कोई ज़रूरत नही है.” उस लड़के की बात सुन कर मेरा शक़ यकीन मे बदल गया.

मैं झोपड़ी के बाहर खड़ी हुई थी सर पर बुरी तरह से धूप पड़ रही थी और पूरा गला भी सुख रहा था. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू. क्या मेरा दरवाजा खटखटा कर दोनो को डांटना सही होगा. जो ये दोनो कर रहे है वो ग़लत है.

“नही दीपक अब नही बोहोत दर्द हो रहा है..” अनिता की दर्द भरी आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी.

“अरे बिल्कुल दर्द नही होगा.. जितना दर्द होना था वो हो गया अब सिर्फ़ मज़ा आएगा. ऐसा मज़ा जो तुम्हे कभी नही आया होगा. बस तुम थोड़ा सा खुल जाओ.”

“दीपक बोहोत देर हो गयी है. भाभी भी परेशान हो रही होगी.” अनिता की वही दर्द भरी आवाज़.

“बस 10 मिनट की बात है अनिता..”

उन दोनो की बाते सुन कर मेरी हालत जो गर्मी की वजह से पहले ही खराब थी और भी ज़्यादा खराब होने लग गयी. मेरी छाती के दोनो उभार एक दम सख़्त होने लग गये और नीचे मेरी योनि ने अपनी लार टपकाना शुरू कर दिया. सर पर गिरती तेज धूप जो थोड़ी देर पहले तक परेशान कर रही थी अब तो उसका नाम ओ निशान भी महसूस नही हो रहा था.

“थोड़ा इधर की तरफ हो जाओ.” उस लड़के की आवाज़ सुन कर सॉफ पता चल रहा था कि वो क्या करने की कह रहा था. मेरा मन अब और भी ज़्यादा बेचैन होने लग गया था. मेरी निगाहे इधर उधर अंदर का नज़ारा देखनेके लिए बेचैन होने लग गयी. थोड़ी देर इधर उधर देखने के बाद मैं जैसे ही झोपड़ी के दूसरी तरफ को गयी वहाँ पर छाँव भी अच्छी थी और दूसरा खिड़की भी बनी हुई थी.. खिड़की ज़्यादा बड़ी नही थी छ्होटी सी थी पर अंदर का नज़ारा देखने के लिए काफ़ी थी. पर उस खिड़की से अंदर देखने मे एक मुस्किल थी वो खिड़की थोड़ा उपर की तरफ थी और मैं उस खिड़की पर ठीक से नही पहुँच पा रही थी. कई बार मैने उचक कर अंदर देखने की कोसिस की पर नही देख सकी. पास ही पड़े एक पत्थर पर निगाह पड़ते ही मैने उसे खिड़की के नीचे लगाया और उस पर खड़े हो कर देखने लगी उस पत्थर को लगाने के बादभी मुझे अपने दोनो पंजो पर खड़े हो कर देखना पड़ रहा था. अंदर का नज़ारा देख कर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया.
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झोपड़ी के अंदर ज़मीन पर अनिता एक दम नंगी लेटी हुई थी और उसके पास ही वो लड़का दीपक बैठा हुआ था. जहाँ अनिता लेटी थी उसकी दोनो टाँगो के नीचे और उसकी योनि पर लाल लाल खून के दाग लगे हुए थे जिस से सॉफ पता चल रहा था कि उसने अपनी वर्जिनिटी खो दी है. अनिता से हट कर जब मेरी नज़र उस लड़के पर पड़ी तो मेरी आँखे एक दम हैरत मे खो गयी. उस लड़के का लिंग भी अमित के जैसा ही भीमकाय था. पर अमित और उसमे काफ़ी फ़र्क था.. जहा अमित एक दम देहाती अनपढ़ गँवार लगता था वही वो पढ़ा लिखा स्मार्ट था. उसका लिंग पूरी तरह से तना हुआ था और उसके लिंग पर भी खून के लाल लाल धब्बे लगे हुए थे. उसका लिंग पूरी तरह तन कर उपर नीचे की तरफ झटके ले रहा था.


वो वही अनिता के पास ही बैठा हुआ था उसका चेहरा अनिता के चेहरे के उपर झुका हुआ था. और उसका एक हाथ अनिता के उरोज को पकड़ कर मसल रहा था और दूसरा हाथ अनिता के नितंबो पर था जो उसे सख्ती के साथ मसल रहे थे. बाहर से खड़े हो कर देखने और उपर की तरफ उचकने की वजह से मेरे पैरो मे काफ़ी दर्द सा महसूस होने लग गया. पर उस समय तो जैसे मुझे वो दोनो आगे क्या करते है ये देखना ज़्यादा इंपॉर्टेंट लग रहा था.

वो लड़का अनिता के उपर और ज़्यादा झुका और उसके होंठो को अपने होंठ से जकड़ने ही वाला था कि अनिता ने उसकी आँखो मे आँखे डाल कर फर्याद करते हुए लहजे मे कहा.

“प्लीज़ दीपक मान जाओ ना.. बोहोत लेट हो गयी हू.. अगर भाभी घर चली गयी बिना मुझे लिए तो मेरे लिए दिक्कत हो जाएगी..”

“बस एक बार करूगा फिर तुम आराम से चली जाना” कह कर उसने अपने होंठो को अनिता के होंठो पर टिका दिया.

उन दोनो को यूँ किस्सिंग करते हुए देख कर मेरी खुद की योनि मे जैसा आग सी लगी जा रही थी जिसकी वजह से वो और भी ज़्यादा पानी बहाने लग गयी. पता नही ये सब अचानक से मेरे साथ क्या होने लग गया था. मैं कभी भी इस तरह की नही थी जैसी की आज हो गयी हू.. ये सब उस अमित की वजह से हुआ है ना वो हमारे घर आता ना हम दोनो के बीच मे वो सब होता और ना ही मैं इस तरह से ये सब… ऐसा ख़याल आते ही एक पल के लिए मुझे अपने आप पर शरम सी आई और मैं वहाँ से हटने ही वाली थी की अंदर से आती हुई अनिता की सिसकारी ने मेरे पूरे तन बदन मे एक सनसनी सी दौड़ा दी…

ष्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…

… आआआआआईयईईईईईइइम्म्म्ममाआआअ….

और मैं वापस खिड़की जा लगी.. अंदर देखा तो उस लड़के ने अनिता के होंठो को छ्चोड़ कर अपना मुँह उसके उरोज पर लगा दिया है और बारी बारी से उसके दोनो उरोजो को ज़ोर ज़ोर से चूसे जारहा था. और अनिता मस्त हो कर उसके साथ मज़े लेते हुए सिसकारिया निकाल रही थी. उरोज चूस्ते हुए ही उस लड़के ने अपने एक हाथ को अनिता की योनि पर रख दिया और उसकी योनि पर बोहोत आराम से उपर नीचे फिराने लग गया. वो अपने हाथ को थोड़ी देर तक तो गोल गोल घुमाता रहा लेकिन थोड़ी ही देर मे उसने अपने हाथ को घुमाने की जगह पर अपनी उंगलियो को अनिता की योनि पर उपर नीचे करना शुरू कर दिया जिस से अनिता और भी बुरी तरह से मचलने लग गयी और उसकी सिसकारियो की आवाज़े और भी तेज हो गई.

अनिता के मुँह से निकलती हुई आवाज़े मुझ पर एक अजीब ही तरह का नशा कर रही थी जिस से मेरे पूरे शरीर मे एक अजीब ही किस्म की सनसनी सी होने लग गयी थी सोचने-समझने की तो जैसे मुझमे ज़रा भी ताक़त ही नही थी. उस लड़के का हाथ धीरे धीरे उसकी योनि पर तेज़ी के साथ चलने लग गया, जिस से अनिता और भी बुरी तरह से मचलने लग गयी उसके मचलने की हालत इस बात से ही पता चल रही थी कि वो अपने दोनो नितंबो को हवा मे उठा कर उस लड़के के हाथ पर रगड़ रही थी. अनिता ने अपनी दोनो आँखे बंद कर ली थी. और वो आँखे बंद किए हुए ही अपने नितंब को उठा कर उस लड़के के साथ मज़े ले रही थी. अनिता के नितंबो को उठाने से उसका पूरा शरीर इस तरह से हिल रहा था कि उसके दोनो उरोज एक दम से उपर हवा मे उठ जाते और फिर एक ही पल मे नीचे की तरफ हो जाते.
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ये सब नज़ारा देख कर मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब हो गयी. गर्मी से मेरा गला जो पहले ही सूखा हुआ था ये सब देखने के बाद तो हालत और भी ज़्यादा खराब हो गयी थी. दोनो पैरो के पंजो पर खड़े हो कर देखने की वजह से मेरी योनि से बहता हुआ पानी मेरी दोनो टाँगो पर गिर कर चिपकने लग गया था. जो मुझे और भी अजीब हालत मे ले जा रहा था. मैने अपना एक हाथ उपर खिड़की से हटा कर अपनी योनि पर रख कर योनि को सहलाना शुरू कर दिया और अपने दोनो उरोजो को उस झोपड़ी से दबाने लगी. जैसे जैसे मेरा हाथ मेरी योनि पर चल रहा था और अंदर से अनिता की सिसकारियो की आवाज़ो ने तो जैसे मुझे एक अलग ही दुनिया मे ले जा कर खड़ा कर दिया और उस मदहोशी के आलम मे मेरा हाथ मेरी योनि पर और भी तेज़ी के साथ चलने लगा.. मेरी दोनो आँखे अपने आप बंद हो कर उस पल मे डूबने लग गयी.

अभी मुझे अपनी आँखे बंद किए हुए कुछ ही पल हुए थे की अचानक से अंदर से अनिता की एक दर्द भरी आवाज़ ने मुझे मेरी आँखे खोलने पर मजबूर कर दिया. मैने अपने हाथ को अपनी योनि से हटा कर वापस खिड़की पर टिका दिया और पंजो पर उचक कर देखा तो उस लड़के ने अपनी दो उंगली अनिता की योनि मे डाल दी है और उसे बड़े मज़े के साथ उसकी योनि मे घुमा रहा है. वो अपनी उंगलियो को पूरी तेज़ी के साथ उसकी योनि मे अंदर बाहर कर रहा था और अनिता ने उसके सर को अपने दोनो हाथो से कस कर पकड़ लिया था. उसकी तेज़ी के साथ चलती हुई उंगलिया पूरी तरह से अनिता के योनि रस मे गीली हो चुकी थी. अचानक उसने अपनी तेज़ी के साथ चलती हुई उंगलियो को रोका और अनिता की योनि से अपनी उंगलियो को बाहर निकाल कर अपने मुँह के करीब तक लाया और बोहोत धीरे से शायद उसकी खुद की साँसे भी मदहोशी के कारण उखड़ सी गयी थी बोला-

अनिता तुम्हारी चूत से आती हुई खुसबू ने तो मुझे पागल ही कर दिया है पानी का टेस्ट करके भी देखु कि वो कितना मजेदार है” बोल कर उसने अपनी दोनो उंगलिया अपने मुँह मे डाल ली और लोलीपोप के जैसे उन्हे चूसने लग गया.

अनिता उसकी इस हरकत को देख कर पहले तो मुस्कुराइ और फिर शरम के कारण अपने दोनो हाथो से अपना चेहरा ढँक लिया.

“जल्दी करो दीपक वहाँ दुकान पर भाभी मेरा इंतजार कर रही होगी” अनिता ने वैसे ही अपने हाथो को अपने चेहरे पर लगाए हुए ही कहा.

“भाभी की चिंता हो रही है… और मैं..!!! जो इतने दिनो से तुम्हारे लिए पागल दीवानो की तरह से घूम रहा था उसका कुछ नही ?” कह कर वो अनिता के पास से खिसक कर अनिता की दोनो टाँगो के बीच मे आ गया… उसके लिंग ने पहले से भी तेज़ी के साथ उपर नीचे की तरफ झटके लेना शुरू कर दिया था. अनिता की दोनो टाँगो के बीच मे आ कर उसने उसकी दोनो टाँगो को पूरी तरह से फैला दिया और अपना मुँह अनिता की योनि पर लगा दिया. उस लड़के ने जैसे ही अपनी जीभ को योनि पर घुमाया अनिता के पूरे शेरर मे एक झटका सा लगा और उसने उस लड़के के सर को पकड़ कर अपनी योनि पर दबा दिया.

थोड़ी देर उसने उसकी योनि को अपनी जीभ से चाटना चालू रखा. वो कभी तो अपनी जीभ को अनिता की योनि पर उपर से नीचे तक घुमाता तो कभी अपनी जीब को उसकी योनि के अंदर डाल देता. इस सब से अनिता बोहोत खुस हो कर मज़े ले रही थी. पर ये सब देख कर मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब होती जा रही थी. धूप और गर्मी की वजह से मेरी हालत वैसे ही खराब थी उपर से ये सब देख कर तो और भी ज़्यादा हो गयी. अंदर का नज़ारा देख कर मेरा हाथ वापस मेरी योनि को प्यार से सहला कर दिलासा देने लग गया.

“दीपक और तेज बस मे झड़ने वाली हू.. आअहह दीपक तेज और तेज…” अंदर से आती हुई आवाज़ ने मुझे फिर से अंदर झाँकने पर मजबूर कर दिया. अंदर देखा तो अनिता अपने दोनो नितंबो को हवा मे उठा कर उस लड़के के मुँह पे ज़्यादा से ज़्यादा दबाने की कोसिस कर रही थी. शायद वो अपनी आखरी मंज़िल पर थी. इस लिए वो पूरी मस्ती के साथ अपने नितंबो को हवा मे उपर उठा रही थी. वो पूरी मस्ती मे आई ही थी कि वो लड़का एका एक रुक गया. और उसको उल्टा होने का इशारा करने लग गया.
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अनिता इस समय पूरी मस्ती मे थी इस लिए वो बिना किसी जवाब सवाल के पलट गयी. अब अनिता के नितंब ठीक उस लड़के के लिंग से रगड़ खा रहे थे. उस लड़के ने अनिता की पीठ पर हाथ रख कर उसको थोड़ा सा आगे की तरफ और झुका कर अपनी जगह बनाई. और अपने दोनो हाथो से उसके नितंबो को धीरे धीरे कर के मसलना शुरू कर दिया. अनिता इस समय पूरी मस्ती के साथ सिसकारिया निकालते हुए मज़े ले रही थी. थोड़ी ही देर मे उस लड़के ने अपनी पोज़िशन बना कर हल्के हल्के अपने लिंग को अनिता की योनि मे डालना शुरू कर दिया. लिंग के योनि मे जाते ही अनिता की दर्द भरी चीख निकलने लगी. पर वो उस समय पूरी तरह मस्ती मे थी इस लिए उसने उस लड़के को रोका नही. थोड़ी ही देर मे हल्की हल्की दर्द भरी चीख निकालते हुए अनिता ने उस लड़के के भीमकाय जैसे लिंग को पूरा का पूरा अपनी योनि मे ले लिया.

ये सब देख कर मुझसे अब बर्दास्त करना मुश्किल होता जा रहा था. इस लिए मैं वहाँ से हट कर थोड़ा दूर झोपड़ी से सॅट कर खड़ी हो गयी और कब मेरा हाथ मेरी योनि के साथ खेलने लगा मुझे इस बात का एहसास ही नही हुआ. मेरे हाथ की और मेरी योनि की इस समय जंग सी च्चिड गयी थी. पता करना मुश्किल था कि कॉन किसका दुश्मन है. थोड़ी ही देर मे हाथ और योनि की जंग मे हाथ की जीत हुई और योनि ने अपने मुँह से उल्टिया करके अपनी हार मान ली. इधर अंदर से अनिता के सिसकारिया लेने की आवाज़े भी आना बंद सी हो गयी थी. आवाज़े ना आने का मतलब सॉफ था कि अनिता सेक्स का मज़ा ले चुकी है और किसी भी वक़्त बाहर आ सकती है. इस लिए मैं अपने कपड़े सही करके वहाँ से जल्दी से दूर सड़क की तरफ आ गयी. थोड़ी ही देर मे अनिता भी आ गयी. मैं दूसरी तरफ मुँह करके खड़ी हुई थी ताकि वो उस झोपड़ी से आसानी से बिना किसी शर्म-ओ-हया के बाहर निकल सके.
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Bahut khoob. Amazingly Erotic
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Mast update and welcome back, ignore kariye negetive logo ko aur kahani ke aise hi mast wale update dete rhiye
Dhanywad
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Thanks bro.
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(23-01-2020, 04:02 PM)rekha6625 Wrote: Mast update and welcome back, ignore kariye negetive logo ko aur kahani ke aise hi mast wale update dete rhiye
Dhanywad

Sure?
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भाई जबर्दस्त कहानी है..................आपकी हो या किसी और की....................
यहाँ तो अप लिख रहे हैं....और हम पढ़ रहे हैं.....................मजा सबको आ रहा है............
अब जिसको परेशानी है..............उसे परेशान रहने दो.........................आप मजे लेते रहो

में कहानी कॉपी पेस्ट को गलत नहीं मानता..........लेकिन अगर आपको असली लेखक और कहानी का असली टाइटल पता है तो कहानी का नाम बदलकर भ्रम ना पैदा करें और असली लेखक का नाम देकर धन्यवाद तो कर ही दें


अगर ना पता हो तो कोई बात ही नहीं
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Best bro
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(24-01-2020, 08:33 PM)kamdev99008 Wrote: भाई जबर्दस्त कहानी है..................आपकी हो या किसी और की....................
यहाँ तो अप लिख रहे हैं....और हम पढ़ रहे हैं.....................मजा सबको आ रहा है............
अब जिसको परेशानी है..............उसे परेशान रहने दो.........................आप मजे लेते रहो

में कहानी कॉपी पेस्ट को गलत नहीं मानता..........लेकिन अगर आपको असली लेखक और कहानी का असली टाइटल पता है तो कहानी का नाम बदलकर भ्रम ना पैदा करें और असली लेखक का नाम देकर धन्यवाद तो कर ही दें


अगर ना पता हो तो कोई बात ही नहीं

Surely sir whenever I'll get to know the name and the writer I'll give the due credits. Because writer should get his/her due credits
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“अरे भाभी आप यहा पर ?” अनिता ने मेरे पास आ कर मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा.

“कहाँ रह गयी थी तुम ? कितनी देर से तुम्हारा वहाँ उस टेलर की दुकान पर वेट कर रही थी.” मैने चोव्न्क्ते हुए पलट कर अनिता की तरफ देखते हुए कहा ताकि उसको शक़ ना हो कि मैने उसे इस हालत मे देख लिया है. “तुझे पता है मैं कितना घबरा गयी थी तेरे इतनी देर गायब होने से “ मैने थोड़ा झूठा गुस्सा करते हुए कहा.

“सॉरी भाभी !! वो मैं क्या करती वो रिक्शे वाला हमे छ्चोड़ कर कही दूसरी जगह निकल गया था. उसके ही पीछे गयी थी. अगर उसके पीछे ना जाती तो मेरी पायल कभी वापस ना मिलती और घर पर मा तो मुझे कच्चा चबा जाती.” उसने अपने आँखे नीचे झुकाते हुए कहा.

“अच्छा अब ठीक है यहा से जल्दी चलो.. वैसे भी हम काफ़ी लेट हो चुके है घर पर मम्मी हम लोगो के लिए फिकर कर रही होगी.” मैने उसे वहाँ से चलने का इशारा करते हुए कहा.

“भाभी आप ने कपड़े क्या किए ?” अनिता ने मेरा खाली हाथ देख कर मुझसे सवाल किया.

“वो कपड़े मैने अपना नाप उस टेलर को नोट करवा कर बनने के लिए दे दिए है.

“मेरे कपड़े के बारे मे कुछ बोला वो टेलर ?” अनिता ने चलते चलते ही सवाल करते हुए कहा.

“मैने पूछा था पर वो कह रहा था कि अभी बन नही पाए है थोड़ा सा काम बाकी रह गया है आज शाम तक तैयार कर देगा.” मैने बताते हुए कहा.

थोड़ी दूर चलने के बाद ही हमने एक रिक्शा किया और वापस घर के लिए चल दिए…

घर पर आ कर मैं अपने कमरे मे थोड़ा फ्रेश होना चाहती थी पर मम्मी ने मुझे आवाज़ लगा कर वही काम काज मे लगा लिया. इस समय मैं ऐसी हालत मे थी कि मैं फ्रेश होना चाहती थी योनि से निकला हुआ पानी पूरी जाँघो पर बुरी तरह से चिपक रहा था. लेकिन मम्मी ने जो काम बताया था वो काम भी करना ज़रूरी था. इस लिए चुप चाप काम करने लग गयी. घर पर इस समय इतनी गर्मी नही थी लेकिन फिर भी पसीना निकलने की वजह से जाँघो पर लगा हुआ पानी बुरी तरह से चिपक रहा था. जिस से बड़ा अजीब फील हो रहा था. मैं जल्दी जल्दी काम ख़तम करके मौका देख रही थी ताकि टाय्लेट मे जा कर थोड़ा फ्रेश हो सकु.

मैं अपने काम मे बिज़ी थी कि पीछे से मुझे अमित की आवाज़ सुनाई दी. मैने जब पलट कर देखा तो वो मेरी ही तरफ आ रहा था. उसके मेरी तरफ आने से मेरे दिल की धड़कन एक अंजाने डर से तेज होने लग गयी. समझ मे ही नही आ रहा था कि वहाँ रुकु या वहाँ से चली जाउ. मैने अपने मन ही मन मे फ़ैसला कर लिया कि मैं उसकी तरफ कोई ध्यान नही दूँगी. इस लिए उसके पास आने से पहले ही मैने अपना चेहरा वापस घुमा कर जो काम कर रही थी काम पर ध्यान देना शुरू कर दिया. पर दिल मे कही ना कही रात को जो कुछ भी अमित ने छत पर किया था वो सब सोच कर दिल बैठा जा रहा था.

मैं अपने काम मे मगन हो गयी पर काफ़ी देर तक जब मुझे कोई आहट या हरकत नही सुनाई दी तो मैने पीछे पलट कर देख कि वो कहाँ है.. पर वो कही नही दिखा. शायद वो अपने किसी और काम मे बिज़ी हो गया हो. वो मेरे पास नही आया है ये सोच कर मैने मन ही मन एक सुकून की साँस ली. और थोड़ी ही देर मे अपने सब काम निपटा कर मम्मी से बोल कर अपने कमरे मे आ गयी. मुझे इस समय अपने शरीर पर कपड़े बोहोत परेशानी दे रहे थे. पॅंटी और पेटिकोट तो पूरा का पूरा ही खराब हो चुके थे. इस लिए मैने अपने कमरे मे आ कर जल्दी से दरवाजा अंदर से बंद किया और अपनी साडी खोल कर बेड पर फेंक दी और बाथरूम की तरफ जाने लगी फिर सोचा कि ये पेटिकोट और ब्लाउस भी निकाल देती हू घर पर हू तो सलवार पहन लेती हू.
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कहानी आगे बढ़नी चाहिए। मस्ती में कहीं कमी नहीं आनी चाहिए। लेखकों एवं पाठकों के नाम या कहानी का मूल नाम बाद में बता देना अभी सिर्फ और सिर्फ कहानी में निरंतरता बनाये रखें। धन्यवाद।
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