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Adultery मेहमान बेईमान
Bro next update pls.
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good one
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wow...great update
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jabardast..................badhiya kahani hai

narration akarshak hai
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(21-01-2020, 03:52 AM)kamdev99008 Wrote: jabardast..................badhiya kahani hai

narration akarshak hai

It means alot coming from you. Thank you
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थोड़ी ही देर मे हम टेलर की दुकान पर आ गये.. मैने रिक्शे से उतार कर दुकान की तरफ देखा तो वो शॉप पर कोई भी अटेंड करने को नही था. देखने से कोई अच्छे टेलर की शॉप नही लगती थी वो. शॉप की हालत बिल्कुल ख़स्ता थी. रिसेप्षन टेबल बाबा आदम के जमाने का लगता था. टेबल के पीछे एक टूटी फूटी कुर्सी रखी थी. कॉस्टुमेर के बैठने के लिए एक टूटी फूटी सी बेंच भी रखी थी. शॉप के पीछे भी शायद कुछ कमरे थे क्योंकि एक पुराना सा परदा टंगा हुवा था पिछली तरफ दरवाजे पर. उस दुकान को देख कर अपने ब्लाउस और पेटिकोट सिलवाने के सारे अरमान चकना चूर हो गये. पर गाँव के हिसाब से दुकान थी और गाँव के लोगो को जैसे कपड़े पसंद होते है वो टेलर भी शायद वैसा ही होगा.

“ये कैसी बेकार बदहाल सी दुकान है अनिता” मैने दुकान को पूरी तरह से देखते हुए कहा. और फिर वहाँ पर टाँगे एक दो कपड़ो को देख कर बोला कि “लगता नही यहा पर कोई अपने कपड़े सिलवाने भी आता होगा”

“अरे नही भाभी ये गाँव के सबसे फेमस टेलर की शॉप है. औरत और आदमी दोनो के कपड़े यहाँ पर सिले जाते है.” अनिता ने मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा.

“इस शॉप की हालत तो देखो हालत देख ही सॉफ पता चल रहा है” मैं आपने लाए कपड़ो की तरफ देखा और उन्हे वैसे ही पॉलयथीन बॅग मे कस कर पकड़ लिया..

“अरे भाभी जी आप बेकार मे घबरा रहे हो. मैने आप कल जो कपड़े पहनने को दिए थे वो मैने यही से सिलवाए थे.” अनिता ने मुझसे कहा और उस शॉप का डोर खाट-खता दिया. जिसकी आवाज़ सुन कर अंदर से एक औरत निकल कर आई.

“अरे अनिता बेटी तुम आओ आओ अंदर आओ धूप मे क्यू खड़ी हो” कह कर उस औरत ने मुझे और अनिता को शॉप के अंदर बुला लिया. वो औरत कोई 45 साल के आस पास की एज की रही होगी जिसके बारे मे मुझे अनिता ने बाद मे बताया पर उनको देख कर लग ही नही रहा था कि 35 साल से ज़्यादा की है.

मैं जैसे ही शॉप के अंदर आई तो गर्मी का एक भबका सा निकला रहा था उस शॉप के अंदर से उपर से उस शॉप मे कोई फन भी नही था. वो अंदर गयी और हाथ से घूमने वाला पंखा और दो गिलास पानी ले कर आ गयी. गर्मी के कारण प्यास तो बोहोत ज़ोर से लग रही थी. पानी पीने के बाद अनिता ने उस से कहा कि “वो परसो जो कपड़े सिलवाने के लिए दे कर गयी थी वो सिल गये क्या ?”

“बिटिया ये तो वही बता पाएगे कि कपड़े सील गये या नही.. वो बाजार गये है कुछ सामान लाने के लिए अभी आते ही होगे. और आप बताओ विकास भैया की शादी की तैयार कैसी चल रही है” उस औरत ने भी एक हाथ से अपने उपर पंखे से हवा करते हुए कहा.

यानी अब हमे यहा पर इस सदी गर्मी मे और बैठना पड़ेगा.. मैं सोच ही रही थी कि वो औरत फिर से बोली

“अनिता बेटी ये कॉन है तुम्हारे साथ” उस औरत ने मेरी तरफ देखते हुए कहा.

“ये..! ये हमारी भाभी है. कल ही आई है मनीष भैया के साथ” अनिता ने मेरा इंट्रो देते हुए कहा.

“अरे बोहोत सुंदर दुल्हनिया है..” कह कर उसने अपने दोनो हाथो को मेरे कान तक लाई और फिर वापस उनको अपने कान के पास तक ले गयी. इस तरह से शायद उसने मेरी नज़र उतारी थी. “तो तुम्हे भी शादी के लिए कपड़े सिलवाने है ?” उस औरत ने मेरे हाथ मे लगा पॉलयथीन का बॅग देख कर कहा.

“मर गयी भाभी..! वो रिक्षेवाला..!” कह कर अनिता बुरी तरह से हड़बड़ाते हुए टेबल से उठ गयी.

उसको इस तरह से घबराया हुआ देख कर मैं भी घबरा गयी और वो औरत भी..

“क्या हुआ ?” मैने अनिता से उसको इस तरह से घबराता हुआ देख कर कहा.

“क्या हुआ अनिता बिटिया क्यू इतना परेशान हो रही हो ?” उस औरत ने भी अनिता को यूँ घबराया हुआ देख कर कहा.

“वो भाभी हमारी पायल…! हमारी पायल उस रिकशे मे गिर गयी है” कह कर वो दुकान से बाहर की तरफ आई और चारो तरफ देखने लगी..

मैने भी अपनी नज़र चारो तरफ घुमा कर देखा पर वो रिक्शे वाला दूर दूर तक कही दिखयी नही दे रहा था.

“वो रिक्शे वाला तो कही नही दिखाई दे रहा है” मैने अनिता की तरफ देख कर कहा.

“भाभी वो पायल गायब हो गयी है अगर मा या पिता जी को पता चला तो मेरी आफ़त आ जाएगी.. भाभी जी आप यही रुकिये मैं उस रिक्शे वाले को अभी ढूँढ कर आती हू..

“अरे ऐसी धूप मे कहा ढूँधोगी उसको पता नही वो कहाँ गया होगा” मैने अनिता को समझाते हुए कहा.

“नही भाभी जी…! मुझे उस रिक्शे वाले को ढूँढना ही होगा. यहाँ पास मे ही रिक्शे वाले खड़े होते है मैं उसे वहाँ पर देखती हू. आप यही पर रूको मैं उसे देखती हू.” कह कर वो वहाँ से हड़बड़ाहट मे सड़क की तरफ चल दी. मैं भी उसके साथ जाना चाहती थी पर वो इतने हड़बड़ाहट मे कह कर भाग गयी की मुझे आगे कुछ कहने का मौका ही नही मिला.

वो औरत मुझे वापस से अपने साथ उस शॉप मे अंदर की तरफ ले आई.
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मैं उसके साथ अंदर तो आ गयी पर मेरा मन अनिता को लेकर बोहोत परेशान हो रहा था पता नही वो कहाँ ढूँढेगी उस रिक्शे वाले को ? कही वो किसी मुसीबत मे ना फँस जाए मेरे दिमाग़ मे ज़रा सी देर मे कयि सारे उल्टे सीधे ख़याल आने लग गये.

“अरे बेटी क्या हुआ ? क्या सोच रही हो ?” उस औरत ने मुझे बाहर दरवाजे की तरफ सोच मे डूबे हुए देख कर कहा.

“कुछ नही बस अनिता को देख रही हू” उसकी आवाज़ सुन कर मैने अपनी सोच से बाहर आकर जवाब देते हुए कहा.

“अरे बेटी तुम अनिता की फिकर मत करो वो गाँव की हर गली से अच्छी तरह वाकिफ़ है.” उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया. वो जिस तरह से मुस्कुराइ उसकी मुस्कुराहट देख कर मुझे बड़ा अजीब लगा. एक अजीब ही तरह की मुस्कुराहट थी उसके चेहरे पर जिसे समझना मेरे लिए थोड़ा मुस्किल था. मैं उसकी बात सुन कर चुप-चाप बैठ गयी.

“और बिटिया बच्चे का कुछ सोचा है ?” उस ने इस बार अपने चेहरे के भाव बदलते हुए पूछा.

“नही अभी नही. वैसे भी अभी मनीष का जॉब ऐसा है कि उन्हे बाहर रहना पड़ता है और अभी हमारी शादी को ज़्यादा टाइम भी नही हुआ है इस लिए अभी बच्चे के लिए कुछ सोचा नही है”

“अरे ये क्या बात हुई ? बच्चा तो शादी के जितनी जल्दी हो जाए उतना ही अच्छा रहता है. घर मे अकेलापन महसूस नही होता है”

“आप की बात तो सही है पर अभी इस बारे मे कुछ सोचा नही है”

“तो कब सोचेगे ? वैसे मनीष खुस तो रखता है ना तुम्हे ?” उसने फिर से इस बार एक अजीब तरह की मुस्कुराहट अपने चहरे पर लाते हुए कहा. मैं उसकी बात का मतल्ब नही समझ पा रही थी कि वो किस तरह के खुश रहने की बात कर रही है.

“हां मनीष तो मेरा बोहोत ख़याल रखते है. हम दोनो अपनी शादी शुदा जिंदगी से बोहोत खुस है”

“तो कितनी बार हो जाता है तुम दोनो के बीच” उसने एक दम से ही ये सवाल मेरे उपर छ्चोड़ दिया मुझे उस से इस तरह के सवाल की ज़रा भी उम्मीद नही थी.

“जी..! मैं कुछ समझी नही” मैने हैरान हो कर उसकी तरफ देखते हुए कहा.

“अरे मेरे कहने का मतलब ये है कि तेरा पति रात को तेरा ध्यान रखता है कि नही.. क्यूकी मनीष को जानती हू वो बोहोत शर्मीले स्वाभाव का है. अपने शर्मीले पन के कारण तेरा ध्यान ही नही रखता हो” वो फिर से मेरी तरफ देख कर हंसते हुए बोली.

“हां पूरा ख़याल रखते है” मैने भी इस बार शरमाते हुए मुस्कुराते हुए कहा.

“तो रोज होता है या कभी कभी ?” उसने फिर से ऐसा सवाल कर दिया जिसका जवाब देते हुए मुझे बड़ी शर्म सी महसूस हो रही थी. समझ मे नही आ रहा था की क्या जवाब दू.. “अरे बताओ ना रोज होता है तुम दोनो के बीच या कभी कभी ?”
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जी लगभग रोज ही होता है” मैने उसे जवाब दे तो दिया था पर मैं शर्म से ज़मीन मे गढ़ी जा रही थी.

“हां रोज तो करेगा ही तुम खूबसूरत जो हो इतनी..” उसने एक अजीब तरह से अपनी नज़रे मेरे पूरे बदन पर चलाई जिसे देख कर मेरी नज़रे खुद बा खुद शरम से नीचे की तरफ झुक गयी

“मेरे मियाँ तो इस उमर मे भी ऐसा कोई दिन नही जाता जब मेरे उपर ना चढ़ते हो. जब भी मौका मिलता है शुरू हो जाते है. हमारी शादी जब हुई थी तो शादी के 2 महीने तक तो दिन और रात पता ही नही चलते थे कभी भी शुरू हो जाते थे.” उसने पूरी तरह से खुल कर गंदी गंदी बात करना शुरू कर दिया था और मैं शर्म से ज़मीन मे गढ़ी जा रही थी.

“अभी आते होगे बाज़ार से तब तुम ही देखना कि कैसी बाते करते है. मैं चाहे लाख कोसिस करू इनकार करने की पर ना जाने क्या जादू है उनके बात करने मे मुझे तुरंत राज़ी कर लाते है. लड़के बच्चे बड़े हो गये है और काम काज करने सहर चले गये है. तो घर पर कोई होता नही है. अगर ये काम काज ना हो तो ये तो बस मेरे उपर ही चढ़े रहे.. हहहे. पर जो मज़ा उस समय आता था वो मज़ा अब नही आता है. हर वक़्त डर लगा रहता है कि कही किसी ने देख लिया तो क्या सोचेगे कि इस उमर मे भी बुड्ढे बुढ़िया को चैन नही है” उसने फिर से मुस्कुराते हुए कहा.

“वैसे आप को देख कर कोई नही कह सकता है आप बूढ़े हो गये हो” मैने भी इस बार थोड़ी सी मस्ती भरे अंदाज मे कहा.

“अरे अब कहाँ ये तो सब केवल अपने मियाँ को खुस करने के लिए बाल काले पीले कर लेती हू. वरना बुढ़ापा तो आ ही गया है. अब तो जैसे ही मेरा निकल जाता है करने की इच्छा ही नही होती है. और ये मानते ही नही है.”

उसकी बात सुन कर मुझे बड़ी शर्म आ रही थी और हँसी भी की कैसे वो अपनी पर्सनल लाइफ को किसी और के साथ मे शेर कर रही है.. मैं भी उसकी बात सुन कर दबी हुई हँसी हंस दी.

हम दोनो को बात करते हुए काफ़ी समय हो गया था और अभी तक अनिता का कोई पता नही था घर भी वापस जाना था मुझे चिंता होने लग गयी.

मैं वहाँ से उठ कर अनिता को देखने बाहर जाने ही वाली थी कि तभी दरवाजे पर एक बुड्ढ़ा आ कर खड़ा हो गया उसके हाथ मे एक बॅग था और वो मुझे बोहोत हैरत भरी नज़ारो से देख रहा था. वो आदमी अपने हाथ मे बॅग पकड़े हुए ही अंदर आ गया और कभी उस औरत की तरफ तो कभी मेरी तरफ हैरत भरी नजारो से देख रहा था. उसको देख कर मुझे लगा कि वो भी कोई गाँव वाला है और इस शॉप पर अपने कपड़े सिलवाने के लिए आया है.

पर अगले ही पल उसने उस औरत को आँखो ही आँखो मे कुछ इशारा किया और वो औरत उसके हाथ से बॅग लेकर अंदर की तरफ चली गयी. वो आदमी एक टक मुझे उपर से नीचे तक देखे जा रहा था उसकी नज़रे मुझे अपने जिस्म पर किसी आरी के जैसे चलती हुई महसूस हो रही थी मेरे जिस्म से होती हुई उसकी नज़र आ कर मेरे हाथ मे लगी पॉलयथीन बॅग जिसमे मैं सिलवाने के लिए कपड़े ले कर आई थी पर टिक गयी.

उस आदमी के सर पर एक ,., टोपी लगी हुई थी और दाढ़ी के बाल बढ़े हुए थे बाल ज़रूरत से ज़्यादा काले हो रखे थे जिस से सॉफ पता चल रहा था कि उसने अपनी दाढ़ी को कलर/डाई किया है. बिल्कुल दुबला सा शरीर था उसका अगर कोई एक हाथ उसमे जमा कर मार दे तो वो वही के वही अपना दम तोड़ दे. कद भी ज़्यादा नही था. मगर उसे ठिगना भी नही कहा जा सकता था. सफेद कुर्ता पायज़मा पहन रखा था उसने जो की सफेद कम काला ज़्यादा लगता था. ऐसा लगता था जैसे बरसो से धोया नही है. एक दो जगह से उसका कुर्ता फटा भी हुवा था. ऐसे बेकार से टेलर को देख कर मेरा खून खोल गया और मुझे अनिता पर गुस्सा आने लगा. अनिता का ख़याल आते ही मुझे और भी चिंता होने लगी पता नही कहाँ रह गयी वो अभी तक आई क्यू नही..

“जी कहिए मोहतार्मा क्या सिलवाना है आप को ?” उस आदमी ने अपनी आँखो पर लगे चश्मे को जो गाँधी टाइप वाले स्टाइल मे था को अपनी आँखो पर सही करते हुए कहा.

“आप टेलर है ?” मुझे अभी भी यकीन नही आ रहा था इस लिए मैने उस से सवाल पूछ लिया.

“क्या बात कर रही हैं मोहतार्मा गाँव का बच्चा बच्चा जावेद टेलर को अच्छे से जानता है अरे हमारी सिलाई के किस्से तो दूर दूर के गाँव तक माशूर है. और आप हम से हमारे ही पेशे के बारे मे ऐसा सवाल कर रही है.” उसने मेरी तरफ फिर से हैरानी भरे अंदाज मे देखते हुए कहा. पर इस बार मैने गौर किया कि उसकी निगाहे मेरी छाती पर ही जमी हुई है जैसे वो आँखो ही आँखो मेरी छाती को मापने की कोसिस कर रहा हो.. “अब भी आप को यकीन ना आए तो अंदर जो हमारी जाने जिगर जानेमन जाने तम्म्न्ना हमारी बेगम है उसने गवाही दिलवादे कि हम है इस गाँव के माशूर टेलर मास्टर मियाँ जावेद ख़ान”

“जी उसकी कोई ज़रूरत नही” मैने उस से कम बातो मे ही पीछा छुड़ाने की सोची.

“तो मोहतार्मा आप को क्या सिलवाना है” उसने मेरे हाथ मे लगी पॉलयथीन को देखते हुए कहा..

“जी कुछ नही” मैने अपन
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“तो मोहतार्मा आप को क्या सिलवाना है” उसने मेरे हाथ मे लगी पॉलयथीन को देखते हुए कहा..

“जी कुछ नही” मैने अपने कपड़ो की इज़्ज़त बचाने के लिए कहा.

“मोहतार्मा आप दुकान और हमारी हालत पर ना जाए हम बोहोत ही कम दाम मे बढ़िया कपड़े सील कर देते है. वैसे आप को क्या सिलवाना है ?”

पता नही मुझे क्या हुआ कि मैं ना चाहते हुए भी बोल गयी कि “पेटिकोट और ब्लाउस सिलवाने है”
आप चिंता ना करे.. आप को बिल्कुल सही तरह से कपड़े सिले हुए मिलेगे. जिसे पहन कर आप की सुंदरता और भी बढ़ जाएगी. वैसे कितने कपड़े सिलवाने है आप को ?”

“तीन पेटिकोट और ब्लाउस है.. चार्ज कितना करते हो ?”

“मोहतार्मा आप दाम की चिंता ना करे आप काम देखे अगर आप को पसंद आया तभी आप पैसे दीजिएगा”

“ठीक है पर मैं पहले एक ही ब्लाउस और पेटिकोट सिल्वा कर देखुगी की सही सिलाई हुई है या नही बाकी उसके बाद ही सिल्वाउन्गि”

“बिल्कुल मोहतार्मा आप जैसा ठीक समझे वैसे आप यकीन नही करेगी कि आज तक मास्टर जावेद ख़ान के काम मे आज तक किसी ने भी नुखस नही निकाला है. सब तारीफ ही करते है. अगर आप को काम पसंद नही आया तो आप मेरा नाम मास्टर जावेद ख़ान नही” उसने अपनी बात पूरी करी और मेरी तरफ हाथ बढ़ा कर मुझसे कपड़े दिखाने के लिए इशारा करने लग गया.

मैने उसे पॉलयथीन मे से एक जोड़ी ब्लाउस और पेटिकोट का पीस निकाल कर दे दिया. उसने कपड़े को ध्यान से देखा और फिर अपने इंची टॅप से नाप कर बोला..

“आइए मोहतार्मा आप का नाप ले लेता हू”

मेरे दिल मे ना जाने क्यू बार बार यही ख़याल आ रहा था कि कही ये मेरे कपड़े को खराब ना कर दे उल्टा सीधा सिल कर..

“आइए मोहतार्मा आप का नाप ले लू कपड़े सीलने के लिए.. कहाँ खो गयी आप” उसने दोबारा से मुझे आवाज़ देते हुए कहा.

वो वहाँ थोड़ी दूरी पर खड़ा था और मुझे गेट के सामने से साइड मे आने को बोल रहा था मैं भी उसके पीछे पीछे हो गयी. कमरे में मध्यम सी रोशनी थी. दीवार पर हर तरफ बड़े बड़े पोस्टर थे. सभी पोस्टर में मॉडेल्स सूट सलवार पहने थी. पोस्टर काई साल पुराने लग रहे थे. मैं उस छ्होटी सी शॉप को देख रही थी एक तो गर्मी बोहोत थी जिस कारण मुझे पसीना बोहोत आ रहा था दूसरा उसकी शॉप मे कोई ढंग की व्यवस्था भी नही थी कस्टमर के लिए.

“ठंडा चाइ वगेरह कुछ लेंगी आप ?” उसने मेरी तरफ एक अजीब तरह की नज़रो से देख कर मुस्कुराते हुए कहा.

“जी नही इस की कोई ज़रूरत नही है आप जल्दी से नाप ले लीजिए मुझे वापस जाना है” मैने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा.

“अरे कैसी बात कर रही है मोहतार्मा आप पहली बार हमारी दुकान पर आई है और हम आप को ऐसे ही जाने दे.. एक मिनट अभी रूको.” कह कर वो वहाँ से थोड़ी दूरी पर जो अंदर की तरफ गेट था उसके पास जा कर “अरे बेगम सुनती हो ? अरे इन मेम्साब को कुछ ठंडा वगेरह पिलवाओ.” उसकी बात सुन कर उसकी बीवी बाहर आ गयी. दोनो ने एक दूसरे से बोहोत ही आहिस्ता-आहिस्ता बात करी जो मेरी समझ मे नही आई पर उसकी बीवी वापस अंदर चली गयी.

“देखिए आप जल्दी से नाप ले लीजिए ठंडा वगेरह बाद मे पी लेंगे अभी मुझे थोड़ी जल्दी है” मैने उसे अपनी परेशानी बताते हुए कहा.

“हां… हां वो भी हो जाएगा आप उसकी चिंता ना करे आप थोड़ा आराम से बैठिए”

थोड़ी ही देर मे उसकी बीवी अंदर से दो गिलास नींबू पानी बना कर ले आई एक ग्लास उसने मुझे और दूसरा अपने पति को दे दिया. प्यास तो मुझे बोहोत ज़ोर की लगी हुई थी इस गर्मी की वजह से मैने ग्लास खाली करके वापस उस औरत को दे दिया जिसे ले कर वो वापस अंदर की तरफ चली गयी.

"मोहतार्मा आपको थोड़ा खड़ा होना पड़ेगा." उसने मुझे स्टूल से उठने का इशारा करते हुए कहा.

"ओह हां...थोड़ा जल्दी कीजिए मुझे कुछ और भी काम है." मैने खड़े होते हुए कहा. गर्मी से पसीना निकलने के कारण मेरा पूरा ब्लाउस गीला हो गया था. वाइट कलर का ब्लाउस होने के कारण मेरी छाती का ज़्यादातर हिस्सा सॉफ नज़र आ रहा था. ये बात मैने स्टूल से खड़े होने के बाद नॉटिक की जब उस टेलर मास्टर की नज़रो को वापस अपनी छाती पर तीर की तरह चुभते हुए महसूस किया.

"चिंता मत कीजिए मोहतार्मा बस थोड़ा ही वक़्त लगेगा आपका." कह कर उसने जेब से इंची टेप निकालते हुए कहा.

सबसे पहले उसने मेरे कंधो का नाप लिया. फिर बाजू का नाप लेते वक्त बोला, "बाजू छ्होटी चलेगी या बड़ी रखनी है?."

"नही ज़्यादा नही..जितनी होती है...नॉर्मल उतनी ही." मैने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा.
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"थोड़ा हाथ उपर कीजिए" उसने इंची टॅप को मेरी बगल के पास रखते हुए कहा. जिस कारण उसका हाथ हल्के हल्के मेरे उरोजो से टच हो रहा था या वो जान बुझ कर रहा था पर मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था.

मैने हाथ उठा लिए. उसने इंच टेप मेरे उभारो के उपर से ले जा कर थोड़ा कस दिया. वो जिस तरह से इंची टॅप को मेरे उभरो पर कस रहा था मेरी साँसे हल्की हल्की भारी होने लगी थी. वो इंची टॅप को सही करने के बहाने से बार बार अपने हाथ को मेरे उरोजो पर टच कर रहा था और उसके इंची टॅप का दवाब धीरे धीरे मेरे उभारो पर बढ़ता जा रहा था जो मेरे अंदर एक अजीब सी बेचैनी पैदा कर रही थी मैं उसकी पकड़ को ढीला करना चाहती थी पर पता नही क्यू मेरे मुँह से उस वक़्त एक भी शब्द नही निकल रहा था.

पता नही मुझे क्या हो रहा था कुछ भी समझ मे नही आ रहा था. उसके इंची टेप का दवाब मेरे स्तनो पर धीरे धीरे करके बढ़ता ही जा रहा था..

“अरे क्या कर रहे है आप इतना टाइट ब्लाउस नही सिलवाना है मुझे” मैने अपने दोनो हाथो को वापस नीचे करते हुए उस से कहा.

“माफ़ कीजिएगा वो मेरा ध्यान..” कहते कहते वो बुढहा एक दम रुक गया.. और घूर कर मेरे उरोजो की तरफ देखने लग गया.

उसका इस तरह से उरोजो की तरफ देखना मुझे बोहोत अजीब लगा और मेरे मन मे यही ख़याल आया कि क्या सभी मरद एक जैसे होते है. हर आदमी औरत को सिर्फ़ सेक्स की ही नज़र से देखता है.. खेर.. वो वापस से अपने इंची टेप को हाथ मे लेकर मेरे साइड मे आ गया.

मेरा आधा ध्यान अपना नाप देने और आधा ध्यान अनिता की फिकर मे था पता नही कहा रह गयी अभी तक आई क्यू नही है.

मैं अभी अनिता के बारे मे सोच ही रही थी कि मैं बुरी तरह से मचल उठी. बूढ़े का हाथ मेरी कमर पर चल रहा था. वो इंची टेप को इस तरह से मेरी कमर मे घुमा रहा था जिस से उसके हाथ का ज़्यादा से ज़्यादा स्पर्श मुझे मेरे पेट और कमर होता हुआ महसूस हो रहा था.

“सही से नाप लीजिए.. आप का हाथ बार बार मुझे लग रहा है” मैने बुढहे को टोकते हुए कहा

“अब नाप लेगे तो हाथ तो लगेगा ही.. और वैसे भी आप को सिर्फ़ हाथ ही लगा सकते है और कुछ तो लगा नही सकते.. हहे” कहते हुए वो अपनी बत्तीसी निकाल कर हंस दिया.

वो क्या लगाने की बोल रहा था मुझे सॉफ मालूम हो रहा था और इसी लिए मैने उस से इस मामले मे आगे बात करना ज़रूरी नही समझा.

नाप लेने के लिए वो टेलर मेरे पीछे आ गया और इंची टेप को मेरे नितंबो पर कस दिया. मेरे मन फिर से अनिता को ले कर परेशान हो रहा था. तभी बूढ़े का हाथ मुझे मेरे नितंब पर दब्ता हुआ महसूस हुआ.

“ये क्या बदतमीज़ी है” कहते हुए मैं उस बूढ़े से अलग हो कर थोड़ा दूर हो गयी. “आप को शरम नही आती. शादी शुदा हो कर आप इस तरह की हरकत कर रहे है."

"तुम्हारे जैसी हसीना आज तक मेरी दुकान पर नही आई. तुम्हारे जैसी हसीना को अब तक टीवी पर ही देखा है. तुम्हारे तरबूजो को हाथ मे लेकर दबाने को मिल जाए तो जन्नत मिल जाए मुझे." बूढ़ा अपनी असलियत पर उतर आया. और अब बिल्कुल सॉफ सॉफ बोल रहा था.

“ये क्या बदतमीज़ी है ? इसी तरह से आप अपने कस्टमर के साथ बिहेव करते हो ?” मैने लगभग बुरी तरह से उस पर बिगड़ते हुए कहा. पर वो टेलर तो जैसे मेरी बात को सुन ही नही रहा था. और अपनी मस्ती मे मस्त हो कर सिर्फ़ मुस्कुराए जा रहा था. एक का एक मेरे दिमाग़ मे उसकी बीवी ने जो थोड़ी देर पहले उसके बारे मे बात कही थी वो मेरे दिमाग़ मे घूमने लग गयी. सच मे ये बूढ़ा तो पूरी तरह से थर्कि है.

पता नही उसकी बीवी की बात को याद करते ही मुझे ना जाने क्या हुआ और मैं जो बोहोत गुस्से मे थी एका एक मेरा गुस्सा अपने आप ही गायब हो गया. लेकिन वो दोबारा इस तरह की हरकत ना करे इस लिए मैने उस पर वैसे ही झूठा गुस्सा करते हुए कहा

“तुम ने जो हरकत अभी की है मैं इसके बारे मे अभी तुम्हारी बीवी से शिकायत करूगी”

"माफ़ करना मोहतार्मा मैं आपको देख कर बहक गया था." अपनी बीवी का नाम सुनते ही वो घबराते हुए बोला.

मैं मन ही मन मुस्कुरा उठी. मैने बूढ़े की हालत पतली कर दी थी. अब वो माफी माँग कर चुपचाप नाप लेने में लग गया.
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Next update
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wow...great update...lekin wo anita kahan gayab ho gayi
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Dont expect much comment,  the story is already published,  give fast update as u have to only copy and paste
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(22-01-2020, 09:14 AM)LAVI00133 Wrote: Dont expect much comment,  the story is already published,  give fast update as u have to only copy and paste

Kaha per hai link
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let us see if he gives complete story_ whether copy paste or own (added)
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(22-01-2020, 09:14 AM)LAVI00133 Wrote: Dont expect much comment,  the story is already published,  give fast update as u have to only copy and paste

I never said that I'm expecting you to comment. And the story is already published go read there why are yoi even expecting me to update?
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इनके कमेंट को इग्नोर कीजिये आपकी कहानी जबरदस्त है इसको कंटीन्यू कीजिये, किसी के नेगेटिव कॉमेंट पर क्लोज मत करना, रिक्वेस्ट है आपसे
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This is for all the reader and the people who supported me with this story guys i never started this story to take credit away from the original writer or anything like that.
My only intention was to make the story to reach to a larger audience and make you feel enjoy this beautiful and erotic story.
But a few people can't see positive in anything and they're just constantly blaming me for taking credit etc.

So i will not be continuing the story any further.

Thanks for all the support till date ❤️
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हमेशा ही ये क्यो होता है कि लेखक हमेशा नेगेटिव कमेंट को तवज्जो देता है, नाकि पॉजिटिव को, हमारा क्या कसूर ह,लेखक महोदय जी कहानी से वंचित रख रहे हो, प्लीज अपडेट दीजिये।
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दस अच्छा comment का रिस्पांस नहीं दे रहे हैं एक आपको गलत कोई बोल दिया तो उसका रिस्पांस दे रहे हैं
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