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Adultery मेहमान बेईमान
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agla update do bhai
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very good. Please update bro.
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उसकी बात सुन कर मैं एक दम शरम से पानी पानी हो गयी. पर इस समय वो मुझसे जिस तरह की बात कह रहा था वो मेरे लिए नामुमकिन था और दूसरा मुझे अंदर कॉन है ये जान ने की उत्सुकता ज़्यादा थी. “देखो उस रात जो हुआ सो हुआ उस रात की बात अब दोबारा करने की कोई ज़रूरत नही है. और मुझे ये बताओ कि सुजाता के साथ अंदर कॉन है..”

वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराया और कुछ सोचते हुए मेरे पास आ कर बोला कि “मैं क्या बताऊ.. आप मेरे साथ आ जाओ मैं आप को सब दिखा देता हू. इधर से कुछ भी नही दिखाई देगा आप को सब कुछ साफ़ साफ़ दिखाता हू.. हहे” बोल कर उसने अपने दाँत फाड़ दिए.

मुझे जान ने की उत्सुकता ज़्यादा थी कि कॉन है अंदर इस लिए मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और उसके पीछे पीछे चलने लग गयी. वो उस तरफ से घूम कर मुझे दीवार की दूसरी तरफ ले आया. वहाँ एक दम घुप अंधेरा था और दूसरा कंडे बोहोत सारे रखे हुए थे. जिसकी बदबू बोहोत आ रही थी. पर अंदर कॉन है जान ने की उत्सुकता के कारण मैं वो सब सहन कर रही थी.

“भाभी जी इधर से आ जाओ और चुप रहना अगर कुछ देखना है तो.” बोल कर उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने पास बुला लिया. कंडे इधर उधर बिखरे पड़े हुए थे जिस वजह से मुझे चलने मे काफ़ी दिक्कत हो रही थी. इस लिए उस समय मैने उसका हाथ पकड़ने मे ही भलाई समझी.. उसका हाथ पकड़ कर मैं वहाँ आ तो गयी पर वहाँ खड़े होने की जगह बोहोत कम थी. जगह इतनी कम थी कि हम दोनो मुस्किल से खड़े हो पा रहे थे.

“ये कहाँ ले आए हो यहाँ पर खड़े होने की जगह भी है.” मैने गुस्से से झल्लाते हुए उस से कहा.

“श्ह्ह्ह आवाज़ मत करो.. और आप यहाँ पर आ जाओ यहा से देखो आप को सब दिखाई देगा.” कह कर उसने मुझे अपने आगे की तरफ खड़ा कर दिया और दीवार से अंदर की तरफ देखने को कहा.

मैं उसके आगे की तरफ हो गयी थी और जगह ना होने के कारण वो मुझसे पूरी तरह से चिपक गया था. एक तो गर्मी पड़ रही थी दूसरा मैने इतने टाइट कपड़े पहने हुए थे और अब ये मुझसे चिपक गया था. मैं बोहोत बुरी तरह से खिसिया रही थी पर उस से कुछ कह भी नही सकती थी कही वो मेरी बात का बुरा मान कर उस रात वाली वीडियो को किसी को दिखा ना दे ये सोच कर मैने उस वक़्त चुप रहना ही ठीक समझा. और चुप चाप अंदर की तरफ देखने लग गयी.

“अरे वाह… क्या बात है आज तो तुम पूरी तरह से मुझ पर मेहरबान हो. क्या बात है.? चल जल्दी से अपने दोनो हाथ उपर की तरफ कर ले अभी तेरा कुर्ता उपर करके उतारता हू. देखु तो सही कि तेरे संतरे कैसे है. हहहे” अंदर से आती हुई आवाज़ थोड़ा गूँज रही थी जिसकी वजह से सॉफ तरह से समझ मे नही आ रही थी पर आवाज़ सुन कर लग रहा था कि किसी बोहोत ही करीब वाले की आवाज़ है. लड़के की पीठ मेरी तरफ थी जिस वजह से उसकी शक्ल देखाई नही दे रही थी पर वो जिस तरह से सुजाता से चिपका हुआ था. साफ पता चल रहा था कि दोनो एक दूसरे को किस कर रहे है.

मैं अंदर देख ही रही थी कि मुझे मेरे नितंब पर अमित के लिंग का दवाब महसूस हुआ जिस वजह से मैं थोडा सा आगे की तरफ हो गयी. मैने उसकी तरफ पलट कर देखा तो वो मुस्कुरा रहा था. “उधर देखो ना भाभी जी इधर मेरी तरफ क्या देख रहे हो.हहहे”

मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया. और वापस अंदर की तरफ देखने लग गयी.

मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया. और वापस अंदर की तरफ देखने लग गयी. वो लड़का उसकी सलवार उतार रहा था. उसने सुजाता की सलवार उपर करके उतार दी और उसे वही एक तरफ फेंक दिया. “बोहोत तडपया है मेरी जान तेरे इन दोनो रस भरे सन्तरो ने आज तो इनका स्वाद ले कर ही रहुगा” कह कर उसने अपने दोनो हाथ से सुजाता के उभार ब्रा के उपर से ही पकड़ कर दबाने शुरू कर दिए.

“आहह… उउई मा हल्के से दबाइए ना आहह…. दर्द हो रहा है. “ सुजाता अपनी आँखे बंद करते हुए दर्द भरे भाव चेहरे पर लाते हुए बोली. इधर मुझे फिर से अपने नितंबो पर अमित का लिंग दबता हुआ महसूस हुआ.

“ठीक से खड़े नही हो सकते हो तुम.. ये बार बार चिपक क्यू रहे हो ?” मैने बोहोत धीमी सी आवाज़ मे उस पर गुस्सा करते हुए कहा.

“सही तो खड़ा हू.. वो पीछे की तरफ सही से खड़ा नही हो रहा हू. सामने देखो भाभी सुजाता की ब्रा भी उतर रही है..हहे”

मैं फिर से थोड़ा सा और आगे की तरफ हो गयी और वापस अंदर की तरफ देखने लग गयी. उस ने अब सुजाता की ब्रा भी उतार दी थी जिस वजह से सुजाता के दोनो उरोज निकल कर हवा मे झूलने लग गये.

“अरे वह तेरे दोनो संतरे तो सच मे मस्त है. ला इन्हे चुस्के देखु कि कैसे है इनका स्वाद” कह कर उसने अपना मुँह सुजाता के उभरो पर टिका दिया.
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वो एक उरोज को मुँह मे लेकर चूस रहा था और दूसरे को अपने एक हाथ से दबा रहा था. और सुजाता अपनी दोनो आँखे बंद कर के उसके साथ उरोज चुसवाने का मज़ा लेने लगी.

“आहह प्लज़्ज़्ज़ काटो मत निशान पड़ जाएगे वहाँ पर.. उउउइइ मा…. क्या कर रहे हो” सुजाता ने अपने नचले होंठ को अपने दाँत से दबा कर सिसकारी निकालते हुए बोला.

मैं वहाँ से ये सब देख रही थी पर मेरी खुद की हालत ये सब देख कर खराब हो गयी थी मेरा पूरा गला सुख गया था और साँसे तेज़ी के साथ चलने लग गयी थी. उस पर अमित फिर से आगे की तरफ हो गया था इस बार तो उसकी हिम्मत और ज़्यादा बढ़ गयी थी उसने मेरी कमर पर हाथ फिराना शुरू कर दिया था.

एक तो गर्मी उपर से टाइट कपड़े और फिर यहाँ ज़रा सी जगह मे खड़े होना उस पर ये सब देखना मेरी हालत बोहोत ज़्यादा खराब हो गयी थी. और इस अमित के हाथ लगते ही और भी ज़्यादा मेरी योनि जो पहले हल्के हल्के रिस रही थी अब और भी तेज़ी के साथ उसने बहना शुरू कर दिया. अमित के हाथ जिस तरह मेरी कमर पर चल रहे थे मैं एक बार को तो खोती चली गयी इस नशे मे.. पर अगले ही पल मुझे होश आया और मैने उसके दोनो हाथ झटक कर दूर कर दिए.
 उस से कुछ कहती इस से पहले ही अंदर से उस लड़के की आवाज़ जो मुझे काफ़ी परेशान कर रही थी वो समझ मे आ गयी और अगले ही पल उसका चेहरा भी दिख गया. ये मेरा देवर विकास था. जो सुजाता के साथ था. मैने एक नज़र सामने देखा और पलट कर वापस अमित की तरफ देखा वो मेरे चेहरे पर हेरनी के भाव देख कर मुस्कुरा रहा था. “ये…. ये तो विकास है ये सुजाता के साथ क्या कर रहा है..” मैने हैरान होते हुए उस से पूछा.

“तो आप को क्या लगा था कि कॉन होगा.. अपने विकास भाई का मन आ गया था इस सुजाता पर कयि दिनो से बोल रहे थे कि कोई जुगाड़ करवा कर इसकी चूत दिलवा दे” उसने मुस्कुराते हुए कहा.

विकास को देख कर मेरा दिमाग़ खराब हो गया था. मुझे लगा था कि कोई और होगा पर विकास होगा ये मैने कभी नही सोचा था.

“ले पकड़ ना ऐसे क्या शर्मा रही है.. रोज़ तो मेरा देखती थी पीनू की छत पर आ कर नहा ते हुए जब मैं अंडरवेर बदल रहा होता था अब जब तेरे सामने है तो शर्मा रही है.. ले पकड़ कर देख तेरा ही है.. पकड़ ना..” अंदर से आती हुई आवाज़ ने फिर से मेरा ध्यान वही की तरफ कर दिया मैने अंदर देखा तो विकास ने अपनी पॅंट उतार दी थी और अपना लिंग सुजाता के हाथ मे पकड़ा रहा था. विकास का लिंग भी अमित के भीमकाय लिंग जैसा ही था. अमित का लिंग जहाँ एक दम सीधा था वही विकास का लिंग थोड़ा टेडा था.

सुजाता ने विकास के लिंग को देख कर हैरान होते हुए कहा. “ये तो बोहोत बड़ा है.”

“अरे मेरी रानी बड़ा है पर तेरा है और बड़े लंड से चुदवाने का जो मज़ा है वो तो अलग ही है. अब जल्दी से इसे अपने मुँह मे लेकर थोडा गीला कर दे और अपनी सलवार खोल ले.. इस से पहले की कोई आ जाए हमे अपना काम ख़तम कर लेना चाहिए.” कह कर विकास ने उसके कंडे पर हाथ रख कर नीचे की तरफ बैठा दिया.

मुझे तो यकीन ही नही हो रहा था कि विकास इस तरह की कोई भी हरकत कर सकता है. क्यूकी जिस तरह से वो रहता था और बात करता था उससे कभी ऐसा महसूस नही हुआ कि वो इस तरह की भी हरकत कर सकता है और अब तो इसकी शादी हो रही है और ये यहाँ पर सुजाता के साथ.. किसी ने देख लिया तो कितनी बदनामी होगी हमारी.. मैं अभी सोच ही रही थी कि अमित का हाथ अब धीरे धीरे करके मेरे पेट के उपर घूमने लग गया. मैं वापस उसकी तरफ गुस्से से पलटी पर वो तो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराए जा रहा था. उसको मुस्कुराता हुआ देख कर मेरा खून जला जा रहा था.

“अपनी औकात मे रहो और खबरदार जो अब की बार मुझे छूने की कोसिस भी की तो” मैने उसकी तरफ गुस्से से देखते हुए कहा. उसकी तरफ गुस्से से पलटी पर वो तो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराए जा रहा था. 

“क्या हुआ भाबी उस रात तो आप कैसे मज़े ले रही थी मेरे छुने से.. अब फिर से इतने भाव क्यू खा रही हो?” उसने फिर से अपने दाँत फाड़ते हुए कहा.

“शकल देखी है अपनी कभी.. सुबह ब्रश किया था क्या दांतो पर.... आक्च्युयली क्या है कि दांतो का पीला पन ओर बदबू यहाँ तक आ रही है..इसलिए फॉरन मुँह बंद करो नहीं तो एक ही घूँसे मे पूरे दाँत बाहर निकाल दुगी.” मैने गुस्से से कहते हुए वापस उसके हाथ जो मेरे पेट पर चल रहे थे उन्हे दूर झटक दिया.
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मैं अभी खड़ी ही हुई थी कि नीचे से मनीष की आवाज़ आती हुई सुनाई दी वो भी शायद छत पर ही आ रहे थे. मेरा तो दिल ही बैठा जा रहा था पता नही क्या होगा. पर अमित को तो जैसे इस से कोई फरक ही नही था वो अपनी ही धुन मे मस्त बत्तीसी फाड़ते हुए बोला..

“भाभी अब भी आप के वो मज़े लेने वाली यादे मेरे पास है.. आप यकीन नही करोगे कि ऐसी कोई रात नही है आप के घर से वापस आने के बाद जब मैने आप को ना देखा हो. और आज भी आप को याद ही कर रहा था कि आप सच मे आ गयी.”

वो जो बोल रहा था उस समय उस से ज़्यादा मुझे नीचे से उपर की तरफ आते हुए मनीष की चिंता हो रही थी मेरा दिल बार बार इस बात को लेकर बैठा जा रहा था कि मनीष मुझे ढूँढते हुए तो नही आ रहे है.? कही किसी ने मुझे छत पर आते हुए तो नही देख लिया था और मनीष को बता दिया हो कि मैं छत पर ही हू… हाय राम……. क्या करू मैं…. अगर मनीष ने मुझे यहाँ इस हालत मे देख लिया तो… नही… मेरा दिल बुरी तरह से घबरा रहा था और इधर ये अमित मुझे चैन नही लेने दे रहा था. मेरी हालत इस समय बोहोत बुरी तरह से खराब होती जा रही थी डर के मारे मेरा पूरा चेहरा पसीने से भीगा जा रहा था.

“ढंग से चूस ना पूरा मुँह मे ले कर इतनी हड़बड़ा क्यू रही है ?” अंदर से आती हुई आवाज़ ने फिर से मेरा ध्यान उस तरफ खींच लिया. विकास ने अपनी पेंट के साथ अपनी शर्ट भी उतार दी थी और सुजाता के सर पर हाथ रख कर उसके सर को अपने लिंग पर दबा रहा था.

अब मुझे विकास की भी चिंता होने लगी की कही मनीष ने विकास को देख लिया तो.. विकास मनीष की बोहोत इज़्ज़त करता था और मनीष भी उसे बोहोत प्यार करते थे पर अगर मनीष ने उसे इस तरह देख लिया तो.. एक बार को तो मेरा मन किया कि मैं आवाज़ लगा कर विकास को बता दू की मनीष आ रहे है पर फिर मैने अपने आप को समझाते हुए चुप ही रहने का फ़ैसला किया और मन ही मन मनीष के वापस नीचे जाने की दुआ माँगने लग गयी. थोड़ी ही देर मे मनीष भी छत पर ही आ गये वो शायद किसी से फ़ोन पर बात कर रहे थे.

उन्हे छत पर फ़ोन पर बात करते हुए देख कर मैने राहत की एक साँस ली पर जिस तरह से वो छत पर टहल रहे थे उसे देख कर तो मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब होती जा रही थी बार बार मेरा दिल ये सोच कर घबरा रहा था कि कही मनीष इस तरफ ना आ जाए.. मैं अभी सोच ही रही थी कि अमित ने फिर से अपनी लिंग को मेरे नितंब पर दबाना शुरू कर दिया. मैं पूरी तरह से दीवार से सॅट कर खड़ी थी अगर थोड़ा और आगे की तरफ होती तो जो कंडे रखे हुए थे वो विकास की तरफ गिरना शुरू हो जाते और अगर अमित को कुछ करने से रोकती तो मेरी आवाज़ सुन कर मनीष वहाँ आ जाते इस लिए मैने खामोश रहना ही ठीक समझा..

वो अपने लिंग का दवाब मेरे नितंब पर बढ़ाए चला जा रहा था. जिस वजह से मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब होती जा रही थी. इधर आँखो के सामने सुजाता विकास के लिंग को मुँह मे लेकर आराम से चूसे जा रही थी. और विकास उसके सर पर हाथ फिरा कर उसे और और तेज़ी के साथ लिंग चूसने का इशारा कर रहा था
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bahut khoob....isko manish k hote hue chudwao
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Bro update
Nice writing.
Keep up ????
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मैं अभी अंदर ही देख रही थी कि मनीष फ़ोन पर बात करते हुए हमारी ही तरफ आ ने लग गये. मेरा दिल इस समय जैसे जेट विमान की रफ़्तार से भी तेज चल रहा था. उस पर अमित ने पीछे से ही अपने हाथ आगे की तरफ बढ़ा कर मेरे उरोजो पर टिका दिए. मैने उसके हाथ हटाने की कोसिस की पर उसकी पकड़ बोहोत मजबूत थी और ज़्यादा शोर या कुछ ऐसी हरकत मैं अभी कर नही सकती थी जिसकी वजह से आवाज़ हो और मनीष हमारी तरफ आए.

उपर वाले को भी शायद मेरी हालत पर रहम आ गया था कि अंदर से विकास और सुजाता की आवाज़ आनी बंद हो गयी थी. मेरी नज़र सामने की तरफ गयी तो विकास और सुजाता दोनो एक दूसरे को किस कर रहे थे. इधर अमित के हाथ मेरे उरोजो को हल्के हल्के मसलने लग गये जिस की वजह से मैं भी मचलने लग गयी थी. वो बोहोत ही होल होल मेरे उरोजो को दबा रहा था और पीछे की तरफ से उसका लिंग मुझे मेरे नितंब के अंदर घुसता हुआ महसूस हो रहा था.

उसने हल्के हल्के उरोजो को दबाते हुए मेरे लेफ्ट निपल को अपने हाथ मे ले कर मसलना शुरू कर दिया जिसकी वजह से मैं और भी ज़्यादा उत्तेजित होती जा रही थी उसने हल्के हल्के निपल को दबाते हुए ही अचानक से कस कर बुरी तरह से दबा दिया मेरी चीख निकलते निकलते रह गयी. मुझे उस पर गुस्सा तो बोहोत आया पर मैं उस वक़्त बोहोत लाचार और मजबूर थी. क्यूकी उस वक़्त की गयी कोई भी ऐसी वैसी हरकत मुझे पूरी तरह से बर्बाद कर सकती थी इस लिए मैने चुप चाप दर्द बर्दाश कर लिया अपने दोनो हाथो से उसके हाथ को कस कर पकड़ लिया.

मेरे हाथ पकड़ लेने से वो भी एक दम रुक गया और अपना मुँह पीछे से ही मेरे कान के पास ला कर बोला.

“क्या हुआ भाभी मज़ा नही आ रहा क्या.?” चलो मेरे घर पर चलते है वहाँ कोई भी नही है. मा इस वक़्त आप के घर पर ही है.” कह कर उसने मेरी गर्दन को चूमा और फिर मेरे कान को चूसने लग गया. वो जैसे ही अपना मुँह मेरे कान के पास लाया और उसकी गर्म साँसे मेरे कान से टकराई मेरे पूरे शरीर मे एक सनसनई सी दौड़ गयी. मेरी दोनो टाँगो मे बुरी तरह से कंपन होने लग गया.

“क्या हुआ भाभी मज़ा नही आ रहा क्या.?” चलो मेरे घर पर चलते है वहाँ कोई भी नही है. मा इस वक़्त आप के घर पर ही है.” कह कर उसने मेरी गर्दन को चूमा और फिर मेरे कान को चूसने लग गया. वो जैसे ही अपना मुँह मेरे कान के पास लाया और उसकी गर्म साँसे मेरे कान से टकराई मेरे पूरे शरीर मे एक सनसनई सी दौड़ गयी. मेरी दोनो टाँगो मे बुरी तरह से कंपन होने लग गया.

मुझसे उस समय ना तो कुछ सोचते ही बन रह था और ना ही कुछ करते बन रहा था. करती भी तो क्या करती बाहर मनीष खड़े हो कर फ़ोन पर बात कर रहे थे और अंदर विकास सुजाता के साथ था. उसकी निकलती हुई गरम गरम साँसे जैसे मेरे कान पर महसूस हो रही थी मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब होती जा रही थी. जिस वजह से मेरे हाथो की पकड़ उसके हाथो पर ढीली हो गयी. मेरी समझ मे नही आ रहा था कि कैसे खुद को इन सब से आज़ाद करू.

मनीष बात करते हुए अब और भी ज़्यादा नज़दीक आ गये थे. उनकी आवाज़ इतने नज़दीक से सुन कर मेरी तो जैसे जान ही निकलती जा रही थी. उसने अपने हाथ मेरे उभारो से हटा कर मेरी कमर पर चलाने शुरू कर दिए थे और बराबर मेरे कानो को चूसे जा रहा था. उसके कानो को चूसे जाने से और मेरी बेबसी को महसूस करते हुए मैने अपनी आँखे बंद कर ली और उपर वाले से सब कुछ सही होने की दुआ करने लग गयी. मनीष अब भी वही खड़े हुए थे.
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मैं अभी अपनी सोच मे ही आँखे बंद किए हुए डूबी थी कि मैं बुरी तरह से चौंक गयी. अमित ने अपने दोनो हाथ से मेरे नंगे नितंब को दबाना शुरू कर दिया. उसके हाथ अपने नंगे नितंब पर पड़ते ही मेरे पूरे शरीर मे एक बिजली सी कोंध गयी. पूरा शरीर बुरी तरह से थर-थारा उठा. इधर मनीष अपने फ़ोन पर पता नही किस से बात किए जा रहे थे.

मेरी हालत तो ऐसी हो गयी थी कि उसे बयान नही किया जा सकता है. कब उसने मेरी साड़ी को उपर उठा दिया और कब अपने हाथो से मेरे नितंब को सहलाने लगा पता ही नही चला. अभी वो समस्या हाल हुई नही थी कि अंदर से विकास की आवाज़ आना शुरू हो गयी.. “अब जल्दी से अपनी सलवार का नाडा खोल दे और मुझसे अब और इंतजार नही हो रहा है.”

“मुझे लग रहा है बाहर कोई है” सुजाता ने डरती हुई आवाज़ के साथ कहा. और फिर दोनो ही खामोश हो गये. दोनो ही बोहोत धीमे बात कर रहे थे.

अंदर से आती हुई आवाज़ ने तो जैसे मेरे प्राण ही गले मे अटका दिए. मुझे डर लग रहा था कि कही मनीष इनकी आवाज़ सुन कर यहा पर ना आ जाए. वो बोहोत धीमी आवाज़ मे बात कर रहे थे पर उस समय डर के कारण जैसे वो आवाज़े मुझे किसी लाउड स्पीकर के जैसे सुनाई दे रही थी. इधर अमित की हरकत और बढ़ती जा रही थी उसने मेरे नितंब सहलाते सहलाते ही अपने लिंग को मेरे मेरे नितंब पर टिका दिया. उसके लिंग को अपने नितंब पर महसूस करते ही डर के कारण मेरी हालत खराब होने लग गयी. उस दिन का दर्द आज भी वैसे ही ताज़ा था. मैने जल्दी से अपने हाथ को पीछे ले जा कर अपनी साड़ी जो उसने अपने हाथो से उपर कर रखी थी, को छुड़ा कर नीचे करने की कोसिस की. पर उसने अपने लिंग को दवाब मेरे नितंब पर और दबा दिया. जिस कारण उसके लिंग का सुपाडा ठीक मेरे नितंब छेद से जा टकराया.

उसके लिंग को अपने नितंब छेद पर छुते ही मैं एक झटके के साथ पलट गयी. जिस कारण उसके हाथ से मेरी साडी छूट गयी और मैं उसकी बाँहो के घेरे मे आ गयी. हम दोनो के ही चेहरे एक दूसरे से कुछ ही इंच की दूरी पर थे. वो मुझे देख कर लगातार मुस्कुराए जा रहा था. और मेरी आँखो मे देख रहा था. उसको अपनी तरफ यूँ मुस्कुराता हुआ देख कर मेरा खून जला जा रहा था. मैं मन ही मन उपर वाले से दुआ कर रही थी कि कैसे भी करके मनीष यहाँ से चले जाए. और शायद उपर वाले को मेरी हालत पर तरस आ गया. वो फ़ोन पर बात करते हुए ही वो वापस नीचे की तरफ चल दिए.

उनके वहाँ से चले जाने से मेरी जान मे जान आई. पर इन सब के चलते हम दोनो जिस तरह से चिपके हुए थे और हम दोनो क चेहरे आमने सामने थे अमित ने एक पल की भी देरी नही की और मेरे होंठो को अपने होंठो मे लेकर चूसना शुरू कर दिया. उसने मेरे होंठो को अपने मुँह मे लेकर धीरे धीरे बड़े आराम से चूसना शुरू किया ही था कि मैने अमित को अपने आप से झटक कर दूर किया और उसकी तरफ घूर्ने लग गयी.

मैं उस से अभी कुछ कहने ही वाली थी कि अंदर से सुजाता के बोलने की आवाज़ आई “देखो अभी मनीष भैया की आवाज़ आ रही थी पता नही वो है या नही. मुझे बोहोत डर लग रहा है. हम बाद मे भी कर लेंगे ये सब”

“तू इतना डर क्यू रही है मैं हू ना कुछ नही होगा बस अब तू जल्दी तू ये उतार मैं ज़रा झाँक कर देखता हू कि भैया गये कि नही.” कह कर विकास वहाँ से थोड़ी दूर गया और इधर उधर देख कर वापस सुजाता के पास आ गया.

“तूने अभी तक ये पाजामी नही उतारी ?”

“मुझे बोहोत शरम आ रही है.. आज रहने दो फिर कभी करेगे”

“रहने दो.. कैसे रहने दू आज जैसे तैसे करके तो मौका मिला है तेरी बजाने का और तू कह रही है रहने दो.” कह कर विकास ने उसे खींच कर अपने सीने से लगा लिया और उसके होंठ चूसने लग गया.

इधर अमित वापस मेरे पास आ गया और मुझसे दोबारा लिपटने की कोसिस करने लग गया, पर मैने उसे दोबारा कोई चान्स नही दिया ”खबरदार जो मुझे हाथ लगाने या मेरे ज़रा भी करीब आने की कोसिस की तो मुझसे बुरा कोई नही होगा”

“ये अचानक आप को क्या हो गया है, अभी तो कितने प्यार से सब कुछ कर रही थी और ये अचानक… क्या हुआ भाबी”

“मुझे कुछ नही हुआ… और मुझसे दूर रहो बस…” मैं अमित से बात कर रही थी कि अंदर से आती हुई आवाज़ ने फिर से मेरा ध्यान अपनी तरफ खींच लिया.

“अरे वा सुजाता तेरी चूत तो एक दम मक्खन के जैसी मुलाया रखी हुई है और एक बाल भी नही है तेरी चूत पर, लगता है तूने आज ही झाँते सॉफ की है. लगता है तुझे पहले से पता था कि आज तेरी चूत की मालिश होनी है इसलिए झाँते सॉफ करके आई है” विकास ने हंसते हुए उस से कहा, और अपने हाथ को उसकी नंगी योनि पर रख कर घुमाने लग गया. सुजाता पूरी की पूरी नंगी खड़ी हुई थी…
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मैं तो अंदर देख कर हैरान थी जिस तरह से सुजाता विकास के साथ मे मुस्कुराते हुए उसका साथ दे रही थी मुझे बड़ा अजीब लग रहा था कि वो शादी से पहले ये सब कैसे कर सकती है. अभी मैं उन्दोनो को देख कर सोच ही रही थी कि विकास सुजाता की योनि पर हाथ फिराते हुए अपने दोनो घुटनो के बल बैठ गया और अपना मुँह उसकी योनि पर ले जाकर ज़ोर की साँस खींचेते हुए बोला “अरे वाह सच मे तेरी चूत से गजब की महक आ रही है कोई सेंट लगा कर आई है क्या”

मेरी तो आँखे जैसे वही की वही जम गयी थी. सुजाता की योनि एक दम सफेद रखी हुई थी और योनि पर बॉल ना होने के कारण एक दम सॉफ चमक रही थी. वो अपने हाथो से ही अपने दोनो उरोजो को दबा रही थी. जैसे जैसे विकास का हाथ उसकी योनि पर चल रहा था वो अपने हाथो को भी वैसे ही अपने उभारो पर चला रही थी और उत्तेजना के कारण सिसकारिया ले रही थी.

“देखो भाभी बिल्कुल तुम्हारे जैसे ही एक दम चिकनी रखी है इसकी भी” अमित ने मुझे अंदर की तरफ यूँ एक तक देखते हुए कहा.

उसकी बात सुन कर मैं शरम से पानी पानी हो गयी. क्या कहती उस से कुछ समझ मे नही आ रहा था. इस लिए कुछ ना बोलना ही मैने ठीक समझा. वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट देख कर मेरा खून जला जा रहा था. मैं उसकी तरफ देख ही रही थी कि अंदर से आती आवाज़ ने फिर से मेरा ध्यान अपनी तरफ खींच लिया..

“आआईयईईईईईईईईई….. आआहह…… आआअहह…… उउउम्म्म्मममममममम” मैने जब अंदर देखा तो सुजाता जोरो के साथ सिसकारिया ले रही थी और विकास ने अपना मुँह उसकी योनि से लगा दिया था. विकास बड़ी धीमे धीमे सुजाता की योनि पर अपनी जीभ घुमा रहा था. उस सीन को देख कर मेरी योनि बुरी तरह से अंदर ही अंदर बहने लग गयी. मेरा एक मन तो कर रहा था कि अंदर जा कर इन दोनो को डाँट लगाऊ कि ये सब क्या हो रहा है पर अगले ही पल सोचा कि देखु तो सही कि विकास सुजाता के साथ क्या करता है. ये मेरी सोच मेरी बहती हुई योनि की माँग थी जो बुरी तरह से बहे जा रही थी.

विकास अपनी जीभ घुमा सुजाता की योनि पर रहा था पर महसूस मुझे अपनी योनि पर हो रही थी. बस उसी को सोचते हुए मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब होने लग गयी. “भाभी बिल्कुल आप की तरह ही आवाज़ करती है जैसे आप करती हो..हहहे” कह कर अमित फिर से दाँत निकाल कर हँसने लग गया.

“मुझे कुछ हो रहा है… आअहह…… उूउउम्म्म्म…. मैं झड़ने वाली हुउऊ.. आअहह…” कहते हुए सुजाता का पूरा शरीर अकड़ने लग गया और सुने अपनी कमर को झटके देते हुए अपने दोनो हाथो से विकास का सर अपनी योनि पर दबा दिया. जैसे ही सुजाता का झड़ी उसी साथ मेरी योनि ने भी झटखे खाते हुए पानी छ्चोड़ दिया. जिस कारण मेरी दोनो आँखे अपने आप बंद होती चली गयी. एक सुकून एक राहत की साँस मिली मुझे.

और जब वापस आँख खुली तो अंदर देखा तो विकास ने उसे डॉगी स्टाइल मे कर दिया था और अपने हाथ पर थूक गिरा कर सुजाता की योनि पर मलने लग गया था. “मुझे बोहोत डर लग रहा है तुम्हरा बोहोत बड़ा है….” कह कर सुजाता ने पलट कर विकास की तरफ देखा पर विकास ने उसकी कोई बात जब जवाब ना देकर वैसे ही उसकी योनि पर थूक लगा कर मालिश करता रहा… “ मुझे बोहोत दर्द होगा हम फिर कभी करेगे अभी वैसे भी बोहोत देर हो गयी” सुजाता की आवाज़ मे अब डर सॉफ झलक रहा था.
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कहा ना मेरी जान कुछ नही होगा बड़ा लंड जब तेरी चूत की मालिश करेगा तो तुझे बड़ा मज़ा आएगा. बस तू मज़े ले दर्द वर्द कुछ नही होता है” कह कर विकास ने थूक लगाते लगाते ही अपनी एक उंगली सुजाता की योनि के अंदर कर दी जिस से सुजाता की हल्की सी सिसकारी भरी चीख निकल गयी. उस समय अंदर जो कुछ भी सुजाता के साथ हो रहा था वो मुझे अपने साथ होता हुआ महसूस हो रहा था जो उंगली विकास ने सुजाता की योनि मे घुसाई थी वो मुझे मेरी योनि के अंदर घुसती हुई महसूस हो रही थी. मेरा गला जो पहले से ही सूखा हुआ था और भी बुरी तरह से सुख़्ता जा रहा था अब तो होंठ भी एक दूसरे के साथ बुरी तरह से चिपक गये थे.

विकास ने वापस से अपने लिंग पर थूक लगाया और अपने लिंग का सूपड़ा पीछे करके सुजाता की योनि पर रख दिया. विकास का सूपड़ा एक दम लाल रखा था सुजाता विकास के लिंग को अपनी योनि पर महसूस करके शायद मचल गयी थी और इसी कारण उसके नितंब इधर उधर हिलने लग गये थे जिन्हे विकास ने अब अपने दोनो हाथो से कस कर थाम लिया था.

विकास ने हल्के हल्के अपने लिंग का दवाब सुजाता की योनि पर बनाया और अपने लिंग को सुजाता की योनि के अंदर करने की कोसिस करने लग गया. सुजाता की योनि शायद काफ़ी टाइट रही होगी जिसकी वजह से विकास का लिंग बार बार फिसल रहा था जिस तरह विकास का लिंग सुजाता की योनि से रगड़ खा रहा था मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल होता जा रहा था. मेरी योनि भी लिंग के लिए तड़पने लग गयी थी.

विकास ने थोड़ा पीछे हो कर वापस ढेर सारा थूक अपने हाथ पर गिरा कर सुजाता की योनि पर लगाया और वापस अपने लिंग को उसकी योनि के छेद से सटा कर एक धक्का बोहोत हल्के से ही लगाया था शायद पर सुजाता जिस तरह से मचल रही थी उस से लग रहा था कि उसे बोहोत ज़ोर का दर्द हो रहा है… और मेरा यकीन सच मे बदल भी गया विकास के अगला धक्का लगते ही. सुजाता बुरी तरह से चीख उठी…

आआहह मर गयी निकल लो ईसीईए उूउउइइइइम्म्म्माआ मररर्र्र्ररर गयी निकाल लो इसेसीईई

पर विकास ने उसे तसल्ल्ली देते हुए कहा “अरे मेरी जान बस थोड़ा सा दर्द होगा कसिए भी कर के ये दर्द बर्दाश्त कर लो फिर तुम्हे मज़ा ही मज़ा आएगा.”

“मुझे कोई मज़ा नही चाहिए, मुझे वापस जाना है इसे निकाल लो प्लज़्ज़्ज़” सुजाता रोती हुई आवाज़ मे बोली. सुजाता की हालत देख कर मुझे अपनी पहली रात की याद आ गयी और मेरे चेहरे पर हँसी आ गयी सुजाता की हालत देख कर. पर विकास ने सुजाता की एक ना सुनते हुए एक और ज़ोर का धक्का लगाया जिस से पूरा लिंग सुजाता की योनि के अंदर समा गया.

पूरा लिंग अंदर जाते ही सुजाता की बुरी तरह से चीख निकल गयी. वो विकास की पकड़ से छूटने के लिए भरपूर कोसिस कर रही थी पर विकास ने उसे कस कर पकड़ रखा था जिस वजह से वो उस की पकड़ से छूटने मे नाकामयाब रही. सुजाता को दर्द मे तड़प्ता हुआ देख कर विकास कुछ देर के लिए अपना लिंग उसकी योनि डाल कर वैसे ही खड़ा रहा. थोड़ी देर मे ही जब सुजाता का दर्द कुछ कम हुआ था उसने अपने लिंग को सुजाता की योनि मे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. दो चार बार और चीखने चिल्लाने के बाद सुजाता भी विकास के साथ मज़े लेने लग गयी वो विकास के हर धक्के पर सिसकारिया निकालने लगी.

थोड़ी ही देर मे सुजाता भी फुल मूड मे आ गयी और विकास के धक्को मे वो भी अपनी कमर को आगे पीछे करके सपोर्ट करने लग गयी. ये सब देख कर मेरी हालत बोहोत ही ज़्यादा खराब हो रही थी. उन दोनो को सेक्स करता हुआ देख कर मेरा मन भी सेक्स करने के लिए मचलने लग गया. लेकिन मैने खुद पर मुश्किल से काबू पाया.

“क्या हुआ भाभी मज़ा आ रहा है ना?” मुझे एक तक अंदर देख कर मुस्कुराते हुए अमित ने मुझसे कहा तो मेरा ध्यान वहाँ से टूटा वो अपने लिंग को हाथ मे लेकर सहला रहा था. एक तो मेरी हालत वैसे ही खराब थी उपर से जिस तरह से वो बार बार अपने लिंग को सहला कर अपने सूपदे को निकाल रहा था. मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब होने लग गयी.

एक पल के लिए तो मेरे मन मे ख़याल आया कि अमित के लिंग को… पर फिर मेरे मन ने मुझे इस सोच पर खूब धिक्कारा कि मैं ये सब क्या सोच रही हू.
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“मैं जाने वाली हू.. आहह आअहह” की आवाज़ जैसे ही मेरे कानो मे आई मेरी नज़र फिर से अंदर की तरफ हो गयी. सुजाता सिसकारिया लेते हुए बोहोत तेज़ी के साथ अपनी कमर विकास के लिंग के साथ आगे पीछे कर रही थी और फिर एक का एक उसकी स्पीड एक दम ढीली सी हो गयी. शायद वो झाड़ चुकी थी. पर विकास अब भी उसमे धक्के लगा रहा था. थोड़ी देर यूँ ही धक्के लगाने के बाद विकास ने भी अपना वीर्य सुजाता की योनि के अंदर ही छ्चोड़ दिया.

उन दोनो ने तो अपना काम कर लिया था पर उनके इस काम ने मेरे अंदर की आग को भड़का दिया था जिसे शांत करना बोहोत ज़रूरी था.. उन दोनो के सुस्त होते ही मैं वहाँ से हट कर वापस जाने के लिए जैसे ही मूडी अमित ने मेरा हाथ पकड़ लिया.

“कहाँ चल दी भाभी. ? ”

“मैने कहा हाथ छ्चोड़ो मेरा, अगर अपनी भलाई चाहते हो तो दूर रहो मुझसे”

“भलाई का तो जमाना ही नही है इतनी बढ़िया हक़ीकत की चलती हुई पिक्चर दिखाई आप को. शुक्रिया अदा करने के बजाए आप मुझे डाँट रहे हो”

“अपनी बकवास बंद करो और चुप चाप हाथ छ्चोड़ो मेरा”

“आप को इतना बढ़िया नज़ारा दिखाया. पर इस नज़ारे ने मेरे लंड की हालत खराब कर दी है. गांद तो आप दोगे नही कम से कम मेरा हिला कर ही मेरा शांत कर दो.”

“तुम हाथ छ्चोड़ रहे हो या नही”

“नही छ्चोड़ता जाओ कर लो जो करना है. आप शायद भूल रही हो कि आप के घर वाली फिल्म अब भी मेरे इस मोबाइल मे है”
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वो पूरी तरह से नीच पने पर आ गया था. मेरा मन नही था वहाँ पर अब ज़रा भी देर रुकने का पर अमित तो ज़बरदस्ती मेरे पीछे पड़ गया था. मैने सोचा इस से पहले कि ये कुछ करने के लिए मुझे मजबूर करे मैं इसका हिला कर शांत कर देती हू.

“क्या सोचने लग गयी भाभी जी ? थोड़ा हिला दो ना वरना पूरी रात भर नींद नही आएगी. आप का क्या है आप तो मनीष भैया के साथ रात को चुदाई कर लोगि पर मेरा क्या होगा. मेरी तो शादी भी नही हुई है जो अपनी लुगाई की गांद मार कर अपने लंड को शांत कर साकु. आप अपने नरम नरम हाथो से हिलाओगी तो जल्दी निकल जाएगा.” कह कर उसने मेरे हाथ को अपने लिंग पर कस दिया. अमित का लिंग हाथ मे लेते ही मेरे पूरे शरीर मे एक कंपन सा हुआ और मेरी योनि फिर ने फिर से रिसना शुरू कर दिया.

मुझे कुछ ना करता हुआ देख कर वो फिर से बोला “हिला दो ना भाभी आप तो ऐसे शर्मा रहे हो जैसे आप पहली बार च्छू रहे हो. भूल गयी आप आप को आधी औरत से पूरी औरत मैने ही बनाया है. इस लिए आप का आधा पति होने का अधिकार तो मुझे मिल ही गया है. अब हिलाना शुरू भी करो” कह कर उसने मेरे हाथ को पकड़ कर अपने लिंग पर आगे पीछे चलना शुरू कर दिया.

“अपना मुँह बंद रखो, ये तुम जो भी कर रहे हो मेरे साथ बिल्कुल भी ठीक नही है. तुम अपने किए पर बाद मे ज़रूर पछताओगे”

“जिस ने आप जैसी लड़की की गांद पा ली हो उसे किस बात की चिंता होगी” कह कर उसने अपना एक हाथ मेरे नितंबो पर मारा और मेरे एक नितंब को अपनी मुट्ठी मे पकड़ कर बुरी तरह से दबा दिया. उसने इतनी ज़ोर से मेरे नितंब को पकड़ कर मसल दिया था कि पूरे बदन मे दर्द की एक लहर दौड़ गयी पर उस दर्द मे ज़रा भी तकलीफ़ होने की जगह एक अलग ही तरह का मज़ा महसूस हुआ. मन मे तो आया कि उस से कह दू कि ऐसे ही थोड़ा और दबा दे पर अपने मुँह से उस से इस तरह की बात कैसे कह सकती थी इस लिए चुप चाप ही रही.

उसने कब अपना हाथ मेरे हाथ के उपर से हटा लिया मुझे पता ही नही चला और मेरा हाथ उसके लिंग को बराबर तेज़ी के साथ आगे पीछे करने लगा हुआ था. जब मुझे इस बात का एहसास हुआ तो मैं शरम से ज़मीन मे धँसी जा रही थी. पर मुझे जल्दी थी नीचे जाने की क्यूकी यहा पर आए हुए काफ़ी टाइम हो गया था और नीचे कही मनीष या मम्मी जी मुझे ढूँढ ना रहे हो इस लिए मैने उसके लिंग को तेज़ी के साथ हिलाना शुरू कर दिया ताकि उसका वीर्य जल्दी से निकल जाए और मेरी जान च्छुटे.

उसका लिंग हिलाते हिलाते काफ़ी टाइम हो गया और अब तो मेरा हाथ भी दर्द करने लग गया था पर उसके लिंग से तो वीर्य की एक बूँद नही निकली. उसके लिंग पर मेरे हाथ से आगे पीछे करने की स्पीड काफ़ी कम हो गयी जिसका एहसास शायद उसे भी हो गया था.

“क्या हुआ भाभी इतना धीमे धीमे क्यू हिला रहे हो ?”

“मेरा हाथ दर्द करने लग गया है मुझसे अब और नही होगा, मैं नीचे जा रही हू.”

“बस भाभी थोड़ी देर और हिला दो मेरा निकलने ही वाला”

“मैने कहा ना मेरा हाथ सच मे दर्द कर रहा है मुझसे अब नही होगा ये सब.”

“भाभी अगर आप का हाथ दर्द कर रहा है तो आप इसे मुँह मे लेकर चूसो ना मुँह मे लेकर चूसने से जल्दी निकल जाता है”

उसकी बात सुन के की ‘मुँह मे ले कर चूसो’ सुन कर मैने एक नज़र उसके भीमकाय जैसे लिंग को देखा. ये ख़याल आते ही मेरे पूरे बदन मे एक ज़ुर-झूरी सी दौड़ गयी. इतना बड़ा लिंग कैसे मैं….. नही मैं ये सब नही कर सकती.. मैने अपने ही आप को जैसे जवाब देते हुए कहा. उसका लिंग एक दम लोहे की रोड़े के जैसा सख़्त था और हल्के हल्के झटके से ले रहा था. ऐसा लग रहा था मानो झटका की जगह अपना सर हिला कर पूछ रहा हू बताओ मुझे मुँह मे लोगि क्या ?

मैं मुँह मे नही ले सकती थी इस लिए मैने अपने दुख़्ते हुए हाथ से ही उसके लिंग को और भी तेज़ी के साथ हिलाना शुरू कर दिया. और कुछ ही देर मे उसका शरीर अकड़ने लग गया और उसके लिंग ने बुरी तरह से झटके खाते हुए वीर्य की बारिश सी कर दी. मैं जब तक हट पाती तब तक तो उसके लिंग से निकले वीर्य ने मेरी साडी खराब कर दी…. मुझे उसकी इस हरकत पर बोहोत गुस्सा आया पर वो वाक़त उस समय गुस्सा करने का नही वहाँ से निकल लेने का थाऔर इसी लिए मैं भी वहाँ से जल्दी से वापस नीचे की तरफ आ गयी.
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नीचे की तरफ आ कर मैने इधर उधर देखा कि कोई देख तो नही रहा है और वापस से औरतो की भीड़ मे शामिल हो गयी. सब कुछ वैसा ही था जैसा मैं छ्चोड़ कर गयी थी लगभग आधी से ज़्यादा औरते जा चुकी थी और बची हुई औरते खाना खा रही थी. मेरी समझ मे नही आ रहा था कि कैसे इस हालत मे मैं वहाँ जाऊ ? अमित का वीर्य मेरी साड़ी पर सॉफ चमक रहा था और उसके वीर्य की कुछ बूंदे मेरे ब्लाउस पर भी आ गयी थी जीने निशान सॉफ दिखाई दे रहे थे.

मैने उन निशानो को छुपाने के लिए साडी के पल्लू से अपने ब्लाउस को तो ढँक लिया पर साडी पर जो स्पॉट थे उन्हे कैसे छुपाऊ कुछ समझ नही आ रहा था. उन निशानो को छुपाने के लिए मुझे अपनी जाँघो पर हाथ रखना पड़ा जहा पर वो निशान था. निशान को छुपा मैं भी उन औरतो के बीच मे शामिल हो गयी मेरे माथे पर पसीना सॉफ झलक रहा था. मेरे दिमाग़ मे यही चल रहा था कि कही किसी ने मुझे देखा तो नही वहाँ उपर से आते हुए.

दूसरा घर से आकर मैने सिर्फ़ नाश्ता किया था तो मुझे भी भूक लग रही थी, मैने भी एक प्लेट ले कर जब खाने के काउंटर पर आई तो देखा कि वहाँ अमित पहले से ही खड़ा हुआ था. वो छत से कब यहा पर आ कर खड़ा हो गया पता ही नही चला. मैने उसे इग्नोर किया और उस अपने हाथ से प्लेट को टेबल पर रख कर, क्यूकी दूसरा हाथ मेरी साड़ी के निशानो को छुपा रहा था. मैने जैसे ही डाल प्लेट मे डाल ने को हुई.

“अरे भाभी जी आप क्यू तकलीफ़ उठा रही हो मैं हू ना, मैं डाल देता हू. हहहे” कह कर उसने अपनी बत्तीसी चमका दी.
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मैने उसकी तरफ घूरते हुए देखा वो फिर से मुस्कुराते हुए बोला “भाभी जी पूरा डाल दू” मैने उसकी बात को अनसुना किया और आगे जा कर बाकी का खाना अपनी प्लेट मे ले कर खाने लगी. खाना खाते हुए मुझे बड़ा अफ़सोस हो रहा था कि अनिता ने कितने मन के साथ मुझे अपनी साडी पहन ने को दी और मैने उसकी साडी को खराब कर दिया. अगर उसने ये निशान देखे तो क्या सोचेगी वो मेरे बारे मे..

थोड़ी ही देर मे वहाँ मौजूद बाकी बची हुई औरतो ने भी खाना खाया और मुझे, मम्मी जी और चाची जो को बधाई दे कर जाने लग गयी. सब लोगो को जाने के बाद हम भी वापस वहाँ से अंदर कमरे मे आ गये. मेरा पूरा बदन थकान से टूट रहा था और दूसरा बार बार रह रह कर विकास और सुजाता का ख़याल आ रहा था. सब ने खाना ख़तम कर लिया था पर सुजाता का कोई पता नही था. क्या विकास और सुजाता अब भी छत पर… सोच सोच कर मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब होती जा रही थी.

मुझे इस वक़्त जो चीज़ चाहिए थी वो मनीष ही दे सकते थे पर मनीष मुझे कही दिखाई ही नही दे रहे थे. मेरी आँखे बेचैनी के साथ मनीष को चारो तरफ खोजे जा रही थी. जिन्हे शायद अनिता ने पढ़ लिया था. “क्या हुआ भाभी जी जब से मनीष भैया गये है आप काफ़ी परेशान सी हो रही हो?? क्या हम लोगो के साथ अच्छा नही लग रहा है??” अनिता ने लग-भग मेरी चुटकी लेते हुए कहा. सब लोग काफ़ी थक चुके थे और काम भी काफ़ी फैला हुआ था. तभी मनीष भी पापा जी के साथ ही वहाँ पर आ गये. मम्मी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा “जा बेटी थक गयी होगी आराम कर ले यहाँ तो काम ऐसे ही फैला रहेगा”

“हान्ं बेटा जा बहू को ले जाकर थोड़ा आराम कर ले जब से आए हो दोनो ही काम मे लगे हुए हो” पापा जी ने भी मम्मी की बात को सपोर्ट करते हुए कहा.

मैं कुछ कहती इस से पहले ही अनिता बोल पड़ी ” भैया भाभी जी आप को बोहोत प्यार करती है जब से आप गये हो तब से आप को चारो तरफ ढूँढते फिर रही है.”

“चुप कर लड़की और जा जाकर तू भी आराम कर ले सुबह जल्दी उठ कर बाकी के काम करने है” मम्मी जी ने अनिता को डाँट ते हुए कहा.

मैं और मनीष दोनो ही अनिता की बात सुन कर शर्मा गये. और पापा मम्मी और सुजाता के वहाँ से जाने के बाद हम भी अपने कमरे मे आ गये. अपने कमरे मे आ कर मैने कुछ राहत की साँस ली. कमरे मे आ कर मनीष बाथरूम मे फ्रेश होने के लिए चले गये और मैने अपने कपड़े बदल कर चेंज करने लग गयी. साड़ी ब्लाउस पेटिकोट उतारने के बाद मुझे जैसे एक राहत की साँस मिली. अब मैं केवल ब्रा और पॅंटी मे थी. पॅंटी की जो हालत हो रखी थी वो देख कर ही कोई भी बता सकता था कि मेरी हालत उस समय कैसी है. मैने अपनी ब्रा खोल कर एक तरफ रख दी और पॅंटी भी उतार ही रही थी कि अपनी योनि से बहते हुए लावे को देख कर मैं मन ही मन मनीष के साथ आज की रात खूब जम कर सेक्स के बारे मे सोचने लग गयी. मनीष के साथ अपनी प्यास बुझाने की बात सोच कर ही मेरी योनि ने फिर से बहना शुरू कर दिया.

मैने जल्दी से अपनी पॅंटी को भी अपने शरीर से अलग किया और बाग खोल कर, जिसकी चाभी मनीष की जेब से निकाल कर मैने मनीष के कपड़े भी निकाल दिए और अपने भी निकाल लिए. थोड़ी ही देर मे मनीष नहा कर बाथरूम से बाहर आ गये. वो टवल लपेट कर अपने बालो मे हाथ फेरते हुए मुझे देख कर मुस्कुराते हुए बोले “निशा तुम भी फ्रेश हो लो तुम भी काफ़ी थक गयी हो”

मैने रिप्लाइ मे शरारती अंदाज मे उनके करीब गयी और उनकी आँखो मे झाँकते हुए उन्हे देखने लग गयी. मुझे इस तरह अपनी तरफ देखते हुए वो बोले “ऐसे क्या देख रही हो ?” कह कर उन्होने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मैने संभलने के लिए अपने दोनो हाथ उनकी कमर पर टिका दिए. थोड़ी देर तक हम यूँ ही एक दूसरे की आँखो मे आँखे डाल कर देखते रहे पर जैसे ही वो अपने होंठो को मेरे होंठो के करीब लाने की कोसिस की “छ्चोड़िए ना.. पहले नहा कर तो आ जाने दीजिए मुझे.” मैने मनीष से कहा और मनीष की पकड़ से खुद को आज़ाद करा कर बाथरूम के दरवाजे पर आ गयी और मनीष की तरफ देख कर हँसने लग गयी. मनीष की समझ मे नही आया की मैं हंस क्यू रही हू. और जब आया तो वो मेरी तरफ दौड़ पड़े इस से पहले कि वो मुझे पकड़ते मैने झट से दरवाजा बंद कर लिया.

और अपने हाथ मे लगी टवल को वही दरवाजे के पीछे लगी खूँटि पर टाँग दिया.
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मनीष के साथ सेक्स करने के ख़याल से ही मैं जल्दी जल्दी पानी डाल कर अपने आप को सॉफ करने लगी. नहाते हुए ही मुझे अमित का अपने नितंबो को मसलना याद आया जो उसने बुरी तरह से अपनी हथेली मे ले कर मसल दिए थे. उसके भीमकाय जैसे लिंग का एहसास मुझे अपने नितंब के बीच मे होने लगा. मैं खुद को जितना भी उस ख़याल से दूर करने की कोसिस कर रही थी पर वो तो जैसे जाने का नाम ही नही ले रहा था. नहाते हुए ही मुझे विकास और सुजाता का ख़याल आया क्यूकी पूरा फंक्षन ख़तम होने के बाद भी सुजाता मुझे कही दिखाई नही दी.

“अरे क्या कर रही हो अभी तक नहा नही पाई क्या” मनीष ने मुझे आवाज़ लगाते हुए कहा

मनीष की आवाज़ सुन कर मैं अपने ख़यालो की दुनिया से बाहर आई. “बस नहा ली आ रही हू” मनीष की बात का रिप्लाइ करके मैने जल्दी से पानी अपने उपर डाल कर टॉवल से अपने आप को पोंच्छा और मॅक्सी डाल कर बाहर आ गयी. अंदर कुछ पहना नही था. क्यूकी पता था कि वैसे भी सब उतरनी ही है और इस समय तो मेरी खुद की हालत ऐसी थी कि मनीष से अपने नितंबो को मसलवाने के लिए बे करार हो रही थी.

मैं जैसे ही बाथरूम से बाहर निकल कर आई तो देखा मनीष वैसे ही एक दम नंगे हो कर लेटे हुए है. उन्हे इस तरह देख कर मेरे चहरे पर मुस्कुराहट फैल गयी. उनका लिंग एक दम किसी बिजली के खंबे के जैसे एक दम सीधा खड़ा हुआ था और उनकी आँखे बंद थी. शायद कुछ सोच रहे थे. उनके सीधे खड़े हुए लिंग को देख कर मेरे मुँह मे पानी आ गया. मैं बिल्कुल धीमे से दबे हुए कदमो के साथ बेड के पास गयी और उनके लिंग को अपने हाथ मे कस कर पकड़ लिया.

मेरे यूँ अचानक लिंग पकड़ लेने से मनीष थोड़ा हड़बड़ा गये. और फिर आँख खोल कर मुस्कुरा दिए. मैने जब उनसे पूछा की “ये सब क्या है मनीष मैने आप के कपड़े निकाल दिए थे और आप ने कपड़े क्यू नही पहने अब तक, अगर कोई आ जाता तो”

“क्या करना है कपड़े पहन कर और वैसे भी गर्मी बोहोत है यहा गाँव मे सोचा थोड़ी हवा खा ली जाए.”

“अरे तो आप अंडरवेर पहन सकते थे ना. और ये क्या है ये आप का लिंग खंबे की तरह से सीधा क्यू खड़ा हुआ है ?” मैने मनीष को लिंग को हाथ मे पकड़ कर सहलाते हुए कहा.

“कैसे पहनता तुम इतने प्यार से जो कह कर गयी थी कि अभी आती हू. बस उसी बात को सोच कर ही पहनने की इच्छा नही हुई.” मनीष ने मुस्कुराते हुए कहा और मुझे अपने उपर खींच लिया.

“आप भी ना.. बाल तो सूखा लेने दीजिए” मैने मनीष के बालो मे हाथ घूमाते हुए कहा. मेरा दूसरा हाथ अब भी मनीष के लिंग को सहला रहा था.

“आज बड़े मूड मे दिख रही हो क्या बात है” मनीष ने मेरी आँखो मे झाँकते हुए देख कर कहा.

मनीष की बात सुन कर मैं शर्मा गयी. पर उस वक़्त तो जैसे मेरे योनि मे आग ही लगी हुई थी और उसको बुझाने मे मैं कोई देरी नही करना चाहती थी. इस लिए मैने मनीष की किसी बात का जवाब दिए बिना ही अपने होंठो को मनीष के होंठो पर टिका दिया. हम दोनो के होंठ जैसे ही एक दूसरे से जुड़े फिर तो जैसे चिपक ही गये. दोनो के होंठ एक दूसरे के होंठो को ऐसे चूम रहे थे जैसे कि आज पहली बार वो एक दूसरे को छू रहे हो. मनीष ने मेरे नीचले होंठ को अपने होंठो के बीच मे दबा लिया और उसे जोरो से चूसने लग गये. धीरे धीरे होंठ चूस्ते चूस्ते मनीष ने मेरी जीब को भी अपने होंठो के बीच मे दबा कर सक करना शुरू कर दिया.

उस समय तो जैसे उत्तेजना एक दम अपने चरम पर आ गयी थी. मैने भी मनीष की जीभ को अपने होंठो मे दबा कर चूसना शुरू कर दिया. थोड़ी देर यूँ ही किस करने के बाद मनीष ने अपने दोनो हाथो को मेरे उरोजो पर रख कर उन्हे हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया. मैं पहले से ही काफ़ी उत्तेजित थी और मनीष के हाथ अपने उरोजो पर पड़ते ही मेरे मुँह से सिसकारिया निकलनी शुरू हो गयी और आँखे अपने आप बंद होती चली गयी.
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एक अजीब सा सुकून मिल रहा था मनीष के हाथो को अपने उरोजो पर दबाते हुए महसूस करके. मनीष के हाथ जैसे कोई जादूगर की तरह चल रहे थे लेकिन उस समय मुझे ना जाने क्यू ऐसा लग रहा था कि मनीष थोड़ा और तेज़ी के साथ मेरे यूरोजो को दबाए. मैने सिसकारिया निकालते हुए ही मनीष से और तेज़ी के साथ यूरोजो को मसलने को कहा. मनीष को शायद मॅक्सी के उपर से यूरोजो को दबाने मे मज़ा नही आ रहा था इस लिए वो बोले “निशा यार इस मॅक्सी को निकाल दो मज़ा नही आ रहा है”

मनीष की बात सुन कर मैने जल्दी से अपनी मॅक्सी को अपने सरीर से अलग कर दिया. मॅक्सी के अलग होते ही मैं पूरी तरह से नंगी हो गयी. मनीष ने मुझे बिस्तर पर चित लेटा दिया और मेरे उपर चढ़ कर एक उरोज को जल्दी से अपने मुँह मे ले कर चूसने लग गये और दूसरे को अपने हाथ से दबाने लग गये. वो रोज ही की तरह कर रहे थे जैसे करते थे पर मुझे मज़ा नही आ रहा था मुझे कही ना कही कमी लग रही थी समझ नही आ रहा था कि मनीष थकान की वजह से इतने ढीले ढीले कर रहे है या मुझे ही ताक़त से यूरोजो को मसलवाने का मन हो रहा है.

खेर उन्होने थोड़ी देर उरोजो को उसी तरह धीमे धीमे मसला पर मुझे मज़ा नही आ रहा था इस लिए मैने मनीष से सिसकारिया निकालते हुए ही कहा “आहह आहहाअ मनीष थोड़ा और ताक़त से दबाइए ना आआहहाअ” मनीष ने मेरी बात सुन कर अपने हाथो से और तेज़ी के साथ मेरे उरोजो को मसला पर फिर भी आज ना जाने क्यू मुझे अपने उरोजो पर मनीष का हाथ हल्का ही महसूस हो रहा था. पर मैने भी ज़्यादा ज़ोर देना सही नही समझा.

उसके बाद तो जैसे मनीष ने जो भी किया ऐसे किया जैसे की वो फॉरमॅलिटी निभा रहे हो. मेरी योनि पर दो-तीन बार हाथ फिरा कर उन्होने डाइरेक्ट अपने लिंग को मेरी योनि मे डाल कर कमर हिलाना शुरू कर दिया. मुझे कुछ समझ मे नही आया कि उन्होने ऐसा क्यू किया थोड़ी देर पहले तो वो इतने जोश मे थे और अब यूँ इस तरह से अचानक.. और आज जब मुझे सेक्स करने की इच्छा इतनी ज़्यादा हो रही थी उस पर मनीष आज जल्दी ही फारिग हो गये. मुझे लगा था कि आज कम से कम दो-तीन राउंड तो होंगे ही पर मनीष का पानी निकलते ही वो बिस्तर पर ऐसे फैल गये जैसे अब उनकी बॉडी मे जान ही नही हो. मैं क्या करती मैं भी बुझे मन के साथ ही उनके साथ बिस्तर पर लेट गयी.

ना चाहते हुए भी मेरा ध्यान बार बार मनीष के मुरझाए हुए लिंग की तरफ जा रहा था मेरी प्यास अधूरी रह गयी थी और मनीष मेरे बगल मे ही लेटे हुए ज़ोर ज़ोर से खराते ले रहे थे. थोड़ी देर तक मैं भी यूँ ही पड़े पड़े बिस्तर पर इधर उधर करवट बदलती रही पर नींद तो जैसे आँखो से कोसो दूर गायब थी. मेरी आँखो के आगे लिंग था और मैं कुछ नही कर सकती थी उस से अपनी प्यास बुझाने के लिए.

उस समय जो ख़याल मेरे मन मे आ रहे थे वो मुझे मनीष से दूर कर रहे थे. मैं इस समय पूरी तरह से सेक्स की आग मे जल रही थी मैं बिस्तर से उठ कर बैठ गयी और थोड़ा सा आगे मनीष की तरफ हो कर मैने मनीष के मुरझाए हुए लिंग को अपने एक हाथ से पकड़ लिया और उसे सहलाने लग गयी.. मेरा दूसरा हाथ खुद-बा-खुद मेरी योनि से जा लगा और मेरी एक उंगली मेरी योनि के अंदर बाहर होना शुरू हो गयी. मैं एक हाथ से मनीष का लिंग और दूसरे हाथ से अपनी योनि को सहला रही थी और धीरे धीरे जब मेरी उंगली के अंदर बाहर होने की रफ़्तार तेज हो गयी तो मैने कही मनीष जाग ना जाए इस लिए मनीष के लिंग को छ्चोड़ दिया. और थोड़ी ही देर मे मैने खुद से खुद को शांत किया और बिस्तर पर आँख बंद कर के लेट गयी.

बिस्तर पर लेट कर मुझे नींद नही आ रही थी क्यूकी जो मैने सोचा था वैसा कुछ भी नही हुआ बल्कि आज तो जिस तरह से मनीष ने मेरे साथ किया आज से पहले कभी नही हुआ था. मैं बार बार बिस्तर पर करवट बदलती रही.. अमित के हाथ की छुवन बार बार मुझे मेरे नितंब पर महसूस हो रही थी उसने जिस तरह से मेरे नितंब को पकड़ कर मसल दिया था एक अजीब सा मज़ा आ गया था. पर फिर अचानक से विकास का ख्याल आ गया क्यूकी वो सुजाता के साथ था और सुजाता भी प्रोग्राम ख़तम होने के बाद भी कही दिखयी नही दी थी. मेरा मन किया कि जा कर एक बार चेक कर लू पर फिर थकान होने के कारण आलस कर गयी और यूँ ही पड़े पड़े सोने की कोसिस करने लगी. और इसी तरह करवाते बदलते बदलते पता ही नही चला की कब मुझे नींद आ गयी.
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सुबह मेरी आँख भी देर से खुली जब आँख खुली और मैने बगल मे मनीष को टटोलते हुए हाथ उनकी तरफ घुमाया तो वो जगह खाली थी मनीष को वहाँ पर ना पाकर मैं फॉरन अपनी जगह से उठ कर खड़ी हुई और जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहनने लगी. मैने अपने कपड़े पहने ही थे की बाथरूम का दरवाजा खुला और मनीष नहा कर बाहर निकलते हुए दिखाई दिए.

“आप बड़ी जल्दी उठ गये” मैने अपने बालो को सही करते हुए कहा

“अरे तुम उठ गयी… हां जान.. पापा के साथ जाना है कुछ सामान ले कर आना है” मनीष ने मेरे बगल मे आ कर मेरे गालो पर अपने ठंडे ठंडे हाथ लगाते हुए कहा.

“तो आप ने मुझे क्यू नही उठाया?” मैने मनीष को बॅग से उनके कपड़े निकाल कर देते हुए कहा.

“तुम सो रही थी जान” मनीष ने अपने कपड़े पहनते हुए कहा और फिर मेरी तरफ देख कर बोले कि “तुम भी नहा लो और जल्दी से तैयार हो कर मा के साथ काम मे हाथ बटाओ.. उन्हे ये ना लगे की तुम सहर मे रहती हो तो गौने के रीति रिवाज भूल गयी”

“ओके.. मैं अपने कपड़े ले कर अभी नहा कर तैयार हो जाती हू फिर दोनो एक साथ चलते है” मैने अपने कपड़े निकाल कर मनीष की तरफ देखते हुए कहा.

थोड़ी ही देर मे हम दोनो तैयार हो कर बाहर आ गये मैने मा और पिता जी के पैर छुए और उनसे आशीर्वाद ले कर मा के साथ रसोई मे नाश्ता बनाने के लिए चली गयी जहा पर अनिता पहले से ही मौजूद थी.

“अरे वाह भाभी जी आप इतनी सुबह सुबह.. मुझे तो लगा था कि आप 7-8 बजे से पहले सो कर नही उठोगे पर आप तो बड़ी जल्दी उठ जाते हो” अनिता ने मेरी चुटकी लेते हुए कहा.

जिसके जवाब मे मैने केवल उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दिया और उसके साथ सुबह के नाश्ते का जल्दी जल्दी इंतज़ाम करने लग गयी. नाश्ता तैयार करके हम सबने एक साथ ही नाश्ता किया विकास भी उठ कर तैयार हो के नाश्ते की टेबल पर आ गया था. नाशता करने के बाद मनीषा पिता जी के साथ निकल गये और मैं घर पर बाकी के काम जो मम्मी जी ने मुझे बताए थे करने लग गयी.

काम ख़तम करने के बाद मैं मम्मी जी के पास आ कर उनसे और कामो के बारे मे पूछने लग गयी तो मम्मी जी ने मुझे बता दिया कि अभी तो कोई काम नही है धूप भी ज़्यादा हो गयी है शाम को छत पर कंडे पड़े हुए है वो कंडे हटा कर छत पर जगह करनी है क्यूकी रिश्तेदार अगर ज़्यादा हो गये तो छत पर इंतज़ाम आसानी से कर दिया जाएगा.

मैं वहाँ से फ्री हो कर अपने कमरे मे बैठी ही थी कि मुझे कल की अमित की हरकत याद आ गयी जिसकी वजह से अनिता की साड़ी खराब हो गयी थी मैने जल्दी से वापस अपने कमरे मे आ कर अनिता की साडी को सॉफ किया और वही सूखने के लिए डाल दिया. थोड़ी ही देर मे अनिता मेरे कमरे मे आ कर मुझसे बोली “भाभी जी क्या कर रहे हो ?”

“कुछ नही” मैने अनिता की तरफ देखते हुए कहा.

“चलो अच्छा है फिर तो आप को अपने साथ ले चलती हू” उसने मुस्कुराते हुए कहा.

“कहाँ ले चलती हू ?” मैने चोन्क्ते हुए उस से कहा.

“पास ही मे चलना है भाभी जी टेलर मास्टर की दुकान पर सूट दिया था सिल्ने के लिए वही सूट ले कर आना है” उसने अपनी पूरी बात करते हुए कहा.

“धूप मे जाओगी ?” मैने गर्मी को देखते हुए कहा.

“हन.. पास मे ही उसकी दुकान है 1घंटे मे वापस आ जाएगे. अकेले जाती इस से अच्छा सोचा आप को साथ ले लू तो आप को भी गाँव मे घूमने हो जाएगा और मुझे भी आप का साथ मिल जाएगा” उस से मक्खन लगाने वाले अंदाज मे कहा.

“ओके.. मम्मी जी से बोल देती हू” मैने आगे बढ़ते हुए कहा.

“कोई ज़रूरत नही है वो मैने पहले ही ताई जी को बोल दिया है की मैं आप को अपने साथ ले जा रही हू” उसने इठलाते हुए अंदाज मे जवाब दिया.

“कोई बात नही मैं मम्मी जी को एक बार और बता देती हू.” मैने अपनी तसल्ली करने के लिए कहा.

“ठीक है” उसने कहा और हम दोनो कमरे से बाहर निकल आए.

कमरे से बाहर निकलते ही सामने से मुझे अमित आते हुए दिखाई दिया. वो मुझे देख कर अपने दाँत दिखाता हुआ चला आ रहा था.

अमित मेरे पास तक आता इस से पहले ही विकास ने उसे आवाज़ दे कर अपने पास बुला लिया. विकास का उसको बुलाना.. मुझे अंदर ही अंदर डर लग रहा था की पता नही कही अमित विकास को कल के बारे मे कुछ बता ना दे.. “क्या सोचने लग गयी भाभी ..!” अनिता ने मुझे सोच मे डूबे हुए देख कर मेरे कंधे को ठप-थपाते हुए कहा. मैने अपनी सोच से बाहर निकल कर एक झलक उसकी तरफ देखा “क्या हुआ भाभी अब चलो भी ऐसे क्या देख रहे हो मेरी तरफ” अनिता ने कहा और मेरा हाथ पकड़ कर आगे की तरफ बढ़ गयी.

मैं अपनी सोच से बाहर निकल कर अनिता के साथ चल दी. क्यूकी मैने भी मनीष के साथ यहाँ पर आने से पहले खूब सारी शूपिंग की थी.. जिनमे तीन चार अच्छी अच्छी साडी भी थी लेकिन समय कम होने के कारण और कोई अच्छा टेलर ना होने के कारण मैं उन साडी के ब्लाउस और पेटिकोट नही सिल्वा पाई थी इस लिए सोचा कि अनिता के साथ साथ मैं भी अपने पेटिकोट और ब्लाउस सिल्व
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धूप काफ़ी तेज थी और उस टेलर की शॉप थोड़ी दूर थी इसलिए हम दोनो ने रिक्शा कर लिया. रिक्शे मे बैठ कर हम दोनो टेलर की दुकान की तरफ चल दिए. वो रिक्शा चलाते हुए बार बार पलट कर मेरी तरफ देखे जा रहा था. मुझे बड़ा अजीब लग रहा था एक तो गर्मी की वजह से पूरी सड़क सुनसान दूसरा गाँव मे खेत और कच्ची सड़क.. मेरा दिल पता नही एक अंजाने डर से बैठा जा रहा था.

वो बार बार मेरी कभी अनिता की तरफ पलट कर देखे जा रहा था जब मुझसे रहा नही गया तो मैने उसको बोल दिया “ये बार बार पीछे मूड कर क्या देख रहे हो सामने देख कर रिक्शा चलाओ चुपचाप”

वो मेरी बात के जवाब मे कुछ नही बोला और अपनी बत्तीसी निकाल कर दिखाने लगा. और फिर रिक्शा चलाने लग गया. उसने थोड़ी ही देर मे आगे जा कर रिक्शा रोक दिया. उसके यूँ अचानक रिक्शा रोक देने से मैं थोड़ा घबरा गयी.. लेकिन अपनी घबराहट को च्छूपा कर मैने गुस्से मे उस से कहा “ये रिक्शा बीच मे क्यू रोक दिया है..!”

“मेंसाब् वो बड़ी ज़ोर से पेशाब आ रहा है. पेशाब कर लू फिर चलता हू” कह कर वो रिक्शे से नीचे उतर गया. और मेरी तरफ देखने लग गया. उसके रिक्शे से उतरते ही मेरी नज़र उसके पुराने गंदे से पाजामे के उपर गयी जहाँ उसके लिंग वाली जगह पर टेंट सा बना हुआ था. “मेडम जी आप की इजाज़त हो तो कर लू” उसने मेरी तरफ देख कर अपनी बत्तीसी दिखाते हुए कहा.

“ठीक है जल्दी करो और यहाँ से चलो” मैने कहा तो वो हस्ता हुआ थोड़ी ही दूरी पर जा कर खड़ा हो कर पेशाब करने लग गया. अनिता चुप चाप मेरे बगल मे ही बैठी हुई थी. वो जिस तरह से खड़े हो कर पेशाब कर रहा था ऐसा लग रहा था कि वो अपने लिंग को पकड़ कर हिला रहा हो. वो हमारी ही तरफ बार बार पलट कर देख रहा था. मैने अपनी आँख वहाँ से हटा ली. ना चाहते हुए भी मेरा ध्यान एक बार फिर से जैसे ही उस की तरफ गया, वो शायद अपना पाजामा बाँध रहा था. उसको पाजामा बांधता देख कर मुझे तसल्ली हुई. कि अब वो चलेगा. वो जैसे ही पास आया मैं उस से बोली “अब जल्दी से चलो हम काफ़ी लेट हो रहे है”

“जी मेम्साब बस चलते है" उसने कहा और वापस रिक्शा चलाने लग गया.
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