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Adultery मेहमान बेईमान
#81
(12-01-2020, 06:42 AM)Deadman2 Wrote: शर्मा जी की आँखे कभी मेरे चेहरे तो कभी मेरी छाती पर चुभती हुई महसूस हो रही थी. “अरे बेहन जी बोहोत ही सुन्दर बहू मिली है आप को” शर्मा जी ने मेरी तारीफ करते हुए कहा. पर उनकी नज़र अब भी मेरे उपर चल रही थी.

“हां भाई साहब अब ये दोनो आ गये है तो काफ़ी मदद मिलेगी शादी के काम काज मे. आप लोग बैठिए ना जब तक मैं ज़रा दूसरे और काम देख लेती हू.” मम्मी कह कर वहाँ से दूसरी तरफ चली गयी.

“अच्छा तुम जब तक बहू से बैठ कर बात करो मैं भी ज़रा मनीष से मिल लेता हू” अपनी पत्नी से कह कर शर्मा अंकल बाहर की तरफ चले गये जहा पर मनीष खड़े हुए थे. वो अब भी मनीष और पापा से बात करते हुए मेरी छाती की तरफ ही नज़रे चुरा कर देखते और गंदी सी स्माइल पास कर देते मेरी तरफ.

देखने से शर्मा अंकल की एज करीब 50-55 साल के आस-पास होगी पर उनका शरीर एक दम कसा हुआ था. शरीर की डील डोल देखने से पता चलता था कि वो अब भी कसरत वगेरह करते है जिस से उनका शरीर एक दम कसा हुआ है. अपनी तरफ उनको यूँ घूरता हुआ देख कर मुझे बड़ा अजीब लग रहा था. पर जिस तरह से मम्मी जी उनकी रेस्पेक्ट कर रही थी. मैं एक दम स्पीचलेस हो गयी थी. कि क्या काहु क्या ना कहु उनकी इस हरकत के बारे मे. जितनी उमर शर्मा जी की लग रही थी उस से भी कम उनकी वाइफ की लग रहीथी देखने से उनकी वाइफ की एज करीब ज़्यादा से ज़्यादा 35-36 साल के करीब ही लग रही थी. मैं उनकी पत्नी को बड़ी हैरानी से देख रही थी. थोड़ी देर हम दोनो ने आपस मे बात चीत भी की और वहाँ पर मौजूद बाकी लोगो से भी.

थोड़ी ही देर मे धीरे धीरे करके सारी भीड़ कम होती चली गयी. मैं भी अब काफ़ी तक गयी थी. और कपड़े चेंज करके फ्रेश होना चाहती थी. अभी मैं सोच ही रही थी कि तभी मुझे मम्मी ने आवाज़ लग दी “निशा बेटी सुन ज़रा इधर आ” मम्मी की आवाज़ सुन कर मैं वाहा जहाँ पर बुला रही थी आ गयी. अंदर सब घर वाले ही बचे हुए थे जहा पर विकास मेरे देवर, अनिता चाचा जी की लड़की और चाची बैठे हुए थे. “अरे बेटा चल कुछ नाश्ता पानी कर ले, भीड़ भाड़ के चक्कर मे तूने और मनीष ने कुछ खाया पीया ही नही है. मैं ज़रा मनु को बुला कर लाती हू” मम्मी ने बड़े प्यार से मेरे सर पर हाथ फिराते हुए कहा और मनीष को बुलाने के लिए जाने लगी तभी चाची जी भी उनके साथ हो ली. मनीष का घर का नाम मनु था.

मम्मी और चाची के वहाँ से जाने के बाद अब हम तीन लोग ही बचे थे.

“तो देवर राजा जी कैसी है हमारी आने वाली देवरानी?” मैने विकास से चुटकी लेते हुए कहा.

“अब भाभी जी मुझे कैसे पता होगा कि कैसी है मुझे तो केवल उसकी फोटो दिखाई गयी थी. बाकी तो ये लोग ही मिल कर आए है” विकास ने अनिता की तरफ इशारा करते हुए कहा.

“भाभी जी भैया झूठ बोल रहे है घंटो हमारी होने वाली भाभी के साथ फ़ोन पर लगे रहते है. किसी की भी नही सुनते है” अनिता ने भी हंसते हुए लहजे मे कहा.

“तो यानी आप हमे कुछ नही बताना चाहते हो, सब कुछ प्राइवेट रखना है.. ह्म्म..” मैने भी अब खींचाई करने वाले अंदाज मे कहा.

अनिता हम दोनो की बाते सुन कर मंद मंद मुस्कुराए जा रही थी.

“नही भाभी ऐसी कोई बात नही है..” विकास ने शरमाते हुए कहा.

“अच्छा वैसे करती क्या है हमारी होने वाली देवरानी जी ? यही गाँव मे ही है ?”

“नही भाभी जी वो इस समय कोटा मे है और वहाँ से इंजिनियरिंग कर रही है. और वही हॉस्टिल मे ही रह रही है”

“अच्छा तो इंजिनियर से शादी हो रही है हमरे देवर जी की..” कह कर मैं मुस्कुरा दी.

तब तक मम्मी भी आ गयी चाइ नाश्ता ले कर. मैने आगे बढ़ कर मम्मी के हाथ से चाइ नाश्ता ले कर वही मेज पर रख लिया. “मम्मी मनीष नही आए ?” मैने मनीष को ना पाते हुए थोड़ा बेचैन होते हुए कहा.

“अरे भाभी जी आ जाएगे क्यू इतना बेचैन हो रही है” अनिता ने इस बार मेरी चुटकी लेते हुए कहा
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#82
(12-01-2020, 11:40 AM)shorya gupta Wrote: सेक्स का मज़ा तो आ रहा था पर जो मज़ा अमित के साथ आया था वो मज़ा नही आ रहा था. अमित का लिंग सीधे मेरी बच्चे दानी को चोट करता था पर मनीष का बाहर ही रह जाता था मज़ा तो आ रहा था पर कुछ कमी सी महसूस हो रही थी
?????????????????
amit se kab chudai hui?
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#83
(13-01-2020, 09:58 AM)Deadman2 Wrote: Wait for next update

अपनी ननद की बात सुन कर मैं शरम से लाल हो गयी और चुप चाप हो कर चाइ नाश्ता करने लग गयी. चाइ नाश्ता करने के बाद मैं वहाँ से उठ कर अनिता के साथ अपने कमरे मे जो मनीष का कमरा था वहाँ आ गयी. शाम भी हो गयी थी और मुझे इन कपड़ो मे गर्मी भी बोहोत लग रही थी. इस लिए मैने जैसे ही कपड़े निकालने के लिए सूटकेस उठाया जो लॉक्ड था. मुझे याद आया कि मैने चाबी तो मनीष को दे दी थी. मुझे यू परेशान देख कर अनिता बोली..”क्या हुआ भाभी जी बड़ी परेशान देख रही हो… अभी भी भैया को ही याद कर रही हो… हहे” कह कर वो हंस दी.

“नही.. वो मुझे कपड़े चेंज करने है और सूटकेस की चाबी मनीष के पास है.” मैने अपनी समस्या उसे बताते हुए कहा.

“ले बस इतनी सी बात के पीछे इतना दुखी हो रही हैं हमारी प्यारी भाभी… अरे भाभी जी आप मेरे साथ आइए” कह कर अनिता ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने साथ अपने रूम मे ले आई.

उसका रूम काफ़ी सुंदर था और उसने अपने कमरे की दीवार पर शाहरुख और अजय देवगन के पोस्टर लगा रखे थे. मैं बड़े गौर से उसके रूम को देख रही थी… “तो आप को शाहरुख और अजय देवगन काफ़ी पसंद है” मैने पोस्टर देखने के बाद मुस्कुराते हुए उस से कहा.

“अरे ये पोस्टर तो बस ऐसे ही लगा रखे है… अच्छा आप ये ट्राइ करके देखो” उसने अपनी अलमारी से एक सूट निकाल कर मुझे देते हुए कहा. देखने मे सूट काफ़ी अच्छा था पर मैं आते ही सूट नही पहनना चाहती थी. इस लिए मैने अनिता को सूट के लिए मना कर दिया.

थोड़ी देर इधर उधर अपनी अलमारी मे कपड़ो को करने के बाद उसने एक साड़ी को निकाल कर मुझे दी…”ये साडी पहन लो भाभी जी आप हल्की भी है और आप पर काफ़ी अच्छी भी लगेगी” कह कर उसने वो सारी मेरे हाथ मे थमा दी.

साडी सच मे काफ़ी हल्की और सुंदर थी पर दिक्कत पेटिकोट और ब्लाउस की थी. जो अनिता ने साडी के साथ मुझे पहनने के लिए दिए थे. “अनिता साडी तो ठीक है पर मुझे नही लगता कि तुम्हारे ब्लाउस और पेटिकोट मेरे फिट आएगे” मैने अपने मन की बात उसे बता दी.

“ अरे भाभी केवल आज की ही तो बात है और वैसे भी थोड़ी देर मे भैया तो वैसे ही घर आ जाएगे फिर आप को कॉन सा साडी पहन्नी है… हहे” कह कर वो मेरे एक दम पास आ कर हँसने लग गयी.

उसकी बात सुन कर मैं एक दम हैरान रह गयी मुझे उम्मीद नही थी कि वो इतनी जल्दी मेरे साथ इतना फ्रॅंक हो कर बात करना शुरू कर देगी. शादी के समय मैं ज़्यादा दिन गाँव मे नही रही थी इस लिए मेरी घर वालो से अच्छे से बात चीत नही हो पाई थी. मम्मी पापा कभी कभी घर पर आ जाते थे तो उनसे बात चीत होती रही. उसकी बात सुन कर मैने प्यार से उसकी सर पर एक चपत लगाई और कहा… “चल बदमाश.. बोहोत शरारत सूझ रही है तुझे.”

“अब भाभी देखती रहोगी या पहनोगी भी” अनिता ने मेरी तरफ देखते हुए कहा.

मैने साडी को खोला तो वो एक दम पतली झिल्ली दार साड़ी थी ऐसी कि आर पार का सब कुछ सॉफ सॉफ दिखाई दे. मैने जब पूरी सारी खोल कर देखी तो मेरी हिम्मत नही हुई उसे पहनने की.. “अनिता मैं ये सारी नही पहन सकती ये नेट सारी यहाँ पर नही पहन सकती किसी ने देखा तो क्या कहेगा.. लो अपनी साडी वापस रख लो.” कह कर मैने उसे साडी वापस पकड़ा दी.

“अरे भाभी ये साडी सिल्क की है और क्रीम कलर मे है. ये मैने पीछले साल शर्मा अंकल के लड़के की शादी मे खरीद कर पहनी थी. और आप पर तो ये सारी एक दम फिट रहेगी.” अनिता ने ज़ोर दे कर मुझे साडी वापस दी और पहन कर ट्राइ करने को कहा.
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#84
मैने साडी ले ली और ब्लाउस को देखने लगी.. वो बॅक ओपन ब्लाउस था. घर पर तो मेरे सारे ब्लाउस ऐसे ही बॅक ओपन टाइप ही थे पर ये गाँव था इस लिए मैने यहाँ के लिए अलग ब्लाउस सिलवाए थे. पर वो सब सूटकेस मे बंद थे. मैने ब्लाउस को हाथ मे लिया और वहाँ से उसे ले कर अपने कमरे मे जाने लगी.

“अरे कहाँ जा रही हो भाभी यही पर ट्राइ कर लो मुझे कोई दिक्कत नही है.” उसने इस अंदाज से कहा जैसे मैं उसे देख कर शर्मा कर वहाँ से अपने कमरे मे जा रही थी.

उसका वो मुस्कुराता चेहरा देख कर मैं अपने कमरे मे जाते जाते रुक गयी. और वही उसके कमरे मे ही अपना ब्लाउस उतार कर उसका दिया हुआ ब्लाउस ट्राइ करने लगी. उसका दिया हुआ ब्लाउस मेरे काफ़ी टाइट था पूरी ताक़त लगाने के बाद भी वो मेरे फिट नही आ रहा था. थक हार कर मैने अनिता को आवाज़ लगा कर उसे बुलाया ताकि उसे दिखा सकु कि उसका दिया हुआ ब्लाउस मेरे ज़रा भी फिट नही आ रहा है…

मेरी आवाज़ सुन कर वो मेरे एक दम नज़दीक आ गयी और मैं उस से कुछ कहती उस से पहले ही वो बोल पड़ी..”भाभी इसमे ब्लाउस की कोई ग़लती नही है आप के दोनो पर्वत ही इतने उँचे उँचे है कि ब्लाउस मे क़ैद हो ही नही रहे है. भैया काफ़ी महनत करते है लगता है इन पर्वतो पर..हहे” कह कर उसने ब्लाउस को आगे से थोड़ा सा खींच कर उसके हुक लगा दिए. ब्लाउस पहनने मे ही मुझे 10-15 मिनट लग गये…

ब्लाउस पहनने के बाद अब मैने पेटिकोट को ले लिया पहनने के लिए. अनिता से टवल ले कर मैने अपने नितंब पर टवल लपेट लिया और अपना पेटिकोट उतार कर अनिता का दिया हुआ पेटिकोट पहन लिया. अनिता का दिया हुआ पेटिकोट मेरे नितंब पर एक दम कस रहा था. उस पेटिकोट को पहन कर ऐसा लग रहा था जैसे मैने कोई स्किन टाइट स्कर्ट पहन ली हो. एक दम कसी कसी. पेटिकोट पहन ने के बाद मुझे नाडा बाँधने की भी ज़रूरत नही थी पूरा का पूरा पेटिकोट मेरे नितंब पर कसा हुआ था.

पेटिकोट पहन कर जब मैने अनिता की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ एक तक देखे जा रही थी. अगर कोई लड़का या आदमी मेरी तरफ इस तरह देखता तो मैं समझ भी सकती थी की वो क्यू देख रहा है पर अनिता क्यू देख रही है… मुझसे रहा नही गया और मैने उस से पूछ ही लिया… “ऐसे क्या देख रही हो किसी को पहले नही देखा क्या ?”

“भाभी जी देखा तो बोहोत सारी औरतो को है पर आप अपने आप को एक बार शीशे मे देख लो आप खुद को देखने से रोक नही पाओगे… काश की मैं लड़का होती तो आज आप को..” कह कर वो मुस्कुरा दी.

उसकी बात सुन कर मुझसे रहा नही गया और मैं शीशे के सामने हो गयी और खुद को देखने लगी जैसे ही शीशे मे मैने खुद को देखा. मेरा मुँह खुला का खुला रह गया. शीशे मे जो मेरी झलक मुझे मिल रही थी वो किसी काम की देवी से कम नही थी. शीशे मे देखने पर मेरे दोनो उरोज मेरे ब्लाउस से झाँकते हुए मेरे गले को छूने की कोसिस कर रहे थे. सांसो के साथ उपर नीचे होते हुए उरोज देख कर मैं खुद ही शर्मा गयी. और नीचे पेटिकोट जो मेरे नितंब पर एक दम कसा हुआ था जिस कारण मेरे नितंब की शेप सॉफ दिखाई दे रही थी.

थोड़ी देर तक खुद को शीशे मे देखने के बाद मैने अनिता से कहा कि “अनिता क्या मुझे तुम्हारे ये कपड़े सही मे पहन ने चाहिए ?”

“अरे भाभी क्या बुराई है इसमे और वैसे भी आप अपने घर पर इसी तरह के कपड़े तो पहनती होगी. ना और वैसे भी आप पर ये साडी बोहोत अच्छी लगेगी और वैसे भी थोड़ी देर के लिए ही तो आप को साडी पहन नी है.” अनिता ने शरारती मुस्कुराहट के साथ कहा.

मैने भी अपने आप को शीशे मे देख कर जोश मे आ गयी थी. और साडी पहन ली. साडी पहन कर जब मैने अनिता से पूछा कि “कैसी लग रही है साडी अनिता ज़्यादा ओल्ड तो नही लग रही है ?”

“भाभी जान आप तो बिजलिया गिराने वाले हो पूरे गाँव पर जो भी आप को देखेगा रात भर सो नही पाएगा. और भैया तो आज आप को नही छ्चोड़ने वाले है. हहहे” उसने फिर से वही शरारती हँसी हंसते हुए कहा.
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#85
साडी पहन कर मैं वापस अपने कमरे मे आ कर अपने कपड़े बॅग मे रखे और थोड़ा आराम करने की सोच ही रही थी कि मा जी की आवाज़ आ गयी..

“अरे निशा बेटी…” आवाज़ लगते हुए मम्मी मेरे कमरे मे आ गयी. मैं इस साडी को पहन कर शरमा रही थी. मेरे दिमाग़ मे यही चल रहा था कि पता नही मम्मी क्या सोचेगी कि मैं इस तरह के कपड़े पहनती हू… “अरे बेटा सुन आज गीत संगीत का प्रोग्राम है और बाहर मेहमान भी आ रहे है चल मेरे साथ वहाँ मेहमानो के बीच चल कर बैठ यहाँ अकेले मे क्या करेगी”

मैने सोचा था कि थोड़ी देर आराम कर लू पर “जी मम्मी जी चलिए” मैने अपने कपड़े बॅग मे रखते हुए कहा.

मैं मम्मी के साथ कमरे से बाहर निकली ही थी कि तभी सामने से अमित आता हुआ दिखाई दिया. अमित को देख कर मेरे दिल की धड़कने बढ़ गयी. वो भी मुझे देख कर मुस्कुरा दिया.

“अरे पीनू कहाँ डोल रहा है. अंदर वाले कमरे मे लाइट का इंतज़ाम कर दिया ? पंखे वगेरा सब चल रहे या नही “ मम्मी ने उसे सामने से आता हुआ देख कर टोकते हुए कहा.

वो आगे बढ़ कर मेरे करीब आया और मुस्कुराते हुए मेरे पैर छू कर बोला “नमस्ते भाभी जी गाँव कब आए आप ?” उसकी शकल देख कर मुझे गुस्सा तो बोहोत आ रहा था पर मम्मी के सामने कुछ बोल नही सकती थी. “जी वही इंतज़ाम करने मे लगा हुआ हू. एक दो पंखे और लगाने है बस” अमित ने हसते हुए मम्मी से कहा जिसे सुन कर मम्मी ने कहा “अच्छा चल ठीक है जल्दी जाकर सब काम कर और बिजल्ली भी देख ले रोशनी हो रही है कि नही.” कह कर मम्मी मेरे साथ आगे बढ़ गयी और वो दूसरी तरफ चला गया.

उसके वहाँ से चले जाने से मुझे कुछ शांति मिली वरना मेरा दिल जोरो से घबराए जा रहा था. मैं मम्मी जी के साथ आगन मे आ गयी जहाँ गाने बजाने का प्रोग्राम होना था. घर बड़ा होने की वजह से वहाँ इस सब प्रोग्राम को करने के लिए जगह खूब सारी थी और फिर गाँव मे शादी थी तो मेहमान लोग भी खूब सारे आने थे. थोड़ी ही देर मैं देखते ही देखते खूब सारी औरते जमा हो गयी. मैं भी अपनी उमर की औरते जो रिश्ते मे मेरी भाभी थी उनके साथ बैठ गयी और मम्मी जी वहाँ से किसी काम के चक्कर मे चली गयी.

मैं जिन भाभी वगेरह के साथ बैठी थी वो मुझे देख कर मेरी फिटनेस की तारीफ किए बिना नही रह सकी. तभी उनमे से एक भाभी जो मुझसे उमर मे थोड़ी बड़ी थी बोली “नये मेहमान के आने मे कितना टाइम बाकी है ?” भाभी जी बात सुन कर मैं शरमा गयी “अभी कुछ सोचा नही है” मैने शरमाते हुए लहजे मे धीरे से जवाब दिया.

मेरी बात सुन कर पास मे ही जो एक और भाभी थी वो बोल पड़ी “कुछ सोचा नही नही है तभी इतना सुंदर शरीर बना रखा है, वरना शादी के बाद च्चरहरा शरीर कहाँ रहता है… हहहे”

"अच्छा हुआ हमारे जैसे मरद नही है जो कि एक महीने मे ही सारा फिगर बिगाड़ देते है दबा दबा के लटका देते है" फिर से मुझसे उमर मे बड़ी जो भाभी थी वो बोल पड़ी. उन भाभी जी बात सुन कर सब लोगो की हँसी निकल गयी. गाँव की औरतो की ऐसी बात सुन कर मुझे बोहोत शरम आ रही थी. तभी मेरी नज़र सामने की तरफ गयी जहाँ पर शर्मा अंकल खड़े हुए थे और मेरी तरफ ही देखे जा रहे थे.

थोड़ी ही देर मे वहाँ पर परदा टाइप का कपड़ा लगा दिया गया जिस से कोई भी आदमी अंदर का प्रोग्राम ना देख सके. ये इंतज़ाम देख कर मुझे बोहोत ख़ुसी हुई पर मैं इन कपड़ो मे अपने आप को बोहोत कसा हुआ महसूस कर रही थी.

थोड़ी ही देर मे गाने बजाने का प्रोग्राम शुरू हो गया. बाकी की जो गाँव वाली पुरानी लॅडीस थी वो वही गाँव वाले स्टाइल मे गाने गा रही थी. जिन पर कुछ औरते डॅन्स भी कर रही थी और बाकी की क्लॅप्स कर रही थी. थोड़ी देर उस तरह गाने का प्रोग्राम चलने के बाद. म्यूज़िक सिस्टम ऑन कर दिया गया जिस पर “मेरे हाथो मे नो नो चूड़िया है” गाना चल रहा था फिल्म चाँदनी का. और उस गाने पर सब औरतो के बीचो बीच मे एक लड़की डॅन्स कर रही थी.

उस लड़की का डॅन्स देख कर मुझे अपने कॉलेज के दिन याद आ गये जब मैं कॉलेज मे डॅन्स सीखा करती थी. “ये लड़की अच्छा डॅन्स कर रही है.” मैने अपने पास बैठी भाभी से कहा.

“अरे वो सुजाता है हमारे गाँव मे सबसे अच्छा डॅन्स करती है.” भाभी ने भी उसकी तारीफ करते हुए कहा.

“डॅन्स तो अच्छा कर रही है भाभी जी पर एक्सप्रेशन मे मजेदारी नही आ रही है.” मैने उसकी तारीफ से जलते हुए अंदाज मे कहा.

“ आरीए हां मेने सुना है तुम भी बहुत अच्छा डॅन्स करती हो चलो आज तुम्हारा ही डॅन्स देखते है” भाभी ने मेरी बात को सुन कर कुछ याद करते हुए कहा.

“नही..भी ने मेरी बात को सुन कर कुछ याद करते हुए कहाँ.मजेदारी नही आ रही है."हुआ महसूस कर ..म करने लगी. मेहमान ल नही.. भाभी मैं नही कर सकती. डॅन्स छ्चोड़े हुए मुझे बहुत टाइम हो गया है”
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#86
मैने उन्हे सॉफ सा इनकार कर दिया और वैसे भी अगर मैं जिस तरह के कपड़े पहने हुए थी उन्हे पहन कर डॅन्स करती तो मेरे शरीर का पूरा फिगर दिखने लग जाता...

“ अब कोई बहाना नही चलेगा और वैसे भी तुम्हारे देवर की शादी है.. अरे सुनो निशा बहुत अच्छा डॅन्स करती है, अब ये डॅन्स करेगी” भाभी जी ने इतने ज़ोर से कहा कि वहाँ मौजूद सभी औरते एक साथ उनकी और मेरी तरफ देखने लग गयी.

“ वो मईएईन.. नो नू वो मी… नही नही…” मेरे मुँह से कुछ कहते ही नही बन रहा था.

तभी वहाँ दो लॅडीस आई और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे सब औरतो के बीचो बीच खड़ा कर दिया. अब मेरे पास कोई ऑप्षन ही नही बचा था सिवाए इसके की मैं अब डॅन्स करू. मैने चारो तरफ नज़र घुमा कर वहाँ बैठी औरतो को देखा. वहाँ पर कुछ काम करने वाले लड़के भी थे जो औरतो को चाइ नाश्ता बाँट रहे थे. चारो तरफ नज़र भर देखने के बाद मैने आँख बंद करके डॅन्स करने का फ़ैसला कर लिया.
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#87
तभी म्यूज़िक सिस्टम पर फिर से किसी ने “मेरे हाथो मे 9-9 चूड़िया है” सॉंग प्ले कर दिया. मैने भी अपना मन पक्का कर लिया और अपनी साडी के पल्लू को नवल से नीचे कमर के अंदर की तरफ कर लिया. क्यूकी मैं नही चाहती थी कि डॅन्स करते हुए मेरी साड़ी का पल्लू हवा मे उड़े और मुझे बार बार उसे समेटने मे परेशानी हो. पर पल्लू को कमर मे कसने से मेरा पूरा शरीर खिल कर सामने आ गया था. एक तो वैसे ही कपड़े एक दम चुस्त थे जिस पर मैने डॅन्स करना है.

पर मुझे मेरे डॅन्स पर पूरा भरोसा था कि मैं बढ़िया डॅन्स करूगी. डॅन्स को छ्चोड़े हुए काफ़ी लंबा टाइम हो गया था और अपने देवर की शादी मे नही करूगी तो कब करूगी सोच कर मैने डॅन्स करने की ठान ली. जैसे ही गाना शुरू हुआ मैने मेरे पैरो के साथ अपने कूल्हे मटकाना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर मैं मेरे कुल्हो ने गाने की धुन पर मटकना शुरू कर दिया.

जैसे गाने मे श्री देवी ने कई जगह जंप की थी मुझे भी गाने मे डॅन्स करते हुए जंप करनी पड़ी. मैं जैसे ही जंप करने के लिए उछलती मेरे दोनो उरोज भी उछल कर मेरे मुँह को आने लगते. जो पास से देखने मे आधे से ज़्यादा बाहर निकल आते थे. पर इस समय यहाँ पर सभी औरते बैठी थी इसलिए मुझे इस बात की कोई चिंता नही थी. गाना ख़तम होते होते मैं पूरे जोश मे आ कर डॅन्स करने लग गयी थी. जैसे ही गाना ख़तम हुआ वहाँ पर मौजूद सभी औरतो ने ताली बजा कर मेरी प्रशन्शा की. तालियो की आवाज़ सुन कर मुझे बोहोत ख़ुसी महसूस हो रही थी.

डॅन्स करके मैं पूरी तरह से पसीने से भीग चुकी थी और आ कर वही बैठ गयी. लेकिन वहाँ पर बैठी नयी उमर की लड़कियो ने शोर करना शुरू कर दिया “एक और डॅन्स एक और डॅन्स” मैं बोहोत खुस हो रही थी वो आवाज़े सुन कर कि सभी लोगो ने मेरा डॅन्स पसंद किया.

“अरे निशा भाभी ने तो सुजाता की भी छुट्टी कर दी” मेरे पास बैठी एक लड़की ने ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा.

“अरे सुजाता भी तो अच्छा डॅन्स करती है दोनो ही अच्छा डॅन्स करते है” सुजाता के पास बैठी एक लड़की ने कहा.

“ इस बार सुजाता और निशा एक साथ डॅन्स करेंगी देखते है कों अच्छा डॅन्स करता है” वही पास मे ही बैठी एक और लड़की ने कहा. अब ये बिना मतलब के कॉंपिटेशन जैसा होता जा रहा था.

“ हां हां क्यू नही मे तो भाभी के साथ डॅन्स करूँगी” सुजाता ने बड़े विश्वास के साथ मुस्कुराते हुए कहा..


अभी कोई कुछ कहता उस से पहले ही लाइट चली गयी. एक दो बल्ब को छ्चोड़ कर बाकी सब तरफ अंधेरा ही अंधेरा हो गया सब फॅन भी बंद हो गये जिस वजह से मुझे बुरी तरह से गर्मी लगने लगी एक तो वैसे ही गर्मी थी उपर से ये लाइट भी चली गयी. मैने मन ही बड़बड़ाया. तभी किसी ने आवाज़ लगा कर कहा “अरे पीनू कहा मर गया म्यूज़िक सिस्टम पर ही बैठा रहेगा या लाइट भी चालू करवाएगा” पीनू म्यूज़िक सिस्टम पर बैठा हुआ था यानी वो मुझे डॅन्स करते हुए देख रहा था. एक पल के लिए मैं सोच कर घबरा गयी पर अगले ही पल मैने सोचा अच्छा है.. देख देख कर जलने दो. मैं गर्मी की वजह से भीड़ से थोड़ा दूर हट कर खड़ी हो गयी ताकि कुछ राहत मिल सके तभी मेरे कानो मे पीनू की आवाज़ आई..

“अरे कोई नही देखेगा तू बस मौका देख कर छत पर आ जा जल्दी से” उसकी आवाज़ सुन कर मैं सोच मैं पड़ गयी ये किस से कह रहा है छत पर आने की.. कह रहा होगा किसी से मुझे क्या.

“तुम समझते क्यू नही हो.. विकास भैया छत पर ही टहल रहे है.” ये आवाज़ सुन कर मैं चौंक गयी.. ये आवाज़ कुछ सुनी सुनी सी लग रही थी पर खुस-फूसाने की वजह से साफ साफ समझ नही आ रही थी कि कॉन है

“मुझे कुछ नही पता 11 बजे मे छत पर तेरा इंतजार करूगा, अब मैं जा रहा हू लाइट चालू करने के लिए तू मस्त डॅन्स कर निशा के साथ एक दम मस्त माल है निशा भी” जब उसने डॅन्स की बात करी तब मेरी समझ मे आया की वो सुजाता से कह रहा था छत पर आने के लिए.

अमित की इस तरह की बात सुन अमित की वो हरकत याद आ गयी जो उसने मेरे साथ की थी. किस तरह उसने मुझे अपने कमरे मे पकड़ लिया था और मुझे टेबल के साथ झुका कर मेरे मे धक्के लगाना शुरू कर दिया था. रूपा के साथ भी उसने वही किया था. रूपा को भी उसने अपने जाल मे फँसा लिया था और अब वो इस सुजाता को भी... मैं अपनी सोच मे डूबी हुई ये सब सोच ही रही थी कि पीछे से सुजाता ने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया गर्मी की वजह से मेरे चेहरे पर वैसे ही पसीना था पर अमित के साथ घर वाली घटना याद करते ही मेरा चेहरा पसीने से तर बतर हो गया उस पर सुजाता का पीछे से हाथ रखना मैं बुरी तरह से घबरा गयी.
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#88
“क्या हुआ भाभी आप एक दम से घबरा क्यू गयी”

“कुछ नही वो बस ऐसे ही…” मैने हड़बड़ाते हुए कहा.

“चलो भाभी जी लाइट आ गयी है. सब आप का वेट कर रहे है” सुजाता ने कहा तो मैने उसे गौर से देखा. देखने वो काफ़ी सुंदर थी और एज से करीब 20-21 साल की लग रही थी. हाइट मे भी वो लगभग मेरे बराबर ही थी. बॉडी फिगर भी उसका ठीक था. उसने इस समय सलवार सूट टाइट चूड़ीदार पाजामा के साथ पहन रखा था और उपर गले मे चुन्नी डाल रखी थी. पसीने मे होने के कारण और पतली कमीज़ वला सलवार सूट पहन ने के कारण उसके दोनो उरोज पसीने मे भीग जाने की वजह से सॉफ सॉफ दिखाई दे रहे थे. कोई भी उन्हे देख कर उनका साइज़ बता सकता था, उसके दोनो निपल भी पसीने की वजह से सॉफ चमक रहे थे.

मैं उसके साथ वहाँ से वापस चल दी तब मेरी नज़र उस तरफ जहाँ म्यूज़िक सिस्टम लगा था वहाँ गयी उस तरफ अमित और उसके साथ मे एक और लड़का बैठा हुआ था. देखने से उसके साथ वाला लड़का पढ़ा लिखा लग रहा था और काफ़ी हॅंडसम भी. पर मैने गौर किया कि अमित हमारी तरफ देख कर स्माइल पास कर रहा है और सुजाता भी अपना सर झुका कर उसको स्माइल पास कर रही है. अमित की ये स्माइल सुजाता के लिए थी या मेरे लिए ये समझ पाना काफ़ी मुश्किल था. मैने उस की तरफ बिना कोई रेस्पॉन्स दिए वापस अपना चेहरा घुमा लिया.

हम दोनो के वहाँ औरतो के बीच मे आते ही सब औरते और लड़किया ताली बजा कर और हम दोनो के नाम पुकार कर पुकारने लगी. ना जाने क्यू वहाँ पर आ कर मेरी नज़र बार बार घूम कर अमित की तरफ जा रही थी. दो लड़को के सामने डॅन्स करने की सोच कर ही मुझे शर्म और घबराहट हो रही थी. और अमित को वहाँ पर देख कर तो और भी ज़्यादा. हम दोनो के बीच मे आते ही अमित ने “डोला रे.. डोला रे..” गाना लगा दिया ताकि हम दोनो के बीच मे कंपॅक्षन हो सके. गाना शुरू होते है मैने हिम्मत दिखा कर काम लिया और मधुरी वाले स्टेप मेरे हो गये और ऐश्वरिया वाले सुजाता के हो गये. कसे हुए कपड़े होने की वजह से मुझे मधुरी के स्टेप करने मे काफ़ी दिक्कत हो रही थी और वो सूट मे होने के कारण ऐश के स्टेप काफ़ी अच्छे से कर रही थी जिसे देख कर वहाँ मौजूद औरते और लड़किया सब उसका नाम ले कर ताली बजाने लगी ये देख कर और सुजाता की तारीफ सुन कर मुझे बोहोत जलन होने लगी. अपनी बेज़्जती होते देख कर मैं पूरे जोश मे आ गयी. मैं वहाँ माजूद सब औरतो को ये साबित करवाने चाहती थी कि मैं साडी और पेटिकोट मे भी सुजाता से अच्छा डॅन्स कर सकती हू.

यही सब कुछ सोच कर मैं फुल जोश मे आकर पूरे रिदम के साथ एक-एक स्टेप को ये सब भूल कर कि मैं साडी पहने हुए हू करने लगी. टाइट सारी होने की वजह से मेरे शरीर का एक-एक अंग थिरक रहा था. थोड़ी ही देर मे सब औरते सुजाता के नाम को भूल कर मेरा नाम का शोर करने लगी. थोड़ी ही देर मे गाना ख़तम हो गया और सब तरफ मेरा ही नाम गूँज रहा था.. “निशा…. निशा…. निशा…” अपना नाम सुन कर मेरी ख़ुसी का टिका नही रहा.

“ आप बोहोत अच्छा नाचती है भाभी जी… मुझे भी सिखाइए ना आपने सीखा है क्या कही ?” सुजाता ने मेरी तारीफ करते हुए कहा.

“ हां मैं पहले सीखती थी, तुम भी बोहोत अच्छा डॅन्स करती हो थोड़ी महनत करोगी तो तुम भी अच्छी डॅन्सर बन जाओगी.” मैने अपनी जीत से खुस होते हुए जवाब दिया. मैं डॅन्स मे उसको हाराने से ज़्यादा इस बात से खुस थी कि शादी शुदा होने के बाद भी मैं एक अनमॅरीड लड़की को डॅन्स मे हरा दिया.

“सभी औरते और लड़कियो का खाना खाने का इंतज़ाम करवा दिया गया है.” चाची जी ने वहाँ आ कर सब औरतो से खाना खाने की रिक्वेस्ट की.

मैने दोबारा से सुजाता की तरफ देखा, वो थोड़ा दुखी लग रही थी और उस देहाती अमित की तरफ देखे जा रही थी. जिस तरह से वो दोनो एक दूसरे की तरफ देख रहे थे मुझे पूरा पक्का यकीन हो गया था कि अमित उसके साथ आज ज़रूर कुछ करने की प्लॅनिंग किए हुए है. पर मुझे सुजाता के लिए बोहोत दुख हो रहा था कि वो इतनी सुंदर और भोली भाली लड़की इस अनपढ़ देहाती के चक्कर मे पड़ कैसे गयी. मैं सोच ही रही थी कि तभी मम्मी जी ने मुझे आवाज़ लगा कर अपने पास बुला लिया और वहाँ आई हुई कुछ औरतो से मेरा परिचय करवाने लगी.

मैने जब थोड़ी देर बाद उस तरफ देखा तो अमित वहाँ से जा रहा था और सुजाता भी उसके पीछे-पीछे जा रही थी. मेहमानो के साथ खड़े होने की वजह से मैं उस तरफ नही जा सकती थी, पर मैं सुजाता के लिए काफ़ी परेशान हो गयी कि कही वो देहाती अमित का बच्चा बेचारी भोली भली सी लड़की की लाइफ ना खराब कर दे. थोड़ी ही देर मे मैं मेहमानो से मिल कर फ्री हो गयी, और उस तरफ चल दी जहाँ अमित और सुजाता गये थे. जैसे जैसे मैं आगे बढ़ती जा रही थी वैसे वैसे लाइट कम हो कर अंधेरा बढ़ता जा रहा था. वो रास्ता घर के पीछे वाले जीने के लिए जाता था. जीना चढ़ कर मैं भी दबे पाँव छत पर आ गयी. पर मुझे
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#89
(13-01-2020, 10:09 AM)Deadman2 Wrote: “क्या हुआ भाभी आप एक दम से घबरा क्यू गयी”

“कुछ नही वो बस ऐसे ही…” मैने हड़बड़ाते हुए कहा.

“चलो भाभी जी लाइट आ गयी है. सब आप का वेट कर रहे है” सुजाता ने कहा तो मैने उसे गौर से देखा. देखने वो काफ़ी सुंदर थी और एज से करीब 20-21 साल की लग रही थी. हाइट मे भी वो लगभग मेरे बराबर ही थी. बॉडी फिगर भी उसका ठीक था. उसने इस समय सलवार सूट टाइट चूड़ीदार पाजामा के साथ पहन रखा था और उपर गले मे चुन्नी डाल रखी थी. पसीने मे होने के कारण और पतली कमीज़ वला सलवार सूट पहन ने के कारण उसके दोनो उरोज पसीने मे भीग जाने की वजह से सॉफ सॉफ दिखाई दे रहे थे. कोई भी उन्हे देख कर उनका साइज़ बता सकता था, उसके दोनो निपल भी पसीने की वजह से सॉफ चमक रहे थे.

मैं उसके साथ वहाँ से वापस चल दी तब मेरी नज़र उस तरफ जहाँ म्यूज़िक सिस्टम लगा था वहाँ गयी उस तरफ अमित और उसके साथ मे एक और लड़का बैठा हुआ था. देखने से उसके साथ वाला लड़का पढ़ा लिखा लग रहा था और काफ़ी हॅंडसम भी. पर मैने गौर किया कि अमित हमारी तरफ देख कर स्माइल पास कर रहा है और सुजाता भी अपना सर झुका कर उसको स्माइल पास कर रही है. अमित की ये स्माइल सुजाता के लिए थी या मेरे लिए ये समझ पाना काफ़ी मुश्किल था. मैने उस की तरफ बिना कोई रेस्पॉन्स दिए वापस अपना चेहरा घुमा लिया.

हम दोनो के वहाँ औरतो के बीच मे आते ही सब औरते और लड़किया ताली बजा कर और हम दोनो के नाम पुकार कर पुकारने लगी. ना जाने क्यू वहाँ पर आ कर मेरी नज़र बार बार घूम कर अमित की तरफ जा रही थी. दो लड़को के सामने डॅन्स करने की सोच कर ही मुझे शर्म और घबराहट हो रही थी. और अमित को वहाँ पर देख कर तो और भी ज़्यादा. हम दोनो के बीच मे आते ही अमित ने “डोला रे.. डोला रे..” गाना लगा दिया ताकि हम दोनो के बीच मे कंपॅक्षन हो सके. गाना शुरू होते है मैने हिम्मत दिखा कर काम लिया और मधुरी वाले स्टेप मेरे हो गये और ऐश्वरिया वाले सुजाता के हो गये. कसे हुए कपड़े होने की वजह से मुझे मधुरी के स्टेप करने मे काफ़ी दिक्कत हो रही थी और वो सूट मे होने के कारण ऐश के स्टेप काफ़ी अच्छे से कर रही थी जिसे देख कर वहाँ मौजूद औरते और लड़किया सब उसका नाम ले कर ताली बजाने लगी ये देख कर और सुजाता की तारीफ सुन कर मुझे बोहोत जलन होने लगी. अपनी बेज़्जती होते देख कर मैं पूरे जोश मे आ गयी. मैं वहाँ माजूद सब औरतो को ये साबित करवाने चाहती थी कि मैं साडी और पेटिकोट मे भी सुजाता से अच्छा डॅन्स कर सकती हू.

यही सब कुछ सोच कर मैं फुल जोश मे आकर पूरे रिदम के साथ एक-एक स्टेप को ये सब भूल कर कि मैं साडी पहने हुए हू करने लगी. टाइट सारी होने की वजह से मेरे शरीर का एक-एक अंग थिरक रहा था. थोड़ी ही देर मे सब औरते सुजाता के नाम को भूल कर मेरा नाम का शोर करने लगी. थोड़ी ही देर मे गाना ख़तम हो गया और सब तरफ मेरा ही नाम गूँज रहा था.. “निशा…. निशा…. निशा…” अपना नाम सुन कर मेरी ख़ुसी का टिका नही रहा.

“ आप बोहोत अच्छा नाचती है भाभी जी… मुझे भी सिखाइए ना आपने सीखा है क्या कही ?” सुजाता ने मेरी तारीफ करते हुए कहा.

“ हां मैं पहले सीखती थी, तुम भी बोहोत अच्छा डॅन्स करती हो थोड़ी महनत करोगी तो तुम भी अच्छी डॅन्सर बन जाओगी.” मैने अपनी जीत से खुस होते हुए जवाब दिया. मैं डॅन्स मे उसको हाराने से ज़्यादा इस बात से खुस थी कि शादी शुदा होने के बाद भी मैं एक अनमॅरीड लड़की को डॅन्स मे हरा दिया.

“सभी औरते और लड़कियो का खाना खाने का इंतज़ाम करवा दिया गया है.” चाची जी ने वहाँ आ कर सब औरतो से खाना खाने की रिक्वेस्ट की.

मैने दोबारा से सुजाता की तरफ देखा, वो थोड़ा दुखी लग रही थी और उस देहाती अमित की तरफ देखे जा रही थी. जिस तरह से वो दोनो एक दूसरे की तरफ देख रहे थे मुझे पूरा पक्का यकीन हो गया था कि अमित उसके साथ आज ज़रूर कुछ करने की प्लॅनिंग किए हुए है. पर मुझे सुजाता के लिए बोहोत दुख हो रहा था कि वो इतनी सुंदर और भोली भाली लड़की इस अनपढ़ देहाती के चक्कर मे पड़ कैसे गयी. मैं सोच ही रही थी कि तभी मम्मी जी ने मुझे आवाज़ लगा कर अपने पास बुला लिया और वहाँ आई हुई कुछ औरतो से मेरा परिचय करवाने लगी.

मैने जब थोड़ी देर बाद उस तरफ देखा तो अमित वहाँ से जा रहा था और सुजाता भी उसके पीछे-पीछे जा रही थी. मेहमानो के साथ खड़े होने की वजह से मैं उस तरफ नही जा सकती थी, पर मैं सुजाता के लिए काफ़ी परेशान हो गयी कि कही वो देहाती अमित का बच्चा बेचारी भोली भली सी लड़की की लाइफ ना खराब कर दे. थोड़ी ही देर मे मैं मेहमानो से मिल कर फ्री हो गयी, और उस तरफ चल दी जहाँ अमित और सुजाता गये थे. जैसे जैसे मैं आगे बढ़ती जा रही थी वैसे वैसे लाइट कम हो कर अंधेरा बढ़ता जा रहा था. वो रास्ता घर के पीछे वाले जीने के लिए जाता था. जीना चढ़ कर मैं भी दबे पाँव छत पर आ गयी. पर मुझे

जीना चढ़ कर मैं भी दबे पाँव छत पर आ गयी. पर मुझे छत पर कोई दिखाई नही दिया वो दोनो आए तो इसी तरफ थे फिर अचानक कहाँ चले गये. मैं इधर-उधर देखने की कोसिस ही कर रही थी कि तभी मेरे कानो मे कुछ दूरी से आती हुई आवाज़ सुनाई दी. आवाज़ सुन कर मैं बुरी तरफ घबरा गयी और छत पर बनी हुई आधी अधूरी दीवार के पीछे छुप गयी. शायद कोई छत पर आ रहा था. मैने दीवार के पीछे से ही झाँक कर देखा वो सुजाता ही थी. उसे देख कर मेरा शक़ यकीन मे बदल गया कि अमित और सुजाता का अफेर चल रहा है. वो जीने से आ कर अमित के घर की छत की तरफ चल दी. ये जीना बहोत पहले का था अमित और हमारे घर के रीलेशन भी काफ़ी अच्छे थे इस लिए एक साथ जुड़ा होने की वजह से इस जीने का यूज़ दोनो घरो की छत पर आने जाने के लिए किया जाता था.
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#90
थोड़ी देर तक मैं वही चुप चाप खड़ी रही और उसके जाने का इंतजार करती रही. जैसे ही वो चली गयी दीवार के पीछे से निकल कर मैं भी अमित की छत की तरफ बढ़ गयी. मैं बोहोत ही दबे पाँव चल रही थी ताकि कोई मुझे देख ना सके. जैसे ही मैं चलते हुए छत पर बने एक अधूरे कमरे की तरफ आई जहाँ पर तमाम सारा कबाड़ सा भरा हुआ दिख रहा था कंडे गोबर भी जमा थे, वहाँ कॅंडो के पीछे से आती हुई आवाज़ ने मुझे चौंकने पर मजबूर कर दिया.

“औऊिईए माआआअ धीरे दब्ाओ ना दर्द हो रहा है आराम से करो ना” सुजाता ने बोहोत ही धीमे से दर्द भरी आवाज़ के साथ कहा.

“अरे जानेमन पुच…पुच कब से इन्हे हिला हिला के नाच रही थी नीचे. और मेरे हाथो मे खुजली हो रही थी इन्हे दबाने के लिए और तू कह रही है कि आराम से दबौउ” अंदर से बोहोत धीमे से बोलने की आवाज़ आ रही थी. मुझे अमित से इसी तरह की घटिया किस्म की उम्मीद थी कि वो सुजाता के साथ इसी तरह की हरकत करेगा.

“ आप को केवल मेरे ही हिलते हुए नज़र आ रहे थे निशा भाभी भी तो साथ मे नाच रही थी उनके भी तो हिल रहे थे उनके नही दिखे आप को ? और वो तो कितने कसे हुए कपड़े पहनी थी उनके तो ब्लाउस मे से आधे से ज़्यादा निकल निकल कर बाहर आ रहे थे” सुजाता ने आहे भरती हुई आवाज़ के साथ मे बोहोत धीरे से कहा.

मुझे आवाज़ सॉफ नही सुनाई दे रही थी इस लिए मैने इधर उधर देखना शुरू कर दिया ताकि मुझे कुछ दिखाई दे तभी मुझे पास ही मे लकड़ी की एक छोटी सी चोकी दिखाई दी मैं उसके उपर ही खड़े हो कर अंदर देखने की कोसिस की ताकि सॉफ सुनाई दे और दिखाई भी दे जाए. कॅंडो के बीच मे होने के कारण मुझे कोई भी नही देख सकता था पर मैं अंदर की तरफ सब देख सकती थी. लेकिन मुझे अभी भी अंदर कुछ दिखाई नही आ रहा था कि वो दोनो कहाँ है. मैने और गौर से देखने की कोसिस की तो थोड़ी दूर पर दो साए एक लड़के और लड़की का दिखाई दिया जो एक दूसरे के साथ चिपके हुए थे, जिसे देख मुझे समझने मे ज़रा भी देर नही लगी कि वो अमित और सुजाता है.

“ अरे मेरी जान बोहोत तडपा हू मैं तेरे लिए आज बड़ी मुश्किल से मौका मिला है. आज तो जी भर कर तेरे साथ मज़े करूगा. अब खोल भी दे ना कितना तडपाएगी अपने इन मस्त संतरो को चुसवाने मे…” आवाज़ बोहोत धीमे से आ रही थी. जिसे समझने के लिए मुझे बोहोत ध्यान लगाना पड़ रहा था.

“मुझे बोहोत शरम आ रही है. आप ही उतार लो मुझसे नही उतारा जाएगा…” सुजाता ने फिर से आहे भरते हुए धीमी सी आवाज़ मे कहा.

मैं अभी ध्यान से आवाज़ सुन ही रही थी कि मुझे अपने नितंब पर किसी का हाथ महसूस हुआ. मैने पलट कर देखा तो मेरा मुँह खुला का खुला रह गया आँखे बाहर की तरफ आने को हो गयी. अमित गंदी सी हँसी हंसते हुए मेरे नितंब पर अपने हाथ चला रहा था. मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गयी. मैने अंदर की तरफ देखा तो वो दोनो साए अब भी एक दूसरे से चिपके हुए थे और एक दूसरे को किस कर रहे थे. “अगर तुम यहाँ पर हो तो अंदर कॉन है ?” मैने बुरी तरह से चौक्ते हुए उस से सवाल किया.

“अंदर जिसे होना चाहिए वही है पर आपके छुप-छुप कर देखने की आदत अभी तक नही गयी..हहे..” कह कर वो दाँत फाड़ कर अपनी गंदी हँसी मे हंस ने लग गया.

“बंद करो अपनी ये गंदी हँसी.. और ये बताओ कि अंदर कॉन है उस लड़की के साथ” मैने गुस्से से उस से सवाल किया.

“बड़ी उतावली हो रही हो भाभी जी चुदाई देखने को.” कह कर उसने अपने हाथ को अपने लिंग पर फिराना शुरू कर दिया.. मैने उसकी तरफ गुस्से से देखने लगी और अंदर जाने ही वाली थी कि उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींच लिया मुझे अपने से चिपका लिया. उसके यूँ अचानक से मुझे खींचने से मैं उस से एक दम चिपक गयी जिस वजह से मेरे दोनो उरोज उसके सीने मे दब गये और उसका खड़ा हुआ लिंग मुझे मेरी योनि के उपर दस्तक देता हुआ महसूस हुआ. उसके लिंग को अपनी योनि पर महसूस होते ही मुझे मेरे शरीर मे बिजली का सा एक झटका महसूस हुआ. मैं अपनी पूरी ताक़त लगा कर उस से एक ही झटके मे अलग हो गयी.
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#91
“ये क्या बदतमीज़ी है देहाती गँवार, मैं तेरी शिकायत मनीष से करूगी. अगर तुझे पूरे गाँव मे नही पिटवाया तो मेरा नाम भी निशा नही” मैने गुस्से से उसे हड़कते हुए कहा.

“हहहे.. मज़ाक अच्छा करती हो तुम.. भूल गयी वो रात… उस रात की कुछ यादे मेरे पास अभी भीहै..” कह कर वो फिर से मुस्कुरा दिया और मेरे पास कदम बढ़ाता हुआ आने लगा.

वो रात कैसे भूल सकती हू. सोच कर उस बीती रात की सारी घटना मेरे दिमाग़ मे घूमने लग गयी, जब अमित ने मेरे साथ वो सब किया था जो नही होना चाहिए था.
फ्लेश बॅक.....................................
कमरे मे आते ही मैने कमरे को अंदर से कुण्डी लगा कर बंद कर लिया. ऑर बेड पर लेट गयी. नहा लेने से अब कुछ हल्का हल्का अच्छा लग रहा था. पर मेरा दिमाग़ इस बात को लेकर काफ़ी गुस्से मे था कि वो हर वक़्त मुझ पर नज़र रखे हुए है. ऑर तो ऑर उसकी हिम्मत इतनी बढ़ गयी है कि बाथरूम के अंदर मुझे नंगा देख रहा था.

क्या सोच रहा होगा मेरे बारे मे.? कही उसने बाथरूम मे मेरी फोटो तो नही ले ली ? उसका कोई भरोसा नही है. कुछ भी कर सकता है. अगर उसने वो सब अपने मोबाइल मे फीड कर लिया होगा तो ? गाँव मे जाकर सब को दिखाएगा.. सोच कर ही डर के मारे मेरी हालत खराब हो गयी. अब मैं क्या करू ?

मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि कैसे उसके मोबाइल से अपनी फोटो डेलीट की जाए. मैं अपने कमरे मे आ कर रात होने का इंतजार कर रही थी. कि कब रात हो और वो सोए तो मैं उसके कमरे मे जा कर उसके मोबाइल से अपनी पिक्चर डेलीट करू. धीरे-धीरे धड़कते दिल के साथ मैं रात का इंतजार करने लगी और रात भी हो गयी. रात के 11.30 बज रहे थे मुझे लग रहा था कि वो सो गया होगा. यही सोच कर मैने डरते हुए दिल के साथ अपने कमरे का दरवाजा खोल कर बाहर देखा. बाहर एक दम सन्नाटा फैला हुआ था. मैं डरते हुए कदमो के साथ अमित के कमरे की तरफ बढ़ती जा रही थी. जैसे जैसे मैं एक-एक कदम बढ़ा रही थी डर के मारे मेरी हालत खराब होती जा रही थी. मेरे दिमाग़ मे बार बार यही चल रहा था कि वो सोया भी होगा या नही. अगर वो जाग रहा होगा तो… तो क्या मैने वापस अपने कमरे मे आ जाउन्गि..

यही सब सोचते हुए मैं उसके कमरे की तरफ बढ़ रही थी. धीरे धीरे दबे कदमो के साथ मैं उसके कमरे के दरवाजे तक आ गयी. कमरे के दरवाजे पर आते ही मेरा दिल बुरी तरह से धड़कने लग गया. कमरे के दरवाजा भिड़ा हुआ था. पता नही अंदर से बंद है या खुला हुआ है. समझ मे नही आ रहा था. मुझे बोहोत डर लग रहा था दरवाजे को खोलने मे कही वो जाग रहा होगा तो..

पर उसके मोबाइल मे अपनी फोटो वाली बात सोच कर मैने अपने आप को हिम्मत बँधाई. और बोहोत धीमे से दरवाजे को अंदर की तरफ धकेल कर चेक किया कि वो खुल रहा है या बंद है. मुझे उम्मीद थी कि उसने अपने कमरे के दरवाजे की कुण्डी नही लगाई होगी और वैसा ही हुआ. हल्का सा पुश करते ही दरवाजा अंदर की तरफ को हो गया जिस से कमरे के अंदर देखने लायक जगह हो गयी. पर कमरे मे उसने नाइट बल्ब जल रहा था जिस वजह से मुझे अंदर की आक्टिविटी समझने काफ़ी टाइम लग रहा था. और जब समझ मे आया तो अंदर वो बेड पर सो रहा था. उसको सोता हुआ देख कर मुझे थोड़ा सुकून मिला और मैने हिम्मत करके थोडा और दरवाजा खोला जिस से बाहर से आई हुई लाइट अंदर आने लग गयी. और मैं जल्दी से अंदर आ कर इधर उधर देखने लग गयी ताकि उसका मोबाइल दिखाई दे. मैने इधर उधर देखा पर मुझे कही भी उसका मोबाइल नज़र नही आया और जब मैने उसकी बेड पर उसकी तरफ देखा तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी. वो बिस्तर पर एक दम नंगा लेटा हुआ था और उसका भीमकाय जैसा लिंग एक दम तना हुआ था. उसका तना हुआ लिंग देख कर एक पल के लिए मेरी नज़र वही की वही अटक गयी. और ना चाहते हुए भी मेरी साँसे अपने आप तेज़ी के साथ चलने लग गयी. थोड़ी देर यूँ ही एक तक उसके लिंग को देखने के बाद मैने अपने आप को संभाला और तुरंत अपनी निगाह उसके लिंग से हटा कर वापस दूसरी तरफ देखने लग गयी…
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#92
मुझे समझ नही आ रहा था कि उसने अपने मोबाइल को कहाँ रखा हुआ है. “कहाँ ढूंढू अब” मैने थक हार कर अपने आप से ही कहा. मेरा ध्यान बार-बार ना जाने क्यू अमित के तने हुए लिंग की तरफ चला जा रहा था. मैने अपने आप को बड़ी मुश्किल से समझाया उसके लिंग को ना देखने के लिए और टेबल की तरफ मोबाइल को देखने के लिए पलट गयी. मैं टेबल पर देख ही रही थी कि तभी दो हाथो ने मुझे पीछे से पकड़ लिया. उन हाथो को अपने शरीर पर महसूस करते ही मेरे पूरे शरीर मे एक बिजली सी कोंध गयी.

“तो आप आ ही गयी मेरे पास अपनी प्यास बुझाने के लिए” उसने मेरे कान मे धीमे से कहा और अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर कमरे की लाइट ऑन कर दी.

अब पूरा कमरे लाइट से जाग मगा रहा था. वो मेरे से इस तरह से चिपक कर खड़ा हुआ था कि उसका मोटा भीमकाय लिंग मुझे मेरे दोनो नितंब के बीच मे गढ़ता हुआ महसूस हो रहा था. वो वैसे ही खड़े खड़े अपने लिंग को मेरे नितंब की दरार मे उपर नीचे करने लग गया.उसकी पकड़ बोहोत मजबूत थी. मैने उसकी पकड़ से छूटने की कोसिस की पर कामयाब ना हो सकी.

“छ्चोड़ो मुझे क्या कर रहे हो तुम” मैने थक हार कर उस से गुस्से से कहा.

“वही कर रहा हू जिसके लिए आप अपने कमरे से यहाँ पर आई हो.” कहते हुए उसने मेरी गर्दन को किस कर लिया.

उसकी पकड़ से निकलने के लिए मैने हाथ पाँव चलाने शुरू कर दिए जिसका नतीजा ये हुआ कि मैं टेबल पर और भी झुक गयी जिसकी वजह से उसका मोटा लिंग अब पूरी तरह से मुझे नितंब छेद पर महसूस हो रहा था. उसके लिंग की रगड़ से मैं भी अपने आप को मदहोश होने से रोक नही पा रही थी पर मुझे ये पता था कि ये सब बिल्कुल ग़लत है. और ऐसा बिल्कुल नही होना चाहिए. “छोड़ दे देहाती मुझे… क्या कर रहा है.” मैने फिर से एक बार गुस्से मे उस से कहा.

“छ्चोड़ दे नही भाभी जी कहो कि चोद दे मुझे.. हहहे” कह कर वो हस्ने लग गया और फिर से मेरी गर्दन को किस करने लग गया. उसके दोनो हाथ मेरी छाती पर थे. उसने अपने दोनो हाथो से मेरे दोनो उरोज थाम लिए. और उन्हे हल्के हल्के मसलने लग गया. “मज़ा आ रहा है ना भाभी जी…” उसने फिर से अपनी गंदी सी हँसी हंसते हुए कहा.

मज़ा तो आ रहा था पर ये सब ग़लत था. और मुझे ये सब जो हो रहा था वो सब नही होने देना था. एक बात तो मेरी समझ मे आ गयी थी की ज़ोर ज़बरदस्ती करने से कोई भी फ़ायडा नही है. इस लिए इसको प्यार से ही समझाना होगा. अगर मैं इसका पानी निकलवा दू तो फिर ये झड़ने के बाद शांत हो जाएगा और कुछ भी नही कर पाएगा. और ये काम मैं अपनी छाती दिखा कर और इसके साथ सेक्सी बाते करके बड़े प्यार से कर सकती हू… और फिर बातो मे फँसा कर अपनी पिक्चर भी इसके मोबाइल से डेलीट करवा दुगी.

“ये क्या कर रहे हो… अमित अपनी भाभी के साथ ज़बरदस्ती करोगे..” मैने एक दम मदहोश होने वाले अंदाज मे कहा ताकि उसे लगे कि मैं पूरी तरह से मदहोश हो गयी हू.

मेरी बात सुन कर वो एक पल के रुक गया. और कुछ सोचने के बाद अपनी पकड़ हल्के करते हुए बोला “नही भाभी जी कोई ज़बरदस्ती नही.. “

“तो फिर पहले मुझे छ्चोड़ो.. ये हम आराम से भी तो कर सकते है..” मैने उसे लालच देने वाले अंदाज मे कहा.. और वो मेरे लालच मे आ गया और उसने मुझ पर अपनी पकड़ बिल्कुल हटा ली.. पर अब भी उसके दोनो हाथ मेरे उरोज पर रखे हुए थे.

मैने बड़े प्यार से उसके दोनो हाथो को अपने उरोज से हटा कर नीचे किया और पलट कर उसकी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी. “तुम्हे ज़रा भी भी नही पता कि तुम इस तरह मेरे साथ ये जो भी कुछ कर रहे थे इसको रॅप कहते है… रॅप मतलब समझते हो बलात्कार…..” कह कर मैं उसकी तरफ बस एक तक देखे जा रही थी कि मेरी बात का उस पर क्या असर होता है.

“सॉरी भाभी मुझे माफ़ कर दो…. मैं एक दम पागल हो गया हू जब से आप को देखा है मुझे कुछ समझ मे ही नही आता है. हर वक़्त आप ही आप नज़र आते हो.. आप की उपर नीचे होती मोटी मोटी मस्त चुचिया मेरी आँखो के आगे घूमती रहती है.. और आप की गांद की थिरक ने तो मुझे पागल ही कर दिया है.. मैं बस आप को एक बार जी भर कर प्यार करना चाहता हू…” कह कर वो मेरी तरफ देखने लग गया
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#93
“तो तुम मेरा रॅप करके मुझे प्यार करोगे ??” अपने बारे मे उसकी सोच जान कर मुझे ज़रा भी हैरत नई हुई क्यूकी उसकी हरकते देख कर मुझे उसकी सोच का पता चल गया था कि वो मेरे बारे मे क्या सोचता है इसलिए मैने एक दम मासूम बनते हुए उसकी आँखो मे देखते हुए कहा. उसका लिंग अब भी तन कर उपर नीचे की तरफ झटके मार रहा था जिसे मैं चोर नज़रो से देख रही थी.

“नही भाभी जी मैं… मुझे माफ़ कर दो अब आप जैसा बताओगे मैं वैसा ही करूगा” उसने इस तरह से जवाब दिया जैसे उसे उसकी ग़लती समझ मे आ गयी हो..

“देखो तुम अच्छे से जानते हो कि मैं मनीष से प्यार करती हू और मैं उसे धोखा नही दे सकती हू” मैने उसे थोड़ा और एमोशनल हो कर समझाते हुए कहा.

“तो भाभी मैं कब आप को धोका देने को कह रहा हू.” उसने अपना बुरा सा मुँह बनाते हुए कहा.

“अमित ये धोका नही तो और क्या है..”

“भाभी तो आप ही बताओ मैं क्या करू..” उसने उदास से लहजे मे कहा..

“अच्छा एक बात बताओ कि तुम्हे मुझ मे क्या अच्छा लगा… मुझे तो खुद मे कुछ भी ऐसा नही दिखता है कि जिसे देख कर तुम पागल ही हो जाओ और मेरा रॅप करने पर उतर आओ..”

“ मैने उसे और उकसाते हुए कहा ताकि वो मेरी ज़्यादा से ज़्यादा तारीफ करे..

“भाभी जी आप तो सर से पाँव तक तारीफ ही तारीफ हो. क्या नही है आप मे उपर वाले ने आप को बोहोत फ़ुर्सत से बनाया है. आप के शरीर का हर एक हिस्सा उसने बड़ी बारीकी से सेट किया है. आप की छाती की दोनो गोलाइयाँ हो या आप की गांद…. मतलब आप के दोनो तरबूज जैसे गुंबद, आप के रसीले पंखुड़ियो जैसे होंठ हो या फिर आप का चाँद जैसा चेहरा सब कुछ आप का कमाल है. बस भाभी अगर एक बार इस सब को अपने हाथ से छूने को इसे प्यार करने को मिल जाए तो मैं अपने आप को इस दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान समझुगा.” कहते हुए वो फिर से मेरे करीब आ गया,

पता नही मुझे क्या हुआ मैं भी उसके थोड़ा करीब हो कर उसकी आँखो मे देखने लगी कि वो सच मे मेरी तारीफ कर रहा है या ये सब मुझे रिझाने के लिए कह रहा है पर जो भी था अपने बारे इस तरह की तारीफ सुन कर मुझे अच्छा लग रहा था जैसा की हर औरत या लड़की को अपने हुस्न की तारीफ सुन ना अच्छा लगता है वैसे ही मैं भी अपनी तारीफ सुन कर फुल्ले नही समा रही थी. उसका हाथ उसके लिंग को सहला रहा था एक पल के लिए मेरी निगाह उसके लिंग पर गयी और मेरी आँखे के आगे रूपा का चेहरा घूम गया जब रूपा अमित के लिंग को अपने मुँह मे ले कर चूस रही थी.

उस सीन को याद करते ही मेरी नज़र शर्म से नीचे झुक गई.. “शरमाओ मत भाभी आप का ही है लो हाथ लगा कर देख लो” कहकर उसने मेरे हाथ को पकड़ कर अपने लिंग पर टिका दिया.

,मैने अपना हाथ हटाने की कोसिस की पर उसने मेरे हाथ को मजबूती से पकड़ रखा था और मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर आगे पीछे चला रहा था. थोड़ी देर तक वो इसी तरह से अपने हाथ को चलाता रहा फिर उसने अपना हाथ हटा लिया. और मेरा हाथ वैसे ही उसके लिंग पर चलने लग गया.

जब मुझे होश आया कि मैं क्या कर रही हू मैने फॉरन अपना हाथ वहाँ से हटा लिया. “क्या हुआ भाभी अच्छा नही लगा क्या” उसने मेरे हाथ हटा ते ही मुझसे कहा.

“मैं तुम्हारे साथ कुछ भी नही कर सकती तुम समझने की कोसिस क्यू नही करते हो. मैं एक शादी शुदा औरत हू और मैं मनीष को धोका नही दे सकती हू. फिर तुम क्यू मेरे साथ ये सब करने की ज़िद कर रहे हो” मैने फिर से उसे समझाते हुए कहा.

“भाभी किसी को कुछ पता नही चलेगा. और वैसे भी हम दोनो के अलावा है ही कॉन यहाँ पर” उसने मेरे और करीब आ कर मेरे चेहरे को अपने हाथ से अपनी तरफ करते हुए कहा. और अपने होंठो को मेरे होंठ से टिका दिया.

उसकी इस हरकत से मैं एक दम हैरान रह गयी थी. वो मस्ती के साथ मेरे होंठो को चूसे जा रहा था. और उसके हाथ मेरी कमर को सहला रहे थे. मैने अपने आप को उस से अलग करने की कोसिस की पर नाकाम रही. थोड़ी देर तक होंठ चूसने के बाद वो मुझसे अलग हुआ तो उसके चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी. और मुस्कुराते हुए ही बोला “भाभी कसम से मज़ा आ गया आप के होंठ तो बोहोत रसीले है मनीष भैया को तो मज़ा ही आ जाता होगा आप के होंठो चूस कर.”

मैं तो शर्म से ज़मीन मे धसि जा रही थी. क्या कहती क्या करती कुछ नही सूझ रहा था इस लिए मैने उस से डाइरेक्ट ही कह दिया “अमित देखो तुमने जो मेरी फोटो अपने मोबाइल से खींची है वो सब डेलीट कर दो प्लीज़ अगर किसी और ने देख ली तो मेरी बोहोत बदनामी होगी.” मैने उस से रिक्वेस्ट करते हुए कहा.

“ठीक है भाभी जी जैसा आप कहो. मैं सब फोटो डेलीट कर दूँगा पर उस से पहले एक शर्त है. आप को अपने पूरे कपड़े उतार कर मुझे दिखाना होगा.” कह कर उसने अपने तकिये के पास से अपने मोबाइल को उठाया और अपने हाथ मे ले लिया.

“तुमने सब कुछ तो देख लिया है फिर क्यू मुझे ये सब करने पर मजबूर कर रहे हो प्लीज़ डेलीट कर दो” मैन
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#94
मैने अपना गाउन(मॅक्सी) जो मैने नहा कर पहना था उसके बटन एक एक करके खोलना शुरू कर दिए. उसके नज़र मेरी छाती पर चिपकी हुई थी. वो एक तक मेरी छाती की तरफ देखे जा रहा था. उस समय उसके सामने कपड़े उतारते हुए मैं शरम से ज़मीन मे गढ़ी जा रही थी. धीरे धीरे करके मैने अपने सारे बटन खोल दिए. बटन के खुलते ही उसमे से मेरी ब्रा और पॅंटी सॉफ नज़र आने लगी. वाइट कलर की ब्रा और पॅंटी मेरा जिस्म खूब खिल रहा था. मैने अपनी मॅक्सी को अपने शरीर से अलग कर दिया. वो मुँह फेड मेरे को देखे जा रहा था.

ब्रा मे से मेरे दोनो उरोज इस तरह से झाँक रहे थे कि अभी ब्रा मे से निकल कर बाहर आ जाएगे.. और नीचे पॅंटी हल्की हल्की गीली हो गयी थी जिसकी वजह से मेरी योनि की कटान उस पर सॉफ उभर आई थी.. मैने अपने हाथो को पीछे ले जा कर अपनी ब्रा के हुक को खोल दिया जिस से मेरी ब्रा मेरी छाती पर एक दम ढीली हो गयी. मैने अपनी ब्रा को अपने हाथो से थाम लिया. अपने शरीर से अपनी ब्रा को अलग करते हुए मैं बुरी तरह से शर्म से ज़मीन मे गढ़ी जा रही थी.

“भाभी अपने हाथो से ब्रा को अब हटा भी दो… ताकि इन मतवाले रसभरे सन्तरो का दीदार ढंग से कर सकु” उसकी बात सुन कर मैं बुरी तरह से शर्मा गयी. मैने क्या करती मुझसे हिम्मत नही हो रही थी कि मैने अपने शरीर से ब्रा को अलग करू.. मुझे इस तरह से देख कर वो फिर से बोला कि “भाभी ये ग़लत है आप ने कहा था कि आप खुद सब दिखओगि. अब हाथ मे से ब्रा को हटा भी दो” मरती क्या ना करती मैने अपने हाथ से अपनी ब्रा को जैसे ही अलग करके टेबल पर रखा मानो मेरे आधे प्राण निकल गये.

शरम के मारे मैने अपने दोनो हाथो से अपने उरोजो को ढँक लिया. “क्या भाभी जी आप तो ऐसे शर्मा रहे हो जैसे आज आप पहली बार किसी के आगे नगी हो रही हो. मनीष भैया तो रोज ही आप की लेते है और उस दिन तो आप कितना शोर मचा रहे थे… आहह… कम ऑन… कम ऑन करके” उसकी बाते सुन कर मैं शर्म से मरी जा रही थी और वो मज़े से मुझे देख कर दाँत फाडे जा रहा था.

मैने अपने हाथ अपने उरोजो से हटाए ही थे कि वो बोल पड़ा “कसम से भाभी जी आप की दोनो चुचिया एक दम मस्त है. और उनकी घुंडी तो क्या कहु आज तक मैने ऐसी चुचिया नही देखी एक दम गोल कटोरी जैसे” उसकी बाते मुझे अंदर तक छू रही थी एक अजीब सा एहसास मुझे मेरे अंदर महसूस हो रहा था.

“भाभी जी अब अगर आप की ये चड्डी भी अगर अलग हो जाए तो मैं आप की जवानी का मज़ा ले लू देख कर” उसने मुझे यूँ शरमाते हुए देख कर कहा.

मेरी तो हिम्मत ही नही हो रही थी कि मैं अपने हाथो से अपनी पॅंटी को अलग कर सकु.. “भाभी जी क्या हुआ आप से नही उतर रही है तो मुझे बताओ मैं उतार देता हू” मैं अभी सोच ही रही थी कि वो फिर से बोल पड़ा.. उसकी बात सुन कर मुझसे बर्दास्त नही हुआ और मैने उसे कहा कि “तुम एक नंबर के हरामी आदमी हो.. मैं शर्म से मरी जा रही हू और तुम मुझ पर हंस रहे हो जाओ मैं कुछ नही दिखाती” कह कर मैने टेबल से अपनी ब्रा को अपने हाथ मे पकड़ने ही वाली थी कि वो बोल उठा..

“अरे भाभी जी मैं कहाँ हंस रहा हू आप ने ही कहा था कि आप अपने हाथो से अपने कपड़े उतारोगे.. मैने तो आप से कहा भी था कि आप की आप की चड्डी मैं उतारूँगा पर आप ने मना कर दिया. अब इसमे ग़लती किसकी है मेरी या आप की आप ने मुझसे छूने को मना किया मैने अपनी बात रखी आप भी अपनी बात रखो ना.. इस तरह आप अपनी बात से नही मुकर सकते” उसने इस तरह से कहा कि मैने जो ब्रा पकड़ी हुई थी वो वापस मेरे हाथ से निकाल कर टेबल पर ही रह गयी.

“मुझसे नही होगा.. अमित” मैने अपनी परेशानी उसे बताते हुए कहा.

“मैं उतारू आप कहो तो” कह कर वो एक कदम जैसे ही मेरी तरफ बढ़ा मैने उसे हाथ से इशारा करके वही रोक दिया. “तुम जहाँ हो वही रहो मैं अपने आप उतार दुगी.”

“मैं उतारू आप कहो तो” कह कर वो एक कदम जैसे ही मेरी तरफ बढ़ा मैने उसे हाथ से इशारा करके वही रोक दिया. “तुम जहाँ हो वही रहो मैं अपने आप उतार दुगी.”

मैने अपने कंपकँपाते हुए हाथो को अपनी पॅंटी पर लगाया और पॅंटी को उतारने के लिए थोड़ा झुकी जिसकी वजह से मेरे दोनो उरोज नीचे की तरफ झूल गये. उस समय मेरे दिल पर क्या बीत रही थी ये मैं ही जानती थी. अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए अपने ही हाथो से उसे बर्बाद कर रही थी. मैने धड़कते हुए हुए दिल के साथ अपनी पॅंटी को नीचे की तरफ सरका दिया. वो मेरी तरफ घूरे जा रहा था. समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू.

“वाह भाभी जी आप की छोटी छोटी झाँते क्या मस्त लग रही है आपने तो इन पर डिज़ाइनिंग भी कर रखी है.” उसने खुस होते हुए कहा.

“अब तुमने देख लिया सब कुछ अब मैं अपने कपड़े पहन लेती हू.” कह कर मैं जैसे ही अपनी पॅंटी को हाथ मे लेकर उपर को करने लगी वो बोल पड़ा “भाभी जी अभी कहाँ पूरा दिखाया है आप ने असली चीज़ तो आप ने टेबल की तरफ कर रखी है वो तो मैन
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#95
मैं तो उसकी बाते सुन कर शरम से ज़मीन मे धँसी जा रही थी. मरती क्या ना करती मैं पलट गयी. मेरा मुँह टेबल की तरफ हो गया और वो पीछे बैठा हुआ मुझे देखे जा रहा था. “देख लिया अब मैं अपने कपड़े पहन लू.” मैने वैसे ही खड़े खड़े उस से पूछा..

“भाभी जी अपने दोनो हाथो से अपने चूतरो को थोड़ा चौड़ा तो करो आप का हसीन छेद दिखाई नही दे रहा है.” उसकी बात सुन कर मुझे बोहोत शरम आ रही थी. मैने अपने दोनो हाथो से अपने नितंबो को खींच कर फैला दिया और उस से पूछा “अब ठीक है अब तो देख लिया.” मैं अभी पूछ ही रही थी कि मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गयी.

वो मेरे ठीक पीछे आ कर बैठ गया था. और अपने हाथो से मेरे दोनो नितंबो को पकड़ कर फैला रहा था. उसके हाथ लगाने से मैं थोड़ा हड़बड़ा गयी जिसकी वजह से मैं गिरने को हुई तो मैने अपने दोनो हाथ टेबल पर टिका दिए जिस कारण मेरे दोनो नितंब और भी ज़्यादा खुल कर उसके सामने आ गये. उसने अपने मुँह से थूक गिरा कर मेरे नितंब छेद गिरा दिया और अपने हाथ से उसे घिस कर छेड़ पर मलने लगा.

“ये क्या कर रहे हो तुम?” मैने गुस्से से कहा..

“कुछ नही भाभी देख रहा था” वो अभी अपनी बात पूरी करता उस से पहले ही मैं उस से गुस्से मे बोली “तुमने वादा किया था कि तुम हाथ नही लगाओगे फिर तुमने मुझे छुआ कैसे”

“भाभी जी दूर से कुछ दिखाई नही दे रहा था और जब पास से देखा तो आप की गांद के बालो ने आप के छेद को ढँक रखा था इस लिए थूक लगा कर उन्हे सही कर रहा था.” वो इतनी गंदी तरह से बात करता कि मैं शर्म से पानी पानी हो जाती..

“अब तो देख लिया अब छ्चोड़ो मुझे और कपड़े पहनने दो.” मैने अपने आप को उससे दूर करने की कोसिस की पर उसकी पकड़ बोहोत मजबूत थी. मैं ज़रा भी हिल डूल नही पा रही थी. मैने अपनी गर्दन घुमा कर देखा तो उसका भीमकाय जैसा लिंग एक दम तना हुआ ठीक मेरे नितंबो के उपर ही था और उसने अपने लिंग पर भी तमाम सारा थूक लगा रखा था.

मैं ये देख कर बुरी तरह से डर गयी की ये क्या कर रहा है. पर इस से पहले की मैं कुछ समझ पाती या कह पाती वो पीछे से मुझसे एक दम चिपक सा गया. उसका तना हुआ लिंग मेरे गुदा छेद से एक दम जुड़ गया. उसने मुझे टेबल पर थोड़ा सा आयेज की तरफ ओर झुका दिया जिस वजह से उसका लिंग एक दम मेरे छेद के अंदर की तरफ होने की कोसिस करने लगा. मैं उसे अपने से दूर करने की कोसिस करने ही वाली थी कि उसने एक ज़ोर दार धक्का मेरे गुदा छेद पर लगा दिया उसके लिंग का सूपड़ा मेरे अंदर घुस गया.

दर्द के मारे मेरी हालत बोहोत बुरी हो गयी थी पर उसने मुझे टेबल पर इस तरह से झुका दिया था कि मैं कुछ नही कर पा रही थी बस दर्द के कारण चीखे जा रही थी…”आआआअहह मार्र गाइिईईईईईईईई निकाआाालल्ल्ल्ल्ल्ल लीईई डीएहहाआटीईई…… मैंन्न्न् मारीइ जाआअ रहियीईईईईईईई हुउऊउउ प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ निकलल्ल्ल्ल लूओ ईसीईईई” पर उस समय तो जैसे उसपर भूत सा स्वार था…

“कुछ नही होगा भाभी बस थोड़ा हिम्मत से काम लो बस हो गया” बोल कर उसने अपनी पकड़ मेरे उपर और मजबूत करके एक धक्का और तेज़ी के साथ दिया जिस से उसका आधे से ज़्यादा लिंग मेरे गुदा छेद मे चला गया. मेरी हालत तो दर्द से इतनी खराब हो गयी थी.. कि ऐसा लग रहा था कि मैं अभी मर जाउन्गि.. उस पर उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि मैं हिल डॉल भी नही सकती थी. मैं बुरी तरह दर्द से छटपटा रही थी. और वो मज़े से अपने लिंग को मेरे गुदा छेद मे डाल कर अंदर बाहर कर रहा था. थोड़ी ही देर मैं उसके अंदर बाहर लिंग करने के बाद मुझे कुछ राहत मिली ही थी कि उसने अपना बचा हुआ लिंग भी एक धक्के के साथ अंदर कर दिया. मेरी फिर से दर्द के कारण चीख निकल गयी.

वो अपनी मस्ती मे मस्त मेरे मे आराम से धक्के लगा रहा था. थोड़ी ही देर मे उसके धक्के लगाने से मुझे दर्द कुछ कम हुआ. पर मेरा गुस्सा अब भी बरकरार था. मेरी आँखो मे आँसू आ गये थे. दर्द के कारण जिन्हे मैने खून का घूँट समझ कर पी लिया. थोड़ी ही देर मे उसने अपने धक्को की रफ़्तार तेज कर दी.. जैसे जैसे उसकी रफ़्तार तेज होती गयी मुझे भी मज़ा आने लगा. और मज़े मे होने के कारण मैं उसे और तेज़ी के साथ धक्के लगाने को बोलने लगी..
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#96
उसने जब देखा कि मैं भी अब मज़े मे आ गयी हू तो उसने अपनी पकड़ मेरे उपर ढीली कर दी और अपने दोनो हाथो से मेरे नितंबो को दबा दबा कर सहलाते हुए धक्के लगाने लगा. जिस से मुझे और भी ज़्यादा मज़ा आने लगा.. वो जिस रफ़्तार से तेज़ी के साथ धक्के लगा रहा था उस से हम दोनो की ही साँसे फूल गयी थी. थोड़ी ही देर बाद उसके लिंग ने मेरी गुदा मे अपना सारा लावा उगल दिया.

उस का वीर्य मेरी गुदा से निकल कर मेरी जाँघो पर आने लगा था. वो अब भी मुझसे वैसे ही चिपका हुआ था. जोश का वो तूफान जब थमा और उसके थोड़ी देर बाद जब मुझे होश आया कि मैं ये सब क्या कर रही हू. मैने फॉरन उसे अपने उपर से धक्का देकर दूर किया.

वो मुझसे दूर खड़े हो कर मुस्कुरा रहा था. और उस समय उसकी वो हँसी मुझे किसी दुश्मन की जीत हासिल करने वाली हँसी से कम नही लग रही थी. मैने टेबल से जल्दी से अपने कपड़े उठाए और उन्हे पहनने लगी इस से पहले कि वो कुछ और हरकत करता, मैने अपने कपड़े जल्दी से पहन लिए. कपड़े पहनते के साथ ही मैं उस से बोली कि “अब अपने मोबाइल से चुप-चाप मेरी फोटो डेलीट करो.”

“हहे… कॉन सी फोटो भाभी जी मेरे मोबाइल मे तो कोई फोटो नही है” उसने वैसे ही अपने दाँत फाड़ते हुए कहा.

इस बार उसकी बात सुन कर मुझे बोहोत तेज गुस्सा आ गया. “देख देहाती सीधे तरीके से अपपने मोबाइल से मेरी फोटो डेलीट कर दे वरना अच्छा नही होगा”

“भाभी मैं आप से झूठ कैसे बोल सकता हू आप ने तो अभी अभी अपनी गांद मरवा कर मुझे वो तोहफा दिया दिया है की उसके बदले आप जो चाहे वो माँग सकते हो मुझसे एक मिनट रूको..” बोल कर वापस अपने बेड की तरफ मूड गया. और अपने बॅग मे कुछ ढूँढने लग गया. उसकी बात सुन कर मैं अपने आप को एक दम ठगा सा महसूस कर रही थी. कि किस तरह से उस देहाती ने मुझे बना कर मेरे साथ…

उसने अपने बॅग मे से एक बॉक्स सा निकाला और उसे खोल कर मेरे करीब आ कर मुझसे बोला..”आज आप को मैने पूरी तरह से औरत बना दिया है. मनीष भैया से आप की शादी ज़रूर हुई थी पर एक लड़की को औरत बनाने के लिए पति को उसकी चूत के साथ-साथ गांद भी मारनी होती है. अब मनीष भैया ने आप की चूत मार कर आप को आधी औरत तो बना दिया पर आप की गांद छ्चोड़ दी थी. पर आज आप की गांद मार कर मैने आप को पूरी औरत बना दिया. मेरे लंड ने तुम्हारी गांद पर अपनी मोहर लगा दी है. ये देखो तुम्हारा खून.” जैसे ही उसने खून बोल कर इशारे से मुझे ज़मीन पर देखने को कहा तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी. ज़मीन पर सच मे खून के निशान बन गये थे. “तुम्हारी गांद मार कर तुम्हे औरत बनाने के हिसाब से मैं तुम्हारा पति हुआ इस लिए अपने इस पति की तरफ से ये लो…” बोल कर उसने उस बॉक्स मे से सोने की एक चैन मेरी तरफ बढ़ा दी.

एक तो मैं पहले से ही गुस्से मे थी उपर से अपना खून और उसकी इस हरकत से मैं और भी ज़्यादा गुस्सा मे आ गयी.. “शकल देखी है अपनी आयने मे. कह कर मैने उसके बढ़ाए हुए हाथ को झटक दिया जिस वजह से वो चैन उसके हाथ से झटक कर दूर जा गिरी. “अपनी ये बेकार की बकवास अपने ही पास रखो समझे कि नही. मुझे अच्छे से पता है कि तुमने अपने मोबाइल मे मेरी फोटो खींची है अब सीधी तरह से अपने मोबाइल से मेरी फोटो डेलीट कर दो..”

“सच कह रहा हू भाभी मैने आप की कोई फोटो नही खींची है. मैने तो आप से वैसे ही कहा था कि मैने आप की फोटो मोबाइल मे ले ली है पर सच मे भाभी अब से पहले मैने आप की फोटो नही ली थी.” कहते हुए वो उसने उस गिरी हुई चैन को उठाया और मुस्कुराने लगा.

“अब से पहले…” उसकी बात सुन कर मैं बुरी तरह से चौंक गयी.. “क्या मतलब है तुम्हारा… ?”

“वही जो तुम ने समझा है भाभी..” कह कर वो फिर से अपनी बत्तीसी दिखाने लग गया. “आप के यहाँ पर आने से लेकर आप के ये मेक्शी पहन ने तक की सारी फिल्म बना ली है मैने.” कह कर उसने अपने हाथ मे लगे मोबाइल को चालू कर दिया. उस मोबाइल मे सच मे उसने इस पूरे सीन को रेकॉर्ड कर लिया था. जिसमे मैने अपने हाथो से ही अपने कपड़े उतारे थे.

******************************
वर्तमान मे............................
“क्या हुआ भाभी कहाँ खो गयी.. आज भी वो फिल्म मेरे पास रखी हुई है आप की निशानी के रूप मे सोचो कि अगर वो फिल्म गाँव मे किसी ने देख ली तो.. बाबू जी तो किसी को मुँह दिखाने लायक नही रहेगे कि उनकी पढ़ी लिखी बहू…” उसने अपनी बात अधूरी छ्चोड़ दी क्यूकी उसकी पूरी बात का मतलब सॉफ था.

“देखो तुम ऐसा कुछ नही करोगे..” मैने घबराते हुए उस से कहा.

“तो भाभी उस रात जैसे आप पूरी नंगी हो कर अपनी जवानी का जलवा दिखाए थे वैसे ही आज भी दिखा दो..”

उसकी बात सुन कर मैं एक दम शरम से पानी पानी हो गयी. पर इस समय वो मुझसे जिस तरह की बात कह रहा था वो मेरे लिए नामुमकिन था......

To be continued
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#97
Bahut shaandaar kahani h bhai
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#98
wah zabardast
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#99
(14-01-2020, 11:56 AM)Deadman2 Wrote: उसने जब देखा कि मैं भी अब मज़े मे आ गयी हू तो उसने अपनी पकड़ मेरे उपर ढीली कर दी और अपने दोनो हाथो से मेरे नितंबो को दबा दबा कर सहलाते हुए धक्के लगाने लगा. जिस से मुझे और भी ज़्यादा मज़ा आने लगा.. वो जिस रफ़्तार से तेज़ी के साथ धक्के लगा रहा था उस से हम दोनो की ही साँसे फूल गयी थी. थोड़ी ही देर बाद उसके लिंग ने मेरी गुदा मे अपना सारा लावा उगल दिया.

उस का वीर्य मेरी गुदा से निकल कर मेरी जाँघो पर आने लगा था. वो अब भी मुझसे वैसे ही चिपका हुआ था. जोश का वो तूफान जब थमा और उसके थोड़ी देर बाद जब मुझे होश आया कि मैं ये सब क्या कर रही हू. मैने फॉरन उसे अपने उपर से धक्का देकर दूर किया.

वो मुझसे दूर खड़े हो कर मुस्कुरा रहा था. और उस समय उसकी वो हँसी मुझे किसी दुश्मन की जीत हासिल करने वाली हँसी से कम नही लग रही थी. मैने टेबल से जल्दी से अपने कपड़े उठाए और उन्हे पहनने लगी इस से पहले कि वो कुछ और हरकत करता, मैने अपने कपड़े जल्दी से पहन लिए. कपड़े पहनते के साथ ही मैं उस से बोली कि “अब अपने मोबाइल से चुप-चाप मेरी फोटो डेलीट करो.”

“हहे… कॉन सी फोटो भाभी जी मेरे मोबाइल मे तो कोई फोटो नही है” उसने वैसे ही अपने दाँत फाड़ते हुए कहा.

इस बार उसकी बात सुन कर मुझे बोहोत तेज गुस्सा आ गया. “देख देहाती सीधे तरीके से अपपने मोबाइल से मेरी फोटो डेलीट कर दे वरना अच्छा नही होगा”

“भाभी मैं आप से झूठ कैसे बोल सकता हू आप ने तो अभी अभी अपनी गांद मरवा कर मुझे वो तोहफा दिया दिया है की उसके बदले आप जो चाहे वो माँग सकते हो मुझसे एक मिनट रूको..” बोल कर वापस अपने बेड की तरफ मूड गया. और अपने बॅग मे कुछ ढूँढने लग गया. उसकी बात सुन कर मैं अपने आप को एक दम ठगा सा महसूस कर रही थी. कि किस तरह से उस देहाती ने मुझे बना कर मेरे साथ…

उसने अपने बॅग मे से एक बॉक्स सा निकाला और उसे खोल कर मेरे करीब आ कर मुझसे बोला..”आज आप को मैने पूरी तरह से औरत बना दिया है. मनीष भैया से आप की शादी ज़रूर हुई थी पर एक लड़की को औरत बनाने के लिए पति को उसकी चूत के साथ-साथ गांद भी मारनी होती है. अब मनीष भैया ने आप की चूत मार कर आप को आधी औरत तो बना दिया पर आप की गांद छ्चोड़ दी थी. पर आज आप की गांद मार कर मैने आप को पूरी औरत बना दिया. मेरे लंड ने तुम्हारी गांद पर अपनी मोहर लगा दी है. ये देखो तुम्हारा खून.” जैसे ही उसने खून बोल कर इशारे से मुझे ज़मीन पर देखने को कहा तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी. ज़मीन पर सच मे खून के निशान बन गये थे. “तुम्हारी गांद मार कर तुम्हे औरत बनाने के हिसाब से मैं तुम्हारा पति हुआ इस लिए अपने इस पति की तरफ से ये लो…” बोल कर उसने उस बॉक्स मे से सोने की एक चैन मेरी तरफ बढ़ा दी.

एक तो मैं पहले से ही गुस्से मे थी उपर से अपना खून और उसकी इस हरकत से मैं और भी ज़्यादा गुस्सा मे आ गयी.. “शकल देखी है अपनी आयने मे. कह कर मैने उसके बढ़ाए हुए हाथ को झटक दिया जिस वजह से वो चैन उसके हाथ से झटक कर दूर जा गिरी. “अपनी ये बेकार की बकवास अपने ही पास रखो समझे कि नही. मुझे अच्छे से पता है कि तुमने अपने मोबाइल मे मेरी फोटो खींची है अब सीधी तरह से अपने मोबाइल से मेरी फोटो डेलीट कर दो..”

“सच कह रहा हू भाभी मैने आप की कोई फोटो नही खींची है. मैने तो आप से वैसे ही कहा था कि मैने आप की फोटो मोबाइल मे ले ली है पर सच मे भाभी अब से पहले मैने आप की फोटो नही ली थी.” कहते हुए वो उसने उस गिरी हुई चैन को उठाया और मुस्कुराने लगा.

“अब से पहले…” उसकी बात सुन कर मैं बुरी तरह से चौंक गयी.. “क्या मतलब है तुम्हारा… ?”

“वही जो तुम ने समझा है भाभी..” कह कर वो फिर से अपनी बत्तीसी दिखाने लग गया. “आप के यहाँ पर आने से लेकर आप के ये मेक्शी पहन ने तक की सारी फिल्म बना ली है मैने.” कह कर उसने अपने हाथ मे लगे मोबाइल को चालू कर दिया. उस मोबाइल मे सच मे उसने इस पूरे सीन को रेकॉर्ड कर लिया था. जिसमे मैने अपने हाथो से ही अपने कपड़े उतारे थे.

******************************
वर्तमान मे............................
“क्या हुआ भाभी कहाँ खो गयी.. आज भी वो फिल्म मेरे पास रखी हुई है आप की निशानी के रूप मे सोचो कि अगर वो फिल्म गाँव मे किसी ने देख ली तो.. बाबू जी तो किसी को मुँह दिखाने लायक नही रहेगे कि उनकी पढ़ी लिखी बहू…” उसने अपनी बात अधूरी छ्चोड़ दी क्यूकी उसकी पूरी बात का मतलब सॉफ था.

“देखो तुम ऐसा कुछ नही करोगे..” मैने घबराते हुए उस से कहा.

“तो भाभी उस रात जैसे आप पूरी नंगी हो कर अपनी जवानी का जलवा दिखाए थे वैसे ही आज भी दिखा दो..”

उसकी बात सुन कर मैं एक दम शरम से पानी पानी हो गयी. पर इस समय वो मुझसे जिस तरह की बात कह रहा था वो मेरे लिए नामुमकिन था......

To be continued

एकदम मस्त, झक्क्कास
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(14-01-2020, 11:26 PM)bhavna Wrote: एकदम मस्त, झक्क्कास

Thanks
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