Thread Rating:
  • 4 Vote(s) - 2 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery मेहमान बेईमान
#61
मानव अब भी वान्या की योनि सक कर रहा था, उसने अपने दोनो हाथ नीचे वान्या के नितंबो पर लगा कर उन्हे उँचा कर दिया था जिस से वान्या की योनि पूरी तरह से खुल कर मानव के सामने आ गयी थी. योनि सक करते करते मानव ने अपनी एक उंगली वान्या के नितंब छेद मे डाल दी. जिस से वन्या की एक दर्द भरी सिसकारी निकल गयी.

थोड़ी देर यूँ ही चलता रहा फिर मानव ने वान्या को उसके घुटनो पर कर दिया और खुद उसके पीछे आ गया. मानव के पीछे आते ही वान्या अपना एक हाथ पीछे करके मानव के लिंग को पकड़ कर अपनी दोनो टाँगो के बीच अपनी योनि पर लगाने लगी.

मानव ने वान्या की कमर को पकड़ा और एक ज़ोर दार धक्के के साथ ही अपना पूरा लिंग एक ही बार मे वान्या की योनि मे घुसा दिया. वान्या के मुँह से अचानक निकली आह सुन कर मैं समझ गयी कि मानव ने अपना पूरा लिंग अंदर कर दिया है और वान्या को बोहोत मज़ा आ रहा है.

वान्या ने अपना हाथ लिंग से हटा कर सामने बेड पर टिका दिया. वान्या ने अपने नितंबो को थोड़ा और उपर की तरफ कर दिया ताकि मानव का लिंग आसानी से अंदर बाहर हो सके. मानव भी अब पीछे से अपनी स्पीड बढ़ा चुका था और तेज़ी के साथ अपने लिंग को योनि के अंदर बाहर कर रहा था. मानव की एक उंगली अब भी वान्या के नितंब छेद मे चल रही थी, जिसे देख कर मुझे ये ख़याल आया कि शायद अब ये वान्या के साथ अनल सेक्स भी करेगा.

अनल सेक्स का ख़याल आते ही मुझे अमित का वो एहसास याद आ गया जब उसने मेरे दोनो नितंबो को पकड़ कर बुरी तरह से मसल कर रख दिया था. अमित ने भी मुझे पीछे से पकड़ कर अपना लिंग मेरे नितंबो के बीच दबा दिया था, और मुझे पूरी तरह से झुका दिया था. जिस से उसके लिंग का एहसास मैं अपने नितंब छेद पर सॉफ महसूस कर पा रही थी. उसने काफ़ी देर तक मेरे नितंबो के बीच अपने लिंग को रगड़ा रहा. मेरे भरे हुए नितंब उसको बोहोत मज़ा दे रहे थे और मुझे भी धीरे धीरे उसके लिंग को अपने नितंबो के बीच रगड़ने से मज़ा आने लगा.

मैने अब अंदर की तरफ देखा तो मानव अब भी वान्या के पीछे से लगातार उसकी योनि पर धक्के लगाए जा रहा था. मानव के दोनो हाथ अब वान्या के पूरे जिस्म पर चल रहे थे और वान्या भी खूब मज़े से उसका भरपूर साथ दे रही थी. मानव जब भी उसको आगे की तरफ धक्का मारता वान्या अपने नितंब पीछे को कर लेती जिस वजह से पूरा लिंग आसानी से अंदर तक जा रहा था. ये सब देख कर मैं भी काफ़ी जोश मे आ गयी थी और कब मेरा हाथ मेरी साड़ी के अंदर घुस गया पता ही नही चला. मैने पॅंटी के अंदर से ही अपनी एक उंगली अपनी योनि मे डाल कर उसको अंदर बाहर करने लग गयी. मेरी खुद की साँसे बोहोत तेज़ी से चल रही थी और मुँह से हल्की हल्की सिसकारिया निकलने लग गयी. मेरा दूसरा हाथ मेरे उरोज पर आ गया और उसे हल्के हल्के दबाने लग गया.

मैं अभी अपने आप ही मज़े लेना शुरू किया था कि मुझे दरवाजे पर किसी के नॉक करने के आवाज़ सुनाई दी. आवाज़ को सुन कर मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी मैं वहाँ से जल्दी से निकल कर वापस उसी जगह आ गयी और चुप चाप बैठ गयी. मैं अपना मन मसोस कर रह गयी पता नही कहाँ से कॉन चला आया था. तभी अंदर की तरफ एक कॉमपाउंडर आया उसके हाथ मे तीन कप चाइ और नाश्ता था. उसने वो नाश्ता वहाँ रखा और वापस चला गया. मेरी अब हिम्मत ही नही हो रही थी कि मैं वापस जा कर वो सब देखु. वहाँ से हटते हुए जब मैने एक नज़र डाली थी तो मानव ने वान्या को बिस्तर पर सीधा लेटा दिया था और उसके दोनो पैर अपने कंधे पर रख लिए थे, और मानव वान्या को बराबर धक्के लगाए जा रहा था. वो सब सोच कर मैने एक लंबी आह भरी और चुप चाप वही बैठ गयी.

मेरा हाल इस समय बिन पानी मछली जैसा हो गया था एक तरफ तो मेरी खुद की हालत खराब होती जा रही थी जिसे मैं बड़ी मुश्किल से कंट्रोल कर पा रही थी. दूसरा मेरा मन अब भी अंदर उस कमरे की तरफ ही लगा हुआ था जहा इस समय मानव और वान्या थे… मेरा एक मन कह रहा था कि मैं वापस अंदर जा कर देखु पर डर लग रहा था कि कही फिर से कोई आ गया तो.. यही सोच कर मैं बैठी हुई थी कि तभी थोड़ी ही देर मे मानव और वान्या भी आ गये.

वान्या अपनी साड़ी सही करते हुए आ रही थी और मानव अपने हाथ मे से दस्ताने निकालते हुए. मानव आ कर सीधे अपनी कुर्सी पर बैठ गया. वान्या भी मेरे बगल मे ही आकर बैठ गयी. मानव ने जब टेबल पर चाइ देखी फिर एक बार मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा “ आप ने चाइ नही ली…. लीजिए चाइ लीजिए” और एक कप चाइ उठा कर मेरी तरफ बढ़ा दी. मैने उसके हाथ से चाइ ले कर अपने सामने रख ली. मानव ने एक कप चाइ वान्या की तरफ भी बढ़ा दी.
[+] 4 users Like Deadman2's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#62
wow...wonderful story....ab peenu se nisha ki.mast ragdai karwana ki wo cheekh cheekh k aafat kar de....keep going...
Like Reply
#63
(09-01-2020, 09:55 AM)Deadman2 Wrote: मानव अब भी वान्या की योनि सक कर रहा था, उसने अपने दोनो हाथ नीचे वान्या के नितंबो पर लगा कर उन्हे उँचा कर दिया था जिस से वान्या की योनि पूरी तरह से खुल कर मानव के सामने आ गयी थी. योनि सक करते करते मानव ने अपनी एक उंगली वान्या के नितंब छेद मे डाल दी. जिस से वन्या की एक दर्द भरी सिसकारी निकल गयी.

थोड़ी देर यूँ ही चलता रहा फिर मानव ने वान्या को उसके घुटनो पर कर दिया और खुद उसके पीछे आ गया. मानव के पीछे आते ही वान्या अपना एक हाथ पीछे करके मानव के लिंग को पकड़ कर अपनी दोनो टाँगो के बीच अपनी योनि पर लगाने लगी.

मानव ने वान्या की कमर को पकड़ा और एक ज़ोर दार धक्के के साथ ही अपना पूरा लिंग एक ही बार मे वान्या की योनि मे घुसा दिया. वान्या के मुँह से अचानक निकली आह सुन कर मैं समझ गयी कि मानव ने अपना पूरा लिंग अंदर कर दिया है और वान्या को बोहोत मज़ा आ रहा है.

वान्या ने अपना हाथ लिंग से हटा कर सामने बेड पर टिका दिया. वान्या ने अपने नितंबो को थोड़ा और उपर की तरफ कर दिया ताकि मानव का लिंग आसानी से अंदर बाहर हो सके. मानव भी अब पीछे से अपनी स्पीड बढ़ा चुका था और तेज़ी के साथ अपने लिंग को योनि के अंदर बाहर कर रहा था. मानव की एक उंगली अब भी वान्या के नितंब छेद मे चल रही थी, जिसे देख कर मुझे ये ख़याल आया कि शायद अब ये वान्या के साथ अनल सेक्स भी करेगा.

अनल सेक्स का ख़याल आते ही मुझे अमित का वो एहसास याद आ गया जब उसने मेरे दोनो नितंबो को पकड़ कर बुरी तरह से मसल कर रख दिया था. अमित ने भी मुझे पीछे से पकड़ कर अपना लिंग मेरे नितंबो के बीच दबा दिया था, और मुझे पूरी तरह से झुका दिया था. जिस से उसके लिंग का एहसास मैं अपने नितंब छेद पर सॉफ महसूस कर पा रही थी. उसने काफ़ी देर तक मेरे नितंबो के बीच अपने लिंग को रगड़ा रहा. मेरे भरे हुए नितंब उसको बोहोत मज़ा दे रहे थे और मुझे भी धीरे धीरे उसके लिंग को अपने नितंबो के बीच रगड़ने से मज़ा आने लगा.

मैने अब अंदर की तरफ देखा तो मानव अब भी वान्या के पीछे से लगातार उसकी योनि पर धक्के लगाए जा रहा था. मानव के दोनो हाथ अब वान्या के पूरे जिस्म पर चल रहे थे और वान्या भी खूब मज़े से उसका भरपूर साथ दे रही थी. मानव जब भी उसको आगे की तरफ धक्का मारता वान्या अपने नितंब पीछे को कर लेती जिस वजह से पूरा लिंग आसानी से अंदर तक जा रहा था. ये सब देख कर मैं भी काफ़ी जोश मे आ गयी थी और कब मेरा हाथ मेरी साड़ी के अंदर घुस गया पता ही नही चला. मैने पॅंटी के अंदर से ही अपनी एक उंगली अपनी योनि मे डाल कर उसको अंदर बाहर करने लग गयी. मेरी खुद की साँसे बोहोत तेज़ी से चल रही थी और मुँह से हल्की हल्की सिसकारिया निकलने लग गयी. मेरा दूसरा हाथ मेरे उरोज पर आ गया और उसे हल्के हल्के दबाने लग गया.

मैं अभी अपने आप ही मज़े लेना शुरू किया था कि मुझे दरवाजे पर किसी के नॉक करने के आवाज़ सुनाई दी. आवाज़ को सुन कर मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी मैं वहाँ से जल्दी से निकल कर वापस उसी जगह आ गयी और चुप चाप बैठ गयी. मैं अपना मन मसोस कर रह गयी पता नही कहाँ से कॉन चला आया था. तभी अंदर की तरफ एक कॉमपाउंडर आया उसके हाथ मे तीन कप चाइ और नाश्ता था. उसने वो नाश्ता वहाँ रखा और वापस चला गया. मेरी अब हिम्मत ही नही हो रही थी कि मैं वापस जा कर वो सब देखु. वहाँ से हटते हुए जब मैने एक नज़र डाली थी तो मानव ने वान्या को बिस्तर पर सीधा लेटा दिया था और उसके दोनो पैर अपने कंधे पर रख लिए थे, और मानव वान्या को बराबर धक्के लगाए जा रहा था. वो सब सोच कर मैने एक लंबी आह भरी और चुप चाप वही बैठ गयी.

मेरा हाल इस समय बिन पानी मछली जैसा हो गया था एक तरफ तो मेरी खुद की हालत खराब होती जा रही थी जिसे मैं बड़ी मुश्किल से कंट्रोल कर पा रही थी. दूसरा मेरा मन अब भी अंदर उस कमरे की तरफ ही लगा हुआ था जहा इस समय मानव और वान्या थे… मेरा एक मन कह रहा था कि मैं वापस अंदर जा कर देखु पर डर लग रहा था कि कही फिर से कोई आ गया तो.. यही सोच कर मैं बैठी हुई थी कि तभी थोड़ी ही देर मे मानव और वान्या भी आ गये.

वान्या अपनी साड़ी सही करते हुए आ रही थी और मानव अपने हाथ मे से दस्ताने निकालते हुए. मानव आ कर सीधे अपनी कुर्सी पर बैठ गया. वान्या भी मेरे बगल मे ही आकर बैठ गयी. मानव ने जब टेबल पर चाइ देखी फिर एक बार मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा “ आप ने चाइ नही ली…. लीजिए चाइ लीजिए” और एक कप चाइ उठा कर मेरी तरफ बढ़ा दी. मैने उसके हाथ से चाइ ले कर अपने सामने रख ली. मानव ने एक कप चाइ वान्या की तरफ भी बढ़ा दी.
[+] 1 user Likes Kam1nam2's post
Like Reply
#64
aagey bhi likho bhai
Like Reply
#65
अभी हमने चाइ पी कर ख़तम ही की थी कि वो कॉमपाउंडर फिर से आ गया. कॉमपाउंडर ने टेबल से चाइ के कप और प्लेट हटा ली. मेरे को बड़ी बैचैनि सी हो रही थी वहाँ पर इस लिए मैने वान्या से कहा “वान्या जी हमे अब चलना चाहिए यहाँ से, मनीष का भी टाइम हो गया है आने का” मैने वान्या से बोहोत धीमी आवाज़ मे कहा.

वान्या ने मेरी बात सुनी और कहा “हाँ चलो चल ही रहे है बस दवाई लिखवा लू डॉक्टर. साहब से” वान्या ने भी धीमी सी आवाज़ मे ही जवाब दिया.

मानव से दवाई लिखवाने के बाद हम दोनो वहाँ से अपनी गाड़ी मे बैठ कर अपने घर की तरफ चल दिए. वान्या का चेहरा इस समय बोहोत खिला खिला था उसके चेहरे पर मुस्कुराहट बनी हुई थी. मैं वान्या से इस सब के बारे मे पूछना चाहती थी पर मेरी हिम्मत नही हो रही थी कि कैसे पुच्छू ? “अगर कही उसने मुझे ग़लत समझ लिया तो..” यही सोच कर मैने उस से कुछ भी नही पूछा और चुप-चाप गाड़ी मे बैठ कर घर वापस आ गयी.

थोड़ी ही देर बाद मैं अपने घर पर आ गयी और घर पर आते ही सब से पहले मैं बाथरूम मे घुस गयी… जहाँ जा कर मैने अपने आप को शांत किया जिसे मैं कब से शांत करना चाहती थी. अपने आप को शांत करने के बाद मैने थोड़ा रिलॅक्स महसूस किया. पर वो एहसास जो एक आदमी के साथ करने से मिलता है उसकी कमी मुझे सॉफ महसूस हो रही थी.

मैं अभी अपने कमरे मे आई ही थी दरवाजे पर डोर बेल बज गयी. मैं जल्दी से वापस पलट कर दरवाजे की तरफ चल दी. दरवाजा खोल कर देखा तो मनीष खड़े हुए थे. उनके हाथ मे काफ़ी सारा सामान था. ऐसा लग रहा था कि वो खूब सारी शॉपिंग कर के आए है. उनके अंदर आते ही मैने दरवाजा बंद कर लिया और आधा सामान पकड़ कर अंदर आ गयी. अपने बेडरूम मे आकर मैने मनीष से पूछा कि “आज तो आप खूब सारी शॉपिंग कर लाए है… किस के लिए इतनी सारी शॉपिंग कर लाए है ?” मैने उन सारे सामान को अलमारी मे रखते हुए कहा.

अभी मैं सारे सामान को रख कर वापस बेड पर बैठी ही थी कि मनीष ने मुझे कस कर अपनी बाहो की क़ैद कर लिया. और कभी मेरे गाल तो कभी आँखे तो कभी मेरे माथे तो कभी गले और फिर लास्ट मे अपने होंठो को मेरे होंठो पर लगा कर उनको किस करने लगे

मैं जो सुबह से जिस आग मे तड़प रही थी अब वो बुझने का टाइम आ गया था. इसलिए मैने भी मनीष का साथ देते हुए उनके होंठो को किस करना शुरू कर दिया. हम दोनो के बीच करीब 15 मिनट तक इसी तरह से किस चलता रहा. हमने एक दूसरे को को जी भर कर खूब किस किया. मैं बेड पर नीचे लेटी हुई थी और मनीष मेरे उपर से मुझे किस कर रहे थे.

15 मिनट लगातार किस करने के बाद हम दोनो की ही साँसे बोहोत ज़ोर से चल रही थी. दोनो का ही साँस लेना थोड़ा मुश्किल होता जा रहा था. अभी मैं खुद की साँसे थोड़ा संभाल पाती मनीष ने मेरी साड़ी खोलना शुरू कर दिया. अपनी साड़ी खोलने मे मैने मनीष की मदद की और कुछ ही पॅलो मे मेरे सरीर से मेरी साड़ी निकल कर बेड के एक कोने मे जा गिरी.

मनीष तो आते के साथ ही शुरू हो गये थे. और मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो गयी थी. पर फिर भी मैने खुद पर काबू रखते हुए मनीष से कहा कि “मनीष पहले आप फ्रेश हो कर कुछ खा पी तो लो इस के लिए तो पूरी रात पड़ी है.”
[+] 3 users Like Deadman2's post
Like Reply
#66
मनीष एक पल के रुके और फिर मेरे से कहा “खाना तो मैने बाहर ही खा लिया पर चलो आज साथ मिलकर ही नहाते है ? वैसे भी बोहोत दिन हो गये एक साथ नहाए हुए.” ये कहने के साथ ही मनीष मुस्कुरा दिए. और मुझे अपनी बाहो मे कस कर जाकड़ लिया और फिर एक लंबी किस मेरे होंठो की लेने के बाद उन्होने मुझे अपनी गोद मे उठा लिया पता नही चला वो मुझे अपनी गोद मे ही उठाए हुए बाथरूम तक ले आए.

बाथरूम मे आने के बाद उन्होने मुझे अपनी गोद से उतार दिया और मैं वहाँ खड़ी हो गयी. बाथरूम मे आने के बाद उन्होने मेरे शरीर के एक-एक हिस्से को किस करते हुए मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए. उनके इस तरह से किस करने से मैं भी मदहोश होती चली जा रही थी. मेरी साँसे इस तरह से किस करने से उखड़ती जा रही थी और मेरी योनि जोरो से रिसाव करे जा रही थी. मैने भी मनीष को किस करना शुरू कर दिया और उनके भी कपड़े उतारने शुरू कर दिए. अब हम दोनो बिल्कुल नंगे हो गये थे. मनीष ने अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर शवर ओपन कर दिया. और अब हम दोनो पानी के नीचे खड़े हुए थे. पानी की ठंडी ठंडी फुहारे जैसे जैसे मेरे शरीर पर पड़ रही थी मेरी मदहोशी हद से ज़्यादा बढ़ रही थी.

मनीष ने शवर के नीचे खड़े हुए ही अपना मुँह मेरे स्तन पर लगा दिया उत्तेजना के कारण मेरे हाथ मनीष के बालो को सहलाने लग गये. मनीष ने अब ज़ोर ज़ोर से मेरे उरोज को मुँह मे लेकर सक करना शुरू कर दिया. मेरे मुँह से सिसकारिया निकलने लग गयी. मैने उत्तेजना के कारण अपने मनीष का सर अपने सीने पर दबा लिया और मज़े से और भी तेज़ी के साथ आवाज़े निकालने लग गयी. पूरे बाथरूम मे पानी के गिरने की आवाज़ के साथ-साथ मेरी सिसकारियो की आवाज़े गूँज रही थी. उत्तेजना के कारण मेरे दिमाग़ मे अभी थोड़ी देर पहले जैसे वान्या ने अपना हाथ बढ़ा कर लिंग को सहलाना शुरू कर दिया था वैसे ही ना जाने मुझे क्या हुआ वो सब याद करते ही उस एहसास को महसूस करते ही मेरे खुद के हाथ कब मनीष के लिंग पर पहुँच गया और कब उसे पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया पता ही नही चला. मेरा हाथ अपने लिंग पर इस तरह सहलाने से मनीष के मुँह से भी सिसकारिया निकलने लग गयी.

थोड़ी देर यूँ ही मनीष का लिंग अपने हाथ से सहलाने के बाद मैने पास मे ही रखे साबुन को हाथ मे लेकर मनीष के पूरे सरीर पर लगाना शुरू कर दिया. सब से पहले मैने मनीष के सीने पर साबुन लगाया और फिर उनको घुमा कर उनकी पीठ पर ओर फिर उनके सर पर साबुन लगा कर उनके चेहरे पर भी साबुन लगा दिया. अब केवल मनीष के पैर बचे थे साबुन लगाने के लिए इसलिए मैने अपने घुटनो पर बैठ गयी और मनीष के पैरो पर साबुन लगाने के लिए जैसे ही उनके पैर को पकड़ा उनका तना हुआ लिंग मेरे मुँह के सामने आ गया.

तना हुआ लिंग अपने चेहरे के सामने देख कर एक पल के लिए मैने शर्म से अपनी निगाह नीचे कर ली और चुप-चाप साबुन लगाने लग गयी. लेकिन निगाह नीचे कर लेने के बाद भी मेरा ध्यान लिंग पर ही अटका हुआ था और शायद इसी लिए ना चाहते हुए भी मेरी निगाह बार-बार उस लिंग पर जा कर अटक जा रही थी. पैरो पर साबुन लगाने के बाद अब केवल मनीष का लिंग ही रह गया था जिस पर साबुन लगा कर सॉफ करना था. मैने साबुन लेकर मनीष के लिंग पर लगाया और साबुन लगाने से मनीष का लिंग एक दम चिकना हो गया था. जिस वजह से जैसे ही मैने मनीष के लिंग को साबुन लगा कर उसको ज़रा सा सहलाया मनीष की खाल एक दम पीछे हो गयी और उनके लिंग का सूपड़ा सामने की तरफ आ गया जो एक दम गुलाबी रखा हुआ था.
[+] 4 users Like Deadman2's post
Like Reply
#67
लिंग को झटका ख़ाता हुआ देख कर शर्म के कारण मेरे चेहरे पर एक मुस्कान सी फैल गयी. पूरे शरीर पर साबुन लगाने के बाद मैने मनीष को शवर के नीचे खड़ा कर दिया जिस से उनके शरीर पर लगा साबुन धुल कर सॉफ हो गया. साबुन के सॉफ होते ही मनीष ने मुस्कुराते हुए अपनी आँख खोली और मुझे भी अपने सीने से चिपका लिया. और मेरे लबो पर अपने लब रख दिए. थोड़ी देर किस करने के बाद मनीष ने मुझे शवर के नीचे खड़ा कर दिया और मेरे हाथ से साबुन ले लिया.

साबुन को अपने हाथ मे लेकर मनीष ने साबुन को सबसे पहले मेरे मोटे-मोटे बड़े-बड़े उरोजो पर हल्के हाथ से लगाने लग गये जिस कारण मुझे मेरे शरीर मे गुदगुदी का एहसास होने लग गया मेरी हालत एक दम खराब से भी ज़्यादा खराब रही थी. जैसे जैसे मनीष के हाथ मेरे स्तनो पर चल रहे थे मैं मज़े की एक अलग दुनिया मे पहुँचती जा रही थी. ऊरोजो पर साबुन लगाने के बाद मनीष ने मेरे पूरे पेट पर गोल-गोल हाथ घुमा कर पूरे पेट पर साबुन लगा दिया मैने मज़े के कारण अपनी दोनो आँखे बंद कर ली. फिर मनीष ने मेरे बालो मे शॅमपू लगाया और मेरे चेहरे पर साबुन लगा दिया जिस कारण मेरी आँखे पूरी तरह बंद हो गयी थी. मनीष ने अब मुझे घुमा दिया और मेरी पीठ पर साबुन लगाने लगे. पीठ पर साबुन लगाने के बाद उन्होने अपने दोनो हाथ से मेरे नितंब को कस कर दबाया और मुझे थोड़ा सा आगे की तरफ बढ़ा कर मेरे दोनो हाथ को पकड़ कर मुझको दीवार से लगा दिया जिस कारण मनीष का लिंग मेरे नितंबो के बीच मे रगड़ खा रहा था.

थोड़ी देर यूँ ही अपना लिंग नितंबो के बीच रगड़ने के बाद मनीष वहाँ से हट गये और साबुन को मेरे नितंब पर उन्हे दबाते हुए लगाने लग गये.

“निशा कसम से तुम्हारे चूतर एक दम मस्त है मन कर रहा है कि अभी के अभी अपना लंड इन चूतर मे अंदर डाल दू.” मनीष ने अपने दोनो हाथो से मेरे नितंब को कस कर दबाते हुए कहा. जिस कारण मेरे मुँह से एक सिसकारी निकल गयी. मेरे नितंब को दबाने के बाद उन्होने अपने एक हाथ को मेरे नितंब के बीच मे घुसा दिया और उपर नीचे रगड़ते रहे. यूँ ही रगड़ते रगड़ते कब उन्होने अपनी एक उंगली अंदर घुसा दी पता ही नही चली साबुन लगा होने की वजह से पूरी उंगली एक ही बार मे अंदर तक घुसती चली गयी.

मेरे मुँह से हल्की सी दर्द भारी एक चीख निकल गयी……. आआआहह मनीष…… कहते हुए मैं तोड़ा और आयेज दीवार से एक दम सात कर खड़ी हो गयी.

मेरे मुँह से हल्की सी दर्द भारी एक चीख निकल गयी……. आआआहह मनीष…… कहते हुए मैं थोड़ा और आगे दीवार से एक दम सॅट कर खड़ी हो गयी. मनीष की उंगली बराबर मेरे नितंबो मे अंदर बाहर चल रही थी. मनीष की उंगली मोटी होने के कारण मुझे दर्द हो रहा था पर इस दर्द मे भी मुझे मज़ा आ रहा था. आज पहली बार मनीष ने मेरे नितंब के अंदर उंगली करी हो. कहते तो हमेशा थे पर कभी मैने करने नही दिया पर वान्या के सीन को याद करके मैने भी मनीष को नही टोका क्यूकी मैं भी वो एहसास को महसूस करना चाहती थी कि मनीष मुझे वो मज़ा दे सकते हैं या नही. अमित ने तो डाइरेक्ट ही अपना लिंग मेरे अंदर डाल दिया था जिस कारण मुझे इतना दर्द हुआ था कि एक पल के लिए तो मुझे लगा कि मेरी जान निकल गयी मैं मर जाउन्गि. पर उसके बाद जो मज़ा आया था वो तो बस उसे को याद करते ही मेरा पूरा शरीर अकड़ने लग गया और मैने अपने नितंब को मनीष के हाथ पर दबाते हुए अपनी योनि से पानी बहा दिया. कुछ देर झटके खाते हुए मेरी योनि पानी गिराती रही फिर मेरा शरीर ढीला पड़ गया. और मैं वापस वैसे ही खड़ी हो गयी. मनीष की उंगली अब भी बराबर मेरे नितंब मे चल रही थी.

“क्या कर रहे हो मनीष अब बस भी करो बोहोत हो गया” मैने हाँफती हुई आवाज़ मे कहा
[+] 3 users Like Deadman2's post
Like Reply
#68
मनीष ने अपनी उंगली बाहर निकाल ली और साबुन को लेकर मेरे नितंब के अंदर छेद पर रगड़ कर लगा दिया. और मुझे फिर घुमा कर खड़ा कर दिया और मेरी योनि पर जो हल्के हल्के बॉल उगे हुए थे उन पर हाथ फिरते हुए “निशा डार्लिंग बाल सॉफ नही किए तुमने ?” मैं मनीष के जवाब से शर्मा गयी “नही कर पाई” मैने अपनी उखड़ती हुई सांसो को संभालते हुए कह दिया. “कोई बात नही, बालो मे भी बोहोत खूबसूरत है” कहते हुए मनीष ने अपना एक हाथ मेरी योनि पर फेरा ओर मेरी योनि के अंदर अपनी उंगली डाल कर उसके अंदर घुमाने लगे.

योनि मे मनीष की उंगली जाते ही मेरे मुँह से फिर एक सिसकारी सी निकल गयी. थोड़ी देर यूँ ही अपनी उंगली को मेरी योनि से खेलने के बाद मनीष ने मेरे पैरो मे भी साबुन लगाया ओर मुझे शवर के नीचे खड़ा कर दिया ओर मेरे बूब्स मसल मसल कर सॉफ करने लगे. मनीष का हाथ कभी मेरे उरोज पर होता तो कभी मेरे नितंब पर तो कभी मेरी योनि पर जब पूरी तरह से हम दोनो के शरीर से साबुन सॉफ हो गया तो मनीष ने मुझे फिर से मुझे अपनी गोद मे उठा लिया. मैं शरमाते हुए मनीष के सीने से चिपक गयी ओर मनीष के चेस्ट को किस करने लगी
[+] 3 users Like Deadman2's post
Like Reply
#69
बाथरूम से निकल कर मनीष मुझे बेड रूम मे ले आए…. हम दोनो के ही बदन गीले थे बेड रूम मे आ कर मनीष ने मुझे अपनी गोद से उतार दिया. मनीष की गोद से उतर कर मैने अलमारी से टवल निकाल लिया और टवल ले कर मनीष के बालो को सुखाने लगी बॉल पोंच्छने के बाद मैने मनीष के हाथ पैर सब पोंछ कर सॉफ कर दिए. मनीष का शरीर को जैसे ही पोंछ कर मैं उस से दूर होने लगी मनीष ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खींच कर अपने सीने से चिपका लिया. हम दोनो का चेहरा एक दूसरे के आमने सामने था. मनीष की आँखे मेरे चेहरे को देखे जा रही थी उनकी आँखो मे मेरे लिए बे-पनाह प्यार था. मनीष की आँखो मे अपने लिए इतना प्यार देख कर मेरी अंतर आत्मा ने मुझे धिक्कार दिया.

मुझे वो धोका याद आने लगा जो मैने मैने मनीष के पीठ पीछे उसे दिया था. वो प्यार देख कर आत्म-ग्लानि से मेरी आँखे नम हो गयी और मेरी आँखो मे आँसू आ गये. मेरी आँखो मे आँसू देख कर मनीष एक दम बेचैन हो गये. “क्या हुआ मेरी जान को उसकी आँखो मे ये आँसू” कह कर मनीष ने मेरी आँखो से आँसू को सॉफ किया. मैं कुछ नही बोल पाई और मनीष के सीने से चिपक गयी.

मनीष ने मेरी आँखो से बहते हुए आँसू को सॉफ किया और मेरी आँखो को किस करने लग गये. मैं भी अब शांत हो गयी थी. और मैं भी उनके चेहरे को चूमने लग गयी. धीरे धीरे हमारे एक दूसरे को किस करने का सिलसिला और भी तेज़ी के साथ चलने लग गया. मनीष ने अपने होंठो के मेरे होंठो पर रख कर उसे चूमने लग गये और उनका एक हाथ मेरे कमर से होता हुआ मेरे नितंब पर आ गया. मनीष मेरे नितंब को दबा-दबा कर उसके साथ खेलने लग गये. थोड़ी देर यूँ ही खेलने के बाद उन्होने अपना हाथ आगे की तरफ ला कर मेरी योनि पर लगा दिया और उस पर गोल-गोल फिराते हुए मेरी योनि की मालिश करना शुरू कर दिया.

थोड़ी देर यूँ ही मालिश करने के बाद मनीष अपनी उंगली मेरी योनि के मुँह तक ले गये और मेरी योनि के दोनो फान्खो को अलग कर के उसके अंदर कर दिया. मनीष ने अपनी उंगली को जैसे ही मेरी योनि मे अंदर किया मैने अपने पैर थोड़े चौड़े कर लिए ताकि वो मेरी योनि मे अच्छे तरीके से उंगली कर सके. थोड़ी ही देर मे मेरे पैर चौड़े करते ही मनीष ने अपनी उंगली योनि के बीच मे उपर नीचे घुमानी शुरू कर दी. मनीष की उंगली जैसे ही मेरे भज्नासे से टकराती मेरे पूरे शरीर मे एक सनसनी सी फैल जाती. मैने भी अपना हाथ नीचे की तरफ ले जा कर मनीष के लिंग को अपने हाथ मे ले कर उसको सहलाना शुरू कर दिया. मेरे हाथ लगाने से मनीष का लिंग लोहे की रोड के जैसे एक दम गरम और सख़्त हो गया.

आआआअहह………………. आआआआआआआअहह….. माआनीइिशह तेजज़्ज़्ज्ज और तेज…. मेरे मुँह से आवाज़े निकालने लग गयी.

मनीष ने अपनी उंगली की रफ़्तार मेरी योनि मे और भी तेज कर दी. मनीष की उंगली जैसे जैसे मेरे योनि के भज्नासे से टकराती मैं उत्तेजना के मारे एक नयी दुनिया मे खोने लग गयी. मैने भी मज़े मे होने के कारण अपने नितंब को आगे पीछे करना शुरू कर दिया ताकि मनीष की उंगली आसानी से अंदर बाहर हो सके. मनीष ने तेज़ी से उंगली घुमानी शुरू कर दी जिस वजह से कुछ ही देर मे मेरा पूरा शरीर अकड़ने लग गया और मेरे घुटने कंप-कपाने लग गये मैने मनीष के लिंग को कस कर पकड़ कर उसकी खाल को पूरा का पूरा पीछे कर दिया. और दूसरे हाथ को मनीष के गले मे डाल कर अपना चेहरा उसके सीने मे च्छूपा लिया. मनीष का पूरा हाथ मेरी योनि से निकले रस के कारण पूरा का पूरा भीग गया.

अब मनीष बोहोत धीरे-धीरे अपनी उंगली को मेरी योनि मे घुमा रहे थे. मुझे बोहोत मज़ा आ रहा था. मैने भी अब मनीष के लिंग को ज़ोर ज़ोर से आगे-पीछे करना शुरू कर दिया. मैं भी मनीष के लिंग का पानी निकाल कर उनको भी मज़ा देना चाहती थी पर अब मैने महसूस किया किया की मनीष ने अपनी उंगली को मेरी योनि मे घुमाना बंद कर दिया. मनीष ने अपनी आँखे बंद कर ली और धीरे धीरे उनके भी मुँह से सिसकारिया निकलना शुरू हो गयी थी. मेरा हाथ अब मनीष के लिंग पर तेज़ी के साथ आगे-पीछे चल रहा था की अचानक मनीष का शरीर भी अकड़ने लग गया और उनके लिंग ने हलचल करते हुए झटके लेना शुरू कर दिया. मनीष के लिंग से निकला हुआ वीर्य मेरे पैर और मेरी जाँघो पर गिरने लग गया. मैने मनीष के लिंग को जब तक आगे पीछे किया जब तक की उनके लिंग से पानी की एक-एक बूँद ना निकल गयी.

मनीष के लिंग से पानी निकलते ही मनीष ने कस कर मुझे अपने सीने से चिपका लिया और मेरे लिप्स पर किस करना शुरू कर दिया. थोड़ी देर तक यूँ ही किस करने के बाद मनीष ने मुझे अपने आप से अलग किया और बेड पर पड़े हुए टवल से ही अपने लिंग और मेरी योनि को अच्छे से सॉफ कि
[+] 4 users Like Deadman2's post
Like Reply
#70
bahut khoob...manish to do din baad aane wala tha? aur ye peenu kahan gaya?
Like Reply
#71
Nisha ki chut ko dewar se ragadwao yaar
Sali ki chut ka bhosda banao jaldi
Like Reply
#72
एक दूसरे का पानी सॉफ करने के बाद मनीष ने मुझे किस करते हुए ही बेड पर लेटा दिया और मेरे बगल मे ही लेट गये. थोड़ी देर यूँ ही लेटे रहने के बाद जब हम दोनो कुछ नॉर्मल हुए तो मनीष ने वापस मेरे होंठो को किस करना शुरू कर दिया और मेरे उपर चढ़ गये. मनीष का लिंग मुझे मेरे थाइस पर महसूस हो रहा था. उन्होने मेरे होंठो को छ्चोड़ कर एक हाथ से मेरे उरोज को पकड़ कर उसको दबाना शुरू कर दिया. और दूसरे उरोज को अपने मुँह मे लेकर चूसना शुरू कर दिया.

मनीष के यूँ लगातार 15-20 मिनट तक मेरे उरोजो को चूसने से मैं एक बार फिर से उत्तेजना के असीम सागर मे गोते खाने लगी थी.

मनीष- “निशा मेरी जान तुम बोहोत खूबसूरत हो दिल ही नही भरता तुम से.. जान प्लीज़ आज मेरे इस को चूसो ना. तुम्हे भी बोहोत मज़ा आएगा” मनीष ने अपने लिंग को हाथ मे लेकर उसकी तरफ इशारा करते हुए कहा.

मैं तो कब से मनीष के लिंग को चूसने की सोच रही थी पर पहल करने से डर रही थी कि पता नही मनीष क्या सोचेगे. यही सब मेरे दिमाग़ मे चल रहा था. मुझे यूँ सोच मे खोया हुआ देख कर मनीष ने कहा “ ओके ठीक है कोई बात नही तुम्हे नही पसंद तो कोई ज़बरदस्ती नही है” कह कर मनीष ने मुस्कुरा दिया.

मैने बिना कुछ बोले हुए ही मनीष के लिंग को अपने हाथ मे ले लिया. मनीष मेरे दूसरी तरफ लेटे हुए थे. मनीष को लिंग को जो हल्का हल्का खड़ा हुआ था मेरे हाथ लगते ही झटके लेटा हुआ खड़ा होने लगा और देखते ही देखते सख़्त हो कर एक दम किसी रोड के जैसा सख़्त हो गया. मैने मनीष के लिंग को हाथ मे पकड़ कर लिंग का सूपड़ा अपने मुँह मे ले लिया. मुँह के अंदर लिंग का सूपड़ा जाते ही मुझे बड़ा अजीब लगा एक बार तो ऐसा लगा कि मुझे उल्टी ना हो जाए. और मैने फॉरन मनीष के लिंग को अपने मुँह से निकाल दिया.

“क्या हुआ ? अच्छा नही लगा क्या ?” मनीष ने मेरे चेहरे पर आए उलझन के भाव को देखते हुए कहा.

“नही कुछ नही मैं ठीक हू. बस थोड़ा अजीब सा लग रहा था” मैने अपने मन की बात मनीष को बता दी.

“जान शुरू शुरू मे अजीब ही लगता है पर बाद मे मज़ा आने लग जाता है.” मनीष ने मेरे सर पर प्यार से हाथ फिराते हुए कहा.

मैने दोबारा से अपने उपर कंट्रोल करते हुए मनीष के लिंग को मुँह मे ले कर चूसना शुरू कर दिया. थोड़ी देर तक तो अजीब लगा पर धीरे धीरे मुझे मज़ा आने लगा. मैने मनीष के लिंग के आराम-आराम से चूस रही थी और एक हाथ से उसके टटटे को भी सहलाने लगी. मैं मनीष के लिंग के सूपदे को चूस्ते हुए बीच बीच मे काट लेती थी जिस कारण मनीष के मुँह से मस्ती भरी “आआअहह” की आवाज़ निकल जाती. अब मुझे लिंग चूसने मे बड़ा मज़ा आने लग गया था. और मैं तेज़ी के साथ मनीष के लिंग को चूसे जा रही थी. मनीष ने भी अपने हाथो को मेरे उरोज पर रख दिया और एक उरोज को हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया. मनीष का लिंग मेरे मूह मे अंदर बाहर हो रहा था और यहाँ तक कि मैं बीच बीच मे उसके टॅटू को भी चूस जया करती मज़े मज़े मे. बात नही तुम्हे नही पसंद तो कोई ज़बरदस्ती नही है"आर रही थी कि पता नही मनीष क्या सोचेगे. यही आएग

थोड़ी देर तक मैं यूँ ही मनीष के लिंग और उसके टॅटू को चुस्ती रही चाट’ती रही फिर मनीष ने मुझे बेड पर लेटा दिया और मेरी दोनो टाँगो को फैला कर मेरी योनि को देखने लगे और फिर मेरी योनि को फैला कर अपनी जीभ को उसमे डाल कर घुमाने लगा..

सस्स्सीईई….. आहहााअ सस्स्सीईई….

मनीष के जीभ को योनि पर घूमाते ही मेरे मुँह से ज़ोर-ज़ोर से सिसकारिया निकालने लग गयी और मैने मनीष के सर को अपनी योनि पर दबाने लगी. मनीष भी योनि को सक करते हुए मेरे नितंब को मज़े से दबाए जा रहे थे. पता नही मनीष को क्या सूझा और वो 69 पोज़िशन मे हो गये अब मनीष का लिंग मेरे चेहरे के ठीक सामने था और मनीष मेरी योनि पर अपना मुँह लगा कर उसको बराबर सक किए जा रहे थे. मैने भी मनीष का इशारा समझते हुए उनके लिंग को हाथ मे पकड़ कर अपने मुँह मे लेकर उसको सक करने लगी.
[+] 3 users Like Deadman2's post
Like Reply
#73
मैं- “जानू अब नही रहा जा रहा है अपना लिंग डाल दो ना” जब मुझसे बर्दाश्त नही हुआ तो मैने मनीष को कह दिया.

मनीष- “हाँ मेरी जान… मुझसे भी अब नही रहा जा रहा है लंड बेताब हो रहा है तुम्हारी चूत मे जाने को.”

मैं- “क्यूँ तडपा रहे हो मनीष अब करना शुरू भी करो ना” मैने बैचैन होते हुए मनीष से कहा.

मनीष- “ओह्ह मेरी जान… ये ही तो मे सुनना चाह रहा था लो मेरी जान.” मनीष ने वापस मेरी टाँगो मे बीच मे बैठते हुए कहा.

मानिीश ने एक दम से अपना लिंग मेरी योनि मे डाल दिया.

आआहह मेरी मूह से दर्द और मज़े से मिली जुली आवाज़ निकली आअहह मज़ा आ गया जान करते रहो ना

मनीष ने भी अब फुल स्पीड पकड़ ली थी और तेज़ी के साथ अपने लिंग को योनि मे अंदर बाहर कर रहे थे जिस कारण मेरे मूह से सेक्सी आवाज़े बाहर आनी शुरू हो गयी.

पूरा बेड हिल रहा था लेकिन उस टाइम किस को परवाह थी इन चीज़ो की मैं तो बस चुदवाना चाहती थी. मनीष का लिंग मेरी योनि से चिपक कर अंदर बाहर हो रहा था. मनीष के साथ सेक्स करने मे जो ख़ासियत थी कि वो पूरा लिंग बाहर निकल फिर अंदर डालते है हर बार योनि मे इससे फुल मज़ा मिलता है. मनीष फुल स्पीड के साथ सेक्स कर रहे थे जिस से मेरी योनि को और मुझे फुल मज़ा आ रहा था. पूरे कमरे मे हमारी सिसकारिया की और मनीष के लिंग के अंदर जाते ही उसके टॅटू के टकराने से ठप-ठप की आवाज़ घूंज रही रही.

थोड़ी देर बाद ही मैं झाड़ गयी पर मनीष थे कि रुकने का नाम ही नही ले रहे थे. सेक्स का मज़ा तो आ रहा था पर जो मज़ा अमित के साथ आया था वो मज़ा नही आ रहा था. अमित का लिंग सीधे मेरी बच्चे दानी को चोट करता था पर मनीष का बाहर ही रह जाता था मज़ा तो आ रहा था पर कुछ कमी सी महसूस हो रही थी. मैं मन ही मन मे दुआ कर रही थी कि काश की मनीष का थोडा बड़ा और होता. लेकिन… मनीष लगातार योनि मे धक्के पर धक्के लगाए जा रहे थे. थोड़ी देर और धक्के लगाने के बाद मनीष का भी शरीर अकड़ने लग गया और उन्होने मेरे उरोजो को पकड़ कर मेरे होंठो को किस करना शुरू कर दिया. और झटके लेता हुआ उनका लिंग मेरी योनि मे पानी छोड़ने लग गया.

सेक्स करने के बाद हम दोनो नंगे ही बेड पर सो गये कब हम दोनो को नींद आ गयी पता ही नही चला. सुबह जब आँख खुली तो 7 बाज रहे थे. मैने जल्दी से बेड से उठी ही थी की मनीष ने फिर से मेरा हाथ पकड़ लिया.

“सो कर उठ गयी तुम ?” कहते हुए मनीष ने वापस मुझे अपने उपर खींच लिया. “छ्चोड़िए ना क्या कर रहे है सुबह हो गयी है, आप भी उठ जाइए मैं जा कर आप के लिए चाइ बना कर लाती हू.” मैने मनीष के सर पर प्यार से हाथ फिरते हुए कहा.

“गरम चाइ मे क्या मज़ा मिलेगा जो सुबह-सुबह तुम्हारे होंठो को किस करने मे आता है” कहने के साथ ही मनीष ने मेरे होंठो को अपने होंठो के बीच मे कस कर जाकड़ लिया और किस करना शुरू कर दिया. किस करने मे मैने भी मनीष का साथ दिया और मैने भी उनके होंठो को किस करने लगी. थोड़ी देर यूँ ही किस करने के बाद मैं मनीष से अलग हो गयी और उठ कर किचन मे जाने लगी तो मनीष ने मुझे फिर से पकड़ लिया.

“जान बिना चुम्मा दिए कहाँ जा रही हो ? बिना चुम्मा लिए मेरा दिन कैसे होगा ?” मनीष ने फिर से मुझे पकड़ लिया.

मुझे अच्छे से पता था कि मनीष किस चुम्मा की बात कर रहे है पर मैने अंजान बनते हुए कहा “अभी तो किस किया ना दोनो ने और कॉन सा चुम्मा चाहिए तुम्हे. हहहे” कह कर मैं हंस दी. और बेड से उतर कर किचन की तरफ चल दी, इस से पहले की मैं एक कदम भी आगे बढ़ाती मनीष ने बेड से लेटे लेटे ही मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच लिया.

“तो आप को नही पता कि मैं किस चुम्मे की बात कर रहा हू” कहते हुए मनीष ने मेरे हाथ को छ्चोड़ कर अपने दोनो हाथो से मेरी दोनो थाइ पकड़ ली.

मैं मनीष के चेहरे पर एक दम झुक गयी जिस कारण मनीष के चेहरे पर मेरे बाल फैल गये और मैने ना मे गर्दन हिला दी और हल्के से हंस दी.

“अभी आप को पता चल जाएगा कि हम किस चुम्मा की बात कर रहे थे.” कहते हुए मनीष बेड से उठ कर अपने चेहरे को एक दम मेरी योनि की तरफ ले आए.

मनीष के चेहरे को अपनी तरफ आता देख मैने मनीष की पकड़ से छूटने की कोसिस की ताकि मनीष को परेशान कर सकु. उस वक़्त हम दोनो ही एक दम नंगे थे. और मैं उनकी क़ैद से छूटने मे भी कामयाब हो गयी और मनीष की पकड़ से छूट कर थोड़ा दूर पीछे की तरफ हो गयी. और उन्हे दूर खड़े हो कर चिढ़ाने लग गयी.

मनीष इतनी फुर्ती के साथ बेड से उठे कि मुझे पता ही नही चला कि कब वो मेरे पास तक आ गये और मुझे पकड़ अपनी गोद मे उठा लिया. गोद मे उठाए हुए ही मनीष ने मेरे गालो को अपने मुँह मे भर लिया और हल्के से काट लिया. “अओुच्च क्या कर रहे हो” मनीष के यूँ मेरे गाल पर काट लेने से नखरे दिखाते हुए मनीष से कहा और अपने चहरे को शर्म के मारे दोनो हाथो से ढक लिया.
[+] 3 users Like Deadman2's post
Like Reply
#74
मनीष ने मुझे गोद मे उठाए हुए ही दोबारा से बेड पर ले जा कर लेटा दिया. मैने अब भी अपना चेहरा अपने दोनो हाथो से ढक रखा था. मनीष मेरी दोनो टाँगो को फैला कर उनके बीच मे आ गये और अपने होंठो को मेरी योनि पर लगा कर उसे किस करने लगे उनके हाथ कभी मेरी थाइ पर तो कभी मेरे पेट पर चल रहे थे जिस वजह से मुझे हल्की हल्की गुद-गुडी सी होने लग गयी. मनीष बराबर मेरी योनि को किस किए जा रहे थे. मैं बेड पर धीरे धीरे मचलने लग गयी. तभी मनीष का मोबाइल बजने लग गय

मनीष का मोबाइल बजते ही मैने एक राहत की साँस ली. और अपनी आँख खोल कर मनीष को देख कर उन्हे चिढ़ने लग गयी. मनीष मेरे पास से उठे और अपना मोबाइल उठा कर बात करने लगे. वो फ़ोन ड्राइवर का था जिसे मनीष ने अपने साथ गाड़ी चलाने के लिए कहा था. रास्ता ज़्यादा लंबा नही था गाँव का पर गाँव मे अपनी रेप्युटेशन दिखाने के लिए मनीष ने उसे हाईयर कर लिया था.

मैं भी वही खड़ी हुई थी और ड्राइवर और मनीष की बात सुन रही थी. जब मनीष ने फ़ोन रखा तो मैने मनीष से मना कर दिया और कहा “क्या ज़रूरत है अपने साथ ड्राइवर को ले जाने की. आप और मैं आराम से अपनी गाड़ी मे बैठ कर चलेगे.”

मनीष ने मेरी बात सुनी और एक नज़र मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा दिए और बोले “ठीक है मेरी जान कोई ड्राइवर हमारे साथ नही चलेगा अब खुश इसी बात पर एक किस और दे दो.” मनीष की बात सुन कर मैं मुस्कुरा दी और “धात्त” बोल कर अलमारी से अपने और मनीष के लिए कपड़े निकालने लग गयी.

मनीष मेरे पीछे ही आ कर खड़े हो गये और पीछे से ही मुझे कस कर पकड़ लिया. “क्या कर रहे हो छ्चोड़ो ना कपड़े निकालने दो पहने के लिए” मैने मनीष से नखरे दिखाते हुए कहा.

“अरे गोली मारो कपड़ो को मेरा तो दिल करता है कि तुम्हारे साथ यूँ ही बिना कपड़ो के सारी जिंदगी पड़ा रहू.” मनीष ने मेरी गर्दन पर किस करते हुए कहा. मनीष का लिंग ठीक मेरे नितंब पर महसूस हो रहा था. उन्होने भी अपने लिंग को मेरे नितंब की दरार पर रगड़ना शुरू कर दिया. “क्या कर रहे हैं आप छ्चोड़िए ना… आप को तो बस मौका चाहिए कभी भी शुरू हो जाते है” मैने भी पीछे की तरफ देखते हुए मनीष से मुस्कुराते हुए कहा.

“चलो निशा एक बार और सुबह सुबह कर लेते है फिर पता नही गाँव मे मौका मिला नही मिला करने का” मनीष ने अपना एक हाथ मेरे उरोज पर रख कर उसे दबाते हुए और दूसरे हाथ से मेरे नितंब को मसल्ते हुए मेरी गर्दन पर किस करते हुए कहा.

“ना मिले तो अच्छा ही है. कम से कम आप मुझे तंग तो नही कर पाएगे. हहहे” मैने मनीष की बात पर हंसते हुए कहा.

मैने अलमारी से अपने और मनीष के कपड़े निकाल लिए और पलट कर मूड गयी पर मनीष तो जैसे मेरे से चिपक ही गये थे छ्चोड़ ही नही रहे थे मुझे “अरे अब छ्चोड़ो भी मनीष हमे तैयार हो कर गाँव के लिए भी निकलना है. आप भी जब तक फ्रेश हो लो जब तक मैं चाइ बना लेती हू” मैने मनीष को समझाते हुए कहा.

मनीष का दिल तो नही था मुझ से अलग होने का पर मैने जब थोड़ा सा गुस्से से उनकी तरफ देखा तो वो मान गये और अपने कपड़े ले कर फ्रेश होने चल दिए. मैं भी वहाँ से मेक्शी पहन कर किचन मे आ गयी चाइ बनाने के लिए. और अपनी लाइफ के बारे मे सोचने लगी.. कितना चाहते है मनीष मुझे कितना प्यार करते है और मैने उन्हे धोका दिया है. ये सोच कर ही मेरा मन ग्लानि से भर जाता है. मैने कितना ग़लत किया है मनीष के साथ मैने मनीष के प्यार और विश्वास दोनो का खून कर दिया. जिस दिन उन्हे पता चलेगा क्या बीतेगी उनके दिल पर. मैं अभी सोच ही रही थी कि तभी मनीष के बाथरूम से नहा कर बाहर निकलने की आवाज़ से मेरा ध्यान टूटा और मैं वापस चाइ की तरफ ध्यान देने लगी. थोड़ी देर मे चाइ ले कर मैं मनीष के पास आ गयी और उनके साथ चाइ पीने लगी. मनीष को थोड़ा काम था ऑफीस से इस लिए वो चाइ नाश्ता करके थोड़ी देर मे वापस आने की ओर जाने की तैयार करने की बोल कर चले गये.

मैं भी जल्दी जल्दी से जो सामान मनीष कल ले कर आए थे वो और अपने मतलब का सब सामान पॅक करने लगी थोड़ी ही देर मैने मैने जाने की सारी पॅकिंग कर ली और तैयार होने के लिए मैं बाथरूम मे आ गयी. नहा कर मैं बेड रूम मे आ गयी और पहने के लिए कपड़े देखने लगी कि क्या पहन कर जाया जाए. काफ़ी देर तक सोच विचार करने के बाद एक हल्के स्काइ-ब्लू कलर की साड़ी पहन ली. हल्के होने की वजह से गर्मी मे भी ठीक थी.

थोड़ी ही देर मे मनीष भी आ गये. मुझे देख कर एक पल के लिए तो उनकी आँखे मुझ पर जमी की जमी रह गयी. “तुम तो सच मे आज कयामत लग रही हो. ्े
[+] 3 users Like Deadman2's post
Like Reply
#75
“तुम तो सच मे आज कयामत लग रही हो. आज तो जो भी तुम्हे देखेगा तुम्हारा दीवाना ही हो जाएगा.” मनीष ने मुझे तैयार देख कर कहा.

“क्या फालतू की बात कर रहे हो आप” मैने भी बनते हुए कहा.

मनीष- “नही जान सच मे आज तुम सच मे कयामत लग रही हो गाँव हम बाद मे चलेगे चलो पहले एक बार हो जाए” मनीष ने मेरे करीब आते हुए कहा.

“ऐसा कुछ भी नही है. और अब आप ये बाते बनाना बंद कीजिए और चुप चाप गाँव के लिए चलिए.” मैने अपने हाथ मे सामान पकड़ कर मनीष को पकड़ते हुए कहा.

“तुम भी ना एक दम पूरे मूड की वॉट लगा देती हो” मनीष ने मायूसी भरा चेहरा बनाते हुए कहा.

और हम दोनो ने अपना सामान पूरा कार के अंदर रख लिया. सब सामान रखने के बाद मैने सूटकेस की चाभी वगेरह मनीष को दे दी. जिसे उन्होने अपनी पेंट की जेब मे रख लिया. पूरा सामना गाड़ी मे रखने के बाद हम दोनो कार मे बैठ कर गाँव के लिए 
मनीष गाड़ी चलते समय मुझे देख कर मुकुरा रहे थे. “ऐसे मेरी तरफ देख कर क्यू मुस्कुरा रहे है ? सामने देख कर गाड़ी चलाइए ना” मैने मनीष से चुटकी भरे अंदाज मे कहा.

“देख रहा हू की तुम कितनी खूबसूरत लग रही हो. आज तो तुम शादी वाले दिन से भी ज़्यादा खूबसूरत लग रही हो” कह कर मनीष ने गाड़ी चलते हुए ही मेरे गले मे हाथ डाल दिया और मेरे गाल को पकड़ कर कूची मूची मूष करने लगे.

“आप को तो बस बहाना चाहिए” मैने भी मनीष की इस हरकत पर मुस्कुराते हुए कहा.

“आइ लव यू निशा. सच मे आज तुम बोहोत खूबसूरत लग रही हो मन कर रहा है कि” मनीष अपनी बात पूरी करते इस से पहले ही मैने उन्हे बीच मे ही टोक दिया.

“तो क्या अब रोड पर ही करोगे क्या ?” मैने भी मनीष से मज़े लेने के लिए रोमॅंटिक अंदाज मे कहा जैसे मुझे भी वही फीलिंग आ रही हो जैसे मनीष को आ रही थी.

अभी हम आधे रास्ते मे ही आए थे कि मनीष ने कार बीच रास्ते मे ही रोक दी. “क्या हुआ मनीष गाड़ी क्यू रोक दी ?” मैने घबराते हुए पूछा.

हमारी कार खेतो से कुछ दूरी पर रुकी हुई थी. मनीष ने मुझे अपने हाथ से इशारा करते हुए कहा “निशा उधर देखो सामने”

मैने मनीष के हाथ की दिशा मे देखा जिस तरफ उन्होने देखने को कहा था मेरी तो आँखे खुली की खुली रह गयी. एक नयी उमर की लड़की दो लड़को के साथ जो उस से उमर मे थोड़े ही बड़े लग रहे थे के साथ मे बैठी हुई थी. और उसकी कमीज़ के बटन खुले थे और उसके छोटे छोटे उरोजो को वो दोनो लड़के अपने हाथ से पकड़ कर मसल रहे थे.

“देखो निशा कैसे मज़ा कर रहे है ये लोग और एक तुम हो जो मुझे कुछ करने नही देती हो.” मनीष ने मुझे एक तक उस तरफ देखते हुए कहा.

“ये सब क्या है मनीष आप फॉरन गाड़ी स्टार्ट कीजिए और चलिए यहाँ से” मैने मनीष पर थोड़ा सा गुस्सा करते हुए कहा.

“अरे रूको ना जानेमन थोड़ा देखने तो दो की ये लड़के आख़िर करते क्या है उस लड़की के साथ” मनीष ने मुझे चुप होने का इशारा करते हुए कहा.

“उन्हे जो करना है आप उन्हे करने दीजिए और आप यहा से चुप-चाप कार स्टार्ट करके चलिए” मैने मनीष से चलने को कहा क्यूकी मुझे पता था कि ये सब देख कर इनका भी मूड बन जाएगा और ये भी शुरू हो जाएगे.

मनीष का मन नही हो रहा था वहाँ से हटने का पर मैने ज़ोर दे कर उन्हे वहाँ से चलने को कहा. जाते हुए मैने एक नज़र दोबारा उनकी तरफ देखा वहाँ पर उन लड़को के साथ कॅमरा भी रखा हुआ था. कॅमरा को देख कर मैं सोच मे पड़ गयी की पता नही क्या होने वाला है, कही ये उस लड़की की ब्लूफिल्म तो नही बना रहे है. पर फिर ख़याल आया कि मुझे क्या लेना देना ये उस लड़की की अपनी पर्सनल लाइफ है. वो चाहे जो करे मैं कॉन हू उसके बीच मे बोलने वाली. उस लड़की का चेहरा मेरी आँखो मे बस गया था. मनीष को शायद लड़की का चेहरा नही दिखा था इसलिए वो बार बार मेरी सीट की तरफ आ कर देखने की कोसिस कर रहे थे पर मेरे चेहरे पर गुस्से के भाव को देख कर वो वापस अपनी सीट पर बैठ जाते.

कार दोबारा अपनी स्पीड से चलने लगी. मनीष का चेहरा बोहोत बुझा बुझा सा हो गया था क्यूकी मैने उन्हे वो सब नही देखने दिया था इसलिए. थोड़ी देर कार मे एक दम खामोशी सी च्छा गयी और फिर मनीष ने एक ठंडी आह भरते हुए कहा “तुम बोहोत गंदी हो कुछ भी नही देखने दिया अच्छा ख़ासा लाइव शो देखने को मिल रहा था. तुमको नही देखना था तो नही देखती मुझे तो देखने देती, कैसे वो लड़के उसके बूब्स दबा रहे थे.” कहते हुए मनीष ने अपने पेंट मे अपने लिंग को ठीक करते हुए कहा.

“तुम्हे तो बस मौका चाहिए ये सब के लिए जहाँ देखो वाहा शुरू हो जाते हो” मैने फिर से गुस्से मे कहा.
[+] 3 users Like Deadman2's post
Like Reply
#76
बहुत खूब!?
Like Reply
#77
wah gazab update...keep going
Like Reply
#78
“तुम्हे तो बस मौका चाहिए ये सब के लिए जहाँ देखो वाहा शुरू हो जाते हो” मैने फिर से गुस्से मे कहा.

“अरे तो जान किसी और के साथ नही सिर्फ़ तुम्हारे साथ ही तो करता हू. वरना मेरे जैसे हॅंडसम लड़के के लिए लड़कियो की कमी नही है लड़किया लाइन लगा कर खड़ी रहती है मेरे इंतजार मे.

“हां पता है कितनी लड़किया लाइन लगा कर खड़ी रहती है” उनकी ये बात सुन कर मेरी हँसी निकल गयी.

मुझे हंसता हुआ देख कर मनीष भी मुस्कुरा दिए “वैसे निशा तुम गुस्से मे ज़्यादा खूबसूरत लगती हो. पूछो क्यू ?” मनीष ने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए कहा. “तुम्हारी दोनो आँखे एक दूसरे को किस करने लग जाती है गुस्से मे. हहहे” कहते हुए मनीष ज़ोर ज़ोर से हँसने लग गये.

मैने उनके हाथ पर प्यार से हाथ मारा और मैं भी ज़ोर से हँसने लग गयी थोड़ी देर यूँ ही हँसी मज़ाक करते हुए हम गाँव मे आ गये. गाँव के अंदर आते ही जो जान पहचान वाले लोग थे हमे देख कर नमस्ते वगेरह करने लग गये. मनीष भी हाथ हिला कर सबको थॅंक्स कर रहे थे. थोड़ी ही देर मैं हमारी कार सीधे आ कर हमारे घर पर खड़ी हो गयी.

गाँव वाले घर मे आते ही सारे घर वाले हमारे स्वागत के लिए आ गये. शादी के बाद से अब वापस आना हुआ था गाँव मे. इस लिए सब लोग बड़ी ख़ुसी-ख़ुसी आ कर हम लोगो का स्वागत करने लगे. मम्मी-पापा, चाचा-चाची, मेरे देवर और बाकी के घर वाले सबने मिल कर हमारा खूब स्वागत किया.

मैने और मनीष ने मम्मी पापा चाचा-चाची के पैर छू कर उनसे आशीर्वाद लिया और बाकी घर वालो से गले मिल ली. मनीष भी बाकी घर वालो के साथ घुल मिल कर अपने हाल चल लेने लगे.

“अरे यही बाहर खड़े रहोगे या अंदर भी चलेगे” मॅमी ने हम दोनो को अंदर चलने के लिए कहा.

हम सभी अब घर मे आ गये थे पापा और चाचा ने बाकी लोगो से कह कर गाड़ी से सामान उतरवा लिया. अंदर आ कर मैं मम्मी के साथ ही हो गयी. जो मुझे बाकी लोगो से मिलवाने लगी. शादी का महॉल था इसलिए काफ़ी सारे रिश्तेदार आए हुए थे जिनमे से कुछ मे जानती थी कुछ को नही. मम्मी एक एक करके मुझे सब लोगो से मिल्वाति गयी. सब से मिल लेने के बाद मुझे काफ़ी ख़ुसी हुई पर गाड़ी मे सफ़र करके आने के कारण शरीर मे काफ़ी थकावट भी थी.

शादी को अभी 1 हफ़्ता था, शादी घर मे ही थी इस लिए हमे जल्दी आना पड़ा. ताकि शादी मे होने वाली रस्मो को पूरा किया जा सके, गाँव के लोग वैसे भी पुराने ख़यालात के होते है जल्दी बुरा मान जाते है. और हमारा जो घर था वो इस गाँव का सबसे माना हुआ घराना था. पूरा गाँव हमारे घर वालो की इज़्ज़त करता था.

मैं सब से मिल कर मम्मी से कहने ही वाली थी कि मम्मी मैं थक गयी थोड़ा फ्रेश होना चाहती हू. उस से पहले ही कुछ लोग और भी आ गये शायद मनीष के आने की खबर सुन कर आए थे. मम्मी ने उनका स्वागत किया और मुझे भी उनसे मिलवाया. “बेटी इनसे मिलो ये है शर्मा जी और इनकी पत्नी, बेटी पैर छुओ इनके” मम्मी ने मुझे उनसे मिलवाते हुए पैर छूने का इशारा किया. आंटी जी के पैर छू कर मैने जैसे ही अंकल जी के पैर छूने को झुकी अंकल जी ने मेरे कंधे से मुझको पकड़ लिया. “अरे बेटी क्या कर रही हो तुम्हारी जगह पैरो मे नही है” मैने शर्मा जी की तरफ देखा तो मुझे उनकी आँखे कुछ अजीब लगी उनकी आँखो मे वासना की झलक सॉफ दिख रही थी.
[+] 3 users Like Deadman2's post
Like Reply
#79
शर्मा जी की आँखे कभी मेरे चेहरे तो कभी मेरी छाती पर चुभती हुई महसूस हो रही थी. “अरे बेहन जी बोहोत ही सुन्दर बहू मिली है आप को” शर्मा जी ने मेरी तारीफ करते हुए कहा. पर उनकी नज़र अब भी मेरे उपर चल रही थी.

“हां भाई साहब अब ये दोनो आ गये है तो काफ़ी मदद मिलेगी शादी के काम काज मे. आप लोग बैठिए ना जब तक मैं ज़रा दूसरे और काम देख लेती हू.” मम्मी कह कर वहाँ से दूसरी तरफ चली गयी.

“अच्छा तुम जब तक बहू से बैठ कर बात करो मैं भी ज़रा मनीष से मिल लेता हू” अपनी पत्नी से कह कर शर्मा अंकल बाहर की तरफ चले गये जहा पर मनीष खड़े हुए थे. वो अब भी मनीष और पापा से बात करते हुए मेरी छाती की तरफ ही नज़रे चुरा कर देखते और गंदी सी स्माइल पास कर देते मेरी तरफ.

देखने से शर्मा अंकल की एज करीब 50-55 साल के आस-पास होगी पर उनका शरीर एक दम कसा हुआ था. शरीर की डील डोल देखने से पता चलता था कि वो अब भी कसरत वगेरह करते है जिस से उनका शरीर एक दम कसा हुआ है. अपनी तरफ उनको यूँ घूरता हुआ देख कर मुझे बड़ा अजीब लग रहा था. पर जिस तरह से मम्मी जी उनकी रेस्पेक्ट कर रही थी. मैं एक दम स्पीचलेस हो गयी थी. कि क्या काहु क्या ना कहु उनकी इस हरकत के बारे मे. जितनी उमर शर्मा जी की लग रही थी उस से भी कम उनकी वाइफ की लग रहीथी देखने से उनकी वाइफ की एज करीब ज़्यादा से ज़्यादा 35-36 साल के करीब ही लग रही थी. मैं उनकी पत्नी को बड़ी हैरानी से देख रही थी. थोड़ी देर हम दोनो ने आपस मे बात चीत भी की और वहाँ पर मौजूद बाकी लोगो से भी.

थोड़ी ही देर मे धीरे धीरे करके सारी भीड़ कम होती चली गयी. मैं भी अब काफ़ी तक गयी थी. और कपड़े चेंज करके फ्रेश होना चाहती थी. अभी मैं सोच ही रही थी कि तभी मुझे मम्मी ने आवाज़ लग दी “निशा बेटी सुन ज़रा इधर आ” मम्मी की आवाज़ सुन कर मैं वाहा जहाँ पर बुला रही थी आ गयी. अंदर सब घर वाले ही बचे हुए थे जहा पर विकास मेरे देवर, अनिता चाचा जी की लड़की और चाची बैठे हुए थे. “अरे बेटा चल कुछ नाश्ता पानी कर ले, भीड़ भाड़ के चक्कर मे तूने और मनीष ने कुछ खाया पीया ही नही है. मैं ज़रा मनु को बुला कर लाती हू” मम्मी ने बड़े प्यार से मेरे सर पर हाथ फिराते हुए कहा और मनीष को बुलाने के लिए जाने लगी तभी चाची जी भी उनके साथ हो ली. मनीष का घर का नाम मनु था.

मम्मी और चाची के वहाँ से जाने के बाद अब हम तीन लोग ही बचे थे.

“तो देवर राजा जी कैसी है हमारी आने वाली देवरानी?” मैने विकास से चुटकी लेते हुए कहा.

“अब भाभी जी मुझे कैसे पता होगा कि कैसी है मुझे तो केवल उसकी फोटो दिखाई गयी थी. बाकी तो ये लोग ही मिल कर आए है” विकास ने अनिता की तरफ इशारा करते हुए कहा.

“भाभी जी भैया झूठ बोल रहे है घंटो हमारी होने वाली भाभी के साथ फ़ोन पर लगे रहते है. किसी की भी नही सुनते है” अनिता ने भी हंसते हुए लहजे मे कहा.

“तो यानी आप हमे कुछ नही बताना चाहते हो, सब कुछ प्राइवेट रखना है.. ह्म्म..” मैने भी अब खींचाई करने वाले अंदाज मे कहा.

अनिता हम दोनो की बाते सुन कर मंद मंद मुस्कुराए जा रही थी.

“नही भाभी ऐसी कोई बात नही है..” विकास ने शरमाते हुए कहा.

“अच्छा वैसे करती क्या है हमारी होने वाली देवरानी जी ? यही गाँव मे ही है ?”

“नही भाभी जी वो इस समय कोटा मे है और वहाँ से इंजिनियरिंग कर रही है. और वही हॉस्टिल मे ही रह रही है”

“अच्छा तो इंजिनियर से शादी हो रही है हमरे देवर जी की..” कह कर मैं मुस्कुरा दी.

तब तक मम्मी भी आ गयी चाइ नाश्ता ले कर. मैने आगे बढ़ कर मम्मी के हाथ से चाइ नाश्ता ले कर वही मेज पर रख लिया. “मम्मी मनीष नही आए ?” मैने मनीष को ना पाते हुए थोड़ा बेचैन होते हुए कहा.

“अरे भाभी जी आ जाएगे क्यू इतना बेचैन हो रही है” अनिता ने इस बार मेरी चुटकी लेते हुए कहा
[+] 4 users Like Deadman2's post
Like Reply
#80
सेक्स का मज़ा तो आ रहा था पर जो मज़ा अमित के साथ आया था वो मज़ा नही आ रहा था. अमित का लिंग सीधे मेरी बच्चे दानी को चोट करता था पर मनीष का बाहर ही रह जाता था मज़ा तो आ रहा था पर कुछ कमी सी महसूस हो रही थी
?????????????????
amit se kab chudai hui?
[+] 2 users Like shorya gupta's post
Like Reply




Users browsing this thread: 22 Guest(s)