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Adultery मेहमान बेईमान
#41
मुझे समझ मे नही आ रहा था कि वो मेरा मज़ाक बना रहा था या मेरी तारीफ कर रहा है मैं अचरज भरी निगाहो से उसकी तरफ देखने लगी.

अरे भाभी जी सच मे आप सच मे बोहोत सुंदर हो. अपने पूरे गाँव मे आप जैसे सुंदर दुल्हन किसी की नही है. अपने बारे मे तारीफ सुन कर ना जाने क्यू मुझे अच्छा लगने लग गया. पर उपर से दिखावा करते हुए मैने उसे डाँट दिया.

बंद करो अपनी ये सब बकवास ओर अपने काम से काम रखो मनीष को आने दो मैं मनीष से तुम्हारी शिकायत करूगी. मैने उसे थोड़ा डराते हुए कहा.

कॉन सी वाली शिकायत भाभी जी.? आप के तिल वाले फोटो की या अभी थोड़ी देर पहले जो आपने ने खिड़की से देखा उसकी.?

हे भगवान.. मेरा मुँह खुला का खुला रह गया. यानी इसे सब पता था कि मैं खिड़की पर खड़े हुए सब देख रही थी. मेरे पास अब बोलने को कुछ नही था. मैं उसकी तरफ घूरते हुए वापस अपने कमरे मे आ गयी.


आज तक मैने खुद को कभी इतना असहाय महसूस नही किया था जितना की उस वक़्त कर रही थी. मैं कमरे मे ढंग से अभी आ भी नही पाई थी कि वो भी पीछे से आ गया.

वैसे भाभी जी एक बात पुच्छू आप को वो सब देख कर मज़ा आया कि नही. ? उसने अपनी बत्तीसी फाड़ते हुए कहा.

उसकी बात सुन कर मन तो ऐसा कर रहा था कि इसकी बत्तीसी तोड़ दू घूँसा मार कर पर कर कुछ भी नही सकती थी क्यूकी ग़लती मेरी ही थी जो मैने उसे खिड़की से खड़े हो कर देखा था ऑर इसी कारण उसने मुझे देख लिया था. ना मैं उसे खिड़की से देखती ना वो ये सब मुझसे कहने की हिम्मत करता.

भाभी जी आपने बताया नही आप को कैसा लगा ? उसने अपनी लूँगी के उपर से ही अपने लिंग को मसल्ते हुए कहा

उसकी आवाज़ सुन कर मैं अपने ख़यालो की दुनिया से बाहर आई. ना चाहते हुए भी मेरी नज़र उसकी लूँगी की तरफ चली गयी जिसमे से उसका लिंग लगभग टेंट की शकल बनाए हुए था. मेरी निगाहे जैसे कुछ पल के लिए वही अटक कर रह गयी. उसकी लूँगी मे उसका लिंग जिस तरह से झटके ले रहा था. मेरा तो गला सूखने लग गया उस सब को देख कर मैने जब देखा कि वो मेरी निगाहो की तरफ ही देख रहा है तो मैने फ़ौरन वहाँ से अपनी नज़र हटा ली.

ऐसे क्या देख रही है भाभी जी, आप ही का है. चाहो तो हाथ लगा कर देख लीजिए भाभी जी आप की ही सेवा के लिए है. कहते हुए उसने अपनी लूँगी अपने लिंग के उपर से हटा दी. जिस कारण उसका लिंग किसी साँप की तरह से फंफनता हुआ बाहर निकल आया.

इतना बड़ा लिंग वो भी इतने पास से देख कर मेरी तो जैसे साँसे ही अटक गयी थी.

उसकी इस अप्रतियशित हरकत से मैं बुरी तरह हॅड-बड़ा गयी. ऑर लग-भग हकलाते हुए उस से कहा “ये क्या बद-तमीज़ी है.? अपनी हद मे रहो.” यहाँ पर तुम अपने काम से काम रखो ऑर मेरे से फालतू की बात करने या इस तरह की कोई भी गंदी हरकत करने की ज़रूरत नही है. मैने उसे गुस्से से तिलमिलाते हुए कहा. मुझे सच मे उसकी इस हरकत पर इतना गुस्सा आ रहा था कि मन कर रहा था कि अभी इस के गाल पर एक चाँटा खींच कर मार दू. इसे ज़रा भी तमीज़ नही है लड़कियो से कैसे बात करते है.

क्या भाभी जी वैसे आप छुप छुप कर देख रही थी ओर जब मैं आप के सामने इसे दिखा रहा हू तो आप नखरे कर रहे हो. उसने बुरा सा चेहरा, जो पहले से ही था ओर भी ज़्यादा खराब करते हुए कहा ऑर अपने लिंग की खाल को पीछे की तरफ कर दिया. जिस कारण उसके लिंग का शिशिनमूड(टोपा, सूपदे ) पूरी तरह से मेरी आँखो के सामने आ गया.

अभी मे कुछ ओर कहती या सुनती इस से पहले ही लाइट चली गयी. लाइट जाने से मैं बुरी तरह से घबरा गयी मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा था कि क्या करू क्या नही. तभी उसने मुझे कस कर अपने सीने से चिपक लिया. उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि मैं चाह कर भी कुछ नही कर पा रही थी. मैने अपनी तरफ से पूरी कोसिस की उसकी क़ैद से आज़ाद होने के लिए पर मैं उसकी बाँहो की गिरफ़्त से ज़रा भी हिल-डुल नई सकी.

मुझे अपनी गिरफ़्त मे लिए हुए ही वह अपना मुँह मेरे चेहरे की तरफ ले आया. उसके मुँह से अजीब किस्म की बदबू आ रही थी. जिसे महसूस करते ही मेरा जी बुरी तरह से मिचलने लग गया ऑर मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं उल्टी कर दुगी. पर उससे पहले ही उसने मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिए ओर उन्हे बुरी तरह से चूसने लग गया.

उसके होंठ चूसने का तरीका इतना गंदा था कि मेरे होंठो से खून तक निकल आया. बिल्कुल जनवरो की तरह से.

मैने बड़ी मुश्किल से अपने चेहरे पर से उसका चेहरा हटाया था. ऑर नीचे उसका लिंग मेरे पेट मे रगड़ मार रहा था.
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#42
(02-01-2020, 02:44 PM)smartashi84 Wrote: bahut khoob

Thanks
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#43
हे तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे छुने की… छ्चोड़ो मुझे अभी के अभी.. मैने उसकी क़ैद से आज़ाद होने के लिए छटपटाते हुए कहा. उसने इस तरह से पकड़ रहा था कि मेरी दोनो बाँहो मे बहता हुआ खून सा रुक गया था.

अमित ने मुझे घूमा वैसे ही पकड़े पकड़े घूमा दिया जिस कारण अब मेरी पीठ उसकी तरफ थी ऑर उसकी निकलती हुई साँसे मुझे मेरे कंधे पर महसूस हो रही थी.

पीठ की तरफ घूम जाने से मुझे मेरे नितम पर उसका लिंग साफ महसूस हो रहा था जिसे महसूस करते ही मेरे पूरे शरीर मे एक बिजिली सी कोंध गयी.

अचानक उसने अपना एक हाथ पकड़ से हटा कर मेरे नितंब पर रख दिया. उसका हाथ अपने नितंब पर महसूस करते ही एक अजीब से डर के कारण मेरे रोंगटे खड़े हो गये.

मैने उसकी क़ैद से निकलने की दोबारा कोसिस करते हुए उस से कहा.. छ्चोड़ो मुझे ये क्या कर रहे हो ?

पर वो तो अपनी मस्ती मे मस्त था.. अपना चेहरा मेरे कान के नज़दीक ला कर धीरे से मेरे कान मे बोला बोहोत मुलायम है. एक दम रूई के गद्दे के जैसे. ऑर खिल-खिला कर हंस दिया

मैं कहती हू अपना हाथ वहाँ से हटा लो. वरना इसका नतीजा अच्छा नही होगा. मैने लगभग पूरी ताक़त से से उसकी पकड़ से निकलने का प्रयास किया ऑर अपने दाँत भींचते हुए उस से कहा.

पर उसने मेरी एक नही सुनी मैं बराबर उस से मुझे छोड़ने की कह रही थी लेकिन वो उतनी ही सख्ती के साथ अपने हाथ को मेरे नितंब पर चलाए जा रहा था. बारी बारी से उसने मेरे दोनो नितंबो को मसल कर रख दिया.

मैने जल्दी जल्दी मे कपड़े पहनने के चक्कर मे अंदर पनती ओर पेटिकोट नही पहना था जिस कारण उसका हाथ मेरे नितंबो पर आसानी से चल रहा था ऑर मेरे दोनो नितंबो को मसले जा रहा था. उसके इस तरह मेरे नितंबो को मसल्ने से मेरी सारी पूरी तरह से ढीली हो गयी थी.

उसके हाथो से अपने नितंबो को इस तरह से मसले जाना मुझे अंदर ही अंदर कही ना कही बड़ा अच्छा सा फील करा रहा था. मैने पकड़ से बाहर निकलने की कोसिस करना भी बंद सा कर दिया था. पर तभी मैं बुरी तरह से काँप उठी. उसने नितंबो को मसल्ते मसल्ते ही साड़ी के उपर से नितंबो की दरार मे उंगली डाल दी. अपने नितंबो के बीच मे उंगली महसूस करते ही मेरा पूरा बदन फिर से थर-थर काँपने लग गया.

तुम हट रहे हो कि नही. मैं मनीष को अभी फ़ोन करके सब बता दूँगी. मैने अबकी बार लग-भग चिल्लाते हुए कहा

बता देना जिसे भी बताना है. पर भाभी जी इसमे नुकसान आप का ही होगा. उसने मेरे कंधे को चूमते हुए कहा. हर कोई मेरी तरह गांद की मालिश नही कर सकता. सोच लो. खिल-खिलाते हुए उसने अपनी बात पूरी की.

शट-अप, बंद करो अपनी बेहूदा बकवास. एक तरफ मुझे भाभी कह रहे हो ऑर दूसरी तरफ मेरे साथ ये सब कर रहे हो शरम नही आती तुम्हे.

देवर भाभी, जीजा-साली के रिश्ते मे ये सब चलता है. तुमने सुना नही है साली आधी घर वाली होती है. ऑर भाभी मा के समान जब मा अपने बच्चे को दूध पिला सकती है तो भाभी क्यू नही पिला सकती. भाभी जी माँ बन कर दूध पिलाओगी ? उसने खिल-खिलाते हुए कहा.

मैने कहा छ्चोड़ो मुझे. तुम मेरे साथ ऐसा कुछ भी नही कर सकते हो. मैने गुस्से भरी आवाज़ मे उस से कहा.

उसने मेरी साड़ी को मेरे नितंबो के उपर से नितंबो की दरार मे अंदर की तरफ धकेलते हुए उसने अपनी एक उंगली मेरे नितंब के छेद पर ले जा कर टिका दी. आज तक किसी ने भी मुझे वहाँ नही च्छुआ था यहाँ तक कि मनीष ने भी नही. उसकी उंगली अपने गुदा द्वार पर महसूस करते ही मेरा शरीर काँपने लग गया.

भाभी कमाल की गांद है तुम्हारी एक दम गजब. मनीष भैया तो खेले बिना नही रह पाते होंगे ऐसी मस्तानी मतवाली गांद से. एक दम कातिलाना गांद है तुम्हारी भाभी.

तुम्हे क्या लेना देना है ऑर चुप-चाप से मुझे छ्चोड़ दो अगर अपनी भलाई चाहते हो तो. मैने उसे एक बार फिर से चेतावनी देते हुए कहा.

पर उसने मेरी बात को पूरी तरह से अन सुना कर दिया ओर बराबर मेरे गुदा छेद को रगड़ना शुरू कर दिया. उसकी इस हरकत पर मुझे बोहोत गुस्सा आ रहा था पर उसकी पकड़ मे होने के कारण कुछ कर नही पा रही थी. लेकिन धीरे धीरे उसके मेरे गुदा छेद को रगड़ने से मुझे मेरे शरीर मे एक अजीब सी हलचल महसूस होने लग गयी. सबसे बड़ा झटका तो मुझे तब लगा जब मुझे अपनी दोनो टाँगो के बीच मे गीला गीला सा महसूस होने लग गया. मेरे पीछे वाले छेद पर हो रही रगड़ के कारण मेरी योनि ने गीला होना शुरू कर दिया था. जिस कारण मैं एक दम खामोशी के साथ जो कर रहा था उसे करने दे रही थी.
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#44
आप को मज़ा तो आ रहा है ना निशा भाभी. उसने फिर से बेशर्मी से अपनी बत्तीसी फाड़ते हुए कहा.

तुम्हे शरम आनी चाहिए मेरे साथ ये सब करते हुए. मैने उस से गुस्से भरे अंदाज मे कहा.

आ तो बोहोत रही है भाभी जी पर मैं दिल के हाथो बोहोत मजबूर हो गया हू. जब से आया हू तब से आप की कातिल मतवाली गांद का नशा मेरी आँखो से हट’ती ही नही है.

शट-अप, चुप रहो मैने उसकी तरफ गुस्से से कहा. इस दौरान उसने कब मेरे सरीर से अपनी पकड़ ढीली कर ली मुझे पता ही नही चला था

अचानक उसने कुछ अजीब तरह से मेरे पीछे के छेद को इस तरह से रगड़ दिया जी से मेरे मुँह से खुद ब खुद सिसकारी सी निकल गयी. ओर मैं थोड़ा उछल कर आगे की तरफ हो गयी

मेरे आगे की तरफ को होते ही लाइट भी आ गयी.



लाइट के आते ही मैं एक दम से होश मे आई ऑर अपने आप को उसके चंगुल से पूरी तारह छुड़ाते हुए देख लेना देहाती मैं ये सारी बाते मनीष को बताउन्गि तब देखना वो तुम्हारा क्या हाल करते है कह कर फ़ौरन अपने कमरे को अंदर से बंद कर लिया.

कमरे के अंदर आते ही मैं बेड पर जा कर गिर पड़ी. मेरी आँखो मे आँसू आ गये थे मुझे बोहोत बुरा लग रहा था कि मनीष की बीवी होने के बाद भी मैने अपने शरीर को उसे च्छुने दिया. बेड पर मेरा बदन बुरी तरह से थर-थर काँप रहा था. मुझे अभी भी अपने दोनो नितंबो के बीच मे उस अमित की उंगली अपने गुदा छिद्र पर महसूस हो रही थी.

मुझे यकीन करना मुस्किल हो रहा था कि मेरे साथ मेरे ही घर मे उसने ये सब कुछ किया ओर तो ओर मैं भी उसकी हरकत से अपने आप पर काबू नही रख पाई. मैं मन ही मन अमित को गाली देती जा रही थी.

अब कुछ भी हो जाए पानी सर से उपर हो गया है मुझे मनीष को सब कुछ साफ साफ बताना होगा. मैने मनीष का नंबर. लगाया पर मनीष का नंबर नोट रीचबल आ रहा था. ये मनीष भी ना. जब भी इन्हे किसी ज़रूरी काम से फ़ोन करती हू हमेशा इनका नंबर. नोट रीचबल आता है या फ़ोन उठाते ही नही है. मेरी टांगे बुरी तरह से चिप-चिपा रही थी. मैने सोचा की नहा लिया जाए वरना से गंदा एहसास मुझे पूरी रात परेशान करता रहेगा. पर……. कही वो दरवाजे के बाहर ही हुआ तो ?

नही….. नही वो बाहर नही होगा अब तो काफ़ी रात हो गई है वो अपने कमरे मे सो गया होगा. मैने अपने आप ही सवाल किया ऑर अपने आप ही उसका जवाब दे दिया. पर फिर भी एक बार कन्फर्म कर लेना ठीक है. कही उसने ये सब हरकत दोबारा शुरू कर दी तो ?

काफ़ी देर तक मैं खुद से सवाल जवाब करती रही. इधर एसी का चलना ना चलना एक बराबर था. पर जब वीर्य के सूख जाने से उसकी चुभन मेरी जाँघो पर तेज होने लगी तो मुझ से रहा नही गया ऑर मैने बोहोत ही धीरे से थोड़ा सा दरवाजा खोला ऑर सर निकाल कर इधर उधर देखा जब मैने चारो तरफ देख लिया ऑर मुझे विश्वास हो गया कि वो कही भी नही है. मैने पूरा दरवाजा खोल दिया ऑर उसके कमरे की तरफ देख. उसके कमरे का दरवाजा बंद था इस का मतलब वो अपने कमरे मे ही है.

मैं जल्दी से अपने कमरे मे वापस आई ऑर अपने दूसरे कपड़े अलमारी से निकाल लिए. ऑर उन्हे ले कर बाथ रूम मे आ गयी. एसी कमरे से बाहर निकलने के बाद तो गर्मी जैसे अपने चरम पर थी. बाथरूम के अंदर आते ही मैने जल्दी से अंदर से दरवाजा बंद कर लिया.

बाथरूम मे आ कर मैं जल्दी से अपने शरीर से कपड़े निकालने लग गयी. कुछ ही समय मे मैने अपने शरीर से पूरे कपड़े निकाल दिए थे. मेरे शरीर पर एक भी कपड़ा नही रहा था.

मैने अपने शरीर पर ठंडा ठंडा पानी डालना शुरू कर दिया. ऑर अपनी टाँगो को रगड़ रगड़ कर सॉफ करने लगी जहा मेरा योनि रस बह बह कर मेरी जाँघो पर जम गया था.

जैसे जैसे पानी मेरे जिस्म पर गिरता जा रहा था मेरे दिल को कुछ राहत मिल रही थी. पर अगले ही पल फिर से वही एहसास मुझे अपने नितंबो पर होने लगा. जैसा थोड़ी देर पहले उसने मुझे पकड़ लिया था तब हुआ था.

शरीर पर पानी गिरने के बाद भी मेरा पूरा जिस्म बुरी तरह से दहक उठा. उस एहसास ने ना जाने मुझ पर क्या जादू सा कर दिया था. मेरा हाथ अपने आप ही मेरे नितंबो पर आ गया. पहली बार मैने अपने नितंबो को छू कर देखा ऑर सच मे वो एक दम रूई के जैसे मुलायम रखे हुए थे. उसने कुछ भी ग़लत नही कहा था उसकी बात याद करते ही मेरे चेहरे पर अपने आप हँसी आ गयी.

पर मेरे बदन मे जो एक अजीब किस्म की खुमारी एक अजीब किस्म का नशा चढ़ता जा रहा था. जाने क्या हो गया था मुझे कहाँ तो मैं कभी कभी मनीष को सेक्स के लिए मना कर देती थी ऑर आज मैं खुद ही ज़रा ज़रा सी बात को सोच कर ही अपने आप बहकति जा रही थी ऑर इसी कारण ना चाहते हुए भी मेरी योनि ने एक बार फिर से बहाना शुरू कर दिया था.

अपनी योनि के रिसाव से मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी, मैं खड़ी हुई थी पर मेरी योनि ने रिसाव करना जैसे ही शुरू किया मेरी टाँगो ने जवाब दे दिया. ऑर मैं नीचे फर्श पर ही बैठ गयी नीचे बैठ ते के साथ ही कब मेरी योनि के साथ जंग कहु या दोस्ती, जो शुरू हुई उसने तो मुझे रोमांच की नयी उँचाई पर ले जा कर खड़ा कर दिया
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#45
मस्त एपिसोड
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#46
(03-01-2020, 10:56 PM)bhavna Wrote: मस्त एपिसोड

Thanks
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#47
Waaah!!
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#48
जब रोमांच का वो दौर थमा तो मेरा हाथ मेरे योनि रस मे पूरा का पूरा सन चुका था. मैं जल्दी से पानी से अपना हाथ ऑर अपनी योनि को सॉफ करने लगी तभी बाहर से आती हुई आवाज़ ने मुझे बुरी तरह से चोव्क्ने पर मजबूर कर दिया..

भाभी जी ये उंगली से करने की जगह नही है.. कब तक उंगली से काम चलाओगी ? मेरा लंड तैयार है एक दम खड़ा हुआ है बस एक बार आप कहो तो सही… हहहे

मेरी तो साँसे ही अटक गयी उसकी आवाज़ ऑर फिर भयानक हँसी सुन कर. समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू क्या नही.. ये तो बाहर ही खड़ा हुआ है ऑर ये मुझे देख रहा था... हे भगवान.... क्या करू... मैने जल्दी से खड़े हो कर अपने कपड़े उठाए ऑर उन्हे पहनना शुरू कर दिया... 

मेरी डर के मारे हालत खराब हो रही थी. क्या करू ? बाहर कैसे जाउन्गि अब ? कही ये फिर से मुझे ना पकड़ ले. हे भगवान क्या करू अब ? उस वक़्त तो जैसे मेरे दिमाग़ ने काम करना बिल्कुल बंद ही कर दिया था.

मैने डरती हुई आवाज़ मे कपड़े पहन कर उस से कहा कि तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?

भाभी जी नींद ही नही आने दे रही हो आप ? ऑर आप अपनी उंगलियो को क्यू बेकार मे तकलीफ़ दे रही हो ? भला उंगली से ही कभी चूत की प्यास बुझी है ? चूत की प्यास बुझती है लंड से. ओर मुझे अच्छे से पता है मनीष भैया के लंड की तुम्हे बोहोत याद आ रही है..हहहे……. पर आप चिंता ना करो उनकी कमी को पूरा करने के लिए मैं हू ना.

बंद करो अपनी बकवास ओर चुप-छाप अपने कमरे मे चले जाओ. ये सब फालतू की बात मुझसे करने की कोई ज़रूरत नही है.. समझे की नही. मैने उसे गुस्से से चिल्लाते हुए कहा.

भाभी जी… बेकार का काम तो आप कर रही हो उंगली कर के.. अरे जब आप के पास आप के ही घर मे लंबा ऑर मोटा लंड है तो उसे ईस्तमाल ना करके आप ही बेकार काम कर रही हो.. हहहे…

बंद करो देहाती अपनी बकवास ओर चुप-चाप यहा से चले जाओ. मैने फिर से उसे गुस्से मे डाँट’ते हुए कहा.

अब उसके जाने की उसके कदमो की आवाज़ सुनाई देने लग गयी. उसे सुन कर मेरी जान मे जान मे आई. मैने हल्के से बाथरूम का दरवाजा खोल कर देखा तो वहाँ कोई नही दिखाई दिया. मैं अपने गीले कपड़े वही छ्चोड़ कर जल्दी से वहाँ से निकल कर अपने कमरे मे आ गयी.

कमरे मे आते ही मैने कमरे को अंदर से कुण्डी लगा कर बंद कर लिया. ऑर बेड पर लेट गयी. नहा लेने से अब कुछ हल्का हल्का अच्छा लग रहा था. पर मेरा दिमाग़ इस बात को लेकर काफ़ी गुस्से मे था कि वो हर वक़्त मुझ पर नज़र रखे हुए है. ऑर तो ऑर उसकी हिम्मत इतनी बढ़ गयी है कि बाथरूम के अंदर मुझे नंगा देख रहा था.

क्या सोच रहा होगा मेरे बारे मे.? कही उसने बाथरूम मे मेरी फोटो तो नही ले ली ? उसका कोई भरोसा नही है. कुछ भी कर सकता है. अगर उसने वो सब अपने मोबाइल मे फीड कर लिया होगा तो ? गाँव मे जाकर सब को दिखाएगा.. सोच कर ही डर के मारे मेरी हालत खराब हो गयी. अब मैं क्या करू ?

तभी दरवाजे की बेल बज गयी…

मैं अपने ख़यालो की दुनिया से बाहर आ गयी. मैने जल्दी से तोलिया हटा कर अपने कपड़े पहनना शुरू कर दिया. इस सब को याद कर के मैं बुरी तरह से गीली हो गयी थी पर इस वक़्त कोई दरवाजे पर आ गया था.
.

इस लिए मैने जल्दी से अपने बाकी कपड़े पहने ऑर दरवाजे पर जा कर देखने लगी कॉन आया है.? दरवाजा खोल कर देखा तो सामने रूपा खड़ी हुई थी. रूपा को देख कर मुझे टाइम का एहसास हुआ कि मैं अपने ख़यालो मे इतना खो गयी थी कि कब शाम हो गयी पता ही नही चला.

रूपा के अंदर आते ही मैने दरवाजा बंद कर लिया. करने के लिए कोई काम तो ख़ास था नही बस दो-तीन झूठे बर्तन थे साफ करने के लिए. जिन्हे उसने जल्दी से साफ भी कर दिया. ऑर हल्की फुल्की झाड़ू पोंचा भी कर दिया.
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#49
रूपा जब ज़मीन पर झाड़ू लगा रही थी तब मेरी नज़र उसके उभारो पर गयी. उसके दोनो उरोज आज भी उस दिन की तरह एक दम सख़्त हो रहे थे. रूपा को देख कर मुझे उसकी रात वाली सूरत याद आने लग गयी जब वो अपने चेहरे पर अलग-अलग तरह के भाव ला रही थी. जैसे जैसे अमित उसमे धक्के लगता उसके मुँह से सिसकारिया निकालने लग जाती. उसने सिसकारिया लेते हुए अपने दोनो होंठो को एक दूसरे के साथ कस कर जाकड़ लिया था ताकि मुँह से ज़्यादा तेज आवाज़ ना निकल सके.. हर धक्के के साथ उसके चेहरे के भाव बदल से जाते थे.

पर जब भी अमित मेरे बारे मे उस से पूछता था उसके चेहरे के भाव एक दम अलग ही हो जाते थे. जैसे की वो मेरे बारे मे सुन कर बोहोत जल भुन सी गयी हो. एक अजीब सी फिकर एक अजीब सी चिंता उसके चेहरे पर घर कर लेती थी.

मेरा ध्यान अब भी उसकी छाती पर ही था उसने हाफ़ कट बाजू वाला ब्लाउस पहना हुआ था. ऑर ब्लाउस मे से उसके क्लीवेज सॉफ नज़र आ रहे थे. उसके दोनो उरोज ऐसा लग रहा था जैसे ब्लाउस कूद कर अभी बाहर आ जाएगे. उसका रंग थोड़ा दबा हुआ था ब्लॅक तो नही कहा जा सकता पर हल्का सांवला ज़रूर था.

झाड़ू लगाते हुए पता नही कब उसने मुझे अपनी छाती घूरते हुए देख लिया मुझे पता ही नही चला..

ऐसे क्या देख रही हो मेम्साब ? आप से ज़्यादा सुंदर नही है..हहहे

उसकी बात सुन कर मैं बुरी तरह से चोव्न्क गयी. क्या क्या क्या देख रही हू कुछ भी तो नही. ऑर क्या मुझसे ज़्यादा सुंदर नही है.? मैने लगभग बुरी तरह से हॅड-बदाते हुए कहा.

अरे मेम्साब वही जो अभी आप देख रही थी कहते हुए उसने अपना एक हाथ अपने उरोज पर रख दिया.

मेरी दोनो आँखे शरम से नीचे हो गयी. क्या बकवास कर रही हो ? ऐसा कुछ नही है मैं तो वो बस तुम्हारे ब्लाउस की डिज़ाइन देख रही थी.

मेंसाब् मिश्रा मेम्साब आप के बारे मे पूछ रही थी.? कह रही थी कि जब उनके घर जाना तो उनसे कह देना कि मुझसे बात कर ले. उसने बात को वही घुमा कर ख़तम करते हुए कहा.

कब पूछ रही थी मिसेज़. मिश्रा मेरे बारे मे ? मैने उस से थोड़ा गंभीर होते हुए पूछा

जी अभी थोड़ी देर पहले ही जब मैं उनके यहाँ काम करने गयी थी यहा आने से पहले तब ही कहा था कि आप से बोल दू कि मिश्राइन जी से बात कर लो.

ठीक है मैं बात कर लुगी उनसे. मैने बात को ज़्यादा आगे ना बढ़ाते हुए उसे गंभीर होते हुए जवाब दे दिया.

थोड़ी ही देर मे वो अपना काम ख़तम करके चली गयी. ओर मैने दरवाजा बंद कर लिया. उसके जाने के बाद ही मैने म्र्स. मिश्रा को फ़ोन लगाया.

मिसेज़. मिश्रा हमारे पड़ोस मे ही रहती है. उनकी शादी अभी कुछ महीने पहले ही हुई थी. मिसेज़. मिश्रा के पति किसी MणC मे काम करते है, ऑर किसी ऑफीसर पोस्ट पर है. 2-4 पार्टी मे हम दोनो की एक साथ मुलाकात हुई थी ओर मेरी उस से काफ़ी अच्छी दोस्ती भी हो गयी थी. फ़ोन की दो तीन घंटी बजने के बाद ही फ़ोन उठा लिया गया.
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#50
धीरे धीरे माहौल गरम हो रहा है...........
लेकिन मिश्राइन ने क्यों याद किया........
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#51
(05-01-2020, 10:49 AM)kamdev99008 Wrote: धीरे धीरे माहौल गरम हो रहा है...........
लेकिन मिश्राइन ने क्यों याद किया........

We'll get to see in the next episode
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#52
बहुत सही जा रहे हो गुरु !!
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#53
(05-01-2020, 11:53 PM)Blue Wrote: बहुत सही जा रहे हो गुरु !!

Thanks
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#54
wow !!
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#55
(06-01-2020, 01:21 PM)kill_l Wrote: wow !!

Thanks
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#56
मैं- हेलो…. मिसेज़. मिश्रा

मिसेज़. मिश्रा - हेलो….. जी हां आप कॉन ?

मैं- मिसेज़. मिश्रा जी मैं निशा…. आप ने अभी रूपा से बोला था आप से बात करने के लिए ?

मिसेज़. मिश्रा – हां यार निशा मैने ही बोला था ऑर क्या कर रही हो ?

मैं- कुछ ख़ास नही कर रही थी. तुम बताओ कैसे याद किया ?

मिसेज़. मिश्रा- निशा यार अगर तुम फ्री हो तो क्या तुम मेरे साथ चल सकती हो ?

मैं- कोई ख़ास काम है ?

मिसेज़. मिश्रा- हां मुझे थोड़ा चेक-अप करवाना था. ऑर कलश के पास भी जाने के लिए टाइम नही है उन्होने बोला कि किसी ऑर के साथ चली जाओ. तुम तो जानती ही हो मेरी मेरे घर पर किसी से ज़्यादा बनती नही है इस लिए मैं उन मे से किसी को भी अपने साथ नही ले जाना चाहती हू. अगर तुम्हारे पास टाइम हो तो क्या तुम मेरे साथ चल सकती हो ?

मैने थोड़ी देर सोचा कि मेरे पास भी कोई काम नही है ऑर यहा पर बैठे बैठे मेरे दिमाग़ मे भी इस समय बेकार ऑर फालतू की बाते घूम रही थी. इस लिए मैने सोचा कि मिसेज़. मिश्रा के साथ थोड़ा घूम कर आउन्गि तो मन ठीक हो जाएगा ऑर ये सब बेकार की बाते मेरे दिमाग़ से निकल जाएगी.

मैं- ठीक है मैं थोड़ी देर मैं तैयार हो कर अभी तुम्हारे पास आती हू. कह कर मैने फ़ोन काट दिया.

थोड़ी ही देर मैं मिसेज़. मिश्रा के घर मे आ गयी थी वो तो जैसे एक दम तैयार हो कर मेरा ही इंतजार कर रही थी.

अरे निशा आओ…. कुछ लोगि ठंडा/गरम ? उसने मुझे देख कर अंदर बुलाते हुए कहा

नही कुछ नही….. मैने मना कर दिया

चलो ठीक है चलते है बस मैं ज़रा अपना पर्स ले लू.. कह कर वो अंदर से अपना पर्स लेने चली गयी ओर थोड़ी ही देर मे अपना पर्स ले कर वापस आ गयी.

कार मैं बैठ कर हम दोनो ही चले जा रहे थे. ऑर ड्राइवर गाड़ी चला रहा था.

ऑर सुनाए मिसेज़. मिश्रा जी क्या हाल चाल है ? कैसी चल रही है आप की लाइफ ? मैने ही गाड़ी मे बात की शुरूवात करते हुए कहा

क्या यार निशा मैं तुम्हे निशा करके बुला रही हू ऑर तुम मुझे मिसेज़. मिश्रा कह कर बुलाए जा रही है अरे यार मेरा नाम वन्या है मुझे वन्या कह कर बुला ना हम दोनो सेम एज के ही है. उसने मुझे टोकते हुए कहा.

ओके.. तो वन्या कैसी चल रही है तेरी लाइफ ? तेरे पति की जॉब कैसी चल रही है ? क्या मज़े चल रहे है तुम्हारे ? मैने भी अब एक दम यारी दोस्ती वाली लॅंग्वेज यूज़ कर के उस से बात कर रही थी.

मेरा तो सब बढ़िया है तुम सूनाओ क्या चल रहा है.?

मैं भी बढ़िया ही हू. वैसे डॉक्टर. के पास क्यू जा रही हो ? कोई दिक्कत वाली बात तो नही है ?

अरे नही ऐसे ही रुटीन चेक-अप के लिए जा रही हू. मन थोड़ा खराब रहता है.

रुटीन चेक-अप…. मैने चुटकी भरे अंदाज मे कहा. तो नये मेहमान के आने की तैयारी शुरू की जा रही है. ? हहहे……. वैसे कितने महीने हो गये है ?

अभी ऐसा कुछ नही है जैसा तुम सोच रही हो. उसने भी मुस्कुराते हुए जवाब दिया.

अरे जब ऐसा कुछ नही है तो फिर किस बात का रुटीन चेक-अप के लिए जा रही हो ?

बात करते हुए मैने उसके चेहरे पर एक उदासी सी छा गयी थी. पता नही क्या चल रहा था उसके दिमाग़ मे. जब मुझसे रहा नही गया तो मैने उस से पूछ ही लिया क्या बात है तुम बोहोत परेशान सी लग रही हो.? हम बोहोत धीमे धीमे बात कर रहे थे ताकि हमारी बाते ड्राइवर को ना सुनाई दे.

अब क्या बताऊ यार निशा तुझे तो पता ही है हमारी शादी को लगभग 8 महीने से उपर हो गये है. ऑर अब इनका इंटरेस्ट ना जाने क्यू मुझमे कम होता जा रहा है. शुरू शुरू मे तो हम दोनो के बीच मे बोहोत सेक्स होता था हमारी हर रात दीवाली होती थी हर रात हम दोनो के बीच मे सेक्स होता था पर कुछ महीनो से जब से इनका प्रमोशन हुआ है तब से इन्होने तो जैसे मेरी तरफ देखना ही बंद कर दिया है. हर रात होने वाला सेक्स अब वीक्ली हो गया है. ऑर उस मे भी ये सिर्फ़ फॉरमॅलिटी सी ही पूरी करते है.

बिस्तर पर आते है मेरे उपर चढ़ते है ओर अपना काम ख़तम करके सो जाते है बिना इस बात की परवाह किए कि मेरा क्या होता होगा.? मेरी प्यास बुझी कि नही बुझी इस बात से अब इन्हे कोई मतलब नही रह गया है. बिस्तर पर मेरे साथ एक दम ऐसा रिक्ट करते है जैसे किसी रंडी के पास जा कर उसके साथ करते है. इनकी हवस तो पूरी हो जाती है पर मैं एक दम प्यासी रह जाती हू. मुझे अपनी प्यास बुझाने के लिए अपने पति के होने के बाद भी अपनी उंगली का सहारा लेना पड़ता है.
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#57
अभी दोनो बात कर ही रहे थे कि वान्या के पर्स मे रखा फ़ोन. बजने लग जाता है. वान्या अपने पर्स से मोबाइल निकलती है ऑर बात करने लग जाती है. मैं उसके बगल मे ही बैठी थी इस लिए मुझे फ़ोन मे से आ रही आवाज़ भी साफ सुनाई दे रही थी.

वान्या- हेलो मानव हाउ आर यू ?

मानव- आइ एम फाइन. तो तुम आ रही हो ना ?

वान्या- हां घर से निकल गयी हू थोड़ी ही देर मे पहुँच जाउन्गि.

मानव- ब्लॅक ब्रा ऑर पनटी पहनी है ना ?

वान्या- हां बाबा वही पहना हुआ है.

मैने दोनो की बात सुन रही थी. वान्या को लग रहा था कि मुझे कुछ सुनाई नही दे रहा है क्यूकी मैं दूसरी तरफ अपना मुँह करे हुए थी. मेरे दिमाग़ मे यही बात चल रही थी कि ये किस से इस तरह से बात कर रही है. ये मानव कॉन है.

मानव- ब्लॅक ब्रा ऑर पनती की सोच कर ही मेरा खड़ा हो रहा है.

वान्या- आ तो रही हू उसे ठंडा करने के लिए. हहे

मानव- जल्दी आ जाओ अब इंतजार नही हो रहा है. तुम्हे ब्लॅक ब्रा ऑर पॅंटी मे नंगा देखने का बड़ा मन कर रहा है.

वान्या- सिर्फ़ देखना ही हैतो मैं नही आ रही..हुहन

मानव- देखूँगा नही जानेमन, सब कुछ करूगा,

वान्या- सब कुछ मे क्या क्या करोगे ?

मानव- अरे तुम्हे बिस्तर पर जम कर चोदुगा. हहे

वान्या- ऐसे नही शुरू से बताओ क्या क्या करोगे. इमॅजिन करो कि मैं तुम्हारे सामने ब्रा ओर पॅंटी मे खड़ी हुई हू.

मानव- तुम्हे अपने कमरे मे देख कर मैं बोहोत खुश हो गया, ओर जल्दी से कमरे का दरवाजा बंद कर लिया.

उन दोनो की फ़ोन पर हो रही बात सुन कर मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था मुझे विश्वास ही नही हो रहा था कि वान्या इस तरह की लड़की भी हो सकती है. ऑर उस से भी बड़ी बात उनकी गंदी गंदी बाते सुन कर मेरी खुद की योनि बेकाबू होने लग गयी थी ऑर उसने रिसना शुरू कर दिया था..

वान्या- और मैं आगे बढ़कर तुमसे लिपट गयी.

मानव - मुझसे इंतेज़ार नही हो रहा था इसलिए बिना कुच्छ कहे मैं अपने होंठ तुम्हारे होंठों पर रख दिए और एक हाथ से तुम्हारी छाती पकड़ ली ऑर उसे ज़ोर ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया

वान्या- कौन सी वाली? राइट या लेफ्ट?

मानव- राइट वाली जानेमन

वान्या- तुम्हारे चुचि को पकड़ते ही मेरे मुँह से आवाज़े निकलना शुरू हो जाती है आआहह….अहह जान. ज़ोर से दबाओ. मज़ा आ रहा है.

मानव- मैने तुम्हारे होंठों को चूस्ते हुए तुम्हें दीवार के साथ लगा दिया ऑर अपने दोनो हाथों से अब तुम्हारी चुचियाँ दबा रहा हूँ. दोनो ही चुचियाँ तन कर एक दम सख़्त हो गयी है.

वान्या- अपने लंड को भी तो चूत पर रागडो ना, कब से बेचैन हो रही है देखो कितना पानी बहा चुकी.

मानव- हां जानेमन बिल्कुल.. मैं अब अपना लंड पॅंटी के उपेर से ही तुम्हारी चूत पर रगड़ रहा हूँ. मेरा लंड तुम्हारी चूत को महसूस करते ही ओर भी ज़्यादा टाइट हो गया है. ओर तुम्हारी चूत को ज़ोर ज़ोर से झटके ले कर सलामी दे रहा है.

वान्या- तुम्हारे लंड को अपनी चूत पर महसूस कर के मुझसे नही रहा जा रहा है ओर अब मैने अपने एक हाथ को नीचे ले जाकर तुम्हारे लंड को सहलाना शुरू कर दिया.

मानव- लंड को चूसोगी नही? सिर्फ़ सहलाती ही रहोगी ? हहे

वान्या- हां बाबा चुसुन्गि पर पहले तुम मुझे पूरी तरह नंगी तो करो.

मानव- अब मैं तुम्हें धीरे चूमता हुआ धीरे धीरे बिस्तर की तरफ ले जा रहा हूँ. बिस्तर के पास ले जाकर मैने तुम्हें बिस्तर पर धक्का देकर गिरा दिया.

वान्या- अब चढ़ भी जाओ मेरे उपेर. एक रंडी की तरह चोदो मुझे. देखो मेरी चूत कितनी देर से आँसू बहा रही है. कुछ तो दर्द समझो उसका.

मुझको वान्या के इस तरह से बात करने पर बोहोत अटपटा लग रहा था. मैं सोच रही थी कि वान्या इस तरह की भी हो सकती है…. कभी उसे देख कर लगा नही था, और ये मानव है कॉन जिस से ये इस तरह की बात कर रही है. पर इन सब के बीच, फ़ोन पर चल रही बाते सुन कर मेरी खुदकी पॅंटी बुरी तरह से गीली हो चुकी थी.

वान्या- “अच्छा अब मैं फ़ोन रखती हू. 2 मिनट के बाद मैं तुम्हारेे  कलीनिक
 मे आजाउंगी.” कह कर उसने फ़ोन काट दिया. उसके चेहरे पर बोहोत ही खिली खिली मुस्कुराहट थी.
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#58
निक मे आजाउंगी.” कह कर उसने फ़ोन काट दिया. उसके चेहरे पर बोहोत ही खिली खिली मुस्कुराहट थी.

मैने उस से उस बारे मे कोई भी सवाल जवाब करना सही नही समझा. फ़ोन पर सुनी बात से इतना तो पता चल गया था कि वो जिस डॉक्टर. के पास जा रही है शायद वही मानव है.



थोड़ी ही देर मैं हम उस क्लिनिक पर आ गये. मेरी पॅंटी गीली हो जाने की वजह से बुरी तरह मेरी झांघो से चिप-चिपा रही थी. हम दोनो ही गाड़ी मे से उतरे ऑर क्लिनिक के अंदर की तरफ चल दिए.



मुझे क्लिनिक के अंदर जाते हुए थोड़ा डर और थोड़ा अजीब लग रहा था पर मैं उसके साथ अंदर क्लिनिक मे आ गयी... वो क्लिनिक बोहोत ही शानदार बना हुआ था. क्लिनिक के अंदर आते ही हम दोनो डॉक्टर. मानव के कॅबिन मे आ गये.



डॉक्टर. मानव कोई 27-28 साल के आस पास की उमर के हॅंडसम से नौजवान थे. खेर वान्या उनके सामने बैठी हुई थी. . मानव को देख कर लग ही नही रहा था कि वान्या अभी थोड़ी देर पहले इन्ही से बात कर रही थी. वो किसी गंभीर डॉक्टर. की तरह ही वान्या के साथ मे उस से उसके हाल चाल पूछ रहे थे और किसी ज़िम्मेदारी डॉक्टर. की ही तरह उसका नॉर्मल टेस्ट कर रहे थे.



थोड़ी देर वान्या को नॉर्मली तौर पर देखने के बाद उन्होने उस से कहा कि “मेडम आप रेग्युलर मेडिसिन से रही हो कि नही ?”



वान्या- “जी डॉक्टर मैं रेग्युलर मेडिसिन ले रही हू. क्यू क्या हुआ कोई दिक्कत वाली बात ?” वान्या ने लगभग चोव्न्क ते हुए पूछा.



.मानव- “आप का BP काफ़ी बढ़ गया है. मेरे ख़याल से आप दवाई टाइम से नही ले रही है. आप को चक्कर आ रहे है वो शायद इसी वजह से आ रहे है. आप का थोड़ा चेक-अप कर लेता हू और आप को अभी एक इंजेक्षन लगा देता हू. जिस से आप को आराम मिलेगा. लेकिन आप अपने खाने पीने ओर टाइम से दवाई लेने पर ध्यान दीजिए.” उसने मुस्कुराते हुए कहा.



मुझे उसके हस्ने का तरीका कुछ ठीक नही लग रहा था. पर मैं वहाँ चुप चाप बैठी रही. वान्या वाहा से उठ कर खड़ी हुई और अपनी साड़ी सही करते हुए मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली…



वान्या- “निशा तुम यही थोड़ा वेट करो मैं अभी चेक-अप करवा कर वापस आती हू. और वाहा से उठ कर सामने की तरफ जहा उसने एक प्राइवेट कॅबिन बना रखा था उस तरफ जाने लगी. उसके चेहरे पर एक अजीब किस्म की ख़ुसी सॉफ देखी जा सकती थी.



डॉक्टर. मानव ने मेरी तरफ देखा और फिर वही अमित जैसी गंदी हँसी हंस कर उसी तरफ चल दिया जिस तरफ वान्या गयी थी. उनके जाने के बाद मुझे वान्या की फ़ोन वाली बात याद आ गयी. पता नही क्या हुआ मुझे कि मैं अपने आप को रोक नही पाई और उस तरफ चल दी जहा वो दोनो गये थे.



वाहा केवल पर्दे लगे हुए थे और उस तरफ एक दरवाजा लगा हुआ था जिसे देख कर साफ पता चलता था कि वो प्राइवेट रूम है. मेरी अंदर एक अजीब सी बेचैनी बढ़ती जा रही थी. मैं ये जानना चाहती थी कि वो क्या कर रहे है. “क्यू ?” पता नही पर मेरे दिल मे ये जानने की इच्छा बढ़ती ही जा रही थी. मैं वाहा खड़ी ही थी कि अंदर से मुझे वान्या की आवाज़ सुनाई देने लगी..



वान्या- “कितना तड़पाते हो”



. मानव- “ मैं तड़पाता हू या तुम मुझे तड़पाती हो”



उन दोनो की आती हुई आवाज़ सुन कर मुझे अपने अंदर एक अजीब किस्म की बेचैनी होने लग गयी. क्या करू क्या नही कुछ समझ मे नही आ रहा था. एक बार को तो ख़याल आया कि यहा से हट जाउ और वापस बाहर जा कर बैठ जाउ. पर पता नही क्या हुआ मुझे कि मैं वाहा से चाह कर भी नही हट पा रही..



वान्या- “तुम्हारी पसंद के ही कपड़े पहन कर आई हूँ.”



ड्र. मानव- “पर ये तुम्हारे साथ मस्त सा आइटम कॉन है ?”



अपने बारे मे आइटम वर्ड सुन कर मेरा खून खूल गया. “ये डॉक्टर. है छी कितनी गंदी सोच है इसकी” मैं अपने ही मन मे बड़बड़ाने लग गयी.



अंदर से वान्या के फिर से बोलने की आवाज़ आई… मैने अपने कान अब बिल्कुल दरवाजे से सटा दिए.



वान्या- “अरे यार तुम्हे तो पता है मेरे ससुराल वालो की आदत, हर बात पर सवाल करने लग जाते है इसलिए निशा को अपने साथ ले आई ये बोल कर कि उसको चेक-अप करवाना है और उसका पति है नही तो वो मुझे अपने साथ चलने को बोल रही है”



वान्या की बात सुन कर मैं बुरी तरह से चोव्न्क गयी. “क्या… मेरा नाम लेकर ये यहा पर ये सब करने आई है” मैं फिर से अपने मन मे बड़बड़ाई.



ड्र. मानव- “तुम्हारी दोस्त है एक दम मस्त आइटम कोई जुगाड़ लगाओ ना… हहहे”



वान्या- “लगा दुगी पर पहले मेरी चूत को शांत करो… कब से बहे जा रही है”


वान्या की बात सुन कर मुझे फिर से एक झटका लगा. मेरी समझ मे नही आ रहा था कि यहा पर अब रुकना चाहिए या नही. वान्या जिस तरह से बात कर रही थी मैने कभी सपने मे भी नही सोचा था कि वो इस हद तक हो सकती है. मैं अभी अपनी सोच मे डूबी हुई थी कि तभी मेरी नज़र दरवाजे पर गयी जिसमे एक हल्की सी साँस थी जिस से अंदर का सीन आ
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#59
अंदर का जो नज़ारा मेरी आँखो ने देखा वो देख कर तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी. वान्या केवल ब्रा और पनती मे अपने दोनो हाथ मानव के गले मे डाले हुए मानव को किस कर रही थी, और मानव भी केवल अंडर वेर मे ही था. ये सीन देख कर तो मेरी हालत ही खराब हो गयी, और मैं वाहा से एक दम हट कर वापस बाहर की तरफ आ गयी. वो सब कुछ देख कर मेरी खुद की साँसे बोहोत ज़ोर ज़ोर से चलने लगी. समझ मे नही आ रहा था कि ये सब क्या है.

थोड़ी देर मैं वही बैठी रही, जब मेरी साँसे कुछ नॉर्मल हुई तो मैने अपने माथे पर आए पसीने को सॉफ किया. एक तो मेरी योनि पहले ही गीली थी उस पर ये सब देख कर तो मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब होने लग गयी थी. मुझे समझ मे ही नही आ रहा था कि यहाँ पर रुकु या वापस अपने घर चली जाउ. फिर पता नही मुझे क्या हुआ मेरे कदम अपने आप वापस उसी तरफ चल दिए.

दरवाजे के पास आ कर मैने देखा तो दोनो ही वही अंदर पड़े हुए बेड पर लेटे हुए थे… मानव वान्या के उपर चढ़ा हुआ था ऑर वान्या उसके नीचे. दोनो अभी भी पूरी तरह से नंगे नही हुए थे. मानव वान्या को बुरी तरह से किस किए जा रहा था कभी उसके गाल पर कभी उसकी आँख पर कभी उसके माथे पर कभी गर्दन तो कभी उसके कंधे पर.. उस पर ये सब देख कर तो मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब होने लग गयी थी. 

मानव के यूँ उसको लगातार चूमने से वो बिस्तर पर बुरी तरह से मचलने लग गयी. वो अपना चेहरा कभी इधर तो कभी उधर करे जा रही थी. उसने अपनी दोनो आँखे बंद कर ली थी. मेरी तो जैसे आँखे वही पर जम गयी थी. मैने देखा की वान्या के हाथ मानव की पीठ पर चले जा रहे थे. फिर उसने अपने एक हाथ को उसकी पीठ से हटा लिया ऑर मानव के अंडरवेर के उपर से ही उसके लिंग को पकड़ कर सहलाने लग गयी.

थोड़ी देर यूँ ही वान्या को चूमने के बाद मानव उसके उपर से थोड़ा नीचे की तरफ हुआ और वान्या की ब्रा के उपर से ही उसके उरोजो को किस करने लग गया.वान्या ने भी अब अपना हाथ उसके अंडरवेर के उपर से फिराने की जगह उसके अंदर डाल कर उसके लिंग को बाहर निकाल लिया.

मानव का लिंग कोई ज़्यादा बड़ा नही था लग-भाग मनीष के बराबर ही था पर उसका लिंग मनीष के लिंग से थोड़ा मोटा ज़रूर था. वान्या उसके लिंग को अपने हाथो मे लेकर सहलाने लग गयी. वो उसके लिंग की खाल को लिंग की जड़ तक ले जाती और फिर वैसे ही वापस उपर की तरफ ले आती. जिस से उसके लिंग का सूपड़ा, जो एक दम गुलाबी कलर का था दिखने लग गया

मानव ने वान्या की ब्रा को उसको कमर से थोड़ा सा उपर उठा कर उसकी छाती से अलग कर दिया. अब वान्या उपर से पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी. उसकी ब्रा को हटते ही मानव किसी भूके बच्चे की तरह उसके उरोजो को अपने मुँह मे लेकर चूसने लग गया. और दूसरे हाथ से उसकी दूसरी उरोज को ज़ोर ज़ोर से मसल ने लग गया. वान्या ने अपनी आँखे बंद कर ली थी उसके चेहरे पर आ रहे हाव भाव को देख कर सॉफ पता चल रहा था कि उसको बोहोत मज़ा आ रहा है.

अब मानव उसकी दूसरी वाली उरोज को मुँह मे लेकर चूस रहा था ऑर पहली वाली को मसल रहा था. वान्या का हाथ अपने आप उसके सर पर आ गया ओर उसके बाल को पकड़ कर अपनी छाती पर ज़ोर डाल कर मानव का मुँह अपनी उरोज पर दबा रही थी. ऑर दूसरा हाथ बराबर मानव के लिंग को उपर नीचे सहला रहा था. मानव बराबर वान्या की कभी एक उरोज चूस रहा था तो कभी दूसरी..

थोड़ी देर यूँ ही उरोज चूसने के बाद मानव हटा और वान्या के होंठों को एक बार फिर से किस करने लग गया. वान्या ने अपनी आँखे खोल कर मानव की तरफ देखा जो वान्या के एक दम नज़दीक चेहरा किए उसे ही देखे जा रहा था. वान्या धीरे से मुस्कुराइ और मानव को अपने उपर से हटा कर बेड पर अपने दोनो घुटनो पर बैठ गयी.

मानव ने उसको घुटनो पर बैठा हुआ देख कर उसके पीछे आ गया और उसके नितंबो को अपने दोनो हाथो मे कस कर पकड़ कर दबा दिया. ऑर उसकी पॅंटी उसके शरीर से अलग करने लग गया. थोड़ी ही देर मे वान्या की पॅंटी उसके घुटनो के नीचे जा चुकी थी. मानव ने भी अपना अंडरवेर उतार कर अपने घुटनो से नीचे सरका दिया और वान्या के पीछे आ कर उसके नितंबो से सॅट गया. थोड़ी देर यूँ ही अपने लिंग को उसके नितंबो की दरार मे रगड़ने के बाद उसने वान्या को घुमा कर उसके चेहरे के सामने कर दिया. वान्या ने एक नज़र मानव की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए अपना मुँह खोल कर पूरा का पूरा लिंग मुँह मे ले गयी.

लिंग के मुँह मे जाते ही ना जाने मुझे क्या हुआ मेरे मुँह से अपने आप ही आह सी निकल गयी. मेरी साँसे बोहोत तेज हो चली थी, और दिल भी बोहोत ज़ोर-ज़ोर से धड़के जा रहा था. झुक कर देखने की वजह से मेरे दोनो घुटनो मे दर्द होने लग गया था और मेरी योनि ना जाने कब से बहे जा रही थी जिसके बारे मैने ध्यान ही नही दिया. मुझे ये सब देख कर एक अजीब सी फीलिंग हो रही थी, मन ही नही कर रहा था वहाँ से हटने का. या यूँ
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#60
या यूँ कहु कि मुझे खुद को ये सब देख कर बोहोत मज़ा आ रहा था.

CFळ ट्यूब लाइट की रोशनी मे वान्या का जिस्म एक दम दूध के जैसा गोरा दिखाई दे रहा था. वान्या ने अब मानव का लिंग अपने मुँह से निकाल दिया था ऑर वान्या वापस बेड पर लेट गयी. मानव ने उसके पैरो से उसकी पॅंटी निकाल दी और उसकी दोनो टांगे चौड़ी करके उनके बीच मे अपना सर घुसा कर वान्या की योनि पर मुँह लगा दिया. मानव का मुँह अपनी योनि पर लगते ही वान्या जो बोहोत हल्के हल्के सिसकारिया और आहे भर रही थी वो धीरे-धीरे करके तेज होती चली गयी. वान्या अपने नितंब उठा उठा कर अपनी योनि को मानव के मुँह पर रगड़ने लग गयी.

मैं उन दोनो को देख कर एक दम हैरान रह गयी. वो किसी पॉर्न स्टार की तरह सब कुछ एक दम सही तरीके से कर रहे थे और एक दूसरे को भरपूर मज़ा दे रहे थे. वान्या जब मानव का लिंग अपने मुँह मे लेकर चूस रही थी तो ऐसी लग रही थी कि उसे देख कर पॉर्न स्टार भी शर्मा जाए. और अब मानव भी बिल्कुल उसी तरह से वान्या की योनि सक कर रहा था.
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