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“देख अभी मेरा मूड ठीक है. मूड खराब हो गया तो ज़बरदस्ती लूँगा…आराम से कपड़े उतार कर झुक जा मेरे आगे.” गौरव ने कठोरता से कहा.
स्वेता ने अपने कपड़े उतारे और गौरव के आगे झुक गयी.
“गुड गर्ल तेरा बोनस पक्का. चल अब अपनी गांद फैला दोनो हाथो से और मेरे लंड के लिए रास्ता बना.” गौरव ने कहा.
स्वेता ने अपने नितंबो को फैला लिया और गौरव ने अपने लिंग पर थूक लगा कर स्वेता की आस होल पर रख दिया. स्वेता की साँसे थम गयी एंट्री की आंटिसिपेशन में.
सौरभ सब कुछ रेकॉर्ड कर रहा था. पिक्चर भी ले रहा था और वीडियो भी बना रहा था.
“ऊऊहह सर नो….”
“बोनस मिलेगा स्वेता ले ले पूरा हाहाहा.” गौरव हँसने लगा.
“सर मैने कभी नही किया अनल बहुत दर्द हो रहा है.”
“मैने भी बहुत कम किया है…पर तेरी गांद लेने की इच्छा थी बहुत दिनो से आज पूरी हो रही है. बार बार भूल जाता था कि ये काम भी करना है.”
“आआहह…नूऊऊऊ सर धीरे….” स्वेता कराह उठी. गौरव ने एक दम से पूरा लंड डाल दिया था उसकी गांद में.
“हहहे अब तो गया पूरा…अब धीरे से क्या फायदा स्वेता तुम ले चुकी हो पूरा अब मज़े करो.”
“थॅंक गॉड मुझे लगा था कि अभी पूरा जाना बाकी है.” स्वेता ने गहरी साँस ले कर कहा.
“वाह भाई वाह क्या बात है मिस्टर गौरव मेहरा. अपने एंप्लायीस की खूब जम कर लेते हो तुम…गुड.”
गौरव मेहरा और स्वेता दोनो ही चोंक गये. दोनो ने पीछे मूड कर देखा. उनके पीछे एक नकाब पोश खड़ा था, हाथ में बंदूक लिए. सौरभ नकाब पोश को देखते ही खिड़की से हट गया. मगर बाद में चुपचाप झाँक कर देखने लगा.
“कौन हो तुम और यहा कैसे आए…” गौरव ने पूछा
“पहले तुम जैसे हो वैसे ही रहो हिलना मत. लंड मत निकालना इसकी गांद से. क्या सीन बनाया है तुम दोनो ने वाह. अच्छी पैंटिंग बनेगी.”
“साले तेरा भेजा उड़ा दूँगा मैं अभी…बता कौन है तू.”
“मेरे पूरे शहर में चर्चे हैं और तुम मुझे नही जानते. लोग मुझे साइको कह कर बदनाम कर रहे हैं जबकि मैं एक आर्टिस्ट हूँ जो कि रेर पैंटिंग बनाता है. अब देखो ने कितने रेर पोज़ में खड़े हो तुम दोनो. गांद में लंड डाल रखा है तुमने इस बेचारी के. अब अगर गांद मारते मारते इसकी पीठ में चाकू मारते जाओ तो बहुत ही अनमोल आर्ट बन जाएगी. मैने एरॉटिक पैंटिंग पहले भी बनाई है मगर ये तो बहुत ही अद्भुत पैटिंग कहलाएगी.”
“स..सर ये क्या कह रहा है.” स्वेता डर गयी.
“वही कह रहा हूँ जो कि तुम्हे सुन रहा है मेरी जान. गांद में लंड पीलवा रही हो अब ज़रा चाकू भी घुस्वाओ अपनी पीठ में और ज़्यादा मज़ा आएगा तुम्हे हाहहाहा.” साइको क्रूरता से हस्ने लगा.
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Update 91
“कितना पैसा चाहिए तुम्हे बोलो.” गौरव ने कहा.
“पैसे से कही ज़्यादा अनमोल पैंटिंग बनेगी तुम दोनो की. मेरी पैंटिंग के आगे तुम्हारा पैसा कुछ नही..ये लो चाकू पकड़ो और हर एक धक्के के साथ एक चाकू मारो इसकी पीठ में. अगर तुमने इसे नही मारा तो तुम्हारा भेजा उड़ा दूँगा.” साइको ने चाकू थमा दिया गौरव को.
“सर…प्लीज़ मुझे मत मारना.” स्वेता गिड़गिडाई.
“और हां धक्के के बिना चाकू मारा तो भी तुम्हारा भेजा उड़ा दूँगा. इसे भी मारो और इसकी गांद भी मारो…दोनो एक साथ मारो हाहहहाहा.” साइको हँसने लगा.
“सर इसकी बात मत मान-ना प्लीज़.”
“चुप कर साली रंडी. मेरे लिए क्या तू अपनी जान नही दे सकती.” गौरव ने कहा.
सौरभ ने खिड़की के पास से हट कर तुरंत गौरव को फोन मिलाया और पूरा वाक़या सुना दिया.
“सौरभ मैं अभी हॉस्पिटल में हूँ…मगर पोलीस पार्टी अभी तुरंत भेज रहा हूँ वहाँ. तुम तब तक साइको पर नज़र रखो.” गौरव ने कहा.
सौरभ वापिस खिड़की में आया तो उसने देखा कि गौरव ने चाकू हवा में उठा रखा है. इस से पहले की सौरभ कुछ सोच पाता कुछ करने के बारे में गौरव ने खुद को आगे धकैल्ते हुए चाकू गाढ दिया स्वेता की पीठ में. कमरे में चीख गूँज उठी स्वेता की.
“गुड वेरी गुड…एक धक्का और मारो और एक चाकू और मारो हाहहाहा.”
गौरव ने चाकू उपर उठाया ही था दुबारा मारने के लिए कि साइको ने फुर्ती से आगे बढ़ कर गला काट दिया गौरव का. वो तुरंत स्वेता को साथ लेकर ज़मीन पर गिर गया.
“साला कमीना कही का, बेचारी की गांद मारते-मारते जान ले ली. शरम आनी चाहिए तुम्हे. बट डॉन’ट वरी बोथ ऑफ यू आर नाओ प्राउड विक्टिम ऑफ माय आर्ट. पूरा सीन रेकॉर्ड कर लिया है मैने घर जाकर इतमीनान से पैंटिंग बनाओन्गा तुम्हारी एरॉटिक मौत की हाहहाहा.”
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“ये पोलीस कहाँ रह गयी…हमेशा लेट आती है. मेरे पास कोई हथियार भी नही है…क्या करूँ..कुछ नही किया तो ये फिर से भाग जाएगा आज.” सौरभ ने मन ही मन कहा.
साइको वहाँ से अपना समान उठा कर चल दिया.
“ये ज़रूर घर के पीछे से घुसा होगा. कुछ करना होगा मुझे.” सौरभ अपनी इन्वेस्टिगेशन का समान वही छोड़ कर घर के पीछे की तरफ भागा. साइको तब तक घर से निकल चुका था और घर के पीछे खड़ी अपनी कार की तरफ बढ़ रहा था. वो कार ब्लॅक स्कॉर्पियो नही थी.
“रुक जाओ वरना गोली मार दूँगा…हाथ उपर करो और ज़मीन पर बैठ जाओ.” सौरभ ने पीछे से पोइलीसीए रोब में आवाज़ दी.
साइको ने तुरंत पीछे मूड कर देखा और हंसते हुए बोला, “मैं कुत्तो के भोंकने से नही रुकता हूँ. बंदूक तो ले आते कही से पहले ये सब भोंकने से पहले.” साइको ने कहा.
घर के पीछे अंधेरा था इसलिए साइको सौरभ को पहचान नही पाया.
“पोलीस ने घेर लिया है तुम्हे चारो तरफ से तुम बच कर नही जा सकते यहाँ से. हथियार गिरा दो चुपचाप.”
“पोलीस की तो मैने गांद मार ली है बेटा…पोलीस की बात मत कर.” साइको ने बंदूक तान दी सौरभ की तरफ.
सौरभ साइको को बातों में उलझाने की कोशिश कर रहा था. मगर साइको इस जाल में फँसने वाला नही था. उसने सौरभ के सर की तरफ फाइयर किया. मगर सौरभ तुरंत भाग कर दीवार के किनारे छुप गया.
“अपना नाम बता देते तो दुबारा मिलना आसान होता. तुम्हारी भी पैंटिंग बना देता…हाहहाहा” साइको ने कहा.
साइको फ़ौरन अपनी कार की तरफ बढ़ा. सौरभ ने एक मोटा सा पत्थर उठाया और उसके सर पर निशाना लगा कर ज़ोर से मारा. पत्थर सीधा खोपड़ी में लगा साइको की. खून बहने लगा उसके सर से.
“साले तेरी इतनी हिम्मत.” बिना सोचे समझे गोलियाँ बरसा दी साइको ने और अपनी कार में बैठ कर निकल दिया वहाँ से. शायद उसे डर था कि कही पोलीस ना आ जाए.
सौरभ भाग कर वापिस आया घर के आगे. अपना सारा समान उठाया और बायक लेकर निकल पड़ा, “चोदुन्गा नही तुझे आज मैं.” मगर साइको कि कार उसे कही नज़र नही आई.
“कहाँ गया हराम्खोर…कार का नंबर भी नही देख पाया अंधेरे में.” सौरभ ने निराशा में कहा.
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02-01-2020, 05:44 PM
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रात के 10 बज रहे थे. आशुतोष ने कई बार अपर्णा की खिड़की की तरफ देखा मगर वहां हर बार परदा ही टंगा मिला.
“उनको मुझसे प्यार होता तो खड़ी रहती खिड़की पर. मेरे लिए क्या इतना भी नही कर सकती वो” आशुतोष ये सब सोच ही रहा था कि खिड़की का परदा हटा और अपर्णा ने चुपके से आशुतोष की तरफ झाँक कर देखा. आशुतोष अपर्णा को देखते ही तुरंत जीप से बाहर आ गया. मगर अपर्णा ने तुरंत परदा गिरा दिया आशुतोष को जीप से बाहर आते देख. उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा था.
“हद होती है यार किसी बात की…फिर से परदा गिरा दिया. आज आर-पार की बात हो जाए बस.” आशुतोष घर के दरवाजे की तरफ बढ़ा और बेल बजाई. घर में कामवाली नही रुकी थी इसलिए दरवाजा अपर्णा को ही खोलना था.
“क्या चाहता है अब ये, पहले तो चुपचाप आ कर आँखे बंद कर के बैठ गया था जीप में अब बेल क्यों बजा रहा है.” अपर्णा तुरंत नही आई दरवाजा खोलने. कोई 5 मिनिट बाद आई वो. उसने दरवाजा खोला तो पाया कि आशुतोष वापिस अपनी जीप की तरफ जा रहा था.
“क्या है…बेल क्यों बजा रहे थे.” अपर्णा ने कहा.
आशुतोष वापिस आया उसके पास और बोला, “क्या प्रॉब्लम है आपकी. मेरी शक्ल क्या इतनी बुरी है कि मुझे देखते ही परदा गिरा देती हैं आप.”
“तो क्या मैं तुम्हारे लिए खिड़की पर ही खड़ी रहूंगी…मुझे क्या कुछ और काम नही है.”
“प्यार करता हूँ आपसे कोई मज़ाक नही मगर आपने मेरे प्यार को मज़ाक समझ कर मुझे बर्बाद करने की ठान रखी है.”
“मैं ऐसा कुछ नही कर रही हूँ. तुम बैठ गये थे वापिस आ कर चुपचाप जीप में.”
“हां तो और क्या करता…मुझे देखते ही परदा गिरा दिया था आपने.”
“मैं तुम्हारे लिए भाग कर नीचे आई थी पर तुम्हे क्या…जाओ तुम यहा से..मुझे तुमसे बात नही करनी है.” अपर्णा रोते हुए बोली और दरवाजा पटक दिया वापिस और कुण्डी लगा ली.
आशुतोष हैरान रह गया ये सब सुन कर. “अरे हां दरवाजे की आवाज़ आई तो थी. उफ्फ मैं भी कितना बेवकूफ़ हूँ. अपर्णा जी दरवाजा खोलिए प्लीज़…” आशुतोष दरवाजा पीटने लगा.
अपर्णा ने दरवाजा खोला और सुबक्ते हुए बोली, “क्या है अब, क्यों मुझे परेशान कर रहे हो.”
“बस एक सवाल का जवाब दे दीजिए फिर कभी परेशान नही करूँगा…क्या आप मुझे प्यार करती हैं.”
“तुम्हे क्या लगता है?”
“मुझे तो लगता है कि आप कोई खेल, खेल रही हैं मेरे साथ”
“प्यार करती हूँ मैं तुमसे कोई खेल नही और मुझे पता है कि खेल तुम खेलोगे मेरे साथ.” अपर्णा ने कहा और दरवाजा वापिस बंद कर दिया.
“ये बहुत अच्छा किया आपने. प्यार का इज़हार किया और दरवाजा बंद कर दिया. ये खेल नही है तो और क्या है.”
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साइको 42 इंच टीवी पर गौरव मेहरा और स्वेता गुप्ता के एरॉटिक मर्डर की वीडियो देख रहा था.
“गौरव मेहरा नाम है मेरा…यही बोला था ना तू चिल्ला कर मुझे. एक तो पीछे से मेरी कार को ठोक दिया उपर से रोब झाड़ने लगा. तेरे जैसे एलीट वर्म की ऐसी ही मौत होनी चाहिए थी. साला गांद मार रहा था अपनी एंप्लायी की. गांद मारते-मारते खुद अपनी जान गँवा बैठा हाहहहाहा. बहुत सुंदर एरॉटिक मर्डर की पैंटिंग बनेगी. मिस्टर गौरव मेहरा चियर्स यू आर दा प्राउड विक्टिम ऑफ माय आर्ट. तुम्हे मेरे उपर चिल्लाने की सज़ा भी मिल गयी और तुम मेरी आर्ट का हिस्सा भी बन गये…मगर…”
अचानक साइको गुस्से से तिलमिला उठा, “मगर ये कौन था जिसने मेरा सर फोड़ दिया. इसकी तो बहुत ही भयंकर पैंटिंग बनाओन्गा मैं. पता करना होगा इसके बारे में. अंधेरे में साले की शक्ल नही दीखी वरना पाताल से भी ढूंड निकालता हरामी को. कोई बात नही जल्दी पता लग जाएगा उसका और फिर हाहहहाहा.”
साइको कॅन्वस पर गौरव मेहरा और स्वेता की एरॉटिक मौत की पैंटिंग बनाने में व्यस्त हो गया.
“धीरे-धीरे बनाओन्गा ये पैंटिंग, ऐसी एरॉटिक मौत किसी को नही दी मैने हाहहाहा.”
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आशुतोष दरवाजा पीट-ता रहा मगर अपर्णा ने दरवाजा नही खोला. वो कुण्डी बंद करके दरवाजे के सहारे ही खड़ी थी. उसका दिल बहुत ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था. प्यार का इज़हार जो कर बैठी थी वो. माथे पर पसीने थे उसके. आशुतोष से नज़रे मिलाना अब मुश्किल था उसके लिए.
“फँसा ही लिया इसने मुझे अपने जाल में. पर मैं वो घिनोना सपना कभी पूरा नही होने दूँगी. प्यार का ये मतलब नही है कि ये मेरे साथ हवस का नंगा नाच खेलेगा.” अपर्णा ने खुद से कहा.
“अपर्णा जी प्लीज़ दरवाजा खोलिए. ये सब ठीक नही है. क्यों सता रही हैं आप मुझे.” आशुतोष ने कहा.
“देखो तुम्हारे साथ और लोग भी हैं. वो लोग सुन लेंगे तो क्या कहेंगे. क्यों मेरी बदनामी करवाने पर तुले हो.”
“कोई कुछ नही सुन रहा है. आप दरवाजा खोलिए प्लीज़. हमारा बात करना बहुत ज़रूरी है. क्या आप प्यार का इज़हार करके मुझे यू तड़प्ता छोड़ देंगी.”
अपर्णा ने दरवाजा खोला और बोली, “ज़्यादा स्मार्ट बन-ने की कोशिश मत करना मेरे साथ. बाकी लड़कियों के साथ जो किया वो मेरे साथ नही चलेगा. क्या मतलब है तड़प्ता छोड़ देने का. इतनी जल्दी तुम ये सब सोचने लग गये.”
आशुतोष को कुछ समझ नही आया. वो समझता भी कैसे. उसे अपर्णा के सपने के बारे में कुछ नही पता था.
“आप क्यों नाराज़ हो रही हैं. क्या आपको नही लगता कि हमें शांति से बैठ कर कुछ प्यारी बाते करनी चाहिए. आज बहुत बड़ा दिन है हमारे लिए.”
“हां आख़िर कार तुम कामयाब हो गये. हो गया मुझे तुमसे प्यार. पर इस से ज़्यादा कुछ और मत सोचना.”
“मैं कुछ नही सोच रहा हूँ. मुझे कुछ समझ नही आ रहा कि आप क्या कहना चाहती हैं.”
“मुझे नही पता कि इस प्यार का मतलब क्या है. हां पर प्यार कर बैठी हूँ तुमसे…पता नही क्यों..जबकि मैं तुमसे दूर रहना चाहती थी.”
“क्या आप पछता रही हैं…अगर ऐसा है तो ये प्यार मत कीजिए. आपको किसी उलझन में नही देखना चाहता हूँ मैं.”
“तुम मुझे प्यार क्यों करते हो…क्या बता सकते हो मुझे. झूठ मत बोलना.” अपर्णा ने पूछा.
“अपर्णा जी आपकी तरह मुझे भी नही पता कि इस प्यार का मतलब क्या है. हां बस प्यार हो गया आपसे. क्यों हुआ ये प्यार इसका जवाब मेरे पास नही है. बस इतना जानता हूँ कि आपकी म्रिग्नय्नि सी आँखो में खो गया हूँ मैं.”
“मेरी आँखे क्या म्रिग्नय्नि हैं…” अपर्णा ने पूछा.
“आपको नही पता क्या? …मुझे डुबो दिया म्रिग्नय्नि आँखो में और खुद अंजान बनी बैठी हैं आप.”
“ये फ्लर्ट है या प्यार…”
“आपको क्या लगता है…” आशुतोष ने हंसते हुए कहा.
“मुझे लगता है कि तुम मेरे साथ कोई खेल, खेल रहे हो.” अपर्णा ने कहा.
“प्यार करते हैं हम आपसे, कोई मज़ाक नही. और हमें कोई खेल, खेलना नही आता. दिल में प्यार रखते हैं आपके लिए…अपना दिल निकाल कर आपके कदमो में रख देंगे.”
ये सुन कर एक मध्यम सी मुस्कान उभर आई अपर्णा के होंटो पर. आशुतोष वो मुस्कान बस देखता ही रह गया.
“ऐसे क्या देख रहे हो.”
“अगर थप्पड़ नही मारेंगी तो एक बात कहूँ.”
“अब थप्पड़ क्यों मारूँगी तुम्हे…”
“बहुत प्यारी मुस्कान है आपकी. बहुत दिनो बाद आपके होंटो पर ये मुस्कान देखी मैने. हमेशा यू ही मुस्कुराती रहना आप.”
अपर्णा की आँखे टपक गयी ये सुन कर. आशुतोष ने भी उसके आंशु देख लिए.
“क्या हुआ…क्या मैने कुछ ग़लत कहा. देखिए मेरी बातों में ज़रा सा भी फ्लर्ट नही है. आपको प्यार करता हूँ. कभी झूठी तारीफ़ नही करूँगा…फ्लर्ट झूठा होता है और प्यार सच्चा.”
“मम्मी, पापा मेरी वजह से मारे गये. ये खाली घर खाने को दौड़ता है. हर तरफ उनकी यादें बिखरी पड़ी हैं. बहुत ही दुखी हूँ मैं. ऐसे में भी क्यों मुस्कुरा उठी तुम्हारी बात पर पता नही मुझे…”
“ये तो अच्छी बात है. सब कुछ भूल कर हमें आगे बढ़ना होगा.”
“हमें मतलब?” अपर्णा ने अपने आँसू पोंछते हुए कहा
“क्या इस प्यार में अकेले चलेंगी आप…क्या मुझे हक़ नही कि आपके साथ चलूं कदम से कदम मिला कर.”
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Update 92
“आशुतोष अभी बस प्यार हुआ है. मुझे नही पता इस प्यार में क्या करना है मुझे. मुझे थोड़ा वक्त दो. मेरा दिल भारी हो रहा है.बहुत याद आ रही है मम्मी, पापा की. हम बाद में बात करें.”
“बिल्कुल अपर्णा जी. आप आराम कीजिए. बाते करने के लिए सारी उमर पड़ी है.”
“तो तुमने ये प्यार सारी उमर के लिए सोच भी लिया.” अपर्णा ने कहा.
“जी हां प्यार करते हैं हम आपसे कोई मज़ाक नही. सारी उमर ये प्यार नीभाएँगे हम.”
“बाते तो खूब कर लेते हो तुम. अच्छा मैं चलती हूँ. अभी और बात नही कर पाउन्गि.”
“आप किसी बात की चिंता ना करें. आराम कीजिए आप. गुड नाइट.”
अपर्णा दरवाजा बंद करके सीढ़ियाँ चढ़ कर अपने बेड रूम में आ गयी. बेडरूम में आकर अपर्णा ने खिड़की का परदा उठा कर देखा. आशुतोष जीप से बाहर ही खड़ा था. उसे पता था कि अपर्णा कमरे में जा कर खिड़की से ज़रूर देखेगी.
दोनो एक दूसरे की तरफ मुस्कुरा दिए और आँखो ही आँखो में फिर से प्यार का इज़हार हुआ. बस एक मिनिट ही रही अपर्णा खिड़की में. परदा गिरा कर बिस्तर पर गिर गयी.
“कही मैं कुछ ग़लत तो नही कर रही हूँ. ये प्यार कैसे हो गया मुझे.” अपर्णा ने खुद से पूछा. मगर उसके पास इसका कोई जवाब नही था.
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हॉस्पिटल में रात के 12 बजे एसपी साहिब गौरव और अंकिता को देखने आए. अंकिता आइक्यू में थी इसलिए वो गौरव के कमरे में चले गये.
“हाउ आर नाओ गौरव. देखा, इसलिए कहता था कि कुछ करो इस साइको का. देखो पोलीस ऑफिसर्स को ही विक्टिम बना दिया कमिने ने.” एसपी ने कहा.
“सर जॉब ही हो सकता था कर रहे हैं हम. मगर ये साइको बहुत शातिर है.” गौरव ने कहा.
“हर मुजरिम कोई ना कोई शुराग छोड़ जाता है पीछे. उस शुराग को ढुंढ़ो. मुझे अच्छा लगा कि तुम दोनो बच गये.”
“मेडम को होश आना बाकी है सर. सुबह तक होश आने की उम्मीद है. और सर साइको ने गौरव मेहरा को मार दिया.”
“हां पता लगा मुझे. इस साइको ने तो हद कर दी है. मेरी नौकरी ख़तरे में है अब. कभी भी सस्पेंड हो सकता हूँ. या फिर हो सकता है कि ट्रान्स्फर हो जाए मेरा. तुम इस साइको को छोड़ना मत. हर हाल में उसे गिरफ्तार करना.”
“थॅंक यू सर. आपका सपोर्ट है तो हम कुछ भी कर जाएँगे.” गौरव ने कहा.
गौरव एसपी के जाने के बाद गहरे विचारों में खो गया.
“गौरव मेहरा पर शक था, पर अब वो भी मारा गया. अब सिर्फ़ दो ही सस्पेक्ट बचे हैं,कर्नल देवेंदर सिंग और संजय. दोनो का ही कही आता पता नही. हॉस्पिटल से निकलूं पहले फिर देखूँगा कि क्या करना है.डॉक्टर ने तो एक हफ्ते का रेस्ट लिख दिया है. मगर मैं एक-दो दिन से ज़्यादा अफोर्ड नही कर सकता.”
गौरव को कुछ सूझा और उसने आशुतोष को फोन मिलाया, “हेलो आशुतोष एक काम और करना होगा तुम्हे.”
“हां बोलिए सिर..क्या करना है.” आशुतोष ने कहा.
“तुम सुबह हॉस्पिटल आ जाना हमें उस जगह जाना है जहा पर साइको ने हमारे साथ ये सब किया…हो सकता है कि कुछ शुराग मिल जाए वहाँ.फिर बाद में जहा पर गौरव मेहरा का मर्डर हुआ है वहाँ भी जाना है. अपने दोस्त सौरभ को भी साथ ले आना क्योंकि वो चसम्दीद गवाह था गौरव की मौत का. मुझे उम्मीद है कि कुछ ना कुछ शुराग ज़रूर मिलेगा हमें.”
“ओके सर मैं पहुँच जाउन्गा सुबह…किस टाइम आउ सर.”
“7 बजे आ जाना.”
“राइट सर.”
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जैसे ही गौरव ने फोन रखा, उसका फोन बज उठा.फोन रीमा का था.
“हेलो.” गौरव ने कहा
“गौरव…कैसे हो तुम?”
“पूछो मत साइको की आर्ट का हिस्सा बनते-बनते बचा हूँ आज मैं.अभी हॉस्पिटल में अड्मिट हूँ.”
“क्या… …तुम ठीक तो हो ना.”
“हां मैं ठीक हूँ. तुम सूनाओ.”
“गौरव कल मुझे देखने आ रहे हैं लड़के वाले. क्या करूँ मैं. बड़ी मुश्किल से मिला ये फोन. भैया ने छुपा कर रखा था.?”
“मैं तुम्हारे भैया से बात करूँगा…वो यही हैं हॉस्पिटल में.”
“क्या बात करोगे?”
“हमारी शादी की बात और क्या?”
“तुम मुझसे शादी करोगे…प्यार तो किया नही अभी तक …”
“कुछ तो है रीमा मेरे दिल में तुम्हारे लिए. वो प्यार है या कुछ और पता नही. तुम्हारे भैया मान गये तो क्या करोगी मुझसे शादी तुम.”
“करूँगी क्यों नही…ज़रूर करूँगी…तुम प्लीज़ भैया को मना लो.”
“यार उन्हे ही तो मनाना मुश्किल है…समझ में नही आता कि क्या करूँ…एक नंबर का कमीना है तुम्हारा….” गौरव पूरा सेंटेन्स नही बोल पाया क्योंकि कमरे के दरवाजे पर चौहान खड़ा था. गौरव ने तुरंत फोन काट दिया.
चौहान आँखो में आग लिए कमरे में घुसा और बोला, “मेरी बहन का पीछा छोड़ते हो कि नही. चुपचाप उसका पीछा छोड़ दो वरना तुम्हे गोली मार दूँगा मैं.”
“सर मैं शादी करना चाहता हूँ रीमा से. वो मुझे प्यार करती है…खुश रखूँगा उसे मैं.”
“रीमा की शादी और तुमसे. शीशे में चेहरा देख कर आओ. रीमा की शादी वही होगी जहाँ मैं चाहूँगा. लड़के वाले उसकी फोटो देख कर ही उसे पसंद कर चुके हैं. कल बस देखने आ रहे हैं. एक हफ्ते में ही सगाई और शादी दोनो निपटा दूँगा. तुम में ज़रा भी शरम बाकी हो तो दूर रहना मेरी बहन से. उसकी ख़ुशीयों में आग मत लगाना. और अगर तुमने दुबारा उस से बात भी की तो तुम्हे तो बाद में देखूँगा पहले उसे जान से मार दूँगा.”
गौरव कुछ नही बोल पाया. उसने चुप ही रहना ठीक समझा.
चौहान के जाने के बाद फिर से गौरव के फोन की घंटी बजी. फोन रीमा का ही था.
“क्या हुआ गौरव. फोन क्यों काट दिया था.”
“रीमा तुम्हे अगर मुझसे शादी करनी है तो अपने भैया के खीलाफ जा कर करनी होगी. वो हमारे रिस्ते के लिए तैयार नही है और ना ही होंगे.”
रीमा एक दम खामोश हो गयी.
“क्या हुआ…करोगी मुझसे शादी अपने भैया की मर्ज़ी के बिना. तुम बस हां बोलो बाकी मैं देख लूँगा.”
“नही गौरव. मैं ऐसा नही कर सकती. उनकी मर्ज़ी के खीलाफ नही जा सकती. उन्होने मम्मी पापा के गुजरने के बाद मुझे पाला है. उनकी मर्ज़ी से ही शादी करनी होगी.”
“फिर भूल जाओ ये शादी. तुम्हे वही शादी करनी होगी जहा तुम्हारे भैया चाहते हैं.”
“गौरव प्लीज़….”
“सोच लो रीमा. वो मान-ने वाले नही हैं. तुम मना सकती हो तो मना लो. वरना जो मैं कह रहा हूँ वो करो.”
“मैं भैया से बात नही कर सकती…”
“फिर तुम्हे मेरी बात मान-नी पड़ेगी. उनके खीलाफ जा कर ही शादी कर सकते हैं हम.”
“सॉरी गौरव नही कर पाउन्गि ये. तुम प्लीज़ भैया को मना लो ना.”
“अच्छा छोड़ो. बाद में बात करेंगे. मुझे सुबह जल्दी उठना है और एक इम्पोर्टेन्ट इन्वेस्टिगेशन के लिए जाना है.”
“ओके गौरव. सो जाओ. गुड नाइट.”
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अंकिता को सुबह होश आया. उसके पेरेंट्स सारी रात आइक्यू के बाहर बेचैनी से उसके होश में आने का वेट कर रहे थे.
डॉक्टर से मिलने की इज़ाज़त लेने के बाद अंकिता के पेरेंट्स उस से मिलने गये. चौहान भी उनके साथ ही अंदर आ गया.
“गौरव कहाँ है…वो ठीक तो है?” अंकिता ने सबसे पहले यही कहा.
“मेडम वो तो सुबह-सुबह ही निकल गया हॉस्पिटल से. वो तो ठीक ही था उसे क्या हुआ था. आपसे मिलने तक की फ़ुर्सत नही थी उसे, पता नही कहाँ जाना था उसे.” चौहान ने आग उगली.
ये सुनते ही अंकिता का चेहरा उतर गया. उसने अपनी आँखे बंद कर ली.
“बेटा हमें बहुत चिंता हो रही थी तुम्हारी. शूकर है तुम्हे होश आ गया. बेटा कैसे हुआ ये सब.” अंकिता के डेडी ने कहा.
अंकिता ने चौहान को बाहर जाने को कहा और अपने पेरेंट्स को पूरी बात बताई.
“बेटा तभी कहता था कि मत करो ये नौकरी. दुबारा एग्ज़ॅम देना चाहिए था तुम्हे. आइएएस या आइआरएस में जाना चाहिए था.”
“डेडी मुझे पसंद है ये नौकरी. हां ये नही पता था कि ये सब हो जाएगा. मैं तो हिम्मत हार चुकी थी. पता नही कैसे लाया मुझे गौरव यहा.”
“कौन है ये गौरव बेटा?”
“ही ईज़ माय इनस्पेक्टर. साइको का केस उसे ही दे रखा है मैने.”
“अगर वो ढंग से काम करता तो ये नौबत ही ना आती. किसी और को लगाओ इस केस पर. उसके बस की बात नही लगती है ये.”
“ऐसी बात नही है डेडी, वो बहुत मेहनत कर रहा है…आअहह.”
“क्या हुआ?”
“डेडी पेट में बहुत दर्द हो रहा है…”
“मैं डॉक्टर को बुलाता हूँ…”
डॉक्टर ने आकर एक पेनकिलर का इंजेक्षन दिया तो कुछ आराम मिला अंकिता को.
“पेन रहेगा जब तक घाव नही भर जाते. लेकिन पेनकिलर से आराम रहेगा. घबराने की कोई बात नही है.” डॉक्टर ने कहा.
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गौरव, आशुतोष और सौरभ के साथ उस जगह पहुँच गया जहाँ पर साइको ने अंकिता को पेड़ से लटका रखा था. साथ में 6 कॉन्स्टेबल्स भी थे.
“हर तरफ देखो….कुछ ना कुछ ज़रूर मिलेगा यहा.” गौरव ने कहा.
उस पेड़ के आस-पास बहुत बारीकी से देखा गया मगर ऐसा कुछ नही मिला जिस से की साइको का कुछ शुराग मिले.
“बहुत ही शातिर है ये साइको सर. यहा कुछ भी ऐसा नही छोड़ा उसने जिस से कि उस तक पहुँचा जा सके.”
“पैटिंग कर रहा था वो यहा खड़े हो कर. पैंटिंग का शौक रखता है वो.” गौरव ने कहा.
“हां सर मैने भी ये नोट किया. गौरव मेहरा को मारते वक्त वो किसी आर्ट की बात कर रहा था. बहुत ही ज़्यादा सनकी किलर है ये.”
“अगर सनकी ना होता तो ये सब काम क्यों करता. अजीब बात तो ये है कि यहाँ पर उसके जुतो के निशान तक नही हैं. सिर्फ़ मेरे जुतो के निशान नज़र आ रहे हैं यहा. हर निशान मिटा गया वो अपना यहाँ.” गौरव ने कहा.
“सर मगर फिर भी अपनी हर्कतो से एक सबूत तो वो छोड़ ही गया है.” आशुतोष ने कहा.
“कौन सा सबूत जल्दी बताओ.” गौरव ने कहा.
“पैंटिंग का शौक रखता है वो. अगर हम साइको को पकड़ना चाहते हैं तो हमें तलाश करनी चाहिए एक ऐसे पेंटर की जो कि बहुत ही अजीबो ग़रीब मौत की पैंटिंग बनाता हो.” आशुतोष ने कहा.
“एक आदमी पर शक है मुझे. वो है कर्नल देवेंदर सिंग.तीन बातें उसे शक के दायरे में लाती हैं.
फर्स्ट्ली, उसके पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है.
सेकंड्ली, उसे पैंटिंग का शौक है.
थर्ड्ली, उसके घर में बहुत अजीब पैंटिंग है.
जैसी पैंटिंग मैने उसके घर में देखी वैसी पैंटिंग कोई सनकी साइको ही बना सकता है. एक जंगल के बीच एक घोड़ा खड़ा था और उसकी पीठ पर आदमी का कटा हुआ सर रखा था.”
“अगर ऐसा है तो अभी जाकर एनकाउंटर कर देते हैं साले का सर. ऐसे लोगो को जीने का कोई हक़ नही है.” आशुतोष ने कहा.
“मारना तो उसे है ही आशुतोष. उसे हवालात में नही ले जाएँगे हम.उसे हवालात ले गये तो वो क़ानूनी दाँव पेच का सहारा लेकर बच सकता है. लेकिन पहले पूरा यकीन कर लें हम कि साइको कौन है…फिर इतमीनान से गोली मारेंगे साले को.”
“नही सर इतनी आसान मौत नही देनी चाहिए उसे. उसके साथ भी गेम खेली जानी चाहिए और उसकी मौत की भी पैंटिंग बन-नी चाहिए.” सौरभ ने कहा.
“हां गुरु सही कह रहे हो.”
“देखेंगे वो भी पहले ये पक्का कर लें कि ये साइको है कौन.”
“सर इस कर्नल पर कड़ी नज़र रखनी होगी हमें.” आशुतोष ने कहा.
“मैने लगा रखे हैं कुछ लोग इस काम पर.”
“सर अगर आप बुरा ना मानें तो मुझे भी इन्वॉल्व कर लीजिए. मैं भी नज़र रखना चाहता हूँ इस कर्नल पर. सारी शक की शुई उसकी तरफ ही इशारा करती हैं.”
“बिल्कुल करो जो करना है. खुली छूट है तुम्हे. मगर एक सस्पेक्ट और है, उसका नाम संजय है.”
“कोई बात नही मैं उस पर भी नज़र रख लूँगा. उस पर शक का क्या कारण है.” सौरभ ने कहा.
“वो भी ब्लॅक स्कॉर्पियो लेकर घूम रहा है. और 2-3 दिन से गायब है.” गौरव ने कहा.
“ह्म्म…ठीक है दोनो का अड्रेस दे दो मुझे. मैं आज से ही इस काम पर लग जाउन्गा.”
“आशुतोष तुम फिलहाल अपर्णा के घर ही रहो. मेडम को होश आ गया होगा तो उनसे तुम्हारी ड्यूटी चेंज करने के बारे में कहूँगा.” गौरव ने कहा.
“नही सर अब चेंज नही चाहिए. मैं वही रहना चाहता हूँ.”
“आर यू शुवर.” गौरव ने पूछा.
“हां सर शुवर.”
गौरव अपनी जीप में बैठ गया और आशुतोष और सौरभ एक साथ एक जीप में बैठ गये और चल दिए वापिस देहरादून की तरफ.
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Update 93
“क्यों भाई आशुतोष कैसा चल रहा है तेरा लव अफेर.” सौरभ ने पूछा.
“अच्छा चल रहा है गुरु. कल रात अपर्णा जी ने इज़हार भी कर दिया अपने प्यार का.”
“क्या… ऐसा कैसे हो गया. अपर्णा ने इज़हार कर दिया…इंपॉसिबल.”
“गुरु दिल में प्यार सच्चा हो तो कुछ भी हो सकता है.”
“तुमने तो मूत दिया था उसके सामने, वो तुमसे प्यार कैसे कर सकती है.”
“गुरु मैं तुम्हे यही गिरा दूँगा. वो मेरी मेडिकल प्रॉब्लम है तुम जानते हो…फिर भी…”
“हां जानता हूँ आशु …मज़ाक कर रहा था. अपर्णा जी कि पप्पी ली कि नही”
“गुरु कैसी बात करते हो. मुस्कलिल से तो इज़हार किया है उन्होने. इतनी जल्दी पप्पी कहाँ से हो जाएगी. अभी तो ठीक से बात भी नही होती है.”
“भाई…प्यार में पप्पी नही ली तो क्या किया. मैने तो बड़ी जल्दी ले ली थी. प्यार बढ़ता है इन बातों से.”
“ऐसा है क्या …”
“और नही तो क्या. एक किस कई गुना गहराई देती है प्यार को.”
“पर अपर्णा जी लगता नही कि पप्पी देंगी अभी. तुम कही ग़लत सलाह तो नही दे रहे गुरु.”
“नही बिल्कुल सही सलाह दे रहा हूँ. मैं क्या तुम्हारा दुश्मन हूँ. आज ही पकड़ कर एक पप्पी ले लेना अपर्णा जी कि फिर देखना तुम दोनो का प्यार और भी महक उठेगा.”
“ह्म्म सोचूँगा इस बारे में.” आशुतोष ने कहा. उसके चेहरे पर मध्यम सी मुस्कान थी. शायद होने वाले चुंबन को सोच कर मुस्कुरा रहा था.
आशुतोष, अपर्णा को चुंबन करने के ख्याल से मुस्कुरा तो रहा था मगर उसका दिल बेचैन भी था इस ख्याल से कि क्या ये मुमकिन है अभी.
"गुरु तुम्हे नही लगता कि ये जल्दबाज़ी हो जाएगी...मतलब इतनी जल्दी किस...कुछ अजीब लग रहा है मुझे." आशुतोष ने कहा.
"आशुतोष तुम तो ऐसे बात कर रहे हो जैसे कि किसी लड़की के नज़दीक गये ही नही कभी.इतना एक्सपीरियेन्स होने के बावजूद कितना घबरा रहे हो एक किस करने से" सौरभ ने कहा.
"गुरु जिनके साथ मेरे संबंध रहे उनसे किसी से प्यार नही था. बस एक कामुक खेल,खेल कर अलग हो जाता था मैं. किस तो नाम मात्र को ही की एक-दो बार. इसलिए किस के बारे में ज़्यादा नही पता मुझे."
"एग्ज़ॅक्ट्ली उनके साथ किस नही हुई क्योंकि प्यार नही था. मगर प्यार में अपने दिल की गहराई को देखने का किस ही सबसे अच्छा अवसर प्रदान करती है. प्यार को मजबूती देती है किस. मेरी बात मान जल्दी से एक गरमा गरम पप्पी करके इस प्यार को मजबूत करले."
"तुम मरवा मत देना मुझे कही, बड़ी मुश्किल से इज़हार किया है अपर्णा जी ने."
"अरे कुछ नही होगा. तुम तो जानते ही हो कि पूजा भी अपर्णा से कम नही है. बहुत झिजक्ति थी प्यार भरी बाते करने से. जब से एक चुंबन लिया है उसका तब से सब ठीक चल रहा है.”
“बहुत बढ़िया गुरु तुम तो छा गये.मगर पता नही क्यों मुझे डर लगता है अपर्णा जी से”
“तुझे ये डर भगाना होगा आशुतोष. नही तो बस एक मूतने वाले लड़के की छवि बनी रहेगी अपर्णा की नज़रो में तुम्हारी. किस प्यार की ज़रूरत है. प्यार को नया आयाम देती है और मजबूती परदान करती है.”
“अच्छा.”
“हां. और हां जब किस कर लेगा तो मुझे फोन करके बताना कि कैसा रहा सब” सौरभ ने कहा.
"तुम्हे क्यों बताउन्गा मैं अपनी प्राइवेट बात. अपर्णा जी के बारे में कुछ डिस्कस नही करूँगा मैं, सुन लो कान खोल कर. शी इस वेरी प्रेशियस फॉर मी." आशुतोष ने कहा.
"अरे मत करना डिस्कस बाबा. बस अपनी पहली किस के बाद का अनुभव बता देना हिहीही."
"तुम हंस रहे हो...इसका मतलब मुझे फसाना चाहते हो."
"तेरा भला चाहता हूँ मैं और कुछ नही. बाकी तेरी मर्ज़ी अब और कुछ नही कहूँगा." सौरभ ने कहा.
"गुरु बुरा मत मानो, मैं बस अपर्णा जी के लिए बहुत सेन्सिटिव हूँ." आशुतोष ने कहा.
"नही आशुतोष बुरा क्यों मानूँगा. मुझे पता है कि तुम उसके लिए सेन्सिटिव हो." सौरभ ने कहा.
"शायद गुरु ठीक कह रहा है. पर अपर्णा जी से डर लगता है.वो पप्पी तो दूर की बात है, अभी हाथ भी नही पकड़ने देंगी." आशुतोष ने मन ही मन सोचा.
देहरादून आकर वो सब गौरव मेहरा के मर्डर की जगह पर भी गये. मगर वहाँ भी उन्हे कोई शुराग नही मिला.
वहां से गौरव हॉस्पिटल के लिए निकल गया. और आशुतोष सौरभ को उसके घर ड्रॉप करके अपर्णा के घर की तरफ चल दिया.
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गौरव सीधा हॉस्पिटल पहुँचा. जब उसे पता चला कि अंकिता को होश आ गया है तो वो तुरंत उस से मिलने पहुँचा. चौहान आइक्यू के बाहर ही खड़ा था. अंकिता के पेरेंट्स अंदर थे.
"कैसी हैं मेडम?" गौरव ने पूछा.
"मेडम ठीक हैं. पूछ रही थी तुम्हे.खैर नही तुम्हारी अब.अभी वो मेडिसिन और इंजेक्षन ले कर सोई हैं. उन्हे डिस्टर्ब मत करना. वैसे कहाँ गये थे सुबह-सुबह." चौहान ने पूछा.
"एक ज़रूरी काम था."
"ह्म्म...तुम्हारी तो टांगे टूट जानी चाहिए थी खाई में गिरकर...बच कैसे गये तुम." चौहान ने कहा.
"सर एक बार फिर रिक्वेस्ट करना चाहता हूँ आपसे. मुझे पता है आप मुझे पसंद नही करते पर मैं यकीन दिलाता हूँ आपको कि मैं रीमा को खुश रखूँगा. जब मैं उस से मिला था मुझे नही पता था कि वो आपकी बहन है वरना बात आगे बढ़ाता ही नही. आपसे रिक्वेस्ट है हाथ जोड़ कर की प्लीज़ रीमा का हाथ मेरे हाथ में दे दीजिए."
"देखो गौरव...जो बात नही हो सकती उसके लिए रिकवेस्ट मत करो. खुद को और कितना गिराओगे तुम. मुझे पता है मेरी बहन कहाँ खुश रहेगी. तुम उसका पीछा छोड़ दो. उसकी जींदगी में जहर मत घोलो तुम. सब कुछ शांति से निपट जाने दो. और दुबारा फोन से कॉंटॅक्ट मत करना रीमा को. तुम्हारी ग़लती की सज़ा उसे दे कर आया हूँ मैं. बहुत मारा मैने उसे कल रात. "
"ठीक है आपको जो करना है कीजिए. पर उसे मारिए मत. प्यार करती है वो, कोई गुनाह नही कर दिया उसने." गौरव ने कहा.
"शट अप...मैं तुमसे कोई बात नही करना चाहता."
चौहान गुस्से में वहाँ से चला गया.गौरव ए एस पी साहिबा के रूम के बाहर बैठ गया.
"बहुत बुरा लगा होगा मेडम को. पर मैं काम से ही गया था. अब डाँट पड़ेगी शायद. मैने ना जाने क्या-क्या बोल दिया था मेडम को. पता नही मुझे क्या हो गया था. पर मैने जो भी किया उनके लिए किया. उम्मीद है कि मेडम मुझे ग़लत नही समझेंगी." गौरव ने खुद से कहा.
गौरव ये सब सोच ही रहा था कि उसका फोन बज उठा. फोन साइको का था.
“मिस्टर पांडे…मेरी आर्ट का कोई हिस्सा जिंदा बच जाए तो मुझसे बिल्कुल बर्दास्त नही होता. तुम दोनो को अब तडपा-तडपा कर मारूँगा. इस बार एक खौफनाक पैंटिंग बनाओन्गा तुम दोनो की. अभी मैं किसी और की पैंटिंग बनाने के मूड में हूँ. जल्द मिलेंगे.”
“कर्नल साहिब अब आप अपनी चिंता कीजिए. क्योंकि पैंटिंग अब मैं बनाओन्गा आपकी.” गौरव ने कहा.
फोन तुरंत कट गया.साइको ने आगे कुछ नही कहा.
“अंधेरे में तीर छोड़ा था. लगता है निशाने पर लगा है. देवेंदर सिंग अब तुम्हारी खैर नही.” गौरव ने कहा.
गौरव ने तुरंत थाने में फोन लगाया. फोन भोलू ने उठाया.
“भोलू जल्दी से 10-12 लोगो की पार्टी तैयार करो हमें तुरंत एक ऑपरेशन पर निकलना है. मैं वही आ रहा हूँ. ” गौरव ने कहा
गौरव ने एक बार फिर से चेक किया अंकिता के बारे में. वो अभी भी सोई हुई थी.
“मेडम से बाद में मिलूँगा. आज ये साइको नही बचेगा.”
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Update 94
गौरव तुरंत थाने के लिए निकल पड़ा. वहां से पोलीस फोर्स ले कर वो सीधा कर्नल के घर पर पहुँच गया.
जब वो घर पहुँचा तो नौकर ने ही दरवाजा खोला.
“कहा है तुम्हारे साहिब.” गौरव ने पूछा.
“वो तो अभी-अभी बाहर गये हैं.”
“कहाँ गये हैं?”
“बता कर नही गये.”
“पूरे घर की तलासी लो…” गौरव ने ऑर्डर दिया.
“तलासी क्यों ले रहे हैं, साहिब का वेट कर लीजिए.”
“चुप रहो ज़्यादा बकवास मत करो.”
“सर ये रूम लॉक है…” एक कॉन्स्टेबल ने कहा.
“चाबी दो उसकी” गौरव ने नौकर से कहा.
“चाबी साहिब ही रखते हैं. मेरे पास नही है.”
“ह्म्म तोड़ दो ताला.”
ताला तौडा गया और गौरव अंदर दाखिल हुआ. अंदर आते ही गौरव की आँखे फटी की फटी रह गयी.
एक कॅन्वस पर उसी द्रिश्य की पैटिंग थी जब गौरव पेड़ के तने पर चढ़ कर अंकिता के हाथ खोल रहा था. दूसरे कॅन्वस पर दोनो को नीचे गिरते हुए देखाया गया था.
“तो मेरा शक सही निकला…कर्नल देवेंदर सिंग ही साइको है. एक लॅप टॉप रखा था वहाँ जिस पर कि एक लाइव वीडियो आ रही थी. गौरव ने ध्यान दिया तो पाया कि वो एसपी साहिब का घर था.
“जीसस…साइको एसपी साहिब के घर पर कॅमरा लगाए बैठा है. तभी वो कह रहा था कि दूसरी पैंटिंग में बिज़ी हूँ.”
गौरव ने तुरंत एस पी साहिब को फोन मिलाया. मगर उनका फोन व्यस्त आ रहा था.
“कहीं ये साइको इस वक्त एसपी साहिब के घर ही तो नही पहुँचा हुआ.”
गौरव ने चौहान को फोन करके सारी बात बताई.
“गौरव मैं एक टीम ले कर तुरंत एसपी साहिब के घर पहुँचता हूँ. तुम भी वही पहुँचो. आज एसपी साहिब छुट्टी पर हैं और घर पर ही हैं.”
“हां सर आप पहुँचिए वहाँ…मैं भी तुरंत आ रहा हूँ.”
गौरव ने कर्नल के घर को सील कर दिया और अपनी टीम को लेकर एसपी के घर पहुँच गया.
मगर जब वो वहाँ पहुँचा तो एसपी साहिब को अंबूलेंसे की ओर ले जाया जा रहा था. चौहान भी वही खड़ा था.
“क्या हुआ सर.” गौरव ने पूछा.
“हमने आने में देर कर दी. साइको अपने मकसद में कामयाब रहा. पेट छलनी-छलनी कर दिया है एसपी साहिब का. शायद ही बचें वो.”
“हे भगवान. इस साइको ने तो पूरे पोलीस महकमे को लपेट लिया”
“हां और फिर से बच के निकल गया.” चौहान ने कहा.
“अब कैसे निकलेगा हाथ से. अब तो जानते हैं हम कि वो कौन है. छोड़ेंगे नही साले को.” गौरव ने कहा.
एसपी साहिब को भी उसी हॉस्पिटल में ले जाया गया जहाँ अंकिता थी.
उनका तुरंत ऑपरेशन किया गया और ऑपरेशन के बाद उन्हे आइक्यू में शिफ्ट कर दिया गया.
गौरव पोलीस पार्टी लेकर साइको की तलाश में निकल पड़ा, “कर्नल साहिब अब आपकी खैर नही. मेरा शक सही था कि साइको एक ऐसा व्यक्ति है जिस पर किसी का शक़ नही जाएगा. वो तो शूकर है कि सौरभ ने तुम्हे ब्लॅक स्कॉर्पियो में देख लिया और हमें एक क्लू मिला. वरना तुम्हे ढूंडना बहुत मुश्किल था. तुम्हारी पैंटिंग का शौक मैं जल्द पूरा करूँगा. तुम्हारी मौत की पैंटिंग मैं बनाओन्गा.”
गौरव पोलीस पार्टी ले कर पूरे शहर में कई बार घुमा. स्प के घर के आस पास बहुत बारीकी से तलाश की गयी साइको की. मगर उसका कही नामो निशान नही मिला. पूरे शहर में नाका बंदी और ज़्यादा मजबूत कर दी गयी.
“वापिस कर्नल के घर चलता हूँ. वहां बहुत सारे शुराग हैं. तस्सल्ली से सबकी जाँच करनी होगी.” गौरव ने सोचा और कर्नल के घर की तरफ चल दिया. गौरव ने आशुतोष और सौरभ को भी फोन करके वही बुला लिया.
“आशुतोष का दीमग तेज चलता है, वो साथ रहेगा तो इन्वेस्टिगेशन में काफ़ी मदद मिलेगी. सौरभ को इन्वॉल्व करने से कुछ नये इनपुट्स मिलेंगे.”
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इधर अपर्णा आशुतोष से कोई भी बात नही कर रही थी. कारण ये था कि आशुतोष सुबह-सुबह बिना बताए चला गया था. एक बार भी वो खिड़की में नही आई ना ही आशुतोष के बेल बजाने पर दरवाजा खोला.
आशुतोष ने फोन मिलाया तो कई बार काटने के बाद आख़िरकार एक बार उठा ही लिया फोन अपर्णा ने, “हेलो क्या बात है.”
“क्या आप नाराज़ हैं मुझसे?” आशुतोष ने पूछा.
“मैं क्यों नाराज़ होने लगी.”
“फिर आप दरवाजा क्यों नही खोल रही मेरे लिए. मुझे गौरव सर ने बुलाया है. मैं जा रहा हूँ. आप किसी बात की चिंता मत करना.”
“सुबह कहाँ गये थे तुम?” अपर्णा ने पूछा.
“सुबह भी गौरव सर के पास ही गया था. उनके साथ एक इन्वेस्टिगेशन पर जाना था.”
“ठीक है जाओ…मुझे नींद आ रही है.” अपर्णा ने फोन काट दिया और स्विच ऑफ कर दिया. आशुतोष ने काई बार ट्राइ किया पर फोन नही मिला.
“यहाँ तो बात भी बंद हो गयी…पप्पी तो अब दूर की बात है. उफ्फ ये हसीनायें ऐसा क्यों करती हैं… ..” आशुतोष ने मन ही मन कहा और अपनी जीप ले कर चल दिया कर्नल के घर की तरफ.
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गौरव, आशुतोष और सौरभ तीनो उस कमरे में बहुत बारीकी से सब कुछ देख रहे थे.
आशुतोष ने लॅपटॉप को ऑन करके उसे चेक करना शुरू किया. लॅपटॉप में एक पेनड्राइव थी. आशुतोष ने उसे ओपन किया तो उसमे एक वीडियो क्लिप थी. आशुतोष ने उस क्लिप को प्ले किया.
“सर ये देखिए…ये क्लिप तो आपके साथ हुई घटना की है.” आशुतोष ने कहा.
गौरव और सौरभ तुरंत लॅपटॉप के पास आए.
“कमीना हर गेम की वीडियो बनाता है और फिर उन्हे देख कर चित्रकारी करता है.” गौरव ने कहा.
“तभी मैं कह रहा था कि इस साइको को इसी के स्टाइल में मारा जाए. वही इसकी सबसे बड़ी सज़ा होगी.” सौरभ ने कहा.
“लेकिन सर एक बात समझ में नही आई. साइको जैसा शातिर इतने सारे सबूत अपने घर में रखेगा…ये कुछ बहुत ज़्यादा अजीब लग रहा है.” आशुतोष ने कहा.
“हां अजीब तो मुझे भी लगा…मगर आँखो देखे सच को झुटलाया नही जा सकता.” गौरव ने कहा.
“मगर सर यहा सिर्फ़ पैंटिंग का सामान मौजूद है. मर्डर का कोई सामान यहाँ नही मिला अभी तक” आशुतोष ने कहा.
“हां यार बिल्कुल ठीक कह रहे हो तुम.” सौरभ ने आशुतोष की पीठ ठप थपाई.
“अच्छे से चेक करते हैं. अगर पैंटिंग का समान यहा मौजूद है तो मर्डर का भी यही होना चाहिए.” गौरव ने कहा.
पूरा घर छान मारा गया मगर उन्हे घर में कोई चाकू और बंदूक नही मिली.
“ये भी तो हो सकता है कि वो साथ ले गया हो सब कुछ. आख़िर वो मर्डर के लिए निकला था.” सौरभ ने कहा.
“हां ये हो सकता है.” आशुतोष ने कहा.
“कर्नल के नौकर से पूछताछ करते हैं.” गौरव ने कहा और एक कॉन्स्टेबल को उसे बुलाने के लिए भेजा. नौकर घर के बाहर ही एक छोटे सी कोटड़ी में रहता था.
कॉन्स्टेबल ने वापिस आकर बताया, “सर उसकी कोतडी में ताला लगा है.”
“ताला लगा है…कहाँ चला गया वो.”
“पता नही सर.”
“ह्म्म ठीक है…फिलहाल चलते हैं यहा से. कुछ ज़्यादा शुराग नही मिले.”
“पर सर कर्नल एक तरह से फरार है. ये बात भी हम इग्नोर नही कर सकते. नौकर के मुताबिक वो सुबह निकला था घर से. अब शाम घिर आई है. वो अंजान तो नही होगा इस बात से की उसका घर सील कर दिया गया है. ये खबर तो उसे नौकर ने ही सुना दी होगी.” आशुतोष ने कहा.
“हां बिल्कुल और अब नौकर भी फरार है.” सौरभ ने कहा.
“आहह… अब घुटनो में दर्द हो रहा है. मैं हॉस्पिटल चलता हूँ. अभी मेरा ट्रीटमेंट बाकी है.” गौरव ने कहा.
“हां बिल्कुल सर आप चलिए. ये घर तो सील ही रहेगा ना. ज़रूरत हुई तो फिर आ जाएँगे.” आशुतोष ने कहा.
“मैं कुछ लोगो को कर्नल की सर्च पर लगा देता हूँ. उसका कोई दोस्त या रिस्त्ेदार ज़रूर होगा जहा वो छुपा होगा.” गौरव ने कहा.
“मगर सर अभी हमें संजय पर भी नज़र रखनी चाहिए. मामला अभी क्लियर नही है.” आशुतोष ने कहा.
“हां उस पर भी नज़र रखी जाएगी. सौरभ अपनी तरफ से ये काम कर ही रहा है. क्यों सौरभ.” गौरव ने कहा.
“हां सर बिल्कुल. मैं संजय पर भी नज़र रखूँगा. बस एक बार मिल जाए वो. वो भी तो गायब है.” सौरभ ने कहा.
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गौरव वापिस हॉस्पिटल आया और एक पेनकिलर इंजेक्षन लगवाया. इंजेक्षन लगवाने के बाद वो अंकिता के कमरे की तरफ चल दिया.
कमरे के बाहर चौहान खड़ा था.
“क्या अब जाग रही हैं मेडम.” गौरव ने पूछा.
“हां जाग रही हैं. मगर उनके कुछ रिलेटिव्स आए हुए हैं उन्हे देखने. तुम थोड़ा वेट करो.” चौहान ने कहा.
रिलेटिव्स के जाने के बाद गौरव चुपचाप कमरे में घुस गया.
अंकिता आँखे बंद किए पड़ी थी.
“मेडम कैसी हैं आप?” गौरव ने धीरे से कहा.
अंकिता ने आवाज़ से पहचान लिया कि ये गौरव ही है. मगर उसने आँखे नही खोली.
“लगता है सो गयी मेडम…बाद में आउन्गा” गौरव धीरे से बड़बड़ाया.
“रूको कहा जा रहे हो…आआहह..” अंकिता ने ज़ोर से कहा और कराह उठी.
“क्या हुआ मेडम?”
“डॉक्टर ने ज़्यादा बोलने से मना किया है.”
“तो आप मत बोलिए. चुप रहिए आप. सब ठीक हो जाएगा जल्दी.”
“तुम्हे अब फुरस्त मिली मुझे देखने की” अंकिता ने गौरव की आँखो में देखते हुए कहा.
“ऐसा नही है मेडम…मैं केयी बार आया पर आप सोई हुई थी. और मैने काफ़ी काम भी किया आज.” गौरव ने पूरी कहानी सुनाई अंकिता को.
“तुम्हारे घाव इतनी जल्दी भर गये क्या जो ये सब करते घूम रहे थे. आराम नही कर सकते थे क्या तुम. क्या समझते हो खुद को.”
“सॉरी मेडम, पर मुझे लगा इन्वेस्टिगेशन करनी बहुत ज़रूरी है इसलिए….”
तभी चौहान अंदर दाखिल हुआ और बोला, “मेडम आपसे कोई मिलने आया है.”
“ठीक है थोड़ी देर में भेजना.” अंकिता ने कहा.
चौहान हैरान परेशान चुपचाप बाहर चला गया.
“मेडम आप मिल लीजिए…मैं बाद में आ जाउन्गा.” गौरव ने कहा और चल दिया.
“रूको एक बात कहनी थी.”
“हां बोलिए.”
“थॅंक यू.”
“किस बात के लिए.”
“तुम जानते हो किस बात के लिए. तुमने जो किया मेरे लिए वो कभी भूल नही पाउन्गि.” अंकिता ने कहा.
“मेडम आपको काफ़ी कुछ बोल दिया था मैने. पता नही मुझे क्या हो गया था. भुला दीजिएगा वो सब और माफ़ कर दीजिएगा मुझे.”
“उसके लिए डिसिप्लिनरी आक्षन होगा तुम्हारे खिलाफ बाद में. फिलहाल तुम्हे माफ़ किया जाता है.” अंकिता ने हंसते हुए कहा.
गौरव भी मुस्कुरा दिया. दोनो की नज़रे टकराई और एक पल को वक्त थम सा गया. शायद बहुत सारी बाते हो जाती आँखो ही आँखो में मगर चौहान बीच में टपक पड़ा फिर से.
“मेडम क्या बुलाउ उन्हे.”
“हां भेज दो” अंकिता ने इरिटेटिंग टोने में कहा.
“गौरव अपना ख्याल रखो. जखम भर जाने दो. काम तो होता ही रहेगा. अगर तुमने आराम नही किया तो सस्पेंड कर दूँगी. इज़ देट क्लियर.”
“हां मेडम सब क्लियर है.”
“जाओ फिर आराम करो जाकर.” अंकिता ने होंटो पर प्यारी सी मुस्कान के साथ कहा.
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Update 95
गौरव एक अजीब सा अहसास ले कर आया बाहर. ऐसा अहसास उसने कभी महसूस नही किया था.
“ये सब क्या था. मेडम कितने प्यार से देख रही थी मेरी तरफ. मैं तो खो ही गया था उनकी आँखो में. हम दोनो का एक साथ साइको के चंगुल में फँसना,फिर खाई में गिरना और फिर अब मेडम का यू प्यार से मेरी तरफ देखना…ये सब इत्तेफ़ाक है या फिर ये मेरी डेस्टिनी की तरफ इशारा करते हैं.”
गौरव बहुत गहरी सोच में डूब गया और फिर अचानक धीरे से बोला, “हे भगवान कही मैं उस खाई में अपनी जींदगी को गोदी में उठा कर तो नही घूम रहा था. अगर मैं सही हूँ तो ये एक प्यार की शुरूवात है…बहुत प्यारे प्यार की शुरूवात. पर मैं रीमा को क्या कहूँगा…वो मुझे बहुत प्यार करती है. सब कुछ वक्त के हाथों छोड़ना पड़ेगा. अगर रीमा आई सब कुछ छोड़ कर मेरे पास तो मैं उसका साथ दूँगा. और अगर वो नही आई तो मैं मेडम को अपने दिल की बात बोल दूँगा. मुझे यकीन है कि वो भी मेरे बारे में प्यार भरा कुछ सोच रही होंगी. हे भगवान मुझे राह देना कि मैं किस तरफ चलु
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सौरभ अपने कमरे में बिस्तर पर पड़ा साइको के बारे में सोच रहा था.
"कर्नल के घर में मौत की पैंटिंग और मौत की वीडियो हैं. बाकी और कुछ नही है. क्या ये सबूत काफ़ी हैं उसे साइको मान-ने के लिए. मगर उसके यहाँ एसपी साहिब के घर की लिव वीडियो चल रही थी गौरव के मुताबिक. एसपी साहिब अब हॉस्पिटल में हैं. इस साइको ने तो सबको घुमा कर रखा हुआ है. जो भी हो कर्नल फरार है और इस वक्त पूरा फोकस उसी पर होना चाहिए आख़िर इतने इम्पोर्टेन्ट सबूत मिले हैं उसके घर से. मगर इस संजय पर भी ध्यान देना होगा. मज़ा आएगा इस केस पर काम करके. अगर सॉल्व कर पाया इसे तो नाम होगा मेरा और फ्यूचर में खुद की इन्वेस्टिगेशन एजेन्सी खोल लूँगा.
कल को पूजा से शादी होगी तो अपनी ज़िम्मेदारियाँ अच्छे से निभा पाउन्गा. एक खुश हाल जींदगी देना चाहता हूँ मैं अपनी पूजा को, इस एक कमरे के घर से बात नही बनेगी. "
साइको को सोचते सोचते बात पूजा तक पहुँच गयी. अजीब दीवानगी पैदा कर देता है प्यार, बात घूम फिर कर उसी पर आ जाती है जिसे आप बहुत प्यार करते हैं.
पूजा की बात से सौरभ को ध्यान
आया कि आज वो बिज़ी होने के कारण पूजा से मिल ही नही पाया.
"यार आज पूजा से नही मिला तो कितना खाली खाली सा लग रहा है. उसने मेरा वेट किया होगा बस स्टॉप पर. बहुत देर तक वेट करने के बाद गयी होगी कॉलेज. फोन ट्राइ करता हूँ. वैसे फोन श्रद्धा के पास रहता है मगर क्या पता पूजा उठा ले."
सौरभ ने फोन मिलाया. फोन पूजा ने ही उठाया.
"शूकर है तुमने ही फोन उठाया. श्रद्धा ने फोन आज तुम्हारे पास कैसे छोड़ दिया."
"दीदी घर पर नही हैं. डेडी के साथ गाँव गयी है. इसलिए फोन मेरे पास है."
"यार ये अजीब बात है. फिर कॉल क्यों नही किया मुझे?" सौरभ ने कहा.
"टॉक टाइम नही था फोन में. दीदी को बोला था डलवाने को पर वो शायद भूल गयी."
"चलो कोई बात नही. सॉरी आज मैं बस स्टॉप पर मिलने नही आ पाया. किसी काम में बिज़ी था."
"थोड़ी देर के लिए भी नही आ सकते थे क्या ...बहुत वेट किया मैने तुम्हारा. कॉलेज से भी लेट हो गयी थी."
"ओह सो सॉरी पूजा. फोन होता तुम्हारे पास तो कॉल कर देता. क्या मैं तुम्हे फोन खरीद कर दे दूं."
"नही उसकी कोई ज़रूरत नही है. मैं तुमसे कोई गिफ्ट नही लूँगी."
"गिफ्ट नही लूँगी मतलब...यार ये अजीब बात है. फिर मुझे कैसे अपनी जान के लिए कुछ करने का अवसर मिलेगा."
"सौरभ...जिस दिन मैं खुद अफोर्ड कर पाउन्गि फोन तभी लूँगी. मैं तुम्हे वैसे ही बहुत प्यार करती हूँ. गिफ्ट देने की ज़रूरत नही है."
"अरे यार गिफ्ट प्यार बढ़ाने या तुम्हे लुभाने के लिए नही बल्कि इसलिए दे रहा था कि हमारा कम्यूनिकेशन बना रहे. बेवजह आज तुम वेट करती रही, फोन होता तुम्हारे पास तो वक्त से कॉलेज जाती."
"सौरभ जो भी हो...मुझे कोई गिफ्ट नही चाहिए. मेरा स्वाभिमान मुझे इसकी इजाज़त नही देता."
"ह्म्म...मेरे लिए तो ये अच्छी बात है. गर्ल फ्रेंड मेंटेनेन्स का खर्चा बचेगा हिहिहीही."
"ज़्यादा हँसो मत. शादी के बाद पूरे हक़ से एक स्मार्ट फोन लूँगी मैं . जिसमें लेटेस्ट फीचर्स हो. इंटरनेट हो,अच्छा कॅमरा हो, 3जी हो एट्सेटरा...एट्सेटरा."
"क्या ...मुझे लगा था कि ये स्वाभिमान शादी के बाद भी जारी रहेगा. ये ग़लत बात है."
"और नही तो क्या, पत्नी का हक़ होता है हज़्बेंड को लूटना. वो मैं पूरे शान से करूँगी."
"मुझे पता है की तुम मज़ाक कर रही हो..है ना..."
"आय ऍम सीरीयस."
"चलो ले लेना जो जी चाहे. भगवान ज़रूर मुझे तरक्की देंगे तुम्हारी लूट खसोट के लिए."
"हां बहुत तर्रक्कि देंगे. और मैं तुम्हे शान से लुतूँगी." पूजा ने हंसते हुए कहा.
"अगर ऐसा है तो मैं भी शान से लुतूँगा तुम्हारी जवानी. रोज बहुत अच्छे से लूँगा तुम्हारी. एक बार मेरी दुल्हन बन कर आओ तो सही."
"कैसी बाते करते हो तुम ... मुझे नही करनी तुमसे बात. गुड नाइट."
"अरे क्या हुआ रूको तो..." सौरभ ने तुरंत कहा मगर फोन कट चुका था.
सौरभ ने केयी बार फोन ट्राइ किया मगर पूजा ने फोन स्विच्ड ऑफ कर दिया था.
“ये क्या मज़ाक है पूजा. इतना मज़ाक तो कर ही सकता हूँ यार. हद है तुम्हारी भी.” सौरभ ने मन ही मन कहा और बिस्तर से उठ गया.
“आ रहा हूँ अब मैं तुम्हारे पास. कोई चारा नही छोड़ा तुमने.” सौरभ ने कहा और अपने कमरे की कुण्डी लगा कर चल दिया पूजा के घर की तरफ.
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रात का सन्नाटा चारो तरफ फैला हुआ था. सभी लोग अपने-अपने घरो में थे. साइको का ख़ौफ़ ज्यों का त्यों बरकरार था.
“ये सन्नाटा पता नही कब गायब होगा इन सड़को से. पहले कितनी चहल पहल हुआ करती थी इन सड़को पर. मगर अब ये मनहूस सन्नाटा शाम ढलते ही घेर लेता है इन गलियों को. काश ये ख़ौफ़ जल्द से जल्द ख़तम हो जाए.”
मगर सन्नाटा एक तरह से अच्छा भी था.
सौरभ पूजा के घर पहुँचा और चुपचाप दरवाजा खड़काया.
पूजा दरवाजे पर दस्तक सुन कर सिहर उठी.
“हे भगवान कौन हो सकता है.” पूजा ने मन ही मन कहा.
सौरभ ने बाहर से आवाज़ दी, “मैं हूँ सौरभ. दरवाजा खोलो.”
पूजा दरवाजे के पास आई और बोली, “तुम यहा क्यों आए हो?”
“अरे दरवाजा तो खोलो यार?”
पूजा ने दरवाजा खोला. सौरभ झट से अंदर आ गया और दरवाजे की कुण्डी लगा दी.
“सौरभ क्यों आए तुम यहाँ.”
“अब यार फोन बंद करके तुमने मेरे दिल की धड़कन बंद कर दी. यहाँ नही आता तो क्या करता मैं. क्यों किया तुमने ऐसा.”
“तुम खुद अपने दिल से पूछो. क्या ऐसा बोलता है कोई किसी लड़की को.” पूजा ने कहा.
“जान तुम मेरी प्रेमिका हो जो की जल्द ही पत्नी बन-ने जा रही है. तुम भी तो मज़ाक कर रही थी. मैने भी मज़ाक कर दिया.”
“क्या वो सब मज़ाक था.”
“जान मानता हूँ कि कुछ ज़्यादा बोल गया. प्यार करता हूँ तुमसे. कुछ बातों को अनदेखा कर दिया करो. केयी बार कुछ अजीब बोल जाता हूँ मैं. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो. मुझसे नाराज़ मत होना.”
“ठीक है…ठीक है…बैठो चाय बनाती हूँ तुम्हारे लिए.”
“नही पूजा. मैं चलता हूँ. मैं बस तुम्हे सॉरी बोलने आया था. तुमने फोन ऑफ कर दिया था. इसलिए मुझे आना पड़ा.”
“सौरभ मैं डर गयी थी तुम्हारी इन बातों से. क्यों करते हो ऐसा तुम.”
“छोड़ो भी अब. ग़लती हो गयी मुझसे. माफ़ करदो मुझे नही कहूँगा आज के बाद ऐसा कुछ.”
“हाहहहाहा…देखा कैसी बॅंड बजाई तुम्हारी.” पूजा ने हंसते हुए कहा.
“क्या ये सब मज़ाक था…”
“और नही तो क्या. तुम शादी के बाद सेक्स की बात कर रहे थे. मैं भला बुरा क्यों मानूँगी. बस यू ही तुम्हे सताने का मन था. आज बहुत सताया तुमने मुझे. आँखे तरस गयी थी तुम्हारे इंतेज़ार में.”
“पूजा लेकिन मैं सच कह रहा हूँ. तुम्हारा रोज बॅंड बजेगा अब शादी के बाद. हर रात आआहह उउउहह आहह करोगी.” सौरभ ने कहा.
“देखेंगे जनाब…फिलहाल आप जाओ यहा से. मुझे नींद आ रही है.”
“अब जब यहा आ गया हूँ तो खाली हाथ नही जाउन्गा मैं.”
“क्या मतलब?”
“एक पप्पी तो लेकर ही जाउन्गा.”
“बदमाश हो तुम. कुछ नही मिलेगा तुम्हे आज”
“मेरी आँखो में देख कर बोलो तो.” सौरभ ने कहा और बाहों में भर लिया पूजा को.
“तुम्हारी आँखो में देख कर कैसे मना कर पाउन्गि तुम्हे.” पूजा ने सौरभ की छाती पर सर रख लिया.
“उफ्फ…मैं चलता हूँ यार. भावनाए भड़क रही हैं. कही शादी से पहले ही हनिमून ना हो जाए.”
“हां चले जाओ. मुझे भी यही डर है. तुम बहक गये तो तुम्हे रोक नही पाउन्गि मैं. प्यार जो करती हूँ तुम्हे. मगर हम सेक्स में शादी के बाद ही उतरे तो ज़्यादा अच्छा होगा.”
सौरभ ने पूजा के चेहरे को हाथ से उपर किया और अपने होठ टिका दिए उसके होंटो पर. पूजा ने भी झट से जाकड़ लिया सौरभ के लबों को अपने होंटो में. और फिर प्यार हुआ दोनो के बीच.
5 मिनिट तक चूमते रहे दोनो बेतहासा एक दूसरे को.
5 मिनिट बाद पूजा ने सौरभ को धक्का दे कर उसको खुद से अलग किया, “बस कही बहक ना जायें हम दोनो.”
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