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27-12-2019, 02:23 PM
बात एक रात की...
The Romantic Thriller
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जरुरी सुचना: यह कहानी सिर्फ मनोरंजन के आशय से लिखी गयी है। इनका किसी जीवित या मृत व्यक्ति से कुछ भी लेना देना नहीं है, और यह कहानी किसी भी सरकारी या गैर सरकारी संस्थान या समाज की ना तो सच्चाई दर्शाता है और ना ही यह कहानी उन पर कोई समीक्षा या टिपण्णी करने के आशय से लिखी गयी है। सभी पात्र १८ वर्ष से अधिक उम्र के हैं...
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मेरी फितरत नही किसी की चीज़ को अपने नाम करू...
so as i always say... all credit goes to unsung original writer...
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Update 1
'मेमसाहब रात बहुत हो चुकी है आप कब तक रहेंगी यहा' राज कुमार ने पूछा.
'बस काका जा रही हूँ' अपर्णा ने टेबल पर बिखरे कागजॉ को एक फाइल कवर में रखते हुवे कहा.
अपर्णा ऑफीस के चोकीदार को काका कह कर ही बुलाती थी.
जैसे ही अपर्णा अपने केबिन से बाहर निकली ऑफीस के सन्नाटे को देख कर उसका डर के मारे गला सुख गया. 'ओह... कितनी देर हो गयी. पर क्या करूँ ये असाइनमेंट भी तो पूरी करनी ज़रूरी थी वरना वो कमीना सक्सेना मेरी जान ले लेता कल. भगवान ऐसा बॉस किसी को ना दे' अपर्णा पार्किंग की तरफ तेज़ी से बढ़ती हुई बड़बड़ा रही है.
कार में बैठते ही उसने अपने पापा को फोन लगाया,'पापा मैं आ रही हूँ. 20 मिनिट में घर पहुँच जाउंगी.
अपर्णा शादी शुदा होते हुवे भी 5 महीने से अपने मायके में थी. कारण बहुत ही दुखद था. उसका पति ऋषि उसे दहेज के लिए ताने देता था. हर रोज उसकी नयी माँग होती थी. माँगे पूरी करते करते अपर्णा के परिवार वाले थक चुके थे. जब पानी सर से उपर हो गया तो अपर्णा अपने ससुराल (देल्ही) से मायके (देहरादून) चली आई.
'उह आज बहुत ठंड है. सड़के भी सुनसान है. मुझे इतनी देर तक ऑफीस नही रुकना चाहिए था.' रात के 10:30 बज रहे थे. सर्दी में जन्वरी के महीने में इस वक्त सभी लोग अपने-अपने घरो में रज़ाई में दुबक जाते हैं.
पहली बार अपर्णा इतनी देर तक घर से बाहर थी. कार चलाते वक्त उसका दिल धक-धक कर रहा था. जो रास्ते दिन में जाने पहचाने लगते थे वो रात को किसी खौफनाक खंडहर से कम नही लग रहे थे.
अपर्णा के हाथ स्टीरिंग पर काँप रहे थे.'ऑल ईज़ वेल...ऑल ईज़ वेल' वो बार बार दोहरा रही थी.
अचानक उसे सड़क पर एक साया दीखाई दिया. अपर्णा ने पहले तो राहत की साँस ली कि चलो सुनसांसड़क पर उसे कोई तो दिखाई दिया. पर अचानक उसकी राहत घबराहट में बदल गयी. वो सामने बिल्कुल सड़क के बीच आ गया था और हाथ हिला कर गाड़ी रोकने का इशारा कर रहा था.
अपर्णा को समझ नही आया कि क्या करे. जब वो उस साए के पास पहुँची तो पाया कि एक कोई 28-30 साल का हॅटा कॅटा आदमी उसे कार रोकने का इशारा कर रहा था.
अपर्णा को समझ नही आ रहा था कि क्या करे क्या ना करे. पर वो शख्स बिल्कुल उसकी कार के आगे आ गया था. ना चाहते हुवे भी अपर्णा को ब्रेक लगाने पड़े.
जैसी ही कार रुकी वो आदमी अपर्णा के कार को ज़ोर-ज़ोर से ठप-थपाने लगा. वो बहुत घबराया हुवा लग रहा था.
अपर्णा को भी उसके चेहरे पर डर की शिकन दीखाई दे रही थी. अपर्णा ने अपनी विंडो का शीशा थोड़ा नीचे सरकाया और पूछा, “क्या बात है, पागल हो क्या तुम.”
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“मेडम प्लीज़ मुझे लिफ्ट दे दीजिए. मेरी जान को ख़तरा है. कोई मुझे मारना चाहता है,”
“मेरे पास ये फालतू बकवास सुनने का वक्त नही है,” अपर्णा के मूह से ये शब्द निकले ही थे कि उस आदमी की चीख चारो तरफ गूंजने लगी.
एक नकाब पोश साया उस आदमी को पीछे से लगातार चाकू घोंपे जा रहा था.
“ओह गॉड…” अपर्णा का पूरा शरीर ये दृश्य देख कर थर-थर काँपने लगा.”
वो इतना डर गयी कि कार को रेस देने की बजाए ब्रेक को दबाती रही. उसे लगा कि कार स्टार्ट नही होगी. वो कार से निकल कर फॉरन उस साए से ऑपोज़िट दिसा में भागी.
जो साया उस आदमी को मार रहा था फुर्ती से आगे बढ़ा और अपर्णा को दबोच लिया, “छ …छोडो मुझे…मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है.”
बिगाड़ा तो उस आदमी ने भी मेरा कुछ नही था.
“फिर…फिर… तुमने उसे क्यों मारा.”
“आइ जस्ट लाइक किल्लिंग पीपल.”
“ओह गॉड क्या तुम्ही हो वो साइको सीरियल किलर.”
“बिल्कुल मैं ही हूँ वो…आओ तुम्हे जंगल में ले जाकर आराम से काटता हूँ. तेरे जैसी सुंदर परी को मारने में और मज़ा आएगा.”
“बचाओ…” इस से ज़्यादा अपर्णा चिल्ला नही सकी. क्योंकि उस साए ने उसका मूह दबोच लिया था.”
“हे भगवान मैं किस मुसीबत में फँस गयी. इस किलर का अगला शिकार मैं बनूँगी मैने सोचा भी नही था. काश दरिंदे का चेहरा देख पाती”
पीछले 2 महीनो में चार मर्डर हो चुके थे. उनमे से 3 आदमी थे और एक कॉलेज गर्ल. पूरे देहरादून में लोग ख़ौफ़ में जी रहे थे. उसके पापा उसे रोज कहते थे कि कभी शाम 6 बजे से लेट मत होना. अपर्णा भी इस घटना से घबराई हुई थी पर काम में बिज़ी होने के कारण उसे वक्त का ध्यान ही नही रहा.
जंगल की गहराई में ले जा का उस साए ने अपर्णा के मूह से अपना हाथ हटाया और बोला,”बताओ पहले कहा घुसाऊ ये तेज धार चाकू.”
“प्लीज़ मुझे जाने दो. मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, मेरे पर्स में जितने पैसे हैं रख लो. मेरी कार भी रख लो…मुझे मत मारो प्लीज़.”
“वो सब तुम रखो मुझे वो सब नही चाहिए. मुझे तो बस तुम्हे मार कर तस्सल्ली मिलेगी. वैसे तुम्हारे पास कुछ और देने को हो तो बताओ.”
“अपर्णा समझ रही थी कि कुछ और से उसका मतलब क्या है. मेरे पास इस वक्त कुछ और नही है प्लीज़ मुझे जाने दो”
“अब तो यहा से तुम्हारी लाश ही जाएगी फिर,” वो चाकू को उसके गले पर रख कर बोला.
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“रूको अगर चाहो तो मैं ब्लो जॉब दे सकती हूँ”
“वो क्या होता है.”
“ब…ब…ब्लो जॉब मतलब ब्लो जॉब,” अपर्णा ने हकलाते हुवे कहा.
“हां पर इसमें करते क्या हैं. समझाओ तो सही तुम्हारा प्रपोज़ल समझ में आया तो ही बात आगे बढ़ेगी वरना में तुम्हे काटने को मरा जा रहा हूँ. मेरा मज़ा खराब मत करो.”
अपर्णा से कुछ कहे नही बन रहा था. उसे समझ नही आ रहा था कि वो इस दरिंदे को कैसे समझाए. वो बस जिंदा रहना चाहती थी इसलिए उसने ये प्रपोज़ल रखा था. “क्या गारंटी है कि ये साइको वो करने पर भी मुझे जिंदा जाने देगा. इसे तो लोगो को मारने में मज़ा आता है.”
“अरे क्या सोच रही हो. कुछ बोलोगी कि नही या काट डालूं अभी के अभी.”
“देखो मुझे उसका मतलब नही पता जो करना है करो.”
“अरे समझाओ तो सही. मैं वादा करता हूँ कि अगर मुझे पसंद आया तो मैं तुम्हे जाने दूँगा.”
“तुम झूठ बोल रहे हो. तुम्हारा इन सब बातो में कोई इंटेरेस्ट नही है. तुम बस मुझसे खेल रहे हो. मुझे सब पता है उस कॉलेज गर्ल को तुमने बिना कुछ किए मारा था.”
“कोन सी कॉलेज गर्ल.”
“अच्छा तो तुम लोगो को मार-मार कर भूल भी जाते हो. वही जिसको मार कर तुमने बस स्टॅंड के पीछे फेंक दिया था.”
“अच्छा वो…उसने ऐसा प्रपोज़ल रखा होता तो हो सकता है आज वो जिंदा होती.”
“अच्छा क्या कपड़े पहने थे उस लड़की ने उस दिन. जिस दिन तुमने उसे मारा था.” अपर्णा को शक हो रहा था कि ये नक़ाबपोश वही साइको किलर है कि नही.
“देखो में यहा तुम्हे मारने लाया हूँ तुम्हारे साथ कोई क़्विज़ में हिस्सा लेने नही. बहुत हो चुक्का लगता है मुझे अब तुम्हे ख़तम करना ही होगा.” उसने ये कहते ही चाकू अपर्णा के गले पर रख दिया.
“रूको…”
“क्या है अब. मुझे कुछ नही सुन-ना. अगर ब्लो जॉब का मतलब समझाओगी तो ही रुकुंगा वरना तुम गयी काम से.”
“अच्छा चाकू तो गले से हटाओ.”
“हां ये लो बोलो अब.”
“तुम सब जानते हो है ना…” अपर्णा ने दबी आवाज़ में कहा.
'देखो मेरे पास ज़्यादा बकवास करने का वक्त नही है. तुम बताती हो या नही या फिर उस आदमी की तरह तुम्हे भी मार डालूं'
'बताती हूँ, मुझे थोड़ा वक्त तो दो'
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'जल्दी बोलो वरना फिर कभी नही बोल पाओगि'
'ब्लो जॉब मतलब कि मूह में उसे रख कर सकिंग करना'
'ये उसे का क्या मतलब है साफ-साफ बताओ'
'इस से ज़्यादा मैं नही जानती'
'चल ठीक है जाने दे शुरू कर ये तेरी ब्लो जॉब'
'क्या गारंटी है कि ये सब करने के बाद तुम मुझे मारोगे नही'
'किया ना वादा तुझ से मैने...चल अब जल्दी कर'
'उसे बाहर तो निकालो'
'तुम खुद निकालो...'
'खुद निकाल कर दो वरना मैं नही करूँगी'
'ऐसा है तो तुम्हे जिंदा रखने का क्या फायदा. अभी काट डालता हूँ तुम्हे' उसने अपर्णा के गले पर चाकू रख कर कहा.
'रूको निकालती हूँ' अपर्णा ने दबी आवाज़ में कहा
अपर्णा के काँपते हाथ उस नकाब पोश साए की पेण्ट की ज़िप की तरफ बढ़े. उसने धीरे से ज़िप खोलनी शुरू की. पर अभी वो थोड़ी सी ही खुली थी कि वो अटक गयी.
'ये अटक गयी है...मुझसे नही खुल रही'
'थोड़ा ज़ोर लगाओ खुल जाएगी'
अपर्णा ने कोशिश की पर ज़िप नही खुली
'ओफ हटो तुम. मुझे खोलने दो' - उसने एक झटके में ज़िप खोल दी और बोला,'चलो अब अपने काम पे लग जाओ'
अपर्णा ने अपनी जान बचाने के लिए बोल तो दिया था कि वो ब्लो जॉब करेगी पर अब वो दुविधा में थी. 'क्या करूँ अब. मन नही मानता ये सब करने का पर अगर नही किया तो ये ज़रूर मुझे मार देगा. पर अब अगर ये सब करने के बाद भी इसने मुझे मार दिया तो? '
'हे जल्दी करो मेरे पास सारी रात नही है तुम्हारे लिए.'
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update 2
अपर्णा ने दाया हाथ उसकी ज़िप में डाला. जैसे ही उसका हाथ नक़ाबपोश के तने हुए लंड से टकराया उसके पसीने छूटने लगे. उसे अहसास हो चला था कि वो जिसे बाहर निकालने की कोशिश कर रही है वो बड़ी भारी भरकम चीज़ है. 'ओह गॉड ये तो बहुत बड़ा है' उसने अपने मन में कहा. उसने अब तक अपने पति का ही देखा और छुआ था और वो अब इस नकाब पोश के हथियार से बहुत छोटा मालूम पड़ रहा था. अपर्णा इतने लंबे लंड को अपने हाथ में पाकर अचंभित भी थी और परेशान भी.
'कैसे सक करूँगी इसे...ये तो बहुत बड़ा है.'
'अरे निकालो ना जल्दी बाहर और जल्दी से मूह में डालो. मुझ से इंतजार नही हो रहा.'
अपर्णा ने धीरे से उसके लंड को ज़िप से बाहर निकाला. और अपना मूह बिल्कुल उसके लंड के नज़दीक ले आई. उसने उसे मूह में लेने के लिए मूह खोला ही था कि......
एक दर्द भरी ज़ोर की चीख अचानक वहा गूंजने लगी.
'एक मिनट रूको. मुझे देखना होगा कि ये कौन चीखा था' नक़ाबपोश ने अपने लंड को वापिस पेण्ट के अंदर डालते हुए कहा.
अपर्णा को कुछ भी समझ में नही आ रहा था कि आख़िर हो क्या रहा है.
चलो मेरे साथ और ज़रा भी आवाज़ की तो अंजाम बहुत बुरा होगा,’’ नकाब पोश ने अपर्णा के गले पर चाकू रख कर कहा.
अपर्णा के पास कोई और चारा भी नही था. वो चुपचाप उसके साथ चल दी.
वो नकाब पोश अपर्णा को ले कर सड़क के करीब ले आया. पर वो दोनो अभी भी घनी झाड़ियों के पीछे थे. वहां पहुँच कर अपर्णा ने देखा कि उसकी कार के पास कोई खड़ा है. वो तुरंत नकाब पोश को ज़ोर से धक्का दे कर भाग कर अपनी कार के पास आ गयी.
“प्लीज़ हेल्प मी वो दरिन्दा मुझे मारना चाहता है. उसी ने इस आदमी को भी मारा है जो मेरी कार के पास पड़ा है.”
"अच्छा ऐसा है क्या बताओ मुझे कहा है वो,’’ उस आदमी ने कहा.
“वो वहां उन झाड़ियों के पीछे है,” अपर्णा ने इशारा करके बताया.
उस आदमी ने टॉर्च निकाली और झाड़ियों की तरफ रोशनी की. “वहां तो कोई नही है, आपको ज़रूर कोई वहम हुआ है”
“मेरा यकीन कीजिए वो यहीं कहीं होगा. इस आदमी को भी उसी ने मारा है. क्या ये लाश आपको दिखाई नही दे रही”
“हां दिखाई दे रही है…पर हो सकता है इसे आपने मारा हो.”
“क्या बकवास कर रहे हैं. मैं क्या आपको खूनी नज़र आती हूँ”
“खूनी नज़र तो नही आती पर हो सकता है कि तुमने ही ये सब किया हो और अब कहानियाँ बना रही हो. चलो मेरे साथ पोलीस स्टेशन.”
“देखिए मेरा यकीन कीजिए…मैने किसी का खून नही किया. मैं आपको कैसे समझाऊ.”
“मुझे कुछ समझाने की ज़रूरत नही है. ये खून तुमने ही किया है बस.”
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तभी एक मोटरसाइकल सवार वहां से गुज़रते हुए ये सब देख कर रुक जाता है.
“ठीक है जो भी होगा सुबह देखा जाएगा अभी मैं घर जा रही हूँ,” अपर्णा ने उस आदमी से कहा
“तुम कहीं नही जाओगी.” वो आदमी ज़ोर से बोला.
“क्या हुआ मेडम कोई प्रॉब्लम है क्या.” मोटरसाइकल सवार ने उनके पास आकर पूछा.
पर इस से पहले कि वो कुछ बोल पाती उस आदमी ने उस मोटरसाइकल सवार को शूट कर दिया. 2 गोलियाँ उसके सीने में उतार दी. ये देख कर अपर्णा थर-थर काँपने लगी. “ओह माय गोड, त…त…तुमने उसे मार दिया. क…क…कौन हो तुम.”
“कोई प्रॉब्लम है क्या. क्या किसी ने सिखाया नही की दूसरो के मामले में टाँग नही अदाते.” वो आदमी पागलो की तरह बोला.
“वो तो बस मुझसे पूछ रहा था…”
“चुप कर साली…अब तेरी बारी है. पागल समझती है मुझे. बता क्या नाटक चल रहा है यहा.”
“मैं सच कह रही हूँ. इस आदमी को एक नकाब पोश ने मारा था. वो मुझे भी घसीट कर झाड़ियों में ले गया था…”
“फिर कहा गया वो नकाब पोश.”
“म…म…मुझे नही पता.”
“तुम सरा सर झूठ बोल रही हो.”
“आप इतने यकीन से कैसे कह सकते हैं.”
“क्योंकि इस आदमी को जो तुम्हारी कार के पास पड़ा है, मैने मारा है. वो भी इस चाकू से. और अब इसी चाकू से मैं तुम्हारी खाल उधेड़ूंगा.”
अपर्णा का डर के मारे वैसे ही बुरा हाल था. अब उसका सर घूम रहा था. वो जो कुछ भी देख और सुन रही थी वो सब यकीन के परे थे. एक बार तो उसने ये भी सोचा की कहीं ये सब सपना तो नही. पर अफ़सोस ये सब सपना नही हक़ीकत थी.
उस आदमी ने चाकू को हवा मैं लहराया और बोला, “तैयार हो जाओ मरने के लिए…आज तो, मज़ा आ गया एक ही रात में तीसरा खून करने जा रहा हूँ.”
पर तभी उसके सर पर एक बड़े डंडे का वार हुआ और वो नीचे गिर गया. ठीक अपर्णा के कदमो के पास.
अपर्णा ने देखा कि उस आदमी को नीचे गिराने वाला कोई और नही वही नकाब पोश था जिसके चुंगुल से बच कर वो भागी थी. इस से पहले कि अपर्णा कुछ कह और सोच पाती उस आदमी ने फुर्ती से अपनी पिस्टल से नकाब पोश की ओर फाइरिंग की. पर वो बच गया.
नकाब पोश ने अपर्णा का हाथ पकड़ा और उसे खींच कर झाड़ियों में ले गया.
“भागते कहा हो तुम बचोगे नही.” वो आदमी खड़ा हो कर चिल्लाया.
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“ये…ये सब हो क्या रहा है. कौन हो तुम.”
“चुप रहो…सब बताउन्गा. अभी वो हमे ढूँढ रहा है. पिस्टल है उसके पास. हमे ज़रा भी आवाज़ नही करनी ओके.”
“यू कैन रन बट यू कैन नॉट हाइड. ज़्यादा देर तक मुझसे बचोगे नही….”
उस आदमी ने अपर्णा की कार का दरवाजा खोल कर उसकी कार की चाबी निकाल ली. “तुम लोग यहा से बच कर नही जा सकते. नौटंकी करते हो मेरे साथ…हा”
जब वो उन्हे ढूँढते हुए थोड़ा दूर निकल गया तो अपर्णा ने कहा, “क्या तुम मुझे बताओगे अब की यहा हो क्या रहा है. ये सब कुछ नाटक है या हक़ीकत.”
“जो कुछ हम तुम्हारे साथ कर रहे थे वो सब नाटक था. पर अब जो हो रहा है वो हक़ीकत है.”
“क्या…तुम्हारा मतलब तुम उस साइको किलर की कॉपी कर रहे थे पर क्यों.”
“तुम्हे परेशान करने के लिए.” नक़ाबपोश ने कहा
“पर मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है. मैं तो तुम्हे जानती तक नही.”
“तुम मुझे जानती हो…”
“क्या…कौन हो तुम…साफ-साफ बताओ मेरा वैसे ही सर घूम घूम रहा है.”
“तुमने तीन महीने पहले मुझे नौकरी से निकलवाया था याद करो…”
“क्या…तुम वो हो! एक तो तुम काम ठीक से नही करते थे. मेरी जगह कोई भी होता तो तुम्हे निकाल ही देता.”
“श्ह्ह. धीरे से कहीं वो सुन ना ले”
“ह्म्म क्या नाम था तुम्हारा?”
“सौरभ…” नकाब पोश ने कहा.
“हाँ सौरभ…उस बात के लिए तुमने मेरे साथ इतना घिनोना मज़ाक किया…और…और तुम तो मेरा रेप करने वाले थे…”
“ऐसा नही है मेडम… मैं तो बस”
“क्या मैं तो बस तुमने मुझे वो सब करने पर मजबूर किया”
“हां पर ब्लो जॉब का प्रपोज़ल तो आपने ही रखा था. मेरा मकसद तो आपको बस डराना था. थोड़ी देर में मैं आपको जाने देता पर आप ही ब्लो जॉब करना चाहती थी.”
“चुप रहो ऐसा कुछ नही है… मैं बस अपनी जान बचाने की कोशिश कर रही थी. तुम मेरी जगह होते तो तुम भी यही करते.”
“मैं आपकी जगह होता तो ख़ुशी-ख़ुशी मर जाता ना की किसी का लंड चूसने के लिए तैयार हो जाता.”
“चुप रहो तुम”
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“श्ह्ह…किसी के कदमो की आवाज़ आ रही है” नकाब पोश ने अपर्णा के मूह पर हाथ रख कर कहा.”
“मुझे पता है तुम दोनो यहीं कहीं हो. चुपचाप बाहर आ जाओ. प्रॉमिस करता हूँ कि धीरे-धीरे आराम से मारूँगा तुम्हे.” उस साइको ने चिल्ला कर कहा.
“यही वो साइको किलर है.” अपर्णा ने धीरे से कहा.
“इसमे क्या कोई शक बचा है अब. थोड़ी देर चुप रहो.”
“तुमने मुझे इस मुसीबत में फँसाया है.”
“चुप रहो मेडम वरना हम दोनो मारे जाएँगे. बंदूक है उस पागल के पास. मुझे लगता है यहा रुकना ठीक नही पास ही मेरा घर है वहां चलते हैं.”
“तुम्हारे पास फोन तो होगा, अभी पोलीस को फोन लगाओ.”
“फोन मेरे दोस्त के पास था.”
“कौन दोस्त?”
“वही जिसकी लाश तुम्हारी कार के पास पड़ी है.”
“तुमने उसे मारने का नाटक किया था है ना.”
“हां…हमारा प्लान था कि तुम्हे डराया जाए. मेरा मकसद तुम्हे जंगल में ले जाना नही था. पर जब तुम कार से निकल कर भागी तो मैने सोचा थोड़ा सा खेल और हो जाए.”
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Update 3
“तुम्हारा दोस्त सच में मारा गया. वाह क्या खेल खेला है. जो दूसरो के लिए खड्डा खोदत्ते हैं वो खुद उसमें गिर जाते हैं. तुम्हे भी अपने दोस्त के साथ मर जाना चाहिए था.”
“मैने तुम्हारी जान बच्चाई है और तुम ऐसी बाते कर रही हो.”
“तुम्हारे कारण ही मैं यहा फँसी हूँ समझे. उपर से इतनी ठंड.”
“ब्लो जॉब कर लो गर्मी आ जाएगी.”
“एक बार यहा से निकल जाउ फिर तुम्हे बताती हूँ.” अपर्णा ने मन ही मन कहा.
“वैसे एक बात बताओ…मेरा लंड अपने हाथ में ले कर तुम्हे कैसा महसूस हो रहा था.”
“शट अप मुझे इस बारे में कोई बात नही करनी…एक तो मेरे साथ ज़बरदस्ती करते हो फिर ऐसी बाते करते हो.”
“मैने अपना लंड तुम्हारे हाथ में नही रखा था ओके…तुमने खुद निकाला था मेरी ज़िप खोल कर. वो भी इसलिए क्योंकि तुम मेरा लंड अपने मूह में लेना चाहती थी.”
“तुम्हे शरम नही आती एक लड़की से इतनी गंदी बाते करते हुए.”
“पर तुमने ही तो ब्लो जॉब करने को कहा था. और तुमने ही तो ब्लो जॉब का मतलब समझाया था.”
“तुम अच्छे से जानते हो कि ये सब मैने क्यों किया इसलिए इतने भोले मत बनो. सुबह होते ही तुम भी सलाखों के पीछे होगे. मैं पोलीस को सब कुछ बता दूँगी. तुमने मेरा रेप करने की कोशिश की है.”
“तुम्हारी जान बच्चाने का ये सिला दोगि तुम मुझे…मैं अगर वक्त पर आकर उस के सर पर डंडा नही मारता तो अब तक तुम्हारी भी लाश पड़ी होती वहां.”
“और अगर तुम इतनी घिनोनी हरकत ना करते तो में इतनी रात को इस जंगल में ना फँसी होती.”
“और अगर तुम मुझे बिना किसी मतलब के नौकरी से ना निकालती तो मैं ये सब तुम्हारे साथ नही करता.”
“इसका मतलब तुम्हे कोई पछतावा नही…”
“पछतावा है…मेरे दोस्त की जान चली गयी इस खेल में…”
“मेरे लिए तुम्हे कोई पछतावा नही…”
“तुम्हे तुम्हारे किए की सज़ा मिली है…भूल गयी कितनी रिक्वेस्ट की थी मैने तुम्हे. फिर भी तुमने मुझे ऑफीस से निकलवा कर ही छोड़ा.”
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“देखो ये मेरे अकेले का डिसीज़न नही था. फाइनली ये डिसीज़न बॉस का था.”
“हां पर सारा किया धारा तो तुम्हारा ही था ना.”
“मुझे तुम्हारा काम पसंद नही था. प्राइवेट सेक्टर में ये हर जगह होता है. हर कोई तुम्हारी तरह बदले लेगा तो क्या होगा…और वो भी इतनी घिनोकी हरकत…छी तुम तो माफी के लायक भी नही हो. ये सब करने की बजाए तुम किसी और काम में मन लगाते तो अच्छा होता.”
“ठीक है मुझसे ग़लती हो गयी…बस खुश”
“पर अब यहा से कैसे निकले…वो साइको मेरी कार की चाबी भी ले गया.”
“मेरे घर चलोगि…थोड़ी दूर ही है.”
“नही…मैं सिर्फ़ अपने घर जाउंगी.”
“पर कैसे तुम्हारी कार की चाभी वो ले गया. फोन हमारे पास है नही…वैसे तुम्हारा फोन कहा है.”
“कार में ही था.”
“मेरी बात मानो मेरे घर चलो. वो पागलो की तरह हमे ढूँढ रहा है. हमे जल्द से जल्द यहा से निकल जाना चाहिए”
“क्या तुम्हारे घर फोन होगा.”
“फोन तो नही है वहां भी…पर हम सुरक्षित तो रहेंगे.”
“कितनी दूर है तुम्हारा घर.”
“नज़दीक ही है आओ चलें.”
“पर वो यही कहीं होगा वो हमारे कदमो की आहट सुन लेगा.”
“दबे पाँव चलेंगे…ज़्यादा दूर नही है घर मेरा. और ये जंगल भी ज़्यादा बड़ा नही है. 5 मिनट में इसके बाहर निकल जाएँगे और बस फिर 5 मिनट में मेरे घर पहुँच जाएँगे.”
“घर में कौन-कौन है.”
“मैं अकेला ही हूँ…”
“क्यों तुम्हारी बीवी कहा गयी…”
“तलाक़ हो गया मेरा उस से. या यूँ कहो कि मेरी ग़रीबी से तंग आकर उसने मुझे छोड़ दिया. वक्त बुरा होता है तो परछाई भी साथ छोड़ जाती है. नौकरी छूटने के बाद बीवी भी छोड़ गयी.”
“क्या ये सब मेरे कारण हुआ.”
“जी हां बिल्कुल…चलो छोडो यहा से निकलते हैं पहले.”
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वो धीरे धीरे जंगल से बाहर आ गये.
“कितना अंधेरा है यहा. क्या कोई और रास्ता नही तुम्हारे घर का.”
“रास्ते तो हैं…पर इस वक्त ये सब से ज़्यादा सुरक्षित है. अंधेरे में हम आराम से उस को चकमा दे कर निकल जाएँगे.”
“मैने उस की शक्ल देख ली है. मैं कल पोलीस को सब बता दूँगी.”
“मुझे तो नही फसाओगि ना तुम.”
“वो कल देखेंगे.”
“वैसे इस कम्बख़त ने आकर मज़ा खराब कर दिया. वरना आज पहली बार ब्लो जॉब मिल रही थी…” सौरभ ने मज़ाक के अंदाज में कहा.
“अच्छा क्या तुम्हारी बीवी ने नही किया कभी.” अपर्णा ने भी मज़ाक में जवाब दिया.
“नही…तुमने ज़रूर किया होगा अपने हज़्बेंड के साथ है ना.”
“छोडो ये सब…और जल्दी घर चलो.”
“हां बस हम पहुँचने ही वाले हैं.”
“ये आ गया मेरा घर.” सौरभ ने एक छोटे से कमरे की तरफ इशारा करते हुए कहा.
“ये घर है तुम्हारा…ये तो बस एक कमरा है. और आस पास ज़्यादा घर भी नही हैं” अपर्णा ने कहा
“हां छोटा सा कमरा है ये…पर यही मेरा घर है. ये छोटा सा कस्बा है. जो भी हो इस वक्त जंगल में रहने से तो अच्छा ही है.”
सौरभ ने दरवाजा खोला और अपर्णा को अंदर आने को कहा, “आ जाओ… डरो मत यहा तुम सुरक्षित हो.”
अपर्णा को कमरे में जाते हुए डर लग रहा था. पर उसके पास कोई चारा भी नही था.
“अरे मेडम सोच क्या रही हो… आ जाओ यहा डरने की कोई बात नही है.”
“जो कुछ मेरे साथ हुआ उसके बाद कोई भी डरेगा.”
“समझ सकता हूँ.” सौरभ ने गहरी साँस ले कर कहा
अपर्णा कमरे के अंदर आ गयी.
“देखो इस छोटे से कमरे में बस एक ही बेड है और एक ही रज़ाई” सौरभ ने कहा
“मुझे नींद नही आएगी तुम सो जाओ, मैं इस कुर्सी पर बैठ कर रात गुज़ार लूँगी.”
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“अरे ये सब करने की क्या ज़रूरत है.तुम आराम से बिस्तर पर सो जाओ मैं कंबल ले कर नीचे लेट जाउन्गा.”
“पर मुझे नींद नही आएगी.”
“हां पर ठंड बहुत है…तुम रज़ाई में आराम से बैठ जाओ. सोने का मन हो तो सो जाना वरना बैठे रहना.”
“ठीक है…पर याद रखो कोई भी ऐसी वैसी हरकत की तो…”
“चिंता मत करो मैं ऐसा कुछ नही करूँगा. जंगल में भी मेरा कोई इरादा नही था. वो तो तुमने ब्लो जॉब का ऑफर किया इसलिए मैं बहक गया वरना किसी के साथ ज़बरदस्ती करने का कोई इरादा नही मेरा.”
“तो तुम अब मानते हो कि वो सब ज़बरदस्ती कर रहे थे तुम मेरे साथ.”
“हां पर तुम्हारी रज़ामंदी से हहे…अगर वो काम अब पूरा कर सको तो देख लो”
“उसके लिए तुम्हे मेरी गर्देन पर चाकू रखना होगा और मुझे डराना होगा. मैं वो सब ख़ुशी से हरगिज़ नही करूँगी.” अपर्णा ने गंभीर मुद्रा में कहा.
“फिर रहने दो…उस सब में मज़ा नही है.”
अपर्णा रज़ाई में बैठ गयी और सौरभ कंबल ले कर ज़मीन पर चटाई बिछा कर लेट गया.
“क्या लाइट बंद कर दूं या फिर जलने दूं.” सौरभ ने पूछा.
“जलने दो…” अपर्णा ने कहा.
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.”
कोई 5 मिनट बाद कमरे का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से खड़का.
अपर्णा घबरा गयी कि कहीं वो उनका पीछा करते-हुए वहां तक तो नही आ गया.
अपर्णा ने धीरे से पूछा, “कौन है?’
“शायद कोई पड़ोसी होगा. तुम चिंता मत करो मैं दरवाजा खोलता हूँ पर पहले ये लाइट बंद कर देता हूँ ताकि जो कोई भी हो तुम्हे ना देख सके.”
“ठीक है…”
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Update 4
सौरभ ने दरवाजा खोला और दरवाजा खुलते ही सरपट एक लड़का अंदर आ गया.
“कहा चले गये थे तुम गुरु…मैं कब से तुम्हारी राह देख रहा हूँ.” उस लड़के ने कहा
“कुछ काम से गया था” सौरभ ने जवाब दिया
“हां बहुत ज़रूरी काम था इसे आज…” अपर्णा ने मन ही मन कहा.
“क्या तुम भी गुरु…जब भी मैं जुगाड़ लगाता हूँ तुम गायब हो जाते हो. और ये अंधेरा क्यों कर रखा है… लाइट जला ना.”
“आशु अभी नींद आ रही है…कल बात करेंगे.”
“अरे मैं कब से तुम्हारी वेट कर रहा हूँ गुरु… और तुम कह रहे हो नींद आ रही है.”
“हाँ यार बहुत थक गया हूँ…तू अभी जा कल बात करेंगे.”
“गुरु श्रद्धा है साथ मेरे.”
“श्रद्धा! कौन श्रद्धा?”
“वही मोटू पान्वाले की लड़की जिसकी गान्ड मारी थी तुमने हा…याद आया.”
“हे भगवान ये कैसी-कैसी बाते सुन-नी पड़ रही है मुझे.” अपर्णा ने मन ही मन खुद से कहा
“अच्छा वो….यार तू भी ना हमेशा ग़लत वक्त पर प्लान बनाता है. मैं आज बहुत थका हुआ हूँ. जा तू मौज कर उसके साथ.”
“अरे गुरु कैसी बाते करते हो…आज क्या हो गया है तुम्हे…रोज मुझे कहते थे कब दिलाओगे दुबारा उसकी…आज वो आई है तो…”
“आशु तू नही समझेगा… ये सब फिर कभी देखेंगे.”
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी...”
“सॉरी यार..जाओ मज़े करो.” सौरभ ने कहा.
“अच्छा यार ये तो बता…मुझे तो वो गान्ड देने से मना कर रही है. कह रही है…दर्द होता है बहुत. कैसे करूँ पीछे से उसके साथ.”
“मैं क्या गान्ड मारने में स्पेशलिस्ट हूँ. थूक लगा के डाल दे गान्ड में. हो जाएगा सब.”
“छी कितने गंदे लोग हैं ये. इतनी गंदी बाते कोई नीच ही कर सकता है. और इस सौरभ को ज़रा भी शरम नही है. मेरे सामने ही सब बकवास किए जा रहा है.” अपर्णा ने अपने मन में कहा.
“अरे यार तुझे तो पता है…वो नखरे बहुत करती है. कुछ उल्टा-सीधा हो गया तो अगली बार नही देगी.” आशु ने कहा
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“ऐसा कुछ नही होगा…पहले धीरे से डालना गान्ड में…फिर धीरे-धीरे मारना…धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा…और उसे मज़ा आने लगेगा. हां बस जल्दबाज़ी मत करना”
“क्या तुमने ऐसे ही ली थी उसकी गान्ड?”
“हां किसी की भी गान्ड लेने का यही तरीका है. थोड़ा संयम से काम लेना होता है. पता है ना संयम का मतलब.”
“समझ गया.”
“क्या समझे बताओ तो.”
“धीरे से गान्ड में डालना है.”
“हां ठीक समझे…जाओ अब फ़तेह करलो श्रद्धा की गान्ड.”
“अब तो फ़तेह ही समझो.”
“हां…और ज़बरदस्ती मत करना बेचारी की गान्ड के साथ. अगर ना जाए तो रहने देना… अगली बार में कर के दिखाउन्गा… ओके.”
“पहले फ़तेह करने को कहते हो फिर मायूस करते हो.”
“मेरा कहने का मटकलब है कि आराम से शांति से काम लेना. ठीक है.”
“ओके गुरु… तुम सच में गुरु हो.”
“हां-हां ठीक है जाओ अब.”
“अगर मन करे तो आ जाना मेरे कमरे पे ठीक है गुरु.”
“ठीक है…बाय”
आशु के जाने के बाद. अपर्णा गुस्से में आग-बाबूला हो कर बोली, “तुम्हे शरम नही आई मेरे सामने ऐसी बाते करते हुए.”
“इसमें शरम की क्या बात है…तुम कोई बच्ची तो हो नही. शादी-शुदा हो.”
“मुझे ये सब अच्छा नही लगा. तुम मुझसे अभी भी कोई बदला ले रहे हो है ना.”
“ऐसा कुछ नही है…देखो वो अचानक आ गया…मैं तो बस नॅचुरली बात कर रहा था उसके साथ.”
“इसे तुम नॅचुरल कहते हो.”
“हम तो रोज ऐसे ही बात करते हैं.”
“छी…शरम आनी चाहिए तुम्हे ऐसी गंदी बाते करते हुए. उस बेचारी श्रद्धा का शोषण कर रहे हो तुम.”
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“जिसे तुम शोषण कह रही हो, हो सकता है उसके लिए वो जन्नत हो. वैसे अभी एक बार ही ली है मैने उसकी. आज तुम साथ ना होती तो सारी रात मज़े करता मैं.”
“हां तो मुझसे बदला लेने का प्लान तो तुम्हारा ही था ना…भुगतो अब…वैसे तुम जाना चाहो तो जा सकते हो.”
“नही जब साथ में तुम्हारे जैसी हसीना हो तो उसके साथ कुछ करने का मन नही करेगा.” सौरभ ने धीरे से कहा
“क्या कहा तुमने…” अपर्णा ने सुन तो सब लिया था पर फिर भी उसने यू ही पूछ लिया.
“कुछ नही सो जाओ…” सौरभ ने जवाब दिया.
“कमीना कहीं का. इसकी नीयत ठीक नही है. मुझे सावधान रहना होगा. पता नही क्या हो रहा है आज मेरे साथ,” अपर्णा से अपने सर पर हाथ रख कर खुद से कहा.
“वैसे एक बात कहूँ.” सौरभ ने कहा.
“क्या है अब.”
“जिस कामुक अंदाज से तुमने मेरा लंड मेरी ज़िप खोल कर बाहर निकाला था उसने बहुत उत्तेजित कर दिया था मुझे.”
“वो कोई कामुक अंदाज नही था. डरी हुई थी मैं. मेरे हाथ काँप रहे थे.”
“वैसे मेरे लंड को हाथ में ले कर तुम किसी सोच में डूब गयी थी. इतना बड़ा पहले नही देखा ना तुमने?”
“बकवास बंद करो और चुपचाप सो जाओ.”
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Update 5
“मुझे तुम्हारा साथ बहुत अच्छा लग रहा है.”
“बस्टर्ड…” अपर्णा ने दाँत भींच कर कहा.
अपर्णा रज़ाई में दुबक कर चुपचाप बैठी थी. ऐसी हालत में उसे नींद आना नामुमकिन था. उसे बस सुबह होने का इंतेज़ार था.
“हे भगवान किसी तरह से ये रात बीत जाए. ना जाने किसका मूह देखा था सुबह.”
“मेडम एक बात बताना भूल गया.” सौरभ ने अचानक कहा.
अपर्णा जो की अपनी सोच में दुबई थी अचानक सौरभ की आवाज़ सुन कर चोंक गयी.
“क्या है अब?”
“तुम्हारी दाई तरफ पर्दे के पीछे टॉयलेट है…”
“ठीक है…ठीक है”
“मुझे लगा तुम्हे बता दूं... कहीं तुम परेशान रहो.”
“ठीक है…तुम सो जाओ”
“वैसे सच कहूँ तो मुझे भी नींद नही आ रही.”
“क्यों तुम्हे क्या हुआ है…तुम्हे तो खुश होना चाहिए आज. तुम्हारा बदला जो पूरा हो गया.”
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“ बहुत अच्छा दोस्त था विकास मेरा.”
“ कौन विकास?”
“ वही जिसने तुम्हारी कार रुकवाई थी.”
“ उसके परिवार में कौन- कौन है.”
“ उसका छोटा भाई है और मा है. उसके बापू का बहुत पहले देहांत हो गया था. शादी अभी तक उसकी हुई नही थी. बड़ी मुस्कलिल से माना था मेरा साथ देने के लिए. आख़िर तक मुझे समझाता रहा कि सोच लो… मुझे ये सब ठीक नही लग रहा”
“ पर तुमपे तो मुझसे बदला लेने का भूत सवार था है ना.” अपर्णा ने कहा.
“ ठीक है जो हो गया सो गया… पर मुझे विकास के लिए बहुत दुख है.”
“ मुझे बस सुबह होने का इंतेज़ार है.”
………………………………………………………….
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इधर आशु अपने कमरे में वापिस आ जाता है.
“गुरु नही आएगा…वो थका हुआ है…”
“तो मैं कौन सा उसे बुला रही थी…तुम ही चाहते थे उसे बुलाना.” श्रद्धा ने कहा.
“क्यों अच्छे से नही मारी थी क्या गान्ड गुरु ने तुम्हारी पिछली बार जो ऐसे कह रही हो.”
“मुझे बहुत दर्द हुआ था आशु…इसीलिए तो मैं दुबारा वहां से नही करूँगी…”
“ये खूब कहा…तू मेरी गर्ल फ्रेंड है…गुरु को तो गान्ड दे दी…मुझे देने से मना कर रही है.”
“तुम ही लाए थे उस दिन उसे वरना मैं कभी नही होने देती ऐसा…”
“चल छोड़ ये सब आ ना घूम जा…आज बहुत मन कर रहा है गान्ड मारने का, देखूं तो सही कि इसमे कैसा मज़ा आता है.” आशु ने श्रद्धा के चुतड़ों पर हाथ रख कर कहा.
“आगे से करो ना…वहां ऐसा कुछ अलग नही है.” श्रद्धा ने कहा.
“मुझे एक बार टेस्ट तो कर लेने दे…”
“नही मुझे दर्द होता है वहां.”
“कुछ नही होगा…मैं गुरु से सीख कर आया हूँ.”
“क्या सीख कर आए हो.”
“यही कि गान्ड कैसे मारनी है.”
“मुझे नही करना ये सब…आगे से करते हो तो ठीक है वरना मैं चली…मुझे सुबह बहुत काम देखने हैं…लेट हो रही हूँ.”
“तू तो कहती थी कि सारी रात रहेगी मेरे साथ.”
“तो तुमने कौन सा बताया था कि तुम ये सब करोगे…”
“तो तुमने गुरु को क्यों डालने दिया था गान्ड में”
“वो उसने मुझे बातो में फँसा लिया था बस…वरना मेरा कोई इरादा नही था.”
“ह्म्म…यार ऐसे मत तडपा मान जा ना.” आशु ने श्रद्धा को बाहों में भर के कहा.
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“ठीक है एक शर्त पर…दुबारा नही करूँगी…ये पहली और आखरी बार होगा.”
“ठीक है मंजूर है मुझे…” आशु ने हंस कर कहा. उसकी आँखो में चमक आ गयी थी.
श्रद्धा जो कि पूरी तरह नंगी थी उल्टी घूम कर पेट के बल लेट गयी.
“ऐसे नही…कुतिया बन जाओ…गान्ड मारने का मज़ा कुत्ता-कुत्ति बन कर ही आएगा.”
श्रद्धा ने पोज़िशन ले ली और बोली, “भो-भो”
“ये क्या है…”
“तुम्ही तो कह रहे थे कुतिया बन जाओ…अब तुम भी कुत्ते की तरह ही करना ओके…” श्रद्धा ने हंस कर कहा.
“वह यार क्या आइडिया है…तू सच में हॉट आइटम है…मज़ा आएगा तेरी गान्ड मार कर.”
“अब मारेगा भी या बकवास ही करता रहेगा, मेरा मूड बदल गया तो मैं कुछ नही करने दूँगी.”
“ओके…ओके…बस डाल रहा हूँ…वो मैं गुरु की बताई बाते सोच रहा था. उसने मुझे बताया था कि कैसे करना है.”
“गुरु को छोडो…उसने बहुत दर्द किया था मुझे…तुम अपने दिमाग़ से काम लो…आराम से धीरे से डालो.”
“अरे हां यही तो गुरु भी कह रहा था…अच्छा ऐसा करो दोनो हाथो से अपनी गान्ड के पुथो को फैला लो, लंड को अंदर जाने में आसानी होगी.” आशु ने अपने लंड पर थूक रगड़ते हुए कहा.
“थोडा सा मेरे वहां भी थूक लगा देना…” श्रद्धा ने सर घुमा कर कहा और अपने चुतड़ों को आशु के लंड के लिए फैला लिया.
“हां-हां लगा रहा हूँ पहले अपने हथियार को तो चिकना कर लू. चिंता मत कर तेरी गान्ड को चिकनी करके ही मारूँगा.” आशु ने बहके-बहके अंदाज में कहा.
“वैसे तुम्हे आज ये सब करने का भूत कैसे सवार हो गया.”
“गुरु ने मुझे बताया था कि उसे तेरी गान्ड मार के बड़ा मज़ा आया था. तभी से मैं भी लेने को तड़प रहा था.” आशु ने जवाब दिया.
“वैसे मुझे ज़्यादा मज़ा नही आया था.”
“कोई बात नही अब आएगा मज़ा तुझे.” आशु ने कहा
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