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Update 77
सुबह 11 बजे गौरव समशान घाट में था. अपर्णा के पेरेंट्स का अंतिम शंसकार हो रहा था.
गौरव चुपचाप खड़ा हो गया अपर्णा के पास. कुछ बोल नही पाया. हेमंत (गब्बर) भी पास में ही खड़ा था. आशुतोष कुछ दूरी पर खड़ा था. अपर्णा को परेशान नही करना चाहता था वो. इसलिए उस से दूर ही रहा. सौरभ को भी बुला लिया था आशुतोष ने फोन करके. वो भी आशुतोष के पास ही खड़ा था.
अपने पेरेंट्स की चिता को देखते हुए अपर्णा की आँखे टपक रही थी. अपर्णा की नज़र सौरभ पर गयी तो वो आई उसके पास और बोली, “देखो तुम्हारे उस दिन के खेल ने क्या कहर ढा दिया मेरी जिंदगी में. सब तुम्हारे कारण हुआ है. चले जाओ तुम यहाँ से. तुम्हे यहाँ किसने बुलाया है.”
सौरभ ने कुछ नही कहा. वो चुपचाप नज़रे झुकाए खड़ा रहा.
“मैं तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगी.” अपर्णा फूट फूट कर रोने लगी. अपर्णा की चाची ने उसे रोते देखा तो उसे गले से लगा लिया. “बस अपर्णा बस.”
बहुत ही दुख भरा माहौल था वहाँ. जलती हुई चिता के साथ साथ कई सारी ख़ुशीया, सपने, उम्मीदे भी जल रही थी. अपने किसी करीबी की मृत्यु इंसान के अस्तितव को हिला देती है. कुछ ऐसा ही हो रहा था अपर्णा के साथ. वक्त लगेगा उसे फिर से संभलने में. बहुत वक्त लगेगा.
अपर्णा की हालत ना आशुतोष देख पा रहा था और ना ही गौरव. दोनो बस उसे तड़प्ते हुए देख ही सकते थे. अजीब स्तिथि थी जिंदगी की ये.
अंकिता भी थी वहाँ. वो भी चुपचाप खड़ी थी. गौरव उसके पास गया और बोला, “मेडम आज मुझे छुट्टी चाहिए. मेरा मन बहुत उदास है. कुछ भी करने का मन नही है.”
“ठीक है जाओ….मगर कल और ज़्यादा मेहनत करनी पड़ेगी तुम्हे.” अंकिता ने कहा.
“थॅंक यू मेडम.” गौरव ने कहा
हेमंत और उसके पेरेंट्स बड़ी मुश्किल से ले गये अपर्णा को शमशान से. वो वहाँ से जाने को तैयार ही नही थी. घर आकर उसने खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया. आशुतोष हमेशा की तरह अपनी जीप में बैठ गया.
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गौरव जब घर पहुँचा तो उसे रीमा का फोन आया, “कैसे हो गौरव.”
“ठीक हूँ मैं तुम कैसी हो.”
“मैं भी ठीक हूँ. मिस कर रही हूँ तुम्हे.”
“मेरे घर आ सकती हो.”
“क्यों नही आ सकती…तुम बुलाओ तो सही.”
“आ जाओ फिर.”
“मैं कॉलेज में हूँ. बस अभी 20 मिनिट में आती हूँ तुम्हारे पास.”
“हां आ जाओ. आय ऍम वेटिंग फॉर यू.”
रीमा पहुँच गयी घर 20 मिनिट में.
“ये सर पे क्या हुआ… …” रीमा हैरान रह गयी.
गौरव ने सरिता के घर की घटना सुनाई रीमा को.
“ओ.ऍम.जी. क्या वो साइको था सरिता के घर में.”
“कुछ कह नही सकते अभी….मैने अपनी छ्होटी बहन को देल्ही भेज दिया है. पेरेंट्स तो पहले से ही वही हैं. मैं नही चाहता की उन्हे कुछ नुकसान पहुँचे. तुम भी कुछ दिन दूर रहना मुझसे. मैं नही चाहता की तुम्हे कुछ नुकसान पहुँचे.”
“मैं तुमसे दूर नही रह सकती. अपने बॉय फ्रेंड से भी ब्रेकप कर लिया मैने तुम्हारे लिए. तुम्हारी अडिक्षन हो गयी है मुझे.”
“ऐसा क्या हो गया रीमा”
“तुम खुद से पूछो.”
“पता है मैने छोटी सी भूल पूरी पढ़ ली रात”
“वाओ..देट्स रियली ग्रेट….अब अपने व्यूस बताओ.”
“बेडरूम में चलते हैं आराम से लेट कर बात करेंगे.”
“हां बिल्कुल…वैसे आज घर पर कैसे हो?”
“यार शंसान से आया हूँ अभी. अपर्णा को देख कर दिल व्यथित हो गया. कुछ करने का मन नही था. छुट्टी ले ली मैने एक दिन की.”
“अच्छा किया गौरव. कभी-कभी छुट्टी भी लेनी चाहिए.”
रीमा और गौरव बेडरूम में आ गये और एक दूसरे के सामने लेट गये.
“हां तो जानेमन अब बताओ कैसी लगी छोटी सी भूल. मैं जान-ना चाहती हूँ की मेरी फेवोवरिट स्टोरी के बारे में तुम्हारे क्या विचार हैं.”
“वाहियात स्टोरी थी पूछो मत.”
“क्या ऐसा कैसे कह सकते हो तुम.”
“और नही तो क्या… ऐसी कोई बात नही थी उसमे जो कि वो हिन्दी सेक्सी कहानियाँ पर हिट हुई.”
“मुझे तो बहुत अच्छी लगी थी खैर जाने दो …” रीमा का चेहरा उतर गया.
“रीमा मज़ाक कर रहा हूँ.. …छोटी सी भूल मेरी भी फेवोवरिट बन गयी है.”
“हद करते हो तुम भी ….”
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“अच्छा सुनो मैं अपना रिव्यू देता हूँ.”
“हां बोलो मैं सुन रही हूँ.”
“छोटी सी भूल एक ऐसी कहानी है जो हमें जिंदगी का मतलब सिखाती है. ये कहानी हमारी अन्तेर आत्मा को झकज़ोर देती है. जीवन के काई पहलुओं को उजागर करती है ये कहानी. अगर आप एक नारी को समझना चाहते हैं तो ये कहानी पढ़ें. अगर आप ये जान-ना चाहते हैं कि ब्लात्कार का नारी के अस्तिताव पर कितना गहरा घाव होता है तो छोटी सी भूल ज़रूर पढ़ें. बहुत ही अच्छे से समझाया है एक औरत की भावनाओ को छोटी सी भूल ने.
ऋतु के जैसा कॅरक्टर किसी कहानी में नही देखा मैने. वो भटकती है जिंदगी में. बिल्लू की हवस का शिकार हो जाती है. बहुत गिर जाती है अपनी जिंदगी में. मगर उसके चरित्र की एक बात हमएसा उसके प्रति प्रेम जगाए रखती है. वो बात है उसका ये अहसास की वो ग़लत कर रही है, पाप कर रही है. कितने लोग हैं दुनिया में जिन्हे ये अहसास भी होता है की वो कुछ ग़लत कर रहे हैं. हम कभी अपनी ग़लती स्वीकार नही करते. मगर ऋतु हमेशा स्वीकार करती है. ये उसके चरित्र की सुंदरता को दर्शाता है.
ये कहानी दिखती है की किस तरह बदले की आग किसी की जिंदगी बर्बाद कर सकती है. बिल्लू की बहन का रेप हुआ. ऋतु के हज़्बेंड ने किया रेप कुछ लोगो के साथ मिल कर. बिल्लू ने बदले की आग में ऋतु को सिड्यूस किया और उसके चरित्र को छलनी छलनी कर दिया. ये सब बातें बहुत ही एरॉटिक रूप में दिखाई गयी हैं कहानी में. ज़रूरी भी था. कहानी ही कुछ ऐसी थी. सेक्स इस कहानी का अटूट हिस्सा लगता है. क्योंकि बिल्लू सेक्स का ही सहारा लेता है संजय से बदला लेने के लिए. ऋतु को बहुत ही बुरी तरह सिड्यूस किया जाता है और उसे बर्बाद कर दिया जाता है.
ऋतु और बिल्लू दोनो को बहुत गिरते हुए दिखाया गया कहानी में. मगर कहानी कुछ और ही रूप लेती है बाद में. जतिन ने दिखाया है की जो इंसान गिरता है उसकी ही उपर उठने की भी संभावना होती है. बहुत गिरे ऋतु और बिल्लू दोनो और बाद में इतना उठे की शायद हम लोग उतना उठने की सोच भी ना पाए.
प्यार हुआ उन दोनो के बीच और ऐसा प्यार हुआ की आप रो पड़ेंगे देख कर. खूब रोया मैं रात को. इतनी सुंदर प्रेम कहानी मैने अपनी जिंदगी में नही पढ़ी.
पेज नो 79 से 89 तक प्यार का तूफान चलता है कहानी में जिसमें की आप उलझ जाते हैं और आप ना चाहते हुए भी आँसू बहाने लगते हैं. ऐसा तूफान सिर्फ़ जतिन भाई ही क्रियेट कर सकते हैं. अभी तक निकल नही पाया मैं उस तूफान से और सच पूछो तो निकलना चाहता भी नही. पता नही कितनी बार पढ़ुंगा मैं पेज 79 से 89 तक. पर ये जानता हूँ की हर बार एक बार और पढ़ने की इतचा होगी. क्या किसी रीडर के साथ कोई और कर सकता है ऐसा जतिन भाई के अलावा. कोई भी नही.
प्यार की जो उँचाई दिखाई गयी है बिल्लू और ऋतु के बीच उसे बहुत कम लोग समझेंगे. क्योंकि बहुत से लोग प्यार को समझते ही कहा हैं. ऐसी उँचाई हर कोई नही पा सकता अपनी जिंदगी में.
छोटी सी भूल एरॉटिक ब्लास्ट से शुरू हो कर प्यार के तूफान पर ख़तम होती है. इस एक लाइन में ही मेरा पूरा रिव्यू छुपा है. जो इस लाइन की गहराई को समझ लेगा वो पूरी कहानी को समझ लेगा.
आख़िर में यही कहूँगा की प्यार का संदेश है छोटी सी भूल. ये संदेश हमें कुछ इस तरह से सुनाया है जतिन भाई ने की आँखे बहने लगती है सुनते हुए. इंटरनेट पर इस कहानी से ज़्यादा सुन्दर कहानी नही मिलेगी. जतिन भाई की खुद की स्टोरीस भी शायद इस कहानी का मुक़ाबला नही कर सकती. उन सभी लोगो को छोटी सी भूल पढ़नी चाहिए जो प्यार को समझना चाहते है, जिंदगी को समझना चाहते हैं और डूब जाना चाहते हैं एक प्यारी सी दुनिया में. और क्या कहूँ…दिस ईज़ आ मस्ट रेड”
गौरव जब अपनी बात करके हटा तो उसने देखा की रीमा की आँखे नम हैं.
“अरे क्या हुआ तुम्हे?” गौरव ने पूछा.
“तुम्हारे रिव्यू ने फिर से रुला दिया. पूरी कहानी आँखो में घूम गयी.”
“मेरे दिल में जो था इस कहानी के लिए कह दिया.”
“बहुत अच्छा रिव्यू दिया है. एक बार फिर से पढ़ूंगी घर जा कर. कहानी को नये रूप में सामने रखा है तुमने.”
“ह्म्म.. आज पहली बार घर आई हो कुछ लोगि.”
“तुम पास रहो बस मेरे…और कुछ नही चाहिए.” रीमा ये बोल कर चिपक गयी गौरव से.
“क्या तुमने सच में छोड़ दिया अपने बॉय फ्रेंड को मेरे लिए.”
“झूठ नही बोलती हूँ मैं.”
“ऐसा क्यों किया तुमने पर”
“मुझे नही पता … तुम्हारा साथ अच्छा लगता है बस”
“रेल बनवाने की आदत पड़ गयी क्या.”
“आज मेरी डेट्स आई हुई हैं. सेक्स के लिए नही आई हूँ यहाँ. तुम्हारे साथ के लिए आई हूँ”
“सॉरी रीमा मज़ाक कर रहा था.. ….”
“आइ लव यू गौरव.”
“क्या … क्या कहा तुमने.”
“आइ लव यू”
“रीमा हटो यार मज़ाक मत करो. मैं कुछ लाता हूँ तुम्हारे लिए.”
रीमा ने गौरव की आँखो में देखा और बोली, “आइ लव यू, क्या मज़ाक में कहता है कोई किसी को.”
गौरव रीमा को अपने से अलग कर देता है, “रीमा दिस ईज़ टू मच. दोस्त हैं हम. दोस्त ही रहेंगे. तुम्हे पता है मैं किस से प्यार करता हूँ फिर भी.”
“हां पर वो तुमसे बात तक नही करती. क्यों पीछे पड़े हो उसके. क्या पता वो किसी और को चाहती हो.”
“रीमा प्लीज़ ये सब बोलने की ज़रूरत नही है तुम्हे. अगर तुम सच में प्यार करती हो मुझे तो धन्यवाद है तुम्हारा. मगर मैं झूठ नही बोलूँगा. मेरे दिल में तुम्हारे लिए कोई अहसास नही है. तुम्हे धोका नही दे सकता. मैं तुम्हे दोस्त के रूप में देखता हूँ और कुछ नही.”
रीमा की आँखे टपकने लगी ये सुन कर. गौरव ने ये देख कर उसे बाहों में भर लिया और बोला, “पागल हो गयी हो तुम क्या. रो क्यों रही हो. मैने तुम्हे सच बोल दिया रीमा. झुत बोलने से फायदा क्या है. कभी तुमसे प्यार हुआ तो ज़रूर कहूँगा. अभी वो अहसास नही है तो कैसे कह दूं.”
“कोई बात नही गौरव. चलो छोड़ो. लाओ कुछ खाने के लिए भूक लगी है मुझे. वैसे सच ही कहा था तुमने, बिल्लू और ऋतु के जैसा प्यार हर किसी को नसीब नही हो सकता. काश मेरी छोटी सी भूल भी प्यार में बदल जाती. मेरी तुम्हारी गाड़ी तो सेक्स पर ही रुक गयी है. एक दूसरे के शरीर से खेले और बाय-बाय करके चलते बने.”
“अब कैसे सम्झाउ तुम्हे.”
“कुछ समझाने की ज़रूरत नही है. चलो कुछ खाने को ले आओ. भूक लग रही है मुझे.”
“यार खाना तो बनाना पड़ेगा. ऐसा करता हूँ बाहर से मॅंगा देता हूँ.”
“नही…बाहर से क्यों मँगाओगे. मैं बना देती हूँ.”
रीमा ने प्यार से स्वदिस्त खाना बनाया.
“वाह यार बहुत अच्छा खाना बनाती हो तुम तो. मज़ा आ गया.”
गौरव मुझे कॉलेज जाना होगा. एक असाइनमेंट सब्मिट करनी थी शाम तक. वो सब्मिट करके घर चली जाउंगी.”
“ठीक है मैं तुम्हे छोड़ दूँगा. अभी तो 2 ही बजे हैं.”
“बस अभी छोड़ दो तो अतचा है. असाइनमेंट लिखनी भी तो है अभी. लाइब्ररी में बैठ कर लिख लूँगी.”
“ओके…जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.”
गौरव रीमा को कॉलेज छोड़ कर घर वापिस आ जाता है और बेड पर लेट जाता है. उसके दिमाग़ में रीमा की कही बाते ही घूम रही थी. जब वो उसे कॉलेज छोड़ने गया था तो रीमा रास्ते भर चुप रही थी. गौरव की जीप से उतर कर उसने गौरव को एक दर्द भारी मुस्कान से बाय किया था.
“ओह रीमा मुझे वक्त दो. झुत नही बोल सकता था तुमसे. तुम आतची लड़की हो. सुंदर हो. काश तुमसे ही प्यार हो जाए मुझे. प्यार भी अजीब चीज़ है. जहा ढूँढते हैं वहाँ नही मिलता. जहा पाने की तम्मन्ना भी नही होती वहाँ मिल जाता है. सोचूँगा रीमा तुम्हारे बारे में. थोडा सा वक्त दो मुझे.”
सोचते-सोचते गौरव की आँख लग गयी. बहुत गहरी नींद शो गया वो.
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Update 78
शाम के 8 बजे उसे डोर बेल ने जगा दिया.
गौरव ने घड़ी में टाइम देखा, “ओ.ऍम.जी. 8 बाज गये. इतनी देर तक शोता रहा मैं. कौन है इस वक्त.”
गौरव ने दरवाजा खोला तो उसे दरवाजे पर एक लिफ़ाफ़ा पड़ा हुआ मिला. गौरव ने दायें बायें देखा पर उसे कोई दिखाई नही दिया.
गौरव ने लिफ़ाफ़ा खोला उसने जो देखा उसे देख कर उसके पाँव के नीचे से ज़मीन निकल गयी. रीमा की फोटो थी उसमें. रीमा के शरीर पर एक भी कपड़ा नही था और उसे बेड पर बाँध रखा था. एक चिट्ठी भी थी लिफाफे में. उसमें लिखा था.
“हेलो मिस्टर पांडे,
मिलने का वक्त आ गया है. आपके किसी करीबी को ढूँढ रहा था मैं. इस लड़की को आप कॉलेज छोड़ कर गये और मैं इसे उठा लाया. ऐसा कीजिए आप उसी खँडहर में आ जाइए चुपचाप जहा आपको निशा और रामू की खूबसूरत डेड बॉडीस मिली थी. कोई चालाकी दिखाई तो रीमा का जो हाल करूँगा वो तो तुम जानते ही हो. और घबराना मत. मेरी आर्ट का हिस्सा बन-ने जा रहे हो तुम. तुम्हे फख्र होगा कि तुम मेरे हाथो मारे गये. जल्दी आइए आपके लिए एक गेम तैयार है. तुम्हारे घर से बस आधे घंटे का रास्ता है. तुरंत पहुँच जाओ वरना अंजाम तुम जानते ही हो.”
गौरव के पास कुछ भी सोचने का वक्त नही था. उसे हर हाल में टाइम से खँडहर पहुँचना था. उसने सोचा भी नही था की साइको रीमा को उठा लेगा उसे अपने जाल में फँसाने के लिए. गौरव ने मोबायल निकाला एएसपी साहिबा को फोन करने के लिए. मगर तभी उसका फोन बज उठा.
“हेलो” गौरव ने कहा.
“किसे फोन कर रहे हो मिस्टर गौरव पांडे. आप से ऐसी उम्मीद नही की थी मैने. आपकी हर हरकत पर नज़र है मेरी.”
गौरव ने चारो तरफ देखा नज़रे दौड़ा कर पर कोई दिखाई नही दिया. “ज़रूर कोई कॅमरा लगा रखा है कामीने ने.” गौरव ने सोचा.
“क्या सोच रहे हो मिस्टर पांडे. लगता है रीमा कि कोई चिंता नही तुम्हे. ये मोबायल एक तरफ फेंक दो और बिना किसी चालाकी के खँडहर आ जाओ. ”
“ओके आ रहा हूँ. मेरी जीप की चाबी अंदर पड़ी है. वो तो उठा सकता हूँ ना.”
“हां उठा लो. मगर कोई चालाकी मत करना. तुम्हारे हर मूव पर नज़र है मेरी”
गौरव घर के अंदर गया और थोड़ी देर में बाहर आ गया. मगर बाहर आते ही उसने देखा कि ऋतू रिपोर्टर मायक लिए खड़ी है.
“इनस्पेक्टर गौरव पांडे जी क्या आप बता सकते हैं कि ये साइको कौन हो सकता है.” ऋतू ने पूछा.
“देखिए मैं इस वक्त बहुत जल्दी में हूँ. प्लीज़ अभी कुछ मत पूछिए.” गौरव अपनी जीप की तरफ बढ़ा.
“देखिए लोगो को साइको के बारे में जान-ने का पूरा हक़ है ताकि वो सतर्क रह सकें..” ऋतू ने कहा.
गौरव ने आगे बढ़ कर ऋतू को गले लगा लिया और बोला, “तुम्हारी जेब में एक चिट्ठी डाल रहा हूँ. एएसपी साहिबा से कॉंटॅक्ट करना. यहाँ मत पढ़ना.”
ऋतू को कुछ समझ नही आया. गौरव फ़ौरन जीप ले कर निकल गया वहाँ से.
“क्यों किया उसने ऐसा …. कुछ गड़बड़ है. चिट्ठी कही और जा कर पढ़ती हूँ.” ऋतू ने मन ही मन कहा.
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गौरव फुल स्पीड से 20 मिनिट में ही पहुँच गया खँडहर पर. बड़ी सावधानी से उतरा वो जीप से. हाथ में गन तान कर खँडहर में घुस गया. कोई हलचल, कोई आवाज़ नही हो रही थी वहाँ. बिल्कुल सुनसान पड़ा था वो खँडहर.
गौरव पूरी सतर्कता से आगे बढ़ रहा था. खँडहर के हर कोने में ध्यान से देख रहा था. जब वो उसी टूटे हुए कमरे में पहुँचा जिसमे की निशा और रामू की लाश मिली थी तो उसके होश उड़ गये.
“रीमा!” गौरव चिल्लाया.
रीमा नही थी वो. कोई और थी. पीठ में खंजर गाड़ कर उसे दीवार के सहारे खड़ा कर रखा था. उसकी पीठ थी गौरव की तरफ. पहली नज़र में वो उसे रीमा ही लगी.
गौरव भाग कर आया उसके पास. उसने उस लड़की के कंधे पर हाथ रखा ही था कि उसके गले पर कोई नुकीली चीज़ आ कर गढ़ गयी. उसने तुरंत पीछे मूड कर देखा तो पाया कि एक नकाब पोश बिल्कुल उसके पीछे खड़ा है. ज़्यादा कुछ नही देख पाया वो. कुछ ही देर में वो बेहोश हो गया.
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ऋतू ने गौरव के घर से थोड़ा दूर जाकर पढ़ी वो चिट्ठी. “ओ.ऍम.जी.…साइको ने इनस्पेक्टर की गर्ल फ्रेंड को किडनॅप कर लिया …..और इनस्पेक्टर को बुलाया है खँडहर में.”
ऋतू के पास एएसपी साहिबा का नंबर नही था. वो तुरंर कॅमरमन को साथ लेकर थाने पहुँची और अंकिता को वो चिट्ठी दिखाई.
“ओह नो….” अंकिता ने तुरंत बेल बजाई.
एक कॉन्स्टेबल अंदर आया.
“चौहान को भेजो जल्दी अंदर…और सभी को इक्कथा होने के लिए बोलो. हमें एक ऑपरेशन पे निकलना है.”
“जी मेडम”
चौहान अंदर आया तो अंकिता ने उसे वो चिट्ठी दिखाई.
“ये रीमा कौन है…मेडम.” चौहान ने पूछा.
“ये सोचने का वक्त नही है…जल्दी से ऑपरेशन की तैयारी करो. 2 मिनिट में निकलना है हमें.”
चौहान ने कुछ ध्यान नही दिया अंकिता की बात पर और अपनी बहन रीमा को फोन मिलाया. मगर फोन स्विच्ड ऑफ मिला.
“कही ये मेरी बहन रीमा तो नही….गौरव का उस से क्या लेना देना… …”
“ये सब बाद में सोचेंगे बेवकूफ़. जल्दी से ऑपरेशन के लिए रेडी करो सबको. ये साइको बचके नही जाना चाहिए आज.” अंकिता ने दृढ़ता से कहा. “थॅंक यू ऋतू. प्लीज़ अभी कुछ मत दिखना टीवी पर. और हमारे साथ भी मत आना. बहुत ख़तरा है वहाँ.”
“ख़तरा माल लेना ही हमारी जॉब है मेडम. डॉन’ट वरी अबौट मी.”
“ओके आस यू विस”
5 मिनिट बाद अंकिता पोलीस की बहुत बड़ी पार्टी ले कर निकल पड़ी खँडहर की ओर.
मगर जब वो वहाँ पहुँचे तो वहाँ उन्हे बस एक लड़की की लाश मिली. जिसकी पीठ में खंजर गढ़ा था.
“ओह शूकर है ये मेरी बहन नही है.” चौहान लड़की के चेहरे को देख कर बोला.
“मगर गौरव कहा है?” अंकिता ने कहा.
“डर कर भाग गया होगा वो मेडम” चौहान ने कहा.
“पागल हो गये हो क्या तुम. बिना सोचे समझे कुछ भी बोले जा रहे हो. अच्छे से हर तरफ देखो.” अंकिता ने चौहान को डाँट दिया.
खँडहर में कर तरफ देखा गया. खँडहर के पीछे जो जंगल था वहाँ भी हर तरफ देखा गया. मगर गौरव का कुछ पता नही चला.
“ऐसा करो पूरा जंगल छान मारो. लगता है हमें आने में देरी हो गयी. कुछ अनहोनी की आशंका हो रही है मुझे.” अंकिता ने कहा.
पूरा जंगल भी छान लिया पोलीस ने मगर उन्हे गौरव का कुछ शुराग नही मिला. मगर फिर भी पोलीस की तलाश जारी रही.
“खँडहर में बुलाया उसने गौरव को. खँडहर बिल्कुल जंगल के पास है. इस जंगल में ही गड़बड़ लगती है. पर कुछ मिल क्यों नही रहा.” अंकिता प्रेशान हो रही थी.
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02-01-2020, 01:42 PM
Update 79
गौरव की जब आँख खुली तो उसने खुद को एक बंद कमरे में पाया. तुरंत उसकी नज़र कमरे में बिछे बेड पर गयी. रीमा निर्वस्त्र पड़ी थी उसके उपर. उसके हाथ पाँव बँधे हुए थे. बिस्तर पर ही उसके कपड़े भी पड़े थे.
“रीमा!” गौरव चिल्लाया.
“गौरव प्लीज़ मुझे बचा लो. मैं मरना नही चाहती.” रीमा रोते हुए बोली.
गौरव तुरंत उठ कर रीमा के पास आया और उसके हाथ पाँव खोल दिए.
“रीमा तुम बिल्कुल चिंता मत करो…मैं हूँ ना”
“ये वही कमरा लग रहा है जो कि हमने उस ड्व्ड में देखा था.”
“हां वही है ये. बिल्कुल वही है.” गौरव ने कहा.
“बहुत खूब मिस्टर पांडे…तुमने तो मेरे कहे बिना ही गेम शुरू कर दी. मैं भी तुम्हे यही बोलना चाहता था कि रीमा के हाथ पाँव खोलो पहले.” कमरे में आवाज़ गूँज उठी. आवाज़ एक छोटे से स्पीकर से आ रही थी जो कि दीवार पर टंगा था.
“तुम चाहते क्या हो?” गौरव ने कहा.
“बहुत ही सिंपल सी गेम है. हाथ तुमने खोल ही दिए हैं रीमा के. अब इसकी गर्दन काट कर उस डब्बे में रख दो जो कि बिस्तर के पास रखा है.”
गौरव का चेहरा गुस्से से लाल हो गया, “अच्छा क्यों ना तुम्हारी गर्दन काट कर रख दूं इस डब्बे में. अगर हिम्मत है तो आ जाओ यहाँ. खँडहर में भी तुमने एक नपुंसक की तरह पीछे से वार किया. सच बता है ना तू नमार्द?”
“मिस्टर पांडे समझ सकता हूँ मैं. तुम्हारी गर्ल फ्रेंड को उठा लाया मैं. तुम गुस्से में हो. पर मैं एक आर्टिस्ट हूँ. शांति से काम करता हूँ. वैसे तुम्हारे पास इसका सर काटने के अलावा कोई चारा नही है. टीवी ऑन करके देखो समझ जाओगे….हाहहाहा”
गौरव ने टीवी ऑन किया तो उसके होश उड़ गये. “पिंकी!... कमिने तुझे मैं जिंदा नही छ्चोड़ूँगा.”
गौरव ने देखा कि पिंकी एक बंद कमरे में खड़ी है. उसके साथ एक आदमी भी खड़ा है.
“तुम्हारी बहन के साथ जो आदमी बंद है उस कमरे में वो रेपिस्ट है. कई रेप कर चुका है. तुम तो इसे जानते ही होंगे. पोलीस इनस्पेक्टर हो तुम तो.”
गौरव उस आदमी को देखते ही पहचान गया. उसके उपर रेप के 2 केस चल रहे थे पर सज़ा नही मिल पाई थी.
“ये आदमी रेप करेगा तुम्हारी बहन का. अगर तुम चाहते हो कि तुम्हारी बहन रेप से बच जाए तो तुरंत काट डालो गला रीमा का. अगर ऐसा नही किया तो 5 मिनिट के बाद ये आदमी टूट पड़ेगा तुम्हारी बहन पिंकी पर. चाय्स तुम्हारी है. तुम्हे बहन की इज़्ज़त प्यारी है या अपनी गर्ल फ्रेंड की जान.”
“कमिने इसे तू गेम कहता है. साले तू इंसान है या जानवर. आजा यहाँ और आमने सामने बात कर. तेरा ये गेम खेलने का शॉंक ना भुला दिया तो मेरा नाम भी गौरव नही.”
“हाहहाहा…मज़ा आएगा. इंट्रेस्टिंग. एक मिनिट बर्बाद कर दिया तुमने. कुछ करो वरना बहन की लुट-ती हुई इज़्ज़त देखोगे.”
गौरव और रीमा दोनो ही गहरे शॉक में थे. दोनो कुछ भी नही बोल पाए. 5 मिनिट बीत गये तो उस आदमी ने पिंकी को दबोच लिया.
“कामीने छोड़ उसे….”गौरव चिल्लाया.
मगर उस कमरे तक गौरव की आवाज़ कहा पहुँच सकती थी. साइको ने उस आदमी को कहा था, “अगर रेप नही कर पाए इस लड़की का तो तुम्हारी लाश जाएगी यहाँ से बाहर.” और पिंकी को उसने कहा, “अगर तुमने रेप होने दिया तो तुम्हे काट डालूँगा.”
जैसा कि उसने निशा के साथ किया था, वैसा ही वो पिंकी के साथ कर रहा था.
रीमा ने गौरव के कंधे पर हाथ रखा और बोली, “काट दो मेरा सर गौरव और रुकवा दो ये ब्लात्कार. बलात्कार मौत से भी ज़्यादा भयानक होता है.”
“चुप रहो तुम. ऐसा कुछ नही करूँगा मैं.” अचानक गौरव की नज़र रूम में लगे कॅमरा पर गयी. कॅमरा दीवार पर बहुत उपर लगा हुआ था. गौरव ने टेबल से टीवी को उठाया और उसे नीचे रख दिया.
टेबल पर चढ़ कर उसने कॅमरा को उतार लिया और पाँव के नीचे रख कर कुचल दिया.
साइको ये देख कर तिलमिला उठा और तुरंत उस कमरे की तरफ बढ़ा जिसमे गौरव और रीमा थे. उसके एक हाथ में बहुत बड़ा चाकू था और एक हाथ में बंदूक थी.
गौरव ने कॅमरा तोड़ने के बाद कमरे में जल रहे बल्ब को भी फोड़ दिया. “रीमा तुम कपड़े पहन लो और इस बेड के नीचे छुप जाओ. आता ही होगा वो साइको. पागल हो गया होगा वो ये देख कर कि मैने कॅमरा तोड़ दिया.”
रीमा फ़ौरन कपड़े पहन कर बेड के नीचे छुप गयी. टीवी पर पिंकी उस आदमी से संघर्ष कर रही थी. गौरव ने टीवी भी बंद कर दिया.
कमरे के दरवाजे के बाहर आहट हुई तो गौरव तुरंत दरवाजे के साथ दीवार से चिपक गया. अगर दरवाजा खुलता तो वो दरवाजे के पीछे रहता. कमरे में बिल्कुल अंधेरा हो गया.
दरवाजा खुला तो बाहर से कुछ रोशनी आई. बाहर भी एक बल्ब जल रहा था. साइको जैसे ही अंदर आया गौरव ने उसे दबोच लिया. मगर साइको ने तुरंत छुड़ा लुया खुद को और गौरव के पेट पर चाकू से वार किया. चाकू हल्का सा चीर कर निकल गया गौरव के पेट को.
साइको ने फाइयर किया गौरव पर मगर गौरव ने नीचे झुक कर उसकी टाँग पकड़ कर कुछ इस तरह से खींची कि वो धदाम से गिर गया फार्स पर. बहुत तेज आवाज़ हुई उसके गिरने से. सर भी टकराया था साइको का फर्श से.
रीमा बेड के नीचे से निकल आई और गौरव उसका हाथ पकड़ कर फ़ौरन कमरे से बाहर आ गया. साइको ने फाइयर किया गौरव पर मगर गोली दरवाजे पर लगी. गौरव ने बाहर आते ही दरवाजा बंद कर दिया था. कुण्डी लगा दी बाहर से गौरव ने ताकि साइको निकल ना सके.
“गौरव कैसे निकलेंगे यहाँ से.”
“चिंता मत करो…पिंकी को ढूँढते हैं पहले”
वो दोनो बात कर ही रहे थे कि उन्हे पिंकी की चींख सुनाई दी.
गौरव तुरंत दौड़ा उस कमरे की तरफ जिसमे की पिंकी बंद थी. क्योंकि उस कमरे से पिंकी के चीखने चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी इसलिए वो कमरा ढूँढने में ज़्यादा दिक्कत नही हुई.
वो कमरा बाहर से बंद था. ताला लगा था उस पर. चाबी कमरे के बाहर पड़े टेबल पर ही पड़ी थी. एक बड़ा सा चाकू भी पड़ा था टेबल पर. गौरव ने ताला खोला और चाकू उठा लिया.
गौरव अंदर आया तो देखा कि वो आदमी पिंकी को मार रहा है, “खोल टांगे साली…खोल टांगे.”
गौरव ने एक हाथ से उसकी टाँग पकड़ी और खींच लिया उसे पिंकी के उपर से. फिर बिना सोचे समझे चाकू गाढ दिया उसके सीने में.
“रेप करना तेरी हॉबी है क्यों … आज तेरा खेल ख़तम” गौरव ने कहा.
“गौरव चलो जल्दी…यहाँ से निकलते हैं.” रीमा ने कहा.
पिंकी ने फ़ौरन अपने कपड़े पहन लिए.
तुम दोनो इसी कमरे में रूको. कुण्डी लगा लो अंदर से. मैं उस साइको का काम तमाम करके आता हूँ.
“गौरव उसके पास गन है…प्लीज़ अभी निकलते हैं यहाँ से.”
“नही रीमा, आज उसे मार कर ही जाउन्गा यहाँ से. नही बचेगा अब वो”
गौरव हाथ में चाकू लेकर उस कमरे की तरफ बढ़ा जिसमे उसने साइको को बंद किया था. उसने दरवाजा खोला तो दंग रह गया. वहाँ कोई नही था.
“ऐसा कैसे हो सकता है…कहा गया वो कमीना साइको. कमरा तो बाहर से बंद था.” गौरव ने वक्त गँवाना ठीक नही समझा. उसके साथ 2 जवान लड़किया थी.
उसने फ़ौरन उस कमरे का दरवाजा बंद किया और वापिस रीमा और पिंकी के पास आ गया. उसने दरवाजा खड़काया, “जल्दी खोलो हमें निकलना होगा यहाँ से तुरंत.”
रीमा ने दरवाजा खोला और बोली, “क्या हुआ?”
“वो कमीना साइको कमरे में नही है…चलो जल्दी निकलते हैं यहाँ से.”
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02-01-2020, 01:43 PM
तभी उन्हे कदमो की आहट सुनाई दी.
“कौन है वहाँ अपने हाथ उपर करो”
“अरे ये तो एएसपी साहिबा की आवाज़ है” गौरव ने कहा.
“मेडम मैं हूँ गौरव….” गौरव चिल्लाया.
अंकिता के साथ पूरी पोलीस घुस आई थी वहाँ.
“तुम ठीक तो हो ना गौरव?” अंकिता ने पूछा.
“हां मैं ठीक हूँ पर वो साइको हाथ से निकल गया आज फिर … पोलीस को आस पास चारो तरफ फैला दीजिए…वो ज़रूर कही आस पास ही होगा.” गौरव ने कहा.
चौहान थोड़ा पीछे था इसलिए अपनी बहन को नही पहचान पाया. जब वो वहाँ पहुँचा तो हैरान रह गया. रीमा तुम.. …तुम यहाँ क्या कर रही हो .”
रीमा की तो साँस अटक गयी. कुछ भी नही बोल पाई.
“सर रीमा को साइको उठा लाया था…इसलिए ये यहाँ है.” गौरव ने बात को संभालने की कोशिश की.
“तुम कैसे जानते हो रीमा को .. … …”
“ट्रेन में मुलाक़ात हुई थी इनसे. आप घबराए मत हम सिर्फ़ अच्छे दोस्त हैं.” गौरव ने मुस्कुराते हुए कहा.
“ये वक्त है क्या ये सब बाते करने का.” अंकिता ने दोनो को डाँट दिया.
“सॉरी मेडम” गौरव ने कहा.
चौहान बस दाँत भींच कर रह गया. उसने रीमा को गुस्से से घूर कर देखा. रीमा ने डर के मारे नज़रे झुका ली.
“चौहान तुम एक पार्टी लेकर तुरंत जंगल को कवर करो. ये साइको यही कही होना चाहिए.”
“जी मेडम” चौहान ने कहा और गौरव को घूरता हुआ वहाँ से चला गया. उसकी आँखो से आग बरस रही थी.
“मेडम मैने साइको को कमरे में बंद कर दिया था. मगर अब वो वहाँ नही है. चलिए उसी कमरे को ठीक से देखते हैं.”
“हां बिल्कुल” अंकिता ने 2 कॉन्स्टेबल रीमा और पिंकी के साथ छोड़ दिए और गौरव के साथ उस कमरे की तरफ चल दी जिसमे की गौरव ने साइको को बंद किया था. साथ में 4 गन्मन भी थे.
वो दरवाजे की कुण्डी खोल कर अंदर घुसे तो उन्हे कमरा खाली मिला.
“ऐसा कैसे हो सकता है, वो बंद कमरे से गायब कैसे हो गया. ज़रूर कोई ख़ुफ़िया रास्ता या शुरंग है यहाँ.” अंकिता ने कहा.
“सही कहा मेडम मुझे भी यही लगता है.” गौरव ने कहा.
“ये बेड एक तरफ सरकाओ” अंकिता ने कॉन्स्टेबल्स को कहा.
बेड एक तरफ सरकाया गया तो उन्हे एक ख़ुफ़िया रास्ता मिला. “हटाओ ये पत्थर” अंकिता ने कहा.
पत्थर हटाया गया तो उनका शक यकीन में बदल गया, “ये कोई शुरंग लगती है. तहखाना भी हो सकता है.”
“मेडम आप मुझे अपनी पिस्टल दीजिए. मैं जा कर देखता हूँ.”
अंकिता ने अपनी पिस्टल गौरव को दे दी और वो उतर गया उस छोटी सी खिड़की में एक टॉर्च ले कर. अंदर झाँक कर वो बोला, “मेडम ये तो बहुत बड़ी शुरंग लगती है.” गौरव ने कहा.
गौरव के पीछे पीछे काफ़ी पोलीस वाले अंदर घुस गये. अंकिता भी अंदर घुस गयी. वो आगे बढ़ते गये शुरंग में पर उन्हे साइको का कोई शुराग नही मिला. वो जंगल के बीचो-बीच घनी झाड़ियों में जाकर बाहर निकले.
“बहुत शातिर दिमाग़ है ये साइको. क्या ठिकाना बना रखा है. जंगल में ये घर कब और किसने बनाए होंगे वो भी अंडरग्राउंड.”
“क्या जहा से हम आए है क्या वो जगह अंडरग्राउंड है.” गौरव ने कहा.
“हां…बहुत मुश्किल से मिली वो हमें. घनी झाड़ियों में एक छोटी सी गुफा में एक छोटा सा दरवाजा था जहा से हम सब वहाँ पहुँचे.”
“मतलब कि हमारा शक सही था. हम सही सोच रहे थे कि जंगल में कुछ गड़बड़ है.”
“हां पर वो साइको तो निकल गया ना हाथ से फिर से.” अंकिता ने कहा.
“मुझसे ही ग़लती हो गयी. पर मैं क्या करता. मेरा पूरा ध्यान पिंकी और रीमा को सुरक्षित रखने पर था.”
अंकिता ने गहरी साँस ली और बोली, “लीव इट.”
वहाँ हर तरफ तलाश की गयी मगर साइको का कुछ पता नही चला. गौरव और अंकिता शुरंग के ज़रिए वापिस उसी कमरे में पहुँच गये. उस जगह को अच्छे से देखा गया. पर वहाँ ऐसा कोई शुराग नही मिला जिस से उन्हे साइको को ढूँढने में मदद मिले. उस जगह को शील बंद कर दिया गया. जंगल को पूरी तरह छाना गया पर वहाँ भी साइको का कुछ पता नही चला.
“वो भाग गया होगा पोलीस को देख कर.” गौरव ने कहा.
“हां यही लगता है.” अंकिता ने कहा.
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Update 80
चौहान रीमा को लेकर घर पहुँचा. रात के 2 बज गये थे. रास्ते भर उसने रीमा से कोई बात नही की.
घर आ कर उसने रीमा के मूह पर ज़ोर से थप्पड़ मारा, “बता क्या रिश्ता है तेरा उस गौरव पांडे से. कैसे जानता है वो तुझे.”
“हम अच्छे दोस्त हैं, भैया.” रीमा गिड़गिडाई.
“कब बने दोस्त तुम दोनो.”
“कुछ दिन पहले ट्रेन में मिला था वो मुझसे जब मैं बुवा के घर से आ रही थी.”
“अच्छा इतनी जल्दी वो फ्रेंड भी बन गया तेरा. इतनी आज़ादी दे रखी है मैने तुझे और तू फायदा उठा रही है.”
रीमा कुछ नही बोल पाई.
“चल दफ़ा हो जा मेरी नज़रो के सामने से. जल्दी तेरी शादी करके तुझे यहाँ से दफ़ा कर दूँगा. अगले हफ्ते तुझे देखने आ रहे हैं लड़के वाले.”
“भैया अभी तो मैं पढ़ रही हूँ.”
“हां देख रहा हूँ कि कितना पढ़ रही है. चल जा अपने कमरे में. एक ,दो महीने के अंदर ही शादी करवा दूँगा तुम्हारी.”
रीमा सुबक्ते हुए अपने कमरे में आ गयी और गिर गयी बिस्तर पर. दिल घबरा रहा था उसका शादी के नाम से.
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गौरव भी पिंकी के साथ लेकर घर की तरफ चल दिया.
रास्ते में पिंकी ने गौरव को बताया कि कैसे साइको उसे जंगल में ले गया था.
“सुबह सुबह सड़क सुन्शान थी. अचानक हमारी कार के आगे उसने अपनी कार लगा दी और हमें रुकने पर मजबूर कर दिया. नकाब पहन रखा था उसने. ड्राइवर को गोली मार दी उसने और मुझे कुछ सूँघा कर वहाँ जंगल ले गया.”
“इसीलिए मैं तुझे यहाँ से दूर भेज रहा था. कोई बात नही जो हुआ सो हुआ. मैं कल खुद छोड़ कर आउन्गा देल्ही. अब अकेला नही भेजूँगा तुझे. ” गौरव ने कहा.
अगले दिन सुबह 8 बजे गौरव पिंकी को लेकर देल्ही चल दिया. आने, जाने की टॅक्सी बुक कर ली थी उसने.
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अपर्णा के चाचा चाची सुबह सेवेरे ही निकल दिए देल्ही के लिए. अपर्णा के चाचा का देल्ही में किड्नी का ऑपरेशन होना था जिसके लिए उन्हे वहाँ पहुँचना ज़रूरी था. गब्बर को भी उनके साथ ही जाना था. क्रिटिकल सिचुयेशन थी, ऑपरेशन में डेले नही कर सकते थे. वो बोल रहे थे अपर्णा को भी साथ चलने के लिए और उनके साथ ही रहने के लिए. मगर उसने मना कर दिया, “मैं इस घर को छोड़ कर नही जाउंगी. मम्मी पापा की यादें हैं यहाँ. और वैसे भी भागने से फायदा क्या है. मौत अगर लिखी है तो कही भी आ सकती है.”
सुबह 8 बजे निकले थे वो लोग और अपर्णा उन्हे सी ऑफ करने बाहर तक आई थी. उन्हे सी ऑफ करने के बाद जैसे ही अपर्णा वापिस मूडी घर में जाने के लिए आशुतोष ने अपर्णा को आवाज़ दी, “अपर्णा जी!”
अपर्णा रुक गयी और पीछे मूड कर देखा. आशुतोष उसकी तरफ बढ़ रहा था. आशुतोष उसके पास पहुँच कर बोला, “कैसी हैं आप अब?”
“जिंदा हूँ”
“समझ नही आता कि क्या करूँ आपके लिए.”
“तुम्हे कुछ करने की ज़रूरत नही है.” अपर्णा ने कहा और अपने घर में घुस कर कुण्डी लगा ली और दरवाजे पर खड़ी हो कर सुबकने लगी, “तुमने कौन सा कसर छ्चोड़ी है मुझे परेशान करने की.”
आशुतोष खड़ा रहा चुपचाप. कर भी क्या सकता था. “मैं भी पागल हूँ. जब पता है कि वो मेरी बात से परेशान ही होती हैं फिर क्यों…और परेशान करता हूँ उन्हे.” आशुतोष वापिस जीप में आकर बैठ गया चुपचाप.
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….
सुबह 9 बजे ही तैयार हो गया सौरभ आज. पूजा के साथ घूमने जो जा रहा था वो.
“कहाँ मिलना है, इस बारे में तो बात ही नही हुई पूजा से. सीधा घर चला जाउ क्या उसे लेने.” सौरभ ने सोचा.
“नही..नही..कही श्रद्धा कोई पंगा ना कर दे. शायद पूजा वही बस स्टॉप पर ही मिलेगी.”
जैसा की सौरभ ने सोचा था, पूजा उसे बस स्टॉप पर ही मिली.
सौरभ को बायक पर आते देख उसके होंटो पर मुस्कान बिखर गयी. पर अगले ही पल वो उदास भी हो गयी.
सौरभ ने उसके सामने बायक रोकी और बोला, “क्या हुआ पहले मुस्कुराइ और फिर चेहरा लटका लिया.कोई प्रॉब्लम है क्या पूजा.”
“हां वो पिता जी की तबीयत खराब है कल शाम से. दीदी अकेली परेशान हो रही है. ऐसे में घूमने कैसे जाउ तुम्हारे साथ.”
“ओह…इसमे परेशान होने की कौन सी बात है पूजा. घूमने फिर कभी चलेंगे. तुम घर जाओ और पिता जी की सेवा करो.”
“कॉलेज में एक इम्पोर्टेन्ट लेक्चर है वो अटेंड करके आ जाउंगी.”
“गुड, आओ बैठ जाओ, छोड़ देता हूँ तुम्हे कॉलेज मैं.” सौरभ ने कहा.
“नही मैं चली जाउंगी…तुम ड्यूटी के लिए लेट हो जाओगे.”
“हो जाने दो लेट. तुम्हे कॉलेज छ्चोड़े बिना कही नही जाउन्गा. बैठ जाओ प्लीज़ और आज फिर अपना सर रख लेना मेरे कंधे पर. बहुत अतचा लगा था कल जब तुमने सर रखा था मेरे कंधे पर. बहुत रोमॅंटिक फील हो रहा था मुझे.”
“अच्छा…वो तो यू ही रख दिया था मैने, सर में दर्द हो रहा था कल.”
“अच्छा बैठो तो”
पूजा बैठ गयी और जैसे ही सौरभ बायक ले कर आगे बढ़ा पूजा ने सर टिका दिया उसके कंधे पर.
“सर में दर्द हो रहा है ?” सौरभ ने पूछा.
“हां, तुम्हे कैसे पता.”
“क्योंकि जैसा कल फील हो रहा था मुझे वैसा ही आज भी फील हो रहा है. हटाना मत सर अपना कॉलेज तक”
“सौरभ, तुम्हे बुरा तो नही लगा ना कि मैं आज भी नही चल रही तुम्हारे साथ.”
“पागल हो क्या बुरा क्यों लगेगा. वैसे मेरा मन भी कल से खराब है. कल शमसान गया था अपर्णा के पेरेंट्स के अंतिम संस्कार पर. कल से मन बहुत खराब हो रहा है. बहुत बुरी तरह से कतल किया साइको ने उनका.”
“आख़िर ये साइको पकड़ा क्यों नही जा रहा सौरभ.”
“बहुत चालाक है ये साइको पूजा. मगर पकड़ा जाएगा एक ना एक दिन वो. कब तक बचेगा. ”
“हां वो तो है.
बातो बातो में कॉलेज आ गया. सौरभ ने बायक रोक दी गेट के बाहर और पूजा उतर गयी बायक से.
“पूजा हमेशा ख्याल रखना अपना. सुनसान जगह पर कभी मत जाना. हमेशा ग्रूप में रहना. मेरे लिए अपना ख्याल रखना.”
“तुम्हारे लिए क्यों.”
“क्योंकि मेरी जिंदगी हो तुम.”
“हटो जाओ तुम.” पूजा शर्मा गयी.
“अरे सच कह रहा हूँ. तुम सच में मेरी जिंदगी हो. तुम्हारे बिना नही जी सकता मैं.”
“अच्छा…जाओ लेट हो जाओगे. मेरे भी लेक्चर का टाइम होने वाला है.”
“ओह हां तुम निकलो. बाय. टेक केर.”
पूजा कॉलेज के अंदर चली गयी और सौरभ अपने ऑफीस की तरफ चल दिया.
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TRACK CHANGE... ADDING SOME "NEW MASALA" TO THE STORY
सौरभ जब ऑफीस पहुँचा तो उसके कमरे के बाहर एक खुब्शुरत लेडी बैठी थी कुर्सी पर.
“आप का परिचाय.”
“मेरा नाम दीपिका है. मुझे आपके बॉस ने आपसे मिलने को कहा है. मैं गौरव मेहरा की बीवी हूँ.”
“ओह हां याद आया. प्लीज़ कम इन.” सौरभ ने कहा.
सौरभ कमरे में घुस गया. पीछे पीछे दीपिका भी आ गयी.
सौरभ के बैठते ही वो उसके सामने बैठ गयी. दीपिका ने जीन्स और टॉप पहना हुआ था. टॉप कुछ इस तरह का था कि उसके बूब्स को वो बहुत अच्छे से बाहर की हवा दे रहा था . ना चाहते हुए भी सौरभ की निगाह चली गयी उसके बूब्स पर. बस निपल्स छुपे हुए थे अंदर वरना तो सब कुछ बाहर ही था .
“ठर्कि लगती है ये एक नंबर की. जानबूझ कर दिखा रही है अपना समान. सुबह सुबह इसे ही आना था ऑफीस.”
“आपके बॉस ने आपको बता ही दिया होगा सब कुछ.” दीपिका ने कहा.
“जी हां बता दिया है. तो आपको लगता है कि आपके पति के किसी लड़की के साथ नज़ायज़ संबंध हैं और आपको सबूत चाहिए ताकि आप तलाक़ के लिए कोर्ट में जा सकें. इज़ देट राइट.”
“यस आब्सोल्यूट्ली.”
“ठीक है आज से ही काम शुरू हो जाएगा.”
“टोटल कितनी पेमेंट करनी होगी मुझे.”
“उसके बारे में आप बॉस से बात कर लीजिए. मैं वो मॅटर्स हैंडल नही करता.” सौरभ ने कहा.
“थॅंक यू वेरी मच. मुझे जल्द से जल्द कुछ सबूत चाहिए. मैं उस वहशी के साथ नही रह सकती. आप मेरे कपड़े देख रहे हैं. बहुत रिवीलिंग हैं ना.”
सौरभ के समझ में नही आया कि वो क्या कहना चाहती है. “क्या मतलब ..”
“मेरा पति मुझे रिवीलिंग कपड़े पहनाता है. उसे अच्छा लगता है जब दुनिया मुझे ऐसे कपड़ो में देखती है. ये टॉप जो आप देख रहे हैं कल ही लाकर दिया उन्होने. उनकी चाय्स के अनुसार कपड़े पहन-ने होते हैं मुझे.”
“ओह..वेरी बॅड.”
“आपको ये सब बताया क्योंकि आप मेरी छाती को देख रहे थे और शायद मुझे ग़लत समझ रहे थे. मेरे पास कोई भी चारा नही होता है ये कपड़े पहन-ने के सिवा. मुझे उनसे तलाक़ चाहिए और बिना सबूत के तलाक़ मिलेगा नही. उनके काई औरतो से संबंध हैं लेकिन अधिकतर वो पायल के साथ रहते हैं. आप इन्वेस्टिगेशन करेंगे तो सब जान जाएँगे. मैं चलती हूँ.” दीपिका उठ कर चली गयी.
सौरभ तो देखता ही रह गया उसे. बहुत ही अजीब सा कुछ कहा था उसने. “क्या ऐसा हो सकता है शायद हो भी सकता है. एक से बढ़कर एक नमूने हैं दुनिया में.”
सौरभ अपने सीक्रेट इंत्रुएमेंट्स लेकर निकल पड़ा. एक तो बड़ा कॅमरा था उसके पास जो कि विज़िबल था. एक सीक्रेट कॅमरा उसकी पेन में भी था जो कि किसी को दिखता नही था .
सौरभ ने इंक्वाइरी की तो पता चला की दीपिका सही कह रही थी. गौरव मेहरा अमीर था और खूब पैसे वाला था. बहुत सारे शॉंक पाल रखे थे उसने. उसका ज़्यादा तर पायल से ही मिलना जुलना रहता था. सौरभ ने पायल का अड्रेस पता किया और पहुँच गया उसके घर. वो एक बड़े से फ्लॅट में अकेली रहती थी. फ्लॅट उसे गौरव मेहरा ने ही लेकर दिया था.
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सौरभ उसके घर पहुँचा. दरवाजे पर कान लगा कर देखा तो पाया कि अंदर से कुछ आवाज़े आ रही हैं. आवाज़े कुछ इस तरह की थी जिस तरह कि काम-क्रीड़ा के वक्त निकलती हैं
लॉक खोलने में तो सौरभ माहिर था ही. खोल कर घुस गया चुपचाप अंदर.
“आअहह चूस ये लंड. अच्छे से चूस.”
सौरभ उस बेडरूम की तरफ बढ़ा जहा से आवाज़ आ रही थी. कमरे का दरवाजा हल्का सा खुला था. क्योंकि मैं दरवाजा बंद था इसलिए बेडरूम का दरवाजा बंद करना भूल गये थे शायद वो लोग.
सौरभ ने झाँक कर देखा तो दंग रह गया. अंदर पायल के साथ गौरव मेहरा नही बल्कि उसका छोटा भाई संजीव मेहरा था. दीपिका सौरभ को परिवार के लोगो की फोटो दे गयी थी इसलिए उसने संजीव को पहचान लिया था.
“भैया की रखैल को चोदने का मज़ा ही कुछ और है.” संजीव ने कहा.
सौरभ वहाँ से जाने ही वाला था कि उसे कुछ हलचल सुनाई दी अपने पीछे. उसने मूड कर देखा तो पाया कि एक लड़की बिल्कुल नंगी उसकी तरफ बढ़ रही है.
उसने इसारो में पूछा, “कौन हो तुम.”
सौरभ थोड़ा घबरा गया फिर उस लड़की के पास आया और बोला, “पायल जी से मिलने आया था पर वो अभी बिज़ी है. बाद में आउन्गा.”
“मैं तो बिज़ी नही हूँ. मुझे बता दीजिए.”
“आप कौन हैं.”
“मेरा नाम कुमकुम है.” उस लड़की ने कहा और सौरभ का लिंग पकड़ लिया.
“देखिए मैं इस काम के लिए नही आया था.”
“कोई बात नही आ गये हैं तो ये काम भी हो जाए.”
“जी नही माफ़ कीजिए.” सौरभ उसे झटका दे कर वहाँ से बाहर आ गया.
“उफ्फ क्या मुसीबत है. इन्वेस्टिगेशन करनी कितनी मुश्किल होती है .” सौरभ वहाँ से झटपट निकल लिया.
कुमकुम उस बेडरूम में घुस गयी जिसमे पायल और कुमकुम थे.
“कुमकुम तू कहाँ घूम रही है. चल पायल के साथ मिल कर तू भी सक कर.”
“तुम्हारे भैया को पता चल गया ना तो हमारा खून सक कर लेंगे वो.” कुमकुम ने मुस्कुराते हुए कहा.
“भैया तो अपनी दुनिया में खोए रहते हैं आजकल. उन्हे कुछ पता नही चलेगा.”
कुमकुम पास आ गयी और पायल के पास बैठ कर वो संजीव की बॉल्स को सक करने लगी. पायल उसके लिंग को चूस रही थी और कुमकुम उसकी बॉल्स को.
“आअहह गुड डबल धमाका” संजीव ने कहा
कुछ देर तक वो यू ही सक करते रहे.
“पहले कौन डलवाएगा.” संजीव ने पूछा.
“हम दोनो तैयार हैं. तुम ही तैय करो किसके अंदर डालना है.” पायल ने हंसते हुए कहा.
संजीव ने पायल को बिस्तर पर पटका और चढ़ गया उसके उपर. एक झटके में उसने पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया.
“आअहह” पायल कराह उठी.
“तुम भी पास में लेट जाओ. एक साथ दोनो की लूँगा” संजीव ने कहा.
कुमकुम लेट गयी पायल के बाजू में. कुछ देर संजीव पायल के अंदर धक्के मारता रहा. फिर उसने अचानक लंड निकाला बाहर और कुमकुम के उपर चढ़ गया और उसकी चूत में लंड घुसा दिया.
“आअहह एस…ऊओह संजीव.” कुमकुम कराह उठी.
संजीव का एक हाथ पायल के उनहारो को मसल रहा था और एक हाथ कुमकुम के उभारो को मसल रहा था. पर कुमकुम की चूत में लंड पूरी रफ़्तार से घूम रहा था.
कुछ देर कुमकुम की चूत का आनंद लेने के बाद संजीव वापिस पायल पर चढ़ गया और पूरी रफ़्तार से फक्किंग करने लगा. जल्दी ही वो ढेर हो गया पायल के उपर. पायल भी बह गयी उसके साथ ही.
“मेरा क्या होगा अब. तुम दोनो का तो ऑर्गॅज़म हो गया. मेरे ऑर्गॅज़म का क्या.”
“बस अभी थोड़ी देर में तैयार हो जाउन्गा.”
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Update 81
सौरभ भाग कर अपनी बायक स्टार्ट करने लगा तो उसने देखा कि फ्लॅट के बाहर एक ब्लॅक स्कॉर्पियो आकर रुकी है. उसमे से गौरव मेहरा निकला और सीधा पायल के फ्लॅट की तरफ बढ़ा.
“कुछ गड़बड़ होने वाली है इस फ्लॅट में आज.” सौरभ ने मन ही मन सोचा.
गौरव मेहरा के पास मास्टर की थी फ्लॅट की. लॉक खोल कर सीधा बेडरूम में आ गया. जब वो वहाँ पहुँचा तो संजीव के साथ पायल और कुमकुम आँखे मिचे पड़ी थी.
“बहुत बढ़िया.” गौरव मेहरा ने कहा.
“गौरव …” पायल और कुमकुम दोनो ने एक साथ कहा.
गौरव ने बंदूक तान दी पायल की तरफ.
“गौरव प्लीज़..मेरी बात……”
आगे कुछ नही बोल पाई पायल क्योंकि गोली उसके सर में लगी सीधी. गजब का निशाना था गौरव का.
“भैया प्लीज़…” संजीव गिड़गिदाया.
गौरव ने पायल को शूट करने के बाद कुमकुम पर बंदूक तान दी.
“नही गौरव मेरी बात….”
गोली उसके भी सर के आर-पार हो गयी.
“चल निकल यहाँ से वरना तुझे भी मार डालूँगा.” गौरव ने कहा.
संविव ने फ़ौरन कपड़े पहने और चुपचाप वहाँ से निकल गया. गौरव भी फ्लॅट को लॉक करके वहाँ से निकल गया.
सौरभ संजीव और गौरव के जाने के बाद चुपचाप फ्लॅट में घुसा. जब वो बेडरूम में पहुँचा तो दंग रह गया.
“ओह माय गॉड… दोनो को मार दिया उसने. अपने भाई को क्यों नही मारा.” सौरभ ने कहा.
सौरभ ने ज़्यादा देर वहाँ रुकना ठीक नही समझा और फ़ौरन वहाँ से निकल गया. उसने ये बात फ़ौरन गौरव को फोन करके बताई.
“दोनो लड़कियों को गोली मार दी उसने. ब्लॅक स्कॉर्पियो भी है उसके पास.”
“ह्म्म मुझे पता है कि ब्लॅक स्कॉर्पियो है उसके पास. मैं अभी देल्ही पहुँचा हूँ. अपनी बहन को यहाँ छोड़ने आया था. आ कर देखता हूँ कि क्या माजरा है.”
गौरव देल्ही से लौट-ते ही उस फ्लॅट पर गया. मगर उसे वहाँ कोई लाश नही मिली. सौरभ भी उसके साथ ही था.
“सर मैने अपनी आँखो से देखी थी दोनो लड़कियों की लाश”
“इसका मतलब गायब कर दी उसने डेड बॉडीस. इस घटना के बाद ये गौरव मेहरा प्राइम सस्पेक्ट बन गया है.”
“बिल्कुल सर. और उसके पास ब्लॅक स्कॉर्पियो भी है.” सौरभ ने गौरव को दीपिका की कही बाते भी बता दी.
“ये सब सुन के तो ये गौरव मेहरा ही साइको लगता है.”
गौरव को कतल का कोई नामो निशान तक नही मिला था उस फ्लॅट में.
"सौरभ, तुम्हारे पास गौरव मेहरा और उसके भाई की फोटो है ना?"
"जी हां हैं."
"एक-एक कॉपी मुझे दे दो. अपर्णा से सिनाक्त करवा लेता हूँ. ये दोनो भाई किसी साइको से कम नही हैं."
सौरभ ने स्नॅप्स गौरव को दे दी.
"गौरव मेहरा से बाद में मिलूँगा पहले ये स्नॅप्स अपर्णा को दिखा कर आता हूँ."
"आज़ यू विस" सौरभ ने कहा.
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गौरव वो स्नॅप्स ले कर सीधा अपर्णा के घर पहुँच गया. उसने वो स्नॅप्स आशुतोष को थमा दी और बोला,"ये स्नॅप्स अपर्णा को दिखाओ और पूछो कि क्या इनमे से कोई साइको है."
"सर वो अभी बहुत परेशान है. किसी से कोई भी बात नही करना चाहती वो."
"मैं समझ रहा हूँ पर हम हाथ पर हाथ रख कर नही बैठ सकते. अपर्णा से रिक्वेस्ट करो वो मान जाएगी. उसे बस ये स्नॅप्स देख कर हां या ना में ही तो जवाब देना है. जाओ ट्राइ करो जा कर."
आशुतोष स्नॅप्स ले कर घर के दरवाजे की तरफ बढ़ा. उस वक्त रात के 10 बज रहे थे. आशुतोष को डर लग रहा था दरवाजा खड़काते हुए. मगर उसने खड़का ही दिया.
"क्या है अब?" अपर्णा ने पूछा
"गौरव सर कुछ स्नॅप्स लाए हैं. देख लीजिए हो सकता है इनमे से कोई साइको हो." आशुतोष ने स्नॅप्स अपर्णा की तरफ बढ़ाते हुए कहा.
अपर्णा ने स्नॅप्स पकड़ ली और गौर से देखने लगी. कुछ कन्फ्यूज़्ड सी हो गयी वो गौरव मेहरा की स्नॅप्स देखते हुए. गौरव दूर से अपर्णा के रिक्षन को अब्ज़र्व कर रहा था. अपर्णा को कन्फ्यूज़्ड अवस्था में देख कर वो तुरंत अपर्णा के पास आया और बोला, क्या हुआ अपर्णा, क्या यही साइको है"
"मैं ठीक से कुछ नही कह सकती. मुझे लगता है अब मैं उसका चेहरा भूल चुकी हूँ."
"क्या ... ...ऐसा कैसे हो सकता है."
"मुझे जो लग रहा है मैने बोल दिया. वैसे भी डरी हुई थी मैं उस वक्त. उसका चेहरा मुझे हल्का हल्का याद रहा. मगर अब सब धुंधला धुंधला हो गया है."
"ओह नो अपर्णा ...अगर ऐसा है तो हमारा काम और भी मुश्किल हो जाएगा." गौरव ने कहा.
"मेरा दिमाग़ मेरे बस में नही है. सब खो गया है...बिखर गया है. अब इंतेज़ार है तो बस इस बात का कि वो साइको मुझे भी मार दे आकर ताकि मुझे इस जिंदगी से छुटकारा मिले." ये कह कर दरवाजा पटक दिया उसने.
गौरव और आशुतोष एक दूसरे को देखते रह गये.
"अब क्या होगा सर"
"अपर्णा ट्रौमा में है. ऐसे में मेमोरी लॉस हो जाना स्वाभाविक है. वैसे भी एक झलक ही तो देखी थी उसने साइको की. कोई बात नही. अब कुछ और सोचना होगा."
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बात एक रात की--81
वो दोनो बाते कर ही रहे थे कि एक कार रुकी घर के बाहर. उसमे से एक व्यक्ति निकला और घर की तरफ बढ़ा.
मगर गन्मन ने उसे पीछे ही रोक लिया. गौरव और आशुतोष उसके पास आ गये. गौरव ने पूछा, "किस से मिलना है आपको."
"मुझे अपर्णा से मिलना है."
"क्यों मिलना है?"
"शी ईज़ माय वाइफ. आपको बताने की ज़रूरत नही है कि क्यों मिलना है."
“क्या …” आशुतोष और गौरव एक साथ बोले.
आशुतोष और गौरव दोनो ही शॉक्ड हो गये अपर्णा के हज़्बेंड को देख कर.
वो देखते रहे और वो घर की तरफ बढ़ गया.
“एक मिनिट…तुम्हारे पास क्या सबूत है की तुम अपर्णा के पति हो.” गौरव ने पूछा.
“अपर्णा बता देगी अभी. उस से मिल तो लेने दो.”
“ह्म्म ठीक है…आओ.” गौरव ने कहा.
ऋषि गौरव और आशुतोष के साथ दरवाजे की तरफ बढ़ा.
गौरव ने बेल बजाई.
“अब क्या है. मुझे परेशान क्यों…..” अपर्णा बोलते बोलते रुक गयी.
“कैसी हो अपर्णा.” ऋषि ने कहा.
अपर्णा ने कोई जवाब नही दिया.
“अपर्णा क्या ये तुम्हारा पति है.” गौरव ने अपर्णा से पूछा.
“पति नही है…पति था. चले जाओ यहाँ से. मुझे तुमसे कोई बात नही करनी है.” अपर्णा ने दरवाजा वापिस बंद कर दिया.
“अपर्णा रूको.” ऋषि चिल्लाया और दरवाजा पीटने लगा.
“बहुत खूब. अपर्णा के पेरेंट्स के बाद अब सारी जायदाद अपर्णा की है. सब कुछ तुम्हे मिल सकता है, है ना. वाह. हेमंत सही कहता था. तुम सच में राइडर हो. तुम्हारी हर बात में एक राइडर छुपा होता है.”
“बकवास मत करो…मैं अपनी पत्नी से प्यार करता हूँ. हमारे बीच मतभेद हैं, पर हम वो मिल जुल कर सुलझा लेंगे.”
“सुलझा लेना मगर अभी यहाँ से दफ़ा हो जाओ. अपर्णा की सुरक्षा के लिए पोलीस लगी हुई है यहाँ. यहाँ कोई तमासा नही चाहता मैं. वो अभी तुमसे बात नही करना चाहती. बाद में ट्राइ करना मिस्टर राइडर.”
“मेरा नाम ऋषि है. मैं कोई राइडर नही हूँ .”
“ पता है मुझे. पर क़ानूनी भासा में आपने जो हरकत की यहाँ आकर उस से आपको राइडर ही कहा जाएगा. अपर्णा के प्रति अचानक ये प्यार एक राइडर लिए हुए है. अपर्णा की दौलत मिल रही है आपको…इस प्यार के नाटक के बदले…हर्ज़ ही क्या हैं क्यों ..”
“मैं तुम्हारी बकवास सुन-ने नही आया हूँ यहाँ. मिल लूँगा मैं बाद में अपर्णा से. ये मेरे और उसके बीच की बात है तुम अपनी टाँग बीच में मत अड़ाओ.”
“सर ठीक कह रहे हैं मिस्टर राइडर, चले जाओ यहाँ से वरना तुम्हे साइको समझ कर एनकाउंटर कर देंगे तुम्हारा.” आशुतोष ने कहा.
“देख लूँगा तुम दोनो को मैं.” ऋषि पाँव पटक कर चला गया.
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“आशुतोष तुम यहाँ पूरा ध्यान रखना. जब तक साइको पकड़ा नही जाता हमें अपर्णा की सुरक्षा में कोई कमी नही रखनी.”
गौरव चल दिया वहाँ से थाने की तरफ अपनी जीप ले कर.
“ये पिंकी का फोन क्यों नही मिल रहा.” गौरव ने कहा.
गौरव ने एक बार फिर से ट्राइ किया. इस बार फोन मिल गया.
“हेलो पिंकी…कैसी हो तुम.”
“ठीक हूँ भैया.”
“देखो…देल्ही में माहौल ठीक नही है आजकल. ज़्यादा इधर-उधर मत घूमना. घर पर ही रहना.”
“जी भैया मैं घर पर ही रहूंगी. आप अपना ख्याल रखना.”
पिंकी को फोन करने के बाद गौरव ने रीमा को फोन मिलाया.
“हाई जानेमन कैसी हो. अब तुम्हारे भैया को पता चल गया है. अब कैसे रेल बनाओन्गा मैं तुम्हारी… .”
फोन के दूसरी तरफ रीमा नही चौहान था. ये सुनते ही पागल हो गया वो
“साले कामीने…कुत्ते…रख फोन. आ रहा हूँ अभी थाने मैं. आज तुझे जिंदा नही छ्चोड़ूँगा. …”
गौरव के तो हाथ से फोन ही छूट गया. बात ही कुछ ऐसी थी
“अब थाने जाना ठीक नही होगा. प्राइवेट बाते सुन ली कमिने ने. चल कर इस गौरव मेहरा की खबर लेता हूँ.”
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02-01-2020, 02:38 PM
(This post was last modified: 02-01-2020, 02:40 PM by usaiha2. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
गौरव - गौरव मेहरा के घर की तरफ चल दिया.
गौरव मेहरा के घर पहुँच कर उसने बेल बजाई.
एक नौकर ने दरवाजा खोला.
“यस?”
“गौरव मेहरा है घर पे.”
“जी हां हैं है.”
“बुलाओ उसे. कहो कि इनस्पेक्टर गौरव आया है. कुछ पूछताछ करनी है उस से.” गौरव ने कहा.
“आपने अपायंटमेंट ली है क्या.”
“क्या बकवास कर रहे हो. मैं इनस्पेक्टर हूँ. उस से मिलने के लिए मुझे अपायंटमेंट की कोई ज़रूरत नही है. उस से कहो की चुपचाप आ जाए मुझसे मिलने वरना घसीट कर ले जाउन्गा उसे यहाँ से.”
नौकर चला गया वहाँ से. कुछ देर बाद गौरव मेहरा आया. उसके चेहरे पर गुस्सा था.
“तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई बिना मेरी इज़ाज़त के यहाँ तक आने की.”
“ज़्यादा बकवास मत कर. ये बता कि पायल और कुमकुम कहाँ हैं.”
“कौन पायल और कौन कुमकुम…मैं इन्हे नही जानता.”
“अच्छा…जब थाने में ले जा कर गान्ड पे डंडे मारूँगा ना तो सब याद आ जाएगा तुझे.”
गौरव मेहरा ने तुरंत पिस्टल तान दी गौरव पर और फाइयर किया उसके सर पर. लेकिन गौरव पहले से तैयार था इस बात के लिए. झुक गया नीचे फ़ौरन और दबोच लिया गौरव मेहरा को और पिस्टल रख दी उसके सर पर.
“बाकी की बाते तो होती रहेंगी. फिलहाल तुझे पोलीस वाले पर गोली चलाने के जुर्म में गिरफ्तार करता हूँ मैं.”
गौरव गौरव मेहरा को गिरफ्तार करके थाने ले आया.
"इनस्पेक्टर बहुत बड़ी भूल कर रहे हो तुम. तुम्हे बर्बाद कर दूँगा मैं."
"अपनी चिंता कर तू, मेरी चिंता छोड़ दे. और हां तैयार करले अपनी गान्ड को. डंडा ले कर आ रहा हूँ मैं. मार-मार कर लाल कर दूँगा."
"तुझे ऐसी मौत दूँगा कि तू याद रखेगा."
"याद तो तू रखेगा मुझे...चल अंदर." गौरव ने गौरव मेहरा को सलाखों के पीछे धकैल दिया और ताला लगा दिया.
"20 मिनिट हैं तुम्हारे पास. याद करलो कि पायल और कुमकुम कौन हैं और उन्हे मार कर कहाँ गायब किया है तुमने. 20 मिनिट में याद नही कर पाए अगर तो फिर मुझे मत बोलना बाद में कि क्यों डंडे मार रहे हो गान्ड पे." गौरव ये बोल कर चला गया वहाँ से.
गौरव मेहरा दाँत भींच कर रह गया.
गौरव अपने केबिन कें आ गया. जैसी ही वो कुर्सी पर बैठा भोलू भागता हुआ केबिन में आया.
"सर अभी-अभी चौहान सर आए थे. आपको पूछ रहे थे. बहुत गुस्से में लग रहे थे वो."
"ह्म्म...अब तो नही हैं ना वो यहाँ."
"नही तभी चले गये थे."
"गुड...छोड़ो चौहान को चौहान को देख लेंगे बाद में. तुम फिलहाल अपने रेकॉर्ड्स में चेक करो. इस गौरव मेहरा का ज़रूर कोई पोलीस रेकॉर्ड होगा."
"जी सर अभी चेक करता हूँ."
भोलू ये बोल कर वहाँ से निकला ही था कि एक लेडी कमरे में घुस गयी.
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"क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आपने गौरव मेहरा को क्यों गिरफ्तार किया है."
"हू आर यू, बाय दा वे" गौरव ने पूछा.
"मैं स्वेता गुप्ता हूँ, गौरव की वकील."
"खून किए हैं उसने, वो भी 2. ये वजह काफ़ी है उसे गिरफ्तार करने की."
"शो मी अरेस्ट वॉरेंट" स्वेता गुप्ता ने कहा.
"उसने मुझ पर फाइयर किया. इसलिए उठा लाया उसे मैं यहाँ."
"ये इल्लीगल डिटेन्षन है इनस्पेक्टर."
"लीगल ओर इल्लीगल वो बाद में देखेंगे. आप यहाँ से जायें अभी."
तभी गौरव का फोन बज उठा. फोन अंकिता का था.
"यस मेडम?" गौरव ने कहा.
"गौरव, क्या तुमने गौरव मेहरा को गिरफ्तार किया है?"
"जी हां मेडम."
"क्यों अरेस्ट वॉरेंट के बिना तुम कैसे गिरफ्तार कर सकते हो उसे."
"मेडम, उसने मुझ पर फाइयर किया."
"ओह"
"इसलिए मुझे उसे उसी वक्त गिरफ्तार करना पड़ा."
"फिलहाल उसे छोड़ दो. चीफ मिनिस्टर का फोन आया था मुझे अभी अभी. दुबारा पकड़ लेना उसे...मगर पूरे प्रोसीजर से."
"ठीक है मेडम, जैसा आप कहें." गौरव ने कहा.
फोन रखने के बाद गौरव ने भोलू को आवाज़ दी.
"जी सर."
"छोड़ दो गौरव मेहरा को फिलहाल."
"ओके सर."
"स्वेता जी अब तो खुश हैं ना आप. पर उम्मीद है कि जल्द मुलाक़ात होगी. घसीट कर लाऊंगा मैं गौरव मेहरा को उसके घर से. वो भी वॉरेंट के साथ."
"तब की तब देखेंगे." स्वेता ने कहा.
भोलू, गौरव मेहरा को ले आया.
"क्या हुआ मिस्टर पांडे निकल गयी सारी हेकड़ी" गौरव मेहरा ने कहा.
"हाहहाहा... हेकड़ी तो तेरी निकली है बेटा...मुझे सबूत मिल जाने दे...घसीट कर लाऊंगा तुझे वापिस यही" गौरव ने कहा.
"चलो स्वेता..." गौरव ने कहा.
गौरव स्वेता को लेकर बाहर आ गया.
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02-01-2020, 02:46 PM
Update 83
"सारा मूड खराब कर दिया साले ने. तुझे अब मेरा मूड ठीक करना होगा." गौरव ने कहा.
"सर मुझे एक केस के सिलसिले में देल्ही निकलना है तुरंत."
ये सुनते ही गौरव ने बाल पकड़ लिए स्वेता के और बोला, "बहाना बनाती है साली. तुझे कहा था ना कि जब मेरा मन होगा तुझे देनी पड़ेगी."
"आअहह....सॉरी सर...प्लीज़ बॉल छोड़ दीजिए आअहह" स्वेता कराह उठी.
“चल बैठ जल्दी अपनी कार में. तेरे साथ ही चलूँगा मैं और खुद ड्राइव करूँगा. तेरी कार में भी राइड करूँगा और तुझे भी राइड करूँगा, साली कुतिया.”
स्वेता चुपचाप अपनी कार में बैठ गयी. गौरव ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और कार स्टार्ट कर दी.
“तूने आने में इतनी देर क्यों की. तुझे पता है ना मुझे लापरवाही बिल्कुल पसंद नही है.”
“सर जैसे ही मेडम ने फोन किया मैं थाने आ गयी.”
“वो साली तो चाहती ही है कि मैं जैल चला जाउ. मुझसे छुटकारा चाहती है वो. पर मुझसे छुटकारा आसान नही. ये तो तुम भी समझ ही गयी होगी अब.” गौरव ने कहा.
“सर कहा ले जा रहे हैं आप मुझे.”
“अपने घर”
“पर घर पर तो मेडम हैं …”
“तो रहने दो. आज उसके सामने ही लूँगा तेरी. देखता हूँ कैसे रिक्ट करती है.”
गौरव स्वेता को अपने घर ले आया.
गौरव को देखते ही दीपिका उसके पास आई और बोली, “सब ठीक तो है ना.”
“नाटक बंद कर और जल्दी से बेडरूम में आजा.” गौरव ने कहा.
गौरव स्वेता का हाथ पकड़ कर बेडरूम की तरफ चल दिया. दीपिका हैरानी में देखती रही. स्वेता और दीपिका की नज़रे टकराई. दीपिका समझ गयी कि गौरव उसे ज़बरदस्ती लाया है वहाँ. दीपिका भी गौरव के पीछे पीछे बेडरूम में आ गयी.
“आप क्या करना चाहते हैं.” दीपिका ने पूछा.
“चुपचाप सोफे पर बैठ जा और कुछ सीख स्वेता से. बहुत अच्छे से देती है चूत ये. तू भी कुछ सीख ले.”
स्वेता चुपचाप खड़ी थी.
“स्वेता सोच क्या रही है. चल निकाल मेरा लंड बाहर और चूसना शुरू कर. मेरी बीवी को सकिंग नही आती. सिखा दे इसे कि सकिंग कैसे की जाती है.” गौरव ने कहा.
“सर इनके सामने मैं कैसे……” स्वेता गिड़गिडाई.
दीपिका वहाँ से जाने लगी तो गौरव ने उसे दबोच लिया और बोला, “स्वेता की चुदाई देखे बिना तू कही नही जाएगी. ”
गौरव ने दीपिका को ज़बरदस्ती वही बिठा दिया, “अगर तू यहाँ से हिली तो तुझे गोली मार दूँगा मैं.”
गौरव ने स्वेता को आवाज़ दी, “इधर आ साली. यही इसकी नज़रो के बिल्कुल सामने सक कर.”
स्वेता नज़रे झुका कर चुपचाप गौरव के पास आ गयी.
“जल्दी से लंड निकाल मेरा बाहर और दिखा इसे कि लंड कैसे चूसा जाता है.” गौरव ने कहा.
स्वेता चुपचाप गौरव के सामने बैठ गयी और उसकी पेण्ट की ज़िप खोल कर गौरव के लिंग को बाहर निकाल लिया.
“गुड अब अपने स्टाइल से इसे चूसना शुरू करो.” गौरव ने कहा.
स्वेता ने मूह खोल कर गौरव के लंड को मूह में घुसा लिया और धीरे धीरे चूसने लगी.
“दीपिका देखो किस तरह से चूस रही है ये. इस तरह से चूसना चाहिए तुम्हे लंड को.” गौरव ने कहा.
गौरव ने स्वेता के बाल पकड़ लिए और उसके मूह में धक्के मारने लगा. स्वेता की हालत पतली हो गयी.
कुछ देर तक गौरव यू ही उसके मूह में धक्के मारता रहा. दीपिका ने तो अपनी आँखे बंद कर ली थी.
अचानक गौरव ने अपने लिंग को स्वेता के मूह से निकाल लिया और बोला, “चल अब दीपिका के घुटनो पर हाथ रख कर झुक जा. मेरी बीवी तुझे सपोर्ट देगी और मैं पीछे से तेरी चूत मारूँगा…हाहाहा.”
दीपिका और स्वेता की नज़रे टकराई. बहुत से सवाल थे दोनो की आँखो में. जिनका जवाब दोनो में से किसी के पास नही था.
गौरव ने स्वेता की सलवार का नाडा खोल कर उसे अपने आगे झुका दिया. स्वेता को ना चाहते हुए भी दीपिका के घुटनो पर हाथ रखना पड़ा. एक झटके में लंड डाल दिया गौरव ने स्वेता की चूत में.
“आअहह….सर मेडम के सामने मैं एंजाय नही कर पाउन्गि.” स्वेता ने कराहते हुए कहा.
“ये चुदाई तेरे लिए नही बल्कि मेडम को दिखाने के लिए ही है…हाहहाहा.”
गौरव ने ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिया स्वेता के अंदर. सिसकियाँ गूंजने लगी बेडरूम में स्वेता की. गौरव के तेज तेज धक्को के कारण स्वेता के हाथ बार बार दीपिका के घुटनो से हट जाते थे. मगर वो बार बार वापिस घुटनो पर हाथ रख देती थी. दीपिका आँखे बंद किए बैठी थी.
“दीपिका आँखे बंद क्यों कर रखी है. देख कैसे चुदवा रही है ये रंडी…तुझे भी ऐसे ही चुदवाना चाहिए. हाहहाहा”
स्वेता की सिसकियाँ और तेज होती जा रही थी. वो अपने चरम के नज़दीक थी.
“सर…आआहह प्लीज़ रुक जाओ….आअहह.”
“वेरी गुड स्वेता. दीपिका को समझाओ ये सब. कितना मज़ा कर रही हो तुम. इतना मज़ा ये क्यों नही कर सकती.”
गौरव भी झाड़ गया स्वेता के अंदर. उसने फ़ौरन स्वेता की चूत से लंड निकाल लिया और उसे ज़ोर से धक्का दिया एक तरफ, “चल दफ़ा हो जा यहाँ से रंडी कही की. तुझे शरम नही आती हज़्बेंड वाइफ के बीच आकर अपनी चूत मरवाते हुए. जा जहाँ जाना है तुझे. देल्ही जा रही थी ना तू. जा जाकर देल्ही में गान्ड मरवा अपनी. साली रंडी.”
स्वेता ने अपने कपड़े ठीक किए और चुपचाप वहाँ से निकल गयी.
“सन ऑफ आ बिच…” स्वेता ने घर से निकलते हुए कहा.
……………………………………………………………………….
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गौरव पहले देवेंदर सिंग (आर्मी कर्नल) के घर पहुँचता है. उसके घर के बाहर ही एक ब्लॅक स्कॉर्पियो खड़ी थी. गौरव उसे बड़े गौर से देखता है.
“ह्म्म…कही इसी कार में तो नही घूमते हो तुम मिस्टर साइको” गौरव ने मन ही मन सोचा.
गौरव कार को अच्छी तरह से देखने के बाद घर के दरवाजे की तरफ बढ़ा. उसने डोर बेल बजाई तो एक बुजुर्ग ने दरवाजा खोला.
“क्या मैं कर्नल देवेंदर सिंग से मिल सकता हूँ.” गौरव ने कहा.
“साहब तो मुंबई गये हुए हैं.”
“कब तक लौटेंगे वो.”
“कुछ कह नही सकता, उनका आने जाने का कोई टाइम फिक्स नही होता.”
“ह्म्म आप कौन हैं.”
“मैं इस घर का नौकर हूँ.”
“क्या एक गिलाश पानी मिलेगा काका.”
“हां हां बिल्कुल आओ अंदर आओ…मैं अभी लाता हूँ पानी.”
गौरव अंदर आया तो उसने देवार पर एक पैंटिंग लगी देखी. पैंटिंग बहुत ही अजीब थी. उसमें एक घोड़े की पीठ पर आदमी का कटा हुआ सर रखा था. आस पास घाना जंगल था.
“ये कैसी अजीब सी पैटिंग है. ऐसी पैटिंग किसने बनाई. और कर्नल ने इसे अपने ड्रॉयिंग रूम में लगा रखा है. कुछ बहुत ही अजीब सा महसूस हो रहा है इस पैंटिंग को देख कर.”
“ये लीजिए पानी”
गौरव ने पानी पिया और बोला, “ये कैसी अजीब सी पैंटिंग है काका.”
“पता नही कहा से ले आए साहिब इसे. हो सकता है कि उन्होने खुद बनाई हो. मुझे भी ये यहाँ तंगी अजीब सी लगती है.”
“क्या वो पैटिंग का शॉंक रखते हैं.”
“हां पैंटिंग बनाते भी हैं और खरीद खरीद कर इकट्ठा भी करते रहते हैं. पर इस पैंटिंग का मुझे नही पता कि उन्होने ये खरीदी है या खुद बनाई है.”
“क्या ऐसी अजीब सी पैटिंग और भी हैं या फिर ये एक ही है.”
“ऐसी अजीब पैंटिंग और तो कोई नही देखी मैने.”
“ह्म्म…वैसे कैसा स्वाभाव है आपके साहिब का”
“अच्छा स्वाभाव है. सभी से बहुतब शालीनता से पेश आते हैं.”
“अच्छा काका…मैं बाद में मिलूँगा उनसे. फिर किसी दिन आउन्गा.”
गौरव निकल आया वहाँ से बाहर.
“साइको खुद को आर्टिस्ट बोलता है. कर्नल पैटिंग का शॉंक रखते हैं. बहुत ही अजीबो ग़रीब पैटिंग टाँग रखी है उन्होने घर में. क्या कर्नल को सस्पेक्ट माना जा सकता है. काका के अनुसार उनका स्वाभाव अच्छा है. क्या साइको ऐसा व्यक्ति हो सकता है जिसकी समाज में इज़्ज़त हो. मेरे ख्याल से बिल्कुल हो सकता है. अगर ऐसा ना होता तो वो अब नकाब लगा कर नही घूमता. विजय चिल्ला चिल्ला कर खुद को साइको बता रहा था. मगर वो सिर्फ़ कॉपी कॅट था. गौरव मेहरा भी खुद को साइको साबित करने पे तुला हुआ है. साइको जैसा शातिर दिमाग़ ऐसा कभी नही करेगा. फिर भी अभी किसी नतीज़े पर नही पहुँच सकते. गौरव के साथ साथ अब कर्नल पर भी कड़ी नज़र रखनी होगी मुझे. फिलहाल सिमरन से भी मिल आता हूँ. उसके पास भी तो ब्लॅक स्कॉर्पियो है.” गौरव ने मन ही मन सोचा.
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