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Adultery रीमा की दबी वासना
Great update again..

Girdhari aage jakar nayi musibat khada karega aisa lagta hai...

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सुबह-सुबह दो बड़े बड़े मुसल लंडो की  हाहाकारी चौतरफा चुदाई के बाद में रीमा पूरी तरह से निचुड़ गई थी | भारी थकावट से गहरी नींद में सो रही थी लेकिन एक गहरी नीद लेने के बाद  जितेश की आंख खुल गई | कोकीन के नशे का  सुरूर उतर चूका था | उसका सर भारी हो रहा था | रीमा उसके पड़ोस में उल्टा लेटी हुई थी | उसका सर बिस्तर में धंसा हुआ था और उसके हाथ भी बिस्तर में ही फंसे हुए थे पेट के बल बिस्तर से चिपकी हुई बहुत गहरी नीद में सो रही थी | चेहरे और पीठ पर बिखरे बाल, गोरी चिकनी पीठ और उठे हुए चौड़े मांसल चूतड़, गोरी चिकनी जांघे, रीमा अभी भी उसे उतनी ही मादक और कामुक लग रही थी जितना उसने सोने से पहले लग रही थी | 

उसकी मांसल गुदाज गोरी जांघो और चौड़े मांसल चुताड़ो की दो  गुलाबी उठान अपनी दरार घाटी में रीमा के जिस्म के करिश्माई सुरंगे छिपा रखी थी | 
[Image: IMAG04861.jpg]
जितेश उठा फ्रेश हुआ और फिर आकर बिस्तर पर लेट गया | उसका हाथ अनायास ही रीमा की पीठ पर चला गया | और उसकी पीठ सहलाते सहलाते उसके चुताड़ो को सहलाने लगा | उसके दिमाग में जमकर कूटी गयी रीमा की गांड को देखने की दिलचस्पी होने लगी | 
उसने गिरधारी को रीमा की कसी गुलाबी गांड का जबरदस्त तरीके से बाजा बजाते देखा था | तभी से उसके मन में एक भावना जग गयी थी जैसे गिरधारी ने एक  ऐसा अनमोल खजाना लूट लिए जिस पर पहला हक़ शायद उसका था सिर्फ उसका | वो अन्दर ही अन्दर इस बात के लिए अभी भी कुढ़ रहा था कि वो दो टके का नीच आदमी गिरधारी रीमा जैसी अप्सरा जैसे हुस्न और जिस्म की मालकिन औरत की गांड का सारा मजा लूट ले गया | उससे ये बात बर्दाश्त नहीं हो रही थी | पिछले कुछ दिन से उसने रीमा को संभाला है, उसके जख्मो की उसने मरहम पट्टी करी है, उसने उसे नहलाया है खिलाया है, उसका दिल बहलाया है, उसका हर ख्याल रखा है | इसीलिए उसने भी उसे अपना सब कुछ सौंप दिया | उसका हक़ बनता है रीमा के जिस्म को भोगने का क्योंकि वो ही तो उसका ख्याल रख रहा है | उसी ने उसके लिए खतरा उठाया है | ये गिरधारी भोसड़ी वाला मौके पर आकर सीधे छक्का मार गया | न लेना एक था न देना दो और फ्री में रीमा की गुलाबी गांड की मलाई चाट गया | नहीं रीमा सिर्फ उसकी है सिर्फ उसकी, जो हुआ सो हुआ लेकिन गिरधारी को वो इस तरह से जीतने नहीं देगा | साला जिंदगी भर गिरधारी उसे चिढ़ायेगा की उसकी बजाय रीमा ने उसे अपनी गांड मारने को दी | वो लीचड़ तो मेरा दिमाग खा जायेगा, उस लीचड़ को औकात में रखना ही होगा | साला रीमा की गांड मार कर उसकी जुबान कितनी कैची की तरह चलने लगी | साला मेरा कुत्ता मुझे ही आँख दिखाने लगा | वो साला मुझे क्या आंख दिखायेगा, उसे मै इस लायक छोडूंगा ही नहीं | जिस चीज के लिए वो उछाल रहा है वो चीज मै भी हासिल करूंगा ताकि उसको जवाब दे सकू | साला अकेला रीमा की कसी गुलाबी गांड के मजे नहीं ले सकता | 
गिरधारी की इर्ष्या में  जितेश को न जाने कौन सा नशा चढ़ गया | जब से उसने गिरधारी को रीमा की गांड मारते हुए देखा था तब से अंदर ही अन्दर कुढा जा रहा था | उसे गिरधारी से तो हर हाल में आगे ही रहना था हर मामले में इसीलिए उसका मन भी मचलने लगा था उसे शायद लग रहा था  गिरधारी जो खजाना लूट ले गया है उसे  लूटने से वह वंचित रह गया है | वो रीमा के चूतड़ सहला रहा था | और उसकी गुलाबी गांड के उस कसे हुए छल्ले को देख रहा था, जो सुबह ही अपने जीवन के सबसे मोटा लंड से चीरा गया था | उसे रीमा की गांड में बहुत दिलचस्पी होने लगी थी | आखिर कुछ देर तक हो यही सब सोचकर लेटा रहा | 
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फिर उसने सीधे होते तनते लंड की तरफ देखा उसके अंदर शायद यही ख्वाहिश थी जो उसके मन में चल रहा था | आखिरकार उसने हिम्मत करके धीरे से रीमा को अपनी बाहों में जकड़ के बाएं दाएं करवट लिटा दिया अब वह ठीक रीमा के पीछे आ गया था | उसने अपने जिस्म को रीमा के जिस्म से चिपका लिया था उसने रीमा के घुटने थोड़े से मोड दिए थे | अब उसके भारी-भरकम ऊंचे ऊंचे चूतड़ों के उठान उसके बिल्कुल लंड के करीब आ गई थी वह पीछे से ही रीमा को बाहों में भर कर उसके बड़े बड़े मांसल उठे हुए उरोजों को मसलने लगा था | रीमा बहुत गहरी नींद में सो रही थी और उसे कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था  | जितेश ने गौर से रीमा के जिस्म को देखा | बड़े बड़े ऊंचे ऊंचे चौड़े चूतड़ों की घाटी में छिपा हुआ उसका गुलाबी गांड का छेद की कसावट में वो सख्ती नहीं बची थी बल्कि उंगली तो आराम से घुस रही थी |  इससे पहले रीमा ने कभी दो लंडो की तो छोड़ो एक लंड से भी कभी ढंग से चुदाई नहीं करी थी | आज जितेश उसे दो बार बेतहाशा चोद चुका था | ऊपर से गिरधारी के साथ में मिलकर उसने रीमा की गुलाबी संकरी सुरंगों को जो चौड़ा किया है | रीमा के देह में न तो जान बची थी न ताकत | उसका शरीर गहरी थकावट से चूर होकर  गहरी नींद में सो रहा था | जोश में आकर के वासना की हवस में डूब कर के कुछ भी कर डालना एक अलग बात है लेकिन हर चीज का एक साइड इफेक्ट होता है उसमें जोश में वासना में डूब कर  2 लंडो को से चुदने के लिए हामी तो भर दी | लेकिन उसकी तो एक लंड से ही चीखे उबल पड़ती थी यहाँ तो दो दो मोटे तगड़े मुसल लंड, रीमा का बदन न तो ऐसी चुदाई का अभ्यस्त था न ऐसी ठोकरे बर्दास्त करने के काबिल | ऐसी चुदाई के लिए धीरे धीरे जिस्म को उसका आदी बनाना पड़ता है | यहाँ दो लंडो की चुदाई तो छोड़ो रीमा को नियमित रूप से रोज चुदने की आदत नहीं थी |   यहां पर तो दो दो मुसल लंडो की भीषण ठोकरें थी जिसकी वजह से उसका पूरा बदन सर से लेकर कमर तक सब कुछ झटको से हिल गया था | वह उसका शरीर बहुत ही गहरी थकान में से भर गया था और इसीलिए वह बहुत गहरी नींद में सो गई थी लेकिन उसकी चूत और गांड के छेद को देखकर लग रहा था जैसे कि उन पर किसी ने बड़े-बड़े लंड उसे काफी घनघोर ठुकाई करी हो | 
जितेश से रहा नहीं जा रहा था, धीरे धीरे उसके विवेक को उसकी वासना और इर्ष्या हरे ले रही थी | 
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वो रीमा के पीछे आकर उससे बिलकुल वैसे ही सट गया जैसे गिरधारी सट था | रीमा का नरम गुलाबी बदन का कोमल स्पर्श उसे पागल बनाने लगा | रीमा के जिस्म की गुलाबी गंध उसकी वासना की आग में घी डाल उसे और भड़काने लगी | रीमा के जिस्म का स्पर्श होते ही उसका लंड झटके लेकर सीधा होने लगा | जितेश रीमा के उरोजों को हलके हाथो से सहला रहा था | उसकी छाती रीमा की पीठ से सटी थी और उसकी कमर रीमा की कमर से सटी थी | उसका लंड रीमा के चौड़े मांसल नरम चुताड़ो की दो पहाड़ियों के बीच झटके खा रहा था | जितेश के अन्दर की दुविधा धीरे धीरे एकतरफा वासना से घिर कर खतम होती जा रही थी | उसके अन्दर का सही गलत का फर्क रीमा के जिस्म को फिर से भोगने की चाहत में ख़त्म होता जा रहा था | वैसे भी उसे ज्यादा सोचने की आदत थी नहीं | पहली बात रीमा को लेकर वो हिचकिचा रहा था | आखिर क्यों वो इतना सोच रहा है, जब रीमा ने अपनी गांड में लंड लेने से पहले नहीं सोचा | जो होगा देखा जायेगा | वैसे भी मैडम कौन सी दूध की धूलि है एक नंबर की चुद्दकड़ है | गिरधारी से खुजली मितवा रही थी फिर मुझसे क्या हर्ज है | इतने कसे चिकने उठान लिए मांसल चूतड़, चोदो जितेश देखा जायेगा | थोड़ा रोना धोना होगा और क्या | सब औरतो के यही नखरे होते है, जो ख्याल रखता है उसी को दुनिया भर का लेक्चर पिलाती है बताया क्यों नहीं  पुछा क्यों नहीं, बिना मेरी मर्जी के कैसे छुआ कैसे अन्दर डाला, कैसे चोदा | बाहर  किसी अनजान के खूटे से फाड़वा के आ जाएगी तब कुछ नहीं | चोदो साला देखा जायेगा, जानबूझकर वैसे भी रीमा तुम्हे अपनी गांड तो नहीं मारने देगी | अभी मौका है चौका मार दो, एक बार लंड घुस जायेगा फिर तो बिना माल छोड़े बाहर थोड़े आएगा | भला कोई औरत पूछ के अपनी गांड मारने देगी जितेश, चल अपने अरमान पुरे कर ले, फिर बाद में थोडा रोना धोना होगा, हाथ पैर पटकना होगा और थोड़ा गुस्सा थोड़ी नाराजगी ये सब तो हर मर्द औरत में चलता ही रहता है | आखिर उसने अपना मन मजबूत किया | 

उसने अपने कमर को रीमा के चुताड़ो से और कसकर सटा लिया | फिर उसे कुछ याद आया | उसने लपक कर सिराहने से वैसलीन की डिबिया उठाई और ढेर सारी वैसलीन रीमा की गुलाबी गांड के मुहाने पर उड़ेल दी | फिर अपने तने हुए लंड पर वैसलीन मलने लगा | फिर उसने रीमा के चुताड़ो को थोड़ा फैलाकर उसकी गांड की सुरंग के कसे मुहाने पर अपना फूला मोटा सुपाडा सटा दिया | 
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उसने एक लम्बी साँस ली और अपनी कमर का जोर आगे की तरफ बढ़ा दिया | भले ही रीमा की गांड सुबह सुबह ही मोटे लंड से चीरी गयी हो लेकिन उसकी गांड का छल्ला अब तक पुराने शेप में आ चूका | वो नरम था लेकिन खुला हुआ नहीं था | जितेश को उसे फ़ैलाने के लिए जोर लगाना पड़ा | पहली कोशिश में जितेश असफल रहा | वो जल्दबाजी भी नहीं करना चाहता था | वो जब तक हो सके रीमा को सोते हुए ही उसको चोदना चाहता था | उसे पता था आंख खुलते ही रीमा दुनिया भर के नखरे शुरू कर देगी | इसलिए जल्दबाजी करके उसे अपना काम ख़राब नहीं करना था | उसने अपने लंड को कसकर मसला और धीरे से रीमा की चूत में घुसा दिया | रीमा की नरम चूत में उसके लंड का मोटा सुपाडा फिसलता चला गया | जितेश ने आइस्ते से कमर हिलानी शुरू की | चार पांच धक्को में ही रीमा की चूत गीली होनी शुरू गयी | उसने लंड को चिकना और गीला करना शुरू कर दिया | रीमा की चूत के गीलपन से जितेश का सुपाडा भीग गया | जितेश ने रीमा की गुलाबी चूत से अपना सुपाडा बाहर खीचा और रीमा की गुलाबी कसी गांड के मुहाने पर फिर लगा दिया | उसने अपने लंड को सख्ती से पकड़ा और रीमा की पिछली सुरंग पर सटाकर अन्दर घुसेड़ने लगा | कमर और हाथ का कसकर जोर लगाते ही उसके लंड का सुपाडा रीमा की पिछली सुरंग के कसे छल्ले को फ़ैलाने लगा और जितेश का लंड रीमा के गहरे गुलाबी गांड में धसने लगा | रीमा की गांड का कसा छल्ला नरम था आसानी से फैलाता चला गया | जितेश के लंड का फूला सुपाडा रीमा के जिस्म में घुसकर गायब हो गया | रीमा गहरी नीद में थी लेकिन उसका अचेतन मन उसके शरीर में हो रही हरकतों पर प्रतिक्रिया दे रहा था | इसलिए उसकी चूत में लंड घुसाते ही उसकी चूत गीली होकर जितेश के लंड को भिगोने लगी थी | जितेश का लंड रीमा की गहरी गुलाबी संकरी गांड की मुहाने को चीर कर उसके जिस्म में धंस गया था | जितेश वही थम गया,  रीमा थोड़ा सा कसमसाई लेकिन फिर शांत हो गयी | जितेश ने एक लम्बी राहत की साँस ली | वो वैसे ही पड़ा रहा | कुछ देर के लिए जैसे सोने का नाटक करने लगा |


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कुछ देर तक जब रीमा की तरफ से कोई हरकत नहीं हुई तो जितेश ने अपने सुपाडे को बाहर खीचा और फिर अन्दर घुसेड दिया | रीमा को उसने पीछे से अपनी बांहों में जकड़ रखा था | रीमा पूरी तरह से उसकी बाहों की गिरफ्त में थी | उसने सोच रखा था अगर रीमा की आँख खुल गयी तो उसे क्या करना है | अगर रीमा जग जाती है तो वो सोने का नाटक करेगा | रीमा को देखेगा कैसे रियेक्ट करती है | वो पहले भी रीमा की चूत में लंड घुसेड़कर सो चूका है | अगर रीमा पूछेगी तो कह देगा, रीमा ने ही उसकी गांड में लंड घुसेड़कर सोने को बोला था | वो तो बस उसकी बात मान कर वही कर रहा है जो वो चाहती थी | उसके अपने लंड के सुपाडे को रीमा की गांड में घुसाए रखा | रीमा की गांड का छल्ला इतनी कुटाई के बाद अब इतना जिद्दी नहीं रहा गया था | वो आराम से जितेश के लंड की बात मानकर फैलकर चौड़ा हो गया था | जितेश ने हौले हौले अपनी कमर हिलानई शुरु कर दी | बमुश्किल इंच डेढ़ इंच ही उसका लंड रीमा की गुलाबी गांड की दूरी तय कर रहा था लेकिन बड़ी मंजिल तय करने का ये छोटा कदम भी बहुत महत्वपूर्ण था | जितेश को इस छोटे कदम की अहमियत पता थी | जितेश थोड़ा निराश था की वो रीमा की कोरी करारी गांड नहीं मार पाया |  रीमा की कोरी करारी गांड मारने का सपना पालना तो बेवखूफी थी इसलिए जो मिल रहा था उसी में खुश रहने में भलाई थी | रीमा जैसी कमसिन गोरी जवान अप्सरा की गांड मारने को मिल रहा था ये कहाँ से कम था | उसके शहर में पूछो, कितने मर्दों के दिलो पर सांप लोटते थे रीमा को देखकर | जितेश को तो खुद को किस्मतवाला समझना चाहिए जो उसे रीमा की तीनो सुरंगों का सफ़र करने का मौका मिल रहा है | जितेश दुनिया का वो पहला मर्द था जिसने रीमा के मुहँ चूत और अब गांड तीनो छेदों में अपना लंड पेला था | शायद जितेश को भी अहसास नहीं था उसने क्या हासिल कर लिया है, उसे क्या मिल गया है | रीमा भले ही सो रही हो लेकिन उसका अचेतन इन हलके हलके उसकी गांड में सरकते लंड के धक्को से अनजान नहीं था | उसका अचेतन मन बार बार रीमा के चेतन मन को यह अहसास करा रहा था की उसके शरीर में कुछ हो रहा है | रीमा की आँख तो नहीं खुली लेकिन रीमा फिर से पेल के बल लुढ़ककर बेड से चिपक गयी | जब तक जितेश ने लंड पेलना नहीं शुरू किया था तब तक उसे कसकर बाहों में थामे रखा था लेकिन अब रीमा उसकी बाहों से आजाद होकर फिर से पेट के बल लेट गयी | जितेश का लंड अब हवा में सीधा तना हुआ था |

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 आखिर जितेश को उठना पड़ा | इस बार जितेश ने रीमा को अपनी बांहों में भरने की कोशिश नहीं की | बल्कि उसके पीछे उसके ऊपर आ गया |  उसने रीमा के चुताड़ो के पीछे जांघो के पास दोनों तरफ अपने पैरो को मोड़कर उसके घुटने बेड पर टिका दिए | अब रीमा के उठे हुए चूतड़ और उसकी दरार घाटी बिलकुल उसकी आँखों के सामने थी | रीमा के चुताड़ो को फैलाकर जितेश ने सख्ती से अपने फूले हुए मोटे लंड को थामा और रीमा की पिछली सुरंग पर सटा दिया | उसके जोर लगाते ही उसके तगड़े लंड का फूला सुपाडा रीमा के मांसल नरम चुताड़ो के मांस में गायब हो गया | वो अभी भी किसी जल्दबाजी के मूड में नहीं था | पता नहीं शायद उसे कही डर था अगर रीमा जग गयी तो उसे गांड मारने से मना कर देगी |  

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लेकिन वो किसी भी हाल में गिरधारी के रीमा की गांड मारने के बाद पीछे नहीं रहना चाहता था |  वह चाहता था जैसे गिरधारी ने रीमा की जमकर गांड मार कर जबरदस्कीत मजा लिया है वैस ही कुछ मजा वो भी लुटे | मर्द कितना भी समझदार हो लेकिन औरतो के बारे में सब मर्दों की राय एक जैसी ही होती है | एक बार जब कोई मर्द किसी औरत की जांघे खोल पाता है फिर वो  उसे एक अगल नजरिये से ही देखता है | उसे औरत को चोदने में या चोदने के लिए पूछने में कोई झिझक नहीं होती | कई बार तो बिना मर्जी के ही उसे चोद डालता है, उसे लगता है आखिर उससे छिटक के ये जाएगी कहाँ | जितेश के साथ भी कुछ ऐसा ही मनोविज्ञान चल रहा था | जब तक उसने रीमा को नंगा सिर्फ देखा था तब तक वो उसे छूने से पहले भी पूछता था | उसकी चूत चूची देखने में हिचक रहा था | फिर जब उसे एक बार चोद लिया तो उसके अन्दर की वो सारी झिझक हिचक खतम हो गयी, वो समझ गया था रीमा को चोदना आसन है, ये बहुत आसानी से चुदने को राजी हो जाती है | फिर जब उसने गिरधारी को उसकी गांड पर ठोकरे लगाते देखा तब से उसका दिमाग भन्ना रहा है | उसने रीमा के बारे में ऐसा कुछ सोचा नहीं था लेकिन रीमा की हरकतों ने उसके दिमाग की नसे फाड़ दी | अब वो अपने घायल मन को इकठा कर उस हकीकत को अपने दिलो जहन में उतार रहा था की जो हुआ वही सच है हकीकत है लेकिन उसके अन्दर रीमा के जिस्म से बेरोकटोक खेलने की हिम्मत बढ़ गयी | अब उसे रीमा को चुने या चोदने के लिए उससे पूछने की जरुरत महसूस नहीं हो रही थी | बाकि मामलों में भले ही वो रीमा का ख्याल रखे और सवेदनशील रहे लेकिन चुदाई के मामले में रीमा की उन्मुकत्ता ने उसे एक खास केटेगरी में डाल दिया था | मर्दों की खास कटेगरी, एक नंबर की चुद्दकद | जितेश के लिए फिलहाल अभी रीमा का यही वजूद था, आगे चलकर भले ही उसके विचार बदल जाये | हर वो औरत जो अपने लिए सेक्स मांगती है उसे मर्द इसी केटेगरी में डाल देते है | जितेश भी कुछ अलग नहीं था | रोहित इस मामले में कुछ ज्यादा उदार था उसने रीमा की लेबलिंग नहीं की थी क्योंकि उसका अलग अलग  औरतो के साथ एक लम्बा अनुभव था इसलिए या शायद वो रीमा से उतना गहरे से अटैच नहीं था या उसको लेकर सेंटीमेंटल नही था | वो बस रीमा जैसी थी उसे वैसे ही देखता था | उसको लेकर अपने दिमाग में कोई अलग इमेज नहीं गढ़ता था | 
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जितेश की जिंदगी में ज्यादा औरते आई नहीं और रीमा जैसी खूबसूरत तो बिलकुल नहीं | जितेश रीमा को लेकर सेंटीमेंटल हो गया था | वो इस तरह के माहौल में पला बढ़ा नहीं था जहाँ आदमी औरत कौन किसको चोद रहा है ये बात कोई मायने नहीं रखती हो | एक आदमी दो औरत , दो आदमी एक औरत ये सब उसके लेवल से बहुत ऊपर की बाते थी | भले ही उस वक्त वो रीमा को कुछ कह न पाया हो लेकिन उसके मन में मलाल तो था ही रीमा को गिरधारी के साथ शेयर करने का | यही मलाल उसे रीमा की सोते हुए गांड मारने पर मजबूर कर रहा था | वो भले ही रीमा के साथ सामान्य बनने की कोशिश कर रहा था लेकिन ये सब उसके लिए सामान्य नहीं था | उसकी ट्रेनिंग ऐसी थी की वो सब्र कर लेता था और अपने मन के भाव सामने नहीं आने देता था लेकिन रीमा उसके लिए पर्सनल हो गयी थी | वो उसके लिए सेंटीमेंटल हो गया था | यही भाव उसे इस वक्त रीमा की पिछली सुरंग में अपना लंड पेलने पर मजबूर कर रहा था | आखिर कोई कैसे रीमा के साथ वो कर सकता है जो उसने भी नहीं किया |  शायद जितेश के अंदर भी यही असुरक्षा थी कि रीमा उसकी है तो कोई दूसरा कैसे मजा ले सकता है आखिर कैसे रीमा ने उसके लीचड़ नौकर को अपनी गांड मारने की इजाजत दे दी थी | उसे तो  यह नहीं अच्छा लगा था हालांकि जितेश कुछ कर नहीं सकता था | इसलिए उसने कुछ कहा नहीं लेकिन अब सोती हुई रीमा की गांड मार रहा था | 

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 जितेश  ने अपने लंड पर जोर डाला | उसका लंड रीमा की गांड को चीरता हुआ अन्दर धंसने लगा | रीमा के जिस्म में धंसते मुसल लंड का दर्द फिर से जगने लगा | रीमा की गांड फिर से दर्द से सिसकने लगी | उसका ;लंड बस थोड़ा सा आगे बढ़ा था रीमा नीद में भी कसमसा कर रह गई थी शायद वो इतनी गहरी नींद में भी इस बात का एहसास कर गई थी कि उसके साथ कुछ गलत हो रहा है | उसके चेहरे पर दर्द की लकीरे उभर आई | जितेश का आधा लंड रीमा के चुताड़ो की दरार में गायब हो गया था |  रीमा के अंतर्मन में कहीं एहसास हो गया था कि कोई नुकीली चीज उसे चीरती हुआ अन्दर धंस रही है |  उसकी गांड  अभी भी दर्द से भरी हुई थी भले ही  अभी  उसका शरीर ठंडा पड़ा हुआ था | जितेश जहाँ था वही थम गया |  कुछ ही देर में रीमा सामान्य हो गई और फिर से उसकी सांसों की आवाजों से पता चलने लगा वह गहरी नींद में चली गई है जितेश ने  अपने लंड को हल्का सा बाहर निकाला लेकिन उसका सुपारा तो रीमा की गांड के कसे छल्ले में अटक गया था |  आगे जितेश ने हौले हौले कमर हिलाने में भलाई समझी | रीमा की कमर के ऊपर हल्के हल्के धक्के लगाने लगा था |


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जितेश  के धक्के अब आगे की तरफ बढ़ने लगे थे,  रीमा कब तक गहरी नींद में सोती रहती जब उसके पीछे से कोई मुसल लंड उसके  जिस्म में मुसल लंड पेल रहा था | जितेश का मोटा लंड रीमा को गांड के मुहाने को चीर अन्दर तक जा रहा था | आखिर कैसे न उसका जिस्म का अचेतन मन उसके चेतन मन को जगा देता | उसे भी एहसास हुआ, कुछ तो गड़बड़ है, आखिर उसके चुताड़ो में दर्द कैसा उभर रहा है , आखिर क्यों उसकी गांड का दर्द उसे फिर से सिसकने पर मजबूर किये दे रहा है | इधर जितेश था की अपनी सनक में अपनी जिद में रीमा की परवाह किये बिना उसके चुताड़ो को चीरता हुआ उसके जिस्म में घुसा जा रहा था | रीमा की कच्ची नीद टूट गयी  जैसे ही उसकी आंख खुली है उसे एहसास हुआ उसके पूरे जिस्म का कोना कोना दर्द के मारे और थकावट से चूर चूर हो रहा है | ऊपर से उसकी गांड में दर्द भी हो रहा था और वह दर्द उसके चूतड़ों और पिंडलियों जांघो में तक महसूस हो रहा था | उसे आँख खुलते ही अहसास हो गया आखिर माजरा क्या है | जितेश उसके चूतड़ थामे अपनी कमर का पूरा जोर उसके चुताड़ो पर लगा रहा है | उसने  जिदेस को अपने ऊपर पाया और उसके लंड को अपनी गांड में यह क्या है | आखिर जितेश कर क्उया रहा है बिना उसकी मर्सजी के बिना उसकी सहमती के आखिर जितेश उसके जिस्म में घुस कैसे सकता है |  जितेश की तरफ गर्दन घुमाकर कर देखा जो एक हाथ से उसके चूतड़ को और एक हाथ से उसके कंधे को थामे  उसके कानों पर अपनी गरम गरम सांसे छोड़ रहा था | 
रीमा हैरान परेशान, हाय जितेश तो मेरी गांड मार रहा है बिना मुझसे पूछे बिना मुझे बताये | आखिर ये हो क्या रहा है | क्या इसने भी मुझे रंडी ही बना दिया | रीमा ये क्या हो रहा है तुमारे साथ  | 
रीमा - जितेश यह क्या है | 
जितेश - वही जो तुम चाहती थी | 
रीमा गुस्से से - क्या चाहती थी, प्लीज निकालो इसे मुझे दर्द हो रहा है |
जितेश - वही जो तुम नीद में बडबडा रही थी, मुझे भींच कर अपनी तरफ खीच कर मांग रही थी | 
रीमा - आह्ह्ह्हीईईईईईइ जितेश दुःख रहा है |  
जितेश - मुझे माफ कर दो, लेकिन नीद में तुम यही तो मुझसे मांग रही थी | 
रीमा - बकवास मत करो, प्लीज रुक जावो, निकालो अपने लंड को मुझे दुःख रहा है | 
जितेश ने  कमर हिलानी बंद नहीं करी | रीमा की गांड सच में दुःख रही थी | 
रीमा - जितेश प्लीज .............रुक जावो मान जावो ....................बहुत दुःख रहा है | 
जितेश नहीं रुका | उसे पता था अभी रुक गया तो वो रीमा की गांड फिर नहीं मार पायेगा | रीमा अपनी बेबसी लाचारी पर रोने लगी | 
रीमा रोते हुए - कब मैंने कहा तुमसे ये करने के लिए | 
जितेश - झूठ मत बोलो |
रीमा - तो अब रुकने को कह रही हूँ मान जावो | आआआआअह्ह्ह्ह बहुत दर्द हो रहा है | 
उसकी गांड सच में किसी नए जख्म की तरह दुःख रही थी | उसकी आंखे आंसुओं से डबडबा आई | आखिर वो क्या करे, कैसे रोके | लड़ भी तो नहीं सकती, हाथा पाई करे क्या, उसमे भी तो नहीं जीतेगी | आखिर जिसको अपना जिस्म सौंप दिया उससे हाथा पाई का क्या मतलब है | दर्द से सिसकती रीमा जितेश ने नीचे बिस्तर से चिपकी हुई थी |

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आखिर जितेश को अपने वासना के नशे में रीमा का ख्याल आया | रीमा की आंसू से भरी आँखे देखा कम से कम उसके अन्दर उससे झूठ बोलने की ग्लानी तो आई |
आखिर वो रीमा से झूठ कैसे बोल सकता है | उसे कम से कम सच तो बताना ही चाहिए |
जितेश - मुझे माफ़ कर दो रीमा बेबी मुझसे रहा नहीं गया था | बहुत कोशिश करी खुद को रोकने की लेकिन तुमारे जिस्म ने मुझे पागल बना दिया | मैंने तुमसे झूठ बोला था की तुमने नीद में अपनी गांड मारने के लिए कहा | प्लीज बेबी मुझे माफ़ कर दो | मुझसे खुद पर काबू नहीं हो रहा था | गिरधारी जब तुम्हारी गांड मार रहा था तो उसे देख  मैं पागल हो गया था | उसे देखकर मुझसे रुका नहीं गया |
रीमा - जितेश तुमने मुझसे झूठ भी बोला | आआआआह्ह ओह गॉड ये दुःख रहा है | 
जितेश - बेबी बस थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो , फिर सब ठीक हो जायेगा | मुझे पता है तुम्हे तकलीफ हो रही है लेकिन जितना खुद को रोक सकता था रोकने की कोशिश करी मैंने | 

रीमा दर्द  सिसकते हुए - आआआऐईईईईइरीईईईई  जितेश तुम्हें पता है मेरी गांड कितना दर्द कर रही है | 

जितेश - हां बेबी मैं जानता हूं लेकिन गिरधारी जो तुम्हारी गांड मार रहा था तो मुझे लग रहा था शायद कुछ अधूरा रह गया है मैं उसे ही पूरा करने की कोशिश कर रहा हूं | 
रीमा - ओहोहोहो  जितेश तुम्हें एहसास भी है मुझे कितना तीखा दर्द हो रहा है, कितना दुःख रहा है | 
जितेश -  हां जानता हूं बेबी अब इसके बाद में कभी दर्द नहीं होगा | मैं तुमारी गांड के छल्ले को पूरी तरह से खोल दूंगा | 
रीमा - आआअईईई रिरिरिरिरिर्नरी नहीं जितेश तुम मेरी पहले से चिरी गांड के जख्मो को और गहरा कर रहे हो | तुम एक औरत के दर्द को कभी नहीं समझ पाओगे | 
जितेश - ऐसी बात नहीं है | 
जितेश की लगातार कमर हिल रही थी | 
रीमा - तुम मर्द हो बस पेलना जानते हो, कितना दर्द हो रहा है ऊहोहोहोहो ऊऊउफ़्फ़्फ़्फ़ गॉड गॉड माआआअय्य्यीईईईईरेरेरेरे |
जितेश - बेबी बस कुछ सेर और बर्दाश्त कर लो | 
रीमा - तुम मर्द कुछ नहीं समझते तुम्हे लंड के पेलने से मतलब है , किसी की दुखती गांड का दर्द क्या जानो | 
जितेश - अब जो हो गया सो हो गया प्लीज कुछ देर बर्दाश्त करो न | मैं क्या करूं तुमने मुझे पागल कर दिया है तुमने मुझे अपना दीवाना बना लिया है | जब मैंने गिरधारी को तुम्हारी गांड को इस तरह से बेशर्मी से लंड पेलते हुए देखा तो मुझे बहुत दुख हुआ था | इसीलिए मैं प्यार से तुम्हारी गांड मारना चाहता हूं और तुम्हें गांड मारने का  सुख देना चाहता हूं जिसकी तुम्हें शायद तलाश थी बेबी | 
रीमा - नहीं जितेश मेरी गांड अभी बहुत दुख रही है प्लीज अपना लंड बाहर निकाल लो बेबी  |
जितेश - रीमा बेबी अब मैं लंड को तो बाहर नहीं निकाल सकता प्लीज थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो......... तुम्हें भी बड़ा मजा आएगा | मैंने इसीलिए ढेर सारी क्रीम तुम्हारी गांड में उड़ेल दी है ताकि तुम्हें किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो | तुमारे गांड के छल्ले को तो किसी ने किसी दिन फैलना ही था | वर्ना जब ही यदा कदा लंड जायेगा तो ऐसे ही दुखेगी | जब लगातार दो बार मुसल लंड की ठोकरें पड़ेगी तो  तुमारी गांड हमेशा के लिए हर तरह का लंड को लेने की आदी हो जाएगी | फिर चाहे जीतनी गाड़ मरवाना कभी नहीं दुखेगी | 
रीमा - नहीं जितेश अभी बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा  है, बहुत दर्द कर रहा है प्लीज मत करो  | 
जितेश ने और गहराई तक लंड पेलते हुआ -  जानता हूं  बेबी ....... बस थोड़ी देर और बर्दाश्त कर लो उसके बाद में सब ठीक हो जाएगा, बस थोड़ा सा | 
रीमा -  नहीं जितेश प्लीज बहुत दर्द  हो रहा है प्लीज रुक जाओ | 
जितेश - बेबी मेरी जान प्लीज बस कुछ देर और बस कुछ देर और दर्द भरी गांड में लंड ले लो , बर्दाश्त कर लो उसके बाद में तुम अपनी गांड में चाहे जितना बड़ा मोटा लंड लेना हो ले लेना  बिल्कुल दर्द नहीं होगा | ये बस एक बार की तकलीफ है,  एक बार अपनी गांड पूरी तरह से रवां हो जाने दो बस इसके बाद तुम्हारी गांड में कभी कोई तकलीफ नहीं होगी |
रीमा - अभी मुझसे बर्दाश्त के बाहर है प्लीज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज् जितेश हहह्हहहह्हहाईईईईईईईईई रेरेरेरेरेरेरेरे | 

जितेश हालात को सँभालने की कोशिश बहुत कर रहा था लेकिन रीमा की हालत देखकर अब उसे भी लगने लगा था उसे थमना न पड़ जाए | जितेश ने आखिरी कोशिश करी - बेबी बस एक बार बर्दास्त कर लो, पहली बार जब चूत चुदती है तो उसके फटने पर भी दर्द होता है न | उसके बाद जिंदगी भर के मजे | बेबी मै बोल रहा हूँ थोड़ी सी हिम्मत रखो, बस एक बार तुमारी गांड के कपाट खुल जाये अच्छे से, फिर मनचाहा लंड घोटती रहना | तुम्हे पता है बेबी आर्मी में हमें पहले छ महीने इतना रगड़ के ट्रेनिंग करायी जाती है पूछो मत |  लगता है अब निपट गए तब निपट गए | हर दिन किसी नरक की तरह होता है, उन पहले 6 महीनो में हमें रगड़ कर इतना मजबूत कर देते है की पूछो मत | वो शुरुआत की ट्रेनिंग इतनी तकलीफदेह होती है की बर्दाश्त करना मुश्किल होता है | पता है जब हम यहाँ से जाते है तो हमारा शरीर उतना कठिन मेहनत का आदि नहीं होता इसलिए ज्यादा तकलीफ होती है | एक बार वो ट्रेनिंग कम्पलीट हो गयी फिर जिंदगी भर मुश्किलों से जूझने के काम आती है | समझ लो तुमारी गांड की आर्मी स्टाइल ट्रेनिंग हो रही है | जितना ज्यादा दर्द से गुजर अपनी गांड मसलाओगी, उतना ही आगे चलकर तुमारी गांड लंड लेने के लिए मजबूत हो जाएगी | 
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जितेश - एक बार सह लो इसके बाद तुम्हे गांड मरवाते कभी कोई तकलीफ नहीं होगी, एक बार तुमारी गांड का छल्ला लंड से रगड़ खाकर मजबूत हो गया फिर क्या लंड क्या मुसल लंड सब गपागप लील लोगी | एक बार लंड से रगड़ खाकर अपने गांड के छल्ले को फैलने तो दो ढंग से | फिर तुम मेरा क्या मेरे जैसे दो दो लंड एक साथ घोंट लेना अपनी गांड में | 


रीमा दर्द से बिलखती हुई - तुम समझ क्यों नहीं रहे बेबी बहुत दर्द हो रहा है, बहुत दुःख रही है मेरी गांड, पहले से जख्मी गांड की और दुर्गति मत करो प्लीज |  प्लीज रुक जावो | 


जितेश भी वासना के नशे में बुरी तरह डूबा हुआ था - बेबी बस यह तुम्हारे दर्द की आखिरी घड़ी है उसके बाद तुम्हें कभी कोई दर्द नहीं होगा,  बस एक बार अच्छे से  मरवा लो....... यह जो भी दर्द हो रहा है बस यह समझ लो तुम्हारे जिंदगी का आखरी दर्द है इसके बाद तुम्हें गांड मरवाने में कभी दर्द नहीं होगा | बेबी बस एक बार.....मेरी प्यारी बेबी स्वीट बेबी प्लीज | 

रीमा बिलखती हुई - बेबी  मर जाऊंगी......... बेबी बहुत दुख रहा है प्लीज देखो न बहुत दुख रहा है | 
जितेश - बस कुछ देर और ...... बेबी थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो नहीं पता है ना तुमने इतना मोटा लंड घोंट  लिया है  कुछ देर इसे अपनी गांड की मालिश करने दो  उसके बाद तुम्हारी कोमल गांड की सारी मांसपेशियां की जकड़न ये दूर कर देगा | तुमारे जिद्दी गांड के छल्ले को रबर की तरह नरम बना रहा हूँ |  फिर तुमारी गांड रबर की तरह नरम फ़ैलने वाली और मजबूत हो जाएगी |   फिर तुम्हारी गांड किसी भी मोटे से मोटे खूंटे जैसे लंड को लेने के  लिए भी पूरी तरह से तैयार हो जाएगी | 
रीमा की नाजुक गांड का तीखा दर्द अब बर्दाश्त से बाहर था -  कैसे बर्दाश्त करूं इस दर्द को ..... बहुत तकलीफ हो रही है, लग रहा है पहले किसी ने नस्तर चला दिया हो गांड के अन्दर और अब तुम अपने मोटे मुसल से उस कटी फटी गांड को कूट रहे हो | नहीं मै मर जाउंगी जितेश प्लीज रूक जावो .....................ह्हाआआआआआआआआआआआआआ ईईईईईईईइ माआआआआआआ रीईईईईईईईईईए |  

रीमा ने तकिये में मुहँ धकेल दिया | जितेश दुविधा में फंस गया, क्या करे, एक तरफ दर्द से तड़पती रीमा और दूसरी तरफ उसकी गांड में धंसा उसका फूला हुआ मोटा लंड | बीच मझधार में जब लंड को थमना पड़ता है तो बहुत खराब लगता है | जितेश हर हाल में रीमा की गांड ही मारना चाहता था | वो भी एक नंबर का जिद्दी था | कुछ देर चूत में डाल कर चोद सकता था लेकिन उसकी भी जिद थी, जब रीमा गिरधारी से अपनी गांड फड़वा सकती है तो फिर उसके लिए थोड़ी दी तकलीफ नहीं बर्दाश्त कर सकती | 

जितेश - मै समझ सकता हूँ | 

रीमा बिफर पड़ी - तुम कुछ नहीं समझते, तुम्हे सिर्फ अपनी पड़ी है | 

जितेश को भी लगा रीमा कुछ ज्यादा ही नाटक कर रही है - ऐसा नहीं है |
रीमा उसी रौ में - तुम्हे मेरी कोई परवाह नहीं, यहाँ दर्द से पूरी गांड रो रही है और तुम उसे कुचले जा रहे हो कुचले जा रहे हो |
जितेश - बकवास मत करो .........परवाह न होती तो इतना आराम से करता, तुमारी गांड को गिरधारी ने कुचला है कूटा है जानवरों की तरह चोदा है, मैंने नहीं | ये दर्द उसका दिया हुआ है मेरा नहीं | क्यों बुलाया था उसे अपने पीछे, क्या जरुरत थी उसकी | तुमारी वो मुराद क्या मै नहीं पूरी कर सकता था | मुझे पता है तुम्हे बहुत तकलीफ हो रही क्योंकि तुमने ही उसे अपनी गांड मारने के लिए बुलाया हुआ था | ......................................................कोई बात नहीं बेबी कभी-कभी दर्द और तकलीफ भी बहुत मजा देते हैं | 
रीमा भी ताव में - तुम कुछ नहीं जानते मेरे बारे, मुझे पर रौब झाड़ना बंद करो | 
जितेश - मै तुम्हे अच्छी तरह से जान गया हूँ | तुम्हे लगता है  परवाह नहीं तुमारी | मुझे ही दुनिया भर के नखरे दिखा रही हो क्यूंकि मै नखरे झेल रहा हूँ, गिरधारी फ्री फंड में तुमारी गांड बुरी तरह कूट के चला गया क्या उखाड़ लिया उसका, उसके दिए दर्द को मै ही तो सहला रहा हूँ |  
रीमा - हाँ तो बुला लिया था मेरी मर्जी ....,मेरा जिस्म है मुझे लगा उसे बुलाना चाहिए तो बुला लिया | मेरी मर्जी ने उसने मेरी गांड में लंड घुसेड़ा था तुमारी तरह चोर बनकर सोते समय नहीं | 
जितेश - मै चोर हूँ |
रीमा - नहीं असल में तुम जलनखोर हो | मैंने गिरधारी को अपनी गांड सौंप दी ये तुमसे बर्दास्त नहीं हुआ | तुमारे मर्दानगी को ठेस पहुची | इसलिए सोते हुए मेरी गांड मार कर गिरधारी का मुकाबला कर रहे थे क्योंकि तुम्हे पता था अपने होशो हवास में तुम्हे मै ऐसा करने नहीं दूँगी | 
जितेश भी उसी ताव में बोल गया - हाँ मुझे बुरा लगा, और लगना भी चाहिए | मुझे तुमारी परवाह है, मै तुमसे प्यार करता हूँ | 
रीमा - झूठ सरासर झूठ , कितनी परवाह करते हो वो तो साफ़ दिख रहा है | 
जितेश - अच्छा अब मै झूठा भी हो गया, तुम राह चलते किसी से भी गांड मरवा लो तो कुछ नहीं, मै अपनी दिल की ख्वाइश का इजहार भी कर दू तो झूठा, लापरवाह , हवस का दरिंदा | 
रीमा - मैंने ये तो नहीं कहा |
जितेश - मतलब तो यही था न | 
रीमा - तुम होते कौन हो मुझ पर इस तरह से हुकुम चलाने वाले | मै तुमारी गुलाम नहीं हूँ, मेरी जो मर्जी होगी वो करूंगी, तुम हो कौन तुमारा मेरा रिश्ता क्या है जो इतना हक़ जता रहे हो |
जितेश को ये बात चुभ गयी - ठीक है मै कोई नहीं, अजनबी हूँ फिर तुमारी परवाह क्यों करू, जैसा करोगी वैसा भुगातोगी | 

उसने रीमा की कमर ऊपर को उचकाते हुए - अपने चूतड़ ऊपर को उठावो | रीमा को पता था अगर वो उसकी बात नहीं मानती तो जितेश जबरदस्ती करता |



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गुस्से और दर्द से भरी रीमा ने घुटनों के बल पर बिस्तर पर बैठ गई और उसने अपनी गांड को हवा में उड़ा दिया था | अब जितेश रीमा के ऊपर आ गया था और उसकी पीठ झुककर  किसी कुत्ते की तरह उसकी गांड में लंड ठूंस दिया | जितेश ने रीमा के चूतड़ को थामा और अपना लंड उसकी गांड में गहराई तक उतार दिया |  जितेश  कुत्ते की तरह उसे कुतिया बनाकर उसकी गांड को मारने लगा था | रीमा की आंखों में सचमुच में आंसू थे आखिर रीमा कहां से कहां पहुंच गई | उसके अंदर की  वासनाओं ने आज उसे सचमुच का जानवर बना दिया था | क्या वह सचमुच में इस तरह से कुत्तिया बन कर के किसी अनजान आदमी से अपनी गांड मरवाना चाहती थी | उसकी गांड की सुरंग की गहराइयों में एक अनजाने आदमी का मुसल लंड अंदर तक उसकी गहराइयों को न केवल नाप रहा था बस उसे मसल रहा था और कुचल रहा था | अपने बेतहाशा ठोकरों से उसके पूरे वजूद को हिलाए हुए पड़ा था  | रीमा को सचमुच में अंदर से ऐसा लगा जैसे रो पड़ेगी लेकिन जितेश की ठोकरें कम ही नहीं हो रही थी | वह तो दनादन  बढ़ती जा रही थी | जैसे-जैसे रीना का गांड का छेद नरम होकर फ़ैल गया था  पूरी तरह से खुल गया था वैसे-वैसे जितेश का लंड के अन्दर जाने की स्पीड भी बढ़ गई थी | अब तो बिल्कुल फरारी कार की टॉप स्पीड के  अंदाज में तेजी से सटासट रीमा की गांड में लंड पेला रहा था | उसके लंड की ठोकरे के साथ में ऐसा लग रहा था जैसे कोई रीमा से उसका वजूद...... उसका अस्तित्व उससे कोई छीन कर के लिए जा रहा हो | रीमा एक जिंदा लाश की तरह बन गई थी | कोई भी आ सकता है उसे लूट सकता है और उसको लूट भी रहा था | आखिर उसका अपना कोई वजूद नहीं है क्या वह बस अपनी वासना की दासी बनकर रह गई है और इसी तरह से अनजान लोगों के द्वारा अपने जिस्म को लूटने देना उसकी नियति बन गई है |अभी सुबह तक तो आपकी जो मर्जी से चुद रही थी तो अब किसी दूसरे की मर्जी से चोदने में क्या अंतर है | इस अंतर को नहीं समझ पा रही थी उसे लग रहा था जब तक वह अपनी ख्वाहिशों से  चुद रही है तब तक उसका खुद का अस्तित्व बना हुआ था लेकिन अब उसकी बिना ख्वाहिश के भी उसे कोई चोद रहा है तो उसे ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने उसका वजूद ही खत्म कर दिया हो | रीमा हीनता के बहुत गहरे अवसाद में थी और उसकी आंखें आंसुओं से भरी हुई थी | जितेश  अपनी वासना में अँधा होकर उसके आंसुओं को नहीं देख पा रहा था | जितेश के अपने चौड़े मांसल चूतड़ों पर पड़ती उसके मुसल लंड की ठोकरों से रीमा कराह  रही थी |


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 उसके दर्द में वासना कम और दर्द ज्यादा था | वह दर्द शारीरिक पीड़ा के साथ-साथ उससे ज्यादा मानसिक पीड़ा का था|  जितेश उसके साथ ऐसा कैसे कर सकता है | वासना के रौ में बहकर करके मैंने जो गलती कर दी क्या जितेश ने उसे हकीकत मान लिया | आखिर जितेश उसे इस तरह इस हद तक गिरा हुआ कैसे समझ सकता है क्या मैं बस जितेश की लौंडी बनकर रह गई हैं जब चाहे जिस तरह से इस्तेमाल कर ले , उसके मन में मेरी मर्जी के खिलाफ मेरे जिस्म के अंदर घुसने का ख्याल भी कैसे आ गया आखिर जितेश के जानवर बन गया है क्या .. वासना ने उसे भी पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले लिया है क्सया रीमा कुछ भी समझ नहीं पा रही थी | वह बस नीचे की तरफ झुकी हुई बिस्तर में अपना मुंह छुपाए हुए दर्द  को बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी जो लगातार उसे जितेश के लंड से उसकी गांड पर पड़ने वाली ठोकरों से मिल रहा था | 


रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ माआआआआआआआआईईईईईईईईई रीईईईईईईईईईए चीईईईईएरररररररररर 

दादादादादादादाद्द्लालालालालाल |
रीमा - धीरेरेरेरेरेरेर करो जितेश, बहुत दर्द हो रहा है | 

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रीमा की कराहती आवाज से जितेश को और जोश आ गया | वो रीमा की दुखती गांड को बुरी तरह चीरने लगा | 
रीमा हर धक्के के साथ - जितेश मत करो बहुत दुःख रहा, आआह्ह्ह प्लीज रुको मत करो आआऐईईईईईईईईईई माआआआ दर्द्द्दद्द्द्दद हो रहा है | 
रीमा - आःह्ह्ह जितेश नहीं प्लीज जितेश नहीं रुको नहीं नहीं रुको  प्लीज दर्द हो रहा है प्लीज | 

इधर जितेश गुस्से में दनादन कमर हिला रहा था | रीमा ने उसे गुस्सा दिला दिया था | उसने मन में ठान ली थी अब और रीमा के नखरे बर्दाश्त नहीं करेगा | बिलखती है तो बिलखने दो, रोती है तो रोने दो, सिसकती है तो सिसकने दो, कराहती है तो कराहे, चीखती है तो चीखे वो नहीं रुकेगा | जितेश ने रीमा के चुताड़ो को उचका दिया और सटासट उसकी गांड में लंड पेलने लगा |


रीमा भी समझ गयी अब जितेश रुकने वाला नहीं है | उसे भीषण पीड़ा के दौर से गुजरना ही होगा | वो जितेश के बाहुबल के आगे कही नहीं टिकेगी | प्रतिरोध करे भी तो कैसे, कहाँ से लाये इतना नैतिक बल जो उसे जितेश की आक्रामक वासना के खिलाफ उसे खड़ा कर सके | उसके मन में किसी तरह की कोई खुशी नहीं थी उसकी आंखों में आंसू थे उसके साथ जो भी हो रहा था पता नहीं वह उसकी वासना की लाचारी थी या बेबसी थी लेकिन उसका मन इसकी गवाही नहीं दे रहा था लेकिन उसका जिस्म और परिस्थितियां कुछ ऐसी थी कि उसे वह सब करना पड़ रहा था | कहाँ वह खुशी-खुशी अपने अंदर की वासनाओं को पूर्ति करना चाहती थी लेकिन यहां अब वह अपनी वासनाओं की दासी बन गई थी, उसकी वासना ने उसे अपने जाल में फंसा लिया था |  अब वह चाहकर भी अपने आसपास होने वाली चीजों को रोक नहीं सकती थी आखिर किस मुंह से जितेश को रोके प्रतिरोध करे | 


रीमा जितेश के सामने गिडगिडाते हुए - प्लीज जितेश ऐसा मत करो मुझे बहुत दर्द हो रहा है

जितेश-  कोई बात नहीं रीमा बेबी मैं आराम से  करूंगा |
रीमा - नहीं जितेश प्लीज प्लीज रुक जाओ सच में मुझे बहुत दर्द हो रहा है 
जितेश - मैडम थोड़ा बहुत दर्द तो होगा ही थोड़ा बर्दाश्त कर लो ना .....|
रीमा कराहती हुई मिन्नतें कर रही थी - प्लीज रुक जाओ ना जितेश.... प्लीज नहीं...... जितेश ऐसा मत करो .......प्लीज मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूं तुम मेरी बात क्यों नहीं मान रहे हो...... प्लीज मुझे दर्द हो रहा है बहुत दर्द हो रहा है |
जितेश भी अपनी जिद पर अड़ा हुआ था -  मैडम दर्द तो तब भी हो रहा था जब गिरधारी आपकी गांड मार रहा था तब आपने उसे क्यों नहीं रोका प्लीज थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो बस इतनी देर में हो जाएगा |
रीमा इनकार करती हुए -  नहीं जितेश प्लीज अपना लंड  बाहर निकाल लो मेरी गांड फट जाएगी मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूं ...........प्लीज जितेश मेरी बात मान लो ..........प्लीज तुम मेरा क्यों रेप करने पर तुले हुए हो मैं नहीं चाहती तुम मेरी गांड मारो मुझे बहुत तकलीफ हो रही है , बहुत दुःख रही है |

[Image: 10755972.gif]


जितेश हलके हलके धक्के लगाता हुआ  - तकलीफ तो हो रही है तुमको मैं तो बस थोड़ा सा ही तो........... मैं थोड़ी सी मोहलत मांग रहा हूं.............थोड़ा और बर्दाश्त कर लो .............. इतनी देर गिरधारी से गांड मरवाई है थोड़ा और बर्दाश्त कर लो | 

जितेश अपनी कमर हौले हौले हिलाता हुआ - तब तुमको तकलीफ नहीं हो रही थी मैंने देखा कितनी बेतहाशा वो तुमारे चूतड़ों पर ठोकरे मार रहा था और अपना लंड पूरा का पूरा तुमारी गांड में घुसेड़े  दे रहा था | किस तरह से उसने तुमारी गांड का कचूमर निकाल दिया था |  मैंने अपनी आंखों से देखा है | उसकी ठोकर इतनी तेज होती थी कि  मेरा लंड अपने आप ही तुमारी चूत में घुस जाता था | 
 फिर मेरे हल्के हल्के झटकों से आपको क्या दिक्कत है मैडम थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो बस मेरी भी इच्छा है मेरी भी कुछ तो तमन्ना है मेरी छोटी सी तमन्ना ही तो थी और वह पूरी हो जाएगी  | 
जितेश अब वासना की गर्मी में नहाने लगा था - आआआआआआह्हह्हह्हह्हह्हह्हह  मैडम  कितनी कसी हुई आपकी गांड है | गिरधारी के द्वारा फ़ैलाने के बाद भी आपको छल्ला तो मानने को तैयार ही नहीं है | मेरे लंड की खाल को बिल्कुल नोच के रखे दे रहा है इतनी कसी हुई गांड है आपकी | मेरा तो दम निकला जा रहा है आपकी गांड में लंड पेलने  में |

रीमा को भी पता था जितेश नहीं मानेगा - प्लीज जितेश मान जाओ तुम मुझे बहुत तकलीफ दे रहे हो मेरी गांड बहुत दर्द हो रहा है मैं मर जाऊंगी प्लीज ऐसा मत करो |
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रीमा की चिकचिक से जितेश को थोड़ा सा चिढ़ हो गयी थी | उसे लग रहा था रीमा को दर्क्याद कम हो रहा है नाटक ज्यादा कर रही है | 

जितेश -क्या  बात कर रही मैडम आज तक दुनिया की कौन औरत गांड मरवाने से मरी है | दुनिया की न जाने कितनी औरतो  गांड मरवाती है या उनकी गांड मारी जाती है  | कुछ तो एक ही गांड में दो दो लंड ले लेती है | मैडम अगर आप अच्छे से प्रैक्टिस करो तो आप  भी एक साथ दो लंड  ले सकती हो |अभी तो सिर्फ मेरा ही लंड आज आ रहा है वह भी आधा  मैडम | 
जितेश रीमा की सुनने को तैयार ही नहीं था - प्लीज जितेश  मै तुमसे  विनती कर रही हूं प्लीज रुक जाओ | मै चल नहीं पाऊंगी  खड़ी नहीं हो पाऊंगी | 
जितेश - कोई बात नहीं मैडम थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो ...हां इतनी देर गिरधारी के लंड से  इतनी बेदर्दी से ठोकर मारने के बाद उसको खुशी-खुशी लेती रही वहां मै तो बहुत आराम से पेल रहा हूँ थोड़ा सा दर्द बर्दास्त कर लो मेरी खातिर | एक बार मैं अपनी तमन्ना पूरा करना चाहता था एक बार अपनी जान की जमकर गांड मार  लूं | उसके बाद मुझे मौत भी आ जाए तो मुझे कोई गिला शिकवा नहीं है |

जितेश - कितने नरम नरम  चूतड़ है  ऐसे लग रहा है जैसे मखमली रुई के पहाड़ो पर से फिसलता हुआ किसी गरम गुलाबी कसी सुरंग में जा रहा हूँ | मैडम आपकी पिछली सुरंग बहुत टाइट ......आआअह्ह्ह सच  बहुत टाइट है | मैडम मैडम इतनी देर बाद भी आपकी गांड ने अभी हथियार नहीं डाले है | लगातार मेरे लंड को कस के रगड़कर निचोड़ने में लगी हुई है | आआआआह्ह्ह्ह कितनी कसी गुलाबी गांड है आपकी मैडम ..................कितनी कसी हुई गांड की मालकिन हो मैडम इतनी देर चोदने के बाद भी अभी भी आपकी गांड का छल्ला हार मानने को तैयार नहीं है देखो किस शक्ति के साथ मेरे लंड को पकड़ कर निचोड़ रहा है | रीमा मैडम आप सचमुच में बहुत कमाल की है आपका जिस्म बहुत कमाल का है इतनी बार अगर किसी औरत को चोद दिया जाता तो उठना तो छोड़ो वह आंखें तक नहीं खोलती और आप हैं तीन चार बार चोदने के बाद भी इतनी खुशी से अपनी गांड मरवा रही हो |


रीमा ने प्रतिकार  किया - नहीं जितेश ऐसा नहीं है मुझे सच में बहुत दर्द हो रहा है प्लीज अब तो निकाल लो | 

जितेश - नहीं मैडम आपकी गांड के छल्ले की अकड़ दूर करने के बॉद ही मेरा लंड बाहर आएगा | पहली दूसरी बार जब गांड मरेगी तो थोड़ा बहुत तो दर्द होगा ही एक बार आपकी गांड का छेद खुल जाएगा फिर तो आप खुशी-खुशी पूरा लंड घोट लोगी | पहले से गांड मरवा रही होती तो चीखने हाथ पटकने की नौबत ही नहीं आती और मैं आराम से आपकी गांड मार रहा होता | 
जितेश - कोई बात नहीं कुंवारी गांड खोलने का भी अपना एक मजा है | वो अलग बात है लंड पेलने वाले को गांड से पसीना आ जाता है | कोई बात नहीं मैडम मैं आपकी गांड का छेद पूरी तरह से खोल करके रहूंगा ताकि आगे जो भी आपकी गांड मारे उसे ऐसी तकलीफ ना हो | 

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जितेश रीमा की गांड में गहराई तक हौले हौले लंड पेलता हुआ - सचमुच में आप सेक्स गोडेस हो  इतनी देर जुदाई के बाद आप कैसे दनादन लंड घोट रही हो | आआआआआअह्बहह्हुहह्तहह्ह सच में बहुत  मजा आ रहा है मैडम गांड में लंड पेलने में |

रीमा - जितेश मुझे कोई मजा नहीं आ रहा है मुझे बहुत तकलीफ हो रही है | 
जितेश - कोई नहीं मैडम तकलीफ में ही तो मजा है एक बार इसे महसूस करके तो देखो |  दुनिया की कौन औरत है जिसको चोदते हुए दर्द नहीं होता |  दुनिया की कौन सी औरत है जिसको गांड मरवाने में दर्द नहीं होता वो इस दर्द में इतना मजा खोजती है आप भी एक बार महसूस करके तो देखो जन्नत की सैर करोगी |  थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त कर लो उसके बाद सब ठीक हो जाएगा |


जितेश - मेरे मोटे मोटे लंड का अपनी गांड की दीवारों पर एहसास तो करके देखो एक बार |  मैडम क्या चिकनी कसी हुई गुलाबी गांड है आपकी | मैं तो दीवाना हो गया हूं | मुझे तो लग रहा था आप की मक्खन मलाई जैसे गुलाबी चूत कमाल की है लेकिन आपकी कसी कोरी गांड तो उससे भी ज्यादा कमाल की है एक बार जिसका लंड इसके अंदर चला जाए वह तो फिर दोबारा आपकी गुलाबी चूत की तरफ घूम के भी नहीं देखेगा |  इतनी चिकनी इतनी नाजुक नरम इतनी चिकनी और कसी हुई गांड बहुत कम औरतों की होती है मैं तो धन्य हो गया ऐसी गोरी चिकनी और कसी हुई गांड को चोद के | मैडम मैं बता नहीं सकता कि मै कितना खुश हूँ  आप जो कहोगी सब कुछ आप पर निछावर है | आप जो मांगोगे वह आपको लाकर दूंगा | इस के बदले मेरी जान भी मांग लो तो मुझे मंजूर है |  बस अपनी इस कसी गुलाबी चिकनी गांड  को एक बार ठीक से चोदने दो |  उसके बाद में मेरी जिंदगी आपकी............ मैं आपका गुलाम और आप मेरी मलिका हो | 

जितेश - मैडम ऐसा कभी नहीं हुआ मेरे साथ ...... मैं किसी औरत का इस कदर दीवाना हो गया हूं | आप सचमुच में कमाल की हो चलती फिरती अप्सरा हो और जो आपके नाजुक नंगे  जिस्म को देख ले वह क्यों ना फिर पागल हो जाए | एक अप्सरा से भी ज्यादा खूबसूरत जिस्म की मालकिन और उससे ज्यादा आपकी यह गुलाबी कसी कोमल  सुरंगे आदमी को पागल बना देती है | मेरा बस चले तो मैं बस दिन रात आपकी चूत और गांड में अपना लंड डालकर आप को चोदता रहा और आपको चरम सुख का अहसास कराता रहा हूं  |  क्या कसी हुई गांड है अभी भी मेरे लंड को अंदर घुसने नहीं दे रही ठीक से | 


रीमा को जितेश की बडबडा हट से कोई लेना देना नहीं था - जितेश मुझे दर्द हो रहा है बहुत दर्द हो रहा है क्या मिलेगा तुम्हें मुझे इतनी तकलीफ देकर |

जितेश - इस तकलीफ के आगे ही तो सारे मजे का संसार है| 
रीमा -  नहीं चाहिए मुझे ऐसा मजा जो इतनी तकलीफ देने के बाद मिले | बेबी मेरी गांड बहुत दुख रही है बेबी प्लीज मत करो |
जितेश - थोड़ा सा बर्दाश्त करो बेबी  इसके बाद में तुम्हारी गांड में कभी दर्द नहीं होगा |
जितेश -  मैं तुम्हारी गांड को हमेशा के लिए ट्रेनिंग दे रहा हूं ...........थोड़ी तो तकलीफ उठाओ न बेबी | 
जितेश - जब तुम्हारे जिस्म में बड़े-बड़े लंड चारों तरफ से घुसेंगे तो  उस वासना की आग को बुझाने के लिए तुम्हारे जिस्म की सुरंगों को मजबूत होना पड़ेगा बेबी | मैं बस तुम्हारी गांड को मजबूत बना रहा हूं ताकि आगे चलकर वह बड़े से बड़ा लंड आसानी से घोंट जाए बेबी | बस उस हद तक गांड मरवा लो |  इसके बाद तुम्हारी गांड की मांसपेशियां मजबूत हो जाएगी तुम्हारी गांड की दीवारें मजबूत हो जाएंगी और तुम्हारी गांड का छल्ला नरम और फ्लैक्सिबल हो जाएगा | उसके बाद में तुम कितना भी बड़ा लंड इसमें लोगी वह खुशी-खुशी अपने अंदर पूरा लंड घोंट लेगी |  तुमारी गुलाबी दीवारे मजबूती से उसे जकड़ देगी | 
जितेश - अब तुम्ही बताओ जब तक अपनी कसी  गांड को ट्रेनिंग नहीं दोगे तब तक कैसे वो मजबूत होगी और मोटे से मोटे लंड को घोटेगी | 
रीमा - मैं भी क्या करूं मैं जितना बर्दाश्त कर सकती हूं कर रही थी लेकिन अब बर्दाश्त से बाहर हो रहा है बेबी बहुत दर्द हो रहा है मैं इस दर्द को नहीं बर्दाश्त कर सकती प्लीज मत मारो मेरी गांड रुक जाओ ना क्यों इतनी तकलीफ दे रहे हो आखिर क्या मिल रहा है तुम्हें मुझे इतनी तकलीफ देकर ..............क्या तुम अपनी रीमा को इतनी तकलीफ देना चाहते हो जिसे तुम इतना दिलो जान से चाहते हो | मेरी गुलाबी चूत मार लो ना बेबी प्लीज मत करो पीछे बहुत दर्द हो रहा है |  अभी बेबी मेरी चूत में डाल दो बेबी प्लीज |

जितेश भी अपनी हवस की जिद पर अड़ा था | जितेश बस सुपाडा ही अन्दर बाहर कर रहा था लेकिन रुक नहीं रहा था  - नहीं बेबी मुझे तुम्हारी गाड़ ही मारनी है मैं नहीं चाहता कि तुम वासना की ऐसी आग में तड़पती रहो | मुझे पता है तुम्हारी वासना की आग तब तक नहीं बुझेगी जब तक तुम्हारी गांड ढ़ंग से नहीं मारी जाएगी और बेबी इसीलिए मैं तो बस तुम्हारी गांड को ट्रेनिंग दे रहा हूं ताकि वह अच्छी तरह से मैदान में उतरने के लिए तैयार हो सके | वहां तो तुम्हें ऐसे हालातों का सामना रोज करना होगा वहां तो तुम्हें ना कोई सहलाएगा न तुम्हे गरम करेगा न तुमारी गांड को चिकना करेगा | कोई कुछ नहीं करेगा सीधे-सीधे लंड उठाकर तुम्हारी गांड में घुसा देंगे |



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रीमा हैरान थी जितेश क्या बकवास कर रहा है - कौन से वासना के मैदान की बात कर रहे हो बेबी | 

जितेश - वह तो तुम्हें आगे वक्त ही बताएगा जब तुम खुशी-खुशी किसी भी सड़क चलते लंड से अपनी गांड मरवाने के लिए लालायित हो उठेगी | जब भी तुम्हें कोई मुसल मोटा लंड दिखेगा | पक्का है तुम्हारे मुंह में पानी आ जाएगा |
रीमा - मै तुम्हे लंड खोर लगती हूँ | मै तुम्हे चुदक्कड़ लगाती हूँ | 
जितेश - हाँ तुम चुदक्तुकड़ हो और एक नंबर की लंड खोर भी बस मानती नहीं हो | इसीलिए कह रहा हूँ एक बार ढंग से लंड घोट लो फिर सब ठीक हो जायेगा | 

जितेश - अब तुम्हारी गांड का छेद ढंग से खुला है बेबी अभी इसे और मजबूत करने की जरूरत है अभी अगर तुमने इसे मजबूत नहीं किया तो आगे जिंदगी भर के लिए ऐसे ही दुखता रहेगा अभी जितना दर्द है इतना दर्द बर्दाश्त करने के बाद में इसकी इस तरह से लंड घोटने की आदत पड़ जाएगी | फिर उसके लिए यह दर्द कोई मायने नहीं रखेगा और तुम हमेशा जब भी गांड मरवाओगी तब समझ लो स्वर्ग की सैर करोगी |


रीमा - अभी क्या करूं बेबी अभी तो मेरी जान निकली जा रही है प्लीज धीरे धीरे करो ना इतनी तेज क्यों गांड मार रहे हो मेरी | थोड़ा स्लो स्लो करो |

जितेश - ठीक है बेबी मैं तुम्हारी धीरे-धीरे गांड मारता हूं प्लीज मुझे गांड मारने से मना मत करो | बेबी देख रहे हो मेरा लंड कितना तना हुआ है फूला हुआ है | मै चाहता हूँ मेरा फूला हुआ मोटा लंड तुमारी गांड को अच्छे से खोलकर पूरा जड़ तक तुमारी गांड में धंस जाये | तभी तुमारी वासना की आग बुझेगी |  
रीमा - नहीं बेबी प्बेर लंड जाने से मैं मर जाऊंगी....अभी इतना दर्द हो रहा है  इतना दर्द मैंने कभी नहीं झेला है मेरी गांड तो ऐसा लग रहा जैसे फट गई है बहुत दर्द हो तकलीफ हो रहा है बेबी क्यों क्यों मार रहे हो मेरी गांड को .........मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूं मेरी जान निकली जा रही है मैं क्या करूं अभी |

अगर उसने कभी गिरधारी को बुलाया ही नहीं होता तो आज जितेश को दृढ़ता से मना कर सकती थी लेकिन अब वो जितेश की सेक्स स्लेव बनकर रह गयी थी | उसे दर्द हो रहा था उसे तकलीफ हो रही थी उसकी खुद की इच्छा के खिलाफ कोई उसकी गांड में लंड पेल रहा था | लेकिन किस नैतिक बल से उसको मना करें | आखिर उसने ही तो अपने आप को इस लेवल तक गिरा लिया था जहां पर वह जितेश को रोक नहीं सकती थी | अब उसके हाथों की कठपुतली बन कर के उसके हाथों में खेलना ही उसकी नियति गई थी | जितेश बेतहाशा रीमा के चूतड़ों पर धक्के लगा रहा था | 


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आखिरकार उसके साथ क्या हो रहा था उसको भी नहीं पता था | चौबीस घंटे के अंदर लगातार तीसरी बार जितेश उसे चोद रहा  था और वह उसके हाथो की लौड़ी बनी  अब उससे गांड मरवा भी रही थी  | चुताड़ो और गांड पर लगती तेज ठोकरों ने रीमा के कमर और जांघो में एक नया दर्द पैदा कर दिया | गांड के सिसकते छल्ले के साथ कमर और जांघो के तिहरे दर्द से रीमा के लिए सब कुछ बर्दाश्त से बाहर हो गया | असल में वो कमर का दर्द नहीं थकावट थी जिसने उसके जिस्म को चूर चूर कर रखा था | जितेश के नीचे पड़ी रीमा पता  नहीं क्यों दर्द बर्दाश्त कर रही थी इसमें भी उसे कुछ अलग सा सुख नसीब हो रहा था यह कतई आरामदायक या मजे लूटने वाले जैसी बात नहीं थी उसे गांड में अच्छा खासा दर्द हो रहा था लेकिन जितेश का मोटे लंड से लड़ते हुए उसकी गांड की गाने वाली पता नहीं कौन सा सुख मिल रहा था उसकी आंखों में आंसू थे  पीछे जितेश लगातार दनादन अपनी कमर हिला कर के उसकी गांड मार रहा था रीमा  की गांड का छेद पूरी तरह से खुल चुका था और उसका लंड उसकी गांड में जा रहा था |

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इसके जितेश दनादन रीमा की गांड में लंड पेल रहा था लेकिन वो वासना में इतना भी अँधा नहीं था की रीमा की हालत का अंदाजा न लगा पाए | भले ही उसने गुस्से में रीमा की गांड बुरी तरह मारनी शरू कर दी हो लेकिन उसका मकसद रीमा को तकलीफ पहुचना कतई नहीं था | वो रीमा के दर्द भरे चेहरे को देखने लगा | वो समझ गया रीमा बुरी तरह से पस्त है और अपने जिस्म की ताकत बटोर कर उसकी ठोकरों का दर्द बर्दाश्त कर रही है | जितेश थम गया | उसे पिछले कुछ दिनों में ये अंदाजा तो हो गया था की रीमा जीतनी वाइल्ड है उतनी ही भावुक है और सेंसिटिव भी | भले ही वो जितेश का विरोध नहीं कर पा रही हो लेकिन इतना तो तय था वो राजी ख़ुशी से तो उसका लंड अपने गांड में नहीं ले रही थी | जितेश के वासना भरे दिमाग में पता नहीं कहाँ से ये ख्याल आ गया, कही ऐसा करके वो रीमा का दिल तो नहीं दुखा रहा | नहीं वो रीमा का दिल कैसे दुखा सकता है | नहीं उसे रुकना होगा, आखिर क्या करे | रीमा आंखे बंद किये हुए बस अपनी तकलीफों का इन्तजार कर रह थी | जिएश थम गया |
जितेश - बेबी ....|
रीमा चुप रही |
जितेश - रीमा बेबी .....मैडम हेल्लो नाराज हो |

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रीमा को झकझोरने के बाद रीमा ने आँखे खोली | थकी मादी दर्द से भरी आँखे | जितेश को रीमा को देख कर अपनी ग़लती का अहसास हुआ | क्या करे एकतरफ पस्त दर्द से कराहती रीमा दूसरी तरह उसका फुंफकारता मोटा मुसल लंड तीसरी तरफ उसकी अपने मन में गिरधारी को हराने कुचलने का मनोवैज्ञानिक युद्ध | जितेश इन तीनो से घिरा हुआ द्वन्द में फंसा था | 
जितेश ने रीमा की आंखे चूम ली | रीमा ने चेहरा फेर लिया | जितेश समझ गया रीमा नाराज है | 
जितेश - बेबी नाराज हो | 
औरते भी अजीब होती है | नखरे भी उन्हें ही दिखाती है जो उनके नखरे बर्दाश्त करता है | 
जितेश - बोलो न |
रीमा - नहीं |
जितेश - देखो अब तो मै रुक गया हूँ | आई ऍम सॉरी | मुझे माफ़ कर दो | प्लीज ........|
रीमा चुप रही |
जितेश - आई ऍम सॉरी प्लीज ..............देखो मुझे लगा जिस तरह से गिरधारी के साथ तुमने गांड में लंड लिया मुझे लगा तुमारी ख्वाइश के अरमानो में ये भी शामिल है | मै बस तुम्हे खुश देखना चाहता था | मुझे लगा तुम्हे अच्छा लगेगा कोई तुमारी दिल की दबी ख्वाइश पूरी कर रहा है | मुझे नहीं पता था तुम हर्ट हो जाओगी | 
रीमा चुप रही |
जितेश - अरे बाबा सॉरी  सॉरी  सॉरी  सॉरी  सॉरी  सॉरी , ठीक है लो मै तुमारी गांड से लंड भी निकाले ले रहा हूँ और बिना तुमारी इजाजत के तुम्हे चूमुंगा भी नहीं | 
रीमा का सारा गुस्सा जैसे छूमंतर हो गया | जितेश के चुताड़ो पर हाथ लगाकर उसे अपने अन्दर ही रहने का इशाराकिया |
रीमा - नौटंकीबाज, ड्रामा मत करो | 
जितेश - मैडम ने सॉरी एक्सेप्ट कर ली | 
रीमा - बेबी बोलो |
जितेश - सॉरी बेबी, अब तुमारी मर्जी के बिना कभी ऐसा नहीं करूंगा | 
रीमा - प्रोमिस करो 
जितेश - प्रोमिस बेबी प्रोमिस |
रीमा - एक बार बता देते तुम्हे पीछे करने की ख्वाइश है |
जितेश - कुछ चीजे बोलने की नहीं महसूस करने की होती है | तुम नहीं चाहती तो क्या ?
रीमा - क्या करू दर्द में कुछ सूझ ही नहीं रहा |
जितेश - ये दर्द भी बस इसी बार का है, अगली बार नहीं होगा | 
रीमा - मुझे पता है लेकिन अभी तो बर्दाश्त से बाहर है | मेरे जिस्म में इतनी ताकत नहीं बची है की तुमारा मुसल लंड की ठोकरे झेल पाऊँ | ऊपर से गांड दुःख रहीहै सो अलग |
जितेश कुछ सोचता रहा फिर उसके दिमाग में कुछ स्ट्राइक किया | वो रीमा के ऊपर से तेजी से उठा, रीमा बिस्तर में मुहँ धसाए लेती रही | जितेश ने गिरधारी से छीनी पुड़िया उठाई और उसके अन्दर के सफ़ेद पाउडर को अपने लंड के सुपाडे पर मल लिया | उसे पता था सीदे सीधे रीमा कोकीन नहीं चाटेगी लेकिन उसके पस्त थके बदन को इस वक्त जिस चुस्ती फुर्ती की जरुरत थी वो उसे वही दे सकती थी इसलिए अपने लंड पर चुपड़ ली | उसके बाद रीमा के मुहँ के पास जाकर बैठ गया | 
जितेश बेबी - चुसो न इसे |
रीमा हैरानी से - मन नहीं है | 
जितेश - अरे एक बार मुहँ में लो तो सही फिर देखो सारा मूड बदल जायेगा |
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रीमा ने तकिये से सर निकाल कर जितेश के लंड के फूले सुपाडे को चूमा और फिर से धीरे से मुहँ में लेकर चूसने लगी | उसे कुछ अजीब लगा लेकिन मजा आया | उसकी दिलचस्पी बढ़ गयी | इधर जितेश ने एक उँगली में कोकीन लपेट कर रीमा की गांड के दुखते छल्ले पर मलनी शुरू कर दी | जितेश का लंड चाटते चाटते रीमा के मुर्दा जिस्म में ताजगी आने लगी | वो खुद हैरान थी अचानक से इतनी चुस्ती फुर्ती कहाँ से आ गयी | इधर जितेश ने आइस्ते आइस्ते अपनी उंगली से रीमा की गांड की अच्छे से मालिश कर दी | धीरे धीरे उसकी गांड के सिसक रहे छल्ले की कराह कम हो गयी | एक तो रीमा कोकीन चटाने की वजह से जोश में आ गयी दुसरे कोकीन ने उसकी गांड के सारे दर्द को हर लिया | उसकी दीवारे कोकीन के असर से संवेदनहीन सी हो गयी | अब रीमा को मुसल लंड से चीरती गांड के दर्द का आभास भी नहीं होगा या कम होगा | कोकीन ने न सिर्फ रीमा को हाई कर दिया बल्कि उसका दर्द भी हर लिया | 


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रीमा - ये क्या था |
जितेश - कहाँ क्या था | 
रीमा - तुमारे लंड पर, कुछ तो था चाटते ही मै तरोताजा हो गयी | रीमा को जरा सी भी देर नहीं लगी अंदाजा लगाने में - कोकीन |
जितेश - अब मजे लूटो जमकर, तुमारी गांड भी अब नहीं दुखेगी | 
रीमा - नहीं ये गलत है, ये नुकसान करेगी |
जितेश - हम कौन सा रोज रोज लेने जा रहे है, एक दिन में क्या नुकसान करेगी | 
रीमा - फिर भी | 
जितेश - तुम सोचती बहुत हो | इधर आवो तुमको थोडा प्यार करू | 
इतना कहकर उसने रीमा के ओंठो से अपने ओंठ सटा दिए | जितेश बिस्तर पर लुढ़क गया | रीमा उसके पेट पर आकर बैठ गयी | रीमा और जितेश दोनों एक दुसरे को कसकर चूमने लगे | 
रीमा के जिस्म में ताजगी का असर था कि वो कसकर जितेश को चूमने लगी | जितेश भी रीमा के स्तनों को मसलने लगा | दोनों ऐसे एक दुसरे में खो गए जैसे वर्षो ने न मिले हो | जितेश को  अपनी गलती का अहसास हो चूका था वो रीमा पर प्यार बरसाने में कोई कमी नहीं रखना चाहता था | रीमा उसे चुमते चुमते बिस्तर पर फ़ैल गयी | 

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उसकी आँखों और हरकतों से साफ़ पता चल रहा था की वो नशे से घिर चुकी है | जितेश को उसने बेड पर धकेल दिया और उसके लंड को हाथ में थाम चूमने लगी | जितेश के पास ज्यादा कुछ करने को था नहीं वो बस चुपचाप रीमा के रसीले ओंठो से अपने लंड चूसने के सुख का अनुभव करता रहा | कोकीन का असर उसके लंड पर भी हो गया था उसकी संवेदना कम हो गयी थी | रीमा बुरी तरह से उसके सुपाडे को मुहँ में मसल रही थी लेकिन उसकी तरंगे उसके दिलो दिमाग तक कम ही पहुँच रही थी | जितेश को जिस सुख की तलाश थी वो नहीं मिल रहा था | रीमा लपालप उसका लंड चूस रही थी लेकिन जितेश के लिए वो नाकाफी था |
जितेश वासना से कराहता हुआ - बेबी थोड़ा जोर लगाकर चुसो न | 
रीमा गो गो करके उसके लंड को अपनी लार से भिगोने लगी | रीमा की जीभ का सपर्श जादुई था लेकिन उसे अधुरा अधुरा सा लग रहा था | इधर जितेश ने रीमा को लपकने की कोशिश की लेकिन रीमा फिसल कर उसके जांघो के बीच पहुँच गयी | जितेश रीमा दोनों नशे की ताजगी से भरे से | दोनों को कुछ जायदा चाहिए था लेकिन उनकी कोशिशो में अधूरा ही रह जा रहा था | नशे की यही कीमत होती है ज्यादा ज्यादा हासिल करने के चक्कर में सब कृत्रिम, छमता से ज्यादा  हासिल करने में लग जाते है | वासना का जो प्राकृतिक रस है, जो प्राकृतिक गंध है जो स्वाद है सब ख़त्म हो जाता है | सबको कुछ ज्यादा हैसियत से ज्यादा और कृत्रिम चाहिए | रीमा ने जितेश के मुसल लंड को दोनों हाथो से थाम लिया और कसकर रगड़ने लगी |

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 दनादन बेतहाशा, सटासट, रीमा के हाथ उसके लंड पर वैसे ही फिसल रहे थे जैसे सुबह वो रीमा की चूत में दनादन लंड पेल रहा था | रीमा के हथेलियों की सख्त जकड़न और ऊपर नीचे होते हाथ, रीमा ने तो समां बांध दिया | जितेश इस हाहाकारी मुठीयाने को भी एन्जॉय कर रहा था | जैसे ही रीमा के हाथो की नमी सूखती, रीमा लंड की मुहँ में लेकर चूसने लगती और लंड को गीला कर देती | जितेश पीठ के बल लेता था और रीमा उसके ठीक सामने उसकी जांघे फलाये ठीक उनके बीचो बीच पेट के बल पसरी थी | उसके हाथ और ओंठ तेजी से जितेश के लंड पर दौड़ रहे थे | आखिर हो भी क्यों न, एक तो रीमा की वासना  का नशा ऊपर से कोकीन का नशा, दोनों ने रीमा को एक नयी दुनिया में पहुंचा दिया था |  जितेश को भी तो जोश चढ़ गया था | रीमा के दुःख दूर करने के चक्कर में उसका लंड की संवेदना कम हो गयी थी, उसके फूले सुपाडे को छूने चूमने और रगड़ने से जो अहसास होता था, उस सुख का कमजोर अहसास जितेश को बेसब्र  बनाये दे रहा था | वो हैरान था रीमा उसके लंड को मसल रही है चूस रही है फिर भी वो आहे क्यों नहीं भर रहा है | 
आखिर उसकी बेसब्री का बांध टूट गया | वो रीमा की तरफ बढ़ा और उसे उलटा बेड पर झुकाते हुए उसके ऊपर चढ़ता चला गया | उसने सीधे रीमा के मुहँ के सामने जाकर अपना लंड टिका दिया | रीमा ने भी बिना देरी के अपने ओंठ खोल दिए और जितेश का लंड रीमा के मुहँ में गायब होने लगा | बात इतने से बंद जाती तो फिर बात क्या थी | दोनों की भूख अलग ही स्तर तक पंहुच गयी थी | उन्हें जो मिल रहा था उससे सब्र नहीं था | जितेश ने रीमा के बाल सख्ती से पकड़ लिए और उसके सर को कसकर अपने लंड पर ठेलने लगा | रीमा ने अपना मुहँ खोल दिया, जितेश तेजी से कमर हिलाकर उसके मुहँ में लंड पेलने लगा | पीछे से जितेश रीमाँ का सर आगे को ठेलता और आगे से अपना लंड उसके मुहँ में ठेलता | एक ही झटके में उसका मोटा लंड रीमा के मुहँ को पूरी तरह भर देता | रीमा के मुहँ से गो गो गो खो खो खो की आवाजे आ रही थी | रीमा के मुहँ से निकलती चपड़ चपड़ गो गो खो खो की आवाज जितेश की उत्तेजना को और उकसा रही थी |
जितेश जोश में - ये लो बेबी चुसो मेरा लंड, मुहँ में लो बेबी | 
रीमा - गोगोगोगोग्ल्लल्ल्लिग़ स्ल्स्लस्स्स्लस्ल्ल्स खोखोखोखोहोह्फ्फ्फफ्फ्ल्लल्ल्ल्ल श्स्लस्स्लस्ल्स्ल  | रीमा कुछ बोलने की हालत में थी ही नहीं न जितेश उसे मौका दे रहा था | वो तेजी से कमर हिलाए जा रहा था | रीमा को न दर्द का अहसास था न तकलीफ का | उसकी आंखे टमाटर की तरह लाल हो गयी थी | चेहरा बुरी तरह अस्त व्यस्त हो गया था | उसकी हालत देख जितेश को ही थमना पड़ गया | रीमा तो 
नशे में डूबी हुई थी | 

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 जितेश के लंड निकालते ही रीमा बिस्तर पर फ़ैल गयी | वो अपने आधे होश खो चुकी थी | उसे पता था क्या हो रहा है लेकिन उसे ये नहीं पता था कहाँ शुरू करना है कहाँ रुकना है | जितेश ने रीमा को पलट दिया | कोकीन चाटे लंड के लिए अब रीमा की गांड में ही सुकून था | जितेश ने रीमा को पलट दिया | उसकी कमर में हाथ डालकर उसको ऊपर को उचका दिया | उसने रीमा को आधी घोड़ी बना दिया था | ऐसी पोजीशन जिसमे औरते चूत में लंड लेने में घबराती है वहां वो रीमा की गांड मारने जा रहा था | रीमा जिस हालत में थी इस हालत में आदमी को दो कदम चलने को कहो तो वो 6 कदम चलाता है | रीमा को ये तो पता था की क्या होने वाला है इसलिए उसने अपने चुताड़ो को और ऊपर की तरफ उचका दिया | उसका इशारा था जब गांड में पेलना ही है तो जमकर पेलो | उसके मांसल चौड़े चूतड़ अब हवा में छत की तरफ को उठे हुए थे | ये एक ऐसी स्थिति होती है जहाँ तुम्हे सब पता होता है लेकिन डर भय किसी चीज से नहीं लगता है |
रीमा - तुम मेरी गांड मारने वाले हो न बेबी |
जितेश - हिलना बंद करो नहीं तो मुझे पकड़ना पड़ेगा |
रीमा - ऊप्प्पस्स्स तुम्हे लगता है मै नशे में हूँ, मुझे कोकीन चढ़ गयी है बिलकुल नहीं | अगर कोकीन चढ़ गयी होती तो मुझे कैसे पता होता तुम क्या करने वाले हो | 
जितेश बस अपने लंड को चिकना करने में लगा रहा | उसके बाद वो रीमा की गांड की गुलाबी मुहाने को गीला करने लगा | 
रीमा - बोलो बोलो सच बोलो, तुम अपना मोटा मुसल लंड मेरी गांड में घुसेड़ने वाले हो न | प्लीज आराम से करना ......|
प्लीज मझे तकलीफ मत देना, मेरी गांड बहुत नाजुक है ......| 
जितेश ने रीमा के चुताड़ो को थामा , ताकि उसकी हिलती कमर को स्थिर किया जा सके | उसके बाद उसने रीमा की गांड पर एक हाथ से लंड सटाया और करारा झटका मारा | जितेश का लोहे की जलती मीनार बना हुआ लंड रीमा की पिछली सुरंग को चीरता हुआ अन्दर तक पैबस्त हो गया | इसे नशे का सुरूर कहो या उसकी गांड के छल्ले की संवेदनहीनता, रीमा को दर्द का अहसास हुआ लेकिन ऐसा नहीं की हाथ पैर पटकने लगे, दर्द से तड़पने लगे, फद्फड़ाने लगे, चीखने लगे चिल्लाने लगे | जितेश ने रीमा की गांड की गहराइयो तक लंड पेलना शुरू कर दिया, उन गहराइयो तक जिसका वो हसीन सपना कुछ देर पहले तक देख रहा था | आआआह्ह्ह्ह वो सच में रीमा की गांड मार रहा था, उस गांड को जिसको गिरधारी ने कुचल कर रख दिया था | नहीं वो ऐसा नहीं करेगा, वो हौले हौले धीरे धीरे रीमा की गांड को जमकर चोदेगा, अन्दर तक पूरा का पूरा ठोकेगा लेकिन प्यार से | उसने रीमा को अब कमर से कसकर थाम लिया था | उसका लंड रीमा की गांड में आराम से आ जा रहा था | उसका मोटा मुसल रीमा के गद्देदार नरम मांसल चुताड़ो को चीरता हुआ रीमा के जिस्म में गायब हुआ जा रहा था | इतना मोटा इतना मुसल लंड, अपने सामान्य रूप में रीमा की चीखे उबल पड़ती | रीमा की पिछली सुरंग की गुलाबी की मालिस करता उसके लंड ने रीमा की गांड के गुलाबी छल्ले को पूरी तरह फैला दिया था | अब न कोई रोक टोक थी न कोई प्रतिरोध था, न उसके गांड के मुहाने की जिद थी न उसे लंड कुचलने को उतारू था | ऐसा लग रहा था जैसे दोनों ने आपस में तारतम्य बैठा लिया है | भाई जब आऊंगा तू फ़ैल जाना, जब वापस जाऊ फिर से अपने कपाट बंद कर लेना | न मै तुझे जोर लगाकर चीर कर फैलाऊंगा, न मै तुझे बेवजह अन्दर जाने से रोकूंगा | उसके लंड की गरम खाल रीमा के कसे छल्ले की जकड़न से बुरी तरह रगड़ खा रही थी | रीमा तो आंखे बंद कर जैसे साधना में लीन हो गयी | उसके चुताड़ो में उठ रहा मीठा दर्द और जितेश के लंड की आग उगलती लंड की मालिस उसके रोम रोम में वासना की तपिस भर रही थी | इसी आग में वो जल रही थी और इसी वासना की तपिस में वो खुद की वासना को भस्म कर रही थी | न कोई संशय था न कोई ग्लानि, न कोई अवसाद, बस अपने अंतर में आता जाता मोटा गरम मुसल का अहसास था, जो उसके चुताड़ो नाभि कमर से होता हुआ पुरे शरीर को रोमांचित कर रहा था | जितेश उसके छेद के गीलेपन का बखूबी ख्याल रखे हुए था |  

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 उसने उसके गांड में लगातार लार भरता रहा ताकि उसके गांड में लंड फिसलने में आसानी हो | जिसकी सुख की खातिर रीमा ने इतने दर्द सहे थे आखिर उसे वो सुख देना जितेश की जिमेदारी थी | सब कुछ मीठा मीठा स्वीट स्वीट सा हो रहा था | जितेश आराम से रीमा की गांड की गुलाबी सुरंग का सफ़र तय कर रहा था, रीमा आराम से गांड में उसका लंड ले रही थी | थोड़ा बहुत दर्द उसकी गांड का था लेकिन वो पहले होने वाले दर्द के मुकाबले कुछ नहीं था | उसी मीठे दर्द में रीमा बिलकुल मस्त थी | इतने मीठे में जितेश को कुछ नमकीन का स्वाद लेने का मन हुआ | उसने जरा सा रीमा के चूतड़ उचकाए और ठीक उसके चुताड़ो के ऊपर आ गया | उसने अपने पैर फैलाये और रीमा की गांड में धक्के लगाने शुरू किये | रीमा ने भी धक्को की स्पीड से अंदाजा लगा लिया | उसने भी खुद को मजबूती से बिसतर पर टिका दिया | जॉगिंग का समय ख़त्म हो गया था, दोनों के जिस्म वासना की तपिस से झुलस रह थे | पसीने से लथपथ अपनी तेज सांसे गिन रहे थे | रीमा दो पैर सताए घुटनों को अच्छे से बिस्तर पर टिकाये थी | अब जोगिंग के बाद दौड़ने का समय था रेस लगाने का समय था | जितेश ने एक बार रीमा की गांड में लंड क्या घुसेड़ा, उसने तो एक्सप्रेस ट्रेन की स्पीड पकड़ ली | अब तो रीमा की गांड का छल्ला भी नरम होकर पूरा फ़ैल चूका था | रीमा के जिस्म की तरह ही उसकी गांड भी गरम और चिकनी थी | धकाधक धकाधक धकाधक धकाधक धकाधक रेलम पेल जितेश अपना लंड रीमा की गांड में पेल रहा था | उसकी बेतहाशा ठोकरे रीमा के चुताड़ो पर पड़ रही थी | रीमा के मांसल गद्देदार चिकने  चूतड़ हर ठोकर पर उछल रहे थे, उसकी जांघे थरथरा रही थी | उसका जिस्म काँप रहा था | उसके मुहँ से मादक मीठे दर्द की कराहे निकल रही थी | जितेश अपने लंड की प्यास बुझाने को बेतहाश जुटा हुआ था | उसके लंड की सनसनाहट क्या कम हुई उसने रीमा की गांड का रेलम पेलम बना दिया | 



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दनादन दनादन दनादन दनादन दनादन  सटासट सटासट सटासट सटासट सटासट सटासट सटासट घपाघप घपाघप घपाघप घपाघप घपाघप घपाघप रीमा की गांड में लंड पेले पड़ा था | इसके आगे तो गिरधारी की एक्सप्रेस चुदाई की स्पीड कुछ नहीं थी | रीमा कराह रही थी, गांड के दर्द से नहीं, जितेश को भीषण ठोकरों से, जितेश की सुपर फ़ास्ट चुदाई से | रीमा सिसक रही थी इन ठोकरों के प्रहार से, अपनी कामुकता के ज्वार से, अपनी जबरदस्त गांड की होती ठुकाई से, जितेश की उसकी गांड की जबदस्त बाजा बजवाई से | पता नहीं ये सब रीमा की वासना की आग को कितना ठंडा कर पायेगा लेकिन आज उसे रिवर लाउन्ज की मालविका याद आ रही थी | तब रीमा उसे देखकर कितना हैरान हुई थी | आखिर कैसे कोई औरत इतना मोटा लंड अपनी गांड में घोंट सकती है | क्या उसे तकलीफ नहीं होती होगी | क्या उसे दर्द नहीं होता होगा, उसकी तो एक उंगली भी गांड में जाते वक्त अहसास कराती है की कहाँ जा रही है, ये औरते इतने मोटे मोटे लंड कैसे घोंट लेती है अपनी गांड में |  उस समय अपनी केबिन से झांकती रीमा को आज शायद उन सवालो के जवाब मिल गए होगे | आज शायद उसे पता चल गया था कैसा महसूस होता हो मुसल लंड घोंट के | जो भी तकलीफ थी अब वो रफूचक्कर हो गयी थी | अब तो बस एक अलग सा अहसास था, एक अलग सी सनसनाहट थी एक गांड में उठती तरंग थी जो उसके दबे मन में म्रदंग बजाये हुए थी | उसे कई सवालो के जवाब इस लकड़ी के छोटे से कमरे में मिल गए, जो उसे अपनी आलिशान कोठी में शायद ही कभी मिलते | सबसे बड़ी आत उसे यहाँ जितेश मिल गया, अगर जग्गू उसे किडनैप नहीं करता तो शायद वो कभी जितेश से मिल भी नहीं पाती, कहाँ वो एक चाहने वाले के लिए तरसती थी आज तो दो दो है | एक समय वो एक अदने से लंड के लिए रात रात भर मचलती रहती थी | आज उसके पास न केवल जितेश का मोटा लंड है अपनी चूत की प्यास बुझाने को  बल्कि रोहित का तगड़ा लंड है |   दोनों मिलकर उसकी चूत को कभी प्यासा नहीं रहने देगें | हाय ये मै क्या सोच रही हूँ | क्या मै जितेश को धोखा दूँगी | नहीं मै जितेश को धोखा कैसे दे सकती हूँ | लेकिन रोहित का क्या, जिंदगी के सबसे मुश्किल दिनों में उसी ने तो मेरा ख्याल रखा है | वो भी तो मुझे चाहता है | हाय मै क्या करू, किसे प्यार करू किसे इंकार करू | रीमा दुविधा में फंस गयी | ड्रग के नशे में वासना की गर्मी में और अपनी गांड की होती जबरदस्त ठुकाई के तिहरे नशे में रीमा अपनी ही स्वप्नलोक की दुनिया में तैर रही थी | नहीं मै दोनों में से किसी को भी नहीं छोड़ सकती, क्यों मैं दोनों को एक साथ प्यार नहीं कर सकती | दोनों मेरे है मै दोनों को एक साथ ही रखूगी अपने दिल के पास | लेकिन जो दोनों न माने तो | कैसे नहीं मानेगे, अगर दोनों मुझसे प्यार करते है तो मेरी बात बिलकुल मानेगे | दोनों को मै अपने दिल में छुपा कर रखूंगी, सबसे छुपाकर, बस अपना बनाकर | 

 जितेश बुरी तरह हांफने लगा था | जीतनी ज्यादा स्पीड उतनी जल्दी थकावट | जितेश पसीने से तर बतर होकर रीमा की पसीने से भीगी पीठ पर ही सुस्ताने लगा | 
जितेश हांफता हुआ - कुछ मेहनत तुम भी करोगी, या बस मजे लूटोगी | 
रीमा अपनी सेक्स फैंटसी जी रही थी वो स्वप्न लोक की दुनिया में थी | एक बार में उसे समझ नहीं आया जितेश क्या बोला |
रीमा - क्या कहा रुक क्यों गए ?
जितेश अपना माथा पीटता  उसके पीछे से हटा - तुम हो कहाँ, किस दुनिया में घूम रही हो लगता है तुम्हे कोकीन ज्यादा चढ़ गयी है | 
रीमा - ऐसा कुछ नहीं है | 
जितेश - तो थी कहाँ | 
रीमा - कंही नहीं बताओ न क्या करना है |
जितेश - क्या करना है ये भी बताना पड़ेगा, बस मै ही सारी मेहनत करू और तुम बस मजे लूटो | 
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रीमा समझ गयी लेकिन उसे ये नहीं पता था किस पोजीशन में उसे रहना है |  उसको दुविधा में देख जितेश पीठ के बल आराम से लेट गया | रीमा उछल कर आकर उसके ऊपर बैठ गयी | फिर क्या था किस बात की देरी थी | जितेश का मोटा मुसल लंड उसने अपने नरम हथेली में थामा और उसे अपने गांड के खुले मुहाने से सताया और अपनई कमर का जोर नीचे की तरफ ठेला | गप्प से जितेश का मोटा मुसल लंड रीमाँ की गुलाबी चिकनी गांड में | बस फिर क्या था रीमा की कमर हिलने लगी | जितेश ने जानबूझकर अपने हाथ दोनों मोड़कर सर के नीचे लगा लिए | जो करना था अब रीमा को करना था | अपने दम पर करना था अकेले करना था | रीमा थोडा सा आगे को झुकी खुद का संतुलन बनाया और फिर लगी हिलाने अपने चौड़े मांसल गद्देदार चूतड़ | उसकी कमर का जोर पड़ते ही जितेश का मोटा मुसल लंड रीमा की संकरी गांड में अन्दर बाहर होने लगा | उसकी चढ़ी आंखे बता रही थी वो अभी भी नशे में है लेकिन इसका उसकी हिलती कमर पर कोई असर नहीं दिख रहा था | रीमा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की कोई ऐसा दिन भी आएगा | उसे रोहित के साथ अपनी वो चुदाई याद आ गयी जब रोहित ने नीचे लेटकर रीमा को ऊपर कर दिया था और खुद उसका लंड अपनी चूत में लेकर खुद को ही चोदने को कहा था | कितनी हिचक थी उसके अन्दर, कितनी शर्म थी और कितनी बुद्धू थी की उसने असल जिंदगी में चुदाई के बारे में कितना कम अनुभव किया था | उसे वो हिलती कमर और रोहित का सटासट चूत में जाता लंड याद आ रहा था | यहाँ भी तो कुछ ऐसा ही माहौल था | जितेश नीचे लेता था और रीमा उसके ऊपर | उसका गोरा दमकता बदन, उसकी चिकनी पीठ धीरे धीरे ऊपर नीचे हिल रहे थे | उसके चौड़े गुलाबी गद्देदार नरम मांस से भरे  चूतड़ अपनी पूरी ताकत के साथ ऊपर नीचे उछल रहे थे और उसी के साथ उसकी सुरंग में अन्दर बाहर हो रहा था जितेश का फूला हुआ तना हुआ मोटा मुसल लंड | रीमा की कमर उठाते ही उसके चुताड़ो का मांस ऊपर को उछल जाता , उसकी नरम गुदाज जांघो का मांस थल्थला जाता, उसकी कसी गांड से जितेश का लंड बाहर आ जाता | रीमा फिर अपनी कमर नीचे को ले जाती और जितेश का पूरा लंड रीमा के जिस्म की पिछली सुरंग में समाता चला जाता | 

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रीमा को खुद यकीन नहीं था की वो ये कर पायेगी | लेकिन वो न केवल कर पा रही थी बल्कि बिलकुल परफेक्ट तरीके से कर पा रही थी | उसे अपने अन्दर के टैलेंट पर ही शक था लेकिन उसे खुद पर गर्व था और हैरानी भी | उसे फिर से प्लास्टिक के लंड पर उछलती मालविका याद गयी | कितना मोटा लंड घोंट रही थी मुई अपनी गांड में, रबर का था तो क्या हुआ लेकिन था तो लंड ही | हाय तब कैसे मै आंखे फाड़े उसे घूर रही थी उससे नफरत करने की कोशिश कर रही थी | आज मै तो सच्ची मुच्ची का असली लंड घोंट रही हूँ | हाय कितना मोटा लंड है जितेश का और मै अपनी गांड में पूरा का पूरा लंड घोटे ले रही हूँ | हाय मुझे जरा सी भी शर्म हया नहीं रह गयी है | हाय मै कितनी बेशर्म बेहया हो गयी हूँ | ऐसा तो कोई रंडी भी नहीं करती होगी | भला कौन औरत होगी जो मर्द की छाती पर बैठकर उसका लंड अपनी गांड में घोटेगी | सच्ची में तू बहुत बेशर्म हो गयी है रीमा, हाय तुझे जरा सी भी शर्म नहीं आती | क्यों शर्माऊ जब इत्ता मजा आ रहा है | हाय गांड मरवाने का मजा तो अब आ रहा है अब तक तो प्राण सूखे जा रहे थे | अब पता चला रिवर लाउन्ज में मालविका और कामिनी क्यों अपनी गांड मरवा रही थी | हाय इसमें कित्ता मजा आता है, मै तो कभी चूत में लंड न लू | 
रीमा के ख्याली ओर्गास्म होते रहे, उसकी कमर हिलती रही और उसकी गांड जितेश का लंड मसलती रही | रीमा ने उम्मीद से ज्यादा देर तक जितेश का लंड अपनी कमर हिलाकर घोंटा था | अब जितेश को सुरूर चढ़ने लगा था | उसे पता था रीमा किसी गांड किसी भी वक्त उसके जिस्म की आग को पिचकारी में बदल सकती थी | ये थी रीमा की कसी गांड का जादू, जो जितेश जैसे मर्द को भी लंड पर कोकीन चुपड़ने के बावजूद समय पर झड़ने को मजबूर किये दे रही थी | जितेश अब और सब्र करने के मूड में नहीं था | उसने रीमा को बांहों में भरा और बिस्तर पर पटक दिया | फिर से उसके पीछे आ गया | उसने रीमा को पीछे से कसकर दबोच लिया | उसके हाथ रीमा की दोनों उन्नत उठाई छातियों को मसल रहे थे | उसने रीमा की जांघो में अपने पैर फैलाकर उसकी जांघे फैला दी और लगा दनादन चोदने | रीमा की गांड की कुटाई उसी अंदाज में शुरू हो गयी | ऐसा लग रहा था जहाँ से जितेश ने उसकी गांड मारना छोड़ा था वही से फिर शुरू कर दिया | वही अंदाज वही स्पीड.....अंतर था तो सिर्फ पोजीशन का | इस बार रीमा का पूरा जिस्म उसकी गिरफ्त में था | 

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शायद वासना का असर था जो वो रीमा के पुरे जिस्म को दबोचे था | उसके ताकतवर जोरदार धक्को का अहसास रीमा के जिस्म के कोने कोने तक वो कराना चाहता था | रीमा जितेश की अथाह ताकत के आगे बेबस थी | अब उसे जो मिलना था जितेश की इस एकाधिकार वाली चुदाई से मिलना था | फिलहाल अगले कुछ पलो के लिए उसका कोई अस्तित्व नहीं था | वो जितेश के लंड की दासी थी | जितेश पूरी तरह से जानवर बन गया था | भीषण गहरे जोरदार धक्के रीमा की गांड ही नहीं उसके पुरे अस्तित्व को हिलाए पड़े थे | धक्के उसकी गांड पर पड़ रहे थे और कलेजा उसका मुहँ को आ रहा था इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है जितेश कितनी ताकत से रीमा को चोद रहा था | आखिर उसके करारे लंड के बेतहाशा धक्के भी रीमा की कसी गांड को नहीं हरा पाए | रीमा की गांड भले ही चौड़ी हो गयी, भले ही फ़ैल गयी लेकिन उसने जितेश के लंड के आगे समर्पण नहीं किया | रीमा की कसी नरम गांड ने जितेश के अकड़े लंड की सारी अकड़ निकाल दी | जितेश के लंड की घटी सनसनाहट का असर था उसे पता ही नहीं चला कब उसकी गोलियां सफ़ेद गरम लावा उगलने लगी | वो बेतहाशा धक्के लगाये जा रहा था और इसी बीच पिचकारियाँ छुटने लगी | जितेश रीमा की जलती गांड को अपने लंड की छूटती ठंडी फुहारों से सीचने लगा | रीमा की गांड उसके सफ़ेद गरम गाढे रस से भरने लगी | 




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रीमा कुछ देर तक उसी तरह कुतिया की पोजीशन में टिकी रही, फिर पीछे की तरफ पैर फैलाते हुए पेट के बल ही बिस्तर पर पसर गयी | जितेश भी उसकी गांड में धंसे लंड के साथ उसकी पीठ पर पसर गया |  रीमा और जितेश दोनों निढाल हो गए |

दोनों अपनी उफनती सांसे काबू करने लगे |  वैसे भी जितेश भी काफी थक चुका था | इस बार वासना के जोश में भले ही रीमा की गांड मार गया हो लेकिन उसके अंदर भी दम नहीं बचा था |  रीमा कुछ देर तक उसी तरह से कुत्तिया की पोजीशन में बनी फिर वह पीछे की तरफ पैर खिसकाती हुई उसी तरह से उल्टा लेट गई | कोकीन में हाई रीमा अब ठंडी होने लगी थी |   जितेश  के लंड का रस अभी भी रीना के गांड में भरा हुआ था और उसकी गांड में भी दर्द हो रहा था | उसके गांड में हो रहे दर्द का अहसास को वह जितेष  को नहीं दिखाना चाहती थी इसलिए उसने बिस्तर से मुंह छिपा लिया | शायद जितेश द्वारा उसकी गांड उसकी मर्जी के खिलाफ बिना उससे पूछो मारने से वो अन्दर तक हिल गयी थी | चुदाई का दौर खतम हो गया था इसलिए रीमा की सोचने समझने की शक्ति लौट आई थी | रीमा सोचने पर मजबूर हो गई थी आखिर क्यों हुआ और कैसे हुआ क्या आगे भी ऐसा ही होता रहेगा जब उसकी मर्जी की कोई कीमत नहीं होगी और वह  सिर्फ मर्दों को अपनी वासना पूर्ति का जरिया बनकर रह जाएगी और उसका पूरा अस्तित्व ही मर्द की बस वासना को बुझाने तक सीमित रह जाएगा | जितेश अपनी लम्बी लम्बी सांसे भरता हुआ - क्या कमाल की चीज हो | फौलादी मर्द को भी निचोड़ डालती हो |  आअहाआअहाआह्ह सारा दम निकाल लिया जानेमन | 
उसके चुताड़ो पर चपत लगता हुआ - लंड को जमकर निचोड़ना तो कोई तुमसे सीखे जानेमन | 
 इतना कहकर मुस्कुराता हुआ वो बिसतर से उठा  और फिर उठकर के कुछ खाने पीने चला गया | 

रीमा उसी तरह से बिस्तर में घुसी हुई अपने मुंह को छिपाए हुए अपने दुखी अंतर्मन को अपने  ही अंदर खोजने की कोशिश करती रही |  जितेश ने उसकी गांड मार के उसके पूरे अंतर्मन को भी झकझोर कर रख दिया था | अब रीमा  को एक नए सिरे से खुद को खोजना था, उसकी भीषण ठोकरों से उसका जिस्म तो थरथरा के शांत हो गया लेकिन उसके बिखरे वजूद और मन को कैसे समेटे | पता नहीं खुद को कैसे समेट पायेगी, समेट पायेगी भी या नहीं या फिर हमेशा के लिए बिखर जाएगी  |  
पता नहीं वह खुद को खोज पाएगी खुद के अंदर  देख पाएगी खुद की नजरों से नजरें मिला पाएगी या फिर बस अपनी वासना की दासी बनकर इसी तरह से एक गौरवहीन सम्मान विहीन दोहरी  जिंदगी जीने को अभिशप्त होगी | यह तो वक्त ही बताएगा क्या होगा लेकिन अभी जो भी हुआ वह रीमा को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा |  उसे लगा ये सब  उसके अपने उन सिद्धांतों और विचारों के बिलकुल खिलाफ था जिनके लिए वह अब तक खुद से संघर्ष करती आई थी | एक ही बार में जितेश ने उसके पूरे अस्तित्व को झकझोर के रख दिया था लेकिन रीमा अभी भी नहीं समझ पा रही थी कि आखिर गिरधारी के गांड मारने में और जितेश के गांड मारने में अंतर क्या है | गिरधारी से तो उसने खुशी-खुशी गांड मरवा ली जबकि वो गिरधारी को जानती तक नहीं | जितेश को तो अपना सब कुछ सौंप  चुकी है उसे अपनी  हदों तक अपना चुकी है जो उसकी गुलाबी गहराइयों के अंतर में उतर चुका है उसको अपना वो सब कुछ सौंप चुकी है तो उसे अपनी गांड देने में क्या बुरा है | जब वो मेरी चूत चोद सकता है तो गांड भी मार सकता है | जैसे उसने हवस में अंधे होकर अपनी गांड मरवा ली वैसे हो सकता है जितेश भी वासना में अँधा हो गया हो |  अभी उसका  हाल ठीक नहीं था | उसका शरीर दुख रहा था | 

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जितेश वापस आया और वह रीमा की पीठ सहलाने लगा था | रीमा की ख़ामोशी देख उसे लगा कुछ गड़बड़ है | उसने रीमा का चेहरा बिस्तर से निकाला, उसके लटके अवसाद से भरे चेहरे को देखा तो  उसे देखकर हैरान रह गया |  उसे अपनी गलती का एहसास हुआ उसने रीमा को तुरंत  अपनी बाहों में भर लिया और खींच कर अपने सीने से चिपका लिया | 

 उससे माफी मांगने लगा - रीमा  मुझे माफ कर दो मैं क्या करूं तुम्हें तो पता ही है वासना एक ऐसी चीज होती है जब खुद पर काबू कर पाना बहुत मुश्किल होता है | मैं समझ गया तुम्हें बहुत चोट पहुंची है इसकी भरपाई करने के लिए जो हो सकेगा वह करूंगा मुझे माफ कर दो | 
 इतना कहकर वह रीमा के चुताड़ो को सहलाने लगा और उसकी गांड में हो रहे हल्के हल्के दर्द का आभास उसे फिर से होने लगा काफ़ी देर तक जितेश रीना के चूमता सहलाता रहा और उसके बदन से चिपका उसके आंसुओं को पोछता रहा उसके ओंठो को चूमता रहा और उससे माफी मांगता रहा | 
रीमा क्या करे क्या न करे | वो जितेश से बहुत नाराज थी | ऐसा तो उसके साथ कभी नहीं हुआ | कोई उसकी मर्जी के बिना उसके जिस्म की जवानी लूटता रहे | जिसने जवानी लुटी है उसी ने बांहों में भी भर रखा है | हाय मै क्या करू | क्या जितेश की बांहों में सब कुछ भूलकर सिमट जाऊ | कैसे माफ़ कर दू जितेश को इसने कितनी तकलीफ दी है | 
जितेश रीमा की ख़ामोशी पढने की कोशिश करने लगा - देखो रीमा बेबी, हो सकता है तुम मुझसे नाराज हो लेकिन अगर मै ये नहीं करता तो तुम खुद से ज्यादा नाराज होती |
रीमा उसकी तरफ देखने लगी उसे जितेश की बात समझ नहीं आई |
जितेश - मुझे नहीं लगता तुम इस सदमे से कभी निकल पाती की तुमने वासना में अंधे होकर गिरधारी जैसे इंसान से अपनी गांड मरवा ली | मुझे पता था तुमारी आंख खुलते ही तुम्हे पहला सदमा यही लगता | इसलिए मैंने तुम्हे उस सदमे में जाने से बचा लिया | अब तुम उस बात के लिए कभी खुद को नहीं कोसोगी क्योंकि वो बात कही से भी अलग या अनोखी नहीं रह जाएगी तुमारी जिंदगी में | 
जितेश ने खुद को जस्टिफाई करने की कोशिश की | उसे पता था वो बाते बना रहा है लेकिन शायद उसका काम बन जाये | 
रीमा - क्या कहना चाहते हो तुम | 
जितेश - तुम सिर्फ इस पर फोकस करो की किसने तुम्हे कितना मजा दिया | बजाय इसके किसने तुमारे जिस्म को कितना  लूटा |
जितेश की पहेलियाँ उसकी समझ से बाहर थी | 
जितेश - देखो मुझे पता है तुमारा स्वाभाव कैसा है | जोश जोश में तुमने भले ही गिरधारी को बुला लिया था लेकिन अगर वह तुम्हे दुबारा चोदने की कोशिश करे तो उसे क्या तुम ऐसा करने दोगी |
रीमा - नहीं कभी नहीं |
जितेश - यही मेरा पॉइंट है | तुम मेरी हो और मै नहीं चाहता तुम उस गलती को याद रखो और खुद को कोसती रहो | अब तुमारा पिछवाडा किसने बजाय ये बात उतनी मायने नहीं रखती जीतनी की मेरे गांड मारने से पहले थी | सही कहा न, जब बार बार लंड चूत गांड में जाने लगते है तो किसका लंड है ये याद नहीं रहता बस उससे मिलाने वाला अहसास याद रहता है |  
जितेश - तुम्हे मजा आया | 
रीमा चुप रही |
जितेश - मतलब कोकीन चटाने के बाद | 
रीमा - बकवास मत करो, ये भी सब बोलने की बाते होती है क्या |
जितेश हँसता हुआ - मतलब मैडम को मजा आया | 
जितेश गंभीर हो गया - मै नहीं चाहता था तुम गिरधारी के दिए झटको के सदमो में चली जाओ | वो कोई गलती नहीं थी | इसलिए मैंने तुमारी गाड़ जान बूझकर मारी | मुझसे गुस्सा करो मुझसे नाराज हो | मै तुमारी मिन्नतें करूंगा , तुम्हे मनाऊंगा और जरुरत होगी तो फिर तुमारी गांड मारूंगा | इसी बहाने तुम गिरधारी वाली गलती तो भूल गयी |
रीमा को लगा जितेश सही कह रहा है, अगर उसने उसकी गांड नहीं मारी होती तो रीमा गिरधारी वाली बात को लेकर खुद को कितना कोस रही होती | 
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रीमा सोच में पड़ गयी | क्या करे खुद को जितेश को सौंप के  खुद निश्चिंत हो जाए | सब कुछ तो वैसे भी जितेश देख चूका था भोग चूका था |  उसकी सुरंगों के अंतिम छोर तक का सफर कर चुका था उसके शरीर में इतनी गहरी तक जा चुका था कि अब उसे उसको निकाल पाना भी मुश्किल हो रहा था | आखिर रीमा जितेश से चिपक गई और उसके सीने पर सर रखकर के खुद आंखें बंद करके जितेश  के हवाले कर दिया था  | 

जितेश - एक बार बोल दो न मजा आया | कम से कम जब मेरे ऊपर बैठकर गपागप अपने अन्दर ले रही थी | ऐसा लग रहा था जैसे कोई वैक्यूम पाइप मेरे लंड को अंदर  खीच  रहा हो |
रीमा - शट उप, तुम मर्दों को बस यही गन्दी गन्दी बाते ही आती है | 
जितेश - करने में बुराई नहीं तो बोलने में क्या बुराई है |
रीमा - रोहित भी ऐसी ही बकवास करता रहता है तुम सब मर्द एक जैसे ही होते हो | 
जितेश - अच्छा , लगता है वो भी दिल के काफी करीब है |
रीमा - हाँ बहुत |
जितेश - मुझे उससे जलन महसूस करनी चाहिए | 
रीमा - हाँ बिलकुल ........................... कम से कम जो तकलीफ वो देता है वो ही उसे दूर करता है | जब तक मेरा पिछवाड़ा दुखता रहेगा मै तुम्हे कभी माफ़ नहीं करूंगी |  
जितेश अब क्या करे जिससे रीमा की तकलीफ दूर हो सके वो उसे माफ कर सके |
जितेश ने खुद ही पूछ लिया - जब तुम्हारा शरीर दुखता है तो तुम क्या करती हो बताओ मैं  अपनी गलती सुधारने के लिए हर कोशिश करूंगा इससे तुम्हें अच्छा लगे | मैं अपना पश्चाताप करना चाहता हूं मैं जानता हूं मुझसे गलती हो गई है तुम्हें तकलीफ हो रही थी लेकिन फिर भी तुमने उस तकलीफ को बर्दाश्त किया मेरी खुशी के लिए अब मैं तुम्हारे उस दुख और दर्द को खुशी में बदलना चाहता हूं मुझे क्या करना होगा | 
रिमो को कुछ समझ में नहीं आया आखिर वह क्या बोले  | उसे याद था एक बार जब उसका शरीर चुदाई की थकावट से चूर चूर हो गया था तो रोहित ने उसकी मालिश करी थी  |
रीमा बोली -  मैं पूरी तरह से पस्त हो गई हूं और मेरे शरीर में बिल्कुल भी जान नहीं बची है मेरा रोम रोम दुख रहा है मेरी चूत और चूत से ज्यादा मेरी गांड दुख रही है तुम्हें तो पता है इतनी बुरी तरह से तुम लोगों ने इसे पेला है | कुछ सेवा करना चाहते हो  तो मालिश कर दो इसकी थकावट दूर कर दो रोम रोम का दुखना खत्म कर दो बस और क्या चाहिए | और मेरा सर भी दुःख रहा है | 

जितेश के पास न तो सर दर्द की दवाई थी न मालिश का तेल | उसने रीमा के लिए पानी गरम किया और पीने को दिया | फिर आराम से बिसतर पर लिटा दिया | रीमा ने आंखे बंद कर ली | बाहर अँधेरा हो गया था | जितेश ने कपड़े पहने और बाहर निकल गया | एक घंटे बाद वो कस्बे से दवाईया, दारू और तेल ले आया था | 

उसको खुद भी थकान चढ़ी हुई थी | 
पहले उसने रीमा को सर दर्द की दवा खिलाई | फिर एक पैग लगाया | रीमा को भी बहुत थकावट महसूस हो रही थी | हालाँकि इससे पहले उसने सस्ती वाली शराब कभी भी नहीं थी लेकिन जिस्म के सुकून के लिए उसने भी एक पैग मार लिया |  फिर एक घन्टे तक रीमा के हाथ पाँव और जिस्म की मालिस करी | मालिस करवाते करवाते रीमा गहरी नीद में चली गयी | 
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अगले दिन जितेश जल्दी उठ गया | उसे कुछ काम करना था इसलिए जल्दी से उसने नाश्ता बनाया, नहाया और खाकर कपड़े पहनकर तैयार हो गया | जाने से पहले उसने रीमा को जगाया जो अब तक सो रही थी | सूरज बस निकलने ही वाला था | उसकी लालिमा चारो तरफ फ़ैल चुकी थी | रीमा को आंख खोलते ही ऐसा लगा जैसे सालों की थकावट के बोझ तले से निकल कर आई हो | जितेश उसे देखता ही मुस्कुराया | रीमा भी मुस्कुरा दी |

जितेश - नाश्ता  तैयार कर दिया है , जब भूख लगे खा लेना | फिर देखता हूँ आगे क्या करना है |



जितेश को एक जरूरी कॉन्ट्रैक्ट का काम करना था इसलिए जाने से पहले उसने रीमा को  अच्छे से बाकी सारी बातें समझा दी  और अपने काम से बाहर निकल गया था | इधर रीमा ने  अपने आप को संभाला , बाथरूम में गयी अच्छे से नहाया धोया और उसके बाद में उसने अपनी शकल को आईने में देखा | उसने कसम खा ली थी वासना के चक्कर में आज के बाद वह अपने शरीर की दुर्गति कभी नहीं करेगी | उसने कसम खाई थी कि आज के बाद कभी ऐसा नहीं करेगी इसके बाद उसने जितेश का बना नाश्फता खाया | फिर बिस्तर में लेट गई और सोचने लगी आखिर कब तक इस कमरे में बंद रहेगी | जाने से पहले जितेश उसे भरोसा देकर गया था कि वह जल्द से जल्द ही  यहां से आजाद कराकर उसके घर पहुंचा देगा आखिरकार जितेश के भरोसे ही वहां पर निश्चिंत बैठ गई थी | इस बार जितेश ने रीमा को अच्छे से समझा दिया था  कि बाहर से आने वाले किसी भी आदमी को चाहे वो गिरधारी ही क्यों न हो वह दरवाजा ना खोले | जितेश को शक था कि गिरधारी रीमा को परेशान कर सकता है  इसलिए उसने सख्उत हिदायत दी थी कि गिरधारी को वो जवाब भी न दे अगर वो बाहर असे आवाज लगाये | इधर गिरधारी ने रात को जोश जोश में कुछ ज्यादा ही कोकीन चाट ली थी और अपनी झोपड़ी से अपने घर चला गया था | वो बीबी के साथ नहीं रहता था | बीबी के साथ वहां उसकी हाथापाई हुई और उसने बीबी को जमकर पीटा, फिर उसकी जमकर चुदाई करी  |  उधर रात भर हाय तोबा मचाने के बाद सुबह सुबह उसकी बीबी  को उसकी जेब टटोलने का मौका मिल गया | उसकी जेब में पांच सौ की एक गड्डी निकल आई | बीबी की तो बांछे खिल गयी | वो शाम की सारी मार पिटाई भूल गयी | कोकीन का नशा अगली सुबह तक उतर गया था लेकिन बीबी ने उसे पकड़ लिया और दिन भर इधर उधर के घर के काम कराती रही |  जब शाम को उसने फिर से अपने कपड़े पहने तो उसमे पैसे नहीं थे | उसने बीबी से पैसो के बारे में पुछा, तो उसने फिर से अपना पेटीकोट उठा दिया और बोली - चोदना हो तो फिर से  चोद लो लेकिन उसमे से एक पाई नहीं लौताउंगी  |

गिरधारी ने माथा पीट लिया, आखिर वो घर आया ही क्यों | उसका मूड ऑफ हो गया था | उसे पता था लड़ने झगड़ने का कोई फायदा नहीं, इसी रकम के लिए तो उसकी बीबी उसे बर्दाश्त कर रही है | उसका मन कसैला हो चूका था वो वहां से जाना चाहता था लेकिन बीबी ने नहीं जाने दिया | शाम को सजधज के उसे पकड़ बाजार चली गयी खरीदारी करने | वहां से वापस आने के बाद गिरधारी काम का बहाना मार कर वहां से निकलना चाहता था लेकिन उसकी बीबी उसे लेकर बिस्तर पर लुढ़क गयी | गिरधारी उसे नहीं चोदना चाहता था उसके खयालो में तो रीमा थी लेकिन मजबूरी थी | आखिर उसे अपनी बीबी की बात माननी ही पड़ी | इसी सब उधेड़बुन में वो जितेश को कालू की बात बताना भूल गया |



जितेश अपना काम ख़तम करके देर रात लौटा | साथ में खाना बाहर से ही पैक करा लाया था | उसे पता था रीमा ने दिन में सिर्फ फल फ्रूट से काम चलाया होगा |

इधर शाम होते-होते सूर्यदेव काफी निराश हो गया था, जितेश की तरफ से कोई जवाब नहीं आया था, ऊपर से उन चारो ने भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी | उसे लग रहा रीमा मिलेगी नहीं लेकिन वह हार माने वालों में से नहीं था | उसके उम्मीदे धूमिल हो चुकी थी लेकिन फिर भी उसे कोशिश जारी रखनी थी |



अगले दिन जितेश को कस्बे में कुछ काम था इसलिए जल्दी से तैयार होकर बाहर जाने की तयारी करने लगा | रीमा अभी तक सो रही थी | अब वो पहले से बहुत बेहतर थी |

जितेश रीमा को जगाता हुआ - मुझे कुछ काम है, मुझे पैसे भिजवाने है माँ बाप को तो मै पोस्ट ऑफिस से मनी आर्डर करके आता हूँ |   मै दोपहर तक आ जाऊंगा |

जितेश बाहर जाने से पहले अपना सामान इकठ्ठा करने लगा | तभी दरवाजे पर दस्तक हुई | सामने से दरवाजे पर दस्तक, इस वक्त कौन हो सकता है | जितेश के कान खड़े हो गए | रीमा ने खुद को सर से ढक लिया | जितेश दरवाजे के पास गया |

धीमी आवाज में बोला - कौन |

उधर से आवाज आई - आसमान से गिर खजूर में अटके, लेकिन खजूर पक गए है |

ये आवाज गिरधारी की थी | जितेश का अपने आदमियों को पहचानने और बातचीत करने का एक तरीका था | दरवाजा खोलने से पहले जितेश ये तसल्ली कर लेना चाहता था की गिरधारी अकेला ही आया है |

जितेश - कितने खजूर पके है |

गिरधारी - हुजुर अभी केवल १ ही खजूर पका है |

जितेश - रंग क्या है |

गिरधारी - लाल है हुजुर |

लाल रंग का मतलब था कोई अर्जेंट काम है |

उसने आइस्ते से दरवाजा खोला और बाहर निकल गया |

गिरधारी - बॉस अन्दर ही चलकर बात करते है न |

जितेश - नहीं अन्दर मैडम सो रही है | जल्दी बक क्या अर्जेंट काम है और इससे पहले हमें कोई देख ले  फुट ले यहाँ से |

गिरधारी - सूर्यदेव आपसे मिलना चाहता है |

जितेश - क्यों ?

गिरधारी - मैडम को लेकर |

जितेश - क्या बकवास कर रहा है |

गिरधारी - उसका आदमी आया था, बोला आपकी बात करा दो, ये नंबर दिया है | इस पर बात कर लेना | दो दिन के अन्दर मैडम को ढूंढ के लाने वाले को पैसे भी देगा , कल आपके पास आ नहीं पाया बीबी जोंक की तरह चिपक गयी थी |

जितेश - उन्हें पता कैसे चला रीमा मैडम मेरे यहाँ है |

गिरधारी - बॉस वो मैडम को ढूढ़ने में आपकी मदद चाहते है लेकिन वो आपके पास है ये उन्हें नहीं पता है |

जितेश - तुझे कैसे पता |

गिरधारी - उनकी बातो से लग रहा था सूर्यदेव की फटी पड़ी है | १० लाख देने को तैयार है | मुझे विनोद, रहीम का संदेसा भी आया था |  साकी और गुड्डू का पता नहीं लेकिन कालू उनसे भी यही बात कर रहा है | कुछ सीरियस मामला है मुझे तो लगता है बॉस आपको एक बार सोचना चाहिए |

जितेश - नहीं मै रीमा को किसी खतरे में नहीं डालूँगा |

गिरधारी - बॉस एक बार सोचो तो सही, १० लाख के लिए हमें चार पांच लोगो को मौत के घाट उतारना पड़ेगा |

जितेश - बकवास करेगा तो पिटेगा फिर से | साले १० लाख के लिए मै मैडम को उस जानवर के हवाले कर दू |

गिरधारी भी झल्लाता हुआ - मैडम को किसने कहाँ देने को | बॉस उसने हरामी ने आपकी जान लेने की कोशिश की थी बदला लेने का अच्छा मौका है |

जितेश ने गिरधारी की तरफ घूर कर देखा -  कही तूने मैडम के बारे में तो जबान नहीं खोली |

गिरधारी - बॉस आप मुझ पर शक कर रहे हो | नहीं बॉस कैसी बात करते हो मर जाऊंगा  लेकिन जुबान नहीं खुलेगी |  मेरी वफादारी पर मत शक करो | आप जानते हो मुझे |

जितेश - हम सूर्यदेव के पचड़े में क्यों पड़े | विलास उसकी मरेगा तो मारे |

गिरधारी - बस आपको नहीं लगता सूर्यदेव को मजा चखने का सही वक्त है ऊपर से  10  लाख मिल रहे हैं एक बार सोच लो ठंडे दिमाग से सोचो | और  मारना मत मुझे |

जितेश -  मुझे वजह पता होनी चाहिए आखिर वह मुझसे मिलना क्यों चाहता है इसके बिना मैं मुझसे मिलने नहीं जाऊंगा ठीक है |

गिरधारी - बॉस तो वो नंबर है न कालू से बात कर लेते है |

ठीक है तू पीसीओ पंहुच मै आता हूँ | ज्यादा देर तक यहाँ खड़े होना ठीक नहीं है |



जितेश, विनोद, रहीम, साकी और गुड्डू  पिछले कई सालों से सूर्यदेव के लिए काम करने थे | सूर्यदेव के लालच और अविश्वास और कुछ अपने व्यक्तिगत कारणों से पांचो बहुत ही बेहतरीन आदमी उसका साथ छोड़ गए थे | हालाँकि सूर्यदेव ने बारी बारी से उन पर हमला कराकर बात को और बिगाड़ दिया था | अब वो सब बेहद सतर्क रहते थे |



इधर जितेश नाश्ता करने लगा | रीमा उठकर बाथरूम में चली गयी | जितेश पोस्ट ऑफिस का काम पहले निपटाना चाहता था | इसलिए उसे गिरधारी की बात में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी |

जितेश ने नाश्ता खतम ही किया था | गिरधारी ने दुबारा दरवाजे पर दस्तक दी है |

गिरधारी - हुजुर खजूर तोड़ लाया हूँ, आकर खा लीजिये |

जितेश ने फटाफट  दरवाजा खोल कर बाहर आ गया |

जितेश - क्या अपडेट है |

गिरधारी बोला - बॉस मामला मैडम का ही है असल में सूर्यदेव  की फट के हाथ में आ गई है सुना है कोई एक विलास नाम का माफिया है जो शहर में रहता है और उसके बेटे की अभी कुछ दिन पहले मौत हो गई थी और उसमें उसके लिए उसने सुरुज देव को जिम्मेदार ठहराया है लेकिन उसकी मौत में और मैडम के बीच कुछ कनेक्शन है इसीलिए सूर्यदेव को लगता है कि मैडम ने उस लड़के को मारा है और इसीलिए वह चाहता है कि जल्दी से जल्दी वह मैडम को ढूंढकर विलास के हवाले कर दो समस्या यह है कि मैडम कहां है यह किसी को नहीं पता वह बहुत हैरान है कि आखिर मैडम ऐसे  कैसे  गायब हो गई उन्हें  जमीन निगल गई या आसमान खा गया इसीलिए उसने पिछले कुछ दिनों से दिन-रात करके अपने सारे आदमियों को लगा रखा है लेकिन मैडम का पता नहीं चला है क्योंकि वह तो मेरे बॉस  के कब्जे में है अब वह आपसे मिलना चाहता है |



जितेश -  लेकिन उसे कैसे पता कि मैडम मेरे कब्जे में है |

गिरधारी - बॉस मैंने पता लगाया है वहीं इसलिए  नहीं मिलना चाहता है कि उसे पता है कि मैडम आप के कब्जे में है वह इसलिए मिलना चाहता है क्योंकि उसके आदमी मैडम को ढूंढ नहीं पा रहे हैं इसलिए वह अपने उन पुराने बेहतरीन आदमियों को फिर से बुला रहा है इसमें से आप भी शामिल है बाकी चार को तो आप जानते ही होंगे |

जितेश - अच्छा वह सब भी आ रहे हैं|

गिरधारी - उनको भी उसने बुलाया हुआ है उसकी  फटी पड़ी है बॉस | वो आयेगें या नहीं ये तो पता नहीं |



गिरधारी -  मुझे तो लगता है आपको जाना चाहिए 10 लाख कमाने का अच्छा मौका है और बदला लेने  का अच्छा मौका है इस बार सब मिलकर उसे सबक सिखाते हैं उसकी वजह से मेरा हाथ अपाहिज हो गया | रही बात मैडम की जो आपका फैसला होगा वह मुझे मंजूर होगा मैं उसमें आपके साथ हूं |

जितेश सोचने लगा | गिरधारी दरवाजे को ओट से रीमा की झलक पाने की असफल कोशिश करने लगा |
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Story me alag hi twist aa gaya hai..

Kisi film ki story se kam nahi hai ye kahani..

Reps added.
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(02-01-2020, 12:24 AM)Silverstone93 Wrote: Story me alag hi twist aa gaya hai..

Kisi film ki story se kam nahi hai ye kahani..

Reps added.

is kahani ke samne to bollywood, hollywood sari filmein fail hain

superbbbbbbbbbbbbbb

keep it up
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Keep going.hottestttt update.waiting more
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Mast kahani
माँ की अधूरी इच्छा(running)https://xossipy.com/showthread.php?tid=25723
परिवार(complete)https://xossipy.com/showthread.php?tid=9522
मेरे गाँव की नदी(complete)
कलयुग का कमीना भाई(complete)https://xossipy.com/showthread.php?tid=24644
तीन कुड़ियाँ(complete)
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superb
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यह कहानी एकदम शब्द विहीन कर देती है , मन्त्र मुग्ध , और ऊपर से पिकचर कभी लगता है कहानी इन चित्रों पर बनी है तो कभी लगता है ये चित्र कहानी के लिए खींचे गए हैं , चितचोर 
[+] 2 users Like komaalrani's post
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Jabardast !
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https://rajsharmastories.com/ucp.php

जिसके पास भी इस साईट का अकाउंट है और वोर्किंग है वो मुझे अपना username और पासवर्ड अगर दे सकते है तो प्राइवेट मेसेज करे | 
इस साईट पर एक कहानी बिलकुल कॉपी पेस्ट चल रहे बिना किसी डिस्क्लेमर के या ओरिजिनल राइटर के नाम |
मुझे उस कौशलेन्द्र मादरचोद भोसड़ीवाले चोर से पूछना है उसके बाप लिख कर गए थे कहानी या उसकी अम्मी ने अपनी चूत से निकाल कर दी थी | कहानी के  असली लेखक का नाम लिखने में क्या माँ चुदी जा रही थी | भाषा के लिए माफ़ करना पाठको  लेकिन आज खुद को रोक नहीं पाया ..............................उस हरामी के पिल्लै को देखकर अभी भी बेशर्मी से कहानी छाप रहा है | साला आदमी है या मादरचोद , भोसड़ी वाला अभी भी अपनी अम्मा चुदवा रहा है | आज के बाद अगर बोसदी वाले ने जीतनी बार पोस्ट करी उतनी बार अपनी अम्मा चुद्वायेगा मादरचोद 


पाठको या तो आप खुद वहां तक ये मेसेज पंहुचा दे या फिर मुझे login डिटेल्स प्राइवेट मेसेज बेज दे | मेरा अकाउंट ही नहीं एक्टिवेट कर रहा चोर साला | 

अप्प ही लोग देख के बतावो उस भोसड़ी वाले ने फोटो हटाने के अलावा क्या बस अपनी माँ चुदाई है | साला भोसड़ी वाला ऐसे इमोजी लगाता हिया जैसे भोसड़ी के मादरचोद रात रात भर यही कहानी लिखता हो |
ये रहा कहानी का लिंक : https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=10412
[+] 2 users Like vijayveg's post
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(08-01-2020, 12:54 AM)vijayveg Wrote: https://rajsharmastories.com/ucp.php

जिसके पास भी इस साईट का अकाउंट है और वोर्किंग है वो मुझे अपना username और पासवर्ड अगर दे सकते है तो प्राइवेट मेसेज करे | 
इस साईट पर एक कहानी बिलकुल कॉपी पेस्ट चल रहे बिना किसी डिस्क्लेमर के या ओरिजिनल राइटर के नाम |
मुझे उस कौशलेन्द्र मादरचोद भोसड़ीवाले चोर से पूछना है उसके बाप लिख कर गए थे कहानी या उसकी अम्मी ने अपनी चूत से निकाल कर दी थी | कहानी के  असली लेखक का नाम लिखने में क्या माँ चुदी जा रही थी | भाषा के लिए माफ़ करना पाठको  लेकिन आज खुद को रोक नहीं पाया ..............................उस हरामी के पिल्लै को देखकर अभी भी बेशर्मी से कहानी छाप रहा है | साला आदमी है या मादरचोद , भोसड़ी वाला अभी भी अपनी अम्मा चुदवा रहा है | आज के बाद अगर बोसदी वाले ने जीतनी बार पोस्ट करी उतनी बार अपनी अम्मा चुद्वायेगा मादरचोद 


पाठको या तो आप खुद वहां तक ये मेसेज पंहुचा दे या फिर मुझे login डिटेल्स प्राइवेट मेसेज बेज दे | मेरा अकाउंट ही नहीं एक्टिवेट कर रहा चोर साला | 

अप्प ही लोग देख के बतावो उस भोसड़ी वाले ने फोटो हटाने के अलावा क्या बस अपनी माँ चुदाई है | साला भोसड़ी वाला ऐसे इमोजी लगाता हिया जैसे भोसड़ी के मादरचोद रात रात भर यही कहानी लिखता हो |
ये रहा कहानी का लिंक : https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=10412

It is the same site you previously talked about, right??

I had registered on that site and sent a mail to admin to close that thread. I had informed you about that too.

I got a mail that admin will check my details and activate my account. But, that account never got activated. 

 I am trying to register again, but that site is taking me to another page whenever I try to put credentials. 

If anyone is able to login, please contact Admin and report that thread.  Namaskar
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हिंदी में एक कहावत है , हाथी घूमे गाँव गाँव , जिसकी हाथी उसका नाम 



जिस फोरम की आप ' तारीफ़ ' कर रहे हैं , उन्होंने मेरी एक क्या कई कहानियां , अपने यहाँ छाप दी और दो कहानियां , किंडल ने भी , ... उसमे से एक तो वहीँ से , जिसमे हर दस लाइन के बाद आता है , ... यह कहानी आप फला फोरम पर पढ़ रहे हैं , वो उस   किंडल वाली किताब  में भी था , ... और वहां वो बिक भी रही  है , ...हाँ नाम बदल दिया गया है ,  और मेरा नाम न राज शर्मा जी ने देने की जरूरत समझी , न ,... और राज शर्मा जी का फोरम अकेला नहीं  है 

किंडल  वाली बात मैंने पिछले फोरम में उठायी भी जो पिछले नवंबर में बंद हो गया 

लेकिन यह बात मेरी मान लीजिये , आपकी कहानी जबरदस्त है , और जो इरोटिका पढ़ता है , वो सब जानते हैं ये कहानी आपकी ही है , और फिर चित्रों के साथ इस कहानी का कोई जवाब नहीं है , 

इस लिए ,... प्लीज नेक्स्ट पोस्ट 
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