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Adultery बात एक रात की - The Immortal Romance - {Completed}
Tongue 
"हम एएसपी अंकिता जी से मिलते हैं और उन्हे सारी बात बताते हैं. मुझे यकीन है कि वो हमारी बात समझेंगी."

 
"ह्म्म कैसी हैं ये अंकिता."
 
"बहुत कड़क ऑफीसर है. उनके कारण ही मेरी जॉइनिंग हुई है. मुझे यकीन है को वो हमारा साथ देंगी."
 
"ह्म्म...चलो फिर."
 
"रुकिये मैं पोलीस की जीप बुलाअता हूँ. एक कॉन्स्टेबल का नंबर है मेरे पास जो की जीप ला सकता है."
 
आशु कॉन्स्टेबल को फोन मिलाता है और उसे जीप लाने को बोलता है.
 
"शूकर है उसने तो फोन उठाया...वो 20 मिनट में यहा पहुँच जाएगा."
 
20 मिनट में तो नही पर आधे घंटे में जीप वहां गयी. आशु अपर्णा को लेकर कमरे से बाहर निकला. उसने चारो तरफ देखा... कोई दीखाई नही दिया. आशु ने कमरे का ताला लगाया और अपर्णा के साथ जीप में बैठ गया.
 
"हमे एएसपी साहिबा के घर ले चलो" आशु ने कॉन्स्टेबल से कहा.
 
"जी सर"
 
अंधेरी रात में जीप सड़क पर आगे बढ़े जा रही थी. चारो तरफ सन्नाटा फैला था.
 
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श्रद्धा रह रह कर करवट बदल रही थी.

 
"नींद क्यों नही रही मुझे?" श्रद्धा धीरे से बोली.
 
उसे फिर से घर के बाहर कुछ हलचल सुनाई दी. वो फ़ौरन उठ कर खिड़की पर गयी.
 
"क्या ये भोलू अभी भी यही घूम रहा है" श्रद्धा ने सोचा.
 
बाहर कुछ दीखाई नही दिया. पर आस पास कुछ हलचल ज़रूर हो रही थी.
 
"कही आशु तो नही...उसे पता चल गया होगा कि मेरा बापू यहा नही है आज भी...शायद वो मेरे लिए यहा आया हो...पर वो आएगा तो धीरे से दरवाजा तो खड़काएगा ही. वैसे उसका कुछ नही पता एक बार बहुत देर तक खड़ा रहा था बाहर और मुझे खबर भी नही लगी...दरवाजा खोल कर देखूं क्या...नही...नही...दरवाजा खोलना ठीक नही होगा."
 
पर श्रद्धा को लग रहा था कि बाहर कोई है ज़रूर. ना जाने उसे क्या सूझी...उसने हल्का सा दरवाजा खोला और बाहर झाँक कर दाए बाए देखा. "यहा तो कोई भी नही है बस कुत्ते भोंक रहे हैं."
 
श्रद्धा दो कदम बाहर गयी और चारो तरफ देखने लगी. अचानक उसे किसी ने पीछे से दबोच लिया. उसके मूह को भी दबोच लिया गया था इसलिए वो चिल्ला नही पाई.
 
"घबराओ मत मैं हूँ... भोलू" भोलू ने कहा और श्रद्धा के मूह से हाथ हटा लिया.
 
"तुम यहा क्या कर रहे हो...छोडो मुझे." श्रद्धा ने कहा.
 
"कल तू बड़ी जल्दी भाग गयी थी...मेरा तो एक बार और मन था."
 
श्रद्धा को अपनी गान्ड पर भोलू का लंड महसूस हुआ. "इस लंड को मेरी गान्ड से हटाओ"
 
"क्यों अच्छा नही लग रहा क्या."
 
"पहले ये बताओ तुम यहा कर क्या रहे हो इतनी रात को."
 
"तेरे लिए भटक रहा था यहा. किसी ने मुझे बताया कि तेरा बापू आज नही आया तो मैने सोचा क्यों ना तेरे साथ एक और रात बिताई जाए."
 
"तुम झूठ बोल रहे हो छोडो मुझे." श्रद्धा ने कहा.
 
"चल ना नखरे मत कर...चल मेरे घर चलते हैं"
 
"ना बाबा ना मैं वहां नही जाउंगी."
 
"तो चल तेरे घर में ही करते हैं."
 
"मेरी छोटी बहन है साथ वो सो रही है"
 
"उसकी भी ले लूँगा चिंता क्यों करती है."
 
"चुप कर मेरी बहन के बारे में कुछ भी बोला तो ज़ुबान खींच लूँगी"
 
"फिर चल ना मेरे घर चलते हैं."
 
श्रद्धा को अपनी गान्ड पर भोलू का लंड लगातार फील हो रहा था और वो धीरे धीरे बहकने लगी थी. उसका मन भी चुदाई के लिए तड़प रहा था पर वो भोलू के साथ जाने से डर रही थी.
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Update 36
 
भोलू श्रद्धा के बूब्स को मसल्ने लगा और खड़े खड़े उसकी गान्ड पर धक्के मारने लगा.
 
"आअहह हटो ना."
 
"चलती है कि यही या यही मारु तेरी गान्ड."
 
"आअहह ठीक है चलती हूँ...मुझे घर को ताला मार देने दो. और मैं गान्ड में नही चूत में लूँगी कहे देती हूँ. आहह"
 
"जैसी तेरी मर्ज़ी खि..खि" भोलू हसणे लगा.
 
श्रद्धा ने ताला लगाया और भोलू के साथ चल दी.
 
भोलू ने कमरे में आते ही श्रद्धा को गोदी में उठा लिया और बोला,"आज रात तू कही नही जाएगी...सारी रात गान्ड मारूँगा तेरी"
 
"फिर वही बात कहा ना चूत में लूँगी गान्ड में नही."
 
"अरे एक ही बात है कहने में क्या जाता है."
 
"तूने बड़ी चालाकी से डाला था कल गान्ड में हा शरम नही आई तुम्हे."
 
"कोई भी लड़की गान्ड आसानी से नही देती...लेनी पड़ती है."
 
"पर 2 मिनट की बजाए 2 घंटे मारते रहे तुम मेरी गान्ड...अभी तक दर्द है मुझे. परसो आशु ने ली थी कल तुमने ले ली. अब नही दूँगी मैं"
 
"बिल्कुल बिल्कुल.." भोलू ने कहा और श्रद्धा को बिस्तर पर पटक दिया.
 
"आहह इतनी ज़ोर से क्यों गिराया."
 
"गद्दा मखमली है सोचा तुम्हे अच्छा लगेगा." भोलू ने कहा.
 
भोलू श्रद्धा की छाती पर बैठ गया और अपना लंड बाहर निकाल लिया. लंड श्रद्धा के मूह के बिल्कुल सामने था.
 
"ये क्या कर रहे हो."
 
"लंड चूस चुपचाप."
 
"मैं ये काम नही करती."
 
"तो अब करले चल मूह में डाल"
 
"मैं सच कह रही हूँ मैं लंड नही चूस्ति...मैने कभी आशु का भी नही चूसा."
 
भोलू श्रद्धा के होंटो पर अपना लंड रगड़ने लगा.
 
"नही हटो..."
 
"मेरी जान चूस के तो देख गन्ने से भी मीठा लगेगा तुझे."
 
भोलू लगातार श्रद्धा के बंद मूह पर लंड रगड़ता रहा. "जब तक तू मूह नही खोलेगी ये यही रहेगा."
 
"तूने चूत में डालना है की नही."
 
"चूत में भी डालूँगा मेरी जान पहले थोडा चूस तो ले."
 
"उफ्फ क्या मुसीबत है...चल थोड़ी देर चूस लेती हूँ...पर दुबारा नही करूँगी ठीक है."
 
"ठीक है...हे..हे..हे."
 
"दाँत मत दीखाओ वरना दाँत मार दूँगी तुम्हारे लंड पे."
 
"नही ऐसा मत करना वरना..."
 
श्रद्धा ने मूह खोला और भोलू के लंड को मूह में ले लिया. वो धीरे धीरे लंड चूसने लगी.
 
"मुझे पता था कि तू बहुत अच्छे से चूसेगी...आअहह."
 
श्रद्धा लोली पोप की तरह लंड चूस रही थी और भोलू आहें भर रहा था. कुछ देर बाद श्रद्धा ने लंड मूह से बाहर निकाल दिया और बोली, "चल बस बहुत हो गया...फटाफट मेरी चूत में डाल दे."
 
भोलू ने श्रद्धा की सलवार उतारी और अपनी पेण्ट उतार कर उसकी टाँगो के बीच बैठ गया. उसने श्रद्धा की टांगे अपने कंधो पर रखी और एक झटके में श्रद्धा की चिकनी चूत में लंड डाल दिया.
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"आअहह भोलू....आआहह आज बस मेरी चूत की प्यास भुजा दे आहह"

 
"चिंता मत कर सारी रात छोड़ूँगा तुझे मैं" भोलू ने कहा और श्रद्धा की चूत में ज़ोर ज़ोर से लंड अंदर बाहर करने लगा. उसके आँड हर धक्के के साथ श्रद्धा की चूत के मूह से टकरा रहे थे.
 
"उुउऊहह भोलू....आआहह और तेज आअहह"
 
"तेरी चूत बहुत मस्त है श्रद्धा सच बता कितने लंड खा चुकी है ये."
 
"ये वेजिटेरियन है....आआहह एक भी लंड नही खाया इसने आअहह"
 
"हा..हा..हा..हे..हे...बहुत खूब कही....मज़ा आता है तेरी चूत मारने में."
 
"तो मार ना और तेज़ी से मार आअहह.... मेरा भी आज बहुत मन था आहह."
 
भोलू ने थोड़ी स्पीड और बढ़ा दी और श्रद्धा की चूत में लंड के धक्को की बोचार शुरू कर दी. श्रद्धा 2 बार झाड़ चुकी थी.
 
"ऊओह बस मैं अब पानी छोड़ने वाला हूँ."
 
"नही रूको थोड़ी देर और करो आआहह." श्रद्धा एक और ऑर्गॅज़म के करीब थी.
 
भोलू के धक्के चालू रहे और श्रद्धा चीख कर एक बार और झाड़ गयी. भोलू भी उसी के साथ उसके उपर ढेर हो गया.
 
"आअहह अब नींद आएगी मुझे" श्रद्धा ने कहा.
 
"तू यहा सोने आई है क्या...अभी तो तेरी गान्ड भी मारनी है"
 
"ऐसा सोचना भी मत वरना दुबारा नही दूँगी समझे."
 
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आशु और अपर्णा एएसपी अंकिता के घर के बाहर पहुँच गये.
 
"क्या सोच रहे हो बेल बजाओ."
 
"बहुत कड़क मेडम हैं डर लगता है."
 
"तुम हटो पीछे मुझे बेल बजाने दो."
 
अपर्णा ने बेल बजाई. पर किसी ने दरवाजा नही खोला.
 
"लगता है मेडम सो रही हैं" आशु ने कहा.
 
अपर्णा ने फिर से बेल बजाई. किसी के आने की आहट सुनाई दी.
 
आशु का दिल बैठ गया वो डर रहा था की ना जाने एएसपी साहिबा उनकी बात को किस तरह से लेंगी. उसे विश्वास तो था कि वो उनकी बात समझेंगी लेकिन फिर भी उनके गरम मिज़ाज से घबरा रहा था.
 
दरवाजा खुलता है.
 
"जी कहिए क्या काम है?" अंकिता की मैड ने पूछा.
 
"क्या अंकिता जी घर पे हैं?" आशु ने कहा.
 
"हां हैं...क्या काम है?" मैड ने कहा.
 
"मेडम की तो मैड भी कड़क है" आशु सोचने लगा.
 
"हमे उनसे मिलना है" अपर्णा ने कहा.
 
"ये वक्त है मिलने का...सुबह आना...जाओ यहा से" मैड ने कहा.
 
"हमे क्या भीकारी समझ रखा है, मैं सब इनस्पेक्टर आशुतोष हूँ ...हमारा मेडम से मिलना बहुत ज़रूरी है...जाओ मेडम को मेसेज दे दो."
 
"मेडम मुझे गुस्सा करेंगी" मैड ने कहा.
 
"कौन है माला?" घर के अंदर से आवाज़ आई.
 
"मेमसाहब आपसे मिलना चाहते हैं ये लोग."
 
"ये मिलने का वक्त है क्या रात के सादे ग्यारा हो रहे हैं." अंकिता बोलते बोलते दरवाजे पर गयी.
 
"आशु तुम...और ये लड़की कौन है? अंकिता ने कहा.
 
"मेडम बात ज़रा कॉंप्लिकेटेड है...अगर हम बैठ कर बात करें तो ठीक होगा" आशु ने कहा.
 
"हां-हां आओ अंदर जाओ...माला जाओ इनके लिए चाय पानी का इंतज़ाम करो"
 
मैड ने आशु और अपर्णा को घूर कर देखा और अपना नाक शिकोड कर वहां से चली गयी.
 
आशु और अपर्णा एक ही सोफे पर बैठ गये...अंकिता दूसरे सोफे पर बैठ गयी.
 
"इन्हे कहीं देखा है" अंकिता ने अपर्णा की तरफ इशारा करते हुए कहा.
 
"यही अपर्णा है...जिन्हे पूरा पोलीस डिपार्टमेंट ढूँढ रहा है" आशु ने कहा.
 
"क्या?" अंकिता फ़ौरन खड़ी हो गयी. "ये तुम्हारे साथ क्या कर रही है?"
 
"मेडम इन्होने किसी का खून नही किया...बल्कि सच तो ये है कि सिर्फ़ यही जानती हैं कि किलर कौन है"
 
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आशु डीटेल में सारी कहानी अंकिता को सुनाता है. अंकिता उसकी पूरी बात बड़े ध्यान से सुनती है.

 
"ह्म्म अगर ये सच है तो बहुत बुरा हुआ तुम्हारे साथ अपर्णा...पर तुम्हे पहले ही पोलीस को सच बता देना चाहिए था." अंकिता ने कहा.
 
"कुछ समझ नही रहा था की क्या करें....टीवी पर अपनी फोटो देख कर डर गयी थी मैं. पोलीस कातिल समझ कर मुझे ढूँढ रही थी ऐसे में कैसे आती पोलीस के पास मैं" अपर्णा ने कहा.
 
"आज जब उस ने ये काग़ज़ पत्थर में लपेट कर फेंका तो मुझे आइडिया आया कि मुझे आपसे बात करनी चाहिए. देखिए सिर्फ़ ये जानती हैं कि कातिल कौन है...इसलिए वो इनके पीछे पड़ा है...अब आप ही डिसाइड कीजिए कि क्या किया जाए."
 
"तुम्हारे पास चौहान का नंबर है." अंकिता ने कहा.
 
"जी मेडम है" आशु ने जवाब दिया.
 
"उसे तुरंत यहा आने को कहो"
 
"जी मेडम"
 
आशु ने चौहान को फोन मिलाया, "अब तो मिल गया पहले नही मिल रहा था."
 
आशु ने चौहान को वहां आने को बोल दिया.
 
"क्या मैं अब अपने घर जा सकती हूँ?" अपर्णा ने पूछा.
 
"हां बिल्कुल...पर पूरी सुरक्षा के साथ जाओगी तुम अपने घर. 2 पोलीस वाले तो वहां पहले से हैं 2 और लगाने पड़ेंगे....अच्छा एक बात बताओ." अंकिता ने कहा.
 
"जी पूछिए"
 
"क्या तुम उस किलर का स्केच बनवा सकती हो."
 
"कोशिश करूँगी...पर मेरे लिए उसके चेहरे को डिस्क्राइब करना थोड़ा मुश्किल है" अपर्णा ने कहा.
 
"चलो बाद में देखते हैं ये सब"
 
तभी चौहान भी वहां गया. उसने आशु और अपर्णा को घूर कर देखा.
 
"मिस्टर चौहान किस तरह से हैंडल कर रहे हैं आप इस केस को"
 
"क्या हुआ मेडम?" चौहान गिड़गिदाया.
 
"क्या कोई और सबूत था तुम्हारे पास अपर्णा के खिलाफ उस विटनेस के सिवा."
 
"जी नही मेडम बस वही काफ़ी था."
 
"कैसे काफ़ी था..आशुतोष जो तुमने मुझे बताया इनको भी बताओ"
 
आशु चौहान को भी सारी कहानी बता देता है.
 
"कुछ समझ में आया की क्या हो रहा है?"
 
"हां मेडम पर अगर कोई पोलीस को आके बताएगा ही नही तो हमे कैसे पता चलेगा" चौहान ने कहा.
 
"जो भी हो तुम ठीक से हैंडल नही कर रहे हो इस केस को."
 
"मुझे एक और मोका दीजिए मेडम...असली कातिल जल्द से जल्द पोलीस की हिरासत में होगा."
 
"ठीक है दिया एक और मोका...पहले अपर्णा को इनके घर छोड़ने का इंतज़ाम करो और इनके घर पर सुरक्षा बढ़ा दो."
 
"मेडम मीडीया वालो को क्या कहेंगे."
 
"अभी किसी को कुछ नही कहना...ये बात पोलीस डिपार्टमेंट से बाहर नही जाएगी."
 
"जी मेडम." चौहान ने कहा.
 
अपर्णा और आशु उसी जीप में बैठ गये जिस में आए थे. साथ में चौहान की जीप थी. अंधेरी रात में दोनो जीपे अपर्णा के घर की ओर बढ़ रही थी. अपर्णा की ख़ुशी का ठीकाना नही था. उसे ऐसा लग रहा था कि वो वरसो बाद घर जा रही है.
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Update 37

 
जब घर पहुँच कर अपर्णा ने घर की बेल बजाई तो उसके पिता जी ने दरवाजा खोला. उन्हे विश्वास ही नही हुआ कि सामने अपर्णा खड़ी है.
 
"पापा ऐसे क्या देख रहे हैं मैं हू अपर्णा."
 
"बेटा" बस इतना ही कह पाए अपर्णा के पिता जी और अपर्णा को गले लगा लिया.
 
"ये सब क्या हो रहा है बेटा"
 
"पापा सब बताती हूँ...इनसे मिलिए ये है आशु...इन्होने मेरी बड़ी मदद की है."
 
आशु ने अपर्णा के पिता जी के पाँव छुए और कहा, "ठीक है अपर्णा जी अब आप अपने घर पहुँच गयी हैं...मुझे बहुत ख़ुशी है."
 
"आओ बेटा कुछ चाय पानी लो."
 
"नही अंकल रात बहुत हो चुकी है फिर कभी."
 
चौहान दूर खड़ा सब सुन रहा था. "ये तो साला हीरो बन गया पोलीस में आते ही अच्छी किस्मत पाई है"
 
अपर्णा को छोड़ कर आशु और चौहान वापिस चल दिए. चौहान ने चार कॉन्स्टेबल अपर्णा की सुरक्षा के लिए वहां छोड़ दिए.
 
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श्रद्धा भोलू के बिस्तर पर सो चुकी थी. भोलू की भी आँख लग गयी थी. भोलू को टॉयलेट का प्रेशर हुआ तो उसकी आँख खुल गयी.
 
"नींद ही गयी थी" भोलू ने आँखे मलते हुए कहा.
 
भोलू टॉयलेट से वापिस आया तो उसकी नज़र श्रद्धा पर गयी. वो पेट के बल पड़ी थी. उसकी नंगी गान्ड भोलू पर अजीब सा असर कर रही थी.
 
भोलू के लंड में हरकत होने लगी.
 
"क्या करूँ...कैसे सेक्सी पोज़ में लेटी हुई है ये...अब कोई गान्ड ना मारे तो क्या करे."
 
भोलू का लंड पूरा तन गया. भोलू श्रद्धा के उपर लेट गया. उसका लंड श्रद्धा की गान्ड पर लेट गया.
 
श्रद्धा गहरी नींद में थी और वो यू ही पड़ी रही.
 
भोलू ने हाथ पे थूक लगाया और श्रद्धा की गान्ड फैला कर उसके होल को चिकना कर दिया. थोड़ा सा थूक उसने अपने लंड पर भी रगड़ लिया. फिर उसने दोनो हाथो से गान्ड को फैलाया और लंड को श्रद्धा की गान्ड के छेद पर टीका दिया. श्रद्धा की गान्ड पीछले 2 दिन की थुकाइ से थोड़ा खुली हुई थी. जैसे ही भोलू ने धक्का मारा आधा लंड श्रद्धा की गान्ड में घुस गया.
 
"उूउऊययययययीीईईईई मा कौन है...कौन है." श्रद्धा की आँख खुल गयी.
 
"मैं हूँ भोलू...हे..हे..हे"
 
"आआहह क्या कर रहे हो तुम ऊओ."
 
"सोती हुई लड़की की गान्ड मार रहा हूँ...आअहह.. ऊऊहह"
 
"आआहह....ऊऊहह ऐसा क्यों कर रहे हो तुम."
 
भोलू ने पूरा लंड श्रद्धा की गान्ड में घुस्सा दिया और बोला,"तुम्हारी गान्ड अछी लगती है इसलिए."
 
"ऊओह मुझे उठा कर नही डाल सकते थे...मुझे डरा दिया."
 
"तेरी गान्ड देख कर कुछ होश ही नही रहा.... थूक लगा कर घुस्सा दिया"
 
"तुम हमेशा चालाकी से गान्ड मारते हो आआहह"
 
भोलू ने लंड बाहर की और खींचा और दुबारा अंदर डाल दिया, "तेरी गान्ड के लिए कुछ भी करूँगा आअहह."
 
भोलू तेज तेज श्रद्धा की गान्ड ठोकने लगा. कमरे में श्रद्धा की सिसकिया गूंजने लगी.
 
"कुतिया बन जा और ज़्यादा मज़ा आएगा तुझे क्या बोलती है आअहह"
 
"किसी कुतिया की ले ले जाके मैं कुतिया नही बनूँगी आअहह"
 
"कुतिया तो तू है ही बन-ने की क्या ज़रूरत है आअहह" भोलू श्रद्धा की गान्ड में लंड अंदर धकेलते हुए बोला.
 
"तो तू कौन सा कुत्ते से कम है...आअहह"
 
भोलू ने अपनी स्पीड बढ़ा दी. हर धक्के के साथ श्रद्धा की गान्ड चालक रही थी. श्रद्धा ने मद-होशी में बिस्तर की चादर को मुथि में कश लिया था.
 
भोलू श्रद्धा की गान्ड में झाड़ गया. दोनो यू ही पड़े रहे. कब दोनो को नींद गयी पता ही नही चला. भोलू का लंड श्रद्धा की गान्ड की गहराई में ही सो गया.
 
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इधर अपर्णा अपने पेरेंट्स को पूरी कहानी सुनाती है.

 
"उस लड़के सौरभ को भी कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए...ऐसा तो कोई पागल ही कर सकता है"
 
"छोड़िए पापा जो हो गया सो हो गया...अब बस यही दुवा कीजिए कि वो कातिल पकड़ा जाए."
 
अपर्णा अपने पेरेंट्स के साथ काफ़ी देर तक बैठी रही. सभी खुश थे.
 
"चलो बेटा सो जाओ आँखे लाल लग रही हैं तुम्हारी ठीक से सोई भी नही शायद" अपर्णा की मदर ने कहा.
 
"ठीक है...मुझे बहुत गहरी नींद रही है."
 
सभी अपने-अपने बेडरूम में चले गये. अपर्णा ने खिड़की से झाँक कर देखा. बाहर रात का सन्नाटा था. 3 पोलीस वाले सो रहे थे और एक अपने मोबायल पे कुछ देख रहा था.
 
"ऐसी सुरक्षा से तो सुरक्षा ना होना बेहतर है. कम से कम इंसान अपने भरोसे तो रहे." अपर्णा ने सोचा.
 
अपर्णा अपने बेडरूम में गयी और अपने बिस्तर में घुस गयी. "मुझे अलर्ट रहना होगा" अपर्णा ने कहा.
 
अपर्णा घर तो पहुँच गयी पर रह रह कर उसका दिल घबरा रहा था. वो डर रही थी कि कही वो कातिल वहां ना पहुँच जाए.
 
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"यार बस और नही...बहुत पी ली" सौरभ ने कहा.

 
"पी ना यार रोज रोज कहा हम पीते हैं...आज पी रहे हैं तो क्यों ना जी भर के पिए."
 
"वो तो ठीक है...पर यार बहुत नशा हो रहा है."
 
"दूसरे नशे की जगह बाकी है कि नही"
 
"दूसरा नशा...कौन सा दूसरा नशा."
 
"मेरे पड़ोसी की बीवी बड़ी मस्त है कहे तो बुला लू...बोल क्या कहता है...अभी जाएगी वो."
 
"नया माल फ़साया है क्या...बताया नही तूने कामीने."
 
"तू मिला ही कहा इतने दिन से बस अभी 2 हफ्ते पहले ही फ़साई है."
 
"बबलू तू शादी भी करेगा या फिर यू ही काम चलाता रहेगा."
 
"तुझे शादी करके क्या मिल गया...कहाँ है तेरी बीवी."
 
"यार तू उसकी बात मत कर वो अलग ही कहानी है."
 
"बता दे हमे भी...हमे भी तो पता चले."
 
"छोड़ यार मूड खराब हो जाएगा"
 
"बता फिर बुलाउ क्या पड़ोसन को...मस्त आइटम है."
 
"साले रात के दो बज रहे हैं...वो क्यों आएगी इस वक्त."
 
"आएगी...आएगी क्यों नही उसकी दुखती रग मेरे हाथ में है."
 
"ब्लॅकमेल कर रहा है क्या बे...मुझे ज़बरदस्ती किसी की लेना अच्छा नही लगता."
 
"अरे नही...उसका एक लोंडे से चक्कर था. मैने एक दिन उन्हे छत पर पकड़ लिया. बस तभी से मुझे भी मिल रही है उसकी. बस मैं डराता रहता हूँ उसे कि तेरे पति को सब बता दूँगा...डर कर बहुत अच्छे से देती है वो."
 
"जो भी हो है तो ये एक तरह की ब्लॅकमेलिंग ही."
 
"वो क्या सती सावित्री है कोई...ऐसा मोका कोई गवाता है क्या."
 
"देख यार इतनी रात को उसे मत बुला...शहर में वैसे ही का आतंक फैला हुआ है."
 
"अरे उसे कौन सा सड़क से आना है...छत टाप कर जाएगी यहा."
 
"वैसे सच कहु तो मेरा अभी मन नही है...एक लड़की पे दिल गया है यार."
 
"भाई मुझे तो शराब के साथ शबाब भी चाहिए अभी फोन करता हूँ साली को"
 
सौरभ नशे में टल्ली हो रहा था. उसे साफ साफ दीखाई भी नही दे रहा था. पर वो बात ठीक से कर रहा था.
 
बबलू ने फोन किया, "साली उठा नही रही है...कहा मर गयी."
 
"रहने दे यार क्यों इतनी रात को परेशान करता है. सो रही होगी बेचारी."
 
"उसे परेशान करना मेरा हक है यार...मेरी बात नही मानेगी तो कल ही फँसा दूँगा साली को."
 
सौरभ खड़ा हुआ और फोन बबलू के हाथ से छीन लिया.
 
"समझा कर मेरा बिल्कुल मन नही है." सौरभ ने कहा.
 
"अच्छा तू रहने देना...पर मैं तो लूँगा साली की आज फिर...वैसे ये बता कौन है वो लड़की जो तेरा दिल ले उड़ी...और तेरा मन खराब कर दिया."
 
"है एक लड़की...पहले पटा लू फिर उसके बारे में बताउन्गा."
 
बबलू ने सौरभ से फोन वापिस ले लिया और बोला, " मुझे तो मज़ा करने दे भाई मेरे...मेरा बहुत मन है अभी."
 
"उसका पति नही है क्या घर में जो वो इस वक्त आएगी."
 
"पति पोलीस में है और अक्सर अपनी ड्यूटी के कारण बाहर ही रहता है. नाइट ड्यूटी ज़्यादा रहती है उसकी."
 
"सेयेल तू पोलीस वाले की बीवी ठोक रहा है..किसी दिन पकड़ा गया ना तो वो तुझे ठोक देगा."
 
"देखा जाएगा यार...ऐसा माल क्या रोज मिलता है...तू देखेगा ना तो तेरा भी मन हो जाएगा हे..हे..हे."
 
"तू सच में पागल है...तेरा कुछ नही हो सकता." सौरभ ने कहा.
 
बबलू ने फिर से फोन मिलाया, "सरिता जी क्या बात है फोन क्यों नही उठा रही"
 
"क्या है इतनी रात को क्यों फोन किया." सरिता ने कहा.
 
"फोन कब करता हूँ मैं तुझे हे..हे..हे."
 
"देखो मैं इस वक्त नही सकती...मुझे रात को घर से निकालने में डर लगता है."
 
"मैं तुझे रिक्वेस्ट नही कर रहा हूँ... ऑर्डर दे रहा हूँ तुझे समझी जल्दी आजा यहा वरना कल तेरे पति को तेरे कारनामे सुना दूँगा."
 
"देखो बाहर बहुत हलचल हो रही है आज...मुझे डर लग रहा है...कही वो कातिल यहा आस पास हुई तो."
 
"तुझे कौन सा सड़क पार करके आना है...छत क्रॉस करके आजा...भाने मत बना वरना मेरा दीमाग घूम जाएगा."
 
"ठीक है बाबा मैं 10 मिनट में रही हूँ."
 
"ये हुई ना बात...और सुन सारी पहन के आना मुझे तेरी साड़ी उतारनी अछी लगती है...हे..हे..हे."
 
"आधा घंटा लगेगा सारी पहन-ने में कोई मज़ाक है क्या."
 
"मुझे कुछ नही पता... सारी पहन कर जल्दी जा." बबलू ने फोन काट दिया.
 
"तू तो बहुत हुकुम चलाता है बेचारी पे." सौरभ ने कहा.
 
"हुकुम चलाना पड़ता है यार वरना वो क्यों देगी मुझे...तेरे जैसा स्मार्ट तो हू नही मैं हे..हे..हे."
 
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"उफ्फ क्या करूँ इस कामीने का मैं...किसी भी वक्त बुला लेता है...मैं तो तंग गयी हूँ इस से." सरिता ने सोचा.

 
सरिता अपनी आल्मिरा खोल कर सारी ढूँढने लगी.
 
"कौन सी पहनु....क्या मुसीबत है." सरिता झल्ला कर बोली और आल्मिरा का दरवाजा पटक दिया.
 
"ये वक्त है किसी को बुलाने का...कितनी अछी नींद रही थी...उफ्फ क्या करूँ"
 
जैसे तैसे सरिता ने सारी पहनी और अपने बॉल-वाल सेट करके अपने घर की छत पर गयी.
 
"कितना सन्नाटा है बाहर...और ये कुत्ते पता नही क्यों भोंक रहे हैं आज. कुछ ज़्यादा ही शोर मच्चा रहे हैं."
 
सरिता अपने घर की छत से बबलू के घर की छत पर गयी.
 
"कही ये गये तो...नही नही उनकी नाइट ड्यूटी है सुबह से पहले नही आएँगे और आएँगे भी तो भी बबलू के घर से बेल तो सुन ही जाएगी...भाग कर छत के रास्ते वापिस जाउंगी." सरिता चलते चलते सोच रही थी.
 
सरिता बबलू के घर की सीढ़ियों से नीचे गयी और उसने पीछे का दरवाजा खड़काया.
 
"लो गया मेरा माल...देखता जा...उसे देख कर डिसाइड करना की मन है कि नही..हे..हे..हे."
 
बबलू सरिता के लिए दरवाजा खोलने चल दिया. उसके कदम नशे की वजह से लड़खड़ा रहे थे.

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Update 38

 
बबलू ने दरवाजा खोला. सामने स्काइ ब्लू साड़ी में लिपटी सरिता खड़ी थी.
 
"वाओ क्या मस्त साड़ी पहन के आई है...आजा आजा मेरा दोस्त तुझे देखेगा तो मर मिटेगा तुझपे."
 
"क्या!.... तुम्हारा दोस्त साथ में है क्या?"
 
"हां...आजा मिलवाता हूँ...बहुत स्मार्ट है तुझे पसंद आएगा." बबलू ने सरिता का हाथ पकड़ कर कहा.
 
"रूको...मुझे नही मिलना किसी से...मुझे बदनाम करवाओगे क्या?"
 
"आबे चुप कर तुझ से पूछा है किसी ने चुपचाप मेरे साथ चल." बबलू ने कहा.
 
बबलू सरिता को घसीट कर उस कमरे में ले आया जहा सौरभ बैठा था.
 
"ये देख...ये है मेरी मस्त आइटम...बीवी से भी ज़्यादा काम की है...जब चाहे बुला लेता हू इसे." बबलू ने कहा.
 
सरिता ने किसी तरह अपना हाथ बबलू के हाथ से छुड़ा लिया. सरिता को देखते ही सौरभ लड़खड़ाते कदमो से खड़ा हो गया.
 
"क्या हुआ...अब बता कैसी लगी मेरी आइटम...मस्त है ना...इसकी छाती की गोलाई देख...है ना जबरदस्त. अब बता मन है कि नही तेरा." बबलू ने कहा.
 
सरिता की आँखो में शरम, डर और गुस्सा तीनो एक साथ नज़र रहे थे. सौरभ भाँप गया था कि उसे उसका वहाँ होना अच्छा नही लग रहा. हालाँकि उसका लंड उसकी पेण्ट में कूदने लगा था फिर भी वो बबलू को ऐसे ही सो कर रहा था जैसे की उसका कोई इंटेरेस्ट नही है. शायद पूजा के लिए उसके दिल में उठी हलचल भी इसका कारण था. पर जो भी हो सरिता कि खूबसूरती को वो बड़े गौर से निहार रहा था.
 
"क्या सोच रहा है यार आगे बढ़ और थाम ले इसके गोल गोल सन्तरो को." बबलू ने कहा.
 
सरिता ने बबलू को घूर के देखा.
 
"अबे देख क्या रही है...अपना बहुत ख़ास दोस्त है...इसे भी जलवे दिखा अपने."
 
"देखो तुम ये ठीक नही कर रहे" सरिता ने कहा.
 
"अच्छा अब तू मुझे बताएगी कि क्या ठीक है और क्या ग़लत...तू बड़ा ठीक कर रही थी उस दिन छत पर. बहुत बेशर्मी से पिलवा रही थी अपनी हा भूल गयी."
 
सरिता कुछ नही बोल पाई.
 
बबलू सरिता के पीछे गया और उसे पीछे से जाकड़ लिया. उसके दोनो हाथ सरिता के बूब पर थे और उसका लंड साड़ी के उपर से सरिता की गान्ड को महसूस कर रहा था.
 
"छोडो मुझे...इनके सामने ये सब मत करो." सरिता ने छटपटाते हुए कहा.
 
"बहुत गर्मी दिखा रही है आज हा... देख ले तेरे पति को कल सब कुछ बता दूँगा..फिर देखते हैं तेरी गर्मी."
 
"बबलू आराम से यार...मेरे सामने ज़बरदस्ती मत कर...मुझे अच्छा नही लगता." सौरभ ने कहा.
 
"तुझे नही पता ये इसी तरह काबू में आती है" बबलू ने कहा.
 
बबलू ने सरिता के बूब्स को ज़ोर से दबाया उसका इरादा उसे दर्द देने का था.
 
"आआहह...नही..." सरिता कराह उठी.
 
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"मैं जा रहा हूँ भाई यहा से मुझसे ये सब नही देखा जाता" सौरभ ने कहा.

 
"अरे तुझे क्यों बुरा लग रहा है...अच्छा बैठ अब नही करूँगा ऐसा" बबलू ने कहा.
 
ये सुन कर सरिता ने भी राहत की साँस ली.
 
बबलू अब सरिता की गान्ड को सहलाने लगा. "साड़ी में ये गान्ड अच्छी लगती है खि...खि..खि." बबलू हँसने लगा.
 
"क्या हम दूसरे कमरे में चलें यहा मुझे शरम रही है इनके सामने" सरिता ने कहा.
 
सौरभ ने सरिता की बात सुन ली. "ऐसा करता हूँ मैं ही दूसरे कमरे में चला जाता हूँ." सौरभ ने कहा और लड़-खड़ाते हुए वहाँ से चल दिया.
 
"अरे यार तू कहा जा रहा है...रुक ना देख मैं कैसे लेता हूँ इस आइटम की" बबलू सरिता की गान्ड पर चुटकी मार कर बोला.
 
"आउच.." सरिता कराह उठी.
 
सौरभ बबलू की बात अनसुनी करके वहाँ से चला गया. दूसरे कमरे में कर वो बिस्तर पर गिर गया. नशे के कारण उसका सर घूम रहा था. वो आँखे बंद करके चुपचाप लेट गया.
 
"तुझे आज हो क्या गया है क्यों इतने नखरे कर रही है...पता है ना तुझे मुझे ये सब पसंद नही." बबलू ने सरिता को पीछे से ज़ोर से जाकड़ के उसके कान में कहा.
 
"एक तो इतनी रात को बुलेट हो मुझे...उपर से अपने दोस्त के सामने ये सब हरकते करते हो..किसे अच्छा लगेगा." सरिता ने कहा.
 
"बहुत बोल रही है आज हा रुक अभी मज़ा चखाता हूँ" बबलू ने कहा.
 
बबलू ने एक स्केल उठाया और सरिता को बोला, "चल झुक."
 
सरिता को समझ नही आया कि आख़िर वो करना क्या चाहता है.
 
बबलू ने सरिता को फोर्स्फुली झुकाया और उसकी साड़ी पेटिकोट सहित उपर उठा दी. सरिता ने ब्लू पॅंटी पहनी हुई थी बबलू ने वो भी नीचे सरका दी. अब सरिता की नंगी गान्ड बबलू के सामने थी.
 
बबलू ने स्केल को हवा में हिलाया और ज़ोर से सरिता की गान्ड पर मार दिया.
 
"आअहह ये क्या कर रहे हो?" सरिता कराह उठी.
 
"तेरा नखरा उतार रहा हूँ... अब बोल" बबलू ने कहा और स्केल को एक बार फिर सरिता की गान्ड पर जड़ दिया.
 
सरिता की गान्ड लाल हो गयी. "क्या बात है...बस दो बार की पीटाई में ही ये गान्ड लाल हो गयी...अभी तो बहुत पीटाई बाकी है...हे..हे..हा..हा."
 
"तुम पागल हो गये हो आज आआहह" सरिता की गान्ड पर एक और वार हुआ.
 
"क्या बात है...क्या चलकती है तेरी गान्ड स्केल पड़ने से...मज़ा गया...वाओ." बबलू ने कहा और एक बार फिर से सरिता की गान्ड पर स्केल दे मारा.
 
"ऊओह.... यू आर सिक आहह."
 
सरिता के कराहने की आवाज़ सौरभ को भी सुनाई दे रही थी. "क्या कर रहा है ये" सौरभ बड़बड़ाया.
 
"अब मज़ा आएगा तेरी मारने में." बबलू ने कहा.
 
बबलू ने अपनी पेण्ट की चैन खोली और अपने तने हुए लंड को बाहर खींच लिया
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सरिता को बबलू का लंड अपनी गान्ड पर महसूस हुआ.

 
बबलू ने हल्का सा थूक अपने लंड पे लगाया और सरिता की चूत पर लंड को टीका दिया.
 
"वाओ आज तो अलग ही मज़ा रहा है तेरे साथ ऊओ." बबलू ने कहा.
 
बबलू ने लंड सरिता की चूत में घुसेड दिया.
 
"आआहह अभी मैं तैयार नही थी ऊओ." सरिता फिर से कराह उठी.
 
"उस से क्या फर्क पड़ता है खि...खि..खि.."
 
"तुम एक नंबर के कामीने हो आअहह."
 
"तू क्या है फिर...अपने पति को धोका दे रही है...क्यों आई है यहा हे..हे..हे."
 
"मैं अपनी मर्ज़ी से नही आई आअहह."
 
बबलू ने सरिता की चूत में लंड पेलना शुरू कर दिया. कुछ ही देर में सरिता भी बहकने लगी. उसके दर्द की आहें अब मज़े की आआहएं बन गयी.
 
"तेरे उस बाय्फ्रेंड से अच्छा मज़ा देता हूँ ना मैं आअहह."
 
"ऐसा कुछ नही है आअहह"
 
"अच्छा ऐसी बात है साली अभी बताता हूँ" बबलू ने सरिता के बॉल नोच लिए और तेज तेज उसकी चूत में लंड अंदर बाहर करने लगा.
 
"आआहह मेरे बाल छोड़ दो...आअहह"
 
"क्या हुआ अब साली रंडी."
 
"आआहह मुझे गाली मत दो प्लीज़."
 
बबलू लगातार सरिता को झुकाए हुए उसके पीछे से धक्के मारता रहा.
 
अचानक उसने सरिता की चूत से लंड निकाल लिया और सरिता की गान्ड को फैला कर गान्ड के के छेद पर रख दिया.
 
"ये क्या कर रहे हो तुम्हे कहा था ना मैने मुझे अनल पसंद नही है"
 
"आज तेरी गान्ड भी रागडूंगा चुप कर..." बबलू ने कहा.
 
बबलू ने सरिता को कंधे से जाकड़ लिया ताकि वो हिले नही और लंड को उसकी गान्ड में घुसा दिया. सरिता छटपताई पर लंड आधा गान्ड में घुस चुका था.
 
"उूउऊययययीी निकालो...आआहह" सरिता ने बबलू को ज़ोर से धक्का मारा. बबलू का लंड सरिता की गान्ड से निकल गया और बबलू सर के बल लड़खड़ा कर पीछे गिर गया. उसका सर सोफे की लकड़ी से टकराया और उसका सर खून से लत्पथ हो गया.
 
सरिता ने मूड कर देखा तो पाया कि बबलू ज़मीन पर बेहोश पड़ा है और उसके सर से खून बह रहा है.
 
"ओह माय गॉड...क्या ये मर गया."
 
सरिता ने बबलू को हिलाया पर उसके शरीर में कोई हरकत नही हुई.
 
"हे भगवान अब मेरा क्या होगा?" सरिता सर पकड़ कर बैठ गयी.
 
बबलू के नीचे गिरने की आवाज़ सौरभ को भी सुनाई दी.
 
"उफ्फ अब क्या कर दिया इस बबलू ने."
 
सौरभ बिस्तर से उठा और लड़खदाता हुआ वापिस वही गया.
 
वहाँ पहुँच कर सौरभ के होश उड़ गये. बबलू ज़मीन पर पड़ा था और उसके पास सरिता सर पकड़े बैठी थी.
 
"ये सब कैसे हुआ.?" सौरभ ने पूछा.
 
सरिता ने सौरभ की तरफ देखा. वो कुछ भी बोलने की हालत में नही थी.
 
सौरभ का तो जैसे नशा ही उतर गया. वो बबलू के पास आया और उसकी साँसे चेक की.
 
"हे भगवान ये तो मर चुका है...क्या किया तुमने इसके साथ." सौरभ ने कहा.
 
सरिता फूट फूट कर रोने लगी. उस से कुछ भी बोले नही बन रहा था.
 
"अरे मेरी मा कुछ बोलेगी भी या यू ही रोती रहेगी...ओफ कहा फँस गया मैं."
 
".....ये मेरे साथ ज़बरदस्ती कर रहा था...मैने इसे धक्का दिया था बस. इसका सर सोफे की लकड़ी से टकरा गया शायद और...." सरिता फिर रोने लगी.
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Update 39

 
"अच्छा...अच्छा ठीक है चुप हो जाओ" सौरभ ने कहा.
 
"मैं बर्बाद हो गयी मेरा ये इरादा नही था."
 
"तेरे साथ पहले कर तो रखा था इसने...दुबारा करवाने में क्या हर्ज़ था." सौरभ ने पूछा.
 
"ये ज़बरदस्ती अनल कर रहा था." सरिता ने सुबक्ते हुए कहा
 
"तो क्या हुआ अनल ईज़ नॉर्मल सेक्स" सौरभ ने कहा.
 
"पर मैने कभी नही किया" सरिता ने अपनी नज़रे झुका कर कहा. उसे ये बाते करते हुए शरम रही थी.
 
"ह्म्म...फिर तो तुम्हारे लिए अबनॉर्मल है." सौरभ ने कहा.
 
"अब मेरा क्या होगा....मुझे तो जैल जाना पड़ेगा." सरिता सुबक्ते हुए बोली.
 
"मुझे सोचने दो...मैं कुछ ना कुछ करता हूँ."
 
"तुम क्या कर सकते हो इस में" सरिता ने हैरानी में पूछा.
 
"थोड़ा सोचने तो दो." सौरभ ने कहा.
 
"मिल गया एक काम कर सकते हैं हम." सौरभ ने कहा.
 
"क्या बोलो."
 
"आजकल साइको किलर का ख़ौफ़ है शहर में...क्यों ना इस कतल का इल्ज़ाम हम उस पर डाल दे."
 
"क्या ऐसा हो सकता है?"
 
"बिल्कुल हो सकता है." सौरभ ने कहा.
 
"तुम ऐसा क्यों करोगे...तुम्हारे दोस्त को मारा है मैने."
 
"देखो ये हादसा है...बबलू तो मर ही चुका है तुम्हारी जिंदगी क्यों बर्बाद हो." सौरभ ने कहा.
 
"पर ये सब कैसे होगा." सरिता ने कहा.
 
"यही सोचने वाली बात है." सौरभ ने कहा.
 
सौरभ ने लाइट बंद कर दी और खिड़की से बाहर झाँक कर देखा. "बबलू की लाश को हमें बाहर कही फेकना होगा." सौरभ ने कहा.
 
"बाहर पर कैसे?"
 
"तुम्हारे पास कार है?"
 
"हां है."
 
"चाबी है इस वक्त तुम्हारे पास."
 
"नही वो तो घर पड़ी है."
 
"जाओ जा कर ले आओ...ये काम जल्द से जल्द करना होगा." सौरभ ने कहा.
 
"ठीक है मैं अभी चाबी लेकर आती हूँ" सरिता वहाँ से चल पड़ी.
 
सौरभ ने बबलू की लाश को चादर में लपेट लिया. "माफ़ करना दोस्त पर ये सब करना ज़रूरी है. किसी की जिंदगी का सवाल है," सौरभ ने धीरे से कहा.
 
सरिता कार की चाबी ले आई.
 
"कार ले आओ यहा." सौरभ ने कहा.
 
"मुझे बाहर जाने से डर लग रहा है...प्लीज़ कार तुम ले आओ मेरे घर के बाहर ही खड़ी है." सरिता ने कहा.
 
"लाओ चाबी मुझे दो."
 
सरिता ने चाबी सौरभ के हाथ में थमा दी. सौरभ फ़ौरन कार घर के बाहर ले आया.
 
सौरभ ने बबलू की लाश को उठाया और लाश को चुपचाप बाहर ले आया. उसने लाश डिकी में डाल दी.
 
"तुम यही रूको मैं लाश को ठिकाने लगा कर आता हूँ." सौरभ ने कहा.
 
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सरिता दरवाजा बंद करके वही सोफे पर बैठ गयी. उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था.

 
सौरभ कुछ ही दूरी पर लाश को सुनसान सी जगह देख कर छोड़ आया. वापिस कर उसने फर्श पर खून के निशान साफ किए.
 
"मैं आपका अहसान कभी नही भूलूंगी....बोलिए मैं आपके लिए क्या कर सकती हूँ" सरिता ने कहा.
 
"आप जैसी खूबसूरत विमन मेरे लिए एक ही काम कर सकती है." सौरभ शरारती अंदाज में कहा.
 
पहले तो सरिता को समझ नही आया. लेकिन जब उसे सौरभ की बात समझ आई तो वो शर्मा गयी.
 
"बबलू मुझे ब्लॅकमेल कर रहा था...मुझे ग़लत मत समझना..मैं ऐसी औरत नही हूँ."
 
"किस लड़के के साथ पकड़ा था बबलू ने तुम्हे."
 
"मैं उसे प्यार करती हूँ...शादी से पहले का प्यार है मेरा उस से."
 
इसका मतलब मेरा कोई चांस नही." सौरभ ने निराशा भरे शब्दो में कहा.
 
"नही मेरा वो मतलब नही था." सरिता नज़रे झुका कर बोली.
 
"फिर ठीक है...देख मेरा आज मन नही है...फिर कभी चलेगा."
 
"मेरे लिए भी ये ठीक रहेगा...पर प्लीज़ मेरे बारे में किसी को मत बताना."
 
"भरोसा रखो मुझ पे...जाओ तुम अपने घर जाओ...फिर कभी मिलते हैं."
 
"ओके...थॅंक यू वेरी मच फॉर हेल्पिंग मी इन दिस सिचुयेशन."
 
"गुड नाइट." सौरभ ने कहा.
 
सरिता छत के रास्ते से ही अपने घर वापिस गयी. सौरभ बबलू के घर का ताला लगा कर वहाँ से चल दिया.
 
"उफ्फ इतनी रात को कुछ नही मिलेगा. बबलू की बायक ले जाना ठीक नही था."
 
सौरभ पैदल ही अंधेरी सड़क पर चल पड़ा.
 
रात का सन्नाटा बहुत भयानक था. रह रह कर कुत्तो के भोंकने की आवाज़ रही थी. सौरभ को बार-बार ऐसा लग रहा था जैसे की कोई उसका पीछा कर रहा है. उसने काई बार पीछे मूड कर देखा पर उसे कोई दिखाई नही दिया.
 
"अच्छा ख़ासा पूजा को छोड़ कर वापिस जा रहा था...ना जाने कहा से ये बबलू गया. बहुत बुरा हुआ बेचारे के साथ पर. गान्ड मारने के चक्कर में खुद ही मारा गया बेचारा. भगवान उसकी आत्मा को शांति दे."
 
सौरभ आगे बढ़ा जा रहा था.
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अचानक उसकी नज़र सड़क किनारे पेड़ का सहारा ले कर खड़े एक साए पर गयी. सौरभ के दिल की धड़कन तेज हो गयी. "इतनी रात को कौन खड़ा है, पेड़ के सहारे ये." सौरभ ने सोचा.

 
सौरभ ने थोड़ा गोर से देखा तो पाया कि वो साया सिगरेट पी रहा था.
 
"पागल है क्या ये बंदा जो कि इतनी रात को यहा खड़ा हुआ सिगरेट पी रहा है."
 
अंधेरा इतना था कि सौरभ को उस आदमी का चेहरा साफ दिखाई नही दे रहा था. पर जब सौरभ चलते चलते थोड़ा और नज़दीक पहुँचा तो उसके होश उड़ गये. उस साए के कदमो में कोई आदमी पड़ा था और उस साए ने उसकी छाती पर पाँव रख रखा था. उस साए के चेहरे पर नकाब था.
 
सौरभ को समझते देर नही लगी कि वो साया कौन है. मुश्किल वाली बात ये थी कि उसे समझ नही रहा था कि वो क्या करे.
 
"कहा जा रहे हो इतनी रात को." साइको ने पूछा.
 
"तेरी मा चोद्ने जा रहा हूँ...तू है कौन एक बार शक्ल तो दिखा दे."
 
"हा...हा..हा..हे..हे तुझे मारने से पहले तेरी ज़ुबान काटुंगा"
 
"यार तू है कौन तेरी शक्ल तो दिखा दे...बाद में मुझे आराम से मारते रहना."
 
"तेरे पीछे कोई है मूड के देख." साइको चिल्लाया.
 
सौरभ ने पीछे मूड के देखा. वो साइको की चाल में फँस गया था. पूरा का पूरा चाकू सौरभ के पेट में घुस गया था.
 
"आअहह बहुत मक्कार हो तुम आहह" सौरभ दर्द से कराह उठा. लेकिन उसने हिम्मत करके साइको को ज़ोर से एक तरफ धक्का दे दिया और एक झटके में अपने पेट में घुसा चाकू बाहर निकाल लिया.
 
"आआहह..." सौरभ चाकू निकलने पर कराह उठा.
 
अब सौरभ के हाथ में चाकू था और साइको उसके सामने गिरा पड़ा था. सौरभ आगे बढ़ा. पर साइको ने सौरभ की आँख में मिट्टी डाल दी. सौरभ ने आँखे बंद कर ली. पर चाकू को हाथ में तान लिया. साइको दबे पाँव सौरभ के पीछे गया और उसके सर पर बंदूक तान दी.
 
"जो चाकू से बच जाता है...उसे मैं गोली मार देता हूँ"
 
सौरभ ने फुर्ती से घूम कर चाकू का वार किया. साइको के पेट पर चाकू ने गहरा घाव बना दिया. साइको लड़खड़ा कर ज़मीन पर गिर गया.
 
सौरभ को साइको गिरता हुआ दिखा. अगले ही पल सौरभ के कंधे में एक गोली कर गढ़ गयी.
 
"आअहह" सौरभ फिर से कराह उठा.
 
सौरभ ने पाँव से ढेर सारी मिट्टी साइको की तरफ उछाल दी और भाग कर सड़क किनारे पेड़ के पीछे छुप गया. इतने में पोलीस के सायरन की आवाज़ वहाँ गूंजने लगी.
 
साइको फ़ौरन वहाँ से भाग निकला. रात के अंधेरे में वो कहा गायब हो गया पता ही नही चला. पोलीस की जीप आगे बढ़ गयी.
 
सौरभ ने जैसे तैसे अपने पेट पर अपनी शर्ट को बाँध लिया ताकि खून का बहाव कम हो जाए. उसके कंधे से भी खून बह रहा था.
 
"यहा आस पास कोई भी क्लिनिक या हॉस्पिटल नही है...मेरा मोबायल ओह कहा गया. शायद कही गिर गया. उफ्फ आज क्या हो रहा है मेरे साथ."
 
सौरभ लड़खड़ाते हुए दर्द से कराहते हुए अपनी कॉलोनी के पास पहुँच गया. उसे सामने भोलू का घर दिखाई दिया.
 
"भोलू को ही उठाता हूँ आशु तक पहुँचते पहुँचते कही मेरी जान ना चली जाए."
 
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सौरभ ने ज़ोर ज़ोर से दरवाजा खड़काया. श्रद्धा गहरी नींद में सोई थी. पर दरवाजे पर ज़ोर की आहट सुन कर वो जाग गयी और फ़ौरन उठ कर बैठ गयी.

 
"ये भोलू कहा गया और ये दरवाजे पर कौन है."
 
श्रद्धा ने फ़ौरन कपड़े पहने और दरवाजा खोला. दरवाजे पर सौरभ बेहोश पड़ा था.
 
"हे भगवान इसे क्या हो गया..क्या करू मैं...ये भोलू भी ना जाने कहाँ मर गया. "?" श्रद्धा ने कहा.
 
श्रद्धा भाग कर अंदर आई और घर में हर तरफ भोलू को ढूँढा पर वो नही मिला.
 
"कहा गया ये...कुण्डी तो अंदर से बंद थी...ओह शायद पीछे के दरवाजे से बाहर गया है"
 
श्रद्धा की नज़र टेबल पर पड़े मोबायल पर गयी. उसने फ़ौरन आशु को फोन मिलाया. आशु पोलीस स्टेशन में चौहान के साथ था.
 
श्रद्धा की बात सुनते ही आशु फ़ौरन एक जीप ले कर वहाँ से निकल दिया. उसने आंब्युलेन्स को भी बुला लिया."
 
श्रद्धा सौरभ के पास बैठी रही. सौरभ दरवाजे पर पड़ा रहा. शायद कुछ साँसे अभी भी चल रही थी.
 
सौरभ को फ़ौरन हॉस्पिटल ले जाया जाता है.
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Update 40

 
 
"डॉक्टर ये बच तो जाएगा ना?" आशु ने पूछा.
 
"खून काफ़ी बह गया है...ही ईज़ इन क्रिटिकल सिचुयेशन..तुरंत ऑपरेशन करना होगा."
 
"कुछ भी कीजिए डॉक्टर साहब पर मेरे दोस्त को बचा लीजिए."
 
सौरभ को तुरंत ऑपरेशन थियेटर में ले जाया जाता है. बाहर श्रद्धा और आशु बेसब्री से ऑपरेशन ख़तम होने का वेट करते हैं.
 
"तुम आज रात फिर भोलू के पास गयी...कभी तो चैन से बैठा करो." आशु ने कहा.
 
"नही आशु मैं उसके पास नही गयी थी...वही मुझे ले गया था." श्रद्धा आशु को पूरी बात बताती है.
 
"भोलू आख़िर गया कहा तुझे छोड़ कर." आशु ने पूछा.
 
"वही सोच कर मैं भी परेशान हूँ...मैं तो गहरी नींद में सोई थी...पता नही कब गया वो."
 
"ह्म्म...भोलू पर मुझे फिर से शक हो रहा है" आशु ने कहा.
 
"मुझे भी उस पर पहले से ही शक है."
 
"तभी खूब मस्ती की तूने रात उसके साथ हूँ."
 
"सॉरी आशु..वो मुझे ले आया तो...पर तुमसे ज़्यादा मुझे किसी के साथ अच्छा नही लगता." श्रद्धा ने कहा.
 
"सब कहने की बाते हैं."
 
तभी ऑपरेशन थियेटर से डॉक्टर बाहर आया और बोला, "मैं जो कर सकता था मैने कर दिया...अभी वो बेहोश है...होश आने पर ही क्लियर हो पाएगा कि वो बचेगा की नही."
 
"ऑपरेशन तो ठीक हो गया ना डॉक्टर?" आशु ने पूछा.
 
"ऑपरेशन बिल्कुल ठीक हो गया है...पर अभी वो अनकनसियस है. देखते है अब सब भगवान के उपर है."
 
डॉक्टर वहाँ से चला गया. सौरभ को आइक्यू में शिफ्ट कर दिया गया.
 
"तुम चिंता मत करो उसे होश जाएगा." श्रद्धा ने कहा.
 
"तुमने बहुत अच्छा काम किया श्रद्धा आज...मुझे वक्त पर फोन ना करती तो गुरु का बचना और भी मुश्किल हो जाता."
 
"ये तो मेरा फ़र्ज़ था आशु...मैं इतनी बुरी भी नही हूँ."
 
"मैने कब तुम्हे बुरा कहा पगली कही की...चल थोड़ी चाय पी कर आते हैं"
 
आशु और श्रद्धा चाय पी कर वापिस आइक्यू के बाहर बैठ जाते हैं
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रात बीत जाती है. सुबह के कोई 6:30 बजे एक नर्स बाहर आती है.

 
"सिस्टर क्या मेरे दोस्त को होश गया." आशु ने पूछा.
 
"हां...थोड़ी देर पहले ही उसने आँखे खोली है मैं डॉक्टर को बुलाने जा रही हूँ."
 
आशु और श्रद्धा की खुशी का ठीकना नही रहा. आशु ने श्रद्धा को बाहों में भर लिया और बोला,"तुम्हारी वजह से गुरु की जान बच गयी...तू घर चल अच्छे से लूँगा तेरी."
 
"सस्शह सिस्टर सुन रही है." श्रद्धा ने कहा.
 
"ओह सॉरी ध्यान ही नही रहा." आशु सर खुजाने लगा.
 
नर्स सर हिलेट हुए वहाँ से चली गयी.
 
डॉक्टर सौरभ को देखता है और बाहर आकर कहता है, "अब तुम्हारा दोस्त ख़तरे से बाहर है."
 
"क्या मैं उस से मिल सकता हूँ"
 
"नही पोलीस केस है ये...पहले पोलीस उसका बयान लेगी तभी तुम मिल सकते हो."
 
"मैं सब इनस्पेक्टर आशुतोष हूँ...मैं खुद उसका बयान लूँगा."
 
"इज़ देट सो...अगर ऐसा है तो गो अहेड...मुझे कोई ऐतराज़ नही है...पोलीस वाले ही बाद में आकर ऐतराज़ करते हैं."
 
"डोंट वरी डॉक्टर...ऐसा कुछ नही होगा." आशु ने कहा.
 
आशु श्रद्धा को साथ लेकर सौरभ के पास गया.
 
"गुरु दारू पीते पीते किस चक्कर में फँस गये." आशु ने कहा.
 
"पूछ मत यार बहुत बुरी रात थी ये मेरे लिए...एक मिनिट ज़रा श्रद्धा को बाहर भेज दो." सौरभ ने कहा.
 
"श्रद्धा ने ही तुम्हारी जान बच्चाई है पहले उसे धन्यवाद तो कर दो." आशु ने सौरभ को पूरी बात बताई.
 
सौरभ ने श्रद्धा को पास बुलाया और बोला, "थॅंक यू श्रद्धा तुमने बड़ी समझदारी दिखाई."
 
"थॅंक यू किस बात का ये तो मेरा फ़र्ज़ था. तुम दोनो बात करो मैं बाहर वेट करती हूँ" श्रद्धा ने कहा.
 
श्रद्धा बाहर गयी.
 
सौरभ आशु को बबलू के घर से लेकर साइको से भिड़ंत तक पूरी कहानी सुनाता है.
 
"गुरु एक-एक करके तुम्हारे दोस्त टपक रहे हैं...मेरा क्या होगा."
 
"अबे सब इत्तेफ़ाक है."
 
"अच्छा किया जो उस कामीने साइको को चाकू मारा."
 
"बहुत गहरा घाव हुआ होगा साले को...वो भी किसी हॉस्पिटल में पड़ा होगा अभी."
 
सौरभ की बात सुनते ही आशु ने तुरंत अपना मोबायल निकाला और इनस्पेक्टर चौहान को फोन किया. उसने चौहान को सौरभ और साइको की भिड़ंत के बारे में बता दिया.
 
"सर उसे भी चाकू लगा है..हो ना हो वो भी किसी हॉस्पिटल या क्लिनिक में होगा...हमें शहर के सभी क्लिनिक और हॉस्पिटल चेक करने चाहिए." आशु ने कहा.
 
"वाह बर्खुरदार तुम तो अभी से काम सीख गये...मैं तुरंत अलग अलग टीम्स भेजता हूँ. तुम उस हॉस्पिटल में चेक करो."
 
"जी सर... एक-दो कॉन्स्टेबल यहा भी भेज दो जो यहा मेरे दोस्त के कमरे के बाहर रहे." आशु ने कहा.
 
"ठीक है भेजता हूँ...पर एक ही मिल पाएगा."
 
"एक ही भेज दो सर...मैं तो हूँ ही यहा...मैं हॉस्पिटल में चेक करूँगा तो वो यहा खड़ा रहेगा."
 
आशु ने मोबायल वापिस जेब में डाल लिया.
 
"गुरु तुम आराम करो मैं इस हॉस्पिटल को चेक करता हूँ क्या पता वो साइको भी यही आया हो." आशु ने कहा.
 
"अपर्णा कैसी है?" सौरभ ने पूछा.
 
"ओह...अपर्णा जी के बारे में बताना तो भूल ही गया. वो अपने घर चली गयी है." आशु सौरभ को पूरी बात बताता है.
 
"अच्छा किया यार तूने मेरे सर पर बोझ बना हुआ था."
 
"हां गुरु बहुत अच्छा हुआ...मैं अभी चलता हूँ बाद में बात करते हैं." आशु ने कहा.
 
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