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Adultery बात एक रात की - The Immortal Romance - {Completed}
#81
Tongue 
Update 30


चौहान आशु को लेकर सुरिंदर के घर पहुँचता है.

"क्राइम सीन है घबराना मत...चारो तरफ खून बीखरा पड़ा है कही देख कर घबरा जाओ"

"मैने न्यूज़ में सुन लिया था सब सर, मैं इन बातो से नही डरता"

"अच्छा चलो फिर अंदर" चौहान ने कहा.

आशु चौहान के पीछे-पीछे सुरिंदर के घर में घुस गया.

"यहा तो कुछ भी नही है" आशु ने कहा.

"लासे पीछे पड़ी है बर्खुरदार थोड़ा धीरज रखो" चौहान ने कहा.

"सर ये बेडरूम देखिए...बिस्तर पर काफ़ी उछल-पुथल हुई लगती है" आशु ने कहा.

"तुम इस कमरे को अच्छे से चेक करो मैं पीछे जा रहा हूँ, कुछ भी इम्पोर्टेन्ट लगे तो मुझे बताना" चौहान ने कहा.

"ओके सर मैं यहा देख लेता हूँ" आशु ने कहा ,"वैसे भी मुझे लाश देखने का कोई सोंक नही है" आशु धीरे से बड़बड़ाया.

"क्या कहा तुमने?"

"कुछ नही सर बस यू ही"

"लाश तो तुम्हे अक्सर देखने को मिलेगी बर्खुरदार. पोलीस में आए हो किसी ऐन्जीओ में नही"

"मेरा वो मतलब नही था सर."

"ठीक है...ठीक है चलो जो काम दिया है उसे करो...और मेरे सामने ज़्यादा मत बोला करो"

"सॉरी सर"

"सॉरी हा..."चौहान कह कर आगे बढ़ गया.

आशु कमरे को बड़े ध्यान से देखता है.

"यहा क्या देखूं बस ये बीखरा हुआ बिस्तर है और ये आल्मिरा है...बाकी तो कुछ नही."

अचानक उसकी नज़र बेड पर पड़े तकिये पर गयी. उसके बिल्कुल पास कुछ चमकीली चीज़ नज़र आ रही थी. आशु ने आगे बढ़ कर उसे उठा लिया.

"ये तो सोने की चैन लगती है...ये यहा क्या कर रही है...ह्म्म इस बेड पर अछी ख़ासी गेम खेली गयी है शायद. खेल-खेल में ये चैन गिर गयी होगी...एक बार श्रद्धा भी तो अपनी पायल भूल गयी थी मेरे कमरे में"

आशु ने बेड को अच्छे से चेक किया और कुछ नही मिला. लेकिन बेड के पास रखी टेबल पर जो मोबायल पड़ा था उस पर आशु का ध्यान नही गया. आशु कमरे से बाहर आने लगा, तभी मोबायल बज उठा.

आशु ने मोबायल उठा कर ऑन किया और कान से लगा लिया, "सुरिंदर मेरी सोने की चैन तुम्हारे वहां छूट गयी शायद. मिल जाए तो संभाल कर रख लेना. संजय ने गिफ्ट दी थी वो हमेशा उसे मेरे गले में देखना चाहता है. तुम कुछ बोल क्यों नही रहे... कल रात मज़ा नही आया क्या"

"मज़ा तो उसे आया ही होगा, क्या आपको पता नही कि वो कल रात मारे गये?" आशु ने कहा.

"क..क..कौन बोल रहे हो तुम...और ये क्या बकवास कर रहे हो." मोनिका ने कहा.

"मैं सब इनस्पेक्टर आशुतोष बोल रहा हूँ ज़बान संभाल के बात करो"

मोनिका ने फ़ौरन फोन काट दिया.

"काट दिया फोन क्यों क्या हुआ...अब मैं पोलीस वाला हूँ कोई भी ऐरा ग़ैरा मुझसे ऐसे ही कुछ भी नही बोल सकता."

आशु उस बेडरूम से निकल कर घर के पीछे की तरफ चल दिया.

"ओफ कितनी बेरहमी से मारा है कामीने ने." आशु ने अपनी आँखे बंद कर ली.

"क्यों बर्खुरदार छूट गये पसीने..हे..हे." चौहान हस्ने लगा.

"सर आपको ये सब देखने की आदत हो गयी होगी मैं तो पहली बार देख रहा हूँ"

"कोई बात नही तुम्हे भी आदत हो जाएगी...कुछ मिला उस कमरे में?"

"हां सर ये सोने की चैन मिली है" आशु ने कहा.

आशु ने फोन वाली बात भी चौहान को बता दी.

"नाम तो पूछ लेते उसका."

"मैं पूछने ही वाला था पर फोन काट दिया उसने."

"ह्म्म कोई बात नही उसके नंबर से उसके घर का पता चल ही जाएगा" चौहान ने कहा.

"सर आपको क्या लगता है ये सब खून क्या कोई औरत कर सकती है" आशु ने चौहान का व्यू लेने के लिए पूछा.

"क्यों नही...आज कल कोई भी कुछ भी कर सकता है...इसने देखा था ना उसे अपनी आँखो से" चौहान ने कहा.

"हां पर मुझे वो लड़की कातिल नही लगती" आशु ने कहा.

"तुम्हे क्या लगता है उस से फर्क नही पड़ता बर्खुरदार यहा सब सबूत बोलते हैं" चौहान ने कहा.

चौहान ने एक कॉन्स्टेबल को आवाज़ दी, "इनको पोस्ट मॉर्टेम के लिए भेज दो"

"जी सर" कॉन्स्टेबल ने कहा.

"चलो बर्खुरदार यहा का काम हो गया."

"अभी कहा जाना है सर"

"पहले थाने चलते है...बाद में सोचेंगे आगे क्या करना है"

चौहान आशु को जीप में ले कर पोलीस स्टेशन की तरफ निकल देता है.

"सर एक बात पूछनी थी आपसे बुरा ना माने तो"

"हां-हां पूछो क्या बात है?"

"कल मैने आपको इसी जीप में देखा था आप किसी लड़की को सड़क पर उतार कर आगे बढ़ गये ...वो लड़की कौन थी?"

"क्यों तेरा दिल आ गया क्या उस पर?"

"नही सर मैने उसे कही देखा है...इसलिए पूछ रहा था." आशु ने कहा.

"एस्कॉर्ट थी वो...होटेल में पकड़ी थी मैने. बहुत सुंदर थी इसलिए मैने भी हाथ मार लिया. मैने और

परवीन ने मिलके ड्प किया साली का. सारे नखरे उतार दिए उसके. एक बात समझ लो इस नौकरी में तुम्हे एक से बढ़ कर एक आइटम मिलेगी. पर सोच समझ कर खेलना फँस भी सकते हो. आजकल मीडीया बहुत पीछे पड़ी रहती है."

चौहान की बात सुन कर आशु का दिल बैठ गया.

"पूजा के साथ इतना कुछ हो गया...किस चक्कर में फँस गयी थी ये पूजा...कुछ समझ नही आ रहा." आशु ने सोचा.

"क्या हुआ बर्खुरदार किस सोच में डूब गये."

"कुछ नही सर बस यू ही." आशु ने कहा.

आशु को पूजा के बारे में सुन कर बहुत बुरा लगा. उसे यकीन नही हो रहा था कि उसके जैसी लड़की ऐसे चक्करो में फँस जाएगी.

"ज़रूर कोई मज़बूरी रही होगी पूजा की" आशु ने सोचा.


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#82
..................................


मोनिका टीवी ऑन करके उसके सामने खड़ी हुई आँखे फाडे न्यूज़ देख रही है.

"ओह माय गॉड सुरिंदर तो सच में मारा गया...वो दोनो पोलीस वाले भी नही बचे...अगर मैं थोड़ी देर वहां रुकती तो शायद मेरा भी यही हसर होता....क्या हो रहा है ये इस शहर में"

संजय पीछे से आकर मोनिका को बाहों में भर लेता है और कहता है, "क्या बात है डार्लिंग इतनी परेशान सी क्यों लग रही हो....और ये कैसी न्यूज़ लगा रखी है"

"त...तुम उठ गये" मोनिका ने कहा.

"मैं तो कब से उठा हूँ...तुम बिस्तर से गायब थी"

"मैं नहा धो कर पूजा करती हूँ आजकल इसलिए जल्दी उठ जाती हूँ"

"ह्म्म तभी ये भीनी भीनी खुशबु आ रही है...आओ थोड़ी मस्ती हो जाए."

"मेरा मूड ठीक नही है बाद में"

"मेरी बीवी के नखरे रोज बढ़ते जा रहे हैं कही किसी और से तो दिल नही लगा लिया"

"क...क...कैसी बाते करते हो संजय...तुम्हारे सिवा मैं किसी को प्यार नही कर सकती."

"सच कह रही हो?"

"और नही तो क्या?"

संजय ने मोनिका को बाहों में उठाया और बेडरूम की तरफ चल दिया.

"आज तुम्हारे नखरे नही चलेंगे, आइ विल फक यू हार्ड एन्ड फास्ट"

"ओफ समझा करो संजय अभी मेरा मूड ऑफ है"

"लंड घुसते ही मूड ठीक हो जाएगा चिंता मत करो. ऐसे मूड को ठीक करने के लिए ही बनाया गया है ये इंजेक्षन."

संजय मोनिका को बेडरूम में ले आया.

"तुमने ये नही बताया कि तुम वक्त से पहले कैसे पहुँच गये. ट्रेन तो अक्सर लेट हो जाती है तुम तो एक घंटा पहले ही घर भी पहुँच गये." मोनिका ने कहा.

"तुम्हे उस से क्या आ तो गया ना टाइम से घर...अब मूड कराब मत करो....आइ नीड आ नाइस फक नाओ."

मोनिका के दीमाग में अभी भी सुरिंदर के ख्याल घूम रहे थे.."ओफ कही मैं ना किसी मुसीबत में फँस जाउ. मेरा नंबर भी पोलीस के पास चला गया...पोलीस ज़रूर यहा भी आएगी अब क्या करूँ....आअहह धीरे से" इधर मोनिका ये सब सोच रही थी उधर संजय उसके बड़े-बड़े बूब्स मसल रहा था.

"क्या हो गया तुम्हे आज...तुम्हे तो ये अच्छा लगता था."

"तुमने ज़रा ज़ोर से दबा दिए थे."

"अच्छा ऐसी बात है...चलो अब आराम से दबाउन्गा तुम अपना मूड ठीक कर लो बस."

"तुम मुझे बस 5 मिनट दो मैं अभी आती हूँ." मोनिका ने कहा.

"अब क्या हुआ तुम्हे?" संजय ने कहा.

"बस डार्लिंग अभी आई...फिर आराम से करेंगे."

"ठीक है जल्दी करो जो करना है...आइ नीड टू फक अट एनी कॉस्ट."

"यू विल फक मी जस्ट वेट आ मिनट." मोनिका ने कहा.

मोनिका भाग कर बाहर आई और अपने मोबायल को अपने पर्स में से निकाल कर अपने घर की छत की तरफ भागी. छत पर आ कर उसने मोबायल को ऑफ करके सिम सहित घर के पीछे फैले जंगल में फेंक दिया. "अब पोलीस मुझ तक नही पहुँच सकती....ये मोबायल भी सुरिंदर का था और सिम 
कार्ड भी उसी के नाम था." मोनिका ने खुद से कहा.

मोनिका भाग कर वापिस बेडरूम में आ गयी.

"मैं आ गयी" मोनिका ने कहा.

"आ तो गयी अब ये लंड बैठ गया...सक इट एन्ड मेक इट रेडी फॉर यू"

"लो जनाब ये काम अभी किए देती हूँ" मोनिका ने कहा और संजय की टाँगो के बीच बैठ कर उसके लंड के उपर झुक गयी. मोनिका ने मूह खोल कर संजय के लंड को मूह में ले लिया.

"आआहह यू आर आ गुड सकर" संजय कराह उठा.

"तुम आज ओरल का ही मज़ा लो....क्या कहते हो?"

"इतनी आसानी से नही बचोगी तुम...योर होल विल बी फक्ड नाइस एन्ड हार्ड बेबी."

मोनिका अभी भी अपने ख़यालो में उलझी थी लेकिन फिर भी वो संजय के साथ नाटक करने की पूरी कोशिश कर रही थी. नॉर्मली अब तक वो खुद ही गरम हो चुकी होती पर आज हालात कुछ और थे. उसके दीमाग की उधेड़बुन उसे परेशान किए थी. किसी तरह से वो संजय के लंड को चुस्ती रही.

"आआहह बस हो गया ये तैयार...आ जाओ अब" संजय ने कहा.

मोनिका टांगे फैला कर लेट गयी.

अरे उपर आ जाओ ना...खुद डालो अंदर" संजय ने कहा.

मोनिका संजय के उपर आ गयी और उसके लंड को पकड़ कर अपनी चूत के होल पर रख लिया. मोनिका के दीमाग में पिछली रात सुरिंदर के घर का नज़ारा घूम गया. संजय ने हल्का सा धक्का मारा और लंड मोनिका की चूत में फिसल गया.

"आअहह सुरिंदर" मोनिका के मूह से निकल गया

"क्या कहा तुमने?"

मोनिका की सिट्टी पिटी गुम हो गयी.

"क..क..कुछ नही संजय."

"तुमने शायद सुरिंदर कहा." संजय ने हैरत भरे लहजे में पूछा.

"हां वो न्यूज़ देख रही थी ना....कल रात जो मारा गया उसका नाम सुरिंदर था...यू ही मूह से निकल गया. मेरे दीमाग में न्यूज़ घूम रही थी." मोनिका ने टालने की कोशिश की.

"पर तुमने लंड के अंदर जाते ही आह भरके सुरिंदर कहा...कही कुछ गड़बड़ तो नही हा."

"ग..गड़बड़ क्या होगी...कहा ना वैसे ही निकल गया मूह से."

संजय ने मोनिका की गान्ड पकड़ कर उसे नीचे की ओर खींचा ताकि उसका पूरा लंड मोनिका की चूत में समा जाए.

"आअहह संजय." मोनिका कराह उठी.

"अबकी बार सही नाम लिया...शाबाश." संजय ने कहा.
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#83
Update 31

 

संजय ने मोनिका की गान्ड पकड़ कर उसके अपने उपर उछालना शुरू कर दिया. हर उछाल के साथ संजय का लंड मोनिका की चूत में अंदर बाहर होता रहा.

"आअहह संजय कीप डूयिंग इट"

"हो गया ना मूड ठीक अब. देखा ये इंजेक्षन बहुत काम का है."

"आअहह संजय आआहह."

संजय मोनिका को 10 मिनट तक यू ही अपने उपर उछालता रहा.

"अब पेट के बल लेट जाओ."

"नही पीछे से नही"

"अनल नही करूँगा घबराओ मत चूत में डालूँगा लेट जाओ" संजय ने कहा.

मोनिका पेट के बल लेट गयी और संजय उसके उपर लेट गया. उसका लंड मोनिका की गान्ड पर पसर गया था.

"पक्का अनल नही करोगे ना"

"हां बाबा...आइ लाइक योर पुसी मोर दॅन एनितिंग एल्स." संजय ने कहा.

संजय ने मोनिका की गान्ड थपथपाई.

"आआहह"

संजय ने मोनिका की गान्ड को फैला कर उसकी चूत तक पहुँचने का रास्ता बनाया और उसकी चूत में लंड डाल दिया.

"आआअहह संजय"

"मैं डर रहा था कि कही इस बार भी किसी और का नाम ना ले दो"

"बार बार ऐसी ग़लती थोड़ा करूँगी आअहह" मोनिका ने कहा.

संजय मोनिका के उपर पड़ पड़ा उसकी चूत में धक्के लगाता रहा.

"दिस ईज़ फॅंटॅस्टिक फक ऊऊहह आअहह" संजय धक्के मारते हुए बोला.

कुछ देर बाद वो निढाल हो कर मोनिका के उपर गिर गया. "यू आर ऑल्वेज़ गुड फक्किंग थिंग"

"क्या मतलब?" मोनिका ने पूछा.

"हर बार तुम्हारे साथ अलग ही मज़ा आता है." संजय ने कहा.

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#84
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"विजय कुछ पता चला किसका नंबर है वो." चौहान ने पूछा. आशु भी पास में ही बैठा था.

"सर वो नंबर भी सुरिंदर का ही था....मोबायल ट्रेस किया पर वो जंगल में पड़ा मिला."

"तुम्हे फ़ौरन फोन मुझे देना चाहिए था ईडियट." चौहान आशु की तरफ देख कर झल्ला कर बोला.

"सॉरी सर आगे से ध्यान रखूँगा."

"ये बात उस कयामत को ना पता चले वरना मेरी खाट खड़ी कर देगी वो." चौहान ने कहा.

"सर मैं जाउ अब?" आशु ने कहा.

"पोलीस की नौकरी चौबीस घंटे की होती है बर्खुरदार कहा जाने की सोच रहे हो" चौहान ने कहा.

"सर आज पहला दिन है...घर पर थोड़ा सेलेब्रेट भी कर लूँ वरना आस पड़ोस के लोग नाराज़ हो जाएँगे"

"ठीक है आज तो जाओ कल से जल्दी जाने की सोचना भी मत" चौहान ने कहा.

आशु गहरी साँस ले कर चुपचाप वहां से निकल लिया.

"उफ्फ ये चौहान ही मिला था मेडम को मुझे ट्रेन करने के लिए" आशु ने सोचा.

आशु सीधा सौरभ के कमरे पर गया. उसने दरवाजा खड़काया. अपर्णा ने दरवाजा खोला.

"आप यहा अकेली हैं गुरु कहा है" आशु ने पूछा.

"सौरभ मेरे लिए कुछ कपड़े लेने गया है."

"अरे मैं भी सोच ही रहा था कि आप कब तक इन कपड़ो में रहेंगी"

"आशु मुझे घर जाना है क्या कुछ हो सकता है." अपर्णा ने पूछा.

"ह्म्म आप चिंता मत करो मैं खुद ले कर जाउन्गा आपको आपके घर बस एक दो दिन रुक जाईए" आशु ने कहा.

अपर्णा मायूस हो कर बैठ गयी. तभी सौरभ भी गया.

"गुरु ये काम अच्छा किया तुमने जो कि अपर्णा जी के लिए कुछ कपड़े ले आए"

"पूजा ने ध्यान दिलाया मुझे तो खुद ख्याल नही था और ना ही अपर्णा ने कुछ कहा"

"अपर्णा जी आप ट्राइ कर लीजिए...हम बाहर जाते हैं आओ गुरु तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है" आशु ने कहा.

आशु सुरिंदर के घर की सारी घटना सौरभ को सुना देता है.

"ह्म....ये सच में बहुत ख़तरनाक है" सौरभ ने कहा.

"हां गुरु और पूजा के बारे में कुछ अजीब सी बात पता लगी जिस पर यकीन नही होता"

"क्या पता चला मेरी पूजा के बारे में बताओ?"

"तुम्हारी पूजा...ये पूजा तुम्हारी कब्से हो गयी गुरु" आशु ने पूछा.

"बस हो गयी तू अब उस पर लाइन मत मारना अब वो मेरी है" सौरभ ने कहा.

"ये खूब रही गुरु...ये ठीक नही कर रहे तुम" आशु ने कहा.

"श्रद्धा है ना तेरे पास पूजा का क्या अच्चार डालेगा" सौरभ ने कहा.

"ऐसा क्या हो गया जो तुम पूजा के पीछे पड़ गये" आशु ने पूछा.

"मैने चॅलेंज लिया है कि उसे पटा कर रहूँगा."

"हे..हे..हा..हा..क्या खूब कही..... चॅलेंज के लिए पूजा ही मिली थी...मेरी चप्पल घिस्स गयी उसे पटाने के चक्कर में...पर उसने एक बार भी घास नही डाली"

"तू बता ना क्या बताने वाला था पूजा के बारे में" सौरभ ने कहा.

आशु सौरभ की चौहान की कही सारी बात बता देता है.

"ये ज़रूर ब्लॅकमेलिंग का चक्कर रहा होगा वरना पूजा ऐसी लड़की नही लगी मुझे"

"ड्प हो चुका है उसके साथ...मुझे तो खुद यकीन नही हुआ" आशु बोला.

"कुछ भी हो मैं फिर भी पूजा को पटा कर ही रहूँगा." सौरभ ने कहा.

"जैसी तुम्हारी मर्ज़ी गुरु...अब दोस्ती तो नीभानी ही पड़ेगी जाओ मैं रास्ते से हट गया" आशु ने कहा.

"अबे तू रास्ते में था कब जो हटेगा...तुझे तो वो बिल्कुल पसंद नही करती." सौरभ ने कहा.

"फिर भी मेरा त्याग याद रखना गुरु...कही भूल जाओ" आशु ने कहा.

"बिल्कुल मेरे आशु तेरा ये महान त्याग मैं हमेशा याद रखूँगा."

दोनो हस्ने लगे और वापिस कमरे की तरफ मूड गये.
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#85
Mast..... Please update
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#86
Heart 
"कैसे लगे कपड़े अपर्णा?"


"ठीक हैं...क्या तुमने सोचा कुछ कि आगे क्या करना है...मैं हमेशा यहा इस कमरे में नही पड़े रहना चाहती."

इस से पहले की सौरभ कुछ बोल पाता आशु बोल पड़ा, "गुरु ऐसा करते हैं....अड्रेस तो है ही आपके पास परवीन का...पहले कन्फर्म कर लेते हैं कि वही किलर है
फिर आगे मैं सब संभाल लूँगा. जो इनस्पेक्टर इस केस को हैंडल कर रहा है उसी के साथ हूँ मैं."

"पहले हम दोनो चलते हैं वहां...बाद मैं अपर्णा को ले जाएँगे...क्या कहते हो" सौरभ ने कहा.

"ठीक है चलो फिर अभी इंतेज़ार किस बात का है" आशु ने कहा.

कुछ ही देर बाद सौरभ और आशु बायक पर सवार हो कर परवीन के घर की तरफ जा रहे थे.

"ये रहा घर पर कोई दीखाई नही दे रहा." सौरभ ने कहा.

"बेल बजाते हैं घर की देखते हैं कौन बाहर आता है" आशु ने कहा.

"देख लो कही कोई फ़ज़ीहत हो जाए" सौरभ ने कहा.

"सब इनस्पेक्टर तुम्हारे साथ है गुरु चिंता क्यों कर रहे हो"

"तुम साथ हो तभी तो चिंता है" सौरभ ने कहा.

"गुरु ऐसा क्यों बोल रहे हो"

"अरे मज़ाक कर रहा हूँ चल बेल मारते हैं."

सौरभ घर की बेल बजाता है. कुछ देर बाद दरवाजा खुलता है.

"आप यहा!" सौरभ के मूह से निकल गया.

आशु भी उस लड़की को देख कर हैरान रह गया.

"ये मेरा घर है तुम दोनो यहा क्या कर रहे हो?"

"लगता है हम ग़लत अड्रेस पर गये हमे लगा ये परवीन का घर है" सौरभ ने कहा.

" मेरे बड़े भाई हैं वो अभी शहर से बाहर गये हैं, बोलिए क्या काम है"

"छोड़िए हमे उनसे ही काम था...हम फिर कभी मिल लेंगे" सौरभ ने कहा.

"जैसी आपकी मर्ज़ी...चाय पानी कुछ लेंगे" लड़की ने कहा.

"पहले हमे अंदर तो बुला लीजिए यहा खड़े-खड़े चाय पीना अजीब लगेगा" आशु ने कहा.

"ओह आय ऍम सो सॉरी...प्लीज़ कम इन" लड़की ने कहा.

सौरभ ने अंदर आते हुए आशु की पीठ थपथपाई.

"प्लीज़ हॅव सीट...मैं अभी चाय लाती हूँ" लड़की ने कहा.

"ये तस्वीर किस की है" आशु ने कहा.

"अजीब बात है आप लोग भैया से मिलने आए हैं और उनकी तस्वीर नही पहचानते." लड़की ने कहा.

"ये परवीन को नही जानता...मैं जानता हूँ...ये तो बस मेरे साथ आया है" सौरभ ने बात संभालने की कोशिश की.

"ह्म्म ठीक है मैं चाय लाती हूँ"

"तूने पहचाना कि नही ये वही लड़की है जिसकी वो लड़का पॉर्न मूवी बना रहा था" सौरभ ने कहा.

"पहचान लिया गुरु...ऐसा करते हैं ये फोटो ले चलते हैं...अपर्णा जी को यही दीखा देंगे...क्या बोलते हो" आशु ने धीरे से कहा.
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#87
"आआययईीीई शू शू हटो यहा से" किचन से आवाज़ आई.


"शायद कोई चूहा या कॉकरोच परेशान कर रहा है लड़की को मैं देख कर आता हूँ" सौरभ ने कहा.

"ठीक है जाओ मैं ये तस्वीर ठीकाने लगाता हूँ" आशु ने कहा.

सौरभ जब किचन में आया तो उसने देखा की वो लड़की चीनी का डब्बा उठाने की कोशिश कर रही है पर डर रही है क्योंकि उस पर एक मोटा सा कॉकरोच बैठा है.

"हा..हा..हे...हे." सौरभ हस्ने लगा.

लड़की ने मूड कर देखा और बोली, "आपको हस्ने की बजाय मेरी मदद करनी चाहिए"

"ओह सॉरी" सौरभ ने कहा और लड़की के पीछे कर सॅट गया. सौरभ का लंड अंजाने में ही उस लड़की की गान्ड से टकरा गया और उसमे 
हरकत होने लगी. अगले ही पल वो सौरभ की पेण्ट में तन चुका था.

सौरभ ने हाथ के झटके से कॉकरोच को हटा दिया. कॉकरोच भाग कर कही छुप गया.

"लीजिए हो गयी आपकी मदद वैसे आपका नाम क्या है?" सौरभ ने पूछा.

"संगीता" लड़की ने जवाब दिया.

सौरभ ने अपने तने हुए लंड को संगीता की गान्ड पर अच्छे से सटा दिया और बोला, "बहुत अच्छा नाम है, बहुत प्यारा"

संगीता को सौरभ का लंड अपनी गान्ड की गहराई तक महसूस हो रहा था और वो सिहर रही थी.

"आप बैठिए मैं चाय लाती हूँ" संगीता ने कहा.

"चाय भी पी लेंगे...आपको कैसा लग रहा है अभी" सौरभ ने पूछा.

"क्या मतलब?"

"मतलब की वो कॉकरोच भगा दिया मैने...अब कैसा लग रहा है"

"अच्छा लग रहा है" संगीता ने कहा.

"अगर थोड़ा झुक जाओ तो और भी अच्छा लगेगा" सौरभ ने कहा.

"आपका दोस्त बाहर चाय की वेट कर रहा होगा" संगीता ने कहा.

"कोई बात नही चाय तो उसे मिल ही जाएगी...तुम नाडा खोल कर झुक जाओ" सौरभ ने कहा.

"मैं तुम्हे जानती तक नही" संगीता ने कहा.

"हमारी दूसरी मुलाकात है ये...हमने ही बच्चाया था तुम दोनो लड़कियो को उस दिन"

"जानती हूँ पर इसका मतलब ये तो नही कि मैं कुछ भी कर लूँ तुम्हारे साथ." संगीता ने कहा.

सौरभ ने संगीता की गान्ड पर हल्के हल्के धक्के मारने शुरू कर दिए.

"आहह क्या कर रहे हो" संगीता ने कहा.

"अब तुम झुक नही रही हो तो सोचा कि यू ही मज़े ले लू"

संगीता को सौरभ का लंड अपनी गान्ड की दरार पर महसूस हो रहा था.

"ह्म्म यही ठीक है तब तक मैं चाय बनाती हूँ" संगीता ने कहा.

सौरभ ने संगीता के आगे हाथ करके उसके नाडे को पकड़ लिया और बोला, "जब मज़े ही लेने हैं तो क्यों ना अच्छे से लिए जायें"
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#88
Tongue 
Update 32

 
"नही तुम्हारा दोस्त जाएगा रूको" संगीता गिड़गिडाई.

सौरभ ने एक झटके में संगीता का नाडा खोल दिया और उसकी सलवार नीचे सरका दी. उसने कोई पॅंटी नही पहनी थी इसलिए अब उसकी नंगी गान्ड सौरभ की आँखो के सामने थी.

"बहुत सुंदर गान्ड है आपकी" सौरभ ने कहा.

"धीरे बोलिए...आपके दोस्त से सुन लिया तो"

"सुन लेने तो आपकी तारीफ़ ही तो कर रहा हूँ" सौरभ ने कहा.

सौरभ ने संगीता की चूत में उंगली डाल दी.

"आअहह क्या डाल दिया तुमने." संगीता कराह उठी.

"उंगली डाली है बस अभी...तुम तो एकदम तैयार हो...खूब चिकनी हो रखी है तुम्हारी चूत."

सौरभ ने अपनी ज़िप खोली और अपने लंड को संगीता की नंगी गान्ड पर रगड़ने लगा.

संगीता को अपनी गान्ड पर बहुत भारी भरकम चीज़ महसूस हो रही थी. उस से रहा नही गया और उसने पीछे मूड कर सौरभ के लंड पर नज़र डाली.

"ओह माय गोद इट्स सो बिग" संगीता ने कहा.

"पसंद आया क्या?" सौरभ ने पूछा.

"मैने अब तक ऐसा पॉर्न मूवीस में ही देखा है" संगीता ने कहा.

"ह्म्म तो हक़ीकत में देख कर कैसा लग रहा है" सौरभ ने कहा.

"मुझे डर लग रहा है"

"हे..हे..हा..हा..अच्छा मज़ाक कर लेती हो चलो झुक जाओ" सौरभ ने कहा.

"मैं मज़ाक नही कर रही"

"डरो मत संगीता थोड़ा झुक जाओ..... कुछ नही होगा ट्रस्ट मे."

"तुम्हारा दोस्त गया तो" संगीता ने कहा.

"वो नही आएगा तुम चिंता मत करो झुक जाओ" सौरभ ने कहा.

संगीता सौरभ के आगे किचन की स्लॅब का सहारा ले कर झुक गयी. सौरभ ने देर ना करते हुए फ़ौरन अपना लंड उसकी चूत के होल पर रख दिया.

"अपनी टांगे खोल लो... लेने में आसानी होगी" सौरभ ने कहा.

संगीता ने अपनी टांगे खोल ली और सौरभ ने ज़ोर से अपने लंड को पूस किया.

"आआययईीीईईई मर गयी....दिस ईज़ टू बिग फॉर मे" संगीता कराह उठी.

संगीता की आवाज़ आशु को भी सुनाई दी.

"लगता है गुरु हो गया शुरू और मुझे खबर तक नही की" आशु ने कहा.

"टू बिग...हा..हा...हे...हे." सौरभ हस्ने लगा.

"तुम बात-बात पर हंसते क्यों हो मैं क्या मज़ाक कर रही हू क्या तुम्हे नही पता कि तुम्हारा कुछ ज़्यादा ही बड़ा है" संगीता ने कहा.

"मुझे पता है ये बड़ा है....वैसे ही तुम्हारी बात पर हंस रहा था आअहह" सौरभ ने बात करते करते पूरा का पूरा लंड संगीता की चूत में उतार दिया.

"उउउउय्य्य्य्यीईइ मा क्या अभी और भी बचा है." संगीता ने कहा.

"नही बस घुस गया पूरा...नाओ आय ऍम रेडी टू स्मॅश योर पुसी" सौरभ ने कहा.

"अभी तक क्या कर रहे थे....मी पुसी ईज़ स्मॅश्ड ऑलरेडी आहह"

"अभी तो शुरूवात है संगीता जी बहुत ज़ोर-ज़ोर से मारने वाला हूँ मैं आपकी"

"आअहह ऐसा मत कहो मुझ डर लग रहा है....उउउहह" संगीता कराहते हुए बोली.


सौरभ ने संगीता की छूट में लंड के धक्को की बरसात शुरू कर दी. संगीता की गान्ड को पकड़ कर वो बार-बार अपने मोटे लंड को संगीता की चूत में धकेल रहा था.
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#89
आशु से रहा नही गया और वो उठ कर किचन की और चल दिया. पर किचन के अंदर का नज़ारा देख कर वो दरवाजे पर ही रुक गया.


संगीता ने आशु को देख लिया पर वो सौरभ के धक्को में इतना खोई थी कि कुछ देर कुछ नही बोल पाई. अचानक वो बोली, "आअहह तुम्हारा दोस्त देख रहा है....उउउहह हटो"

"देख लेने दो बेचारे को इसने आज तक ब्लू फिल्म नही देखी" सौरभ ने आशु की तरफ आँख मार कर कहा.

आशु ने सौरभ की तरफ थंब्स-अप का इशारा किया और बोला, "लगे रहो गुरु"

"इस से कहो बीच में बोले मत मुझे वैसे ही शरम रही है आआहह हो सके तो इसे यहा से भेज दो" संगीता ने कहा.

"मूवी देखनी है तो चुपचाप देखो शोर क्यों मचाते हो" सौरभ ने आशु को फिर से आँख मार कर कहा.

आशु ने अपने मूह पर उंगली रख ली. संगीता ने उसकी तरफ देखा तो उसने गर्दन हिला कर इसारे में पूछा, 'अब ठीक है'

"स्टुपिड कही का आआहह" संगीता बड़बड़ाई.

सौरभ लगातार संगीता की चूत मारे जा रहा था और आशु खड़ा खड़ा खूब तमासा देख रहा था.

"आआहह फीनिस इट अप आआअहह" संगीता कराहते हुए बोली.

"अभी तो शुरूवात हुई है संगीता जी....आअहह" सौरभ ज़ोर-ज़ोर से अपने लंड को पूस करते हुए बोला.

"नहियीईई....आआआहह आय ऍम कमिंग" संगीता ने पहला ऑर्गॅज़म महसूस किया.

"लगता है खूब मज़े ले रही हो...आअहह" सौरभ ने कहा.

"उुउऊहह आअहह ओह ... फक" संगीता ने कहा.

सौरभ के धक्को की स्पीड अचानक बढ़ती चली गयी और स्पीड बढ़ते ही संगीता ने सीरीस ऑफ ऑर्गॅज़म को महसूस किया. सौरभ ने 
अचानक संगीता की गान्ड को ज़ोर से जाकड़ लिया और बहुत तेज धक्के मारते हुए उसने अपना पानी संगीता की चूत की गहराई में छोड़ दिया.

"आआहह इट वाज़ फॅंटॅस्टिक फक उऊहह" सौरभ ने संगीता की गान्ड को मसल्ते हुए कहा.

सौरभ कुछ देर तक यू ही संगीता की चूत में लंड डाले खड़ा रहा और आशु उन दोनो को आँखे फाडे देखता रहा.

आशु सोच रहा था, "मेरा नंबर कब आएगा."

जब संगीता का नशा उतरा तो उसे अहसास हुआ कि वो किस हालत में है. सौरभ अभी भी उसकी गान्ड पकड़े खड़ा था और उसका लंड किसी तरह से अभी भी संगीता की चूत में टीका हुआ था. आशु दरवाजे पर खड़ा मुस्कुरा रहा था.

"फिर कभी कॉकरोच सताए तो मुझे तुरंत कॉल करना मैं उसकी हड्डी पसली एक कर दूँगा" सौरभ ने कहा.

"तुमने अभी तो उस कॉकरोच को जाने दिया और मेरी हड्डी पसली एक कर दी...ना बाबा ना ऐसी मदद नही चाहिए मुझे" संगीता ने कहा.

कॉकरोच भी जैसे सब सुन रहा था. ना जाने कहा से निकला और फुर्ती से वापिस चीनी के डिब्बे पर चढ़ गया.

"अरे ये तो फिर से गया...शुउऊ शुउ" संगीता बोली.

"इस बार मैं मदद करूँगा...ये कॉकरोच बहुत शातिर है" आशु ने कहा.

सौरभ ने धीरे से संगीता की चूत से लंड बाहर खींच लिया और बोला,"हां-हां तुम सम्भालो खबीस कॉकरोच को"

जैसे ही सौरभ ने लंड बाहर निकाला संगीता ने अपनी सलवार उपर करके नाडा बाँध लिया.

"अरे ये क्या गजब कर रही हैं आप रहने दीजिए ना ये सलवार नीचे मेरी मदद भी तो देख लीजिए" आशु ने कहा.

"लगता है ये कॉकरोच तुम दोनो के साथ है...आज तक मैने इसे यहा नही देखा...जो भी हो अब ये नही बचेगा." संगीता ने अपने हाथ में अपनी चप्पल ले कर कहा.

संगीता ने कॉकरोच पर वार किया पर शरारती कॉकरोच चप्पल लगने से पहले ही वहां से रफू चक्कर हो गया. वो स्लॅब के नीचे कही घुस गया. संगीता हाथ में चप्पल लिए स्लॅब के आगे झुक कर कॉकरोच को ढूँढने लगी.

"ओफ क्या मजेदार झुकी है...इसी पोज़िशन में बस सलवार नीचे कर ले तो मज़ा जाए." आशु ने मन ही मन कहा.

आशु संगीता की गान्ड पर अपना तना हुआ लंड लगा कर सॅट गया और बोला,"मैं कुछ मदद करूँ"

"जी नही आपके दोस्त ने बहुत मदद कर ली हट जाओ मेरे पीछे से." संगीता ने कहा.

सौरभ ने आशु को पकड़ा और उसे खींच कर संगीता के पीछे से हटाया और उसके कान में बोला,"तुझे नही देगी ये चल निकलते हैं यहा से कही कुछ गड़बड़ हो जाए"

"गुरु प्लीज़ थोड़ा ट्राइ तो करने दो...तुम्हे मिल गयी तो मुझे भी मिल सकती है" आशु ने कहा.

"तुम दोनो अब जाओ यहा से...भैया वापिस आएँगे तो उन्हे मेसेज दे दूँगी अपना नाम और मोबायल नो बता दो." संगीता ने कहा.

"इसका मतलब हमे चाय नही मिलने वाली" आशु ने कहा.

संगीता ने गहरी साँस ली और बोली,"ठीक है बैठो 2 मिनट अभी लाती हूँ चाय"

"मैं आपके हाथो की चाय पी कर ही जाउन्गा" आशु ने कहा और सौरभ के साथ बाहर गया.
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#90
Tongue 
संगीता कुछ ही देर में चाय ले आई.


"मैं आपको कॉकरोच को हैंडल करने का बहुत अच्छा तरीका बताता हूँ" आशु ने कहा.

"हां बोलो क्या है?"

"जैसे ही आपको कॉकरोच दीखे उसे आप पकड़ लीजिए. अब उसे फार्स पर पीठ के बल लेटा दीजिए. फिर आप उंगली से उसके पेट में गुदगुदी कीजिए. कॉकरोच हँसे बिना नही रह पाएगा देर सबेर मूह खोलेगा ही. जैसे ही वो हँसने के लिए मूह खोले उसके मूह में फिनायल डाल दीजिए...वो तुरंत ढेर हो जाएगा."

"हा..हा..हा...हे..हे...क्या तरीका है...वाह मान गये." संगीता लॉट पॉट हो गयी.

"बहुत आजमाया हुआ तरीका है आप कहें तो अभी करके दीखा दू" आशु ने कहा.

"रहने दीजिए वो कॉकरोच बहुत शातिर है...बहुत अच्छे से जानती हूँ मैं उसे"

"आप तो कह रही थी कि आज ही देखा है आपने उसे" आशु ने कहा.

"मज़ाक कर रही थी...ये तो उसका रोज का काम है" संगीता ने कहा.

"मेरी तरह कौन आता है रोज मदद करने" सौरभ ने कहा.

"कोई नही मैं खुद उसे भगा देती हूँ" संगीता ने कहा.

"जो भी हो आपने मुझे मोका नही दिया आज" आशु ने कहा.

"मोका तो लेना पड़ता है दिया नही जाता." संगीता ने कहा.

आशु ने सौरभ की तरफ देखा और आँखो ही आँखो में पूछा, "क्या कहते हो गुरु ले लू मोका"

सौरभ ने आँखे झपका कर हां का इशारा किया.

आशु ने फ़ौरन आगे बढ़ कर संगीता को गोदी में उठा लिया.

"अरे क्या कर रहे हो?" संगीता ने कहा.

"मोका ले रहा हूँ...आपका बेडरूम कहा है" आशु ने कहा.

"फिर कभी मोका लेना तुम्हारे दोस्त ने वैसे ही बहुत थका रखा है" संगीता ने कहा.

"फिर कभी...फिर कभी ही रह जाता है...आज ही ठीक रहेगा" आशु ने कहा.

"नही ये भैया का कमरा है...मेरा बेडरूम उधर है" संगीता ने कहा.

"कोई बात नही इस में ही चलते हैं अब वेट नही हो रहा" आशु ने कहा.

आशु ने संगीता को बेड पर लेटा दिया और जल्दी से अपने कपड़े उतार दिए.

"ओह माय गोद " संगीता ने आशु के लंड को देखते हुए कहा.

"क्या हुआ?"

"इट्स ह्यूज" संगीता ने कहा.

आशु संगीता के उपर चढ़ गया और बोला,"कभी अनल किया है?"

"एक बार... क्यों पूछ रहे हो?...अगर तुम सोच रहे हो कि मैं इतना बड़ा वहां लूँगी तो भूल जाओ"

"मेरे दोस्त को चूत दी है तुमने मुझे कुछ अलग ही दोगि ना. क्या दोनो को एक ही गिफ्ट दोगि"

"बहुत खूब तुम दोनो दोस्त उस कॉकरोच से भी शातिर हो" संगीता ने कहा.


आशु ने संगीता के उपर के कपड़े फुर्ती से उतार दिए और उसके बूब्स मसल्ने लगा और बोला,"कॉकरोच का मुकाबला हम कहा कर सकते हैं 

वो तो सच में बहुत शातिर है. लगता है तुम्हारा आशिक है...बच के रहना कही गान्ड मार ले तुम्हारी"
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#91
Update 33

 
 
"आअहह माय बूब्स आर टेंडर डोंट स्क्वीज़ देम सो हार्ड" संगीता ने कहा.
 
"ओके...वैसे जवाब नही दिया आपने मेरी बात का....गान्ड दोगि कि नही" आशु ने संगीता की गर्दन को चूमते हुए कहा.
 
"यहा माँगे से कुछ नही मिलता मिस्टर सब लेना पड़ता है" संगीता ने कहा.
 
"बहुत अच्छी फिलॉसोफी है आपको मज़ा आएगा आपकी गान्ड लेने में" आशु ने कहा.
 
"पर क्या इतना बड़ा जाएगा वहां मैने सुना है कि अनल सेक्स में बड़ा साइज़ दिक्कत करता है." संगीता ने कहा.
 
"सब बकवास है ओफवाहॉ पर ध्यान नही दिया करते...मेरी एक फ़्रेंड है श्रद्धा बड़े आराम से ले लेती है वो मेरा अपनी गान्ड में...वैसे भी तुमने पहले कर ही रखा है"
 
"मेरे उस बॉय फ्रेंड का इतना बड़ा नही था...था तो ठीक ठाक पर ऐसा नही था." संगीता ने कहा.
 
"कोई बात नही आप बिलककुल चिंता मत करो आपकी गान्ड मेरे लंड के नीचे बिल्कुल सुरक्षित रहेगी"
 
आशु ने संगीता की सलवार उतार दी और उसे अपने नीचे घुमा कर पेट के बल लेटा दिया और उसके उपर लेट गया. आशु का लंड संगीता की गान्ड की दरार पर टकरा रहा था.
 
"आअहह आइ लाइक अनल" संगीता ने कहा.
 
"अच्छा फिर भी अभी तक एक बार ही गान्ड दी है" आशु ने पूछा.
 
"कोई ट्राइ करेगा तभी ना होगा ऐसे कैसे मुमकिन है" संगीता ने कहा.
 
आशु ने संगीता की गान्ड फैला कर उसके होल पर थूक लगा दिया और कुछ थूक अपने लंड पर भी रगड़ लिया.
 
"ओके मैं ट्राइ करने जा रहा हूँ रोकना मत मुझे. अगर आपको अनल पसंद है तो ये पूरा लंड आपको लेना पड़ेगा." आशु ने कहा.
 
"आइ विल ट्राइ माय बेस्ट....आअहह"
 
आशु ने लंड के अगले हिस्से को संगीता की गान्ड के छेद पर टिकाया और खुद को आगे की ओर पूस किया.
 
"ऊऊओह कीप इट स्लो." संगीता ने कहा.
 
"या या ओफ़कौरसे...." आशु ने कहा.
 
अभी लंड बाहर ही था. हल्के हल्के धक्को से काम नही बन रहा था.
 
"मुझे थोड़ा ज़ोर तो लगाना ही पड़ेगा...ये तो घुस ही नही रहा." आशु ने कहा.
 
"आर यू शुवर की तुम्हारी फ्रेंड ले लेती है इसे आराम से" संगीता ने कहा.
 
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#92
आशु ने ज़ोर का धक्का मारा और बोला,"उस से क्या फर्क पड़ता है आपकी गान्ड में तो इसे हर हाल में घुसना है"

 
"आआययईीीई मर गयी....आआहह"
 
आशु का आधा लंड संगीता की गान्ड में उतर जाता है.
 
"ये क्या किया जान निकाल दी मेरी"
 
"गान्ड में लंड घुसता नही घुस्साना पड़ता है...आपकी ही फिलॉसोफी ट्राइ कर रहा था."
 
"इट्स फीलिंग गुड...बस ये दर्द कम हो जाए" संगीता ने कहा.
 
आशु ने संगीता की गान्ड में आधा ही लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.
 
"आअहह मज़ा रहा है...कीप डूयिंग इट" संगीता ने कहा.
 
हर एक धक्के के साथ आशु का लंड संगीता की गान्ड में और गहरा उतरता चला गया.
 
"आअहह सेक्सी गान्ड है आपकी" आशु ने कहा.
 
आशु के आँड अब हर धक्के के साथ संगीता की गान्ड से से टकरा रहे थे.
 
"ओह माय गॉड आय ऍम फीलिंग योर बॉल्स क्या पूरा अंदर है अब" संगीता हैरानी में बोली.
 
"बिल्कुल आपकी गान्ड ने पूरा निगल लिया मेरे लंड को आअहह"
 
इधर सौरभ ड्रॉयिंग रूम में ही बैठा था.
 
"कितना वक्त लगा रहा है ये आशु...कही कुछ गड़बड़ ना हो जाए." सौरभ बड़बड़ाया.
 
अचानक सौरभ को घर के बाहर कार के रूकने की आवाज़ सुनाई दी. सौरभ ने खिड़की से झाँक कर देखा. "ओह नो ये तो परवीन ही लग रहा है"
 
सौरभ फ़ौरन वहां से बेडरूम की तरफ भागा. जब उसने बेडरूम का दरवाजा खोला तो हैरान रह गया. आशु संगीता के उपर लेता हुआ ताबड़तोड़ उसकी गान्ड में लंड घुमा रहा था.
 
"अच्छा गान्ड मारने में मगन हैं जनाब तभी कहु इतना टाइम क्यों लग रहा है."
 
सौरभ फ़ौरन अंदर आया और आशु के कंधे पर हाथ रखा.
 
आशु फ़ौरन रुक गया "..कौन है?"
 
संगीता ने भी मूड कर देखा, "क्यों डिस्टर्ब कर रहे हो"
 
सौरभ ने आशु के कान में कहा, "परवीन गया है...चल उठ जल्दी"
 
ये सुनते ही आशु ने खुद को तूफान मैल बना दिया और संगीता की गान्ड में ज़ोर ज़ोर से लंड घीसने लगा.
 
"बस थोड़ा सा टाइम और आआहह" आशु ने कहा.
 
"अबे मरवाएगा क्या...चल फिर कभी पूरा कर लेना बाकी का काम" सौरभ ने कहा.
 
"तुमने पूरा नही किया क्या अपना काम इसे भी पूरा कर लेने दो आआहह कीप डूयिंग इट आअहह" संगीता ने कहा.
 
"तेरा भाई गया है मेरी मा इसलिए बोल रहा हूँ" सौरभ ने कहा.
 
".....क्या हटो...रूको...हट जाओ आअहह" संगीता घबराई हुई बोली.
 
"आपने इतना साथ दिया बस थोड़ा और आआहह" आशु बोला.
 
"मेरे भाई ने देख लिया तो मेरी जान ले लेगा रुक जाओ बाद में जाना...आअहह"
 
तभी घर की बेल बज उठी.
 
"आअहह मुझे जाना होगा." संगीता ने कहा.
 
सौरभ ने आशु की पीठ पर एक मुक्का मारा,"आशु रुकते हो कि नही"
 
इत्तेफ़ाक से उसी वक्त आशु ने अपने वीर्य से संगीता की गान्ड को भर दिया.
 
आशु ने फ़ौरन कपड़े पहने. संगीता भी झट से कपड़े पहन कर तैयार हो गयी.
 
"तुम्हारे घर में कोई पीछे से रास्ता है क्या." सौरभ ने पूछा.
 
"हां है...पर क्या तुम भैया से नही मिलोगे" संगीता ने पूछा.
 
"अभी नही फिर कभी उन्हे कही शक ना हो जाए कि हमने तुम्हारी..." सौरभ ने कहा.
 
"ठीक है ठीक है जल्दी आओ मेरे साथ" संगीता ने कहा.
 
संगीता ने सौरभ और आशु को पीछले गेट से निकाल दिया. और ब्भाग कर वापिस कर दरवाजा खोला.
 
"क्या कर रही थी दरवाजा खोलने में इतनी देर क्यों लगा दी" परवीन ने पूछा.
 
"भैया मैं बाथरूम में थी सॉरी"
 
"ह्म्म पसीने क्यों रहे हैं तुम्हे जाओ पानी ले कर आओ"
 
"जी भैया अभी लाई"
 
"बॉल बॉल बच गयी..." संगीता ने किचन की ओर जाते हुए सोचा.
 
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#93
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"फोटो लाया कि नही या फिर मस्ती में सब भूल गया" सौरभ ने पूछा.
 
"लाया हूँ गुरु लाया हूँ ये देखो" आशु ने जेब से फोटो निकाल कर दीखाई.
 
"शूकर है"
 
"गुरु मेरी पीठ पर इतनी ज़ोर से मारने की क्या ज़रूरत थी"
 
"तू रुक ही नही रहा था...और क्या करता मैं"
 
आशु और सौरभ बाते करते हुए घर वापिस गये. आशु ने परवीन की फोटो अपर्णा को थमा दी.
 
अपर्णा ने फोटो को गौर से देखा
 
"यही है ना वो ?" आशु ने पूछा.
 
"नही ये वो नही है" अपर्णा ने गहरी साँस ले कर कहा.
 
"क्या? ऐसा कैसे हो सकता है पूजा तो कह रही थी कि यही कातिल है" आशु ने कहा.
 
सौरभ अपना सर पकड़ कर बैठ गया, "सारी मेहनत बेकार गयी"
 
कमरे में सन्नाटा हो गया. आशु कुछ देर तक तस्वीर को निहारता रहा
 
फिर उसने तस्वीर वापिस अपनी जेब में रख ली.
 
"फेंक दो इस तस्वीर को अब क्या करोगे इसका" सौरभ ने कहा.
 
"वापिस कर देंगे गुरु....अच्छा थोड़ी लगता है की किसी की तस्वीर चुरा कर डॅस्टबिन में फेंक दो"
 
अपर्णा हतास और निराश हो कर बेड पर बैठ गयी और किन्ही ख़यालो में खो गयी. उसके चेहरे पर चिंता और परेशानी साफ झलक रही थी. "क्या होगा अब?" अपर्णा ने कहा.
 
आशु ने सौरभ की तरफ देखा पर उसने भी अपना चेहरा अपने हाथो में छिपा लिया.
 
"आज गुरु पहली बार इतना परेशान लग रहा है" आशु ने सोचा.
 
तभी दरवाजे पर नॉक होती है.
 
"कौन हो सकता है" आशु ने कहा.
 
"दरवाजा खोलो और देख लो" सौरभ ने कहा.
 
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#94
Tongue 
आशु ने दरवाजा खोला. सामने पूजा खड़ी थी.

 
"पूजा तुम आओ...आओ" आशु ने कहा.
 
पूजा अंदर गयी और अपर्णा के पास बैठ गयी.
 
"क्या हुआ तुम सब खामोस क्यों हो" पूजा ने पूछा.
 
"जिसे तुम कातिल बता रही थी वो भी कातिल नही है" सौरभ ने कहा.
 
"क्या! ऐसा नही हो सकता" पूजा ने कहा.
 
"ऐसा ही है पूजा" अपर्णा ने कहा.
 
"सॉरी मैने तुम लोगो का वक्त बर्बाद किया" पूजा ने कहा.
 
"कोई बात नही इसी बहाने हमे आपका साथ मिल गया." सौरभ ने कहा.
 
पूजा ने सौरभ की तरफ देखा और बोली,"मैं अपर्णा का साथ दे रही हूँ ना कि तुम्हारा"
 
"बात तो एक ही है हम सब साथ हैं" सौरभ ने कहा.
 
"अपर्णा आय ऍम रियली सॉरी...मैं तो बस तुम्हारी मदद करना चाहती थी." पूजा ने अपर्णा के कंधे पर हाथ रख कर कहा.
 
"इट्स ओके पूजा...थॅंक्स फॉर योर लव एन्ड सपोर्ट" अपर्णा ने कहा.
 
"हां हां आपका लव और सपोर्ट हमे हमेशा याद रहेगा" सौरभ ने कहा.
 
"ये गुरु को क्या हो गया अभी तो मूह लटकाए बैठा था अभी पूजा से फ्लर्ट कर रहा है." आशु ने सोचा.
 
"अच्छा मैं चलती हूँ...मैं तो बस हाल चाल पूछने आई थी तुम्हारा" पूजा ने कहा और उठ कर चल दी.
 
"रूको मैं तुम्हे घर छोड़ देता हूँ" सौरभ ने कहा.
 
"जी नही उसकी कोई ज़रूरत नही है मैं चली जाउंगी" पूजा ने कहा और दरवाजा खोल कर बाहर निकल गयी.
 
सौरभ पूजा के मना करने के बावजूद उसके साथ चल दिया.
 
आशु कुण्डी लगा ले मैं अभी आता हूँ. आशु कुण्डी बंद करने लगा तो अपर्णा अचानक बोली,"नही खुली रहने दो उसे"
 
"क्यों क्या हुआ अपर्णा जी कुण्डी तो हमारी सुरक्षा के लिए है" आशु ने कहा.
 
"मैं तुम्हारे साथ इस बंद कमरे में नही रहूंगी समझे" अपर्णा ने कहा.
 
आशु ने दरवाजा बंद तो कर दिया पर कुण्डी नही लगाई.
 
"आपको मुझसे क्या डर है अपर्णा जी" आशु ने पूछा.
 
"मैं खूब जानती हूँ कि तुम किस फिराक में हो" अपर्णा ने कहा.
 
"मैं तो बस आपकी मदद कर रहा हूँ" आशु ने कहा.
 
अब अपर्णा कैसे बताए कि उसने सपने में क्या देखा था. वो तो सपने को हर हाल में टालना चाहती थी. आशु हैरान और परेशान हो रहा था की आख़िर अपर्णा ऐसा बिहेव क्यों कर रही है उसके साथ.
 
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#95
Heart 
Update 34

 
मैने कहा ना मैं चली जाउंगी मेरे पीछे मत पाडो" पूजा ने कहा.
 
"तुमसे ज़रूरी बात करनी थी" सौरभ ने कहा.
 
"मैं जानती हूँ तुम्हारी ज़रूरी बात, मेरा पीछा छोड़ दो मुझे तुम्हारे अंदर कोई इंटेरेस्ट नही है" पूजा ने कहा.
 
"तुम कैसे तैयार हो गयी ड्प के लिए हमसे तो बात भी करने को तैयार नही हो" सौरभ ने कहा.
 
"ड्प मतलब...मुझे कुछ समझ नही आया." पूजा ने कहा.
 
"ड्प मतलब डबल पेनेट्रेशन एक लंड चूत में और एक गान्ड में आया समझ अब. मैं तो हैरान हूँ कि तुमने ये सब किया."
 
पूजा के पाँव के नीचे से जैसे ज़मीन निकल गयी. वो हैरान थी कि आख़िर सौरभ को ये सब कैसे पता चल गया.
 
"तुम्हे किसने बताया ये सब?"
 
"उस से क्या फर्क पड़ता है ये सच है कि नही ये बताओ" सौरभ ने कहा.
 
"मैं तुम्हे क्यों बताउ कौन होते हो तुम ये सब पूछने वाले"
 
"मैं तुम्हारा आशिक हूँ और मैं जान-ना चाहता हूँ कि तुमने ये सब क्यों किया." सौरभ ने कहा.
 
"आइ वांटेड टू डिक्स अट दा सेम टाइम. आय ऍम स्लट एन्ड वन ईज़ नोट एनफ फॉर मी. इज़ देट फाइन वित यू...नाओ गेट दा हेल आउट ऑफ हियर"
 
"ये सच नही है...तुम्हारी कोई मजबूरी रही होगी" सौरभ ने कहा.
 
"उस से तुम्हे क्या लेना देना मुझे परेशान मत करो...लीव मी अलोन" पूजा ने कहा.
 
"देखो पूजा मेरा यकीन करो मैं सच में तुम्हे चाहने लगा हूँ और तुम्हारा भला चाहता हूँ. मुझे सारी बात बताओ मैं तुम्हारी मदद करूँगा"
 
"मुझे किसी की मदद की ज़रूरत नही है...अब मैं उस मुसीबत से निकल चुकी हूँ"
 
"क्या तुम्हे ब्लॅकमेल किया गया था?"
 
पूजा ने गहरी साँस ली और बोली, "हां...लेकिन अब मेरी बात ध्यान से सुनो...तुम बहुत अच्छा फ्लर्ट कर लेते हो...मुझे ये फ्लर्ट बिल्कुल पसंद नही"
 
"बट दिस ईज़ नोट फ्लर्ट.... ये मेरा प्यार है" सौरभ ने कहा.
 
"अच्छा कितनी लड़कियों को बोल चुके हो ये लाइन ये भी बता दो"
 
"तुम तीसरी हो"
 
"शूकर है तुमने सच तो बोला." पूजा ने कहा.
 
"पर उन दोनो के लिए मैं इतना पागल नही था जितना तुम्हारे लिए हूँ"
 
मेरा घर गया...अब तुम जाओ.
 
"मूवी देखने चलोगि मेरे साथ" सौरभ ने पूछा.
 
"ऑफ कोर्स नोट" पूजा ने कहा और अपने घर की तरफ चल दी.
 
सौरभ खड़ा खड़ा उसे जाते हुए देखता रहा. "असली मज़ा तो ऐसी लड़की को ठोकने का है बाकी सब तो बकवास है" सौरभ ने सोचा.
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#96
जैसे ही पूजा घर में घुसी श्रद्धा ने पूछा, "कहा रह गयी थी तू पूजा"

 
"दीदी मैं वो अपर्णा से मिलने गयी थी" पूजा ने कहा.
 
"अपर्णा को तुम कैसे जानती हो?"
 
"बस जानती हूँ दीदी"
 
"क्या आशु और सौरभ भी थे वहां"
 
"हां वो भी थे"
 
"देखो उन दोनो से बचके रहना उनकी बातो में मत आना."
 
"दीदी जो बाते मुझे सीखा रही हो अगर खुद भी सीख लो तो ज़्यादा अच्छा है मैं सब जानती हूँ कि आप क्या करती हैं"
 
"पूजा ये क्या कह रही हो?"
 
"आशु तो था ही तुम सौरभ के साथ भी ची"
 
"ये तुम्हे किसने बताया?"
 
"दीदी आप बस संभाल जाओ दुनिया ठीक नही है"
 
"मैं जानती हू पूजा पर तू मुझे ग़लत मत समझ"
 
"आप क्यों करती हैं फिर ऐसा?"
 
"पिता जी अभी तक नही आए" श्रद्धा ने कहा.
 
"उनका फोन आया था उनकी ट्रेन रद्द हो गयी अब वो अगले हफ्ते ही आएँगे" पूजा ने कहा.
 
"मुझे बता तो देती मैं यू ही परेशान हो रही हूँ"
 
"आप बात टाल रही हो दीदी"
 
"ठीक है तू खाना खा ले बाद में बात करते हैं" श्रद्धा ने कहा.
 
एक और रात घिर आई थी और शहर में सन्नाटा छाने लगा था. हर कोई यही सोच रहा था कि क्या आज की रात भी कोई हादसा होगा. सब यही दुवा कर रहे थे की किलर जल्दी पकड़ा जाए और शहर में शांति आए.
 
श्रद्धा और पूजा बिस्तर लगा कर लेट चुके हैं.
 
"दीदी पिछली दो रात तुम कहा थी" पूजा ने पूछा.
 
"देख पूजा तू मेरे मामले में ज़्यादा टाँग मत अड़ा समझी तू कॉलेज जाती है क्या तू मस्ती नही करती"
 
तभी पूजा की आँखो के सामने वो सभी सीन घूम गये जो उसने विक्की के साथ बिताए थे. विक्की से मिलने के लिए उसने काई बार कॉलेज भी बंक किया था.
 
"क्या हुआ चुप क्यों हो गयी" श्रद्धा ने पूछा.
 
पूजा की आँखो में आँसू उतर आए. वो प्यार में खाए धोके को लेकर भावुक हो गयी.
 
श्रद्धा पूजा की आँखो में आँसू देख कर फ़ौरन अपने बिस्तर से उठ कर पूजा के पास गयी.
 
"अरे क्या हुआ तू तो बुरा मान गयी मैं तो यू ही कह रही थी. क्या मुझे नही पता कि तू दोनो साल फर्स्ट आई थी कॉलेज में"
 
"हां पर आपकी बात सच भी थी...मैं एक लड़के के झुटे प्यार में पड़ गयी थी."
 
"तो क्या हुआ झूठा प्यार ही तो था कुछ ऐसा वैसा तो नही हुआ ना"
 
पूजा ने श्रद्धा की आँखो में देखा. श्रद्धा समझ गयी.
 
"चल कोई बात नही?"
 
"पर आप तो कमाल कर रही हैं दीदी ऐसा कोई करता है क्या जैसा आप कर रही हैं"
 
"तू मेरी चिंता मत कर आगे से ध्यान रखना कही फिर कोई मजनू बन कर तुम्हारी ले ले हे हे"
 
"मैं दुबारा प्यार के चक्कर में नही पड़ूँगी...पर आप ये बताओ क्या सौरभ ने भी आपके साथ"
 
"हां एक बार...बहुत मोटा है उसका."
 
"ची आप भी ना कैसी बाते करती हैं."
 
"अब जब मुद्दा छिड़ ही गया है तो साफ-साफ बात करनी चाहिए...तू अपनी कहानी सुना मैं अपनी सुनाती हूँ" श्रद्धा ने कहा.
 
"नही मेरी कोई लंबी चौड़ी कहानी नही है...और ना ही मैं सुनाना चाहती हूँ"
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#97
Wink 
"मुझे पता था कि कोई ना कोई तेरी ज़रूर ले रहा है बड़ी साज धज के जाती थी तू कॉलेज हा"

 
"दीदी ऐसी बाते मत करो मुझे वो दिन याद मत दिलाओ."
 
"अच्छा मेरी कहानी सुनेगी."
 
"बिल्कुल भी नही जाओ सो जाओ."
 
पर श्रद्धा कहा मान-ने वाली थी उसने कहानी सुनानी शुरू कर दी.
 
(तुझे याद होगा मैं 3 साल पहले बापू के साथ देल्ही गयी थी शादी में. वहां शादी में एक अंकल मेरे पीछे पड़ गया. हर वक्त मुझे घूरता रहता था. काई बार उसने मुझसे बेवजह बात भी करने की कोशिश की. पर मैं बिना कोई जवाब दिए निकल लेती थी. पर वो तो जैसे मेरे पीछे ही पड़ा था. जहा भी जाओ वही जाता था. मैं तंग कर शादी के माहौल को छोड़ कर जिनके यहा हम गये थे उनके घर की छत पर गयी. बापू अपने दोस्तो में व्यस्त थे. पर उस अंकल ने वहां भी मेरा पीछा नही छ्चोड़ा. मेरे पीछे पीछे वही गया. शाम का वक्त था छत पर कोई नही था. मैने सोचा की मैं तो बुरी तरह फँस गयी. मैं मूड कर वापिस जाने लगी.
 
अंकल ने मुझे पीछे से आवाज़ दी, "बेटा आप मुझसे डर क्यों रहे हो."
 
"एक तो मुझे बेटा कहते हो और उपर से मुझ पर ग़लत नज़र रखते हो शरम नही आती आपको"
 
अंकल मेरे पास आया और बोला,"बेटा ऐसी बात नही है...मैं तो तुझे तुझे अपने बेटे की बहू बनाना चाहता हूँ. अब शादी के लिए बहू को तो अच्छे से देखना ही पड़ता है ना."
 
मुझे बात कुछ अटपटी सी तो लगी पर फिर भी मैने ना जाने क्यों मान ली.
 
"मुझे अभी शादी नही करनी अंकल"
 
"कोई बात नही बेटा अभी सगाई कर लो शादी बाद में कर लेना. मेरा बेटा बिल्कुल मेरे जैसा ही है" अंकल ने कहा.
 
"वो सब ठीक है पर मेरा कोई इरादा नही अभी"
 
"अभी तक कुँवारी हो क्या."
 
"क्यों आपको क्या लेना देना"
 
"तभी बोल रही हो जिसे गरम बिस्तर मिल जाता है वो शादी से मना नही करता"
 
"गरम बिस्तर?"
 
"आदमी का लंड देखा है तूने कभी"
 
मैं तो वहां से भाग खड़ी हुई और वापिस शादी की भीड़ में शामिल हो गयी. पर अंकल फिर मेरे पीछे पीछे. थक कर मैने पूछ ही लिया "क्या चाहिए आपको?"
 
"तुम्हारी चूत चाहिए.... दोगि क्या?" अंकल ने जवाब दिया.
 
मुझे समझ नही आया की क्या जवाब दू अंकल को. मैं चुप ही रही.
 
अंकल ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला, "चल मेरे साथ शर्मा मत तुझे बहुत मज़ा आएगा."
 
मैने पूछा, "आप तो कह रहे थे कि आप मुझे अपने बेटे के लिए देख रहे है अब ये सब क्या है"
 
"मैं मज़ाक कर रहा था चल आजा शर्मा मत"
 
मुझ पर ना जाने क्या जादू किया अंकल ने मैं उनके साथ चल दी.
 
"छत ही ठीक रहेगी क्यों क्या कहती हो" अंकल ने कहा.
 
मुझे तो कुछ समझ नही रहा था कि क्या कहु. अंकल वापिस मुझे उसी छत पर ले आया.
 
अंकल ने छत पर आते ही अपना लंड बाहर निकाल लिया और मेरे हाथ में रख दिया. पहली बार मेरे हाथ में लंड था. मैं हैरानी मे उसे हर तरफ छू कर देख रही थी.
 
अंकल ने मेरा नाडा खोल दिया और बोला, "चल जल्दी से काम ख़तम करते हैं कही कोई जाए."
 
मुझे क्या पता था कि काम क्या है और कैसे होगा मैं तो अपने हाथ में लंड पा कर ही खुश थी. अंकल ने मुझे घुमा कर अपने आगे झुका दिया और बोला, "सच बता कुँवारी है क्या तू."
 
"हां" मैने कहा.
 
"तब तो बहुत मज़ा आएगा"
 
अंकल ने मेरी चूत पर थूक लगाया और लंड घुस्सा दिया. लंड आशु के जितना बड़ा तो नही था फिर भी बहुत दर्द हुआ. पहली बार जो ले रही थी.
 
मेरे मूह से चीख ना निकले इसलिए उसने मेरे मूह पर हाथ रख लिया था और पूरे ज़ोर से मेरी चूत में लंड डाल दिया था. दर्द तो बहुत हुआ पर मैने अंकल को रोका नही. थोड़ी ही देर में मज़ा भी आने लगा. अंकल मेरी चुचियों को पकड़ कर मेरी चूत में बार बार लंड के धक्के मार रहा था और मेरी सिसकिया निकल रही थी. कोई 10 मिनट तक वो मेरी चूत में लंड घुमाता रहा फिर अचानक रुक गया. मुझे मेरी चूत में गरम गरम महसूस हुआ. उसने अपना सारा पानी मेरी चूत में डाल दिया था.
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#98
Update 35

 
 
मैं दो दिन देल्ही रही और अंकल ने मेरी चार बार ली. उसके बाद मुझे बार इच्छा होने लगी. फिर मेरा टांका दिनेश से भीड़ गया. उसके बाद आशु मिल गया. आशु के साथ कैसे हुआ वो बड़ी मज़ेदार कहानी है सुनोगी क्या?
 
श्रद्धा ने ध्यान से देखा तो पाया कि पूजा सो चुकी है.
 
"ये भी अपर्णा जैसी है मेरी बातो में कोई रूचि नही लेती हा...और ना अपनी बताती है."
 
श्रद्धा ने घड़ी में देखा की रात के 10 बज चुके थे.
 
बाहर कुत्तो के भोंकने की आवाज़ से श्रद्धा सहम गयी.
 
"कही वो यही कही तो नही घूम रहा." श्रद्धा ने सोचा.
 
"ओफ पहले पता होता की आज बापू नही रहे तो आशु के साथ कोई प्रोग्राम बना लेती आज की रात बेकार जाएगी."
 
अचानक श्रद्धा को घर के बाहर कुछ हलचल सुनाई देती है. वो लाइट बंद करके खिड़की से बाहर झाँक कर देखती है.
 
"ये भोलू यहा क्या कर रहा है?" श्रद्धा ने सोचा.
 
मुझे तो ये भोलू ही कातिल लगता है. आशु और सौरभ को बेवकूफ़ बनाया है इसने. पर ये इस वक्त मेरे घर के बाहर क्या कर रहा है." श्रद्धा ने सोचा.
 
बाहर सन्नाटा फैला था और कुत्ते बार बार भोंक रहे थे. भोलू श्रद्धा के घर के बाहर खड़ा था.
 
"आख़िर ये चाहता क्या है, क्यों खड़ा है मेरे घर के बाहर"
 
श्रद्धा भोलू पर बराबर नज़र रखे हुए थी. अचानक भोलू वहां से चल दिया.
 
"कहा जा रहा है ये, इसका घर तो उस तरफ है" श्रद्धा सोच में डूब गयी.
 
कुछ देर तक श्रद्धा खिड़की पर खड़ी खड़ी बाहर झाँकति रही. जब उसे कुछ नज़र नही आया तो वापिस अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी.
 
"कुछ तो गड़बड़ है भोलू के साथ.....कामीने ने मेरी गान्ड ले ली. पर इस बात का शूकर है की मेरी जान तो नही ली. आशु को आज की बात बताउन्गि. पर वो खड़ा ही तो था मेरे घर के बाहर...कही वो मेरे चक्कर में तो यहा नही था. नही नही पर आज मैं उसके साथ नही जाती बड़ी चालाकी से गान्ड मारता है....ओफ पर मेरी रात तो बेकार जा रही है" श्रद्धा पड़े पड़े कुछ ना कुछ सोचे जा रही है.
 
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#99
Rainbow 
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"ये गुरु कहाँ रह गया...10 बज चुके हैं." आशु ने कहा.
 
अपर्णा अपने ही ख़यालो में खोई थी. उसने कोई रिक्ट नही किया.
 
"अपर्णा जी आप खाना खाओ ना कब तक आप यू ही चुपचाप बैठी रहेंगी."
 
"मुझे भूक नही है तुम खा लो"
 
"आपके बिना नही खाउन्गा मैं"
 
अपर्णा ने आशु की तरफ देखा और बोली,"मुझे भूक नही है कहा ना"
 
"थोड़ा तो ले लीजिए ऐसा कैसे चलेगा...आज भूक क्यों नही है"
 
"मुझे अब पोलीस में जा कर सारी सच्चाई बता देनी चाहिए"
 
"बात तो ठीक है मैं आपके साथ हूँ...पर इस से कुछ हाँसिल नही होगा. आपको पकड़ कर बंद कर दिया जाएगा और केस क्लोज़ कर दिया जाएगा."
 
"तो मैं क्या करूँ यही पड़ी रहू सारी उमर"
 
"मुझ पर यकीन रखिए मैं हू ना. मैं उसी इनस्पेक्टर के साथ हूँ जो इस केस को हैंडल कर रहा है"
 
"तुम्हारा गुरु कहा है?"
 
"पता नही पूजा को छोड़ने गया था...ना जाने कहा रह गया"
 
तभी आशु का मोबायल बज उठा. आशु ने फोन उठाया और सुन कर रख दिया.
 
"गुरु घर नही आएगा आज" आशु ने कहा.
 
"क्यों क्या हुआ?"
 
"अपने किसी दोस्त के साथ बैठा पी रहा है."
 
"बहुत बढ़िया मुझे मुसीबत में फँसा के जनाब दारू पी रहे हैं"
 
"आप कुछ खाओ ना" आशु ने कहा.
 
आशु के इतना कहने के बाद थोड़ा खा लेती है. आशु भी खा लेता है.
 
"कल रात सुरिंदर के साथ कोई लड़की थी. उसे ढूँढना पड़ेगा. हो सकता है उसे कुछ पता हो के बारे में"
 
"वो वहां क्या कर रही थी." अपर्णा ने पूछा.
 
"बेडरूम का बिस्तर उथल पुथल था और...."
 
"बस बस समझ गयी" अपर्णा ने आशु को टोक दिया.
 
"अभी उस लड़की का कुछ आता पता नही लेकिन उम्मीद है की जल्दी पता चल जाएगा."
 
"ह्म....ठीक है आशु तुम अब जाओ...मुझे नींद रही है"
 
"मैं आपको अकेला छोड़ कर नही जाउन्गा"
 
"नही तुम जाओ मुझे अकेला छोड़ दो" अपर्णा बोल ही रही थी कि उसके सर से अचानक कुछ टकराया.
 
"आअहह" अपर्णा दर्द से कराह उठी
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आशु ने ध्यान से देखा तो पाया कि अपर्णा के पैरो में काग़ज़ में लिपटा एक पत्थर पड़ा था. आशु ने फ़ौरन उसे उठाया और काग़ज़ को पत्थर से अलग करके पत्थर एक तरफ फेंक दिया. आशु ने काग़ज़ फैलाया. उस पर लिखा था "यू कैन रन बट यू कैन नेवेर हाइड"

 
आशु ने काग़ज़ अपर्णा को दिया और फ़ौरन बाहर आकर देखा. कुत्ते ज़ोर ज़ोर से भोंक रहे थे और चारो तरफ सन्नाटा था. आशु को कुछ दीखाई नही दिया.
 
अपर्णा ने काग़ज़ पर लिखे शब्द पढ़े तो वो थर थर काँपने लगी. रौ दरवाजा बंद करके वापिस अंदर गया. थोड़ा वो भी डरा हुआ था.
 
"उस रात जंगल में वो चिल्ला चिल्ला कर यही बोल रहा था जो इस काग़ज़ पर लिखा है" अपर्णा ने कहा.
 
आशु ने फ़ौरन खिड़की बंद की और बोला,"उफ्फ वो कॅटा भी नही है आज...गुरु को भी आज ही पीनी थी"
 
"अरे आपके सर से तो खून निकल आया है" आशु ने कहा.
 
अपर्णा ने सर पर हाथ रखा तो उसकी उंगली पर खून की कुछ बूंदे लग गयी.
 
आशु ने फोन निकाला और इनस्पेक्टर चौहान को फोन लगाया. पर उनका नंबर नही मिला. फिर उसने सब इनस्पेक्टर विजय को फोन किया. उन्होने फोन नही उठाया.
 
"उफ्फ कैसे पोलीस वाले हैं ये...कोई भी एमर्जेन्सी हो ये नही मिलेंगे" आशु बड़बड़ाया.
 
हार कर आशु ने सौरभ को फोन किया. पर नशे की हालत में उसने भी फोन नही उठाया.
 
"सब के सब निक्कममे हैं मुझे ही कुछ करना होगा." आशु ने कहा और कुण्डी खोलने लगा.
 
"क्या कर रहे हो बाहर मत जाओ...वो बहुत ख़तरनाक है" अपर्णा ने कहा.
 
आशु रुक गया और बोला, "पर उसे पकड़ने को अच्छा मोका था."
 
अपर्णा जी यहा कुछ नही है सर पे लगाने को आप ऐसा करो थोड़ा ठंडा पानी डाल लो चोट पर खून बंद हो जाएगा."
 
"कोई बात नही खून बंद हो चुका है मामूली सी चोट है ठीक हो जाएगी"
 
"अपर्णा जी आप की जगह कोई और होता तो ना जाने क्या हाल होता उसका. आप बड़ी बहादुरी से सब सह रही हो"
 
"बस बस मक्खन मत लगाओ मैं जानती हूँ तुम क्या कोशिश कर रहे हो"
 
"आप ऐसा क्यों बोलती हैं मुझे...मैं तो बस..."
 
"उसे पता है की मैं यहा हूँ" अपर्णा ने कहा.
 
"शायद"
 
"शायद नही...उसे पता है वरना वो ये पत्थर क्यों फेंकता"
 
"श्रद्धा के पीछे आया था वह कल यहा...हो सकता है वो उसके पीछे हो. कल आपको उसने नही पहचाना होगा. आज तो वो खिड़की के पास आया ही नही बस पत्थर फेंका है दूर से."
 
"हां पर ये तुम्हारा अंदाज़ा है...मैं एक पल भी यहा नही रुकूंगी मैं इसी वक्त घर जा रही हूँ"
 
"ये आप क्या कह रही हैं...ये वक्त कही आने जाने का नही है"
 
"तो क्या करूँ इस कमरे में बैठे बैठे अपनी किस्मत को रोती रहूं...मुझे अब यहा से जाना ही होगा."
 
"अपर्णा जी आप समझ नही रही हैं वो बाहर ही कही है" आशु ने कहा.
 
"तुम भी नही समझ रहे हो मेरा यहा रहना भी ठीक नही है"
 
"मैं समझ रहा हूँ पर...एक मिनट"
 
"क्या हुआ" अपर्णा ने पूछा.
 
"एक काम हो सकता है"
 
"क्या?"
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