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शिल्पा हैरान रह गई। क्योंकी वो डेली रवी के कमरे का दरवाजा बंद करती थी, तो वो हमेशा सोया हुआ होता था। शिल्पा डर के मारे काँपने लगी। वो सोच रही थी की रवी जाने क्या सोच रहा होगा की वो इतनी रात को यहाँ क्या कर रही है? इसी खौफ की वजह से वो दरवाजे को बंद करके जाने की सोच ही रही थी।
तभी रवी ने उसकी तरफ देखते हुए लड़खड़ाती आवाज में कहा- “शिल्पा तुम इस वक़्त यहाँ क्या कर रही हो?”
शिल्पा ने काँपते हुए कहा- “रवी, मैं ठाकुर साहब से पैसे लेने आई, थी क्योंकी बापू की तबीयत ठीक नहीं है...”
शिल्पा की बात सुनकर रवी ने कहा- “दरवाजा बंद करके अंदर आ जाओ, मुझे सिर में दर्द है थोड़ा सा दबा दो...”
शिल्पा रवी की बात सुनकर दरवाजा बंद करते हुए अंदर आ गई और रवी के पास बेड पर बैठते हुए उसका सिर दबाने लगी। रवी बड़े गौर से शिल्पा को घूर रहा था। नाइटगाउन पहनने की वजह से और कुछ तो नहीं पर उसकी चिकनी टाँगें रवी को नजर आ रही थी।
शिल्पा ने कुछ देर बाद रवी से कहा- “छोटे ठाकुर, बाबूजी मेरा इंतजार कर रहे होंगे। मैं जाऊँ?”
रवी ने गुस्से से कहा- “तुम्हें इतनी जल्दी है क्या? नीचे बैठकर मेरी टाँगों को दबाओ, मुझे जब नींद आ जाए तो तुम चली जाना...”
शिल्पा चुप होकर वहाँ से उठते हुए नीचे जाकर बैठ गई और रवी के टाँगों से कंबल को ऊपर करते हुए उसकी टाँगों को दबाने लगी। शिल्पा को रवी की टाँगें दबाते हुए अपने पूरे शरीर में गुदगुदी हो रही थी क्योंकी रवी के जिश्म को शिल्पा ने कभी नहीं छुआ था।
रवी ने शिल्पा से कहा- “ऊपर टीक से बैठो और मेरी टाँगों को थोड़ा ऊपर दबाओ जांघों के पास...”
शिल्पा रवी की बात सुनकर बेड पर चढ़कर बैठ गई, और कंबल को और ऊपर करने लगी। रवी का कंबल ऊपर करते हुए अचानक शिल्पा का नाइटगाउन आगे से थोड़ा खुल गया। शिल्पा ने जल्दी से उसे ठीक कर दिया। मगर रवी की नजर तब तक शिल्पा की ढीली ब्रा में कैद बड़ी-बड़ी चूचियों का दीदार कर चुकी थी। रवी का लण्ड जो पहले से तना हुआ था अब बहुत जोर से कंबल पर ठोकरें मारने लगा। रवी ने अपने कंबल को अपने हाथों से खींचकर बहुत ऊपर कर दिया। रवी की पूरी टाँगें नंगी शिल्पा के सामने थीं। रवी का लण्ड अब भी कंबल में था।
रवी ने शिल्पा से अपनी जाँघ पर हाथ रखते हुए कहा- “यहाँ दबाओ...”
शिल्पा ऊपर होते हुए अपना हाथ रवी की जाँघ पर रखकर उसे दबाने लगी।
शिल्पा का नरम हाथ अपनी जाँघ पर पड़ते ही रवी के मुँह से “आहह्ह..” निकल गया।
शिल्पा ने रवी से कहा- “क्या हुआ छोटे मालिक?”
रवी ने कहा- “कुछ नहीं, बहुत दर्द है। वहां पर तुम दबाती रहो...”
शिल्पा रवी की बात सुनकर उसकी जाँघों को फिर से दबाने लगी। शिल्पा आज दिल ही दिल में बहुत खुश थी। क्योंकी उसका प्यार और उसका बिछाया हुआ जाल कामयाब हो रहा था। ठाकुर तो पहले से शिल्पा के काबू में था, मगर आज जानबूझ कर ठाकुर के कमरे का दरवाजा बंद ना करके शिल्पा ने रवी को भी अपने जाल में लाने की साजिश की थी, जो कामयाब हो गई थी। शिल्पा का नाइटगाउन फिर से आगे से खुल चुका था, मगर इस बार उसने उसे बंद नहीं किया और ऐसे ही रवी की जांघों को सहलाती रही।
रवी की नजर शिल्पा की चूचियों पर टिक गई थी।
शिल्पा दिल ही दिल में अपने प्लान की कामयाबी पर मुश्कुराते हुए खुश हो रही थी। शिल्पा ने नाइटगाउन सिर्फ अपने प्लान को कामयाब बनाने के लिए पहना था। अचानक शिल्पा ने रवी की जाँघ को सहलाते हुए अपना हाथ थोड़ा ऊपर करते हुए उसके लण्ड को अपने हाथों से दबा दिया, और जल्दी से अपना हाथ वहाँ से हटाते हुए नीचे कर दिया।
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रवी शिल्पा का हाथ अपने लण्ड पर लगाते ही पूरा काँप उठा। उससे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, इसलिए उसने अपना कंबल अपने जिम से अलग करते हुए शिल्पा को बाहों से पकड़ते हुए अपने ऊपर गिरा लिया। शिल्पा का नाइटगाउन आगे से खुला होने के कारण उसकी चूचियां सीधी रवी के बालों से भरे जवान सीने में दब गई और उसका तना हुआ लण्ड शिल्पा को अपनी चूत पर दबता हुआ महसूस हुआ। ।
शिल्पा के मुँह से “आह्ह्ह..” निकल गई, मगर वो अपने आपको संभालते हुए रवी के ऊपर से उठने लगी।
मगर रवी ने शिल्पा को अपनी बाहों से काबू कर लिया और अपने होंठों से उसके कंधे को चूमने लगा।
शिल्पा ने नाटक करते हुए कहा- “छोटे मालिक मुझे छोड़ दीजिये, मैं यह सब नहीं कर सकती। यह पाप है...”
रवी ने नशे में ही उसके कंधे को चूमते हुए कहा- “थोड़ी देर पहले तो तुम बापूजी से यही करवा रही थी, और अब नाटक कर रही हो..."
शिल्पा ने छटपटाते हुये कहा- “हाँ। मैं ठाकुर साहब से यह सब करा रही थी, क्योंकी मैं उनसे प्यार करती हूँ। मगर मैं तुम्हारे साथ यह नहीं कर सकती...”
रवी को नशे में सिर्फ एक जवान जिश्म नजर आ रहा था। इसलिए रवी ने शिल्पा से कहा- “अगर चुपचाप मेरासाथ नहीं देगी, तो तुझे सारे गाँव में बदनाम कर दूंगा की तुम मेरे बापू की रखैल हो...”
रवी की बात सुनकर शिल्पा ने छटपटाना छोड़ दिया और मन ही मन में खुश होने लगी की आज उसका प्लान कामयाब हो चुका था। अब वो ठाकुर से बदला ले सकती थी, अपने सारे जख़्मों का।
रवी ने शिल्पा के ढीला पड़ जाने के बाद अपने ऊपर से उठाते हुए उसका नाइटगाउन उतार दिया और बेड पर सीधा लेटते हुए उसके ऊपर चढ़ गया। रवी शिल्पा के ऊपर चढ़ते हुए उसकी दोनों आधी नंगी चूचियों को गौर से देखने लगा, उनके ऊपर से ढीली ब्रा को नीचे सरका दिया। रवी शिल्पा की 38" इंच की चूचियां देखकर पागल हो गया, वो अपने दोनों हाथों से शिल्पा की दोनों बड़ी-बड़ी चूचियों को मसलने लगा। रवी शिल्पा की दोनों चूचियों । को मसलते हुए अपने होंठ नीचे करते हुए शिल्पा के होंठों पर रख दिए।
रवी के होंठ अपने होंठों पर पड़ते ही शिल्पा को उल्टी आने लगी, क्योंकी रवी के मुँह से उसे बहुत बदबू आ रही थी। रवी शिल्पा के होंठों को चूसते हुए अपने हाथों से उसकी चूचियों के दाने को मसलने लगा। शिल्पा को रवी का लण्ड अपनी चूत पर कच्छी के ऊपर से ठोकरें मार रहा था, इसलिए वो भी गरम होने लगी थी। मगर इतनी जल्दी वो रवी के सामने अपने आपको जाहिर करना नहीं चाहती थी।
रवी ने शिल्पा का रेस्पान्स ना पाकर उसके होंठों को छोड़ दिया। रवी शिल्पा के कंधे को चूमते हुए उसकी चूचियों तक आ गया। कुछ देर तक वो शिल्पा की दोनों चूचियों को ऊपर से चाटने के बाद उसकी एक चूची के दाने को अपने मुँह में ले लिया।
ना चाहते हुए भी शिल्पा के मुँह से “आह्ह्ह... ओह...” की सिसकी निकल गई।
रवी शिल्पा की सिसकी सुनकर जोश में आते हुए उसकी एक चूची के दाने को जोर से चूसते हुए उसकी दूसरी चूची के दाने को अपने हाथ से सहलाने लगा। शिल्पा के मुँह से अब जोर-जोर की सिसकियां निकल रही थीं और उसने अपने चूतड़ रवी के लण्ड पर उछालते हुए अपने हाथ उसके बालों में डाल दिए।
रवी अब शिल्पा की पूरी चूची को पूरा अपने मुँह में भरकर चूस रहा था। वो शिल्पा की दोनों चूचियों को बारीबारी अपने मुँह में लेकर चूस रहा था और शिल्पा के हाथ अब मजे से रवी के बालों में फिर रहे थे। रवी शिल्पा की दोनों चूचियों को जी भरकर चूसने के बाद ऊपर होते हुए अपने होंठ फिर से उसके होंठों पर रख दिए। शिल्पा अब बहुत गरम हो चुकी थी रवी के होंठ अपने होंठों पर पड़ते ही वो मजे से तड़प उठी। शिल्पा ने रवी के होंठों को चूसना शुरू कर दिया और दोनों एक दूसरे के होंठ चूसते हुए एक अनोखे मजे की दुनियां में खो गये।
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शिल्पा रवी को इतना मजा देना चाहती थी की वो आज की रात को अपनी गलती समझकर भूल ना सके। इसलिए उसने रवी के मुँह को खोलते हुए उसकी जीभ को अपने मुँह में भर लिया और उसे अपने होंठों से बहुत जोर-जोर से चूसने लगी। रवी का पूरा जिश्म शिल्पा की इस हरकत से काँप उठा और उसका लण्ड और ज्यादा फूलकर ठुमके मारने लगा। शिल्पा ने कुछ देर तक रवी की जीभ को चाटने के बाद अपनी जीभ को उसके मुँह में डाल दिया।
रवी से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था उसे ऐसा महसूस हो रहा था की अगर उसने जल्दी से अपने लण्ड का कुछ नहीं किया तो वो फट जाएगा। रवी शिल्पा की जीभ को चाटते हुए अपने लण्ड को उसकी कच्छी पर रगड़ने लगा।
शिल्पा ने रवी को अपने ऊपर से हटाते हुए सीधा लेटा दिया और उसके स्प्रिंग की तरह उछलते हुए 8 इंच लंबे और 3 इंच मोटे लण्ड को गौर से देखते हुए अपने हाथ से पकड़ लिया। रवी का लण्ड अपने हाथ में पकड़ते ही शिल्पा का पूरा जिश्म सिहर उठा, क्योंकी रवी का लण्ड बहुत ज्यादा गरम और कड़क था। शिल्पा ने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था की किसी का लण्ड इतना ज्यादा गरम हो सकता है। शिल्पा ने नीचे झुकते हुए रवी के लण्ड के गुलाबी सुपाड़े को चूम लिया।
रवी अपने लण्ड पर नरम नरम होंठों के अहसास के साथ मजे से “आहह्ह...” कर उठा। रवी का लण्ड इतना तना हुआ था की उसके सुपाड़े से चमड़ी खिंची हुई थी और उसके लण्ड का सुपाड़ा आगे से टमाटर की तरह लाल नजर आ रहा था। शिल्पा अपने हाथों से रवी के लण्ड को सहलाते हुए अपनी जीभ निकालकर उसे ऊपर से नीचे तक चाटने लगी।
शिल्पा की जीभ अपने कड़क लण्ड पर पड़ते ही रवी ने “आह्ह्ह...” करके सिसकते हुए उसके घने बालों में अपने हाथ डाल दिये। रवी के लण्ड से उत्तेजना में वीर्य की कुछ बूंदें निकलने लगीं। शिल्पा रवी के लण्ड के छेद से। निकलती हुई बूंदों को देखकर अपनी जीभ ऊपर करते हुए रवी के लण्ड के छेद पर रख दिया। शिल्पा अपनी जीभ से रवी के लण्ड के छेद से निकलती हुई वीर्य की बूंदों को चाटने लगी।
शिल्पा की इस हरकत से रवी पूरा काँप उठा और उसके लण्ड से और ज्यादा वीर्य की बूंदें निकलने लगीं। शिल्पा अपनी जीभ से उसका निकलता हुआ सारा वीर्य चाटने लगी। शिल्पा ने अचानक अपना मुँह खोल दिया और रवी का मोटा लाल सुपाड़ा अपने मुँह में ले लिया। रवी के लण्ड का सुपाड़ा इतना मोटा था की शिल्पा का पूरा मुँह भर गया। रवी अपने लण्ड का सुपाड़ा शिल्पा के मुँह में जाते ही पागल हो गया और अपने हाथ से उसके सिर को पकड़कर अपने लण्ड पर दबाने लगा। शिल्पा अपने होंठों से रवी के लण्ड के सुपाड़े को चाटने लगी।
रवी को अपना लण्ड शिल्पा के मुँह में बहुत अच्छा लग रहा था, जिस वजह से वो शिल्पा के सिर को अपने लण्ड पर जोर से दबाते हुए बहुत जोर से सिसक रहा था। रवी का मोटा सुपाड़ा चाटते हुए शिल्पा का मुँह दुखने लगा, इसलिए उसने रवी के लण्ड को अपने मुँह से निकाल दिया, और उसके लण्ड को अपनी जीभ से चाटने लगी। शिल्पा अब रवी के लण्ड को छोड़ते हुए अपनी कच्छी उतारने लगी।
रवी शिल्पा की चिकनी चूत देखकर और ज्यादा उत्तेजित होने लगा।
शिल्पा अपनी कच्छी उतारने के बाद अपनी दोनों टाँगों को फैलाकर अपनी चूत को रवी के लण्ड के सुपाड़े पर टिका दिया। शिल्पा अपनी चूत पर रवी के लण्ड के अहसास से “आह्ह्ह...” करके सिसक उठी। रवी भी अपने लण्ड पर शिल्पा की चूत का स्पर्श पड़ते ही पागल हो गया था। शिल्पा अपनी चूत को रवी के लण्ड पर रखकर गोल-गोल फिराने लगी।
रवी की हालत बिगगती जा रही थी। उसने अपने चूतड़ों को धक्का देते हुए अपने लण्ड को शिल्पा की चूत में घुसाने की कोशिश की। शिल्पा इसके लिए पहले से तैयार थी उसने अपनी चूत को थोड़ा और ऊपर कर दिया। रवी की हालत देखने लायक थी। वो बेचारा प्यासी नजरों से शिल्पा की तरफ देखते हुए बोला- “क्यों तड़पा रही हो? मेरे लण्ड को अपनी चूत में डालो ना...”
शिल्पा ने मुश्कुराते हुए रवी से कहा- “इतनी जल्दी क्या है थोड़ा मजा तो लेने दो?” कहकर उसने फिर से अपनी चूत को रवी के लण्ड के सुपाड़े पर रखा और गोल-गोल घूमने लगी। शिल्पा ने इस बार रवी के लण्ड पर अपनी चूत को फिराते हुए थोड़ा सा नीचे की तरफ दबाव दे दिया। रवी के लण्ड का मोटा सुपाड़ा शिल्पा की गीली चूत में चला गया।
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“आह्ह्ह... ओहह..” रवी और शिल्पा दोनों के मुँह से एक साथ निकला।
शिल्पा रवी के लण्ड के सुपाड़े को अपनी चूत में डाले-डाले ही उसपर अपनी चूत को गोल-गोल घुमाते हुए थोड़ा ऊपर-नीचे होने लगी। रवी का मजे के मारे बुरा हाल था, वो शिल्पा की लटकती हुई बड़ी-बड़ी चूचियों को अपने हाथों से पकड़ते हुए मसलने लगा। रवी शिल्पा की चूचियों को मसलते हुए अपने चूतड़ों को ऊपर धक्का देने लगा। मगर उसके चूतड़ ऊपर नहीं हुए क्योंकी शिल्पा अपने हाथों से उसकी जांघों को नीचे दबाए हुए थी। शिल्पा ने अब अपनी चूत को और नीचे दबाते हुए रवी का आधा लण्ड अपनी चूत में ले लिया।
रवी का आधा लण्ड घुसते ही शिल्पा के मुँह से मजे के मारे “इस्स्स्स... आह्ह्ह..” की सिसकी निकल गई। शिल्पा अब रवी का आधा लण्ड ही चूत में डाले हुए उसके हाथों को अपनी चूचियों से दूर हटाते हुए नीचे झुकने लगी। शिल्पा ने अपनी चूचियों को ठीक रवी के मुँह के सामने करते हुए उसके दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़ लिए और अपनी चूचियों के दोनों दानों को एक-एक करके उसके होंठों पर रगड़ने लगी।
रवी ने अपने होंठ खोलते हुए शिल्पा की एक चूची को अपने मुँह में लेना चाहा, तभी शिल्पा ने अपनी चूची को ऊपर उठा लिया। रवी बेचारा शिल्पा को देखता ही रह गया।
तभी शिल्पा ने फिर से अपनी चूची को नीचे कर दिया। मगर रवी का मुँह खोलते ही उसने फिर से अपनी चूचियों को ऊपर कर दिया। रवी को बहुत गुस्सा आ रहा था, उसका दिल कर रहा था की साली को पकड़कर बेड पर पटक दे और उसके पूरे जिश्म को जी भरकर निचोड़े। तभी शिल्पा ने सीधी होते हुए अपने चूतड़ों को पूरे वजन के साथ रवी के लण्ड पर नीचे दबा दिया। रवी का लण्ड शिल्पा की चूत में जड़ तक घुस गया।
ओह... इस्स्स्स...” फिर से दोनों के मुँह से एक साथ सिसकी निकल गई। शिल्पा रवी का पूरा लण्ड अपनी चूत में डाले ही नीचे झुकने लगी। शिल्पा ने इस बार रवी के होंठों को चूम लिया। रवी शिल्पा के होंठ अपने होंठों पर पड़ते ही पागलों की तरह उसके होंठों को चूमने लगा और अपनी जीभ को उसके मुँह में डालते हुए अपने चूतड़ों से शिल्पा की चूत में धक्के देने लगा।
मगर शिल्पा ने अपने चूतड़ों को जोर से रवी के लण्ड पर दबाए रखा था। इसलिए रवी का लण्ड वैसे ही जड़ तक शिल्पा की चूत में पड़ा रहा। शिल्पा रवी की जीभ को चूसते हुए अपने चूतड़ों को थोड़ा सा घुमाने लगी। रवी को इतना मजा आ रहा था की वो अपने हाथों से शिल्पा की चूचियों को पकड़कर जोर-जोर से मसलने लगा।
रवी ने अपनी जीभ शिल्पा के मुँह से निकालते हुए उसकी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया और बहुत जोरजोर से चूसने लगा। रवी के जोर-जोर से चूसने से शिल्पा के जिम में सिहरन होने लगी और उसके चूतड़ अपने आप रवी के लण्ड पर उछलने लगे। रवी शिल्पा की दोनों चूचियों को बारी-बारी अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। शिल्पा के मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थी। रवी ने शिल्पा को कमर से पकड़ते हुए अपने ऊपर से उठाते हुए सीधा लेटा दिया। रवी ने शिल्पा की टाँगों को घुटनों तक मोड़ते हुए अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा, और एक ही धक्के में पूरा लण्ड उसकी चूत में जड़ तक घुसा दिया।
एक ही बार में पूरा लण्ड घुसने से शिल्पा मुँह से हल्की सी “ओह्ह... आहह्ह...” की चीख निकल गई।
रवी शिल्पा की चूत में अपने लण्ड को अंदर-बाहर करने लगा, शिल्पा का पूरा जिश्म अकड़ चुका था, और उसके मुँह से जोर की सिसकियां निकल रही थी। वो झड़ने के बिल्कुल करीब थी। रवी शिल्पा को टाँगों से पकड़ते हुए बहुत तेजी के साथ अपने लण्ड को उसकी चूत में अंदर-बाहर करने लगा। शिल्पा की साँसें फूलने लगी और उसने अपने दोनों हाथ रवी के चूतड़ों पर रख दिए, और “आहहह..” करते हुए शिल्पा झड़ने लगी। झड़ते हुए शिल्पा ने अपने नाखून रवी के चूतड़ों पर गाड़ दिए।
रवी शिल्पा को झड़ता हुआ देखकर उसकी चूत में बहुत जोर के साथ धक्के लगाने लगा। शिल्पा ने कुछ देर झड़ने के बाद अपनी आँखें खोली। रवी ने शिल्पा की चूत से अपना लण्ड निकाला और उसे उल्टा करते हुए। अपना लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया। रवी शिल्पा को पीछे से 30 मिनट तक लगातार चोदता रहा। शिल्पा दो बार और झड़ चुकी थी, और उसकी चूत में अब दर्द होने लगा था। शिल्पा समझ गई की रवी को बहुत ज्यादा नशा चढ़ा हुआ है इसलिए वो झड़ नहीं पा रहा है।
शिल्पा ने रवी से कहा- “मेरे टाँगें दुख रही हैं, तुम अपना लण्ड निकालकर सीधे लेट जाओ मैं कुछ करती हूँ..."
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रवी ने शिल्पा की चूत से लण्ड निकाला और बेड पर सीधा लेट गया। शिल्पा की चूत सूजकर लाल हो चुकी थी। रवी का लण्ड निकलते ही उसे कुछ सुकून मिला। शिल्पा ने रवी के लण्ड को पहले अपनी जीभ से चाटकर साफ किया और फिर अपने हाथ से जोर से ऊपर-नीचे करने लगी। पांच मिनट तक वो उसके लण्ड को ऊपर-नीचे करती रही। वो उसके लण्ड को ऊपर-नीचे करते हुए कभी-कभी उसके सुपाड़े को अपनी जीभ से चाट भी रही थी।
रवी का जिश्म अचानक अकड़ने लगा और उसका लण्ड फूलने लगा। शिल्पा ने रवी के लण्ड का सुपाड़ा अपने मुँह में डाल लिया और अपने हाथ से उसके लण्ड को ऊपर-नीचे करने लगी। रवी के मुँह अचानक से एक चीख निकली। और उसके चूतड़ थोड़ा ऊपर उठ गये। रवी के चूतड़ उछालने से उसका लण्ड 3 इंच तक शिल्पा के मुँह में चला गया और रवी के लण्ड से वीर्य का सैलाब निकलने लगा। रवी के लण्ड से निकलती हुई पहली पिचकारी शिल्पा के हलक से जा टकराई। रवी के लण्ड से जाने कितनी पिचकारियां छूटी। शिल्पा का पूरा मुँह रवी के वीर्य से भर गया और वीर्य उसके मुंह से निकालकर उसकी चूचियों पर गिरने लगा।
रवी का झड़ना जब खतम हुआ तो शिल्पा वहाँ से उठकर बाथरूम चली गई। शिल्पा अपने आपको साफ करने के बाद वापस आकर अपने कपड़े पहनने लगी। शिल्पा ने कपड़े पहनने के बाद रवी की तरफ देखा, तो वो सो चुका था। शिल्पा उसके कमरे का दरवाजा बंद करते हुए हवेली से निकल गई। रास्ते में शिल्पा को एक आदमी मिला जिससे वो गले जा लगी और रोने लगी।
वो शख्स परेशान होते हुए बोला- “क्या हुआ तुमसे कुछ गलत हो गया क्या?”
शिल्पा ने कहा- “नहीं, ऐसी कोई बात नहीं। अब ठाकुर को बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता..."
शिल्पा की बात सुनकर वो शख्स खुश होते हुए बोला- “पगली फिर तुम रो क्यों रही हो?”
शिल्पा ने कहा- “अपने नशीब पर। अंजाने में मैंने अपना जिम ठाकुर को सौंप दिया था। मुझे क्या पता वो इतना बड़ा कमीना है और अब सब कुछ जानने के बाद अपना बदला लेने के लिए मुझे उसके बेटे को अपना जिम सौंपना पड़ा...” शिल्पा यह कहते हुए फिर से उस शख्स के कंधे पर सिर रखकर रोने लगी।
उस शख्स ने अपने हाथों से शिल्पा की पीठ को सहलाते हुए कहा- “मुझे पता है की तुम सब मजबूरी में कर रही हो। मैंने तुमसे पहले भी कहा था, अब भी कह रहा हूँ की ठाकुर से बदला लेने के बाद हम यहाँ से कहीं दूर जाकर शादी कर लेंगे..."
शिल्पा ने उस शख्स की बात सुनते ही उसको अपनी बाहों में भरते हुए उसके होंठों पर एक चुम्मी दे दी, और उससे कहा- “तुम इतने दिनों से शहर में थे, कुछ पता चला मनीष के बारे में...”
उस शख्स ने कहा- “मैं शहर के पास वाले जंगल में अपने साथियों के साथ ठहरा था, कुछ खास जान नहीं पाया, मगर वो बहुत शरीफ लड़का है। मनीष में कोई बुरी आदत नहीं है। लगता है वो ठाकुर का नहीं उसकी बीवी के । यार का बेटा है...”
शिल्पा उसकी बात सुनकर हँसते हुए कहने लगी- “सूरज बहुत देर हो गई, है मैं जा रही हूँ.”
सूरज ने शिल्पा को अपनी बाहों से आजाद करते हुए कहा- “तुम हँसते हुए बहुत अच्छी लगती हो, मैं यही तो चाहता हूँ की तुम हमेशा यूँ ही हँसती रहो...”
शिल्पा ने फिर से सूरज के होंठों पर चुम्मी देते हुए कहा- “तुम मेरी कितनी चिंता करते हो? अपना भी कुछ
खयाल रखो बहुत पतले हो गये हो...” ।
सूरज ने शिल्पा की बात सुनते हुए कहा- “मैं भले पतला हो गया हूँ मगर वो अभी तक वैसे ही लंबा और मोटा है..” यह कहते हुए सूरज ने शिल्पा को आँख मार दी।
शिल्पा शर्म से लाल होते हुए सूरज को बाइ कहते हुए वहाँ से जाते हुए अपने घर पहुँच गई। अपने घर का लाक खोलते हुए वो कमरे में पहुँच गई। शिल्पा ने देखा की उसका बापू सोया हुआ है।
वो अपने बापू के करीब जाते हुए दिल में सोचने लगी- “बापू तुमने इतना बड़ा दर्द मुझसे छुपाए हुए अपने दिल में रखा, कम से कम जब मैं हवेली में काम करने जा रही थी तो मुझे वहाँ काम करने से रोक लेते...” शिल्पा । यह सोचते हुए अपनी खटिया पर जाकर लेट गई और थोड़ी ही देर में वो नींद के आगोश में चली गई।
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* * * * * * * * * *बिंदिया ने अपनी माँ सोनाली और पड़ोसी कमल की चुदाई देखी
रात के 2:00 बज रहे थे मगर बिंदिया की आँखों से नींद गायब थी। वो सोच रही थी की रोहन आज क्यों नहीं आया? और उसका मोबाइल भी बंद था। बिंदिया को रोहन पर बहुत गुस्सा आ रहा था। वो उठते हुए अपने कमरे से बाहर आते हुए फ्रीजर में से पानी की बोतल निकाली और वापस जाने लगी।
बिंदिया को अपनी माँ के कमरे से सिसकने की आवाज सुनाई दी। बिंदिया ने समझा की उसका वहम है और वो अपने कमरे में जाने लगी। बिंदिया को तभी एक और जोर की सिसकी सुनाई दी। बिंदिया अपनी माँ के कमरे । की तरफ बढ़ने लगी। बिंदिया जैसे ही कमरे के दरवाजे तक पहुँची उसे बहुत जोर की सिसकियां सुनने में आई। बिंदिया परेशान होते हुए इधर-उधर देखने लगी। उसे कमरे की खिड़की खुली हुई नजर आई और बिंदिया खिड़की के पास जाते हुए अंदर देखने लगी।
बिंदिया का जिश्म अंदर का नजारा देखकर सिहर उठा। अंदर देखते हुए उसका जिश्म काँपने लगा। उसकी सगी माँ किसी गैर मर्द के लण्ड को अपनी चूत में डाले हुए उसपर उछल रही थी और उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को वो शख्स अपने हाथों से मसल रहा था। बिंदिया का पूरा जिश्म अंदर का नजारा देखकर पशीने में भीग गया था।
उसकी माँ अचानक उस शख्स के लण्ड पर बहुत तेजी के साथ उछलने लगी। वो बहुत ऊपर जाते हुए नीचे बैठ रही थी और बहुत जोर से सिसक रही थी। उसकी माँ का जिम भी पशीने से भीग चुका था और वो बहुत जोर से हाँफ रही थी। अचानक उसकी माँ बहुत जोर से चीखते हुए उस शख्स के ऊपर ढेर हो गई। वो शख्स उसकी माँ की चूचियों को चूसते हुए नीचे से अपना लण्ड उसकी माँ की चूत में अंदर-बाहर करने लगा।
बिंदिया समझ गई की उसकी माँ झड़ चुकी है। मगर वो शख्स कौन था? उसका सिर फटने लगा।
तभी उस शख्स ने उसकी माँ को अपने ऊपर से उठाते हुए उल्टा लेटा दिया। बिंदिया उस शख्स का चेहरा देखकर हैरान हो गई। वो शख्स और कोई नहीं उनका पड़ोसी कमल था। बिंदिया अपनी माँ के उल्टा लेटने से उसकी फूली हुई चूत को देखकर हैरान रह गई।
उसकी माँ की चूत बहुत बड़ी, फूली हुई थी और वो कमल के मोटे, लंबे काले लण्ड से चुदते हुए लाल हो गई
थी। कमल ने उसकी माँ के पीछे आते हुए अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया, और उसके चूतड़ों पर थप्पड़ मारते हुए उसे चोदने लगा।
बिंदिया का बदन तपकर गरम हो चुका था और अब उसे अपनी चूत में हल्की-हल्की सरसराहट महसूस हो रही थी। बिंदिया इतनी गरम हो चुकी थी की उसकी चूत में से पानी निकल रहा था। वो अपना हाथ नीचे ले जाते हुए अपनी नाइटी के ऊपर से ही अपनी चूत को सहलाने लगी। कमल अब उसकी माँ की उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों से पकड़े हुए धक्के लगा रहा था। कमल उसकी माँ को बहुत तेजी के साथ चोदते हुए हाँफने लगा। बिंदिया समझ गई की वो झड़ने वाला है इसलिए वो वहाँ से जाने लगी।
बिंदिया ने अपने कमरे में जाते हुए फ्रीजर से बरफ के दो-तीन टुकड़े उठा लिए। बिंदिया ने अपने कमरे में आते हुए बरफ के टुकड़े जो वो एक प्लेट में डालकर लाई थी उसे बेड के पास रख दिया और दरवाजे की तरफ जाते हुए उसे अंदर से बंद कर दिया। दरवाजा बंद करने के बाद बिंदिया ने अपनी नाइटी को उतारकर फेंक दिया और ड्रेसिंग टेबल की तरफ जाने लगी।
बिंदिया ड्रेसिंग टेबल के सामने आते हुए आईने में अपने जिश्म को घूरने लगी, बिंदिया का गोरा जिश्म बल्ब की रोशनी में चमक रहा था। बिंदिया अपनी बड़ी-बड़ी चूचियों को छोटी सी ब्रा में कैद देखकर खुद ही शर्मा गई। बिंदिया ने अपने हाथों से अपनी ब्रा को भी उतारकर फेंक दिया। ब्रा के उतरते ही उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां बल्ब की रोशनी में चमकने लगी। बिंदिया आईने में अपनी चूचियों को बड़े गौर से देखने लगी। उसकी चूचियों के । क्लीवेज पर कहीं-कहीं लाल निशान थे। बिंदिया समझ गई की वो रोहन के दाँतों के निशान हैं और मन ही मन में हँसने लगी।
बिंदिया अपनी चूचियों को देखते हुए अपनी चूची के एक दाने को अपनी उंगलियों में लेकर मसलने लगी। अपनी चूचियों को मसलते हुए उसके मुँह से “आहहह...” की एक सिसकी निकल गई। बिंदिया ने अपनी चूचियों को छोड़ते हुए नीचे देखने लगी उसकी छोटी सी कच्छी में कैद उसके भारी चूतड़ जिसमें उसकी आधी गाण्ड ही समा पा रही थी। बिंदिया ने अपनी कच्छी में हाथ डालते हुए उसे नीचे सरकाते हुए अपने पैर से निकाल दिया।
बिंदिया अपनी चूत को देखकर हैरान रह गई, उसकी चूत बहुत बड़ी हो चुकी थी। रोहन से मिलने से पहले उसकी चूत बहुत छोटी थी, मगर अब वो बिल्कुल फूलकर बड़ी हो चुकी थी। मगर वो जिस चूत को अभी देखकर आई थी उसकी चूत के मुकाबले यह बहुत छोटी थी। बिंदिया अपनी चूत को गौर से देखने लगी उसकी चूत पर बहुत सारे बाल थे, क्योंकी उसने कई दिन से अपनी चूत साफ नहीं की थी। वो अपनी चूत के दाने को देखने लगी जो उत्तेजना में फूला हुआ था।
बिंदिया ने जैसे ही अपने हाथ से अपनी चूत के दाने को छुआ, उसके पूरे बदन में करेंट दौड़ गया और मजे से उसके मुँह से सिसकी निकल गई। बिंदिया ने अपने हाथ को वहीं पर रखे हुए अपने दाने को सहलाने लगी। बिंदिया को अपने पूरे जिम में गुदगुदी और मजे का अहसास हो रहा था। बिंदिया ने अब अपना हाथ नीचे करते हुए अपनी चूत के बालों को हटाते हुए उसके होंठों पर रख दिए। बिंदिया का हाथ उसकी चूत से निकलते हुए पानी से भीग गया।
उसने अपनी चूत के होंठों के बीच अपनी एक उंगली डालकर थोड़ा दबाव डाला। बिंदिया के मुँह से “इस्स्स्स...” की सिसकी निकली और उसकी उंगली आधी उसकी चूत में चली गई। बिंदिया का जिस्म बहुत ज्यादा गरम हो चुका था। अपनी आधी उंगली अपनी चूत में जाते ही उसे ऐसा महसूस हुआ की जैसे उसकी उंगली को गरम पानी में डाल दिया गया हो। बिंदिया ने अपनी उंगली को अपनी चूत से निकाला और वहाँ से जाते हुए बेड पर जाकर बैठ गई।
बिंदिया बेड पर बैठते हुए प्लेट में पड़ा हुआ एक बरफ का टुकड़ा उठा लिया जो अब बहुत छोटा रह गया था, बिंदिया ने अपनी टाँगों को खोलकर फैला दिया और उस बरफ के टुकड़े को अपनी चूत के छेद पर रखकर घिसने लगी। बरफ का टुकड़ा अपनी चूत पर घिसते हुए उसके मुँह से जोर की “आहहह...” निकलने लगी। बिंदिया को अपने पूरे शरीर में बहुत उत्तेजना हो रही थी और उसका बदन मजे से काँप रहा रहा। बिंदिया का पूरा शरीर । उत्तेजना के मारे पशीना पशीना हो गया था और वो बरफ का टुकड़ा भी अब पानी बनकर खतम हो चुका था।
बिंदिया ने प्लेट की तरफ देखा तो उसमें दो और टुकड़े थे, एक तो बहुत छोटा था, मगर दूसरा बड़ा था। बिंदिया ने काँपते हाथों से वो बड़ा वाला बरफ का टुकड़ा उठाया और उसे अपनी चूत के दाने से लेकर घिसते हुए नीचे ले जाते हुए अपनी चूत के छेद पर घिसने लगी। बिंदिया का पूरा शरीर अब झटके खा रहा था। बिंदिया भी अब उस बरफ के टुकड़े को अपनी चूत पर बहुत जोर से घिसते हुए थोड़ा अंदर-बाहर भी कर रही थी, ऐसा करते हुए। बिंदिया के मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थी। बिंदिया का बदन अचानक बहुत जोर से काँपने लगा और उसकी चूत बहुत जोर से झटके खाने लगी।
बिंदिया- “ओह... आह्ह्ह... इस्स्स्स ...” करते हुए झड़ने लगी।
बिंदिया ने झड़ते हुए अपने हाथों से वो बरफ का टुकड़ा पूरा अपनी चूत में डालकर जोर से चीखने लगी और मजे से काँपते हुए उसकी आँखें बंद हो गई। बिंदिया यूँ ही कुछ देर तक अपनी आँखें बंद किए हुए झड़ने का मजा लेने लगी, और कुछ देर बाद जब उसने आँखें खोली तो उसने अपनी चूत में से वो बरफ का टुकड़ा निकालकर प्लेट में रख दिया। बिंदिया अपना पूरा जिम हल्का महसूस कर रही थी और वो अपने पागलपन पर हँसते हुए बल्ब आफ करते हुए सोने की कोशिश करने लगी। बिंदिया करवटें लेते हुए सोने की कोशिश कर रही थी। उसके दिमाग में बार-बार अपनी माँ का खयाल आ रहा था। उसकी माँ किसी गैर मर्द से चुदवा रही थी।
बिंदिया के दिमाग में अचानक खयाल आया की इसमें माँ का क्या दोष है? उसका बाप तो बहुत पहले मर चुका था, वो एक औरत है और उसकी उमर भी इतनी बड़ी नहीं थी। उसको एक मर्द की कमी महसूस हुई होगी। इसलिए वो अपनी प्यास बुझाने के लिए गलत रास्ते पर भटक गई होगी। यह सोचते हुए उसे नींद आ गई।
* * * * *
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धन्नो उठो सुबह हो गई है, देखो अब तो तुम्हारी खटिया पर सूरज की धूप भी आ गई है...” मौसी ने धन्नो को। झंझोरते हुए कहा।।
धन्नो अपनी आँखों को मलते हुए उठने लगी। उसने खटिया पर बैठते हुए एक बड़ी आलस लेते हुए कहा- “मौसी तुम ठीक से नींद भी नहीं करने देती...”
करुणा ने अचानक अंदर से निकलते हुए धन्नो को टोकते हुए कहा- “मौसी बेचारी धन्नो तो अभी सपना देख ही रही थी की तुमने उसे जगा दिया..." और मुश्कुराने लगी।
करुणा की बात सुनकर मौसी भी हँसने लगी। धन्नो मौसी को हँसता हुआ देखकर गुस्से से अपनी खटिया से। उठते हुए करुणा को मारने के लिए उसकी तरफ दौगी। करुणा धन्नो को अपनी तरफ आता हुआ देखकर जल्दी से अपने कमरे में भाग गई। धन्नो भी दौड़ते हुए उसके पीछे कमरे में पहुँच गई।
करुणा ने धन्नो को कमरे में देखकर अपने कान पकड़ते हुए कहा- “दीदी गलती हो गई माफ कर दो, आगे से तंग नहीं करूँगी...”
धन्नो करुणा के पास पहुँचते हुए करुणा की उखड़ती साँसों के साथ हिलती हुई चूचियों को देखने लगी। करुणा धन्नों को अपनी चूचियों की तरफ देखते हुए शर्माते हुए अपने हाथ अपने कानों से हटाते हुए नीचे कर दिये।
धन्नो ने करुणा को छेड़ते हुए कहा- “क्या बात है तुम्हारी चूचियां तो बहुत मस्त होती जा रही हैं?”
धन्नो की बात सुनकर करुणा ने शर्म के मारे लाल होते हुए कहा- “दीदी आप मुझे छेड़ो मत, मेरी चूचियां आपकी चूचियों से बहुत छोटी हैं.”
धन्नो ने करुणा का सिर ऊपर करते हुए उसके माथे को चूमते हुए कहा- “मैंने कब कहा की तुम्हारी चूचियां मेरी चूचियों से बड़ी हैं... तुम्हारी चूचियां तो मेरी चूचियों से ज्यादा खूबसूरत हैं...”
करुणा धन्नो की बात सुनकर शर्माते हुए कहने लगी- “दीदी तुम भी ना... जाओ फ्रेश हो जाओ...”
धन्नो ने हैरान होते हुए कहा- “क्यों कहीं जाना है क्या?”
करुणा ने कहा- “हाँ दीदी, पर अभी नहीं। दोपहर को हम लंच ठाकुर साहब की हवेली में करेंगे...”
धन्नो ने हैरान होते हुए कहा- “मगर कल तो ऐसी कोई बात नहीं हुई थी.."
करुणा ने हँसते हुए कहा- “रात को मनीष ने फोन किया था की कल का खाना आप हमारे घर पर करोगे...”
धन्नो करुणा की बात सुनकर कर उसे छेड़ते हुए कहा- “क्या बात है आजकल फोन पर बहुत बातें हो रही है?”
करुणा ने गुस्सा होते होते हुए कहा- “दीदी आप फिर से हमें छेड़ रही हैं."
धन्नो करुणा की बात सुनकर वहाँ से जाते हुए कहने लगी- “अच्छा बाबा मैं जा रही हूँ...” धन्नो वहाँ से जाते हुए फ्रेश होने चली गई।
धन्नो फ्रेश होने के बाद जब बाहर निकली तो सब लोग बाहर बैठकर नाश्ता की तैयारी कर रहे थे। धन्नो भी। वहाँ पर आकर बैठ गई। मोहित भी वहाँ पर बैठा हुआ था। धन्नो ने मोहित की तरफ देखते हुए कहा- “कैसी है। तबीयत अब..."
मोहित ने कहा- “अब बिल्कुल ठीक हूँ, तुम बताओ कैसा चल रहा है?”
धन्नो ने कहा- “बिल्कुल अच्छा चल रहा है, कल शाम को ठाकुर की हवेली घूमकर आए थे और आज ठाकुर साहब ने हमें लंच पर बुलाया है...”
धन्नो की बात सुनकर मोहित ने कहा- “मुझे भी आज दोपहर को डाक्टर के पास जाना है, शाम को बातें करेंगे...”
धन्नो और करुणा नाश्ता करने के बाद एक कमरे में बातें करने लगी, ऐसे ही बातें करते हुए टाइम गुजरता गया
और दोनों तैयार होकर मनीष का इंतजार करने लगी। करुणा को मनीष ने कहा था की वो उन दोनों को लेने आएगा। करुणा और धन्नो तैयार होकर बाहर वाले आँगन में बैठी थी।
रिया अचानक अंदर दाखिल हुई और उन दोनों को हाय कहते हुए मोहित के कमरे में जाने लगी।
धन्नो और करुणा रिया को देखती रह गई, धन्नो ने करुणा से कहा- “रिया तो आज सज संवर कर बिल्कुल हुश्न की देवी लग रही है। लगता है की आज मोहित की खैर नहीं..”
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करुणा ने धन्नो की बात सुनकर कहा- “दीदी उस बेचारी को क्या पता की मोहित की हालत उसे देखकर खराब हो जायेगी, वो तो मोहित को बहुत शरीफ समझती है। अच्छा हुआ की जो उस लड़की ने उसे बस स्टैंड पर पिटवाया...”
करुणा की बात खतम होते ही दोनों जोर से हँसने लगी। तभी उन्हें बाहर से गाड़ी की हार्न सुनाई दी, दोनों समझ गई की मनीष आ चुका है और दोनों उठकर बाहर जाने लगी। दोनों गाड़ी के पास पहुँचते ही हैरान रह गई क्योंकी गाड़ी की ड्राइविंग सीट पर रवी और पीछे मनीष बैठा था।
करुणा जल्दी से जाकर पीछे बैठ गई और धन्नो वहीं खड़ी रहकर सोचने लगी।
तभी रवी ने धन्नो से कहा- “छोरी आकर बैठ ना क्या देख रही है?”
धन्नो जैसे नींद से जागी और आगे जाकर रवी के साथ बैठ गई। रवी ने गाड़ी को चलाना शुरू कर दिया, रास्ते में बार-बार रवी का हाथ गियर चेंज करते हुए धन्नो की टाँगों से टकरा रहा था। गाड़ी चलते हुए हवेली तक पहुँच गई। हम सब कार से उतरते हुए हवेली में आ गये। धन्नो और करुणा अंदर पहुँचते ही हैरान रह गई। अंदर एक बहुत बड़ी टेबल पर नौकर खाना लगा रहे थे। उस टेबल पर खाने की बहुत ज्यादा डिसेस थी जो । धन्नो और करुणा ने कभी एक साथ खाई नहीं थी। कुछ डिसेस तो ऐसी थी जो दोनों ने आज तक देखी भी नहीं थी।
वहाँ खड़े एक नौकर ने मनीष और रवी को देखते हुए कहा- “छोटे ठाकुर, बड़े ठाकुर एक जरूरी काम में फँस गये हैं, उन्होंने फोन करके कहा है की वो आधे घंटे में आ जाएंगे...”
मनीष ने कहा- “हम कमरे में जाकर बैठते हैं, जब डैड आ जाए तो हमें बता देना..” यह कहते हुए मनीष सभी के साथ अपने कमरे में आ गया और वहाँ बैठकर सभी बातें करने लगे।
* **
लड़की- “हमें छोड़ दो ठाकुर हम आपके पैर पड़ते हैं, हम किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे.” एक 2830 साल की औरत सिर्फ एक ब्रा और कच्छी में आधी नंगी ठाकुर के पैरों में गिड़गिड़ा रही थी।
ठाकुर- "देखो लड़की यह सब तुम्हें उस वक़्त सोचना चाहिए था जब तुमने हमसे 50 हजार लेकर अपने उस यार
को दिए थे..." ठाकुर ने कड़क आवाज में कहा।
लड़की ने रोते हुए कहा- “मुझे नहीं मालूम था की वो इतना बड़ा कमीना निकलेगा। उसने कहा था की वो इन पैसों से शहर जाकर कोई बिजनेस करेगा और लौटकर यह पैसे भी वापस दे देगा और हमसे शादी भी करेगा...”
ठाकुर- “देख लड़की हमारा उन बातों से कोई लेना देना नहीं है। हमने पैसे देते वक़्त तुमसे साफ कहा था की अगर टाइम पर पैसे नहीं मिले तो हम उन पैसों को तुमसे वसूल करेंगे...” ठाकुर ने फिर से तेज आवाज में कहा।
लड़की- “ठाकुर साहब आप हमारे बाप जितने हैं, हम पर दया करो, अगर आपने हमारी इज्जत लूट ली तो हमसे कौन शादी करेगा?” उस लड़की ने फिर से गिड़गिड़ाते हुए कहा।
ठाकुर हँसते हुए- “हमारी हवेली में काम करती रह सारी जिंदगी पैसे और लण्ड की भूख नहीं देंगे...”
ठाकुर की बात सुनकर वो लड़की शर्म से पानी-पानी हो गई मगर अपनी इज्जत को बचाने के लिए वो फिर से ठाकुर के सामने गिड़गिड़ाते हुए कहने लगी- “ठाकुर साहब, हमें कुछ दिनों की मुहलत दे दो हम आपके सारे पैसे दे देंगे...” उस लड़की ने ठाकुर के चुंगल से छूटने की आखिरी कोशिश की।
ठाकुर- “नहीं हम तुम्हें दो दफा मुहलत दे चुके हैं, मगर तुम अपना वादा निभा नहीं पाई। अब हम कुछ नहीं कर सकते...” ठाकुर ने यह कहते हुए अपने सारे कपड़े उतार दिए।
ठाकुर को नंगा देखकर उस लड़की ने शर्म के मारे अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया।
ठाकुर- “देख लड़की हमारी शराफत का इम्तिहान मत ले, हमको अगर गुस्सा आ गया तो तुम्हारा ही नुकसान है...” ठाकुर ने उस लड़की को बालों से पकड़ते हुए उसका चेहरा अपनी तरफ मोड़ दिया।
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उस लड़की ने अपनी आँखें बंद की हुई थी और उसकी आँखों में से आँसू निकल रहे थे, ठाकुर ने उस लड़की को अपनी गोद में उठाते हुए बिस्तर पर पटक दिया। वो लड़की किसी लाश की तरह बेड पर लेटी थी। ठाकुर ने उसके सारे कपड़े निकाले और उसके जिम के हर हिस्से को नोचता रहा। उस लड़की के मुँह से सिर्फ एक चीख निकली और फिर उसकी आँखों से खून बनकर सिर्फ आँसू निकलते रहे। ठाकुर ने उस लड़की को पूरी तरह से नोचने के बाद उसके ऊपर से उठते हुए अपने कपड़े पहने और गाड़ी की तरफ देखते हुए जल्दी से बाहर आ गया।
ठाकुर ने अपनी गाड़ी में बैठते हुए अपने आदमियों की तरफ नोटों की एक गड्डी को फेंकते हुए कहा- “यह उस लड़की को दे देना, और समझा देना की अगर गाँव में किसी को कुछ बताया तो उसके सारे परिवार को जिंदा गाड़ देंगे.." यह कहता हुआ ठाकुर अपनी गाड़ी को हवेली की ओर ले जाने लगा।
ठाकुर के जाते ही उस लड़की ने जैसे तैसे अपने कपड़े पहने और किसी जिंदा लाश की तरह चलते हुए बाहर आ गई।
ठाकुर के आदमी ने नोटों की गाड़ी उस लड़की की तरफ बढ़ाते हुए कहा- “यह ले... अपने ठाकुर साहब बहुत दयालू हैं, उन्होंने कहा है की यह पैसे तुम्हें दे दें और हाँ अगर ठाकुर के बारे में अनाप शनाप बोली तो तेरे सारे परिवार को जिंदा गाड़ देंगे...”
लड़की- “ठाकुर इतने दयालू हैं तो तुम अपनी बहन को भी यहाँ ले आओ। इतने पैसे तुम्हें भी मिल जाएंगे...” यह कहते हुए वो लड़की बिना पैसे लिये हुए वहाँ से जाने लगी। उस लड़की के दिमाग में सीधा चलते हुए पुरानी बातें याद आ रही थी।
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फ्लैशबैक
खुशबू- “छोड़ो मुझे तुम झूठ बोलते हो, अगर तुम मुझसे प्यार करते हो तो बापू से मेरा हाथ क्यों नहीं माँग लेते...” खुशबू ने उस लड़के को अपने से दूर करते हुए कहा।
लड़का- “देखो खुशबू हमें अपने पैरों पर खड़ा होने दो, फिर हम तुम्हारे बापू से तुम्हारा हाथ भी माँग लेंगे..” उस लड़के ने कहा।
खुशबू- “कब तुम अपने पैरों पर खड़े होगे, जब हमारा हाथ कोई और माँग लेगा तब?” खुशबू ने गुस्सा होते हुए कहा।
।।।
लड़का- “वो हमने ठाकुर साहब से पैसे माँगे थे बियाज पर, मगर वो कह रहा है की अपनी कोई जमीन दो, अगर तुम पैसे ना लौटा सके तो हम उससे वसूल करेंगे...” उस लड़के ने खुशबू से कहा।
खुशबू- “ठाकुर साहब बहुत अच्छे आदमी है हमें उसके पास ले चलो, हम उन्हें मना लेंगे। मगर तुम पैसों से क्या करोगे?” खुशबू ने हैरान होते हुए पूछा।
लड़का- “पगली हम इन पैसों को शहर लेजाकर वहाँ पर कोई कारोबार करके ढेर सारा पैसा कमाएंगे और फिर हम दोनों ठाकुर के पैसे लौटाकर बियाह भी कर लेंगे...”
उस लड़के की बात सुनकर खुशबू ने कहा- “ठीक है, हमें ठाकुर साहब के पास ले चलो, हम उनसे बिनती करेंगे.."
खुशबू के बाप- “ओये छोरी इस लफंगे बिरजू के चक्कर में ना आ, यह तुम्हें भी फैंसा देगा...” खुशबू के बाप ने उसे समझते हुए कहा।।
खुशबू- “बापूजी आप तो खामखा इस बेचारे के पीछे पड़े रहते हैं, हम इसकी जरूर मदद करेंगे...” यह कहते हुए खुशबू बिरजू के साथ ठाकुर के फार्महाउस जाने लगी। ठाकुर के फार्महाउस में पहुँचकर उन दोनों ने ठाकुर को प्रणाम किया।
ठाकुर ने उन दोनों के प्रणाम का जवाब देते हुए कहा- “कैसे आना हुआ?”
बिरजू ने ठाकुर से हाथ जोड़ते हुए कहा- “हमने आपसे पैसे माँगे थे, उसी के लिए आए हैं..."
ठाकुर- “हमने तुम्हें कहा था की हमें सेक्योरिटी चाहिये..”
खुशबू ने हाथ जोड़ते हुए कहा- “ठाकुर साहब आप इन्हें पैसे दे दें, यह आपके पैसे लोटा देगा। हम आपसे वादा करते हैं की अगर यह पैसे नहीं दे पाया तो हम आपको पाई-पाई चुका देंगे...”
Page 256
ठाकुर खुशबू की बात सुनकर उसे ऊपर से नीचे तक निहारने लगा। ठाकुर ने उसे गौर से निहारते हुए कहा
सोच ले अगर तुम कह रही हो तो हम इसे पैसे दे देते हैं, मगर जब यह पैसे ना लौटा सका तो तुम्हें चुकाने पड़ेंगे...”
खुशबू ने ठाकुर की बात सुनते ही जल्दी से खुश होते हुए कहा- “हाँ ठाकुर साहब हमें इस पर पूरा भरोसा है, अगर यह पैसे ना दे सका तो हम चुका देंगे...”
ठाकुर ने अपने आदमी से कहा- “पेपर ले आओ...”
ठाकुर का आदमी जल्दी से पेपर लेकर आ गया, जो उन्होंने किसी को पैसे देते वक़्त साइन कराने के लिए रखे थे। ठाकुर ने कागज को खुशबू के सामने लाते हुए कहा- “इस पर अपना अंगूठा लगा दो। मगर एक बार और सोच लो, अगर यह पैसे नहीं दे पाया तो हम किसी भी तरीके से यह पैसे तुमसे वसूल करेंगे...”
खुशबू ने उस कागज पर अँगूठा लगाते हुए कहा- “हमने कहा ना की अगर यह ना दे सका तो हम चुका देंगे..”
ठाकुर ने वो कागज अपने आदमी को देते हुए अपनी जेब में से पैसे की एक गड्डी बिरजू को दे दी। बिरजू ने वो पैसे लेते हुए खुश होते हुए ठाकुर का शुक्रिया अदा किया। खुशबू ने भी ठाकुर का शुक्रिया अदा किया और बिरजू के साथ वहाँ से निकल गई।
बिरजू दूसरे दिन ही खुशबू से विदा लेकर शहर के लिए निकल गया। बिरजू एक महीने के लिए कहकर गया था, मगर 60 दिन बाद भी उसका कोई अता पता नहीं था। खुशबू का यहाँ रो-रोकर बुरा हाल था।
उसे ठाकुर के पैसों की चिंता थी। वो दो बार ठाकुर के पास जाकर उससे कुछ दिनों की मुहलत माँग चुकी थी। मगर उस मुहलत को भी आज 15 दिन हो गये थे। अचानक दरवाजा खटकने की आवाज आई, खुशबू वहाँ से उठकर दरवाजे की तरफ बढ़ी। उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो ठाकुर के आदमी सामने खड़े थे।
वहाँ खड़े आदमियों में से एक ने कहा- “चलो ठाकुर साहब तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं."
खुशबू ठाकुर के आदमियों के साथ उसके फार्महाउस पर आ गई और अचानक वो खयालों से बाहर आई, वो गाँव से बाहर एक बड़ी नदी के पास पहुँच चुकी थी। उसने आखिरी बार अपनी नजरों से चारों तरफ देखा और छलाँग लगाते हुए अपने आपको नदी के गहरे पानी के हवाले कर दिया।
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धन्नो और करुणा का ठाकुर की हवेली में खाना
छोटे ठाकुर खाना लगा दिया है, बड़े साहब अभी तक नहीं आए। आप चाहें तो खाना खा लें, वरना खाना ठंडा हो। जायगा...”
मनीष कुछ बोलने वाला ही था की ठाकुर अंदर दाखिल होते हुए बोले- “यार काम की वजह आज बहुत देर हो गई, चलो उठो खाने पर चलो..."
धन्नो और करुणा ठाकुर को देखते ही उठते हुए उनके पैर पड़ी।
ठाकुर ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए उठा लिया, और अपनी बहुओं के साथ चलते हुए खाने की टेबल तक आ गया। ठाकुर ने एक कुर्सी पर बैठते हुए पानी से हाथ धोए और सब मिलकर खाना खाने लगे।
खाना खतम करने के बाद ठाकुर ने कहा- “चलो आज हमारे कमरे में चलकर बातें करते हैं, मुझे अपनी बहुओं से। बहुत बातें करनी हैं...”
ठाकुर की बात सुनकर सभी बड़े ठाकुर के कमरे में जाने लगे। कमरे में पहुँचते ही मनीष और रवी जाकर सोफे पर बैठ गए। ठाकुर ने बेड पर बैठते हुए धन्नो और करुणा को अपने पास बेड पर बैठने को कहा। ठाकुर धन्नो और करुणा के बैठने के बाद उनसे बातें करने लगा। थोड़ी ही देर बाद शिल्पा कमरे का दरवाजा खोलते हुए शरबत का एक जग और ग्लास लेकर कमरे में दाखिल हुई। शिल्पा ग्लासों में शरबत डालने लगी।
रवी ने मनीष से कहा- “सुना है गाँव में मेला लगा है...”
मनीष- “हाँ यार मैंने भी किसी के मुँह से सुना था...” मनीष रवी के बात सुनते हुए बोला।
रवि- “मनीष चलो ना आज शाम को भाभी और छोरी को मेला घुमाने ले चलें..." रवी ने मनीष की तरफ देखते हुए कहा।
रवी की बात सुनकर मनीष की आँखों में चमक आ गई और धन्नो और करुणा की तरफ देखते हुए कहा- “क्या
कहती हो, चलें शाम को मेला घूमने?”
करुणा ने कहा- “हाँ मैं तैयार हूँ चलने के लिए...”
करुणा की बात सुनकर धन्नों ने भी कहा- “सब राजी हो, तो भला मुझे क्या ऐतराज हो सकता है?”
शिल्पा शरबत के ग्लास सबके हाथों में देते हुए वहां से चली गई। ठाकुर सबकी बातें गौर से सुन रहा था, उसने कहा- “एक काम करो इन दोनों को अभी घर छोड़ आओ, शाम को इन्हें वहाँ से लेते जाना। वरना इनके रिश्तेदार बुरा मान जाएंगे...”
ठाकुर की बात सुनकर मनीष ने शरबत का खाली ग्लास टेबल पर रखते हुए कहा- “आप ठीक कह रहे हैं। हम कुछ देर के बाद इन्हें घर छोड़ आते हैं. और फिर सब आपस में बातें करने लगे। एक घंटे तक वो आपस में बातें करते रहे और फिर मनीष उन दोनों को घर पर छोड़कर आ गया।
घर के अंदर दाखिल होते हुए धन्नो ने करुणा से कहा- “आज शाम को तो बहुत मस्ती करेंगे मेले में..."
करुणा ने कहा- “हाँ दीदी घर में बैठे-बैठे बोर होते रहते हैं आज खूब मजे करेंगे मेले में..." धन्नो और करुणा जैसे ही अंदर दाखिल हुई, वो हैरान रह गई क्योंकी घर में कोई भी नहीं था और मोहित के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था। धन्नो ने दरवाजे के पास आते हुए अपने कान दरवाजे के करीब कर लिये।
रिया की आवाज- “छोड़ो ना तुमने कहा था सिर्फ गालों पर चुम्मी दोगे, मगर तुम तो बहुत गंदे हो मेरे होंठों को चूमने लगे...” अंदर से रिया की आवाज आई।
धन्नो समझ गई के मोहित रिया के साथ मजे कर रहा है। धन्नो ने फिर से गौर से सुनने की कोशिश की।
मोहित- “करने दो ना वैसे भी हमारी शादी होने वाली है और इन सबसे कुछ होता भी नहीं है...” मोहित ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।
रिया- “नहीं तुम एक नंबर के झूठे हो। जब शादी हो जाये तो फिर कर लेना...” रिया ने गुस्से में कहा।
मोहित- “देख रिया गाँव में मेला लगा है अगर तुम मुझे अपने होंठों पर चूमने दोगी तो शाम को मैं तुम्हें मेला घुमाने ले जाऊँगा..” मोहित ने रिया को खुश करने के लिए आखिरी पत्ता फेंका।
रिया- “सच में तुम मुझे मेला घुमाने ले जाओगे?” रिया ने खुश होते हुए कहा।
मोहित अपनी कामयाबी पर खुश होते हुए- “हाँ जान तुम्हारी कसम मैं तुम्हें मेला घुमाने ले जाऊँगा..."
रिया- “ठीक है मगर थोड़ी देर ही चूमना...” रिया ने राजी होते हुए कहा।
मोहित ने रिया की इजाजत पाकर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और बहुत जोर से चूसने लगा। धन्नो को अब कोई आवाज सुनाई नहीं दे रही थी वो समझ गई की मोहित रिया के होंठों का रस पी रहा है। धन्नो को। अचानक आवाज सुनाई दी।
रिया- “हम्म्म्म ... छोड़ो तुम बहुत गंदे हो... ऐसे भी कोई होंठों को चूसता है। मेरा दम घुटा जा रहा था...” रिया ने गुस्सा होते हुए कहा।
मोहित- “यार अब क्या हुआ थोड़ी देर चूमने दो ना बहुत लजीज हैं तुम्हारे होंठ..” मोहित ने फिर से रिया को मिन्नत करते हुए कहा।
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रिया- “मेरे होंठ क्या कोई खाना है जो तुम्हें लजीज लग रहे हैं?” रिया ने फिर से गुस्सा होते हुए कहा। मैं दरवाजा खोलती हूँ, कोई आ गया तो मैं किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं रहूंगी।
धन्नो ने यह सुनते ही वहाँ से हटते हुए करुणा के साथ दूसरे कमरे में चली गई। करुणा ने कमरे में पहुँचते ही धन्नो से कहा- “क्या सुन रही थी वहाँ पर दीदी?”
धन्नो- “तुम्हें तो पता है मोहित का... वो रिया को मीठी गोली खिला रहा था। मगर वो चिड़िया उसके चंगुल में ना फैंसी..." धन्नो ने बेड पर बैठते हुए कहा।
उधर रिया ने दरवाजा खोल दिया और वापस जाकर मोहित के साथ बैठ गई।
धन्नो और करुणा आपस में बातें ही कर रही थी की मोहित और रिया उनके कमरे में दाखिल हुए और वहाँ पर बैठते हुए मोहित ने कहा- “शाम को हम मेले पर जा रहे हैं, हमने सोचा आप दोनों से भी पूछ लें...”
धन्नो ने मोहित की बात सुनकर कहा- “मोहित शाम को हम भी मनीष के साथ मेले में जा रहे हैं..."
मोहित खुश होते हुए- “फिर तो बहुत अच्छी बात है सब साथ में चलते हैं."
धन्नो- “ठीक है। शाम को सब साथ में चलेंगे, मगर एक गाड़ी में सब आ जाएंगे?” धन्नो ने सवाल किया।
मोहित- “हाँ क्यों नहीं? कार में चार लोग पीछे बैठ सकते हैं और वैसे भी मेला इतना दूर नहीं है...” मोहित ने फिर से जवाब दिया। मोहित और रिया कुछ देर तक उनसे बातें करने के बाद वहाँ से चले गये।
धन्नो ने करुणा से कहा- “मुझे नींद आ रही है मैं सो रही हूँ..”
धन्नो की बात सुनकर करुणा ने कहा- “मैं भी सो रही हूँ ताकी जल्दी शाम हो जाये...”
करुणा की
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*बिंदिया और रोहन
होटल रूम में बिंदिया आज बहुत देर तक सोई थी जब वो उठी तो सुबह के 11:00 बजे थे। वो उठकर नहाने चली गई और फ्रेश होकर बाहर आ गई। उसकी माँ खाना पका रही थी। बिंदिया को देखकर उसने कहा- “उठ गई बेटी चाय बनाऊँ तुम्हारे लिए?”
बिंदिया ने कहा- “आप खाना पकाओ, मैं खुद बना लेती हूँ और वो खुद के लिए चाय बनाने लगी...”
सोनाली- “बेटी सुबह रोहन बेटे का फोन आया था, तुम सो रही थी। कह रहा था की जरूरी काम है तुम उसे फोन करना...”
बिंदिया- “जी माँ अभी चाय पीकर करती हूँ..” बिंदिया ने कहा। बिंदिया चाय बनाने के बाद उसे उठाकर अपने कमरे में चली गई और अपना फोन उठाया उसपर रोहन की मिस काल्स थी। बिंदिया ने रोहन के नंबर पर फोन लगा दिया।
रिहन- “हेलो गुड मार्निग डार्लिंग..” उस तरफ से रोहन की आवाज आई।
बिंदिया गुस्सा होते हुए- “अच्छा तो अभी साहब को फुर्सत मिली है हमसे बात करने के लिए?”
रोहन- “यार मत पूछो रात को तुम्हारे पास आने के लिए ही निकला था की रास्ते में दोस्तों ने रोक लिया। और एक पार्टी में ले गए, वहाँ पर कुछ ज्यादा ही पी ली इसलिए तुम्हारे पास नहीं आ सका..." रोहन ने एक साँस में ही अपनी पूरी बात कह दी।
बिंदिया ने कहा- “हम कुछ नहीं जानते। अब कोई इंतजाम करो, हम रात से जल रहे हैं...”
रोहन बिंदिया को चिढ़ाते हुए- “हुक्म करो मेरी जान अभी तुम्हारे कमरे में हाजिर हो जाता हूँ..”
बिंदिया- “मजाक छोड़ो यहाँ नहीं, कोई और जगह देखो...” बिंदिया ने रोहन को डाँटते हुए कहा।
रोहन- “ठीक है तुम तैयार रहो, मैं अभी आता हूँ.”
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बिंदिया ने रोहन की बात सुनकर खुश होते हुए अपनी चाय खतम की और अपनी माँ के पास जाते हुए कहा
मोम मुझे अभी रोहन के साथ कहीं जाना है, मेरा खाना मत पकाना...”
सोनाली ने बिंदिया से पूछा- “बेटा कितनी देर लगेगी तुम्हें आने में?”
बिंदिया- “कुछ कह नहीं सकती, तीन-चार घंटे लग जाएंगे."
सोनाली बिंदिया का जवाब सुनकर खुश होते हुए खाना बनाने लगी।
रोहन कुछ ही देर में आ गया और बाहर से हार्न बजाने लगा। बिंदिया भागते हुए बाहर जाते हुए कहने लगी
आ रही हूँ बाबा...” बिंदिया बाहर आते हुए रोहन के साथ बाइक पर बैठ गई और रोहन बाइक को चलाने लगा।
रास्ते में बिंदिया ने रोहन को पीछे से अपनी बाहों में भरते हुए कहा- “कहाँ चल रहे हो जान?”
रोहन ने बिंदिया को चिढ़ाते हुए कहा- “एक होटेल में कमरा बुक कराया है, क्या करें तुम्हारा खयाल तो रखना ही पड़ेगा, ऐसा ना हो की तुम हमसे धोखा कर बैठो...”
रोहन की बात सुनकर बिंदिया ने गुस्सा होते हुए कहा- “क्या कहा तुमने... हम तुमसे धोखा करेंगे? अगर धोखा करना होता तो तुम्हें क्यों बुलाती, बहुत हैं गली में। रात को किसी एक को बुला लेती, तो भागता हुआ मेरे पास चला आता..."
रोहन- “क्या तुम ऐसा कर सकती हो?” गुस्सा होने की बारी अब रोहन की थी।
बिंदिया- “तुम तो कह रहे हो की मैं तुम्हें धोखा देंगी...” बिंदिया ने मुँह बनाते हुए कहा।
रोहन- “अच्छा बाबा माफ कर दो गलती हो गई.." रोहन ने बिंदिया को नाराज देखकर कहा।
रोहन की गाड़ी एक रेस्टोरेंट के सामने आकर रुक गई। रोहन बाइक को एक साइड में खड़ा करते हुए बिंदिया के साथ होटेल में दाखिल हो गया। बिंदिया बाइक से उतरी। सामने मैनेजर से रोहन ने अपना नाम बताते हुए अपने कमरे की चाबी माँगी।
मैनेजर ने बिंदिया की तरफ देखते हुए मुश्कुराकार चाबी रोहन को दे दी। रोहन और बिंदिया चलते हुए अपने कमरे में आ गए।
बिंदिया कमरे में अंदर पहुँचकर हैरान रह गई, यह एक 5 स्टार होतेल था, जिसमें जरूरत की हर चीज मौजूद । थी। बिंदिया के जिश्म को एसी की ठंडी हवा और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी। बिंदिया के जिम में ठंडी हवा को झोंका गुदगुदी मचा रहा था।
रोहन ने अंदर आते ही दरवाजे को बंद करते हुए बिंदिया से पूछा- “खाने में क्या आर्डर दें?"
बिंदिया- “फिलहाल तो तुम्हें खाने का इरादा है...” बिंदिया ने रोहन की तरफ खाने वाली नजरों से देखते हुए कहा।
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रोहन बिंदिया की बात सुनते ही रोमांटिक होते हुए कहा- “क्या बात है आज बहुत मूड में हो?”
बिंदिया ने रोहन की तरफ बढ़ते हुए उसके होंठों पर एक किस देते हुए कहा- “आज सिर्फ बरसो, गरजो मत.."
रोहन बिंदिया की बात का अर्थ समझते ही उसे अपने बाहों में भरते हुए उसके होंठों को बहुत जोर चूमने लगा। बिंदिया की बड़ी-बड़ी चूचियां रोहन के सीने से टकराते ही पैंट में उसका लण्ड जागने लगा। रोहन ने बिंदिया को अपनी बाहों से जुदा करते हुए उसकी साड़ी को उसके जिश्म से अलग कर दिया और उसे अपनी गोद में उठाकर बेड पर लेटा दिया। रोहन ने बिंदिया को बेड पर लेटाने के बाद अपनी शर्ट और पैंट को उतार दिया। रोहन के अंडरवेर में उसका लण्ड तनकर उछल कूद मचाना शुरू कर दिया था। रोहन ने बेड पर चढ़ते हुए बिंदिया को । सीधा करते हुए उसके जिम से पेटीकोट, ब्रेजियर और ब्रा को अलग कर दिया और बिंदिया को धक्का देते हुए सीधा लेटा दिया।
बिंदिया को एसी की ठंडी हवा अब सीधे अपनी नंगी चूचियों पर महसूस हो रही थी, जिस वजह से वो और ज्यादा गरम हो रही थी। रोहन बिंदिया के ऊपर चढ़ गया और उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को अपने हाथों से मसलते हुए अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। बिंदिया के मुँह से उत्तेजना के मारे सिसकियां निकलने लगी और उसकी चूत से निकलता हुआ पानी उसकी पैंटी को भिगोने लगा। रोहन कुछ देर तक उसकी चूचियों से खेलने के बाद नीचे होते हुए बिंदिया की पैंटी को उतारने लगा। रोहन ने बिंदिया की पैंटी उतारने के बाद उसकी छोटी सी कच्छी भी उतार दी, और बिंदिया की टाँगों को फैलाता हुआ अपना मुँह नीचे करते हुए अपने होंठ उसकी चूत के होंठों पर रख दिए।
रोहन के होंठ अपनी चूत पर पड़ते ही बिंदिया के मुँह से “आह्ह्ह... ओह...” की सिसकी निकल गई।
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रोहन बिंदिया की पहले से भीगी चूत को चूमते हुए अपनी जीभ से चाटने लगा। रोहन को बिंदिया की चूत से । भीनी-भीनी गंध का अहसास हो रहा था, जो उसे पागल बना रहा था। बिंदिया की भी हालत बहुत बुरी थी। रोहन की जीभ अपनी चूत के होंठों पर महसूस करते ही बिंदिया ने मजे से अपनी टाँगों को जितना हो सकता था फैला दिया और बहुत जोर से आहें भरते हुए अपने हाथों से रोहन के सिर को पकड़ते हुए अपनी चूत पर दबाने लगी।
रोहन ने अपनी जीभ को बिंदिया की चूत में घुसा दिया, और अपने हाथ से उसकी चूत के दाने को सहलाने लगा। बिंदिया अपनी चूत में रोहन की जीभ के घुसते ही झटपटाने लगी और मजे से अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर रोहन की जीभ को अपनी चूत में अंदर तक महसूस करने लगी। बिंदिया के पूरे जिश्म ने अकड़ना शुरू कर दिया। एसी की ठंडक में भी उसके जिश्म ने पशीना बहाना शुरू कर दिया।
बिंदिया की चूत में एक ज्वालामुखी फटने लगा। बिंदिया की चूत झटके खाने लगी, बिंदिया की आँखें मजे से बंद हो गई और वो मजे से हवा में उड़ते हुए जोर से सिसकते हुए- “आहहह.. आहह... ओहह..” करते हुए झड़ने लगी।
बिंदिया की चूत से ढेर सारा पानी निकालकर रोहन के मुँह और चहरे पर गिरने लगा। रोहन बिंदिया की चूत से निकलता हुआ पानी पीने लगा, मगर रोहन का चेहरा बिंदिया की चूत से निकलते हुए पानी से भीग गया। रोहन जितनी देर तक बिंदिया झड़ती रही उसकी चूत चाटता रहा और जब बिंदिया की चूत ने पानी बहाना बंद कर दिया तो रोहन उसकी टाँगों के नीचे से उठते हुए बेड पर सीधा लेट गया।
बिंदिया कुछ देर तक यूँ ही लेटे हुए लंबी साँसें लेने लगी। कुछ देर बाद बिंदिया ने उठते हुए रोहन के अंडरवेर को उसके जिम से अलग कर दिया। रोहन का अंडरवेर उतरते ही उसका मोटा और लंबा लण्ड तंबू की तरह सीधा खड़ा होकर बिंदिया की आँखों के सामने लहराने लगा। बिंदिया रोहन के तगड़े लण्ड को देखते ही भूखी शेरनी की तरह उसपर टूट पड़ी और रोहन के लण्ड को अपनी जीभ से चाटने लगी। बिंदिया रोहन के पूरे लण्ड को ऊपर से नीचे तक अपनी जीभ से चाटने लगी। बिंदिया ने रोहन के लण्ड को चाटते हुए अपना मुँह खोलकर उसको जितना हो सकता था अपने मुँह में भर लिया और आगे से अपने होंठों से चूसने लगी।
रोहन का लण्ड तनकर बिल्कुल लोहे की तरह ठोस हो गया था। बिंदिया से अब रहा नहीं जा रहा था, उसने रोहन का लण्ड अपने मुँह से निकल दिया। रोहन का लण्ड बिंदिया के थूक से बिल्कुल गीला हो चुका था और सीधा होकर झटके मार रहा था। बिंदिया ने अपनी दोनों टाँगों को फैलाते हुए रोहन के लण्ड को पकड़कर अपनी चूत पर सेट किया और एक ही झटके के साथ उसपर बैठ गई।
बिंदिया- “ओईई.. आह्ह्ह..” करके बिंदिया तकलीफ से चीख उठी।
रोहन का लण्ड उसकी चूत में पूरा घुस चुका था। रोहन का लण्ड वो कई दफा ले चुकी थी, मगर फिर भी एक ही बार में पूरा लण्ड घुसने से बिंदिया को दर्द होने लगा। बिंदिया पूरा लण्ड अपनी चूत में लिए हुए रोहन के सीने पर लेट गई। रोहन बिंदिया की एक चूची को अपने मुँह में भरकर चूसते हुए दूसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची को सहलाने लगा। बिंदिया अपनी चूची के रोहन के मुँह में जाते ही गरम होने लगी और सीधी होते हुये रोहन के लण्ड पर उछलने लगी। बिंदिया अपनी चूत में रोहन के लण्ड की रगड़ से पागल होने लगी।
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बिंदिया अब रोहन के लण्ड पर बहुत जोर से उछलने लगी। बिंदिया रोहन के लण्ड पर सुपाड़े तक ऊपर होते हुए फिर से एक ही झटके में नीचे बैठ रही थी, जिस वजह से उसके मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकल रही । थीं। बिंदिया 5 मिनट तक ऐसे ही बहुत जोर-जोर से रोहन के लण्ड पर ऊपर-नीचे होते हुए हाँफने लगी। बिंदिया का पूरा जिश्म अकड़ने लगा और उसकी चूत झटके खाते हुए झड़ने लगी। बिंदिया झड़ने के बाद निढाल होकर रोहन के ऊपर लेट गई।
रोहन ने बिंदिया को अपने ऊपर से उठाते हुए उल्टा लेटा दिया। रोहन अपना लण्ड बिंदिया की चूत में पीछे से डालते हुए उसे जोर-जोर से चोदने लगा। रोहन 5 मिनट बाद ही हाँफते हुए बहुत तेजी के साथ बिंदिया की चूत में अंदर-बाहर करने लगा। बिंदिया का जिश्म भी अकड़ने लगा और दोनों के जिश्म एक साथ जोर से झटके खाते हुए झड़ने लगे।
रोहन झड़ने के बाद बिंदिया के ऊपर ढेर हो गया। कुछ देर बाद वो बिंदिया के ऊपर से उठते हुए बाथरूम में । चला गया। बिंदिया की चूत में से अभी तक रोहन और उसका मिला जुला वीर्य निकल रहा था। रोहन जैसे ही बाथरूम से निकला बिंदिया बाथरूम में जाने लगी।
रोहन ने बिंदिया से पूछा- “खाने का आर्डर दें?”
बिंदिया- “हाँ खाना मंगवा लो। बहुत भूख लगी है मैं फ्रेश होकर आती हूँ..” बिंदिया ने जाते हुए जवाब दिया।
बिंदिया कुछ ही देर में फ्रेश होकर आ गई। बिंदिया के आते ही कमरे की बेल बजी। रोहन ने उठते हुए दरवाजा खोल दिया, सामने वेटर खड़ा था जो खाना लेकर आया था। रोहन के दरवाजा खोलते ही वेटर खाना अंदर रखते हुए वहाँ से चला गया। बिंदिया और रोहन ने खाना खाया और कुछ देर तक वहाँ पर बैठकर बातें करने के बाद कमरे से निकलते हुए जाने लगे।
रोहन ने कमरे की चाबी मैनेजर को वापस दी, जो उसने दाँत निकलते हुए ले ली। रोहन और बिंदिया बाइक पर बैठते हुए वहाँ से निकल गये। मैनेजर जल्दी से अपने मास्टर रूम में आ गया। मैनेजर रूम में दाखिल होते ही । दरवाजे को अंदर से बंद कर दिया और वहाँ पर लगे हुए टीवी को ओन कर दिया। टीवी पर रेस्टोरेंट का एक रूम दिखाई देने लगा। मैनेजर ने एक रिमोट से टीवी पर कमरे को चेंज करते हुए वो कमरा लगा दिया जिसमें अभी बिंदिया और रोहन ठहरे थे।
मैनेजर ने एक दूसरा रिमोट निकलते हुए टीवी की तरफ कर दिया, टीवी पर दो लकीरें आ गई और बिंदिया और रोहन खाना खाते हुए पीछे होने लगे। अब दोनों की चुदाई टीवी पर नजर आने लगी। मैनेजर ने रिमोट से टीवी को बंद कर दिया और दाँत निकालते हुए बाहर आ गया। रोहन ने बिंदिया को अपने घर पर छोड़ दिया, बिंदिया बाइक से उतरते हुए घर जाने लगी। तभी उसने देखा की घर का दरवाजा लाक था। वो सोचने लगी अब क्या करे? तभी उसकी माँ उसे सामने से आती हुई नजर आ गई।
सोनाली- “बेटी तुम आ गई, मैं थोड़ा अपनी सहेली से मिलने गई थी...” यह कहते हुए सोनली ने दरवाजे का लाक खोल दिया और दोनों माँ बेटी घर में अंदर दाखिल हो गई।
बिंदिया अंदर आते ही अपने कमरे में चली गई। सोनाली भी अपने कमरे में जाते हुए सीधा बाथरूम में घुस गई,
और अपने कपड़े उतारकर नहाने लगी।
सोनाली भी कमल की चुदाई से बहुत संतुष्ट दिखाई दे रही थी।
* * * * * * * * *
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*मेले की सैर में ठाकुर के बेटे मनीष पर गोली चली
शाम के 6:00 बज रहे थे। धन्नो और करुणा तैयार होकर अपने होने वाले पतियों का इंतजार कर रही थी। उनके साथ मोहित और रिया भी तैयार बैठे थे। करुणा ने फोन पर मनीष को बता दिया था की मोहित और रिया भी उनके साथ मेले में चलेंगे। मनीष ने मोहित के घर के सामने पहुँचते ही गाड़ी का हार्न बजाया। हार्न सुनते ही सभी घर से निकलते हुए बाहर आ गये। सभी बाहर आते ही गाड़ी में बैठ गये। आगे मनीष और रवी बैठे थे और चारों गाड़ी में पीछे जाकर बैठे। कार बहुत बड़ी थी और उन चारों में से कोई भी मोटा नहीं था इसलिए चारों आराम से कार में बैठ गये।
शिल्पा हवेली में ठाकुर के कमरे में चाय लेकर आई। ठाकुर ने शिल्पा से चाय का कप लेते हुए टेबल पर रख दिया और शिल्पा को बाहों से पकड़ते हुए अपनी गोद में बिठा दिया।
शिल्पा ने छटपटाते हुए ठाकुर से कहा- “चाय पी लें, ठंडी हो जायेगी...”
ठाकुर- “तुम्हारे होते हुए चाय की क्या जरूरत है?” ठाकुर ने शिल्पा के कंधे को चूमते हुए कहा।
शिल्पा- “आप चाय पी लो, मैं बाथरूम से होकर आती हूँ..” शिल्पा ने ठाकुर से अपने आपको छुड़ाने की कोशिश
करते हुए कहा।
ठाकुर ने इस बार शिल्पा को आजाद कर दिया और चाय का कप उठाकर पीने लगा। शिल्पा ठाकुर से छूटते ही बाथरूम में घुस गई और अपनी साड़ी में छुपाई हुई मोबाइल निकालकर एक नंबर मिलाने लगी।
“हेलो...” दूसरी तरफ से आवाज आई।
शिल्पा- “मैं शिल्पा बोल रही हूँ.” शिल्पा ने धीरे से कहा।
हाँ शिल्पा बोल क्या बात है?” दूसरे तरफ से आवाज आई।
शिल्पा- “वो आज ठाकुर के दोनों बेटे और बहुयें मेले में घूमने गये हैं...” शिल्पा ने धीरे से बोलते हुए कहा।
ठीक है मैं समझ गया, तुम फोन बंद करो..." दूसरे तरफ से आवाज आई।
शिल्पा ने अपने मोबाइल को बाथरूम में एक जगह छुपा दिया और वहाँ से निकलते हुए ठाकुर के पास आ गई। ठाकुर चाय पी चुका था, उसने शिल्पा को देखते ही अपनी बाहों में दबोच लिया। ठाकुर ने अपने सारे कपड़े उतार दिए, और शिल्पा को भी पूरा नंगा कर दिया। ठाकुर शिल्पा को नंगा करने बाद उसके सारे जिश्म को चूमने और चाटने लगा। शिल्पा ना चाहते हुए भी गरम होने लगी और ठाकुर का साथ देने लगी। ठाकुर और शिल्पा दोनों हवस में अंधे होकर अपनी-अपनी प्यास बुझाने लगे।
मनीष ने गाड़ी को मेले के बाहर रोक कर एक साइड में खड़ा कर दिया, और सभी गाड़ी से उतरने लगे। गाड़ी से उतरते ही मनीष ने कहा- “साथ में मजा नहीं आएगा इसलिए हम सब अलग-अलग होकर मेला घूमते हैं."
मनीष की बात सबको अच्छी लगी और तीनों जोड़ियां अलग-अलग होकर मेले में दाखिल हो गईं। तीनों ने आखिर में मोबाइल से आपस में कांटैक्ट करने का फैसला किया। करुणा और मनीष जैसे ही मेले में दाखिल हुए करुणा ने सामने मौत के कुवें की तरफ इशारा करते हुए कहा- “मनीष हमें वो देखना है, हमने सुना है की इसमें कार गोल-गोल घूमती है...”
मनीष ने करुणा के साथ जाते हुए दो टिकटें खरीद ली और ऊपर चढ़कर मजे से देखने लगे। रवी ने धन्नो के साथ मेले में दाखिल होते ही उससे पूछा- “क्या देखना है?”
धन्नो- “जी हमें उस झूले पर चढ़ना है..” धन्नो ने एक बड़े झूले की तरफ इशारा करते हुए कहा।
रवि- “यार यह तो बहुत लंबा है, तुम्हें डर नहीं लगेगा...” रवी ने झूले की तरफ देखते हुए कहा।
धन्नो- “नहीं हमें डर नहीं लगेगा...”
रवी ने उस झूले की दो टिकटें ली और धन्नों के साथ उसपर बैठ गया। झूले पर सीटें ऐसी थी की एक भाग में दो लोग ही बैठ सकते थे। रवी और धन्नो एक दूसरे के सामने बैठ हुए थे। थोड़ी ही देर में झूला भर हो गया
और वो चलने लगा। झूला पहले कम और फिर बहुत स्पीड के साथ चलने लगा। रवी तो कई दफा इस झूले पर बैठ चुका था, मगर झूले के पूरा स्पीड में होते ही धन्नो को डर लगने लगा।
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धन्नो ने रवी से कहा- “मुझे बहुत डर लग रहा है, मैं गिर जाऊँगी...”
रवि- “मैंने तुमसे कहा था ना की तुम्हें डर लगेगा, मगर तुम ही जिद करके चढ़ी थी...” रवी ने गुस्से से धन्नो को कहा- “एक काम करो अपना हाथ मुझे दो और मेरी गोद में आकर बैठो..." रवी ने धन्नो को सुझाव दिया।
धन्नो को डर तो बहुत लग रहा था मगर वो रवी की गोद में बैठने से शर्मा रही थी। धन्नो को अचानक चक्कर आने लगे और वो रवी का हाथ पकड़ते हुए उसकी गोद में जाकर बैठ गई। रवी ने धन्नो के अपनी गोद बैठते ही अपनी बाहों में जकड़कर काबू कर लिया। धन्नो के भारी चूतड़ अपनी गोद पर महसूस होते ही रवी को अपनी । पैंट में गर्माहट महसूस होने लगी। रवी ने अपने हाथों को थोड़ा ऊपर करते हुए धन्नो की चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें सहलाने लगा।
अचानक रवी का हाथ अपनी चूचियों पर पड़ते ही धन्नो चौंकते हुए “आअह्ह्ह...” करके सिसक पड़ी। रवी ने वैसे ही धन्नो की चूचियों को सहलाते हुए अपने होंठ उसके कंधे पर रख दिए। रवी अपने होंठ धन्नो के कंधे पर चारों तरफ फिराते हुए उसे चूमने लगा। झूला वैसे ही तेज रफ़्तारी से चल रहा था। धन्नो जो थोड़ी देर पहले गिरने से डर रही थी अब अपने होने वाले पति की मजबूत बाहों में अपनी आँखें बंद किए हुए दुनियां से बेखबर मजे से सिसक रही थी।
अचानक झूले की स्पीड कम हो गई। धन्नो झूले की स्पीड कम होते ही होश में आ गई और रवी के हाथों को अपने हाथों से पकड़ते हुए अपनी चूचियों से अलग कर दिया। धन्नो रवी की गोद से उठते हुए अपनी सीट पर जाकर बैठ गई। झूले की स्पीड कम होती गई और झूला ठहर गया। रवी और धन्नो झूले के ठहरते ही वहाँ से उतर गये।
रवी ने धन्नो से कहा- “अब कहाँ चलना है?”
धन्नो- “जी आप जहाँ चले, मैं कुछ नहीं कहूँगी..." धन्नो ने जवाब दिया।
रवी ने कुल्फी वाले के पास ठहरते हुए दो कुल्फियां ले ली। रवी ने एक कुल्फी धन्नो को दे दी और सामने एक मैजिक शो की दो टिकटें खरीद कर धन्नो के साथ अंदर आ गया।
दोनों एक साथ बैठकर कुल्फी खाते हुए मैजिक शो देखने लगे। रवी की नजर कुल्फी खाते हुए धन्नो को घूर । रही। रवी को धन्नो कुल्फी खाते हुए बहुत अच्छी लग रही थी। धन्नो जैसे ही कुल्फी को अपनी जीभ निकालकर चाटती रवी के पूरे शरीर में सिहरन होने लगती। रवी अपनी किश्मत पर बहुत खुश हो रहा था की उसे अपने लिए धन्नो जैसी पढ़ी लिखी खूबसूरत बीवी मिल गई।
मोहित और रिया भी झूले पर चढ़ने के बाद एक जगह से आइसक्रीम खरीदकर उसी मैजिक शो में आ गये, जहाँ रवी और धन्नो मौजूद थे। मनीष और करुणा भी मौत के कुवें को देखने के बाद कोल्ड ड्रिंक खरीदते हुए उसी मैजिक शो में आ गये। मैजिक शो के खतम होते ही सभी बाहर निकलने लगे।
तभी धन्नो ने करुणा और रवी को देख लिया और चिल्लाते हुए अपने पास बुला लिया। तभी मोहित की नजर भी उन चारों पर पड़ी और वो भी चलते हुए सभी के साथ खड़े हो गये। सभी ने आपस में मिलकर वापस जाने का फैसला किया और सभी साथ में चलते हुए अपनी गाड़ी तक पहुँच गये।
मनीष गाड़ी का लाक खोल ही रहा था की एक जोरदार आवाज के साथ गोली चलने की आवाज आई, गोली मनीष के बाजू के बिल्कुल पास से गुजरती हुई जमीन पर जा लगी। मनीष जल्दी से गाड़ी का दरवाजा खोलते हुए उसमें बैठ गया और सभी भी डर के मारे गाड़ी में बैठ गये। मनीष गाड़ी चला चुका था। मेले के शोर में किसी को खबर ही नहीं लगी की यहाँ किसी ने गोली चलाई है।
मनीष बहुत डरा हुआ था उस समझ में नहीं आ रहा था की उसका कोई दुश्मन भी हो सकता है, उसपर जानलेवा हमला हो चुका था। मनीष गाड़ी को सीधे अपनी हवेली की तरफ ले जाने लगा। रास्ते में डर के मारे किसी ने एक दूसरे से बात नहीं की।
शिल्पा ठाकुर से चुदवाने के बाद बाथरूम में अपने कपड़े पहनते हुए एक बार फिर बाथरूम में जाते हुए अपना मोबाइल उठाकर अपने कपड़ों में छुपा लिया। शिल्पा ठाकुर से इजाजत लेकर हवेली से निकल गई।
मनीष ने गाड़ी को सीधा अपनी हवेली के बाहर रोका और सभी कार से उतरकर हवेली में दाखिल हो गये।
ठाकुर- “अरे बेटे इन्हें घर क्यों नहीं छोड़ आए?” ठाकुर ने सभी को साथ में देखते हुए कहा।
रवि- “डैड हम पर किसी ने गोली चलाई है...” रवी ने अपने बाप को कहा।
ठाकुर- “क्या? गोली चलाई है, तुम सब ठीक तो हो?” ठाकुर ने परेशान होते हुए कहा।
रवि- “जी डैड हम सब ठीक हैं, गोली मनीष भैया के बिल्कुल करीब से गुजरी थी...” रवी ने फिर से कहा।
ठाकुर- “किस कमीने की जुर्रत हुई जो हमारे बेटे पर हमला किया, हम उस कुत्ते की बोटी-बोटी नोच लेंगे...” ठाकुर ने गुस्से से दाँत पीसते हुए कहा।
ठाकुर ने अपने एक नौकर से कहा- “कालू इनको गाड़ी में घर छोड़कर आओ..."
नौकर- “जो हुक्म ठाकुर साहब..” कहकर वो नौकर चारों को अपने साथ लेकर चला गया।
ठाकुर- “आओ बेटे मेरे कमरे में चलो..” ठाकुर ने मनीष और रवी को अपने साथ ले जाते हुए कहा। ठाकुर ने कमरे में आते ही फोन लगाया।
हेलो...” दूसरी तरफ से अवाज आई।
ठाकुर- “हम ठाकुर प्रताप सिंह बोल रहे हैं.” ठाकुर ने कड़क आवाज में बात करते हुए कहा।
“प्रणाम ठाकुर साहब कैसे याद किया?” दूसरी तरफ से आवाज आई।
ठाकुर- “आज मेले में हमारे बेटों पर किसी ने गोली चलाई, जल्दी से पता करें किस कुत्ते की मजाल हुई और हमारे बेटों पर भौंका?” ठाकुर ने गुस्से से तिलमिलाते हुए कहा।
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“क्या कहा ठाकुर साहब? छोटे ठाकुरों पर किसी ने हमला किया, हम अभी पता लगाते हैं, किस माई के लाल में इतना दम है जो आपसे टक्कर ले रहा है?” दूसरी तरफ से उस शख्स ने हैरान होते हुये कहा।
रवि- “डैड हमारी तो किसी से दुश्मनी भी नहीं है...” रवी ने अपने पिता की तरफ देखते हुए कहा।
मनीष- “हमारी नहीं, मगर डैड की जरूर किसी से दुश्मनी है...” इतनी देर से खामोश मनीष ने पहली बार बोलते हुए कहा।
ठाकुर- “बेटा सच कहा। कोई तो है जो हमें नुकसान पहुँचाना चाहता है, मगर तुम फिकर मत करो हम पता लगा लेंगे...” ठाकुर ने संजीदा होते हुए कहा। ठाकुर ने अपने बेटों से कुछ देर बातें करने के बाद उन्हें अपने कमरे में। जाकर आराम करने के लिए कहा।
रवी और मनीष अपने कमरों में जाकर लेट गये। मनीष ने फैसला कर लिया था की शादी के बाद वो किसी दूसरी जगह जाकर रहेंगे।
इधर मोहित और सभी अपने घर पहुँच चुके थे। मौसी गोली की बात सुनकर बहुत डर गई थी। उसने धन्नो और करुणा को वापस जाने की सलाह दी। रात का खाना खाकर सभी सोने की तैयारी करने लगे। धन्नो और करुणा डर के मारे एक साथ एक कमरे में सोई थी और उन्हें जल्दी ही नींद आ गई।
रवी की आँखों से नींद गायब थी उसका लण्ड रात वाली बात को याद करते ही उठ चुका था और वो अपने लण्ड
को हाथ से सहलाते हुए शिल्पा का इंतजार करने लगा।
* * * * * * * * * *
शिल्पा और उसका यार सूरज
शिल्पा ने ठाकुर को दोपहर को ही कह दिया था की वो रात को नहीं आएगी।
शिल्पा अपने बाप के सोने के बाद अपने यार को मिसकाल दे दी थी और वो इस वक़्त शिल्पा को उल्टा करके चोद रहा था। शिल्पा अपने यार के 9" इंच लंबे और 24 इंच मोटे लण्ड से चुदते हुए दो बार झड़ चुकी थी। शिल्पा ने सिसकते हुए कहा-
“आहहह... तुम चोदने लगाते हो तो झड़ने का नाम ही नहीं लेते...”
“तुम्हें मेरी यही बात तो अच्छी लगती है...” उस शख्स ने अपने लण्ड को जोर से शिल्पा की चूत में अंदर-बाहर
करते हुए कहा।
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शिल्पा- “हाँ.. वो तो है, मगर तुम्हारा निशाना कैसे चूका?" शिल्पा ने मजे से सिसकते हुए कहा।
शायद ठाकुर के बेटों को कुछ दिन जिंदा रहना लिखा था..” उस शख्स ने हाँफते हुए कहा- “आह्ह... शिल्पा में झड़ रहा हूँ..” वो शख्स चिल्लाता हुआ शिल्पा की चूत को अपने वीर्य से भरने लगा।
शिल्पा भी अपनी चूत में वीर्य के जाते ही तीसरी बार झड़ने लगी। शिल्पा झड़ने के बाद सीधी होकर वहीं लेट
गई और वो शख्स भी उसके साइड में लेट गया।
जान मुझे कुछ दिनों तक यहाँ से जाना होगा, मगर मैं जल्द ही लौट आऊँगा..” उस शख्स ने शिल्पा की तरफ देखते हुए कहा।
शिल्पा- “सूरज मैं समझ सकती हूँ तुम्हारा यहाँ रहना ठीक नहीं है..." शिल्पा ने अपने यार को गले लगाते हुए
कहा।
सूरज- “ठीक है शिल्पा मैं चलता हूँ अपना खयाल रखना...” सूरज शिल्पा को अलविदा कहते हुए कपड़े पहनकर वहाँ से चला गया।
शिल्पा सूरज के जाते ही सोचने लगी की कब उनका इंतकाम पूरा होगा और कब वो आपस में शादी करेंगे। शिल्पा को अब अपने आपसे घिन होने लगी थी। शिल्पा चाहती थी की जल्द से जल्द उनका इंतकाम पूरा हो
जाये और वो भी शादी करके सूरज की पत्नी बनकर रहे। वो अपना जिश्म नोचवाकर तंग हो चुकी थी और वो अब अपना घर चाहती थी, जिसमें उसके पति और बच्चे हों। शिल्पा को सोचते-सोचते कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला।
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मोहित और रिया की पहली चुदाई
धन्नो की अचानक नींद खुल गई और वो उठकर पानी पीने के लिए बाहर आ गई, धन्नो ने ग्लास उठाते हुए मटके से पानी भर लिया और उसे पीने लगी। तभी उसे मोहित के कमरे से कुछ आवाज सुनाई दी। धन्नो पानी पीकर मोहित के कमरे के पास चली गई, तभी उसे अंदर से साफ आवाज सुनाई दी।
मोहित- “प्लीज एक बार इन्हें उतार दो ना, मैं कब से तुम्हारा बदन देखना चाहता हूँ...” अंदर से मोहित की आवाज आती सुनाई दी।
धन्नो चौंकते हुए खिड़की के पास चली गई, अंदर का नजारा देखकर धन्नो की आँखें फटी की फटी रह गई। रिया मोहित के सामने सिर्फ एक ब्रा-पैंटी में खड़ी थी और उसका गोरा बदन बल्ब की रोशनी में चमक रहा था।
रिया- “हम इन्हें नहीं उतारेंगे, इनके उतरते ही तुम मुझे तंग करना शुरू कर दोगे..” रिया ने मोहित को तड़पाते हुए कहा।
मोहित- “देखो रिया, हो सकता है हम कल शहर चले जाएं, इस बार हमें अपना जिश्म दिखा दो, हम तुम्हारी मर्जी के बिना कुछ नहीं करेंगे.” मोहित ने रिया से मिन्नत करते हुए कहा।
धन्नो हैरान थी की रिया इतनी रात को यहाँ कैसे पहुँच गई?
रिया- “ठीक है तुम जाकर वहाँ बैठ जाओ...” रिया ने मोहित को खटिया की तरफ इशारा करते हुए कहा।
मोहित सिर्फ एक अंडरवेर में था। वो रिया की बात सुनकर खटिया पर जाकर बैठ गया। रिया का जिश्म देखकर धन्नो हैरान रह गई क्योंकी रिया का फिगर जबरदस्त था। मोहित के खटिया पर बैठते ही रिया ने अपनी ब्रा को नीचे सरकाते हुए अपने जिश्म से अलग कर दिया।
रिया की चूचियां दूध की तरह सफेद थीं और उसके छोटे-छोटे निपल गुलाबी रंग के थे। धन्नो ने देखा की मोहित का लण्ड रिया की दूध जैसी सफेद चूचियों को देखकर उसके अंडरवेर में उछल-कूद मचाने लगा। रिया ने अब अपनी कच्छी में हाथ डालते हुए उसे भी उतार दिया। रिया ने जैसे ही अपनी कच्छी को अपने पैर से निकाला उसकी शीशे की तरह साफ, चिकनी और गोरी चूत को देखकर धन्नो और मोहित दोनों के मुँह में पानी आने लगा। मोहित ने खटिया से उठते हुए अपना अंडरवेर उतार दिया।
रिया- “आपको शर्म नहीं आती, आपने उसे क्यों उतारा?” रिया ने मोहित के अंडरवेर के उतरते ही उसके खड़े लण्ड को देखकर शर्म से अपनी आँखों के सामने अपने हाथों को रखते हुए कहा।
मोहित- “जब तुम नंगी होकर मेरे सामने खड़ी हो सकती हो तो मैं क्यों नहीं?” मोहित ने आगे बढ़ते हुए रिया की आँखों से उसके हाथ हटा दिए।
रिया- “देखो मोहित तुमने कहा था की हमें कुछ नहीं करोगे.” मोहित को नंगा होकर अपने इतने करीब देखकर रिया ने अपनी साँसों को ठीक करते हुए कहा।।
मोहित- “हम आपकी मर्जी के खिलाफ कुछ थोड़े ही करेंगे..” मोहित ने रिया को अपनी बाहों में भरते हुए कहा।
रिया अपनी नंगी चूचियां मोहित के सीने में दबते ही जोर से सिसक पड़ी। रिया को आज तक किसी ने हाथ नहीं लगाया था।
मोहित ने रिया को अपनी बाहों में मजबूती से पकड़ते हुए उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मोहित के होंठ अपने होंठों पर पड़ते ही रिया का सारा जिश्म सिहर उठा और उसने अपनी बाहों में मोहित को जोर से भींच लिया। मोहित रिया के दोनों होंठों को अपने मुँह में लिए हुए चूस रहा था। मोहित का लण्ड नीचे से उछलते हुए रिया की गोरी चूत को चूमते हुए टक्कर मारने लगा। रिया अपनी चूत पर किसी चीज के लगने से कांप उठी, और धक्का देते हुए मोहित को अपने आपसे दूर कर दिया।
मोहित- “क्या हुआ मेरी जान?” मोहित ने हैरान होते हुए रिया से पूछा।
रिया- “मुझे नीचे तुम्हारा वो लग रहा था...” रिया ने शर्म के मारे अपना सिर झुककर मोहित का खड़े लण्ड की
तरफ इशारा करते हुए कहा।
मोहित- “जान जिस तरह मैं तुमसे प्यार कर रहा हूँ, यह भी मेरी तरह तुम्हारी चूत से प्यार कर रहा था...” मोहित ने रिया के करीब आते हुए कहा।
रिया- "इसके वहाँ लगने से हमें बहुत गुदगुदी हो रही थी...” रिया ने खटिया पर जाकर बैठते हुए कहा।
मोहित- “जान तुम्हें इस गुदगुदी में मजा नहीं आ रहा था?” मोहित ने भी खटिया पर बैठते हुए कहा।
रिया- “हाँ आ रहा था...” रिया ने शर्म के मारे अपना सिर झुकते हुए कहा।
मोहित- “जान तो फिर मजे लो, क्यों इतना शर्मा रही हो?”
मोहित रिया को खटिया पर लेटाते हुए उसके साइड में खुद भी लेट गया। मोहित ने रिया का सिर थोड़ा ऊपर करते हुए उसका सिर अपने बाजू पर रख लिया। मोहित ने अब रिया की तरफ होते हुए अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उन्हें जोर से चूसते हुए अपना हाथ उसकी एक गोरी चूची पर रख दिया। मोहित ने जैसे ही । अपना हाथ रिया की चूची पर रखा उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे उसने किसी नरम फोम के टुकड़े को अपने हाथ में पकड़ लिया हो।
मोहित- “जान तुम्हारी चूचियां तो बहुत नरम हैं." मोहित ने रिया के होंठों से अपने होंठों को हटाते हुए कहा।
धन्नो इतनी देर से खिड़की से यह सब देखकर गरम होने लगी थी। धन्नों ने अपनी नाइटी को ऊपर करते हुए अपना हाथ अपनी कच्छी में घुसा दिया।
रिया मोहित के होंठों के हटते ही बहुत जोर-जोर से साँसें लेने लगी। मोहित रिया के कंधे को चूमते हुए नीचे होते हुए अपना मुँह उसकी चूचियों पर रख दिया। रिया की हालत भी खराब हो चुकी थी उसने अपना हाथ मोहित के बालों में डालते हुए उसे अपनी चूचियों पर दबा दिया। मोहित समझ गया की रिया गरम हो गई है। उसने रिया की चूचियों के गुलाबी दाने को अपने मुँह में भर लिया और दूसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची को जोर जोर से दबाने लगा।
रिया- “आहह.. मोहित क्या कर रहे हो?” रिया ने मजे के मारे सिसकते हुए कहा।
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