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Adultery धन्नो द हाट गर्ल
शिल्पा जब दरवाजा बंद करके वापस आई तो ठाकुर ने उसे गोद में उठाते हुए बेड पर बिठा दिया। और उसके सारे कपड़े उतारकर उसे जमकर चोदा। आज शिल्पा तीन बार झड़ी थी। वैसे वो ठाकुर की चुदाई में दो बार झड़ती थी। ठाकुर का वीर्य अपनी चूत में छोड़ते ही वो शिल्पा के ऊपर ढेर हो गया।

शिल्पा ने कुछ देर के बाद ठाकुर से कहा- “आज तो आप बहुत उत्तेजित थे, मुझे तीन बार बहा दिया..”

ठाकुर ने शिल्पा की एक चूची को हाथों से सहलाते हुए कहा- “हाँ शिल्पा, आज मैं बहुत उत्तेजित था। मेरे जीवन की सबसे बड़ी खुशी यही है की हमारे बेटों की शादी हो जाए और उन दोनों नालायकों ने अपने लिए छोरियां पसंद कर ली हैं...” ।

शिल्पा ने ठाकुर की बाहों से अपने आपको छुड़ाते हुए कपड़े पहनकर जाते हुए कहा- “आप कुछ देर आराम कर लो, शाम को आपको अपनी दोनों बहुओं को भी देखना है..” यह कहते हुए शिल्पा वहाँ से चली गई।

* * * * * * * * * *धन्नो और मौसी का लेस्बियन

मैं मौसी के घर सोई हुई थी की अचानक मुझे नींद में किसी का हाथ अपनी चूची पर महसूस हुआ, पहले मैंने वहम समझकर ध्यान नहीं दिया। मगर कुछ देर बाद मुझे अपनी कच्छी पर कुछ महसूस हुआ। मैंने अपनी आँखें खोलकर देखा तो मौसी मेरी खटिया पर बैठी हुई थी और मेरी साड़ी को थोड़ा ऊपर किए हुए अपने हाथ से मेरी चूत को कच्छी के ऊपर से ही सहला रही थी। मौसी का मेरी तरफ ध्यान नहीं था।

मैं भी देखना चाहती थी की वो आगे क्या करने वाली है? इसलिए मैं चुपचाप पड़ी रही। मौसी ने अपने हाथ से मेरी कच्छी को सहलाते हुए अपना मुँह मेरी गोरी जांघों पर रख दिया और अपनी जीभ निकालकर मेरी जांघों को चाटने लगी। मौसी की जीभ अपनी जांघों पर पड़ते ही मेरे पूरे जिम में बिजली का करेंट दौड़ गया। मौसी अपनी जीभ से मेरी जांघों को ऊपर से नीचे तक चाट रही थी।

मुझे मौसी के ऐसा करने से बहुत मजा आ रहा था। मेरा पूरा शरीर गर्म हो चुका था, मेरी चूत से पानी टपकना शुरू हो गया था। मौसी ने अचानक मेरे चूतड़ों को थोड़ा ऊपर करते हुए मेरी कच्छी को थोड़ा सा नीचे सरका दिया। मेरी गुलाबी चूत मौसी के सामने थी और उत्तेजना में मेरी साँसें अटकने लगी, और मेरी चूत से बहुत जोर से पानी निकलने लगा। मौसी ने मेरी चूत को गौर से देखते हुए अपना मुँह नीचे ले जाते हुए उसे एक चुंबन दे दिया। मेरे मुँह से एक आहह... की सिसकी निकल गई।

मौसी ने हँसते हुए कहा- “मुझे पता है की तुम जाग रही हो, मजे लो, क्यों शर्माती हो?”

मौसी की बात सुनकर मैं शर्म से पानी-पानी हो गई। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की मैं क्या करूं? मौसी ने अपनी जीभ निकाली और मेरी चूत से निकलता हुआ पानी चाटने लगी। मैं बहुत गरम हो चुकी थी। इसलिए मैं मौसी को रोक नहीं पाई।

मौसी की जीभ से मेरे मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकलने लगी। मौसी मेरी चूत को चूसते हुए अपने एक हाथ से मेरी चूत के दाने को सहलाने लगी। मौसी ने अचानक अपने दोनों हाथों से मेरी चूत के होंठों को खोलते हुए अपनी जीभ कड़ी करते हुए मेरी चूत में डाल दी, मेरे मुँह से जोर की आअह्ह्ह... निकल गई।

मौसी की जीभ बहुत कड़ी और लंबी थी। वो अपनी जीभ से मुझे किसी मर्द के लण्ड की तरह चोद रही थी। मेरा पूरा बदन अकड़ने लगा, मेरे पूरे शरीर से पशीना निकल रहा था। मौसी अपनी जीभ मेरी चूत में बहुत जोर से अंदर-बाहर करते हुए अपने एक हाथ से मेरी चूत के दाने को भी मसलने लगी। मौसी की इस हरकत से मेरा। जिश्म बहुत जोर से काँपने लगा और मेरी चूत झटके खाने लगी।

ऊह्ह... आअह्ह्ह... इस्स्स्स ...” करते हुए मेरी चूत से पानी की नदियां बहने लगी, और मैंने अपने हाथों से मौसी के सिर को पकड़कर अपनी चूत पर दबा दिया।

मौसी मेरी चूत से निकलता हुआ पानी गटकने लगी। कुछ देर तक मैं अपनी आँखें बंद करके हाँफते हुए झड़ती रही और जब मेरा झड़ना बंद हुआ तो मैंने मौसी के सिर को छोड़ दिया और अपनी आँखें खोलकर मौसी को देखने लगी। मौसी का पूरा चेहरा मेरी चूत के पानी से भीगा हुआ था।

मौसी ने मुझे देखते हुए कहा- “धन्नो तुम तो बहुत नमकीन हो...”

मौसी की बात सुनकर मुझे अहसास हुआ की मैंने बहुत गलत कर दिया। मगर अब क्या हो सकता था? मौसी अपना चेहरा अपनी साड़ी से पोंछते हुए मेरे पास आ गई और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। मौसी मेरे होंठों को ऐसे चूस रही थी जैसे कोई मर्द चूसता है।

मेरे पूरे शरीर में फिर से सिहरन होने लगी। मैंने मौसी को धक्का देकर अपने आपसे दूर कर दिया और उसे डाँटते हुए कहा- “क्या कर रही हो आप?” और अपनी कच्छी को ऊपर करते हुए अपनी साड़ी को ठीक कर लिया।

मौसी मुझसे अलग होते हुए कहने लगी- “वाह बन्नो, जब तक चूत का पानी नहीं निकला था तो चुपचाप मजे ले रही थी और चूत का पानी निकलते ही बोलने लगी...”

मैं मौसी की बात सुनकर शर्म से पानी-पानी हो गई। मैंने मौसी से कहा- “मौसी मुझे यह सब पसंद नहीं है.”
 horseride  Cheeta    
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मौसी ने अपने दाँत निकालते हुए कहा- “तो धन्नो फिर क्या पसंद है? मुझे बोलो वो ही लाकर देती हूँ...”

मैं मौसी की बात समझ गई की वो किस चीज की बात कर रही है। मगर मैंने अंजान बनते हुए कहा- “मौसी आप क्या कह रही हैं, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है?”

तभी अचानक करुणा ने अंगड़ाई लेते हुए अपनी आँखें खोली। करुणा ने अपनी आँखें खोलते हुए कहा- “क्या बातें हो रही हैं?”

मौसी करुणा को उठता हुआ देखकर कहने लगी- “कुछ नहीं, ऐसे ही मैं धन्नो से सोनाली के बारे में पूछ रही थी." यह कहते हुए मौसी वहाँ से रफू-चक्कर हो गई।

करुणा ने उठते हुए टाइम देखा शाम के 4:00 बज रहे थे। करुणा ने कहा- “धन्नो दीदी, नहाकर तैयार होते हैं, 5:00 बजे ठाकुर साहब के घर चलना है..."

करुणा की बात सुनकर मैंने उसे चिढ़ाते हुए कहा- “बहुत जल्दी है तुझे ठाकुर के घर जाने की?”

करुणा ने कहा- “मुझे तो जल्दी है। मगर मैं अपने देवर रवी को तेरे पीछे लगा देंगी और तुझे भी अपने साथ वहाँ की बहू बना देंगी.."

करुणा की बात सुनकर मैं हँसने लगी और करुणा भी मेरे साथ हँसने लगी।
 horseride  Cheeta    
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* * * * * * * * * *धन्नो और करुणा


हम दोनों 5:00 बजे तक तैयार हो गई और मौसी से इजाजत लेकर ठाकुर के घर जाने लगी। करुणा ने लाल रंग की साड़ी और मैंने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी थी। हम दोनों ने इतना मेकअप किया था और सजी सवॅरी थी की रास्ते में सभी लोग हमारी तरफ देख रहे थे। ठाकुर के घर के बारे में हमें मौसी ने बताया की वो यहाँ से थोड़ा दूर था, मगर इतना भी नहीं की हम पैदल ना जा सकें।

हम मौसी के बताए हुए रास्ते से जा रही थीं, अब हम एक सुनसान जगह से गुजर रही थीं। वहाँ पर किसी आदमी का नाम-ओ-निशान नहीं था, और वहाँ पर एक खंडहर की तरह दिखने वाला एक घर बना हुआ था। उस जगह से गुजरते हुए हमें कुछ अजीब किस्म की आवाजें सुनाई दी। मैंने करुणा के बाजू में हाथ डालते हुए उसे रोक लिया।

करुणा ने कहा- “क्या हुआ दीदी?”



मैंने उसे कहा- “तुम्हें कोई आवाजें सुनाई दे रही हैं...”

करुणा- “कुछ आवाजें आ तो रही हैं मगर हमारा क्या लेना देना? चलो चलते हैं...”

मैंने करुणा से कहा- “नहीं एक मिनट ठहरो। मुझे यह आवाजें किसी लड़की की लगती हैं। इस सुनसान जगह पर लड़की क्या कर रही है? हमें देखना चाहिये की कहीं वो लड़की किसी मुशीबत में तो नहीं है?"

करुणा ने कहा- “दीदी तुम भी ना... चलो देख लो कौन है वहाँ?”

हम चलते हुए उस घर के दरवाजे तक पहुँच गये, दरवाजे को हाथ लगाते ही वो अपने आप खुल गया। हम सामने का नजारा देखकर काँप गये। वहाँ पर एक लड़की नंगी नीचे जमीन पर लेटे हुए एक आदमी के लण्ड पर कूद रही थी और वहाँ पर 3 लोग और खड़े थे जिनमें से कोई उस लड़की की चूचियां दबा रहा था तो कोई किसी और चीज से छेड़-छाड़ कर रहा था।

मेरा सिर चकराने लगा। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उस घर का दरवाजा बहुत पुराना था हमारे दरवाजा खोलने से बहुत जोर की आवाज हुई थी और वो लोग हमें देखकर मुश्कुराने लगे।

उन लोगों में से एक ने कहा- “वहाँ पर क्यों खड़ी हो? जब यहाँ आ ही गई हो तो आओ हमारे साथ मजे लूटो...”

उनमें से दूसरे आदमी ने कहा- “यार माल तो बहुत अच्छा है। बहुत गोरी हैं साली, लगता है किसी दूसरे गाँव से आई हैं, इनकी गोरी चूचियां चूसकर मजा आ जाएगा..”

करुणा ने मुझे बाजू से पकड़ते हुए कहा- “दीदी चलो भागो...”

उन लोगों की बातें सुनकर मेरा सिर चकरा रहा था। मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था। करुणा मुझे घसीटते हुए बाहर ले गई।

अंदर से आवाज आई- “अरे पकड़ो, इतना मस्त माल यूँ ही जाने दे रहे हो?”

करुणा ने वो आवाज सुनते ही मुझसे कहा- “भागो दीदी, वरना वो हमें पकड़ लेंगे...”

करुणा की बात सुनकर मुझे भी होश आया और हम दोनों साथ में भागने लगी। हम कुछ देर तक बिना रुके भागती रहीं। भागते-भागते हम अब उस सुनसान जगह से निकल चुकी थीं, और हम ठाकुर की हवेली के नजदीक पहुँच चुके थे। वहाँ पर कुछ दुकानें भी थी और लोगों का आना जाना भी था। हमने पीछे देखा तो हमारे पीछ पड़े हुये वो दो आदमी हमें घूर रहे थे, मगर लोगों की वजह से वो वहाँ से चले गये। हम दोनों बहुत जोर से हाँफ रही थी। उन आदमियों के जाने के बाद हमारी जान में जान आई। हमने वहाँ पर एक दुकान से पानी का एक-एक ग्लास पिया और फिर ठाकुर की हवेली में जाने लगी।
करुणा ने कहा- “दीदी आज तुमने तो फँसा ही दिया था, शुकर है हम वहाँ से भाग निकले...”


मैंने करुणा से कहा- “मुझे क्या पता था की गाँव में भी यह सब होता है?”
 horseride  Cheeta    
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* * * * * * * * * *धन्नो और करुणा

ठाकुर की हवेली में हम ठाकुर की हवेली के गेट तक पहुँच गये थे। वहाँ पर एक चौकीदार खड़ा था। हमें देखकर उसने हमें सलाम करते हुए कहा- “मेमसाहब, आप हमारे साथ चलिए। साहब आपका ही इंतजार कर रहे थे...”

मैंने हैरान होते उससे कहा- “आपको कैसे पता की वो हमारा इंतजार कर रहे हैं?”

चौकीदार ने कहा- “मेमसाहब, साहब ने हमें बताया था की उनसे मिलने शहर की दो लड़कियां आ रही हैं, और इस गाँव में शहर जितनी गोरी और खूबसूरत लड़कियां तो हैं नहीं। इसलिए आप दोनों को देखते ही हम पहचान गये...”

हम दोनों उनके साथ चलने लगी, ठाकुर की हवेली बहुत शानदार बनी हुई थी। गेट के अंदर दाखिल होते ही एक बहुत बड़ा पार्क बना हुआ था, जिसमें ढेर सारे पौधे और पेड़ लगे हुए थे और अंदर दाखिल होते ही हमारी आँखें फटी की फटी रहो गई।

एक बहुत बड़ा हाल बना हुआ था जिसके चारों तरफ कमरे बने हुए थे, और दो तरफ से खूबसूरत सीढ़ियां बनी हुई थी जो ऊपर की तरफ जा रही थी। उस हाल में एक बड़ी टेबल और उसके चारों तरफ कुर्सियां रखी हुई थीं, जिनपर ठाकुर और उनके दोनों बेटे बैठे थे। हमने पहले कभी ठाकुर को देखा नहीं था, मगर मनीष और रवी के साथ बैठा होने के कारण हम समझ गये की वो ठाकुर है। हमने अंदर आते हुए अपने साड़ी के पल्लू अपने सिर पर रख लिए थे।

हमें देखकर वहाँ पर बैठे हुए तीनों बाप और बेटे उठकर हमारा स्वागत किये। मनीष ने ठाकुर से हमारा और उनका हमसे परिचय कराया। हम दोनों ने जाकर ठाकुर के पैरों को छुआ।

ठाकुर ने हमें आशीर्वाद देते हुए अपने पैरों से उठा लिया और खुश होते हुए कहा- “बेटी तुम दोनों शहर में रहकर भी बड़ों की इज्जत करना नहीं भूली। हमें तुम दोनों से मिलकर बहुत खुशी हुई.."

हम सब आकर कुर्सियों पर बैठ गये।

ठाकुर ने हमसे पूछा- “बेटी तुम दोनों कितना पढ़ी हुई हो?”

मैंने जवाब देते हुए कहा- “जी मैंने बी.ए. पास कर लिया है और करुणा ने इंटर तक...”

ठाकुर ने कहा- “बहुत खूब...”

कुछ देर तक हम बातें करते रहे। अचानक एक लड़की चाय और कुछ बिस्कुट लेकर आ गई और उन्हें टेबल पर रखते हुए हमें प्रणाम किया। हमने भी उसके प्रणाम का जवाब दिया।


ठाकुर ने उसका परिचय हमसे कराते हुए कहा- “यह शिल्पा है हमारे घर का काम करती है। मगर हमारी पत्नी के मरने के बाद सारा घर इसी ने संभाला हुआ है, इसलिए हमने कभी इसे अपनी नौकरानी नहीं समझा बल्की इसी घर का एक मेंबर समझा है...”

शिल्पा चाय कपों में भरने लगी और एक-एक करके सभी के सामने चाय के कप रख दिए। शिल्पा ने फिर बिस्कुट भी ऐसे ही सभी के सामने प्लेटों में रख दिए और खुश होकर वहाँ से चली गई। हम सबने चाय खतम की।

फिर कुछ देर तक बातें करने के बाद ठाकुर ने कहा- “बेटी तुम दोनों से एक बात करनी है...”

ठाकुर ने मनीष और रवी को वहाँ से जाने के लिए कहा। वो दोनों वहाँ से चले गये। मेरा और करुणा का दिल बहुत जोरों से धड़क रहा था की ठाकुर क्या कहना चाहता है?

ठाकुर ने कहा- “बेटी मैं जो बात कहने वाला हूँ, उसका जवाब दिमाग से सोच समझकर देना। तुम पर कोई जबरदस्ती नहीं है। हमारे दोनों नालायक बेटों को तुम दोनों पसंद आ गई हो। मनीष को करुणा और रवी को तुम, मगर मैं तुम्हारी आँटी के पास रिश्ता ले जाने से पहले तुमसे पूछना चाहता हूँ की तुम्हारी क्या मर्जी है?”

मैं ठाकुर की बात सुनकर सकते में आ गई। करुणा तो मनीष को पसंद करती है, मगर रवी क्या मेरे लिए सही रहेगा? मगर मेरा दिमाग कह रहा था की इससे अच्छा रिश्ता तुम्हारे लिए और कोई नहीं हो सकता। मैंने अपना सिर झुकाए हुए ही ठाकुर से कहा- “मैं इस रिश्ते के लिए तैयार हूँ और करुणा तो वैसे भी मनीष को चाहती है...”

ठाकुर ने खुश होते हुए कहा- “बेटी तुम दोनों ने मुझे आज जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी दी है..” और उठकर मनीष और रवी को बुला लिया।

ठाकुर ने मनीष और रवी के आते ही उन दोनों को गले से लगाते हुए कहा- “बेटा आज मैं बहुत खुश हूँ... यह दोनों तुमसे शादी करने के लिए राजी हैं। तुम दोनों इनके साथ जाकर अपने कमरे में बातें करो, मैं तब तक मिठाई मँगवाकर सारे गाँव में सबको भिजवाता हूँ..”

ठाकुर के जाते ही मनीष ने करुणा से कहा- “आओ मैं तुम्हें अपना कमरा दिखाता हूँ..” और वो दोनों साथ में चले गये।
 horseride  Cheeta    
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* * * * * * * * * *धन्नो और रवि

कमरे में रवी ने मेरे पास आते हुए कहा- “छोरी तुम क्यों इतना शर्मा रही हो? अब तो तुम मेरी बीवी बनने वाली हो। चलो तुम्हें अपना कमरा दिखाता हूँ..”

रवी की बात सुनकर मैं चुपचाप रवी के साथ उसके कमरे में जाने लगी। कमरे में पहुँचते ही मैं हैरान रह गई। रवी का कमरा बहुत बड़ा और खूबसूरत बना हुआ था। उस कमरे में एक बहुत बड़ा बेड, कुर्सियां, टीवी, एसी और दूसरी सभी चीजें मौजूद थी। रवी कमरे में आते ही बेड पर बैठ गया, मैं वहाँ पर पड़ी हुई कुर्सी पर बैठ गई। कुर्सी पर बहुत बढ़िया फोम रखा हुआ था। फोम पर बैठते ही मुझे ऐसे महसूस हुआ जैसे मैं हवा में झूल रही हूँ।

रवी मुझे कुर्सी पर बैठते हुए देखकर उठते हुए कहने लगा- “अरे छोरी तुम वहाँ क्यों बैठ गई? आओ ना बेड पर बहुत जगह है, वहाँ पर बैठते हैं...”

मैंने शर्माते हुए कहा- “नहीं मैं यही ठीक हूँ...”

रवी ने कहा- “अच्छा हमसे शर्मा रही हो..” और खुद भी मेरे साथ मेरी कुर्सी के साथ पड़ी हुई दूसरी कुर्सी पर बैठ गया। रवी वहाँ बैठते हुए मुझसे बातें करने लगा।

अचानक बातें करते हुए रवी ने अपना हाथ बढ़ाकर मेरे हाथ पर रख दिया और मेरे हाथ को सहलाने लगा। रवी का हाथ अपने हाथ पर महसूस करते ही मेरे सारे शरीर में करेंट दौड़ने लगा, और मेरे शरीर से पशीना निकलने लगा। रवी मेरे शरीर से पशीना बहते हुए देखकर उठते हुए दरवाजा बंद कर लिया, और एसी का रिमोट उठाकर उसकी स्पीड बढ़ा दी। रवी वापस आते हुए मेरे साथ बैठ गया और कहने लगा- “आज बहुत गर्मी है..." और फिर से मुझसे बातें करने लगा।

रवी ने फिर से बातें करते हुए मेरा हाथ पकड़ लिया और उसे सहलाने लगा। रवी ने अचानक बातें करते हुए अपना हाथ मेरे हाथ से उठाते हुए मेरी जाँघ पर रख दिया, और मुझसे पूछने लगा- “धन्नो तुम्हारे कालेज में तुम्हारा कोई दोस्त है?”

रवी का हाथ मेरी जाँघ पर पड़ते ही मेरे शरीर में फिर से सिहरन दौड़ने लगी और मैंने अपना थूक गटकते हुए रवी से कहा- “कालेज में मेरी बहुत सारी लड़कियां दोस्त थी और लड़कों में सिर्फ रोहन जीजू से ही मैं बात करती थी..."

रवी मेरी बात सुनकर खुश होते हुए अपने हाथ से मेरी जाँघ को सहलाते हुए कहने लगा- “धन्नो तुम्हें देखकर ही मैं तुमसे प्यार करने लगा था, और मुझे पता था की तुम बहुत शरीफ लड़की हो..” कहकर रवी अपने हाथ से । मेरी जाँघ को ऊपर से नीचे तक सहलाने लगा। मुझे अपने जिम में गुदगुदी हो रही थी इसलिए मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया। रवी ने अपना हाथ सीधा करते हुए अपनी उंगलियां मेरे हाथ की उंगलियों में फँसाते हुए मेरा हाथ अपने मुँह की तरफ ले जाते हुए उसे चूम लिया।

रवी ने मेरा हाथ चूमते हुए कहा- “धन्नो तुम्हारा हाथ तो बहुत नरम है, बिल्कुल फोम की तरह...”

मैंने शर्माते हुए अपना हाथ रवी के हाथ से छुड़ाते हुए कुर्सी से उठकर दूर खड़ी हो गई। रवी भी अपनी कुर्सी से उठते हुए मेरे पीछे खड़ा हो गया और कहने लगा- “क्या हुआ धन्नो तुम इतना शर्मा क्यों रही हो?"

रवी मेरे बिल्कुल पीछे खड़ा था। मेरी साँसें बहुत जोर-जोर से चल रही थी। अचानक रवी मेरे पीछे सटकर खड़ा हो गया और अपने हाथों को आगे बढ़ाते हुए मुझे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया। मैंने रवी से अपने आपको छुड़ाने की बहुत कोशिश की, मगर रवी ने मुझे अपनी बाहों में कसकर पकड़ रखा था। रवी अपने दोनों हाथ मेरे नंगे पेट पर रखे हुए था और वो मुझे बहुत जोर से पकड़े हुए था। इसलिए मैं बिल्कुल हिल भी नहीं पा रही थी।

रवी ने मुझे ऐसे पकड़े हुए ही अपना मुँह मेरे कंधे पर रख दिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा। मुझे अपने चूतड़ों पर रवी की पैंट के ऊपर से ही उसका लण्ड महसूस हो रहा था। मैंने रवी से अपने आपको बहुत छुड़ाने की कोशिश की, मगर मैं उसके मजबूत बाहों की कैद से ना छूट सकी, और आखीरकार हार मानकर अपने आपको ढीला छोड़ दिया।

रवी ने मुझे ढीला देखकर अपने हाथ की पकड़ को ढीला करते हुए मेरे नंगे पेट को सहलाते हुए मेरे कंधे को चूमने लगा। मेरी साँसें बहुत जोर-जोर से ऊपर-नीचे हो रही थी। रवी ने अचानक अपने हाथ ऊपर करते हुए मेरी साड़ी के ऊपर से ही मेरी चूचियों को पकड़ लिया। रवी का हाथ अपनी चूचियों पर पड़ते ही मैं उत्तेजना के मारे जल्दी से रवी के हाथों को पकड़ते हुए अपनी चूचियों से दूर किया और सीधा होते हुए रवी को कसकर अपनी बाहों में भर लिया।

रवी भी अपने हाथों को मेरी पीठ पर रखते हुए अपने बाहों में भर लिया और अपना मुँह फिर से मेरे कंधे पर रख दिया, और उसे आगे से बेतहाशा चूमने लगा। रवी के सख़्त सीने में अपनी चूचियों के दबते ही मेरी चूत से उत्तेजना के मारे पानी बहने लगा। मेरा पूरा शरीर तप चुका था, मेरे होंठ खुश्क हो चुके थे और मैं चाहती थी की रवी आगे बढ़कर मेरे होंठों को चूम ले।

मगर रवी तो मेरे कंधे को ही चूम रहा था। मैं अपने हाथों से रवी की पीठ को सहलाते हुए अपना चेहरा ऊपर करते हुए इधर-उधर पटकने लगी, जिस वजह से रवी के होंठ मेरे पूरे कंधे पर चुंबनों की बरसात करने लगे। अचानक मैं अपने कंधे को नीचे करने लगी। रवी ने अपना चेहरा मेरे कंधे से हटा लिया और मैं अपना सिर नीचे किए ही अपने होंठों पर जीभ को फिराते हुए जोर-जोर से साँसें लेने लगी।
 horseride  Cheeta    
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रवी का ध्यान पहली बार मेरे गुलाबी होंठों पर गया, और वो मेरे सिर में अपने हाथ डालता हुआ अपने होंठों को मेरे सुलगते हुए होंठों पर रख दिया। रवी के होंठ अपने होंठों पर महसूस करते ही मेरा सारा शरीर उत्तेजना के मारे काँपने लगा, मुझे खुद अपने ऊपर हैरानी हो रही थी की मुझे आज क्या हो गया है?

मगर रवी के होंठ चूसने से मेरी आँखें अपने आप बंद होने लगी, और मैं रवी के होंठों से अपने होंठ मिलाए हुए जाने कितनी देर तक अपने होंठों को चुसवाती रही। रवी भी मेरे होंठों को चूसते हुए किसी दूसरी दुनियां में खो गया था। जब उसकी साँसें अटकने लगी तो उसने अपने होंठों को मेरे होंठों से जुदा किया और हम दोनों बहुत जोर से साँस लेते हुए हाँफने लगे।

रवी थोड़ी देर तक साँसें लेने के बाद मेरे होंठों को फिर से अपने मुँह में भर लिया और मेरे नीचे वाले होंठ को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा। मैं भी अपने होश खोती ही जा रही थी, इसलिए मैं भी अपने होंठों से रवी के होंठों को चूमने लगी और अपनी जीभ निकालकर उसके होंठों पर फिराने लगी।

रवी मेरी जीभ अपने होंठों पर पाते ही बहुत उत्तेजित हो गया, और मेरी पूरी जीभ को अपने मुँह में लेते हुए चूसने लगा। रवी मेरी जीभ को चूसते हुए अपने हाथ से मेरी साड़ी के से ऊपर ही मेरी चूचियों को सहलाने लगा।


रवी के हाथ अपनी चूचियों पर पड़ते ही मैंने अपनी जीभ को उसके मुँह से निकालते हुए उसकी जीभ को अपने मुँह में भरने लगी।

रवी ने जल्दी से अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, जिसे मैं अपने होंठों से चूसने लगी। रवी ने आज तक बहुत सारी गाँव की लड़कियों को चोदा था, मगर गाँव की लड़कियों को यह सब कहाँ आता था, जो मैं कर रही थी। इसलिए रवी अपने होश खोता ही जा रहा था। रवी ने अपना मुँह मेरे मुँह से अलग करते हुए मुझे अपनी गोद में उठाकर बेड पर लेटा दिया।

मैं बेड पर लेटते ही बहुत जोर से हाँफने लगी, जिस वजह से मेरी चचियां ऊपर-नीचे होने लगी। रवी भी बिना देर किए मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरी चूचियों को साड़ी के ऊपर से ही अपने हाथों से दबाने लगा। रवी ने मुझे सीधा बिठाते हुए मेरी साड़ी को उतार दिया और साथ में अपनी शर्ट को भी उतारकर बेड पर रख दिया।

मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मैं अब सिर्फ एक पैंटी और ब्रा में रवी के सामने थी। रवी मेरी ब्रा में कैद आधी नंगी गोरी चूचियों को देखकर पागल हो गया और मुझे बेड पर गिराते हुए मेरे ऊपर चढ़ते हुए मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरी आधी नंगी चूचियों को चूसने लगा।

रवी का नंगा जिम मेरे नंगे पेट से रगड़ खा रहा था जिस वजह से मेरी चूत से उत्तेजना के मारे बहुत पानी बह रहा था। रवी ने मेरी चूचियों को छोड़ते हुए, नीचे होते हुए मेरे गोरे पेट को चूमने लगा। रवी मेरे पेट को चूमते हुए अपनी जीभ निकालकर मेरी नाभि में फिराने लगा। रवी की जीभ अपनी नाभि पर पड़ते ही मेरा पूरा शरीर झटके खाने लगा। रवी अपनी जीभ को मेरी नाभि में गोल-गोल फिराते हुए अपने दोनों हाथों से मेरी चूचियों को पकड़कर जोर से दबाने लगा।

मैं “आअह्ह्ह.. ओह..” करते हुये रवी की इस हरकत से अपने होश खो बैठी और मेरी चूत से पानी की नदियां बहने लगी। मजे से मेरी आँखें बंद हो चुकी थी। जब मेरा झड़ना खतम हुआ तो रवी ऐसे ही मेरे पेट को चूम रहा था। और अपने हाथों से मेरी चूचियों को दबा रहा था। मैंने जल्दी से उठते हुए रवी को अपने आपसे दूर किया और अपनी साड़ी पहनने लगी।

रवी मेरी इस हरकत से हैरान होते हुए बोला- “क्या हुआ?”

मैंने कहा- “रवी यह सब शादी से पहले ठीक नहीं है, और अगर अभी कोई आ गया तो मैं किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं रहूंगी...”

रवी बेड से उठते हुए मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मुझे कहने लगा- “छोरी तुमने सच में मुझ पर जादू कर दिया है, मुझे माफ करना मैं बहुत आगे बढ़ गया था...”

मैं अपनी साड़ी पहन चुकी थी मैंने रवी के होंठों पर एक किस देते हुए कहा- “प्लीज तुम अपनी शर्ट पहन लो मैं अब तुम्हारी ही हूँ.” रवी मुझे अपनी बाहों से आजाद करते हुए अपनी शर्ट पहनने लगा। रवी ने जैसे ही अपनी शर्ट पहनी दरवाजा खटकने की आवाज आई।
 horseride  Cheeta    
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* * * * * * * * * *मनीष और करुणा

कमरे में मनीष ने कमरे में दाखिल होते ही दरवाजा अंदर से लाक कर दिया और करुणा को अपनी बाहों में भर लिया। मनीष का कमरा भी रवी के कमरे की तरह बहुत खूबशूरत और भरा हुआ था। मनीष ने करुणा को बाहों में लेते हुए, भरते हुए अपने होंठ करुणा के होंठों पर रखने चाहे, मगर करुणा ने अपना सिर थोड़ा घुमा लिया। मनीष के होंठ करुणा के होंठों की बजाए उसके गाल पर आकर रुक गये। मनीष ने फिर से अपने होंठों को करुणा के गुलाबी होंठों पर रखना चाहा मगर इस बार भी करुणा ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया।

मनीष ने करुणा की आँखों में देखते हुए कहा- “क्या कर रही हो करुणा प्लीज... किस लेने दो ना क्यों तड़पा रही हो?”

करुणा ने शरारती अंदाज से कहा- “अब तो हमारी शादी के बाद ही आप हमें चूम सकते हैं..."

मनीष ने अपने हाथों से करुणा के सिर को पकड़ते हुए कहा- “शादी की बच्ची... अभी तुम्हें बताता हूँ की कैसे मस्ती की जाती है?” कहकर मनीष फिर से अपने होंठ करुणा के होंठों तक ले जाने लगा।

मगर जैसे ही उसके होंठ करुणा के होंठों को छूने ही वाले थे की करुणा ने मनीष को धक्का देते हुए अपने आपसे दूर कर दिया और मनीष से दूर भागते हुए कहने लगी- “हमने कहा ना की अब हम शादी से पहले कुछ नहीं करने देंगे...”

मनीष भी करुणा के पीछे भागते हुए कहने लगा- “साली बहुत नखड़े कर रही हो, आज तुम्हें नहीं छोडूंगा..."

करुणा भागते हुए बेड पर चढ़ते हुए बेड के उस तरफ खड़ी हो गई और मनीष की तरफ देखते हुए उस चिढ़ाते हुए कहने लगी-
“तुम्हें पता है की हम ठाकुर साहब की बहू हैं। अगर तुमने हमें ज्यादा तंग किया तो हम ठाकुर साहब से आपकी शिकायत कर देंगे...”

मनीष फिर से करुणा के पीछे भागते हुए कहने लगा- “साली आज तुम्हें मजा चखाना ही पड़ेगा.." और करुणा के पीछे बेड के दूसरी तरफ जाने लगा।

मनीष जैसे ही बेड की दूसरी तरफ पहुँचा, करुणा फिर से बेड पर चढ़ते हुए दूसरी तरफ चली गई। करुणा फिर से मनीष को चिढ़ाते हुए अपनी जीभ निकालकर मनीष को दिखाने लगी। करुणा भागने की वजह से जोर से हाँफ रही थी जिस वजह से उसकी चूचियों भी बहुत जोर से ऊपर-नीचे हो रही थीं। मनीष का भी वोही हाल था वो भी बुरी तरह से हॉफ रहा था। अचानक मनीष बेड पर चढ़ते हुए करुणा की तरफ जाने लगा। करुणा मनीष को अपनी तरफ आते हुए देखकर वहां से भागने लगी। मगर इस बार मनीष बेड के ऊपर से आने की वजह से वो मनीष से भाग नहीं पाई, और मनीष ने भागते हुए करुणा को पीछे से पकड़ते हुए अपनी बाहों में जकड़ लिया। मनीष करुणा को अपनी बाहों में कैद किए हुए थोड़ी देर तक बहुत जोर से साँसें लेने लगा।

करुणा भी बुरी तरह से हॉफ रही थी। कुछ देर बाद मनीष ने करुणा को अपनी बाहों में जोर से दबाते हुए कहाअब बोलो ठाकुर साहब की बहू क्या कह रही थी?"

करुणा ने अपने आपको मनीष से बहुत छुड़ाने की कोशिश की, मगर इस बार मनीष ने उसे अपनी बाहों की पकड़ से छूटने नहीं दिया और उसे अपनी बाहों में उठाते हुए बेड पर पटक दिया। मनीष करुणा को बेड पर लेटाते हुए खुद भी उसके ऊपर चढ़ गया और अपने होंठों को करुणा के गुलाबी होंठों पर रख दिया। इस बार करुणा ने भी कोई विरोध नहीं किया और मनीष के चुंबन का जवाब देने लगी। मनीष करुणा का विरोध खतम होते ही उसके पूरे होंठों को चाटते हुए अपनी जीभ को करुणा के मुँह में डाल दिया।

करुणा ने मनीष की जीभ को कुछ देर तक चाटने के बाद अपनी जीभ को मनीष के मुँह में डाल दिया। मनीष कुछ देर तक करुणा की जीभ को चाटने के बाद करुणा के ऊपर से उठते हुए हुए अपने हाथों से उसकी साड़ी को उतारने लगा। करुणा ने अपने हाथ से अपनी साड़ी को पकड़ लिया।

मगर मनीष ने करुणा के हाथ को उसकी साड़ी से अलग करते हुए कहा- “जानेमन थोड़ी देर के लिए हमें अपने हुश्न का दीदार करने दो..."
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करुणा ने मनीष की बात सुनकर अपने हाथ को ढीला छोड़ दिया। मनीष करुणा की साड़ी को अपने हाथों से । उतारने लगा। करुणा के जिश्म से उसकी साड़ी के अलग होते ही मनीष करुणा की छोटी-छोटी चूचियों को ब्रा में कैद देखते हुए अपने होंठों पर अपनी जीभ फिराने लगा। करुणा ने मनीष को यूँ अपनी तरफ घूरता हुआ देखकर अपने हाथों को अपनी चूचियों पर रख दिया। मनीष करुणा के हाथों को अपने हाथों में पकड़ते हुए उसके हाथों को उसके सिर के ऊपर कर दिया और अपने होंठ करुणा की चूचियों पर ब्रा के ऊपर रखते हुए करुणा की चूचियों का उपरी हिस्सा चाटने लगा।

मनीष के होंठ अपनी चूचियों के पास महसूस करके करुणा के मुँह से सिसकियां निकलने लगी और वो गरम होने लगी। मनीष ने करुणा के हाथों से अपने हाथों को हटाते हुए उसकी ब्रा को आगे से खींचकर थोड़ा नीचे कर दिया। करुणा की छोटी-छोटी चूचियों अब बिल्कुल नंगी मनीष की आँखों के सामने थी। मनीष करुणा की एक चूची को अपने हाथ से सहलाते हुए अपना मुँह खोलते हुए उसकी चूची के गुलाबी दाने को अपने मुँह में भर लिया और अपने होंठों से उसे चूसने लगा।

करुणा अपनी चूची के दाने को मनीष के मुँह में जाते ही मजे से “आअह्ह्ह...” करके चीख पड़ी और अपने हाथों को मनीष के बालों में डालते हुए अपनी चूचियों पर दबाने लगी। करुणा का पूरा जिम अब बहुत गरम हो चुका था। और उसकी चूत ने पानी बहाना शुरू कर दिया था। मनीष करुणा की चूची को चूसते हुए अपने दूसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची को दबाने लगा। मनीष अब करुणा की एक चूची को चूसने के बाद उसकी दूसरी चूची को । चूसने लगा और अपने हाथ से करुणा के नंगे पेट को सहलाने लगा।

करुणा का पूरा जिम टूट रहा था और उसके मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थी। मनीष अब करुणा की चूचियों को छोड़ते हुए सीधा होते हुए अपनी शर्ट को उतार दिया। शर्ट के उतारने के बाद सीधा होकर करुणा के ऊपर लेट गया।

करुणा अपनी नंगी चूचियों पर मनीष का ठोस सीना महसूस करके तड़प उठी और मनीष को सिर से पकड़ते हुए उसके होंठों को चूसने लगी। मनीष भी करुणा के होंठों को चूसते हुए नीचे होने लगा। मनीष अब बहुत तेजी के साथ करुणा के कंधे को चूमता हुआ नीचे बढ़ने लगा। करुणा की चूचियों तक पहुँचने के बाद मनीष ने एक-एक करके करुणा की चूचियों के कड़े दानों को अपने मुँह में लेकर काटने लगा।

मनीष के दाँत अपनी चूचियों पर पड़ते ही करुणा काँप उठी- “आहहह...”

मनीष अब करुणा की चूचियों को अपने मुंह से निकालते हुए नीचे होते हुए करुणा के गोरे पेट को अपनी जीभ से चाटने लगा। करुणा की साँसें बहुत जोर से चल रही थीं, उसका पूरा शरीर काँप रहा था और उसकी चूत से पानी की बूंदें निकल रही थी।

मनीष अपनी जीभ को करुणा के पेट पर फिराते हुए उसके नाभि में फिराने लगा और अपना हाथ उसकी कच्छी पर फिराने लगा।

करुणा अपनी नाभि में जीभ और कच्छी पर मनीष के हाथ को महसूस करके सिहर उठी और अपनी टाँगों को जितना हो सकता था फैलाते हुए जोर-जोर से सिसकने लगी।

मनीष समझ गया के करुणा झड़ने के बिल्कुल करीब है। मनीष अपने हाथ को ठीक करुणा की चूत के छेद पर लाते हुए उसे कच्छी के ऊपर से सहलाने लगा और अपनी जीभ से उसकी नाभि को चाटने लगा। करुणा की चूत से पानी निकलकर उसकी कच्छी को भिगो रहा था। इसलिए मनीष का हाथ भी भीग चुका था।
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करुणा के मुँह से अब सिसकियों के बजाए हिचकियां निकल रही थी। वो बहुत उत्तेजित हो गई थी और उसका पूरा बदन पशीने में भीग चुका था। मनीष अचानक अपनी जीभ को करुणा के पेट से नीचे करते हुए उसकी गीली कच्छी पर रखते हुए उसकी चूत को चूमने लगा। करुणा “आअहहह...” करते हुए झड़ने लगी। झड़ते हुए उसने अपनी आँखें बंद कर ली और उसकी चूत मनीष के चहरे पर झटके खाते हुए पानी छोड़ने लगी। मनीष अपनी जीभ से कुछ देर तक करुणा की कच्छी को चाटता रहा।

जब करुणा ने आँखें खोली तो उसे होश आया वो जल्दी से उठते हुए अपनी साड़ी पहनने लगी।

मनीष चौंकते हुए- “क्या हुआ जानू?”

करुणा ने साड़ी को पहनते हुए कहा- “बहुत देर हो गई है, धन्नो हमारा इंतजार कर रही होगी...”

मनीष ने अपनी शर्ट पहनी और करुणा के पास जाते हुए उसके होंठों पे एक चुंबन देते हुए कहा- “बैंक्स डार्लिंग, हमारा इतना साथ देने के लिए..."

करुणा ने मनीष से कहा- “आपके हाथों में तो जादू है। आपके पास आते ही हम बहक जाते हैं और हमें कोई होश नहीं रहता...”

यह कहते हुए करुणा ड्रेसिंग टेबल के सामने जाते हुए अपने आपको ठीक करने लगी। करुणा अपने आपको पूरी तरह से ठीक करने के बाद मनीष के साथ उसके कमरे से बाहर आ गई।

बाहर आते ही मनीष ने करुणा से कहा- “चलो रवी के कमरे में चलते हैं। वो दोनों वही होंगे..." और मनीष रवी के कमरे के पास आकर उसके दरवाजे को नाक करने लगा।

रवी ने अपने आपको ठीक करते हुए जाकर दरवाजा खोला, दरवाजा खोलते ही मनीष और करुणा अंदर आ गये। करुणा के अंदर आते ही धन्नो ने उठते हुए करुणा से कहा- “अच्छा हुआ जो आप आ गई, बहुत देर हो गई है। हमें चलना चाहिए...”

करुणा ने भी कहा- “हाँ बहुत देर हो गई है हमें चलना चाहिए..."

धन्नो ने उठते हुए रवी और मनीष से कहा- “हमें इजाजत चाहिए, हम चलते हैं...”

धन्नो की बात सुनते ही मनीष ने कहा- “रात होने वाली है, तुम दोनों का अकेले जाना ठीक नहीं होगा। एक काम करते हैं हम आप दोनों को अपनी कार में छोड़ आते हैं.”

धन्नो ने कहा- “जैसा आप ठीक समझे...” कहकर धन्नो और करुणा मनीष के साथ कमरे से निकलने लगी।

रवी भी उनके साथ बाहर आ गया। ठाकुर पहले से बाहर बैठा था। धन्नो और करुणा ने ठाकुर साहब से इजाजत ली और मनीष के साथ कार में बैठकर मौसी के घर की तरफ जाने लगी। रास्ते में तीनों के बीच कोई बात नहीं हुई।

घर पहुँचकर मनीष ने धन्नो से पूछा- “मोहित की तबीयत कैसी है?”

धन्नो ने मनीष से कहा- “सुबह से वो अपने कमरे में सोया हुआ है। पता नहीं उसकी तबीयत ठीक है या नहीं?”

मनीष ने धन्नो की बात सुनने के बाद कहा- “ठहरो मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूँ..” और मनीष धन्नो और करुणा के साथ अंदर जाने लगा।

अंदर पहुँचते ही मौसी ने मनीष को धन्नो और करुणा के साथ देख लिया, और वो उनकी तरफ आते हुए धन्नो से कहने लगी- “धन्नो यह तुम्हारे साथ कौन है?”

धन्नो ने मौसी से कहा- “यह ठाकुर साहब के बड़े बेटे मनीष हैं, और यह मोहित से उसकी तबीयत पूछने आए हैं, मनीष शहर में पढ़ने गये थे और यह हमारे साथ ट्रेन में यहाँ तक आए हैं...”

मौसी धन्नो की बात सुनने के बाद मनीष के पास जाते हुए कहने लगी- “प्रणाम छोटे ठाकुर। आप तो बहुत बड़े हो गये हैं, मैंने आपको बचपन में देखा था, अब तो पहचान में ही नहीं आ रहे हैं। मोहित अपने कमरे में है। जाओ उससे मिल लो...”

मनीष मौसी की बात सुनने के बाद धन्नो और करुणा के साथ मोहित के कमरे में जाने लगा। मोहित के कमरे में आते ही मनीष, करुणा और धन्नो तीनों के मुँह फटे के फटे रह गये। एक खूबसूरत लड़की मोहित की चारपाई के साथ कुर्सी पर बैठकर उससे बातें कर रही थी। वो लड़की दिखने में गोरी, उसका कद 56 इंच, बाडी उसकी भरी हुई थी, उसकी चूचियां 36 इंच की थी, जो बिल्कुल उसके सीने पर उभरी हुई थी।

मोहित मनीष, करुणा और धन्नो को देखकर चारपाई से उठकर बैठने लगा। मनीष ने जाकर मोहित को हाय कहा और उससे कहा- “तुम तकलीफ मत करो और सोए रहो...”
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मोहित ने उन सभी का परिचय उस लड़की से कराया- “यह रिया है मेरी होने वाली पत्नी..."

रिया ने सबको प्रणाम किया और धन्नो और करुणा को गौर से देखने लगी। मोहित ने रिया से उन सभी का परिचय कराया। धन्नो को रिया के सीने पर उठी हुई चूचियां बहुत पसंद आई। वो मोहित से कहने लगीतुम्हारी होने वाली बीवी बहुत सुंदर है...”

तभी मौसी कमरे में चाय लेकर आ गई और सबको चाय देते हुए बोली- “पूरे गाँव में यह एक ही तो गोरी और खूबसूरत है..”

मौसी को अचानक खयाल आया और वो हैरान होते हुए कहने लगी- “अरे तुम लोग खड़े क्यों हो। बैठो ना?”

मनीष वहाँ पर पड़ी दूसरी कुर्सी पर बैठ गया और धन्नो और करुणा जाकर दूसरी चारपाई पर बैठ गई, मनीष कुछ देर तक बातें करने के बाद मोहित और मौसी से इजाजत लेकर वहाँ से चला गया और उसके जाने के बाद रिया भी वहाँ पर सभी से इजाजत लेकर चली गई।

मौसी मनीष और रिया के जाने के बाद खाना बनाने चली गई और धन्नो और करुणा मोहित से बातें करने लगे। बातें करते हुए धन्नो ने ठाकुर की कही बात मोहित को सुना दी।

मोहित ने खुश होते हुए कहा- “यह तो बहुत अच्छा हुआ की तुम दोनों शादी की बाद हमारे गाँव में ही रहोगी...”

धन्नो ने भी मोहित से कहा- “तुमने तो गाँव में भी तगड़े माल को अपने हाथ में रखा है..”

मोहित ने कहा- “रिया मेरे बचपन का प्यार है। पहले उसका बाप उसे मुझसे दूर रहने को कहता था, मगर अब वो भी राजी है..."

हमें बातें करते हुए टाइम का पता ही नहीं चला, मौसी खाना बना चुकी थी। मौसी के साथ सभी ने खाना खाया और सभी सोने की तैयारी करने लगे। मौसी ने करुणा और धन्नो से पूछा- “तुम कमरे में सोओगी या बाहर आँगन में?” उस वक़्त बहार का मौसम था, ना तो इतनी ज्यादा ठंड थी ना ही गर्मी।

धन्नो ने कहा- मैं आँगन में सोऊँगी...”

करुणा ने कमरे में सोने के लिए कहा।

मौसी के घर में 3 कमरे थे उसने एक कमरे में करुणा का बिस्तर लगा दिया। मोहित जिस कमरे में था वहीं सो गया। मौसी ने आँगन में दो-चारपाईयां लगा दी, एक धन्नो के लिए और दूसरी अपने लिए। धन्नो अपनी चारपाई पर आकर लेट गई। मौसी भी अपनी चारपाई पर आकर लेट गई।

मौसी ने अपना चेहरा धन्नो की तरफ करते हुए कहा- “बेटी तुम्हें रिया कैसी लगी?”

धन्नो ने कहा- “मौसी बहुत खूबसूरत है वो लड़की..." और मौसी की तरफ देखते हुए कहा- “मौसी आपसे एक बात पूछनी है?”

मौसी ने धन्नो की तरफ देखते हुए कहा- “हाँ पूछो बेटी जो पूछना है...”

धन्नो ने मौसी से कहा- “मौसी वो जब हम ठाकुर के घर जा रहे थे तो रास्ते में एक सुनसान जगह थी...”

मौसी ने धन्नो को बीच में टोकते हुए कहा- “हाँ जहाँ पर एक खंडहर जैसी जगह बनी हुई है... बोल ना?”

धन्नो ने कहा- “हाँ मौसी। वहाँ से गुजरते हुए हमें कुछ अजीब आवाजें सुनाई दे रही थी, जैसे कोई लड़की चीख रही हो..."

मौसी ने फिर से धन्नो को टोकते हुए कहा- “तुम कहीं उस जगह में तो नहीं गई? वहाँ पर सारे गाँव के बदमाश और आवारा लोग लड़कियों को बहला फुसलाकर उस खंडहर में ले जाते हैं और उनका काम कर देते हैं..."

धन्नो ने अंजान बनते हुए कहा- “नहीं मौसी हम वहाँ नहीं गये, मगर वो लोग लड़कियों को क्या करते हैं वहाँ?”

मौसी ने दाँत निकालते हुए कहा- “तुम इतनी भोली भी नहीं हो जो हमसे पूछ रही हो। तुम्हें पता नहीं की लड़के लड़कियों के पीछे क्यों लगे रहते हैं?”

धन्नो ने भोलेपन का नाटक करते हुए कहा- “मौसी बताओ। सच में मुझे नहीं पता और मैं जो बाथरूम में कर रही थी वो सिर्फ सोनाली आँटी को करते हुए देखा था इसलिए मैं भी करने लगी थी...”

मौसी ने कहा- “सच में सोनाली यह सब करती है?”

धन्नो ने कहा- “हाँ मौसी सच में। मैंने सोनाली आँटी को करते हुए देखा है...”

मौसी ने कहा- “बेचारी जवानी में ही विधवा हो गई और क्या कर सकती है बेचारी। अच्छा तो तुमने अपनी आँटी की चूत देखी है?”
धन्नो ने शर्माने का नाटक करते हुए कहा- “जी हमने एक दफा देखी है...”

मौसी ने कहा- “तुम्हारी आँटी की चूत कैसी है?" ।

धन्नो ने अपना सिर नीचे करते हुए कहा- “जी उनकी बहुत गोरी है...”

मौसी ने खुश होते हुए कहा- “बिल्कुल तुम्हारी चूत की तरह..”

धन्नो मौसी की बात सुनकर शर्माते हुए अपने मुँह पर चादर रख ली। धन्नो ने थोड़ी देर बाद मौसी से कहामौसी आप भी तो विधवा हैं। आप अपनी जवानी को कैसे संभालती आई हैं?”

मौसी ने धन्नो की बात सुनते ही चौंकते हुए कहा- “बेटी तुमसे क्या छुपाना? मैंने तो अपनी चूत में जी भरकर लण्ड डलवा दिए हैं। अब जब भी जरूरत पड़ती है तो एक बूढ़ा है उससे चुदवा लेती हूँ। साले का लौड़ा बहुत बड़ा और टाइट है, सारी आग बुझा देता है...”

धन्नो मौसी की बात सुनकर चुप हो गई और चुपचाप सो गई।

मौसी ने कहा- “क्या हुआ बेटी सो गई क्या?”

धन्नो ने करवट लेते हुए कहा- “मौसी बहुत नींद आ रही है...”

मौसी ने धन्नो की तरफ देखते हुए कहा- “हाँ सो जाओ बेटी मुझे भी नींद आ रही है...”

धन्नो को कुछ ही देर में नींद ने आगोश में ले लिया।
* * * * * * * * * *
 horseride  Cheeta    
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प्रवीण और धन्नो का सपना उधर प्रवीण राधा के साथ अपने घर आ गया था। आज उसने राधा को जमकर चोदा था। उसने राधा की गाण्ड भी मारी थी और अब वो गहरी नींद में सोया हुआ था। प्रवीण अचानक एक सपना देखता है जिसमें एक लड़की गाना गा रही है

कोई हमें फिर दूर ना कर दे, माँग मेरी सिंदूर से भर दे, मैं तेरी हूँ कह दे सबसे, तेरा मेरा प्रेम है तब से, यह धरती यह अम्बर जब से, तेरा मेरा प्रेम है तब से...”

प्रवीण की नींद अचानक टूट जाती है और वो उठते हुए पानी पीता है, और फिर सपने के बारे में सोचते हुए सो जाता है।

इधर धन्नो को भी ख्वाब में एक लड़का गाना गाता हुआ नजर आता है।

दीप ने माँगी थी जब जोती, सीप ने माँगा था जब मोती, मैंने माँग लिया तुमको, तेरा मेरा प्रेम है तब से, यह धरती यह अंबर जब से, तेरा मेरा प्रेम है तब से, तेरा मेरा प्रेम है तब से।

अचानक धन्नो नींद से जाग गई और अपनी आँखें खोली, धन्नो को अपनी आँखें खोलते ही बहुत बड़ा झटका लगा। धन्नो सामने का नजारा देखकर हैरान रहो गई।

* * * * * * * * *
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*मौसी की चुदाई बूढ़े से

धन्नो की आँखें मौसी की खटिया पर टिक गई, क्योंकी मौसी नंगी उल्टी कुतिया की तरह लेटी हुई थी और बल्ब की रोशनी में उसकी झांटों से भरी पीछे की तरफ निकली हुई काली चूत को कोई अपनी जीभ से चाट रहा था।

धन्नो यह सब देखकर हैरान रह गई और चुपचाप अपने ऊपर चादर ओढ़कर देखने लगी।

मौसी की चूत बहुत बड़ी बिल्कुल काली थी और उसके चूतड़ बहुत मोटे थे। मौसी की चूत चाटने वाला सफेद बालों वाला एक शख्स था, जो बिल्कुल नंगा था वो मौसी की चूत चाटते हुए अपने हाथ से अपना लण्ड भी सहला रहा था। धन्नो उस शख्स का लण्ड देखकर अपनी थूक गटकने लगी, क्योंकी उस बूढ़े का लण्ड बिल्कुल काला 9 इंच लंबा और 3 इंच मोटा था। वो शख्स देखने में 50-55 साल का लग रहा था जिसका रंग सांवला था। वो बूढ़ा मौसी की चूत के होंठों को पूरा अपने मुँह में लेकर चूस रहा था।

मौसी भी सिसकते हुए अपने चूतड़ों को उस बूढ़े के मुँह पर दबा रही थी। अचानक उस बूढ़े ने मौसी की चूत के दाने को अपने मुँह में ले लिया। वो बूढ़ा मौसी की चूत के दाने को अपने होंठों से चाटते हुए अचानक अपने दाँतों से काट दिया।

मौसी- “आहहह... ओहह... साले मेरी चूत को खा ही जाओ क्या?”

वो बूढ़ा अपने मुँह से मौसी की चूत से निकालते हुए बोला- “साली तुम्हारी चूत अब भोसड़ा बन चुकी है, इसमें से पानी निकालने के लिए ऐसा ही करना पड़ता है...”

मौसी ने गुस्से में कहा- “साले भड़वे सीधा क्यों नहीं कहता की तुम्हारे लौड़े में दम नहीं रहा...” ।

मौसी की बात सुनते ही वो बूढ़ा गुस्सा होते हुए बोला- “साली छिनाल, मुझे हिजड़ा बोलती है? खुद की चूत में अपने हर किसी का लण्ड लेती फिरती है और मुझे भड़वा कहती है...” यह कहते हुए उस बूढ़े ने मौसी के चूतड़ों पर जोर-जोर से थप्पड़ मारते हुए अपनी जीभ को मौसी की चूत में घुसा दिया।

मौसी बूढ़े की जीभ अपनी चूत में घुसते ही “आहहह...” करके सिसक उठी। मौसी ने उस बूढ़े से कहा- “साले थोड़ा आराम से थप्पड़ मार, शहर से आई हुई मेरी भांजी सोई है कहीं वो जाग ना जाए..."

वो बूढ़े ने बिना कोई बात सुने मौसी की चूत चाटते हुए एक उंगली उसकी गाण्ड में डाल दी। मौसी बहुत जोर से सिसकने लगी। लगता था की वो झड़ने वाली थी। अचानक उस बूढ़े ने अपनी उंगली निकालकर दो उंगलियां मौसी की गाण्ड में डाल दी और बहुत जोर से उन्हें अंदर-बाहर करते हुए अपनी जीभ भी उसकी चूत में घुमाने लगा।

मौसी- “आहह्ह... आह्ह... साले.....” इतना ही कह पाई की उसकी चूत से पानी निकलना शुरू हो गया।



वो बूढ़ा मौसी की चूत से निकलता हुआ पानी चाटने लगा। मौसी कुछ देर झड़ने के बाद वहीं पर ढेर हो गई। वो बूढ़ा मौसी को सीधा करते हुए उसके ऊपर चढ़ गया और अपने हाथों से मौसी की लटकती हुई बड़ी-बड़ी चूचियों को पकड़ते हुए अपना लण्ड उनके बीच में डाल दिया।

वो बूढ़ा अपने दोनों हाथों से मौसी की चूचियों को अपने लण्ड पर दबाते हुए अपने लण्ड को ऊपर-नीचे करने लगा। मौसी ने उस बूढ़े की तरफ देखते हुये अपना मुँह खोल दिया और उसका लण्ड जैसे ही उसके होंठों को छूता वो उसे अपने मुँह में भर लेती। मौसी ने अब अपनी जीभ निकाली और बूढ़े का लण्ड जैसे ही उसकी मुँह के पास आता वो उसके टोपे को अपनी जीभ से चाट लेती।

बूढ़ा कुछ देर तक ऐसे ही मौसी की चूचियों के बीच अपना लण्ड आगे-पीछे करता रहा। फिर वो मौसी के ऊपर से उठते हुए उसे फिर से उल्टा कर दिया और फिर से मौसी के चूतड़ों को थप्पड़ मारता हुआ अपना लण्ड उसकी चूत पर टिका दिया। बूढ़े ने अपने दोनों हाथ मौसी की कमर में डालते हुए एक ही जोर का धक्का देते हुए अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया।

मौसी के मुँह से हल्की “आह्ह्ह..इस्स्स्स..” की सकी निकल गई।
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बूढ़ा मौसी की चूत में अपना लण्ड बहुत जोर-जोर से अंदर-बाहर करते हुए कहने लगा- “साली छिनाल बहुत बड़ी नाटकबाज है तू। चूत बिल्कुल भोसड़ा बन चुकी है, मगर फिर भी लण्ड के जाते ही ऐसे नाटक करती है जैसे मेरा लण्ड पहली बार अपनी चूत में ले रही हो...”

मौसी ने कहा- “साले अपना लौड़ा भी तो देखो गधे का लौड़ा है या किसी इंसान का?"

बूढ़े ने खुश होते हुए अपने लण्ड को जोर-जोर से मौसी की चूत में अंदर-बाहर करते हुए उसकी गाण्ड में एक उंगली डाल दी और उंगली को बहुत जोर-जोर से अंदर-बाहर करते हुए चोदने लगा।

मौसी समझ गई की बूढ़ा उसकी गाण्ड मारना चाहता है। इसलिए वो बूढ़े से कहने लगी- “आज मेरी गाण्ड को छोड़ो। मैंने कहा ना मेरी भांजी उठ जाएगी...”

वो बूढ़ा हँसते हुए अपनी उंगली मौसी की गाण्ड से निकलते हुए अपनी दो उंगलियां उसकी गाण्ड में डाल दी।

मौसी- “ऊहह... साले कमीने मानोगे नहीं तुम..”

बूढ़ा मौसी की गाण्ड में अपनी दोनों उंगलियां अंदर-बाहर करते हुए बोला- “साली नखड़े तो ऐसे कर रही हो जैसे पहली बार अपनी गाण्ड मरवा रही हो, और जब तुम गाँव में रहकर इतनी बड़ी छिनाल हो तो तुम्हारी भांजी ने तो शहर में रहकर ना जाने कितने लण्ड चखे होंगे? उठने दो साली को आज शहर की लौंडिया को भी अपना लौड़ा चखा देता हूँ। साली सारी उमर याद रखेगी...”

धन्नो बूढ़े की बातें सुनकर उत्तेजित होते हुए अपनी चूत को कच्छी के ऊपर से ही सहलाने लगी। वो बूढ़े को अपने बारे में बोलते हुए सुनकर बहुत उत्तेजित हो गई थी।

बूढ़ा अब अपनी उंगलियों को बहुत जोर-जोर से मौसी की गाण्ड में अंदर-बाहर कर रहा था, मौसी भी फिर से झड़ने के करीब थी। मौसी ने उत्तेजित होते बूढ़े से कहा- “साले मेरी चूत को तो सही तरीके से चोद नहीं पाते और मेरी गाण्ड के पीछे पड़े हो...
बूढ़ा मौसी की बात सुनकर भड़क गया और मौसी की गाण्ड से उंगलियां निकालते हुए उसके चूतड़ों पर दो-चार थप्पड़ मारते हुए उसको कमर से पकड़ते हुए पूरी ताकत और तेजी के साथ उसकी चूत में अपना लण्ड अंदरबाहर करने लगा। बूढ़ा मौसी की चूत में अपना लण्ड सुपाड़े तक निकालकर फिर तेजी के साथ अंदर घुसेड़ देता। बूढे की लटकती हुई गोटियां जाकर मौसी के जिश्म से टकराती और मौसी बूढे के हर धक्के के साथ पूरी काँप उठती और उसके मुँह से हल्की चीख निकल जाती।

मौसी का जिश्म अचानक पूरा अकड़ने लगा और वो बड़बड़ाने लगी- “हाँ ऐसे ही मेरी चूत का कचूमर बना दो। सच में तुम्हारा लण्ड जानदार है, मेरी चूत को चोद-चोदकर भोसड़ा बना दिया है...”

मौसी की बातें सुनकर बूढ़ा समझ गया की वो झड़ने वाली है। इसलिए बूढ़े ने एक जोर का धक्का लगाते हुए अपना लण्ड मौसी की चूत में जड़ तक घुसा दिया, और खुद अपने हाथ उसकी कमर से निकालते हुए उसकी लटकती हुए बड़ी-बड़ी चूचियों को मसलने लगा।

मौसी अपनी चूत में लण्ड के रुकते ही गुस्से से बूढ़े से बोली- “साले मैं झड़ने वाली हूँ तुम रुक क्यों गये? अपनी माँ की याद आ गई क्या? मेरी चूत को चोदो...”

वो बूढ़ा मौसी का कोई जवाब दिए बगैर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को मसलते हुए उसके काले दाने को अपनी उंगलियों से मसलने लगा। मौसी उत्तेजना के मारे अपनी चूत को खुद ही बूढ़े के लण्ड पर आगे-पीछे करने लगी, मगर उसे बूढ़े ने मौसी की कमर में हाथ डालकर उसे ऐसा नहीं करने दिया।

मौसी ने गुस्से में आकर बूढ़े को गालियां देते हुए कहा- “साले हरामी मेरी चूत को चोदो... क्या कर रहे हो भड़वे?”

बूढ़े ने मौसी से कहा- “एक शर्त पर तुझे चोदूंगा...”

मौसी ने कहा- “साले कुत्ते... तुम्हारी हर शर्त मंजूर है, मगर मेरी चूत को चोदो..."

बूढ़े ने कहा- “पहले शर्त तो सुन लो?"

मौसी ने गुस्से में कहा- “भड़वे बता ना क्या शर्त है?”

बूढ़े ने अपने दाँत निकालते हुए कहा- “मुझे तुम्हारी उस शहर वाली भांजी को नंगा देखना है.”

धन्नो जो इतनी देर से अपनी चूत को कच्छी के ऊपर से ही सहला रही थी बूढे की बात सुनकर सिहर उठी।
और उत्तेजना से काँपते हुए झड़ने लगी, और अपने नीचे वाले होंठ को दाँतों से दबाकर आँखें बंद कर ली।

मौसी ने बूढ़े की बात सुनते ही हैरान होते हुए कहा- “साले कुत्ते अपनी उमर देखी है? कमीने तेरा पेट अब मुझसे नहीं भरता जो नई लौंडिया के पीछे पड़ा है। भड़वे वो क्या रंडी है जो तुम्हारे कहने से नंगी हो जायेगी खुद भी मरोगे और मुझे भी मरवाओगे..”

मौसी की बात सुनकर बूढ़े ने कहा- “वो सब तुम मुझपर छोड़ दो, तुम बस मुझे इजाजत दे दो...” यह कहते हुए उस बूढ़े ने मौसी की चूत से लण्ड निकालकर फिर से घुसेड़ दिया, ताकी वो गरम हो जाए।

मौसी को उस वक़्त अपनी चूत की ज्यादा चिंता थी इसलिए उसने कहा- “तुम्हारी मर्जी जो करना है करो, मगर मेरी चूत को शांत करो...”
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मौसी की बात सुनते ही बूढ़ा मौसी की चूचियों को पकड़ते हुए बहुत तेजी के साथ उसकी चूत में धक्के लगाने लगा। मौसी भी कुछ ही देर में फिर से गरम होते हुए काँपने लगी, और वो अपने चूतड़ों को बूढ़े के लण्ड पर जोर-जोर से धक्के देते हुए झड़ने लगी। झड़ते हुए मौसी ने अपनी आँखें बंद कर ली। उस बूढ़े ने मौसी की चूत के रस से भीगा हुआ अपना लण्ड बाहर निकालते हुए मौसी की गाण्ड पर रखकर एक जोर का धक्का लगा दिया। मौसी की गाण्ड में उस बूढ़े का आधा लण्ड घुस चुका था।

मौसी चीखी- “ऊईई... साले हरामी बिना बताए ही घुसा दिया...”

बूढ़ा मौसी की परवाह ना करते हुए उसकी कमर में हाथ डालते हुए दो-चार जोर के धक्के लगाकर अपना लण्ड मौसी की गाण्ड में पूरा घुसा दिया और बहुत जोर-जोर से उसकी गाण्ड को चोदते हुए हाँफते हुए अपने वीर्य से उसकी गाण्ड को भरने लगा।

मौसी की गाण्ड में पूरा लण्ड घुसते ही उसके मुँह से एक जोर की चीख निकल गई मगर फिर धन्नो का सोचते हुए उसने अपना मुँह तकिये में घुसा दिया। ताकी उसके चीखने से धन्नो ना जाग जाए। मौसी उस बूढ़े के झड़ने के बाद वहीं पर सीधा होकर लेट गई। उसकी आँखों से अब भी आँसू निकल रहे थे। उसने बूढ़े की तरफ देखते हुए कहा- “साले हरामी बहुत कमीना है तू... थोड़ा भी रहम नहीं आया तुझे...”

धन्नो एक बार झड़ चुकी थी मगर वो अपने आपको बूढे के सामने नंगा होने के खयाल से ही फिर से उत्तेजित हो रही थी। मौसी ने कुछ देर तक यूँ ही लेटे रहने के बाद बूढ़े से कहा- “साले अब बताओ कैसे इस लौंडिया को नंगा करोगे?"

बूढ़े ने कहा- “मेरे पास एक दवा है, जिसे मैं रुमाल पर लगाकर उसकी नाक पर रबँगा, उसे पूँघते ही यह लौंडिया एक घंटे तक अपने होश खो देगी..."

मौसी ने अपने मुँह पर हाथ रखते हुए कहा- “साले कुत्ते... तुम तो बहुत हरामी हो...”


वो बूढ़ा उठते हुए अपनी कमीज से एक दवा और रुमाल निकाला और वो दवाई रुमाल पर लगाते हुए धन्नों की खटिया की तरफ बढ़ने लगा।

धन्नो उनकी सारी बातें सुन चुकी थी। वो नहीं चाहती थी की वो बेहोश हो क्योंकी वो उस बूढ़े से अपने होश में रहकर मजे लेना चाहती थी। बूढ़े ने धन्नो की खटिया के पास पहुँचते ही धन्नो के ऊपर से चादर को हटा दिया। धन्नो ने पहले से ही अपनी आँखें बंद कर ली थी, और वो सोने का नाटक कर रही थी। बूढ़े ने दवाई वाला रुमाल आगे बढ़ाते हुए धन्नो की नाक पर रख दिया।

उस बूढ़े ने कुछ देर तक धन्नों की नाक पर रुमाल डाले रखा और फिर उसकी नाक से रुमाल हटाते हुए वापस जाकर अपनी कमीज में रख दिया। धन्नो ने बूढ़े के रुमाल रखने से पहले अपनी साँसें बंद कर ली थी, जिस वजह से वो बेहोश नहीं हुई थी।

बूढ़े ने मौसी से कहा- “जाओ तुम उस लौंडिया को जाकर देखो की वो बेहोश हुई या नहीं?”

मौसी धन्नो के पास जाकर उसे अपने हाथों से झंझोड़ते हुए कहने लगी- “धन्नो क्या तुम जाग रही हो?”

धन्नो चुपचाप सोने का नाटक करने लगी।

मौसी ने बूढ़े से कहा- “यह सच में बेहोश हो गई है...”

मौसी की बात सुनकर बूढ़ा खुश होते हुए धन्नो के पास आ गया और उसकी चादर को खींचकर उसके ऊपर से हटा दिया। धन्नो चुपचाप सीधी सोई हुई थी और उसकी साँसों के साथ उसकी चूचियां भी ऊपर-नीचे हो रही थी।
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बूढ़ा- “वाह लौंडिया तो बहुत गोरी और चिकनी है, साली का माल कैसा होगा?” यह कहते हुए बूढ़े ने धन्नो की साड़ी को उसके पेट से हटा दिया। धन्नो के दूध जैसे गोरे पेट को देखकर बूढ़ा लार टपकाने लगा। बूढ़े ने धन्नो
की खटिया पर बैठते हुए अपना हाथ उसके पेट पर रख दिया और उसे सहलाने लगा।

बूढ़ा- “वाह साली का क्या जिश्म है... मुझे ऐसे महसूस हो रहा है जैसे किसी शीशे पर अपना हाथ फिरा रहा हूँ..." बूढ़े ने खुश होते हुए कहा।

मौसी भी वहाँ खड़ी धन्नो को देख रही थी।

धन्नो बूढ़े का हाथ अपने पेट पर पड़ते ही सिहर उठी थी, उसे बहुत ज्यादा गुदगुदी महसूस हो रही थी और बूढ़े का सख़्त हाथ अपने पेट पर पड़ते ही वो फिर से गरम होने लगी थी। बूढ़े ने कुछ देर तक धन्नो के पेट को । सहलाने के बाद अपना मुँह नीचे करते हुए धन्नो के पेट पर रख दिया और उसे अपने होंठों से चूमने लगा।
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धन्नो बूढ़े के होंठ अपने पेट पर पड़ते ही बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई और उसकी चूत से पानी की बूंदें निकलने लगी। बूढ़ा बड़े प्यार से धन्नो के पेट को ऊपर से नीचे तक चाट रहा था। धन्नो के गोरे पेट को चूमते हुए बूढ़े का लौड़ा फिर से तनने लगा। बूढ़ा अपना मुँह धन्नों के पेट से हटाते हुए उसकी साड़ी को उतारने लगा, मगर धन्नो के लेटने की वजह से वो साड़ी को ना उतार सका।

बूढ़े ने मौसी की तरफ देखते हुए कहा- “क्या आँखें फाड़कर देख रही हो? इधर आओ इसकी साड़ी उतारने में मेरी मदद करो...”

मौसी बूढे की बात सुनकर धन्नो की खटिया तक आते हुए बूढ़े के साथ मिलकर धन्नो की साड़ी को उसके जिश्म से अलग कर दिया। धन्नो अब सिर्फ एक छोटी सी कच्छी और ब्रा में थी। बूढ़ा धन्नो की साड़ी के उतरते
ही उसके पूरे गोरे जिश्म को देखकर फिर से लार टपकाने लगा।

धन्नो को गौर से देखते हुए बूढ़े ने कहा- “वाह... साली पूरी दूध की तरह सफेद है, देखो तो साली की चूचियां भी बहुत गोरी हैं.”

धन्नो बूढे की बात सुनकर उत्तेजना और शर्म के मारे पानी-पानी हो रही थी। धन्नो की ब्रा उसकी चूचियों को पूरा ढक नहीं पा रही थी, और धन्नो अगले पल के बारे में सोचते हुए और ज्यादा उत्तेजित हो रही थी। बूढ़े ने धन्नो के होंठों को गौर से देखा और खटिया पर बैठते हुए अपने होंठ धन्नो के होंठों पर रख दिये। धन्नो अचानक हुए इस हमले के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी। बूढ़ा धन्नो के दोनों होंठों को पूरा अपने मुँह में लेकर चूस रहा था। धन्नो को उस बूढ़े के मुँह से बहुत ज्यादा बदबू आ रही थी, क्योंकी बूढ़े ने दारू पी रखी थी, धन्नो की साँसे अटकने लगी।

मौसी ने अचानक बूढ़े से कहा- “कुत्ते तुमने कहा था की उसे सिर्फ देखोगे, फिर तुम ऐसा क्यों कर रहे हो? अगर वो उठ गई तो तेरे साथ मेरी भी गाण्ड फटेगी...”

बूढ़ा मौसी की बात सुनकर धन्नो के होंठों को छोड़कर सीधा हो गया। धन्नो के होंठ चूसते हुए बूढ़े का लौड़ा फिर से तनकर उछल-कूद मचा रहा था और उसके लौड़े से प्री-कम की कुछ बूंदें निकल रही थी। मौसी ने जैसे ही बूढ़े के लौड़े से प्री-कम की बूंदों को निकलते हुए देखा, वो अपने हाथों से बूढ़े के लौड़े को पकड़कर वहाँ जमीन पर घुटनों के बल बैठ गई। मौसी ने वहाँ जमीन पर घुटनों के बाल बैठते हुए अपने हाथ से बूढे के लौड़े को पकड़ लिया, और अपनी जीभ निकालकर उसके लण्ड से निकलते हुए प्री-कम को चाटने लगी।

“आह्ह्ह...” बूढ़ा अपने लौड़े पर मौसी जीभ पड़ते ही सिसक उठा और मौसी के सिर को पकड़ते हुए उसे अपने
लौड़े पर दबाने लगा।

मौसी ने अपना मुँह खोलकर बूढ़े के काले लण्ड को अपने मुँह में भर लिया। बूढे का लौड़ा बहुत मोटा और बड़ा था इसलिए मौसी उसे आधा ही अपने मुँह में ले पा रही थी। बूढ़ा अपना लण्ड मौसी के मुँह में जाते ही उसे बालों से पकड़ते हुए अपने लौड़े को उसके मुँह में अंदर-बाहर करने लगा। मौसी की आँखों से आँसू निकलने लगे, क्योंकी बूढ़ा अपना लण्ड बहुत जोर-जोर से मौसी के मुँह में अंदर-बाहर कर रहा था। मौसी के मुँह में बूढ़े का । लण्ड हलक तक धक्के मार रहा था।



मौसी को अपने मुँह में दर्द होने लगा। इसलिए वो बूढ़े का लण्ड अपने मुँह से निकालकर उसे अपनी जीभ से। चाटने लगी। बूढ़ा मौसी के बालों को छोड़ते हुए धन्नो को निहारने लगा। धन्नों को देखते हुए बूढ़े ने उसकी ब्रा को उसकी चूचियों से नीचे सरका दिया।

वाह क्या चूचियां हैं?” बूढा धन्नो की गोरी चूचियां और उनके ऊपर छोटे से गुलाबी दाने को देखकर बोल पड़ा।

धन्नो की साँसें अपनी ब्रा के हटते ही फूलने लगी। बूढ़े ने अपना हाथ बढ़ाते हुए धन्नो की चूची को पकड़ लिया। बूढ़ा कुछ देर तक अपने हाथ से धन्नो की नरम चूचियों को अच्छी तरह से महसूस करने के बाद उसकी चूचियों के दाने से खेलने लगा। धन्नो अपने आपको जाने किस तरह काबू किए हुए थी। बूढ़े ने अचानक नीचे झुकते हुए धन्नो की एक चूची को अपने मुँह में ले लिया।

धन्नो का सारा जिश्म अकड़ गया और उसकी साँसे भी तेज हो गई। धन्नो की तेज साँसों की वजह से बूढ़ा डर गया, और अपना मुँह वहाँ से हटा दिया। धन्नो समझ गई की बूढ़ा डर गया है इसलिए वो नार्मल हो गई। बूढ़ा अपना हाथ बढ़कर धन्नो के गालों पर चपत लगाते हुए उसके चहरे को झंझोड़ने लगा। मगर धन्नो वैसे ही लेटी रही। बूढ़े ने फिर से धन्नो की चूची को अपने मुँह में ले लिया। बूढ़ा इस बार धन्नो की चूची को जोर-जोर से । चूसते हुए अपने हाथ से उसकी दूसरी चूची को सहलाने लगा। बूढा कुछ देर तक धन्नो की चूचियों को चूसने के बाद मौसी के हाथों से अपने लण्ड को छुड़ाते हुए नीचे होते हुए धन्नो की कच्छी को घूरने लगा।

मौसी ने बूढ़े से कहा की- “क्या देख रहे हो?”

बूढ़े ने कहा- “लौंडिया बहुत गरम है, बेहोश होते हुए भी इसकी चूत से इतना पानी निकला है की इसकी कच्छी गीली हो गई है। अगर होश में होती तो साली की क्या हालत होती?”

मौसी ने बूढे की बात सुनकर अपना हाथ धन्नो की कच्छी पर रख दिया और अपने हाथ को वहाँ पर ऊपर-नीचे करते हुए गीला कर लिया। मौसी ने अपना गीला हाथ अपनी नाक पर रखते हुए उसे सँघने लगी। अपना हाथ सँघते हुए मौसी ने अपनी आँखें बंद कर ली और अपनी जीभ निकालकर अपने हाथ को चाटने लगी।

मौसी अपना हाथ चाटते हुए बोली- “साली की चूत का पानी बहुत टेस्टी है...”
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बूढ़ा मौसी की बात सुनकर अपने दोनों हाथों से धन्नो के चूतड़ों को पकड़ते हुए थोड़ा ऊपर उठा लिया। धन्नो के चूतड़ ऊपर होते ही बूढ़े ने उसकी कच्छी को अपनी उंगलियों में फँसाते हुए नीचे सरका दिया और उसकी कच्छी को उसके पैर से निकालते हुए अपनी नाक पर रखकर पूँघने लगा।

बूणा- “आह्ह्ह... क्या खुश्बू है साली की चूत की?” यह कहते हुए बूढ़े ने कच्छी को खटिया पर रखते हुए धन्नो
की टाँगों को पकड़कर आपस में से जुदा करते हुए फैला दिया।

धन्नो अपने आपको उस बूढ़े के सामने नंगी सोए हुए पाकर उत्तेजना के मारे उसकी चूत से रस टपकने लगा, बूढ़ा धन्नो की गुलाबी चूत को देखकर पागल हो गया। बूढ़े ने आज तक सिर्फ गाँव की काली बड़ी-बड़ी चूतों को चोदा था। वो अपने सामने छोटी सी गुलाबी चूत देखकर बहुत खुश हो गया। बूढ़े ने अपना मुँह धन्नो की चूत तक ले जाते हुए अपनी जीभ निकालकर उसकी चूत से निकलता हुआ ताजा पानी चाट लिया।

बूढ़ा- “वाह क्या नमकीन चूत है..." यह कहते हुए बूढ़ा धन्नो की चूत को ऊपर से नीचे तक चाटने लगा।

धन्नो अपनी चूत पर बूढे की जीभ लगाते ही सिहर उठी थी और अब वो अपने आपको रोक नहीं पा रही थी। बूढ़ा धन्नो की चूत को चाटते हुए अपना मुँह खोलकर उसकी चूत के दाने को मुँह में भर लिया और उसे बहुत जोर-जोर से चूसने लगा। धन्नो का पूरा जिम अकड़ने लगा, अब वो किसी भी वक़्त झड़ सकती थी। बूढ़े ने अब धन्नो की चूत के दाने को छोड़ते हुए अपने हाथों से उसकी चूत के होंठों को आपस में अलग करते हुए अपनी । जीभ से चाटने लगा, और अचानक अपनी जीभ को कड़ा करते हुए धन्नो की चूत के छेद में डाल दिया।

धन्नो अपनी चूत में बूढ़े की जीभ घुसते ही काँप उठी और उसकी चूत झटके खाते हुए झड़ने लगी।

बूढ़ा धन्नो की चूत से निकलता हुआ पानी चाटते हुए अपना पूरा मुँह खोलते हुए धन्नो की चूत के होंठों को अपने मुँह में भर लिया और उसकी चूत से निकलता हुआ पानी पीने लगा। धन्नो झड़ते हुए अपने मुँह से कोई आवाज नही करते हुये, और अपने हाथ की मुठ्ठी को बंद करते हुए झड़ने का मजा लेने लगी। वो नहीं चाहती थी की किसी को शक हो की वो जाग रही है।

बूढ़ा धन्नो का पूरा रस पीने के बाद अपना मुँह उसकी चूत से हटा दिया। बूढ़े ने सीधा होते हुए मौसी की तरफ देखा जो बड़े गौर से धन्नो को घूर रही थी। बूढ़े ने खुश होते हुए कहा- “कुतिया देख तुम्हारी भांजी कितनी गरम है की बेहोश होते हुए भी पानी छोड़ रही है...”

मौसी ने बूढ़े से कहा- “चलो अब अपने कपड़े पहनकर जाओ यहाँ से...”

बूढ़े ने मौसी की तरफ देखते हुए अपने खड़े लौड़े की तरफ इशारा करते हुए कहा- “साली इसे क्या अपनी गाण्ड में डालूंगा?”

मौसी ने हैरान होते हुए कहा- “कमीने फिर क्या इरादा है तुम्हारा?”

बूढ़े ने हँसते हुए कहा- “आज अपने लौड़े को इस लौंडिया की शहरी चूत का स्वाद चखाऊँगा...”

मौसी बूढे की बात सुनकर अपने मुँह पर हाथ रखते हुए बोली- “साले कुत्ते मुझे मराओगे क्या? तेरा दिमाग तो सही है?”

बूढ़े ने कहा- “तुम्हारी गाण्ड क्यों फट रही है, तुम्हें कुछ नहीं होगा.” बूढ़ा यह कहते हुए खटिया पर चढ़ते हुए धन्नो के पैरों में बैठ गया और उसकी टांग को थोड़ा ऊपर करते हुए अपनी जीभ निकालकर उसे चाटने लगा।

धन्नो अपनी टांग पर बूढ़े की जीभ को महसूस करके फिर से गरम होने लगी। बूढ़ा अपनी जीभ धन्नो की टाँग पर फिराते हुए नीचे होते हुए उसके पैर तक आ गया। बूढ़े ने धन्नो के पैर को निहारते हुए अपना मुँह खोलकर उसके अँगूठे को अपने मुँह में भर लिया। बूढ़ा धन्नो के पूरे अंगूठे को अपने होंठों से चूसने लगा। अपने अँगूठे को बूढे के मुँह में महसूस करके धन्नो को सारे शरीर में गुदगुदी होने लगी। बूढ़ा कुछ देर तक धन्नो के अँगूठे को चूसने के बाद अपने मुँह से निकालते हुए अपने हाथों से उसके अँगूठे और उंगली को अलग कर दिया।

बूढ़े ने अपनी जीभ निकाली और धन्नो के अँगूठे और उंगली के बीच डालकर चाटने लगा। धन्नो का सारा जिश्म बूढ़े की इस हरकत से सिहर उठा। धन्नों को अपने पूरे शरीर में उत्तेजना की एक लहर दौड़ने लगी, और उसे अजीब किस्म का मजा आने लगा। बूढ़े ने एक-एक करके अपनी जीभ से धन्नो के दोनों पैर की उंगलियों को चाट लिया।

धन्नो का जिश्म फिर से आग की तरह भड़कने लगा। धन्नो को आज तक इतना मजा कभी नहीं आया था जो उसे आज उस बूढ़े ने दिया था। बूढ़ा धन्नो के पैर को छोड़ते हुए हुए उसकी चूत की तरफ बढ़ने लगा। चूत के । पास पहुँचते ही बूढ़ा अपनी एक उंगली को धन्नो की चूत से निकलते हुए पानी से गीला करते हुए उसकी चूत में डाल दिया।

धन्नो बूढ़े की उंगली अपनी चूत ने जाते ही कुछ सुकून महसूस करने लगी।

बूढ़ा धन्नो को कुँवारी समझ रहा था, वो अपनी एक उंगली बिना तकलीफ के धन्नो की चूत में पड़ते ही हैरान हो गया, और अपनी उंगली को निकालते हुए अपनी दो उंगलियों को अंदर डाल दिया। धन्नो को अपनी चूत में दो उंगलियां घुसते ही और ज्यादा मजा आने लगा।

बूढ़ा अपनी दो उंगलियां भी ऐसे ही धन्नो की चूत में घुसते देखकर गुस्से से अपनी दोनों उंगलियां जोर-जोर से। उसकी चूत में अंदर-बाहर करते हुए मौसी से कहना लगा- “साली बहुत डर रही थी, देख तेरी भतीजी पहले से ही किसी का लण्ड अपनी चूत में ले चुकी है.. मैं अब इसको ऐसे चोदूंगा की यह सारे लौड़ों को भूल जाएगी...”

कहकर बूढ़ा अपनी उंगलियां धन्नो की चूत से निकालते हुए उसके ऊपर लेट गया और धन्नो के होंठों को चूसने लगा।

बूढ़ा धन्नो के होंठों को बहुत जोर से चूसते हुए अपना पूरा जिश्म उसकी बाडी से रगड़ने लगा। धन्नो को अपनी चूत पर बूढ़े के लण्ड की रगड़ और अपनी चूचियों पर उसके सीने के सफेद बालों की रगड़ पागल बना रही थी। धन्नो को इतना मजा आ रहा था की उसे बूढ़े के मुँह से आती हुई बदबू भी महसूस नहीं हो रही थी। बूढ़ा धन्नो के होंठों को चूसते हुए उसके नीचे वाले होंठ को अपने मुँह में लेते हुए जोर से काटने लगा।
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धन्नो अपने होंठों पर बूढे के काटने से छटपटा उठी और उसकी आँखें खुल गई। धन्नो की आँखें खुलते ही बूढ़ा उसके होंठों को छोड़कर उसके कंधे को चूमने लगा। धन्नो अपनी आँखें खोलते ही बूढ़े को अपने आपसे दूर करने का नाटक करने लगी। धन्नो अपने हाथों से बूढ़े के पीठ पर अपने नाखून गड़ाते हुए कहने लगी- “हटो मेरे ऊपर से यह क्या बदतमीजी है?"

धन्नों के नाखून अपनी पीठ पर पड़ते ही बूढ़े ने धन्नो के दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़ते हुए सीधा खटिया पर रख दिया, और उसे अपने हाथों से जोर से दबा दिया। धन्नो अब पूरी तरह से बूढ़े की गिरफ्त में थी। बूढ़े ने अपना मुँह फिर से धन्नो के होंठों पर रख दिया और उसके होंठों को चूसते हुए अपनी जीभ उसके मुँह में डालने लगा। धन्नों ने अपने होंठ जोर से बंद कर दिये। बूढ़ा अपनी बाड़ी को हिलाते हुए धन्नों की बाड़ी पर रगड़ने लगा।

बूढ़े का लौड़ा अपनी चूत पर रगड़ खाते ही धन्नो के मुँह से “आहहह... निकल गई।

धन्नों का मुँह खुलते ही बूढ़े ने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। धन्नो को बूढ़े के मुँह से बदबू आ रही थी, मगर वो अब बहुत गरम हो चुकी थी, और वो अब बूढ़े का लौड़ा अपनी चूत में लेना चाहती थी। बूढ़ा अपनी जीभ उसके मुँह में डाले अपना लण्ड धन्नो की चूत पर रगड़ने लगा। धन्नो का पूरा जिम उत्तेजना के मारे काँप रहा था। धन्नों से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, इसलिए उसने बूढ़े की जीभ को चूसते हुए अपनी चूत को उसके लण्ड पर दबाने लगी।

मौसी जो चुपचाप उन दोनों का खेल देख रही थी वो धन्नो की इस हरकत से हकबका कर रह गई। बूढ़े ने धन्नों के दोनों बाजू आजाद कर दिये। धन्नो अपने बाजू आजाद होते ही बूढे को अपनी बाहों का हार पहनाते हुए उसके बालों को सहलाने लगी।

बूढ़े ने अपनी जीभ धन्नो के मुँह से निकालते हुए उसकी जीभ को पकड़कर अपने मुँह में भर लिया और उसे चाटने लगा। बूढ़ा कुछ देर तक धन्नो की जीभ चाटने के बाद उसके होंठों को छोड़ते हुए, नीचे होते हुए धन्नो की एक चूची को अपने मुँह में भर लिया और उसे जोर-जोर चाटने लगा। बूढ़ा अब एक-एक करके धन्नो की दोनों चूचियों को चाटते हुए अपने होंठों से काटने लगा।

ऊहह... आह्ह्ह..” धन्नो अपनी चूचियों पर बूढे के दाँत पड़ते ही जोर से सिसकते हुए अपने नाखून बूढे की पीठ पर गाड़ने लगी।

बूढ़ा अपनी पीठ पर धन्नो के नाखून पड़ते ही उसकी चूचियों को जोर-जोर से काटने लगा, और धन्नो बूढ़े की पीठ पर अपने नाखून जोर से गड़ाने लगी। धन्नो की चूचियों पर बूढे के काटने से लाल निशान पड़ चुके थे, और बूढ़े की पीठ का भी वोही हाल था, मगर दोनों उस वक़्त इस खेल का मजा ले रहे थे। बूढ़े ने नीचे होते हुए धन्नो की दोनों टाँगों को घुटनों तक मोड़ दिया।

धन्नो की टाँगें उसके पेट पर पड़ी थी और उसकी चूत बूढे की आँखों के सामने थी। बूढ़ा अपना काला लौड़ा धन्नो की रस टपकाती गुलाबी चूत पर रगड़ने लगा। धन्नो अपनी चूत के छेद पर बूढे के लौड़े का स्पर्श पड़ते ही पागल हो गई। बूढ़े ने अपने हाथों से धन्नो की चूत के होंठों को खोलते हुए अपना लौड़ा वहाँ पर सेट कर दिया। धन्नो जल्दी से अपने चूतड़ उछालकर बूढ़े के लौड़े को अपनी चूत में लेने लगी। बूढ़े के लौड़े का सुपाड़ा धन्नो के चूतड़ उछालने से उसकी चूत में घुस गया।

“ऊह्ह...” बूढे के लौड़े का सुपाड़ा अपनी चूत में घुसते ही धन्नो के मुँह से हल्की चीख निकल गई। बूढे के लौड़े का सुपाड़ा बहुत मोटा था, इसलिए धन्नो को तकलीफ हो रही थी।

बूढ़े ने धन्नो की टाँगों को पकड़ते हुए एक धक्का मार दिया। बूढ़े का लौड़ा धन्नो की चूत को फैलाता हुआ आधा उसकी चूत में घुस गया।

धन्नो के मुँह से “आह्ह्ह... ओह्ह..” की जोर की चीख निकल गई। धन्नो को अपनी चूत पूरी भरी हुई महसूस हो रही थी। धन्नो को लगा जैसे बूढ़े ने अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया है, वो अपना हाथ नीचे करते हुए बूढ़े के अंडों को चेक करने लगी।
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धन्नो का हाथ अपने लण्ड पर पड़ते ही बूढ़े ने हँसते हुए कहा- “छोरी यह कोई शहरी लौड़ा नहीं, गाँव का लौड़ा है। अभी आधा बाहर है...”

धन्नो बूढे की बात सुनकर डरते हुए कहने लगी- “तुम्हारा लौड़ा बहुत मोटा और लंबा है मेरी चूत पूरी भर चुकी है, इतना ही डालकर मुझे चोदो..."

धन्नो की बात सुनकर बूढ़ा खुश होते हुए बोला- “तुम डरो मत मैं अपना लौड़ा बड़े प्यार से तेरी चूत में डालूंगा। तुम सारी जिंदगी मेरे लौड़े को याद करोगी..” बूढ़ा यह कहते हुए अपने आधे लण्ड से ही धन्नो की चूत में धक्के मारने लगा। धन्नो अपनी चूत में बूढ़े का काले मोटे लण्ड की रगड़ से मजे से हवा में उड़ने लगी। धन्नो को बूढे के लण्ड की रगड़ अपनी चूत की दोनों दीवारों पर महसूस हो रही थी। धन्नो के मुँह से सिसकियां निकल रही थीं, और वो अपने चूतड़ बूढ़े के लण्ड पर उछाल-उछालकर चुदवा रही थी।

बूढ़े ने धन्नो को चोदते हुए अचानक एक जोर का धक्का मार दिया। बूढ़े का लण्ड धन्नो की चूत को पूरा फैलाता हुआ उसकी बच्चेदानी से जा टकराया।

धन्नो के मुँह से चीखें निकालने लगी- “ऊहह.. ऊईई.. माँ आह्ह्ह... फाड़ दी मेरी चूत को... साले बूढ़े फाड़ दिया..”

बूढ़ा कुछ देर तक अपना पूरा लण्ड डाले हुये चुपचाप पड़ा रहा। कुछ ही देर में धन्नो की चूत से दर्द गायब हो गया, और वो बूढे के लण्ड पर अपने चूतड़ उछालने लगी। बूढ़े ने धन्नो की टाँगों को पकड़ते हुए अपना पूरा लौड़ा खींचकर फिर से उसकी चूत में घुसा दिया। बूढ़े के दो-चार धक्कों में ही धन्नो के मुँह से सिसकियां । निकलने लगी और उसका बदन अकड़ने लगा। बूढ़ा ऐसे ही अपना पूरा लण्ड खींचकर फिर धन्नो की चूत में अंदर घुसा देता।

धन्नो की साँसें उखड़ने लगी और उसने अपने चूतड़ जोर-जोर से बूढे के लण्ड पर उछालते हुए अपने हाथ से बूढ़े की गाण्ड को पकड़ लिया। धन्नो को बूढ़े का लण्ड उसकी बच्चेदानी तक ठोकरें मार रहा था और वो मजे के महासागर में गोते खा रही थी। धन्नो की चूत अचानक झटके खाते हुए बूढे के लण्ड पर सिकुड़ने लगी, और। अया इस्स्स्स ... आहह्ह..” करते हुए धन्नो ने अपने नाखून बूढ़े की गाण्ड पर गाड़ दिए। धन्नो की चूत से पानी की नदियां बहने लगी।

बूढ़ा धन्नो की चूत में बहुत तेज और जोर-जोर के धक्के मारने लगा। वो भी धन्नो की चूत सिकुड़ने से झड़ने के करीब पहुँच गया था। बूढ़ा धन्नो की चूत में इतने जोर से अंदर-बाहर कर रहा था की वो फिर से गरम हो गई, और अपने चूतड़ बूढे के लण्ड पर उछालने लगी। बूढा हाँफते हुए धन्नो की चूत में वीर्य भरने लगा।


धन्नो अपनी चूत में बूढ़े का वीर्य गिरते ही फिर से अपने नाखून बूढ़े की गाण्ड में गड़ाते हुए झड़ने लगी। “आहहह... ओहह...” के साथ झड़ते हुए धन्नो ने फिर से अपनी चूत को सिकोड़ लिया।

बूढ़ा झड़ते हुए धन्नो की चूत सिकुड़ने से पागल हो गया। उसे आज तक ऐसा मजा कभी नहीं आया था, जो उसे धन्नो ने दिया था। धन्नो भी बूढ़े की चुदाई से बहुत खुश थी। उसे बहुत मजा आया था। बूढ़ा अब निढाल होकर धन्नों के ऊपर लेट गया। बूढ़ा झड़ने के बाद अपना लण्ड धन्नो की चूत में ही डाले उसके ऊपर पड़ा था।

मौसी इतनी देर से धन्नो और बूढ़े को देख रही थी। उसे अपनी आँखों पर विस्वास नहीं हो रहा था की धन्नो बूढ़े से बिना झिझक के चुदवा चुकी थी।

बूढ़ा अपना लण्ड धन्नो की चूत से निकालते हुए उसकी साइड में लेट गया। धन्नो अपनी टाँगों को फैलाए हुए लेटी थी। उसकी चूत से लण्ड के निकलते ही बूढ़े और उसका वीर्य निकलकर खटिया पर गिरने लगा। बूढ़े के मोटे और लंबे लण्ड से चुदवाने की वजह से धन्नो की चूत का छेद बिल्कुल खुलकर किसी बड़ी गुफा की तरह नजर आ रहा था।

मौसी ने बूढ़े की तरफ जाते हुए उसका वीर्य से गीला लण्ड अपने हाथों में लेते हुए अपनी जीभ से साफ कर दी। मौसी ने बूढ़े का लण्ड साफ करने के बाद धन्नो की तरफ जाते हुए उसकी चूत का खुला हुआ छेद देखने लगी।
]
धन्नो ने शर्म के मारे अपनी टाँगों को आपस में मिला दिया।

मौसी ने अपने हाथ आगे करते हुए धन्नो की टाँगों को आपस में से अलग करते हुए कहा- “अब काहे को शर्मा रही हो?”

मौसी धन्नो की टाँगों के खुलते ही अपना हाथ उसकी सूजी हुई चूत पर रखकर कहने लगी- “वाह... क्या मक्खन जैसी चूत है? साले कमीने ने तुम्हारी चूत को चोदकर उसकी क्या हालत कर दी है?” मौसी यह कहते हुए अपने हाथ से धन्नो की चूत के दाने को सहलाने लगी।

मौसी ने अब नीचे झुकते हुए धन्नो की चूत के खुले हुए छेद को अपने होंठों से चूम लिया। मौसी के होंठ धन्नो अपनी चूत के छेद पर पड़ते ही “आह्ह्ह..” करके उछल पड़ी। धन्नो को अपनी चूत में इतनी देर की चुदाई से। हल्का-हल्का मीठा-मीठा दर्द हो रहा था। मौसी ने अपने होंठों को धन्नो की चूत के छेद से हटा दिया।
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मौसी के होंठों पर धन्नो की चूत से निकलता हुआ वीर्य लग चुका था, जिसे वो अपनी जीभ निकालकर चाटने लगी। मौसी अब नीचे झुकते हुए अपनी जीभ निकालकर धन्नो की चूत से निकलता हुए वीर्य चाटने लगी। मौसी उसका सारा वीर्य चाटने के बाद अपनी जीभ को धन्नो की चूत में घुसा दिया और अपनी जीभ को घुमा-घुमाकर उसकी चूत को अंदर से साफ करने लगी।

“ऊह्ह... आह्ह्ह...” धन्नो अपनी चूत में मौसी की जीभ के घुसते ही चीख पड़ी, पर थोड़ी ही देर बाद उसके मुँह से सिसकियां निकालने लगी। धन्नो को अब अपनी चूत में दर्द के साथ मीठा मजा आने लगा था।

मौसी ने धन्नों की पूरी चूत को चाटकर साफ कर दिया। बूढ़े का लण्ड फिर से तनने लगा था। धन्नो बूढे के लण्ड को उठता हुआ देखकर डर गई। उसने एक बार उत्तेजना में बूढ़े से चुदवा लिया था, मगर अब उसे बूढ़े से घिन आ रही थी। धन्नो उठते हुए अपने कपड़े पहनने लगी।

मौसी ने धन्नो को कपड़े पहनते हुए देखकर कहा- “क्या हुआ रानी, पेट भर गया क्या?”

धन्नो मौसी की बात सुनकर शर्म के मारे पानी-पानी हो गई, न जाने क्यों आज उसे अपने ऊपर घिन आ रही थी। धन्नो को अपनी आत्मा धिक्कार रही थी। वो मन ही मन में अपने आपको रवी का दोषी समझ रही थी, क्योंकी वो अब रवी की पत्नी बनने वाली थी।

धन्नो ने मौसी से कहा- “मुझे नींद आ रही है, मैं सोना चाहती हूँ...” यह कहते हुए धन्नो अपनी खटिया पर जाकर लेट गई और अपने ऊपर चादर ओढ़ ली।

बूढ़ा जो धन्नो को कपड़े पहनते हुए देखकर पेशाब करने चला गया था, वो वापस आते ही मौसी की खटिया पर बैठ गया और अपनी कमीज निकालकर पहनने लगा। मौसी ने बूढ़े के हाथ से कमीज को छीनते हुए खटिया पर लेटा दिया और अपने हाथ से उसके काले लण्ड को सहलाते हुए कहने लगी- “कहाँ भाग रहा है कुत्ते? मेरी चूत की आग क्या तेरा बाप निकलेगा?” यह कहते हुए मौसी ने बूढ़े का लण्ड अपने मुँह में ले लिया।

धन्नो अपने मुँह पर चादर ओढ़कर रो रही थी। उसे न जाने क्यों आज अपने ऊपर गुस्सा आ रहा था। वो सोच रही थी की रवी से मिलने से पहले तो ठीक था, मगर अब वो जब रवीं की पत्नी बनने वाली थी तो उसे अपने ऊपर कंट्रोल रखना चाहिये था। धन्नो ना जाने कितनी देर तक यूँ ही अपने आपको धिक्कारती रही। अब उसके कानों में बूढ़े और मौसी की सिसकियां और गालियां सुनने में आ रही थी। धन्नो समझ गई के वो दोनों फिर से चुदाई कर रहे हैं। धन्नो ने फैसला कर लिया के आज के बाद वो अब अपने जिश्म पर किसी को हाथ लगाने नहीं देगी।

बूढ़े ने इस बार मौसी की चूत को चोदते हुए अपना वीर्य उसकी चूत में भर दिया और कुछ देर वहीं लेटने के बाद अपने कपड़े पहनकर वहां से चला गया। बूढ़े के जाने के बाद मौसी भी अपनी खटिया पर लेट गई।
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* * * * * * * * * *रवि ने अपने बाप ठाकुर प्रताप सिंह और नौकरानी शिल्पा चुदाई देखी, और शिल्पा को चोदा ।

रवी आज बहुत खुश था उसे अपनी पसंद की बीवी मिल गई थी, इसलिए वो देर रात तक अपने दोस्तों के साथ शराब पीकर अब हवेली में आया था। वो जैसे ही लड़खड़ाता हुआ अपने कमरे की तरफ जाने लगा, उसे ठाकुर के कमरे से किसी औरत के हँसने की आवाज आई। रवी को कुछ समझ में नहीं आया इसलिए वो ठाकुर के कमरे के दरवाज की तरफ जाने लगा।

रवी जैसे ही अपने पिता के कमरे के दरवाजे तक पहुँचा सामने का नजारा देखकर उसके पैरों के नीचे से जमीन निकल गई। क्योंकी दरवाजा पूरा खुला हुआ था। रवी का बाप ठाकुर प्रताप सिंह नंगा बिस्तर पर लेटा हुआ था और उसके खड़े लण्ड पर इस घर की नौकरानी शिल्पा उछल रही थी। यह सब कुछ देखकर रवी फौरन वहाँ से दूर हटते हुए अपने कमरे में आ गया। ठाकुर और शिल्पा के बारे में सोचते हुए रवी का सिर चकरा रहा था, एक तो शराब का नशा उसपर चढ़ा हुआ था।


रवी को बार-बार शिल्पा के भारी चूतड़ और हिलती हुई बड़ी-बड़ी चूचियां अपनी आँखों के सामने घूमती नजर आ रही थीं। रवी को नशे में कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसका लण्ड उसकी पैंट को फाड़कर बाहर निकलने के लिए उतावला हो रहा था। रवी ने अपने पूरे कपड़े उतारे और बिल्कुल नंगा होकर अपने ऊपर कंबल डालकर बेड पर लेट गया।

रवी के दिमाग में बार-बार शिल्पा के नंगे जिश्म की तस्वीर आ रही थी। उसका हाथ अब अपने खड़े लण्ड पर जा चुका था, और वो अपने खंभे की तरह खड़े लण्ड को अपने हाथों से सहलाने लगा। रवी ने नशे की वजह से अपने कमरे का दरवाजा भी बंद नहीं किया था। हवेली की तीन चाभियां थीं, एक ठाकुर के पास, दूसरी शिल्पा और तीसरी रवी के पास, क्योंकी रवीं रात को अपने दोस्तों के साथ होता था और रात को किसी भी वक़्त आकर अपने कमरे में सो जाता था।

शिल्पा रोज रात को हवेली में आती थी। ठाकुर ने शिल्पा को कह दिया था की डेली वो रात को आया करे क्योंकी मनीष के आने के बाद दिन में चुदाई करना मुश्किल हो गया था, और वैसे भी ठाकुर यही चाहता था की रात को शिल्पा उसकी बाहों में आए। शिल्पा का घर हवेली से ज्यादा दूर नहीं था, इसलिए वो रात को चुपचाप हवेली आ जाती थी और जी भरकर चुदवाने के बाद रात को ही वहाँ से चली जाती थी। शिल्पा आज भी ठाकुर के लण्ड का जी भरकर मजा लेने के बाद उठकर अपने कपड़े पहनने लगी। ठाकुर कपड़े पहनते हुए शिल्पा को घूर रहा था।

शिल्पा ने गुस्सा करते हुए कहा- “क्यों अभी तक पेट नहीं भरा क्या आपका?”

ठाकुर ने कहा- “नहीं। मैं तुम्हारे कपड़ों को देख रहा था। आज तुमने बहुत ढीली ब्रा पहनी है, और आज तुमने साड़ी भी नहीं पहनी है, सिर्फ एक नाइटगाउन पहना हुआ है.”

शिल्पा ने झंपते हुए कहा- “वो... वैसे भी यहाँ पर रात को कपड़ों की जरूरत नहीं पड़ती, और घर पर भी मैं ऐसे ही सोती हूँ। इसलिए वहाँ से साड़ी पहनकर नहीं आई...”

ठाकुर ने मुश्कुराते हुए कहा- “ठीक है तुम घबरावो मत, मैं ऐसे ही पूछ रहा था...”

शिल्पा ने वो नाइटगाउन पहनने के बाद ठाकुर के कमरे से निकलते हुए उसके कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और वहाँ से जाने लगी। शिल्पा की नजर जाते हुए रवी के कमरे पर पड़ी, जिसका दरवाजा खुला हुआ था। वो । मुश्कुराई क्योंकी डेली रवी के कमरे का दरवाजा वो ही बंद करती थी। शिल्पा रवी के कमरे की तरफ बढ़ने लगी, वो जैसे ही कमरे के दरवाजे तक पहुँची तो, उसने देखा की रवी कंबल ओढ़कर सोया हुआ है, मगर उसकी आँखें खुली हुई थी।
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