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Adultery बात एक रात की - The Immortal Romance - {Completed}
#61
Tongue 
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...........................................


"आ रही हो क्या"

"हां आ तो रही हूँ पर तुम्हारे घर के बाहर जो पोलीस वाले हैं उसका क्या"

"उनकी चिंता मत कर वो मेरी सुरक्षा के लिए हैं ना कि मज़ा खराब करने के लिए"

"कल रात तो मुझे अकेला छोड़ कर चले गये थे अब तुम्हे बेचैनी हो रही है"

"कल जाना ज़रूरी था तू नही समझेगी....तडपा मत जल्दी आजा अब"

"कल कितना अच्छा मोका था.....आज रात मेरे पति देव भी आ जाएँगे...पहली बार पूरी रात थी हमारे पास......तुमने सब गड़बड़ कर दिया"

"रात के 2 बजे पहुँचेगी उसकी ट्रेन...तब तक तो 2-3 बार कर लेंगे"

"अच्छा 2-3 बार नही बस एक बार करके में आ जाउंगी...मुझे मेरे पति की भी तो सेवा करनी है.....2-3 बार में तो थकजाउंगी मैं"

"अब आ भी जाओ मेरी प्यारी मोनिका....वरना बातो बातो में ही 2 बज जाएँगे"

"ठीक है मैं आ रही हूँ....पर ध्यान रखना मेरी इज़्ज़त का सवाल है...पोलीस वाले तो मुझे देखेंगे ही घर में आते हुए"

"तू चिंता मत कर मैं उन्हे संभाल लूँगा"

"ठीक है...मैं 15 मिनट में पहुँच रही हूँ"

"कैसे आओगी?"

"स्कूटी है ना"

"ठीक है जल्दी आओ" ये कह कर सुरिंदर फोन काट देता है.

सुरिंदर बाहर आता है और एक कॉन्स्टेबल से कहता है, "देखो भाई...मुझसे मिलने मेरा कोई गेस्ट आ रहा है"

"कौन आ रहा है?"

"उस से तुम्हे क्या?"

"देखो सब इनस्पेक्टर साहब का हुक्म है कि उनसे पूछे बिना कोई आपसे नही मिलेगा"

"अजीब बात कर रहे हो तुम भी.....मैं तो विटनेस बन के फँस गया....तभी तो कोई पोलीस के पचदे में नही पड़ना चाहता"

"क्यों महेंदर तू क्या कहता है....विजय सर से बात करूँ क्या"

"छोड़ ना रमेश....आने दे इसके गेस्ट को....क्या दिक्कत है"

मुझे क्यों दिक्कत होगी...कहीं विजय सर से ना डाँट पड़े"

"तुम्हारा गेस्ट स्टे तो नही करेगा ना?" महेंदर ने पूछा.

"नही-नही बस हाल चाल पूछ कर चला जाएगा मेरा गेस्ट"

"ह्म्म ठीक है फिर कोई दिक्कत नही" महेंदर ने कहा.



तभी घर के बाहर एक स्कूटी आ कर रुकी.

"क्या यही गेस्ट है तुम्हारी" रमेश ने मोनिका को देख कर कहा.

"हां" सुरिंदर ने जवाब दिया.

"पहले ही बता देते की गेस्ट एक महिला है तो हम इतना कुछ पूछते ही नही" रमेश ने कहा.

सुरिंदर ने रमेश की बात का कोई जवाब नही दिया. "आओ मोनिका...मैं तुम्हारा ही वेट कर रहा था"

मोनिका सुरिंदर के साथ अंदर आ गयी. अंदर आते ही सुरिंदर ने दरवाजा अच्छे से बंद कर लिया.

"उन पोलीस वालो के सामने मेरा नाम लेने की क्या ज़रूरत थी" मोनिका ने थोड़ा गुस्से में कहा.

"अचानक मूह से निकल गया......छोड़ ना ये सब"

"बिस्तर वैसे का वैसा पड़ा है जैसा मैं छोड़ कर गयी थी"

"तुम किस वक्त गयी थी"


"सुबह 6 बजे तक वेट किया तुम्हारा....थक हार कर जाना ही पड़ा"

"चिंता मत करो सारी कसर पूरी कर दूँगा अब" सुरिंदर ने मोनिका को बाहों में भर के कहा.

बाहर रमेश, महेंदर से कहता है, "लगता है गरमा गर्मी का सीन बनेगा अंदर....कुछ आइडिया लगा देखने का, टाइम पास हो जाएगा वैसे भी यहा खड़े खड़े बोर ही होना है"

"मैं खुद यही सोच रहा हूँ पर कोई राउंड पे आ गया तो दिक्कत हो जाएगी"

"देखी जाएगी यार....हम क्या यहा बोर होते रहेंगे"

"ठीक है चल फिर करते हैं कुछ"

घर के अंदर सुरिंदर और मोनिका बाहों में बाहें डाले खड़े थे.

"पोलीस वाले बड़ी गंदी नज़र से देख रहे थे मुझे" मोनिका ने कहा.

"उनकी क्या ग़लती है...तू चीज़ ही ऐसी है"

"अच्छा इसका कोई भी ऐरा ग़ैरा मुझे कैसे भी घुरेगा"

"छोड़ ना पोलीस वालो को...इनकी तो नज़रे ही गंदी होती हैं"

"वैसे तुम्हारी भी नज़रे कम गंदी नही हैं अभी...क्या देख रहे हो"

"तुम्हारे बूब्स पर टिकी हैं निगाहे ये...यू हॅव गॉट वेरी नाइस टिट्स"

"शुक्रिया जनाब....अब जब इनकी इतनी तारीफ़ कर रहे हो तो इनको थोड़ा प्यार दे दो"

"बिल्कुल जी बिल्कुल....अभी सक करता हूँ...निकालो इन्हे बाहर"

मोनिका अपने उपर के सभी कपड़े उतार देती है.

"हाई रे क्या चुचियाँ हैं काश हमे भी मिल जायें ये चूसने को" महेंदर ने रमेश से कहा.

"सच में...इतनी सेक्सी चुचियाँ मैने कभी नही देखी" रमेश ने कहा.

दोनो ने घर में झाँकने का इंतज़ाम कर ही लिया था.

सुरिंदर मोनिका के बूब्स को दोनो हाथो से मसल्ने लगता है

"आअहह....क्या तुम्हे अच्छे लगते हैं बूब्स मेरे"

"अच्छे....ये तो कयामत हैं....पोलीस वालो की कोई ग़लती नही है....इतने बड़े बड़े चुचो को कोई भी घुरेगा" सुरिंदर ने कहा.

महेंदर और रमेश उनकी बाते सुन कर मुस्कुरा रहे थे.
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#62
Update 23

"हम तो अभी भी घूर रहे हैं...हमारी कोई ग़लती नही है. क्यों रमेश" महेंदर ने कहा.

"बिल्कुल...हे...हे..हा"

"ज़ोर से मत हंस उन्होने सुन लिया तो मज़ा किरकिरा हो जाएगा" महेंदर ने कहा.

"सॉरी तुम्हारी बात पर हँसी आ गयी" रमेश ने कहा.

"काश संजय को रोज कोई ना कोई काम रहे बाहर...हमारे मज़े लग जाएँगे" सुरिंदर ने कहा.

"सक इट नाओ" मोनिका ने कहा.

"एक एक बूब हमे पकड़ा दो हम अच्छे से चूसेंगे...इसके बस्का कुछ नही है" महेंदर ने कहा.

"धीरे बोलो यार कही सुन ना ले" रमेश ने कहा.

सुरिंदर बारी-बारी से मोनिका के निपल्स को मूह में दबा कर चूसने लगता है

"आअहह...म्म्म्ममम....यस....मै  गीली हो गयी....आअहह कुछ करो"

"चल नाडा खोल फिर देर किस बात की है" सुरिंदर ने कहा.

मोनिका ने झट से नाडा खोला और सलवार उतार दी. उसने नीले रंग की पॅंटी पहनी हुई थी. पॅंटी को भी उसने एक झटके में अपने शरीर से अलग कर दिया.

"वाओ.....क्या बॉडी है यार......बूब्स की तरह इसकी गान्ड भी बड़ी है...लगता है खूब मरवाती है गान्ड ये" मोहिंदर ने कहा.

"चूत तो देख एक दम चिकनी है...एक भी बाल नही है....इट्स ए वंडरफुल चूत" रमेश ने कहा.

"इस वंडरफुल चूत ने हमारी मुश्किल बढ़ा दी है....लेनी पड़ेगी ये चूत अब तो वरना हर वक्त दिमाग़ में घूमती रहेगी" महेंदर ने कहा.

"पर हम कैसे ले पाएँगे इस की.....भूलो मत हम यहा ड्यूटी पे हैं" रमेश ने कहा.

"सोचने में क्या बुराई है...मिले ना मिले आगे अपनी किस्मत है" महेंदर ने कहा.

"लो थोड़ा चिकना कर दो मेरे मेरे लंड को"

"उसकी ज़रूरत नही पड़ेगी शायद मुझे काफ़ी गीली लग रही मेरी पुसी" मोनिका ने कहा.

सुरिंदर ने मोनिका की चूत में उंगली डाली और बोला, "हां ऐसा लगता है जैसे ये पुसी आज नहा के आई है"

"फक मी नाओ..." मोनिका ने कहा.

"आज तुम चोदो मेरे उपर चढ़ कर...क्या कहती हो?"

"ठीक है लेट जाओ फिर" मोनिका ने कहा.

सुरिंदर बिस्तर पर लेट गया और अपने लंड को हाथ में पकड़ कर बोला, "टेक इट बेबी"

मोनिका सुरिंदर के उपर आ गयी और अपनी गान्ड को सुरिंदर के लंड के ठीक उपर हवा में थाम लिया.

"ले आओ अपनी गान्ड नीचे अब क्यों तडपा रही हो" सुरिंदर ने कहा.

"मेरे होल पे रख दो बाकी मैं संभाल लूँगी"

सुरिंदर ने लंड को चूत के द्वार पर टीका दिया और बोला, "अपनी गान्ड नीचे को पुश करो...खुद-ब-खुद घुस जाएगा ये चूत में"

मोनिका ने अपनी गान्ड को नीचे की ओर पूस किया और सुरिंदर का लंड मोनिका की चूत में गायब होता चला गया.

"हाई रे क्या एंट्री दी है लंड को....काश मेरा भी ले ले ऐसे ही" मोहिंदर ने कहा.

"क्या किस्मत है उस लंड की जो कि गरम चूत में घुस्सा हुआ है...एक हमारे लंड हैं जो यहा ठंड में थितुर रहे हैं"

"देख-देख कैसे उछल रही है उसके उपर" महिनदर ने कहा.

"पूरे लंड को बाहर निकाल के अंदर ले रही है..मज़ा आ गया यार ये तो पोर्न मोविए से भी अच्छा लग रहा है" रमेश ने कहा.

"आअहह मोनिका और ज़ोर से उछलो...मज़ा आ रहा है" सुरिंदर ने कहा.

"थक गयी मैं अब तुम करो" मोनिका ने कहा.

मोनिका सुरिंदर के उपर से उतर कर टांगे फैला कर लेट गयी और बोली, "संजय को बहुत पसंद है ये पोज़िशन"

"कौन सी पोज़िशन?"

"यही जिसमे मैं उपर थी"

"किसके साथ ज़्यादा मज़ा आता है....मेरे साथ या अपने पति के साथ" सुरिंदर ने कहा.

"ह्म्म दौनो के साथ अपना मज़ा है" मोनिका ने कहा.

"सुन रहे हो रमेश....पति से दुखी नही है फिर भी अपने यार को देती है...इसे कहते हैं कलयुग"

"देने दो यार उसकी चूत है तेरा क्या जाता है...तू भी तो भाभी से दुखी नही है...क्या तू नही लेता दूसरी लड़कियों की"

"कहा यार बहुत दिन से कोई चूत नही मिली बस बीवी से ही काम चला रहा हूँ"

"तेरे सामने क्या है....इसकी हम आसानी से ले सकते हैं" रमेश ने कहा.

"ह्म्म बात तो ठीक है...ऐसा मोका रोज-रोज थोड़े ही मिलता है." महेंदर ने कहा.

अंदर सुरिंदर मोनिका को मिशनेरी पोज़िशन मे चोद रहा है.

"उउउहह यस फक मी हार्ड....." मोनिका ने कहा.

"संजय से हार्ड चोदुन्गा तुझे हे..हा..हा" सुरिंदर ने कहा.

"यस...डीपर आअहह हार्डर यस आय ऍम कमिंग....उऊहह" मोनिका बड़बड़ाई.
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#63
"मेरा काम होने वाला है....पानी अंदर छोड़ दू क्या या बाहर छोड़ू"

"छोड़ दो अंदर कोई बात नही"

"देख लो कही संजय की जगह मेरे बच्चे खेले तुम्हारे आँगन में"

"गोली खा रही हूँ...चिंता की बात नही...आअहह"

"ये लो फिर.....आआहह" ये कह कर सुरिंदर ने बहुत तेज तेज धक्के मारे और अपने पानी को मोनिका की चूत की खाई में गिरा दिया.

"बहुत बढ़िया सीन देखा आज ये हमने" महिनदर ने कहा.

"चलो अब बाहर गेट के पास खड़े होते हैं कहीं साहब राउंड पे आ जाए"

"आआहह मज़ा आ गया...पर एक बात है...जब तुम बहुत तेज तेज धक्के लगा रहे थे कुछ आहट सुनाई दी थी मुझे"

"मुझे तो कुछ सुनाई नही दिया" सुरिंदर ने कहा.

हो सकता है मुझे वेहम हुआ हो पर फिर भी तुम चेक कर लेना. एक बात और पूछनी थी तुमसे" मोनिका ने कहा.

"क्या तुमने सच में उस लड़की को खून करते देखा था"

"तुझे क्या लगता है मैं झूठ बोल रहा हूँ"

"नही मेरा मतलब ये है कि वो लड़की देखने में बिल्कुल कातिल नही लगती"

"तुम कौन सा देखने में स्लुत लगती हो...पर तुम एक नंबर की स्लुत हो"

"ऐसा कुछ नही है जनाब बंदी, अपने पति के अलावा सिर्फ़ आप को देती है...वरना तो दुनिया घूमती है मेरे पीछे"

"वो तो है...मैं तो मज़ाक कर रहा था."

वैसे रात को किसके साथ गये थे तुम....और उस सीरियल किलर तक कैसे पहुँच गये"

"तुझे क्या करना है ये सब जान के"

"चलु मैं अब?" मोनिका ने कहा.

"अभी तो सादे 11 हुए हैं अभी जा कर क्या करोगी. ऐसा कर संजय को फोन कर दे कि तू किसी मॅरेज में गयी है""

"तो क्या यहा से 2 बजे निकलु. उस वक्त सड़के बिल्कुल सुनसान होंगी. रही बात मॅरेज में जाने की तो वो मुमकिन नही है क्योंकि अभी शाम को ही बात हुई थी मेरी संजय से...अचानक मॅरेज का बहाना ठीक नही होगा."

"सड़के तो इस वक्त भी सुनसान होंगी....उस किलर का ख़ौफ़ जो फैला है चारो और"

"कुछ भी हो मुझे जाना तो पड़ेगा ही"

"ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी" सुरिंदर ने कहा.

मोनिका ने कपड़े पहने और बोली, "ठीक है फिर...मैं चलती हूँ"

"रूको मैं ज़रा टॉयलेट जा कर आता हूँ, मैं तुम्हे बाहर तक छोड़ दूँगा"

"मैं निकल रही हूँ लेट हो जाउंगी"

"अरे रूको तो"


पर मोनिका दरवाजा खोल कर बाहर आ गयी और अपनी स्कूटी स्टार्ट करने लगी. पर किसी कारण से वो स्टार्ट नही हो पाई.

"क्या हुआ मैं कुछ मदद करूँ" महिनदर ने मोनिका के पास आ कर कहा.

"जी नही ये मेरी स्कूटी है और मैं अच्छे से जानती हूँ कि इसे स्टार्ट कैसे करना है"

महिनदर ने मोनिका की गान्ड पर हाथ रखा और बोला, "जी हां ये स्कूटी भी आपकी गान्ड की तरह है...बहुत अच्छे से टीकाई थी ये गान्ड आपने सुरिंदर के लंड पे...लंड सीधा घुस गया था"

मोनिका ने महिनदर का हाथ अपनी गान्ड से दूर झटक दिया और बोली,"तो तुम सब देख रहे थे हां शरम नही आती तुम्हे"

"इसने अकेले ने नही देखा मैने भी देखा...बहुत प्यार से देती हो चूत तुम...हमे कब दोगि" रमेश ने कहा.

"शट अप...मेरे पास फालतू वक्त नही अपनी बकवास किसी और को सुनाओ"

मोनिका ने एक बार फिर से ट्राइ किया और स्कूटी स्टार्ट हो गयी और वो बैठ कर चल दी.

"सोच लेना हम यही है" महिनदर ने मोनिका के पीछे से आवाज़ लगाई

तभी एक आहट होती है.

"ये आवाज़ कहा से आई" रमेश ने कहा.

"पता नही...ऐसा लगता है घर के अंदर से आई है" महिनदर ने कहा.

लेकिन तभी आवाज़ लगातार आने लगी.

"ऐसा लग रहा है जैसे कोई दरवाजा पीट रहा हो" रमेश ने कहा.

"आवाज़ घर के पीछे से आ रही है" महिनदर ने कहा.

"चलो चल कर देखते हैं" रमेश ने कहा.

वो दोनो घर के पीछे आते है. पर वहां पहुँचते ही उनके होश उड़ जाते हैं.

सुरिंदर खून से लथपथ था और खिड़की का शीशा पीट रहा था.

"ओह गॉड....अंबूलेंस बुलाओ जल्दी और हां विजय सर को भी फोन कर दो" मोहिंदर ने कहा और वो घर के दरवाजे की तरफ भागा.

दरवाजा खुला ही था. महिनदर भाग कर घर के अंदर घुस गया और वहां पहुँच गया जहा से सुरिंदर खिड़की को पीट रहा था.

"अंबूलेंस आ रही है"रमेश भी उसके पीछे-पीछे आ गया.

"अब कोई फ़ायदा नही ये मर चुका है" महिनदर ने कहा.

"अपनी तो नौकरी गयी समझो अब" रमेश बाल पकड़ कर नीचे बैठ गया.

"तुम्हे क्या लगता है...क्या वो लड़की इसे मार कर गयी है" रमेश ने कहा.

"सस्स्शह" महिनदर ने रमेश को चुप रहने का इशारा किया.

"जिसने भी इसे मारा है..अभी यही छुपा है...तुम उस कमरे में देखो, मैं टॉयलेट किचन और स्टोर रूम में देखता हूँ" महिनदर ने धीरे से कहा.

"ठीक है...कोई भी बात हो तो ज़ोर से आवाज़ देना" रमेश ने कहा.

"ठीक है...चौक्कने रहना"

महिनदर टॉयलेट की तरफ बढ़ता है और रमेश कमरे की तरफ.

महिनदर टॉयलेट का दरवाजा खोलता है....लेकिन वो अपने बिल्कुल पीछे खड़े साए को नही देख पाता.

"क्या ढूँढ रहे हो" उस साए ने कहा.

महिनदर ने तुरंत मूड कर देखा लेकिन उसके मुड़ते ही उसके पेट को तेज धार चाकू ने चीर दिया.

Angel
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#64
Update 24



"रा........" महिनदर के मूह से सिर्फ़ इतना ही निकल पाया क्योंकि अगले ही पल उस साए ने उसके मूह को दबोच कर उसका गला काट दिया. साए तो तड़प्ते हुए खून से लटपथ महिनदर को एक तरफ धकेल दिया. महिनदर मूह के बल फार्स पर गिर गया. वो दम तोड़ चुका था.

जब महिनदर ज़मीन पर गिरा तो ज़ोर की आवाज़ हुई. रमेश उसे सुन कर कमरे से बाहर आया.

"महिनदर कहा हो तुम....यहा तो कोई नही है...तुम्हे मिला क्या कुछ" रमेश ने कहा.

जब कोई रेस्पॉन्स नही आया तो रमेश टॉयलेट की ओर बढ़ा. वो साया रमेश को आता देख दीवार से चिपक गया.

"ओह नो..." रमेश ने महिनदर को फार्स पर पड़े देख कर कहा.

वो तुरंत महिनदर के पास आया और बोला, "महिनदर....महिनदर"

बस इतना ही बोल पाया था रमेश क्योंकि अगले ही पल उस साए ने उसकी गर्दन चीर दी. रमेश लड़खड़ा कर महिनदर के उपर गिर पड़ा.

नीचे गिरते ही रमेश ने उस साए को देखा. उसके आँखे हैरानी से फॅंटी रह गयी.

"मुझे ढूँढ रहे थे हा...हो गयी तस्सल्ली अब"

पर रमेश कोई भी जवाब देने से पहले ही दम तोड़ चुका था.


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#65
Tongue 
"गुरु लाइट बंद कर दू या जली रहने दूं" आशु ने कहा.

"अरे लाइट बंद करो....ये भी क्या पूछने की बात है...रोशनी में मुझे नींद नही आती" श्रद्धा ने कहा.

"ठीक है...मैं बंद कर देता हूँ" आशु ने कहा.

अपर्णा ने कुछ रिक्ट नही किया और चुपचाप करवट लिए पड़ी रही"

"वैसे तुम्हारी नौकरी का क्या हुआ......या फिर सब काम धनदा छोड़ कर कातिल के पीछे पड़े हो" श्रद्धा ने कहा.

"अरे भोलू को कहा तो था कि पता करे बताया ही नही उसने कुछ अब तक" आशु ने कहा.

"बिना पैसे दिए भरती नही होती पोलीस में...अपनी उम्मीद छोड़ दो" सौरभ ने कहा.

"कैसी बात करते हो गुरु....लिस्ट में तो मेरा नाम था ना.....जाय्निंग ही लेट हो रही है" आशु ने कहा.

"6 महीने हो गये इस बात को समझने की कोशिश कर तेरा नाम ग़लती से आ गया था लिस्ट में....जब तुमने कोई पैसा नही दिया तो तुम्हारी सेलेक्षन कैसे होगी...सबने 50-50 लाख दिए थे लिस्ट में आने के लिए और तुम फ्री में आ गये....ऐसा होता है कभी क्या....सब की जाय्निंग हो गयी बस तुम्हारी लटकी पड़ी है" सौरभ ने कहा.

"शायद तुम ठीक कह रहे हो....पर ना जाने क्यों मुझे उम्मीद है की जिस तरह लिस्ट में मेरा नाम आया था वैसे ही मेरी जाय्निंग भी हो जाएगी....और एक बार मैं पोलीस में चला गया तो उस की खैर नही"

"मेरा आशु सपने बहुत देखता है" श्रद्धा अचानक बोली.

"तेरी गान्ड इसने पहले सपने में ही मारी थी फिर सचमुच में भी मार ली....हे..हे..हा..हा" सौरभ ने कहा.

"तुमने सिखाया है इसे गान्ड मारना वरना मेरा आशु बस मेरी चूत घिसता था बस" श्रद्धा ने कहा.

आशु ने सौरभ को कोहनी मारी, "क्या करते हो गुरु...अपर्णा जी का तो ख्याल किया करो...तुम भी श्रद्धा की तरह कुछ भी बोल देते हो और उसे भी मोका मिल जाता है कुछ भी बोलने का" आशु ने धीरे से कहा.

"क्या करूँ यार यू ही ज़ुबान फिसल जाती है....वैसे तू ये बता बहुत चिंता रहती है तुझे अपर्णा जी की दिल आ गया क्या तेरा उस पर उहह" सौरभ ने भी धीरे से कहा

"क्या बात करते हो गुर...मैं तो बस"

"अपर्णा जी की चूत मिलनी मुश्किल है...सपने देखना छोड़ दे" सौरभ ने कहा.

"ऐसा कुछ नही है जैसा तुम सोच रहे हो....मुझे तो बस इंसानियत के नाते हमदर्दी है अपर्णा जी से. हां अपर्णा जी बहुत सुंदर हैं....पर मैं अब कुछ ऐसा वैसा नही सोचता"

"क्यों बे टीवी पर अपर्णा जी को देख कर तो मूठ मार ली थी तूने और अब ऐसी बाते कर रहा है"

"तब की बात अलग थी....मैं मिला नही था तब अपर्णा जी से....मिल कर उनके बारे में कुछ और ही अहसास हैं"

"साले कही ये प्यार तो नही है....शादी-शुदा है वो"

"मैं उनकी रेस्पेक्ट करता हूँ बस....मेरे मन में उनके प्रति कोई ग़लत ख्याल नही है...हर लड़की एक जैसी नही होती, समझा करो गुरु"

"ह्म....अच्छा एक बात बता पूजा के बारे में क्या ख्याल है या फिर वहां भी तेरे इरादे नेक हैं" सौरभ ने कहा.

"पूजा के बारे में इरादे बिल्कुल नेक नही हैं....पर लगता है वो पहले ही डलवा चुकी है...ज़रूर उस विक्की ने ली होगी उसकी"

"ह्म पूरी बात तो पता नही पर लगता तो यही है कि उसने पूजा की भी पॉर्न मूवी बनाई थी"

"हां और शायद वो उसे ब्लॅकमेल कर रहा था...तंग आकर वो उसे मारने पहुँच गयी" आशु ने कहा.

आशु और सौरभ ने जितनी बाते सुनी थी विक्की के घर पे उसके अनुसार अंदाज़ा लगा रहे थे.

"पूजा वैसे अपर्णा जी से कम सुंदर नही है" आशु ने कहा.

"अच्छा तो तू पूजा की चूत मार के अपर्णा जी का मज़ा लेगा" सौरभ ने कहा.

"नही गुरु तुम फिर मुझे ग़लत समझ रहे हो...मैं सच्चे मन से अपर्णा जी की मदद कर रहा हूँ"

"ह्म....पर पूजा श्रद्धा जैसी नही है....वो इतनी आसानी से नही देगी अपनी" सौरभ ने कहा.

"जानता हूँ....सच कहूँ तो मैं तो पूजा को पटाने के लिए ही चक्कर लगाता था उसके घर के लेकिन पट गयी श्रद्धा" आशु ने कहा.

"तो क्या हुआ श्रद्धा पूजा जैसी सुंदर ना सही पर इसकी अपनी ही सुंदरता है...बॉडी बहुत सेक्सी है साली की" सौरभ ने कहा.

"वो तो है तभी तो मैने मोका नही गवाया. पहली बार श्रद्धा को उसी के घर में चोदा था"

"क्या बात है असली गुरु तो तुम हो मैं तो बस नाम का गुरु हूँ"

"पूजा को भी पटा लेता पर उसने एक बार हमे देख लिया"

"वो कैसे?"

"मैने श्रद्धा को एक बार फिर उसी के घर में चोद रहा था. बापू इसका कही गया था और पूजा कॉलेज गयी थी. पूजा कॉलेज से जल्दी आ गयी और उसने खिड़की से सब देख लिया"

"फिर तो तेरा चान्स कम है....तुझे नही देगी वो" सौरभ ने कहा.

"कोशिश करने में क्या हर्ज़ है....वैसे आज तो उसने अच्छे से बात की मुझसे"

"मुझे तो वो भी अपर्णा जैसी लगी...बाकी तेरी किस्मत...तुझे मिल जाए तो मेरा भी ध्यान रखना"

"ध्यान रखना मतलब वो श्रद्धा नही है...इसकी बात और है"

"है तो इसी की बहन...देखना वो भी इसी के जैसी बनेगी" सौरभ ने कहा.

"मुझे ऐसा नही लगता पूजा और श्रद्धा में ज़मीन आसमान का फ़र्क है" आशु ने कहा.

इधर श्रद्धा बार-बार कर्वते बदल रही है.

"ओफ अजीब बिस्तर है ये तो नींद ही नही आ रही" श्रद्धा धीरे से बड़बड़ाई.

अचानक वो अपर्णा से आकर चिपक गयी और बोली, "सो गयी क्या तुम"

"क्या है...दूर हटो"

"डरो मत मैं ऐसी लड़की नही हूँ...मुझे सिर्फ़ आदमियों के लंड अच्छे लगते हैं" श्रद्धा ने कहा.

"फिर भी दूर रहो मुझसे...नींद आ रही है मुझे" अपर्णा ने कहा.

"मुझे तो बिल्कुल नींद नही आ रही इस पर तुम कैसे सो रही हो" श्रद्धा ने कहा.

"आँखे बंद करो और सो जाओ...नींद आ जाएगी" अपर्णा ने कहा.

"आशु बड़ी फिकर करने लगा है तुम्हारी मुझे चिंता हो रही है...कहीं इतनी अछी चूत मारने वाला तुम मुझसे छीन ना लो" श्रद्धा ने कहा.

"मेरा कोई इंटेरेस्ट नही है आशु में समझी कितनी बार बताउ मैं....वैसे हर किसी के साथ तुम चल पड़ती हो फिर आशु से इतना लगाव क्यों है"

"तुम नही समझोगी उसके जैसा प्रेमी मिलेगा ना तभी समझ पाओगि" श्रद्धा ने कहा.

"मुझे समझना भी नही है" अपर्णा ने कहा.

"आशु जिस तरह से चूत में घुसाता है वैसे कोई और नही घुसाता. ख़ासकर जिन आदमियों से मैं मिली हूँ वो तो आशु के आगे फीके ही हैं" श्रद्धा ने कहा.

"ये सब एक नंबर की बकवास है" अपर्णा बड़बड़ाई.

"नही सच कह रही हूँ" श्रद्धा ने कहा. श्रद्धा ने अपर्णा के चुतड़ों पर हाथ रखा और बोली, "पता नही क्या करता है वो...गान्ड को पकड़ कर जोरदार तरीके से घुसाता है चूत में लंड"

अपर्णा ने श्रद्धा का हाथ अपने चताड़ो से दूर झटक दिया और बोली, "यहा टच मत करो"

"क्यों क्या हुआ कुछ-कुछ होता है क्या....मुझे लग ही रहा था कि तुम्हारी गान्ड बहुत सेक्सी है अब साबित भी हो गया. लिया है ना तूने भी गान्ड में"

"ऐसा कुछ नही है...मैं ये उल्टे काम नही करती" अपर्णा ने कहा.

"मैं ही कौन सा करती हूँ पर ये आदमी लोग किसी ना किसी बहाने से ले ही लेते हैं मेरी गान्ड अब देखो ना कैसे मारी थी भोलू ने मेरी गान्ड आज जबकि मैने उसे पहले ही मना किया था." श्रद्धा ने कहा.

"वो कहानी तुम सुना चुकी हो...सो जाओ अब रात बहुत हो गयी है" अपर्णा ने कहा.

"सच बता क्या तुमने सच में नही लिया गान्ड में अब तक" श्रद्धा ने पूछा.

"अब क्या स्टंप पेपर पे लिखवा के लाकर दू" अपर्णा झल्ला कर बोली.

"ठीक है ठीक है तुम्हारी गान्ड है तुम ज़्यादा अच्छे से जानती हो...वैसे तेरा पति एक नंबर का चूतिया था जो उसने इतनी सेक्सी गान्ड नही मारी" श्रद्धा ने कहा.

"दूर हटो अब...मेरी नींद ना खराब करो" अपर्णा ने श्रद्धा को झटका दिया.

"ओके जी मैं तो हाल-चाल पूछने आई थी गुड नाइट" श्रद्धा ने कहा.

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#66
Tongue 
"उफ्फ मैं अपने गले की चैन शायद सुरिंदर के घर भूल आई" मोनिका बड़बड़ाई.

मोनिका अपने घर पहुँच गयी है. उसे ज़रा भी अंदाज़ा नही कि उसके सुरिंदर के घर से जाने के बाद वहां खून की नादिया बह गयी.

"अभी सुरिंदर को फोन करती हूँ..."

मोनिका सुरिंदर का फोन ट्राइ करती है.

"क्या बात है...ये फोन क्यों नही उठा रहा" मोनिका बड़बड़ाई.

"शायद सो गया होगा....मैं भी थोड़ी देर लेट लेती हूँ....सुबह बात करूँगी सुरिंदर से."

मोनिका बिस्तर पर पसर जाती है.

"सुरिंदर के साथ कब तक चलेगा ये सब....किसी दिन संजय को पता चल गया तो....नही...नही ऐसा नही होगा....पर जो भी हो मुझे जल्दी ये सब ख़तम करना होगा"

"इस से पहले की मेरे तन की हवस मेरी ज़िंदागी बर्बाद कर दे...इस कहानी को यही ख़तम किया जाए. पर मैं ये भी जानती हूँ कि ये सब सोचना आसान है और करना मुश्किल...चलो देखते हैं किस्मत कहा ले जाती है"

"ना मैं उस दिन शादी में जाती और ना ही सुरिंदर के चक्कर में फस्ति......कम्बख़त ने पहली ही मुलाकात में फँसा लिया मुझे" मोनिका सोचते-सोचते ख़यालो में खो जाती है

.......................
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#67
Update 25


"हाइ मोनिका संजय कहा है?"

"यार सोनिया वो किसी काम में बिज़ी थे नही आ पाएँगे"

"चल कोई बात नही इनसे मिलो ये हैं मिस्टर सुरिंदर मेरे बड़े भाई"

सुरिंदर ने मोनिका को उपर से नीचे तक देखा और बोला,"सोनिया तुम्हारी फ़्रेंड तो बहुत सुंदर है"

मोनिका ने सुरिंदर की नज़रो में देखा और शरम से अपनी नज़रे झुका ली.

"भैया आप मोनिका से बात करो मैं अभी आई" सोनिया ने कहा.

"अरे सोनिया सुन तो" मोनिका ने सोनिया को टोका पर वो उसकी बात उनसुनी करके चली गयी.

"आप शादी शुदा हो" सुरिंदर ने पूछा.

"हाँ और आप?" मोनिका ने पूछा.

"अभी कुँवारा हूँ....आप जैसी हसीना मिल जाती तो अब तक शादी हो चुकी होती"

मोनिका फिर से शर्मा उठी.

"क्या बात है आप शरमाती बहुत हैं आओ थोड़ा एकांत में चलते हैं यहा भीड़ बहुत है"

"एकांत! एकांत में क्यों"

"देखो मेरे इरादे तुम्हारे बारे में बिल्कुल नेक नही हैं....मर्ज़ी हो तो चलो वरना रहने दो...मैं घुमा फिरा कर बात नही करता."

"हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी..."

"बिना हिम्मत के चूत नही मिलती मेडम"

"एक्सक्यूस मे! क्या कहा आपने"

"वही जो आपने सुना....मैं उस गार्डेन में जा रहा हूँ....अपनी चूत में मेरा लंड फील करने की इच्छा हो तो चली आना" सुरिंदर ने गार्डेन की ओर इशारा करते हुए कहा.

"तुम्हे क्या लगता है मैं तुम्हारे झाँसे में आउन्गि....आय ऍम हॅप्पिली मेरिड....मुझ पे वक्त बर्बाद मत करो"

"मैं तो इनवेस्टमेंट कर रहा हूँ वक्त की....क्या पता रिटर्न मिल जाए"

सुरिंदर ने आस पास देखा और मोनिका की गान्ड पे हाथ रख कर बोला, "आओ ना ऐसा मज़ा दूँगा की अपने पति को भूल जाओगी"

"हाथ हटाओ जनाब कोई देख लेगा...वैसे मेरे पति मुझे बहुत मज़ा देते हैं"

"आज दूसरा लंड ट्राइ करके देखो....यू विल फील बेटर" सुरिंदर ने कहा.

"आय ऍम नोट इंट्रेस्टेड"

"एक बार चलो तो......कुछ और ना सही तन्हाई में प्यार की दो बाते ही कर लेंगे"

"ह्म ठीक है पर बातो के अलावा और कुछ नही ओके" मोनिका ने कहा.

"ओके जी....चलो तो सही"
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#68
दोनो गार्डेन में आ जाते हैं.

"अच्छा गार्डेन बनाया है पॅलेस वालो ने....शादी के धूम धड़ाके से दूर यहा आराम से बात की जा सकती है"

"आपका शादी में मन नही लगता क्या?"

"अपनी शादी हो तो बात भी हो दूसरो की शादी में क्या मन लगेगा"

"ह्म....बहुत दिल फेंक हो तुम"

"भाई तो चारा डालता हूँ मछली फँस जाए तो ठीक है वरना कही और जुगाड़ लगाता हूँ"

"तो क्या मछली फँस गयी" मोनिका हंस कर बोली.

"वो तो मछली के होंटो को चूम कर ही पता चलेगा" सुरिंदर ने कहते ही अचानक मोनिका को पकड़ कर उसके होंटो को अपने में जाकड़ लिया.

"उम्म्म....च...छोड़ो"

"रसीले होठ हैं तुम्हारे"

"मछली अभी फँसी नही थी"

"मेरा यकीन करो फँस चुकी है" सुरिंदर ने कहा और मोनिका के बूब्स मसल्ने लगा.

"आअहह यू आर डर्टी फ्लर्ट" मोनिका बड़बड़ाई.

"और तुम प्यारी मछली हो" सुरिंदर ने कहा.

"किसी ने देख लिया तो" मोनिका ने कहा.

"सब शादी में मगन हैं...फिर भी सेफ्टी के लिए उस पेड़ के पीछे चलते हैं"

सुरिंदर मोनिका का हाथ पकड़ कर पेड़ के पीछे ले आया.

"ज़्यादा वक्त नही है....ये साड़ी उपर उठाओ और झुक जाओ...मैं पीछे से चूत में डालूँगा"

"देखो मुझे डर लग रहा है....मेरी शादी शुदा ज़िंदागी ना ख़तरे में पड़ जाए"

"चिंता मत करो, ऐसा कुछ नही होगा...उठाओ साड़ी उपर"

"नही मुझ से नही होगा...चलो चलते हैं" मोनिका ने कहा.

सुरिंदर ने अपना लंड बाहर निकाला और उसे मोनिका के हाथ में थमा दिया और बोला, "इसे क्या तड़प्ता छोड़ जाओगी"

मोनिका ने सुन्दर के लंड को अच्छे से हाथ में पकड़ा और बोली, "मैने अपने पति के सिवा किसी से नही किया आज तक"

"तो आज करलो तुम्हे डिफ़्फरेंट लगेगा...हर लंड अलग मज़ा देता है"

"यहा गार्डेन में कोई देख लेगा समझते क्यों नही"

"तभी तो कह रहा हूँ जल्दी साड़ी उपर खींच कर झुक जाओ" सुरिंदर ने कहा और मोनिका को अपना सामने घुमा दिया और खुद ही उसकी साड़ी उपर करने लगा.

"रूको मैं करती हूँ." मोनिका ने साड़ी उपर सरका ली.

"अब झुको तो सही खड़े खड़े नही घुस्सेगा लंड चूत में" सुरिंदर ने मोनिका के कंधे पर दबाव बनाते हुए कहा.

मोनिका झुक गयी. मोनिका के झुकते ही सुरिंदर ने लंड को मोनिका की चूत पर टीका दिया और बोला, "यकीन नही था की तुम इतनी जल्दी पट जाओगी" सुरिंदर ने ज़ोर का धक्का मारा और उसका लंड पूरा अंदर फिसल गया.

"ह्म ये चूत तो खूब चूड़ी हुई है....सच में तेरा पति तो खूब मज़े लेता है....हे..हे..हा..हा"

"आआहह......बाते कम करो" मोनिका बड़बड़ाई.

सुरिंदर ने ज़ोर ज़ोर से मोनिका की चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए.

"पर जो भी हो तेरे पति ने स्मूद रास्ता बना रखा है तुम्हारी चूत में....रोज चोद्ता है क्या वो"

"उउउहह......रोज तो नही पर हर 2-3 दिन में" मोनिका ने हाफ्ते हुए कहा.

"कैसा लग रहा है मेरा लंड, चूत में"

"अच्छा लग रहा है....आअहह जल्दी करो कोई आ जाएगा."

"बस होने वाला है...आअहह...वैसे कोई डिफ़्फरेंसे तो बताओ मुझ मे और तुम्हारे पति में" सुरिंदर ने कहा.

"आअहह तुम धक्के तेज मारते हो....आअहह"

"हे..हे ऐसा है क्या तो ये बताओ दुबारा भी मर्वाओगि क्या धक्के"

"पहले ये धक्के तो रोको आअहह कोई आ गया तो मैं फँस जाउंगी"

"ये लो फिर छोड़ने जा रहा हूँ मैं अपना जूस तुम्हारे अंदर सम्भालो"

अगले ही पल मोनिका को अपनी चूत में हॉट हॉट लिक्विड महसूस हुआ.

4-5 तेज धक्के निकाल कर सुरिंदर रुक गया. तभी मोनिका की नज़र उनकी तरफ आते एक साए पर पड़ी.

"निकालो बाहर जल्दी कोई इधर आ रहा है" मोनिका बोली.

सुरिंदर ने तुरंत लंड मोनिका की चूत से बाहर खींच लिया और अपनी पेण्ट में डाल कर ज़िप बंद कर ली. मोनिका ने भी तुरंत ही अपनी साड़ी नीचे सर्काई और कपड़े अड्जस्ट किए.

"आओ चलें उसकी चिंता मत करो यू ही घूम रहा होगा कोई" सुरिंदर ने कहा.

"मैं तो डर ही गयी थी"

"शूकर मनाओ काम तो पूरा हो गया....धक्के अधूरे रह जाते तो पछताना पड़ता."

"वो तो मैने ही प्रेशर बनाया वरना तो तुम धक्के पे धक्के मारे जा रहे थे." मोनिका हस्ते हुए बोली.

"क्या करूँ तुम्हारी चूत ही ऐसी है मन करता है धक्के मारे चले जाओ." सुरिंदर ने मोनिका की गान्ड पर हाथ फिराते हुए कहा.

"अच्छा...रहने दो ऐसा कुछ ख़ास नही है मेरी....." मोनिका शर्मा कर बोली.

"अच्छा ये बताओ दुबारा धक्के कब मर्वाओगि"

"मेरा कोई अफेर चलाने का मूड नही है समझे"

"क्यों तुम्हे तेज धक्के पसंद नही आए क्या?"

"ऐसी बात नही है पर मैं अपने पति के साथ खुश हूँ"

"तो क्या हुआ....कभी कभी हम भी धक्के मार लेंगे अपना नंबर दे दो"

"सोनिया के पास है मेरा नंबर" मोनिका ने कहा.

"ह्म ठीक है फिर इसका मतलब दुबारा मुलाकात जल्दी होगी अपनी"

"देखेंगे"

अचानक दरवाजा खड़कने लगा और मोनिका अपने ख़यालो से बाहर आ गयी.
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#69
उसने घड़ी की और देखा रात के एक बजे थे. "इस वक्त कौन आ गया"


मोनिका ने डरते डरते दरवाजा खोला. "तुम! तुम तो 2 बजे आने वाले थे"


"मुझे देख कर ख़ुशी नही हुई क्या?"


"ऐसी बात नही है मैं तो बस हैरान हूँ कि तुम्हारी ट्रेन तो 2 बजे आनी थी"


"छोड़ो ये सब और गरमा गरम चाय बनाओ बहुत थका हुआ हूँ"


"अच्छा हुआ मैं सुरिंदर के घर से जल्दी आ गयी वरना फँस जाती आज." मोनिका ने किचन की ओर जाते हुए सोचा.



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#70
Heart 
Heart
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"कहा ले जा रहे हो मुझे"

"आओ ना अपर्णा जी...आपको अच्छा लगेगा आओ"

"वो यही कही आस पास है"

"उसे मैं पकड़ लूँगा चिंता मत करो अब मैं पोलीस में हूँ ज़्यादा देर नही बच्चेगा वो"

"मुझे लगा था कि ये वर्दी किसी से माँग कर लाए हो...तुम पोलीस में कैसे चले गये"

"आपकी खातिर अपर्णा जी आपको इस मुसीबत से जो निकालना था"

"तुम मेरी इतनी परवाह क्यों करते हो"

"पता नही शायद आपसे प्यार हो गया है"

"प्यार और तुम....सब जानती हूँ मैं ये नाटक क्या है...मैं तुम्हारे झाँसे में आने वाली नही हूँ"

"ये कोई झाँसा नही है अपर्णा जी मेरे दिल की सच्चाई है कहो तो अपना दिल चीर कर दिखा दू"

"दीखाओ चीर कर मैं भी तो देखूं कितना पाप छुपा है वहां"

"जैसी आपकी मर्ज़ी" वो एक चाकू उठाता है और अपनी कमीज़ के बटन खोल कर चाकू से अपना जिगर चीरेने लगता है. खून की कुछ बूंदे उभर आती हैं उसके सीने पर.

"रूको ये क्या कोई मज़ाक है?"

"अपर्णा जी मेरे लिए तो ये हक़ीकत है आप शायद इसे मज़ाक समझ रही हैं"

"ऐसे दिल चीर दोगे तो उस को कौन पकड़ेगा"

"मेरा भूत उसे पकड़ कर जहन्नुम में डाल देगा"

"तुम प्यार कैसे कर सकते हो?"

"प्यार तो प्यार है अपर्णा जी...कभी भी कही भी हो सकता है"

"श्रद्धा को पता चल गया तो वो मुझे नही छोड़ेगी...... काई बार चेतावनी दे चुकी है मुझे की मेरे आशु से दूर रहना"

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#71
Update 26


"श्रद्धा की चिंता मत करो उसका मेरा कोई प्यार का रिस्ता नही है"

"शरीर का रिस्ता तो है ना"

"ऐसा रिस्ता तो श्रद्धा का काई लोगो से है...मेरे होने ना होने से उसे फर्क नही पड़ेगा"

"नही पर वो फिदा है तुम पर"

"फिदा है....ऐसा नही हो सकता...तुम्हे कैसे पता ये?"

"उसी ने बताया था..."

"बकवास है....उसको क्या कमी है लड़को की"

"नही वो कह रही थी की......" अपर्णा कहते-कहते रुक गयी

"क्या कह रही थी?"

"वो कह रही थी की तुम बहुत अच्छे से करते हो...तुम जैसा कोई नही"

"क्या अच्छे से करता हूँ मैं कुछ समझा नही अपर्णा जी"

"आशु तुम सब समझ रहे हो नादान मत बनो"

"मुझे सच में कुछ समझ नही आया...साफ साफ बताओ ना क्या कह रही थी श्रद्धा मेरे बारे में"

"वो कह रही थी की तुम वो पकड़ कर बहुत अच्छे से घुस्साते हो....समझ गये अब"

"वो मतलब कि गान्ड है ना"

"हां हां वही"

"अब मैने श्रद्धा की चूत अच्छे से मारी है तो इसका मतलब ये तो नही की मैं सारी उमर उसी के साथ रहूँगा...मेरा अपना दिल भी तो है जिसमे प्यार उमड़ रहा है तुम्हारे लिए"

"ऐसी बाते मत करो मुझे कुछ कुछ होता है"

"तुम्हे भी मुझसे प्यार हो गया है हैं ना"

"ऐसा नही है"

"ऐसा ही है अपर्णा जी"

"तुम श्रद्धा को छोड़ दोगे क्या?"

"श्रद्धा के पास बहुत आशिक हैं उसकी चिंता क्यों कर रही हो...आओ अपने प्यार का थोड़ा मज़ा ले"

"मज़ा ले मतलब?"

"मतलब की कुछ हो जाए"

"देखा ये प्यार नही हवस है तुम्हारी"

"हवस में भी तो प्यार ही है...आओ तुम्हे कुछ दीखाता हूँ"

"क्या दिखाओ"

"वही जिसकी श्रद्धा दीवानी थी"

"मुझे नही देखना"

"तुम देखे बिना रह नही पाओगि" आशु ने कहा और अपनी ज़िप खोल कर अपना भारी भरकम विसाल काय लंड बाहर खींच लिया.

अपर्णा ने आशु के लंड को सरसरी नज़र से देखा लेकिन एक बार उस पर नज़र क्या गयी वही टिकी रह गयी.

"ओह माय गॉड, ये तो बहुत बड़ा है...ये कैसे मुमकिन है"

"श्रद्धा इस लंड की दीवानी है और कुछ नही...पर आज से ये लंड तुम्हारा है छू कर देखो तुम्हे अच्छा लगेगा"

"तुम्हारा मेरा प्यार नही हो सकता"

"क्यों?"

"इतना बड़ा ना बाबा ना...मुझे नही करना ये प्यार"

"अपर्णा जी ऐसा मत कहो....ये आपको प्यार के सिवा कुछ और नही देगा"

"प्यार नही ये दर्द देगा मैं खूब समझ रही हूँ"

"ऐसा कुछ नही है डरो मत"

"डरने की बात ही है मैने इतना भयानक आज तक नही देखा"

"ओफ मैने ये लंड दीखा कर ग़लती कर ली चुपचाप तुम्हारी चूत में डाल देता तो अच्छा रहता"

"ये नही डलेगा वहां आशु...भूल जाओ मुझे"

"कैसी बात करती हो श्रद्धा तो पूरा ले लेती है....उसकी तो गान्ड में भी पूरा उतार दिया था मैने...तुम्हारे अंदर क्यों नही जाएगा फिर ये"

"मुझे नही पता पर ये मुमकिन नही है"
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#72
Heart 
"आओ अभी ट्राइ करके देखते हैं"


"मुझे क्या पागल समझा है तुमने"

"नही अपर्णा जी आप ग़लत समझ रही हैं"

"देखो श्रद्धा इधर ही आ रही है....उसके सामने कोई बात मत करना" अपर्णा ने कहा.

"वो यहा नही आएगी...उसे नींद आ रही है देखो वो तो खाट बिछा कर लेट गयी"

अपर्णा ने मूड कर देखा. श्रद्धा वाकाई पेड़ के नीचे खाट पर लेटी थी.

"पर उसकी नज़र यही रहेगी" अपर्णा ने कहा.

"छोड़ो ना उसे वो सो चुकी है आओ मुझे डालने दो...ये जीन्स ज़रा नीचे सरकाओ"

"अगर उसने देख लिया ना तो मेरी जान ले लेगी वो"

"मेरा यकीन करो वो सो चुकी है"

आशु ने अपर्णा की जीन्स का बटन खोला और उसे नीचे खीचने लगा.

"रूको इतनी जल्दी क्या है?"

"मैं तड़प रहा हूँ अपर्णा जी प्लीज़ जल्दी से ये जीन्स उतारो"

अपर्णा ने जीन्स नीचे सरका ली. आशु ने फ़ौरन अपर्णा की पॅंटी नीचे खींच ली.

"बहुत सुंदर....ऐसी चूत मैने आज तक नही देखी...आपके चेहरे की तरह आपकी चूत भी सुंदर है"

"चुप रहो श्रद्धा सुन लेगी"

"उसकी मुझे परवाह नही....चलो थोड़ा घूम जाओ मुझे पीछे से डालना अच्छा लगता है"

"आज ही डालना क्या ज़रूरी है...फिर कभी देखेंगे"

"नही आज ही फ़ैसला हो जाए की ये लंड अंदर जाएगा की नही"

"अगर नही गया तो...क्या ये प्यार ख़तम?"

"प्यार सेक्स का मोहताज़ नही है अपर्णा जी....आइ लव यू"

"पता नही क्यों पर तुम मुझे अच्छे लगे"

"यही तो प्यार है...चलो थोड़ा घूम जाओ अब"

अपर्णा आशु के सामने घूम कर झुक गयी और आशु ने उसकी सुंदर चूत पर लंड टीका दिया.

"देखो थोड़ा धीरे से डालना" अपर्णा ने कहा.

"आप बिल्कुल चिंता मत करो बिल्कुल धीरे से डालूँगा"

"आआहह मर गयी इसे धीरे कहते हो तुम...निकालो बाहर नही जाएगा ये" अपर्णा चिल्लाई

"जब लंड बड़ा हो तो थोड़ा ज़ोर तो लगाना ही पड़ता है हे हे हे" आशु ने कहा.

"उफ्फ ये आगे नही जाएगा मेरी बात मानो और मत डालना"

"अपर्णा जी ये पूरा जाएगा....आप चिंता मत करो" आशु ने ज़ोर लगा कर धक्का मारा.

"उुउऊहह मा...डाल दिया क्या पूरा बहुत दर्द हो रहा है"

"अभी आधा गया है अपर्णा जी"

"ये प्यार आधा ही रहने दो आशु प्लीज़ पूरा मत डालना मैं मर जाउंगी"

"आज तक कोई लंड घुसने से नही मरा...ये प्यार पूरा हो के रहेगा आअहह" आशु ने कहा और इस बार ज़ोर लगा कर अपना पूरा लंड अपर्णा की चूत में उतार दिया.

"उूउऊयययययीीईई मा....आआअहह मेरी जान ले कर रहोगे आज तुम आहह"

"कंग्रॅजुलेशन अपर्णा जी मेरा लंड पूरा का पूरा अब आपकी चूत में है"

"इसे पूरा लेने में जो मेरी हालत हुई है वो मैं ही जानती हूँ...ऐसा प्यार रोज मिलेगा तो मैं तो गयी काम से" अपर्णा ने हांपते हुए कहा.

"हर बार ऐसा दर्द नही होगा तुम्हारी चूत धीरे धीरे अड्जस्ट कर लेगी"

"आआहह पता नही अभी तो बहुत दर्द हो रहा है."

"थोड़ी देर रुकते हैं"

"हां मैं भी यही कहने वाली थी"

"अब जब मैं तुम्हारी मारूँगा तो तुम्हे बहुत मज़ा आएगा"

"श्रद्धा ठीक कहती थी तुम वो पकड़ कर ही घुस्साते हो"

"गान्ड को पकड़ कर चूत में लंड डालने का मज़ा ही कुछ और है"

"ह्म....श्रद्धा अभी भी सो रही है ना"

"हां-हाँ सो रही है तुम उसकी चिंता मत करो"

"अब थोड़ा आराम है"

"मतलब की मैं छूट मारना शुरू करूँ"

"मेरा वो मतलब नही था"

"जो भी हो मैं अब मारने जा रहा हूँ" आशु ने कहा और अपना लंड अपर्णा की चूत से बाहर की ओर खींच कर वापिस अंदर धकैल दिया.

"उउउहह....आअहह"

"क्या हुआ अच्छा लगा ना" आशु ने पूछा.

"उम्म पता नही तुम करते रहो"

"तुम एंजाय कर रही हो मुझे पता है...बड़ा लंड पहले थोड़ा दर्द ज़रूर देता है लेकिन बाद में बेहिसाब मज़ा भी देता है"

"आआहह बहुत गर्व है तुम्हे अपने साइज़ पर हाँ"

"क्यों ना हो हर किसी को ये साइज़ नही मिलता अपर्णा जी....आअहह"

आशु ने अपने धक्को की स्पीड बहुत तेज कर दी.

"य...य..ये क्या कर रहे हो थोड़ा धीरे चलाओ गाड़ी"

"सॉरी ब्रेक फैल हो गये हैं अब स्पीड कम नही होगी"

"गयी भंस पानी में...ब्रेक किसने खराब किए ये ज़रूर श्रद्धा का काम है"

"हे..हे..शायद उसी का काम है आआहह"

"उउऊहह तुमने तो तूफान मच्चा दिया आआहह."

"ऐसी सुंदर चूत मिलेगी तो तूफान तो आएगा ही" आशु ने कहा

"रूको श्रद्धा करवट ले रही है..... और....और ये उसके पास कौन खड़ा है....हे भगवान ये तो वही है...आशु रूको देखो वही है कातिल....रुक जाओ वो श्रद्धा को मार देगा आअहह"

"इस हराम खोर को भी अभी आना था....अपर्णा जी ये गाड़ी अब मंज़िल पर पहुँच कर ही रुकेगी" आशु लगातार अपर्णा की चूत में धक्के मारता रहा.
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#73
Heart 
Update 27


रुक जाओ आशु वो चाकू निकाल रहा है" अपर्णा ने हान्फ्ते हुए कहा.

"आआहह बस थोड़ी देर और आआहह"

तभी श्रद्धा ने करवट ली पर अपर्णा को खाट पर श्रद्धा की जगह कोई और दीखा.

"अरे ये तो वही विटनेस है जिसने मेरे खीलाफ गवाही दी थी"

"जो कोई भी हो अब मैं ये चूत पूरी तरह मार कर ही रुकुंगा आअहह"

"आआआहह आशु प्लीज़ रूको"

तभी अपर्णा ने देखा कि ने तेज धार चाकू से सुरिंदर पर हमले शुरू कर दिए. आशु भी तभी अपर्णा की चूत में झाड़ गया उसने अपर्णा की चूत को पूरा पानी से भर दिया.

Heart

"नहियीईईईईईईईईईईईई" अपर्णा ज़ोर से चिल्ला कर बेड पर बैठ गयी.


"क....क्या हुआ तुम्हे" पास पड़ी श्रद्धा भी उठ गयी.

"ओफ ये कैसा अजीब सपना था." अपर्णा ने मन ही मन कहा.

अपर्णा की चीख सुन कर आशु और सौरभ भी उठ गये. आशु ने उठ कर कमरे की लाइट जला दी.

"क्या हुआ?" सौरभ ने पूछा.

"हां बोलो अपर्णा क्या बात है?" श्रद्धा ने अपर्णा के कंधे पर हाथ रख कर पूछा.

"कुछ नही बुरा सपना था...सो जाओ तुम" अपर्णा ने कहा.

"सुबह के 6 बजे हैं अब क्या सोएंगे...बताओ ना" श्रद्धा ने कहा.

"हां-हां अपर्णा जी बताओ ना क्या बात है" आशु भी बोल पड़ा

अपर्णा ने आशु की तरफ देखा और अपने दिल पर हाथ रख लिया. दिल बहुत तेज धड़क रहा था. उसे अपनी टाँगो के बीच गीला गीला महसूस हुआ. बात साफ थी उसने ड्रीम में बहुत इनटेन्स ऑर्गॅज़म को महसूस किया था. उसका असर अभी भी उसके दिलो दिमाग़ पर था.

"अपर्णा जी क्या हुआ कुछ तो बोलिए" आशु ने फिर कहा.

"हां-हां अपर्णा बोलो ना क्या बात है?" श्रद्धा ने कहा.

"मैने बहुत अजीब सपना देखा....वो...वो उस विटनेस को मार रहा था. आशु पोलीस की वर्दी में था.......बस इतना ही याद है" अपर्णा ने कहा.

पूरा सपना अपर्णा बता भी नही सकती थी. वो बेड से उठ कर टॉयलेट में चली गयी.
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#74
Tongue 
"लो कर लो बात खोदा पहाड़ और निकला चूहा" श्रद्धा ने कहा.


"तुम्हे क्या पहाड़ खोदने पर लंड की उम्मीद थी" सौरभ ने धीरे से कहा.

"जी नही....मुझसे मज़ाक मत किया करो"श्रद्धा ने कहा.

आशु को पता नही क्या सूझी उसने टीवी ऑन कर दिया.

बाय चान्स टीवी पर सुरिंदर के खून की खबर ही आ रही थी.

"बहुत ही दर्दनाक मौत दी है कातिल ने सुरिंदर को. कातिल ने उन दो कॉन्स्टेबल्स को भी मार डाला जो कि सुरिंदर के घर पर तैनात थे. पूरा शक अपर्णा पाठक और उसके नकाब पोश साथी पर है. सुरिंदर के घर के सामने रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया है कि उसने रात के कोई 11:30 बजे एक महिला को सुरिंदर के घर से निकलते देखा था. हो ना हो शायद वो महिल अपर्णा ही थी. अभी पोलीस की तरफ से कोई बयान नही आया है. दो कॉन्स्टेबल्स की मौत के बाद पोलीस महकमा भी सकते में है" न्यूज़ आंकर ने कहा.

न्यूज़ सुनते ही आशु और सौरभ हैरान रह गये. तभी अपर्णा भी टॉयलेट से बाहर आ गयी.

"आपका सपना तो सच हो गया अपर्णा जी...देखिए न्यूज़ पर दीखा रहे हैं की सुरिंदर का खून हो गया" आशु ने कहा.

"इसका मतलब तुम्हे पोलीस की वर्दी मिलने वाली है....सपने में तुम भी तो पोलीस की वर्दी में थे" सौरभ ने कहा

"अपर्णा जी पूरा सपना सूनाओ ना" आशु ने कहा.

"नही-नही मुझे पूरा सपना याद नही... जितना याद था बता दिया बाकी मैं भूल गयी" अपर्णा ने कहा.

"तुम कुछ छुपा रही हो....सच-सच बताओ मेरा आशु तुम्हारे सपने में क्या कर रहा था?" श्रद्धा ने अपर्णा के कान में कहा.

"मैं क्यों कुछ छुपाउंगी मुझे जो याद रहा बता दिया" अपर्णा ने धीरे से कहा.

"कहीं आशु तुझे झुका के तेरी चूत तो नही मार रहा था" श्रद्धा ने धीरे से कहा.

अपर्णा ने श्रद्धा की ओर गौर से देखा जैसे कि पूछ रही हो कि 'तुम्हे कैसे पता?'

"क्या हुआ ऐसे क्यों देख रही हो जैसे कि मैने तुम्हारी चोरी पकड़ ली....अरे मैं तो मज़ाक कर रही हूँ. आशु अक्सर झुका कर चूत मारता है. वो तुम्हारे सपने में था मैने सोचा कही तुम्हारी भी मार ली हो. हक़ीकत में ऐसा सोचना भी मत तुम्हारी जान ले लूँगी मैं" श्रद्धा ने कहा.

"क्या कह रही हो अपर्णा जी को चुपचाप...उन्हे परेशान मत करो" आशु ने कहा.

अपर्णा ने आशु की तरफ देखा और मन ही मन बोली,"प्यार और वो भी आशु से कभी नही....छी कितना गंदा सपना था. सब इस श्रद्धा के कारण हुआ...हर वक्त गंदी बाते करती रहती है. कही ये सपना सच हुआ तो...नही... नही सपने की सारी बाते थोड़ा सच हो सकती हैं. पर ये सुबह का सपना है. एक बात तो सच भी हो गयी. पर जो भी हो मैं आशु जैसे लड़के से प्यार किसी भी हालत में नही कर सकती"

"कहा खो गयी और मेरे आशु को इस तरह से क्या देख रही हो" श्रद्धा ने अपर्णा को हिलाया.

"कुछ नही है हर वक्त एक ही राग मत गाया करो" अपर्णा ने कहा.

अगले ही पल अपर्णा गहरी चिंता में खो गयी.

"उस विटनेस के मरने का मतलब है कि मैं अब बुरी तरह फँस चुकी हूँ" अपर्णा ने कहा.

"ये जो भी हो है बहुत शातिर...पूरी प्लॅनिंग से काम कर रहा है" आशु ने कहा.

"अब हम क्या करेंगे?" अपर्णा ने कहा.

ये ऐसा सवाल था जिसका किसी के पास कोई जवाब नही था. कमरे में सन्नाटा हो गया. किसी ने कुछ नही कहा.

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#75
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ए.एस.पि. अंकिता ठाकुर


"कब आई मेडम" चौहान ने पूछा.


"सर सुबह सुबह 9 बजे से हैं अपने कमरे में काफ़ी गुस्से वाली लगती हैं...काफ़ी यंग हैं कोई 24-25 साल की होंगी"

"देखने में कैसी है...सुंदर है क्या?" चौहान ने पूछा.

"पूछो मत सर बिजली है बिजली" विजय ने कहा.

"ह्म ये तो दो दिन बाद आने वाली थी इतनी जल्दी कैसे टपक पड़ी?" चौहान ने कहा.

"सर आपको तुरंत बुलाया है उन्होने...जल्दी जाओ कही नाराज़ हो जायें" विजय ने कहा.

"ठीक है मैं जा रहा हूँ उनके कमरे में....तुम यही रूको."

"जी सर"

चौहान ए.एस.पि. अंकिता ठाकुर के कमरे में घुस जाता है.

"गुड मॉर्निंग मेडम, आय ऍम इनस्पेक्टर रंजीत चौहान...सॉरी मुझे पता नही था कि आपने आज से ही जॉइन कर लिया है"

"गुड मॉर्निंग, बैठो....ये क्या चल रहा है शहर में"

"सब ठीक ही है मेडम बस ये सीरियल किलर के केस ने परेशान कर रखा है" चौहान ने कहा.

"ऐसी परेशानी हैंडल करना हमारी ड्यूटी है मिस्टर चौहान आप ऐसी बाते करेंगे तो कैसे चलेगा. मेरे सामने आगे से ऐसी बात मत करना."

"सॉरी मेडम" चौहान ने कहा.

"ऐसा कैसे हो गया कि विटनेस को मार कर चला गया कोई और हम कुछ नही कर पाए. साथ में दो कॉन्स्टेबल भी मारे गये. यही एफीशियेन्सी है यहा पर पोलीस की" अंकिता ने कहा.

"ये सीरियल किलर बहुत ख़तरनाक है मेडम...आप अभी नये हो आपको ये सब समझने में देर लगेगी"

"शट अप....मैं नयी बेसक हूँ पर बेवकूफ़ नही....तुम इस केस को बिल्कुल भी हैंडल नही कर पा रहे"

"नही मेडम ऐसी बात नही है...कातिल की पहचान तो हो ही चुकी है....वो जल्दी पकड़ी जाएगी"

"मुझे रिज़ल्ट चाहिए मिस्टर चौहान वरना तुम्हारी छुट्टी समझे...मुझे इस केस की पल-पल की रिपोर्ट चाहिए..... इज़ देट क्लियर?"

"जी मेडम जैसा आपका हुक्म" चौहान की बोलती बंद हो चुकी थी. बड़ी मुश्किल से बोल पाया बेचारा.

"और हां मैं ये फाइल देख रही थी.....ये आशुतोष शुक्ल है कोई...सब इनस्पेक्टर के लिए सेलेक्षन हुई थी इसकी. यहा पर अब तक उसकी जाय्निंग क्यों नही ली गयी"

"मैं देख लेता हूँ मेडम मुझे इसके बारे में जानकारी नही है.."

"शाम तक इसकी भी रिपोर्ट देना मुझे.... जाओ अब"

"जी मेडम"

चौहान बाहर आ जाता है. विजय उसे देख कर उसके पास आता है.

"क्या हुआ सर, आपके माथे पर तो पसीने हैं"

"पूछो मत....कयामत आ गयी है हमारे सिर पर. साली ने खूब डांटा मुझे. आज तक ऐसा नही हुआ मेरे साथ."

"सर वो हमारी बॉस है.."

"अरे बॉस है तो क्या कुछ भी बोलेंगी..."

"क्या कहा उन्होने?"

"कहेगी क्या उसे लगता है वो ज़्यादा जानती है....चल छोड़...और हां ये यार आशुतोष की जाय्निंग करवा दो"

"सर उसने कोई पैसा तो दिया नही फिर कैसे..वैसे भी ग़लती से नाम आया था उसका लिस्ट में..जिन्होने 50-50 लाख दिए वो क्या बेवकूफ़ हैं..?"

"अरे इन बातो को मार गोली....उस कयामत ने शाम तक रिपोर्ट माँगी है इस बारे में"

"ठीक है सर जैसा आप कहे मैं भोलू हवलदार को भेज कर बुला लेता हूँ उसे...उसके घर के पास ही रहता है वो आशुतोष "

"ठीक है....जो भी करो आज शाम तक ये काम हो जाना चाहिए कहीं मुझे डाँट पड़े."

"आप चिंता मत करो सिर ये काम तो हो ही जाएगा."

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#76
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श्रद्धा सुबह होते ही सौरभ के कमरे से चल दी. आज उसका बापू वापिस आने वाला था इसलिए वो जल्द से जल्द घर पहुँचना चाहती थी.


"ठीक है...मैं तो चलती हूँ तुम लोग अपना प्लान बनाओ कि अब क्या करोगे...जहा मेरी ज़रूरत हो बता देना" श्रद्धा ने चलते हुए कहा.

सौरभ उसके करीब आया और धीरे से उसके कान में बोला, "ज़रूरत तो तुम्हारी हमेशा है...दुबारा गान्ड कब दोगि"

"तुम्हे चट नही चाहिए क्या...जिसे देखो मेरी गान्ड के पीछे पड़ा है....मार-मार कर सूजा दी मेरी अब नही दूँगी किसी को भी गान्ड मैं....चूत लेनी हो तो बताओ" श्रद्धा ने धीरे से कहा.

"मेरा वो मतलब नही था अगली बार तेरी चूत ही लेनी है...बता कब देगी" सौरभ ने कहा.

"पूरी रात मैं यहा बोर होती रही....रात नही निपटा सकते थे ये काम तुम"

"पागल हो क्या अपर्णा के रहते कैसे करते?"

"ओफ इस अपर्णा ने तो सारा मज़ा खराब कर रखा है....मैं जा रही हूँ बाद में बात करेंगे"

"ठीक है जाओ....जल्दी बताना कब दोगि?"

"आज मेरा बापू आ जाएगा.....जब मोका लगेगा बता दूँगी"

सौरभ ने उसकी तरफ आँख मारी और बोला, "जल्दी कोशिश करना"

"ठीक है गुरु जी मैं जाउ अब"

"हां-हां बिल्कुल" सौरभ ने कहा.

श्रद्धा चली गयी. श्रद्धा के जाते ही अपर्णा ने राहत की साँस ली.

"गुरु क्या कह रहे थे चुपके-चुपके श्रद्धा को"

"कुछ नही इधर-उधर की बाते कर रहे थे" सौरभ ने कहा.

"मैं सब जानती हूँ ये इधर-उधर की बाते कौन सी हैं...मुझे इस मुसीबत में फँसा कर तुम मस्ती कर रहे हो....कुछ सोचा तुमने कि मेरा अब क्या होगा. मेरे घर में सब परेशान होंगे. मेरे पिता जी दिल के मरीज हैं अगर कुछ हो गया तो उसके ज़िम्मेदार भी तुम होंगे. मैं अब और नही सह सकती मैं घर जा रही हूँ"

सौरभ कुछ नही कह पाया जवाब में.

"अपर्णा जी शांत हो जाओ, गुरु की तो ग़लती है ही...मैं मानता हूँ पर जो भी हुआ अंजाने में हुआ" आशु ने कहा.

"हां....मुझे क्या पता था की खेल इस तरह बिगड़ जाएगा" सौरभ ने कहा.

"जिस खेल को कंट्रोल ना कर सको वो खेल नही खेलना चाहिए मिस्टर सौरभ....अब वो विटनेस भी मार दिया उस ने....बताओ हमारे पास करने को क्या है...पोलीस मुझे ढूँढ रही है....तुम्हे नही...तुम्हारी तस्वीर टीवी पर आई होती ना तो पता चलता तुम्हे" अपर्णा ने गुस्से में कहा.

"देखो अपर्णा मैं अपनी ग़लती मानता हूँ....जो सज़ा तुम्हे देनी है दे दो" सौरभ ने कहा और उसके कदमो में बैठ गया.

अपर्णा फूट-फूट कर रोने लगी, "मैं क्या सज़ा दू तुम्हे...सज़ा तो मुझे मिल रही है....पता नही किस बात की"

"अपर्णा जी आप चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा...हम सब हैं ना आपके साथ" आशु ने कहा.

"तुम मुझसे दूर ही रहना मुझे तुमसे कुछ नही लेना देना समझे" अपर्णा ने अपनी आँखो से आँसू पोंछते हुए आशु को कहा.
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#77
Update 28


आशु कन्फ्यूज़ हो गया. "मेरी क्या ग़लती है...मैं तो बस आपकी मदद करना चाहता हूँ" आशु ने कहा.

"मेरा सर घूम रहा है प्लीज़ मुझे अकेला छोड़ दो" अपर्णा ने कहा.

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई. सौरभ ने दरवाजा खोला. सामने पूजा खड़ी थी.

"अपर्णा कहा है?" पूजा ने पूछा.

"यही है..आओ" सौरभ ने कहा.

पूजा अंदर आ गयी और अपर्णा के पास बैठ गयी.

"सॉरी कल शाम को मैं नही आ सकी....इतनी गहरी नींद आई की पूछो मत" पूजा ने कहा.

"कोई बात नही" अपर्णा ने कहा.

"ये चेहरा क्यों उतरा हुआ है तुम्हारा" पूजा ने कहा.

"जब कोई ऐसी मुसीबत में फँसा हो तो...और क्या होगा" अपर्णा ने कहा.

"ज़्यादा देर तक तुम इस मुसीबत में नही रहोगी...बहुत जल्द असली मुजरिम पकड़ा जाएगा" पूजा ने कहा.

"कैसे होगा ये चमत्कार पोलीस तो मेरे पीछे पड़ी है उन्हे कैसे यकीन दीलाएँगे की खूनी मैं नही कोई और है" अपर्णा ने कहा.

"आप चिंता मत करो अपर्णा जी सब ठीक हो जाएगा" आशु ने कहा.

"कैसे ठीक होगा सब मुझे समझाओ तो सही" अपर्णा झल्ला कर बोली.

किसी के पास कोई जवाब नही था.

"सिर्फ़ कहने भर से की सब ठीक हो जाएगा बात नही बनती...मुझे तो हर तरफ अंधेरा दीखाई दे रहा है" अपर्णा ने कहा.

अचानक दरवाजा खड़कने लगा.

"आशु....तुम यहा हो क्या?" बाहर से आवाज़ आई

"ये तो भोलू की आवाज़ है" आशु बड़बड़ाया.

आशु ने दरवाजा खोला.

"शूकर है तू मिल गया...तुझे ढूँढ-ढूँढ कर थक गया मैं"

आशु ने भोलू को अंदर नही आने दिया और अपने पीछे दरवाजा बंद करके वही खड़ा हो गया.

"क्या हुआ...मुझे क्यों ढूँढ रहे थे तुम?" आशु ने पूछा.

"रोज पूछता था ना तू अपनी जाय्निंग के बारे में"

"हां-हां आगे बोल"

"चल आज तेरी सॉरी आपकी जाय्निंग करा देता हूँ....अब तो तुम एसआइ बन जाओगे तुम्हे आप ही बोलना पड़ेगा"

"तू ये क्या कह रहा है....मुझे यकीन नही हो रहा"

"यकीन करले अब....तुझे फॉरन चलना होगा मेरे साथ...अभी जाय्निंग हो जाएगी तुम्हारी"

"ये सब अचानक कैसे"

"नयी एएसपी साहिबा आई हैं उन्होने ही ऑर्डर दिया है तुम्हारी जाय्निंग का चलो अब देर मत करो"

ये ऐसा वक्त था कि एमोशन्स उमड़ आना नॅचुरल है. आशु की आँखो में आँसू उभर आए और उसने भोलू को गले लगा लिया और बोला, "लगता था कि पोलीस में जाने का सपना, सपना ही रह जाएगा...तू मुझे बस 15 मिनट दे मैं अभी आता हूँ"

"ठीक है मैं अपने घर पर हूँ वही आ जाना" भोलू ने कहा.

भोलू के जाने के बाद आशु अंदर आया. उसकी आँखे अभी भी भरी हुई थी.

अंदर सभी ने भोलू और आशु की बातें सुन ली थी.

आशु के अंदर आते ही सौरभ ने उसे गले से लगा लिया.

"वाओ....मेरा आशु अब पोलीस में जाएगा और सबकी बॅंड बजाएगा"

"गुरु सब तुम्हारी दुवाओ का नतीजा है"

"भाई मुझे तो यकीन नही था...इसलिए मैने कभी दुवा नही की...सब तेरी लगन का नतीज़ा है...बड़ी महनत से दिए थे तूने पेपर....मान गये आशु"

"गुरु हो ना हो इसमें अपर्णा जी के सपने का भी हाथ है" आशु ने कहा.

अपर्णा ने अपने तेज धड़कते दिल पर हाथ रखा और बोली, "ऐसा नही हो सकता"

"क्या हुआ अपर्णा जी क्या आपको ख़ुशी नही हुई" आशु ने कहा.

"नही-नही ऐसा नही है मैं तुम्हारे लिए खुश हूँ" अपर्णा ने कहा.

"फिर आपने क्यों कहा कि ऐसा नही हो सकता...आपका सपना तो सच हो गया...और कुछ याद हो तो बताओ ना क्या पता वो भी सच हो जाए" आशु ने कहा.

"इतना कुछ सच हो गया.... अब क्या हर बात सच होगी....ऐसा नही होगा" अपर्णा ने कहा.

अपर्णा की बात किसी को समझ नही आई. आती भी कैसे पूरा सपना तो सिर्फ़ उसे ही पता था.

"अपर्णा जी क्या हुआ आप इतनी परेशान सी क्यों लग रही हैं." आशु ने पूछा.

"कुछ नही...तुम जाओ वरना लेट हो जाओगे" अपर्णा ने कहा.

"अरे हां...मैं लेट हो रहा हूँ....गुरु मैं निकलता हूँ...पहले जाके जॉइन कर लू बाकी की बाते बाद में करेंगे" आशु ने कहा.

"ठीक है तुम निकलो हम तीनो बैठ कर आगे का प्लान बनाते हैं." सौरभ ने कहा.

"ठीक है तुम लोग प्लान बनाओ मैं बाद में मिलता हूँ" आशु ने कहा और कमरे से निकल गया.
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#78
Heart 
"हां तो पूजा क्या कुछ जानती हो उस आदमी के बारे में...क्या नाम था उसका...उम्म" सौरभ ने कहा.


"परवीन" पूजा झट से बोली.

"हां तो तुम्हे शक है कि किलर वही है" सौरभ ने कहा.

"मुझे शक नही पूरा यकीन है की वही किलर है" पूजा ने कहा.

"नही मैं वैसे ही पूछ रहा था.... दरअसल कल हमारी बहुत फ़ज़ियत हुई है"

"कैसी फ़ज़ीहत?" पूजा ने पूछा.

"छोड़ो जाने दो तुम उस परवीन के बारे में बताओ" सौरभ ने कहा.

"मुझे उसके बारे में और कुछ नही पता...हां उसका एक नौकर भी है मुझे उस पर भी शक है. शायद नौकर साथ देता है परवीन का"

"ह्म्म....पहले तुम मुझे ये बताओ कि वो कहा मिलेगा" सौरभ ने कहा.

"मुझे उसके फार्म हाउस का पता है बाकी उसके बारे में और कोई जानकारी नही मुझे"

"ठीक है मुझे उसका फार्म हाउस दीखा दो बाकी जानकारी मैं इक्कथा कर लूँगा" सौरभ ने कहा.

"ठीक है" पूजा ने कहा.

"अपर्णा मैं पूजा के साथ उसका फार्म हाउस देख आता हूँ...बाद में आशु के आने पे देखते हैं कि क्या करना है?"

"ह्म्म ठीक है जाओ...मेरा सर दर्द कर रहा है मैं सोने जा रही हूँ" अपर्णा ने कहा.

"मेडिसिन दूं क्या...पड़ी है मेरे पास" सौरभ ने कहा.

"नही ये दर्द दवाई से नही जाएगा...मैं ठीक हूँ तुम लोग जाओ" अपर्णा ने कहा.

"आओ पूजा चलें"

"क्या उसी कार में चलेंगे?" पूजा ने पूछा.

"नही बायक से चलेंगे वो कार तो किसी और की थी"

"बायक पर!"

"क्यों कोई परेशानी है क्या?"

"नही चलो" पूजा ने कहा.

कुछ ही देर बाद सौरभ और पूजा फार्म हाउस की तरफ बढ़ रहे थे.

"क्या तुम्हारी उस लड़के ने कोई मूवी बना ली थी" सौरभ ने पूछा.

"मेरी पर्सनल लाइफ के बारे में बात ना ही करो तो अच्छा है मैं बस अपर्णा की मदद करना चाहती हू और कुछ नही" पूजा ने कहा.

"तुम तो बुरा मान गयी...मैं तो यू ही पूछ रहा था."

"जो भी हो मेरी लाइफ के बारे में तुम्हे जान-ने का कोई हक़ नही है समझे बहुत अच्छे से जानती हूँ मैं तुम दोनो को"

"क्या जानती हो ज़रा हमे भी बता दो हम भी तो देखें की दुनिया हमारे बारे में क्या सोचती है" सौरभ ने कहा.

"वो तुम्हे भी पता है और मुझे भी" पूजा ने कहा.

"क्या श्रद्धा ने तुम्हे बता दिया कि मैने उसकी गान्ड मारी थी" सौरभ ने कहा.

पूजा सौरभ की बात सुन कर हैरान रह गयी. उसे ऐसी बात की उम्मीद नही थी.

"क्या कहा तुमने?" पूजा ने पूछा.

"ओह....शायद तुम नही जानती कि तुम्हारी बड़ी बहन कितनी पहुँची हुई चीज़ है" सौरभ ने कहा.

"मैं सब जानती हूँ....आशु ने ही उसे बिगाड़ा है...वरना मेरी दीदी ऐसी नही है"

"हे..हे..हा..हा..हा"

"क्या हुआ" पूजा ने पूछा.

"तुम्हारी दीदी ऐसी नही है....हे..हे..हा..हा. अरे वो तो अच्छे अछो को बिगाड़ दे...उसे कौन बिगाड़ेगा."

"तुम झूठ बोल रहे हो"

"मैं झूठ क्यों बोलूँगा जाके पूछ लेना अपनी दीदी से....पर तुम्हे वो सच क्यों बताएगी"

"बायक इस रोड से सीधा ले लो इसी रोड के आख़िर में है वो फार्म हाउस."

"आशु बेचारा तो तुम्हारे पीछे था पर पट गयी श्रद्धा...पट क्या गयी वो हमेशा तैयार रहती है....आशु ने एक बार मुझसे मिलवाया श्रद्धा को और उसी दिन मैने उसकी गान्ड ले ली हे..हे..हे"

"ये बाते तुम मुझे क्यों सुना रहे हो."

"तुम्हारा कोई इंटेरेस्ट है कि नही इन बातो में जान-ना चाहता हूँ क्या पता तुम्हारी मेरी जम जाए बात."

"अच्छा तो तुम मुझ पर लाइन मार रहे हो....अगर ऐसी बाते करके सोचते हो कि मुझे पटा लोगे तो तुम ग़लत हो. मुझे बिल्कुल अछी नही लगी तुम्हारी बाते."

"अछी ना लगी हो सेक्सी तो लगी होंगी...क्या तुम्हारा मन नही करता किसी को चूत देने का...मुझमे क्या बुराई है. अपनी दीदी से पूछ लेना बहुत अच्छे से मारता हूँ"

"मैं दीदी से क्यों पूचु भला मुझे क्या मतलब...तुम सीधे सीधे चलाओ" पूजा ने कहा.

"मुझे पता है उस लड़के ने तुम्हारी ली होगी और मूवी बना ली होगी तभी तुम उसे मारने भागी थी. देखो मैं उस लड़के जैसा कमीना नही हूँ"

"तुम्हारी दाल यहा नही गलेगी मिस्टर बायक चलाने पर ध्यान दो."

"तुम ही बता दो कि दाल गलाने के लिए मुझे क्या करना होगा."

"ये दाल किसी हालत में नही गलेगी"

"अच्छा ऐसा है...फिर तो मैं भी चलेंज लेता हूँ कि तुम्हारी चूत में लंड डाल के रहूँगा...वो भी तुम्हारी मर्ज़ी से."

"ऐसा दिन कभी नही आएगा हा....जिस काम से आए हो उस पर ध्यान दो."

"देखो मेरे साथ आगे से ऐसी बात मत करना वरना तुम देख ही चुके हो की मैं क्या कर सकती हूँ" पूजा ने कहा

"अगर मैं और आशु वक्त से ना पहुँचते तो तुम्हारी बॅंड बजने वाली थी वहां...बंदूक निकाल ली थी उसने और तुम एक चाकू ले कर घूम रही थी"

"मैने तुम लोगो को नही बुलाया था."

"वाह जी वाह एक तो इनकी गान्ड की रक्षा करो उपर से कोई नाम भी नही"

"फार्म हाउस आ गया...बकवास बंद करो और बायक रोको" पूजा ने कहा.

"कहा है फार्म हाउस" सौरभ ने बायक रोक कर पूछा.

पूजा ने हाथ का इशारा करके बताया, "वो रहा...यही से देख लो पास जाना ठीक नही"

"वैसे एक बात पूचु"

"क्या है अब?" पूजा ने कहा.

"फार्म हाउस जैसी जगह पर तो उल्टे ही काम होते हैं तुम यहा क्या करने आई थी?" सौरभ ने पूछा

"तुमसे मतलब...तुम बस अपने काम से मतलब रखो...चलो वापिस अब" पूजा ने कहा.

"अरे इतनी दूर क्या बस इस फार्म हाउस की शक्ल देखने आए हैं"

"तो क्या इरादा है तुम्हारा?" पूजा ने कहा.

"मैं ज़रा वहां जा कर देखता हूँ...अगर इस परवीन का घर का अड्रेस मिल जाए तो अच्छा होगा."

"ठीक है जाओ...मैं यही वेट करूँगी" पूजा ने कहा.

"पर तुम यहा अकेली...ऐसा करते हैं इस बायक को यही सड़क किनारे की झाड़ियो में छुपा कर दोनो चलते हैं"
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#79
Heart 
Update 29

"नही मैं वहां नही जाउंगी...तुम जाओ मैं यही वेट करूँगी"

"परवीन वहां हुआ तो मैं उसे कैसे पहचानूँगा...चलो ना पूजा"

"ठीक है...चलो...पर कोई बकवास मत करना"

"ठीक है अब चलो तो"

बायक को सड़क किनारे छुपा कर दोनो चुपचाप फार्म हाउस की तरफ चल पड़ते हैं. "हम झाड़ियों के रास्ते जाएँगे सामने से जाना ठीक नही" सौरभ ने कहा.

"ह्म्म ठीक कह रहे हो मैं भी ऐसा ही सोच रही थी."

"चुपचाप दबे पाँव मेरे पीछे आ जाओ." सौरभ ने कहा.

"तुम चलो मैं आ रही हूँ"

"बहुत सुनसान इलाक़े में बनाया है फार्म हाउस" सौरभ ने कहा.

"सस्स्शह तुम्हे कुछ सुनाई दिया" पूजा ने कहा.

"हां...शायद नज़दीक ही कोई है"

"कल साहिब लोगो ने एक लड़की की खूब मारी थी यही इस घास पर" उन्हे आवाज़ आती है.

सौरभ और पूजा आवाज़ के नज़दीक पहुँच जाते हैं...पर वो अभी भी झाड़ियों के पीछे रहते हैं.

"चलो यहा से" पूजा ने धीरे से कहा.

"अरे रूको तो लाइव ब्लू फिल्म तो देख ले" सौरभ ने कहा.

उनके सामने रामू एक औरत को बाहों में लिए खड़ा था. औरत कोई 35 साल की थी, रंग साफ था और शरीर गतिला था.

"क्या यही परवीन है?"

"नही ये उसका नौकर रामू है"

"ह्म्म नौकर ने क्या किस्मत पाई है...क्या माल हाथ लगा है सेयेल के" सौरभ ने कहा.

"मुझे लगता है परवीन यहा नही है हमे चलना चाहिए" पूजा ने कहा.

"परवीन का पता तो जानता ही होगा ये नौकर थोड़ा रूको ना" सौरभ ने कहा.

"तुम्हारे साहिब आ गये तो?" उस औरत ने पूछा.

"साहिब तो शहर से बाहर गये हैं...कल शाम को ही निकल गये थे यहा से" रामू ने कहा.

"अंदर घर में चलो ना यहा खुले में कुछ अजीब लगता है"

"कल उस लड़की की चुदाई देख कर मन कर रहा है की यही खुले में मस्ती की जाए चलो जल्दी कोड़ी हो जाओ" रामू ने कहा.

"ये किस लड़की की बात कर रहा है पूजा" सौरभ ने पूछा.

"मुझे क्या पता...चलो यहा से." पूजा गुस्से में बोली.

"धीरे बोलो बाबा वो लोग सुन लेंगे." सौरभ ने कहा.

रामू ने उस औरत को अपने आगे झुका दिया और अपने लंड को उसकी गान्ड पर रगड़ने लगा.

"ओफ क्या मस्त गान्ड है कास इस नौकर की जगह मैं होता उसके पीछे....अभी डाल देता पूरा का पूरा लंड गान्ड में" सौरभ बड़बड़ाया.

"तुम यहा मस्ती करने आए हो तो...मैं जा रही हूँ." पूजा ने कहा.

सौरभ ने पूजा का हाथ पकड़ा और बोला, "रूको तो मैं इस नौकर से परवीन के बारे में पूछूँगा."

"ये काम बाद में कर लेना...मैने तुम्हे ये जगह दीखा दी है अब चलो यहा से" पूजा ने कहा.

"बस थोड़ी देर ये नज़ारा ले लेने दो फिर चलते हैं" सौरभ ने कहा.

पूजा पाँव पटक कर रह गयी.

"इस मोटी गान्ड पर लंड रगड़ना अच्छा लगता है मुझे" रामू ने कहा.

"आअहह तो रागडो ना लंड जी भरके किसने रोका है....पर अंदर मत डालना...आहह"

"तेरी चूत मारने से फ़ुर्सत मिले तब ना गान्ड में डालूँगा...वैसे सच सच बता ये गान्ड इतनी मोटी कैसे हो गयी जब तूने मरवाई नही एक भी बार."

"पता नही बचपन से ही ऐसी है....डाल दो ना अब चूत में मैं कब तक झुकी रहूंगी"

"थोड़ा रूको ना इस मोटी गान्ड पर लंड रगड़ कर इसे गरम तो कर लूँ"

"इसके लंड से भी मोटा लंड है मेरा" सौरभ ने कहा.

"अच्छा मज़ाक अच्छा कर लेते हो?" पूजा मुस्कुराइ.

"दीखाऊ क्या अभी?" सौरभ ने कहा.

"मुझे क्यों दीखाओगे उस औरत को दीखाओ जा के...मेरे उपर कोई असर नही होने वाला."

"हाई काश मैं वहां जा पाता....क्या मस्त गान्ड है...ऐसी मोटी गान्ड नही मारी मैने आज तक" सौरभ ने कहा.

"तुम्हारे जैसे लड़के मुझे बिल्कुल पसंद नही जो कही भी लार टपकाने लगते हैं" पूजा ने कहा.

"पूजा अगर तुम मान जाओ ना तो कसम से किसी की तरफ नही देखूँगा...तुम्हारा मुकाबला कोई नही कर सकता...तुम बिल्कुल अपर्णा जैसी हो....बहुत सुंदर." सौरभ ने कहा.

"अच्छा बेहतर हो की तुम दिन में सपने लेना छोड़ दो...तुम्हारे जैसे लोगो से मुझे नफ़रत है नफ़रत."

"उफ्फ तुम्हारी लेने के लिए बहुत पाप्ड बेलने पड़ेंगे" सौरभ ने कहा.

"बंद करो बकवास अपनी...मैं वापिस जा कर अपर्णा को सब बता दूँगी कि तुम यहा क्या कर रहे थे."

"नही पूजा ऐसा मत करना वो पहले ही मुझसे नाराज़ है" सौरभ ने कहा.

"ठीक है चलो फिर."

"रूको रूको देखो डाल दिया उसने उसकी चूत में थोड़ा तो देख लेने दो." सौरभ ने कहा.

"तुम देखो मैं जा रही हूँ" पूजा ने कहा.

पूजा मूड कर दबे पाँव वहां से चल दी. पूजा के जाते ही सौरभ झाड़ियो से बाहर आ गया.

"अरे भाई परवीन जी क्या यही रहते हैं." सौरभ ने पूछा.

आनन फानन में जल्दी से रामू ने अपना लंड उस औरत की चूत से निकाला. लंड के बाहर आते ही वो औरत अपने कपड़े जल्दी से ठीक करके वहां से भाग खड़ी हुई.

"क..क..कौन हो तुम और यहा क्या कर रहे हो." रामू ने कहा.

"भाई मैं परवीन जी के गाँव से आया हूँ उनसे मिलना था. किसी ने इस फार्म हाउस का पता बताया तो चला आया. यहा आया तो क्या देखता हूँ एक महिला झुकी हुई हैं और आप उसकी चूत में लंड डाले खड़े हैं. सोचा वापिस चला जाउ लेकिन फिर रुक गया. सोचा बात करने में हर्ज़ ही क्या है"

"थोड़ी देर रुक नही सकते थे...एक भी धक्का नही मारने दिया उसकी चूत में"

"कोई बात नही मेरे जाने के बाद धक्के मारते रहिएगा...आप बस परवीन जी का घर का अड्रेस दे दो"

"वो तो भाग गयी अब क्या मैं हवा में धक्के मारु." रामू झल्ला कर बोला.

"रुकावट के लिए खेद है भाई...कृपया करके अड्रेस दे दीजिए मैं बहुत परेशान हूँ."

"ठीक है ठीक है अभी देता हूँ." रामू ने कहा.

रामू ने सौरभ को अड्रेस दे दिया. अड्रेस ले कर सौरभ मुस्कुराता हुआ फार्म हाउस से बाहर आ गया.

पूजा झाड़ियों के रास्ते सड़क पर वापिस आ गयी और सौरभ फार्म हाउस से अड्रेस ले कर मेन गेट से बाहर आ गया.

"बड़ी जल्दी वापिस आ गये" पूजा ने पूछा.

"अड्रेस मिल गया तो आ गया...मैं यहा इसी काम से तो आया था...काम होते ही आ गया" सौरभ ने कहा.

"ऐसा कैसे हो गया...वो लोग तो"

"हैरान हो ना...मैने सर्प्राइज़्ड एंट्री की वहां और काम बन गया....तुम थोड़ी देर रुकती तो अच्छा ख़ासा ड्रामा देखने को मिल जाता."

"अब चलें वापिस?" पूजा ने कहा.

"क्या मैं तुम्हे बिल्कुल भी अच्छा नही लगता?" सौरभ ने पूछा.

"क्यों ऐसा क्या है तुम में जो मुझे अच्छा लगेगा.? तुम्हारी तो बीवी भी छोड़ गयी ना तुम्हे...अगर तुम में कोई गुण होते तो क्या तुम्हारी बीवी छोड़ के जाती" पूजा ने कहा.

"वो अलग ही कहानी है पूजा...खैर छोड़ो...मुझसे ग़लती हो गयी जो तुम्हे श्रद्धा जैसी समझ बैठा. मुझे लगा तुम श्रद्धा की बहन हो तो उसके जैसी ही होगी. हालाँकि मुझे आशु ने बताया तो था कि तुम श्रद्धा जैसी नही हो पर यकीन नही था. तुम्हे पटाने का मेरा तरीका ग़लत था. मुझे तुमसे ऐसी अश्लील बाते नही करनी चाहिए थी. अब मैं कुछ और तरकीब लगाउन्गा." सौरभ ने कहा.

"तुम्हारी कोई भी तरकीब काम नही करने वाली...चलो अब"

"ये तो वक्त ही बताएगा." सौरभ ने कहा.

दोनो बायक पर बैठ कर वापिस चल दिए.

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#80
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आशु जॉइनिंग की फॉरमॅलिटी पूरी करने के बाद सीधा अंकिता ठाकुर के रूम की तरफ चल दिया. वो उसका धन्यवाद करना चाहता था. जब वो कमरे में घुसा तो अंकिता अख़बार पढ़ रही थी. आशु भाग कर अंकिता के कदमो में गिर गया और उसके पैर पकड़ लिए.

"अरे ये क्या कर रहे हो कौन हो तुम और तुम्हे अंदर किसने आने दिया"

आशु ने सर नीचे झुकाए हुए कहा,"मैं आशुतोष हूँ मेडम...आप यहा ना आती तो मेरी जॉइनिंग कभी नही हो पाती."

"उठो....तुम अब एसआइ हो और ऐसे आम आदमी की तरह बिहेव मत करो वरना अभी वापिस नौकरी से निकाल दूँगी" अंकिता ने गुस्से में कहा.

आशु फ़ौरन खड़ा हो गया.

"अरे ये तो बहुत यंग है...मैने सोचा कोई काफ़ी उमर की होगी. बेकार में पाँव छू कर अपनी फ़ज़ीहत करवा ली" आशु ने सोचा.

"तुमने जॉइनिंग कर ली" अंकिता ने पूछा.

"हां मेडम" आशु ने जवाब दिया.

"जब किसी सीनियर के सामने जाओ तो हाथ पीछे रखो...क्या इतना भी नही जानते...जेब से बाहर निकालो हाथ एन्ड स्टॅंड प्रॉपर्ली" अंकिता ने कहा.

आशु ने फ़ौरन हाथ जेब से निकाल कर पीछे कर लिए, "सॉरी मेडम मेरा पहला दिन है और आप जैसी सुंदर लड़की सामने है...मेरा दीमाग नही चल रहा. आगे से ध्यान रखूँगा"

"मैं कोई लड़की नही हूँ तुम्हारी बॉस हूँ...बिहेव योरसेल्फ"

"सॉरी मेडम"

तभी चौहान अंदर आता है.

"मिस्टर चौहान इसको ट्रैनिंग पर भेज दो." अंकिता ने कहा.

"मेडम ट्रैनिंग में ये अब अगले साल ही जा पाएगा...अभी इन्स्टिट्यूट में ट्रैनिंग चालू है..और वहां जगह भी नही है" चौहान ने कहा.

"ठीक है फिर ऐसा करो इसे अपने साथ रखो और काम सिख़ाओ. इसको ट्रेन करना तुम्हारी ज़िम्मेदारी है" अंकिता ने कहा.

"मुझे अपने साथ रख लीजिए ना मेडम...मुझे लगता है आप मुझे ज़्यादा अच्छे से सीखा सकती हैं" आशु ने कहा.

"तुम्हारी राय माँगी किसी ने मिस्टर आशु. जैसा कहा है वैसा करो...तुम्हारी कोई शिकायत नही आनी चाहिए" अंकिता ने कहा.

"ओफ ये तो तीखी मिर्ची है इतनी सुंदर लड़की पोलीस में क्या कर रही है." आशु ने मन ही मन सोचा.

"यू कैन गो नाओ" अंकिता ने कहा.

आशु वही खड़ा रहा. चौहान ने उसे चलने का इशारा किया तब उसे समझ में आया कि उसे भी बाहर जाने को कहा गया है.

बाहर आ कर चौहान बोला, बर्खुरदार जॉइनिंग तो तुमने कर ली...अपनी नौकरी बच्चाए रखना चाहते हो तो एक बात ध्यान रखना. अपने सीनियर के आगे कभी ज़्यादा मूह मत खोलना. मैं भी तुम्हारा सीनियर हूँ ये भी याद रखना. अभी तुम बच्चे हो सब सीख जाओगे" चौहान ने कहा.

"आपका क्या रॅंक है?"

"मैं इनस्पेक्टर हूँ वर्दी देख कर पता नही चलता क्या"

"पता चल गया सर...पता चल गया.

तभी आशु को ध्यान आया, "अरे ये तो वही है जिसने पूजा को सड़क पर उतारा था."

"चलो तुम्हारी ट्रैनिंग शुरू की जाए...जाओ मेरे लिए चाय ले कर आओ" चौहान ने कहा.

"चाय सर?" आशु हैरानी में बोला.

पीछे से अंकिता आ रही थी उसे ये बात सुन ली

"मिस्टर चौहान मैने आशुतोष को तुम्हारे अंडर ट्रेन करने के लिए लगाया है ना कि चाय लाने के लिए." अंकिता ने रोब से कहा.

"नही मेडम आप ग़लत समझ रही हैं...मैं तो ये कह रहा था कि चलो चाय पी कर किलर वाले केस की इंक्वाइरी के लिए चलते हैं" चौहान ने कहा.

"ठीक है....मुझे रिपोर्ट देते रहना की क्या सीखा रहे हो इसे"

"जी मेडम"

"गजब की ऑफीसर हैं ये तो...इनके साथ काम करके मज़ा आएगा" आशु बड़बड़ाया.

"कयामत है ये हम सब के लिए जितना जल्दी समझ लो अच्छा है" चौहान ने आशु की बात पर रिक्ट किया.

"लेकिन बहुत खूबसूरत कयामत है...ऐसी कयामत को तो मैं हमेशा सीने से लगा कर रखूं" आशु ने सोचा.

"क्या सोच रहे हो चलो हमे इन्वेस्टिगेशन के लिए निकलना है" चौहान ने कहा.

"मेरी वर्दी सर?" आशु ने पूछा.

"अरे वर्दी भी मिल जाएगी अभी ऐसे ही चलो" चौहान ने कहा.

"जैसा आप कहें सर"
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