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27-12-2019, 04:28 PM
"तूने तो बेज़्जती करा दी मेरी आशु ये सब क्या है, पूरा फर्श गीला कर दिया" सौरभ ने कहा.
"गुरु य.य..ये यहा कैसे."
"मैं बताती हूँ...तेरा खून करने आई हूँ मैं यहा." अपर्णा ने कहा.
"गुरु ये सब क्या है?"
"समझाया था ना मैने कि दीवारो के भी कान होते हैं...भुगत अब"
"नही गुरु ऐसा मत कहो."
"क्यों कर रहे थे इतनी बकवास तुम?" अपर्णा ने कहा
"मुझे क्या पता था कि आप यहा हो."
"तो क्या पीठ पीछे किसी लड़की के बारे में कुछ भी बोलॉगे."
"ग़लती हो गयी...माफ़ कर दो मुझे" आशु गिड़गिदाया
"बस बहुत हो गया...छोड़ो मेरे दोस्त को" सौरभ ने कहा.
"तुम्हारे दोस्त से कहो ज़ुबान पर लगाम रखा करे वरना किसी दिन भारी पड़ेगा इसे"
आशु चुपचाप खड़ा सुन रहा था. उसकी समझ में कुछ नही आ रहा था.
#
सौरभ आशु को सारी बात बताता है और बोलता है, "ये कहानी है सारी...अपर्णा को फँसाने की चाल है ये उस कातिल की, वो बौखलाया हुआ है कि हम उसके हाथ से बच गये."
"ह्म...मुझे तो पहले से ही यकीन था कि इतनी हस....."
"खबरदार जो आगे बोले तो." अपर्णा बोली.
"म..मेरा मतलब आप कैसे खून कर सकते हो...आप को तो चाकू चलाना भी नही आएगा" आशु बोला.
आशु जाओ और बाहर ध्यान से देख कर आओ कि कही पोलीस तो नही है. और हां पोछा उठा कर पहले ये फर्श साफ कर्दे बदबू हो जाएगी वरना.
आशु ने पहली बार फ़राश पर देखा. "सॉरी गुरु पता नही कैसे हो गया."
"मैं समझ सकता हूँ." सौरभ ने कहा.
#
आशु ने कमरे को साफ किया और बाहर चला गया.
15 मिनट बाद वो नये कपड़े पहन कर आया. अपर्णा उसे नये कपड़ो में देख कर हँसे बिना ना रह सकी.
"पहले तो डराती हो फिर हँसती हो...अच्छा नही किया आपने मेरे साथ."
"तुमने बड़ा अच्छा किया था मेरे साथ...क्या-क्या बक रहे थे." अपर्णा ने कहा.
"छोड़ो ये सब...आशु कैसा माहौल है बाहर" सौरभ ने कहा
"गुरु नुक्कड़ पर पोलीस की जिप्सी खड़ी है"
"पर मुझे हर हाल में अपने घर वालो से बात करनी है."
"ऐसी बेवकूफी मत करना...पोलीस फ़ौरन तुम्हारी लोकेशन ढूँढ कर तुम्हे पकड़ लेगी."
"पर मैने किसी का खून नही किया मैं क्यों डर के बैठी रहू यहा."
"देखो पोलीस को इस बात से कोई मतलब नही होगा कि तुम वाकाई में कातिल हो की नही...उनका केस सॉल्व हो गया बस...ऐसे ही काम करती है पोलीस"
"हां अपर्णा जी गुरु ठीक कह रहा है...पहले हमे ये पता लगाना होगा कि वो विटनेस कौन है"
"ठीक कहा आशु...उसका पता लगाना बहुत ज़रूरी है. इसके साथ-साथ ये भी पता करना होगा कि इसके पीछे उसका प्लान क्या है."
"सीधी से बात है अपर्णा जी ने उसे देखा है...और वो उसके चंगुल से बच गयी है...अब वो एक तीर से 2 निशाने कर रहा है. तुम लोगो को समझ नही आता क्या ये सब करके वो साफ बच जाएगा."
"मुझे लगा था कि तुम सिर्फ़ बेहूदा बाते ही कर सकते हो." अपर्णा.
"अपर्णा जी वो तो मैं गुरु के साथ रह कर बिगड़ गया वरना मैं अच्छा लड़का हूँ."
"क्या बोला साले...मैने बिगाड़ा है तुझे...एक दूँगा कान के नीचे."
"सॉरी गुरु ज़ुबान फिसल गयी...माफ़ करदो...पर मेरे पास एक धांसु आइडिया है सुनो."
"जल्दी बोलो" अपर्णा ने उत्सुकता से कहा.
"हमे इस विटनेस के खिलाफ सबूत सबूत इकट्ठे करने होंगे."
"इतना आसान नही है ये" सौरभ ने कहा.
"हां ठीक कहा." अपर्णा ने हामी भरी.
"सुनो तो...विटनेस के घर में कुछ ना कुछ तो मिल ही जाएगा जिससे कि हम साबित कर पायें कि वही कातिल है...जैसे कि चाकू. न्यूज़ के मुताबिक, हर कतल में एक जैसे चाकू का इस्तेमाल हुआ है. मुझे यकीन है कि कहीं तो रखता होगा वो चाकू."
"मुझे ये आइडिया बिल्कुल पसंद नही आया." सौरभ ने कहा.
"लेकिन हमे कुछ तो करना होगा...यू हाथ पर हाथ रख कर बैठने से कुछ हाँसिल नही होगा." अपर्णा ने कहा.
"पर ये विटनेस मतलब कि कातिल कहाँ रहता है...हमे कुछ नही पता."
"भोलू हवलदार कब काम आएगा गुरु." आशु ने कहा.
"वो निकम्मा किसी काम का नही."
"एक बार ट्राइ करने में क्या हर्ज है." आशु ने कहा.
"हां बिल्कुल कोई ना कोई रास्ता निकल ही जाएगा...वैसे भी इस कातिल को सज़ा दिलवाना हमारा फर्ज़ बनता है. जो होगा देखा जाएगा." अपर्णा ने कहा.
"ह्म...तुम दौनो का जोश देख कर मुझे भी जोश आ रहा है. ठीक है इस कातिल को उसके अंजाम तक हम ले जाएँगे."
"गुरु ने कह दिया तो समझो काम हो गया...अपर्णा जी आप अब बिल्कुल चिंता मत करो...वो नही बच्चेगा अब." आशु ने कहा.
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"कितनी देर हो गई आशु को गये हुए, पता नही कहा रह गया" सौरभ ने कहा.
"तुम्हे क्या लगता है उसे पता होगा इस विटनेस के बारे में"
"उसे पता तो होना चाहिए, वैसे वो बहुत निकम्मा है, अगर उसे ना भी पता हो तो मुझे हैरानी नही होगी"
"फिर कैसे पता चलेगा उसके बारे में"
"पहले आशु को आ जाने दो, फिर देखते हैं कि आगे क्या करना है"
"पर वो आशु को क्यों बताएगा" अपर्णा ने पूछा.
"वो सब आशु संभाल लेगा" सौरभ ने जवाब दिया.
तभी कमरे का दरवाजा खड़का. जैसे ही सौरभ ने दरवाजा खोला आशु सरपट अंदर आ गया.
"गुरु पता चल गया उस विटनेस का मतलब कि कातिल का" आशु ने कहा.
अपर्णा चुपचाप खड़ी सब सुन रही थी
"कौन है कहाँ रहता है जल्दी बता" सौरभ ने कहा.
"सुरिंदर नाम है उसका और बस स्टॅंड के पीछे जो कॉलोनी है वहां रहता है. पूरा अड्रेस लिख के लाया हूँ मैं" आशु ने कहा
" इतना कुछ कैसे बता दिया उसने" सौरभ ने पूछा.
आशु ने अपर्णा की तरफ देखा और बोला, "छोडो ना गुरु पता तो चल गया. मैने उसे कहा था कि मेरे एक रिपोर्टर फ़्रेंड को इंटरव्यू लेना है उसका"
"फिर भी वो इतनी जल्दी बताने वाला नही था" सौरभ ने कहा.
"श्रद्धा की गान्ड चाहिए उसे, अपर्णा जी के सामने कैसे बोलू" आशु ने सौरभ के कान में कहा.
"क्या बात है कुछ प्रॉब्लम है क्या" अपर्णा ने पूछा.
"कुछ नही यू ही" सौरभ ने कहा.
"नही कुछ तो बात ज़रूर है, आशु तुम बताओ क्या प्रॉब्लम है" अपर्णा ने कहा.
"वो भोलू हवलदार को श्रद्धा....." आशु ने कहा पर अपर्णा ने उसकी बात बीच में ही काट दी. "ठीक है-ठीक है जाने दो"
"चल गुरु चलते हैं और असली कातिल का परदा-फास करते हैं"
"क्या मतलब... क्या मैं तुम दौनो के साथ नही चलूंगी"
"तुम क्या करोगी...पोलीस ढूँढ रही है तुम्हे...और वहां ख़तरा भी हो सकता है" सौरभ ने कहा.
"नही मुझे जाना ही होगा...तुम कैसे पहचानोगे कातिल को...उसे मैने बहुत नज़दीक से देखा है"
"हां गुरु बात तो ठीक है, अपर्णा जी का साथ होना ज़रूरी है"
"पर ये बाहर निकली तो पोलीस का ख़तरा है" सौरभ ने कहा.
"अगर अपर्णा जी हुलिया बदल के जाए तो"
"वो कैसे होगा" अपर्णा ने पूछा.
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Update 14
"श्रद्धा ये काम अच्छे से कर सकती है, ब्यूटी पार्लर में काम करती है वो. वो पूरा लुक चेंज कर देगी आपका" आशु ने कहा.
"ये ठीक रहेगा" सौरभ ने कहा
"ठीक है...लेकिन उसके लिए भी तो बाहर तो जाना ही पड़ेगा" अपर्णा ने कहा.
"मैं उसे यही बुला लाऊंगा...उसका बापू यहा नही है...उसे आने में कोई दिक्कत नही होगी"
"ह्म.....जल्दी करो फिर" अपर्णा ने कहा.
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आशु ने श्रद्धा को पूरी कहानी बताई और उसे उनकी मदद करने के लिए मना लिया.
"तू ये सब क्यों कर रहा है, तेरा दिल तो नही आ गया उस लड़की पर"
"ऐसा कुछ नही है...मुसीबत में फँसी लड़की की कौन मदद नही करेगा" आशु ने कहा.
"तेरे जैसा दिल फेंक ऐसी बाते करता है हा" श्रद्धा ने कहा.
"जब से तुझ से काँटा भिड़ा है कसम से कहीं और नही घुसाया मैने अपना लंड" आशु ने कहा.
"तो फिर कहा घुसाया है" श्रद्धा ने पूछा.
"अभी कल रात ही तो तेरी गान्ड मारी थी, दुबारा घुस्सा के दिखाउ क्या" आशु ने श्रद्धा के बूब्स को मसल्ते हुए कहा.
"चल छोड़ हर वक्त तुझे यही सूझता है"
"अरे हां श्रद्धा एक बात और कहनी थी" आशु ने कहा.
"अब क्या है?"
"एक और मदद करनी होगी तुझे मेरी"
"बताओ और क्या करूँ अपने आशु के लिए मैं."
"तुझे एक रात के लिए भोलू हवलदार के पास रुकना होगा"
"अपने गुरु के आगे तो पारोष चुके हो मुझे, शरम नही आती तुम्हे मैं क्या कोई रंडी हूँ"
"पागल हो क्या बस एक बार की बात है, तुझे ये काम करना ही होगा"
"मैं ऐसा कुछ नही करूँगी"
"गुरु को भी तो दी थी तूने, और एक बार की ही तो बात है"
"शक्ल देखी है तूने उसकी उसके साथ तो कोई कुतिया भी ना करे, मेरी तो बात ही दूर है"
"अब उस से कुछ काम निकलवाया है तो कीमत तो उसे चुकानी ही पड़ेगी"
"मैं सोच कर बताउन्गि, पहले तू मुझे तेरा पहला काम करने दे"
"ठीक है सोच लो...करना तो तुझे पड़ेगा ही...तू मज़े करना...उसकी शक्ल देखना ही मत आँखे बंद रखना"
"ह्म्म तू बहुत कमीना है"
"क्यों गुरु जे जब तेरी मारी थी मज़ा नही आया था क्या तुझे"
"हां तो मज़े के लिए किसी के भी आगे झुक जाउ मैं...मेरा भी स्टॅंडर्ड है"
"क्या बात है, वो तो है...बस एक बार मेरी बात मान ले फिर कभी ऐसा करने को नही कहूँगा"
"ठीक है, कब करना होगा मुझे काम ये. सिर्फ़ आज का दिन और रात है मेरे पास, कल बापू आ जाएगा"
"भोलू भी आज के लिए ही बोल रहा था, तू रात 9 बजे पहुँच जाना उसके पास"
"चल ठीक है, तेरे लिए एक बार और सही"
"वाह-वाह जैसे तुझे तो मज़ा लेना ही नही"
"भोलू से मज़ा लेने का मैं सोच भी नही सकती ओके...ये काम मैं बस तुम्हारे लिए करूँगी"
"चल ठीक है अब सारा समान उठा ले और जल्दी चल मेरे साथ."
"ठीक है...बस 10 मिनट में चलते हैं."
"तेरी सेक्सी बहन कहा है आज"
"कॉलेज गयी है वो"
"बड़ी जल्दी चली गयी आज"
"तुम्हे क्या करना उसका"
"जवानी फूट रही है उसकी, इस से पहले कि कोई और हाथ मार जाए मुझे कुछ करना होगा"
"चुप कर और चल अब"
"तुम दौनो बहनो की एक साथ लूँगा कभी"
"ज़्यादा सपने मत देख और चल अब, मैं तैयार हूँ."
श्रद्धा अपना सारा समान ले कर आशु के साथ सौरभ के कमरे पर आ जाती है. सौरभ और आशु श्रद्धा को अपर्णा के पास छोड़ कर बाहर आ जाते हैं.
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"ह्म्म तो आप हो अपर्णा, बहुत सुंदर हो" श्रद्धा ने अपर्णा को देख कर कहा
"तुम भी कम नही हो तभी तो......" अपर्णा ने हंस कर कहा.
"तभी तो मतलब!"
"कुछ नही तुम अपना काम शुरू करो" अपर्णा ने कहा
"ये सब मैं आशु के लिए कर रही हूँ वरना यहा कभी नही आती मैं"
"आशु के लिए तुम कुछ भी कर लेती हो" अपर्णा ने पूछा.
"हां तो मेरा बहुत अच्छा दोस्त है वो"
"मैं अच्छे से जानती हूँ की कितना अच्छा दोस्त है वो तुम्हारा, शोषण कर रहा है वो तुम्हारा"
"हा...हा...हे..हे मेरा सोसन और आशु...हो ही नही सकता"
"उसने तुम्हे अपने गुरु मतलब सौरभ के साथ.....तुम जानती हो मैं क्या कह रही हूँ"
"आशु की बात बताउ"
"हां बोलो" अपर्णा ने कहा
"बहुत मज़े किए थे मैने सौरभ के साथ. आशु की तरह उसका भी मोटा तगड़ा लंड है...बहुत अच्छे से मारी थी उसने मेरी गान्ड, हां बस थोड़ी देर बहुत दर्द हुआ था पर बाद में तो मज़ा ही मज़ा था"
"छी... तुम्हे शरम नही आती ऐसी बाते करते हुए" अपर्णा ने कहा.
"शरम तो लड़को से की जाती है तुझ से क्या शरम क्या तुम मज़ा नही लेती लंड का"
"मैं शादी शुदा हूँ, मुझे तेरे जैसी लत नही है"
"ह्म्म तो क्या हुआ तेरा मर्द तो अच्छे से मारता होगा ना तेरी"
"मैं अपने पति को छोड़ चुकी हूँ, अपने मायके में हूँ" अपर्णा ने कहा.
"फिर कैसे काम चलता है तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड तो होगा ही"
"नही कोई नही है, तुम अपना काम करो अब"
"काम भी हो जाएगा, अच्छा ये तो बता कि कितना बड़ा था तेरे मर्द का"
"तुझे उस से क्या मतलब? तू जल्दी काम शुरू कर हमे देर हो रही है"
"मुझे आदमियों के लंड के बारे में सुन-ना अच्छा लगता है"
"तो मैं क्या करूँ?"
"आप तो नाराज़ हो गयी...मैं तो बस यू ही मज़ाक कर रही हूँ"
"सादे पाँच इंच था उनका...अब काम शुरू करें"
"बस सादे पाँच इंच, उतने से तेरा क्या होता होगा" श्रद्धा ने हंस कर कहा.
"मेरे लिए बहुत था वो....हँसो मत"
"हां पर सादे पाँच इंच गहराई तक नही पहुँच पाएगा" श्रद्धा ने चुटकी ली.
"साइज़ डज़ नोट मॅटर ओके"
"अँग्रेज़ी मुझे नही आती सिर्फ़ सातवी तक पढ़ी हूँ, हां मेरी छोटी बहन कॉलेज में है वो खूब सीख गयी है अँग्रेज़ी" श्रद्धा ने कहा.
मैने कहा छोटे बड़े से कुछ फर्क नही पड़ता"
"तुम्हे कैसे पता तुमने क्या दौनो तरह के लिए है चूत में"
"हे भगवान तू लड़की है विश्वास नही होता"
"बता तो क्या तूने दोनो लिए है अंदर"
"नही मैने बस अपने पति से किया है मैं तुम्हारे जैसी नही हूँ" अपर्णा ने कहा.
"फिर तुम कैसे इतने विश्वास से कह सकती हो" श्रद्धा ने कहा.
"मैं इस बारे में और बात नही करना चाहती" अपर्णा ने कहा.
"एक बात तो सुन" श्रद्धा ने हंसते हुए कहा.
"अब क्या है?"
"मैने दोनो ट्राइ किए है. आशु से पहले मेरा टांका दिनेश से था. तेरे पति जितना ही था उसका. जब तक मैने आशु का नही लिया तब तक मुझे भी नही पता था कि बड़े लंड का क्या मज़ा है."
"ये सब बकवास है...अब तुम काम शुरू करती हो या नही" अपर्णा ने कहा.
"करती हूँ बाबा करती हूँ....."
श्रद्धा आख़िर अपना काम शुरू कर देती है. पर बीच बीच में कुछ ना कुछ बोलती रहती है.
"देखो मैं तो अपना काम कर दूँगी, पर जो तुम्हे बहुत अच्छे से जानता है वो तुम्हे हर हाल में पहचान लेगा" श्रद्धा ने कहा.
"पोलीस तो मुझे अच्छे से नही जानती...बस वो ना पहचान पाए"
"उनकी चिंता नही है, जिसने तुम्हे बहुत बार देखा हो वही तुम्हे पहचान पाएगा किसी और के बस की बात नही. वैसे भी पोलीस के पास तुम्हारी फोटो है जो कि टीवी पर दीखाई जा रही है. उस फोटो को देख कर कोई नही पहचान पाएगा तुम्हे"
"ह्म्म फिर ठीक है" अपर्णा ने कहा
"अरे मुझे याद आया, मुझे भी एक पोलीस वाले के पास जाना है आज, काश मैं भी बच पाती"
"क्यों तुम्हे तो मज़ा लेने का शौक है, बचना क्यों चाहती हो" अपर्णा ने कहा.
"तो क्या तुम्हे सब पता है कि मैं भोलू के पास जाउंगी आज?" श्रद्धा ने पूछा.
"हां" अपर्णा ने जवाब दिया.
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Update 15
"बहुत खराब है ये आशु मुझे बदनाम करने पे तुला है...वैसे तुम्हारे कारण करना होगा मुझे उसके साथ" श्रद्धा ने कहा.
"तो क्या हुआ एक और साइज़ आजमा लेना, तेरा क्या बिगड़ेगा...तुझे तो लत है इस सब की""
"तुम अगर भोलू को देखोगी तो तुम्हे पता चलेगा कि इतना आसान नही है ये काम"
"तो रहने दे" अपर्णा ने कहा
"मैं आशु के लिए करूँगी"
"वाह-वाह ये खूब रही...यकीन नही होता"
"देखो बहुत भद्दा है वो भोलू, मेरा बिल्कुल मन नही है उसे देने का"
"ह्म्म फिर रहने दो ना."
"नही मुझे आशु के लिए जाना होगा. और क्या पता उसका लंड भी तगड़ा हो. आँखे मीच कर कर लूँगी"
"आ गयी ना हक़ीकत ज़ुबान पे"
"देखो जब मुझे ये काम करना ही है तो थोड़ा अपने मज़े के बारे में तो सोचूँगी ही"
"अभी फिलहाल अपने यहा के काम पे ध्यान दे" अपर्णा ने कहा.
"मेरा पूरा ध्यान है यहा, थोड़ा मूह उपर करो...वैसे एक बात है"
"अब क्या है?"
"तुम्हारी चुचियाँ मुझ से बड़ी हैं, आदमी तो मरते होंगे इन चुचियों पर"
"चुप कर" अपर्णा ने गुस्से में कहा
"पर मैं सच कह रही हूँ, अगर मैं लड़का होती तो अभी इन्हे बाहर निकाल कर खूब चूस्ति"
"हे भगवान यू आर टू मच..." अपर्णा ने कहा.
"क्या कहा आपने"
"कुछ नही यही की मुझे देर हो रही है"
"बस हो गया काम, 15 मिनट और लगेंगे इन बालो को ध्यान से करना होगा"
"ह्म्म जल्दी करो"
थोड़ी देर श्रद्धा चुप रही फिर अचानक बोली, "आशु बहुत अच्छे से चूस्ता है मेरे निपल"
"तो मैं क्या करूँ, मैं भी चुस्वा लूँ क्या जाकर उस से"
"नही-नही मैने ऐसा तो नही कहा...आप ऐसा सोचना भी मत आशु सिर्फ़ मेरा है"
"अपने आशु को अपने पास रख मुझे कोई शौक नही है"
"सौरभ आपके लिए ठीक रहेगा बहुत मोटा लंड है उसका भी, बिल्कुल आशु की तरह पर मुझे पता नही कि उसे चुचियाँ चूसनी आती है की नही, अभी तक एक बार ही मिली हूँ उस से. उसने बिना कुछ किए मेरी गान्ड में डाल दिया था. दुबारा कोई मोका नही मिला उस से मिलने का"
"तुम्हे कोई और बात भी सूझती है इन बातो के अलावा"
"मुझे बस अपने आशु की चिंता है, उस से दूर रहना, बहुत सुंदर हो तुम कहीं मेरा आशु बहक जाए."
"अरे मेरी मा मुझे तेरे आशु से कुछ लेना देना नही है और ना ही सौरभ से कुछ लेना देना है. मैं यहा मजबूरी में फँसी हूँ और तुम ऐसी बाते कर रही हो"
"फिर ठीक है"
उसके बाद श्रद्धा ने कोई बात नही की और चुपचाप अपने काम में लगी रही.
जब काम ख़तम हो गया तो वो बोली, " लो हो गया तुम्हारा हुलिया चेंज, कोई नही पहचान पाएगा तुम्हे अब"
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अपर्णा ने खुद को शीसे में देखा और बोली, "बहुत बढ़िया, मैं तो खुद को पहचान ही नही पा रही हूँ"
"सब मेरा कमाल है"
"थॅंक यू श्रद्धा इस सबके लिए"
"कोई बात नही...मुझे माफ़ करना मैं बात बहुत करती हूँ"
"वो तो ठीक है पर तुम्हारी बाते बहुत गंदी थी...मुझे अच्छा नही लगा"
ये सुन कर श्रद्धा का चेहरा उतर गया और बोली, "ठीक है मैं चलती हूँ. भगवान आपको जल्द से जल्द आपको इस मुसीबत से निकाले"
"थॅंक यू" अपर्णा ने कहा
श्रद्धा के जाने के बाद सौरभ और आशु कमरे में वापिस आ जाते हैं. सौरभ अपर्णा को देख कर कहता है, "बहुत खूब, तेरी श्रद्धा ने तो सच में हुलिया चेंज कर दिया"
"मुझे यकीन था कि श्रद्धा ये काम कर सकती है" आशु ने कहा.
"चला जाए फिर अब"
"हां बिल्कुल, मैने कार अरेंज कर ली है" सौरभ ने कहा.
कुछ देर बाद अपर्णा, सौरभ और आशु कार में थे, सौरभ ड्राइव कर रहा था, आशु उसके बगल में बैठा था और अपर्णा पिछली सीट पर बैठी थी. कार अपनी मंज़िल की ओर बढ़े जा रही थी.
"तुझे पता है ना रास्ता" सौरभ ने आशु से पूछा.
"हां गुरु अभी सीधा चलो आगे जो गली आएगी उसी में है उसका घर" आशु ने कहा.
"ह्म्म कॅटा कहा है" सौरभ ने पूछा.
"मेरे पास है, चिंता मत करो" आशु ने कहा.
"ध्यान रखना कहीं चल जाए ये देसी बंदूक बहुत ख़तरनाक होती है" सौरभ ने कहा.
"तुम लोग बंदूक साथ लाए हो!" अपर्णा ने हैरानी मे पूछा.
"हां मेडम ख़तरनाक कातिल है वो, हमे भी तो कुछ रखना होगा, क्या पता ज़रूरत पड़ जाए"
"हां अपर्णा जी गुरु ठीक कह रहा है, ये देसी कॅटा बहुत काम आएगा"
"ठीक है जैसा तुम ठीक समझो" अपर्णा ने कहा.
"गुरु बस मोड़ लो इस गली में" आशु ने कहा.
जैसे ही सौरभ ने कार को गली में मोड़ा आशु बोला, "वो रहा उसका घर जहा 2 आदमी खड़े हैं"
"ये दोनो पोलीस वाले लगते हैं मुझे"
"ठीक कहा गुरु ये पोलीस वाले ही हैं"
"अब हम क्या करेंगे" अपर्णा ने कहा.
"मैं ये लेटर लाया हूँ, मैं कौरीएर वाला बन कर जाउन्गा और उसे बाहर बुलाऊंगा साइन के लिए आप पहचान-ने की कोशिश करना कि वो वही है की नही"
"ये विटनेस उस के अलावा और कौन हो सकता है ये बिल्कुल वही है" अपर्णा ने कहा
"वो तो है फिर भी एक बार उसे देख तो ले" सौरभ ने कहा.
"अगर वो बाहर नही आया तो" अपर्णा ने कहा.
"अपना लेटर रिसेव करने तो वो आएगा ही, आशु जैसे मैने समझाया है वैसे ही करना"
"ठीक है गुरु" आशु ने कहा.
आशु कार से उतर कर एक लेटर हाथ में लेकर उस घर की तरफ बढ़ता है.
"श्री सुरिंदर जी यही रहते हैं?" आशु ने सिविल कपड़े पहने पोलीस वाले से पूछा.
"हां यही रहते हैं वो, क्या काम है?"
"उनका कौरीएर है बुला दीजिए उन्हे रिसेव करना होगा ये"
पोलीस वाले ने घर की बेल बजाई. थोड़ी देर बाद एक आदमी बाहर निकला.
"आप ही सुरिंदर हो?" आशु ने पूछा.
"हां बोलो क्या बात है?"
"आपका करियर है यहा साइन कर दीजिए" आशु ने एक कागज उसकी ओर बढ़ा कर कहा.
दूर से अपर्णा ने उस आदमी को देखा और तुरंत बोली, "ये वो नही है"
"क्या! ऐसा कैसे हो सकता है ध्यान से देखो" सौरभ ने कहा.
"कार थोड़ी आगे लो" अपर्णा ने कहा.
"ठीक है मैं कार उसके घर के आगे से निकालता हूँ फिर देख कर बताना" सौरभ ने कहा.
कार को अपनी और आते देख आशु ने मन ही मन कहा, "ये गुरु कार आगे क्यों ला रहा है मरवाएगा क्या"
कार उस घर के आगे से निकल गयी. अपर्णा ने बड़े गौर से उस आदमी को देखा.
"ये वो नही है, आय ऍम 100 पर्सेंट शुवर" अपर्णा ने कहा.
"फिर इसने क्यों झुटि गवाही दी" सौरभ ने कहा.
"इसका जवाब तो यही दे सकता है." अपर्णा ने कहा.
सौरभ ने कार गली के बाहर निकाल कर रोक ली ताकि आशु को पिक कर सके.
आशु ने आते ही पूछा, "वही था ना वो"
"नही, ये वो नही है" अपर्णा ने कहा.
"क्या!" आशु भी हैरान रह गया.
"अब क्या करें" आशु ने कहा.
"पहले घर वापिस चलते हैं, मुझे तो ये कोई बहुत बड़ी सोची समझी साजिस लगती है. घर पर बैठ कर आराम से सोचेंगे कि आगे क्या करें"
##
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27-12-2019, 04:52 PM
Update 16
बॅक टू फार्म हाउस :-
..........
मैं सच कह रही हूँ सर, इसने मुझे चाकू दीखया था" पूजा ने चौहान से कहा.
"रामू तू पागल है क्या, इतनी हसीन लड़की को लंड दीखाया जाता है ना कि चाकू" चौहान ने हंसते हुए कहा.
"बिल्कुल सही कहा यार, रामू तू जा अपना काम कर" परवीन ने कहा.
"क्या धूप खिली है तेरे बर्थडे पे यार, इस धूप में इसका बदन सोने जैसा चमक रहा है" चौहान ने कहा.
"हां यार आज दिन खिला-खिला है, चल काम शुरू करें"
"जैसे तेरी मर्ज़ी, मैं तो लंड चुस्वाउंगा पहले इस से बाद मारूँगा इसकी" चौहान ने कहा.
"ठीक है तू लंड चुस्वा मैं इसकी गान्ड मारूँगा" परवीन ने कहा.
"मुझे थोड़ा आराम तो दो, अभी दर्द है हर जगह" पूजा गिड़गिडाई.
"कहा दर्द है मेरी गुलबो साफ-साफ बता ना, मैं मालिस कर दूँगा" परवीन ने कहा.
"हां-हाँ बोलो मैं भी मालिस करने के लिए तैयार हूँ" चौहान ने भी चुस्की ली.
"आप दोनो को सब पता है, मज़ाक मत करो, सच में दर्द हो रहा है" पूजा ने कहा.
"हमे कुछ नही पता समझाओ तो कुछ" परवीन ने कहा.
"इतने बड़े-बड़े पूरे के पूरे डाल दिए मेरे अंदर, दर्द नही होगा क्या?" पूजा झल्ला कर बोली.
"यार चौहान लड़की ठीक कह रही है इसकी चूत और गान्ड फाड़ डाली हमने आज. इसकी चूत और गान्ड को मालिस की शख्त ज़रूरत है" परवीन ने कहा.
"चल फिर दोनो एक साथ मालिस करते हैं" चौहान घिनोनी हँसी के साथ बोला.
"मुझे कुछ समझ नही आ रहा, वहां मालिस कैसे होगी" पूजा ने उत्सुकता में पूछा.
पूजा की बात सुनते ही दोनो हँसने लगे.
चौहान ने अपने लंड को हाथ मे पकड़ा और उसे हिलेट हुए बोला, "पूजा जी बहुत भोली हो आप, ये देखिए ये लंड है ना मालिस के लिए, कब से तैयार खड़ा है आपके लिए. मेरा मन तो तुम्हारे मूह में देने का था, अब जब तुम्हारी गान्ड में दर्द हो रहा है तो चलो थोड़ी मालिस ही कर देता हूँ"
पूजा ने चौहान के हाथ में हिलते हुए लंड को देखा और अपनी नज़रे झुका ली. वो समझ गयी कि दौनो फिर से एक साथ घुस्साने वाले हैं उसके अंदर. "कमीना है ये इनस्पेक्टर, ऐसे पोलीस वाले होंगे तो देश का क्या होगा," पूजा ने मन ही मन कहा.
"तू गान्ड की मालिस करेगा?" परवीन ने कहा.
"अगर तुझे गान्ड चाहिए तो मैं चूत संभाल लूँगा, जैसी तेरी मर्ज़ी, आख़िर तू बर्थडे बॉय है"
"नही कोई बात नही, बाद में पोज़िशन चेंज कर लेंगे" परवीन ने कहा.
परवीन पूजा के पास आया और उसे बाहों में भर लिया. उसका तना हुआ लंड पूजा के पेट से टकरा रहा था. परवीन ने पूजा के होंटो को अपने होंटो में दबा लिया.
"उम्म्म"
"क्या हुआ मेरी गुलाबो अभी तो लंड तेरी चूत में घुसा ही नही पहले ही चिल्लाने लगी"
"दाँत लग गये आपके मेरे होठ पर"
"कोई बात नही गुलाबो, घर जाएगी तो तुझे याद आएगा कि किसी मर्द से पाला पड़ा था"
पूजा ने कुछ नही कहा
चल मेरी गोदी में आजा तुझे हवा में झोते दे दे कर चोदुन्गा" परवीन ने कहा और पूजा को उपर उठा कर उसकी चूत में लंड घुस्सा दिया.
"आअहह धीरे से" पूजा कराह उठी.
चौहान पूजा के पीछे आ गया और उसकी गान्ड पर अपना लंड टीका दिया.
"सर धीरे से डालना" पूजा ने चौहान से कहा.
"घबराओ मत पूजा जी, अब आपकी गान्ड खुल चुकी है, आराम से जाएगा ये लंड इस बार" चौहान ने कहा और एक झटके में पूरा का पूरा लंड पूजा की गान्ड में उतार दिया.
"उूउऊययययययीीईईई माआ" पूजा कराह उठी.
"अब 2 लंड तेरे अंदर हैं कैसा लग रहा है मेरी गुलाबो"
"पहली बार से दर्द कम है" पूजा ने कहा.
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"देखा काम आ रही है ना मालिस, बेकार में डर रही थी" चौहान ने कहा.
पूजा के दोनो हाथ परवीन के गले पर लिपटे थे. परवीन उसे दौनो हाथो से हवा में उठाए था. चौहान पूजा की गान्ड में लंड फँसाए खड़ा था. बहुत ही अजीब सी पोज़िशन बन रही थी तीनो की.
परवीन ने पहला धक्का मारा पूजा के अंदर
"आआहह"
"क्या हुआ पूजा जी मज़ा आ रहा है क्या चूत में" चौहान ने कहा.
पूजा ने कोई जवाब नही दिया. लेकिन उसकी 'आअहह' सारी कहानी कह रही थी
चौहान ने अपना लंड पूजा की गान्ड की गहराई से बाहर की ओर खींचा और ज़ोर से वापिस अंदर धकेल दिया और बोला, "ले तेरी गान्ड में भी मज़ा ले"
"आआहह"
"चल अब एक साथ मारेंगे" परवीन ने कहा.
"ठीक है.... वन, टू, थ्री.... लेट्स फक दा बिच"
और पूजा के अंदर आगे पीछे दोनो तरफ से लंड के धक्को की बोचार शुरू हो गयी.
"आआअहह....ओह....नूऊओ....यस"
"पूजा जी.... व्हाट यस?" चौहान ने हंसते हुए पूछा.
"नतिंग.....आआअहह"
हर एक धक्का पूजा के अंदर तूफान मच्चा रहा था.
"नूऊऊओ......प्लीज़ स्टॉप......" पूजा का पानी छूट गया था.
"अभी तो शुरूवात है मेरी गुलाबो, बहुत बार पानी छोड़ॉगी तुम" परवीन ने कहा.
"नही प्लीज़.....आआआहह एक बार और हो गया रूको ना...."
"हा...हा...हे...हे" दाओनो खिलखिला कर हँसने लगे.
पूजा ने आँख खोली तो उसने देखा की दूर हरी झाड़ियों के पीछे रामू खड़ा था. "ये कमीना नौकर हमे देख रहा है" पूजा धीरे से बड़बड़ाई. वो ये बात बताना ही चाहती थी की.......
"आआअहह नही......" एक और ऑर्गॅज़म ने पूजा को कराहने पर मजबूर कर दिया.
पूजा जब होश में आई तो उसने दुबारा रामू की और देखा. रामू अपनी पंत की ज़िप खोल रहा था.
"बस्टर्ड......" पूजा के मूह से निकल गया.
परवीन और चौहान पूजा की छूट और गान्ड मारने में इतने व्यस्त थे की उन्हे पूजा की गाली सुनाई ही नही दी.
अगले ही पल पूजा फिर ज़ोर से छील्लाई "ऊऊओह.....म्म्म्ममम" एक और ऑर्गॅज़म ने उसे घेर लिया.
जब पूजा ने दुबारा आँखे खोली तो पाया की रामू झाड़ियों में अपनी ज़िप खोले खड़ा है और उसकी ज़िप में से भारी भरकम लंड लटक रहा है. लंड रामू के रंग की तरह काले नाग की तरह काला था. रामू का लंड पूजा को बिल्कुल उस हबसी के लंड की तरह लग रहा था जिसको उसनो होटेल में पॉर्न मोविए में देखा था.
"ओह गोद वो तो और भी बड़ा है" पूजा बदबाआई.
"क्या बड़ा है मेरी जान" चौहान ने इस बार उसकी आवाज़ शन ली
"झाड़ियों में वो नौकर मुझे अपना वो दिखा रहा है" पूजा ने कहा.
"कहा है?" चौहान ने कहा.
"वो वही था सच कह रही हूँ" पूजा ने कहा.
"तू क्यों बेचारे रामू के पीछे पड़ी है, कभी कहती है उसने चाकू दिखाया और कभी कहती है कि लंड दिखाया. तू अपनी चूत और गान्ड की चुदाई पे ध्यान दे" परवीन ने कहा.
पूजा फिर से परवीन और चौहान के धक्को में खो गयी.
"दोस्त मैं तो अपना पानी छोड़ने जा रहा हूँ, तू कब तक मारेगा गान्ड" परवीन ने कहा.
"मैं भी फीनिस करने वाला हूँ, चल दोनो स्पीड से चोदते हैं" चौहान ने कहा.
फिर पूजा की चूत और गान्ड में लंड के धक्को की वो बोचार शुरू हुई कि पूजा की साँसे फूलने लगी.
"आआअहह.......ऊऊऊहह......म्म्म्ममम....." एक के बाद एक ऑर्गॅज़म होता रहा.
अचानक दोनो लंड थम गये. पूजा को अपने अंदर हॉट लावा सा महसूस हुआ.
"आआहह मज़ा आ गया यार मस्त लड़की है ये" परवीन ने कहा.
"मैं तो इसकी गान्ड का दीवाना हो गया हूँ, क्या गान्ड है साली की" चौहान ने कहा.
पूजा अपनी आँखे बंद किए परवीन की गोदी में अटकी रही. परवीन और चौहान के लंड अभी भी उसके अंदर फँसे थे.
"मज़ा आ गया कसम से" चौहान ने कहा.
पूजा परवीन और चौहान के बीच हवा में झूल रही थी. दोनो के लंड अभी भी पूजा के अंदर फँसे थे.
"यार मुझे ड्यूटी भी करनी है, मुझे जाना होगा अब, इस किलर के केस ने परेशान कर रखा है नही तो आज पूरा दिन यही रहता" चौहान ने कहा और एक झटके में अपना लंड पूजा की गान्ड से बाहर खींच लिया.
"मुझे भी ज़रूरी काम है, मैं भी निकलता हूँ" परवीन ने भी अपना लंड पूजा की चूत से बाहर खींच लिया.
"तुझे क्या काम है?" चौहान ने पूछा
"और क्या काम होगा, ज़रूर नये शिकार की तलाश में निकलेगा ये खूनी" पूजा ने मन ही मन कहा.
"है कुछ ज़रूरी काम बाद में बताउन्गा" परवीन ने कहा.
"चलो पूजा जी कपड़े पहन लो कहीं हमारा मन ना बदल जाए" चौहान ने हंसते हुए कहा.
पूजा ने बिना कुछ कहे जल्दी से घास पर बिखरे अपने कपड़े बटोरे और जल्दी से पहन लिए.
परवीन पूजा के पास आया और बोला, "जो बात चौहान को बताई है, किसी और को बताई तो तुम्हारी खैर नही"
"क्या कह रहा है बेचारी के कान में" चौहान ने पूछा.
"कुछ नही, पूछ रहा था की दुबारा कब मिलोगि?"
पूजा कुछ नही बोली.
"उस दिन तुम दोनो सहेलियों को देख कर मन मचल उठा था मेरा. देखो क्या किस्मत पाई है मैने आज खूब रगड़ रगड़ कर मारी है मैने तुम्हारी"
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Update 17
"मुझे पता है तुम ही कातिल हो, ज़्यादा दिन बच नही पाओगे तुम"
ये सुनते ही परवीन की आँखो में खून उतर आया. इस से पहले की वो कुछ बोल पता, चौहान ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला, "चलें अब"
"हां-हां बिल्कुल" परवीन ने पूजा को घूरते हुए कहा.
"चलो पूजा जी मैं आपको घर छोड़ देता हूँ" चौहान ने पूजा की गान्ड पर हाथ मार कर कहा.
कुछ देर बाद पूजा और चौहान जीप में थे और फार्महाउस से निकल कर शहर की तरफ बढ़ रहे थे.
"आपका दोस्त ही है वो किलर" पूजा ने कहा.
"हा....हे...हा" क्या खूब कही "उसे बस चूत और गान्ड मारनी आती है किसी इंसान को वो नही मार सकता"
"ऐसा कैसे कह सकते है आप"
"बहुत पुराना यार है परवीन मेरा बहुत अच्छे से जानता हूँ मैं उसे और वैसे भी कातिल तो अपर्णा है जो कि फरार है"
"वो सब मुझे नही पता पर आपका दोस्त कहीं ना कही इस जुर्म मे ज़रूर शामिल है. मुझे उसके नौकर रामू पर भी शक है"
"पूजा जी आप घर जा कर आराम करो बहुत थक गयी होंगी आज की चुदाई से, पोलीस का काम पोलीस पर छोड़ दो"
#
चौहान की जीप के पास से एक कार गुज़री जिसमे कि सौरभ, आशु और अपर्णा बैठे थे.
"गुरु वो तो पूजा थी, ये पोलीस की जीप में क्या कर रही है"
"पूजा, कौन पूजा?"
"ओह तुम उसे नही जानते गुरु, श्रद्धा की छोटी बहन है वो."
"ह्म्म पर वो पोलीस की जीप में क्या कर रही है?"
"यही सोच कर तो मैं भी परेशान हूँ"
"देखो ये वक्त उस लड़की के बारे में सोचने का नही है. ये सोचो कि मेरा क्या होगा. बहुत बड़ी मुसीबत में फँस गयी हूँ मैं" अपर्णा ने कहा.
"घर चल कर आराम से सोचेंगे मेडम, तुम बिल्कुल चिंता मत करो" सौरभ ने कहा.
"मैं घर जाना चाहती हूँ गाड़ी को मेरे घर की तरफ ले चलो मैं रास्ता बताती हूँ"
"पर अपर्णा जी आपके घर के आस पास भी पोलीस का पहरा है, मैने न्यूज़ में देखा था." आशु ने कहा
"ह्म्म...पर मेरा अपने घर वालो से मिलना ज़रूरी है."
"अभी नही मेडम, अभी ख़तरा है, थोड़ा संयम रखो" सौरभ ने कहा.
"गुरु अपनी कार को थोड़ा स्लो कर लो, पोलीस की गाड़ी है कही कुछ गड़बड़ हो जाए" आशु ने कहा.
"तू चिंता मत कर आशु, वो खुद ही स्पीड से जा रहे हैं, हमे स्लो करने की कोई ज़रूरत नही है"
"पर गुरु ये पूजा कही किसी चक्कर में तो नही फँस गयी" आशु ने कहा.
"तुझे बड़ी चिंता हो रही है उसकी...हा...क्या बात है?" सौरभ ने कहा.
"गुरु श्रद्धा की बहन है वो, और फिर इंसानियत भी तो कोई चीज़ होती है" आशु ने कहा.
"सच-सच बताओ ये इंसानियत ही है या कुछ और मेरे पीछे तो तुम कुछ और ही बाते करते थे" अपर्णा ने कहा.
"नही अपर्णा जी, ऐसा कुछ नही है, मुझे सच में पूजा की चिंता हो रही है" आशु ने कहा.
"कसम खा के बताना कि तुम्हारा पूजा के बारे में कोई ग़लत इरादा नही है" अपर्णा ने कहा.
"क...क...कसम की क्या ज़रूरत है, मुझ से तो पूजा वैसे भी चिढ़ती है, सीधे मूह बात भी नही करती" आशु ने कहा.
"उसे तुम्हारी नियत पर शक होगा तभी ऐसा करती होगी, वैसे क्या उसे तुम्हारे और श्रद्धा के बारे में पता है क्या?" अपर्णा ने कहा.
"हां एक बार मैं जब श्रद्धा की चूत मार......." आशु अपने बोल पूरे नही कर सका क्योंकि जैसे ही उसके मूह से 'चूत मार' निकला अपर्णा ने उसे गुस्से में घूर कर देखा और आशु चुप हो गया.
"स...स...सॉरी ज़ुबान फिसल गयी....गुरु के साथ रह कर गंदी बाते करने की आदत पड़ गयी है" आशु ने कहा.
"क्यों बे सब गंदे काम क्या मैने ही तुझे सिखाए हैं" सौरभ गुस्से में बोला.
"सॉरी गुरु...मैं तो बस" आशु ने मायूस हो कर कहा.
आशु की हालत देख कर अपर्णा ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी. सौरभ भी ठहाके लगाने लगा.
"तुम दोनो बस मेरी क्लास लिया करो और कोई काम नही है तुम दौनो को हा" आशु ने कहा.
"वो फार्स गीला करने वाली बात मैं श्रद्धा को बताना चाहती थी पर बता नही पाई. बताती भी कैसे श्रद्धा ही चपार-चपार किए जा रही थी" अपर्णा ने कहा.
"नही अपर्णा जी ऐसा मत कीजिएगा, मेरी इज़्ज़त नीलाम हो जाएगी. आपको मेरी कसम है"
"मुझे तुम्हारी कसम से क्या लेना देना" अपर्णा ने कहा.
"मैं आपकी मदद कर रहा हूँ और आपको मुझ से कुछ लेना देना नही है" आशु ने कहा.
ये बात जैसे अपर्णा के दिल पर तीर की तरह लगी और वो किन्ही ख़यालो में खो गयी. उसने आशु को बड़े गौर से देखा. आशु के चेरे की मासूमियत उसका दिल छू गयी.
"यू आर रियली आ नॉटी बॉय, अच्छा नही बताउन्गि किसी को भी ये बात...अब खुश"
"ख़ुशी तो मुझे तब मिलेगी जब आप इस मुसीबत से निकल जाएँगी" आशु ने कहा.
"मैं तुम दोनो को हमेशा याद रखूँगी" अपर्णा ने भावुक हो कर कहा.
"हमारी बाते भी याद रखना" सौरभ ने कहा.
"कौन सी बाते?" अपर्णा ने कहा.
"वही जो तुमने छुप-छुप कर सुनी थी" सौरभ ने हंसते हुए कहा.
"बिल्कुल जनाब वो तो तुम दोनो का रियल कॅरक्टर दर्साति हैं, वो कैसे भूल सकती हूँ"
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गुरु गाड़ी स्लो करो जल्दी, वो पोलीस की जीप स्लो हो रही है" आशु ने हड़बड़ाहट में कहा.
चौहान एक किनारे पर जीप रोक देता है. "मैं तुम्हे घर छोड़ दूँगा यहा से कैसे जाओगी तुम"
"नही....किसी ने देख लिया तो बदनामी होगी, लोग तरह-तरह के सवाल पूछेंगे कि पोलीस की जीप में मैं क्या कर रही थी. कोई ना कोई ऑटो मिल जाएगा आप जाओ"
"वैसे तुझे यू छोड़ने का मन नही करता पर चलो जैसी तुम्हारी मर्ज़ी"
"थॅंक यू सर?"
"किस बात के लिए, तुम्हारी चुदाई करना तो मेरा फ़र्ज़ था हे..हे..हे"
"जी हां... आपने पोलीस वाले का फ़र्ज़ बहुत अच्छे से निभाया, उसी के लिए थॅंक यू बोल रही हूँ" पूजा ने कहा.
"लगता है एक बार और मारनी चाहिए थी तेरी गान्ड....चल दफ़ा हो जा वरना जैल में डाल दूँगा और रोज वही चोदुन्गा तुझे"
पूजा ने आगे कुछ नही कहा. चौहान जीप लेकर आगे बढ़ गया.
जीप को रुकती देख सौरभ ने भी कुछ दूरी पे अपनी कार रोक ली थी.
"गुरु ये पूजा को यहा क्यों उतार दिया पोलीस वाले ने" आशु ने कहा.
"इस बात का जवाब तो पूजा ही दे सकती है" सौरभ ने कहा.
"चलो गुरु उसे अपनी कार में बैठा लेते हैं" आशु ने कहा.
"पागल हो गये हो तुम उसने मुझे पहचान लिया तो" अपर्णा ने कहा.
"अपर्णा ठीक कह रही है आशु, जितने कम लोगो को इसके बारे में पता हो उतना अच्छा है, वक्त बहुत नाज़ुक है" सौरभ ने कहा.
"ठीक है फिर, मैं कार से उतर कर उसके पास जा रहा हूँ. तुम दौनो घर जाओ"
"अरे रूको तो" अपर्णा ने कहा.
पर आशु तब तक कार से बाहर निकल चुका था और पूजा की तरफ बढ़ रहा था.
"ये लड़का भी ना......" सौरभ ने झुंज़लाहट में कहा.
पूजा ऑटो का वेट कर रही थी. उसका ध्यान उसकी और बढ़ते आशु पर नही गया क्योंकि उसकी नज़रे दूसरी दिशा में थी.
"क्या जिंदगी बन गयी मेरी...ये सब उस कामीने की वजह से हुआ है...मैं उसे ज़िंदा नही छोड़ूँगी" पूजा मन ही मन सोच रही है. उसकी आँखे सोचते-सोचते कब नम हो गयी उसे पता ही नही चला.
तभी आशु उसके नज़दीक पहुँच जाता.
"पूजा क्या बात है...यहा क्या कर रही हो" आशु ने पूछा.
पूजा ने फ़ौरन अपने बहते हुए आँसू पोंछे और बोली, "तुम से मतलब...तुम अपना काम करो"
"पूजा बताओ तो सही बात क्या है, तुम रो क्यों रही हो और ये पोलीस की जीप में तुम क्या कर रही थी" आशु ने पूछा.
"तुम दफ़ा हो जाओ यहा से, तुम कौन होते हो ये सब पूछने वाले" पूजा ने कहा. उसे एक ऑटो आता दीखाई दिया उसने आवाज़ लगाई, "ऑटो"
ऑटो रुक गया. "मार्केट ले चलो" पूजा ने कहा.
"पूजा मेरी बात तो सुनो"
पर ऑटो पूजा को लेकर आगे बढ़ गया.
आशु दौड़ कर कार में आया और बोला, "गुरु जल्दी स्टार्ट करो हमे उस ऑटो के पीछे चलना है"
"बात क्या है, कुछ बता तो" सौरभ ने पूछा.
"गुरु वो वहां खड़ी रो रही थी...मुझ से सीधे मूह बात ही नही की उसने"
"ह्म्म....क्या पता क्या बात है...चलो देखते हैं" सौरभ ने कहा.
"मैं भी हूँ कार में याद रखना कहीं मुझे फंस्वा दो"
"चिंता मत करो अपर्णा जी आप को कोई नही पहचानेगा" आशु ने कहा.
सौरभ ने कार पूजा के ऑटो के पीछे लगा दी.
कोई 15 मिनट बाद ऑटो मार्केट में रुका और पूजा ऑटो से उतर कर एक दुकान में घुस गयी.
"वो अपनी सोपिंग कर रही है और हम अपना टाइम वेस्ट कर रहे हैं" अपर्णा ने कहा.
"काई बार वेस्ट से सोना निकल आता है अपर्णा जी" आशु ने कहा.
"बहुत सुन्दर लड़की है सच-सच बताओ आशु कहीं तुम किसी और चक्कर में तो नही हो" अपर्णा ने कहा.
"नही-नही अपर्णा जी....मैने सच में उसकी आँखो में आँसू देखे थे. हां वो सुंदर तो बहुत है बिल्कुल आपकी तरह"
"ठीक है-ठीक है....जाओ जाकर देखो तो सही कि वो क्या कर रही है इस दुकान पर"
"वैसे ठीक ही कहा है आशु ने आप बहुत सुंदर हो मेडम और पूजा आपको टक्कर दे रही है"
"क्या मतलब है तुम्हारा?" अपर्णा ने पूछा.
"कुछ नही यही कि आप दौनो बहुत सुन्दर हो क्यों आशु" सौरभ ने कहा.
"हां हां बिल्क....." आशु अपने बोल पूरे नही कर सका क्योंकि अपर्णा के चेहरे के भाव बहुत गंभीर थे.
"गुरु देखो तो ये क्या खरीद रही है?" आशु ने कहा.
"इस चाकू का ये क्या करेगी, ये घरेलू चाकू से बड़ा है" सौरभ ने कहा.
"मैं ना कहता था कि कुछ गड़बड़ है"
"तू सही है आशु कुछ तो गड़बड़ है." सौरभ ने कहा.
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Update 18
अपर्णा ने दौनो की बाते सुन कर गहरी साँस ली. वो अपनी मुसीबत को लेकर बेचैन थी...उसे समझ नही आ रहा था की ये दोनो पूजा के लिए इतने परेशान क्यों हो रहे हैं. "लड़की सुंदर है किसी का भी मन बहक सकता है और ये दौनो तो हैं ही एक नंबर के लुम्पेट" अपर्णा ने सोचा.
पूजा चाकू को अपने पर्स में डाल कर बाहर आई और उसी ऑटो में बैठ गयी जिसमे वो आई थी. ऑटो के चलते ही सौरभ ने भी अपनी कार उसके पीछे लगा ली.
कोई 10 मिनट बाद पूजा का ऑटो एक घर के बाहर रुका. पूजा ने ऑटो वाले को पैसे देकर चलता कर दिया.
सौरभ ने कार कुछ दूरी पर रोक ली.
पूजा घर का गेट खोल कर अंदर आ गयी.
घर के एक कमरे में :-
"थोड़ा और डालो मूह में"
"डाल तो रही हूँ, तुम चुप नही रह सकते क्या"
"जल्दी से इस लंड को चिकना कर दो फिर इसे तुम्हारी चूत में उतारूँगा"
"वो नही करने दूँगी आज.....फिर कभी देखेंगे"
"हर बार यही कहती हो....आज तो तुम्हारी चूत मार कर ही रहूँगा"
"देखेंगे"
"चलो लेट जाओ और डालने दो मुझे"
"नही विक्की इतनी जल्दी क्या है...कॉंडम भी नही है हमारे पास"
"कॉंडम को मार गोली क्या तुम मुझे प्यार नही करती"
"हाँ करती हूँ"
"तो क्या अपने प्यारे विक्की को अपनी प्यारी चूत नही दोगि देखो ना मेरे लंड की हालत इस पर तो तरस खाओ"
इस से पहले कि लड़की कुछ बोल पाती विक्की ने उसकी चूत पर लंड टीका दिया. वो धक्का मारने ही वाला था कि दरवाजा खड़कने लगा.
"कौन है इस वक्त." वो झुंजलाहट में बोला.
दरवाजे के बाहर पूजा खड़ी थी....
दरवाजा खुला तो विक्की के होश उड़ गये.
"तुम यहा क्या कर रही हो"
"ये लो तुम्हारे 50000" पूजा ने कहा.
"मैने कहा था ना कि यहा मत आना मैं खुद तुमसे कॉंटॅक्ट करूँगा"
पूजा ने 50000 की गद्दी उसके मूह पर दे मारी.
"विक्की कौन है ये"
"कोई नही...."
"अच्छा इसकी भी ज़िंदागी बर्बाद कर रहे हो"
चुप कर और दफ़ा हो जा यहा से"
"विक्की ये लड़की क्या कह रही है?"
"कुछ नही बकवास करने की आदत है इसकी"
"ये विक्की तुम्हारी पॉर्न मूवी बना रहा है और बाद में ये तुम्हे एस्कॉर्ट बना देगा."
"क्या?" लड़की हैरान रह गयी. उसने फ़ौरन अपने कपड़े पहने और बोली, "विक्की मैं जा रही हूँ"
"ये झूठ बोल रही है....ये लड़की पागल है"
"मुझे कुछ नही पता मुझे तो तुम पर पहले से ही शक था तुम बार बार उस पर्दे के पीछे जा कर क्या करते थे"
पूजा ने आगे बढ़ कर परदा हटा और बोली, "इस कमेरे को अड्जस्ट करता होगा"
"हे भगवान इसका मतलब अब तक यहा जो भी हुआ सब रेकॉर्ड हुआ होगा इसमे"
"बिल्कुल हुआ होगा ये लो सम्भालो इस कैमरे को" पूजा ने कहा.
"बहुत बढ़िया मेरे घर में आ कर मुझसे होशयारी....अब तुम दोनो का लेसबो सीन रेकॉर्ड करूँगा"
पूजा ने फुर्ती से पर्स में से चाकू निकाला और विक्की के पेट पर वार किया. चाकू पेट को उपर से चीर कर निकल गया और विक्की के पेट पर खून उभर आया. विक्की लड़खड़ा कर ज़मीन पर गिर गया.
"क्यों ना हम तुम्हारे मरने की वीडियो बनाए" पूजा ने कहा.
"देखो मैं जा रही हूँ मुझे इस सब से कुछ नही लेना देना"
"जैसी तुम्हारी मर्ज़ी पर मैं इसे ज़िंदा नही छोड़ूँगी आज"
पूजा का ध्यान उस लड़की की ओर चला गया और मोके का फ़ायदा उठा कर विक्की ने अपने दआशु से पिस्टल निकाल ली.
"खबरदार अगर कोई भी हिला तो....दोनो को भुन दूँगा...अब जैसा मैं कहता हूँ वैसा करो"
पूजा ने चाकू को निशाना लगा कर विक्की के सर की तरफ फेंका पर वो बच गया.
"मेरी बिल्ली और मुझे ही मयाऊ हां अभी मज़ा चखाता हूँ" विक्की बोला और अपनी जेब से फोन निकाल कर एक नंबर डाइयल किया.
"हां यार ऐसा कर अपने सभी लोगो को लेकर मेरे घर आ जा एक गंगबॅंग मूवी बनानी है"
"बहुत बढ़िया इस मूवी मे पहला रोल मैं करूँगा" आशु ने कहा.
आशु ने विक्की के सर पर अपना देसी कॅटा तान रखा था.
"हां और मैं इस मूवी को डाइरेक्ट करूँगा" सौरभ ने कहा.
"चल गुरु इसकी गान्ड में डंडा देते हैं और मूवी बना कर नेट पे डाल देते हैं"
"कौन हो तुम दोनो और यहा क्या कर रहे हो" विक्की ने कहा.
"हम तुम्हारे बाप हैं पहचाना नही क्या" आशु ने कहा और घुमा कर उसके सर पर कॅटा दे मारा.
विक्की ज़मीन पर गिर गया.
"बस इतना ही दम था तेरे अंदर हा"
"तुम यहा क्या कर रहे हो" पूजा ने आशु से पूछा.
"बाते करने का वक्त नही है इस से पहले कि इसके आदमी यहा आए चलो निकलो यहा से" आशु ने कहा.
"क्या तुम बायक पर हो" पूजा ने पूछा.
"नही कार खड़ी है बाहर आओ चलें"
"तुम कैसे जाओगी" पूजा ने उस लड़की से पूछा.
"मेरी स्कूटी खड़ी है नीचे"
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"बहुत देर हो गयी कहा रह गये ये दौनो" अपर्णा कार में बैठी हुई परेशान हो रही है.
अगले ही पल उसे आशु सौरभ और पूजा कार की ओर भागते नज़र आते.
"लगता है सच में कोई गड़बड़ हुई है...हे भगवान मैं किसी और मुसीबत में ना फँस जाउ" अपर्णा ने कहा.
"तुम पीछे बैठो हम आगे बैठ-ते हैं"आशु ने पूजा से कहा.
पूजा फ़ौरन पीछे का दरवाजा खोल कर बैठ गयी. आशु और सौरभ भी तुरंत बैठ गये. अगले ही पल कार सड़क पर दौड़े जा रही थी.
"कोई मुझे बताएगा कि यहा हो क्या रहा है?" अपर्णा ने कहा.
"अपर्णा जी पूरी बात तो हमे भी नही पता... हां बस इतना पता चला है कि उस घर में एक लड़का पॉर्न मूवी बना रहा था और पूजा उसे रोकना चाहती थी" आशु ने कहा.
"अपर्णा....कुछ ऐसा ही नाम लिया था चौहान ने..... अरे हां वो नाम अपर्णा ही तो था" पूजा ने मन ही मन सोचा और बड़े गौर से अपर्णा की ओर देखा. पूजा ने न्यूज़ नही देखी थी इसलिए उसके लिए अपर्णा को पहचान-ना और भी मुश्किल था"
"क्या देख रही हो?" अपर्णा ने पूछा.
"कुछ नही.....उस कातिल का नाम भी अपर्णा है ना"
"हां तो क्या मैं तुम्हे कातिल नज़र आती हूँ.... मैने किसी का खून नही किया ये सब साजिस है उसी किलर की जो की असली कातिल है" अपर्णा ने कहा.
"नही मेरा वो मतलब नही था?" पूजा ने कहा.
"मैं तुम्हे सारी बात बताता हूँ ध्यान से सुनो" आशु ने पीछे मूड कर कहा.
आशु पूजा को पूरी बात बताता है. "वो अपर्णा जी को फसाना चाहता है क्योंकि इन्होने उसे देख लिया था"
"ह्म्म.....कैसे-कैसे खेल खेलती है किस्मत भी" पूजा ने कहा.
"सबसे बड़ी बात तो ये है कि वो विटनेस वो किलर नही है...उस से तो बस अपर्णा जी के खिलाफ गवाही दिलाई जा रही है" आशु ने कहा.
"मैं जानती हूँ कातिल कौन है और कहा रहता है" पूजा ने कहा.
"क्या!!!" अपर्णा, आशु और सौरभ ने एक साथ कहा.
बल्कि सौरभ तो इतना सर्प्राइज़्ड हुआ कि उसने फ़ौरन कार को ब्रेक लगा दिए.
"तुम कैसे जानती हो उस को" आशु ने पूछा.
"वो मैं आज.....वो सब छोड़ो. मैं तुम्हारी पूरी मदद करूँगी इस केस में."
"क्या तुम हमे उसके घर ले जा सकती हो..... और नाम क्या है उसका?" आशु ने पूछा.
"परवीन नाम है उसका.... घर तो उसका नही जानती मैं हां पर एक जगह है जहा वो मिल सकता है" पूजा ने कहा.
"तो हमे वहां ले चलो अभी" आशु ने कहा.
"अभी वो वहां नही मिलेगा" पूजा ने कहा.
"चलो फिलहाल घर चलते हैं और पूरी प्लॅनिंग के साथ उसे पकड़ेंगे" सौरभ ने कहा.
"पोलीस में कनेक्षन हैं उसके इसलिए थोड़ा ज़्यादा ध्यान रखना होगा हमे" पूजा ने कहा.
"क्या जो पोलीस वाला तुम्हे छोड़ कर गया था उस सड़क पर वो भी जानता है उसे" आशु ने कहा.
"हां" पूजा ने जवाब दिया.
"मामला बहुत गंभीर है गुरु" आशु ने कहा.
"कोई बात नही तुम साथ हो ना कहीं दुबारा फर्श तो....." सौरभ ने चुस्की ली.
"गुरु दुबारा ऐसी बात की तो मैं कभी तुमसे बात नही करूँगा" आशु ने कहा.
कुछ देर बाद कार सौरभ के कमरे के बाहर रुकती है.
"मैं चलती हूँ....फ्रेश हो कर तुमसे मिलूंगी...चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा" पूजा ने अपर्णा को कहा.
##
पूरा दिन एक अच्छे ख़ासे ड्रामे के साथ बीता. शाम हो चुकी है और अंधेरा घिरने को है.
"तुम यहा क्या कर रहे हो"श्रद्धा ने आशु से पूछा.
"भोलू हवलदार के पास जा रही हो ना"
"हां बाबा जा रही हूँ...तू क्या यही पूछने आया है"
"नही नही मैं तो तेरा हाल चाल पूछने आया था"
"पूजा कहा है?"
"सो रही है, लगता है आज कॉलेज में खूब थक गयी बेचारी"
"ह्म्म...एक बात का ध्यान रखना ज़्यादा मज़े मत देना भोलू को"
"तुझे उस से क्या वो कम मज़े ले या ज़्यादा"
"तू अपनी ख़ुशी से जा रही है ना"
"तेरे लिए जा रही हूँ"
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Update 19
"बहुत बढ़िया मुझसे पहले जो रोज दिनेश और उसके दोस्त को दिया करती थी अपनी चूत उसका क्या"
"वो पुरानी बात है, जब से तुम मिले हो मैने किसी और को नही दी"
"अच्छा ऐसा क्या है मुझ में"
"बस पूछो मत"
"बताओ ना.....मेरा लंड तगड़ा है ना"
"चल हट....वो तो है ही तेरा स्टाइल भी प्यारा है"
"इस्तयले नही स्टाइल.."
"वैसे तेरा गुरु भी कम नही"
"तुझ में और पूजा में ज़मीन आसमान का अंतर है"
"वो तो होगा ही वो कॉलेज में पढ़ती है और मैं अनपढ़ गवार हूँ"
"वो बात नही है श्रद्धा....मेरा मतलब कुछ और था....चल मैं चलता हूँ तू टाइम से पहुँच जाना भोलू के पास"
"ठीक है मैं तो अपनी आँखे बंद रखूँगी बहुत भयानक सूरत है भोलू की"
"जैसा तेरा मन हो वैसा करना...मैं चलता हूँ"
आशु चला जाता है.
श्रद्धा भोलू के घर की ओर चल पड़ती है.
श्रद्धा ने भोलू हवलदार के घर जा कर उसका दरवाजा खड़काया.
"कौन है?" अंदर से आवाज़ आई.
श्रद्धा ने कोई जवाब नही दिया. "दरवाजा खोल कर देख ले ना कौन है...बेवकूफ़ कही का हा" श्रद्धा बड़बड़ाई.
दरवाजा खुलता है. "अरे श्रद्धा तू है...तू यहा कैसे...आ...आ अंदर आ"
"आक्टिंग देखो जनाब की...कमीना कही का" श्रद्धा ने मन ही मन कहा.
"बताओ क्या लोगि ठंडा या गरम"
"क्या तुम्हे नही पता कि मैं यहा क्यो आई हूँ"
"पता है मेरी जान वो तो मैं यू ही कह रहा था..."
"तुम्हारी बीवी कहा है?"
"बीवी यहा होती तो क्या तुझे बुलाता मैं यहा"
"मैं यहा आशु के कहने पे आई हूँ"
"कोई बात नही...तेरी ऐसी तस्सल्ली करूँगा कि तू याद रखेगी"
"ह्म्म...देखेंगे"
"आशु से पहले तेरा चक्कर दिनेश से था ना"
"क्यों तुम्हे क्या करना है?"
"दिनेश अभी यही से गया है...बहुत तारीफ़ कर रहा था तुम्हारी"
"अच्छा क्या बोल रहा था?"
"बोल रहा था कि तुम बहुत अच्छे से तस्सल्ली से देती हो...क्या ये सच है"
"ये तो लेने वाले पे डिपेंड करता है" श्रद्धा ने कहा.
"लेने वाला तो आज तस्सल्ली से लेगा" भोलू ने अपना लंड पेण्ट के उपर से मसल्ते हुए कहा.
"ठीक है फिर मैं भी तस्सल्ली से दूँगी हां पर तुम मेरे होठ नही चूमोगे"
"ऐसा क्यों?"
"बस यू ही" श्रद्धा ने कहा "क्योंकि तुम्हारी सुवर जैसी सूरत से मुझे घिन आती है" श्रद्धा ने मन में कहा.
"चल नंगी तो हो जा"
"लाइट बंद करो पहले"
"मेरी जान लाइट भी बंद हो जाएगी पहले तेरे हुसन का दीदार तो कर लू...और क्या तुम मेरा लंड नही देखोगी."
लंड की बात सुनते ही श्रद्धा की चूत में खुजली होने लगी और वो बोली, "ठीक है थोड़ी देर लाइट रहने देते है"
"ये हुई ना बात" भोलू ने कहा.
"दीखाओ अपना" श्रद्धा से वेट नही हो रहा था.
"बहुत बेचैन हो रही हो लॉडा देखने के लिए क्या बात है?"
"बात कुछ नही है....जल्दी दीखाओ ना अपना लंड"
भोलू ने एक झटके में अपनी पेण्ट उतार दी और अंडरवेर भी उतार कर दूर फेंक दिया.
"ये लो देखो मेरा लंड"
"ह्म्म"
"कैसा है?"
"अच्छा है...पर आशु जैसा नही है"
"क्या बकवास कर रही है...उस लोंडे के पास क्या तोप है"
"तोप ही समझो पर तुम्हारा भी ठीक ठीक है"
"ये ठीक ठीक क्या होता है"
"दिनेश से तो तुम्हारा बड़ा है पर आशु से छोटा है..."
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"तू छोड़ इन बातो को और जल्दी से नंगी हो जा"
"तुम गान्ड में तो नही डालोगे ना"
"क्यों क्या हुआ?"
"कल आशु ने बहुत बुरा हाल किया अभी तक दर्द है"
"अच्छा आशु ने गान्ड मारी थी कल तुम्हारी"
"हां"
"अगर मान हुआ तो देखेंगे" भोलू ने कहा.
"नही नही गान्ड में नही लूँगी मैं कहे देती हूँ. कल ही तो आशु ने ली थी वो...थोड़े दिन बीत जाते तो शायद दे देती पर आज बिल्कुल नही"
"चल मेरी जान तेरी गान्ड फिर किसी दिन मार लूँगा तू फिलहाल अपनी चूत तो दे मुझे...चल जल्दी से नंगी हो जा."
श्रद्धा ने भोलू की तरफ पीठ करके अपने कपड़े उतार दिए. भोलू उसके नज़दीक आया और गान्ड पर हाथ रख कर बोला, "तेरी गान्ड तो मारने लायक है...पता नही मैं खुद को रोक पाउन्गा की नही"
"हाथ हटाओ मेरी गान्ड से कहा ना नही लूँगी गान्ड में"
"अच्छा मत लेना गान्ड में थोड़ा सा इस मखमली गान्ड को सहला तो लेने दे"
"मुझे कुछ कुछ होता है हटो" श्रद्धा ने भोलू का हाथ अपनी गान्ड से दूर झटक दिया.
"लंड चूस्ति हो ना"
"मैने आज तक आशु का नही चूसा तुम्हारा तो मैं अब चूसुन्गि"
भोलू ने श्रद्धा को बाहों में उठा लिया और बिस्तर पर लेटा कर उसके उपर चढ़ गया.
"लाइट बंद कर दो" श्रद्धा भोलू की सूरत नही देखना चाहती थी.
"लाइट भी बंद हो जाएगी मेरी जान, पहले इन चुचियों को तो चुस्वा लो"
"उसके लिए लाइट की क्या ज़रूरत है?"
"मुझे रोशनी में चुदाई करनी अछी लगती है" भोलू ये कह कर श्रद्धा के बूब्स पर टूट पड़ा.
"आअहह"
"आ रहा है ना मज़ा"
"हां बहुत मज़ा आ रहा है...अपना लंड डाल दो जल्दी...."
"लंड भी डाल दूँगा इतनी जल्दी क्या है...थोड़ा सरूर तो आने दो"
"सरूर आता रहेगा तुम जल्दी घुसाओ अंदर"
"तेरे जैसी लड़की नही देखी मैने"
"बाते कम कर और जल्दी डाल"
"ये ले संभाल मेरा लंड रंडी कही की"
"आआहह रंडी किसे कहता है... मैं क्या तुझसे पैसे ले रही हूँ"
"यू ही बोल दिया"
"आगे से मत बोलना वरना मैं चली जाउंगी"
"ऐसी चूत मारूँगा तेरी कि तू जाने का सोचेगी भी नही"
"आआहह बिल्कुल सही जा रहे हो...और ज़ोर से मारो"
"ये लो फिर सम्भालो.....आआहह"
भोलू के धक्को की गति तेज हो गयी.
कोई 10 मिनट तक भोलू श्रद्धा को यू ही चोदता रहा. अचानक वो बोला, "चल उल्टी हो जा पीछे से डालूँगा तेरी चूत में"
"गान्ड में मत डाल देना" श्रद्धा ने कहा.
"नही नही चूत में ही डालूँगा घुमो तो सही"
"ठीक है मैं घूम रही हूँ"
श्रद्धा भोलू के नीचे घूम गयी और उसके घूमते ही भोलू ने एक झटके में उसकी चूत में अपना लंड उतार दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा.
"आआहह"
"मस्त चूत है तेरी"
"तेरा लंड भी मस्त है आआहह"
भोलू ने अचानक अपना लंड बाहर निकाला और फुर्ती से श्रद्धा की गान्ड में डाल दिया.
"आआययईीीई ये तो गान्ड में घुस गया निकालो इसे"
"अब घुस गया है तो मार लेने दो थोड़ी सी गान्ड भी"
"कल से वैसे ही दर्द है...तुम समझते क्यो नही"
"बस 2 मिनट मारने दे फिर निकाल लूँगा"
"ह्म्म चल ठीक है...पर धक्के धीरे मारना यहा समझे"
"समझ गया मेरी जान....तू चिंता मत कर धीरे धीरे मारूँगा गान्ड तेरी मैं हे...हे..हा..हा"
"तुम हंस क्यो रहे हो"
"बस यू ही....ये ले मेरे लंड का पहला झटका तेरी गान्ड में"
"आआहह"
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Update 20
एक बार भोलू ने श्रद्धा की गान्ड मारनी शुरू की तो टाइम का पता ही नही चला.
पूरे 15 मिनट तक वो श्रद्धा की गान्ड रगड़ता रहा. जब भोलू का पानी छूटने वाला था तब तो उसके धक्के भी बहुत तेज हो गये थे. श्रद्धा ने भी कोई ऐतराज़ नही किया. करती भी क्यों वो हर एक धक्के का मज़ा जो ले रही थी.
ढेर सारा गरम पानी भोलू ने श्रद्धा की गान्ड में छोड़ दिया.
"आआहह निकाल अब बाहर 2 मिनट कहा था 2 घंटे मार ली मेरी गान्ड"
"हा..हा...हे हे तू सच में मस्त है....मज़ा आ गया तेरी ले के"
"टॉयलेट कहा है?"
"वो रहा सामने"
श्रद्धा फ़ौरन टॉयलेट में घुस गयी. जब वो टॉयलेट में हाथ धो रही थी अचानक उसकी नज़र खूटी पर तंगी कमीज़ पर गयी.
"ये कमीज़ पर खून जैसे धब्बे.....वो भी इतने सारे...क्या माज़रा है"
"क्या हुआ इतनी देर क्यों लगा रही हो"
"आ रही हूँ"
श्रद्धा को थोड़ा थोड़ा डर लग रहा था. वो जब बाहर आई तो उसने टीवी पर रखे एक चाकू को देखा जिस से उसका डर और बढ़ गया.
"मुझे अब चलना होगा"
"क्यों अभी तो बस एक बार ही ली है तेरी...दुबारा नही देगी क्या"
"नही बापू कल आ जाएगा बहुत काम करने हैं मुझे घर पर."
"मैं तुझे तेरे घर तक छोड़ दू"
"नही नही मैं चली जाउंगी अभी 9 ही तो बजे हैं."
श्रद्धा ने कपड़े पहने और चुपचाप वहां से निकल ली. उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था.
"हे भगवान मुझे तो डर लग रहा है, उस कमीज़ पर खून के इतने धब्बे क्या कर रहे थे...और वो टीवी पर रखा चाकू....कुछ लाल लाल सा उस पर भी लगा था. धत तेरे की पूरी चुदाई का नशा उतार दिया" श्रद्धा चलते-चलते बड़बड़ा रही है.
अचानक उसे अपने पीछे किसी के कदमो की आहट सुनाई देती है. वो थर-थर काँपने लगती है. "हे भगवान ये मेरे पीछे कौन है?" श्रद्धा खुद से कहती है.
"घबरा मत सारे कतल 10 बजे के बाद ही हुए हैं और अभी तो 9 बजे हैं और 5 मिनट में मैं आशु के कमरे पर पहुँच जवँगी" श्रद्धा बड़बड़ाई. लेकिन उसके पीछे लगातार किसी के कदमो की आहट हो रही थी.
"आज चूत मरवाने के चक्कर में मैं खुद ना मारी जाउ कही...हे भगवान मेरी रक्षा करना"
वो थोड़ी देर चुपचाप चलती रहती है फिर अचानक फुर्ती से पीछे मूड कर देखती है...पर उसे अपने पीछे कोई नही दिखाई देता. "भोलू क्या तुम मेरा पीछा कर रहे हो" वो ज़ोर से बोली.
किसी का कोई जवाब नही आया. "भाग श्रद्धा...कुछ गड़बड़ ज़रूर है"
वो वहां से भाग खड़ी होती है और 2 मिनट में आशु के कमरे के बाहर पहुँच जाती है. वो आशु का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से पीटने लगती है. पर दरवाजा नही खुलता. "ओह यहा तो ताला लगा है...वो ज़रूर अपने गुरु के साथ होगा"
श्रद्धा का खुद का घर अभी भी दूर था और सौरभ का कमरा वहां से नज़दीक पड़ता था. वो तुरंत तेज कदमो से सौरभ के कमरे की तरफ चल दी. अब वो भाग नही रही थी क्योंकि सड़क पर उसके अलावा और भी चार-पाँच लोग थे.
वो सौरभ के कमरे पर पहुँच कर कमरे का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से पीटने लगती है.
सौरभ झट से दरवाजा खोलता है.
"क्या हुआ पागल हो गयी हो क्या?" सौरभ ने पूछा.
"र...आशु कहा है?" श्रद्धा ने कहा.
"आशु यही है....बताओ तो क्या बात है?"
आशु भी तुरंत दरवाजे पर आ गया. "श्रद्धा तू यहा...क्या हुआ भोलू के पास नही गयी क्या"
"अरे वही से आ रही हूँ...मेरी जान ख़तरे में है"
"क्या बोल रही हो....तुमसे तो सारी दुनिया की जान ख़तरे में है...तुम्हे किसने ख़तरे में डाल दिया" सौरभ ने हंसते हुए कहा.
"मैं सच कह रही हूँ...कोई मेरा पीछा कर रहा था" श्रद्धा ने कहा.
"यहा बैठो श्रद्धा....बैठ कर आराम से पूरी बात बताओ" अपर्णा ने उसे अपने पास बुलाया.
श्रद्धा अपर्णा के पास बैठ गयी और बोली, "जब मैं भोलू के घर से निकली तो मुझे अपने पीछे किसी के कदमो की आहट सुनाई दी....भाग कर आई हूँ मैं यहा....ये ज़रूर भोलू की कारस्तानी है"
"भोलू क्यों ऐसा करेगा?" आशु ने कहा.
"मैने उसके टॉयलेट में एक नीले रंग की कमीज़ तंगी देखी थी जिस पर की खून के बहुत सारे धब्बे थे. और तो और उसके टीवी पर एक चाकू रखा देखा मैने...उस पर भी हल्के-हल्के लाल रंग के निशान थे" श्रद्धा ने कहा.
"तुझे कुछ ग़लतफहमी हुई है...भोलू ऐसा आदमी नही है...सूरत उसकी जैसी भी हो पर दिल से नेक है वो" आशु ने कहा.
"हां-हां बहुत नेक है वो...तभी तो बिना मेरी इज़ाज़त के मेरी गान्ड मार ली उसने" श्रद्धा तुरंत बोली.
ये सुनते ही सौरभ हस्ने लगा.
"हंस क्या रहे हो मैं सच कह रही हूँ....मैने मना किया था उसे मेरी गान्ड में डालने को पर शैतान ने चुपचाप बिना पूछे डाल दिया"
"श्रद्धा....अपर्णा जी बैठी हैं यहा........" आशु ने श्रद्धा को टोका.
"तो क्या हुआ मैं सच ही तो कह रही हूँ...सच बोलना क्या जुर्म है" श्रद्धा ने कहा.
"असली मुद्दा क्या है....कोई तुम्हारा पीछा कर रहा था ये कि या फिर भोलू ने तुम्हारी गान्ड मार ली वो....असली मुद्दा बताओ" सौरभ ने चुस्की ली.
"मैं यहा आई ही क्यों तुम सब मतलबी हो"
;)
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लन्ड पुछा चुची से, क्यों हो आज उदास!
बोली चुची, प्यारे ! न्याय की मुझे नही अब आस!!
मुझे नही अब आस, बडा हो रहा घोटाला,
तुने भ्रष्टाचार मेरे साथ कर डाला!
खोल के अपने रूप को, मै तुझे रिझाती,
साली चूत तुझे झट चट कर जाती!!
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अचानक अपर्णा ने कुछ ऐसा देखा कि वो फॉरन बोली
"ये सच कह रही है...जो भी इसका पीछा कर रहा था वो यहा तक आ गया है....खिड़की से कोई झाँक रहा है" अपर्णा ने ये बात इतनी धीरे से कही की केवल पास खड़े आशु को सुनाई दी. सौरभ को कुछ सुनाई नही दिया.
"तेरी मा की आँख तेरी तो...." आशु ने फ़ौरन कॅटा निकाल कर खिड़की की तरफ फाइयर किया.
सौरभ को भी पूरी बात समझते देर नही लगी उसने फुर्ती से बेड के नीचे से हॉकी निकाली और दरवाजा खोल कर बाहर भागा.
आशु भी उसके पीछे-पीछे भागा.
"उसके सर पे गोली लगी होगी" आशु बोला.
बेवकूफ़ उसे गोली लगी होती तो लाश अपनी खिड़की के नीचे पड़ी होती यहा तो कुछ भी नही है.
"इतनी जल्दी वो यहा से नही भाग सकता....गया कहाँ वो" आशु बोला.
सौरभ भाग कर वापिस कमरे में आया.
"तुम दोनो डरना मत अंदर से कुण्डी लगा लो और खिड़की को भी अंदर से बंद कर लो मैं और आशु अभी अकल ठिकाने लगाते हैं उसकी.
अपर्णा खिड़की और दरवाजा बंद कर लेती है और श्रद्धा से कहती है, "चिंता मत करो तुम यहा सुरक्षित हो"
"देखा कितनी हिम्मत कि उसने मेरे पीछे-पीछे यहा तक आ पहुँचा" श्रद्धा ने कहा.
"वाकई...और तो और खिड़की से झाँक कर देख रहा था...मेरी तो रूह काँप गयी थी उसे देख कर...चेहरा ठीक से दीखाई नही दिया नही तो पहचान लेती कि वो वही है कि नही"
"तुम्हे इस सब की पड़ी है मेरा तो आज का सारा मज़ा किरकिरा हो गया"
"तू भी अजीब है...अभी तो खुद इस बारे में बोल रही थी" अपर्णा ने कहा.
"वो तो ठीक है पर आज बहुत अजीब हुआ मेरे साथ" श्रद्धा ने कहा.
"वो तुम बता चुकी हो" अपर्णा ने उसे टोका.
"क्या बता चुकी हूँ?"
"यही की भोलू ने बिना पूछे....."
"पूरी बात तो सुन....बड़ी शैतानी से डाला पाजी ने मेरी गान्ड में"
"ठीक है-ठीक है समझ गयी" अपर्णा ने उसे फिर टोका.
"अरे सुन तो सही...मैने उसे पहले ही बता दिया था कि गान्ड में नही लूँगी"
"ठीक है बाबा इतनी डीटेल काफ़ी है"
"मेरी बात तो सुन.....उसने पहले चूत में डाला और खूब घिसाई की मेरी"
"घिसाई मतलब?" अपर्णा को इसका मतलब नही पता था और अचानक उसके मूह से निकल गया.
हालाँकि उसे ये सवाल पूछ कर पछताना पड़ा.
"घिसाई मतलब कि खूब लंड अंदर बाहर किया मेरी चूत में"
"बस-बस मेरी मा समझ गयी"
"आगे तो सुन...फिर उसने मुझे घूमने को कहा ये कह कर कि पीछे से चूत में डालूँगा"
"समझ गयी उसने कही और डाल दिया....आगे रहने दो" अपर्णा ने कहा.
"यही तो चूक गयी तुम समझने में...बड़ा पाजी निकला वो....कुछ देर तक मेरी चूत मारता रहा. बड़ा मज़ा आ रहा था. सब ठीक चल रहा था कि अचानक उसने लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया"
ना चाहते हुए भी अब अपर्णा की भी साँसे तेज होने लगी थी. "बस अब सब क्लियर हो गया रहने दे आगे की स्टोरी"
"तुम भी ना पूरी बात तो सुनो....उसने चूत से लंड निकाल कर बड़ी चालाकी से मेरी गान्ड में डाल दिया"
"तो तुम निकलवा देती...इसमे कौन सा बड़ी बात थी" अपर्णा ने कहा.
"निकालने को ही कहा था मैने पाजी को पर वो बोला...अब जब घुस ही गया है गान्ड में तो थोड़ी देर मार लेने दे."
"तो तुमने उसे करने दिया...चलो बात ख़तम हुई कुछ और बात करो" अपर्णा ने गहरी साँस ले कर कहा.
"मैं क्यों करने दूँगी भला....मेरा भी कुछ इसटेंडर्ड है"
"स्टॅंडर्ड बोलते हैं"
"हां-हां वही वही....मैने कहा चलो 2 मिनट मार लो"
"चलो ठीक है उसने 2 मिनट किया और बात ख़तम हुई" अपर्णा ने झुंजलाहट भरे लहजे में कहा.
"नही बाबा...वो बड़ा चालाक निकला पूरे 2 घंटे चोदता रहा वो मेरी गान्ड"
"बकवास कर रही हो...इतनी देर करना क्या मज़ाक है"
"लो कर लो बात...हां वैसे मैं 2 घंटे यू ही कह रही हूँ पर उसने 2 मिनट से तो बहुत ज़्यादा किया है ये मुझे यकीन है"
"2 मिनट भी बहुत होते हैं"
"लगता है तेरा पति तुझे 2 मिनट चोदता था"
"जी नही आराम से 10-15 मिनट हो जाता था हमारा...अपनी बात को मेरी ज़िंदगी पर मत घुमा"
"पर आशु में बहुत दम है...वो 2 घंटे तक खींच लेता है"
"चल ठीक है हो गयी ना तेरी कहानी पूरी या कुछ और भी बाकी है"
"हाई सच तुझे सब बता के यादे ताज़ा हो गयी वरना तो सब गुड गोबर हो गया था थॅंक यू"
"ठीक है-ठीक है"
"पर इस भोलू को भी ना...इतनी अछी चुदाई के बाद ये सब करने की क्या ज़रूरत थी. मैं पहले ही उसके टॉयलेट में वो कमीज़ देख कर डर गयी थी. तुम्हे नही लगता कि उसे मेरा यू पीछा नही करना चाहिए था.
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Update 21
"ह्म्म....क्या पता तेरा पीछा करने वाला भोलू ना हो, बल्कि कोई और हो"
"उसके सिवा कौन हो सकता है...वही है वो किलर...हे भगवान मैं आज किलर को दे कर आई हूँ...अब तो मेरा भगवान ही मालिक है"
"सौरभ और आशु को आने दे सब पता चल जाएगा कि तेरे पीछे कौन था.
"एक घंटा हो गया उन्हे गये हुए...कहाँ रह गये दोनो...मुझे तो डर लग रहा है" श्रद्धा ने कहा.
"अभी तो कूद-कूद कर अपनी कहानी बता रही थी...अब डर लग रहा है तुझे हा" अपर्णा ने ताना मारा.
"मैं भी इंसान हू...कोई पत्थर नही हूँ....एक तो अपनी प्राइवेट बाते बताओ फिर ये सब सुनो...तुम्हे पता नही मेरी सहेलिया रास्ता रोक रोक कर सुनती हैं मेरी बाते और एक तू है जिसे मेरी बातो में कोई रूचि नही है...हा"
#
"कहा गया वो गुरु?" आशु ने कहा.
"नज़दीक ही जंगल शुरू होता है...हो सकता है उस तरफ भागा हो" सौरभ ने कहा.
"चलो फिर जंगल में ही चलते हैं" आशु ने कहा.
"तुम दोनो यहा क्या कर रहे हो?" आशु और सौरभ को किसी ने पीछे से आवाज़ दी.
वो दोनो तुरंत घूमे
"अरे रघु तू है...तूने तो डरा दिया....तू बता तू क्या कर रहा है इतनी ठंड में बाहर" आशु ने कहा.
"मैने अभी गोली की आवाज़ सुनी थी...वही सुन कर बाहर आया हूँ"
"वो तो हमने भी सुनी थी पर उस बात को तो कोई 20 मिनट हो गये...तू अब निकला है बाहर"
"हां मैं वो टॉयलेट में था तब अभी आया था देखने कि क्या बात है?"
"बड़ी अजीब बात है...किसी और को गोली की आवाज़ सुनाई नही दी...सिर्फ़ तुम निकले हो देखने"
"लोग टीवी में लगे रहते हैं सुनाई नही दिया होगा"
"जाओ अंदर बैठ जाओ जाकर....लगता है आज वो किलर इसी इलाक़े में शिकार करेगा"
"शुभ शुभ बोल मुझे डर लगता है ऐसी बातो से...मैं तो चला...तुम भी जाओ अपने-अपने घर"
रघु अपने घर में घुस गया और फ़ौरन अंदर से कुण्डी लगा ली.
"कही ये रघु ही तो श्रद्धा का पीछा नही कर रहा था गुरु?"
"नही ये ऐसी हरकत नही कर सकता....ये ज़रूर उसी किलर का काम है...मुझे यकीन है की वो आस पास ही है. कल इसी जंगल से तो आए थे हम.....वो भी शायद हमे ढूँढ रहा है"
"पर श्रद्धा जो कह रही थी उसका क्या...हो सकता है भोलू ही उसका पीछा कर रहा हो."
"ह्म्म.....चलो उसके घर चलते हैं....अभी सारी बात क्लियर हो जाएगी"
"पर एक बात है गुरु ये दोनो बहने अलग अलग इंसान को कातिल बता रही हैं"
"देखो मुझे पूजा की बात पर तो यकीन है....बाकी श्रद्धा का मैं कह नही सकता"
"पर श्रद्धा भी झुटि कहानी नही बनाएगी गुरु"
"चल फिर अभी भोलू के घर जा कर दूध का दूध और पानी का पानी कर देते हैं"
"ठीक है"
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आशु और सौरभ भोलू के घर की ओर चल पड़ते हैं.
"अभी 10 भी नही बजे और सदके सुनसान हो गयी हैं" आशु ने कहा.
"सब उस का कमाल है....आजकल 9 बजते ही लोग घरो में घुस जाते हैं" सौरभ ने कहा.
कुछ ही देर बाद सौरभ और आशु भोलू के घर पहुँच जाते हैं.
"गुरु दरवाजे पर तो ताला है" आशु ने कहा.
"ह्म्म कहा गया होगा?" सौरभ बड़बड़ाया.
"अब तो सब साफ हो गया...वही थे श्रद्धा का पीछा करने वाला....पर उसने ऐसा क्यों किया...बेचारी ने गान्ड तो दे ही दी थी" आशु ने कहा.
"क्या पता उसे उसकी गान्ड के बाद जान चाहिए हो" सौरभ ने कहा.
"मतलब कि तुम मान रहे हो कि भोलू ही किलर है....पर पूजा ने जो कहा उसका क्या गुरु"
"अरे मज़ाक कर रहा हूँ आशु तू भी ना....क्या पता ताला लगा कर किसी काम से गया हो...पोलीस की नौकरी है उसकी...शायद ड्यूटी पर गया
हो." सौरभ ने कहा.
"पर श्रद्धा ने जो कमीज़ देखी थी खून के धब्बो वाली....और वो चाकू"
"ये ताला खोलना होगा" सौरभ ने कहा.
"पर कैसे तोड़ने की कोशिश करेंगे तो लोग उठ जाएँगे और बिना मतलब हम धरे जाएँगे"
"तू देखता जा कैसे खोलता हूँ मैं इस ताले को" सौरभ ने कहा अपनी जेब से एक नुकीली सी चीज़ निकाल कर ताले में घुस्सा दी.
"लो खुल गया" सौरभ ने कहा.
"पर कैसे?" आशु हैरानी में बोला.
"वो बाद में बताउन्गा...पहले भोलू का टॉयलेट चेक करते हैं"
दोनो भोलू का दरवाजा खोल कर अंदर आ जाते हैं और दवाजे को झुका लेते हैं
"कहा है टॉयलेट....हां वो रहा" सौरभ बड़बड़ाया.
टॉयलेट में अभी भी वो कमीज़ वैसी की वैसी तंगी थी.
"ह्म्म...श्रद्धा ठीक कह रही थी....ये खून के ही धब्बे हैं...आख़िर किया क्या है इस भोलू ने...आओ ज़रा अब टीवी पर रखे चाकू को भी देख ले"
"चाकू टीवी पर नही है गुरु"
"तुझे कैसे पता"
"मैने अंदर आते ही सबसे पहले टीवी पर नज़र मारी थी"
तभी अचानक घर का दरवाजा खुलता है. सौरभ और आशु टॉयलेट के एक कोने में दुबक जाते हैं.
उन्हे कदमो की आहट सुनाई देती है...टक...टक...
सौरभ आशु को बिल्कुल चुप रहने का इशारा करता है और उसे इशारो-इशारो में कॅटा देने को कहता है.
आशु, सौरभ को कॅटा पकड़ा देता है.
"कौन घुस्सा है मेरे घर में बिना मेरी इज़ाज़त के...सामने आओ वरना पछताओगे" भोलू ने कहा.
भोलू झटके से टॉयलेट का दरवाजा खोलता है. दरवाजा खुलते ही सौरभ कॅटा भोलू की तरफ तान देता है.
"हिलना मत वरना भेजा उड़ा दूँगा....ये चाकू नीचे फेंको बहुत खून कर लिए तुमने इस से अब और नही"
"ये क्या बकवास कर रहे हो एक तो मेरे घर का ताला खोल कर अंदर घुसते हो और फिर मुझे कातिल बताते हो"
"क्या तुम श्रद्धा का पीछा नही कर रहे थे" आशु ने कहा.
"मैं क्या पागल हूँ जो उसका पीछा करूँगा" भोलू ने कहा.
"हां तुम ही हो वो पागल खूनी जिसने शहर में आतंक मचा रखा है"
"आशु तू भी अपने गुरु की तरह पागल हो गया है.." भोलू ने कहा.
"अच्छा मैं पागल हो गया हूँ....तो ये बताओ कि ये तुम्हारी कमीज़ पर खून के धब्बे क्या कर रहे हैं. और तुम्हारे चाकू पर भी खून के निशान हैं.
श्रद्धा ने ये सब देखा था यहा और हमे पूरी बात बताई...तब आए हैं हम यहा"
ये सुनते ही भोलू ज़ोर-ज़ोर से हस्ने लगा और बोला, "उसने ये सब बताया तुम्हे जाकर....हे..हे...हा...हा...क्या ये नही बताया कि मैने कैसे मारी उसकी गान्ड...बड़े नखरे कर रही थी...हा..हा"
"वो भी बताया और ये भी बताया....तुम हंस क्यों रहे हो" सौरभ गुस्से में बोला.
"देखो बात ऐसी है कि आज के दिन मुझे अपने कुछ रीति रीवाज़ के तहत मुर्गी की बलि देनी थी. मैं बाज़ार से ज़िंदा मुर्गी लाया था और उसे हलाल करते वक्त खून के धब्बे मेरी कमीज़ पर लग गये. मुर्गी बहुत छटपटा रही थी. मैं मुर्गी काटने में एक्सपर्ट तो हूँ नही...बड़ी मुश्किल से किया सब. तुम चाहो तो ये कमीज़ ले जाओ और इस पर लगे धब्बो की जाँच करवा लो. रही बात चाकू पर लगे खून की तो उसका जवाब तो तुम समझ ही गये होंगे...इसी चाकू से काटी थी मैने मुर्गी और बताओ कुछ और सुन-ना हो तो"
सौरभ और आशु एक दूसरे की तरफ देखते हैं.
"इस श्रद्धा की वजह से बहुत अच्छा चूतिया कट गया हमारा...क्यों आशु" सौरभ ने कहा.
"अच्छा अब मैं समझा वो इतनी जल्दी क्यों भाग गयी यहा से...मुझे तो लग रहा था कि सारी रात चूत मरवाएगी पर वो तो एक बार देने के बाद ही भाग खड़ी हुई....दुबारा भेजो उसे मेरे पास मेरा मज़ा अधूरा रह गया." भोलू ने कहा.
"सच में तुम श्रद्धा के पीछे नही गये थे" आशु ने पूछा.
भोलू ने अपनी जेब से बीड़ी का नया बंड्ल निकाला और बोला, "मैं बीड़ी लेने गया था...यकीन ना हो तो पान्वाले से पूछ लो जाकर"
"नही अब सब क्लियर हो गया"
"वैसे एक बात बताओ...पोलीस वाला मैं हूँ और पोलीस की तरह इंक्वाइरी करते तुम घूम रहे हो"
"सॉरी भोलू...वो हम श्रद्धा की बातो में आ गये....हम चलते हैं तुम आराम करो"
"ठीक है...और कोई बात हो तो बेझीजक आ जाना"
"ठीक है गुड नाइट" आशु ने कहा.
दोनो मूह लटकाए वापिस सौरभ के कमरे की ओर चल पड़ते हैं.
"गुरु जो भी हो....श्रद्धा का पीछा करने वाला वही था"
"क्या तूने वाकाई खिड़की में किसी को देखा था"
"क्या बात करते हो गुरु...बिल्कुल देखा था...हां चेहरा साफ-साफ नही दीखा पर अपर्णा जी और मैने उसे देखा था"
"ह्म्म आज की रात हमे चौक्कना रहना होगा...मुझे यकीन है कि वो ज़रूर यही कही आस-पास है"
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बाते करते करते दोनो कमरे पर पहुँच जाते हैं.
"क्या हुआ तुम दोनो के चेहरे क्यों लटके हुए हैं" अपर्णा ने पूछा.
"कुछ नही....कुछ भी हाथ नही लगा...पता नही कहा गायब हो गया वो" आशु ने कहा.
"भोलू के घर जाना चाहिए था ना" श्रद्धा ने कहा.
"वही से आ रहे हैं....चिकन का खून था उसकी कमीज़ पर और चाकू पर...मुर्गी काट-ते वक्त लग गया था.
"क्या कह रहे हो इसका मतलब मैने बिना मतलब के अपना मज़ा खराब किया आज" श्रद्धा ने कहा.
"बिल्कुल अगर तुम यहा ना आती तो अभी दूसरी बार गान्ड मार रहा होता भोलू तुम्हारी" सौरभ ने हंसते हुए कहा.
आशु ने सौरभ को इशारा किया. "गुरु अपर्णा जी के सामने ऐसी बाते मत करो" आशु ने सौरभ के कान में कहा.
"मेरी गान्ड है तुम्हे क्यों दर्द हो रहा है" श्रद्धा बोली.
"जाओ फिर वापिस वो वेट कर रहा है तुम्हारी और यहा पर ऐसी बाते मत करो...अपर्णा जी का ध्यान रखा करो" आशु ने कहा.
श्रद्धा ने पहले आशु को घूरा फिर अपर्णा को और बोली, "बड़ी हमदर्दी हो रही है...गान्ड में देती हूँ कि ये"
"श्रद्धा प्लीज़......" अपर्णा अपने कान पर हाथ रख कर चिल्लाई.
"ठीक है मैं चुप हो गयी ये लो मैने अपने मूह पर उंगली रख ली" श्रद्धा बोली.
"तेरे मूह में लंड डाल दूँगा अगर दुबारा बकवास की तो" सौरभ ने श्रद्धा के कान में कहा.
"उसे मूह में डालके क्या मिल जाएगा असली मज़ा तो चूत में आएगा...वैसे भी तुमने चूत में नही डाला अब तक" श्रद्धा भी धीरे से बोली.
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Update 22
"चूत फट जाएगी तेरी...इतना बड़ा ले भी लेगी" सौरभ फिर धीरे से बोला
"जब गान्ड में ले लिया तेरा पूरा तो क्या चूत में नही जाएगा" श्रद्धा ज़ोर से बोली.
"चुप कर मैं कुछ और पूछ रहा हूँ और तू कुछ और जवाब दे रही है" सौरभ ने अपर्णा की ओर देखते हुए कहा.
"तुम लोग मेरा मज़ाक उड़ा रहे हो मैं जा रही हूँ" श्रद्धा ने कहा.
तभी उन्हे दरवाजे के बाहर कुछ आहट सुनाई दी.
"सस्शह लगता है बाहर कोई है...." आशु ने धीरे से कहा.
सौरभ ने तुरंत कमरे की लाइट बंद कर दी.
"कॅटा कहा है?" सौरभ ने आशु से पूछा.
"तुम्हे ही तो दिया था भोलू के घर पे वही छोड़ आए क्या"
सौरभ ने अपने कपड़े टटोले.
"उफ्फ वो मैने भोलू से बात करते करते टॉयलेट के वॉश बेसिन पर रख दिया था. उठाना याद ही नही रहा.
"गयी भंस पानी में अब बाहर निकलना ठीक नही है" आशु ने कहा.
"कोई बात नही हॉकी तो है ना अपने पास"
"देख लो मुझ बाहर निकलना ठीक नही लग रहा बाकी तुम्हारी मर्ज़ी" आशु ने कहा.
"तू चिंता मत कर देखा जाएगा जो होगा"
"ठीक है फिर खोलो दरवाजा" आशु ने कहा.
सौरभ धीरे से दरवाजा खोलता है और दाए बाए झाँक कर देखता है, "यहा तो कोई नही है"
"गुरु चलो अंदर वो गेम खेल रहा है हमारे साथ...हम इस गेम में नही फसेंगे...चलो सुबह देखेंगे कि आगे क्या करना है"
"ठीक कह रहे हो" सौरभ कहकर दरवाजा बंद कर देता है.
"क्या हुआ....दीखा कोई" अपर्णा ने पूछा.
"नही कोई नही दीखा" सौरभ ने कहा.
"मुझे घर छोड़ आओ मैं यहा एक पल भी नही रुकूंगी....तुम लोगो के पीछे है वो ." श्रद्धा ने कहा.
"भूल गयी यहा तक उसे तू लेकर आई थी" सौरभ ने कहा.
"मुझे नही पता मुझे अपने घर जाना है" श्रद्धा ने कहा.
"श्रद्धा इस वक्त घर से बाहर निकलना ठीक नही है....वो बाहर ही घूम रहा है...तुम आज यही रूको"
"पर पूजा घर में अकेली है" श्रद्धा ने कहा.
"तो क्या हुआ...वो कल भी तो अकेली थी....तू यही सो जा आज...मैं भी यही रुक रहा हूँ" आशु ने कहा.
"चल ठीक है तू कहता है तो रुक जाती हूँ....पर अपने गुरु को समझा देना मेरे साथ कोई ऐसी वैसी हरकत ना करे" श्रद्धा ने सौरभ की ओर देखते हुए कहा.
"हे भगवान अब ये रात कैसे कटेगी ये तो कल से भी ज़्यादा भयानक बन गयी है" अपर्णा ने डबल मीनिंग बात कही.
"बीत जाएगी मैं हूँ ना साथ तुम्हारे...तुम डरो मत" श्रद्धा ने कहा.
"तुम हो तभी तो डर है" अपर्णा धीरे से बड़बड़ाई.
"क्या कहा तुमने?" श्रद्धा ने पूछा.
"कुछ नही यही की बिस्तर एक है और हम चार" अपर्णा ने कहा.
"कोई बात नही हम दोनो यहा बिस्तर पर लेट जाएँगे और ये दोनो नीचे चटाई पर"
"तुम्हारे साथ नही लेटुंगी मैं" अपर्णा ने कहा.
"तो क्या इन दोनो के साथ लेटोगी हे..हे..."
"चुप करो श्रद्धा परेशान मत करो अपर्णा जी को" आशु बोला.
"भाई मैं तो सोने जा रही हूँ जिसे मेरे साथ सोना हो आ जाए" श्रद्धा ने कहा और रज़ाई में घुस गयी. घुसते हुए उसने सौरभ को आँख मारी. सौरभ उसकी तरफ हंस दिया.
मरती क्या ना करती अपर्णा पैर पटक कर रज़ाई का दूसरा कौना पकड़ कर घुस गयी. रज़ाई डबल बेड वाली थी इसलिए दोनो आराम से उसमे समा गये.
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