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Adultery धन्नो द हाट गर्ल
धन्नो और प्रवीण मैं एक गाउन में एक पैर के नीचे से गुजर रही हूँ तभी प्रवीण वहाँ आ जाता है और मेरा हाथ अपने हाथों से पकड़ते हुए कहता है- “धन्नो मैं तुमसे प्यार करता हूँ..."

मुझे ना जाने क्या हो जाता है और मैं रोते हुए उसके गले से लग जाती हूँ और रोते हुए कहती हैं- “यह दुनियां बहुत जालिम है। तुम्हारी शादी हो चुकी है, और मेरी भी। हम चाहकर भी एक दूसरे के नहीं हो सकते..”

मेरी बात सुनकर प्रवीण चुप हो जाता है। मगर थोड़ी देर बाद वो कहता है- “यहाँ हमें कोई नहीं देख रहा है। आओ थोड़ी देर बैठकर बातें करते हैं..." और मेरा हाथ खींचकर उस पैर के नीचे उसके पटों के ऊपर जाकर बैठ जाता है और मुझे भी वहीं बिठा देता है।

प्रवीण बातें करते हुए अचानक मुझसे कहता है- “जान मैं सारी दुनियां की चिंता को भुलाकर तुम्हारी गोद में सोना चाहता हूँ..”

मैं फिर से रोते हुए उसे उसके सिर को अपनी गोद पर रख देती हैं और प्रवीण अपनी आँखें बंद करके कुछ देर तक मेरी गोद में पड़ा रहता है।

प्रवीण कुछ देर के बाद अपनी आँखें खोलकर कहता है- “कितना सुकून है यहाँ पर कितना खूबसूरत है यह पल, मैं तुम्हारी गोद में सोया हुआ हूँ और हमें कोई चिंता नहीं है. मैं अपने भगवान से सिर्फ यही माँगता हूँ की वक़्त को यहीं रोक दे और मैं तेरी गोद में मरते वक़्त तक पड़ा रहू।

मैं अपने नाजुक हाथों को प्रवीण के होंठों पर रख देती हूँ और जज़्बाती होते हुए कहती हूँ- “मरे तुम्हारे दुश्मन मैं अपने भगवान से यही दुआकरती हूँ की हम दोनों की साँसें एक साथ जाए..."

प्रवीण मेरी बात सुनते ही अपने होंठों पर पड़े हुए मेरे हाथ को चूमते हुए कहता है- “जान इसलिए तो तुम मुझे सारी दुनियां से अच्छी लगती हो। मैं तुमसे दूर रहकर अब जी नहीं पाऊँगा, आओ मुझे अपनी बाहों में भर लो, और मुझे सारी दुनियां से छुपाकर अपने आगोश में भर लो...”


प्रवीण की बात सुनकर मैं नीचे झुकते हुए उसको अपनी बाहों में भर लेती हूँ। मेरी चूचियां प्रवीण के सीने में दब जाती हैं, और प्रवीण मेरे चहरे से, अपने हाथों से मेरे बालों को दूर करते हुए मेरे बहते हुए आँसुओं

होंठों को प्रवीण से दूर कर देती हैं। प्रवीण मेरे चहरे को अपने हाथों में भरते हुए अपनी तरफ करता है। मैं शर्म के मारे अपनी आँखें बंद कर देती हूँ।

प्रवीण मुझे देखते हुए कहता है- “आज मैं तुम्हारे अंग-अंग को महसूस करना चाहता हूँ आज मुझ मत रोको...”

प्रवीण यह कहते हुए अपने होंठों को मेरे सुलगाते हुए होंठों पर रख देता है। उसके होंठों के मेरे होंठों से टकराने से मेरी साँसें उखड़ने लगती है और मेरी चूत में से पानी की कुछ बूंदें निकालने लगती हैं। प्रवीण मेरे एक-एक होंठ को अपने होंठों से चूसता है। को साफ करते हुए कहता है- “पगली तुम रो क्यों रही हो? सारी दुनियां को भूलकर अपने यार की बाहों में खो जाओ...”
 horseride  Cheeta    
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प्रवीण मेरे बालों से खेलते हुए मेरे सिर को पकड़ते हुए मेरे माथे पर एक चुंबन देता है, प्रवीण के चुंबन से मेरा सारा शरीर सिहर उठता है। प्रवीण अब मेरे माथे से होते हुए मेरे गालों तक आ जाता है और मेरे नरम गालों को अपने होंठों से चूमते हुए चूसने लगता है। प्रवीण की इस हरकत से मेरा पूरा शरीर काँपने लगता है। मुझे अपने पूरे शरीर में गुदगुदी होने लगती है। मगर मुझे उस गुदगुदी के साथ अपने पूरे शरीर में अजीब किस्म का मजा भी आता है।

प्रवीण अब अपने होंठों को मेरे गालों से रगड़ते हुए मेरे गुलाबी होंठों तक आ जाता है। प्रवीण के होंठ अपने होंठों पर महसूस करके मेरे शरीर में एक जबरदस्त किस्म का झटका लगता है, और मैं शर्म के मारे अपने उसके होंठ चूसने से मेरा हाथ अपने आप उसके बालों में चला जाता है और हम सारी दुनियां को भूलकर एक दूसरे के होंठ चूसते हुए एक दूसरे में समा जाते हैं।

अचानक प्रवीण का हाथ मेरी पीठ से फिसलते हुए मेरी चूचियों के ऊपर पहुँच जाता है और मेरी साड़ी के ऊपर से ही मेरी नरम चूचियों को दबाने लगता है। प्रवीण का हाथ अपनी चूचियों पर महसूस होते ही मेरे मुँह से आह्ह्ह... निकल जाती है और प्रवीण मेरे मुँह के खुलते ही मेरी जीभ को पकड़कर चाटने लगता है। मेरा अंगअंग टूटने लगता है। मैं उस वक़्त यह चाहती थी की प्रवीण मुझे अपनी बाहों में लेकर मेरे पूरे शरीर को जोर से दबाए और मेरे पूरे जिश्म को निचोड़ दे।

मैं प्रवीण की जीभ को पकड़कर चाटने लगती हूँ। हम दोनों कुछ देर तक यूँ ही एक दूसरे की जीभों को चाटते रहते हैं और प्रवीण अपने हाथों से मेरी चूचियों को सहलाता रहता है। प्रवीण अब मेरे होंठ को छोड़कर मेरे गले को चूमने लगता है। प्रवीण की जीभ अपने गले पर महसूस करके मेरी आँखें मजे से बंद हो जाती हैं। क्योंकी प्रवीण के होंठ मेरे गले को चूमते हुए मेरे पूरे शरीर को उत्तेजित कर रहे थे। प्रवीण अब सीधा होकर बैठ जाता है। और मेरी साड़ी को मेरे जिस्म से अलग करते हुए मुझे अपनी गोद में बिठा लेता है। मेरी साँसें बहुत जोर से चलने लगती है जिस वजह से मेरी ब्रा में कैद चूचियां ऊपर-नीचे होने लगती हैं, जिसे प्रवीण अपने हाथों में थामते हुए मेरी पीठ को चूमने लगता है।

मुझे अपनी गाण्ड के नीचे प्रवीण का लण्ड मेरी गाण्ड में चुभते महसूस होता है। मैं वहाँ से उठने की कोशिश करती हूँ। मगर प्रवीण मुझे अपनी बाहों के घेरे से उठने नहीं देता और अपने होंठ मेरे पीठ से ले जाते हुए मेरे कंधे को चूमते हुए मेरे एक कान को अपने मुँह में लेकर चूसने लगता है। मैं सब कुछ भूलकर फिर से प्रवीण की बाहों में खो जाती हूँ।

प्रवीण मेरे कान को चूसते हुए अपने हाथों से मेरी ब्रा के हुक खोल देता है और मेरी बाहों को ऊपर उठाते हुए मेरी ब्रा मेरे जिश्म से अलग कर देता है। ब्रा के अलग होते ही प्रवीण मुझे अपनी बाहों में सीधा लेटा देता है। और मेरी नंगी चूचियों को गौर से देखने लगता है। प्रवीण को यूँ अपनी नंगी चूचियों को घूरते हुए देखकर मैं शर्म से पानी-पानी हो जाती हूँ, और अपना मुँह उसके सीने में छुपा देती हूँ। प्रवीण मेरे सिर को अपने हाथों से सीधा कर देता है। मगर मेरे घने बाल मेरे मुँह और मेरी चूचियों को ढक लेते हैं।

प्रवीण मेरे घने बालों को अपने हाथों से सहलाते हुए मेरे चहरे और मेरी चूचियों से दूर करते हुए कहता है- “मेरी जान, आज मुझे मत रोको। मैं आज तुम्हारे जिश्म से नहीं तुम्हारी रूह तक से प्यार करना चाहता हूँ..”

प्रवीण की बात सुनकर मैं अपने आपको ढीला छोड़ देती हैं। प्रवीण मेरी चूचियों को गौर से देखते हुए अपने होंठ नीचे करते हुए मेरी चूचियों के ऊपर रख देता है और मेरी चूचियों के ऊपर के उभार को चाटने लगता है। अपनी चूचियों के उभार पर प्रवीण के होंठ महसूस करके मेरा पूरा शरीर थिरकने लगता है और मेरा हाथ अपने आप प्रवीण के बालों में चला जाता है। प्रवीण मेरी चूचियों के उभारों को एक-एक करके चाटने के बाद मेरी चूची को एक हाथ से सहलाते हुए मेरी दूसरी चूची के दाने को अपने मुँह में भर लेता है।
 horseride  Cheeta    
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मेरी चूची प्रवीण के मुँह में जाते ही मेरे पूरे शरीर में अजीब किस्म की सिहरन होने लगती है और मेरी चूत से भी ज्यादा पानी निकलने लगता है।

प्रवीण बहुत प्यार से मेरी एक-एक चूची को अपने मुँह में भरकर चाट रहा था। वो मेरी चूचियों को पूरी तरह से चाटने के बाद नीचे होते हुए मेरे पेट को चूमने लगा। प्रवीण मेरे पेट को चूमते हुए अपनी जीभ निकालकर मेरी नाभि में घुमाने लगा। मेरे पूरे शरीर में मजे के मारे अजीब किस्म की गुदगुदी होने लगी और मेरी साँसें बहुत जोर से ऊपर-नीचे होने लगी। प्रवीण मेरी नाभि पर जीभ फिराता हुआ नीचे होते हुए मेरी कच्छी पर आ गया। मेरी चूत से इतना पानी निकल चुका था की मेरी पूरी कच्छी गीली हो चुकी थी।

प्रवीण की जीभ मेरी कच्छी पर रखते ही उसे अपने मुँह में एक नमकीन सा अहसास महसूस हुआ और मुझे उसकी जीभ कच्छी के ऊपर से ही मेरी चूत पर महसूस होने लगी। प्रवीण को मेरी चूत से निकलकर मेरी कच्छी पर लगा हुआ नमकीन पानी बहुत अच्छा लगा, इसलिए वो अपनी जीभ मेरी पूरी कच्छी पर फिराते हुए उसके पानी को पीने लगता है। प्रवीण मुझे अपनी गोद से नीचे पटों पर सुलाते हुए मेरी कच्छी को अपने दोनों हाथों से उतार देता है।

मैं अपनी बर्थ पर बैठकर सपने के बारे में सोच रही थी। यह सपना कुछ अजीब था। मैं एक गाँव में थी और मेरी शादी हो चुकी है। फिर भी मैं प्रवीण से प्यार करती हैं, और यह ठाकुर की बहू हूँ। मेरा सिर यह सोचतेसोचते चकराने लगा, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

मेरी नजर प्रवीण पर पड़ी, तो वो सिर्फ एक अंडरवेर में अकेला बर्थ पर सोया हुआ था। शायद हमारे सोने के बाद उसने अपने कपड़े उतार दिए थे। प्रवीण का लण्ड पूरी तरह से तना हुआ था क्योंकी अंडरवेर में एक बड़ा सा उभार बना हुआ था। मैं उठकर प्रवीण के पास चली गई, और उसके करीब पहुँचकर मेरा हाथ अपने आप उसके अंडरवेर के ऊपर बने हुए उभार तक चला गया। मैं अपने हाथ से प्रवीण के लण्ड को अंडरवेर के ऊपर से ही ऊपर से नीचे तक फिराने लगी।

मुझे अपने जिम में अजीब किस्म की झुरझुरी महसूस हो रही थी और मेरा पूरा जिश्म पशीने से भर गया था मेरी आँखें भी अपने आप बंद हो चुकी थी। मैं कुछ देर तक प्रवीण के अंडरवेर के ऊपर से ही उसके लण्ड पर हाथ फिराने के बाद अपनी आँखें खोलकर प्रवीण के नंगे सीने को देखने लगी। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरा हाथ अपने आप प्रवीण के सीने पर आ गया और उसके सीने के बालों से खेलने लगा। मैं कुछ देर तक प्रवीण के सीने को सहलाने के बाद अपने कपड़े उतारने लगी।

मैं बिल्कुल नंगी होकर प्रवीण के साइड में लेटते हुए अपने होंठों से उसके सीने को चूमने लगी। प्रवीण को चूमते हुए मेरी साँसें उखड़ रही थी। मैं खुद अपने बस में नहीं थी। मुझे प्रवीण पर बहुत सारा प्यार आ रहा था। मैं । अपने होंठ प्रवीण के पूरे सीने पर फिराते हुए उसकी चूचियां के छोटे से दाने पर अपनी जीभ फिराने लगी। प्रवीण नींद में ही मेरी जीभ को अपनी चूचियां के दाने पर महसूस करके हिलने लगा। मैं अपना मुँह खोलकर उसकी चूची के दाने को अपने मुँह में भरकर चूसने लगी।

मैं प्रवीण के चूची के दाने को बहुत जोर से चूस रही थी। प्रवीण की नींद टूट गई और वो अपनी आँखें खोलते हुए चौंक गया। मैंने अपना हाथ उसके मुँह पर रख दिया और अपने मुँह से उसके चूची के दाने को निकालते हुए अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। प्रवीण मुझे देखकर नार्मल होते हुए मेरे होंठों को चूमने लगा। मेरी हालत बहुत बुरी हो चुकी थी। पहले ही उस सपने की वजह से मेरी चूत से बहुत पानी निकल चुका था। मैं उठते हुए प्रवीण के ऊपर आ गई और उसके होंठों को चूमते हुए अपनी चूचियां उसके सीने के बालों से रगड़ने लगी।

मैं अपनी चूचियों को उसके जिस्म से रगड़ते हुए नीचे होने लगी। मैं अब प्रवीण के अंडरवेर तक आ गई थी। मैंने अपनी चूचियों को प्रवीण के अंडरवेर के ऊपर बने हुए उभार पर रगड़ते हुए नीचे होने लगी और अपना मुँह उसके अंडरवेर के ऊपर रख दिया। मेरा मुँह अपने अंडरवेर पर पाते ही प्रवीण के मुँह से आह्ह्ह... निकल गई। मैंने अपने हाथों से प्रवीण के अंडरवेर को पकड़कर नीचे सरकाते हुए उतार दिया।
 horseride  Cheeta    
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प्रवीण का अंडरवेर उतरते ही उसका फनफनाता हुआ लण्ड मेरी आँखों के सामने झूमने लगा। मैंने प्रवीण के लण्ड को ऐसे पकड़ लिया जैसे मुझे कोई खोई हुई चीज मिल गई हो। मैंने प्रवीण के लण्ड को अपने हाथों से सहलाते हुए अपना मुँह नीचे ले जाते हुए उसके गुलाबी सुपाड़े को चूम लिया। मैंने उसके लण्ड के सुपाड़े को चूमने के बाद अपनी जीभ निकालकर उसके सुपाड़े पर फिराने लगी। प्रवीण मजे से सिसकते हुए मेरे सिर में हाथ डालते हुए मेरे बालों को सहलाने लगा। मैं कुछ देर तक उसके सुपाड़े को चाटने के बाद अपना मुँह खोलते हुए उसके लण्ड के सुपाड़े को अपने मुँह में भर लिया।

प्रवीण का लण्ड मेरे मुँह में जाते ही उसके मुँह से “आअहह...” की सिसकी निकल गई। मैं अपने होंठों से उसके लण्ड के सुपाड़े को चाटने लगी। उसके लण्ड से थोड़ा-थोड़ा वीर्य निकालकर मेरे मुँह में आ रहा था, जिसे मैं बड़े मजे से चाट रही थी। आज मुझे प्रवीण का लण्ड बहुत प्यारा लग रहा था।


मैंने अपना मुँह थोड़ा सा ज्यादा खोलते हुए उसका लण्ड जितना हो सकता था अपने मुँह में ले लिया। मैं प्रवीण का आधा से ज्यादा लण्ड अपने मुँह में डालकर अपने मुँह को उसके लण्ड पर आगे-पीछे करने लगी। प्रवीण का लण्ड मेरे मुँह की गरमाइश की वजह से बिल्कुल लोहा बन चुका था और प्रवीण ने अब सिसकते हुए मेरे सिर को पकड़ते हुए अपने लण्ड को तेजी के साथ मेरे मुँह में अंदर-बाहर करने लगा। प्रवीण का लण्ड मेरे मुँह में तेजी के साथ अंदर-बाहर होते हुए मेरी हलक तक पहुँच रहा था।

मुझे अपने मुँह में दर्द होने लगा और मेरी आँखों से आँसू निकालने लगे। मेरी मोटी आँखों में आँसू देखकर प्रवीण ने अपने लण्ड को मेरे मुँह से निकाल दिया। प्रवीण की यह अदा मुझे बहुत पसंद आई। मैंने अपना मुँह खोलते हुए उसके लण्ड का सुपाड़ा अपने मुँह में भरते हुए अपने दाँतों से उसे हल्का काट दिया।

प्रवीण के मुँह से “ऊईई...” की चीख निकल गई और वो मेरे मुँह से अपना लण्ड निकालते हुए मुझे बर्थ पर सीधा लेटाते हुए मेरे ऊपर चढ़कर मेरी चूचियों को अपने हाथों से जोर से मसलते हुए अपने मुँह में भरकर चूसते हुए काटने लगा।

“ऊईए इस्स्स्स
..” इस बार चीखने की बारी मेरी थी।

प्रवीण मेरी चूचियों को कुछ देर तक चाटने के बाद नीचे होते हुए मेरी टाँगों को ऊपर उठाते हुए घुटनों तक मोड़ते हुए मेरे पेट पर रख दी। और मेरी रस टपकाती हुई चूत को गौर से देखने लगा। प्रवीण अपना मुँह नीचे ले जाते हुए मेरी चूत को चूमने लगा। प्रवीण की इस हरकत से मेरा सारा जिश्म काँपने लगा। प्रवीण मेरी चूत को चूमते हुए उससे निकलता हुआ पानी अपनी जीभ से चाटने लगा।

मेरी बर्दाश्त खतम हो रही थी इसलिए मैंने प्रवीण को सिर से पकड़ते हुए उसे ऊपर करते हुए कहा- “मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है अपना लण्ड मेरी चूत में डालकर मुझे चोदो..”

प्रवीण मेरे मुँह से यह सब सुनकर उत्तेजित होते हुए अपने लण्ड को मेरी चूत के छेद पर रखते हुए बहुत जोर के दो तीन धक्के मार दिये। मेरे मुँह से मजे के मारे “आअह्ह्ह...” की हल्की चीख निकल गई। प्रवीण का लण्ड जड़ तक मेरी चूत में घुस चुका था और उसकी गोटियां मेरी गाण्ड से टकरा रही थी। प्रवीण अपना लण्ड पूरा मेरी चूत से बाहर निकालकर फिर जोर के साथ अंदर घुसा देता। मेरा पूरा शरीर पहले से पशीने में भीगा हुआ था। प्रवीण के 4-5 धक्कों में ही मेरी चूत ने खुशी के आँसू बहाने शुरू कर दिये।

मैं- “ऊहह... आअहह्ह...” करते हुए झड़ने लगी।

प्रवीण मुझे झड़ता हुआ देखकर बहुत जोर के धक्के लगाने लगा और मैं मजे से अपनी आँखें बंद करके झड़ने का मजा लेने लगी। जब मेरा झड़ना बंद हुआ तो प्रवीण ने मेरी चूत से अपना लण्ड निकालते हुए मुझे उल्टा लेटा दिया और अपना लण्ड पीछे से मेरी चूत में डाल दिया। प्रवीण आधे घंटे तक मेरी चूत को चोदता रहा और मेरी चूत में अपना वीर्य भरने लगा। इस बीच में दो दफा और झड़ चुकी थी। प्रवीण का वीर्य अपनी चूत में । महसूस करते ही मेरी चूत में लगी हुई आग शांत हो गई, और मैं निढाल होकर वहीं लेट गई।
 horseride  Cheeta    
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प्रवीण भी थक गया था। वो उठकर बाथरूम में चला गया और मैं कपड़े पहनकर अपनी बर्थ पर लेट गई। मेरे लेटते ही मुझे नींद आ गई, और जब मेरी आँखें खुली तो सुबह हो चुकी थी और सभी उठ चुके थे।

मैं बाथरूम में जाकर फ्रेश होने लगी और फ्रेश होने के बाद मैं बाहर आ गई। मैं मोहित के साथ एक अंजान लड़के को देखकर हैरान रह गई। करुणा और मोहित हँस-हँसकर उससे बातें कर रहे थे। मेरे वहाँ पहुँचते ही मोहित ने उस लड़के से मेरा परिचय कराते हुए कहा- “यह है मनीष... और मनीष यह है धन्नो...”


उस लड़के ने मुझे हाय कहते हुए अपना हाथ आगे बढ़ा दिया। मैंने भी अपना हाथ बढ़ाकर उसे हेलो कहा। मैं उनके साथ ही एक बर्थ पर बैठ गई। मैंने बैठते ही पूछा- “मनीष कहाँ से आ गया?”

मेरी बात सुनते ही करुणा बोल पड़ी- “दीदी रात को उनकी बोगी में आग लग गई थी और रात वाली सारी बात बता दी...”

करुणा की बात सुनकर मैं खामोश हो गई।

मोहित- “मनीष तुम कहाँ जा रहे हो, और तुम कहाँ के रहने वाले हो?”

मनीष- “यार मैं करमपुर गाँव जा रहा हूँ और वहीं का रहने वाला हूँ, मुंबई पढ़ने के लिए गया था। अब छुट्टियां हैं तो वापस घर जा रहा हूँ...”

मोहित- “करमपुर... तुम किस करमपुर की बात कर रहे हो, और तुम्हारे गाँव के ठाकुर का नाम क्या है?”

मनीष- मेरे गाँव का ठाकुर मेरा बाप है उसका नाम है प्रताप सिंह।

मोहित- “प्रताप सिंह? मनीष, मैं भी करमपुर का रहने वाला हूँ तुमने मुझे पहुँचाना नहीं? मैं सीता का बेटा हूँ, बचपन में हम साथ में खेलते थे। तुम्हारा एक छोटा भाई भी तो है जिसके साथ मेरा झगड़ा हुआ था। क्या नाम है उसका?”

मनीष- रवी नाम है उसका। तुम सीता मौसी के बेटे हो?

मोहित- हाँ मनीष, मैं सीता का बेटा हूँ।

मनीष- यार तुम तो बहुत बड़े हो गये हो पहचान ही नहीं पाया। मगर तुम कहाँ से आ रहे हो?

मोहित- मैंने पढ़ने के लिए मुंबई में एडमिशन ले लिया है और वहाँ सोनाली आँटी के घर में रहता हूँ, यह करुणा उसकी बेटी है और धन्नो उसकी भतीजी।

मनीष- सोनाली... यह वोही है ना जिसका पति बैंक में था और वो तो मर चुका है।


मोहित- हाँ सही पहचाना वोही सोनाली आँटी। मनीष अब हमसे बातें करने लगा और हम सब आपस में बातें करने लगे।

मगर मेरी नजर बार-बार इधर-उधर प्रवीण को ढूँढ़ रही थी।

मुझे ऐसे बेचैन देखकर मोहित ने कहा- “क्या हुआ धन्नो किसे ढूँढ़ रही हो?”

मैंने मोहित को कहा- “प्रवीण और राधा नजर नहीं आ रहे हैं..”

मोहित ने कहा- “यार वो चले गये। सुबह उनका स्टेशन आ गया था तुम सो रही थी...”


मैं मोहित की बात सुनकर खामोश हो गई। हम सब ऐसे ही बातें करते रहे। कब हमारा स्टेशन आ गया पता ही नहीं चला। हम सभी अपना-अपना सामान उठाकर अपने स्टेशन पर उतरने लगे। ट्रेन से उतरते ही हमारा गाँव कोई 20 कीलोमीटर दूर था। वहाँ से एक बस हमारे गाँव जाती थी। हम बस की तरफ बढ़ने लगे।
 horseride  Cheeta    
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मनीष ने कहा- “कहाँ जा रहे हो, तुम इस खटारा बस में चढ़ोगे? ठहरो हमारी कार आने वाली होगी साथ में चलते हैं...”

तभी मनीष का मोबाइल बजा जिसे उसने अपने कान पर रखा, और कहा- “क्या कार पंचर हो गई है और एक्सट्रा तैयार भी नहीं है। नानसेन्स अब मैं कैसे आऊँगा?” यह कहते हुए मनीष ने फोन बंद कर दिया।

मोहित ने मनीष से कहा- “आओ अब यह खटारा बस ही हमें मंजिल तक पहुँचाएगी...”

मनीष भी हमारे साथ बस में चढ़ने लगा। बस में अंदर घुसते ही हम हैरान रह गए। बस बिल्कुल भरी हुई थी, और वहाँ पर बैठने की जगह तो छोड़ो खड़ा रहने की भी गुजाइश बहुत कम थी। हमारे अंदर चढ़ते ही बस स्टार्ट हो गई और आगे चलने लगी।

मनीष ने गुस्से में बस से किराया वसूल करने वाले को बुलाकर कहा- “यह कौन सी शराफत है? कम से कम बस की सीटें खाली नहीं है तो बता देते हम नहीं चढ़ते...”

मनीष की बात सुनकर वो हँसने लगा और हँसते हुए कहा- “लगता है शहर से आए हो, यहाँ पर तो डेली ऐसे ही बस गाँव जाती है...”

मनीष उसकी बात सुनकर चुप हो गया। बस में बहुत भीड़ थी। कई लड़के, बूढ़े और लड़कियां हमारे साथ खड़ी थी और वहाँ पर हिलने की गुंजाइश भी नहीं थी। मैं जहाँ खड़ी थी मेरे आगे मोहित और कुछ लड़कियां खड़ी थी। और मेरे पीछे एक बूढ़ा खड़ा था। करुणा और मनीष साथ में थे, आगे करुणा और पीछे मनीष।

अचानक बस एक ब्रेकर से गुजरी हम सब उछलते हुए एक दूसरे पर गिरने लगे। मोहित ने अपने हाथ से सामने वाली लड़की को पकड़ लिया और पीछे खड़े बूढ़े ने मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे पकड़ लिया। क्योंकी मोहित और उस बूढ़े का एक हाथ बस की ऊपर वाली स्टैंड को पकड़े हुए था। उस लड़की ने मोहित को हँसकर शुक्रिया कहा और मैंने भी उस बूढ़े को हँसकर शुक्रिया कहा। बस आगे चलती रही। अब रास्ता बहुत खराब चल रहा था जिस वजह से हम सब एक दूसरे से टकरा रहे थे।

मैंने महसूस किया की बूढ़ा बार-बार मेरे पीछे से टकरा रहा था, और कोई ठोस चीज मेरी गाण्ड से टकरा रही थी। कुछ ही देर के बाद मैं समझ गई की वो बूढ़ा जानबूझ कर मुझसे टकरा रहा था और जो ठोस चीज मुझसे टकरा रही थी वो उस बूढ़े की धोती में खड़ा लण्ड था। मैं अपना चेहरा उस बूढ़े की तरफ करके उस देखने लगी।

वो बूढ़ा मुश्कुराता हुआ कहने लगा- “क्या करें बेटी बहुत भीड़ है, इसलिए हम तुमसे टकरा रहे हैं...”

मैंने अपना चेहरा वापस मोड़ लिया। कुछ देर तक वो बूढ़ा चुपचाप खड़ा रहा मगर थोड़ी ही देर में फिर से उसका लण्ड मेरी गाण्ड पर टकराने लगा। मैंने सोचा चलो बूढ़े को मजे लेने दो, भरी बस में भला वो और क्या कर सकता है? इसलिए मैंने अपनी गाण्ड को पीछे करके उस बूढ़े के लण्ड को अपने चूतड़ों पर ठीक तरीके से सेट कर दिया। बूढ़ा मेरा सपोर्ट पाते ही अपना लण्ड मेरे चूतड़ों पर रगड़ते हुए अपना हाथ भी मेरी गाण्ड पर रख दिया।

मोहित सामने खड़ी लड़की से सटकर खड़ा हो गया और अपना लण्ड उसकी गाण्ड पर रगड़ने लगा। वो लड़की अपनी गाण्ड पर मोहित का लण्ड महसूस करके चौंक गई, और थोड़ा आगे की तरफ होते हुए खड़ी हो गई। मोहित भी थोड़ा आगे होते हुए फिर से उस लड़की के साथ सटकर खड़ा हो गया।

इधर बूढ़ा मेरी नरम गाण्ड पर अपने हाथ फिराते हुए अपना लण्ड मेरे चूतड़ों में दबाने लगा, और अपना लण्ड मेरी गाण्ड पर दबाते हुए अपना हाथ आगे लाकर मेरे पेट पर फिराते हुए ऊपर-नीचे करने लगा। मेरी साँसे उखड़ने लगी। मैंने बूढ़े का आगे बढ़ता हुआ हाथ अपने हाथ से पकड़कर दूर झटक दिया। बूढ़े ने अपना हाथ फिर से मेरी गाण्ड पर रख दिया और वहाँ से फिराते हुए मेरी कमीज के अंदर घुसकर मेरे नंगे पेट को सहलाने लगा।
 horseride  Cheeta    
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मेरी तो साँसें ही रुक गई उस बूढ़े की हिम्मत देखकर। मैं घबरा गई लेकिन अब मैं फैंस चुकी थी, मैंने ही उसे लिफ्ट दी थी। मैं अपने हाथ से फिर से उस बूढ़े का हाथ पकड़कर झटकने लगी। मगर उस बूढ़े ने अपना दूसरा हाथ बढ़ाकर मेरे हाथ को पकड़ लिया और अपना हाथ मेरे चिकने पेट पर फिराने लगा। मेरी हालत बिगड़ती जा रही थी। उस बूढ़े के हाथ में गजब का जादू था। मेरी चूत ने पानी बहाना शुरू कर दिया था। उसे बूढ़े ने अपना हाथ मेरे पेट से ऊपर ले जाते हुए मेरी ब्रा की तरफ बढ़ाने लगा। मेरी साँसें बहुत जोर से ऊपर-नीचे होने लगी।

मोहित ने भी अपना लण्ड उस लड़की की गाण्ड पर रगड़ते हुए अपना हाथ उसकी गाण्ड पर रख दिया। लड़की के लिए अब आगे बढ़ने की कोई जगह ना थी, इसलिए मजबूर होकर वो वहीं खड़ी रही। मोहित लड़की के ना छटपटाने पर अपना हाथ उसकी गोल-गोल गाण्ड पर फिराते हुए अपने हाथों से उसकी मोटी गाण्ड को दबाने लगा। मोहित के हाथों से अपनी गाण्ड दबने से वो लड़की भी गरम हो गई और अपने चूतड़ों को पीछे की तरफ धकेलने लगी। मोहित लड़की की इजाजत पाकर अपना हाथ उसकी गाण्ड से आगे ले जाते हुए उसके पेट पर फिराते हुए ऊपर करने लगा।


मोहित के हाथ अपने पेट पर महसूस करके वो लड़की बिल्कुल गरम हो चुकी थी, इसलिए वो अपने चूतड़ों को पीछे धकेलते हुए थोड़ा सा नीचे झुक गई। जिस वजह से मोहित का लण्ड उसकी गाण्ड के साथ चूत पर भी महसूस होने लगा। मोहित ने अपने लण्ड को उसके चूतड़ों में दबाते हुए अपना हाथ ऊपर करते हुए उसकी भारीभारी चूचियों को पकड़ लिया। अपनी चूचियों पर मोहित का हाथ महसूस करके वो लड़की जोर से हाँफने लगी। मोहित अपने हाथों से उस लड़की के चूचियां दबाता रहा।

उस लड़की का हाँफना बंद हुआ तो वो सीधी हो गई, और मोहित का हाथ पकड़कर अपनी चूचियों से दूर झटक दिया। मैं समझ गई वो झड़ चुकी है अब वो मोहित को घास नहीं डालेगी।

बूढ़े का हाथ ऊपर मेरी चूचियों तक पहुँच चुका था, और मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों को दबा रहा था।

मोहित ने फिर से अपना हाथ बढ़ाकर उस लड़की की चूचियों को पकड़ लिया।

तभी अचानक बस रुक गई क्योंकी गाँव आ चुका था। बस के रुकते ही सभी बस से उतरने लगे। उस बूढ़े ने भी मुझे छोड़ दिया। मगर मोहित ने उस लड़की के साथ उतरते हुए उसके कान में कुछ कहा।

उस लड़की ने बस से नीचे उतरते ही शोर मचाना शुरू कर दिया- “भाइयों और बहनों देखो यह लड़का मुझे छेड़ रहा है। मेरे मना करने पर भी यह नहीं माना और मुझसे गंदी बातें कर रहा है...”

उस लड़की की बात सुनकर वहाँ खड़े तीन-चार आदमियों ने मोहित को घेर लिया और मोहित को गले से पकड़ते हुए कहा- “क्या है बहुत चर्बी चढ़ गई है क्या? लड़की को छेड़ता है। लगता है की तुम शहर से आए हो...” यह कहते हुए वो सभी मोहित को पीटने लगे। हम सभी तमाशायी बनकर देखने लगे। मोहित जमीन पर पड़ा था और वो उसे पीट रहे थे।

तभी मनीष ने आगे बढ़ते उए उन आदमियों से कहा- “छोड़ो इसको मार ही डालोगे क्या? बस इसे अपने किए की सजा मिल गई...”

वो आदमी मनीष की बात को सुनकर हट गए। मोहित की हालत देखकर मैं और करुणा हँसने लगे। उसकी शर्ट फट चुकी थी, और उसका मुँह सूज चुका था, उसकी नाक से खून निकल रहा था।

मनीष ने अपना रुमाल मोहित की तरफ बढ़ते हुए कहा- “तुम्हें क्या जरूरत थी उस लड़की से छेड़-छाड़ करने की? यह शहर नहीं गाँव है...”

मोहित ने रुमाल से अपनी नाक का खून साफ करते हुए कहा- “यार मनीष वो लड़की बहुत चालू थी। बस में मुझे पूरा लिफ्ट दे रही थी, और बाहर आते ही सती-सावत्री हो गई...”

मनीष ने हँसते हुए कहा- “तो तुमने बस के बाहर उससे छेड़-छाड़ क्यों की? यह गाँव है, अगर कोई उसे देख लेता तो उसको जिंदा गाड़ देते...”
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मनीष और हम पैदल चल रहे थे की अचानक एक बाइक आकर हमारे सामने रुकी। उसपर एक हैंडसम और क्यूट लड़का बैठा था उसकी उँचाई 56" रंग गोरा, उसका जिश्म भरा हुआ था और उसका सीना चौड़ा था, दिखने में बिल्कुल हैंडसम लग रहा था। मनीष उसे देखते ही भागते हुए रवी कहते हुए उसके गले से जा लगा। थोड़ी देर तक वो आपस में मिलने के बाद मनीष ने उसे हमसे मिलवाया- “रवी यह है करुणा, धन्नो, और मोहित...”

रवी ने हम सबको हाय कहा और मोहित की तरफ देखते हुए कहा- “इसे क्या हुआ?”

मनीष ने हँसते हुए कहा- “किसी लड़की को धक्का लग गया इसका, उसने शोर मचाना शुरू कर दिया। गाँव वालों ने इसकी धुलाई कर दी...”

रवी ने हँसते हुए मोहित की तरफ देखते हुए कहा- “क्यों मोहित, गाँव की छोरी इतनी खूबसूरत थी क्या?” और हँसने लगा। रवी बातें करते हुए मुझे घूर रहा था, उसकी नजरों में अजीब किस्म की कशिश थी।

मनीष ने हम सबसे कहा- “शाम को मेरे घर पर चाय पीने जरूर आना, मैं रवी के साथ चलता हूँ...”

रवी जाते हुए भी मुझे घूर रहा था। बाइक स्टार्ट करते हुए रवी ने हमें बाइ कहा और आँखों ही आँखों में मुझसे कह दिया- “छोरी तुम तो बहुत खूबसूरत हो..”

मनीष और रवी के जाते ही हम मोहित के साथ घर जाने लगे। घर पहुँचते ही सीता मौसी ने मोहित को घायल देखकर भागती हुई मोहित से लिपट गई- “बेटे मेरे लाल क्या हुआ, तुम्हें किसने मारा है?”

मोहित शर्म के मारे चुप रहा।

मैंने मौसी से कहा- “मौसी मोहित बस से उतरते वक़्त गिर गया था...”

मेरी बात सुनकर मौसी ने मोहित से कहा- “इतना बड़ा हो गया है, फिर भी बस से गिर गये। आओ बैठो मैं पानी लेकर आती हूँ..”

मौसी के जाते ही मोहित ने मुझे देखते हुए आँखों ही आँखों में बैंक्स कहा। मौसी एक जग पानी का और एक तौलिया लेकर आ गई, और मोहित को मुँह धोने के लिए कहा। मोहित के मुँह धोने के बाद मौसी ने उसका मुँह तौलिया से साफ कर दिया। मौसी मोहित के चक्कर में हमको भूल गई थी। मोहित का मुँह साफ करने के बाद मौसी ने उसे खटिया पर लिटा दिया।

फिर मौसी ने हमारी तरफ बढ़ते हुए कहा- “धन्नो तुम तो बहुत बड़ी हो गई हो, और करुणा तुम भी तो पूरी जवान हो चुकी हो। कोई रिश्ता वगैरह आया है तुम दोनों के लिए या ऐसे ही बैठी हो?”

मौसी की बात सुनकर करुणा शर्म के मारे लाल हो गई।

मैंने मौसी से कहा- “मौसी बिंदिया की शादी फिक्स हो गई है और करुणा तो अभी बहुत छोटी है...”
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मेरी बात सुनकर मौसी बोली- “अरे धन्नो कैसी बातें करती हो? करुणा तो भगवान की दया से जवान है। पिछले हफ्ते उस करमू की लड़की जो अभी पूरी जवान भी नहीं हुई थी, वो किसी शहरी लौंडे समीर के साथ भाग गई..” अब तुम ही बताओ उस करमू की क्या हालत हुई होगी? किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं बचा बेचारा।

मैंने मौसी की बात सुनने के बाद कहा- “मौसी छोड़ो इन बातों को, हमें बहुत भूख लगी है कुछ खाना तो बना
दो.."

मौसी ने मेरी बात सुनकर हँसते हुए कहा- “खाना अभी बानाती हूँ..” और उठकर किचेन की तरफ चली गई।
करुणा और मैंने मौसी के जाते ही सुख की साँस ली। करुणा ने मुझे देखते हुए कहा- “धन्नो यह मौसी तो बहुत बोलती है, कैसे रहेंगे इसके साथ?”

मैंने करुणा से कहा- “मौसी को मैं संभाल लँगी। मगर तुम बताओ वो मनीष के साथ तुम्हारा कोई चक्कर है। कोई?”

मेरी बात सुनकर करुणा ने शर्माते हुए कहा- “धन्नो, सच पूछो तो हमें मनीष से प्यार हो गया है। मैं अब कोई गंदा काम नहीं करूंगी। मैं अपनी सारी जिंदगी मनीष के चरणों में गुजार देंगी...”

करुणा की बात सुनकर मैंने हैरान होते हुए कहा- “बात यहाँ तक पहुँच गई एक रात में? ऐसा क्या जादू किया मनीष ने तुम पर की तुम उसके गुण गाने लगी..”

करुणा ने कहा- “अब क्या बताऊँ... मनीष एक सागर है जिसने मुझे भी अपनी लहरों में ले लिया...”

करुणा की बात सुनकर मैंने कहा- “मगर वो एक ठाकुर का बेटा है। वो भी तुमसे प्यार करता है या सिर्फ तुम्हारी जवानी का इश्तेमाल किया...”

करुणा ने अपना हाथ मेरे होंठों पर रखते हुए कहा- “धन्नो वो मुझसे सच्चा प्यार करता है। मुझे क्या पता प्यार कैसा होता है। मनीष ने ही मेरी जिंदगी को पलट दिया है, और मैं अब उसकी बनकर रह गई हैं.”

करुणा की बातें सुनकर मेरा मन भी सोचने लगा की आखिर यह प्यार क्या है? किस बला का नाम है जो एक लड़की और लड़का एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते?

करुणा ने मुझे गुमसुम देखकर कहा- “धन्नो तुम भी यह सब छोड़कर एक सच्चा जीवन साथी हूँढ़ लो। जो मजा प्यार में है, वो दुनियां की किसी चीज में नहीं है...”

मैं और करुणा ऐसे ही कुछ देर तक बातें करते रहे। मौसी खाना लेकर आ गई और मैं खाना खाने के बाद फ्रेश होने के लिए उठी। मैंने मौसी से कहा- “बाथरूम कहाँ है मुझे नहाना है...”

मेरी बात सुनकर मौसी ने हँसते हुए कहा- “यहाँ पर बाथरूम नहीं है। यह गाँव है कोई शहर नहीं है, वो सामने कुवें में से पानी निकालकर नहा लो...” ।

मैंने मौसी की बात सुनकर सामने देखा। वहाँ पर एक मैदान था, जिसमें एक कुँवा था। वहाँ पर एक बाल्टी भी पड़ी थी। मैंने मौसी से कहा- “मौसी इस मैदान पर मैं कैसे नहाऊँगी?”
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मौसी ने कहा- “धन्नो यह गाँव है, हमारा कुँवा तो हमारे घर में हैं, दूसरे घरों में जहां कुँवा नहीं है उनकी औरतें तो बाहर वाली नहर पर नहाती हैं। तुम जाकर नहा लो...”

मौसी की बात सुनकर मैं अपने कपड़े लेकर सामने कुवें तक आ गई। मैं सोच रही थी की मैं यहाँ पर नहाने के लिए बैठ जाऊँ और अगर कोई आ गया तो? मैंने मौसी से कहा- “मौसी मैं नहा रही हूँ अगर बाहर से कोई आए तो बता देना...”

मौसी ने मेरी बात सुनते हुए कहा- “बेटी तुम बेफिकर नहा लो यहां कोई नहीं आता...”

मैं मौसी की बात सुनकर अपने कपड़े उतारने लगी। मैंने देखा की वहाँ पर एक रस्सी बँधी हुई थी। मैंने अपने कपड़ों को रस्सी पर ऐसे लटका दिया की सामने वाले को मैं नजर ना आऊँ और मैं कुवें से पानी भरकर अपने गरम जिश्म को ठंडा करने लगी। मैंने साबुन लेकर अपने जिश्म पर मलना शुरू कर दिया।

तभी अचानक मौसी की आवाज आई- “धन्नो तुम कपड़ों में ही नहा रही हो? इन्हें उतारकर नहाओ क्यों इतना शर्मा रही हो?”

मैंने सामने मौसी को खड़ा देखा। मैंने जल्दी से अपने हाथों से अपनी चूचियों को ढकते हुए अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया।

मौसी ने कहा- “धन्नो मुझसे भी शर्मा रही है, मैं भी तो तुम्हारी तरह औरत हूँ...” यह कहते हुए मौसी ने आगे बढ़ते हुए मेरी ब्रा को पीछे से खोलते हुए अपने हाथों से खींचकर अलग कर दिया और अपने हाथों से मेरी कच्छी को भी उतार दिया। मैं अब मौसी के सामने बिल्कुल नंगी थी। उसने मुझे बाहों से पकड़ते हुए सीधा कर दिया।

मेरे सीधे होते ही मौसी ने अपना हाथ अपने मुँह पर रख लिया, और कहा- “धन्नो तुम्हारी चूचियां कितनी गोरी हैं, और तुम्हारी चूत भी बिल्कुल गुलाबी है, इसीलिए तो गाँव के लड़के शहर की छोरियों के पीछे पड़े रहते हैं। इस गाँव में तो सभी की चूतें काली हैं। अब तुम आराम से नहा लो मैं जा रही हूँ...”

मौसी के जाने के बाद मैं नहाने लगी। नहाते हुए मैं सोचने लगी- “यह मौसी तो बहुत पहुँची हुई चीज है। इसने सारे गाँव की लड़कियों की चूत देख रखी है। फिर तो जरूर इसने गाँव के लण्ड भी देखे होंगे? वैसे मौसी भी इतनी बूढ़ी नहीं थी की वो चुदवा ना सके। उसकी उमर कोई 40 साल की थी...”


यह सोचते हुए मैं गरम हो गई और दो उंगलियां अपनी चूत में डालकर जोर-जोर से अंदर-बाहर करने लगी। कुछ ही देर में मेरी चूत से पानी निकलने लगा और मैं अपनी आँखें बंद करके झड़ने लगी। झड़ने के बाद जब मैंने आँखें खोली तो मेरा मुँह खुला का खुला रह गया। मुझे अपनी चूत में उंगली अंदर-बाहर करते हुए इतनी देर से कोई देख रहा था। मेरे सामने मौसी खड़ी थी। वो मुझे देखकर हँस रही थी। मैं मौसी को अपनी तरफ घूरता हुआ देखकर घबरा गई और जल्दी से उठकर अपने कपड़े पहनने लगी।

मौसी मुझे अपने कपड़े पहनते हुए देखकर मेरे पास आ गई और मेरी गाण्ड पर एक चिकोटी लेते हुए कहा- “वाह रे धन्नो... तुम तो बहुत गर्म हो...”

मैं मौसी की बात सुनकर शर्म के मारे लाल हो गई और अपने कपड़े पहनकर मौसी से बात किए बिना वहाँ से भाग गई। मैं कमरे में पहुँचकर कुछ देर तक करुणा से बातें करने लगे।

कुछ देर तक बातें करने के बाद हम सबने मिलकर खाना खाया। खाना खाने के बाद मैंने करुणा से कहा- “मैं थक गई हूँ, मैं कुछ देर आराम करती हूँ..."
 horseride  Cheeta    
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करुणा ने कहा- “मैं भी थक गई हूँ, मैं भी आराम करती हैं। शाम को मनीष के यहाँ भी जाना है..”

मैं और करुणा अलग-अलग होकर लेट गई। लेटते ही हमें नींद आ गई, क्योंकी हम दोनों ने रात को ठीक से नींद नहीं ली थी।

मनीष ने रवी के साथ बाइक पर अपने घर पहुँचते ही अपने बाप को वहाँ खड़ा देखा, मनीष बाइक से उतरकर सीधा अपने बाप के पैर छूने लगा।

मनीष के बाप ने उसे बाजुओं से पकड़कर अपने गले से लगाते हुए कहा- “बेटा तुम्हारी जगह हमारे पैरों में नहीं हमारे दिल में है...”

मनीष अपने पिता के साथ अंदर आ गया। अंदर आते ही प्रताप सिंह ने मनीष से कहा- “बेटे तुम थक गये होगे, जाओ फ्रेश होकर आओ जब तक हम खाना लगवाते हैं...”

मनीष अपने बाप की बात सुनकर सीधा अपने कमरे के बाथरूम में घुस गया और अपने पूरे कपड़े उतारकर फ्रेश होने चला गया। ठाकुर प्रताप सिंह का घर नहीं एक महल था। इस गाँव में जहाँ पर किसी के घर में एक भी बाथरूम भी नहीं था वहाँ ठाकुर के महल में हर कमरे के साथ एक अटैच बाथरूम बना हुआ था और उसके महल में जरूरत की सभी चीजें मौजूद थी। ठाकुर के महल में बहुत सारे नौकर रखे हुए थे जो उस महल का काम काज करते थे।

ठाकुर प्रताप के दो बेटे थे उसे कोई लड़की नहीं थी, और उसकी बीवी की मौत 10 साल पहले हो चुकी थी। ठाकुर की उमर कोई 45 साल थी, उसका कद लंबा 5'8” इंच, रंग गोरा और उसकी बाडी गठीली थी क्योंकी ठाकुर डेली सुबह उठकर कसरत करता था।

मनीष नहाने के बाद अपने कमरे से बाहर आ गया। ठाकुर ने खाना टेबल पर लगवा दिया था। मनीष नाश्ते की टेबल पर रवी और ठाकुर के साथ बैठ गया। टेबल पर खाना लग चुका था। मनीष के आते ही सब मिलकर खाना खाने लगे।

खाना खाते हुए रवी ने मनीष से पूछा- “भैया वो दोनों छोरियां कौन थी, जो आपके साथ आई थी?”

मनीष रवी के अचानक इस सवाल से चौंक उठा, मगर वो बात को संभालते हुए बोला- “रवी मैं जिस ट्रेन से आ रहा था उसी से वो लड़कियां और मोहित आ रहे थे, हमारे ही गाँव के सीता मौसी का बेटा और वो लड़कियां उसकी रिश्तेदार हैं। मोहित के साथ गाँव घूमने आई हैं.”

रवी ने मनीष की बात खतम होते ही कहा- “मगर आपने तो उन छोरियों को शाम को चाय के लिए बुलाया है..”

मनीष के बोलने से पहले ठाकुर बोल पड़ा- “रवी अगर चाय पर बुलाया है तो क्या हो गया? वो इसके साथ गाँव आई थी, और ठाकुर का बेटा होने के नाते मनीष ने उन्हें चाय की दावत दी होगी...”

रवी ने मनीष की तरफ देखते हुए कहा- “मगर बापू वो दोनों छोरियां बहुत गोरी और खूबसूरत थीं, मुझे तो दाल में कुछ काला लागे...”

ठाकुर रवी की बात सुनकर हँसते हुए बोला- “रवी तुम सुधरोगे नहीं। मनीष को छोड़ो, उन छोरियों में तुम्हें कौन सी अच्छी लगी?”
 horseride  Cheeta    
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ठाकुर की यह बात सुनकर मनीष का दिल धक-धक करने लगा। अगर रवी ने करुणा के बारे में कुछ कहा तो वो तो जीते ही मर जाएगा।

रवी ने सोचते हुए कहा- “मैं उनका नाम तो ना जानँ, मगर वो जो बड़ी वाली थी वो मारे दिल को भा गई...”

रवी की बात सुनकर मनीष की जान में जान आई और हँसते हुए कहा- “वाह रवी.. वो आई हमारे साथ थी और तुमने पहली नजर में धन्नो को पसंद कर लिया..”

रवी ने मनीष से कहा- “उस छोरी का नाम धन्नो है?”

मनीष ने कहा- हाँ उस लड़की का नाम धन्नो है।


ठाकुर ने मनीष से कहा- “मनीष बेटा अगर तुम्हें कोई पसंद हो बता दो। तुम दोनों की शादी बड़ी धूम धाम से करूंगा..."
ठाकुर की बात सुनकर मनीष ने अपना कंधा नीचे करते हुए कहा- “डैड मुझे भी उनमें से छोटी वाली जिसका नाम करुणा है, उससे प्यार हो गया है..."


ठकुर खुश होते हुए- “वाह... हमें तो बैठे बिठाए दो बहू मिल गई। शाम को हम उनको देखना चाहते हैं की हमारे दोनों बेटों का दिल अपनी मुट्ठी में करने वाली वो दोनों कितनी खूबसूरत हैं?”

मनीष ने कहा- “डैड शाम को वो दोनों वैसे ही चाय पर आने वाली हैं आप उन दोनों को देख लेना...”


सब नाश्ता करने के बाद उठकर अपने-अपने कमरे में जाने लगे। मनीष भी बहुत थका हुआ था, अपने कमरे में आते ही उसे नींद आ गई।

ठाकुर प्रताप अपने कमरे में पहुँचकर अपने कपड़े उतारने लगा। आज वो बहुत खुश था। उसके दिल की तमन्ना पूरी होने वाली थी। उसके दोनों बेटों ने अपने लिए बीवियां पसंद कर ली थी। ठाकुर अपने सारे कपड़े उतारकर सिर्फ अंडरवेर में खड़ा था तभी उसके कमरे में शिल्पा दाखिल हुई। ठाकुर को यूँ आधा नंगा देखकर वो वापस जाने लगी। तभी ठाकुर ने आगे बढ़कर शिल्पा को बाजू से पकड़ते हुए अपने पास खींच लिया और पीछे से उसे गले लगा लिया।

शिल्पा अपने आपको ठाकुर से छुड़ाने लगी मगर ठाकुर की मजबूत बाहों की पकड़ से वो छूट ना पाई। वो छटपटाते हुए ठाकुर से कहने लगी- “हमें छोड़िये, आपके बेटे आ गये तो हम किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे...”

ठाकुर ने अपनी बाहों का जोर देते हुए शिल्पा की गाण्ड को अपने अंडरवेर में कैद लण्ड पर दबा दिया और अपने मुँह से उसके कंधे को चूमते हुए बोला- “मेरी जान वो अपने-अपने कमरे में जाकर सो गये हैं, और अब तक तो वो अपनी-अपनी बिवियों के सपने देख रहे होंगे...”

शिल्पा ने चौंकते हुए कहा- “मगर उनकी शादी कब हुई है?"

ठाकुर ने कहा- “शहर से दो छोरियां गाँव घूमने आई हैं, और वो दोनों हमारे लड़कों को पसंद आ गई हैं। इसलिए आज हम बहुत खुश हैं..."

शिल्पा- “फिर तो खुश होने की बात है, मगर इस वक़्त तो मुझे छोड़ो...”

ठाकुर ने कहा- “आज मैं बहुत खुश हूँ मैं रात का इंतजार नहीं कर सकता। मुझे अभी अपने बेटों की खुशी का जश्न मनाना है...”
शिल्पा ने अपनी गाण्ड को पीछे करते हुए ठाकुर के लण्ड पर ठीक तरीके से अपने चूतड़ों पर महसूस करते हुए कहा- “आप तो बड़े बेशर्म हो गये हैं। अच्छा मुझे दरवाजा तो बंद करने दो...”
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ठाकुर ने शिल्पा को अपनी बाहों के कैद में से आजाद कर दिया। शिल्पा जल्दी से जाकर दरवाजा बंद करने लगी। शिल्पा इसी गाँव की थी, उसकी माँ मर चुकी थी और उसका बाप बहुत बूढ़ा और बीमार था। इसलिए वो ठाकुर की हवेली में काम करती थी। ठाकुर की हवेली में काम करते हुए उसे बहुत टाइम हो चुका था। उसकी उमर इस वक़्त 28 साल थी। वो 18 साल की उमर से हवेली में काम कर रही थी। ठाकुर ने उसका कोई नाजायज फायदा नहीं उठाया था बल्की वो खुद ही हवस के तूफान में बहकर ठाकुर के आगोश में आ गई थी।

* * * * * * * * * *फ्लैशबैक –

शिल्पा और टाकुर की पहली चुदाई यह उस वक़्त की बात है जब शिल्पा नई-नई इस हवेली में आई थी। टकुराइन की मौत के कारण 3 महीने तक हवेली में शोक था और वक़्त के साथ-साथ सब कुछ नार्मल हो गया। शिल्पा डेली सवेरे ही हवेली में आ जाती थी, और चाय बनाकर ठाकुर और उनके दोनों बेटों को उनके कमरे में पहुँचाती थी। ठाकुर के दोनों बेटे तो उस वक़्त बहुत छोटे थे। वो चाय पीकर कॉलेज चले जाते थे, शिल्पा उन दोनों को चाय पिलाकर उन्हें कॉलेज के लिए रवाना करती थी और बाद में ठाकुर के कमरे में जाकर उसे उठाकर चाय देती थी।

एक दिन डेली की तरह रवी और मनीष को कॉलेज भेजने के बाद शिल्पा ठाकुर के कमरे में चाय लेकर पहुँच गई। शिल्पा के पास हर कमरे की डुप्लीकेट चाबी हुआ करती थी। वो दरवाजा खोलकर जैसे ही अंदर दाखिल हुई। उसकी नजर सोए हुए ठाकुर पर पड़ी, जो बेखबर नींद में सोया हुआ था। ठाकुर सिर्फ एक अंडरवेर पहनकर सोता था। जब शिल्पा की नजर ठाकुर के अंडरवेर पर पड़ी तो शिल्पा हैरान हो गई, क्योंकी ठाकुर का अंडरवेर सामने से गीला था।

शिल्पा सोच में पड़ गई की इतना बड़ा होकर भी ठाकुर अंडरवेर में ही मूत देता है। शिल्पा आगे बढ़कर चाय टेबल पर रखते हुए ठाकुर के करीब आ गई और अपना हाथ बढ़ाकर उसके अंडरवेर पर रख दिया। अंडरवेर पर हाथ पड़ते ही शिल्पा हैरान हो गई क्योंकी यह पेशाब नहीं बल्की कोई चिपचिपी चीज थी। शिल्पा अपना हाथ अपनी नाक तक लाते हुए उसे सँघने लगी। शिल्पा की आँखें अपनी नाक में उसकी गंध महसूस करते ही बंद होने लगी। शिल्पा कुछ देर तक अपने हाथ को सँघती रही। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की ठाकुर के अंडरवेर पर क्या लगा हुआ है?

शिल्पा चाय का कप टेबल पर रखते हुए ठाकुर को उठाने लगी। उसने फैसला कर लिया था की वो ठाकुर से पूछेगी की उसका अंडरवेर गीला क्यों है?

ठाकुर शिल्पा का हाथ लगाते ही आँखें मलता हुआ उठा। ठाकुर ने उठते ही टेबल से चाय उठाकर पीने लगा। शिल्पा हर रोज चाय रखकर चली जाती थी आज ठाकुर ने उसे वहीं खड़े देखकर कहा- “क्या बात है शिल्पा सब कुछ ठीक तो है?”

शिल्पा ने अपना सिर झुकते हुए कहा- “ठाकुर साहब मुझे आपसे कुछ पूछना है...”

ठाकुर ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा- “पूछो क्या बात है?”

शिल्पा- “ठाकुर साहब जब मैं आपके कमरे में दाखिल हुई तो आपका कच्छा गीला था। मैं यही पूछना चाहती थी की आप इतने बड़े होकर कच्छे में पेशाब करते हो...”

ठाकुर शिल्पा का सवाल सुनकर चौंक उठा और अपना हाथ अपने अंडरवेर पर रख दिया अपने अंडरवेर पर हाथ पड़ते ही ठाकुर का हाथ गीला हो गया। ठाकुर समझ गया की नींद में उसके लण्ड से वीर्य निकल गया है। वैसे भी ठाकुर अपनी पत्नी को डेली चोदता था। अब उसको मारे हुए 3 महीने बीत चुके थे और ठाकुर के जिम में अभी बहुत ताकत बाकी थी।

ठाकुर ने मुश्कुराते हुए शिल्पा से कहा- “मैंने नींद में पेशाब नहीं किया, यह पेशाब नहीं कुछ और है...”

शिल्पा ने हैरान होते हुए कहा- “फिर आपके कच्छे पर यह क्या लगा हुआ है?”

ठाकुर ने कहा- “तुम अभी छोटी हो, मैं नहीं बता सकता...”

शिल्पा ने कहा- “आपके कच्छे पर ऐसा क्या लगा हुआ है जो आप हमें नहीं बता सकते और मैं अभी छोटी नहीं
ठाकुर शिल्पा की बात सुनकर उसे ऊपर से नीचे तक घूरने लगा। ठाकुर आज पहली बार शिल्पा को एक मर्द की नजर से देख रहा था। उसे अपने सामने एक जवान कमसिन लड़की नजर आई जो एक गुलाबी साड़ी में खड़ी थी। शिल्पा की चूचियां उसकी उमर के हिसाब से कुछ बड़ी थीं, और उसकी पतली कमर के नीचे उसकी भरी हुई गाण्ड किसी भी मर्द को पहली बार में अपनी तरफ खींच ले।

शिल्पा की तरफ देखते हुए ठाकुर की नजर उसकी गाण्ड पर अटक गई। शिल्पा ने ठाकुर को यूँ घूरता हुआ देखकर कहा- “बताएं ना क्या है वो चीज, हम जानना चाहते हैं?”
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ठाकुर ने अपनी आँखों से शिल्पा के जिश्म को टटोलते हुए कहा- “सच में आप जानना चाहती हैं की हमारे कच्छे पर क्या लगा हुआ है?”


शिल्पा ने जल्दी से कहा- “हाँ हम जानना चाहते हैं...”

ठाकुर ने अपने हाथ आगे बढ़ाते हुए शिल्पा के नरम हाथ को पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ खींचते हुए बेड । पर बिठा दिया। ठाकुर का सख्त मर्दाना हाथ अपने नरम हाथ पर पड़ते ही शिल्पा के सारे जिम में सिहरन दौड़ गई। ठाकुर ने शिल्पा को अपने पास बिठाते हुए कहा- “शिल्पा हम तुमको सब कुछ बता देंगे मगर यह बात तुम किसी से मत करना..."

शिल्पा ने जल्दी से कहा- “हाँ मैं किसी को नहीं बताऊँगी, आप जल्दी से बताइए...”

ठाकुर ने शिल्पा की तरफ देखा वो ठाकुर के बिल्कुल नजकीक बैठी थी और उसकी भरी हुई चूचियां ठाकुर की आँखों के बिल्कुल सामने थीं। ठाकुर का लण्ड शिल्पा की साड़ी में कैद उसकी भरी हुए चूचियों को देखकर फनफनाने लगा।

ठाकुर ने अपने मुँह से थूक को गटकते हुए कहा- “शिल्पा आपको पता नहीं है की जब मर्द जवान होता है तो उसकी कुछ जरूरतें होती हैं, जिसकी वजह से वो शादी करता है और वो औरत से संभोग बनाकर उससे आनंद हासिल करता है, और औरत भी मर्द से उतना ही आनंद प्राप्त करती है...”

शिल्पा ठाकुर की बातों को बड़े गौर से सुन रही थी।

ठाकुर ने आगे कहा- “शिल्पा तुम्हें पता है की शादी के बाद मर्द अपना यह (अपने अंडरवेअर की तरफ इशारा करते हुए कहा) औरत की योनि में डालता है और उसमें से पानी निकलकर औरत की योनि में जमा होकर उसे गर्भवती बनाता है। मर्द जब औरत से यह संभोग करना छोड़ता है तो उसके लण्ड से कुछ दिनों के बाद से यह पानी निकलता है.”

शिल्पा ठाकुर की पूरी बात सुनकर हैरान रह गई। उसे सेक्स के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उसने ठाकुर के अंडरवेअर की तरफ इशारा करते हुए कहा- “आपके यहाँ क्या होता है?”

शिल्पा की बात सुनकर ठाकुर का लण्ड झटके खाने लगा। ठाकुर ने उत्तेजित होते हुए शिल्पा से कहा- “तुम्हें नहीं पता की मर्द के यहां क्या होता है?”

शिल्पा ने अपना कंधा ना में हिला दिया। ठाकुर ने शिल्पा से कहा- “तुम देखना चाहोगी की मर्द की कौन सी चीज औरतों के योनि में जाकर उसे गर्भवती बनाती है और दुनिया का सबसे रोमांचक मजा देता है...”

शिल्पा को भी ठाकुर की बातों से मजा आने लगा था उसने अपना सिर हिलाकर हाँ कह दिया।

ठाकुर ने बेड से उठते हुए कमरे का दरवाजा बंद करते हुए शिल्पा से कहा- “मैं तुम्हें हर चीज के बारे में बता दूंगा मगर यह बात बाहर किसी से मत कहना...”

शिल्पा ने फिर से कहा- “मैं किसी को नहीं बताऊँगी...”
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ठाकुर ने शिल्पा की बात सुनकर अपने अंडरवेअर को नीचे सरका दिया, अंडरवेअर के नीचे होते ही ठाकुर का 9” इंच लंबा और 3 इंच मोटा लण्ड फनफनाता हुआ हवा में लहराने लगा। शिल्पा की आँखें ठाकुर के इतने बड़े और मोटे लण्ड को देखकर फटी की फटी रह गई। शिल्पा ने आज तक किसी मर्द का लण्ड नहीं देखा था।

उसने अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से ठाकुर के लण्ड को गौर से देखते हुए कहा- “यह इतना बड़ा और मोटा क्या है?”

ठाकुर ने अपना हाथ शिल्पा की जाँघ पर रखते हुए कहा- “यही तो वो चीज है जिसे मर्द औरत की योनि में डालकर गर्भवती बनाता है। इसे लण्ड कहते हैं...”

शिल्पा ठाकुर का हाथ अपनी जाँघ पर महसूस करके काँप उठी और उसकी बात सुनकर हैरान रह गई। वो ठाकुर के लण्ड को गौर से देखते हुए बोली- “मगर यह तो बहुत बड़ा और मोटा है...”

ठाकुर शिल्पा की बात सुनकर अपने हाथों से उसकी से जाँघ को सहलाते हुए बोला- “भगवान ने औरत की योनि वार को ऐसा बनाया है की वो मर्द के लण्ड के साइज के हिसाब से अपने आप खुल जाती है...”


ठाकुर के हाथ की रगड़ अपनी जाँघ पर महसूस करके शिल्पा के मुँह से आअहहह... निकल गई। शिल्पा ने ठाकुर के लण्ड को देखते हुए कहा- “आपकी पत्नी की मौत की वजह से आपके इसमें से पानी निकला था, क्योंकी आपने 3 महीने से संभोग नहीं किया है...”

ठाकुर ने कहा- “शिल्पा तुम बहुत समझदार हो तुमने सही कहा, मेरी पत्नी की मौत के बाद मैं किससे संभोग
करता?”

शिल्पा ने फिर से कहा- “ठाकुर साहब... तो आप अब सारी उमर ऐसे ही अपना पानी बहाते रहेंगे?”

ठाकुर ने अपने हाथ को शिल्पा की जांघों से ऊपर ले जाते हुए उसे सहलाने लगा ठाकुर के हाथ की उंगलियां शिल्पा की चूत से टकरा रही थी। ठाकुर ने कहा- “और कर भी क्या सकते हैं, मेरी पत्नी तो इस दुनियां में रही


नहीं..."

शिल्पा को अपनी चूत पर ठाकुर की उंगलियां महसूस करते ही बिजली का एक झटका लगा और उसके मुँह से फिर से ‘इस्स्स्स ’ निकल गया। उसकी आँखें अभी भी ठाकुर के लण्ड में अटकी हुई थी।

ठाकुर ने शिल्पा को अपनी तरफ देखते हुए कहा- “क्या देख रही हो, इसे अपने हाथ से छूकर देखो?”

शिल्पा अपने मुँह से कुछ बोल ना सकी। मगर ठाकुर उसे खामोश देखकर समझ गया की वो उसके लण्ड को छूना चाहती है।

ठाकुर ने शिल्पा का हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रख दिया। शिल्पा अपने हाथ को ठाकुर के लण्ड पर महसूस करके अंदर तक काँप उठी। उसे ऐसा महसूस हो रहा था की उसका हाथ किसी गरम सख़्त चीज पर रख दिया गया हो।
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शिल्पा अपना हाथ वहाँ से हटाने ही वाली थी के ठाकुर ने उसके हाथ के ऊपर अपना हाथ रख दिया। ठाकुर का लण्ड शिल्पा के नरम हाथ के पड़ते ही खुशी में उछलने लगा। ठाकुर शिल्पा के हाथ को अपने लण्ड पर आगेपीछे करने लगा। शिल्पा की हालत बिगड़ती ही जा रही थी। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, उसकी चूत के पास आग लग चुकी थी और उसके सारे बदन में चींटियां रेंग रही थी। शिल्पा अब खुद अपना हाथ ठाकुर के लण्ड पर आगे-पीछे करने लगी।

ठाकुर ने शिल्पा के हाथ को छोड़ दिया, और अपना हाथ फिर से उसकी जाँघ पर रखकर ऊपर ले जाते हुए शिल्पा के नंगे पेट तक ले आया। एक मर्दाना हाथ अपने नंगे पेट पर महसूस करके शिल्पा के मुँह से आअह्ह्ह... की एक सिसकी निकल गई और उसका हाथ अब ठाकुर के लण्ड पर जोर से ऊपर-नीचे होने लगा। ठाकुर अपने हाथ से उसके पेट को सहलाते हुए उसकी नाभि को भी सहलाने लगा। शिल्पा को अपने जिम में अजीब किस्म की गुदगुदी और मजे का मिला-जुला अहसास हो रहा था।

ठाकुर ने अपने हाथ को ऊपर करते हुए शिल्पा की चूचियों के नीचे अपना हाथ रगड़ने लगा। शिल्पा की सहन शक्ति खतम हो रही थी, उसका पूरा बदन टूट रहा था। शिल्पा चाह रही थी की ठाकुर उसके पूरे जिश्म को अपनी बाहों में लेकर जोर से दबाए। ठाकुर ने अपने हाथ को थोड़ी देर तक चूचियों के नीचे सहलाने के बाद अपना हाथ ऊपर करते हुए साड़ी के ऊपर से ही शिल्पा की चूचियों को पकड़ लिया। आह्ह... करते हुए शिल्पा ने ठाकुर के लण्ड को छोड़ते हुए उसके गले से जा लगी। ठाकुर ने शिल्पा की चूचियों को छोड़कर उसे अपनी बाहों में भर लिया और बहुत जोर से उसकी चूचियों को अपने सीने में दबाने लगा। शिल्पा की साँसें बहुत तेज चल रही थी और उसका सारा बदन काँप रहा था।

ठाकुर ने कुछ देर तक उसे अपनी बाहों में ही रहने दिया और फिर उसके सिर को पकड़कर अपने मुँह के सामने कर दिया और उसकी आँखों में देखने लगा। शिल्पा भी ठाकुर की आँखों में देखने लगी। आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी। ठाकुर की नजर शिल्पा के गुलाबी होंठों पर पड़ी। शिल्पा के होंठों पर हल्के लाल रंग की सुर्सी लगी हुई थी। दिल ही दिल में वो कहने लगा- “वाह भगवान् तुमने इस लड़की के क्या रसीले होंठ बनाए हैं...” और अपने होंठों को आगे लेजाकर शिल्पा के गुलाबी होंठों पर रख दिया।

ठाकुर के होंठ अपने होंठों पर पड़ते ही शिल्पा का पूरा जिश्म काँपने लगा और उसकी चूत में एक आग का लावा निकलते महसूस हुआ। शिल्पा ने अपनी आँखें बंद कर ली और अपना हाथ से ठाकुर के पीठ को सहलाने लगी। शिल्पा झड़ते हए बहत जोर से हॉफ रही थी।

ठाकुर शिल्पा के पूरे होंठों को चूसने और चाटने लगा। शिल्पा की चूत से निकलता हुआ पानी उसकी जिंदगी का पहला तजुर्बा था, इसलिए उसका पूरा जिम मजे से काँप रहा था और वो मजे से हवा में उड़ रही थी। उसे कोई होश नहीं था की ठाकुर उसके होंठों को कैसे चाट रहा है। ठाकुर शिल्पा के होंठों को ऐसे चाट रहा है जैसे किसी प्यासे को पानी मिल गया हो। शिल्पा के होंठों पर लगी हुई सुर्वी ठाकुर के चूमने और चाटने से शिल्पा के गालों पर लग चुकी थी।

कुछ देर बाद जब शिल्पा ने आँखें खोली तो उसे होश आया की वो बहक चुकी है। शिल्पा ने ठाकुर से दूर हटने की कोशिश की, मगर ठाकुर की मजबूत बाहों से अपने आपको ना छुड़ा सकी। उसकी साँसें बहुत जोर से ऊपरनीचे हो रही थी और ठाकुर उसके होंठों को चूसते हुए अपने हाथों से उसकी चूचियों को भी मसल रहा था।

शिल्पा के कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसे इतना मजा आ रहा था की उसने अपने आपको ठाकुर के हवाले कर दिया और छटपटाना बंद कर दिया। शिल्पा का विरोध खतम होते ही ठाकुर ने शिल्पा को बेड से उठाते हुए उसकी साड़ी को उसके बदन से अलग कर दिया। शिल्पा के बदन से साड़ी के हटते ही उसका गोरा यौवन सिर्फ ब्लाउज़ और पैंटी में ठाकुर के सामने आ गया। शिल्पा के कमसिन जवान गोरे बदन को देखकर ठाकुर का लण्ड बहुत जोर से ऊपर-नीचे उछलने लगा।

शिल्पा ठाकुर के सामने सिर्फ ब्लाउज़ और पैंटी में खड़ी बहुत जोर से हाँफ रही थी, और उसके हाँफने से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां भी ऊपर-नीचे हो रही थी। ठाकुर ने बेड से उठते हुए शिल्पा को अपनी गोद में उठाते हुए बेड पर लेजाकर लेटा दिया। ठाकुर ने शिल्पा को बेड पर सीधा लेटा दिया और खुद अपने अंडरवेर को अपने पैर से निकालते हुए उसके ऊपर चढ़ गया। ठाकुर के ऊपर चढ़ते ही शिल्पा के मुँह से अपनी चूचियों को उसके नंगे बालों वाले सीने से टकराते ही “आहहह..” की सिसकी निकल पड़ी।

ठाकुर ने अपने होंठ शिल्पा के सुख लगे हुए गालों पर रख दिए और उसके गालों पर लगी हुई सुर्ची चाटने लगा। ठाकुर का लण्ड शिल्पा के पैंटी से टकरा रहा था, जिस वजह से शिल्पा के मुँह से कामुक सिसकियां निकल रही थी। ठाकुर उसके गालों को चाटते हुए उसके होंठों पर आ गया और शिल्पा के नीचे वाले होंठ को पूरा अपने मुँह में भरकर चाटने लगा। ठाकुर उसके नीचे वाले होंठ को चाटने के बाद अपनी जीभ निकालकर शिल्पा के मुँह में डालने लगा मगर शिल्पा के मुँह बंद था। ठाकुर ने अपने सीने को शिल्पा की चूचियों पर रगड़ना शुरू कर दिया।
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“आहहह... इस्स्स्स ...” शिल्पा के मुँह से सिसकियां निकल गई और उसका मुँह खुलते ही ठाकुर की जीभ उसके मुँह में चली गई। शिल्पा के मुँह में ठाकुर की जीभ आते ही जाने क्या हो गया की वो ठाकुर की जीभ को अपने होंठों से चाटने लगी।

ठाकुर मजे से हवा में उड़ने लगा। शिल्पा ने कुछ देर तक उसकी जीभ को चाटने के बाद अपनी जीभ निकालकर ठाकुर के मुँह में डाल दी। ठाकुर शिल्पा की जीभ को बड़े प्यार से चाटने लगा। ठाकुर कुछ देर तक यूँ ही शिल्पा की जीभ को चाटने के बाद अपना मुँह उसके मुँह से हटाते हुए नीचे होते हुए उसके कंधे को चूमने लगा। ठाकुर शिल्पा के कंधे को चूमते हुए नीचे होते हुए शिल्पा की चूचियों के ऊपर आ गया और उसके ब्लाउज़ के ऊपर बने हुए क्लीवेज को चाटने लगा।

शिल्पा के मुँह से सिसकियां निकलने लगी और उसने अपने हाथ ठाकुर के बालों में डाल दिए। ठाकुर कुछ देर तक वहाँ चाटने के बाद अपना मुँह शिल्पा के ब्लाउज़ के ऊपर ले जाते हुए उसके गोरे पेट पर आ गया और अपनी जीभ निकालकर उसके पेट को चाटने लगा। शिल्पा अपने नंगे पेट पर ठाकुर की जीभ को महसूस करते ही सिहर उठी। उसे अपने जिम में अजीब किस्म का मजे और गुदगुदी का अहसास हो रहा था।

ठाकुर ने अपनी जीभ नीचे ले जाते हुए उसकी नाभि के ऊपर फिराते हुए उसे चाटने लगा। शिल्पा की पूरी पैंटी उसकी चूत के पानी से गीली हो चुकी थी। ठाकुर और नीचे होते हुए शिल्पा की पैंटी तक आ गया और उसकी गीली पैंटी पर अपनी नाक रखकर उसे सँघने लगा। ठाकुर को शिल्पा की कुँवारी चूत से आती हुई गंध बहुत अच्छी लगी। वो अपनी जीभ निकालकर उसकी कुँवारी चूत के पानी को चखने लगा।

शिल्पा अपनी गीली पैंटी के ऊपर ठाकुर की जीभ पाते ही छटपटाने लगी। उसे ठाकुर की जीभ पैंटी के ऊपर से ही अपनी चूत पर महसूस हो रही थी। ठाकुर कुछ देर तक शिल्पा की चूत को उसकी पैंटी के ऊपर से चाटने के बाद उसके ऊपर से उठते हुए अपने हाथों से उसकी पैंटी को उतारने लगा। शिल्पा इतनी गरम हो चुकी थी की वो अपने चूतड़ ऊपर करते हुए ठाकुर को उसकी पैंटी उतारने में मदद की।

शिल्पा की पैंटी उतरते ही उसकी छोटी सी कुँवारी चूत देखकर ठाकुर के मुँह से लार टपकने लगी। ठाकुर ने बहुत सारी चूतें चोदी थी, मगर इतनी कमसिन और खूबसूरत चूत उसने आज पहली बार देखी थी। ठाकुर ने शिल्पा । की टाँगों को खींचकर आपस में से जुदा कर दिया। शिल्पा की चूत पर अभी बाल उगना ही शुरू हुए थे उसकी चूत बिल्कुल अनछुई थी।

ठाकुर ने अपना हाथ आगे करते हुए शिल्पा की चूत के छोटे से दाने पर रख दिया और उसे सहलाने लगा। शिल्पा के मुँह से उत्तेजना के मारे बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थीं, और उसकी चूत के दो छोटे से होंठों में छुपे उसके गुलाबी छेद से पानी की बूंदें निकलने लगी। ठाकुर ने नीचे झुकते हुए अपने होंठों से शिल्पा की कमसिन तितली को चूम लिया।

ठाकुर के होंठ अपनी चूत पर पड़ते ही शिल्पा का सारा बदन काँप उठा। ठाकुर अपने होंठों से उसकी चूत को ऊपर से नीचे तक चूमने लगा। कुछ देर तक उसकी चूत को चूमने के बाद अपनी जीभ निकालकर शिल्पा की कमसिन कुँवारी चूत से निकलता हुआ ताजा पानी चाटने लगा। शिल्पा के मुँह से बहुत जोर की सिसकियां । निकल रही थी और उसका पूरा बदन काँप रहा था। ठाकुर ने अपने हाथों से शिल्पा की चूत के दोनों होंठों को अलग करते हुए अपनी जीभ उसकी चूत के लाल छेद में डाल दी।

शिल्पा अपनी चूत के छेद में जीभ के घुसते ही जोर से चीख पड़ी और अपने हाथों को ठाकुर के बालों में डालते हुए अपनी चूत पर जोर से दबाते हुए अपना सिर इधर-उधर पटकाने लगी। शिल्पा का पूरा जिश्म अकड़ने लगा और उसकी चूत ठाकुर के मुँह में झटके खाते हुए पानी छोड़ने लगी, और “ऊह्ह.आअहह... इस्स्स्स ...करते हुए शिल्पा झड़ने लगी। जब तक उसकी चूत से पानी का आखिरी कतरा निकलता रहा तब तक वो अपनी चूत को ठाकुर के मुँह पर दबाती रही।

ठाकुर शिल्पा की कुँवारी चूत से निकलता हुआ पानी अपनी जीभ से चाटने लगा। मगर शिल्पा की चूत से तो इतना पानी निकल रहा था की ठाकुर की लाख कोशिश पर भी वो उसके मुँह में समा नहीं पाया और उसके पूरे चहरे को भिगो दिया। शिल्पा पूरा झड़ने के बाद शांत हो चुकी थी, मगर उसकी साँसें अब भी बहुत जोर से ऊपरनीचे हो रही थी। ठाकुर ने शिल्पा की चूत से अपना मुँह हटाकर बेड पर पड़ी हुई शिल्पा की साड़ी से साफ कर दिया और शिल्पा को बेड से उठाकर सीधा बैठाते हुए उसे अपने गले से लगा लिया। ठाकुर शिल्पा के कंधे को चूमते हुए अपने हाथों से शिल्पा के ब्लाउज़ को खोलकर उसे उसके जिश्म से अलग कर दिया। ठाकुर ब्लाउज़ के उतरते ही शिल्पा की 36” इंच साइज की भूरी गोल-गोल भरी हुई चूचियों को देखकर पगला गया।
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ठाकुर ने धक्का देते हुए शिल्पा को बेड पर गिरा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ते हुए उसकी चूचियों को अपने हाथों से मसलने लगा। ठाकुर शिल्पा की चूचियों को अपने हाथों से मसलते हुए अपना मुँह खोलकर शिल्पा की चूचियों के हल्के नासी दाने को चूसने लगा।

शिल्पा अपनी चूचियों को ठाकुर के मुँह में जाते ही फिर से गरम होने लगी। उसके पूरे शरीर में फिर से सिहरन होने लगी।
ठाकुर जैसे-जैसे उसकी चूची के दाने को चूसता उसे अपनी पूरे शरीर में अजीब किस्म की सनसनाहट होने लगती।

ठाकुर अब शिल्पा की दोनों चूचियों के दाने को एक-एक करके अपने मुँह में लेकर चाट रहा था और शिल्पा के मुँह से जोर की सिसकियां निकल रही थी। ठाकुर शिल्पा की चूची के दाने को चूसते हुए उसकी एक चूची को पूरा अपने मुँह में भर लिया और बहुत जोर से उसे चूसने लगा। शिल्पा के मुँह से जोर की “आअहह्ह...” निकल गई।


ठाकुर उसकी चूची को कुछ देर तक यूँ ही चूसता रहा। ठाकुर का खड़ा लण्ड शिल्पा की नंगी चूत पर ठोकरें मार रहा था और उत्तेजना के मारे उसके मुँह से बहुत जोर की आहे निकल रही थी। ठाकुर ने शिल्पा के ऊपर से उठते हुए उसकी टाँगों के नीचे दो तकिये रख दिए। ठाकुर ने शिल्पा की टाँगों को घुटनों तक मोड़ते हुए उसके पेट पर रख दी जिस वजह से उसकी चूत उठकर बहुत ऊपर हो गई और थोड़ा सा खुल गई। ठाकुर अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।


ठाकुर का लण्ड अपनी चूत के छेद पर लगाते ही शिल्पा उछल पड़ी और उसके मुँह से जोर की “आअह्ह्ह... इस्स्स्स..” की सिसकियां निकलने लगी और उसकी चूत से पानी निकलकर ठाकुर के लण्ड को गीला करने लगा।

ठाकुर ने अपने लण्ड को यूँ ही उसकी गीली चूत पर रगड़ते हुए कहा- “शिल्पा मैं तुम्हारी मर्जी के बिना आगे नहीं बढ़ सकता। हम तुमसे कोई जोर जबरदस्ती नहीं करना चाहते। अगर तुम आगे बढ़ना चाहो तो ठीक है। वरना हम आगे कुछ नहीं करेंगे...”
शिल्पा ठाकुर की बात सुनकर हैरान रह गई। उसे उस वक़्त कुछ नहीं सूझ रहा था, वो अजीब कशमकश में थी। एक तरफ उसकी इज्जत तो दूसरी तरफ उसके जिम की आग थी। मगर उस वक़्त वो अपने मुँह से कुछ बोल ना सकी।

ठाकुर ने अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए उसे शिल्पा की चूत के होंठों के बीच रख दिया और शिल्पा से कहने लगा- “बोलो तुम क्या कहती हो? मैं सारी उमर के लिए तुम्हारा गुनहगार नहीं बन सकता..” और अपने हाथ से शिल्पा की चूत के छोटे दाने को रगड़ने लगा।

शिल्पा के दिमाग पर उसके जिम की आग उस वक़्त कुछ ज्यादा चढ़ गई थी। उसने कहा- “ठाकुर साहब मैं अपने आपको तुम्हारे हवाले करती हूँ। मेरे जिश्म की सारी हसरत पूरी कर दो...”

ठाकुर शिल्पा की बात सुनकर बहुत खुश होते हुए बोला- “पहली बार में थोड़ी तकलीफ होती है, थोड़ा सबर रखना। मैं तुम्हारे जिश्म की सारी हसरतें पूरी कर दूंगा..."

ठाकुर ने अपने हाथों से शिल्पा की चूत के पतले होंठों को आपस में से अलग करते हुए अपने लण्ड को उसकी चूत के लाल छेद में सेट कर दिया और शिल्पा की टाँगों को अपने हाथों से पकड़ते हुए अपने पूरे शरीर का दबाव शिल्पा की चूत पर डाल दिया।

ऊहह... आअहह...” शिल्पा के मुँह से चीख निकल गई।

ठाकुर के लण्ड का सुपाड़ा शिल्पा की चूत को फैलाता हुआ अंदर घुस गया। ठाकुर ने शिल्पा की तरफ देखते हुए कहा- “थोड़ा बर्दाश्त कर लो, फिर देखो कितना मजा आता है?”

ठाकुर की बात सुनकर शिल्पा ने कहा- “आप मेरे चीखने की परवाह मत करें और अपना यह इंडा पूरा मेरी चूत में घुसा दें, चाहे हमारी चूत फट क्यों ना जाए."

ठाकुर ने शिल्पा की आँखों में देखते हुए कहा- “पगली तुम्हारी चूत में हमारी जान अटकी है, हम भला इसे ऐसे कैसे फाड़ सकते हैं?” यह कहते हुए ठाकुर ने शिल्पा की टाँगों को जोर से पकड़ते हुए अपने चूतड़ों को थोड़ा पीछे करते हुए एक जोर का धक्का मार दिया।

शिल्पा चीखी- “ऊईए माँ आह्ह्ह.. मर गई.. ठाकुर आपने तो हमारी छोटी चूत तो सच में फाड़ दी..” ठाकुर का लण्ड शिल्पा की चूत की झिल्ली को तोड़ता हुआ आधा अंदर घुस चुका था। और शिल्पा किसी मछली की तरह छटपटा रही थी। ठाकुर ने शिल्पा को बहुत जोर से पकड़ रखा था इसलिए वो ठाकुर की पकड़ से ना छूट सकी। शिल्पा की आँखों से आँसू निकल रहे थे और उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे किसी ने उसकी चूत में चाकू घुसेड़ दिया हो। उसे अपनी चूत में बहुत जोर की जलन और दर्द हो रहा था।

ठाकुर नीचे झुकते हुए शिल्पा की एक चूची को अपने मुँह में लेते हुए अपने हाथ से उसकी दूसरी चूची को सहलाने लगा। शिल्पा को कुछ ही देर में कुछ अच्छा लगने लगा और उसकी चूत का दर्द कम होने लगा। शिल्पा को अपनी चूची ठाकुर के मुँह में बहुत अच्छी लग रही थी। वो फिर से गरम होने लगी। उसकी चूत से दर्द गायब हो चुका था। अब उसे अपनी चूत में एक मीठा-मीठा मजा महसूस हो रहा था, इसलिए वो अपने चूतड़ ठाकुर के लण्ड पर उछालने लगी।

ठाकुर समझ गया की शिल्पा का दर्द खतम हो चुका है इसलिए वो सीधा होते हुए शिल्पा से कहने लगा- “अगर बहुत दर्द हो रहा हो तो मैं निकाल दें...”

शिल्पा अपने चूतड़ों को ऊपर उछालते हुए सिसकते हुए बोली- “नहीं ठाकुर साहब, दर्द नहीं हो रहा है आप उसे अंदर-बाहर करिए ना...”

ठाकुर ने अंजान बनते हुए कहा- “किसमें अंदर-बाहर करूं?”
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शिल्पा को अपनी चूत में बहुत जोर की गुदगुदी हो रही थी। वो चाहती थी की ठाकुर उसकी चूत में अपना लण्ड अंदर-बाहर करे। ठाकुर का सवाल सुनकर उसने जल्दी से कहा- “आप अपना वो इंडा अंदर-बाहर करें ना हमें अपनी चूत में बहुत गुदगुदी हो रही है...”

ठाकुर ने अपने लण्ड को बाहर खींचते हुए फिर से एक हल्का धक्का लगाते हुए शिल्पा की चूत को चोदते हुए कहा- “इसे डंडा नहीं लण्ड बोलते हैं। तुम्हें मेरा लण्ड अपनी चूत में लेना है...”

शिल्पा- “आअह्ह्ह... हाँ हमें आपका लण्ड अपनी चूत में चाहिये.." शिल्पा को अपनी चूत में ठाकुर के लण्ड की रगड़ पागल बना रही थी।

ठाकुर शिल्पा की बात सुनकर उसकी चूत में अपना आधा लण्ड बहुत जोर से अंदर-बाहर करते हुए कहने लगाशिल्पा तुम्हें मजा आ रहा है?”

शिल्पा भी अपने चूतड़ों को जोर से ठाकुर के लण्ड पर उछालती हुई बोली- “हाँ ठाकुर साहब, हमें बहुत मजा आ रहा है। हमें नहीं पता था की इस खेल में इतना मजा आता है, हम आपकी गुलाम बन गई हैं। आप हमें डेली ऐसे ही मजा देते रहना...”

ठाकुर शिल्पा की बात सुनकर उसकी चूत में बहुत जोर के धक्के लगाने लगा, शिल्पा की साँसें उखड़ने लगी, और वो जोर से हाँफते हुए मजे से हवा में उड़ने लगी। अचानक उसका बदन अकड़ने लगा और उसकी चूत बहुत जोर के झटके खाते हुए ठाकुर के लण्ड पर पानी बहाने लगी- “आहहह... ईष्टह्ह..” शिल्पा के मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकालने लगी और वो अपनी आँखें बंद करके झड़ने का मजा लेने लगी।



ठाकुर शिल्पा को झड़ता हुआ देखकर अपनी पूरी ताकत के साथ उसे चोदने लगा और शिल्पा की चूत में अपना लण्ड अंदर-बाहर करते हुए थोड़ा-थोड़ा करके और अंदर डालने लगा। शिल्पा ने जब आँखें खोली तो ठाकुर का लण्ड केवल दो इंच बाहर था। ठाकुर ने शिल्पा की टाँगों को पकड़ते हुए बहुत जोर के दो-तीन धक्के मारकर अपना पूरा लण्ड शिल्पा की चूत में घुसा दिया।

“ओई आह्ह...” करके शिल्पा फिर से छटपटाने लगी।

ठाकुर शिल्पा के ऊपर झुकते हुए उसकी चूचियों को अपने हाथों से मसलते हुए अपने होंठों से उसके होंठ चूसने लगा और नीचे से अपने लण्ड से उसकी चूत भी चोदने लगा। शिल्पा इस हमले से फिर से गरम होने लगी और अपना दर्द भुलाकर ठाकुर का साथ देते हुए उसके होंठ चूसते हुए अपने चूतड़ उसके लण्ड पर उछालने लगी।

ठाकुर ने बहुत तेजी के साथ उसकी चूत में धक्के लगाते हुए अपनी जीभ को शिल्पा के मुँह में डाल दिया। शिल्पा ने ठाकुर की जीभ को चाटते हुए अपनी जीभ को उसके मुँह में डाल दिया। ठाकुर बहुत उत्तेजित हो गया था वो कुछ देर तक शिल्पा की जीभ को चाटने के बाद उसके ऊपर से उठते हुए बहुत जोर के धक्के लगाते हुए हाँफने लगा। ठाकुर शिल्पा के झड़ते ही बहुत जोर से हाँफते हुए उसकी चूत को अपने वीर्य से भरने लगा।

शिल्पा ठाकुर का वीर्य अपनी चूत में पड़ते ही बहुत जोर से- “आह्ह्ह... इस्स्स्स... ऊह्ह..” चिल्लाते हुए झड़ने लगी। शिल्पा झड़ते हुए हवा में उड़ रही थी। उसकी चूत से जाने कितनी देर तक पानी निकलता रहा, और ठाकुर भी जाने कितनी देर तक उसकी चूत में झड़ता रहा। फिर दोनों निढाल होकर एक दूसरे के ऊपर लेट गये। ठाकुर थोड़ी देर तक शिल्पा के ऊपर निढाल पड़ा रहा।

कुछ देर बाद शिल्पा ने आँखें खोली तो ठाकुर ने प्यार से उसके होंठों को चूम लिया। शिल्पा ने ठाकुर को अपने ऊपर से हटाते हुए बेड पर लेटा दिया और खुद बेड पर बैठकर अपनी आँखों पर अपने हाथ रखते हुए रोने लगी।

ठाकुर शिल्पा को रोता हुआ देखकर बेड से उठते हुए उसके हाथों को उसकी आँखों से दूर कर दिया। शिल्पा की मोटी-मोटी आँखों से आँसू निकालकर उसके गालों से होते हुए नीचे बेड पर गिर रहे थे। ठाकुर ने शिल्पा से कहातुम क्यों रो रही हो...”

शिल्पा ने ऐसे ही रोते हुए कहा- “हमसे गलती हो गई। हमारे साथ अब शादी कौन करेगा? हमने अपनी इज्जत आपके हवाले कर दी...”

ठाकुर ने अपने हाथों से शिल्पा की मोटी आँखों से बहते हुए आँसू को साफ करते हुए कहा- “पगली तुमसे किसने कहा की तुम्हारे साथ कोई शादी नहीं करेगा, मैं किसी को भी नहीं बताऊँगा की हामारे बीच क्या हुआ है? और अगर तुमसे किसी ने शादी नहीं की तो क्या हुआ तुम सारी जिंदगी हमारे साथ रहना। हम तुमको सारी जिंदगी ऐसे ही प्यार करते रहेंगे..."

शिल्पा ने ठाकुर की बात सुनकर उसके गले से लगाते हुए कहा- “सच में आप सारी उमर हमें ऐसे ही प्यार करते रहेंगे?”

ठाकुर ने शिल्पा को अपनी बाहों में जोर से दबाते हुए कहा- “हाँ हम आपसे सारी उमर ऐसे ही प्यार करते रहेंगे...”
 horseride  Cheeta    
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शिल्पा ने खुश होते हुए कहा- “अगर आप हमें सारी उमर ऐसे प्यार करते रहेंगे तो हमें शादी वादी नहीं करनी है। हम तो सारी उमर आपकी शरण में गुजार देंगे...”

शिल्पा की बात सुनकर ठाकुर ने उसे धक्का देकर बेड पर लेटा दिया और उसके होंठों पर एक चुंबन देते हुए कहा- “तुम सच में बहुत अच्छी हो। हमारे लिए आप शादी नहीं करोगी। हमें यह जानकर बहुत खुशी हुई की आप हमसे इतना प्यार करती हो...

शिल्पा कुछ बोलने ही वाली थी की ठाकुर ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और दोनों एक-दूसरे में समा गये। ठाकुर ने उस दिन जी भरकर शिल्पा के कमसिन जिम से अपनी प्यास बुझाई और शिल्पा के जिम की सारी गर्मी और मस्ती को भी खतम कर दिया। शिल्पा को उस दिन इतना मजा आया की वो अपने आने वाले हर रिश्ते को ठुकराने लगी और अपनी सारी जिंदगी ठाकुर की दासी बनकर गुजारने लगी।

* * * * * * * * * * फ्लाशबैक समाप्त
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