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Adultery मायके का जायका
#21
waiting
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#22
कुछ देर में ही हम सभी ढाबे के भीतर सविता के साथ आकर कुर्सियों पर अपनी जगह ले ली। उस समय ढाबे पर अधिक भीड़ नहि थी, कुछ लोग जो शक्ल सूरत से ड्राइवर खलासी लग रहे थे पास के खाटों पर लेटे हुए थे, सभी हमलोगों को तरफ हि थि। सविता हम लोगों को बैठा कर काउंटर के तरफ बढ चली। काउंटर पर एक 45\50के आयू का व्यक्ति बैठा हुआ सविता को ही देख रहा था। उसके पास पहुंच कर सविता उससे कुछ बात की और हमलोगों के तरफ ईशारा कि। उसके बाद वे दोनो हंस हंस कर कुछ बात करने लगे, ईसी बिच काउंटर पर बैठे आदमी ने खाट पर लेटे एक आदमी को ईशारा कर अपने पास बुलाया और उसे सविता कि ओर उंगली दिखाई। फिर सविता और वह आदमी कुछ बाते करने लगे, बात चित के क्रम में उस आदमी का हाथ कभी सविता के कंधे पर तो कभी बा़ह पर भी चल रहा था, और सविता भी हंसते हुए उसी अंदाज में बाते कर रही थी। तब तक ईधर हमलोगों के टेबल पर एक लड़का पांच ग्लास और दो बोतल बियर का रखने लगा। का रे लल्लू का हाल बा, सीमा उस लड़के से बोली ।आज बरा दिन बाद अईलू ह, कोई दूसर जगहे जातारू कि। हां हो आज ईहां के नया आटो ले ले बारन ओकरे पुजा करे ...घाट जात बानी, सीमा उसको जबाव देते हुऊ बोली। उसके जाने के बाद मेरी नजर फिर सविता की ओर गई, वहां खरा हुआ आदमी सवीता से बात कर रहा था, जिसके जबाव में सविता कभी हां में तो कभि ना में सर हिला रही थी, और आखिर में ना में सर हिला कर वो वापस टेबल के पास आकर कुर्सी पर बैठ गई। पहले तो मैं बोली की बियर नही लूंगी, पर सभी के बोलने पर अपना ग्लास उठा बियर का घुंट लगाने लगी ।लल्लू तब तक दूसरे ग्लास मेंकोई पे पदार्थ ले कर आया और ऊसमें बियर ढाल कर सविता पिने लगी। ग्लास खाली कर हम लोग वापस आटो पर बैठने लगे। सीमा ऊषा और सविता तिनों पिछे के सिट पर बैठने लगी ,सीमा मुझे आगे की सीट पर दामू के साथ बैठने के लिए बोल कर पिछे बैठ गई। अभी आटो रमेश भैया ने स्टार्ट ही किया था कि वह आदमी जो सविता से बात कर रहा था, लगभग दौरते हुए आटो के पास आया और सविता से कहने लगा ,का हे सविता रानी ना होखी। सविता जफाव में कुछ ऊंगली से ईशारा की ।ठीक बा अब ना मानू तारू त तोहरे बात रही ।और यह कहके ऊसने अपने हाथ से सविता का हाथ पकर कर आटो से ऊतरने में मदद कर दिया।
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#23
बहुत बढ़िया लेकिन मन न भरल
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#24
सविता आटो से ऊतरती हुई रमेश भैया को उंगली के ईशारे से अपने पास बुलाई फिर उस आदमी से कुछ बोली। वह व्यक्ति अपने पाकेट से कुछ हरे हरे नोट रमेश भैया के हाथों में डालकर ,सविता के कमर में हाथ डालकर वापस ढाबे कि ओर बढ चला। अनजान लोगों से तो मैं भी चुद चुकी थी, पर ईस तरह कि मोल भाव नही देखी थी ।उत्सुकता वश मैं सविता को ऊस व्यक्ति के साथ जाते देख रही थी ।उन दोनो को आते देख दो नवजवान जो ढाबे के सामने रखे कुर्सियों पर बैठे थे,वे सविता और उसके साथ वाले व्यक्ति के पास आ गए, उनमें से एक नवजवान ने अपनी हाथ बढा कर सविता के चुंचियों के तरफ ईशारे से कुछ बोला, दूर से मुझे उस जवान व्यक्ति के हाथ कि उंगलियां सविता कि चुंचियों को जैसे छु रहा था। ईधर रमेश भैया आटो बढा चुके थे,, और एक मोड के आते ही सभी नजर से ओझल हो गया। हम सभी भी अपने अपने सिट पर बैठ ग्इ थी। अभी मैं और ऊषा भाभी पिछली सिट पर और सीमा दामोदर के साथ अगली सीट पर। रमेश भैया ड्राइवर के सीट पर अकेले बैठे आटो चला रहे थे ।थोरी दूर आटो के बढने पर सड़क खाली ही थी, ईक्का दूक्का लोग ही कहीं नजर आ रहे थे। मैं बोली उषा भाभी आपन कुछ बताई, ई सविता भाभी के बारे में भी।
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#25
..का बताईं ई बुरचोदी के बारे में, ऊषा भाभी अपनी दाहिनी पैर को सिट पर पलथी मार कर मेरी ओर मुंह करके बोली। ईहाँ के बरी चालू चीज बानी ।जब से अईली ह तबे से ईहे ढंग बा, गली गली में भतार रखले बारी, भतार वैसने मिलल बारे, बोतल मिल जाला पर माऊ केकरा से पेलवातिया ,कौन गांड़ फाड़ता कोई मतलब न्ईखे। हर दो दिन चार दिन पर घरे में यजलिश जमेला ।रात के दो से तीन बजे तक हा हा हि हि के आवाज आईऊऊऊऊ सुनाई परत रहेला ।आजे के देखी,जेहु ना जानत रहे ओकनीओ के समझ गईल होखी कि चालू माल बारी ईहाँ के। वैसे त जब परसवें भेंट होई ।आज त पुरा माल कम्ईले बारिन। तीन तीन गो एके साथे आउर ऊपर से ढबवा के पांड़े जीउबा, उहो त आपन कमीशन में खाप मारिहें। मैं ऐसे सुन रही थी कि यह सब मुझे जानकारी में नही हो। उधर सीमा मुंह ढाप कर मंद मंद हसे जा रही थी। आटो अपने रफ्तार से
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#26
Nice story
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#27
मैं अब तक तीन अपडेट दे चुकी हूं पर वह ईस पर मिल नही रही।अभी थोरी देर में पुनः प्रयास करती हूं।
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#28
आगे बढती जा रही थी।हमलोगों की बातचित भी अश्लीलता कि सारी सिमाओं को लांघ चुकी थी।यूं तो हम सभी एक दूसरी को च्छी तरह जानती थी,और आपस में ऐसी बातें भी होती थीं पररमेश भैया और दामु (दामोदर) के सामने ईतनी खुली बातें एक बार ही हुई थी जब दामु बहानचोद ने मेरी पहली बार चुदाई कि थी,वह भी सीमा बुरचोदी और एक दामु की छिनार बहिन के सहयोग से।
उधर दामु सीमा के साथ कुछ न कुछ छेरखानी करता ही जा रहा था जिसेसे सीमा कभी गुस्से से आंख तरेर देती पर चेहरे पर हंसी ही रहती। अचानक दामु कि दर्द भरी चिख निकलीऔर साथ ही सीमा की हंसने की आवाज भी।पिछे पलट के उषा भाभी के सथ मै भी अगली सिट पर बैठे दामु और सीमा को देखने लगी।

दामु के पैंट का बटन खुली थी और उसका छ ईंची लंड सीमा के दाहिने पंजे में जकरी हुइ थी ।
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#29
आगे बढती जा रही थी।हमलोगों की बातचित भी अश्लीलता कि सारी सिमाओं को लांघ चुकी थी।यूं तो हम सभी एक दूसरी को च्छी तरह जानती थी,और आपस में ऐसी बातें भी होती थीं पररमेश भैया और दामु (दामोदर) के सामने ईतनी खुली बातें एक बार ही हुई थी जब दामु बहानचोद ने मेरी पहली बार चुदाई कि थी,वह भी सीमा बुरचोदी और एक दामु की छिनार बहिन के सहयोग से।
उधर दामु सीमा के साथ कुछ न कुछ छेरखानी करता ही जा रहा था जिसेसे सीमा कभी गुस्से से आंख तरेर देती पर चेहरे पर हंसी ही रहती। अचानक दामु कि दर्द भरी चिख निकलीऔर साथ ही सीमा की हंसने की आवाज भी।पिछे पलट के उषा भाभी के सथ मै भी अगली सिट पर बैठे दामु और सीमा को देखने लगी।

दामु के पैंट का बटन खुली थी और उसका छ ईंची लंड सीमा के दाहिने पंजे में जकरी हुइ थी ।ना सबुर भईल का हे सीमा बबुनी,हंसतीं हुइ उषा भाभी बोली। ना हे भाभी ई हरामी अपने खोल के देखावत रहे आउर हमरा हाथ में पकरा दिहलस।ओखनी से कभी हमार छाती पर हाथ फेर देता,कभी उंगली मे पकर के मिचमिमिचा देता,त हमहूँ वैसी ही मिसली ह त चिल्लाए लगलन ह।उधर से आटो चलाते रमेश भैया दामु को डांटते हुए बोले,तोहार गचरई बंद ना होखी।दामु कुछ बोले ईसके पहले ही उषा भाभी बोल परी,राउर काहे फटता,भाई बहिन के बीच में कुछो होखेला,आउर अगर अपनहुं के टनटना गईल ह त दुनो भाई आगे पिछे से घचाघच कर लिहीं आ न त हेने मीरा बबुनी खाली बारें गारी रोकीं आ एने आकर बहिनिया के माल खिलाई,ई देखी आपन मीरा बहिन के डबका माल,भाभी मेरी चुंचियों को हाथ से पकर कर दबाती हुई बोली।मैं शर्माती हुई उनके हाथों को झटकती हुई बोली जाईं ना आपन खाज मिटाई।
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#30
जब तक उषा भाभी का कोई जबाबद देती उसके

पहले ही आटो की रफ्तार कम होने लगी,मैं और भाभी दोनोँ पलट कर सामने देखी तो गाड़ियों के लाल बत्ती दिखाई दी,थत्त बहानचोद गुमती पर जाम लगल बा । ठिके त बोलनी जी दुगो भाई बानी दुनो बहिनिया बरलें बारी जमके चोदीं,ऊनहों के जाम छुटी आउर एनकिओ के।मोबील पलट जाईं, और यह कहके वह जोर से हंसने लगी।तोरी बहिन के चोदी,शाली ईहाँ देर होता और बुरचोदो के तो

के तहरा मजाक सुझतिया,आगे से रमेश भैया कि आवाज आई।ईधर हम लोगों के सामने आने वाली गाड़ियां रुकनी आरंभ होचुकी थी।पहले एक कार आई जो हमारे आटो के बराबर मे खड़ी होगी।फिर एक ट्रक आई जिसकी हेडलाइट कि रोशनी सिधे हमारी आँखो पर पड़ रही थी।मै ने अपनी ओढनी और भाभी नै ठिक कर ली।
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#31
सामने से परने वाली हेडलाईट कि रोशनी भी डिम कर सवार ड्राइवर और अन्य जाम के कारन को जानने के लिए उतर कर आने जाने लगे थे।थोडी देर में ही लौट कर आए एक आदमी दूसरे को कह रहा था,बहुत लंबी लाईन है भाई ,पिछले दो तीन घंटे से लगी है,कोई हादसा हो गया है,गुमटी के उस पार, सिक्युरिटी आएगी तब जाकर कुछ होगा,अभी दो ढाई घंटे या उससे जादा समय लगेगा।अब का होखी जी,उषा भाभी रमेश भैया को बोली।देखत हईं ना होखी त पलट के चलब नहरिया वाला सरक पकड़ लेहल जाई।ईहंवा का करेब रूक के,कौनो चायपानी के दुकानो नईखे।भाभी उनकी बात काटते हुए बोली ना हे उ त बरा सुनसान रास्ता बाटे,कोई रात में ओने से ना जाला।नरूआ वाली के साथ जबसे ओईसन भईल बाटे तबसे त आऊरो न कोई जाला ।ठीक त भईल रहे उ छिनरी के साथे,आउर हमनी के अकेले थोरे बानी जे डर बाटे।सीमा और मैं कुछ नही समझी लेकिन सीमा ही पुछ बैठी भाभी ई नरूआ वाली कौन ह आउर का भईल रहे।भाभी सीमा को आंखो से पास खरे लोगों कि तरफ ईशारा कर धीमे से बोली,बाद में बताईब और सीर सामने देखनै लगी।उसी समय एक आदमी जो शायद किसी ट्रक का ड्राइवर था गुमती के तरफ से टहलता हुआ आ रहा था जिसे देखते ही हमारे सामने अपने ट्रक के पास खरे हुए एक आदमी ने आश्चर्य भरी आवाज में टोका,का हो ठाकुरभाई तुहों फंस गईल ,हम त समझत रही तु शहर पहुंच गईल होखब।अरे का कहें राय जी,जब किसमत.खराब होत है त सब जगहे खराब हो जात है।तु आपन बताव रायजी पांड़ेजी के ढाबा पर के।मोबील पलटी भइल.बढिय़ा से,गुमती के तरफ से आने वाले ने पुछा।मैं समझी दोनो ड्राइवर अपने गाड़ी की बातें कर.रहे हैं।बगल में उषा भाभी अपनेआंचल से मुंह ढांपे शर्माइ मुश्कान से मेरी तरफ ताक रही थी।मुंह काहे ढांपले बारी भाभी कौनो पहचान के बा का ईहंबा।भाभी मुझे कोहनी मारती धीमे स्वर में बोली,सुनत नईखी मीरा बबुनी ई मर्दुअन के बात।भाभी बोली ईहो नईखी समझत बानी मीरा रानी और फिर दबी हंसी के साथ मूंह फे के आगे बैठी सीमा के तरफ देखने लगी साथ ही दामु को अंगुली से टहोका मारती बोली,का देखत हंई राउर पहिलका मोबील पातर हो गईल ह,फेर डाल दी मोबी आपन मीरा बहीन के।धत् भाभी ना जगह देखत हईं ना मौका सब जगहे एके बात।अभी चुपे रहीं ।अब मैं ईतनी नादान तो थी नही सब समझ गई।पता नही केयों मुझे उन अनजान आदमियों कि बातें सुनने में अचछी लगने लगी।मैं कुछ बातें भाभी से.करने लगी पर कान मेरी उनलोगो के तरफ ही लगी हुई थी।.अरे का कहें रायजी पांड़ेजी के ढाबे का नाम तो.पहले से सुन रखा था,पर जब हम कहें कि बढिया माल दिलवाईए त जिस को दिखलाए शाली एकदम खचेड़ू माल दिखलाए।लगता था बुरचोदी कहीं से ठुकवा के आ रही थी शाली मरघिल्ली।लटकल चुंची,मुंह में पान,न गांड़ न मुंह,अब ओकरा चोदे खतिरा त टैम खराब न कैल जात रहे।तु आपन बताव तोहर कैसन बितल।पहले से खरे ड्राइवर बोला,ठाकुरभाई हमर.त एकेगो माल बा जब आवत हईं हेने त पहिले ही बता देत हईं,बस दुबार ठुकाई कईली आ पांच सौ बुर में खोंसली,तु आपन रास्ता पकर हम अपन।
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#32
फिर खुद ही बात आगे बढाता बोला,ठाकुरजी लेकिन आज त बहुत बढिया माल देखली ह,एकदम छमकछल्लो,बहिनचोद का माल रहे एकदम ठस,ऊमरो जादा ना होखी तीस से कमे ही होई,साला लौड़ा अभिओ टनटनाएल बा।वाह.कि चुंची रहे,मन त करत रहे जे पकर के मचोर दिहीं आ चुतर शाली के गांर के दरार में लौड़ा घुसेर दिं,पर शाली के.एगो बाहर के सोलहचकवा वाला झपट लिहिस,उ तीनो जने चार हजार में पटा लिहलस।पेलात होईंहे बुरचोदो तीन तीन लोगन से।हम त सोच लेले बानी अगला खेप में आएब त ओकरे पर सवारी करब,मस्त कुतिया बा हो ठाकुरजी।
यह सब सुन कर मेरी आंखों के सामने सविता भाभी का रूप नाचने लगी,मैंने आहिस्ते आवाज में उषा भाभी को कोहनी से टहोका देते हुए बोली,ए भाभी सुनतानी,भाभी बोली ठिक समझली ह,ईनका हाथ में चार हजार रूपया उहे दिहल रहे।चुप रही जे बोलता ओने ध्यान ना दिहीं।फिर आवाज देकर रमेश भैया से बोली,एजी सुनतानी,केतना देर यहां जाम खुले के ईंतजार करब।चली नहरिया वाली रसता से,जे होखी से देखल जाई।
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#33
पाठक एवं पाठिकाओं यह.कहानी नही आपबीतीः है,मैं यह प्रयास कर रही हूं कि जस के तस समग्र घटना को घटे क्रम में उसी भाषा में लिखुं,परन्तुं समय.के अन्तराल के कारण भाषा और कथानक में कही अवरोध पाएं तो मुझे बताने का कष्ट करें,तथा यह कहानी आपको कैसी लग रही है,अगर अच्छी हो तो अपने कौमेंटस अवश्य दें।
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#34
Very nice to see you.
Hot update!!
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#35
कहानी जबरदस्त है पर प्लीज इतना इंतजार  न कराइये कहानी का तारतम्य बिगड़ जाता है , अगली पोस्ट जल्द दीजियेगा 
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#36
तनी आउर ठहर के देख लेल जाता,कहीं सड़क चालू हो जाई।होने त एक त एगारह बारह किलोमीटर जादा के घुमाव हो जाई और दूसर सुनसान कहके रमेश भैया हमलोगों के तरफ देखने लगे जैसे हमलोगों से राय या रजामंदी चाहते हों।तभी दामू बोल बैठा आ हो रमेश भाई एकदम सुनसान ना बाटे।सहनी/मल्लाह लोग मिल के एगो बर सहन डाल के चाय के दुकनिया खोल देले बा,आउर त आउर मछली दारू सब मिलता वहां ।रमेश भैया धमकते हुए बोले आ एत्ता रात में तोहार गांड मारेला बईठल होखिहें।तु त बिगड़ जाला,अरे रात में रहेला न ,नहरिया से.मछरिया जे चोरी हो.जाई। ऊषा भाभी बोली ऐजी दामुजी त ठिके बोलत हईं।चलींं ,काहेला टाईम बेकार.कैल जाला।ठीक कहनी ह न मीरा बबुनी मेरी ओर देखते हुए बोली।हम का कहीं न हम एने के रसता देखले बारी ना ओने के,जैसन आउर लोग पसंद करी ,मै भाभी को बोली।ऐसे में वहां के माहौल यानी कि जैसी बातें ट्रक के पास खरे लोग बातचीत कर रहे थे,ऊससे भीतर ही भीतर हम तीनो ही गिली होने लगी थी,हालांकि उपर से ऐसी जाहिर कर रही थी,मानो उनलोगों की बात हमलोग सुन ही न पा रही हो।रमेश भैया मानो ईसी सहमति का ईंतजार कर रहे थे,उन्होनकई बार आगे पिछे कर आटो को मोड़कर जाम से निकाला,और वापस उसी रास्ते पर लौट चले।धीमी चाल से चलते हुए आटो वापस लौट रही थी क्योंकि पचिसो ट्रक और अन्य वाहन जाम खुलने के ईंतजार में लगे हुए थे।करिब पौन किलोमीटर चलने के बाद रास्ता खाली मिलने लगी।थोड़ी देर में ही वह मोड़ भी आ गई जहां से हमलोग मुरकर नहर वाले रास
ते पर आ गए।कौन रोड ठिके बा रे ऊतरही कि दखिन वाला,रमेश भैया ने दामु से.पुछा।ऊतरवारी से चलीं,एही पार सब ठिकाना बनैले बारन,कोई दिक्कत ना होखी।अब आटो नहर पर बने सड़क पर चल रही थी।नहर पर कहीं ईट बिछी हुई थी कही सिर्फ मट्टी।आटो कभी बाएं झूकती कभी दाएं,कभी किसी गड्ढे में चक्का पर जाती तो एक दूसरे से टकरा जाते।ऊषा भाभी को ईसमें भी मजाक करने में मजा आ रहा था।ए मीरा बबुनी जानतानी ,सबसे मजा में सीमा रानी बारी ,देखी.ना
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#37
तनी आउर ठहर के देख लेल जाता,कहीं सड़क चालू हो जाई।होने त एक त एगारह बारह किलोमीटर जादा के घुमाव हो जाई और दूसर सुनसान कहके रमेश भैया हमलोगों के तरफ देखने लगे जैसे हमलोगों से राय या रजामंदी चाहते हों।तभी दामू बोल बैठा आ हो रमेश भाई एकदम सुनसान ना बाटे।सहनी/मल्लाह लोग मिल के एगो बर सहन डाल के चाय के दुकनिया खोल देले बा,आउर त आउर मछली दारू सब मिलता वहां ।रमेश भैया धमकते हुए बोले आ एत्ता रात में तोहार गांड मारेला बईठल होखिहें।तु त बिगड़ जाला,अरे रात में रहेला न ,नहरिया से.मछरिया जे चोरी हो.जाई। ऊषा भाभी बोली ऐजी दामुजी त ठिके बोलत हईं।चलींं ,काहेला टाईम बेकार.कैल जाला।ठीक कहनी ह न मीरा बबुनी मेरी ओर देखते हुए बोली।हम का कहीं न हम एने के रसता देखले बारी ना ओने के,जैसन आउर लोग पसंद करी ,मै भाभी को बोली।ऐसे में वहां के माहौल यानी कि जैसी बातें ट्रक के पास खरे लोग बातचीत कर रहे थे,ऊससे भीतर ही भीतर हम तीनो ही गिली होने लगी थी,हालांकि उपर से ऐसी जाहिर कर रही थी,मानो उनलोगों की बात हमलोग सुन ही न पा रही हो।रमेश भैया मानो ईसी सहमति का ईंतजार कर रहे थे,उन्होनकई बार आगे पिछे कर आटो को मोड़कर जाम से निकाला,और वापस उसी रास्ते पर लौट चले।धीमी  चाल से चलते हुए आटो वापस लौट रही थी क्योंकि पचिसो ट्रक और अन्य वाहन जाम खुलने के ईंतजार में लगे हुए थे।करिब पौन किलोमीटर चलने के बाद रास्ता खाली मिलने लगी।थोड़ी देर में ही वह मोड़ भी आ गई जहां से हमलोग मुरकर नहर वाले रास
ते पर आ गए।कौन रोड ठिके बा रे ऊतरही कि दखिन वाला,रमेश भैया ने दामु से.पुछा।ऊतरवारी से चलीं,एही पार सब ठिकाना बनैले बारन,कोई दिक्कत ना होखी।अब आटो नहर पर बने सड़क पर चल रही थी।नहर पर कहीं ईट बिछी हुई थी कही सिर्फ मट्टी।आटो कभी बाएं झूकती कभी दाएं,कभी किसी गड्ढे में चक्का पर जाती तो एक दूसरे से टकरा जाते।ऊषा भाभी को ईसमें भी मजाक करने में मजा आ रहा था।ए मीरा बबुनी जानतानी ,सबसे मजा में सीमा रानी बारी ,देखी.ना कैसे जकरले बाटि भाई के,अरे हम सब ना देखब,हमार देवरजी के.लौड़ा टनटनाएले है,आगे पिछे जहाँ मन करे ठंसवा लिहीं और जमके आटो के झटका के मजा लिहीं।बड अनुभव राखी ले हे भौजी,अपन भाई से पेलवैले रहींका,सीमा हंसते हुए बोली।रास्ता सुनसान मिलने के कारण अब हम सभी खुल गई और मैं भी अब खुल चुकी  थी,और ईन सब के बातों का आनंद लेनी आरंभ कर दि थी.और बोली भाभी अपने भी जाईं आ रमेश भैया के डंडा पर बैठ के आटो चलाई न भैया के हाथ में आपन दुनो हारन पकरा के।तोहनी के बतकुच्चन खतम ना होई त हम आटो रोकी रमेश भाई डांट भरे स्वर से बोले।चट से भाभी बोली,हां रोकी ना एक चोट हमनी के खा लिहीं,बरी देर से आटो के हैनडल पकरले बानी,तनिक रुक के दूनो बहिनिया के हारन पर हाथ चलाईं,हाथों के नरम गरम लागी और जोर से ठहाका लगाई। ए रमेशभाई भौजी ठिके कहत बानी,ई सीमुआ के भरल भरल चूंची पकरा गईल रहे तब से हमार साहेब झटका मारत तंग कर दिहलस ह।का बोलत बाटे रे दामु एक त ओखनी से कभी हमार चुतर पर हाथ फेरत हिया कभी छाती पकर करमसलत हौवे आ हमरे दोष दिहल जातिया वाह। हमलोग काफी दुर आ चुकी थी नहर पर।अचानक सामने से एक टार्च कि तेज रोशनी आई सामने से,रोशनी एकाएक परने से रमेशभाई नेआटो की रफ्तार कम कर दी,थोरी सी डर हमसभी को हो आई।धीरे धीरे कर आटो टार्च वाले के पास पहुंची तो यह देख कर कि वहां तीन सिक्युरिटी के वर्दी धारी खरे थे,तो भय दूर हो गई।जब आटो रुकी तो उन का एक सिपाही रमेशभाई से पुछने लगा,कहां से आ रहे हो,रमेश भैया ने उससे सारी बात बताई,फिर बताया कि अगले गांव बनियापुर में संबंधी रहते हैं,अतःईस रास्ते को पकर लिए थे। गांव कानाम सुनके वह सिपाही थोरी दुर खरे अपने अन्य साथियों के पास गया और धिमी आवाज में कुछ बात करने लगा,पर उन सब कि नजरें बार बार आटो के तरफ थी और ईशारे.भी कर रहे थे।
कुछ आपस में बात करने के बाद एक सिपाही आकर रमेश भैया से बोला,भाई अभी थोरी देर में साहेब आएंगे तभी आटो को आगे जाने कि आर्डर देंगें।तब तक हम लोग आटो की तलाशी लेंगे,और यह कहकर वह पिछे आकर वह बैग खोलने को कहा,ऊषा भाभी बैग खोलने निचे झूकीं तोउनके आंचल निचे गिर गई,और.उनकी कसी और बरे गले के ब्लाऊज से बरी.बरी चूंचिया और निपुल के भुरी गोलाई साफ दिखने लगी,और वह सिपाही तो बस एकटक उसे ही देखे जा रहा था,और.उसके पैन्ट के उभार.साफ नजर आने लगी थी।फिर उसने बैग के सामान जो सिर्फ हमलोगों के कपरे भर धे को हिबंद करता हुआ सिट को हिला कर देखने के बहाने अपना हाथ ऊषा भाभी और मेरी.दोनोँ कें जांघो केबिच में घुसाकरहम दोने के चुतर पर हाथ फेरने लगा,आखिर मैं बोल परी,ओ सिपाहीजी रूक जाईए हम लोग उतर जाती हैं तब आप चेक कर लें।नहि नहि आपलोग बैठे रहिए सब चौकस है कहके बरे अश्लिल भाव से हंसते हुए आगे के सीट देखने बढा।ऊधर.सीमा और दामु पहले ही औटो से ऊतर कर एक किनारे खरे थे,ऊन्हे निचे देख कर मैं भी भाभी कि हाथ पकर कर ऊन्ही लोगों के पास चली आई।अभी वह सिपाही सिट के गद्दे कोउठाया ही था कि एक मोटरसाइकिल कि आवाज आई और देखते ही देखते एक आदमी बाईक चलाता आ पहुंचा।उसे बाईक से उतरते देख दो सिपाही बढकर उस को सैल्युट दे रहे थे।फिर हमलोगों कि ओर ईशारा कर कुछ कहा।फिर वह ऊन दोनो को साथ लिए हम सभी के तरफ बढ आया,और पुछा औटो कौन चला रहा था।रमेश भैया अपने पाकेट से.लाईसेंस.निकाल कर उसके हाथ कि ओर बढाया और कहा सर यह आटो मेरी है और हमलोग बनियापुर संबंधी केघर जा रहे थे.और ऊसे रास्तें में लगे जाम के बारे में बताने लगे।रमेश भाई की बात सुनकर वह बोला तुम्हारे संबंधी का नाम केया है तो भाभी बोली कि गांव के...वर बाबु मेरे मामा हैं। अच्छा वही...वर बाबु न जिके घर के बगल में स्कुल है उस आदमी ने कहा। भाभी यह सोच कर ऊत्साहित होकर बोली जी सर,जी सर।भाभी कि बात सुनकर वह आदमी जो वहां का ईंचार्ज था,बरे कुत्सित भाव से मुशकरा कर हम लोगों को गौर से देखने लगा और बोला ठिक है,और ए दोनो औरते कौन है,फिर मेरी तरफ देख कर बोला,तुम बताओ ,उसकी बरी बरी मुंछे,लाल लाल आंख को देख कर मुझे डर तो लग रही थी,मै ने बीना उसके तरफ देखे बोली जी मैं मीरा हूं ए हमारे मुहल्ले के हैं,फिर वह सीमा के तरफ ताकते हुए बोला और तुम।सीमा भी अपना नाम बता कर चुप हो गई और दामु के तरफ देखने लगी।फिर ऊस ने अपने सिपाहियों से कहा,ए सब गड़बर लगते हैं ,ईनसबको लालू के जसहन में ले चलो वहीँ अच्छे से पुछताछ करेंगे।सिपाहियों के ईशारे पर रमेश भैया आटो स्टार्ट करने लगे,एक सिपाही मेरी और भाभी के बीच बैठ गया दूसरा आगे के सिट पर सीमा को बाईं तरफकरता हुआबिच मेंही बैठा,जिससे सीमा ऊसके बांए तरफ और दामू दाहिने तरफ हो गया।तीसरा रमेश भैया के बाजू मेंबैठ गया,और भैया को आटो बढाने को कहा।आटो के चलते ही हमारे बीच में बैठे सिपाही ने अपने हाथों को आटो के दोनो तरफ के डनडो को ईस तरह पकर लिया जिससे ऊसकी दोनो बाहों कि कोहनी हम लोगों कि छातियों को लगभग छु रही थी।ऊधर सीमा भी एकदम किनारे से सटी हुई थी और उसके साथ वाला सिपाही अपना एक हाथ बाऐंवाली हाथ से सीमा के ओर वाले छतरी के डनडे को.और दूसरे हाथ से आटो के सिट वाले डनटे को।थोरी दूर चलने के बाद ही वह सहन आ गया,सामने बाईक लगी थी,आटो के रुकते ही हमलोगों के बीच बैठा सिपाही उतरने के लिए अपने एक हाथ के पंजे को मेरी जांघो के मथ्य और दुसरे हाथ के पंजे को भाभी के जांघो के मध्य रख कर उतरने लगा,उसके हाव भाव से ऐसा लग रहा था कि सब अनजाने में हो रहा है,ऊसके उतरने के पश्चात हम सभी ऊतर कर सहन कि तरफ बढें।उस सिपाही के हाथ जो मेरे जांघो के बीच डाले थे,मेरी चूत में हलचल मचा रही थी,और ऊपर से सिक्युरिटी का भय।
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#38
Great story!!
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#39
nicweee..
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#40
Very nice. Sexy story. Thank you.write more please
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