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Adultery रीमा की दबी वासना
विजय भाई आपकी कहानी गजब की है............. फुल्ल थ्रिलर लेकिन इसमें सबसे ज्यादा जो मुझे पसंद आयी

1- रीमा की वासना को लेकर अवधारणा..... उसका सेक्स को करने नहीं जीने का तरीका........... वो वास्तव में चुदती नहीं.... चुदाई को जी लेती है... अपनी हो या दूसरे की

2- आपका सेक्स का वर्णन करने का तरीका............. इतना कुछ विस्तार से लिखते हैं आप और कहीं भी बोरियत नहीं होती

................................ अब कहानी पर

कहानी में अभी जो मोड आए हैं.................... इधर रीमा जीतेश को तयार कर रही है अपने लिए..... तन से ही नहीं मन से भी ....हमेशा के लिए
लेकिन एक ओर जग्गू का बाप विलास अपने बेटे के कातिल को ढूंढ रहा है... दूसरी ओर रोहित और अनिल रीमा को

लेकिन इस लुका छिपी का फाइदा सूर्यदेव उठाने के चक्कर में है............ अपनी आफत वो रीमा के सिर डालना चाहता है...........
अब मंत्री के आने से इस लुका छिपी का जल्दी ही अंत होने की संभावना है

इधर रीमा भी दड़बे से बाहर निकाल आएगी क्योंकि उसके पास भी जीतेश के रूप में एक हथियार आ चुका है............ उसके शिकारियों का शिकार करने वाला

देखते हैं आगे क्या होता है

महत्वपूर्ण बात................... XF पर अपडेट क्यों नहीं दे रहे आप............. में एक महीने से वहाँ इंतज़ार कर रहा था..............मे यहाँ हिन्दी की कुछ ही कहानियाँ पढ़ता हु...ज़्यादातर इंग्लिश की पढ़ने ही आता हूँ..................... हिन्दी कहानियाँ सिर्फ एक्सएफ़ पर ही पढ़ता हूँ .... तो वहाँ भी अपडेट जरूर दो..... रीडर्स को पता ही नहीं के ये कहानी भी है वहाँ ..... टाइटल भी अलग लेखक भी अलग और अपडेट देते नहीं.....थोड़ा धैर्य रखें और अपडेट करते रहें
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(20-12-2019, 10:16 PM)kamdev99008 Wrote: विजय भाई आपकी कहानी गजब की है............. फुल्ल थ्रिलर लेकिन इसमें सबसे ज्यादा जो मुझे पसंद आयी

1- रीमा की वासना को लेकर अवधारणा..... उसका सेक्स को करने नहीं जीने का तरीका........... वो वास्तव में चुदती नहीं.... चुदाई को जी लेती है... अपनी हो या दूसरे की

2- आपका सेक्स का वर्णन करने का तरीका............. इतना कुछ विस्तार से लिखते हैं आप और कहीं भी बोरियत नहीं होती

................................ अब कहानी पर

कहानी में अभी जो मोड आए हैं.................... इधर रीमा जीतेश को तयार कर रही है अपने लिए..... तन से ही नहीं मन से भी ....हमेशा के लिए
लेकिन एक ओर जग्गू का बाप विलास अपने बेटे के कातिल को ढूंढ रहा है... दूसरी ओर रोहित और अनिल रीमा को

लेकिन इस लुका छिपी का फाइदा सूर्यदेव उठाने के चक्कर में है............ अपनी आफत वो रीमा के सिर डालना चाहता है...........
अब मंत्री के आने से इस लुका छिपी का जल्दी ही अंत होने की संभावना है

इधर रीमा भी दड़बे से बाहर निकाल आएगी क्योंकि उसके पास भी जीतेश के रूप में एक हथियार आ चुका है............ उसके शिकारियों का शिकार करने वाला

देखते हैं आगे क्या होता है

महत्वपूर्ण बात................... XF पर अपडेट क्यों नहीं दे रहे आप............. में एक महीने से वहाँ इंतज़ार कर रहा था..............मे यहाँ हिन्दी की कुछ ही कहानियाँ पढ़ता हु...ज़्यादातर इंग्लिश की पढ़ने ही आता हूँ..................... हिन्दी कहानियाँ सिर्फ एक्सएफ़ पर ही पढ़ता हूँ .... तो वहाँ भी अपडेट जरूर दो..... रीडर्स को पता ही नहीं के ये कहानी भी है वहाँ ..... टाइटल भी अलग लेखक भी अलग और अपडेट देते नहीं.....थोड़ा धैर्य रखें और अपडेट करते रहें

उस फोरम पर इसलिए थ्रेड स्टार्ट किया था क्योंकि शायद इस साईट का भरोसा नहीं था लेकिन फिलहाल ये साईट बिंदास तरीके से चल रही है इसलिए उधर पोस्ट करनी बंद कर दी | जल्दी ही वहां भी story अपडेट करूंगा | लेटेस्ट पोस्ट के लिए xossipy का थ्रेड ही विजिट करे | सभी पाठको से यही अनुरोध है
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कल शाम को तैयार रहिये नए साल और क्रिसमस धमाके के लिए, अब तक की सबसे ज्यादा समय और मेहनत खर्च कर लिखी गयी पोस्ट ...............................................
उम्मीद है आप सबको पसंद आएगी | इन्तजार करिए कल रात तक का
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इससे बेखबर दोनों बहुत ही गहरी नींद में सोते रहे | रीमा को पता नहीं चला लेकिन रात में जितेश का खास आदमी आ गया | उसे  कच्ची नीद में उठा दिया | हाल ही में सोया जितेश ने आंखे खोलकर देखा तो उसका खास आदमी गिरधारी था | उसने झट से रीमा को चादर के हवाले किया और अपने ऊपर भी एक चादर लपेट ली | 

जितेश के बिस्तर पर एक हसीन औरत को नंगी देखकर गिरधारी की आँखों में चमक आ गयी और हैरानी से जितेश को देखता हुआ घूरता हुआ - बॉस इतना कड़क माल कहाँ से झपट मारे | 
जितेश को उसके सवाल का मतलब समझ नहीं आया - क्या बकवास कर रहा है | 
गिरधारी रीमा की तरफ इशारा करता हुआ - बॉस कहाँ से इस मक्खन मलाई को ले आये हो | यहाँ कस्बे में तो साला सब घटिया माल है | इतना गोरा और कसा हुआ चुस्त जिस्म, आपके किस्मत के तो दरवाजे खुल गए होंगे | कितनी बार ली है अब तक |
जितेश - काम बता बकवास न कर, क्यों आया है यहाँ इतनी रात को |
गिरधारी का ध्यान कही और ही था - साहब कितने रूपये में मानी है | 
जितेश की एक तो कच्ची नीद ऊपर से गिरधारी की बकवास, उसने एक जोरदार कंटाप जड़ दिया - बोला न बकवास न कर |
गिरधारी - पहले बतावो इतना हसीन अपसरा मिली कहाँ से |
जितेश - रंडी नहीं है वो, अब बता क्यों आया यहाँ | 
गिरधारी - रंडी नहीं तो.......... क्या साहब आपको इश्क हो गया है | काहे झूठ बोल रहे है कल तक तो बिलकुल ठीक ठाक थे और अचानक एक रात में किसकी माल अपनी जांघे खोल देती है और  चुदवाने को राजी हो जाती है | 
जितेश गंभीर होता हुआ - तुझे समझ नहीं आ रहा, यही वो मैडम है जिनका सूर्यदेव से पंगा चल रहा है | बताया था न मैंने तुझे |
गिरधारी थोडा संशकित होता हुआ - इन्ही को सुर्यदेब के आदमी कुत्तो की तरह ढूंढ रहे है | 
जितेश - हाँ |
गिरधारी - ये यहाँ बेफिक्र .............(कुछ सोचता हुआ ) ...लेकिन इनकी तो जान पर .........(फिर रुककर ) बड़ी दिलचस्प औरत है लोग इसके खून के प्यासे है और ये यहाँ .............(फिर कुछ रूककर जितेश को देखता ) मतलब मैडम को राजी कैसे किया ............मतलब कोई इस हालत में औरत अपनी जान बचाएगी या कपड़े उतार कर नंगी हो जाएगी ............................मतलब आपने मनाया कैसे चोदने के लिए | 
जितेश - हो गयी तेरी बकवास खतम या मै तुझे चुप कराऊ |
गिरधारी - लेकिन बॉस ............ये जैकपोट लगा .........................|
जितेश - बस तू ये समझ ले आज से ये तेरे बॉस की बॉस है |
गिरधारी - मतलब मैडम को आपने पटा लिया है लेकिन इतनी जल्दी वो कपड़े उतार के चुदने को राजी कैसे हो गयी | यहाँ तो साली अपनी बीबी इतना नखरा झाड़ती है की पिछले तीन महीने से हाथ से ही हिला रहा हूँ | 
जितेश - मैंने बोला न अब कोई बकवास की अगर अपने बॉस के बॉस के बारे में तो तू पिटेगा | 
गिरधारी बस एक आखिरी सवाल - कितनी बार चोदा है अब तक मैडम को | 
जितेश - मुझे गुस्सा मत दिला | 
गिरधारी को लगा मामला संगीन है | वो चादर से ढके रीमा के नंगे गोर बदन को निहारते हुए - बॉस पोलिस पता नहीं क्यों हाथ धोकर पड़ी है, अगले कॉन्ट्रैक्ट के ये ढेढ़ लाख एडवांस मिले है | एक झोपड़पट्टी में इतने पैसे कहाँ से आये, पोलिस हजार सवाल पूछती इसलिए भाग आया | इतनी रात को कहाँ जाता | आपकी तरह कोई सुरंग तो है नहीं जो बाहर से ताला लगाकर फिर उसी में घुस जाऊ | 

गिरधारी जितेश के साथ ही काम करता था | जितेश से उम्र में कुछ बड़ा था लेकिन जितेश को अपना गुरु और बॉस दोनों मानता था | एक तरह से उसका दाहिना हाथ | इसी अवैध बस्ती के दुसरे छोर पर एक झुग्गी में उसका ठिकाना है | ऐसा नहीं था की वो गरीब था लेकिन कस्बे में रहकर सबकी नजरों से बचकर काम कर पाना जरा मुश्किल था | इसलिए अपने बॉस यानि की जितेश को फॉलो करता था | सूर्यदेव के आदमियों को सूंघते सूंघते पोलिस यहाँ तक आ पंहुची | आज रात इस अवैध बस्ती का एक एक घर तलाशा जायेगा | इसलिए किसी तरह से बचते बचाते यहाँ आ गया | 

जितेश - पोलिस तुझे नहीं इस मैडम को ढूंढ रही है |
गिरधारी चौकता हुआ - क्या बात कर रहे है |  
जितेश - हाँ |
गिरधारी - फिर तो और भी अच्छा है, मैडम को पोलिस के हवाले कर दो | सारा झंझट ही खतम हो |
जितेश - यही तो मुसीबत है | पोलिस भी तो सूर्यदेव के ही कब्जे में है | पोलिस को मैडम को देने का मतलब है इनको सूर्यदेव को सौंप देना | वही से तो जान बचाकर भागी है |
गिरधारी - फिर | 
जितेश - जमीन में बिस्तर बिछा ले और सो जा | सुबह सोचते है आगे क्या करना है | और सुन बीडी मत पीना यहाँ वर्ना लात मार के बाहर निकालूँगा | 
गिरधारी ने कोने में पड़ी दरी उठाई और जमीन पर बिछाकर सो गया |
जितेश भी बिस्तर पर आकर लेट गया और  जितेश काफी देर तक बिस्तर लेता रहा तब जाकर उसे नीद आई  | इसीलिए जितेश सुबह देर तक सोता रहा |

[Image: x-art_angie_morning_desires-2-sml.jpg]

सुबह रीमा की आंख पहले खुल गई और  सबसे पहले रीमा की नजर  जितेश पर ही गई,  रितेश पूरी तरह से बेखबर होकर गहरी नींद में सो रहा था | रीमा ने अपने बदन की तरफ देखा उसकी हालत अच्छी नहीं थी | बाल उलझे हुए, चेहरा रुखा सा, जिस्म में दर्द था और  रीमा की जांघों चिपचिपाहट थी | जितेश के प्यार की चिपचिपाहट | रीमा समझ गई यह जितेश के लंड के मुरझाने के बाद बाहर फिसलने बाद में उसकी चूत से भरा जितेश का सफ़ेद रस रिस कर  बाहर आया है | उसने न केवल उसकी जांघों को भिगोकर गीला किया है  बल्कि चद्दर पर भी फैल गया था |अब तक सूख कर काफी चिपचिपा हो गया था | रीमा ने अपनी चूत पर सने उस चिपचिपे रस को एक उंगली में लेकर चाटा और फिर जितेश को देखने लगी | आखिरकार कौन सी वजह थी जो इतने कम समय में जितेश उसका इतना खास हो गया | जिसे रीमा ने अपना सारा जिस्म उसे सौंप दिया था | वो जिस्म जिसे छूना तो दूर कोई गैर देख ले ये भी उसे गंवारा नहीं था | आज वही जिस्म एक अनजान सी जगह में एक मर्द को उसने पूरी तरह सौंप दिया | जितेश ने  उसके जिस्म के गहराइयों के आखिरी छोर तक का सफ़र तय कर लिया था | अगर औरत के मन की गहराई को अंतिम छोर को छूना है तो उसकी चूत की गहराई में खुद आखिर छोर तक खुद को उतार दो | दूसरी तरफ अगर कोई मर्द  औरत के मन की गहराई में अन्दर तक उतर गया है तो औरत उसे अपने चूत की अँधेरी सुरंग की गहराइयों में उतार लेती है | रीमा के साथ कौन सी बात सही थी पता नहीं लेकिन रीमा की औरतपन की सुरंग की आखिरी गहराई तक दौड़ लगाकर जितेश उसके मन में गहराई तक उतर गया था | 
आखिर कौन है जितेश जिसको रीमा ने अपना सब कुछ सौप दिया और उसकी गाड़ी सफ़ेद  मलाई को अपनी चूत की गहराइयों में भर लिया और अब वही चूत में भरी सफेद गाड़ी मलाई जब बाहर आकर के उसकी जांघो पर जम गयी थी | तो उसी को रीमा चाट चाट कर जितेश को देख रही थी और जितेश को देखती रही |  उसके बाद उसकी नजर उसकी कमर की तरफ चली गई यह क्या जितेश का लंड पूरी तरह से तना हुआ था, उसके तने लंड का तंबू उसके ऊपर पड़ी चादर बनी हुई थी |  रीमा अपनी ओंठो से उसके रस से सनी उंगली चूसती हुई  काफी कामुक नजर से जितेश को देखने लगी | रात की हवस का नशा अभी भी पूरी तरह से रीमा पर छाया हुआ था | रात में उन्होंने जो चुदाई का बेमिसाल खेल खेला था, रीमा के बदन के रोम रोम में उठ रहे मादक मीठे दर्द से वही अहसास दिलो दिमाग में  भरा हुआ था | अपने उन्नत नुकीले उरोजो को मसलती हुई काफी देर तक जितेश को सोते हुए देखती रही | आखिरकार उसको अपने मन को मार कर उठना पड़ा, क्योंकि उसे बाथरूम जाना पड़ा |  वह बाथरूम गई और फ्रेश होकर आई | बाहर भोर की पौ फटने को थी लेकिन कमरे में अभी भी अँधेरा था | वो जितेश को लांघते हुए बाथरूम गयी थी और उसी तरफ से वापस आई | उस कमरे में उन दोनों के अलावा भी कोई है इसका उसको अहसास तक नही हुआ | वो बिसतर पर आकर लेट गयी  लेकिन जितेश के तने हुए लंड को देख करके रीमा का मन बदल गया |

[Image: x-art_angie_morning_desires-3-sml-758x505.jpg]

 उसने जितेश के लंड को जो चादर से ढका हुआ था उसे खींच कर अलग कर दिया | अब उसका लंड पूरी तरह से हवा में सीधा  हो गया |  इतनी कसकर उसे चोदने के बाद भी शायद उसके अंदर की आग बुझने की  बजाए और भड़क गई थी | उसके मन में बसी रीमा को चोदने की लालसा तो पूरी हो चुकी थी लेकिन उसकी लालसा अब कम होने के बजाय और बढ़ गई थी | वासना की आग होती ही ऐसी है जो जितना बुझाने की कोशिश करो उतना भड़कती है | शायद रीमा ने जितेश के तन बदन में वो आग और भड़का दी थी |  शायद यही हालत उसके तने  हुए लंड की ओर  इशारा कर रही थी | वह भले ही सो रहा था लेकिन उसका लंड  उसके दिलो-दिमाग के अंदर  चल रहे तूफान की सारी कहानी  बयान कर रहा था | रीमा ने उसके लंड को थाम लिया और बड़ी आत्मीयता से सहलाने लगी | आखिर यही तो वो लंड था जिसने रात में उसकी अधूरी  हवस की आग बुझाकर तृप्ति का वह चरम सुख दिया जो जिंदगी भर नहीं भूल पाएगी | इस लंड ने जैसे उसके रोम-रोम को चोद डाला हो और उसकी पूरी चूत को भर दिया हो और उसे औरत होने के अस्तित्व को तृप्ति का नया अहसास कराया हो | उन अहसासों के लिए जिनके  लिए वह सालों तक तड़पती रही , जो कल रात उसके रोम रोम से बह निकले और उसके मन में भरे वर्षो के बोझ को हल्का कर दिया | उसकी जिंदगी में भी चुदना लिखा है और तृप्त होना लिखा है | वो अधूरी प्यास लेकर नहीं मारेगी | उसे जितेश के लंड पर बड़ा प्यार आ रहा था | शायद रीमा भी अपनी वासना को भोगने की शुरुआत भर कर पाई थी और अब उसे और ज्यादा भोगने की लालसा बढ़ गई थी | उसके अंदर की हवस  ख़तम होने की बजाय  शायद और भड़क गई थी | 
जितेश के लंड पर उसका हाथ फिसलने  लगा था | उसके उन्नत उरोज अपने पूरे शबाब पर थे | उसके सीने के कसे उभार और उनकी नुकीली तनी हुई  चोटियाँ ही ये बताने के लिए काफी थी की रीमा की जवानी कितना  खुलकर सामने आ रही है | रात में उसकी चुदाई के हुई उसके उरोजो की मालिश ने उसके उरोजो की उठान को और ऊँचा कर दिया था | रीमा की छाती की कसावट तनाव और उठान किसी भी मुर्रीदा लंड में आग के लगाने के लिए काफी थे | मा की हरकतों से अनजान  जितेश बहुत ही गहरी नींद में सो रहा था | कुछ देर तक रीमा रितेश के लंड  मासलती रही,  सहलाती रही और मुहँ में लेकर लोलोपोप की तरह चूसती रही |  उसके बाद में वह जितेश के लंड को छोड़कर  खुद के जिस्म से ही खेलने लगी |  सोते हुए जितेश को परेशान करना उसे अच्छा नहीं लगा  |वह अपने बड़े-बड़े उठे हुए तने हुए मांसल सुडौल  स्तनों को मसलने लगी और कुछ देर बाद उसका एक हाथ उसके  चूत घाटी में पहुंच गया और चूत को सहलाने लगा |  कुछ देर बाद उसका दूसरा हाथ भी उसकी चूत घाटी में पहुंच गया और उसकी चूत के अंदर उंगलिया करके उसकी चूत की खुजली मिटाने लगा था जबकि दूसरे हाथ की उंगलियां उसकी चूत दाने को मसलने लगी थी उसके अंदर की भड़की हुई हवस की आग उसके मुंह से सिसकारियां बनकर  निकलने लगी | 

[Image: x-art_angie_morning_desires-8-sml.jpg]

 रीमा की हरकतों से शायद जितेश की नींद भी टूट गई | रीमा के मुंह से निकल रही मादक सिसकारियां की मधुर आवाजों ने शायद जितेश के सोते हुए दिलो-दिमाग को जगा दिया | जितेश वैसे भी रीमा के हुस्न के जाल में पूरी तरह डूबा हुआ था सोते हुए भी शायद उस के सपनों में रीमा के ही सपने आ रहे होंगे इसीलिए जब उसके कानों में रीमा की मादक सिसकारियां की आवाज पड़ी तो उसकी आंखे खुदबखुद खुल गई उसने देखा रीमा अपने जिस्म से खेल रही है और अपनी चूत को मसल रही है और मुंह से सिसकारियां निकल रही है | वह समझ गया कि लग रहा है रीमा अभी पूरी तरह से ठंडी नहीं हुई है और उसके अंदर हवस की आग अभी भी जल रही है | जितेश रीमा  के करीब आ गया और रीमा केउठे हुए उन्नत नुकीले स्तनों  को अपने मुंह में लेकर के उसका रसपान करने लगा | इधर रीमा का हाथ भी उसके लंड पर चला गया और उसके लंड को मसलने लगा | रात से इतर न तो भावनाओ का समुन्दर था, ना कोई भावना थी ना  ना ही कोई आत्मीयता थी | अब बस दो जिस्मो की वासना थी और उस वासना को बुझाने के लिए दोनों फिर से  एक दूसरे में गुथम गुत्था  हो गए | एक तरफ जहां जितेश रीमा के बदन पर अपने होठों के जादू चला रहा था तो वहीं रीमा जितेश के लंड पर अपनी उंगलियों का जादू बिखेर रही थी |  कुछ ही देर बाद जितेश ने रीमा को अपने आगोश में ले लिया और उसको जांघो को फैला कर के उसकी पहले से ही उसके लंड रस से  सनी हुई चूत में अपने लंड को सटाकर के पेल दिया |  रीमा के मुंह से एक लंबी सिसकारी निकल गई | 
रीमा - ओओओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्हह्ह्ह ऊऊऊऊऊऊऊफ़्फ़्फ़ | 
 जितेश  ने अपने होठों को रीमा  के होठों से सटा दिया |   जितेश रीमा कस कर के चूमने लगा उसे पता था अगर वह रीमा के होंठों को अपने होंठों में नहीं चिपका लेगा तो रीमा के मुंह से तेज तेज सिसकारियां निकलेंगी और नीचे लेटा हुआ उसका आदमी गिरधारी जो कि उसके नीचे ही काम करता था और रात में उसके पास आया था और यही सो गया था वह जाग जाएगा | उसने रीमा के होठों को कसकर अपने होठों में जकड़ लिया और चूसने लगा |  इधर उसकी हिलती कमर रीमा की चूत में  मुसल लंड को पेलने लगी | उसकी चूत फ़ैलने लगी और जितेश के लंड को अपने गुलाबी आगोश में लेने लगी | रीमा फिर से मुसल लंड से चुदने लगी थी |  अभी तो रात बस खत्म हुई थी और सुबह फटने का समय हुआ था कुछ ही घंटों के अंदर रीमा की वासना फिर से अपने चरम पर थी |  जितेश की भी ठरक अभी खत्म नहीं हुई थी इसीलिए दोनों फिर से चुदाई के नंगे खेल में जुट गए थे | एक तरफ जितेश रीमा की चूत में कमर हिला हिला के लंड को पेल रहा था  तो दूसरी तरफ रीमा की चूत में उसके मुसल लंड को अपने आगोश में ले रही थी | अं न कोई प्रतिरोध था न कोई विरोध था | रीमा की चिकनी चूत की दीवारों पर सटा सट जितेश का लंड फिसल रहा था | उसके जिस्म में उठ रही हवस की लपटों की आग रीमा के मुहँ से गरम सिसकारियो के रूप में निकल रही थी और सीधे जितेश के मुहँ में जा रह थी क्योंकि जितेश ने उसके मुंह से अपने ओंठो को कसकर  चिपका रखा था |  अब ना केवल जितेश  अपनी कमर हिला रहा था बल्कि रीमा  भी अपनी कमर हिला कर के उसके लंड को गहराइयों तक लेने की कोशिश कर रही |   

[Image: x-art_angie_morning_desires-16-sml.jpg]

चुदाई का नंगा खेल फिर से शुरू हो गया था और रीमा के मुंह से निकलने वाली सिसकारियां उसके मुंह में ही घुट घुट के रह जा रही थी लेकिन जितेश के मोटे मुसल लंड की ठोकर आखिर कब तक रीमा का नाजुक बदन संभाल पता | कब तक जितेश की जोरदार ठोकरों को रीमा खामोश लबो से बर्दाश्त कर पाती | कब तक उन मादक कराहों को, उन कामुक सिसकारियां को अपने मुंह में घुट के रख पाती  | जैसे ही एक मोटा तगड़ा लंड औरत की चूत के छेद में घुसता है उसका मुहँ का छेद अपने आप खुल जाता है | ये नैसर्गिक है रीमा इसको कब तक रोक सकती थी | जितेश के भीषण ठोकरों की तरंगे न केवल उसके जिस्खिम को हिलाए हुए पड़ी थी बल्रकि उनमे उसका मन भी कांप जाता था | उस कम्कापन की आवाजे आखिरकार उसके मुंह से निकलने वाली सिसकारियां के रूप में  कमरे में गूंजने लगी | जितेश रीमा की  चुदाई में इस कदर मशगूल हो गया था कि उसे पता ही नहीं चला कि कब उसके ओंठ रीमा के होठों से हटकर के उसी गर्दन और स्तनों पर चले गए | 
रीमा की  चूत पर पड़ती  मुसल लंड की हर करारी ठोकर के साथ उसके  मुंह से उसकी सिसकारियां निकल रही थी | उन दोनों के इस चुदाई के खेल की कामुक आवाजें आखिरकार गिरधारी के कानों तक पहुंच गई | सोते-सोते उसकी नींद टूट गई पहले तो उसे लगा जैसे वह कोई सपना देख रहा है लेकिन जब उसने नीचे जमीन से उठकर के बिस्तर की तरफ देखा तो जो नजारा उसने देखा उसे देखकर वह हैरान रह गया | रीमा और जितेश दोनों एक दूसरे की बाहों में गुथम गुत्था  हुए चुदाई का नंगा हवसी खेल खेल रहे थे जिसका उसे अंदाजा तक नहीं था | जब वह यहां आया था तब उसने रीमा को देखा था, उसने जितेश से सवाल भी पुछा था लेकिन उसने टाल दिया था | जब जितेश ने जमीन वाली सुरंग का दरवाजा खोला और वो अन्दर आया तब वह पूरी तरह से चादर से ढकी हुई सो रही थी इसलिए उसे रीमा के जिस्म की झलक नहीं मिली थी | उसने बस चादर की सलवटो और उभारो से  रीमा के हुस्न का अंदाजा लगाया था | उसने जितेश से सवाल जवाब भी किये लेकिन  जितेश ने सिर्फ  काम की बात | उसके बाद दरी बिछाकर वो वही सो गया |  अब  एक तरफ सूरज अपनी रोशनी बिखेरने को तैयार हो गया था और इधर बिस्तर पर वह दोनों अभी भी रात के नशे में चूर एक दूसरे के  चुदाई का खेल खेल रहे थे | अपने अपने जिस्अमो में लगी आग बुझाने में लगे हुई थे | गिरधारी ने जो भी अपनी आंखों से देखा उसे अभी तक यकीन नहीं हुआ कि उसने जो देखा है वही सच है लेकिन जो उसने देखा था वही सच है ये उसे मानना पड़ा | वह क्या करें उसे खुद समझ में नहीं आया कुछ उसके सामने एक खूबसूरत सी औरत को उसका बॉस  चोद रहा था | जितेश का लंड आधे से ज्यादा रीमा की चूत में धंसा आगे पीछे हो रहा था और रीमा की गोरी उंगलियाँ उसके चूत दाने के आसपास टिकी हुई थी | 
[Image: 4874215.gif]



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उसकी तरफ रीमा की गोरी चिकनी पीठ थी | उसके मांसल बसे बसे चूतड़ थे और गुदाज मांसल जांघे जो जितेश की कमर से चिपकी हुई नब्बे डिग्री का कोण उसके जिस्म के साथ बना रही थी | उसे अपने पैरो की तरफ अपनी गर्दन झुकानी पड़ी रीमा की गुलाबी मखमली चूत के दर्शन करने के लिए | लेकिन तब भी उसके रीमा की चूत का पिछला हिस्सा ही दिख पाया | कमरे का ये रोमांचक कामुक सीन देखकर उसके भी अरमान जगने लगे | रीमा के बारे में जानने की उसकी इक्षा तो तभी शुरू हो गयी थी जब वो इस कमरे घुसा था | कौन है ये औरत जो इतनी शिद्दत से मेरे बॉस से ख़ुशी खुसी चुद रही है | आखिर ये रंडी नहीं है तो रंडी की तरह चुद क्यों रही है | लगता है मेरे बॉस मुझसे झूठ बोल रहा है | कोई शरीफ औरत किसी पराये मर्द से इस तरह से चूतड़ हिला हिलाकर थोड़े ही चुदती है | आखिर बॉस ने इतनी जल्दी इसको पता कैसा लिया | इतनी जल्दी इसको बिस्तर पर ले कैसे आये | इतनी जल्दी इसको जांघे खोलने के लिए राजी कैसे कर लिया | इतनी जल्दी इस औरत ने अपने कपड़े कैसे उतार दिए, न केवल कपड़े उतार दिए बल्कि बॉस का मुसल लंड भी घोट रही है | वो अपनी जगह से जितेश के पैरो की तरफ से जमींन पर रेंगता हुआ बेड के सिरहाने के उल्टा दिशा में बढ़ा | वो रीमा की चूत के दर्शन करना चाहता था जो अभी जितेश के लंड से अपने आगोश में लिए पूरी तरह से फैली हुई थी | आखिर कुछ दूर आगे जाने के बाद उसने सर को उचकाया और रीमा की गुलाबी मखमली चूत के दर्शन कर लिए | गुलाबी रंगत लिए हुए पतले ओंठो से घिरी उसकी चूत कितनी साफ़ और चिकनी थी | इसकी चूत पर तो बाल भी नहीं है | उसकी बीबी तो अपना जंगल कभी काटती ही नहीं | 


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गिरधारी  भी तो इंसान था उसके अंदर भी तो भावनाएं थी और कमरे का इतना मादक कामुक माहौल देखकर वहीं भावनाएं उसकी भी भड़कने लगी थी और उसका असर सीधे उसके पजामे  में सो रहे उसके लंड पर हो रहा था | ऐसी माहौल में दिमाग से ज्यादा लंड को हरकत में आना ही था और वो आने लगा | उसमें तनाव आने लगा था कुछ देर तक वो वही से अपने बॉस के लंड से रीमा की चूत  की चुदाई देखता रहा | इधर उसका लंड फूलता रहा | जितेश उसका बॉस था इसलिए उसके लिए उसकी बात की अवहेलना करना मुश्किल था लेकिन रीमा की चुदाई देखकर उसका मूड बन गया था | वो धीरे धीरे खिसककर अपनी जगह पर वापस आ गया | जितेश रीमा दोनों इस बात से बेखबर आपस में ही खोये हुए हवस का खुला खेल खेल रहे थे | गिरधारी अपनी दरी पर आकर लेट गया और लम्बी लम्बी सांसे लेने लगा | लेकिन उससे रहा नहीं जा रहा था | लेटे होने की वजह से उसे बेड का कुछ भी नहीं दिख रहा था | तभी उसका हाथ उसके पेंट के ऊपर चला गया | वो हैरान था उसका लंड तो पहले ही फूल चूका है | उसने पैजामे की मोहरी खोली तो देखा उसके लंड नाथ तो पूरी तरह से तन्नाये खड़े है | अब इसका क्या करू | वो बहुत बुरी तरह फंस गया था | एक तरफ कमरे के माहौल के कारन चढ़ी ठरक थी दूसरी तरफ बॉस का डर | वो दरी पर लेटे लेटे दूसरी तरफ को करवट हो गया | अब उसकी पीठ बेड की तरफ थी उसके बाद उसने अपने पजामे में हाथ घुसेड दिया और अपने लंड को मसलने लगा | बीच बीच में गर्दन घुमाकर खुद को थोडा उचकाकर बेड की तरफ भी देख लेता | जहाँ रीमा के गोरे बड़े बड़े मांसल चूतड़ जितेश के लंड की ठोकरों से हिल रहे थे | 

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गिरधारी को जितेश के मोटे लंड से चुदती हुई रीमा की चूत और हिलते भारी-भरकम चूतड़ दिख रहे थे उसकी नंगी पीठ भी गिरधारी की तरफ ही थी और उसकी चूत में सटासट जाता हुआ जितेश का लंड भी उसे दिख रहा था आखिरकार उसे रहा नहीं गया वह उठ कर बैठ गया और अपनी पैंट के अंदर फूल कर तन गए लंड को देखने लगा था | काश उसकी किस्मत में भी चोदना लिखा होता | उसके दिलो दिमाग में चुदाई की ललक घुस गयी थी लेकिन  किसी भी तरह से वो बॉस को डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था | लेकिन रीमा के जिस्म का मादक हुस्न उसे पगलाए दे रहा था |  दिलो-दिमाग पर रीमा का नशा चढने लगा था |  उसको रीमा की पूरी नंगी पीठ और भारी-भरकम चूतड़ देख रहे थे और उसकी चूत में जाता हुआ जितेश का लंड भी दिख रहा था | वो उचककर रीमा  जितेश की चुदाई को काफी देर तक देखता रहा | इधर जितेश का लंड की मां की चूत में सटासट जा रहा था तो उधर  गिरधारी के हाथ में उसका लंड उसकी के पजामे के अन्दर तेजी से फिसल रहा था | इतनी खूबसूरत औरत को इतने करीब से चुदते हुए उसने पहली बार देखा था | उसकी  आंखें फटी की फटी रह गई आखिर वह भी तो इंसान था |  उसकी आंखों के सामने एक खूबसूरत हसीन गुलाबी मखमली औरत की चूत को उसका बॉस बड़ी बेदर्दी से चोद रहा था |  यह देख कर वह भी  पूरी तरह से मदहोश हो गया | रीमा के मुहँ से निकलती सिसकारियां उसकी उत्तेजना को और बढ़ा रही थी | गजब है क्या ऐसी औरते भी होती है इस दुनिया में | उसके लिए तो रीमा अजूबा ही थी, क्योंकि जब वो अपनी बीबी को चोदता था तो वो तो हमेशा इधर उधर हाथ पाँव पटक के दर्द होने का नाटक करती थी | लेकिन मैडम तो बॉस का लंड भो घोटे ले रही है और मजे में कराह भी भर रही है | ऐसी औरत को एक बार चोदने को मिल जाये फिर तो जन्नत जाने की भी जरुरत नहीं है |

 वो वापस अपने बिस्तर पर लुढ़क गया और दूसरी तरफ करवट करके लेट गया | उसने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और पजामे को नीचे खिसका दिया | उसका पूरी तरह से तना हुआ लंड अब आजाद था | उसने करवट लेटे लेटे ही अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया |  तेजी से उस पर हाथ फिराने लगा  | 

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इधर रीमा काफी देर से जितेश की बाहों में ही पड़े पड़े चुद रही थी | वह चाहती थी अब जितेश नीचे लेटे और रीमा उसके ऊपर आ जाए | वो उसके  ऊपर बैठकर उसके लंड को अपनी चूत में डालकर कुछ देर घुड़सवारी करे | यही सोचकर रीमा जितेश की बाहों ने निकली | रीमा जैसे ही उठकर जितेश के ऊपर आने को हुई, उसकी नजर जमीन पर दरी बिछाये आदमी पर पड़ गयी, जिसका पैजामा उसके घुटनों का खिसका हुआ है और उसकी कमर की आड़ में उसका हाथ तेजी से हिल रहा है | वो  अपने मोटे मोटे लंड को बहुत तेजी से उठा रहा था | ये देखकर रीमा सन्न रह गयी | जैसी हालत में थी वैसे ही जितेश के ऊपर झुक गयी और तेजी से अपने ऊपर चादर खीचकर डाल ली | वह कमरे में एक अनजान आदमी को वो भी इस हालत में देखकर दंग रह गयी | यह कौन है, कहां से आया, कब आया,  क्या मै सपना देख रही है एकबारगी तो उसे यकीन ही नहीं हुआ | फिर उसने अपनी आंखों को मलकर देखा और तब भी उसे वो करवट के बल लेटा आदमी ही दिखाई दिया, जो तेजी से अपना लंड मुठिया रहा था | रीमा को हकीकत पर यकीन हुआ |  वह जितेश से चिपक गई और उसके कान में पुछा -  जितेश यह कौन है? 

जितेश ने माथा पीठ लिया उसके मुहँ से बस एक शब्द निकला - धत्त तेरे की इसको तो मै भूल ही गया, तुमारा हुस्न मुझे पागल कर देगा, तुमारे गोरे गुलाबी बदन की चमक के आगे इसका तो मुझे ध्यान ही नहीं रहा | 

रीमा - मतलब तुम इसे जानते हो | 

जितेश - हाँ तुम्हे क्या लगता है ये भूत बनकर यहाँ आ गया | रात में आया था जब तुम सो गयी थी उसके बाद, बाहर सिक्युरिटी बहुत छान बीन कर रही थी इसलिए यही लेट गया | 

रीमा दबी आवाज में बिफर पड़ी - मतलब तुम इस हालत में किसी को यहाँ रुकने की इजाजत कैसे दे सकते हो | मतलब मैंने रात में भी तुमारी बाहों में पुरी की पूरी नंगी सो गयी थी | 

जितेश उसकी बात कटाता हुआ - चिंता की कोई बात नहीं है रात में मैंने तुम्हे चादर में लपेट कर ढक दिया था | 

रीमा - क्या चिंता की बात नहीं है | रात में नहीं देखा तो क्या हुआ अब इसने हमें  सब कुछ करते हुए देख लिया है | 

जितेश भी हैरान रह गया | उसने हल्का सा सर उठा कर देखा तो देखा | नीचे दरी पर लेता गिरधारी दूसरी तरफ को मुहँ घुमाये  बहुत तेजी से लंड को मुठिया रहा है | 

रीमा फिर से बिफर पड़ी - मतलब तुम इतने लापरवाह कैसे हो सकते हो, मुझे बताया तक नहीं | आँखों से ही इशारा कर देते | 

जितेश - क्या करू, सारी बुद्धि तो तुमारे हुस्न से हर ली है | जब आंख खुली तो तुम सामने थी , अब जब तुम अपने प्राकृतिक रूप में सामने थी तो भला मुझे और कुछ कैसे याद आ सकता है | 

रीमा दांत पीसती हुई बेहद धीमी आवाज में - तुम्हे मजाक सूझ रहा है मेरी यहाँ जान निकली जा रही है | उसके मेरा सब कुछ देख लिया और तुम्हे भी | उसने हमें चुदाई करते हुए भी देख लिया है | अब क्या होगा |  रीमा शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी | 

जितेश भी उसे दबे स्वर में - तुम बेवजह परेशान हो रही हो | कुछ नहीं होगा | वो मेरा खास आदमी है  रात में वह एक नए कॉन्ट्रैक्ट के लिए पैसे लेकर आया था | चारो तरफ सिक्युरिटी तुमारे चक्कर में हर घर को सूंघ रही है इसलिए यही रूक गया | तुम परेशान मत हो अपना  पालतू है ये |

रीमा - कितना पालतू है वो दिख रहा है, अगर तुम न होते यहाँ पर तो अब अपने हाथ की जगह तक मुझ पर चढ़ अपनी कमर हिला रहा होता | देख लिया कितना पालतू है | 

जितेश - तुम हो ही इतनी हसीन, ऊपर से तुमारे बदन को बिलकुल उसी अवतार में देख लिया है जिस हालत में तुम पैदा हुई थी | आखिर खूबसूरत जवान नंगी औरत की जवानी का नशा से कौन बचा है, इसलिए हाथ हिला रहा | 

रीमा - किसी दिन अपनी कमर मुझ पर हिला रहा होगा, तब ये शायरियां बघारना | 

उधर गिरधारी के दिलोदिमाग में लाखो सवाल थे और उसका हाथ उसके तने हुए लंड पर था | आखिर ये मैडम है क्या चीज लेकिन जो भी है कमाल की चीज है | क्या कमाल की औरत है हमारे यहाँ औरते सुबह सुबह उठकर पूजा पाठ भजन कीर्तन करती है | एक ये औरत है जो सुबह सुबह लंड की पूजा करती है, मुसल लंड घोंट रही है | मन तो नहीं मान रहा लेकिन इसकी हरकतों से साफ पता चल रहा है  कि यह कोई बहुत बड़ी रंडी है | सुना है बड़े शहरो की रंडियां बड़ा सज धज के रहती है बड़ी गोरी चिट्टी होती है | पक्का है बॉस इसको भी वही से लाये होंगे | क्योंकि यहाँ की रंडियां  इतनी खूबसूरत कब से होने लगी | यह तो कमाल के गुलाबी गोरे सफ़ेद  जिस्म की मालकिन है | इतनी गोरी औरत इतने खूबसूरत जिस्म की मालकिन रंडी कैसे हो सकती है | हो सकता है क्यों नहीं हो सकता | वहां बड़े शहर में बड़े बड़े पैसे वाले है खूब पैसा खर्च करते है | बॉस में इसे लाखो पर तय करके ही लाये होंगे | पक्का है जैसे ये चुद रही है ऐसे घरेलु औरते तो कभी लंड नहीं घोटती | घरबार वाली होती तो इतने मोटे मुसल लंड को लेकर हाथ पाँव पीठ पीट कर अब तक आधे मोहल्ले को बता चुकी होती की आज मेरी चूत फाड़ी जा रही है | मुझे तो रात में ही यकीन हो गया था की ये एक नंबर की छिनार चुदक्कड  रंडी है | पैसो की मोटी मोटी गड्डियो के आगे अपनी जांघे खोलती होगी | पैसे में बहुत दम है, बॉस ने इसकी गुलाबी चूत के लिए लाखो मुहँ पर मार दिए होंगे और ये एक पल में नंगी हो गयी होगी |  बॉस चकाचक इसे चोद रहा है पक्का है ये महँगी वाली रंडी है | बॉस रात भर मौज-मस्ती के लिए लाया होगा | अब सुबह होने से पहले पुरे पैसे वसूल लेना चाहता है | 
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 इधर जब यह नजारा रीमा और जितेश ने देखा तो दोनों  हक्के बक्के रह गए आखिर अब करें तो क्या करें चोरी तो उनकी ही पकड़ी गई है | इस तरह से दोनों नंगे बदन एक दूसरे को से चिपके हुए और चोदते हुए आखिर उनको एक तीसरे आदमी ने पकड़ लिया है | अब क्या करें कि रीमा तो काफी घबरा गई थी उसको तो उसकी तरफ देखने से भी शर्म आ रही थी | 

जितेश ने रीमा को ढांढस बंधाया चिंता मत करो यह गिरधारी मेरा बहुत खास आदमी है या यूं कह लो एक तरह से मेरा पालतू है जब तक मैं इशारा नहीं करूंगा यह काटना तो दूर भौकेंगा तक नहीं |  रीमा जितेश के सीने से सर चिपकाकर चादर ओढ़ ली | उसके अन्दर हिम्मत नहीं थी की वो उसका सामना करे | 

रीमा फुसफुसाई - काटेगा नहीं लेकिन चोद तो सकता है आखिर हवस पर किसका जोर, वहां कोई बॉस नहीं होता | एक बार लंड खड़ा हो गया और अगर सामने चूत है तो आदमी जान पर खेलकर भी उसमे घुसने की कोशिश करता है |

इधर रितेश भी जुगत भिड़ाने लगा कि आखिर क्या किया जाए | तब तक गिरधारी खुद ही पलट का ये देखने ;लगा की अब वो लोग क्या कर रहे है | लेकिन जैसे ही उसने गर्दन घुमाई जितेश उसी की तरफ देख रहा था | रीमा उसके सीने से चिपकी पूरी तरह से खुद को चादर से ढके हुई थी | अपनी चोरी पकडे जाने से थोड़ा सा डर गया | उसके हाथ से उसका लंड छुट गया | उसने अपने तने हुए लंड को जबरन अपने पजामे में घुसेड़ने की असफल कोशिश की | खुस की आंखे  मूंद कर सोने की नौटंकी करने लगा | उसे भी पता था की जितेश ने पकड़ लिया है लेकिन इंसान की फितरत होती है जब तक मजबूर न हो जाये सच से आंखे नहीं मिलाता | 

जितेश भावहीन चेहरे से - क्या हो रहा है | इसी तरह का नाटक करने की जरूरत नहीं है | नौटंकी बंद कर दे | 

ग्लानी और डर से भरा हुआ नजरे झुकाए - कुछ नहीं बॉस |

जितेश - कुछ नहीं |

वो चुप रहा |

जितेश सख्ती से - मैंने पुछा ये क्या हो रहा है | 

गिरधारी - सब कुछ तो पता है आपको बॉस, बताइए कैसे सब्र करते | 

जितेश - जब खुद की ठरक नहीं संभलती तो बाहर  निकल जाता | पता है रीमा मैडम कितना डर गयी तेरी इस हरकत से | 

गिरधारी - क्या बात कर रहे है बॉस, भला इतनी छोटी सी चीज से भला ऐसी औरत कभी डरती है उसके लिए तो ये रोज का काम होगा | 

जितेश तेज आवाज में बोला - क्या मतलब है तेरा | 

गिरधारी - क्यों मुझ पर सुबह सुबह बरस रहे है | आप अपने मजे लो, मुझे अपने मजे लेने दो | मै बिलकुल आपको डिस्टर्ब नहीं करूंगा |

जितेश - क्या बकवास कर रहा है |

गिरधारी - बॉस आप लगे रहो, जो कर रहे थे करते रहो  चिंता की बात नहीं है मैं समझ सकता हूं हर किसी के साथ ऐसा ही होता है | मैं बस अपना हाथ से काम चला लूंगा आप अपने काम में लगे रहो | 

जितेश - तू कपड़े पहन और निकल ले यहाँ से |

गिरधारी - ये तो ज्यायती है बॉस |

जितेश भड़कता हुआ - तू जाता है या तुझे लात मार कर भगाऊं |

गिरधारी - क्या बॉस इतना गुस्सा क्यों कर रहे हो, मैंने कहाँ न मै हाथ से काम चला लूँगा | बस थोड़ीसी झलक दिखा देना बीच बीच में | आप जो कर रहे थे करते रहो | मै बस बीच बीच में थोड़ा देख लूँगा तो मेरे मन भी खुस हो जायेगा | आपको बिलकुल डिस्टर्ब नहीं करूंगा | बस मैडम की एक झलक ही काफी है मरे लिए | 

जितेश - क्या बकवास कर रहा है, तेरी हरकत की वजह से कितना डर गयी है मैडम | चल भाग ले यहाँ से वरना अभी मै तुझे झलक दिखाता हूँ |

गिरधारी - बॉस बस देखने की ही तो गुजारिश कर रहा हूँ | जो कुछ खर्चा पानी हो काट लेना | 

रीमा भी चादर के अन्दर से ये सारी बाते सुन रही थी | उसकी बाते सुनकर रीमा शर्म से गड गयी | उसके बारे में ऐसा आजतक किसी ने नहीं सोचा था | धरती फट जाये और वो उसमे समां जाये | हाय अब ये दिन देखने के लिए मै जिन्दा हूँ | इसने तो मुझे रंडी समझ लिया |

जितेश उसका इशारा तो समझ गया लेकिन उसके मुहँ से ही सुनना चाहता था - खर्चा पानी मतलब | 

गिरधारी - हमारी औकात तो साहब 50 100 वाली ही है | आपको जितना लगे मेरे हिस्से में से काट लेना | मुझे पता है मैडम की फीस लाखो में होगी, इतनी हमारी औकात नहीं लेकिन दूर बैठ कर देखने भर की फीस तो भर ही सकता हूँ | 

जितेश को गुस्सा आ गया, वो रीमा को रंडी समझ रहा था - मैंने तुझे रात में ही समझाई थी तुझे समझ न आई | मैंने बोला था तुझे दुबारा ये शब्द अपनी जुबान पर लाया तो यही तेरी लाश पड़ी होगी | 

गिरधारी - क्यों गरज रहे हो साहब, जो आँखों से देख रहा हूँ उसे कैसे झुठला दू | ढील डौल और नैन नक्शों से मैडम पैसो वाली सोसाइटी की लागती है वहां कुछ और नाम से बुलाते होंगे लेकिन काम तो हर जगह एक ही होता है | रातो रात कहाँ से आपकी मासुका पैदा हो गयी | अगर ये आपकी सच्च्ची मासुका होती तो हाथ तक न लगाने देती | आप तो.............................. | 

जितेश उसे धमकता हुआ  - आखिरी बार बोल रहा हूँ चुप हो जा नहीं तो यही तुझे गोली मार दूंगा |  तू अब कुछ ज्यादा बोल रहा है, अपनी हद लाँघ रहा है | रीमा मैडम के बारे में जो कुछ भी तू सोच रहा है वैसा बिलकुल नहीं है | 

गिरधारी - ठीक है बॉस आपकी बात मान लेता हूँ लेकिन मेरे कुछ सवालो के जवाब तो दे दो | आखिर ये रंडी नहीं है तो रंडी की तरह चुद क्यों रही है |  कोई शरीफ औरत किसी पराये मर्द से इस तरह से चूतड़ हिला हिलाकर थोड़े ही चुदती है | आखिर बॉस ये इतनी जल्दी आपसे चुदने को राजी  कैसे हो गयी  | इतनी जल्दी इसको आप बिस्तर पर ले कैसे आये | इतनी जल्दी इसको जांघे खोलने के लिए राजी कैसे कर लिया | इतनी जल्दी इस औरत ने अपने कपड़े कैसे उतार दिए, न केवल कपड़े उतार दिए बल्कि बॉस आपका मुसल लंड भी घोट रही है | 

जितेश उसके सवालो से सन्न रह गया | उसकी ख़ामोशी बता रही थी की उसके पास कोई जवाब नहीं है | उसके संयम की सारी हदे टूट चुकी थी | पता नहीं कैसे अब तक खुद को रोके हुए था |

गिरधारी - है कोई जवाब आपके पास बॉस |

जितेश का गुस्सा अब काबू से बाहर चला गया | वो बेड से उतरा और गिरधारी को लातो घूंसों से पीटने लगा - बोल रहा हूँ चुप हो जा नहीं तो आज यहाँ से जिन्दा नहीं जायेगा | बिस्तर पर लेती हर औरत मर्द के सामने रंडी ही होती है | बिना रंडी बने अपने मर्द को वो कोई सुख नहीं दे पायेगी | तेरी बीबी भी तेरे सामने हर रात को रंडी बनती है ताकि तू खुश रह सके | दुनिया की हर औरत इसलिए रंडी बनती है ताकि उनके मर्दों की प्यास बुझा सके और उन्हें खुश रख सके | (उसे झिन्झ्कोरता हुआ ) तू बता क्या तेरे सामने तेरी बीबी रंडी नहीं बनती | बिना उसके रंडी बने ही तू उसे चोद लेता है | जिनकी बिबिया बिस्तर पर रंडी नहीं बनती उन घरो के मर्द बाहर मुहँ मारते फिरते है | 

गिरधारी को पीट पीट कर उसकी हालत ख़राब कर दी | 


रीमा अपनी लाज शर्म छोड़ नंगी ही बीच बचाव को आ गयी नहीं तो शायद जितेश उसे पीट पीट कर अधमरा ही कर डालता | 
रीमा - छोड़ दो जितेश | जितेश की ताकत के आगे रीमा का क्या बस था लेकिन रीमा ने उसके ओंठो अपने ओंठ चिपका दिए | जितेश को ठेलती हुए किसी तरह से गिरधारी से दूर बिस्तर पर लायी |
रीमा - हे जितेश मेरी तरफ देखो मेरी तरफ , सिर्फ मेरी आँखों में | 
उसका चेहरा थामकर चूमने हुए , उसकी आँखों में आंखे डालते हुए - दुनिया में किस किस का मुहँ बंद करोगे, मेरी तरफ देखो | तुम क्या सोचते हो मेरे बारे में मेरे लिए बस वही मायने रखता है | बाकि दुनिया की परवाह किसको है |

रीमा ने उसके हाथ को अपनी नरम छातियों पर ले आई | वो जितेश का पूरा धयान खुद पर केन्द्रित करवाना चाह रही थी | 
रीमा - मेरी आँखों में देखो जितेश, अगर तुम्हे बुरा लगा है तो खुलकर वो सब करो जिसका डर तुम्हे दुनिया दिखा रही है | मै हमेशा ऐसे ही सोचती हूँ | मै तुमारे लिए रंडी बनने के लिए तैयार हूँ | आज तुम मुझे रंडी की तरह ही चोदो | देखती हूँ देख लेने उसके बाद तुम्हे ये शब्द इतने तीखे नहीं लगेगे | उस पर की बजाय मुझ पर ध्यान दो | 
जितेश का गुस्सा काफी हद तक कम हो गया था | वो फिर से रीमा की मादकता में खोने की कोशिश करने लगा | रीमा उसे चूमती रही | वो रीमा के जिस्म को मसलता रहा | उसके बाद जहाँ गाडी रुकी थी वही से फिर से शुरू करना था | देखते ही देखते रीमा जितेश के ऊपर आ गयी | अभी तक वो गिरधारी से खुद के जिस्म को छिपा रही थी लेकिन इस लडाई ने वो पर्दा भी ख़त्म कर दिया | 

रीमा ने जितेश के लंड पर ढेर सारी लार उड़ेली और उसे अपनी गुलाबी चूत के मुहाने पर सटाकर बैठती चली गयी | जितेश का तना सख्त लंड रीमा की चूत की दीवारों को चीरता हुआ, भीषण रगड़न के साथ अन्दर तक समां गया | रीमा ने तीन चार बार कमर हिलाई और जितेश के लंड के लिए अपनी चूत में जगह बनायीं | उसके बाद आराम से कमर हिलाकर उसका लंड पानी चूत में सटासट लेने लगी | 

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इधर गिरधारी जितेश से पिटने के बाद जमीन पर ही फ़ैल गया और रोने लगा - और मारो और मारो | 
गिरधारी जमीन पर अपनी छाती पीट पीट रो रहा था | रीमा को पहले पहले लगा वो नौटंकी कर रहा है लेकिन उसके आँखों के निकले आंसू लगा, सच में वो रो रहा है | 
गिरधारी - भाग क्यों गए, आवो और मारो, और पीटो, बॉस जो हो | दिन रात लगा रहता हूँ पीछे पालतू कुत्ते की तरह उसका यही सिला दिया है | आज तक कभी चु तक नहीं करी | जो दे देते हो रख लेता हूँ | 
जितेश उसकी नौटंकी से परेशान हो रहा था लेकिन इससे पहले जितेश कोई प्रतिक्रिया से रीमा ने झुककर उसके ओंठो को अपने आगोश में ले लिया | रीमा जितेश के कान में फुसफुसाई - तुम्हें चिंता करने की कोई बात नहीं है, उसे बडबडाने दो | 
इतना कहकर उसने अपनी नुकीली पहाड़ियों की चोटियों को जितेश के मुहँ से सटा दिया | जितेश में किसी छोटे बच्चे की तरह उन्नत उरोजो की  पहाड़ियों से बह रहे रस का रस स्वादन करने लगा | 

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रीमा जितेश का ध्यान गिरधारी की नौटंकी से हटाने में लगी थी लेकिन उसका खुद का ध्यान अब उसी की तरफ चला गया | 
ऐसा लग रहा था वो सच में बहुत दुखी है - और पीटो आकर मुझे, मै तो तुमारा कुत्ता हूँ न | जब मन करेगा रोटी का टुकड़ा फेक दोगे जब मन करेगा दुत्कार दोगे | कितनी जल्दी भूल गए जिस गोली पर तुमारा नाम लिखा था उसे मैंने अपने कंघे पर झेला था | लेकिन आखिर कुत्ता तो कुत्ता होता है | 
जितेश फिर से वासना की मस्ती में डूबने लगा था | कुछ ही पलो में उसका गुस्सा जैसे फुर्र हो गया | रीमा ने उसकी तरफ सवलिया नजरो देखा | उसने पलके बंद कर इशारा किया, जैसे वो गिरधारी की बातो को सहमती दे रहा हो | 
गिरधारी रोता हुआ - क्या कुछ नहीं किया हाय इस पालतू ने अपने मालिक के लिए | तीन चाकू मारे थे  हाथ में लेकिन उफ़ जो मैंने अपने मालिक को छोड़ा हो | जो कुछ मिलता है सब तुमारे चरणों में लाकर रख देता हूँ फिर भी ये सिल दिया मुझे | वो भी एक औरत के लिए | 
एक औरत की वजह से मुझ पर हाथ उठा दिया | मेरी इतने दिनों की दिन रात की सेवा का भी ख्याल नहीं आया | 
जीत तो तुमसे सकता नहीं, आपाहिज जो हूँ इसलिए और पीट लो | मालिक जो हो, मेरा भाग्य तुमारे हाथ में जो है | 
रीमा भी कामुकता के नशे में उतारने लगी थी लेकिन गिरधारी की बकवास अब उसे परेशान कर रही थी |
रीमा जितेश के कान  बुदबुदाती हुई - कितना नौटंकी बाज है |
जितेश - मैंने पहली बार हाथ उठाया है | उसके बाये हाथ में तीन बार चाकू से वार हुआ था और मै तीस फीट से ज्यादा ऊँचाई से लटक रहा था लेकिन इसने मुझे पकडे रखा, नहीं तो आज शायद मै जिन्दा नहीं होता | 
रीमा ने एक करारा झटका नीचे की तरफ मारा | उसके मांसल चूतड़ जितेश की जांघो से जाकर टकराए और उसका पूरा लंड रीमा की गुलाबी मखमली सुरंग में | जितेश और रीमा दोनों के मुहँ से मादक कराह एक साथ निकल गयी | 

दोनों एक साथ कामुकता के जोश में कराह उठे - आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् |
रीमा - उफ्फ्फफ्फ्फ़ आआआह्ह्ह्ह बेबी तुमारा लंड कितना बड़ा है ...................... मेरी पूरी चूत भर गयी है | 
गिरधारी की बडबडाना रीमा के कामुक माहौल में खलल डाल रहा था | 
रीमा - ओओ फोफोफ़ जितेश  अब ये चुप कैसे होगा | 
रीमा के लयबद्ध कमर हिलाने से जितेश तो स्वर्ग की सैर करने लगा था | मादक कराह के साथ - आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् पता नहीं | 
रीमा - मुझे देखने की ही इजाजत मांग रहा था, देखने दो न | अब कौन सा पर्दा बचा है वैसे भी उसने सब कुछ तो देख लिया है | अभी भी देख ही रहा है 
जितेश - मै उसके साथ चार सालो से काम कर रहा हूँ, उंगली पकड़ कर पन्हुचा पकड़ने वालो में से है | बहुत ही लीचड़ और बेह्शर्म किस्म का इन्सान | मेरे काम धंधे में ऐसे आदमी की जरुरत पड़ती है इसलिए पाल रखा है | लेकिन मुहँ नहीं लगाता हूँ |
रीमा - ऐसा भी क्या जोंक है, हम दोनों को इस तरह नंग धढंग देखकर अरमान जाग जाग गए होंगे, हिलाने दो न अपने हाथ से |
रीमा जितेश के उपर जोरो से उछलती हुई - गलती हमारी ही है | अब क्या करे | 

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जितेश और रीमा के दिलो दिमाग पर वासना का नशा पूरी तरह से हावी हो चूका था | अब दुसरी तरफ ध्यान लगाने की हालत में नहीं थे | दोनों एक दुसरे में खो से गए | 
गिरधारी उधर जमीन पर अपनी छाती पीटता रहा | उसकी कर्कश आवाज उन दोनों के कामुक मादक माहौल को ख़राब कर रही थी | 
जितेश से रीमा अनुरोद्ध करती हुई - इससे कुछ बोलो न बेबी | इतनी मेहनत से फोकस आता है ये सारा मूड ख़राब कर रहा है | ये हमारी इंटिमेसी को डिस्टर्ब कर रहा है |
रीमा की कामुक आवाज और तेज उफनती सांसो के बीच निकले शब्द जैसे जितेश के दिल में उतर गए | 
जितेश हांफता कांपता कड़क आवाज में बोला - चुप हो जा, देख ले जितना देखना है मैडम | 
गिरधारी की आवाज बंद हो गयी | जब उसने ऊपर सर उठा कर देखा तो हैरान रह गया | औरत मर्द पर चढ़ी बैठी है | क्या ऐसा भी होता है | उसकी आंखे फटी की फटी रह गयी | पहली बार वो रीमा के हुस्न का दीदार खुली आखो से भरपूर कर रहा था | कितनी गोरी है, कितने बड़े बड़े दूध है और कैसे फूटबाल की तरह उछाल रहे है |वो हैरान था उसने हमेशा औरत को मर्द की जांघ के नीचे ही देखा था | जिस तरह से खुद को उछाल उछाल कर जितेश  का लंड रीमा अपनी चूत में घोंट रही थी वो देखकर गिरधारी तो बस रीमा के गोरे गुलाबी बदन का उछलना ही देखता रहा |  उसका रोना धोना सब बंद हो चूका था लेकिन अंदर से वो दुखी था क्यूंकि जितेश ने उस पर हाथ उठाया |
गिरधारी - मुझे मारा क्यों ?
जितेश को ये खलल बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा था - गलती हो गयी अब आगे से नहीं होगा |
गिरधारी - लेकिन मुझे मारा क्यों ?
जितेश गरजते हुए - बोला न गलती हो गयी | 
बड़ी मुश्किल से दोनों कामुकता में डूबने का माहौल बना पा रहे थे और वो एक पल में ही उसकी ऐसी की तैसी करे दे रहा था | 
गिरधारी कुछ देर तक रीमा के हुस्न को घूरता रहा | उसका लंड फिर से तनने लगा | उसे रीमा बहुत अच्छी लग रही थी | इतनी अच्छी की उसके लिए सीने पर गोली खा ले | 
जितेश रीमा आपस में अपने जिस्मो की आग की ताप बढ़ाने में लगे हुए थे | 
जैसे ही वो दोनों फिर से वासना की रौ में पंहुचे गिरधारी ने फिर एक सवाल पूछ लिया -तुमने मुझे मैडम के लिए मारा है, आगे फिर नहीं पीटोगे इसकी क्या गारंटी है | 
जितेश का लंड रीमा चूत में पूरा का पूरा धंसा हुआ था, दोनों अब जमकर चुदाई करना चाहते थे लेकिन बीच में गिरधारी अड़चन बनकर उनके सारे मूड का सत्यानाश कर देता |  रीमा और जितेश दोनों के लिए ये मंद्बुधि अब झेला नहीं जा रहा था | मन कर रहा था उसे उठाकर बाहर फेंक दे | 
जितेश कुछ बोलता उससे पहले रीमा ने उसके मुहँ पर हाथ रखकर - अब ये तुम्हे कभी नहीं मारेगे | मेरी कसम | तुमने कहाँ था तुम हमें डिस्टर्ब नहीं करोगे | अब तुम अपना काम करो हमें अपना करने दो | 
रीमा की पतली सी मीठी सी मादक आवाज उसे अपने कानो में ऐसी लगी जैसे किसी ने उसे फूल फेंककर मारा हो | वो रीमा की आवाज सुनकर अन्दर तक गनगना गया | 
रीमा और जितेश फिर आपस में चिपक गए | गिरधारी ने भी रीमा और जितेश को देखकर उसने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए | रीमा कमर हिलाने लगी और जितेश भी नीचे से कमर हिलाने लगा | ऊपर से रीमा का झटका और नीचे से जितेश का, रीमा की चूत में दनादन लंड अन्दर बाहर होने लगा | दोनों की सांसो की गर्माहट फिर से उफनने लगी | 

इधर कपड़े उतार कर गिरधारी भी तेजी अपने लंड को मसलने लगा | जल्दी ही उसका लंड पहले की तरह कड़क हो गया | मुठ मारते मारते वो तेज आवज में कराहने लगा | रीमा गर्दन घुमाकर उसकी तरफ देखने लगी | उसकी कमर हिलानी बंद हो गयी | 
रीमा को अपनी तरफ देख गिरधारी कराहता हुआ - मैडम आप चिंता मत करो मैं हाथ से काम चला लूंगा | 

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रीमा ने तुरंत मुहँ घुमा लिया लेकिन उसके शब्द उसके कानो को चीरते हुए उसके दिल तक घुस गए | हाथ भले ही उसका अपंग हो गया हो लेकिन लंड में बहुत जान थी | कड़क तगड़ा लंड था | रीमा के दिमाग में पहली बार उसके लड़ का ख्याल आया | रीमा का ध्यान इस तरफ गया ही नहीं था | रीमा ने इस नजरिये से सोचा भी नहीं था | नीचे से जितेश धक्के पर धक्के लगा रहा था | रीमा की कराहे तो छुट रही थी लेकिन उसका ध्यान कही और ही चला गया | उसके दिमाग में बस बारबार एक ही वाकया गूम रहा था - आप चिंता मत करो मैं हाथ से काम चला लूंगा |

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दुनिया के कितने मर्द एक खूबसूरत नंगी औरत को इस तरह से सामने चुदते हुए देख ऐसा कह सकते है | जितेश रीमा के उरोजो से खेल रहा था | नीचे से लग रहे धक्को से उसका बदन हिल रहा था लेकिन वो कही और ही खो गयी | रीमा पूरी तरह से नंगी होकर एक मर्द के सामने चुद रही थी और उसे सिर्फ इसी बात में सतोष था की वो उसके नंगे जिस्म को देख प् रहा | सच ही कहावत है छोटे आदमी का दिल बड़ा होता है और मन संतोषी | अगर वो चाहे तो क्या उसे हासिल नहीं कर सकता लेकिन अपनी हद लाघने को तैयार नहीं है | उसके लिए बस रीमा के खूबसूरत जिस्म को निहारने में ही स्वर्ग का सुख मिल जायेगा | रीमा के अन्दर उसके लिए हमदर्दी पनपने लगी | 

रीमा की सेक्स में दिलचस्पी  न देखते हुए आखिरकार जितेश ने पूछ लिया - क्या हुआ | 
रीमा -  कुछ नहीं बस ऐसे ही, कुछ सोच रही थी  | 
जितेश - कमाल करती हो, मेरा सारा ध्यान अपने ऊपर लगवा कर खुद किसी और के बारे में सोच रही हो | 
रीमा - नहीं ऐसा नहीं है | 
जितेश अब वासना के आवेग में पूरी तरह डूब चूका था | 
उसने रीमा के चुताड़ो पर एक जोरदार ठोकर मारी और ठहर गया - तो फिर क्या है  बताओ तो सही क्या हुआ | 
रीमा - आआआआह्नह्हींह्ह  कुछ नहीं बस ऐसे ही, बेबी तुम चोदो न मुझे तुम क्यों रुक गए | 
जितेश - मै अकेला चोदु ? क्या चल रहा है दिमाग में बतावो न बेबी तभी तो पता चलेगा | 
जितेश फिर से रीमा को चोदने लगा | रीमा सिसकारियां भरने लगी |
रीमा - जितेश क्या जो हम कर रहे हो ैं वह ठीक है मतलब मतलब वह आदमी नीचे लेटा हुआ अकेला और हम यहां पर जवानी का मजा लूट रहे हैं चुदाई कर रहे हैं क्या यह ठीक है | 
जितेश बोला - मैं कुछ समझा नहीं | 
रीमा - मेरा मतलब साफ है वह नीचे वहां अकेला लेटा हुआ है और हम यहां अपने अपने जिस्म की भूख और वासना में डूबे हुए हैं | 
जितेश रीमा की चुताड़ो पर लगातार ठोकरे मारता हुआ - तो क्या हुआ हर कोई ऐसे ही तो करता है | 
रीमा -हां लेकिन जब  तीसरा आदमी होता है तब भी क्या हम ऐसे ही करते हैं | 
जितेश पुरे जोश में था - पहेली मत बुझावो | 
रीमा जितेश की ठोकरों को अपनी चूत की गहराई में महसूस कर रही थी लेकिन उसका दिमाग कही और ही था |

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रीमा - अगर हमें पता होता कि कोई तीसरा  यहां नहीं है तब तो ठीक था लेकिन जब हमें पता है वो तीसरा यही  है और  वह सब कुछ देख चुका है या देख रहा है तो क्यों ना हम उसे अपने खेल में शामिल कर लें |

जितेश थोड़ा हैरान होता हुआ - यह क्या बकवास कर रही हो रीमा | 
तीसरे के ख्याल से ही रीमा के मन कोने में एक रोमान्च सा पैदा होने लगा | वो वासना में पूरी तरह डूब चुकी थी |

 जितेश की बेतहाशा चुदाई से वो मदहोश हो चुकी थी इसलिए अब उसका विवेक भी वासना के चश्मे से ही सब सोच समझ रहा था |  तीसरे का ख्याल आते ही उसके दिमाग में नूतन घूम गयी | कैसे इतनी कच्ची उम्र में वो आराम से दो लंड को एक साथ चूस रही थी | कुछ तो अलग अहसास होता होगा जिससे मै अनजान हूँ | जिस अहसास को नूतन इतनी कच्ची उम्र में अनुभव कर चुकी है उससे मै अभी तक अनजान हूँ | रीमा को लगा नूतन उससे आगे कही निकल गयी जबकि वो कल की छोकरी है, नहीं मै कैसे पीछे रह सकती हूँ |  कैसे कपिल एक साथ दो लडकियों बारी बारी से चोद रहा था | आखिर वो सब कर सकते है तो मै क्यों नहीं, मै तो उनसे हर मामले में बेहतर हूँ |उसके  मन की दबी लालसाओ की परते खुलने लगी थी, उसके अन्दर की दबी रीमा अपने खोल से बाहर आकर इस रीमा को निगलने लगी | 

 उसने रिवर लॉज में एक साथ  दो औरतें देखी थी और कैसे दोनों औरतें कपिल को सारा सुख देने को आतुर थी | जब 2 औरतें एक मर्द को सुख दे सकती हैं तो क्या एक औरत दो मर्दो को सुख नहीं दे सकती | रीमा अपने ही अन्दर के छिपे जंगली रीमा के आगोश में सामने लगी |  अपने मन के उस कोने में झाकने लगी थी जहाँ जाने से वो हमेशा डरती थी | जब भी उसे वासना का बुखार चढ़ता तभी उसके मन के कोने की परते खुलती थी | रीमा अपने मन को टटोलने से झिझक रही थी | पता नहीं क्या निकल कर आ जाये वो उसके सामने हजार सवाल छोड़ जाये | ऐसे ख्याल उसे आते ही तब थे जब उसके अंदर की वास्तविक वासना जग जाती थी |  उसे पता था अब वह वह नहीं रहेगी  जो वह खुद थी वह कोई हो जाएगी |  उसके  मन के कोने में बैठी हुई थी उसी की अंतर्उमन की वासना का एक रूप जिसकी परछाई से बजी वो भागती रहती थी | उसके मन में बार-बार वही शब्द घूम रहा था मैं हाथ से काम चला लूंगा | रीमा के दिमाग में बस यही चल रहा था कि आखिर उसकी क्या गलती है | रीमा की ही एक प्रतिलिपि उसके असली रूप को ढककर उसके सामने आ गया | वासना में फडफडा रही रीमा को ये रूप ज्यादा सहज लग रहा था, जहाँ उसका मन एक तरफ़ा था न कोई प्रतिरोध न कोई बंधन |  सब कुछ सोचने करने के उन्मुक्त आजाद |
हमारी चुदाई देख कर ही तो उसके मन में यह ख्याल आया होगा आखिर  मेरे गोरे नंगे जिस्म को देख कर तो उसका लंड खड़ा हुआ होगा इसमें उसकी क्या गलती है दो औरतें एक आदमी को एक साथ वासना का नंगा नाच कर सकती हैं तो एक औरत क्या दो आदमियों को एक साथ खुश नहीं कर सकती | 
उसकी गुलाबी चूत में लग रहे जितेश के लगातार लग रहे तेज दनादन धक्को ने उसे वासना के सागर में और गहरे तक डुबो दिया | 

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रीमा भीषण चुदाई से कांपती आवाज में  बोली - जितेश मैंने एक बार देखा था कि 2 औरतें एक आदमी को एक साथ चोद रही थी | 
जितेश हांफता हुआ - तो | 
रीमा - तो एक औरत दो आदमी भी तो हो सकते है | 
जितेश रीमा के शब्दों को समझता हुआ - क्या बकवास कर रही हो रीमा ऐसा कैसे हो सकता है | मतलब तुमने सोचा भी कैसे | 
रीमा - गुस्सा मत हो जितेश मैं सिर्फ इतना कह रही हूं | आखिर उसकी क्या गलती है मेरे गोरे नंगे जिस्म को देख कर ही तो उसके अंदर की भावनाएं जागी है और उसका लंड खड़ा हुआ है तो क्या हम उसे इसी तरह से छोड़ दें उसी के हाल पर | 

जितेश के बेतहाशा लग रहे धक्के रुक गए - वह मेरा एक तरह से  नौकर है और मैं जो कहूंगा वह वही करेगा | उसके साथ मै तुम्हे ......... सोचकर ही मन कसैला हो जा रहा है | वो रीमा के चूत दाने को मसलने लगा | रीमा ने भी उसके ओंठो से अपने ओंठ सटा दिए | 

उसे चुमते हुए रीमा बोली - तो क्या हुआ वह तुम्हारा नौकर है तो वह भी इंसान ना | फिर इस वासना के रिश्ते में कोई छोटा बड़ा नहीं | ये रिश्ता इंसानों की दुनिया से नहीं बनता | ये रिश्ता लंड और चूत की दुनिया का रिश्ता है, यहाँ इंसानों के नहीं लंड और चूत के नियम चलते है | मैं नहीं चाहती कि वह इस तरह से अकेला बेबस होकर .......................................................| 
जितेश - तुम अपने होश में नहीं हो | 
रीमा कामुकता से जितेश की तरफ देखती हुई - पता है वो इतना वफादार क्यों है क्योंकि बहुत छोटी सी चीज से भी उसे संतोष हो जाता है | वो सिर्फ इस बात से खुस है की वो मुझे देख पा रहा है, उसने इससे ज्यादा कुछ नहीं माँगा | वरना बड़ी बड़ी हवेलियों में घर के नौकर मौका मिलने पर हवेली की मालकिन के साथ साथ हवेली की बहुओं को भी चोद डालते है |  जब चूत खुद सामने जांघे फैलाकर बैठी हो तो कौन उसे सिर्फ देखकर खुश होता है |
जितेश हांफता हुआ- तुमसे जीतना तो बहुत मुश्किल है |  बताओ क्या करना चाहती हो | 
जितेश के दनादन धक्के लगाकर अपने लंड को जिस वासना के सुरूर में डुबोया था वो चुदाई का चढ़ा सारा नशा फिर से उतरने लगा | उसका लंड रीमा की चूत से बाहर आ गया | 
रीमा - मैं चाहती हूं तुम उसे यहां पास में बुला लो | 
जितेश - फिर क्या करोगी |
रीमा - मुझे भी नहीं पता नहीं मैं क्या करूंगी | लेकिन मैं चाहती हूं जिस तरह से मैं तुम्हें सुख दे रही हूं, तुम पर अपना सब कुछ लुटा रही हूँ इसी लूट की छिटकन का ही वो मजा ले ले | 
जितेश - कही तुमारा दिल उसके लंड पर तो नहीं अटक गया है | कही मेरे बाद उसे चोदने के लिए अपनी चूत तो नहीं दे दोगी | 
रीमा खामोश रही | उसे खुद नहीं पता था वो क्या कर रही है फिर जितेश के सवाल का जवाब कहाँ से देती |  
जितेश के अन्दर रीमा की बातो इर्ष्या घर कर गयी, आखिर रीमा सिर्फ उसकी है वो आखिर रीमा को उस नौकर के साथ नहीं नहीं ये नहीं हो सकता , उसने रीमा से वादा माँगा  - मुझे लगता है मेरे बाद उसे अपनी चूत चोदने के लिए दोगी, पक्का है उसके लंड को देखकर तुमारी लार टपकने लगी है , तुमारी चूत की दीवारे फड़कने लगी | उसका लंड अपनी चूत में लेने के लिए उतावली हो रही हो |  चूत को चोदने के लिए तो मुझे तो रात  में लाखों कसमे वादे खिला रही थी | जनम जन्मान्तर की कसमे | अब उसके लंड को देखकर तुमारा मन बेईमान हो गया है | सच बोलो, उससे चुदने की ख्वाइश जग गयी है |
रीमा मजबूती से प्रतिकार करती हुई -  नहीं  |

जितेश - तो फिर क्या करोगी |  जब उसे कोई दिक्कत नहीं है तो तुम उसको लेकर इतनी परेशान क्यों हो रही हो | 
रीमा - मैं परेशान नहीं हो रही हूं मैं बस चाहती हूं जैसे मैं तुम्हें सुख दे रही हूं अपने हुस्न और जवानी का समुन्दर तुम पर लुटा रही हूँ उसकी कुछ बुँदे उसे भी मिल जाये | 
अब तक रीमा के चूत दाने को मसल रहे जितेश के हाथ भी रुक गए | 
जितेश - तुम न पागल हो गयी हो | 
रीमा ने फिर से जितेश का हाथ अपने चूत दाने से सटा दिया - मै तुम पर इतना भरोसा करती हूँ की सब कुछ तुम्हे सौंप दिया, तुम इतना भरोसा नहीं कर सकते | 
जितेश निरुत्तर हो गया | रीमा के जवाब के आगे उसे कुछ कहते नहीं बना |
रीमा ने जितेश का बाहर झूल रहा लंड अपनी चूत में घुसेड लिया | जितेश घूर घूर कर गिरधारी को देख रहा था | 

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जितेश - तो बतावो क्या करना है |
रीमा - अब तुम्हें कुछ नहीं करना है जो तुम्हें करना था तुम कर रहे थे और वही करते रहो  | 
जितेश - क्या ? 
रीमा उसे चूमती हुई  - मुझे चोदो न बेबी क्या इधर उधर की बातो में पड़े हो , जमकर कसकर चोदो  न|
जितेश को अभी भी संतोष नहीं हुआ उसने पूछा  - तुम क्या करने वाली हो | 
रीमा - कुछ नहीं बाद मोरे राजा अब मुझे चोदो ............. कितनी देर से तडपा कर रखा है मेरी गुलाबी मखमली चूत को , और कितना तड़पावोगे, मेरी चूत तुमारे लंड की भूखी है सिर्फ तुमारे, इसीलिए ये सिर्फ तुमारा लंड खाएगी | अभी आगे और हमेशा, अब खुश  | 
जितेश उसे लेकर लुढ़क गया | रीमा नीचे हो गयी और जितेश ऊपर हो गया | जितेश ने रीमा की चूत में गहरे धक्के लगाने शुरू कर दिए | रीमा को चोदते चोदते वो दाहिनी तरफ को खिसकता चला गया | 
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इधर रीमा को बार बार देखकर बहुत तेजी से गिरधारी अपना लंड मसल रहा था | रीमा ने एक उंगली से इशारा करके उसे अपने पास बुलाया | पहली बार में वो रीमा का इशारा समझ नहीं आया लेकिन फिर तेजी से उठाकर रीमा के बेड के पास आ गया | उसके पास आते ही रीमा बेड पर तितली की भांति फ़ैल गयी | उसका एक स्तन जितेश बुरी तरह से मसल कर उसकी चूत पर अपने मुसल लंड की जोरदार ठोकरे लगा रहा था | रीमा के बदन की गर्मी फिर बढने लगी | इधर गिरधारी के पास आते ही रीमा ने उसके लंड को हलके हाथो से थाम लिया, और उसे मुठीयाने लगी | ये देख जितेश इर्ष्या से जल उठा, उसके अन्दर का मर्दवादी अहंकार जाग गया वो खुन्नस में रीमा को जोरदार धक्के मारने लगा जिससे रीमा का पूरा बदन हिल रहा था | रीमा के मुहँ से तेज कराहे निकलने लगी - आआअह्रीह्माह्ह आआआआआ ऊऊऊऊऊओह्हह्हह्हह्हह्हह ओओओओओओह्ह्हह्ह्ह्ह  बेबी आआआअह्ह बेबी | रीमा भी समझ गयी आखिर उसकी चूत पर इतनी तेज ठोकरे क्यों पड़ रही है | लेकिन उन्ही ठोकरे से उसकी चूत में ऐसी तरंग पैदा करी की रीमा वासना के समन्दर में और गहराई तक गोते लगाने लगी | उसके मुहँ से जितेश के हर धक्के की प्रतिध्वनि निकल रही थी | रीमा का जिस्म तेजी से हिल रहा था लेकिन उसने गिरधारी के लंड को कसकर हाथ में थाम रखा था | उसके लंड को मसलते मसलते रीमा ने अपने कांपते रसीले गुलाबी ओंठ उसके अंगारे की तरह जलते लंड के सुपाडे से सटा दिए | जितेश की तेज ठोकरे उसे हिलाए पड़ी थी इसलिए वो आसनी से उसके सुपाडे को आराम से नहीं चूस पा रही थी, कभी वो उसके अनुमान से ज्यादा घुस जाता, कभी तो वो उससे दूर हो जाती | रीमा के गुलाबी ओंठो का रसीला स्पर्श और गीली जुबान का खुरदुरा रोमांचकारी स्पर्श गिरधारी तो  जैसे स्वर्ग में पहुँच गया | ये देखकर जितेश ने पूरी ताकत लगाकर रीमा की चूत में लंड पेल दिया | उसकी ठोकर से रीमा का बदन आगे की तरफ उछाल गया | ठोकर के लगते ही रीमा न चाहते हुए भी गिरधारी का आधा लंड घोंट गयी |  गिरधारी का तो जैसे जैकपोट लग गया, रीमा जैसी हसीन औरत उसका लंड चूस रही है | उसके जीवन में ये किसी चमत्कार से कम नहीं था | वो बस रीमा जैसी गुलाबी गोरी अप्सरा के लंड चूसने के ख्याल से ही रोमाचित होकर उत्तेजना के चरम पर पहुँच गया था |

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रीमा की चुताड़ो पर लगने वाली ठोकरों की कराहे अब रीमा के मुहँ में ही घुट जा रही थी | उसकी तेज सांसे उसे जल्दी ही मुहँ खोलकर साँस भरने को मजबूर कर देती | 
रीमा के जीवन में ये पहला मौका था जब वो एक नहीं दो दो लंडो के साथ अपनी हवस बुझाने में जुटी थी | ये सोचकर ही उसकी चूत झरने लगी | दो लंडो का ख्याल ही उसे रोमांच की पराकाष्ठा पर पंहुचाये दे रहा था | रीमा के जिस्म के दो छेद और दोनों मुसल लंडो से भरे हुए | उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके जीवन में कभी कोई ऐसा मौका आएगा | एक लंड चूत पर दनादन ठोकरे मार रहा था और उन्ही ठोकरे से हिलता जिस्म दुसरे लंड को मुहँ के आगोश में अपने आप समेट दे रहा था | रीमा का बदन अब उसके काबू से बाहर जा रहा था | वो समझ नहीं पा रही थी वो कहाँ ध्यान लगाये | एक तरफ उसकी चूत में लंड पेलता जितेश, दुसरे उसके मुहँ में फिसलता उसके पालतू का लंड | गिरधारी भी पूरी तरह मदहोश था | जितेश गुस्से जलन और वासना से भरा हुआ और रीमा इनके बीच 
 मचलती उछलती अपनी ही कल्पनावो की दुनिया में चली गयी | दुनिया में कितनी औरते है जिन्हें एक साथ दो लंडो का सुख नसीब होता है | वो अन्दर से बहुत खुश थी और वासना में पूरी तरह मदमस्त थी | न अब वो दिमाग पर जोर लगा रही थी न उसे कुछ सोचना था | वो बस वासना के इस बहते तुफान में तैरती रहना चाहती थी | जितेश के धक्को से आराम से गिरधारी का लंड उसके मुहँ में अन्दर बाहर हो रहा था | गिरधारी की तो ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था | उसका हाथ अपने आप ही रीमा के स्तन की तरफ बढ़ा गया | लेकिन इससे पहले वो उसको दबोच कर मसलता, जितेश ने उसे अपने काबू में ले लिया | मायूस हो वो फिर से पीछे आ गया | तभी जितेश रीमा के ऊपर तक छाता हुआ उसे आकर चूमने लगा | रीमा के मुहँ से गिरधारी का लंड निकल गया | जितेश ने रीमा को अपने चुताड़ो पर जांघे सटाने को कहाँ और उसको अपनी बांहों में भर लिया | रीमा भी उससे चिपक गयी | जितेश रीमा का कसकर चोदने लगा | 

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इधर गिरधारी मायूस हो गया | आखिर कार रीमा जितेश की गिरफ्त से एक हाथ निकाल कर उसके लंड को मसलने लगी | 
गिरधारी के चेहरे की ख़ुशी गायब हो गयी थी | इधर जितेश को भी रीमा को चोदते हुए बहुत देर हो गयी थी | बीच बीच में रूकावटो कारन वो अभी तक झड़ा नहीं था इसलिए इस बार लगातार चोद कर निपट जाना चाहता था | रीमा पूरी तरह से उसके कब्जे में थी और उसका लंड बेतहाशा उसकी चूत में दनादन जा रहा था | रीमा और जितेश दोनों की सांसे तेज थी | 

जितेश रीमा को वैसा ही चोद रहा था जैसे वो चुदना चाहती थी लेकिन फिर भी वो खुद को खुद के अहसासों को, खुद की अतृप्त ख्वाइशो को, खुद के अरमानो को जितेश के उसकी चूत पर पड़ते धक्को से जोड़ नहीं पा रही थी | उसे कुछ कम सा लग रहा था | आखिर किस चीज की कमी है, सब कुछ तो वैसा ही हो रहा है जैसा वो चाहती थी | फिर उसके मन में इतना खालीपन क्यों है | इधर गिरधारी अब रीमा के बायीं तरफ खड़ा था | रीमा बाये हाथ से उसके लंड को मसल रही थी | रीमा जितेश की बाहों में थी जो दाहिनी तरफ को लुढका हुआ उसे अपनी बांहों में समेटे था | इसीलिए उसके उठे हुए मांसल बड़े बड़े चूतड़ गिरधारी की तरफ थे और उन पर लग रही ठोकरो से हिल रहे थे | पता नहीं क्यों लेकिन शायद जितेश रीमा के चुताड़ो को उठाकर गिरधारी को करीब से ये अहसास कराना चाहता था कि औकात में रहो | रीमा और रीमा का जिस्म सिर्फ उसका है और देखो कैसे मै रीमा की चूत को हचक हचक के चोद रहा हूँ | रीमा भी कितनी ख़ुशी ख़ुशी चुद रही है | 
सब कुछ गिरधारी के इतना करीब हो रहा था कि उसका हाथ अपने आप ही रीमा के चुताड़ो पर चला गया | रीमा को जितेश ने दाहिनी करवट कर खुद से चीपका लिया था | उसकी जांघो को फैलाकर उसकी चूत त्रिकोण को खुद से चिपका लिया था | रीमा का चेहरा अब गिरधारी से उलट था | जैसे ही गिरधारी ने रीमाके चुताड़ो पर हाथ रखा जितेश ने रीमा को चोदते हुए आँखों से घुड़की दिखाई, जैसे कहना चाह रहा हो तुमारी मजाल कैसे हुई रीमा के गोरे नाजुक बदन को छूने की | रीमा सिर्फ मेरी है सिर्फ मेरी, उसे सिर्फ मै चोदुंगा बल्कि मै ही चोद रहा हूँ | वो भी देखो कैसे मेरी चौड़ी छाती से चिपकी चुद रही है | उसने गिरधारी के हाथ की हटाने की कोशिश की लेकिन इससे पहले वो रीमा के एक चूतड़ को अपने हाथ में ले चूका था | इधर रीमा के हाथ से उसका लंड कब का छूट चूका था इसलिए इसने झुकते हुए दोनों हाथो से रीमाके चूतड़ थाम लिए और उनकी मालिश करने लगा | जितेश कुढ़ कर रह गया | रीमा तो जितेश की चुदाई में पूरी तरह मदहोश हो गयी थी | जितेश रीमा को एक पल भी कुछ और सोचने का मौका नहीं देना चाहता था | 
गिरधारी के लिए रीमा के मांसल गोरे बदन का स्पर्श ही उसके लिए किसी जन्नत से कम नहीं था | वो तो इसी खुसी में ही दोहरा हुआ जा रहा था | रीमा के चुताड़ो पर फिसलती उंगलियाँ उसके चुताड़ो की दरार सहलाती हुई , रीमा की चूत में जा रहे जितेश के मुसल लंड के बहुत करीब पहुँच गयी | गिरधारी को रीमा के चूतड़ बहुत अच्छे लग रहे थे | वो उन्ही की मालिश में मशगूल हो गया और उसकी उंगलियाँ रेंगते रेंगते रीमा के पिछली सुरंग के मुहाने पर पहुँच गयी | रीमा ने एक सिसकारी, इससे पहले गिरधारी कुछ और करता जितेश ने अपने दोनों हाथ रीमा के चुताड़ो पर चिपका दिए और उसके कसकर चूमकर चोदने लगा | 
जितेश तेज सांसो के साथ - तुम्हे मजा आ रहा है न बेबी |
रीमा - बस ऐसे ही चोदते रही | 
जितेश - मै तुमको मोटे मुसल लंड से गहराई तक चोद रहा हूँ, ऐसे ही तुम चुदना चाहती थी न बेबी |
रीमा - ऊऊऊऊफ़्फ़्फ़्फ़ बेबी हाँ बिलकुल ऐसे ही | बेबी बस ऐसे ही चोदते रहो | 
जितेश को पता था उसने जरा सी भी ढील दी तो गिरधारी रीमा के चुताड़ो पर कब्जिज़ा जमा लेगा इसीलिए उसने रीमा को चोदते चोदते न केवल उसके दोनों चुताड़ो को अपनी हथेलियों में ले रखा था बल्कि  एक उंगली उसकी कसी गांड में घुसाने लगा ताकि उसके चिकने चुताड़ो पर अच्छी पकड़ बने | जैसे ही उसकी उंगली रीमा की गांड की कसे छल्ले को चीरती हुई अन्दर गयी | 
रीमा जोर से सिसक पड़ी - ऊऊऊऊऊऊऊओईईईईईईईईईईइम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्ममाआआआआआआ | 
जितेश ने जोश जोश में दो  बार उंगली और अन्दर तक घुसेड़ कर अन्दर बाहर कर दी | रीमा सिसक कर जितेश से कसकर लिपट गयी - ऊऊऊऊऊऊऊओह्हह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह गॉड सिसिसिसिसीईईईईईईईईईईईईईईइ | 

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इतनी देर की दनादन  चुदाई का मजा एक तरफ और ये किंकी अहसास एक तरफ | रीमा के  चुताड़ो की घाटी में तो जैसे किसी ने राख में दबी चिंगारी भड़का दी हो | 
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पिछले सुरंग की वासना अब तक अधूरी थी और बस जरा सी हवा मिलते ही भड़क गयी | जो तड़प गार्ड के लंड ने अधूरी छोड़ दी थी वो फिर से जिन्दा हो गयी |  इतनी देर की चुदाई में आखिर रीमा क्या मिस कर रही थी उसका जवाब उसे मिल गया | सब कुछ था उसकी चुदाई में, मोटा मुसल तगड़ा लंड, गहरे जोरदार धक्के, उसे चूमने चाटने सहलाने वाला मर्द, उसके उरोजो को मसलने वाले हाथ और उसे क्या चाहिए था यही पहेली बनकर उसके दिमाग में घूम रहा था | जितेश की चुदाई से रीमा पूरी तरह मदहोश हो गयी थी अब उसे कुछ होश नहीं था वो कहाँ है क्या कर रही है | उसे बस इतना पता था वो जितेश की बाँहों में उसके मुसल लंड के करारे धक्के के कारन उछल रही है | 

गिरधारी की नजर से रीमा की सिसकारी नहीं बच पाई - बॉस मैडम की गाड़ में उंगली करो न उन्हें मजा आ रहा है | 
गिरधारी इतनी गौर से रीमा को निहार रहा है ये देखकर जितेश दंग रह गया | 
जितेश गिरधारी की बातो से किलस गया - चूप रह भोसड़ी के |
गिरधारी - बॉस करो न, देखो कैसे मैडम सिसकी थी |
रीमा भी चुदाई में पूरी तरह मदहोश - करो न बेबी |
गिरधारी का जोश बढ़ा - देखो अब तो मैडम भी कह रही है | 
अपनी आँखों से गिरधारी को घुड़कता हुआ जितेश - दूर हट भोसड़ी के मादरजात |
रीमा की वासना अब उसे सब कुछ भूलकर इसी में डूब जाने को कह रही थी - बेबी करो न पीछे भी करो न |
जितेश - रीमा तुम होश में नहीं हो | तुम्हे खुद नहीं पता तुम क्या बकवास कर रही हो |
गिरधारी - अरे बकवास नहीं बॉस मैडम को पिछवाडी में ज्यादा मजा आ रहा है | 
जितेश - तेरी आकर गांड मारू भोसड़ी के तब पता चलेगा पिछवाडी  का मजा | 
रीमा जितेश से चिपकी हुई उसके कंधे पर अंध मुदी आँखों में वासना के तैरते डोरे से मदहोश - एक बार कर दो न | 
जितेश - तुम पागल हो गई हो |
रीमा - मैं पागल नहीं हो गई हूं, जब आगे इतनी देर किया है तो थोड़ा पीछे कर दो | 
जितेश - तुम होश में नहीं हो | 
रीमा - मैं होश में नहीं हूं लेकिन मैं चाहती हूं जितना मजा मुझे आगे आया है उतना ही पीछे भी दे कोई |
जितेश - ये तुम ऐसी बहकी बहकी बाते क्यों कर रही हो  | एक तरफ तो इतनी नैतिकता और संस्कारों की बातें करती हो और दूसरी तरफ यह क्या है कौन सी दुनिया में चली गई हो | 
रीमा - ये वासना की दुनिया है बेबी, बस ऐसे ही चोदते रहो, इसी चुदाई के लिए बहुत तड़पी हूँ मै | काश ऐसे ही कोई पीछे की खुजली भी थोड़ी सी मिटा देता |
गिरधारी - मैडम तो एक नंबर की चुद्द्कड़ है, मै कहता न ये पूरा खेली खाई हुई है | इतना चुदने के बाद भी कैसे बिन पानी मचली की तरह तड़प रही है | इसकी प्यास एक लंड से नहीं बुझने वाली | 
गिरधारी का उत्साह देख जितेश - भोसड़ी सोचना भी मत वर्ना तेरी कुत्ते से गांड मरवाउंगा | 
रीमा - जितेश बेबी तुम इतनी देर से मुझे चोद रहे हो, एक बात पूंछु |
जितेश - हाँ पूछो |
रीमा - तुम बस अपने काम पर ध्यान दो, जो कर रहे हो करते रहो | मेरी सब गुलाबी सुरंगों की गहराइयों में उतर कर मेरी प्यास बुझावो | 
जितेश - वही तो कर रहा हूँ लेकिन सुरंगों का क्या .......................?
रीमा ने बोलना जारी रखा - क्या लेकिन किन्तु परन्तु लगा रखा है | दुनिया क्या सभी औरते बस चूत में ही लंड लेती है | दुनिया में  बहुत सी औरतें हैं जो एक साथ दो दो लंड के साथ खेलती है एक साथ दो लंड को अपनी सुरंगों में लेती है | 
जितेश - ठीक लेकिन जो रात को कसमे खिलवा रही थी उसका क्या | 
रीमा - मैंने तो अपना पूरा जिस्म तुम्हे सौंप दिया है जो लूटना है लुट लो, मैंने रोका है क्या, बस मेरी प्यास बुझा दो | 
जितेश - तुम सच में होश में नहीं हो , तुमसे तो बात ही करना बेकार है| 
रीमा - हाँ मै होश में नहीं हूँ और होश में आना भी नहीं चाहती हूँ |  यह मेरे अंदर की वासना है और कुछ नहीं है, जब तक यह नहीं मिटेगी मै होश में नहीं आउंगी |  मैं इसी वासना में तिल तिल पर जलती रहूंगी | 
जितेश को लगा रीमा नहीं मानेगी | आखिर वो रीमा की चूत से लंड खीच कर बाहर निकाल लिया और उसके पिछवाड़े की खुजली मिटाने की तयारी करने लगा | 
रीमा - ये क्या कर रहे हो बेबी | मेरी चूत से लंड क्यों निकाल लिया, मेरी चूत को चोदो न मै कितना तड़प रही हूँ | 
जितेश कुछ समझ नहीं पाया फिर रीमा के काहे अनुसार जितेश ने बिना किसी सवाल जवाब के रीमा की चूत में लंड पेल दिया और ठोकरे मारने लगा | उसने अपने हाथ रीमा के चुताड़ो पर जमा दिए और सबसे बड़ी उंगली रीमा की पिछली सुरंग धँसता चला गया | रीमा सिसकारियां भरने लगी | इधर उसका लंड और पीछे उसकी उंगली एक साथ अन्दर बाहर होने लगे | 
रीमा अपनी कमुकता  के समन्दर में तैरने लगी - यस बेबी यस बेबी ऐसे ही चोदो मुझे | और जोर से चोदो, और कसकर चोदो बेबी, अन्दर तक चोदो  |  बड़ा मजा आ रहा है | बस ऐसे ही चोदते रहो |
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जितेश - बेबी  मजा आ रहा है और और जोर से चोदु | 

रीमा - हाँ बेबी और जोर से चोदो | मसल कर रख दो मेरी चूत को कुचल कर रख दो मेरी चूत को | 
जितेश और तेज धक्के लगाने लगा | जितेश पुरे रौ में था और कसकर रीमा को चोदकर जल्दी से अपने चरम को हासिल करना चाहता था | उसे भी लग रहा था थोड़ी देर उसने इसी तरह से रीमा को और चोदता रहा तो उसका लंड सफ़ेद लावा उगलने लगेगा | 
 इसी चक्कर में उसकी उंगली का रीमा की पिछली सुरंग में अन्दर बाहर होना  रुक गया | 
रीमा - बेबी पीछे भी करो न | 
गिरधारी रीमा की चुदाई देखकर वही खड़ा खड़ा लंड मसल रहा था - मैडम उंगली से कुछ नहीं होगा, मोटा मुसल जब तक गांड में नहीं जायेगा इसकी खुजली नहीं मिटेगी | 
जितेश अपनी रौ में था इसलिए उसने गिरधारी की बार पर गौर नहीं किया | 
रीमा इतनी ज्यादा वासना में डूब चुकी थी कि गिरधारी जितेश का फर्क नहीं जान पाई - तो मोटा मुसल घुसेड़ कर इसकी खुजली मिटा दो न बेबी, किसने रोका है तुम्हे  | 
जितेश और गिरधारी ने क्या सही सुना, दोनों हक्के बक्के रह गए, नहीं शायद उनसे कुछ सुनने में गलती हुई है | 
गिरधारी को यकीन नहीं हुआ - क्या कहा मैडम दुबारा बोलना | 
रीमा - तो घुसेड़ दो न मुसल किसने रोका है | गिरधारी की तो जैसे बांछे खिल गयी | उसकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा | उसक लंड जोश में आकर झटके मारने लगा | 
जितेश उसे टोकता हुआ - रीमा क्या बकवास कर रही हो तुम होश में तो हो न | उसने रीमा को कसकर झिझोड़ा | 
इधर गिरधारी भाग कर गया और अपने पजामे से एक पुड़िया निकाल कर उसका पाउडर चाट लिया | 
 असल में वो कोकीन थी | गिरधारी का लंड भले ही मुसल हो लेकिन चुदाई करते वक्त बहुत ज्यादा देर तक नहीं टिकता था | उसकी पिचकारी जल्दी ही  निकल जाती थी, ऐसा नहीं था की उसने कोई कमी थी लेकिन अपना अपना स्टैमिना होता है |  एक बार जब वो रंडी चोदने गया था तो जल्दी निपटने के कारन रंडी उसे ताने मारने लगी थी और फिर उसी ने ये सफ़ेद पाउडर दिया था | शुरुआत में तो सिर्फ चुदाई के लिए चाटता था लेकिन धीरे धीरे उसे इसकी आदत हो गयी अब तो बस मजे के लिए भी चाट लेता था |  तब से कोकीन की एक पुड़िया वो हमेशा अपनी जेब में रखता था | उसने देखा था कैसे रीमा जितेश से जोर जोर से चुदाई की मांग कर रही थी, जबकि जितेश अपनी फुल स्पीड में रीमा को चोद रहा था | जब बॉस की चुदाई से मैडम के जिस्म की आग न बुझ रही तो मै किस खेत की मुली हूँ | गिरधारी ने अपने मन ही मन में सोचा - लगता है मैडम की चुदास बहुत तगड़ी है | जब बॉस के चोदने से इसकी चूत की गर्मी कम नहीं हो रही तो मेरी क्या बिसात है | इसीलिए उसने कोकीन चाट ली |  उसने कुछ ज्यादा ही कोकीन चाट ली | 

इधर जितेश रीमा को सही गलत समझाने में लगा हुआ था इसी बीच गिरधारीको कोकीन चाटता उसने देख लिया था | इसलिए वो आखे तरेरने लगा था | रीमा को भूल जितेश अपने अहम् और इर्ष्या में घिरकर रह गया | 

गिरधारी को उसने अपनी तरफ बुलाया | गिरधारी उसके पास आते ही कान में फुसफुसाया - बॉस आज इस रेस में तो आपको हरा  के ही मानूंगा | 
जितेश - साले औकात भूल गया |
गिरधारी - तभी तो बोल रहा हूँ, आज आपको हराने के बाद ही बिस्तर से उतारूंगा | मैडम की सारी खुजली मिटा दूंगा | 
जितेश को पता था गिरधारी चुदाई में उसे हराने की बात कर रहा था | वैसे भी उसके पास एडवांटेज था | जितेश इतनी देर से रीमा को चोद रहा था इसलिए उसका पहले झड़ना स्वाभाविक था जबकि गिरधारी ने तो अभी शुरुआत भी नहीं करी थी | 
जितेश उसके बाल पकड़ कर अपनी तरफ खीचता हुआ - साले मै पिछले आधे घंटे से जो इस रेस में दौड़ रहा हूँ वो | तू बार बार हमारी चुदाई में उंगली न करता तो अब तक रीमा मैडम की गुलाबी चूत मेरे सफ़ेद गाढे लंड रस से लबालब भरी होती | 
गिरधारी - बहाने मत बनावो, आज तो आप हारने वाले वो | 
इससे पहले गिरधारी सतर्क हो पाता | जितेश ने उसके गले की हसुये में दो उंगली गडा कर उसकी मुट्ठी खोल ली और उसकी कोकीन की पुड़िया छीन ली और उसमे का पाउडर चाट लिया | उसे एक झटका सा लगा, जैसे नीद से जगा हो | उसकी थकावट एक नए जोश और फुर्ती में बदल गयी | जितेश वैसे भी गिरधारी से  अन्दर से कुढा बैठा था | रीमा के आगे उसका बस नहीं चला वरना रीमा को चोदना तो छोड़ो छूने तक नहीं देता | जब उसे लगा गिरधारी ने कोकीन सिर्फ इसलिए ली है ताकि वो उसे ज्यादा जोर जोर से और देर तक चोद सके और रीमा की नजर में तारीफ हासिल कर सके |  तो उसके अन्दर की इर्ष्या चरम पर पहुँच गयी | रीमा उसकी थी और उसे कोई उससे ज्यादा देर तक चोदे ये उसे कैसे बर्दास्त होता | उसने भी कोकीन चाट ली | 
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गिरधारी - बॉस ये चीटिंग है | 

जितेश - जो तू कर रहा था वो चीटिंग है | साले दम है तो असली जिस्म के ताकत से चोदकर दिखा | ये नशा क्यों करता है | 
जितेश ने पहली बार कोकीन सूंघी थी | हालाकि उसकी दीदी की छुटकी ने उसे टॉफी के साथ खूब अफीम चटाई थी, लेकिन वो बहुत पुराणी बात थी | उसके थके जिस्म में जान आने लगी | 
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अपडेट जारी रहेगें , कृपया कमेंट करके लेखक का उत्साहवर्धन करते रहे  ;) ;) ;) ;)
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जितेश के झिझोड़ने के बाद रीमा अपने वजूद में लौटी लेकिन तब तक देर हो चुकी थी | रीमा को उन दोनों के बीच चल रही नुरा कुश्ती से कोई मतलब नहीं था | वो अपने ही कहे गए शब्दों के सदमे में थी | आखिर उसने क्या कह दिया |  वासना के गहरे सागर में गोते लागते हुए भी उसके कान सुन्न हो गए, क्या सच में उसने ही ये कहा है | अपने ही शब्दों को सोचकर वो जड़ सी हो गयी | वो खुद को कोरी गांड मराने के लिए किसी अनजान को बुला रही है | वो उसकी कोरी करारी गांड और जिस्म दोनों की दुर्दशा करेगा | एक बार उसका लंड घुसा नहीं की फिर वो उस आदमी के हाथ की लौड़ी बन जाएगी | बिलकुल सड़क छाप रंडी बनाकर उसकी गाड़ बजाएगा वो | हाय क्यों मै अपने ही जिस्खिम की दुर्रदशा करने पर उतारू हूँ | कोई खुद का सम्मान है यां नहीं  उसकी वासना इतनी गहरी है, क्या उसे इस कदर जलील करेगी | उसके खूबसूरत जिस्म की ऐसी की तैसी करवाएगी | उसकी वासना की भूख को वो बस दुसरे के हाथो का खिलौना बनकर रह जाएगी | क्या फर्क पड़ता है रीमा, ये तड़प हमेशा के लिए बुझ जाएगी | अभी कौन तेरी आरती उतार रहा है | अभी भी की हाथ की लौड़ी बनी उसकी बाहों में ही झूल झूल  कर चुद रही है | फिर क्या फर्क पड़ता है दो बांहों की जगह चार हो जाएगी, एक लंड की जगह दो हो जायेंगे | एक भले दो, जल्दी से ये तड़प ख़त्म होगी | इस प्यास के लिए किस हद तक जावोगी रीमा, इस वासना को मिटाते मिटाते तुमारा खुद का वजूद ख़त्म हो जायेगा | ये वासना नहीं थी ये पाशविक वासना थी | रीमा की अंतर्मन का वो पहलू जो शायद उससे भी अनछुआ था |  ये पाशविकता नहीं तो और क्या थी, एक लंड एक चूत में एक गांड में एक साथ | ये कामुकता का वहशीपन था |  क्या करू इसी आग में जलती रहू, लेकिन ऐसे सड़क चलते किसी को अपने जिस्म की गहरइयो में उतार लेना कहाँ तक सही है | रीमा को अपने शब्दों पर पछतावा होने लगा लेकिन तीर तो कमान से निकल चूका था | पता नहीं कौन सी जिद थी, नहीं अब पीछे नहीं हटूंगी | जो भी होगा देखा जायेगा | 


जितेश रीमा के फैसले से सन्न रह गया | उधर गिरधारी की तो जैसे लाटरी खुल गयी हो |

जितेश कोकीन चाट कर तरोताजा हो गया था, फिर भी जितेश रीमा को रोकना चाहता था - रीमा एक बार फिर सोच लो .......|
रीमा उसकी बात काटती हुई - बस जितेश मै अब और कुछ नहीं सुनना चाहती हूँ, तुम ठीक से मेरी चूत को चोदो इतनी देर से चोद रहे हो और मेरी चूत की प्यास तो मिटा नहीं पाए | मेरे पुरे जिस्म का ठेका लेने चले हो | 
रीमा ने जितेश को ललकार दिया था | जितेश को भी रीमा पर गुस्सा आ गया |  

गिरधारी तो जैसे को जैसे इसी पल का इंतजार था उसने बिजली की तेजी से अपने लंड को मसलते हुए बेड पर पहुँच गया | 

 रीमा वैसे भी दाहिने करवट लेटी जितेश की बांहों में थी |  गिरधारी रीमा के पीछे जाकर लेट बैठ गया | 
रीमा बोली - मेरे पीछे आ जाओ |
उसके बाद रीमा एक हाथ से पीछे करके उसके लंड को लार से भिगोकर सानने लगी |  गिरधारी को तो जैसे जन्नत मिल गई हो तो सपने में भी नहीं सोचा था कोई इस तरह से इतनी खूबसूरत औरत का पिछवाडा बजाने का सौभाग्य उसे मिलेगा | जितेश रीमा से वैसे भी गुस्सा था ऊपर से गिरधारी से थोड़ी सी जलन होने लगी थी हालांकि वह रीमा के कहे अनुसार उसकी चूत में फिर से लंड पेलने लगा  लेकिन वह गिरधारी को लेकर थोड़ा सा असुरक्षा महसूस कर रहा था | क्योंकि गिरधारी एक तो उसका नौकर जैसा था दूसरे रीमा   उसके सपनों की मलिका थी और उसे अपनी खुली आँखों के सामने  सपनों की मल्लिका को अपने नौकर के साथ शेयर करना पड़ रहा था | उसे लगता का रीमा अब सिर्फ उसकी है, रीमा के जिस्म पर सिर्फ उसका हक़ है | रीमा की जवान और हुस्न लुटने का अधिकार सिर्फ उसका है |  रीमा के जिस्म से जिस तरह से वह भोग रहा था यह चीज उसे अखर रही थी | अपने ख्वाबो की मल्लिका को कोई हाथ नहीं लगाने देता यहाँ तो उसी का नौकर उसकी के साथ उसके सपनो की रानी के  जिस्म की सबसे नाजुक और कसी कोरी गुलाबी सुरंग का सफ़र तय करने जा रहा था | गिरधारी रीमा की गांड मारने जा रहा था यही सोचकर उसकी छाती पर सांप लोट रहे थे | इसे रात में ही क्यों न भाग दिया कम से कम ये सब तो नहीं देखना पड़ता | साला मेरी बराबरी करेगा इस मादरजात की इतनी औकात हो गयी | पता नहीं रीमा को कौन सा नशा हो गया है अपनी दुर्गति करवाने पर तुली है, आखिर कर भी क्या सकता हूँ जब कुछ सुनने को राजी ही नहीं है | बेटा जितेश अपनी चूत पर फोकस करो बाकि रीमा का जिस्म है वो जाने | 

आखिर रीमा की जिद के आगे क्या कर सकता था वह बस चुपचाप अपने सिर को रीमा के उठी हुए उन्नत नुकीली छातियों में धंसाकर उसके छातियों  का रस पीने लगा और उसको बेतहाशा चोदने लगा था | इधर रीमा ने ढेर सारी लार से गिरधारी के लंड को भिगो दिया और फिर अपनी गांड के छेद को लार से नम करने लगी | 

गिरधारी तो बस रीमा के मांसल चुताड़ो को चीरता हुआ उसकी गांड में अपना लंड घुसेड़ देना चाहता था | जितेश को रीमा की फिक्र थी | वो गिरधारी के स्वभाव को भी जानता था | 
जितेश - मैडम आपको बहुत तकलीफ होगी | 
रीमा -  तकलीफ तो हर औरत को होती है और इस तकलीफ से कहां तक डरूंगी | जवानी की दहलीज से ही दर्द की शुरआत हो जाती है | हर महीने एक बार तो वो दर्द आता ही है |  जब पहली बार चुदती है तब भी तो दर्द होता है | जब नौ महीने तक दर्द नहीं होता तो ऐसा दर्द होता है की जान निकल जाती है | औरत की जिंदगी ही दर्द से भरी है | 
जितेश - फिर भी पहली बार  मैडम एक साथ दो लंडो को घोटना | फिल्मो की  बात अलग है लेकिन हकीकत में तो यह बहुत तकलीफ दे होता है | 
रीमा के वासना के नशे के आवेग में ऐसे डूबी हुई थी की जितेश की हर सही बात उसे टोकाटोकी लग रही थी  - हां जानती हूँ  तकलीफदेह होता है लेकिन लंड मुझे घोटना है और गाड़ तुमारी क्यों फट रही है | 

गिरधारी रीमा की गांड के गुलाबी छेद पर अपना सुपाडा रगड़ने लगा | उसकी तो जैसे जन्नत की लाटरी निकल आई हो | उसके लिए तो जैसे कोई अप्सरा खुद ही अपना जिस्म उसे सौंप रही हो |  रीमा की लार से उसका लंड और गांड के कसे छल्ले का बाहरी इलाका पूरी तरह गीले थे | जितेश तेजी से अपने सिरहाने की तरफ लपका और वैसलीन की डिबिया उसकी तरफ फेंकते हुए - ये ले इसे मल दे छेद पर, रीमाँ मैडम की गांड में क्या सुखा लंड पेल देगा | मैडम की सुखी कसी गांड तेरे लंड की खाल उतार लेगी | बहुत किस्मत वाला है अपनी किस्मत पर नाजकर कि तुझ जैसे लीचड़ को स्वर्ग की अप्सरा खुद अपनी गांड का छेद खोलने को आमंत्रित कर रही है | 

रीमा झुंझलाती हुई - ओफ्फ्फ तुम लोग  मुझे चोदना क्या तब शुरू करोगे जब मेरी सारी हवस का नशा उतर जायेगा | 
जितेश - मैडम आपकी सहूलियत का इंतजाम कर रहा था | अब बस बेतहाशा चुदोगी ही | चीखों चिल्लाओ हाथ पाँव पटको , अब तो गाड़ी एक्सप्रेस ट्रेन की तरह दौड़ेगी | कितना भी रोकने की कोशिश करोगी रुकने वाली नहीं है | 
रीमा को लगा वो नाराज है - तो दौड़ा दो न अपनी ट्रेन, कितना भी चीखू चिल्लाऊ रोकना मत अपनी एक्सप्रेस चुदाई को | 
जितेश - नहीं ही रुकेगी | आज आपको पता चलेगा दो लंडो की असली ठुकाई क्या होती है |
गिरधारी - सही कहा बॉस, आज मैडम को दोनों तरफ से जमकर बजाते है देखते है कौन जीतता है |
जितेश - साले तू बहुत उछल रहा है भोसड़ी के | 
गिरधारी ने कसकर ढेर सारी वैसलीन अपने लंड पर मल ली और उंगली से रीमा की पिछली सुरंग का मुहाना भी चिकना बना दिया | 
 तब रीमा की गांड का मुहाना अच्छे से चिकना हो गया | गिरधारी अब पूरी तरह से रीमा के पीछे आ गया था | 
जितेश का लंड रीमा की चूत में अच्छे से धंसा  हुआ था | 
रीमा और जितेश का चेहरा आमने सामने था | जितेश की ख़ामोशी रीमा ने पहचान ली - नाराज हो |
जितेश - नहीं तो | 
रीमा - मुझे ये मानकर चोदो की वो यहाँ है ही नहीं, बस तुम हो और मै, बस मै | मेरी इस तकलीफदेह सफ़र के तुम्ही साथी हो | जब गिरने लगु तो थाम लेना | रीमा ने उसके ओंठो से अपने ओंठो को सटा  दिया | 
जितेश का गुस्सा तो जैसे छु मंतर हो गया | उफ़ ये औरत भी क्या बला है | फिलहाल अब गुस्सा प्यार में बदल गया था | जितेश ने हकीकत स्वीकार कर ली थी लेकिन गिरधारी को स्वीकार कर पाना उसके लिए संभव नहीं था | अब दो लंडो की ठुकाई पेलाई में रीमा का कचूमर निकलने पर उसे ही उसको संभालना था | 
जितेश ने रीमा को खुद से चिपका लिया था, कसकर चिपका लिया था |  रीमा को भी पता था ये सफ़र चूत की चुदाई से इतर तकलीफदेह होता है | रीमा ने भी अपनी जांघे जितेश की कमर पर फंसा दी |  इधर पीछे गिरधारी ने अपने तने हुए मोटे लंड को रीमा की कसी हुई गांड के कसे हुए छल्ले पर लगाया और अंदर की तरफ टहलने लगा | रीमा की गांड के मुहाने की कसावट फौलादी थी | एक उंगली को तो उसकी गांड का गुलाबी छल्ला कस कर जकड़ लेता था यहाँ तो मुसल लंड | गिरधारी को रीमा की तकलीफ से ज्यादा कुछ लेना देना नहीं था | वो तो बस रीमा की गांड मराने के ख्याल से ही पगलाया हुआ था | जितेश रीमा को हलके हलके धक्के मार रह था | इधर गिरधारी तो बौराए आदमी की तरह अपने लंड को रीमा की गांड में पेलने की कोशिश करने लगा | गिरधारी ने पूरा जोर लगाकर लंड ठेलने की कोशिश करने लगा लेकिन रीमा की गांड का फौलादी छल्ला टस से मस नहीं हुआ | ये अलग बात है इस भीषण हमले से रीमा की गांड से उठा एक तीखा दर्द उसके चुताड़ो, जांघो को कांपता उसकी पिंडलियों को हिलाता हुआ उसके बदन में तैर गया |
 रीमा के मुहँ से दर्द भरी कराह निकली - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ ममामममामआआआआआआआआआआआअ |

[Image: tumblr_nkfxlbWlWC1r96uryo1_500.gif] 

रीमा की चुताड़ो की घाटी में एक तीखा सा दर्द उसकी टांगो को कंपाने लगा | रीमा ने मुहँ से ढेर सारी लार निकाली और अपने गांड के मुहाने पर मल दी | उसके बाद रीमा ने उसको बोला अब वह उसके गांड पर अपने मुसल लंड को सटाए |   उतावले गिरधारी ने फिर से ठोकर लगायी और उसका लंड रीमा की गांड पर से फिसलता हुआ जितेश के लंड से जा टकराया जो हौले हौले लंड पेल कर रीमा की चूत की मालिश कर रहा था |  तीसरी बार भी उसने कोशिश करी लेकिन कुछ नहीं हुआ उसका लंड  रीमा की गांड के छेद से फिसल गया था | 
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रीमा को खुन्नस आ गयी - गांड मारने से पहले सुपाडा तो घुसा लो | अनाड़ी बनकर नौटंकी करनी है तो मेरे ऊपर से उतर जावो | 
गिरधारी जोश में उचलता हुआ - मैडम इतनी खूबसूरत  गांड मारना तो दूर छूने को नहीं मिली है | क्या करू मै तो खुसी से पागल हो जाऊंगा | 
रीमा - गांड में लंड घुसा रहा मादरचोद मजाक नहीं चल रहा है यहाँ, साले भोसड़ी के तुझे मै यहाँ क्या हंसी ठिठोली के लिए लेती दिखाती हूँ |  थोड़ी ताकत लगा तभी मेरी में  गांड अन्दर जायेगा तेरा लंड |
गिरधारी - ज्यादा जोर से करूंगा तो आपको दर्द होगा | 
रीमा - तो होने दो दर्द, गांड मेरी चीरेगी, तेरी क्यों फट रही है , पहले घुसावो तो सही | जो होगा बर्दास्त कर लूंगी | 
जितेश के लगातार चोदने से रीमा के बदन में गर्मी बरकरार थी और उसकी वासना भी एक नए लेवल पर पहुँच गयी थी | 
गिरधारी  ने पूरा जोर लगाकर लंड को ठेल दिया | रीमा की गांड की दीवारों पर जबरदस्त दबाव पड़ा | रीमा दर्द से बिलबिला गयी लेकिन वासना की गर्मी तीखे  दर्द के ऊपर  हावी हो गयी | रीमा की पिछली सुरंग का छेद टाइट था | रीमा की गांड का छेद बहुत टाइट था इसके बाद गिरधारी ने  अपने लंड पर पूरा जोर भींच दिया और रीमा की गांड का फौलादी छल्ला फैलता हुआ गिरधारी  के लंड के सुपाडे  के लिए जगह बनाने लगा | 
गिरधारी में सब्र नहीं था वो जल्द से रीमा की पिछली सुरंग की पनाहगाह हासिल करना था | उसने जोर से ठोकर मारी और उसका रीमा की गांड के छल्ले को चीर कर अन्दर घुसता लंड फिसल कर जितेश की गोलियों पर लगा जाकर |
रीमा बहुत तेज दर्द से बिलख उठी – आआआआआऐईईईईईईईईईई मम्मामममैईई आआआआआ ईईईईईईईईईई ग्घ्ह्हह्ह्हह्ह आः ऊऊ आया ऊ ईईईईईईईईईईईइ |



[Image: tumblr_nkfxlbWlWC1r96uryo4_500.gif]

रीमा की चूतड़ की घाटी में इस ठोकर के लगने से एक तीखा सा चीर कर रख देने वाला दर्द उठा | रीमा कराह उठी उसके चेहरे पर दर्द भरी लकीरे तैर गयी |
 जितेश ने गिरधारी को एक झापड़ रसीद कर दिया | लंड घुसेड़ने की तमीज नहीं है भोसड़ी के और गांड मारने चला है | इस बार अगर तेरा लंड मुझे कही छुआ भी तो छुरी लेकर यही निपटा डालूँगा | इसको जड़ से पकड़ गधे और जोर डालकर पहले अन्दर घुसेड़, मैडम की गाड़ बाद में मारना | 
रीमा भी दर्द से  कराहती हुई बोली - पहले अपने लंड को मेरी गाड़ में तो घुसेड़ सही | अपने लंड को कसकर पकड़ और धक्के मारने की बजाय अपनी कमर का जोर लगा कर पहले मेरे गांड के छल्ले की चौड़ा कर अपने लंड के लिए जगह तो बना | जब तक तेरा लंड का सुपाडा  मेरी गांड में घुसयेगा नहीं मेरी गांड में पेल कर मेरी गांड की खुजली कैसे मिलाएगा | धक्का नहीं लगाना सिर्फ सटाकर कमर का जितना जोर सारा लगा दो | 
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ स्स्सीईइईईईईइ |
इस बार गिरधारी  ने झटका नहीं लगाया बल्कि अपनी कमर का पूरा जोर अपने लंड पर डाल दिया | रीमा की गांड के छल्ले पर उसके सुपाडे का पूरा जोर लगाया , गिरधारी  के लंड को रोकने के लिए रीमा के गांड के छल्ले ने बहुत कोशिश करी  लेकिन गिरधारी  की ताकत के आगे फ़ैल हो गया | रीमा की गांड की सख्त मांसपेशियां में इतना भीषण दर्द उठा जैसे लगा किसी ने चाकू से काटकर दो टुकडे कर दिए हो | ऐसा लगा जैसे किसी ने उसकी गांड में अन्दर तक नस्तर  घुसेड के चीर दिया हो | रीमा की पिछली सुरंग का मुहाना खुल गया | रीमा के छल्ले का सारा प्रतिरोध धरा का धरा रह गया | उसकी गांड के मुहाने में भीषण जलन और दर्द होने लगा | रीमा की गांड का छल्ला अपनी  पहरेदारी की नाकामी का वो तीखा दर्द लाया की रीमा क आँखों से आंसू लुढकने लगे |   गांड के छेद को चारो ओर से घेरे छल्ले के खुलते ही रीमा को भीषण दर्द का अहसास होना शुरू हो गया | रीमा को जितेश बुरी तरह से अपनी बांहों में जकड़े था | रोहिणी और गार्ड के साथ हुए दर्द से ये दर्द ज्यादा तीखा था क्योंकि गिरधारी  का लंड काफी मोटा था | उसने रीमा के गांड के छल्ले की फौलादी कसावट मटियामेट करके रख दी थी | रीमा के गांड के पहरेदार की शाहदत का दर्द रीमा को सर से लेकर पैर तक उसके जिस्म के रोम रोम में हो रहा था | 

रीमा बहुत तेज दर्द से चीखने लगी – आआआआआऐईईईईईईईईईईऊऊऊऊऊऊ आआआआआ ईईईईईईईईईई ग्घ्ह्हह्ह्हह्ह आः ऊऊ आया ऊ ईईईईईईईईईईईइ, माआआआअररररररररररररर गाआआआआईईईईईईईईईईईईईईई दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ स्स्सीईइईईईईइ |

जितेश बोला - रुक मत गिरधारी | आखिरकार रीमा ने भी तो यही बोला था | गिरधारी ने रीमा की गांड के छल्ले में फंसे अपने सुपाडे को पीछे खीचा और अपनी कमर का सारा जोर फिर से लंड पर डाल दिया | उसका लंड रीमा के छल्ले को और आगे तक चीरता हुआ उसकी गांड की गुलाबी सुरंग में धंसने लगा | 

रीमा इस नए हमले के दोहरे दर्द के साथ फिर चीख उठी आआआआआआआआआआआअराराराराराराराराम्म्म्मममममममममममम स्स्से | ऊऊऊऊऊउईईईईईईईईईइ ममामाममामा ईईईईईईईईई माआआआआआअरररररररररररररररररररररररर डाडाडाडाडाआआआआअलालालालालाल |

रीमा को इस तरह दर्द से कराहता देख एक बार को गिरधारी सहम गया | जितेश -रुकना मत, वरना तेरी खैर नहीं भोसड़ी के | 
गिरधारी ने फिर से लंड खीचा और पूरा जोर लगाकर रीमा कि कसी गांड में पेल दिया | रीमा की कसी गाड़ के मुहाने से  रगड़ता खाता लंड बुरी तरह से उसकी सुरंग की जकड़न को चीरता हुआ आगे बढ़ने लगा |  

एक के बाद एक लगातार तीन नए हमलो से रीमा की जान निकल गयी | इस नए तिहरे दर्द से रीमा  बिलबिलाकर रह गयी - चीचीचीचीईईईईईईईईईईईइ रररररररररररररररररररररररररर डाडाडाडाडाआआआआ अलालालालालाल आआआआआऐईईईईईईईईईईइ ममामामामामामाममरररररररररररररररररररररररर गाआआआआआआआआआयियियियियियीय |

फाफाफाफाफाफाफाफाफाफाफाड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ डाडाडाडाडाडाडाडालीलीलीलीलीलीली मेरी गाड़ | हहहहहह्हहहहह्रिरीर्रीरिरिरिरिरीर  मर गयी मै ममामाममामा ईईईईईईईईई  | 

रीमा की आँखों से  आंसू झरने लगे | वो दर्द से दोहरी हो गयी | खुद की मुट्ठियाँ भींच कर दर्द को बर्दाश्त करने लगी | रीमा की कमर खुद बखुद आगे को खिसक गयी | रीमा गिरधारी से दूर जितेश से चिपकने लगी | , गिरधारी का सुपाडा रीमा की गांड के छल्ले की कसी जकड़न से आजाद होकर बाहर आ गया | रीमा की गांड चीरने का दर्द इतनी तेज था की उसके आँखों से आंसुओ की धार अपने आप बह चली | जितेश की सख्त जकड़न में भी रीमा अपने पैर पटकने लगी | रीमा की चूत में पहले से ही लंड धंसा हुआ था |  गिरधारी ने रीमा को अभी भी नहीं छोड़ा, वो आगे खिसककर रीमा की गांड में फिर से लंड घुसेड दिया |  जैसे ही जरा सा लंड रीमा की गांड में घुसा , वो एक पतली गुलाबी दीवार के अंतर से जितेश के लंड से रगड़ खाने लगा | इधर रीमा की बुरी हालत थी | अभी तक उसकी गांड का छेद पूरी तरह नहीं खुला था | 
इतना मोटा लंड उसे गांड में नहीं लेना चाहिए था | हलके सामान्य आकर के लंड में शायद उसे इतनी तकलीफ नहीं होती | गिरधारी की कमर का पूरा जोर उसके लंड पर ही पड़ रहा था | भीषण तीखे दर्द के के बावजूद इंच डर इंच आधा लंड गिरधारी ने रीमा की गांड में घुसेड दिया | 
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जितेश ने कसकर उसे थामे रखा | 

रीमा - आआआआआआआआआआआईईईईईईईईईइ प्लीज निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है प्लीज, मर जाउंगी मै  | रीमा रोने लगी | 
जितेश - घुसा हुआ लंड तो बाहर नहीं आएगा .......मैडम  रीमा जी कितना भी हाथ पाँव पटको | 
जितेश गिरधारी से - रुकना मत भोसड़ी के, मैडम की गांड का अच्छे से बाजा बजाना है चूत और गांड की सारी खुजली मिटानी है |
गिरधारी - जी बॉस जैसा हुकुम |
उसके अन्दर भरी इर्ष्या और उसके अहम् को पहुंची ठेस अब अपने को संतुष्ट कर रही थी | एक तरफ वो गिरधारी को उकसा रहा था, ताकि दर्द सर तड़पती रीमा की नजरो में वो उसको विलेन बना सके और उस दर्द में उसे थामकर रखने से खुद को उसकी नजरो में हीरो साबित कर सके | जितना दर्द से रीमा तद्पेगी उतना वो जितेश पर निर्भर होगी |
जितेश उसके चूमने लगा उसे खुद के सीने से चिपका लिया, उसके स्तनों को मसलने लगा | जितेश को अहसास था, एक तो उसकी अधखुली गांड का कसा छल्ला उपर से दोहरे लंड और दोनों मुसल के मुसल, रीमा की हालत खराब होनी ही थी | जितेश को भी लगा अपनी रफ़्तार कम कर लेनी चाहिए वरना रीमा की हालत और ख़राब हो सकती है | हालत तो उसकी वैसे भी ख़राब होनी है उसने अपनी ये हालत खुद चुनी है | रीमा के जांघो के बीच की दोनों सुरंगों में दो मुसल लंड धंसे हुए थे | रीमा की आँखे आसुओं से भरी थी, चेहरा दर्द से भरा था और उसका जिस्म इस नए हमले से दहशत से भर गया था | उसके जिस्म ने ऐसा कुछ पहले कभी अनुभव नहीं किया था | जितेश ने रीमा को चूमना शुरू कर दिया ताकि उसकी दर्द भरी कराहे उसके मुहँ में ही घुट कर रह जाए |

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जितेश - बस बस हो गया मेरी रीमा जान, बस अब इससे ज्यादा कुछ नहीं होना, खुद ही देख  लो पूरे सुपाडे के साथ आधा लंड घोंट गयी है | अब बिलखना बंद करो, अब तो हो गया जो होना था | दो दो मुसल लंड घोंट लिए एक साथ अब और क्या बचा | अब तो बस मजे लुटने का टाइम है | गिरधारी बस नाम को कमर हिला रहा था |

जितेश - गिरधारी ऐसे मरेगा मैडम की कसी गांड | थोड़ा कमर पर जोर लगाकर हिला |
गिरधारी - मैडम को दर्द हो रहा है |
जितेश - अबे चुतियानंदन मैडम की गांड मार रहा है मालिश नहीं कर रहा है, दर्द तो होगा ही आखिर गांड मरवा रही कोई बालो में कंघी नहीं करवा रही है , मजे भी तो यही लूटेगी | जितना जयादा जोरदार तरीके मैडम की गांड बजाएगा उतनी जल्दी इसका दर्द दूर भागेगा | चल मैडम को बजाना शुरू कर, उनकी गांड मारना शुरू कर  | 
रीमा तो जैसे कुछ सुन समझ पाने की हालत में ही नहीं थी | जितेश की बातो का रीमा पर कोई असर नहीं हो रहा था | उसे लग रहा था वासना के जोश में आकर उसने गलती कर दी | रीमा को दर्द से ही होश नहीं था, उसकी आँखों से झर झर आंसू फुट रहे थे | वो दर्द के कारन रोये जा रही थी | बार बार गिरधारी से लंड को बाहर निकालने की गुहार कर रही थी | गिरधारी बार बार जितेश की तरफ देखता |  जितेश तो गिरधारी को और भड़का रहा है |

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जितेश  उसे थामे वैसे ही लेटा रहा पीछे गिरधारी रीमा के जिस्म से चिपका कमर हिलाता रहा |   रीमा की गाड़ का मुहाना जलन और दर्द से जलता रहा, जैसे ही लंड जरा सा आगे पीछे होता रीमा की चुताड़ो की घाटी तीखे दर्द से नहा जाती |  जितेश थमा हुआ था लेकिन उससे   रीमा का दर्द कम नहीं हुआ | जितेश  ने रीमा का हाथ उसके चूत दाने पर रखा लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं हुआ | जितेश  ने ही फिर रीमा के चूत दाने को मसलना शुरू कर दिया | काफी देर तक उसे चूमता सहलाता रहा और दोनों के दोनों लंड उसकी दो गुलाबी सुरंगों में गुसेड़े उसे  थामे रहा  |

इसके बाद उसने गिरधारी को रीमा की गांड को लंड आगे पीछे करकर मारने का इशारा कर दिया, अब तक बस गिरधारी की हिलती कमर के कारन रीमा की गांड का छल्ला उसके लंड के साथ आगे पीछे हो रहा था लेकिन लंड आगे पीछे गांड में नहीं दौड़ रहा था | गिरधारी लम्बी पींगे के साथ  अपनी कमर हिलाने लगा | 
कुछ पल के लिए उसका थमा दर्द फिर से उसे चीरने लगा | रीमा  - बहुत दर्द हो रहा है प्लीज अपने मुसल लंड को बाहर निकाल लो, वरना मै मर जाऊँगी | ह्हाआआआआआ प्लीज | मेरी गांड में बहुत दर्द हो रहा है | 
रीमा का इतना कहना था गिरधारी ने अपने धक्के तेज कर दिए | 
रीमा - ह्हाआआआआआ  ममामाममामा ईईईईईईईईई  प्लीज क्यों मेरी गांड को फाड़ कर रख देने पर तुले हुए हो | हाय मै मर जाउंगी  कितने पत्थर दिल हो जरा भी दया नहीं आती मुझ पर | गांड मारने को क्या दे दी मेरी जान ही ले लोगे क्या | 
जितेश ने भी अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी थी | दो लंड एक साथ रीमा की दो गुलाबी सुरंगों में एक ही समय में | जितेश और गिरधारी के लंड रीमा की गुलाबी सुरंगों के अन्दर आपस में रगड़ खा रहे थे | 
रीमा - आआआआआआआआआआआईईईईईईईईईइ प्लीज निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है प्लीज हाय बहुत दर्द हो रहा है प्लीज |
रीमा - कितने बेदर्द जालिम इंसान हो, पुरे जानवर बन गए हो क्या, आखिर मेरी सुन क्यों नहीं रहे |   मै कितना चीख रही हूँ चिल्ला रही हूँ और तुम दोनों मुझे चीर कर रखे दे रहो हो |
जितेश - ये गांड मरवाने के लिए गिरधारी को बुलाने से पहले सोचना चाहिए था मैडम | दो लंड घोटना वो भी एक साथ, कलेजा मुहँ को आ जाता है | मैंने बोला था तब तो डायलाग मार रही थी | अब भुगतो | 
रीमा - हाय माआआआऐईईईईईईइ रिरिरिरिरिरिरिरिरिरी तो क्या जान ले लोगे मेरी, आआआआआआआआआआआईईईईईईईईईइ प्लीज निकाल लो | औरत की बात को दिल से लगा कर बैठ गए | मै जो भी बोलूंगी सब मान लोगे क्या |
जितेश - चूत में गांड में या औरत के जिस्म में घुसा हुआ लंड झड़ने के बाद ही बाहर आता है | जितेश ने एक करारी ठोकर मारी |
रीमा - आआआआआआआआह्पहीईईईईईईईईईइ र्हरिरिरिरिरिरिरिरीर्लेरीर ओओओओओओओओह्ह्हह्ह्ह्ह मेरी पहले की बात गांठ बांधकर कर रख ली तो अब मेरी बात क्यों नहीं सुन रहे हो | क्यों मेरी जान निकालने पर तुले हो |

रीमा अभी भी भीषण दर्द से गुजर रही थी लेकिन न तो अब जितेश रुकने के मूड में था न उसने गिरधारी को थमने को बोला | अब उसकी कोई सुनने वाला था ही नहीं | जितेश के जीवन की सबसे लम्बी चुदाई थी | जब भी वो चरम की तरफ बढ़ने लगता कोई न कोई अड़चन आ ही जाती | अब वो किसी भी अड़चन के लिए रुकने को तैयार नही था | रीमा बिलख रही थी, कोई बात नहीं उसे बिलखने दो | उसने अपनी ये किस्मत खुद चुनी है | 
उसे दो लंडो से चुदने की हवस चढ़ी थी तो दो लंड से चुद रही है | 
रीमा  - हाय मै मर जाऊँगी मेरी गांड और चूत दोनों फट जाएगी, बहुत दर्द हो रहा है प्लीज रुक जावो, तुम जालिमो को मुझ पर बिलकुल दया नहीं आ रही | कितने पत्थर दिल इंसान हो | एक बार लंड  औरत के जिस्म में घुस पावो फिर मर्दों को कुछ नहीं दिखाई पड़ता | 
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जितेश अपनी बलिष्ट बाजुओं में रीमा को सख्ती से थामे उसकी चूत में लंड पेल रहा था पीछे से उसका नौकर भी रीमा की ताज़ी खुली गांड में अपने लंड को पेल रहा था | जितेश के लिए ये एक अजीब अनुभव था | एक मर्द का स्पर्श उसके लिए किसी भी तरह से सहज नहीं था | लकिन वो रीमा की जिद के आगे बेबस हो गया | शायद इसीलिए उसके मन में एक नाराजगी भी | उसे पता था रीमा दर्द से कराह रही है बिलख रही है, वो चाहता तो उसके दर्द पर मरहम लगा सकता था और उसे दर्द बर्दास्त करने का मौका दे सकता था | लेकिन जब रीमा ने ही ये दर्द चुना है तो कौन होता है उसे रोकने वाला | गिरधारी जोश में ज्यादा तेज अपने चूतड़ हिला रहा था | उसी की संगत में जितेश भी अपने चुताड़ो को तेजी से ठेलने लगा | रीमा दू बलिष्ट मर्दों के जिस्मो के पाटो के बीचे सैंडविच बनी पिस रही थी | उसकी  दोतरफा ठुकाई  शुरू हो गयी थी, रीमा दोतरफा चुदना शुरू हो गयी थी | वो बिलख रही थी सिसक रही थी रो रही थी कराह रही  थी लेकिन वासना में अँधा इंसान अपनी नहीं सुनता दुसरे की कौन सुनेगा | उसके जिस्म की मखमली सुरंगों का नरम गरम अहसास दोनों के लंडो के खून में उबाल लाये पड़ा था ऐसे में रीमा के मखमली सुरंगों की सिसकन रुदन की किसको पड़ी थी | इस वक्त दोनों वासना के उस जोश पर थे जहाँ कोई अगर उनकी कनपती पर आकर बन्दुक लगा देता तो भी अपने लंड बाहर नहीं निकालते | औरत के जिस्म का अहसास, उसकी गुलाबी सुरंगों का अहसास, उन्हें चोदने का  चीरने का कूटने का अहसास सिर्फ एक मर्द और सुका फूला हुआ लंड ही कर सकता है | ऐसे समय में मर्द को मरना मंजूर होता है लेकिन रुकना नहीं |  गिरधारी और जितेश भी उसी दौर से गुजर रहे थे, रीमा के जिस्म की सुरंगों के मखमली गरम अहसास में रीमा की दर्द भरी करुण चीखे पुकारे विनातियाँ उनके कानो तक नहीं पहुँच रही थी | अगर पहुँच भी रही थी तो वो सुन नहीं रहे थे | वो तो बस दनादन रीमा के जिस्म में अपना अपना लंड पेल रहे थे | 


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  कुल मिलाकर दो तने हुए कड़क लंड  रीमा के जिस्म की सुरंगों का सफ़र तय करके उसकी वासना का भूत उसके दिलो दिमाग से उतारने में जी जान से जुटे हुए थे | अब वक्त था रीमा की पिछली सुरंग में और आगे का सफ़र तय करने का | मंद्बुधि गिरधारी तो इतने में ही खुस था लेकिन जितेश ने उसके अन्दर जोश भर - क्या बच्चो की तरह रीमा के चुताड़ो पर फुदक रहा है | मर्द की तरह चोद रीमा को | पूरा लंड पेल रीमा की गांड में | जड़ तक धंसा से अपने लंड | पूरी खोल के रख दे रीमा की गांड को | इतना तगड़ा लंड लेकर घूम रहा है और एक औरत की गांड का छेद नहीं खोल पा रहा | शर्म आणि चाहिए तुझे अपनी मर्दानगी पर | 
रीमा अभी पिछले दर्द से साँस भी न ले पाई थी, जितेश ने चाभी भर दी | जितेश के उकसाने पर  गिरधारी ने रीमा की गांड से बाहर लंड निकाला | जितेश का लंड तो पहले से ही रीमा की गांड में धंसा हुआ था  गिरधारी ने  पूरी ताकत लगाकर फिर से लंड रीमा की गांड में पेल दिया | रीमा की गांड का कस छल्ला अभी बभी बहुत सख्त था | गिरधारी ने पूरी ताकत झोंक दी, रीमा का सख्कित छल्सीले और कमर के भीषण दबाव के बीचे गिरधारी के लंड का सुपाडा पिस कर रह गया | आखिर रीमा की गांड का कसा गुलाबी छल्ला कब तक गिरधारी की मर्दाना ताकत के आगे टिकता  उसका लंड रीमा की गांड के कसे छल्ले को फाड़ता हुआ उसकी गांड  की गुलाबी गहराइयो में उतर गया | जितेश तो अपने झटके बदस्तूर लगा रहा था | ऊपर से गिरधारी का मुसल लंड सुरुआती भीषण प्रतिरोध को चीरता हुआ रीमा की गांड की गहराइयो तक धंसता चला गया | उन दोनों के लंड रीमा की दोनों गुलाबी सुरंग के अन्दर आप में कस के एक दुसरे से मसल रहे थे | 
रीमा का गांड में वही जलन और वही तीखा दर्द लौट आया | 
रीमा - आआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह्हह ओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह गागागागागाडडडडडडडडडड आआअह्ह्ह्ह |
गिरधारी आइस्ते आइस्ते अपने लंड को रीमा की गांड की गहराइयो में ले जा जा रहा था जिससे वो उसके सुरंग की गहराई में गोते लगा सके  लेकिन उसकी पिछली  सुरंग का जख्मी पहरेदार ही रीमा के लिए नासूर बन गया था और उसकी गांड के छल्ले पर घिसते लंड से  रोये खड़े कर देने वाला तीखा दर्द पैदा हो रहा था | उसकी गांड में तीखी जलन होने लगी | ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसकी गांड की दीवारों में आग लगा दी हो | 

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रीमा अभी भी दोहरे दर्द में डूबी हुई थी और वो दोनों अपने अपने अहम् में नूरा कुश्ती शुरू कर रहे थे | जितेश और गिरधारी की इस लडाई में  रीमा की ही वाट लगनी थी दोनों तरफ से | 
लेकिन इस बार रीमा की तकलीफों की परवाह न तो जितेश को थी न गिरधारी को | दोनों रीमा की गुलाबी सुरंगों में अपने अपने लंड को पेलने में मशगूल थे | गिरधारी की हालत ख़राब हो रही थी | रीमा की कसी गांड ने उसकी एड़ी से चोटी तक पसीना निकाल दिया था | गांड में वो भी नयी ताज़ी गांड में लंड पेलने में इतनी ताकत लगती है उसे पता नहीं था | न केवल उसकी साँस फूलने लगी थी बल्कि उसका दम भी निकलने लगा था | कुल मिलाकर रीमा दो लंड से एक साथ चुदने लगी थी | 
जितेश ने उकसाया - अबे तू तो अभी से थकने लगा भोसड़ी के, अभी तो रीमा की गांड की नथ ठीक से नहीं उतार पाया, फट के हाथ में आ गयी रीमा की गांड मारने में | अबे मर्द की तरह गांड मार के बजा रीमा को | साले दम लगा अपने जिस्म की और लंड पेल रीमा की गांड में | चला था मुझसे मुकाबला करने |
रीमा - कैसा मुकाबला |
जितेश - कुछ नहीं बेबी तुम दो लंडो को एन्जॉय कर न | मजा आ रहा है दो लंडो से चुदकर |
रीमा - बहुत दर्द हो रहा है |
जितेश - कोई नहीं बेबी बर्दार्ष्ट करो, बस कुछ देर में ही दो लंडो पर बैठकर जन्नत की सैर करोगी | 
जितेश अब तक रीमा की चाहत समझ गया था | वो रीमा के साथ थोडा सख्ती से पेश आ रहा था | वो रीमा को लेकर पीठ के बल हो गया | रीमा अब उसके ऊपर आ गयी | उसने अपना लंड रीमा की चूत में घुसेड दिया और उसे चोदने लगा | पीछे से गिरधारी जमीं पर खड़ा होकर बेड के किनारे रीमा के मांसल गुदाज चुताड़ो से चिपक  गया | उसने रीमा के गांड का निशाना साधा और एक ही बार में अपना लंड रीमा की कसी कमसिन गांड की गुलाबी गहराइयों में उतार दिया | रीमा दर्द से नहा गयी | उसके मुहँ से तेज चीख निकल गयी | 
जितेश - ठीक से पेल लंड मैडम की गांड में वरना इनकी गांड की खुजली कैसे मिटेगी | 
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गिरधारी ने जोर जोर से लंड पेलना शुरू कर दिया | उसके धक्को से रीमा आगे पीछे हिल रही थी | साथ में उसके पर गिरधारी की ठोकरे कमरे में थप थप की आवाज गुंजायमान कर रही थी | रीमा के बड़े बड़े उरोज उसकी गांड की सुरंग पर पड़ते हर झटके से साथ झुला झूल रहे थे | नीचे से जितेश की कमर भी हिल रही थी | दो दो मोटे मुसल फूले हुए लंडो ने रीमा के अंतरों को पूरा का पूरा भर दिया था | अभी वो दर्द से ही बिलबिला रही थी और इस हालत में नहीं थी की कुछ महसूस कर सके | फिर भी उसे आभास था दो मांस की तगड़ी गरम सख्त मीनारे दनादन उसके अंतरों को चीर रही है | उसके जिस्म की नाजुक गुलाबी सुरंगों में रेस लगा रही है | जितेश पूरी कोशिश कर रहा था की वो रीमा की चूत में बेतहाशा लंड पेल सके लेकिन ये सौभाग्य गिरधारी के पास था | वो रीमा की गांड जमकर लंड पेलने की पोजीशन में था और वो पेल भी रहा था | रीमा सिसक रही थी कराह रही थी बिलख रही थी | उसने सपने में भी नहीं सोचा था ये इतना तकलीफदेह होगा | दर्द तो उसे तब भी हुआ था जब रोहिणी ने उसकी कुंवारी गांड की नथ उतारी थी | वो दर्द भी ऐसा ही तीखा था, तब भी वो बिलबिला कर रह गयी थी यकीन तब उसका दर्द जल्दी ही गायब हो गया था | गार्ड का लंड लेटे समय भी वो इसी दर्द से गुजारी थी लेकिन वहां भी जल्दी ही उसकी गांड ने अपने कपाट खोल दिए थे | लेकिन यहाँ तो दर्द जाने का नाम ही नहीं ले रहा | उसकी वजह थी दो दो मोटे मुसल लंड | जो उसकी गांड और चूत को एक साथ कुचल रहे थे | उसकी कसी गांड और गुलाबी चूत का एक साथ भुर्ता बनाये दे रहे थे | आखिर उसकी गुलाबी गांड फैलकर जाये भी कहाँ | दूसरी तरफ से फौलाद की सख्त मीनार नुमा मोटा फूला हुआ लंड उसकी क्मख्माली चूत में जो धंसा था | इन्ही दो लंडो के पाटो के बीच उसकी चूत और गांड बुरी तरह पिस रही थी | उसका कोमल जिस्म दो कठोर मर्दों के बीच में सैंडविच बनकर रह गया था | उसके हाथ में कुछ नहीं था | न वो ठीक से सोच पा रही थी वो इस हालत में भी नहीं थी की अपना दिमाग चलाये, न ही उसका  शरीर पर नियंत्रण था | वो अब बस उन दोनों मर्दों के भरोसे थी | उसका पूरा जिस्म उन मर्दों के काबू में था | उसे जैसे चाहे सहलाये , चाटे, चूमे, मसले और चोदे | उन मर्दों की वासना की ठोकरों में ही अब उसका पूरा अस्तित्व हिल रहा था | उसका पूरा जिस्म उन मर्दों के मोटे मुसल लंडो की भीषण ठोकरों से कठपुतली की तरह नाच अरह था | गिरधारी जोर जोर से रीमा की गांड में दनादन लंड पेल रहा था | जितेश भी रीमा की जिद को अब पूरा करने में लगा हुआ था, वो जानता था रीमा तकलीफ में है, उसे दर्द हो रहा है लेकिन उसने अपनी नियति खुद चुनी है | रीमा अपनी जिद की कीमत आड़ कर रही थी | उसे जीवन में पहली बार अहसास हो रहा था, अपनी कामवासना की फैन्ताशी पालना, उसके मीठे मीठे सपने देखना और उसे सच में जिंदगी में जीने में कितना फर्क है | दो लंडो की चुदाई की हकीकत कितनी तकलीफदेह होगी रीमा ने सपने में भी नहीं सोचा था | अक्सर हकीकत की ठोकर खाकर सपने टूट जाते है | और जो अपने सपनो की खातिर उस हकीकत को बर्दाश्त कर जाते है वो ही असली चैम्पियन बन जाते है | रीमा पछता रही थी बिलख रही थी सिसक रही थी, दो तरफ़ा चुद रही थी |


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जितेश ने रीमा की चूत में अपना लंड अन्दर तक घुसेड कर स्थिर हो गया | 
जितेश ने गिरधारी को और भड़काया - क्या कर रहा है गिरधारी, ऐसे हिला हिला कर मैडम की गांड की खुजली मिटाएगा | मर्द की तरह लंड पेल मर्द की तरह | मैडम की गांड का ढंग से बाजा बजा | मैडम को कम से कम सात दिन गांड मरवाने का अहसास होते रहना चाहिए | जब चले तो मटकती गांड और हिलाते चुताड़ो में तेरे लंड की चुभन का दर्द महसूस होना चाहिए | मै होता तो अब तक चीर के रख देता |  

गिरधारी अब रीमा पीठ पर झुक गया | उसने अपने लंड को रीमा को गांड में जड़ तक घुसा दिया | रीमाँ के मांसल चौड़े चूतड़, कमर पिंडलियाँ जांघे, सब उस भीषण आघात से दर्द से नहा गए | 
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ  ममामामामामामाम्मामाआआआआआआअ रररर रररर रररर रररर गयीईईईईईई रीईईईईए |

रीमा की गांड की सुरंग तो खुल गयी थी लेकिन मुसल लंड के भीषण आघातों के लिए उसका संकरा छेद नाकाफी था | चूत में धंसे लंड की वजह से कही कोई गुंजाईश बची ही नहीं थी | जितेश का मोटा लंड रीमा की चूत के गुलाबी ओंठो को बुरी तरह से फैलाकर अन्दर तक धंसा हुआ था |  गांड की संकरी दीवारों को गिरधारी का लंड बुरी तरह कुचल रहा था | ऐसा लग रहा था जैसे रीमा के छेदों को ऊपर तक ठसाठस उन लंड ने भर दिया है अब उसकी सुरंगों में और जगह नहीं बची है | 

रीमा - हाय हाय हाय माआआआआआआ रररर डाला तुम मर्द कितने जालिम होते हो | गांड क्या चोदने के लिए दी तुम तो मेरी जान निकाल लेने पर उतारू हो | बहुत दर्द हो रहा है |
गिरधारी - मैडम उस दर्द का मजा भी तो आप ही लूट रही हो | यहाँ तो आपकी कसी गांड ने लंड छील के रख दिया है |
जितेश - गांड मार रहा है भोसड़ी के दम तो लगेगा ही | 
रीमा - धीरे धीरे दम लगावो, नहीं तो मेरी फट जाएगी .....................एक दम से पेल देते हो जान निकल जाती है | 
जितेश - ये तो खूंटा ठुकवाने से पहले सोचना था | अब तो हम अपने हिसाब से तुमारी चूत और गांड को बजायेगे |
रीमा - हाय हाय कितने जालिम हो, मुझे नहीं पता था तुम इतने बेरहम निकालोगे | खुद तो मेरी चूत में खूंटा गाड़े बैठे हो और भड़का उस बेचारे को रहे हो | गांड फाड़ के रख दी, हाय मुझे बहुत दर्द हो रहा , हाय मुझे न घोंटा जा रहा ये मुसल लंड, निकाल लो प्लीज | 
जितेश - भला आज तक कोई गांड मरवाने से मारा है, गिरधारी मैडम की गांड की खातिरदारी में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए | आज दिखा दे तू भी असली मर्द का बच्चा है | गिरधारी ने ठोकरे मारनी जारी रखी | रीमा दर्द से कसमसाती रही बिलखती रही |  

दो मुसल लंड और दोनों गहराई तक रीमा के जिस्म में............ सच  में यही था रीमा के दोनों अंतर पूरी तरह से भरे हुए थे | फनफनाता फूलता लंड आखिर किधर जाये | उसके उसी गहरी संकरी सुरंग को चीर कर अपना सफ़र तय करना था | ये सफ़र गिरधारी के लिए भी आसन नहीं था | लेकिन रीमाँ के लिये बेहद तकलीफदेह था | वो तड़प रही थी बिलख रही थी हाथ पैर पटक रही थी लेकिन रीमा ये तकलीफ सह भी रही थी, इतना सब होने के बावजूद उसे पता था न तो वो दोनों उसकी संकरी सुरंगों से लंड निकालने वाले है और न ही वो इसके लिए कहने वाली है | इसी दर्द तड़प से  अपनी अनंत वासनाओं के ख्वाबो को पूरा कर रही थी | भले ही उसकी कीमत कुछ भी क्यों न हो | गिरधारी ने रीमा ही गांड में जड़ तक् लंड धंसाने के बाद ऊपर तक खीच लिया और फिर से उसके चुताड़ो पर भीषण ठोकर मारी |  रीमा की आँखों में पानी की धार निकल आई | गिरधारी दे दनादन रीमा के पिछले छेद की संकरी गुलाबी सुरंग को चीर कर अपने लंड को सटासट उसमे पेलने लगा | 

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वो पूरा लंड बाहर खीच रहा था उअर पूरा लंड फिर से गांड में पेल रहा था | उसकी जोरदार ठोकरों से रीमा के मांसल चूतड़ और जांघे थलर थलर कर उछाल रहे थे | रीमा दर्द की घनघोर पीड़ा में अपनो मुठियाँ भीचे किसी तरह से उस भीषण गांड ठुकाई का दर्द बर्दाश्त कर रही थी | स्थिर होने के बावजूद गिरधारी की ठोकरों से जितेश का लंड अपने आप ही रीमा की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था | 
गिरधारी की कमर  रीमा की उठे हुए भरी भरकम मांसल चुताड़ो पर बार बार कसकर ठोकरे मार रही थी | उसका लंड सटासट रीमा की पिछवाड़े में गायब हो जा रहा था | रीमा की गांड का छल्ला अपनी पूरी सख्ती से लंड के चारो तरफ घेरा बनाये हुए था | रीमा जमकर चुद रही थी घनघोर तरीके से चुद रही थी उसने तो सोचा भी नहीं था ऐसे चुद रही थी | दो दो लंडो की जबरदस्त ठोकरों उसके पुरे बदन को हिलाए पड़ी थी | उसके अंतरों को चीर के रखे दे रही थी रीमा दर्द से छटपटा रही थी, बिलबिला रही थी कराह रही आंखे मूंदे मुठ्ठियाँ भींचे दर्द को बर्दाश्त कर रही थी | वो दर्द जो शायद उसकी वासना की आग पर कुछ पानी डाल सके | दो मर्द, एक औरत | दो मोटे मुसल लंड और एक कमसिन कोमल नाजुक चूत | आखिर कार दुसरे लंड ने अपना रास्ता ढूंढ ही लिया | 

ऐसा नहीं था की रीमा के छेद फैले नहीं थे | सामान्य लंड होते तो शायद रीमा आराम से घोंट लेती | आखिर वो एक जवान भरी पूरी औरत थी | लेकिन उसकी गुलाबी मखमली सुरंगों के संकरे छेद थे ही इतने बड़े, वो जितना फ़ैल सकते थे वो फ़ैल चुके थे | आराम से कोई साधारण लंड उसमे सफ़र कर सकता था | जितेश और गिरधारी के मुसल मोटे लंडो के आगे रीमा के संकरे छेद अपने पूरी खिचाव में खुलने के बाद भी तंग ही रह जा रहे थे | उसके जांघो के बीच की चूत और चूतड़ घाटी की जगह कम पड़ गयी थी, इसीलिए उन लंड को अतिरिक्त दबाव लगाकर रीमा के मखमली छेदों को चीरना पड़ रहा था और यही रीमा की तकलीफ और तड़पने का कारन था | रीमा के गुलाबी छेदों के हिसाब से लंड ज्यादा हो बड़े और मोटे थे | एक कोमल सी औरत के जिस्म के दो संकरी सुरंगे | उन संकरी सुरंगों को फैलाकर उनकी गुलाबी मखमली कोमल दीवारों को चीरकर उनमे सरपर दौड़ते दो मर्दों के मोटे सख्त मुसल लंड | 

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रीमा का कराहना बिलखना जितेश से देखा नहीं जा रहा था | एक तरफ तो वो गिरधारी को भड़का कर रीमा को ज्यादा से ज्यादा तकलीफ देना चाहता था लेकिन रीमा के  खूबसूरत मासूम दर्द भरे  चेहरे को देखकर उसका अन्दर का दिल पसीज रहा था | वो रीमा की कराहों को अपने मुहँ में लेने लगा | उसने रीमा के ओंठो को खुद से कसकर सटा लिया और उसे चूमने लगा | 
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रीमा के जीवन का सबसे मुश्किल, सबसे कठिन सबसे तकलीफदेह लेकिन सबसे रोमाचक क्षण | उसके जिस्म के दो छेदों के संकरे मुहानों को चीर कर उनकी गुलाबी दीवारों को फैलाकर, उसके जिस्म में अन्दर तक धंसे हुए दो हाहाकारी लंड | ऐसा लग रहा था जैसे उसकी गांड और चूत के बीच का सारा पर्दा  मिटाने को आतुर हो | हर धक्के के साथ न केवल दोनों उसके जिस्म के बाहर आपस में रगड़ खा रहे थे बल्कि अन्दर भी बस एक पतली गुलाबी परत के परदे से एक दुसरे को मसल रहे थे | अब तक जितेश बस रीमा की गुलाबी चूत के दोनों ओंठो को फैलाये हुए उसके मखमली सुरंग में अपना लंड घुसाए लेटा  था | रीमा उसको बेतहाशा चूम रही थी | उसके हाथ रीमा की उन्नत नुकीली तनी हुए छातियो पर घूम रहे थे | गिरधारी रीमा के चुताड़ो को थाम उसके पिछवाड़े को कस कर बजाने में लगा था | गिरधारी के मुसल लंड से लगातार  रगड़ खाकर रीमा की गांड की तीखी दर्द भरी जलन अब भीषण गर्माहट में बदल गयी थी, रीमा को अहसास हो रहा था एक मोटी मांस की गरम मीनार उसको चीर कर अन्दर जा रही है | इस दर्द का भी अपना मजा था, अपनी जवानी लुटाकर, रीमा उस दर्द को महसूस कर रही थी जिसे सिर्फ वही औरत महसूस कर सकती है जिसने ऐसा किया हो |  


 रीमा दर्द से कराहती हुई अब अपने होशो हवास में लौटने लगी थी | गिरधारी भी बुरी तरह से रीमा की गांड पेल के हांफने लगा था | वो अपनी उखड़ी सांसे काबू करने लगा | हालाकि उसका लंड अभी भी रीमा की संकरी गुलाबी गांड में सटासट आगे पीछे फिसल रह था | उसके लंड का सुपाडा अभी भी रीमा की गाड़ की गहराइयो में था और हफाने के कारन  वो हलके हलके बस अपनी कमर हिला रहा था | रीमा को भी इसीलिए दम लेने का मौका मिल गया था वर्ना जब से गिरधारी ने लंड घुसेड़ा था उसका दर्द से बुरा हाल था | दो लंड की भीषण पेलाई से उसकी धड़कने वैसे भी अपने  चरम को छु रही थी | इसीलिए जब गिरधारी थमा तो रीमा ने भी राहत की साँस ली | चूमा चाटी, सहलाना, मसलना चिकोटी काटना अब बस इसी सब का दौर चल रहा था | गिरधारी रीमा के मांसल नरम नरम गद्देदार चुताड़ो को मसल रहा था तो जितेश उसके स्तनों को मसल रहा था |
गिरधारी - आआआअह्हह्हह्हह्ह आपकी गाड़ बहुत कसी है मैडम और आपके चुताड़ो के क्या कहने, कितने नरम और चिकने है | 
जितेश - साले जिस काम के लिए मैडम ने बोला है सिर्फ वो कर, उनकी गांड मार, चुताड़ो को हाथ भी मत लगाना |
गिरधारी रीमा के बड़े बड़े चुताड़ो को मसलता हुआ - बॉस तो मुझसे जलते है आआआह्ह क्या गद्देदार नरम चिकने चूतड़ है, मन कर रहा है इनकी तकिया बनाकर सो जाऊ | मैडम इतने चिकने गोरे नरम नरम  चूतड़ कैसे रखती है, कौन सी क्रीम लगाती है | 
रीमा - तुम्हे अच्छे लगे मेरे चिकने चूतड़ | 
गिरधारी उन पर चपत लगता हुआ - तड़ाड़ाड़ाड़ाड़ाक |
रीमा - आआआआऊऊऊऊउचचचचचचचचचचचचचच ऐसा मत करो प्लीज| 
गिरधारी - मजा आया | 
रीमा - नहीं प्लीज ऐसा मत करो, चोट लगती है | 
इससे पहले रीमा के चूतड़ पर फिर से गिरधारी स्लैप करता ..................... जितेश उसे लेकर दायी करवट लुढ़क गया | गिरधारी रीमा के पीछे आया और उसकी कसी संकरी गुलाबी गांड में अपना लंड घुसेड़ अपनी कमर हिलाने लगा |  रीमा दो मर्दाने जिस्मो के बीच पिसने लगी | आगे से जितेश और पीछे से गिरधारी एक साथ रीमा की चूत और गांड में लंड पेलने लगे | कुछ पल की राहत फुर्र हो गयी रीमा फिर से अपनी गाड़ की जलन और दर्द से बेहाल होने लगी थी |

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 रीमा दर्द और कराहों से फिर सिसकने लगी |  दोनों तरफ से मुसल लंडो का रीमा के गुलाबी गोरे जिस्म में घुसना बदस्तूर जारी था | रीमा दर्द से सिसक रही थी, दो तरफ़ा ठोकरों से कांप रही थी और पूरी तरह अपने नियंत्रण से बाहर थी |  
जितेश ने उसका ध्यान बटाने के लिए  उसके कड़े तने हुए निप्पलो को कसकर मसलने लगा | रीमा इस मसलन से चिंहुक उठी | पहले ही क्या कम तकलीफ से गुजर रही जो जितेश और ज्यादा दर्द देने लगा | वो इस नए दर्द से और तेजी से कराहने लगी | 
रीमा - आआआआआआआआआआआअऊऊऊऊऊऊऊचचचचचचचचच  सिसिसिसिसीईईईईईईईईईईईईईईइ |
जितेश - क्या हुआ |  
रीमा - मुझे तकलीफ देने में बड़ा मजा आता है |
जितेश - ये सवाल खुद से पूछो तो बेहतर है |
रीमा - तुम सब मर्द एक जैसे होते हो | औरत को नोचना खसोटना और दर्द देना जानते हो बस .... कुछ नहीं जानते तो वो है प्यार करना |
जितेश - अच्छा अब इसमें भी हमारी गलती है |
रीमा - और नहीं तो क्या, तुमारे इशारे पर ही तो उसने मेरा कचूमर निकाल दिया |
जितेश - मै तो वही कर रहा था जो तुमने कहा था |
रीमा - क्या कहा था मैंने |
जितेश - कितना भी चीखू चिल्लाऊ हाथ पैर पटकू अपनी एक्सप्रेस गाड़ी मत रोकना | 
रीमा - कितने जालिम होते हो तुम मर्द, औरत को दर्द देकर कितना खुश होते हो | जरा भी तरस नहीं आया मुझ पर कितना चीख चिल्ला रही थी | कितना दर्द हो रहा था मुझे और तुम गिरधारी को भड़काने में लगे थे |
जितेश - मैंने क्या किया है, तुमारी गाड़ का भुर्ता तो उसके लंड ने बनाया है | 
रीमा - मुझे सब पता है तुम्ही उसे उकसा रहे थे | 
जितेश - लो जी अब सारी गलती मेरी है | गांड में तुमारे खुजली हो रही थी, गांड में तुम्हे मरवानी थी, मुसल लंड तुम्हे घोटना था | एक नहीं दो दो मुसल लंड घोटने थे, गाड़ तुमारी उसने फाड़ी  और गलती सारी मेरी है | ये सही है तुम औरते तो कभी गलती करती ही नहीं | सब गलती मर्दों की ही होती है | 
रीमा - मुझे क्या पता था, दो लंडो को एक साथ घोटने से जान निकल जाती है, गार्ड का लंड पतला था आराम से घुस गया था इसका तो मुसल है मुसल,  ऊपर से इतनी बेदर्दी से पेला है सच में इसने गांड ऐसा चीर कर रख दी की पूछो मत | पता नहीं कब तक ये जलन दुखती रहेगी | 
जितेश - मजा आया |
रीमा - हाय हाय हाय कितने पत्थर दिल  हो मेरी दर्द से जान निकल गयी है तुम्हे मजे की पड़ी है |
जितेश - उस दर्द को पिया भी तो मैंने है |
रीमा - मतलब |
जितेश - तुमारी आँखों से बहते हर आंसू की बूंद को घुट बनाकर पीता रहा हूँ |
रीमा - तुम्हे मजाक सूझ रहा है |
जितेश - सच्ची में, तुमारी तकलीफों का एक भी आंसू बेड पर नहीं गिरने दिया |  तुमारी सारी तकलीफे पी गया |
रीमा - चलो हटो बदमाश कही के | 
जितेश - अभी कैसे हट जाऊ, अभी तो तकलीफों भरी राहो का सफ़र शुरू हुआ है | अभी तो बहुत कुछ बाकि है |

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इतना कहकर उसने रीमा को गोदी में उठा लिया और जमीन पर खड़ा हो गया | एक पोजीशन में लगातार चोदने से थकावट आ जाती थी इसलिए जितेश जल्दी जल्दी पोजीशन बदलने लगा | इससे उन दोनों को अपनी सांसे काबू करने का मौका मिल जायेगा  और रीमा को भी एक नया अनुभव मिल सकेगा | रीमा जितेश की गोद में थी | उसका लंड रीमा की चूत में | पीछे से गिरधारी आ गया और रीमा के नरम चूतड़ थाम लिए | रीमा जितेश की हाथों में लटकी उसके जिस्म से चिपकी थी | गिरधारी ने रीमा की जलती संकरी गांड में बिना देर के लंड घुसेड़ दिया और कमर हिलाने लगा | रीमा की गांड की तीखी जलन अभी भी बरक़रार थी लेकिन अब वो बर्दास्त करने लायक थी लेकिन उसकी गांड का कसा छल्ला पूरी तरह फैलाकर भी अभी तक गिरधारी के लंड को अपनी कसावट में बुरी तरह जकड़े था | उसका सुपाडा उसकी हिलती कमर के साथ रीमा की गांड की चिकनी गुलाबी मखमली दीवारों पर घिसने लगा | वो अहसास ही कुछ और था | गिरधारी तो अपने सफ़ेद पाउडर के नशे में था लेकिन रीमा के वासना के नशे के आगे वो कुछ भी नहीं था | दो दो लंडो से चुदने का नशा, लंड भी मुसल मोटे तगड़े हाहाकारी | 
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 जितेश रीमा को अपनी बांहों में थामे खुद की कमर हिलाने लगा | हवा में लटकी रीमा की नाजुक संकरे गुलाबी छेदों पर दो तरफ़ा हमला होने लगा | रीमा के जिस्म में दो मोटे लंड उसके अंतर की गहराइयो में धंसने लगे  | रीमा दो लंडो के बीच पिस कर दो तरफ़ा एक साथ लगातार चुद रही थी | इस तरह से दोतरफा उसकी कभी किसी ने नहीं बजाई थी | रीमा बार बार जितेश की गर्दन में हाथ डालकर खुद को संभालती लेकिन नीचे उसकी चूत  और गांड पर पड़ती तने सख्त लंडो ठोकरों की ठोकरों से उसका संतुलन बिगड़ जाता | ऐसे खड़े खड़े रीमा के जिस्म में लंड पेलना आसान नहीं था | इस तरह की खड़े खड़े चुदाई करना आसान नहीं था | लेकिन जब दिलो दिमाग पर हवस और सिर्फ हवस हावी हो और उसकी गर्मी से जिस्म भरे हुए हो तो कुछ भी संभव था | 

जितेश के लिए ये सब आसान नहीं था | एक तरफ वो रीमा को संभाले था और दूसरी तरफ उसकी गुलाबी चूत भी चोद रहा था | उसके जिस्म पर दोहरा दबाव पड़ रहा था लेकिन वो भी फौलादी मिटटी का बना हुआ था | मजाल उसके चेहरे पर इस बात की शिकन हो |


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इस पोजीशन में कोई भी सहज नहीं था लेकिन रीमा की चुदाई में कोई कमी नहीं थी, रीमा की ठुकाई में कोई कमी नहीं थी | दोनों तरफ से रीमा की चूत और गांड का भरपूर जोरदार तरीके से बाजा बजाया जा रहा था | ऐसी चुदाई रीमा की कभी नहीं हुई थी | दोनों मिलकर उसे भरपूर जोरदार तरीके से पेल रहे थे | रीमा के चुताड़ो पर दो तरफ़ा ठोकरे दाना दनादन बरस रही थी | जितेश कुछ ज्यादा ही जोश में था | उसे रीमा की चूत चोदते हुए एक घंटे से ज्यादा हो गया था लेकिन जैसे ही वो अपनी स्पीड पकड़ पाता था कोई न कोई बाधा आकर उसकी चुदाई में खलल डाल देती थी | वो लगातार बार बार पड़ने वाली रूकावटो से खीझ गया था | एक घंटे में बमुश्किल सब मिलाकर पंद्रह बीस मिनट ही वो ठीक से रीमा की चूत में मन मुताबिक अपना लंड पेल पाया था | जैसे ही वो स्पीड पकड़ता था किसी न किसी वजह से उसको रुकना पड़ता था या बस हलके फुल्के धक्के लगाकर रीमा को चोदना पड़ता था ताकि उसे ज्यादा तकलीफ न हो | बार बार पड़ने वाले खलल से उसका जोश और लंड का कड़ापन दोनों नरम हो जाते थे |  रीमा की वासना बुझाने की और उसका ख्याल रखने की भी जिम्मेदारी उसी की थी | वो जानता था रीमा तो कामवासना में पागल हो गयी है लेकिन उसके जिस्म को, उसके नाजुक अंगो को  कही कोई नुकसान न पहुंचे इसका ख्याल उसे रखना था | उसको ध्यान रखना था की रीमा की ठीक से जमकर जोरदार  चुदाई  भी हो. लेकिन उसके नाजुक कोमल गांड और चूत को कोई चोट भी न पहुंचे | इन्ही सब में वो कभी चोदने पर पूरा ध्यान लगा ही नहीं पाया | रीमा की गांड में अभी भी जलन भरा दर्द हो रहा था लेकिन उसका संकरा छेद  अब गिरधारी के लंड को कसकर रगड़ देता हुआ अन्दर जाने दे रहा था | रीमा की गांड के छेद ने बाहर से आये इस मुसल हाहाकारी लंड के लिए अपने दरवाजे खोल दिए थे | रीमा अभी भी कराह रही थी लेकिन उसके जिस्म में वासना की गर्मी चढ़ी हुई थी, अब वो दो लंड की दनादन ठोकरों से मदहोश हो गयी थी |  जितेश ने रीमा की कराहों की परवाह किये बिना उसकी चूत में दनादन लंड पेलना शुरू कर दिया जैसे वो रीमा को चोदना चाहता था | उसे पता था अब रीमा का हवस की गर्मी से तपता बदन आराम से उसके लंड को  घोंट लेगा |  गिरधारी के लिए इस तरह से सटासट लंड पेलना आसन नहीं था | वो कमर पर जोर डालकर अपना लंड रीमा की कसी गुलाबी गांड में खिसका रहा था | इस तरह से खड़े खड़े किसी औरत को चोदना आसान नहीं था  फिर भी रीमा के नरम गुलाबी गोरे जिस्म, उसकी मादकता, उसकी मदहोश करने वाली गन्ध में दोनों मदहोश हो गए थे | रीमा के नरम  बदन की गुलाबी गर्मी लगातार दोनों के जिस्मो में जोश भर रही थी | रीमा की गरम मखमली चूत और कसी गुलाबी गांड को चोदने का जोश दोनों के खून में लगातार उबाल बनाये हुए था | अपने सपनो की मल्लिका के अप्सरा जैसे हुस्न के सपनीले जोश पर हकीकत जल्द ही भारी पड़ गयी | चुदाई का जोश अपनी जगह था और रीमा के बदन की संकरी गुलाबी सुरंगों की सहनशक्ति अपनी जगह, चुदाई के जोश पर हकीकत की सच्चाई भारी होने लगी |  रीमा दो लंड की बेतहाशा  ठोकरे झेल नहीं पाई | रीमा की हालत देखकर जितेश - गिरधारी थोडा थम जा, वरना मैडम बेहोश हो जाएगी |
जितेश - बेड पर चले बेबी |
रीमा - हूँ |
रीमा बस इतना ही बोली | वो बुरी तरह जितेश से चिपकी हुई थी |
आखिर जितेश को उसे लेकर बेड पर आना पड़ा | जब से गिरधारी ने रीमा की गांड में लंड पेला था जितेश को रीमा की चूत जमकर चोदने का मौका नहीं मिला था | दुसरे गिरधारी भी पस्त होने लगा था | 
जितेश - बस निकल गयी सारी मर्दानगी | 
गिरधारी - क्या करू बॉस मैडम की गांड बहुत कसी है नरम होने का नाम ही नहीं ले रही | 
जितेश - अभी भी वक्त है हार मान ले |
गिरधारी - बॉस बस जरा सा थम लेने दो, सांसे काबू कर लू फिर देखते है |
जितेश - चल तू भी क्या याद रखेगा, लेता जा नीचे | गिरधारी बेड पर लेट गया | उसके बाद रीमा को बाहों में लिए जितेश उसके ऊपर आ गया | रीमा के चूतड़ गिरधारी की कमर पर टिक गए | 
इस बार जितेश रीमा के ऊपर था और गिरधारी नीचे | जितेश अपने तने लंड और चढ़े जोश को नहीं गवाना चाहता था | जैसे ही गिरधारी ने रीमा की गांड में लंड घुसेड़ा , तुरंत ही जितेश ने भी रीमा की चूत में अन्दर तक अपना लंड पेल दिया और हचक हचक के उसे चोदने लगा | 
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रीमा दो दो लंडो की ठोकरों के दर्द से कराह रही थी | उसका बदन उसके नियंत्रण से बाहर था | वो दोनों पूरी तरह से अपने जिस्म की सारी ताकत लगाकर उसे  चोद रहे थे | रीमा और उसकी संकरी सुरंगे  दो लंडो के दया के भरोसे पर थी, लेकिन उनसे दया की उम्मीद करना इस समय बेमानी थी |  न तो अब वो उसकी आवाज सुनने वाले थे न दर्द को महसूस करने वाले , वो तो अपने जिस्म में जल रही आग को रीमा के जिस्म की गुलाबी अंतरों में उतार देने को आतुर थे | 


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 दो लंडो की लगातार एक साथ पेलाई ने उसे पस्त कर दिया था ऊपर से उसकी गांड का जलन भरा भीषण दर्द | रीमा की गांड शुरू से ही लगातार ठोकी जा रही थी | उसकी गांड का छल्ला चीरने के बाद भी उसे ज्यादा सुस्ताने का मौका नहीं मिला | गिरधारी सफ़ेद पाउडर के नशे में अपने लंड को पूरी तरह से तन्नाये हुए था इसलिए उसके कठोरता में कोई कमी नहीं थी | दो तरफ़ा ठोकरों से रीमा अब पस्त होने लगी थी | उसके जिस्म की ताकत तो नार्मल ही थी  उसने कोकीन तो चाट नहीं रखी थी जो थकावट ही न महसूस हो | गांड चीरने के दर्द  बाद अब दो तरफ़ा मुसल लंड की  ठोकरों का दर्द भी उसकी पिंडलियों को दुखाने लगा था | रीमा के अन्दर इतनी ताकत नहीं बची थी की वो कुछ कर सके | उसके जिस्म ने पहले ही हथियार डाल रखे थे | दो मर्दों की बाहों में झूलते जिस्म पर पड़ती ठोकरों से कराह रही थी और जितना कुछ लुटा सकती थी लुटा रही थी | रीमा के जिस्म को दोनों जमकर लूट रहे थे | उसकी जवानी को उसके कसे गुलाबी जिस्म को उसकी कामुक मादकता भरी गंध को, सब कुछ लुटे ले रहे थे | रीमा भी अपना सर्वस्व लुटाकर अपने जिस्म की वासना को ठंडा करने में लगी थी | अपने अपने लंडो को रीमा के छेदों में पेल कर वो रीमा का जिस्म और हुस्न दोनों लूट रहे थे और रीमा लुट रही, जमकर लुट रहीथी | न तो वो उन्हें रोक सकती थी न रोक पाने की हालत में थी और न ही वो उन्हें रोकना चाहती थी | वो चाहती थी उसके जिस्म में जब तक ताकत बची रहे तब तक वो उसे बेतहाशा चोदकर निचोड़ते रहे | वो भी निचुड़ निचुड़ कर बार बार बरसना चाहती थी ताकि उसके जिस्म की लगी आग बुझ सके | लेकिन रीमा को कहाँ पता था जिस्म की हवस की जीतनी बुझाने की कोशिश करो ये उतना ही और भड़कती है | वो चुदकर जीतना ज्यादा अपनी चूत की खुजली मिटाना चाहती थी उसकी चूत की प्यास उतनी ही बढ़ती जा रही थी | 

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जितेश रीमा के जिस्म को भोगते भोगते, उसके जवानी का रस पीते पीते उसी में रम गया था | जितना ज्यादा उसका लंड रीमा की गरम गुलाबी मखमली चूत का सफ़र तय करता उतना ही जितेश का जोश और बढ़ता जाता | उसके मुसल लंड के हर धक्के से रीमा अपनी वासना की एक नयी मंजिल तय कर रही थी |  रीमा की गुलाबी मखमली गरम चूत में जितना ज्यादा जितेश अपने लंड को पेल रहा था, उतना ही गहराई तक रीमा उसके दिलो दिमाग में घुसती चली जा रही थी | ऐसा लग रहा था वो रीमा की चूत को नहीं चोद रहा है उसकी गीली गुलाबी गहराइयो को  नहीं तय कर रहा बल्कि रीमा की गरम गुलाबी हुस्न की झील की गहराई में डूबता चला जा रहा है | रीमा की चूत पर पेलते हर धक्के के साथ उसे रीमा से इश्क होने लगा | क्या बदन है, क्या हुस्न है, क्या रंग है क्या बनावट है क्या कसावट है, कैसे बताऊ रीमा तुम ऊपर से नीचे तक हुस्न परी हो | जो तुम्हे देख ले उसकी रातों की नीद उड़ जाये यहाँ तो मै साक्षात तुम्हे चोद रहा हूँ तुमारे रसीले गुलाबी अधरों का रसपान कर रहा हूँ, तुमारे उन्नत गुलाबी गोरे उरोजो को मसल रहा हूँ, उसकी नुकीली चोटियों से तुमारी छाती का रस चूस रहा हूँ | तुमारी गुलाबी मखमली रसीली गीली गरम चूत को चोद रहा हूँ आआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह रीमा कैसे बाताऊ तुम क्या चीज हो |

 उसे रीमा पर कितना प्यार आ रहा था ये शायद वो बता नहीं सकता था | इतनी कमाल की औरत इतनी कमाल की चूत उसने अपने जीवन में नहीं देखि थी | ऐसी औरत की गरम गुलाबी गीली चूत की गहराई में उतर कर उसे चोदना आआअह्ह्ह  जैसे उसका जीना सफल हो गया | उसका लंड कितना खुशनसीब था जो रीमा की चूत उसे चोदने को मिली थी | अब वो सारी जिंदगी इसी चूत में पड़े पड़े कटाना चाहता था | वो चाहता था ये पल कभी खतम ही न हो |  रीमा उसकी बाँहों में ऐसे ही सिमटी रहे और वो उसे ऐसे ही चोदता रहे | रीमा उसकी सीने से चिपकी बस चुदती रही | 

दूसरी तरफ से गिरधारी भी बस रीमा की गांड में लंड डाले हिलाता रहा | जितेश ने रीमा की चूत की जोरदार ठुकाई करी | जितेश हांफने लगा था | रीमा का भी बुरा हाल हो गया था | पहले गिरधारी अब जितेश ने उसके जिस्म की टाइट गुलाबी सुरंगों को सुपरफास्ट स्पीड से चीर कर रख दिया था |  उसे तो अपनी उफनती सांसो को काबू करने का मौका ही नहीं मिल पा रहा था | वो बुरी तरफ से हांफ रही थी कराह रही थी | उसने ऐसी चुदाई की कभी कल्पना भी नहीं की थी | उसका जिस्म बिलकुल पस्त हो चूका था | जितेश था जो उसे संभाले था वर्ना कब का बिखर गयी होती |  अब तो निढाल सी वो दो मर्दों के चौड़ी छाती के बीच पिस रही थी | उसके हाथो ने जितेश की पीठ की पकड़ छोड़ दी थी | जितेश ने उसकी जांघे हवा में उठा दी | रीमा की जोरदार पेलाई के कारन बुरी तरह हांफते  जितेश ने एक लम्बी साँस खीची और  फिर रीमा के जिस्म को छोड़कर उसकी एक जांघ पकड़कर फिर से उसे पेलने लगा |

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रीमा को तो अपनी साँस भी सँभालने का मौका नहीं मिला | जितेश भी अपने जिस्म की सारी ताकत उड़ेल देना चाहता था | वो बुरी तरह हांफ रहा था लेकिन कुछ था जो उसे रुकने नहीं दे रहा था | शायद उसका मर्दाना अहंकार, कोकीन का असर या गिरधारी से हो रहा उसका मुकाबला, कौन जोरदार तरीके से रीमा का बाजा बजा पाता है आखिर गिरधारी के सामने वो कैसे हार मान ले, वो एक फौजी है, हट्ठे कट्टे जिस्म का मालिक और मुसल लंड, वो तो ऐसे दिनभर रीमा को चोदता रहा सकता है | बार बार लगातार, गिरधारी भला उसका मुकाबला क्या करेगा  | 
रीमा तो दो लंडो को घोट रही है | बुरी तरह थक चुकी है, पस्त हो चुकी है | जिस्म में अब ताकत नहीं बची है, निढाल पड़ी है लेकिन मजाल है जो चुदाई रोकने को बोल दे, दो दो लंडो की ठोकरे अब उसके जिस्म के बर्दास्त सीमा से बाहर जा रही है, अपनी पिछली सुरंग के दर्द की कराह अभी भी बंद नहीं हुई लेकिन फिर भी रीमा चुद रही है | फिर वो कैसे थम सकता है | 
जब रीमा औरत होकर चुदते चुदते नहीं थकी तो वो मर्द होकर कैसे थक सकता है | उसकी नाजुक मखमली चूत की दीवारे मुसल लंड से बेतहाशा कुचले जाने के बाद भी उफ़ नहीं कर रही है तो उसका लंड कैसे सुस्ता सकता है | उसे रीमा को चोदते रहना होगा | शायद वो ऐसे ही चुदना चाहती है यही उसकी दिली ख्वाइश थी | दो दो लंड से हाहाकारी चुदाई, भीषण चुदाई, दनादन लगातार चुदाई जब तक उसका जिस्म जवाब न दे जाये | नीचे गिरधारी के लिए ज्यादा कुछ करने को था नहीं जितेश के धक्को के साथ ही रीमा की कसी गांड में अटका उसका लंड थोड़ा सा आगे पीछे हो रहा था | रीमा की गांड का छल्ला अभी भी इतना कसा था की जब तक जोर लगाकर लंड को न घुसेड़ो, रीमा की गांड में लंड नहीं जाने दे रहा था | जितेश के हर धक्के के साथ रीमा की गांड के मुहाने की आगे पीछे होती सख्त  मांसपेशियां, जिन्होंने गिरधारी के लंड को जकड रखा था  रीमा की गांड की गुलाबी सुरंग में उसका सुपाडा घिस रही थी | आखिर गिरधारी को भी अपनी हवस बुझानी थी | उसने अपने दोनों हाथ से रीमा के नरम मांसल चुताड़ो को अपनी हथेलियों पर टिकाया और उसकी कमर और चूतड़ थोडा सा उचकाए |  अपने लंड को रीमा की गांड में अन्दर तक तेजी से सरकाने लगा | उसे रीमा की कसी गांड में अपने मोटे लंड को पेलने में ताकत लगानी पड़ रही थी लेकिन वो जितेश से कमतर नहीं दिखाना चाहता था | मर्दों में चुदाई को लेकर बड़ी असुरक्षा होती है, वो भी तब जब दोनों एक ही औरत को आमने सामने चोद रहे हो | जैसे ही गिरधारी का लंड रीमा के जिस्म के अन्दर जितेश के लंड से रगड़ खाता उसके अन्दर की इर्ष्या कुलाचे मारने लगती | वो गिरधारी को घूर घूर कर देखने लगता | गिरधारी भी ये समझ रहा था बॉस उसकी बेइजत्ति करने का कोई मौका नहीं छोड़ेगें |  वो रीमा के सामने मर्दाना ताकत में जितेश से कम नहीं दिखना चाहता था | उसने भी  रीमा की कसी संकरी गांड को चीरना शुरू कर दिया | दोनों लंड बेतहाशा तरीके से पूरी स्पीड में दनादन दनादन सटासट सटासट गपागप गपागप धकाधक धकाधक रीमा को चोद रहे थे | दो तरफ़ा एक साथ चोद रहे थे | 

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 जितेश भी बेतहाशा रीमा की चूत चोद रहा था | अपने जिस्म के सबसे नाजुक कोमल गुलाबी सुरंगों को इस बेदर्दी से चीरे  कुचले और पेले जाने से बुरी तरह हांफती कराहती रीमा दर्द से बिलबिलाने लगी  | दो  लंडो की बेतहाशा पेलाई से रीमा की हालत बिगड़ने लगी | उसकी सांसे बहुत तेज थी और तेज हो गयी | वो बुरी तरह कराहने और हांफने लगी |  उसका दिल जोरो से धड़क रहा था | उसे जरा सा भी अहसास नहीं था की उसके अंतर्मन की ये पाशविक वासना उसे इस कदर भीषण चुदाई के हालात तक पंहुचा देगी | अब उसे हर हाल में इन लंडो को जबदस्त ठोकरों को झेलना ही था बर्दास्त करना ही था | आखिर किस मुहँ से रोकती उन दोनों को, उसी ने तो आमंत्रित किया था अपने खूबसूरत गुलाबी नरम मांसल जिस्म के सबसे वर्जित हिस्से की दो गहरी गुलाबी संकरी सुरंगों को चीरने के लिए, चोदने के लिए, उनके अन्दर की खुजली मिटाने के लिए | अब दोनों लंड अपनी हवस के शबाब पर थे, अगर वो रोकती भी तो भी न रुकते | कैसे रुकते एक तो उनकी वासना का जोश अपने शबाब पर था ऊपर से कोकीन का असर, उन्हें अहसास ही नहीं था जिस बेदर्द तरीके से वो रीमा को चोद रहे है उसमे उनके लंड को भी नुकसान हो सकता है, उन दोनों को कुछ महसूस ही नहीं हो रहा था, न लंड का मसलना, न सुपाडे की सनसनाहट, वो दनादन बस लंड पेलने में लगे थे | यही उनकी वासना की हकीकत थी और उनसे इस तरह जानवरों की चुदना ही रीमा की वासना की परिणिति थी | आखिर उसकी वासना उसे किस मोड़ पर ले आई थी | दो मर्द उसके जिस्म को लूट रहे थे उसके गुलाबी वर्जित अंतरों को बुरी तरह से चीर रहे थे और वो असहाय थी लाचार थी उनकी दया की मोहताज थी | उनके रहमोकरम पर थी | उसके ठोस कठोर मर्दाने जिस्म  रुपी चक्की के दो पाटो के बीच पिस रही थी | उसने सपने में भी नहीं सोचा था की दोनों इस कदर उसे दोतरफा चोद डालेगे | गलती उनकी भी नहीं थी अपने होशोहवास में होते तो अब तक गिरधारी की कब की पिचकारी छुट गयी होती लेकिन वो दोनों तो खुद कोकीन के नशे में डूबे हुए थे, उन्हें अपना ही ख्याल नहीं था तो रीमा का कहाँ रखते |  अब रीमा की सिर्फ एक ही तमन्ना थी जल्दी से दोनों अपने चरम पर पहुँच जाये और उसे इस तकलीफ भरी चुदाई से मुक्ति मिले | फिलहाल उसके हाथ में कुछ नहीं था | ये मुसीबत तो उसी की बुलाई थी | उसे चुदना था बेतहाशा चुदना था और अब जब अपने दबे अरमानो की तरह चुद रही थी तो पछता रही थी | लेकिन उसके पास तो अभी अफ़सोस करने का भी वक्त नहीं था, दोनों लंड हाहाकारी तरीके से दनादन उसकी चूत और गांड की कुटाई कर रहे थे | इससे उसके जिस्म का पारा बहुत बढ़ गया था | उसकी तेज सांसे और धकधक करती धड़कने कब की उसके काबू से बाहर जा चुकी थी | अब तो बस वो हांफ रही थी कराह थी | 

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 दोनों लंड मिलकर रीमा की कसी गांड और गुलाबी चूत का कीमा बनाये दे रहे थे | इस कदर जबदस्त तरीके से रीमा को वो पेलेगे चोदेगे ये तो उन्होंने भी नहीं सोचा था | रीमा का नाजुक नरम कसा हुआ जवान बदन, उसके जिस्म से निकलती मादक गंध और रीमा को चोदने का ख्याल ही उनके लंडो को पत्थर की सख्त बनाये हुए था, ऊपर से सफ़ेद पाउडर की अनोखी ताकत का नशा | दोनों  न झड़ने का नाम ले रहे थे न मुरझाने का |  रीमा की बेतहाशा दोतरफा  चुदाई के इस खेल में तीनो के जिस्म से निकलती गर्मी के कारन पसीने से तर बतर थे | जितेश के धक्को से रीमा की बुरी हालत हो गयी थी, उसकी चूत आग की भट्ठी बन गयी थी | जितेश के हाहाकारी लंड की भीषण  ठोकरों से उसकी चूत की गुलाबी दीवारे थरथरा रही थी |  जितेश के तेज झटको से कांपता रीमा का गुलाबी गोरा जिस्म गिरधारी के पेट पर फिसल रहा था | उसके सर से लेकर पाँव तक सब कुछ हिल रहा था, जितेश की एक्सप्रेस चुदाई के कारन उसकी मांसल जांघे और चौड़े चूतड़ थरथरा रहे थे | उसके उन्नत नुकीले उरोज तेजी से आगे पीछे झुला झूल रहे थे | जितेश की सांसे उखड़ने लगी | उसकी उफनती सांसे उसके काबू से बाहर हो गयी | वो तेजी से हांफता हुआ रीमा के ऊपर से हट गया | तीनो की ही हालत बुरी हो गयी थी | तीनो ही अपने अपने सांसो और धडकनों को काबू करने लगे | अब कोई भी ज्यादा इन्तजार करने को राजी नहीं था | जैसे ही धकधक करती छाती कुछ थमी, जितेश रीमा को लेकर बिस्तर पर लुढ़क गया और उसका लंड सीधा रीमा की चूत की मखमली गहराइयो में | गिरधारी भी कहाँ पीछे रहने वाला था, उसने भी अपना निशाना लगाया और एक ही झटके में आधा लंड रीमा की कसी गांड में पेल दिया | 
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रीमा इस दो तरफा हमले से कराह कर रह गयी - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ आआआआआआअमामामामामामामामा | जितेश रीमा को चूमने लगा | और उसकी कमर हिलने लगी | पीछे गिरधारी भी अपने कमर हिलाने लगा | एक पल की फुर्सत के बाद रीमा की दोनों सुरंगों में मुसल लंड फिर फिसलने लगे | 


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रीमा की हालात का अंदाजा जितेश को हो गया था लेकिन वो अपनी हवस में इतना डूब चूका था की अब रुकने का समय उसके पास नहीं था | कोकीन का नशा अब उसके दिमाग पर चढ़कर बोल रहा था | उसने रीमा को अपने सीने से चिपका लिया और उसकी चूत पर ठोकरे मारने लगा | गिरधारी आराम आराम से धक्के मार रहा था | 
जितेश हांफता हुआ बोला - गिरधारी लगता है थक गया भोसड़ी वाला | 
गिरधारी - नहीं तो | 
जितेश - तो क्या लंड ने जवाब से दिया | 
गिरधारी समझ गया जितेश क्या कहना चाहता है | उसने जोरदार तरीके से रीमा की गांड पर ठोकर मारी और रीमा की गांड को बुरी तरह चीरता हुआ उसकी गांड की गहराइयो तक अपना लंड पैबस्त कर दिया | 
रीमा इस ठोकर की दर्द से तिलमिलाकर चीख पड़ी - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ रेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरे
मामामामामामामामामामामामाररररररररररररर डाडाडाडाडाडाडालालालालालालालालालाला | ओह गॉड आराम से करो न | क्यों मेरी जान निकालने पर तुले हुए हो | हाआय्य्य्य मै मर गयी | 
जितेश - मैडम आराम हराम है |
रीमा - तो क्या मेरी जान ले लोगे |
जितेश - मैडम आपके जिस्म की प्यास भी तो बुझानी है |
रीमा कुछ नहीं बोली, उसे पता था जितेश ने उसे ताना मारा है |   रीमा की हालात वैसे भी अच्छी नहीं थी | जितेश की बात सुनकर उसके दिमाग में बस एक ही ख्याल आया अब क्या होने वाला है | उसे शायद आभास हो गया था जिस तरह से दोनों उसको फिर से तेजी से चोदने लगे थे | आज तो ये मेरा कचूमर निकाल कर ही दम लेगे | रीमा अब उस पल के लिए पछता रही थी जब उसने गिरधारी को अपनी मदहोशी में गांड मारने के लिए बुला लिया था | वासना की मदहोशी की वो भूल कितनी महँगी पड़ने वाली थी इसका अंदाजा शायद उसे नहीं था | गिरधारी अपने लंड को अन्दर तक ठेलने लगा | रीमा समझ गयी अब बस इन ठोकरों को बर्दास्त करने के अलावा कोई चारा नहीं है | चाहे रो रो कर बर्दास्त करू या हंस हंस कर |  ये दोनों तो आपस में ही मर्दानगी की रेस लगाने लग गए है | मेरा क्या होगा किसी को परवाह ही नहीं है | गिरधारी और जितेश में गहरी और तेज ठोकरों का मुकाबला सा होने लगा | 

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वो भूल गए  जिन सुरंगों को चीरने में वो होड़ लगा रहे है वो रीमा के हांड मांस के बने जिस्म की है | उसे तकलीफ हो रही होगी | उन्हें तो इस वक्त बस अपनी अपनी मर्दानगी की परवाह थी, उनकी मर्दानगी की मुछे नहीं लचनी चाहिए एक दुसरे के सामने, भले ही रीमा की चूत और गांड दोनों फट के चिथड़े चीथड़े हो जाये | एक तो कोकीन का नशा ऊपर से हवस की गर्मी ऊपर से रीमा का गोरा गुलाबी बदन  जिस्म, उसके जिस्म की संकरी मखमली सुरंगे आखिर क्यों न वो एक्सप्रेस ट्रेन की तरह अपने लंड दौडाए ,.......उसके ऊपर से अपनी मर्दानगी किसी से कम नहीं का तुर्रा | दोनों दनादन बिना रीमा की परवाह किये रीमा के छेदों को कुचलने लगे, दनादन लंड पेलने लगे |  उनके लंड बीजली की तेजी से रीमा के जिस्म में गायब होने लगे | जितेश के  भड़काने से गिरधारी कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया था | वो रीमा को कंघे से थामे हुए अपना पूरा लंड रीमा की गांड में पेले दे रहा था | रीमा की गांड पूरी तरह खुल गयी थी | आखिर गिरधारी ने रीमा की गांड के छेद को चोदने में आने वाली सारी रुकवाटे चीर के रख दी थी | उसने रीमा की गुलाबी गांड का छेद खोलकर फैला दिया था |  उसका लंड सटासट रीमा की गांड की गहरइयो में गायब हो जा रहा था | जितेश में कहाँ मानने वाला था उसने भी रीमा को पेलना जारी रखा हुआ था | रीमा का आखिर दो लंडो का अरमान पूरा हो गया था | एक साथ दो लंड उसके जिस्म को चीर कर अंदर गायब हो जा रहे थे |
लेकिन गिरधारी जल्दी ही हांफने लगा और उसकी स्पीड कम पड़ गयी |
जितेश रीमा की चूत में बेतहाशा ठोकर मारता हुआ - बस भोसड़ी निकल गयी सारी अकड़ |
गिरधारी ने एक बार में करारा शॉट मारा और उनका पूरा लंड रीमा की संकरी गांड में पैबस्त ही गया | 
रीमा - माआआआआआआरररररररररररररररररररररररर डाडाडाडाडाडाडाडाडाडाडालालालालालालालालाल मादरचोद, आराम से मार न, क्यों फाड़ने में तुला है भोसड़ी के | गाड़ मारने के लिए दी थी मरादार्चोद चिथड़े उड़ाने के लिए नहीं | भोसड़ी के रबर की पाइप नहीं मेरी गाड़ है बहनचोद, हांड मांस की संकरी गांड | हरामी के पिल्लै ने जान निकाल दी |
गिरधारी तो अपने ही नशे में था - मैडम गांड तो ऐसे ही मारी जाती है ये तो मरवाने से पहले सोचना था | 
जितेश - तो भोसड़ी के लंड पेलता क्यों नहीं, मर्दानगी मुहँ से नहीं लंड से साबित करनी पड़ती है भोसड़ी के | 
गिरधारी ने फिर से रीमा की गांड की गहराइयो तक लंड पेल दिया |
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ मममममममममाआआआआआआआआआआ रेरेरेरीरेरेरेई |
जितेश - साले मैडम की ऐसी गांड मार की जब जब मैडम का चुताड़ो पर हाथ जाए तो तेरे लंड की ठोकरे याद आ जाये | 
गिरधारी ने रीमा के चुताड़ो पर एक करारी चमाट मारी - आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् क्या कसी हुई गरम गरम गांड है मेरी | 
रीमा तो दर्द से बेहाल थी और उसे अहसास था उसके चीखने चिल्लाने का अब उन पर कोई असर नहीं होने वाला | अपनी बेबसी लाचारी देख मायूस हो गयी | गिरधारी की ठोकरों से उसकी आँखों में आंसू आ गए | ये तो उसने सपने में भी नहीं सोचा था | ऐसा लगता था गिरधारी के साथ साथ जितेश में जानवर बन गया है | 

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 दो लंडो से चुदने की ख्वाइश पूरी हो गयी थी | भले ही इस समय दोनों लंड अपनी आपस में चुदाई की रेस लगाकर रीमा का कचूमर बनाने पर तुले हो | रीमा बंद आँखों से बस अपनी गांड और चूत की दीवारों की  मसल रहे मोटे मुसल लंडो को गरमाहट को महसूस कर रही थी | ऐसा लग रहा था जैसे कोई तेजी से उसके अन्दर आ जा रहा है | रीमा के चौड़े मांसल भारी भरकम चूतड़ और जिस्म तेजी से हिल रहा था | रीमा ने आंसू पोंछ लिए | अब उसकी कोई सुनने वाला नहीं था | उसे पता था वो नहीं रुकने वाले | अब बस उनके लंडो से पिचकारी छुटे तो उसकी जान में जान आये | यही सोच उसने मुट्ठियाँ भींच की और ठोकरे बर्दाश्त करने लगी |  जबदस्त चुदाई का माहौल बना हुआ था | किसी को किसी की परवाह नहीं थी | सब बस अपनी अपनी वासना की आग की  लपते बुझाने में लगे थे | रीमा की चूत और गांड की दीवारों में रगड़ रहे मोटे लंड का अहसास उसके दिलो में घर कर रहा था | ये दिन शायद रीमा कभी नहीं भूलेगी | दो दो लंडो की चुदाई से मिले दर्द से कराहती, थकावट से चूर, बुरी तरह हांफती रीमा के जिस्मों मे लांस तेजी से गायब होकर अन्दर बाहर हो रहे थे | 
जितेश रीमा की चूत पर ठोकरे मरता हुआ - मैडम मजा आ रहा है | 
गिरधारी कहाँ पीछे रहने वाला था - मैडम कैसा महसूस हो रहा है गांड मरवा के, मजा आ रहा है या नहीं | 
जितेश गिरधारी से कुढ सा गया | 
उसने रीमा को एक करारा झटका मारा - मैडम ऐसे ही तो चुदना चाहती थी न | हचक हचक के, ये लो मेरा मुसल लंड अपनी चुत् में | 
रीमा जितेश की ठोकर से कराह कर रह गयी | कुछ बोलना चाहती थी उससे पहले गिरधारी ने भी तेज ठोकर मारी - ये लो मैडम मेरा पूरा  लंड अपनी कसी गांड में | मैडम आपकी गांड की सारी खुजली दूर कर दूंगा |
रीमा फिर दर्द से कराह उठी | उसकी आँखों में आंसू आ गए - कहाँ फंस गयी | किसको कोसु जब अपना नसीब ही ख़राब है अपनी ही बुद्धि भ्रष्ट थी | अब तो ये दर्द झेलना ही पड़ेगा | 
गिरधारी - मैडम चिंता मत करो बॉस से दमदार तरीके से आपकी गांड की मालिस अपने लंड से करूंगा | ऐसा मजा आएगा आपको जिंदगी भर नहीं भूलोगी | आपकी गांड की सारी खुजली मिटा दूंगा मैडम ये लो मेरा मुसल लंड आआआआआआआआ | 
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गिरधारी अपना सारा दमखम झोक कर दनादन रीमा की कसी  गांड  के चीथड़े उड़ाने लगा | जितेश के मुकाबले गिरधारी की ठोकरे ज्यादा जोरदार थी | वह रीमा की गांड को बड़ी निष्ठुरता से ठोंक रहा था |  गिरधारी की बर्बरता भरी गांड कुटाई कुछ देर तक रीमा  बर्दास्त करती रही , लेकिन उसकी कठोर तेज ठोकरे दनादन लगातार  उसके चुताड़ो और गांड पर पड़ रही थी इससे  उसकी पिंडलियों में दर्द होने लगा | आखिरकार रीमा चीखते हुए उस न बर्दास्त कर पाने वाले दर्द के साथ जितेश के ऊपर ही लुढ़क गयी | 



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 जितेश अपनी पूरी रौ में रीमा को चोद रहा था इसलिए उसे कुछ समय लगा समझने में  की आखिर क्या हुआ | उसने रीमा का चेहरा उठकर देखा | बंद आँखों के साथ उसके चेहरे पर असीमित दर्द झलक रहा  था |  रीमा को अपने ऊपर इस तरह से दर्द से  बेसुध देख जितेश को थमना पड़ गया | गिरधारी की हालत जितेश से कुछ अलग नहीं थी वो रीमा की गांड में बेतहाशा धक्के लगाता रहा | आखिरकार जितेश को उसे रोकना पड़ा , तब जाकर वो थमा | फिर भी उसने लंड बाहर नहीं निकाला | जितेश का लंड भी रीमा की चूत में धंसा रहा |  दोनों अपनी अपनी सांसो को काबू करने लगे | 
जितेश रीमा का चेहरा थाम - रीमा मैडम रीमा मैडम आप ठीक तो हो | 
रीमा दर्द बर्दास्त करती आंखे बंद किये हुए - हूँ |
जितेश - रीमा मैडम क्या हुआ |
रीमा - कुछ नहीं बस थोड़ा सा थम जाओ, साँस ले लेने दो | मुझे नहीं पता था तुम लोग इस हद तक जाकर मेरी चूत गांड के चीथड़े उड़ाओगे | बस थोड़ा सा थम जावो |
जितेश - दर्द हो रहा है रीमा बेबी | गिरधारी भोसड़ी के  रबर की पाइप में लंड नहीं पेल रहा है आराम से चोद मैडम को | 
गिरधारी - बॉस अब क्या दर्द, क्या तकलीफ मैडम की गांड  इतना मोटा लंड घोंट गयी, अब क्या अब तो सटासट लंड जा रह है गांड में |
जितेश - भोसड़ी के तो क्या गांड फाड़कर रख देगा मराद्चोद | 
गिरधारी - अभी तो मै मैडम चोद हूँ क्यों सही कहा न मैडम | मैडम आज आपकी गांड की खुजली मिटा कर ही रहूँगा भले ही सारा दम निकल जाये | ऐसी गोरी चिकनी गुलाबी कसी हुई मख्खन मलाई जैसी गांड रोज रोज मारने को कहाँ मिलती है | 
जितेश - मैडम चोद तुझे समझ नहीं आ रहा है मै क्या बोल रहा हूँ |
गिरधारी - बॉस मै तो बस मैडम की गांड की खुजली मिटा रहा था |
जितेश - भोसड़ी के मै भी तेरी गांड की ऐसे ही खुजली मिटाऊ तब समझ में आएगा | बहुत हो गया तेरा अब तू हाथ हिलाकर अपनी पिचकारी निकाल | बहुत देर तूने रीमा की मक्खन मलाई जैसी  गांड का सुख लूट लिया | 
बॉस - ये तो सरासर ज्यायती है | 
जितेश - तू साला नीच आदमी तुझे किसी चीज की क़द्र करनी आती है | साले मैडम ने अपनी गांड मारने को दी है, पता है गांड मरवाने में कितनी तकलीफ होती है | साले पिस्टन की तरह लंड पेले जा रहा है | 
रीमा जितेश को रोकती हुई  - उसे मना मत करो प्लीज बस थोड़ा सा थम लो | मैं इस हालात में तुम दोनों को नहीं रोकना चाहती थी लेकिन क्या करू बर्दास्त से बाहर हो गया | मुझे पता है तुम लोग अपनी पूरी रौ में हो |
जितेश - कोई बात नहीं मैडम, आपको तकलीफ और दर्द देकर थोड़े मजे लुटेगें | 

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दोनों अपना अपना लंड रीमा के जिस्म की गुलाबी कसी सुरंगों में घुसेड़े पड़े रहे | रीमा अपनी बेलगाम सांसो और धडकनों दोनों को काबू करने की असफल कोशिश करते हुए अपनी पिंडलियों का दर्द सँभालने लगी | आखिर कार रीमा उन दोनों हाहाकारी लंडो के आगे पस्त ही हो गयी | उन लंडो ने उसके जिस्म को हरा दिया | उन लंडो ने उसको इस कदर चोदा की उसकी पिंडलियाँ जवाब दे गयी | रीमा जितेश और गिरधारी के पसीने से लथपथ जिस्मो के बीच में सैंडविच बनी हुई थी | अपने हालातों पर उसे रोना आ रहा था | अपने जिस्म की दुर्दशा देखकर मन कर रहा था जोर जोर से दहाड़ मार कर रोये | उसकी वासना ने उसे किस गर्त में धकेल दिया था | आज यहाँ एक अनजान सी गुमनाम अँधेरी बस्ती के एक छोटे से कमरे में वो अपना सब कुछ लुटाये दे रही है | नहीं जानती अपने जिस्म और जवानी को न्योछावर करने के बाद भी उसे कुछ हासिल होगा की नहीं | आखिर वो कर क्या रही है | जिस गोरे कमसिन जिस्म की रंगत तक नहीं उतरने देती थी वो जिस्म दो मर्द भूखे भेडियों की तरह नोच रहे है | जिस चूत को इतना नजाकत से चिकना बनाकर, सबसे बचाकर  रखती थी | आज उसे चूत को इस तरह लुटते पिटते कुचलते देख उसे रोना क्यों नहीं आ रहा | आखिर क्यों एक अनजान मर्द को अपनी सबसे कीमती चीज सौंप दी क्या लगता है वो तेरा | गिरधारी को तो तू जानती तक नहीं, वो तेरे जिस्म के उस हिस्से को चीर रहा है जहाँ तू अपनई उंगली घुसेड़ने से भी डरती है | ये सब क्या है रीमा,  तू वासना में इतनी अन्धी हो गयी है की अपने जिस्म की दुर्दशा करवाने पर तुली हुई है | ये चुदाई नहीं है, ये तेरे जिस्म को चोद नहीं रहे है | ये गिद्ध बनकर तेरे जिस्म को नोच रहे है | बोटी बोटी नोच रहे है | गलती उनकी नहीं है | उनकी तो फितरत ही यही है, जहाँ चूत देखेगे वहां टूट पड़ेगे |  इस तरह से अपने जिस्म को इन भूखे भेडियों से नुचवाने के लिए तूने खुद को इनके सामने परोस दिया है | अपनी इस हालत के लिए तू ही जिम्मेदार है | उसका बहुत तेज रोने का मन कर रहा था | तभी उसके चुताड़ो पर फिर से ठोकरे लगनी शुरू हो गयी | दनादन सटासट तेज ठोकरे |
गिरधारी - मैडम अब ज्यादा रुका नहीं जा रहा, थोड़ा बर्दाश्त कर  लो, अब तो आराम से आपकी गांड में लंड जा रहा है | आआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह मैडम मै सारी दुनिया की बद्शाहत छोड़ दो ऐसी गांड के लिए | क्या गद्देदार नरम नरम चूतड़ है आपके | 
रीमा - तो आराम से करो, मैंने कब रोका है, जब बेतहाशा ठोकरे मारोगे तो मेरा जिस्म भी जवाब दे जाता है | 
गिरधारी - अब आराम आराम से चोदुंगा आपको | आपको तकलीफ थोड़े पहूँचानी है, बल्कि मै तो आपको गांड मरवाने का वो सुख देना चाहता हूँ जो आप जिंदगी भर न भूले | मै सच में स्वर्ग की सैर कर रहा हूँ आपके के आगे तो वहां की अप्सरा भी फ़ैल है | मैडम मै बस जिंदगी भर आपकी गांड ही मारता रहना चाहता हूँ | कितनी कोमल गुलाबी कसी गरम गांड है आपकी |
रीमा समझ गयी इसके दिमाग में वासना बुरी तरह चढ़ गयी है अब इसका अंत निकट है |

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 ये गिरधारी था | उससे अब और रुका नहीं जा रहा था | रीमा गर्दन घुमाकर देखने लगती है | आखिर वो रीमा की गांड जोर जोर से मारने लगा | रीमा फिर कराह उठी | जितेश भी कमर हिलाने लगा | रीमा के जिस्म में घुसते उसके जिस्म को चीरते दो लंड | रीमा के दिमाग में बस एक शब्द गूंजा - दो लंड | कितनी औरते दो लंड लेने की हिम्मत एक साथ जुटा पाती है | रीमा ने दो लंड एक साथ लिए थे | बस अपने अंतर्मन की एक आवाज पर | आखिर वो अफ़सोस क्यों करे | उसका जिस्म है, उसके जिस्म को चीरते लंड, भले ही उसकी आज दर्द से चीर कर रख दिया हो लेकिन जिस्म की में भरी हवस को भी तो बुझा डालेगे | कुछ दिन तक ये जिस्म हवस की आग में जलकर उसकी रातो की नीद नहीं ख़राब करेगा | मै क्यों शर्म करू, क्यों फालतू का सोचु | मेरे जिस्म की मखमली सुरंगों को इसलिए चीरा है इसलिए मुझे चोदा है  क्योकि मै चाहती थी |
तकलीफ तो होगी ही, थोड़ा जोश में आकर कुछ ज्यादा तेज ठोकरे लगा दी लेकिन औरत का जिस्म बना ही ठोकरे खाने के लिए | क्या गलत कर रहे हो वो, मुझे चोद ही तो रहे है मेरे कहने पर चोद रहे है | अब सब कुछ मेरे मन का मेरे कहे अनुसार तो नहीं होगा | मेरी ख्वाइशे है तो उनकी भी ख्वाइशे है, मै अपनी ख्वाइशे पूरी कर रही हूँ और वो अपनी | चूत थोड़े ठोकर मारेगी, लंड ही ठोकर मारेगा, मारने दो न ठोकरे, बस उनके मुसल लंडो को अपने जिस्म के अन्दर महसूस करो, देखो न कितनी गहराई तक जा रहे है | बस उस अहसास को अपने दिल में संजोओं, दर्द तो साथ में मिलेगा ही | जब तक दर्द से भागोगी तब तक चुदाई के इस अहसास को भी नहीं जी पावोगी |
गिरधारी - अब ठीक है मैडम, इतनी आराम से आपकी गांड मारू |
रीमा - हाँ बस ऐसे ही करते रहो |
जितेश - मैडम की गांड का अच्छे से बाजा बजा, गांड से जब तक पक पक पक की आवाज  न निकले तब तक लगता ही नहीं किसी की गांड मारी जा रही है | 
रीमा - तुम उसे भड़का रहे हो | मेरी जान निकलवाना चाहते हो | मुझे सब पता है तुम उससे जल रहे हो | 
जितेश - भला मै क्यों .........|
गिरधारी रीमा के चूतड़ पर तड़ाक से अपनी चपत लगाता हुआ - बिलकुल सही कहाँ मैडम | मै आपकी गांड मार रहा हूँ यही सोचकर बॉस की झांटे राख हुई जा रही है | ये लो मैडम मेरा मुसल लंड अपनी गांड में | इतना कहकर उसने रीमा के चूतड़ पर एक  करारी चपत जमा दी | 
रीमा - आआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह्हह मादरचोद गांड में लंड पेल भोसड़ी के, चूतड़ क्यों बजा रहा है चोट लगती है |
गिरधारी - इसका भी तो मजा लूटो, गांड के साथ साथ जब तक चूतड़ भी लाल ना हो जाये तब तक पता कैसे चलेगा की गांड मरवाई है | | इतना कहकर उसने फिर से रीमा के चुताड़ो पर एक चपत मारी |
रीमा बिलबिला कर रह गयी - तेरी तो साले भड़वे मादरचोद दो टके के नाली के कीड़े, हरामजादे चोट लगती है |
गिरधारी - मजा भी तो तुम्ही लूट रही हो मैडम, ये लो मेरा लंड अपनी गांड में अन्दर तक | 
इतना कहकर उसने एक जोरदार करारा झटका मारा | वो फिर से रीमा के चूतड़ पर चपत मारने वाला था लेकिन जितेश ने बीच में हाथ डाल दिया इसलिए बस हलके से चपत लगी |
रीमा - तू नहीं मानेगा मादरचोद ..............तेरी तो |  
इससे पहले रीमा पीछे की तरफ मुड़ती जितेश ने रीमा को चूम लिया और रीमा की बात उसके मुहँ में घुट कर रह गई | जितेश ने भी रीमा के चुताड़ो पर चपत लगायी | उसकी देखादुनी में गिरधारी ने भी जारी रखा | दोनों रीमा को चोदते हुए उसके चुताड़ो को लाल करने लगे | रीमा को बड़ा रोना आया | दोनों ने उसके चुताड़ो को तबला बना दिया | वो अन्दर ही अन्दर कुढ़ कर रह गयी | 


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रीमा कुछ देर तक तो चुताड़ो पर पड़ रहे थप्पड़ो को बर्दाश्त करती रही फिर बोल ही पड़ी - क्या कर रहे हो तुम लोग | मेरे चुताड़ो का तबला बना दिया है | 
गिरधारी - मैडम चुदाई में सिर्फ लंड पेलाई ही नहीं होती, थोड़ा मसलना कुचलना चिकोटी काटना , इन सबका भी  थोड़ा सा इसका मजा लो | हम तो आपको जी जान से सारा मजा देने की फ़िराक में और आप हमसे ही शिकायते करे जा रही हो |
गिरधारी की इस बढ़ी हिम्मत पर रीमा खीझ गयी - तुमारी गांड में अभी अपना हाथ घुसेड़ के तुमारे चूतड़ लाल करूंगी तब समझ में आएगा | 
गिरधारी खीसे निपोरता हुआ - करो न मैडम, आपके लिए तो जान हाजिर है, आप मेरी गांड मरोगी ये तो मेरी खुशनसीबी होगी |
रीमा झुन्झुलाती हुई - कहाँ फंस गयी मै |
गिरधारी - दो लंडो के बीच | 
रीमा - ओफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़ ये तो सर पर ही चढ़ा जा रहा है, तूम कुछ बोलते क्यों नहीं |
जितेश - मैंने तो पहले ही कहाँ था बहुत ही लीचड़ किस्म का इंसान है मै तो मुहँ नहीं लगाता | तुमने ही उसे चढ़ाया है तुम ही जानो | 
चिकोटी से जितेश को याद आया, उसने रीमा के निप्पल मसला दिए | 
रीमा - आआआआआऔऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊउचच |

इससे पहले रीमा जितेश से शिकायत करती जितेश ने  तेजी से जाकर उसके चूत दाने को मसल दिया | ये टीजिंग रीमा की चुदाई में मसाले की तरह और मजा डाल रही थी लेकिन रीमा को तो इससे भी शिकायत थी भले ही उसे कितना भी मजा आ रहा हो | 

तुम दोनों आपस में मिलकर मुझे परेशान कर रहे हो | मै किसी से बात नहीं करूंगी | रीमा किसल के रह गयी | वो अपनी चुदाई पर दिमाग दौड़ाने लगी | अपने जिस्म में जाते लंडो के बारे ,में सोचने लगी | आखिर क्या बुराई है दो लंडो से चुदने में | हाँ मैंने ...........मैंने लिए है दो लंड, मुसल लंड  एक साथ, आगे भी लूंगी | जब मेरी मर्जी होगी तब लूंगी | इसी विचार  के आते ही जादू की तरह उसके अन्दर से वो ग्लानी पता नहीं कहाँ फुर्र हो गयी |  इसी के साथ वो खुद को अपने अंतर्समन में ही साबित करने में लग गयी | दिन रात अपनी ख्वाइशो के अरमानो में घुट घुट कर जीने से बेहतर है जब मौका मिले तो अपने मन की करना | क्या करूंगी इस खूबसूरत जिस्म का जब इसका कोई कदरदान ही नहीं होगा | क्या करूंगी इस कमसिन चूत की गुलाबी कोमलता को बचाकर जब कोई इसे चाहने वाला ही नहीं होगा | इसे कोई चाहेगा तो तब जब इसका स्वाद ले पायेगा | जब मर्द को औरत कुछ खास तरह से सुख देती है तो मर्द भी उसका दीवाना हो जाता है |  ये गांड का दर्द कल को मीठे अहसास में तब बदल जायेगा, जब अपने चाहने वाले को  चूत के साथ साथ गांड की सैर भी कराउंगी | सब औरते गांड नहीं मरवाती लेकिन जो मरवाती है उनके चाहने वाले उनसे कितना खुस रहते है | मर्द भी खुस हो जाते है आखिर औरत तकलीफ और दर्द बर्दास्त करके उसको एक नया सुख दे रही है |  इसी दर्द में तो औरत का सारा मजा छुपा हुआ है | 
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