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Adultery धन्नो द हाट गर्ल
मोहित मेरी बात सुनकर खामोश हो गया और अपनी आँखें बंद करके सोने का नाटक करने लगा। मैंने जल्दी से अपनी कमीज उतारकर ब्रा को उतार दिया और अपनी कमीज को वापस पहन लिया। मैंने अपनी कमीज में से अपनी चूचियों को आधे से ज्यादा बाहर कर दिया और नीचे वाले बर्थ पर सीधा होकर लेट गई।

प्रवीण कुछ ही देर में बाथरूम से बाहर निकला और अपनी बर्थ की तरफ जाने लगा। प्रवीण जैसे ही मेरे करीब पहुँचा, मैं उसका ध्यान अपनी तरफ करने के लिए जोर से खर्राटे मारने लगी। प्रवीण ने मेरे करीब से गुजरते हुए खर्राटों की वजह से मेरी तरफ देखा। मेरी तरफ देखते हुए प्रवीण की आँखें फटी की फटी रह गई। प्रवीण मेरी आधी से ज्यादा गोरी नंगी चूचियों को देखकर बौखला गया और इधर-उधर देखने लगा।

मोहित और करुणा को सोता हुआ देखकर प्रवीण की हिम्मत कुछ बढ़ी और वो वहीं खड़ा होकर मेरी नंगी चूचियों को देखकर मजे लेने लगा। अचानक उसने अपना हाथ बढ़ाकर मेरे को थोड़ा सा झंझोड़ा। मैं वैसे ही आँखें बंद किए सोने का नाटक करने लगी। प्रवीण मुझे गहरी नींद में समझकर अपना हाथ आगे बढ़ाकर मेरी एक चूची पर हाथ रख दिया।

प्रवीण का हाथ अपनी नंगी चूची पर महसूस करते ही मेरा अंग-अंग सिहर उठा।

प्रवीण थोड़ी देर तक मेरी चूची पर अपना हाथ रखे हुए था और फिर उसने अपने हाथ को हरकत में लाते हुए मेरी चूची पर फिराने लगा। कुछ देर तक एक चूची पर हाथ फिराने के बाद उसने अपना हाथ मेरी दूसरी चूची पर रख दिया और उसे सहलाने लगा।

प्रवीण की हरकतों से मेरी चूत गीली हो चुकी थी, और मेरा अंग-अंग टूट रहा था। दिल तो कर रहा था की अभी अपना हाथ बढ़ाकर उसके अंडरवेर में छुपे लण्ड पर रख लूं। मगर मैं ऐसा नहीं कर सकती थी, क्योंकी ऐसा करने से सारा काम बिगड़ सकता था।

प्रवीण ने अपने दोनों हाथ बढ़ाकर मेरी कमीज में से मेरी चूचियों को बाहर निकाल लिया। प्रवीण मेरी चूचियों के गुलाबी निपल देखकर उत्तेजना के मारे काँपने लगा, और अपने हाथों की उंगलियों से मेरी चूचियों के गुलाबी निपलों को मसलने लगा।

मोहित भी अपनी आँखें खोलकर कभी हमें तो कभी राधा को देख रहा था। राधा अपनी चूत में अपनी दो उंगलियां डालकर आगे-पीछे कर रही थी। प्रवीण का लण्ड तो बहुत बढ़िया था, मगर उसे इश्तेमाल करना नहीं आता था, जिसके कारण राधा हमेशा अपनी उंगलियों से अपनी चूत को शांत करने की कोशिश करती थी और अंदर ही अंदर जलती रहती थी। मैं कभी-कभी अपनी आँखों को थोड़ा सा खोलकर उसे देख रही थी। मगर वो तो मेरी चूचियों से खेलने में मसरूफ था।


प्रवीण सिर्फ अंडरवेर में था। वो नीचे झुकते हुए मेरी गुलाबी चूची पर अपनी जीभ फिराने लगा, और अपने अंडरवेर को थोड़ा नीचे करते हुए अपने हाथों से अपने लण्ड को सहलाने लगा। उसका लण्ड इतने नजदीक से देखकर मेरी हालत बिगड़ने लगी।

मोहित इतनी देर से हमें देखकर बहुत गरम हो चुका था, वो अपनी शर्ट और पैंट उतार चुका था। राधा की उंगलियां बहुत जोर से अपनी चूत में अंदर-बाहर हो रही थी। मोहित ने मोके का फायदा उठाते हुए अपना अंडरवेर उतारा और नंगा ही बर्थ से उस तरफ कूदते हुए राधा के सामने खड़ा हो गया।

राधा अपनी मंजिल के बिल्कुल करीब थी। वो अपनी आँखें बंद किए सिसकते हुए अपनी चूत में उंगलियां अंदरबाहर कर रही थी। मोहित राधा को ऊपर से नीचे तक गौर से देखते हुए अपने लण्ड को सहलाने लगा। मोहित को राधा का सांवला जिम, उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां, उसके भरे हुए नितम्ब और उसके काले बालों में छुपी हुए काली चूत बहुत अच्छी लग रही थी।

आअहहह...” करते हुए राधा और हाँफते हुए झड़ने लगी।

थोड़ी देर बाद राधा ने जैसे ही आँखें खोली अपने सामने एक अंजान मर्द को नंगा खड़ा देखकर उसके मुँह से चीख निकलने ही वाली थी की मोहित ने अपना हाथ उसके मुँह पर रख दिया और उसका मुँह अपने हाथ से। दबा दिया। राधा के मुँह से निकली हुए चीख मोहित के हाथों में दब गई। मोहित ने उसके मुँह पर अपना हाथ रखे हुए ही उसे इशारे से चुप रहने के लिए कहा।
 horseride  Cheeta    
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राधा शांत हो गई और इशारे से मोहित को अपना हाथ हटाने के लिए कहा। मोहित ने अपने हाथ की पकड़ ढीली कर दी। राधा ने फिर से चिल्लाने की कोशिश नहीं की।

मोहित ने अपना हाथ उसके मुँह से हटाते हुए इशारे से उसे पर्दे के उस तरफ देखने को कहा और राधा के पीछे पर्दे तक आ गया।

राधा पर्दे के उस तरफ देखकर चौंक गई। उसका पति एक अंजान लड़की को नींद में सोता हुआ देखकर उसकी चूचियों को चाट रहा था और अपने हाथ से अपना लण्ड हिला रहा था। मोहित राधा से बिल्कुल सटकर खड़ा हो गया। उसका लण्ड राधा की भरी हुई गाण्ड पर आकर ठोकर मारने लगा। राधा ने वहाँ से हटने की कोशिश की मगर मोहित ने उसे कसकर पकड़ लिया और इशारे से वहाँ देखने के लिए कहा।

मैं भी इतनी देर से अपने आपको रोके हुए थी। मैंने अचानक अपनी आँखें खोल ली। प्रवीण मुझे जागता हुआ देखकर सपकपा गया। प्रवीण मेरी आँखें खुली हुए देखकर वहाँ से उठकर मुझसे दूर खड़ा हो गया और डर के मारे मुझे घूरने लगा।

मैं आँखें मलने का नाटक करते हुए वहाँ पर उठकर बैठ गई और प्रवीण की तरफ देखते हुए हैरान होते हुए उससे कहा- “प्रवीण तुम इस वक़्त यहां और नंगे क्या कर रहे हो?”

प्रवीण मेरी बात सुनकर थर-थर काँपते हुए कहने लगा- “वो... वो मैं... मैं...”


मैं- “क्या वो वो मैं मैं कह रहे हो?” मैं नाटक करते हुए गुस्से से बोली।

प्रवीण काँपते हुए मेरे पैरों पर गिर गया और गिड़गिड़ाते हुए मुझसे कहने लगा- “मुझे माफ कर दो, मैं आपके वो देखकर बहक गया था..."

मेरी चूचियां अभी तक आधी से ज्यादा मेरी कमीज के बाहर थी और मेरी आँखें उसके खुले हुए लण्ड पर थी। मैंने उससे कहा- “तुम क्या देखकर बहक गये थे?”

वो मेरा सवाल सुनकर शर्मा गया और मेरी खुली हुई चूचियों की तरफ देखते हुए कहने लगा- “इन्हें देखकर मैं बहक गया था.."

मैंने उसके लण्ड को गौर से देखते हुए कहा- “यह तो तुम्हारी बीवी के पास भी है..."

प्रवीण ने कहा- “मेरी बीवी की इतनी गोरी नहीं है जितनी आपकी हैं...” प्रवीण मुझे अपने लण्ड की तरफ घूरते हुए देखकर खुश होते हुए मेरे करीब आते हुए बोला- “आपको मेरा लण्ड अच्छा लग रहा है तो इसे छूकर देखो ना?” और मेरा हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रख दिया।

मेरा हाथ उसके लण्ड पर पड़ते ही मेरे सारे शरीर में सिहरन दौड़ गई और मेरा हाथ अपने आप उसके लण्ड पर ऊपर-नीचे होने लगा। प्रवीण अपने लण्ड पर मेरा नरम हाथ पड़ते ही हवा में उड़ने लगा, और मुझे अपनी तरफ खींचते हुए अपनी बाहों में भरते हुए मेरे गुलाबी होंठों को चूमने और चाटने लगा। मेरी खुली हुई चूचियां उसके नंगे सीने में दब गईं। मेरा हाथ उसके लण्ड से निकलकर, उसकी पैंट पर आ गया और उसका फनफनाता हुआ लण्ड मेरी सलवार से ही मेरी चूत पर टक्कर मारने लगा।
 horseride  Cheeta    
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प्रवीण मुझे चूमते हुए मेरी कमीज में हाथ डालकर उसे उतारने लगा। मैंने अपनी बाहें उठाकर अपनी कमीज उतारने में उसकी मदद की और फिर से उससे लिपट गई। प्रवीण ने मेरी नंगी पीठ पर अपना हाथ फिराते हुए मुझे बर्थ पर सीधा लिटा दिया और अपना अंडरवेर अपनी दोनों टाँगों में से अलग करते हुए मेरे ऊपर आ गया। प्रवीण मेरी गोरी नंगी चूचियों को देखकर पागल हो गया और उन्हें अपने दोनों हाथों से मसलते हुए मेरी एक चूची को अपने मुँह में ले लिया।

राधा इतनी देर से अपने पति को किसी दूसरी लड़की के साथ देखकर गुस्से और उत्तेजना के मारे बहुत गरम हो चुकी थी। मोहित ने राधा के गरम होने का अंदाजा इस बात से लगा लिया की वो मोहित के लण्ड से अपनी गाण्ड को बहुत जोर से दबा रही थी। मोहित ने अपने हाथ से राधा की ब्रा को उतार दिया दिया। अब राधा बिल्कुल नंगी मोहित के आगे खड़ी थी, और मोहित उसकी साँवली चूचियों को बड़े जोर के साथ अपने हाथों से मसल रहा था।

राधा की चूचियों को आज तक प्रवीण ने सिर्फ सुहाग रात को छुआ था। अपनी चूचियों पर मोहित का हाथ पड़ते ही वो बहुत गरम हो गई और जोर की साँसें लेते हुए उसके लण्ड पर अपने चूतड़ रगड़ने लगी। लगातार राधा इतनी गरम हो चुकी थी की वो मोहित के हाथों को अपनी चूचियों से अलग करते हुए सीधी होकर उसको अपनी बाहों में भर लिया और अपनी चूचियों को मोहित के बालों वाले सीने पर रगड़ने लगी।

मोहित का लण्ड राधा की झांटों से भरी चूत पर टक्कर मारने लगा और वो राधा के होंठों को चूमने लगा। मोहित ने राधा के होंठों को चूमते हुए उसे बर्थ पर लेजाकर लेटा दिया और खुद अपनी जीभ निकालकर राधा के मुँह में डाल दी। राधा को उसकी जीभ में से बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। इसलिए वो मोहित की जीभ को अपने होंठों से चाटने लगी और अपनी जीभ को निकालकर मोहित के मुँह में डाल दी।

मोहित ने राधा की जीभ को कुछ देर चाटने के बाद अपना मुँह राधा की साँवली चूचियों पर रख दिया और उसकी चूची के काले दाने को अपने मुँह में लेकर चाटने लगा। कुछ देर तक उसकी चूचियों से खेलने के बाद वो और ज्यादा नीचे होते हुए राधा की झांटों से भरी चूत तक आ गया, और उसकी चूत के बालों को उसकी चूत के होंठों से अलग कर दिया। मोहित राधा की चूत के होंठों पर अपना मुँह रखकर उसे चाटने लगा।

राधा की चूत में आज तक सिर्फ लण्ड ही गया था, वो मोहित के होंठ अपनी चूत पर महसूस करके काँपने लगी और अपनी टाँगों को जितना हो सकता था उतना चौड़ा कर दिया। राधा की चूत से पानी की कुछ बूंदें निकलकर उसकी झांटों को भिगोने लगी। मोहित ने अपने हाथों से राधा की चूत के होंठों को अलग करते हुए अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा दी।
 horseride  Cheeta    
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मोहित की जीभ अपनी चूत में घुसते ही राधा पूरी काँपने लगी और उसका बदन अकड़ने लगा, और- “आह्ह्ह...” करते हुए वो मोहित के मुँह के ऊपर झड़ने लगी। झड़ते हुए राधा की चूत झटके खाने लगी। मोहित ने राधा की चूत से निकलता हुआ सारा पानी चाट लिया।

मैंने प्रवीण के बालों को पकड़ते हुए उसका मुँह नीचे अपनी चूत पर रख दिया। पहले कुछ देर तक मेरी भूरी चूत को देखने के बाद, उसने अपने होंठ मेरी चूत पर रख दिए और मेरी पूरी चूत को चूमने लगा। मैं समझ गई की वो अनाड़ी है, इसलिए मैंने उसे बर्थ पर सीधा लिटा दिया। मैं उल्टा होकर उसके पेट पर बैठ गई। और नीचे होते हुए अपने कोमल हाथों से उसके लण्ड को पकड़ लिया। मैं प्रवीण के लण्ड को अपने हाथों से सहलाने लगी। उसके लण्ड से प्री-कम की कुछ बूंदें निकलने लगी। मैंने अपनी जीभ निकालकर उसके लण्ड के छेद पर रख दी और उसके लण्ड से निकलता हुआ प्री-कम चाटने लगी।

मेरी जीभ अपने लण्ड पर महसूस करते ही प्रवीण 'आअह्ह्ह... करके झटपटाने लगा और पीछे की तरफ से निकली हुई मेरी चूत के गुलाबी छेद को चूमने लगा।

मैंने चिल्लाकर प्रवीण से कहा- “अपनी जीभ से चाटो...”

प्रवीण अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत पर फिराने लगा और मैं मस्ती में आहें भरते हुए उसके लण्ड पर अपनी जीभ फिराने लगी। मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी, मेरा पूरा शरीर अकड़ने लगा और मैं प्रवीण के मुँह पर अपनी चूत को जोर से रगड़ते हुए- “आअह्ह्ह.. इस्स्स्स .” करते हुए झड़ने लगी। मैंने झड़ते हुए मस्ती में प्रवीण के लण्ड का टोपा अपने मुँह में डाल दिया।


प्रवीण अपना लण्ड मेरे मुँह में महसूस करते ही मजे से पागल हो गया और मेरी चूत का निकलता हुआ पानी अपनी जीभ से चाटने लगा। मैं प्रवीण के लण्ड का टोपा चूसने लगी, प्रवीण का लण्ड आज तक किसी ने अपने मुँह में नहीं लिया था इसीलिए वो बहुत उत्तेजित हो गया और मेरी चूत को चाटने के साथ हल्के से काटने लगा।

मैं अपनी चूत पर प्रवीण के दाँत महसूस करके चीख उठी- “ऊईई... आअहह...”

राधा झड़ने के बाद शांत लेटी हुई थी। मोहित ने अपना मुँह उसकी चूत से हटाते हुए, ऊपर होते हुए उसकी साँवली चूचियों में से एक चूची को अपने मुँह में ले लिया और बहुत जोर से चूसने लगा। मोहित राधा की चूची को चूसते हुए उसे अपने दाँतों से काटने लगा।

मोहित के दाँत अपनी चूचियों पर महसूस करते ही राधा के मुँह से चीखें और सिसकियां साथ में निकलने लगीआअहह...”

मोहित ने उसकी चूचियों को जी भरकर चूसने के बाद उसके ऊपर से उठते हुए कहा- “आओ देखते हैं तुम्हारा पति क्या कर रहा है?”

राधा मोहित के साथ जाते हुए पर्दे के उस तरफ देखने लगी। मोहित पहले की तरह राधा के पीछे सटकर खड़ा हो गया और उसका खड़ा लण्ड राधा की गाण्ड से टकराने लगा। राधा पर्दे के उस तरफ देखकर सिहर उठी, उसके पति का लण्ड मेरे मुँह में था और वो मेरी चूत को चाट रहा था। राधा यह देखकर बहुत गरम हो गई और अपनी गाण्ड को मोहित के लण्ड पर जोर से रगड़ने लगी।

मैं प्रवीण का लण्ड अपने मुँह से निकालते हुए अपनी दोनों टाँगें फैलाकर उसके तने हुए लण्ड को अपनी चूत पर टिका दिया और अपना पूरा वजन डालते हुए उसपर बैठ गई। मेरी चूत बहुत ज्यादा गीली होने के कारण प्रवीण का लण्ड मेरी चूत की गहराइयों में समा गया।

प्रवीण का पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसते ही उसके मुँह से निकल गया- “आअहहह... बहुत गरम है तुम्हारी चूत.."

मैं अपने चूतड़ों को प्रवीण के लण्ड पर उछालते हुए हल्के धक्के लगाने लगी।
 horseride  Cheeta    
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मोहित ने राधा को गरम होता हुआ देखकर अपना लण्ड उसके पीछे गाण्ड के नीचे चूत पर रगड़ने लगा। राधा मोहित का लण्ड अपनी चूत पर महसूस करके “आह्ह्ह... ओह्ह...” की सिसकियां भरने लगी। राधा सिसकते हुए थोड़ा सा नीचे झुक गई जिसकी वजह से मोहित का लण्ड सीधा उसकी चूत पर टिक गया। मोहित ने अपना हाथ बढ़ाकर उसकी चूत के होंठों को खोलते हुए अपना लण्ड वहाँ पर फंसा दिया।

राधा अपनी चूत के छेद पर मोहित का लण्ड महसूस करके बहुत ज्यादा उत्तेजित होते हुए अपने चूतड़ों को पीछे की तरफ मोहित के लण्ड पर दबा दिया। मोहित का लण्ड राधा की टाइट चूत में फिसलता हुआ आधा घुस गया। राधा के मुँह से मजे के मारे “आअह्ह्ह..." की सिसकी निकल गई।


मोहित को अपना लण्ड किसी गरम जगह में फँसा हुआ महसूस हो रहा था। मोहित ने अपने हाथ आगे ले जाते हुए राधा की चूचियों को पकड़ लिया और मोहित ने राधा की चूचियों को पकड़ते हुए अपने लण्ड को दो-तीन धक्के मारकर उसकी चूत में पूरा डाल दिया।

मैं अब प्रवीण के लण्ड पर बहुत जोर से उछलने लगी। मुझे उसका लण्ड अपनी चूत की गहराइयों में महसूस हो। रहा था। प्रवीण का पूरा लण्ड घुसते ही उसकी रगड़ से मेरे पूरे शरीर में मजे की लहर दौड़ जाती और मैं मजे के सागर में खोकर उसके लण्ड पर जोर-जोर से ऊपर-नीचे होने लगती, जिसके कारण मेरा पूरा शरीर पशीने में भीग गया।

मोहित राधा को चूचियों से पकड़ते हुए बहुत जोर के धक्के लगाने लगा। राधा भी अपने चूतड़ों को पीछे की। तरफ धक्के देते हुए ताल से ताल मिलाने लगी। राधा प्रवीण से जाने कितनी दफा चुदवा चुकी थी, मगर जो मजा उसे मोहित दे रहा था आज तक नहीं आया था। प्रवीण हमेशा उसे ऐसे ही चोदता था, बिना कपड़े उतारे, बिना गरम किए। मगर मोहित ने तो राधा के अंग-अंग को चाटा और टटोला था, जिसके कारण बेचारी सीधीसाधी राधा भी अपने जिश्म को मोहित से ना बचा सकी, और अपनी जवानी को मोहित के सुपुर्द कर दिया।

प्रवीण ने पशीने से भीगी हुई मेरी चूचियों को अपने हाथों में पकड़ लिया और उन्हें बहुत जोर-जोर से मीसने लगा। मेरा पूरा शरीर मजे से काँप रहा था और मेरी साँसें फूल रही थी।

मोहित ने राधा को चोदते हुए आगे से पर्दे को हटा दिया। मोहित की इस हरकत से राधा डर के मारे काँपते हुए मोहित को अपने आपसे दूर करने लगी। मगर मोहित ने उसे जोर से पकड़ते हुए कहा- “डरो मत मजे लो तुम्हारा पति भी तो मजे ले रहा है...”

मोहित की बात सुनकर राधा अपने पति को देखने लगी। प्रवीण मेरी चूचियों को पकड़े हुआ नीचे से अपना लण्ड मेरी चूत में अंदर-बाहर कर रहा था। मैं उसके लंबे और मोटे लण्ड को इतनी देर से अपनी चूत में डाले हुए थी, और मैं झड़ने के बिल्कुल करीब थी।

राधा हमको देखकर सब कुछ भूल गई और अपने चूतड़ों को मोहित के लण्ड पर जोर-जोर से उछालने लगी। मोहित ने राधा को वहाँ नीचे घुटनों के बल उल्टा बिठा दिया और खुद नीचे बैठते हुये हुए राधा की चूत में लण्ड डाल दिया। मोहित राधा को जोर-जोर से चोदते हुए उसके भारी चूतड़ों पर अपने हाथ फिराते हुए उसकी गाण्ड के छेद को सहलाने लगा।

अपनी गाण्ड पर मोहित का हाथ महसूस करके राधा के मुँह से सिसकियां निकलने लगी।

मेरी चूत ने प्रवीण के लण्ड पर सिकुड़ना शुरू कर दिया, मेरी आँखें बंद होने लगी और मेरा पूरा शरीर अकड़ने लगा- “आअह्ह्ह... इस्स्स्स ...” करते हुए मैं झड़ने लगी। मैं झड़ते हुए बहुत जोर से उसके लण्ड पर उछलने लगी।

प्रवीण मेरे झड़ते हुए मेरी चूत का सिकुड़ना बर्दाश्त ना कर सका और मेरी कमर में हाथ डालते हुए नीचे झुका दिया। प्रवीण मेरी कमर को पकड़कर बहुत जोर के धक्के मारने लगा। धक्के मारते हुए वो मेरी चूचियों को चाटते और काटते हुए मेरी चूत में झड़ते हुए वीर्य को भरने लगा।
 horseride  Cheeta    
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राधा अपने पति का वीर्य किसी दूसरी लड़की की चूत से टपकता हुआ देखकर खुद भी सिसकते हुए अपनी आँखें बंद करके झड़ने लगी। मोहित राधा के झड़ते ही खुद भी उसकी चूत में अपना वीर्य भरने लगा। मोहित का वीर्य राधा की चूत से निकलकर नीचे गिरने लगा। राधा ने जैसे ही आँखें खोली उसकी नजर प्रवीण पर पड़ी... वो राधा की तरफ ही देख रहा था। मैं प्रवीण के ऊपर ही लेटी हुई थी। उसका लण्ड सिकुड़कर मेरी चूत से बाहर आ गया था।


जब मैंने अपनी आँख खोली तो प्रवीण को दूसरी तरफ घूरता हुआ देखकर मैं भी वहीं देखने लगी, और मेरी नजर दूसरी तरफ पड़ते ही मैं हैरान रह गई। मोहित राधा की चूत से अपना लण्ड निकाल रहा था और राधा बिल्कुल नंगी उल्टी लेटी हुई थी।

प्रवीण को यूँ घूरता हुआ देखकर राधा ने अपना सिर झुका दिया।

मैं प्रवीण को गुस्से में देखकर उससे बोली- “क्या देख रहे हो? तुम्हारी पत्नी भी तुम्हारी तरह मजे लूट रही है, अब अगर तुम उसके सामने किसी दूसरी लड़की को चोदोगे तो वो तो बहके ही...” यह कहते हुए मैंने उसके ऊपर से उठते हुए अपना हाथ बढ़ाकर उसके गीले लण्ड को पकड़ लिया और अपने नरम हाथों से सहलाते हुए उसके लण्ड के सुपाड़े पर अपनी जीभ फिराने लगी।

मेरी जाभ का स्पर्श पाते ही प्रवीण सब कुछ भूलकर मेरी चूचियों को सहलाने लगा। मैं उसके सुपाड़े को चाटते हुए उसका पूरा लण्ड अपनी जीभ से साफ करने लगी। प्रवीण के मुँह से सिसकियां निकलने लगी और उसका लण्ड फिर से तनने लगा।

मोहित राधा की चूत से अपना लण्ड निकालकर वहीं पर सीधा लेट गया और अपने साथ राधा को भी लिटा दिया। मोहित राधा के होंठों को चूमते हुए उसके नीचे वाले होंठ को मुँह में लेकर चूसने लगा। राधा भी अपने पति का लण्ड फिर से मेरे मुँह में देखकर गरम हो गई, और अपनी जीभ निकालकर मोहित के मुँह में डाल दी। मोहित उसकी जीभ को जोर-जोर से चाटने लगा।

राधा को जैसे कोई नशा चढ़ गया था वो मोहित के ऊपर चढ़ते हुए उसके पेट पर बैठ गई, और उसके होंठों को चूसते और काटते हुए नीचे होने लगी। राधा के नीचे होते हुए उसकी चूत मोहित के लण्ड पर आ गई। राधा उसके लण्ड पर अपनी चूत को जोर-जोर से रगड़ने लगी। मोहित के लण्ड पर अपनी चूत को रगड़ते हुए राधा के मुँह से जोर की सिसकियां निकलने लगी। राधा ने अपनी एक चूची को मोहित के होंठों पर रख दिया जिसे मोहित अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और राधा हवस में अंधी होकर अपने पति के सामने मोहित के लण्ड पर अपनी चूत रगड़ते हुए अपनी चूचियों को चुसवाने लगी।

मैंने प्रवीण के लण्ड को अपने मुँह में भर लिया था और उसे चूस रही थी। प्रवीण मजे से अपना लण्ड चुसवाते हुए अपनी पत्नी की तरफ देखने लगा। राधा अपनी चूची को मोहित के मुँह से निकालकर नीचे होते होते हुए मोहित के लण्ड को चूमने लगी। राधा मोहित के लण्ड को ऊपर से नीचे तक अपने होंठों से चूमने लगी। मोहित राधा के होंठ अपने लण्ड पर महसूस करके मजे से सिसकने लगा और सिसकते हुए राधा से कहा- “अपनी जीभ निकालकर चाटो। बहुत मजा आयेगा...”


राधा मोहित के लण्ड को चूमते हुए बहुत जोर से हॉफ रही थी। उसने अपनी साँसों को ठीक करते हुए कहा- “यह आपकी गंदगी से भीगा हुआ है मैं इसे कैसे चाट सकती हूँ?”

मोहित ने हँसते हुए राधा से कहा- “वहाँ देखो तुम्हारे पति का रस उसने कैसे चाटकर साफ कर दिया। यह गंदा नहीं होता बल्की बहुत मजेदार होता है। तुम एक बार करके देखो, अगर अच्छा ना लगे तो मत करना...”


राधा ने अपनी जीभ निकाली और मोहित के लण्ड के पास लेजाकर उसके लण्ड पर रखकर थोड़ा सा चाटा और फिर वहाँ से हटा लिया। राधा को मोहित के लण्ड का स्वाद कुछ अजीब सा लगा, मगर वो फिर से अपनी जीभ निकालकर उसका लण्ड चाटने लगी। राधा मोहित के लण्ड को ऊपर से नीचे तक चाटने लगी।
 horseride  Cheeta    
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मोहित के मुँह से सिसकियां निकलने लगी और उसका लण्ड तनकर बड़ा होने लगा। मोहित के लण्ड से प्री-कम की एक बूंदें निकलने लगी। राधा ने जैसे ही मोहित के लण्ड के छेद में से प्री-कम की बूंदों को देखा, उसने जल्दी से अपनी जीभ को उसके छेद पर रखकर मोहित के लण्ड से निकलता हुआ प्री-कम चाट लिया और राधा ने तेज साँसें लेते हुए अपना मुँह खोलकर मोहित के लण्ड के सुपाड़े को अपने मुँह में भर लिया।

मोहित अपना लण्ड राधा के गरम मुँह महसूस करके मजे और दर्द से चीख उठा- “ऊह्ह.. आअह्ह्ह... राधा मेरे लण्ड को अपने होंठों से चूसो अपने दांतो को वहाँ से दूर करो...”

राधा मोहित की बात सुनकर उसके लण्ड को अपने होंठों से चूसने लगी।

प्रवीण अपनी पत्नी को यह सब करता हुआ देखकर बहुत गरम हो गया और वो अपना लण्ड मेरे मुँह से । निकालते हुए मुझे खींचकर नीचे सुला दिया। प्रवीण ने मेरी टाँगों को उठाते हुए घुटनों तक मोड़ते हुए मेरे पेट पर रख दी और अपने हाथों से मेरी चूत की फांकों को अलग करते हुए अपना लण्ड मेरी चूत के लाल छेद पर रख दिया। प्रवीण ने एक जोर का धक्का मारकर अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया।

धन्नो- “ओईए आअह्ह्ह..” एक ही धक्के में पूरा लण्ड घुसने से मेरे मुँह से चीख निकल गई।

प्रवीण अपनी बीवी को किसी दूसरे लड़के के साथ देखकर पागल हो चुका था। वो अपने लण्ड को पूरा निकालकर फिर से मेरी चूत में घुसा देता। उसके हर धक्के के साथ मेरा पूरा शरीर काँप उठता और मैं मजे के नये सागर में डुबकियां लगाने लगती। मुझे इतना मजा आ रहा था की मेरे मुँह से जाने क्या-क्या निकालने लगा।

मैं प्रवीण को गुस्सा दिलाते हुए बोली- “क्या देख रहे हो तुम्हारी पत्नी मोहित का लण्ड चाट रही है, थोड़ी देर में वो तुम्हारी बीवी की चूत में अपना लण्ड डालकर चोदेगा...”

प्रवीण मेरी बात सुनकर बहुत ज्यादा उत्तेजित होते हुए बहुत जोर-जोर से मुझे चोदने लगा। उसके हर एक धक्के के साथ मैं हवा में उड़ने लगी। प्रवीण इतने जोर के धक्के मार रहा की उसका लण्ड मेरी चूत में बच्चेदानी पर ठोकरें मार रहा था।


मैं उसके हर धक्के के साथ चिल्ला-चिल्लाकर उससे कहने लगी- “हाँ प्रवीण ऐसे ही मेरी चूत में धक्के लगाओ... ऊहह... फाड़ डालो मेरी चूत को तुम्हारा लण्ड बहुत बड़ा है, मुझे तुम्हारा लण्ड अपनी बच्चेदानी तक महसूस हो। रहा है..."

राधा मेरी बातें सुनकर हैरान हो गई। वो भी बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी इसीलिए वो मोहित का लण्ड अपने मुँह से निकालते हुए अपनी दोनों टाँगें फैलाकर उसके लण्ड पर बैठ गई। मोहित का पूरा लण्ड राधा की चूत में गायब हो गया। राधा अपने पति को देखते हुए बहुत जोर से मोहित के लण्ड पर उछलने लगी।

मोहित के लण्ड पर उछलते हुए राधा की बड़ी-बड़ी साँवली चूचियां बहुत जोर-जोर ऊपर-नीचे हो रही थी। मोहित अपना हाथ आगे बढ़ाकर राधा की चूचियों को मसलने लगा। राधा बहुत जोर के साथ मोहित के लण्ड पर उछलने लगी। उसकी साँसें फूलने लगी और उसका सारा जिश्म अकड़ने लगा। वो बहुत जोर से हाँफते हुए आअहहह... करते हुए मोहित के लण्ड पर झड़ने लगी। राधा ने झड़ते हुए अपनी आँखें बंद कर ली। मोहित ने राधा को झड़ता हुआ देखकर उसकी कमर में हाथ डालकर नीचे झुका लिया और उसके होंठों को चूमते हुए उसकी चूत में बहुत जोर के धक्के मारने लगा।

मैं भी झड़ने के बिल्कुल करीब थी। मैंने प्रवीण से कहा- “देखा तुम्हारी बीवी की चूत से पानी निकल गया। अब तुम मेरा पानी निकालो, मुझे जोर-जोर से चोदो, मैं झड़ने वाली हूँ...”

मेरी बात सुनकर प्रवीण मेरी चूत में अपना पूरा लण्ड अंदर-बाहर करने लगा। मेरी साँसें उखड़ने लगी, मेरा पूरा शरीर कांपने लगा और मेरी चूत प्रवीण के लण्ड पर सिकुड़ने लगी। मेरी आँखें बंद हो गई और मैं आअह्ह...ओह्ह... करते हुए मेरी चूत का पानी प्रवीण के लण्ड को भिगोने लगा। मेरी चूत से न जाने कितनी देर तक पानी निकलता रहा और मेरा पूरा शरीर अनोखे मजे के अहसास से काँप रहा था।

कुछ देर बाद मेरी चूत से पानी निकलना खतम हुआ और मैंने नार्मल होते हुए अपनी आँखें खोली। मैं यह देखकर हैरान रह गई की मोहित राधा को उल्टा करके चोद रहा था और उसकी एक उंगली राधा की गाण्ड में थी, और वो उसकी चूत में अपना लण्ड डालकर जोर-जोर से चोद रहा था।

राधा के मुँह से जोर की सिसकियां निकल रही थी। अचानक मोहित ने अपनी उंगली निकालकर राधा की गाण्ड में दो उंगलियां घुसा दी, तो ऊईए... आह्ह्ह... करके राधा छटपटाने लगी।
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मोहित उसके छटपटाने की परवाह ना करते हुए अपनी दोनों उंगलियां उसकी गाण्ड में डाले हुए उसे चोदने लगा। राधा का छटपटाना कुछ ही देर में बंद हो गया। अब मोहित उसे चोदते हुए अपनी दोनों उंगलियों को भी धीरेधीरे उसकी गाण्ड में फिराने लगा। राधा को भी अब दर्द की बजाए मीठा मजा आने लगा और वो चीखने की बजाए मजे से सिसकने लगी।

प्रवीण अपना लण्ड मेरी चूत से निकालकर सीधा लेटे हुए अपनी पत्नी को देख रहा था। अपनी पत्नी की । सिसकियां सुनकर वो गर्म होने लगा, और मेरा हाथ पकड़ते हुए अपने लण्ड पर रख लिया। मैं अपने हाथ से उसके लण्ड को सहलाने लगी, और मोहित की तरफ देखने लगी।


मोहित अपनी दोनों उंगलियां बहुत जोर से राधा की गाण्ड में अंदर-बाहर करने लगा। राधा अपनी चूत में उसका लण्ड और अपनी गाण्ड में उसकी दो उंगलियां महसूस करके मजे से हवा में उड़ने लगी। उसकी साँसें बहुत जोर से चल रही थी वो झड़ने के बिल्कुल करीब थी।

मैं यह सब देखकर बहुत गर्म हो गई। प्रवीण भी अपनी पत्नी को ऐसे चुदते हुए देखकर बहुत गर्म हो चुका था, और उसका लण्ड तनकर वीर्य की कुछ बूंदें बहा रहा था। मैंने उठकर प्रवीण के लण्ड को अपने मुँह में भर लिया। उसका लण्ड मेरे मुँह में जाते ही फनफनाने लगा और प्रवीण मेरे बालों में हाथ डालकर अपने लण्ड पर दबाने लगा।\

राधा का पूरा शरीर काँपने लगा, मजे से उसकी आँखें बंद हो गई और “आअह्ह्ह..” करते हुए राधा झड़ने लगी।

मोहित राधा को झड़ता हुआ देखकर बहुत जोर के धक्के लगाता हुआ अपनी दोनों उंगलियों को उसकी गाण्ड में चारों और घुमाने लगा। राधा तो झड़ने का मजा ले रही थी, उसे उस वक़्त अपनी गाण्ड की कोई फिकर नहीं थी। मोहित ने अपनी उंगलियों से उसकी गाण्ड को अच्छी तरह से खोलने के बाद अपनी उंगलियों को उसकी गाण्ड से निकालकर अपना लण्ड उसकी चूत से निकालते हुए उसकी गाण्ड पर टिका दिया। राधा कुछ समझ पाती इससे पहले ही मोहित ने अपने लण्ड को एक जोर का धक्का मार दिया।

राधा चीखी- “ऊईए माआ... फट गई मेरी गाण्ड... ऊहह... मेरी गाण्ड में क्यों डाला?" मोहित का आधा लण्ड राधा की गाण्ड को चीरता हुआ अंदर घुस गया और वो दर्द के मारे छटपटाने लगी।

प्रवीण अपनी पत्नी की गाण्ड में लण्ड देखकर हैरान रह गया। उसने आज तक अपनी पत्नी की गाण्ड नहीं मारी थी। उसने मेरे मुँह से अपना लण्ड निकालकर मुझे उल्टा लेटा दिया और इससे पहले की मैं कुछ समझ पाती उसने अपना लण्ड मेरी गाण्ड पर रखते हुए एक करारा धक्का मार दिया।

धन्नो के मुँह से- “ऊह्ह.. आह्ह्ह...” की चीख निकल गई। प्रवीण का आधा लण्ड मेरी गाण्ड में गायब हो चुका था। वैसे तो मैं अपनी गाण्ड कई दफा मरवा चुकी थी, मगर इतने दिनों बाद लण्ड लेने में तकलीफ हो रही थी।

मोहित राधा के छटपटाने की परवाह ना करते हुए अपने आधे लण्ड से ही उसे हल्के धक्कों के साथ चोदने लगा। कुछ ही देर में राधा की चीखें सिसकियों में तब्दील होने लगी। मोहित राधा की गाण्ड में अपना लण्ड अंदर-बाहर करते हुए अपने हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा।

प्रवीण अपने आधे लण्ड से ही मेरी गाण्ड में धक्के लगाने लगा। प्रवीण ने मेरी गाण्ड को चोदते हुए अचानक दो तीन जोर के धक्के मारकर अपना पूरा लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा दिया।
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मैं- “ऊईई... आअह्हह... तुम्हारा बहुत बड़ा है, मेरी गाण्ड फाड़ दी, निकालो...” यह कहकर मैं छटपटाने लगी। मेरी गाण्ड में बहुत दर्द और जलन हो रही थी। मुझे ऐसा महसूस हो रहा की किसी ने मेरी गाण्ड में कोई लोहे का बड़ा सरिया डाल दिया हो।

प्रवीण मुझे छटपटाता हुआ देखकर डर गया और अपना पूरा लण्ड मेरी गाण्ड में डाले हुए ही बिना हिले अपनी पत्नी को देखने लगा।

मोहित अब बहुत तेजी के साथ राधा की गाण्ड में अपना लण्ड अंदर-बाहर कर रहा था और वो हर धक्के के साथ अपना लण्ड थोड़ा सा और अंदर सरकाने लगा। राधा मोहित के हर धक्के के साथ कांप उठती और उसके मुँह से हल्की चीख निकल जाती। मोहित का लण्ड अभी दो इंच बाहर था, और वो अंदर नहीं घुस रहा था। मोहित ने । अपने लण्ड को थोड़ा सा बाहर खींचकर एक बहुत जोर का धक्का मार दिया, तो मोहित का लण्ड राधा की गाण्ड को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया, और उसकी गाण्ड से खून की कुछ बूंदें निकलने लगी।

राधा- “ओई माँ मर गई... ऊह्ह... तुम्हारा बहुत मोटा और बड़ा है, निकालो मेरी गाण्ड फट गई है, मुझे बहुत दर्द हो रहा है...”

मोहित अपना पूरा लण्ड राधा की गाण्ड में डाले हुए अपने एक हाथ से उसकी चूत के दाने को सहलाते हुए बोला- “शांत हो जाओ, पूरा घुस गया है अब तुम्हें दर्द नहीं होगा। तुम्हारे चूतड़ हैं भी इतने मस्त हैम की देखते ही तुम्हारी गाण्ड मारने का मन करता है...”

राधा ने मोहित की बात सुनकर छटपटाना खतम कर दिया और मोहित ने धीरे-धीरे उसकी गाण्ड को चोदना शुरू कर दिया। राधा के मुँह से अभी तक हल्की चीखें निकल रही थीं। कुछ ही देर के बाद राधा के मुँह से चीखों के बजाए सिसकियां निकलने लगी।

मैं राधा की सिसकियां सुनकर गरम हो गई और प्रवीण के लण्ड पर अपने चूतड़ हिलाने लगी। प्रवीण बिल्कुल अनाड़ी था, मेरे चूतड़ों के हिलाने पर वो घबरा गया और पूछने लगा- “तुम्हें दर्द हो रहा क्या?”

मैंने गुस्से से उसे कहा- “अपना लण्ड मेरी गाण्ड में अंदर-बाहर करो, मुझे दर्द बिल्कुल नहीं हो रहा है...”

प्रवीण मेरी बात सुनकर अपना लण्ड मेरी गाण्ड में अंदर-बाहर करने लगा। उसका लण्ड मोहित से बड़ा था इसीलिए उसके हर धक्के के साथ मेरे मुँह से चीख निकल जाती। मुझे उसका लण्ड अपनी गाण्ड में से होता हुआ बहुत अंदर तक महसूस हो रहा था, और उसके लण्ड की रगड़ मेरी गाण्ड में से होते हुए अपनी चूत तक महसूस हो रही थी। प्रवीण अब अपना पूरा लण्ड निकालकर मेरी गाण्ड में डाल रहा था और मैं मजे के मारे हवा में उड़ने लगी। प्रवीण के हर धक्के के साथ मैं अपने चूतड़ पीछे धकेलते हुए उससे ताल से ताल मिलाने लगी।

मोहित भी अब राधा की गाण्ड में बहुत जोर के धक्के मार रहा था और वो राधा की गाण्ड को चोदते हुए अपनी उंगली से उसकी चूत को सहलाने लगा। राधा के मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थी और वो बहुत जोर से हाँफ रही थी। मोहित समझ गया की वो झड़ने वाली है, इसीलिए मोहित उसकी गाण्ड में अपना लण्ड बहुत तेजी के साथ अंदर-बाहर करते हुए राधा की चूत के दाने को मसलने लगा।

राधा का जिम मोहित का हाथ अपनी चूत पर महसूस करते ही अकड़ने लगा और वो- “आअह्ह्ह... ओहह...” करते हुए झड़ने लगी।


मोहित ने राधा को झड़ता हुआ देखकर एक उंगली उसकी चूत में डालकर उसकी गाण्ड में बहुत तेजी के साथ धक्के लगाते हुए झड़ने लगा।

मैं इतनी देर से प्रवीण के लंबे लण्ड से अपनी गाण्ड मरवाते हुए बहुत गरम हो गई थी, मैं झड़ने के बिल्कुल करीब थी। मेरा पूरा बदन अकड़ने लगा और मैंने मजे से आँखें बंद कर ली, और- “आअह्ह्ह ... इस्स्स्स ...” करते हुए मैं झड़ने लगी।
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मैंने झड़ते हुए अपनी चूत के साथ अपनी गाण्ड को भी सिकोड़ लिया। मेरी गाण्ड के सिकोड़ते ही प्रवीण भी हाँफते हुए मेरी गाण्ड में अपना वीर्य भरने लगा। प्रवीण के लण्ड से ना जाने कितनी देर तक वीर्य निकलकर मेरी गाण्ड को भरता रहा। प्रवीण का लण्ड मेरी गाण्ड में अपना वीर्य भरने से सिकुड़कर मेरी गाण्ड से निकल गया। जब मैंने अपनी आँखें खोली तो राधा की गाण्ड में से मोहित के लण्ड का वीर्य और थोड़ा सा खून साथ में निकल रहा था। मोहित राधा की गाण्ड से अपना लण्ड निकालकर बर्थ पर लेट गया था।


मैं भी उठते हुए राधा के पास चली गई और नजदीक से उसकी गाण्ड से निकलते हुए वीर्य को देखने लगी। राधा की गाण्ड सच में बहुत भरी हुई और खूबसूरत थी। मैंने अपना हाथ बढ़ाकर राधा को सीधा कर दिया और उसकी टाँगों को फैलाते हुए अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया। मैंने राधा की चूत को सहलाते हुए अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। राधा मुझे घूरकर देख रही थी।

मैंने अपनी उंगली को कुछ देर उसकी चूत में अंदर रखने के बाद अपनी उंगली को निकालते हुए अपने मुँह के पास ले आई और राधा की चूत के रस को सँघने लगी। मुझे अपनी उंगली से भीनी-भीनी सी खुश्बू आने लगी। यह खुश्बू राधा और मोहित के मिले जुले पानी की थी। मुझे वो गंध बहुत अच्छी लगी। मैं अपनी उंगली को अपने मुँह में डालकर चाटने लगी।

राधा मुझे बहुत गौर से देख रही थी। मेरी आँखें अपनी उंगली को चाटते हुए बंद हो गई। मैं कुछ देर तक अपनी उंगली को चाटने के बाद अपनी आँखें खोलते हुए नीचे झुकी और अपना मुँह राधा की चूत के पास लेजाकर उसकी चूत की गंध सँघने लगी। मेरी साँसे अपनी चूत के इतना करीब महसूस करके राधा की साँसें भी उखड़ने लगी और वो फिर से गरम होने लगी।

मैं कुछ देर तक उसकी चूत की महक सँघने के बाद अपनी जीभ निकालकर उसकी झांटों को अपने हाथों से दूर करते हुए उसकी चूत की फांकों पर फिराने लगी। मेरी जीभ अपनी फांकों पर महसूस करते ही राधा के मुँह से । आह्ह्ह... की एक बड़ी सिसकी निकल गई। मैं अपनी जीभ से उसकी फांकों को चाटते हुए अपनी जीभ को थोड़ा सा कड़ा करते हुए उसकी चूत में डाल दिया।

राधा- “आह्ह्ह... इस्स्स...” करते हुए राधा ने मेरे सिर में अपना हाथ डाल दिया और अपनी चूत पर दबाने लगी।

मैं अपनी जीभ से ही राधा की चूत को चोदने लगी। मैंने अपनी जीभ को अंदर-बाहर करते हुए उसकी चूत की फांकों को अपने मुँह में भर लिया और बहुत जोर से उन्हें चूसने लगी। राधा अपनी फांकों को पूरा मेरे मुँह में महसूस करके बहुत जोर से काँपने लगी, उसका सारा शरीर अकड़ने लगा और उसका बदन झटके खाने लगा।

...” करते हुए वो अपने चूतड़ मेरे मुँह पर उछालने मजे से उसकी आँखें बंद हो गई- “ऊहह... आह्ह्ह ... इस्स्स्स लगी और उसकी चूत से पानी की नदियां बहने लगी।

मैं राधा की चूत से निकलता हुआ पानी जितना हो सकता था अपनी जीभ से चाटने लगी। कुछ देर तक उसका पानी चाटने के बाद मैंने अपना मुँह राधा की चूत से हटाया। राधा की आँखें अभी तक बंद थी और उसकी चूत सूजकर लाल हो गई थी। मैं जैसे ही वहाँ से उठी, प्रवीण और मोहित के लण्ड खड़े हो चुके थे और वो दोनों अपने हाथों से अपने लण्डों को सहला रहे थे।

मुझे उठता हुआ देखकर मोहित ने मुझे दबोच लिया और मेरे होंठों को चूसते हुए बर्थ पर मुझे उल्टा कुतिया की तरह लेटा दिया। मोहित ने जल्दी से अपना लण्ड मेरी गाण्ड पर रखा और एक धक्के में पूरा अंदर डालकर बहुत जोर-जोर से मेरी गाण्ड मारने लगा। मोहित इतनी जोर से मेरी गाण्ड मार रहा था की उसके हर धक्के के साथ मेरे मुँह से चीखें निकल रही थी। प्रवीण यह सब देखकर बहुत गर्म हो गया और मेरे करीब आते हुए मेरी गोरी चूचियों को सहलाने लगा।

मोहित ने अचानक मेरी कमर में हाथ डालते हुए अपने साथ बर्थ पर लेटा दिया। मोहित का लण्ड मेरी गाण्ड में ही था, उसके लेटने से मैं उसके ऊपर हो गई मगर मेरी पीठ मोहित के सीने पर थी और मेरी टाँगें खुली होने की वजह से मेरी चूत ऊपर उठकर प्रवीण के सामने आ गई।

मोहित ने प्रवीण को कहा- “उठाओ साली की टाँगें और घुसाओ अपना लण्ड उसकी चूत में...”

मैंने ख्वाब में भी नहीं सोचा था की एक साथ मेरे दोनों छेदों में लण्ड होंगे। मैं मोहित की बात सुनकर बहुत उत्तेजित हो गई थी। प्रवीण कभी मुझे तो कभी मोहित को देख रहा था।

मोहित ने कहा- “आओ डर क्यों रहे हो? उठाओ इसकी टाँगें इसे कुछ नहीं होगा...”

प्रवीण डरते-डरते बर्थ पर आ गया और मेरी टाँगों को उठाकर घुटनों तक मोड़ते हुए मेरे पेट पर रख दिया।

मोहित का लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा हुआ था और दूसरा लण्ड मेरी चूत में घुसने वाला था। मेरा पूरा शरीर अंजाने मजे और डर के अहसास के साथ काँप रहा था और मेरी चूत में से पानी की बूंदें निकल रही थी। प्रवीण अपने लण्ड को अपने हाथ से पकड़ते हुए मेरी चूत पर रगड़ने लगा।

प्रवीण के लण्ड की रगड़ से मेरे पूरे शरीर में अजीब किस्म की सिहरन दौड़ने लगी, और मेरे मुँह से- “आअह्ह्ह... घुसाओ ना क्यों तड़पा रहे हो..” निकल गया।
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प्रवीण मेरे मुँह से यह सुनकर बहुत उत्तेजित होते हुए अपने हाथ से मेरी चूत की फांकों को अलग करते हुए अपना लण्ड मेरी चूत के छेद पर रख दिया और मेरी टाँगों को अपने हाथों से पकड़ते हुए एक जोर का धक्का मार दिया।

ऊईई.. इस्स्स्स
...” दर्द और मजे के मिले जुले अहसास के साथ मेरे मुँह से एक चीख निकल गई।

प्रवीण का आधा लण्ड मेरी चूत में घुस चुका था। प्रवीण अपने आधे लण्ड को ही मेरी चूत में अंदर-बाहर करने लगा। मोहित चुपचाप अपना पूरा लण्ड डाले हुए लेटा हुआ था। अपने हाथों से मेरी चूचियों से खेल रहा था।

अपनी गाण्ड और चूत में दो-दो लण्डों की रगड़ के अहसास से मेरा पूरा शरीर मजे और दर्द के अहसास से पशीने में भीग चुका था और मेरी साँसें बहुत तेजी के साथ ऊपर-नीचे हो रही थीं। एक अनोखे मजे के अहसास से मेरा पूरा शरीर काँप रहा था। मेरे पूरे शरीर में चींटियां रेगने लगी और मेरा पूरा शरीर अकड़ने लगा। मुझे आज तक अपनी चुदाई में इतना ज्यादा मजा कभी नहीं आया था, जितना आज आ रहा था। इस अनोखे मजे के अहसास के साथ मेरी आँखें बंद होने लगी और मेरे पूरे शरीर की ताकत मेरी चूत में भर गई।

मेरी चूत में जैसे आग लग चुकी थी- आअह्ह... इस्स्स्स ऊहह...” करते हुए मेरी चूत से पानी की नदियां बहने लगी। मेरी चूत से पानी निकलते वक़्त मुझे अपनी जिंदगी का सबसे अनोखा और बेहतरीन मजा महसूस हो रहा था जैसे मैं किसी स्वर्ग में पहुँच चुकी थी। मेरी चूत से न जाने कितनी देर तक पानी बहता रहा। जितनी देर तक मेरी चूत से पानी निकलता रहा मैं एक नई मजे की दुनियां का सैर करने लगी। जब मैंने अपनी आँखें खोली तो मेरी आँखों में अभी तक उस मजे का खुमार था।

प्रवीण ने अब अपने लण्ड को बहुत जोर से अंदर करते हुए मेरी चूत में पूरा घुसा दिया। मेरी चूत गीली होने की वजह से मुझे कोई खास दर्द नहीं हुआ, और वो अपने पूरे लण्ड के साथ मुझे चोदने लगा। प्रवीण के कुछ धक्कों के बाद उसका लण्ड मेरी चूत में बिल्कुल सेट हो गया। मोहित भी मेरी गाण्ड में अपने लण्ड से हल्के-हल्के धक्के देने लगा, पर उसे धक्के लगाने में तकलीफ हो रही थी। कुछ ही देर में वो दोनों अपने लण्डों को एक साथ अंदर-बाहर करने लगे।

प्रवीण जैसे ही अपने लण्ड को मेरी चूत से बाहर निकलता मोहित अपने लण्ड को मेरी चूत में डाल देता और प्रवीण के लण्ड को अंदर घुसाते ही मोहित अपने लण्ड को बाहर कर देता। मैं उन दोनों के बीच में फिर से मजे के महासागर में डुबकियां लगाने लगी। मेरे मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थी।

राधा हम तीनों को देखकर फिर से गर्म हो गई।

8-10 धक्कों के बाद ही मेरा शरीर फिर से अकड़ते हुए झटके खाने लगा और मजे से मेरी आँखें बंद होने लगी, और आअहहह... करते हुए मैं झड़ने लगी। इस बार झड़ते हुए मोहित और प्रवीण बहुत जोर-जोर से मेरे दोनों छेदों में अपने लण्ड अंदर-बाहर करने लगे, जिससे मेरे पूरे शरीर में मजे का अहसास होने लगा। दोनों के बीच में पिसते हुए मुझे बहुत मजा और खुमार चढ़ गया था। कुछ देर बाद जब मैंने आँखें खोली तो वो दोनों अब भी मेरी चुदाई कर रहे थे।

अब दो बार झड़ने के बाद मेरा पूरा शरीर दुख रहा था और मेरे दोनों छेदों में जलन हो रही थी। मैंने मोहित से कहा- “मुझे छोड़ो, मेरे दोनों छेदों में बहुत जोर की जलन हो रही है...”

मोहित ने कहा- “साली अपना काम निकालकर अब कह रही है की मुझे छोड़ो...”

मैंने कहा- “राधा भी तो खड़ी है उस चोदो। बेचारी कब से यूँ ही हमें देख रही है...”

मोहित राधा का नाम सुनकर शांत हो गया और प्रवीण को मेरे ऊपर से उठने को कहा। प्रवीण ने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाल दिया। उसका लण्ड मेरी चूत के रस से भीगा हुआ था।
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मैं यह देखकर हैरान रह गई की राधा जल्दी से आकर प्रवीण का लण्ड अपनी मुट्ठी में पकड़ते हुए अपनी जीभ से उसे चाटने लगी और प्रवीण के पूरे लण्ड को अपनी जीभ से साफ कर दिया।

मोहित ने प्रवीण को कहा- “अब तुम नीचे लेट जाओ...”

प्रवीण के बर्थ पर लेटते ही मोहित ने राधा को अपनी दोनों टाँगें फैलाकर प्रवीण के लण्ड पर बैठने को कहा। राधा प्रवीण के लण्ड पर बैठकर उसके लण्ड पर अपनी चूत को ऊपर-नीचे करने लगी। राधा का मुँह प्रवीण की तरफ था। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मोहित ने अचानक राधा को उसके लण्ड पर शांत बैठने को कहा और खुद राधा के पीछे जाते हुए उसके सिर को पकड़कर प्रवीण के सीने तक झुका दिया। इस पोजीशन में प्रवीण का लण्ड राधा की चूत में पूरा अंदर था और उसकी गाण्ड बिल्कुल उठकर मोहित के सामने आ गई।

मोहित ने मुझे अपने पास बुलाकर अपने लण्ड को मेरे मुँह में ठूसकर थूक से गीला कर दिया और खुद अपनी जीभ से राधा की गाण्ड को चाटते हुए गीला कर दिया। राधा के मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थी। मोहित ने अपने लण्ड को राधा की गाण्ड पर रखते हुए दो तीन धक्के मारकर उसकी गाण्ड में अपना पूरा लण्ड घुसा दिया। दर्द से राधा के मुँह से ऊईए... आअहहह... की चीखें निकल गई। मगर मोहित उसकी परवाह ना करते हुए उसकी गाण्ड में अपना लण्ड बहुत तेजी के साथ अंदर-बाहर करने लगा।

कुछ ही देर में राधा की चीखें सिसकियों में बदलने लगी और वो मजे की एक नई दुनियां में पहुँच गई। राधा को अपनी गाण्ड में लण्ड अंदर-बाहर होते हुए प्रवीण के लण्ड से रगड़ खा रहा था, जिस वजह से राधा को अपनी चूत में बहुत जोर की रगड़ मिल रही थी और वो मजे से सिसक रही थी। कुछ ही देर में उसका बदन अकड़ने लगा और वो अपनी आँखें बंद करके मोहित के लण्ड की रगड़ का मजा लेने लगी।

आहहह...” करते हुए राधा झड़ने लगी। राधा झड़ते वक़्त अपने चूतड़ बहुत जोर से हिलाने लगी। राधा की चूत से पानी निकलने लगा और प्रवीण का लण्ड उसकी चूत में थोड़ा से ढीला हो गया, जिस वजह से प्रवीण भी नीचे से उसकी चूत में धक्के लगाने लगा।

राधा दोनों लण्डों को अपनी चूत और गाण्ड में एक साथ अंदर-बाहर होते हुए महसूस करके मजे से किसी दूसरी दुनियां में पहुँच गई। कुछ देर बाद उसने अपनी आँखें खोली। उसका झड़ना खतम हो गया था मगर प्रवीण और मोहित बहुत तेजी के साथ उसकी चूत और गाण्ड में अपने लण्डों को अंदर-बाहर कर रहे थे। कुछ ही धक्कों के बाद राधा का जिश्म फिर से तपने लगा और वो अपने चूतड़ों को हिलाने लगी।

प्रवीण और मोहित भी झड़ने के करीब थे इसीलिए वो तूफान की रफ़्तार के साथ राधा के दोनों छेदों में अपने लण्डों को अंदर-बाहर करने लगे। अपने दोनों छेदों में इतने जोर की चुदाई से राधा के मुँह से चीखें निकलने लगी

और उसका पूरा शरीर काँपने लगा। प्रवीण और मोहित हाँफते हुए राधा की चूत और गाण्ड को अपने वीर्य से भरने लगे।
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दोनों लण्डों से एक साथ अपने दोनों छेदों में वीर्य महसूस करके राधा की चूत ने भी रोना शुरू कर दिया और वो मजे के महासागर में इबिकयां लगाते हए- “ऊहह.. आअह्ह..." करते हुए झड़ने लगी।

कुछ देर तक वो तीनों अपनी आँखें बंद किए मजे से अपने झड़ने का मजा लेते रहे और फिर प्रवीण और मोहित ने राधा के दोनों छेदों से लण्ड निकालते हुए वहाँ से उठकर बर्थ पर ढेर हो गये। राधा भी कुछ देर वहाँ पर पड़े रहने के बाद उठकर बाथरूम में चली गई और बाथरूम से लौटकर अपने कपड़े पहनकर बर्थ पर जाकर लेट गई। उसके लेटते ही प्रवीण भी जाकर अपनी बर्थ पर लेट गया। मैं भी बाथरूम से लौटकर ऊपर जाकर लेट गई। मोहित भी थक चुका था, वो भी ऊपर जाकर दूसरी बर्थ पर सो गया।
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करुणा जिसका किसी को भी खयाल नहीं था, वो जाग रही थी और इतनी देर से हमारी चुदाई देखकर अपनी चूत में उंगली डालकर दो दफा पानी निकाल चुकी थी। मगर उंगली से उसकी आग ठंडी होने की बजाए और बढ़ गई थी। करुणा अपनी चूत को लण्ड का मजा देना चाहती थी। मगर मोहित और प्रवीण थक कर सो चुके थे। करुणा प्रवीण का लण्ड देखकर बहुत गरम हो चुकी थी और उसे अपनी चूत में जोर की खुजली हो रही थी की तभी दरवाजा खटकने की आवाज आई।

करुणा ने उठकर दरवाजा खोला तो सामने टिकेट चेकर था। करुणा उसे गुस्से से देखते हुए बोली- “क्या चाहिये टिकट तो आप चेक करके गये थे?"

टिकेट चेकर करुणा को ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोला- “मेमसाहब एक बोगी में आग लग गई थी, जिसे बुझा दिया गया है मगर उस बोगी की सारी सीटें जल गई हैं, इसीलिए वहाँ के सारे पैसेंजर्स को दूसरी बोगियों में शिफ्ट किया है। मगर एक लड़का बच गया है। आप अगर बुरा ना माने तो सुबह तक उसे अपनी बोगी में ठहरने की इजाजत दें...”

करुणा ने कहा- “कौन है वो?”

तभी उस टिकेट चेकर के पीछे से एक हैंडसम लड़का निकलते हुए बोला- “हेलो मेरा नाम मनीष है..." और उसने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया।

करुणा ने उसका कोई जवाब दिए बगैर कहा- “अंदर आ जाओ..."

मनीष अपना बैग उठाता हुआ अंदर आ गया, और टिकेट चेकर वहाँ से चला गया। करुणा ने उसके अंदर आते ही दरवाजा बंद कर लिया, वहाँ पर ऊपर वाली बर्थ पर मोहित और मैं सो रहे थे इसीलिए वो लड़का नीचे वाली एक खाली बर्थ पर बैठ गया और अपना सामान भी वहीं रख दिया।

मनीष ने सामान रखने के बाद करुणा से पूछा- “आपका नाम क्या है?”

करुणा ने गुस्से में कहा- “क्यों कोई काम है?”

मनीष ने फिर से सवाल करते हुए कहा- “आप इतने गुस्से में क्यों हैं? आपने मुझे यहाँ रहने की इजाजत दी। क्या मैं आपका नाम भी नहीं पूछ सकता?”

करुणा ने मनीष की बात सुनकर कुछ ठंडा होते हुए बोली- “मेरा नाम करुणा है...”

मनीष ने करुणा की बात सुनकर कहा- “बहुत प्यारा नाम है। जितनी खूबसूरत आप हैं उतना ही आपका नाम...”

करुणा मनीष की बात सुनकर शर्मा गई (दोस्तों यही एक कमजोरी हर औरत की होती है जरा सी किसी ने तारीफ की नहीं और वो शर्माने लगती हैं और मन ही मन में लड्डू फूटने लगाते हैं) और शर्माते हुए कहा“बैंक्स..."

मनीष ने करुणा से कहा- “आपको बुरा लग रहा हो तो भले सो जाओ। क्या है की मुझे बात करने की बीमारी है। जब तक नींद नहीं आती, जो साथ में होता है उससे बातें करता रहता ह..."

करुणा ने कहा- “नहीं मुझे अभी नींद नहीं आ रही है जब आएगी तो खुद ही सो जाऊँगी..” करुणा ने अचानक उठते हुए मनीष से कहा- “मैं एक मिनट में आती हूँ..” और अपने बैग से एक नाइट सूट निकालते हुए बाथरूम में चली गई।

करुणा बाथरूम में आकर अपने पूरे कपड़े ब्रा और कच्छी के अलावा उतारकर सिर्फ वो नाइट सूट पहन लिया। करुणा का गोरा जिम उस पतले से नाइटगाउन में चमक रहा था, और करुणा ने उस हैंडसम मनीष को अंदर रहने की इजाजत भी अपनी गर्मी उतारने के लिए ही दी थी।

मनीष को करुणा बहुत अच्छी लगी थी। उसने कभी किसी लड़की को चोदा नहीं था बिल्कुल कुँवारा था, मगर अब वो अपने लण्ड से तंग हो चुका था। किसी खूबसूरत लड़की को देखा नहीं और खड़ा हो गया। इसीलिए मनीष ने सोच लिया था की अब वो किसी ना किसी लड़की को चोदकर रहेगा। मगर उसके ख्वाब में भी यह खयाल नहीं था की उसके कुँवारे लण्ड को करुणा जैसी खूबसूरत और कमसिन लड़की मिलेगी। मनीष ने अपनी शर्ट के बटन खोल दिए थे। उसे अपनी शर्ट उतारकर सोने की आदत थी। मगर यहाँ पर वो अपनी शर्ट उतारने से डर रहा था। थोड़ी देर बाद जब करुणा बाथरूम से निकली तो मनीष के रोंगटे खड़े हो गये। उसका मुँह करुणा को देखकर खुला का खुला रह गया।

करुणा अपनी बर्थ पर आकर बैठ गई और मनीष को अपनी तरफ गौर से देखते हुए मन ही मन में खुश होते हुए बोली- “मुझे नाइट सूट पहनकर सोने की आदत है। अब बातें करते-करते कब आँख लग जाए, इसीलिए मैंने नाइट सूट पहन लिया..."

* * * * * * * * *
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*करुणा और मनीष की चुदाई ट्रेन में

मनीष ने करुणा की बात सुनकर होश में आते हुए कहा- “जी सही है मुझे भी कपड़े उतारकर सोने की आदत है, मगर आपकी वजह से मैं अपनी शर्ट और पैंट नहीं उतार सकता..." यह बात कहते हुए मनीष का लण्ड उसके अंडरवेर में पूरा तनकर ठुमके मार रहा था।

करुणा ने मनीष की बात को सुनने के बाद जानबूझ कर अपनी टाँग को उठाते हुए अपनी दूसरी टाँग पर रख दिया। ऐसा करते वक़्त उसका नाइट सूट थोड़ा ऊपर हो गया। और मनीष को उसकी गोरी चिकनी टाँगों के बीच उसकी छोटी सी कच्छी नजर आ गई। मनीष करुणा की नंगी टाँगों और उसकी टाँगों के बीच छोटी सी कच्छी को देखकर बहुत गर्म हो चुका था।

करुणा ने मनीष से कहा- “आप अपने कपड़े उतार दो, मुझे कोई ऐतराज नहीं है...”

मनीष ने करुणा की बात सुनकर अपनी शर्ट को उतार दिया। मगर अपनी पैंट नहीं उतारी क्योंकी उसका लण्ड पूरी तरह से तना हुआ था। अगर वो पैंट उतार देता तो करुणा को उसके अंडरवेर का उभार साफ नजर आ जाता। मनीष की शर्ट उतरते ही करुणा उसके गोरे हल्के बालों वाले सीने को देखकर सिहर उठी।

करुणा का दिल कर रहा था की अभी अपना नाइट सूट उतारकर मनीष को अपनी बाहों में भर ले, मगर वो ऐसा नहीं कर सकती थी। करुणा ने आराम से लेटे हुए अपनी बाहों को ऊपर उठा लिया और अपनी चूचियों को आगे की तरफ करते हुए अलसाने लगी।

करुणा की चूचियां अलसाने की वजह से बाहर की तरफ निकलकर उसके पतले नाइट सूट से ही उसकी ब्रा में आधी नंगी मनीष को नजर आने लगी। मनीष की हालत खराब होती जा रही थी।

करुणा ने मनीष से कहा- “तुम्हारी बाडी तो बहुत अच्छी है। बाडी बिल्डिंग करते हो क्या?”

मनीष ने हँसते हुए कहा- “मैं बाडी बिल्डिंग नहीं करता, मगर कसरत जरूर करता हूँ अपनी बाडी को फिट रखने के लिए..”

करुणा को एक आइडिया आया। वो जानती थी की उसे पतले नाइट सूट में देखकर मनीष का लण्ड जरूर उठा होगा, इसीलिए उसने मनीष से कहा- “अपनी पैंट उतारो ना... क्यों शर्मा रहे हो यहाँ पर सभी सो रहे हैं...

मनीष करुणा की बात सुनकर हक्का-बक्का रह गया और करुणा से कहने लगा- “नहीं मैं ऐसे ही ठीक हूँ मुझे कोई परेशानी नहीं हो रही है...”

करुणा ने अपनी टाँग को अपनी दूसरी टाँग से उठाते हुए अपनी दोनों टाँगों को थोड़ा सा फैलाते हुए अपना मुँह बनाते हुए कहा- “आप तो कह रहे थे की आपको कपड़े उतारकर सोने की आदत है?”

मनीष की आँखें करुणा की टाँगों के बीच छोटी सी कच्छी पर टिक गई। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

तभी करुणा ने अपनी टाँगों को आपस में मिला दिया और मनीष से कहा- “बोलो ना कहाँ खो गये?”

मनीष को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसे जन्नत से धक्के देकर निकाल दिया हो। वो हड़हबड़ा कर कहने लगाआप नाराज मत हों, मैं अभी उतारता हूँ...” मनीष के हाथ अपनी पैंट का बेल्ट खोलते हुए थरथर काँप रहे थे।

करुणा पूरे मजे लेते हुए उसे देख रही थी। करुणा ने अचानक उठते हुए मनीष के पास जाते हुए कहा- “क्या हुआ बेल्ट नहीं खुल रही क्या?”

मनीष ने जैसे ही अपना चेहरा ऊपर किया करुणा की छोटी-छोटी चूचियां उसके चहरे के बिल्कुल सामने थी, उतने नजदीक से करुणा की चूचियों को देखकर मनीष के मुँह में पानी आ गया और उसने करुणा की चूचियों को देखते हुए कहा- “बेल्ट फँस गई है, खुल नहीं रही है...”
करुणा ने कहा- “छोड़ो, मुझे देखने दो...”

मनीष सीधा होकर बैठ गया और करुणा नीचे झुककर उसकी बेल्ट को खोलने लगी। करुणा के नीचे झुकते ही उसकी चूचियां सीधी मनीष के मुँह के पास आ गई और मनीष तेज सांसें लेता हुआ उसकी छोटी-छोटी चूचियों का क्लीवेज देखने लगा।

करुणा मनीष की साँसों को अपनी चूचियों के करीब महसूस कर रही थी। वो मनीष की बेल्ट को जानबूझ कर धीरे-धीरे खोलने लगी। मनीष की बेल्ट उतरते ही करुणा एकदम ऊपर हो गई और उसकी चूची मनीष के होंठों को रगड़ते हुए गई। मनीष अपने होंठों पर करुणा की चूचियों का स्पर्श और करुणा मनीष के होंठों का स्पर्श अपनी चूचियों पर पड़ते ही दोनों के मुँह से एक साथ “आह्ह..” निकल गई। करुणा के सीधे होते ही मनीष ने भी उठते हुए अपनी पैंट में हाथ डालकर उसे नीचे सरका दिया।

पैंट के नीचे सरकते ही मनीष के अंडरवेर का उभार करुणा के आँखों के सामने आ गया, और करुणा मनीष के अंडरवेर के उभार को देखकर समझ गई के उसका लण्ड तगड़ा है।

करुणा ने मनीष के उभार को कुछ देर तक देखने के बाद उससे पूछा- “यह आपने अंडरवेर में क्या डाल रखा है, जो आगे से इतना उभार बन गया है?”
 horseride  Cheeta    
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मनीष करुणा के इस सवाल को सुनकर हैरान रह गया और वो बहुत खुश हुआ की उसे आज बिल्कुल अनछुई लड़की चोदने के लिए मिलेगी। वो समझ रहा था की करुणा को लण्ड के बारे में कोई जानकारी नहीं है। मनीष ने करुणा की तरफ देखते हुए कहा- “वो आपको पता नहीं है की हर मर्द के यहाँ एक लण्ड होता है."

करुणा अंजान बनने का नाटक करते हुए बोली- “मैंने बचपन में देखा था की लड़कों को यहाँ एक छोटी सी नूनी होती है, मगर वो तो बहुत छोटी होती है, और तुम्हारे अंडरवेर में तो कोई बड़ी चीज छुपी है.”

करुणा की बात सुनकर मनीष का लण्ड जोरों से अंडरवेर में ठुमके मारने लगा। मनीष ने अपनी थूक को गटकते हुए कहा- “करुणा, जब लड़का छोटा होता है तो उसके यहाँ छोटी नूनी होती है मगर जब वो बड़ा हो जाता है तो यह नूनी बड़ी होकर लण्ड बन जाती है जिससे मर्द औरत को चोदता है और औरत को बच्चे होते हैं...”

करुणा मन ही मन में मुश्कुरा रही थी पर वो और ज्यादा नाटक करते हुए अपने मुँह पर हाथ रखते हुए बोली

शादी के बाद लड़के इतनी बड़ी नूनी का क्या करते हैं? मैंने तो सुना था की शादी के बाद लड़का लड़की एक दूसरे से प्यार करते तो बच्चा होता है...”

मनीष ने फिर से करुणा को समझाते हुए कहा- “तुमने सही सुना है लड़का लड़की से प्यार ही करता है और प्यार करते हुए अपनी यह नूनी उसकी चूत के छेद में घुसाता है, जिसकी वजह से बच्चे होते हैं..”

करुणा की चूत मनीष की बातें सुनकर रस टपका रही थी मगर वो मनीष को पूरा गरम करना चाहती थी। मनीष की बात सुनकर करुणा ने अपना मुँह फाड़ते हुए कहा- “इतनी बड़ी नूनी, हमारी इतनी सी छोटी चूत में कैसे घुसेगी? तुम मुझसे झूठ बोल रहे हो, मैं नहीं मान सकती...”

मनीष ने करुणा से कहा- “मैं झूठ नहीं बोल रहा हूँ। हर मर्द, औरत की चूत में अपना लण्ड डालकर उसे चोदता है, और औरत को भी इसमें बहुत मजा आता है...”

करुणा ने मनीष की बात सुनने के बाद कहा- “तुम मुझे अपनी नूनी दिखा सकते हो? मैं देखना चाहती हूँ की तुम्हारी नूनी कितनी बड़ी है?"

करुणा की यह बात सुनकर मनीष खुश होते हुए बोला- “हाँ तुम इसे देख सकती हो मगर तुम इसे नूनी नहीं लण्ड कहकर पुकारो...” कहकर मनीष ने जल्दी से अपने अंडरवेर को नीचे सरका दिया।

करुणा मनीष के फनफनाते हुए 84" इंच लंबे और 24 इंच मोटे लण्ड को देखकर अपनी थूक को गटकते हुए बोली- “बाप रे बाप... तुम्हारा लण्ड तो बहुत लंबा और मोटा है यह तो छोटी सी चूत में नहीं जा सकता...”

मनीष के लण्ड का टोपा बिल्कुल गुलाबी था। करुणा अपने बर्थ से उठते हुए मनीष के पास आकर बैठ गई, और उसके लण्ड को नजदीक से देखने लगी। मनीष का लण्ड बहुत जोर से ऊपर-नीचे हो रहा था और उसके लण्ड के छेद में से वीर्य की कुछ बूंदें निकल रही थीं।

करुणा ने मनीष के पास बैठते हुए कहा- “तुम्हारा लण्ड इतना हिल क्यों रहा है, और इसमें से यह सफेद-सफेद क्या निकल रहा है?”

मनीष ने कहा- “मेरे लण्ड से यह जो सफेद निकल रहा है, इसे वीर्य कहते हैं। जब लड़का किसी लड़की को चोदता है तो लड़के के लण्ड से यह वीर्य निकलकर लड़की की चूत में जाता है, तो लड़की को बच्चा होता है और अगर कोई लड़का किसी लड़की से प्यार करने के बारे में सोचे तो यह लण्ड ऐसे ही खुशी में उछलता है...”

करुणा ने कहा- “तुम किससे प्यार करने को सोच रहे हो, जो यह इतना हिल रहा है?”

करुणा की बात सुनकर मनीष ने कहा- “मुझे तुमसे प्यार करना है तुमको देखते ही मुझे तुमसे प्यार हो गया था..."

करुणा ने बनावटी गुसा करते हुए कहा- “तुम तो बिल्कुल बदमाश निकले। एक कमसिन लड़की को अकेला देखकर उससे प्यार करना चाहते हो, मगर मैं तो अभी छोटी हूँ..”
 horseride  Cheeta    
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मनीष ने कहा- “करुणा तुम अब छोटी नहीं रही तुम एक हसीन जवान लड़की हो...”
करुणा ने कहा- “तुम्हें कैसे पता चला की मैं जवान हो चुकी हूँ?”

मनीष ने करुणा की नाइटी के ऊपर से ही उसकी चूचियों पर अपने हाथ रखते हुए कहा- “करुणा हर लड़की की जवानी की निशानी उसकी यह चूचियां होती हैं.”

मनीष का हाथ अपनी चूचियों पर महसूस करके करुणा के मुँह से आअह्हह... निकल गई। मनीष ने अपना हाथ वहाँ से हटाया नहीं बल्की अपने हाथ से करुणा की चूचियों को हल्का सा दबाते हुए कहा- “करुणा देखो तुम्हें यहाँ हाथ लगाने से मजा आ रहा है ना? यही तो जवानी की निशानी है...”

करुणा की आँखें मजे से बंद होने लगी। मनीष ने भी हिम्मत करके करुणा की चूची को अपने हाथ से दबाते हुए अपने दूसरे हाथ से करुणा के सिर को पकड़ते हुए अपने तपते हुए होंठ करुणा के सुलगते हुए गुलाबी होंठों पर रख दिए और करुणा के होंठों का रस पीने लगा। मनीष ना जाने कितनी देर तक करुणा के होंठों को चूसता रहा। करुणा भी अपनी आँखें बंद किए हुए मजे से मनीष से अपने होंठ चुसवाती रही। मनीष ने आज तक किसी लड़की को छुआ भी नहीं था, इसीलिए वो करुणा के होंठों के पहले चुंबन से मजे की दूसरी दुनियां में पहुँच गया था, और जब करुणा की साँसें अटकने लगी तब जाकर मनीष को होश आया और उसने करुणा के होंठों को छोड़ दिया।

करुणा अपने होंठों से मनीष के होंठों के जुदा होने के बाद जोर की साँसें लेने लगी। करुणा की साँसों के साथ उसकी चूचियां भी ऊपर-नीचे होने लगीं, और मनीष का हाथ भी उसकी चूचियों के साथ हिलने लगा।

करुणा ने अपनी साँसों को ठीक करते हुए मनीष से कहा- “आपने तो हमारी जान ही निकाल दी, ऐसे भी भला कोई प्यार होता है? अगर हमारी साँसें बंद हो जाती तो?”

मनीष ने कहा- “सारी जान, मुझे तुम्हारे होंठों का रस इतना अच्छा लगा की मुझे होश ही नहीं रहा...”

करुणा ने मनीष से कहा- “आप तो मेरी चूचियों को पकड़े हुए हैं, क्या मैं आपके लण्ड को अपने हाथ में लेकर महसूस कर सकती हूँ?”

मनीष ने कहा- “यह कोई पूछने की बात है? मेरी हर चीज पर तुम्हारा हक है, जिसे चाहे हाथ लगाओ। मगर आपने तो मुझे नंगा कर दिया, और खुद यह नाइटी भी नहीं उतार सकती...”

करुणा ने शर्माने का नाटक करते हुए कहा- “आप तो सच में बदमाश हैं। हमें शर्म आती है आप ही खुद उतारो...”

मनीष ने करुणा से कहा- “इसमें शर्माने की कौन सी बात है? प्यार में कोई शर्म नहीं होती...” और करुणा को उठाते हुए उसकी नाइटी को उतार दिया।

करुणा की नाइटी के उतरते ही ब्रा और कच्छी में कैद उसका गोरा और चिकना बदन देखकर मनीष के लण्ड से वीर्य की बूंदें निकलने लगी, और उसका लण्ड स्प्रिंग की तरह ऊपर-नीचे होने लगा। करुणा ने अपना हाथ बढ़ाकर मनीष के लण्ड को पकड़ लिया। करुणा का नरम हाथ अपने लण्ड पर महसूस करते ही मजे से मनीष की आँखें बंद हो गई और उसके मुँह से इस्स्स्स ... निकल गया।

करुणा को भी अपना हाथ मनीष के लण्ड पर रखते हुए ऐसा महसूस हुआ जैसे उसका हाथ किसी गरम लोहे पर रख दिया गया हो और उसके मुँह से भी आअह्ह... निकल गया। करुणा का हाथ मनीष के लण्ड पर अपने आप ऊपर-नीचे होने लगा और मनीष के लण्ड से वीर्य की कुछ और बूंदें निकलकर करुणा के हाथ को गीला करने लगी। करुणा अपना हाथ मनीष के लण्ड से उठाते हुए अपनी नाक के पास लेजाकर उसे सँघने लगी और अपना हाथ सँघते हुए उसकी आँखें बंद हो गई। कुछ देर तक अपने हाथ को सँघने के बाद करुणा ने अपनी जीभ निकालकर मनीष के लण्ड से निकल हुए वीर्य से गीले हाथ को चाटने लगी।

मनीष से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, उसने करुणा को अपनी बाहों में भरते हुए उसके होंठों को चूमते हुए बर्थ पर सीधा लेटा दिया, और खुद उसके ऊपर चढ़ गया। मनीष करुणा के होंठों को चूसते हुए नीचे होते हुए उसके कंधे को चूमने लगा।

करुणा को मनीष का लण्ड अपनी कच्छी के ऊपर से ही चूत से टकरा रहा था और मनीष के सख़्त सीने में अपनी चूचियों के दबने से करुणा की चूत से न जाने कितना पानी निकल रहा था। करुणा का अंग-अंग मस्ती में डूब रहा था। उसे अपने सारे जिश्म में एक अंजानी सी गुदगुदी महसूस हो रही थी। करुणा मनीष को कसकर अपनी बाहों से अपनी चूचियों पर दबा रही थी। उसका सारा बदन टूट रहा था वो चाह रही थी की मनीष उसके सारे जिश्म को बहुत जोर से दबाए, चूमे और चाटे। आज तक करुणा को यह अहसास पहले कभी नहीं हुआ था।

मनीष भी करुणा के कंधे को चूमते हुए और नीचे होते हुए उसकी ब्रा में कैद छोटी-छोटी चूचियों पर पहुँच गया, और मनीष ब्रा के ऊपर से ही करुणा की चूचियों को चूमने लगा। मनीष ने करुणा के ऊपर से उठते हुए उसे सीधा बिठा दिया और उसको अपनी बाहों में भरते हुए उसके होंठ चूमने लगा। मनीष ने करुणा के होंठों को चाटते हुए अपने हाथ से उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और उसकी ब्रा को उतारकर करुणा के जिम से अलग कर दिया। करुणा अपनी चूचियों को मनीष के सामने नंगा पाकर शर्म के मारे उसके सीने से लग गई और मनीष के सख़्त सीने से अपनी चूचियों को रगड़ने लगी।

मनीष करुणा को सीधा लेटाते हुए उसके ऊपर आ गया, और अपनी जीभ निकालकर करुणा के मुँह में डाल दी। करुणा भी मनीष की जीभ को चाटते हुए अपनी जीभ को उसके मुँह में डालने लगी, जिसे मनीष जल्दी से। पकड़कर अपने मुँह में भरते हुए चूसने लगा। मनीष कुछ देर तक करुणा की जीभ का स्वाद चूसने के बाद नीचे सरकते हुए अपने होंठों से करुणा के कंधे को चूमते हुए उसकी चूचियों तक आ गया। मनीष कुछ देर तक करुणा की नंगी चूचियों को देखता रहा और फिर अपना मुँह खोलकर उसकी एक चूची के गुलाबी दाने को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा।
 horseride  Cheeta    
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करुणा का पूरा जिश्म काँपने लगा। उसको ऐसा अहसास पहले कभी नहीं हुआ था। करुणा पहले भी कई दफा चुदवा चुकी थी, मगर मनीष के प्यार करने का अंदाज करुणा को पागल बना रहा था। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की उसके साथ क्या हो रहा है?

मनीष करुणा की चूची को चूसते हुए अपना हाथ नीचे लेजाकर उसकी कच्छी के ऊपर रख दिया। करुणा अपनी चूत पर कच्छी के ऊपर से मनीष का हाथ महसूस करके सिहर उठी और उसकी चूत से पानी बहने लगा। करुणा का पूरा जिश्म झड़ते वक़्त काँप रहा था। वो खुद समझ नहीं पा रही थी की मनीष के हाथों में क्या जादू है? मनीष ने जैसे ही करुणा की कच्छी पर हाथ रखा उसे वहाँ गीलापन महसूस हुआ, पर अचानक वो गीलापन और बढ़ने लगा।

करुणा की चूत पहले से ही पानी बहा रही थी, और झड़ने की वजह से उसकी कच्छी पूरी गीली हो चुकी थी। मनीष करुणा की गीली कच्छी पर अपने हाथ फिराते हुए उसकी चूची का मीठा रस पीने लगा। मनीष अब बारीबारी करुणा की दोनों चूचियों के दाने को चूस रहा था। करुणा मजे के मारे जोर से सिसक रही थी। मनीष अब और नीचे होते हुए करुणा के चिकने पेट पर अपनी जीभ फिराते हुए उसकी नाभि को चाटने लगा। करुणा का मजे और गुदगुदी के मारे बुरा हाल था। वो अपना सिर इधर-उधर पटक रही थी। मनीष करुणा की नाभि पर अपनी जीभ को फिराता हुआ उसकी गीली कच्छी तक आ गया।

मनीष कुछ देर तक अपनी नाक से करुणा की कच्छी की गंध सँघने के बाद अपनी जीभ को करुणा की कच्छी पर रखते हुए उसे ऊपर से नीचे तक चाटने लगा। करुणा मनीष की जीभ को अपनी कच्छी के ऊपर से ही अपनी चूत पर महसूस कर रही थी, और बहुत जोर से सिसक रही थी। मनीष कुछ देर तक करुणा की कच्छी को चाटने के बाद अपने दोनों हाथों से उसकी कच्छी को पकड़कर नीचे सरकाने लगा।

करुणा ने अपने हाथों से मनीष के हाथ पकड़ते हुए कहा- “मनीष प्लीज और आगे मत बढ़ो...”

मनीष ने करुणा के हाथ को दूर करते हुए कहा- “मुझपर भरोसा रखो मैं तुझसे जी भरकर प्यार करना चाहता

करुणा तो खुद आगे बढ़ना चाहती थी। उसने मनीष की बात सुनकर अपना हाथ उसके हाथ से अलग कर दिया। मनीष अपने हाथ से करुणा की कच्छी को खींचकर नीचे करने लगा। करुणा ने अपने चूतड़ उठाकर अपनी कच्छी उतारने में मनीष की मदद की। मनीष कच्छी के उतरते ही करुणा की हल्के बालों वाली गुलाबी चूत को देखकर लार टपकाने लगा।

करुणा मनीष को अपनी चूत को यूँ देखते हुए शर्म के मारे अपनी टाँगों को आपस में मिला दिया। मनीष अपनी जीभ को अपने होंठों पर फेरते हुए करुणा की टाँगों को आपस में से जुदा करते हुए फैला दिया, और खुद उसकी टाँगों के पास बैठते हुए करुणा की गुलाबी चूत को अपने हाथों से सहलाने लगा।

करुणा अपनी चूत पर मनीष का हाथ महसूस करके काँपने लगी।


मनीष अपने हाथों से करुणा की चूत को सहलाते हुए अपना मुँह नीचे ले जाते हुए अपनी नाक से उसकी चूत को सँघने लगा। मनीष को करुणा की चूत में से आती हुई महक पागल बना रही थी। इसलिए वो अपनी साँसों को जोर से पीछे खींचते हुए करुणा की चूत की महक को सँघने लगा। करुणा अपनी चूत के नजदीक मनीष की साँसों को महसूस करके मजे से सिसकने लगी। मनीष ने करुणा की चूत को सँघते हुए अचानक अपने होंठ करुणा की चूत पर रख दिए।

“आह्ह्ह..” करुणा मनीष के होंठों को अपनी चूत पर महसूस करके मजे से काँप उठी, उसकी चूत से पानी की कुछ बूंदें निकलने लगी।
मनीष अपने होंठों से करुणा की पूरी चूत को चूमने लगा और उसकी चूत को चूमते हुए अपनी जीभ निकालकर करुणा की चूत के छेद पर रख दी। मनीष के जीभ रखते ही करुणा की चूत से निकलता हुआ पानी मनीष की जीभ को लगा और मनीष को कुछ नमकीन सा स्वाद अपने मुँह में महसूस हुआ जो उसे बहुत अच्छा लगा।

मनीष ने अपनी जीभ से करुणा की चूत से निकलता हुआ सारा पानी चाट लिया। करुणा के मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थी, और उसका उत्तेजना के मारे बुरा हाल था। करुणा मनीष के सिर को पकड़कर ऊपर खींचने लगी। मनीष ऊपर होते हुए फिर से करुणा की चूचियों को चाटने लगा। करुणा की चूत में आग लग चुकी थी। वो जल्द से जल्द मनीष का लण्ड अपनी चूत में लेना चाहती थी। करुणा ने फिर से मनीष को सिर से पकड़ते हुए थोड़ा ऊपर कर दिया और उसके होंठों को बेतहाशा चूमने लगी। मनीष का लण्ड अब सीधा करुणा की नंगी चूत पर टक्कर मारने लगा। करुणा मनीष को अपनी बाहों में जोर से दबाते हुए उसके लण्ड को अपनी चूत पर महसूस करने लगी।

मनीष ने करुणा के होंठों को चूमते हुए कहा- “करुणा मैं अभी हमारे प्यार की आखिरी मुहर तुम पर लगा रहा हूँ। पहली बार में दर्द होता है, जिसे तुम बर्दाश्त कर लेना..."

करुणा नाटक करते हुए कहा- “तुम क्या करने जा रहे हो?”

मनीष ने कहा- “मैं अपना लण्ड तुम्हारी चूत में डालूंगा, तुम डरो मत तुम्हें कुछ नहीं होगा। मैं आराम से करूंगा...”
 horseride  Cheeta    
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करुणा ने अपना आखिरी पत्ता फेंकते हुए कहा- “मैं एक दफा फिल्म में एक सेक्स सीन देखकर गरम हो गई थी और उतेजेना में मैंने एक छोटी सी पेन्सिल अपनी चूत में डालने लगी, मुझे इतना दर्द हुआ के मेरी जान निकल गई और मेरी चूत से खून भी बहा। उसके बाद मैंने आज तक अपनी चूत को हाथ भी नहीं लगाया..."

मनीष ने करुणा की बात सुनते हुए कहा- “तुम चिंता मत करो तुम्हें कुछ नहीं होगा...” और करुणा के ऊपर से उठते हुए करुणा से कहा- “अगर तुम मेरे लण्ड को थोड़ा सा चिकना कर दो तो यह तुम्हारी चूत में आराम से चला जाएगा, और तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होगी...”

करुणा ने फिर से नाटक करते हुए कहा- “मगर मैं इसे कैसे चिकना करूं?”


मनीष ने कहा- “जैसे मैंने तुम्हारी चूत को चाटा था, ऐसे ही तुम मेरे लण्ड को अपनी जीभ से चाटकर चिकना करो..."

करुणा मनीष की बात सुनकर उसके लण्ड की तरफ देखने लगी। मनीष ने करुणा के मन की मुराद पूरी कर दी, वो खुद मनीष का गुलाबी लण्ड अपने मुँह में लेना चाहती थी।

मनीष ने करुणा को अपने लण्ड की तरफ घूरते हुए देखकर कहा- “तुम इसे अपनी जीभ लगाकर देखो अगर तुम्हें अच्छा ना लगे तो मत करना..."

करुणा ने अपने नाजुक हाथ को आगे बढ़कर मनीष का लण्ड अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया और अपनी जीभ निकालकर मनीष के लण्ड के गुलाबी टोपे पर फिराने लगी।

मनीष करुणा की जीभ अपने लण्ड पर महसूस करके कॉप गया- “आह्ह..."

करुणा ने अपनी जीभ से मनीष के लण्ड के टोपे को चाटते हुए अपनी जीभ उसके टोपे के छेद में घुसाकर उसके वीर्य का स्वाद चखने लगी। मनीष अपने लण्ड के छेद पर करुणा की जीभ को महसूस करके सिहर उठा और उसका पूरा शरीर काँपने लगा। करुणा ने कुछ देर तक मनीष के लण्ड के छेद को चाटने के बाद अपनी जीभ से उसके पूरे लण्ड को चाटते हुए गीला कर दिया, क्योंकी वो मनीष को ऐसे ही नहीं झड़ाना चाहती थी।

मनीष अपने लण्ड पर से करुणा की जीभ के हटते ही होश में आया और नीचे होते हुए करुणा की दोनों टाँगों को घुटनों तक मोड़ते हुए उसके पेट पर रख दी और एक तकिया उठाकर करुणा के चूतड़ों के नीचे रख दिया। करुणा की चूत उठकर ऊपर हो गई, और उसकी चूत के छेद में से पानी की कुछ बूंदें निकालने लगी। मनीष ने अपना लण्ड अपने हाथ में पकड़ते हुए करुणा की चूत के छेद पर रखते हुए उसे उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

करुणा का उत्तेजना के मारे बुरा हाल था वो अपने चूतड़ मनीष के लण्ड पर उछालने लगी और उसकी चूत से पानी की बूंदें निकलकर मनीष के लण्ड को और ज्यादा चिकना कर दिया। मनीष ने अपना लण्ड का टोपा करुणा की चूत के छेद में फँसाते हुए उसकी टाँगों में हाथ डाल दिया और करुणा से कहा- “डार्लिंग चीखना मत, थोड़ा सा बर्दाश्त कर लेना...”

करुणा ने अपने चूतड़ों को हिलाकर मनीष से कहा- “प्लीज घुसा दो अब तड़पाओ मत...”

मनीष ने करुणा की टाँगों को जोर से पकड़ते हुए एक धक्का मारा। मनीष का आधा लण्ड करुणा की चूत में घुस गया।
 horseride  Cheeta    
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करुणा के मुँह से मजे की “आअहहह.ऊओहह...” की सिसकी निकली मगर वो नाटक करते हुए रोते हुए बोली“मनीष बहुत दर्द हो रहा है... निकालो... मेरी चूत को तुमने फाड़ दिया। तुमने कहा था की आराम से डालोगे, इतनी बेदर्दी से मेरी चूत में अपना लण्ड घुसा दिया...”

मनीष करुणा के नाटक को सच मानते हुए उसके ऊपर झुकते हुए करुणा की चूचियों को सहलाने लगा। करुणा कुछ ही देर में अपने चूतड़ उछालने लगी।

मनीष ने करुणा से कहा- “दर्द तो नहीं हो रहा है?”

करुणा ने कहा- “नहीं पहले बहुत हो रहा था अब अच्छा लग रहा है...”

मनीष करुणा के ऊपर से उठते हुए अपने आधे लण्ड से ही करुणा को चोदने लगा। करुणा की चूत इतनी देर से अपने आपको रोके हुए थी। मनीष के मोटे लण्ड की रगड़ से करुणा का जिश्म अकड़ने लगा और उसकी चूत झटके खाते हुए मनीष के लण्ड पर पानी छोड़ने लगी।

करुणा “आअह्ह्ह..” करते हुए झड़ने लगी। झड़ते हुए उसने अपनी आँखें बंद कर ली और अपने चूतड़ों को बहुत जोर से मनीष के लण्ड पर उछालने लगी।

मनीष ने करुणा की चूत में से पानी को निकलते हुए देखकर बहुत जोर के धक्के लगाते हुए अपना पूरा लण्ड करुणा की चूत में घुसा दिया। करुणा जो अपने झड़ने का मजा ले रही थी मनीष का पूरा लण्ड अपनी चूत में घुसते ही दर्द के मारे काँप उठी- “ऊईई माँ.. मर गई, बहुत मोटा है तुम्हारा मेरी चूत को फाड़ दिया...”

मनीष का लण्ड मोहित से ज्यादा मोटा और लंबा था, इसलिए करुणा के मुँह से चीखें निकल गई। मनीष ने अब अपने पूरे लण्ड से करुणा को चोदना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में करुणा मजे से सिसकते हुए किसी दूसरी दुनियां में पहुँच गई। मनीष के हर धक्के के साथ उसके मुँह से आअह्ह्ह... निकल रही थी। उसे मनीष का लण्ड अपनी बच्चेदानी पर ठोकरें मारता हुआ महसूस हो रहा था और उसकी रगड़ उसे अपनी चूत में हर जगह महसूस हो रही थी, जिससे उसका पूरा शरीर मजे से काँपते हुए पशीना-पशीना हो गया।

मनीष भी झड़ने के करीब था। मगर मनीष से पहले करुणा का जिश्म अकड़ने लगा और करुणा की चूत से फिर से पानी की नदियां बहने लगी- “आअह्ह्ह...” करते हुए करुणा झड़ने लगी और उसकी आँखें बंद हो गई।

मनीष भी बहुत तेजी के साथ अपना पूरा लण्ड अंदर-बाहर करते हुए हाँफते हुए करुणा की चूत में अपना वीर्य भरने लगा। मनीष का गरम वीर्य अपनी चूत में महसूस करके करुणा की चूत से भी ज्यादा पानी निकलने लगा। मनीष अपनी पहली चुदाई का भरपूर मजा लेते हुए करुणा की चूत में ना जाने कितना वीर्य भरते हुए झड़ रहा था। कुछ देर तक झड़ने के बाद मनीष करुणा के ऊपर ढेर हो गया।

मनीष कुछ देर तक करुणा के ऊपर पड़ा रहा। उसका लण्ड झड़ने के बाद भी करुणा की चूत के अंदर था और वो पूरा ढीला नहीं हुआ था। करुणा ने कुछ देर बाद अपनी आँखें खोली तो मनीष उसके होंठों को चूमने लगा। करुणा भी मनीष का साथ देते हुए उसकी कमर में अपनी बाहें डालकर उसके चुंबनों का जवाब देने लगी। मनीष का लण्ड करुणा की चूत में फिर से तन गया।

करुणा अपनी चूत में मनीष के लण्ड को बढ़ता हुआ देखकर मजे से अपने चूतड़ हिलाने लगी।

मनीष करुणा के होंठों को जी भरकर चूसने के बाद उसकी छोटी-छोटी चूचियों को पकड़कर एक-एक करके अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। मनीष का लण्ड अब पूरी तरह तन चुका था। इसलिए मनीष ने करुणा की चूचियों को चूसते हुए नीचे से अपने लण्ड से उसकी चूत में धक्के लगाने लगा। मनीष इस बार करुणा को आधे घंटे तक तेजी के चोदने के बाद उसकी चूत में फिर से झड़ गया। इस बीच करुणा भी दो बार अपनी चूत से पानी निकाल चुकी थी।

मनीष ने करुणा के ऊपर से उठते हुए अपने कपड़े पहन लिए और अपनी सीट पर आकर लेट गया। करुणा भी दो बार चुदाकर थक चुकी थी इसलिए वो भी अपने कपड़े पहनकर अपनी बर्थ पर घोड़े बेचकर सो गई।

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