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रोहन बिंदिया की आवाज सुनकर होश में आ गया और उठकर जल्दी से बेड पर चढ़ते हुए एक जोर की लात सरदार के मुँह में मार दी। सरदार इस अचानक हुए हमले से लड़खड़ाते हुए बेड से दूर जा गिरा। रोहन बिजली की तेजी के साथ नीचे उतरकर बंदूक को उठा लिया और सरदार के सिर पर रखते हुए कपड़े उठाकर बिंदिया की तरफ फेंक दिए। बिंदिया ने जल्दी से कपड़े पहन लिए और भागते हुए रोहन के पीछे खड़ी हो गई।
रोहन ने सरदार से कहा- “कुत्ते तुमने मेरे प्यार की तौहीन की है, मैं तुझे अभी सबक सिखाता हूँ...” और बंदूक बिंदिया को देते हुए खुद सरदार को जोर का एक मुक्का मार दिया।
सरदार लड़खड़ाता हुया सामने वाली दीवार से जा लगा और उसके मुँह से दर्द के मारे ‘आअह्ह्ह' निकल गई। बाहर सूरज ने 'आह' सुनकर अपने दूसरे साथियों से कहा की सरदार की तो लाटरी लग गई, ऐसा चिकना माल तो उसने ख्वाब में भी नहीं देखा होगा।
रोहन ने सरदार को जी भरकर पीटने के बाद बंदूक उठाकर उसे बाहर ले जाने लगा। बाहर खड़े उसके साथियों ने जब रोहन को सरदार के सिर पर बंदूक को रखे हुए आते देखा तो वो रोहन की तरफ आने लगे।
मगर रोहन ने उन्हें खबरदार करते हुए कहा- “अगर तुममें से किसी ने हमारा पीछा किया तो मैं तुम्हारे सरदार का सिर उड़ा दूंगा...”
रोहन की धमकी से वो सभी खामोश होकर खड़े हो गये।
रोहन ने फिर से उन्हें कहा- “तुम मेरा पीछा करने की कोशिश मत करना, मैं तुम्हारे सरदार को जिंदा छोड़ दूंगा..."
सरदार ने अपने साथियों से कहा- “तुम हमारा पीछा मत करो, वरना यह मुझे गोली मार देगा..."
रोहन सरदार को घसीटता हुआ अपने साथ ले जाने लगा, तकरीबन 10 मिनट पैदल चलने के बाद भी रोहन रास्ता नहीं हूँढ़ पाया। उसने सरदार से कहा- “जल्दी से मुझे रास्ता बता दो वरना मैं तुझे गोली मार दूंगा.”
सरदार एक तो नशे में था और दूसरा रोहन की मार की वजह से होश खो बैठा था। सरदार ने लड़खड़ाते हुए कहा- “रास्ता...” और जंगल के चारों तरफ देखते हुए वहीं पर गिर गया और बेहोश हो गया।
बिंदिया सरदार के बेहोश होते ही सुबकते हुए रोने लगी। रोहन ने बिंदिया को अपनी बाहों में भरते हुए कहापगली तुम रो क्यों रही हो, जब तक मैं तुम्हारे साथ हूँ तुम्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है..”
रोहन सरदार को छोड़कर बिंदिया के साथ एक तरफ चलने लगा। तकरीबन एक घंटा सफर करने के बाद भी वो उस भयानक जंगल से बाहर नहीं निकल सके और थक कर वहीं पर बैठ गए।
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बिंदिया ने सुबकते हुए रोहन से कहा- “हम कभी भी यहाँ से नहीं निकल पाएंगे, क्योंकी हमने रास्ते को खो दिया है, मुझे बहुत जोर की प्यास लगी है...”
रोहन ने बिंदिया को अपनी बाहों में भरते हुए कहा- “तुम निराश मत हो, मैं हूँ ना तुम्हारे साथ। हम रास्ता ढूँढ़ लेंगे...” कुछ देर वहीं बैठे रहने के बाद वो फिर से आगे चलने लगे। कुछ आगे चलने के बाद वो जंगल से बाहर आ गये। मगर वहाँ पर भी एक नहर थी जिससे पानी गिर कर एक तरफ जा रहा था। रास्ते का नाम-ओ-निशान नहीं था।
बिंदिया ने रोहन से कहा- “यह हम कहाँ आ गये, यहाँ पर तो कोई भी रास्ता नहीं है...”
रोहन ने बिंदिया से कहा- “चलो हम वहाँ से पानी पीकर फ्रेश होते हैं और फिर कुछ सोचते हैं."
रोहन बिंदिया को उस नहर के करीब ले जाने लगा। वो पानी के करीब पहुँचकर खुश होते हुए कहा- “बिंदिया कितना साफ पानी है चलो हम चलकर पानी पीते हैं...”
रोहन और बिंदिया दौड़कर पानी के पास आ गये और अपनी मुट्ठी में पानी भरकर पीने लगे। रोहन ने पानी पीने के बाद अपनी शर्ट उतार दी और अपने जिम के घाओं को साफ करने लगा। बिंदिया ने रोहन के घाओं को देखकर फिर से रोते हुए कहने लगी- “रोहन, तुम मेरी वजह से इतने परेशान हुए हो...”
रोहन ने बिंदिया से कहा- “पगली तुम्हारी वजह से नहीं मेरी वजह से तुम्हें इतनी तकलीफ सहनी पड़ी है..." रोहन ने ऐसा कहते हुए बिंदिया को अपनी बाहों में ले लिया और उसके गुलाबी होंठों पर एक किस दे दिया।
रोहन ने बिंदिया से कहा- “मुझे बहुत गर्मी हो रही है मैं अपने कपड़े उतारकर नहाता हूँ...”
रोहन ने शर्ट तो पहले ही उतार दी थी उसने अपनी पैंट भी उतार दी और दोनों बाहर पत्तों पर रखते हुए पानी में अंदर चला गया। पानी में घुसते ही रोहन ने बिंदिया से कहा- “बहुत ठंडा पानी है, आ जाओ तुम भी नहा लो...”
बिंदिया ने शर्माते हुए कहा- “तुम्हें शर्म नहीं आती, हम यहाँ जंगल में फँसे पड़े हैं और तुम्हें नहाने की पड़ी है...”
रोहन ने बिंदिया से कहा- “यार तुम घबराती क्यों हो? हम रास्ता ढूँढ लेंगे और अगर रास्ता नहीं भी मिला तो हम दोनों साथ में तो हैं, मरने से पहले थोड़ी मस्ती तो कर लें।
बिंदिया रोहन की बात सुनकर डाँटते हुए कहा- “मरें तुम्हारे दुश्मन, चलो बाहर निकलो हम रास्ता ढूँढ़ते हैं...”
रोहन ने कहा- “प्लीज बिंदिया एक बार आ जाओ फिर चलते हैं, तुम्हें मेरी कसम..”
बिंदिया ने रोहन की बात सुनकर अपनी कमीज उतार दी और अपनी सलवार भी उतारते हुए पत्थर पर रख दी। रोहन बिंदिया को ब्रा और कच्छी में देखकर आहें भरने लगा। बिंदिया पानी में उतरते हुए रोहन की तरफ जाने लगी। रोहन ने बिंदिया को अपने करीब देखकर उसे कलाई से पकड़कर अपने पास कर लिया और उसको अपनी बाहों में लेते हुए उसके होंठों को चूसने लगा।
बिंदिया की बड़ी-बड़ी चूचियां रोहन के नंगे सीने में दब गई। बिंदिया भी रोहन के किस का जवाब देते हुए उसकी पीठ सहलाने लगी। बिंदिया और रोहन एक जंगल में सारे जहाँ को भूलकर एक दूसरे की बाहों में एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे, इस बात से बेखबर की वो एक बियावान में फंसे हुये हैं।
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पानी की तेज लहरें रोहन और बिंदिया को भिगो रही थीं। रोहन ने अपना मुँह बिंदिया के मुँह से हटाते हुए उसके कंधे से होते हुए बिंदिया की चूचियों के गीले क्लीवेज पर रख दिया और उसे जोर से चूसने लगा। रोहन बिंदिया के क्लीवेज को चाटते हुए अपना हाथ पीछे ले जाते हुए उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और ब्रा को बिंदिया के जिश्म से अलग करते हुए उसे बिंदिया के कपड़ों की तरफ फेंक दिया।
बिंदिया की ब्रा उतरते ही उसकी बड़ी-बड़ी और गोरी चूचियां नहर के पानी से गीली होकर और ज्यादा आकर्षक और चमकीली लगने लगी। रोहन बिंदिया की चूचियों को नंगा देखकर अपने आपको रोक ना सका और अपना मुँह बिंदिया की चूचियों पर रख दिया। रोहन बिंदिया की चूचियों को चूसते हुए उसके साथ नहर का पानी भी। चाटने लगा। बिंदिया रोहन का मुँह अपनी चूचियों पर महसूस करते ही सारी दुनियां को भूलकर अपने महबूब के बालों में हाथ डालकर अपनी चूचियां चुसवाने लगी।
बिंदिया की चूचियों के दाने, रोहन और ठंडे पानी के अहसास से तनकर पत्थर की तरह कठोर हो चुकी थी। रोहन ने बिंदिया की चूचियों को चूसते हुए उसके एक कठोर दाने को अपने मुँह में भर लिया और बहुत जोर से चूसने लगा। बिंदिया अपनी चूची के दाने को रोहन के मुँह में महसूस करते ही सिहर उठी। और उसके मुंह से सिसकियां निकलने लगी।
रोहन बिंदिया की चूचियों को एक-एक करके चाटने के बाद नीचे होते हुए उसके गीले पेट को अपने मुँह से चूसने लगा। रोहन ने बिंदिया को अपने साथ से खींचते हुए बड़े पानी से थोड़ा बाहर हल्के पानी तक ले आया और नीचे होते हुए बिंदिया की गीली कच्छी को अपनी जीभ से चाटते हुए एक हाथ से उसकी कच्छी को नीचे सरका दिया। बिंदिया की कच्छी नीचे होते ही उसकी गीली गुलाब चूत को देखकर रोहन का लण्ड फनफनाने लगा, रोहन अपना मुँह बिंदिया की गीली चूत पर रखकर उसे चाटने लगा।
आअहह्ह... रोहन छोड़ो ना चलो रास्ता ढूंढ़ते हैं...” बिंदिया अपनी आँखें बंद किए हुए ही सिसकते हुए बोली।
रोहन ने उसकी चूत को चाटने के बाद बिंदिया को उल्टा करके नीचे झुका दिया। इस पोजीशन में बिंदिया की चूत पीछे से रोहन के मुँह के सामने आ गई। रोहन ने अपनी जीभ से उसकी पूरी चूत को चाटते हुए अपने अंडरवेर को उतार दिया। रोहन ने अपना लण्ड बिंदिया की चूत के छेद पर सेट करते हुए उसकी कमर में हाथ डालकर एक जोर का धक्का मार दिया। रोहन का लण्ड सरकता हुआ आधा बिंदिया की चूत में समा गया।
बिंदिया के मुँह से एक कामुक सिसकारी निकल गई- “आअह्ह्ह...”
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रोहन उसकी कमर को पकड़कर जोर से अपना लण्ड अंदर-बाहर करने लगा। रोहन का लण्ड तीन-चार धक्कों में ही बिंदिया की चूत की जड़ तक पहुँच गया और रोहन बिंदिया की चूत को बहुत जोर से चोदने लगा। बिंदिया भी सारे जहाँ से बेखबर अपने यार के धक्कों का भरपूर आनंद लेते हुए अपने चूतड़ पीछे की तरफ धकेलने लगी।
नहर का पानी कभी-कभी उन दोनों के चूत और लण्ड से आकर टकरा रहा था, जिस वजह से बिंदिया और रोहन को और ज्यादा मजा आ रहा था। बिंदिया को वहाँ खुले आसमान के नीचे ठंडी-ठंडी हवा के झोंकों में चुदवाने में बहुत ज्यादा आनंद आ रहा था।
अचानक बिंदिया का जिश्म अकड़ने लगा, उसकी आँखें बंद होने लगी और उसकी चूत रोहन के लण्ड पर अकड़ते हुए झड़ने लगी। रोहन अपनी महबूबा को झड़ता हुआ देखकर बहुत जोर के धक्के लगाते हुए खुद भी अपने यार के साथ ही उसकी चूत में वीर्य की बारिश करने लगा। रोहन ने झड़ने के बाद अपना लण्ड बिंदिया की चूत से निकाला और बिंदिया के साथ गहरे पानी में जाकर ठंडे पानी से फ्रेश होने लगा।
रोहन ने बिंदिया से कहा- “जानू अपने आपको पूरी तरह फ्रेश कर लो और जितना पानी पीना है पी लो, आगे चलकर पता नहीं रास्ता और पानी मिले या ना मिले..."
बिंदिया पूरी नंगी ही पानी में नहा रही थी, नहाने के बाद वो जैसे ही बाहर निकलने लगी। रोहन का मुँह बिंदिया की भारी चूचियों, मांसल चूतड़ों और उनपर पानी की बूंदें फिसल कर नीचे गिरते हुए देखकर खुला का खुला रह गया। बिंदिया का पूरा जिश्म पानी से भीगा हुआ था, और उसका गोरा जिश्म इस बियावान में धूप की रोशनी में रोहन पर बिजलियां गिरा रहा था।
बिंदिया बाहर निकलकर अपनी कच्छी को उठाकर पहनने लगी। कच्छी को पहनते हुए उसकी नजर रोहन पर चली गई। रोहन अपना मुँह फेरकर बिंदिया के शरीर को ऊपर से नीचे तक देख रहा था। बिंदिया ने रोहन को घूरता हुआ देखकर शर्म से अपनी कच्छी को जल्दी से पहनते हुए रोहन से कहा- “तुम्हें शर्म नहीं आती ऐसे क्या देख रहे हो, कभी मुझे देखा नहीं क्या?”
रोहन ने बिंदिया की बात सुनकर कहा- “आज तुम बहुत सुंदर दिख रही हो, दिल करता है सारी जिंदगी तुम्हें ऐसे ही देखता रहूँ..”
बिंदिया ने अपनी कच्छी को पहन लिया और अपनी ब्रा को पहनते हुए कहा- “सारी जिंदगी इस जंगल में रहकर क्या खाएंगे और क्या पिएंगे?”
रोहन ने जल्दी से कहा- “जब प्यास लगेगी तो तुम्हारे होंठ का रस और तुम्हरी चूचियों का दूध पी लूंगा...”
बिंदिया ने रोहन से कहा- “अब शरारत को छोड़ो और रास्ता ढूँढ़ने की कोशिश करो...”
रोहन बिंदिया की बात सुनकर जल्दी से बाहर निकालकर अपने कपड़े पहनने लगा। रोहन कपड़े पहनकर बिंदिया के साथ रास्ता ढूँढ़ने लगा। एक घंटे मुसलसल चलने के बाद आखीरकार उन्हें अपनी बाइक नजर आ गई। रोहन ने बाइक पे बैठकर उसे स्टार्ट किया और बिंदिया के साथ जंगल से बाहर आ गया।
रोहन ने बाहर आते ही अपनी बाइक शहर की तरफ दौड़ा दी और टाइम देखने लगा। उस वक्त दोपहर के 3:00 बज रहे थे, रोहन ने बिंदिया से कहा- “मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूँ मगर किसी से जंगल वाली बात मत करना...”
बिंदिया ने रोहन से कहा- “मैं कह देंगी की तुम्हारे साथ घूमने गई थी, रास्ते में गाड़ी खराब हो गई इसीलिए देर हो गई...”
रोहन ने कहा ठीक है और बाइक घर की तरफ दौड़ा दी।
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मैं कालेज की छुट्टी होते ही बिंदिया का इंतजार करने लगी, मगर सभी लड़के और लड़कियों के जाने के बाद भी रोहन और बिंदिया का कहीं नाम-ओ-निशान नहीं था। मैंने भी एक रिक्शा पकड़ा और घर आ गई।
आँटी ने मुझे देखकर कहा- “बिंदिया कहाँ है?”
मैंने आँटी को बता दिया के बिंदिया और रोहन दोनों कालेज में नहीं थे।
आँटी ने कहा- “चलो तुम फ्रेश होकर खाने की टेबल पर आ जाओ, बिंदिया रोहन के साथ कहीं घूमने गई होगी...”
हम सबने मिलकर खाना खाया, खाना खाने के बाद मैं करुणा के कमरे में चली गई। करुणा ने मुझे देखते ही कहा- “धन्नो मेरा कुछ करो, जब से मोहित का लण्ड देखा है तब से मेरा पूरा शरीर आग में जल रहा है...”
मैंने करुणा से कहा- “मोहित से चुदवाओगी?”
करुणा ने काँपते हुए कहा- “मैं अपने शरीर की आग बुझाने के लिए कुछ भी कर सकती हूँ...”
करुणा की बात सुनकर मैंने उससे कहा- “तुम आज रात तैयार रहना, मैं तुम्हें लड़की से औरत बनाने का बंदोबस्त करती हूँ..." यह कहते हुए मैं मोहित के कमरे में चली गई।
मोहित के कमरे में जाते ही मैंने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया।
मोहित ने मुझे दरवाजा बंद करते देखकर कहा- “धन्नो क्या बात है दरवाजा क्यों बंद कर रही हो ठीक तो हो?”
मैं जल्दी से जाकर मोहित के साथ बैठ गई और उससे कहने लगी- “तुम्हें अपनी शर्त याद है ना?”
मोहित मेरी बात सुनकर उछल पड़ा और मुझे अपने करीब करते हुए कहा- “तुमने करुणा को राजी कर लिया?”
मैंने उससे कहा- “हाँ कर लिया। मगर पहले मेरी शर्त सुनो... तुम्हें मुझे एग्जाम के बाद अपने गाँव लेजाकर घुमाना होगा...”
रोहन मेरी बात सुनकर जोर से हँसते हुए कहने लगा- “बस इतनी सी बात... मैं तुम्हें जब कहोगी अपने गाँव की सैर कराऊँगा..."
मोहित ने मुझे अपनी गोद में बिठा दिया और मेरे नरम होंठों को चूमते हुए मुझसे कहा- “धन्नो सच में तुमने करुणा को राजी करके मुझपर अहसान किया है...”
फिर मोहित अपने हाथ आगे बढ़ाकर मेरी चूचियों को पकड़ लिया और कमीज के ऊपर से ही मेरी चूचियों को सहलाते हुए कहने लगा- “धन्नो अब रात तक सबर नहीं होता..." यह कहते हुए मोहित ने मुझे अपनी गोद से उठाकर बेड पर बिठा दिया और अपने हाथ से मेरा हाथ पकड़ते हुए अपनी पैंट के ऊपर अपने तने हुए लण्ड पर रख दिया।
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मैं अपना हाथ मोहित के तने हुए लण्ड पर लगाते ही कांप उठी। मेरा पूरा शरीर मोहित के लण्ड का स्पर्श पाते ही गरम होने लगा और मेरा हाथ मोहित की पैंट पर अपने आप ऊपर-नीचे होने लगा।
मोहित मेरे नरम हाथ का अहसास पाते ही बेड पर सीधा लेट गया। मैंने मोहित के लेटते ही उसकी पैंट का बेल्ट खोलते हुए उसकी पैंट को नीचे करते हुए उसका कच्छा भी नीचे सरका दिया। मोहित का कच्छा उतरते ही उसका तना हुआ लण्ड मेरी आँखों के सामने नाचने लगा। मैंने अपने नरम हाथ से मोहित के लण्ड को पकड़ते हुए अपनी जीभ निकालकर उसके छेद पर फिराने लगी। मेरी जीभ अपने लण्ड के छेद पर पड़ते ही मोहित के मुँह से सिसकियां निकलने लगी।
मैंने अपनी जीभ से उसके पूरे लण्ड पर ऊपर से नीचे चाटने लगी। मैंने मोहित का लण्ड चाटते हुए अपनी सलवार का नाड़ा खोलते हुए उतार दिया और अपनी कच्छी को भी उतारते हुए अपना पूरा मुँह खोलकर मोहित का लण्ड अपने मुँह में ले लिया। मोहित के लण्ड को कुछ देर तक चाटने के बाद मैंने अपने मुँह से निकालकर अपनी दोनों टाँगों को फैलाकर उसके लण्ड पर सेट किया और अपना पूरा वजन डालते हुए उसपर बैठ गई। मोहित का लण्ड मेरी थूक की वजह से गीला था और मेरी चूत भी इतनी देर से उसका लण्ड चाटते हुए गीली हो चुकी थी। इसीलिए मोहित का लण्ड एक बार में ही मेरी चूत में जड़ तक घुस गया।
मोहित का पूरा लण्ड घुसते ही मेरे मुँह से निकल गया- “आहहह...” और मैंने मोहित के लण्ड पर उछलना शुरू कर दिया। मैं अपनी चूत को उसके लण्ड के टोपे तक ऊपर उठाकर फिर से नीचे बैठ जाती। ऐसा करने से मेरी चूत में मोहित का लण्ड तेज रगड़ खा रहा था और मेरा पूरा शरीर मजे से काँप रहा था। मैं अब पूरी तरह गर्म हो चुकी थी, इसीलिए मैं मोहित के लण्ड पर बहुत तेजी से ऊपर-नीचे हो रही थी।
मोहित ने मुझे कमर से पकड़कर नीचे झुका लिया और मेरी कमीज में हाथ डालते हुए उसे मेरे शरीर से अलग कर दिया। मेरा पूरा शरीर उत्तेजना के मारे काँप रहा था और मेरा बदन झटके खाने लगा। मैं रोहन के लण्ड पर बहुत जोर से ऊपर-नीचे कूदने लगी। मेरी चूत मोहित के लण्ड पर सिकुड़ने लगी और मेरा पूरा शरीर झटके खाने लगा। मजे से मेरी आँखें बंद हो गई और मैं मोहित के लण्ड पर उछलते हुए झड़ने लगी।
मोहित मुझे झड़ता हुआ देखकर मुझे नीचे से बहुत जोर के धक्के लगाने लगा। मैं झड़ने के बाद निढाल होकर मोहित के ऊपर ढेर हो गई। मोहित ने मेरे होंठों को चूमते हुए मेरी ब्रा के हुक खोल दिए। मोहित मेरी चूचियों से ब्रा को हटाते हुए उन्हें चूसने लगा। मोहित के मुँह में अपनी चूचियां महसूस करते ही मैं फिर से गरम होने लगी और अपने चूतड़ मोहित के अंडों पर उछालने लगी।
मोहित मुझे चूतड़ उछालते हुए देखकर मेरी चूचियों को बहुत जोर से चूसते हुए मेरी चूत में बहुत जोर के धक्के लगाने लगा। मेरी चूत के गीले होने की वजह मोहित का लण्ड मेरी चूत में जड़ तक बहुत जोर के धक्के मार रहा था। मोहित का लण्ड अचानक मेरी चूत में फूलने लगा और उसका लण्ड मेरी चूत को पूरा फैलाकर अंदरबाहर होने लगा। मोहित के लण्ड से अचानक मेरी चूत में वीर्य की बारिश होने लगी।
आअह्हह..करके झड़ते हुए मोहित ने मेरी चूत में बहुत जोर के धक्के लगाते हुए मेरी एक चूची को अपने मुँह में लेकर काट दिया। मोहित का गरम वीर्य मेरी चूत में गिरते ही मेरी चूत सिकुड़ने लगी और मैं ऊईए करते हुए झड़ने लगी। मैं दूसरी बार झड़ते ही मोहित के ऊपर ढेर हो गई।
मोहित का लण्ड मेरी चूत से सिकुड़कर निकल गया और मेरी चूत से वीर्य निकलकर मोहित के पेट पर गिरने लगा। मैंने मोहित के ऊपर से उठते हुए तौलिया उठा लिया और अपनी चूत और मोहित के लण्ड को साफ कर दिया। तभी बाहर वाला दरवाजा खटकने लगा। मैंने और मोहित ने जल्दी से कपड़े पहने और बाहर आ गये, बाहर बिंदिया और रोहन खड़े थे।
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आँटी रोहन से कह रही थी- “बेटा फोन करके तो बता दिया करो की तुम घूमने जा रहे हो, हम बेवजह परेशान हो रहे थे...”
रोहन ने आँटी से कहा- “आँटी वो नेटवर्क खराब था वरना मैं फोन कर देता। मैं अब जा रहा हूँ, बहुत देर हो गई है...”
आँटी ने रोहन से कहा- “अरे ऐसे कैसे जा सकते हो? बैठो लंच करके फिर जाओ.."
रोहन ने कहा- “आँटी बहुत देर हो गई है घर वाले परेशान होंगे। मैंने उन्हें भी नहीं बताया है फिर किसी टाइम लंच भी कर लेंगे..." रोहन यह कहता हुआ वहाँ से चला गया।
आँटी ने बिंदिया को टोकते हुए कहा- “खाना खाओगी या वो भी खाकर आई हो...”
बिंदिया ने कहा- “मैं फ्रेश होकर आती हैं, खाना नहीं खाया है...” कहकर बिंदिया अपने कमरे में चली गई।
मैं फिर से करुणा के कमरे में चली गई। करुणा के कमरे में जाते ही मैं करुणा के साथ सोफे पर बैठ गई और करुणा की चूची को हाथ में लेकर मसलते हुए कहा- “करुणा रानी देख रही हो, तुम्हारी दीदी कैसे शादी से पहले ही रोहन से मजे ले रही है और तुम अभी तक कुँवारी फिर रही हो...”
करुणा ने अपनी चूची पर दबाव पड़ते ही- “ओईए धन्नो आहिस्ते दबा...” कहकर कराह उठी।
मैंने करुणा की चूची को वैसे ही दबाते हुए कहा- “यह तो कुछ भी नहीं... जब रात को मोहित तुम्हारी इन छोटीछोटी चूचियों को देखेगा तो... वो तो इन्हें खा ही जाएगा...”
करुणा मेरी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई, करुणा ने कहा- “धन्नो रात के बारे में सोचते हुए मेरी तो चूत में अभी से कुछ-कुछ होने लगा है...”
मैंने करुणा से कहा- “सबर कर मेरी बच्ची, सबर का फल मीठा होता है और हम दोनों साथ में हँसने लगी...”
मैं करुणा के कमरे से निकालकर बिंदिया के कमरे में चली गई। मुझे बिंदिया से आज के बारे में पूछना था, बिंदिया के कमरे में जाते ही मैंने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया।
बिंदिया ने मुझे देखते हुए कहा- “धन्नो आओ मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी...”
मैं बिंदिया के साथ जाकर बेड पर बैठ गई और बिंदिया को चिढ़ाते हुए कहा- “कहाँ गई थी आज रोहन के साथ? आजकल तू बहुत मजे कर रही है..”
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मेरी बात सुनकर बिंदिया ने गुस्सा होते हुए कहा- “धन्नो तुम्हें पता है आज मेरे साथ क्या हुआ है?”
मैंने हैरान होते हुए कहा- “क्यों क्या हुआ था आज जल्दी से बताओ?”
बिंदिया ने कहा- “धन्नो मैं तुझसे कुछ नहीं छुपाती, मगर यह बात किसी से कहना मत... तुझे मेरी कसम...”
मैंने कहा- “किसी को नहीं बताऊँगी, अब बताओ भी...”
बिंदिया ने जंगल वाली सारी बात बता दी की वो कैसे डाकुओं से भागकर यहां पहुँचे हैं।
मैं बिंदिया की बात सुनकर हैरान हो गई और बिंदिया को चिढ़ाते हुए कहा- “काश तुम्हारी जगह मैं होती तो मैं तो उस सरदार से मजा लेकर चुदवाती...”
बिंदिया मेरी बात सुनकर मुझे मुक्का मारते हुए बोली- “तुम्हें यह सब मजाक लग रहा है, अगर मुझे रोहन ना बचाता तो मैं आज किसी को मुँह दिखाने के लायक ना रहती, और खुदकशी कर लेती...”
मैंने बिंदिया को सीरीयस होते हुए देखकर कहा- “बिंदिया मैं तो मजाक कर रही थी। तुम्हें कुछ नहीं हुआ ना... अब इन सब बातों को भूल जाओ...”
मैं बिंदिया से कुछ देर बातें करने के बाद अपने कमरे में आकर आराम करने लगी। शाम को उठने के बाद बातें करते हुए कब रात हो गई पता ही नहीं चला। सभी लोग खाना खाने के बाद अपने-अपने कमरे में सोने चले गये। मैं अपने कमरे में आकर लेट गई और करुणा के बारे में सोचने लगी। करुणा की उमर ही क्या है... और वो अभी से इतनी गरम है की वो मेरे कहने पर किसी से भी चुदवा सकती थी। मैं एक घंटे तक अपने कमरे में रही और फिर अपने कमरे से निकलकर करुणा के कमरे में चली गई। मैं करुणा के कमरे में पहुँचकर हैरान रह गई। करुणा बिल्कुल नये कपड़े पहनकर तैयार बैठी थी। करुणा ने आज एक खूबसूरत साड़ी पहनी थी और उस साड़ी में वो बिल्कुल परीलोक की एक अप्सरा लग रही थी।
करुणा ने मुझे देखकर खुश होते हुए कहा- “दीदी तुम आ गई, मैं तो कब से तैयार बैठी हूँ...”
मैंने करुणा को गौर से देखते हुए कहा- “अरे आज तो तुम बिल्कुल सजकर परी लग रही हो। मोहित तो तुम्हें देखकर ही पागल हो जाएगा...”
करुणा ने मेरी बात सुनते ही शर्माते हुए कहा- “दीदी आप बड़ी बदमाश हैं, मुझे जानबूझकर चिढ़ा रही हो...”
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मैंने करुणा का चेहरा अपने हाथों में लेते हुए कहा- “मेरी गुड़िया मैं सच कह रही हूँ आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो..” फिर मैंने करुणा से कहा- “चलो मोहित के कमरे में चलते हैं। वो कब से तुम्हारे बारे में सोचते-सोचते मूठ मार रहा होगा...”
मैंने करुणा की साड़ी का पल्लू उसके चहरे पर रख दिया और बिल्कुल दुल्हन की तरह उसका चेहरा ढके हुए मोहित के कमरे में ले जाने लगी। मोहित के कमरे में पहुँचते ही मैंने आगे होकर करुणा को अपने पीछे आने के लिए कहा। अंदर दाखिल होते ही करुणा मेरे कद से छोटी और मुझसे पतली होने के कारण मोहित उसे देख नहीं पाया।
मोहित ने उठते हुए इधर-उधर देखते हुए कहा- “धन्नो क्या हुआ, करुणा कहाँ है?”
मैंने मोहित को तड़पता हुआ देखकर उसे ज्यादा तड़पाने के लिए कहा- “मोहित करुणा ने मना कर दिया है वो नहीं आ रही है..."
मेरी बात सुनकर मोहित का मुँह उतर गया, और वो कहने लगा- “मगर धन्नो, तुमने तो कहा था की वो राजी हो गई है...”
मैंने मोहित से कहा- “कल तो उसने मुझे कहा था की मैं मोहित से चुदवाऊँगी, अब वो मना कर रही है तो मैं क्या कर सकती हूँ? लगता है उसे कोई दूसरा लड़का पसंद आ गया, और उसने उससे अपनी चूत की खुजली मिा ली..."
करुणा मेरे पीछे खड़ी इतनी देर से मेरी बातें सुन रही थी, उसने मुझे गाण्ड पर एक चिकोटी काट दी। मेरे मुँह से ऊऊहह... निकल गया और मैंने आगे से हटते हुए करुणा को मोहित के सामने कर दिया। मोहित का मुँह साड़ी में खड़ी करुणा को देखकर खुला रह गया।
मैंने मोहित से कहा- “यह रही तुम्हारी दुल्हन, कैसी लगी?”
मोहित के मुँह से बस इतना निकला- “वाउ... करुणा आज तुम तो सच में एक दुल्हन लग रही हो..."
मैंने करुणा को आगे धकेलते हुए मोहित के साथ बेड पर बिठा दिया। करुणा बेड पर बैठते हुए डर और उत्तेजना में काँप रही थी।
मोहित ने करुणा के बैठते ही उसका पूँघट ऊपर कर दिया- “करुणा तुम इस ड्रेस में तो बिल्कुल परी लग रही हो, मैंने आज तक तुम जैसी खूबसूरत परी नहीं देखी...”
करुणा बिल्कुल दुल्हन की तरह अपना सिर झुकाए चुप बैठी थी, मोहित ने करुणा का चेहरा ऊपर उठाते हुए अपने होंठों से उसके गाल पर एक चुंबन दे दिया। मोहित के होंठ करुणा ने अपने गाल पर महसूस करते ही उत्तेजना में अपनी आँखें बंद कर ली और उसकी साँसें बहुत जोर से ऊपर-नीचे हो रही थी। मोहित ने अपने होंठों को करुणा के तपते होंठों पे रख दिया और उसका नीचे वाला गुलाबी होंठ चूसने लगा।
करुणा मोहित का होंठ अपने होंठों पर महसूस करते ही काँप उठी। करुणा को अपने पूरे जिम में अजीब किस्म की सिहरन होने लगी और वो अपनी आँखने बंद किए ही मोहित के चूमने का जवाब देने लगी। करुणा का पूरा जिश्म काँप रहा था।
मोहित पागलों की तरह उसके होंठों को चूस रहा था और करुणा भी मोहित के होंठों को चूम रही थी। ऐसा लग रहा था के दो बिछड़े हुए प्रेमी कई सालों के बाद एक दूसरी से
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मैंने जाकर दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और सोफे पर बैठकर उन दोनों को देखने लगी। मोहित ने करुणा को चूमते हुए बेड पर लेटा दिया और खुद भी उसके साथ बेड पर लेट गया। मोहित ने करुणा का सिर अपने बाजू पर रख दिया और अपने बाजू से करुणा के सिर को अपनी तरफ करते हुए अपने होंठ फिर से उसके नरम गुलाबी होंठों पर रख दिए। मोहित ने करुणा के होंठ चूसते हुए अपना एक हाथ को उसके नंगे पेट पर रख दिया और उसके होंठ चूसते हुए अपने दूसरे हाथ से उसके गोरे पेट को सहलाने लगा। मोहित अपने हाथ को करुणा के गोरे पेट पर रगड़ते हुए ऊपर उसके चूचियों की तरफ बढ़ने लगा।
मोहित के हाथ ने जैसे ही करुणा की साड़ी के ऊपर से उसकी चूचियों को छुआ, करुणा का पूरा जिश्म सिहर उठा और उसने मजे से मोहित के मुँह में अपनी जीभ डाल दी।
मोहित करुणा की गर्म जीभ को पकड़कर बड़े प्यार से चूसने लगा। मोहित ने करुणा की जीभ को चाटते हुए अपने हाथ से उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसकी छोटी-छोटी चूचियों को सहलाने लगा। मोहित ने करुणा की जीभ को अपने मुँह से निकालते हुए उसके कंधे को चूमते हुए करुणा की चूचियों की तरफ बढ़ने लगा। मोहित ने अचानक उठते हुए अपनी शर्ट को उतार दिया और करुणा को सीधा बिठाते हुए उसकी साड़ी को खोलने लगा।
करुणा ने शर्म के मारे साड़ी को अपने हाथों से पकड़ लिया।
मैं इतनी देर से उन दोनों को देख रही थी, मैंने उठकर करुणा को बेड से उठाते हुए सीधा खड़ा कर दिया और उसके कान में कहा- “अगर पूरा मजा लेना है तो शर्म को छोड़कर मोहित जो करता है वो करने दो...”
करुणा मेरी बात सुनकर चुपचाप खड़ी रही और मैं वापस सोफे पर आकर बैठ गई। मोहित ने करुणा की साड़ी को पकड़कर गोल-गोल घुमाते हुए उसे करुणा के जिश्म से अलग कर दिया। करुणा के जिश्म से साड़ी के अलग होते ही सिर्फ ब्रा और एक छोटी कच्छी में उसका कामुक जिश्म देखकर मोहित पर बिजलियां गिरने लगीं। मोहित करुणा के जिश्म को ऊपर से नीचे तक गौर से देखने लगा और करुणा ने तेज साँसें लेते हुए शर्म से अपनी आँखें फिर से बंद कर ली।
मोहित करुणा का गोरा और चिकना जिश्म देखकर पागल हो रहा था। उसने अपनी पैंट भी वहीं उतार दी और करुणा को वापस बेडपर लेटाते हुए खुद उसके ऊपर चढ़ गया। मोहित ने अपना मुँह उसकी ब्रा के ऊपर से ही चूचियों पर रख दिया और उन्हें अपने होंठों से चूमने लगा।
मोहित का मुँह अपनी चूचियों पर महसूस करते ही करुणा के मुंह से सिसकी निकल गई- “आहहह...”
मोहित ने करुणा के ऊपर से उठते हुए उसे सीधा बिठा दिया और अपना हाथ उसके पीछे लेजाकर उसकी ब्रा के हुक खोल दिए। करुणा के ब्रा के हुक खुलते ही मोहित ने उसके हाथ में पकड़ते हुए उसे सीधा लेटा दिया। करुणा के सीधे लेटते ही उसकी ब्रा उसके जिश्म से अलग होते हुए मोहित के हाथों में आ गई। मोहित फिर से करुणा के ऊपर चढ़ गया और अपने एक हाथ से उसकी एक चूची को पकड़ते हुए अपना मुँह उसकी दूसरी चूची पर रख दिया।
मोहित का मुँह अपनी चूची पर पड़ते ही करुणा के मुँह से कामुक सिसकियां निकलने लगी- “ओह्ह...”
मोहित ने अपना मुँह खोलकर उसकी छोटी चूची को पूरा अपने मुँह में भर लिया और बहुत जोर से चूसने लगा। करुणा मजे से हवा में उड़ने लगी। उसे आज तक ऐसा मजा कभी नहीं मिला था। उसका पूरे जिम में चींटियां रेंग रही थीं और उसकी चूत में से पानी की नदियां बह रही थीं। मोहित करुणा की चूचियों को एक-एक करके पूरी तरह से चाटने के बाद नीचे होते हुए उसके गोरे पेट पर अपनी जीभ फिराते हुए अपना मुँह करुणा की कच्छी पर आकर रोक दिया। मोहित ने पहले अपनी जीभ को करुणा की कच्छी के ऊपर से उसकी चूत पर फिराने लगा।
मोहित की जीभ कच्छी के ऊपर से अपनी चूत पर महसूस करके करुणा कराह उठी- “आअह्ह्ह..."
मोहित ने करुणा की कच्छी में अपने दोनों हाथों की उंगलियां फँसाते हुए नीचे सरका दिया, करुणा ने भी अपने चूतड़ों को ऊपर करके मोहित को कच्छी उतारने में मदद की। मोहित कच्छी उतरते ही करुणा की टाँगों के नीचे बैठ गया और अपना मुँह करुणा की भूरे बालों वाली छोटी चूत के करीब लेजाकर उसकी महक सँघने लगा।
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करुणा मोहित की साँसों को अपने चूत के इतना करीब देखकर मजे से झटपटाने लगी और अपनी टाँगों को जितना हो सकता था फैला दिया। करुणा की टाँगें फैली होने की वजह से उसकी छोटी चूत बिल्कुल खुलकर मोहित के मुँह के सामने आ गई। मोहित अपनी साँसों को पीछे खींचते हुए करुणा की कुँवारी चूत की गंध महसूस करने लगा। करुणा की चूत की कुंवारी गंध मोहित को पागल बना रही थी जिस वजह से मोहित अपनी आँखें बंद करके मजे से उसकी चूत की गंध सँघ रहा था। मोहित ने करुणा की चूत की गंध सँघते-सँघते अचानक अपनी जीभ निकालकर उसकी गुलाबी चूत के छोटे से दाने पर रख दी और उसे चाटने लगा।
“आह्ह्ह... ऊह्ह...” मोहित की जीभ अपनी चूत के दाने पर लगाते ही करुणा के मुँह से कामुक सिसकियां निकलने लगी।
मोहित अपनी जीभ से उसके दाने को चाटते हुए अपना मुँह खोलकर करुणा की चूत के दाने को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा। मोहित करुणा की चूत के दाने को चूसते हुए उसे अपने दांतों से हल्का काट दिया।
करुणा मोहित के हल्के काटने से ही उछाल पड़ी- “ओईएइ..."
मैं इतनी देर से उन दोनों का खेल देखकर बहुत गरम हो गई थी, इसीलिए मैं अपने पूरे कपड़े निकालकर उंगली से अपनी चूत को शांत करने लगी। मोहित अपने मुँह से करुणा की चूत के दाने को निकालते हुए अपनी जीभ को उसकी चूत के भूरे बालों पे फिराने लगा। मोहित अपनी जीभ को करुणा के भूरे बालों से ले जाता हुआ उसकी चूत के गुलाबी छेद को, जो दो छोटे-छोटे होंठों के बीच बंद था उसपर रख दी, और अपने दोनों हाथों से उसकी चूत के छोटे होंठ खोलते हुए उसके छेद में फिराने लगा।
मोहित की जीभ अपनी चूत के छेद में महसूस होते ही करुणा मजे और उत्तेजना में काँपने लगी। मोहित अपनी जीभ से करुणा के छेद को ऊपर से चाटते हुए अपनी जीभ को दबाव देकर उसकी चूत के छेद में घुसाने लगा। करुणा इतनी देर से आग में जल रही थी, रहित की जीभ का दबाव अपनी चूत पर पड़ते ही उसकी ज्वालामुखी फट गई और उसकी चूत से पानी की नदियां बहने लगी।
आअह्ह्ह... ऊह्ह...” की सिसकियों के साथ करुणा झड़ने लगी।
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मोहित अपनी जीभ से करुणा की कुँवारी चूत से निकलता हुआ पानी चाटने लगा, मगर करुणा की चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा था, इसीलिए मोहित का चेहरा करुणा की चूत से निकलते पानी से भीग गया। करुणा जब तक झड़ती रही, मोहित उसकी चूत का पानी चाटता रहा। करुणा के पूरी तरह झड़ने के बाद मोहित उसकी टाँगों के बीच में से उठकर बेड पर लेट गया। करुणा की आँखें बंद थी और उसकी साँसें बहुत जोर से चल रही थी। करुणा ने कुछ देर बाद अपनी आँखें खोली, मोहित अपना अंडरवेर भी उतारकर हाथ से अपने लण्ड को सहला रहा था। करुणा ने मोहित के लण्ड को देखकर शर्म से अपनी आँखें फिर से बंद कर ली।
मोहित ने करुणा का हाथ पकड़ते हुए अपने लण्ड पर रख दिया और अपने हाथ से उसके हाथ को अपने लण्ड पर ऊपर से नीचे फिराने लगा। करुणा का हाथ मोहित के लण्ड पर पड़ते ही उसे ऐसा लगा जैसे उसने किसी गरम लोहे को पकड़ लिया है। उसके पूरे जिम में गुदगुदी का अहसास होने लगा और वो अपनी आँखें खोलकर मोहित के लण्ड को गौर से देखने लगी।
मोहित ने करुणा को अपने लण्ड की तरफ देखते हुए कहा- “क्या देख रही हो, मेरा लण्ड तुम्हें पसंद आया?”
करुणा ने कहा- “तुम्हारा लण्ड बहुत तो बड़ा है यह मेरी छोटी सी चूत में कैसे घुसेगा?”
मोहित ने अपने दूसरे हाथ से करुणा की चूची को सहलाते हुए कहा- “तुम इसकी चिंता मत करो मैं बहुत आराम से करूंगा, तुम मेरे लण्ड को प्यार करो..."
करुणा ने अपने हाथ को धीरे-धीरे मोहित के लण्ड पर ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया। मोहित सीधा बेड पर लेटा हुआ था और उसका लण्ड खंभे की तरह खड़ा करुणा के नरम हाथों में कैद था। करुणा बेड पर सीधा होकर बैठते हुए अपना मुँह मोहित के लण्ड के करीब लाकर उसे गौर से देखते हुए सहलाने लगी। करुणा को मोहित के लण्ड का गुलाबी सुपाड़ा बहुत अच्छा लग रहा था। करुणा ने उसका लण्ड सहलाते हुए अचानक अपने होंठों से मोहित के लण्ड के टोपे को चूम लिया।
करुणा के नरम होंठ अपने लण्ड पर महसूस होते ही मोहित के मुँह से सिसकी निकल गई- “आहहह...”
करुणा अब अपने दोनों हाथों से मोहित के लण्ड को ऊपर-नीचे कर रही थी। मोहित के मुँह से सिसकियां निकल रही थी। करुणा अचानक अपने हाथों को मोहित के लण्ड से अलग करते हुए अपनी जीभ निकालकर उसके लण्ड के लाल सुपाड़े पर फिराने लगी। मोहित का लण्ड करुणा की जीभ को अपने ऊपर महसूस करके बहुत जोर से उछलने लगा और करुणा के मुँह से दूर हो गया।
करुणा ने अपना एक हाथ बढ़ाकर मोहित के लण्ड को अपनी मुठ्ठी में पकड़ लिया, और अपनी जीभ निकालकर उसके गुलाबी टोपे को चाटने लगी। मोहित मजे से सिसक रहा था और उसके लण्ड के छेद में से वीर्य की बूंदें निकलने लगी। करुणा ने अपनी जीभ से उसके लण्ड से निकलती हुई वीर्य की बूंदों को चाट लिया। पहले तो उसे कुछ अजीब लगा मगर फिर उसे मजा आने लगा और वो अपनी जीभ को मोहित के लण्ड के छेद में लेजाकर उसका निकलता हुआ वीर्य चाटने लगी।
मोहित ने करुणा से कहा- “इसे अपने मुँह में लेकर प्यार करो.."
करुणा ने मोहित का कहना मानकर अपना मुँह खोला और उसके लण्ड के टोपे को अपने मुँह में ले लिया।
मोहित ने सिसकते हुए करुणा से कहा- “आअह्ह्ह... अपने होंठों से चूसो तुम्हारे दाँत लग रहे हैं...”
करुणा अपने होंठों से मोहित के लण्ड को चूसने लगी। मोहित कुछ देर तक उससे अपना लण्ड चुसवाने के बाद करुणा के मुँह से अपने लण्ड को निकाल लिया। मोहित को लग रहा था की अगर उसने अपना लण्ड करुणा के मुँह से नहीं निकाला तो वो उसके मुँह में ही झड़ जाएगा, जो वो नहीं चाहता था। मोहित करुणा की टाँगों के बीच बैठ गया और उसकी टाँगों को घुटनों तक मोड़कर उसके नीचे एक तकिया दे दिया।
करुणा की चूत अब बाहर निकलकर सीधा मोहित के लण्ड के सामने थी। मोहित ने एक तकिया उठाकर करुणा के चूतड़ों के नीचे रख दिया, और अपना फनफनता हुआ लण्ड उसकी छोटी सी गुलाबी रस टपकाती चूत पर रगड़ने लगा।
करुणा- “आअहह्ह.. ओहह...” मोहित का लण्ड करुणा अपनी चूत पर महसूस करते ही आहें भरने लगी।
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मोहित ने अपना लण्ड करुणा की चूत पर रगड़ते हुए अपने दोनों हाथों से उसकी चूत के दोनों होंठों को आपस में थोड़ा सा अलग करते हुए अपना लण्ड करुणा की चूत के गुलाबी छेद में रख दिया। करुणा मोहित का लण्ड अपनी चूत के छेद पर महसूस करते ही मजे से कांप उठी, और अपने चूतड़ों को उछालकर मोहित का लण्ड अपनी चूत में लेने की नाकाम कोशिश करने लगी।
मैं सोफे से उठते हुए बेड पर करुणा के सिर के पास जाकर बैठ गई।
मोहित ने करुणा की टाँगों को पकड़ते हुए एक धक्का मार दिया।
करुणा- “ऊह्ह... आअह्ह्ह... बहुत दर्द हो रहा है... निकालो मोहित तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा है... मैंने पहले ही कहा था यह मेरी चूत में नहीं घुसेगा...”
मोहित के लण्ड का सिर्फ टोपा करुणा की चूत के होंठों को फैलाकर उसमें फँस गया था। मैं अपने हाथों से करुणा की चूचियों को सहलाने लगी। करुणा की चूचियों को सहलाते हुए मैंने अपने होंठ उसके गुलाबी होंठों पर रख दिए और मोहित की तरफ देखते हुए आँख मारकर उसे अपना काम करने के लिए कह दिया।
मोहित ने मेरी बात को समझते हुए करुणा की टाँगों को बहुत जोर से पकड़ते हुए अपना लण्ड थोड़ा पीछे खींचते हुए बहुत जोर का एक धक्का मार दिया। मोहित का लण्ड करुणा की छोटी सी चूत की झिल्ली को चीरता हुआ आधा उसकी चूत में घुस गया। करुणा की चूत से खून की कुछ बूंदें निकलकर बेड पर गिरने लगी।
मैंने अपने होंठों से करुणा के होंठों को सील किया हुआ था, जिस वजह से करुणा की चीखें मेरे मुँह में ही दब कर पूँ-हूँ की आवाजें कर रही थी। करुणा मछली की तरह झटपटा रही थी, मगर मोहित ने अपने मजबूत हाथों से उसे पकड़कर रखा था। मैं अपने हाथों से करुणा की चूचियों को जोर-जोर से मसलने लगी। कुछ ही देर में करुणा ने छटपटाना बंद कर दिया और अपनी जीभ को मेरे मुँह में डालने लगी।
मैं अपना मुँह खोलकर उसकी जीभ को चाटने लगी। मैं करुणा की जीभ को अपने होंठों से जोर से चूसने लगी। थोड़ी ही देर में करुणा का छटपटाना खतम हो गया और वो अपने चूतड़ों को मोहित के लण्ड पर उछालने लगी। मोहित ने अपने आधे लण्ड से ही करुणा की चूत में हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिये और मैंने करुणा के होंठों को छोड़ते हुए उसकी चूचियों को एक-एक करके चाटने लगी।
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करुणा- “अया दीदी अभी तो बहुत अच्छा लग रहा है, पहले तो मेरी जान ही निकल गई..”
मोहित करुणा की बात सुनकर उसकी चूत में थोड़े तेज धक्के लगाने लगा।
“आअह्ह्ह... ओहह...” करते हुए करुणा सिसक रही थी।
करुणा की चूत बहुत टाइट होने के कारण मोहित को धक्के लगाने में बहुत जोर लगाना पड़ रहा था और मोहित को अपना लण्ड किसी गरम भट्ठी में फँसा हुआ महसूस हो रहा था। करुणा का जिश्म अचानक अकड़ने लगा
और उसके मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकलने लगी। मोहित समझ गया की करुणा झड़ने वाली है। इसीलिए वो बहुत जोर के धक्के लगाने लगा।
आअहह्ह... ओहह...” करते हुए अचानक करुणा की चूत ने सिकुड़ते हुए पानी छोड़ दिया। करुणा के झड़ने से उसकी चूत में मोहित का लण्ड आराम से अंदर-बाहर होने लगा और वो करुणा की चूत में बहुत जोर के धक्के मारने लगा।
मोहित के हर धक्के के साथ उसका लण्ड करुणा की चूत में थोड़ा सा और अंदर घुस जाता और मोहित के हर धक्के के साथ उसका पूरा जिश्म उछल रहा था। करुणा के मुँह से जोर-जोर की सिसकियां निकल रही थी। वो एक बार झड़ने के बाद भी बहुत गरम थी और वो अपने चूतड़ उछाल-उछालकर मोहित से चुदवा रही थी। मोहित भी बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया था, इसीलिए वो बहुत जोर के धक्के लगाते हुए अपना पूरा लण्ड करुणा की। चूत में घुसा दिया।
करुणा- “आअहहह... मेरी चूत फट गई ऊह्ह... निकालो मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा है तुम्हारा बहुत बड़ा है...”
मोहित करुणा की बात को सुनकर और ज्यादा उत्तेजित हो गया और करुणा की चूत में बहुत जोर के धक्के मारने लगा। करुणा की चीखें थोड़ी ही देर में सिसकियों में तब्दील हो गई और वो अपने चूतड़ों को उछालउछालकर मोहित के लण्ड से ताल से ताल मिलने लगी।
करुणा- “आअह्ह्ह... ओह्ह... मोहित बहुत मजा आ रहा है... तुम्हारा लण्ड मेरी पूरी चूत में जड़ तक रगड़ खा रहा है, मैंने ख्वाब में भी नहीं सोचा था की चुदवाने में इतना मजा आता है। ऐसे ही जोर से मेरी चूत में धक्के मारो। मुझे बहुत मजा आ रहा है...”
मोहित करुणा के मुँह से यह सब सुनकर बहुत ज्यादा उत्तेजित होकर करुणा की चूत में बहुत जोर के धक्के मारने लगा।
मैंने उठकर अपनी दोनों ताँगें फैलाकर अपनी चूत करुणा के मुँह के ऊपर रख दी।
करुणा ने अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटते हुए अपनी जीभ को कड़ा करते हुए मेरी चूत में घुसा दिया। मोहित का लण्ड करुणा की चूत से बाहर निकलते ही वो मेरी चूत से अपनी जीभ बाहर कर लेती और जैसे ही मोहित अपना लण्ड उसकी चूत में पूरा घुसाता मजे से वो कांप उठती, और मेरी चूत में अपनी जीभ को पूरा अंदर घुसा देती। मेरे मुँह से भी बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थी।
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मेरा मुँह मोहित की तरफ था। अचानक मोहित ने थोड़ा सा मेरी तरफ होते हुए मेरे होंठों को चूमते हुए करुणा की चूत में धक्के लगाने लगा। करुणा की जीभ मेरी चूत में बहुत जोर से अंदर-बाहर हो रही थी। मैं समझ गई की वो झड़ने वाली है। मोहित अचानक मेरे होंठों को छोड़कर करुणा की टाँगों को पकड़कर बहुत जोर के धक्के लगाने लगा।
मैंने मोहित से कहा- “तुम इसकी चूत में मत झड़ना। मैंने इसे गोली नहीं खिलाई है, इसे बच्चा हो जायगा...”
करुणा ने मेरी चूत से अपनी जीभ निकालते हुए कहा- “मोहित प्लीज... अपना लण्ड मेरी चूत से मत निकालो मैं झड़ने वाली हूँ...” और अपनी जीभ वापस मेरी चूत में डालकर बहुत जोर से अंदर-बाहर करने लगी।
मोहित करुणा की बात मानते हुए उसकी चूत में धक्के मारने लगा। मोहित झड़ने के बिल्कुल करीब था इसीलिए उसका लण्ड फूलकर बहुत मोटा हो गया था और करुणा की चूत में फँसकर अंदर-बाहर हो रहा था। मोहित का जिम अचानक काँपने लगा और वो बहुत जोर के धक्के लगाते हुए आअह्ह्ह... करते हुए करुणा की चूत में अपना वीर्य भरने लगा।
करुणा अपनी चूत में जिंदगी का पहला वीर्य गिरते ही मजे से अपनी आँखें बंद करके झड़ने लगी और अपनी पूरी जीभ मेरी चूत में डाल दी। मैं भी इतनी देर से अपने आपको रोके हुए थी, करुणा की जीभ घुसते ही मैं भी ‘आअह्ह्ह' करते हुए झड़ने लगी। मोहित कुछ देर तक करुणा की चूत को अपने वीर्य से भरने के बाद उसके ऊपर ही ढेर हो गया। मैं भी झड़ने के बाद वहीं पर करुणा के साइड में लेट गई। कुछ देर तक हम ऐसे ही चुपचाप पड़े रहे।
मोहित का लण्ड करुणा की चूत में ही घुसा हुआ था, और करुणा की चूत से मोहित और उसका वीर्य, खून के साथ नीचे बेड पर गिर रहा था। मोहित कुछ देर तक उसके ऊपर पड़े रहने के बाद अपना लण्ड करुणा की चूत से निकालकर साइड में बेड पर लेट गया। मोहित का लण्ड करुणा की चूत से पच्च की आवाज के साथ निकल गया। मोहित सीधा बाथरूम में घुस गया और कुछ देर बाद वापस बेड पर लेट गया। मोहित का लण्ड अभी भी आधा खड़ा था। मोहित बाथरूम से अपने लण्ड को साफ करके आया था।
करुणा जो बिल्कुल खामोश होकर लेटी हुई थी अचानक उठकर बाथरूम में जाने लगी। करुणा के उठते ही उसकी नजर बेडशीट पर बने हुए खून के धब्बों पर अटक गई।
मैंने करुणा को खून के धब्बों की तरफ गौर से देखते हुए उससे कहा- “करुणा तुम इस धब्बों की चिंता मत करो यह हर कुँवारी औरत की चूत में से पहली बार निकलता है। अब तुम कच्ची कली से फूल बन चुकी हो, मतलब एक लड़की से औरत बन चुकी हो। अब चाहे जितना बड़ा लण्ड निगल लो तुम्हारी चूत से खून नहीं निकलेगा..."
करुणा मेरी बात सुनकर बेड से उठकर बाथरूम में जाने लगी। करुणा बाथरूम में जाते वक़्त लंगड़ाकर चल रही थी। करुणा के जाते ही मैं मोहित के पास चली गई और उसके ऊपर चढ़कर उसके होंठों को चूसने लगी। मोहित अपने हाथों से मेरी चूचियों को मसलने लगा। मैं उसके मुँह से अपने होंठों को अलग करते हुए तेज साँसें लेते हुए आहें भरने लगी। मोहित मेरी एक चूची को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा और दूसरे हाथ से मेरी दूसरी चूची को मीसने लगा।
मोहित मेरी चूचियों को इतनी जोर से मसल और चूस रहा था के मेरे मुँह से हल्की चीखें- “ऊह्ह... आह्ह..." की निकल रही थीं।
मैं एक घंटे से करुणा और मोहित का खेल देखकर इतनी गर्म हो चुकी थी की एक बार झड़ने के बाद भी मेरी चूत शांत नहीं हुई थी और मेरी चूत में से उत्तेजना के मारे पानी की नदियां बह रही थी। मैंने मोहित के मुँह से अपनी चूचियां निकाली और नीचे होते हुए उसके आधे खड़े लण्ड को अपने हाथों में पकड़कर सहलाने लगी। मैं मोहित के लण्ड को अपने नरम हाथों से सहलाते हुए उसे अपनी जीभ निकालकर चाटने लगी। मोहित का लण्ड मेरी जीभ के अहसास से फिर से तनने लगा। मैंने देर ना करते हुए अपना मुँह खोलकर उसके लण्ड को अपने मुँह में डालकर बहुत जोर से आगे-पीछे करते हुए चाटने लगी।
करुणा बाथरूम से वापस आकर बेड पर बैठकर हमें देख रही थी।
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मोहित का लण्ड मेरे मुँह में जाते ही अकड़ने लगा और पूरा तनकर उसका आधा लण्ड ही मेरे मुँह को भरने लगा। मैंने मोहित के लण्ड को अपने मुँह से निकालते हुए उसके सुपाड़े पर अपनी जीभ फिराई और फिर अपनी दोनों टाँगें फैलाकर मोहित के लण्ड को अपनी चूत के छेद पर टिकाते हुए अपने वजन के साथ उसपर बैठ गई। मोहित का लण्ड मेरी चूत में जड़ तक घुसते ही मजे के मारे मेरे मुँह से ‘आअह्ह्ह' की सिसकी निकल गई। मैं मोहित के लण्ड पर अपने चूतड़ों को ऊपर-नीचे करने लगी।
मोहित का लण्ड मेरी चूत की दीवारों को तेजी से रगड़ता हुआ अंदर-बाहर होने लगा और मैं मजे के मारे बहुत जोर से ऊपर-नीचे होने लगी। मोहित के लण्ड पर जोर से बैठने से उसका लण्ड मेरी बच्चेदानी पर ठोकरें मार रहा था, और मेरा पूरा शरीर मजे से काँप रहा था।
मोहित ने मेरी हिलती हुए चूचियों को अपने हाथों में ले लिया, और बहुत जोर से उन्हें मीसने लगा। मोहित ने मेरी चूचियों को को मीसते हुए करुणा को अपने पास बुला लिया और मेरी चूचियों को छोड़कर उसकी छोटी-छोटी चूचियों को अपने हाथों से सहलाते हुए अपने मुँह में भरकर चूसने लगा।
करुणा की चूचियां मोहित के मुँह में जाते ही उसका लण्ड मेरी चूत में और ज्यादा कड़क और मोटा होने लगा,
और मेरी चूत की दीवारों को बहुत जोर से रगड़ने लगा। मैं उसके कड़क और मोटे लण्ड को अपनी चूत में ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर सकी और मेरा पूरा बदन अकड़ने लगा। मेरी चूत के होंठ मोहित के लण्ड पर सिकुड़ने लगे और मैं बहुत जोर से मोहित के लण्ड पर उछलने लगी। मोहित भी मुझे नीचे से बहुत जोर के धक्के लगाने लगा। मेरी चूत झटके खाते हुए मोहित के लण्ड पर झड़ने लगी और मैं ‘आअह्ह... आह्ह्ह...' करते हुए बहुत जोर से अपनी चूत को मोहित के लण्ड पर उछालते हुए झड़ने लगी। मेरी आँखें मजे से बंद हो गई और मैं न जाने कितनी देर तक मोहित के लण्ड पर पानी गिराती रही।
मैं पागलों की तरह मोहित के लण्ड पर कूद रही थी, मेरा पूरा शरीर पशीने में भीग चुका था। मैं पूरा झड़कर थक हारकर हॉफते हुए मोहित के ऊपर ढेर हो गई।
मोहित मेरे होंठों को चूमते हुए मुझे अपने ऊपर से उठाकर साइड में बेड पर लिटा दिया। मोहित का लण्ड मेरी चूत से निकलकर सीधा तंबू की तरह खड़ा उछल कूद रहा था और वो मेरी चूत के पानी से भीगा हुआ चमक रहा था।
करुणा मोहित के लण्ड को खा जाने वाली नजरों से देखते हुए नीचे होने लगी। वो लण्ड के बिल्कुल करीब पहुँचकर उसे नीचे से अपने हाथ में पकड़ लिया और अपनी नाक के करीब लाकर उसकी गंध सँघने लगी। करुणा को मेरी चूत और मोहित के लण्ड के मिलेजुले वीर्य की महक बहुत अच्छी लग रही थी, क्योंकी वो अपनी आँखें बंद करके बहुत जोर से साँसें खींचते हुए मोहित के लण्ड को सँघ रही थी।
करुणा ने अपनी आँखें खोलते हुए मोहित के लण्ड को देखा और अपनी जीभ निकालकर उसके सुपाड़े पर लगा हुआ प्री-कम चाट लिया। करुणा को प्री-कम का स्वाद बहुत अच्छा लगा इसीलिए उसने अपनी जीभ से मोहित के पूरे लण्ड को चाटकर साफ कर दिया। करुणा ने मोहित के लण्ड को अपनी मुट्ठी में काबू करते हुए अपनी जीभ को उसके सुपाड़े के छेद में फिराने लगी।
करुणा की जीभ अपने सुपाड़े के छेद में महसूस होते ही मोहित काँप उठा- “आअह्ह्ह...”
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करुणा अपनी जीभ को कुछ देर तक मोहित के लण्ड के सुपाड़े पर फिराने के बाद अपने मुँह को खोलकर उसका लण्ड अपने मुँह में भरने लगी। इस दफा करुणा के दाँत मोहित के लण्ड पर नहीं लगे थे। लगता था की वो मुझे देखकर समझ गई थी के लण्ड को कैसे अपने मुँह में लिया जाता है। करुणा अपने नरम होंठों से मोहित के लण्ड को चूसने लगी।
कुछ देर तक मोहित के लण्ड को यूँ ही चाटने के बाद करुणा ने अपनी दोनों टाँगों को फैलाकर मोहित के लण्ड को अपनी चूत के छेद पर रखते हुए नीचे बैठने लगी। मगर मोहित का लण्ड करुणा की चूत में जाने के बजाए फिसल कर साइड से होता उसकी पूरी चूत पर रगड़ता हुआ उसके पेट से टकराने लगा। करुणा अपनी पूरी चूत पर मोहित के लण्ड की रगड़ महसूस करके सिहर उठी और मोहित के लण्ड को फिर से पकड़कर अपनी चूत पर रखा, और जल्दी से उसपर बैठने लगी। मगर इस बार भी वो नाकाम रही। करुणा बिल्कुल पागल हो चुकी थी वो किसी भी कीमत पर मोहित के लण्ड को अपनी चूत में लेना चाहती थी।
मोहित चुपचाप पड़ा हुआ करुणा का मजा लूट रहा था।
मुझे करुणा पर तरस आ गया और मैं उठकर उसके पास आ गई और मोहित के लण्ड को पकड़कर करुणा की चूत के दोनों होंठों को खोलते हुए उसमें फँसा दिया। मैंने करुणा से कहा- “अब अपना वजन धीरे-धीरे मोहित के लण्ड पर डालो..."
करुणा जैसे ही थोड़ा नीचे हुई मोहित के लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया। मोहित के लण्ड का सुपाड़ा घुसते ही करुणा के मुँह से मजे से हल्की चीख निकल गई- “ऊईए आह्ह्ह.."
करुणा बहुत गर्म हो चुकी थी वो मोहित के लण्ड पर पूरे जोर के साथ बैठ गई। मोहित का लण्ड करुणा की छोटी सी चूत को फैलाता हुआ उसकी बच्चेदानी से जा टकराया- “ओईई माँ मर गई ऊह्ह... बहुत दर्द हो रहा है...” करुणा जोश में आकर मोहित के लण्ड पर बैठ तो गई, मगर उसकी चूत अभी एक बार ही चुदी थी इसीलिए वो दर्द से तड़पने लगी और उसके आँखों से आँसू निकलने लगे।
मोहित ने करुणा को कमर से पकड़ते हुए अपने ऊपर झुका लिया और उसकी चूचियों को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा। कुछ ही देर के बाद करुणा की चूत का दर्द गायब हो गया और वो अपने चूतड़ों को मोहित के लण्ड पर ऊपर-नीचे करने लगी। करुणा अपनी चूचियों को मोहित के मुँह से निकालते हुए सीधी होकर उसके लण्ड पर उछलने लगी। करुणा को अपनी चूत में मोहित का लण्ड बहुत जोर की रगड़ दे रहा था, इसीलिए वो पागलों की तरह उसके लण्ड को सुपाड़े तक बाहर खींचकर फिर से नाचे बैठ रही थी और उसके मुँह से जोर की सिसकियां निकल रही थी।
मोहित के लण्ड पर उछलते हुए करुणा का पूरा जिश्म काँप रहा था, और मोहित भी अपने लण्ड से नीचे से जोर के धक्के लगा रहा था। करुणा का जिश्म अचानक अकड़ने लगा और वो अपनी आँखें बंद करके बहुत तेजी के साथ मोहित के लण्ड पर उछलने लगी। करुणा पागलों की तरह मोहित के लण्ड पर ऊपर-नीचे हो रही थी और उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी। उसकी चूत ने मोहित के लण्ड को पूरी तरह अपने होंठों से दबोच लिया, और “आहहह... इस्स्स्स ...' करते हुए वो मोहित के लण्ड पर अपना पानी गिराने लगी। करुणा कुछ देर तक झड़ने के बाद हाँफते हुए मोहित के ऊपर ढेर हो गई।
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मोहित ने कुछ देर तक उसे अपने ऊपर ही आराम करने दिया और फिर उसको अपने ऊपर से उठाते हुए घोड़ी की तरह उल्टा होकर लेटा दिया। मोहित ने करुणा के पीछे आते हुए उसे अपनी चूत को पीछे की तरफ करने को कहा। करुणा ने मोहित की बात मानते हुए अपने चूतड़ पीछे की तरफ कर दिये। मोहित करुणा की छोटी सी भूरी गाण्ड को देखकर पागल हो गया और अपनी जीभ निकालकर उसकी चूत से ले जाते हुए करुणा की भूरी गाण्ड के छोटे से छेद पर रख दी।
करुणा मोहित की जीभ को अपनी गाण्ड पर महसूस करते ही पूरी उछल पड़ी और उसके मुँह से मस्ती में “आह्ह्ह... इस्स्स्स ...” की सिसकियां निकालने लगी। करुणा को अपने पूरे शरीर में अजीब किस्म की गुदगुदी और मजे का अहसास हो रहा था।
मोहित ने अपनी जीभ से करुणा की गाण्ड को पूरी तरह चाटने के बाद अपना मुँह वहाँ से हटाते हुए अपने लण्ड को पकड़कर करुणा की चूत में पीछे से उसके छेद में पर रख दिया और उसके चूतड़ों को पकड़ते हुए बहुत जोर का धक्का मार दिया। मोहित का लण्ड करुणा की चूत में जगह बनाता हुआ आधा घुस गया। मोहित करुणा के चूतड़ों में हाथ डालकर उसकी चूत में बहुत जोर के धक्के लगाते हुए अपना लण्ड जड़ तक घुसा दिया।
मोहित का लण्ड जड़ तक घुसते ही करुणा के मुँह से हल्की चीख निकल गई- “ऊह्ह...” मोहित अपने लण्ड को तेजी के साथ अंदर-बाहर करते हुए अपने हाथों से करुणा की गाण्ड को मसलने लगा।
करुणा- “आअहहह... इस्स्स्स ... मोहित बहुत मजा आ रहा है...” करुणा के मुँह से अब कामुक सिसकारियां निकल रही थी और वो अपने चूतड़ बहुत जोर से मोहित के लण्ड पर पीछे धकेल रही थी। मोहित ने अपने हाथों से करुणा की गाण्ड को मसलते हुए अपनी एक उंगली से करुणा की गाण्ड का छेद कुरेदने लगा।
करुणा- “ओईई... क्या कर रहे हो मोहित, दर्द हो रहा है...” मोहित की उंगली अपनी गाण्ड के छेद पर महसूस करते ही करुणा उछल पड़ी।
मोहित करुणा की बात को अनसुना करते हुए उंगली को अपने मुँह में डालते हुए गीला कर दिया और फिर से करुणा की गाण्ड के भूरे छेद पर रखते हुए अपनी पूरी उंगली अंदर डाल दी।
करुणा- “ऊईई... माँ मर गई... उंगली मेरी गाण्ड में क्यों डाली? बहुत दर्द हो रहा है...”
मोहित करुणा की गाण्ड में उंगली डाले-डाले ही उसकी चूत में अपना लण्ड तेजी के साथ अंदर-बाहर करने लगा। कुछ ही देर में करुणा अपनी गाण्ड का दर्द भूलकर अपनी चूत में मोहित के लण्ड की रगड़ का मजा लेने लगी। मोहित करुणा की गाण्ड में अपनी उंगली को अंदर-बाहर करते हुए उसकी चूत को चोदने लगा।
करुणा को अपनी गाण्ड में मोहित की उंगली के साथ अपनी चूत में उसके लण्ड की रगड़ पागल कर रही थी। उसके मुँह से बहुत ज्यादा सिसकियां निकल रही थी और उसका पूरा शरीर मजे में कांप रहा था। करुणा का शरीर अचानक अकड़ने लगा और वो मोहित के लण्ड पर अपने चूतड़ बहुत जोर से उछालने लगी। उसका पूरा शरीर काँपने लगा और उसकी चूत झटके खाते हुए मोहित के लण्ड पर झड़ने लगी। करुणा की चूत ने झड़ते वक़्त मोहित के लण्ड को अपने होंठों से दबोच लिया।
मोहित के लण्ड ने भी ठुमका लगाकर करुणा की चूत का जवाब दिया। मोहित ने करुणा के झड़ने का पूरा फायदा उठाते हुए अपनी एक उंगली उसकी गाण्ड से निकालकर अपने मुँह में डाली और उसे गीला करते हुए अपनी दो उंगलियां उसकी गाण्ड में डाल दी।
करुणा- “आअह्ह्ह...” करते हुए अपने झड़ने का मजा लेती हुए, अचानक मोहित की दो उंगलियों को अपनी चूत में महसूस करके- “ऊईई... माँ ऊहह... मर गई...” कहते हुए चिल्लाने लगी।
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मोहित करुणा की चीखों की परवाह ना करते हुए अपनी उंगलियों को तेजी के साथ अंदर-बाहर करते हुए अपने लण्ड को उसकी चूत में पेलने लगा। मोहित का लण्ड करुणा की चूत में वैसे ही टाइट जा रहा था और उसकी दो उंगलियां करुणा की गाण्ड में होने से मोहित का लण्ड बहुत जोर लगाने पर अंदर-बाहर हो रहा था। मोहित का पूरा जिश्म पशीने से भीग चुका था, और उसका जिश्म काँपते हुए करुणा की चूत में झड़ने लगा।
करुणा जो अब तक अपनी गाण्ड के दर्द से सिसक रही थी वो अचानक मोहित का गरम वीर्य अपनी चूत में महसूस करते ही सिहर उठी और उसकी चूत ने फिर से झड़ना शुरू कर दिया।
मोहित करुणा की चूत में झड़ने के बाद वहीं बेड पर ढेर हो गया।
मैं करुणा को उसके कमरे में छोड़कर खुद भी अपने कमरे में आकर सो गई।
दूसरे दिन सुबह उठते ही हम सभी तैयार होकर कालेज चले गये। ऐसे दिन बीतते गये। करुणा अब डेली मोहित से चुदवाकर सोती थी।
* * * * * * * * * *
धन्नो, करुणा, और मोहित की ट्रेन यात्रा
करुणा के और हमारे एग्जाम बहुत नजदीक आ चुके थे इसीलिए मैं बिंदिया और करुणा एक साथ मिलकर रात को पढ़ाई करते थे, और हमारी चुदाई भी नहीं हो रही थी। वक़्त गुजरता गया और हमारे एग्ज़ाम्स भी हो गये और हम सभी पास हो गये।
एग्जाम्स के बाद रोहन अपने घरवालों के साथ बिंदिया का रिश्ता मागने आ गया और रोहन की बिंदिया के साथ दो महीने के बाद की तारीख शादी के लिए पक्की हो गई।
मोहित का भी कालेज में एडमिशन हो गया और वो अपने गाँव जाकर अपना कुछ सामान लाना चाहता था।‘
मैंने आँटी से कहा- “मैं भी रोहन के साथ गाँव जाऊँगी, मेरे एग्जाम्स भी हो गये हैं और मैं गाँव घूमना चाहती हूँ..." और आँटी ने मुझे मोहित के साथ गाँव जाने की इजाजत दे दी।
करुणा ने भी आँटी से मेरे साथ गाँव जाने के लिए बोल दिया। आँटी ने पहले मना कर दिया, मगर करुणा के । जोर देने पर वो मान गई। मैं और करुणा मोहित के साथ गाँव जाने के लिए तैयारी करने लगी। मोहित ने गाँव जाने के लिए ट्रेन की शाम की तीन टिकटें बुक कर ली। हमारे गाँव जाने के लिए वहाँ से 8 घंटे का ट्रेन का सफर था। हमारी ट्रेन रात को 11:00 बजे की थी, सारा दिन ऐसे ही सामान पैक करने में गुजर गया और रात का खाना खाने के बाद आँटी और बिंदिया हमें ट्रेन तक छोड़ने आ गये। हमें ट्रेन में छोड़ने के बाद आँटी और बिंदिया वहाँ से चली गई, हम अपनी बोगी में दाखिल हुए।
मोहित ने पूरा ऊपर और नीचे का एक बर्थ बुक कराया था। हमारी बोगी के कमरे में दो बर्थं थी। हम जैसे ही अंदर दाखिल हुए दूसरी बर्थ पर एक जोड़ा पहले से मौजूद था। वो एक जवान कपल था, लड़का कोई 22 साल का गोरा कद में लंबा और हैंडसम था और लड़की 20 साल की बिल्कुल गोरी तो नहीं थी हल्की साँवली बड़ी-बड़ी चूचियां, भरा हुआ जिम और उसकी गाण्ड बहुत मोटी थी।
मोहित उस लड़की को बहुत गौर से देख रहा था। लगता था की मोहित को वो लड़की बेहद पसंद आ गई थी। हमने अपना सामान ऊपर वाले बर्थ पर रख दिया, खुद नीचे बैठ गये।
वो लड़का हमारे बैठते ही हमसे अपना परिचय कराते हुए बोला- “मेरा नाम प्रवीण है, यह मेरी पत्नी राधा है। हमारी दो महीने पहले ही शादी हुई है, और मैं इसे अपने ससुराल घुमाने ले जा रहा हूँ..” ।
‘
मोहित ने उस लड़के से कहा- “आपसे मिलकर बड़ी खुशी हुई, मेरा नाम मोहित है, यह मेरी दोनों कजिंस हैं। करुणा और धन्नो...”
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वो लड़का हम दोनों को नमस्ते बोला। करुणा और मैंने उस लड़के को हँसकर नमस्ते का जवाब दिया। कुछ देर तक हम ऐसे ही बातें करते रहे। कुछ देर बाद टी.टी. आ गया और हमारी टिकेटें चेक करने के बाद वहाँ से चला गया। उसके जाते ही मोहित ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और सोने के लिए बिस्तर लगाने लगा। मोहित ने नीचे की दोनों बर्थों पर अपना और करुणा का बिस्तर लगाया और बची हुई ऊपर वाली बर्थ पर मेरा बिस्तर लगा दिया।
वो कपल भी सोने की तैयारी करने लगा और अपना बिस्तर एक ही बर्थ पर लगा दिया। वो लड़का बहुत चालाक था, उसने एक बहुत बड़ा कपड़ा अपने बैग से निकालते हुए बीच में पर्दा लगा दिया, जिसकी वजह से उसके और हमारे बर्थ में से कोई एक दूसरे को नहीं देख सकता था। मैं ऊपर की बर्थ पर होने के कारण उन्हें देख सकती थी, मगर उन्हें यह पता नहीं था क्योंकी वो मुझे नहीं देख पा रहे थे।
पर्दा लगाने के बाद उस लड़के ने अपनी शर्ट और पैंट उतार दी और उस लड़की के ऊपर चढ़ते हुए उसके होंठों को चूमने लगा। प्रवीण ने कुछ देर तक उसके होंठों को चूमने के बाद उठकर उसकी साड़ी को उसके जिम से अलग कर दिया। वो लड़की अब सिर्फ ब्रा और एक कच्छी में थी।
वो लड़की गोरी नहीं थी मगर उसका नंगा जिश्म देखकर मैं हैरान रह गई। साली की क्या चूचियां थीं और उसके नितंब तो बिल्कुल मोटे भरे हुए थे की कोई भी लड़का पहली नजर में उसकी गाण्ड का दीवाना हो सकता था। प्रवीण ने राधा की कच्छी को उसके जिम से अलग करते हुए अपने अंडरवेर को उतारने लगा। उस लड़की की काली चूत पे घने बाल थे।‘
प्रवीण का अंडरवेर उतरते ही मेरी साँसें बहुत जोर से चलने लगी। प्रवीण का अंडरवेर उतरते ही उसका गोरा बहुत लंबा और मोटा लण्ड स्प्रिंग की तरह हवा में झूलने लगा। मैं यह देखकर हैरान रह गई, क्योंकी प्रवीण ने ना तो उस लड़की की चूत को चाटा, ना ही अपने लण्ड को उसके मुँह में डाला, बस सीधे उसकी टाँगों को उठाया और अपने लण्ड को दो-तीन धक्कों में उस लड़की की चूत में डाल दिया।
उस लड़की की चूत में लण्ड घुसते ही उसके मुँह से ‘आअहह..' की हल्की चीख निकल गई। प्रवीण दस मिनट तक उसकी चूत में जोर के धक्के लगाता रहा और अपना वीर्य उसकी चूत में गिराता हुआ झड़ने लगा। मैं उनकी चुदाई देखकर समझ गई की वो बिल्कुल अनाड़ी हैं। प्रवीण झड़ने के बाद बाथरूम में जाने लगा। बाथरूम हमारी साइड में था।
मैंने उस लड़के को उठता हुआ देखकर दूसरी तरफ मुँह कर लिया। उस लड़के के बाथरूम में जाते ही मैंने मोहित को ऊपर अपने बर्थ पर बुला लिया। करुणा तो कब की नींद के आगोश में चली गई थी।
वो लड़की प्रवीण के जाते ही एक कपड़ा उठाकर अपनी चूत को साफ करने लगी। वो अपनी चूत को साफ करते हुए उस कपड़े को बहुत जोर से अपनी चूत पर रगड़ने लगी। कपड़े को रगड़ते हुए उसके मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थी और मजे से उसकी आँखें बंद हो गई थी।
मोहित उस लड़की को इस पोज में देखकर पागल हो गया और उस लड़की की तरफ देखते हुए मुसे कहा- “यार यह लड़की मिल जाए तो मजा आ जाएगा...”
मैंने मोहित से कहा- “तुम्हें इस लड़की को चोदना है?”
मोहित- “हाँ... मगर कैसे?” मोहित ने जल्दी से पूछा।
मैं कुछ करती हूँ..” कहते हुए मैं बर्थ से नीचे उतरने लगी और मोहित को सोने की आक्टिंग करने को कहा।
मोहित ने मुझे नीचे उतरते हुए पूछा- “क्या करोगी?”
मैंने मोहित से कहा- “तुम चुप करके सोने का नाटक करो, अगर प्रवीण को मैंने अपने जाल में काबू कर लिया तो तुम उसकी पत्नी से खूब एंजाय कर सकते हो...”’
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