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मैं कुछ देर झड़ने के बाद निढाल होकर सोनू के सीने पर लेट गई और सोनू मेरे होंठों को चूमता हुआ मुझे अपनी बाहों में ले लिया। सोनू ने कुछ देर बाद मुझे अपने ऊपर से उठाते हुए बेड पर उल्टा लेटा दिया। मेरे उल्टे लेटते ही वो मेरे पीछे आ गया और अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत और उसके लण्ड के वीर्य का मिला जुला रस चाटने लगा। सोनू ने मेरी चूत को चाटते हुए अपनी जीभ को मेरी चूत के छेद में डाल दिया। उसकी जीभ मेरी चूत में घुसते ही मेरे मुँह से ‘आअहह्ह... निकल गई।
सोनू ने अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटते हुए अपनी एक उंगली को मेरी गाण्ड में घुसा दिया। सोनू की उंगली मेरी गाण्ड में घुसते ही मेरे मुँह से “ओईई...” निकल गया। सोनू वैसे ही मेरी चूत को चाटते हुए मेरी गाण्ड में उंगली को अंदर-बाहर करने लगा, मैं मजे से ‘आअह्ह... करते हुए अपने दोनों छेदों में होने वाली रगड़ का अनोखा मजा लेने लगी।
सोनू ने अचानक अपनी दो उंगलियों को एक साथ मेरी गाण्ड में डाल दिया। मैं “ओईई... माँ..” करके फिर से उछल पड़ी। मगर सोनू की जीभ मेरी चूत में इतना जोर से चल रही थी की मैं मजे में डूबी हुई सिसक रही थी।
सोनू मेरी चूत में अपनी जीभ डाले हुए अपनी दो उंगलियां मेरी गाण्ड में अंदर-बाहर करने लगा। कुछ देर दो उंगलियां अंदर-बाहर करने के बाद सोनू ने अपनी जीभ मेरी चूत से निकाल दी और अपनी दोनों उंगलियां मेरी गाण्ड से निकालते हुए अपनी जीभ मेरी गाण्ड में डाल दी।
सोनू की जीभ अपनी गाण्ड में घुसते ही मेरे मुँह से आह्ह्ह... ऊओह्ह... निकल गया।
सोनू अपनी जीभ को मेरी गाण्ड के चीरे में फिराते हुए अपने नाक से मेरी गाण्ड की गंध सँघने लगा। मेरी गाण्ड की गंध सँघते हुए उसकी आँखें बंद हो गई और वो अपनी जीभ को मेरी गाण्ड से निकालकर अपनी साँसों को पीछे खींचते हुए कहने लगा- “मेमसाहब, आपकी गाण्ड कमाल की है और आपकी गाण्ड से ज्यादा उसकी महक कमाल की है...”
सोनू ने मेरी गाण्ड को जी भरकर चाटने के बाद अपना लण्ड पीछे से मेरी चूत में डाल दिया और बहुत जोर से मुझे चोदते हुए अपनी एक उंगली को मेरी गाण्ड में डालकर अंदर-बाहर करने लगा।
मेरा पूरा शरीर मजे से काँप रहा था। सोनू मेरी चूत में बहुत जोर के धक्के लगा रहा था। अचानक उसने अपनी दो उंगलियां मेरी गाण्ड में डाल दी और अपने लण्ड से मेरी चूत में जोर के धक्के लगाता हुआ अपनी दोनों उंगलियां मेरी गाण्ड में अंदर-बाहर करने लगा। सोनू अपने लण्ड से इतने जोर के धक्के लगा रहा था की हर धक्के के साथ उसका लण्ड मुझे अपनी बच्चेदानी में ठोकरें मार रहा था और उसके हर धक्के के साथ मेरे मुँह से आऽs निकल रही थी।
मेरे दोनों छेदों में सोनू की उंगलियां और लण्ड इतनी जोर की रगड़ रहे थे की अब मुझे अपने आपको रोकना नामुमकिन था, इसीलिए मेरा पूरा शरीर अकड़ने लगा, और मेरी चूत सोनू के लण्ड पर अकड़ने लगी। मेरा शरीर झटके खाते हुए झड़ने लगा और मैंने “आहहह... इस्स्स्स ..' करते हुए अपनी आँखें बंद कर ली।
सोनू मेरी चूत का सिकुड़ना बर्दाश्त ना कर सका और वो भी ‘आअहह्ह...' करते हुए मेरी चूत में अपना वीर्य भरने लगा। सोनू का लण्ड झड़ते हुए ज्यादा फूल गया था। मुझे अपनी चूत में उसका लण्ड बहुत मोटा महसूस हो रहा था। कुछ देर तक हम दोनों झड़ते रहे और फिर निढाल होकर बेड पर गिर पड़े। हम अपनी आँखें बंद किए बेड पर लेटे हुए थे की दरवाजा खटकने की आवाज आई।
सोनू दरवाजे की आवाज सुनकर थर-थर काँपने लगा और जल्दी से उठकर अपने कपड़े पहनने लगा। मैं भी उठकर अपने कपड़े पहनने लगी और सोनू को अपने कमरे के बाथरूम में छुपाकर मैं दरवाजा खोलने बाहर चली गई। मैंने जैसे ही दरवाजा खोला, तो सामने मोहित खड़ा था।
मुझे देखकर मोहित ने अंदर आते हुए पूछा- “धन्नो तुम इतना जल्दी कैसे आ गई?”
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मैंने मोहित से कहा- “मेरी तबीयत खराब थी इसीलिए आ गई..”
मोहित ने फिर मुझसे कहा- “आँटी कहाँ है?”
मैंने कहा- “वो बाजार से समान खरीदने गई हैं...”
मोहित यह सुनकर मुझे खींचते हुए अपनी बाहों में भर लिया और मेरे होंठों को चूमने लगा।
मैंने मोहित को अपने से दूर करते हुए कहा- “मोहित छोड़ो, मेरी तबीयत सही नहीं है...”
मोहित ने मुझे अपनी बाहों से आजाद कर दिया और अपने कमरे की तरफ जाते हुए कहा- “मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ, तुम आराम कर लो...”
मोहित के जाते ही मैंने सुख की साँस ली। मैं दौड़ते हुए अपने कमरे में घुसी। मैंने सोनू को बाथरूम से निकालते हुए कहा- “चलो अभी भागो, किसी ने देख लिया तो तुम्हारी खैर नहीं...”
सोनू पहले से डरा हुआ था। मेरी बात सुनकर वो और डर गया और दौड़ते हुए वहाँ से भाग गया। सोनू के जाते ही मैं नहाने बाथरूम में चली गई। मैं फ्रेश होकर बाहर अपने कमरे में आ गई और लेटते हुए आँटी के बारे में सोचने लगी, उसके बारे में सोचते-सोचते कब मुझे नींद आ गई पता ही नहीं चला।
आँटी ने मुझे उठाते हुए कहा- “धन्नो उठो, बहुत नींद कर ली, लंच तो कर लो..”
मैं अपनी आँखें मलते हुए उठी और बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर अपने कमरे से निकलकर बाहर आ गई। बिंदिया, करुणा भी आ गई थी, और वो दोनों खाने की टेबल पर बैठकर मोहित से बातें कर रही थी। हम सबने मिलकर खाना खाया और उठकर अपने-अपने कमरे में जाने लगे।
मैं करुणा के साथ उसके कमरे में चली गई और दरवाजा अंदर से बंद करते हुए उससे बातें करने लगी। मैंने बातें करते हुए करुणा से पूछा- “रात को मजा आया था?”
करुणा शर्म के मारे लाल हो गई और अपना सिर नीचे झुकते हुए कहा अपना कंधा हाँ में हिला दिया।
मैंने उससे पूछा- “तुम्हारे दिल नहीं करता किसी लड़के से चुदवाने के लिए? तुम्हरी दीदी को देखो कैसे अपने होने वाले पति से मजे ले रही थी। मुझसे शर्माओ मत मैं भी तुम्हारे जैसी लड़की हूँ..”
करुणा ने थोड़ी हिमत करते हुए कहा- “दिल तो करता है, मगर डर लगता है...”
मैंने कहा- “किसका बात डर लगता है?”
करुणा ने कहा- “अगर किसी को पता चल गया तो? या बच्चा हो गया तो? मैं किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं रहूँगी, और फिर मुझसे कौन शादी करेगा?”
मैं उसकी बात सुनते हुए हँसने लगी और कहा- “पगली किसी को कुछ पता नहीं चलेगा... मेरे बारे में आज तक किसी को पता चला है? और तुम्हारी मम्मी के बारे में आज तक किसी को पता चला है? और बच्चा रोकने की टैब्लेट मिलती है.”
मेरी बात सुनकर करुणा ने हैरान होते हुए पूछा- “धन्नो मम्मी के बारे में तुम क्या कह रही हो? क्या वो भी ऐसे काम करती हैं?”
मैंने हँसते हुए कहा- “करुणा तुम अब बच्ची नहीं रही। तुम अब एक जवान लड़की हो, तुम्हें तो पता होना चाहिये की एक औरत मर्द के बिना नहीं जी सकती... और आँटी की उमर ही क्या है? वो भी एक औरत हैं। उसको भी तो लण्ड चाहिये?”
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मेरे मुँह से ऐसी बातें सुनकर करुणा गर्म होने लगी और मुझसे कहने लगी- “मैंने अपनी सहेलियों से सुना है की पहली बार कराने में बहुत दर्द होता है...”
मैंने जानबूझ कर अंजान बनते हुए कहा- “क्या कराने में दर्द होता है?”
करुणा ने मेरी बात सुनकर अपने गले की थूक गटकते हुए कहा- “वोही दीदी जो रोहन और बिंदिया कर रहे थे...”
मैं करुणा के मुँह से गंदी बातें निकलवाना चाहती थी इसीलिए मैंने उससे कहा- “रोहन और बिंदिया क्या कर रहे थे? बता क्यों नहीं रही?”
करुणा ने हार मानते हुए कहा- “दीदी आप बहुत बदमाश हो, आप जानबूझ कर मेरे मुँह से वो लफ्ज़ सुनना चाहती हो। मैंने सुना है की लड़की की पहली चुदाई के वक़्त बहुत दर्द होता है...”
मैं करुणा को खुलता हुआ देखकर खुश होते हुए बोली- “पगली, पहली चुदाई में जो दर्द होता है वो उस मजे से कई गुना कम है जो हमें पूरी जिंदगी मिलता है...”
करुणा ने फिर से कहा- “मगर आपकी चूत और बिंदिया की चूत बहुत बड़ी है। मगर मेरी इस छोटी सी चूत में इतना बड़ा लण्ड कैसे घुसेगा? मैं तो मर ही जाऊँगी..."
करुणा की बात सुनकर मैंने उसे समझते हुए कहा- “पगली, हमारी चूत भी पहले छोटी थी। मगर एक बार चुदवाने के बाद औरत की चूत अपने आप खुलने लगती है...”
करुणा ने फिर से कहा- “मगर दीदी मेरी चूत तो इतनी छोटी है की मैं अपनी उंगली घुसाने की कोशिश करती हूँ। तो मुझे दर्द होने लगता है। फिर इतना बड़ा लण्ड मेरी चूत में कैसे घुसेगा?”
मैंने करुणा की बात सुनकर उससे कहा- “अरे पगली, भगवान ने औरत की चूत बनाई ही ऐसी है की पहली चुदाई से पहले उसमें उंगली भी नहीं घुसती, मगर एक बार उसकी झिल्ली टूट जाए तो फिर उसमें कितना भी बड़ा लण्ड घुसाओ कुछ नहीं होता...”
करुणा ने मेरी बात सुनकर कहा- “दीदी आपकी बातें सुनकर मेरी चूत में अजीब किस्म की गुदगुदी होने लगती है, और मुझे भी किसी मर्द से चुदवाने को जी करता है...”
करुणा की बात सुनकर मैंने उससे कहा- “तुम्हें मोहित कैसा लगता है?”
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करुणा ने हैरान होते हुए कहा- “दीदी मोहित तो बिल्कुल बुद्धू है, वो तो मेरी तरफ देखता भी नहीं...”
मैंने करुणा से कहा- “मोहित सिर्फ दिखने में बुद्धू है। मगर चुदाई के मामले में वो मास्टर है, वो मुझे कई बार चोद चुका है, और मेरी कुँवारी गाण्ड भी मार चुका है...”
करुणा मेरी बात सुनकर हैरान होते हुए बोली- “दीदी मोहित तुम्हें चोद चुका है और गाण्ड भी मारी है? क्या लण्ड गाण्ड में भी डाला जाता है?”
करुणा की बात सुनकर मैंने कहा- “हाँ गाण्ड में भी लण्ड डाला जाता है और मुँह में भी... औरत के पास तीन छेद होते हैं, मर्द को खुश करने के लिए...”
करुणा मेरी बातें सुनकर बहुत गर्म हो गई थी, उसने कहा- “आप मोहित के बारे में क्यों पूछ रही थी? क्या आप मोहित से मुझे चुदवायेंगी...”
करुणा की बात सुनकर मैंने कहा- “आज रात को मैं मोहित को तुम्हारे कमरे में लाकर तुझे नंगा करके उसे तुम्हारी चूत और चूचियां दिखाऊँगी, तुम सोए रहने का नाटक करना। एक बार उसने तुम्हारी छोटी चूत और चूचियां देख ली तो फिर तुम देखना वो तुम्हारे पीछे कैसे पड़ता है?”
करुणा ने मेरी बात सुनकर डर और उत्तेजना से काँपते हुए कहा- “मगर दीदी, अगर किसी को पता चल गया
तो?"
मैंने करुणा से कहा- “पगली, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा, तुम उसकी फिकर मत करो...”
करुणा मेरी बात सुनकर चुप हो गई। करुणा अपने हाथ से बार-बार अपनी चूत पर खुजा रही थी।
मैंने उसे छेड़ते हुए पूछा- “मोहित के बारे में सोचकर अभी से तेरी चूत में खुजली होने लगी?”
करुणा ने शर्माते हुए कहा- “दीदी, तुम्हारी बातें सुनकर मेरी चूत में आग लग गई है कुछ करो ना...” उस वक़्त करुणा सलवार और कमीज पहने हुए थी।
मैंने करुणा को बेड पर सीधा लेटा दिया और उसकी सलवार का नाड़ा खोलते हुए उसकी कच्छी को उतार दिया। करुणा की भूरे बालों वाली छोटी चूत के गुलाबी छेद में से पानी की बूंदें निकल रही थीं। मैंने अपनी जीभ निकालकर करुणा की चूत के छेद पर रख दी और उसके चूत के गुलाबी छेद में से टपकता रस पीने लगी।
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करुणा मेरी जीभ अपनी चूत के छेद पर महसूस करते ही ‘आअहहह... करके सिहर उठी। उसने अपनी टाँगों को जितना हो सकता था फैला लिया और मेरे बालों में हाथ डालते हुए मुझे अपनी चूत पर दबाने लगी।
मैं अपनी जीभ को करुणा की चूत के छेद पर गोल-गोल घुमाते हुए अपने हाथ से उसकी चूत के दाने को सहलाने लगी। करुणा मजे से सिसकते हुए कॉप रही थी। मैं अपनी जीभ को उसकी चूत के छेद से घुमाते हुए उसकी गाण्ड तक ले जाने लगी।
मेरी जीभ का अहसास अपनी गाण्ड के पास महसूस करते ही करुणा का बदन अकड़ने लगा और वो ‘आह्ह्ह...' करते हुए अपनी आँखें बंद कर ली। उसकी चूत झटके खाते हुए झड़ने लगी। करुणा को झड़ता हुआ देखकर मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर रख दी और उसकी चूत से निकलने वाला पानी चाटने लगी। करुणा की चूत से कुछ देर तक पानी निकलता रहा, जिसे मैं चाटती रही।
कुछ देर बाद करुणा ने आँखें खोली, और मेरी तरफ देखते हुए कहने लगी- “दीदी, तुम बहुत अच्छी हो...”
मैं कुछ देर करुणा से बातें करने के बाद वहाँ से निकलकर मोहित के कमरे में जाने लगी। मैं मोहित के कमरे में दाखिल हुई और उससे बातें करने लगी। मोहित से बातें करते हुए मैंने उससे पूछा- “मोहित तुम्हें करुणा कैसी लगती है?”
मोहित ने हैरान होते हुए कहा- “क्या मतलब कैसी लगती है?”
मैंने उससे कहा- “मेरा मतलब है की तुम्हें वो दिखने में कैसी लगती है?”
मोहित ने कहा- “अब वो है ही खूबसूरत तो अच्छी ही लगेगी। मगर तुम उसके बारे में मुझसे क्यों पूछ रही हो?”
मैंने मोहित से कहा- “तुम उसे नंगा देखोगे?”
मोहित मेरी बात सुनकर सपकपा गया और काँपते हुए बोला- “धन्नो, आज तुम्हें क्या हो गया है तुम कैसी बातें कर रही हो? करुणा तो बहुत छोटी है और वो भला मेरे सामने नंगी क्यों होगी?”
मैंने मोहित के होंठों को चूमते हुए कहा- “वो तुम मुझपर छोड़ दो, आज रात को मैं तुम्हें करुणा के नंगे जिम का दीदार कराऊँगी...”
फिर ऐसे ही काम काज करते हुए दिन बीत गया। रात का खाना खाने के बाद हम सब अपने-अपने कमरे में जाकर लेट गए। मुझे पता था की आँटी की चूत की प्यास कमल ने बुझा दी है इसीलिए वो मुझसे बात किए बगैर ही सो गई। मैं कुछ देर तक लेटे हुए ही सबके सोने का इंतजार करने लगी, और एक घंटे के बाद मैं अपने कमरे से निकलकर करुणा के कमरे में चली गई।
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करुणा के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था और करुणा भी जाग रही थी। मुझे देखकर उसने पूछा- “दीदी तुम आ गई, मुझे बहुत डर लग रहा है...”
मैंने उससे कहा- “पगली, तुम डरो मत मैं तुम्हारे साथ हैं। अब तुम अपनी आँखें बंद करके सोने का नाटक करो, मैं थोड़ी देर बाद मोहित को इधर लाती हूँ..”
मैं वहाँ से निकालकर मोहित के कमरे में आ गई। मोहित अपने पूरे कपड़े निकालकर नंगा लेटा हुआ था, और अपने हाथ से अपने मोटे लण्ड को सहला रहा था। मोहित ने मुझे देखते ही मेरे बाजू से मुझे पकड़ते हुए अपनी गोद में बिठा लिया। मैं सिर्फ एक नाइटगाउन पहने हुए थी और उसके नीचे सिर्फ एक कच्छी और ब्रा पहनी थी। मोहित की गोद में बैठते ही उसका लण्ड मेरी कच्छी के ऊपर से ही मेरी चूत में चुभने लगा। मोहित अपने हाथ मेरे नाइटगाउन में डालकर मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों को सहलाने लगा और अपने होंठों से मेरे कंधे को चूमने और चाटने लगा।
मैंने अपनी चूत को मोहित के लण्ड पर रगड़ते हुए उससे पूछा- “क्या बात है आज बहुत गर्म लग रहे हो, कहीं करुणा का नंगा जिश्म देखने की तो बेचेनी नहीं...”
मोहित मेरी बात सुनकर बोला- “तुम तो बहुत जालिम हो। आग भी खुद लगाती हो और उसपे पानी भी खुद डालती हो..."
मैंने हँसते हुए कहा- “अच्छा तो बात यहाँ तक पहुँच गई, तुम तो करुणा के दीवाने निकले...”
मोहित ने मेरी चूची को मसलते हुए कहा- “मैं करुणा का दीवाना नहीं पर मैंने आज तक करुणा जैसी छोटी-छोटी चूचियों नहीं देखी, और उसकी चूत भी तो छोटी होगी...”
मुझसे बातें करते हुए मोहित का लण्ड किसी लोहे की तरह सख़्त हो चुका था। मुझे उसकी गोद में अब बैठने में तकलीफ हो रही थी। मैंने मोहित की गोद से उठते हुए कहा- “चलो आओ मेरे साथ आज तुम्हें करुणा की छोटीछोटी चूचियों का दीदार कराती हूँ..”
मोहित मेरे पीछे-पीछे करुणा के कमरे में आ गया। मैंने और मोहित ने करुणा के कमरे में पहुँचने के बाद दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। करुणा बेड पर सीधा लेटे खर्राटे मार रही थी और उसकी साँसों के साथ उसकी छोटी-छोटी चूचियां ऊपर-नीचे हो रही थी। मैंने मोहित को बाजू से पकड़कर करुणा के बेड पर बिठा दिया। मोहित बिल्कुल नंगा था और मैंने करुणा का हाथ पकड़कर मोहित के लण्ड पर रख दिया।
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करुणा का नरम हाथ अपने लण्ड पर पड़ते ही मोहित के मुँह से आह्ह्ह' निकल गई। मगर करुणा के उठने के खौफ से उसने उसे अपने मुँह को बंद रखा। मोहित को अपने लण्ड पर कोई फोम के टुकड़े जैसा नरम स्पर्श हो रहा था, और उसका लण्ड बेकाबू होकर झटके मार रहा था। मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाकर करुणा की कमीज को ऊपर खींचते हुए उसे ब्रा तक नंगा कर दिया। करुणा ने मेरे कहने पर ढीले कपड़े पहने थे जिस वजह से उसकी कमीज ऊपर करने में मुझे कोई तकलीफ नहीं हुई।
मोहित करुणा का गोरा नंगा पेट और उसकी ब्रा में कैद छोटी-छोटी चूचियां देखकर सिहर उठा। मैंने करुणा की ब्रा को भी खींचकर नीचे कर दिया। अब करुणा की छोटी-छोटी गोरी चूचियां और उनके ऊपर गुलाबी दाने मोहित की आँखों के सामने थे।
मोहित करुणा की छोटी-छोटी चूचियां बड़े गौर से देख रहा था। मैंने मोहित का हाथ पकड़कर करुणा की एक चूची पर रख दिया। अपना हाथ करुणा की चूची पर पड़ते ही मोहित का लण्ड बड़े जोर के झटके खाता हुआ करुणा के हाथ से निकल गया और उसके छेद में से वीर्य की कुछ बूंदें निकलने लगी। मोहित करुणा की चूचियों को अपने हाथों से सहलाने लगा।
मैं करुणा की सलवार का नाड़ा खोलने लगी। सलवार का नाड़ा खुलते ही मैंने करुणा की गाण्ड को थोड़ा ऊपर करते हुए ऊसकी सलवार को उतार दिया। करुणा ने सलवार के नीचे कुछ भी नहीं पहना था। मोहित करुणा की हल्के भूरे बालों वाली छोटी सी गुलाबी चूत देखकर पूरा सिहर उठा और वो करुणा की चूचियों को छोड़कर उसकी टाँगों के नीचे बैठ गया।
मोहित करुणा की चूत को बड़े गौर से देख रहा था। मैंने करुणा की टाँगों को पकड़कर चौड़ा कर दिया और मोहित का हाथ पकड़कर उसकी चूत पर रख दिया। मोहित अपना हाथ करुणा की चूत पर रखते ही पूरा काँप उठा। उसका हाथ करुणा की भूरे बालों वाली छोटी सी गुलाबी चूत पर अपने आप फिसलने लगा और करुणा की चूत में से हल्का-हल्का सफेद पानी निकलने लगा।
मैं बेड से उतरकर मोहित के पास जाकर बैठ गई और अपनी जीभ निकालकर उसके झटके खाते हुए लण्ड को अपने हाथ में पकड़कर निकलते हुए वीर्य की बूंदों को चाटने लगी। मोहित मेरी जीभ अपने लण्ड पर महसूस करते ही काँप उठा और मेरे बालों को पकड़कर अपने लण्ड पर दबाने लगा। मैंने अपना मुँह खोलकर उसके लण्ड को अपने मुँह में भर लिया और अपने होंठों से उसे चाटने लगी। मोहित का लण्ड आज करुणा की वजह से बहुत मोटा और लंबा हो गया था। वो आधा ही मेरे मुँह में आ रहा था और मेरे पूरे मुँह को भरा हुआ था।
मैंने मोहित को इशारे से कहा- “अपनी जीभ निकालकर करुणा की चूत का स्वाद चखो...”
मोहित मेरी बात सुनकर काँपते हुए अपना मुँह करुणा की चूत के पास ले गया और उसकी चूत की खुश्बू अपनी नाक में पड़ते ही उसकी आँखें बंद हो गई। मोहित अपनी नाक से बहुत जोर की साँसें खींचकर करुणा की चूत की गंध सँघ रहा था। मैं करुणा के चहरे की तरफ देखने लगी। करुणा अपनी आँखें खोले हुए मुझे मोहित का लण्ड चाटते हुए देख रही थी। करुणा को अपनी तरफ देखते हुए देखकर मैं मोहित के लण्ड को बहुत जोर से चूसने लगी। करुणा ने मुझे देखते हुए इशारे से कहा की मुझे बहुत मजा आ रहा है।
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मोहित ने उसकी चूत सँघते हुए अपनी जीभ को उसकी चूत पर रख दिया। करुणा ने मोहित की जीभ को अपनी चूत पर महसूस करते ही मजे से अपनी आँखें बंद कर ली और उसके चूतड़ मोहित के मुँह पर हल्के-हल्के हिलने लगे। मोहित उसकी गुलाबी चूत चाटते हुए अपने हाथ से उसकी चूत के छोटे दाने को सहलाने लगा। करुणा अपनी चूत पर मर्दाना हाथ का स्पर्श पाते ही काँपने लगी और उसकी चूत झटके खाते हुए झड़ने लगी।
मोहित करुणा की चूत से निकलता हुआ पानी चाटने लगा। उसे करुणा की चूत से निकलता हुआ पानी इतना मजा दे रहा था की वो उसकी चूत को पूरा चाटने के बाद उसकी चूत से निकलकर बेड पर गिरा हुआ पानी भी चाटने लगा। मैंने मोहित के लण्ड को अपने मुँह से निकालते हुए करुणा की सलवार को वापस उसे पहनाकर उसका नाड़ा बाँध दिया और मोहित को बेड से उठाते हुए करुणा के मुँह के पास खड़ा कर दिया। मोहित का लण्ड सीधा झटके खाता हुआ करुणा के होंठों को छू रहा था।
मैं मोहित के नीचे बैठते हुए उसके लण्ड को अपनी मुठ्ठी में पकड़कर करुणा के होंठों से रगड़ते हुए उसे अपनी जीभ से चाटने लगी। मोहित की आँखें मजे से बंद होने लगी। मैं करुणा के होंठों को खोलते हुए मोहित का लण्ड उसके होंठों और जीभ पर रगड़ने लगी। करुणा मोहित का लण्ड अपने होंठों और जीभ पर महसूस करते ही सिहर उठी, और अपनी जीभ को थोड़ा बाहर करते हुए मोहित के लण्ड का स्वाद चखने लगी।
मोहित करुणा के होंठों और उसकी जीभ को अपने लण्ड पर महसूस करते ही काँप उठा और मजे से अपनी आँखें बंद किए हुये अपना सिर इधर-उधर हिलाने लगा। मोहित का बदन अचानक अकड़ने लगा और उसका जिम झटके खाने लगा।
मैं समझ गई की वो झड़ने वाला है। मैंने उसके लण्ड को करुणा के होंठों से अलग करते हुए अपने मुँह में डाल लिया। मोहित का लण्ड मेरे मुँह में झटके खाता हुआ झड़ने लगा। मैंने उसके लण्ड से निकलता हुआ वीर्य । जितना हो सकता था पी लिया, और बाकी का वीर्य मेरे मुँह से निकलकर नीचे गिरने लगा। मोहित के लण्ड से आज तक इतना वीर्य नहीं निकला था। मैंने उसके लण्ड को अपने मुँह से निकालकर अपने मुँह से निकलते हुए वीर्य से अपनी दो उंगलियां गीली करते हुए करुणा के मुँह में डाल दी।
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मोहित का लण्ड झड़ने के बाद भी ढीला नहीं हुआ था, बल्की वैसे ही अकड़ा हुआ था। मैंने अपनी जीभ से मोहित के लण्ड को साफ कर दिया। करुणा ने अपनी जीभ से मेरी उंगलियों को चाट लिया। मैंने अपनी उंगली उसके मुँह से निकाल ली, और उठकर मोहित के सामने खड़ी हो गई। मोहित ने अपनी आँखें खोलते हुए मुझे देखा और मेरे गीले होंठों को चूमते हुए मुझे अपने कमरे में ले जाने लगा।
मोहित अपने कमरे में पहुँचते ही बेड पर लेट गया और मुझसे कहने लगा- “धन्नो आज तक मैंने ऐसी कमसिन चूत और चूचियों नहीं देखी थी, करुणा का जिम तो बिल्कुल कमसिन और नरम है.”
मैंने मोहित के साथ बेड पर लेटते हुए उससे कहा- “अगर तुम्हें करुणा का कोरा जिश्म दिला दें तो बदले में मुझे क्या मिलेगा?”
मोहित मेरी बात सुनकर पूरा सिहर उठा और मेरे गुलाबी होंठों को चूमते हुए बोला- “धन्नो, अगर तुमने करुणा को मुझसे चुदवाने के लिए राजी कर लिया तो मैं सारी जिंदगी तुम्हारा गुलाम बनकर रहूँगा और जो तुम कहोगी मैं वो करूंगा..”
मैंने मोहित को से कहा- “सोच लो फिर मुकर मत जाना...”
मोहित ने कहा- “मैंने कहा ना जो तुम बोलोगी वोई मैं करूंगा, मगर एक बार मुझे करुणा का कोरा जिश्म दिला दो। मैंने आज तक किसी कुँवारी चूत को नहीं चोदा...”
मैंने कहा- “चलो ठीक है मैं कोशिश करूंगी, मगर जब तक वो राजी ना हो जाये तब तक तुम मुझे धन्नो नहीं करुणा समझकर चोदोगे..."
मोहित ने हैरान होते हुए पूछा- “मगर मैं तुम्हें करुणा समझकर कैसे चोदूंगा, तुम तो धन्नो हो...”
मैंने उससे कहा- “अगर तुम्हें मजा लेना है तो मुझे चोदते हुए तुम करुणा को अपने दिमाग में लाकर मुझे चोदो और मेरे हर अंग को करुणा का अंग समझो...”
मोहित ने मेरी बात पूरी होते ही मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे होंठों को चूमते हुए कहने लगा- “करुणा तुम्हारे गुलाबी गाल कितने प्यारे हैं, इतने दिनों तक तुमने मुझे तड़पाया है। आज मैं तुम्हारे कमसिन जिम का पूरा मजा लूंगा..”
मोहित के मुँह से ऐसी बात सुनकर मैंने भी उससे कहा- “मोहित मैं भी तो अपनी कमसिन जवानी को कब से सभाले हुए हूँ, आज तुम मेरी छोटी सी चूत को अपने लण्ड से फाड़ दो और मुझे कली से फूल बना दो...”
मोहित मेरी बात सुनकर बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया और मेरे ऊपर चढ़कर मेरे गुलाबी होंठों को चूमने और चाटने लगा। मैंने अपनी जीभ निकालकर उसके मुँह में डाल दी जिसे वो अपने होंठों से चाटने लगा।
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मोहित कुछ देर तक मेरे होंठों का रस चूसने के बाद मेरे होंठों से अपना मुँह हटाते हुए बोला- “करुणा तुम्हारे होंठ तो शहद से ज्यादे मीठे हैं..."
मैंने मोहित को उकसाते हुए कहा- “मेरे होंठों का रस तो पी लिया, अब मेरे कमसिन चूचियों का रस भी चखकर देखो..” और मैंने उसको बालों से पकड़ते हुए उसका मुँह अपनी चूचियों पर रख दिया। मोहित मेरी चूचियों के गुलाबी निपल पर टूट पड़ा और बहुत जोर के साथ उन्हें चूसने लगा।
मैंने सिसकते हुए मोहित से कहा- “आअह्ह्ह... मेरी चूचियों में से दूध थोड़ी निकलेगा, जो इतनी जोर से चूस रहे हो, आराम से चूसो दर्द हो रहा है..."
मोहित मेरी बात सुनकर मेरी चूचियों को और जोर से चूसते हुए उन्हें काटने लगा।
मैं- “ऊओहह... मोहित ओईई माँ... तुम तो मेरी छोटी-छोटी चूचियों को काट कर खा ही जाओगे क्या?” मैं मोहित के काटने के कारण चीखते हुए बोली।
मोहित मेरी चीखों की वजह से और ज्यादा उत्तेजित हो रहा था। मोहित ने मेरी चूचियों को पूरी तसल्ली से चाटने के बाद उन्हें छोड़ दिया और नीचे मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगा। मोहित के जोर से चूसने और काटने के कारण मेरी चूचियां लाल हो गई थीं और उनपर जगह-जहग लाल निशान पड़ चुके थे।
मैंने सिसकते हुए मोहित से कहा- “तुमने तो मेरी चूचियों को चूसकर लाल कर दिया है...”
मोहित मेरी टाँगों के बीच आते हुए अपना मुँह मेरी चूत पर रखकर उसे सँघने लगा।
मैंने उससे कहा- “तुम्हें मेरी कुँवारी चूत की गंध कैसी लग रही है?”
मोहित ने अपनी जीभ को निकालकर मेरी चूत के होंठों पर रख दी और उससे मेरी चूत को चाटने लगा। मोहित मेरी चूत को चाटते हुए बोला- “करुणा मैंने आज तक किसी कुँवारी चूत का स्वाद नहीं चखा। सच में तुम्हरी कुँवारी चूत की गंध और स्वाद मुझे पागल बना रही है..”
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मोहित की जीभ को अपनी चूत पर महसूस करते ही मेरा पूरा शरीर काँप उठा और मैं सिसकते हुए बोलीमोहित मेरी कुँवारी चूत में अपनी पूरी जीभ डालकर चूसो। मैंने भी आज तक अपनी कमसिन चूत किसी से नहीं चुसवाई..”
मोहित मेरी बात सुनकर अपनी जीभ से बहुत जोर के साथ मेरी पूरी चूत को चाटने लगा और मेरी चूत के दाने को अपने मुँह में भरकर चूसते हुए उसे हल्का काट दिया।
“ऊईए माँ अहह..” करते हुए मेरा पूरा शरीर काँपने लगा और मैं अपनी चूत का दर्द भूलकर अपनी आँखें बंद करके झड़ने लगी।
मोहित मुझे झड़ता हुआ देखकर अपनी जीभ को मेरी चूत के छेद में डालकर उसमें से निकलता हुआ पानी चूसने लगा। थोड़ी देर झड़ने के बाद मैंने अपनी आँखें खोली। मोहित ने मेरी तरफ देखते हुए कहा- “करुणा तुम्हरी कुँवारी चूत का पानी तो बहुत टेस्टी था...” ।
मैंने मोहित के लण्ड की तरफ देखते हुए खुमार में कहा- “मोहित तुम्हारा लण्ड तो बहुत मोटा और लंबा है, यह मेरी छोटी सी चूत में कैसे जाएगा?”
मोहित मेरी बात सुनकर सिहर उठा और उसका लण्ड झटके खाने लगा। झटके खाते हुए मोहित के लण्ड से प्रीकम की बूंदें निकलने लगी।
मोहित ने मुझे बालों से पकड़ाते हुए मेरा मुँह अपने लण्ड पर रखते हुए बोला- “करुणा तुम फिकर मत करो, मैं तुम्हारी कमसिन चूत को बड़े आराम से चोदूंगा। तुम मेरे लण्ड को अपनी जीभ से चाटो और उसका स्वाद चखो...”
मैं मोहित की बात सुनकर उसके लण्ड की तरफ देखते हुए बोली- “तुम्हारे लण्ड में से तो पेशाब निकल रही है, मैं इसे अपने मुँह में नहीं ले सकती। मुझे उल्टी आ जाएगी...”
मोहित मेरी बात सुनकर कहने लगा- “करुणा तुम एक बार मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर देखो, अगर तुम्हें अच्छा ना लगे तो निकाल देना...”
मोहित की बात सुनकर मैंने अपनी जीभ निकालकर उसके लण्ड के टोपे पर रख दी और उसके छेद में से निकलते हुए वीर्य को चाट लिया। मोहित का वीर्य चाटने के बाद मैंने उससे कहा- “मोहित तुम्हारे लण्ड का स्वाद मुझे अजीब लग रहा है...”
मोहित ने कहा- “पहले अजीब ही लगता है, तुम इसे अपने मुँह में लेकर चूसो। तुम्हें अच्छा लगेगा...”
मोहित की बात सुनकर मैंने उसके लण्ड को अपने मुँह में भर लिया। उसका आधा लण्ड ही मेरे मुँह में आ रहा था, जिसे मैं चूसने लगी।
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मोहित अपना लण्ड मेरे मुँह में जाते ही मुझे बालों से पकड़कर अपने लण्ड को मेरे मुँह में अंदर-बाहर करने लगा। थोड़ी देर तक उसका लण्ड चूसने के बाद मैंने उसे अपने मुँह से निकाल दिया क्योंकी मेरी चूत में आग लगी हुई थी। मैं मोहित को दूसरी बार ऐसे ही नहीं झड़ाना चाहती थी।
मैंने मोहित से कहा- “तुम्हारा लण्ड इतना मोटा है की मेरे मुँह में ही नहीं आ रहा, यह मेरी छोटी सी चूत में कैसे घुसेगा?”
मोहित ने मेरे होंठों को चूमते हुए मुझे सीधा लेटा दिया और उसने मेरी टाँगों के नीचे बैठते हुए मेरी टाँगों को घुटनों तक मोड़कर उन्हें मेरे पेट पर रख दिया। मोहित अपने लण्ड को मेरी गीली चूत पर रगड़ने लगा।
मैंने मोहित से सिसकते हुए कहा- “प्लीज... मोहित मेरी छोटी सी चूत में अपना लण्ड आराम से घुसाना। मैंने सुना है की पहली बार में बहुत दर्द होता है...”
मोहित ने कहा- “करुणा तुम चिंता मत करो पहली बार में थोड़ा दर्द तो होता ही है...” कहकर मोहित ने अपना लण्ड मेरी चूत पर रगड़ते हुए अचानक उसे मेरे छेद पर रखकर एक जोर का धक्का मार दिया। मोहित का आधा लण्ड, मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया।
मोहित का आधा लण्ड मेरी चूत में घुसते ही मैं उसको जोश दिलाने के लिए जोर से चीखने लगी- “ऊओईई.. माँ... मर गई, निकालो.. मेरी छोटी सी चूत को फाड़ दिया, ओहह... प्लीज मुझे बहुत दर्द हो रहा है...”
मोहित मेरी बात को सुनकर बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया और मेरी टाँगों को जोर से पकड़ते हुए एक जोर का धक्का लगाकर अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया। मोहित का पूरा लण्ड घुसते ही मैं और जोर से चिल्लाते हुए- “ऊऊईई... तुम्हारा बहुत मोटा है निकालो...” कहते हुए उसकी गाण्ड में अपने नाखून गड़ा दिए।
मोहित मेरी चीखों की परवाह ना करते हुए अपने लण्ड को मेरी चूत में बहुत जोर से अंदर-बाहर करने लगा। मोहित का लण्ड उत्तेजना की वजह से बहुत मोटा और ज्यादा लंबा हो गया था, जिस कारण उसका लण्ड मेरी चूत में फँस-हँसकर अंदर-बाहर हो रहा था और मेरी चूत में बहुत जोर की रगड़ खा रहा था।
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मैं उसके तगड़े लण्ड के जोरदार धक्के बर्दाश्त ना कर सकी और कुछ ही धक्कों के बाद मेरा पूरा बदन कांपने लगा। मैंने मजे से अपनी आँखें बंद कर ली और मेरी चूत झटके खाते हुए मोहित के लण्ड पर सिकुड़ते हुए झड़ने लगी।
आअह्ह्ह... ऊओह्ह..." झड़ते हुए मेरे मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकलने लगी।
मोहित मुझे झड़ता हुआ देखकर बहुत जोरदार धक्के मारने लगा। मेरी चूत गीली होने के कारण उसका लण्ड मेरी चूत में आराम से अंदर-बाहर हो रहा था, और पूरा कमरा पच-पच की आवाज से गूंजने लगा। मोहित के ऊपर जैसे पागलपन का दौरा पड़ गया था। वो मेरी चूत को पूरी ताकत के साथ चोद रहा था और उसका लण्ड मेरे पेट तक धक्के मार रहा था। मोहित के धक्कों की वजह से मैं फिर से गरम होने लगी और अपने चूतड़ मोहित के लण्ड पर उछालने लगी। कुछ ही देर के बाद मोहित का बदन अकड़ने लगा और वो काँपते हुए मेरी चूत में बहुत जोर के धक्के लगाता हुआ आअहह्ह... करते हुए झड़ने लगा।
मोहित के लण्ड से निकलते हुए गरम वीर्य के अहसास के साथ ही मेरी चूत भी पानी की नदियां बहाने लगी। मैं आअहह्ह... करते हुए झड़ने लगी।
मोहित के लण्ड से ना जाने कितनी देर तक वीर्य की बारिश होती रही। उसके लण्ड से इतना ज्यादा वीर्य निकलता था कि उसका वीर्य मेरी चूत को पूरा भरता हुआ मेरी चूत से निकलकर बेड पर गिरने लगा। मोहित झड़ने के बाद मेरे ऊपर से हटकर बेड पर ढेर हो गया। मोहित की आज की चुदाई से मेरी चूत सूज गई थी, क्योंकी उसने जोश में आकर इतने जोर से चुदाई की थी की उसका लण्ड मेरी चूत में बच्चेदानी में आकर धक्के लगा रहा था। मैं कुछ देर तक यूँ ही लेटे रहने के बाद उठकर बाथरूम में चली गई। मेरे पीछे मोहित भी बाथरूम में आ गया।
मैंने उसे देखकर कहा- “क्या हुआ, तुम जाओ मुझे पेशाब करनी है?”
मोहित मेरी सूजी हुई चूत की तरफ देखते हुए जमीन पर लेट गया और मुझसे कहा- “आओ मेरे मुँह के ऊपर आकर पेशाब करो। मुझे तुम्हारी पेशाब का स्वाद चखना है."
मैंने उससे कहा- “तुम पागल तो नहीं हो गये हो? जाओ यहां से...”
मोहित मुझे टाँगों से पकड़ते हुए अपने ऊपर खींचने लगा। मैं मजबूर होकर अपनी दोनों टाँगें उसके मुँह के दोनों तरफ करते हुए उसके ऊपर बैठ गई। मेरी चूत मोहित के मुँह के ऊपर थी। मैंने जोर देकर मूतना शुरू किया, सीईईईई की आवाज के साथ मेरी चूत से पेशाब निकलना शुरू हो गया। मैं यह देखकर हैरान रह गई की मोहित अपना मुँह खोलकर मेरे पेशाब को पीने लगा। मगर मेरी चूत से इतना पेशाब निकला की मोहित का पूरा चेहरा मेरे मूत से भीग गया।
मोहित मेरे मूतने के बाद अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत को चाटने लगा। मोहित की जीभ अपनी चूत पर महसूस करते ही मेरे मुँह से आअह्ह्ह... निकल गया, और मैं अपनी चूत को मोहित के मुँह पर दबाने लगी। मोहित ने कुछ देर तक मेरी चूत को चाटने के बाद मुझे अपने ऊपर से हटाते हुए वहीं पर उल्टा लेटा दिया। मेरे उल्टा होते ही मोहित मेरे पीछे आ गया और अपनी जीभ निकालकर मेरी पीछे से फूली हुए चूत पर फिराने लगा। मोहित की जीभ अपनी चूत पर महसूस करते ही मैं अपने-अपने चूतड़ पीछे की तरफ धकेलने लगी।
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मोहित ने मेरी चूत पर अपनी जीभ फिराते हुए अपने दोनों हाथों से मेरी गाण्ड के दोनों किनारों को खींचकर आपस में से थोड़ा जुदा कर दिया, और अपनी जीभ को मेरी चूत से निकालकर मेरी गाण्ड के भूरे छेद में रख दिया। मोहित की जीभ अपनी गाण्ड पर महसूस करते ही मेरा पूरा जिश्म काँप उठा। मोहित अपनी जीभ को मेरी गाण्ड के छेद से फिराते हुए मेरी चूत तक ले जाने लगा।
मोहित की इस हरकत से मैं फिर से गरम होने लगी। मोहित ने अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटते हुए अपनी एक उंगली मेरी गाण्ड में डाल दी, और उसे जोर से अंदर-बाहर करते हुए अचानक मेरी गाण्ड से निकालकर अपने मुँह में डाल दी। मोहित मेरी गाण्ड से निकाली हुई उंगली को बड़े जोर से चूस रहा था। मोहित कुछ देर तक अपनी उंगली को चाटने के बाद अपनी दो उंगलियां मेरी गाण्ड में डाल दी और उन्हें जोर-जोर से अंदर-बाहर करने लगा।
मोहित का लण्ड तनकर झटके मार रहा था। उसने मेरी गाण्ड से उंगलियां निकालते हुए अपनी नाक पर रख दी, और अपनी साँसें पीछे खींचते हुए मेरी गाण्ड से निकली हुई उंगलियों को सँघने लगा। मोहित कुछ देर अपनी उंगलियों को सँघने के बाद मेरी गाण्ड के पीछे बैठते हुए अपना लण्ड मेरी चूत से ले जाते हुए मेरी गाण्ड के सुराख तक रगड़ने लगा।
उसका लण्ड अपनी चूत और गाण्ड पर महसूस करके मेरे मुँह से सिसकियां निकलने लगी। मोहित ने अपना लण्ड रगड़ते हुए मेरी गीली चूत पर रखकर एक धक्का मार दिया। उसका लण्ड मेरी गीली चूत में फिसलता हुआ जड़ तक घुस गया। मेरे मुँह से मजे की एक सिसकारी निकल गई। मोहित मेरी चूत में अपने लण्ड को बहुत । जोर से आगे-पीछे करने लगा और मेरी चूत को चोदते हुए मेरी गाण्ड में अपनी दो उंगलियां घुसाकर बहुत जोर के साथ अंदर-बाहर करने लगा।
मोहित का लण्ड और उसकी उंगलियां मेरे दोनों छेदों में बहुत जोर की रगड़ दे रही थी, जिसकी वजह से मेरा पूरा शरीर काँपने लगा और मेरी चूत मोहित के लण्ड पर सिकुड़ने लगी, और आअह्ह्ह... इस्स्स्स करते हुए मैं झड़ने लगी। मोहित ने मुझे झड़ता हुआ देखकर अपनी उंगलियों को मेरी गाण्ड से निकालकर मेरे चूतड़ों को थाम लिया और बहुत जोर के धक्के मारते हुए मेरी चूत को चोदने लगा।
कुछ देर तक मेरी चूत से पानी निकलता रहा, मेरे पानी से मोहित का लण्ड गीला हो चुका था। मोहित ने । अचानक अपने लण्ड को मेरी चूत से निकालकर मेरी गाण्ड के छेद पर रखते हुए एक जोर का धक्का मारा, तो उसका लण्ड मेरी गाण्ड को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया।
“ओईई माँ..." मोहित के इस हमले के लिए मैं तैयार नहीं थी, इसीलिए मेरे मुँह से एक चीख निकल गई।
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मोहित मेरी चीख की कोई परवाह ना करते हुए मेरी गाण्ड में बहुत जोर से अपना लण्ड अंदर-बाहर करने लगा। मोहित के हर धक्के के साथ मेरा पूरा शरीर काँप उठता।
मैंने मोहित से कहा- “मोहित जल्दी कर लो, मेरे घुटनों में दर्द हो रहा है...”
मोहित मेरी बात सुनकर मेरी गाण्ड में अपने लण्ड को बहुत जोर से आगे-पीछे करने लगा। मोहित इतनी तेजी के साथ मेरी गाण्ड मार रहा था की मेरी गाण्ड में दर्द होने लगा और मेरे मुँह से हल्की चीखें निकलने लगी। मोहित का लण्ड अचानक मेरी गाण्ड में फूलने लगा। मैं समझ गई की वो झड़ने वाला है, इसलिए मैं अपनी गाण्ड को उसके लण्ड पर सिकोड़ने लगी। मोहित काँपते हुए मेरी गाण्ड में बहुत जोर के धक्के लगाता हुआ “आह्ह्ह...' के साथ झड़ने लगा।
मोहित के लण्ड का वीर्य अपनी गाण्ड में पड़ते ही मेरी चूत ने भी अपने होंठ खोल दिए, और मैं ओह्ह करते हुए अपनी आँखें बंद करके झड़ने का आनंद लेने लगी। मोहित और मैंने झड़ने के बाद उठकर शावर ओन किया और नहाकर फ्रेश हो गये। फ्रेश होने के बाद मोहित के कमरे से निकलकर मैं अपने कमरे में आ गई और बेड पर लेटते ही थकान की वजह से मुझे जल्दी नींद आ गई।
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* * * * *
सुबह को उठते ही फ्रेश होकर मैं और बिंदिया कालेज चले गये। कालेज में आकर मैं अपनी क्लास में चली गई। आज कृष्णा नहीं आया था। कृष्णा के ना होने के कारण मैं आराम से क्लास में बैठकर पीरियड अटेंड करने लगी। बिंदिया अपने क्लास में जाते ही रोहन के साथ बैठ गई, अभी क्लास शुरू नहीं हुई थी।
रोहन ने बिंदिया से कहा- “दो क्लासेस के बाद खाली पीरियड है, तुम मेरे साथ चलो हम थोड़ा घूमकर आएंगे...”
रोहन और बिंदिया दो क्लासेस अटेंड करने के बाद क्लास से बाहर निकल आए। बाहर आते ही बिंदिया ने रोहन से पूछा- “कहाँ जाना है?”
रोहन अपनी बाइक निकालते हुए बोला- “तुम चुप होकर बाइक पर बैठ जाओ...”
रोहन की बात सुनकर बिंदिया चुप होकर बाइक पर बैठ गई। कालेज से निकलते ही बिंदिया रोहन से चिपक कर बैठ गई और अपनी बड़ी-बड़ी चूचियां रोहन की पीठ पर दबाने लगी।
आअहह्ह...” बिंदिया की नरम और बड़ी चूचियां अपनी पीठ पर महसूस होते ही रोहन के मुँह से निकला। रोहन ने बाइक को एक सुनसान सड़क की तरफ मोड़ दिया।
बिंदिया ने रोहन से पूछा- “शहर का रास्ता तो उधर से था...”
रोहन ने कहा- “यहाँ से थोड़ा शार्टकट है तुम घबराती क्यों हो मैं तुम्हारे साथ हैं.”
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बिंदिया और रोहन घने जंगल में रोहन की बात सुनकर बिंदिया चुप हो गई। सड़क इतनी सुनसान थी की बिंदिया को सच में डर लग रहा था। कुछ देर की खामोशी के बाद बिंदिया को एक शरारत सूझी, उसने अपना हाथ आगे लेजाकर रोहन की शर्ट के बटन खोल दिए और अपने नरम हाथ से रोहन के सीने के बालों को सहलाने लगी। रोहन बिंदिया का हाथ अपने खुले हुए सीने पर महसूस करते ही काँप उठा। बिंदिया अपने हाथ रोहन के बालों वाले सीने पर ऊपर से नीचे तक फिराते हुए अपनी चूचियों को रोहन की पीठ पर जोर से मसल रही थी। रोहन ने बाइक की स्पीड बिल्कुल धीमी कर दी थी। वो बिंदिया की हरकतों का पूरा मजा उठा रहा था। बिंदिया ने रोहन के सीने पर अपने नरम हाथ फिराते हुए उसकी एक चूची को अपनी उंगलियों में लेकर जोर से मसल डाला।
रोहन- “ऊओह..." रोहन के मुँह से चीख निकल गई।
बिंदिया ने अंजान बनते हुए रोहन से कहा- “क्या हुआ किसी चॅटी ने काट दिया क्या?”
रोहन ने मुश्कुराते हुए कहा- “चूंटी ने नहीं एक बिल्ली ने काटा है...”
रोहन की बात सुनकर बिंदिया भी हँसने लगी। बिंदिया ने अपना हाथ रोहन की शर्ट से निकालते हुए अपना हाथ उसकी टाँग पर रख दिया और अपने हाथ को वहाँ से ले जाते हुए रोहन की पैंट की जिप के आसपास सहलाने लगी। रोहन का लण्ड बिंदिया के नरम हाथ का स्पर्श अपने करीब पाकर रोहन के अंडरवेर में उछल कूद मचाने लगा। बिंदिया ने अपना हाथ फिराते हुए रोहन के पैंट की जिप नीचे सरका दी और अपना हाथ रोहन के अंडरवेर के ऊपर रखते हुए उसके मोटे फनफनाते हुए लण्ड पर रगड़ने लगी।
रोहन बिंदिया का हाथ अपने अंडरवेर पर महसूस करते ही पूरा उछल पड़ा। रोहन ने बाइक को रोड से उतारते हुए साइड के घने जंगल में ले जाने लगा। रोहन ने गाड़ी को थोड़ा सा जंगल में अंदर लाकर रोक दिया। और बिंदिया को गाड़ी से उतारते हुए अपनी बाहों में भर लिया। रोहन के शर्ट के बटन अभी तक खुले हुए थे। मुझे गले लगाते हुए मेरी चूचियां उसके खुले हुए सीने में दब गई।
रोहन बिंदिया के गुलाबी होंठों को चूमते हुए उसकी गाण्ड पर हाथ फिराने लगा। बिंदिया भी बहुत गरम हो चुकी थी, वो रोहन की जीभ को पकड़कर चूसने लगी। रोहन बिंदिया को अपनी जीभ चाटते हुए देखकर बहुत उत्तेजित हो गया। वो अपने मुँह को बिंदिया के होंठों से अलग करते हुए उसके गले को चूमते हुए नीचे होने लगा। रोहन नीचे होते हुए बिंदिया की बड़ी चूचियों तक आ गया।
बिंदिया की साँसें बहुत जोर से चल रही थी और उसकी साँसों के साथ उसकी चूचियां भी ऊपर-नीचे हो रही थीं। रोहन ने बिंदिया की कमीज के ऊपर से ही उसकी एक चूची को अपने हाथ से पकड़ते हुए अपना मुँह उसकी दूसरी चूची पर रख दिया। बिंदिया ने अपने हाथों से रोहन के सिर को पकड़ लिया और अपनी चूचियों पर दबाने लगी। रोहन अपना मुँह बिंदिया की कमीज के ऊपर रखकर उसकी चूची को चूमते हुए नीचे बैठ गया।
रोहन ने नीचे बैठते हुए बिंदिया की कमीज को पकड़कर ऊपर करते हुए अपना मुँह उसके गोरे और चिकने पेट पर रख दिया। रोहन बिंदिया के पेट को चूमता हुआ ऊपर बढ़ने लगा और साथ में उसकी कमीज भी ऊपर करने लगा। रोहन का मुँह बिंदिया के पेट से होते हुए उसकी ब्रा पर आकर रुक गया। रोहन ने बिंदिया की ब्रा को अपने हाथों से खींचते हुए ऊपर कर दिया। ब्रा के निकलते ही बिंदिया की बड़ी-बड़ी और नरम चूचियां रोहन के सामने उछलने लगी। रोहन ने अपने एक हाथ से बिंदिया की चूची को पकड़ते हुए अपना मुँह खोलकर उसके निपल को अपने मुँह में भर लिया और बहुत जोर से उसे चूसने लगा। बिंदिया अपनी चूची को रोहन के मुँह में महसूस करके सिहर उठी।
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बिंदिया रोहन के बालों में अपने हाथ डालकर अपनी चूचियों पर दबाने लगी। रोहन बिंदिया की बड़ी चूचियों को एक-एक करके अपने मुँह में लेकर चूसने और चाटने लगा। बिंदिया ने अपना हाथ रोहन के बालों से निकालकर नीचे ले जाते हुए उसकी खुली हुई पैंट की जिप के ऊपर रख दिया, और मोहित के लण्ड को उसके अंडरवेर के ऊपर से ही सहलाने लगी।
मोहित बिंदिया का हाथ अपने लण्ड पर लगते ही सिहर उठा। उसने अपना मुँह बिंदिया की चूचियों से हटाते हुए उसके बालों में हाथ डालते हुए नीचे बिठा दिया। बिंदिया ने नीचे बैठते हुए अपने हाथों से रोहन की पैंट को उतार दिया, रोहन की पैंट उतरते ही उसके पैर में जाकर गिरी। बिंदिया ने बिना देर किए ही रोहन का अंडरवेर भी उतार दिया। रोहन का अंडरवेर उतरते ही उसका तना हुआ लण्ड स्प्रिंग की तरह उछलता हुआ बिंदिया की आँखों के सामने झूमने लगा।
बिंदिया ने अपना हाथ बढ़ाकर रोहन के लण्ड को अपनी मुठ्ठी में पकड़ लिया। रोहन का उछलता हुआ गरम लण्ड अपनी मुट्ठी में लेते ही बिंदिया की साँसें बहुत तेज चलने लगी। बिंदिया तेज साँसें लेते हुए रोहन के लण्ड को आगे-पीछे करने लगी।
रोहन मजे से हवा में उड़ने लगा। बिंदिया ने उसका लण्ड आगे-पीछे करते हुए अपनी जीभ निकालकर उसके गुलाबी टोपे को चूम लिया। रोहन अपने लण्ड पर बिंदिया के होंठ महसूस करते ही “आहहह' करते हुए सिसक पड़ा और बिंदिया के बालों में हाथ डालते हुए उसका मुँह अपने लण्ड पर रख दिया।
बिंदिया ने पहले अपनी जीभ से रोहन के लण्ड को चाटा और फिर अपना मुँह खोलकर उसके मोटे लण्ड का टोपा अपने मुँह में भर लिया। बिंदिया अपने होंठों से उसके लण्ड के सुलगते हुए टोपे को चूसते हुए अपनी जीभ भी उसपर फिराने लगी। रोहन का मजे के मारे बुरा हाल था।
अचानक एक आवाज ने बिंदिया और रोहन को चौंका दिया- “वाह... जंगल में मंगल हो रहा है, खुद ही सारा माल खाओगे या जरा हमें भी चखाओगे?”
रोहन और बिंदिया दोनों इस आवाज से चौंक गये, और रोहन ने जल्दी से नीचे से अपनी पैंट उठकर पहन ली। बिंदिया ने भी अपने कपड़े ठीक कर लिये। सामने एक 6 फूट लंबा, रंग से सांवला आदमी खड़ा था।
रोहन को अपनी तरफ घूरते हुए देखकर वो आदमी बोला- “अरे भाई साहब आप अपना काम पूरा कर लीजिए, मैं इंतजार कर लूंगा..."
बिंदिया डर के मारे रोहन के पीछे छुप गई, और वो थर-थर काँप रही थी।
रोहन ने उससे कहा- “कौन हो तुम, और तुम्हें क्या चाहिये?”
रोहन की बात सुनकर वो बेतहाशा हँसने लगा और रोहन की तरफ देखते हुए बोला- “बड़े भोले बन रहे हो। एक सुनसान जंगल में तुम इस लौंडिया के साथ क्या कर रहे हो? वही मैं भी करने चाहता हूँ...”
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उस आदमी की बात सुनकर रोहन का दिमाग फिरने लगा। उसके हाथों की पाँचों उंगलियां आपस में मिलकर एक मुक्का बन चुकी थी मगर रोहन ने अपने आप पर काबू रखते हुए कहा- “देखो भाई साहब यह मेरी मंगेतर है। और मेरी इससे शादी होने वाली है, हम थोड़ा बहक गये थे, हमें क्षमा कर दो और हमें जाने दो...”
वो आदमी रोहन की बात सुनकर बोला- “तुमने मुझे क्या चूतिया समझ रखा है, तुम इस लौंडिया को कालेज से यहाँ पर चोदने आए हो और मुझे चूतिया बना रहे हो। मैं तो इस चिकनी लौंडिया का रस पीकर रहूँगा..” ।
उस आदमी के मुँह से यह बात पूरी होते ही रोहन का एक मुक्का उसके गाल पर आकर पड़ा और वो आदमी चक्कर खाता हुआ मुँह के बल नीचे जमीन पर जा गिरा। वो आदमी जैसे ही सीधा हुआ उसका हाथ अपने गाल पर था और जैसे ही उसने हाथ अपने गाल से हटाया उसके दो दाँत उसके मुंह से निकलकर उसके हाथों में आ चुके थे।
वो आदमी लड़खड़ाते हुए उठा और जोर से चिल्लाते हुए कहा- “कालू, भीमा, सूरज कहाँ मर गये सब? जल्दी से आओ..."
उस आदमी की आवाज के साथ उसके 5 साथी जाने कहाँ से आ गये और उस आदमी की तरफ देखते हुए कहाक्या हुआ सरदार?”
सरदार- “पकड़ो उस लड़के को और बॉध दो उसको पेड़ के साथ...' उस आदमी ने तेज आवाज के साथ कहा।
सरदार का हुक्म सुनते ही वो पाँचों रोहन की तरफ झपटे। रोहन उन सबको अपनी तरफ आते हुए देखकर बिंदिया को अपने से दूर करते हुए उनसे लड़ने लगा। रोहन अकेला और पाँच इसीलिए लड़ते हुए किसी ने रोहन के पीछे जाकर उसके सिर पर डंडा मार दिया। रोहन चक्कर खाते हुए नीचे गिर गया।
रोहन के गिरते ही बिंदिया रोने लगी और रोते हुए रोहन को उठाने की नाकाम कोशिश करने लगी। अचानक बिंदिया को किसी ने कलाई से पकड़ते हुए उठा लिया। बिंदिया ने जैसे ही अपना मुँह रोहन से हटाया सामने वो सरदार खड़ा बिंदिया को कलाई से पकड़कर उठा रहा था।
सरदार ने बिंदिया को उठाते हुए कहा- “तुम रो क्यों रही हो? यह मरा नहीं है बेहोश है। तुम यहाँ इसके साथ जो करने आई थी वो मैं कर देता हूँ, और फिर तुम दोनों को जहाँ तुम चाहोगी हम छोड़कर आएंगे...”
बिंदिया सरदार की बात सुनकर और ज्यादा रोने लगी।
सरदार ने बिंदिया को रोते हुए देखकर कहा- “अरे पगली तुम क्यों रो रही हो, मैंने कहा ना की हम तुम्हें छोड़ आएंगे, और मेरा लण्ड इस लौंडे लण्ड से कहीं ज्यादा बड़ा है, तुम्हें तो ज्यादा मजा आएगा...” सरदार ने यह कहते हुए बिंदिया की मोटी आँखों से निकलते हुए आँसू को अपने हाथ से साफ करने लगा।
बिंदिया सरदार का हाथ अपने गालों पर पड़ते ही काँप उठी और उसके हाथ को पकड़कर अपने मुँह से दूर झटक दिया। बिंदिया का हाथ झटकते ही सरदार उसको बालों से पकड़ते हुए बिंदिया का मुँह अपनी तरफ करते हुए उसके गुलाबी होंठों को चूमने के लिए अपना मुँह नीचे ले जाने लगा। मगर बिंदिया के होंठों पर पहुँचते ही बिंदिया ने अपना मुँह थोड़ा सा हिला दिया। बिंदिया के बालों में सरदार का हाथ होने की वजह से उसके बालों में बहुत जोर का दर्द होने लगा।
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बिंदिया सुबकते हुए सरदार से कहने लगी- “हमें छोड़ दो, मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ यह मेरा मंगेतर है...”
सरदार ने बिंदिया को ऊपर से नीचे घूरते हुए कहा- “तुम ऐसी लड़की नहीं हो तो इस लौंडे के साथ यहाँ क्या करने आई थी? देख मैं तुम्हें प्यार से समझा रहा हूँ। मान जा वरना मेरे साथ तुम्हें मेरे साथियों को भी खुश करना होगा...”
बिंदिया सरदार की बात सुनकर जोर से सुबकने लगी।
सरदार ने अपने साथियों से कहा- “उठाओ इस लौंडे को और अपने ठिकाने पर ले चलो...”
वो लोग रोहन को उठाकर आगे चलने लगे, और सरदार बिंदिया को कलाई से पकड़ते हुए अपने साथ ले जाने लगा। उन आदमियों का ठिकाना वहाँ से ज्यादा दूर नहीं था। अपने ठिकाने पर पहुँचते ही उन्होंने रोहन को। जमीन पर सुला दिया। बिंदिया उन लोगों का ठिकाना देखकर हैरान रह गई। एक जंगल के बीच पत्तों से बनी इस गुफा में जरूरत की हर चीज मौजूद थी। वहाँ पर बेड, कुर्सियां, और शराब की बोतलें पड़ी हुई थीं। सरदार ने एक बोतल उठाकर अपने मुँह से लगाई और एक ही साँस में आधी गटक ली।
सरदार ने बिंदिया से कहा- “तुम शहर की छोरी हो नाचना तो आता ही होगा, चलो हमें थोड़ा नाचकर दिखाओ...”
बिंदिया ने सुबकते हुए ही कहा- “मैं नहीं नाचूंगी... मैंने कहा ना मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ...”
सरदार उसकी बात सुनकर गुस्सा होते हुए बोला- “यह ऐसे नहीं मानेगी और अपने गुफा के कोने से बंदूक उठाकर रोहन की कनपटी पर रख दी...” ।
बिंदिया सरदार की बंदूक का रुख रोहन की तरफ देखकर सुबकते हुए सरदार के पैरों में गिर पड़ी- “सरदार इस मत मारो, मैं नाचती हूँ..”
बिंदिया की बात सुनकर सरदार ने खुश होते हुए कहा- “अरे ओ सूरज, जरा टेप पर वो कैसेट तो लगा दे ‘मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिए साली बहुत ठुमके लगाकर नाचती है इस गाने में... हम भी देखें यह अपने यार के लिए कैसे नाचती है?”
सूरज ने सरदार की बात सुनकर जल्दी से वो कैसेट लगा दी और गाना बजना शुरू हो गया। बिंदिया ने गाना सुनते ही नाचना शुरू कर दिया।
सरदार बिंदिया को नाचते हुए देखकर उसके मांसल चूतड़ों और भारी चूचियों को हिलता हुआ देखकर आहें भरने लगा और उसका लण्ड उसके कच्छ में उछल कूद मचाने लगा। सरदार ने बिंदिया के नाचते हुए अपनी कमीज निकालकर बेड पर फेंक दी और बिंदिया की कमीज में हाथ डालकर उतारने लगा।
बिंदिया ने नाचना छोड़कर अपनी कमीज को अपने हाथों से पकड़ लिया।
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सरदार ने बिंदिया को धमकी देते हुए कहा- “सुन लौंडिया जैसा मैं करता हूँ मुझे करने दो, वरना उस लौंडे को मारकर किसी नदी में फेंक देंगे और तुम भी हमसे बच नहीं पाओगी...”
बिंदिया सरदार की धमकी सुनकर काँप गई और सुबकते हुए सरदार के पैरों में गिरकर उससे रहम की भीख माँगने लगी। सरदार ने बिंदिया को बालों से पकड़ते हुए ऊपर उठा लिया और उसकी कमीज को अपने हाथों से उतारने लगा। बिंदिया ने इस बार सरदार को रोकने की कोई कोशिश नहीं की।
बिंदिया की कमीज उतरते ही उसकी भारी, गोरी चूचियां उसकी ब्रा में आधी ढकी हुई सरदार की आँखों के सामने उछलने लगीं। सरदार ने बिंदिया की कमीज उतारने के बाद उसको फिर से नाचने के लिए कहा। बिंदिया सरदार की बात सुनकर फिर से नाचने लगी। सरदार बिंदिया के गोरे जिश्म और उसके साथ हिलती हुई आधी नंगी चूचियों को देखकर मजे से सीटियां बजाने लगा।
बिंदिया शर्म के मारे पानी-पानी हो रही थी और नाचते हुए उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे। बिंदिया के नाचते हुए उसकी चूचियां उसकी ब्रा से बाहर तक झलक रही थीं, जिसे देखकर सरदार ने लार टपकाते हुए अपनी सलवार को भी उतार दिया। सरदार ने आज तक ऐसी गोरी और चिकनी लड़की को नंगा नहीं देखा था। सरदार की सलवार उतरते ही वो एक बड़े कच्छे में रह गया और उसके कच्छे का उभार बता रहा था की सरदार का लण्ड कितना बेचैन है।
अब सरदार ने आगे बढ़कर बिंदिया की सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार का नाड़ा खुलते ही बिंदिया की सलवार उसके पैरों में जा गिरी, और बिंदिया गिरते-गिरते बची। वो अपनी सलवार को उठाने के लिए नीचे झुकी, मगर सरदार ने उसे ऐसा नहीं करने दिया, और बिंदिया की सलवार भी उसके पैरों से अलग कर दी। सरदार बिंदिया के गोरे-गोरे मांसल चूतड़ देखकर अपनी जीभ को अपने होंठों पर फिराने लगा और अपना हाथ आगे बढ़ाकर बिंदिया के चूतड़ों पर रख दिया।
बिंदिया सरदार का हाथ अपने चूतड़ों पर महसूस करते ही सिहर उठी और सरदार से दूर जाकर खड़ी हो गई। बिंदिया के पीछे हटते ही सरदार ने आगे बढ़कर उसे अपनी गोद में उठा लिया और उसे लेजाकर बेड पर पटक दिया। बिंदिया बेड पर सुबकते हुए सरदार से कहने लगी- “प्लीज मुझे छोड़ दो, मेरी जिंदगी को तबाह मत करो तुम्हें भगवान का वास्ता...'
सरदार पर तो जैसे जुनून सवार था उसने टेप को बंद करते हुए अपने साथियों को बाहर जाने का बोलकर बिंदिया से कहा- “भगवान के लिए मैं ऐसी चिकनी लौंडि को नहीं छोड़ सकता, मैं तुम्हें भगवान का वास्ता देता हूँ की एक बार अपनी जवानी का रस पिला दे, मैं तुम्हें छोड़ दूंगा...”
सरदार ने ऐसा कहते हुए अपनी बंदूक को नीचे रखते हुए बेड पर चढ़कर बिंदिया के ऊपर चढ़ गया और उसके सिर को अपने हाथों से पकड़ते हुए अपना मुँह नीचे ले जाने लगा।
रोहन्नं...” बिंदिया के मुँह से एक जोर की आखिरी चीख निकल गई।
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