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Fantasy माया- एक अनोखी कहानी
#41
अध्याय
 
हम सब खाना खा चुके थे| मुझे पूरी तरह से नशा चढ़ गया था... बहुत हल्का हल्का महसूस हो रहा था मुझे... मेरे पेट के निचले हिस्से में मुझे हल्की हल्की गुदगुदी सी महसूस भी हो रही थी, मानो सैकड़ों तितलियाँ उड़ती फिर रही हों…  दोनों टांगों के बीच का हिस्सा गीला- गीला सा महसूस हो रहा था.... मैं बीच-बीच में बिना किसी बात के खिलखिलाकर हंस भी दे रही थी...

शायद यह माँठाकुराइन को और यहां तक की छाया मौसी को भी अच्छा लग रहा था|

मैं अपनी सारी लाज शर्म हया में बिल्कुल भूल चुकी थी... इतने में माँठाकुराइन ने मुझे फिर से लिटा कर मेरी दोनों टांगो को फैला कर बड़ी सावधानी से मेरे झाँटों (जघन के बालों) की सफाई कर दी थी... वह चाहती थीं कि मेरा भग (योनांग) कोरा- गंजा रहे -एकदम सॉफ सुथरा और अछूता- बिल्कुल मेरी कौमार्य की तरह| उन्होंने अपनी साड़ी के आंचल से मेरे दोनों टांगों के बीच का हिस्सा साफ किया फिर अपने हाथों से जमीन पर बिखरे हुए झांटो को इकट्ठा करके एक कपडे की पुड़िया में धागे से बांधा और उसे चूम कर अपने झोले में रख लिया|

छाया मौसी भी माँठाकुराइन के साथ बैठ के शराब पी रही थी, उनको भी नशा चढ़ गया था| लेकिन आखिरकार उन्होंने माँठाकुराइन से पूछ ही लिया, “माँठाकुराइन, यह आप क्या कर रही हैं?”

माँठाकुराइन बोली, “कुछ नहीं है बस इसकी झांटे संभाल के रख रही हूं| पहले इसको कुछ देर के लिए अपने वश में करने के लिए मैंने उसके माथे पर भस्मी का तिलक लगाया था लेकिन उसका असर ज्यादा देर तक नहीं रहता और अब, जब तक इसकी झांटे मेरे पास रहेंगी यह पूरी तरह मेरे वश में रहेगी और तेरी दासी- तेरी बाँदी- तेरी रखैल बन कर रहेगी... तू जो चाहे उसके साथ कर सकेगी

छाया मौसी को जोड़ों के दर्द की शिकायत काफी सालों से है और उस दौरान से ही मैं घर के सारे काम करती थीउनका पूरा पूरा ख्याल रखती थी| शायद अब छाया मौसी को इसकी आदत पड़ गई थी इसलिएशायद इसलिएमाँठाकुराइन की बातें सुनकर छाया मौसी मुक्सुराई- आखिरकार माँठकुराइन ने उनके लिए मुझ जैसी एक रखैल का इंतज़ाम जो कर दिया था |

माँठाकुराइन ने मुझसे कहा, “चल छोरी! बहुत हो गया लाड़-प्यार अब उठ जा एक चटाई लाकर के कमरे में बिछा दे| फिर मैं तुझे बताती हूं कि मेरे हुए मेरे जादू टोने और मंत्र फूँके हुए तेल से तेरी मौसी का कैसे मालिश करनी है...

फिर माँठाकुराइन ने अपना मिट्टी का लोटा लाकर मेरे सामने रख दिया और उसमें जो बचा हुआ पानी रखा हुआ था, उसको मुझे पीला दिया। फिर अपनी झोली में से एक तेल की शीशी निकाल कर बोलीं, “चल री लड़की... यह तेल दोनों हाथों में मलले और धीरे-धीरे मौसी के जोड़ों की मालिश करती रह...

माँठाकुराइन जैसे जैसे बोलती गई, वैसा वैसा मैं करती गई- कलाई... कंधा.. गर्दन... छाती- दुद्दु (स्तन)... कमर...
मेरे खुले हुए बालों का कुछ हिस्सा मेरे सामने से लटक रहा था और बार बार मौसी के बदन को सहला रहा था|
पता नहीं क्यों मौसी को मेरी बालो की छुअन मौसी बहुत अच्छा लग रहा था|

वह एक टक मेरी तरफ से देखे जा रही थी मेरे झूलते हुए खुले बाल....  मेरे डोलते हुए स्तन.. मेरा नंगे बदन का स्पर्श... न जाने क्यों उन्हें बहुत अच्छा लग रहायह बात उनकी अधखुली नशीली आंखों की चमक और होठों पर एक अजीब सी हलकी मुस्कुराहट से साफ जाहिर थी और सच मानो तो इस हालत में मुझे भी एक अजीब सा सुकून सा महसूस हो रहा थाख़ास कर तब, जब वह मुझे देख- देख कर हल्का- हल्का मुस्कुरा रही थी और बीच- बीच में मेरे बालों को... गालों को... यहाँ तक के मेरे स्तनों  को सहला- सहला कर मुझे प्यार भी कर रहीं थी...

ऐसी बात नहीं है कि से पहले मैंने छाया मौसी को छुआ ना हो लेकिन तब हालात कुछ और ही थे| मैं उनके बालों मे तेल लगा दिया करती थी... नहाने के बाद उनके के बालों में कंघी कर दिया करती थी चोटी या फिर जुडा बना दिया करती थी और अभी कुछ महीनों से तो जोड़ों के दर्द की वजह से छाया मुझसे ठीक तरह से अपने हाथ पैर नहीं हिला पाती थी इसलिए मैं उन्हें कपड़े बदलने में भी मदद किया करती थी... तब मैंने उनका नंगा सीना देखा था| मुझे याद है जब मैं बहुत छोटी थी तब एक बार मैंने छाया मौसी से पूछा था मौसी आपके  कितने बड़े बड़े दूध है मेरे कब होंगे? तब उन्होंने कहा था जब तू बड़ी हो जाएगी तो तेरी भी होंगे...

अब मैं बड़ी हो गई थी... मेरे स्तनों का विकास भी अच्छी तरह से हुआ था... चलते वक्त हर कदम पर मेरा स्तनों का जोड़ा थिरकता था... बहुत अच्छे बड़े- बड़े से दुद्दु हैं अब तो मेरेबिल्कुल तने-तने से... जैसा की माँठाकुराइन ने कहा थामेरे पेट के निचले हिस्से में गुदगुदी बढ़ती ही जा रही थी

मेरा चेहरा गरम हो रहा था.... हल्का हल्का पसीना आ रहा था... मेरी सांसे लंबी और गहरी होती जा रही थी मेरे स्तनों की चूचियां खड़ी होकर एकदम सख़्त हो चुकी थी और न जाने क्यों मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि मेरी यौनांग के आस-पास का हिस्सा गीला व थोड़ा चिपचिपा सा लग रहा है

मुझे शायद अपनी जिंदगी में पहली बार अपने अंदर यौन उत्तेजना का ऐसा ज्वार आता हुआ महसूस हो रहा था
मैं इतनी बड़ी और समझदार तो हो चुकी थी कि यह समझ सकूँ कि आते जाते लोग मुझे घूर घूर कर क्यों देखते हैंक्यों बैध जी मेरे बालों को छूते हैं और उसके बाद ही मेरी नज़रें बचा कर अपने दो टांगों के बीच के हिस्से को सहलाते हैं... क्यों लोगों की नजरें पहले मेरे चेहरे पर और उसके बाद मेरी छाती पर जाकर टिकती है... मैं तो यहां तक जान चुकी थी कि बंद कमरे के अंदर पति पत्नी आपस में क्या करते हैं... और हां, मैं यह जान गई थी कि कि सहवास किसे कहते हैं... बच्चे कैसे पैदा होते हैं... मेरी कुछ सहेलियां शादीशुदा थी, वह भी कुछ इस तरह की बातें किया करती थी, उन्हें सुन सुन कर मुझे बड़ा मजा आता था|

तब भी मेरे बदन में एक अजीब सी सिहरन से पैदा होती थी और पेट के निचले हिस्से में ऐसी ही थोड़ी-थोड़ी गुदगुदी सी महसूस होती थी|

लेकिन आज यह एहसास शायद कुछ ज्यादा ही मेरे उपर हावी हो रहा था...

लेकिन मेरी तो अभी शादी नहीं हुई और यहां?... यहां तो सिर्फ माँठाकुराइन, मेरी छाया मौसी और मैं ही हूंऔर हम तीनो के तीनों औरतें ही हैंअब मेरा क्या होगा? मेरे बदन में आग सी लग रही हैअगर इस पर सुकून की बरसात नहीं हुई, तो शायद मैं इसी आग में जल कर आज मर ही जाऊंगी

मेरी आंखों के आगे बाजार में देखे हुए दो चार आदमियों के याद रहने वाले चेहरे... वैधजी... दुकान के वह लड़के... इन सब की तस्वीरें घूमने लगी... मैं जानती थी कि लोगों की नज़रें मुझ पर हैं

मेरी जवानी का फल पक चुका है... मैं सुंदर हूं... और इस वक्त इस बरसात की इस रात में, मैं बिल्कुल नंगी हूंमेरे अंदर एक प्यास भड़क रही है....

काश माँठाकुराइन एक औरत ना होकर एक आदमी होती
 
क्रमश:
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#42
Waah ghzab ki romanchak kahani hai chaya mosi aur thakurayin to es kacchi Kali ka ras pee e Ko bekarar baithi hain
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#43
(19-01-2019, 05:56 PM)Johnyfun Wrote: Waah ghzab ki romanchak kahani hai chaya mosi aur thakurayin to es kacchi Kali ka ras pee e Ko bekarar baithi hain

आपका बहुत बहुत धन्यवाद| आप रेगुलरली मेरी कहानी पढ़ते हैं| मेरी आपसे इतनी विनती है कि आप अपने दोस्तों को भी को भी मेरी कहानी के बारे में बताएं... Heart Heart Heart Heart Heart Heart Heart
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#44
waiting for next updates this story is very intriguingly paced with unusual plot
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#45
(20-01-2019, 06:20 PM)Bregs Wrote: waiting for next updates this story is very intriguingly paced with unusual plot

अभी सुबह सुबह उठी हूं.... मैंने अपने बाल भी नहीं बंधे थोड़ी देर के बाद अपडेट दूंगी
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#46
Jabardast Story.........................New Concept
Love You Guys
LOLO
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#47
(21-01-2019, 07:50 AM)naag.champa Wrote: अभी सुबह सुबह उठी हूं.... मैंने अपने बाल भी नहीं बंधे थोड़ी देर के बाद अपडेट दूंगी

haha  :D ok take ur time
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#48
(21-01-2019, 01:12 PM)hilolo123456 Wrote: Jabardast Story.........................New Concept

Thank you Heart
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#49
Mazedaar kahani hai agle update ke intezar mein
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#50
wah bahut khub.... bahut time ke baad es tarah ki alag si story padne ka moka mila... ab se es story ke updates ka intejar rhega.
ese hi likhiye ... have a nice day
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#51
NICE update
VIsit my story  

Main ek sex doll bani..https://xossipy.com/thread-2030.html

 uncle ne banai meri movie(bdsm).. https://xossipy.com/thread-40694.html
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#52
waiting ?
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#53
Update ke intezar mein
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#54
आप सभी लोगों का बहुत बहुत धन्यवाद।
माफ़ कीजिएगा, अपडेट देने में थोड़ी दर हो रही है। कल परसों के अंदर अपडेट दे दूंगी
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#55
अध्याय  

छाया मौसी सो चुकी थी| उनके बदन पर सिर्फ उनके जंघीए के सिवाय एक भी कपड़ा नहीं था... बाल भी खुले और अस्त व्यस्त थे... पर उनको ऐसे चैन की नींद सोते हुए देख कर जाने क्यों मेरे मन को भी थोड़ी शांति से मिल रही थी...

लेकिन इधर शायद मेरा अपना शरीर मेरे काबू से बाहर हो रहा था मैं एक अजीब से आवेश में आकर के अब थोड़ा-थोड़ा कांपने लगी थी मेरा पूरा बदन पसीने से तर हो चुका था... मेरी आंखों की पुतलियां बड़ी बड़ी सी हो चुकी थी

माँठाकुराइन मुझे देखते हुए शराब पी रही थी... फिर उन्होंने मुझसे कहा, “ले  माया... जो बची खुची शराब है, इसको गटक जा...”, यह कहकर उन्होंने अपना जूठा गिलास मेरी तरफ बताया बढ़ाया...

मैंने तुरंत उनके हाथ से गिलास लिया और एक ही घूंट में बचा खुचा शराब पी गई... शायद मैं यह सोच रही थी की उनका दिया हुआ शराब पीने से शायद मेरे मन और मेरे बदन को थोड़ी शांति मिलेगी... लेकिन नही... मैं उठकर बाहर जाने लगी

कहां जा रही है?”, माँठाकुराइन ने मुझ से पूछा|

मैंने कहा, “थोड़ा बाहर जा रही थी...”

क्यों?”

मुझे बहुत जोर की पिशाब लगी है...”

ठीक है, चल मैं तेरे साथ चलती हूं, तू नंगी है... तेरे बाल भी खुले हुए हैं; ऐसी हालत में तेरा अकेले बाहर जाना ठीक नहीं|
यह कहकर माँठाकुराइन ने मेरे बालों को समेट कर मेरी गर्दन के पास अपने बाँये हाथ की मुठ्ठी मे एक पोनी टेल जैसे गुच्छे में करके पकड़ कर बड़े जतन के साथ मुझे कमरे से बाहर ले गई|

पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे बालों को इस तरह से पकड़कर माँठाकुराइन यह जताना चाहती है कि अब उसका मेरे ऊपर पूरा पूरा अधिकार है, वह जो चाहे मेरे साथ कर सकती है.... तबतक बारिश रुक चुकी थी ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी और उन हवाओं ने मानो मेरे बदन में कामना की इच्छा की आग को और भी भड़का दिया|

गुसलखाने में जब मैं पेशाब करने बैठी तब माँठाकुराइन ने मेरे बालों को सिरों के  पास से अपने हाथों से उठाकर पकड़ के रखा था ताकि वह जमीन पर ना लगे| फिर वह बोली, “शर्मा मत लड़की, मूत देमैं तुझे मूतते हुए देखना चाहती हूं

माँठाकुराइन जो कहा मैंने वही किया| उसके बाद मैंने अपने गुप्तांग को धोया और फिर खुटे से टाँगे गमछे से उसको पोछा फिर माँठाकुराइन ने वैसे ही मेरे बालों को मेरे बालों को गर्दन के पास पोनी टेल जैसे गुच्छे में पकड़कर मुझे दूसरे कमरे में ले गई|

मैं बहुत बेचैनी सी महसूस कर रही थी| इसलिए मैंने खुद ने उनसे पूछा, “माँठाकुराइन, आप मुझसे अपना मालिश नहीं करवाएँगी?”

कम से कम इसी बहाने मैं किसी गैर औरत के बदन को तो छू तो पाऊंगी... नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि उन को छूने से मेरे अंदर जो एक यौन कामना की आग भड़क रही है, वह शायद थोड़ी सी शांत होगी

हाँ रीनंगी लड़की मैं जरूर करवाउंगी... जरा मेरे पास तो मेरे”, यह कहकर माँठाकुराइन ने मेरे चेहरे को अपनी हथेली में लेकर मेरे होंटो को चूमा...मेरे पूरे बदन में मानो बिजली से तो दौड गई... एक पल के लिए मुझे बड़ा अजीब सा लगा... लेकिन मेरा मन मेरा बदन दोनों को ही जरूरत थी प्यार की बारिश की...

माँठाकुराइन ने मुझसे कहाजा लड़की उस कमरे से मेरा लोटा लेकर | उसमें मेरा बनाया हुआ तेल है... आज अच्छी तरह से मालिश करवाऊंगी मैं तेरे से... बड़े दिन हो गए अपने आप को थोड़ा खुश किए हुए, अच्छा हुआ मुझे आज तुझ जैसी सुंदर सी जवान लड़की मिल गई…”

जब मैं तेल का लोटा लेने उस कमरे में जहां छाया मौसी सो रही थी... मैंने देखा कि वह आराम से चैन की नींद सो रही है और हर जब मैं लोटा लेकर वापस माँठाकुराइन के कमरे में आआी तो मैने देखा उन्होने अपनी साड़ी उतार दी थी और खुद खुद एक चटाई बिछा कर उस पर बिल्कुल नंगी बैठी हुई थी, बस उन्होंने अपनी यौनंग को कपड़े से ढक रखा था|

मुझे लोटा लेकर आती देखकर वह चटाई के लिए गई मैं भी जाकर उनके पास बैठकर फिर मैंने धीरे-धीरे उनके पैरों की उंगलियों पर मालिश करना शुरू किया जाने क्यों मेरे मन में बार-बार यह बात घूम रही थी कि उनके शरीर की अच्छी तारह से मालिश करूँ| यह उनके किए जादू टोने कस असर था या फिर मेरी उत्सुकता... मालूम नही.. पे मैंने उनकी पैरों की उंगलियों से शुरू करके उनके तलवे, पैर, घुटने जांघों, कमर, छाती और फिर हाथों की मालिश करने लग गई...

और जब मैं उनके स्तानो पर हाथ फेरने लगी तब मैंने फिर से महसूस किया कि मेरे अंदर यौन उत्तेजना बढ़ती जा रही है...

इतने में माँठाकुराइन मेरे पर स्तनों को दबा दबा कर देख रही थीमेरे खुले बालों को सहला रही थीकभी कबार वह मेरे कुल्हों पर भी हाथ फेर रही थीमानो मुझे प्यार कर रही होमुझे बहुत अच्छा लग रहा था|

फिर उन्होंने मुझसे कहा चल लड़की मेरे ऊपर लेट जा अपने दुद्दयों से मेरे दुद्दयों को रगड़...”

मैं वैसा ही करने लगी... मैं उनके ऊपर लेट कर अपने स्तनों से उनके स्तनों को रगड़ने लगी दाएं बाएं दाएं बाएंलेकिन अब माँठाकुराइन बेलगाम मुझे चूमने चाटने लगी

मुझे इस तरह से प्यार करने के कुछ देर बाद उन्हें मुझसे से कहा, “मालिश करवाना तो एक बहाना था... जब से मैंने तुझे देखा है, मेरे अंदर एक प्यास सी भड़क रही हैअब मुझसे रहा नहीं जा रहा मुझे प्यास बुझा लेने दे...”, यह कहकर माँठाकुराइन ने मेरे चेहरे को अपनी हथेली में लेकर मेरे होंटो को चूमा... एक पल के लिए मुझे बड़ा अजीब सा लगा... लेकिन मेरा बदन को प्यार की बारिश की जरूरत थी...

मेरे मन में फिर ख्याल आया इस बार मैनें बोल ही दिया, “माँठाकुराइन काश इस वक्त आप औरत नहीं होती….”

हाहाहा…”, यह सुनकर माँठाकुराइन हंस पड़ी और अपने सूखे होंठ उन्होंने अपनी जीभ से चाटा मानो वह मुझे चूमने के बाद उनके होठों पर लगा हुआ मेरा स्वाद चख रही थी... पता नहीं; लेकिन अब, इतनी देर बाद मैंने गौर किया कि उनकी जीभ बीच में से कटी हुई थी और दो भागों में बटी हुई थी बिल्कुल साँप के जीभ की तरह


क्रमश: 
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#56
(22-01-2019, 06:34 PM)Bregs Wrote: waiting ?

Just posted Update #8
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#57
hmm yea tantrika to bahut tharki hai kamsin kali ko dasi bana ke uske poore maze utha rahi hai
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#58
(23-01-2019, 10:31 PM)Bregs Wrote: hmm yea tantrika to bahut tharki hai kamsin kali ko dasi bana ke uske poore maze utha rahi hai

हां आपने बिल्कुल सही फरमाया|  अब तक की कहानी आपको कैसी लग रही है? और हां आप बताइए... कि मैंने इस कहानी में कोई कमी छोड़ी है?... कोई चूक हुई है.... प्लीज बताइए? Heart Heart Heart Heart Heart Heart Heart
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#59
Waah bahut badiya
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#60
(24-01-2019, 08:00 PM)Johnyfun Wrote: Waah bahut badiya

Thanks
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