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Misc. Erotica सेक्स, उत्तेजना और कामुकता -
#61
वीरका लण्ड तो अनुकी बातों से वैसे ही कड़क हो अनुके चुत पर चिपका था। वीर अपने हाथ अनुके बदन पर रगड कर उसकी नाजुक त्वचा को महसूस कर रहा था। वीर लगातार "अनु, आई लव यू" बोलते हुए उस से चिपका हुआ था। अनुके बदन की खुसबू से वीर पागल हुआ जा रहा था। वीरने उसकी पीठ पर पड़े हाथ से उसके कानो से बाल हटाये और अपने होंठो से अनुकी गरदन और कांख़ के पीछे चुमने लगा। अनुकी हलकी सी सिसकी निकली पर फिर हँसती भी रहि। वीरका जोश और बढ़ गया और वीरने फायदा उठाते हुए अनुकी कमर पर रखा हाथ पीछे से अनुकी नाईटी के अंदर थोड़ा घूसा दिया। वीरका हाथ अब उसके ब्राके हुक के ऊपर था और वीरने उसके ब्राके हुक और पट्टी को मुठी में टाइट बंद कर लिया। जिसकी वजह से वो हुक खुल गया। अनुके मुह से एक हलकी चीख़ निकलि पर वीरने अब अनुकी पूरी नंगी पीठ पर हाथ फेरने के मजे लिये। अनुने अभी तक कोई विरोध नहीं किया था तो वीरके होंसले बढ़ गए। वीरने अनुकी पीठ पर रखा हाथ अनुकी नाईटी के अंदर से ही उसकी बगल के नीचे से आगे ले जाकर साइड से उसके मुम्मे दबाने की कोशिश की।


मगर अनुकी बाजू उसके शारीर से चिपकी हुई थी और अनुने वीर हाथ उसकी बगल के नीचे से आगे नहीं जाने दिया। वीरने एक बार फिर कोशिश की पर कामयाब नहीं हुआ। तभी अनु ने वीरको पीछे किया और कहा की २ मिनट हो गए हैं और खिलखिलाने लगी। वीर उत्तेजित हो चूका था और समझ नहीं पाया की अनुके मन में क्या चल रहा है। अनुने अपने हाथ पीछे ले जाकर अपने ब्रा को हुक बंद करने की कोशिश की। वीरने उसकी मदद की पेशकश की और वो वीरकी तरफ पीठ घुमाये ख़ड़ी हो गयी। वीरने अब आराम से अनुकी नाईटी को थोड़ा ऊपर किया और वीरके सामने अनुकी नंगी गोरी पीठ थी। अभी अनुकी बाजू अनुकी बगल से चिपकी हुई नहीं थी। वीर अपने दोनों हाथ वह डाल कर अनुके मुम्मे दबा दिया।

अनु जोर लगा कर वीरका हाथ हटाना चाहती थी, लेकिन वीरने भी जोर लगा कर अनुको सोफ़े से उठा लिया। अनु वीरके सामने नज़रें झुकाये खड़ी हो गयी। वीर अनुको खींच कर अपने पास ले आया और अनुको अपनी बाँहों में भर कर जकड़ लिया। अनुका शरीर काँप रहा था और अनुकी साँसें उखड़ रही थी। वीरने अनुकी गर्दन और कान के पीछे चुम्मा दिया और अनुके कान पर मुँह लगा कर धीरे से कहा, "अनु तुम बहुत ही सुंदर हो। क्या तुम्हें मालूम है कि मैं हमेशा तुम्हारे बारे में ही सोचता हूँ? तुम मेरे सपनों में हमेशा आती हो और तुम ही मेरे सपनों की रानी हो, मैं तुमसे प्यार करता हूँ।"

इसके साथ वीरने अनुके कान को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया और अनु वीरकी बाँहों में खड़ी-खड़ी काँप रही थी। वीरने अनुके चेहरे को अपने हाथों से ऊपर किया। वो बहुत शर्मा रही थी और अनुकी आँखें बंद थीं और अनुके होंठ आधे खुले थे। वीरने अपने होंठ अनुके होंठों पर रख दिए और अनुके मुँह में अपनी जीभ डाल दी और अनुको फिर से अपनी बाँहों में भर कर भींच लिया। अनुने अपने चेहरे से अपने हाथों को हटा कर वीरको जकड़ लिया और अपनी जीभ वीर मुँह में डाल दी। वीरने अपना दाँया हाथ अनुके चूत्तड़ों पर ले जा कर अनुको अपने और पास खींच लिया। वीरका लंड अब तक पूरी तरह से तन्ना गया था और अनुकी जाँघों के अंदर घुसना चाह रहा था। अनुने वीर की जीभ को अपने दाँतों तले हल्का सा काट लिया और अपने होंठ वीर के होंठों से हटा कर वीर की गरदन पर रखे और वहाँ हल्के से दाँत गड़ कर काँपती हुई आवाज में बोली,

"हाँ, मैं भी तुमको कईं दिनों से चाहने लगी हूँ।"

"तुम मुझसे क्यों डरती हो" वीर ने अनु से पूछा।

"नहीं तो...!" अनुने उत्तर दिया।

वीर ने अपना दाँया हाथ अनुकी चूची पर रखते हुए कहा, "मुझे मालूम है, तुम मुझसे क्यों डरती हो। तुम्हें डर इस बात का है मैं तुम्हें चोद दुँगा।" वीरने कुछ चुप रहने के बाद उससे कहा, "क्या मैं सही बोल रहा हूँ?"

वो एक लम्बी साँस लेने के बाद अपना सिर हिला कर हाँ बोली।

"क्या मैं तुम्हें चोद सकता हूँ?" वीरने अनुसे कहा और अनु की चूची को जोर से दबा दिया।

अनु एक आह भरते हुए मुझसे बोली, "नहीं ये जायज़ नहीं है।"

वीर ने अनु की चूची और जोर से दबा कर पूछा, "क्यों? क्यों जायज़ नहीं है?"

अनु ने तब वीर के कान को अपने मुँह में लिया और हल्का दाँत लगाया और धीरे से बोली, "जरा धीरे से दबाओ, मुझको दर्द हो रहा है।"

"क्यों जायज़ नहीं है?" वीरने फिर से पूछा।

"क्योंकि मैं शादीशुदा हूँ!" वो अपनी सैक्सी आवाज में वीरसे बोली। वीरने अपना हाथ अनुकी नाईटी में डाल कर अनुकी चूची को पकड़ कर मसलना शुरू किया। अनुकी चूची बहुत सख्त थी और अनुके निप्पल खड़े थे।

"हाय मेरी जान! प्यार करने वाले शादी के बिना भी चुदाई कर सकते हैं," वीरने उसकी चूची मसलते हुए कहा।

"लेकिन ये गुनाह है," अनुने उत्तर दिया।

वीरने उसके निप्पल अपनी अँगुली के बीच ले कर मसलते हुए कहा, "ये गुनाह करने में बहुत मज़ा है, मेरी जान... प्लीज़ मुझे चोदने दो। प्लीज़ चोदने दो ना," और वीरने अनुकी चूची को कस कर दबाते हुए अनुके होठों को पागलों की तरह चूमने लगा।

अनुने कोई उत्तर देने की बजाय वीरके मुँह में अपनी जीभ डाल दी। वीरने अनुकी जीभ को थोड़ी देर के लिये चूसा और फिर कहा, "अनु मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ कर देखो कि वो कैसे तुम्हारी चूत में घुसने के लिये पागल हो रहा है" और इतना कहने के बाद वीरने अपनी पैंट उतार दी।

पहले तो अनु कुछ सकपकायी लेकिन थोड़ी देर के बाद अनुने वीरके लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया। अनुने जैसे ही वीरका लंड अपने हाथों से पकड़ा, अनुकी कँपकँपी छूट गयी और वीरको अपने दूसरे हाथ से बाँधते हुए बोली, "यह तो बहुत ही लंबा और मोटा लंड है। मैंने अब तक इतना बड़ा और मोटा लंड नहीं देखा है।" अनु वीरका लंड एक हाथ से पकड़ कर मरोड़ने लगी और फिर धीरे से बोली, "मेरी चूत भी इस लंड की लिये बेकरार है। अब जल्दी से मुझे चोदो।"
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#62
आगे की दास्ताँ वीर की जबानी


फिर उसने मेरे लंड पर से अपना हाथ हटा कर मेरा शर्ट उतारना शुरू कर दिया। मैंने उसको मेरी शर्ट उतारने में मदद की। फिर उसने मेरी पैंट और अंडरवीयर भी उतार कर मुझे पूरी तरह से नंगा कर दिया। तब मैंने उसकी नाईटी और ब्रा उतार दी और उसकी चूची को नंगी कर दिया। फिर मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी। अब वो भी मेरे सामने पूरी तरह से नंगी खड़ी थी। उसने सिर्फ अपने गले में नेकलेस और पैरों में हाई हील के सैंडल पहने हुए थे। उसने मेरे लंड को फिर से अपने हाथों से पकड़ लिया और मेरा लंड अपनी चूत की तरफ खींचने लगी। मैं भी अब उसकी चूत को अपने हाथों से मसलने लगा। उसकी चूत एक दम साफ थी और इस समय उसकी चूत में से हल्का-हल्का लसलसा-सा पानी निकल रहा था। मैंने उसकी चूत में अपनी दो अँगुली एक साथ डाल दीं और अँगुली चूत के अंदर बाहर करने लगा।

मेरी अँगुली की चुदाई से वो बहुत ही गरमा गयी और बड़बड़ाने लगी, "हाय, मेरे सनम, मेरी चूत को तुम्हारे लंड की जरूरत है। तुम अपनी अँगुली मेरी चूत से हटा कर उसमें अपना लंड घुसेड़ दो और मेरी चूत को अपने लंड से भर दो। मैं चुदास के मारे मारी जा रही हूँ। जल्दी से मुझको बिस्तर पर डालो... मेरे पैरों को अपने कँधों पर रख कर मेरी चूत की चुदाई कर दो। जल्दी से मुझको अपना लंड खिलाओ और रगड़ कर चोदो मुझे।" मैंने उसके चूत्तड़ों पर हाथ रख कर उसको अपनी बाँहों में उठा लिया और उसको बिस्तर पर डाल दिया। बिस्तर पर डालने के बाद मैंने उसकी एक चूची को अपने मुँह में भर कर चूसना शुरू किया और दूसरी चूची को अपने हाथों से मसलने लगा। अनु तब मेरे चेहरे को अपने हाथों से अपने चूची पर दबाने लगी। मैं करीब दस-पंद्रह मिनट तक उसकी चूची चूसता रहा और इस दौरान अनु मुझसे अपनी चूत में लंड डालने को कहती रही।

फिर मैं धीरे-धीरे उसका पेट चाटते हुए उसकी चूत पर अपना मुँह ले गया। अनु ने अपनी चूत पर मेरा मुँह लगते ही अपनी टाँगों को फ़ैला कर अपने हाथों से मेरा सिर पकड़ लिया। मैं उसकी चूत का चुम्मा लेने लगा। फिर मैं उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा कर उसकी चूत चूसने लगा। उसकी चूत के अंदर मेरी जीभ घुसते ही उसने मेरे चेहरे को अपनी चूत पर दबा लिया और अपनी कमर उठा-उठा कर अपनी चूत मुझसे चुसवाने लगी। फिर थोड़ी देर के बाद वो मुझसे बोली, "जल्दी से तुम सिक्स्टी-नाइन की पोज़िशन में लेटो, मुझको भी तुम्हारा लंड चूसना है।" यह सुन कर मैंने उससे कहा, "यह तो बहुत ही अच्छी बात है... लो मैं अभी तुमको अपना लंड चूसने के लिये देता हूँ," और मैं तुरंत ही सिक्स्टी-नाइन की पोज़िशन में उसके ऊपर लेट गया।

अब मेरी आँखों के सामने उसकी चमकती हुई चूत बिल्कुल खुली हुई थी। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर तक घुसेड़ दी और उसकी चूत से निकल रहे मीठे-मीठे रस को चूस-चूस कर पीने लगा। उधर अनु भी मेरे लंड को अपने रसीले होंठों में भर कर चूस रही थी। मैंने अपनी कमर को हिला कर अपना पूरा का पूरा खड़ा लंड उसके मुँह में घुसेड़ दिया। थोड़ी देर तक मैंने उसकी चूत को अंदर और बाहर से चाटा और चूसा। चूत चुसाई से उसकी चूत दो बार रस छोड़ चुकी थे जिसको मैंने बड़े ही चाव से चाट चाट कर पिया। इस समय अनु एक खेली खायी रंडी की तरह से मेरा लंड अपने मुँह में भर कर चूस रही थी और मैं भी अपनी कमर हिला कर अपना लंड उसको चुसवा रहा था। हम लोग इसी तरह काफी देर तक एक दूसरे का लंड और चूत चूसते रहे। फिर मुझे लगा कि मेरा अपना रस छूटने वाला है और यह बात मैंने अनु से बतायी और कहा, "मेरा लंड अपने मुँह से निकाल दो।"

लेकिन उसने मेरे चूत्तड़ों को जोर से पकड़ लिया और मेरा लंड अपने दाँतों से हल्के हल्के काटने लगी। इस से मेरी गर्मी और बढ़ गयी मेरे लंड ने उसके मुँह के अंदर उल्टी कर दी और उसके मुँह को अपने पानी से भर दिया। वो मेरा लंड अपने मुँह में ही रखे रही और लंड का सारा पानी पी गयी और मेरे लंड को अपनी जीभ से चाट-चाट कर साफ़ भी कर दिया। उसकी इस जबरदस्त चुसाई से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। तब उसने मुझको उठने के लिये कहा और मैं उठ कर उसके पैरों के बीच बैठ गया। अनु भी उठ गयी और मेरा लंड पकड़ कर बोली, "अब मैं और नहीं रुक सकती। जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो और मेरी चूत को अपने लंड के धक्कों से फाड़ दो।" मैंने उसकी टाँगों को उठा कर अपने कँधों पर रख लिया और उसकी चूत के दरवाजे पर अपना लंड टिका दिया। उसकी चूत इस वक्त बहुत ही गीली और गरम थी। मैं उसकी चूत के दरवाजे पर लंड रखके उसके ऊपर लेट गया और उसकी एक चूची को पकड़ कर उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी। अनु मुझको अपने चारों हाथ-पैर से जकड़ कर अपने चूत्तड़ उछालने लगी। मैंने उसकी चूत में अपना लंड एक ही झटके से डाल दिया।

अनुने मेरे गालों को काट लिया और चिल्ला कर बोली, "ऊईईईईईई हाय बहनचोद तूने मेरी चूत फाड़ दी हाय।" उसकी चूत बिल्कुल कुँवारी लड़की की तरह तंग थी। उसने अपनी टाँगें मेरी कमर पर रख दीं। मैं उसकी चूची को सहलाने लगा और कभी-कभी उसके निप्पल अपने मुँह में भर कर चूसने लगा। अनु चुपचाप पड़ी रही और थोड़ी देर के बाद अपनी सैक्सी आवाज में बोली, "ऊईईईई, उफफ कितना मोटा लंड है... ऐसा लगता है कि गधे का लंड हो।" मैंने कहा, "गधे का लंड इतना छोटा नहीं होता... तुम्हारी चूत ज़्यादा तंग है इसलिये तुम्हें मेरा लंड मोटा लग रहा है," और मैं अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा।

अनु मेरे चुदाई शुरू करते ही बोली, "ओह जानू... अभी नहीं हिलो... मुझे दर्द हो रहा है... पहले मेरी चूत को अपने लंड से दोस्ती कर लेने दो... ज़रा दर्द कम हो तो फिर इस को चोदना।"

थोड़ी देर के बाद अनु मुझे चुम कर फिर बोली, "ओह मेरी जान, मुझे तुम्हारा लंड बेहद पसंद आया। मुझे अब तक इतने मोटे, लंबे और सैक्सी लंड से चुदवाने का मौका नहीं मिला। बस अब तुम मुझको जोरदार धक्के मार-मार कर खूब चोदो। अब ये चूत तुम्हारी है... इसको जैसे चाहो अपना लंड पेल-पेल कर चोदते रहो।" मैं अनु की बात मानते हुए उसकी चूत में लंड दनादन पेलता रहा और अपने दोनों हाथों से उसकी चूंची मसलता रहा। मैं इस समय अनु की चूत एक पागल कुत्ते की तरह चोद रहा था। शुरू के दस मिनट तक अनु मुझे चोदने में पूरा साथ देती रही पर बाद में मेरे कँधों पर पैर रख कर आँखें बंद करके चुपचप लेट गयी। उसकी सैंडल के बकल मेरी गर्दन पर खरोंच रहे थे। थोड़ी देर के बाद मैं जब झड़ने को हुआ तो मैंने अपनी कमर चलाना बंद कर दी और उससे कहा, "मैं अब अपना लंड निकाल कर तुम्हारे पेट के ऊपर झड़ने वाला हूँ।"

अनु ने मेरी बात सुनते ही मुझे और जोर से अपने हाथों से बाँध लिया और बोली, "खबरदार, अपना लंड मत निकालना। तुम मेरी चूत के अंदर ही अपना पानी छोड़ो। मैं रोज़ पिल्स लेती हूँ। तुम अपने पानी से मेरी चूत को भर दो। मुझे तुम्हारे पानी से अपनी चूत भरनी है।" मैंने उसकी बातों को सुन कर चोदने की स्पीड फिर से तेज कर दी और उसकी चूत में अपना लंड जल्दी-जल्दी से अंदर-बाहर करने लगा। थोड़ी देर के बाद मेरे लंड ने अनु की चूत के अंदर पिचकारी छोड़ दी और उसकी चूत मेरे पानी से भरने लगी। अनु भी मेरे झड़ने के साथ साथ झड़ गयी। वो अपनी चूत सिकोड़-सिकोड़ कर मेरे लंड का पानी निचोड़ने लगी।

थोड़ी देर मैं अपना लंड अनु की चूत से बिना निकाले उसके उपर लेटा रहा और अनु को फिर से चूमने लगा और हाथों से उसकी चूची को दबाने लगा। कुछ देर के बाद मैं अनु की एक चूची अपने मुँह में भर कर चूसने लगा।
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#63
करीब दस मिनट के बाद अनु फिर से मुझको अपने हाथों से बाँध कर मुझको चूमने लगी और थोड़ी-थोड़ी देर के बाद मेरे कान पर अपने दाँत से हल्के-हल्के काटने लगी। फिर वोह मुझसे बोली, "हाय मेरे चोदू सनम, आज तक किसी ने चुदाई में मुझे इस तरह खुश नहीं किया है। मुझे तुम्हारा चुदाई का औजार और तुम्हारा चुदाई का तरीका बेहद पसंद आया और सबसे अच्छी बात चुदाई के दौरान गंदी-गंदी बात करना अच्छा लगा। चूत मरवाते वक्त मुझे गंदी-गंदी बात सुनने और गंदी-गंदी बात करने में बहुत मज़ा आता है... लेकिन मेरा पति मुकुल कभी भी मुझे चोदते समय गंदी-गंदी बात नहीं करता है। वो तो बस सोने के पहले लाईट ऑफ करके मेरी नाईटी उठा कर मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल कर दस-पंद्रह धक्के मारता है और झड़ जाता है। मैं तब तक गरम भी नहीं होती हूँ। फिर रात भर वो मेरी तरफ अपनी गाँड करके सोता रहता है और मैं अपनी अँगुली से अपनी चूत का पानी निकालती हूँ।"


मैंने तब अनु की चूची को मसलते हुए कहा, "तुम भी तो चुदाई के दौरान खूब गंदी-गंदी बात करती हो और यह मुझे बहुत पसंद आया... अपने हसबैंड के अलावा और कितने लंड लिये हैं तुमने अपनी चूत में... काफी खेली-खायी लगती हो तुम।" "मुझे मौका ही कहाँ मिलता है.... शादी से पहले तो मैं कॉलेज में खूब चुदवाती थी पर शादी के बाद से कभी किसी और से चुदवाने का मौका नहीं मिलता है... पर आज जब बगैर खतरा उठाये चुदवाने का मौका मिला तो मैं छोड़ती कैसे।" यह कहकर उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मैंने उसकी जीभ चूसते हुए उसके मुँह में अपना थूक डाल दिया। इसके साथ मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा और वो अनु की चूत में उछलने लगा। फिर अनु ने अपनी सैक्सी आवाज में मुझसे पूछा, "क्या तुम मुझसे और गंदी बातें सुनना चाहोगे?" मैंने उसकी चूची को जोर से मसलते हुए कहा, "क्यों नहीं, जरूर। चलो शुरू हो जाओ गंदी-गंदी बात करना।"

तब अनु मेरे सीने में अपना मुँह छिपाती हुई बोली, "आज तुम मेरी गाँड मारो। मैं तुम्हारा लंबा और मोटा लंड अपनी गाँड को खिलाना चाहती हूँ। मुझे तुम्हारा लौड़ा अपनी गाँड के अंदर लेना है।"

मैं उसकी बात सुन कर बहुत उत्तेजित हो गया और मेरा लंड उसकी चूत के अंदर उछलना शुरू हो गया। मैंने उसके होठों को चूमते हुए उससे कहा, "हाँ, मुझे भी औरतों की गाँड में लंड पेलने में मजा आता है। मुझे तुम्हारी मोटी-मोटी गाँड के अंदर लंड डाल कर चोदने में बहुत मज़ा आयेगा।"

फिर अनु बोली, "मैंने कईं दफा मुकुल से मेरी गाँड मारने के लिये कहा, मगर मुकुल मेरी गाँड नहीं मारना चाहता है। उसको बस मेरी चूत के अंदर लंड पेलने में ही मज़ा आता है।" वो आगे बोली, "मेरी बहुत सी सहेलियों को भी गाँड मरवाने का शौक है लेकिन उनके पति भी उनकी गाँड नहीं चोदते।" मैंने तब अपना लंड अनु की चूत से निकाला। मेरा लंड इस समय अनु की चूत के रस से सना हुआ था और इस लिये वो चमक रहा था। अनु ने मेरे लंड को देखते ही उसे अपने मुँह में भर लिया और उसको चूसने लगी। जब तक अनु मेरा लंड चूस रही थी मैं अपनी एक अँगुली से उसकी गाँड खोदता रहा।

थोड़ी देर लंड चूसने के बाद अनु कुत्तिया की तरह पलंग पर अपने हाथों और घुटनों के बल झुक गयी और अपने हाथों से अपने चूत्तड़ों की फाँक को खींच कर अपनी गाँड मेरे सामने खोल दी। फिर वोह मुझसे अपने लंड को उसके मुँह के सामने लाने के लिये बोली। मैंने जैसे ही अपना लंड अनु के मुँह के सामने किया तो अनु ने उस पर अपने मुँह से ढेर सारा थूक निकाल कर मेरे लौड़े पर अच्छी तरह से लगाया। मेरा लंड तो पहले से ही उसकी चूत के पानी से लसलसा रहा था। तब अनु मुझसे बोली, "आओ मेरी चूत के सरताज़, अब तक तुमने मेरी चूत का लुत्फ़ लिया अब तुम मेरी गाँड मार कर मुझे गाँड से लंड खाने का मज़ा दो। आज मेरी बहुत दिनों की गाँड चुदवाने की तमन्ना पूरी होने जा रही है। अगर तुमने मेरी गाँड मार कर मुझे खुश कर दिया तो मैं अपनी और सहेलियों की चूत और गाँड तुमसे चुदवाऊँगी। मेरी बहुत सी सहेलियाँ शादी के पहले से गाँड मरवा कर गाँडू बन गयी हैं। चलो अब तुम पहले मेरी गाँड चोदो, सहेलियों की बात बाद में होगी।"
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#64
अनु की इन सब बातों से मैं बहुत उत्तेजित हो गया और उसके पीछे अपना खड़ा लंड ले कर बैठ गया। अनु ने अपना चेहरा तकिये में छिपा लिया और अपने हाथों से अपने चूत्तड़ पकड़ कर मेरे सामने अपनी गाँड का छेद पूरी तरह से खोल दिया। मैंने उसकी गाँड के छेद पर अपने मुँह से थोड़ा थूक लगाया और अपने लंड को उसकी गाँड के छेद पर रख कर रगड़ने लगा। अनु मेरी तरफ अपना चेहरा घुमा कर बोली, "देखो, अपनी शादी के बाद से आज मैं इतने सालों में पहली बार अपनी गाँड को लंड खिला रही हूँ। मेरी गाँड काफी टाईट है... इसलिये पहले बहुत धीरे-धीरे मेरी गाँड मारना... नहीं तो मेरी गाँड फट जायेगी और मुझको बहुत दर्द होगा।" करीब पाँच मिनट तक रगड़ने के बाद मैंने अपना लंड अनु की गाँड के छेद में घुसेड़ना चाहा, लेकिन उसकी गाँड काफी टाईट थी और मुझको अपना लंड घुसेड़ने में काफी तकलीफ महसूस होने लगी। फिर मैंने अपने दाहिने हाथ से अपना लंड उसकी गाँड के छेद पर लगा कर अपने बाँये हाथ से उसके एक निप्पल को जोर से मसल दिया। निप्पल मसले जाने से अनु जोर से चींखी "ऊऊई" और उसने अपनी गाँड को ढील छोड़ दिया और मैंने अपने लंड क सुपाड़ा एक जोरदार धक्के से उसकी गाँड के छेद के अंदर घुसेड़ दिया। अनु ने अपनी गाँड को फिर से टाईट करना चाही, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अनु बोली, "नो... नहींईंईं... प्लीज़।"

चूँकि अनु की गाँड और मेरा लंड थूक से बहुत चीकना हो गया था, मेरा सुपाड़ा उसकी गाँड में धँस चुका था और मैंने उसकी दोनों चूंची कस कर पकड़ कर एक धक्के के साथ अपना पूरा का पूरा लंड उसकी कसी हुई गाँड के अंदर उतार दिया। मेरा पूरा का पूरा लंड अनु की गाँड में एक झटके के साथ घुस गया। अनु जोर से चींखी, "ऊऊऊईईईईईई ओ ओ ऊईईईईईई ओह ओह ऊई अहहह! मैं मर गयी। ऊईई मेरी गाँड फट गयी ऊऊऊऊ हाय अहहह ओई मेरी गाँड फट गयी। प्लीज़ बाहर निकाल लो।" अनु इतनी जोर से चींखी थी कि मुझको डर लगने लगा कि कोई सुन ना ले। मैंने उसके मुँह पर हाथ रखना चाहा, लेकिन अनु ने अपना मुँह तकिये में घुसा दिया। वो अब भी मारे दर्द से सुबक रही थी और बोल रही थी, "मेरी गाँड फाड़ दी, ऊईई मेरी गाँड फट गयी, बाहर निकालो नहीं तो मैं मर जाऊँगी।" मैं उसकी चूचीयों को फिर से अपने हाथों से पकड़ कर मसलने लगा। अनु फिर मुझसे बोली, "प्लीज़ बाहर निकालो वरना मैं मर जाऊँगी।"


मैंने उसकी चूचीयों को थोड़ा जोर दे कर दबाया और उससे कहा, "मैं तुम्हें मरने नहीं दुँगा, बस थोड़ी देर में ठीक हो जायेगा।" अनु अपना बाँया हाथ अपनी गाँड पर लायी और मेरे लौड़े को छू कर बोली, "उफफ ये बेहद मोटा है, इसने मेरी गाँड फाड़ दी... हाय।" मैंने उसकी चूचीयों को और थोड़ा जोर देकर मसला और पूछा, "क्या बहुत मोटा है?"


अनु बोली, "यह जैसे तुमने मेरे अंदर मूसल डाल दिया है।"

मैंने फिर से पूछा, "यह क्या है, इस को क्या कहते हैं?"

अनु मेरे आँडों को छूते हुए बोली, "मुझे नहीं पता, तुम्हें पता होगा।"

मैंने अपना लंड उसकी गाँड में और अंदर तक धँसाते हुए कहा, "तुम्हें पता है... थोड़ी देर पहले तो खुल कर इसका नाम ले रही थी और अब क्यों नखरा कर रही है?"

"ओह नहीं बिल्कुल मत हिलो, नहीं... मुझे दर्द हो रहा है... बस आराम से अंदर डाल कर पड़े रहो।"

मैंने फिर से अनु से कहा, "पहले इसका नाम ले कर बोलो जैसे चूत चुदाई के वक्त बोल रही थी!"

अनु मेरे आँडों को अपने हाथों से दबाती हुई बोली, "तुम बहुत बेहया हो, मुझसे गंदी बातें करवाना चाहते हो।"

मैंने कहा, "हाँ मैं तुमसे गंदी बातें करना चाहता हूँ, तुम ही तो कह रही थीं कि तुम्हें गंदी बातें करना और सुनना अच्छा लगता है... तो फिर बेशर्म हो जाओ और खुल कर गंदी बातें करो।"

अनु ने अपना चेहरा मेरी तरफ घुमाया और अपने दाँये हाथ से मेरे सिर को पकड़ कर अपने चेहरे के पास ले आयी। उसने मेरे कान पर चुम्मा दिया और मेरे कान मैं फुसफुसा कर बोली, "साले तेरा इतना मोटा लंड अपनी गाँड में ले कर बेहया बनी हुई तो हूँ, और क्या चाहता है तू।" वो फिर से मेरे लंड को छू कर बोली, "तेरा लंड बेहद मोटा ओर लंबा है, मुकुल का इतना बड़ा नहीं है।"
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#65
उसके मुँह से गंदी बातें सुन कर मैं बहुत गरम हो गया और उसकी गाँड में अपना लंड धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। अनु की गाँड इतनी टाईट थी कि लंड को अंदर-बाहर करने में काफी जोर लगाना पड़ रहा था। अनु फिर चींखी और बोली, "ननन नहीं प्लीज़ हिलना नहीं, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, अभी ऐसे ही रहो... जब मेरी गाँड की तुम्हारे लंड से दोस्ती हो जाये तो फिर हिलना।" मैंने अपना हाथ उसके पेट के नीचे ले जा कर उसकी चूत में अपनी अँगुली डाल दी। फिर थोड़ी देर के बाद मैं अनु की गाँड धीरे-धीरे चोदने की कोशिश करने लगा। वो चिल्ला रही थी, "ऊऊऊईईई ईई... नहीं मैं मर जाऊँगी। मेरी गाँड फट जायेगी, प्लीज़ अभी अपने लंड को नहीं हिलाओ!"


लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और उसकी गाँड जोर जोर से चोदने लगा। अनु मुझको गाली देने लगी, "भोँसड़ी के, बहनचोद, गैर औरत की गाँड मुफ्त में मारने को मिल गयी है... इसलिये मेरी गाँड फाड़ रहा है!" मैं उसकी बातों पर ध्यान न देते हुए उसकी गाँड में अपना लंड पेल-पेल कर चोदता रहा। थोड़ी देर के बाद अनु को भी मज़ा आने लगा और अपनी गाँड मेरे लंड के धक्कों के साथ आगे पीछे करने लगी। थोड़ी देर उसकी गाँड चोदने के बाद मुझे लगा कि मेरा वीर्य छूटने वाला है। मैंने उसके चूत्तड़ पकड़ कर अपने और पास खींचते हुए कहा, "ओह जानू, मैं अब छूटने वाला हूँ।"

तब अनु अपनी कमर को मेरे और पास ला कर लंड को अपनी गाँड के और अंदर लेती हुई बोली, "अब मज़ा आ रहा है, अपने लंड को मेरी गाँड के अंदर छूटने दो और मेरी गाँड को अपने लंड की मलाई से भर दो!" इसके साथ ही मैंने दो चार और तेज़-तेज़ धक्के मार कर उसकी गाँड के अंदर अपने लंड की पिचकारी छोड़ दी। अनु ने भी मेरे झड़ने के साथ ही अपनी चूत का पानी छोड़ दिया। मैं थोड़ी देर तक उसकी पीठ के ऊपर पड़ा रहा और फिर उसकी गाँड में से अपना लंड निकाला। मेरा लंड उसकी गाँड में से "पुच" की आवाज से बाहर निकल आया।

अनु जल्दी से उठ कर बाथरूम की तरफ़ अपनी सैंडल खटपटाती हुई भागी और थोड़ी देर के बाद मैं भी बाथरूम में चला गया। अनु मेरे लंड को देखती हुई बोली, "देखो साला मेरी गाँड मार के कैसे मरे चूहे जैसा हो गया है।"

मैंने कहा, "कोई बात नहीं... मैं इस को फिर तैयार कर लेता हूँ।" अब तक मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था। अनु मेरे पास आयी और मुझको अपनी बाँहों में जकड़ कर मेरे होठों पर चुम्मा दे कर बोली, "मैं तुम्हें बताती हूँ की मैं कितनी बेहया और गंदी हूँ!"

फिर मुझको मेरे कँधों से पकड़ कर मुझको कमोड पर बैठने के लिये बोली। मैं उसकी बात मानते हुए कमोड पर बैठ गया। अनु तब मेरी जाँघों पर मेरी तरफ मुँह कर के बैठ गयी। मेरा लंड इस समय उसकी चूत के छेद पर अपना सिर मार रहा था। उसने मुझे फिर से अपनी बाँहों में जकड़ कर मेरे मुँह को चूमते हुए मेरे मुँह में अपनी जीभ घुसेड़ दी और मेरे लंड पर पेशाब करने लगी। मुझको अनु का यह अंदाज़ बहुत पसंद आया। उसके गरम-गरम पेशाब से मेरा लंड धुल रहा था। हम लोग इसी तरह कमोड पर बैठे रहे और जब अनु का पेशाब पूरा हो गया तो वो बोली, "मैंने तुम्हारा लंड गंदा किया था और अब मैंने इसको धो दिया है।"

मैंने उसको चूमते हुए कहा, "तुम वाकय बहुत बेशर्म हो।" उसने उत्तर दिया, "तुमने बना दिया है।"

मैंने तब अनु से कहा, "उठो और अब तुम घोड़ी बनो... मैं अपने लंड से तुम्हारी गाँड धोता हूँ।"

अनु तब उत्तेजित होकर बोली, "हाँ, बेहद मज़ा आयेगा... पर पहले मैं तुम्हारे लंड को सुखा तो दूँ!"

हम दोनों खड़े हो गये और अनु झट से झुक कर मेरा लंड पकड़ कर अपनी जीभ उस पर ऊपर से नीचे तक फिराने लगी। मेरे लंड से अपना पेशाब चाटने के बाद वो घोड़ी बन कर कमोड पकड़ के अपनी गाँड ऊपर कर के खड़ी हो गयी। मैंने उसके चूत्तड़ों की फाँकों को अलग करते हुए अपना लंड उसकी गाँड के छेद के सामने रखा। अपना लंड उसकी गाँड के सामने रखते हुए मैंने अपनी पेशाब की धार उसकी गाँड के छेद पर मारनी शुरू कर दी। जैसे ही मेरा गरम-गरम पेशाब उसकी गाँड के छेद पर पड़ा, अनु उत्तेजित हो कर बोली, "ओह जानू... बहुत मज़ा आ रहा है... मुझे आज से पहले चुदाने का इतना मज़ा नहीं आया। तुम भी मेरी तरह बेहद बेहया और गंदे हो, मुझे तुम्हारे जैसा मर्द ही चाहिये था जिस के साथ मैं भी इसी तरह खुल कर बेहयाई कर सकूँ।"
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#66
उसके बाद हम दोनों एक साथ शॉवर के नीचे खड़े हो कर नहाए। अनु ने अभी भी अपने सैंडल पहने हुए थे। अनु ने मुझे और मैंने अनु को साबुन लगाया। फिर अपने अपने बदन तौलिये से पोंछ कर हम लोग बेडरूम में आ गये और फिर से एक दूसरे को चूमने-चाटने लगे। करीब दस मिनट तक एक दूसरे को चूमने और चाटने के बाद मैं उसकी चूची पर अपना मुँह लगा कर फिर से उसकी चूची पीने लगा।


मैं धीरे-धीरे अनु के पेट को चूमते हुए उसकी चूत पर अपना मुँह ले गया। चूत पर मेरा मुँह लगते ही अनु ने अपनी दोनों टाँगें फैला दीं और मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर कसकर दबाने लगी। थोड़ी देर तक मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटा और चूसा। मेरे द्वारा चूत चटाई से अनु बहुत गरम हो गयी और बैठे-बैठे ही अपनी कमर उचकाने लगी। फिर वो मेरा चेहरा अपने हाथों से पकड़ कर अपने चेहरे के पास ले आयी और बोली, "मेरी जान, हम लोगों का रिश्ता क्या है।"

मैंने उसकी चूची को मसलते हुए कहा, "तुम मेरे दोस्त की बीवी हो... और आज से मेरी महबूबा हो।"

तब अनु मेरे होठों को चूमते हुए बोली, "तुम मुझको भाभी कह कर पुकारो। मुझे तुम्हारी भाभी बन कर चुदवाने में बेहद मजा मिलेगा। चलो मुझको भाभी कह कर पुकारो और मुझे चोदो।"

उसकी यह बात सुन कर मैंने उसकी चूची मसलते हुए कहा, "भाभी तुम बहुत ही सैक्सी और चुदक्कड़ हो। तुम्हारी चूत बहुत ही गरम है और चुदास से भरी है। मेरा लंड तुम्हारी चूत में घुसने के लिये खड़ा होकर झूम रहा है। भाभी मुझको तुमसे प्यार हो गया है।"

मेरी बात सुन कर अनु बिस्तर पे अपने चूत्तड़ों के नीचे तकिया लगा कर मेरे सामने चित हो अपने पैर फ़ैला कर लेट गयी। मैं उसकी चूची को पकड़ कर उसकी चूत को चाटने लगा। उसकी चूत की खुशबू बहुत ही अच्छी थी। करीब पाँच मिनट के बाद अनु ने मेरे कँधों को पकड़ कर मुझको अपने ऊपर से उठाया और बोली, "तुम अपने पैर मेरी तरफ कर लो... मुझको तुम्हारा लंड चूसना है।"

हम लोग जल्दी से सिक्स्टी-नाइन की पोज़िशन में लेट गये और अपना अपना काम शुरू कर दिया। अनु बहुत अच्छी तरह से मज़े लेकर मेरा लंड चूस रही थी। हम लोग एक दूसरे के चूत और लंड करीब पाँच मिनट तक चूसते रहे। मैंने फिर अनु को उसकी टाँगें फ़ैला कर लेटने को कहा और उसके पैर अपने कँधों पर रख लिये। मैंने उसकी टाँगों को और फ़ैला कर उसके घुटनों से उसकी टाँगों को मोड़ दिया। अब अनु की सैक्सी चूत मेरी आँखों के सामने खुली हुई थी। मैंने लंड पर थूक निकाल कर मला और लंड को अनु की चूत पर रख कर एक ही धक्के के साथ उसकी चूत के अंदर कर दिया। इसके बाद मैं उसकी चूचीयों को पकड़ कर उसकी चूत में अपना लंड पहले धीरे-धीरे और बाद में जोर-जोर से पेलने लगा। अनु भी अब नीचे से अपनी कमर उछाल कर मेरे हर धक्के का जवाब दे रही थी और मुझको अपनी बाँहों में भर कर चूम रही थी। थोड़ी देर के बाद अनु अपनी एक चूची मेरे मुँह पे लगाती हुई बोली, "मेरे चोदू सनम... मेरी चूत की चुदाई के साथ-साथ मेरी चूची भी पियो... इसमें बेहद मज़ा मिलेगा और मेरी चूत भी और गरम हो जायेगी।"

मैंने भी उसकी चूची को चूसते हुए थोड़ी देर तक उसको चोदा और फिर रुक गया। मेरे रुकते ही अनु ने मुझे चूमते हुए कहा, "शाबाश, तुम बहुत ही बेहतरीन तरीके से चोदते हो। मैं तुम्हें बहुत पहले से चाहती हूँ लकिन मैं तुमसे दूर रहती थी कि कहीं मेरे पति को मेरे इरादों का पता न चल जाये।" मैंने कहा, "तो फिर आज क्यों मेरा लंड अपनी चूत में लिया हुआ है।" अनु ने उत्तर दिया, "अब मुझ से सब्र नहीं हो रहा था, मुझे मुकुल से तसल्ली नहीं हो रही थी... वो ना तो तुम्हारी तरह मुझे चोदता है और ना ही वो मेरी चूत पे किस करता है और ना ही मेरी गाँड मारता है... मुझे गाँड मरवाने का बहुत शौक था.... साथ ही कईं दिनों से किसी और से चुदवाने का मौका भी नहीं मिला...

उसने अपनी कमर को अब फिर से धीरे-धीरे चलाना शुरू किया और अपनी चूत से मेरा लंड पकड़ने की कोशिश करती हुई बोली, "मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं पहली दफा चुद रही हूँ... तुम बहुत मज़े के साथ चोदते हो... अब धीरे-धीरे मेरी चूत चोदो।" मैं फिर से उसको धीरे-धीरे चोदने लगा और उससे बोला, "तुम भी मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो... मैं भी हर वक्त तुम्हें चोदने के बारे में सोचता रहता था... मुझे भी तुम्हारी चूत और गाँड ने बहुत मज़ा दिया है... मैंने पहली बार गाँड मारी है... तुम्हारी गाँड इतनी टाईट थी कि लग रहा था कि किस्सी कुँवारी लड़की की चूत हो।"

तब अनु बोली, "तुम्हारा मोटा लंड और मेरी टाईट चूत हम दोनों को बेहद मज़ा दे रहे हैं... अब मैं बहुत गरम हो गयी हूँ... अब मेरी चूत जोर-जोर से चोदो।"

मैं भी अब तक उससे चुदाई की बातें करके बहुत गरम हो चुका था और उसे दनादन चोदने लगा। तब वो बोली, "अपना थूक मेरे मुँह में डालो... यह बहुत मज़े का है।"

मैंने भी तब अनु को चूमते हुए उसके मुँह में अपना ढेर सारा थूक डाल दिया। अनु अपनी चुदाई से मस्त हो कर बड़बड़ाने लगी, "आहह, ओह मज़ा आ गया और ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत चोदो... पूरा-पूरा लंड डाल कर चोदो... मैं तो अब तुम्हारे लंड की दीवानी हो गयी... अब तुम जब भी कहोगे मैं तुम्हारे लंड को अपनी चूत के अंदर ले लुँगी। चोदो... चोदो... ज़ोर-ज़ोर से चोदो... बहुत मज़ा आ रहा है। आज मेरी चूत की सारी खुजली मिटा दो... मेरी चूत फाड़ कर उसके चिथड़े-चिथड़े कर दो। बस तुम मुझे ऐसे ही चोदते रहो। अल्लाह करे आज का वक्त रुक जाये और तुम मेरी चूत ऐसे ही चोदते रहो। हाय तुम्हारा लंड मेरी चूत में अंदर तक ठोकर मार रहा है और मुझको बेइंतेहा मज़ा मिल रहा है।"

थोड़ी देर के बाद मेरा पानी छूटने को हुआ और मैंने अनु से कहा, "मेरी जान... मेरा लंड अब उल्टी करने वाला है... क्या मैं अपना लंड निकाल लूँ?"

अनु अपनी टाँगों से मेरी कमर को कस कर पकड़ते हुए अपनी कमर उचका कर बोली, "जान से मार दूँगी अगर अपना लंड बाहर निकाला... अपना लंड मेरी चूत में इखराज़ कर दो... जो होगा फिर देख लेंगे।" मैं तब उसकी चूत पर पिल पड़ा और उसकी चूत में अपना लंड पागलों की तरह अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी देर के बाद मैं उसकी चूत के अंदर झड़ गया। मेरे झड़ने के साथ ही अनु ने अपनी चूत से मेरे लंड को निचोड़ लिया और वो भी झड़ गयी। मेरे लंड को उसने अपनी चूत के रस से नहला दिया और बोली, "ओह जानू... मज़ा आ गया... आज से पहले इस कदर मज़ा नहीं आया था... मेरी चूत को तुम्हारा लंड बेहद पसंद आया है। मोनिका दीदी के कमरे से आने वाली उनकी चीखें झूठ नहीं थी। तुम वाकई बोहत जालिम चोदु हो।"

मोनिका मुकुल की बहन का नाम था जिसे मैं चोदता था। मतलब अनु को पता था!

"तुझे मोनिका और मेरे बारे में कब से पता है अनु जान?" मैंने उससे पूछा।

"जब से तुम उसे पढ़ाने आते हो और पढ़ाई के बहाने उसकी ठुकाई करते हो, तब से," वो मेरा लन्ड अपने हाथ से दबा कर बोली, "पर घबराओ मत, वो तुम्हारा अपना चक्कर है, मुझे उससे कोई दिक्कत नहीं है। बस ये लंड मुझे खिलाते रहना जान।"

अनु मेरी बाहों में सिमट गई। मुझे मोनिका और अनु की चूत एक साथ चोदने का ख्याल आया तो मेरा लंड तड़प उठा। लंबी चुदाई से हम दोनों अब तक बहुत थक चुके थे और इसलिये हम दोनों एक दूसरे को अपनी बाँहों से जकड़ कर सो गये। करीब एक बजे हम लोगों की आँख खुली। हम दोनों नंगे ही सो रहे थे और अनु ने अभी भी अपने हाई हील सैंडल पहने हुए थे। आँख खुलते ही मेरा लंड फिर से अनु की चूत में घुसने के लिये खड़ा होने लगा। हम लोगों ने एक बार फिर से जम कर चुदाई की। अब तक करीब साढ़े तीन बज रहे थे। अनु बोली, "मेरी जान... जाने का तो मन नहीं है, लेकिन क्या करूँ जाना पड़ेगा। मैंने कहा, "ठीक है.. अभी अपने रूम में जाओ, लेकिन कल मुकुल के सोते ही मेरे रूम में अपनी चूत और गाँड ले आना। मैं फिर तुम्हारी चूत और गाँड को लंड खिलाऊँगा। आओगी ना लंड खाने?"

अनु बोली, "जरूर मेरे चोदू सनम, कल मैं फिर से तुम्हारा प्यारा लंड अपनी चूत और गाँड को खिलवाऊँगी!" और इतना कह कर अनु अपने कमरे में अपनी चुदी चूत और गाँड ले कर चली गयी।

॥।समाप्त॥।
banana
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#67
Big Grin

बीवी को बदलकर लिया चुदाई का मजा



हैल्लो दोस्तों, आप सभी पढ़ने वालों को में सबसे पहले बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ, क्योंकि आप सभी के प्यार की वजह से हम जैसे लोगों को अपनी आप बीती कोई सच्ची घटना कोई भी ऐसा काम बताने की हिम्मत मिलती है.



मैंने अब तक बहुत सारी सच्ची घटनाओं पर आधारित घटनाओं को पढ़कर उनके मज़े लिए और इसलिए आज में भी अपनी एक सच्ची कहानी आप लोगों को सुना रहा हूँ, जो सबसे अलग हटकर है और जिसमें मैंने अपनी पत्नी की जगह दूसरे की पत्नी की अदला-बदली करके उसकी चुदाई के मज़े लिए, लेकिन वो सब कुछ मैंने कैसे किया? अब आप उसको पूरे विस्तार से सुने और आगे पढ़े. में उम्मीद करता हूँ कि यह आपको सभी को जरुर पसंद आएगी और आप इसका पूरा मज़ा ले सकते है.



दोस्तों में 56 साल का और मेरी पत्नी 53 साल की है, मेरा नाम ललित और मेरी पत्नी का नाम सुशीला है, मेरी लम्बाई 5.5 वजन 75 किलो और मेरी पत्नी की लम्बाई 4.9 और उसका वजन 60 किलो है. हमारी शादी हुए 32 साल हो गये है, हमारे दो बेटे है जो बाहर रहते है और उनकी भी शादी हो गई है. मेरी पत्नी चेहरे से गोरी और थोड़ी सी मोटी है, उसके फिगर का आकार 38-40-42 है. वैसे में भी मोटा हूँ और मेरी छाती 42 कमर 40 है, लंड छोटा करीब 4.4 लम्बाई और मोटाई 1.5 है.



दोस्तों हमारे बेटों के बाहर चले जाने के बाद हम दोनों पति, पत्नी अकेले हो गये थे, जिसकी वजह से हम दोनों को हमारी सेक्स लाईफ अब बहुत ज्यादा बोर लगने लगी थी, में कभी कभी मजाक में सुशीला को बोलता था कि तुम्हारी लम्बाई बहुत छोटी है, इसलिए मुझे वैसा मज़ा नहीं आता जैसा आना चाहिए, तुम्हारी लम्बाई कम से कम 5 फीट तो होनी चाहिए और फिर में उसको ताना मारता कि तुम्हारी जोड़ी तो मेरे दोस्त नरेन्द्र से मिलती है, जिसकी लम्बाई मुश्किल से 5 फीट से ज़्यादा थी.



कुछ दिन तो वो मेरी सभी बातें चुपचाप सुनती रही, लेकिन एक रोज वो भी मुझे ताना मारते हुए मुझसे बोली कि आपकी जोड़ी भी सरिता से मिलती है, यानी नरेन्द्र कि पत्नी जो 5 फिट से ज़्यादा लंबी थी, यह बात उसने तब कही जब में एक रात को अपना लंड उसकी चूत में डालकर लगातार धक्के देकर उसकी चुदाई कर रहा था और उसके मुहं से यह बात सुनते ही मुझे सबसे पहले एक अजीब सा झटका लगा कि आज मेरी पत्नी मुझसे यह कैसी बातें कर रही है, क्या यह पागल हो चुकी है.



लेकिन फिर में मन ही मन सोचने लगा कि आज मेरे नीचे लेटी मेरे लंड को अपनी चूत में लेकर मुझसे जो अपनी चुदाई करवा रही है, वो मेरी पत्नी सुशीला नहीं नरेन्द्र की पत्नी सरिता है और उसको सोचकर मुझे चुदाई करने में ज्यादा मज़ा आने लगा और उस समय सुशीला मुझे बहुत अच्छी लगने लगी थी, में बहुत कस कसकर धक्के देकर चुदाई करने लगा और अब वो मुझसे कहने लगी वाह आज तो मुझे चुदाई करवाने में बहुत मज़ा आ रहा है और जब हम दोनों झड़कर चुदाई से फ्री हो गये तो हमे लगने लगा कि दूसरे को मन ही मन सोचकर चुदाई करने में बहुत मज़ा आता है. उसके बाद से जब भी में अपनी पत्नी को चोदता तो उस समय मेरा शरीर मेरी पत्नी के साथ होता, लेकिन मेरी सोच में बस सरिता होती और उसको समझकर में अपनी पत्नी को बहुत जमकर चोदता और वो भी मेरी चुदाई से बहुत ज्यादा चकित हुआ करती, चुदाई के बाद वो मुझसे मेरे उस जोश के राज बहुत बार जानने की कोशिश करती थी, लेकिन में उसकी बात को टाल दिया करता था.



फिर एक दिन किस्मत से मेरा दोस्त नरेन्द्र और उसकी पत्नी सरिता एक दिन हमसे मिलने हमारे घर पर आ गए तो उनको देखकर हम दोनों को मन ही मन लगा कि हम जिस घड़ी का इतने समय से इंतज़ार कर रहे थे और वो घड़ी आज आ गई है, इस बात को मन में सोचकर हम दोनों बहुत खुश थे, हम सभी लोगों ने साथ में बैठकर खाना खाया और उसके बाद हम सभी हॉल में एक साथ बैठकर बातें हंसी मजाक करने लगे. दोस्तों बातें करते करते मेरी नज़र सरिता पर जमने लगी और में उसके गोरे सेक्सी बदन को घूर घूरकर देखने लगा, वो दिखने में बहुत ही सुंदर उसका वो आकर्षक बदन मुझे अपनी तरफ खीँच रहा था.



उसके बड़े आकार के बूब्स गोल मटोल गांड को देखकर में पागल हो चुका था और अब मेरी पत्नी सुशीला की नज़रे भी नरेन्द्र के गठीले शरीर पर ठहर गई, वो भी उसके अंदर अपने लायक वो सब देखने लगी जो उसके काम का था. तभी मैंने मौका देखकर नरेन्द्र से कहा कि यार मेरी पत्नी सुशीला कद में बहुत छोटी है, इसलिए मेरी इससे इतनी जोड़ी नहीं मिलती और फिर मेरी बात को वहीं पर काटते हुए सरिता तुरंत कहने लगी कि यह सब तो चलता ही है, आप भी देखो में भी कितनी लंबी पूरी हूँ और मेरे पति कितने छोटे है, लेकिन अब हम लोग इस समस्या का क्या करें? आप भी देखिए ना मेरी जोड़ी तुमसे मिलती है और इनकी जोड़ी सुशीला से. अब नरेन्द्र बोला कि छोटा बड़ा होने से क्या होता है? यह सब बेकार की बातें है, में इन बातों को नहीं मानता और मेरा मानना तो यह है कि बस चुदाई करने के लिए लंड बड़े आकार का होना चाहिए, मेरा लंड तो पूरा 6 इंच का है, क्यों तुम्हारा लंड है क्या इतना बड़ा? तो सुशीला बोली कि नहीं इनका इतना बड़ा नहीं, थोड़ा छोटा है. दोस्तों इस तरह एक दूसरे से खुलकर बहस बाज़ी करने से हम सभी धीरे धीरे हॉट होने लगे थे. तभी मैंने मौके का फायदा उठाकर कहा कि आज तो हमारी अदला बदली हो जाए और देखते है कि किसको किसके साथ कितना मज़ा आता है और मुझे लगा कि नरेन्द्र को मेरी यह बात जम गई, वो भी मेरी बात से सहमत होने वाला था, लेकिन अभी तक मुझे उसकी तरफ से कोई भी जवाब नहीं मिला था और अब हम दोनों खड़े हो गये, में अपनी जगह से उठकर सरिता के पास जाकर उससे एकदम चिपककर बैठ गया और मुझे यह सब करते देखकर नरेन्द्र भी उठकर मेरी पत्नी सुशीला के पास चला गया और वो भी उसके पास बैठ गया.



दोस्तों सरिता आकार में लंबी, गोरी भूरी, सुंदर गोल चेहरा, बड़ी बड़ी काली आखें, लंबे काले बाल और भरे हुए शरीर की मालकिन थी, उसका वजन करीब 66 किलो और उसके बूब्स का आकार 38-36-42 था. उसको देखकर किसी का भी लंड पानी छोड़ दे और उसकी चुदाई करने के लिए हर कोई तैयार हो जाए. उसको कई बार चोदकर भी उसका मन ना भरे वो उसको चोदता ही रहे.



अब मैंने उसकी पीठ पर अपना एक हाथ रख दिया और फिर अपने हाथ को नीचे सरकाकर कमर तक पहुंचा दिया और समय खराब ना करते हुए तुरंत उसकी गोरी कमर को पकड़कर उसको अपनी तरफ खींच लिया, उस अचानक दिए झटके की वजह से उसके गोल मुलायम बूब्स मेरी छाती से लग गए और मैंने उसे किस किया, सबसे पहले हाथों पर, फिर गाल होंठो पर.



उसके बाद मैंने उसके होंठो को चूसना शुरू किया और फिर कपड़ो के ऊपर से ही उसके बूब्स को मसलना, सहलाना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से वो बहुत ही जल्दी से गरम हो गई और अब वो मेरे गले में अपनी बाहें डालकर मुझसे ज़ोर से चिपकने लगी. मैंने एक झटका देकर उसकी साड़ी को पकड़कर खींच दिया, जिसकी वजह से अब उसका ब्लाउज मेरे सामने आ गया और मैंने जल्दी से ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए, जिसकी वजह से अब उसकी ब्रा में उसके बूब्स नज़र आने लगे थे.



मैंने ब्लाउज को पीछे की तरफ उतारकर खोल दिया और ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स को मसलने और उनका रस निचोड़ने लगा, उसकी दोनों आँखे बंद थी और वो आह्ह्ह वाह मुझे बहुत मज़ा आ रहा है हाँ और ज़ोर से दबाव ऊईईईइ हाँ आज तुम इनका पूरा रस निचोड़ दो उफफ्फ्फ्फ़ कर रही थी. अब मैंने उसे खड़ा करके उसकी साड़ी को पूरा खोल दिया और ब्रा का हुक खोलकर ब्रा को नीचे फेंक दिया, जिसकी वजह से वो अब मेरे सामने सिर्फ़ पेटिकोट में खड़ी हुई थी, मेरी नजर उसके कपड़ो के अंदर छुपी सुन्दरता को देखकर बहुत चकित थी, क्योंकि वो अंदर से ऐसी होगी मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था.



फिर मैंने अपने दूसरी तरफ देखा कि नरेन्द्र भी अब एकदम पूरा नंगा होकर खड़ा हुआ था, शायद उसको भी हम दोनों को देखकर जोश आने लगा था और सुशीला जो उसके सामने पेटिकोट में थी, वो उसके बड़े बड़े बूब्स को अपने मुहं में लेकर चूस रहा था, उसका लंड एकदम तना हुआ था और सुशीला उसके लंड को अपने एक हाथ में लेकर धीरे धीरे हिलाते हुए मस्त हुई जा रही थी. उस समय वो दोनों भी पूरे गरम हो चुके थे और उनको भी किसी से कोई मतलब नहीं था, बस चुदाई करने के लिए व्याकुल थे.



फिर जब मैंने यह नज़ारा देखा तो में भी एकदम से पहले से ज्यादा गरम हो गया और मेरा लंड भी अब मेरी पेंट में तनकर खड़ा हो चुका था और अब वो हिलोरे लेने लगा था, इसलिए मैंने जल्दी से अपने सभी कपड़े उतारकर में पूरा नंगा हो गया और सरिता के बूब्स को पूरे जोश में आकर बहुत ज़ोर से दबाते हुए मुहं में भरकर चूसने लगा, जिसकी वजह से सरिता भी जोश में आकर बहुत मस्त हो रही थी और वो अपने एक हाथ में मेरा लंड पकड़कर ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी थी.



अब में सरिता को अपनी बाहों में भरकर बेडरूम में लेकर चला गया और मैंने उसको तुरंत डबल बेड पर लेटा दिया और एक बेड को खीँचकर अलग कर लिया और अब मैंने उसके पास में बैठकर उसके बूब्स को अपने मुहं में भर लिया और उसने जोश में आकर बहुत मस्त होकर अपनी दोनों आँखे बंद कर ली और मज़े लेने लगी थी और मैंने देखा कि कुछ देर बाद नरेन्द्र भी सुशीला को बेडरूम में लेकर आ गया और वो दोनों दूसरे बेड पर चले गये, सुशीला ने इतना मस्त लंड देखा तो वो मस्त होकर बेड के नीचे आकर अपने दोनों घुटनों पर बैठकर वो नरेन्द्र के लंड की चमड़ी को हटाकर सुपाड़े को अपने मुहं में लेकर चाटने चूसने लगी.



फिर में भी यह सब देखकर बहुत मस्त हो गया और में धीरे धीरे अपने मुहं को नीचे ले आया, सबसे पहले में उसकी नाभि में अपनी जीभ को डालकर घुमाने लगा और फिर कुछ देर बाद में उसकी गीली जोश से भरी चूत के दाने को अपनी जीभ से चाटने लगा और दाने पर अपनी जीभ को छूते ही सरिता के बदन ने जैसे बिजली का झटका खाया और वो ज़ोर से मेरा सर पकड़कर मेरा मुहं अपनी चूत पर दबाने लगी, वो जोश में आकर ज़ोर से आगे पीछे होने लगी थी और मुहं से आवाज़ निकाल रही थी आह्ह्हह्ह्ह्हहह हाँ और उउर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर प्यार से चाटो वाह आज तो मज़ा आ गया, मुझे ऐसा मज़ा कभी नहीं आया था.



अब मैंने उसकी चूत की पंखुड़ियों को अपने एक हाथ की उँगलियों से खोलते हुए अपनी जीभ को उसकी खुली हुई चूत की दीवारों में डाल दिया और अब में उसकी चूत को अपनी जीभ से ही चोदने लगा था और उधर नरेन्द्र की आवाज़ आ रही थी, उफ्फ्फ्फ़ हाँ सुशीला रानी हाँ थोड़ा और ज़ोर से चूसो, हाँ इसको पूरा अपने मुहं में ले लो आह्ह्ह्ह मुझे बहुत मज़ा आ रहा है, ऐसा मज़ा मुझे कभी नहीं आया और उसकी यह बातें सुनकर मेरा लंड अब आपे से बाहर हो रहा था.



तभी सरिता बोली ओहह्ह्हह आईईईइ अब में गई काम से, में अब झड़ने वाली हूँ और इतना कहते हुए ही उसकी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया, मुझे ऐसा लगा जैसे कि मेरे मुहं में रस भर गया हो और में उसकी चूत को आखरी बूँद तक चाटता रहा.



दोस्तों अब मेरी बारी थी. मैंने सुमन के दोनों पैरों को फैला दिया और में उसके पैरों के बीच में आ गया और अब उसके दोनों पैरों को अपने कंधे पर रखकर मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के मुहं पर रखकर एक ज़ोर से धक्का मार दिया, जिसकी वजह से उसकी चूत तो पहले ही पानी से चिकनी थी तो लंड को अंदर डालते ही चूत में पूरा चला गया और और उसकी चूत के तले से जाकर टकरा गया, जिसकी वजह से सुमन के मुहं से एक आह्ह्हह्ह्ह्ह निकली तो मैंने लंड को पूरा बाहर खींचा और एक बार फिर ज़ोर से धक्का मार दिया, वो मस्ती से सिसकी भरती हुई आवाज़े निकालने लगी, आहहह्ह्ह्ह वाह क्या बताऊँ बहुत मज़ा आ रहा है.



फिर में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा और सरिता मुझसे बोलने लगी हाँ और ज़ोर से चोदो मुझे मेरे राजा, फाड़ दो मेरी चूत को आज आईईईईई ओहहहह में गई में गई और इस तरह से आनंद लेते हुए उसकी चूत ने एक बार फिर से उसकी चूत से पानी छोड़ते हुए मेरे लंड का अभिषेक कर दिया. में और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा, मुझे तब ऐसा लगा कि दुनिया की सारी मस्ती सारा जोश मेरे लंड में आ गया है और में उुउउर आह्ह्ह्ह करते हुए मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ दी और उसकी सारी चूत मेरे वीर्य से भर गई और उसने मस्त होकर अपनी आखें मूंद ली. कुछ देर में उसके ऊपर ऐसे ही लेटा रहा और फिर कुछ देर बाद हम दोनों एक दूसरे से अलग हो गये.



अब उधर नरेन्द्र भी सुशीला की मस्ती से चुदाई किए जा रहा था, वो दोनों बहुत जोश में थे और मुझे सुशीला का चेहरा देखकर अंदाजा लग रहा था कि उसको नरेन्द्र के लंबे मोटे लंड से अपनी चूत की चुदाई करवाने में बहुत मज़ा आ रहा था, वो अहह्ह्ह ऊहहहह हाँ जाने दो पूरा अंदर हाँ ज़ोर से धक्के दो वाह मज़ा आ गया कि आवाज़ निकाल रही थी और वो कह रही थी कि उसको अपनी चुदाई करवाने में आज जैसा मज़ा कभी नहीं आया हाँ किए जाओ और भी दम लगाकर तुम अपना काम किए जाओ और आज तुम मेरी चूत को भी फाड़ दो और ज़ोर से ओह्ह्ह्ह में अब झड़ने वाली हूँ आह्ह्ह्ह ऊहह्ह्ह करके उसने अपनी चूत के पानी से नरेन्द्र के लंड को नहला दिया, अब नरेन्द्र ज़ोर ज़ोर से फका फक धक्के देकर उसकी चुदाई किए जा रहा था.



तभी अचानक से उसके धक्को की स्पीड बढ़ गई और ओह्ह्ह्ह कहते हुए उसके लंड ने सुशीला की चूत में फव्वारा छोड़ दिया. उसके बाद सुशीला ने मदहोशी में आकर अपनी दोनों आँखे मूंद ली, वो उसकी चुदाई से पूरी संतुष्ट नजर आ रही थी और अब शायद वो इतनी देर चली उस चुदाई की वजह से थोड़ा सा थककर आराम भी करने लगी थी.



दोस्तों इस तरह हमारा चुदाई का यह सिलसिला ऐसे ही बहुत दिनों तक लगातार चलता रहा और हमने अपनी अदला-बदली करके चुदाई के पूरे पूरे मज़े लिए और उस चुदाई के बाद हम सभी बहुत खुश थे, क्योंकि अब हमारी जोड़ियाँ बनकर पूरी हो चुकी थी और हमें अपनी अपनी मर्जी की चूत और लंड मिल चुका था, क्योंकि यह बात यहीं से उठी थी और यहीं से खत्म हो गई. शरीर की लम्बाई तो एक बहाना था हमे जो चाहिए था वो सब आज हमारे पास था.


;)
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#68
;)

मेरी बीवी और उसकी बहन का पति


हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम यश है और में आज आप सभी को अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ l दोस्तों मै मुंबई का रहने वाला हूँ और मेरी वाईफ का नाम अपेक्षा है और हम कलम्बोली में रहते है l मेरी वाईफ की चचेरी बहन खरघर में रहती है l 


अब में सीधा अपनी आज की स्टोरी पर आता हूँ l

एक दिन मैंने अपनी वाईफ का फोन चेक किया तो मुझे उसमे एक प्राईवेट मैसेज दिखा और मैंने जब वो मैसेज खोलकर देखा तो सन्नी ने मेरी वाईफ को लिखा था कि में एक बार तुम्हे चोदना चाहता हूँ, मेरा लंड 9 इंच का है और बहुत मोटा भी है और में तुम्हे इतना संतुष्ट करूँगा कि इस दुनियामें कोई भी आदमीने किसी औरतको किया होगा l तुम्हारी चूत चाट चाटकर उसका पूरा पानी पी जाऊंगा और तुम्हारी चूत चाटना मेरे लिए किस्मत की बात होगी और अगर तुम संतुष्ट नहीं हुई तो तुम खुद ही मेरा लंड काट देना l प्लीज सिर्फ़ एक बार अपने आप को मेरे हवाले कर दो l

तो यह सब पढ़ने के बाद मुझे बहुत गुस्सा आया और फिर मैंने यह सब बातें अपनी वाईफ से पूछी और उसने कहा कि वो इन सब बातों के बारें में कुछ नहीं जानती l फिर मै बहुत गुस्से में सन्नी से मिलने गया l सन्नी से मैंने कहा कि वो अपनी वाईफ रीना के साथ यह सब करें l उसे अपना जोश दिखाए जिससे उसे भी पता चले कि उसके पतिमें कितना दम है और फिर मै वहाँ से चला आया l 


मैंने घर पहुंचने के कुछ देर बाद सन्नी ने मुझे कॉल करके सॉरी कहा और वो कहने लगा कि इसके बाद आपको मेरी तरफ से एसी कोई शिकायत नहीं मिलेगी, प्लीज मुझे माफ़ कर दीजिए l तो मैंने उसे माफ़ कर दिया और उसी दिन शाम को हम ड्रिंक करने बैठ गये l सन्नी ने फिर से वही टॉपिक निकाला, लेकिन इस बार कुछ अलग तरीके से उसने मुझसे कहा कि हम अपनी अपनी वाईफ को एक्सचेंज करेंगे l लेकिन मैंने साफ मना कर दिया और मैं उससे फिर से लड़ने लगा l उसने मुझे शांत किया लेकिन उसकी यह सब बातें मेरी सर से ऊपर निकल चुकी थी और मुझे अब बहुत गुस्सा आ रहा था lतो मैं एकदम उठा और घर पर आ गया, जब मैं घर आया तब रात भर मेरे दिमाग़ में वही सब चल रहा था l 

दूसरे दिन मैंने सन्नी को कॉल करके कहा कि हम एक्सचेंज कैसे करेंगे? तो सन्नी मेरी बात को सुनकर बहुत खुश हुआ और उसे मेरी बात पर विश्वास नहीं हो रहा था l उसने मुझसे दो तीन बार पूछा क्या आपको इससे कोई ऐतराज नहीं है? तो मैंने कहा कि हाँ में तैयार हूँ l फिर उसके कहा कि बस एक बार तुम दोनों मेरे घर आ जाओ में सब सम्भाल लूँगा l

मैं और मेरी वाईफ अपेक्षा सन्नी के घर चले गये l वहाँ पर पहुंचकर मैंने सन्नी का चेहरा देखा वो शायद हमारा बहुत बेसब्री से इंतजार कर रहा था l फिर रीना और अपेक्षा एक दूसरे से बातें करने में व्यस्त हो गए l तो मैंने सन्नीसे पूछा कि बताओ अब यह सब कैसे करेंगे? सन्नी ने कहा कि आपको वो सब कुछ रीना समझा देगी.. उसने रीना को इशारा किया और वो अपनी गांड को मटकाती हुई मेरे पास आई और बोली कि आज मुझे तुम चोदोगे l फिर सन्नीने मेरी वाईफ अपेक्षा को अपनी गोद में उठा लिया और किस करते हुए दूसरे बेडरूम में ले गया l तो मैंने भी ज्यादा देर ना करते हुए रीना को किस करना चालू किया और धीरे धीरे एक एक करके उसके कपड़े उतारने लगा l

फिर मैंने उसके बड़े ही मुलायम बूब्स को चूसना शुरू किया और फिर उसे धीरे से बेड पर लेटाकर उसकी चूत को चाटने लगा l तो वो सिसकियों के साथ साथ मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी और कुछ देर चूत चाटने के बाद वो झड़ गई और मैंने उसकी चूतका पानी चाटकर साफ किया l फिर मैंने अपने लंड को चूत के दरवाजे पर रखा और एक जोरदार धक्के के साथ लंड को चूत के अंदर घुसा दिया और चोदना शुरू किया l मैंने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों बूब्स को कसकर पकड़ रखा था और उसकी चूत में लंड डालकर उसे जोरदार धक्के देकर चोद रहा था और साथ साथ उसके बूब्स को भी दबा रहा था, लेकिन वो बहुत बड़ी रांड थी और शायद उसे लंड लेने की आदत भी हो चुकी थी l वो मेरे मोटे लंड को बड़े आसानी से झेल रही थी और वो मेरे हर एक धक्के पर अपनी गांड को उठाकर मेरा पूरा पूरा साथ दे रही थी और करीब बीस मिनट की लगातार चुदाई के बाद में मेरा लंड झड़ गया और मेरे लंड का पूरा वीर्य उसकी चूत में गिर गया और में उसकी छाती पर थककर लेट गया और एक बूब्स को मुहं में लेकर चूसने लगा और और दूसरे को दबाने लगा l

तभी मैंने एक आवाज़ सुनी वो मेरी वाईफ की चीख थी, मैं और रीना उस बेडरूम के पास गये, मुझे लगा शायद सन्नी अपेक्षा को चोद रहा होगा और फिर जब मैंने वहाँ पर पहुंच कर देखा तो सन्नी ने अब तक कपड़े भी नहीं उतारे थे और अपेक्षा का सिर्फ़ टॉप ही उतरा था और सन्नी अपेक्षा के निप्पल चूस रहा था l सन्नी अपेक्षा के लिए इतना पागल था कि वो रीना जैसी एकदम सेक्सी को भी चोदने को तैयार नहीं था l फिर सन्नीने निप्पल को 20 मिनट तक लगातार चूसा, अपेक्षा सन्नी का लंड पकड़ने की कोशिश कर रही थी, लेकिन सन्नी ने अपना लंड अपेक्षा के हाथों से दूर रखा था l अपेक्षा ने सन्नी से कहा कि प्लीज मुझे तुम्हारा लंड देखना है l सन्नीने कहा कि मेरी जान अभी तो बहुत टाईम बाकी है l फिर सन्नी ने अपेक्षा की सलवार उतारी और उसकी काली कलर की पेंटी भी उतारी l अपेक्षा एकदम शरमा गई और फिर अपेक्षा ने सन्नी को नंगे होने को कहा, तो सन्नी बोला कि पहले मुझे तुम्हारी चूत का स्वाद तो चखने दो और सन्नी ने अपेक्षा की चूत को चाटना शुरू किया l अपेक्षा चीखने चिल्लाने लगी और सन्नी ने बिना रुके अपेक्षा की चूत को चाटना जारी रखा और सन्नी अपनी जीभ को चूत में अंदर बाहर करता रहा l अब तक अपेक्षा बहुत गरम हो गई थी और वो दर्द के मारे चीख रही थी l फिर अपेक्षा सन्नी से बोली कि क्या तुम आज मुझे मार ही डालोगे? हाँ तुम असली मर्द हो, चोदो मुझे और ज़ोर से हाँ और ज़ोर से डालो, करने लगी l

यह सब 35 मिनट तक चलता रहा l मैं और रीना बाहर खड़े खड़े सब कुछ देख रहे थे, फिर सन्नी ने अपने कपड़े उतारे और अपेक्षा सन्नी का लंड चूसने लगी l करीब 10 मिनट तक अपेक्षा सन्नी का लंड चूस रही थी और सन्नी ने अपना लंड उसके मुह से बाहर निकाला और उसकी चूत पर रगड़ने लगा l अपेक्षा की हालत खराब हो रही थी और उसकी आँखो से पानी आ रहा था l 5 मिनट तक सन्नी ने अपेक्षा की चूत पर अपना लंड रगड़ा तो अपेक्षा बोली कि सन्नी प्लीज़ मुझे जल्दी से चोदो वरना में पागल हो जाउंगीl तो सन्नी ने अपने लंड को थोड़ा अंदर डाला फिर बाहर निकाला और अपेक्षा के मुहं में दे दिया l अपेक्षा लंड चूसने लगी l सन्नी ने फिर डाला, लेकिन अब आधा लंड अंदर था और ज़ोर ज़ोर से अपेक्षा रो रही थी l फिर सन्नी ने एक और झटका दिया और पूरा लंड अंदर घुसा दिया l लेकिन अपेक्षा अपना कंट्रोल खो चुकी थी और सन्नी ज़ोर ज़ोर से अपेक्षा को धक्के देकर चोद रहा था l

40 मिनट तक सन्नी ने अपेक्षा को चोदा और आख़िर में सन्नी का वीर्य गिरने वाला था l तो सन्नी ने अपना लंड बाहर निकाला, तभी अपेक्षा बोली कि सन्नी असली मर्द का पानी अंदर गिरना चाहिए और सन्नी ने अपना लंड उसकी चूत में फिर से डाला और अपना वीर्य अंदर डाल दिया अपेक्षा ने कुछ देर बाद सन्नी का लंड बाहर निकाला और चूसना शुरू किया और बार बार बोलने लगी कि तुम सच में असली मर्द हो l में तुम्हारी दीवानी हो गई और अपेक्षा, सन्नी स्मूच करने लगे. फिर से सन्नी का लंड टाईट हुआ तो सन्नी ने अपेक्षा से पूछा कि क्या मैं तुम्हारी गांड में डाल सकता हूँ? अपेक्षा बोली कि इसमे पूछना क्या? अब से मैं पूरी तुम्हारी हूँ और सन्नी ने अपेक्षा की गांड में थोड़ा तेल लगाया और अपने लंड को घुसाना चालू किया l

अपेक्षा चिल्लाने लगी कि बस बस अह्ह्ह उफ्फ्फ माँ मार डाला प्लीज धीरे करो और बोली कि मुझे तुम्हारा पानी पीना है l सन्नी ने दस मिनट तक अपेक्षा की गांड मारी और लंड बाहर निकालकर वीर्य अपेक्षा के मुहं में डाला l अपेक्षा पूरा वीर्य पी गयी और उसने लंड को चाटकर साफ भी कर दिया l तो कुछ देर बाद सन्नी अपेक्षा को बाहर हमारे सामने लाया l मैं और रीना उनका सेक्स करने का तरीका देखकर एकदम पागल हो चुके थे l सन्नी और अपेक्षा दोनों एकदम नंगे हमारे सामने बैठ गये lअपेक्षा सन्नी की गोद में बैठ गयी और दोनों फिर से किस करने लगे l

फिर रीना भी मेरी गोद में बैठकर मुझे किस करने लगी और फिर मैंने सन्नीसे पूछा कि तुमने कंडोम काम में क्यों नहीं लिया? तो अपेक्षा मुझसे बोली कि मैंने सन्नी को मना किया था और मैंने अपेक्षा से कहा कि लेकिन मैंने भी रीना को कंडोम लगाकर चोदा है l तो अपेक्षा हंसने लगी और बोली कि मर्द कभी भी कंडोम काम में नहीं लिया करते और सन्नी ने फिर से अपेक्षा से पूछा कि क्यों तुम संतुष्ट हो या नहीं? तो अपेक्षा बोली कि में हमेशा तुम से चुदवाना चाहूँगी l सन्नी ने कहा कि में भी तुम्हे हमेशा चोदना चाहूँगा l

दोस्तों यह स्टोरी चार साल पहले की है l अब भी सन्नी अपेक्षा को चोदता है और अपेक्षा मेरी वाईफ है l लेकिन उसे सन्नी का लंड ही चाहिए, इसलिए वो उससे ही चुदती है और अपेक्षा सन्नी के साथ ही रात भर सोती है l


Smile 
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#69
Wink 
;)

मेरी बीवी को मेरे पापा ने चोदा


हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम राहुल है और में दिल्ली से हूँ। मेरी उम्र 30 साल है 

दोस्तों में आज आप सभी को अपनी एक सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ जिसके घटित होने के बाद में कुछ भी नहीं कर सका क्योंकि मेरे परिवार की इज्जत का सवाल था 

मेरी शादी कुछ साल पहले हो गई है और मेरी बीवी की उम्र 27 साल है जो एक रूप की रानी है और उसको एक बार देखकर साले बुड्ढे भी जवान हो जाते है। वो जहाँ पर भी जाती है कोई ना कोई उनके साथ छेड़खानी करते है।

दोस्तों अब में वो किस्सा आप सभी को थोड़ा विस्तार से बताता हूँ जिसने मेरी पूरी जिन्दगी को बदल कर रख दिया। 

मेरे घर में मेरे पापा मेरी माँ भी रहती है। मेरे पापा की उम्र 55 साल है जो दिखने में मेरे जैसे ही है। 

दोस्तों यह बात दो महीने पहले की है जब में मेरी बीवी और मेरे पापा मेरी माँ के साथ गावं गये हुए थे।

वहाँ पर हमारा एक बहुत बड़ा खेत भी है और एक बहुत बड़ा घर भी। फिर उस दिन में, मेरे पापा हमारा खेत देखने चले गये और मेरी माँ और मेरी बीवी दोनों घर का काम करके जल्दी सो गई थी।

फिर में घर पर गया और अपने रूम में जाकर सो गया। दोस्तों मुझे चुदाई करनी थी, लेकिन मुझे ऐसा लगा कि शायद मेरी बीवी बैचारी काम करके थक गई होगी तो हम सेक्स कल करते है। यह बात मन ही मन सोचकर में सो गया, लेकिन हाँ दोस्तों मेरी बीवी भी बहुत बड़ी चुदक्कड़ है।

में जब भी चोदने का नाम लेता हूँ तो कैसे भी हालात में हो उसकी तरफ से हाँ ही होती है, लेकिन मैंने खुद जानबूझ कर कुछ नहीं किया। फिर जब दूसरे दिन में मेरे पापा खेत पर गये तो हमे फिर से शाम हो गई और फिर में और मेरे पापा मेरे चाचा के घर पर चले गये। वहां पर उनका एक लड़का भी था।

फिर मैंने पापा से कहा कि पापा में राजु के साथ बाहर जा रहा हूँ आप घर पर जाकर सो जाना में थोड़ा देर से आ जाऊंगा। पापा ने कहा कि ठीक है और मेरे पापा थोड़ी देर बाद घर पर पहुंचे तो वो अपने रूम में चले गये। दोस्तों एक बात और मेरी बीवी और मेरी माँ ने अपना रूम चेंज कर लिया था जो मुझे और पापा को पता नहीं था।

उसका कारण यह था कि मेरी बीवी को छिपकली से बहुत डर लगता था और वो उस वाले रूम में बहुत सारी थी तो इसलिए माँ ने कहा कि तुम आज इस रूम में सो जाना और कल हम दवा का छिड़ाकाव कर देंगे।

दोस्तों फिर इस ग़लती ने मेरी लाईफ में आग लगा दी और जब में घर पर पहुंचा तो पापा ने दरवाजा बंद किया और मैंने सुना नहीं कि उन्होंने मुझसे क्या कहा में अपने रूम में गया और मैंने देखा कि लाईट बंद थी और नाईट लेम्प जल रहा था।

मैंने कपड़े चेंज किए और जब में सोने को गया तो मुझे साड़ी का अहसास हुआ तो मैंने मोबाइल की लाईट चालू करके देखा तो वहां पर मेरी माँ सो रही थी और क्या? में मेरे रूम में जाने लगा और मैंने सोचा कि में एक काम करता हूँ। मेरे रूम की खिड़की में खुली ही रखता हूँ जो बंद थी। मैंने सोचा कि अगर में दरवाजा खटखटाकर पापा को बुलाऊंगा तो मेरी बीवी को पता चल जाएगा वो शर्मिंदा ना हो इसलिए मैंने खिड़की हल्के से खोली तो में अंदर का नजारा देखकर बिल्कुल दंग रह गया।

मैंने देखा कि पापा कपड़े उतार रहे थे और उनको भी पता नहीं था उन्होंने अपने कपड़े उतारे और मेरी बीवी के पास लेट गये। वो एक कंबल के अंदर थी और मुझे लगा कि शायद उनको कुछ देर बाद पता चल जाएगा और वो उठकर बाहर आ जाएगें, लेकिन अब सब कुछ उल्टा हुआ।

साली ठंड भी उस समय इतनी थी कि बूड़े को भी चुदाई की वासना जाग उठी और उन्होंने धीरे धीरे कंबल हटाया और जब उन्होंने मेरी बीवी की नाईट गाउन को छुआ तो वो भी एकदम चकित हो गये और फिर कुछ देर सोचने लगे।

तभी अचानक से उन्होंने पूरा कंबल धीरे धीरे करके हटा दिया और अब मेरी बीवी काले कलर की नाईट गाउन में थी और वो पास में मुठ मारने लगे, फिर अचानक रुक गये और बैठकर उन्होंने मेरी बीवी यानी कि नेहा के नाईट गाउन को थोड़ा सा उँचा करके धीरे धीरे ऊपर करने लगे।

फिर अब उन्होंने कमर तक चड़ा दिया अब उनको नेहा की पेंटी जो काली कलर की थी, वो अब दिख रही थी और अब उन्होंने एक बार फिर से मुठ मारना चालू कर दिया। फिर जब उनको लगा कि अब कुछ करते है तो उन्होंने नेहा के पैर को धीरे से उँचा करके फैला दिया और अब उस पेंटी में से चूत की दरार दिख रही थी जो चिपकी हुई थी।

अब वो धीरे से मुहं को चूत तक ले गए और सूंघने लगे और ज़ोर ज़ोर से मुठ मारने लगे। फिर हिम्मत बढ़ाते हुए उन्होंने पेंटी को पकड़कर एक साईड किया और जीभ को पास में ले जाकर चाटने लगे।

मेरी बीवी अचानक से उठकर बैठ गई और बोली कि राहुल तुम यह क्या कर रहे हो? तुम्हे चुदाई करनी है तो प्लीज जल्दी से करो, लेकिन मुझे ऐसे तड़पाओ नहीं और फिर पापा ने अपनी गर्दन को हिलाकर हाँ बोला और मेरी बीवी को पता ही नहीं चला क्योंकि मेरे पापा का बदन बिल्कुल मेरे जैसा ही है.

लेकिन मेरा लंड 7 का है और मेरे पापा का मैंने देखा तो साला पूरा 9 इंच का था और फिर उन्होंने अपनी जीभ को चूत के पास गोल गोल घुमाना शुरू किया तो मेरी बीवी की अब पूरी वासना जाग उठी थी। अब वो पापा के सर को पकड़कर चूत में दबा रही थी। फिर वो ऊपर आए और गाउन को उतार दिया और पेंटी को भी उतार दिया।

अब उसके बूब्स दिखने लगे जो काली ब्रा में क़ेद थे। वो उनको पकड़कर ज़ोर ज़ोर से दबाने लगे और फिर ब्रा को भी निकाल दिया। अब वो होंठो पर अपने होंठ लगाते हुए किस करने लगे, लेकिन अभी भी मेरी बीवी की आँखे बंद थी और मेरे पापा ने किस करते हुए उनके कपड़े भी धीरे धीरे पूरे उतार दिए।

अब पापा को बिल्कुल भी डर नहीं था और अब पापा का लंड नेहा की चूत को दबा दबाकर रगड़ रहा था और मेरी बीवी झटका मार रही थी। ना जाने कितनी बार उनका पानी निकल गया होगा।

फिर अचानक लंड का सुपाड़ा फिसलता हुआ सीधा अंदर चला गया क्योंकि चूत पानी से पूरी भरी हुई थी और लंड के चूत के अंदर जाते ही वो बेड शीट को पकड़कर मचल उठी और और हाँ दोस्तों में आपको बताना ही भूल गया कि मेरी बीवी की चूत इतनी टाईट है कि में जब उसे चोदता हूँ तो वो साली बहुत ज़ोर से चीखती, चिल्लाती ही रह जाती है क्योंकि मेरे लंड की गोलाई 3 इंच है और मेरे पापा की 4 इंच की थी।

तभी वो एकदम से चकित हो गई और बोली कि राहुल तुम्हारा लंड इतना मोटा कैसे हो गया? 


अब धीरे धीरे पापा ऊपर नीचे होने लगे तो मेरी बीवी को बहुत दर्द हुआ क्योंकि आज पहली बार किसी का मोटा और लंबा लंड उसकी चूत के अंदर जा रहा था और वो तुरंत ही चिल्लाते हुए बोली उह्ह्ह्हह्ह राहुल रुको थोड़ा आह्ह्ह्हह्ह राहुल आईईईइ में मरी प्लीज रुको।

तो पापा के मुहं से अचानक निकल गया कि बोलो मत वर्ना सब लोग जाग जाएगे और अब उसको पूरा विश्वास हुआ कि यह राहुल नहीं है तो उसने उनका मोबाईल हाथ में ले लिया और लाईट चालू करके देखा तो वो पापा को अपनी चुदाई करते हुए देखकर उन्हें अपने ऊपर से हटाने लगी। 


फिर पापा ने उसे इस तरह कसकर पकड़ लिया था कि वो थोड़ा सा हिला भी नहीं पा रही थी।
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#70
Tongue 
जब मेरी बीवी शांत हुई तब पापा ने लंड को चूत के अंदर से बाहर निकाला और नेहा के दोनों हाथ पकड़कर बोले कि अगर तुमने दस मिनट तक अपनी चूत से पानी नहीं छोड़ा तो में तुझे नहीं चोदूंगा और वो कुछ नहीं बोली सिर्फ़ रोते रोते हाँ बोली 

पापा ने पहले चूत को पूरी तरह साफ किया फिर मोबाईल में टाईम दिखाया और उसके होंठो को चूमने लगे।

फिर मेरी बीवी के हाथ छोड़ दिए और बूब्स को पकड़कर दबाने लगे और अब मेरी बीवी अपने आपको कंट्रोल कर रही थी, लेकिन अब उनका लंड भी चूत को रगड़ रहा था और मेरी बीवी ने मोबाईल में देखा तो सिर्फ़ तीन मिनट हुए थे। 


अब उन्होंने होंठो को चूस चूसकर बूब्स को पकड़ लिया और अब लंड चूत के दाने को ज़ोर ज़ोर से रगड़ रहा था।

आख़िर एक महिला होने से वो कंट्रोल नहीं कर पा रही थी और अचानक उसने मोबाईल में वापस देखा तो सिर्फ़ अब तक 6 मिनट हुए थे 


अब पापा ने बूब्स को जैसे ही मुहं में लिया तो मेरी बीवी ज़ोर ज़ोर से रोने लगी और ऊपर नीचे होने लगी।

फिर इतने में वो ऊपर की तरफ देखकर बोली कि राहुल मुझे माफ़ कर देना और वो इतने झटके के साथ ऊपर उठी कि चूत में से बहुत सारा पानी निकल आया और पापा हंसते हुए बोले कि अब में जीत गया हूँ और तुम्हे मेरा साथ देना होगा ठीक है  


मेरी बीवी ने रोना बंद किया।

अब पापा मेरी बीवी की चूत के होंठो को पकड़ कर लंड को चूत के ऊपर रगड़ रहे थे। इस बीच उन्होंने मेरी बीवी को वापस झटका मारा तो लंड ना चाहते हुए भी अंदर सरक गया और पूरी चूत पानी से भरी हुई थी। अब पापा ने झटके लगाने शुरू किए और उन्होंने मेरी बीवी को पैर फैलाने को कहा और जैसे ही उसने अपने दोनों पैर फैलाया तो पापा लंड को एक झटके के साथ अंदर, बाहर करने लगे।

वो इतनी ज़ोर ज़ोर से झटके मार रहे थे कि मेरी बीवी की चूत से अब पानी ही पानी बाहर आ रहा था और अब उसने भी धीरे धीरे पैरों को ढीला किया और पापा की गांड के ऊपर रख दिया। अब पापा का पूरा लंड, चूत में था और पछ पछ की आवाज़ आ रही थी और अब लगातार चुदाई करते हुए उन्हें एक घंटा हो गया और पापा ने अपना वीर्य चूत के अंदर ही छोड़ दिया।

फिर वो मेरी बीवी के ऊपर ही पड़े रहे और थोड़ी देर बाद वो उठे और कपड़े पहने और वो बोले कि राहुल को मत बताना। 


तब मुझे ऐसा लगा कि वो बाहर निकलेगें तो में दरवाजे से बाहर चला गया और नाटक करके अंदर आया। फिर पापा मुझसे बोले कि बेटा तू अब तक कहाँ था?

तो मैंने कहा कि में अपने किसी दोस्त के घर पर था। वो बोले ठीक है चल रूम में जाकर सो जा और में जैसे तैसे जाकर हंसते हुए मेरी बीवी से बोला हैल्लो सेक्सी मुझे आज चोदना है। तो वो बोली कि नहीं मुझे अब बहुत नींद आ रही है सेक्स हम कल करेंगे।

फिर वो उठकर पेशाब करने बाहर गई तो मैंने लाईट को चालू किया तो देखा कि पूरी बेड पर मेरी बीवी की चूत का पानी था और थोड़ा खून भी था और मैंने तय किया कि आज के बाद बीवी को अकेला कभी नहीं छोडूंगा और उसके बाद मैंने आज तक अपनी बीवी को कभी भी अकेला नहीं छोड़ा, क्योंकि उस पर मेरे पापा की नजर थी और वो खुद भी लंड की बहुत भूखी थी ।




banana 
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#71
Big Grin

अदला बदली


हाय दोस्तो, मेरा नाम प्रभात रॉय है। उम्र 34 साल, सामान्य कद काठी, खुले विचार, सेक्स का शौकीन अभी बताने के लिए इतना ही काफी है। मेरी शादी करीब 6 साल पहले हुई थी। मेरी पत्नी का नाम कांची है, उसके साथ मेरी अच्छी पटती है। शादी के बाद के 6 साल में हमने एक बच्चा पैदा किया है जिसकी उम्र अभी करीब दो साल है। मैं अपनी पत्नी के साथ महीने में करीब 15 बार सेक्स करता हूँ मेरी पत्नी भी मेरा बराबर साथ देती है। हम अपनी लाइफ से संतुष्ट हैं या शायद थे।

बात करीब 6 महीने पुरानी है। जिस शहर में मेरी दुकान थी वहाँ ज्यादा कमाई नहीं थी और खर्चा ज्यादा तो दुकान पास के किसी गांव में शिफ्ट करनी पड़ी और बीवी के साथ वहीं रहने लगा। कांची भी गांव में ही पली बढ़ी है तो सेट होने में ज्यादा दिक्तत भी नहीं हुई। जल्दी ही आस पड़ोस की हमउम्र महिलाएं उसकी सहेलियाँ बन गयी। परिवार छोटा होने व घर का ज्यादा काम न होने की वजह से कांची समय बिताने आस पड़ोस में चली जाती। हमउम्र होने के कारण हर तरह की बातें होती। बातों बातों में कभी सेक्स का जायका भी लेती।

यहीं से मेरी कहानी शुरू होती है। दरअसल मेरा लिंग थोड़ा कम मोटा और लंबा है। हम सेक्स तो करते और संतुष्ट भी थे पर जो बातें औरतों के बीच होती, उस लिहाज़ से मेरी पत्नी थोड़ा कम संतुष्ट थी और उसको सेक्स का असली रूप ही उसे उस मंडली से पता चला था। अब हमारे बीच सेक्स तो होता पर वो आनन्द नहीं रहा। सेक्स तो वो मेरे साथ करती पर दिमाग में पड़ोसी रहते। अब मुझे भी खुद पर यकीन नहीं रहा और तरह तरह की सेक्स वर्धक टेबलेट लेने लगा। मेरे मन में भी अपनी पत्नी को परमआनन्द दिलवाने के ख्याल आते। एक दिन मैं अपनी पत्नी को पूरी नंगी करके चोद रहा था तो फिर से वो उसी लय में बात करने लगी। तो मैंने भी उसका दिल रखने के लिए बड़ा लंड दिलवाने का वादा कर लिया।

अब मेरी कांची ने बात पकड़ ली। सेक्स के किस्से पढ़कर मुझे भी अपनी कांची को किसी दमदार मर्द से चुदवाने का चाव तो लग ही गया था। पर यह संभव कैसे हो? बस उसका कोई आईडिया दिमाग में आ ही नहीं रहा था। इसका हल भी मेरी पत्नी ने ही निकाला। दरअसल मेरा एक खास फ्रेंड था रॉकी। उसकी पत्नी भी मेरी पत्नी की सहेली थी। वो दोनों कई बार सेक्स सम्बन्धी बातें करती थी तो रॉकी की बीवी ने उसे रॉकी के सामान के बारे में बताया था। अब मेरी पत्नी और मैंने रॉकी को ही अपना टारगेट बनाया। हम चारों ने किसी हिल स्टेशन घूमने का प्लान बनाया। पर रॉकी को अपना प्लान नहीं बताया। हमने उदयपुर, चितौड़ आदि जगह होते हुए माउंटआबू रुकने व घूमने का प्रोग्राम बनाया।

हम सब तय समय पर रॉकी की गाड़ी लेकर निकल पड़े घूमने को। उदयपुर, चितौड़ गढ़ में घूमने में पूरा दिन निकल गया और इस बीच मेरी पत्नी ने रॉकी से नजदीकियां बढ़ाने की शुरुआत कर ही दी। अब जब सेक्स की सामने से दावत मिल रही हो तो कोई मर्द कैसे पीछे रह सकता है। मेरी कांची और रॉकी की सेटिंग तो हो गयी पर प्रॉब्लम रॉकी की वाईफ बन रही थी। जब उदयपुर रात्रि विश्राम को रुके तो मेरी पत्नी ने बड़ी खुशी से मुझे अपना और रॉकी का मामला बताया ओर आगे की योजना बनाने लगे। उस दिन कई दिनों बाद मेरी कांची को चोदने में हम दोनों को सुकून मिला।

दूसरे दिन सवेरे उठते ही रॉकी मेरे रूम में आया और कांची को गुड मॉर्निंग बोला,

तो मैंने झट से कह दिया- अब दोस्त को भूल कर भाभी को मोर्निंग विश?

वो झेंप गया पर

मेरी कांची ने बात संभालते हुए बोली- दोस्त को रोज सुप्रभात कहते ही हैं, मैं तो आज ही साथ हूँ।

इस तरह हम उदयपुर से निकलकर माउंट आबू के लिए निकल लिए। गाड़ी रॉकी ड्राइव कर रहा था तो उसकी पत्नी उसके पास वाली सीट पर बैठी थी,

कुछ दूर जाकर मैंने जानबूझकर रॉकी से कहा- तुम थक गए होंगे तो ड्राइव में कर लेता हूँ।

अब रॉकी पीछे की सीट पर आ गया और मैं ड्राइव करने लगा। रॉकी की पत्नी मेरे बगल में बैठी थी और मेरी पत्नी रॉकी के साथ। मैं उनकी हरकतें दर्पण से देख रहा था और मन ही मन खुश भी हो रहा था कि हमारा आईडिया काम कर रहा है। इस तरह करीब 11 बजे हम माउंटआबू पहुँचे। होटल पहले से ही बुक था, हम अपने अपने रूम में गए।

आज मेरी कांची बहुत खुश लग रही थी। रूम में जाते ही कांची ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और मुझे भी नंगा कर दिया। फिर हाथ पकड़ कर मुझे बाथरूम में ले गयी। बाथरूम में शावर के नीचे नहाते हुए दोनों ने एक दूसरे को खूब मसला। दोनों के नंगे बदन ऐसे रगड़ रहे थे जैसे चक्की के दो पाट। आज कई दिनों बाद मेरा लंड भी फुल साइज में खड़ा था और कांची उसे अपनी चूत में लेने के लिए तड़फ रही थी। उस टाइम हम दोनों ने हर आसन में चुसाई से चुदाई तक भरपूर सेक्स किया। उस दिन की चुदाई के बाद,

तो कांची भी कह उठी- हमेशा ऐसी चुदाई करते तो आज ये सब करना ही नहीं पड़ता।

पर यह जोश किसी के हाथ में तो होता नहीं। नहा धोकर जब बाहर निकले तो रॉकी बाहर ही इंतज़ार कर रहा था,

वो झट से बोल उठा- आज तो बड़ी देर लगा दी नहाते हुए?

मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं, थकान की वजह से जरा आंख लग गयी थी।

अब हम माउंट आबू में होटल से बाहर निकले और रेस्टोरेंट में खाना खाया। उस दौरान कांची और रॉकी आमने सामने बैठे और टेबल के नीचे से एक दूसरे के पैर रगड़ने लगे। रॉकी की वाइफ तो खाने में मग्न थी पर मेरा पूरा ध्यान उनकी हरकतों पर था। मैंने कांची के सामने देखा तो वो मुस्करा रही थी। खाना खाकर हम वही आस पास मार्केट में घूमने निकले। घूमते घूमते रॉकी का पैर एकदम से मुड़ गया और वो मोच खा बैठा। बाद में कांची ने बताया कि वो जान बूझकर किया गया नाटक था।

होटल पास ही में था तो हम किसी तरह सहारा देकर रॉकी को रूम पर ले आये और उसी के रूम में बैठ कर गप्पें लगाने लगे। रॉकी की पत्नी थोड़ा अपसेट लग रही थी।

जब हमने पूछा तो रुआँसी होकर बोली- आबू घूमने का कितना मन था पर अब घूम ही नहीं पाऊंगी।

रॉकी बोला- क्यों नहीं घूम पाओगी? कांची भाभी और भाईसाब के साथ घूम आओ।

रॉकी की पत्नी- "तो फिर आपका ख्याल कौन रखेगा?" रॉकी की वाईफ ने पूछा।

तो मैं बोला- आप और कांची चले जाओ, रॉकी का खयाल मैं रख लूंगा।

पर बात यहाँ भी नहीं बनी क्योंकि कांची अकेले औरतों के जाने से डर रही थी या बहाना बना रही थी। तो अब तय हुआ कि मैं रॉकी की वाईफ को घुमा के आऊंगा और कांची रॉकी का ख्याल रखेगी। यह हम तीनों के मन की मुराद पूरी होती दिख रही थी। 


मैं और रॉकी की वाईफ लक्खी लेक और अन्य जगह घूमने निकल गए।
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#72
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अब आगे की कहानी कांची की जुबानी:-


जैसे ही प्रभात और भाभी जी बाहर निकले, मैं भी उन्हें रिक्शा में बैठाने उनके पीछे पीछे गयी। जैसे ही वो रवाना हुए, मेरे पति प्रभात ने मुझे आंख मारकर बेस्ट ऑफ लक बोला। सामने से मैंने भी उसे आँख मार कर रिप्लाई किया। मैं जल्दी से अपने रूम में आई और जल्दी से पारदर्शी नाइटी पहनी और चुदवाने की उतावल में रॉकी के रूम में पहुंच गई। रॉकी तो जैसे मेरी राह ही तक रहा था। उसने अपने ऊपर के कपड़े तो पहले ही फेंक दिए थे। मुझे देखते ही दरवाजे की तरफ लपक पड़ा जैसे मेरी अगवानी करने आया हो। मैं भी जाकर सीधा उसके गले से लिपट गयी। रॉकी मेरी पीठ को सहलाने लगा और पीछे से मुझे दबाने लगा जिससे मेरे नर्म गद्देदार चुचे उसके मर्दाने सीने में चुभने लगे। मैंने भी उसे पूरी आजादी दे दी थी। अब ना मैं सहन कर पा रही थी, ना रॉकी के बस में था अपने को रोकना। उसने जल्दी ही मेरा गाउन और ब्रा पेंटी मुझसे अलग कर दिए। मैंने भी उसके जिस्म पर बचे अंडरवियर से उसके लन्ड को आजाद कर दिया। उसका मूसल लन्ड किसी सांप की भांति फुंफकार रहा था। उसका लन्ड देखते ही मेरे जिस्म में आग भर गई। मैंने उसका लन्ड हाथ में लिया और सहलाने लगी। रॉकी का लन्ड 8 इंच से तो ऊपर ही था ओर मोटा भी मेरे मन माफ़िक़ था। मैं लन्ड को सहला रही थी और रॉकी मेरे चुचों से खेल रहा था। उसने मेरे एक चुचे को मुँह में और दूसरे को हथेली में लेकर मुझे पूरी तरह गर्म कर दिया। वो अब मेरी पीठ को दबा कर मेरा मुँह अपने लन्ड के पास लाया। मैंने भी उसका लन्ड झट से मुँह में ले लिया और किसी लॉलीपॉप की भांति चूसने लगी। रॉकी आह भरकर रह गया। कुछ देर लन्ड चुसाई के बाद रॉकी ने मुझे उठाया और अपने बिस्तर पर ले आया। मैं थोड़ी हैरान थी कि थोड़ी देर पहले जो चल भी नहीं पा रहा था वो मुझे उठाकर बेड पर ले आया।

जब रॉकी से पूछा तो वो बोला- अगर यह बहाना नहीं बनाता तो क्या हम तुम इस हालात में होते?

यह सुनकर तो मैं उससे चिपट गयी और उसे चुम्बनों से नहला दिया। वो भी जल्दी ही मेरी चूत तक पहुंच गया और अपनी जीभ से मेरी चूत का रसपान करने लगा। मेरी चूत की आंखें खुशी से छलक गयी और रॉकी उसके आँसू (रस) पूरा ही पी गया।

अब वो उठा और मेरी दोनों टांगों को अपने हाथों से ऊंचे उठाया और पोजिशन बनाकर मेरी चूत का बरसों का इंतजार खत्म किया।

अब रॉकी का मूसल मेरी फूल सी चूत की गहराई में उतर रहा था और भी उसके हर धक्के का उसी की तरह साथ दे रही थी। आज मुझे असली लौड़े का अहसास अपनी चूत में हुआ था। मेरी चुदाई चल रही थी, तभी मेरी मोबाईल पर कोई कॉल आया। पर मैंने उस कॉल से ज्यादा अपनी चुदाई में दिलचस्पी दिखाई। मैं 'आह ... उम्म्ह... अहह... हय... याह... रॉकी और जोर से ... आह मजा आ रहा है!' आदि तरह की आवाजें निकाल रही थी। मेरी चूत चोदते चोदते रॉकी भी हाँफ़ने लगा था। अब हम दोनों चर्मोत्कर्ष पर थे, बस होड़ थी कि पहले कौन झड़े. पर यह होड़ में आखिर में ही हार गई। मैं झड़ कर निढाल हो गयी। अगले ही पल रॉकी के लन्ड ने भी अपना काम पूर्ण किया और वीर्य का एक फव्वारा निकला और मेरी चूत को लबालब कर गया। रॉकी मेरी ऊपर ही पसर गया और हाँफने लगा। 

कुछ देर आराम करने के बाद जब घड़ी में समय देखा तो शाम के 5.30 बज रहे थे। मोबाईल में प्रभात का कॉल आया हुआ था।

मैंने वापस कॉल किया तो प्रभात ने बताया कि बाहर जोरदार बारिश चल रही है और अभी कोई ओटो टेक्सी नहीं मिल रही है तो आने में समय लगेगा। यह सुनकर तो मैं और भी खुश हो गयी और

प्रभात को कहा- आप कोई तरह की चिंता ना करें, मैं रॉकी भाईसाब का अच्छे से ख्याल रख रही हूं। और अब दर्द भी कम है। तो प्रभात भी समझ गए कि कौनसा दर्द कम है।

जब मैंने रॉकी को बताया कि वे लोग देर से आयेंगे तो वो खुशी से उछल पड़ा। मैंने खिड़की से बाहर झाँका तो बारिश अपनी गति से चल रही थी।

रॉकी बोला- चलो बाहर बारिश में नहाते हैं।

मैंने जल्दी से गाउन पहना और रॉकी ने सिर्फ पैंट और हम दोनों बारिश में नहाने लगे।

आज पहली बार बारिश में नहाने का भी अलग ही आनन्द आ रहा था। मैं और रॉकी बांहों में बांहें डाल कर फिल्मी स्टाइल में झूम रहे थे। बारिश में भीग कर मेरे चुचे गाउन में चमक रहे थे। जिसे देखकर रॉकी का पेंट भी तम्बू बना हुआ था। आसपास के लोग हमें पति पत्नी समझ रहे थे और हम भी हद में ही थे। जब नहाकर थक गए तो दोनों रूम में गए और बाथरूम में घुस गए। अब शावर के साफ पानी में साथ में ही नहाने के लिए दोनों ने अपने कपड़े अपने बदन से अलग किये। अब हम दोनों फिर से जन्मजात नंगे थे। शावर लेते हुए हमने चुदाई का एक और दौर चलाया। इस बार रॉकी ने मुझे डॉगी स्टाइल में चोदा। 
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#73
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 मैं सुबह से तीसरी बार चुद रही थी तो अब मेरी चूत ने जवाब दे दिया था। मैं थक कर चूर हो गयी थी। रॉकी भी 8-10 मिनट में झड़ गया और मेरे से अलग हो गया। अब हम लोगों ने अपने अपने कपड़े पहने और रॉकी ने रूम सर्विस को चाय का बोला। थोड़ी देर हमने इधर उधर की बातें की। बाहर बारिश लगभग बन्द सी हो गयी थी। पहाड़ी इलाका होने से झरनों की आवाजें आ रही थी। इतने में वेटर चाय और बिस्किट ले आया। हमने साथ बैठ कर चाय पी और मूड बहलाने के लिए बाहर निकले। बाहर का नजारा देखकर तो डर गए। बारिश ने तो बाहर तबाही मचा रखी थी। जहाँ तहाँ पेड़ गिरे हुए थे और ट्रैफिक का भी बुरा हाल था। लगता था कि जो तूफान अभी अभी रॉकी के रूम में आया था, उससे भी बड़ा तूफान बाहर आया होगा।


हमें प्रभात और निक्कू (रॉकी की वाईफ) की टेंशन होने लगी। रॉकी ने अपनी वाईफ को कॉल किया पर उसे नेटवर्क की वजह से कॉल नहीं लगा तो मैंने प्रभात के नंबर पर कॉल किया। प्रभात ने बताया कि बारिश की वजह से रास्ता बंद हो गया है जो सुबह से पहले नहीं खुल सकता है। हम दोनों सुरक्षित हैं और एक होटल में रूम लेकर रात बिता लेते हैं। सुबह रास्ता खुलते ही लौट आएंगे। यह सुनकर रॉकी थोड़ा टेंशन में दिखा। तो मैंने कारण पूछा।

रॉकी बोला- प्रभात और निक्कू अकेले वहाँ?

तो मैं बोली- जब मैं आपके साथ यहाँ अकेली हूँ तो क्या उनका हक नहीं बनता? और वो दोनों समझदार हैं, अपना फैसला खुद ले सकते हैं। जस्ट चिल्ड यार, और मैंने रॉकी के लन्ड को दबा दिया।

रॉकी समझ गया और मेरे चुचों से खेलने लगा।

मैंने उसे रोका- अब यह सब रात को आराम से करेंगे। अब मुझे भूख लग रही है। रॉकी ने मोबाइल में टाइम देखा तो रात के 8.00 बज रहे थे। हमने होटल के ही रेस्तरां में खाना आर्डर किया और फ्रेश होकर रेस्तरां में चले गए। करीब आधा घंटा में खाना आया, हमने खाया तब तक नौ बज चुके थे।

रॉकी बोला- तुम रूम में जाओ, मैं अभी आता हूँ।

मैं रॉकी के रूम में चली गयी और पूरी नंगी होकर अपने मोबाइल में अन्तर्वासना खोल कर सेक्सी कहानी पढ़ने लगी। करीब बीस मिनट बाद रॉकी दो आइसक्रीम लेकर आया। मुझे नंगी देखकर वो खुश हो गया और आइसक्रीम साइड रखकर मेरे ऊपर ही चढ़ गया। मैंने उसे दूर हटाया और एक आइसक्रीम उसे पकड़ाई और एक खुद खाने लगी। आइसक्रीम का स्वाद थोड़ा अजीब लग रहा था पर मैंने इग्नोर किया और पूरी आइसक्रीम खत्म की। कुछ ही देर में मेरी चूत में अंगारे भड़कने लगे। तब तक रॉकी भी नंगा हो गया था। मैंने सीधा रॉकी के लन्ड में हाथ डाला। उसका लन्ड भी कुछ ज्यादा कड़क लग रहा था तो मैंने रॉकी से वजह पूछी।

रॉकी बोला- आइसक्रीम में मैंने सेक्सवर्धक दवा मिलाई थी। अब तुझे चुदने में मुझे चोदने में दुगना मजा आएगा।

अब रुकना मेरी सहनशक्ति से बाहर था। मैंने रॉकी को खींच के बेड पर पटक दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गई। रॉकी का लण्ड अपने हाथ से ही अपनी चूत में सेट करके पूरा अंदर ले लिया। इस बार चूत को भी कुछ ज्यादा ही दर्द हुआ और मेरी चीख निकल गयी। अब मैं होश में नहीं थी मैं रॉकी को गालियां बकने लगी- मादरचोद, पहले नहीं ला सकता था यही आइसक्रीम, भोसड़ी के बहुत मज़ा आ रहा है तेरा लौड़ा लेकर। काश तू मेरा पति होता तो मैं रोज तुझसे ही चुदवाती। तेरी पत्नी बहुत किस्मत वाली है जो उसे इतना मोटा लौड़ा मिलता है।

रॉकी- रण्डी, आज ले ले तेरी जिंदगी का आनन्द, मिटा ले अपनी चूत की खूजली! पूरे कर ले अपने अरमान और मुझे भी निहाल कर दे। साली निक्कू को चोद चोद कर पक गया था। आज तेरी चूत को जी भर कर चोदूंगा मेरी रानी।

इन्ही बातों के साथ रॉकी मेरी चूत की माँ बहन एक कर रहा था और मेरे नीचे से गांड उठा उठा कर मेरा साथ दे रहा था। 15-20 मिनट की चुदाई के बाद मैं दो बार झड़ चुकी थी पर रॉकी अभी भी लगा हुआ था।

अब उसने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से चूत में धमाचौकड़ी मचा दी। करीब आधा घंटा बाद सब वह स्खलित हुआ। तब तक मेरी चूत का पकोड़ा बन चुका था। पर उसका लन्ड फिर भी अच्छा लग रहा था। रॉकी ने चुदाई पूरी करके लन्ड बाहर निकाला। तब चूत के दर्द का कुछ अहसास हुआ पर इस परम आनन्द के आगे वो दर्द कुछ भी नहीं था। फिर मैं बाथरूम गयी औऱ फ्रेश होकर रॉकी के साथ नंगी ही सो गई।

सुबह जब दरवाजे पर दस्तक हुई तो हमारी आंख खुली और जल्दी से कपड़े पहन कर मैंने ही दरवाजा खोला।

बाहर प्रभात और निक्कू खड़े थे। घड़ी में समय देखा तो 10.30 बज रहे थे। थकावट में कब दिन निकला पता ही नहीं चला। मुझे प्रभात से तो प्रॉब्लम थी ही नहीं, पर निक्कू से आंख मिलाना मुश्किल हो रहा था। पर कुछ यही हाल निक्कू का देख कर मैंने राहत की सांस ली।
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#74
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अब आगे की कहानी मेरी (प्रभात) की जुबानी:-

कैसे मेरी बीवी होटल के कमरे में मेरे दोस्त के लंबे लन्ड से चुदी और अपनी मन की इच्छा पूर्ति की। मेरी पत्नी को प्राइवेसी देने के लिए मैं निक्कू (रॉकी की वाईफ) को लेकर घूमने निकल गया था। लेकिन हम दोनों बारिश में फंस भी गए।

जब मौसम ज्यादा खराब हुआ तो निक्कू थोड़ा घबराने लगी और उसे रॉकी की फिक्र होने लगी तो मैंने कांची को कॉल किया और फ़ोन स्पीकर पर लगाकर अपनी और कांची की बात निक्कू को सुनाई। निक्कू रॉकी की तरफ से निश्चित हो गयी। पर खुद के लिए थोड़ा चिंतित हुई क्योकि बारिश की वजह से वापसी के रास्ते बंद हो गए थे। अब हमारे पास वही किसी होटल में रुकने के अलावा कोई चारा ही नहीं बचा था। हम नजदीक ही कुछ होटलों में गए पर करीब करीब सब फुल थे, बड़ी मुश्किल से एक होटल में रूम खाली मिले पर वो ओवर रेट मांग रहा था। अब समस्या या मेरी खुशनसीबी थी कि मेरे पास एक रूम के रेंट के जितने पैसे ही बचे गए। हम अपना ए टी एम या और कुछ भी साथ नहीं ले गए थे। घूमते हुए हमने ठेले पर और अन्य कुछ फ़ास्ट फ़ूड खा लिया था तो बस रात बिताने की मजबूरी थी।

मैंने निक्कू को प्रॉब्लम बताई और कहा- आप बेड पर सो जाना, मैं सोफे पर ही सो जाऊँगा।

उसके पास भी कोई और रास्ता तो था नहीं तो वो भी मान गयी। होटल के कर्मचारी ने हमें अपना रूम दिखाया। हम दोनों अपने रूम में घुस गए। कपड़े पूरी तरह से भीगे थे पर हमारे पास ना तो नाईट ड्रेस थी ना कोई और कपड़े। तो मैंने तो अपना शर्ट तो उतार कर रख दिया पर निक्कू उन्ही कपड़ों में सो गई। पूरा दिन के थके हारे थे तो मुझे तो सोते ही नींद आ गयी। अभी सोये हुए शायद 2 घंटे ही हुए होंगे कि अचानक कुछ आवाज से मेरी आँख खुल गयी। समय करीब 12.15 बज रहे थे। आवाज निक्कू के बेड से ही आ रही थी, वो ठंड से कांप रही थी और सुबकियां ले रही थी। मैं झट से उसके पास गया। वो ठंड से कांप रही थी, उसको हल्का हल्का बुखार भी लग रहा था। मैंने उसे अपनी गोदी में लिया और उसके आँसू पौंछे। इतनी रात में अनजान जगह पर कोई मेडिसिन वो भी खाली जेब मुश्किल ही नहीं नामुनकिन थी। तो उसके लिए सोचना भी गलत था। पर जब दो विपरीत लिंगी भीगे बदन एक बंद कमरे में इतने नजदीक हो तो सर्दी अपना कमाल दिखा ही देती है।

अब मुझे और निक्कू को हिंदी फिल्म का (नाम तो याद नहीं रहा) वो सीन दिख रहा था जिसमें इन्ही हालात में हीरो हीरोइन किसी जंगल में सर्दी के मारे सेक्स करते हैं। यहाँ थोड़ा उल्टा था। यहाँ शुरुवात निक्कू ने ही की। उसके होंठ कब मेरे होंठों से चिपक गए वो कुछ देर बात ही पता चला। हमने एक दूसरे को जम कर चूसा। लब से लेकर चूची चूत और लन्ड सब जगह चूसने के बाद कब कपड़े हमारे शरीर से अलग हुए हमें खुद ही पता नहीं चला। जब सेक्स की खुमारी चढ़ जाए तो वो किसी भी नशे से ऊपर होती है। अब मैं और निक्कू पूर्णरूपेण जन्मजात नंगे एक दूसरे से ऐसे चिपटे थे एक जिस्म दो जान हो। मेरा हाथ निक्कू के चूची पर था और निक्कू मेरे लन्ड को सहला रही थी। यह भगवान का चमत्कार था या मौसम का आज दूसरी बार मेरा लन्ड अपेक्षा से बड़ा लग रहा था। मैंने निक्कू के पूरे शरीर पर चुम्बन करते हुए उसे बेड पर लिटाया और उसकी चूत चाटने लगा। निक्कू की सर्दी अब गर्मी में बदल चुकी थी। उसकी चूत गर्म लावा छोड़ रही थी। और वो चूत रस मुझे कामरस लग रहा था। अब चूसने की बारी निक्कू की थी और आंनद लेने की मेरी बारी थी। मैं बेड के पास खड़ा हो गया और निक्कू ने बेड पर बैठे बैठे ही मेरा लन्ड अपने मुँह में ले लिया और मुँह आगे पीछे कर के चूसने लगी। पर मुझे अच्छे से मजा नहीं आ रहा था तो

मैंने उससे कहा- थोड़ा कुल्फी की तरह से चूसो तो आंनद आ जाये।

और उसने ऐसा ही किया। मेरा मन तन खुशी से हिलौरें लेने लगा। उसने पहले ही मना किया था तो मैंने चर्मोत्कर्ष होने से पहले ही उसका मुंह से लन्ड बाहर ले लिया। उसने आभार की नजर से मुझे देखा।

निक्कू की धड़कन तेज हो रही थी तो मैं समझ गया कि अब देर करना उचित नही। शायद निक्कू भी समझ गयी कि अब मैं भी मुख्य कार्य के लिए तैयार हूँ तो वो समझदारी दिखाते हुए बेड पर टांगें उठाकर लेट गयी। मेरा लिंग उसके चूसने से कड़क हो ही गया था तो मैंने बिना देर किए लन्ड उसकी चूत के छेद पर सेट किया और एक जोर का धक्का दे मारा, मेरा पूरा लन्ड एक ही झटके से उसके चूत में समा गया। क्योंकि निक्कू कोई कुंवारी कली तो थी नहीं, उसकी चूत तो रॉकी के लण्ड से फटी ही थी। पर नई चूत या लन्ड का स्वाद तो अलग होता ही है। चाहे आपने उससे पहले कितना भी मोटा लन्ड या कितनी भी टाईट चूत चोदी हो। अब हमने धक्कापेल शुरू कर ही दिया और निक्कू मेरे धक्कों का पूरा साथ दे रही थी। ऐसा साथ मेरी कांची ने मुझे कभी नहीं दिया था। यहाँ मैं अन्य लोगों की तरह झूठ नहीं लिखूँगा कि मैंने आधा घंटा किया या 25 मिनट, मेरा काम सिर्फ 12 या 13 मिनट में ही हो गया क्योंकि एक तो मुझे आधा चूस कर ही निक्कू ने छोड़ दिया था और निक्कू भी थोड़ी नर्वस हो गयी थी तो उसकी चूत ने भी जल्दी ही पानी छोड़ दिया था। चुदाई पूरी करके मैं निक्कू के ऊपर ही लेट कर साँस लेने लगा। जब हमारी आग शांत हुई तो निक्कू को दुनियादारी का ख्याल आया। वो अपने आप से शर्माने लगी और जल्दी से अपने कपड़े पहनना चाह रही थी। पर उसके कपड़े अभी भी थोड़े गीले थे तो फिर से सर्दी का डर तो था ही, तो मैंने उसे समझाया कि जो होना था वो हो गया अब शर्म कैसी।

वो थोड़ा समझाने पर समझ गयी और हम बिना कपड़ों के चिपक कर सो गए। सुबह मेरी आँख खुली तो 7.30 बजे थे। मेरा मन फिर से मचल गया मैंने निक्कू को थोड़ा और कन्वेंस किया। वो थोड़ा मान ही नहीं रही थी तो मैंने उसे मनाने के लिए उसे कहा कि रात को तुम्हें सर्दी लग रही थी तो मैंने वो सब कुछ किया जो तुम्हारे लिए जरूरी था। अब क्या मेरा मन भी नहीं रखोगी? और क्या वहाँ रॉकी और कांची एक ही होटल में अकेले है तो क्या काँची अपने रूम में अकेले सोई होगी? मैं तो नहीं मानता। यह तीर निशाने पर लगा और निक्कू एक शर्त पर मान गयी कि यह सब हम दोनों के बीच रहनी चाहिए, किसी को पता नहीं चलना चाहिए, काँची को भी नहीं। मैंने वादा किया। हमने कपड़े तो वैसे ही खोल रखे थे। मैं निक्कू को लेकर बाथरूम में घुस गया निक्कू को सुसु लगी थी तो मैंने उसे अपने सामने ही सुसु करने का बोला तो वो शर्माते हुए वहीं मेरे सामने पेशाब करने लगी तो मैं उसके पेशाब और चूत से खेलने लगा। इस छेड़खानी से वो भी गर्म हो गयी। उसने फिर से मेरे लन्ड को अपने मुँह में लिया औऱ इस बार पूरा ही चूस लिया, वो पहली बार मेरा वीर्य पी रही थी। पी ही नहीं रही थी, पूरा चाट ही रही थी। लन्ड चाटने के बाद हम लोगों ने एक बार फिर से चुदाई की और साथ में नहा कर बाहर आये। टॉवेल होटल सर्विस ने रखे हुए थे तो हमने अपने शरीर पौंछे और कपड़े पहनकर होटल से चेक आउट किया।

रात की बारिश का कहर सब तरफ दिख रहा था। हमने एक ऑटो किया औऱ अपने होटल पहुँचे। अपने आप को सही साबित करने के लिये मैं निक्कू को लेकर पहले अपने रूम की तरफ गया पर वो तो लॉक था। मैंने निक्कू को बताया कि जो हमने किया वो ही यहाँ भी हुआ होगा और मेरी काँची आपके रूम में ही मिलेगी। जब हम रॉकी के रूम में पहुंचे तो दरवाज़ा काँची ने ही खोला। अब निक्कू भी सब समझ गयी पर कोई किसी पर गुस्सा करने की हालात में भी नहीं था। थोड़ी देर की चुप्पी के बाद मैंने ही माहौल बदलने के लिए चाय मंगवाई और अपने घूमने का बताने लगा।


समाप्त!

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;)

अनजान लड़की की चुदाई खुले में


दोस्तो, अब मैं अपने एक मेल मित्र की कहानी को शेयर कर रहा हूँ.. जो कि दिल्ली में रहता है। उसने यह कहानी मुझे बताई और अब मैं उसकी कहानी को अपने शब्दों में पिरो रहा हूँ। आपसे गुजारिश है कि आप यही मानना कि इस कहानी को मेरा दोस्त ही आपसे शेयर कर रहा है।

तो अब मेरे दोस्त की कहानी.. उसकी ही जुबानी।

हैलो दोस्तो, मैं अमित कुमार दिल्ली का रहना वाला हूँ और मैं 6 फ़ीट और 4 इंच लम्बा हूँ, मेरा बदन काफी बलिष्ठ है और मेरा लौड़ा 8 इंच से अधिक का ही होगा। एक बार जो लड़की मेरे घोड़े की सवारी कर ले तो उसे फिर किसी और लौड़े का मजा नहीं आएगा। लेकिन मैं आप लोगों को अपनी चुदाई का किस्सा नहीं बता रहा हूँ.. दिल्ली में लगभग हर दिन की होने वाली घटनाओं को बता रहा हूँ कि कैसे लड़का और लड़की खुले में भी चुदाई करने से नहीं डरते।

एक रात करीब नौ बजे दिल्ली -- नोएडा हाईवे से अपनी बुलेट से लौट रहा था कि मैंने सड़क के एक किनारे एक कार को हिलते हुए देखा.. तो मैं अपनी बुलेट को एक किनारे पार्क करके उस कार के करीब आया। मैंने देखा कि कार का शीशा खुला हुआ है और एक लड़की लड़के के लण्ड पर बैठ कर उछल-कूद कर रही है.. जिससे उसकी चूचियाँ भी रह-रह कर उछल रही थीं। वो लड़की पसीने से भीगी हुई थी।

मैं बड़े मजे से उनकी इस काम-क्रीड़ा को देख रहा था कि अचानक लड़की की नजर मुझ पर पड़ी और वो मुझे देखकर चीख पड़ी और अपने हाथों से अपनी चूचियों को छुपाने का प्रयास करने लगी। मैंने गाड़ी के अन्दर हाथ डाल कर उसके हाथों को हटाते हुए उससे कहा- अभी तक तुम गाड़ी का शीशा खुला छोड़ कर चुदाई का मजा ले रही हो और अब अपनी चूची को छुपा रही हो.. इसको खुला रहने दो। तभी लड़का चिल्लाते हुए बोला- हट भोसड़ी के..

यह कहकर उसने गाड़ी का दरवाजा झटके से खोला और मेरी तरफ बढ़ने लगा।

जल्दी में उसने केवल नेकर ही पहना था, लेकिन जैसे ही मेरे पास आया और मुझे इतना लम्बा और अपने से ज्यादा तगड़ा देखा.. तो थोड़ा सा डाउन हो गया और मुझे वहाँ से चले जाने के लिए बोला।

तब मैंने उस लड़के से बोला- खुले में इस मासूम कली की चुदाई कर रहे हो अगर कोई चार-पाँच लोग आ गए तो इसकी तो खूब चोदेंगे और तुम्हारी गाण्ड का मजा भी इस लड़की के सामने ले लेंगे।

लड़का- मुझे और रेशमा को एडवेंचर का शौक है.. इसलिए हम खुले में चुदाई कर रहे हैं।

मैं- तो एक काम करो.. तुम और ये लड़की दोनों मेरे घर चलो.. जो पास में ही है.. वहाँ पर खूब खुली जगह है.. लड़की को तुम चोदना और तुम दोनों की चुदाई का खेल देखकर मैं भी मजा लूंगा।

दोनों ने एक-दूसरे की ओर देखा और आपस में हामी भरी।

लड़का- चलिए चलते हैं।

मैं- लेकिन तुम ड्राईव नंगे बैठ कर करोगे और तुम्हारे बगल में लड़की भी नंगी ही बैठेगी।

मैंने उन दोनों को घर का रास्ता बताया। दोनों आगे-आगे और मैं अपनी बुलेट से उसके पीछे-पीछे चल दिया। घर पहुँचने के बाद गेट से ही दोनों को अन्दर चलने के लिए कहा।

रेशमा- राहुल.. यार मैं नंगी यहाँ से अन्दर नहीं जाऊँगी।

राहुल- चलो यार।

जब रेशमा ने उस लड़के को राहुल करके पुकारा.. तब मुझे उस लड़के का नाम पता चला।

रेशमा- नहीं राहुल.. मैं नंगी नहीं जाऊँगी।

राहुल- अच्छा चल मैं तुझे गोदी में उठा लेता हूँ।

मैं- क्या बहन की लौड़ी.. जब खुले में चुदवा सकती है.. तो यहाँ से अन्दर नहीं जा सकती.. चल जल्दी से अन्दर चल.. नहीं तो यकीनन कोई न कोई आ जाएगा।

रेशमा ने मेरे तेवर देखे.. तो बिना कुछ कहे गाड़ी से नीचे उतरी। उसे देखते ही मैं दंग रह गया.. क्या पीस थी.. लगता है कि बनाने वाले ने बड़ी फुर्सत से उसे बनाया था। पाँच फिट चार इंच के आस-पास लम्बी थी.. लम्बे बाल.. उसके चूतड़ क्या उठे हुए थे.. हय.. उसकी चूचियां.. क्या कहूँ.. बिल्कूल खरबूजे जैसी गोल-गोल.. उसका फिगर 34-32-34 का होगा। उसके जिस्म का रंग बिल्कुल साफ और जिस्म तो इतना चिकना कि सनी लियोनी भी उसे देख ले तो फेल हो जाए। जब वो गाड़ी से उतर कर चलने लगी.. तो उसके लम्बे बाल और चूतड़ क्या बल खा रहे थे। उसी समय मेरे दिमाग में एक खुरापात सूझी। मैं पेशाब करने के बहाने रेशमा को अपने लण्ड का दर्शन कराना चाहता था।

तभी राहुल बोल पड़ा- दोस्त.. मुझे पेशाब लगी है, जल्दी अन्दर चलो नहीं तो छूट जाएगी।

मैं- मेरा नाम अमित है और रही पेशाब लगने की बात.. तो वो मुझे भी लगी है.. चलो पहले यहीं मूत लिया जाए।

ये कहकर मैंने अपने जिप खोली और अपना आठ इंची लण्ड को बाहर निकाला और वहीं मूतना शुरू कर दिया। राहुल ने भी वहीं मूतना शुरू कर दिया।

मैं रेशमा की तरफ घूमते हुए बोला- अगर तुम्हें भी मूतना है.. तो तुम भी मूत लो।

रेशमा ने मेरे लण्ड की तरफ देखा और अपनी नजरें झुका लीं और वहीं पर वो भी मूतने बैठ गई। 'शर्रर्रर्र र्रर्रर्रर्रर्र..' की आवाज आने लगी।

मैं और राहुल दोनों ही रेशमा को मूतते हुए देख रहे थे। तभी राहुल की नजर मेरे लौड़े पर पड़ी- यार तेरा लौड़ा है कि मूसल.. कितना लम्बा होगा?

मैं- आठ इंच लम्बा और तीन इंच मोटा।

राहुल- इसका मतलब कि जिस लड़की को चोदता होगा.. तो उसकी क्या हालत होती होगी। तब तक रेशमा भी मूत कर उठ चुकी थी।

फिर हम तीनों मेरे घर के अन्दर चल दिए। मैं रेशमा के पीछे-पीछे था उसकी मटकती हुई गाण्ड मुझे बड़ा मजा दे रही थी और मैंने धीरे से उसकी गाण्ड में ऊँगली कर दी.. रेशमा थोड़ी उचकी.. उसने पीछे मुड़कर मुझे देखा और मुस्कुराते हुए आगे चल दी। हम तीनों लोग जैसे ही मेरे घर के खुले मैदान में पहुँचे.. वैसे ही बारिश होने लगी। मैं बरामदे में बैठ गया जबकि राहुल और रेशमा दोनों ही बाग में बारिश का मजा लेने लगे थे.. उनका जिस्म भीग रहा था।

राहुल रेशमा के पीछे आकर उसकी चूचियों को दबा रहा था और रेशमा अपने दोनों हाथों से उसके लण्ड को मसल रही थी। थोड़ी देर तक तो दोनों एक-दूसरे की चूची और लण्ड मसल रहे थे। फिर रेशमा अन्दर आकर मेरे बगल में बैठ गई और राहुल गेट की तरफ चल दिया।

मैं रेशमा से बोला- यह राहुल कहाँ चला गया?

रेशमा- बीयर लेने.. गाड़ी में रखी है।

मैं- यार तुम तो बहुत चिकनी हो.. अपनी चूत को भी बहुत चिकना रखा है। राहुल की तो मौज ही मौज है।

रेशमा- तुम अपने भारी भरकम जिस्म का धौंस जमा रहे हो।

मैं- नहीं तो?

रेशमा- यार मैं बिल्कुल नंगी बैठी हुई हूँ.. जबकि तुम पूरे के पूरे कपड़े पहने हुए हो।

मैं- तुम मेरे कपड़े उतार तो सकती हो मेरी जान.. पर तुम्हारी चूत का मजा तो राहुल का लण्ड ही लेगा.. मेरे शेर का क्या होगा?

रेशमा मुस्कुराते हुए उठी और मेरी तरफ आई और मेरे होंठों पर अपनी उँगली फिराते हुए मेरे एक-एक कपड़े उतारने लगी। उसकी आँखों में चुदास की खुमारी थी और उसकी चूचियों के चूचुक काफी तने हुए थे। मेरे ऊपरी आवरण को हटाने के बाद उसने मेरी छाती की घुंडियों को अपने नाखूनों से कुरेदना शुरू कर दिया। मुझे यह भी बहुत पसंद है.. मैंने भी उसकी गाण्ड में उँगली करते हुए उसके होंठों को चूमा तो उसने मेरे कान में बोला- आज तक मैंने राहुल को अपनी गाण्ड मारने नहीं दी.. पर जब से तुम्हारा लण्ड देखा है.. मैं तो बस इसकी दीवानी हो गई हूँ। अब मैं इसको अपनी चूत और गाण्ड दोनों में लूँगी।

तभी राहुलको आता देखकर कर वो एकदम से हटी और अपनी जगह पर बैठ गई। राहुल बियर के साथ-साथ सिग्नेचर की एक बोतल भी ले आया। उसका लण्ड भी एकदम से तना हुआ था, करीब 6 या साढ़े 6 इंच के आस-पास का होगा। नजदीक आकर वो बैठ गया और मुझसे बोला- बॉस, गिलास का इंतजाम तो कर दो..

मैंने कहा- यार गिलास क्या.. इसके साथ गोश्त भी है..

राहुल हँसते हुए बोला- यार.. गर्म गोश्त तो मेरे पास भी है..

यह कहकर उसने रेशमा को अपनी ओर खींचा और उसकी गाण्ड में एक चपत लगा दी।

'अगर तुम्हें ऐतराज न हो तो रेशमा, क्या तुम मेरी रसोई से गिलास और बना हुआ मटन भी रखा है.. क्या तुम ला दोगी?'

'बिल्कुल..' कहकर रेशमा उठी और अपनी गाण्ड मटकाते हुए रसोई में चल दी। थोड़ी देर बाद उसने राहुल को आवाज दी, राहुल अन्दर चला गया। कुछ देर बाद रेशमा गिलास लेकर लौटी। उसनी हल्की सी मुस्कान बिखेरी और वो झुक कर गिलास रखने लगी। उसकी लटकी हुई चूची को मैंने हल्का सा दबा दिया।

तभी वो बोली- राहुल को दारू पिला कर तुम टुन्न कर दो.. और मैं उसके लौड़े का पानी निकाल देती हूँ। इसके बाद वो पूरी रात सोएगा और तुम मेरे साथ चुदाई का मजा लेना।

पीछे-पीछे राहुल मटन भी ले आया, राहुल का अभी भी लौड़ा टनटनाया हुआ था।

राहुल के बैठते ही रेशमा बोली- क्या राहुल.. हम लोग पूरी तरह से अमित के सामने नंगे बैठे हैं और अमित केवल आधे नंगे बैठे हैं।

'हाँ यार अमित..' राहुल बोला- इट इज नाट फेयर.. तुम्हें भी पूरे कपड़े उतारने होंगे।

'श्योर.. लेकिन क्या तुम्हारी दोस्त मेरे कपड़े उतारने में मेरी मदद नहीं करेगी?' राहुल ने रेशमा को अपनी तरफ खींचा.. उसकी चूची को अपने मुँह में लेकर उसकी गाण्ड को सहलाते हुए बोला- मेरी जान.. जिस तरह तुम मेरे कपड़े उतरवाने में मदद करती हो.. उसके कपड़े उतरवाने में भी उसकी मदद कर दो।

'अगर तुम्हें ऐतराज नहीं है.. तो मैं मदद तो कर दूँगी।'

ये कहकर रेशमा बड़ी अदा से मेरे पास आई और होंठों को गोल करके नीचे घुटनों के बल बैठ गई और मेरी पैन्ट की हुक और चैन को खोलने लगी। उसने एक झटके से मेरी पैन्ट को नीचे उतार दिया। उसके बाद उसने मेरी चड्डी की इलास्टिक में अपनी उँगली को फंसा कर धीरे से मेरी चड्डी को नीचे करने लगी। मेरा लण्ड टाईट होने की वजह से चड्डी उतर नहीं रही थी.. तो रेशमा ने थोड़े झटके से मेरी चड्डी खींची.. जिसकी वजह से मेरा लण्ड फुंफकार कर उसके होंठों से जा टकराया। राहुल की नजर बचाकर.. रेशमा ने मेरे लण्ड को चूम लिया।
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#76
अब तीनों ही मेरे घर में पूरे नंगे बैठ कर दारू और बियर पीने लगे।

उसी समय राहुल रेशमा को इशारे से अपने लौड़े पर बैठने के लिए बुलाया। रेशमा बड़ी मादकता से साथ उठी और राहुल के पास मुझे आँख मारते हुए पहुँची और हल्के से टांग को उठा कर राहुल के लौड़े को अपने हाथ से पकड़ा और अपनी बुर से सैट करते हुए लौड़े की सवारी करने लगी। अब बाकी का काम मुझे करना था.. जैसे ही राहुल ने गिलास खाली किया.. मैंने तुरन्त ही उसकी गिलास को फिर से भर दिया। इधर रेशमा धीरे-धीरे लौड़े पर उचकने लगी.. लेकिन मैं रेशमा को चोदने का सब्र में नहीं कर पा रहा था.. इसलिए मैं धीरे से उठा।

तभी राहुल बोला- कहाँ जा रहे हो.. हम लोगों की चुदाई देख कर मजा लो।

मैंने कहा- हाँ..हाँ.. रेशमा जब तक तुम्हारे लौड़े को घिस रही है.. तब तक मैं थोड़ा नहा कर आता हूँ।

यह कहकर मैं बाथरूम में चला गया और दो मिनट नहा करके जिस्म में सेन्ट आदि लगाकर दो टेबलेट नींद की गोली ले आया.. क्योंकि मैं चाहता था कि राहुल जल्दी सो जाए और मैं रेशमा को रात भर बजा सकूँ। जब मैं आया तो राहुल एक गिलास और खाली कर चुका था.. लेकिन वो अब रेशमा की गाण्ड मारने की जिद करने लगा.. जबकि रेशमा उससे गाण्ड के लिए नानुकुर कर रही थी। रेशमा को मैंने इशारा किया.. रेशमा ने इशारा समझ कर

उससे बोली- राहुल ठीक है.. आज तुम मेरी गाण्ड मार लेना.. लेकिन पहले गाण्ड तो मेरी पहले गीली कर लो।

उधर राहुल रेशमा की गाण्ड चाटने लगा और इधर मैंने उसके गिलास में दोनों नींद की गोली डालकर उसके लिए एक पैग और बना दिया। रेशमा भी मुझे बड़ी खिलाड़ी नजर आ रही थी। वो राहुल की उत्तेजना को बढ़ाने के लिए 'आह.. होहो..' जैसी आवाज निकाल रही थी.. लेकिन मुझे ऐसा लगता था कि केवल वो माहौल को उत्तेजित कर रही थी। मैंने धीरे से राहुल की ओर वो पैग बढ़ा दिया... धीरे-धीरे राहुल पर नशा सवार होने लगा। वो बार-बार रेशमा की गाण्ड में लण्ड डाल रहा था.. लेकिन लण्ड अन्दर जा ही नहीं रहा था। मैं बैठ कर केवल तमाशा देख रहा था। अब रेशमा ने उसका लण्ड पकड़ा और अपनी चूत के छेद में डाल दिया और दोनों पैरों को थोड़ा सा जकड़ लिया और चिल्लाने लगी- राहुल मेरी गाण्ड फट जाएगी.. राहुल को होश नहीं था.. वो भी चिल्ला रहा था- देखा.. न न.. करते आखिर मैंने तुम्हारी गाण्ड मार ही ली.. दो मिनट बाद वो हाँफते हुए बोला- रेशमा मेरी जान.. मेरा माल निकलने वाला है.. अपने मुँह खोलो। रेशमा पलटी और उसके लण्ड को मुँह लेकर चूसने लगी। अगले ही पल राहुल का पूरा माल उसके मुँह में था.. जिसको वो गटक गई। राहुल पर एक तो नशा सवार था और दूसरा नींद की गोली भी असर कर रही थी, थोड़ी देर बाद वो नींद के आगोश में था। मैंने राहुल को गोद में उठाया और अपने बेडरूम में लिटा आया।

उसके बाद रेशमा के कहने पर मैं और रेशमा शावर के नीचे नहाए.. उसने अपने आपको खूब रगड़-रगड़ कर साफ किया।

फिर उसने मुझे नहलाया.. फिर पॉट पर बैठकर मेरे लौड़े को चूसने लगी। वो कभी अपने चूचे में तो कभी अपने शरीर के बाकी हिस्से से मेरे लौड़े को रगड़ती। ऐसा करते-करते उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी।

फिर वो पॉट से उठी.. मुझे पॉट पर बैठाया और मेरी तरफ अपनी गाण्ड की पोजिशन करके थोड़ी झुकी और मेरे हाथ की उँगली पकड़ कर अपनी गाण्ड को खोदने लगी। उसकी इस अदा पर तो मैं मर मिटा.. मैंने उसके इशारे को समझते हुए उसकी गाण्ड में उँगली अन्दर तक डाल कर ढीला करने लगा।

'माई डार्लिंग अमित.. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है.. मेरी चूत का बाजा बजा दो।'

'मेरी जान मैं पोजिशन पर ही हूँ.. तुम आकर लण्ड की सवारी कर लो।'

मेरे कहने भर कि देर थी कि रेशमा मेरे लौड़े के ऊपर आकर बैठ गई और हल्के दबाव से मेरे लौड़े को अन्दर लेने लगी। ऐसा करते करते उसने मेरे आठ इंची लौड़े को पूरा अन्दर ले लिया और फिर उछलने लगी। उसके उछलती हुई चूचियां मेरे होंठों से टकरातीं.. तो मैं उसे हल्के से काट लेता। फिर मैंने उसकी एक टांग को पॉट पर रखा.. ताकि उसकी चूत का मुँह कायदे से खुल जाए और फिर लण्ड को बुर से सैट करके एक धक्के में ही आधे से ज्यादा लौड़ा उसकी बुर में घुसेड़ दिया।

'उईईईई माँ..' बस उसके मुँह से यही आवाज निकली.. पता नहीं मुझे क्या हो गया था। मैं उसकी चूत में धक्के पर धक्के मारे जा रहा था। 'फच.. फच..' की आवाज से बाथरूम गूँज रहा था। 'आह्ह.. आज मेरी बुर का भोसड़ा बन गया.. मेरी बुर की यह हालत है.. तो मेरी गाण्ड का क्या होगा.. आह्ह.. मुझे इतना मोटा लण्ड अपनी बुर में नहीं लेना था.. मेरी बुर तो मेरे राहुल के लिए ही है.. आह्ह.. ऊई माँ.. बचा लो.. ओह.. ओह..' पता नहीं वो क्या-क्या बके जा रही थी और मैं धक्के पर धक्के लगाए पड़ा था।

इस दौरान रेशमा तीन-चार बार झड़ चुकी थी और अब मैं झड़ने वाला था, मैंने रेशमा से पूछा.. तो बोली- मेरे मुँह में ही झड़ जाओ। मैं अपने लौड़े को उसके मुँह में ले गया और झड़ गया। रेशमा मेरे रस की एक-एक बूँद को गटक गई और फिर अपनी उँगली को बुर के अन्दर डाल कर उसकी मलाई निकाली और अपनी उंगली को मुझे चटाने लगी। वो वापस पॉट पर बैठ गई। मुझे लगा कि वो मेरे लौड़े को चूस कर खड़ा करना चाहती है। मैंने आगे बढ़ कर लौड़े को उसके मुँह से सटा दिया।

वो बोली- ये क्या कर रहे हो?

मैं बोला- कर क्या रहा हूँ.. लण्ड है.. चूसने को दे रहा हूँ।

'अरे यार रूको तो.. पेशाब तो कर लूँ।'

फिर वो उठी और मेरा लण्ड चूसने लगी.. वो मेरे लण्ड को ऐसे चूस रही थी कि मानो कोई लॉलीपॉप चूस रही हो। मेरा लण्ड भी टनटना कर खड़ा हो गया।

रेशमा बोली- अमित मेरी गाण्ड जरा प्यार से मारना.. मैंने डर के मारे आज तक राहुल से गाण्ड नहीं मरवाई है।

मैंने भी उसके होंठों को चूसते हुए कहा- यार चिन्ता मत करो.. प्यार से ही तेरी गाण्ड मारूँगा.. वैसे हल्का ही दर्द होगा.. जैसे पहली बार जब तुम्हारी सील तोड़ी गई थी.. बस उसी तरह दर्द होगा और उसके बाद मजे ही मजे।

'तुम मर्दों का क्या.. मजे तो तुम लेते हो.. दर्द हमें सहना पड़ता है।'

'नहीं यार.. ऐसी बात नहीं है.. जब हमारा लण्ड तुम लोगों की बुर या गाण्ड में जाता है.. तो हमें भी जलन होती है और दर्द होता है।'

'मालूम है..'

'अच्छा चलो उल्टी हो.. तो गाण्ड की तेल मालिश कर दूँ।' मैंने नारियल तेल लिया और उसकी गाण्ड के छेद में तेल डालकर उंगली से अन्दर डालने की कोशिश कर रहा था.. लेकिन तेल बार-बार बह कर बाहर आ रहा था।

'रेशमा.. अपनी गाण्ड को थोड़ा फैलाओ..'

रेशमा ने अपनी दोनों हथेलियों से पुट्ठे को पकड़ कर अपनी गाण्ड फैलाई और मैंने उसकी गाण्ड में पहले एक उंगली डाली और उसकी गाण्ड फैलाने के लिए उंगली अन्दर-बाहर करता रहा। गाण्ड जब थोड़ा ढीली पड़ी.. तभी मैंने अपनी दो उंगिलयों को रेशमा की गाण्ड के छेद में डाला.. पहले रेशमा चिहुँकी.. पर थोड़ी देर बाद उसे मजा आने लगा। इस तरह करने से रेशमा की गाण्ड कुछ ढीली पड़ी.. तभी रेशमा को हाथ में तेल देते हुए उसे मेरे लण्ड मे लगाने को कहा। रेशमा बड़े प्यार से मेरे लौड़े में तेल लगाने लगी। मैंने रेशमा को फिर पलटने के लिए कहा.. रेशमा उस बेड का सहारा लेकर खड़ी हो गई.. जहाँ पर राहुल सो रहा था।

'रेशमा अपनी गाण्ड फिर फैलाओ..'

उसने उसी अदा से अपनी गाण्ड फैलाई.. मैंने अपना सुपाड़ा रेशमा की गाण्ड में सैट किया और अन्दर डाला.. लेकिन ये क्या.. लण्ड फिसल कर बाहर आ गया..

दो-तीन बार करने पर भी अन्दर नहीं गया.. तो रेशमा ने अपनी गाण्ड को और फैलाया.. जिससे उसकी गाण्ड थोड़ा और खुल गई।

इस बार मैंने ताकत के साथ धक्का मारा.. सुपाड़ा जाकर फंस गया.. 'उई माँ.. निकाल लो.. फट जाएगी.. मैं मर जाऊँगी.. जल्दी निकालो.. तुम्हारा लौड़ा भट्टी में तपे रॉड की तरह है.. मेरी गाण्ड में से अपना गर्म रॉड निकाल लो।' वो लगातार लौड़ा बाहर निकालने के लिए कोशिश कर रही थी.. पर मैंने उसके मुँह को एक हाथ से कस कर बन्द कर दिया और दूसरे हाथ से कभी उसकी जोर-जोर से चूची दबाता.. तो कभी उसके चूचुकों को जोर से मींजता..। इससे उसका धीरे-धीरे गाण्ड से ध्यान हटने लगा और जैसे ही उसने अपनी गाण्ड हिलाना शुरू किया वैसे ही मैंने अपने लण्ड को धीरे से बाहर निकाला और एक और झटके से अन्दर डाल दिया। 'फच्च..' की आवाज से साथ लण्ड आधे से ज्यादा रेशमा की गाण्ड की गहराई की यात्रा कर चुका था। लण्ड के अन्दर घुसते ही एक बार फिर से 'मादरचोद..' ही उसके मुँह से निकला कि मैंने फिर से उसके मुँह को दबा लिया। रेशमा चिल्लाने की और लौड़ा निकालने की नाकाम कोशिश कर रही थी.. लेकिन मेरे जैसे पहलवान के आगे सब असफल प्रयास थे। अब रेशमा के दर्द की परवाह न करते हुए मैंने एक और तगड़ा झटका कस दिया और इस बार पूरा का पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में पेवस्त हो चुका था। मैं दो-तीन बार इस तरह लण्ड को अन्दर-बाहर करता रहा। गाण्ड टाईट होने की वजह से मेरा सुपारा भी जल रहा था और रेशमा भी दर्द से छटपटा रही थी। लेकिन जैसे-जैसे रेशमा की गाण्ड ढीली पड़ती जा रही थी.. वैसे-वैसे उसको मजा आ रहा था।

एक बार फिर मेरी और रेशमा की गाण्ड चुदाई की आवाज कमरे में सुनाई पड़ने लगी। क्या मस्ताने तरीके से रेशमा अपनी गाण्ड चुदवा रही थी। वो कभी दोनों पैर को जमीन पर रख कर.. तो कभी एक पैर को पलंग पर रख कर और तो और वो एक बार पेट के बल पूरी सीधी लेट गई और अपनी गाण्ड को फैला कर मेरे लौड़े को अन्दर लिया। उसकी गाण्ड चोदते-चोदते मैं भी थक रहा था लेकिन मेरा लण्ड है.. जिसे अभी भी दौड़ लगानी थी.. आधे घंटे तक मेरा लण्ड उसकी गाण्ड की गहराईयों में उतरता-तैरता रहा। आधे घंटे के बाद लण्ड ने झटका लिया और वीर्य की बौछार कर उसकी गाण्ड को भर दिया। अब मैं निढाल होकर रेशमा के ऊपर ही लेट गया। थोड़ी देर बाद रेशमा ने मुझे अपने से अलग किया। अपनी जगह से उठी और मेरी चड्डी लेकर अपनी गाण्ड को पोंछा और मेरे लण्ड को पोंछा और उसको सूंघने लगी।

'क्या हुआ रेशमा.. क्या सूंघ रही हो..? '

'अपने यार का माल.. बहुत ही भीनी खूशबू है।'

यह कहकर उसको और तेजी से सूंघने लगी और फिर चाटने लगी। रेशमा मुझसे निशानी के रूप में मेरी चड्डी ले जाने के लिए माँगने लगी। मैंने भी उसे ले जाने के लिए 'हाँ' बोल दिया। ज्यादा थके होने के कारण रेशमा राहुल के बगल में लेट गई और सो गई। मैं भी दूसरे कमरे में जाकर सो गया।

सुबह राहुल की आवाज आ रही थी। वो घर चलने के लिए कह रहा था.. जबकि रेशमा राहुल के ऊपर चिल्ला रही थी। मैं नंगा ही उसके कमरे में गया और राहुल से पूछा- क्या हुआ.. रेशमा क्यों चिल्ला रही है?

तभी रेशमा बोली- कल रात देखा नहीं क्या इस कुत्ते हरामी ने किस तरह मेरी गाण्ड फाड़ी है.. मैं मना कर रही थी.. लेकिन शराब पी लेता है.. तो बस इसको तो मैं कुतिया नजर आ रही थी। अब देखो न इसकी वजह से मुझे चला नहीं जा रहा है।

'राहुल अगर तुमको ऐतराज न हो.. तो मैं इसकी गाण्ड में दवा लगा दूँ। तब तक मेरी लुंगी पहन कर अपने और रेशमा के कपड़े ले आओ।'

यह कहकर मैंने राहुल को अपनी लुंगी दे दी। राहुल कपड़े लेने बाहर चला गया। रेशमा मेरे लण्ड को दबाते हुए बोली- इस कुत्ते ने मेरी गाण्ड की क्या हालत की है और अब इस लण्ड को इसकी सजा मिलेगी। ये कहकर वो मेरे लण्ड को पकड़ कर अपने मुँह में ले गई और चूसने लगी।

राहुल के आने पर मेरे लण्ड को छोड़ कर रोने का नाटक करने लगी। राहुल उसे पुचकारता रहा.. मैं तब तक हल्का गर्म पानी ले आया और रेशमा को उल्टा लेटने के लिए कहा। राहुल से उसकी गाण्ड पकड़ कर फैलाने के लिए कहकर उस गर्म पानी से उसकी गाण्ड की सिकाई की और क्रीम लगा कर उस चड्डी को.. जिससे उसने अपनी गाण्ड और मेरे लण्ड को साफ किया था.. उसकी गाण्ड पर रख दिया। राहुल ने उसे उसकी पैन्टी के साथ-साथ पूरे कपड़े पहना दिया और दोनों लोग अपने घर के लिए चल दिए। रेशमा लंगड़ा-लंगड़ा कर चल रही थी.. पीछे मुड़ कर उंगली से अपनी गाण्ड की ओर इशारा करते हुए एक बार मौका लगने पर फिर मरवाने का वादा करके चली गई।



happy
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#77
Wink 
banana
गोवा में कामुक मस्ती

दोस्तो, ये झमेला मेरे साथ गोवा में हुआ था। बहुत से लोग अपने जीवन काल में कभी न कभी वहां गये होंगे या फिर वहां पर जाने के लिए प्लान भी कर रहे होंगे। उनके लिए यह कहानी काफी रोचक होने वाली है। जो लोग पहले से वहां पर घूम कर आ चुके हैं, वो वहां की संस्कृति से अच्छी तरह परिचित होंगे। एक समय ऐसा था कि जब गोवा में जाते थे तब वहां के शानदार बीच और खूबसूरती के अलावा विदेशी सैलानियों का खुलापन देखना भी जबरदस्त आकर्षण था। समुद्र के किनारे बीच पर यहां-वहां टू पीस बिकनी में घूमतीं विदेशी बालाएं ही अधिकतर दिखाई देती थीं। विदेशी गोरे जिस्म की मल्लिकायें वहां पर आपको खुलेआम रेत पर पसरी हुई दिखाई दे जाती थीं। कोई धूप सेंक रही होती थी तो कोई मसाज का आनंद ले रही होती थी। उनको देख कर आंखों की रौशनी कई गुना बढ़ जाया करती थी। मगर पिछले कुछ सालों से वहां पर विदेशियों की तर्ज पर ही भारतीयों ने भी वही अंदाज दिखाना शुरू कर दिया है। वहां पर भारतीय युवा पीढ़ी में भी काफी खुलापन आ चुका है। आपको सरेआम अंग प्रदर्शन करती सेक्सी लड़कियां या फिर चूमा-चाटी करते हुए कपल्स दिख जायें तो कोई हैरानी न होगी। यह प्रेमालाप देख कर अब भला दूसरे भी वही सब दोहराने की कोशिश करते हैं। वहां की एक खास बात है कि जो थोड़ा बहुत संकोच किसी में कहीं छिपा रहता है तो वो भी वहां जाकर छू-मंतर हो जाता है। गोवा जैसी जगह पर जाकर सब बिंदास हो जाते हैं। वहां पर शराब और शबाब दोनों का ही बराबर का बोलबाला है।

बात कुछ साल पहले की है जब मैं अपनी पत्नी के साथ गोवा में घूमने गया हुआ था। हम एक पैकेज टूर के माध्यम से गये हुए थे। पैकेज टूर में तो आप लोगों को पता ही है कि कई सारे कपल्स हो जाते हैं। हमारे टूर में भी कुछ कपल्स तो बिल्कुल नव-विवाहित थे। कुछ एक थोड़े मैच्योर थे। मैच्योर वाले एक कपल से हमारी अच्छी दोस्ती हो गई। वो दोनों पति-पत्नी डॉक्टरी पेशे से थे। पति गायनेकोलॉजी से था तो पत्नी ई.एन.टी. में थी। जब पहले उन्होंने बताया था तो मुझे लगा था कि पति ई.एन.टी. में होगा और उसकी बीवी गायनेकोलॉजी में होगी। लेकिन फिर बाद में पता चला कि दोनों ही इसके उलट थे। खैर, उस बात में क्या रखा है। काम तो काम ही होता है। मैंने भी इस बात के बारे में ज्यादा सोच-विचार नहीं किया। यहां पर विचार करने वाली बात थी हम दोनों ही मर्दों की मिली-जुली सोच। डॉक्टरनी साहिबा के पति के विचार मेरे विचारों से काफी मेल खा रहे थे इसलिए हम दोनों में अच्छी पट रही थी। हम दोनों ही एक जैसी रूचि के थे। मुझे भी सेक्स, पोर्न और न्यूडिटी की तलाश रहती थी और ऐसा ही कुछ विचार उनके पतिदेव का भी रहता था। चार दिन के टूर में दो दिन तो हम कपल्स ट्रैवल कंपनी के मार्गदर्शन में ही घूमे लेकिन फिर बाकी के दो दिनों में हमें अपनी मर्जी से मन मुताबिक कहीं भी घूमने की आजादी थी। उस दौरान सब ने अपनी टीम बना ली थी। हम चारों भी एक साथ हो लिये थे। हमने एक टैक्सी ली और घूमना शुरू कर दिया। नाश्ता, लंच और डिनर सब एक साथ हो रहा था। हम अब पहले से ज्यादा खुले कपड़ों में आ गये थे क्योंकि अब तक तो बाकी लोग भी साथ थे इसलिए इतनी आजादी में सांस लेने का मौका नहीं मिल पाया था। हम दोनों हस्बैंड छोटी निक्कर और टी-शर्ट में थे और हमारी पत्नियां स्लीवलेस टॉप्स और स्कर्ट में, जिसमें उनकी नाभि भी साफ दिख रही थी। मेरे साथी ने टैक्सी वाले से चुन-चुन कर कुछ ऐसी जगह पूछी जहां पर आंखों को गर्म नजारे देखने के लिये मिल जायें।

हम दोनों ने तो मालिश के भी खूब मजे लिये लेकिन हमारी बीवियां तैयार नहीं हुई इसके लिए। उन्होनें तो बस अपनी पीठ और पैरों की ही मालिश करवाई। हमारी आंखों के सामने पत्नियों के बदन की मालिश होते हुए देखना भी सुखद अनुभव था। उसके बाद हमने कंधे पर टैम्परेरी टैटू भी बनवाये। हम दोनों मर्दों ने कंधों पर बनवाये जबकि पत्नियों ने नाभि के नीचे। धीरे-धीरे अब गोवा के खुले माहौल की गर्मी हम चारों पर हावी होने लगी थी। जो डॉक्टर कपल था वो हमसे भी ज्यादा आगे था इस खुलेपन के मामले में। अगर डॉक्टर दोस्त के शरीर की बात करूं तो उम्र में मुझसे छोटा था और स्मार्ट भी था। उसकी पत्नी सांवले रंग की लेकिन सुंदर नैन नक्श वाली थी। शरीर से कुछ दुबली थी और चूतड़ भी औसत आकार के ही थे। उसके बूब्स भी ज्यादा भारी या आकर्षक नहीं मालूम पड़ रहे थे। उसके मुकाबले में मेरी पत्नी ज्यादा मांसल और गदराये बदन वाली थी। इसका कारण यह भी था कि वो अब 40 पार कर रही थी। मगर मेरी बीवी का रंग एकदम गोरा था और कूल्हे भी बड़े-बड़े। वक्षों को देख कर किसी के भी मुंह में पानी आ जायेथी। ये बात मैंने डॉक्टर की आंखों में भी नोटिस की थी। वो बार-बार मेरी बीवी को देख रहा था। इसमें मेरी बीवी की गलती नहीं थी क्योंकि उसका बदन है ही इतना आकर्षक। इसलिए मुझे कुछ खास दिक्कत नहीं थी किसी गैर मर्द को मेरी बीवी की तरफ ऐसे ताड़ने में। ड्राइवर से हमने ऐसे किसी बीच पर ले जाने के लिए बोला जहां एकांत हो, मस्ती का माहौल हो। वो हमे अंजना बीच पर लेकर गया। जो लोग गोवा गये हुए हैं वो जानते होंगे कि वहां का अंजना बीच काफी अलग है। वहां पर सिर्फ रेत का खुला मैदान है। काफी सारी बड़ी-बड़ी चट्टाने हैं जो दूर तक फैली हुई दिखाई पड़ती हैं। चट्टानों के कारण वहां पर एकांत और आड़ से काफी अच्छा माहौल बन जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि वहां पर ज्यादा खुलेपन का अहसास किया जा सकता है और किसी भी तरह का मजा लिया जा सकता है। चट्टानों की आड़ में भारतीय जोड़े कामुक क्रियाएं करने से भी परहेज नहीं करते हैं। साथ ही साथ समुद्र की लहरें चट्टानों तक आकर मजे को दोगुना कर देती हैं।

जब हम वहां पहुंचे तो वहां का नज़ारा देख कर हक्के-बक्के रह गए। वहां पर सच में बहुत से भारतीय कपल विदेशी बिकनी या छोटे कपड़ों में मजे कर रहे थे। हम भी अपने लिए ऐसा ही कोई एकांत सा स्थान ढूंढने के लिए दूर तक निकल गए। हमारी बीवियां शायद हमारा इरादा भांप गयी थी, दोनों आनाकानी कर रही थीं लेकिन उनकी चली नहीं और हमें भी एक बड़ी ऊँची और दूर तक फैली चट्टान की आड़ मिल ही गयी। इस जगह का एक फायदा और था कि यदि कोई हमारी तरफ आता तो हमें दूर से ही दिख सकता था। इस बात से हमारी बीवियों को बहुत ही तसल्ली मिली और अब वो कुछ रिलेक्स भी हो गयीं। वहां पर पहुंच कर हमने एक सूखी जगह पर अपना सामान रख दिया। हम दोनों मर्दों ने भी अपनी टी-शर्ट उतार दी और उन्हें भी बिकनी पहनने के लिए बोला जो वो दोनों ख़ास गोवा के लिए ही लायी थीं। मगर अभी तक उनको वह बिकनियां पहनने का सुअवसर मिल ही नहीं पाया था। इसलिए वो थोड़ी उत्साहित लग रही थीं। मगर उनके सामने अब एक और समस्या थी कि दोनों के सामने ही गैर मर्द थे, वो भी अर्धनग्न अवस्था में, थोड़ी शर्म आनी तो जाहिर सी प्रतिक्रिया थी। डॉक्टर की पत्नी के लिए मैं गैर था और मेरी पत्नी के लिये डॉक्टर गैर था। इसलिए दोनों की ही बीवियां एक दूसरे के चेहरे को देख रही थीं। डॉक्टर की नजर मेरी बीवी के बदन पर जैसे गड़ी जा रही थी।

वो बोला- भाभी, ऐसी भी क्या लाज है, यहां पर हम चारों के अलावा और कौन है। आप निश्चिंत होकर कपड़े बदल लो। मेरा मन भी काफी देर से आपको देखने के लिए कर रहा था।

मैंने भी उसकी बात को सपोर्ट करते हुए

अपनी बीवी से कहा- हां, सही तो कह रहे हैं ये, यहां पर भी क्या शर्म! बार-बार ऐसे मौके कब मिलते हैं और ऐसे खुले दिल के लोग भी नहीं मिलते हैं। इसलिए ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है। इस मौके को इस तरह संकोच में जाया मत करो और इनकी वाइफ को भी बोल दो कि वो भी जल्दी से चेंज कर लें। जिस नजारे का हम दोनों दोस्त बेसब्री से इंतजार कर रहे थे अब वह हमारे सामने शुरू हो ही गया था। पहले डॉक्टर दोस्त की बीवी ने ही पहल की। उसने अपने टॉप और बाकी कपड़ों को उतार दिया। अब वह सिर्फ पेंटी और ब्रा में ही थी। ऐसा करने के बाद उसने मेरी पत्नी के कपड़े उतरवाने में भी मदद की और खुद उसके पास जाकर अपने हाथ से मेरी बीवी के कपड़े उतारने लगी। मेरी वाइफ एकदम भरी-पूरी माल है। बूब्स और कूल्हे बहुत मस्त और बड़े हैं। ब्रा और पेंटी उन्हें पूरी तरह नहीं छुपा सकते हैं। जब मेरी बीवी ने कपड़े निकाले तो वहां पर भी यही हुआ। मेरी बीवी के बूब्स आधे से ज्यादा दिख रहे थे और उसकी चड्डी भी गांड को छुपा नहीं पा रही थी। डॉक्टर की बीवी का फिगर भी मस्त था। वह हम से उम्र में कम भी थी। उसके बूब्स औसत थे लेकिन गांड उसकी भी सही थी। कपड़ों के अंदर से उसके जिस्म का सही अंदाजा नहीं लग पाया था पहले। मगर जब उसने कपड़े उतारे तो पता चला कि माल बुरा नहीं था। अब जब किसी गैर की बीवी सामने कपड़े उतार रही हो तो नजर कब तक न जाती भला। जाहिर था कि हम दोनों ही एक दूसरे की बीवी को ही निहार रहे थे और फिर जब वह मोनोकिनी (वन पीस बिकिनी जिसमें थोड़ा बदन ढ़क जाता है) पहनने का सोच रही थी तो हम दोनों ने ही मना कर दिया और कहा कि तुम इन पेंटी और ब्रा में ही बहुत मस्त लग रही हो।

वह दोनों इस बात पर बहुत हंसी और बोलीं- कितने बदमाश हो तुम दोनों।

इतना कहकर वो दोनों ही मोनोकिनी पहनने का उपक्रम करने लगीं। लेकिन मेरे दोस्त ने मेरी वाइफ के हाथ से मोनोकिनी लगभग छीन ली और अपनी बीवी को भी मोनोकिनी पहनने से मना कर दिया। गोवा के माहौल और वहां आस-पास मौजूद सेक्सी कपल्स की वजह से हमारी वाली दोनों बीवियां भी थोड़ी बिंदास हो गई थीं और ऐसा लग रहा था कि खुले जिस्म पर गोवा की ठंडी हवा का उन पर असर होने लगा था जिससे अब वह थोड़ी खुल रही थी और बेबाक भी हो चली थीं। उन दोनों ने भी मोनोकिनी पहनने में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई और फिर सब सामान को समेट कर एक तरफ रख दिया। हम दोनों ही उनकी तरफ बढ़े और अपनी-अपनी बीवियों को आलिंगन में लेकर उनके ऊपर चुम्बनों की बारिश सी करने लगे। ऐसे खुले माहौल में औरत के कोमल बदन से लिपटने में अलग ही मजा आ रहा था। वह दोस्त अपनी पत्नी को आलिंगन में लिए हुए भी मेरी ही पत्नी को निहार रहा था और तुरंत ही उसने मेरी तरफ देखते हुए

बोला- तुम लोग बहुत अच्छे मिल गए, गोवा आने का पैसा वसूल हो गया। अगर तुम दोनों नहीं आते तो यहां पर ऐसा मजा शायद ही मिल पाता।

उसकी नजरों में मुझे हवस टपकती हुई साफ दिखाई दे रही थी। अपनी पत्नी से अलग होकर वह हम दोनों के पास आया और बिना कोई देर लगाए मेरी पत्नी को गहरे आलिंगन में ले लिया और उसके गालों पर किस कर दिया। दोस्तो, जैसे ही उसने मेरी पत्नी के अर्धनग्न जिस्म को आगोश में लिया तो मेरी उत्तेजना चरम पर पहुंच गई। मैंने भी बिना समय गंवाए उस सेक्सी डॉक्टरनी बीवी को बांहों में भर लिया। वह थोड़ा घबरा सी गई। पहले जब मैं उसको चूमने की कोशिश कर रहा था तो वह थोड़ी असहज महसूस कर रही थी। मगर फिर मैंने अपनी बीवी की तरफ इशारा किया। उसको दिखाया कि उसका मर्द मेरी बीवी के साथे कैसे मजे ले रहा है। वो फिर भी थोड़ी हिचकती रही। लेकिन जब उसने अपने पति को मेरी बीवी के जिस्म के साथ मस्ती करते हुए लिपटते देखा तो उसने भी धीरे-धीरे अपने जिस्म को मेरी बांहों में समा जाने दिया। हम दोनों मर्द जिस वक्त का बहुत बेसब्री से इंतजार कर रहे थे वह यूं अचानक आ जाएगा हमें इसका अंदाजा न था।

हम दोनों ही मर्द उत्तेजित अवस्था में केवल निक्कर में थे और हम दोनों की ही पत्नियां सिर्फ पेंटी और ब्रा में ही हमारे साथ थीं और हम उनके जिस्म से लिपट रहे थे। बहुत मजा आ रहा था। मेरी इस बात को वही समझ सकता है जिसने किसी गैर की बीवी के जिस्म को भोगा हो। भारत में इस तरह की सोच बहुत उत्तेजक लगती है। लेकिन दोस्तो, गोवा का माहौल ही ऐसा है कि वहां ये सब कुछ हो जाता है। यही हम चारों के साथ हुआ क्योंकि जहां हम पहले चट्टानों के पीछे छुपने का सोच रहे थे वहां अब हालत यह थी कि हम नाम मात्र के कपड़ों में ही चूमा-चाटी कर रहे थे। इससे भी आगे बढ़ कर हम अब हालत ऐसी होती जा रही थी कि पहले जहां बाकी कपल्स की नजरों से काफी दूर होकर भी हमारी बीवियों को कपड़े उतारने में संकोच हो रहा था, अब वही बीवियां हम दोनों मर्दों के आधे नंगे जिस्मों से नागिन की तरह लिपटने लगी थीं। माहौल की गर्मी का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि चट्टानों के पीछे से चल कर अब हम चारों के चारों ही बाहर खुले में आ गए थे। वहां बहुत तेज हवा चल रही थी। तेज बहती हवा में दोनों ही सेक्सी औरतों के बाल उड़ रहे थे। दोनों बहुत मस्त लग रही थी। जब हम खुले में आए तो वहां हमारे जैसे दो-तीन और कपल भी थे जो हमें बाहर आने के बाद दिखाई दिये। यहां यह बताना जरूरी होगा कि हमारे साथ हमारी बीवियां निहायत उत्तेजक लग रही थीं। इसलिए जो दूसरे मर्द हमारे आस-पास मौजूद थे, अपने पार्टनर के साथ वो भी हमारी बीवियों के जिस्म को निहारने से कोई परहेज नहीं कर रहे थे। काफी देर तक चूमा-चाटी करने के बाद मेरा लंड तो तन कर ठोस हो चुका था। मन कर रहा था कि इसको भी पूरी आजादी दे दूं लेकिन भारतीय होने के नाते थोड़ा लिहाज करना भी जरूरी था। उसके बाद हम चारों नहाने के लिए समुद्र की ओर चल पड़े।

समुद्र की अठखेलियां करती हुई लहरें हमारी तरफ जब पहुंच रही थी तो दिल में अलग ही तरंगें सी पैदा हो रही थीं और वह नजारा बेहद रोमांचकारी लग रहा था। अगले कुछ ही मिनट के अंदर हम लोग समुद्र की उफान भरती हुई झाग वाली लहरों के बीच में थे। पानी में पहुंचने के बाद जो हुआ उसने लंड में जैसे आग ही लगा दी। अगर आप नहीं सोच पा रहे हैं तो बता ही देता हूं कि जो ब्रा और पैंटी हमारी बीवियों ने पहनी हुई थी वो पानी में भीगने के कारण उनके चूचों और चूतड़ों से एकदम जैसे चिपक ही गई थी। अब अंदाजा लगा सकते हैं कि ब्रा और पैंटी जो पहले से औरत के जिस्म में गड़ी हुई हो तो वह भीगने के बाद किस तरह से उसके चूचों और गांड को सबके सामने उभार दे रही होगी। चूचों के निप्पल तक उठे हुए साफ दिखने लगे थे। पैंटी भी गांड में जैसे अंदर ही घुसने को हो गई थी। आह्ह ... वो नजारा तो सच में बहुत ही उत्तेजक था जिसमें समुद्र के पानी ने अपनी भूमिका बखूबी निभाई। अब तक तो हम एक-दूसरे की बीवियों को वैसे ही देख कर इतनी उत्तेजना महसूस कर रहे थे लेकिन जब उनकी ब्रा और पैंटी भीग गई तो आप हमारी हालत के बारे में सोच सकते हैं। मेरी पत्नी का ऊपर वाला हिस्सा तो जैसे नग्न ही होने वाला था क्योंकि उसके चूचे भी इतने भारी थे कि गीली ब्रा तो उनको किसी हाल में संभाल नहीं पा रही थी। मेरी बीवी की गीली ब्रा बार-बार उसके बूब्स पर से फिसल कर नीचे जा रही थी और कई बार उसके बूब्स अपने जोड़े को छोड़कर बाहर झांक चुके थे। जिनको वो बार-बार ढकने का व्यर्थ प्रयास करती दिखाई दे रही थी। इधर मेरा डॉक्टर दोस्त इस नजारे का भरपूर मजा ले रहा था। वो मेरी बीवी के नजदीक ही था। अब मेरी बीवी थोड़ी सी परेशान होकर

कहने लगी- यह तुम दोनों का ही प्लान था न हम दोनों को इस तरह सबके सामने नंगी करने का? यह तुम्हारी अच्छी बात नहीं है।

मैंने भी कह दिया- जब तुम्हारे बूब्स ही बाहर आने को बेताब हो रहे हैं तो तुम क्यूं उनको बेवजह कैद करके रखना चाह रही हो?

मेरी इस बात पर मेरी पत्नी खीझते हुए हंसने लगी।

मैंने कहा- सही तो कह रहा हूं। इसमें इतना छुपाने की क्या बात है, सब तो मजे ले रहे हैं, तुम भी ले लो।

मेरे मन में पता नहीं क्या आया कि मैंने मजाक और वासना के वशीभूत होकर अपनी बीवी की ब्रा को निकाल दिया। उसके मोटे चूचे उसके गीले बदन पर झूलने लगे। ऊपर से ब्रा अलग होने के बाद वो केवल पैंटी में ही पानी के अंदर खड़ी थी। पैंटी भी ऐसी कि उसको नाममात्र ही कहा जाये तो सही रहेगा। माहौल में गर्मी और बढ़ गई थी मेरी इस हरकत के बाद। मेरी बीवी के नंगे चूचों को देख कर अब मेरे डॉक्टर दोस्त को भी यही शरारत सूझी और उसने भी अपनी बीवी की ब्रा को निकलवा दिया। दोस्त की बीवी के बूब्स की असली खूबसूरती तो अब मुझे दिखाई दी। जहां मेरी पत्नी के बूब्स बड़े भारी और थोड़े लटके हुए थे वहीं दोस्त की बीवी के चूचे मीडीयम साइज के थे लेकिन उभरे हुए थे। उसके निप्पल का घेरा गहरे काले रंग का और बड़ा था। मेरी वाइफ दूध जैसी गोरी है इसलिए निप्पल भी एकदम गुलाबी और छोटे-छोटे हैं मेरी बीवी के। अब हम चारों लोग समुद्र की उफनती हुई लहरों में मस्ती करने लगे, उछलने लगे, एक दूसरे पर पानी फेंकने लगे और एक दूसरे की बीवियों के साथ ज्यादा खुल गए। मैं बार-बार देख रहा था कि वह दोस्त मेरी बीवी के नंगे जिस्म को पकड़ रहा था। समुद्र की लहरों से मेरी वाइफ की अंडरवियर भी बार-बार सरक रही थी। वो उसके कूल्हों से सरक कर उसकी गोरी सी गांड के दर्शन करवा देती थी और मेरी पत्नी अपनी गांड को फिर से ढकने की कोशिश करती और इसका मजा वह दोनों पति-पत्नी भी ले रहे थे। तभी मुझे शरारत सूझी और

मैंने कहा- आज हम चारों के पास एक मौका है। हम खुले आसमान में पूरी तरह नग्न हो सकते हैं, ऐसा मौका फिर जिंदगी में दोबारा नहीं मिलेगा।

मेरे इस प्रस्ताव को दोनों औरतों ने सिरे से नकार दिया। मगर मेरे दोस्त को सुनकर मजा आ गया और उसने कहा भी वही।

वो बोला- अब हम लोगों के जिस्म पर ज्यादा कपड़े हैं भी तो नहीं, वैसे भी अब हम लगभग नंगे ही हैं। तो फिर एक कपड़ा और उतारने में क्या ऐतराज है?

लेकिन पत्नियों ने दोनों ही मर्दों में से किसी की नहीं सुनी और बोली- हम अभी तक इतना को-ऑपरेट कर रही हैं वही काफी है। ज्यादा हवा में उड़ना भी ठीक बात नहीं है। पूरे नंगे होने का आइडिया बिल्कुल अच्छा नहीं है।

इधर मेरा दोस्त बहुत ही ज्यादा उत्तेजक हो चला था और

बोला- नहीं भाभी, मुझे तो आपको आज पूरी तरह नंगी देखना ही है।

मगर मेरी बीवी ने उसकी इच्छा को नकारते हुए साफ मना कर दिया। हम दोनों ने काफी मनाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं मान रही थी। उसके बाद मैंने एक और सुझाव दिया।

मैंने कहा- ठीक है, ऐसा करते हैं कि हम थोड़े से और गहरे पानी में चलते हैं। वहां पर अगर नीचे से नंगे हो भी गये तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। अगर कमर तक पानी रहेगा तो वहां जाकर हम आरामसे अपना अंडरवियर उतार सकते हैं। मैंने कहा कि एक बार बस अंडरवियर उतार कर उसको ऊपर हाथ में लेकर हवा में लहरा देंगे। इतना सा ही काम तो करना है। दोनों की बीवियों ने एक दूसरे को देखा और बेमन से राजी हो गईं। उसके बाद हम चारों गहरे समुद्र में जाने लगे। वहां जाकर भी दोनों औरतें संकोच कर रही थीं। इसलिए मैंने उनके काम को आसान करने के मकसद से अपनी बीवी का अंडरवियर खुद ही उतार दिया। अपनी बीवी की चड्डी उतार कर मैंने अपने दोस्त के हाथ में दे दी। मेरी इस हरकत पर मेरी पत्नी मुझे गुस्से से मारने के लिए पानी में ही मेरी तरफ दौड़ी। मगर मेरे दोस्त की उत्तेजना इतना बढ़ गई कि उसने मेरी बीवी को बीच में ही अपनी गोद में उठा कर पानी से ऊपर कर दिया। मेरी नंगी बीवी मेरे दोस्त की बांहों में लटकी हुई थी। इधर मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए उसकी बीवी को अपनी गोद में उठा लिया और उसको आलिंगन करने लगा। अब माहौल इतना गर्म हो गया कि नहाने की बजाय चूमा-चाटी होने लगी वहीं पर। चूंकि मेरी बीवी नंगी थी इसलिए मैंने दोस्त की बीवी को भी नंगी करने के लिए उसकी पेंटी में हाथ देकर उसको खींचना शुरू किया लेकिन वो मुझसे मिन्नतें करते हुए मना करने लगी। मगर फिर भी मैंने उसकी बीवी की पैंटी में हाथ डाल ही दिया। इधर मेरा दोस्त मेरी पत्नी के साथ भरपूर मस्ती करने में लगा था। बहुत खुल कर मजे ले रहा था और मेरी बीवी की तो जैसे ही वासना की चिंगारी सुलगती है वह निहायत ही बेशर्म बन जाती है। मेरी बीवी की उत्तेजना उसको बेशर्म बना देती है। ऐसा ही कुछ वह यहां कर रही थी। वह जिद पर अड़ गई कि जब वह खुद नंगी है तो उसे (मेरे दोस्त को) भी नंगा करेगी। मगर उस बेवकूफ औरत को यह पता नहीं था कि ऐसे उत्तेजना भरे माहौल में तो मर्द खुद ही नंगा होने के लिए बेचैन हो उठता है। मेरे दोस्त का हाल भी वैसा ही था। मेरी बीवी की पहल पर उसने आसानी से अपनी निक्कर उतार दी। मेरी पत्नी मेरे दोस्त का तना हुआ लंड अपने हाथ में लेकर उसकी बीवी को दिखाने लगी।

दोस्त की बीवी बोली- बहुत अच्छा किया।

इस बात पर मैं भी मुस्करा दिया।

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#78
Wink 
अब मेरे दोस्त ने जब ये देखा कि जब इन पति-पत्नी को इस तरह गैर की बांहों में मस्ती करने से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है तो उसकी हिम्मत और बढ़ गई। वो उसी अवस्था में मेरी बीवी के उन्नत वक्ष अपने मुंह में लेकर चूसने लगा, उनको चाटने लगा। अब मेरी पत्नी भी उसके लंड को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी। दोनों ही मजा ले रहे थे। मैंने भी मौके का फायदा उठाया और उसकी पत्नी के बूब्स को चूसना शुरू कर दिया। मुझे इस बात से तसल्ली भी हुई कि उसकी पत्नी भी मेरा सहयोग कर रही थी। इसी बीच मेरा वह दोस्त और मेरी पत्नी हम दोनों आलिंगनरत जोड़े के पास आए और मेरी बीवी ने मेरी अंडरवियर और उसके पति ने अपनी पत्नी की अंडरवियर पूरी तरह निकाल कर अलग कर दी। इस बार उसकी पत्नी ने भी कोई आपत्ति नहीं की और अब गोवा के खुले समुद्र में आसमान के नीचे हम चारों पूर्णतया निर्वस्त्र हो गए। अब हमें यह डर भी नहीं था कि आस पास के सेक्सी कपल भी हमारी नग्न मस्ती को देख रहे थे और देखते हुए मजे ले रहे थे। कुछ देर मस्ती करने के बाद फिर सोचा कि कुछ नया किया जाए इसलिए मैंने सुझाव दिया कि इन दोनों औरतों को थोड़ा दूर रेत में पूर्णतया नग्न अवस्था में ऐसी जगह लिटा दिया जाए जहां समुद्र की लहरें इन दोनों के ऊपर आएं और स्वयं ही फिर बह कर उतर जाएं। दोनों के हाथ सिर के ऊपर कर दिए जाएं और दोनों पैरों को चौड़ा कर दिया जाए जिससे कि चूत लहरों के सामने खुल जाए और फिर समुद्र की लहरें उन पर आने दी जाएं। और सच में यह बहुत ही कामुक मुद्रा थी। दोस्त की वाइफ तो बिल्कुल भी तैयार नहीं हुई लेकिन मैंने अपनी वाली को मना लिया। वैसे भी अब उसका जिस्म सुलग चुका था और बेशर्मी उस पर हावी थी क्योंकि पानी से बाहर आते ही दोस्त की बीवी ने तो अपनी अंडरवियर पहन ली थी लेकिन मेरी वाली बेधड़क नंगी ही रेत पर चल रही थी। मेरी पत्नी इस बात के लिए भी तैयार हो गई थी। हम तीनों ने मिल कर उसको नंगी ही रेत पर बताई हुई मुद्रा में लेटा दिया और फिर हमें एक शरारत और सूझी। हम तीनों ने उसके नंगे जिस्म को गीली रेत से ढक दिया। बहुत मजा आ रहा था उन दोनों कपल्स को मेरी बीवी के नंगे जिस्म के ऊपर रेत डालते हुए। कुछ ही देर में मेरी बीवी का समूचा जिस्म रेत में दबा दिया गया था। चूचों वाली जगह पर चूचों की शेप बना दी गई थी। ऐसा करने के बाद हम तीनों एक बड़ी लहर के आने का इंतजार करने लगे। तभी समुद्र की एक बड़ी उफनती हुई लहर आई जो उसके जिस्म को पूरी तरह पानी में डुबा गई और फिर जब वह लहर वापस लौटी तो पीछे छोड़ गई मेरी पत्नी का पूर्णतया निर्वस्त्र फैला हुआ जिस्म। यह सब कुछ देखना बहुत ही उत्तेजक लगा लेकिन तभी मेरी पत्नी चिल्लाते हुए एकदम उठ बैठी और उसने अपनी चूत के ऊपर हाथ रख दिए। हम समझ नहीं पाए कि क्या हुआ लेकिन वह बहुत परेशान लग रही थी।


मैंने पूछा- क्या हुआ?

इधर दोस्त भी घबरा गया और उसकी पत्नी भी। उसकी पत्नी ने मेरी बीवी की चूत से उसके हाथ हटाकर उसकी चूत को खोलकर देखा तो पता पड़ा कि उसकी चूत में काफी अंदर तक समुद्र की रेत चली गई है। हमने भी देखा कि उसकी चूत में काफी ज्यादा रेत भर गई थी और उसे तकलीफ हो रही थी। हमारी सारी मस्ती हवा हो गई। हम लोग कुछ समझ नहीं पा रहे थे कि अब क्या किया जाये? हमारी यह उत्तेजना की चाहत मेरी बीवी के लिए शामत बन गई थी। हम सभी ने उसकी चूत पर फ्रेश पानी डाल-डाल कर चूतसे रेत बाहर निकालने की कोशिश की। फिर हम लोग वहां ज्यादा देर नहीं रुके और सीधे होटल के रूम में आ गए लेकिन उसको तकलीफ अभी भी थी। यह सब पता पड़ रहा था उसके चलने के अंदाज से। दोस्तो, हमारा वह कपल दोस्त और उसकी वाइफ अब डॉक्टर के अवतार में आ गए और

बोले- इसको नजरअंदाज करना सही नहीं है। ज्यादा प्रॉब्लम हो सकती है। हमें पूरी तरह से चूत को क्लीन करना ही होगा।

"चूत को क्लीन करना होगा!"

यह सुन कर मेरी वाइफ घबरा गई, शर्मा गई।

जो लड़की कुछ देर पहले तक खुले बीच पे बिंदास बनी हुई थी; अब थोड़ा थोड़ा घबरा रही थी।


लेकिन उन्होंने कहा- यह बहुत नाजुक हिस्सा है आगे प्रॉब्लम हो सकती है।

और फिर उसकी वाइफ ने भी कहा- ये तो खुद गाइनेकोलॉजिस्ट हैं और बहुत पर्फेक्ट हैं अपने काम में और मैं खुद भी तो साथ में हूं।

मेरी बीवी कुछ आश्वस्त हुई, उसने नाइटी पहन ली। हम लोग होटल के बाथरूम में चले गए। बहुत बड़ा बाथरूम था। वहां जाकर मेरी पत्नी को मेरी गोदी में सिर रख कर लिटा दिया गया। उसकी वाइफ ने मेरी पत्नी की नाइटी एकदम ऊपर कर दी और फिर पेंटी भी उतार दी। अब एक बार फिर मेरी पत्नी लगभग निर्वस्त्र हो चुकी थी। अब डॉक्टर ने उसके दोनों पैरों को यथासंभव चौड़ा करने को बोला। यह बहुत ही शर्मनाक स्थिति थी लेकिन जरूरी थी। मेरी पत्नी ने अपने दोनों पैरों को ऊपर किया और मैंने उसके पैरों के ज्वाइंट में अपने हाथ फंसा कर उसकी चूत को एकदम पूरी तरह से खोल दिया क्योंकि मुझे बोला गया कि मैं उसके दोनों पैरों को जितना ज्यादा चौड़ा कर सकता हूं, करके पकड़ लूं। मैंने ऐसा ही किया। अब उसकी चूत पूरी तरह से खुल गई थी।

मेरी पत्नी इस समय निहायत ही शर्मनाक स्थिति में थी, उसके दोनों पैर चौड़े थे और चूत एकदम खुली हुई थी। उसके बाद बाथरूम में गांड साफ करने वाला प्रेशर वाटर जेट लेकर मेरी वाइफ की चूत में पानी की तेज़ धार डाली गई और वह डॉक्टर दोस्त मेरी बीवी की चूत में अंदर तक दो उंगलियाँ डालकर रेत का एक-एक कण बाहर निकाल रहा था। इस काम में उसकी पत्नी भी उसका सहयोग कर रही थी। और अपनी चूत में पराए मर्द के स्पर्श और अंदर हाथ डालने से मेरी पत्नी और उसे देख रही मेरे दोस्त की पत्नी और हम दोनों मर्द यानि हम चारों बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगे। मेरा लंड खड़ा हो गया था। मेरी बीवी को भी मज़ा आ रहा था। माहौल उत्तेजक हो गया। डॉक्टर मरी बीवी की चूत में अंदर तक उंगलियाँ डालकर सहला रहा था। उसका यह सब करना मेरी पत्नी को बहुत आनंद ले रहा था क्योंकि उसकी आहें और सिसकारियां निकलने लगी थी।

अब मैंने टोका- हो गई साफ?

जवाब मेरी बीवी ने कहा- नहीं ... नहीं हुई, करते रहो।

मैंने पूछा- पूरी तरह से साफ हो जाएगी ना?

क्योंकि पानी की धार भी लगातार उसकी चूत में बहुत अंदर तक जा रही थी।

तब डॉक्टर बोला- हां शायद हो गई साफ ... लेकिन इसे पूरी तरह से चेक करना पड़ेगा। और इसका ज्यादा सही तरीका यह है कि कोई इसकी चूत पर मुंह रख कर जोर से सकिंग करें और जीभ अंदर तक डालें क्योंकि महीन रेत जीभ पर ही चिपक कर बाहर आ सकती है।

मेरी वाइफ की चूत में वासना की आग लग चुकी थी।

वह उसे बोली- आःह्ह ओह ... तो करो ना ... तुम डॉक्टर किस काम के हो?

वह मुझ से बोला- आप भी कर सकते हो।

मेरी पत्नी तुरंत बोली- नहीं, इनके बस की बात नहीं है; डॉक्टर तुम हो तो तुम ही करो।

डॉक्टर ने एक नजर अपनी बीवी की तरफ डाली,

उसकी बीवी भी शरारत से बोली- हां हां कर सकते हो, तुम चूत चूसने में बड़े उस्ताद हो, मुझे पता है।

और फिर उसने काफी सारा पानी उसकी चूत में भरकर अपना मुंह उसकी चूत के होठों पर रख दिया और कस के चूत का रस चूसने लगा। आनन्द भारी चीख निकल गई मेरी बीवी की। यह सब करतब देख कर डॉक्टर वाइफ भी आहें भरने लगी। साला कमीना डॉक्टर बहुत ही तल्लीनता से मेरी बीवी की चूत अंदर तक जीभ घुसा घुसा के चूस रहा था। मेरे नजदीक खड़ी उसकी वाइफ उत्तेजना के मारे मुझ से सट गई। जब डॉक्टर मेरी बीबी की चूत को भरपूर चूस चुका तो बोला- क्लीन तो हो गई।

लेकिन मेरी वाइफ की चूत सुलग चुकी थी, वो बोली- ऐसे कैसे पता कि क्लीन हुई या नहीं?

यह कहते हुए उसने अपनी चूत में उसके चेहरे को भींच लिया। उसने अपना चेहरा उसके पैरों के बीच से निकाला और

बोला- अब यह तो सेक्स करके ही पता चलेगा। अंदर मर्द की मलाई जायेगी तो रेत अगर कुछ अंदर हुई तो उसमें लिपट कर बाहर आ जायेगी।

वह एकदम बैठ गई और गिरेबान से उसे पकड़ कर अपनी तरफ खींचती हुई

बोली- तो फिर करो ना डॉक्टर बाबू; ऐसे अधूरा इलाज मुझे पसंद नहीं है।

उसके मुंह से यह सुनते ही बाथरूम में सन्नाटा सा छा गया और उत्तेजना के मारे मेरा और उसकी वाइफ का भी बुरा हाल था। और इस बार हम लोग खुले बीच पर नहीं बल्कि बंद बाथरूम में थे।

तो फिर सबका संकोच जाता रहा। मैंने यह भी नोट किया कि उसकी वाइफ चिढ़ने के बजाए खुद भी उत्तेजित हो रही थी आनंद ले रही थी। आजकल की खुले विचारों वाली औरतें सेक्स संबंधों को लेकर बहुत बिंदास हो गई हैं। एक मेरी वाली लगभग नंगी पड़ी थी सेक्स के लिए तैयार।

डॉक्टर ने कहा- तो फिर सेक्स तो सेक्स के तरीके से ही होगा मैडम।

और यह बोलते हुए उसने अपनी वाइफ को इशारा किया और उसकी वाइफ ने मेरी वाइफ की नाइटी पूरी की पूरी उतार कर उसे पूर्णतया नग्न कर दिया और फिर

मुझे बोला- मैडम को बेडरूम में ले चलते हैं।

हम दोनों उसके नंग धड़ंग जिस्म को डन्गा डोली करते हुए बिस्तर पर ले आए और इस बार डॉक्टर की वाइफ ने मेरी बीवी के पैर ऊंचे और चौड़े कर दिए। और यह देख कर मेरा उत्तेजना के मारे खुद बहुत बुरा हाल था; यह एक जबरदस्त सेक्स अनुभव होने वाला था हम सभी के लिए। अब तक डॉक्टर महाशय खुद को नग्न कर चुके थे, उसका लन्ड विकराल रूप में तन तना रहा था, खड़ा हुआ था। और फिर उसकी पत्नी ने उसे

आमंत्रित किया- आओ डॉक्टर साब ... अपनी मरीज का इलाज शुरू करो।

डॉक्टर आगे बढ़ा और मेरी पत्नी के ऊपर सवार हो गया। उसका लंड मेरी बीवी की चूत के द्वार पर दस्तक दे रहा था। उसकी बीवी ने अपने पति का लंड पकड़ा और मेरी बीवी की चूत पर रगड़ने लगी। लंड के सुपारे से चूत की भगनासा को मसल मसल के सहलाया। मेरी बीवी की चूत अब अपना चिकना पानी छोड़ रही थी और लंड को निगलने के लिए खुल चुकी थी, खिल चुकी थी। और तब डॉक्टर की बीवी ने

अपने पति को कहा- मेरा बागड़बिल्ला ... ठोक दे अपना किल्ला।

डॉक्टर ने बहुत ही आहिस्ता से अपना लन्ड मेरी बीवी चूत की चूतराई में धंसा दिया। उसकी चीख निकल गई, आनन्द के मारे वो पैर पटकने लगी।

और अब मेरी बारी थी ... वासना की आग में जल रही उसकी युवा पत्नी को मैंने आलिंगन में लिया और उसे भी निर्वस्त्र किया जिसमें उसने मुझे भरपूर सहयोग किया। और फिर मैंने भी अपने आपको नंगा किया और वासनामयी प्रेमालाप के साथ शुरुआत कर दी। अब दो नग्न जोड़े अदला बदली के साथ एक ही बिस्तर पर संभोग क्रिया का आनंद ले रहे थे। दोस्तो, जब से हम आपस में मिले थे, हम दोनों के ही दिल में पत्नी की अदला बदली का ख्याल था। लेकिन कैसे? यही सोच रहे थे। और अब पत्नी की चूत में रेत की आफत या शामत जो भी थी ... हम सब के लिए नियामत बन गई थी। मेरी पत्नी की चूत को भी शायद आराम आ गया था, रेतसे निजात मिल चुकी थी क्योंकि डॉक्टर ने अपना सारा वीर्य मेरी बीवी की चूत में छोड़ दिया था। इधर मैंने भी डॉक्टर की बीवी को चोद कर उसे चरमसीमा तक पहुंचा दिया था। जब डॉक्टर मेरी बीवी के नंगे बदन पर से उठा तो उसकी बीवी ने मुझे उसके ऊपर से हटने को कहा। मैं हट गया। मेरा वीर्य उसकी चूत में से बह कर बाहर आ रहा था लेकिन उसने इसकी परवाह नहीं की और वो एक साफ़ नेपकिन लेकर मेरी बीवी की ओर बढ़ी। उसने उस नेपकिन से मेरी बीवी की चूत में से बह रहे अपने पति के वीर्य को पौंछा और फिर ध्यान से नेपकिन पर लगे वीर्य को देखने लगी। तभी उसने हम दोनों को संबोधित करते हुए

कहा- देखो, इसमें रेत के कण हैं।

हम दोनों ने देखा तो सच में वीर्य में रेत था।

मेरी बीवी बोली- देखा ... हमने ठीक किया ना।

मैंने और मेरी पत्नी ने सोचा भी नहीं था कि थोड़ी सी मस्ती इतनी महंगी पड़ जाएगी। लेकिन उस कपल ने अपने काम को बखूबी अंजाम दिया। उस दिन हम लोगों को यह सीख मिली कि कामुक मस्ती में होश नहीं खोना चाहिए वरना लेने के देने भी पड़ जाते हैं। कामुक मस्ती में सावधानी भी उतनी ही जरूरी होती है वरना ऐसी स्थिति किसी के साथ बनने में भी देर न लगेगी।

समाप्त!
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#79
Heart 
;)

दोस्त की बहन - दीपिका



दीपिका से मेरी मुलाक़ात थोड़ी लेट हुई थी. वो मेरे दोस्त मुकुल के मामा की बेटी थी और गजब की सेक्सी थी. 


एक बार हम उसके यहां गए थे तो उसके हमें पानी दिया था तब मैंने दीपिका को पहली बार देखा था. उन दिनों मैं मुकुल की बहन मोनिका को चोद रहा था तो दीपिका को पटाना मुझे सही नहीं लगा. वो मेरे लंड को बेचैन कर देती थी पर मैंने उस पर ध्यान देना कम कर दिया और मुकुल की बहन मोनिका और बीवी अनुराधा को चोदने में बिजी रहने लगा. 

मुझे यही डर था कि एक ही घर की तीन लड़कियों को चोदने के चक्कर में मेरे अपने लौड़े ना लग जाए. 

पर दीपिका मेरे दिमाग से निकल नहीं रही थी. फिर मेरे जिग्री दोस्त सौरभ ने बताया कि उसने दीपिका को प्रपोज किया और दीपिका ने हां कर दी. तो मैंने दीपिका का ख्याल अपने मन से लगभग निकाल ही दिया. वैसे भी दीपिका को पटाने के हालात नहीं थे और में अनु और मोनिका को चोदने में बहुत बिज़ी था .

सौरभ मुझे अपनी और दीपिका की चुदाई की कहानियां सुनाता था. उसने मुझे बताया था कि, "यार कपड़े उतारने के बाद तो दीपिका और भी सेक्सी लगती है. जो औरतों का गोरा होता है वो दीपिका का गुलाबी है और जो गुलाबी होता है वो लाल है. ये सब बातें सुन कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था और मैं मोनिका की और जोर से चुदाई करता था.

सौरभ को पाता था कि मैं मोनिका को चोदता हूं लेकिन अनु की चुदाई के बारे में उसे नहीं पता था. 


दीपिका की चुदाई के बारे में सुन कर मेरा फिर से उसे चोदने का मन करने लगा. दीपिका मुझे पसंद करती थी लेकिन अब वो सौरभ के साथ थी और वो इस तरह की लड़की नहीं थी कि मुझसे भी चुदाई करवा लेती.

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एक दिन मैं और सौरभ उसके घर बैठे थे. सौरभ अकेला रहता था और उसका और दीपिका का घर आस पास थे. सर्दियों के दिन थे और सौरभ चाय बना रहा था. तभी उसके ऑफिस से फोन आया और वो ऑफिस चला गया. वो मुझे बोल कर गया था कि अगर दीपिका आएगी तो उसे बता देना की वो ऑफिस गया है.

बाहर का दरवाजा खुला था और मुझे नींद आने लगी. मैं लाइट बंद कर के कम्बल ओढ़ के सो गया. जल्दी ही मुझे नींद भी आ गई. अचानक कम्बल के हिलने से मेरी नींद खुली तो मैंने महसूस किया कि कोई लड़की कम्बल में घुस रही है. कमरे में बिल्कुल अंधेरा था. और उसकी पायल और चूड़ियों की आवाज आ रही थी. मुझे यकीन था कि ये दीपिका ही होगी. वो मुझे सौरभ समझ रही थी. 


वो मुझसे चिपक कर लेट गई और मेरे कान में बोली, "ठंड लग रही थी मुझे बुला लेते, कम्बल में क्यों छुपा रहे हो!" उसने अपनी चूचियां मेरी छाती पर दबा दीं और मेरी पैंट में हाथ घुसा कर मेरे लंड से खेलने लगी. "ओह, मेरा बेबी. ब्देखो मेरे लिए कैसे तड़प रहा है..." 

उसने मेरे लंड को दबाया तो मेरे मुंह से सिसकारी निकल गई.

मेरी और सौरभ की कद काठी एक सी है और हमारे लंड भी लगभग बराबर हैं. मेरा लंड अभि पूरा खड़ा नहीं हुआ था. मुझे यकीन था खड़ा लंड पकड़ती तो दीपिका समझ जाती की मैं सौरभ नहीं हूं. मैंने दीपिका का हाथ अपने लंड से हटाया और उसे अपनी बाहों में ले कर उसकी गांड़ को भींच दिया. उसने सिर्फ पैंटी पहनी थी. मैंने उसकी कमर पे हाथ फेरा तो उसने ब्रा के आलावा कुछ नहीं पहना था.

वो मेरे कान मैं धीरे से बोली, "जब सब उतारना ही है तो बिस्तर में घुस कर कपड़े क्यों खराब करने."

मैंने ब्रा की पट्टी खींच के जोर से छोड़ दी जो उसकी कमर में लगी और वो सिसक गई.

उसने मेरा हाथ अपनी पेंटी में डाल लिया, एक दम छोटी सी चूत अन्दर से गज़ब की गीली हो रही थी. दीपिका ने मेरा हाथ अपनी पेंटी से निकला और जो ऊँगली उसकी चूत को टच हुई थी निकाल कर सेक्सी तरीके से चाटने और चूसने लगी, मैं सब कुछ भूल कर उस पर पिल पड़ा तो बोली, "धीरे धीरे आगे बढ़ो ना ऐसे क्या हमला कर रहे हो, पहली बार थोड़े ही कर रहे हो सौरभ!"

उसने मेरा हाथ अपनी ब्रैस्ट पर रख दिया और मेरे होंठों को चूमने लगी, मैंने भी उसके होठों को चूमना शुरू किया वो इतने अच्छे से चूम रही थी की मुझे मज़ा आने लगा अब उसने अपनी जीभ से मेरी जीभ के साथ खेलना शुरू किया, मुझे ये खेल इतना अच्छा लगने लगा था की मैं इस में खो सा गया था.

पर दीपिका नहीं खोई क्यूंकि उसे तो और चाहिए था इसलिए उस ने मेरा हाथ अपने छोटे छोटे मौसंबी जैसे बूबिज़ पर रख कर उन्हें दबाना शुरू किया. मैंने उसकी खुशबु और इस फ्लो में ऐसा लयबद्ध हो गया था की बहता ही चला गया और उसके प्यारे गुलाबी बूबीज़ को चूमते और चूसते वक़्त मुझे उसके कॉलेज स्टूडेंट होने का ख़याल तक नहीं रहा, वो भी "ओह आह ऊह्ह और पियो निप्प्ल्स से खेलो सौरभ" बोलती हुई और गरम होती जा रही थी. 


मैंने उसके निप्प्ल्स को अपने दांतों से थोड़ा चुभलाया तो वो बेड पर उछलने लगी, मैंने भी उसके उछलने से खुश हो कर उसकी ड्रेस खोल कर उसके लेफ्ट बूबी को अपने मुंह में पूरा भर लिया तो वो सिसक उठी और बोली "अब दूसरा भी लो ना ऐसे ही" तो मैंने दूसरा भी ले लिया. दीपिका इस सब से इतनी गरम हो चुकी थी की उसकी पेंटी पूरी गीली लग रही थी, मैंने उसकी पेंटी नीचे खिसकाई और उसकी गुनगुनी चूत में अपनी ऊँगली सरकाई जिस से वो कराह उठी और बोली, "जितनी बड़ी तुम्हारी ऊँगली है उतना तो मेरे लास्ट बॉय फ्रेंड का लंड था."

मुझे झटका सा लगा. दीपिका का पहले भी कोई बॉयफ्रेंड था! मुझे आज तक लगता था कि सौरभ ने ही उसकी सील तोडी थी. में इससे पूछता तो वो मेरी आवाज पहचान लेती. में उससे खेलता रहा और दीपिका और गरम होती रही.

"और कितना तड़पाओगे बाबू?" दीपिका ने मेरी कमर में हाथ डाला और मुझे अपने ऊपर खींच लेने की कोशिश करने लगी. 


मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे अपनी बाहों में के कर घूम गया. दीपिका मेरे नीचे दबी थी. आह! कितना नरम बदन था उसका. मैंने उसके होठ फिर से अपने होठों में भर लिए और दीपिका ने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी. आज मुझे पता चल रहा था क्यों सौरभ इस पारी का दीवाना था और क्यों में पहले दिन से ही इसे चोदना चाहता था. दीपिका शहद जैसी मीठी और मक्खन जैसी मुलायम थी. मैंने उसकी पैंटी खींच कर उसके बदन से अलग कर दी और अपनी घुटने से उसकी टांगे खोल दी. दीपिका जबरदस्त गरम थी. उसके हाथ मेरी गांड़ पर घूमने लगे और उसने मेरा अंडर वियर खींच कर मुझे भी नंगा कर लिया. मेरा लंड लोहे जैसा सख्त हो गया था और उसकी मखमली चूत पर दस्तक दे रहा था. दीपिका ने अपना हाथ हम दोनों के बदन के बीच में घुसा के मेरा लंड पकड़ लिया.

"ओह जान तुम्हारा के मोटा लंड मुझे पागल कर देता है," उसने मेरे लंड को सहलाया. उसका हाथ मेरे लंड पर एक बार और घुमा और उसने मेरा लंड छोड़ दिया.

"सौरभ ये तुम्हारे लंड को क्या हुआ है आज," उसकी आवाज में घबराहट थी, "ओह माय गॉड, तुम सौरभ नहीं हो!!"

उसने मेरे नीचे से निकालना चाहा तो मैंने अपना लंड उसकी गीली चूत पर टिका दिया, "अब बहुत देर हो चुकी है दीपिका."

"वीरेन भैय्या!!!!!" वो जैसे चीख पड़ी. मैंने उसके बूब्स मसल दिए और वो कराह उठी.

"छोड़ दीजिए मुझे, मुझसे गलती हो गई," उसने मुझे धकेलना चाहा. मैंने लंड उसकी चूत पर दबाया तो उसकी टांगों ने मुझे और पास खींच लिया.

"दीपिका तेरे हाथ मुझे दूर कर रहे हैं और टांगे पास बुला रही हैं, साफ साफ बता ना तू क्या चाहती है जान?"

उसका बदन कांप रहा था. वो बस झड़ने ही वाला थी. मैंने एक उंगली उसकी चूत पे फिराई तो वो मुझसे लिपट गई. 


उसने जोर से सिसकारी ली, "ये ग़लत है, मुझे जाने दो वीरेन भैय्या. सौरभ को पता चल जाएगा."

"मैंने तुझे कहां पकड़ा है दीपिका बस तेरी चूत और मेरा लंड मुझे अलग नहीं होने दे रहे. सौरभ को नहीं पता चलेगा तुम घबराओ मत," मैंने उसकी चूचियों को सहलाया.

दीपिका थोड़ी शांत हो रही थी शायद उसकी घबराहट कम हो रही थी या शायद उसके बदन की गर्मी ने उसकी सोच को बंद कर दिया था.

वो बोली "आपके पास कंडोम तो है न" 


तो मैं मुस्कुरा दिया और बोला "नहीं है लेकिन तुम चिंता मत करो ना तो मुझे एड्स है और ना ही मैं तुम्हे प्रेग्नेंट करूँगा". 

बस फिर तो वो शर्मा कर मेरे गले लग गई और बेकाबू हो कर मुझे चूमने लगी. जब औरत जोश में होती है तो सब भूल जाती है और उसे बस लंड दिखता है. दीपिका की भी यही हालत थी. मैंने उसके नन्हे नन्हे चुचों को सहलाना शुरू किया तो उसकी आह निकल पड़ी और उसने मेरे होंठों को चूमना और चूसना शुरू किया. मौका सही था. मैंने अपने लंड को उसकी चूत के छेद से सटाया और सांस रोक कर जोर लगाने लगा. पर उसकी चूत बहुत कसी लग रही थी. मैंने उसकी टांगें और ऊपर की और उसकी गांड़ पकड़ कर मैंने थोड़ा जोर से धक्का लगाया तो उसकी चीख निकल गई. मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया ताकि पड़ोसी न सुन सकें.

लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस चुका था. अब मैंने लंड को थोड़ा सा पीछे करके एक और जोर से धक्का दिया तो लण्ड चूत की दीवारों को चीरता हुआ आधा घुस गया. अब दीपिका सर को इधर उधर मार रही थी पर लंड अपना काम कर चुका था. मैंने अपनी सांस रोकी और लंड को वापिस थोड़ा सा पीछे करके जोर से धक्का दिया तो लंड पूरा उसकी चूत में घुस गया. उसकी आँखों से आंसू निकल गए और ऐसे लग रहा था कि जैसे वह बेहोश हो गई हो!

थोड़ी देर में उसका दर्द कुछ कम हुआ. अब वह धक्के पर आः ऊह्ह्ह श् औरऽऽर्र आआह्ह्ह्ह्ह कर रही थी, उसके हाथ मेरी पीठ पर थे और वह अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा रही थी. उसने अपनी टांगों को मेरी टांगों से ऐसे लिपटा लिया था जैसे सांप पेड़ से लिपट जाता है.

मुझे बहुत आनंद आ रहा था. उसके ऐसा करने से लंड उसकी चूत की पूरी गहराई नाप रहा था और हर शॉट के साथ वह पूरा आनंद ले रही थी, "वीरेन प्लीज़ सौरभ को मत बताना!"

मैंने अपना हाथ उसकी कमर के नीचे ले जा कर दीपिका को गले से लगा लिया. मैंने उसके चूतड़ अपने हाथो में भर लिए और उसकी चूत को धीरे धीरे चोदने लगा. दीपिका मदमस्त हो रही थी. उसकी आहें कमरे में गूंजने लगी. दीपिका की पीठ पर ऊँगली फिरते हुए मैंने उसके बाल पकड़ कर अपनी तरफ खींच और उसके नंगे बदन को बेतहाशा चूमना शुरू किया, वो पागल हुई पड़ी थी क्यूंकि मेरे होंठ उसके बदन पर किसी जानवर की तरह रेंग रहे थे और वो इस चीज़ से बेहाल थी.

"मेरी जान ये बातें किसी को नहीं बताई जाती. तुम इतनी प्यारी हो कि में हमेशा से तुम्हे पाना चाहता था. वो तो सौरभ ने तुम्हे पहले प्रपोज कर दिया तो मैंने तुम्हे ट्राई नहीं किया प आज तुम मेरी बन ही गई," मैंने एक जोर का झटका मारा और दीपिका की चूत से रस बह निकला.

दीपिका की चूत का रस उसकी चूत से निकल कर उसकी जांघों पर बह रहा था. वो शहद जैसा चिपचिपा था और मुझे यकीन था कि शहद जैसा मीठा भी था. मैंने एक झटके से अपना लन्ड दीपिका को चूत से बाहर खींच लिया. दीपिका तड़प उठी और उसने अपने नाखून मेरे कंधों में गाड़ा दिए. में उसकी बाहों से नीचे फिसल गया और उसके पेट से होते हुए उसकी चूत तक पहुंच गया. जैसे ही मेरी सांसे उसकी गरम चूत से टकराई दीपिका ने बेड का सिरहाना पकड़ लिया और अपनी गांड़ ऊपर उठा दी. उसकी गीली चूत मेरे होठों से टकरा गई. मैंने उसकी जाँघो को चूसना स्टार्ट किया, वो बोली, "चोद दो ना, अब तो मेरी चूत की आग मिटा दो."

तो में बोला कि रूको मेरी जान मज़ा तो अब आयेगा. फिर मैंने उसकी चूत को चूसना स्टार्ट किया. अब वो अपना सिर पटकने लगी और इधर उधर मारने लगी. अब वो मौन कर रही थी, "आआमम्म्मम ऊऊहह आआआहह आाआईईईईईईईईईई माँ, ये क्या कर दिया तुमने, अंदर आग लग गयी है?"

फिर मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी और एक उंगली भी डाल दी. वो अब आउऊउचचच करके चिल्लाई और बोली कि थोड़ा धीर करो, लेकिन में कहाँ उसकी मानने वाला था. दीपिका वर्जिन तो नहीं थी, लेकिन उसकी चूत बहुत टाईट थी.

दीपिका मेरे ऊपर सिक्सटी नाइन की पोजीशन में आ गई, अब हम दोनों एक दुसरे के जननांगों को चूम और चाट रहे थे. वो पहले ही मेरे स्पर्श से बावली हुई पड़ी थी, और अब उसकी चूत पर मेरी जीभ का कहर बरपा हो रहा था सो वो मेरे लंड पर अपना ध्यान नहीं दे पा रही थी इसलिए मैंने उसे समझाया, "दीपिका मेरी जान, इस तरह से तो केवल तुम्ही खुश हो पाओगी और मेरा रह जाएगा तो तुम मेरे लंड पर ध्याम दो और अगर एक्साइटमेंट बढे तो उसका असर मेरे लंड पर मुंह चला कर दिखाओ."

फिर दीपिका ने अपने होठों का जादू मेरे लंड पे चलाया. दीपिका एक नई लड़की थी और जितनी भी उसकी सेक्स लाइफ रही हो उसका इतना प्रोफेशनली लंड चूसना मुझे गजब लग रहा था तो मैंने पूछ ही लिया "तुम अपने बी ऍफ़ का लंड भी ऐसे ही चूसती हो क्या!" 


तो वो बोली "पहले शुरू शुरू में मुझे ओरल नहीं आता था लेकिन सौरभ ने मुझे विडियोज दिखा दिखा कर सिखा दिया, क्यूँ अच्छा नहीं लगा मेरा ओरल स्टाइल?" 

मैंने कहाँ "अरे नहीं ये तो बेस्ट है जान, करती रहो और जो जो भी सीखा है वो सब करो." दीपिका वाकई वो सभी पैंतरे अपना रही थी जो पोर्न फिल्म्स में मंझी हुई पोर्न स्टार्स करती हैं.

मेरा लंड पूरा तना हुआ था और दीपिका लगातार उस पर अपने होंठों और जीभ का कमाल दिखा रही थी एक बार तो उस ने हद ही कर दी जब उस ने पूरा का पूरा लंड मुंह में ले लिया और फिर खाँसने लगी मैंने उस से कहा की छोटी उम्र में बड़ी रिस्क मत लो तो चिढ गयी और पागलों की तरह मेरा लंड चूसने लगी फिर जब थक गई तो लंड को ऐसा हिलाया की सारा माल मेरे अंडों में से उबल कर लंड के रास्ते उसके मुंह में उतारने लगा. उसके होठ मेरे लंड पर का गए और वो एक एक बूंद माल मेरे लंड से निचोड़ने लगी. बिना वार्निंग दिए दीपिका ने मेरा माल निकाल लिया था. इस बार चीखने की बारी मेरी थी. उसके होठ पंप को तरह मेरा माल चूस रहे थे और मेरा लंड उसके इशारों पर नाच रहा था. मेरा माल उसके मुंह को भर कर उसके गालों और नन्हे बूबीज़ पर छिटक गया. लेकिन उस ने चूसने का काम जारी रखा तो मैंने कहा " दीपिका बेबी, अब क्या तोड़ कर ही मानोगी चूत नहीं मरवानी क्या!"

फिर करीब दस मिनट तक और चूसने के बाद वो लंड को बाहर ही नहीं निकालने दे रही थी. तब मैंने दीपिका से कहा, "दीपिका मेरा यह लंड कहीं भागा नहीं जा रहा है, में इसको अब तुमकी कामुक, रसीली चूत में डालना चाहता हूँ."

उसने लंड को तुरंत अपने मुहं से बाहर निकालकर कहा, "वीरेन तो तुम ऐसे क्या देख रहे हो? अब तुम मुझे तुम्हारे लंड के वो असली मज़े भी तो दीजिए." और फिर उसने इतना कहकर अपने दोनों पैरों को एकदम अलग किया.

मैंने भी आव देखा ना ताव और दुबार उसकी जवानी को रौंदने का प्रोग्राम बनाया, दीपिका अब और भी दुगने जोश के साथ मेरा लंड मसल रही थी और बोल रही थी "आप इसे कब डालोगे यार, प्लीज़ डाल दो ना."

दीपिका के हाथों और होठों की बरकत से मेरा लंड पूरे जोश में आ गया था और अब दीपिका ने मुझे हाथ जोड़ कर कहा "प्लीज़ फक मी, अब तो डाल ही दो". मैंने उसे लिटाया उसकी लेफ्ट टांग को उठाया और पास में लेटकर उसकी चूत पर अपने लंड का टोपा टिका दिया और उसे धकेलने से पहले उसकी लेफ्ट टांग को थोडा और ऊपर उठा कर मैंने निशाना साध के अपना भरा पूरा लंड दीपिका की कच्ची चूत में पेल दिया.

जैसे ही लंड अन्दर गया दीपिका चिल्ला पड़ी, "ऊऊह्ह्ह मम्मी कितना बड़ा है ये तो, प्लीज़ फाड़ना मत नहीं तो मेरी लाइफ खराब हो जाएगी."

तो मैंने कहा, "अरे पगली लाइफ खराब नहीं होगी बल्कि बन जाएगी." और इतना कह कर मैंने उसे तेज तेज धक्के लगाने शुरू किए. दीपिका उछल उछल के मेरे लंड का मज़ा ले रही थी की मैंने उसे सीधा लिटा कर उसकी दोनों टांगें लगभग हवा में कर दीं और उसकी चूत को ऐसे उठाया कि अब दीपिका एक धनुष जैसी मुड़ गई थी मैंने फिर से अपना लंड उसकी चूत में फंसाया और पांच मिनट तक ऐसे ही चोदा.

में बहुत धीरे से लंड को बाहर लेकर आता और फिर एकदम ज़ोर से धक्का देकर दोबारा चूत में डाल देता. वो मुझसे कहने लगी, "उफफ्फ्फ्फ़ वीरेन आह्ह्ह्ह वाह क्या बात है? हाँ ऐसे ही आह्हह्हह्हह् ऐसे ही आआआहह ज़ोर से चोदो मुझे."

अब दीपिका का जोश देखते ही बनता था वो चिल्ला भी रही थी रो भी रही थी लेकिन मरवाने की इच्छा ख़त्म नहीं हो रही थी उसकी, दीपिका ने मुझे कहा "डॉगी स्टाइल में करो ना."

मैंने भी उसकी बात मानी और उसे कुतिया की तरह बेड पर खड़ा कर दिया, उसके पीछे जाते ही मैंने एक चांटा उसकी नन्ही सी गांड पर रख दिया जिस से वो सिसक पड़ी. अब मैंने दीपिका की चूत में लंड लगाने के बाद अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और बीच बीच में उसके चुचों को भी मसलने लगा, दीपिका बिलख रही थी और बोली "उफ़ अब रोकना मत प्लीज़." मुझे पता लग गया की वो झड़ने वाली है तो मैं धक्कों के साथ अपनी जीभ उसकी गांड़ के छेद पर रगड़ दी और उसकी गांड में अपनी ऊँगली भी पेल दी इस से उसकी एक चिहुँक निकल गई. दीपिका जोश में चीखें मार रही थी.

दीपिका की चूत में मेरा लंड, उसकी गांड में मेरी ऊँगली और उसका एक चुचा अब भी मेरे हाथ में होने की वजह से दीपिका बावळी हो रखी थी और चिल्लाने के साथ साथ रो भी रही थी लेकिन मेरे धक्के नहीं रुके.

अब मेरा वीर्य निकलने वाला था तो इसलिए मैंने उससे पूछा, "दीपिका में अपने वीर्य को कहाँ निकालूं? मेरा माल पिएगी?"

"नहीं वीरेन मुझे गंदा लगता है, तुम इसको मेरे मुहं पर निकाल दो. पिलाना पत प्लीज," वो आहों के बीच में बोली.

मैं दीपिका को सीधा लिटा कर उसके बूब्स पर बैठ गया और मेरा लंड उसके हसीन चहरे पर माल की बारिश करने लगा. मेरा माल उसके गुलाबी गालों और हसीन लाल होठों पर बहने लगा. मैंने दीपिका के गाल दबा कर उसका मुंह खोल दिया और अपना माल से सना लंड दीपिका के मुंह में ठूंस दिया. दीपिका ने अपना सिर हिलाया और मुझे धकेलने लगी. मैंने प्यार से उससे कहा, "तेरे और मेरे रस का टेस्ट तो कर बेबी कैसा लगता है."

दीपिका मेरे ल. उसकी आंखें बंद थीं. पहले उसे खराब लग रहा था फिर उसे मजा आने लगा. मैंने लंड उसके मुंह से बाहर निकाला और उसके गाल से अपना माल लंड पर लगाया. दीपिका ने कुछ बोलना चाहा लेकिन मैंने उसकी बात बीच में काट कर लंड वापस उसके गले में उतार दिया. दीपिका ने मेरा लंड चूस कर और चाट चाट कर चमका दिया. फिर हम दोनों एक दूसरे के ऊपर ऐसे ही करीब दस मिनट तक पड़े रहे.

मेरे लंड के बहार निकलते ही दीपिका निढाल हो कर बिस्तर पर गिर गई तो मैंने पूछा "तुम्हारा नहीं हुआ क्या" तो दीपिका मुस्कुराती हुई बोली "दो बार हुआ और बहुत मज़े से हुआ."

फिर वो अपने कपड़े पहनने लगी और तब मैंने उसको कहा, "दीपिका तुम बड़ी मस्त सेक्सी माल हो और तुम्हारी चुदाई करके तुम्हारे साथ यह समय बिताकर मुझे बहुत अच्छा लगा."

फिर वो मुझसे कहने लगी, "तुम भी बहुत अच्छे हो और तुम्हारे साथ यह मज़े मस्ती करके में आज बहुत खुश हूँ. तुम बहुत अच्छे हो और जमकर मस्त चुदाई करते हो. मैं सौरभ को प्यार करती हूं, लेकिन तुम्हे कभी मना नहीं करूंगी वीरेन."

उसने एक घुटना बेड पर रख कर मेरा चेहरा अपने हाथों में ले लिया. उसने अपने होठ मेरे होठों पर रख दिए. मुझे एक लम्बी किस दे कर अपने ख्यालों में खोया छोड़ कर वो चली गई.


***



Heart
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दीपा की मस्ती

दीपा की शादी अभी एक साल पहले ही मनोज से हुई है। मनोज एम बी ए है और एक अच्छी कंपनी में सेल्स एग्जीक्यूटिव है। अच्छी तनख्वाह और गाडी-फ्लैट सब कंपनी की ओर से है। कंपनी तनख्वाह अच्छी देती है तो काम भी जम का लेती है। मनोज महीने में 10 दिन तो बाहर रहता ही है। अब सेल्स में है तो रात को डिनर पार्टी और शराब से कैसे बचा जा सकता है। पर दीपा ने सख्त हिदायत दे रखी है कि सिर्फ एक पेग पीना है। मतलब गाड़ी खुद चलाकर लानी है और कभी भी रात सूनी नहीं जानी चाहिए। दीपा ने अपने आपको बहुत मेन्टेन कर रखा है। हालांकि अभी नयी शादी है, फिर भी हर रोज योग और जिम उसकी दिनचर्या में है।

दीपा और मनोज सेक्स के और ब्लू फिल्म्स के नशेड़ी हैं। कोई दिन जब मनोज बड़ोदरा में हो तो बिना पोर्न मूवी देखे और बिना वाइब्रेंट सेक्स के सो नहीं सकते। मनोज को दीपा बिना कपड़ों के ही अच्छी लगती है। उसकी तो इच्छा ये रहती है कि जब वो डोरबेल बजाये तो दीपा बिना कपड़ों के ही दरवाजा खोले। दीपा ऐसा कर भी रही थी, पर एक दिन धोखा होते होते बचा, तब से दीपा ने ऐसा करने से मना कर दिया।

हुआ यूं कि मनोज जब भी ऑफिस से चलता था तो वो दीपा को फ़ोन कर देता। दीपा फटाफट हल्का नाश्ता और चाय बना कर तैयार रहती और मनोज के आते ही बिना कपड़ों के उसकी बाँहों में आ जाती। फिर तो सोफे पर, बाथरूम में, किचन में, हर जगह मनोज की चूमा चाटी चलती। एक बार ऐसे ही मनोज ने ऑफिस से फोन कर दिया। ऑफिस से घर का रास्ता दस मिनट का था। दीपा ने पूरी तैयारी कर ली और कपड़े उतार कर सिर्फ ब्रा पैंटी में मनोज का इन्तजार करने लगी। डोरबेल बजी तो वो भाग कर दरवाजा खोलने लगी। तभी बाहर से आवाज आई- मेम साहब किराने का सामान ले लीजिये। दीपा को ध्यान आया कि दिन में उसने सामान का आर्डर किया था। उसे तो काटो तो खून नहीं ... अभी अगर वो दरवाजा खोल देती तो? खैर उसने फटाफट कपड़े पहन कर सामान लिया। पीछे पीछे मनोज भी आ गया। वो दीपा का गुस्से का चेहरा देख कर सारा माजरा समझ गया। हँसते हुए उसने कहा कैट आई से देखकर ही दरवाजा खोला करो। पर उस दिन से दीपा ने कोई रिस्क नहीं लिया।

मनोज को दीपा के गोल गोल दूध जैसे मम्मे और गुलाब की पंखुरी सी नाजुक चूत चाटने में बड़ा ही मजा आता था। मनोज को xxx मूवीज का बहुत शौक था। दीपा भी अपनी हॉस्टल लाइफ में मस्तराम की कहानी पढ़ कर और अपनी रूममेट से लेस्बो होकर सेक्स के शुरूआती मजे लूट चुकी है। वो मनोज के साथ सिगरेट के सुट्टे भी मार लेती थी। मनोज सिगरेट पीता था पर घर पर कम ही पीता था क्योंकि उसे मालूम था कि उसने सिगरेट जलाई तो दीपा भी पीयेगी और ये वो नहीं चाहता था। पर अब दीपा को कोई संकोच या डर तो था नहीं तो कभी कभी मनोज की गैरमौजूदगी में भी वो जला लेती। हाँ शाम को मनोज ऑफिस से आने के बाद एक सिगरेट जरूर सुलगाता और उसमें से आधी तो दीपा ही पीती। अब दीपा अपना पैकेट छिपाकर खरीदती और दिन में एक दो सिगरेट मनोज की बिना जानकारी के उड़ा लेती। पोर्न मूवी देखते समय मनोज अक्सर उससे फंतासी की बातें करता। मनोज ने दीपा को बता रखा था कि शादी से पहले उसकी एक गर्लफ्रेंड थी और दोनों के जिस्मानी सम्बन्ध भी थे। पर अब शादी के बाद वो सिर्फ दीपा का है।

दीपा ने उसे कभी नहीं बताया कि वो और उसकी सहेल लेस्बो होती थीं और एक दूसरे कि चूत रगड़ना और उंगली या मोमबत्ती से करना उनका रोज का ही काम था। उसकी सहेली पता नहीं कहाँ से सेक्सी फोटो की मेगजीन ले आती। जिनकी फोटो देख देख दोनों चूत रगड़ती। दीपा का हॉस्टल लाइफ में रवि नाम के लड़के से इश्क का चक्कर भी जोरों से चला। अब हॉस्टल में तो ये सब आम बात थी। दीपा की रूममेट तो अपने प्रेमी के साथ रातें भी गुजार चुकी थी। पर दीपा ने अपना प्यार केवल चूमा चाटी तक ही सीमित रखा था। एक बार वो रवि के साथ मूवी हॉल में बहक भी गयी तो रवि ने उसकी चूत में उंगली कर दी थी और दीपा को अपना लंड पकड़वा दिया था। पर हॉल में इससे ज्यादा कुछ हो नहीं पाया। लौटते में टैक्सी में रवि ने ड्राइवर को 500 का नोट दिया और कहा कि वो कहीं सुनसान जगह गाड़ी रोक दे और दस मिनट के लिए चला जाए। हालांकि दीपा डर रही थी पर खुमारी तो उस पर भी चढ़ी थी। गाड़ी में रवि ने उससे सेक्स करना चाहा तो दीपा ने साफ़ मना कर दिया। पर फिर भी रवि कि जिद पर उसे रवि का लंड चूसना पड़ा और रवि ने उसके मम्मे चूसे। दीपा को ये सब आगे के लिए अच्छा नहीं लगा और वो संभल गयी। इसके बाद उसकी और रवि की दूरी बढ़ गयी क्योंकि रवि बार बार उसे सेक्स के लिए कहता, जो दीपा नहीं चाहती थी।

मनोज ने दीपा को बताया कि उसका हॉस्टल में एक रूममेट था सुनील ... वो अब दुबई में व्यवसाय करता है। दोनों आज भी बहुत अच्छे दोस्त हैं। शादी के समय सुनील आ नहीं पाया था। तो मनोज और सुनीत रूम में खूब मस्ती करते थे। एक दूसरे के लंड से खेलना और पानी निकाल देना उनका शगल था। सुनील का लंड मनोज के लंड से मोटा और लम्बा था। मनोज अक्सर दीपा से कहता कि अब जब वो सुनील से मिलेंगे तो सुनील का लंड वो दीपा को जरूर दिखायेगा। दीपा उसे इस बात पर हँसती हुई नाराज होती कि क्या फालतू की बात करते हो, उसे नहीं देखना किसी और का लंड। सुनील ने कई बार मनोज दीपा को दुबई बुलाया पर जाना ही नहीं हो पाया। इस बीच सुनील की भी शादी तय हो गयी। मनोज दीपा ने जाने का प्रोग्राम बना लिया पर अचानक जाने वाले दिन ही मनोज के पिताजी को अहमदाबाद में हार्ट अटैक आ गया तो वो लोग नहीं जा पाए।

मनोज सेक्स के दौरान दीपा को उकसाता था कि अगर दीपा की चुदाई उसके साथ एक और आदमी भी करे तो दीपा को मजा आ जाएगा। हालाँकि दीपा को ये सब बातें पसंद नहीं थी पर वो सोचती थी ये सब बेड की बातें हैं तो वो भी मनोज का इस गप्पखोरी में साथ दे देती। जब भी मनोज उसकी चूत चाटता तो दीपा को बहुत मजा आता। वो भी हर जगह जहां भी उसे मौका मिलता, अपनी चूत चटवाने को तैयार रहती। मनोज ने एक दो बार कहा भी कि जब सुनील तेरी चूत चाटेगा तो उसे देखने में बहुत मजा आएगा। इस पर दीपा कहती कि फिर तुम क्या करोगे? तुम ना सुनील का नीचे लेटकर लंड चाट लेना क्योंकि बहुत दिन हो गए तुम्हें भी किसी का लंड चूसे। इतना सुनते ही मनोज अपना लंड दीपा के मुंह में कर देता। दीपा ने तो मानों लंड चूसने में पी एच डी कर रखी थी। वो ऐसा मस्त होकर लंड चूसती कि मनोज को लगता कि वो जन्नत की सैर कर रहा है और उसका लंड अभी पानी छोड़ देगा। एक दिन मनोज का ऑफिस से दीपा के पास फोन आया कि दो दिन बाद सुनील आ रहा है मुंबई। तो मनोज ने दो-तीन दिन के लिए उसे वडोदरा बुलाया है। वो अगले शुक्रवार को आएगा सुबह ... और सोमवार को वापिस चला जाएगा।

शाम को जब मनोज घर आया तो उस समय यही टॉपिक था कि सुनील की खातिर कैसे करनी है। दीपा ने सारा प्रोग्राम पहले ही बना लिया था। दीपा की प्लानिंग बढ़िया होती है, ये मनोज जानता था तो उसने उस प्रोग्राम को ही अप्रूव कर दिया। रात को सेक्स के दौरान फिर मनोज सुनील को ले आया। वो मजे लेते हुए दीपा से बोला तुम्हें तो तीन दिन दो दो लंडों को चूसना पड़ेगा। दीपा एक बार तो उससे नाराज हो गयी देखो मजाक की बात मजाक तक ही रखो। पर मनोज तो मस्ती के मूड में आ गया था कि एक बार सुनील का लंड देख लोगी तो अपने आप ही मन कर जाएगा तुम्हारा। दीपा ने भी झक मार के कह दिया कि चलो उस समय की उस समय देखी जायेगी, फिलहाल तो मनोज उसकी चुदाई करे जम के। असल में सेक्स की बातें इतनी गर्म हो जाती थीं कि दीपा कि चूत भी गीली हो जाती थी।

अगले दिन मनोज के ऑफिस जाने के बाद दीपा ने सोचा कि चलो पार्लर हो आती हूँ। वहां उसे पार्लर वाली ने ऐसा पटाया कि वो फुल बॉडी पैकेज ले लिया। मतलब पूरी बॉडी की वेक्सिंग, पेडीक्योर, मेनीक्योर, फेशियल ... पता नहीं क्या क्या! पार्लर से निकली तो सामने ही सेलून में घुस गयी और बालों को नया लुक दे आई। आज वो भी मूड में थी तो कुछ शौपिंग भी कर ली। हालाँकि रात को मनोज के साथ शौपिंग पर जाना था। मनोज को बियर, ड्रिंक्स वगैरह भी लेने थे। रात को मनोज के साथ शौपिंग करते समय दीपा ने मनोज के कहने पर एक-दो शोर्ट ड्रेस भी लीं। दीपा गोरी थी तो उस पर हर ड्रेस अच्छी लगती थी। दीपा को एक स्कर्ट और टॉप बहुत पसंद आया, पर वो शोर्ट लगा तो उसने मना कर दिया लेने से ... पर मनोज ने उसे जबरदस्ती दिला दिया। दीपा ने एक लाल रंग का थ्री पीस नाईट सूट लिया जो बहुत ही सेक्सी था। दीपा को बहुत पसंद आया तो उसने एक और वैसा ही सुनील की वाइफ के लिए भी ले लिया। उस सूट में ब्रा-पेंटी और घुटनों तक का गाउन था। उन लोगों ने तनिष्क से एक हल्का नेकलेस सेट भी सुनील की वाइफ के लिए और एक सोने की टाईपिन सुनील के लिए ली।

रात को मनोज ने जानबूझकर एक थ्रीसम सेक्स मूवी लगायी अपने बड़े टीवी स्क्रीन पर, जिसमें एक दोस्त अपनी बीवी अपने दोस्त के साथ शेयर करता है। मूवी देख कर दोनों गर्म हो गए थे और मनोज का वाही पुराना राग छिड़ गया। आज वो एक नयी बात ले आया, बोला कि रोज तो हम दोनों साथ नहाते ही हैं, उस दिन तीनों साथ नहायेंगे।

दीपा नाराज होती बोली- मैं नहीं नहाऊँगी तुम दोनों के साथ ... तुम दोनों नहा लेना।

खैर वासना तो चढ़ी हुई थी दोनों पर। सेक्स के दौरान मनोज ने सुनील के लंड का फिर जिक्र किया तो

दीपा भी कह बैठी- जब तुम ऑफिस जाओगे, तब पीछे से मौज करुँगी सुनील के साथ।

यह सुन कर मनोज की चुदाई की स्पीड और बढ़ गयी।

तीसरे दिन सुनील को आना था दोपहर को, तो यह तय हुआ कि मनोज अपने ऑफिस से सुनील को लेता हुआ घर आ जाएगा और लंच कर के वो सुनील को लेकर ऑफिस चला जाएगा। वहां से वो लोग घूम फिर कर रात को घर आयेंगे। मनोज के जाने के बाद दीपा ने घर को अच्छे से व्यवस्थित कर लिया। कुछ स्नैक्स वगैरह की कच्ची तैयारी कर ली, बियर फ्रिज में लगा दी और अपने को परफेक्ट कर लिया। उसने जींस और टाईट टॉप पहना था, जिसमें उसके मम्मे उभरकर आ रहे थे। दीपा इन ड्रेस्सेस में एक अल्हड़ कॉलेज स्टूडेंट नजर आती थी। रेड नेल पेंट, रेड लिपस्टिक और रेड हेयर बैंड में उसकी जवानी निकली पड़ रही थी। दीपा ने आज सिगरेट पीने की कसर निकाल ली क्योंकि पता नहीं सुनील के सामने मौका मिलेगा या नहीं। आज उसने अपनी चूत स्पेशल वेक्सिंग कर ली, पता नहीं मनोज क्या बवाल बना दे और उसे सुनील के साथ, खैर 12 बजे करीब मनोज का फोन आ गया कि उसने सुनील को रिसीव कर लिया है। पर सुनील को किसी से मिलना है, तो वह उसके साथ ही रहेगा और दो ढाई के बीच में घर पहुंचेंगे।

3 बजे करीब दोनों आये। सुनील बहुत ही स्मार्ट और हंसमुख लगा दीपा को। उसने दीपा को आलिंगन किया और उसके गाल पर किस किया। हालाँकि दीपा को उसका ये लगाव दोस्ताना ही लगा। मनोज ने हँसते हुए दीपा के दूसरे गाल पर किस कर लिया। सुनील ने दीपा के लिए लाया उसका गिफ्ट दिया। एक बहुत सुंदर ड्रेस और मैचिंग का नेकलेस लाया था वो।

दीपा ने उसको थैंक्स बोला तो

सुनील बोला- सिर्फ सूखा थैंक्स?

हँसते हुए दीपा ने उसे एक किस भी कर दिया और बोली- थैंक्स।

दीपा ने सुनील से पूछा- भाईसाहब, जूस या बियर क्या लेंगे, वैसे खाना तैयार है।

सुनील ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा- दीपा, अगर भाईसाहब बनाना है तो मैं चला। मुझे सुनील बोलो या मनोज को भी भाईसाहब ही बोलती हो?

दीपा ने हँसते हुए कहा- चल सुनील ...ज्यादा सयाना मत बन, बोल क्या लेगा बियर या जूस, वैसे अपुन का खाना भी रेडी!

(कह कर उसने सुनील की ओर देखा, जैसे पूछ रही हो कि क्या ये ठीक है।)

सुनील ने जोर से हँसते हुए कहा- ओय्ये मनोज तेरी तो बड़ी पटाखा निकली। हाँ जी, ये चलेगा और इसके साथ जूस भी चलेगा। पर भूख जोर की लगी है तो लंच भी फटाफट।

हंसी मजाक में लंच करते 4 बज गए।

मनोज बोला- मेरी एक क्लाइंट के साथ मीटिंग है पांच बजे, मैं उस से फ्री होकर आता हूँ।

उसने सुनील से पूछा- तू मेरे साथ चलेगा या घर पर ही रहेगा?

सुनील बोला- नहीं तू जा, और अच्छा है जितनी देर में आये।

सब हंस पड़े।

मनोज के जाने के बाद दीपा ने सुनील से आराम से कपड़े ढीले करके लेटने को कहा और उसे उसका रूम दिखा दिया ताकि वो रसोई समेट ले। सुनील ने जल्दी से कपड़े बदले और शॉर्ट्स और टी शर्ट पहन कर आ गया। तब तक दीपा भी अपना काम निपटा चुकी थी। और दोनों सोफे पर बैठ गए। सुनील ने दीपा से पूछ कर सिगरेट सुलगानी चाही। उसने दीपा से माचिस मांगी तो दीपा ने वहीं पास से लाइटर दे दिया। सुनील ने पूछा भी कि मनोज तो हॉस्टल में भी कभी कभी ही पीता था। दीपा चुप रही, उसकी सिगरेट की हुड़क उठ गयी थी, पर उसने ये सोच के अपने को काबू किया कि पता नहीं मनोज सुनील को बताना चाहेगा या नहीं। सुनील और दीपा की खूब छन रही थी। सुनील भी बातूनी था, अपनी और मनोज की सारी पोल पट्टी उसने दीपा से खोल ली। दीपा के लिए कुछ भी नया नहीं था। हालाँकि सुनील ने ये बात नहीं कही कि वो और मनोज एक दूसरे के लंड से क्या बदमाशी करते थे।

सुनील को दीपा ने ये बता दिया कि मनोज कि चाहत होती थी कि वो कम से कम कपड़ों में दरवाजा खोले तो सुनील ने हंसते हुए उसको बताया कि वो किराने वाले लड़के का किस्सा मनोज ने उसे बताया था। दोनों ने मनोज को हैरान करने के लिए एक प्लान बनाया। 6 बजते बजते मनोज आ गया। उसने जैसे ही बेल बजाई, दरवाजा खोला सुनील ने, वो टॉवल लपेटकर खड़ा था। मनोज को देखते ही उसने आगे से टॉवल खोल दिया और

सुनील बोला- आओ जानू चलो प्यार करें।

हँसते हुए मनोज ने कहा- बदमाश, अभी मारता हूँ तेरी गांड।

कह कर उसने सुनील का टॉवल खींचना चाह पर तब तक दीपा भी हँसती हुई आ गयी तो उसने सुनील को मनोज से छुड़वा दिया,

दीपा बोली- रात को कर लेना।

सब लोग हँसते हुए चाय की मेज पर आये, चाय पीकर

मनोज बोला- फटाफट तैयार हो जाओ, बाहर चलेंगे और डिनर बाहर ही लेंगे।

सभी फटाफट तैयार हुए। सुनील और मनोज ने तो जींस और टीशर्ट पहनी पर दीपा ने एक फ्रॉक ड्रेस डाली। सुनील ने तो उसे देखते ही जोर से आहें भरी,

सुनील बोला- ओह माई डार्लिंग ... तुम पहले बता देतीं कि तुम इतनी सेक्सी हो तो में शाम को ही तुम्हें पटा लेता और भगा ले जाता।

मनोज बोला- तो अब क्या बिगड़ा है, अब ले जा, दो दिन बाद छोड़ जाना। या फिर दुबई वाली को यहाँ भेज दे, इसको वहां ले जा।

सब हँसते हुए गाड़ी मे निकल गए। सुनील ने सिगरेट सुलगाई और एक मनोज को दी तो मनोज ने अपनी सिगरेट पीते पीते एक बार पीछे दीपा को दे दी। अब दीपा को क्या परेशानी थी, उसने सुट्टे मार दिए।

अब सुनील चौंका बोला- तुम पीती हो तो दोपहर को क्यों नहीं मेरा साथ दिया?

दीपा बोली- तब मेरा मन नहीं था और मैं सिर्फ मनोज के साथ ही पीती हूँ।

सुनील बोला- अबे मनोज तेरी बीवी तो बड़ी पति वाली है, मेरी तो मेरे बिना सारे काम कर लेती है, पता नहीं आज रात कहीं किसी को ओबलाइज न कर रही हो।

यह बात उसने मजाक में कही थी तो पीछे से दीपा ने एक धौल लगा दिया उसके, घूम फिर कर डिनर करके रात को 11 बजे सब लोग लौटे।

दीपा तो कपड़े बदलकर बेडरूम में चली गयी पर सुनील और मनोज सिर्फ शॉर्ट्स में बाहर बालकनी में बैठ कर ड्रिंक लेने लगे। दीपा का भी मन तो अंदर लग नहीं रहा था तो वो भी बरमूडा और ढीली टॉप में उन दोनों के पास ही आ गयी। बाहर दो ही कुर्सी थीं, दीपा वापिस मुड़ी एक और कुर्सी लाने तो वहाँ इतनी जगह ही नहीं थी कि तीन कुर्सी और टेबल पड़ सके।

सुनील मुस्कुरा के बोला- आइये आप हमारी कुर्सी शेयर कर लीजिये या हमारी गोद हाजिर है।

दीपा मुस्कुराती और इठलाती हुई मनोज की गोदी में जा बैठी। मनोज ने सिगरेट जला रखी थी। दीपा ने सिगरेट ले ली और एक लम्बा कश खींच कर धुंए का गुबार सुनील के ऊपर छोड़ दिया और मुस्कुरा दी। एक पेग मनोज ने दीपा के लिए भी बनाना चाहा तो दीपा ने मन कर दिया,

दीपा बोली- तुम्हारे से ले लूंगी।

इस पर सुनील ने मुस्कुराते हुए अपना पेग उसकी ओर बढ़ाया तो दीपा ने एक सिप उसमें से ले लिया। अब हंसी मजाक नॉनवेज तक पहुँचने लगी। दीपा उठ कर जाने लगी,

मनोज ने पूछा- क्या हुआ?

तो दीपा हंस कर उसके खड़े लंड की ओर इशारा कर के बोली- ये बैठने नहीं दे रहा।

वो बेड रूम में चली गयी।

आधा घंटे बाद मनोज भी रूम में आ गया।

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