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रेस्टोरेंट से बाहर आते ही उसने रवि को यह बताया और रवि से कहा कि उसने जो भी प्लान उसके बाथरूम और बेडरूम का बनाया हो वो अभी उसके घर माही के आने से पहले भेज दे। अब श्वेता का दिमाग तेजी से काम कर रहा था। रवि की रफ ड्राइंग उसके पास 5 बजे तक आ गईं थीं, जिन्हें उसने बाहर मेज पर ही फैला कर रख दिया था। शाम को माही सात बजे करीब आया और उसका मूड कुछ ठीक नहीं था। श्वेता को यह अंदाज हुआ कि शायद उस व्यक्ति ने माही को कुछ कहा है। अन्दर आते ही माही को पानी देकर श्वेता ने उसे रवि के पेपर्स दिए और बताया कि रवि ये पेपर्स देने घर आना चाहता था तो उसे अच्छा नहीं लगा कि माही की गैरमौजूदगी में रवि ज्यादा घर आये इसलिए श्वेता ने रवि को अन्नपूर्ण रेस्टोरेंट में बुला लिया था और वहीं ये ड्राइंग्स डिसकस कर लीं। यह सुनते ही माही खिल गया। सही बात यह थी कि उस व्यक्ति ने जो माही का डीलर था, माही को कहा था कि उसने रवि आर्किटेक्ट को श्वेता के साथ रेस्टोरेंट में देखा था। तो माही का मूड कुछ अपसेट हो गया था पर जब श्वेता ने बिना उसके पूछे सब बात बता देने से उसे कोई शिकायत नहीं रही।
श्वेता ने माही को इस बात के लिए मन लिया कि अगले दिन सुबह 9 बजे वो और माही रवि के ऑफिस जायेंगे, सारी डिजाईन फाइनल करने। हालाँकि इसमें माही का कोई रुझान या टेस्ट नहीं था पर श्वेता चाहती थी कि माही और रवि की मुलाकात हो। अगले दिन 9 बजे श्वेता और माही रवि के ऑफिस में थे। रवि ने बड़ी गर्मजोशी से मुलाकात की। ड्राइंग फाइनल होने के बाद रवि दोनों को अंदर घर पर ड्राइंग रूम में ले गया जहाँ उनकी मुलाकात रवि की पत्नी हिना से हुई।
हिना खूबसूरत और चंचल स्वभाव की लड़की थी। पांच मिनट बाद ही ऐसा लग ही नहीं रहा था कि वो पहली बार मिले हैं। हिना ने श्वेता से तो बहन का रिश्ता बना लिया और माही से हंस कर बोली- आज से आप मेरे जीजू...
माही ने मजाक में कहा- तो आज से मैं ये मान लूँ कि आप मेरी साली यानि...
इस वाक्य को पूरा हिना ने कर दिया- हाँ, आज से मैं आपकी आधी घरवाली...
सब हंस पड़े उसकी इस बेबाकी पर।
माही को ऑफिस की जल्दी थी.. उसने अगले दिन रवि और हिना को डिनर पर बुलाया।
अगले दिन शाम को रवि का फोन माही के पास आया कि उसका एक क्लाइंट मुंबई से अचानक आ गया है तो वो आने में लेट हो जाएगा।
माही ने कहा- तो हिना को जल्दी भेज दो.. हम तुम्हारा डिनर पर इंतज़ार करेंगे।
रवि बोला- ड्राईवर उस क्लाइंट को लेने एअरपोर्ट जायेगा तो हिना अकेले कैसे आयेगी?
इस पर माही बोला- ऑफिस से लौटते में मैं हिना को ले लूँगा।
माही आज पहली बार अपने कपड़ों को लेकर जागरुक था, वो जाने से पहले ऑफिस के वाशरूम में ही फ्रेश हुआ और बाजार से मंगवाए वेट टिश्यू से अपने चेहरे और बदन की दुर्गन्ध को मैनेज किया। वह रेड रोज का एक बुके और बड़ी चॉकलेट लेकर रवि के घर पहुंचा... हिना तैयार थी.. उसे लेकर माही घर की ओर चला। रास्ते में उसने हिना को बुके और चॉकलेट दी।
हिना बहुत खुश हुई, बोली- रेड रोज का मतलब जानते हैं जीजू?
माही हंस कर बोला- जिस पर दिल आ जाए उससे दोस्ती करने के लिए फर्स्ट गिफ्ट रेड रोज और चॉकलेट होती है।
हिना के गाल यह सुनकर लाल गुलाब हो गए। माही ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखा तो उसने कुछ नहीं कहा। माही ने गाड़ी एक सुनसान जगह साइड पर की और हिना के हाथ को ऊपर उठकर चूम लिया। हिना शांत रही। घर पहुँच कर वो कल की तरह ही खुल कर मजाक कर रही थी। लगभग 10 बजे रवि आया.. डिनर लेकर दोनों 11 बजे चले गए। आधे घंटे बाद माही के फोन पर एक मैसेज आया 'थैंक्स... लव यू!'
माही समझ गया कि यह नंबर हिना का है।
उसने मैसेज डिलीट कर दिया। अगले दिन उसकी हिना से काफी देर एक दोस्ताना बातें हुईं और यह तय हुआ कि अब दोनों रोज बातें करेंगे पर हिना बोली- अगर आप गलत ना समझें तो प्लीज श्वेता या रवि को ये न मालूम पड़े.. बिना बात का कोई कन्फ़्यूजन वो नहीं चाहती थी। दो तीन दिन ऐसे ही निकल गए, अब श्वेता रवि से बात करती तो माही से छिपाकर और उधर हिना माही से बात करती तो रवि से छिपाकर...
रवि शाम को माही के आने के बाद घर आया और उसने श्वेता को बताया कि दिल्ली में इस इतवार और सोमवार को एक अन्तराष्ट्रीय इंटीरियर डिजाइनिंग मेला लग रहा है और वो इतवार की सुबह फ्लाइट से दिल्ली जाएगा। सुनकर श्वेता ने भी माही से जिद की उसे भी इस मेले में जाने दे। पहले तो माही ने मना कर दिया कि दिल्ली में कहाँ ठहरोगी। तो श्वेता बोली कि उसकी सहेली कॉल सेंटर में जॉब करती है और अपने पेरेंट्स के साथ ही रहती है। मैं उसी के पास रुक लूंगी। उसकी जिद के आगे माही ने हाँ कह दी।
रवि बोला- इनका ख्याल में पूरा रख लूँगा और आने जाने की फ्लाइट का टिकट भी करा लूँगा।
उस रात थैंक्स गिविंग के लिए श्वेता ने माही को जमकर सेक्स पार्टी दी।
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06-12-2019, 07:30 PM
अगले दिन 11 बजे रवि का फोन आया कि उसने एयर टिकेट्स करा दी हैं और अपने होटल में ही एक रूम बिना नाम के रुकवा दिया है। दोनों ने यह प्लानिंग की कि ऐसा मौका फिर कब मिलेगा तो श्वेता कुछ न कुछ बहाना बनाकर होटल में ही रुक जाएगी ताकि... अगले दो दिन श्वेता ने अपनी तैयारी में निकाल दिए। आधा दिन तो उसको पार्लर में ही लग गया... पूरी वेक्सिंग और पता नहीं क्या क्या.. उसने अपनी चूत को भी ऐसा चमकाया कि रात को जब माही का मुँह उसने जबरदस्ती अपनी चूत में किया तो माही तो पागलों की तरह उसकी चूत को चूसने लगा। उस रात उसकी चुदाई ऐसी थी कि श्वेता को लगा कि आज उसकी चूत फट जायेगी और वो दिल्ली नहीं जा पायेगी। चूत तो फटनी थी, पर श्वेता चाहती थी कि दिल्ली में फटे...
इतवार सुबह 6 बजे वो और माही एयरपोर्ट पहुँच गए।रवि वहां पहुँच चुका था। श्वेता ने क्रीम कलर का टॉप और ट्राउजर और हील वाली बेलीज पहने थी, नेल पेंट उसने रेड लगाया था। कुल मिलाकर रवि का लंड खड़ा करने का पूरा इंतजाम था। प्लेन में रवि ने श्वेता का हाथ कई बार चूमा। दिल्ली पहुँच कर उन लोगों ने अपने होटल में चेक इन किया और फटाफट एग्ज़िबिशन के लिए निकले। हालाँकि रवि एक ट्रिप के मूड में था पर टाइम नहीं था इसलिए बस चूमा चाटी के बाद दोनों रूम से बाहर आ गए। रवि ने श्वेता का नाम अपने गेस्ट की तरह होटल के रजिस्टर में लिखा। श्वेता को भी खुमारी पूरी चढ़ चुकी थी तो उसने भी सोचा जो होगा देखा जाएगा। दिन भर दोनों प्रदर्शनी में रहे, शाम को होटल वापस आये तो 7 बज चुके थे। अब श्वेता को कोई बहाना बनाना था होटल में ही रुकने का!
उधर सुबह एयरपोर्ट से चलते समय रवि ने माही को अपने ऑफिस की चाभी दी जो गलती से उसके साथ आ गई थी। उसने कहा कि किसी स्टाफ से घर भेज देना। आज सन्डे की वजह से माही का भी ऑफिस बंद था और वो खाली था, उसने सोचा कि चलो हिना से मुलाकात हो जायेगी। तो वो खुद ही लौटते में रवि के घर चाभी देने चला गया। रवि के घर पहुँच कर वहां भी सन्नाटा था क्योंकि ऑफिस बंद था और ड्राईवर भी कार खड़ी करके चला गया था। डोर बेल बजाने पर पांच मिनट बाद हिना ऊपर टेरेस पर आई और माही को देख कर चौंक गई। उसने शॉर्ट्स और टॉप पहना था। वो नीचे गेट खोलने आई और आते में गाउन डाल लिया। माही ने मोर्निंग विश करके चाभी दी और लौटने लगा तो हिना बोली- आज घर पर कोई काम तो आपको है नहीं, रुकिए चाय पीकर जाइएगा।
गेट बंद करके अंदर आकर माही को उसने लॉन में बिठाया और चाय बनाने के लिए जाने लगी तो माही भी साथ साथ अंदर ही आ गया कि बाहर बैठे बोर ही होऊँगा। पर उसने अंदर हिना से कहा- तुम शॉर्ट्स में बहुत प्यारी लग रही थीं, क्या मुझसे पर्दा करना है जो गाउन डाल लिया?
हिना ने हंस कर गाउन उतार दिया। टॉप के अंदर ब्रा ना पहने हनी से उसके निप्पल का उभार अलग ही नजर आ रहा था। चाय लेकर दोनों अंदर ही बैठ गए। आज दोनों खाली थे और अकेलापन होने से बदन में कामाग्नि सुलगनी शुरू हो गई थी। हिना ने पूछ ही लिया कि सन्डे को क्या करते हो।
माही ने बेशर्मी से कह दिया कि सन्डे को जो करता हूँ वो तो आज श्वेता नहीं है तो कैसे होगा, आज तो बोरियत ही होगी।
हिना चुप रही।
माही जाने के लिए खड़ा हुआ.. उसकी शॉर्ट्स में भी उभार आ गया था।
उसने हिना से पूछ लिया- तुम क्या करोगी दिन में?
हिना बोली- कुछ ख़ास नहीं।
माही ने हिना का हाथ पकड़ के कहा- क्यों नहीं आज हम दोनों 'कुछ नहीं' की जगह कुछ करें।
हिना बोली- क्या?
अब माही का सब्र टूट चुका था, उसने हिना को होठों से चूम लिया। हिना भी उससे चिपट गई। दोनों एक दूसरे को चूमते रहे... कुछ पल बाद माही बोला- आज तुम मेरे साथ रहो, कपड़े पैक कर लो।
हिना कुछ सोचने लगी... तो माही ने तुरुप का पत्ता चला कि वहाँ दिल्ली में रवि और श्वेता भी तो साथ साथ हैं।
हिना तैयार हो गई और फटाफट अपना बैग पैक कर लिया।
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06-12-2019, 07:31 PM
गेट लॉक करके दोनों माही के घर गए। घर पहुँच कर माही ने रेस्टोरेंट में फोन करके नाश्ते का आर्डर दिया। हिना ने चाय बनाई। चाय पीकर माही नहाने के लिए चला और कपड़े उतर कर टॉवल लपेट कर बाथरूम का दरवाजा बंद ही किया था कि डोर बेल बजी।माही समझ गया कि नाश्ता आ गया। वो पर्स लेकर बहार गेट पर नाश्ता लेने गया। इस बीच बाथरूम खाली देखकर, हिना नहाने के लिए चली।
माही को भूख लगी थी, उधर हिना बाथरूम में घुस चुकी थी।
माही ने आवाज लगाई- हिना, बाहर आ जाओ।
तो हिना बोली- अरे नहाने जा रही हूँ।
माही ने जिद करके कहा- अच्छा, एक मिनट को बाहर तो आओ।
हिना टॉवल लपेट कर बाहर आ गई।
कमरे का अकेलापन... मन में कामाग्नि... हिना का नंगा बदन.. काफी था माही के सब्र का बाँध टूटने के लिए। वो हिना से लिपट गया और दोनों बेड पर आ गए। उनके टॉवल हट गए और नंगे बदन एक दूसरे में समाने के लिए गुत्थमगुत्था हो गए। उनकी जीभ एक दूसरे को चुभला रही थी और माही के हाथ हिना के उरोजों को मसल रहे थे। माही नीचे हुआ और अपना मुह हिना की चूत में कर दिया। हिना ने अपनी चूत काफी दिनों से साफ़ नहीं की थी इसलिए उसके बाल माही की नाक में चुभ रहे थे।
अब माही हिना के ऊपर आया और उसकी टांगें और हाथ फैलाकर उसकी चूत में अपना लंड घुसा दिया। उसने पास रखा तकिया हिना की गांड के नीचे रखा और अब घमासान चुदाई शुरू हो गई थी। हिना की जिन्दगी में रवि के बाद यह दूसरा लंड था जो रवि के लंड से ज्यादा मोटा था और प्यासा था। हिना की चूत भी इस लंड के मिलन से चौड़ी हो चुकी थी। पांच-सात मिनट के घमासान के बाद माही ने अपना माल हिना की चूत में डालने से पहले उससे पूछ लिया। हिना ने कॉपर टी लगवा रखी थी तो उसने माही के वीर्य से अपनी चूत भर ली।
दस मिनट लेटे रहने के बाद माही और हिना साथ साथ नहाने गए। शावर लेते समय एक बार फिर माही का लंड खड़ा हो गया, उसने वहीं हिना की एक टांग बाथ टब के ऊपर रख कर अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया। ऊपर से शावर का पानी, नीचे चूत लंड का मिलन.. नहाकर माही ने हिना को कपड़े नहीं पहनने दिए और बिना कपड़ों के ही नाश्ता करने के बाद दोनों बेड पर लेट गए। एक घंटा सोने के बाद दोनों तैयार हुए और उठकर मूवी देखने चल दिए। माही ने बॉक्स की टिकेट ली, जिसमें उनके अलावा एक कपल और था।
मूवी शुरू होने पर गार्ड अंदर चक्कर लगाने आया तो माही ने उसे 500 का नोट दिया कि अब अंदर मत आना। पूरी मूवी हिना उसकी गोदी में बैठी रही और दोनों एक दूसरे को चूमते रहे। माही की उंगली हिना की चूत में थी और हिना उसका लंड दो बार नीचे बैठकर चूस चुकी थी। उनकी देखा देखी दूसरे कपल ने भी एक बार चुदाई भी कर ली थी। इंटरवल में माही और दूसरा आदमी जो स्मार्ट और सुंदर था दोनों बाहर पॉपकॉर्न और कोल्ड ड्रिंक लेने आये तो दोनों ने हंस कर आपस में हाथ मिलाया।
लौटकर उन्होंने देखा कि हिना और वो लड़की भी हंस हंसकर बात कर रही हैं। तो अब दोनों कपल पास पास ही बैठ गए। दोनों लड़कियां बगल बगल में बैठी।
मूवी शुरू हनी पर माही ने हिना का टॉप ऊपर कर के उसके मम्मे चूसने शुरू किये तो बगल वाले ने भी ऐसा ही करना शुरू किया। हिना बदमाशी पर उतर आई और उसने बराबर वाली लड़की की उंगली अपनी चूत में और अपनी उंगली उसकी चूत में कर दी। अब बराबर वाले आदमी ने अपने हाथ से हिना का मम्मा मसलना शुरू किया तो माही के हाथ भी दूसरी लड़की के मम्मों पर मचल गए। हिना और उस लड़की के ने दोनों लड़कों के लंड को बाहर निकाल रखे थे। अचानक हिना उठी और बराबर वाले आदमी के लंड के ऊपर बैठ कर उसका लंड अपनी चूत में कर लिया और उछल उछल कर चुदाई करने लगी। माही ने तो दूसरी लड़की की जीन्स उतार दी और पीछे से उसकी चूत में घुस गया। दस मिनट की चुदाई के बाद चारों अपनी अपनी सीट पर आये और थक कर कोल्ड ड्रिंक और पॉपकॉर्न निबटाने लगे।
मूवी के बाद माही और हिना ने लंच लिया और माही ने एक बहुत महंगा ड्रेस हिना को खरीद कर गिफ्ट किया। घर आते आते शाम के 7 बज गए। तभी श्वेता का फोन आया कि उसकी दोस्त की तो कॉल सेंटर में नाईट शिफ्ट है, वो कह रही है कि घर पर मम्मी पापा के पास रुक जा। अब ऐसे तो में बोर हो जाऊँगी तो अगर माही परमिशन दे दे तो वो अपने लिए रवि के होटल में सेपरेट रूम देखे। माही के पास और कोई चारा नहीं था और मन में चोर भी था। उसकी निगाह में तो श्वेता और रवि के बीच कुछ नहीं था और इधर वो और हिना तो सारी हदें पार कर चुके थे और शायद हिना आज रात उसके पास ही रुक जाए, यह सोच कर उसने हाँ कह दी। श्वेता ने फटाफट होटल के रजिस्टर में अपनी एंट्री करी और अपने रूम में सामान रखकर रात की रंगीनी के लिए वो जो ड्रेस लाई थी उसे और एक इवनिंग वियर को एक हैण्ड बेग में रखकर वो घूमती हुई रवि के रूम में पहुंची जो बेसब्री से उसका इन्तजार कर रहा था। श्वेता के रूम में अंदर आते ही रवि उस पर टूट पड़ा और दोनों के कपड़े पांच मिनट में कमरे में बिखरे पड़े थे।
कपड़े उतारने की इतनी जल्दी मचाई रवि ने कि उसके और श्वेता के अंडरगारमेंट्स तो कहीं कुर्सी कहीं मेज पर उछल कर पहुँच गए थे। दोनों बिना कपड़ों के एक दूसरे में समाने को बेताब थे।
श्वेता खूबसूरत तो थी ही, आज उसका चिकना बदन उसका स्टाइल और रेड नेल पेंट... ये सब रवि को मदहोश कर रहे थे। 15-20 मिनट की चुदाई में होटल के बेड का कचूमर निकल गया था। कमरे में चारों ओर कहीं तकिये, कहीं श्वेता की ब्रा-पैंटी, कहीं रवि का अंडरवियर... ऐसा लग रहा था कि कोई तूफ़ान आया हो। रवि के चेहरे पर लाल लिपस्टिक और उसकी पीठ पर श्वेता के नेल्स से बने निशान उनकी दीवानगी को बयां कर रहे थे। दोनों साथ साथ नहाये और फिर बाहर घूमने जाने के लिए तैयार होकर होटल से बाहर आये। रवि ने एक टैक्सी ली और कनाट प्लेस गए। लौटते में डिनर लेकर आते में इन्हें 11 बज गए। श्वेता अपने रूम में गई और रवि अपने रूम में। श्वेता ने सबूत के लिए कॉफ़ी शॉप से एक कॉफ़ी भी मंगा ली। नहाकर श्वेता ने एक झीनी सी टू पीस नाइटी पहनी। इसमें उसके सुडौल मम्मे और चिकनी चूत साफ दिख रही थी। रूम में उसने रूम फ्रेशनर घुमाया और अपने बदन पर एक मादक परफ्यूम की बौछार की।
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06-12-2019, 07:32 PM
12 बजे गेट पर आहट हुई, रवि था। श्वेता ने कमरे में बिलकुल अँधेरा किया और चुपके से गेट खोल दिया। रवि अंदर आया, उसे अंधेरे में कुछ नहीं दिखा। श्वेता डोर के पीछे थी, उसने डोर लॉक किया। रवि पीछे मुड़ा और सीधे श्वेता की बाँहों में पहुंचा। दोनों चिपट गए, एक दूसरे के अंदर समाने की ऐसी आग लगी थी दोनों के बदन में जो बुझ ही नहीं रही थी।
रवि ने एक मद्धम सी लाइट जलाई, श्वेता का यह रूप उसके लिए अप्रत्याशित था, वो भूखे शेर की तरह फिर लिपट गया अपनी माशूका से। अब उसने उसके मम्मों को जोर जोर से चूसना शुरू किया तो
श्वेता बोली- क्या कर रहे हो, इन्हें खा जाओगे क्या.. मैं कहीं भागी थोड़े ही जा रही हूँ!
पर जब रवि नहीं मन तो श्वेता ने उसका बरमूडा नीचे करके उसका लंड कसके दबाना शुरू किया, अब रवि को मालूम पड़ा कि दर्द क्या होता है। जैसे ही उसने मम्मों को छोड़ा, श्वेता नीचे बैठ गई और रवि का लंड पूरा मुंह में ले लिया। अब श्वेता ने इतनी जोर जोर से गन्ने की तरह रवि के लंड को चूसा की रवि को लगा वो अब बर्दाश्त नहीं कर पायेगा... उसने जबरदस्ती अपना लंड श्वेता से छुड़ाया। दोनों हंसते हुए अलग हुए और रवि ने श्वेता को गोदी में उठाया और बेड पर जा पटका। बेड स्प्रिंग का होने से बहुत गुदगुदा था। रवि उछल कर खुद भी उसके पास लेट गया और दोनों के होंठ मिल गए... दोनों बहुत खुश थे। रवि नीचे हुआ और 69 पोजीशन में आ गए दोनों... श्वेता के मुख में रवि का लंड था और रवि श्वेता की चिकनी चूत में जीभ घुसाए था। थोड़ी देर की चुसाई में ही दोनों इतनी गर्म हो गए कि रवि श्वेता को लिटाकर उसके ऊपर लेट गया और उसकी चूत में अपना लंड करके उसके मम्मों से अपनी छाती चिपटा कर उसके होठों से अपने होंठ मिला कर ऊपर नीचे होने लगा।
उसने श्वेता की बाहें ऊपर लिटा रखी थी और उसके दोनों बाहें थाम कर वो आगे पीछे हो रहा था, चुदाई के इस नए ढंग ने श्वेता की चूत में आग लगा दी, वो भी अब रवि का साथ देने लगी। और अचानक उसने रवि को नीचे पलटा, चढ़ गई उसके ऊपर और करने लगी जोर जोर से चुदाई। अब उसके मुख से बहुत आवाज निकल रहीं थी। चोदते चोदते जब वो हांफ गई तो रवि ने भी नीचे से धक्के देने शुरू किये पर उसका लंड था कि छूटने को तैयार नहीं था। रवि अब श्वेता को नीचे कर के उसके ऊपर चढ़ा और पूरा लंड पेल दिया एक ही झटके में... दस-बारह झटकों में ही रवि ने अपना माल श्वेता की चूत में भर दिया और निढाल होकर श्वेता के बगल में ही लेट गया। अगले दिन एग्जीबिशन में जाना था तो दोनों एक डीप किस करके अलग हुए और रवि अपने रूम में जाकर सो गया।
उधर माही ने श्वेता का फोन काट कर फ्रिज से जूस की दो कैन निकाली। जूस पीते समय उसने हिना से कहा- दिल्ली में श्वेता रवि के होटल में ही रूक रही है तो आज क्यों न तुम भी यहीं रुक जाओ।
हिना को डर लग रहा था, वो बोली- नहीं, यह ठीक नहीं होगा।
माही बुझे मन से हिना को छोड़ने उसके घर आया। और वो जैसे ही वापस जाने के लिए पलटा, हिना उससे लिपट गई और
बोली- आज तुम यहीं रुक जाओ!
माही मान गया और अपनी कार गेट से अंदर खड़ी करके दोनों अंदर आये। माही ने हिना को गोदी में उठा लिया और हिना उसकी कमर में टांगें लगा कर लटक गई।
दोनों के होंठ मिले हुए थे।
हिना बोली- मैं नहा कर आती हूँ, फिर डिनर के लिए चलेंगे।
माही बोला- चलो साथ ही नहाते हैं और डिनर का आर्डर कर देते हैं, यहीं आ जायेगा।
हिना ने बाथटब भरने लगा दिया और फ्रिज से एक बियर निकाल लाई। माही बियर देखकर खुश हो गया और दोनों कपड़े उतार कर बियर लेकर बाथ टब में उतर गए। माही ने बियर का एक सिप खुद लिया, एक हिना को पिलाया और बाथटब में नीचे लेट कर हिना को अपने ऊपर गोदी में लिटा लिया। उसने अपनी टाँगें चौड़ा रखी थीं और हिना उनके बीच में थी। हिना ने माही का लंड पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी। माही भी अपने दोनों हाथों से हिना के मम्मों को मालिश कर रहा था। हिना ने अपनी गर्दन घुमाकर अपनी और माही की जीभों का मिलन करा दिया। माही नीचे खिसका, हिना भी नीचे हो गई, अब शावर की मोड़ी धार उसकी चूत पर गिर रही थी। पानी की धार हिना को दूसरे लंड का सा मजा दे रही थी।
हिना कामाग्नि में उछलने लगी और जब बर्दाश्त न हुआ तो वो पलटी और माही का लंड अपनी चूत में लेकर के उछलने लगी।
कुछ देर बाद माही ने उसे घोड़ी बनाया और पेल दिया अपना लंड उसकी चूत में... चाहता तो वो उसकी गांड मारना था पर हिना ने मना कर दिया। थोड़ी देर की पेलम पिलाई के बाद माही ने अपना माल खाली कर दिया, पानी में सब धुल गया। हिना ने नीचे से टब की कॉर्क निकाल दी और दोनों खड़े होकर नहाये और फिर बाहर आये। दोनों ने पहले तो बियर ख़त्म करी। बाहर लॉन में दोनों ने लगभग बिना कपड़ों यानी हिना ने तो केवल एक स्लीवलेस शार्ट फ्रॉक पहनी जिसमें बैठते ही उसकी चूत दिख रही थी और मियां माही तो केवल रवि की एक लुंगी लपेटे ही बैठे थे जिसमें से उनके मुंगेरी लाल बार बार बाहर आ जाते थे। हिना की फ्रॉक का गला इतना ढीला और डीप था कि वो जिसे ही झुकती उसके मम्मों का साइज़ दिख जाता और मुंगेरी लाल फिर सलामी देने बाहर आ जाते। इतने में माही ने डिनर का जो आर्डर किया था, वो आ गया। जैसे तैसे खाना निबटा कर माही ने प्लेट्स और पॉलिथीन अपनी गाड़ी में रखी। वो बियर की खाली बोतल भी रखना नहीं भूला। 11 बज चुके थे, मुंगेरी लाल धावा बोलने को तैयार थे। कुदरत का क्या करिश्मा था इधर माही और हिना अपनी जिन्दगी का नया तजुर्बा कर चुके थे और एक नई इबारत लिखने की तैयारी में थे, उधर श्वेता और रवि ने कामसूत्र की कई विधाएं अपना कर चुदाई की नई मिसाल कायम कर ली थी।
दोनों जोड़े यह सोच कर बेवफाई कर रहे थे कि वो आज अपने पार्टनर से छिपा कर ये गुल खिला रहे हैं।
हिना बाथरूम से ब्रश करके बाहर आई, इधर माही भी बाहर वाश बेसिन पर फ्रेश हो गया था। इधर उधर की लाइट बंद करते हुए हिना मुस्कुराते हुए बेडरूम की ओर गई, पीछे पीछे माही भी आया, पीछे से ही हिना को पकड़ लिया और उसके कान को अपने जीभ से चुभलाया तो हिना को गुदगुदी हुई, वो पलटी तो चिपक गई माही से! माही ने अपनी बलिष्ठ बाँहों में उसको जकड़ कर उसके होठों पे अपने होंठ रख दिए। उसका लंड लुंगी से निकल रहा था, उसने खड़े खड़े ही हिना की फ्रॉक उठा कर अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
हिना सिहर गई, बोली- चलो, बेड पर चलो।
बेड पर पहुंचते पहुंचते दोनों के कपड़े उतर गए थे। माही ने दिन में ही हिना को चूत साफ़ करने को कहा था तो पता नहीं कब टाइम निकल कर हिना ने चूत चिकनी कर ली थी। अब जब माही ने अपना मुँह उसकी चूत में लगाया तो चिकनी चूत देखकर उसने दोनों हाथों से उसकी चूत की फलक को चौड़ा किया और अपनी जीभ घुसा दी। थोड़ी देर में ही हिना पागल हो गई और अब उसकी बारी थी माही का लंड चूसने की...
तो उसने बेड पर लेटे लेटे ही माही का लंड अपने मुख में कर लिया और जोर शोर से उसे चूसने लग। माही उसके मम्मे मसल रहा था। अब बर्दाश्त की इन्तेहा हो रही थी, हिना ने लंड का चूस चूस कर बुरा हाल कर दिया था। माही हिना पर चढ़ गया और उसकी टांगों को चौड़ा करके अपना पूरा लंड पेल दिया। माही ने चुदाई की स्पीड धीमी रखी और अंदर से बाहर करते समय लंड को पूरा बाहर और फिर धीमी स्पीड में पूरा अंदर तक ठेला। इस स्लो मोशन की चुदाई में हिना को बहुत मजा आ रहा था,
वो बड़बड़ाने लगी- और जोर से चोदो ना मेरे राजा... आज चोद चोद कर इसका भुरता बना दो। तुम तो कह रहे थे कि आज इसे फाड़ दोगे... तो फ़ाड़ो ना मेरी जान... बहुत मजा आ रहा है।
अब माही ने भी स्पीड बढ़ा दी। स्पीड बढ़ने से हिना की आवाज भी बढ़ती गई... और एक धमाके के साथ माही ने अपना सारा माल हिना की चूत में भर दिया। हिना ने माही को कस के चिपका लिया, वो उसका लंड भी अपनी चूत से नहीं निकालने दे रही थी। दोनों निढाल होकर बगल बगल ही सो गए।
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06-12-2019, 07:33 PM
सुबह 5 बजे माही की आँख खुली, हिना सो रही थी। माही ने उसका मम्मा मुँह में लिया और उंगली उसकी चूत में कर दी।
हिना ने मुस्कुराते हुए आँख खोल दी।
जब उसने माही का फनफनाता हुआ लंड तैयार देखा तो उसका भी मन मचल गया और वो चिपट गई माही से और अपने हाथ से उसका लंड अपनी चूत में कर किया।
एक बार फिर गुत्थम गुत्था होकर चुदाई हुई। माही ने जल्दी ही फिर हिना की चूत भर दी। माही अब उसे छोड़ कर जल्दी से उठा और कपड़े पहन कर अपने घर के लिए निकल लिया। हिना ने भी उठकर अपने और कमरे को ठीक करना शुरू किया।
बेड शीट पर पड़े माही और उसके प्यार के निशान मिटने जरूरी थे। उसने वाशिंग मशीन में सब कुछ डाला पर उस हैण्ड टॉवल को जिसमें माही के प्यार के निशान थे, संभाल कर अपनी वार्डरोब में रख दिया।
घर ठीक करते करते उसे 8 बज गए। बाहर ऑफिस बॉय आ गया था, उसे उसने ऑफिस की चाभी दी और खुद नहाने घुस गई। बाथटब में लेटे लेटे उसे बीते पलों की याद बहुत प्यारी लगीं। गत दिन उसकी जिन्दगी का एक अनोखा दिन था। रवि से बेवफाई का उसे पता नहीं क्यों अफ़सोस नहीं था और जब से माही ने बताया था कि रवि और श्वेता एक ही होटल में रुक रहे हैं, तभी से उसके मन में यह ख्याल आया था कि आज रात वो भी माही के साथ बिताए।
नहा कर उसने माही को फोन किया, पूछा- लंच में क्या लोगे? हिना ने कह दिया- मैं लंच भिजवा दूँगी।
इस पर माही बोला- तुम खुद ही ले आना, अंदर ऑफिस में खा लेंगे।
हिना खुश हो गई।
रवि का फोन भी आया कि वो शाम 8 बजे तक पहुंचेगा। हिना ने बढ़िया सा लंच बना कर पैक किया और 2 बजे करीब माही के ऑफिस अपने ड्राईवर के साथ पहुंची। जैसा उन दोनों का तय हुआ था, हिना ने लंच अपने ड्राईवर से अंदर भिजवाया, खुद गाड़ी में बैठी रही, तो माही खुद आया और उसे भी अंदर ले गया। हिना ने साड़ी पहनी थी क्योंकि मार्किट में ऑफिस था। माही उसे अन्दर बिठा कर बाहर वाले ऑफिस में चला गया और उसके लिए कोल्ड ड्रिंक भिजवा दी। थोड़ी देर बाद माही अंदर आया और डोर लॉक करके दोनों चिपक गए। माही हिना के साथ बिताये हर पल से खुश था। हालाँकि हिना की चुदाई पिछले 24 घंटे में भरपूर हो चुकी थी पर मन अभी भरा नहीं था। माही ने उसे वहाँ पड़ी सेटी पर लिटा कर एक बार पूरा पेल कर चुदाई करी और अपने हेंकी को उसे पोंछने को दे दिया, जिसे हिना ने अपनी चूत में ही फिट कर लिया, क्योंकि इतनी चुदाई हुई थी उसकी और उसकी चूत को इतना माल मिला था पीने को कि चूत लगातार टपक रही थी। माही ने धीरे से गेट का लॉक खोल दिया और दोनों लंच करने लगे। माही ने बीच में किसी काम से अपने सर्वेंट को अंदर बुलाया ताकि यह सबूत रहे कि उसने और हिना दोनों ने लंच अलग अलग किया था।
रात को श्वेता और रवि अपने अपने घर 8.30 तक पहुँच गए। रात को श्वेता ने भी माही का और हिना ने रवि का लंड यह कह कर खूब निचोड़ा कि 'दो दिन हो गए चूत प्यासी है...' और माही और रवि ने भी चुदाई घमासान की यह कह कर कि दो दिन से माल रुका हुआ है तुम्हारी चूत के इंतज़ार में...
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06-12-2019, 07:34 PM
तो यह थी कहानी, ऐसे पति पत्नी जो एक दूसरे के बिना नहीं रह पाते थे और अब उनकी चूत और लंड भी ऐसे हो गए कि उन्हें कोई चाहिए चाहे उनका अपना हो या दोस्त का...
दोनों युगल खुश... दोनों जानते हैं कि वे बेवफाई कर रहे हैं पर दोनों यह सोचते हैं कि उनका पार्टनर सिर्फ उनका है।
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06-12-2019, 07:34 PM
तो यह थी कहानी, ऐसे पति पत्नी जो एक दूसरे के बिना नहीं रह पाते थे और अब उनकी चूत और लंड भी ऐसे हो गए कि उन्हें कोई चाहिए चाहे उनका अपना हो या दोस्त का...
दोनों युगल खुश... दोनों जानते हैं कि वे बेवफाई कर रहे हैं पर दोनों यह सोचते हैं कि उनका पार्टनर सिर्फ उनका है।
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06-12-2019, 07:36 PM
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06-12-2019, 07:37 PM
जागरण
मैं अपनी साड़ी लपेट चुकी थी और बालो को आखिरी स्वरुप दे रही थी की तभी सासु माँ की आवाज़ आयी की तैयार हुई की नहीं, सब लोग आ चुके होंगे ज्यादा देर नहीं करते अब। मैं तुरंत कंघा नीचे रखते हुए बोली हो गया बस और कमरे से बाहर निकल गयी। सासु जी तैयार थे पडोसी के यहाँ एक रात्री जागरण में जाने के लिए। मैंने तुरंत कमरे को ताला लगाया और सासुजी के साथ पैदल घर से निकल पड़ी।
सासु जी कुछ बोलते हुए चल रहे थे पर में किन्ही और ख्यालो में थी, पति को दूसरे शहर गए 4 महीने हो चुके थे और बहुत याद आ रही थी, विरह के कुछ महीने काट रही थी। दस मिनट के बाद ही हम पड़ोस के मकान के सामने खड़े थे, अंदर काफी चहल पहल थी, रात्रि जागरण का माहौल बन चूका था। एक बड़े हाल में सारे पुरुष लोगो के लिए व्यवस्था थी।
वहाँ की मेरी भाभी सहेलिया दूसरे थोड़े छोटे कमरे में थी अपने पीहर और घनिष्ट सहेलियों के साथ, इसलिए थोड़े अभिवादन के बाद मैंने उनको डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा। अंदर एक बड़े कमरे में सारी औरते बैठी बातोंमें मशगूल थी, हमारे आते हैं उन्होंने स्वागत किया और हम लोग बैठ गए। कुछ औरते बातों में मग्न थी कुछ ने सोने की तैयारी कर ली थी। पता चला पूजा आरती का कार्यक्रम सुबह 5 बजे होने वाला हैं। मैं अपने पुराने दिनों और विचारो में खो गयी और मध्य रात्रि होने वाली थी, अब तक सारी औरते और पुरुष सो चुके थे। शायद सुबह 5 बजे उठने की तैयारी में, मगर मेरी आँखों में नींद नहीं थी, भीड़ भरा माहौल देख कर मेरी नींद वैसे भी जा चुकी थी। मैं कमरे से बाहर लघु शंका के बहाने किसी तरह औरतो के पाँव बचाते हुए बाहर निकली।
तभी सामने मोहित दिखाई दिया, जिसका यह घर था। एक हंसमुख और मुखर स्वभाव का युवक मेरे पति का हम उम्र। जब भी किसी फंक्शन में जाता अपनी बातों से वह शमा बाँध लेता। मुझे ऐसे व्यक्तित्व हमेशा आकर्षित करते हैं। पिछली बार जब कुछ महीने अपने पति से दूर थी तब जब भी वह मिलता मेरी कुशलक्षेम जरुर पूछता और मदद के लिए पूछता। मगर कभी उसे मदद का मौका नहीं दिया। मुझे देखते ही उसने हँसते हुए सवाल दाग दिया की मेरे पति कब आने वाले हैं। मुझे भी पक्का पता नहीं था पर बोल दिया कुछ और महीने लगेंगे। फिर उसने पूछा की मैं अब तक सोई क्यों नहीं जब की सारे लोग सो चुके थे। फिर उसने सुबह 5 बजे के प्रोग्राम के बारे में बताया। मैंने उसे समझाया की इस भीड़ में मैं नहीं सो सकती। उसको मुझ पर दया आयी और कुछ सोचने लगा। उसकी इस उधेड़बुन को देखते हुए मैंने एक सवाल दाग दिया आप अब तक क्यों नहीं सोये।
उसके चेहरेपर एक शरारती मुस्कान तैर गयी और हाथ में पकड़ी कम्बल को थोड़ा उठाते हुए बोला की उसके सोने का एक विशेष प्रबंध किया हैं उसने घर की छत पर। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ, और पूछा छत पर तो बहुत मच्छर होंगे और सुबह होने तक ठण्ड भी बढ़ जाएगी। वह मेरे सवालो के जवाब के साथ तुरंत तैयार था। उसने बताया की उसने एक मच्छरदानी का इंतज़ाम पहले से कर लिया हैं और ठण्ड के लिए कम्बल लेने ही आया था। यह कम्बल भी उसने किसी और सोते हुए व्यक्ति के सिरहाने से निकाल कर लिया हैं। मैं उसकी इस शरारत पर खिलखिला पड़ी। मेरे चेहरे पर हंसी देख कर उसको अच्छा लगा और मुझे मदद के रास्ते सोचने लगा।
मैंने मजाक करते हुए कहा आपके अच्छा हैं विशेष इंतेज़ाम हैं, हमारा क्या? यह बात उसकी दिल को लगी। उसमे मुझे सुझाव दिया की मैं छत पर मच्छरदानी में सो जाऊ। मुझे लगा वह मजाक कर रहा हैं, पर वह इस बात पर गंभीर था। उसने अब और ज्यादा आग्रह किया तो तो मैंने उसको टालने के लिए बोल दिया की फिर आप कहा सोएंगे। उसने बोला की वह नीचे ही सो जायेगा पुरुषो के कमरे में। मैंने उसका प्रस्ताव यह कहते हुए ठुकरा दिया की यह नहीं हो सकता, सारी महिलाये यहाँ हैं मैं वहां अकेले जाउंगी और किसी को पता लगा तो अच्छा नहीं होगा। उसने बताया की छत पर कोई नहीं हैं और मैं छत पर लगे दरवाज़े को अंदर से बंद करके सो सकती हूँ, किसी को पता नहीं चलेगा और सुबह सबके जागने तक वापिस नीचे आ सकती हूँ। मुझे कुछ और नहीं सुझा तो बहाना मार दिया की मैं वहाँ अकेले नहीं सो सकती डर लगता हैं।
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06-12-2019, 07:38 PM
कुछ सोचने के बाद वह बोला कि वह मेरे साथ सो जायेगा। उसके यह कहते ही एक चुप्पी सी छा गयी। उसे अहसास हुआ की उसने क्या बोल दिया और तुरंत अपनी बात सुधारते हुए बोला कि वह पास में ही दूसरा बिस्तर लगा के सो जाएगा। मैंने तुरंत मना कर दिया कि मेरी वजहसे मैं उसको मच्छरों का भोजन नहीं बना सकती। वह अपने आप को लाचार महसूस करने लगा। हमेशा मदद के लिए ऑफर करने वाला आज मदद मांगने पर नहीं कर पा रहा था। उसने अपना आखिरी प्रस्ताव रखा कि मच्छरदानी पलंग के साइज की हैं जिसमे दो लोग आसानी से सो सकते हैं और अगर मुझे आपत्ति ना हो तो हम दोनों वहां सो सकते हैं। मेरे हां कहने का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं होता पर अब उसने एक ब्रह्मास्त्र छोड़ा की अगर मैं उसपे थोड़ा सा भी भरोसा करती हु तो हां कर दू। अब मैं बुरी तरह फंस चुकी थी। न हां कह सकती और न ही ना कह सकती। एक तरफ कुआ दूसरी तरफ खाई।
ऐसा नहीं था की मैं उस पे भरोसा नहीं करती। परन्तु यह समाज, अगर किसी को पता चल गया, तो कुछ ना होते हुए भी मुझे बहुत कुछ होने वाला था। अपने पति को क्या जवाब दूंगी। मैं हां या ना कुछ कह पाती उसके पहले ही उसने मुझे निर्देश दिया कि मैं अपनी सासुजी को बोल दू की मैं दूसरे कमरे में भाभी (उसकी पत्नी) के साथ सो रही हु और फिर मैं छत पर आ जाऊ वह मेरा इंतज़ार करेगा। यह कहते हुए वह सीढिया चढ़ते हुए चला गया। मेरे पाँव अब जम गए, फिर औरतो वाले कमरे की तरफ गयी सासुजी दूसरे कोने में सो रहे थे और उन तक पहुंचने के लिए काफी लोगो को लांघ कर जाना था, फिर सासुजी की नींद ख़राब करना ठीक नहीं समझा। मैं मुड़ कर सीढ़ियों की तरफ भारी कदमो से बढ़ने लगी l किसी तरह बेमन से मैं छत पर पहुंची, वहा वो मेरा इंतज़ार कर रहा था। उसने छत के दरवाज़े पर कुण्डी लगाते हुए मुझे आश्वासन दिया कि चिंता ना करू और किसी को पता नहीं चलेगा।
उसने अच्छे से गद्दा लगा रहा था और मच्छरदानी के अंदर दो तकिये लगे हुए थे। उसने कही से मेरे लिए दूसरे तकियेका इंतज़ामकर लिया था। शायद फिर किसी के सिरहाने से खिंच कर। अब हम दोनों एक ही बिस्तर पर आस पास लेटे आसमान को निहार रहे थे। चांदनी रात थी आसमान साफ़ था तारो से भरा हुआ और बहुत खुशनुमा रात का मौसम था। हलकी सी हवा चल रही थी पर ठण्ड शुरू नही हुई थी इसलिए कम्बल एक कोनेमें पड़ा था। थोड़ी देर ऐसे ही बातें करते रहे फिर थोड़ी ख़ामोशी और पता ही नहीं चला कब मेरी आँख लग गयी।
अचानक मैंने अपने सीने पर कुछ हलचल महसूस कि और मेरी नींद टूट गयी पर आँखें अभी भी बंद ही थी। मैंने महसूस किया कुछ उंगलिया मेरे ब्लाउज के हुक को खोल रही थी। मैं डर से काँप उठी, क्या यह उसी की हरकत हैं। अब मैं क्या कर सकती हु। अगर चिल्लाई तो लोग पूछेंगे मैं यहाँ अकेले क्यों आयी और मुझ पर ही शक करेंगे। मैंने आँखें बंद किये हुए ही कुछ इंतज़ार करना ठीक समझा। तब तक सारे हुक खुल चुके थे और मेरे खुले ब्लाउज के अंदर कुछ हवा प्रवेश कर गयी। मैं फिर से कांप उठी और एक अनिष्ट की आशंका से गिर गयी। मैं इंतज़ार करने लगी आगे क्या गलत होने वाला हैं। अब उसका हाथ मेरे पेट पर था, पुरे 4 महीने बाद किसी पुरुष ने मुझे छुआ था, पुरे शरीरमें एक तरंगसी दौड़ गयी। कुछ मजा भी आरहा था पर डर ज्यादा था। उसने अब मेरे पेटीकोट से साड़ी की पटली निकालने की कोशिश की जिसमे वह कामयाब नहीं हुआ, शायद मेरे जाग जाने के डर से ज्यादा ताकत नहीं लगाई। मैंने चैन की सांस ली। अब उसने मेरा ब्लाउज सामने से और खुला कर दिया शायद मेरे स्तन देखना चाहता था, पर कसे हुए ब्रा की वजह से कुछ हो नहीं पाया। ब्रा का हुक पीठ पर था और मैं पीठ के बल ही सोइ थी इस बात की ख़ुशी थी। वो चाहते हुए भी ब्रा नहीं खोल सकता था।
कुछ मिनट ऐसे ही निकल गए और वो मेरे कमर और ऊपरी सीने पर ऐसे ही हाथ मलता रहा, फिर जब उसे अहसास हुआ की कुछ होने वाला नहीं तो मेरे हुक वापिस लगा दिए। मैंने चैन की लम्बी सांस ली और थोड़ी देर बाद कब फिर आँख लग गयी पता ही नहीं चला। मेरी नींद में दूसरी बार व्यवधान आया, इस बार मैं करवट लेके उसकी और पीठ करके सोई हुई थी इसलिए आँखें खोली, अभी भी गहरी चांदनी रात थी और नींद खुलने का कारण वही था।
पर थोड़ी देर हो चुकी थी, ब्लाउज के सारे हुक खुल चुके थे। फिर से डर की लहर कोंध गयी कि इस बार कैसे बचूंगी क्यों की मैं करवट लेके सोई थी और ब्रा का हुक उसकी तरफ था। कुछ सोच पाती उसके पहले ही खट की आवाज़ से ब्रा का हुक खुल चूका था और अचानक सीने पर कस के बाँधा हुआ प्रोटेक्शन ढीला हो चूका था। मैंने एक साये को अपने चेहरेकी तरफ आते महसूस किया और तुरंत अपनी आँखें बंद कर ली। उसके हाथों ने अब मेरा ब्रा, मेरे शरीर के एक महत्पूर्ण अंग से उठा दिया और हवा की लहरे अब मेरे स्तनों को छू रही थी। उस साये में मैंने मह्सूस किया कि अब वह मेरे शरीरके उस भाग को घूर रहा हैं जिसे देखने की असफल कोशिश उसने कुछ देर पहले ही की थी, पर अब वो कामयाब हो चूका था।
मैं अपने आप को कोसने लगी क्यों मैंने करवट ली। और उससे भी पहले क्यू मैं उसको ना नहीं बोल पाई छत पर आने के लिए। पर अब क्या हो सकता था, या अबभी बहुत कुछ रोका जा सकता था। अगले कुछ क्षणों के बाद उसने एक हाथ से मेरे स्तन को दबोच लिया था, मैं अंदर से पूरी तरह सिहर गयीथी। पर कुछ बोलने या करनेकी हिम्मत नहीं जुटा पायी। और यह प्रार्थना करने लगी की इससे बुरा कुछ न हो, या शायद अंदर ही अंदर कही से यह चाहती थी की 4 महीने के एकांत वास को टूटने दिया जाये। शायद मैं कुछ निर्णय नहीं ले पा रही थी और खुद को भाग्य के हाथों छोड़ दिया था। कुछ देर ऐसे खेलने के बाद उसके हाथ फिर मेरी साड़ी की पटली की तरफ बढे और कुछ सेकंड के जद्दोजहद के बाद पटली पेटीकोट के बाहर थी और अगले कुछ मिनटों में मेरी पूरी साड़ी पेटीकोट से अलग हो चुकी थी।
अब मैं एक अबला की नारी तरह पड़ी थी जिसके शरीर पर सिर्फ पेटीकोट था ऊपर के वस्त्र सामने से खुले थे। फिर से एक खट की आवाज़ हुई और मेरे पेटीकोट का नाड़ा खुल चूका था और उसने मेरा पेटीकोट कमर से नीचे खिसकाना शुरू कर दिया। मैंने आंखें खोली तो पेटीकोट पूरा निकल कर मेरी आँखों के सामने पड़ा चिढ़ा रहा था। और कुछ सोचने के पहले ही मेरे नीचे के अंगवस्त्र भी निकल कर पेटीकोट का साथ पड़े थे। अब मुझे अहसास हो चूका था कि बचने का कोई रास्ता नहीं हैं और आत्म समर्पण कर देना चाहिए या तुरंत उठ कर फटकार लगा देनी चाहिये कि उसकी यह हिम्मत कैसे हुई। फिर किसी डर की आशंका से या काफी समय से शरीर की जरुरत पूरी नहीं होने की वजह से मैं चुप चाप लेटी रही।
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06-12-2019, 07:39 PM
मेरे नग्न शरीर को देख कर अब शायद उसका अपने आप पर नियंत्रण नहीं रहा था और पीछे से उसका शरीर मुझसे चिपका हुआ था और रह रह कर ऊपर निचे रगड़ रहा था। और उसका एक हाथ मेरे कमर, कूल्हों और स्तनों पर फेरा रहा था। फिर उसने अपना शरीर मुझसे अलग कर लिया, मुझे लगा उसका इरादा बदल गया लगता हैं और मैं सुरक्षित हूं, पर मैं गलत थी। फिर कुछ कपडे निकलने की आवाज़ आयी। अब मैंने अपने पीछे के निछले हिस्से में एक गर्म बदन का स्पर्श महसूस किया, मुझे समझते देर नहीं लगी की उसने क्या किया हैं। और अब वो पूरा नग्न था मुझसे पीछे से फिर चिपक गया। इस बार शायद कुछ ज्यादा ही जोर से, शायद नग्नावस्था में उसकी इन्द्रिया और सक्रीय हो गयी थी।
उसका लचीला अंग मेरे पुठ्ठो को छु गया। अब शायद कही न कही मैं अपने आप को तैयार कर चुकी थी एक अनपेक्षित मिलन के लिए। उसका शरीर बराबर मुझे पीछे से रगड़ रहा था। मैं महसुस कर पा रही थी उसका लचीला अंग धीरे धीरे कठोर होता जा रहा था। अब वह जोर जोर से मेरे स्तनों को दबाते हुए कुचलने लगा पर अब मुझे बुरा नहीं लग रहा था। कुछ देर बार उसने हाथ स्तनों से हटा लिया। उसका कठोर अंग अब मेरे दोनों टांगो के बीच खोजी कुत्ते तरह कुछ ढूंढ रहा था। शायद अंदर प्रवेश का मार्ग पर मिल नहीं रहा था। एक दो बार वह मेरे योनि द्वार के आस पास भी पंहुचा था। थोड़े प्रयासों के बाद ही उसे मेरे शरीर पर गीली जमीन मिल गयी और वो रुक गया। उसका लिंग अब मेरे योनि द्वार पर था। मेरी साँसे जैसे रुक गयी। एक भटकते हुए प्यासे राहगीर के होठों पर जैसे किसी ने पानी का गिलास रख दिया था।
उसके लिंग ने थोड़ी ऊपर नीचे हरकत की और थोड़ा सा योनि में अंदर गड़ गया। मैंने आँखें जोर से बंद कर ली अगले क्षणों में जो होने वालो था उसकी तैयारी में। पति के अलावा पहली बार कोई पुरुष मेरी योनि में प्रवेश करने वाला था। इतनी देर की रगड़ से मेरे अंदर पहले ही थोड़ा गीला हो चूका था। मक्खन की तरह धीरे धीरे उसका लिंग फिसलते हुए अंदर आता गया और उसके मुँह से सिसकी निकलती गयी। मेरा हाथ चेहरे के पास ही था, सो अपने होठों पर रख मुँह बंद कर दिया। उसने अपने हाथ से एक बार फिर मेरा स्तन दबोच लिया। मैं अपने काफी अंदर तक उसके कठोर लिंग को महसूस कर पा रही थी। जितनी धीमी गति से वो अंदर गया उसी धीमी गति से उसने फिर उसको आधे से भी ज्यादा बाहर निकाला। अंदर और बाहर निकलते समय उसका लिंग मेरी योनी की दीवारों को रगड़ते हुए जा रहा था और मेरा पूरा शरीर अंदर ही अंदर कम्पन कर रहा था।.दो सेकंड के विराम के बाद एक बार फिर उसी धीमी गति से वो दीवार रगड़ता हुआ अंदर गया। जितना अंदर वो गया उससे मुझे अहसास हो गया उसकी लम्बाई कितनी ज्यादा रही होगी, और जिस तरह वो मेरी दीवारों से रगड़ खा रहा था इतनी मोटाई मैंने तो पहले महसूस नहीं की थी।
काफी समय तक वो ऐसे ही मालगाड़ी की रफ़्तार से धीरे धीरे अंदर जाता थोड़ा रुकता और बाहर आता फिर थोड़ा रूककर अंदर जाता। हर बार अंदर जाते ही उसकी एक लम्बी आह निकलती। पता ही नहीं चला कब उसकी मालगाड़ी फ़ास्ट ट्रैन में बदली और कब राजधानी एक्सप्रेस बन गयी। उसका लिंग अंदर योनी में एकत्रित पानी को तेजी से चीरता हुआ आ जा रहा था जिससे छपाक छपाक की आवाज़े आने लगी थी। उसकी झटको की गति बढ़ने के साथ छपाक की आवाज़े काफी तेज हो गयी थी। अब वह तेजी से बार बार झटके मारते हुए अंदर बाहर हो रहा था और मेरी उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी। उसके मुँह से अब आहें निकलने लगी और समय के साथ तेज होती गयी। मुझे डर लगा कही कोई सुन न ले। रात के सन्नाटे में ऐसी आवाज़ें ज्यादा ही गूंजती हैं। पर मैं मन ही मन चुपके से उसका आनद भी लेती जा रही थी। कुछ ही देर में न चाहते हुए भी मैं भी उस आनंद में भीग गयी।
मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी आवाज़ अभी तक दबा के रखी हुई थी, जो की अब आपे से बाहर होता जा रहा था। मेरे होठों के बीच से एक आवाज़ छूट ही गयी। इसके पहले कि मैं अपने हाथों से ओर जोर से मुँह को दबाती, उसने सुन लिया और डरने की बजाय मेरी आह को मेरी मौन स्वीकर्ती मान कर उसने कुछ जोर के झटके मुझे मारे, जिससे मेरी हलकी चीख निकलने लगी। अब कोई फायदा नहीं था आवाज़ दबाने का। जिस चीज़ के लिए मैं कुछ महीनो से तड़प रही थी वह मिली तो भी इस तरह से और वह भी किस व्यक्ति से, यह सपने में भी नहीं सोचा था। उसने अब मेरे ब्लाउज और ब्रा को पूरी तरह मेरे शरीर से अलग कर दिया था। अब मेरे शरीर पर एक भी वस्त्र नहीं था और ना ही उसके। पर अब हमें कपड़ो की परवाह नहीं थी, हम इन क्षणों को पूरी तरह सफल बनाने में झूट गए।
हम दोनों की आहे एक ही सुर में छपाको की आवाज़ से ताल मिला रही थी। इतनी देर करने के बाद भी उसकी शक्ति क्षीण नहीं हुई थी और उसी गति से उसके झटके निर्बाध जारी थे। मैं अपनी योनी के बाहर कुछ तरल पदार्थ रिसता हुआ महसूस कर पा रही थी जो उसके लिंग के बाहर आते वक़्त साथ बाहर आ रहा था। मैं अपने चरम की तरफ बढ़ती जा रही थी और दुआ कर रही थी की मुझसे पहले कही वो छूट ना जाये। पर शायद इन मर्दो को दूसरी औरतो के साथ करते वक़्त ज्यादा ही ताकत मिल जाती हैं। मेरा नशा अब सर तक चढ़ने लगा था और जैसे चक्कर आने लगे, मैं निश्तेज महसूस करने लगी थी, ये चरम के नजदीक पहुंचने के संकेत थे। मैंने अपनी टाँगे अब खोल दी, जिससे बाहर छलके पानी से हवा टकराई और एक ठंडक का अहसास हुआ। टाँगे खुलने से उसको और भी बड़ा रास्ता मिला और उसने अपना लिंग ओर गहराई में ड़ाल दिया। शायद एक इंच ओर गहरा वो उतर गया था।
अगले कुछ मिनट बहुत कीमती थे, उसने जिस गहराई से एक के बाद एक तेज झटके मारे मैं पूरा छूट गयी, मेरी छोटी छोटी आहें चरम पर आते ही एक लम्बी चीख में तब्दील हो गयी, और उसके बाद मेरी कुछ हलकी चीखे निकली और मैंने अपना चरम प्राप्त कर लिया। मेरे चरम से उसका उत्साहवर्धन हुआ और वो भूखे भेड़िये की तरह आवाज़े निकालते हुए झटको पर झटके मारता रहा। मेरे स्तन को वो अब बुरी तरह से मौसम्बी की तरह निचोड़ रहा था। फिर एक झटका उसका इतनी गहराई में उतरा की लिंग बाहर नहीं निकला और वही पड़ा हुआ कुलबुला कर फुफकारने लगा। मैंने अपने अंदर एक गर्म लावा महसूस किया, उसने सारा पानी अंदर छोड़ दिया था। वो कुछ देर तक ऐसे ही निढाल पड़ा रहा। सारी प्रतिक्रियाए शांत हो चुकी थी जैसे एक तूफ़ान के बाद की शांति। अब भी वह मुझे झकड़े हुए था और उसके शरीर का एक हिस्सा मेरे शरीर में था।
कुछ क्षणों के बाद अपनी चेतना को लौटाते हुए उसने अपने आप को मुझसे अलग किया, उसके बाहर निकलते ही ऐसे लगा जैसे मेरे शरीर का कोई हिस्सा मुझसे अलग हो गया, और एक हलके दर्द से मेरी आह निकली। मुझे में पीछे मुड़ कर उससे आंखें मिलाने की हिम्मत नहीं थी, जबकि सारी गलती उसकी थी, शायद मेरी गलती सिर्फ यह थी की मैंने उसे नहीं रोका। पर क्या मैं उसको रोक सकती थी! इसमें मेरी क्या गलती थी, शायद मेरे पति की गलती थी जो की इतने महीनो तक मुझसे दूर रहा और इस हाल में छोड़ दिया की मैं इस गलती में न चाहते हुए भागीदार बनी।
मैंने एक एक कर फिर से अपने कपडे पहनना शुरू किआ। मुझे यह सुनिश्चित करना था की सुबह उठ कर जब नीचे जाउंगी तो मेरी हालत देख कर किसीको कुछ शक ना हो। कपडे पहनने के बाद जैसे ही मैं मुड़ी देखा वह काफी पहले ही कपडे पहन चूका था और मेरा इंतज़ार कर रहा था दूसरी और देख कर। शायद कपडे पहनते वक़्त भी उसने मुझे घुरा होगा, पर मैंने मन में सोचा अब उधर देखने का क्या फायदा, सब कुछ को वह पहले ही देख चूका हैं।
क्या उसे अपने किये पर शर्मिंदा नहीं होना चाहिए? गलती तो उसने की हैं या फिर मुझे उसको शुक्रिया कहना चाहिए था। उसकी इस जबरदस्ती ने मुझे कई दिनोंके बाद एक मानसिक और शारीरिक सुख की प्राप्ति कराई थी। काफी समय के बाद मैं अपने आप को बहुत पूर्ण, तरो ताज़ा और तंदरुस्त महसूस कर थी। वह मेरे पास चलते हुए आया और पास आकर खड़ा हो गया। मुझे लगा मुझसे माफ़ी मांगेंगा और मैं उसे झूठमूठ गुस्सा करके डाट दूंगी, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। उसने कहा साढ़े चार बज गए हैं और थोड़ी देर में सब लोग उठने लगेंगे अब मुझे नीचे जाना चाहिए। मैंने उसको दबे शब्दों में कहा आप जरा मेरे आगे चलिए और देखिये कोई मुझे सीढ़ियों से उतरते हुए न देख ले। उसने तुरंत मेरे हुक्म का पालना किया, और करता भी क्यों नहीं, मैंने उसको उसके एक सपना पूर्ण करने में साथ दिया जो नैतिक तौर पर गलत था। मैंने चैन की सांस ली कि सब ठीक हैं और किसीने नहीं देखा मुझे यह पाप करते हुए।
मैं सासु जी के पास बैठी और थोड़ी ही देर में वह उठ गए। मुझसे कहने लगे तू उठ गयी? नींद तो ठीक से आयी ना? मैंने शरमाते हुए हां में सर हिला दिया और एक कुटिल मुस्कान अंदर ही दबा ली। सुबह के 7 बज रहेथे और सारे कार्यक्रम ख़त्म हो चुके थे और लोग अपने अपने घरो की तरफ जाने के लिए निकल रहे थे। सासुजी ने आंटी से विदा ली और हम लोग उस घर से बाहर निकले। कुछ कदम चलने के बाद मैंने पीछे मुड़ कर घर की छत को देखा जहां मैंने कभी ना भूलने वाली रात बितायी थी। वह अभी वही छत पर खड़ा था, शायद मौन रह कर माफ़ी मांग रहा था या शायद मुझे शुक्रिया कह रहा था।
तभी उसने ऊपर से जोर से आवाज़ लगायी "मौसी, मंगलवार को दूसरा जागरण भी रखा हैं याद रखना, जरूर आना हैं"। मेरी सासु जी ने मुस्करा कर "हां याद हैं" जवाब दिया और फिर चल पड़े।
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06-12-2019, 07:40 PM
मैंने सासुजी को कहा की मम्मी आप मंगलवार के जागरण में अकेले जाओ तो मुझे भी ले जा सकते हो कंपनी देने के लिए। उन्होंने हां में सर हिलाया। मैं मन ही मन एक मुस्कान लिए उनके साथ अपने घर की तरफ चल पड़ी।
आखिर वो मंगलवार के दिन का सूरज उग आया, जिसका मुझे पिछले कुछ दिनों से इंतज़ार था। पर इंतज़ार अभी पुरा ख़त्म नहीं हुआ था। असल इंतज़ार तो आज रात के जागरण का था। मैं एक मीठी मुस्कान के साथ उठी और एक उत्साह के साथ रोज़मर्रा के कामों में लग गयी। दोपहर को मैं रात की तैयारी में लग गयी, मैंने चेहरे पर उबटन लगाया ताकि मेरा चेहरा ओर खिल जाए। फिर अपने पुरे शरीर का वैक्सीन किया ताकि सारे अनचाहे बाल निकल कर त्वचा चिकनी हो जाये।
आज तो समय भी जैसे धीरे धीरे बीत रहा था। जब किसी का बेसब्री से इंतज़ार होता हैं तो समय ऐसे ही परीक्षा लेता हैं। शाम का खाना खा लेने के तुरंत बाद ही मैंने सजना सवरना शुरू कर दिया था। जैसे किसी जागरण में नहीं किसी शादी में शिरकत करनी हो। अभी एक घंटा बाकी था जाने में और मैंने अंदर से अपनी पसंदीदा गुलाबी साड़ी निकाली, फिर पहले ही बनाये प्लान के मुताबिक अंदर से वो महंगे वाले डिज़ाइनर अंतवस्त्र निकाले जो मेरे पति कुछ ख़ास मौको पर उन्हें रिझाने के लिए पहनने को कहते थे। मैं क्या, कोई भी स्त्री उन खूबसूरत अंतवस्त्रों में बहुत कामुक और हसीन लगती। अब मैंने साड़ी पहन ली। फिर से मैं अपना मेकअप करने लगी। मैं सारी तैयारी ऐसे कर रही थी जैसे जागरण नहीं सुहागरात हो। ओरो के लिए वो जागरण था पर मेरे लिए तो सुहागरात ही थी।
एक बार फिरसे सासुजी की चिर परिचित आवाज़ सुनाई दी, तैयार हो गयी क्या। इतनी तैयारियों में ध्यान ही नहीं रहा कि कब वो समय हो गया जिसका मुझे कब से इंतज़ार था। वहां पहुंच कर मेरी नजरे लगातार मोहितको ढूंढ रही थी, जिसके लिए लिए मैंने आज सुबह से इतनी तैयारियां की थी। पर वो मुझे कही दिखाई नहीं दिया। तभी भाभियोने अपने कक्षमें बुलाया। आज वहाँ इतनी भीड़ नहीं थी। अब हम लोग आपस में बातें करने लगे। दोनों भाभियाँ कह रही थी कि आज उनके इस कमरे पर दूसरी औरतों का कब्जा होने वाला हैं। उनके कुछ ख़ास रिश्तेदार दूसरी औरतों से अलग उस छोटे कमरे में सोना चाहते थे।
तभी सामने से मोहित ने इठलाते हुए कमरे में प्रवेश किया। मैं ऐसे शरमाई जैसे नई नवेली दुल्हन का पति आ गया हो। उसने अपनी पत्नी को बताया कि उन्होंने जो काम सौपा था वो करके आया हैं। फ़िर वो वापिस बाहर अपने दूसरे कामों के लिए चला गया। भाभी ने बताया कि वो लोग इस भीड़ में नहीं सोयेंगे बल्कि छत पर सायेंगे। उनका पति उसी इंतज़ाम की बात कर रहा था। मुझे एक गहरा धक्का लगा, अगर यह सब भी ऊपर सोयेंगे तो मेरे अरमानो का क्या होगा। मुझे अपनी दिनभर की सारी तैयारियां व्यर्थ होती नज़र आयी। मुझे मोहित पर भी बहुत गुस्सा आया, वो ये कैसे कर सकता हैं। क्या इसमें सिर्फ मेरा ही फायदा था, उसका भी तो फायदा था। उन्होंने मुझसे आग्रह किया की मैं भी इस भीड़ में ना रहु और उनके साथही ऊपर सो जाऊ। उन्हें कैसे बताती कि मेरा उनसे भी पहले ऊपर सोने का ही प्लान था।
काफी देर बातें करने के बाद, दूसरी औरतें उस कमरे में आने लगी, तो हम लोग बाहर निकल आये। अब सबके सोने का समय हो चुका था। पिछली बार की तरह इस बार भी सुबह 5 बजे का मुहर्त था। मैं, दोनों भाभियाँ और उनकी एक सहेली के पीछे पीछे छत पे जाने के लिए सीढिया चढ़ने लगे। तभी मोहित आ गया और मेरे पीछे चलने लगा। इस दौरान उसने बड़ी बेशर्मी से मेरे कमर को छुआ और मेरे पुट्ठो पर हाथ फेरता रहा। मुझे ख़ुशी तो हो रही थी साथ ही साथ गुसा भी आ रहा था कि उसने मेरे साथ ये धोखा क्यों किया। वो कुछ ओर इंतज़ाम कर सकता था हम दोनों के लिए। हम छत पर पहुंच गए, मोहित ने दरवाज़े पर कुण्डी लगा ली ताकि कोई ओर ना आ सके। वहा तीन मच्छरदानियाँ लगी थी तीन गद्दों के साथ।
बढ़ी भाभी अपनी सहेली जो शायद उनकी बहन थी के साथ एक गद्दे को हथिया लिया। छोटी भाभी जो मोहित की पत्नी भी थी ने मुझे अपने साथ सोने का निमंत्रण दिया। मोहित ने पीछे से आँख से इशारा करते हुए हुए मुझे ना करने को कहा। मैं अब उसकी बात क्यों मानु? मैं वही करुँगी जो मैं चाहती हूँ। मैं कहना चाहती थी मेरी इच्छा आपके साथ सोने की नहीं बल्कि आपके पति के साथ हैं। फिलहाल मैंने मना कर दिया, और कहा कि आप अपने पतिके साथ सो जाइये, मैं आखिरी गद्दे पे अकेले सो जाउंगी। वो भी शायद यही चाहती थी। वो लोग अब आपस में कुछ मजाक मस्ती की बातें कर रहे थे। सारे मजाक मोहित की तरफ से ही आ रहे थे और बाकी लोग सिर्फ हंस रहे थे। मैं मन ही मन कुढ़ रही थी इसको तो जैसे कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ रहा था।
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06-12-2019, 07:40 PM
मैं चुपचाप अपनी किस्मत को कोस रही थी। मैं आसमान को निहारते हुए सोच रही थी कि पुरे दिन भर जो तैयारियां की थी वो सब व्यर्थ हो गयी थी। इतने दिनों के इंतजार का यह फल मिला मुझे। मैने देखा वो अब उन लोगो को कुछ बाँट रहा था। पता चला हाजमे की गोलियां थी। गोली देते हुए वो मजाक में कह रहा था। मुझे उसके मजाक अब सजा लग रहे थे। सबको गोली देने के बाद उसने मेरी तरफ भी एक गोली बढ़ा दी। मुझे लगा हाजमे की गोली नहीं बेवकूफ बनाने की गोली दे रहा था। मैंने गोली मुंह में रखी और चूसने लगी। सोचने लगी क्या में फिर नीचे चली जाऊ, अब यहाँ रुकने का क्या फायदा। थोड़ी देर के बाद सारी बातें शांत हो गयी थी। मैं भी अब पलट कर सो गयी और मेरी आँख लग गयी।
अचानक मेरी आँखें खुली, कोई मेरे गद्दे पर था और मुझे पीछे से चिपक कर सोया था। उसके हाथ मेरे वक्षो के ऊपर थे। क्या यह वो ही था, पर ये कैसे हो सकता हैं? इतने लोगो, खासकर अपनी पत्नी के वहाँ होते हुए उसकी ये हिम्मत नहीं हो सकती थी। मैंने थोड़ा पलटकर देखा वही था। मैं तुरंत उठ बैठी और एक निगाह दूसरे गद्दों पर डाली, सब लोग गहरी नींद में थे। ना चाहते हुये भी मैंने इशारों में उसे समझाया कि वहाँ और भी लोग हैं और उसे वापिस अपनी पत्नी के पास जाना चाहिए। वो एक शरारती मुस्कान के साथ मुझे नज़रअंदाज़ कर रहा था। अब मुझे खतरा महसूस हुआ, अपनी जिद से वो पिछली बार की सारी पोल खोल देगा।
उसने मुझे फिर से लेटा दिया और धीमे से कहने लगा वो लोग अब इतनी जल्दी नहीं उठेंगे। उसने बताया कि बाकियो के ऊपर छत पर सोने का कार्यक्रम दिन में ही बन गया था इसलिए उसने हाजमे की जगह नींद की गोलिया दी थी फ्लेवर वाली। हम दोनों ने जो गोली गयी वो बिना दवाई की थी। मैं उसके तेज दिमाग की कायल हो गयी। वो बोला बाकि लोग अगले 3-5 घंटे तक नहीं उठेंगे, क्या मेरे लिए इतना वक़्त काफी हैं। मैंने शरमाते हुए कहाँ आपकी इच्छा हो तो सुबह तक भी कर सकते हैं। इतना सुनते ही उसने मेरे वक्षो को फिर से भींच लिया। अब मुझे कही न कही यकीन हो गया कि मेरी श्रृंगार की मेहनत फ़ालतू नहीं जाएगी। उसने मेरी साड़ी ऊपर से हटा दी, और एक हाथ से ब्लाउज के हुक खोलने लगा। फिर मेरा ब्लाउज निकाल कर रख दिया। अब वह मेरा डिज़ाइनर ब्रा पर हाथ फिराते हुए मजे ले रहा था।
शायद उसको यह बहुत पसंद आया था। आता भी क्यों नहीं, उसकी डिज़ाइन और रंग ही इतना कामुक था किसी को भी ललचाने के लिए। उसे वो इतना पसंद आया कि उसे खोलने की कोशिश भी नहीं की। उसके हाथ नीचे की और गए और मेरी साड़ी को पेटीकोट से अलग कर दिया। अब तो जैसे उसे महारत हासिल हो गयी थी। अब बारी मेरे पेटीकोट की थी। उसने नाड़ा खोल कर पेटीकोट निचे खिसकाते हुए पैरोसे निकाल दिया। अब वो मेरे नीचे के डिज़ाइनर अंतवस्त्र को घूर रहा था। मेरा पैतरा काम कर रहा था। उसने शायद ऐसे अंतवस्त्र पहले कभी नहीं देखे थे। वह उनपर हाथ फिराने लगा। मुझे लगा वो उन वस्त्रो को मेरे लेटने की वजह से सही ढंग से नहीं देख पा रहा होगा। मैं उठी और मूर्ति की तरह अलग अलग मुद्राये बनाती गयी और अपने बदन को उन अंतवस्त्रों के साथ नुमाइश करके उसको उत्तेजित करने लगी।
उसकी हंसी अब ओर चौड़ी हो गयी और जैसे लार टपकाने लगा। वह तुरंत मेरे समीप आया और घुटनो के बल बैठ गया। अब वो मेरे वेक्स किये हुए टांगो पर अपने हाथ फिराने लगा। मेरी चिकनी टांगो पर उसके हाथ फिसलते जा रहे थे। इन चिकने टांगो के स्पर्श से उसे मजा आने लगा।
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06-12-2019, 07:41 PM
मेरी नजर पास के गद्दों पर पड़ी, क्या नींद की दवाई बराबर असर करेगी, इनमे से कोई जाग गया और कुछ देख लिया तो मेरा क्या होगा। तभी उसके दोनों हाथ ऊपर आये और मेरे नीचे के डिज़ाइनर अंतवस्त्र को उतार कर अलग कर दिया। मेरे बिना बालों के नाजुक चिकने अंग को देख कर उसका प्यार उमड़ आया और उसे चूमने लगा।
मैंने भी तुरंत अपनी दोनों टांगो को एक दूसरे से दूर कर उसे थोड़ी ओर जगह दे दी। अब उसका चेहरा मेरे प्रवेश द्वार के नीचे था, उसने अपने होठों और जीभ से मेरे द्वार को चूमना और चाटना शुरू कर दिया। मेरे शरीर में बिजली दौड़ पड़ी। मैंने अपना शरीर ओर ढीला छोड़ दिया। वह अपनी तीखी जबान से मेरे द्वार के भीतरी दीवारों को रगड़ने लगा। मेरी आहें निकलनी लगी। कुछ देर इसी तरह वह मुझे आनंदित करता रहा और थोड़ी देर में ही मेरा पानी छूटने लगा। अब मैंने उसे अपने से दूर किया और उसके सामने बैठ गयी। मैंने उसका टी-शर्ट निकाल दिया, पहली बार किसी पराये मर्द के कपडे खोले थे, शायद उससे बदला लिया मुझे दो बार निवस्त्र करने का। अब मैंने उसकी पैंट भी निकाल दी। उसके अंतवस्त्र में मुझे उभरता हुआ लिंग दिखाई दिया। मैंने अब तक उसके दर्शन नहीं किये थे। मैंने बिना वक़्त गवाए उसके अंतवस्त्र निकाल दिए, उसका लिंग कुछ उछलते हुए बाहर आ गया, जैसे कब से बाहर आने को तड़प रहा था। मैंने अपना सर आगे झुकाते हुए उसके लिंग को अपने मुँह में ले लिया। उसकी एक हलकी आह निकल पड़ी। अब मैं अपने होठो और जीभ को आगे पीछे करते हुए उसके लिंग पर रगड़ने लगी। वह सिसकिया मारते हुए आनंदित हुए जा रहा था।
कुछ मिनटों बाद मुझे अपने मुँह में उसके गर्म नमकीन पानी का टेस्ट आया। मुझे लगा वो पूरी तरह कठोर और तैयार हैं। मैंने उसका लिंग अपने मुँह से बाहर निकाला। उसके लिंग से मेरे छेद के बीच चिकने पानी की लारो के तार बन गए। मैंने उसको धक्का देते हुए लेटा दिया और उस पर सवार हो गयी। मैंने एक बार फिर उसका लिंग हाथ में लिया और अपने शरीर को थोड़ा ऊपर उठाते हुए उसको अपने योनि के आस पास ऊपर नीचे की तरफ रगड़ने लगी। उसका चिकना अंग फिसल फिसल कर अंदर जाने की कोशिश कर रहा था। मैंने ज्यादा न तड़पाते हुए इस बार अपने प्रवेश द्वार में घुसा दिया। हम दोनों की एक साथ आहें निकल पड़ी। मैं ऊपर नीचे होते हुए उस क्रीड़ा का आनंद लेने लगी। हम दोनों की सांसें तेज चल रही थी और उस सन्नाटे को चीरती हुई हमारी धीमी आहें थी।
उसने अपने बदन को एक हाथ के सहारे ऊपर उठाया और दूसरे हाथ से मेरे ब्रा का हुक खोल उतार दिया और फिर लेट गया। मेरे वक्ष अब मेरे ऊपर नीचे होने के साथ ही नाचते हुए उछल रहे थे। वह उन दोनों को बड़े ध्यान से देख रहा था l मैंने उसके हाथों को उठाया और अपने वक्षो को पकड़ने को कहाँ। उसने वैसा ही किया और उनको मसलने लगा। थोड़ी देर बाद मैं झुकी और अपना सीना उसके सीने पर रख दिया। मेरे वक्ष अब दब चुके थे। वह मेरे कमर पर हाथ फेरने लगा। मेरी गति थोड़ी धीमी हुई तो वह भी नीचे से झटके मारने लगा, जिससे उसका लिंग और भी गहरायी से मेरे अँदर जाने लगा। मैंने अब अपने पाँव लम्बे कर दिए थे। हमारी आहें और भी तेजी से बढ़ने लगी। बीच बीच मे हम एक दूसरे को होठों पर चुम्बन देते जा रहे थे। काफी देर करने के बाद मैं थक कर रुक गयी मगर वह नीचे लेटा हुए भी झटके मार रहा था। उसने मुझे अब अपने ऊपर से हटने को कहा, मैं बिना काम पुरे हुए हटना नहीं चाहती थी पर मुझे पता था वो मेरा काम पूरा करेगा।
उसने मुझे दोनों हाथ के पंजो और घुटनो के बल बैठने को कहा डॉगी स्टाइल में। मेरे डॉगी बनते ही वो घुटनो के बल मेरे पीछे आया और एक झटके में अपना लिंग मेरे अंदर उतार दिया। तेजी से अंदर बाहर झटके मारता हुआ वो आवाज़े निकाल रहा था। वो इतना अंदर घुस गया की मेरी भी सिसकिया निकलने लगी। थोड़ी ही देर में हमको वही चिर परिचित पानी के छपकने की आवाज़े आने लगी। उसने अब अपनी एक टांग को फोल्ड करके पंजो के बल आ गया और दूसरी अभी भी घुटनो के बल थी। इससे उसकी झटको की ताकत दुगुनी हो गयी थी जिससे मेरी योनी के अंदर की पहुंच और गहरी हो गयी। थोड़ी ही देर में मेरी योनी के अंदर घमासान शुरू हो चूका था। झील के पानी में जैसे तेजी से बार बार डंडा मारने पर जो आवाज़े आती हैं वैसी आवाज़े मेरे अंदर से आ रही थी। मैं अपने चरम तक पहुंच रही थी, मैं उसका नाम बड़ी कामुकता से लिए जा रही थी, मैं यह भी भूल चुकी थी की उसकी पत्नी पास ही में सोई हुई थी। मेरे उसका नाम लेने से उसका जोश ओर बढ़ गया था। झटके मारना जारी रखते हुए अपने एक हाथ से मेरा वक्ष दबोच लिया। मैं तो पूरा छूटने ही वाली थी की उसने फिर लिंग बाहर निकाल दिया। मुझे थोड़ा बुरा लगा।
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06-12-2019, 07:43 PM
उसने मुझे अब बिस्तर पर सीधा लेटाया और दोनों पाँव चौड़े कर दिए। वो मेरे ऊपर लेट गया। मैंने अपना हाथ नीचे किया और उसका लिंग पकड़ कर अपने अंदर कर दिया। उसकी मशीन एक बार फिर शुरू हो गयी। हम दोनों चरम प्राप्ति की तरफ तेजी से बढ़ रहे थे। मैंने अपनी दोनों टांगो को उठाते हुए उसकी कमर पर लपेट दिया। वो मेरी अंदर की गहराइयों में डूबता हुआ कही खो गया था पर उसकी गति लगातार बढ़ती जा रही थी। यह संकेत था उसके चरम के नजदीक पहुंचने का। चरम प्राप्तिपर मेरे मुँह से कुछ ज्यादा ही जोर से निकल गया ओ मोहित! वो भी तेज आहें निकलते हुआ छूट गया, हम दोनों ने एक दूसरे को कस कर जकड़ लिया। हम दोनों ऐसे ही निश्चेत पड़े रहे।
मैंने उठने की कोशिश की तो उसने फिर मुझे जकड़ लिया। मुझे भी यह पसंद आया। अब हम दोनों एक दूसरे से अलग नहीं होना चाहते थे। अभी तीन घंटो में कुछ समय बाकी था। उसका लिंग अब नरम पड़ कर अपने आप मेरे प्रवेश द्वार से बाहर आ गया था। मैं उठी और अपने बिखरे हुए कपडे सँभालने लगी। मैं अपने नीचे के अंत-वस्त्र को पहने लगी, उसने तुरंत मुझसे छीन कर उसे एक तरफ रख दिया और मुझे पीठ के बल लेटा कर अपने मुँह से मेरे निप्पल को चूसने लगा। मुझे मजा आने लगा। वह अपना एक हाथ बराबर मेरे शरीर पर घुमा रहा था। बारी बारी से अब वो मुझे होठों पर चुम रहा था कभी निप्पल पर। मैं भी उसकी पीठ और पुठ्ठो पर अपने हाथों का प्यारा स्पर्श कर फिरा रही थी। हम कुछ देर तक ऐसे ही एक दूसरे के शरीर का आनद लेते रहे। अब काफी समय हो चूका था और हम नींद की दवाई के साथ और रिस्क नहीं लेना चाहते थे। मैंने खड़े होकर अपने दोनों अंतवस्त्र पहन लिए। वह कपडे पहन चूका था और मुझे फिर घूरने लगा। मैंने पूछा क्या करू? ऐसे ही रहु? उसने शरारत से सर हां में हिला लिया। थोड़ी ही देर में मैंने अपने सारे कपडे पहन लिए थे। अब मैं फिर से पहले की भांति लेट गयी। वो अभी भी मेरे गद्दे पर ही था। मैंने उसे थोड़ा धक्का लगाते हुए उसके गद्दे की तरफ धकेला। उसने कहा काम निकल गया क्या? मेरी हंसी निकल गयी। मैंने उसका शर्ट गले से पकड़ा और अपनी और खिंच कर उसके होठों पर चुम्बन कर दिया।
हम कुछ सेकंड तक एक दूसरे के होठों का रस लेते रहे। अब मैं पूरी थक चुकी थी, मेरी उबासी निकली और वो मुझे छोड़ कर बाहर निकला और वापिस आकर अपनी पत्नी के साथ गद्दे पर सो गया। कब आँख लगी पता ही नहीं चला, एक संतुष्टि की बहुत प्यारी नींद ली मैंने उस रात। सुबह पांच बजे कुछ आवाज़ के साथ मैं जागी। मोहित अपनी पत्नी को उठाने की कोशिश कर रहा था पर वो नींद की दवाई के असर से उठ ही नहीं रही थी।
उसने झकझोड़ते हुए उसको उठाया, फिर दोनों ने मिल कर बाकी के दोनों लोगो को भी उठाया। मैं भी तब उठ खड़ी हुई। अब हम सब नीचे पहुंचे जहां पूजा में सब अपने लिए कुछ मांग रहे थे।
मुझे तो मेरा वर मिल चूका था जिसने मेरी सारी मांगे पूरी कर दी थी।
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06-12-2019, 07:46 PM
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06-12-2019, 07:48 PM
पति की अदला बदली
बाजार में अचानक मेरी निगाह तृप्ति पर पड़ी.. उसे देखते ही मैं जोर से चिल्लाई...तृप्ति
मेरे पति रवि भी मेरे साथ थे... कहने लगे- यह क्या बेबकूफी है? इतनी जोर से कोई चिल्लाता है?
मैंने कहा- मेरी कॉलेज की दोस्त है पूरे पांच साल बाद मिली है।
हम दोनों बाजार में ही एक दूसरे के गले मिली। तृप्ति भी अपने पति राहुल के साथ थी।
मेरा घर बाजार के पास में ही था, हम चारों घर लौट आये। हम दोनों सहेलियाँ एक दूसरी से बातों में चिपक गई। पिछले पांच साल का एक एक हिसाब लेना था। कॉलेज में तृप्ति मुझसे एक साल सीनियर थी, उसने मेरी रैगिंग ली थी और पहली बार चूत का स्वाद भी चखाया था। तीन साल की पढ़ाई में हमने सेक्स का हर पाठ पढ़ लिया था। शादी के बाद तृप्ति मुंबई चली गई थी।
तृप्ति कनखियों से रवि को देख रही थी, मुझसे कहने लगी- ..यार रेनू.. शादी के बाद से एक ही लंड का स्वाद लेते लेते थक गई हूँ, थोड़ी हेल्प कर दे? मुझे भी तृप्ति के पति राहुल में दमखम दिख रहा था। तृप्ति समझ गई, कहने लगी- ...यार इन तिलों में तेल नहीं निकलेगा। कितनी भी कोशिश कर ले, राहुल तेरी तरफ देखेगा भी नहीं। तृप्ति की बात को मैंने चुनौती के रूप में लिया, मैंने उससे कहा कि जल्दी ही मैं उसे फोन करूंगी। तृप्ति के जाने के बाद मैंने रवि से बात की और कहा कि मुझे हारना नहीं है। मेरी बात सुन कर रवि ने तृप्ति और राहुल को चंडीगढ़ बुलाने को कहा।
##
इसके कुछ दिन बाद ही हम चारों चंडीगढ़ में थे।
हम दिन भर चंडीगढ़ के नजारे लेते रहे, रात को होटल में लौटे तो रवि सीधे बाथरूम में घुस गये, नहा धोकर कर तौलिया लपेट कर बाहर आये। उसके बाद मैं नहाने चली गई, मैं भी तौलिया लपेट कर ही बाहर निकली। बाहर आकर देखा तो एक सोफे पर रवि और राहुल बैठे बतिया रहे हैं। रवि ने तौलिया ही लपेट रखा था, सामने सोफे पर तृप्ति बैठी थी, मैं भी उसके पास बैठ गई।
तृप्ति के साथ बैठकर मुझे समझ में आया कि रवि ने तौलिया इस तरह से लपेट रखा था कि उसका लंड तृप्ति को साफ दिख रहा था। मैंने उसे हल्के से कोहनी मारी तो मेरे कान में बोली- ..मस्त लंड है यार, एक बार दिलवा दे? मुझे अंदाजा था कि रवि पूरी तरह से गर्म है। मैं सोफे से उठी और इस तरह चली कि लड़खड़ा कर गिर गई। मेरे गिरते ही मेरा तौलिया भी खुल गया था और अब मैं कमरे में पूरी तरह से नंगी खड़ी थी।
तृप्ति मुझे देखकर मुस्करा रही थी, शायद वो मेरा प्लान समझ चुकी थी। मुझे नंगी देखकर रवि को जोश आ गया, उसने भी तौलिया एक तरफ निकाल फेंका और मुझसे आकर चिपक गया। मैंने झूठा गुस्सा करते हुए कहा- ..अरे... कमरे में निखिल और तृप्ति भी हैं।
रवि बोला- जिसे शर्म आ रही हो वो अपनी आँखें बंद कर ले। अब मैं तो चोदे बिना मानूँगा नहीं!
रवि की बात सुनकर राहुल बोला- कर ले भई.. मैं तो आंखे बंद कर लेता हूँ।
लेकिन तृप्ति ने भी अपने कपड़े उतार दिये और राहुल पर चिल्लाती हुई बोली- ..आज अगर तुमने नहीं चोदा तो रवि से चुदवा लूँगी मैं!
राहुल फिर भी आंखे बंद किये रहा तो तृप्ति ने कहा- ठीक है रवि.. रेनू को छोड़ दो.. मेरी चूत तैयार है, नई चूत का मजा लो। पुरानी तो पुरानी हो होती है।
इतना सुनते ही राहुल ने आँखें खोली और बोला- ठीक है तृप्ति.. तुम जीती, मैं हारा... और उसने भी अपने कपड़े उतार दिये।
रवि ने मेरे चूत को चोद चोद कर ढील कर दिया था लेकिन तृप्ति की चूत में गजब का कसाव था।
रवि ने एक निगाह डाली और मेरे कान में बोला- ..एक बार दिलवा दो मेरी जान!
मैंने नंगे खड़े तृप्ति और राहुल से कहा- अंदर बाथरूम में जाओ और नहाते हुए सेक्स का मजा लो।
तृप्ति को भी मेरा आइडिया पसंद आया और दोनों बाथरूम ने चले गये।
बाथरूम का दरवाजा खुला था, हम भी भीतर पहुँच गये। राहुल की शर्म काफी हद तक मिट चुकी थी इसलिये उसे हम दोनों के भीतर आने में कोई परेशानी नहीं हुई।
तृप्ति ने राहुल को अपनी चूत पर साबुन लगाने को कहा। राहुल ने लगाने की कोशिश की लेकिन उसे आदत नहीं थी इसलिये रवि ने कहा- देखो, मैं बताता हूँ कि चूत पर साबुन कैसे लगाया जाता है।
जब तक राहुल कुछ समझता.. रवि ने साबुन हाथ में लेकर तृप्ति की चूत को साफ करना शुरू कर दिया था। बीच बीच में वो तृप्ति की चूत में अपनी उंगली भी डाल रहा था। तृप्ति की सिसकारी निकलने लगी, राहुल से बोली- इससे थोड़ा सीखो... देखो मेरी चूत को भीतर से भी साफ कर रहे हैं।
रवि ने कहा- ऊंगली से भीतर तक पूरी सफाई नहीं होती है, कुछ और इंतजाम करना पड़ेगा।
अबकी बार उसने अपने लंड पर साबुन लगाया और तृप्ति की चूत में डाल दिया, कहने लगा- अब भीतर तक की सफाई हो जायेगी और कोई बीमारी भी नहीं होगी।
बाथरूम में राहुल हक्का बक्का अपनी बीवी तृप्ति की चुदाई देख रहा था। रवि और तृप्ति की रफ्तार बढ़ती जा रही थी, उनके होंठ भी एक दूसरे से मिले हुए थे। अचानक तृप्ति ने रवि से बिस्तर पर चलने को कहा। रवि ने उसे गोद में उठाया और कमरे में चल दिया।
हक्के बक्के खड़े राहुल को जैसे होश आया, वो भी उनके पीछे चलने लगा तो मैंने उसका रास्ता रोका और कहा- मेरी चूत की सफाई कौन करेगा?
राहुल हकबकाया सा बोला- रवि ही करेगा, उसे आता है।
मैं नीचे की तरफ झुकी और राहुल का लंड अपने मुंह में ले लिया।
उसने छुड़ाने की कोशिश की लेकिन अपने दांतों से उसे पकड़ लिया। राहुल ने अगली बार कोई कोशिश नहीं की। नया लंड पीने का अलग ही मजा आ रहा था। धीरे-धीरे राहुल का लंड फूलने लगा, मेरी चूत भी गीली हो चुकी थी, मुझे पता था कि अनाड़ी राहुल बाथरूम में खड़े होकर मुझे नहीं चोद सकेगा, मैंने उसे कमरे में चलने को कहा।
कमरे का माहौल काफी गर्म था, तृप्ति रवि के ऊपर चढ़ी हुई थी, उसकी गांड इस तरह थिरक रही थी कि देखकर मजा आ गया।मैंने उसी बिस्तर पर राहुल को भी लिटाया और उसका लंड अपनी चूत में डलवा लिया। अपने पति की हालत को देखकर तृप्ति ने रवि को जोर का झटका दिया और चिल्लाई-
...जय नारी शक्ति...
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06-12-2019, 07:50 PM
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06-12-2019, 07:52 PM
मोनिका
तो भाइयों पहले पात्रों का परिचय देता हूँ । कहानी के मुख्या दो पात्र हैं।
पहला पात्र:- वीर , जो की एक २० वर्षीय नवयुवक है । देखने में हैंडसम और अच्छी कद काठी का है ।
दूसरी :- मोनिका जो की वीर के दोस्त मुकुल की बहन है। यह भी २० वर्षीया गौर वर्णीय सुन्दर लड़की है। इसकी हाइट ५।२ , छाती (बूब्स) ३४, कमर २६ और हिप्स (गांड) ३६, की है।
कहानी मैं वीर की जुबानी ही लिख रहा हूँ।
मुकुल से मेरी दोस्ती थी तो मेरा उसके घर आना जाना रहत था। पहली बार मैंने मोनिका को वंही देखा था। मेरे तो होश ही उड़ गए उसे देख कर। क्या गजब की मॉल थी वो।उसका रंग गोरा था, उसके बूब्स ३४ साइज जैसे निमंत्रण दे रहे थे। उसकी पतली सी कमर होगी यही कोई २६ की उसपर उसकी गांड होगी करीब ३८ की काफी क़यामत लग रही थी। चुकी मुकुल पास में था तो मैं कुछ नहीं कर पाया। फिर मुकुल ने ही मेरा उससे परिचय कराया और बताया की वो उसकी छोटी बहन है और कॉलेज में है। और मोनिका को बताया ये वीर है जिसने मेरी बहुत मदद की है और यही अपने मोहल्ले में ही रहता है। फिर हम दोनों ने हाय हेलो किया।
फिर एक दिन जब मैं मुकुल के घर पर मुकुल के साथ कुछ चर्चा कर रहा था तब मोनिका आयी और मुझे हाय किया और मुझे अपनी मैथ्स की प्रॉब्लम बता कर उसे सॉल्व करने को कहा। मैं मुकुल की तरफ देखने लाग, तो मुकुल बोला यार तुझे समझ आता है तो इसका प्रॉब्लम सॉल्व कर दे ना। तब मैंने उसे घंटे भर बाद आने का बोला और अपना एक अर्जेंट काम पटाने चला गया।
मैं दोपहर को जब अपना काम पटा कर आया तब तक मुकुल ऑफिस जा चूका था। घर पर मुकुल की माँ और मोनिका ही थी। दरवाजा मुकुल की माँ ने खोला और मुझे अंदर ले कर सोफे पर बिठाया और खाना खिलाया। फिर उन्होंने मोनिका को आवाज दे कर बुलाया। मोनिका ने एक स्कर्ट जो की काफी शार्ट, घुटनो के ऊपर तक ही था ऊपर में एक स्लीव लेस टी शर्ट पहनी थी वो भी काफी शार्ट थी। इस ड्रेस में वो काफी सेक्सी लग रही थी। मोनिका ने मुझे अपने रूम में ले गयी जो पहले माले पर था। रूम में हम दोनों नीचे चटाई पर बैठ गए। मोनिका ने अपनी मैथ्स की किताब से दो चार सवाल मुझे सॉल्व करने के लिए दिए। जिन्हे मैं सॉल्व करने लगा। अचानक मेरी नजर मोनिका की टांगो पर पड़ी तो पाया की उसकी चिकनी चिकनी टाँगे जांघो तक उसके स्कर्ट से बहार झांक रही है। ये नजारा बहुत ही उत्तेजक था। मैं इसे तिरछी नजरो से निहार रहा था। की कंही मोनिका को पता ना चल जाये।
उसके केले के तने जैसी सुडौल और चिकनी टंगे देख कर मेरे लंड में हलचल मच गयी और वो पेंट से बहार आने के लिए जैसे पेंट को फाड ही देगा इस प्रकार वो एकदम शाक्त हो गया और अपने पुरे शबाब में आ गया। मैंने उसे किताब से छुपा लिया। फिर मोनिका अपनी टी-शर्ट के ऊपर से ही अपने एक बूब्स को खुजलाने लगी, बिना मेरी मौजूदगी की चिंता किये, तब मुझे पता चला की ये उसकी चाल है, मुझे फसाने की। लेकिन अब मुझे भी उसे चोदने की इच्छा प्रबल होने लगी थी। तो मैंने उसे अपनी तरफ खिंच कर बांहो में जकड लिया और उसके नरम गुलाबी होंठो पर आपने गर्म होंठ रख दिया और उसका रसपान करने लगा। थोड़ी देर तो मोनिका दिखावे के लिए विरोध करती रही, बाद में वो भी मेरा साथ देने लगी। अब मैंने मोनिका को गोदी में उठाया और पलंग पर लेटा दिया और झटके से मोनिका की चूत में अपना लंड डालने की कोशिश कर रहा था पर जा नहीं पा रहा था। हम दोनों ही सोच में पड़ गये कि ऐसा कैसे है? मेरा लंड मोनिका की चूत में जा ही नहीं रहा था। काफी देर ऐसा करते रहने पर भी मेरा लंड मोनिका की चूत के अन्दर नहीं गया। तभी मेरी दिमाग में आया की मोनिका का यह पहला मौका है। इसलिये मैंने मोनिका को कोई क्रीम लाने को कहा। फिर मैंने पहले अपने लंड पर क्रीम लगाईं, और अपनी उंगली से मोनिका की चूत के अन्दर भी लगाईं। उसके बाद मोनिका को बिस्तर पर लेटाया और मैंने मोनिका को कहा कि वो अपने हाथों से अपनी चूत के छेद को खोले, फिर मैं उसकी चूत के अन्दर अपने लंड को धीरे-धीरे डालने लगा। लेकिन इस बार भी मेरा लंड फिसल कर बाहर चला गया।
तो मैंने मोनिका को समझाया- तुम पहली बार किसी मर्द का लंड अपनी चूत में लोगी, तो तुम्हें अपने दोनों हाथों से अपनी चूत के छेद को खोलना है, जब पहली बार लंड चूत में घुसेगा तो तुम्हें बहुत दर्द भी होगा पर तुम बर्दाश्त कर लेना। एक बार तुमने लंड का मजा ले लिया तो फिर आसानी से किसी का भी लंड अपनी चूत में ले सकती हो। तो मैंने मोनिका को पलंग पर लेटाया और उसकी कमर के नीचे दो तकिया रख दिए, इससे मोनिका की चूत का हिस्सा थोड़ा ऊपर उठ गया। मोनिका ने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को फैला दी और मैं एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर धीरे-धीरे उसकी चूत के अन्दर डाला, मोनिका को ऐसा लगा कि उसके अन्दर कुछ बहुत ही गर्म चीज प्रवेश कर गई है। मोनिका के दोनों हाथ स्वतः ही उसकी चूत से हट गये और वो झटके से पीछे खिसक गई। मैंने उससे पूछा तो उसने बताया कि तुम्हारा ये (मेरे लंड की ओर इशारा करके) बहुत ही जल रहा है।
मैं बोला- मुझे भी लगा कि मेरा लंड किसी गर्म तवे में टच कर गया है।
फिर मैंने कहा- पहली पहली बार ऐसा होता है।
हम दोनों इस खेल में अनाड़ी थे ही, इसलिये कुछ समझ में नहीं आ रहा था, फिर भी हम दोनों ने आँखों ही आँखों में इशारा किया। क्योंकि दोनों को यह बात तो पता थी कि पहली बार कुछ दर्द या अजीब सा होता है और फिर खूब मजा आता है। इसलिये एक बार फिर हम दोनों ने अपनी पोजिशन ली। इस बार जब मैंने अपने लंड को मोनिका के अन्दर किया तो मोनिका ने अपनी आँखें बन्द कर ली और मैंने भी एक जोर से धक्का लगाया तो मोनिका को लगा कि उसके अन्दर कुछ कट सा गया है और वो चीख पड़ी। मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया, इससे उसकी चीख अन्दर ही घुट कर रह गई। यह तो अच्छा था कि तो वक्त दोपहर का था और मोनिका की मम्मी अपने कमरे में सो रही थी, शायद इसलिये उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की, नहीं तो उनको अब तक मोनिका के कमरे में होना चाहिए था। मैंने मोनिका को लगभग डाँटते हुए बोला- मरवायेगी क्या? मम्मी ऊपर आ सकती है?
दर्द के मारे मोनिका के आँख से आँसू निकल रहे थे और वो लगभग रोते हुये बोली- मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
मैं उसके ऊपर झुक गया और उसकी आँखों से निकलते हुये आँसू को पीने लगा और बोला- पगली मुझे भी तो ऐसा लग रहा है कि मेरे लंड का चमड़ा फट गया है और मुझे भी खूब जलन हो रही है। थोड़ी देर और बर्दाश्त करते हैं।
अब हम लोग केवल अपने में ध्यान दे रहे थे। उसके बाद मैंने अपने को थोड़ा पीछे किया और एक बार फिर जोर से धक्का दिया। इस बार मोनिका को ऐसा लगा कि उसके हलक तक कुछ घुस गया है। जिस प्रकार उल्टी आने पर मुंह खुलता है ठीक उसी प्रकार मोनिका का मुँह खुल गया और आँखें ऐसा लग रही थी कि बाहर आ जायेगी। पता नहीं मुझे क्या सूझी कि मैं उसके ऊपर गिर गया और उसके स्तनों को दबाने लगा और उसके स्तन की घुंडी को अपने मुंह में लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा। मेरे थोड़ी देर ऐसा करते रहने से उसके शरीर के अन्दर एक अजीब सी सिरहन सी उठने लगी और उसे लगने लगा कि वो मुझे अपने अन्दर ले सकती है। और पता नहीं क्या हुआ कि मोनिका की कमर खुद-ब-खुद ऊपर की ओर उठने लगी मानो कह रही हो 'वीर, मेरे ऊपर लेटो नहीं, आओ मेरे अन्दर आओ।' मुझे भी मोनिका की कमर उठने का भान हो गया इसलिये मैं सीधा हुआ और अपने लंड को एक बार फिर थोड़ा बाहर निकाला और फिर एक जोर से धक्का दिया। उसके बाद मैं धक्के पे धक्का देता रहा और मेरे धक्के को वो अपने अन्दर महसूस करती रही। हालाँकि मेरे इस तरह के धक्के से उसे तकलीफ हो रही थी और उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी पर पता नहीं कब वो सिसकारी उत्तेजना भरी आवाज में बदल गई।
ठीक यही हालत मेरी की भी हो रही थी, मेरे चेहरे से पसीना निकल रहा था और अपनी पूरी ताकत और वेग के साथ मोनिका के अन्दर जाने की कोशिश कर रहा था। मैं कभी तेज धक्के लगाता तो कभी सुस्त पड़ जाता मानो थक गया हो... और फिर तेज धक्के लगाने लगता। इसी क्रम में मोनिका का जिस्म भी मेरा साथ देता। मोनिका कभी उत्तेजनावश मेरी पीठ में नाखून गड़ा देती तो कभी मेरी घुंडी को दोनों उंगलियों के बीच में लेकर मसल देती। मैं भी गुस्से में आकर उसके गाल में एक चपत लगा देता। तभी मेरा का शरीर अकड़ने लगा और फिर ढीला पड़ गया, मैं हाँफते हुए उसके ऊपर गिर गया। मैंने अपने लंड को उसके भीतर ही पड़े रहने दिया, बाहर निकालने की कोई कोशिश नहीं की। थोड़ी देर बाद मेरा लंड सिकुड़ कर बाहर आ गया और हम दोनों अलग होकर मेरे बगल में लेट गए।
मोनिका को लगा कि उसके अन्दर कोई लावा फूट गया हो। मोनिका को पहली बार वो आनन्द प्राप्त हुआ जो वो अपनी सहेलियों से सुनती थी। हालाँकि उसकी योनि के अन्दर एक जलन सी हो रही थी। मुझे इस समय मोनिका पर बहुत प्यार आ रहा था, मैं उसके बाल सहला रहा था। फिर मैं और मोनिका दोनों अपनी जगह से उठे क्योंकि हम दोनों को ही अपने नीचे कुछ गीला सा लग रहा था। उसी समय मेरी और मोनिका की नजर बिस्तर पर पड़े हुए खून पर गई। मैं एकदम से अलमारी के पास गया और रूई निकाल लाया और मोनिका को बिस्तर पर बैठा कर उसकी टांगें फैला कर उसकी चूत और उसके आस पास की जगह को साफ किया। उसके बाद
मैं उससे बोला- मोनिका यह मेरे और तुम्हारे मिलन की निशानी है, अब जिन्दगी भर ये मेरे पास रहेगी! कहकर मैंने उसे एक छोटी सी पन्नी के अन्दर रख लिया।
मैंने विक्टरी का निशान बनाते हुए एक आँख मार दी। मोनिका थोड़ा सा शरमा गई, हमारी पहली चूत चुदाई के बाद, हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहने और एक दूसरे से विदा ली, और मैं अपने चला गया।
उसके बाद मैं मोनिका को रोज मैथ्स की ट्यूशन देने आता और मौका निकल कर उसकी चुदाई करता। हमारा यह चुदाई का सिलसिला मोनिका की शादी तक चलता रहा।
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अनु भाभी
यह कहानी सच्ची घटना पर आधारित है। इस कहानी के तीन पात्र है, एक वीर दूसरा उसका दोस्त मुकुल और तीसरी मुकुल की बीबी अनुराधा(अनु)। इन तीनो का छोटा सा परिचय देता हूँ, फिर कहानी की शुरुआत करूँगा।
मुकुल की उम्र ३०है, वो साधारण कद काठी का गौर वर्णीय हैंडसम लड़का है। जो सरकारी क्लर्क है।
अनुराधा(अनु) मुकुल की बीबी है। उसकी उम्र २० वर्ष, देखने में काफी गोरि, तीखे नयन नक्से और सेक्सी फिगर (३४-२४-३४) वाली है। उसे देखने वाले सभी उसे एक ही नज़र में उसपर लट्टू हो जाते है। और उसकी मधुर आवाज़ सुन कर तो भले भलो का ईमान डोल जाता है। अब और ज्यादा समय न गंवाते हुए सीधे घटना पर आता हूँ।
बात उस समय की है जब मुकुल और अनुराधा भाभी की शादी को दो सल पुरे हुए थे। और मुकुल ने अपनी २री एनीवर्सरी के लिए मनाली जाने का प्रोग्राम बनाया जिसमे उसने मुझे भी शामिल कर लिया था। क्योंकि मुकुल को ड्राइविंग अच्छे से नहीं आती थी। हमारा वंहा ३ नाईट और ४ दिन रुकने का प्रोग्राम था। प्रोग्रम के मुताबिक मैं मुकुल के घर उस दिन समय पर पहुंचा तब तक मुकुल और अनु(अनुराधा) भी तैयार थे। मुकुल के पास मारुती डिज़ायर गाड़ी थी। हम तीनो उससे अपने गंतव्य स्थल को निकल पड़े।
हमें मनाली पहुंचते पहुंचते सुबह के १०।३० बज गए। हम सीधे होटल में चेक इन करने के बाद ब्रेकफास्ट लिया और फिर हमारे प्रोग्राम के मुताबिक साइट सिन के लिए निकल पड़े। दिनभर आस पास के सुन्दर नज़रो का लुफ्त उठाया। लंच भी बहार ही एक ढाबे पर किया। शाम तक हम तीनो थक कर होटल वापस आये तब शाम के ७ बजे थे। दिन भर में हम तीनो ने बहुत मस्ती की और एक यादगार दिन बिताया साथ में। मुकुल और अनु भी ड्रेस चेंज करके वीर के रूम पर ही आगये क्योंकि हमने रिसेप्शन पर चाय नास्ता का आर्डर दिया और वीर के रूम में भेजने को कहा था। मुकुल ने एक बॉक्सर के ऊपर टी-शर्ट पहनी थी, और अनु ने हाफ स्लीव की नाईटी पहनी थी। जिसका कपड़ा पतला होने के कारन उसमेसे उसकी ब्रा और पेंटी भी साफ साफ नज़र आ रही थी, और बहुत ही सेक्सी लग रही थी। कुछ ही समय में वेटर ने चाय नास्ता ले कर आया। वीर के कहने पर उसने हमें सर्व करके चलागया। हमलोगो ने बातचीत करते हुए नास्ता समाप्त किया। इस बिच मुकुल बोला की उसे बहुत थकन लग रही है तो थोड़ी देर सोना पड़ेगा वरना बीमार पड़ जाऊंगा, कहकर अपने रूम में चला गया। उसने जाते हुए अनु का कंधा दबाया उसे आने का इशारा किया। अनु ने वीर को नजर भर के देखा और वीर मुस्कुरा दिया। वो रुक गई । मुकुल सोने चला गया।
अब रूम में वीर और अनु दोनों ही रह गए थे। अनु और वीर अबतक काफी खुल गए थे। दोनों ऐसे ही बैठे बैठे बातचीत कर रहे थे, हल्का हल्का हसी मज़ाक भी कर रहे थे।
वीर : "मैं तो यह सोच रहा था की तुम इतनी सुन्दर हो, तुम्हारे कॉलेज में बहुत चहने वाले होंग, कोई बॉय फ्रेंड वगैरह"
अनु :"कॉलेज में मेरे २ बॉयफ्रेंड थे"
वीर: "एक साथ दो!"
अनु: "नहीं पहला वाला ६ महीने तक था फिर ब्रेकअप हो गया"
वीर: "क्यों?"
अनु: "उसको मेरे साथ फिजिकल होना था और मैं तब रेडी नहीं थी तो ब्रेक उप कर लिया। फिर दूसरा बॉयफ्रेड् बना, जिसके साथ 21/2 साल तक फ्रेंडशिप रही"
वीर: "उसने फिजिकल होने का नहीं बोला?"
अनु: "पहले ब्रेक उप के बाद ही सहेलियो से पता चल गया की फिजिकल नहीं हुए तो बॉयफ्रेंड का टिकना मुश्किल है। इसलिए फिर दूसरे वाले से फिजिकल हो गयी"
वीर: "ओहः, चिंता मत करो, मैं मुकुल को नहीं बताऊँगा"
अनु: "तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड तो होगी!"
वीर: "कॉलेज में एक लड़की को चाहता था, पर उसका पहले से एक बॉयफ्रेंड था तो कभी उसको बोल ही नहीं पाया"
अनु: "अरे तो क्या हुआ! तुम तो उसको चाहते थे न, बोल देते अपने दिल की बात। फिर उसकी इच्छा की वो स्वीकार करे या न करे। तुम तो अपनी बात रखते"
वीर: "मैंने सोचा जब मिलनी ही नहीं हैं तो बोलने का क्या फायदा"
अनु: "ऐसे थोड़े ही होता है। बोलकर अपनी कोशिश तो कर ही सकते थे। चलो मैं तुम्हे आज तुम्हारी अधूरी तमन्ना पूरी करवाती हू। क्या नाम था उस लड़की का बताओ"
उस लड़की का नाम वीरने "अनु" बताया। अनु को बड़ा आस्चर्य हुआ मगर उसको क्या पता की मैं झूठ बोलकर उसी की बात कर रहा था।
अनु: "हम सहेलिया कॉलेज टाइम पर यह वाला खेल बहुत खेलती थी। ठीक हैं तो तुम मुझको अपनी कॉलेज की वो वाली अनु समझ लो। फिर मैं तुम्हे २ मिनट दूंगी, तुम्हे मुझको वो वाली अनु समझ कर जो भी मेरे साथ कहना करना हैं वो कर लो"
वीर: "कुछ भी कह और कर सकता हूँ?"
अनु: "हॉ, यही तो खेल हैं, तभी तो बिना डर के रियल फीलिंग आएगी"
अनु अब सोफ़े से उठ कर वीरके सामने खडी हो गयी। वीरके लिए यह खुला इनविटेशन था की वीर उसके साथ कुछ भी कर सकता है। क्या वो सच में सीरियस थी या सिर्फ एक खेल? वीर भी अब खड़ा हो गया। अनुने अपने हाथ फैला दिए और कहा की मेरे २ मिनट शुरू होते हैं अब। वीर सीधा आगे बढ़कर अनुको अपने गले से लगा लिया। वीरने अनुको कस के गले लगया था और अनुके बूब्स वीरके सीने से चिपक कर दबे हुए थे और वीरको अच्छा लग रहा था।
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