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Adultery रीमा की दबी वासना
रोहिणी और अनिल दोनों एक ही गति को प्राप्त हो रहे थे एक अपनी चूत दाने को रगड़ रही थी, चूत में उंगली कर रही थी |  वही दूसरा अपने लंड को मसल रहा था और काफी देर तक दोनों अपने अपने अपने जिस्म को मसलते हुए आखिर अपने अपने चरम पर पहुंच गए थे | रोहिली अपनी चूत से बरस कर ठंडी हो  गई और अनिल अपनी पिचकारिया निकालकर के ठंडे हो गए | इसके बाद उनके मन को थोड़ी शांति मिली और वह अपनी-अपनी जगहों पर जहां लेटे हुए थे वहीं सोने की कोशिश करने लगे |  

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इधर रोहित की आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी और प्रियंम का भी वही हाल था | आखिर रोहित और प्रियम रीमा के ज्यादा करीब थे | रोहित को  न केवल रीमा की चिंता थी बल्कि  उसकी सुरक्षा की भी उन्हें चिंता थी आखिर उनका रिश्ता अनिल और रोहिणी से ज्यादा गहरा था | जाहिर सी बात है उनका रिश्ता   रीमा के  साथ  बहुआयामी था और उसमें वासना का एक डोर थी जो सबसे ज्यादा मजबूत थी लेकिन सिर्फ  वासना की डोर का रिश्ता ही नहीं था रीमा के साथ | आत्मीयता का, लगाव का, प्यार का, दुलार का, वात्सल्य का, जो रिश्ता रोहित और प्रियम का  था वह शायद और कोई नहीं समझ सकता था | आखिरकार प्रियम इधर-उधर लुढकता धीरे-धीरे सो गया और इधर रोहित भी खुद सोने की कोशिश करने लगा लेकिन उसको नींद नहीं आ रही थी | आखिर वो क्या करें | वह जाकर की एक एल्बम उठा लाया और उसमें अपने भाई और रीमा की शादी की फोटो देखने लगा था और उन्हीं को सोच सोच कर के अपनी यादों के भवर में खोने लगा था | कुछ देर तक वह एल्बम देखता रहा | उसके बाद जाकर बिस्तर पर लेट गया और उसके दिलो-दिमाग में बस एक ही सवाल घूम रहा था | रीमा तुम कहां होगी... कहां चली गई.... इस तरह से जैसे-जैसे वह रीमा के बारे में सोचता रीमा को ढूंढने के लिए उसका दृढ़ संकल्प और बढ़ता चला जाता आखिर उसने तुरंत ही अपने एक खास आदमी को फोन लगाया पत्नी और उससे रिपोर्ट लेने की कोशिश करने लगा वह आदमी पहले सिक्युरिटी ने था और अब रिटायर हो चुका था जाहिर सी बात है रोहित ने उससे पहले भी काम पर लगा रखा था लेकिन रोहित ने उसे कहा भाई मुझे किसी भी हाल में कोई न कोई क्लू तो दो आखिर वह कहां है कैसी है ताकि हम कुछ आगे बढ़ सके |  3 दिन से हम हाथ-पांव मार रहे हैं लेकिन हमें ये तक नहीं पता हमें किस जगह उसे ढूढना चाहिए | अब तक हम ऐसा लग रहा है जैसे जहां खड़े थे वहीं के वहीं खड़े हैं | 

उस आदमी ने आश्वासन दिया कल सुबह तक कोई न कोई निकाल कर मुझे जरूर बताता हूं तो चिंता मत कर मैं पर्सनली खुद फील्ड पर निकला हुआ हूँ | उस आदमी ने रोहित को काफी देर तक दिलासा दी इसके बाद रोहित के अशांत मन को थोड़ी सी राहत मिली और वह आंख बंद कर सोने की कोशिश करने लगा जैसे ही उसने आंखें बंद करें सामने रीमा का खिलखिलाता हुआ मुस्कुराता हुआ चेहरा सामने आ गया | उसका वह खूबसूरत चेहरा, हँसते हुए तो और भी अप्सरा लगने लगती थी | रोहित जी रीमा को वो तस्वीर संजोये सोने  की कोशिश करने लगा | 

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मनोविज्ञान का एक पहलू यह भी है कि जब आप किसी चीज के बारे में दिन-रात सोचते हो तो वह चीज आपके सपनों में भी आती है |   तरह-तरह  आपको उसी चीज का एहसास दिलाती रहती है | जब से उसने रीमा को नंगा देखा था उसकी गुलाबी चूत देखि थी | तब से उसे कुछ और सपने में आता ही नहीं | वही रीमा प्रियम को अपना गोरा बदन और गुलाबी चूत दिखाकर ललचाती हुई | प्रियम का रोज का यही हाल था |  जिस तरह से वह अपनी रीमा चाची के बारे में दिन रात सोचता रहता अब उसकी नींद में भी रीमा चाची आने लगी थी | उसके सोते ही उसने जो सपना देखना शुरू किया | लेकिन आज का सपना रोज के सपनो से अलग था | आअज रीमा उसे नंगी होकर सिर्फ चूत दिखाने नहीं आई थी |  प्रियम बहुत गहरी नींद में सो रहा था और वह एक सपना देख रहा था और सपना यह था कि रोहित विदेश में है तो वह उदास है और इसलिए उसकी उदासी मिटाने के लिए उसकी चाची उसके गूमने का प्वलान बनाती है | वह और उसकी रीमा चाची एक खुली जीप में बैठकर के एक जंगल की तरफ पिकनिक मनाने जा रहे हैं | रीमा चाची  गाड़ी चलाती हुई एक पतली जंगल के रास्ते से होते हुए  एक झील के किनारे जाकर गाड़ी रोक देती हैं और वहां पर एक चादर बिछा कर के अपना सारा सामान रख देती हैं प्रियम भी वही हल्की-हल्की गुनगुनी धूप में लेट जाता है और उसके बाद उसकी प्यारी चाची अपने सारे कपड़े उतारते हुए हुए धीरे-धीरे पानी में घुस जाती हैं और नहाने लगती हैं | प्रियम यह सब देखकर हैरान रह जाता है  | चाची का नंगा गुलाबी बदन देखते ही  उसकी पेंट में भी तंबू तने लगता है अपनी चाची को पानी में अठखेलियां खेलते हुए देखता रहता है उनके सौंदर्य को अपलक निहारता रहता है और उनकी खूबसूरती को देखकर खुश होता रहता है |  पानी में भीगी हुई पानी से अठखेलियां करती हुई उसकी चाची किसी सपना सुंदरी से कम नहीं लगती है सपने का असर हकीकत पर भी पड़ता है और उसी सपने की उसी हकीकत  के कारण प्रियम हाथ उसकी पेंट में घुस कर के उसके लंड को मसलने लगता है | प्रियम अपने लंड में आए तनाव को महसूस करते हुए सपने में जब अपनी पैंट की तरफ देखता है तो उसे महसूस होता है कि उसके बिना कुछ किए ही उसकी बिना पैंट की ज़िप और पेंट खोले उसका लंड उसकी पेंट से बाहर आ गया है और पूरी तरह से बना हुआ है | 

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यह देखकर कि वह हैरान है जाता है कि जब उसने पेंट खोली नहीं तो उसका लंड उसकी पेंट से बाहर कैसे आ गया और उसके बाद में वह अपने आप ही अपने लड को हिलाने लगता है | उधर पानी में अठखेलियां करती है रीमा जब यह देखती है तो पानी से बाहर निकल कर उसकी तरफ आने लगाती है | उसका पूरा बदन पानी से भीगा हुआ है | उसके गोरे जिस्म से टपकती हुई बूंदों के साथ हो प्रियम की तरफ आ जाती है | 
उसके लंड पर हिलते हुए हाथ को थाम लेती है और उससे कहती है - यह क्या कर रहे हो | 
प्रियम कहता है  - यह मैं नहीं कर रहा हूं यह अपने आप हो रहा है | 
रीमा पूछती है - लेकिन यह क्यों हो रहा है | 
प्रियम - मेरे पास इसका जवाब नहीं है | 
रीमा - सब चीज का जवाब नहीं होता है | 
प्रियम - फिर क्या करू | 
रीमा - जो होता है उसे होने देना चाहिए | 
इतना कहकर रीमा  प्रियम के कपड़े उतारने लगती है | प्रियम भी कोई विरोध नहीं करता है थोड़ी देर में ही रीमा प्रियम के सारे कपड़े उतार देती है और उसके बाद में उसका हाथ पकड़ कर के उसे झील की तरफ ले जाती है और पानी में जा करके उसे साथ नहाने लगती है अठखेलिया करने लगती है कभी वह पानी में उसको धक्का देती है कभी उसे पलट देती है कभी उसे पानी डूबा देती है | प्रियम भी शुरूआती झिझक से बाद  अपनी चाची के साथ खेलने जाता है | दोनों पूरी तरह से नंगी होकर के पानी में एक दूसरे के साथ खेल रहे हैं एक दूसरे से चिपक रहे थे, एक दुसरे को चूम रहे थे | रीमा बीच बीच में प्भीरियम का लंड भी मसल देती | फिर से दोनों पानी में  अठखेलियां करने लगते |  इस खेल में प्रियम  को बहुत मजा आ रहा था | झील  के ठंडे पानी के तपते हुए लंड की गर्माहट कुछ कम कर दी थी लेकिन वो अभी भी तना हुआ था | रीमा भी उसे मुरझाने नहीं दे रही थी | अब वह चाची के साथ पूरी तरह से डूब जाता है काफी देर तक दोनों एक दूसरे से खेलते रहे | रीमा उसे चुमते हुए गोदी में उठा लेती और फिर पानी में छोड़ देती | फिर वो बदले में रीमा को  उठाने की कोशिश करता है और और खुद ही साथ में रीमा के साथ में पानी में डूब जाता है | काफी देर खेलने के बाद दोनों झील से बाहर आते हैं | उसके बाद में अपने साथ लाए हुए खाने को खाने लगते हैं दोनों एक दूसरे के सामने पालथी मार के बैठे होते हैं | खाना खा रहे होते हैं | प्रियम अपने सामने  अपनी चाची को इस तरह पूरी तरह नंगा देख देख कर खुश हो रहा होता है | उसे ऐसा लग रहा था जैसे यह सब कुछ बहुत सहज हो रहा था | रीमा के सामने वो पूरी तरह से नंगा बैठा है और रीमा चाची  उसके सामने |  दोनों के बीच का रिश्ता कितना  सहज हो चुका है यह देखकर वह खुद हैरान हो रहा था | खाना खाने के बाद वहीं पर दोनों लेट जाते हैं और गुनगुनी धूप का मजा लेने लगते हैं | काफी देर तक वह धूप सेकते रहते हैं लेकिन पता नहीं कब धूप सेकंते सेकते प्रियम की  कब आंख लग जाती है और जब उसकी आंख खुलती है तो वह देखता है उसका लंड रीमा चाची के हाथ में है | रीमा  चाची उसे मसल रही है  और चूस रही है प्रियम  अपनी आंखें बंद कर लेता है |  
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ऐसा लग रहा था जैसे यह सब कुछ उसके लिए नॉर्मल हो और रीमा चाची जिस तरह से उसका लंड चूस रही थी वह कोई नई बात ना हो इधर रीमा उसके लंड को अच्छे से मालिश करती है और उसके बाद उसको चुस्ती है और चूसते चूसते फिर कुछ देर बाद उसके ऊपर आ कर के अपने दोनों घुटने दोनों तरफ टिका देती है और अपनी गुनगुने गर्म कसी हुई गुलाबी चूत के मुहाने पर उसके लंड को सटाती है और उस पर बैठती चली जाती है | उसका तना हुआ लंड रीमा की गरम गुलाबी कसी हुई चूत में धंसता चला जाता है | प्रियम  जैसे स्वर्ग के चक्कर काट आया हो | उसकी रीमा चाची  की गरम गुलाबी चूत में लंड के जाते ही प्रियम के मुंह से एक लंबी आह निकलती है | उसका तना हुआ लंड रीमा की कसी हुई गुलाबी मखमली चूत दीवारों को चीरता हुआ अंदर तक धंस जाता है | रीमा फिर से कमर उठाती है और फिर से जोर दे करके उस पर बैठ कर चली जाती है | लंड दुबारा से से रीमा की चूत में घुस जाता है | इसके बाद रीमा प्रियम के लंड पर बैठकर घुड़सवारी करने लगती है |   प्रियम का लंड रीमा की चूत में आने जाने लगता है जमीन पर लेटा हुआ प्रियम रीमा  की तरफ देखता हुआ अपने ही वासना में मदहोश हो जाता है | 

रीमा उसके उसके हाथों पकड़ के अपने स्तनों पर रख देती है और उन्हें दबाने को दबाने का इशारा करती है | अपनी चाची का इशारा समझते ही प्रियम  रीमा की उठी हुई उनकी छातियों को मसल मसल के उनसे खेलने लगता है |  इधर रीमा अपनी तेजी से अपनी कमर हिलाने लगती है प्रियम लंड पूरी तरह से रीमा की चूत में गायब हो जाता है और रीमा  तेजी से अपने कुल्हे हिला हिला के अपनी चूत को चोदने लगती है | कुछ देर बाद आगे की तरफ झुककर प्रियम को चूमने लगती है और प्रियम को नीचे से कमर हिलाने को कहती है | प्रियम नीचे से ठोकर मार कर रीमा की चूत में लंड पेलने लगता है | 

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काफी देर तक चोदने काऊ बॉय पोसिजन में चोदने के बाद रीमा थकने लगती है |  तो वह आकर के नीचे बिस्तर पर लेट जाती है प्रियम उसके ऊपर आ जाता है रीमा उसे अपनी बाहों में भर लेती है और पीछे जांघो से उसके चुताड़ो को जकड लेती है | 
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उसके बाद में उसका लंड अपने हाथों से अपनी चूत पर सटाती है और जैसे ही वह अपनी चूत से प्रियम का लंड लगाती है प्रियम तेजी से अपनी कमर हिला देता है और उसका लंड की रीमा की चूत में घुस जाता है| प्रियम की तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं था  |  वो चाची को चोद रहा है यही तो उसका सपना  था  उसका सपना सच ही हो गया | अपनी चाची की चूत को चोद रहा है जिसके ख्वाब वो  इतने दिनों से देख रहा था उसकी चाची उसको गुलाबी चूत को चोदने दे रही हैं और वह अपनी चाची की चूत को चोद रहा है आखिर इतने दिनों बाद उसकी चाची ने अपनी चूत उसको चोदने को दे ही दी थी | वह रीमा की बांहों  में पूरी तरह से जकड़ा हुआ था | रीमा ने अब वो बंधन भी हटा दिया | वो चाहती थी अब प्औरियम उसे खुलकर चोदे | रीमा ने अपने पैर भी हवा में फैला दिए | उसकी जांघें फैली हुई थी और प्रेम का पूरा लंड रीमा की चूत में आराम से अंदर तक जा रहा था | प्रियम तेजी से कमर हिला रहा था | उसके लंड के झटको से अब रीमा की कराहे निकलने लगी थी | 
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बीच बीच में रीमा उसे अपने पास उसके ओंठो को अपने होंठों से सटा कर कसके चूम लेती |  दोनों पसीने से तरबतर थे और दोनों के बदन की गर्मी उसके नथुनों से निकल कर एक दुसरे के ऊपर आ रही थी और भाप बन कर उड़ रही थी | प्रियम रीमा को चोदते चोदते जैसे अपने सपनों की रानी को पा गया हो | अपनी चाची की चूत को चोदते चोदते जैसे सपनों में पहुंच गया हो | 

प्रियम हांफते हुआ - चाची चाची मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा कि मैं आपकी चूत को चोद रहा हूं | 
रीमा हांफते हुए - तुझे यकीन नहीं आ रहा | 
[b]प्रियम हांफते हुए -  मुझे नहीं पता था कब आप मुझे अपनी चूत चोदने को देगी आज आपने मेरी यह मुराद पूरी कर दी आप बहुत अच्छी हो चाची और चाची मुझे तो लग रहा था आपको भी मानोगी ही नहीं लेकिन आज आपने मुझे जन्नत की सैर करा दी |  मैं कितना खुश हूं मैं आपको बता नहीं सकता | [/b]
रीमा बोली -  तुम्हें अच्छा लग रहा है ना | यही तो तुम चाहते थे ना | मेरी चूत चोदना चाहते थे ना तुम लो आज मैंने तुम्हें चूत चोदने को दे दी अब खुश हो ना | 
प्रियम जोश से भरा हुआ -  हा हा हा चाची मैं बहुत खुश हूं | 
रीमा - तुम्हें मजा आ रहा है मेरी चूत चोदने में |
प्रियम - हां चाची बहुत मजा आ रहा है | आपकी चूत बहुत टाइट है और मुझे तो लग रहा है मेरी जल्दी ही मेरी पिचकारी छूट जाएगी | रीमा - कोई बात नहीं प्रियम  बेबी  जब कोई लंड  पहली बार चूत चोदता है तो उसको ऐसा ही महसूस होता है |जब तुम बार बार चूत को चोदोगे तो  धीरे-धीरे तुम्हें फिर आदत हो जाएगी और फिर तुम  देर तक मेरी चूत को चोद पाओगे |
प्रियम - आप मुझे आगे भी अपनी चूत चोदने को देंगी | 
रीमा - हाँ मेरे बच्चे | अभी जैसे मर्जी हो मेरी चूत को चोदो और झड़ने की चिंता मत करो | जब किसी को कसी चूत को चोदोगे तो यही होगा | ज्यादा से ज्यादा जल्दी झड जावोगे तो कोई बात नहीं यह तो नेचुरल है | 
प्रियम - चाची मै बता नहीं सकता मुझे कितना मजा आ रहा है इसीलिए तो तुझसे चुदवा रही हूँ |  इसीलिए तो तुझे अपनी गुलाबी चूत चोदने को  दिया है ताकि तू अपने मन की मुराद पूरी कर ले | तू मुझसे अक्सर नाराज रहता था की मै तुझे अपनी चूत चोदने को नहीं देती हूं इसीलिए जल्दी आज तू मेरी चूत को ही चोद ले | जितना मर्जी हो उतना जमकर चोद ले आज तुझे नहीं न रोकूंगी न टोकुंगी | आज तू मेरी चूत की गहराइयो में जमकर गोता लगा ले |

प्रियम - आज आपने मुझे अपना दीवाना बना दिया है इसके बाद कुछ बचता नहीं है बस मन करता है आपको ऐसे ही चोदता रंहू | 

रीमा -  हां बेबी मेरा भी मन कर रहा है कि तू मुझे  बस  ऐसे चोदता रहे | ऐसे ही सुनसान जंगल में हम दोनों हो और कोई न हो | तू मेरी चूत की गहराइयों में अपना लंड उतरता रहे और मै ऐसे ही तुझसे चुदती रहू |
रीमा की चूत पर जोरदार धक्के मारता हुआ प्रियम  - चाची आप बेस्ट हो,  आप दुनिया की सबसे अच्छी चाची हो | चाची वह मैं बता नहीं सकता आप कितनी अच्छी हो | 
रीमा - हाँ बेबी बोलो न कितनी अच्छी हूँ | लेकिन चोदन धक्के मारते रहो |
प्रियम -  मैं जैसे जन्नत  का सफ़र कर रहा हूं | चाची आपकी गरम गीली कसी हुई चूत इतना मजा दे रही है मैं बता नहीं सकता हूं | 
रीमा - हां बेबी बस चोदो और चोदो और कुछ मत करो | बस धक्के पर धक्के मारते रहो और मेरी चूत को अपने लंड से मसलते रहो कुचलते रहो | जितना मेरी चूत को मसलोगे कुचलोगे उतना ही मुझे भी मजा आएगा |  
प्रियम गहराई का पूरा लंड पेलने लगा और लम्बे धक्के लगाने लगा | रीमा - बस मुझे चोदते रहो प्रियम बेबी | 
प्रियम के धक्के तेज हो गए थे और ऐसा लग रहा था जैसे अब बस झड जाने की कगार पर है | 
रीमा - हाँ बेबी यस बेबी यश  यस यस यस यस और चोदो और चोदो पूरी ताकत लगा कर चोदो |  बस बेबी बस बेबी  यही चाहती हूं | 
प्रियम कराहता हुआ - आआआह्ह्ह्ह चाची मैं आप को चोद रहा हूं जीतनी तेज लंड पेल सकता हूँ पेल रहा हूँ | 
रीमा -  यस यस यस बेबी चोदो और चोदो रुकना नहीं, अपना लंड पेलते रहना | 
रीमा के शब्द प्रियम में नया जोश भर रहे थे | 
रीमा - बस इसी तरह चोदकर मेरी चूत के अंदर की सारी  खुजली मिटा दो |  पूरी गहराई तक लंड पेलकर चोदो मुझे मेरे प्रियम डार्लिंग | तुम मेरे सबसे करीब हो, इतना करीब कोई नहीं | अपनी रीमा चाची की प्यास चूत की सारी प्यास बुझा दो | अपनी जवानी का सारा दम लगा दो | यस बेबी यस बेबी ऐसे ही चोदो मुझे फ़क लाइक दैट | 
रीमा के शब्दों ने  जैसे प्रियम पर  जादू सा असर किया | उसके थकने की बजाय  प्रियम की कमर के झटके  अपनी फुल स्पीड में पहुंच गए | उसका लंड रीमा की आग की भट्ठी बनी चूत में सटासट  जा रहा था |  ऐसे लग रहा था जैसे कोई इंजन का पिस्टन अपनी फुल स्पीड में अन्दर बाहर हो रहा हो | इतनी तेजी प्रियम अपनी कमर हिलाकर रीमा को चोद रहा था |  इतनी स्पीड में लगने वाले झटको  से रीमा का पूरा बदन बहुत तेजी से हिल रहा था | वह भी अपने चरम पर पहुंच गई थी | प्रियम के धक्कों से लगने वाली ठोकरों ने उसके पुरे शरीर को हिलाकर रख दिया था | तनी तेज झटको के बावजूद वो प्रियम का लंड अपनी चूत की गहराइयों में महसूस कर रही थी | उसे जो चाहिए था शायद मिल गया था | जवान होते खून की चुदाई का अहसास उसने कर लिया था |  प्रियम भी लगातार तेज धक्कों के कारण बहुत बुरी तरह हंसने लगा था और एक लंबी ठोकर के बाद उसकी उसकी वासना का बांध टूट गया और वह रीमा की चूत की गुलाबी गहराइयों में झड़ने लगा था | जैसे ही उसके लंड से पहली पिचकारी निकली  प्रियम जैसे थम सा गया था, उसकी कमर का हिलना बंद हो गया |  रीमा ने उसके चूतड़ों पर अपनी जांघों को कसाव बढ़ा दिया था और रीमा ने उसे अपनी बाहों में कस कर पकड़ लिया | 
रीमा - अपना सारा रस मेरी चूत की गहराइयो में उतार दो | अपने जिस्म की गर्मी से पिघल कर बह निकले सफ़ेद लावे को मेरी गुलाबी गहराइयों में भर दो | 
प्रियम - आआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह चाआआआआअची  -  मैं झड रहा हूं | 
रीमा - हाँ हां बेबी बिल्कुल अपने जिस्म से मेरे प्यार के नाम पर निकली एक  एक बूंद मेरी चूत में निचोड़ दो | आखिर तुम मेरी चूत चोदना चाहते थे ना | अब अपने सारे अरमानों का रस  सारे ख्वाहिश का जूस मेरी चूत में लंड रस के रूप में बूंद-बूंद कर निचोड़  दो |
प्रियम रीमा के ऊपर ही ढेर हो गया और रीमा की नरम सुडौल  ऊंची छातियों पर सर रख कर के अपनी सांसे काबू करने लगा था | रीमा भी उसके बाल सहलाने लगी थी और उसकी चूतड़ों पर उसकी जांघों की कसावट ढीली हो गई थी और वो एक हाथ से प्रियम के बाल को सहला रही थी और दूसरे हाथ से उसकी पीठ को सहला रही थी | प्रियम लंड अभी भी रीमा की चूत में पड़ा हुआ था और प्रियम रीमा  के ऊपर लेटा हुआ अपनी उखड़ी सांसे कर काबू कर रहा था | तभी प्रियम को अपने हाथ पर कुछ गिला गिला चिपचिपा सा महसूस हुआ था  | उसका सपना टुटा और वो हकीकत में लौटा | उसने अपनी आंखें खोल दीं | 
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उसने देखा कि उसके हाथ उसके लंड रस से सना हुआ है और उसके लंड से निकली पिचकारी से उसका पूरा हाथ और पेट गीला हो गया है | क्या मैं सपना देख रहा था | क्चाया मैंने सपने में चाची को चोदा है | शिट ..........प्रियम के चेहरे पर निराशा के भाव थे | उसने उठ करके अपने हाथ और हाथों को उंगलियों को और पेट को साफ किया अपने से लंड को अच्छे से पोछा और फिर से अपने बिस्तर पर ढेर हो गया  | उसके लिए इस बात की खुशी थी सपने में ही सही उसने रीमा चाची को चोदने का अपना सपना पूरा कर लिया लेकिन सपना तो सपना ही था हकीकत नहीं यही बात उसके मन में निराशा का बन गयी | थके और  निराश मन फिर से  सोने की कोशिश करने लगा थोड़ी देर में फिर से गहरी नीद में चला गया | 
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Index Updated ..............................
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जितेश और रीमा दोनों काफी देर तक एक दूसरे को सहलाते हुए एक दूसरे से चिपके रहे | जितेश के लंड से पिचकारी छूटने के बाद वह मुरझा गया था | बस लंड ही मुरझाया था अरमान नहीं | अरमान तो उसके अभी भी जिन्दा थे, रीमा के अरमान, उसके गुलाबी नाजुक कोमल जिस्म को भोगने के अरमान | उसके रसीले ओंठो का रस पीने के अरमान | उसके गुलाबी जिस्म की मखमली गुलाबी कसी हुई चूत चोदने के अरमान | रीमा को चोदने के अरमान | अब जब उसने रीमा के साथ यहाँ तक का सफ़र तय ही कर लिया है तो अब बिना चोदे रीमा को इस तरह से हाथ से जाने देना बेवखूफी होगी | रीमा के दिलो दिमाग में क्या है उसे पता नहीं था लेकिन उसने हर हाल में रीमा को चोदने का इरादा मजबूत कर लिया था | जितेश अपने मुरझाये लंड को अपने अरमानो के फौलादी इरादों से फिर खड़ा करने लगा |  इन्ही अरमानो की लगायी आग उसके जिस्म में फिर से फ़ैलने लगी | उसका बदन रीमा के जिस्म से सटा हुआ था |  धीरे धीरे रीमा  के  नाजुक गोरे गुलाबी  बदन की गर्माहट और रीमा को चोदने के जिन्दा अरमानों  ने उसके अंदर फिर से जोश भर दिया और रीमा की तरफ से  बिना किसी वासना के उकसावे  हरकत के ही जितेश का लंड फिर से तन्ने लगा था, फूलने लगा था | 

रीमा अपनी ही दुनिया में खोयी हुई थी | प्रियम रोहित की याद में गहरे तक डूब गयी थी लेकिन उसकी भावनाओं के ज्वार में भी उसकी वासना ख़त्म नहीं हुई थी | उसे तो अहसास ही नहीं था की उसका जिस्म क्या चाहता है कितना चाहता है | उसे बस एक अपने अन्दर एक तड़प एक प्यास महसूस हो रही थी | ऐसा लग रहा था कुछ अधूरा है, कुछ है जो उसको खालीपन का अहसास करा रहा है | उसकी अपनी कामनाये थी वासनाये थी लेकिन उसकी वासनाये किसी मर्द की वासना या हवस से बिलकुल अलग थी | जितेश को पता था उसे क्या चाहिए लेकिन रीमा को बस एक अहसास था, असल में उसे क्या चाहिए ये तो उसे तभी पता चलता था जब वो वासना में डूब कर गोते लगाने लगती थी | उसकी वासना स्थिर नहीं थी निश्चित नहीं थी, पल पल के साथ उसकी चाहते और ख्वाइश बदल जाती थी | बढ़ जाती थी | उसे भी अहसास था जितेश इतने से मानने वाला नहीं है, उसे बिना चोदे वो छोड़ेगा नहीं | लेकिन उसे जितेश से ज्यादा खुद की चिंता थी आखिर उसे किस हद तक जाना है | किस हद तक उसे जितेश को अपने अंतर में जाने देना है | उसकी हद क्या है उसकी हसरत क्या है | रीमा की यही उलझन थी, हमेशा वो अपनी वासनाओं की हदों को लेकर सशंकित रहती थी | मन में हजारो सवाल थे | जवाब सिर्फ भविष्य में था | जितेश का फूलता तनता लंड रीमा की जांघ पर अपनी दस्तक देने लगा | रीमा को उसके कड़ेपन और गर्माहट का जब अहसास हुआ, तो उसने नीचे की तरफ नजर घुमाई | 

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रीमा ने जब उसका तनता हुआ लंड देखा तो उसे फिर अपने हाथों में ले लिया और सहलाने लगी , आखिर उसकी चूत की प्यास तो अभी भी बरक़रार थी | उसके अरमानो की सेज तो अभी सजनी बाकि थी | आखिर उसे अपनी हसरतों की दौड़ तो अभी लगानी थी | इस दौड़ में उसके साथ बराबर दौड़ने वाला भी उसके जिस्म से चिपका हुआ था और उसे उम्मीद थी वो उसे किसी भी हाल में बीच मझधार में नहीं छोड़ेगा | इसीलिए वो अपनी वासना का अंनत समुद्र उसके साथ तैर कर पार करना चाहती थी | वो ख्वाइशये वो हसरते वो अरमान वो ललक वो प्यास वो तड़प वो हवस सब कुछ मिटाने का वक्त आ गया था | जितना दिल दिमाग लगाकर वासना के समन्दर में उतरकर खुद को तृप्त करेगी | उतना ही उसके अनसुलझे सवालो के जवाब मिलते जायेगे | अभी सही गलत ऊपर नीचे कुछ भी सोचने का वक्त नहीं था | अभी बस जिदगी और उसकी जवानी की हसरतो में डूब जाने का वक्त था | वासना के सागर में कूद जाने का वक्त था, इस हवस के सागर में डूब जाएगी या तैर करके पार लग जाएगी ये तो वक्त बताएगा लेकिन उसे इसमें कूदने से अब डर नहीं लग रहा था |  | जितेश के लंड पर फिसलता उसका नरम हाथ और रीमा के दिमाग में चल रहा उसका अंतर्द्वंद | रीमा दिल से कही और थी शरीर से कही और थी लेकिन दोनों की मंजिल एक थी | अपने अरमानों को जी भरकर जीने की | ताकि अपने अन्दर इतना आत्मविश्वास पैदा कर सके की दुनिया के सीना तान कर जी सके | आखिरकार  मेरी अपनी हसरते है चूत की अपनी प्यास है, जिस्म की अपनी जरूरते है और अपने अरमानो की तृप्ति ही उसकी मंजिल है यही उसके अन्दर का खोया आत्मविश्वास लौटाएगी | उसे बेचारी, मजबूर नहीं, मजबूत और आत्मविश्वास से भरी हुई औरत बनकर रहना है | ये तभी होगा जब वो अपने मन की करेगी, अपने मन के अरमानो को पूरा करेगी, अपने फैसले खुद लेगी और दकियानुकुसी बातो को अपने दिमाग से कूड़े की तरह निकाल कर बाहर फेंक देगी |


रीमा के जादुई स्पर्श से जितेश के लंड को जैसे करंट लग गया हो,  वह बिजली की तेजी से फूलने लगा और उसमें खून भरने लगा | 

रीमा ने भी उसके लंड को तेजी से हाथ से हिलाना शुरू कर दिया था रीमा ने अपने ओंठो को जितेश के ओंठो पर रख दिया | जितेश भी रीमा को कस कर चूमने लगा था | दोनों के वासना की आग में सूखे ओंठ कांपते हुए फलकों के साथ एक दुसरे से चिपक गए | एक दुसरे के मुहँ का रस एक दुसरे के सूखे ओंठो को नमी देने लगा | जितेश ने रीमा को पूरी तरह से अपने ऊपर लिटा लिया और उसका लंड अब रीमा की चूत के चिकने त्रिकोण  पर रगड़ खा रहा था | जितेश और रीमा एक दूसरे को कस के चूम रहे थे रीमा की बाहें रितेश के सर के दोनों तरफ थी जबकि जितेश के हाथ रीमा के चूतड़ों पर जाकर जम गए और वह रीमा के बड़े-बड़े चूतड़ों की अपनी हथेलियों से मालिश करने लगा | 

रीमा के बड़े बड़े उठे हुए सुडौल उन्नत नुकीले उरोज जितेश की चौड़ी छातियों से रगड़ खाकर दो जवान जिस्म के पाटो के बीच पिस रहे थे | दो जिस्मो की इस कशमकश में रीमा के अरमान और जितेश की हवस अपनी तरुणाई छोड़कर जवान हो रही थी | दोनों जिस्म एक दुसरे में गुथमगुथा होकर अपनी वासनाओं की आग को और भड़काने में लगे हुआ थे |  रीमा पूरी तरह से जितेश के ऊपर उल्टा लेटी हुई थी, उसके मांसल सुडौल चूतड़ ऊपर की तरफ उठे हुए थे | जितेश के हाथ उनकी अच्छे से मालिश कर रहे थे |  रीमा और जितेश एक दूसरे को कस कर चूम रहे थे जितेश और रीमा के बदन की गर्मी बढने लगी थी | दोनों के जिस्मो की धड़कने अब साफ़ एक दुसरे को महसूस होने लगी थी | जितेश का लंड पूरी तरह से फूलकर तन गया था | उसमे दौड़ रहा तेज खून का बहाव उसे कंपा रहा था | उसका  लंड बिल्कुल रीमा की चूत के मुहाने पर रगड़ खा रहा था और खून से भरा होने के कारन उसका सुपाडा पूरी तरह से लाल हो गया था | 

उस पर गीलेपन की बूंद छलक आई थी | 

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उसके बाद में रीमा  जितेश से अलग हो गई और वह  जाकर के जितेश के लंड के पास बैठ गई जितेश के लंड को चूमने लगी | उसके लंड के सुपाडे पर आई प्रिकम की  बूंद को  रीमा ने चाट लिया और गटक गयी |  लेकिन रीमा के साथ साथ जितेश भी सीधा हुआ और उसने रीमा को अपने नीचे लिटा कर के खुद उसके ऊपर छा गया |  जितेश ने रीमा के दोनों बड़े बड़े उठे हुए धवल स्वेत गुलाबी उन्नत उरोजो की नुकीली पहाड़ियों को अपने हाथों में ले लिया और कसके मसलने लगा, चूमने लगा था | उसकी  नुकीली  चुन्चियो को  मुंह में भर कर चूसने लगा था | रीमा आनंद से  मस्त हो गई | उसके अरमानो की ख्वाइशे सिसकारियां बनकर मुहँ से सिसक रही थी | उसकी हवस की आग की आंच उसके नथुनों से गरम भाप बनकर निकल रही थी | उसका जिस्म उसकी हवस की आग में तपने लगा था |  उसने अपनी आंखें बंद कर ली | जितेश काफी देर तक रीमा के दोनों बड़े बड़े स्तनों को बारी-बारी से चूस कर उनका रस पीता रहा |  फिर उसका एक हाथ धीरे-धीरे रीमा के सपाट चिकने पेट पर से फिसलता हुआ रीमा की चिकनी बाल रहित चूत घाटी का मुआयना करने लगा | रीमा की चिकनी चूत घाटी की फिसलन को जितेश का हाथ संभाल नहीं पाया और फिसलता हुआ उसकी जांघों के बीच में  स्थित उसके मखमली जिस्म के सबसे   से वर्जित इलाके में पंहुच गया | उसकी उंगलिया उसकी चूत  घाटी के निचले हिस्से पर उसके चूत दाने पर पहुंच गयी | रीमा कसकर सिसक उठी | ये सिसक उसकी दबी हुई अनछुई  हवस की ललक की पहली दस्तक थी | जितेश रीमा की चूत दाने को रगड़ने लगा था |  रीमा के तन बदन में आग लगाने के लिए पहले से ही क्या कुछ कम था जो वह चूत दाने  को रगड़ने लगा था | चूतदाने पर जितेश  की उंगलियों का स्पर्श  पाते ही रीमा के पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया और वह वासना से पूरी तरह नहा गई |  चूत से उठकर पुरे शरीर में दौड़ गयी वासना की तरंग में उसका पूरा शरीर काँप गया | जितेश ने रीमा के चूत दाने को कसकर उंगलियों से मसल्ला शुरू कर दिया था | जितेश ने रीमा के तन बदनमें आग लगा दी |  उसके अन्दर उमड़ रहे वासना के समन्दर के भंवर और तेज हो गए | उसकी लहरे रीमा के मुंह से सिसकारियां बनकर फूटने फूटने लगी थी |  वासना की गर्मी में तप रहा रीमा जिस्म अब आग की भट्ठी बनने की तरफ बढ़ चला | उसके मुहँ से तेज होती मादक कामुक सिसकारियां इस बात की निशानी थी की उसके अन्दर वासना की समुद्र का तूफ़ान और तेज हो रहा है  | 

रीमा - आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई  स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई | 

रीमा के मुहँ  से मादक कराहे सुन जितेश का जोश भी बढ़ गया था |  जितेश रीमा के उरोंजो को अपने मुंह में भर कर उनका सारा रस पी रहा था और नीचे अपनी उंगलियों से ही रीमां की चूत दाने को कस के रगड़ रहा था | रीमा अपने बदन में उठते गिरते वासना के भंवर में अपने पैर उठा गिरा रही थी | रीमा ने भी अपनी पीठ अपने हाथ जितेश की पीठ पर जमा दिए थे और उसके जिस्म से चिपक कर खुद के बदन को रगड़ने लगी थी | जितेश की उंगलियाँ किसी जादूगर की तरह रीमा के मखमली चूत इलाके में फिसल रही थी | जितेश की उंगलियों के जादू ने तो जैसे रीमा को मदहोश कर दिया | एक तरफ जितेश उसके सीने का सारा रस निचोड़े ले रहा था उसके ओंठ पूरी सख्ती से उसकी उठी हुई उन्नत नुकीली छातियों का रस निचोड़ने में लगे हुए थे | दुसरे उसकी चूत और चूत दाने पर फिसल रही उसकी उंगलियाँ उसकी चूत का सारा रस निचोड़ कर बाहर निकालने में लगी हुई थी |  रीमा की सांसें बहुत तेज हो गई थी और वह मस्ती में आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह  कर कराह रही थी | 


जितेश ने रीमा के उन्नत उरोंजो का रस निचोड़ना  छोड़कर धीरे-धीरे रीमा की गुलाबी चूत के इलाके में पंहुच गया |   जितेश खुद को नीचे खिसकाता हुआ रीमा की जांघो के बीच जाकर बैठ गया | उसने अपना सर रीमा की नरम गुदाज जांघो में धंसा लिया |  और कसकर उसकी जांघो को थाम लिया |  उसके ओंठ रीमा की चूत घाटी के  बीचो-बीच की मखमली दरार पर पहुंच गये | उसकी गीली जीभ का तीखा नम स्पर्श अपने गुलाबी जिस्म के सबसे सवेदनशील अंग पर पड़ते ही रीमा के मुहँ से जैसे सिसकारियों की बौछार निकल पड़ी |


रीमा - आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई  आआआआह्ह्ह्ह म्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्ममा  आआआआआआआआआआआअ | 


उसने रीमा की चूत पर अपने होंठ रख दिए और रीमा की गुलाबी रसीली मखमली  चूत का रस चूसने लगा, वो रीमा की चूत बिलकुल ऐसे चूस रहा था जैसे एक भौंरा किसी कली का रस चूसता है | उसकी एक उंगली चूत दाने को मालिश करने लगी | रीमा के जिस्रीम में उठने वाली वासना की मादक तरंगो ने रीमा को मदहोश कर दिया | रीमा तो जितेश की इस हरकत से  अपना काबू ही खो बैठी, वो आनंद में पागल हुई जा रही थी | 


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रीमा जैसे अपने जिस्म में उठती वासना की तरंगो को अब संभाल नहीं पा रही थी - आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह बस करो जितेश मै मर जाउंगी | 
रीमा - आआआआह्ह्ह्हआआआ  आह्ह्ह्हआआआआह्ह्ह्ह ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह | 
जितेश किसी समधिष्ट योगी की तरह बस अपने अधरों की रीमा की गुलाबी मखमली चूत पर फिसलाता रहा | उसकी गीली जीभ रीमा की गरम चूत पर अपनी ठंडी फुहारों की मालिश करती रही | जितेश के कानो तक रीमा की कामुक सिसकारियां और कराहे पंहुच रही थी लेकिन जितेश को पता था उसका ध्यान कहाँ रहना चाहिए | अभी रीमा की तरफ ध्यान गया तो सारी मेहनत बेकार जाएगी | जब तक फडफड़आती, तड़पती, मचलती, कराहती, सिसकती रीमा अपनी वासना की पहली फुहार नहीं छोड़ देती, तब तक उसे इसी तरह समाधिस्त रहना होगा | वासना का खेल भी किसी साधना से कम नहीं अगर सही से खेला जाये | 
रीमा के मुहँ से सिसकारियां बन होने का नाम नहीं ले रही थी |
रीमा - आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्  ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बबबससससससससस करो | ओह गॉड 
 आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्   बहुत अच्छा लग रहा है  ........................................    ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह  ऐसे चुचुचुचुचुचुचुचुसतेतेतेतेतेतेतेतेतेतेते आअहाआअहाआह्ह मेरे राराराराजाजाजाजाजाजाजाजाजा | बस चूसते रहो  | 
रीमा - बेबी ओओओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बेबी यस यस यस यस यस यस यस यस  लाइक दैट लाइक दैट  |

जितेश के कानो में जैसे रीमा शब्द पड़े ही नहीं | जितेश ने अपनी जीभ निकाली और रीमा के दोनों चूत के पलकों को फैलाया और नीचे से ऊपर तक चाट लिया रीमा | रीमा इस  गीले खुरदुरे एहसास से सिहर उठी | 

रीमा - ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह  गागागागागागाडडडडडडडडडड ओह्ह्ह्ह माय  गागागागागागाडडडडडडडडडड मार ही डालोगे क्या ..................................| 
जितेश ने फिर से वही दुहराया | 
रीमा - इट फील्स सो गुड मर ही जाउंगी मै ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह  बेबी बहुत मजा आ आया  आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्  |

उसके पूरे तन बदन में आग लग गई वह अपने पैर इधर-उधर हिलाने लगी | उसकी कमर झटके खाने लगी | रीमा के जिस्म में उठ रहे हवस के भंवर उसके जिस्म को हिलाने लगे थे |  उसकी मखमली गुलाबी चूत बुरी तरह से पानी छोड़ने लगी | लेकिन जितेश ने उसकी जांघों को कस के पकड़ रखा था उसके बाद जितेश ने अपनी जीभ रीमा की चूत सुरंग में घुसा कर उसको अंदर तक चूसना चाटना  शुरू कर दिया | वो रीमा की मखमली चूत से निकल रहे उसकी वासना के अमृत रस को उसकी चूत के बाहर निकलने से पहले ही पिए ले रहा था | रीमा के चूत रस ने तो जैसे जितेश को जोश से भर दिया | वो रीम की बहुत कसके चूसने लगा | रीमा के  जिस्म में भी हवस की आग अपनी पूरी ताकत से धधक रही थी, जो उसके पुरे बदन को जलाये हुये तपाये हुए थी |  रीमा उसकी वासना की आग की तपिश में बहुत तेजी से जलती हुई  हवस की तरंगो में गोते लगाने लगी थी और जितेश रीमा के चुत दाने को भी कस के रगड़ रहा था रीमा का खुद पर काबू नहीं था उसके शरीर में  जैसे वासना का महातूफ़ान आ गया हो रीमा खुद को संभाल नहीं पाई और बिखर गई | रीमा के बदन तेजी से ऐठ गया अकड़ गया और कांपने लगा  और कांपते जिस्म के साथ  वह झड़ गई | रीमा की चूत जब इतनी खूबसूरत है तो उसका रस कितना मीठा होगा ये सोचकर ही जितेश रोमांच से भर गया |  रीमा की गुलाबी चूत जैसे झरना बनकर बहने लगी |  उसकी मखमली चूत के अंदरूनी ओंठ पूरी तरह फैला दिए और अपनी जीभ और ओंठो को उसकी मखमली गुलाबी  चूत सुरंग के मुहाने से सटा दी, जितेश का मुहँ  रीमा की झरना बनी चूत से चिपक गया  | उसकी चूत से रिस रहे उसकी वासना के झरने की एक एक बूंद गटकने लगा |   रीमा गुलाबी रसीली चूत का अमृत रस कौन मिस करना चाहेगा |  जितेश घूँट दर घूँट रीमा की चूत का रसपान करता रहा | रीमा का बेकाबू जिस्म हिलता रहा | रीमा तो जैसे स्वर्ग में ही पहुंच गई हो उसने मुट्ठी भींच  के बेड की चादर को पकड़ लिया और अपनी जांघों के बीच में उठ रही तेज वासनाओं के ज्वार को संभालने में लग गई थी हालांकि यह उसके लिए बहुत मुश्किल हो रहा था | उसकी शरीर में उठने वाली वासना की तरंगे उसके मुंह से सिसकारियां बन निकलती  रही | 


कांपती रीमा को देखकर भी जितेश नहीं रुका | उसके चूत रस से जितेश का मुहँ भीग गया |   जितेश ने रीमा की चूत से बहते झरने का सारा रस पी लिया उसके बाद भी  कुछ देर तक रीमा  की चूत को कसकर चूसा |  एक तरफ निढाल हो रीमा अपनी सांसे काबू करना चाहती थी लेकिन जितेश कहाँ उसे पल भर की फुर्सत दे रहा था |  रीमा के मुंह से मादक सिसकारियां निकलना जारी रही |  रीमा के दिल के अरमान उसकी चूत से चूत रस बनकर झर झर कर बह रहे थे | उसकी अनंत ख्वाइशो में कुछ अंश की तृप्ति वो अपने अंतर्मन में  महसूस कर रही थी | 


 रीमा अब उत्तेजना के भंवर में बुरी तरह से फंस चुकी थी | उसका बदन आनंद से सरोबार हो खुद उसके काबू में नहीं था |   इधर जितेश ने रीमां की चूत के मुहाने में से उसका जूस निचोड़ने के बाद अपनी जुबान घुसा उसे अन्दर ठेलने की कोशिश करने लगा

 वो जीभ से ही रीमा की चूत चोद देना चाहता था लेकिन असफल रहा |  फिर उसने  बारी बारी से उसके पतले चूत ओंठो को  चूमा और फिर चूत दाना चूसने लगा | 

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 उसने रीमा की चूत के दोनों ओंठ  फैला दिए और उसकी चूत के अंदरूनी ओंठो पर अपनी खुरखुरी  जुबान फिराने लगा | रीमा तो जैसे आनंद से पागल ही हो गई थी |

रीमा - ओओओओओओओओओओओओ नोनोनोनोनोनोनोनोनोनो जितेश अब रुक जावो प्लीज ,  आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्  मेरी जान लेकर ही मानोगे क्या ? आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्  ओओह्ह्हह्ह्ह्ह प्लीज |

रीमा के मुंह से फूटती वासना की सिसकारी  देखकर जितेश का जोश और बढ़ गया | जितेश की जीभ रीमा की चूत के होठों पर और उंगली रीमा की चूत के दाने पर बहुत तेजी से आगे पीछे फिसल रही थी |


उसके बाद जितेश ने अपनी एक उंगली को लार से भिगोते  हुए उसे रीमा की गुनगुनी गुलाबी रसीली चूत में अंदर तक घुसेड़ दिया | रीमा एक मादक कराह से सिसक कर रह गयी | 

रीमा - आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्  ओओह्ह्हह्ह्ह्ह प्लीज ये मत करो, पागल कर दोगे तुम मुझे, ओओह्ह्हह्ह्ह्ह  जितेश प्लीज् .................................| 

यह अहसास उसे रोहित की याद दिला गया | रीमा पूरी तरह से आनंद से नहा गई थी उसे पता था ऐसा काम सिर्फ रोहित ने ही  उसके साथ किया है | वह बिल्कुल उसी ख्वाब में फिर से डूब गई | जितेश को मतलब ही नहीं था रीमा क्या बडबडा रही है | उसे सिर्फ एक चीज पता था रीमा मैडम को जितना हो सके उतनी गहराई तक वासना के सागर में डुबो कर उन्हें चरम सुख के किनारे तक ले जावो जहाँ आजतक उन्हें कोई न ले गया हो | वो चाहता था जिस शिद्दत से रीमा ने उसका लंड चूसा है और उसे वो जन्नत दिखाई है जिसका अहसास सालो साल उसके दिलो दिमाग में जिन्दा रहेगा | उसी शिद्दत से, दिलो जान से  वो रीमा के जिस्म को छुकर सहलाकर चूमकर उसे बाकि औरतो से खासमखास का अनुभव कराना चाहता है | रीमा स्पेशल है, उसका जिस्म स्पेशल है उसकी वासना हवस स्पेशल है और इसलिए जितेश दिलो जान से रीमा को हर वो सुख देना चाहता है जो शायद रीमा के मन के कोने में दबा हुआ एक अनचाहा अरमान है | लंड चूत में घुसेड़ कर तो सभी चुदाई करते है लेकिन उससे पहले का सुख और अहसास सबसे खास होता है  ये अहसास ऐसा है जो सालोसाल दिलो दिमाग में जिन्दा रहेगा | वो रीमा को एक ऐसी यादगार रात देना चाहता है जो उसके जीवन में सबसे खास बन जाये | वो न केवल रीमा के रोम रोम में वासना की आग लगाना चाहता है बल्कि उसके जिस्म के रोम रोम की आग बुझाना भी चाहता है | उसे एक ऐसी वासना की तृप्ति तक पहुचाना है जिसके बाद उसके मन में कोई शिकायत न रहे |
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  इधर जितेश ने दूसरी उंगली भी रीमा की चूत में घुसा दी और तेजी से आगे पीछे करने लगा |  रीमा तो ऐसे पागल सी हो गई थी वह अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी उसके शरीर में उठने वाली तरंगें अब काबू से बाहर हो रही थी और रीमा का शरीर में कंपन होने लगा रीमा की वासना अब टूटने लगी थी रीमा का वासना का तूफ़ान फिर से अपने चरम पर था | उसके जिस्म में जल रही वासना की आग का इधन अब खतम हो गया था | बुझाते दिए बुझाने से पहले भभकते है उसी तरह रीमा के जिस्म में हवस की आग वासना की तरंगे बनकर भभकने लगी | इन तरंगो में इतनी ताकत थी की रीमा का जिस्म कांपने लगा | आखिर रीमा के जिस्म में जल रही वासना की आग दरिया बह  निकला | रीमा को जिस्म को तपाकर जलाकर रखी हुई उसकी  वासना फिर से किसी पहाड़ से निकल कर बहती नदी की तरह बहने  लगी थी | रीमा कांप रही थी झर रही थी बह रही थी, और बिलकुल वैसे ही तेज सिसकारियां का शोर करती हुई बह रही थी  जैसे पहाड़ों के चंगुल से निकली हुई नदी तेज धार के साथ शोर मचाती बहती है | 

 इस बार रीमा का बदन काफी देर तक कांपता रहा हिलता रहा | रीमा झड़ती रही | रीमा के ओर्गास्म का शोर इस बार जितेश के कानो के अन्दर तक भी पंहुच गया |  जितेश भी इस बार थम गया |  रीमा कुछ देर तक कांपती रही उसके बाद में रीमा शांत हो गई | लेकिन जितेश को अभी कहां चैन था वह  रीमा के पास आ गया और उसने रीमा के रसीले ओंठो से खुद के ओंठ सटाकर  कसकर चूमना शुरू कर दिया था | उसके अन्दर धधक रही हवस की आग उसके जिस्सम को जलाये हुए थी | उसके बदन की आंच रीमा को अपने नरम  पसीने से लथपथ बदन पर महसूस हो रही थी | उसने रीमा के चेहरे  कान नाक आंख गला सबको चूम  डाला, बारी बारी से चूमता रहा  |  रीमा झड़ चुकी थी, हांफ रही थी लेकिन न तो उसकी ख्वाइशो ने हार मानी थी न उसकी लालसा ने | रीमा की वासना का एक दौर उसके अन्दर से झरना बनकार बह  चुका था लेकिन रीमा के जिस्म की अनंत प्यास तो अभी भी बरकरार थी | रीमा की वासना की चाहत तो अब तरुणाई पार कर जवान हो पायी थी | अभी तो रात ने भी अंगड़ाईयाँ लेना बस शुरू ही किया था | रीमा के जिस्म पर जितेश की फिसलती उंगलियों और थिरकते ओंठो  से रीमा के जिस्म का रेस्पोंस बता रहा था उसके अन्रदर अभी कितनी वासना भरी हुई है  इसीलिए जितेश  के चुमते ही रीमा के अंदर फिर से लहरें उठने लगी और वह फिर से आनंद के सागर में गोते लगाने लगी थी | 
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Nice.
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पेश है एक और जानदार अपडेट.........................................
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औरत के जिस्म की यही खास बात है, वो बार बार झड़कर भी अनगिनत बार तक वासना में नहा कर अपनी जवानी की प्यास बुझाती रह सकती है | वो लगातार झड़ते हुए भी जवानी का मजा लूट सकती है | मर्द को ये सहूलियत नहीं मिली प्रक्रति से | वो एक बार झड गया तो उसे कुछ देर थमना ही होगा |  जितेश को भी काफी देर हो गई थी रीमा के जिस्म से खेलते हुए उसकी चूत को चाटते हुए |  अब जितेश से रहा नहीं जा रहा था तो जितेश ने  अपने हाथ में ढेर सारी लार उड़ेली और अपने तने हुए गरम  लंड पर मसल दी | वह अब रीमा को चोदने के लिए पूरी तरह से तैयार था | रीमा भी चुदने के लिए पूरी तरह तैयार थी या नहीं ये जानना भी जरुरी था |

कमरे में उठ रही गरम सांसो और तेज धडकनों की ख़ामोशी को तोड़ते हुए जितेश बोला - अब आगे क्या ? 
रीमा उसकी तरफ देखने लगी, वो दो बार झड़ने से पूरी तरह मस्त थी ऊपर से जितेश ने फिर से उसके जिस्म में हवस का सूरूर भर दिया था | उसी मादकता और मस्ती में जितेश से अठखेलियाँ करती हुई बोली - अब क्या, मतलब क्या ?
जितेश अपने लार से सने लंड को मसलता हुआ बोला  - मतलब आगे का क्या प्लान है | 
रीमा भी अपने स्तनों को मसलते हुए - अब तो बस सोना है | 
जितेश अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए - हम तो सो जायेगे और ये महाशय तो रात भर जागते रहेंगे | 
रीमा - अब एक बार सुला तो दिया था |
जितेश - इन्होने कुछ ऐसा देख लिया है कि लेकिन इनको नीद नहीं आ रही |
रीमा - ऐसा क्या देख लिया |
जितेश - मखमली गुलाबी पनाहगाह |
रीमा - तो मै क्या करू, सुला दो जाकर उस पनाहगाह में |
जितेश - उसकी चाभी तो आपके पास है मल्लिकाए हुस्न |
रीमा - ये तो ज्यातती है, नीद इन महाशय को नहीं आ रही और सुलाऊ मै |
जितेश - जगाया भी तो आपने ही है |
रीमा - झूठ मत बोलो, मैंने किसी को नहीं जगाया | अपने आप ही जग रहे है मुझे देखकर |
जितेश - कितनी उम्मीद से तुमारी तरफ देख रहा है, मना मत करना बेचारे का दिल टूट जायेगा | 
इतना कहकर जितेश ने अपना लंड रीमा के हाथ में थमा दिया | रीमा का हाथ अपने आप ही उस पर फिसलने लगा | रीमा को भी अहसास था की बिना मुसल लंड घोटे उसके अन्दर की भी प्यास पूरी तरह नहीं बुझेगी | लाख जतन अपना लो लेकिन असली प्यास तभी बुझती है जब लंड चूत को चीरता हुआ अन्दर तक जाता है | रीमा ने उसके लंड को मसलते हुए नीचे पीठ के बल बिस्तर पर लेट गयी और  अपनी दोनों जांघे सिकोड़कर फैला दी | 

रीमा ने दोनों हाथो की एक एक उंगली लगाकर अपनी चूत के ओंठो को हल्का सा फैला दिया और जितेश 

के सामने एक अप्सरा की चूत थी | रीमा ने अपनी चूत को थोडा और फैलाया और उस गुलाबी सुरंग के मुहाने के सीधे दर्शन करा दिए  जितेश का लंड कुछ देर में जिस पनाहगाह में आराम फरमाएगा | 


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 रीमा की गुलाबी चूत देखकर जितेश का लंड जोर जोर से झटके मराने लगा | उसके लंड को भी शायद ये अहसास हो गया था की वो इस मखमली गुलाबी सुरंग की सैर करने वाला है | क्या चूत थी, गोरी चिकनी गीली  बिल्कुल किसी स्वर्ग की अप्सरा जैसी गुलाबी चूत ...............उसके पतले पतले खुले हुए ओंठ  और कसकर पूरी तरह से बंद उसकी चूत की  गुलाबी सूरंग का मुहाना | 

जितेश भी तो वासना से भरा हुआ था सिर्फ चूत देखकर ही उसका भला कहाँ होने वाला था | अब तक तो बस चूत देखि ही थी उसका अहसास करने का वक्त आ गया था | रीमा की गुलाबी चूत में अन्दर तक घुसने और उस स्वर्ग जैसी अनुभूति को दिलो दिमाग में उतारने का अहसास ही कुछ अलग होगा | उसकी कोमल मखमली चूत का सपर्श ही कितना सुखद होगा ............आआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह् | जितेश का तो रीमा की चूत चोदने से पहले ही बुरा हाल हो गया था | इस समय उसके दिल और दिमाग में बस रीमा रीमा और रीमा की गुलाबी घुसी हुई थी | लेकिन इस स्वप्न लोक में घुमने से कहाँ काम चलने वाला था | उसे हकीकत में लौटकर उसे जीना भी तो था | 


 जितेश झुकता हुआ पूरी तरह से रीमा के नाजुक गुलाबी बदन के ऊपर आकर छा गया था |  रीमा जांघे फैलाये नीचे बिस्तर पर लेटी हुई थी उसकी जांघें उठी हुई थी |  जितेश पूरी तरह से रीमा के ऊपर था | उसने अपने एक हाथ से अपने लंड को रीमा की गुलाबी चूत के मुहाने से सटाया | रीमा ने भी खुद को पूरी तरह से उसके मुसल लंड के लिए तैयार कर लिया था |  फिर रीमा जितेश  को बांहों में भरते हुए अपने हाथों हाथ उसकी पीठ पर जमा दिए | रीमा भी जानती थी जितेश का लंड बहुत मोटा और तगड़ा है उसकी चीख ही निकल जाएगी इसीलिए उसने भी अपने आप को तैयार कर लिया था |  उसने अपने पैरो का क्रॉस बनाते हुए उसे जितेश की कमर पर चिपका दिया |  रीमा जानती थी जितेश का लंड उसकी चूत को चीर के रख देगा इसीलिए वह उसको भी बर्दाश्त करने के लिए पूरी तरह तैयार थी | आज तक रीमा सिर्फ रोहित और अपने पति के लंड से चुदी थी | उसकी चूत में कोई तीसरा लंड आज तक गया नहीं था | पता नहीं कौन सा नशा था जितेश के व्यक्तित्व में रीमा उसके जाल में फंस कर रह गयी | उसने जितेश के लिए अपने सारे मानसिक बन्धनों को, खुद से लिए गए वादों को किनारे रख दिया | जिस चूत को वो दुनिया भर से सहेज कर रखना चाहती थी और रोहित के अलावा शायद किसी को सौपने को राजी नहीं था फिर ऐसा क्या हुआ आज रीमा एक अनजान अजनबी के आगे अपनी जांघे फैलाये लेती है | उसके लंड से चुदने को बेताब है | उसके लंड को अपनी चूत में लेने को बेताब है | शायद जितेश के बलिष्ठ शरीर और मुसल लंड को देखकर रीमा बहक गयी है या फिर ये उसकी ही लालसा थी जिसका उसे खुद पता नहीं था | रीमा की फैली जांघो में जितेश समां चूका था, अब बस लंड के चूत में घुसने की देर रह गयी थी | एक अनजाना लंड रीमा की चूत को चीर के रख देगा, फाड़ कर रख देगा | उसकी मखमली गुलाबी सुरंग में अन्दर तक जाकर धंस जायेगा | लगातार ठोकरे मरेगा, दे दनादन ठोकरे मरेगा | सटासट उसका मुसल लंड उसकी मखमली चूत की संकरी सुरंग को चीरता हुआ उसके अनगिनत फेरे लगाएगा और तब तक उसे चीर चीर कर फैलाता रहेगा जब तक पूरा का पूरा उसके अन्दर तक धंस न जाये | फिर शुरू होगा सरपट अन्धी सुरंग में रेस लगाने का सिलसिला और ये चुदाई और ठुकाई तब तक नहीं रुकेगी जब तक उस मुसल लंड से उसके सफ़ेद लावे की लपटे न निकलने लगे | तब तक रीमा उस फौजी की बलिष्ट बांहों  बांहों में उसी के भरोसे झूलती रहेगी | वो रीमा को हचक हचक के छोड़ेगा, ठोकरे मरेगा, मसलेगा, कुचलेगा, उसकी कमर पर झटके मार मार कर उसे बेहाल कर देगा | उसकी गिरफ्त में वो तड़पती मछली की तरफ फडफडाती रहेगी | आखिर क्यों वो एक अनजान मर्द के हाथो अपना सबकुछ लुटाने को तैयार है | आखिर उसकी गुलाबी चूत सुरंग के अंतर की गहराई में उतरने के बाद उसके मन का कौन सा कोना बचेगा जिसे वो अनछुआ कह सकेगी | जब उसका लंड उसकी सुरंग के अंतर के अंतिम छोर तक का सफ़र तय कर लेगा, फिर उसका अपना क्या रह जायेगा, किस बात पर वो गर्व कर पायेगी | किस बात को लेकर वो शीशे में अपनी आँखों में आंखे मिला पायेगी | उसका वजूद ही क्या रह जायेगा | क्या उसका वजूद बस एक गुलाबी चूत सुरंग भर का है, क्या उसका वजूद बस मर्द की जांघ के नीचे लेती औरत भर का है | क्या इस तरह से चुदना ही उसकी नियति है, क्या औरत की बस यही नियति है | जितेश का लंड घोटने के बाद रोहित को क्या मुहँ दिखाउंगी, आखिर क्यों प्रियम के गिडगिडाने के बाद भी उसे अपनी चूत नहीं चोदने दी | आखिर फिर जग्गू को क्यों मना किया | प्रियम जग्गू या बाकि मर्दों से जितेश में क्या अलग है | सबके पास लंड है और सभी मुझे चोदना चाहते थे | जैसे जितेश का लंड अभी मेरी चूत में जायेगा वैसे ही  बाकि सबका लंड भी तो मेरी चूत जाता फिर मैंने उन्हें क्यों मना किया | आखिर ये दोगलापन नहीं है तो क्या है | जितेश में ऐसा क्या है जो प्रियम राजू या जग्गू में नहीं था | उसका बाप भी मुझे चोदना चाहता था आखिर जितेश जैसे ही पराये तो थे | फिर जितेश को अपने जिस्म की सबसे अनमोल धरोहर क्यों लूटने दे रही हूँ | नहीं मेरी चूत बहुत खास है इस पर रोहित जैसे मेरे अपने का ही हक़ है | 

जितेश ने अपने तने लंड को पकड़ कर उस पर हाथ  दो-चार बार आगे पीछे किया और उसकी खाल को खींचकर पीछे कर दिया था | जितेश ने अपने लंड से रीमा की चूत की दरार और दाने पर दो चार बार रगडा, जिससे रीमा की चूत के ओंठ दोनों तरफ को फ़ैल गए | फिर जितेश ने अपने लंड के  फूले लाल सुपाडे को रीमा की चूत के गुलाबी ओंठो के बीच सटा दिया | रीमा सिसक उठी | एक अनजान मर्द का मोटा लंड उसके जिस्म के सबसे नाजुक हिस्से को चीरने जा रहा था | नहीं ये कैसे हो सकता है |  

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जितेश के तने लंड के सुपाडे का अगला सिरा रीमा की गुलाबी गरम चूत की नरम ओंठो को बस छुआ ही था कि तब तक रीमा प्रतिरोध करके जितेश को पीछे ठेलने लगी | जितेश को कुछ समझ नहीं आया, कहाँ वो रीमा की चूत पर लंड सटाकर उसे चोदने का अरमान पूरा करने जा रहा था यहाँ रीमा ने पूरा जोर लगाकर उसे पीछे धकेल दिया - नहीं ये नहीं हो सकता | 
रीमा के इस बर्ताव से हैरान सा जितेश - क्या नहीं हो सकता | 
रीमा वासना के नशे में उलझन से भरी हुई - मै तुम्हे ये नहीं करने दे सकती |
जितेश झुन्झुलाता हुआ - क्या नहीं करने दे सकती क्या नहीं हो सकता ?
रीमा - नहीं जितेश ये सही नहीं है |
जितेश - क्या हुआ कुछ बोलोगी भी, अभी तो ख़ुशी खुसी जांघे फैलाकर लेट गयी थी |
रीमा - मै आवेश में बह गयी थी लेकिन ये गलत है |
जितेश - क्या गलत है कुछ खुलकर बताओगी |
रीमा - तुम मुझे नहीं चोद सकते |
जितेश झुंझलाता हुआ - ठीक है नहीं चोदुंगा  तुम्हे लेकिन हुआ क्या ये तो बता दो , आखिर मेरी गलती क्या है ?
रीमा - तुम्हे अहसास है चूत औरत के जिंदगी का कितना अहम् हिस्सा होती है | चूत की औरत की जिंदगी के क्या कीमत है | उसकी चूत से उसका पूरा अस्तित्व इज्जत भविष्य पूरी जिंदगी जुडी होती है | 
जितेश - हाँ इतना जानता हूँ मै |
रीमा - तो तुम्हे ये भी मालूम होगा, जब औरत अपना जिस्म किसी को सौपती है तो कितना भरोसा करती होगी |
जितेश - आगे बोलो |
रीमा - मेरी जिंदगी की सबसे खास चीज मै तुम्हे नहीं लुटने दे सकती |  ये चूत ही तो है जिसके कारन सर उठाकर सम्मान से जीती हूँ | वो तुम लूट लोगे फिर मेरे पास क्या रह जायेगा गर्व करने के लिए | 
जितेश - मतलब ?
रीमा - हर औरत का गहना होती है ये चूत | इस गहने को औरत तभी उतारती है जब कोई उसकी जिंदगी का गहना बनने को तैयार हो जाये | जब औरत चुदती है तो उसका चाहने वाला या उसका पति उसका गहना बन जाता है | जिस पर वह गर्व करती है फूली नहीं समाती | कम से कम मन में संतोष तो रहता है उसकी चूत न सही उसको लूटने वाला तो उस पर जान छिडकता है | जिसको उसने अपना जिस्म सौपा है वो हर पल उसका साया बनकर उसके साथ रहेगा | उसकी अपनी से ज्यादा चाहेगा और उसके सुख के लिए खुद सारे दुःख उठाएगा | 
जितेश चूत रहा और रीमा की बात को समझने की कोशिश करने लगा | 
रीमा - खामोश क्यों हो, न तो तुम मेरे आशिक हो , न चाहने वाले हो, मुझे चोदकर मेरा सब कुछ लूट लोगे बदले में मुझे क्या मिलेगा, तुमारे महाशय की पिचकारी का जूस | 
जितेश को अभी भी समझ नहीं आय लेकिन ख़ामोशी गलत दिशा में जा सकटी थी - क्या चाहती हो ये भी बता दो | 
रीमा - मै कोई रंडी नहीं हूँ, न मै छिनार हूँ जो हर जगह मुहँ काला करवाती फिरू | मै माडर्न हूँ लेकिन इतनी भी नहीं की कही भी किसी से चुदवाती फिरू |
जितेश - फिर वो गार्ड के साथ वाला किस्सा |
रीमा - क्या करती मै, सड़ती रहती सूर्यदेव के चंगुल में | वैसे भी उसने पीछे लंड घुसेड़ा था | 
जितेश - वो तो अब समझ में आया पीछे करवाने में प्रॉब्लम नहीं है, चूत चुदवाने में ईगो हर्ट हो रहा है, तुमारी ऐसी की तैसी |
इतना कहकर वो रीमा की तरफ लपका और झपट्टा मार कर रीमा को बाहों में जकड लिया | 
रीमा उसकी सख्त मजबूत बांहों में कसमसाने लगी - छोड़ो मुझे |
जितेश - छोड़ो नहीं चोदो मुझे कहना चाहिए |
रीमा - नहीं जितेश तुम ऐसा नहीं कर सकते |
जितेश - इस समय तुम मेरे रहमोकरम पर हो और मै कुछ भी कर सकता हूँ |
रीमा उसके चंगुल से खुद को छुड़ाती हुई - तुम मेरा रेप करोगे | 
जितेश भी उसे सख्ती से जकड़ते हुए - अगर नहीं मानी तो सख्ती तो करनी पड़ेगी न | 
रीमा - तुम तो बेहद शरीफ इंसान हो तुम ऐसा कैसे कर सकते हो |
जितेश - जब शरीफ इंसानों का लंड खड़ा होता है तो उनकी शराफत भी लंड पर आ जाती है | 
रीमा - नहीं प्लीज ऐसा मत करो |
जितेश ने रीमा को बेड पर पटक दिया और उस पर आकर छा गया | उसके इक हाथ से रीमा के दोनों हाथ पकड़कर ऊपर की तरफ कर दिए | फिर अपनी टांगे फंसा कर उसकी टांगे फ़ैलाने | 
रीमा जितेश से मिन्नतें करने लगी - जितेश प्लीज ऐसा मत करो | 
रीमा के दिल में सच में दहशत भरने लगी, उसे लगने लगा था अब जितेश उसको चोदकर ही मानेगा | 
जितेश - ये तो अपने चूतड़ और चूत दिखाने से पहले सोचना चाहिये था | बहुत सब्र कर लिया है अब और नहीं रुका जाता | 
इतना कहकर वो रीमा के चूत पर अपना लंड सटाने के लिए हाथ नीचे ले गया | 
रीमा हताश स्वर में बोली - तुम भी दूसरे मर्दों जैसे ही निकले, पिचले कुछ दिनों में जहाँ इतना सहा है ये भी सही | 
रीमा के एकदम से हथियार डालते ही जितेश की आक्रामकता ग्लानी में बदल गयी | क्या करे क्या न करे उसे समझ नहीं आया | अभी तो चुदने के लिए राजी थी, जांघे फैलाये मेरे लंड की राह देख रही थी फिर अचानक ऐसा क्या हो गया चुदवाने से इंकार करने लगी | मजा क्या मै अकेला लूटूँगा | फिर प्रतिरोध के बाद अचानक से सरेंडर | उफफ्फ्फ्फ़ औरत को समझ पाना बहुत मुश्किल है | 
जितेश - क्या चाहती हो मैडम ? लंड अकड़कर पत्थर की तरह ठोस हो गया  चोदने की ठरक दिलो दिमाग को पागल बनाये दे रही है  और आप कभी हाँ कभी न वाली नौटंकी लगाये बैठे हो | 
रीमा - जो करना हो कर लो मै कुछ नहीं कन्हूंगी |
जितेश - मैडम मै एक फौजी हूँ लोगो के जान लेता हूँ, जरुरत पड़े तो जान दे भी सकता हूँ | अब इससे ज्यादा मै आपके लिए कुछ नहीं कर सकता | आपको जबदस्ती नहीं चोदुंगा ये मेरे वसूलो के खिलाफ है | लेकिन फिर कह रहा हूँ आपके लिए जान जोखिम में डाली है और जरुरत पर तो जान की बाजी लगा दूंगा, लेकिन आप पर आंच नहीं आने दूंगा | 
इतना कहकर जितेश उठने जा रहा था की रीमा के अपनी जांघो का क्रास उसके चुताड़ो और कमर के इर्द गिर्द जमा दिया | अपने दोनों हाथ उसकी पीठ पर जमा दिए - वादा करो जब तक हमारा साथ है बस मुझे ही प्यार करोगे और मुझे ही चोदोगे | ये चूत का सफ़र मेरे पति के अलावा बस एक बहुत ही खास आदमी ने किया है | तुम्हें उस खासियत को बरक़रार रखना होगा | तुम बस मेरे रहोगे, खास सबसे खासमखास | वादा करो |
जितेश - बस इतनी सी बात है |
रीमा भवुक होते हुए - तुमारे लिए इतनी सी बात होगी, मेरे जिस्म की गुलाबी गहराई के अंतरों का सफ़र तय करोगे लेकिन क्या फायदा जब औरत के मन को न छु पाए | चुदाई तो लोग रंडी के साथ भी कर लेते, उसके लिए बस एक चूत चाहिए | लेकिन जहाँ रिश्ता होता है वहां जिस्म से पहले मन को छूना पड़ता है |  तुमारे चोदने से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा अगर तुम मेरे मन की गहराई में न उतर पाए | तुमारा लंड मेरी चूत की गुलाबी सुरंग की कितनी गहराई नाप पाता है, कितनी तेज ठोकर मारता है, कितनी बार मेरी चूत का झरना बहाता, ये सब मेरे लिए बेमानी हो जायेगा | 
जितेश भी गंभीर हो गया - तुम बहुत भावुक हो और नाजुक भी, मुझे पहले दिन ही इस बात का अहसास हो गया था | मुझे नहीं पता था तुम इतनी गहराई तक सोचती हो और इतनी गंभीरता से सोचती ही | मै पूरा ख़याल रखूँगा की मेरी ये कांच की गुड़ियाँ को अब खरोच भी न आये , न उसके जिस्म पर न उसके मन पर |
रीमा - मै चुदना चाहती हूँ लेकिन सिर्फ जिस्म से नहीं, मै चाहती हो जब हमारे जिस्म मिले, तुम मेरे अन्दर तक जावो तो हमारे मन भी एक दूसरे में घुल मिल जाये | हमारी आत्मा भी एक हो जाये | मै सम्पूर्णता से चुदना चाहती हूँ, सिर्फ खोखले जिस्म की भड़ास मिटाने से मेरा मन तृप्त नहीं होगा | 
जितेश - मै तुम्हे दिलो दिमाग से इतना प्यार दूंगा की तुमारी पुराणी सारी प्यास बुझ जाएगी | तुमने अपना दिल खोलकर मेरे सामने रख दिया है अब इसको सहेज का रखना और तुम्हे चोदकर तुम्हे मन और जिस्म दोनों से तृप्त करना मेरी जिम्मेदारी |
रीमा को नहीं मालूम था क्यों जितेश के साथ वो इस कदर भावुक हो गयी थी | शायद उसके मन में अहसास था कही की रोहित पूरी तरह से उसका नहीं हो सकता और उसे एक मर्द चाहिए था जो बस उसका हो सिर्फ उसका | पता नहीं रीमा के मन में क्या है ये तो रीमा को भी नहीं पता था | 
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अगले 15 - 20 दिन यही एन्जॉय करो ..................................... फिर मिलेगे धांसू अपडेट के साथ  ;) ;) ;) ;)
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(02-12-2019, 12:16 AM)vijayveg Wrote: अगले 15 - 20 दिन यही एन्जॉय करो ..................................... फिर मिलेगे धांसू अपडेट के साथ  ;) ;) ;) ;)

sure
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[Image: Screenshot-2018-03-20-10-08-19.png]hi Mai somni my WhatsApp number is6306713095.Mai pyasi hoo.meri pyas bujha do.porn send Karo koi please.aah aah.phone sex Karo please
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Bahut hot update
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Update brother???
read the story वक़्त का तमाशा
BICHADKAR FIR MILENGE KITNA YAKIN THA,
MANAYE YE KHWAB THA PAR KITNA HASIN THA
https://xossipy.com/showthread.php?tid=13041
[Image: GBWA-20190214201125.jpg]
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Update please
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विलास के घर में मातम मनाया जा रहा था जग्गू का अंतिम संस्कार हो चुका था और उसके बाद  के शोक कार्यक्रम चल रहे थे | अब तक मंत्री जी बाहर गए हुए थे इसलिए सिर्फ फोन पर ही शोक संदेश दे सके | आज वह वापस लौट कर आए थे और विलास से मिलने और उसके बेटे की  मौत पर शोक प्रकट करने उसके घर गए हुए थे | मंत्री जी भी विलास के साथ में बिजनेस पार्टनर थे और अभी भी बिजनेस कर रहे थे हालांकि पिछले कुछ दिनों से पार्टी को चंदा देने को लेकर विलास और मंत्री जी में अनबन हो गई थी | इसीलिए विलास से उन्होंने बातचीत करना बंद कर दिया था | हालांकि उनके आदमियों का विलास के साथ जो बिजनेस में साझा था वह बदस्तूर जारी था | इसी बीच में मंत्री जी ने विलास के ही खास आदमी सूर्य देव को अपनी तरफ मिला लिया था | ताकि कल को विलास के खिलाफ एक प्रतिरोध  के तौर पर उसे इस्सतेमाल कर पाए |  

जिस तरह से बोलचाल बंद थी और एक फॉर्तमल सा शोक सन्रदेश फ़ोन पर दिया था उसे देखते हुए मंत्री जी का  घर आना विलास को भी चौका गया क्योंकि उसे उम्मीद नहीं थी कि मंत्री जी इस तरह से उसके बेटे की मौत का शोक मनाने घर आ जाएंगे | 
नेता एक अलग तरह से ही सोचते हैं जबकि जग्गू का बाप की सोच दबंग और सीधी-सादी थी | राजनीति का आदमी बहुत ही घाघ होता है उसे अंदर से जान पाना बहुत मुश्किल होता है | जग्गू के बाप के साथ भी यही समस्या थी उसको लगता था अगर कोई दोस्त है तो दोस्त है, नहीं तो दुश्मन  लेकिन राजनीति का आदमी कभी इस तरह से सोचता ही नहीं | जिस तरह से विलास ने उन्हें धमकाया था और उनकी बेटी उठा लेने तक की धमकी दी थी उस कड़वाहट को भुलाकर यहाँ आना मुश्किल काम था | वो अलग बात है  मंत्री जी उस समय तो शांति से  चले गए थे लेकिन उसके बाद उन्होंने सूर्यदेव से हाथ मिला लिया | वो सब राजनीती पैसे और पॉवर की बाते थी | जग्गू की मौत पारिवारिक मामला था | मंत्री जी ने बडप्पन दिखाया और विलास का  दुःख बाटने चले आये | 

 मंत्री जी - विलास तुम्हारे पुत्र के इस तरह से आकस्मिक निधन से मुझे बहुत ही गहरा आघात पहुंचा है मैं बता नहीं सकता हूं कि मैं कितना ज्यादा मानसिक सदमे में हूं | 

विलास बस भावहीन चेहरे से मंत्री जी को देखता रहा | 
मंत्री जी - मैं तुम्हारी स्थिति समझ सकता हूं तुम्हें न केवल खुद को बल्कि अपने परिवार को भी संभालना होगा | जब भी जरूरत पड़े मैं तुम्हारे लिए हमेशा उपलब्ध रहूंगा | किसी भी तरह की समस्या हो तुम मुझे सीधे फोन मिला दो | ना कोई सेक्रेटरी ना कोई ऑफिसर तुम सीधे मुझसे बात करोगे इतना कह कर के उन्होंने विलास को गले से चिपका लिया |विलास को रोने के लिए कन्धा देने वाला कोई बड़ा अब तक मिला नहीं था  विलास भी बच्चों की तरह सिबुकने लगा | इतना बड़ा गुंडा अपने इकलौते बेटे की मौत से किस तरह से टूट गया ,काफी देर तक मत्उरी जी उसकी पीठ सहलाते रहे | बाद में जब मंत्री जी को लगा कि अब माहौल थोड़ा ठीक है तो बात आगे बढ़ाई है| 
  मंत्री जी धीरे से विलास के कान में फुसफुसाए-  देखो विलास समय और माहौल तो इस बाती मुझे इजाजत नहीं देता कि मैं यह बात कहूं लेकिन मुझे कहनी पड़ेगी जग्गू न केवल तुम्हारा बेटा था बल्कि मेरे बेटे जैसा भी था | हमारे बीच हमारे बिजनेस को लेकर जो भी अनबन है, वो काम की प्रॉब्लम है उसका परिवार से कोई लेना-देना नहीं है तुम्हारा परिवार मतलब मेरा परिवार |
विलास के चेहरे पर सदमे के साथ ग्लानी के भाव आ गए, पता नहीं उसने उस समय नेताजी को और उनके परिवार को क्या क्या कह डाला | नेता जी तो बड़े नेकदिल निकले | नेता चालाक होते हैं लेकिन दिल के बुरे नहीं होते हैं और इस बार उसे लगा मंत्री जी की बात दिल से निकल रही थी | 
मंत्री जी - मै भी  हैरान हूँ आखिर ये सब कैसे हो गया  यह सब किसने किया है |
विलास चुपचाप नेताजी की बात सुनता रहा | 
 मंत्री जी - तो तुम्हें किसी पर शक है बताओ पूरा साले का खानदान काट डालेंगे | 
 विलास निराश उदास स्वर में बोला - अभी तक कुछ पता चला नहीं है | 
विलास क्रोध से उबलता हुआ - किस-किस को गोली मार दू | मुझे तो कुछ समझ में आ नहीं रहा है लड़ाई झगड़ा तो आप जानते ही मैंने कई साल पहले ही छोड़ दिया था मुझे पता नहीं था मेरा अतीत आकर  कर मुझे इस तरह डस लेगा | एक ही तो मेरा बच्चा था | 
बुरी तरह से रोने लगा मंत्री जी  उसे ढाढस बंधाते रहे | कमरे के और लोगों को  बाहर जाने को कहा कुछ ही देर में पूरा कमरा खाली हो गया अब कमरे में सिर्फ विलासऔर मंत्री जी थे | 
मंत्री जी -  तो तुम्हें किसी पर शक है |
विलास - मंत्री जी मेरा तो दिमाग ही नहीं काम कर रहा लेकिन इतना पता है मेरे  बेटे को मारा गया अपनी मौत नहीं मरा है |
मंत्री जी -  हां मुझे पता है मीडिया की बात , जो दिखाया जा रहा है वह तुमने ही बोला था लेकिन इतनी किस में हिम्मत हो गई जो विलास के बेटे को गोली मार सके |
विलास -  पता नहीं लेकिन जो भी है उसके खानदान का आखिरी चिराग भी जिंदा तो नहीं बचेगा | उसने मेरे अंदर के सोये जानवर को फिर से जगा दिया है जो चीजें में पीछे छोड़ आया था अब वही सब करनी पड़ेगी |  एक अच्छा इंसान बन के शरीफों की जिंदगी जीना चाहता था लेकिन ये दुनिया फिर से वही जानवर बना देना चाहती है |
 मंत्री जी ने बात संभाली है  - देखो देखो मैं तुमसे बड़ा हूं प्लीज मेरी बात मानो कुछ भी उल्टा- सीधा मत करना ठीक है | जब तक मैं हूं  तुम्हे कुछ करने की जरुरत नहीं है |  
विलास - मुझे रोकने का कोई फायदा नहीं , मेरा सबकुछ तो चला गया | वो जहाँ भी छिपा होगा जिस बिल में घुसकर बैठा होगा निकाल के सरे आम सड़क पर उसकी  आंखें निकाल लूँगा, हाथ काटूँगा पैर काटूँगा फिर तेजाब से नह्ललाऊंगा | साला मौत की भीख मांगेगा लेकिन मौत नसीब नहीं होगी | 
मंत्री जी - नहीं मेरे छोटे भाई ऐसा कुछ मत करना,  नही बिलकुल नहीं  कुछ भी ऐसा उल्टा सीधा मत करना जिसे तुम्हारे परिवार को और नुकसान हो कि तुम्हें पता है तुझे कोई गलत कदम उठा लिया और तुम्हें पोलिस ने  पकड़ लिया गया फिर फिर सभाल पाना मुश्किल होगा | 
विलास - मेरा बेटा चला गया और आपको पोलिस की पड़ी है |
मंत्री जी ने बात बदली - मुझे तुमारे परिवार की पड़ी है, दो जवान बेटियों की पड़ी है, उनको तरफ भी तो देखो |
मंत्री जी को डर था, इस बदले की आग में  कही बात ज्यादा बढ़ गयी और सिक्युरिटी के ऊपर लेवल के अफसर भी शामिल हो गए तो वो विलास का सारा कच्चा चिट्ठा निकाल लेगे और फिर मंत्री के इतिहास के सारे काले धंधों का कच्चा चिट्ठा सिक्युरिटी के पास खुल जाएगा हालांकि  सिक्युरिटी को पता सब होता है लेकिन सिक्युरिटी को जब तक ऊपर से आदेश नहो होता वो किसी को छूती नहीं | अभी जिस तरह से विलास का बेटे की मौत की आग में जल रहा था उसे यह तो साफ था कि वो किसी को भी दिनदहाड़े गोली मार सकता है पहले की बात अलग थी लेकिन अब सिक्युरिटी ने काफी चौकस है और इसीलिए सब करना इतना आसान नहीं होगा |
मंत्री जी - मेरी बात समझो विलास, इतना सब कुछ जो बनाया है यू ही गवां दोगे क्या | होनी को तो कोई नहीं टाल सकता लेकिन अपनी बेटियों का भी ध्यान करो | 
विलास - मतलब हिजड़ो की तरह हाथ पर हाथ धरे बैठा रहू | 
मंत्री जी - नहीं बिलकुल नहीं, तुमारे बेटे का बदला लेगे लेकिन अपने गले में फंसी का फंदा डालकर नहीं | 
विलास का गुस्सा कुछ कम हुआ - मैं समझता हूं आपकी बात लेकिन खुद को कैसे समझाऊं मेरा एक ही तो बेटा था |
मंत्री जी -  हां बस ऐसे थोड़ा सा समय मांग रहा हूं थोड़ा सा संयम रखो सब पता लगा लूंगा
विलास -  कहां से लाऊं वह धीरज सुबह जिसका उठते ही चेहरा देखता था शाम जिस को सोने से पहले देखता था अब उसे कभी नहीं देख पाऊंगा कहां से लाऊं धीरज उनसे जी आपका बेटा होता तो भी आप मुझसे ऐसे ही कहते हैं |
 मंत्री जी -  समझ सकता हूं इस तरह से धीरज खोने से भी तो कुछ नहीं होगा मैं पता लगाता हूं उसके पीछे कौन है |
 विलास - मंत्री जी साफ-साफ बताइए कहीं इसके पीछे सूर्यदेव तो नहीं |
मंत्री ये सुनकर अन्दर तक सिहर गए लेकिन घाघ नेता की तरह आश्र्चर्य से - तुम्हें शक है,  वो तो तुमारा ही पालतू रहा है | 
विलास - अब तो नहीं है जब से आपने उसे एक टुकड़ा खाने को दे दिया है | 
मंत्री जी - उसकी इतनी औकात और दुस्साहस  नहीं है, मैंने पहले ही कहा है बिज़नस अलग है फैमिली अलग है | 
विलास - लेकिन करने को तो कोई भी कर सकता है
मंत्री - तुम्हें सूर्यदेव को लेकर कुछ मिला है, लावो साले की जिन्दा खाल उतार लेगे | 
विलास -मेरा बेटा उसी के इलाके में मारा गया है तो मेरा पहला शक उसी पर गया था | मेरे आदमियों ने  उसके दो  ठिकाने तबाह कर दिए हैं | आपको तो पता ही है एक नंबर का चोर है मेरा माल दबाकर भागना चाहता था |
मंत्री जी - ये तुम बहुत गंभीर बात बोल रहे है | कहाँ की बात है ये |
विलास - मेरा बेटा जंगल घूमने गया होगा अक्सर वह जाता रहता था, इस शहर की भीड़ भाड़ से दूर | 
वहां सूर्यदेव एक पुराने मकान को  अपने सामान को छुपाने के लिए इस्तेमाल करता है | वहीं पर मेरे बेटे की लाश मिली लेकिन उसके साथ-साथ वहां दो लाशें और मिली जो  उसके साथ कामकरने वाले दो लड़कों की थी जो उसके साथ साए की तरह रहते थे जब कभी वो शहर से बाहर जाता था वह दोनों उसके साथ साए की तरह रहते थे |
मंत्री जी - ये तुम मुझे अब बता रहे हो | ये तो बहुत ही गंभीर बात है |
विलास - मेरे बेटे  वही गोली मारी गई है मंत्री जी |
मंत्री जी गंभीर हो गए - हमारे इलाके में आकर कोई इतना बड़ा काम कर जाए और हमें चार-पांच दिन हो गए भनक तक नहीं |
विलास - जो भी हो मंत्री जी जल्दी कुछ करना होगा नहीं सब्र का बांध टूट रहा है | मुझे अपने बेटे का चेहरा नहीं भूलता |
मंत्री जी - हम जल्दी ही तुमारे  बेटे की मौत का बदला लेंगे |
मंत्री जी कुछ सोचकर- पोस्ट मार्टम रिपोर्ट आ गयी क्या |  
विलास - आज सुबह ही आई है, ४ गोलियां के निशान है | इसके अलावा कुछ अजीब बाते भी सिक्युरिटी ने बताई है | 
मंत्री जी - क्या |
विलास - जब सिक्युरिटी वहां पंहुची तो तीनो की मौत हो चुकी थी और तीनो के बदन पर कपड़ो का कोई नामोनिशान नहीं था | एक की लाश जग्गू के पड़ोस में मिली और दुसरे की खँडहर मकान के अन्दर | तीनो ही पूरी तरह से नंगे थे | अन्दर वाले को तो पांच गोलियां मारी गयी | इसके अलावा भी गोलियों के खोखे मिले है | मतलब कमरे में और गोलियां भी चली है | लेकिन न तो वो पिस्टल मिली और न ही चलाने वाला का कोई सुराग है | किस पर चलायी गयी इसको लेकर भी पहेली बनी हुई है | क्योंकि अगर जग्गू के साथ वाले लड़के ने बचाव में हमलावर पर गोली चलाई तो एक आध उसको लगी होगी | फिलहाल पोलिस इसकी छानबीन कर रही है |
 इसके अलावा जिस बात ने पोलिस को उलझा दिया है वो है वहां कुछ कपड़ो की कतरने मिली है, वो औरत के ब्रा और पैंटी की है | 
 मंत्री जी - मतलब मामला इतना भी सीधा नहीं है लड़की का एंगेल भी है | 
विलास कुछ रूककर फिर बोला - मतलब ही तो नहीं समझ में आ रहा हूं कोई लड़की चाहिए थी तो शहर में क्या कम है इतना पैसा है किसी को भी खरीद लेता और फिर किसी लड़की को उस खंडहर तक ले जाकर ............................................. मुझे नहीं लगता इसका मेरे बेटे से कोई लेना देना है | 
मंत्री जी - औरत के कटे हुए कपड़े तो किसी की भी हो सकते हैं |
विलास - कपड़े तो किसी के भी हो सकते हैं लेकिन जो बात सिक्युरिटी ने रिपोर्ट में लिखने  की बजाय सीधे मुझे कान में बताई वो ये है की तीनो के लंड मौत के वक्त उनके लंड रस से सने थे | सिक्युरिटी को उनके लंड के सुपाडे पर सीमेन मिला है | और वो उन्ही का है | 
मंत्री जी - ये तो कुछ ज्यादा ही उलझाने वाली बात है | 
मंत्री जी - कही जग्गू को किसी लड़की के जाल में फंसा कर तो वहां नहीं ले जाया गया | 
विलास - पता नहीं लेकिन कुछ दिनों से जग्गू कुछ परेशान तो रहता था | हमने बहुत पूछने की कोशिश की लेकिन वो कुछ बोला ही नहीं | थक गए पूछ पूछकर लेकिन हमेशा बस यही बोलता था डैड अकेला छोड़ दो मुझे, मै अपनी परेशान हल करने लायक बड़ा हो गया हूँ |

मंत्री -  तुम परेशान मत हो तुम्हारी बेटे की मौत का बदला लेंगे और ऐसा बदला लेंगे कि पूरा शहर इलाका और आसपास के जिले याद  रखेंगे भरोसा रखो यह पर्सनल है मेरे लिए भी | राजनीति अपनी जगह है बिजनेस अपनी जगह है लेकिन परिवार तो हम सबका है, आज तुमारे परिवार को निशाना बनाया है कल को मेरे परिवार को निशाना बनाया जा सकता है | 
विलास - आखिरी मै करू तो क्या करू परेशान हो गया हूं लड़कियों का दोनों का रो-रो कर बहुत बुरा हाल है जग्गू की माँ तो होश में आते ही फिर बेहोश हो जाती है | 
मंत्री जी - मुझे थोड़ा सा समय दो पूरा पूरा महकमा लगा दूंगा पोलिस सिर्फ पता लगाएगी पर जो भी होगा इंसाफ उसके हम करेंगे सिक्युरिटी नहीं | 
विलास -  मंत्री जी मेरे पास ज्यादा समय नहीं है बच्चे की 13 तेरहवीं होते ही मैं हथियार उठा लूंगा लोगों को पता चलना चाहिए विलास पर वार करने का क्या अंजाम होता है | 
 मंत्री जी उसे सांत्वना देकर वहां से चल दिए | मंत्री जी वहां से बाहर निकल आए और अपनी कार में बैठ गए | अपने गार्ड  को दूसरी कार में बैठने को कहा था और मंत्री जी अपनी कार में अकेले थे और उनका बहुत खास आदमी था पिछले 20 साल से उनके लिए गाड़ी चला रहा था  |  गाड़ी में बैठते ही मंत्फोरी जी ने सूर्नयदेव को फोन  मिलाया |

 मंत्री  का फोन देखते सूर्यदेव ने तुरंत फोन उठा लिया और बोला - मंत्री जी क्या आदेश है | 

 मंत्री जी - यह विलास के बेटे का क्या मामला है | 
मंत्री जी के मुहँ से ये सुनकर वह एक दम चौंक गया, ऐसा लगा उसकी चोरी पकड़ी गयी हो सूर्यदेव  मिमियाई आवाज में - मंत्री जी आप वापस कब लौटे | 
मंत्री - तुमने सुना नहीं मैंने क्या पुछा |
 सूर्यदेव ने सफाई दी - मंत्री जी इसके पीछे मेरा  कोई हाथ नहीं है
मंत्री जी - मैं यह नहीं पूछा हूं तुम्हारा हाथ है या नहीं है यह मामला क्या है
सूर्यदेव - मतलब मैं समझा नहीं
मंत्री जी - विलास की लाश तुमारे जंगल वाले ठिकाने पर मिली है  उसके साथ वहां दो और लाशें मिली हैं और तीनों लाशों पर कपड़े का नामोनिशान तक नहीं था और तीनों के लंड पर वीर्य लगा हुआ मिला है | 
सूर्यदेव को माजरा समझते देर नहीं लगी - ऐसा क्या | 
मंत्री जी - वहां किसी औरत के कपड़े भी मिले है | मतलब कपड़ो की कतरने मिली है, अन्दर के ब्रा पैंटी की | 
उसकी घबराहट अब विश्वास में बदल गयी |  क्या बात करें मंत्री जी ऐसा है क्या | 
मंत्री जी - क्यों तू चौका क्यों |
सूर्यदेव - चौकने वाली तो बात है ही मंत्री जी  सुना है लाश पूरी तरह से नंगी मिली थी, जग्गू के अलावा वहां दो और लाशें मिली थी और वह दोनों भी बिलकुल नंगे ही थे | 
सूर्यदेव -  वह तेरा इलाका तुझे तो सब पता है फिर इतनी देर से नौटंकी क्यों कर रहा था | मुझसे गेम खेल रहा है |
मंत्री जी - नहीं कैसी बात कर रहे है, मेरी मजाल तो जो ऐसा सपने में भी सोचु | 
 

मंत्री जी - सोचना मत अब सच-सच बता इसके पीछे कौन है देख हमारे बिजनेस और पॉलिटिक्स अपनी जगह है लेकिन यार किसी की फैमिली किसी के बच्चे यह ठीक नहीं है मनी बिलास ने मेरी बेटी उठा लेने की धमकी दी हो लेकिन उसे उठाया तो नहीं उसे भी पता  उसका परिवार है |

सूर्यदेव -  नहीं मंत्री जी मेरी इतनी मजाल है जो इतने बड़े हाथी से टकरा जाऊं वह तो मुझे चुटकी मसल के रख देगा |
मंत्री - तो बता कौन है ? 
सूर्यदेव - आप यकीन नहीं करेगें लेकिन इसके पीछे एक रांड औरत है, साली एक नंबर की छिनार है | 
मंत्री जी -  क्या बकवास कर रहा है, गांजा चढ़ा रखा है है | 
सूर्यदेव - एक औरत है जो जग्गू को जाल में फंसाकर यहाँ तक लायी है, उसकी सिक्युरिटी में भी लम्बी पंहुच है शायद कोई नया गैंग बनाना चाहती है | उसी ने जग्गू और उन दोनों को मौत के घाट उतारा है | अपना नंगा  जिस्म दिखाकर लड़को को बहकाया होगा और जब लड़के उसके हुस्न में मदहोश हो गए होंगे तो एक एक करके तीनो को गोली मार दी | 
मंत्री जी - एक औरत इतना बड़ा काम अकेले कैसे कर सकती है | 
सूर्यदेव - आप मिले है उससे |
मंत्री जी - कौन है वो |
सूर्यदेव - रिवर लाउन्ज में, नाम उसका सीमा ........या ....ऐसे कुछ है |
मंत्री जी - क्या बात का रहे हो | 
सूर्यदेव - बिल्कुल सच्ची बात कर रहा हूं मंत्री जी , हाँ हाँ याद आ गया रीमा नाम है उसका बला की खूबसूरत है इतनी गहरी मुसीबत में न फंसा होता तो कम से कम अब तक चार पांच बार उसके साथ अपना बिस्तर गर्म कर चुका होता | 
मंत्री जी - क्या बकवास किये जा रहा है तू जानता है उसे, मिला है उसे क्या .........| 

सूर्यदेव -  वह उसी इलाके में जग्गू को मारने के बाद भाग रही थी तभी मेरे आदमी ने उसको पकड़ लिया | 
मंत्री जी - क्या  बात कर रहा है | 
सूर्यदेव -  सही बोल रहा हूं उसी ने जग्गू को मारा है उसी ने एक मेरे आदमी को भी मारा जब मेरा आदमी टाइम पर नहीं पहुंचा |  तो मेरे आदमी जंगल में इधर उधर छानबीन करने लगे और तभी मैंने उसे पकड़ लिया | 
मंत्री जी - यह तो अच्छी बात है, तूने मुझे अब तक ये बात बताई क्यों नहीं |  उसे यहां ले आओ विलास के हवाले  कर देते हैं मामला सेटल  |
सूर्नयदेव हल्की निराशा से -  मंत्री जी वह बहुत चालाक है जितनी खूबसूरत है  उतनी ही हरामजादी की पिल्ली है, जहाँ कैद करके रखा था वहां से भाग गई |
मंत्री जी - तुम्हारी कैदसे  कैसे भाग गई  ये कैसे हो सकता है |
सूर्यदेव -  उसने गार्ड को पटा लिया, उसने अपना नंगा जिस्म दिखा दिया और गार्ड पागल हो गया |
मंत्री-  क्या बकवास कर रहे हो फ्री में ऐसा कैसे कर सकती जिस्म दिखा दिया और गार्ड पागल हो गया क्या बकवास कर रहे हो | 
सूर्यदेव - आप मेरा यकीन कीजिये, मरता आदमी झूठ थोड़े बोल कर जायेगा | साली से गार्ड को अपने दूध और चूतड़ दिखा दिखा कर पगला दिया | गार्ड उसके झांसे में बहक गया |
मंत्री जी - क्या नाम बताया तूने उसका | 
सूर्यदेव - रीमा |
मंत्री जी - अब मुझे याद आ गया एक सिक्युरिटी वाले की बेवा है तो गजब की खूबसूरत लेकिन वो तो बहुत शरीफ है |  हम तो उसे साड़ी के ऊपर से देखते हैं तब भी कयामत लगती है लेकिन जैसे ही पता चलता कि हम घूर रहे हैं वह अपने पल्लू तक करने लगती है | वो ऐसा नहीं कर सकती | उसका देवर तो एक नम्बर का रंडीबाज है लेकिन वो तो उसे भी नहीं देती ऐसा मैंने औरतो की किटी पार्टी की गॉसिप से सुनकर आई औरते बता रही थी | 
सूर्यदेव - मंत्री जी मैंने आपको सब सच सच बता दिया |
मंत्री जी - चल तेरी बात मान भी ले तो रीमा का जग्गू से क्या झगड़ा |
सूर्यदेव - अब जग्गू रीमा को लाया या रीमा जग्गू को लायी, किस बात में दोनों में झगड़ा हुआ ये सब तो वो ही बता पायेगी | उसके अलावा जिनको सच पता है वो दुनिया में नहीं है | 
मंत्री जी - उसका बेटा तुम्हारे इलाके में मरा है और उसके दिमाग में पहला नाम तुम्हारा ही आ रहा है किसी तरह से मैंने बात संभाली लेकिन ज्यादा देर तक मैं संभाल नहीं पाऊंगा जितनी जल्दी हो सके उस औरत को विलास के हवाले कर दो | इसी में हमदोनों की जिंदगी की सलामती है |
सूर्यदेव - उसने पहले ही मेरे आदमियों को मार डाला है | 
मंत्री जी - मुझे कुछ नहीं पता, उसका गुस्सा ज्यादा देर तक मै रोक नहीं पाउँगा, और उसका पहला शिकार होंगे तुम | भलाई इसी में है रीमा को ढूढो और विलास के हवाले कर दो |
सूर्यदेव - वो औरत मंत्री जी यहां से ऐसे गायब हुई जैसे गधे के सींग पूरे कस्बे  नाकेबंदी लगी हुई है सिक्युरिटी की सिक्युरिटी ढूंढ रही है  मेरे  आदमियों ने कस्बे का एक-एक  कोना छान मारा है उसका कहीं कोई अता-पता नहीं चला | उसके खोने की खबर उसके घरवालो ने टीवी पर भी चलवा दी है |  मै हैरान हूँ ना तो वह सिक्युरिटी को मिली ना हमारे आदमी  को, गई तो गयी कहाँ वो हरामन कुतिया | 

मंत्री जी -  जो भी हो सूर्य देव मामला बहुत सीरियस है रीमा का जग्गू की मौत से कोई न कोई तो कनेक्शन है पता लगाओ और सच इतनी जल्दी पता लगा दोगे और जितनी जल्दी रीमा को पकड़ लोगे और विलास के हवाले कर दोगे उतनी ही जिंदगी बढ़ जाएगी |
सूर्यदेव - मंत्री जी मेरा इसमें कोई हाथ नहीं है | 
मंत्री जी - ये बात विलास को समझाना, मुझसे कहने से भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा | जग्गू तुम्हारे इलाके में मारा है इसीलिए सबसे पहले विलास का कहर  तुम पर ही टूटेगा अब तुम खुद को बचा सकते हो तो बचा लो | 
सूर्यदेव -  मंत्री जी इस तरह से मेरे सर से हाथ हटा लोगे तो कहाँ जाऊंगा, |
मंत्री -  देखो मुझे मत समझाओ मुझे क्या करना है क्या नहीं करना है उस औरत को ढूंढो और विलासके हवाले कर दो समझ गए बाकी विलास उसका क्या करेगा क्या नहीं करेगा यह वह जाने | कान खोल कर सुन लो अगर तुम उस औरत की आड़ में खुद बचने की कोशिश कर रहे हो तो मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा तुम समझ रहे हो ना मेरा मतलब क्या है | अब फोन रखो और जल्दी से जल्दी उस औरत को ढूढना शुरू करो |

सूर्यदेव की पहले से ही फटी पड़ी थी अब तो उसे आँखों के सामने मौत नजर आने लगी |


 मंत्री जी ने फिर से इलाज को फोन मिलाया - विलास मैंने सूर्यदेव से बात करी है  उसने कसम खाई है कि उसका इसमें कोई हाथ नहीं है  लेकिन जो जानकारी उससे मिली है एक औरत है नाम है  उसका रीमा तुम शायद उसको जानते होगे , वही औरत जिसने रिवर लाउन्ज में जग्गू को लेकर हंगामा कर दिया था | 
विलास - हाँ हाँ याद है |
मंत्री जी - जिस दिन तुमारे बेटे को गोली मारी गयी उसी दिन से रीमा गायब है तुमने टीवी पर उसकी फोटो देखी होगी | 
विलास - नहीं मंत्री जी मैं भी कुछ नहीं देख पा रहा हूं इसीलिए मैं तुम्हें फोन किया हूं जिस दिन से तुम्हारा बेटागायब है उसी दिन से रीमा भी गायब है तुम्हारी बेटी की मौत का और उस औरत के गायब होने का कोई न कोई कनेक्शन तो है जल्दी पता लगा लेगे | 
तब तक मेरी एक विनती है बस तुम कुछ मत करो |  
विलास - सच कहूं मंत्री जी तो कुछ कह नहीं सकता पूरी कोशिश करूंगा खुद को  काबू में रखने की | जल्दी से जल्दी औरत का पता लगाइए | 
मंत्री जी - वैसे एक बात बोलूं सच बताओगे वो औरत थी तो बहुत ही मस्त तुम्हें भी पता है कहीं तुम्हारा उसके बेटे के  साथ कोई चक्कर तो नहीं हो गया था | जवान विधवा और जग्गू | उसने जग्गू को कॉलेज से भी निकलवाया था | 
विलास - जहां तक मुझे पता है मंत्री जी ऐसी कोई बात नहीं थी आपको ऐसा क्यों लगता है कि मेरा बेटा उस औरत के चक्कर में पड़ गया था | 
मंत्री - जहाँ तकरार वही प्यार |
विलास -  मुझे नहीं लगता रीमा कोई ऐसी औरत थी, लेकिन अगर आपका अंदेशा सच है  तो उस औरत की जिंदगी इतनी नरक कर दूंगा अपनी मौत मांगेगी लेकिन उसे मौत नहीं मिलेगी | 
मंत्री जी - अपने आप को कंट्रोल में रखो ठीक है हम तुम्हारे बेटे का बदला लेंगे और वह दुनिया देखेगी | 

मंत्री जी ने फोन काट दिया उसके बाद फिर से उन्होंने सूर्य देव को फोन मिलाया - सूर्य देव कान खोल कर सुन लो मुझे वह औरत चाहिए हर हाल में चाहिए | 
 मंत्री जी अभी तक चीजों को समझने की कोशिश कर रहे थे और इतना तो पता चल गया था कि रीमा जग्गू और सूर्यदेव के  बीच का सच कुछ न कुछ तो है | असल में हुआ क्या है ये रीमा के मिलने के बाद ही पता चलेगा |
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इधर रात के घनघोर अँधेरे में एक गन्दी सी अवैध बस्ती के एक अँधेरे कमरे में अपने ऊपर मंडराते खतरे से पूरी तरह बेखबर रीमा अपनी वासना में गहरे तक डूबी थी | अपनी चूत और जिस्म जितेश को सौपने से पहले अपने मन की असुरक्षा दूर कर रही थी |

  दोनों के गिले शिकवे में सारा मूड ही बदल गया था लेकिन जितेश का लंड अभी तना हुआ था | जितेश ने रीमा के ओंठो पर ओंठ रख दिए | उसको कसकर चुमते हुए बोला - हमारे बात करने की जगह अगर हमारे लंड और तुमारी चूत आपस में बात करे तो बेहतर है | 
रीमा हल्का सा मुस्कुरा दी | उसकी बांहों का कसाव जितेश की पीठ पर बढ़ गया | ये ग्रीन सिग्नल था आगे बढ़ने का | रीमा के अन्दर घुसने का | रीमा अब तन और मन दोनों से चुदने को तैयार थी | उसके धड़कते दिल की हर धड़कन के साथ उसे पता था जितेश का मोटा मुसल लंड उसके गुलाबी मखमली अंतर को चीरने वाला है | उसके पत्थर जैसे मोटे मुसल लंड की धधकती आग की गर्मी उसको अपने निचले गुलाबी ओंठो पर महसूस हो रही थी | रीमा अपने मन को मजबूत करने लगी, उसे रोहित की चुदाई का अहसास था उसे पता था जितेश के तपते गरम मुसल की भीषण ठोकरे उसकी चीखे निकाल देगी |


[Image: tumblr_nlkhy0ksi01smtp8to5_1280.jpg]

जितेश ने एक लम्बी साँस ली |  उसने अपने तने हुए लंड के फूले हुए सुपाडे को फिर से रीमा की चूत के छेद पर सटा दिया था | रीमा ने एक लम्बी साँस ली और जितेश की आँखों में आंखे टिका दी | उसने अपने बदन को कड़ा किया, उसे पता था उसकी चूत की फैलती दीवारे उसे सुरुआती तीखा मदहोश करने वाला दर्द देकर जाएगी | जितेश ने रीमा की आँखों में गहराई तक झाँका और  उसके बाद में उसने धीरे से एक बार में हल्का सा झटका मारा उसका सुपारा रीमा की कसी हुई गुलाबी चूत को चीरता  हुआ अंदर फंस गया | 
रीमा के मुहँ से सिसकारी भरी कराह निकल गयी - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ ऊऊऊऊओह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्ह| 
रीमा की चूत की गर्मी भी कम हो गयी थी और गीलापन भी | रीमा को लगा किसी ने नस्तर घुसेड दिया है और उसकी चूत को चीर दिया है | रीमा के चेहरे पर दरद की लकीरे उभर आई | जितेश का लंड औसत से ज्यादा लम्बा मोटा और तगड़ा था | रीमा की चूत का गीलापन कब का सुख चूका था इसलिए जितेश के लंड ने रीमा की चूत की दीवारों को अपने अन्दर आने का तीखा अहसास बखूबी करा दिया था | वो तीखा अहसास रीमा के जिस्म में तरंगे बनकर बहता हुआ उसके दिलो दिमाग तक जा रहा था | ऐसा लगा जैसे आग सी धधकती मुसल मांसल मीनार नुमा लंड उसके गुलाबी रसीले अंतर को चीर कर अन्दर तक घुस गया हो | 

उसके बाद जितेश ने दो बार फिर से आगे पीछे कमर हिलाई | रीमा सिसक कर रह गई उसने अपनी बाहों का कसाव जितेश की पीठ पर और बढ़ा दिया | रीमा के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ माम्मामामामामाम्म आआआआआआअ  | ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई  माम्मामामामामाम्मईईईईईईई रेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरे ममममममममररररररररररररररर गईईईईईईईईईईईईईईईई|

जितेश का हर झटका एक नया अहसास रीमा के रोम रोम में भर रहा था | भले ही उसकी चूत जितेश के लंड के लिए अभी जगह न बना पाई हो लेकिन ये तीखा दर्द भरा अहसास भी कम जादुई नहीं था | अगर औरत ये दर्द  महसूस नहीं करेगी तो बाद में हर धक्के पर मिलने वाले उस मादक मीठे अहसास को कैसे महसूस करेगी | रीमा की चूत के ओंठ अपने किनारों तक पूरी तरह फ़ैल गए थे | रीमा की चूत घाटी की गुलाबी दरार में जितेश का लंड पूरी तरह धंस चूका था | अब तो बस आगे का सफ़र करने की देर थी | रीमा के बदन की गरमी और वासना में उसका पूरा बदन नहाया हुआ था | उसके तने हुए सुडौल उरोज और कठोर निप्पल इस बात की निशानी थे की रीमा चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार है | उसकी उभरी कठोर छातियाँ, चिकनी कसी हुई गुलाबी चूत, जितेश के लिए रीमा का ये पहला स्पर्श, जितेश के होश उड़ चुके थे | रीमा की चूत की गुलाबी गर्माहट के अहसास और उसके जवान मांसल बदन की कसावट  देखकर जितेश से रहा न गया उसने एक जोरदार ठोकर रीमा को मारी और रीमा मुसल लंड की ठोकर से मिले  दर्द से नहा गयी | 

[Image: preview.mp4.jpg]

जितेश ने कसकर रीमा को चूम लिया, लेकिन उसके दर्द भरे चेहरे को देखकर अहसास हुआ कुछ तो गड़बड़ है | तब उसे याद आया रीमा की चूत को गरम करना तो वो बातो ही बातो में भूल ही गया | उसका हाथ तेजी से रीमा के चूत दाने पर गया और वो चूत दाने को तेजी से रगड़ने लगा | काफी देर तक उसके चूत दाने को रगड़ता रहा | आखिर रीमा के जिस्म में वासना की गर्मी फिर लौट आई | उसकी दर्द भरी कराहे बंद हो गयी और उनकी जगह मादक सिसकारियो ने ले ली |  उसके बाद में उसने फिर से कमर पर जोर लगाया और अपना थोड़ा सा लंड और रीमा की चूत में घुसा दिया था | 

रीमा के मुहँ से हल्की सी  जादू भरी सिसकारी मुंह से निकल गई - आआआआआआईईईईईईईईई  मामाआआआअ | 

इसके बाद में जितेश ने अपने लंड को बाहर खींचा और फिर से रीमा की चूत में पेल दिया था | रीमा के मुंह से फिर से एक कराह निकल गई थी - ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई   माम्मामामामामाम्मईईईईईईई  | 

उसके बाद कुछ देर तक जितेश धीरे-धीरे अपनी कमर को हिलाता रहा और रीमा की चूत को चौड़ा और नरम करने की कोशिश करता रहा था, हर झटके के साथ रीमा की सिसकारी किसी लयदार रायेम की तरह निकलती रही |  वह  पूरा का पूरा लंड रीमा की चूत में अंदर तक घुसेड सके, इसलिए वो चाहता था रीमा की चूत पूरी तरह से गरम हो जाये ताकि उसकी चूत की दीवारे पूरी तरह से फ़ैल जाये और उसके मुसल लंड को अपने आगोश में ले ले | वो रीमा को बुरी तरह से चूम रहा था | रीमा का एक हाथ जितेश के नीचे उसके चूत दाने  को कस के रगड़ रहा था ताकि उसकी चूत गरम बनी रहे और जितेश का पूरा का पूरा लंड निगल ले | 
 इधर जितेश इंतजार कर रहा था कि रीमा पूरी तरह से फिर से तैयार हो जाए ताकि वह पूरा का पूरा लंड रीमां की चूत में पेल सके |  कुछ देर बाद उसे लगा रीमा  नॉर्मल हो गई है तो उसने फिर से कमर का  एक जोरदार झटका लगाया और आधे से ज्यादा लंड की रीमा की मखमली गुलाबी चूत दीवारों की चीरता हुआ अन्दर तक धंस गया |  उसका लंड चूत की गहराइयों में घुस गया | 

रीमा के मुंह से एक लंबी चीख निकल गई - आआआआआआआआ आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइह्हीईईईईईईईईईइ मामामामामामामा मामामामामाआआआअ ईईईईईईईईईईई मरररर रर रररर गाअयीईईईईईई | आआआआआआआआ ईईईईईईईईईईईइ ओओओओओओओओओओ ह्ह्ह्हह्हह्ह्ह आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइह्ही |

रीमा ने कराहते हुए एक लम्बी साँस ली और जितेश को कस के भींच लिया और बोला- रुकना मत | 

रीमा के मुहँ से निकले इन शब्दों  ने जितेश का जोश बढ़ा दिया जितेश ने फिर से पीछे लंड को खींचा और फिर से रीमा  की चूत में गहराई तक पेल दिया था | 
इसके बाद रीमा के मुहँ से तेज कराह निकली -  आआआआआआआआ आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइह्हीईईईईईईईईईइ मामामामामामामा मामामामामाआआआअ ईईईईईईईईईईई मरररर रर रररर गाअयीईईईईईई | 

[Image: 17803958.gif]


अब समय था रीमा के उन अरमानो के पूरा होने का जिनके बस वो ख्वाब ही देखती रहती थी | उसकी हसरते, उसकी लालसाए, उसकी कामनाये, आज वो एक हट्टे कट्टे मर्द के नीचे है और उसका मोटा मुसल लंड उसकी जांघो के बीच की दरार को चीर कर अन्दर तक धंसा हुआ है | यही तो उसकी स्वनिल ख्वाइशे थी, हाथो से खिलौनों से खेलने का मजा कुछ अलग है लेकिन असली हरम फूले हुए कठोर मुसल लंड का स्पर्श ही कुछ और है | उसकी चूत दीवारों की चाहरदीवारी में सिमटा हो अपनी ही धडकनों से कांपता हुआ लंड रीमा रीमा के अरमानो का हकीकत था | वो हकीकत जो उसके जीवन के ज्यादातर हिस्से में बस सपना बनकर आती थी | जितेश रीमा की कराह सुनकर रुक गया था लेकिन जब रीमा ने उसे थामे हुए देखा तो खुद ही अपने भींचे हुए ओठ खोल दिए | अब इस पल रुकने का थमने का कोई मतलब नहीं था | इंच डर इंच अन्दर घुसते हुए, उसकी गीली गुलाबी सुरंग को चीरते हुए जब लंड उसकी गहरी अँधेरी मखमली  गुफा की चढ़ाई कर रहा था  तो उसी के साथ रीमा की लालसाए भी अपने परवान चढ़ रही थी | भावुक रीमा पूरी तरह से जितेश की बाहों में समां गयी | उसने खुद को पूरी तरह से जितेश के हवाले कर दिया था | उसे पता था जो उसे चाहिए जितेश वो सब उसे देगा | 

रीमा हांफते हुए - डोंट स्टॉप,  यस बेबी  डोंट स्टॉप, ऐसे ही चोदो मुझे | 
जितेश भी हांफते हुए - तुम्हे मजा आ रहा है मैडम | 
रीमा - हाँ बहुत मजा आ रहा है  | 
जितेश - कितना मजा आ रहा है |
रीमा - बहुत बहुत मजा आ रहा है | ऐसे ही करते रहो |
जितेश - क्या करता रहू, खुलकर बोलो न मैडम | 
रीमा - बस करते रहो बोलो मत | 
जितेश - अब तो जिस्म की गहराई तक का सफ़र तय कर लिया है | अब क्या बचा, अब कौन सा पर्दा है हमारे बीच | हमारे तो लंड और चूत मिल गए है अब तो खुलकर बोलो न मैडम | क्या करता रहू साफ़ साफ़ बोलो |
रीमा समझ गयी थी उसके मुहँ से चूत चुदाई की बकचोदी सुनना चाहता है | 
रीमा - मुझे चोदते रहो |
जितेश - बस सिर्फ चोदता रहू |
रीमा - नहीं दिलो जान से  चोदो , ढेर सारा प्यार करके  चोदो | लम्बे लम्बे धक्के लगाकर  चोदो | मेरी चूत की गहराइयो तक लंड पेलकर  चोदो | 
जितेश के कानो में पड़े ये शब्द उसकी वासना में उत्प्रेरक की तरह थे | उसकी कमर तेजी से हिलने लगी | 
जितेश - और ?
रीमा - ओफो बाबा तुम सब मर्द एक जैसे होते हो | 
जितेश - बोलो न अच्छा लग रहा है | 
रीमा - तुमको अच्छा नहीं लग रहा |
जितेश ने अन्दर लंड ठेलते हुए - अच्छा लग रहा है मैडम, क्या गरम गुलाबी कसी हुई चूत है आपकी | कितना मजा आ रहा है क्या बताऊ आपको | 
रीमा - ये मैडम सैदम कहना बंद करो | 
जितेश - क्या कंहूँ फिर|
रीमा - जो मै तुमको बुला रही हूँ बेबी | 
जितेश - मैडम बेबी जैसी फील नहीं आ रही है, बेबी जैसा फील करावो न मुझे | 
रीमा - चल हट शैतान ................|
जितेश की कमर तेजी से हिलाने लगी और उसका लंड सरपट रीमा की गुलाबी गीली गरम चूत को चीर कर अन्दर बाहर होने लगा | 
रीमा - यस यस यस बेबी ऐसे ही चोदो मुझे ..................... हचक हचक के मुसल लंड से मेरी गुलाबी मखमली चूत चीरकर पेलकर मुझे चोदो, बस चोदते रहो | यस बेबी जस्ट लाइक थेट | आआआह्ह्ह बस ऐसे ही मेरी चूत को अपने मुसल लंड से कुचलते रहो | मुझे बहुत अच्छा लग रहा है | बस मुझे चोद चोद कर स्वर्ग की सैर करा दो मेरे  लंड राजा | मोरे राजा चोदो मुझे, बेबी चोदो न अपनी डार्लिंग को, उसकी मखमली चूत को, मिटा दो इसकी सारी खुजली आज | 
जितेश जैसे बस इन्ही शब्दों की ही राह देख रहा हो | ये सुनते ही जोश से भरे  जितेश ने फिर से लंड को बाहर खींचा और रीमा की चूत में पेल दिया | रीमा के अरमानो की एक मंजिल और तय हो गयी | उसके मुहँ से एक लम्बी सिसकारी निकली - आआआआआआईईईईईईईईई  मामाआआआअ आआआआआआआआअऊऊऊऊऊऊऊह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह |

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उसकी चूत में लगता हर धक्का उसकी ख्वाइशो की मंजिल का एक कदम और तय कर रहा था |  रीमा कराहती रही लेकिन जितेश ने धक्के लगाने जारी रखे | वो रीमा को कमर हिला हिलाकर चोदने लगा | रीमा के मुहँ से आआआह्ह्ह्ह ऊऊऊओह्ह्ह्ह आआआआआह्हह्हह्हह्ह निकलता रहा |  धीरे-धीरे हलके हलके लम्बे -लंबे धक्के जितेश की रीमा की चूत मारने लगा था | रीमा जितेश से बहुत बुरी तरह से चिपकी हुई थी और कराह रही  थी | धीरे धीरे उसकी कराहे मादक होने लगी | 

रीमा - यस यस यस यस यस  बेबी बस ऐसे ही चोदो मुझे, अन्दर तक चोदो बेबी, बस ऐसे ही चोदो जितेश मोरे राजा, चोद दो अपनी बेबी को | 
जितेश भी जोश में था - हाँ रीमा बेबी, क्या नरम मखमली गीली कसी हुई चूत है आपकी | आआआआआअह्मेहह्रेहह्हह्हह्हह मैमैमैमैडम सो ओसो सॉरी बेबी, आपकी कमसिन चूत ने मेरे  मुसल लंड को आधे में फंसा रखा है | इस उम्र में भी इतनी कसी चूत है | ऐसा लग रहा है जैसे कुंवारी चूत चोद रहा हूँ | 
रीमा भी वासना में बदबदती हुई - हाँ बेबी अपनी बेबी की कसी हुई चूत को ढंग से चोद दो , चीर कर फैला दो, दूर कर दो न इसका कुंवारापन | इसको पूरी तरह से चोद दो और अपने मुसल लंड से चीर कर रख दो | 
जितेश हांफता हुआ - अब जगह कहाँ है आपकी गुलाबी मखमली सुरंग में, पूरी तो भर गयी है मेरे मुसल लंड से | 
रीमा - तो जगह बनावो न मेरे लंड राजा | ये मुसल सा लंड किस दिन काम आवेगा | अगर चूत चीर कर फाड़ कर अपने लिए जगह नहीं बना सकता, तो पत्थर जैसे सख्त लंड का फायदा क्या |
जितेश - बेबी तुमको तकलीफ होगी आपको |
रीमा - औरत तो तकलीफ बर्दास्त करने के लिए ही बनी है, जब तक चूत चीरेगी नहीं, तब तक चुदाई का मजा अधूरा है | चोद दो अपनी रीमा मैडम को जैसा जी करे चोदने का, मेरी तकलीफ की चिंता न करो | चार धक्को बाद सब ठीक हो जाता है | 

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रीमा की बाते सुनकर जितेश में एक नया जोश भर गया |  जितेश की हिलती कमर से उसका तना हुआ लंड रीमा की कसी चूत में बुरी तरह घिसकर अन्दर बाहर हो रहा था | दोनों वासना में नहाये हुए अपने कामुक  शब्में से वासना की आग को भड़का रहे थे | दोनों के बदन वासना की आग में बुरी तरह से तप रहे थे | दोनों की सांसे अपनी उफान पर थी | जितेश का पसीना उसके बदन से फिसलकर अब रीमा के पहले से पसीने से लथपथ जिस्म को भिगोने लगा था | रीमा और जितेश दोनों अब वासना के भंवर के बीचो बीच पहुँच चुके थे | अब वापस आने का कोई रास्ता नहीं बचा था | बस एक ही रास्ता बचा था अपने जिस्मो में लगी आग बुझा ले | और वो आग सिर्फ जोरदार चुदाई से बुझनी थी |   जितेश का लंड अभी भी एक तिहाई बाहर था जबकि उसकी चूत पूरी तरह से उसके लंड से भर गयी थी | रीमा की चूत में जितेश का लंड सटासट जा रहा था अब रीमा की भूख और बढ़ गयी थी |  रीमा को जितेश का पूरा लंड घोंटे बिना चैन कहाँ था भले ही उसकी चूत फट के फट के चिथड़े हो जाये | जितेश के झटको के साथ आआआआ ऊऊऊऊऊउईईईईईईईईईइ आआआआआअह्आहह्याहह्हह्हह्हह की सिसकारियो की  राइम निकलती रीमा अब पुरे लंड की भूखी थी | उसने जितेश के चुताड़ो पर अपनी जांघो की कसावट बढ़ा दी और नीचे से अपनी कमर उचका दी | 

सटासट अपनी चूत में जा रहे लंड की ठोकरे से हिलती और हांफती रीमा बोली  - अपना पूरा मुसल लंड पेलो न मेरी चूत में | 
अब तक जितेश समझ गया था रीमा को चोदना बच्चो का खेल नहीं है | जब वो चुदाई की आग में ताप रही होती है तो पूरी तरह से जंगली हो जाती है | उसकी असीमित ख्वाइशे अपने पंख निकाल उड़ने लगाती है |  रीमा को चोदना बच्चो जैसे लंड के बस का नहीं था | उसे एक मर्द चाहिए था मोटे तगड़े लंड वाला और जमकर दमदार चुदाई करने वाला और देर तक न झड़ने वाला | वही रीमा की प्सेयास बुझा सकता था | रीमा को जितेश का पूरा लंड चाहिए और इसलिए उसने उसके नीचे अपनी जांघे खोली है | असल में उसे उसके मुसल लंड से अपनी पूरी की पूरी चूत फड़वानी है | जितेश भी वासना के यौवन पर था उसे भी अब रीमा के दर्द की परवाह नहीं थी |   उसने पीछे आखिरी तक लंड को खींचा और एक जोरदार झटका लगाते हुए अपनी कमर पर पूरा जोर डाल दिया | उसका तना हुआ लंड रीमा की चूत की दीवारों को चीरता हुआ उसकी  की बच्चेदानी से जाकर टकराया रीमा के मुंह से एक तीखी चीख निकल गई - आआआआआआआआ रीरीरीरीरीरीरीरीरीरीरीरीरी फ़ाआआआआआआआआआ डडडडडडडडडडडडडडडड आआआआआआअ ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ दिदिदिदिद मेंमेंमेंमेंमेंमेंरीरीरीरीरीरी रीरीरीरीरीरीरीरीरीरीरीरीरीरीरीरी आआआआ आआआआह्हीईईईईईईईईईइ ओओओओओओओओओओ ह्ह्ह्हह्हह्ह्ह आआआआआआ आआह्हीईईईईईईईईईइह्ही |

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जितेश समझ गया था, वो सुरंग के आखिरी छोर तक पंहुच गया है | रीमा की चूत अब उसके लंड से पूरी तरह से भर गई है इसके आगे अब लंड के लिए कोई जगह नहीं है लेकिन रीमा भी तो अपनी वासना में पूरी तरह से अंधी हो चुकी थी | 
रीमा कामुकता और दर्द  से कराहती हुई  - क्या बच्चो की तरह मेरी चूत में फुदक रहे हो मर्दों वाला लंड पेलो, पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में पेलो भले ही मेरी जान निकल जाये सांसे अटक जाये चूत फट जाये | 
रीमा का ये कहना था कि जितेश जोश में आ गया | 
उसने अगली बार फिर से एक जोरदार झटका लगाया और पूरा का पूरा लंड रीमा की चूत में घुसा दिया और इस बार उसका लंड उसकी चूत के आखिरी छोर पर बच्चे दानी से टकराता हुआ उसे पीछे की तरफ ठेलता चला गया | उसकी चूत बछेदानी सहित पीछे की तरफ ठेलती चली गयी | रीमा को लगा  जैसे गले तक किसी ने मुसल ठूस दिया हो | वह  दर्द और  वासना में डूबकर कराह पड़ी वो - मममममममममममममममरररररररररररररररररररररररर गगगगगगगगगगगगगगगगगयीयीयीयीयीयीयीयीयीयीयीयीयीयीयीयीयी आआआआह्हीईईईईईईईईईइ ओओओओओओओओओओ ह्ह्ह्हह्हह्ह्ह आआआआआआ आआह्हीईईईईईईईईईइह्ही| 

जितेश ने रीमा  की चूत में पूरा का पूरा लंड घुसा दिया था उसके बाद उसने दो और करारे झटके मारे | उसका मुसल लंड पूरा का पूरा रीमा की गरम गुलाबी चूत में, उसे खुद पर गर्व महसूस हुआ | 

वो रीमा को चूमने लगा - रीमा तुम ग्रेट हो तुम बहुत ही ग्रेट हो तुम बाकि औरतों से बिल्कुल अलग हो | ऐसा कभी नहीं हुआ .................मेरे साथ तो कभी नहीं हुआ | तुम पूरा का पूरा मुसल लंड घोंट गयी | तुमारी कसी हुई गुलाबी मखमली  चूत मेरी पूरा लंड घोंट गयी | आज मैं धन्य हो गया तुम्हारी चूत को चोद कर इस चूत में मेरा पूरा लंड निगल लिया | 
 रीमा भी हैरान थी उसने नीचे उंगली लगा कर देखा तो देखा कि जितेश का पूरा लंड तक उसकी चूत में फंसा हुआ है | रीमा के लिए एक गर्व का क्षण था वह जितेश का लंड उसकी चूत पूरा का पूरा निगल गई थी अब रीमा की जोश और उत्तेजना की कोई सीमा नहीं थी | 
वह जोश में जितेश से बोली - अब बस कसके चोदो मुझे जितेश, जीतनी तेज चोदना चाहते हो.......... जैसे चोदना चाहते हो , उठा के बिठा के, लिटा के,  बस चोद दो मुझे | अब मुझे कुछ नहीं चाहिए | अब बस चुदना है मुझे | जमकर चोदो मुझे जैसे चोद सकते हो | मेरी चूत की सारी अकड़ निकाल दो अपने मुसल लंड से, मेरी चूत की सारी खुजली मिटा दो, मेरे जिस्म में लगी हवस की सारी आग बुझा दो  | 
रीमा - यस बेबी यस बेबी यस बेबी यस बेबी यस बेबी यस बेबी  मुआआआअह्न माआआआअ आआआ यस बस ऐसे ही 
ऐसे ही  आआह्ह ऐसे ही  आआह्ह आआह्ह आआह्ह आआह्ह  | 
जितेश - ये लो , ये लो  ये लो और लो पूरा लंड लो, सारा का सारा लो अपनी चूत में बेबी | आह क्या मखमली नरम कसी हुई चूत है बेबी मेरी जान मेरी चूत, मेरी डार्लिंग | आह्ह्हह्ह बहुत मजा आ रहा है तुमको चोदने में | आआआह्ह्ह  बेबी |

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जितेश भी रीमा के शब्दों को सुनकर जोश में आ गया - उसकी कमर जोर जोर से हिलने लगी वह तेजी से धक्के लगाने लगा और रीमा भी नीचे से कमर को उठाकर  करके उसके लंड को अपनी गुलाबी चूत गहराइयों की अंतिम सीमा तक लेने लगी | अब बस कमरे में थप थप की आवाजे और रीमा की कराहे और जितेश की हांफती सांसे ही गूँज रही थी | जितेश को जोरो से कमर हिलती रही उसका मुसल लंड रीमा की गीली गरम गुलाबी चूत में सरपट अपनी रेस लगाता रहा | 

काफी देर तक जितेश उसे चोदता रहा,उसके गुलाबी चूत सुरंग की रेस में आगे पीछे दौड़ता रहा  और वह नीचे लेटी खुद को चुदवाती रही थी, उसका लंड अपनी गुलाबी सुरंग में लेती रही | बेतहाशा पेलम पेल ठुकाई चुदाई का ये सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक दोनों की सांसे नहीं उखड़ने लगी | रीमा को बेतहाशा चोदने से जितेश बुरी तरह से हांफने  लगा था जितेश अभी-अभी झड़ा था इसलिए इस बार उसे झड़ने में टाइम ज्यादा लग रहा था | रीमा भी ये बात जानती थी  कि जितेश बिलकुल घोड़े की तरह उसे चोदेगा इस बार और वो भी ठीक  उसी तरह से चुद रही थी | उसकी सांसे भी उखड़ी हुई थी फिर भी जितेश को सुस्ताने का मौका देने के लिए  उसने तेजी से खुद को उठा करके जितेश  के ऊपर कर लिया था जितेश भी कुछ आराम करना चाहता था | 

रीमा - बेबी अब तुम आराम करो, मै तुमारे लंड को जन्नत की सैर कराती हूँ | 

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जितेश - आह्ह्हह्ह्ह्ह तुम कमाल की रीमा बेबी, ऐसी औरत तो बड़े नसीबो से मिलाती है | तुम क्या चीज हो, मै पागल हो जाऊंगा |
रीमा - अभी कुछ मत बोलो | 
अब रीमा रितेश के ऊपर थी और जितेश रीमा के नीचे था | रीमा ने जितेश का लंड अपनी चूत पर सटआया और कमर का जोर डाल कर के उसे पूरा का पूरा अपनी चूत में घुसा दिया और उसके बाद में अपने चूतड़ हिलाने लगी | रीमा जितेश के ऊपर बैठकर घुड़सवारी करने लगी और  जितेश का लंड रीमा की चूत में जा रहा था रीमा अपनी कमर को आगे पीछे करके जितेश के लंड को अपनी चूत में ले रही थी जितेश के हाथ रीमा की उठी हुई छातियों पर थे और कस के उसको उछल रहे थे | 
रीमा - कैसा लग रहा है बेबी |
जितेश - जैसे कोई खुद ही लंड पकड़कर स्वर्ग की मखमली सुरंग की सैर करा रहा हो | कितनी कसी चूत है रीमा मेरी जान, आआआआह्आह्जह्ह   तो तुम मुझे पागल ही कर दोगी | 
रीमा - बेबी मै तुमारे मुसल को निचोड़ रही हूँ तुम भी इनका रस (अपने ओरोजो की तरफ इशारा करते हुए ) निचोड़ो न | 
जितेश उसके उठे हुए उन्नत सुडौल  वक्ष स्थल  का रसपान करने लगता | है  उसके आगे खरबूजे जैसे झूल रहे रीमा के उरोंजो  को जितेश ने  कस कर चूमा | इधर  काफी देर तक रीमा जितेश के लंड पर बैठकर घुड़सवारी करती रही उसके बाद में रीमा भी बुरी तरह हांफने  लगी थी | 

अब बारी जितेश की थी तो रीमा जितेश के ऊपर से हटते ही घोड़ी बन गयी |  अब जितेश घुटनों के बल पर बैठकर बीमा के पीछे आ गया था और पीछे आते ही उसने जोश में पूरा का पूरा लंड रीमा की चूत में घुसा दिया रीमा ने कराह की लंबी सिसकारी के साथ में उसका पूरा लंड अपनी चूत में निगल लिटा |  जितेश ने रीमा के चूतड़ों पर हाथ जमा दिए और उन्हें कस के  पकड़ लिया और पीछे से रीमा की चूत को चोदने लगा |   रीमा पूरी तरह से घोड़ी बनी हुई थी और जितेश पीछे से रीमा की  चूत को चोद रहा था | उसके दोनों  बड़े बड़े उरोज झूले की तरह झूला झूल रहे थे उसका पूरा बदन हिल रहा था और जितेश रीमा के चूतड़ों पर कस के ठोक रे मार रहा था पूरे कमरे में थप थप की आवाज आ रही थी | रीमा की चूत पूरी तरह से फ़ैल चुकी थी उसकी खुली गुलाबी चूत में जितेश का लंड अब सटा सट  जा रहा था रीमा को जितेश बहुत तेज चोद रहा था जीतनी तेज कमर हिला सकता था उतनी तेज चोद रहा था | 


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रीमा की चूत में जा रहा सटासट लंड उसके बच्चेदानी पर बार बार ठोकर मार रहा था | इससे रीमा को दर्द हो रहा था | लेकिन रीमा तो इसी हद तक चुदना चाहती थी ऐसे ही गहराई तक बेतहाशा चुदना चाहती थी जब उसकी चूत में कोई लंड पिस्टन की तरह अन्दर  बाहर होता रहे | उसे अंदर चूत की गहराइयों तक उसे चोद करके उसकी प्यास मिटा दे | उसके चूत के कोने कोने तक अपने लंड होने का अहसास करा दे | रीमा की सांसें बहुत तेज चल रही थी वह बहुत बुरी तरह हांफ रही थी और जितेश भी बुरी तरह हांफ रहा था लेकिन दोनों की उत्तेजना उनकी सांसों पर भारी  थी और वह दोनों एक दूसरे में रमे हुए थे | जल्दी ही जितेश की सांसें उखड़ने लगी और इतनी तेज चुदाई के बाद में वह  पस्त होने लगा था और रीमा का भी बुरा हाल था | 
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दोनों अपनी बेकाबू सांसो को काबू करने के लिए  अलग हो गया और दोनों आकर के बिस्तर पर लेट गए थे उसका लंड बहुत तेजी से कांप रहा था | रीमा और रितेश दोनों अपनी सांसे काबू करने लगे तभी रीमा ने जितेश के लंड को अपने मुंह में ले लिया था और उसके जलते हुए लंड को अपने मुंह की चासनी से भिगो भिगो करके थोड़ा सा ठंडा करने लगी | रीमा ने कुछ देर तक हांफते हांफते  उसके लंड को सहलाया चूमा और चूसा | 


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उसके बाद में जितेश ने रीमा को फिर से बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी जांघों को ऊपर करके उसकी चूत में अपना लंड घुसा दिया और उसे कसके चोदने लगा था | अब रीमा एक करवट करके  लेटी थी और जितेश उसे पीछे से चोद रहा था और उसकी कमर बहुत तेजी से हिल रही थी उसका पूरा लंड रीमा की चूत में सटासट जा रहा था लेकिन जल्दी ही उन दोनों ने पोजीशन बदल दी और  रीमा जितेश के नीचे आ गई और फिर से  पहले जैसी चुदाई उन्होंने  शुरू की थी |  इस बार रीमा की टांगे  पूरी तरह से हवा में सीधे उठा दी थी और जितेश बहुत तेजी से कमर उठा उठा कर उसकी चूत में धक्के मार रहा था | हर बार जब भी वह धक्का मारता तो उसके पूरे शरीर का भार रीमा के ऊपर आकर गिरता  और उसके इतनी भीषण ठोकर से उसका लंड पूरी तरह से रीमा की चूत को कुचलता हुआ उसमे समा जाता था | रीमा को लगातार अपनी चूत में उस मोटे तपते मुसल मीनार का अनुभव हो रहा था , जो उसके अंतर की गहराइयों को चीर रहा था | 

उसकी चूत में लग रहा हर झटका उसकी ख्वाइशो की हकीकत की इबारत कह रहा था | हर भीषण ठोकर जो उसकी चूत को चीरते हुए उसकी बच्चेदानी को चोट मार रही थी वो  उसे उसकी वासना की मानसिक तृप्ति  पहुंचा रहा था | हर ठोकर से उसके शरीर में उठ रही वासना की तरंगे में  वह गोते लगाते हुए बार-बार नहा रही थी | उसकी चूत को चीरता लंड उसकी  वासना की आग को बुझाने में पूरी ताकत से लगा था |  यही तो उसका सपना था आखिरकार उसे उसकी मनपसंद का लंड मिल गया | जो उसे ऐसे चोदे  जैसे वह चाहती थी और अब रीमा को सिर्फ यही चाहिए था वह  जितेश के नीचे लेटी हुई जितेश के लंड को पूरी गहराई तक अपनी चूत में लेटी रही और जितेश भी उसे बेतहाशा चोदता रहा | 

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रीमा - चोदो न और कसकर चोद अपनी बेबी को |

जितेश अब अपनी वासना के चरम पर था | इस समय उसके दिमाग में सिर्फ रीमा की चूत और चुदाई ही भरी थी |
जितेश - चोद तो रहा हूँ बहन की लौड़ी |
रीमा ने जो सुना वो उसके लिए हैरान करने वाला था लेकिन उसे हैरानी इस बात की ज्यादा थी की उसे बिलकुल भी बुला नहीं लगा | वो भी तो चुदाई की उसी रौ में थी | उसके मुहँ से भी गालियां निकलने लगी | 
रीमा - क्या चोद रहा, कूट न मेरी इस मुई गुलाबी चूत को अपने मुसल लंड से बहन के लौड़े | 
जितेश - साली छिनार, कितनी चुदास भरी है तेरे अन्दर | ये ले | इतना कहकर उसने पूरा लंड रीमा की चूत पर दे मारा | रीमा सिसक कर रह गयी |
रीमा - आआआआआआआआह्हाँहीईईईईईईईईईइ माआआआ हाँ हाँ मादरचोद ऐसे चोद न, चूत खोर साले, चुदाई से जब तक बच्चेदानी न दुखने लगे, चुदाई कैसी भोसड़ी के | 
जितेश - ये ले साली छिनार लंड खोर कुतिया, आज तेरी चूत फाड़ कर ही दम लूँगा | 
जितेश भी पुरे जोश में था और रीमा भी | दोनों ही अपने अन्दर जल रही आग का लावा बाहर निकालने में रमे हुए थे | रीमा की चूत लगातार झर रही थी वो इतनी भीषण ठोकरों के बीच कितनी बार कांपी अब तो उसे याद भी नहीं |
रीमा - तो फाड़ न मेरी चूत रंडीबाज, बुरचोद, चीर दे फाड़ दे और अपनी मलाई से भर दे मेरी चूत को | 
जितेश - ये ले तू भी क्या या रखेगी बुरचोदी किस लंड से पाला पड़ा था | 
रीमा - मुहँ से ही सारी मर्दानगी दिखायेगा या कुछ लंड से भी करेगा | 
जितेश - तू सच में एक नंबर की लंड खोर चूत है ऐसे नहीं मानेगी | 
जितेश के बेतहाशा ठोकरों से रीमा का जिस्म थरथराने लगा | रीमा जितेश के बाहों में बस हिलती मांस के  जिस्म की तरह रह गयी | जितेश के चरम की ठोकरे न केवल भीषण थी बल्कि दर्दनाक भी | 
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ मामममाआआआआअ रीईईईईई चोचोचोचोचोचोचोदददददददददददददददद रंडी की औलाद और जोर से चोद चीचीचीचीचीरररर डाल फाड़ डाल मेरी चूत | 
जितेश - हूऊह्ह्हहं ये ले घोट मेरा लंड, तेरी चूत फाड़ दूंगा साली चुद्दकड़ लंड खोर कुतिया | 
जितेश की दनादन ठोकरों ने रीमा की तो जैसे जान निकाल दी | रीमा को हर ठोकर के साथ जितेश की अथाह ताकत का अहसास हो रहा था | अब  ये सोचने का वक्त नहीं था | बस अपने चरम पर पहुचने का पागलपन था, हवस की जलती आग को मिटाने की सनक थी |

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रीमा - हाँ मोरे राजा हाँ मोरे राजा और जोर से और जोर से आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ रेरेरेरेर्रे हाँ हाँ हाँ और आआअह्ह ऊऊऊह्ह्ह यस यस यस यस बेबी यस बेबी हाँ हाँ यस बेबी हाँ हाँ आआअह्ह  यस बेबी हाँ हाँ आआअह्ह आआअह्ह आआअह्ह  यस बेबी हाँ हाँ  |

आखिर हर चीज का अंत होता है इस चुदाई का भी होना था |  जितेश अब काफी देर तक रीमा को चोदते चोदते अपने चरम पर पहुंचने वाला था | इसी बीच में रीमा तीन चार बार अपना पानी बहा चुकी थी | आखिरकार वो घड़ी आ गई जब जितेश की वासना का बांध भी टूट गया और जितेश ने अपने लंड से पिचकारी छोड़ने शुरू कर दी | रीमा ने उसे कस कर जकड़ लिया और उसकी चूतड़ों के ऊपर अपनी जांघो का कसा घेरा बना दिया था | रीमा  की चूत की गहराइयों में जितेश की पिचकारिया छूटने लगी थी | जितेश के जिस्म से निकला सफ़ेद लावे का लंड रस फुहारे बनकर हवस की आग में जलती रीमा की गुलाबी चूत में बरसने लगा | रीमाँ को ऐसा लगा जैसे प्यासी धरती को पानी पिलाने खुद मेघ आ गए हो | वो जितेश के लंड से अपनी चूत की गहराई में निकल रही सफ़ेद  फुहारे से अपने अंतर्मन को भिगोकर उसकी प्यास मिटाती रही | आखिर उसकी लालसाओ की ये परिणिति होगी उसने कभी नहीं सोचा था | बस कुछ दिनों में ही जितेश एक अजनबी से उसके जीवन का सबसे खास मर्द बन गया था | जिसके साथ उसने अपने जीवन का सबसे अन्तरंग पल जी लिया | एक मर्द और औरत के रिश्ते का सबसे निजी और अन्तरंग पल | जब मर्द अपने जिस्म में मथ रहे लावे की फुहारे औरत की चूत की गहराइयों में उतारता है तो मर्द और औरत दोनों उस पल एक एकाकी हो जाते है | उसके अस्तित्व का भेद मिट जाता है | ये संसर्ग का वो पल होता है जब सब बडो को मिटाकर मर्द और औरत एक सा अनुभव करते है | रीमा और जितेश भी इस पल से गुजर रहे थे | 
जितेश भी  चरम सुख के इस स्वर्गीय अनुभव में मादक रूप से कराह रहा था | उसके जिस्म में लगी आग का और उसे बुझाने के लिए किये गए  वासना मंथन का रस निचुड़ कर रीमा की चूत में झर रहा था | 

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जितेश का सफेद रस रीमा की चूत में भरने लगा था | दस  ग्यारह  पिचकारियो में  जितेश रीमा की चूत में पूरी तरह से झड गया | उसके लंड से निचुड़ निचुड़ कर एक एक बूंद रीमा की चूत की गहराई में उतर गयी | जितेश उसी तरह रीमा पर निढाल हो गया | जितेश की जब सांसे काबू आई तो वो रीमा के पीछे आकार लेट गया और उसका बांहों में भर लिया | उसके लंडने अपने आप ही अपनी पनाहगाह दूंढ ली और लंड रस से चिकनी उसकी चूत में बिना किसी प्रतिरोध के घुसता चला गया | जितेश पूरी तरह निचुड़ चूका था लेकिन शायद रीमा को भोगने की लालसा नहीं ख़त्म हुई थी | उसने यही सोचकर की कुछ देर बाद एक राउंड शुरू करेगे | उसने अपने लंड को रीमा की चूत और अन्दर गहराई तक ठेल दिया | अब उसके लंड में नरमी आने लगी थी लेकिन इतना खून उसमे भरा था की रीमा की चूत आसानी से फिसल सके | 
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रीमा के दबे हुए अरमान ने अपनी मंजिल हासिल कर ली थी रीमा की तृप्ति का एहसास सिर्फ सीमा ही महसूस कर सकती थी हालांकि रीमा  के नैतिक मन में एक अपराध बोध तो था लेकिन अपनी वासना की तृप्ति के एहसास के आगे उस अपराध बोध का कोई मोल नहीं था रीमा इस तरह से लंड से चुदना पसंद है रीमा को चुदाई पसंद है रीमा को अच्छे-अच्छे हट्टे कट्टे  मर्द पसंद है और सबसे बड़ी बात है रीमा को खुद को चुदवाना पसंद यही बात रीमा के मन में सबसे ज्यादा संतोष भर रही थी आखिर उसने खुद से शर्माना छोड़ दिया उसने खुद से छिपना छोड़ दिया आखिर उसने खुद से  झिझकना छोड़ दिया | वो नकली मुखौटा लगाकर नहीं जी रही |  वह जैसी अंदर है वैसी ही जीना चाहती है और वह अंदर से बहुत ही वाइल्ड वाइल्ड और खुद की जिंदगी जीना चाहती है अपने जिस्म की जवानी जीना चाहती है अपने जिस्म की जवानी की प्यास बुझाना चाहती है उसे प्चायार चाहिए और चुदाई भी | कुछ दिन पहले तक वो जितेश को जानती तक नहीं थी लेकिन कुछ दिनों में इतना गहरा रिश्ता बन गया उसकी जिस्म की गुलाबी मखमली  सुरंगों में  उसका मोटा मुसल लेटा हुआ आराम फरमा रहा है | उसे अब संस्कारी सुशील बनने की एक्टिंग नहीं करनी पड़ रही है | यही असली रीमा है बोल्ड एंड वाइल्ड एंड ब्यूटीफुल | उसे अपनी ख्वाइशो के लिए किसी अनजान लंड से चुदने में कोई शर्म नहीं है |  कितनी अजीब है जिंदगी, रीमा इसका अहसास कर पा रही थी | जिस लंड  को गली-गली कोने-कोने , शहर के हर चौराहे पर ढूढती थी वो  इस तरह से एक अवैध बस्ती के एक छोटे से लकड़ी के बने हुए कमरे में मिलेगा उसे तो इसका  अंदाजा भी नहीं था | 

जिंदगी कितनी अजीब और अनीयोजित है यहां कुछ भी योजना बनाकर नहीं होता बस हो जाता है आज भी यही हुआ अपने पति की मौत के बाद अपने मन के कोने में दबे जिस सपनों के सौदागर को वह इधर से उधर ढूंढ रही थी जिसको हर रोज हो हर गली हर चौराहे पर ढूंढने की कोशिश करती थी वह जितेश था शायद जितेश था पता नहीं जितेश था भी या नहीं या फिर वह बस भावनाओं के सागर में बह रही थी अगर वह जितेश था तो फिर रोहित क्या है नहीं जितेश रोहित नहीं है और रोहित जितेश नहीं है लेकिन जितेश ही उसकी मंजिल है नही नहीं जितेश उसकी मंजिल कैसे हो सकता है वह तो इस कुटिया में बंद है बस यह बस एक भावनाओं का दौर है जो समय के साथ बह जाएगा और फिर से हकीकत में वापस आना ही होगा रोहित ही उसकी हकीकत है जितेश नहीं उसकी हकीकत है लेकिन जितेश भी उसकी हकीकत में ऐसा हो सकता है नहीं ऐसा नहीं हो सकता है पता नहीं क्या होगा क्या नहीं होगा रीमा के मन में बहुत गड़बड़ चल रही थी और यही सब सोचते सोचते हैं वह सोने की कोशिश करने लगी उसे इस बात का अहसास था कि जितेश उसके जिस्म के अंदर आराम फरमा रहा है और इसमें रीमा को कोई आपत्ति नहीं थी आखिर उसने इतनी देर रीमा के जिस्म के अंदर ही तो सफर तय किया है तो अब उसकी थकान मिटाने के लिए अगर वह चीमा के जिस्म के अंदर ही सो रहा है तो इसमें गलत क्या है | रीमा अपने खयालो में खोयी रही और जितेश उसे चूमता रहा सहलातालाता रहा और उसे चिपका रहा उसका लंड रीमा की चूत में घुसा रहा हालांकि उसमें पहले जैसा कड़ापन नहीं था लेकिन वह इतना भी नरम नहीं था कि रीमा की चूत से फिसल के बाहर आ जाए | रीमा थक गयी थी और तृप्त थी | मन में संतोष का अहसास था वो बेचैनी जो उसे हर वक्त जकड़े रखती थी कही गायब सी हो गयी शायद वो रीमा की दबी वासना थी |

 


[Image: tumblr_lxbcclBPg01qfbxavo1_500.jpg]


दोनों एक दूसरे की बाहों में उसी तरह से लेटे लेटे एक दूसरे से चिपके रहे और कुछ देर तक एक दूसरे को सहलाते  चूसते हुए पता नहीं कब थक हार कर सो गए | जितेश का लंड रीमा की चूत में उसके वासना मंथन से निकले लावे और रीमा के चूत रस से सना हुआ उसी की गुलाबी सुरंग में घुसा हुआ ही पड़ा रहा और दोनों गहरी नींद में सो गए | 


दोनों थके हारे एक दूसरे की बाहों में  लिपटकर सो गए , शरीर के अपने नियम है, झड़ने के बाद लंड को मुरझाना ही है | मुरझाया लंड चूत में कैसे टिक सकता है | उस चूत में तो बिलकुल नहीं जहाँ सारा का सारा लंड रस अपने अन्दर समेटी बैठी हो | इतनी चिकनी चूत में तो खड़ा लंड फिसल कर बाहर आ जायेगा |   कुछ देर बाद जितेश का लंड रीमा की चूत से बाहर आ गया और उसके साथ रीमा की मखमली चूत में भरी हुई सफेद गाड़ी मलाई भी रिस कर बाहर आने लगी | रीमा की जांघो और चुताड़ो को भिगोती हुई बिस्तर को  गीला करने लगी | 

[Image: 7711270_100_ec15.jpg]

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किसी रासायनिक क्रिया में उत्प्रेरक  और किसी कहानी में पोस्ट के बाद कमेंट एक जैसा काम करते है |  ;) ;)
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अगला अपडेट रीमा की तरफ से इस कहानी के पाठको को क्रिसमस गिफ्ट के रूप में मिलेगा |
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