14-11-2019, 09:41 AM
ekdom gajab tharika se likha aapne bhai
Adultery Diwali ka Jua (with Pictures)
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14-11-2019, 09:41 AM
ekdom gajab tharika se likha aapne bhai
14-11-2019, 02:01 PM
excellent story! very very hot
15-11-2019, 02:41 PM
Kya mantri ko sarkar banane ka nyota mil gaya???????
15-11-2019, 03:12 PM
(This post was last modified: 15-11-2019, 08:50 PM by jaunpur. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
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aashu bhai ki kahani "दीवाली का जुआ-5_Divali Ka Jua-5" ko copy karke sirf nam badlne se lekhak nahin bnoge. aare bhai kuch to value addition kro. . .
15-11-2019, 05:25 PM
Thanks jaunpur Bhai .Aashu Ashok ki Diwali...5 padh li. Laga saaf..saaf...1/ Tussi great ho. 2/ Sachai chhup nahi sakati sirf naam badalane se. 3/maja aa gaya bas fotu nahi mili.
17-11-2019, 04:45 PM
अरुण ने अब उस तरफ ध्यान देना सही ही नही समझा और उठकर अपने लिए एक और पेग बनाया और वापिस आकर बैठ गया नम्रता अपने मालिक की हालत देखकर उनके उपर बीत रही बात का अंदाज़ा लगा पा रही थी.. और उसे पता था की क्या करने से उसके मालिक का मूड ठीक होगा, वो अपनी जगह से उठी और अरुण के सामने ज़मीन पर बैठ गयी और उनके पैर दबाने लगी अरुण ने उसे उठाना चाहा पर नम्रता ने मना कर दिया और पैर दबाने में लगी रही और फिर धीरे-2 उसने अरुण के पैरों को अपनी फेला रखी टाँगो के अंदर घुसा लिया और अपनी चूत से एक बार फिर अरुण के अंगूठे को ढक लिया |
ये पहला मौका था जब नम्रता अपनी तरफ से कोई पहल कर रही थी | इससे पहले तो वो सिर्फ़ अपने मालिक के इशारों पर नाच ही रही थी, अरुण भी उसमे आए इस बदलाव को देखकर समझ गया की अब गेम का असली मज़ा आएगा | जब निमेश उसकी बीवी के साथ अपने हिसाब से बर्ताव कर सकता है तो वो भी उसकी बीवी को अब अपने इशारो पर नचाएगा | और फिर अरुण ने एक ही झटके में अपना पयज़ामा उतार कर साइड मे फेंक दिया और अब वो पूरा नंगा था | भले ही वो देश का मंत्री था पर इस वक़्त उसे कोई शर्म महसूस नही हो रही थी. दूसरी तरफ निमेश ने जब मंत्री जी को नंगा होते देखा तो वो भी समझ गया की कैसा खेल चलेगा वहां पर इसलिए उसने भी अपने हाथो की सफाई दिखाते हुए एक ही झटके में संजना मेडम की ब्रा के हुक्स को खोल दिया और वो ब्रा किसी समान से लदे जाल की तरह नीचे आ गिरी और फिर उभरकर आए संजना मेडम के मदमस्त यौवन जिन्हे देखने के लिए वो कब से मरा जा रहा था.. और जैसे ही वो गोरे-2 खरबूजे उसकी आँखो के सामने आए वो उनपर टूट पड़ा अपने दैत्याकार दांतो के साथ जब उसने उन रसीले फलों को काटना शुरू किया तो संजना की दर्दीली मस्ती से भरी सिसकारियाँ पूरी कोठी में गूँज उठी.. ”आआआआआआआययययययीीईईईईईईईईईईईईई .. अहह .. फककककककककककककककक ढीईरए काट निमेश आआआआआआहह” पर निमेश अब कहां मानने वाला था, उसने तो उसके गोरे जिस्म पर दांतो से लाल-2 निशान इतने गहरे बना दिए की महीने से पहले वो उसके बदन से जाने ही नही वाले थे.. और उसके अंगूरी दानो को तो उसने छोड़ा ही नही उसके निप्पल्स को चूसते हुए निमेश को ऐसा लग रहा था जैसे उनमें से साक्षात शराब निकल कर उसके मुँह में जा रही है वो मन में सोचने लगा की काश वो उसकी बीवी होती तो रोज शराब के ठेकों पर लाइन लगाने के बदले वो उसी के मोम्मे चूस्कर मज़ा लेता रहता.. लेकिन आज के बाद तो शायद ऐसा ही होने वाला था, क्योंकि निमेश को अपने लंड पर इतना भरोसा तो था की मेमसाब एक बार जब उसे अपनी फुददी में ले लेंगी तो रोज लेने के लिए मचला करेंगी.. इधर निमेश अपने लंड का अभिमान कर रहा था और दूसरी तरफ़ अरुण ने अपने खूँटे जैसे लंड को नम्रता के मुँह में ठूस दिया कुछ देर पहले जो नम्रता अपने मालिक की नीचे वाली टांगे दबा रही थी अब वो उनकी तीसरी टाँग की सेवा कर रही थी वो उनके लंड को बुरी तरह से चूस रही थी उसे अपने हाथों में लेकर नीचे तक जाकर उनकी गोटियों को भी मुँह में भरकर उनका नारियल पानी पी रही थी.. और फिर अरुण ने वो किया जिसका शायद नम्रता को भी अंदाज़ा नही था अरुण ने अपने हाथ मे पकड़े शराब के ग्लास से दारु को धार बनाकर अपने लंड पर गिराना शुरू कर दिया और वो शराब धार बनकर नीचे अपना मुँह लगाए नम्रता के मुँह तक जाने लगी नम्रता ने पीछे होना चाहा तो अरुण ने उसे ज़बरदस्ती पकड़कर कहीं जाने ही नही दिया.. और बेचारी को ज़बरदस्ती, ना चाहते हुए भी, अपने मलिक के लंड से लिपटकर आती हुई शराब पीनी पड़ी और उसका असर भी जल्द दिख गया उसके उपर.. आँखे नशीली हो गयी ज़बान फिसलने लगी अदाओं में मस्ती आ गयी और झिझक तो पूरी मिट सी गयी अब उसे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था की उसका पति भी वहां है, मालिक की बीवी भी वही है उसे तो बस अब सिर्फ़ अपनी मस्ती से मतलब रह गया था जो इस वक़्त उसके मालिक के लंड को चूसने से मिल रही थी. उसने अपनी नागिन जैसी जीभ से उपर से नीचे तक अपने मालिक के लंड को चूस डाला और फिर खड़ी होकर उसने अपने ब्लाउस के हुक्स को तोड़ते हुए उसे भी निकाल दिया पेटीकोट का नाडा नही खुला तो उसकी भी भेंट चड़ा दी उसने और जब वो पेटीकोट गिरा तो सुंदरता की मूरत खड़ी थी अरुण के सामने एकदम कसा हुआ शरीर, मस्त स्तन, मोटी जांगे, सपाट पेट और पूरी मस्ती से भरी जवानी वो उछलकर अरुण के पास आई और उसकी गोद में बैठ गयी अरुण ने भी बिना कोई देरी किए उसकी चूत का निशाना बना कर अपना लंड उसके अंदर उतार दिया . और वो फकफकाती हुई सी, उसके अमीरी से भरे लंड को अपनी गरीब पर रसीली चूत में लेकर , उसकी गोद में कूदने लगी.. ”आआआआआआआआअहह माआाअलिक .. क्या मज़ा दे रहे हो आज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज . उफफफफफफफफफफ्फ़ इतनी मस्ती तो आज तक नही मिली . डालो इस लौड़े को मेरे अंदर .चोदो मुझे मालिक चोदो .” उसकी इस चीख पुकार को निमेश और संजना ने भी सुना पर इस वक़्त उस तरफ ध्यान देने का टाइम उनके पास भी नही था, क्योंकि संजना भी अपनी कच्छी उतार कर निमेश के उपर चढ़ चुकी थी सोफे पर लेते हुए निमेश के लंड को जब अपनी चूत में लेकर संजना ने नीचे उतरना शुरू किया तो उसे एहसास हुआ की वो क्या लेने जा रही है . निमेश के मोटे लंड ने उसकी चूत की मांसपेशियो को जब दोनो तरफ से फेला कर फाड़ना शुरू किया तो उसकी अभी तक की मस्ती चीखे बनकर बाहर निकलने लगी जो नम्रता की सिसकारियों को दबाने में पूरी तरह से सफल हो गयी.. **** वीमेन न टॉप ”उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ निमेश .. क्या मोटा लंड है तुम्हारा .अहह फककककककक फाड़ दी मेरी चूत ..ओह्ह्ह माय गॉड .. फाड़ डाली तुमने तो मेरी .” पर वो कहते है ना उपर वाले ने औरत की चूत बनाई ही ऐसी है की बच्चा भी उसी में से बाहर निकलता है और वो अपने हिसाब से खिंच भी जाती है उस वक़्त बड़े से बड़ा लंड उसमें घुस सकता है पर हर बार खिंचाव से दर्द होना भी स्वाभाविक ही है और वही हो रहा था इस वक़्त संजना को भी पर मज़ा भी बहुत मिल रहा था. अंत मे जब उसने पूरा लंड अपने अंदर पिलवा लिया तो उसके चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी जैसे उसने एवरेस्ट पर अपनी जवानी का झंडा फहरा दिया हो.. और फिर तो दोनो तरफ जो छलांगे लगी,उन्हे देखकर कोई कह ही नही सकता था की ये आपस में उन लोगो की पहली चुदाई है नम्रता अपनी जवानियो को अपने हाथों में लेकर उपर नीचे उछाल रही थी और वही निमेश ने संजना की गांड को पकड़ कर अपना लंड उसकी टनल में पूरा उतार रखा था और जल्द ही दोनो तरफ से आ रही सिसकारियों में बढ़ोतरी होती चली गयी और अंत में आकर दोनो की बंदूको से निकली गोलियां नम्रता और संजना को अंदर तक ज़ख्मी करती हुई, उन्हें एक अलग ही ख़ुशी प्रदान कर गयी. पूरे वातावरण में एक ठंडक सी फैल गयी | जो निमेश और अरुण के लंड से निकले पानी की थी शायद और ये ठंडक अभी कुछ और दिन तक रहने वाली थी इस घर में .. क्योंकि एक बार शेर के मुँह खून लग जाए तो उसका बार -2 शिकार करने का मन करता है और यहाँ तो चारों के मुँह खून लग चुका था. दो दिन बाद दीवाली थी, यानी पटाखे जोरदार तरीके से फटने वाले थे हर तरफ. अगले दिन जब संजना की नींद खुली तो उसने पाया की वो अपने बिस्तर पर नंगी सो रही है रात को पीने के बाद और निमेश से अपनी चूत मरवाकर उसे पता ही नहीं चला की वो कैसे अपने बिस्तर पर पहुँच गयी.. अरुण भी नहीं था उसे याद आया की आज अरुण को दिवाली देने के लिए चीफ मिनिस्टर के घर जाना था, वो शायद वही गया होगा.. संजना ने टाइम देखा तो 11 बज रहे थे उसका पूरा बदन दुःख रहा था | उसके बूब्स पर लाल निशान थे जो कल निमेश के दांतो के काटने से बने थे उन निशानों को देखकर उसे एक बार फिर से उस जंगली निमेश के झटके याद आ गए और उसका हाथ अपने आप अपनी चूत की तरफ चला गया, जो पहले के मुकाबले ज्यादा चौड़ी हो चुकी थी निमेश के लंड के अंदर जाने के बाद.. वो मुस्कुरा उठी, अपनी चूत की किस्मत पर, जो उसे ऐसा लंड मिला जो उसे अंदर तक तृप्त कर गया था | वो उठकर बालकनी के पास आ गयी. अभी भी उसके शरीर पर कोई कपडा नहीं था, एकदम नंगी थी वो, सिर्फ हाई हील के सेंडल पहने हुए थे खिड़की से आती धुप में उसका सुनहरा बदन लश्कारे मार रहा था. अपने कड़क बूब्स को खुद ही दबा कर उसकी नजरें निमेश को ढूंढने लगी, खिड़की से उसे वो दिखाई नहीं दिया तो वो अंदर आयी और अपने मोबाइल से उसे फ़ोन किया उसने उंघती हुई सी आवाज में फ़ोन उठाया : “उम्म्मममममम कौन है . ”
17-11-2019, 05:06 PM
संजना समझ गयी की उसने बिना देखे ही फ़ोन उठा लिया है वर्ना उसकी इतनी हिम्मत नहीं थी की वो संजना से ये सवाल पूछता
वो बोली : “निमेश, मैं बोल रही हूँ , संजना ” संजना की सेक्सी आवाज और नाम सुनकर वो उछलकर बैठ गया.. वो भी इस वक़्त नंगा ही सो रहा था, नम्रता वहां नहीं थी, वो शायद कोठी में नाश्ता बनाने तैयारी कर रही थी निमेश : “ओह्ह मेडम, सॉरी मैंने देखा नहीं था फ़ोन , कहिये मेडम, कैसे याद किया, कही जाना है क्या ? ” संजना : “नहीं, मुझे कही नहीं जाना, साहब कहीं गए हुए है आज तो वो शाम तक ही आएंगे, और दोपहर तक वो मेरी फ्रेंड इन्द्राणी आएगी , जिनके पास हम लोग कल गए थे ” संजना ने एक ही सांस में पूरे दिन का शेड्यूल अपने ड्राइवर को बता डाला.. निमेश की समझ में भी नहीं आया की ये सब बताने के लिए फ़ोन किया है क्या मेडम ने ? फिर वो असली बात पर आयी : “अच्छा सुनो, मुझे नहाने जाना है, और बाथटब का स्टॉपर नहीं मिल रहा है, तुम आकर देखो की क्या हो सकता है ‘ निमेश के बदन के सारे रोंये खड़े हो गए ये सुनकर वो खुली आँखों से आने वाली संभावनाओ के बारे में सोचकर सपने देखने लगा वैसे भी सुबह-२ उठकर उसका लंड बुरी तरह से दर्द कर रहा था उसे हमेशा से ही आदत थी की सुबह उठकर वो सबसे पहले नम्रता की चूत मारता था उसका मन हो या न हो वो उसकी चूत में लंड पेलकर अपना सारा रस उसमें निकालकर ही नहाने जाता था अब ये रस उसे संजना मेडम के लिए संभालकर रखना था इसलिए जल्दी से अपनी पेंट शर्ट पहन कर वो मेडम के रूम की तरफ चल दिया ऊपर पहुंचकर उसने देखा की संजना मेडम अपनी अलमारी के आगे खड़ी होकर अपने अंडरगारमेंट्स निकाल रही है, संजना ने तब तक एक लंबी सी टी शर्ट पेहेन ली थी, जो उसकी जांघो तक आ रही थी, नीचे वो अभी भी नंगी ही थी हाई हील की सेंडल पहन कर वो अलमारी के आगे खड़ी होकर झुक के खड़ी थी तो निमेश का मन किया की उसके पीछे जाए और अपना लंड पेल दे उसकी गांड में पर अपनी औकात का पता था उसे कल की चुदाई के बाद भी अब तक उसमे इतनी हिम्मत नहीं आ पायी थी की वो ऐसी गुस्ताखी कर सके.. संजना ने मुड़कर उसे देखा और फिर उसकी नजर सीधा उसके लंड पर गयी, जो अभी तक तम्बू बनाकर खड़ा था, वो बोली : “उठ गए, लगता है कल रात काफी गहरी नींद आयी तुम्हे .. ” निमेश मुस्कुरा दिया, बोलना तो वो चाहता था की चुदाई करके उसे अच्छी ही नींद आती है पर बोल नहीं पाया संजना : “जाओ देखो जरा बाथरूम में, फिर मुझे नहाना भी है” निमेश अंदर चला गया, संजना भी मुस्कुराती हुई सी, अपने हाथ में पकड़ी ब्रा पेंटी को बेड पर फेंककर बाथरूम में आ गयी. अंदर आकर निमेश ने काफी कोशिश की स्टॉपर को ढूंढने की पर वो मिला नहीं मिलता भी कैसे, संजना ने उसे अलमारी में जो छुपा दिया था फिर उसने सोचा की कुछ और रखकर वो पानी रोक दिया जाए पर ऐसा कुछ मिला ही नहीं जो वहां फिट हो पाता अंत में उसने संजना से कहा : “मेडम, ऐसा तो कुछ मिल ही नहीं रहा, मैं मार्किट से जाकर नया ले आता हूँ ” पर वो जानता था की ये सब तो नाटक ही चल रहा था वो जाने के लिए मुड़ा तो संजना बोली : “रहने दो, मुझे फिर नहाने में देर हो जाएगी और नीलू के आने का भी टाइम हो रहा है, तुम ऐसा करो अपने पैर का अंगूठा रखकर बैठ जाओ, मैं आज ऐसे ही मैनेज कर लुंगी ” निमेश के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गयी ये सुनकर ये साली अमीर औरतें भी कितने ड्रामे करती है कल की चुदाई के बाद तो उसे सीधा नंगा होकर बिस्तर पर लेट जाना चाहिए था पर साला ऐसे नाटक करके चुदवाने में ज्यादा मजा मिलता है इन्हें खैर निमेश को क्या प्रोब्लेमम होनी थी उसका तो एक तरह से मनोरंजन ही हो रहा था अंत में उसे चूत तो मिलनी ही थी. इसलिए वो अपना एक पैर बाथटब के अंदर लटकाकर बैठ गया और उसने अपने अंगूठे से छेद बंद कर दिया संजना : “ऐसे बैठोगे तो पानी भरने पर तुम्हारी पेंट गीली हो जाएगी ” निमेश उसका इशारा समझ गया, उसने अपनी पेंट उतार दी, अब वो सिर्फ अपने अंडरवेयर में बैठा था टांग लटकाकर संजना ने उसे सेक्सी नजरों से देखते हुए एक ही झटके में अपनी टी शर्ट उतार दी अंदर से जब उसके पके हुए आम झूलते हुए दिखे तो निमेश का मन ललचा गया | एक औरत को हर बार नंगा देखकर मर्द अपना आप खो देता है यही हाल निमेश का भी हो रहा था संजना ने अपनी गांड का रुख उसकी तरफ किया और झुककर उसने जब पानी को ऑन किया तो निमेश को उसकी गांड का गोल्डन छेद साफ़ दिखाई दिया गांड के नीचे उसे चूत का दरवाजा भी अपनी तरफ बुलाता हुआ दिखा उसका तो मन किया की टब के छेद को अंगूठी से बंद करने के बजाये वो उसकी गांड और चूत का छेद अपने लंड से बंद कर दे पर उसे संजना मेडम के हुक्म का इन्तजार था, चूत तो मिल ही जानी थी उसे , संजना मेडम गर्म हो चुके पानी में जाकर बैठ गयी, पानी उनके मुम्मो से थोड़ा नीचे तक था, और उस पानी में उनकी चुचिया ऐसी लग रही थी जैसे पानी में फुटबॉल तैर रही हो निमेश का लंड पूरा खड़ा हो चूका था, संजना ने सैक्सी नजरों से उसे देखा और फिर उसके कड़क लंड को और फिर बोली : “तुम भी अंदर ही आकर बैठ जाओ और मेरे पैरों की मसाज करो ” निमेश ने अपने कपड़ों की तरफ देखा तो संजना ने कहा की उन्हें उतार दो बस फिर क्या था, निमेश ने एक ही झटके में सारे कपडे निकाल फेंके और टब में अंदर आकर बैठ गया, छेद पर उसने अपनी गांड टिका दी एक झुग्गी में रहने वाले ऐय्याश नौकर के लिए ये बहुत बड़ी बात थी की वो अपनी मालकिन के साथ उन्ही के बाथटब में बैठकर नहा रहा था संजना ने अपनी सिल्की टांग उठाकर निमेश की तरफ कर दी गर्म पानी में डूबकर वो किसी बंगाली रसगुल्ले की तरह रसीली लग रही थी. संजना ने अपने पैरों को उसके सीने पर रखा और अपनी उंगलियो से उसके सीने के बालों से खेलने लगी निमेश ने अपने हाथ उसके पेट पर रखे और ऊपर तक लेजाकर उसे सहलाने लगा दूर बैठकर संजना, पानी में डंडे की तरह खड़े हुए निमेश के लंड को देख पा रही थी जिसका सूपाड़ा पानी से थोड़ा बाहर निकल कर अपने गुलाबजामुन जैसे रंग की छठा बिखेर रहा था निमेश के हाथ उसकी चूत पर आकर रुक से गए और वो अपने हाथ के अंगूठे से उसकी चूत के दाने को मसलने लगा, संजना ने अपने होंठों को दांतो तले दबाकर खुद ही उनका रस पी लिया निमेश ने अपनी दो उँगलियाँ उसकी चूत में उतार दी थी, और वो उन्हें अंदर बाहर करते हुए संजना मेडम को एक अलग ही दुनिया का मजा देने लगा वो आँखे बंद करके चीखे मारने लगी ”आआह्ह्ह्ह्ह निमेश मममममममम यस्स्सस्स ऐसे ही करो, अंदर तक घुसाओ . अह्ह्ह्ह ” और जब उसने आँखे खोली तो उसके चेहरे पर हंसी आ गयी क्योंकि निमेश ने काम ही ऐसा किया था | निमेश ने संजना मेडम की रसीली चूत से निकली अपनी उँगलियों को अपने मुंह में लेजाकर चूस लिया और उसका सारा रस पी गया संजना अपने पैरों को धीरे-२ नीचे लाने लगी, जैसे-२ वो पैर निमेश के लंड की तरफ बढ़ रहे थे, उसका लंड पानी में झटके मार रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे बाथटब में कोई शार्क है, जिसे संजना अपने पैरों से पकड़ने जा रही है और अंत में आकर उसने जब अपने कोमल पैर उसके सुपाड़े पर रखे तो निमेश ने आँखे बंद कर ली और किसी राजा की तरह टब में बैठकर वो संजना मेडम के पैरों को अपने लंड पर फील करने लगा संजना ने अपने पैरों का फंदा उसके लंड पर लगाया और उसे दोहने लगी निमेश को ये सब फील करके परम आनंद की अनुभूति हो रही थी संजना बड़े आराम से अपने पैरों की मसाज उसे दे रही थी, निमेश को कड़क काम पसंद था इसलिए उससे सब्र नहीं हुआ और उसने संजना के पैरों को जोर से पकड़ कर उसे अपने लंड पर रगड़ दिया संजना ने अपनी आँखे बंद कर ली और उसके जंगली बर्ताव और लंड का मजा लेने लगी ऐसा लग रहा था जैसे उसका पैर किसी बड़े से कैक्टस में उलझ गया है, झांटो से भरे उसके लंड पर उसका पैर जब घिसाई कर रहा था तो उसे थोड़ी तकलीफ भी हो रही थी,पर उसने उस दर्द को सह लिया, निमेश ने अपनी मालकिन के पैरों को लंड पर रगड़ा और फिर उन्हें ऊपर लाकर अपनी जीभ लगा दी उसपर एक पल के लिए तो संजना भी अपनी जगह से उठ खड़ी हुई, निमेश ने उसके पैरों की उंगलियों को अपने मुंह में लिया और उसे ऐसे चूसने लगा जैसे उनमे से दूध निकल रहा हो संजना के लिए भी ये पहला मौका था जब कोई उसके पैरों को कुत्ते की तरह चाट रहा था पर उसे मजा बहुत आ रहा था.. अचानक संजना को अपनी चूत पर निमेश के पैरों का एहसास हुआ, निमेश ने अपनी टांग सीधी करके अपना अंगूठा उसकी चूत के दरवाजे पर लगा दिया था संजना ने अपनी जाँघे थोड़ी और चौड़ी कर ली और उसके लंड जैसे अंगूठे को अपने इंडिया गेट के अंदर घुस लिया ”ससससससsssssssssssssssss आआआआअह्ह्ह ” वो सिसिया उठी , और उसके लंड को महसूस करते हुए अपनी आँखे बंद करके उस एहसास का मजा लेने लगी. निमेश भी संजना मेडम के अंगूठे को मुंह में लेकर ऐसे चूस रहा था जैसे वो उनकी क्लीट को चूस रहा हो माहौल बड़ा ही गर्म हो चूका था संजना की चूत अब कुछ बड़ा मांग रही थी वो अपनी जगह से उठी और एक ही झटके में उछलकर निमेश की गोद में आकर बैठ गयी टब का आधे से ज्यादा पानी उछलकर बाहर गिर गया और उसके होंठों पर अपने होंठ लगाकर उसे चूसने लगी निमेश भी संजना मेडम के मुम्मो को दिवाली के लड्डू समझ कर मसलने लगा.. और फिर उसने भी उनपर मुंह लगा दिया ऐसे अमीरी से भरे मोम्मे रोज-२ थोड़े ही मिलते है और नीचे हाथ करके उसने बड़े ही प्यार से उसकी चूत को अपने खड़े हुए लंड पर लाकर सजा दिया संजना भी कसमसाती हुई सी उसके लंड को चूत पर महसूस करके गुनगुना उठी और किलकारियां मारती हुई वो उसके लंड पर फिसलती हुई नीचे आने लगी.. ”आआआआय्य्यीइइइइइइ शेरअअअअअअअअ aahhhhhhhhhh मर्रर्रर्र गयीईईईई उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ” रात को दारु के नशे में उसके लंड को लेकर इतनी तकलीफ नहीं हुई थी जितनी अभी हो रही थी पर मजा दुगना मिल रहा था उसे अभी और फिर निमेश ने उसके मुम्मो और होंठों को चूसते हुए, नीचे से उसकी गांड पर हाथ लगाकर , ऐसे झटके लगाए की टब का रहा सहा पानी भी कब निकल गया उन्हें पता ही नहीं चला और हर झटके से संजना अपने ओर्गास्म के करीब पहुँच रही थी और अंत में आकर जब उसकी चूत ने पानी छोड़ा तो वो निमेश के बालों को पकड़कर, ऊपर मुंह करके इतनी जोर से चीखी की किचन में काम कर रही नम्रता को भी वो चीख सुनाई दे गयी पर वो बेचारी उसे सुनने के अलावा कुछ और कर ही नहीं सकती थी..
17-11-2019, 05:24 PM
और संजना के पीछे-२ निमेश ने भी अपना पानी उसकी चूत में ही निकाल दिया
संजना उसके सीने पर हांफती हुई सी गिर पड़ी निमेश ने पानी दोबारा चला कर टब को फिर से भर लिया और उसके बाद काफी देर तक वो अपनी मालकिन के हर अंग को झाग वाले पानी से साफ़ करता रहा.. अब उसे एक नया एहसास मिल रहा था. बाहर निकलकर निमेश ने संजना को अपनी गोद में उठाकर बेड पर जाकर लिटा दिया.. और अपने हाथो से उसे ब्रा और पेंटी पहनाई , ऐसा करते हुए वो मन में सोच रहा था की काश ये काम वो रोज कर पाए उसके बाद निमेश ने भी कपडे पहन लिए और जब वो नीचे जाने लगा तो संजना ने उसे पीछे से आवाज देकर कहा : “सुनो निमेश, वो इन्द्राणी को भी तुम्हारी ताश वाली ट्रिक्स सीखनी है, कही जाकर सो मत जाना, वो आने ही वाली है ” निमेश समझ गया की ये ताश का खेल तो एक बहाना है, जरूर संजना ने अपनी सहेली को उसके जित्तूणवी लंड के बारे में कुछ ख़ास बताया होगा, जिसका मजा लेने वो आ रही है वो मुस्कुराता हुआ, सर हाँ में हिलाकर नीचे चला आया अब उसकी आँखों के सामने इन्द्राणी मेडम का चेहरा नाच रहा था संजना मेडम की बाथरूम में जबरदस्त चुदाई करने के बाद निमेश अपने कमरे में आ गया थोड़ी देर में नम्रता उसके लिए नाश्ता ले आई पर उसकी हिम्मत नही हुई की वो अपने पति से ये पूछ ले की संजना मेडम के साथ क्या कर रहे थे आज कई सालो के बाद वो इस वक़्त चुदने से भी बच गयी थी वरना अपने पति को सुबह उठाने का मतलब होता था की पहले अपनी चूत मरवाओ और फिर उसे नाश्ता कारवाओ. वैसे भी नम्रता खुद कौन सा दूध की धूलि रह गयी थी अब अपने मालिक से चुदाई करवाकर और वो भी अपने पति के सामने, वो भी उसी रंग मे रंग चुकी थी जिसमे रंगकर निमेश इतने सालो से अपनी जिंदगी के मज़े ले रहा था.. वैसे होना भी यही चाहिए, पति-पत्नी को एक दूसरे पर ज़्यादा रोक-टोक नही रखनी चाहिए, जहाँ जिसकी मर्ज़ी हो , वो वहां जाकर अपनी जवानी के मज़े लूट ले.. नाश्ता करके निमेश फिर से सो गया, उसे दोपहर के लिए अपनी एनर्जी भी तो सेव करनी थी. जब वो उठा तो 1 बजने वाला था, नम्रता भी वहां नही थी..वो उठा और शेव बनाकर, सॉफ सुथरे कपड़े पहनकर कोठी में आ गया.. वहां ड्रॉयिंग रूम में संजना और इन्द्राणी बैठकर बाते कर रहे थे वो शायद अभी कुछ देर पहले ही आई थी. .नम्रता उनके लिए किचन में चाय बना रही थी.. संजना उसे देखकर बोली : “आओ निमेश, इन्हे तो तुम जानते ही हो, ये आज ख़ास तौर पर तुमसे वो ताश की ट्रिक्स सीखने आई है ताकि दीवाली पर कुछ स्पेशल जलवा दिखा सके ” जलवे वाली बात पर दोनो खिलखिलाकर हंस दी..निमेश भी मुस्कुरा दिया.. तभी नम्रता उनके लिए चाय लेकर आ गयी इन्द्राणी : “क्या यार संजना, इतना बढ़िया मूड बनाकर आई हूँ और तुम चाय पीला रही हो ” वो समझ गयी और नम्रता को चाय वापिस ले जाने के लिए कहा.. और निमेश को कहा की फ्रिज में से ठंडी बियर्स निकाल कर ऊपर ले आए और वो दोनो उठकर उपर चल दी, संजना के बेडरूम की तरफ. निमेश भी बियर निकाल कर, उनकी मटक रही गांडो को देखता हुआ उपर आ गया | दोनो को ठंडी बियर के ग्लास देता हुआ निमेश जब जाने लगा तो संजना ने उसे भी बियर लेने को कहा और ताश भी लाने के लिए बोला. और फिर अगले 15 मिनट तक निमेश वहां बैठकर नीलू को अलग-2 ट्रिक्स बताने लगा संजना ने तो कल रात वाली वो ट्रिक भी इन्द्राणी को बताई जिसमे निमेश ने ट्रेल बनाकर अपनी आस्तीन में छुपा ली थी पर ये नही बताया की उस खेल की आड़ में वहां क्या-2 चल रहा था. इसी बीच 2-3 बियर भी ख़त्म हो गयी हल्का-2 सरूर भी चड़ने लगा.. संजना की ज़बान और इन्द्राणी की नज़रें भी बहकने लगी थी.. इसलिए संजना को मुद्दे की बात पर आते ज़्यादा देर नही लगी वो इन्द्राणी को देखते हुए बोली : “और तुम्हे पता है इन्द्राणी, ये मसाज भी काफ़ी अच्छी करता है ही इस सो स्ट्रॉंग ” इन्द्राणी ने अपनी नशीली आँखो से निमेश की बाजुओ को नापते हुए कहा : “ओ या, आई केन सी इट तुम कितनी लक्की हो, जो निमेश के हाथो की मसाज तुम्हे मिलती है ” संजना : “अरे , इसमे क्या प्राब्लम है, ये तुम्हे भी मसाज दे सकता है क्यो निमेश दोगे ना..मसाज..” निमेश हंस दिया, उसका लंड उनकी बकचोदी सुनकर पहले ही खड़ा हो चुका था वो बड़ी बेशर्मी से अपने लंड को अड्जस्ट करता हुआ बोला : “क्यू नही मेडम जी आप जैसा कहेंगे, वैसी सेवा कर देंगे इन्द्राणी मेडम की हम तो आपके हुक्म के गुलाम है ” संजना इस वक़्त अपने आप को महारानी जैसा समझ रही थी जिसके पास निमेश जैसा गुलाम था जो उसके एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार था. और संजना के कहने मात्र से ही वो मसाज टेबल को तैयार करने लगा संजना एक कोने में रानी बनकर बैठ गयी और इन्द्राणी ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए.. इस तरह से किसी अजनबी के सामने अपने कपड़े उतारने में , और वो भी एक नौकर टाइप के इंसान के सामने, उस हाई सोसायटी की औरत को थोड़ी बहुत झिझक तो हो रही थी, पर बियर का सरूर और संजना ने जो बाते उसे बताई थी, उन्हे सोचकर नीलू ने अपने कपड़े उतार दिए और कुछ ही देर में वो सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में उनके सामने खड़ी थी.. निमेश ने देखा की उसका बदन तो संजना मेडम से भी ज़्यादा रसीला और गदराया हुआ था.. पता नही ये मंत्रियो की बीबियाँ किस चक्की का आता खाती है जो ऐसा जिस्म मेन्टेन करके रखती है. जब वो मसाज टेबल पर लेटी तो निमेश ने संजना की तरफ देखा, जैसे आगे बढ़ने के लिए उसकी परमिशन माँग रहा हो संजना ने मुस्कुराते हुए अपनी पेरमिशन दे दी वो अपनी सहेली को आज पूरी तरह से खुश करके भेजना चाहती थी. निमेश ने उन्हे लेटने को कहा, वो टेबल पर उल्टी होकर लेट गयी निमेश जैसे ही स्पेशल तेल इन्द्राणी के बदन पर लगाने के लिए आगे बड़ा, संजना बोल उठी “निमेश, पहले इनके अंडरगार्मेंट्स तो निकाल दे, कही ऐसा ना हो की खराब हो जाए ” निमेश तो कब से यही बोलना चाह रहा था उसने आगे बढ़कर उसकी ब्रा के हुक्स खोल दिए उसके स्ट्रेप्स छिटककर अलग हो गये और शरमाती हुई इन्द्राणी ने अपनी ब्रा निकाल कर साइड में रख दी.. और जब निमेश उसकी पेंटी को उतारने लगा तो संजना फिर बोली : “इतने सिंपल तरीके से क्यो कर रहे हो निमेश बिना हाथ लगाए करो ना ” निमेश उसका मतलब समझ गया और इन्द्राणी भी और उसका तो शरीर काम्प सा गया संजना की बात सुनकर साली दूर बैठकर मज़े ले रही थी निमेश थोड़ा झुका और उसने अपने दांतो से उसकी कछी का संजनास्टिक अपने दांतो में दबा लिया.. और उसे धीरे-2 नीचे खींचना शुरू कर दिया निमेश ने आज से पहले इतना एरॉटिक काम नहीं किया था और ना ही ऐसा दृश्य उसने अपनी आँखो के इतने करीब देखा था जैसे-2 वो उसके नितंबो से पेंटी को खींच कर उतार रहा था, उसका दरार वाला दूधिया चाँद उसकी आँखो के बिल्कुल करीब नंगा होकर प्रकट हो रहा था लोगो ने दूर आकाश में चाँद को निकलते हुए अक्सर देखा है पर निमेश ने आज 2 इंच की दूरी से वो कारनामा देख लिया और इस चाँद को देखने का तो कोई मुकाबला ही नही था..बेदाग़ था ये वाला चाँद और साथ ही साथ उसके नथुनों से एक चिर-परिचित सी गंध भी आ टकराई.. वो थी नीलू की चूत से रिस रहे रस की वैसे तो हर चूत के रस की गंध अलग ही होती है पर निमेश को इनकी अच्छे से पहचान थी वो तो गंध सूँघकर ही समझ गया की इसके रस का स्वाद खट्टा-मीठा होगा.. इतने सालो का एक्सपीरियेन्स जो था उसे चूत चाटने का. इसी बीच संजना ने अपनी टांगे उपर कर ली, उसने इस वक़्त सिर्फ़ नेट वाला टॉप और लंबी सी स्कर्ट पहनी हुई थी, जिसके अंदर कुछ भी नही था उसने अपना टॉप नीचे करके अपने कड़क बूब्स बाहर निकाल लिए और अपनी टांगे उठा कर उसने अपनी उंगलियाँ अपनी चूत में डाल दी और उसे मसलने लगी.. इस बीच निमेश ने इन्द्राणी की पेंटी पूरी उतार दी और फिर ढेर सारा तेल उसके नंगे बदन पर डालकर वो उसे मसलने लगा.. निमेश जैसे ताकतवर हाथ उसने आज तक महसूस नही किए थे, उसके हाथो की ताक़त से वो उसके लंड की अकड़ का अंदाज़ा लगाने लगी निमेश ने धार बनाकर उसकी गांड में जब तेल डाला तो नीलू ने सिसकारी मारते हुए अपनी चूतड़ हवा में उठा दी मतलब सॉफ था की वो अंदर से उत्तेजित हो चुकी थी, कुलबुला रही थी वो कुछ करवाने के लिए.. निमेश ने उसकी उभरी हुई गांड में अपनी मोटी-2 उंगलियाँ उतार दी 3 उंगलियाँ सीधा उसकी चूत में घुसती चली गयी और अंगूठा उसने उसकी गांड के छेद में डाल दिया.. वो कराह उठी उसकी मोटी उंगलियाँ मिलकर और अंगूठा अकेला ही , उसके पति के लंड से मोटे जो थे ”आआआआआआआआआआआहह . उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ . मररर गयी ..” संजना बोली : “शाबाश निमेश, ऐसे ही अंदर तक वाली मसाज करो मेडम की . मेडम खुश हुई तो शायद तुम्हारी भी मसाज कर दे ” उसका इशारा निमेश के लंड चूसने से था. इन्द्राणी से अपने लंड को चुसवाने की बात सुनकर वो दुगनी लगन से उसकी चूत और गांड को अपने हाथ की उंगलियो से चोदने लगा कुछ ही देर मे वो झड़ गयी सुबह से उसके जिस्म में जो सैक्सुअल टेन्षन बन रही थी वो सिर्फ़ एक मिनट में ही निकल गयी | पर वो भी जानती थी की ऐसी टेंशन तो अभी कई बार निकलेगी उसके बदन से.. निमेश ने उसे पलट कर सीधा कर दिया और पहली बार उसने उसके सैक्सी बूब्स को देखा वो काफ़ी बड़े थे करीब 38 साइज़ था उनका पर एकदम कड़क और उपर की तरफ मुँह था उनका कही से भी ढलक नही रहे थे वो लेटे होने के बावजूद वो काफ़ी मोटे लग रहे थे निमेश ने जब तेल उसके शरीर पर डालना चाहा तो संजना एक बार फिर से बोली ”निमेश, यहाँ भी हाथो का इस्तेमाल करे बिना मसाज करो ना इन्द्राणी को अच्छा लगेगा ” बिना हाथ के मसाज तो सिर्फ़ होंठों और जीभ से ही हो सकती है . निमेश के साथ-2 नीलू भी सुलग उठी ये सुनकर निमेश ने मुस्कुराते हुए अपना चेहरा नीचे किया और अपनी मर्दो वाली आदत के अनुसार सीधा उसने अपना मुँह उसके निप्पल्स पर लगा दिया इन्द्राणी ने जोरदार चीख मारते हुए अपना सीना हवा मे उठा लिया और उसके सिर को पकड़ कर अपने अंदर खींच लिया ”आआआआआआआआआआययययययययययीीईईईईईई ओह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स . फकककककककक” शायद हर औरत की तरह उसके बूब्स ही उसका वीक पॉइंट थे | निमेश ने उसके निप्पल्स को जी भरकर चुभलाया और फिर दूसरे का भी उसने वही हाल किया. फिर धीरे-2 अपनी जीभ से उसके जिस्म की मसाज करता हुआ वो नीचे आने लगा और अंत में आकर जब उसने अपने खुरदुरे होंठ उसकी चिकनी चूत पर लगाए तो उसने किलकिलाते हुए उसका सिर ज़ोर से पकड़ लिया और अपनी चूत पर दबा लिया, जैसे चूत वाले होंठों के ज़रिए उसे अंदर निगल जाएगी निमेश भी उसकी खट्टी-मीठी चूत को चूस्कर काफ़ी उत्तेजित हो गया और उसने अपनी पेंट और कच्छा एक ही झटके में उतार फेंका और चुदाई के लिए उसने संजना मेडम की परमिशन लेना भी सही नहीं समझा मौका ही ऐसा था की उससे सब्र नही हो रहा था अब निमेश ने उसकी दोनो जांघे पकड़ कर टेबल के किनारे कर ली और अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया ”आआआआआआआआआआअहह ओह फकककककककककककककक .. मॅर गयी ” इतना मोटा लंड जब अंदर जाता है तो ऐसी ही आवाज निकलती है इन्द्राणी का भी यही हाल था उसने आज से पहले इतना मोटा और जंगली लंड अपनी चूत में नही लिया था समाप्त |
25-11-2019, 01:33 AM
Update bro..
26-11-2019, 12:01 PM
Hinglish main likho
27-11-2019, 03:47 AM
24-12-2019, 02:29 AM
(17-11-2019, 04:45 PM)badmaster122 Wrote: अरुण ने अब उस तरफ ध्यान देना सही ही नही समझा और उठकर अपने लिए एक और पेग बनाया और वापिस आकर बैठ गया नम्रता अपने मालिक की हालत देखकर उनके उपर बीत रही बात का अंदाज़ा लगा पा रही थी.. और उसे पता था की क्या करने से उसके मालिक का मूड ठीक होगा, वो अपनी जगह से उठी और अरुण के सामने ज़मीन पर बैठ गयी और उनके पैर दबाने लगी अरुण ने उसे उठाना चाहा पर नम्रता ने मना कर दिया और पैर दबाने में लगी रही और फिर धीरे-2 उसने अरुण के पैरों को अपनी फेला रखी टाँगो के अंदर घुसा लिया और अपनी चूत से एक बार फिर अरुण के अंगूठे को ढक लिया | Meri chut v nimesh ka kala Lund khana chahti h
24-12-2019, 02:32 AM
(17-11-2019, 05:24 PM)badmaster122 Wrote: और संजना के पीछे-२ निमेश ने भी अपना पानी उसकी चूत में ही निकाल दिया Bahot achhi story h Next part me aur male le aao jisse hum group sex ka v mza le sake...
10-11-2021, 11:12 PM
continue this story
12-11-2021, 12:30 AM
continue this story, update do bhai
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