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Adultery Diwali ka Jua (with Pictures)
#1
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#2
ये कहानी मेरी सहेली नम्रता की है | जो एक बड़े घर में नौकरानी है, पर वो नौकरी करती है उसके मालिक की गन्दी नजर हमेशा उसपर रहती है | और जो सेठ है उसकी बीवी भी सुन्दर है तो उसके ऊपर नम्रता का पति लाइन मरता है | तो आप इस पूरी कहानी को पढ़े और अपने दोस्तों को भी शेयर करें | तो कहानी की सुरुवात होती है अब …घर का सारा काम निपटा कर जैसे ही नम्रता घर जाने लगी तो उसकी मालकिन संजना ने उसे रोक लिया…

”अरे नम्रता, बड़ी जल्दी हो रही है तुझे घर जाने की…बोला था ना तुझसे काम है, चल ज़रा उपर मेरे कमरे में…” ये थी मिसेस संजना बच्चन, शहर के जाने माने पॉलिटिशियन अरुण बच्चन की पत्नी.. उम्र होगी करीब 37 के आस पास… शादी तो उसकी 20 साल की उम्र में ही हो गयी थी…जबकि अरुण की उम्र उस वक़्त 30 थी.. और संजना को देखकर पता ही नही चलता था की वो 30 की भी होगी.. 37 तो बहुत दूर की बात है…
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संजना बच्चन

एक बेटी है जो नागपुर में एक कॉनवेंट में पढ़ रही थी.. अपना खुद का NGO चलाती है संजना| पति के पोलिटिकल कैरियर और अपने काम की वजह से वो हमेशा हाइ सोसायटी में गिने जाते थे| सरकार की तरफ से मिला काफ़ी बड़ा बंगला था…गाड़ियां थी…नौकर चाकर थे, उन्ही में से नौकरानी थी नम्रता, 26 साल की उम्र थी, रंग सांवला सा था, पर देखने में काफ़ी आकर्षक थी… घर का काम करने की वजह से उसका शरीर एकदम कसा हुआ था… मोटे-2 मोम्मे और निकली हुई गांड उसके शरीर का स्पेशल एट्रेक्शन थे.
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नम्रता

पर वो थी एक नंबर की बोड़म महिला… एकदम भोली भाली सी, दुनिया की चालाकी और ठगी से अंजान, कोई सामने बैठकर भी उसपर लाइन मारे तो उसे बात समझ ना आए… ऐसी थी वो.. (बिल्कुल भाभी जी घर पर है वाली अंगूरी भाभी की तरह) वो करीब 1 साल से संजना के पास काम कर रही थी… और उसकी विश्वासपात्र भी बन चुकी थी… कारण था उसके काम करने का तरीका.. वो किसी भी काम के लिए माना नही करती थी.. और जो भी करती थी, पूरी लगान से करती थी..

नम्रता को लेकर संजना अपने बेडरूम में पहुँची और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया, फिर अपने सारे कपड़े वो एक-2 करके उतारने लगी…
और देखते ही देखते वो पूरी नंगी होकर खड़ी थी नम्रता के सामने.
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ये पहली बार नही था की वो नम्रता के सामने इस तरह से नंगी खड़ी थी…पहले भी ये सब होता रहता था.

संजना अपने बेड पर लेट गयी और नम्रता ने तेल की शीशी लेकर उनके बदन की मालिश करनी शुरू कर दी…
ये एक स्पेशल तेल था, जो संजना ने हॉंगकॉंग से मँगवाया था, और शायद यही उसकी खूबसूरती का राज था, हफ्ते में 2 बार उस तेल की मालिश करवाने की वजह से उसके कूल्हे और मोम्मे एकदम तने हुए से थे…
उनमें वही कसाव आ चुका था, जो शादी के कुछ सालो बाद तक रहा था उसमें..
बेटी होने के बाद वो धीरे-2 ढीली पड़ती गयी ..
पर पिछले साल उसकी सहेली ने जब ऐसे तेल के बारे में बताया तो उसने वो तुरंत मंगवा लिया…
हालाँकि वो काफ़ी महँगा आया था, पर उनके लिए पैसे कोई वेल्यू ही नही रखते थे…
और तेल की मालिश उसने शुरू से ही संजना से करवानी शुरू कर दी थी, इसके लिए वो उसे अलग से कुछ पैसे भी देती थी…
और देखते ही देखते उसका असर भी दिखाई देने लगा था…
उसका बदन पहले से ज़्यादा आकर्षक, कसावट लिए हो गया था…
एक तो ये उम्र भी ऐसी होती है उपर से जवानी फिर से वापिस आ जाए, ऐसा शरीर प्राप्त हो जाए तो सोने पे सुहागा हो जाता है..
नम्रता के हाथों में जैसे जादू था….
उसने जब संजना के शरीर को मसलना शुरू किया तो वो अपनी आँखे बंद करके एक दूसरी ही दुनिया मे पहुँच गयी… और दूसरी तरफ नम्रता गुमसुम सी होकर कुछ सोचे जा रही थी.
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उसे कुछ चिंता थी… और वो थी उसका पति, जिसे शराब और जुए की लत्त ने बर्बाद करके रख दिया था.. आज सुबह आते हुए वो उसे मकान मलिक को देने के लिए पैसे तो दे आई थी, पर अंदर ही अंदर उसे डर सा लग रहा था की कहीं वो उन पैसों को भी अपनी अय्याशी में ना उड़ा दे.

दूसरी तरफ, बस्ती में बने एक शराब के ठेके के बाहर बैठा निमेश, यानी नम्रता का पति, वही सब कर रहा था,जिसका उसकी पत्नी को डर था.

“ये आई मेरी 500 की चाल….”
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#3
गनेश ने ये कहते हुए एक मटमेला सा 500 का नोट बीच में फेंक दिया…

सामने बैठे अरुण और जित्तू तो उसके कॉन्फिडेंस को देखते ही पेक कर गये…
पर निमेश डटा रहा.

उसने देसी शराब का भरा हुआ ग्लास एक ही बार में खाली किया और 500 का नोट बीच में फेंक कर चाल चल ही दी…

पर शराब नशे में वो ये भूल गया की उसे इस वक़्त शो माँगना चाहिए था..

इस वक़्त जो जुआ चल रहा था, उसमें करीब 8 हज़ार रुपय बीच में आ चुके थे.

और अपने आख़िरी 500 के नोट के बाद निमेश के पास लगाने के लिए कुछ भी नही था… | हालाँकि उसे अपने पत्तो पर पूरा भरोसा था…इसलिए वो किसी भी कीमत पर , सब कुछ लगाकर ये गेम जीतना चाहता था.

पर पत्तो और नशे के चक्कर में उसका दाँव उल्टा ही पड़ गया, अब उसके पास शो माँगने के भी पैसे नही थे….
इसलिए जैसे ही गनेश ने अगली चाल चली, निमेश के पसीने छूट गये….
अपनी बीवी से लाए सारे पैसे वो हार चुका था, और ये वो पैसे थे जो उसे आज किसी भी कीमत पर अपने मकान मलिक को देने थे…
पर अब कुछ नही हो सकता था, उसे पता था की वहां बैठा कोई भी शख्स उसे पैसे नही देगा, ये रूल था वहां का.

इसलिए झक्क मारकर उसे पेक करना पड़ा… वो सारे पैसे जुए मे हार चुका था…. गनेश ने जोरदार ठहाका लगाते हुए वो सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए.

निमेश ने उसके पत्ते उठा कर देखे, उसके पास पान का कलर था, जबकि निमेश के पास सीक़वेंस आया था….
इतने अच्छे पत्ते होने के बावजूद उसे ये भी ध्यान नही रहा की कब शो माँगना था…
अपनी बेवकूफी से वो अपने साथ लाए सारे पैसे हार चुका था…. उसने कसम खायी बाद जुए और नशे को कभी मिक्स नही करेगा

मुँह लटका कर वो घर पहुचा, उसकी बीवी दरवाजे पर ही खड़ी थी…और साथ में था खोली का मालिक गजेन्द्र…

गजेन्द्र ने पैसे माँगे और निमेश ने मुँह लटका लिया… नम्रता ने अपना माथा पीट लिया.
फिर वही हुआ, जिसकी धमकी उन्हे पिछले 4 महीनो से मिल रही थी…
गजेन्द्र ने 2-4 भद्दी सी गाली देते हुए उन्हे कल ही कल खोली खाली करने को कहा…

गजेन्द्र के जाने के बाद नम्रता ने जब निमेश को बोलना शुरू किया तो उसने एक उल्टे हाथ का रख दिया उसके चेहरे पर…बेचारी वहीं सुबकती रह गयी… उसे रोता हुआ छोड़कर वो फिर से दारू के अड्डे की तरफ चल दिया.

अब नम्रता के पास सिर छुपाने के लिए छत्त भी नही थी… इसलिए उसने गाँव जाने में ही भलाई समझी… उसने अपना सारा सामान बाँध लिया..
हाथ के खर्चे के लिए उसे कुछ पैसे चाहिए थे, अभी संजना मेडम की तरफ 10 दिन का हिसाब निकलता था, जो रास्ते के लिए बहुत थे… वो उनके पास गयी और उन्हे सारी गाथा सुनाई…

संजना चुपचाप अंदर गयी और उसके 10 दिन के पैसे लाकर उसके हाथ में रख दिए…
जब वो चलने को हुई तो मेडम ने पीछे से उसे पुकारा और बोली : “अब जल्दी से जा और सारा समान लेकर यही आ जा…पीछे जो सुर्वेंट क्वाटर है, उसमे रह लेना तुम दोनो…”

ये सुनते ही वो एक झटके से पलटी…
संजना ने मुस्कुराते हुए सिर हिला कर उसे वो करने को कहा…
बेचारी रोते-2 उसके कदमों में गिर गयी….
उसे बड़ी मुश्किल से चुप करा कर संजना ने उसे घर भेजा…
शाम तक वो एक ऑटो में ज़रूरत का सारा समान लेकर निमेश के साथ वहां शिफ्ट हो गयी.

उनके आलीशान बंगले के ठीक पीछे एक छोटा सा लॉन था, और साइड में एक क्वाटर बना रखा था उन्होने, पहले वहां जित्तू काका रहा करते थे, पर उनके मरने के बाद वो करीब 1 साल से ऐसे ही पड़ा था…
पूरे दिन की सफाई के बाद नम्रता ने उस 2 कमरे के क्वाटर को चमका डाला…
बस एक परेशानी थी वहां , अंदर बाथरूम नही था…
क्वाटर के साइड में एक नलका था, जिसके आगे एक छोटी सी दीवार थी, बस उसी की आड़ में बैठकर नहाया जा सकता था… टाय्लेट ठीक उसके पीछे था.
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#4
नम्रता को ना जाने देने और उसे वहां रखने के पीछे भी संजना का एक मकसद था…
वो इतनी मेहनती नौकरानी नही छोड़ना चाहती थी…
जब से वो आई थी, उसका घर हमेशा चमकता रहता था…
और साथ में जो वो उसकी मालिश वाला काम करती थी, उसकी वजह से तो उसे और भी ज़्यादा लगाव सा हो गया था नम्रता से…
एक अच्छा काम करने वाली नौकरानी जो अच्छी मालिश भी करती हो, कहाँ मिलती है आजकल…
अगर संजना किसी स्पा में जाकर बॉडी मसाज करवाए तो वो नम्रता की सैलेरी के बराबर की रकम होती थी…
हालाँकि संजना को पैसों की कोई कमी नही थी, पर घर में ही जब ऐसी सर्विस मिले तो बाहर क्यों जाना.

पर वो बेचारी ये नही जानती थी की उसका ये कदम उसकी जिंदगी पलट कर रख देगा.

संजना के पति अरुण को जब पता चला तो उसने भी कुछ नही कहा अपनी बीवी से…
घर के मामलों में वो वैसे भी कोई दखल नही देता था…
और वैसे भी, उसकी काफ़ी दिनों से नम्रता पर नज़र थी…
अब वो उनके घर के पीछे ही रहेगी तो शायद काम बन सकता है…
उसकी बीवी तो वैसे ही अक्सर NGO के काम से बाहर रहती थी…ऐसे में वो नम्रता पर चांस मार सकता था…
पर मुसीबत ये थी की उसका पति भी साथ था…
पता नही उसे ऐसा मौका मिल पाएगा या नही जब उसकी बीवी संजना और नम्रता का पति निमेश दोनो घर पर ना हो…
पहले भी उसने अपनी कई नौकरानियों की चूत बजाई थी…
पर नम्रता पर हाथ डालने की उसमें अभी तक हिम्मत नही हुई थी…
वो जानता था की उसकी बीवी की ख़ास है वो, ज़रा सी भी चूक का मतलब था, अपनी बीवी के सामने जॅलील होना, जो वो हरगिज़ नही चाहता था.

अरुण जब अगली सुबह उठकर अपने जॉगिंग शूज़ पहन रहा था तो उसने अपने बेडरूम की खिड़की से पीछे की तरफ झाँका… इस वक़्त सुबा के 5 बाज रहे थे… और उसकी किस्मत तो देखो, नम्रता उसे नहाती हुई दिख गयी…
और वो भी खुल्ले में..
उसे तो अपनी आँखो पर विश्वास ही नही हुआ..
हालाँकि वो काफ़ी दूर थी, दीवार की आड़ में भी थी… और हल्का फूलका अंधेरा भी था… | पर फिर भी उसके नंगे जिस्म का एहसास उसे सॉफ हो रहा था…
ज़िम जाना तो वो एकदम भूल सा गया और वहीं छुपकर वो उसे नहाते हुए देखने लगा..
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नम्रता को तो अभी तक यही पता था की कोठी में इस वक़्त सभी सो रहे होंगे..
और वैसे भी उसे इस तरहा खुल्ले में नहाने की आदत थी…
गाँव में तो वो एक साड़ी लपेट कर नहा लेती थी कुँवे पर…
लेकिन यहाँ कौन देखेगा, यही सोचकर वो नंगी ही नहा रही थी.

साबुन को जब उसने अपने काले कबूतरों पर रगड़ा तो खिड़की पर खड़े अरुण ने अपना लंड पकड़ लिया और जोरों से हिलाने लगा…
एक नौकरानी उसे इस कदर उत्तेजित कर सकती है, ये उसने सोचा भी नही था…
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पर ये हो रहा था, शहर का जाना माना नेता, अपनी नौकरानी को नहाते देखकर अपना लंड मसल रहा था…
मसल क्या रहा था उसने तो अपने लंड को बाहर ही निकाल लिया…
और उसे देखकर मूठ मारने लगा…
ऐसी उम्र में आकर उसे ये सब शोभा नही देता था, वो चाहता तो किसी भी कॉल गर्ल के सामने पैसे फेंककर उसकी मार सकता था या उससे लंड चुसवा सकता था, अपनी खुद की बीवी संजना भी कम सैक्सी नही थी,पर अपनी नौकरानी को सिर्फ़ नहाते देखकर वो खुद अपना लंड रगड़ने पर मजबूर हो गया था, ये बहुत बड़ी बात थी.

उफफफफ्फ़….. क्या मोम्मे है साली कुतिया के…… एकदम कड़क माल है….”
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और फिर नहा धोकर नम्रता बिना कपड़ों के, किसी हिरनी की तरह छलांगे मारती हुई अपने रूम में घुस गयी…
उसके हिलते चूतड़ देखकर अरुण की उत्तेजना चरम पर पहुँच गयी और उसने अपना माल वहीं झाड़ दिया.

इतने सालो बाद खुद मुठ मारकर झड़ा था अरुण…
अब किसी भी कीमत पर उसे नम्रता को भोगना था.

पर उससे पहले उसे नम्रता के पति का कुछ करना पड़ेगा…
वो साला हरामखोर बनकर पूरा दिन घर पर बैठेगा तो वो कुछ कर ही नही पाएगा.

उसके दिमाग़ में एक आइडिया आ गया, पर अभी के लिए उसे जिम के लिए निकलना ज़रूरी था, और वहां से उसे गोल्फ कोर्स जाना था, जहां एक जाने माने उद्योगपति ने एक बहुत बड़ी रकम पहुँचाने का वादा किया था आज..
बाद में उसे क्लब भी जाना था, जुए का चस्का था उसे भी.

वो तैयार होकर निकल गया.

निमेश की जब नींद खुली तो नम्रता काम पर जा चुकी थी…
उसे तो हमेशा से ही देर तक सोने की आदत थी…
टाइम देखा तो 12 बजने वाले थे…
बाहर आकर देखा तो नहाने के लिए कोई अलग जगह उसे दिखाई ही नही दी…
वैसे भी जब तक वो अपनी चॉल में रह रहा था, वहां भी वो खुल्ले में ही नहाता था…
इसलिए अपने कपड़े उतार कर, सिर्फ़ अपना कच्छा पहने हुए वो नहाने पहुँच गया.

उसी वक़्त संजना अपने बेडरूम में किसी काम से आई, पर जैसे ही खिड़की से बाहर उसकी नज़र पड़ी तो उसके होश उड़ गये…
पिछले हिस्से में निमेश बड़ी ही बेशर्मी से खड़ा होकर नहा रहा था…
वो तो शुक्र था की उस छोटी सी दीवार ने उसके ख़ास हिस्से को धक रखा था, वरना उसकी बेशर्मी पूरी उजागर हो जानी थी..

संजना को इस बात पर बहुत गुस्सा आया…
कैसे एक सभ्य समाज और घर में रहना है, इस बात का तरीका ही नही है उसमें ..
उसका तो मन किया की अभी के अभी नम्रता और उसके फूहड़ पति को निकाल बाहर करे…
पर फिर कुछ सोचकर उसने अपने गुस्से पर काबू किया और अलमारी से जो समान लेने आई थी, वो लेकर बाहर निकल गयी.

निमेश के लिए नम्रता अंदर से ही खाना बना कर ले आई थी, खाना खाने के बाद रोजाना की तरह उसने नम्रता के बटुए से पैसे निकाले और बाहर निकल गया…
नम्रता जानती थी की अब वो देर रात तक ही लौटेगा.. आएगा भी तो दारू पीने के बाद.
पर जाने से पहले उसने समझा दिया था की यहां रहना है तो अपने चाल चलन, शोर शराबे और गंदी आदतों पर काबू रखना पड़ेगा, वरना उसकी गंदी आदतों की वजह से उन्हे वहां से निकाला भी जा सकता है.

निमेश भी जानता था की ऐसे फ्री में रहने और खाने की जगह मिलना मुश्किल है, इसलिए वो उसकी बात मानकर बाहर निकल गया.

दोपहर को नम्रता सफाई में लगी रही और शाम को वो वापिस अपने फ्लैट में आई और नहा धोकर जैसे ही कपड़े निकाले, बाहर से अरुण की आवाज़ आई..

इस वक़्त उसने सिर्फ़ एक गीली साड़ी लपेट रखी थी अपने जिस्म पर..
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अब यहाँ नम्रता के बारे में एक बात बता देना ज़रूरी है की उसे दुनिया की गंदी नज़रों का कोई आभास ही नही हो पता था
एकदम बोडम महिला थी..(भाभीजी घर पर हैं की अंगूरी भाभी के जैसी)

कोई जितना भी सामने से द्विअर्थी बातें करता रहे, उसके भोले दिमाग़ में उनका ग़लत मतलब आता ही नही था..
जब तक वो बातें खुल कर ना की जाएँ..
गाँव में रहने वाली नम्रता अभी तक शहर के चालू लोगो से अंजान थी.
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#5
अरुण भी जानता था इस वक़्त उसकी बीवी घर पर नही है, अंदर आने के बाद उसने चोकीदार से निमेश के बारे में भी पूछ लिया था, वो भी नही था, इसलिए उसका रास्ता सॉफ था..
अंदर आने के बाद जब उसने दरवाजा खड़काया तो वो अपने आप ही खुल गया…
सामने गीली साड़ी में नम्रता अपने कपड़े निकाल रही थी..

उसके गीले जिस्म से आ रही भीनी खुशबू ने उसे पागल सा बना दिया.. वो समझ गया की वो अभी नहा कर आई है, काश वो कुछ देर पहले आया होता वहां पर तो उसे सुबह की तरह नहाते हुए देख पाता…..
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लेकिन अब उसे नम्रता को अपने जाल में फंसाना था, और एक प्लान उसके दिमाग में आलरेडी आ चुका था

नम्रता भी अपने मालिक को इस तरह अपने कमरे के बाहर खड़ा देखकर चोंक सी गयी..

नम्रता : “अरे …सरजी आप….. मुझे बुला लिया होता…. मैं आ जाती…”

अरुण तो उसके गीले बदन से झाँक रहे अंगो को देखने में बिजी था.. खासकर गीली साड़ी नीचे उभर रहे काले बेरों को

वो हड़बड़ाकार बोला : “वो दरअसल…मुझे…चाय पीनी थी…मैने आवाज़ भी दी..पर तुमने शायद सुनी नही…इसलिए देखने चला आया…”

नम्रता : “ओहो…. वो मैं नहा रही थी ना… इसलिए…”

अरुण उसके बदन को घूरता हुआ बोला : “नहा रही थी… इस वक़्त भी… सुबह ही तो नहाई थी…”

और कोई होता तो झट्ट से बोल देता की आपने कब देखा मुझे सुबह नहाते हुए… पर नम्रता थी एक नंबर की बोडम महिला… 
वो बोली : “वो क्या है ना सरजी… मुझे दिन में दो बार नहाने की आदत है… एक बार तो सुबा 5 बजे उठकर नहाती हूँ … और दूसरी बार शाम को 4 बजे ” नम्रता ने बड़ी मासूमियत से अपने नहाने का टाइम टेबल अरुण को दे डाला..

अरुण फुसफुसाया : “और क्या -2 करती हो…”

नम्रता : “जी मालिक, कुछ कहा क्या आपने…?”

अरुण : “अर्रे नही…वो मैं कह रहा था की चाय पीने का मन था…सो”

नम्रता : “ओह्ह …मैं भूल ही गयी… आप चलिए अपने कमरे में …मैं कपड़े पहन कर, चाय बनाकर लाती हूँ बस…”

अरुण मन में बोला ‘हाय , कपड़े पहनने की क्या जरूरत है मेरी जान, नंगी ही आ जा ‘

अब अरुण का मन तो नही कर रहा था वहां से जाने का, पर फिर भी चल दिया वापिस.

नम्रता ने फटाफट अपने कपड़े पहने और अपने मालिक के लिए चाय बनाकर ले आई.. अरुण भी अपने कपड़े चेंज करके चेयर पर बैठा था..

हमेशा की तरह नम्रता ने एक कॉटन की साड़ी पहनी हुई थी इस वक़्त…
उसकी कमर का नंगा हिस्सा इस वक़्त अरुण को काफ़ी उत्तेजित कर रहा था…

चाय देकर जैसे ही वो जाने लगी तो अरुण बोला : “सुनो नम्रता…वो तुमसे एक ज़रूरी बात करनी थी…”

”जी मालिक”

अरुण : “बैठ जाओ..”

उसने कुर्सी की तरफ इशारा किया पर वो ज़मीन पर पालती मारकर बैठ गयी..

अरुण : “मैने सुना है की तुम्हारा पति कोई काम धंदा नही करता…”

अपने मालिक की बात सुनकर वो रुन्वासी सी हो गयी…
उसे लगा की शायद वो उन्हे घर से निकालने की बात करेंगे..

वो बोली : “नही मालिक…वो..उनकी समझ मे..कुछ आता ही नही…मैं तो समझाकर थक चुकी हूँ ”

अरुण : “और सुना है वो दारू भी पीता है…जुआ भी खेलता है..”

अब तो सच में उसे डर लगने लगा था…
वो थोड़ा आगे खिसक आई और अरुण के पैर पकड़ कर बोली : “मालिक…मैने आज ही उसे समझाया है…आप चिंता ना करो..वो अपनी आदतो को जल्दी ही बदल देगा..आप मेरा विश्वास कीजिए..”

अरुण ने उसकी बाहे पकड़कर उसे उपर उठा लिया… और खुद भी खड़ा हो गया.. और उसे लगभग अपने बदन से सटा कर बोला : “अरे नही नम्रता… मेरा वो मतलब नही था.. मैं तो चाह रहा था की वो कोई काम करे..इन्फेक्ट मैं तो सोच रहा था की उसे तुम्हारी संजना मेडम का ड्राइवर रख लूं … कुछ पैसे भी आएँगे तुम लोगो के पास और उसकी आदते भी सुधर जाएँगी…”

ये सुनते ही नम्रता की आँखो में आँसू आ गये…
पहले संजना मेडम ने उनपर ये उपकार किया था की उन्हे रहने की जगह दे दी और अब उनके पति निमेश को भी नौकरी दे रहे है… एक दम से दुगनी खुशी के एहसास जैसा था ये सब..

इसी बीच अरुण के हाथ उसकी कमर के उसी नंगे हिस्से पर थे जहां से उसके शरीर का कर्व शुरू होता था… यानी पेट से नीचे की फेलावट…

वो उसपर अपने हाथो को लगभग धँसाता हुआ सा बोला : “और उसकी सेलेरी होगी 15000”

इतने पैसे सुनकर तो उसकी आँखे और भी ज़्यादा फेल गयी…
उसे खुद 10 हज़ार मिलते थे.. जिसमें वो अभी तक दोनो का खर्चा चला रही थी..
उपर से ये 15 हज़ार और मिलने लगे तो उनकी जिंदगी कितनी सुधर सकती है, ये सोचकर वो खुशी से मरी जा रही थी.

उसे इस बात का एहसास तक नही हो रहा था की अरुण उसकी कमर के गुदाज हिस्से को मसल रहा है..
अरुण तो तभी समझ गया की वो कितनी झल्ली किस्म की औरत है, इसे चोदने में कितना मज़ा आने वाला है, ये उसने सोचना शुरू कर दिया.

पर वो ये काम बड़े आराम और इत्मीनान से करना चाहता था…
नम्रता अब उसके लिए उस मछली की तरह थी जो बाहर के समुंदर से निकलकर उसके स्वीमिंग पूल में आ चुकी थी, जिसे वो जब चाहे, काँटा डालकर पकड़ सकता था…
उसके साथ खेल सकता था…
उसका मज़ा ले सकता था.

इसलिए अभी के लिए उसने उसे जाने दिया…
वो नम्रता को पहले अपने एहसानो के नीचे दबा लेना चाहता था, उसके बाद ही अपनी चाल चलनी थी उसे ताकि नम्रता चाहकर भी उसकी बीवी से कुछ ना बोल सके.

दूसरी तरफ निमेश फिर से अपनी चॉल में पहुँच चुका था, उसके सारे अय्याश दोस्त वहीं जो रहते थे…
आज निमेश अपनी बीवी के पार्स में से 2000 रुपय लेकर आया था… और उसे किसी भी कीमत पर कल की हार का बदला लेना था गनेश से.

एक बार फिर से बाजी लगनी शुरू हो गयी…
निमेश ने ज़्यादा रिस्क नही लिया शुरू में, इसलिए बिना कोई ब्लाइंड चले ही वो पत्ते देख लेता, अच्छे आते तो चाल चलता वरना पैक कर देता..
और इसी समझदारी की वजह से उसने जल्द ही 2 के 10 हज़ार कर लिए…
और फिर वो मौका भी आ गया जिसके लिए वो आज वहां आया था, एक गेम फँस गयी, जिसमें दोनो चाल पे चाल चलते चले गये… अंत में आकर दोनो के पास 1-1 हज़ार रुपय बचे.. पर आज निमेश कल वाली भूल नही करना चाहता था, इसलिए आख़िरी के 1 हज़ार बीच में फेंककर उसने शो माँग लिया.. निमेश के पास आज कलर आया था, जबकि गनेश के पास इक्के का पेयर था.
निमेश ने जोरदार ठहाका लगाते हुए सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए…
कल का बदला अच्छे से ले लिया था उसने.. निमेश की जेब में इस वक़्त 20 हज़ार रुपय थे…
उस खुशी में वो अपने चेले चपाटों को लेकर सीधा दारू के अड्डे पर गया और वहां सबने जी भरकर दारू पी.

ऑटो से जब वो वापिस कोठी पर पहुँचा तो उसे सुबह अपनी पत्नी की दी गयी नसीहात याद आ गयी…
इसलिए बिना कोई शोर शराबा और हरकत किए वो अंदर आ गया… अपनी बाल्कनी में बैठे अरुण ने उसे लड़खड़ाते हुए अंदर आते देखा और मुस्कुरा दिया… उसने सोचा की ऐसी हालत में आकर वो भला क्या कर पाता होगा अपनी पत्नी के साथ..इसलिए शायद नम्रता प्यासी रह जाती होगी… ऐसे में उसे चोदना कितना आसान होगा

उसने सोचा की चलकर देखना चाहिए की पीने के बाद निमेश अपनी बीवी के साथ कैसा व्यवहार करता है, संजना गहरी नींद में थी, वो चुपचाप कोठी के पिछले हिस्से में पहुँच गया, और उनके क्वाटर के पीछे की तरफ जाकर वहां की खिड़की से अंदर झाँकने लगा..उन्होने भी खिड़की खुली छोड़ रखी थी, वहां से भला कौन देख पाएगा, शायद यही सोच थी… अरुण एक बड़े से पौधे की आड़ में खड़ा होकर उन्हे देखने लगा.

निमेश अपने कपड़े उतार रहा था और नम्रता बड़बड़ाते हुए उसके लिए खाना गर्म कर रही थी.

वो बोले जा रही थी ‘पता नही कब समझोगे, मालिक और मालकिन कितने अच्छे है, हमे रहने को घर दिया, अच्छी तनख़्वा दे रहे है, तुम्हे भी साब ने ड्राइवर की नौकरी देने की बात की है, पर तुम अपनी इस शराब और जुए की आदत से सब डुबो दोगे…”

वो शराब के नशे में लड़खडाता हुआ पलटा, उसने सिर्फ़ एक कच्छा पहना हुआ था, उसके काले कलूटे शरीर को देखकर और उसकी निकली हुई तोंद को देखकर अरुण को घिन्न सी आ रही थी, नम्रता कैसे झेलती होगी इस गँवार को..

वो बोला : “चुप कर साली… तेरे साब मेमसाब् की माँ की चूत , मुझे क्या नौकरी देंगे वो दोनो, ये देख, 20 हज़ार रूपए जीते है आज, कितने पैसे देंगे तेरे ये साब-मेमसाब्, 10 हज़ार, 15 हज़ार या 20 हज़ार… पूरे महीने उनके सामने सलाम ठोंको फिर मिलेंगे… ये देख, एक ही रात में जीते है ये सारे पैसे…मुझसे नही होती किसी की गांड-गुलामी, बोल दियो अपने साहब को जाकर की कोई दूसरा ड्राइवर रख ले..”

और कोई मौका होता तो अरुण अपने बारे में गालियां सुनकर उसे जेल भिजवा देता, उसकी अच्छे से मरम्मत करवाता, पर इस वक़्त उसे नम्रता का लालच था, इसलिए खून का घूँट पीकर रह गया |

नम्रता भूनभूनाकर बोली : “हाँ हाँ , देखी है तेरी ये जुवे की कमाई, एक दिन जीतेगा तो दूसरे दिन दुगना हारकर आएगा, शराब और जुए ने तेरी मती भ्रष्ट कर रखी है…और वो नौकरी साब की गाड़ी चलाने की नही बल्कि मेमसाब् की गाड़ी चलाने की है”

”मेमसाब् यानी संजना…” उसने चोंकते हुए कहा.
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#6
उसके तेवर एकदम से नर्म पड़ गये… वो उसके करीब आया और बोला : “अरे, पहले बोलना था ना की मेमसाब् की गाड़ी चलानी है, मैने कब मना किया है..मैं बिल्कुल तैयार हूँ तेरी मेमसाब् की लेने के लिए, मेरा मतलब उनकी जॉब का ऑफर लेने के लिए…”

अरुण तो उसके रवैय्ये को देखकर ही समझ गया की वो एक नंबर का ठरकी है और उसकी बीवी का नाम सुनकर उसकी लार टपक गयी है, एक बार फिर उसने अपने आप पर कंट्रोल किया, वरना अपनी बीवी बारे में ऐसे विचार रखने वाले को वो नौकरी पर तो क्या, अपने घर पर भी ना रखे
पर नम्रता अपने बोड़मपन की वजह से उसे समझ नही सकी, उसके लिए इतना बहुत था की उसका पति नौकरी के लिए इंटरस्ट दिखा रहा है.

वो खुश होती उही बोली : “क्या, सच में, आप तैयार हो… मैं कल ही साहब को बोलकर तुम्हारी ड्यूटी शुरू करवा देती हूँ ..पर मुझसे वादा करो की आप ये जुआ और शराब छोड़ दोगे, मैं नही चाहती की कोई इनकी वजह से आपको कुछ कहे..”

उसके चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी…

निमेश : “ठीक है मेरी जान, जैसा तू कहे, जुआ नही खेलूँगा, पर दारू नही छूटने वाली, एक काम करूँगा, तेरे सामने बैठकर पिया करूँगा.. ड्यूटी ख़त्म होने के बाद, अब तो ठीक है ना..”

नम्रता ने खुशी से सिर हिला कर अपनी सहमति जताई…

खिड़की के पीछे खड़ा अरुण देख और सोच रहा था की कितनी चालाकी से इस कामीने इंसान ने अपनी भोली भाली बीवी को उल्लू बना दिया है…
संजना मेडम का नाम सुनकर उसका लंड भी कच्छे में खड़ा हो चुका था, और शायद वो कुछ सोचते हुए उसे मसल भी रहा था.. फिर वो धीरे-2 नम्रता के करीब आया और उसके बदन को रगड़ने लगा.

नम्रता ने जब ये देखा तो वो निमेश का इशारा समझ गयी,उसके चेहरे पर लालिमा छा गयी,वो बोली : “पहले खाना तो खा लेते, ये एकदम से क्या करने लगे हो…”

”खाना तो खा ही लेंगे, पहले मेरी ये भूख तो मिटा दे मेरी जान…संजना मेडम की गाड़ी चलाने की खुशी में तेरी गाड़ी को झटके मारना तो बनता ही है.”

नम्रता शरमा कर उससे लिपट गयी… और फिर कुछ देर तक दोनो एक दूसरे को इधर-उधर चूमते रहे और निमेश ने नम्रता की साडी खोल दी, उसका पेटीकोट खोल दिया और उसे नीचे बिछे गद्दे पर घोड़ी बनाया, उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया और उसे चोदने लगा.
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ये सब इतनी जल्दी हुआ की अरुण ढंग से उसकी चूत भी नहीं देख पाया, नम्रता के चेहरे को देखकर सॉफ पता चल रहा था की वो अभी तैयार नही हुई थी, पर अपने पति को भला वो कैसे मना करे, बेचारी दर्द सहती हुई उसके लंड से मिल रहे झटको को महसूस करके कराहती रही…और कुछ ही देर में निमेश के लंड से ढेर सारा रस निकल कर उसकी चूत में जा पहुँचा..और वो अपने लंड को धोने के लिए बाहर चला गया..

नम्रता ने एक कपड़े से अपनी चूत पोंछी, अपने हाथ धोए और फिर से खाना गर्म करने लगी. निमेश अंदर आया और खाना खाने बैठ गया.

अरुण भी चुपचाप वहां से निकलकर वापिस अपने रूम में आ गया, संजना अभी तक सो रही थी, बेड पर लेटकर उसके जहन में सारी बातें घूमने लगी, नम्रता को चोदने के लिए उसे क्या प्लानिंग करनी पड़ेगी ये अब उसके लिए और भी आसान काम हो गया था |
पर निमेश का उसकी बीवी संजना के प्रति आकर्षण उसे थोड़ा खटक रहा था, ऐसे में अगर संजना ने निमेश को कुछ कह दिया और उन दोनो को घर से निकाल दिया तो उसका सारा प्लान धरा रह जाएगा.. वो बस यही प्रार्थना करने लगा की संजना हर परिस्थिति में उसकी प्लानिंग के अनुसार ही चले |

और अचानक उसके दिमाग़ में कुछ आया, और वो ये की अगर निमेश और संजना आपस में सेट्टिंग कर ले तो उसका काम बन सकता है…भले ही जो बात उसके दिमाग़ में आई थी, वो एक पति को शोभा नही देती पर नम्रता को पाने की चाह में उस मगरूर के दिमाग़ ने इस बात की भी मंज़ूरी दे दी की निमेश उसकी बीवी को पटाने में और चोदने में कामयाब हो जाता है तो वो मना नही करेगा.. ऐसे में उसका नम्रता को चोदना बहुत आसान हो जाएगा…
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#7
अब सब कुछ क्लियर था उसके माइंड में, कैसे कब और क्या करना है, सब उसने सोच लिया था. 
अगले दिन निमेश तैयार होकर अरुण के पास पहुँच गया, सुबह का वक़्त था, अरुण अभी जिम से आया ही था, उसने संजना को बुलाकर कह दिया की आज से निमेश उसका ड्राइवर है,
संजना को निमेश बिल्कुल भी पसंद नही था, ख़ासकर कल जिस बेशर्मी से वो नहा रहा था, उसके बाद तो उसके काले कलूटे शरीर से उसे नफ़रत सी हो गयी थी..|

पर अपने पति के सामने उसकी एक नही चलती थी, एक तो मंत्री लोगो का रुतबा अलग ही होता है, ऐसे में उनकी बात को उसने एक नौकर के सामने मानने से इनकार कर दिया तो उसे पता था की अरुण कैसी-2 बातें सुनाएगा उसे.. इसलिए उसने बुझे मन से, मुस्कुराते हुए हाँ कर दी.

वो बोली : “ओक, आपने सोचा है तो ठीक ही होगा,…”

और फिर निमेश की तरफ मुँह करके बोली : “तुम गाड़ी निकालो, मुझे अभी जिम जाना है…मैं बस अभी आई..”

निमेश ओके मेमसाब् बोलता हुआ बाहर निकल गया, पर जाते-2 उसकी नज़रों ने संजना के गुदाज जिस्म को अच्छे से चोद डाला था.. नाइट सूट में, खासकर छोटी सी निक्कर में वो बड़ी ही सैक्सी लग रही थी.
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ये सब अरुण एक चेयर पर बैठा बड़ी बारीकी से देख रहा था, उसे पता था की इस वक़्त निमेश के मन में क्या चल रहा होगा, पर फिर भी अपनी हीरोइन जैसी बीवी को उसने इस भेड़िए के साथ जाने को राज़ी कर लिया था..

और वैसे भी उनके जाने के बाद अरुण के पास करीब 2 घंटे का टाइम था, जिसमे वो नम्रता के साथ कुछ मज़े ले सकता था, इसलिए वो उनके निकलने का इंतजार करने लगा.

कुछ ही देर में संजना तैयार होकर बाहर निकल गयी, अरुण ने उसे बाय कहा और अंदर आकर बैठ गया.

निमेश ने जब संजना को गाड़ी की तरफ आते हुए देखा तो वो एक पल के लिए तो पलकें झपकाना ही भूल गया, वो अपनी जिम वाली ड्रेस में, अपनी सैक्सी कमर मटकाती हुई उसकी तरफ ही आ रही थी.

एकदम टाइट ड्रेस होने की वजह से उसके शरीर का हर कट नज़र आ रहा था, खासकर संजना की निकली हुई गांड, उसके गुदाज और कर्वी बदन को देखकर निमेश का लंड एकदम से खड़ा हो गया, वो झट्ट से पलटकर गाड़ी में आ बैठा ताकि वो उसके खड़े लंड को ना देख पाए.

संजना ( अंदर बैठती हुई) : “जब मैं आऊं तो गाड़ी का दरवाजा खोला करो मेरे लिए , समझे ”

“जी मैमसाहब ”

मन ही मन वो अपनी इस नयी नौकरी के लिए नम्रता और अरुण साहब का धन्यवाद दे रहा था, जिसकी बदौलत उसे हर समय संजना मेडम के साथ रहने का मौका मिलेगा.

उसके मन में कई ख्याली पुलाव बनने शुरू हो गये थे, पर वो इस बात से अंजान था की उससे भी ज़्यादा पुलाव और प्लान तो अरुण बना चुका है, उसकी बीवी को चोदने के लिए.

अब देखना ये था की किसके प्लान पहले कारगार सिद्ध होंगे और किसकी बीवी पहले चुदेगी.

कार चलाते हुए निमेश बेक मिरर से बार-2 संजना मेडम को देख रहा था
वो जिस आडया से अपने बालो को बार-2 पीछे करके फोन पर बात कर रही थी, निमेश तो उसका दीवाना हो गया, उसकी नज़र ख़ासतोर से उसके पिंक कलर के होंठों पर थी, जो इतने मोटे थे की उन्हे चबाने मे कितना मज़ा आएगा, यही सोचकर उसका लंड अकड़े जा रहा था, बड़ी मुश्किल से वो कार चला पा रहा था क्योंकि बार-2 उसका हाथ अपने लंड को एडजस्ट करने में बिज़ी था.

जिम पहुँचकर , कार से दूर जाते हुए निमेश एक बार फिर से उसकी लचक रही गांड और कसी हुई जाँघे देखकर सम्मोहित सा हो गया…
उसने अपने लंड को मसलते हुए कसम खाई की अब कुछ भी हो जाए, वो उसकी गांड ज़रूर मारकर रहेगा.
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गाड़ी को पार्किंग में लगाकर, अपनी संजना मेडम के बारे में सोचते-2 वो अपने लंड को रगड़ता रहा…
अचानक उसके मन में ना जाने क्या आया और वो उठकर पीछे वाली सीट पर जाकर बैठ गया…
ठीक उसी जगह जहाँ संजना बैठी थी…
उस जगह से निकल रही संजना की गांड की गर्मी को महसूस करके वो और उत्तेजित हो गया और उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया..
हालाँकि दोपहर का समय था पर गाड़ी VIP थी इसलिए उसके काले शीशो से अंदर का कुछ भी देख पाना संभव नही था…
वो संजना के बारे में सोचता हुआ, उसे गंदी-2 गालियाँ देता हुआ, अपना लंड मसलने लगा..
”भेंन की लौड़ी …..तेरी माँ चोदूगा साली….कुतिया ……संजना …….. तेरी मोटी गांड में अपना लंड पेलुँगा साली……. अहह……. तेरे मोटे मुममे चूस्कर उन्हे सूजा दूँगा…….उम्म्म्म…….तेरे होंठों को चूस्कर सारा रस पियूँगा साली……उसमें अपना काला लंड डालकर सारा माल तेरी हलक में निकालूँगा……..”

और जो बाते वो बोल रहा था, उन्हे बंद आँखो से देख भी रहा था
और कुछ ही देर में वो भरभराकर झड़ने लगा…
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निमेश को तो ऐसा एहसास हुआ जैसे उसका सारा माल संजना के खुले हुए मुँह के अंदर जा रहा है

जबकि वो जा रहा था उसकी मखमली सीट पर

एक के बाद एक कई पिचकारियाँ मारकर उसने अपने लंड का पानी सीट पर बिखेर दिया…
और उसे जब होश आया तो कार की सीट की हालत देखकर उसके तोते उड़ गये…
उसने जल्दी से अपना रुमाल निकालकर सीट सॉफ की, पर उसका गीलापन जल्दी जाना संभव नही था…

वो वापिस अपनी सीट पर आकर बैठ गया.

कुछ ही देर में संजना आती हुई दिखाई दी, जिम के बाद उसने अपने कपड़े चेंज कर लिए थे, क्योंकि अब उसे किट्टी पार्टी में जाना था..

निमेश तो उसके बदले हुए रूप को देखकर एक बार फिर से टकटकी लगाए उसे देखता रहा…
ऐसी सुंदरता की मूरत कम ही देखने को मिलती है.

निमेश फ़ौरन गाड़ी से बाहर निकला और उसने संजना के लिए कार का दरवाजा खोला..
इस बार उसकी मुस्तेदी देखकर संजना को अच्छा लगा..
वो अंदर घुसी और सीट पर बैठ गयी…
पर बैठते हुए उसका हाथ जब सीट पर लगा तो वहां कुछ गीलापन महसूस करके उसने तुरंत अपना हाथ वापिस खींच लिया…. इतनी देर में निमेश ने गाड़ी स्टार्ट की और चल दिया.

संजना ने गोर से उस जगह को देखा और सोचने लगी की शायद उसकी जिम वाली बॉटल से पानी गिरा होगा..
पर उसे ध्यान आया की आज तो वो बॉटल लाई ही नही थी… | फिर ये कैसा गीलापन है…. कार में आ रही हल्की महक से उसे कुछ शक सा हो रहा था…
उसने एक बार फिर अपना हाथ उस सीट पर रगड़ा और धीरे से उसे अपने नाक के पास लाकर सूँघा, और उसकी नाक में एक तेज महक आ टकराई…
और वो महक इतनी तेज थी की एक पल के लिए संजना का सिर ही घूम सा गया…
जैसे उसने कोई देसी दारू सूंघ ली हो…
एक नशा सा चढ़ गया उसके सिर और आँखो में.

और शादी के इतने सालो में वो ये बात तो समझ ही चुकी थी की ये महक किस चीज़ की है…
बस उसे इस बात का अंदाज़ा नही था की ये इतनी तेज भी हो सकती है….
उसके दिमाग ने उबलना शुरू कर दिया…
यानी ये निमेश उसकी कार की पिछली सीट पर बैठकर ये काम कर रहा था.

उसने वहां बैठकर मास्टरबेट किया और अपना पानी वहीं गिरा दिया….इसकी इतनी हिम्मत….उसका सारा शरीर गुस्से से काँप सा रहा था…
पर उस गुस्से के साथ-2 उसमे उत्तेजना भी थी…
जो ना जाने कब उसमें बुरी तरह से भर सी गयी थी…
शायद उसी पल से जब से उसने वो महक सूँघी थी…
ना चाहते हुए भी उसकी उत्तेजना ने उसके गुस्से को ओवेरटेक कर लिया और अब वो शांत लेकिन उत्तेजना से भरकर वहीं बैठी रही…

निमेश अपनी ही धुन में गाड़ी चला रहा था….हालाँकि वो बेक मिरर से संजना को भी ताड़ रहा था पर उसके अंदर चल रहे अंतर्द्वंद को वो नही देख पा रहा था.

और पिछली सीट पर बैठी संजना के हाथ एक बार फिर से उस गीली सीट की तरफ सरकने लगे…
और फिर ना जाने क्या आया उसके दिमाग़ में की उसने अपनी नर्म उंगलियों को उस जगह पर रगड़ना शुरू कर दिया…
जैसे वो उस सीट से सारा रस अपनी उंगलियों में समेट रही हो….
और फिर बाहर की तरफ देखते हुए उसने अपनी उन उंगलियों को अपने होंठो के पास रखा और फिर एकदम से उन्हे मुँह में डालकर चूस लिया….
एक अजीब सा तीखा स्वाद उसकी जीभ पर आ गया…
एक ऐसा स्वाद जो उसने पहली बार महसूस लिया था…
और वो शायद इसलिए की ऐसे बस्ती में रहने वाले का वीर्य उसने पहली बार टेस्ट किया था…
आज से पहले उसने सिर्फ़ अपने कॉलेज टाइम में अपने बाय्फ्रेंड का और उसके बाद शादी के बाद अपने पति का चूसा था…

पर अब ये टेस्ट करके उसे ऐसा फील हो र्हा था जैसे वो आज तक वो बिना मसाले की सब्जी खाती आ रही थी
असली तीखापन और महक तो इसमें थी…
कल भी उसने जब निमेश को नहाते हुए अपना लंड रगड़ते देखा था तो उसकी चूत में एक गीलापन आया था, पर अब जो हो रहा था उसके बाद तो उसकी चूत ने जो पानी निकाला था उससे नीचे की सीट तक गीली हो चुकी थी…
वो तो शुक्र था की उसने जो कपड़े पहने हुए थे उनमे गीलापन दिखाई नही देना था वरना कोई भी पीछे से देखकर बता सकता था की इस औरत की चूत रिस रही है.

कुछ ही देर में वो उस क्लब हाउस में पहुँच गये जहाँ पर किट्टी पार्टी थी….
पर संजना अपनी ही दुनिया में खोई हुई अपनी एक उंगली को मुँह में डाले चूस रही थी.

निमेश कार से उतरा और उसने दरवाजा खोलकर कहा : “मेडम…मेडम…हम पहुँच गये हैं….”

तब जाकर संजना को होश आया… उसने अपना हुलिया ठीक किया और अंदर चल दी… पर जाते -2 उसे ये एहसास भी हो गया था की वो जहाँ बैठी थी वो जघा गीली हो चुकी है… और अगर निमेश एक बार फिर से पिछली सीट पर जाकर बैठा तो उसे ये पता चलते देर नही लगेगी की वो सीट उसकी चूत के रस की वजह से गीली हुई है… इसलिए वो चलते-2 वापिस पलटी और निमेश से बोली : “सुनो….तुम भी मेरे साथ अंदर चलो..कुछ खा लेना”

अब भला निमेश कैसे मना करता… उसने गाड़ी पार्किंग में लगाई और संजना के साथ अंदर पहुँच गया.

आज निमेश का दिल कह रहा था की उसके साथ कुछ अच्छा होने वाला है

अंदर जाकर संजना ने निमेश को एक कोने में टेबल पर बिठा दिया और खुद अपनी फ्रेंड्स के पास पहुँचकर उनके साथ बातें करने लगी.

संजना ने निमेश की टेबल पर भी कुछ खाने का समान भिजवा दिया, और वो खुद अपनी फ्रेंड्स के साथ बैठकर खाने-पीने में बिजी हो गयी
कुछ देर तक बाते करते हुए, स्नेक्स खाते हुए 1 घंटा ऐसे ही बीत गया…और फिर शुरू हुआ टेबल पर ताश के पत्तो का खेल… जो हर बार खेला जाता था.

निमेश ने जब दूर बैठकर देखा की ताश की गड्डी निकल आई है तो उसकी आँखो की चमक बड़ गयी…
वो तो रोज का खेलने वाला था और ऐसे मे ताश की गड्डी का खेल चले तो अपने आप इंटेरेस्ट बड़ ही जाता है.

सभी लेडीज़ 4 – 4 के ग्रुप में ताश खेलने लगी….पर निमेश का ध्यान तो संजना मेडम वाले ग्रुप पर था
शुरू में संजना ने रम्मी खेली….
फिर सीप का खेल खेला….जो अक्सर औरतें खेलती रहती है….
और हर गेम में पैसे भी लग रहे थे..यानी प्रॉपर जुआ चल रहा था टेबल पर…
निमेश ने आजतक औरतों को जुआ खेलते हुए नही देखा था…
और वो भी इतनी हाइ सोसायटी की…इसलिए वो टकटकी लगाए उनका खेल देखता रहा…

कुछ देर में संजना और उसके ग्रुप वाले 3 पत्ती खेलने लगे..

ये देखकर निमेश और भी खुश हुआ… क्योंकि इस खेल में तो वो उस्ताद था.

वो आराम बैठकर अपनी मेडम का खेल देखने लगा..
और पहली गेम में ही उसे पता चल गया की उनमे से कोई भी मंझा हुआ खिलाड़ी नही है.

हालाँकि वो बड़ी-2 ब्लाइंड और चालें चल रहे थे, पर दिमाग़ लगाकर कोई भी नही खेल रहा था…
एक बार में ही 10 हज़ार की टेबल हो रही थी…
जो निमेश के लिए काफ़ी ज़्यादा थी…
पर उन अमीर औरतों के लिए शायद ये नॉर्मल था.

संजना इस वक़्त अपनी सबसे बड़ी प्रतिद्वंदी आरती चोपड़ा के साथ खेल रही थी, और सभी को पता था की दोनो में से कोई भी झुकने को तैयार नही होता.. आरती के पति पहले CM रह चुके थे और आज की डेट में संजना के पति मंत्री थे….
इसलिए दोनो में से कोई भी अपने आप को कम नही समझता था.

पर संजना के खेलने का तरीका ही ऐसा था की वो 10 मिनट में करीब 30 हज़ार रुपय हार गयी…
हालाँकि 2-3 गेम्स जीती भी थी उसने पर ज़्यादातर हार रही थी वो |

आरती अपनी सहेलियों से घिरी, अपने पत्तो के दम से हर बार जीत के बाद खुल कर हँसती…उसकी सहेलियाँ तालियाँ बजाती जो संजना के दिल पर करारे थप्पड़ की तरह पड़ती.

संजना के चेहरे से उसका गुस्सा सॉफ दिख रहा था…
उसे पैसे हारने का गम नही था, उसे गम था तो सिर्फ़ ये की वो गेम हार रही थी और वो भी अपनी सबसे बड़ी दुश्मन मिसेज चोपड़ा से…जो वो हरगिज़ नही चाहती थी.

अगली गेम जब शुरू हुई तो दोनो ने 1-1 हज़ार की ब्लाइंड चलने के बाद आरती ने अपने पत्ते उठाए और देखते के साथ ही चाल चल दी…उसके चेहरे पर फिर से एक मुस्कान आ गयी , यानी उसके पास अच्छे पत्ते आये थे

सामने से चाल आती देखकर जैसे ही संजना ने पत्ते उठाने चाहे, पीछे से निमेश की आवाज़ आई : “मेडम…आप पत्ते मत देखो…ब्लाइंड चलो…”

आवाज़ सुनते ही संजना चोंक गयी…
पीछे मुड़कर देखा तो निमेश उसके ठीक पीछे खड़ा था…
एक पल के लिए तो वो डर सी गयी…
पर फिर सामान्य होकर उसने आरती की तरफ देखा… वो बोली : “इट्स ओके .. तुम अपने ड्राइवर की हेल्प ले सकती हो…. क्या पता तुम कुछ पैसे जीत जाओ…”
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#8
bahut badhiya shuruaat,please hinglish mien likho bhai
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#9
great start super story
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#10
It's awesome starting please complete it
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#11
awesome start, super excellent writing
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#12
Super story. Very nice. Post more
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#13
ये उसने संजना को चोट पहुँचाने के इरादे से कही थी…और वो चोट लगी भी..पर संजना ने उसे उजागर नही होने दिया..

और निमेश के कहे अनुसार उसने 1 हज़ार की ब्लाइंड चल दी| वो अच्छी तरह से जानती थी की निमेश बहुत जुआ खेलता है, ऐसे में शायद उसकी मदद से कुछ करिश्मा हो जाए.

आरती अपने पत्ते देख चुकी थी, इसलिए उसने 2 हज़ार की चाल चली….
निमेश के कहने पर एक बार फिर से उसने ब्लाइंड चल दी.. पर शायद मिसेस चोपड़ा ज़्यादा ही कॉन्फिडेंट थी, उन्होने चाल डबल करते हुए 4 हज़ार की कर दी…
सामने से संजना ने 2 हज़ार फेंके…
फिर से चाल डबल हुई और 8 हज़ार आए….
ऐसे करते-2 निमेश ने संजना को ब्लाइंड में ही खिलाते हुए 20 हज़ार की ब्लाइंड तक पहुँचा दिया..
जबकि सामने से आ रही चाल 40 की हो चुकी थी…
आलम ये था की मिसेस चोपड़ा जो पैसे अभी तक जीती थी, उसके अलावा भी उनके सारे पैसे ख़त्म हो चुके थे…
ऐसे में शायद उसे डर सा लग रहा था की वो हार गयी तो सारा पैसा संजना ले जाएगी… उसकी इज्जत जाएगी वो अलग.

उसने अपने पैसे चेक किए और अगली बार जब संजना की ब्लाइंड आई तो बीच में 40 हज़ार डालते हुए उसने संजना से शो माँग लिया.

सभी के दिल की धड़कन बड़ी हुई थी..
निमेश साथ वाली चेयर पर आकर बैठ चुका था…
संजना ने उसकी तरफ डरी हुई नज़रों से देखा….
और अपने पत्ते उसकी तरफ खिसका दिए…
वो नही चाहती थी की अपने पत्ते खुद देखे.

निमेश ने पत्ते उठाए और सभी से बचा कर उन्हे देखा…
और फिर सभी के चेहरों की तरफ…
उसने पहला पत्ता नीचे फेंका.

वो हुक्म का 7 नंबर था.

आरती के चेहरे पर स्माइल सी आ गयी….
जैसे वो जीत गयी हो…
शायद अपने पास आए पत्तो पर उसे ज़्यादा यकीन था.
निमेश ने दूसरा पत्ता फेंका…
वो ईंट का 9 नंबर था.


अब तो मिसेस आरती चोपड़ा की आँखे चमक उठी….
उसने एक जोरदार ठहाका लगाते हुए अपने तीनो पत्ते नीचे फेंक दिए

उसके पास K का पेयर आया था…और साथ में इक्का था.

संजना का दिल रो पड़ा वो देखकर…
ऐसी भरी महफ़िल में एक और हार वो बर्दाश्त नही कर सकती थी…
और वो भी तब जब सभी की नज़रें थी इस गेम पर..

पर जैसे ही आरती ने सारे पैसे अपनी तरफ खिसकाने चाहे, निमेश के काले हाथों ने उसे रोक दिया.. और अपना तीसरा पत्ता बीच में फेंक दिया.

वो था चिड़ी का 8 नंबर.

यानी उसके पास 7,8,9 का सीक़वेंस आया था..

उसके पत्तो को देखकर आरती के साथ-2 उसकी सहेलियों के चेहरे का भी रंग उड़ गया… इतने बड़िया पत्तों की उन्हे उम्मीद भी नही थी..
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#14
और वहीं दूसरी तरफ संजना को अपनी आँखो पर विश्वास ही नही हुआ.. आज से पहले उसके पास इतने अच्छे पत्ते नही आए थे…. और इस बार ठहाका लगाने की बारी संजना की थी… उसने ज़ोर से हंसते हुए, आरती का मज़ाक सा उड़ाते हुए, सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए… और दोनो को पता था की इस गेम में पैसों से ज़्यादा उनकी इज़्ज़त दाँव पर लगी थी… जो संजना की बच गयी थी और मिसेस चोपड़ा की लुट गयी थी.

वो जब बाहर आए तो जैसे ही गाड़ी का दरवाजा निमेश ने खोला, संजना ने उसे मुस्कुराते हुए बंद किया और घूमकर आगे वाली सीट का दरवाजा खोला और वहाँ बैठ गयी… निमेश को विश्वास ही नही हुआ…पहले ही दिन वो उससे इतना इंप्रेस हो गयी थी की पिछली सीट से उठकर अगली पर आ चुकी थी… इस वक़्त संजना गीली सीट वाला वाक़या बिल्कुल भूल चुकी थी…. उसे बस खुशी थी तो वो ये की उसने आज क्लब में एक बड़ी गेम जीती है और वो भी मिसेस चोपड़ा को हराकर… आज उसकी नाक थोड़ी और उँची हो गयी थी…

इसलिए निमेश को थेंक्स कहने के लिए वो उसके साथ आगे ही आकर बैठ गयी.. गाड़ी चलते ही वो बोली : “थॅंक्स निमेश…तुम्हे पता नही है की आज तुमने कितना बड़ा काम किया है….ये लो इसका इनाम…” इतना कहते हुए उसने अपने पर्स में से, जो इस वक़्त पैसो से बुरी तरह से भरा हुआ था, करीब 20 हज़ार निकाल कर निमेश को दे दिए… निमेश ने हंसते हुए उन्हे अपने पास रख लिया..

संजना : “पर एक बात का मुझे अभी तक विश्वास नही हो रहा है की इतने अच्छे पत्ते मेरे पास आए है, ये बात तुम्हे कैसे पता थी… वरना उसकी तरफ से आ रही चाल को देखकर मैं तो समझ ही गयी थी की उसके पास पत्ते अच्छे है, हो सकता था की मेरे पत्ते बेकार निकलते…”

निमेश ने मुस्कुराते हुए कहा : “मेडम जी….आपके पत्ते बेकार ही निकले थे…. ये देखो…ये रहे आपके पत्ते…” इतना कहते हुए उसने अपनी आस्तीन में से तीन पत्ते निकाल कर संजना को पकड़ा दिए… संजना फटी आँखो से उन्हे देखने लगी…वो 4, 7 और बादशाह थे और वो भी अलग-2 कलर के… 

संजना : “पर…ये…कैसे….” 

निमेश : “हा …हा…मेडम जी…मैने जब ब्लाइंड पे ब्लाइंड चलने के बाद पत्ते उठाए तो उन्हे मैने अपनी कलाई के अंदर छुपाए पत्तो से बदल दिया था… वैसी ही ताश की गड्डी मैने एक वेटर से पहले माँग ली थी…”

उसकी इस कलाकारी की बात सुनकर तो संजना उसकी और भी बड़ी वाली फेन हो गयी…. यानी वो खुद खेलती तो वो पक्का ही हार जाती….

उसने प्यार भरी नज़रों से निमेश को थेंक्स कहा| आज पहली बार उसे अपनी नौकरानी का पति निमेश अच्छा लगा था… वरना आज से पहले वो उसे दूसरी ही नजर से देखती थी..

पर वो बेचारी ये नही जानती थी की ये निमेश की भी प्लानिंग है…
धीरे-2 वो संजना को अपने जाल मे फँसा रहा था….
आज उसके जुए का एक्सपीरियेन्स काफ़ी काम आया था…
और आने वाले टाइम में भी ये जुए का खेल उसके बहुत काम आने वाला था… क्योंकि दिवाली आने वाली थी.
और उसी जुए की हेल्प से वो संजना की चूत मारने के सपने देखने लगा.
[Image: 6515952_0248f19_900x2999.jpg]

कार में बैठा निमेश बार-2 तिरछी नज़रों से संजना को देख रहा था.
वेस्टर्न ड्रेस में उसके मोम्मे पूरी तरह से उभरकर दिख रहे थे… संजना भी जानती थी की निमेश की नज़रें उसी की तरफ है, पर आज वो खुश ही इतनी थी की उसे बिल्कुल भी बुरा नही लग रहा था.. बल्कि निमेश ने जो काम किया था, उसके बाद तो उसका इस तरह से देखना उसे अच्छा लग रहा था. 
[Image: 1312683_8cd161b.jpg]

और ये निशानी होती है एक चुद्दक्कड़ औरत की…
अपनी क्लास के मर्दों को छोड़कर जब वो दूसरों की गंदी नज़रों का मज़ा लेने लग जाए तो समझ लेना चाहिए की उसने चुद्दक्कड़ बनने का एक और एग्साम पास कर लिया है.

और अपनी ही खुशी में डूबी संजना ने अपने पर्स में से एक छोटी सी वॉटर बॉटल निकाली और पी ली.
और ढक्कन खुलते ही निमेश दिमाग की सारी नसें खुल सी गयी.

वो बोला : “मेडम….आप पीती भी है…?”

निमेश के इतना कहने की देर थी की वो आश्चर्य से उसे देखने लगी…
उसे शायद विश्वास नही हो पा रहा था की निमेश को पता चल गया है की वो वोड्का पी रही है..
ये तो इंपॉर्टेंट वोड्का थी, जिसमें स्मेल भी नही आती थी पीने के बाद
वो अक्सर पार्लर में या पार्टी में भी यही ब्रांड पिया करती थी, पर आज तक किसी को पता नही चल सका था की वो पानी नही वोड्का है…
पर निमेश ने एक पल मे ही जान लिया…

और पहचानता भी क्यो नही, दारू में पी एच डी जो कर रखी थी उसने.

संजना भी समझ गयी की वो काफ़ी घाघ किस्म का आदमी है और इससे कुछ भी छुपाना बेकार है.

वो बोली : “हाँ … अक्सर जब भी मैं खुश होती हूँ, तो ये पी लेती हूँ…”

और फिर निमेश की ललचाई नज़रों की तरफ देखते हुए बोली : “ये लो…तुम भी पी के देखो..”

इतना कहकर उसने लगभग आधी बची हुई बॉटल उसकी तरफ लहरा दी…
निमेश की तो आँखे चमक उठी, दारू देखकर नही बल्कि उसपर लगी संजना के होंठो की लाल लिपस्टिक देखकर… उसने तुरंत वो बॉटल हाथ में ले ली और एक ही झटके से उसे अपने काले होंठों से लगाकर गटागट पीने लगा… | अंदर से आ रहे वोड्का से ज़्यादा वो उसके मुँह पर लगी संजना के नर्म होंठों की लाली का स्वाद ले रहा था…
और उसे पीते हुए ऐसा महसूस हो रहा था जैसे वो बॉटल को नही बल्कि संजना के होंठों को चूस रहा है.

संजना भी उसे इस उतावलेपन से बॉटल पीते देखकर हैरान थी…
पर वो समझ गयी थी की वो ऐसा क्यो कर रहा है…
और कुछ सोचकर वो मंद-2 मुस्कुराने लगी…
और एक बार फिर से उसकी नज़रें निमेश के लंड के उभार की तरफ चली गयी.

संजना उसके उभार को देख रही थी और निमेश उसके उभारों को..
गाड़ी चलाते हुए अब उसे हल्का-2 सुरूर सा हो रहा था…
ठीक वैसा ही जैसा संजना पर था इस वक़्त…
इसलिए दोनो ही बिना किसी शर्म के एक दूसरे को निहार रहे थे.

निमेश ने नोट किया की संजना मेडम की टाइट ड्रेस में अचानक दो बिंदु उभर आए…
और वो और कुछ नही उसके निप्पल्स थे जो शायद निमेश के लंड की तरफ देखते हुए उजागर हो गये थे.

अब तो निमेश के लिए गाड़ी चलाना भी कठिन हो गया..

और जब उसने अपने लंड को एडजस्ट करने के लिए उसपर हाथ रखा तो संजना की नज़रें वहां चिपकी रह गयी…
उसे इस वक़्त शायद ये एहसास भी नहीं रह गया था की वो एक मंत्री की बीवी है और अपने ड्राइवर को इतनी गंदी नज़रों से देख रही है.

लंड के आकार का तो उसे बाहर से ही अंदाज़ा हो गया था…
कम से कम 8 इंच का तो था वो…
ऐसे नाग को पिटारे में बिठाये रखना अब निमेश के लिए भी काफ़ी मुश्किल हो गया था.

वो तो शुक्र था की जल्द ही वो बंगले पर पहुँच गये…
दोनो की हालत खराब थी.

निमेश ने गाड़ी अंदर खड़ी की तो संजना लड़खड़ाती हुई सी बाहर निकली, उसकी चाल को देखकर कोई भी बता सकता था की मेडम ने पी रखी है…
वो उसकी मटक रही गांड को देखकर अपने लंड को कार में बैठे -2 ही मसलने लगा और सोचने लगा की कब वो दिन आएगा जब इसे नंगा करके इसकी गांड में अपना लंड पेलेगा.

अपने बेडरूम में पहुँचकर संजना ने एक-2 करके अपने सारे कपड़े उतार दिए…
आज उसकी ब्रेस्ट पहले से ज़्यादा फूली हुई लग रही थी…
इनमे दौड़ रहा खून आज कुछ ज़्यादा ही गर्मी पैदा कर रहा था… उसकी मांसपेशिया और निप्पल्स पूरी तरह से उभरकर बाहर निकले हुए थे.
[Image: 5400906_a7a6d4d.jpg]
वो अपने बदन को उपर से नीचे तक सहलाने लगी… और फिर जैसे उसे कुछ याद आया और उसने नम्रता को आवाज़ दी..
वो किचन मे काम कर रही थी, अपनी मालकिन की आवाज़ सुनते ही दौड़ती हुई वो उनके बेडरूम में आ गयी…

और वहाँ पहुँचकर उसने देखा की संजना पूरी तरह से नंगी होकर अपने आप को शीशे में निहार रही है… एक पल के लिए तो बेचारी सकपका सी गयी.

फिर डरते-2 बोली : “जी मालकिन, आपने बुलाया था क्या ?”

संजना ने मस्ती भरी नज़रों से उसे देखा और बोली : “हाँ ….बुलाया था…चल आजा ज़रा…बदन दुख सा रहा है आज…मालिश कर दे”

नम्रता भी उसके हाव भाव देखकर हैरान सी थी… इतनी बेशर्मी से अपने नंगे जिस्म की नुमाइश उन्होने आज तक नही की थी… और बात करते हुए वो अपनी ब्रेस्ट के निप्पल्स को जिस तरह से मसल रही थी, वो देखकर नम्रता के बदन में भी टीस सी उभरने लगी… आज तक इतनी बेफिक्री से कपड़े उतारकर संजना मेडम नही खड़ी हुई थी..

पर अभी जैसा व्यवहार वो कर रही थी उसे देखकर लगता था जैसे कोई धंधे वाली अपने कस्टमर से बात कर रही है..नम्रता ने अपनी नज़रें झुका ली और भागकर ड्रेसिंग टेबल से वही जादुई तेल की शीशी निकाल लाई…

तब तक संजना अपने बेड पर लेट चुकी थी… नम्रता ने तेल उसकी कमर पर उड़ेलकर मालिश करनी शुरू कर दी…

और जैसे ही नम्रता के सख़्त हाथ उसके नर्म बदन पर पड़े, उसके मुँह से एक मादकता से भरी सिसकारी निकल गयी.

”सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स अहहssssssss ”

ऐसा आज तक नही हुआ था, आज से पहले कभी भी संजना ने ऐसा उजागर ही नही होने दिया था जिससे लगे की उसे शारीरिक रूप से सुख की प्राप्ति हो रही है…
वो बस चुपचाप लेटी रहती और नम्रता उसका बदन तेल से मसलकर चली जाती..

पर आज नम्रता को ना जाने क्यों पहले ही लग गया था की कुछ अलग बात है…
संजना इस वक़्त पेट के बल लेटी थी और वो जान बूझकर अपनी गांड वाले हिस्से को उपर की तरफ उभारकर लहरा सी रही थी…
नम्रता समझ गयी की वो वहां की मालिश ज़्यादा से ज़्यादा करवाना चाहती है, इसलिए उसने एक लंबी तेल की धार उसके सफेद चूतड़ों पर छोड़ी और अपने हाथों से उन गुदाज कुल्हो को मसलना शुरू कर दिया..
और वो भी जल बिन मछली की तरह उसके हाथो को अपनी गांड पर महसूस करके तड़पने लगी..थिरकने लगी…
[Image: 1195045_b9b993c_900x2999.jpg]
और थिरकते -2 उसने अपनी गांड के चीरे में नम्रता की उंगलियों को जकड़ लिया…
नम्रता को ऐसे लगा जैसे किसी चूने की भट्टी में उसके हाथ फँस गये हैं…
पर उसने उन्हे निकालने की जुर्रत नही की क्योंकि संजना ने अपनी गांड की पकड़ उनपर ऐसे बनाई हुई थी जैसे वो यही चाहती हो
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#15
नम्रता अपनी उंगलियो को धीरे-2 हिलाकर उसकी अंदरूनी दीवारों को मसलने लगी…
संजना के शरीर में लाखों वॉट की बिजली दौड़ रही थी, एकदम गर्म सा हो चुका था उसका बदन…
उसका खुद पर जैसे कोई कंट्रोल ही नही रह गया था…
उसे बंद आँखो से सिर्फ़ और सिर्फ़ निमेश का मोटा लंड दिखाई दे रहा था, जो उसने अपनी पेंट के अंदर अकड़ा कर रखा था, उसे महसूस हुआ की वो लंड उसकी पेंट में नही बल्कि उसकी खुद की गांड में आकर बंद सा हो चुका है, और नम्रता उसे निकालने की कोशिश कर रही है..
और वो ऐसा हरगिज़ नही होने देना चाहती थी… इसलिए उसने अपना हाथ पीछे करके नम्रता का हाथ पकड़ा और उसे अपनी चूत की तरफ धकेल दिया…

नम्रता ने आज से पहले अपनी मालकिन की बुर को हाथ तक नही लगाया था, वो खुद ही नही लगाने देती थी, हालाँकि वो उसके सामने पूरी नंगी होकर मालिश करवाती थी, पर चूत के करीब आते ही वो उसके हाथ को दूर खिसका देती थी…
पर आज ऐसा नही था, वो खुद उसके हाथों को पकड़कर अपनी चूत पर ले गयी और उसकी कड़क उंगलियों को अपनी शहद की शीशी जैसी चूत में डुबो कर सीसीया उठी…

”आआआआआआआआआआआआआआअहह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…. उम्म्म्मममममममममम….”

और फिर नम्रता के हाथों को अंदर बाहर करते हुए उसने ये इशारा किया की ऐसे ही करो…
नम्रता बेचारी पहली बार अपनी मालकिन का ये रूप देख रही थी…
वो अपने दाँये हाथ से उसकी चूत में उंगलियाँ डालकर उसे मसलने लगी…
उसे तो ऐसा लग रहा था जैसे उसने वो उंगलियाँ जेम की शीशी में डाली हुई है…
एकदम गाढ़ापन लिए उसकी चूत बहुत बड़िया खुश्बू फेंक रही थी..
[Image: 6020354_f657a74.jpg]

अब उसका खुद पर भी कण्ट्रोल नहीं रह गया था

आज कुछ स्पेशल होने वाला था उस कमरे में.

संजना ने आँखे खोल कर देखा की नम्रता की साँसे तेज होने लगी है, उसका सुडोल सीना उपर नीचे होकर उसकी उत्तेजना का इज़हार कर रहा था..
शुरू से ही शाही शानोंशोकत में पली संजना का मन एक बार फिर से डोल गया…
पहले वो नम्रता के पति निमेश को देखकर गर्म हो गयी थी और अब उसे देखकर.

ये क्या हो रहा था उसे, ऐसा तो आज तक उसने फील नही किया था…
शायद उसकी हमेशा से कुछ नया ट्राइ करने की आदत ने इस वक़्त उसे बहका सा दिया था, तभी वो नम्रता को अब खा जाने वाली नज़रों से देख रही थी.

नम्रता ने एक कॉटन की साड़ी पहनी हुई थी…संजना ने उसकी साड़ी का पल्लू खींचकर नीचे गिरा दिया.

नम्रता सकपका कर रह गयी, पर अपनी मालकिन के सामने कुछ भी बोलने की हिम्मत नही थी उसकी.

संजना अब उसके उठते-गिरते सीने को कसे हुए ब्लाउज़ में सॉफ देख पा रही थी, उसके ब्लाउज़ का कट काफ़ी लो था, जिसकी वजह से उसकी सैक्सी क्लीवेज़ सॉफ दिख रही थी.. |  संजना सोचने लगी पता नही इन ग़रीब लोगो को क्या शॉंक होता है, इस तरह के लो-कट गले के ब्लाउज़ पहनने का, वो खुद अगर ऐसा ब्लाउज़ पहन कर निकल जाए तो शहर में क़त्ले-आम हो जाए.

पर इस वक़्त उसे वही ‘ग़रीबी से भरे’ बूब्स आकर्षक लग रहे थे…
नीचे उसका सपाट पेट था, नम्रता ने साड़ी भी नेवल से काफ़ी नीचे पहनी हुई थी…
उसकी अंदर की तरफ़ धँसी हुई नाभि भी आकर्षक लग रही थी..
[Image: 3503839_03cd9ca.jpg]

कुल मिलाकर आज पहली बार उसने नम्रता की सुंदरता को नोट किया था…
उसका मस्त बदन नंगा होकर कैसा लगेगा, ये सोचकर ही वो वेट हो गयी….और उसकी चूत से निकले इस पानी की गर्माहट नम्रता ने सॉफ महसूस की.

अचानक संजना ने उसके ब्लाउज़ के उपर से ही उसके बूब्स पकड़ कर ज़ोर से दबा दिए.

”आआआआआआआआअहह….सस्स्स्स्स्स्स्सस्स…. बीवी जी……..ई का कर रहे हो…..”

बदले में संजना ने उसे अपनी आँखे दिखा दी, बेचारी वहीं चुप सी होकर सिसकती रह गयी.

संजना ने उसके बूब्स की कसावट को अच्छे से अपनी हथेलियों के नीचे महसूस किया…
ऐसे कड़क बूब्स तो उसके 16 की उम्र में थे, उसके बाद तो इनपर इतना काम हुआ की वो गुब्बारे जैसे मुलायम होते चले गये..
[Image: 1364584_a6aee7d_900x2999.jpg]
उसे इस वक़्त उन्हे मसलने में काफ़ी मज़ा आ रहा था, उसने एक-2 करके उसके ब्लाउज़ के बटन खोलने शुरू कर दिए…
बेचारी नम्रता कुछ भी नही कर पाई और एक ही पल में उसके ब्लाउज़ के दोनो पाट अंदर के दर्शनो के लिए खुल गये.
हमेशा की तरह उसने आज भी ब्रा नही पहनी थी…
संजना ने उसके ब्लाउज़ को खींचकर नीचे उतार दिया और अब वो टॉपलेस होकर उसने सामने खड़ी थी…
उसके कड़क बूब्स की सुंदरता देखते ही बनती थी..
[Image: 5281562_bb4dce9_1200x1200.jpg]
संजना के तो मुँह में पानी सा आ गया, उसने तुरंत उसे अपनी तरफ खींचकर उसके बूब्स पर अपने होंठ रख दिए और उन्हे पागलों की तरह चूसने लगी…

”आआआआआआआआआअहह बीवी जी……… उम्म्म्ममममममममममममममम…. मत करो….ऐसा……अहह… ये ठीक नही है……..अहह”

पर उसकी बुदबुदाहट अंदर ही घुट कर रह गयी…
संजना उसके कड़क निप्पलों में से ताज़ा क्रीम चूसकर निकालने में लगी थी..

हालाँकि नम्रता को भी मज़ा मिलना शुरू हो गया था, पर वो अपनी उत्तेजना का इज़हार करके अपनी मालकिन के सामने कोई सीन क्रियेट नही करना चाहती थी.

संजना ने एक-एक करके उसके दोनो बूब्स को अच्छे से निचोड़कर पिया, ऐसा करते हुए उसने नम्रता के हाथ को अपनी चूत से निकलने भी नही दिया… इस तरह से वो दोनो तरफ का मज़ा ले रही थी.

और उसके बूब्स चूसते -2 उसमें पता नही कौनसी चुड़ेल घुस गयी, वो बेड से उठकर बैठ गयी और उसने आनन फानन में उसकी साड़ी खोलकर एक कोने में फेंक दी, और फिर उसके पेटीकोट के नाडे को खोलकर उसे भी नीचे गिरा दिया.

और उसके बाद नम्रता खड़ी थी उसके सामने
ठीक उसी की तरह नंगी..
पूरी नंगी

संजना तो उसके सुगठित शरीर को देखकर दंग ही रह गयी…
आज तक उसने इस मदहोशी से भरे जिस्म को कपड़ों के नीचे छुपा कर रखा था…
पर आज बेपर्दा होने के बाद वो उसकी सुंदरता की कायल हो गयी..
हालाँकि वो अपनी सुंदरता के आगे किसी को उपर नही मानती थी, पर आज उसका नम्रता की सुंदरता को देखकर दिल से तारीफ करने का मन कर रहा था.

वो आगे बड़ी और उसने नंगी नम्रता को अपनी बाहों में ले लिया और फिर उसे बेतहाशा चूमने लगी…
पहले उसकी गर्दन , फिर चेहरा और अंत में आकर उसके रसीले होंठों को.
[Image: 5281565_bcd2e7e_1200x1200.jpg]
संजना के लिए भी ये पहला मौका था की वो किसी और औरत को इस तरह से प्यार कर रही थी, पर नम्रता के नंगे बदन में आकर्षण ही ऐसा था की वो खुद को रोक नही पाई और उससे लिपट कर उसे प्यार करने लगी..

प्यार क्या करने लगी उसे खाने को तैयार हो गयी वो तो..
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#16
नम्रता तो जैसे नंगी होकर किसी सदमे में आ गयी थी उस गाँव की औरत को क्या पता था की ये लेस्बियन सैक्स क्या होता है उसे तो बस औरत और मर्द के जिस्मानी रिश्ते के बारे में ही पता था की मर्द का लंड औरत की चूत में जाकर दोनो को मज़ा देता है
जब उसके पति निमेश का मोटा लंड उसकी चूत में जाकर हाहाकार मचाता था तो उसे बड़ा मज़ा मिलता था .

पर ये क्या भसूड़ी थी एक औरत, दूसरी औरत के जिस्म को प्यार करके भला कैसे संतुष्ट होगी . सिर्फ़ एक दूसरे की चूत में उंगली करके वो मज़ा तो मिलने से रहा फिर ये मेमसाहब इतना क्यो उत्तेजित हो रही है ये सब करने को.. पर कुछ ही देर में उसके सारे सवालों के जवाब मिलने शुरू हो गये  पहले तो संजना के इस जंगलिपन से उसके शरीर में वही तरंगे उठनी शुरू हो गयी जो निमेश से चुदाई कराते वक़्त उठती थी..

और फिर उसके निप्पल पूरी तरह से कड़क से होकर खड़े हो गये.. जैसे निमेश चूसकर उन्हें खड़ा करता था

और जब उसकी चूत से पानी रिसने लगा तब उसे पता चला की ये सब करने में भी मज़ा मिलता है या मिलने वाला है.

और उसने पहली बार हिम्मत करके अपनी मालकिन के हाथों को अपने स्तनों से हटाकर अपनी चूत की तरफ कर दिया..

संजना भी समझ गयी की बदन से बदन की गर्मी निकली है और आग जल चुकी है

उसने अपनी नर्म मुलायम लंबी उंगलियों को एक-2 करके उसकी चूत में उतार दिया और बाद में अपनी 4 उंगलियों का कोन बनाकर उसकी चूत को चोदने लगी.

”आआआआआआआहह मालकिन .. ये ये क्या मज़ा है ..अहह ऐसा तो आज तक नही सुना ना देखा  पर .पर . मज़ा बहुत मिल रहा है ”
[Image: 5281571_5bb2a4a_1200x1200.jpg]
संजना मे मुस्कुराते हुए उसके हाथ को पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया और अब दोनो एक दूसरे की चूत को अपनी-2 उंगलियों से चोदने में लगे थे.

संजना : “आआआआहह शाबाश आआआआआआअहह ऐसे ही करती रह ..एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स . ऑश यससस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स”

संजना को अब इस मज़े को पूरी तरह से महसूस करना था | उसने नम्रता को बेड पर धक्का दिया और खुद उसके उपर सवार हो गयी 69 की पोज़िशन में  और अपनी चूत को उसके मुँह पर दबाकर खुद उसकी चूत पर टूट पड़ी |

ऐसे टूटी जैसे बरसों बाद उसे फ्रूट से सजी प्लेट मिली हो, और उस फ्रूट प्लेट के हर टुकड़े का वो जी भरकर मज़ा लेना चाहती थी
ख़ासकर उसमे सजे अंगूर के दाने का
जब उसने नम्रता की चूत को चखा तो उसमें से उसे वही खुश्बू आई जैसी कार की पिछली सीट पर निमेश के लंड से निकले पानी की थी .
दोनों के जूस में वही कड़क स्वाद था
उसे चाटकर भी उसका शरीर झनझना सा गया था और इसे चूसकर भी उसका वही हाल हुआ
संजना का पूरा शरीर काँप सा गया
जैसे बिजली का हल्का झटका लगा हो.
[Image: 5281582_f653617_1200x1200.jpg]

और ऐसा होता भी क्यो नही, उसकी चूत के पानी में नमक था ही इतना तेज की उसे फिर से वही तीखा टेस्ट याद आ गया जो कार सीट पर चखा था उसने..

फिर तो वो उसे बुरी तरह से चाटने लगी
चूसने लगी .
खाने लगी.

और वही हाल नम्रता का भी था .
शहद से मीठी चूत थी उसकी मालकिन की
नम्रता ने आज से पहले चूत इतने करीब से नही देखी थी
आँखो के एकदम सामने लहरा रही चूत और उसमें से निकल रहे रस को देखकर वो सम्मोहित सी हो गयी.

और अपनी जीभ निकाल कर उसने वो रस चख लिया .
और फिर वो भी वैसा ही करने लगी जैसा उसकी मालकिन उसकी चूत के साथ कर रही थी .
और फिर उसे मज़ा मिलना शुरू हो गया .
अपने मुँह में भी और अपनी चूत चुसवाने की वजह से चूत से भी.

और जल्द ही दोनो चीखने चिल्लाने लगी .
अपने-2 ऑर्गॅज़म के करीब पहुँचकर दोनो अत्यधिक उत्तेजना में भरकर अपने पूरे शरीर को एक दूसरे से रगड़ने लगे
और अंत में एक जोरदार झटके से दोनो की चूत का फव्वारा फुट गया
जिसने उन दोनो के चेहरों को बुरी तरह से भिगो दिया.

फ़र्क सिर्फ़ इतना था की एक फुव्वारे से मीठा पानी निकला था और दूसरे से नमकीन.

पर स्वाद दोनो में था, तभी दोनो को एक मिनट भी नही लगा सारा रस सॉफ करने में.

और जल्द ही सब कुछ सॉफ करके दोनो ने एक दूसरे की चूत चमका दी.

और फिर संजना हांफती हुई नम्रता के उपर से नीचे उतर आई
दोनो अभी भी अपने-2 ओर्गेस्म से उभरने की कोशिश कर रही थी.
इस बात से अंजान की उनकी इस पूरी हरकत को दरवाजे के पीछे छुपे निमेश ने देख लिया है..

निमेश ने जब उन दोनो को ऐसा करते देखा तो उसकी खुशी का ठिकाना नही रहा
वो तो नम्रता को बुलाने आया था पर उसे क्या पता था की आज नम्रता और संजना की ये जुगलबंदी देखने को मिलेगी उसे

वो हैरान भी था वो सब देखकर..
संजना से ज़्यादा उसे अपनी पत्नी नम्रता पर हैरानी हो रही थी..
गाँव की भोली भाली औरत, जिसने आज तक सैक्स भी सिर्फ़ सीधे तरीके से ही किया था, उसने आज मालकिन के साथ मिलकर जो जलवे दिखाए थे, उनकी चूत चाटी , अपनी चटवाई | यानी वो सब किया उसने जो आज तक शायद सुना भी नही होगा उसने अपनी गाँव से आई बीवी को शहर की चंट औरत संजना ने अपने साथ मिलाकर बिगाड़ दिया था.

वो तो पहले से ही संजना मेडम का दीवाना था, उनके इस सैक्स एडवेंचर को देखकर उसने पक्का निश्चय कर लिया की अब तो वो उसकी मारकर ही रहेगा

एक बार तो उसके मन में आया की अभी दरवाजा खोलकर अंदर घुस जाए और उन्हे रंगे हाथों पकड़ ले..
पर संजना मेडम के मूड का उसे अच्छे से पता था
आख़िर वो मालकिन थी, कुछ भी कर सकती थी
उसकी इस हरकत का गुस्सा मानकर अगर वो उन्हे घर से निकाल दे तो हाथ में आने से पहले ही मछली फिसल जाएगी..

पर एक बात वो अच्छे से जान चुका था की वो है एक नंबर की चुद्दक्कड
और उसे अपने लंड के काँटे से ही फँसाया जा सकता है.

इसलिए अपने दिमाग़ में आगे के लिए योजनाए बनाता हुआ, संजना मेडम के नंगे जिस्म को बंद आँखो में उतारकर वो अपने क्वार्टर में आकर लेट गया..
[Image: 1841176_f35675f.jpg]

अब संजना मेडम को कहीं जाना नही था, इसलिए वो सो गया और जब उसकी नींद खुली तो नम्रता के खिलखिलाने की आवाज़ें आ रही थी वो बाहर किसी से बात कर रही थी | निमेश ने टाइम देखा तो 8 बज रहे थे |
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#17
Mast story.lajwaab

[Image: IMG-20191107-WA0007.jpg]
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#18
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#19
Shandar
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#20
(08-11-2019, 05:57 PM)badmaster122 Wrote: नम्रता तो जैसे नंगी होकर किसी सदमे में आ गयी थी उस गाँव की औरत को क्या पता था की ये लेस्बियन सैक्स क्या होता है उसे तो बस औरत और मर्द के जिस्मानी रिश्ते के बारे में ही पता था की मर्द का लंड औरत की चूत में जाकर दोनो को मज़ा देता है
जब उसके पति निमेश का मोटा लंड उसकी चूत में जाकर हाहाकार मचाता था तो उसे बड़ा मज़ा मिलता था .

पर ये क्या भसूड़ी थी एक औरत, दूसरी औरत के जिस्म को प्यार करके भला कैसे संतुष्ट होगी . सिर्फ़ एक दूसरे की चूत में उंगली करके वो मज़ा तो मिलने से रहा फिर ये मेमसाहब इतना क्यो उत्तेजित हो रही है ये सब करने को.. पर कुछ ही देर में उसके सारे सवालों के जवाब मिलने शुरू हो गये  पहले तो संजना के इस जंगलिपन से उसके शरीर में वही तरंगे उठनी शुरू हो गयी जो निमेश से चुदाई कराते वक़्त उठती थी..

और फिर उसके निप्पल पूरी तरह से कड़क से होकर खड़े हो गये.. जैसे निमेश चूसकर उन्हें खड़ा करता था

और जब उसकी चूत से पानी रिसने लगा तब उसे पता चला की ये सब करने में भी मज़ा मिलता है या मिलने वाला है.

और उसने पहली बार हिम्मत करके अपनी मालकिन के हाथों को अपने स्तनों से हटाकर अपनी चूत की तरफ कर दिया..

संजना भी समझ गयी की बदन से बदन की गर्मी निकली है और आग जल चुकी है

उसने अपनी नर्म मुलायम लंबी उंगलियों को एक-2 करके उसकी चूत में उतार दिया और बाद में अपनी 4 उंगलियों का कोन बनाकर उसकी चूत को चोदने लगी.

”आआआआआआआहह मालकिन .. ये ये क्या मज़ा है ..अहह ऐसा तो आज तक नही सुना ना देखा  पर .पर . मज़ा बहुत मिल रहा है ”
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संजना मे मुस्कुराते हुए उसके हाथ को पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया और अब दोनो एक दूसरे की चूत को अपनी-2 उंगलियों से चोदने में लगे थे.

संजना : “आआआआहह शाबाश आआआआआआअहह ऐसे ही करती रह ..एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स . ऑश यससस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स”

संजना को अब इस मज़े को पूरी तरह से महसूस करना था | उसने नम्रता को बेड पर धक्का दिया और खुद उसके उपर सवार हो गयी 69 की पोज़िशन में  और अपनी चूत को उसके मुँह पर दबाकर खुद उसकी चूत पर टूट पड़ी |

ऐसे टूटी जैसे बरसों बाद उसे फ्रूट से सजी प्लेट मिली हो, और उस फ्रूट प्लेट के हर टुकड़े का वो जी भरकर मज़ा लेना चाहती थी
ख़ासकर उसमे सजे अंगूर के दाने का
जब उसने नम्रता की चूत को चखा तो उसमें से उसे वही खुश्बू आई जैसी कार की पिछली सीट पर निमेश के लंड से निकले पानी की थी .
दोनों के जूस में वही कड़क स्वाद था
उसे चाटकर भी उसका शरीर झनझना सा गया था और इसे चूसकर भी उसका वही हाल हुआ
संजना का पूरा शरीर काँप सा गया
जैसे बिजली का हल्का झटका लगा हो.
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और ऐसा होता भी क्यो नही, उसकी चूत के पानी में नमक था ही इतना तेज की उसे फिर से वही तीखा टेस्ट याद आ गया जो कार सीट पर चखा था उसने..

फिर तो वो उसे बुरी तरह से चाटने लगी
चूसने लगी .
खाने लगी.

और वही हाल नम्रता का भी था .
शहद से मीठी चूत थी उसकी मालकिन की
नम्रता ने आज से पहले चूत इतने करीब से नही देखी थी
आँखो के एकदम सामने लहरा रही चूत और उसमें से निकल रहे रस को देखकर वो सम्मोहित सी हो गयी.

और अपनी जीभ निकाल कर उसने वो रस चख लिया .
और फिर वो भी वैसा ही करने लगी जैसा उसकी मालकिन उसकी चूत के साथ कर रही थी .
और फिर उसे मज़ा मिलना शुरू हो गया .
अपने मुँह में भी और अपनी चूत चुसवाने की वजह से चूत से भी.

और जल्द ही दोनो चीखने चिल्लाने लगी .
अपने-2 ऑर्गॅज़म के करीब पहुँचकर दोनो अत्यधिक उत्तेजना में भरकर अपने पूरे शरीर को एक दूसरे से रगड़ने लगे
और अंत में एक जोरदार झटके से दोनो की चूत का फव्वारा फुट गया
जिसने उन दोनो के चेहरों को बुरी तरह से भिगो दिया.

फ़र्क सिर्फ़ इतना था की एक फुव्वारे से मीठा पानी निकला था और दूसरे से नमकीन.

पर स्वाद दोनो में था, तभी दोनो को एक मिनट भी नही लगा सारा रस सॉफ करने में.

और जल्द ही सब कुछ सॉफ करके दोनो ने एक दूसरे की चूत चमका दी.

और फिर संजना हांफती हुई नम्रता के उपर से नीचे उतर आई
दोनो अभी भी अपने-2 ओर्गेस्म से उभरने की कोशिश कर रही थी.
इस बात से अंजान की उनकी इस पूरी हरकत को दरवाजे के पीछे छुपे निमेश ने देख लिया है..

निमेश ने जब उन दोनो को ऐसा करते देखा तो उसकी खुशी का ठिकाना नही रहा
वो तो नम्रता को बुलाने आया था पर उसे क्या पता था की आज नम्रता और संजना की ये जुगलबंदी देखने को मिलेगी उसे

वो हैरान भी था वो सब देखकर..
संजना से ज़्यादा उसे अपनी पत्नी नम्रता पर हैरानी हो रही थी..
गाँव की भोली भाली औरत, जिसने आज तक सैक्स भी सिर्फ़ सीधे तरीके से ही किया था, उसने आज मालकिन के साथ मिलकर जो जलवे दिखाए थे, उनकी चूत चाटी , अपनी चटवाई | यानी वो सब किया उसने जो आज तक शायद सुना भी नही होगा उसने अपनी गाँव से आई बीवी को शहर की चंट औरत संजना ने अपने साथ मिलाकर बिगाड़ दिया था.

वो तो पहले से ही संजना मेडम का दीवाना था, उनके इस सैक्स एडवेंचर को देखकर उसने पक्का निश्चय कर लिया की अब तो वो उसकी मारकर ही रहेगा

एक बार तो उसके मन में आया की अभी दरवाजा खोलकर अंदर घुस जाए और उन्हे रंगे हाथों पकड़ ले..
पर संजना मेडम के मूड का उसे अच्छे से पता था
आख़िर वो मालकिन थी, कुछ भी कर सकती थी
उसकी इस हरकत का गुस्सा मानकर अगर वो उन्हे घर से निकाल दे तो हाथ में आने से पहले ही मछली फिसल जाएगी..

पर एक बात वो अच्छे से जान चुका था की वो है एक नंबर की चुद्दक्कड
और उसे अपने लंड के काँटे से ही फँसाया जा सकता है.

इसलिए अपने दिमाग़ में आगे के लिए योजनाए बनाता हुआ, संजना मेडम के नंगे जिस्म को बंद आँखो में उतारकर वो अपने क्वार्टर में आकर लेट गया..
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अब संजना मेडम को कहीं जाना नही था, इसलिए वो सो गया और जब उसकी नींद खुली तो नम्रता के खिलखिलाने की आवाज़ें आ रही थी वो बाहर किसी से बात कर रही थी | निमेश ने टाइम देखा तो 8 बज रहे थे |

Ummahhh it's awesome padhte huye Meri chut v Gili hi gayi..
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