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Adultery Diwali ka Jua (with Pictures)
#21
वो आँखे मलता हुआ बाहर निकला तो मालिक यानी अरुण जी को देखकर हैरान रह गया
इतने बड़े रुतबे वाले इंसान, जो एक मंत्री भी है, उन्हे अपनी बीवी से इस तरह से हंस-2 कर बातें करते देखकर वो हैरान रह गया.

पर जिस अंदाज से वो नम्रता को देख रहे थे, उसकी गोलाइयों को घूर रहे थे, और जिस अपनेपन से उसके साथ बातें कर रहे थे, उसे देखकर निमेश एक ही पल में समझ गया की वो भी उसी की तरह हरामी इंसान है..

वो उनकी बीवी संजना की मारने के सपने देख रहा है और ये साहब अपनी हॉट बीवी को छोड़कर उसकी देहाती बीवी के पीछे पड़े हैं

किसी ने सही कहा है, जो चीज़ जिसके पास होती है उसकी कद्र नही होती

पर ये एक ऐसी सिचुएशन थी जिसमें दोनो ही अपनी नही बल्कि दूसरे की बीवी की कद्र कर रहे थे
वैसे ये तो आम बात है हमारे समाज में, इसलिए इन्हे भी दोष देना सही नही है.

निमेश को आता देखकर अरुण बातें करता हुआ रुक सा गया और उससे बोला : “अर्रे, निमेश, उठ गये तुम, मैं तुम्हे ही बुलाने आया था वो ज़रा मेमसाहब को कुछ समान लेने अपनी एक फ्रेंड के घर जाना है तुम ज़रा उन्हे ले जाओ..”

निमेश जब जाने लगा तो अरुण साहब बोले : “और हाँ , आज जो तुमने क्लब में संजना की हेल्प की , उसके लिए थेंक्स वो बता रही थी की कैसे तुमने उसे वो खेल जीतने में हेल्प की गुड वर्क निमेश वापिस आओगे तो ज़रा मेरे साथ भी 2-2 हाथ करना, शायद मुझे भी तुमसे कुछ सीखने को मिल जाए ”

निमेश मुस्कुराया और रात को खेलने की बात करके अंदर चला गया.

निमेश समझ गया की उसे बुलाने आना तो उसका बहाना था, असल में वो नम्रता से बाते करना चाहता था
पर इस वक़्त उसे नम्रता की फ़िक्र से ज़्यादा संजना मेडम का लालच हो रहा था
वो तुरंत तैय्यार होकर संजना मेडम की कार में पहुँच गया.

हमेशा की तरह संजना ने ग़ज़ब की ड्रेस पहनी हुई थी, जिसमें उसके हर एक अंग को सॉफ देखा जा सकता था..
[Image: 1577763_002_fce9.jpg]
अंदर बैठते ही संजना ने उसे एड्रेस समझाया और वो चल दिया
बेक मिरर से वो देख पा रहा था की उनके चेहरे पर कितनी चमक है
वो मोबाइल पर अपनी उसी फ्रेंड से बात कर रही थी, जिसके घर जाना था, और उसके हिलते हुए होंठ देखकर उन्हे चूसने का लालच निमेश में बढ़ता चला गया..
और अपने इस टाइम को कैसे इस्तेमाल करना है, ये भी वो सोचने लगा.

वहां पहुँचकर संजना अपनी गांड मटकाती हुई अंदर चली गयी
वो भी एक मंत्री का बंगला था
गाड़ी जब अंदर पहुँची तो संजना की फ्रेंड उसे लेने के लिए बाहर तक आ गयी
और उसे देखकर निमेश ने पहचाना की ये तो सुबह वाली किटी पार्टी में भी थी
निमेश को देखकर वो मुस्कुरा दी उसने भी सिर झुकाकर उसे नमस्ते किया..
वो भी काफ़ी हॉट लग रही थी.. गुलाबी साड़ी में उसका कसा हुआ शरीर काफ़ी सैक्सी लग रहा था.
[Image: 6646755_b92ff83.jpg]
निमेश भी सोचने लगा की ये अमीर लोग भला घर में भी ऐसे सज धजकर क्यो बैठते है.

खैर, संजना के जाने के बाद वो करीब 1 घंटा कार में बैठा उसका इंतजार करता रहा
घर जाकर अरुण साहब के साथ ताश का खेल भी तो खेलना था
उसके पीने का भी टाइम हो गया था | घर पर एक बॉटल पड़ी थी, बस वो संजना का इंतजार कर रहा था ताकि वो जल्द से जल्द घर जा सके.
कुछ ही देर में संजना बाहर आ गयी, उसके हाथ में एक ब्रीफ़कसे था, वही शायद वो लेने आई थी | पर कार की तरफ आते हुए वो जिस अंदाज से लड़खड़ा कर चल रही थी उससे सॉफ पता चल रहा था की वो अंदर पेग लगा कर आई है | निमेश तो उसके महकते हुए जिस्म और बहकति हुई चाल देखकर कुछ करने के सपने देखने लगा.

जब वो बाहर निकले तो कुछ आगे आकर संजना अपनी बहकती हुई आवाज़ में बोली : “निमेश, मुझे ज़ोर से सुस्सू लगा है .”

उसकी इस बात को सुनकर निमेश भी हँसे बिना नही रह सका शायद ‘सुस्सू’ वर्ड सुनकर

ये काम तो वो अपनी फ्रेंड के घर भी कर सकती थी
पर वो कहते है ना, चुदाई की भूख और इंसान का सुस्सू कभी भी लग सकता है
शायद वही हाल संजना मेडम का भी हो रहा था.

निमेश के दिमाग़ में एक शरारत आ चुकी थी | वो चाहता तो गाड़ी को किसी फेमस रेस्टोरेंट या माल के पास रोक सकता था, जहाँ संजना मेडम अपना मूत निकाल सकती थी | पर उसने ऐसा किया नही | वो गाड़ी चलाता रहा क्योंकि उसे पता था की रास्ते में एक सुनसान रास्ता भी आता है जहाँ सड़क के दोनो तरफ पेड़ ही पेड़ है.

वहां पहुँचते-2 संजना भी मचलने लगी थी, उसे देखकर सॉफ पता चल रहा था की कितना तेज लगा है उसे.. | निमेश ने एक सुनसान सी जगह देखकर गाड़ी पगडंडी पर उतार दी | और घने झाड़ के पास पहुँचकर बोला : “मेडम जी जल्दी से कर लो यहाँ कोई नही देखेगा | 

ये सुनकर तो संजना भी हैरान रह गयी | कहां वो हाइ सोसायटी में रहने वाली अमीर औरत और ये निमेश उसे गँवार औरतों की तरह, खुल्ले में मूतने के लिए कह रहा है और वो भी ज़मीन पर बैठकर आज तक वो बिना कमोड के कहीं बैठी ही नही थी
इसलिए गुस्सा उसके चेहरे पर सॉफ देखा जा सकता था.

पर ये वक़्त गुस्सा करने का था ही नही, उसके पास टाइम ही नही था उसे लग रहा था की थोड़ी देर और रही तो उसका मूत निकल जाएगा
इसलिए जगह की परवाह ना करते हुए वो गाड़ी से उतरी और भागकर घनी झाड़ियो के पीछे पहुँच गयी  पर वहाँ अंधेरा ही इतना था की उसकी फट्ट कर हाथ में आ गयी.

उसने तुरंत निमेश को आवाज़ लगाई वो तो गाड़ी से निकल कर जैसे इसी पल की प्रतीक्षा कर रहा था  निमेश भागता हुआ उसके करीब आया..

संजना : “निमेश, ये ये कैसी जगह है इतना अंधेरा मुझे तो बड़ा डर सा लग रहा है ..तुम .तुम .यहीं रुकना .पर इधर मत देखना . ओके ‘  और निमेश के जवाब की प्रतीक्षा किए बिना ही वो दूसरी तरफ घूमी और अपनी टाइट स्लैक्स को नीचे करके ज़मीन पर मोरनी बनकर बैठ गयी

निमेश इतना कमीना था की उसने दूसरी तरफ मुँह किया ही नही था  और अंधेरे में ही सही पर उसने चाँद को बहुत करीब से देखा  गोल गुंबद के आकार की कसी हुई गांड, जिसे जीन्स में देखकर उसकी आहह निकल गयी थी, निमेश से मात्र 2 फीट की दूरी पर थी  और नीचे बैठकर जब सुरर्र की आवाज़ के साथ उसका गोल्डन पानी बाहर निकला तो उसकी महक से निमेश अंदर तक सिहर गया . ऐसी फीलिंग तो देसी पीकर भी नही आती थी.
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#22
Bahut badiya kahani hai
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#23
वो काफ़ी देर तक मूतती रही.. सच ही कह रही थी वो, काफ़ी ज़ोर से लगी थी उसे और अंत में जब उसका ब्लैडर पूरा खाली हो गया तो वो उठ खड़ी हुई और एक बार फिर से निमेश ने वो चाँद चमकते देखा  वो जैसे ही पलटी तो उसने निमेश को अपनी गांड को घूरते देख लिया  और उसके तन-बदन में एक बिजली सी कौंध गयी.. ये सोचकर की उसकी नंगी गांड उसके ड्राइवर ने देख ली है.
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पर जैसे ही वो गाड़ी की तरफ जाने लगी, निमेश बोला : “ओ मेडम जी, थोड़ा रूको तो ज़रा आपको पेशाब करते देखकर मुझे भी लग गया है मैं भी कर ही लेता हूँ ” 

इतना कहते हुए वो संजना के करीब से होता हुआ आगे तक आया और अपना लंड निकाल कर पेशाब करने लगा.. उसने तो संजना के कुछ कहने की भी प्रतीक्षा नही की और ना ही इस बात का ध्यान रखा की वो काम थोड़ा छुप के कर ले.. वो जिस एंगल में खड़ा था, उसका मोटा लंड संजना को सॉफ दिखाई दे रहा था  बाहर से निकलती गाड़ियों की रोशनी रुक-2 कर उसके लंड पर पड़ती तो संजना को वो सॉफ नज़र आ रहा था  और ये सब उसने जान बूझकर किया था  ताकि वो संजना को अपना लंड दिखा कर उसे उकसा सके.

और संजना पर उसका असर हो भी रहा था  एक तो पहले से ही वो शर्मिंदगी से गड़ी जा रही थी की उसकी नंगी गांड को निमेश ने देख लिया है, उपर से निमेश के इस तरह से बेशर्मी भरे व्यवहार को देखकर, उसे मूतता देखकर, संजना को कुछ-2 होने लगा था,  उसकी छूट गीली हो रही थी.

ये तब भी हुआ था जब उसने सुबह कार की सीट पर निमेश के माल को चखा था
वही चिर-परिचित सी महक एक बार फिर से फ़िज़ा में फैल रही थी
शायद निमेश के लंड पर लगे प्रिकम का कमाल था ये.

मूतने के बाद निमेश धीरे-2 अपने लंड को मसलने लगा और देखते-2 देखते उसका लंड अपने पूरे आकार में आकर फुफ्कार रहा था.

और ये सब देखकर, संजना ,जो उससे सिर्फ़ गज भर के फ़ासले पर खड़ी थी, मंत्रमुग्ध सी होकर उसे ही देखने लगी  उसे मतलब उसके लंड को  ऐसा लग रहा था जैसे किसी तांत्रिक ने उसे अपने सम्मोहन में बाँध लिया है |
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निमेश भी समझ चुका था की उसकी चाल कामयाब हो रही है
वो अपनी ही स्पीड से लंड को मसलता रहा .
धीरे-2 मूठ मार रहा था वो संजना मेडम की आँखो के सामने.
संजना का तो अब ये हाल हो चुका था की उसका मन कर रहा था की आगे बड़े और उसके कड़क लंड को पकड़ ले
पर उसकी हिम्मत नही हो रही थी
उसने निमेश की तरफ देखा तो पाया की वो भी उसी की तरफ देख रहा है.

उसने हड़बड़ाकर आँखे नीचे कर ली

निमेश बोला : “अरे,क्या बात हो गयी मेडम जो चीज़ देखने में अच्छी लगे तो उसे पकड़ लेना चाहिए ”

संजना का पूरा शरीर एक बार फिर से सुन्न सा होकर रह गया .

ये क्या बात कह दी थी निमेश ने, उसके ड्राइवर ने.

पर उसकी इस बदतमीज़ी से भरी बात को सुनकर भी उसका खून नही खोला था, बल्कि चूत का पानी खोल गया, और वो पहले से ज़्यादा गीली होकर रिसने लगी थी.

निमेश शायद उसकी मनोदशा समझ चुका था, इसलिए खुद ही पहल करके उसके करीब आकर खड़ा हो गया..

इतने करीब कीउसका पेंट से बाहर निकला हुआ लंड , संजना की कमर से टच कर रहा था
संजना तो काँप सी गयी |

निमेश ने उसका हाथ पकड़ कर धीरे से अपने लंड पर रख दिया.

संजना के हाथ काँप से रहे थे, एकदम ठंडे हो चुके थे उसके हाथ
पर जैसे ही वो उसके गर्म डंडे से टकराए, वो सिसक उठी और उसकी मुट्ठी में निमेश का लंड बंद होता चला गया

”सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स .आआआआआआआआआआआअहह मेडम जी क्या नर्म मुलायम हाथ है आपके .”
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निमेश ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर अपने लंड को एक बार फिर से आगे पीछे करना शुरू कर दिया

संजना तो बिना पलक झपकाए उसके लंड को ही देखे जा रही थी .
और अचानक निमेश के लंड से फव्वारा निकल कर उसके कपड़ों पर गिरने लगा

”आआआआआआअहह ओह मेडम जी अहह”

संजना के हुस्न का जादू ही इतना गज़ब का था की निमेश एक मिनट में ही झड़ गया शायद इसलिए भी की वो काफ़ी देर से अपने लंड को मसल रहा था  उपर से संजना के हाथ लगने के बाद वो अपने पर कंट्रोल ही नही कर पाया और उसके उपर झड़ता चला गया

जब संजना ने उसके लंड को पकड़ा था तो निमेश ने उसे वहीं चोदने तक की भी योजना बना ली थी
पर इतनी जल्दी झड़ने के बाद अब उसे अपने आप पर ही गुस्सा आ रहा था
पर अब कुछ नही हो सकता था, क्योंकि जैसे ही निमेश झड़कर साइड में हुआ, संजना मेडम का फोन बजने लगा, वो उनके पति अरुण का फोन था

फोन उठा कर उसने बोला की बस आने ही वाले है, और निमेश को जल्दी चलने का कहकर वो कार में आकर बैठ गयी
निमेश ने पानी की बॉटल निकाल कर अपने हाथ-मुँह सॉफ किए
पर संजना ने वैसा कुछ नही किया.

गाड़ी में बैठकर निमेश ने देखा की संजना के चेहरे के एक्शप्रेशन पहले से ज़्यादा सैक्सी हो चुके हैं
और वो रह-रहकर अपनी उंगली को चूस रही है

कहने की ज़रूरत नही थी की वो अपने कपड़ों पर गिरे निमेश के वीर्य को इकठ्ठा करके चूस रही थी.

निमेश के लिए इतना ही बहुत था की चिड़िया ने उसका दाना चुग लिया है
अब जल्दी ही मौका देखकर वो अपना आख़िरी पासा फेंकेंगा..

पर उससे पहले तो आज की रात का जशन भी बाकी था, घर पहुँचकर उसने अरुण के साथ जुआ भी तो खेलना था

वो जुआ जो उसके और अरुण के दिल में चल रही इच्छाओं को आख़िरी मुकाम पर पहुँचाने वाला था.

पर उन्हे ये नही पता था की उनके पीछे नेताजी ने क्या खेल, खेल दिया है.

दरअसल अरुण का संजना को भेजने का मकसद ही यही था की वो नम्रता पर हाथ सॉफ कर सके..
और वैसे जाना उसे ही था उस काम के लिए, जो दरअसल एक बड़े प्रॉजेक्ट से मिली घूस का हिस्सा था, पर अरुण ने संजना को ये कहकर की वो जाएगा तो किसी को शक हो जाएगा, उसे भेज दिया
वैसे भी दूसरे मंत्री की बीवी, सुरभि, संजना की अच्छी दोस्त थी
और फोन पर अरुण ने अपने मंत्री दोस्त को समझा भी दिया था की संजना की अच्छे से खातिरदारी करे, दोनो हरामी थे, इसलिए वो मंत्री भी उसकी चाल समझ गया की घर पर ज़रूर कुछ ख़ास इंतज़ाम किया है अरुण ने इसलिए उसने अपनी बीवी को बोलकर, उसे ज़्यादा देर तक रोका भी और उसे वोड्का भी पिलाई और पीछे जो अरुण बाबू ने किया उसका तो जवाब ही नही था.
संजना और निमेश के निकलते ही अरुण भी उठ खड़ा हुआ और बंगले में जाते-2 उसने मुड़कर नम्रता को देखा और बोला : “मैं उपर वाले रूम में हूँ, मेरे लिए एक कप कॉफ़ी बना कर ले आओ ”

नम्रता ने मुस्कुराते हुए हाँ कह दी और अपने साहब के पीछे-2 अंदर आ गयी.

उपर आकर अरुण ने अपने सारे कपड़े उतारे, सिर्फ़ अंडरवीयर को छोड़कर और एक बाथिंग रॉब पहन कर बालकोनी में बैठ गया..

कुछ ही देर में नम्रता कॉफ़ी लेकर आ गयी.
[Image: 586814_9107e93_1200x1200.jpg]
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#24
अरुण : “अच्छा सुनो नम्रता, तुम मसाज बेड रेडी करो मुझे मसाज करवानी है तुमसे ”

ये सुनते ही नम्रता चोंक गयी..

अरुण (थोड़ी तेज आवाज़ में) : “क्या बुत्त बनकर खड़ी हो गयी सुनाई नही दिया अंदर जाकर बेड तैयार करो मैं कॉफ़ी पीकर आ रहा हूँ बस ”

अपने मालिक की फटकार सुनकर वो काँप सी गयी
आज पहली बार उन्होने उसके साथ इस तरह से बात की थी
अभी कुछ देर पहले तक तो कैसे मीठी आवाज़ में बात कर रहे थे, अचानक उन्हे क्या हो गया है.

और वो सोचने लगी की उन्हे भला मसाज लेने की क्या सूझी
संजना मेडम की मसाज करना अलग बात है, वो एक औरत है पर साहब तो मर्द है, उन्हे कैसे वो मसाज देगी क्या वो उसके सामने संजना मेडम की तरह नंगे होकर...

ये सोचते ही उसके बदन में झुरझुरी सी दौड़ गयी
आज तक उसने लाइफ में अपने पति निमेश और संजना मेडम को ही नंगा देखा था
निमेश तो उनका पति था, पर संजना मेडम के नंगे शरीर को देखकर भी उसे शुरू मे काफ़ी शर्म आती थी
और कल जो उन्होने नम्रता के साथ किया था और उससे करवाया था, उसके बाद तो नम्रता की मसाज के नाम से ही चूत गीली हो जाती थी.

अब साहब को मसाज देते हुए वो क्या सोचेगी, यही सोचकर उसे कुछ -2 हो रहा था

उसने जल्दी से बेड पर एक चादर बिछाई और मसाज के लिए तेल निकाल कर ले आई.

कुछ ही देर में अरुण साहब कमरे में आए, और उन्होने नम्रता को उपर से नीचे तक निहारा, उसने हमेशा की तरह एक काटन की साड़ी पहनी हुई थी |  अरुण ने अपनी रॉब खोली और उसे साइड में फेंक दिया .
ना चाहते हुए भी नम्रता की नज़रें उनकी तरफ उठ गयी.

एकदम गोरे चिट्टे शरीर के मालिक थे वो, उनका रंग संजना मेडम से भी सॉफ था बस थोड़ी सी तोंद निकली हुई थी, वरना शरीर एकदम कसावट लिए हुए था उनके अंडरवीयर की तरफ देखकर वो सहम सी गयी आज से पहले उसने सपने में भी नही सोचा था की देश के इतने बड़े मंत्री को, अपने मालिक को, वो इस तरह सिर्फ़ एक छोटे से अंडरवीयर में देखेगी.
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उनके उभार को देखकर ही वो समझ गयी की उनके रुतबे की तरह वो भी काफ़ी बड़ा है.. अरुण बेड पर उल्टा लेट गया और नम्रता ने उनके शरीर पर तेल की धार मारकर मालिश शुरू कर दी.

उसकी नर्म उंगलियाँ और सख़्त हाथ को महसूस करके अरुण कराह उठा..

”आआआआआआआआआआहह.... तुम्हारे हाथों में तो जादू है नम्रता, संजना सही कहती है, तुमसे मालिश करवाकर सारी थकान दूर हो जाती है ”

अपनी तारीफ सुनते ही वो गाँव की भोली औरत मंत्रीजी की चाशनी भरी बातों में घिरती चली गयी.

वो बोली : “वो क्या है ना साब, शुरू से ही मुझे हर काम करने का शॉंक है, अब मैने इस मालिश की प्रकटिस तो की नही है.. पर संजना मेडम की करने से ही पता चला की मैं ये भी कर सकती हूँ ”

अरुण : “ह्म्*म्म्ममममम ..करती रहो .मज़ा आ रहा है .”

फिर तो नम्रता अपनी ही धुन में शुरू हो गयी .
तेल की धार मारकर जब वो अपने पंजे से अरुण का बदन खुरचती तो उसे ऐसा लगता की स्वर्ग की अप्सरा उसके साथ खिलवाड़ कर रही है
उसके बदन से आ रही देसी खुश्बू उसे पागल कर रही थी | मन तो उसका कर रहा था की उसे दबोच ले, और वहीं बेड पर पटककर अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगाकर उसकी चूत में उतार दे
पर उससे पहले वो उसे थोड़ा गर्म करना चाहता था इसलिए वो आराम से लेटा रहा.

अचानक अरुण को एहसास हुआ की उसका अंडरवीयर भी नम्रता ने तेल से गीला कर दिया है..

वो बोला : “अर्रे, तुमने तो मेरे कच्छे में भी तेल भर दिया .निकालो इसे..मेरे पीछे खुजली हो रही है ”

अब ये एक ऐसा काम था , जिसके लिए शायद वो तैयार नही थी पर ऐसे मौके पर आकर वो अपने मालिक को एक बार फिर से ना कहकर नाराज़ नही करना चाहती थी अभी कुछ देर पहले की डांट उसे अच्छे से याद थी.

इसलिए उसने काँपते हाथों से उनके अंडरवेर को पकड़ा और उसे नीचे खींचते हुए निकाल दिया
ऐसा करते हुए जब अरुण ने अपनी गांड हवा में उठाई तो उसका खड़ा हुआ लंड गद्दे के सहारे खड़ा हो गया और उसका लंड एक बम्बू सा बन गया और अरुण की गांड एक तंबू सी बनकर हवा में लटक गयी  | उसने तुरंत नीचे हाथ डालकर अपने लंड को एडजस्ट किया और मन ही मन अपने लंड से बोला ‘रुक जा मेरे शेर..मेरे चीते थोड़ा सब्र और कर ले..ये हिरनी की चूत जल्द मारने को मिलेगी..’

अपने मालिक की नंगी गांड देखकर नम्रता को बहुत शर्म आ रही थी

अरुण : ”क्या हुआ..रुक क्यों गयी .अब लगा ले तेल जितना लगाना है और अच्छे से रगड़ ज़्यादा रगडेगी, तभी मज़ा मिलेगा मुझे ”

ये सुनकर उसे एक बार फिर से जोश आ गया
अब थी तो वो एक नंबर की बोडम महिला
अरुण के शातिर दिमाग़ की चालाकी वो पकड़ नही पाई.

अब वो बिना किसी हिचक के अरुण के चूतड़ों पर भी तेल लगा रही थी

और अचानक अरुण पलट गया
नम्रता जो अभी तक उसकी गांड मसल रही थी, अचानक उसके हाथ में अरुण का लंड आ गया..

और उसे हाथ में पकड़ते ही वो ऐसे उछली जैसे उसने कोई साँप पकड़ लिया हो..

उसे लगा था की नंगा होने के बाद शायद शर्म के मारे साहब दूसरी तरफ पलटेंगे नही
पर उन्होने ऐसा नही किया..वो पलट गए.

अरुण : “अर्रे, तुम ऐसे क्यों डर रही हो पहले कभी नही देखा क्या ”

नम्रता : “जी जी देखा है पति का निमेश का ही बस, पर ऐसे आपका..”

इतना कहकर उसने आँखे दूसरी तरफ कर ली पर अपना हाथ नही हटाया.

अरुण : “मैं समझता हूँ पर अभी तू कुछ और मत सोच बस मालिश पर ध्यान दे चल..अपने जादुई हाथों का कमाल इसपर भी दिखा ज़रा..”

अपने मालिक का हुक्म सुनकर वो एक बार फिर शुरू हो गयी
कच्चे केले जैसा अरुण का कड़क लंड उसकी उंगलियों में नाच रहा था
[Image: 2443788_abbcd8a.jpg]

वो जब अपना हाथ पीछे करने लगती तो अरुण फिर से उसे अपने लंड पर लाकर रख देता.

अरुण के लंड में लेकर और नम्रता की चूत में कुछ – 2 हो रहा था

और तभी अरुण ने अपना हाथ अचानक उसके सपाट पेट पर रख दिया

ये एक ऐसा पल था जब नम्रता के शरीर ने उसके दिमाग़ की सुननी ही बंद कर दी
वो ऐसे काँपी जैसे रज़ाई से निकले गर्म शरीर पर बर्फ़ीले हाथ छुआ दिए हो
उसका बदन पानी की लहर के जैसे हिचकोले खाने लगा
एक लंबी सी लहर उसकी छातियों से शुरू होकर उसके पेट से होती हुई चूत पर जाकर ख़त्म हो रही थी

और उसके हर हिचकोले को अरुण महसूस कर रहा था नम्रता के हाथ अपने आप उसके लंड पर और ज़ोर से पकड़ बनाते गये ऐसा लग रहा था जैसे वो अरुण के लंड का गला ही घोंट देगी.
अरुण ने अपने हाथ को धीरे-2 उपर खिसकाना शुरू किया
और जल्द ही वो उसके नागपुरी संतरों पर जाकर जम गया..

नम्रता की आँखे बंद थी
पर वो दबे-2 शब्दों मे गुहार सी लगा रही थी..

”ह्म्*म्म्मम .सा..साआब ..मत्तत्त .करोsssss .ना ऐसा ..अहह ..नाआ .”

पर उसके सहरीर को देखकर ऐसा लग नही रहा था की वो इस खेल को एंजाय नही कर रही है

अरुण : “अर्रे मैने ऐसा क्या किया है क्या तू ऐसे कपड़े पहन कर संजना मेडम की मसाज करती है नही ना ”

ये एक ऐसा तीर था जो अरुण ने इसी वक़्त के लिए संभाल कर रखा हुआ था
शायद संजना ने बातों ही बातों मे उसे बता दिया था की नम्रता ने उसे B2B (बॉडी टू बॉडी) मसाज की है
और इसका मतलब वो अच्छे से समझता था..इसलिए उसने आज ये मसाज करवाने का प्रोग्राम बनाया था..
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#25
नम्रता ये सुनते ही चोंक गयी, उसने आँखे खोल कर अरुण को देखा फिर सिर झुका कर बोली : “पर साहब वो वो तो एक औरत है उनके सामने अलग बात है आपके सामने मैं कैसे इस तरह...

अरुण फिर से गुस्से वाली आवाज़ मे बोला : “देख हमारे यहाँ ऐसा कुछ नही होता जो मेडम के साथ किया है वैसे ही मेरे साथ भी कर वरना अपनी और निमेश की नौकरी कही और ढूँढ ले समझी ”

अरुण का इतना कहना था की नम्रता के हाथ पाँव फूल गये | 
वो अरुण के पाँव पकड़ कर बोली : “नही साहब ऐसा मत करो मैं सब करूँगी जो आप कहेंगे वो सब करूँगी ” 
और फिर तो जैसे उसके अंदर एक नयी सफूर्ती आ गयी उसने आनन-फानन में अपनी साड़ी उतार फेंकी ब्लाउज़ भी खोलकर नीचे गिरा दिया पेटीकोट का नाडा खोला और उसे भी नीचे गिरा दिया एक मिनट के अंदर ही अंदर वो पूरी तरह से नंगी होकर खड़ी थी उसके सामने..
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अब तो अरुण का दिमाग़ खराब सा हो गया इसी सीन को देखने के लिए वो कब से तड़प रहा था | नम्रता के नंगे शरीर को इतने करीब से देखकर वो तो उसका दीवाना सा हो गया | निमेश जैसे मर्द से चुदने के बाद भी उसका शरीर एकदम कुँवारी लड़की जैसा था | कसे हुए मोम्मे , सपाट पेट और एकदम नन्ही सी, बंद गले की चूत , जिस पर चमक रही बूंदे देखकर सॉफ बताया जा सकता था की वो कितनी देर से पनिया रही थी..

अब अरुण को इस हाथ लगे मौके का अच्छे से फायदा उठाना था.

उसने नम्रता को अपने उपर खींचा और अपने शरीर पर लगे तेल को उसके शरीर पर मलने लगा उसके बदन से रगड़ कर
नम्रता के नुकीले निप्पल्स अरुण को शूल की तरहा चुभ रहे थे पर उनकी चुभन को महसूस करके उसे मज़ा ही आ रहा था.

और नम्रता की चूत में से निकल रही देसी घी की खुश्बू उसे पागल सा कर रही थी
आज से पहले उसने ऐसी मदहोशी से भरी महक महसूस नही की थी.. इसलिए उसने नम्रता को खिसकाते हुए अपने मुँह पर लाकर बिठा दिया..

अब नज़ारा ये था की देश का एक बड़ा मंत्री, अपनी नौकरानी की नंगी चूत को चूस रहा था अपने मालिक के मुँह पर बैठकर, उनसे अपनी चूत चुस्वाकार इस वक़्त नम्रता भी अपने आप को किसी मंत्री से कम नही समझ रही थी संजना ने भी कल उसकी चूत चूसी थी, पर असली चुसाई कैसे होती है ये एक मर्द ही जानता है |
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अरुण की लंबी जीभ को वो अपनी अंदरूनी दीवारों पर, अपनी क्लिट पर महसूस करके सिसकारियाँ मार रही थी
और अपने मालिक के बालों को पकड़ कर उन्हे और अंदर खींचने का प्रयत्न कर रही थी..
सॉफ पता चल रहा था की नम्रता के देसी बदन में विदेशी भूतनी घुस चुकी है..

अब उसके अंदर भी कुछ-2 हो रहा था, इसलिए वो खुद ही पलटकर अरुण पर उल्टी होकर 69 की पोज़िशन में लेट गयी और अरुण के फड़कते हुए लंड को मुँह में लेकर उसे जोरों से चूसने लगी..

सैक्सुअल टेन्षन इतनी बढ़ चुकी थी दोनो में की एक मिनट भी नही लगा उन दोनो को एक दूसरे के मुँह के अंदर झड़ने में ..

दोनो एक दूसरे का माल गटागट पी गये.
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अरुण ने टाइम देखा, करीब डेढ़ घंटा हो चुका था, उसने तुरंत फोन उठा कर संजना को फोन किया ताकि उसे पता चल सके की दोबारा लंड खड़ा करके नम्रता की चूत मारने का टाइम उसके पास है या नही

पर संजना ने जब कहा की वो बस पहुँचने ही वाले है तो उसके सारे प्लान पर पानी फिर गया

पर आज के लिए भी , जो कुछ भी उसने नम्रता के साथ किया था, वो भी कम नही था..

इसलिए दोनो ने जल्दी-2 सब समेटा, नम्रता वापिस अपने क्वार्टर में चली गयी
और अरुण रात के खेल के लिए नयी तरकीबे सोचने लगा.

संजना और निमेश जब वापिस आए तो दोनो के चेहरे बता रहे थे की उनके अंदर क्या चल रहा है
संजना सीधा ड्रॉयिंग रूम में बनी बार में गयी और एक बड़ा सा पेग बना कर गटागट पी गयी.

हर घूँट के साथ उसे महसूस हो रहा था जैसे वो निमेश के लंड का पानी पी रही है
वही गर्माहट
वही नशीली स्मेल

निमेश के लंड से निकले पानी का ध्यान आते ही उसने अपने हाथों को देखा, जिनपर थोड़ी देर पहले ही निमेश का वीर्य गिरा था
उसने हाथ उपर किया और उसे फिर से सूंघने लगी
और एक बार फिर से उसकी खुश्बू में खो सी गयी.

तभी पीछे से अरुण की आवाज़ आई : “ये क्या कर रही हो ठीक तो हो ना तुम..?”

संजना सकपका सी गयी
और बोली : “या या आई एम फाइन बस ऐसे ही वहां थोड़ी पी ली थी, इसलिए घर आकर दोबारा मन कर रहा था सो आई थॉट ”

अरुण : “अर्रे इट्स ओके , मैने तुम्हे कभी कुछ करने से रोका थोड़े ही है इनफॅक्ट मैं भी अभी आने ही वाला था ”

इतना कहकर वो भी साइड वाली चेयर पर आकर बैठ गया और अपना पेग बनाने लगा..

तभी निमेश की आवाज़ आई : “मेडम ये ब्रीफ़केस आप कार में छोड़ आई थी ”

संजना : “ओह्ह ये वहीं रह गया था मैने ध्यान ही नही दिया ”

अरुण ने वो बेग लिया और उसे अपने रूम में बनी सेफ में रखने चला गया..

संजना की नज़रें निमेश से मिली, दोनो की आँखो मे एक ना बुझने वाली आग सॉफ देखी जा सकती थी..

संजना : “आओ तुम भी पी लो आज ”

निमेश की तो आँखे ही चमक उठी
आलीशान बार के अंदर एक से बढ़कर एक महँगी शराब की बोतले सजी हुई थी
उपर से संजना मेडम के साथ पीने का मौका वो भला कैसे छोड़ सकता था

तभी अरुण भी अंदर आते हुए बोला : “हाँ , निमेश आ जाओ तुम भी आज 2-2 पेग लगाते है और वैसे भी तुमने आज ताश खेलनी थी हमारे साथ आ जाओ, दिवाली तो 2 दिन बाद है, पर ये खेल अभी शुरू करते है ”

निमेश अंदर आकर बैठ गया

तभी अरुण बोला : “एक काम करो, नम्रता को भी बुला ही लो यही पर वो बेचारी क्या करेगी अकेली वहां बैठकर ”

निमेश ने मन में सोचा ‘हाँ साले , तू तो बोलेगा ही ऐसा तेरी अंदर की मंशा क्या है वो मैं अच्छे से जानता हूँ ‘

पर वो कुछ बोल नही सकता था, एक तो वो नौकर और उपर से उसके मन में भी तो वही हरामीपंति चल रही थी जो इस वक़्त अरुण के मन में थी.. इसलिए वो चुपचाप जाकर नम्रता को बुला लाया

नम्रता का भी दिल धड़क रहा था एक बार फिर से अपने साहब के सामने जाने से, अभी कुछ देर पहले उन्होने जिस अंदाज में उसकी चूत को निचोड़कर चूसा था, उसके बाद तो उसके पैर भी काँप से रहे थे चलते हुए और उनके लंड का ख़याल आते ही उसकी चूत भी गीली हो रही थी बार बार

सभी सोफे पर आकर बैठ गये हालाँकि निमेश और नम्रता सोफे पर, अपने मालिक-मालकिन के सामने बैठने से कतरा रहे थे, पर अरुण के ज़ोर देने पर दोनो बैठ ही गये अरुण ने निमेश के लिए भी एक लार्ज पेग बनाया और ताश की गड्डी लेकर वो वही आ गया और खेल शुरू कर दिया.

सभी की नज़रें ताश के पत्तो से ज़्यादा अपने-2 माल के उपर थी
यानी निमेश की संजना पर और अरुण की नम्रता पर.

हालाँकि संजना और नम्रता भी निमेश और अरुण को रह -रहकर देख ही रही थी, पर इतना नही जितना वो दोनो हरामी मर्द..

खैर, खेल शुरू हुआ, अरुण ने पत्ते बाँटे, दोनो आपस में ही खेल रहे थे, संजना और नम्रता बैठकर एक दूसरे से बाते करने लगे

संजना थोड़ी सी बोर हो रही थी
और उसकी चूत में भी थोड़ी बहुत खुजली हो रही थी
उसका मन नम्रता से पहले जैसी मसाज करवाने का था, इसलिए उसने नम्रता से अपने बेडरूम में चलने के लिए कहा

ये सुनते ही अरुण समझ गया की संजना के मन में क्या चल रहा है
उसने कुछ तरकीबे पहले से सोच रखी थी, और उनमें से एक पर अमल करने का वक़्त अब आ चुका था

उसने संजना को रोकते हुए कहा : “अरे, बैठो डार्लिंग, अभी मॉर्निंग में ही तो मसाज करवाई थी तुमने, इतनी जल्दी -2 कारवाओगी तो ये नम्रता तो थक ही जाएगी है ना नम्रता ..”

नम्रता बेचारी अपने मालिक की बात का अर्थ समझ कर शर्माकर रह गयी..

अरुण आगे बोला : “देखो भाई, मेरे दिमाग़ में एक खेल आ रहा है, ये जो ताश का खेल है, इसे थोड़ा इंट्रेस्टिंग बनाने के लिए हम कुछ एक्टिविटीस करेंगे और जो जीतेगा, उसे इनाम में वो मिलेगा जो गेम से पहले हम डिसाईड करेंगे ओके ”

सभी के दिमाग़ की घंटी बज उठी
निमेश की तो बाँछे ही खिल गयी उस बात का मतलब समझकर
और संजना थोड़ी कन्फ्यूज़ सी हो गयी, क्योंकि उसे विश्वास ही नही हो रहा था की अरुण जैसा, उँचे रुतबे का आदमी, इस तरह की गेम अपने नौकरों के साथ खेलेगा, जिसमें अगर वो नौकर जीत गये तो कुछ भी करवा लेंगे वो तो
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#26
और नम्रता के तो उपर से ही निकल गयी वो सारी बातें..
इसलिए बिना कुछ बोले वो चुपचाप बैठी रही..
संजना : “अरुण, सॉफ-2 कहो, क्या करना होगा गेम जीतने वाले के लिए ”

उसकी लड़खड़ाती आवाज़ बता रही थी की उसे चढ़ चुकी है..

अरुण : ” देखो भाई, निमेश और मैं ये गेम खेलेंगे तीन पत्ती का.. और पैसो के बदले हम कुछ सर्वीसेज़ रखेंगे जैसे अभी तुम नम्रता से बॉडी मसाज करवाने जा रही थी, वो गेम में रखेंगे.. गेम में अगर निमेश जीत गया तो नम्रता जीती हुई मानी जाएगी, और मैं जीता तो तुम जितोगी, और जो हारेगा, वो दूसरे की मसाज करेगा ”

संजना को पूरा विश्वास हो गया की आज अरुण का दिमाग़ खराब हो गया है एक नौकरानी की मालिश वो क्यो करेगी पर अरुण के सामने कुछ बोलने का मतलब था उससे डांट खाना, इसलिए वो चुप रही..

अरुण : “और इस तरह से हम हर गेम से पहले कुछ डिसाईड कर लिया करेंगे की हारने वाली टीम क्या करेगी ओके ..”

इतना कहकर उसने पत्ते बाँट दिए
अब ब्लाइंड या चाल चलने वाली गेम तो थी नही ये, इसलिए दोनो ने अपने-2 पत्ते उठा लिए..

अरुण के पास 6 का पैयर आया था
उसने मुस्कुराते हुए पत्ते नीचे फेंक दिए
जवाब में निमेश भी मुस्कुराया और उसने 6 के पेयर पर अपना 8 का पेयर खींच कर दे मारा

यानी पहली बाजी निमेश जीत गया
और परिणाम स्वरूप संजना को अब नम्रता की मसाज करनी थी..

पर अब सवाल ये था की कैसे.. और कहाँ

इसका भी जवाब अरुण ने ही दिया

वो बोला : “और जो भी होगा, यहीं ड्रॉयिंग रूम में, किसी भी चीज़ के लिए कोई अंदर या बाहर नही जाएगा ”

अरुण की बात सुनकर संजना के साथ-2 नम्रता भी शर्मा कर रह गयी
यानी नम्रता को अपने पति और मालिक के सामने ही अपनी मालकिन से मसाज करवानी पड़ेगी..

पर कोई कुछ बोल ही नही पाया
मंत्री जी के सामने किसी और के बोलने की हिम्मत ही नही थी

निमेश भी इस गेम से होने वाले फायदे और नुकसान का हिसाब लगाने लगा, और जल्द ही उसे भी पता चल गया की इस गेम में भले ही पैसे नही मिलेंगे पर मज़ा बहुत मिलने वाला था

संजना ने अपना पेग एक ही बार मे खाली कर दिया, और नम्रता को पकड़कर लंबे सोफे पर ले आई और उसे लेटने को कहा

नम्रता बेचारी डरते-2 सोफे पर लेट गयी
उसने निमेश की तरफ देखा तो उसने निश्चिन्त होकर वैसा ही करने का इशारा किया
अपने पति की स्वीकृति मिलने के बाद उसमे थोड़ी हिम्मत आई और वो लेट गयी..

संजना ने एक बॉडी लोशन निकाला और नम्रता की साड़ी खोलकर उसने निकाल दी
और नीचे झुककर वो नम्रता के नंगे पेट, बाजू और गले की मालिश करने लगी
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दोनो मर्द एक दूसरे की बिबीयों को घूर-2 कर देख रहे थे
निमेश तो झुकी हुई संजना की बाहर निकली हुई गांड को देखकर सिसकारियाँ भरने लगा..
और अरुण सोफे पर लेटी नम्रता के उतार चढ़ाव देखकर उत्तेजित हो रहा था..

संजना अपनी लाइफ में पहली बार शायद ऐसा काम कर रही थी, आज तक वो खुद मसाज करवाती आई थी पर आज उसे जब वो करनी पड़ रही थी तो वो थोड़ा सकुचा रही थी.

अरुण समझ गया की संजना ऐसे ही करती रही तो खेल का मज़ा किरकिरा हो जाएगा..

इसलिए वो थोड़ी कड़क आवाज़ में संजना से बोला : “संजना बैबी, थोड़ा मन से करो इसे खेल की तरह लो, ज़्यादा सोचो मत ”

संजना मंत्री जी की सख़्त आवाज़ का मतलब समझ गयी, इसलिए वो अपने को भूलकर नम्रता की मसाज करने लगी..

अचानक संजना के हाथ सरककर नम्रता के पेटीकोट में घुस गये और वो उसकी टाँगों और जांघों को मसलने लगी
वो हाथ धीरे-2 उसकी चूत की तरफ जा रहे थे, और संजना के हाथों के अंदरूनी एहसास को महसूस करके नम्रता की टांगे काँप रही थी..

पर ऐसे सबके सामने वो कुछ शो नही करना चाहती थी, इसलिए उसने कस के आँखे बंद कर ली

अब जो भी होगा देखा जाएगा

संजना पर भी अब मस्ती सवार हो चुकी थी, उसने जान बूझकर अपने हाथ की उंगलियाँ उसकी चूत से टच करवा दी, हालाँकि वो टचिंग पेटीकोट के अंदर हुई थी, पर उसका एहसास सभी ने महसूस किया
और नम्रता के लाख कोशिशों के बाद भी, उसके मुँह से चीख निकलने से ना रुक सकी..
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#27
”आआआआआआआआआआआआआअहह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स म्*म्म्मममममममममम”

वो तो अपनी ही दुनिया में दोबारा खो सी गयी
इस बात को भूलकर की उस कमरे में और भी लोग बैठे है, उसने संजना के हाथ को पकड़कर अपनी चूत पर ज़ोर से दबा दिया
और संजना की नुकीली उंगली को अपनी चूत के अंदर लेकर जोरदार आवाज़ में बड़बड़ाने लगी..

”आआआआआआआअहह बीवीजी यही करो अंदर से करो .”

नम्रता का पति भी अपनी पत्नी के इस अवतार को देखकर हैरान था, हालाँकि उसे कोई प्राब्लम नही थी

वहीं दूसरी तरफ अरुण के मुँह से लार टपक कर ज़मीन पर जा गिरी
अब वो सोच ही ऐसे रहा था की नम्रता की रसीली चूत को वो चाट रहा है इसलिए लार निकलनी स्वाभाविक ही थी..

संजना भी मस्ती में आ चुकी थी उसके हाथ तेज़ी से चलने लगे और जल्द ही नम्रता का पूरा शरीर नागिन की तरह हिचकोले खाते हुए झड़ने लगा

”आआआआआआआआआहह उम्म्म्मममममममम बीबिजीीइईईईईईईईईईईईई”

और जब वो शांत हुई तो कमरे में सभी के चेहरों पर शैतानी मुस्कान देखकर बेचारी शरमा कर रह गयी

पहली ही गेम में माहौल खुल सा चुका था आने वाली गेम्स कितनी ख़तरनाक होने वाली थी, इसी का अंदाज़ा लगाने में सभी के दिमाग़ लगे थे.

अरुण और निमेश के तो कानों और आँखो में से धुँआ निकल गया ऐसा सीन देखकर.. जहाँ दोनो की बीबियाँ, मालकिन-नौकरानी के बीच का भेदभाव भूलकर, एक दूसरे को मज़ा दे गयी थी |

पर सबसे ज़्यादा मज़ा तो उन्हे मिला था
हालाँकि वो सिर्फ़ देख ही पाए थे
पर उन्हे ऐसे खुल्ले आम करते देखना भी करने से कम नही था

और उन्हे अच्छी तरह से पता था की आने वाली गेम्स में ये रहे-सहे पर्दे भी गिर जाएँगे..

अब अगली गेम की बारी थी

और उससे पहले उन्हे ये भी डिसाईड करना था की उसमें हार-जीत होने पर क्या होगा..

अरुण ने पत्ते बाँटे , सभी की नज़रें और कान अरुण की तरफ ही थे

अरुण : “अब अगली गेम के लिए थोड़ा चेंज करना होगा यानी, जो मसाज तुम दोनो ने एक दूसरे को दी है, वही अब एक दूसरे के हसबैंड्स को देनी होगी ”

यानी, अरुण हारा तो उसकी बीवी संजना, निमेश को मसाज देगी
और
निमेश हारा तो नम्रता को अरुण के पास एक बार फिर से मसाज देने आना होगा.. | अरुण के हरामी दिमाग़ में हर तरह के ख़याल और संभावनाए आ रही थी, जिन्हे वो इस जुए के खेल के मध्यम से साकार करना चाहता था.

और वो ये भी जानता था की उसकी कही बात को ना मानने की किसी में भी हिम्मत नही है |

एक तरह से देखा जाए तो वो अपनी दबी हुई कुंठस्त भावनाओ को इस खेल के माध्यम से बाहर निकाल रहा था.

पर वो ये नही जानता था की उसके अलावा उसकी बीवी और निमेश के बीच भी कुछ ख़ास चल रहा है, शायद इसलिए वो उसकी किसी भी बात का विरोध नही कर रहे थे
नम्रता तो उसके लंड का स्वाद चख ही चुकी थी.

पत्ते तो ऑलरेडी बंट ही चुके थे, इसलिए उसने उपर वाले का नाम अरुण ने अपने पत्ते उठा लिए
इस गेम में वो जीतना चाहता था ताकि निमेश की बीवी उसकी मसाज कर सके..

और हुआ भी ऐसा ही..
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#28
उसके पास सीक़वेंस आया था….. 8,9,10 का, उसने जोरदार तरीके से हंसते हुए पत्ते नीचे फेंक दिए… निमेश के पास इस बार भी पेयर आया था, 10 का… पर सीक़वेंस के सामने वो बेकार था. 
निमेश ने नम्रता की तरफ देखा और धीरे से बोला : “चल जा….साब की मालिश कर दे…” ये एक ऐसी लाइन थी जिसमें वो एक तरह से अपनी बीवी को ये कह रहा था की जा, साहब को खुश कर दे…

नम्रता भी एक बार फिर अपने मालिक को मालिश करने के नाम से तप सी गयी…. उसके हाथ पैर फूल से गये… हालाँकि ऐसा उसके साथ पहली बार नही हुआ था, पर अब इसलिए हो रहा था क्योंकि उसका पति और मालिक की बीवी सामने बैठकर वो नज़ारा देखने वाले थे…

अरुण उठकर उसी सोफे पर जाकर लेट गया जहाँ कुछ देर पहले आधी नंगी होकर नम्रता अपना बदन मसलवा रही थी ..

और नम्रता से बोला : “चल, आजा जल्दी से…”

नम्रता धीरे-2 चलती हुई वहां आ गयी…
संजना वहां से हटकर निमेश के साथ वाली चेयर पर आकर बैठ गयी…
जहां से दोनो पूरे सीन को सॉफ तरह से देख पा रहे थे.

अरुण ने देखा की नम्रता अभी तक हिचकिचा रही है…
वो थोड़ी कड़क आवाज़ में बोला : “सुना नही….जल्दी आओ यहाँ और शुरू करो…”

अपने मालिक की वही सुबह वाली डांट सुनकर उसके बदन में फिर से तेज़ी आ गयी….
उसने आनन-फानन मे तेल की शीशी उठाई और उनके करीब जाकर खड़ी हो गयी…

अरुण ने एक बार फिर से घूर कर देखा तो उसने उनके कपड़े उतारने शुरू कर दिए…
पहले कुर्ता..
फिर पयज़ामा और फिर बनियान भी.

अब अरुण सिर्फ़ एक बॉक्सर में लेटा हुआ था.

कमरे में मौजूद दोनो औरतें अच्छे से जानती थी की उस बॉक्सर के नीचे की चीज़ कैसी है…

संजना तो बरसों से चुदती आई थी उस लंड से…
इसलिए उसे कुछ ख़ास दिलचस्पी नही रह गयी थी इस खेल में.

वो तो बस यही सोच रही थी की काश निमेश जीत जाता ये गेम…
वो उसके काले कलूटे बदन को अपनी नर्म उंगलियों से मसलकर मसाज करती..
ठीक वैसे ही जैसे उसने जंगल की झाड़ियों में उसके लंड को पकड़ कर मूठ मारी थी उसकी…

भले ही अभी के लिए ये नही हो रहा था पर वो जान चुकी थी की आने वाली गेम्स में ऐसा मौका उसे ज़रूर मिलेगा…
इसलिए वो बड़ी ही प्यासी नज़रों से निमेश को देख रही थी, जो उससे सिर्फ़ 2 फीट की दूरी पर बैठा अपने लंड को मसल रहा था.
इस वक़्त निमेश का ध्यान अपनी बीवी नम्रता पर था
वो शायद देखना चाहता था की वो गाँव की भोली भाली औरत आज अपने पति के सामने किस हद्द तक खेलने की हिम्मत रखती है…

पर उसे ये नही पता था की वो सारी हदें तो सुबह ही पार कर चुकी थी, अपने मालिक को ऐसी ही मसाज देकर और उनके लंड को पीकर.
दूसरी तरफ नम्रता की नज़रें जब अरुण से मिली तो वो शरमा गयी…
शायद उसे सुबह वाली मसाज याद आ गयी थी…
अंदर से तो वो चाह रही थी की उनके लंड को पकड़े और उसपर भी तेल लगा कर उसे चमका दे
पर शर्म की वजह से वो नही कर पाई..

पर अरुण तो यही करवाने के लिए इस गेम को खेल रहा था…

उसने नम्रता का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया…
वो बेचारी अपने मालिक की इस हरकत को देखकर काँप सी गयी….
उसने घबरा कर अपने पति निमेश की तरफ देखा, जिसने लास्ट मूमेंट पर अपनी नज़रें घुमा कर संजना की तरफ कर ली, जैसे वो उन्हे देख ही नही रहा था…
संजना भी निमेश को देखकर कुछ बात करने लगी जैसे उसे भी उनके खेल में कोई दिलचस्पी नही थी..

अरुण के लंड को पकड़ कर नम्रता को भी कुछ-2 होने लगा था…
उसके जहन में एक बार फिर से सुबह वाली बातें घूमने लगी…
और वो सोच-सोचकर उसके हाथ अरुण के लंड पर कसते चले गये.

नम्रता की आँखो में गुलाबीपन उतर आया…
उसकी साँसे तेज हो गयी…
छातियाँ उपर नीचे होने लगी..
छूट से पानी रिसने लगा…
होंठ फड़फड़ाने लगे…
और ये सब हुआ सिर्फ़ एक लंड पकड़कर.
मर्दों के लंड में कितनी ताक़त होती है, अपने लंड के दम पर वो औरत के शरीर में कैसे-2 बदलाव ले आते है, शायद ये उन्हे भी नही पता होता..

रह रहकर नम्रता तिरछी आँखे करके निमेश को देख रही थी और उसकी तरफ से मिल रहे अनदेखेपन से उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी…
उसने कस कर आँखे बंद कर ली पूरी लगन से अपने मालिक की सेवा करने लगी…
उसकी हालत इस वक़्त उस बिल्ली की तरह थी जो अपनी आँखे बंद करके ये सोचती है की उसे कोई नही देख रहा..
पर वो बोडम महिला कितनी ग़लत थी ये उस कमरे में मोजूद हर इंसान जानता था…
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नम्रता की आँखे बंद होते देखकर निमेश समझ गया की वो अब सब कुछ करके रहेगी…
अपनी ही बीवी को ऐसी हरकत करते देखकर उसे इस वक़्त बिल्कुल भी गुस्सा नही आ रहा था, उसे तो मज़ा आ रहा था ये सोचकर की जब उसका नंबर आएगा तो संजना मेडम भी अपने पति के सामने उसके साथ ऐसा ही करेगी… | अरुण ने अपने बॉक्सर को भी निकाल दिया… हालाँकि इस वक़्त निमेश भी उसी कमरे मे मोजूद था पर अब तक वो भी जान चुका था की निमेश तो संजना के लालच में कुछ भी नही बोलेगा… और नम्रता तो उसकी बोतल में पहले ही उतर चुकी थी… अब तो बस पूरा नंगा होकर उसे इस खेल की अच्छे से शुरूवात करनी थी.

अरुण का अंडरवीयर निकलते ही उसका कड़क लंड नम्रता के सामने पकी हुई फसल की तरह लहराने लगा…
नम्रता तो पहले ही अपने सपनो की रंगीन दुनिया में पहुँच चुकी थी…
उसने एक बार फिर से उस नंगे लंड पर कब्जा जमा लिया और उसपर तेल लगाकर उसकी मालिश करने लगी…

अरुण भी अपनी बीवी संजना से नज़रें मिलाकर उसके दिल में चल रही उथल पुथल को जानने की कोशिश कर रहा था…
और उसके मुस्कुराते हुए चेहरे को देखकर और निमेश की तरफ प्यासी नज़रों से देखने के अंदाज से उसे पता चल गया था की वो भी इस खेल में सब कुछ करने को तैयार है.

इसलिए उसने अपने लंड को मसलवाते हुए संजना के बूब्स पर हाथ रख दिया…
वो कुछ ना बोली
पर उसने बड़ी मुश्किल से अपने मुँह से सिसकारी निकलने से बचाई.
उसकी साड़ी का पल्लू खिसककर नीचे आ गया, अरुण ने उसके पेटीकोट में फंसी साड़ी को बाहर निकाल कर नीचे गिरा दिया, और अब वो सिर्फ एक पेटीकोट और ब्लाउस में खड़ी थी

अरुण के दिमाग़ में भी इस वक़्त बहुत कुछ चल रहा था..
उसे ये तो पता चल ही चुका था की जिस तरह की नंगी गेम वो खेलना चाहता है उसके लिए सभी तैयार है…
पर वो एक ही बार में उसे नंगा करके , चुदाई की शुरूवात करके, इस खेल की मर्यादा और मज़ा नही बिगाड़ना चाहता था…
वो सब कुछ आराम से करने वालो में से था…

इसलिए उसने नम्रता के बूब्स को सिर्फ़ ब्लाउस के उपर से दबाया, उसे नंगा नही किया…
हालाँकि अरुण के हाथ लगाने से नम्रता के निप्पल अकड़ कर खड़े हो चुके थे, और उन्हे अब अरुण के गीले होंठों और तेज दाँतों की ज़रूरत महसूस हो रही थी, पर अरुण सिर्फ़ उन्हे उपर-2 से मसलता रहा…

अरुण की इस हरकत से नम्रता बुरी तरह से उत्तेजित हो रही थी…
और उसके हाथ पहले से ज़्यादा तेज़ी से उसके लंड को मसाज कर उसका रस निकालने की तैयारी में लगे हुए थे… और करीब 2 मिनट की जोरदार मालिश के बाद अरुण के लंड से तेल निकलकर उसी के पेट पर गिरने लगा.
अरुण सिसकारी मारकर उसके बूब्स को मसलता रह गया..

”सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स उम्म्म्ममममममममममम आआआआआआआहह”

नम्रता का मन तो बहुत कर रहा था की वो उस रस को उठाकर निगल जाए पर अपनी तरफ से कोई पहल करने की उसकी हिम्मत नही हुई..
[Image: 3493490_15_o.jpg]

निमेश भी अपनी बीवी की कला को किसी दर्शक की तरह देखकर काफ़ी खुश हुआ…
उसने जिस अंदाज में अपने मालिक की मूठ मारी थी उसके बाद उसका रास्ता सॉफ हो चुका था.

अब तो उसे किसी भी हालत में अगली गेम जीतनी ही थी और इसके लिए वो अपने जुए की कला का पूरा इस्तेमाल करना चाहता था..

उसने जल्दी से ताश की गड्डी उठाई और उसमें से 3 पत्ते निकाल कर अपनी आस्तीन में छुपा लिए…
संजना ने जब देखा तो वो समझ गयी की वो क्या करना चाहता है…
और ऐसा करने से उसने भी नही रोका क्योंकि वो तो खुद चाहती थी की निमेश अगली गेम जीते..

नम्रता ने अपने मालिक के पेट पर गिरे पानी को टावल से सॉफ करके उन्हे फिर से उनका बॉक्सर पहना दिया, उसके अलावा उन्होने कुछ और पहना ही नही…
नम्रता भी सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउस में आकर वहां बैठ गयी…
अब उसे भी अपनी उभरी हुई छातियों का जलवा दिखाने में मज़ा आ रहा था…
और एक बार फिर से अगली गेम की शुरूवात हो गयी.

अगली गेम के लिए जब अरुण ने पत्ते बाँटे तो उसने वही नियम दोहरा दिए, जो पिछली गेम में थे…
हालाँकि वो अभी-2 झड़ा था पर अगली बार में वो अपने लंड को नम्रता से चुस्वा कर मज़े लेना चाहता था…
और मर्द की फ़ितरत तो आप सभी जानते ही है, लंड चुसवाने के नाम से तो मरा हुआ आदमी भी उठकर बैठ जाता है ये तो फिर भी सिर्फ़ झड़ा हुआ था..

पिछली गेम जीतने के बाद वो थोड़ा जोश में भी था, उसे बस यही लग रहा था की उसका लक्क चल रहा है, और इस पूरी गेम में वही जीतेगा और वही नम्रता से हर तरह के मज़े भी लेता रहेगा…
पर ये तो तभी होता ना जब सामने निमेश ना बैठा होता.

निमेश तो अपनी चाल पहले ही चल चुका था, कुछ ख़ास पत्तों को अपनी आस्तीन में छुपा कर.
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#29
अरुण ने अपने पत्ते एक-2 करके उठाए….
पहला पत्ता उसके पास इक्का आया…वो बहुत खुश हो गया…
दूसरा उठाया तो वो बादशाह निकला…. अब तो उसे अंदर से गुदगुदी सी होने लगी थी और इस बात का पूरा भरोसा हो गया था की तीसरा पत्ता भी उसी के अनुसार ही निकलेगा… तीसरा पत्ता उठाया तो वो खुशी से चिल्ला ही पड़ा…

वो बेगम आई थी उसके पास…
यानी इक्का बादशाह और बेगम की सीक़वेंस…
पिछली गेम के बाद इस बार भी सीक़वेंस…
और सबसे बड़ी सीक़वेंस थी ये तो.

अपने पत्ते देखकर वो ज़ोर से चिल्लाया…..येसस्स्स्स्स्स्स्सस्स

पर इस बीच वो ये नही देख पाया की निमेश ने बड़ी सफाई से अपनी आस्तीन के पत्तों को निकालकर अपने हाथ में पकड़े पत्तों से बदल लिया है…

अरुण ने हंसते हुए निमेश से कहा : “निमेश, लगता है तेरा जादू आज मेरे सामने नही चलने वाला….ये देख, क्या आया है मेरे पास…”

इतना कहकर उसने एक-2 करते हुए अपने तीनो पत्ते उसके सामने फेंक दिए…

निमेश भी मंत्री की किस्मत देखकर हैरान रह गया
हर बार उनके पास खेलने लायक पत्ते आ रहे थे…
और लगातार 2 बार से सीक़वेंस भी…
कोई और होता तो अपना माथा पीट लेता और अपनी बीवी को एक बार फिर से मंत्री जी की सेवा करने के लिए भेज देता…

पर इस बार ऐसा नही होने वाला था…

निमेश ने भी मुस्कुराते हुए अपने पत्ते नीचे फेंकने शुरू कर दिए

पहला पत्ता 2 था…
दूसरा भी 2
और
तीसरा भी 2.

यानी उसने 2 की ट्रेल बना कर अपनी आस्तीन में छुपाई थी…
और ट्रेल के सामने तो अच्छे से अच्छे पत्ते फैल हो जाते है.

अरुण बेचारा निमेश के पत्ते देखता रह गया…
उसे तो जैसे विश्वास ही नही हो रहा था की उसकी सबसे बड़ी सीक़वेंस पिट गयी है..
वहीं दूसरी तरफ संजना के होंठों पर एक सेक्सी मुस्कान आ चुकी थी और चूत में रिसाव भी…
क्योंकि वो जानती थी की अब उस कमरे में क्या होने वाला है.

निमेश मंद-2 मुस्कुराता हुआ लंबे वाले सोफे पर जाकर बैठ गया.. | अरुण ने बुझे मन से संजना को देखा और इशारा करके उसे निमेश की तरफ जाने के लिए कहा…
ये वो मौका था जब उसके मन में हर तरह के विचार आ रहे थे…
वो सोच रहा था की खेल जाए भाड़ में, वो अपनी बीवी को ऐसे अपने नौकर के सामने क्यो नौकर बनने दे, क्यो उसकी मसाज करवाए ।
और उसे इस बात का भी पता था की उसके ऐसा करने से कोई आवाज़ भी नही उठाएगा
ना तो निमेश और नम्रता में इतनी हिम्मत थी और ना ही उसकी बीवी संजना में …
पर ना जाने क्या नशा सा था इस गेम का, नम्रता को पूरी तरह पाने का, की वो ये डिसीज़न ले ही नही पाया…

संजना अपनी कश्मीरी गांड मटकाते हुए निमेश की तरफ चल दी…
निमेश तो अपनी मालकिन को अपनी तरफ आते हुए देखकर ऐसा महसूस कर रहा था जैसे आज उसकी सुहागरात है और एक हूर परी उससे चुदवाने के लिए उसके पास आ रही है.

संजना उसके सामने आकर खड़ी हो गयी…
और उसने निमेश की टी शर्ट को पकड़कर उपर खींच लिया…
निमेश तो मंत्रमुगध सा होकर अपनी मालकिन के सामने खिलोना सा बन गया, जिसने एक-2 करके उसके सारे कपड़े उतार दिए..
अब वो सिर्फ़ अपने धारी वाले कच्छे में बैठा था…
और उसके कच्छे में से उफान मार रहे लंड की मोटाई देखकर दूर बैठा अरुण समझ गया की अंदर का माल उसके लंड से डबल है…

संजना ने तेल की शीशी उठाई और उसके काले शरीर पर धार बनाकर डाली और अपने कोमल हाथों से उसकी मालिश करने लगी…
संजना को तो ऐसा लग रहा था जैसे किसी काले और कठोर पत्थर पर तेल रगड़ रही है…
उसके शरीर की कसावट से वो उसके लंड की ताक़त का अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रही थी.
[Image: 3653731_2_o.jpg]

संजना लगभग उसके उपर झुक कर उसकी मालिश कर रही थी…
उसने अभी तक वही कपड़े पहने हुए थे जो वो बाहर पहन कर गयी थी…
वो एक डिज़ाईनर टॉप था, जिसे वो तेल के दाग लगाकर खराब नही करना चाहती थी…

इसलिए उसने एक ही झटके में अपना टॉप निकाल कर साइड में रख दिया…
और अरुण से बोली : “डार्लिंग, आई होप यू डोंट माइंड, ये मेरा डिजाइनर पीस है, खराब ना हो जाए ये…”

अरुण : “ओ या…. इट्स ओक डार्लिंग….”

बेचारा इसके अलावा और बोल भी क्या सकता था..

और निमेश का तो बुरा हाल हो गया
संजना ने जाली वाली ब्रा पहनी हुई थी जिसमे उसके सफेद बूब्स किसी चाँद की तरहा लग रहे थे…
ब्रा की जाली ने उन्हे किसी बादल की तरह ढक रखा था…
और वो जाली इतनी पारदर्शी थी की उसमे से मेमसाहब के गुलाबी रंग के निप्पल्स सॉफ दिख रहे थे…
[Image: 3506579_10_o.jpg]

पर संजना वहीं नही रुकी, उसने खड़े होकर अपनी जीन्स भी निकाल दी और साइड में उछाल दी, अंदर उसने मेचिंग पेंटी पहनी हुई थी, जिसमे उसकी गांड लगभग नंगी होकर और चूत सिर्फ़ हल्के पर्दे में छुप कर सबके सामने थी…

अरुण को शायद इसकी उम्मीद नही थी पर वो कुछ बोलने की हालत में ही नही था…

अपनी मॉडेल वाली बॉडी दिखाती हुई, इठलाती हुई संजना एकबार फिर से निमेश की मालिश करने लगी…
अरुण अब उस तरफ देख ही नही रहा था, उसे ये सब देखना अच्छा हि नहीं लग रहा था, उसने एक बार फिर से नम्रता के नमकीन बदन को देखकर अपना लंड मसलना शुरू कर दिया..

निमेश तो अपनी लाइफ के सबसे हसीन पल जी रहा था इस वक़्त
संगमरमर जैसे शरीर की मालकिन उसके काले बदन की मालिश कर रही थी…

अचानक अपने तेल से सने हाथों को संजना ने निमेश के कच्छे के अंदर डाल दिया…
निमेश की तो साँसे उपर की उपर ओए नीचे की नीचे रह गयी
निमेश के शेर को एक बार फिर से अपनी कोमल उंगलियों के पिंजरें में जकड़ कर उसने ज़ोर से मसल दिया..

निमेश के मुँह से एक आह सी निकल गयी

”आआआआआआआआआआअहह…….. मेंमसाआआआआआआब्ब…”

साला कमीना जान बूझकर मेंमसाब् बोल रहा था, जो उसके मन को एक अजीब तरह की ठंडक पहुँचा रहा था.
दूसरी तरफ अरुण उन शब्दों को सुनकर भी अनसुना करने का प्रयत्न कर रहा था…
जो काम वो कुछ देर पहले नम्रता से करवा रहा था वही काम करने के लिए वो भला अब संजना को कैसे मना कर सकता था…

फ़र्क सिर्फ़ इतना था की नम्रता से वो काम करवाना पड़ रहा था और संजना वो काम खुद करने में लगी थी..
गाँव की भोली भाली औरत और शहर की हाइ सोसायटी में रहने वाली मेडम में कुछ तो फ़र्क होना स्वाभाविक ही था.
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#30
संजना ने एक बार फिर से उसके लंड पर कब्जा जमा लिया और कच्छे का नाडा खोलकर उसे पूरी तरह से बाहर निकाल लिया…
निमेश कभी अपने आग उगलते लंड को और अभी संजना मेडम के सैक्सी चेहरे को देखता…
दोनो की आँखे एक दूसरे से जैसे कुछ कह रही थी और फिर उन आँखो की भाषा संजना ने समझ ली और अपना सिर धीरे-2 नीचे करना शुरू कर दिया

निमेश का दिल धाड़-2 कर रहा था, ये सोचकर की उसकी सपनो की रानी, उसकी मालकिन, उसका काला भुसंड लंड चूसेगी ।

संजना ने अपनी जीभ बाहर निकाल ली और वही सबसे पहले निमेश के लंड से टच हुई…

वो सीसीया उठा…

”उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़…..मेंमसाआब…”

और उसने एक हाथ उपर करके संजना मेडम का बाँया मुम्मा पकड़ लिया…

और अब सीसीयाने की बारी संजना की थी…
[Image: 3519946_12_o.jpg]

”सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स… उम्म्म्मममममममममममममम…आआआआअहह”

उसके बूब्स उसकी बॉडी का सबसे वीक पॉइंट था, उन्हे दबाकर तो कोई रिक्शावाला भी उसे चोदने के लिए तैयार कर सकता था…

निमेश ने उसके सिर पर दबाव डालकर उसके मुँह में अपना लंड घुसेड़ दिया संजना के मुँह में वो पूरी तरह से जा भी नही रहा था फिर भी निमेश ने नीचे से धक्का देकर और उसके सिर के पीछे हाथ लगाकर उसके मुँह में अपना घीस जैसा काला और मोटा लंड उतार दिया…

संजना को इसी तरह की ज़बरदस्ती पसंद थी
उसकी हमेशा से फेंटसी रही थी की उसका पार्ट्नर अलग-2 तरीके से उसे टॉर्चर करके उसकी मर्ज़ी के विपरीत उसकी चुदाई करे, पर वो खुद ही इतनी बड़ी चुदक़्कड़ थी की सामने वाले को ऐसा करने का मौका भी नही मिलता था …
पर आज निमेश के साथ वो अपनी जिंदगी की उन दबी हुई इच्छाओं को पूरा कर लेना चाहती थी..

सामने बैठा अरुण अपनी बीवी के इश्स रूप को देखकर ज़्यादा हैरान नही हुआ, वो जानता था की एक बार शुरू होने के बाद संजना को रोक पाना मुश्किल होगा…
इसलिए वो हर गेम खुद ही जीतने की फिराक में था…
पर अब कुछ नही हो सकता था
संजना आउट ऑफ कंट्रोल हो चुकी थी
उसके मुँह में निमेश का पूरा लंड था और निमेश के हाथ में उसका पूरा मुम्मा..

नम्रता बेचारी अपने पति की रंगरेलियाँ देखकर शरमा रही थी
अचानक उसने महसूस किया की अरुण साहब का पैर उसके पेटीकोट के अंदर घुसने की कोशिश कर रहा है…
वो तो पहले से ही अपने पति और संजना मेडम के खेल को देखकर गर्म हो रही थी, अपने मालिक के पैरों को अपने पेटीकोट पर दस्तक देते देखकर उसने अपनी पूरी दरियादिली दिखाते हुए अपने दोनो पैर खोल दिए
अरुण का पैर पेड़ के तने की तरह उसके पेटीकोट में घुसता चला गया और सीधा जाकर उसके ताजमहल के दरवाजे पर रुका…
उसने अंदर कच्छी नही पहनी हुई थी | चूत तो पहले से ही गीली थी, हल्के दबाव के साथ अरुण का मोटा अंगूठा नम्रता की रिसती चूत में घुस गया और उसके मुँह से हल्की सी सिसक निकल गयी…

पर वो इतनी धीरे थी की वो सिसक निमेश और संजना तक नही पहुँची
वैसे भी उनकी तरफ से आ रही सिसकारियाँ और आवाज़ें काफ़ी तेज थी और उन्हे इस तरफ देखने का टाइम ही नही था…

खेल अपने पुर शबाब पर आ चुका था
अब ये कोई मामूली जुए का खेल नही रह गया था
एक ऐसा ज़रिया बन चुका था जिसमे एक दूसरे का इस्तेमाल करके अपनी उत्तेजना को शांत करना था सभी को..

बस देखना ये था की सबसे ज़्यादा सेटिसफाई कौन होता है और कैसे..

निमेश के सामने उसके सपनो की मल्लिका यानी उसकी मेमसाब उसका लंड चूस रही थी और वो भी अपने पति के सामने जो एक पति होने के साथ -2 देश का एक मंत्री भी था और उसका मालिक भी ऐसे में निमेश अपना लंड संजना मेडम से चुस्वाते हुए अपने आप को काफ़ी बड़ा महसूस कर रहा था |

और उसी बड़प्पन के आवेश में आकर, उसने संजना के बालों को पकड़ा और अपना लंड धक्का देकर सीधा उसकी हलक में उतार दिया और बड़े ही गंदे तरीके से उससे बोला

”चूस साली …कुतिया …ऐसे लंड तूने सपने में ही देखे होंगे…चाट इसे अच्छे से….गोटियों को भी चमका दे चूस्कर …साली हरामजादी….”

उसके इन शब्दों ने अरुण को अंदर तक किलसा दिया निमेश इस वक़्त उसकी पत्नी से ठीक वैसे ही बर्ताव कर रहा था जैसे 2 दिन पहले वो अपने क्वार्टर में नम्रता के साथ कर रहा था जब अरुण ने उन्हे छुपकर चुदाई करते देखा था… उसकी ऊँचे रुतबे वाली बीवी के साथ वो गँवार एक रंडी जैसा बर्ताव कर रहा था |

ऐसे उमें सका गुस्से में आना तो स्वाभाविक ही था…
और संजना का क्या हाल हो रहा होगा ये सब ज़िल्लत सहते हुए, ये जानने के लिए उसने संजना के चेहरे की तरफ देखा तो हैरान रह गया, वो तो दुगनी मस्ती में भरकर उसके लंड को चूस रही थी, ठीक वैसे ही जैसा निमेश उसे चूसने के लिए कह रहा था, उसे ललचा रहा था, उसके मुँह में लंड ठूसकर अपने इशारो पर नचवा रहा था.

अरुण समझ गया की उसकी बीवी पर कौन सा भूत चढ़ गया है…
वो उसे भी अक्सर इसी तरह का बर्ताव करने के लिए उकसाया करती थी, जिसमे अरुण उसके साथ ज़बरदस्ती करके, उसे गालियां देकर उसकी चुदाई करे
पर शुरू से ही सभ्य समाज में रहने के कारण उसे ना तो इस तरह की संगत मिली थी और न ही इतना उँचा रुतबा होने की वजह से चुदाई में कोई मुश्किल आती थी…

पर उसे क्या पता था की ये संजना के मन की अंदरूनी फैंटेसी है जो आज निमेश के माध्यम से पूरी होने जा रही थी..
[Image: 3520084_6_o.jpg]
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#31
Jiyo dear!!!!!
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#32
super lusty story
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#33
Gajab ,erotic story but nimesh ki jagah you tapori type name hona chahiye ,raghu ,jeetu,Bahadur ya Aisa Jo naukar type ho ,I hope u understand ,good luck
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#34
OMG! What an extremely hot update! absolutely exciting
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#35
ekdom lajawab aur behad hot kahaani
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#36
kya ek mast kahaani hai, bahut h kamuk
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#37
wah! bahut hai mast aur garam update
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#38
next update ?
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#39
very very hot and erotic update
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#40
bhai kam se kam original writwr ka nam to mention kar diya karo

#ashokafun30
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