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जितेश और उसकी दीदी की चूत चुदाई की कहानी सुनकर रीमा को बुखार चढ़ने लगा | उसके हाथ चादर के अन्दर उसकी तौलिया को खोलते हुए गुलाबी चूत के लाल चूत दाने तक पंहुच गए | रीमा की एक उंगली उसके उस गुलाबी लाल दाने पर थिरकने लगी |
जितेश भी अब सीधे लेट गया | उसके मन में भी सुरूर चढ़ने लगा था | उसने भी अपने ऊपर चादर डाल ली और उसका हाथ भी उसके मुसल लंड तक पंहुच गया | चूँकि मोमबती खाना गरम करने वाली जगह पर रखी थी इसलिए जितेश की हरकत तो रीमा देख सकती थी लेकिन रीमा क्या कर रही है ये जितेश नहीं देख सकता था | दुसरे रीमा बेड पर लेती थी और जितेश जमीन में इसलिए रीमा के लिए जितेश को देखना बहुत आसान था | रीमा समझ गयी जितेश क्रिस्टीना को याद कर रहा है, उसका लंड उसकी दीदी की याद में अकड़ने लगा है | इसलिए वो ऊपर से चादर डालकर अब उसे मसलने लगा है रीमा की चूत दाने पर फिसलती उंगली से रीमा की आवाज में मादकता आने लगी |
रीमा - फिर क्या हुआ | जितेश ने आगे कहानी सुनानी शुरू की |
मैंने फिर से कमर हिलाने शुरू कर दी थी लेकिन इस बार दीदी की उंगलियों का छल्ला बहुत सख्त था इसलिए मेरा लंड उसने फंस जा रहा था दीदी ने ढेर सारी लार मुंह से निकाल कर मेरे लंड पर मसल दी और फिर मेरा लंड आराम से दीदी के उंगलियों के बनाए छल्लो के बीच से फिसलने लगा था मैं धीरे-धीरे जोर जोर से झटके लगाने लगा था | दीदी ने भी हाथों से जोर जोर से झटके लगाकर मेरे लंड को मसलने लगी थी | दीदी ने अपने उंगलियों के छल्लों के आखिरी सिरे पर अपने ओंठ सटा दिए | जिससे कि उनके दोनों हाथों की उंगलियों के बने छल्लो से लंड फिसलता हुआ ऊपर की तरफ निकल जाए और उसका सुपाडा सीधे दीदी के मुहँ की रसीले ओठो की जकड़न में समां जाए | अब मैं नीचे से धक्का मारता था तो दीदी की दोनों हाथो की उंगलियों के छल्लों को चीरता हुआ ....फिसलता हुआ लंड दूसरी छोर पर निकल जाता था और दीदी के नरम ओंठो की सुरंग में समां जाता | दीदी कसकर लंड के सुपाडे को चूस लेती | काफी देर तक यही सिलसिला चलता रहा मैं नीचे से जोर-जोर से बड़े-बड़े धक्के लगाता रहा | सांसे मेरी धौकनी बन चुकी थी लेकिन मैं पूरी तरह से जोश में भरा हुआ था इसलिए मुझे थकान महसूस नहीं हो रही थी कुछ देर बाद दीदी ने फिर से मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया था और अपने दोनों हाथों से मेरे लंड को कसके मसल रही थी और सुपाडे को चूसने लगी थी और जैसे जैसे लंड के ऊपर दीदी अपनी सख्त जकड़न बढ़ाती जा रही थी मेरे लंड में सनसनाहट पड़ने लगी थी मेरा बदन अकड़ने लगा था और मेरे हाथ पांव सब कांपने लगे थे और एकदम से जैसे लगा जैसे कोई तेज लहर आई और मै उसमे बहता चला गया |
जल्द ही मेरा दिमाग और बदन दोनोई मेरे काबू में नहीं थे तेजी से मेरे लंड से पिचकारिया छूटने लगी थी मैं स्खलन की इस भंवर मदहोश हो गया था | मेरे लंड से निकलने वाली पिचकारी दीदी के चेहरे पर जाकर लगी थी उनकी आंख पर जाकर लगी थी उनकी नाक पर जाकर लगी थी और कुछ सीधे उनके मुंह में चली गई थी दीदी उन्हें तुरंत गटक गई और उसके बाद भी उन्होंने मेरे लंड को मसलना और चाटना नहीं छोड़ा था | तब तक मसलती रही जब तक कि उसके अंदर से एक एक बूंद उन्होंने नहीं निकाल दी | दीदी धीरे-धीरे करके सब चट कर गई उन्होंने अपने चेहरे के ऊपर लगी हुए सफ़ेद मलाई को भी चाट नहीं डाला | अपनी उंगलियों को चाट गई और मेरे लंड को भी चाट गई थी मैं तो बिल्कुल निढाल होकर पर पड़ गया था मेरा लंड सूखने लगा था लेकिन दीदी को बहुत मजा आया और मुझे भी बहुत मजा आया था मैं अपनी तेज सांसों को काबू कर रहा था और दीदी मुझे देख रही थी
कुछ देर तक दीदी मुझे निहारती रही और फिर पूछने लगी - कैसा लगा लंड चूसना मजा आया |
मैंने एक लंबी साँस ली और बोला - हां दीदी बहुत मजा आया |
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दीदी बोली - जवानी के खेल में ऐसे ही मजा आता है अभी तो मैंने सिर्फ तुझे जवानी का एक खेल का दर्शन कराया है ऐसे जवानी के हजारों खेल हैं जिनको खेल करके तू हमेशा जन्नत की सैर करेगा |
मैंने दीदी से पूछा - दीदी इससे पहले भी आपने किसी का लंड चूसा है |
दीदी बोली - हां कॉलेज में दो लड़के थे और दोनों लड़कियों से बहुत परेशान करते थे | इसलिए मुझे उनसे बचने के लिए मैंने उनके लंड चूसने शुरू कर दिए थे |
मै - दीदी आपने मेरा लंड क्यों चूसा मैंने तो आपसे कहा भी नहीं था |
दीदी - अरे पगले एक बार लंड चूसने की लत लग जाए तो फिर हमेशा लंड की तलाश ही लगी रहती है | पहले पहले तो मुझे मजा नहीं आता था और मुहँ में भी दर्द होता था लेकिन अब लंड चूसते चूसते मेरी आदत पड़ गई थी | मुझे मजा भी आने लगा था |
4 महीने हो गए वह दोनों लड़के तो कॉलेज चले गए आगे की पढ़ाई के लिए | मेरे को तो आदत लग गई थी, जब तक लंड चूसकर उसकी मलाई न पिऊ, मन में बेचैनी सी रहती थी |
दीदी एक लम्बी साँस लेती हुई - मुझे लगा तू समझेगा इसीलिए मैंने तुझसे यह सारी बातें बताएं और मुझे ख़ुशी है कि तूने सब कुछ बहुत अच्छे से सीख रहे हो और किसी को बता भी नहीं रहे हो | इसीलिए तो मेरे लिए तुम खास है और हमेशा खास रहोगे | यह सब चीजें अपने बहुत खास आदमी को सिखाई जाती हैं |
मैं - कितना खास हूं दीदी मै आपके लिए |
दीदी - तू बहुत खास है मेरे लिए, तू सोच तुझे अपनी चूत भी दे सकती है ये तेरी दीदी चोदने के लिए | चूत सिर्फ किसी बहुत खास आदमी को ही चोदने के लिए दी जाती है |
मै हैरानी से - ऐसा क्या होता है चूत चुदाई में | चूत इतनी खास क्यों है दीदी | चूत सिर्फ किसी बहुत खास आदमी को ही चोदने के लिए क्यों लड़कियां देती है |
दीदी मेरे बाल सहलाती हुई - तुझे पता नहीं है लड़की की चूत बहुत खास होती है, ये लड़की का सबसे अनमोल गहना होती है इसीलिए इसे लड़कियां छिपाकर बचाकर रखती है | चूत सबसे नाजुक होती है | किसी भी चूत का छेद किसी लड़की के लिए उसकी जिंदगी का सबसे बढ़ा उपहार होता है | तुझे पता है जब एक आदमी अपने लंड से चूत को चोदकर अपनी मलाई चूत की गहराई में छोड़ देता है तो इससे बच्चा पैदा होता है |
मै हैरानी से - बच्चा पैदा करने के लिए चुदाई करनी पड़ती है, तो अगर मै आपको चोदुंगा तो आपको बच्चा पैदा हो जायेगा |
दीदी मेरी मासूमियत पर हंसने लगी - हाँ हो भी सकता है |
मै डर गया - दीदी फिर मै आपको कभी नहीं चोदुंगा |
दीदी - अरे पगले, बच्चा पैदा करने के लिए एक खास टाइम पर चोदना होता है |
मै - अच्छा और वो टाइम का कैसे पता लगता है |
दीदी - हर समझदार लड़की को वो टाइम पता होता है |
मै - चुदाई इतनी खास है दीदी |
दीदी - हाँ |
मै - इसका मतलब आपकी चूत भी बहुत खास है बाकि सब लडकियों की तरह |
दीदी - हाँ इसीलिए पूरी दुनिया चूत के पीछे भागती रहती है |
मै - तो पूरी दुनिया बच्चा पैदा करने के लिए इस चूत के पीछे पड़ी रहती है |
दीदी - हाँ चूत का असली काम तो वही है लेकिन आदमी को नरम नरम कसी हुई चूत चोदने में मजा आता है | ऐसे समझ, जब एक लड़की पहली बार चुदती है तो उसका चूत का छेद कुंवारा होता है और जब लड़की किसी लड़के को वो कुवारी चूत चोदने को देती है तो वो लड़का पूरी जिंदगी के लिए उसका गुलाम बन जाता है, उसकी हर बात मानता है |
मै - तो मै भी आपका गुलाम बन जाऊंगा |
दीदी - मजे भी तो तू ही लूटेगा मेरी चूत भी तुझे बार बार चोदने को मिलेगी |
मै - ऐसा क्यों दीदी आपको मजा नहीं आएगा चुदाई में |
दीदी - आता है लेकिन जब कोई ठीक से चूत को चोदता है |
मै - ठीक से क्या मतलब |
दीदी - अरे बाबा इतनी जल्दी है तुझे सब जानने की , सब बताउंगी धीरे धीरे | तू इतना खास है की तेरे से अपनी जिस्म और रूह का कुछ भी नहीं छिपाउंगी | तुझे पता नहीं तुम कितना खास है तूने मेरी ४ महीनो की प्यास बुझा दी है |
मै - ये कौन सी प्यास है, प्यास लगती है तो पानी पीते है |
दीदी - तुझे नहीं पता, ये जिस्म की प्यास है जवानी की प्यास है ये सिर्फ पानी पीने से नहीं बुझती |
मै - दीदी अब आगे क्या है आगे का कल बताऊंगी |
तब तक एक काम कर | दीदी ने मुझे एक सीडी लगाई और मै उसे देखने लगा | उसी सीडी में दिखाया था कैसे लोग सेक्स करते हैं | मैंने और दीदी ने आधे घंटे बैठकर वह पूरी वीडियो देखें इसी बीच दीदी ने मुझे अपनी बाहों में भरके बैठाए रखा | मैं दीदी को सहलाता रहा और दीदी मुझे सहलाती रही | कभी मैं उनके दूधो को मसलता कभी मैं उनके पीठ को सहलाता था | दीदी पहले अपनी चूत सहलाती रही , फिर मेरे लंड और गोलियों को सहलाने लगी | मैं भी उनके पीछे जाकर उनके बड़े-बड़े मांसल चूतड़ों की मालिश करने लगा था | फिर दीदी पलट कर मुझे बांहों में भर लेती और मेरे सीने को सहलाती कभी वह मेरे गालों को सहलाती कभी चूमने लगती | कभी मेरे मुरझाये लंड को सहलाती कभी मेरी गोलियों से खेलने लगती |
हम लोग आधे घंटे तक यही करते रहे और उस ब्लू फिल्म को भी देखते रहे | इसके बाद पता नहीं दीदी को क्या हुआ वह उठकर के एक तरफ चली गई और दूसरी सीडी ले आई थी और उन्होंने वह सीडी लगा दी और उसके बाद में वह थोड़ा सा शहद और मक्खन भी ले आई | उन्होंने अपनी चूत के दोनों गुलाबी ओंठो को अच्छे से फैला दिया और उसमे शहद भर दिया |
दीदी - चल चाट इसे |
मैं आज्ञाकारी बालक की तरह उनकी जांघों के बीच में आ गया था उन्होंने अपने दोनों पैर हवा में उठा दिए थे और मैं कसकर के कुत्ते की जीभ निकालकर उनकी चूत को चाटने लगा था और चाटते चाटते मैंने उनके चूत पर लगे हुए शहद की एक एक बूंद को अच्छे से चाट गया था | दीदी पूरी तरह से मदमस्त हो गई थी | दीदी अलग-अलग पोज में बैठ कि मुझे अपनी चूत दिखाती है और फिर उस पर मक्खन लपेट देती |
मक्खन लपेटने के बाद मुझे आदेश देती - चल खा मेरी मक्मुखन मलाई जैसी चूत को , चाट इसे |
मै दीदी की जांघो के बीच में घुसकर दीदी की चूत और आसपास के सारे इलाके को तब तक चाटता रहता जब तक मक्उखन ख़त्सेम न हो जाये | इसी बीच में मेरे लंड में फिर से हरकत होने लगी थी यह सब करते करते लगभग एक घंटा हो गया था | मुझे लग रहा था कहीं कोई आ ना जाए | हो सकता है दीदी की छोटी बहन ही आ जाये | हम दोनों को ऐसी हालत में पकड़ ले |
मुझे डर भी लग रहा था मैंने दीदी ने पूछा - दीदी आपको नहीं लगता को ज्यादा देर हो गई है दीदी बोली नहीं कोई दिक्कत नहीं है | छुटकी अभी भी कार्आटून देख रही है और आधे घंटे तक वो वहां से नहीं उठने वाली | जब तक मम्मी पापा नहीं आते तब तक वो टीवी के सामने से उठने से रही | तू चुपचाप बस मेरी चूत चाटता रह | दीदी की मक्खन लगी चूत को मैंने अच्छे से चाटा था इसके बाद दीदी ने और ढेर सारा मक्खन लगा दिया | दीदी को बड़ा मजा आ रहा था | वो मेरे चूत चाटने से बिलकुल मदमस्त हो गयी थी | उनकी नशीली आँखे देख ऐसा लग रहा था जैसे उन्होंने कोई नशा कर रखा है लेकिन असल में वो वासना के नशे में बुरी तरह से डूबी हुई थी |
मैं उनकी चूत को फिर से चाटने लगा | दीदी बार बार मख्खन लगाती रही और मैं उसे बारी-बारी से चाटता रहता था , दीदी बीच बीच में एक दो बार कांपी भी जबदस्त |
उस कांपने का रहस्य मुझे बाद में पता चला | ये सब करते थे काफी देर हो गई थी और मेरा लंड फिर से पूरी तरह से खड़ा हो गया था दीदी अब बिस्तर पर लुढ़क गई थी और उन्होंने अपने पास में मुझे बुलाकर तेजी से अपने हाथ से मेरे लंड को मसलना और मुठियाना शुरू कर दिया था और वह एक हाथ से मेरे लंड को मुखिया रही थी और दूसरे हाथ से वह अपने बड़े-बड़े दूधों को मसल रही थी उसके बाद दीदी ने मेरे लंड को छोड़ा और बोली - चल तू मेरी चूत को देख करके मुठ मार |
मैं दीदी के जांघो के बीच में उनके चेहरे के सामने आ करके बैठ गया | दीदी ने पूरी तरह से जागे फैला दी थी उनकी गुलाबी चूत के दोनों गुलाबी फाके भी अलग हो गए थे और मुझे उनकी कसी हुई गुलाबी मखमली चूत की सुरंग की गुलाबी लालिमा के दर्शन होने लगे थे | क्या चूत थी बिलकुल गोरी चिकनी सफाचट | कही कोई दाग नहीं, कही कोई बाल नहीं | गोरेपन और गुलाबी लालिमा लिए दीदी की चूत खूबसूरती की एक मिसाल थी | जिसे बस महसूस किया जा सकता था | चूत के अंदरूनी ओंठ भी होते है ये मुझे तब पता चला जब मैंने दीदी से पुछा - दीदी ये आपके चूत के ओंठो के अन्दर गुलाबी पंखुडियां कैसी है | क्या यही गुलाबी चूत होती है |
दीदी - नहीं पगले ये तो मेरी चूत के अंदरूनी ओंठ है | जब ये ओंठ खुलते है तब चूत का छेद दीखता है | अभी जितना कहाँ है उतना कर, आगे सब बताउंगी |
दीदी अपने दोनों हाथों से अपने दोनों दूधो को मसलने लगी थी | और उन्होंने मुझे अपने दोनों हाथों से अपने लंड को कस के मुठीयाने को कहा था | मैं दीदी के चूत के बिल्कुल सामने बैठकर तेजी से अपने लंड को मुठिया रहा था, लेकिन मेरी नजर दीदी की गुलाबी करिश्माई हसींन चूत से हट ही नहीं रही थी | मेरा हाथ मेरे लंड को बुरी तरह मसले जा रहा था, दीदी बड़े ही कामुक अंदाज में मुझे देख रही थी | मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था लेकिन दीदी के पूरे बदन को देख कर पूरी तरह से पागल हो गया था | मैं तेजी से अपने लंड को हिला रहा था |
मै हांफता हुआ - दीदी अपनी चूत के बारे में और बताओ न |
दीदी अपने दूध को मसलना छोड़ कर अपनी चूत को सहलाने लगी | दीदी ने अपनी चूत के उपरी सिरे को उंगली से रगड़ने लगी |
दीदी - पहले ये बता तुझे क्या क्या पता चल गया है |
मै अपनी तेज सांसो को संभालता हुआ तेजी से लंड पर अपनई हथेली की मुट्ठी को फिसलाता हुआ बोला - दीदी आपकी चूत देख ली, चूत के ओंठो को पहचान गया हूँ | चूत का चीरा भी आपने बता दिया | अब आगे भी बताइए |
दीदी ने आपनी उंगलियों से अपनी गुलाबी चिकनी चूत को फैलाया, दीदी की आपस में चिपकी हुई चूत की पंखुड़िया खुल गयी | उनके दोनों फांके अलग हो गए | दीदी ने चूत के उपरी हिस्से को कसकर पीछे को खीचा तो एक लहसुन के इतना लाल लाल दाना उनकी खाल से बाहर आ गया | दीदी उस पर उंगली लगाती हुई बोली - इसे चूत दाना कहते है | और ये नीचे की तरफ जा रही पंखुडियो की चूत के अंदरूनी ओंठ कहते है |
मै हैरानी से दीदी की खुली चूत की गुलाबी चमत्कारिक रंगत देखने लगा | इससे मेरा लंड पर फिसल रहा हाथ रुक गया |
दीदी तेज आवाज में - अगर लंड को मसलना रोका तो कुछ नहीं बताउंगी | मुझे मेरी गलती का अहसास हुआ |
मेरे हाथ ने लंड पर फिर से स्पीड पकड़ ली |
दीदी - स्पीड कम नहीं होनी चाहिए |
मै दीदी की गुलाबी चूत देखकर उत्तेजना से नहा गया | मैंने लंड को और तेज मुठियाना शुरू कर दिया |
दीदी - तो बोल इस गुलाबी दाने को क्या कहते है |
मै हांफते हुए - चूत दाना दीदी |
दीदी - ये औरत की वासना का बटन होता है | अगर तुम्हे कोई लड़की चोदनी है और उसका मन नहीं है तो बस जाकर हलके हलके इस दाने को मसलने लगाना | लड़की अपने आप ही गरम हो जाएगी और ख़ुशी ख़ुशी चुदने को राजी हो जाएगी |
मै - दीदी इसीलिए आप इसे रगड़ते हो |
दीदी - हाँ जिन औरतो को चुदवाने के लिए लंड नसीब नहीं होता वो इसी चूत दाने को रगड़कर अपनी प्यास बुझाती है |
मै - दीदी आपने भी इसे रगड़कर अपनी प्यास बुझाई है |
दीदी - हाँ पगले यही तो कर रही हूँ अब तक |
दीदी - जब लंड चूत में जाता है ये चूत के पतले ओंठ लंड को सहलाते है |
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मेरी उत्तेजना का ज्वार अब चरम पर पंहुचने लगा था | फिर दीदी ने नीचे की तरफ उंगली ले जा करके बताया, जहाँ पर ये चूत के अंदरूनी ओंठ ख़त्म होते है वहां से चूत की मखमली गुलाबी सुरंग का मुहाना शुरू होता है |
मै गौर से दीदी की चूत की गुलाबी मखमली सुरंग का छेद देखने लगा | लेकिन मुझे तो छेद कही दिखा नहीं |
मै - दीदी आप बोल रही थी चूत में छेद होता है लेकिन मुझे तो कही नहीं दिख रहा |
दीदी - अरे पगले छेद होता है लेकिन अभी मेरी चूत के दीवारों ने उसे कसकर बंद कर रखा है | इसलिए वो बंद है |
मै - दीदी - आपकी चूत में से पानी निकल रहा है क्या |
दीदी - हाँ जब लड़की को चुदास चढती है और वो चूत दाने को रगडती है तो चूत से पानी रिसता है जिससे चूत गीली हो जाती है |
मै - दीदी अपनी चूत की दीवारे फैलावो न मुझे आपकी चूत का छेद देखना है |
दीदी - चूत की दीवारे मै नहीं फैला सकती, उन्हें सिर्फ लंड फैला सकता है, जब मेरी चूत में लंड घुसेड़ोगे तब खुद ब खुद चूत की दीवारे फ़ैल जाएगी तब देख लेना मेरी चूत का छेद |
मै अपनी उत्तेजना के आखिर पड़ाव की पार करने लगा था | दीदी की चूत को देखकर तो जैसे मेरी उत्तेजना समय से पहले बह निकली |
मै अपने चरम के कुछ आखिरी पल में बेतहाशा लंड मुठीयाने लगा | कुछ ही देर में मेरी पिचकारी छूटने वाली थी, मेरे हाथ की स्पीड और कांपती टांगो को देखकर दीदी समझ गई थी मेरी पिचकारी छूटने वाली है मेरे शरीर की अकड़न से ही उन्हें अंदाजा हो गया था | उन्होंने कहा था मै पानी मलाई उनकी चूत के मुहाने पर निकाल दू | मै दीदी की चूत के पास लंड ले गया और तब तक मेरी वासना का बांध टूट चूका था | मै बस तेजी से कराहने लगा | मैंने दीदी चूत के जस्ट ऊपर अपनी पूरी पिचकारी निकाल दी | उनकी पेट के नाभि के नीचे और चूत के ऊपरी हिस्से पर मैंने सारी मलाई निकाल दी | यह देखकर वह बहुत खुश हुई | मै तेजी से हांफता हुआ निढाल सा वही बैठ गया | दीदी एक उंगली से उस मलाई को उसी इलाके में धीरे-धीरे से घुमाने लगी थी | मैं पूरी तरह से पस्त गया था | दीदी की चूत भी बहने लगी थी | दीदी तो जैसे जन्नत में पहुंच गई थी | एक ही घंटे के अंदर उन्होंने मेरी दो बार मलाई निकाल दी थी और मेरे अंदर हिम्मत नहीं थी कि मैं ठीक से खड़ा हो सकूं मैं वहीं बैठे बैठे बिस्तर निढाल होकर लुढ़क गया |
जितेश को लग रहा था रीमा नीचे उसकी तरफ नहीं देख रही है और सिर्फ उसकी कहानी सुन रही है इसलिए वो तेजी से अपनी चादर के अन्दर अपने लंड को मसल रहा था | रीमा भी चूत में दो उंगलियाँ करके खुद की चूत में मची सनसनाहट मिटाने की असफल कोशिश कर रही थी | जितेश की हिलती चादर देख रीमा समझ गयी की अन्दर क्या चल रहा है | इधर मोमबत्ती अपनी आखिरी सांसे ले रही थी | कुछ ही देर में भभक कर बुझ गयी | अब कमरे में घनघोर अँधेरा था |
रीमा - छुप क्यों हो गए जितेश, आगे बतावो फिर क्या हुआ |
रीमा की आवाज खुद वासना में लड़खड़ा रही थी, उसकी सांसे तेज हो चली थी | इधर जितेश का तो और भी बुरा हाल था | उसकी तेज सांसे और हांफता सीना अभी इस हालत में नहीं था की वो आगे की कहानी सुना सके | उसने एक लम्बी साँस ही और हल्की आवाज में आगे की कहानी सुनानी शुरू कर दी | रीमा उसकी तेज सांसे सुन सकती थी लेकिन रीमा खुद अपनी लगायी आग में घिरी थी वो कहाँ से जितेश के बदन में लगी आग की फिक्र करती | दोनों को साधने वाला बस एक कहानी ही थी | जितेश ने आगे कहानी सुनानी शुरू कर दी | इसी के साथ जितेश का हाथ लंड पर फिसलने लगा और रीमा की उंगलियाँ उसकी चूत में अन्दर बाहर होने लगी |
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Story is getting more interesting...
Dekhte hain kaise rima yaha se nikalti hai
Nd of course jitesh ki khani...
So erotic update brother
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इसके बाद कई दिन बीत गए थे दीदी को मेरे मुझे दीदी और मुझे अकेले कभी मौका ही नहीं मिला था असल में दीदी की बहन बीमार हो गई थी जिसकी उसे दीदी को उसका ख्याल रखना था इसलिए मुझे सिर्फ चुपचाप की पढ़ कर वापस लौट आता पड़ता था | इधर दीदी को भी लग रहा था कहीं ऐसा ना हो कि रोज रोज मिलने के चक्कर में किसी दिन पकड़े जाएं इसलिए दीदी भी सावधान हो गई थी और शायद उनके मां-बाप को थोड़ा सा शक भी हो गया था | छोटे शहरो में गॉसिप वाली औरते कुछ भी अफवाह उड़ा देती है | मेरे केस में भी मोहल्ले की किसी औंटी ने दीदी की माँ के कान भर दिए | हालाँकि वो लाख कोशिशो के बाद कुछ भी नहीं जान पाए लेकिन उनके मन में संखा जरूर पैदा हो गई थी इसीलिए आजकल ऑफिस से जल्दी आने लगे थे | हालांकि कुछ दिनों बाद जैसे सब नॉर्मल हो गया और उनके मां-बाप भी चर्च से देर में वापस आने लगे थे और छुटकी भी बाहर खेलने जाने लगी थी |
1 दिन की बात है बाहर बहुत गर्मी थी और दीदी के बरामदे में कूलर भी नहीं था इसलिए मैं और बाकी बच्चे दीदी के कमरे में बैठकर ट्यूशन पढ़ रहे थे मुझे नहीं पता था कि आज दीदी के मां-बाप घर वापस आएंगे ही नहीं क्योंकि आज दीदी के मां-बाप किसी की शादी करवाने के लिए दूसरे शहर गए हैं | वहां पर उनकी एक रिश्तेदारी है तो वह छुटकी को भी ले गए थे | दीदी के एग्जाम चल रहे थे इसलिए उन्होंने जाने से मना कर दिया | अब तो रोज मन होता था दीदी को नंगा देखने के लिए लेकिन क्या करें मजबूरी थी कम से कम 10 दिन हो गए थे तब से और आज तक मैंने दीदी की एक झलक भी ठीक से नहीं देखी थी | रोज रात में लंड पकड़ कर दीदी के नाम पर मुथियाता था लेकिन दीदी का जिस्म देखने को तरस रहा था |
दीदी ने हालांकि बताया नहीं कि उनके मां-बाप किसी की शादी करवाने के लिए दूसरे शहर गए हुए हैं लेकिन जब ट्यूशन खत्म हुई और उसके बाद दीदी बोली - अच्छा एक काम करो आज तुम्हारी एक एक्स्ट्रा क्लास लगा देते हैं तब मेरी बुझी हुई उम्मीदों पर एक नई रोशनी पड़ी | मैं अंदर उत्साह से भर गया मैं समझ गया कि आज फिर से दीदी के साथ मुझे जवानी के नए गुर सीखने को मिलेंगे |
दीदी बोली - अच्छा ठीक है चलो मैं तुम्हें कुछ और सवाल बताती हूं उसके बाद में तुम जा सकते हो |
मुझे समझ में नहीं आया कि दीदी अभी तो एक्स्ट्रा क्लास की बात भी कर रही है उसके बाद जाने को भी कह रही हैं |
दीदी ने मुझे एक सवाल बताया और बोली - अब ऐसा करो तुम घर जाओ | अभी मुझे कुछ काम है इसलिए तुम्हें मैं थोड़ी देर बाद बुलाती हूं | उसके बाद मै किताब लेकर मायूस सा दीदी के घर से अपने घर की तरफ चल दिया था | शाम के आठ बजे थे मै अपना होमवर्क बस ख़त्म ही कर पाया था | बाहर झांक कर देखा तो मेरी माँ किसी से बाते कर रही थी | मैंने देखा कि दीदी मेरे घर आ गई है और मेरी मम्मी से बातें कर रही हैं |
दीदी ने मम्मी से बोला कि आज रात को अकेली हैं और उनके मां-बाप दूसरे शहर में शादी करवाने गए हुए हैं वह छुटकी भी उनके साथ घूमने के चक्कर में गई हुई है इसलिए क्या मैं आज रात उनके यहां रात में सो सकता हूं मेरे कानों में जैसे ही शब्द बड़े मेरी तो बांछें खिल गई थी | ना कि मैं अपना उत्साह छिपाए हुए चुपचाप अपनी किताबों को बैग में रखकर और तैयार हो गया |
मेरी मां बोली - ठीक है खाना खिलाने के बाद इसको आपके यहां भेज दूंगी खाना |
दीदी बोली - मेरे यहाँ खाना कुछ ज्यादा हो गया है तो कोई दिक्कत नहीं आज मेरे यहां खाना खा लेगा |
माँ को थोडा अचरज हुआ - ठीक है अगर तुम्हें लगता है तो चले जाओ इसी बहाने कुछ वहां पढाई भी कर लेगा |
दीदी ने बोला - वैसे मैथ में काफी अच्छा हो गया है लेकिन मैं चाहती हूं यह मैथ में डिस्टिंक्शन लाए |
यह सुनते ही मां खुश हो गई |
मै - हाँ बेटा तेरी टूशन से इसकी मैच बहुत अच्छी हो गई है मुझे बड़ी खुशी है |
इसके बाद दीदी ने मुझे पुकारा और मुझे अपनी मैथ और साइंस की सारी बुक्स बैंग में भर कर लाने को कहा |
दीदी - चलो आज रात मै ढेर सारा मैथ पढ़ाती हूं साइंस भी पढ़ाती हूं |
मै तो पहले से ही तैयार था, मैंने बैग में किताबे रखने का नाटक किया दीदी के साथ चल दिया था | दीदी ने घर में आते ही अपना मैंन गेट बंद कर दिया और लाइट बुझा दी | मेरे अंदर से खुशी का ठिकाना नहीं था मैं इतना खुश था कि10 फुट उछालना चाह रहा था आज फिर से दीदी के साथ में जवानी का मजा लूटूँगा | लेकिन वहां पहुंचते ही मेरा सारा जोश तब काफूर हो गया जब दीदी बोली अच्छा काम करो अपनी मैंथ और साइंस की किताब खोलो और पढ़ाई शुरू कर दो | तब तक मैं खाना गरम करके लाती हूँ | फिर साथ में खाना खाएंगे | मैं निराश होकर के अपनी किताबें खोल कर बैठ गया | दीदी उधर खाना गर्म करती रही और उसके बाद कुछ देर बाद वह खाना लेकर आ गयी | हम दोनों ने खाना खाया | उसके बाद ने दीदी मुझे फिर से कुछ सवाल समझाने लगी थी हालांकि मेरा मन बिल्कुल नहीं लग रहा था लेकिन मैं उन्हें नाराज नहीं कर सकता था | मेरी नजर बार-बार उनके चेहरे और सीने पर जा रही थी | कुछ देर बाद दीदी ने खुद ही किताबे हटाकर अलग रख दें और पता नहीं कौन सी एक सीडी लेकर आए और उसे लगा दिया और टीवी पर मूवी देखने लगी थी |
मैं भी धीरे-धीरे उनके पास चल गया था | वह कोई रोमांटिक मूवी चाहिए मेरा उस मूवी में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था | दीदी के जब मैं पास गया तो दीदी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मैं अपने हाथ खिसकाते हुए दीदी के स्तनों पर ले गया | उनके बड़े-बड़े उठे हुए ठोस सुडौल उरोंजो को ऊपर से ही मसलने लगा था | दीदी ने मना नहीं किया | धीरे धीरे मै मै हाथ फिसलाते हुए दीदी के नीचे सलवार में घुसेड़ने लगा तो दीदी ने रोक दिया और बोली अभी नहीं |
मैंने कहा - क्यों क्या हुआ दीदी |
दीदी बोली - पिछले १० दिन में वहां बहुत जंगल हो गया है |
मैं कुछ समझा नहीं | मेरे बने मेरे कन्फ्यूज्ड चेहरे को देखकर बोली - झांटे बड़ी हो गई हैं उन्हें बनाना होगा |
मैं समझ गया कि वहां पर बाल उग आए हैं |
मैं - तो अब आगे क्या करना |
दीदी बोली नहीं - धीरज रखो, जंगल साफ़ करने में टाइम लगेगा तब तक सब्र करो | लेकिन मुझे सब्र नहीं था |
दीदी चाहती थी पहले मूवी खत्म करें उसके बाद आगे कुछ करे | लेकिन मुझे सब्र नहीं था मैंने अपना हाथ वहां घुसेड़ दिया और दीदी की चूत के जंगलों के बीच से जाकर के दीदी के चूत के दाने को सहलाने लगा था दीदी भी धीरे-धीरे उत्तेजित होने लगी थी | जैसे ही मूवी खत्म हुई दीदी ने तुरंत मेरे सारे शर्ट के बटन खोल दिए और मेरी पेंट उतार के अलग फेंक दी | अब मैं दीदी की तरह नीचे चड्डी नहीं पहनता था जैसे ही मेरी पेंट नीचे खिसकी मेरा तना हुआ मोटा तगड़ा लंड दीदी की आंखों के सामने था |
दीदी ने बिना देर किए मेरा लंड सीधे अपने मुंह में रख लियाऔर सुपाडे को कस के ऑटो से चूसने लगी थी| मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हुआ था मैं सिसकारियां भरता रह गया था | दीदी कसके लंड को चूसने लगी और मसलने लगी | मैं आनंद के सागर में गोते लगाने लगा था लेकिन कुछ देर बाद दीदी ने मेरे लंड को चूसना छोड़ दिया और मेरी गोलियों से खेलने लगी थी | मुझे बहुत मजा आ रहा था लेकिन इस तरह से दीदी के लंड छोड़ने का कारन मुझे समझ में नहीं आया था मेरा बहुत मन कर रहा था दीदी मेरा लंड चुसे|
मैंने दीदी का हाथ फिर से अपने लंड पर लगाने की कोशिश की लेकिन दीदी ने मुझे झटक दिया |
मैंने दीदी से पूछा - दीदी क्या हुआ, मेरा लंड चूसो न बहुत मन कर रहा है |
दीदी बोली - आज तुझे कुछ नया सीखना होगा | अब हर पुरानी चीज नहीं चलेगी | ठीक है तेरा मन जरूर कर रहा है लेकिन तुझे एक चीज याद रखनी चाहिए मेरा मन क्या कर रहा है, ये ज्यादा जरुरी है | मेरा मन तेरा लंड चूसने का नहीं है | तेरा लंड खड़ा था इसलिए मैंने चूस दिया था कि तुझे थोड़ा सा राहत मिल जाए हालाँकि तब भी मेरा मन तेरा लंड चूसने का नहीं है |
मै - ठीक है दीदी फिर आपका क्या मन है |
दीदी - मै आज बहुत थक गई हूं आज दिन भर बहुत सुबह से काम था क्योंकि मम्मी पापा सुबह ही निकल गए थे इसलिए मुझे सोना है |
इतना कहकर दीदी उठकर के बाथरूम की तरफ चली गई और जब वहां से वापस लौटी तो उनके बदन पर सिर्फ एक सफेद झीनी सी पैंटी थी |
मैंने देखा दीदी ऊपर से नीचे तक पूरी तरह से नंगी है सिर्फ एक सफेद झीनी चड्डी में घूम रही हैं | दीदी जिस तरह रूम में आई और वापस भी उसी तरह चली गई चूतड़ हिलाते हुए | देर तक मैं दीदी को देखता रहा और उनके बारे में सोचता था लेकिन ना तो इतनी समझती ना ही अकल | कुछ देर बाद उठकर करके सीधे बाथरूम की तरफ चला गया था बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं था मैंने देखा दीदी नहा रही है इतनी रात में कौन नहाता है लेकिन दीदी नहा रही थी | जैसे ही दीदी ने मुझे वहां दरवाजे के पास देखा उन्होंने इशारे से अंदर आने को कहा मैं अंदर चला गया मैं पूरी तरह से नंगा था इसलिए अंदर जाते ही दीदी ने मुझे शावर के नीचे खड़ा कर दिया और साबुन लगा कर के मुझे भी मलने लगी थी | दीदी की सफेद झीनी पैंटी पानी से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और बाहर से ही दीदी की चूत की दरार और उनके ओंठ साफ साफ दिख रहे थे | उसके ऊपर हलके हलके काले काले बालो का एक बड़ा सा इलाका भी दिख रहा था | साबुन लगाने के बाद दीदी ने मुझे फिर से शावर के नीचे खड़ा कर दिया और दूसरी तरफ से एक क्रीम उठाते हुए मुझसे बोली - पता है इसे क्या कहते हैं |
मैंने उसे देखते ही पहचान लिया और मै बोला - हां पापा लोग से दाढ़ी बनाते हैं |
दीदी - हां बिल्कुल तूने सही पहचाना इसलिए सिर्फ दाढ़ी ही नहीं बनती है इसे झांटे भी बनाई जाती हैं अब मैं इसे अपनी झांटो पर लगा रही हूं और आज तुझे मैं चूत की सेव करना सिखाओगी समझ गया | जब भी किसी औरत की चूत पर ढेर सारी बाल हो और तुझे उसकी चिकनी चूत देखनी है तो तुझे उसके बालो की शेविंग करनी पड़ेगी | इसलिए झांटे कैसे बनाई जाती हैं यह तुझे आज मैं सिखाती हूं |
इसके बाद दीदी ने ढेर सारी सेविंग क्रीम अपने चूत और आसपास के इलाकों में लगा दी और उसके बाद में एक रेजर लेकर धीरे-धीरे उसे बनाने लगी थी | जैसे-जैसे दीदी अपने हाथों से रेजर घुमती जाती वहां के बाल साफ होते जाते | मैं उन्हें गौर से देख रहा था | दीदी धीरे-धीरे अपनी चूत के सारे बाल बनाती हुई चली गई और कुछ ही देर में उनकी चूत के ऊपर का इलाका पूरी तरह से साफ हो गए था | दीदी की गुलाबी चूत का इलाका फिर से चमकने लगा था |
दीदी ने फिर से एक बार क्रीम लगाई और दोबारा से सेव करने लगी थी | कुछ ही देर में दीदी ने अपनी रेजर मेरी तरह बढ़ाते हुए चलो एक दो बार मेरी चूत के ऊपर रेजर घुमावो |
तुम्हे भी तो पता चला जिस चिकनी चूत के तुम इतने दीवाने हो उसे इतना सफाचट और चिकना रखने में कितनी मेहनत लगती है | मै भी दीदी की चूत के इलाके में रेजर घुमाने लगा | जैसे जैसे दीदी बताती गयी मै बिलकुल वैसे वैसे ही करता गया | कुछ ही देर बाद दीदी की चूत पर बालों का नामोनिशान तक नहीं था ऐसा लग रहा था जैसे वहां कभी बाल थे ही नहीं | दो बार बाल सेव करने के बाद में दीदी की चूत एकदम से चिकनी और सफाचट हो गई थी और उनकी गुलाबी उस वाली चूत फिर से चमकने लगी थी उसके बाद दीदी ने मेरे लंड के आसपास के इलाकों में भी साबुन लगाई और अच्छे से धोया | इसके बाद दीदी मेरा हाथ पकड़ के चल दी मै भी उनके पीछे पीछे चल दिया | कमरे में आकर के दीदी ने मुझे अच्छी तरह से तौलिये से पोंछा और फिर खुद को भी अच्छी तरह से पोंछा | उसके बाद में दीदी बिस्तर पर लुढ़क गयी और चद्दर ओढ़ ली | मुझे भी एक चद्दर उढ़ा दी लेकिन कुछ ही देर बाद दीदी ने अपनी चद्दर फेंक दी और मुझे अपने सीने से चिपका दिया | आज दीदी का बर्ताव कुछ अलग लग रहा था वो आज बहुत कम बोल रही थी | कुछ देर तक मैं दीदी से चिपका रहा | दीदी के बदन की गर्माहट करके मेरा लंड से सीधा होने लगा लेकिन दीदी ने मुझे बाहों में भर कर खुद से चिपकाये रखा और कुछ देर बाद सो गई | उनकी सांसों की गर्माहट और आवाज से मैं समझ गया था कि वह पूरी तरह से सो चुकी है अब मैं इस खड़े लंड का क्या करूं मैं ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता था जो दीदी को नागवार गुजरे | मै भी दीदी की नरम नरम बांहों में उनके साथ चिपके चिपके सोने की कोशिश करने लगा | दीदी के बारे में सोचते सोचते और उनके बदन से चिपके चिपके उनकी बदन की गरमाहट को महसूस करते करते कब मुझे खुद मेरी आंखें बंद हो गई मुझे पता ही नहीं चला |
दीदी के बिस्तर पर हम कितने घंटे गहरी नींद में सोए रहे मुझे भी अंदाजा नहीं था लेकिन नींद मुझे बहुत अच्छी आई और जब मेरी आंख खुली थी दीदी तब भी सो रही थी मैंने देखा नीचे दीदी की जांघों के पास मेरा लंड अभी भी पूरी तरह से बना हुआ है तो क्या मेरा लंड इतनी देर तक तना ही रहा कितने घंटे पूरी तरह से खड़ा रहा मैं हैरान था | क्या चीज है ये लंड | क्या इतनी देर तक किसी का लंड का खड़ा रह सकता है लेकिन मेरा लंड खड़ा हुआ था दीदी अभी भी गहरी नींद में सो रही थी अब आगे क्या करना है मुझे कुछ पता ही नहीं था आखिर मै करता भी तो क्या करता मैं चुपचाप वैसे ही लेटा रहा और दीदी के स्तनों को मसलता हालांकि मैंने टीवी में मूवी में देख लिया था कि एक आदमी कैसे एक औरत को चोद रहा था लेकिन यहां मुझे कुछ पता नहीं था इसीलिए जब तक दीदी कुछ बताएंगे नहीं मैं कुछ कर नहीं सकता था
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मेरा लंड दीदी की जांघो के बीचो बीच उनके चूत के चिकने इलाके में झटके खा रह था | मैंने दीदी के बड़े बड़े दूध मसलने शुरू कर दिए | मेरी कमर भी दीदी के नरम बदन के खिलाफ अपने आप ही झटके मार रही थी | आखिर कार दीदी की गहरी नीद टूट ही गयी | उन्हें थोड़ा समय लगा माहौल को समझने में | मैंने उनके दूध को दबाना बंद नहीं किया | दीदी के जागते ही मेरा एक हाथ मेरे लंड पर चला गया और मै उसे मसलने लगा | दीदी ने मेरे लंड की तरफ देखा और पुछा - कितना बज गया |
मै - रात के दो बजे है |
दीदी - तुम अभी तक जग रहे हो, सोये नहीं |
मै - दीदी मै तो सो गया था लेकिन मेरा लंड शाम से अब तक नहीं सोया | दीदी अब बतावो न आगे मै क्या करू |
दीदी कुछ देर तक सोचती रही, कुछ बोली नहीं | फिर मेरे लंड से मेरा हाथ लेकर खुद मसलने लगी |
दीदी की ख़ामोशी मुझे अखर रही थी - दीदी आप कुछ बोल क्यों नहीं रही |
मैंने हिम्मत करके अपना हाथ दीदी की चूत की तरफ बढ़ा दिया | दीदी ने कोई प्रतिरोध नहीं किया |
मै - दीदी कुछ तो बोलो | उस दिन तो आप सब कुछ बता रही थी आज क्या हो गया |
दीदी मुझे खुद से अलग करती हुई बिस्तर से उठ गयी और बाथरूम तरफ चली गयी | वहां से मुहँ धोकर आई तो तारो तारो तारो ताजा लग रही थी |
फिर मेरे को मुखातिब होती हुई बोली - अब बता क्या पूछना है |
मै - दीदी आपने कहा था इस बार कुछ नया सिखाउंगी |
दीदी - क्या नया सीखना है | मेरे दूध देख चुके हो चूत देख चुके हो | अब बचा क्या है बताने को |
मै - चोदना तो आपने सिखाया ही नहीं और न ही चूत का छेद दिखाया | मै दीदी के चूत दाने को दूंढ कर मसलने लगा | ऐसा लगा जैसे दीदी को हल्का सा करंट लगा हो | दीदी के मुहँ से सिसकारी निकल गयी |
दीदी - तुझे पता है मै अभी तक कुंवारी हूँ |
मै - मतलब दीदी |
दीदी - जब तक किसी चूत में कोई लंड नहीं जाता है उसे कुंवारी चूत कहते है |
मै - दीदी इसका मतलब आपने कभी चुदाई नहीं करी है |
दीदी ने मेरा लंड थम लिया - हाँ अब तक मेरी चूत को किसी ने नहीं चोदा है | मै अपनी चूत किसी बहुत ही खास से चुदवाकर अपना कुंवारापन खोना चाहती थी | आज शाम को जब तुम मेरे पास करीब थे तो एक अनजाना सा डर लगने लगा | इतने दिनों की आस पूरी होने की खुशी से ज्यादा डर था की आज के बाद मै कुंवारी नहीं रह जाउंगी | इसलिए नर्वस थी | लेकिन अब अन्दर का डर निकल गया है, मै तुमसे चुदना चाहती हूँ | तुमारे इस बड़े से लंड से, जब से इसे देखा है तब से इसकी दीवानी हो गयी हूँ | तुमारी उम्र में इतना बड़ा लंड शायद ही किसी का हो | असल में इतना बड़ा लंड अच्छे खासे मर्दों का भी नहीं होता | ऊपर से तुम भी कुंवारे |
मै - दीदी जब आपने ने चुदाई नहीं करी तो आप मुझे कैसे बताओगे |
दीदी - मै तेरी तरह भोंदू नहीं हूँ | सब पता है मुझे | अब मेरी बात ध्यान से सुन |
मै दीदी के चूत दाने की छोड़कर दीदी की तरफ मुड़ गया | दीदी ने मुझे अपने पास खीचकर कसके चूम लिया |
दीदी - तुझे पता है तुझे मेरी चूत का छेद क्यों नहीं दिखा था |
मै -क्यों दीदी |
दीदी - क्योंकि मेरी चूत का छेद बंद है |
मै - मतलब |
दीदी - कुंवारी लड़की की चूत का छेद बंद होता है और उसके मुहँ पर एक पतली सी झिल्ली होती है | उस झिल्ली को कुंवारे पण की निशानी माना जाता | जिन लडकियों के वो झिल्ली नहीं होती समझ लो वो चूत में लंड ले चुकी है | कई बार झिल्ली यू ही फट जाती है लेकिन ज्यादातर लडकियों की झिल्ली पहली बात चुदने पर ही फटती है | जब पहली बार लंड चूत में जाता है तो झिल्ली को फाड़ता है और फिर बंद चूत के छेद को खोलता है | इसलिए जब पहली बार चूत चुदती है तो खून भी निकलता है क्योंकि झिल्ली फटने से खून निकलता है |
खून से ही मुझे बचपन से ही डर लगता था हालांकि अब फौज में जाने के बाद अब तो सब कुछ खत्म हो गया है अब मेरे अंदर कोई डर नहीं है लेकिन उस समय मेरा ऐसा नहीं था तब मुझे मुझे बहुत डर लगता है जब मैंने दीदी के मुंह से सुना कि उनके चुदाई करने पर उनके अंदर से खून निकलेगा तो मैं डर गया |
मै - नहीं दीदी मुझे ऐसी चुदाई नहीं करनी है जिसमें की खून निकलता हो |
दीदी - पहली चुदाई में खून तो हर लड़की के निकलता है |
मै - नहीं दीदी मै आपके अन्दर से खून बहाकर चुदाई नहीं करूंगा | आपको तकलीफ होगी |
दीदी - जब तू लंड चुसवा रहा था तकलीफ तो तब भी हुई थी थोड़ी सी | समझ ले बस उतनी ही तकलीफ होगी |
मै - जब दीदी चुदाई में तकलीफ होती है तो लंड चूत में घुसेड़ते ही क्यों है |
दीदी - क्योंकि कोई भी लड़की कुवारी नहीं मारना चाहती है | हर लड़की को कभी न कंभी चुदना ही है और जब भी चुदेगी तो खून तो निकलेगा ही | मै चाहती हूँ तू मेरे झिल्ली फाड़े, तू मेरा कुंवारापन लुटे | तू मुझे लड़की से औरत बनाये | मै चाहती हूँ तेरा लंड मेरे कुंवारेपन का खून बहाए |
दीदी थोडा भावुक हो गयी थी और मै भी खून सुनकर दुखी हो गया था |
इसी बीच में दीदी ने मुझे बाहों में भर लिया और कसके भींच लिया और दीदी ने एक बाह में मुझे भर लिया और दुसरे से मेरे लंड को सहलाने लगी | मै दीदी के नंगे बदन से यू ही उदास सा चिपका रहा |
दीदी - तू उदास मत हो, खून सिर्फ पहली बार चोदने पर निकलेगा | तुझे शायद पता नहीं लेकिन औरत को हर महीने खून निकलता है हालाँकि वो अलग वजह से निकालता हैऊ | इसलिए तू खून और दर्द की चिंता तो बिलकुल ही मत कर | हम सब लडकियो की किस्मत में ये दर्द पैदा होने के साथ ही किस्मत में लिख जाता है |
मै दीदी को देखने लगा | दीदी - अरे ये सब बर्दाश्त करने के लिए हमारा शरीर बना है तू मर्द है इसलिए नहीं समझ पायेगा | इसलिए मेरी चिंता छोड़, और सोच तुझे चूत चोदने में कितना मजा आने वाला है |
मै - दीदी क्या लडकियों को भी चूत चुदवाने में मजा आता है |
दीदी - हाँ आता है अगर कोई उन्हें ढंग से उनका ख्याल रखकर उनके हिसाब से चोदे तो उन्हें भी बहुत मजा आता है |
मै - दीदी तो मै आपको आपके हिस्साब से चोदुंगा | जैसा आप कहोगी मै बिलकुल वैसा ही करूंगा |
दीदी ने मेरा लंड छोड़ दिया | दीदी अपने को आगे आने वाले उनकी जिंदगी के सबसे खास पल के लिए तैयार करने लगी |
दीदी ने ढेर सारी लाल अपनी चूत पर रखें और अपनी उस गुलाबी चूत को कस के उसी लार से लगा लगा कर सहलाने लगी और मसलने लगी थी मैं दीदी को बस देखता रहा था | उसके बाद दीदी ने ढेर सारी लार मेरे लंड पर उड़ेल दी और अपने हाथों से मुझे लंड सहलाने को कहा | मैं अपने हाथ से अपने लंड को सहलाने लगा था और दीदी अपनी चूत को लगातार मसलने लगी |
दीदी बोली - अगर मैं इस चूत दाने को रगड़कर अपने बदन को गरम नहीं करूंगी तो मुझे बहुत तकलीफ होगी | इसीलिए मै अपनी चूत और चूत दाने को रगड़ रही हूँ | इससे मेरी चूत गरम हो जाएगी और लंड के घुसने में आसानी होगी | कुंवारी चूत बहुत टाइट होती है इसलिए तू भी अपने लंड को मसलता रह | अगर तेरा लंड पत्कथर की तरह ठोस कड़ा नहीं हुआ तो मेरी कुंवारी चूत को चीर नहीं पायेगा | अगर तू इसे मसलना छोड़ देगा तो यह धीरे-धीरे नरम होने लगेगा और मेरी फिर चूत में घुसेगा नहीं | कुंवारी चूत में लंड घुसाने में बहुत ताकत लगती है इसलिए पूरी तरह से तैयार हो जा लंड को पत्औथर की तरह सख्त कर ले | |
दीदी जो भी कह रही थी मैं वैसा ही कर रहा था मैं अपने लंड को मसलने लगा था दीदी भी अपनी चूत को कस के मसलने लगी थी | उसके बाद में दीदी ने अपने दोनों हाथो की उंगलियों को फंसाकरके अपनी चूत के अंदरूनी गुलाबी पंखुडियां पूरी तरह से खोल दिए और मुझसे करीब आने को कहा | मै लंड को मसलता हुआ दीदी के करीब गया |
दीदी - देख यह जो इतना छोटा छेद है और आसपास है जो झिल्ली दिख रही है | यही मेरी कुंवारी चूत का छेद है जो अभी पूरी तरह से बंद है | जब तू यहाँ लंड घुसेड़ेगा तो ये झिल्ली फट जाएगी और मेरी चूत का छेद खुल जायेगा |
मैं करीब से दीदी की कुंवारी सील चूत देखने लगा लेकिन दीदी ने मेरे सर के बाल पकड़कर अपने ऊपर गिरा लिया और जांघों से कस लिया था अब मेरा लंड दीदी कि उस गुलाबी लार से सनी गीली चूत पर रगड़ खाने लगा था दीदी सिसकारियां भरने लगी थी | दीदी एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर रगड़ रही थी और दूसरे मुझे दूसरा हाथ मेरी गर्दन फसाए मुझे कसके चूम रही थी | मेरा सीना दीदी के बड़े-बड़े उठे हुए स्तनों पर रगड़ खा रहा था | काफी देर तक दीदी मेरे लंड से अपने चूत दाने को रगडती रही | उसके बाद मुझे अपनी जांघो के बीच जाकर बैठने को कहा |
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Enjoy new updates...............................................next update will come soon too.
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Just a wonderful story and pictures adorn ,...any words will be insufficient ,... combined impact is just breathtaking ,....
Ye Dil mange more
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दीदी ने एक बार फिर अपनी उंगलियां फंसा करके अपनी चूत के अंदरूनी ओंठो को आखिरी तक फैला दिया | इसके बाद शायद उनकी चूत के ओंठ नहीं फ़ैल सकते थे | दीदी ने मुझसे करीब से अपनी कुंवारी चूत के दर्शन करने को कहा |
दीदी - अच्छे से देख लो इसके बाद तुमारी दीदी की ये कुंवारी चूत तुम्हे कभी देखने को नहीं मिलेगी | अपनी दीदी की कुंवारी चूत आखिरी बार देख लो | इसके बाद इसका कुंवारापन तुम ही लूट लोगे | मै बहुत ही करीब से दीदी की कुंवारी चूत को अपने दिलो दिमाग में उतारने लगा | पता है रीमा मैडम आज तक मुझे दीदी की कुंवारी चूत याद है | सब कुछ, वही गुलामी रंगत लिए उनकी पतली पंखुडियां | और जब दीदी ने उन्हें खीच कर फैला दिया था | तो अन्दर से एक बहुत ही संकरा पेन्सिल जितना छेद नजर आया जिसके चारो तरह सफ़ेद झिल्ली लगी हुई थी | मैंने कभी नहीं सोचा था किसी लड़की की कुंवारी चूत इतना करीब से देखने को मिलेगी | चारो तरह से गोल छल्ला बनाती हुई उनकी गुलाबी चूत बस एक सकरे छेद में खुल रही थी |
दीदी - अभी कुछ देर बाद तू इसे फाड़कर एक बड़ा सा छेद कर देगा यहाँ |
मै - दीदी क्या और कोई तरीका नहीं चोदने का, जिससे आपकी झिल्ली भी न फाटे और चूत की चुदाई भी हो जाये |
दीदी हंस पड़ी - पागल है क्या, चूत चुदेगी तो फिर कुंवारी थोड़े न रहेगी |
मै - दीदी आपका छेद तो बहुत छोटा है ये इतना मोटा लंड इसमें घुसेगा कैसे |
दीदी - जैसे मुहँ में घुस गया था | चूत में एक बार लंड घुसने तो दे |
मै - दीदी आप क्या कह रही हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है |
दीदी - लंड अपनी जगह खुय्द बना लेगा और चूत उसको खुद बखुद रास्ता दे देगी | पहली बार है इसलिए तुझे ज्यादा मेहनत करनी होगी और मुझे भी थोड़ा दर्द होगा लेकिन अब सवाल जवाब का टाइम नहीं है करके देख सब पता चल जायेगा |
अनायास ही मेरी जीभ मेरे मुहँ से निकल कर दीदी की चूत का रस पीने चल दी | मैंने अपनी जुबान दीदी की चूत में ठेल दी और दीदी की गुलाबी कुंवारी चूत चाटने लगा | दीदी तो जैसे वासना से नहा गयी | दीदी के एक लम्बी सिसकारी भरी, उनका बदन मेरी जीभ के उनकी कुंवारी कोरी चूत पर खुरदुरे स्पर्श से रोमाचित होकर काँप गया | उसके बाद दीदी ने मुझे अपना चूत दाना चूसने को बोला | मै मस्त होकर दीदी का चूत दाना चूसता रहा | दीदी की जांघो और उनकी चूत का मखमली नरम अहसास मेरे रोम रोम में उत्तेजना भरे दे रहा था | मै सर घुसाए बस दीदी के चूत दाने को चूसता रहा | दीदी की चूत पानी की धार बहाने लगी इससे दीदी की चूत और जांघो का इलाका गीला होने लगा | पहली बार मैंने भी दीदी की चूत का रस चखा | क्या स्वाद था मै तो दीदी की चूत का रस पीकर मस्त हो गया और जोश से दीदी का चूत दाना चूसने लगा |
दीदी की चूत लगतातर पानी छोड़ रही थी | कुछ देर तक मैं दीदी की चूत के दाने को ऐसे ही चूसता रहा फिर दीदी पीछे हट गई और उन्होंने अपनी फैले हुए चूत के होठों को भी समेत लिया | मैं बस दीदी की चूत की गुलाबी रंगत देख रहा था दीदी के चूत के बाहरी ओंठ पूरी तरह से अलग हुए थे और दीदी की चूत के अंदरूनी पतले ओंठ फिर से भी आपस में चिपक गए |
दीदी बोली - कैसी लगी मेरी कुंवारी चूत |
मै - दीदी ये तो जन्नत का द्वार है ये मिल जाये फिर कुछ जरुरत नहीं है |
दीदी बोली - तुझे पता है तूने जिस उम्र में तूने मेरी कुंवारी चूत का मुहाना देख लिया है इस उम्र में लड़के किसी लड़की को नंगी देखने को भी नहीं पाते हैं | रही बात इस चूत को देखने की बड़े बड़े अच्छे खासे मर्द तरसते है चूत के दर्शन को | तू बहुत लकी है क्योंकि तू मेरा बहुत खास है इसलिए मेरे सबसे वर्जित खास अंग को देखने को प् गया | तेरे लिए सब न्योछावर |
मै - हाँ दीदी मै सच में बहुत लकी हूँ | आपने मुझे अपना सबसे खास वर्जित अंग दिखा दिया | अपनी कुंवारी चूत दिखा दी |
दीदी - तुझे मैंने अपनी जिंदगी की सबसे खास चीज दिखा दी है |
मै - हाँ दीदी जब से आपकी कुंवारी गुलाबी चूत के दर्अशन किये है मै खुद को स्बपेशल समझने लगा हूँ |
दीदी - अभी तो कुछ भी नहीं है अब इसके बाद मै तुझे मेरी जिंदगी की सबसे खास चीज भी देने वाली हूं पता है वह क्या है|
मैंने पूछा - दीदी नहीं मुझे नहीं मालूम |
दीदी - पगले इतनी देर तो बोल रही हूँ वह मेरी कुंवारी चूत जो मैं तुझे देने वाली है | तू मेरी कुंवारी चूत चोदने वाला है|
मैं मासूम बना रहा - दीदी कुंवारी चूत इसी को कहते हैं जिसके ऊपर वो सफ़ेद झिल्ली होती है |
दीदी बोली - हाँ भोंदू अपनी इतनी देर से तुझे यही तो समझा रही हूं अगर किसी लड़की की चूत के छेद में यह झिल्ली है तो समझ लो वह कुंवारी है उसे किसी ने नहीं चोदा है | अब तू अपना लंड घुसेड़ कर जब इस कुंवारी चूत को देगा तो ये झिल्ली फट जाएगी |
और तू मुझे एक लड़की से औरत बना देगा |
मै - और दीदी मै क्या बन जाऊंगा |
दीदी - तू बच्चा से मर्द बन जायेगा | कुंवारी चूत चोदने वाला असली मर्द |
मै - मै मर्द बन जाऊंगा दीदी |
दीदी - हां रे अभी से तेरा लंड इतना मोटा लम्बा हो जाता है खड़ा होने के बाद, इसको कौन कहेगा यह लंड एक हाई कॉलेज के लड़के का है तेरा लंड तो मर्दों से भी पार है | पता नहीं जब बड़ा हो करके पूरी तरह से तो जवान होगा तो न जाने कितनी औरतों की चूत को फाड़ देगा उनकी रात की नींद उड़ा देगा | जब तू उनकी चूत में अपने लंड को पेलेगा तो उनकी चीखें आस-पड़ोस के गली मोहल्ले तक सुनाई देंगी | इतना मोटा और बड़ा लंड इतनी कम उम्र के किसी लड़के के पास मैंने नहीं देखा है | इसीलिए तो मैं तेरी दीवानी हो गई मैं एक तगड़े लंड से अपना कुंवारा पन खोना चाहती थी और वह भी ऐसे इंसान से जो सबसे खास हो तूने आज तक हमारे बीच का राज हमारे बीच रहने दिया है इसीलिए तो मेरा बहुत खास है |
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मै - दीदी कुंवारी चूत को चोदते कैसे हैं इसके बारे में बताओ ना |
दीदी - धीरज रख सब बताती हूँ | तुझे सब कुछ बताऊंगी एक एक चीज बताऊंगी छोटी सी छोटी चीज़ दिखाऊंगी और तुझे सब कुछ सिखा दूंगी | मैं सब कुछ तेरे ऊपर लुटा दूंगी, मेरे पास जो कुछ भी है वह सब तेरा है तू सब कुछ लूट ले मेरा | मेरा जिस्म मेरी जवानी मेरा कुंवारापन |
उसके दीदी थोड़ा इमोशनल सी हो गई थी तब मुझे यह नहीं समझ में आया था दीदी क्या कह रही है लेकिन अब मुझे समझ में आ रहा है दीदी मेरे प्यार में पड़ गई थी और वह पूरी तरह से खुद को मेरे को बस समर्पित कर देना चाहती थी दीदी ने मुझे अपनी जांघो से कैद कर लिया और खुद से सटा लिया मेरा लंड उनकी चूत के ओठो पर जाकर सट गया था | इसके बाद दीदी ने पीठ के बल लेट गई और उन्होंने अपनी जांघें पूरी फैला दी और मुझे अपनी जांघों के सामने चूत के मुहाने पर घुटनों के बल बैठने को कहा |
दीदी बोली - सुन आराम आराम से करना मुझे दर्द होगा इसीलिए जब जब भी मैं मना करूं तब रुक जाना |
मैं खुद उत्तेजना के चरम पर था इसीलिए यह तो समझ में आया था दीदी क्या कह रही है लेकिन मुझे खुद नहीं पता था कि मुझे क्या करना है क्या नहीं करना है | मेरे घुटनों के बल बैठते ही दीदी ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और उसे अपनी चूत के होठों पर लगाने लगी थी |
उसके बाद दीदी ने मुझसे मेरे अपने लंड को कसकर जड़ से पकड़ने को कहा | मैंने अपने लंड को कसकर जड़ से पकड़ा |
उसके बाद दीदी ने मेरे लंड के सुपाडे को सहारा देकर अपनी चूत के निचले हिस्से पर लगाया और दीदी बोली - चलो अब धीरे-धीरे इसको अंदर की तरफ ठेलो |
मैंने लंड को अन्दर लंड ठेलने की कोशिश की | लंड को अन्दर घुसने की कोशिश की में पहली बार में लंड रपट करके नीचे की तरफ चला गया क्योंकि दीदी की चूत बहुत गीली,चिकनी और टाइट थी | मेरा लंड दीदी की गांड के छेद पर जा कर डाला गया था |
दीदी बोली - झटका मत मारो, चुदी हुई चूत नहीं है की एक बार में लंड घुस जायेगा | चुपचाप इसे चूत के मुहाने पर सटाओ और हल्के हल्के से अंदर की तरफ ठेलते रहो |
इसके बाद मैंने अपने फूले मोटे लंड को फिर से दीदी की चूत पर सटाया | इस बार दीदी ने ऊपर की तरफ उठ करके मेरे चूतड़ों पर अपने हाथ जमा दिए और धीरे-धीरे मेरे चूतड़ों को अपनी तरफ खींचने लगी थी | मेरा लंड दीदी की चूत के मुहाने पर कस के सट गया था और लंड का सुपाड़ा अंदर की तरफ घुसने लगा था | दीदी के चेहरे पर हल्की सी दर्द की रेखाए तैर गयी | लेकिन मैंने आगे की तरफ अपना जोर बनाए रखा और दीदी भी पीछे से मेरे चुताड़ो को अपनी तरफ ठेलने में लगी थी | दीदी आंखें बंद होने लगी थी | मैंने कमर का जोर लगाये रखा | मेरा सुपाडा दीदी की चूत में गायब होने लगा | दीदी अब कुछ नहीं बोल रही थी बस कसकर मेरे चूतड़ थामे मुझे अपने से चिपकाये हुए थी | कुछ देर तक मै उसी तरह से दीदी की कुंवारी चूत में लंड घुसाने की कोशिश करता रहा लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी | मेरा लंड भी नरम होने लगा था | दीदी ने मेरे चुताड़ो पर से हाथ हटा लिया और अपने चूत दाने को मसलने लगी | कुछ ही देर में उन्हें अहसास हो हया की मै उनकी चूत में लंड नहीं घुसा पा रहा हूँ | दीदी ने नीचे मेरे लंड को टटोला और तेजी से उठकर बैठ गयी | वो समझ गयी थी अब मेरे बस का कुछ नहीं है | दीदी ने मेरा लंड सीधे मुहँ में ले लिया और बेतहाशा चूसने लगी | कुछ ही देर में लंड की नरमी गायब हो गयी | ददीदी फिर से पीठ के बल लेट गयी और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत को सहलाने लगी | कुछ ही देर में दीदी की चूत फिर से पानी का झरना बन गयी तो दीदी ने मेरा ;लंड अपनी सील बंद चूत के मुहाने पर लगा दिया |
दीदी - चलो जोर लगाकर इसे अन्दर घुसेड़ो | डर डर कर धक्के मरोगे तो कभी चूत की सील नहीं तोड़ पावोगे |
मै - दीदी धक्के मारू |
दीदी - कुछ सोचकर - ठीक है तू कमर हिलाकर धक्के ही मार, जो होगा बर्दास्त कर लूंगी |
रीमा बेतहाशा अपनी चूत में दो उंगली अन्दर बाहर कर रही थी | इतनी देर की मेहनत आखिर रंग लायी | आखिर रीमा की चूत से पानी का झरना बह निकला | रीमा के बदन में बहती तरंगे अपने मुकाम पर पंहुच गयी | रीमा की हल्की सी सिसकारी से जितेश रुक सा गया | वो भी अब बेतहाशा लंड मसल रहा था | ये बात रीमा को भी पता थी | बस घनघोर अँधेरे में आवाज ही एक सहारा था इसलिए दोनों अपने अपने बिस्तर पर क्या कर रहे है इससे किसी कोई कोई मतलब नहीं था |
जितेश - मैडम क्या हुआ |
रीमा - कुछ नहीं हिचकी आई लग रहा है कोई अपना याद कर रहा है | तुम आगे कहानी सुनावो |
रीमा को अपने से रोहित, अनिल प्रियम और रोहिणी की याद आ गयी | रीमा भावुक हो गयी | जितेश ने आगे कहानी सुनानी जारी रखी |
जैसे ही मैंने कमर का एक झटका लगाया , लंड फिसल कर दीदी की चूत के ऊपर से उनके दाने को रगड़ता हुआ आगे की तरफ चला गया |
दीदी हलके गुस्से में - इस लंड को पकड़ने के लिए क्या तेरे बाप को बुलाऊ | पिक्चर में देखा नहीं था पहली बार लंड चूत में घुसेड़ते समय वो जड़ से लंड को कसकर पकड़ता है फिर चूत में घुसेड़ता है |
जैसा दीदी बोली मैंने बिलकुल वैसा किया | पहले लंड को दीदी चूत पर सटाया, फिर कसकर कमर को जोर लगा कर अन्दर ढेल दिया | लंड अपने सुपाडे सहित दीदी की चूत में गायब हो गया | लंड थोडा सा आगे खिसक करके करके फस गया | ऐसा लगा किसी ने दीदी की चूत के अन्दर मेरे सुपाडे को जकड लिया है | मैं थोड़ा सा डर गया था और मेरा सुपाड़ा पीछे बाहर निकालने की कोशिश करी लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे मेरा सुपाडा कही जाकर अटक गया है | मैं समझ नहीं पा रहा था यह क्या हो रहा है मेरा पूरा का पूरा लंड बाहर था | सिर्फ सुपाडा घुसा था और वो भी फंस गया | आखिर ये लंड दीदी की चूत में जायेगा कैसे | ये सब कुछ मेरी सोच से परे था | इधर दीदी को दर्द होने लगा था, शायद मेरा लंड उनकी चूत की झिल्ली में जाकर अटक गया था | मैंने जब जोर से दीदी की चूत में लंड घुसेड़ा था तो दीदी को हल्का सा दर्द हुआ था क्योंकि मेरे लंड की ठोकर से उनके झिल्ली फैलने लगी थी दीदी ने आंखें बंद कर ली थी और दर्द से सिसकारियां भरने लगी थी | यह देखकर मैं और डर गया एक तो मेरा लंड दीदी की चूत में फस गया था दीदी भी दर्द से सिसकारियां ले रही है |
मैं डर गया मैंने लंड को बाहर खींच लिया दीदी के अरमानों के पानी फिर गया था |
दीदी - क्या हुआ, लंड बाहर क्यों निकाल लिया |
मै - दीदी आप सी सी करके कराह क्यों रही हो | आपको दर्द हो रहा है |
दीदी - हाँ तो पहली बार में दर्द होता है तुझे बताया तो था | तुमने क्या इसी वजह से लंड के बाहर निकाल लिया |
मै - मेंरा लंड आपकी चूत में फस गया था और आगे नहीं जा रहा था | अगर आपकी चूत में मेरा लंड फंस गया तो मैं सुबह घर कैसे जाऊंगा |
दीदी को मेरी बात पर बहुत गुस्सा आ गया - कितना फट्टू लड़का हुई चूत मेरी फटने वाली है और गांड तेरी फट रही है | इतना तो दूध पीते बच्चे को नहीं समझाना पड़ेगा चोदने के लिए | चुपचाप आ करके चोद मुझे, वर्ना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा | कितनी देर तक तेरी फत्तुगिरी को झेलती रहूंगी |
मैंने कहा - दीदी आपको दर्द होगा |
दीदी - तो क्या हुआ, दर्द मुझे होगा तुझे नहीं, होने दे, नौटंकी छोड़कर तू बस ढंग से चूत चोद | इसमें नया क्या है दर्द सब को होता है दुनिया की हर औरत को होता है | दुनिया की हर औरत पहली बार जब चुदती है तो सबको दर्द होता है | तेरी मां को भी जब पहली बार किसी ने चोदा होगा तेरी मां भी को भी दर्द हुआ होगा | अब चुपचाप आकर भोसड़ीवाले मुझे चोद नहीं तो सुबह तेरी माँ को मै चोडूंगी |
मैं दीदी के मुंह से गालियां सुन कर हैरानी में था |
मै - आप गाली दे रही हो |
मै - अरे हां भोसड़ी के, अब आकर मुझे चोदना शुरू कर, नहीं तो तेरी बकचोदी सुनकर मै तेरा ,मर्आडर कर दूँगी |
इतना कहकर के दीदी ने मेरा हाथ पकड़ कर खुद अपने ऊपर खींच लिया और मुझे पलट दिया और मेरे को नीचे धकेल दिया और खुद ऊपर आ गई | इसके बाद उन्होंने खुद ही मेरे लंड को अपनी चूत पर सटाके लगा दिया और धीरे से नीचे की तरफ खुद को ठेलती चली गई | उसके बाद दीदी ने पलटकर मुझे ऊपर कर लिया और कहा चुपचाप मेरी चूत में पूरा का पूरा घुसेड़ दे | मै चीखू चिल्लाऊ हाथ पैरों पटकु, अपनी चूत से लंड निकालने बोलू | मत निकालना | कान खोलकर सुन ले , कुछ भी कंहू मत सुनना | जब तक तेरा लंड पिचकारी नहीं छोड़ देता मुझे चोदते रहना | समझ में आया | मैंने हाँ में सर हिला दिया |
दीदी - क्योंकि मुझे दर्द होगा इसलिए मै चीखूंगी चिल्लाऊनगी लेकिन तुझे लंड नहीं निकालना है समझ में आया या नहीं आया |
दीदी का इतना कहना था और मैंने पूरा जोर लगाने की सोची | मै दीदी की चूत में लंड घुसाने लगा लेकिन मैं बहुत डर रहा था इसलिए मेरी हिम्मत नहीं हुई मैंने बस हल्का सा ही जोर लगाया और इससे लंड फिर वही जाकर फस गया जहां पहले फंसा हुआ था |
अब दीदी को गुस्सा आ गया दीदी ने कसके मेरे चूतड़ों को पकड़ा और अपनी तरफ मुझे ठेल दिया और नीचे से भी अपनी कमर उठा दी | यह क्या हुआ मुझे लगा जैसे किसी ने मेरे लंड को अंदर से छील लिया हो और मेरा लंड घुसता हुआ दीदी की चूत में अन्चदर तक चला गया | दीदी एक लम्बी चीख से कराह गयी | दीदी के चेहरे पर दर्द की लकीरे तैर गई | दीदी दर्द से दोहरी हो गई ऐसा लग रहा था जैसे मैंने उनकी कसी हुई नरम सुरंग के अंदर मेरे लंड को चीर के रख दिया गया हो | मेरा लंड दीदी की गरम गुनगुनी चूत में अंदर तक घुसता हुआ चला गया था दीदी दर्द के कारण परेशान हो गई थी |
उन्होंने मेरे चुताड़ो को छोड़कर मुट्ठियाँ भीच कर चादर को कस के पकड़ लिया था और उनकी आंखें कसकर दर्द के मारे बंद थी और उनके किनारों से आंसू बहने लगे थे | मैं बस दीदी के चेहरे को देख रहा था, क्या इतना दर्द होता है पहली बार चुदवाने में | इसी बीच मुहे दीदी की बात याद आ गयी | मैंने ने अपने लंड को बाहर खींचा और फिर से अन्दर तक पेलता चला गया | ऐसा लग रहा था जैसे कोई संकरी मखमली सुरंग मेरे लंड को छील कर रखे दे रही है | दीदी का दर्द और बढ़ गया था |
मै - दीदी |
मेरा इतना बोलना था दीदी बोली - चल चोदना शुरू कर |
मैंने फिर से अपने लंड को पीछे खींचा और फिर अंदर को पेल दिया था दीदी का दर्द और ज्यादा बढ़ गया था | मैंने चार पांच बार उसी तरह से दीदी की कसी चूत में लंड आगे पीछे किया | मुझे लगा दीदी को ज्यादा दर्द हो रहा है इसलिए मैंने अपने लंड को बाहर निकालने की कोशिश करी लेकिन दीदी ने पीछे से अपनी जांघो से मुझे कस कर जकड़ रखा था मेरा लंड दीदी की चूत में आधे से ज्यादा घुसा हुआ था और दीदी उस दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी | मुझे लग रहा था दीदी उस दर्द को भी इंजॉय कर रही थी | मै बस हल्की हल्की कमर हिलाता रहा | मेरे सुपाडे भर का लंड दीदी की चूत में आगे पीछे होता रहा | दीदी अपना चूत दाना कसकर रगड़ने लगी | मै हलके हलके कमर हिलाता रहा | अब मुझे लग रहा था की दीदी की चूत में मेरा लंड आराम से फिसल रहा था | कुछ देर बाद दीदी थोड़ा नॉर्मल हुई मैं तब तक उसी तरह से पड़ा रहा और कमर हिलाता रहा |
मेरा लंड दीदी की मखमली गरम चूत में घुसा हुआ उनकी चूत की चूत की झिल्ली को चीर के अन्उदर तक धंसा था | मैं अपना लंड बाहर निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन दीदी ने अपनी जांघों पर कसाव बढ़ाते हुए बोली लंड को बाहर मत निकालना और चुपचाप मेरी चूत में ही अंदर ही लंड डाल कर मुझे चोदते रहो |
मै - दीदी आपकी चूत में लंड तो घुस गया, लेकिन आपकी चूत को चोदु कैसे |
दीदी - लंड को चूत में पेलने को ही चोदना कहते है गधे |
मैं बस हलके से कमर हिला हिला करके ही लंड को अंदर बाहर करने की कोशिश करने लगा लेकिन दीदी को इसमें मजा नहीं आ रहा था | उनको पता था उनकी सील टूट चुकी है इसलिए वो अब जमकर चुदना चाहती थी | मुझे तो बस जो दीदी बता रही थी वो कर रहा था | अपनी कच्ची उम्र के हिसाब से बहुत कुछ देख लिया था | कर भी रहा था लेकिन समझ नहीं थी |
दीदी - चोदना नहीं आता है देखा नहीं था मूवी में कैसे वो उस लड़की की चूत में लंड पेल रहा था | उस तरह से जोर-जोर झटके मारो |
मैं जोर-जोर से कमर हिलाने लगा था और दीदी की चूत में मेरा लंड का आगे पीछे लगा था | अभी भी दीदी की चूत बहुत टाइट थी और ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लंड को छीलकर रख देगी | दीदी ने मुझे कसकर अपनी बाहों के ऊपर जो कर रखा था |
उसके बाद में दीदी ने मुझे चूमते हुए बोली - अच्छा अब एक काम करो नीचे लेट जावो मै तुमको चोदती हूँ | ऐसा लग रहा है जैसे कि तुमने मुझे एक लड़की से औरत बना दिया है|
दीदी ने मुझे अपनी बाहों और जांघों की गिरफ्त से आजाद कर दिया मैं तुरंत ही पीछे उठ कर बैठ गया और जैसे ही मैंने दीदी की चूत से लंड को बाहर निकाला मैंने देखा मेरे लंड का पूरा सुपारा खून से भीगा हुआ है मैं खून देखते ही मुझे चक्कर आने लगे लेकिन तब तक दीदी ने मुझे थाम दिया और बोली - अरे पगले ये खून तो एक वरदान की तरह है, तुझे नहीं पता है आज तूने मुझे एक लड़की से औरत बना दिया है और पता है एक लड़की की जिंदगी में यह पल कितना खास होता है आज तूने मुझे पूरी की पूरी औरत बना दिया है अब मैं कुंवारी नहीं रही यह खून उसकी निशानी है कि अब मैं एक जवान औरत हूं | अगर ये नहीं निकलता तो मै कभी औरत नहीं बन पाती | तुझे नहीं पता है आज तूने मुझे क्या दिया है | ये बस एक लड़की ही समझ सकती है |
अब चुपचाप मेरी चूत में लंड को जमकर पेल और मेरी चूत का बचा हुआ कुंवारापन भी लूट ले | मुझे चोदकर पूरी की पूरी औरत बना दे जब तक तेरे लंड की पिचकारी मेरी चूत की सुरंग में फुहारे नहीं छोडती तब तक मैं पूरी औरत नहीं बनूंगी |
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इतना कहते ही दीदी ने फिर से मुझे अपने ऊपर चिपका लिया और कमर हिलाने को कहने लगी लेकिन खून देखकर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी तो दीदी ने मुझे पलट दिया और मेरे ऊपर आ गई और लंड को अपनी चूत में घुसा कर खुद की कमर हिलाने लगी | अब मैं बिस्तर पर नीचे लेटा हुआ था और दीदी मुझे ऊपर बैठकर चोद रही थी लेकिन दीदी को अभी भी चूत में दर्द हो रहा था उनकी आंखें बता रही थी दीदी अपनी चूत फटने के दर्द से अभी उभरी नहीं है | ऊपर से दीदी को चोदना आसन नहीं था एक तो उन्हें ही धक्के लगाने थे और हर धक्के का दर्द भी उन्हें ही बर्दास्त करना था | इसलिए दीदी फिर से नीचे बिस्तर पर लेट गई और किनारे आ करके उन्होंने मुझे फिर से चोदने को कह दिया | दीदी ने इसके साथ ही अपनी दोनों जाने सटा के ऊपर की तरफ उठा दी मैंने दीदी की जांघो को पकड़कर उनकी चूत में लंड को घुसेड़ दिया और अपनी कमर को हिलाने लगा था |
दीदी ने पिक्चर की याद दिला दी और उसकी याद आते ही मैंने दीदी के चूत में लंड खेलने की स्पीड बढ़ा दी और दीदी को मज़ा आने लगा था हालांकि दीदी को दर्द भी बराबर हो रहा था मेरा लंड पूरी तरह से खून से सना हुआ था |
मैं उसे पोछना चाहता था लेकिन दीदी ने रोक दिया उसने कहा अरे पगले यह तो सुहागरात की निशानी होती है जब तक पूरा लंड और चूत खून और तेरी मलाई से सन नहीं जाएगी तब तक यह सुहागरात खत्म नहीं होगी | ऐसा समझ ले तू बस मेरे साथ सुहागरात मना रहा है | यह सब बातों से मेरा जोश बढ़ गया था और मैं दीदी को और जोर से धक्के मारने लगा था | मैंने अपनी जिंदगी की पहली चूत मारी थी वो भी कोरी कुंवारी | दीदी की चूत बहुत कसी हुई थी इसलिए लंड पेलने में पूरा जोर लगाना पड़ रहा था | इसलिए मैं जल्दी ही हांफने लगा था | इसी ताकन के कारन मै दीदी के ऊपर लेट गया था | दीदी समझ गई थी आखिर में कच्ची उम्र का लड़का था | दीदी नीचे से कमर में झटके देने लगी और मै ऊपर से | दीदी की नयी कोरी कसी चूत में मेरा लंड ज्यादा देर तक खुद रोक नहीं पाया और मेरा शरीर अकड़ने लगा था जल्द ही मेरे लंड से पिचकारिया छूटने लगी और दीदी की चूत की गहराई में अपने लंड की पर पिचकारियो से अपनी मलाई से भरने लगा था | दीदी चुपचाप मेरे लंड की मलाई को अपनी चूत में समाती रही और उसके बाद में मुझे बाहों में लेकर उसी तरह से लेट गई | मै और दीदी दोनों अपनी सांसे काबू करने लगे | हम दोनों की गरम सांसे एक दुसरे में घुल रही थी | दीदी मेरे बाल सहलाने लगी | मै उनके सीने में सर छिपाकर आराम करने लगा | मेरा लंड दीदी की कसी चूत में ही मुरझाने लगा | कुछ देर बाद जब हम दोनोई की सांसे काबू मे आई तो मैंने दीदी की चूत से लंड बाहर निकाला तो मेरा पूरा लंड लाल खून से सना हुआ था उसके साथ साथ में मेरे लंड से निकली मलाई का रस भी लगा हुआ था जैसे ही मैंने दीदी की चूत से लंड बाहर निकाला दीदी की चूत के चारों तरफ खून ही खून नजर आ रहा था | वह कर इधर-उधर जांघों पर चूतड़ों पर लग गया था थोड़ा खून मेरी जान ऊपर भी लग गया था |
इसी के साथ जितेश के लंड ने भी जवाब दे दिया | उसकी पिचकारियाँ निकलने लगी | हालाकि उसने मुहँ से निकलने वाली आह दबाने की बहुत कोशिश की लेकिन दबा नहीं पाया | रीमा समझ गयी वो निपट गया है | लेकिन रीमा को शक न हो इसलिए जितेश ने कहानी सुनानी नहीं रोकी| वो बस उठा और तय जगह पर रखे गिलास से अपनी पिया और अपनी जगह पर आकर लेट गया | उसकी तौलिया उसके बदन पर नहीं थी और उसका झूलता लंड का बस अनुमान ही रीमा लगा पाई | जितेश फिर से बिस्तर में घुस गया और अपनी आगे की कहानी सुनाने लगा | अब उसकी आवाज में ठहराव था |
दीदी ने उसे दिखा कर कहा - यह हमारे प्यार की निशानी है आज तूने मुझे औरत बना दिया है और इस से ज्यादा कोई खास पल मेरी जिंदगी में नहीं हो सकता है |
मै - दीदी आपने अपनी कुंवारी चूत देकर मुझे भी बहुत खाद बना दिया | मेरी जिंदगी की पहली चूत वो भी कुंवारी | बहुत मजा आया आपकी चूत को चोदकर |
दीदी - मजा आया |
मै - बहुत, बिलकुल मक्खन मलाई की तरह रसीली है आपकी चूत | शुरू में लगा जैसे मेरा लंड ही छील देगी लेकिन उसके बाद बहुत मजा आया | अब पता चला आप क्यों कहती थी चूत चोदने में मजा आता है |
दीदी - सच कहती थी न |
मै - हाँ दीदी इसके आगे कोई जन्नत भी दे तो ठुकरा दू |
दीदी ने मुझे बांहों में भरकर कसके चूम लिया - तू बाते बहुत प्यारी प्यारी करता है | इसके बाद दीदी काफी देर तक मुझे चूमती रही |
मुझे भी दीदी की कसी हुई कुंवारी चूत चोद कर बहुत मजा आया था मेरा मन कर रहा था दीदी को मैं एक बार और चोदू |
कुछ देर तक मैं वही दीदी के पास ही पड़ा रहा, मेरा खून से सना हुआ लंड दीदी की खून से सनी आपस में एक दुसरे को रंगते रहे | उसके बाद मै और दीदी उठे और उन्होंने एक साफ तौलिए से मेरे पहले लंड को पूछा और फिर अपनी चूत और उसके आसपास लगे खून को पूछा और फिर मुझे पकड़कर बाथरूम की तरफ चल दी | वहां जाकर उन्होंने पहले अपनी चूत को अच्छे से धोया और फिर मेरे लंड और मेरी जान हो पर लगे खून को अच्छे से धोया जब सबकुछ पूरी तरह साफ हो गया | उसके बाद हम कमरे में फिर वापस आ गए | उसके बाद दीदी ने अपनी चूत की अंदरूनी ओंठो में उंगलियां फंसा कर के अपनी चूत को फैलाकर मुझे अपनी चूत दिखाते हुए कहा - देख यह क्या किया, तूने मेरा कुंवारापन लूट लिया,मेरी कुंवारी चूत को चोदकर मुझे औरत बना दिया | देख इसे कहते हैं असली चूतजो एक औरत की चूत ऐसी होती है | मैंने कुछ देर पहले ही दीदी की चूत देखि थी अब तो वो पूरी तरह से बदल गयी थी |मैं देखकर हैरान रह गया दीदी की चूत की झिल्ली पूरी तरह से गायब हो चुकी थी वहां पर एक बड़ा सा छेद बन गया था और उसके अंदर से दीदी की पूरी गुलाबी मखमली चूत सुरंग नजर आ रही थी | अब मुझे समझ आया दीदी किस चूत के छेद की बात कर रही थी | मैं हैरान था आखिर मैंने दीदी का कुंवारापन लूट लिया अब दीदी कुमारी नहीं रही थी और वह एक औरत बन गई थी और दीदी ने मुझे भी एक मर्द बना दिया था | अब मुझे पता चल गया था एक औरत को कैसे चोदते हैं | अब मैं अगली बार दीदी को मर्द बंनकर चोदुंगा और दीदी एक औरत बनकर मुझसे चुदेगी | मैं बहुत ही फक्र महसूस कर रहा था इतनी कम उम्र में चूत चुदाई की बातों को सिखाने के लिए दीदी को कैसे थैंक्यू कहूं |
दीदी बेड पर बैठी मुझे अपनी चूत दिखा रही थी और मैं उनकी उसको देख रहा था | जिस चूत का कुंवारापन अभी-अभी मैंने लूटा था मैंने खुद अपने हाथों से उस दीदी की चूत को फैलाकर और करीब से देखा और दीदी से बोला - दीदी अभी अभी मैंने आपका कुंवारा पर लुटा है अब आप औरत बन गई हो |
दीदी बोली - हां मैं अब औरत बन गई हूं और तू भी पूरा का पूरा मर्द बन गया है
मैं - दीदी अगली बार हम औरत और मर्द बंन कर चुदाई करेंगे ना |
दीदी बोली - हां रे अब तो तेरी जैसे मर्जी हो जब मर्जी हो तब तुम्हें चोदना अब तो तूने मेरी चूत के बंद दरवाजे को खोल ही दिया है अब क्या है जब मर्जी हो तब चोदो |
मैंने दीदी से कहा - दीदी अब औरत बनकर आप चुदोगी और मैं मर्द बन कर आपको चोदुंगा है | दीदी आपने इतनी छोटी सी उम्र में यह सब सिखा दिया है औरत मर्द चूत चुदाई की बातें | मैं आपका एहसान कैसे उतार पाऊंगा |
दीदी झट से बोली - अरे पहले इसमें एहसान कैसा है तू भी तो मुझे चोद रहा है ना इतनी इतने प्यार से | कौन लंड है जो किसी औरत को उसके इशारे पर चोदता है जब तक तू मेरी बात मानकर मुझे ऐसे चोदता रहेगा तब तक कोई एहसान नहीं | हम दोनों एक दूसरे पर एहसान नहीं कर रहे हैं हम दोनों एक दूसरे की जरूरतें पूरी कर रहे हैं | मैं तेरी टीचर हूं और तू मेरा स्टूडेंट है | टीचर और स्टूडेंट के बीच में कभी कोई एहसान नहीं होता है जो मैं तुझे सिखा दूं तो अच्छे से सीख लेना स्टूडेंट बनकर |
मै - अच्छा स्टूडेंट बनकर सीखूंगा आप जो भी सिखाओगी दीदी |
दीदी - अपनी टीचर का कहना मानेगा और ये बात किसी को बताएगा तो नहीं मेरा स्टूडेंट |
मै - जी कभी नहीं |
इतना सुनते ही दीदी ने मेरा हाथ पकड़ कर चूम लिया और वहां पर हम दोनों बिस्तर पर ढेर हो गए| इसके बाद में मैं दीदी की बाहों में समा गया और काफी देर तक हम एक दूसरे को आंखों में आंखें डाल देखते रहे थे मैं सीधा पीठ के बल लेटा था दीदी उल्टी लेती हुई थी दीदी अपना कुंवारापन खो चुकी थी और वह मुस्कुराते हुए मेरी आंखों में आंखें डाल लेती थी | मैं भी बहुत खुश था कि दीदी ने अपनी चूत में चोदने को दी और दीदी को एक औरत बनाया है हम सो गए हमें पता ही नहीं चला जब मेरी आंख खुली तब सुबह के 6:00 बज रहे थे मैंने देखा दीदी अभी भी सो रही हैं हालांकि जब मैंने नीचे की तरफ देखा तो मेरा लंड पूरी तरह से तना हुआ था अब मैं इसका क्या करूं अभी मुझे उठा घर भी जाना है क्योंकि कॉलेज जाना है इधर दीदी अभी भी सो रही थी मैं अपने लंड को थाम के बाथरूम की तरफ चला गया वापस आकर मैंने कपड़े पहने और चुपचाप अपने घर की तरफ ले कर के चला गया जब दीदी की आंखें खुली तब मैं वहां नहीं था इसलिए दीदी यह पता करने आई कि मैं घर पहुंचा हूं या नहीं पहुंचा |
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दीदी माँ से बाते कर रही थी उसके बाद वह बोली- वहां से उसके मां-बाप का फोन आया है और वह आज भी नहीं आएंगे इसलिए क्या वह आज रात भी मेरे पास रुक सकता है हालांकि यह मुझे सुनाई नहीं पड़ा था कि मैं अपने कमरे में कॉलेज जाने की तैयारी कर रहा था | इतना कह कर दीदी वापस चली गई शाम को जब मैं ट्यूशन के लिए दीदी के यहां जाने लगा तो माँ ने मुझसे कहा कि अभी से क्यों जा रहा है |
मै - ट्यूशन पढ़ने जा रहा हूँ |
माँ - अरे मै तुझे बताना भूल गयी थी कि आज रात भी तुम ही रुकोगे कि वह अकेली है और उसके मां-बाप आज भी लौट के नहीं आ रहे हैं मैं समझ गया मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था लेकिन मैं अपनी खुशी छिपाते हुए ठीक है सुबह सुबह ही तो आई थी यह बताने के लिए | मुझे वापस बैग कमरे में रख आया उसके बाद खेलने चला गया | आया दीदी आज खेलने नहीं आई थी इसलिए मुझे थोड़ा सा निराशा लगी थी लेकिन 2 घंटे बाद जब मैं बैग दीदी के पास पंहुचा तो मैंने दीदी से पूछा - दीदी आज आप खेलने क्यों नहीं आई थी |
दीदी बोली - उसके यहां पे दर्द हो रहा था कल उसकी चूत की झिल्ली फटी थी उसका कुंवारे पन लूटा गया था इसलिए आज उसे हल्का हल्का दर्द हो रहा था और वह थोड़ा थकावट महसूस कर रही थी इसलिए आज नीचे नहीं आई |
जाते ही जाते मैंने दीदी को बाहों में भर लिया और दीदी के चूतड़ मसलने लगा तो दीदी भी मेरे चूतड़ों पर हाथ जमा कर मसलने लगी और मुझे कसके चूमने लगी थी मैं समझ गया था आग दोनों तरफ से बराबर लगी हुई है कुछ दिन पहले तक मुझे इस जवानी की आग का एहसास ही नहीं था लेकिन अब तो हर पल मैं चाहता था कि दीदी मेरे पास ही रहे और मै उन्हें चोदता रहू | दीदी का भी है बुरा हाल था वह भी अब चुदने के लिए तैयार ही बैठी रहती थी | मेरे जाते ही दीदी ने फटाक से बाहर का दरवाजा बंद किया और सोफे पर आकर बैठी थी और टीवी चला दी थी हालांकि मेरे से सब्र नहीं हो रहा था मैंने दीदी का पजामा नीचे की तरफ खींच दिया और मेरा लंड दीदी को देखते ही तन गया था मैंने अपने लंड को एंड से निकालकर दीदी के चूतड़ों और उसकी चूत पर मसलने लगा था |
दीदी - क्या हो गया इतना उतावला क्यों हो रहा है सब तेरा ही तो है, सब कुछ तुझे ही तो लूटना है आराम से जो मर्जी हो वह लूट , ये सारा हुस्न ये जवानी सब तेरे लिए तो है जैसे मर्जी हो वैसे लूट लेकिन मैं कहां दीदी की सुनने वाला था जब तक दीदी कुछ कहती सुनती समझती तब तक मैंने दीदी की पैंटी भी उतार दी थी |
उसके बाद में दीदी की कि वह गुलाबी कसी हुई चूत मेरे सामने नुमाया हो गई थी, मै देखना चाहता था की क्या चूत का छेद बिलकुल वैसा ही है | मैंने दीदी की चूत के ओंठो को फैला दिया | दीदी की चूत खुली हुई थी लेकिन चूत की दीवारों ने आपस में चिपककर सुरंग का रास्ता रोक रखा था | मै दीदी की चूत देखकर पागल सा हो गया था | दीदी टीवी पर कोई प्रोग्राम देख रही थी | उनका धयान मेरी तरफ बिलकुल नहीं था | जबकि मै बस दीदी की चूत के लिए पगलाया हुआ था |
मैंने आव देखा ना ताव और अपने खड़े हो रहे लंड पर लार उड़ेली और सीधे दीदी की चूत के मुहाने पर सटा के पेल दिया |
दीदी के मुहँ से एक मादक कराह निकल कर रह गयी | मैंने फिर से दीदी की चूत में लंड पेल दिया | दीदी फिर कराह उठी | उनकी चूत में जब मैंने ;लंड घुसेड़ा था तब उनकी चूत सुखी थी लेकिन दो धक्को में ही दीदी की चूत की दीवारों से पानी रिसनेलगा | इससे पता चल रहा था दीदी की चूत कितनी जोर से लंड की भूखी थी | उसके बाद में दीदी समझ गई थी कि मैं रुकने वाला नहीं हूं इसलिए मुझे कुछ कहने की बजाय दीदी उसी तरह से लेटी रही, और फिर से टीवी देखने लगी | उन्हें पता था आज मै उनके कहने से रुकने वाला नहीं हूँ | दूसरा वो भी चुदना चाहती थी इसलिए उन्होंने कोई प्रतिरोध नहीं किया | साथ ही साथ वो ये भी देखना चाहती थी की मै कितना सीखा हूँ | क्या मुझे ठीक से चूत चोदना आ गया है | दीदी सोफे पर पसरी हुई थी, उनका सर टीवी की तरफ था | जब मुझे चूत में लंड घुसेड़ते देखा | तो अपने अपने बड़े बड़े चुताड़ो को मेरी तरफ थोड़ा और खिसका दिया | मैं खड़े-खड़े जमीन से सोफे पर लेटी दीदी के चूतड़ों को थाम के उनकी चूत में लंड को पेलने लगा | आज दीदी की चूत में आराम से लंड जा रहा था | दीदी काफी देर तक टीवी देखती रही और मैं सटासट दीदी की चूत में लंड चलता रहा था, दीदी को भी वासना की तरंगे महसूस हो रही थी, वो भी सिसकारियो के साथ कराहने लगी थी | लेकिन आज दीदी मेरे मन का मुझे कर लेने देना चाहती थी | आज वो कोई टोका टोकी नहीं करना चाहती थी |
आज सच में लग रहा था चूत चोदने को जन्नत क्यों कहते है | जैसे जैसे मेरा लंड दीदी की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था मै भी एक एक करके स्वर्ग की सीढियाँ चढ़ रहा था | मै तेजी से दीदी की चूत में लंड पेल रहा था इसलिए जल्दी ही हफाने लगा | उधर दीदी की सांसे भी चढने लगी थी | लगातार चूत में जाते सटासट लंड से दीदी का बदन भी गरम हो गया था | उनकी सांसे भी भाप छोड़ने लगी थी | लेकिन दीदी इसके बाद भी टीवी की तरफ ही देखती रही | मै कमर हिलाकर दीदी को चोदता रहा | आह क्या चूत थी दीदी की बिकुल मख्खन मलाई की तरह नरम चिकनी और कसी हुई | सच में आज अहसास हो रहा था की दीदी ने मुझे अपनी कितनी अनमोल चीज दिखा दी है और अब चोदने को भी दे रही है | क्या कसी दीदी की चूत थी कल तो मेरी जान ही निकल गई थी दीदी की कुंवारी चूत को खोलने में लेकिन आज दीदी की चूत पहले से नरम थी और मेरे लंड को अपनी गर्माहट से, अपने गीलेपन से बहुत मजा दे रही थी |
मै बहुत तेज दीदी के चुताड़ो पर ठोकरे मार रहा था इसलिए बहुत तेज हांफ भी रहा था | मेरी साँस ऊपर तक चढ़ गयी थी | दीदी की चूत को चोदते चोदते में मदहोश हुआ जा रहा था हालांकि कल भी और आज भी दीदी की कसी चूत के कारण मेरी पिचकारी जल्दी ही छूटने को आई थी | मेरा बदन अकड़ने लगा था और पांव कापने लगे थे और मै अपने पर काबू नहीं रख पाया | मेरी पिच्मैंज्कारी दीदी की चूत की गहराई में फुवारे छोड़ने लगी थी | पांच छ झटको के साथ मेरी सारी मलाई दीदी की चूत में निचुड़ गयी |
मुझे कसकर हांफता देखा दीदी ने पीछे घूम कर देखा और बोली - बस इसीलिए कहती हूं ज्यादा जोश दिखाने की जरूरत नहीं है ज्यादा जोश दिखाओगे तो बस जल्दी ही निपट जाओगे |
मैं समझ गया दीदी का कहने का क्या मतलब है लेकिन मैंने दीदी की चूत से लंड नहीं निकाला था क्योंकि मेरा नही मन भरा था और मुझे लग रहा था दीदी भी शायद अभी इतनी कम चुदाई से खुश नहीं थी इसीलिए उन्होंने ताना मारा था - कल से समझा रही हूँ, आराम से चोदो, हट्टे कट्टे मर्द तो हो नहीं | ऊपर में मेरी नयी नवेली कसी चूत, मिनटों ने लंड का जूस निचोड़ लेती है | कितनी बार कहा आराम से चोदो, मुझे भी मजा आएगा और तुम्हे भी मजा आएगा | लेकिन तुम सुनते कहां हो, तुम्हे तो पता नहीं कहाँ की जल्दी पड़ी है |
दीदी की नाराजगी को सुनता हुआ मै उसी तरह खड़ा रहा | मेरा लंड अभी भी दीदी की चूत में घुसा हुआ था |
दीदी - तुमने तो अपनी पिचकारी छोड़ दी मेरी चूत में मेरी चूत में जो आग लगी है उसका क्या होगा |
मैं कुछ समझ नहीं पाया मैंने कहा - मतलब दीदी |
दीदी - मतलब जैसे तुम्हारे लंड से पिचकारी छूटती है और तुम्हे मजा आता है ऐसे ही मेरी चूत का पानी भी तो छुटता है तो मुझे मजा आता है लेकिन जब तुम जल्दी झड़ गए तो मेरी चूत तो प्यासी रह गयी |
दीदी ने क्मैंया कहा मुझे कुछ समझ नहीं आया |
मैंने कहा दीदी - अब मुझे क्या करना है |
दीदी बोली - अब क्या करोगे अब तो तुम झड़ चुके हो |
मै - नहीं दीदी आप जो बोलोगी मैं वह करने के लिए तैयार हूं |
दीदी बोली - कोई फायदा नहीं है इतनी जल्दी तुमारा लंड फिर से खड़ा नहीं होगा |
मै - मतलब दीदी ,
दीदी - अरे इतनी जल्दी तुम्हारा लंडदुबारा कहाँ से खड़ा होगा अच्छे-अच्छे लंड नहीं खड़े हो पाते तुम्हारा कहां से खड़ा होगा |
मै - लेकिन दीदी मेरा लंड तो अभी तक आपकी चूत में ही है |
दीदी - अच्छा ये बात है तो चोदो न दुबारा, आराम से चोदो, मुझे भी संस्तुष्टि चाहिए होती है | मेरी चूत भी पानी छोडती है लेकिन जब तक उसे देर तक नहीं चोदोगे तब तक वो पानी नहीं छोड़ेगी |
अभी कुछ देर पहले पिचकारी छुटते ही मेरी कमर हिलनी बंद हो गयी थी लेकिन मैंने फिर से दीदी की चुत में धक्के लगाने शुरू कर दिए | मेरा लंड पूरी तरह से नहीं मुरझाया था इसकी मुझे हैरानी थी शायद दीदी की चूत चोदने की चाहत में नहीं मुरझाया होगा | दीदी की चूत पूरी तरह से मेरे रस से भरी हुई थी इसलिए उनकी चूत में मेरा लंड आसानी से फिसलने लगा | मेरा लंड हल्का सा नरम हो गया था फिर भी दीदी की चूत पहले से खुली हुई थी और मेरी सफ़ेद मलाई से भरी थी इसलिए आराम से जाने लगा था | मैं फिर से धक्के लगाने लगा था | दीदी हैरान थी |
दीदी बोली - जबरदस्ती करने की कोई जरूरत नहीं है, जब दुबारा लंड खड़ा हो तब चोद देना | इस तरह से खुद से जबरदस्ती न करो | चूत की प्यास है कुछ देर और प्यासी रह लेगी |
दीदी ने जो भी कहा मेरे कानी तक शायद पंहुचा ही नहीं | मैंने कुछ नहीं सुना था | मैंने दीदी चुताड़ो को पकड़कर फिर उसे को चोदने लगा था | दीदी को लगा मै उनकी सुनने वाला नहीं हूं तो अपने हाथ से चूत दाने को मसलते हुए फिर से टीवी देखने मस्त हो गई थी| असल में दीदी टीवी नहीं देख रही थी मेरी चुदाई का आनंद ले रही थी | इस बार मैंने उन्हें लंबे लंबे और धीरे धीरे धक्के लगा रहा था | जैसा कि दीदी ने खुद बताया था कि आराम से पूरा लंड चूत के आखिर छोर तक घुसेड़ो और फिर पूरा लंड बाहर निकालो | मैं उसी तरह से धीरे धीरे दीदी को चोद रहा था |
धीरे धीरे मेरा लंड फिर से पत्थर की तरह सीधा हो गया | दीदी की चूत की गरमी और उसके चुताड़ो की नरम मांसल अहसास ने मेरे जिस्सम में फिर से उत्तेजना भर दी | बार चोदते चोदते काफी देर तक मेरा लंड दीदी की चूत में ही अंदर बाहर होता रहा लेकिन इस बार पिचकारी नहीं छूटी थी मैं भी हैरान था दीदी की बातों में तो जादू था | जैसा दीदी कह रही थी मैं बिल्कुल वैसा ही करता रहा | इसी बीच में मैंने नोटिस किया दीदी का जिस्म दो बार कांपा | दीदी अभी भी टीवी ही देख रही थी लेकिन साथ में चूत दाने को भी मसल रही थी इधर उनकी चूत में सटासट मेरा लंड आ जा रहा था | अब मै दीदी को जोर जोर से पेल रहा था | मै बुरी तरह हांफने लगा था } और मै बुरी तरह से थक भी गया था | वो तो भला तो मेरी सफ़ेद मलाई का जो दीदी की चूत की सुरंग इतनी चिकनी हो गयी नहीं तो अब तक दीदी की नयी नवेली कसी चूत मुझे अब तक निचोड़ चुकी होती | दीदी खुश हो गई थी काफी देर तक चुदाई के बाद दीदी बोली - मुझे अब कसकर चोदो जितेश , जोर जोर से चोदो | जीतनी तेज मेरी चूत में लंड ठेल सकते हो ठेल दो |
दीदी के कहने से मै तेजी से धक्के लगाने लगा | सटासट मेरा पूरा लंड दीदी की चूत में आ जा रहा था | मै दीदी की कसी चूत को लगातार दुबारा चोद रहा था | मै दीदी की चूत के हर प्यास बुझाने में दिल जान से लगा हुआ था | मेरे जिस्म में जीतनी ताकत थी उससे दे धक्के पे धक्के लगाकर मै दीदी को चोद रहा था | ऐसा लगा रहा था शायद इसके बाद कभी दीदी को चोदने को ना मिले | मेरा लंड और दीदी की चूत में भीषण घर्षण हो रहा था | दीदी की चूत तो जैसी आग की भट्ठी बन गयी ठिया और उसमे मै अपनी आग की मीनार को दनादन पेल रहा था |
मै - दीदी आपकी चूत ने तो मुझे पागल कर दिया है आःह्ह | इतना मजा तो मुझे पूरी जिंदगी में कभी नहीं मिला |
दीदी - चोदो जितेश, मुझे जी भर के चोदो, मेरी चूत की सारी प्यास बुझा दो | मेरे जिस्म की सारी आग बुझा दो | जमकर चोदो मुझे | जैसे मन हो वैसे चोदो मुझे | जीतनी तेज चोद सकते हो उतनी तेज चोदो मुझे |
मै - हाँ दीदी मैंने अपनी पूरी जान लगा दी है आपको चोदने में |
दीदी में अपने चूत दाने को बुरी तरह मसल रही थी | अभी उनका सर सोफे में घुसा हुआ था | वो भी अपने आखिरी चरम पर थी |
इधर मै दनादन दीदी की चूत में लंड पेले पड़ा था |
दीदी - यस जितेश बस ऐसे ही जोरदार तरीके से मसल डालो इस चूत को ........आआह्ह्ह्ह ऐसे तो मूवी में भी कोई नहीं चोदता है | चोदो मुझे |
न जाने मेरे अन्दर इतनी ताकत कहाँ से आ गयी थी | मै बिना रुके थके दीदी की चूत में लगातार दनादन धक्के मार रहा था | दीदी का जिस्म कसकर हिलने लगा | मैंने कसकर उनके चूतड़ थाम के उन्हें लुढ़कने से रोका और अपना पूरा जोर लगाकर तेजी से लंड को पूरा का पूरा दीदी की चूत में घुसेड लिया | मेरा लंड दीदी की चूत की गहराई में जाकर दुसरे छोर पर टकराया और मेरे अन्दर उबल रहे दावानल का बांध टूट गया | मेरा बदन हिलने लगा | मेरे पाँव जोर जोर से कांपने लगे | मेरे लंड से दीदी की चूत की सुरंग के आखिर छोर पर मेरी सफ़ेद मलाई छुटने लगी | काफी देर तक मेरी पिचकारी निकलती रही | मै पूरी तरह से थक कर पस्त हो चूका था | मुझे नहीं पता कब तक मेरा लंड अपनी मलाई दीदी को चूत में भरता रहा | मै दीदी के चुताड़ो पर ही टिकाकर खड़ा रहा | मेरी पिचकारियो से दीदी की चूत पूरी भर गयी थी | दीदी बोली - जितेश तुमने अपनी दीदी की चूत की प्यास बुझा दी | तुमने मेरी चूत को अपनी मलाई से लबालब भर दिया | असल में इसको चुदाई कहते है | इस उम्र में ही तुम किसी सच्चे मर्द से बढ़कर एक औरत को चोद सकते हो |
मेरा लंड मुरझाने लगा | मै अपने उखड़े प्राण लेकर दीदी की चूत से लंड निकाल कर वही फर्श पर बैठ गया |
मैंने देखा एक मोटी सफेद मलाई की धारा दीदी की चूत से फूट पड़ी थी और उनकी मोटी मोटी जांघो पर से बहती हुई नीचे सोफे पर जाकर के गिरने लगी थी | मै हैरान था हे भगवान इतना इतनी मलाई मैंने दीदी की चूत में भर दी है | मेरा लंड इतनी मलाई छोड़ने लगा है मुझे ऐसा लग रहा था जैसे 10 दिनों के अंदर ही मै पूरी तरह से जवान हो गया हूं | पहले मेरे लंड से इतनी मलाई नहीं निकलती थी लेकिन आज इतनी मलाई निकली है उसको देखकर मैं खुद हैरान रह गया था क्या यह दीदी की चूत का कमाल है या मैं दीदी चोदने की वजह से मिलाई ज्यादा निकलने लगी है मुझे कुछ नहीं पता था लेकिन मुझे बहुत मज़ा आ रहा था |
मैंने दीदी से पूछा दीदी - अब ठीक है |
दीदी बेपरवाह लेती अभी भी टीवी ही देख रही थी | वो उसी में मस्त रही या शायद चुदाई से मस्त हो गयी थी | पता नहीं लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया |
मै - दीदी आपकी चूत की प्यास बुझ गई न |
दीदी - आज का सबक क्या है औरत को चोदने में कभी बहुत जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए औरत को आराम से चोदना चाहिए प्यार से चोदना चोदना चाहिए, जब औरत खुद चोदने को काहे तब उसे चोदना चाहिए |
मैं भी वहीं सोफे की किनारे पर सर रखकर लुढ़क गया और दीदी की चूत की दाल से चूत की से बहती हुई मलाई की धार को गौर से देखने लगा दीदी बोली अच्छा एक काम कर मैं तो टीवी देख रही हूं | अभी मेरी चूत के अंदर से मलाई को पूरी तरह से से इकट्ठा कर और एक कटोरी भर के रख दे |
मैंने वैसा ही किया |
दीदी - जरा चाट के तो देख कितनी टेस्टी है |
मैंने मुहँ बनाया |
दीदी बोली - खाना है तो खा नहीं तो इधर ला | इतना कहकर मेरे हाथ से कटोरी लेकर सारी मलाई गटक गयी |
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उसके बाद हम दोनों खाना खाया | इसके बाद में दीदी पूरी तरह से नंगी हो गई और बिस्तर पर जाकर लेट गई मैं भी दीदी के साथ बिस्तर पर जाकर लेट गया दीदी अब मेरे ऊपर आ गई थी और मेरी बाहों में समा गई और दोनों गहरी नींद में सो गए कि 2 बार लगातार दीदी को चोदने के बाद में मैं बहुत थक गया था |
हम दोनों सुबह तक अच्छे खासे सोते रहे दीदी बीच में एक दो बार उठी बाथरूम गई उसने मुझे देखा मेरा लंड पूरी तरह से तना हुआ था दीदी हैरान थी कि 2 बार चोदने के बाद भी मेरा लंड मुरझाया नहीं था | उसके बाद दीदी आ करके फिर से सो गई थी मेरा लंड दीदी की चूत के आसपास रगड़ खा रहा था इस बार दीदी ने अपने आप को मेरे से चिपका के सो गई थी मैं दीदी के पीछे लेटा हुआ था |
जैसे ही मुझे एहसास हुआ दीदी आगे लेती है और मेरे तने लंड के ऊपर अपने चूतड़ रगड़ रही है | मैंने दीदी को बाहों में भर लिया अब मेरा लंड दीदी के चूतड़ों पर रगड़ खा रहा था और इसी तरह से हम दोनों एक दूसरे को सहलाते चुमते और चाटते फिर से सो गए |
उसके बाद में सुबह जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा मुझे बहुत तेज पेशाब लगी है और मेरा लंड भी पूरी तरह से अकड़ा हुआ है जय जल्दी से भाग कर गया और मैंने बाथरूम में पेशाब करी लेकिन जब वहां से वापस आया तब भी मेरा लंड नहीं मुरझाया था |
मैं हैरान था अब मैं इसका क्या करूं मैंने देखा दीदी बिस्तर पर उल्टा उल्टा लेती हुई है उनके बड़े-बड़े चूतड़ ऊपर की तरफ उठे हुए हैं और उनकी नंगी पीठ भी और साफ-साफ दिख रही है | दीदी ने मुझे एक पिक्चर दिखाई थी जिसमें एक आदमी एक सोती हुई लड़की को चोदता है | मेरे दिमाग में आईडिया आया क्यों ना दीदी को सोते हुए चोदा चोदा जाए और एक सरप्राइज दिया जाए |
मैं दीदी के को एक तरफ खिसकाकर उठाया और उनके पेट के नीचे एक तकिया लगा दी | इससे दीदी के चूतड़ थोड़ा और उठ गए थे जिससे कि उनकी चूत औत गांड और खुलकर बाहर आ गई | उसके बाद मै दीदी के पीछे गया मैं दीदी के चूतड़ों को सहलाते हुए उनकी जांघों को थोड़ा फैला दिया और अपने लंड पर खूब सारी लार लगा करके उसको चिकना किया |
दीदी सो रही थी, मै अपने लंड को सहला रहा था फिर मैंने दीदी की चूत पर भी ढेर सारी लार लगा दी | मै बार बार देख रहा था कही दीदी जाग तो नहीं गई लेकिन दीदी गहरी नींद में थी | उसके बाद मैं दीदी के पीछे आ कर के मैंने उनकी गरम गुलाबी चिकनी चूत पर अपना लंड सटा दिया |
जब मैंने लंड को उनकी चूत पर लगाया तो दीदी थोड़ा कसमसाई उसके बाद मै सावधान हो गया लेकिन जब मुझे लगा दीदी फिर से गहरी नींद में चली गई है तो मैंने उनकी चूत में लंड को धीरे धीरे ठेलने लगा | मै बहुत आराम से लंड पर जोर डाल कर दीदी की चूत में घुसेड रहा था और बार बार दीदी की चेहरे को देख रहा था कही दीदी जाग तो नहीं गयी | जब मेरा सुपाडा दीदी की चूत में गायब हो गया तो मैंने अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी | मै दीदी को हलके हलके चोदने लगा था | मै दीदी को सोते सोते चोद रहा था यही सोचकर मेरी उत्दितेजना बहुत बढ़ गयिया और जोश में आकर मैंने एक तेज धक्याका मार दिया | मेरा आधा लंड दीदी की चूत में घुस गया | दीदी कसमसा कर रह गयी | मुझे लगा दीदी जाग गयी है इसलिए मै बिलकुल बुत बनकर बैठ गया | यहाँ तक की अपनी सांसे की आवाज भी दीदी तक नहीं पहुचने दी | दीदी एक एक हाथ उठाया और अपने चुताड़ो पर कुछ टटोलने आ गयी | मैंने झट से दीदी की चूत से लंड निकाला और साइड में लेट गया | दीदी ने अपने चुताड़ो की टोह ली फिर अपने गाड़ के छेद पर उंगली फिराई | उसके बाद अपनी चूत का जायजा लेने लगी | उन्होंने अपनी चूत में भी एक उंगली घुसेड़ी | जा इत्मिनान हो गया की कही कुछ नहीं है तो हाथ वापस सर के नीचे रख लिया | कुछ देर तक मै लंड और अपनी सांसे थामे वैसे ही लेता रहा | जब लगा दीदी फिर से गहरी नीद में चली गयी है तो मै फिर से दीदी के पीछे आ गया | मैंने दीदी की चूत पर अपना लंड लगाया और धीरे से उनकी नरम गीली चूत में घुसेड दिया | कुछ देर तक बहुत हलके हलके धक्के लगाने के बाद मैंने दीदी की चूत में गहराइ तक लंड घुसेड दिया | इस बार दीदी की तरफ से कोई हरकत नहीं हुई | कुछ देर तक मै दीदी की चूत में लंड डाले पड़ा रहा | फिर दीदी की चूत में धक्के लगाने लगा | कुछ देर तक तो लगा सब ठीक है लेकिन उसके बाद जब दीदी के मुहँ से हूँ हूँ की आवाजे निकलने लगी तो मुझे कुछ शक हुआ | पता नहीं दीदी ऐसा सपना आया था या दीदी जान गई थी कि मैं उनको चोद रहा हूं | हालांकि जब मैंने दीदी को आवाज देकर बुलाया तो दीदी जगी नहीं थी | दीदी सो रही थी मैं दीदी को इसी तरह से चोदता रहा और दीदी ऐसे ही हु आं करती रही उसके बाद में मैंने दीदी को एकदम करवट लिटा दिया और फिर चोदना शुरु कर दिया था |
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दीदी की नींद अभी भी नहीं टूटती थी मैं हैरान था दीदी तो की नींद तो बहुत जल्दी खुल जाती थी अभी क्या हो गया अभी दीदी बिल्कुल सो रही है या सोने का नाटक कर रही है मुझे डर भी लग रहा था लेकिन मेरा लंड दीदी की चूत में सटासट आ जा रहा था | इसलिए मुझे बहुत मजा आ रहा था | दीदी की कसी गुलाबी गरम चूत चोदने का अहसास ही कुछ और था | मुझे नहीं पता था दीदी सो रही है या सोने का नाटक कर रही है लेकिन मुझे लगता था कि नॉर्मल के समय में इतना कुछ होने के बाद जरूर जाग जाती थी लेकिन अभी शायद सोने का नाटक कर रही है लेकिन जब मैंने दीदी को जगाने की कोशिश करी तो ऐसा लगा कि दीदी सचमुच में सो रही है | फिर मैं दीदी को वैसे ही लिटा कर चोदता रहा और चोदते चोदते काफी देर तक मैं दीदी के स्तनों को मुसल्ला रहा उनके चूतड़ों को सहला रहा और उनके उनके पेट को सहलाता रहा | उनकी चूत दाने को रगड़ता दीदी भी सपनों में ही सही हल्की सिसकारियां भर्ती रही | उसके बाद चोदते चोदते आखिरकार मैं उनकी चूत में ही झड़ गया था | शाम से लेकर अब तक दीदी को मैं 3 बार चोद चुका था अभी हिम्मत नहीं थी हालांकि मैं पूरी जैसे जवान था और जोश में भरा हुआ था लेकिन फिर भी मैं थक गया था और मैं उसी तरह से लंड को पूरा का पूरा दीदी की चूत में घुसा के सो गया था | सुबह जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा मैं अभी भी सो रहा हूं और दीदी भी सो रही है मेरा लंड दीदी की चूत के पास सिकुड़ा हुआ पड़ा हुआ है और उनकी चूत से निकला हुआ ढेर सारा लंड का रस भी बिस्तर पर पड़ा हुआ है मैंने उठने की कोशिश करी लेकिन मुझे बहुत थकान महसूस हो रही थी इसीलिए लेटा रहा | दीदी की चूत मेरे लंड रस से सनी हुई थी |
तभी दीदी घूम के पलटी और उन्होंने कहा - मजा आया मुझे रात में चोद के मैंने कहा दीदी आप जाग रही थी |
दीदी बोली नहीं जाग तो नहीं रही थी लेकिन मुझे एहसास हो गया था तुम मुझे चोद रहे थे इसका अहसास मुझे हो गया था | मैं अपनी नींद खराब नहीं करना चाहती थी इसलिए मैंने तुम्हें रोका नहीं हो | तुम मुझे चोदते रहे लेकिन मुझे पता चल गया था तुम मुझे चोद रहे हो |
मै - क्या करूं दीदी रात में मन नहीं मान रहा था लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था|
दीदी - कोई बात नहीं इस उमर में ऐसा होता है तुमने भी पहली बार चूत को चोदा है | अभी तो दिन में चार पांच बार भी चुदाई करोगे तो मन नहीं भरेगा | मुझे खुशी है तुमने मुझे एक बार नहीं दो बार नहीं 3 बार चोद दिया है | मै भी कई बार चुदना चाहती थी मेरा भी मन था लेकिन मैं डर रही थी मैं नहीं चाहती थी कि तुम थक जाओ इसीलिए मैंने तुमसे कहा नहीं लेकिन अच्छा हुआ तुमने रात में मुझे चोद दिया | अब मै दिन भर खुस रहूंगी | उसके बाद सुबह में अपनी उस खुशनुमा यादों के साथ में वापस घर चला आया | दीदी के मां-बाप वापस लौट आए थे इसके बाद हमें कम से कम अगले 15 दिन तक बिल्कुल भी टाइम नहीं मिला जब हम और दीदी एक दूसरे को चोद सकें | उधर दीदी के मां-बाप को कुछ न कुछ शक हो गया था इसलिए वह बहुत सख्त निगरानी रख रहे थे हालांकि एक दिन मुझे मौका मिल गया जब मेरे मां-बाप शादी के लिए किसी रिश्तेदार के यहां गए थे मुझे पता था अब रात के 1 बजे से पहले से पहले मां-बाप नहीं आएंगे तो इसलिए मैं अकेला था मैं मासूम समूह बनाकर के रात के 8:00 बजे दीदी के घर गया और उनके मां-बाप से बोला अंकल जी मैं बिल्कुल अकेला हूं मुझे वहां डर लग रहा है क्या मैं आपके यहां रुक जाऊं तो अंकल जी बोले यहाँ तो इतनी जगह नहीं | दीदी बोली यहां रुकने जगह नहीं है तो क्या हुआ चल मैं तेरा साथ तेरे घर चलती हूं | दीदी के माँ बाप जानबूझकर भी मना नहीं कर पाए हालांकि उन्होंने दीदी के साथ छुटकी को भी साथ भेज दिया | अब हमारे लिए मुसीबतें थी कि छुटकी और दीदी साथ में आए थे अब मैं क्या करूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था हालांकि मैंने उसका भी इंतजाम ढूंढ दिया मैंने टीवी पर एक कार्टून मूवी लगा दी | छुटकी उस कार्टून मूवी को देखने में पूरी तरह बिजी हो गई | मै दीदी के साथ दुसरे कमरे में आ गया | उसके बाद पहले दीदी ने मेरा लंड चूसा और उसके बाद मैंने दीदी के 2 बार लगातार चोदा | दीदी भी पूरी तरह से मस्त हो गई थी उसके बाद ही अपने घर चली गई | जाने से पहले सुबह दीदी ने मुझसे कहा - देखो अब हम दोनों जवान है,तुम मुझे चोदते हो | मै तुमारी टीचर हूं और तुम मेरे स्सेटूडेंट | इसलिए अब तुम मुझे दीदी मत कहा करो | जब भी हम अकेले होंगे तो मुझे क्रिस्टीना कहोगे और मैं तुम्हारे जितेश कहा करूंगी मैं समझ गया था | दीदी अब नहीं चाहती कि हमारे बीच में यह सामाजिक रिश्तो का नाम नाम हो इसलिए दीदी चाहती थी कि मैं उनको उनके नाम से बुलाऊं मैंने ठीक है आज से आपको मैं क्रिस्टीना कहा करूंगा | उसके बाद सब कुछ करने के बावजूद मै दीदी को घर में नहीं चोद पा रहा था | किसी तरह से एक बार एक पुराने खँडहर में दीदी को चोद रहा था तभी वहां बिच्छू निकल आया और दीदी बहुत डर गयी | फिर एक दिन मै दीदी को उनके घर में हो चोद रहा था तो छुटकी ने मुझे देख लिया था और उसके बाद में छुटकी थोड़ा डर भी गई थी | बड़ी मुश्उकिल से दीदी ने उसे मनाया | उसे प्यार से समझाया | उसके बाद दीदी ने उसकी पेंट में उंगली करके उसकी चूत को रगड़ने लगी थी जिससे छुटकी को मजा आने लगा था | छुटकी को पटाने में दीदी को बहुत मेहनत लगी थी लेकिन आखिरकार चुटकी मान गई थी अब कि वह यह बात किसी को नहीं बताएगी बदले में छुटकी ने दीदी से ₹2000 लिए और इधर मैंने भी छुटकी की चूत को कस करके चूस दिया था जिसे छुटकी मस्त हो गई थी |
छुटकी को पटाने के बाद तो हर दिन हम घर में ही चुदाई करते | एक साल तक लगभग हर रोज ही मै दीदी को चोदता था | मुझे भी बहुत मजा आता था और दीदी को भी चुदवाने की आदत पड़ गयी थी | ऐसा लगता तह जैसे खाना खाना रूटीन हो वैसे दीदी को चोदना रूटीन हो गया था | साल के ख़त्म होते ही दीदी आगे की पढाई के लिए बाहर चली गयी | मुझे चूत की लत लग चुकी थी, 15 दिन तक मैंने किसी तरह सब्र किया लेकिन फिर मेरी हिम्मत जवाब दे गयी | इसलिए मैंने छुटकी को पटाने की कोशिश की | शुराती ना नुकुर के बाद छुटकी मान भी गयी | अब असल मै मै छुटकी को टूशन देने लगा | इसलिए छुटकी मेरे घर पढ़ने आती थी | फिर मैंने छुटकी की सील भी तोड़ी | छुटकी की चूत भी दीदी की तरह कसी हुई थी | माँ हमेशा उपरी मजिल पर रहती थी इसलिए नीचे कमरा बंद करके मै छुटकी को दो दो घंटा टूशन पढ़ाता | छुटकी के नंबर जब अच्छे आने लगे तो किसी कोई कोई शक भी नहीं हुआ | हालाकि पहली चुदाई में छुटकी को उतना खून्न नहीं निकला |
लेकिन छुटकी भी अब जवान होने लगी थी | उसकी छातियाँ भी भर गयी थी |
कहना गलत नहीं होगा की छुटकी की चूत भी दीदी की तरह पूरी तरह से टाइट थी | छुटकी का बदन भी मस्त था | बस नजर की बात थी कभी उस नजर से उसे पहले देखा नहीं था | जब से छुटकी के नंगे बदन के दर्शन हुए | मै तो छुटकी का दीवाना हो गया | एक बार छुटकी की चूत की सील क्या टूटी फिर तो आये दिन चुदाई शुरू हो गयी | क्या मस्त कसा हुआ बदन था छुटकी | अब तो मै दीदी को भूल ही गया | छुटकी थी भी एक नंबर की चुद्द्कड़ | दीदी के मुकाबले ज्यादा बेशर्म और लंद्खोर | कई बार तो टूशन में आते ही दरवाजा बंद करती और कपड़े उतार कर मेरा लंड चूसने लगती | पुरे दो घन्टे बस चुदती ही रहती | जब मै उसको चोदने में ज्यादा थकने लगा तो उसी ने पता नहीं कहाँ से मुझे कुछ गोलियां लाकर दी | जिनको खाकर मेरा लंड बैठता ही नहीं था | 6 महीने तक ये सिलसिला चलता रहा | दीदी छुट्टियों में वापस आई | दीदी मुझे चुदना चाहती थी लेकिन छुटकी जब मौका दे न | दीदी को जब पता चला मै छुटकी को चोद रहा हूँ तो दीदी ने मुझे बहुत बुरा भला कहा, मुझसे खूब लडाई करी की, मार पीट करी , खूब रोई भी आखिर मैंने उनकी बहन को क्यों चोदा |
दीदी रोते हुए बोली - जितेश मैंने इतने लंड देखे हैं लेकिन तुम्हारा लंड सबसे अलग है इसीलिए मैं तुम्हारे लंड से चुदाई करी और मैं तुम्जिंहे चाहती थी तुमारे साथ न जाने कितने सपने देखे थे | ;लेकिन तुमने अपनी हवस की आग में सब बिखेर दिया | एक बार कहते तो सही मेरी याद आ रही है, ख़ुशी खुसी तुमसे चुदवाने चली आती | तुमने मेरा दिल दुखाया हिया अब मेरी हाय लगेगी तुमको जिदगी भर इसी चूत के लिए तरसोगे | दीदी गुस्सा होकर वापस चली गयी |
इधर मै फिर से छुटकी को रोज चोदने लगा हालाँकि मुझे दीदी का दुःख था लेकिन मुझे क्या पता था दीदी मुझे चाहने लगी है | इधर छुटकी तो जैसे हरदम चुदने के लिए तैयार बैठी रहती थी | उसके चक्कर में बिलकुल पढाई नहीं कर पाता | मेरे १२ के एग्जाम आ गए, मुझे पढ़ाई करनी थी लेकिन छुटकी को चुदाई का भूत सवार रहता | जब तक एक बार दिन में मेरा लंड घोट नहीं लेती अपनी चूत में उसका मन ही नहीं भरता था | मेरे आसपास ही मडराती रहती | मै भी उसकी चूत का आदी हो गया था | चोदने का मन न भी हो तो ललक जाग उठती थी | घर में आजकल बहुत भीड़ रहती थी क्योंकि मेहमान आये हुए थे इसलिए कॉलेज के बाद मै छुटकी के साथ कॉलेज के पीछे बने खेतो में चला जाता था | वही चुदाई करते थे | छुटकी की कसी कुंवारी चूत को मैंने सात महीने में ही बच्चा जनने वाली औरतो जैसी चूत की सुरंग बना दिया था | उसकी चूत का छेद दूर से ही नजर आ जाता था | छुटकी को भी ये बात पता थी इसलिए अक्सर कहती थी तुमारे इस मुसल लंड ने मेरी कमसिन कुवारी चूत का भोसड़ा बना दिया है | शादी के बाद अपने हुसबंद को क्या कहूँगी |
जब वो ये बात बोलती तो मै उसकी चूत की फाके फैलाकर उसकी चूत का खुला चौड़ा छेद देखने लग जाता | उसमे अपनी जीतनी उंगलियाँ हो सकती घुसाने लगता | ऐसा नहीं था की छुटकी ही चुदाई के लिए पागल थी, मेरा भी बहुत मन उसे चोदने का होता था | घर में अक्सर चुदाई संभव नहीं हो पाती थी तो मै उसे अलग अलग जगहों पर चोदता था | मैंने उसे खेतो में चोदा था, नाले के किनारे चोदा था, छुपम छुपाई खेलते हलका सा अँधेरा होने पर उसे एक कोने में ले जाकर चोदा था, छत की मुंडेर पर भरी दोपहरिया में, कड़ाके की सर्दी में उसकी बालकनी में बाहर से चढ़कर | बारिश में भीगते हुए, उफनते नाले के किनारे, पड़ोस गली के अंकल की कर की डिग्गी में | और तो और मंदिर के पिछवाड़े में, चर्च में पादरी की सीट के पीछे | ऐसी ही तोड़े ही न छुटकी की चूत का भोसड़ा बन गया था | लोग जीतनी चुदाई अपने शादी के 20 साल में नहीं करते है उतनी मैंने 7 महीने में कर ली थी |
हमारी चुदाई का ये आलम था कई बार तो मैंने उसे पीरियड्स में चोदा था | पता नहीं मेरे अन्दर हवस कहाँ से भरी थी | मुझे ये चीज बाद में पता चली की छुटकी मुझे के टॉफी खाने को देती थी असल में जो नशीली दवा थी और उत्तेजना बढ़ाती थी | जब मै छुटकी से दूरी बनाने की कोशिश करता तो छुटकी सबकी बताने की धमकी देती | बोर्ड के एग्जाम आ गये थे और छुटकी पढने का टाइम ही नहीं दे रही थी | मै एग्जाम दे रहा था | एक दिन मै अपना आखिरी पेपर देकर जब वापस आया तो मोहल्ले में हंगामा मचा हुआ था | बाद में पता चला छुटकी पेट से है | सबका निशाना मै था | माँ का तो शर्म से घर से बाहर निकालना ही बंद हो गया | बाप ने गाली देकर बाहर निकाल दिया | किसी तरह से कुछ पैसे जुगाड़ करके चाचा के यहाँ पंहुच गया | चाचा आर्मी में थे, वहाँ उन्होंने एक शर्त पर रखने को राजी हुए | वो शर्त थी उनकी बात मानना | अगले दिन से मेरी मिलटरी वाली ट्रेनिंग शुरू कर दी | सुरुआत के तीन महीने तो कमजोरी और नशीली दवाओं के असर को ख़त्म होने तक मेरी बहुत बुरी हालत हो गयी थी | कुत्तो की तरह हांफता रहता | तीन महीने के बाद सब ठीक होने लगा | मेरे अन्दर से चुदाई की जैसे इक्षा ही ख़त्म हो गयी | तब मुझे पता चला सब छुटकी की दी हुई उस टॉफी का असर था | मेरे पिता के यहाँ से न कोई खबर आई न मैंने जानने की कोशिश की | 9 महीने की टट्रेनिंग के बाद मुझे सेना की भर्ती के लिए चाचा बाहर ले गए | इससे पहले वो मेरे घर से सारे डॉक्यूमेंट ले आये | मै पहली बार में ही सेना में सेलेक्ट हो गया | पीछे आतीत का सब कुछ याद रहते हुए भी भूल गया | सेना में आने के बाद भी मेरे माँ बाप ने मुझे नहीं स्वीकारा हालाँकि मै उन्हें पैसे भेजता रहा | सेना में जब फिजा से मिला तो एक बार फिर से दीदी और छुटकी की यादे ताजा हो गयी | फिजा बिलकुल दीदी की तरह स्वाभाव की थी | अन्दर से चुदक्कड़ लेकिन ख्याल रखने वाली | लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था, पता नहीं माँ बाप का दिल दुखाने की सजा मिली या दीदी का दिल तोड़ने की लेकिन इतना तो तय किसी न किसी की हाय तो लगी ही है |
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जितेश - मैडम आप सो गयी |
रीमा उंघते हुई बोली - नहीं तुमारी जिंदगी के बारे में सोच रही हूँ | ऐसा क्यों होता है जब सब ठीक चल रहा हो तो सब बिगड़ जाता है | या जो चाहो वो कभी जिदगी में मिलता ही नहीं | या हम जैसा बनना चाहते है वैसा ही बन जाते है |
जितेश ने एक लम्बी साँस ली - यही जिंदगी है |
रीमा - कभी क्रिस्टीना से मिलाने या पता लगाने की कोशिश नहीं की |
जितेश - नहीं, टूटी कांच दुबारा कब जुड़ती है | दीदी तो कच्ची कांच की थी पहले पता चल जाता तो पलकों पर बिठाकर रखता |
रीमा - कितना बज गया है |
जितेश हाथ वाली घड़ी देखता हुआ - 3 |
रीमा - हमें सोना चाहिए |
जितेश कुछ ही देर में गहरी नीद में सोने लगा लेकिन रीमा की आँखों से नीच कोसो दूर थी | उसे घर रोहित प्रियम रोहिणी सबकी याद आने लगी | कितने परेशान होंगे सब के सब, आखिर मै कहाँ आकर फंस गयी | पता नहीं कब इस जंजाल से निकल पाऊँगी | ये तो किस्मत अच्छी है जितेश भला इंसान है वरना कोई दरिंदा पता नहीं अब तक कितनी बार मेरा जिस्म नोच चूका होता | टैंक्स क्रिस्टीना इसे इतनी कम उम्र में औरत का पाठ पढ़ाने के लिए | यही सब सोचते सोचते रीमा की पलके भी मुंदने लगी |
सुबह जब रीमा की नींद खुली तो देखा जितेश पूरी तरह तैयार हो चुका है और वह तेजी से जमीन के नीचे बनी सुरंग से होता हुआ बाहर निकल गया बाहर जाने से पहले उसने भीमा को बोल दिया कि ड्राई फ्रूट और खाना कहां रखा है | अगर वह नहीं आया तो कम से कम खाना खा लेगी क्योंकि अगर वह दोपहर को ना लौटा तो उसका इंतजार ना करें और वह कोशिश करेगा शाम को लौटने की लेकिन अगर शाम तक भी नहीं लौटता है तो उसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है और चुपचाप फ्रूट खा करके आराम से लेटी रहे और बाहर जाने की बिल्कुल कोशिश न करें चारों तरफ बहुत खतरा है और कोई भी उसको पहचान करके उसकी खबर जो है वह विलास या सूर्यदेव को दे सकता है | रीमा जितेश की हिदायत का पूरी तरह से पालन किया लेकिन जितेश ना तो दोपहर को आया और ना ही शाम को आया रीमा ने खाना खाया और शाम को फल फ्रूट खा कर वह फिर से बिस्तर पर लेट गई लेकिन उसकी आंखों में नींद नहीं थी उसकी आंखों में पिछले चौबीस 48 घंटों में जो कुछ भी हुआ वह पूरी तरह से तैयार रहा था कहां से कहां पहुंच गई थी | रोहित कैसा होगा प्रियम कैसा होगा अनिल कैसे होंगे उसकी उसकी दीदी रोहिणी कैसी होगी यही सब सोचकर वह परेशान होने लगी थी जब काफी परेशान हो गई तो उसने अपने आपको वहां से हटा के जितेश के बारे में सोचना शुरू किया और जितेश और उसकी दीदी क्रिस्टीना की चुदाई के बारे में सोचने लगी | उसकी कहानी के बारे में सोचने लगी उसके उस फूले हुए मोटे तगड़े लंड को देख करके अपने अंदर जगे अरमानों के बारे में सोचने लगी | रीमा को एक एक पल बाद ही उसे यह सब गलत लगा और वह कुछ और ही सोचने लगी लेकिन इन्हीं सबके उल्टा सीधा सही गलत है ख्यालों के विचार खोते खोते रीमा बिस्तर पर आधी रात तक करवते बदलती रही आधी रात तक लुढ़कते रही हालांकि जितेश बोल कर गया था अगर वह शाम तक ना आए तो कोई चिंता ना करें लेकिन अगर कल तक नहीं आएगा तो उसे चिंता में होना चाहिए था | क्हयोंकि कल तक एक तो खाने को कुछ नहीं बचेगा | रीमा इसी उधेड़बुन में तड़पती फड़कती खुद के बारे में सोचती चिंता में डूबी निराशा से भरी हुई हताशा और उल्लास इन सबके बीच में ऊपर नीचे तैरती हुई किसी तरह से आधी रात को सो गई जब सुबह आंख खुली तो देखा कमरे में अभी भी कोई नहीं इसका मतलब जितेश अभी भी नहीं आया था इधर रात में एक आदमी आया और उसने दरवाजे के अंदर से एक चिट्ठी जो है नीचे सरका दी और तेजी से चला गया | रीमा ने चिट्ठी खोलकर पड़ी और वह हैरान रह गई उसके होश उड़ गए उसे नहीं पता था कि यह सच है या गलत है लेकिन चिट्ठी में लिखा था हो सकता है जितेश अब कभी न लौटे हालांकि वह लिखने वाला भी निश्नचिंत नही था कि कि जो वह लिख रहा है वह कितना श्यौर है उसने चिट्ठी ही में लिख दिया था जो मैं लिख रहा हूं वह मान भी सकते हो और नहीं भी | लेकिन अभी फिलहाल जितेश का कोई सुराग नहीं है वो कहां है किसके साथ है और क्या कर रहा है इसलिए आप कोई गलतफहमी को पाल के मत रखिए मुझसे आपको संदेश को पहुचाने के पहले ही जितेश ने कह दिया था इसलिए मैंने यह संदेश आप तक पहुंचा दिया सुबह जितेश का संदेश पढ़ते ही रीमा और ज्यादा चिंता में डूब गई अब वो क्या करें घर का कमरा बाहर से बंद था सुरंग के जरिए वह बाहर निकल सकती थी लेकिन जितेश ने साफ साफ मना कर रखा था अपनी ही चिंता दुख में से शक्ति रीमा बिस्तर पर ही इधर-उधर उड़ा उड़ा के रोती रही | इसी बीच में कुछ देर बाद वह वह कमरे में का अच्छे से जायजा लेने लगी और उसे एक कैसेट्स मिल गई | वह लगा कर उसे टीवी पर मूवी देखने लगी ताकि इन सब चिंताओं से उसका मन भटक करके कहीं दूर चला जाए लेकिन जो उसने मूवी लगाई थी वह किसी फिल्म की मूवी नहीं थी वह जितेश के खुद के बनाए हुए वीडियो थे जो वह जो जो कि उसका एक तरह से लाइफ एल्बम था वह जितेश के लाइफ एल्बम को पूरी तरह से देखने लगी आखरी में जितेश ने एक वीडियो बनाया था जिसमें उसने एक अच्छा सा मैसेज दिया हुआ था जिंदगी दो पल की है इसे पूरी तरह से जीना चाहिए पता नहीं अगले कल हम जिंदा रहे या ना रहे और यह वीडियो उसने में बाथरूम के अंदर बनाया था जब वह नहा रहा था और अपने लंड को सहला रहा था | रीमा ने उसे एक बार देखा दो बार देखा तीन बार देखा और उसे दोपहर तक देखती रही वह बार-बार जितेश के उस तो जिस्म को देख रही थी और उसके मोटे मुसल लंड को देखने में मस्त थी | रीमा की वासना अंदर से हिलोरे मार रही थी लेकिन उसका मन यह मानने को तैयार नहीं था आखिर रीमा ने भी स्वीकार कर लिया जितेश उसे अच्छा लगने लगा है | और रीमा चाहती थी कि जितेश वापस लौट आए तो वह अपने मन के अरमान पूरे कर ले और अपना सबकुछ जितेश पर लुटा करके जितेश को भी उसके किए का फल वापस लौटा दे | रीमा ने मन ही मन ठान लिया था कि जैसे ही जितेश आएगा सबसे पहले वह अपने आप को , इस खूबसूरत बदन को जितेश को सौंप देगी ताकि उसके एहसान का बदला हमेशा के लिए चुका दे और साथ में उसके अपने अरमानों को भी वह पूरा कर दें | वह जितेश को पसंद करने लगी थी पता नहीं जितेश को पसंद करने लगी थी या सिर्फ उसके मुसल लंड से चुदने की चाहत थी इधर 12:00 बज गए थे अब सिर्फ फल फ्रूट ही खाने को बचे थे रीमा ने काट के फल फ्रूट खाए और फिर बिस्तर पर आगे लेट गई | रीमा का इंतजार खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था शाम हो गई अजितेश अभी तक नहीं लौटा था | इधर शाम का धुंधलका छाने लगा था और इधर धीमा को भी नींद आ गई |
इधर रोहित वापस लौट आया था उसने अनिल के साथ मिलकर रीमा के पोस्टर पूरे शहर में लगवा दिए थे टीवी पर अनाउंस भी करवा दिया था प्रियम और राजू को भी पता चल गया था कि रीमा खो गई है | प्रियम राजू ही क्यों पूरे शहर को पता चल गया था कि रीमा किडनैप हो गई है | सिक्युरिटी धड़ाधड़ हर जगह छापे मार रही थी जो भी उसके पास में था वह कर रही थी | वही रोहित अब कुछ ज्यादा ही चिंतित होने लगा था अनिल भी चिंतित होने लगे थे | यहां रीमा एक छोटे से बस्ती के एक छोटे से घर में बंद किसी अनजान आदमी का इंतजार कर रही थी | घर में टीवी था लेकिन सिर्फ कैसेट के लिए चलता था | इसलिए उसे दीं दुनिया की कोई खबर नहीं थी | अब इस कमरे का मालिक जितेश ही उसके दबे हुए अरमानों और ख्वाहिशों की नई मंजिल थी रीमा सो रही थी रात के 9:00 बजे के करीब जितेश वापस लौटा | उसके एक हाथ में पट्टी बंधी थी | दुसरे हाथ में खाने का सामान था | पीठ पर एक बैग भी था जो कि पैसों से भरा हुआ था जितेश के अंदर आते ही पहले बैग खोलकर पैसे गिनने लगा | कुछ देर बाद रीमा की आंखें खुल गई उसने देखा पैसों से भरा हुआ एक बैग है और जितेश उसमें के पैसे गिन रहा था | उसका जैकेट अलग पड़ा हुआ था जिसमे उसकी दो गन रखी हुई थी | और खाने का सामान भी अलग रखा हुआ था | रीमा को देखते ही जितेश बोला- मैडम आप तुम जाग गई | मैं कुछ खास काम से गया हुआ था, वहां जाकर एक गहरी मुसीबत में फंस गया मुझे लगा था कि अब शायद कभी वापस नहीं लूंगा लेकिन ईश्वर का शुक्र है मेरी जान बच गई और मैं वापस लौट आया तुम्हें जब वह चिट्ठी मिली होगी | तब तुम डरी तो नहीं थी |
रीमा - नहीं मैं एक उम्मीद पर जिंदा थी और मेरी उम्मीद सही साबित हुई |
रीमा - तुम वापस आ गए मुझे खुशी है | इतना कहकर रीमा जितेश के पास आ गयी और अपने रसीले कांपते ओंठो को जितेश के सूखे ओंठो पर रख दिया और कस कर चूम लिया और चुमते ही चली गई | जितेश भी पैसा गिनना छोड़ कर रीमा को चूमने लगा | रीमा ने कसकर जितेश को बाहों में भर लिया था जितेश की बाहें रीमा के चुताड़ो के ऊपर चली गई और जितेश ने उन्हें अपनी ताकतवर हथेलियों में लेकर मसलने लगा | रीमा खुद के जिस्म को जितेश के बदन के खिलाफ रगड़ने लगी | दोनों एक दूसरे को पता नहीं कब तक चुमते रहे थे | जितेश समझ गया था रीमा क्या चाहती है लेकिन जितेश ने कहा - पहले खाना खा ले इसके लिए पूरी रात पड़ी है |
रीमा शर्म से झेप गयी | अब उनके बीच का झिझक का पर्दा हट चूका था च आफ गई थी |
जितेश बोला - इसमें शर्माने की क्या बात है कोई नहीं तुम जवान हो सबके मन में अरमान होते हैं मेरे मन में भी हैं मुझे खुशी है तुम भी वही सोच रही हो जो मैं सोच रहा था |
रीमा को ऐसा लगा जैसे जितेश ने उसके मन की बात कर ली है हालांकि को कुछ बोली नहीं |
इधर जितेश ने फटाफट पैसो वाला बैग पैक करके खाना गरम खाने चला गया और बहुत जल्दी खाना गर्म करके ले आया | उसके बाद दोनों बैठ कर खाना खाने लगे | खाना खाने के बाद जितेश बिस्तर पर आ गया और बैग में रखे बचे पैसे गिनने लगा था | बैग में पुरे 300000 थे जब पैसे की गिनती खत्म हो गई तो जितेश ने उन पैसों को एक जमीन में बने ही में एक अलमारी खोलकर रख दिया और ऊपर से फिर से दरी बिछा दी इमरान थी | जितेश आधे से ज्यादा काम तो जमीन के अंदर ही करता है | इसके बाद जितेश रीमा के पास आ गया और रीमा के हाथ अपने हाथों में लेकर उसे सहलाने लगा था | रीमा को अहसास था की अब क्या होने वाला है, कहाँ रीमा अपने ही नंगे बदन को देखने में शर्माती थी | आज एक अनजान मर्द के सामने अपनी अनंत वासनाओं की गुलाम बनकर जवानी का वो खेल खेलने को आतुर थी जो संभ्य समाज में बिलकुल सही नहीं कहा जाता | आभी भी रीमा को नहीं पता था वो जितेश की तरफ आकर्षित है या सिर्फ उसके लंड से चुदने की चाहत में पगलायी हुई है | कुछ भी हो रीमा को जितेश नंगा तो देख ही चूका है | रीमा भी जितेश का लंड देख चुकी है तो अब छिपाने को बचा क्या था | बस वासना का चूत चुदाई का खेल बचा था | रीमा ने इसके लिए पूरी तरह से मन बना लिया था | उसे पता था एक बार ये वक्त निकल गया तो हमेशा जितेश को हाशिल करने की कसक उसके मन में जिंदगी भर बनी रहेगी | भले ही चारो तरफ वह खतरों से घिरी थी लेकिन जो हालत थे और जो मन के दबे अरमान थे उनके हाथो वो बेबस थी या उन्हें पूरा करना चाहती थी | दोनों ने एक दुसरे की कहानी सुनी थी इसलिए हल्का सा भावनात्मक लगाव भी हो गया था | रीमा ने ऊपर जितेश की ही शर्त पहन रखी थी | नीचे वो जितेश का ही एक हाफ पेंट पहने थी | इधर जितेश ने अपने कपड़े उतार दिए | उसे देख रीमा ओ समझ में आ गया था कि अब किसी पर्दे का समय नहीं है | जो उसके दिल में है वही उसे करना चाहिए और खुल कर जीना चाहिए | रीवा ने भी अपनी शर्ट के बटन खोल दिए और जितेश के करीब आ गई और जितेश के ठोस जिस्म के सहलाने लगी थी | रीमा के नरम हाथों का स्पर्श पाते ही जितेश के अंदर के अरमान फिर से उठने लगे थे | उसे लगा जैसे उसकी टीचर दीदी वापस आ गई हो | ऐसा लगा जैसे वह फिजा का मांसल पेट सहला रहा हो | लेकिन ये न तो क्रिस्टीना थी न फिजा थी ये रीमा थी | रीमा का मादक बदन की गंध जब जितेश की नाक में घुसनी शुरू हुई तो जितेश को अहसास हुआ रीमा की मादकता उसकी दीदी से कई गुना ज्यादा है | रीमा एक सम्पूर्ण भरे पुरे बदन की मालकिन थी | इधर रीमा की शर्ट के बटन खुलते ही जितेश के हाथ बरबस ही रीमा के स्तनों पर पंहुच गए | जितेश रीमा के बड़े बड़े उठे उरोजो को मसलने लगा था | रीमा धीरे-धीरे जितेश के ऊपर झुकती चली गई और उसकी पेंटी की बेल्ट खोल दी और पेंट की ज़िप को खोल दिया और अपना हाथ अन्दर घुसेड दिया | अन्दर जाकर उसके मूसल लंड को टटोल कर उसका साइज़ का जायजा लेने लगी | उसके मुसल लंड के हाहाकारी साइज़ को देखकर के अचंभित होने लगी थी |
रीमा - तुमारा औजार तो बहुत बड़ा है, चीखे उबल पड़ती होगी जिसकी चूत पर ये औजार रख देते होगे |
जितेश रीमा की तारीफ सुनकर खुस हुआ लेकिन उसे टोकते हुए बोला - मैडम ये तो चीटिंग है | सब कुछ खुलकर होगा | ये औजार सौजार नहीं चलेगा | लंड बोलो सीधे |
रीमा उसे ताना देती हुई - ठीक है ठीक है और ये मैडम मैडम भी नहीं चलेगा | रीमा कहो मुझे |
जितेश - ठीक है मैडम अब से रीमा ही बोलूँगा |
रीमा जितेश की पेंट के अन्दर उसका फूलता हुआ लंड सहलाती हुई बोली हैरान होने लगी | आखिर उसे बड़े मोटे मुसल लंड ही क्यों पसंद आते हैं जैसे रोहित का जैसे अनिल का और अब जितेश का | हालांकि उसे अपनी चाहत पर अपनी ख्वाहिशों पर हैरानी के साथ गर्व भी था | आखिर उसे मोटे लंड ही पसंद है तो है | उसने धीरे से अपनी नरम उंगलियों से जितेश के गरम फूल रहे मोटे लंड को पकड़कर बाहर निकालने लगी | जितेश का लंड बड़ी मुश्किल से रीमा बाहर निकाल पाई |
उसके लंड के बाहर निकलते ही रीमा की आंखे चौड़ी हो गयी | लंड नहीं था बड़ा सा मुसल था | रीमा तेजी से उसे अपनी मुठ्ठी में भरकर सहलाने लगी | जितेश का लंड पूरी तरह से फूल चूका था | उसका सुपाडा उसकी खाल छोड़ चूका था |
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कांपते हाथों से जितेश के उस मुसल लंड को अपने हाथ में थामा और सहलाने लगी | रीमा और जितेश ने एक दुसरे को देखा | रीमा ने जितेश के मुसल लंड पर सख्ती बढ़ा दी और जितेश के लंड को बुरी तरह मसलने लगी | जितेश हैरान रह गया आखिर ये रीमा क्या कर रही है | रीमा ने जितेश की तरफ देखना बंद कर दिया था उसका पूरा जितेश के लंड पर आ गया | जितेश का लंड रीमा के चेहरे के ठीक सामने था | रीमा के हाथो की तेज फिसलन से उठती गर्मी जितेश के लंड की गर्माहट बढ़ाने लगी | जितेश के लंड में तेजी से खून भरने लगा | उसका लंड का कड़ापन बढ़ने लगा | जितेश के शरीर में भी वासना की गर्मी बढ़ने लगी | रीमा के हाथ तेजी से जितेश के लंड की मजबूती चेक कर रहे थे | जितेश का लंड ने बिलकुल 90 डिग्री का कोण बना दिया | जितेश की कामुक कराहे उसकी उत्तेजना के साथ बढ़ने लगी | रीमा ने एक बार तेजी से हाथ पीछे जितेश के लंड की जड़ तक खीच दिए |
जितेश के लंड की खाल पीछे तक खीचती चली गयी उसका लंड का मोटा फूला लाल सुपाडा रीमा की आँखों के सामने चमकने लगा | उसके जिस्म की धधकती आग के कारन उसके ओंठ वासना की प्यास में सुख चले थे | रीमा ने अपनी जीभ के गीलेपन से अपने गुलाबी ओंठो को सींचा, जिससे उसके ओंठो की नमी वापस आई | रीमा ने अपनी उंगली से जितेश के जलते लंड के धधकते सुपाडे के तापमान का जायजा लिया | बहुत तेजी से मुठीयाने के कारन जितेश की सांसे तेज हो गयी थी | रीमा ने अपने रस भरे ओंठो को जितेश के लंड के सुपाडे को छुआ और उसके छेद से निकली नमी की बूंद से अपने ओंठ सींच लिए | रीमा ने जितेश का लंड इतनी तेज मसला था कि जितेश का प्रिकम की बूंद छलक आई | गार्ड की अधबुझायी वासना की आग रीमा अन्दर लगातार जल रही थी | जितेश के मोटे लंड और हट्नेटे कट्टे जिस्म ने उसको और भड़का दिया | रीमा गीली जीभ से गरम सुपाडे को चाटने लगी | उसकी जीभ तेजी से जितेश के सुपाडे के इर्द गिर्द फिसलने लगी | जितेश समझ गया था मैडम अच्छे से खेली खाई लगती हैं | उसके रीमा के मुहँ की तरफ लंड ठेलने की कोशिश की लेकिन रीमा ने चालाकी से लंड को तिरछा कर दिया | रीमा के हाथ जितेश के लंड पर फिसलते रहे |
रीमा - अब कुछ धर्य रखो, अपनी दीदी को भूल जावोगे ये रीमा का वादा है |
जितेश - ओह्ह्ह्ह मैडम |
रीमा - बस आज रात आहे कराहे ही निकलेगी |
रीमा ने फिर से सुपाडे के इर्द गिर्द जीभ नाचनी शुरू कर दी | अपने सुपाडे पर रीमा की गीली रसीली जीभ का ठंडा ठंडा अहसास जितेश को रेगिस्तान में ठंडी फुहार जैसा लग रहा था | कुछ ही देर में जितेश बेचैन होने लगा |
जितेश - मैडम अब चुसो भी कितना तड़पाओगी |
रीमा मादकता में मुस्कुराते हुए - बड़े बेसब्र हो रहे हो , मुझे तो लगा था बड़े धीरज वाले मर्द हो |
जितेश - बस मुझे पता है आपको देख कैसे रोका है खुद को | अब नहीं रोक पाऊंगा |
रीमा - हाहा हाहा थोड़ा हवस में डुबो तो सही, जब तक अन्दर तक गोता नहीं लगाओगे तब तक इस जवानी का असली सुख नहीं भोग पाओगे | जितना सब्र रखोगे उतना ही मजा मिलेगा |
रीमा ने अपने ओठ फैलाये और जितेश के सुपाडे को निगलने लगी | उसके गुलाबी ओंठो ने जितेश के खुल से भरे लाल धधकते सुपाडे को निगल लिया और टॉफी की तरह चूसने लगी | जितेश को पता था मैडम को कुछ भी करने में कोई शर्म हया नहीं है, वरना लंड चूसने में ये अदा ये क़ाबलियत शायद बहुत कम औरतो में होती है | रीमा ने उसकी कामुकता बहुत बढ़ा दी थी फिर भी उसे कोई जल्दबाजी नहीं थी वह सांसे भर करके अपने आप को काबू में रख कर के सुखद एहसास का अनुभव लेने लगा था | रीमा ने धीरे से जितेश के लंड को चुसना शुरु कर दिया था | और अपने कांपते रसीले गुलाबी होठों को उसके लंड पर गोल गोल घुमाने लगी थी | अब कोई शर्म नहीं थी कोई हया नहीं थी कोई पर्दा नहीं जब कोई झिझक नहीं थी | रीमा भी समझ गई थी जब यही नियति है तो क्या शर्म क्या चीज है सब कुछ खुलेआम करो ना | जितेश को भी लग रहा था कि रीमा के साथ खुल करके ही खेलने में समझदारी है इस तरह से शर्माने झिझकने का कोई फायदा नहीं है | जितेश ने फटाफट अपनी चड्डी पैरों से नीचे की तरफ उतार दी और उसके बाद रीमा उसके पैरो के बीच में पूरी तरह से आराम से बैठकर उसके लंड को चूसने, चटाने और चूमने लगी|
इतने अच्छे से रीमा को लंड चूसते देखकर जितेश के मुहँ से सिसकारियां ही फुट रही थी | उससे रहा नहीं गया सिसकारियां भरते हुए बोला - मैडम लग रहा है आपका यह फेवरेट है |
रीमा बोली - नहीं मेरा सब कुछ फेवरेट है वह अलग बात है लोग अक्सर कहते हैं यह काम में बहुत अच्छे से करती हूँ | बाकि काम भी अच्छे से ही करती हूँ ...............................................................बस सबका अपना-अपना टेस्ट है |
जितेश - कुछ भी कमाल का लंड चूसती है मैडम |
रीमा - फिर तुमने मैडम कहना शुरू कर दिया |
जितेश - मै आपको मैडम ही कहूँगा |
रीमा - तुमारा औजार भी कमाल का है |
जितेश - अब मैडम ये तो जुल्म है, ऐसे माहौल में ये शब्द माहौल नहीं गन्दा कर रहे है |
रीमा - तुम मुझे रीमा कहो तो मेरे अन्दर से भी अपनापन निकले | तुमने ही पराया कर रखा है तो मै क्या करू |
रीमा ने लंड को कसकर ओंठो से जकड़कर चूस लिया और लगी हाथ हिलाने |
जितेश के मुहँ से कराह निकल गयी - ठीक है रीमा |
रीमा - ये हुई न बात ..................तुम्हारा मुसल तो बहुत ही बड़ा मोटा है इसीलिए मुझे लग रहा है तुम्हारी दीदी कोई पसंद आ गया था |
जितेश - हां सच कह रही हो रीमा दीदी मेरे लंड की वजह से ही मुझसे प्यार करने लगी थी और शायद इसीलिए उन्होंने अपनी कुंवारी चूत में से चुदवाई थी |
रीमा लंड चूसते हुए बोलती- तुम्हारा लंड है भी कमाल का ..........किस्मत वालों को ही ऐसा लंड मिलता है |
रीमा ने अभी तक सिर्फ जितेश के सुपाडे को ही मुंह में ले पाई थी और चाट रही थी लेकिन अब उसने और गहराई तक रितेश के लंड को मुहँ में निगलने लगी | थोड़ा थोड़ा करके ;लंड को अन्दर ले जाती और चुस्ती | इधर वासना में नहाये जितेश का मन था पूरा का पूरा लंड रीमा के मुहँ में पेल दे और धक्के पर धक्के मार के कसकर रीमा का मुहँ में चोद दे | रीमा जितेश के लंड को और अन्दर तक मुंह में निगलने की कोशिश करने लगी थी हालांकि बार-बार उसके बड़े लंड की वजह से उसे दिक्कत हो रही थी | अब आगे बढ़कर के रीमा उसके लंड को और गहराई तक चूसने चाटने की कोशिश कर रही थी | रीमा अपने हाथ को फिर से लंड की जड़ में ले गयी और लंड के सुपाडे के थोड़ा सा और मुहँ के अन्दर ठेल दिया, देखते ही देखते, खून से भरा लाल सुपाडा रीमा के गीले और गरम मुहँ में समा गया |
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जितेश भी रीमा के इस अदाकारी पर फिदा हो गया था उसने आंखें बंद करके पूरी तरह से इस इस मोमेंट को अपने अपने दिलो-दिमाग में सजा लेना चाहा था वह बस इस चीज को इंजॉय करना चाह रहा था उसने सब कुछ रीमा पर छोड़ दिया था | रीमा ने पूरा का पूरा सुपड़ा मुंह में ले रखा था और खास करके अब वह लंड के निचले हिस्से को निगलने की तरफ बढ़ने लगी थी |
रीमा जितेश के लंड के सुपाडे पर जीभ फिराते हुए उसको मुहँ में घोटने लगी थी | बार बार लंड उसके मुहँ में आता जाता | लंड को अन्दर तक ले जाती बाहर लाती सुपाडे को जीभ से चाटती, चूसती जैसे कोई लोलीपोप चूसता है |उसके बाद रीमा ने उसके सुपाडे को कसकर ओठो से जकड लेती | लंड को मुहँ में लेकर ओठ बंद करके सुपाडा चूसने लगती, जैसे बच्चे टॉफी चूसते है , और फिर धीरे धीरे अपना सर हिलाने लगती | रीमा की अदाए और हरकते और लंड पर फिसलते उसके हाथ और ओंठ सब कुछ सोचकर देखकर जितेश पागल हुआ जा रहा था | जितेश कामुक लम्बी कराहे भर रहा था | कुछ देर बाद अचानक जितेश का हाथ रीमा के सर तक पंहुच गया, उसने रीमा के काले बालो को मजबूती से पकड़ लिया और उसके सर को नीचे की तरफ ठेलने लगा | रीमा को पता था लंड चूसते चूसते एक समय आता है जब मर्द अपने खड़े लंड को पूरी तरह से औरत के जिस्म के अन्दर सामने के लिए व्याकुल हो जाता है | उसे फर्क नहीं पड़ता कौन सा छेद है कौन सी जगह है | रीमा इस तरह से अभी लंड गटकने के लिए तैयार नहीं थी | रीमा ने जितेश का प्रतिरोध किया, लेकिन जितेश की ताकत और मजबूती के आगे उसे जितेश का पूरा लंड गटकना पड़ा | जितेश का का लंड उसके रसीले ओठो को फैलाता हुआ, गीली जीभ पर से फिसलता हुआ रीमा के गले में जाकर अटक गया | जितेश ने नीचे से कमर का झटका मारा और रीमा का सर ऊपर उठाया फिर नीचे को दबा दिया | लंड उसके गले में फंस गया | रीमा को लगा किसी ने उसका गला घोट दिया, अन्दर की साँस अन्दर रह गयी बाहर की बाहर, उसका दम घुटते घुटते बचा था | उसको तेज खांसी सी आ गयी और मुहँ में पूरा लंड होने की वजह से घुट कर रह गयी | रीमा ने पूरी ताकत लगाकर खुद के सर को पीछे ठेला और लंड के बाहर निकलते ही लम्बी साँस लेकर खासने लगी | उसके मुहँ से लार की नदियाँ बह निकली | उसकी आँखों से पानी बहने लगा | यही तो रीमा चाहती थी | सामन्य से कुछ हटकर कुछ अलग सा, जो उसके अन्दर की वासनाओं को तृप्ति पंहुचाये भले ही उसके जिस्म को कितनी तकलीफ हो | अभी रीमा को खासी आ गयी, आखो के लालिमा बढ़ने लगी, वो अपनी सांसे काबू कर रही थी लेकिन उसकी चाहत थी जितेश एक बार वैसे ही फिर से उसके मुहँ में लंड ठेले |
उसके अपने ओंठ चौड़े किये और उसके लंड को निगलती चली गयी | फिर तेजी से उसके लंड पर अपना सर हिलाने लगी | उसके ओंठ लंड के चारो ओर सरसराने लगे | वो तेजी से लंड को अन्दर बाहर करने लगी | उसके खासने के डर से इस बार जितेश ने उसे हाथ नहीं लगाया लेकिन कुछ देर बाद उसने खुद ही जितेश का हाथ अपने सर पर ले जाकर रख दिया | जितेश ने नीचे से कमर हिलानी शुरू करी और ऊपर से उसका मुहँ स्थिर कर दिया | रीमा के मुहँ की गीली सुरंग में जितेश का लंड सरपट फिसलने लगा | रीमा के मुहँ से बाद गों गों गों गों गों गों गों की आवाजे ही आ रही थी | उसके मुहँ का रस तेजी से बाहर की तरफ बह रहा था और उसकी आंखे लाल होती जा रही थी | जितेश कुछ देर बाद कमर हिलाने के बाद रुक गया |
रीमा के बदन की बढ़ती हुई गर्मी और तेज सांसें भी साफ साफ नजर आ रही थी | इधर जितेश भी पूरी तरह से पस्त हो गया था | इस तरह से लंड को चूसना तो छोड़ो , इधर कई सालों से तो वह बस कभी कभार ही किसी औरत के छूने को पाता था | रंडियों को चोदना अलग बात होती है लेकिन एक औरत जब दिलो जान से किसी को मर्द के साथ में लंड चुस्ती है तो कुछ बात ही अलग होती है |
रीमा के साथ यही मामला था जितेश और रीमा जो है एक दूसरे को सुख देने के लिए एक दूसरे की तरफ आकर्षित हुए थे | अब जितेश का लंड रीमा के मुंह के आखिरी छोर तक पहुंच गया था और अब उसके गले में उसका सुपारा अटकने लगा था रीमा समझ गई थी अगर उसे जितेश का पूरा लंड निकलना है तो उसे इसे गले के नीचे उतारना होगा | रीमा कसकर जितेश के लंड को अपनी गुलाबी होठों की सख्कत कसावट से चूस रही थी ऐसा लग रहा था जैसे जितेश वर्ग में पहुंच गया हो | रीमा के मुहँ की गरम गुनगुनी गुलाबी खुरधुरी जीभ का उसके गरम मीनार की तरह तपते लंड पर अहसास, रीमा की गीली लार के चिकनाहट के साथ उसके लंड पर फिसलते रसीले गुलाबी ओंठ यह ऐसा एहसास था जो शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता था बस महसूस किया जा सकता था | रीमा उस एहसास को जितेश को महसूस करा रही थी |
रीमा ने थोड़ा सा और जोर लगाया और जितेश के लंड को पूरा निगलने के लिए अन्दर तक घोंट लिया | जितेश का लंड रीमा के गले तक चला गया, उसके बाद उसके गले में उतरने लगा | क्योंकि जितेश का लंड बहुत बड़ा था इसलिए बिना गले के नीचे रीमा के मुहँ में समाने वाला नहीं था | रीमा भी कहाँ हार मानने वाली थी रीमा ने पूरा का पूरा मुहँ खोल दिया और जितेश के लंड को अन्दर तक निगलने लगी | उसके मुंह के लार से जितेश की गोलियों और जांघे गीली होने लगी थी | उसकी आंखों पूरी तरह लाल हो गयी थी लेकिन वो रीमा ही क्या जो हार मान जाए | लंड चूसना उसका सबसे फेवरेट था और वह फटाफट किसी भी अनजान आदमी का लंड भी चूस सकती थी | उसे पता था एक बार यह पूरा का पूरा लंड उसके मुंह में घुस गया तो समझ लो उसकी वासना का एक पड़ाव उसने पार कर लिया जितेश को जो चरम सुख मिलेगा वो अलग | हालाँकि जितेश इस बात को लेकर निश्चित नहीं था की रीमा उसका पूरा का पूरा लंड मुहँ में ले पाएगी और इसीलिए बार-बार आंखें खोल कर देखता था |
रीमा की आंखों से पानी बह रहा था उसकी आंखें लाल हो गई थी लेकिन उसे इसकी परवाह नहीं थी | जितेश समझ गया था रीमा वासना में पूरी तरह डूब चुकी है उसे अपने मुहँ और गले में होने वाली तकलीफ का अहसास तक नहीं है | उसने रीमा के सर पर हाथ रखा और उसके मुंह को नीचे हिला हिला के चोदने लगा था और नीचे से भी कमर के थोड़े थोड़े झटके देने लगा था हालांकि बहुत हल्के हलके झटके मार रहा था और इसी के साथ में वह रीमा के मुंह को चोदने लगा था ताकि कुछ देर के लिए रीमा का थोड़ी सी राहत मिल जाए | कुछ देर तकजितेश ने कमर हिलाई उसके बाद रीमा ने फिर से कमान अपने हाथ में ले ली और अब वह जितेश के लंड को अपने गले के नीचे उतार कर घोटने के लिए पूरी तरह से तैयार हो गई थी | उसने जितेश के लंड पर ढेर सारी लार लगायी और उसे चिकना बनाया और अपना मुंह खोला उसके लंड को निकलती चली गई और उसके बाद में उसने खुद को पूरी तरह से ढीला छोड़ दिया और उसके लंड को अपने गले के नीचे उतारने लगी हालांकि यह संभव नहीं था | फिर भी उसने खुद के सर का सारा बोझ उस तने लंड पर डाल दिया | जितेश का लंड उसके गले को धीरे धीरे चीरते हुए उसके गले में धंस गया | रीमा ने धीरे-धीरे जितेश के लंड को जड़ तक निगल लिया | जब जितेश देखा तो रीमा तो उसकी जड़ तक उसका लंड मुहँ में घोंट के बैठी है तो हैरान रह गया | रीमा ने तेज से सर को पीछे खीचा और लम्बी साँस ली |
रीमा फिर अपनी उखड़ी सांसे काबू करते हुए बोली - इसे मेरे गले के नीचे उतार दो |
जितेश - रीमा अपने आप को क्यों तकलीफ देना चाहती हो, इस आग को बुझाने के और भी तरीके है |
रीमा - इसी तकलीफ में तो मजा है , तुम मुझे चुदाई पर मत पेलो बस मुहँ में लंड पेलो |
जितेश - लेकिन ये इतना बड़ा .........................|
जितेश की बात पूरी भी नहीं हुई - लंड मेरे मुहँ में जायेगा फट तुमारी क्यों रही है | चुपचाप पेलाई करो जैसे कह रही हूँ |
रीमा आराम से बेड पर सीधे लेट गयी और सर नीचे की तरफ लटका दिया | जितेश उसके सर की तरफ पीछे से आया |
उसने रीमा के खुले मुहँ में लंड घुसेड़ दिया और उसके बाद में ठेलता ही चला गया था | उसका दो तिहाई हिस्सा के मुंह में घुस गया था | उसने लंड को पीछे खीचा, रीमा ने लम्बी साँस ली और उसका लंड फिर से रीमा के मुहँ से सरकने लगा | उसने जोर लगाया और लंड रीमा के गले के नीचे उतरने लगा था जैसे जैसे जितेश का लंड रीमा के गले के नीचे उतर रहा था उसका उभार उसे साफ दिख रहा था रीमा गले में जलन होने लगी थी क्योंकि इतना मोटा लंबा लंड उसके गले में सिर्फ एक बार गया था | इससे पहले उसने बस रोहित का ही लिया था | जितेश धीरे-धीरे समझ गया था रीमा क्या चाहती हो और वह पूरी तरह से रीमा के मुंह में अपने लंड को घुसाने लगा था जितेश लंड को पूरी तरह से रीमा के मुंह में उतारने लगा था उसके गले में जो जलन हो रही थी धीरे-धीरे वह जलन लंड के रगड़ने से और बढ़ रही थी लेकिन रीमा को वासना की गर्मी में उसका एहसास शायद ही हो रहा हो | धीरे-धीरे जितेश का लंड रीमा की गर्दन के नीचे उतारने लगा था और एक बार पूरा जोर लगाकर रीमा ने लंबी सांस ली और जितेश के लंड को धक्का मारा और उसका लंड रीमा की जीभ से फिसलता हुआ उसके गले के नीचे तक उतार गया | जितेश के लंड की जड़ को रीमा के ओंठ छु रहे थे | रितेश का लंड पूरी तरह से भी रीमा के मुंह को चीरता हुआ उसके गले में नीचे तक फंसा हुआ था | कुछ देर तक रीमाँ जितेश के लंड को जड़ तक घोंटे रही | उसके बाद उसने फिर से पीछे की तरफ खींचते हुए जितेश के लंड को बाहर की तरफ निकाला और फिर से यही चीज दोहराई और फिर लंबी सांस ली | अब हट झटके के साथ उसके लंड को पूरी तरह से चूसने लगी थी कुछ देर बाद ही रीमा ने जितेश के लंड को ओंठो से जकड़ लिया और जितेश को चोदने के लिए कहा है | जितेश समझ गया उसने पीछे से कमर को हिलाना शुरू कर दिया था जिससे जितेश का लंड रीमा के मुंह में आसानी से आने जाने लगा था | जितेश ने रीमां के सर को पकड़कर के स्थिर किया और कसकर करके रीमा के मुहँ को चोदने लगा था यही तो रीमा चाहती थी | इसी तरह से पूरी तरह से टूट के वासना में डूब जाना ही तो उसकी दिली तम्मना थी | उसे अपनी वासना की उन ख्वाहिश के एहसास तक चुदना था जब तक उसका बदन जवाब ना दे जाए और यह तभी हो सकता था जब उसे एक तगड़ा लंड चोदने के लिए मिले | जितेश के रूप में उसे उसका मन पसंद का लंड मिल गया था | वह अपने सारे अरमान आज पूरे कर देना चाहती थी | उसने रात की शुरुआत मुहँ से करी थी लेकिन कल की सुबह कहाँ पर खतम करेगी इसका उसे भी अंदाजा नहीं था | जितेश भी हैरान था लेकिन खुश था उसे पता था कि रीमा दूसरी औरतों से थोड़ा अलग है इसीलिए उसे यह भी पता था कि रीमा के साथ उसका एक्सपीरियंस की दूसरी औरतों से कुछ ज्यादा ही अलग होगा | ये उसे बस अभी कुछ ही पलों में नजर आ गया था | रीमा पूरी तरह से जितेश का लंड अपने मुंह में ले रही थी और जितेश लम्बे लेकिन बेहद धीमे झटके लगा रहा था |
रीमा के मुहँ में चुदने की आवाजे ही आ रही थी - ख्ख्ख्खक्क्क्कक्क्क ख्ख्ख्खाक्काक्काक आआआआह्ह्ह्ह ऊऊऊह्ह्ह्ह, ह्ह्ह्हक्क्क्कक |
अब किसी तरह के एक्सपेरिमेंट का वक्त नहीं था रीमा भी चाहती थी कि अब जितेश कसकर उसके मुंह में लंड को पेल दे |
रीमा - अब बिना मेरी परवाह किये पेल दो मेरे मुहँ में लंड | मिटा लो अपनी हसरत और बुझा दो इस हवस की ख्हवाइश को हमेशा के लिए |
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जितेश से भी अब काबू नहीं हो रहा था जैसे ही जितेश ने रीमा के मुंह से लंड निकाला रीमा एक लंबी सांस खींची और उसके बाद जितेश ने रीमा के मुंह में लंड पेल दिया था | इसके बाद में जितेश धीरे-धीरे लेकिन लंबे-लंबे स्ट्रोक रीमा के मुंह में लगातार लगाता रहा | रीमा के मुहँ में रितेश अपना पूरा लंड गले तक उतार रहा था धीरे-धीरे उसने अपने झटके लगाने की स्पीड बढ़ा दी | अब वो एक बार में 10 से 15 झटके लगाता था और फिर लंड को रीमा के मुंह से बाहर निकाल लेता था इसके बाद में रीमा लंबी सांस लेती थी और जितेश फिर से रीमा के मुंह में लंड पेल देता था | रोहित जितेश बस आहें भर रहा था और हाफ रहा था और उसके मुंह से बस कामुक कराहे निकल रही थी | एक रीमा के मुंह से चप चप चक गों गों सप सप की आवाजें आ रही थी | जितेश धीरे-धीरे करके रीमा के मुंह में लंड पेलने की स्पीड बढ़ाता जा रहा था और रीमा भी अपने होठों को पूरी तरह से फैलाए हुए रितेश को लंड को पूरी पूरी तरह अपने मुंह में घोट रही थी | दोनों ही अब बुरी तरह से हांफने लगे थे | रीमा का सीना तेज सांसो के कारन तेजी से हांफ रहा था और जितेश भी उसी तरह से हांफ था | रीमा की जोरदार मुहँ चुदाई चल रही थी ऐसी चुदाई जो हमेशा से रीमा चाहती थी लेकिन उसे सोचने से और ख्वाहिश में लाने से डरती थी | वो जितेश का पूरा लंड घोंट चुकी थी हालांकि यह बहुत ही तकलीफ था | फिर भी उसने अपने दिल की ख्फिवाइस पूरी की | जितेश का पूरा का पूरा लंड रीमा के मुंह में जा रहा था और वह जिस स्पीड से रीमा के मुंह में पूरा का पूरा लंड पेल रहा था वह कल्पना से परे था यही तो चाहती थी यही तो उसका सपना था यही तो उसकी वासना की मानसिक तृप्ति थी अब इससे ज्यादा और रीमा को क्या चाहिए था |
जितेश को अपने शरीर में तनाव महसूस होने लगा था उसने रीमा के सर को कसकर जकड लिया ताकि वो हिलने न पाए और बेतहाशा उसके मुहँ में लंड पेलकर उसके मुहँ को चोदने लगा | रीम अभी समझ गयी जितेश झड़ने वाला है उसने भी होंठ फैला दिया, ताकि ज्यादा से ज्यादा लंड उसके मुहँ में जा सके | अब सिर्फ मुहँ चुदाई हो रही थी वो भी अपनी फुल स्पीड में | जितेश अपने चरम पर पंहुच पता नहीं क्या क्या बडबडा रहा है – आह रीमा मै झड़ने वाला हूँ, मेरा सफ़ेद रस बस निकलने वाला ही है | तुम पियोगी ना मेरा गरम लंड रस |
रीमा भी उसी वासना की आग में तपती हुई – हाँ उड़ेल दो सारा मेरे मुहँ, भर दो मेरा मुहँ लंड रस से | बुझा दो मेरे ओठो की प्यास , तर कर दो मेरा गला अपनी पिचकारियो से |
जितेश– हाँ बस पिचकारी निकने वाली ही है तुमारी सारी प्यास आज मै बुझा दूगां, युमारी बरसो की प्यास मै आज मिटा दूगां | भर दूगां तुमारा पूरा मुहँ अपनी पिचकारी से |
रीमा – भर दो न मेरा मुहँ अपने गरम लावे से | बहुत प्यासी हो इस प्यासी की सारी प्यास बुझा दो | पिला दो न सफ़ेद गरम लंड रस, सीच दो आज बरसो से पड़ी सुखी जमीन को |
दोनों ही अपनी उत्तेजना में न जाने क्या क्या बडबडा रहे थे |
जितेश ने झड़ने से पहला आखिर झाका दिया | जितेश ने पूरी ताकत लगाकर अपने लंड को रीमा के गले तक ठेल दिया | उसकी जांघे कपने लगी, शरीर अकड़ गया, उसके चुतड अपने आप ही सिकुड़ने फैलने लगे | उसकी गोलियों से तेज बहाव लंड की तरफ आता महसूस हुआ |
जितेश – रीम्म्म्मम्म्मा मेरी पिचकारी छुटने वाली है आआआआआ आआआआआआआआआआ| जितेश के लंड से पिचकारियाँ छुटने लगी |
जितेश के हाहाकारी भारी भरकम मोटे मुसल लंड के आक्रमण से जलते गले में एक गरम पिचकारी लगी, और सीधे गले में उतर गयी | जितेश का सफ़ेद गरम लंड रस बह निकला |
जलते गले में गीले गरम पिचकारी लगने से रीमा के शरीर में एक झुनझुनी सी दौड़ गयी | गरम सफ़ेद लंड रस के स्पर्श से ही उसे हल्का सा ओर्गास्म हो गया | फिर लंड ने पिचकारी की झड़ी लगा दी, जितेश ने थोड़ा लंड बाहर खीचा और मुहँ में झाड़ने लगा ताकि रीमा उसका सफ़ेद गाढ़ा लंड रस का स्वाद ले सके |
काफी देर तक जितेश की कमर हिलती रही, रीमा के मुहँ में वो झड़ता रहे, रीमा उनके लंड रस की एक एक बूंद गटकती चली गयी | जितेश की गोलिया खाली हो गयी, आखिरी बची कुछ बुँदे उसके लाल फूले सुपाडे पर आकर अटक गयी जिन्हें रीमा के अपनी जीभ से चाट लिया | उसके बात रीमा जितेश के लंड को चाटती रही और तब तक चाटती रही जब तक उसमे से एक भी बूंद की गुंजाईश बनी रही |
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