Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery स्मायरा
#41
Aap bahut beautifully describe karte hain. Could i have your contact details.
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#42
mast kahani
Like Reply
#43
shukriya
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#44
(12-09-2019, 08:10 PM)neerathemall Wrote: shukriya

नीरा दी , कहानी को आगे बढाओ प्लीज।
[+] 1 user Likes bhavna's post
Like Reply
#45
(18-09-2019, 09:35 PM)bhavna Wrote: नीरा दी , कहानी को आगे बढाओ प्लीज।

welcome
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#46
(04-10-2019, 03:11 PM)neerathemall Wrote: शुक्रिया कुुुछ तो आगे बढ़े।
welcome
Like Reply
#47
Quote:उसके मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं. मैंने उसकी गर्दन पर किस करते हुए, उसकी टी-शर्ट को उतार दिया. सामने पिंक कलर की ब्रा में उसके सफ़ेद टाइट मम्मे इतने सुंदर लग रहे थे कि मेरे मुँह से आह निकल गई.

उसके तने हुए मम्मे मानो मुझसे कह रहे थे कि हमको आजाद कर दो … मगर मैं उसकी ब्रा के ऊपर से ही अपने दांतों से उनको काट रहा था.

स्मायरा का चेहरा वासना से एकदम लाल हो गया था. एक तो वो दूध के जैसी गोरी पहले से ही थी. इस पर उसके चेहरे की लालिमा उसे और भी मादक और खूबसूरत बना रही थी. मैं उसके जिस्म को चूमता हुआ उसकी पीठ के पीछे किस करने लगा.

वो चुदास से ऐसे तड़प रही थी, जैसे जल बिन मछली हो. मैं पीठ को चूमता हुआ ब्रा की पट्टी पर आया और अपने दांतों से उसकी ब्रा का हुक खोल दिया. मैंने उसके बोबों को आजाद कर दिया. इस बीच उसने भी मेरी टी-शर्ट उतार दी थी.
EE
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#48
update pllease
Like Reply
#49
update please
Like Reply
#50
https://i4.imagetwist.com/i/31977/qpi606...930860.jpg
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#51
[quote pid='1654291' dateline='1582666493']

[Image: tamanna-boobs-7901.jpg]







[Image: tamanna-boobs-79.jpg]


[Image: tamanna-boobs-79.jpg]

[Image: tamanna-boobs-790.jpg]
[/quote]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#52
(12-09-2019, 08:10 PM)neerathemall Wrote: shukriya

(18-09-2019, 09:35 PM)bhavna Wrote: नीरा दी , कहानी को आगे बढाओ प्लीज।





(04-10-2019, 05:41 PM)neerathemall Wrote: EE
thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#53
स्मायरा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#54
स्मायरा
Like Reply
#55
(12-09-2019, 05:04 PM)duttluka Wrote: mast kahani

(12-09-2019, 08:10 PM)neerathemall Wrote: shukriya

(18-09-2019, 09:35 PM)bhavna Wrote: नीरा दी , कहानी को आगे बढाओ प्लीज।



fight Namaskar fight
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#56
(14-08-2019, 12:33 AM)neerathemall Wrote:
Heart  स्मायरा Heart








Heart banana Heart

(14-08-2019, 12:36 AM)x Wrote: fight Big Grin मैं स्मायरा Tongue x fight
Idea
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#57
मैं समायरा , दिन को घर में अकेली होती हूँ। बस घर का काम करती रहती हूँ, मेरा दिल तो यूँ साफ़ है, मेरे दिल में भी कोई बुरे विचार नहीं आते हैं। मेरे पति प्रातः नौ बजे कर्यालय चले जाते हैं फिर संध्या को छः बजे तक लौटते हैं। स्वभाव से मैं बहुत डरपोक और शर्मीली हूँ, थोड़ी थोड़ी बात पर घबरा जाती हूँ।

मेरे पड़ोस में रहने वाला लड़का रवि अक्सर मुझे घूरता रहता था। यूँ तो वो मुझसे काफ़ी छोटा था। कोई 20 साल का रहा होगा और मैं 28 साल कि भरपूर जवान स्त्री थी। कभी कभी मैं उसे देख कर सशंकित हो उठती थी कि यह मुझे ऐसे क्यूँ घूरता रहता है। इसका असर यह हुआ कि मैं भी कभी कभी उसे यहाँ-वहाँ से झांक कर देखने लगी थी कि वो अब क्या कर रहा है। पर हाँ, उसकी जवानी मुझे अपनी तरफ़ खींचती अवश्य थी। आखिर एक मर्द में और एक औरत में आकर्षण तो स्वाभाविक है ना। फिर अगर वो मर्द सुन्दर, कम उम्र का हो तो आकर्षण और ही बढ़ जाता है।

एक दिन रवि दिन को मेरे घर ही आ धमका। मैं उसे देख कर नर्वस सी हो गई, दिल धड़क गया। पर उसके मृदु बोलों पर सामान्य हो गई। वो एक सुलझा हुआ लड़का था, उसमें लड़कियों से बात करने की तमीज थी।

वो एक पैकेट लेकर आया था, उसने बताया कि मेरे पति ने वो पैकेट भेजा था। मैंने तुरन्त मोबाईल से पति को पूछा तो उन्होंने बताया कि उस पैकेट में उनकी कुछ पुस्तकें हैं, रवि एक बहुत भला लड़का है, उसे जलपान कराए बिना मत भेजना।

मैंने रवि को बैठक में बुला लिया और उसे चाय भी पिलाई। वो एक खुश मिज़ाज़ लड़का था, हंसमुख था और सबसे अच्छी बात यह थी उसमें कि वो बहुत सुन्दर भी था। उसकी सदैव चेहरे पर विराजती मुस्कान मुझे भा गई थी। मुझे तो आरम्भ से ही उसमें आकर्षण नजर आता था। मेरे खुशनुमा व्यवहार के कारण धीरे धीरे वो मेरे घर आने जाने लगा। कुछ ही दिनों में वो मेरा अच्छा दोस्त बन गया था।

अब मुझे कोई काम होता तो वो अपनी बाईक पर बाज़ार भी ले जाता था। वो मुझे समायरा

दीदी कहता था। रवि की नजर अक्सर मेरी चूचियों पर रहती थी या वो मेरे सुडौल चूतड़ों की बाटियों को घूरता रहता था।

आप बाटियाँ समझते हैं ना … ? अरे वही गाण्ड के सुन्दर सुडौल उभरे हुए दो गोले …।

मुझे पता था कि मैं जब मेरी पीठ उसकी ओर होगी तो उसकी निगाहें पीछे मेरे चूतड़ों का साड़ी के अन्दर तक जायजा ले रही होंगी और सामने से मेरे झुकते ही उसकी नजर वर्जित क्षेत्र ब्लाऊज के अन्दर सीने के उभारो को टटोल रही होती होंगी। ये सब हरकतें मेरे शरीर में सिरहन सी पैदा कर देती थी। कभी कभी उसका लण्ड भी पैंट के भीतर हल्का सा उठा हुआ मुझे अपनी ओर आकर्षित कर लेता था।

शायद उसकी यही अदायें मुझे भाने लगी थी इसलिये जब भी वो मेरे घर आता तो मेरा मन उल्लासित हो उठता था। मुझे तो लगता था कि वो रोज आये और फिर वापस नहीं जाये। लालसा शायद यह थी कि शायद वो कभी मेरे पर मेहबान हो जाये और अपना लण्ड मुझे सौंप दे।

छीः छीः ! मैं यह क्या सोचने लगी?

या फिर वो ऐसा कुछ कर दे कि दिल आनन्द की हिलौरें लेने लगे।

एक दिन वो ऐसे समय में आ गया जब मैं नहा रही थी। जब मैं नहा कर बाहर आई तो मैंने देखा रवि मुझे ऊपर से नीचे तक निहार रहा था। मैं शरमा गई और भाग कर अपने शयनकक्ष में आ गई।

“समायरा

दीदी, आप तो गजब की सुन्दर हैं !” मुझे अपने पीछे से ही आवाज आई तो मैं सिहर उठी।

अरे! यह तो बेड रूम में ही आ गया? फिर भी उसके मुख से ये शब्द सुन कर मैं और शरमा गई पर अपनी तारीफ़ मुझे अच्छी लगी।

“तुम उधर जाओ ना, मैं अभी आती हूँ !” मैंने सिर झुका कर शरमाते हुये कहा।

“दीदी, ऐसा गजब का फ़िगर? तुम्हें तो मिस इन्डिया होना चाहिये था !” वो बोलता ही चला गया।

उसके मुख से अपनी तारीफ़ सुन कर मैं भोली सी लड़की इतरा उठी।

“आपने ऐसा क्या देख लिया मुझ में भैया?” मैं कुछ ऐसी ही और बातें सुनने के लिये मचल उठी।

“गजब के उभार, सुडौल तन, पीछे की मस्त पहाड़ियाँ … किसी को भी पागल कर देंगी !”

मेरा दिल धड़कने लगा। मेरे मन में उसके लिये प्यार भी उमड़ आया। मैं तो स्वभाव से शर्मीली थी, शर्म के मारे जैसे जमीन में गड़ी जा रही थी। पर अपनी तारीफ़ सुनना मेरी कमजोरी थी।

“भैया… उधर बैठक में जाओ ना … मुझे शरम आ रही है…” मैंने शर्म से पानी पानी होते हुये कहा।

वो मुझे निहारता हुआ वापस बैठक में आ गया। पर मेरे दिल को जैसे धक्का लगा, अरे ! वो तो मेरी बात बहुत जल्दी ही मान गया ? मान गया … बेकार ही कहा … अब मेरी सुन्दरता की तारीफ़ कौन करेगा? मैंने हल्के फ़ुल्के कपड़े पहने और जान कर ब्रा और चड्डी नहीं पहनी, ताकि उसे मेरी ऊँचाइयाँ और स्पष्ट आ नजर आ सके और वो मेरी मस्त तारीफ़ करता ही जाये। बस एक सफ़ेद पाजामा और सफ़ेद टॉप पहन लिया, ताकि उसे पता चले कि मेरे उरोज बिना ब्रा के ही कैसे सुडौल और उभरे हुये हैं और मेरे पीछे का नक्शा उभर कर बिना चड्डी के कितना मस्त लगता है। पर मुझे नहीं पता था कि मेरा यह जलवा उस पर कहर बन कर टूट पड़ेगा।

मैं जैसे ही बैठक में आई, वो मुझे देखते ही खड़ा हो गया।

उफ़्फ़्फ़ !

यह क्या?

उसके साथ उसका लण्ड भी तन कर खड़ा हो गया था। मुझे एक क्षण में पता चल गया कि मैंने यह क्या कर दिया है? पर तब तक देर हो चुकी थी, वो मेरे पास आ गया था।

“दीदी, आह्ह्ह ये उभार, ये तो ईश्वर की महान कलाकृति हैं …” उसके हाथ अनजाने में मेरे सीने पर चले गये और सहला कर उभारों का जायजा ले लिया। मेरे जिस्म में जैसे हजारों पावर के तड़ तड़ करके झटके लग गये। उसके स्पर्श से मानो मुझे नशा सा आ गया। मेरे गालों पर लालिमा छा गई, मेरी बड़ी बड़ी आँखें धीरे से नीचे झुक गई। तभी मैंने उसके हाथों को धीरे से थाम लिया और अपने गोल गोल उरोजों से हटाने लगी।

“मुझे छोड़ दो रवि, मैं मर जाऊंगी… मेरी जान निकल जायेगी … आह्ह !”

“आपकी सुन्दरता मुझे आपकी ओर खींच रही है, बस एक बार चूमने दो !” और उसके अधर मेरे गालों से चिपक गये। मुझे अहसास हुआ कि मेरे गुलाबी गाल जैसे फ़ट जायेंगे … तभी उसकी बाहें मेरी कमर से लिपट गई। उसके अधर मेरे अधरों से मिल गये। सिर्फ़ मिल ही नहीं गये जोर से चिपक भी गये।

मुझे जैसे होश ही नहीं रहा। यह कैसी सिरहन थी, यह कैसा नशा था, तन में जैसे आग सी लग गई थी।

उसका मोटा लण्ड नीचे से तन कर मेरी योनि को छू कर अपनी खुशी का अहसास दिला रहा था। मुझे लगा कि मेरी योनि भी मोटा लण्ड का स्पर्श पा कर खिल उठी थी। इन दो प्रेमियों को मिलने से भला कोई रोक पाया है क्या ?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#58
Smile दिल में एक प्यारी सी हूक उठ गई। तभी जैसे मैं हकीकत की दुनिया में लौटने लगी। मुझे अहसास हुआ कि हाय रे ! मुझे यह क्या हो गया था? मैंने अपने जिस्म को उसे कैसे छूने दिया… ।

“रवि, तुम मुझे बहका रहे हो …” मैंने उसे तिरछी मुस्कान भरी निगाह से देखा। वो भी जैसे होश में आ गया। उसने एक बार अपनी और मेरी हालत देखी … और उसकी बाहों का कमर में से दबाव हट गया। पर मैं जान कर के उससे चिपकी ही रही। आनन्द जो आ रहा था।

“ओह ! नहीं दीदी, मैं खुद बहक गया था … मैंने आपके अंग अनजाने में छू लिये … सॉरी !”

उसकी नजरें अब शर्म से नीचे होने लगी थी।

“रवि, यह तो पाप है, पति के होते हुये कोई दूसरा मुझे छुए !” उसके भोलेपन पर मैंने इतराते हुये कहा।

अन्दर ही अन्दर मेरा मन कुछ करने को तड़पने लग गया था। शायद मुझे एक मर्द की… ना ना … रवि की आवश्यकता थी … जो मुझे आनन्दित कर सके, मस्त कर सके। इतना खुल जाने के बाद मैं रवि को छोड़ देना नहीं चाह रही थी।

“पर दीदी, यह तो बस हो गया, आपको देख कर मन काबू में नहीं रहा… मुझे माफ़ करना !” कुछ हकलाते हुये वो बोला।

“अच्छा, अब तुम जाओ …” मेरा मन तो नहीं कर रहा था कि वो जाये, पर शराफ़त का जामा पहनना एक तकाजा था कि वो मुझे कही चालू, छिनाल या रण्डी ना समझ ले। मैं मुड़ कर अपने शयनकक्ष में आ गई। मुझे घोर निराशा हुई कि वो मेरे पीछे पीछे नहीं आया।

फिर जैसे एक झटके में सब कुछ हो गया। वो वास्तव में कमरे में आ गया था और मेरी तरफ़ बढ़ने लगा और वास्तव में जैसा होना चाहिये था वैसा होने लगा। मुझे अपनी जवानी पर गर्व हो उठा कि मैंने एक जवां मर्द को मजबूर कर दिया वो मुझे छोड़ ना सके। मैं धीरे धीरे पीछे हटती गई और अपने बिस्तर से टकरा गई, वो मेरे समीप आ गया।

“दीदी, आज मैं आपको नहीं छोड़ूंगा … मेरी हालत आपने ही ऐसी कर दी है…” रवि की आँखों में एक नशा सा था।

“नहीं रवि, प्लीज दूर रहो … मैं एक पतिव्रता नारी हूँ … मुझे पति के अलावा किसी ने नहीं छुआ है।” मन में मैं खुश होती हुई उसे ऐसा करने मजबूर करते हुये उसे लुभाने लगी। पर मुझे पता था कि अब मेरी चुदाई बस होने ही वाली है। बस मेरे नखरे देख कर कहीं यह चला ना जाये। उसकी वासना भरी गुलाबी आँखें यह बता रही थी कि वो अब मुझे चोदे बिना कहीं नहीं जाने वाला है।

उसने अपनी बाहें मेरी कमर में डाल कर मुझे दबा लिया और अपने अधरों से मेरे अधर दबा लिये। मैं जान करके घू घू करती रही। उसने मेरे होंठ काट लिये और अधरपान करने लगा। एक क्षण को तो

मैं सुध बुध भूल गई और उसका साथ देने लगी।

उसके हाथ मेरे ब्लाऊज को खोलने में लगे थे … मैंने अपने होंठ झटक दिये।

“यह क्या कर रहे हो …? प्लीज ! बस अब बहुत हो गया … अब जाओ तुम !”

उसने अपनी बाहें मेरी कमर में डाल कर मुझे दबा लिया और अपने अधरों से मेरे अधर दबा लिये। मैं जान करके घू घू करती रही। उसने मेरे होंठ काट लिये और अधरपान करने लगा। एक क्षण को तो मैं सुध बुध भूल गई और उसका साथ देने लगी।

उसके हाथ मेरे ब्लाऊज को खोलने में लगे थे ... मैंने अपने होंठ झटक दिये।

"यह क्या कर रहे हो ...? प्लीज ! बस अब बहुत हो गया ... अब जाओ तुम !" मेरे नखरे और बढ़ने लगे।

पर मेरे दोनों बड़े बड़े कबूतर उसकी गिरफ़्त में थे। वो उसे सहला सहला कर दबा रहा था। मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। मेरे दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी। बस जुबान पर इन्कार था, मैंने उसके हाथ अपने बड़े-बड़े नर्म कबूतरों से हटाने की कोशिश नहीं की।

उसने मेरा टॉप ऊपर खींच दिया, मैं ऊपर से नंगी हो चुकी थी। मेरे बड़े-बड़े सुडौल स्तन तन कर बाहर उभर आये। उनमें कठोरता बढ़ती जा रही थी। मेरे चुचूक सीधे होकर कड़े हो गये थे। मैं अपने हाथों से अपना तन छिपाने की कोशिश करने लगी।

तभी उसने बेशर्म होकर अपनी पैंट उतार दी और साथ ही अपनी चड्डी भी। यह मेरे मादक जोबन की जीत थी। उसका लण्ड 120 डिग्री पर तना हुआ था और उसके ऊपर उसके पेट को छू रहा था। बेताबी का मस्त आलम था। उसका लण्ड लम्बा मोटा था । मेरा मन हुआ कि उसे अपने मुख में दबा लूँ और चुसक चुसक कर उसका माल निकाल दूँ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#59
yourock yourock yourock
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#60
मैंने अन्जानी चाह से रवि को देखा... नजरें चार हुई... ना जाने नजरों ने क्या कहा और क्या समझा... रवि ने मेरी कमर को कस लिया और मेरे चेहरे पर झुक गया। मैं बेबस सी, मूढ़ सी उसे देखती रह गई। उसके होंठ मेरे होंठों से चिपकने लगे। मेरे नीचे के होंठ को उसने धीरे से अपने मुख में ले लिया। मैं तो जाने किस जहाँ में खोने सी लगी। मेरी जीभ से उसकी जीभ टकरा गई।

उसने प्यार से मेरे बालों पर हाथ फ़ेरा... मेरी आँखें बन्द होने लगी... शरीर कांपता हुआ उसके बस में होता जा रहा था। मेरे उभरे हुये मम्मे उसकी छाती से दबने लगे। उसने अपनी छाती से मेरी छाती को रगड़ा मार दिया, मेरे तन में मीठी सी चिन्गारी सुलग उठी।

उसका एक हाथ अब मेरे वक्ष पर आ गया था और फिर उसका एक हल्का सा दबाव ! मेरी तो जैसे जान ही निकल गई।

"रवि ... अह्ह्ह्ह...!"

cool2 ."

और फिर उसके लण्ड की गुदगुदी भरी चुभन नीचे मेरी चूत के आस-पास होने लगी। उसका लण्ड सख्त हो चुका था। । नर्म सा... कड़क सा... मधुर स्पर्श देता हुआ। मैं अपनी चूत उसके लण्ड से और चिपकाने लगी। उसके लण्ड का उभार अब मुझे जोर से चुभ रहा था। तभी हवा के एक झोंके के साथ वर्षा की एक फ़ुहार हम पर पड़ीं। मैंने जल्दी से मुड़ कर दरवाजा बन्द ही कर दिया।

ओह्ह ! यह क्या ?

मेरे घूमते ही रवि मेरी पीठ से चिपक गया और अपने दोनों हाथ मेरे सख़्त और मोटे मम्मों पर रख दिये। मैंने नीचे मम्मों को देखा... मेरे दोनों कबूतरों को जो उसके हाथों की गिरफ़्त में थे। उसने एक झटके में मुझे अपने से चिपका लिया और अपना बलिष्ठ लण्ड मेरे चूतड़ों की दरार में घुमाने लगा। मैंने अपनी दोनों टांगों को खोल कर उसे अपना लण्ड ठीक से घुसाने में मदद की।

उफ़्फ़ ! कैसा नरम-सख्त सा मेरी गाण्ड के छेद से सटा हुआ... गुदगुदा रहा था।

मैंने सारे आनन्द को अपने में समेटे हुये अपना चेहरा घुमा कर ऊपर दिया और अपने होंठ खोल दिये। रवि ने बहुत सम्हाल कर मेरे होंठों को फिर से पीना शुरू कर दिया। इन सारे अहसास को... चुभन को... मेरे मोटे मम्मों को दबाने से लेकर चुम्बन तक के अहसास को महसूस करते करते मेरी चूत से पानी की दो बून्दें रिस कर निकल गई। मेरी चूत में एक मीठेपन की कसक भरने लगी।

मेरे घूमते ही रवि मेरी पीठ से चिपक गया और अपने दोनों हाथ मेरे मम्मों पर रख दिये। मैंने नीचे मम्मों को देखा... मेरे दोनों कबूतरों को जो उसके हाथों की गिरफ़्त में थे।

मैंने सारे आनन्द को अपने में समेटे हुये अपना चेहरा घुमा कर ऊपर दिया और अपने होंठ खोल दिये। रवि ने बहुत सम्हाल कर मेरे होंठों को फिर से पीना शुरू कर दिया। इन सारे अहसास को... चुभन को... मम्मों को दबाने से लेकर चुम्बन तक के अहसास को महसूस करते करते मेरी चूत से पानी की दो बून्दें रिस कर निकल गई। मेरी चूत में एक मीठेपन की कसक भरने लगी।

"दीदी... प्लीज मेरा लण्ड पकड़ लो ना... प्लीज !"

मैंने अपनी आँखें जैसे सुप्तावस्था से खोली, मुझे और क्या चाहिये था। मैंने अपना हाथ नीचे बढ़ाते हुये अपने दिल की इच्छा भी पूरी की। उसका लण्ड Angry पकड़ लिया।

"भैया ! बहुत अच्छा है... कितना मोटा है... और लम्बा भी है... ओह्ह्ह्ह्ह !"

उसने अपना Angry नीचे सरका दिया तो वो नीचे गिर पड़ा। फिर उसने अपनी छोटी सी अण्डरवियर भी नीचे खिसका दी। उसका नंगा लण्ड....... ओह्ह्ह्ह्ह !" !! यह तो बहुत ही गुदगुदा... कड़क... और टोपे पर गीला सा था। मेरी चूत लपलपा उठी...  उसने मेरे पाजामे का नाड़ा खींचा और वो झम से नीचे मेरे पांवों पर गिर पड़ा।

"दीदी चलो, एक बात कहूँ?"

"क्या...?"

"सुहागरात ऐसे ही मनाते हैं ! है ना...?"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply




Users browsing this thread: 3 Guest(s)